महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। महात्मा गांधी भारत का बच्चा-बच्चा जानता है क्योंकि वह हमारे राष्ट्रपिता है। बच्चों को विद्यालय में महात्मा गांधी के बारे में बताया जाता है, ताकि विद्यार्थी भी उनके मार्गदर्शन पर चलकर एक आदर्श व्यक्ति बन सकें। इसीलिए अकसर विद्यार्थियों को परीक्षा में या फिर किसी डिबेट में महात्मा गांधी के ऊपर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) आता है। कई बार निबंध कम शब्दों का होता है तो कई बार ज्यादा शब्दों का। इसीलिए आज के इस लेख में हम आपको महात्मा गांधी का निबंध अलग-अलग शब्दों में बताएंगे। 

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1879 को भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर गांव में हुआ था। इनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी ना केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि वह एक बहुत ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व के मालिक थे। आज भारत में और दुनिया भर में लोग इन्हें उनकी महानता, सच्चाई, आदर्शवाद जैसी खूबियों की वजह से जानते हैं। इन्होंने भारत को आजाद कराने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पर अफसोस की बात है कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में

भारत के गुजरात में जन्में महात्मा गांधी एक बहुत ही सच्चे और देशभक्त भारतीय थे। इसीलिए पूरे भारत के लिए 2 अक्टूबर 1869 का दिन बहुत ही यादगार है क्योंकि इस दिन मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। महात्मा गांधी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए ब्रिटिश शासन में एक बहुत ही ना भूलने वाली भूमिका निभाई थी। इनकी शिक्षा की बात की जाए तो इन्होंने पहले पोरबंदर से ही शिक्षा हासिल की थी। फिर बाद में गांधीजी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए थे। 

इस तरह से इंग्लैंड में उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और उसके बाद जब यह भारत लौटे तो उन्होंने भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया। इसके अलावा भी गांधी जी ने और भी बहुत से आंदोलन चलाए थे। इसके चलते फिर 15 अगस्त 1947 को हमारे देश भारत को आजादी मिल गई थी। लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि 30 अक्टूबर 1948 को गांधीजी की गोली लगने से मृत्यु हो गई थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और इन्हें बापू के नाम से भी पुकारा जाता है। गांधी जी ने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए थे जिनके परिणामस्वरूप भारत को आजादी मिल सकी। बापू ने भारत में मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी और उसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए थे। इंग्लैंड से महात्मा गांधी जब वकील बन कर वापस भारत आए तो उन्होंने भारत की स्थिति को देखा। उन्होंने यह फैसला कर लिया कि वह अपने देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करवा कर रहेंगे। 

महात्मा गांधी बहुत ही बेहतरीन राष्ट्रवाद नेता थे जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। बापू जी के इतने बड़े योगदान की वजह से ही उन्हें भारत के इतिहास में इतना ज्यादा महत्व दिया गया है। हर साल 2 अक्टूबर के दिन पूरे भारत में महात्मा गांधी का जन्मदिन बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यह दिन गांधी जयंती के नाम से प्रसिद्ध है।

सभी स्कूलों में और शिक्षा संस्थानों में बच्चों को विशेषतौर से महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरित किया जाता है, ताकि वे भी उनके जैसे योग्य इंसान बन सकें। भारत देश को आजाद कराने वाले महान गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मार दी थी जिसकी वजह से बापू जी की मृत्यु हो गई थी। ऐसे महान व्यक्ति की मृत्यु होने पर पूरा देश बहुत ही ज्यादा सदमे में चला गया था। 

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

मोहनदास करमचंद गांधी एक बहुत ही महान व्यक्ति थे जिनकी महानता से भारत के ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी बहुत ज्यादा प्रेरित रहते थे। अगर इनके जन्म की बात की जाए तो देश के राष्ट्रपिता का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में स्थित पोरबंदर में हुआ था। यह अपने पिता करमचंद गांधी और माता पुतलीबाई गांधी की चौथी और सबसे आखिरी संतान थे। 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा उनके जन्म स्थान पोरबंदर में ही हुई थी। जानकारी के लिए बता दें कि महात्मा गांधी एक बहुत ही साधारण से विद्यार्थी थे और यह बहुत ही कम बोला करते थे। इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा मुंबई यूनिवर्सिटी से की थी फिर बाद में यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश चले गए थे। वैसे तो गांधीजी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन क्योंकि वो एक वैष्णव परिवार से संबंध रखते थे इसलिए उन्हें चीर-फाड़ करने की आज्ञा नहीं थी। इसलिए इन्होंने वकालत में अपनी शिक्षा पूरी की। 

गांधी जी का विवाह 

जिस समय गांधी जी की उम्र सिर्फ 13 साल की थी उस समय इनका विवाह कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था जोकि पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री थी। गांधीजी विवाह के समय स्कूल में पढ़ा करते थे। 

गांधीजी का राजनीति में प्रवेश 

जिस समय गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे उस समय भारत में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर चल रही थी। सन् 1915 की बात है जब गांधी जी भारत लौटे थे तो उस वक्त कांग्रेस पार्टी के सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने बापू से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए कहा था। उसके बाद फिर गांधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता प्राप्त करने के बाद पूरे भारत की भ्रमण यात्रा की। उसके बाद फिर गांधी जी ने पूरे देश की बागडोर को अपने हाथों में लेकर संपूर्ण देश में एक नए इतिहास की शुरुआत की। इसी दौरान जब 1928 में साइमन कमीशन भारत आया तो ऐसे में गांधी ने उसका खूब डटकर सामना किया। तरह से लोगों को बहुत ज्यादा प्रोत्साहन मिला और जब गांधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा निकाली तो उसकी वजह से अंग्रेज बुरी तरह से घबरा गए। 

महात्मा गांधी ने देश भर के लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे अपने स्वदेशी सामान को इस्तेमाल करें। बता दें कि गांधीजी ने जितने भी आंदोलन किए वे सभी आंदोलन अहिंसा से दूर थे। परंतु फिर भी उन्हें नमक आंदोलन की वजह से जेल तक भी जाना पड़ गया था। लेकिन गांधीजी ने अपना संघर्ष जारी रखा और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत को आजाद करवा लिया। 

गांधी जी की मृत्यु 

देश के बापू महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को बिरला भवन के बगीचे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बापू के सीने में नाथूराम विनायक गोडसे ने तीन गोलियां चलाई थी‌। मरते समय उनके मुंह से हे राम निकला था। इस तरह से 78 साल में देश के राष्ट्रपिता इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। लेकिन उनके आदर्शों और उनकी बातों का आज भी लोग बहुत ज्यादा सम्मान करते हैं। 

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दोस्तों यह थी हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने आपको महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) बताया। हमने महात्मा गांधी पर निबंध कम शब्दों में और अधिक शब्दों में बताया है जिससे कि आप अपनी जरूरत के अनुसार निबंध लिख सकें। हमें पूरी आशा है कि महात्मा गांधी पर निबंध आपके लिए अवश्य उपयोगी रहा होगा। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारे इस लेख को उन लोगों के साथ भी शेयर करें जो महात्मा गांधी पर निबंध ढूंढ रहे हैं। 

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi 100, 200, 500 Words महात्मा गांधी पर हिंदी निबंध

हमारे द्वारा नीचे महात्मा गांधी पर सरल शब्दों में निबंध दिए गए हैं। वे हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे। भारत का हर बच्चा और व्यक्ति उन्हें बापू या राष्ट्रपिता के नाम से जानता है। नीचे दिए गए निबंधों के माध्यम से आप अपने बच्चों की स्कूल की हर प्रतियोगिता या परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद कर सकते हैं।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi 100 Words

महात्मा गांधी को जीवन पर्यंत उनके महान कार्यों के लिए महात्मा बुलाया जाता रहेगा। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और अहिंसा का पालन करने वाले कार्यकर्ता थे. उन्होंने अहिंसा के दम पर भारत को अंग्रेजों के राज से मुक्त करवाया। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक शहर में हुआ था। वे जब इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई कर रहे थे तब महज 18 साल के थे। बाद में वे अपने कानून का अभ्यास करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के एक ब्रिटिश उपनिवेश में गए जहां अपनी काली त्वचा के कारण गोरे लोगों ने उनके साथ भेदभाव किया। इसलिए उन्होंने इन अनुचित कानूनों में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निश्चय किया।

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इसके बाद वे भारत लौट आएं और उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए एक शक्तिशाली और अहिंसक आंदोलन शुरु किया। सन 1930 में गांधीजी ने दांडी मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने बहुत से भारतीयों को अपनी स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए प्रेरित किया।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 200 Words

महात्मा गांधी भारत के महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व थे, जो अभी भी अपनी महानता, आदर्शवाद और महान जीवन की विरासत के जरिए देश -विदेश में लोगों को प्रेरित करता है। बापू का जन्म 2 अक्तूबर को 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक शहर में एक हिंदू परिवार में हुआ था। अक्टूबर माह के दूसरे दिन जब बापू का जन्म हुआ, वह भारत के लिए एक महान दिन था। उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्रता कराने के लिए अपनी महान और अविस्मरणीय भूमिका अदा की। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। वे अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही कानून की पढाई के लिए इंग्लैंड चले गयें थे। सन 1891 में एक वकील के रूप में भारत लौट आयें।

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भारत आने के बाद, उन्होंने ब्रिटिश शासन से विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे भारतीय लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। उन्होंने भारतीयों की मदद के लिए अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए बापू द्वारा शुरू की गई अन्य बड़ी गतिविधियों में 1920 में असहयोग आंदोलन, वर्ष 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन थे। सभी आंदोलनों ने भारत में ब्रिटिश शासन को हिलाकर रख दिया और बहुत से आम नागरिकों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi 500 Words

महात्मा गांधी को हमारे देश की आजादी में उनके महान योगदान के लिए “देश के पिता या बापू” के रूप में जाना जाता है। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अहिंसा और लोगों की एकता में विश्वास किया और भारतीय राजनीति में आध्यात्मिकता लायें। उन्होंने भारतीय समाज में अस्पृश्यता को हटाने, भारत में पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कड़ी मेहनत की, सामाजिक विकास के लिए गांवों को विकसित करने के लिए आवाज उठाई, स्वदेशी वस्तुओं और अन्य सामाजिक मुद्दों को उठाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। वे आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए आम लोगों को आगे लायें और उन्हें अपनी सच्ची स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।

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वे उन व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने अपने महान आदर्शों और सर्वोच्च त्यागों के माध्यम से आजादी के सपने को सच्चाई में बदल दिया। वे आज भी हमारे बीच उनके महान कार्यों और अहिंसा, सच्चाई, और प्रेम जैसे प्रमुख गुणों के लिए याद कियें जाते है। वे एक महान आत्मा के रूप में पैदा नहीं हुए थे बल्कि उन्होंने अपने कठिन संघर्षों और कार्यों के माध्यम से खुद को महान बना दिया। वे राजा हरिश्चंद्र नामक नाटक के पात्र राजा हरिश्चंद्र के जीवन से बेहद प्रभावित थे। स्कूली शिक्षा के बाद, उन्होंने इंग्लैंड से अपनी क़ानून की डिग्री पूरी की और एक वकील के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन एक महान नेता के रूप में कार्य करना जारी रखा।

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उन्होंने भारत की आज़ादी के लिए कई बड़े आन्दोलनों जैसे 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1 942 में भारत छोड़ो आंदोलन आदि की शुरुआत की। कई संघर्षों और कार्यों के बाद, ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत को आजादी प्रदान की गई। वे एक बहुत ही सरल व्यक्ति थे जिन्होंने रंग और जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए काम किया। उन्होंने भारतीय समाज में अस्पृश्यता को दूर करने के लिए कड़ी मेहनत की और अछूतों को “हरिजन” नाम दिया, जिसका अर्थ है भगवान के लोग।

वे एक महान सामाजिक सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जो अपने जीवन के लक्ष्य को पूरा करने के एक दिन बाद मृत्यु को प्राप्त हुए। उन्होंने भारतीय लोगों को मेहनतकश बननें के लिए प्रेरित किया और कहा कि एक सरल जीवन जीने और आत्मनिर्भर बनने के लिए सभी संसाधनों की व्यवस्था वे स्वयं करें। उन्होंने स्वदेशी सामानों के उपयोग को बढ़ावा देने और विदेशी सामानों के उपयोग से बचने के लिए चरखे के माध्यम से सूती कपड़े की बुनाई शुरू कर दी। वे कृषि के समर्थक थे और इसके लिए उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों को कृषि कार्य करने के लिए प्रेरित किया। वे एक ऐसे आध्यात्मिक व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय राजनीति में आध्यात्मिकता का प्रवेश करवाया। 30 जनवरी 1948 को उनका निधन हुआ और उनके शरीर का अंतिम  संस्कार राजघाट , नई दिल्ली में किया गया। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए 30 जनवरी को हर साल भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

  • Short Paragraph on Mahatma Gandhi In Hindi

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महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।

2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

इन कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी जी के महत्व को बताने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं।

इसलिए आज हम आपको देश के राष्ट्रपितामह एवं बापू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं-

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “ राष्ट्रपिता और बापू ” के नाम से जाने जाते है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे।

भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था।

राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की। अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।

उन्होंने काफी अभियानों की शुरुवात की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आंदोलन और उनके द्वारा किये गये ये सभी आन्दोलन भारत को आज़ादी दिलाने में कारगार साबित हुए। अंततः उनके द्वारा किये गये संघर्षो की बदौलत भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिल ही गयी।

महात्मा गांधी का जीवन काफी साधारण ही था वे रंगभेद और जातिभेद को नही मानते थे। उन्होंने भारतीय समाज से अछूत की परंपरा को नष्ट करने के लिये भी काफी प्रयास किये और इसके चलते उन्होंने अछूतों को “हरिजन” का नाम भी दिया था जिसका अर्थ “भगवान के लोग” था।

महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आज़ादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये।

गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।

महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी और राजघाट, दिल्ली में लाखोँ समर्थकों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

“भविष्य में क्या होगा, यह मै कभी नहीं सोचना चाहता, मुझे बस वर्तमान की चिंता है, भगवान् ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।”

महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई के महानायक थे, जिन्हें उनके महान कामों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

आज उनके अथक प्रयासों, त्याग, बलिदान और समर्पण की बल पर ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।

वे सत्य और अहिंसा के ऐसे पुजारी थे, जिन्होंने शांति के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। महात्मा गांधी जी के महान विचारों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित है।

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन, परिवार एवं शिक्षा – Mahatma Gandhi Information

स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार माने जाने वाले महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में  2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में जन्में थे। गांधी का जी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

उनके पिता जी करम चन्द गांधी ब्रिटिश शासनकाल के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, जिनके विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

वहीं जब वे 13 साल के थे, तब बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई थी, जिन्हें लोग प्यार से ”बा” कहकर पुकारते थे।

गांधी जी बचपन से ही बेहद अनुशासित एवं आज्ञाकारी बालक थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात में रहकर ही पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां से लौटकर उन्होंने भारत में वकाकलत का काम शुरु किया, हालांकि, वकालत में वे ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।

महात्मा गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Mahatma Gandhi Political Career

अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव का शिकार होना पड़ा था। गांधी जी के साथ घटित एक घटना के मुताबिक एक बार जब वे ट्रेन की प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए थे, तब उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया था।

इसके साथ ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया था। जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।

वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से राजनीति में घुसे और फिर अपने सूझबूझ और उचित राजनैतिक कौशल से देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया एवं स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सैद्धान्तवादी एवं आदर्शवादी महानायक के रुप में महात्मा गांधी:

महात्मा गांधी जी बेहद सैद्धांन्तवादी एवं आदर्शवादी नेता थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व थे, उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग ”महात्मा” कहकर बुलाते थे।

उनके महान विचारों और आदर्श व्यत्तित्व का अनुसरण अल्बर्ट आइंसटाइन, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों ने भी किया है।

ये लोग गांधी जी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी था।

सत्य और अहिंसा उनके दो सशक्त हथियार थे, और इन्ही हथियारों के बल पर उन्होंने अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।

वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ समाजसेवक भी थे, जिन्होंने भारत में फैले जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव आदि को दूर करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किए थे।

अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र की सेवा में लगे रहे गांधी जी की देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्धारा हत्या कर दी गई थी।

वे एक महान शख्सियत और युग पुरुष थे, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ अडिग होकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन से हर किसी को सीख लेने की जरूरत है।

महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi par Nibandh

प्रस्तावना-

2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

वे एक एक महापुरुष थे, जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है।

महात्मा गांधी जी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव के खिलाफ तमाम संघर्षों के बाद जब वे अपने स्वदेश भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत बेकसूर भारतीयों पर अपने अमानवीय अत्याचार कर रही थी और  देश की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी।

जिसके बाद उन्होंने क्रूर ब्रिटिशों को भारत से बाहर निकाल फेंकने का संकल्प लिया और फिर वे आजादी पाने के अपने दृढ़निश्चयी एवं अडिग लक्ष्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन:

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए। उनके शांतिपूर्ण ढंग से चलाए गए आंदोलनों ने न सिर्फ भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर कर दी थीं, बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया था।  उनके द्धारा चलाए गए कुछ मुख्य आंदोलन इस प्रकार हैं-

चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Kheda Movement

साल 1917 में जब अंग्रेज अपनी दमनकारी नीतियों के तहत चंपारण के किसानों का शोषण कर रहे थे, उस दौरान कुछ किसान ज्यादा कर देने में समर्थ नहीं थे।

जिसके चलते गरीबी और भुखमरी जैसे भयावह हालात पैदा हो गए थे, जिसे देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से चंपारण आंदोलन किया, इस आंदोलन के परिणामस्वरुप वे किसानों को करीब 25 फीसदी धनराशि वापस दिलवाने में सफल रहे।

साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में भीषण बाढ़ आने से वहां के लोगों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे में किसान अंग्रेजों को भारी कर देने में असमर्थ थे।

जिसे देख गांधी जी ने अंग्रेजों से किसानों की लगान माफ करने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को उनकी मांगे माननी पड़ी और वहां के किसानों को कर में छूट देनी पड़ी।

महात्मा गांधी जी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।

महात्मा गांधी जी का असहयोग आंदोलन – Asahyog Movement

अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं जलियावाला बाग हत्याकांड में मारे गए बेकसूर लोगों को देखकर गांधी जी को गहरा दुख पहुंचा था और उनके ह्रद्य में अंग्रेजों के अत्याचारों से देश को मुक्त करवाने की ज्वाला और अधिक तेज हो गई थी।

जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर असहयोग आंदोलन करने का फैसला लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीय जनता से अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन नहीं देने की अपील की।

गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े स्तर पर भारतीयों ने समर्थन दिया और ब्रिटिश सरकार के अधीन पदों जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया साथ ही सरकारी स्कूल, कॉलजों एवं सरकारी संस्थानों का जमकर बहिष्कार किया।

इस दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी वस्त्रों एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक सत्याग्रह(1930) – Savinay Avagya Andolan

महात्मा गांधी ने यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ चलाया था। उन्होंने ब्रटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए इसके तहत पैदल यात्रा की थी।

गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने कुछ अनुयायियों के साथ सावरमती आश्रम से पैदल यात्रा शुरु की थी। इसके बाद करीब 6 अप्रैल को गांधी जी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून की अवहेलना की थी।

नमक सत्याग्रह के तहत भारतीय लोगों ने ब्रिटिश सरकार के आदेशों के खिलाफ जाकर खुद नमक बनाना एवमं बेचना शुरु कर दिया।

गांधी जी के इस अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार के हौसले कमजोर पड़ गए थे और गुलाम भारत को अंग्रेजों क चंगुल से आजाद करवाने का रास्ता साफ और मजबूत हो गया था।

महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन(1942)

अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य  से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साल 1942 में ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के कुछ साल बाद ही भारत ब्रिटिश शासकों की गुलामी से आजाद हो गया था।

आपको बता दें जब गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, उस समय दूसरे विश्वयुद्ध का समय था और ब्रिटेन पहले से जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था, ऐसी स्थिति का बापू जी ने फायदा उठाया। गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने एकत्र होकर अपना समर्थन दिया।

इस आंदोलन का इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। इस तरह से यह आंदोलन, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।

इस तरह महात्मा गांधी जी द्धारा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने  गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।

वहीं उनके आंदोलनों की खास बात यह रही कि उन्होंने बेहद  शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाए और आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने पर उनके आंदोलन बीच में ही रद्द कर दिए गए।

  • Mahatma Gandhi Slogan

महात्मा गांधी जी ने जिस तरह राष्ट्र के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, उनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं आज जिस तरह हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में गांधी जी के महान विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी देश-दुनिया में हिंसा कम हो सकेगी और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।

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60 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi”

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Gandhi ji is my favorite

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अपने अलग अलग तरह से गाँधी जी के कार्यो को बताया है बहुत अच्छा

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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi)

महात्मा गांधी

उद्देश्यपूर्ण विचारधारा से ओतप्रोत महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व आदर्शवाद की दृष्टि से श्रेष्ठ था। इस युग के युग पुरुष की उपाधि से सम्मानित महात्मा गाँधी को समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है पर महात्मा गाँधी के अनुसार समाजिक उत्थान हेतु समाज में शिक्षा का योगदान आवश्यक है। 2 अक्टुबर 1869 को महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ। यह जन्म से सामान्य थे पर अपने कर्मों से महान बने। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा इन्हें एक पत्र में “महात्मा” गाँधी कह कर संबोधित किया गया। तब से संसार इन्हें मिस्टर गाँधी के स्थान पर महात्मा गाँधी कहने लगा।

महात्मा गांधी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi par Nibandh Hindi mein)

महात्मा गांधी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ ही साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।

महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीक्षा

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। आस्था में लीन माता और जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से हुई, हाईस्कूल की परीक्षा इन्होंने राजकोट से दिया, और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से किया।

महात्मा गाँधी का शिक्षा और स्वतंत्रता में योगदान

महात्मा गाँधी का यह मानना था की भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधीन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो। साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता। शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।

बचपन में गाँधी जी को मंदबुद्धि समझा जाता था। पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। हम महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में सम्बोधित करते है और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे।

इसे यूट्यूब पर देखें : Mahatma Gandhi par Nibandh

Mahatma Gandhi par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता हैं।

बापू को ‘फ ा दर ऑफ नेशन ’ (राष्ट्रपिता) की उपाधि किसने दिया ?

महात्मा गाँधी को पहली बार फादर ऑफ नेशन कहकर किसने संबोधित किया, इसके संबंध में कोई स्पष्ठ जानकारी प्राप्त नहीं है पर 1999 में गुजरात की हाईकोर्ट में दाखिल एक मुकदमे के वजह से जस्टिस बेविस पारदीवाला ने सभी टेस्टबुक में, रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार गाँधी जी को फादर ऑफ नेशन कहा, यह जानकारी देने का आदेश जारी किया।

महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन

निम्नलिखित बापू द्वारा देश की आजादी के लिए लड़े गए प्रमुख आंदोलन-

  • असहयोग आंदोलन

जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था की ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।

  • नमक सत्याग्रह

12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किये गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।

  • दलित आंदोलन

गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।

  • भारत छोड़ो आंदोलन

ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।

  • चंपारण सत्याग्रह

ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानो से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।

महात्मा गाँधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिस साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)

“कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते, क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है” – महात्मा गाँधी

गाँधी जी के वचनों का समाज पर गहरा प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। वह मानवीय शरीर में जन्में पुन्य आत्मा थे। जिन्होंने अपने सूज-बूझ से भारत को एकता के डोर में बांधा और समाज में व्याप्त जातिवाद जैसे कुरीति का नाश किया।

गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीय पर हो रहे प्रताड़ना को सहना पड़ा। फर्स्ट क्लास की ट्रेन की टिकट होने के बावजूद उन्हें थर्ड क्लास में जाने के लिए कहा गया। और उनके विरोध करने पर उन्हें अपमानित कर चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया गया। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में कई होटल में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया।

बापू की अफ्रीका से भारत वापसी

वर्ष 1914 में उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के बुलावे पर गाँधी भारत वापस आए। इस समय तक बापू भारत में राष्ट्रवाद नेता और संयोजक के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे। उन्होंने देश की मौजूदा हालात समझने के लिए सर्वप्रथम भारत भ्रमण किया।

गाँधी, कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बेहतरीन लेखक

गाँधी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव को कलम की सहायता से बखूबी पन्ने पर उतारा है। महात्मा गाँधी ने, हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया में संपादक के तौर पर काम किया। तथा इनके द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तक हिंद स्वराज (1909), दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (इसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने संघर्ष का वर्णन किया है), मेरे सपनों का भारत तथा ग्राम स्वराज हैं। यह गाँधीवाद धारा से ओतप्रोत पुस्तक आज भी समाज में नागरिक का मार्ग दर्शन करती हैं।

गाँधीवाद विचार धारा का महत्व

दलाई लामा के शब्दों में, “आज विश्व शांति और विश्व युद्ध, अध्यात्म और भौतिकवाद, लोकतंत्र व अधिनायकवाद के मध्य एक बड़ा युद्ध चल रहा है” इस अदृश्य युद्ध को जड़ से खत्म करने के लिए गाँधीवाद विचारधार को अपनाया जाना आवश्यक है। विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारकों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अमेरिका के नेल्सन मंडेला और म्यांमार के आंग सान सू के जैसे ही लोक नेतृत्व के क्षेत्र में गाँधीवाद विचारधारा सफलता पूर्वक लागू किया गया है।

गाँधी जी एक नेतृत्व कर्ता के रूप में

भारत वापस लौटने के बाद गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने कई अहिंसक सविनय अवज्ञा अभियान आयोजित किए, अनेक बार जेल गए। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर लोगों का एक बड़ा समूह, ब्रिटिश सरकार का काम करने से इनकार करना, अदालतों का बहिष्कार करना जैसा कार्य करने लगा। यह प्रत्येक विरोध ब्रिटिश सरकार के शक्ति के समक्ष छोटा लग सकता है लेकिन जब अधिकांश लोगों द्वारा यह विरोध किया जाता है तो समाज पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।

प्रिय बापू का निधन

30 जनवरी 1948 की शाम दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में मोहनदास करमचंद गाँधी की नाथूराम गोडसे द्वारा बैरटा पिस्तौल से गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में नाथूराम सहित 7 लोगों को दोषी पाया गया। गाँधी जी की शव यात्रा 8 किलो मीटर तक निकाली गई। यह देश के लिए दुःख का क्षण था।

आश्चर्य की बात है, शांति के “नोबल पुरस्कार” के लिए पांच बार नॉमिनेट होने के बाद भी आज तक गाँधी जी को यह नहीं मिला। सब को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले प्रिय बापू अब हमारे बीच नहीं हैं पर उनके सिद्धान्त सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे।

Mahatma Gandhi Essay

FAQs: महात्मा गांधी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर. अल्फ्रेड हाई स्कूल को अब मोहनदास हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।

उत्तर. 30 जनवरी1948 को शाम 5.17 बजे गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

उत्तर. नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने उन्हें बापू के नाम से सम्बोधित किया।

उत्तर. बेरेटा 1934. 38 कैलिबर पिस्तौल का इस्तेमाल नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी को मारने के लिए किया था।

उत्तर. ऐसा माना जाता है कि भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार महात्मा गांधी से बड़ा नहीं है।

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mahatma gandhi essay in hindi 100 words

Mahatma Gandhi Essay in hindi | महात्मा गांधी पर निबंध

Mahatma Gandhi Essay in hindi

Mahatma Gandhi Essay in hindi – महात्मा गांधी पर निबंध : जैसा कि पोस्ट के टाइटल से ही स्पष्ट हो जाता है कि आज हम महात्मा गांधी जी के बारे मे बात करने वाले हैं। आज की इस पोस्ट में हम महात्मा गांधी के बारे में हर प्रकार के निबंध जैसे “महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में”, “Mahatma Gandhi par nibandh 150 shabdon me”, “महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में”, “Mahatma Gandhi par nibandh 250 shabdon me”, “महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में”, “Mahatma Gandhi par nibandh 400 shabdon me”, “महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में”, महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में प्रदान करेंगे जिससे की सभी कक्षाओं के Students उनके अनुसार निबंध लिख सके।

तो चलिए शुरू करते है बिना किसी देरी के Essay in hindi on mahatma gandhi.

महात्मा गांधी निबंध 10 लाइन में Mahatma Gandhi Essay 10 Lines in Hindi – Set 1

  • महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था।
  • महात्मा गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई था
  • वह करमचंद गांधी और पुतलीबाई के सबसे छोटे पुत्र थे।
  • गांधी की शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में हुई थी।
  • 1887 में, वे कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए।
  • 1891 में भारत लौटने के बाद, उन्होंने बंबई में कानून का अभ्यास शुरू किया।
  • 1893 में, वह एक अदालती मामले में एक मुस्लिम मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए।
  • दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, वे नस्लीय भेदभाव के खिलाफ भारतीय प्रवासियों के संघर्ष में शामिल हो गए।
  • उन्होंने अहिंसक प्रतिरोध, या सत्याग्रह के दर्शन को विकसित किया, जिसका उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत प्रभाव डाला।
  • 30 जनवरी, 1948 को एक हिंदू उग्रवादी द्वारा गांधी की हत्या कर दी गई थी।

mahatma gandhi essay in hindi 100 words

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन में Mahatma Gandhi Essay in Hindi 10 Lines – Set 2

  • महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को हुआ था।
  • महात्मा गांधी जी को मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से भी जाना जाता है
  • उनका जन्म पोरबंदर, गुजरात में हुआ था।
  • उनके माता-पिता करमचंद गांधी और पुतलीबाई थे।
  • उनका विवाह कस्तूरबा गांधी से हुआ था।
  • उन्हें भारत के पिता के रूप में जाना जाता है।
  • उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी।
  • उन्होंने अहिंसा को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल किया।
  • उन्हें भारत का सबसे महान नेता माना जाता है।
  • उन्हें उनकी शांति और प्यार के लिए याद किया जाता है।

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन में

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 100 Words.

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश नियंत्रण से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई। भारत लौटने से पहले उन्होंने लंदन में कानून की पढ़ाई की। 1893 में, वह एक अदालती मामले में एक मुस्लिम मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए। दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, महात्मा गांधी जी नस्लीय भेदभाव के खिलाफ भारतीय डायस्पोरा के संघर्ष में शामिल हुए। उन्होंने विरोध और हड़तालों का आयोजन किया, और उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में पहली भारतीय राजनीतिक संस्था, नेटाल इंडियन कांग्रेस की भी स्थापना की।

वर्ष 1915 में, गांधी जी भारत लौट आए और जल्द ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध का नेतृत्व किया और उन्होंने ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार भी किया। गांधी के अहिंसक प्रतिरोध के तरीके 1947 में भारतीय स्वतंत्रता जीतने में सफल रहे।

गांधी जी की हत्या 1948 में एक हिन्दू ने की थी। उनकी विरासत अभी भी दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती है। उन्हें समकालीन भारत का संस्थापक माना जाता है।

mahatma gandhi essay in hindi 100 words

महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 150 Words.

