नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language

In this article, we are providing information about Nari Shakti in Hindi- A Short Essay on Nari Shakti in Hindi Language. नारी शक्ति पर निबंध, Nari Shakti Par Nibandh in 300 words.

जरूर पढ़े – Women Empowerment Essay in Hindi

नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language

Essay on Nari Shakti in Hindi

( Essay-1 ) Nari Shakti Essay in Hindi

नारी समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। नारी के अंदर सहनशीलता, धैर्य, प्रेम, ममता और मधुर वाणी जैसे बहुत से गुण विद्यमान है जो कि नारी की असली शक्ति है। यदि कोई नारी कुछ करने का निश्यचय कर ले तो वह उस कार्य को करे बिना पीछे नहीं हटती है और वह बहुत से क्षेत्रों में पुरूषों से बेहतरीन कर अपनी शक्ति का परिचय देती है।

प्राचीन काल से ही हमारे समाज में झाँसी की रानी, कल्पना चावला और इंदिरा गाँधी जैसी बहुत सी महिलाएँ रही है जिन्होंने समय समय पर नारी शक्ति का परिचय दिया है और समाज को बताया है कि नारी अबला नहीं सबला है। आधुनिक युग में भी महिलाओं ने अपने अधिकारों के बारे में जाना है और अपने जीवन से जुड़े निर्णय स्वयं लेने लगी है। आज भी महिला कोमल और मधुर ही है लेकिन उसने अपने अंदर की नारी शक्ति को जागृत किया है और अन्याय का विरोध करना शुरू किया है।

आज के युग में नारी भले ही जागरूक हो गई है और उसने अपनी शक्ति को पहचाना है लेकिन वह आज भी सुरक्षित नहीं है। आज भी नारी को कमजोर और निस्सहाय ही समझा जाता है। पुरूषों को नारी का सम्मान करना चाहिए और उन पर इतना भी अत्याचार मत करो की उनकी सहनशीलता खत्म हो जाए और वो शक्ति का रूप ले ले क्योंकि जब जब नारी का सब्र टूटा है तब तब प्रलय आई है। नारी देवीय रूप है इसलिए नारी शक्ति सब पर भारी है। नारी से ही यह दुनिया सारी है।

हम सब को नारी शक्ति को प्रणाम करना चाहिए और आगे में उनकी मदद करनी चाहिए क्योंकि यदि देश की नारी विकसित होगी तो हर घर, हर गली और पूरा देश विकसित होगा।

10 lines on My Mother in Hindi

( Essay-2 ) Nari Shakti Par Nibandh in 500 words| नारी शक्ति पर 500 शब्दों में निबंध

प्रस्तावना यह बात तो हम सभी जानते ही हैं कि नारी शक्ति का मुकाबला कोई नहीं कर सकता है। पहले समय की बात कुछ और थी, जब नारी को कमजोर समझा जाता था। लेकिन आज 20वीं सदी की नारी बहुत तरक्की कर रही है। आज की महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं।

हर क्षेत्र में लहरा रही है परचम। अगर हमें समाज को बदलना होगा, तो समाज का शिक्षित होना जरूरी है। महिलाओं की दशा को सुधारने के लिए सरकार के द्वारा शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण पहलू के रूप में माना गया है। महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में काफी अच्छी परफॉर्मेंस कर रही है। स्कूल कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात आज की नारियां अच्छी जगह पर जॉब कर रही है। प्राइवेट सेक्टर के साथ-साथ सरकारी विभाग में भी महिलाएं नौकरी कर रही है। जब महिलाएं पढ़ लिख रही हैं, तो उनकी स्थिति में भी सुधार हो गया है। काफी विभाग ऐसे हैं, जहां पर नौकरी पाना बहुत ज्यादा मुश्किल है। लेकिन महिलाएं अपनी मेहनत और बलबूते पर वहां भी नौकरियां पा चुकी हैं।

महिलाएं किसी से कम नहीं है। पहले जमाना कुछ और था, जब महिलाओं को पुरुषों से कमजोर समझा जाता था। कहा जाता था कि हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है। लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है, महिलाएं काफी बदल गई हैं। पहले जहां महिलाएं पुरुषों पर निर्भर होती थी, आज महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं। पढ़ लिखकर अच्छे महकमे में नौकरियां कर रही है और अच्छा पैसा कमा रही हैं। देखा जाए तो महिलाएं आज के समय में पुरुषों से किसी भी काम में पीछे नहीं है। जो काम पुरुष कर सकते हैं, वह काम महिलाएं भी कर रही हैं।

महिलाएं अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। पहले जमाने में महिलाओं पर अत्याचार होता रहता था और महिलाएं अत्याचार सहती रहती थी। लेकिन आज के समय में महिलाएं शोषण के विरुद्ध आवाज उठा रही हैं। अगर महिलाओं को कोई भी समस्या है या कोई भी महिलाओं का शोषण करता है, तो महिलाएं उसके खिलाफ आवाज भी उठाती हैं। जैसे-जैसे समय बदला है, महिलाओं की स्थिति में भी सुधार हुआ है।

महिलाएं अपने फैसले खुद ले रही हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज के समय में महिलाएं अपनी निजी जिंदगी और प्रोफेसनल जिंदगी से जुड़े हर निर्णय खुद ले रही है। पहले समय में परिवार और पति के द्वारा उन पर अत्याचार किया जाता था। फैसले थोप दिए जाते थे, जिन्हें महिलाओं को मानना ही पड़ता था। लेकिन आज की महिला बिल्कुल बदल चुकी हैं। महिलाएं अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर निर्णय लेना सीख चुकी हैं और वह समाज में भागीदारी भी कर रही है। बहुत महिलाएं ऐसी हैं, जो समाज के लिए काफी अच्छे-अच्छे काम भी कर रही हैं और समाज के लिए मिसाल बन रही है।

# Nari Shakti Essay in Hindi

Essay on Women in Indian society in Hindi

Essay on Women Education in Hindi

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6 thoughts on “नारी शक्ति पर निबंध- Essay on Nari Shakti in Hindi Language”

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I love it. It is very very very nice essay

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Hi I like the essay

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Very good ??