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में एक हिंदू परिवार में हुआ था और उनकी जन्मतिथि को भारत में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। उनके पिता पोरबंदर के मुख्यमंत्री थे।

जब महात्मा गांधी जी 13 वर्ष के थे, तब उनका विवाह कस्तूरबा माखनजी से हुआ था, और उनके 4 पुत्र हुए। महात्मा गांधी जी नागरिक अधिकार प्राप्त करने के लिए अहिंसा के मार्ग पर चले। वह बहुत विनम्र और विनम्र व्यक्ति थे। वह ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के महान नेता बने।

उन्होंने 1891 में लंदन विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और भारत वापस आ गए। गांधी जी एक भारतीय वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और एक महान राजनीतिक नेता थे। गांधी जी ने सत्याग्रह, दांडी के लिए नमक मार्च किया। सत्याग्रह अहिंसक प्रतिरोध या नागरिक प्रतिरोध का एक रूप है जो सत्य की शक्ति पर जोर देता है। 1930 में 12 मार्च से 6 अप्रैल तक सत्याग्रह चला। 30 जनवरी 1948 की तारीख को उनका निधन हो गया।

महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 300 Words

2 अक्टूबर, 1869, महात्मा गांधी जी का जन्म भारत के पोरबंदर में हुआ था, उनके पिता का नाम करम चंद गांधी जी था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी जी था। इनकी माता का नाम पुतली बाई था। राजकोट में स्कूल जाने से पहले, महात्मा गांधी जी पोरबंदर में पढ़े थे। महात्मा ने कभी झूठ नहीं बोला, तब भी नहीं जब वे युवा थे। 18 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की।

13 साल की उम्र में कस्तूरबा और मोहन दास की शादी हो गई। गांधी जी कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए और अंततः बैरिस्टर के रूप में स्नातक हुए। इंग्लैंड में भी, उन्होंने काफी सीधा जीवन व्यतीत किया। कानून की डिग्री हासिल करने के बाद वे भारत लौट आए।

गांधी जी ने अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत एक वकील के रूप में की थी। एक कानूनी लड़ाई के दौरान, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की। उन्होंने स्थानीय मूल अमेरिकियों की स्थिति का अवलोकन किया। गोरे लोगों ने उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया। उन्हें विशिष्ट स्थानों, क्लबों और अन्य प्रतिष्ठानों में जाने के साथ-साथ रेलमार्गों पर प्रथम श्रेणी में यात्रा करने से मना किया गया था। एक बार प्रथम श्रेणी में ट्रेन में सवार होने के दौरान गांधी जी पर हमला किया गया था और उन्हें गाड़ी से बाहर फेंक दिया गया था। अहिंसा और सत्याग्रह आंदोलन तब महात्मा द्वारा सभी भारतीयों को एक साथ लाने के प्रयास में शुरू किया गया था। आंदोलन ने तेजी से गति पकड़ी।

गांधी जी अपने देश लौटने के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए। उन्होंने यहां अहिंसा और असहयोग आंदोलनों की भी शुरुआत की। उन्होंने भारत के हर हिस्से का दौरा किया। वंचितों की स्थितियों को देखने के लिए, उन्होंने पूरे भारत में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर दौरा किया।

रौलट एक्ट का विरोध करने के लिए महात्मा गांधी जी द्वारा जलियाँ-वाला-बाग में गोलीबारी और सत्याग्रह आंदोलन दोनों शुरू किए गए थे। कई विपत्तियों के बाद, अधिनियम बनाया गया था। नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलनों की शुरुआत उनके द्वारा की गई थी। आखिरकार गांधी जी ने हमें आजादी दिलाई। 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। “राष्ट्रपिता” की उपाधि उन्हें दी गई है। नाथूराम गोडसे, एक कट्टरपंथी हिंदू, ने दुर्भाग्य से 30 जनवरी, 1948 को गांधी जीजी को गोली मार दी।

महात्मा गांधी पर निबंध 400-500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 400 – 500 Words

महात्मा गांधी जी को भारतीय राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है, वे एक प्रतिष्ठित नेता, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के लिए उनका अहिंसक संघर्ष दुनिया भर में शांतिपूर्ण प्रतिरोध का प्रतीक बन गया। यहां हम महात्मा गांधी जी के जीवन, शिक्षाओं और विरासत पर 400 शब्दों में महात्मा गांधी निबंध प्रदान कर रहे हैं, जो अहिंसा के माध्यम से प्रेरक परिवर्तन में उनकी भूमिका पर जोर देते हैं।

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन:

2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में जन्मे, मोहनदास करमचंद गांधी जी का पालन-पोषण एक पारंपरिक हिंदू परिवार में हुआ था। कानून की शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की, जहाँ उन्होंने पहली बार भारतीय समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव का अनुभव किया। इन अनुभवों ने अन्याय और असमानता के खिलाफ लड़ने के उनके दृढ़ संकल्प को हवा दी।

अहिंसक प्रतिरोध:

महात्मा गांधी जी राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन प्राप्त करने के साधन के रूप में अहिंसा की शक्ति में दृढ़ता से विश्वास करते थे। उनका दर्शन, जिसे सत्याग्रह के रूप में जाना जाता है, शांतिपूर्ण प्रतिरोध के पीछे ड्राइविंग बलों के रूप में सत्य, प्रेम और करुणा की वकालत करता है। गांधी जी के सिद्धांतों ने हिंसा और उत्पीड़न से मुक्त समाज बनाने के उद्देश्य से व्यक्तियों और समुदायों के नैतिक और आध्यात्मिक जागरण पर जोर दिया।

नमक मार्च और सविनय अवज्ञा (Salt March and Civil Disobedience):

गांधी जी के सविनय अवज्ञा के सबसे प्रसिद्ध कृत्यों में से एक नमक मार्च था, जो 1930 में हुआ था। नमक पर ब्रिटिश एकाधिकार के विरोध में, गांधी जी ने अनुयायियों के एक समूह का नेतृत्व करते हुए अरब सागर की 240 मील की यात्रा की, जहां उन्होंने समुद्री जल को वाष्पित करके अपना नमक बनाया। इस अधिनियम ने ब्रिटिश नमक कानूनों का उल्लंघन किया और भारतीय आबादी को प्रेरित किया, ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक सविनय अवज्ञा को प्रेरित किया।

भारतीय स्वतंत्रता के चैंपियन:

स्वतंत्रता के लिए भारतीय जनता को लामबंद करने में गांधी जी का नेतृत्व और अथक प्रयास महत्वपूर्ण थे। अहिंसक प्रतिरोध की अपनी रणनीति के माध्यम से, उन्होंने धर्म, जाति और वर्ग की बाधाओं को पार करते हुए विविध पृष्ठभूमि के लोगों को एकजुट किया। गांधी जी की न्याय और समानता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने लाखों भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने और ब्रिटिश कब्जे का शांतिपूर्वक विरोध करने के लिए प्रेरित किया।

विरासत और वैश्विक प्रभाव:

महात्मा गांधी जी की विरासत भारत की सीमाओं से बहुत आगे तक फैली हुई है। उनके दर्शन और अहिंसक प्रतिरोध के तरीकों ने कई नागरिक अधिकार आंदोलनों को प्रभावित किया और मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और आंग सान सू की जैसे नेताओं को प्रेरित किया। अहिंसा, सांप्रदायिक सद्भाव और मानवाधिकारों पर गांधी जी की शिक्षाएं प्रासंगिक बनी हुई हैं और दुनिया भर में सामाजिक न्याय और शांति के लिए प्रयास करने वाले व्यक्तियों और आंदोलनों को प्रेरित करती हैं।

संघर्ष और विभाजन से चिह्नित दुनिया में, महात्मा गांधी जी के अहिंसा और शांतिपूर्ण प्रतिरोध के सिद्धांत एक मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में काम करते हैं। सत्य, न्याय और समानता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के साथ प्रतिध्वनित होती रहती है। अपने निःस्वार्थ कार्यों से उन्होंने यह साबित कर दिया कि हिंसा का सहारा लिए बिना वास्तविक परिवर्तन प्राप्त किया जा सकता है।

Also Read: Biography of Mahatma Gandhi in English

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 1000 Words.

महात्मा गांधी जी, भारतीय इतिहास में एक सम्मानित व्यक्ति हैं, वे देश के स्वतंत्रता आंदोलन को आकार देने और अहिंसा, शांति और समानता के आदर्शों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण थे। यहां हम 1000 शब्दों में महात्मा गांधी जी पर एक निबंध की खोज करेंगे। हम उनकी शिक्षाओं के महत्व, नेतृत्व के प्रति उनके दृष्टिकोण और पीढ़ियों को प्रेरित करने वाली उनकी स्थायी विरासत के बारे में जानेंगे।

महात्मा गांधी जी कौन थे?

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा.

मोहनदास करमचंद गांधी जी, जिन्हें आमतौर पर महात्मा गांधी जी के नाम से जाना जाता है, का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। उनका पालन-पोषण एक समर्पित हिंदू परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की और बाद में लंदन, इंग्लैंड में कानून का अध्ययन किया। गांधी जी के पालन-पोषण और शिक्षा ने उनके विश्वदृष्टि को आकार देने और ईमानदारी, करुणा और न्याय के मूल्यों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रभाव और परिवर्तनकारी अनुभव

इंग्लैंड में रहने के दौरान, गांधी जी को विभिन्न अनुभवों का सामना करना पड़ा जिसने उनके दृष्टिकोण को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने पहली बार नस्लीय भेदभाव का सामना किया, जिससे सभी प्रकार के अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने की उनकी प्रतिबद्धता जगी। इसके अतिरिक्त, गांधी जी ने लियो टॉल्स्टॉय और हेनरी डेविड थोरो जैसे महत्वपूर्ण बुद्धिजीवियों से भी प्रेरणा ली, जिनकी अहिंसा और सविनय अवज्ञा में विश्वास ने उन पर एक स्थायी प्रभाव डाला।

महात्मा गांधी जी के आदर्श और शिक्षाएं

अहिंसा: अहिंसा एक हथियार के रूप में.

महात्मा गांधी जी के दर्शन का केंद्र अहिंसा या अहिंसा का सिद्धांत था। उनका मानना था कि हिंसा केवल अधिक हिंसा को जन्म देती है और यह कि सच्चा परिवर्तन केवल शांतिपूर्ण तरीकों से ही प्राप्त किया जा सकता है। गांधी जी की अहिंसा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता औपनिवेशिक शासन और सामाजिक अन्याय के खिलाफ उनकी लड़ाई में एक शक्तिशाली उपकरण बन गई। प्रत्येक मनुष्य के निहित मूल्य और गरिमा में उनके विश्वास ने उनकी शिक्षाओं की नींव रखी।

सत्याग्रह: सत्य की शक्ति

सत्याग्रह, जिसका अर्थ है “सत्य बल” या “आत्मा बल”, गांधी जी की शिक्षाओं का एक और मूलभूत पहलू था। उन्होंने अन्याय का सामना करने और चुनौती देने के लिए अहिंसक प्रतिरोध के उपयोग की वकालत की। सत्याग्रह में निष्क्रिय प्रतिरोध, सविनय अवज्ञा और अपने विश्वासों के लिए पीड़ित होने की इच्छा शामिल थी। सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करके, गांधी जी का उद्देश्य समाज के नैतिक विवेक को जगाना और अत्याचारियों को अपने तरीके बदलने के लिए मजबूर करना था।

स्वराजः स्वशासन और स्वतंत्रता

महात्मा गांधी जी स्वराज की अवधारणा में दृढ़ता से विश्वास करते थे, जिसका अनुवाद “स्व-शासन” या “स्व-शासन” के रूप में किया जाता है। उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की, जहां व्यक्तियों के पास खुद पर शासन करने की शक्ति हो, जो बाहरी प्रभुत्व से मुक्त हो। गांधी जी की स्वराज की दृष्टि राजनीतिक स्वतंत्रता से परे थी; उन्होंने व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तरों पर आत्म-अनुशासन, आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भरता के महत्व पर जोर दिया। गांधी जी के लिए स्वराज केवल भारत तक ही सीमित नहीं था, बल्कि सभी के कल्याण और सशक्तिकरण को शामिल करता था।

सर्वोदय : सबका कल्याण

सर्वोदय, जिसका अर्थ है “सभी का उत्थान,” महात्मा गांधी जी द्वारा प्रतिपादित एक अवधारणा थी। उनका मानना था कि सच्ची प्रगति और विकास तभी प्राप्त किया जा सकता है जब समाज के सबसे कमजोर सदस्यों के कल्याण को प्राथमिकता दी जाए। गांधी जी ने गरीबी, भेदभाव और असमानता के मुद्दों को संबोधित करते हुए सामाजिक और आर्थिक समानता की वकालत की। प्रत्येक व्यक्ति की भलाई और गरिमा पर उनका जोर एक न्यायपूर्ण और समावेशी समाज बनाने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

महात्मा गांधी की नेतृत्व शैली

उदाहरण द्वारा लीड करें: वाकिंग द टॉक.

उदाहरण के लिए नेतृत्व करने की महात्मा गांधी जी की क्षमता उनके सबसे उत्कृष्ट नेतृत्व गुणों में से एक थी। उनका मानना था कि नेताओं को उन मूल्यों को धारण करना चाहिए जिनका वे समर्थन करते हैं और जो वे उपदेश देते हैं उसका अभ्यास करना चाहिए। सादगी, विनम्रता और अहिंसा के प्रति प्रतिबद्धता सहित गांधी जी के व्यक्तिगत जीवन शैली विकल्पों ने उनके अनुयायियों के लिए एक शक्तिशाली उदाहरण के रूप में कार्य किया। अपने सिद्धांतों के अनुरूप जीवन जीकर, गांधी जी ने दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया और केवल शब्दों के बजाय अपने कार्यों के माध्यम से नेतृत्व किया।

समावेशी नेतृत्वः वंचितों का सशक्तिकरण

गांधी जी के नेतृत्व में समावेशिता और समाज के हाशिए के वर्गों को सशक्त बनाने पर एक मजबूत ध्यान केंद्रित किया गया था। उन्होंने उस समय भारतीय समाज में प्रचलित पदानुक्रम और सामाजिक विभाजन को खत्म करने की मांग की। गांधी जी ने स्वतंत्रता और सामाजिक सुधार की लड़ाई में जाति, धर्म या लिंग की परवाह किए बिना जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को सक्रिय रूप से शामिल किया। हाशिए पर पड़े लोगों को आवाज देकर, गांधी जी ने मौजूदा सत्ता संरचनाओं को चुनौती दी और एक अधिक समतामूलक समाज का मार्ग प्रशस्त किया।

सुनना और संवाद: संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना

अहिंसक समाधानों की अपनी खोज में, गांधी जी ने बातचीत को सुनने और उसमें शामिल होने के महत्व पर जोर दिया। उनका मानना था कि सच्ची समझ केवल सम्मानजनक संचार और सक्रिय श्रवण से ही उभर सकती है। गांधी जी ने शांतिपूर्ण वार्ताओं को प्रोत्साहित किया और महत्वपूर्ण असहमतियों के बावजूद भी आम जमीन तलाशने की कोशिश की। संवाद और शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान को बढ़ावा देकर, उन्होंने स्थायी परिवर्तन लाने में कूटनीति और अनुनय की शक्ति का प्रदर्शन किया।

महात्मा गांधी जी और भारत की आजादी

नमक मार्चः सविनय अवज्ञा का प्रतीक.

भारतीय स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी जी की लड़ाई में सबसे प्रतिष्ठित घटनाओं में से एक नमक मार्च था, जिसे दांडी मार्च भी कहा जाता है। 1930 में, गांधी जी और अनुयायियों के एक समूह ने तटीय शहर दांडी की 240 मील की यात्रा शुरू की। उनका उद्देश्य समुद्री जल से नमक का उत्पादन करके ब्रिटिश नमक एकाधिकार को चुनौती देना था। सविनय अवज्ञा के इस कृत्य ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया और पूरे देश में विरोध की लहर दौड़ गई। नमक मार्च औपनिवेशिक शासन के खिलाफ अवज्ञा का प्रतीक बन गया और लाखों भारतीयों के बीच प्रतिरोध की भावना को प्रज्वलित कर दिया।

भारत छोड़ो आंदोलन: राष्ट्र को एक करना

1942 में, महात्मा गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आग्रह किया। इस सामूहिक सविनय अवज्ञा अभियान का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाना था। इस आंदोलन ने लाखों भारतीयों को हड़तालों, विरोध प्रदर्शनों और असहयोग के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेते देखा। जबकि ब्रिटिश अधिकारियों ने बलपूर्वक जवाब दिया, गांधी जी और अन्य नेताओं को कैद कर लिया, भारत छोड़ो आंदोलन ने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया। इसने स्वतंत्रता की लड़ाई में भारतीय लोगों के अटूट दृढ़ संकल्प और एकता को प्रदर्शित किया।

विभाजन और गांधी जी की सद्भावना की वकालत

1947 में भारत का विभाजन, जिसके परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान का निर्माण हुआ, एक अत्यंत विभाजनकारी और दुखद घटना थी। बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और हिंसा के बीच, महात्मा गांधी जी ने शांति, सद्भाव और धार्मिक एकता की अथक वकालत की। उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने और हिंसा को रोकने के लिए उपवास किया और प्रार्थना सभाओं में भाग लिया। गांधी जी का दृढ़ विश्वास था कि हिंदू और मुसलमान एक साझा समाज में सह-अस्तित्व में रह सकते हैं और सक्रिय रूप से सुलह और समझ की दिशा में काम किया। अपार चुनौतियों के बावजूद, अहिंसा और सांप्रदायिक सद्भाव के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने राष्ट्र पर स्थायी प्रभाव छोड़ा।

दुनिया पर महात्मा गांधी जी का प्रभाव

नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरणा.

महात्मा गांधी जी के अहिंसा और सविनय अवज्ञा के सिद्धांतों ने दुनिया भर में कई नागरिक अधिकार आंदोलनों को प्रेरित किया। संयुक्त राज्य अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग जूनियर, दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला और म्यांमार में आंग सान सू की जैसे नेताओं ने गांधी जी के शांतिपूर्ण प्रतिरोध के तरीकों से प्रेरणा ली। गांधी जी की विरासत नस्लीय भेदभाव, रंगभेद और दमनकारी शासन के खिलाफ लड़ने वालों के लिए एक मार्गदर्शक बन गई। उनकी शिक्षाएँ न्याय, समानता और मानवाधिकारों के लिए प्रयासरत व्यक्तियों और आंदोलनों के साथ प्रतिध्वनित होती रहती हैं।

वैश्विक नेताओं पर प्रभाव

महात्मा गांधी जी का प्रभाव आंदोलनों से परे फैला और वैश्विक नेतृत्व के उच्चतम सोपानों तक पहुंचा। मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे नेताओं ने गांधी जी को एक आदर्श माना और उनके सिद्धांतों का अनुकरण करने की मांग की। गांधी जी के आदर्शों ने नेल्सन मंडेला जैसी विश्व विभूतियों को प्रभावित किया, जिन्होंने अहिंसा को परिवर्तन के लिए एक शक्तिशाली शक्ति के रूप में देखा। उनके शांतिपूर्ण प्रतिरोध के दर्शन और नैतिक नेतृत्व पर उनके जोर ने विभिन्न महाद्वीपों और पीढ़ियों के नेताओं की सोच और कार्यों को आकार दिया है।

आधुनिक दुनिया में विरासत

महात्मा गांधी जी की विरासत आज भी आधुनिक दुनिया में प्रासंगिक है। अहिंसा, सत्य और सामाजिक न्याय पर उनका जोर संघर्ष और असमानता से चिह्नित युग में बहुत महत्व रखता है। गांधी जी की शिक्षाएं व्यक्तियों को शांतिपूर्ण तरीकों से अन्याय का सामना करने, सहानुभूति को बढ़ावा देने और संवाद को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करती हैं। एक सामंजस्यपूर्ण और समावेशी समाज की उनकी दृष्टि प्रेम, करुणा और नैतिक साहस की परिवर्तनकारी शक्ति की निरंतर याद दिलाती है।

महात्मा गांधी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

महात्मा गांधी का जन्म कब और कहाँ हुआ.

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर गाँव में हुआ था।

महात्मा गांधी का नारा क्या है?

8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ते समय महात्मा गांधी द्वारा ‘ करो या मरो’  का नारा दिया गया था।

महात्मा गांधी का निधन कब हुआ?

महात्मा गांधी का निधन 30 जनवरी 1948 को हुआ।

महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या है?

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।

महात्मा गांधी ने कितने आंदोलन किए थे?

महात्मा गांधी ने 6 प्रमुख आंदोलन किए थे?

1. चंपारण आंदोलन (1917) 2. खेड़ा आंदोलन (1918) 3. खिलाफत आंदोलन (1919) 4. असहयोग आंदोलन (1920) 5. सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) 6. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

महात्मा गांधी की मृत्यु किसने की थी?

महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे (नाथूराम गोडसे) ने गोली मार कर की थी।

महात्मा गाँधी की मृत्यु कहाँ हुई थी?

महात्मा गांधी की मृत्यु नई दिल्ली में स्थित बिरला हाउस में हुई थी जिसे अब गांधी स्मृति के नाम से जाना जाता है

महात्मा गांधी की मां का क्या नाम था?

महात्मा गांधी की मां का नाम पुतलीबाई था।

महात्मा गांधी ने कौन कौन सी पुस्तक लिखी है?

  • हिन्द स्वराज
  • प्रकृति इलाज
  • ग्राम स्वराज
  • गीता का संदेश
  • सच्चाई भगवान है
  • कानून और वकील
  • मेरे सपनों का भारत
  • दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह
  • सांप्रदायिक सद्भावना का रास्ता
  • पंचायत राज भगवान के लिए मार्ग हिंदू धर्म का सार

महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ क्यों कहा जाता है?

महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्हें अपने आदर्शों और सर्वोच बलिदानों के साथ स्वतंत्रता भारत की वास्तविक छाया राखी है।

महात्मा गांधी को सर्वप्रथम बापू किसने कहा था?

महात्मा गांधी को सर्वप्रथम बापू चंपारण के राजकुमार शुक्ला ने कहा था। जो की एक किसान थे। अंग्रेजों के द्वारा किए गए अत्याचारों के खिलाफ बापूजी के आंदोलन की शुरुआत चंपारण से ही हुई थी। बापू को चंपारण बुलाने में सबसे बड़ा योगदान चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ला का माना जाता है।

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इस लेख में महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) बड़े ही सरल शब्दों में प्रस्तुत किया गया है। अक्सर छोटी-बड़ी परीक्षाओं में महात्मा गांधी की जीवनी पर निबंध पूछ लिया जाता है।

यदि आप गांधी जी के ऊपर निबंध की तलाश कर रहे हैं तो आप सही स्थान पर हैं। आज हमने इस लेख मे महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, आजादी मे योगदान, निजी जीवन, मृत्यु,तथा 10 लाइन के बारे मे लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi)

भारत पर हजारों साल तक विदेशी आक्रमणकारियों का कब्ज़ा था। लेकिन स्वतंत्रता के बाद इसने कई देशों को पीछे छोड़कर प्रगति की है।

भारत को वीरों की भूमि इसीलिए कहा जाता है क्योंकि यहां पर ऐसे महान आत्माओं ने जन्म लिया है जिन्होंने कभी भी भारत माता का  मस्तक झुकने नहीं दिया।

स्वतंत्रता दिलाने में कई महापुरुषों ने अपना योगदान दिया है जिनके आदर्श को भारतवासी सदा याद करते हैं। उन्ही महापुरुषों में से महात्मा गाँधी भी एक हैं।

गांधी जी का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता ब्रिटिश राज्य में पोरबंदर रियासत के दीवान थे।

परिवार का वातावरण अत्यंत धार्मिक होने के कारण बाल गांधी का जीवन भी आध्यात्मिक ज्ञान से अछूता न रहा। जिसका प्रभाव आगे चलकर गांधी जी पर भी देखने को मिला।

महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन Early life of Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में पश्चिम भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था।

उनके पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी के पिता सनातन धर्म की पंसारी जाति से ताल्लुक रखते थे। 

पुतलीबाई करमचंद गांधी की चौथी पत्नी थी जो स्वभाव से अत्यंत धार्मिक थी। वह हमेशा भगवान के छोटे बड़े व्रत रखा करती थी। घर में धार्मिक तथा शिक्षा का माहौल होने के कारण इसका असर बालक गांधी पर भी धीरे-धीरे पढ़ने लगा था।

गांधी जी पर बचपन से ही जैन परंपराओं का गहरा असर हो चुका था जिससे उनके स्वभाव में शाकाहार, आत्म शुद्धि, अहिंसा  तथा अन्य सद्गुणों की अधिकता देखने को मिलती थी।

करमचंद गांधी एक बेहद पढ़े लिखे व्यक्ति थे इसीलिए वह अपने पुत्र मोहनदास को भी एक शिक्षित व्यक्ति बनाना चाहते थे।

महात्मा गाँधी की शिक्षा Education of Mahatma Gandhi in Hindi

मोहनदास बचपन से ही एक सामान्य विद्यार्थी थे इसलिए उन्हें पढ़ाई में इतनी ज्यादा रुचि नहीं थी। पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ वे खेलकूद में भी इतने अच्छे नहीं थे। मोहनदास का विवाह बहुत कम उम्र में ही कस्तूरबा के साथ कर दिया गया था।

मोहनदास गांधी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही संपन्न हुई उसके पश्चात मैट्रिक पास करने के बाद 1888 न्याय शास्त्र की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए।

विदेश में रहकर भी गांधी कभी भी अपनी संस्कृति को नहीं भूले और हमेशा शाकाहार का पालन करते हुए अपनी शिक्षा को पूरा किया।

न्याय शास्त्र की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त हुई जो गुलामी के समय में भारतीयों के लिए अत्यंत कठिन कार्य था।

महात्मा गांधी का आजादी में योगदान Contribution of Mahatma Gandhi in freedom in Hindi

बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद गांधीजी के एक भारतीय मित्र ने उन्हें कानूनी सलाह देने के लिए दक्षिण अफ्रीका बुलाया। दक्षिण अफ्रीका जाने के बाद गांधी जी को भारतीयों और काले लोगों पर हो रहे अत्याचारों को देखकर अत्यंत दुख हुआ।

गांधी जी ने एक बार स्वयं भी इस भेदभाव को महसूस किया था जब ट्रेन में उनकी बहस एक गोरे से हो गई थी। गांधी जी के पास प्रथम श्रेणी का टिकट था किंतु एक गोरे ने उनके प्रथम श्रेणी में बैठने पर आपत्ति जताई तथा जब गांधी जी ने इसका विरोध किया तो उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया।

इस घटना के अलावा उनके साथ कई अन्य भेदभाव हुए। अफ्रीका में कई होटलों में भारतीय और काले लोगों का आना वर्जित कर दिया गया था।

अफ्रीका में गांधी को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जिससे उन्होंने काले लोगों और दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीयों को न्याय दिलाने का दृढ़ निश्चय कर लिया।

गांधी जी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में आंदोलन चलाया गया जिसके बाद उनकी लोकप्रियता और पहचान पूरे विश्व में  बढ़ने लगी।

1914 में गांधीजी वापस अपने वतन भारत लौट आए। भारत लौटने के बाद उन्होंने जनसंपर्क शुरू किया  ससे भारतवासियों पर गांधी जी के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा।

गांधीजी का पहला आंदोलन 1918 में चंपारण सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह से शुरू हुआ। आगे चलकर गांधी जी ने कई बड़े आंदोलन किए जिससे ब्रिटिश सरकार बहुत चिंता में पड़ गई। 

उनकी विचारधारा से प्रभावित होकर आंदोलनकारियों द्वारा अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर के पास जलियांवाला बाग में रोलेट एक्ट  के विरोध में एक सभा आयोजित की गई थी।

अंग्रेज ऑफिसर जनरल डायर को जब इस बात का पता चला तो उसने बिना कुछ सोचे समझे 13 अप्रैल 1919 के दिन जलियांवाला बाग में आकर सभी लोगों को गोलियों से भून दिया जिसमें कई लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए। 

जलियांवाला बाग हत्याकांड से गांधीजी को बहुत बड़ा सदमा लगा। इस दुखद घटना के बाद गांधी जी ने अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग आंदोलन छेड़ दिया था।

इस आंदोलन के बाद गांधी जी भारत वासियों के बीच और भी लोकप्रिय बन गए थे। लेकिन 4 फरवरी 1922 में  चौरी चौरा कांड के कारण उन्हें आंदोलन वापस लेना पड़ा जिसका कई लोगों ने विरोध किया था।

1930 में गांधीजी तथा उनके साथियों द्वारा नमक पर लगाए गए अन्यायपूर्ण कानून को खत्म करने के लिए अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से दांडी मार्च किया गया।

1942 में उन्होंने अंग्रेजों  के खिलाफ ‘भारत छोड़ो’ का नारा प्रस्तुत किया तथा भारतीयों के लिए ‘करो या मरो’ का नारा दिया।

परिणाम स्वरूप अंग्रेजों को वापस लौटना पड़ा और 15 अगस्त 1947 के दिन भारत पूर्ण रूप से एक स्वतंत्र देश बन गया।

महात्मा गांधी का निजी जीवन Personal Life of Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा गांधी के संग बाल्यावस्था में ही हो गया था। हरिलाल मोहनदास गांधी, मणिलाल मोहनदास गांधी, रामदास गांधी तथा देवदास गांधी इनके पुत्र थे।

अपने जीवन में एक महान राजनीतिज्ञ के साथ गाँधी कुशल बैरिस्टर, दार्शनिक, पत्रकार तथा एक अच्छे लेखक भी थे।

विदेशों में रहने के बावजूद भी गांधीजी अपनी मातृभूमि और संस्कृति को कभी नहीं भूले तथा हमेशा सत्य और अहिंसा का ही साथ दिया।

गांधीजी एक अच्छे बैरिस्टर थे उनके पास धन की कोई कमी नहीं थी किंतु भारत वासियों की दयनीय स्थिति को देखकर उन्होंने कपड़ों का त्याग कर खादी से बने सामान्य धोती धारण कर ली। उनकी सादगी ने भारतवासियों को पश्चिमी जीवनशैली को त्यागने पर मजबूर कर दिया था।

महात्मा गांधी को सर्वप्रथम महात्मा से संबोधित करने वाले व्यक्ति सुभाष चंद्र बोस थे। हालांकि सुभाष चंद्र  बोस तथा गांधीजी के बीच काफी मतभेद थे किंतु बॉस हमेशा से गांधी जी को एक मार्गदर्शक के रुप में मानते थे।

गांधीजी हमेशा अहिंसा का मार्ग अपनाते थे और वह हिंसा के हमेशा विरुद्ध खड़े रहते थे हम भले ही वह स्वतंत्रता के लिए ही क्यों न की जाए। 

भगत सिंह , सुखदेव, राजगुरु और उधम सिंह की फांसी के कारण गरम दल के क्रांतिकारियों ने गांधी जी का प्रतिरोध भी किया गया था।

भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के लिए आज भी कई लोग गांधी जी को ही दोषी ठहराते हैं और उनकी निंदा करते हैं किंतु सत्य तो यह है कि गांधी जी ने पाकिस्तान बनने का पूर्ण विरोध किया था।

महात्मा गाँधी पर 10 लाइन Best 10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi

  • महात्मा गाँधी को पूरी दुनियां में ख्याति प्राप्त है।
  • मोहनदास गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
  • इनका विवाह कस्तूरबा बाई  के साथ 14 वर्ष की उम्र में हुआ था।
  • इंग्लैंड जाकर गाँधी ने बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की थी।
  • गांधीजी हमेशा सत्य और अहिंसा का पालन करते थे।
  • सुभाष चंद्र बोस ने सर्वप्रथम मोहनदास गांधी को महात्मा कह कर संबोधित किया था।
  • गोपाल कृष्ण गोखले को गांधीजी अपना गुरु मानते थे। 
  • आजादी में गांधीजी के योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रपिता का पद दिया गया।
  • पहली बार इन्होंने ही अंग्रेजो के खिलाफ भारत छोड़ो का नारा दिया था।
  •  23 जनवरी 1948 के दिन नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी।

महात्मा गाँधी की मृत्यु Gandhi ji Death in Hindi

30 जनवरी 1948 को गांधी जी जब नई दिल्ली के बिड़ला भवन में चहलकदमी कर रहे थे उसी समय नाथूराम गोडसे नामक एक व्यक्ति ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।

यह दिन पूरे भारत के लिए एक काला दिन साबित हुआ था। गांधी जी की मृत्यु की सूचना जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो के माध्यम से भारत वासियों को दिया था।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) पढ़ा।आशा है यह निबंध आपको जानकारी से भरपूर लगा हो। यदि यह निबंध आपको अच्छा लगा हो तो लाइक और शेयर जरूर करें। 

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महात्मा गांधी पर निबंध 2024 | Essay On Mahatma Gandhi In Hindi English Language

महात्मा गांधी पर निबंध 2024 | Essay On Mahatma Gandhi In Hindi English Language आप सभी दोस्तों का हार्दिक स्वागत हैं.

यदि आप इंटरनेट पर बापू महात्मा गांधी जी पर निबंध सर्च कर रहे है तो आप सही जगह पर हैं. यहाँ हम सरल भाषा में महात्मा गाँधी निबंध आपके लिए लेकर आए हैं.

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 और 10 वीं क्लास तक के स्कूल स्टूडेंट्स के लिए 100 शब्द, 150 शब्द, 200 शब्द, 250 शब्द, 300 शब्द, 400 शब्द, 500 और 1000 वर्ड्स में महात्मा गांधी पर निबंध 2021 बता रहे हैं.

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi & English | महात्मा गांधी पर निबंध

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi And English Language: M.K. Gandhi is an Indian freedom fighter and a great man in Indian history. Mahatma Gandhi is ideal for the crore of people all around the world & India.

here we are providing Mahatma Gandhi In Hindi and Mahatma Gandhi In the English Language for students and kids. they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10.

short 10 line and long length (100, 150, 200, 250, 300, 400, 500) word essay, paragraph, history information about Mahatma Gandhi on Gandhi Jayanti 2 October speech (Hindi Bhushan).

the father of the nation or Mahatma Gandhi essay

mahatma Gandhi was a great man of India. he was a servant of mankind. he was the father of the nation. countrymen called him ‘Bapu’. his full name was Mohan Das Karam Chand Gandhi.

he was born on October 2, 1869, at Porbandar. his father was a diwan of Rajkot. he received his education in India and England.

he becomes a barrister in 1891. he started his practice at Bombay. an Indian firm called him to South Africa for legal advice.

there he fought for the right of the Indians. in 1914 Gandhiji came back to India. he fought against the rule of the British. he was sent to jail many times. at last, he succeeded India become free on 15th August 1947.

Gandhiji believed in peace and non-violence. he led a simple life. he was against the caste system. he worked for the uplift of the Harijans and the Hindu Muslim unity.

on January 30, 1948, he was shot dead by nathu ram godse. Gandhiji’s name will always shine like a star. his grateful countrymen will never forget him.

महात्मा गांधी पर निबंध- (Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi)

महात्मा गांधी भारतीय इतिहास के महान व्यक्ति थे. वे मानवता के सच्चें पुजारी थे. देश व दुनियां इस महापुरुष को बापू के नाम से जानती है. इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था.

गांधीजी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में हुआ था. इनकें पिताजी राजकोट में दीवान थे. महात्मा गांधी की पढाई भारत तथा इंग्लैंड में हुई.

1891 में गांधीजी ने वकालत की डिग्री इंग्लैंड से प्राप्त की, तथा मुंबई आकर अभ्यास करने लगे. एक भारतीय फर्म के दक्षिण अफ्रीका में चल रहे केस की कानूनी सलाह के लिए महात्मा गाँधी पहली बार दक्षिण अफ्रीका गये.

वहां जाकर इन्होने भारतीयों के साथ रंगभेद के आधार पर किये जाने वाले गोरे लोगों के भेदभाव खिलाफ लड़ाई लड़ी. वर्ष 1914 महात्मा गांधी भारत लौटे और अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ लड़ाई लड़ना आरम्भ किया.

इस दौरान गांधीजी ने कई आन्दोलन किये, कई बार इन्हें जेल भी जाना पड़ा. अतः 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी दिलाने में कामयाब रहे.

गांधीजी शांति एवं अहिंसा के सिद्धांतों पर चलने वाले इंसान थे. इनका जीवन बेहद साधारण था. वो जाति व्यवस्था के सख्त खिलाफ थे. इन्होने अपने जीवन में हरिजन उत्थान और हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए लम्बा संघर्ष किया.

30 जनवरी, 1948 के दिन जब महात्मा गांधी प्रार्थना सभा से लौट रहे थे, नाथूराम गोडसे नामक युवक ने गोली मारकर इनकी हत्या कर दी. समूचा संसार इस महान व्यक्तित्व का आभारी है,

तथा भारतीय गांधीजी के एहसान,कार्यों व योगदान को कभी नही भुलेगे. महात्मा गांधी का नाम भारतीय इतिहास में धुर्व तारे की तरह हमेशा जगमगाता रहेगा.

महात्मा गांधी निबंध 1

भारत की भूमि पर अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया. जिनमे  हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम प्रमुख है.  आज भी  महात्मा गांधी  की राह पर चलने वाले करोड़ो लोग  है. जिन्होंने अपनी सत्य और अहिंसा की निति से भारत में 200 वर्षो से स्थापित अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेका था

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था.एक समर्द्ध परिवार में जन्मे गांधी के पिता का नाम करमचन्द गांधी था जो पोरबन्दर में दीवान थे.

उनकी माँ का नाम पुतलीबाई था जो धार्मिक विचारों वाली महिला थी. घर के धार्मिक माहौल का बड़ा असर पड़ा. राजनीति में आने के उपरान्त भी वे धर्म से जुड़े रहे.

इनकी आरम्भिक शिक्षा पोरबंदर के ही एक विद्यालय से हुई. इसके बाद आगे की पढाई के लिए भावनगर के श्यामलदास कॉलेज भेजा गया था. किन्तु यहाँ पर महात्मा गांधी का मन नही लगने के कारण उनके बड़े भाई लक्ष्मीदास जी ने गांधी को बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया.

अपनी पहली विदेश यात्रा से ठीक पहले मात्र 13 साल ही आयु में ही महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा गांधी के साथ हो गया था. कुछ वर्षो तक इंग्लैंड में रहने के बाद 1891 में गांधी स्वदेश लौट आए. और बम्बई (वर्तमान में मुंबई) की एक अदालत में वकालत करने लगे.

1893 में इनके सामजिक और राजनितिक जीवन की शुरुआत हुई. इसी दौरान उन्हें एक मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा था. जब ये दक्षिण अफ्रीका गये तो वहां भारतीयों के साथ बुरे बर्ताव को देखकर महात्मा गांधी बहुत दुखी हुए.

यही पर उन्हें पहली बार किसी अंग्रेज के सामने बेइज्जत होना पड़ा था. एक बार रेल में यात्रा करते समय उपयुक्त टिकट होने के बावजूद अंग्रेजो के डिब्बे में चढ़ जाने के कारण उन्हें चलती रेलगाड़ी से बाहिर फेक दिया था.

अंग्रेजो से अपमानित गांधी ने उनके विरुद्ध मौर्चा खोल दिया और अपने विरोध के लिए सत्य और अहिंसा को माध्यम बनाया.जब तक वे साउथ अफ्रीका में रहे हमेशा श्वेत लोगों की रंगभेद की निति का विरोध करते रहे.

यहाँ पर महात्मा गांधी ने एक अध्यापक की भूमिका निभाते हुए लोगों को अपने अधिकारों के प्रति शिक्षित करने के साथ ही चिकित्सक के रूप में बीमार लोगों के इलाज, एक वकील के रूप में मानवाधिकार व पत्रकार के रूप में वर्तमान परिस्थिति से लोगों को अवगत कराने का कार्य करते रहे.

महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल के दौरान कई पुस्तकों की रचना की, जिनमे उनकी आत्मकथा ” माय एक्सपेरीमेंटस विथ ट्रुथ दुनिया की प्रसिद्ध पुस्तकों में गिनी जाती है. दक्षिण अफ्रीका में गांधी के प्रयत्नों के समाचार भारतीयों तक पहुच चुके थे. इस कारण बहुत से लोग उनको जानने लगे थे.

वर्ष 1915 में महात्मा गांधी भारत लौटे तो गोपालकृष्ण गोखले और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जैसे महान नेताओं के उनका भव्य स्वागत किया. भारत आकर उन्होंने बिहार में नील की खेती करने वाले किसानों के प्रति हो रहे शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई,

अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए गांधीजी ने गुजरात के अहमदाबाद में एक आश्रम की स्थापना की. इसके बाद अंग्रेज सरकार के विरुद्ध इनका संघर्ष प्रारम्भ हुआ और भारतीय राजनीती की बागडोर एक तरह से उनके हाथ में आ गई.

वे जानते थे कि सामरिक रूप से ब्रिटिश सरकार से भारत को आजादी शस्त्र के बल पर कतई नही मिल सकती है. इसी बात को समझते हुए महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा को अपना मुख्य हथियार बनाया.

भारत की आजादी के इस संघर्ष में गांधीजी को कई बार जेल भी जाना पड़ा. अंग्रेजी हुकूमत का प्रखर विरोध करने की शुरुआत 1920 के असहयोग आंदोलन के साथ शुरू हुई.

जब ब्रिटिश सरकार ने नमक पर भी करारोपण किया तो गांधीजी ने 13 मार्च 1930 के दिन दांडी यात्रा की. 24 दिनों तक अपने अनुयायियों के साथ पैदल चलने के पश्चात् दांडी नामक स्थान पर पहुचकर अपने हाथो से नमक बनाकर अंग्रेज सरकार के नमक कानून का उल्लघंन किया.

इसके पश्चात महात्मा गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया. इसी वर्ष गांधी और इरविन के बिच समझोता भी हुआ. अंग्रेज सरकार द्वारा अपनी शर्तो से मुखर जाने के कारण यह समझौता विफल हो गया था.

इसके बाद इन्होने फिर से असहयोग आन्दोलन शुरू किया, जो 1934 तक चलता रहा. इस आंदोलन में भी अपने लक्ष्यों में प्राप्त होते न देख महात्मा गांधी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ा.

महात्मा गांधी निबंध 2

इस आंदोलन के दौरान ही बापू ने भारतीय जनता को करो या मरो का नारा दिया था. इस तरह गांधीजी के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप 15 अगस्त 1947 को अन्तः भारत को स्वतंत्रता मिल ही गई.

इस तरह 1915 से 1947 तक के समय में इस महापुरुष के अद्वितीय योगदान को देखते हुए इसे गांधी युग की संज्ञा दी गई.

महात्मा गांधी आजीवन हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए प्रयत्न करते रहे. मगर दुर्भाग्य की बात यह रही कि आजादी के बाद तक यह एकता और सद्भाव नही बन पाया. अंग्रेजो की चाल के अनुसार कट्टर मुस्लिम अलग राष्ट्र की मांग करने लगे थे.

यहाँ पर हिन्दू एवं मुस्लिम दोनों धर्मो के लोगों ने गांधी को समझने में गलती की. उनके न चाहते हुए भी परिस्तिथिया कुछ इस तरह तैयार हो गई कि भारत के विभाजन के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नही था.

उधर पाकिस्तान निर्माण के बाद महात्मा गांधी ने उन्हें आर्थिक मदद देने के लिए भारत सरकार पर दवाब बनाया. इस घटना के बाद अधिकतर लोग उनके खिलाफ खड़े हो गये तथा 30 जनवरी 1948 के दिन जब महात्मा गांधी प्रार्थना सभा में जा रहे थे,

नाथूराम गोडसे नामक नवयुवक ने उन्हें गोली मार दी थी. इस तरह एक सदी के महानायक सत्य और अहिंसा के पुजारी के जीवन का अंत हो गया.

भले ही गांधीजी आज हमारे मध्य नही हो, मगर गांधीवाद के रूप में उनके विचारों और शिक्षाओं पर आधार विचारधारा आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रही है.

आज उनकी याद में 2 अक्टूबर यानि गांधी जयंती को विश्वभर में विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत के राष्ट्रिय त्योहारों में भी गांधी जयंती को को भी शामिल किया गया है.

महात्मा गांधी ने सत्य, अहिंसा और राजनीति में इन तत्वों का सफल प्रयोग कर आज की युवा पीढ़ी के सामने एक उदहारण प्रस्तुत किया है.

उन्होंने एक राजनेता, समाज सुधारक, देशभक्त के रूप में अत्याचारी शासन के विरुद्ध विरोध करने के साथ ही समाज में व्याप्त बुराइयाँ जातिवाद, भेदभाव, अस्वच्छता, नशाखोरी, बाल विवाह, बहुविवाह और साम्प्रदायिकता जैसी बड़ी समस्याओं के खिलाफ अपनी अंतिम सांस तक जंग जारी रखी.

महात्मा गांधी निबंध 3

जीवन परिचय और शिक्षा

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था. इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था. इनके पिताजी कर्मचन्द गांधी राजकोट रियासत के दीवान थे.

इनकी माता का नाम श्रीमती पुतलीबाई था. राजकोट जिले से हाईस्कुल की उतीर्ण कर ये बैरिस्ट्री पढ़ने के लिए इंग्लैंड चले गये.

गांधी ने 1889 में बैरिस्ट्री पास कर भारत लौटे और वकालत का कार्य आरम्भ किया. इनका विवाह 13 वर्ष की आयु में कस्तूरबा के साथ हुआ था.

जीवन की घटनाएँ

वकालत पास करने के बाद गांधीजी पोरबंदर की एक फर्म के मुकदमें में 1893 में दक्षिण अफ्रीका चले गये थे. वहां भारतीयों के साथ गोरे लोग बेहद बुरा व्यवहार किया करते थे. ऐसा देखकर गांधीजी को बहुत बुरा लगा.

ऐसे अमानवीय व्यवहारों से पीड़ित होकर गांधीजी ने सत्याग्रह किया और सत्याग्रह में विजयी होकर स्वदेश लौट आए.

विजय की भावना से प्रेरित होकर देश को स्वतंत्र करवाने की अभिलाषा जागृत हो उठी. सन 1921 में असहयोग आंदोलन प्रारम्भ कर मद्द्य निषेध, खादी प्रचार, अस्पर्श्यता निवारण, सरकारी वस्तुओ का बहिष्कार एवं विदेशी वस्त्रों की होली जलाना जैसे कार्य सम्पन्न हुए.

गांधीजी ने वर्ष 1930 में नमक कानून के विरोध में सत्याग्रह किया. वर्ष 1942 में महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन प्रारम्भ किया. इस दौरान गांधीजी को अनेक बार जेल जाना पड़ा और अनेक कष्ट उठाने पड़े.

इनके प्रयत्नों के फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 को हमारा देश पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो गया. स्वतंत्र भारत के निर्माता होने से हम बापू और राष्ट्रपिता के संबोधन से आदर देते है.

देश में भारत-पाकिस्तान विभाजन के फलस्वरूप साम्प्रदायिक दंगे हुए. गांधीजी ने इन दंगो को शांत करने के लिए पूर्ण प्रयत्न किया.

परन्तु 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में संध्या के समय नाथूराम विनायक गोडसे नामक एक मराठा युवक ने प्रार्थना सभा में पिस्तौल से गांधीजी को गोली मार दी. इस तरह अंहिसा के उपासक महात्मा गाँधी का जीवनांत हो गया.

महात्मा गांधी निबंध 4

हमारे देश में समय समय पर राम कृष्ण बुद्ध जैसे महापुरुषों का जन्म होता रहा हैं. इन्ही महापुरुषों ने संकट के समय जनता को दिशा दिखाई,

इसी श्रंखला में भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्ति दिलाने वाले महापुरुषों में महात्मा गांधी का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता हैं.

जन्म एवं शिक्षा

गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था. उन्हें सारा राष्ट्र महात्मा के नाम से जानता हैं. भारतीय उन्हें श्रद्धा के साथ बापू और राष्ट्रपिता कहते हैं. उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था.

तेरह वर्ष की अल्पायु में ही उनके पिता करमचन्द ने उनका विवाह कस्तूरबा के साथ कर दिया. वे उन्नीस वर्ष की अवस्था में बेरिस्ट्री की शिक्षा के लिए विलायत गये. सन 1891 में वे बेरिस्ट्री की परीक्षा पास कर भारत लौट आए.

सत्याग्रह का आरम्भ

विदेश से वापिस आकर गांधीजी मुंबई में वकालत करने लगे, वही पोरबन्दर की एक फर्म के एक मुकदमें की पैरवी हेतु वें 1893 में दक्षिण अफ्रीका गये.

वहां गोरे शासकों द्वारा कालों लोगों पर किये जा रहे अत्याचार को देखकर उनका मन दुखी हो गया.उन्होंने काले गोरों का भेदभाव मिटाने का कार्य करने का संकल्प ले लिया. अंग्रेजों ने उन पर अत्याचार किये उनका अपमान किया.

परन्तु गांधीजी ने सत्याग्रह जारी रखा. अंत में गांधीजी के सत्याग्रह के सामने गोरी सरकार को झुकना पड़ा और गांधीजी की जीत हुई. अफ्रीका से लौटने के बाद गांधीजी को कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिना जाने लगा.

स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व

भारत आते ही स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर गांधीजी के हाथ में आ गई, उन्होंने भारतीयों को अंग्रेजों के विरुद्ध संगठित किया, उन्होंने सत्य और अहिंसा का सहारा लिया.

वे अनेक बार जेल गये, उन्होंने 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में नमक सत्याग्रह तथा 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के माध्यम से संघर्ष जारी रखा.15 अगस्त 1947 को देश आजाद हो गया.

जीवन का अंत

देश स्वतंत्र हो जाने पर गांधीजी ने कोई पद स्वीकार नही किया. गांधीजी पक्के वैष्णव थे. नियमित रूप से प्रार्थना सभा में जाते थे.

30 जनवरी 1948 के दिन प्रार्थना सभा में एक हत्यारे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. पूरा देश दुःख और ग्लानी से भर उठा. उनकी मृत्यु का दुःख पूरे राष्ट्र ने महसूस किया.

महात्मा गांधी को भारतवर्ष ही नही पूरा विश्व आदर के साथ याद करता हैं, वे मानवता, सत्य एवं अहिंसा के पुजारी थे.

गांधीजी जैसे व्यक्ति हजारों वर्षों में अवतरित होते हैं. सत्य और अहिंसा का पालन करते हुए राष्ट्रसेवा में लग जाना ही गांधीजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

महात्मा गांधी निबंध 5

भारत के स्वतन्त्रता प्राप्ति के महायज्ञ में योगदान करने वाले सैनानियों में महात्मा गांधी का नाम प्रमुखता से लिया जाता हैं. इन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत की आजादी के लिए समर्पित कर दिया था.

सत्य एवं शान्ति की राह दिखाने वाले गौतम बौद्ध एवं महावीर स्वामी के बाद महात्मा गांधी का नाम लिया जाता हैं. राष्ट्र इन्हें बापू कहकर याद करता हैं.

2 अक्टूबर 1869 को इनका जन्म गुजरात के पोरबन्दर में हुआ था. बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी हैं. उनके जन्म दिवस को सम्पूर्ण भारत गांधी जयंती के रूप में मनाता है.

इनके पिताश्री करमचन्द गांधी राजकोट में दीवान हुआ करते थे जबकि इनकी माँ पुतली बाई धार्मिक विचार रखने वाली एक गृहणी थी. महात्मा गांधी ने अफ्रीका के बाद भारत आकर चार बड़े आन्दोलन किये.

उनके सभी आंदोलनों का मूल मन्त्र सत्य एवं अहिंसा था जिसके चलते उन्हें भरपूर समर्थन तथा सफलता भी हासिल हुई. इन्होने इंग्लैंड से वकालत की पढाई की तथा कुछ समय तक बम्बई कोर्ट में प्रैक्टिस भी की.

गांधी जयंती 2024 पर निबंध 6

विद्यार्थियों के बोलने के लिए  गांधी जयंती निबंध आसान हिंदी भाषा में उपलब्ध करवा रहे है. 2 अक्टूबर के दिन देश के दो महान राजनेताओ का जन्म हुआ था. जिनमे पहले महात्मा गांधी और दुसरे लाल बहादुर शास्त्री जी थे.

इसलिए इसे गांधी जयंती और शास्त्री जयंती के रूप में देशभर में मनाया जाता है. देश के सभी सरकारी विद्यालयों और संस्थानों में राजकीय अवकाश होने के साथ इन दोनों आत्माओं के कर्मो को याद करते हुए उनकी बताई राह पर चलने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम आयोजित होते है. जिनमे  Gandhi Jayanti Essay / भाषण कविता आदि का पाठ किया जाता है.

मानवता के रक्षक और सत्य व् अहिंसा जैसे पावन आदर्शो की राह पर चलने वाले महात्मा गांधी की गिनती विश्व के महान महापुरुषों में गिनती होती है.

जिन्होंने विश्व में एकता भाईचारे और शांति के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया. उनमे महात्मा गांधी का नाम सबसे पहले आता है. इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में हुआ था.

इस महान महापुरुष के कार्यो तथा राष्ट्र सेवा में दिए गये योगदान को याद करने के लिए हम प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाते है.

इस दिन का महत्व इससे कही अधिक है. क्या आपकों पता है. सयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य राष्ट्र इस महान नेता के जन्म दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाते है.

किसी भी पवित्र भूमि पर ऐसे सदी नायको का जन्म कई हजार वर्षो में एक ही बार होता है. भारत भूमि शास्त्री, कबीर, बुद्ध, महावीर स्वामी जैसे वीरों की जन्मस्थली रही है.

बीसवी सदी के महानायक महात्मा गांधी ने भारत की आजादी और विश्व शान्ति की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किये.

देश इस महान नेता के कृत्यों का हमेशा ऋणी रहेगा. इन्हे सम्मान देने के उद्देश्य से हम राष्ट्रपिता, बापू और महात्मा जैसे उपनामों से इन्हें बुलाते है.

ऐसे देशभक्त और शांतिप्रिय महान नेता महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को एक मराठा युवक नाथूराम गोडसे द्वारा दिल्ली में प्रार्थना सभा के दौरान कर दी गई थी.

गांधीजी की समाधि स्थाल राजघाट है, यहाँ पर गांधी जयंती के अवसर पर देश के सभी दलों के नेता बापू को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें याद करते है.

राष्ट्रपिता के सम्मान में भारत सरकार व अन्य राज्य सरकारों द्वारा अनेक कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की शुरुआत की गई है.

जिनमे गांधी जयंती के दिन को स्वच्छता दिवस के रूप में मनाने की प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी की यह मुहीम सभी देशवासियों की तरफ से वाकई में बापू को सच्ची श्रध्दाजली है.

स्वस्थ भारत समर्द्ध भारत गांधीजी का एक सपना था. वे अपने निजी जीवन में सबसे अधिक वरीयता किसी चीज को देते थे तो वह स्वच्छता ही थी. स्वच्छता ही ईश्वर का रूप है यह उक्ति गांधीजी की ही है.

इस कार्यक्रम की ऐतिहासिक शुरुवात महात्मा गांधी जयंती पर मोदीजी ने दिल्ली के राजपथ की सडको पर स्वय झाड़ू निकाल कर शुरू की थी. इसके पश्चात स्वच्छता सप्ताह के रूप में देशभर में लोगों में स्वच्छता के प्रति सकारात्मक भावना ने जन्म लिया.

महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर कविता या भाषण पाठ, नाट्य मंचन करना, निबंध लेखन, नारा लेखन, समूह चर्चा आदि प्रकार के कार्यक्रमों से इसके मनाने के उद्देश्यों की पूर्ति नही होगी. हमे हर दिन को गांधी जयंती के रूप में मनाने की आवश्यकता है.

हम अपने आस पास स्वच्छता रखे तथा लोगों को भी इस दिशा में अधिक से अधिक जागरूक करे. तभी हमारा देश प्रगति की राह पर चल सकता है.

यदि देशवासी जेहन में यह ठान ले कि हमे बापू के स्वस्थ भारत समर्द्ध भारत के सपने को साकार करना है तो यकीन करिए बस अपनी दिनचर्या का छोटा सा बदलाव देश में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है जिसके आप और हम सब प्रतिभागी बन सकते है.

क्या हम जानते है कि गांधीजी को स्वदेशी से इतना लगाव क्यों था. महात्मा गांधी को विश्वास था खुद में, आप में, मुझमे, भारत में.

विश्वास था उन्हें दुनिया के बेहतरीन मापदंड पर, खरा उतरने की हमारी कौशल और योग्यता में. भारतीयता के इसी जज्बे को हमारा सलाम. इसी जज्बे से प्रेरित होकर हमने अपने उत्पादों में , सर्वश्रेष्ट गुणवता स्तर अपनाया.

आज भारत में कई स्वदेशी भरोसेमंद उत्पाद है, जिनका उपयोग आज पूरी दुनिया कर रही है. और हमे यह कहने में गर्व होना चाहिए कि हां हम भारतीय किसी से कम नही है. हम ही है सारे जहाँ से अच्छा.

महात्मा गांधी निबंध 7

गांधी जयंती पर प्रेरक प्रसंग शोर्ट स्टोरी प्रस्तुत कर रहे हैं. ऐसे महान प्रेरणादायक महापुरुषों के प्रसंग हमें जीवन जीने का एक नया तरीका बतलाते हैं. उन्के जीवन की झलक इन प्रेरक प्रसंगों में मिलती हैं.

एक बार महात्मा गांधी राजकोट में सौराष्ट्र-काठियावाड़ राज्य प्रजा परिषद् के सम्मेलन में भाग ले रहे थे. वे गणमान्य व्यक्तियों के साथ मंच पर थे.

उनकी दृष्टि सभा में बैठे एक वृद्ध सज्जन पर पड़ी. अचानक वे उस स्थान से उठे और लोगों के देखते देखते उन वृद्ध महोदय के पास जा पहुचे.

सभी लोग चकित थे कि गांधीजी आखिर क्या कर रहे हैं. गांधीजी ने उन वृद्ध सज्जन के चरण स्पर्श किए और उन्ही के पास बैठ गये.

आयोजकों ने जब उनसे मंच पर चलने की प्रार्थना की तब वे बोले- यह मेरे गुरुदेव हैं. मैं अपने गुरुदेव के चरणों में बैठकर ही सम्मेलन की कार्यवाही का अवलोकन करुगा.

वे नीचे बैठे और मैं ऊपर मंच पर यह कैसे हो सकता हैं. सम्मेलन की समाप्ति पर उन गुरु ने गांधीजी को आशीर्वाद देते हुए कहा; तुम जैसे निरभिमानी व्यक्ति एक दिन संसार के महान पुरुषों में स्थान बनाएगा.

पूरी सभा गांधीजी का अपने गुरुदेव के प्रति ऐसा आदर भव देखकर हर्ष से अभिभूत हो उठी. गुरु का आदर ज्ञान का आदर हैं और ज्ञान का आदर अपने मनुष्य जीवन का आदर हैं. यही व्यक्ति को महान बनाता हैं.

अगर ऐसे दुर्लभ मनुष्य जीवन में जन्म मृत्यु जैसे महादुख का विनाश करने वाले कोई परम गुरु, ब्रह्माज्ञानी सद्गुरु मिल जाए तो कहना ही क्या ! उनका जितना आदर करे कम ही हैं.

जलती आग बुझा ना पाये वह नीर ही क्या ? अपने लक्ष्य को भेद न पाये वह तीर ही क्या ?\ संग्राम में लाखों विजय पानेवाले अगर मन को जीत न पाये तो वीर ही क्या ?

महात्मा गांधी निबंध 8

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन 1889 को पोरबंदर में हुआ था. पोरबंदर से ही मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद ये उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गये थे. वहां से लौटकर उन्होंने मुंबई में वकालत की शुरुआत की.

गांधीजी के राजनितिक जीवन की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका से हुई. जब वे साउथ अफ्रीका गये तो वहां उन्होंने भारत के साथ अंग्रेज सरकार के बुरे बर्ताव को देखा तो महात्मा गांधी ने प्रवासी भारतीयों की मदद की.

इन्होने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया इस दौरान उन्होंने कई कष्ट सहे और कई बार इन्हें अपमानित भी होना पड़ा. मगर अंत में जाकर विजय महात्मा गांधी की ही हुई.

जब बापू अफ्रीका से स्वदेश लौटे तो यहाँ उन्होंने लोगों में आजादी के महत्व और इसकी प्राप्ति की भावना का संचार कर स्वतंत्रता आंदोलन की नीव रखी.

वर्ष 1915 से 1947 तक के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इन्हें कई बार जेल की यातना सहनी पड़ी, मगर भारतीय जनता का अटल विशवास हमेशा से उनके साथ था,

बापू और राष्ट्रपिता जैसे नामों की उपाधि इसी बात के संकेत थे.  महात्मा गांधी के अथक प्रयासों का ही परिणाम था कि 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिल गई है.

गांधीजी हमेशा सादा जीवन और उच्च विचार रखते थे. इन्होने हमे सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया. वो एक महान स्वतंत्रता सेनानी के साथ साथ महान समाज सुधारक भी थे.

उन्होंने भेदभाव और छुआछूत जैसी सामाजिक समस्याओं को समाप्त करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. ऐसे महान महापुरुष की हत्या नाथूराम गोडसे नामक कट्टरपंथी मराठा युवक द्वारा गोली मारकर इनके जीवन का अंत कर दिया गया.

महात्मा गांधी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे. जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत की आजादी तथा भारत के स्वर्णिम स्वप्न को साकार करने व्यतीत किया. हम इस महापुरुष को बापू और राष्ट्रपिता के उपनाम से जानते है.

इनका पूरा नाम मोहनदास कर्मचन्द गांधी था. इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में हुआ था.

गांधीजी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को हम गांधी जयंती के रूप में हर वर्ष मनाते है. ये एक ऐसे महान पुरुष थे जो सत्य अहिंसा और सामजिक एकता को सबसे अधिक महत्व देते थे.

इन्होने आम जनता में स्वदेशी वस्तुओं को अधिक से अधिक उपयोग तथा विदेशी वस्तुओ के बहिष्कार करने के लिए लोगों को प्रेरित किया. भारत आज भी उनके महान कार्यो और राष्ट्र निर्माण में महात्मा गांधी के योगदान का ऋणी है.

समाज में व्याप्त अछूत और भेदभाव की रुढ़िवादी सोच को वे जड़ से समाप्त करना चाहते थे. और अंग्रेजी हुकूमत से भारत को स्वाधीनता दिलाना चाहते थे.

उन्होंने आरम्भिक शिक्षा अपने गृह जिले पोरबंदर से ही की तथा कानून में विशेषज्ञता की पढाई के लिए अपने बड़े भाई के सहयोग से इंग्लैंड चले गये. इंग्लैंड से 1893 में वकालत की शिक्षा पूरी कर भारत लौटे तथा अभ्यास करने लगे.

गांधी अंग्रेजो की अत्याचार से भारतीय लोगों की मदद करना चाहते थे. वे गोरी सरकार के अत्याचारों से वाकिफ होने के बाद ब्रिटिश सरकार के विरोधी बन चुके थे. अपने राजनितिक संघर्ष के दौरान ये कांग्रेस पार्टी से जुड़े.

गांधीजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे. जो हमेशा भारत की आजादी के लिए प्रयत्नरत थे. उन्होंने अंग्रेज सरकार के नमक कानून को तोड़ने के लिए 13 मार्च 1930 को दांडी यात्रा कर नमक सत्याग्रह किया.

इसके अतिरिक्त सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा भारत छोड़ो आंदोलन में नेतृत्व किया तथा अनेकों भारतीयों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ने का कार्य किया.

ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी को कई बार जेल भी जाना पड़ा. मगर तमाम परेशानियों के बावजूद भारतीय जनता के समर्थन से न्याय की मांग को लेकर हमेशा लड़ते रहे.

इसी का परिणाम था कि 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई. मगर 30 जनवरी 1948 के दिन नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी. मगर ऐसे महान स्वतंत्रता सैनानी के कार्यो को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा.

महात्मा गांधी निबंध 9

महात्मा गांधी का परिचय देना, सूर्य को अपनी रौशनी का प्रमाण देने की तरह है. ये भारत के उन महापुरुषों में से एक है, जिनके राष्ट्रिय जीवन ने अपना एक नया इतिहास तैयार किया है. भारत की आजादी गांधी जैसे नेताओं की अथक मेहनत का ही फल है.

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था. उनके पिताजी कर्मचन्द गांधी राजकोट रियासत के दीवान थे.

इनकी माता पुतलीबाई ने इनका लालन पोषण अच्छे ढंग से किया, महात्मा गांधी जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था, इनके जीवन पर माता के धार्मिक विचारों का व्यापक प्रभाव पड़ा. जो आगे चलकर दुनिया गांधीजी व बापू नाम से विख्यात हुए.

उनकी आरम्भिक शिक्षा पोरबंदर के एक सरकारी विद्यालय से हुई. 1887 में महात्मा गांधी ने दसवीं की परीक्षा पास की. गांधी ने अपनी आत्मकथा में यह स्वीकार किया कि वे बचपन में पढ़ने में बहुत कमजोर, खराब लिखावट, किसी के साथ दोस्ती न रखना, बीड़ी पीना, जेब से पैसे चुराना, मांस खाना जैसी बुरी आदतों के आदि हो गये थे.

जैसे जैसे उनमे समझ बढती गई उन्होंने इन बुरी आदतों को छोड़ दिया. 1891 में महात्मा गांधी इंग्लैंड से बैरिस्टर की पढ़ाई कर भारत लौटे और कुछ समय तक वकालत का अभ्यास किया,

मगर उनकी वकालत अधिक नही चली. एक निजी फर्म के मुकदमे के सिलसिले में वे दक्षिण अफ्रीका गये, वहां पर इन्होने कई मुश्किलों का सामना किया.

भारतीयों के साथ हो रहे अन्यायपूर्ण व्यवहार को देखकर उन्हें बहुत ठेस पहुची और उन्होंने गोरी सरकार के विरुद्ध सत्याग्रह की शुरुआत की, जिनमे गांधीजी को सफलता भी मिली.

अफ्रीका से जब गांधीजी भारत लौटे तो उन्होंने भारत के लोगों की गरीबी देखि और गुलामी देखी. अंग्रेजो के अत्याचार देखे उनका मनमाना शासन भी देखा . ये सब देखते ही उनकी आँखे खुली और राष्ट्रसेवा का व्रत लिया.

इन्होने भारत को अंग्रेजो के शासन से मुक्ति दिलाने की प्रतिज्ञा की और इस पावन महायज्ञ में अपनी पूरी ताकत के साथ जुट गये.

पहली बार 1917 में इन्होने बिहार के चम्पारण जिले के नील किसानों के समर्थन में चम्पारण सत्याग्रह किया. आमजन ने गांधीजी के प्रत्येक कदम की सराहना कर उनका प्रत्यक्ष समर्थन किया.

अंग्रेजो की उदासीनता और अवसर पर आक्रामक निति को देखते हुए महात्मा गांधी ने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत कर करो या मरो का नारा दिया. इस तरह के बोल से पूरा देश एक स्वर में अंग्रेजो के खिलाफ खड़ा हो गया .

अंग्रेज सरकार ने स्थति को नियत्रण से बाहर होते देख गांधीजी और अन्य बड़े नेताओं को जेल में बंद कर दिया. मगर जनता के तीव्र दवाब के चलते उन्हें भारत को छोड़कर जाना पड़ा. इस तरह महात्मा गांधी के भारत की पूर्ण स्वतंत्रता का संकल्प पूर्ण हुआ.

देश को आजादी दिलाने वाले बापू महात्मा गांधी को इसी देश के एक नाथूराम गोडसे नामक युवक ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस तरह 30 जनवरी 1948 को बापू की कहानी युग कहानी बनकर रह गई.

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mahatma gandhi essay in hindi 100 words

महात्मा गांधी पर निबंध | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध, 200, 250, 300, 500, 1000 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi, 200, 250, 300, 500, 1000 words, Mahatma Gandhi Par Nibandh Hindi Mein)

Mahatma Gandhi Essay in Hindi – मोहनदास करमचन्द गांधी एक ऐसे महान पुरुष थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा और मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था. गांधी जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी ख्याति न केवल अपने देश में बल्कि पुरे संसार में भी फैली हुई थी. गांधी का कहना था कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने से ही भारत को स्वतंत्र किया जा सकता है, और इसी अटूट विश्वास के फलस्वरूप उन्हें जनता का भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए यही रास्ता चुना और वे किसी भी तरह की अहिंसक कार्रवाई के घोर विरोधी थे.

गांधी जी ने आखिरकार सत्य और अहिंसा को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल करके कई वर्षों तक ब्रिटिश हुकूमत के अधीन रहे भारत देश को आजाद कराया. भारत में अंग्रेजों द्वारा भारतीय जनता पर अत्याचार किए जा रहे थे और निर्बलों तथा रक्षाहीनों का पूंजीवादी शोषण अपने चरम पर था. गांधीजी को इन सभी कारकों के परिणामस्वरूप राजनीति में प्रवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उन्होंने मानवता को अपने धर्म के रूप में देखा था.

गांधीजी का कहना था, मैं तब तक धार्मिक जीवन व्यापन नहीं कर सकता जब तक कि मैं खुद को पूरी मानवता के साथ आत्मसात नहीं कर लेता और मैं इसे तब तक पूरा नहीं कर सकता जब तक मैं राजनीति में नहीं आता. राजवैद्य जीवराम कालिदास ने साल 1915 में पहली बार गांधी जी के लिए “महात्मा” की उपाधि का प्रयोग किया. था. चूंकि उन्होंने देश की स्वतंत्रता में सबसे बड़ा योगदान दिया, इसलिए महात्मा गांधी को भारतीय लोग भगवान के रूप में पूजते हैं, जो उन्हें बापू के रूप में संदर्भित करते हैं. आज के इस आर्टिकल में हम आपको महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ) बताने जा रहे है.

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Table of Contents

महात्मा गांधी पर निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi)

महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (mahatma gandhi essay in hindi 200 words).

महात्मा गांधी का जन्म पश्चिम भारत (अब का गुजरात) में 2 अक्टूबर वर्ष 1869 को हुआ. इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गाँधी था. गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद्र गाँधी था था. इनके पिता काठियावाड़ की रियासत के दीवान हुआ करते थे. माता की आस्था और स्थानीय जैन रीति-रिवाजों के फलस्वरूप गांधीजी के जीवन पर इस धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा. 13 साल की उम्र में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से हुआ था.

गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से पूरी हुई, इसके बाद वे राजकोट और अहमदाबाद गए जहां से उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह लंदन चले गए जहां से उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की.

  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय
  • सरदार पटेल का जीवन परिचय
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  • डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जीवनी
  • लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन परिचय
  • स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय

महात्मा गांधी का सोचना था कि  भारतीय शिक्षा को संचालित करने के लिए सरकार नहीं, बल्कि समाज को जागरूक होना चाहिए. इस वजह से महात्मा गांधी ने एक बार भारत की शिक्षा को “द ब्यूटीफुल ट्री” से संबोधित किया था. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया. इनका कहना और सपना था कि देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित हो. और “शोषण विहिन समाज की स्थापना” करना गांधीजी का मूल मंत्र था.

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 250 Words)

हमारे देश भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ. गांधीजी की माता पुतलीबाई और पिता करमचंद गांधी थे. मोहनदास करमचंद्र गांधी को  ज्यादातर लोग बापू या राष्ट्रपिता के रूप में संदर्भित करते हैं. इस बात का कोई निश्चित रिकॉर्ड नहीं है कि शुरू में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में किसने संदर्भित किया था, लेकिन साल 1999 में गुजरात के उच्च न्यायालय के समक्ष जस्टिस बेविस पारदीवाला द्वारा लाए गए एक मामले के परिणामस्वरूप, रवींद्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले सभी टेस्टबुक में गांधीजी को फादर ऑफ नेशन कहा, और इसके बाद यह आदेश जारी किया.

गांधी जी जब विदेश से वकालत की पढाई करके लौटे तब भारत में अंग्रेजी हुकूमत का राज था. इस अंग्रेजी हुकूमत की नीवं की उखाड़ फैकने के लिए महात्मा गांधी जी ने कई क्रांतिकारी लड़ाई लड़ी. देश को आजादी दिलाने के लिए स्वराज और नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, दाढ़ी मार्च, स्वतंत्रता और भारत का विभाजन और भारत छोड़ो आंदोलन निकाले गए.

अंत में महात्मा गांधी के नेतृत्व और कई प्रयासों के कारण भारत को आजादी मिली. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए सत्य और अहिंसा का रास्ता चुना. महात्मा गांधी से पहले भी लोग सत्य और अहिंसा के बारे में जानते थे, परन्तु गांधी जी ने जिस प्रकार शान्ति और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सत्याग्रह किया, उससे अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा. गांधी जी का जीवन सादगी पूर्ण था. वे स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर जोर देते थे और हमेशा सफेद वस्त्र धारण करते थे.

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 500 Words)

भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने लौह मन वाले देश की जनता को 200 साल से भी ज्यादा समय से चली आ रही ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाई.

महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन

नीचे हम आपको महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन के बारे में बताने जा रहे हैं-

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन – साल 1917 में महात्मा गांधीजी के निर्देशन में बिहार के चंपारण क्षेत्र में सत्याग्रह आंदोलन हुआ. इसे चंपारण का सत्याग्रह भी कहा जाता है. यह गांधी के नेतृत्व में भारत में प्रारंभिक सत्याग्रह आंदोलन था. गांधी ने किसान आंदोलन के दौरान भारत में पहला सफल सत्याग्रह प्रयोग किया. यह आंदोलन नील उत्पादकों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ था, जो एक जबरदस्त और सफल आंदोलन बन गया.

खेड़ा आंदोलन – यह आंदोलन भी किसान से जुड़ा आंदोलन था। जब गुजरात के एक गाँव खेड़ा में बाढ़ आई, तो स्थानीय किसानों ने अधिकारियों से करों (टैक्स) को माफ़ करने के लिए गुहार लगाई. इसे लेकर गांधी जी ने हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की. और किसानों ने कर न देने का संकल्प लिया. साथ ही किसानों ने सामाजिक बहिष्कार का आयोजन किया. परिणामस्वरूप वर्ष 1918 में सरकार ने अकाल के अंत तक राजस्व कर संग्रह की शर्तों में ढील दी.

रॉलेट एक्ट का   विरोध – अंग्रेजी सरकार ने साल 1919 में बढ़ते आंदोलनों के भीतर स्वतंत्रता की बढ़ती आवाज को दबाने के लिए रॉलेट एक्ट लाया गया. इसे काला कानून भी कहा जाता है. इस एक्ट के अंतर्गत वायसराय कुछ कामों की छुट मिल गई जिसमे किसी भी राजनेता को किसी भी पल गिरफ्तार करने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार किया जा सकता है. गांधी के रहते हुए भारत की जनता ने इस एक्ट का पुनर्जोर विरोध किया.

असहयोग आंदोलन – गांधी जी और कांग्रेस के नेतृत्व में साल 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया गया. गांधीजी का सोचना था कि ब्रिटिश हुकूमत में निष्पक्ष न्याय प्राप्त करना असंभव था, इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से देश के सहयोग को हटाने के लिए असहयोग आंदोलन की योजना बनाई. इस आंदोलन ने देश की आजादी में एक नया जीवन प्रदान किया.

नमक सत्याग्रह – नमक सत्याग्रह को दांडी सत्याग्रह और दांडी मार्च के रूप में जाना जाता है. साल 1930 में जब अंग्रेजी हुकूमत ने नमक टैक्स लगाया तो महात्मा गांधी ने इस कानून के विरोध में यह आंदोलन शुरू किया. गांधी सहित 78 लोग अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से 390 किलोमीटर पैदल चलकर दांडी के तटीय गांव पहुंचे. यह यात्रा 12 मार्च को शुरू हुई और 6 अप्रैल, 1930 तक चली. कुल 24 दिनों तक चली इस यात्रा में हाथों पर नमक प्राप्त करके नमक-विरोधी नियम का उल्लंघन करने का आह्वान किया गया.

दलित आंदोलन – 8 मई, 1933 को, महात्मा गांधी ने छुआछूत की व्यापक प्रथा के विरोध में दलित आंदोलन शुरू किया. इस आंदोलन ने देश को इस हद तक प्रभावित किया कि छुआछूत काफी हद तक समाप्त हो गया. गांधी जी ने इससे पहले साल 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की भी स्थापना की थी.

भारत छोड़ो आंदोलन – साल 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बॉम्बे सत्र के दौरान गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. यह आंदोलन ब्रिटिश प्रभुत्व के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ. इस आंदोलन के कारण अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा.

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन (10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi)

  • गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है.
  • गांधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर जिले में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था.
  • इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गांधी था.
  • इनके पिता एक दीवान थे और माँ जैन धर्म के प्रति सद्भावना थी.
  • सिर्फ 13 साल की उम्र में इनका विवाह कस्तूरबा के साथ हुआ.
  • स्कूल और कॉलेज की पढाई भारत से और कानून की पढाई लंदन से पूरी की.
  • देश की आजादी के दौरान पहला आंदोलन चम्पारण था.
  • गांधी जी देश के राष्ट्रपिता के साथ साथ राजनीतिक और समाज सुधारक भी थे.
  • गांधीजी द्वारा निर्मित प्रथम ‘सत्याग्रह आश्रम’ मौजूदा समय में एक राष्ट्रीय स्मारक है.
  • गांधी जी के जीवन में तीन मूल मन्त्र – सत्य, अहिंसा और ब्रम्हचर्य.

निष्कर्ष – आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ). उम्मीद करते है आपको यह जानकरी जरूर पसंद आई होगी.

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Essay on Mahatma Gandhi in Hindi | महात्मा गाँधी पर निबंध

essay on mahatma gandhi in hindi

  • Post author By Admin
  • January 8, 2022

Mahatma Gandhi जी का नाम कौन नहीं जानता, राष्ट्रहित में उन्होंने जो कार्य किए है, उसके लिए उनका जितना शुक्रियादा किया जाए उतना कम है। 

राष्ट्र के लिए किए गए उनके कार्यो के लिए उन्हें देश का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। 

जिस तरह के उनके विचार थे वह पुरे भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में एक मिसाल कायम कर चुके है। 

उनको हमारे बीच से गए हुए लगभग 70 साल से भी अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी भी वह अपने विचारो के ज़रिये हमारे बीच उपस्थित है। 

स्कूलों में आज भी उनके जीवन के बारे में बताया जाता है, ताकि बच्चे उनके जीवन से शिक्षा ले सकें और एक अच्छे इंसान बन सकें। 

आज भी गूगल पर बहुत अधिक बार Essay on Mahatma Gandhi in Hindi सर्च होता है, लोग इनके बारे में जानने को इच्छुक रहते है। 

महात्मा गाँधी जी एक बहुत ही महान शख्सियत थे, इसलिए ताकि आने वाली पीढ़ियां भी लम्बे समय तक उन्हें याद रखें इसलिए स्कूलों में Mahatma Gandhi nibandh लिखवाए जाते है। 

लेकिन कईं लोग ऐसे है, जिन्हे Mahatma Gandhi जी पर निबंध लिखना नहीं आता और जो की हमें अच्छा नहीं लगता। 

इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम आपके साथ Mahatma Gandhi जी के ऊपर लिखे कुछ निबंध शेयर करेंगे,

जिस से आपको Essay on Mahatma Gandhi in Hindi (महात्मा गाँधी पर निबंध) को लिखने के लिए ओर मदद मिल सके। 

साथ में हम आपको पूरी डिटेल में यह भी बताएँगे की Mahatma Gandhi Essay in Hindi या महात्मा गांधी जी के ऊपर आप खुद निबंध कैसे लिख सकते हो। 

Table of Contents

How to Write Essay on Mahatma Gandhi in Hindi?

यदि आप Mahatma Gandhi जी के बारे में केवल निबंध पढ़ना चाहते है तो आप ब्लॉग में थोड़ा नीचे स्क्रॉल कर के पढ़ सकते है।  

लेकिन यदि आप सीखना चाहते है की how to write essay on Mahatma Gandhi in hindi तो आप हमारे साथ ऐसे ही बने रहे -:

तो आप Mahatma Gandhi Essay in Hindi कुछ इस प्रकार लिख सकते हो -:

  • आप पहले यह तय कर ले की आप जो Mahatma Gandhi par nibandh लिख रहे हो, वह निबंध कितने शब्दों का होना चाहिए। 
  • शब्द पहले ही तय कर लेने से आप यह जान पाओगे की आपको महात्मा गाँधी जी के जीवन के बारे में कितनी डिटेल में लिखना है। 
  • निबंध लिखते समय आप सबसे पहले इंट्रोडक्शन में महात्मा गाँधी जी के बारे में थोड़ी सी जानकरी दे, जैसे की हमनें इस ब्लॉग की शरुआत में आपको महत्मा गाँधी जी के बारे में थोड़ी जानकारी दी। 
  • उसके बाद आपको महात्मा गाँधी जी के जन्म के बारे में लिखना है, आप इसमें उनके माता पिता के बारे में भी जानकरी दे सकते है। 
  • उनके जन्म के बारे में बताने के बाद आप उनकी शिक्षा के बारे में बताए। 
  • फिर आप उसके बाद देश के लिए जो योगदान दिए है, उनको बहुत अच्छे से डिटेल में लिखे।
  • उसके बाद उनकी मृत्यु के बारे में लिख कर, अपने निबंध का एक निष्कर्ष लिख दे। 
  • निष्कर्ष में आप वह बातें लिख सकते है जो की हमें गाँधी जी के जीवन से सीखने के लिए मिलती है। 

आप इन पॉइंट्स का इस्तेमाल कर के महात्मा गाँधी जी पर Essay लिख सकते है, नीचे हम डिटेल में बात करेंगे की आप Mahatma Gandhi par nibandh कैसे लिख सकते है। 

महात्मा गांधी जी का जन्म

यदि आप essay on mahatma gandhi in hindi लिख रहे हो, तो आपको सबसे पहले तो आपको उनके जन्म के बारे में पता होना चाहिए। 

क्यूंकि आप चाहे कितने ही शब्दों का निबंध लिख रहे हो, आप को सबसे पहले तो महात्मा गाँधी जी के जन्म के बारे में ही लिखना होगा। 

Mahatma Gandhi जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था, जहाँ इनका जन्म हुआ था उस जगह का नाम है पोरबंदर, यह गुजरात में स्थित है। 

आप कुछ इस तरिके से इनके जन्म के बारे में अपने निबंध में लिख सकते है, यदि आपको एक लम्बा निबंध लिखना है तो आप इसमें कुछ ओर बातें भी लिख सकते है,

जैसे की हर साल 2 अक्टूबर को इनके जन्मदिन के उपलक्ष में पुरे देश में गाँधी जयंती मनाई जाती है, जिस दिन पुरे देश में राष्टीय छुट्टी होती है। 

इसके आलावा आप इनके पुरे नाम को निबंध में लिख सकते है, इनका पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गाँधी था। 

महात्मा गांधी जी के माता पिता

mahatma gandhi father and mother

महात्मा गाँधी जी के जन्म को लिखने के बाद, आप उनके माता पिता के बारे में लिखे। 

आप कम शब्दों में ऐसे लिख सकते है की महात्मा गाँधी जी के पिता जी का नाम करमचंद गाँधी था और माता जी का नाम पुतलीबाई था। 

यदि आप एक कम शब्दों का निबंध लिख रहे है तो आप केवल उनके माता पिता का नाम लिख दे 

और यदि आप को अधिक शब्दों का निबंध लिखना है तो आप उनके माता पिता के बारे में भी थोड़ी जानकरी दे सकते है। 

जैसे की उनके पिता पोरबंदर में दीवान का कार्य किया करते थे और उनकी माता एक धार्मिक स्री थी, आप उनके बारे में ऐसे ही और जानकारी दे सकते है। 

इस से आपका निबंध काफी डिटेल्ड होगा और आप एक अच्छा और लम्बा निबंध लिख पाओगे। 

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi : बचपन

उनके जन्म और उनके माता पिता के बारे में लिखने के बाद आप उनके बचपन के बारे में लिख सकते हो। 

यदि आप कम शब्दों जैसे की 100 शब्दों का निबंध लिख रहे हो तो आप उनके बचपन के बारे में चाहे मत लिखिएगा। 

उसकी जगह आप उनके देश के प्रति जो योगदान है, उन पर अधिक ध्यान दीजियेगा। 

लेकिन यदि आप एक लम्बा निबंध लिख रहे है तो आप उनके बचपन के बारे में अवश्य लिखिए,

आप बताये की गाँधी जी बचपन में कैसे इंसान थे, उन्हें क्या करना पसंद था, यह आपके निबंध को बहुत ही अच्छा कर देगा। 

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi : जीवन

यह आपके निबंध essay on mahatma gandhi in hindi का सबसे महत्वपूर्ण भाग है, यहाँ आपको महात्मा गाँधी जी के पुरे जीवन के बारे में लिखना है। 

उनके परिवार में कौन कौन था, उन्होंने शिक्षा क्या प्राप्त की थी, वह अपने जीवन में किस से प्रेरणा लेते थे,

उन्होंने देश के लिए क्या क्या योगदान दिए, इत्यादि उनके जीवन के बारे में आप बहुत कुछ लिख सकते है। 

यह आपके निबंध का सबसे महत्वपूर्ण भाग है तो आप इसको बहुत ध्यान से लिखें। 

यदि आप एक लम्बा निबंध लिख रहे है तो आप को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी, आप उनके जीवन के बारे में बहुत डिटेल में जानकारी दे सकते हो। 

लेकिन यदि आप एक कम शब्दों का भी निबंध लिख रहे, तो भी आप पूरी कोशिश करें की आप उनके जीवन के बारे में जितनी बातें आपके निबंध में लिख सकते है,

उतनी बातें आप अपने निबंध में लिखे, बेशक आपको उन बातों को एक – एक लाइन में क्यों ना लिखना पड़े। 

एक अच्छा निबंध वही होता है जो की उसके टॉपिक के अनुसार अच्छी से अच्छी जानकरी प्रदान कर सके। 

तो जब आप महात्मा गाँधी जी के ऊपर निबंध लिख रहे है तो आप को यह पूरी कोशिश करनी चाहिए की उनके बारे में अधिक से अधिक जानकरी आप प्रदान कर सकें। 

इसलिए आप उनके जीवन के ऊपर विशेष ध्यान दे और अपने निबंध को शुरू से ही इस तरीके से लिखें की आप कम शब्दों में भी उनके जीवन के बारे में अधिक से अधिक बता सको। 

महात्मा गांधी जी की मृत्यु 

अब हम essay on Mahatma Gandhi in Hindi के आखिर में पहुँच चुके है, आप अपने निबंध के आखिर में उनकी मृत्यु कब हुई थी यह लिखे। 

महात्मा गाँधी जी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई थी, जब नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मार कर हत्या कर दी थी। 

यदि आप कम शब्दों का निबंध लिख रहे हो तो आप के बार में ना लिखे। 

इसकी जगह आप उनके जीवन की कोई ऐसी बात लिखे जो की सबको प्रेरणा दे। 

इसके बाद आप अपने निबंध में निष्कर्ष डाल सकते हो, निष्कर्ष में आप यह लिख सकते है की उनके जीवन से हमें क्या क्या सीखने को मिलता है। 

हमें महात्मा गाँधी जी के जीवन से बहुत कुछ सीखने के मिलता है, वह एक ऐसे व्यक्ति थे, जिस से हर किसी को प्रेरणा लेनी चाहिए। 

100 Words Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

Mahatma Gandhi par nibandh कैसे लिखना है, यह आप अच्छे से जान पाओ इसलिए हम यहाँ महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में शेयर कर रहे है। 

हमें आशा है की आपको इस से निबंध लिखने में मदद मिलेगी, यदि आप 100 से अधिक शब्दों का निबंध लिखना चाहते है तो आप चिंता मत कीजिये,

नीचे हमनें इस से अधिक शब्दों के लेख भी शेयर किए है। 

महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था, उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। गाँधी जी ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए बहुत अधिक कार्य किए है। वह हिंसा के खिलाफ थे और लोगो को अहिंसा के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते थे, उन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए बहुत सारे आंदोलन किए थे। देश को आजादी दिलाने के लिए उनके किए गए कार्यो की वजह से उन्हें देश का राष्टपिता कहा जाता है। गांधी जी बहुत ही साधारण जीवन व्यतीत करना पसंद करते थे, वह जो धोती पहनते थे, उसके लिए सूत वह स्वंय चरखा चला कर कातते थे। 

300 Words Essay on Mahatma Gandhi in Hindi 

यह रहा 300 वर्ड्स का essay on mahatma gandhi in hindi, यदि आप महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में लिखना चाहते है तो आप कुछ इस प्रकार से लिख सकते है। 

अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले महात्मा गाँधी जी आज हमारे बीच नहीं है, लेकिन वह उनके विचारो के ज़रिये आज भी हमारे साथ है। महात्मा गाँधी जी एक ऐसी शख्शियत थे, जिनके जीवन से हर कोई प्रेरणा ले सकता है। उनके द्वारा किए गए अनगिनत प्रयत्नो का हमारी आजादी में एक अहम योगदान है। 

श्री महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर शहर में हुआ था। इनके पिता श्री करमचंद गाँधी जी पोरबंदर में ही एक दीवान का कार्य करते थे और उनकी माता जी पुतलीबाई एक धार्मिक महिला थी, उनकी माता जी सदैव प्रभु आस्था में लीं रहती थी, उनके माता जी के विचारो का गाँधी जी पर गहरा प्रभाव था। गाँधी जी का विवाह 13 वर्ष की छोटी उम्र में ही कस्तूरबा जी से करवा दिया गया था। 

महत्मा गाँधी जी का बचपन में पढाई में मन नहीं लगता था, कईं लोग उन्हें उस समय मंदबुद्धि भी कहा करते थे। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा पोरबंदर से पूरी की और बाद में उन्होंने राजकोट से हाई स्कूल पास किया। मैट्रिक की पढ़ाई के लिए इनके पिता जी ने इन्हे अहमदाबाद भेज दिया। महात्मा गाँधी जी ने अपनी वकालत की पढाई लन्दन से पूरी की। वह चाहते तो एक वकील के तौर पर एक सुकून का जीवन यापन कर सकते थे, लेकिन उन्होंने देश हित में अपना जीवन यापन करने की ठानी। 

शिक्षा के क्षेत्र में गाँधी जी का अहम योगदान है, वह शिक्षा को “द ब्यूटीफुल ट्री” कहा करते थे, वह यह चाहते थे की भारत का हर एक नागरिक गरीब हो या अमीर हर किसी को शिक्षा प्राप्त हो। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष की आयु के हर एक बच्चे को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। गाँधी जी ने देश के लिए बहुत सारी चीज़े की, वह एक ऐसे समाज की स्थापना करना चाहते थे, जहाँ किसी का भी शोषण ना हो। 

500 Words Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

यह रहा 500 वर्ड्स का essay on mahatma gandhi in hindi, यदि आप महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में लिखना चाहते है तो आप कुछ इस प्रकार से लिख सकते है। 

जिन लोगों ने देश की आज़ादी की नींव रखी थी, उनमें से एक शख्श का नाम था महात्मा गाँधी जी। महात्मा गाँधी जी ने हमारे देश को आज़ादी दिलाने के लिए बहुत ही प्रयत्न किए। जहाँ एक तरफ पुरे देश में आज़ादी के लिए आग भड़क रही थी, वहीँ दूसरी तरफ गाँधी जी अहिंसा के मार्ग को अपना कर लोगो को सही रास्ता दिखा रहे थे। उन्होंने हमें सिखाया की हिंसा से ज्यादा ताक़तवर शांति का मार्ग होता है। 

गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में करमचंद गाँधी और पुतलीबाई के घर हुआ था। उनके पिता करमचंद गाँधी पोरबंदर में एक दीवान थे और उनकी माता पुतलीबाई एक धार्मिक औरत थी। उनकी माता जी हमेशा प्रभु की भक्ति करने में लीन रहती थी, उनकी माता के गुणों का गाँधी जी के ऊपर बहुत प्रभाव था। 

गाँधी जी का विवाह 13 साल की बहुत छोटी उम्र में ही हो कस्तूरबा जी से हुआ था, महत्मा गाँधी जी के 4 बेटे थे Harilal Gandhi, Manilal Gandhi, Ramdas Gandhi और Devdas Gandhi। कस्तूरबा गाँधी जी के पिता और महात्मा गाँधी जी के पिता दोनों आपस में काफी अच्छे दोस्त थे। कस्तूरबा जी महात्मा गाँधी जी के हर आंदोलन में उनका साथ देती थी। 

महात्मा गाँधी जी का बचपन में पढाई में मन नहीं लगता था। इन्होने अपनी शुरू की शिक्षा पोरबंदर से पूरी की और हाई स्कूल की परीक्षा राजकोट से पूरी की। फिर वह अपने वकालत की पढाई को पूरा करने के लिए इंग्लैंड चले गए। उन्होंने अपनी वकालत की पढाई 1891 में पूरी की, उसके बाद वह अपने किसी क़ानूनी केस की वजह से साउथ अफ्रीका चले गए। वहां उन्होंने रंग के ऊपर होते भेद भाव को देखा जो की उन्हें बहुत बुरा लगा, वहां से उन्होंने इसके खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू कर दी। महात्मा गाँधी जी कहीं भी कुछ गलत होता हुआ नहीं देख पाते थे और हमेशा अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज़ को उठाते थे। 

साउथ अफ्रीका से भारत वापिस आने के बाद उन्होंने भारत से ब्रिटिश राज को हटाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए। वह एक ऐसे भारत को देखना चाहते थे, जहाँ पर हर एक नागरिक को समान अधिकार मिले, जहाँ कोई किसी के अधीन ना हो। अपने इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने कईं आंदोलन किए, अपने इन आंदोलन की वजह से उन्हें बहुत बार जेल भी जाना पड़ा। गाँधी जी ने बिहार के चम्पारण में किसानो के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को लेकर अपनी आवाज़ उठाई। गाँधी जी ने साउथ अफ्रीका में काले लोगों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ भी आंदोलन किए और वहां भी लोगो को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया। 

गाँधी जी ने भारत देश को आज़ादी दिलाने के लिए 1920 में सविनय अवज्ञा आंदोलन, 1930 में असहोयग आंदोलन किया। उन्होंने ने अपने इन आंदोलनो की मदद से अंग्रेजो को ललकारा, जिस वजह से उन्हें बहुत बार जेल भी जाना पड़ा। उन्होंने देश के हित के लिए बहुत कार्य किए। 

30 जनवरी 1948, यह वह दुखद दिन था, जब यह महान शख्सियत हमें छोड़ कर चली गयी। नाथूराम गोडसे नाम के एक व्यक्ति ने इस दिन गोली मारकर इनकी हत्या कर दी थी। 

गांधी जी की विचारधारा

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi कैसे लिखे, यह जानने के बाद आपको गांधी जी की विचारधारा से भी परिचित होना चाहिए। ताकि आप महात्मा गांधी पर निबंध लिखते समय उनकी विचारधारा का भी प्रयोग कर सके। गांधी जी की विचारधारा विशेषतः नैतिकता, सामाजिक न्याय, आपसी सद्भावना, स्वच्छता, धर्मनिरपेक्षता और सर्वधर्म पर आधारित थी। उनकी विचारधारा न केवल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित करने में मदद की, बल्कि विश्वभर के लोगों के दिलों में एकता, शांति और न्याय के लिए उनकी प्रेरणा का स्रोत बनी। यहां हम गांधी जी की मुख्य विचारधारा को विस्तार से देखेंगे:-

सामाजिक न्याय और उदारता

गांधी जी ने सामाजिक न्याय और उदारता के महत्व को मान्यता दी। उनका मानना था कि समाज के सभी वर्गों के लोगों को जीवन में समानता और न्याय मिलना चाहिए। वह निष्ठा से लड़ने और जीने के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देते थे।

आपसी सद्भावना और एकता

गांधी जी ने आपसी सद्भावना और एकता को अपनी विचारधारा का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया। उन्हें धार्मिक, जातिगत और सामाजिक भेदभाव बिल्कुल पसंद नहीं था। वह सबको एक ही मानवीयता के दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देते थे।

गांधी जी ने स्वच्छता को अपनी विचारधारा का महत्वपूर्ण तत्व माना। वह मानते थे कि स्वच्छता न केवल शरीरिक, बल्कि मनोवैज्ञानिक और मौलिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। स्वच्छता को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानकर वह दूसरों को भी इसके महत्व को समझाने का प्रयास करते थे।

धर्मनिरपेक्षता और सर्वधर्म समभाव

गांधी जी ने धर्मनिरपेक्षता को अपनी विचारधारा का मूल माना। उन्होंने सभी धर्मों का सम्मान किया और सभी मानवों को आपस में भाईचारे के साथ जीने का संदेश दिया। वे अलगाव के बजाय एकता की बात करते थे और लोगों को सभी धर्मों के प्रति समझदारी और समरसता की ओर प्रोत्साहित करते थे।

तो यह था आज का ब्लॉग essay on mahatma gandhi in hindi के बारे में। 

आज के इस ब्लॉग में हमनें आपको बताया की कैसे आप महात्मा गाँधी जी पर निबंध लिख सकते है। 

वैसे तो हमनें आपको इस ब्लॉग  में 3 निबंध लिख कर भी दिए है, आप उन्हें भी अपने अनुसार प्रयोग कर सकते है। 

लेकिन हम तो आपको यही राय देंगे की आप इनसे केवल एक आईडिया ले और हमारे बताये तरीके से खुद एक निबंध लिखे। 

हमें उम्मीद है की आपको आज का यह ब्लॉग पसंद आया होगा, ऐसे ही और ब्लॉग्स पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट coursementor के साथ जुड़ें रहे। 

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महात्मा गांधी पर निबंध कैसे लिखे हिंदी में?

महात्मा गाँधी पर आप इस तरीके से  निबंध लिख सकते हो -:

1. इंट्रोडक्शन लिखिए। 

2. महात्मा गाँधी जी के जन्म के बारे में लिखें

3. उनकी शिक्षा के बारे में लिखें 

4. उनके जीवन के बारे में लिखें

5. देशहित में उनके योगदानों के बारे में लिखें

6. उनकी मृत्यु के बारे में लिखें

7. निष्कर्ष लिखें।

गाँधीजी की माता किसी के बीमार पड़ने पर उसकी क्या करती थीं?

गाँधी जी की माता किसी के बीमार पड़ने पर उनकी बहुत सेवा किया करती थी। वह एक बहुत ही धार्मिक औरत थी, वह अपना अधिकतर समय प्रभु भक्ति और अपने परिवार की सेवा में लगा देती थी। 

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mahatma gandhi essay in hindi 100 words

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महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

mahatma gandhi essay in hindi 100 words

महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi in Hindi!

मोहनदास करमचन्द गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ । उनके पिता राजकोट के दीवान थे । उनकी माता एक धार्मिक महिला थीं । स्वतन्त्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लेने और देश को स्वतन्त्र कराने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका के कारण उनको राष्ट्रपिता कहा गया ।

यह उपाधि सर्वप्रथम उन्हें नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने दी । महात्मा गाँधी मैट्रिक पास करने के पश्चात् इंग्लैण्ड चले गए जहाँ उन्होंने न्यायशास्त्र का अध्ययन किया । इसके बाद इन्होंने अधिवक्ता के रूप में कार्य प्रारम्भ कर दिया । वह भारत एक बैरिस्टर बनकर वापस आए और मुम्बई में अधिवक्ता के रूप में कार्य करने लगे ।

महात्मा गाँधी को उनके एक भारतीय मित्र ने कानूनी सलाह के लिए दक्षिण अफ्रीका बुलाया । यहीं से उनके राजनैतिक जीवन की शुरूआत हुई । दक्षिण अफ्रीका पहुँचकर गाँधी जी को एक अजीब प्रकार का अनुभव हुआ । उन्होंने वहाँ देखा कि, किस प्रकार से भारतीयों के साथ भेद – भाव किया जा रहा है ।

एक बार गाँधीजी को स्वयं एक गोरे ने ट्रेन से उठाकर बाहर फेंक दिया क्योंकि गाँधीजी उस समय प्रथम श्रेणी में यात्रा कर रहे थे जबकि उस श्रेणी में केवल गोरे यात्रा करना अपना अधिकार समझते थे । गाँधीजी ने तभी से प्रण लिया कि वह काले लोगों और भारतीयों के लिए संघर्ष करेंगे । उन्होंने वहाँ रहने वाले भारतीयों के जीवन सुधार के लिए कई आन्दोलन किये । दक्षिण अफ्रीका में आन्दोलन के दौरान उन्हें सत्य और अहिंसा का महत्त्व समझ में आया ।

ADVERTISEMENTS:

जब वह भारत वापस आए तब उन्होंने वही स्थिति यहीं पर देख जो वह दक्षिण अफ्रीका में देखकर आए थे । 1920 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाया और अंग्रेजों को ललकारा । 1930 में उन्होंने असहयोग आन्दोलन की स्थापना की और 1942 में भारत उन्होंने अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आह्वान किया ।

अपने इन आन्दोलन के दौरान वह कई बार जेल गए । अन्तत: उन्हें सफलता हाथ लगी और 1947 में भारत आजाद हुआ पर दु:खू की बात यह है की नाथुरम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर महात्मा गाँधी की हत्या कर दी जब वह संध्या प्रार्थना के लिए जा रहे थे ।

उनका प्रसिद्ध भजन यह था :

रघुपति राघव राजा राम , पतित पावन सीता राम

ईश्वर अल्लाह तेरो नाम , सबको सन्मति दे भगवान ।

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Essay On Mahatma Gandhi In Hindi (100, 200, 300, 500, 700, 1000 Words)

महात्मा गाँधी पर निबंध 1 (100 शब्द) :.

महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जिनके पिता का नाम करमचंद गाँधी था और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। महात्मा गाँधी जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने एक राष्ट्रवादी नेता की तरह ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतवासियों का भरपूर नेतृत्व किया था।

महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था लेकिन इनकी मृत्यु 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में स्थित बिरला मंदिर की प्रार्थना सभा में हुई थी। मोहनदास करमचंद गाँधी जी की हत्या हिन्दू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर की थी जिसके लिए उसे भारत सरकार के द्वारा फांसी की सजा दी गई थी। सन् 1948 में रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें एक और “राष्ट्र का शहीद” नाम दिया था।

महात्मा गाँधी पर निबंध 2 (200 शब्द) :

महात्मा गाँधी जी एक सच्चे भारतवासी होने के साथ-साथ एक महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे जिन्हें आज के समय में भी देश और विदेशों के लोगों को अपनी महानता, आदर्शवाद और महान जीवन की वजह से प्रेरित करते हैं।

महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक स्थान पर एक हिंदू परिवार में हुआ था जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। भारत देश के लिए 2 अक्तूबर एक बहुत ही पुन्य तिथि थी क्योंकि आज के दिन महात्मा गाँधी जी का जन्म हुआ था।

गाँधी जी ने ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराने के लिए अविस्मरणीय भूमिका निभाई थी। गाँधी जी ने अपनी विश्वविद्यालय की शिक्षा इंग्लैड से की थी जहाँ से वे एक वकील बनकर लौटे थे जिसके बाद उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा समस्याओं का सामना करने वाले भारतियों की मदद करने लगे थे।

गाँधी जी ने भारतीय लोगों की मदद करने के लिए सत्याग्रह नामक आंदोलन का शुभारंभ किया। भारत को स्वतंत्र कराने के लिए गाँधी जी ने बहुत से अन्य आंदोलन भी चलाए थे जिनके बाद भारत को अंत में 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली थी लेकिन इसके एक साल बाद 30 अक्तूबर, 1948 को दिल्ली में गाँधी जी की मृत्यु हो गई थी।

महात्मा गाँधी पर निबंध 3 (300 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी को बापू या राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि सभी लोग उन्हें इन्हीं नामों से पुकारा करते थे। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जो एक बहुत ही महान स्वतंत्रता सेनानी थे और एक राष्ट्रवाद नेता की तरह ही उन्होंने भी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारत देश का नेतृत्व किया था।

गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी ने ऐसे बहुत से आंदोलन चलाए हैं जिनके द्वारा किसी भी देश या राष्ट्र की उन्नति हो सकती है। गाँधी जी द्वारा ही भारत देश को आजादी मिल पाई थी।

महात्मा गाँधी का जीवन : महात्मा गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक से आगे की पढाई इंग्लैण्ड में की थी जहाँ से गाँधी जी वकील बनकर ही भारत वापस लौटे थे। भारत आकर उन्होंने भारतवासियों का मार्गदर्शन करना शुरू कर दिया जिससे कुछ लोगों ने उन्हें राजनीति में प्रवेश करने के लिए कहा।

महात्मा गाँधी जी ने अहिंसा के धर्म को अपनाते हुए बहुत सारे आंदोलन चलाए जिसके सामने अंग्रेजों को अपने घुटने टेकने पड़े और अंत में अंग्रेजो ने भारत को आजाद कर दिया और भारत छोड़कर चले गए। भारत के आजाद होने के कुछ समय बाद महात्मा गाँधी जी की हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे के द्वारा दिल्ली के बिरला मंदिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

उपसंहार : महात्मा गाँधी जी को भारतीय इतिहास में युग पुरुष के रूप में सदैव याद रखा जाएगा। आज महात्मा गाँधी जी को सारी दुनिया श्रद्धा के साथ नमन करती हैं। महात्मा गाँधी जी के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए उनके ऊपर बहुत-सी भाषाओं में फिल्में बनाई गई हैं जिससे आज के बच्चे, युवा अपने जीवन को प्रेरणादायक बना सकें।

जब महात्मा गाँधी जी का जन्मदिन होता है तो उस दिन पूरा विश्व श्रद्धा और सम्मान के साथ गाँधी जी के जन्मदिन को मनाता है। गाँधी जी के सम्मान के रूप में अमेरिका देश ने भी 2 अक्तूबर को गाँधी जयंती के रूप में मनाना शुरू कर दिया है।

महात्मा गाँधी पर निबंध 4 (400 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी को महात्मा उनके महान कार्यों और महानता के लिए कहा जाता है जिन्हें उन्होंने अपने जीवन भर किया था। महात्मा गाँधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक अहिंसक कार्यकर्ता भी थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन में अहिंसा का पालन किया था जिसका उदाहरण ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराना है।

गाँधी जी ने अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए लेकिन उन्होंने किसी भी आंदोलन को हिंसात्मक नहीं होने दिया। गाँधी जी ने बहुत सी जगहों पर शिक्षा प्राप्त की थी जिससे ही उन्होंने राजनीति सीखी थी।

महात्मा गाँधी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था जिनके पिता जी का नाम करमचंद गाँधी और माँ का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी पर उनकी माँ के संस्कारों का बहुत अधिक गहरा प्रभाव पड़ा था।

महात्मा गाँधी जी ने बहुत सारे आंदोलन चलाए ताकि वे अपने भारत के लोगों को ब्रिटिश शासन से छुटकारा दिला सकें। उन्होंने सत्याग्रह किया जिसके सामने अंग्रेजों ने अपने घुटने टेक दिए जिसके बाद भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।

(और पढ़ें :    राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध  ,  महात्मा गाँधी से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें )

महात्मा गाँधी की मृत्यु : महात्मा गाँधी जी ने अपने पूरे जीवन को देश के लिए बलिदान कर दिया था इसलिए वे जब तक जिंदा रहे तब तक देश के उन्नति के लिए काम करते रहे। गाँधी जी ने देश को एक करने के लिए हिंदू मुस्लिम एकता की भावना का शुभारंभ किया लेकिन कुछ लोग इस भावना के विरुद्ध थे।

महात्मा गाँधी जी 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला मंदिर में प्रार्थना सभा के लिए गए थे तभी एक हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। महात्मा गाँधी जी की मृत्यु से पूरा भारत बहुत गहरे सदमे में चला गया। गाँधी जी की मृत्यु के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमारे बीच रहेंगे।

उपसंहार : एक समय ऐसा भी आया था जब गाँधी जी को काली त्वचा और गोरी त्वचा वाले व्यक्ति के भेदभाव का शिकार होना पड़ा था जिसके बाद ही उन्होंने राजनीति में प्रवेश करने का निश्चय किया। गाँधी जी राजनीतिक कार्यकर्ता बनकर पास किए गए गलत कानूनों में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते थे।

गाँधी जी ने भारत देश को स्वतंत्र और शक्तिशाली बनाने के लिए एक अहिंसक आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने ही नमक सत्याग्रह में होने वाले दांडी मार्च का नेतृत्व किया था। गाँधी जी ने अपनी स्वतंत्रता के लिए बहुत सारे भारतियों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए प्रेरित किया।

महात्मा गाँधी पर निबंध 5 (500 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी भारत के एक महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे जिन्हें आज भी देश और विदेश के लोगों को अपनी महानता, आदर्शवाद जीवन की वजह से प्रेरित करते हैं। महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के काठियावाड़ में स्थित पोरबंदर स्थान पर हुआ था।

महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जो उनके पिता जी के नाम पर रखा गया था क्योंकि गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी था और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और आखिरी संतान थे।

महात्मा गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा : महात्मा गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही हुई थी जिसमें वे एक बहुत ही साधारण विद्यार्थी थे। प्रारंभिक शिक्षा के दौरान गाँधी जी अपने सहपाठियों से बहुत ही कम बोलते थे लेकिन अपने अध्यापकों का पूरा आदर करते थे। गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी।

प्रारंभ में तो गाँधी जी बहुत ही मेहनती और सत्यवादी थे क्योंकि वे कभी भी कोई बात नहीं छिपाते थे। गाँधी जी झगड़ा, शरारत और उछल-कूद से कोशों दूर रहते थे। गाँधी जी ने बंबई युनिवर्सिटी की मैट्रिक की परीक्षा को पास किया और भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया।

गाँधी जी के गुजरती भाषा से अचानक अंग्रेजी भाषा में आने से उन्हें व्याख्यानों को समझने में बहुत अधिक परेशानी होती थी। गाँधी जी की इच्छा थी कि वे एक डॉक्टर बने लेकिन वे एक वैष्णव परिवार के व्यक्ति थे जिन्हें चीरफाड़ करने की अनुमति नहीं थी। अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद गाँधी जी को अगली उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा था।

विवाह : जब गाँधी जी 13 साल के थे तो वे अपने स्कूल की पढाई पूरी कर रहे थे। 13 साल की उम्र में उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी से हो गया था जिसका नाम कस्तूरबा देवी था।

राजनीति में प्रवेश : जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे तब भारत में स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था। सन् 1915 में गाँधी जी फिर से भारत लौटे थे। इन दिनों कांग्रेस पार्टी के गणमान्य सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले जी थे। गोपाल कृष्ण गोखले जी ने गाँधी जी से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की अपील की जिसकी वजह से गाँधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता हासिल की और पूरे भारत का भ्रमण किया। जब गाँधी जी ने देश की बागडोर को अपने हाथों में ले लिया तो पूरे देश में एक नए इतिहास का सूत्रपात हुआ।

जब साल 1928 में साइमन कमिशन भारत आया तो गाँधी जी ने उसका डटकर सामना किया। गाँधी जी की एकता से लोगों को बहुत प्रोत्साहन मिला। जब गाँधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा की तो अंग्रेज पूरी तरह हिल गए। महात्मा गाँधी जी कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे जिसकी वजह से वे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने लगे। गाँधी जी ने तिलक जी के साथ इस आंदोलन को आगे बढ़ाया था।

उपसंहार : बापू जी ने बहुत से देशों की यात्रा भी की थी जिसके बाद उन्होंने भारत लौटकर ब्रिटिश शासन के द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को रोकने के लिए और उनका सामना करने के लिए भारत के लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। महात्मा गाँधी जी एक भारतीय थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन को हराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन का शुभारंभ किया था।

महात्मा गाँधी जी की वजह से ही भारत देश को आजादी मिल पाई थी जिसके लिए उन्होंने बहुत से लोगों को प्रेरित किया था। महात्मा गाँधी जी को 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला मंदिर में हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी।

महात्मा गाँधी पर निबंध 6 (600 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी एक अहिंसा प्रिय व्यक्ति थे क्योंकि उनका मानना था कि जो चीज हिंसा से प्राप्त नहीं की जा सकती है उसे अहिंसा और प्रेम से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। महात्मा गाँधी वो महान हस्ती थे जिन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलनों का नेतृत्व किया था।

महात्मा गाँधी जी एक वकील थे जिन्होंने राजनीति में प्रवेश करके बहुत से लोगों को सही और अहिंसापूर्ण मार्ग दिखाया था। महात्मा गाँधी जी ने ब्रिटिश शासन द्वारा तिरस्कृत और अपमानित किए जाने वाले भारतवासियों को स्वतंत्रता दिलाई थी।

गाँधी जी का परिवार : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। महात्मा गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और आखिरी संतान थे जिनके पिता राजकोट के दीवान थे।

गाँधी जी पर उनकी माता पुतलीबाई गाँधी का बहुत अधिक गहरा प्रभाव पड़ा था। गाँधी जी का विवाह 13 साल की उम्र में पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी कस्तूरबा देवी स हुआ था। गाँधी जी का पूरा परिवार विशुद्ध भारतीय परिवार था जो सदाचार को ही अपने जीवन का परम मूल्य समझता था।

महात्मा गाँधी जी का विदेश गमन : जब महात्मा गाँधी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर ली तो उन्हें आगे की शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा। गाँधी जी की पढाई अभी चल रही थी कि उनके पिता जी का देहांत हो गया। इंग्लैण्ड में गाँधी जी ने अध्ययन के साथ-साथ पहली बार स्वतंत्र विश्व का दर्शन किया था।

इंग्लैण्ड जाने के बाद भी गाँधी जी ने मांसाहारी भोजन को हाथ भी नहीं लगाया क्योंकि उन्होंने अपनी माता से ऐसा न करने का वादा किया था। गाँधी जी ने इंग्लैण्ड में बहुत सी बाधाओं का सामना किया क्योंकि उन्हें शाकाहारी भोजन के लिए बहुत कष्टों का सामना करना पड़ता था। गाँधी जी अपनी वकालत की पढाई पूरी करके भारत लौट आए जिस बीच उनकी माँ का स्वर्गवास हो गया।

गाँधी जी का दक्षिण अफ्रीका प्रस्थान : जब गाँधी जी बंबई में वकालत कर रहे थे तब उन्हें बंबई से ही साल 1893 में पोरबंदर के अब्दुल्ला एंड कंपनी केश के मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा था। जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका पहुंचे तो वहां पर पहुंचकर उन्हें पता चला कि वहां पर जितने भी भारतवासी बसे हुए थे उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है।

उस समय वहां पर रंग-भेद का भेदभाव अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका था। गाँधी जी इस बात को सहन नहीं कर पाए जिसकी वजह से उनके मन में राष्ट्रिय-भावना जागृत हुई। गाँधी जी ने रंग-भेद को समाप्त करने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया जिसमें उन्हें सफलता प्राप्त हुई और अंग्रेजों को अपने कानून को वापस लेना पड़ा जिसके फलस्वरूप दक्षिण अफ्रीका पर किए जाने वाले अत्याचार बंद हो गए।

स्वदेश आगमन : महात्मा गाँधी जी अपने देश भारत सन् 1915 में लौटे थे जब अंग्रेज बहुत अधिक तेजी से भारतियों का दमन कर रहे थे। इसी समय पर रोलैक्ट एक्ट जैसे कानून को भी चलाया गया था। पंजाब के अमृतसर में बैसाखी के दिन 13 अप्रैल, 1919 के समय जलियावाला में एक महासभा हुई तब बाग के गेट को बंद कर दिया गया और उस पर सिपाही तैनात कर दिए गए। अंग्रेजों की योजना यह थी कि अगर भीड़ में भगदड़ हुई तो कोई भी बचकर बाहर नहीं जा पाएगा।

बाग में बैठे हजारों लोगों के ऊपर अंग्रेजों के द्वारा सिपाहियों को गोलीबारी करने का आदेश दे दिया था। अंग्रेजों ने आम सभा को शोक सभा में बदल दिया जिससे पूरा बाग कुछ ही देर में लाशों से भर गया। जलियावाला बाग हत्याकांड ने पूरी मानव जाति को लज्जित कर दिया था। उस समय कांग्रेस पार्टी की स्थिति कुछ खास मजबूत नहीं थी।

उपसंहार : महात्मा गाँधी जी ने स्वतंत्रता दिलाने का दृढ निश्चय किया जिसके बाद ब्रिटिश शासन ने बहुत से प्रयत्न किए लेकिन गाँधी जी अपने फैसले पर अडिग रहे। कई बार तो गाँधी जी को स्वतंत्रता सेनानी होने की वजह से जेल भी जाना पड़ा था लेकिन उन्होंने भारतवासियों के न्याय के लिए ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लड़ाई को जारी रखा।

गाँधी जी देश और सभी धर्मों की एकता में बहुत विश्वास रखते थे जिसका होना आजादी के लिए बहुत अधिक जरुरी था। गाँधी जी के साथ-साथ कई अन्य भारतीयों ने भी बहुत अधिक संघर्ष किया जिसके बाद अंत में भारत को 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।

महात्मा गाँधी पर निबंध 7 (700 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत को आजादी दिलाने के संघर्ष में बिता दिया। महात्मा गाँधी जी एक वकील थे लेकिन वकील होने के बाद भी उन्होंने अपना पूरा जीवन भारतवासियों के लिए नेता के रूप में बिता दिया था।

महात्मा गाँधी जी के जीवन से सभी लोगों खासकर युवा व्यक्तियों को प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। महात्मा गाँधी जी को सभी लोग बापू या राष्ट्रपिता कहते थे क्योंकि उन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन व्यतीत कर दिया।

गाँधी जी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और सबसे छोटी संतान थे।

गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान और माता सती-साध्वी और धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं जिसका उनका बेटे पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था। गाँधी जी अपने माता के संस्कारों से बहुत अधिक प्रभावित थे। गाँधी जी का पूरा परिवार विशुद्ध भारतीय परिवार था जिसमें सदाचार को जीवन का बहुमूल्य धन माना जाता था।

गाँधी जी का प्रारंभिक जीवन : गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान थे इसलिए उनका प्रारंभिक जीवन राजकोट में ही व्यतीत हुआ था। गाँधी जी एक बहुत ही साधारण से व्यक्ति थे जो अपने मित्रों और सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे लेकिन अपने से बडो और शिक्षकों का पूरा आदर करते थे।

गाँधी जी ने अपने स्कूली जीवन में बहुत से पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती हैं लेकिन वे पढाई और खेल में अधिक तेज नहीं थे। गाँधी जी को उनके बचपन में धर्म-कर्म की पूरी शिक्षा उनकी माता ने उन्हें दी थी। गाँधी जी बहुत ही विनम्र व्यवहार के थे लेकिन किसी बच्चे का इतना विनम्र होना ठीक नहीं था लेकिन गाँधी जी में ये सभी संस्कार जन्म से ही थे।

अहिंसा नीति में भूमिका : भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में महात्मा गाँधी जी के आने के बाद अहिंसा का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया था लेकिन इसके साथ-साथ देश में बहुत से हिंसक स्वतंत्रता संघर्ष चल रहे थे जिनके महत्व को नकारा नहीं जा सकता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए बहुत से भारतीय वीर अंग्रेजी हुकूमत से लड़ते हुए शहीद हो गए थे।

लेकिन महात्मा गाँधी जी के अहिंसा आंदोलन वो आंदोलन थे जिसमें देश की पूरी स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन किए जाते थे। महात्मा गाँधी जी ने अपने हर आंदोलन के लिए अहिंसा के मार्ग को अपनाया था।

भारत छोड़ो आंदोलन : द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद अंग्रेजों ने अपने दिए हुए वचन से पीछे हटना शुरू कर दिया जिससे भारतियों ने “अंग्रेजो! भारत छोड़ो” का नारा लगाया। इस आंदोलन की वजह से पूरे देश में बहुत से नागरिक अवज्ञा आंदोलन चल गए और भारतियों ने खुद को द्वितीय विश्व युद्ध से अलग करने की भी मांग करनी शुरू कर दी।

गाँधी जी ने इस लड़ाई में भाग लेते समय यह कहा था कि यह मेरी आखिरी लड़ाई है। गाँधी जी ने अपने सभी साथियों के साथ आत्म समर्पण किया था जिसकी वजह से पूरे देश में अशांति फैल गई थी। भारत छोड़ो आंदोलन भारत में ब्रिटिश राज की आखिरी कील साबित हुई है।

महान बलिदान : जब तक गाँधी जी जिंदा रहे तब तक अपने देश के उद्धार के लिए कार्य करते रहे। गाँधी जी ने जो हिन्दू-मुस्लिम एकता का शुभारंभ किया उससे कुछ लोग खुश नहीं थे जिसका विरोध करने के लिए हिंदू कार्यकर्ता ने 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला भवन में सभा के समय मौका पाकर गाँधी जी की गोली मरकर हत्या कर दी जिसके लिए नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा दी गई थी। गाँधी जी की मृत्यु की वजह से पूरा भारत देश शोक सागर में डूब गया लेकिन उनके मरने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमेशा याद रखे जाएंगे।

उपसंहार : महात्मा गाँधी जी एक महान समाज सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य पूरा तो कर लिया लेकिन उसके कुछ समय के बाद ही उनका देहांत हो गया था। गाँधी जी ने शारीरिक श्रम के लिए भारतवासियों को प्रेरित किया और एक साधारण जीवन जीने और आत्म निर्भर बनाने के लिए सभी संसाधनों की व्यवस्था भी करने के लिए कहा।

महात्मा गाँधी जी ने पूर्ण रूप से स्वतंत्र बनने के लिए और स्वदेशी सामान को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जिससे भारत उन्नति कर सके इसलिए गाँधी जी को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है।

महात्मा गाँधी पर निबंध 8 (1000 शब्द) :

भूमिका : हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी केवल भारत के ही नहीं बल्कि पूरे संसार के महान पुरुष थे जिन्हें आज के युग की महान विभूति माना जाता है। अहिंसा एक ऐसी नीति है जिसमें कभी भी किसी को भी जाने या अनजाने में ठेस नहीं पहुंचाई जाती है। विश्व में गाँधी जी का एक उदाहरण उनके द्वारा किया गया सत्याग्रह है जिसके समक्ष अंग्रेजों को झुकना ही पड़ा था।

यह वह नीति है जिसे गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी जैसे महान व्यक्तियों द्वारा प्रसारित किया गया और महात्मा गाँधी उन प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक ही थे जो अहिंसा नीति का पालन करते थे। भारत की स्वतंत्रता के लिए उनके द्वारा बहुत से प्रयत्न किए गए जिसके बाद ही हमें स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई थी।

महात्मा गाँधी जी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था।

गाँधी जी एक विशुद्ध भारतीय हिंदू परिवार से थे जिनके लिए केवल सदाचार ही बहुमूल्य होता था। गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान थे इसलिए अपने परिवार की वकालत की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए गाँधी जी ने इंग्लैण्ड से अपनी वकालत की शिक्षा प्राप्त की।

महात्मा गाँधी जी की शिक्षा : गाँधी जी का जन्म पोरबंदर में हुआ था जिसकी वजह से उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी पोरबंदर में ही हुई थी। गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी। गाँधी जी ने बंबई यूनिवर्सिटी की मैट्रिक की परीक्षा को सन् 1887 में उत्तीर्ण किया था जिसके बाद उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया था।

गाँधी जी के अचानक गुजरती भाषा से अंग्रेजी भाषा में आने से उन्हें थोड़ी-सी परेशानी हुई थी। गाँधी जी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन उनके परिवार को चीरफाड़ करने की इजाजत नहीं थी इसलिए वे इंग्लैण्ड गए और वकालत की शिक्षा ग्रहण की।

महात्मा गाँधी का विवाह : गाँधी जी जब अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब उनकी उम्र केवल 13 साल थी। 13 साल की उम्र में गाँधी जी का विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था। जब गाँधी जी वकालत की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब वे एक बेटे के पिता बन चुके थे।

महात्मा गाँधी जी की विदेश यात्रा : गाँधी जी अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब उनके पिता जी का स्वर्गवास हो गया। गाँधी जी को वकालत की शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा जहाँ पर उन्होंने अध्ययन के साथ-साथ पहली बार स्वतंत्र विश्व के अपनी खुली आँखों से दर्शन किए थे। गाँधी जी ने विदेश जाने से पहले अपनी माँ से मांस-मछली न खाने का वादा किया था जिसे उन्होंने मरते दम तक निभाया था।

गाँधी जी को शाकाहारी भोजन प्राप्त करने के लिए बहुत सारे कष्टों का सामना करना पड़ता था। गाँधी जी अपनी वकालत की पढाई पूरी करके भारत लौटे ही थे कि इसी बीच उनकी माता का देहांत हो गया। गाँधी जी के जीवन में उनकी माँ ने ही दया, प्रेम, करुणा और ईश्वर के प्रति निःस्वार्थ भाव से श्रद्धा पैदा की थी।

चंपारण और खेडा आंदोलन : सन् 1917 में चंपारण के किसानो पर अंग्रेजों के द्वारा बहुत अत्याचार किए जा रहे थे। अंग्रेज उन्हें नील की खेती करने पर विवश करते थे और एक तय कीमत पर उस नील को खरीद लेते थे जिसका विरोध करने के लिए गाँधी जी ने एक आंदोलन की शुरुआत की जिसमें अंग्रेजों को उनकी मांगों को मानना ही पड़ा।

गाँधी जी के इस आंदोलन को लोगों के द्वारा चंपारण आंदोलन के नाम से जाना जाता है इसके साथ-साथ सन् 1918 में गुजरात में खेडा गाँव को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा था जिसकी वजह से उस क्षेत्र में आकाल की भयंकर स्थिति उत्पन्न हो गई लेकिन इसके बाद भी अंग्रेज कर में किसी भी तरह की छूट नहीं करना चाहते थे। इसका विरोध करने के लिए गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की जिसकी वजह से अंग्रेजों ने करों में छूट की।

असहयोग आंदोलन : जब अंग्रेजों ने क्रूर नीति अपनाकर जलियावाला बाग हत्याकांड किया तो उसका जबाव देने के लिए गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। असहयोग आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ शुरू किया गया एक अहिंसक आंदोलन था क्योंकि गाँधी जी का मानना था कि अंग्रेज भारत में अपना शासन स्थापित करने में इसलिए समर्थ हो पाए थे क्योंकि उन लोगों को भारतियों का भरपूर सहयोग मिला था।

गाँधी जी की बात मानते हुए लोगों ने अंग्रेजी सरकार के अधीन पदों से इस्तीफा देना शुरू कर दिया इसके साथ-साथ लोगों ने अंग्रेजी वस्त्रों और वस्तुओं को खरीदना बंद कर दिया और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरू कर दिया। असहयोग आंदोलन में किसी भी तरह की हिंसा का प्रयोग नहीं हुआ लेकिन फिर भी इसने अंग्रेजों को हिला कर रख दिया।

नमक सत्याग्रह : महात्मा गाँधी जी ने दांडी यात्रा की जिसे नमक सत्याग्रह भी कहते हैं जिसमें गाँधी जी ने नमक पर लगने वाले कानूनों का विरोध किया और खुद अपने हाथों से नमक तैयार किया। गाँधी जी ने नमक पर अंग्रेजों के एकाधिकार के विरोध में दांडी यात्रा की शुरुआत की जो पूरे 24 दिनों में पूरी हुई थी।

24 दिनों में गाँधी जी साबरमती आश्रम से गुजरात के दांडी नामक तटीय गाँव पहुंचे थे जिसकी वजह से नमक कानून की अवहेलना की गई और लोगो ने खुद नमक बनाना और बेचना शुरू कर दिया। नमक सत्याग्रह ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा और स्वतंत्र भारत के सपने को मजबूती देने का काम किया।

स्वतंत्रता प्राप्त होना : जब सन् 1920 में तिलक जी की मृत्यु हो गई तो उसके बाद स्वतंत्रता आंदोलन का पूरा भार गाँधी जी पर आ गया। गाँधी जी आंदोलन का पूर्ण संचालन अहिंसा की नीतियों पर चलकर कर रहे थे। इसी समय गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन को चलाया था जिसमें हजारों की संख्या में वकील, शिक्षक, विद्यार्थी, व्यापारी, आदि शामिल हुए थे।

गाँधी जी का यह आंदोलन अहिंसक था। बाद में सन् 1929 में रावी नदी के किनारे पर कांग्रेस अधिवेशन हुआ जिसमें गाँधी जी ने पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा की थी। इसके बाद गाँधी जी ने नमक कानून का विरोध किया जिसमें गाँधी जी ने 24 दिनों की यात्रा की जिसके बाद वे दांडी पहुंचे थे और अपने हाथों से नमक बनाया था। इस यात्रा और नमक बनाने की वजह से गाँधी जी को जेल भी जाना पड़ा था। अंत में गाँधी जी और अन्य कई भारतियों की वजह से 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।

उपसंहार : महात्मा गाँधी जी का कहना था कि हथियार और हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकते हैं। ये किसी भी समस्या को कम करने की जगह पर और अधिक बढ़ा देता है। हिंसा किसी भी व्यक्ति में नफरत, डर और गुस्सा को बढ़ा देता है।

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  • महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi): गांधी जयंती पर निबंध 10 लाइनें, 100, 200, 500 शब्दों में निबंध लिखना सीखें

Updated On: September 02, 2024 06:34 pm IST

प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिवस को गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) लिखने में छात्रों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। नीचे दिये गये आर्टिकल से आप निबंध लिखना सीख सकते है।

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गांधी जयंती पर निबंध

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): “अहिंसा के पुजारी” और “राष्ट्रपिता” कहलाने वाले महात्मा गांधी जी को बापू नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। महात्मा गाँधी जी का जन्म शुक्रवार 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी व इनकी माता का नाम पुतली बाई था। इनकी माता एक धार्मिक महिला थी नियमित तौर पर उपवास रखती थी। गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत में विश्वास रखने वाले परिवार में हुआ था। जैन धर्म का महात्मा गाँधी जी पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा जिस वजह से अहिंसा, सत्य जैसे व्यवहार स्वाभाविक रूप से गाँधी जी में बचपन से ही दिखने लगे थे। वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे, उनके 2 भाई और 1 बहन थी। गाँधी जी के पिता हिन्दू तथा मोढ़ बनिया जाति के थे। लोग गाँधीजी को प्यार से बापू कहते थे। साधारण जीवन उच्च विचार वाले बापू जी ने अंग्रेजी हुकूमत से अंतिम साँस तक अहिंसा की राह में चलते हुए संघर्ष किया। भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन में हर तबके के लोगों को अपने साथ जोड़कर भारत को आज़ादी दिलाने में गाँधी जी ने अहम योगदान दिया है। ये भी पढ़ें: - शिक्षक दिवस पर भाषण

महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi 200 words)

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): गांधी जयंती महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाने वाला एक अवसर है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था। स्मारक सेवाएं इसे चिह्नित करती हैं, और पूरे भारत में श्रद्धांजलि दी जाती है, जिसमें उन प्रसिद्ध स्थानों को शामिल किया गया है जहां उनका दौरा किया गया था और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। गांधी जी हमारे देश के राष्ट्रपिता और बापू के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। वो एक सच्चे देशभक्त नेता थे और अहिंसा के पथ पर चलते हुए पूरे देश का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेतृत्व किया। गांधी जी के अनुसार ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने के लिये अहिंसा, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता ही एकमात्र हथियार था। गांधी जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा था हालांकि देश को आजादी मिलने तक उन्होंने अपने अहिंसा आंदोलन को जारी रखा था। उनका विश्वास हमेशा सामाजिक समानता में था और वह अस्पृश्यता के भी खिलाफ थे। देश की राजधानी नई दिल्ली में गांधीजी की समाधि या राजघाट पर बहुत सी तैयारियों के साथ गांधी जयंती मनायी जाती है। राजघाट के समाधि स्थल को फूलों की माला से सजाया जाता है और गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। समाधि पर सुबह के समय धार्मिक प्रार्थना भी रखी जाती है। इसे पूरे देशभर में स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थियों के द्वारा राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित नाट्य ड्रामा, कविता व्याख्यान, गायन, भाषण, निबंध लेखन आदि प्रतियोगिताएं भी होती हैं। महात्मा गांधी की याद में लोग गांधी जी का सबसे प्रिय गीत “रघुपति राघव राजा राम” भी गाते हैं। ये भी पढ़ें- हिंदी दिवस पर निबंध

गांधी जयंती पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi in 500+ words)

मोहनदास करमचंद गांधी.

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti) - मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म भारत के पोरबंदर, कंथियावाड़ में पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी और उनकी चौथी पत्नी पुतलीबाई के घर हुआ था। 1882 में उन्होंने कस्तूरबाई माकनजी से शादी की, जिनसे उनके पांच बच्चे हुए। गांधीजी ने 1887 में सामलदास कॉलेज, भाऊनगर में दाखिला लिया, लेकिन एक सत्र के बाद छोड़ दिया। हालाँकि, उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए लंदन जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और वह 4 सितंबर 1888 को लंदन के लिए रवाना हो गए।

गांधी जयंती

भारत में प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन वर्ष 1869 को गांधीजी का जन्म हुआ था। हमारे देश की आजादी में राष्ट्रपिता का योगदान सबसे अहम था, इसीलिए हर साल उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय उत्सव और अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन सरकारी छुट्टी होती है। इस अवसर पर स्कूलों और सरकारी संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में तो खासतौर से निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। सभी सरकारी जगहों पर गांधीजी को श्रद्धांजलि दी जाती है। गांधी जयंती पर लोग गांधी जी के आदर्शों के महत्त्व को समझते हुए अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं।

देश की आजादी में गांधीजी का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर ही ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद करवाया। गांधी जी ने न सिर्फ देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई बल्कि वह भारत के साथ कई अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए। गांधी जी ने 4 महादेशों और 14 देशों में लोगों को नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरित करने का काम भी किया, तो वहीं भारत में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों की शुरुआत की। देश की आजादी के लिए गांधी जी हमेशा आगे रहे और हर भारतीय की आवाज़ बने। गांधी जी का सपना न केवल देश की आजादी था बल्कि वह देश को भी एकता के सूत्र में बंधा हुआ देखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की। ये  भी पढ़ें - दशहरा पर निबंध

गांधीजी के अनुसार मन, वचन और शरीर से किसी को भी दु:ख न पहुँचाना ही अहिंसा है। गांधीजी के विचारों का मूल लक्ष्य सत्य एवं अहिंसा के माध्यम से विरोधियों का हृदय परिवर्तन करना है। अहिंसा का अर्थ ही होता है प्रेम और उदारता की पराकाष्ठा। गांधी जी व्यक्तिगत जीवन से लेकर वैश्विक स्तर पर ‘मनसा वाचा कर्मणा’ अहिंसा के सिद्धांत का पालन करने पर बल देते थे। आज के संघर्षरत विश्व में अहिंसा जैसा आदर्श अति आवश्यक है। गांधी जी बुद्ध के सिद्धांतों का अनुगमन कर इच्छाओं की न्यूनता पर भी बल देते थे।

महात्मा गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे। सत्य की राह में चलते हुए अहिंसात्मक रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य पद्धतियों को उन्होंने सत्याग्रह नाम दिया था।उनके द्वारा सत्याग्रह का अर्थ अन्याय, शोषण, भेदभाव, अत्याचार के खिलाफ शांत तरीकों से बिना किसी हिंसा के अपने हक़ के लिए लड़ना था। गाँधी जी द्वारा चम्पारण और बारदोली सत्याग्रह किये गए जिसका उद्देश्य अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार और अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ लड़ना थाकई बार इन सत्याग्रह के दौरान महात्मा गाँधी जी को जेल जाना पड़ा था। अपने सत्याग्रह में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन का समय-समय पर प्रयोग किया।

स्वदेशी आन्दोलन

स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत बंगाल विभाजन के विरोध में हुई थी और इस आन्दोलन की औपचारिक शुरुआत कलकत्ता के टाउन हॉल में 7 अगस्त ,1905 को एक बैठक में की गयी थी। इसका विचार सर्वप्रथम कृष्ण कुमार मित्र  के पत्र संजीवनी में 1905 ई. में प्रस्तुत किया गया था। इस आन्दोलन में स्वदेशी नेताओं ने भारतियों से अपील की कि वे सरकारी सेवाओं,स्कूलों,न्यायालयों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें और स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहित करें व राष्ट्रीय कोलेजों व स्कूलों की स्थापना के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहित करें। अतः ये केवल राजनीतिक आन्दोलन ही नहीं था बल्कि आर्थिक आन्दोलन भी था।

स्वदेशी आन्दोलन को अपार सफलता प्राप्त हुई थी। बंगाल में जमींदारों तक ने इस आन्दोलन में भाग लिया था। महिलाओं व छात्रों ने पिकेटिंग में भाग लिया। छात्रों ने विदेशी कागज से बनी पुस्तकों का बहिष्कार किया। बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय, बिपिन चन्द्र पाल और अरविन्द घोष जैसे अनेक नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया। अनेक भारतीयों ने अपनी नौकरी खो दी और जिन छात्रों ने आन्दोलन में भाग लिया था उन्हें स्कूलों व कालेजों में प्रवेश करने रोक दिया गया। आन्दोलन के दौरान वन्दे मातरम को गाने का मतलब देशद्रोह था। यह प्रथम अवसर था जब देश में निर्मित वस्तुओं के प्रयोग को ध्यान में रखा गया।

खिलाफत आन्दोलन

प्रथम विश्व युद्ध के बाद खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई। असहयोग भारत (नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट) और खिलाफत आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात भारत में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ अनेक आंदोलन किये थे, जिसमें 1919 से 1922 तक दो महत्वपूर्ण आंदोलन खिलाफत आंदोलन एवं असहयोग आंदोलन चलाये गये थे। खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य तुर्की के खलीफा पद को पुनः स्थापित करना था। खिलाफत आंदोलन 1919 से 1924 तक चला था। हालाँकि इस आंदोलन का सीधा सम्बन्ध भारत से नहीं था। इस का प्रारम्भ 1919 में अखिल भारतीय कमिटी का गठन करके किया गया था। अखिल भारतीय कमिटी का गठन अली बंधुओं द्वारा किया गया था।

अंत्योदय एक ऐसा मिशन था जो गांधीजी के दिल के करीब था। अंत्योदय शब्द का अर्थ है " अंतिम व्यक्ति का उत्थान " या सबसे निराश, सबसे गरीब वर्ग के लोगों के उत्थान की दिशा में काम करना, जो कि बापू के अनुसार, केवल सर्वोदय द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है, अंत्योदय द्वारा सभी का विकास।

सात्विक आहार

महात्मा गांधी सात्विक खाने में विश्वास रखते थे। गुस्सा दिलाने वाले खाने से वह परहेज करते थे इसलिए हरी सब्जियों की मात्रा खाने में रखते थे। उबली हुई सब्जियों को बिना नमक के साथ खाना उनकी आदतों में रहा है। चुकंदर बैंगन भी उबालकर गांधी जी अपनी डाइट में लेते थे। सादा खाना उनकी पसंद हमेशा से रहा था, इसी क्रम में उन्होंने दाल और चावल को अपनी डाइट का हिस्सा बनाया था। दाल और चावल भी सात्विक खाने का प्रतीक होता है। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अच्छी होती है।

महात्मा गाँधी के साथ चरखे का नाम भी विशेषतौर पर जोड़ा जाता है। भारत में चरखे का इतिहास बहुत प्राचीन होते हुए भी इसमें उल्लेखनीय सुधार का काम महात्मा गाँधी के जीवनकाल का ही मानना चाहिए। सबसे पहले सन 1908 में गाँधी जी को चरखे की बात सूझी थी, जब वे इंग्लैंड में थे। उसके बाद वे बराबर इस दिशा में सोचते रहे। वे चाहते थे कि चरखा कहीं न कहीं से लाना चाहिए। गाँधी जी ने चरखे की तलाश की थी। एक गंगा बहन थीं, उनसे उन्होंने चरखा बड़ौदा के किसी गांव से मंगवाया था। इससे पहले गाँधी जी ने चरखा कभी देखा भी नहीं था, सिर्फ उसके बारे में सुना था। बाद में उस चरखे में उन्होंने काफ़ी सुधार भी किए। दरअसल गाँधी जी के चरखे और खादी के पीछे सेवा का भाव था। उनका चरखा एक वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था का प्रतीक भी था। महिलाओं की आर्थिक स्थिति के लिए भी, उनकी आजादी के लिए भी। आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भी और उस किसान के लिए भी, जो 6 महीने ख़ाली रहता था।

हालाँकि स्वराज शब्द का अर्थ स्वशासन है, लेकिन गांधीजी ने इसे एक ऐसी अभिन्न क्रांति की संज्ञा दी जो कि जीवन के सभी क्षेत्रों को समाहित करती हैगांधी जी के लिये स्वराज का अर्थ व्यक्तियों के स्वराज (स्वशासन) से था और इसलिये उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिये स्वराज का मतलब अपने देशवासियों हेतु स्वतंत्रता है और अपने संपूर्ण अर्थों में स्वराज स्वतंत्रता से कहीं अधिक है। आत्मनिर्भर व स्वायत्त्त ग्राम पंचायतों की स्थापना के माध्यम से ग्रामीण समाज के अंतिम छोर पर मौजूद व्यक्ति तक शासन की पहुँच सुनिश्चित करना ही गांधी जी का ग्राम स्वराज सिद्धांत था। आर्थिक मामलों में भी गांधीजी विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था के माध्यम से लघु, सूक्ष्म व कुटीर उद्योगों की स्थापना पर बल देते थे। गांधी जी का मत था कि भारी उद्योगों की स्थापना के पश्चात् इनसे निकलने वाली जहरीली गैसें व धुंआ पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, साथ ही बहुत बड़े उद्योगों का अस्तित्व श्रमिक वर्ग के शोषण का भी मार्ग तैयार करता है। ये भी पढ़ें- दिवाली पर निबंध

महात्मा गांधी पर 10 लाइनों में निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi in 10 Lines)

  • महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
  • गाँधी जी का जन्म स्थान गुजरात का पोरबंदर शहर है।
  • गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतली बाई था।
  • महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
  • गाँधी जी का विवाह 15 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गाँधी जी से हुआ था।
  • गाँधी जी राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
  • गाँधी जी ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी।
  • महात्मा गाँधी जी गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना राजनितिक गुरु मानते थे।
  • गाँधी जी को बापू, महात्मा, राष्ट्रपिता आदि नामो से भी जाना जाता है।
  • 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के गाँधी जी को गोली मार उनकी हत्या कर दी थी ।

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Mahatma gandhi essay in hindi महात्मा गाँधी पर निबंध हिंदी में.

Hello, guys today we are going to discuss Mahatma Gandhi essay in Hindi. Who was Mahatma Gandhi? We have written an essay on Mahatma Gandhi in Hindi. Now you can take an example to write Mahatma Gandhi essay in Hindi in a better way. Mahatma Gandhi Essay in Hindi is asked in most exams nowadays starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Father of nation essay in Hindi or mahatma Gandhi Essay in Hindi. महात्मा गाँधी पर निबंध।

Hindiinhindi Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 300 Words

महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन को भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में बिताया था। महात्मा गांधी जी को भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और उनका जन्म 2 October 1869 में पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। 2 अक्टूबर का दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिये प्रेरित किया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए लोगो को प्रेरित किया। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यों के लिये याद करते है। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे और ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद (स्वतंत्र) कराना चाहते थे।

उन्होंने भारत में अपनी पढ़ाई पूरी की और कानून के अध्ययन के लिए इंग्लैंड चले गए। वहां से गाँधी जी एक वकील के रूप में भारत लौट आए और भारत में कानून का अभ्यास करना शुरू कर दिया। गाँधी जी भारत के लोगों को मदद करना करना चाहते थे, जो ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और दुखी थे। भारत में ही गाँधी जी एक सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।

महात्मा गाँधी जी भारत स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेता थे जो भारत की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष करते थे। उन्होंने 1930 में नमक सत्याग्रह या दंडी मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने और भी कई आन्दोलन किये। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए बहुत से भारतीयों को प्रेरित किया था।

एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में, उन्हें कई बार जेल भेज दिया गया था लेकिन कई भारतीयों के साथ उनके बहत सारे संघर्षों के बाद उन्होंने भारतीयों के न्यायसंगतता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखी, और अंत में महात्मा गाँधी और सभी स्वत्रंता सेनानियों की मदद से भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद (स्वतंत्र) हो गया। लेकिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। महात्मा गांधी की हत्या नथुराम गोडसे ने की थी। महात्मा गाँधी जी एक महान स्वत्रंता सेनानी थे। जिन्हें उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जायेगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 500 Words

2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने भारत को आज़ाद कराने के साथ-साथ भारतीयों को अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाया। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी भी थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए नोछावर कर दिया। महात्मा गांधी जी को भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। 2 अक्टूबर का दिन भारत में गाँधी जयंती के रूप में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

गांधीजी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की, 13 वर्ष की अल्पआयु में ही इनका विवाह हो गया था। इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था। मेट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद में वकालत की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए। वे तीन वर्ष तक इंग्लैंड में रहे। वकालत पास करने के बाद वे भारत वापस आ गए।

वहां से गाँधी जी एक वकील के रूप में भारत लौटे और भारत में कानून का अभ्यास करना शुरू कर दिया। गाँधी जी भारत के लोगों की मदद करना करना चाहते थे, जो ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और दुखी थी। भारत में ही गाँधी जी एक सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।

वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिये और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए लोगो को प्रेरित किया। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतल्य कार्यों के लिये याद करते है। वे भारतीय संस्कति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे और ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराना चाहते थे।

महात्मा गाँधी जी भारत स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेता थे जो भारत की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष करते थे। 1921 में गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन चलाया। गांधीजी ने अछूतों के उद्धार लिए कार्य किया, स्त्री शिक्षा और राष्ट्र भाषा हिंदी का प्रचार किया, हरिजनों के उत्थान के लिए काम किया। गांधी जी धीरे-धीरे सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध हो गये।

अंग्रेजी सरकार ने आन्दोलन को दबाने का प्रयास किया। भारतवासियों पर तरह-तरह के अत्याचार किये। गांधी जी ने 1930 में भारत छोड़ों आन्दोलन चलाया। भारत के सभी नर नारी उनकी एक आवाज पर उनके साथ बलिदान देने के लिए तैयार थे। उन्होंने और भी कई आन्दोलन किये। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए बहुत से आरतीयों को प्रेरित किया था।

गांधीजी को अंग्रेजों ने बहुत बार जेल में बंद किया था। लेकिन कई भारतीयों के साथ उनके बहुत सारे संघर्षों के बाद उन्होंने भारतीयों के न्यायसंगतता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखी, और अंत में महात्मा गाँधी और सभी स्वत्रंता सेनानियों की मदद से भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया। लेकिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। महात्मा गांधी की हत्या नथुराम गोडसे ने की थी। इससे सारा विश्व भावुक हो उठा।

महात्मा गाँधी जी एक महान स्वत्रंता सेनानी थे। जिन्हें उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 700 Words

जन्म और परिवार

गाँधी जी का पूरा नाम मोहन दास कर्म चन्द गाँधी था। इनका जन्म गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर 2 अक्तूबर 1869 ई. को हुआ। आपके पिता कर्मचन्द राजकोट राज्य के दीवान थे। माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव वाली महिला थी। इनका विवाह कस्तूरबा गाँधी जी के साथ हुआ।

प्रारम्भिक शिक्षा और नकल का विरोध

इनकी शिक्षा पोरबन्दर में हुई। मैट्रिक तक की शिक्षा उन्होंने स्थानीय स्कूलों में ही प्राप्त की। वह पढ़ने-लिखने में भी औसत दर्जे के थे। वे सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे।

जब मोहनदास नौवीं कक्षा में पढ़ते थे तब एक दिन शिक्षा विभाग के निरीक्षक स्कूल का निरीक्षण करने आए। उन्होंने कक्षा में छात्रों को अंग्रेजी के पाँच शब्द लिखवाए। मोहनदास ने ‘केटल’ (Kettle) शब्द की वर्तनी ग़लत लिखी। अध्यापक ने बूट की नोक मारकर इशारे से मोहनदास को अगले छात्र की नकल करने को कहा, लेकिन मोहनदास को यह बात अच्छी नहीं लगी। नकल करना और चोरी करना उनका नज़र में बुरी बात थी। इसलिए उन्होंने नकल नहीं की।

उन्हीं दिनों बालक मोहनदास ने सत्यवादी हरिश्चन्द्र नाटक देखा। नाटक का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा और जीवनभर सच्चाई के रस्ते पर ढृढ़ता से चले | बचपन में गाँधी जी के मन में एक ग़लत धारणा बैठ गई थी कि पढ़ाई में सुलेख की जरुरत नहीं है। युवावस्था में जब वे दुसरो की सुन्दर लिखाई देखते तो हैरान रह जाते। बार-बार प्रयत्न करने पर भी लिखाई सुन्दर न हो सकी। तब उन्हें यह बात समझ आई। ‘सन्दर लिखाई न होना अधूरी शिक्षा की निशानी है।’

मैट्रिक परीक्षा पास करने के पश्चात जब वे कानून की पढ़ाई करने इंग्लैंड गए तब इनकी माता ने इनसे तीन वचन लिए –

1. माँस न खाना 2. शराब न पीना 3. पराई स्त्री को बुरी नज़र से न देखना

तीनों वचनों को गाँधी जी ने पूरा जीवन निभाया। गाँधी जी वहाँ से एक अच्छे बैरिस्टर बनकर भारत लौटे। स्वदेश लौटने पर गाँधी जी ने मुम्बई और राजकोट में वकालत की।

सन् 1893 में वे एक मुकद्दमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए। वहाँ के गोरे शासकों द्वारा प्रवासी भारतीयों से कुलियों जैसा व्यवहार देखकर उनमें राष्ट्रीय भावना जागी।

1915 ई. में रौलेट एक्ट

आप भारत वापस लौटे तो काले कानून लागू थे। 1915 में रौलेट एक्ट का विरोध किया। सन् 1919 के जलियाँवाला काण्ड ने मानवता को झकझोर दिया। स्वदेश लौटने पर गाँधी जी ने अपने आपको देश सेवा के लिए सौंप दिया।

1920 ई. में असहयोग आन्दोलन

1920 ई. में असहयोग आन्दोलन का सूत्रपात करके भारत की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा। कुछ ही दिनों में उनकी महानता की कीर्ति सारे देश में फैल गई। वे आज़ादी की आशा के केन्द्र बन गए।

1928 ई. में साइमन कमीशन वापिस जाओ

1928 ई. में साइमन कमीशन भारत आया तो गाँधी जी ने उसका पूर्ण रूप से बहिष्कार किया।

नमक सत्याग्रह आन्दोलन तथा डाँडी यात्रा

11 मार्च सन् 1930 में आपने नमक सत्याग्रह आन्दोलन तथा डाँडी यात्रा शुरू की। इन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए सत्य और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाया। सन् 1942 में आपने “अंग्रेज़ो भारत छोड़ो आन्दोलन” चला कर एक सूत्र में पिरो दिया। इन्होंने कई बार जेल यात्राएँ की। उन्होंने अपने, देशवासियों और देश के सम्मान की रक्षा के लिए अत्याचारी को खुल कर चुनौती दी। उन्होंने देश को असहयोग का नया रास्ता दिखाया। आठ वर्ष तक रंग-भेद के विरोध में सत्याग्रह करते रहे। भारत की सोई हुई आत्मा को जगाया। इसलिए इन्हें ‘राष्ट्रपिता’ या ‘बापू’ कहा जाता है।

गाँधी जी की तीन शिक्षाएं

बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो एवं बुरा मत बोलो काफ़ी प्रचलित हैं। जिन्हें बापू के तीन बन्दर के नाम से भी जाना जाता है।

संसार से विदाई : अहिंसा के पुजारी बापू गाँधी को 30 जनवरी, 1948 को प्रातः की सभा में जाते हुए एक उन्मादी नौजवान नत्थूराम विनायक गोडसे ने गोली मारकर शहीद कर दिया। इनकी समाधि राजघाट दिल्ली में स्थित है।

प्रेरणा स्रोत

आपके व्यक्तित्व में मुसीबतों को सहना प्रायश्चित करना, अहिंसा के मार्ग पर चलना, आचरण का ध्यान रखना आदि गुणों का समावेश था। संसार के अनेक नेताओं ने इन्हीं से प्रेरणा ली। इन्हीं गुणों के कारण ही वे महान बने और आज भी अमर हैं।

हमें भी गाँधी जी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए, उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। भारत हमेशा उनके द्वारा स्वतन्त्रता-संग्राम में किये योगदान के लिए सदैव उनका ऋणी रहेगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 800 Words

महात्मा गाँधी को ”बापू” के नाम से भी जाना जाता है। बापू का अर्थ है “पिता”। वे सच्चे अर्थों में राष्ट्र के पिता थे। उनको ‘‘महात्मा” कहकर सर्वप्रथम गरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पुकारा था। उन्होंने ही गाँधी जी को यह उपाधि उनके महान् गुणों और आदर्शों को ध्यान में रख कर प्रदान की थी। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर गाँधी जी का नाम सदैव अंकित रहेगा।‘बापू जी’ के नाम से विख्यात गाँधी जी एक युगपुरुष थे। वे हमारे देश के ही नहीं अपित विश्व के महान पुरूषों में से एक थे। राष्ट्र उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से संबोधित करता है।

महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। उनका जन्म 2 अक्तूबर 1869 ई० को पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गाँधी राजकोट के प्रसिद्ध दीवान थे। पढ़ाई में औसत रहने वाले गाँधी जी ने कानून की पढ़ाई ब्रिटेन में पूरी की। प्रारम्भ में मुम्बई में उन्होंने कानून की प्रैक्टिस की परन्तु वे इसमें सफल नहीं हो सके। कानून से ही सम्बन्धित एक कार्य के सिलसिले में उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ पर उनका अनुभव बहुत कटु था क्योंकि वहां भारतीयों तथा अन्य स्थानीय निवासियों के साथ अंग्रेज बहुत दुर्व्यवहार करते थे। भारतीयों की दुर्दशा को वे सहन नहीं कर सके। दक्षिण अफ्रीका के वर्णभेद और अन्याय के प्रति उन्होंने संघर्ष प्रारम्भ किया। इस संघर्ष के दौरान 1914 ई० में उन्हें जेल भेज दिया गया। वे अपने प्रयासों में काफी हद तक सफल रहे। जेल से छूटने के पश्चात् उन्होंने निश्चय किया कि वे अन्याय के प्रति अपना संघर्ष जारी रखेंगे।

देश वापस लौटने के पश्चात् गाँधी जी स्वतन्त्रता की लड़ाई में कूद पड़े। उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के पश्चात् अपनी लड़ाई तेज कर दी। गाँधी जी ने अंग्रेजी सरकार का बहिष्कार करने के लिए देश की जनता को प्रेरित किया परन्तु उन्होंने इसके लिए सत्य और अहिंसा का रास्ता अपनाने के लिए कहा। ऐतिहासिक डांडी यात्रा उन्हीं के द्वारा आयोजित की गई जिसमें उन्होंने अंग्रेजी सरकार के नमक कानून को तोड़ा। उन्होंने लोगों को अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए ‘असहयोग आंदोलन’ में भाग लेने हेतु प्रेरित किया जिसमें सभी विदेशी वस्तुओं एवं विदेशी शासन का बहिष्कार किया गया। 1942 ई. में उन्होंने ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ चलाया तथा अंग्रेजी सरकार को देश छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया। उनके अथक प्रयासों व कुशल नेतृत्व के चलते अंग्रेजी सरकार को अंततः भारत छोड़ना पड़ा और हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी दासता से मुक्त हो गया।

स्वतन्त्रता के प्रयासों के अतिरिक्त गाँधी जी ने सामाजिक उत्थान के लिए भी बहुत प्रयास किए। अस्पृष्यता तथा वर्ण-भेद का उन्होंने सदैव विरोध किया। समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष को देखकर उनका मन बहुत दु:खी हुआ। अतः उन्होंने हिन्दुस्तान के विभाजन की स्वीकृति दे दी जिससे पाकिस्तान का उदय हुआ। 30 जनवरी 1948 ई. को नत्थू राम गौडसे नामक व्यक्ति द्वारा उनकी हत्या कर दी गई। इस प्रकार यह युगपुरुष चिरकाल के लिए मातृभूमि की गोद में सो गया।

गाँधी की अचानक मृत्यु व हत्या ने सारे देश के झकझोर दिया। सब जगह जैसे अंधकार व हाहाकार मच गया। यद्यपि गाँधी जी आज पार्थिव रूप में हमारे साथ नहीं है। परन्तु उनके महान् आदर्श हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे। वे सचमुच एक तपस्वी और निष्काम कर्मयोगी थे। आज भी भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व उनके शांति प्रयासों के लिए उन्हें सदैव याद करता है। प्रतिवर्ष 2 अक्तूबर के दिन हम गाँधी जयंती के रूप में पर्व मनाकर उनका स्मरण करते हैं तथा उनकी समाधि ‘राजघाट’ पर जाकर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।

हमें गर्व है कि महात्मा गाँधी एक भारतीय थे। उनका जीवन व आदर्श हमेशा हमें प्रेरणा देते रहेंगे। उनके बताये मार्ग पर चलकर ही भारत सच्चे अर्थों में महान् बन सकता है। उनका मृत्यु-दिवस 30 जनवरी प्रति वर्ष बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सारे देश में प्रार्थना सभाएं की जाती हैं और उनको बड़ी श्रद्धा से याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है।

गाँधीजी एक युग पुरूष थे। ऐसे व्यक्ति कई सदियों में जन्म लेते हैं और मानवता को सही दिशा प्रदान करते हैं। उनकी याद में अनेक शहरों, सड़कों, राजमार्गों, विद्यालयों, संस्थानों आदि का नामकरण उनके नाम पर किया गया है। गाँधी जयंती भी सारे देश में बड़े समारोह पूर्वक मनाई जाती है। उस दिन सारे देश में सार्वजनिक अवकाश रहता है। दिल्ली में यमुना के तट पर गाँधीजी की समाधि है। जहां प्रतिदिन हजारों लोग दर्शन करने आते हैं और गाँधीजी के जीवन से प्रेरणा और शिक्षा प्राप्त करते हैं। गाँधीजी की समाधि सचमुच एक राष्ट्रीय स्मारक है।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 1300 Words

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल ।। साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल ॥

भूमिका –

किसी राष्ट्र की संस्कृति और इतिहास का गौरव वे महान् व्यक्तित्व होते हैं जो अखिल विश्व को अपने सिद्धान्त और विचारधारा से सुख और शान्ति, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाते हैं। ऐसे व्यक्तित्व केवल अपने जीवन के लिए ही नहीं जीते हैं; | अपितु वे अखिल मानवता के लिए जीते हैं। उनके जीवन का आदर्श होता हैं –

वृक्ष कबहुँ फल नाहिं भर्ख, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर॥

भारतीय ऐसे महामानव को अवतार कहने लगते हैं। पश्चिमी देशों में पैदा हुए ईसा, सुकरात, अब्राहम लिंकन ऐसे ही युगानुरूप महापुरुष थे। भारत में इस तरह के महान् पुरुषों ने अधिक जन्म लिया। राम, कृष्ण, गुरु नानक, स्वामी दयानन्द आदि महापुरुषों की गणना ऐसे ही महामानवों में की जा सकती है। ईसा धार्मिक थे पर राजनीतिक नहीं। अब्राहिम लिंकन राजनीतिक थे पर धार्मिक नहीं, पर महात्मा गांधी ऐसे महात्मा थे जो धार्मिक भी थे और राजनीतिक भी। शरीर से दुर्बल पर मन से सबल, कमर पर लंगोटी और ऊपर एक चादर ओढ़े हुए इस महामानव के चरणों की धूल को माथे पर लगाने में धनिक तथा राजा और महाराजा भी अपना सौभाग्य समझते थे। मुट्ठी भर हड्डियों के इस ढांचे में विशाल बुद्धि का सागर समाया हुआ था। तभी तो प्रसिद्ध विद्वान् आईंस्टीन ने कहा था, “आने वाली पीढ़ियों को विश्वास नहीं होगा कि एक हाड़-मांस के पुतले ने बिना एक बूंद खून गिराए अहिंसा और सत्य का सहारा लेकर ब्रिटिश साम्राज्य की जड़े हिला दीं और उन्हें भारत से जाने के लिए विवश कर दिया।”

जीवन परिचय –

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर सन् 1969 ई. में काठियावाड़ की राजकोट रियासत में पोरबन्दर में हुआ। पिता कर्मचन्द राजकोट रियासत के दीवान थे तथा माता पुतलीबाई धार्मिक प्रवृत्ति की सती-साध्वी घरेलु महिला थी जिनकी शिक्षाओं का प्रभाव बापू पर आजीवन रहा। आरम्भिक शिक्षा राजकोट में हुई। गांधी साधारण मेधा के बालक थे। विद्यार्थी जीवन की कुछ घटनाएँ प्रसिद्ध हैं—जिनमें अध्यापक के कहने पर भी नकल न करना, पिता की सेवा के प्रति मन में गहरी भावना का जन्म लेना, हरिश्चन्द्र आर श्रवण नाटकों की गहरी छाप, बरे मित्र की संगति में आने पर पिता के सामने अपने दोषो को स्वीकार करना। वास्तव में ये घटनाएँ बापू के भव्य जीवन की गहरी आधार शिलाएँ थी।

तेरह वर्ष की छोटी आयु में ही इनका विवाह कस्तूबरा के साथ हो गया था। मीट्रिक की शिक्षा के पश्चात् बैरिस्टरी पास करने के लिए विलायत गए। विलायत-प्रस्थान से पूर्व माँ ने अपने पुत्र से प्रतिज्ञा करवाई थी कि शराब, माँस तथा पर स्त्री से अपने को सदैव दूर रखेंगे और माँ के आज्ञाकारी पुत्र ने इन्हीं बुराइयों की अन्धी और गन्दी गलियों से अपने आप को बचा कर रखा।

सन् 1891 में बैरिस्टरी पास करके ये भारत लौटे तथा बम्बई में वकालत आरम्भ कर दी। लेकिन वकालत के भी अपने मूल्य थे – झूठे मुकद्दमें न लेना तथा गरीबों के लिए मुफ्त लड़ना। सन् 1893 में एक मुकद्दमें की पैरवी के लिए गांधी दक्षिणी अफ्रीका गए। मुकद्दमा तो आपने जीत लिया पर दक्षिणी अफ्रीका में गोरे-काले के भेदभाव को देखकर और भारतीयों पर होने वाले अत्याचारों से आपका मन बहुत खिन्न हुआ। आपने वहां सत्याग्रह चलाया और नटाल कांग्रेस पार्टी की स्थापना की। दक्षिणी अफ्रीका में गोरों ने उन्हें यातनाएं दीं। गांधी जी को मारा, उन पर पत्थर फेंके, उनकी पगड़ी उछाली, पर गांधी अपने इरादे से टस से मस न हुए। आखिर जब भारत लौटे तो गोरे-काले का भेद-भाव मिटा कर विजय वैजयन्ती फहराते हुए।

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में –

भारत में स्वतन्त्रता आन्दोलन की भूमिका बन रही थी। लोकमान्य तिलक का यह उद्घोष जन-मन के मन में बस गया था कि “स्वतन्त्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।” महात्मा गांधी ने भी इसी भूमिका में काम करना आरम्भ कर दिया। यह बात अलग है कि उनके दृष्टिकोण और तिलक के दृष्टिकोण में अन्तर था, पर लक्ष्य एक था। दोनों एक पथ के पथिक थे। फलत: सत्य और अहिंसा के बल पर महात्मा गांधी ने संवैधानिक रूप से अंग्रेज़ों से स्वतन्त्रता की मांग की। इधर विश्वव्यापी प्रथम युद्ध छिड़ा। अंग्रेज़ों ने स्वतन्त्रता देने की प्रतिज्ञा की और कहा कि युद्ध के पश्चात् हम स्वतन्त्रता दे देंगे। श्री तिलक आदि पुरुषों की इच्छा न रहते हुए भी महात्मा गांधी ने उस युद्ध में अंग्रेज़ों की सहायता की। युद्ध समाप्त हो गया, अंग्रेज़ वचन भूल गए। जब उन्हें याद दिलाया गया तब वे इन्कार कर गए। आन्दोलन चला, आज़ादी के बदले भारतीयों को मिला ‘रोलट एक्ट’ और ‘जलियांवाल बाग का गोली कांड’। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन आरम्भ हुआ।

विद्यार्थी और अध्यापक उस आन्दोलन में डटे, पर चौरा-चौरी के कांड़ से गांधी जी ने आन्दोलन वापस ले लिया। फिर नमक सत्याग्रह चला। ऐसे ही गांधी जी के जीवन में अनेक सत्याग्रह और उपवास चलते रहे। 1939 ई. में फिर युद्ध छिड़ा। भारत के न चाहते हुए इंग्लैंड ने भारत का नाम युद्ध में दिया। महात्मा गांधी बहुत छटपटाए। 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया। सभी प्रमुख राजनीतिक नेता जेलों में बन्द कर दिए गए। युद्ध की समाप्ति पर शिमला कान्फ्रेंस हुई पर यह कान्फ्रेंस बहुत सफल न हुई। फिर 1946 ई. में अन्तरिम सरकार बनी पर वह भी सफल न हुई।

असाम्प्रदायिक –

असल में महात्मा गांधी शुद्ध हृदय में असाम्प्रदायिक थे। उनके कार्य में रोड़ा अटकाने वाला था कट्टर साम्प्रदायिक मुस्लिम लीग का नेता कायदे आज़म जिननाह। गाँधी जी ने उसे अपने साथ मिलाने का भरसक प्रयत्न किया पर वही ढाक के तीन पात। अंग्रेज़ो के उकसाने के कारण जिन्ना टस से मस नहीं हुए। इधर भारत में साम्प्रदायिकता की होली खेली जाने लगी। हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। पंजाब और बंगाल में अमानुषिकता चरम सीमा तक पहुंच गई। इधर अंग्रेज़ भारत छोड़ने को तैयार नेहरू, पटेल आदि के आग्रह से, न चाहते हुए भी गांधी जी ने भारत विभाजन स्वीकार कर लिया और 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ों ने भारत छोड़ा अखण्ड नहीं, खण्डित करके। उसके दो टुकड़े कर दिए – भारत और पाकिस्तान। साम्प्रदायिकता की ज्वाला तब भी न बुझी। खून की होली तब भी बन्द न हुई। महात्मा गाँधी सब प्रान्तों में घूमे। इस साम्प्रदायिक ज्वाला को शान्त करते हुए देहली पहुँचे।

30 जनवरी, 1948 को जब गांधी जी बिरला मन्दिर से प्रार्थना सभा की ओर बढ़ रहे थे तो एक पागल नवयुवक ने उन्हें तीन गोलियों से छलनी कर दिया, बापू ‘राम-राम’ कहते हुए स्वर्ग सिधार गिए। अहिंसा का पुजारी आखिर हिंसा की बलि चढ़ा। सुधारक ऐसे ही मरा करते हैं। ईसा, सुकरात, अब्राहिम लिंकन ने भी ऐसे ही मृत्यु को गले लगाया था। नेहरू के शब्दों में बापू मरे नहीं, वह जो प्रकाश मानव के हृदय में रख गए, वह सदा जलता रहेगा, इसलिए वह सदा अमर हैं।

महात्मा गांधी का दर्शन और जीवन व्यावहारिक था। उन्होंने सत्ता और अहिंसा का मार्ग अश्व के सामने रखा वह उनके अनुभव और प्रयोग पर आधारित था। उनका चिंतन अखिल मानवता के मंगल और कल्याण पर आधारित था। वे एक ऐसे समाज की स्थापना करना शहते थे जो भेद-रहित समाज हो तथा जिसमें गुण और कर्म के आधार पर ही व्यक्ति को श्रेष्ठ माना जाए। भौतिक प्रगति के साथ-साथ बापू आध्यात्मिक पवित्रता पर भी बल देते रहे। यही कारण था कि वे ईश्वर के नाम के स्मरण को कभी नहीं भुलाते। उनका प्रिय भजन था –

“रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम” और “वैष्णव जन तो तेने रे कहिए। जिन पीर पराई जाणे रे॥”

आज समस्त विश्व में उनके चिंतन और दर्शन पर शोध-कार्य किया जाता है तथा उनके आदर्श और सिद्धान्त को विश्व-कल्याण के लिए अनिवार्य समझा जाता है। महात्मा गांधी विचारक तथा समाज सुधारक थे। उपदेश देने की अपेक्षा वे स्वयं उस मार्ग पर चलने पर विश्वास रखते थे। ईश्वर के प्रति उनकी अटूट आस्था थी और बिना प्रार्थना किए वे रात्रि सोते नहीं थे। उनका जीवन और दर्शन आज भी विश्व का मार्ग-दर्शन करता है।

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mahatma gandhi essay in hindi 100 words

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महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi  : दोस्तो आज हमने महात्मा गांधी पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

इस लेख के माध्यम से हमने एक Mahatma Gandhi जी के जीवन का और उनके आंदोलनों वर्णन किया है इस निबंध की सहायता से हम भारत के सभी लोगों को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और उनके विचारों के बारे में बताएंगे।

Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता माने जाते हैं उन्हें बच्चा-बच्चा बापू के नाम से भी जानता है। Mahatma Gandh i ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों से इन अहिंसा पूर्वक की लड़ाई लड़ी थी।

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनचंद करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

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महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के ही एक स्कूल में हुई थी और उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई करी थी। वहां पर उन्होंने देखा कि अंग्रेज लोग काले गोरे का भेद भाव करते हैं

और भारतीय लोगों से बर्बरता पूर्वक व्यवहार करते है। यह बात में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी इसके खिलाफ उन्होंने भारत आकर आंदोलन करने की ठानी।

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भारत आते ही Mahatma Gandhi ने गरीबों के लिए कई हिंसक आंदोलन किए और अंत में उन्होंने “भारत छोड़ो आंदोलन” प्रारंभ किया जिसके कारण हमारे देश को आजादी मिली थी।

भारत की आजादी के 1 साल बाद महात्मा गांधी जी की 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 400 Words

महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

Mahatma Gandhi का जन्म गुजरात राज्य के एक छोटे से शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो की अंग्रेजी हुकूमत में एक दीवान के रूप में कार्य करते थे।

उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि गृहणी थी वे हमेशा पूजा पाठ में लगी रखी थी इसका असर हमें गांधी जी का सीन देखने को मिला है वह भी ईश्वर में बहुत आस्था रखते है।

महात्मा गांधी के जीवन पर राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व का बहुत अधिक प्रभाव था इसी कारण उनका झुकाव सत्य के प्रति बढ़ता गया।

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Mahatma Gandhi का व्यक्तित्व है बहुत ही साधारण और सरल था इसका असर हमें उनके अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में देखने को मिलता है उन्होंने कभी भी हिंसात्मक आंदोलन नहीं किए हुए हमेशा अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार के रूप में काम में लेते थे।

उन्होंने अपना पूरा जीवन हमारे भारत देश के लिए समर्पित कर दिया था उन्हीं के अथक प्रयासों से हम आज एक आजाद देश में सुकून की सांस ले पा रहे है। महात्मा गांधी जी ने भारत में अपने जीवन का पहला आंदोलन चंपारण से प्रारंभ किया गया था

जिसका नाम बाद में चंपारण सत्याग्रह ही रख दिया गया था इस आंदोलन में उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था।

इसी प्रकार उन्होंने खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह (दांडी यात्रा) जैसे और भी आंदोलन किए थे जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे।

उन्होंने अपने जीवन का अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन किया था जो कि अंग्रेजों को मुझसे भारत को आजादी दिलाने के लिए हुआ था इसी आंदोलन के कारण हमें वर्ष 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी।

लेकिन गांधीजी भारत की इस आजादी को ज्यादा दिन देख नहीं पाए क्योंकि आजादी के 1 साल बाद ही नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत ही दुखद था इस दिन हमने एक महान व्यक्ति को खो दिया था।

नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या तो कर दी लेकिन उनके विचारों को नहीं दबा पाया आज भी उनके विचारों को अमल में लाया जाता है।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 1800 words

प्रस्तावना –

महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इसीलिए भारत में उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से पुकारा जाता है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित है। उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए भारत के लिए आंदोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत के लोगों को समर्पित कर दिया था इसी समर्पण की भावना के कारण उन्होंने भारत के लोगों के हितों के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन आंदोलन किए थे जिनमें वे पूरी तरह से सफल रहे थे। उनका अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुई।

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उनके सम्मान में पूरे विश्व भर में 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है और भारत में महात्मा गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

प्रारंभिक जीवन –

महात्मा गांधी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था उनके पिताजी करमचंद गांधी अंग्रेजी हुकूमत के दीवान के रूप में काम करते थे उनकी माताजी पुतलीबाई गृहणी थी वह भक्ति भाव वाली महिला थी जिन का पूरा दिन लोगों की भलाई करने में बीतता था।

जिसका असर हमें गांधी जी के जीवन पर भी देखने को मिलता है। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य की पोरबंदर शहर में हुआ था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । महात्मा गांधी की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही हुई थी।

Mahatma Gandhi बचपन में अन्य बच्चों की तरह ही शरारती थे लेकिन धीरे-धीरे उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती गई जिनके कारण उनके जीवन में बदलाव आना प्रारंभ हो गया था। उनका विवाह 13 साल की छोटी सी उम्र में ही कर दिया गया था उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था जिन्हें प्यार से लोग “बा” के नाम से पुकारते थे। उस समय बाल विवाह प्रचलन में था इसलिए गांधी जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था।

उनके बड़े भाई ने उनको पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेज दिया था। 18 वर्ष की छोटी सी आयु में 4 सितंबर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 में महात्मा गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास करके सुदेश आए और मुंबई में वकालत प्रारंभ कर दी।

अहिंसावादी जीवन का प्रारंभ –

महात्मा गांधी के जीवन में एक अनोखी घटना घटने के कारण उन्होंने अहिंसा वादी जीवन जीने का प्रण ले लिया था। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने 1899 के एंगलो बोअर युद्ध के समय स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर मदद की थी लेकिन इस युद्ध की विभीषिका को देख कर अहिंसा के रास्ते पर चलने का कदम उठाया था इसी के बल पर उन्होंने कई आंदोलन अनशन के बल पर किये थे जो कि अंत में सफल हुए थे।

उन्होंने ऐसे ही दक्षिण अफ्रीका के जोल विद्रोह के समय एक सैनिक की मदद की थी जिसे लेकर वे 33 किलोमीटर तक पैदल चले थे और उस सैनिक की जान बचाई थी। जिसे प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी के जीवन के प्रारंभ से ही रग-रग में मानवता और करुणा की भावना भरी हुई थी।

राजनीतिक जीवन का प्रारंभ –

दक्षिण अफ्रीका में जब गांधी जी वकालत की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उन्हें काले गोरे का भेदभाव झेलना पड़ा। वहां पर हमेशा भारतीय एवं काले लोगों को नीचा दिखाया जाता था। एक दिन की बात है उनके पास ट्रेन की फर्स्ट एसी की टिकट थी लेकिन उन्हें ट्रेन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया और उन्हें मजबूरी में तृतीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी।

यहां तक कि उनके लिए अफ्रीका के कई होटलों में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। यह सब बातें गांधीजी के दिल को कचोट गई थी इसलिए उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया ताकि वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटा सके।

भारत में महात्मा गांधी का प्रथम आंदोलन –

महात्मा गांधी जी का भारत में प्रथम आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ का क्योंकि अंग्रेजों ने किसानों से खाद्य फसल की पैदावार कम करने और नील की खेती बढ़ाने को जोर दे रहे थे और एक तय कीमत पर अंग्रेजी किसानों से नील की फसल खरीदना चाहते थे।

इसके विरोध में Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1917 में चंपारण नाम के गांव में आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी गांधीजी मानने को तैयार नहीं थे अंत में अंग्रेजों को गांधी जी की सभी बातें माननी पड़ी। बाद में इस आंदोलन को चंपारण आंदोलन के नाम से जाना गया।

इस आंदोलन की सफलता से गांधीजी में और विश्वास पैदा हुआ और उन्होंने जान लिया था कि अहिंसा से ही वे अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ सकते है।

खेड़ा सत्याग्रह –

खेड़ा आंदोलन में Mahatma Gandhi ने किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ही किया था। वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नाम के गांव में भयंकर बाढ़ आई थी जिसके कारण किसानों की सारी फसलें बर्बाद हो गई थी और वहां पर भयंकर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

इतना सब कुछ होने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के अफसर करो (Tax) में छुट नहीं करना चाहते थे। वह किसानों से फसल बर्बाद होने के बाद भी कर वसूलना चाहते थे। लेकिन किसानों के पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था तो किसानों ने यह बात गांधी जी को बताई।

गांधीजी अंग्रेजी हुकूमत के इस बर्बरता पूर्वक निर्णय से काफी दुखी हुए फिर उन्होंने खेड़ा गांव से ही अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा पूर्वक आंदोलन छेड़ दिया। महात्मा गांधी के साथ आंदोलन में सभी किसानों ने हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने खेड़ा के किसानों का कर (Tax) माफ कर दिया। इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना गया।

असहयोग आंदोलन –

अंग्रेजी हुकूमत के भारतीयों पर बर्बरता पूर्ण जुल्म करने और जलियांवाला हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी जी को समझ में आ गया था कि अगर जल्द ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ नहीं किया गया तो यह लोग भारतीय लोगों को अपनी क्रूर नीतियों से हमेशा खून चूसते रहेंगे।

महात्मा गांधी जी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था जिसके बाद वर्ष 1920 में Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दी । इस आंदोलन के अंतर्गत गांधी जी ने सभी देशवासियों से निवेदन किया कि वे विदेशी वस्तुओं का उपयोग बंद कर दें और स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं।

इस बात का लोगों पर इतना असर हुआ कि जो लोग ब्रिटिश हुकूमत के अंदर काम करते थे उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा देना चालू कर दिया था। सभी लोगों ने अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी सूती वस्त्र पहने लगे थे।

इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे। लेकिन आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था और चोरा चोरी जैसे बड़े कांड होने लगे थे जगह-जगह लूटपाट हो रही थी। गांधी जी का अहिंसा पूर्ण आंदोलन हिंसा का रुख अपना रहा था। इसलिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें 6 वर्ष की जेल की सजा भी हुई थी।

नमक सत्याग्रह –

ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता दिन प्रतिदिन भारतीयों पर बढ़ती ही जा रही थी। ब्रिटिश हुकूमत ने नया कानून पास करके नमक पर अधिक कर लगा दिया था। जिसके कारण आम लोगों को बहुत अधिक परेशानी हो रही थी।

नमक पर अत्यधिक कर लगाए जाने के कारण महात्मा गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नमक पर भारी कर लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा प्रारंभ की जो कि 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के दांडी नामक गांव में समाप्त हुई।

इस यात्रा में गांधी जी के साथ हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। दांडी गांव पहुंचकर गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के कानून की अवहेलना करते हुए खुद नमक का उत्पादन किया और लोगों को भी स्वयं नमक के उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस आंदोलन की खबर देश विदेश में आग की तरह फैल गई थी जिसके कारण विदेशी देशों का भी ध्यान इस आंदोलन की तरफ आ गया था यह आंदोलन गांधी जी की तरफ से अहिंसा पूर्वक लड़ा गया था जो कि पूर्णत: सफल रहा। इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है।

नमक आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत विचलित हो गई थी और उन्होंने इस आंदोलन में सम्मिलित होने वाले लोगों में से लगभग 80000 लोगों को जेल भेज दिया था।

भारत छोड़ो आंदोलन –

महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत को भारत से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया । इस आंदोलन की नींव उसी दिन पक्की हो गई थी जिस दिन गांधी जी ने नमक आंदोलन सफलतापूर्वक किया था।

उन्हें विश्वास हो गया था कि अंग्रेजों को अगर भारत से बाहर क देना है तो उसके लिए अहिंसा का रास्ता ही सबसे उत्तम रास्ता है। महात्मा गांधी ने यह आंदोलन कब छेड़ा जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और ब्रिटिश हुकूमत अन्य देशों के साथ युद्ध लड़ने में लगी हुई थी।

द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण अंग्रेजों की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही थी उन्होंने भारतीय लोगों को लिखते विश्वयुद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया। लेकिन भारतीय लोगों ने उन्हें नित्य विश्वयुद्ध से अलग रखने पर जोर दिया।

बाद में ब्रिटिश हुकूमत के वादा करने पर भारतीय लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया। ब्रिटिश हुकूमत ने वादा किया था कि वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को स्वतंत्र कर देंगे। यह सब कुछ भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव के कारण ही हो पाया और वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई।

महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन पूर्ण रूप से सफल रहा। इसकी सफलता का श्रेय सभी देशवासियों को भी जाता है क्योंकि उन्हीं की एकजुटता के कारण इस आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई और अंत में सफलता प्राप्त हुई।

उपसंहार –

Mahatma Gandhi बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे वे हमेशा सत्य और अहिंसा में विश्वास रखते थे। उन्होंने हमेशा गरीब लोगों का साथ दिया था। जब देश में जाति, धर्म और अमीर गरीब के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा था तब गांधी जी ने ही गरीबों को साथ लेते हुए उन्हें “हरिजन” का नाम लिया और इसका मतलब भगवान के लोग होता है।

उनके जीवन पर भगवान बुद्ध के विचारों का बहुत प्रभाव था इसी कारण उन्होंने अहिंसा का रास्ता बनाया था। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी। उन्होंने भारत देश के लिए जो किया है उसके लिए धन्यवाद सब बहुत कम है।

हमें उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए आज लोग एक दूसरे से छोटी छोटी बात पर झगड़ा करने लगते हैं और हर एक छोटी सी बात पर लाठी और बंदूके चलाने लगते है। गांधी जी ने कहा था कि जो लोग हिंसा करते हैं वे हमेशा नफरत और गुस्सा दिलाने की कोशिश करते है। गांधीजी के अनुसार अगर शत्रु पर विजय प्राप्त करनी है तो हम अहिंसा का मार्ग भी अपना सकते है। जिसको अपनाकर गांधी जी ने हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाई थी।

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10 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi”

Rohit ji app ne sahi bola

apke essay ka koi app hai महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रवीण विश्नोई जी, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे

Bhut Accha laga ye padh ke or hame ghadhi Ji ke bare me kafi jankari basil hui or isko Yaar Karna bhi easy hoga kyoki ye saral shbdo me tha or aasha karte he ese hi hame Jo chaye wo ese hi mile

Nishat khan ji, hum aap ko aise hi saral bhasha me content dete rahnge. Parsnsha ke liye aap ka bhut bhut Dhanyawad.

Mahatma Gandhi the legend me hamare liye kya kuch nhi kiya par tabh bhi kuch log unhe abhi bhi Bura Bolte h

Arti Nanda ji aap ne sahi bola aap chahe kitne bhi sahi hi log kuch na kuch to kahe ge, log to bhagvaan ko bhi dosh dete hai gandhi ji to bhi insaan the.

Mahatma gandhi bhale hee kyu na rahe lakin us kee yad aabhi bhee ham sab ke dilo dimag mai hai

Rohit ji app ne sahi bola, Mahatma gandhi ji ke vichar aaj bhi hamare saath hai.

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Nibandh

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - गाँधी जी का जन्म - उनका प्रारंभिक शिक्षा - उनका राजनीति में प्रवेश - स्वतंत्रता प्राप्ति - उपसंहार।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत के ही नहीं बल्कि संसार के महान पुरुष थे। वे आज के इस युग की महान विभूति थे। महात्मा गांधी जी सत्य और अहिंसा के अनन्य पुजारी थे और अहिंसा के प्रयोग से उन्होंने सालों से गुलाम भारतवर्ष को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करवाया था। विश्व में यह एकमात्र उदाहरण है कि गांधी जी के सत्याग्रह के समक्ष अंग्रेजों को भी झुकना पड़ा।

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था। गांधी जी के पिता का नाम करमचन्द गांधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई गांधी था। मोहनदास जी अपने पिता जी की चौथी पत्नी की आखिरी संतान थे।

गांधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई थी। गांधी जी जब 13 साल की उम्र के थे और स्कूल में पढ़ते थे तब उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा देवी जी से हुआ था। अपनी कक्षा में वे एक साधारण विद्यार्थी थे। गाँधी जी अपने सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे लेकिन अपने शिक्षकों का पूरा आदर करते थे। गाँधी जी ने मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी। गाँधी जी औसत विद्यार्थी थे हालाँकि उन्होंने कभी-कभी पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती हैं लेकिन गाँधी जी पढाई और खेल में तेज नहीं थे।

गाँधी जी शुरू से ही सत्यवादी और मेहनती थे। गाँधी जी कभी कोई बात नहीं छिपाते थे। गाँधी जी की माता उन्हें बचपन से ही धर्म-कर्म की शिक्षा देती थीं जिससे वे विद्यालय में भी एक विनम्र विद्यार्थी थे। गाँधी जी झगड़ा, शरारत और उछल-कूद आदि से दूर रहते थे। एक बालक का इतना विनम्र रहना उचित नहीं था लेकिन गाँधी जी में ये सभी संस्कार जन्मजात थे।

जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे तो उस समय भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन चल रहा था। सन् 1915 में गाँधी जी भारत लौटे थे। उन दिनों में गोपाल कृष्ण गोखले जी कांग्रेस के गणमान्य सदस्य थे। गोपाल कृष्ण गोखले जी की अपील पर गाँधी जी कांग्रेस में शामिल हुए थे और पूरे भारत का भ्रमण किया था। गाँधी जी ने जब देश की बागडोर को अपने हाथों में लिया था तो देश में एक नए इतिहास का सूत्रपात हुआ था। गाँधी जी ने सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन की शुरुआत की थी। जब सन् 1928 में साइमन कमिशन भारत में आया था तो गाँधी जी ने उसका बहुत डटकर सामना किया था।

इसकी वजह से देशभक्तों को बहुत प्रोत्साहन मिला था। गाँधी जी द्वारा सन् 1930 में चलाये गये नमक आन्दोलन और दांडी यात्रा ने अंग्रेजों को पूरी तरह से हिला दिया था। गाँधी जी कांग्रेस के सक्रिय सदस्य होने की वजह से स्वतंत्रता आन्दोलन में कूद पड़े थे। उन दिनों में आन्दोलन की बागडोर तिलक जी के हाथ में थी। उनके साथ मिलकर ही गाँधी जी ने आन्दोलन को आगे बढ़ाया था।

गांधी जी को भारतीय इतिहास के युग पुरुष के रूप में हमेशा याद रखा जायेगा। आज सारा विश्व उन्हें श्रद्धा से नमन करता है। गांधी जी के जीवन पर अनेक भाषाओँ में फ़िल्में बनाई गईं जिससे आज का मानव उनसे प्रेरणा ले सके। गांधी जी के जन्मदिन को सारा संसार श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाता है। अमेरिका जैसे बड़े राष्ट्र ने भी अपने देश में 2 अक्टूबर को गांधी दिवस के रूप में मनाने की मान्यता दे दी है। युग-युग तक गांधी जी को बहुत याद किया जायेगा।

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Gandhi Jayanti Essay : स्टूडेंट्स ऐसे लिखें ‘गांधी जयंती’ पर निबंध

mahatma gandhi essay in hindi 100 words

  • Updated on  
  • सितम्बर 11, 2024

mahatma gandhi essay in hindi 100 words

महत्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधीजी के द्वारा किए गए कार्यों को याद करने के लिए इस दिन को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। गांधीजी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारत को स्वतंत्र कराने में अपने योगदान दिया था। महात्मा गांधी का मुख्य सिद्धांत अहिंसा था। पूरा देश इस दिन उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देता है। गांधी जयंती के अवसर पर छात्रों को Gandhi Jayanti Essay in Hindi लिखने के लिए दिया जाता है जिसके बारे में इस ब्लाॅग में विस्तार से बताया जा रहा है।

This Blog Includes:

गांधी जयंती पर 100 शब्दों में निबंध, गांधी जयंती पर 200 शब्दों में निबंध, गांधी जयंती पर 300 शब्दों में निबंध, गांधी जी का बचपन और शिक्षा, गांधीजी द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलन , गांधीजी की स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका, गांधी जयंती पर 10 लाइन्स.

Gandhi Jayanti Essay in Hindi 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार है:

भारत में गांधी जयंती 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। इस दिन गांधी जी का जन्म हुआ था। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान का सम्मान करने और उन्हें याद करने के लिए हम इस दिन को मनाते हैं। महात्मा जयंती के दिन स्कूल और आधिकारिक संस्थान कार्यक्रम आयोजित करते हैं। गांधी जी सत्याग्रह में विश्वास करते थे। गांधी जयंती स्वच्छ भारत के सिद्धांत को भी रेखांकित करती है। 2014 में, भारत सरकार ने देश में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ भारत अभियान यानी स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था। यह आंदोलन महात्मा गांधी की शिक्षाओं का पालन करने के लिए शुरू किया गया था। 

Gandhi Jayanti Essay in Hindi 200 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

भारत में हर साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। 2 अक्टूबर के दिन भारत में राष्ट्रीय अवकाश होता है। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में नामित किया है क्योंकि महात्मा गांधी अहिंसा के प्रतीक माने जाते हैं। महात्मा गांधी के द्वारा दी गई शिक्षाओं को आज भी पूरी दुनिया मानती है। उन्होंने दो आंदोलनों ‘स्वदेशी आंदोलन’ और ‘सत्याग्रह आंदोलन’’ का स्वतंत्रता संग्राम में नेतृत्व किया था। गांधी जयंती स्कूलों, कॉलेजों, कार्यालयों और पूरे देश में मनाई जाती है। इस दिन भारत को स्वतंत्र बनाने के लिए महात्मा गांधी के द्वारा की गई कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों के बारे में लोगों को बताया जाता है। महात्मा गांधी स्वदेशी की अवधारणा में भी बहुत विश्वास करते थे। आज वर्तमान में भारत फिर से वैश्विक स्तर पर आत्मनिर्भर बनने के लिए इस अवधारणा को अपनाने की कोशिश कर रहा है। गांधीजी ने अफ्रीका से कानून की शिक्षा प्राप्त की थी और वे सामाजिक उद्देश्य से भारत वापस आए थे। गांधी जयंती के दिन छात्र उनकी शिक्षाओं का पालन करने की शपथ लेते हैं और उनके जन्मदिन को मनाने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ करते हैं।

Gandhi Jayanti Essay in Hindi 300 शब्दों में निबंध निम्न प्रकार से है:

प्रतिवर्ष गांधी जयंती 2 अक्टूबर के दिन मनाई जाती है। इस दिन पूरे विश्व में विश्व अहिंसा दिवस भी मनाया जाता है। महत्मा गांधी ने शांति, अहिंसा और सामाजिक न्याय का प्रचार किया था। गांधी जयंती को भारत के साथ साथ दुनिया के बड़े हिस्सों में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। महत्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। महत्मा गांधी को प्यार से गांधीजी कहा जाता था। महत्मा गांधी ने अपना सम्पूर्ण सादगी और विनम्रता के साथ व्यतीत किया था। जब वे दक्षिण अफ्रीका में थे तब उन्हे लोगों के साथ होने वाले नस्लीय भेदभाव और अन्याय के बारे में पता चला। इस अनुभव से सामाजिक सेवा के लिया प्रेरित हुए थे। 

गांधीजी जी ने अपना जीवन अहिंसक प्रतिरोध के प्रति समर्पित कर दिया था। उनका मानना था कि सत्य और अहिंसा के बल पर किसी भी मुश्किल का सामना किया जा सकता है। महत्मा गांधी ने अपने जीवन में कई आंदोलन किए थे उनमें चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, दलित आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन प्रमुख हैं। उन्होंने इन आंदोलनों को बहिष्कार और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन वाले एक जन आंदोलन में बदल दिया। नमक मार्च के समय गांधीजी में 240 मील की यात्रा की और नमक के उत्पादन पर ब्रिटिश सरकार का जो एकाधिकार था उसका विरोध किया था। गांधीजी अहिंसक विरोध के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। गांधी जयंती राष्ट्रीय अवकाश होने के साथ चिंतन और स्मरण का दिन भी है। इस दिन सभी लोगों को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने चाहिए। इसके साथ उनके द्वारा दिए गए सत्य, अहिंसा और सामाजिक सद्भाव के मूल्यों पर भी विचार करना चाहिए। 

गांधीजी के विचारों से कई लोग प्रभावित हुए थे, जिनमें मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला जैसे नेताओं को शांति और न्याय के लिए प्रेरित किया है। गांधी जयंती के दिन हमें गांधी जी के जीवन और शिक्षाओं का सम्मान करना चाहिए। वर्तमान दुनिया में जहां भी लोगों के साथ अन्याय किया जाता है, वहां हमें उनके संदेशों की प्रेरणा देनी चाहिए। 

यह भी पढ़ें: महत्मा गांधी पर निबंध

गांधी जयंती पर 500 शब्दों में निबंध

Gandhi Jayanti Essay in Hindi 500 शब्दों में निबंध इस प्रकार है:

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले महात्मा गांधी को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया था। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है। उनके द्वारा अपनाई गई सादगी, आत्मसंयम और संघर्ष की राह ने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई, बल्कि पूरी दुनिया को भी अहिंसक संघर्ष के महत्व से अवगत कराया। गांधी जी ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी, जिसमें उन्होंने देश के हर वर्ग, जाति और धर्म के लोगों को एकजुट कर उनके भीतर आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता का भाव जागृत किया।

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी के पिता पोरबंदर में राज दीवान थे। गांधीजी के बचपन का नाम मोनिया था। अपने बचपन में गांधीजी को खेलने और घूमने फिरने में बहुत आनंद आता था। गांधी जी में ईमानदारी उनके बचपन से ही थी। वे पढ़ाई में इतने अच्छे नहीं थे लेकिन मेहनत बहुत अधिक करते थे। महज 13 वर्ष की उम्र में गांधीजी की शादी कर दी गई थी। उन्होंने अपने आत्मकथा में बताया है की उस समय उन्हें और उनकी पत्नी कस्तूरबा को शादी के बारे में भी पता नहीं था। 9 वर्ष की उम्र में गांधीजी ने राजकोट के एक स्थानीय स्कूल में प्रवेश लिए था। इसके बाद 11 वर्ष की आयु वे राजकोट के एक हाई स्कूल में गए थे। शादी की वजह से बीच में एक वर्ष तक उनकी पढ़ाई नहीं हो पाई। स्कूली शिक्षा पूर्ण होने के बाद वर्ष 1888 में वे भावनगर में सामलदास कॉलेज में गए। सामलदास कॉलेज में अपनी पढ़ाई की असंतुष्टि के कारण गांधीजी उसे छोड़ कर वर्ष 1888 में ही कानून की पढ़ाई करने के लिए लंदन चले गए। लंदन जाकर उन्होंने इनर टेम्पल कॉलेज में अपनी कानून की पढ़ाई और अभ्यास किया था। 

महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान दिया था। उनके नेतृत्व में किए गए विभिन्न आंदोलनों ने न केवल भारत को स्वतंत्रता की दिशा में अग्रसर किया, बल्कि दुनिया को भी अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। महात्मा गांधी द्वारा किए गए ये आंदोलन न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण अध्याय हैं, बल्कि वे दुनिया को सत्य और अहिंसा की ताकत का अहसास भी कराते हैं। गांधी जी के नेतृत्व में किए गए ये आंदोलन भारत की स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुए और आज भी उनकी शिक्षाएं और आदर्श मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।

चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा भारत में किया गया पहला बड़ा आंदोलन था। यह बिहार के चंपारण जिले में हुआ, जहां ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से जबरन नील की खेती करा रहे थे। इस अन्याय का सामना करने के लिए गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया, जिससे ब्रिटिश सरकार को नील की खेती के अत्याचार को समाप्त करने पर मजबूर होना पड़ा। यह आंदोलन भारतीय किसानों की पहली बड़ी जीत थी और गांधी जी के नेतृत्व को पूरे देश ने स्वीकारा।

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध करना और स्वराज की प्राप्ति करना था। गांधी जी ने लोगों से अपील की कि वे सरकारी नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और ब्रिटिश संस्थानों का बहिष्कार करें। लाखों भारतीयों ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया, जिससे ब्रिटिश सरकार को भारी नुकसान हुआ। 

महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया नमक सत्याग्रह , जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया था। 

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, जिसका नारा था “करो या मरो”। इस आंदोलन का उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से तत्काल स्वतंत्रता दिलाना था। 

वर्ष 1915 में भारत लौट आने के बाद गांधीजी ने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना गुरु माना और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। 1918 में गांधीजी ने बिहार और गुजरात के चंपारण और खेड़ा आंदोलन का नेतृत्व किया था। उस उसके उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, स्वराज और भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। उनके आंदोलनों में सत्य और अहिंसा उनकी पहचान बन गई थी। गांधीजी की विचारधारा सत्याग्रह सच्चे सिद्धांतों और अहिंसा पर आधारित थी। गांधीजी के नेतृत्व ने स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके आंदोलनों ने ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था। 

महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े और भारत को आज़ादी दिलाई।

गांधी जयंती पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:

  • गांधीजी का शांति और एकता का संदेश दुनिया भर के लोगों को एक अधिक न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करता है।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त करने में गांधीजी का बहुत बड़ा योगदान था। उनके इस योगदान को याद करने के लिए यह दिन हर साल उनकी जयंती मनाई जाती है। गांधीजी के संदेशों ने हमें आत्मनिर्भरता, साहस, अहिंसा, सादगी, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा का पाठ पढ़ाया है।
  • महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। 
  • महात्मा गांधी ने अहिंसक, सविनय अवज्ञा के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 
  • गांधी जयंती के दिन उनकी मूर्ति और बापू के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण स्थानों को मालाओं और कई सारी सजावटी वस्तुओं से सजाया जाता है।
  • महात्मा गांधी ने कहा था कि “ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो।” ऐसे सीखें जैसे कि आप हमेशा जीवित रहेंगे”। 
  • यह दिन स्वच्छ भारत की अवधारणा को भी बढ़ावा देता है क्योंकि स्वच्छता उनके मूल सिद्धांतों में से एक थी। 
  • इस दिन कई लोग दिल्ली के राजघाट में गांधी के स्मारक पर श्रद्धांजलि देने और प्रार्थना करने जाते हैं। 
  • 2 अक्टूबर 2024 को महात्मा गांधी की 155वीं जयंती समारोह मनाया जाएगा। महात्मा गांधी की जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। 
  • संयुक्त राष्ट्र की तरफ से 2 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ घोषित किया है। गांधी जयंती के दिन उनके पसंदीदा भजन रघुपति राघव राजा राम को बजाया जाता है। 

हर साल 2 अक्टूबर को भारत गांधी जयंती मनाता है, यह दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन और विरासत का सम्मान करने के लिए समर्पित है। गांधी जयंती उन सिद्धांतों और दर्शन की याद दिलाती है, जिनकी इस महान नेता ने अपने पूरे जीवन में वकालत की। इन स्थायी आदर्शों में से एक “स्वच्छ भारत” या स्वच्छ भारत की अवधारणा है।

गांधी जयंती एक राष्ट्रीय त्योहार है जो देश के महानतम नायक को सम्मान देता है, जिन्होंने लाखों लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से आजाद कराया।

महात्मा गांधी मोहनदास करमचंद गाँधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को वर्तमान गुजरात राज्य के पोरबंदर जिले के मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।

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महात्मा गाँधी पर निबंध – 10 lines, 300, 500 words | essay of mahatma gandhi in hindi.

Essay of Mahatma Gandhi in Hindi

Essay of Mahatma Gandhi in Hindi

जब भी हमारे मन में स्वतंत्रता की बात आती है तो सबसे पहला नाम मोहनदास करमचंद गांधी जी का आता है जिन्हें राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी के अलावा एक अच्छे नेता (leader) और वकील (advocate) भी थे।

1857 की क्रांति (Revolution Of 1857) को और आगे बढ़ाने देश के लोगों को जागरूक करके अंग्रेज शासन के खिलाफ आवाज उठाने में महात्मा गांधी जी का बहुत बड़ा योगदान रहा।

आइए पढ़ते हैं Mahatma Gandhi Per Essay (महात्मा गाँधी पर निबंध)

Table of Contents

10 lines on Mahatma Gandhi In Hindi (महात्मा गांधी पर निबंध)

1. महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

2. गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

3. इनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी और माताजी का नाम पुतलीबाई था।

4. महात्मा गांधी जी के पिताजी गुजरात के बहुत बड़े दीवान थे।

5. महात्मा गांधी जी की शादी केवल 13 साल की उम्र में गुजरात की कस्तूरबा गांधी से हो गई थी।

6. गांधी जी शादी के बाद पढ़ने के लिए लंदन गए थे।

7. लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद वे साउथ अफ्रीका में बैरिस्टर की ट्रेनिंग और नौकरी के लिए गए थे।

8. महात्मा गांधी जी ने साउथ अफ्रीका में पहली बार वहां के काले लोगों के हक के लिए लड़ाई लड़ी। 

9. साउथ अफ्रीका में अंग्रेजों को हराने के बाद अहिंसा का मार्ग अपनाते  हुए 1915 में गांधी जी अपने देश भारत आए और अंग्रेजो के खिलाफ कई सारे सत्याग्रह और देशव्यापी आन्दोलन चलाए।

10. महात्मा गांधी का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान रहा जिसे हम कभी भूल नहीं सकते।

महात्मा गाँधी पर निबंध 300 शब्दों में

महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर जिला में 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था। महात्मा गांधी को हम भारतीय राष्ट्रपिता के रूप में सदैव याद रखेंगे।

महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, राजनेता, वकील थे जिन्होंने भारत को अंग्रेज सरकार से आजाद करवाने के लिए विभिन्न आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।

उन्होंने हर किसी को अपने जीवन में सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की सीख दी।

महात्मा गांधी की शादी 13 वर्ष की उम्र में कस्तूरबा गांधी से करवा दी गई जिसके बाद उन्होंने अपने पढ़ाई को जारी रखा और बैरिस्टर की पढ़ाई पढ़ने के लिए लंदन गए।

गांधी जी 1915 में भारत वापस आए उन्होंने इसके बाद उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया जिसमें उनका पहला आंदोलन 1917 बिहार के चंपारण में हुआ। ये गांधी जी का भारत में  पहला सफल आंदोलन था।

चंपारण आंदोलन के बाद महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन , असहयोग आंदोलन , दांडी मार्च , और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे विभिन्न आंदोलनों में हिस्सा लिया।

अंत में 1947 में महात्मा गांधी ने भारत को अंग्रेजों से आज़ाद करवाया और दुनिया को सत्य और अहिंसा की ताकत से परिचय करवाया।

महात्मा गांधी को आज भी सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक माना जाता है जिसके लिए ना केवल भारत बल्कि पश्चिमी देशों में भी इनकी कई मूर्तियों (statues) को बनाया गया हैं और आज भी गांधी जी भारत में ही नहीं दुनिया भर के तमाम देशों में जाना जाता है।

महात्मा गांधी को ना केवल भारत के राष्ट्रपिता बल्कि एक सर्वोच्च नागरिक, राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सेवक के रूप में सदैव याद रखेंगे।

तो ये था Essay in Hindi on Mahatma Gandhi 300 words में , आइये अब जानते है Essay in Hindi on Mahatma Gandhi 500 words में

Essay in Hindi on Mahatma Gandhi – 500 words

गुजरात के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी था। महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी था जो गुजरात के एक बहुत बड़े दीवान थे, साथ ही महात्मा गांधी के माता जी का नाम पुतलीबाई था।

मोहनदास करम चंद्र गांधी की शादी 13 वर्ष की उम्र में कस्तूरबा गांधी से हो गई थी जिसके बाद उनके 4 पुत्र हुए।

महात्मा गांधी अपने स्नातक की पढ़ाई पूरी करके लंदन बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए गए जहां से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ट्रेनिंग और नौकरी के लिए साउथ अफ्रीका गए।

महात्मा गांधी ने साउथ अफ्रीका में पहली बार आंदोलन करना शुरू किया जहां उनकी मुलाकात गोपाल कृष्ण गोखले से हुई जिन्होंने इन्हें राजनीति और आंदोलन का ज्ञान दिया।

दक्षिण अफ्रीका में काले लोगों के हक के लिए लड़ाई लड़ने के दौरान उन्होंने भूख हड़ताल और राजनीति की ताकत को पहचाना जिसके बाद 1915 में वह भारत आए।

महात्मा गांधी भारत आने के बाद 1917 में बिहार के चंपारण आंदोलन से स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेना शुरू किया जहां बिहार के मजदूरों के लिए उन्होंने आवाज उठाई।

इस आंदोलन के सफल होने के बाद महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन और असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च , राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस , भारत छोड़ो आंदोलन जैसे विभिन्न मुख्य आंदोलन गतिविधियों का हिस्सा बने।

महात्मा गांधी की तीव्रता और उनके प्रभाव शीला व्यक्तित्व को देखकर रविंद्र नाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी। जिसके बाद उन्हें मोहनदास करमचंद गांधी के बजाय महात्मा गांधी कहा जाने लगा।

अंत में 1947 में भारत आजाद हुआ और भारतीय राजनीति, ग्रामीण जीवन के आदर्शीकरण में भी गांधी जी का बहुत बड़ा सहयोग रहा, जिस वजह से हम महात्मा गांधी को सदैव भारतीय राष्ट्रपिता और एक सच्चे देशभक्त के रूप में याद रखा जाएगा।

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निष्कर्ष – Essay of Mahatma Gandhi in Hindi

उम्मीद करते हैं आपको महात्मा गाँधी के उपर ये निबंध “ Essay of Mahatma Gandhi in Hindi ” पढ़ने के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी (Mahatma Gandhi) के बारे में अच्छे से जान पाए होंगे।

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Essay on Mahatma Gandhi [100, 150, 200, 300, 500 Words]

Essay on Mahatma Gandhi in English: In this article, you are going to read short and long essays on Mahatma Gandhi in English (100, 150, 200-250, 300, and 500 words). This article will be also helpful for you If you are looking for a speech on Mahatma Gandhi or Paragraph on Mahatma Gandhi in English. We’ve written this article for students of all classes (nursery to class 12). So, let’s get started.

Table of Contents

Short Essay on Mahatma Gandhi 100 Words

Mahatma Gandhi was one of the greatest leaders of our country. He was born in Porbandar, India, on October 2, 1869. His father Karamchand Gandhi was the Dewan and his mother Putlibai was a pious lady. Gandhiji went to England to become a barrister. In 1893 he went to South Africa and worked for the rights of our people.

He returned to India in 1915 and joined the freedom struggle. He started many political movements like Non-cooperation movement, Salt Satyagraha, Quit India Movement to fight against the British. Gandhiji worked for the ending of the caste system and the establishment of Hindu-Muslim unity. He was killed by Nathuram Godse On January 30, 1948.

Essay on Mahatma Gandhi in English

Mahatma Gandhi Essay in English 150 Words

Mahatma Gandhi was a great leader. His full name was Mohandas and Gandhi. He was born on October 2, 1869 at Porbandar. His father was a Diwan. He was an average student. He went to England and returned as a barrister.

In South Africa, Gandhiji saw the bad condition of the Indians. There he raised his voice against it and organised a movement.

In India, he started the non-cooperation and Satyagraha movements to fight against the British Government. He went to jail many times. He wanted Hindu-Muslim unity. In 1947, he got freedom for us.

Gandhiji was a great social reformer. He worked for Dalits and lower-class people. He lived a very simple life. He wanted peace. He believed in Ahimsa.

On January 30, 1948, he was shot dead. We call him ‘Bapu’ out of love and respect. He is the Father of the Nation.

Mahatma Gandhi Essay in English

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Essay on Mahatma Gandhi 200-250 Words

Mohandas Karamchand Gandhi, popularly known as Mahatma Gandhi was an Indian lawyer, freedom activist, and politician. Gandhiji was born on October 2, 1869 at Porbandar, Gujarat. His father Karamchand Gandhi was the Chief Minister (diwan) of Porbandar state. His mother Putlibai was a religious woman.

He went to England to study law at the age of 18 years. After his return to India, he started a practice as a lawyer in the Bombay High Court. He went to South Africa and started practicing law. There he protested against the injustice and harsh treatment of the white people towards the native Africans and Indians.

He returned to India in 1915 and started to take interest in politics. Mahatma Gandhi used the ideals of truth and non-violence as weapons to fight against British colonial rule. He worked for the upliftment of Harijans. He fought against untouchability and worked for Hindu-Muslim unity.

Through his freedom movements like Non-cooperation movement, Khilafat movement, and civil disobedience movement he fought for freedom against the British imperialists. 1942, he launched the Quit India movement to end the British rule. At last, India got freedom in 1947 at his initiative.

People affectionately call him ‘Bapu’ and the ‘Father of the Nation’. He was shot dead in 1948 by the Hindu fanatic Nathuram Godse.  Gandhiji’s life is a true inspiration for all of us.

Essay on Mahatma Gandhi

Mahatma Gandhi Essay in English 300 Words

Mahatma Gandhi was born at Porbandar in Gujarat on 2nd October, 1869. His father was the Diwan of the State. His name was Karam Chand Gandhi. Mahatma Gandhi’s full name was Mohan Das Karamchand Gandhi. His mother’s name was Putali Bai. Mahatma Gandhi went to school first at Porbandar then at Rajkot. Even as a child, Mahatma never told a lie. He passed his Matric examination at the age of 18.

Mohan Das was married to Kasturba at the age of thirteen. Mahatma Gandhi was sent to England to study law and became a Barrister. He lived a very simple life even in England. After getting his law degree, he returned to India.

Mr. Gandhi started his law practice. He went to South Africa in the course of a law suit. He saw the condition of the Indians living there. They were treated very badly by the white men. They were not allowed to travel in 1st class on the trains, also not allowed to enter certain localities, clubs, and so on. Once when Gandhiji was travelling in the 1st class compartment of the train, he was beaten and thrown out of the train. Then Mahatma decided to unite all Indians and started the Non-violence and Satyagrah Movement. In no time, the Movement picked up.

Mahatma Gandhi returned to India and joined Indian National Congress. He started the Non-violence, Non-cooperation Movements here also. He travelled all over India, especially the rural India to see the conditions of the poor.

Mahatma Gandhi started Satyagrah Movement to oppose the Rowlatt Act and there was the shoot-out at Jalian-Wala-Bagh. The Act was drawn after many people were killed. He then started the Salt Satyagraha and Quit India Movements. And finally, Gandhiji won freedom for us. India became free on 15th August, 1947. He is called as “Father of the Nation”. Unfortunately, Gandhiji was shot on 30 January 1948 by a Hindu extremist Nathuram Godse.

Also Read: Gandhi Jayanti Speech 10 Lines

Mahatma Gandhi Essay in English 500 Words

Introduction:.

Mohandas Karamchand Gandhi, popularly known as Mahatma Gandhi was a politician, social activist, writer, and leader of the Indian national movement. He is a figure known all over the world. His name is a household word in India, rather, in all the world round. His creed of non-violence has placed him on the same par with Buddha, Sri Chaitanya, and Jesus Christ.

Family & Education:

Mahatma Gandhi was born in the small town of Porbandar in the Kathiwad state on October 2, 1869. His father Karamchand Gandhi was the prime minister of Rajkot State and his mother Putlibai was a pious lady. Her influence shaped the future life of Mahatma Gandhi.

He was sent to school at a very early age, but he was not a very bright student. After his Matriculation Examination, he went to England to study law and returned home as a barrister. He began to practice law in Bombay but he was not very successful.

Life in South Africa:

In 1893 Gandhiji went to South Africa in connection with a case. He found his own countrymen treated with contempt by the whites. Gandhiji started satyagraha against this color hated. It was a non-violent protest, yet hundreds were beaten up and thousands were sent to jail. But Gandhiji did not buzz an inch from his faith in truth and non-violence and at last, he succeeded in his mission. He was awarded the title of Mahatma.

Fight for India’s Independence:

In 1915 Gandhiji came back to India after twenty long years in South Africa. He joined the Indian National congress and championed the cause of India’s freedom movement. He asked people to unite for the cause of freedom. He used the weapons of truth and non-violence to fight against the mighty British.

The horrible massacre at Jalianwalabag in Punjab touched him and he resolved to face the brute force of the British Government with moral force. In 1920 he launched the Non-cooperation movement to oppose British rule in India.

He led the famous Dandi March on 12th March 1930. This march was meant to break the salt law. And as a result of this, the British rule in India had already started shaking and he had to go to London for a Round Table Conference in 1931. But this Conference proved abortive and the country was about to give a death blow to the foreign rule.

In 1942 Gandhiji launched his final bout for freedom. He started the ‘Quit India’ movement. At last, the British Government had to quit India in 1947, and India was declared a free country on August 15, 1947.

Social Works:

Mahatma Gandhi was a social activist who fought against the evils of society. He found the Satyagraha Ashram on the banks of the Sabarmati river in Gujarat. He preached against untouchability and worked for Hindu-Muslim unity. He fought tirelessly for the rights of Harijans.

Conclusion:

Mahatma Gandhi, the father of the nation was a generous, god-loving, and peace-loving person. But unfortunately, he was assassinated by Nathuram Godse on 30th January 1948 at the age of 78. To commemorate Gandhiji’s birth anniversary Gandhi Jayanti is celebrated every year on October 2. Gandhiji’s teachings and ideologies will continue to enlighten and encourage us in the future.

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