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Nari Shakti Sacha Mein Sabpar Bhari Ha

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नारी सशक्तिकरण पर निबंध 100, 150, 200, 500 शब्दों में | Women Empowerment Essay in Hindi

बदलते हुए समय को देखते हुए संपूर्ण विश्व में नारी सशक्तिकरण का एक बहुत महत्वपूर्ण विषय बन चुका है।आज के इस लेख के द्वारा हम आपको नारी सशक्तिकरण पर निबंध बताने जा रहे हैं। नारी सशक्तिकरण को महिला सशक्तिकरण के नाम से भी जानते हैं। समाज और देश की प्रगति के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत ही जरुरी है। निचे हमने नारी सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में, 100, 150, 500 शब्दों में दिया है। उम्मीद है की यह महिला सशक्तिकरण पर निबंध आपके काम आएगी।

नारी सशक्तिकरण निबंध (100 शब्द) 

नारी सशक्तिकरण का सही अर्थ

सबसे पहले यह जानना जरूरी होगा कि आखिर यह नारी सशक्तिकरण होता क्या है? नारी सशक्तिकरण का अर्थ है कि किसी भी नारी की क्षमता को उस स्तर तक ले जाना जहां पर वह अपने निर्णय स्वयं ले पाने में सक्षम हो सके।

नारी अपने जीवन से जुड़े हुए हर एक पहलू पर सोच समझ के सही ढंग से स्वयं निर्णय ले सके। हमारे समाज में नारी को भी पुरुष के समान सभी अधिकार प्राप्त हो। महिलायें दूसरों पर आश्रित रहने की जगह खुद आत्मनिर्भर बन सकें और अपने जीवन के निर्णय खुद ले सके। यही नारी सशक्तिकरण का सही अर्थ है। 

सरल और आसान शब्दों में कहा जाए तो एक नारी परिवार और समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने स्वयं के लिए सही गलत का निर्णय खुद ले पाए। यह नारी सशक्तिकरण का मुख्य अर्थ होता है।

नारी सशक्तिकरण निबंध (150 शब्द)

महिलाओं का सशक्त बनना जरूरी

भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले हमारे समाज में व्याप्त महिला विरोधी सोच को मारना बहुत जरूरी है समाज में व्याप्त बुराई जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वेश्यावृत्ति, मानव तस्करी ऐसे बहुत से अपराध है, जिन पर सरकार के द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की जरूरत है।

भारत के संविधान के अनुसार समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए सभी महिलाओं को सशक्त बनाना एक सबसे महत्वपूर्ण प्रभावशाली उपाय माना गया है क्योंकि इस तरह के प्रयास से समाज में व्याप्त सभी बुराइयों को मिटाया जा सकता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक बहुत महत्वपूर्ण वाक्य महिलाओं को जागृत करने के लिए कहा था कि ‘हमारे समाज में लोगों को जगाने के लिए सभी महिलाओं को जागना बहुत जरूरी है।’

एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में नारी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जब नारी के साथ पूरा समाज जागरूक और सशक्त होगा तो इससे राष्ट्र भी मजबूत होगा। माता के रूप में एक बच्चे की पहली गुरु नारी होती है। जॉर्ज हरबर्ट ने कहा कि “एक अच्छी मां 100 शिक्षकों के बराबर होती है, इसलिए मां का सम्मान होना बहुत जरूरी है।”

नारी सशक्तिकरण पर निबंध 200 शब्दों में

हमारे देश में सबसे बड़ा सामाजिक मुद्दा लैंगिक असमानता माना गया है। इसमें सभी महिलाएं पुरुषवादी प्रभुत्व देश में जैसे पिछड़ती जा रही है। पुरुष और महिलाओं को एक समान बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए नारी सशक्तिकरण की हमारे देश में सख्त आवश्यकता है।

महिला विरोधी मान्यताएं और मानसिकताएं बहुत सी समस्याओं को जन्म देती हैं, जो समाज के विकास में तो रुकावट बनती ही है, बल्कि राष्ट्र के विकास में भी बहुत बड़ी बाधा के रूप में सामने आती है। महिलाओं का यह हमेशा से जन्मसिद्ध अधिकार रहा है कि उनको भी पुरुषों के समान ही समाज में बराबरी का दर्जा मिले इसके लिए महिला सशक्तिकरण जरुरी है। जिसके लिए सभी महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना बहुत जरूरी है।

महिलाओं को ना केवल घरेलू व पारिवारिक जिम्मेदारियों में ही निपुण होना चाहिए, बल्कि हर क्षेत्र में उनको जागरूकता के साथ सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। सभी महिलाओं को अपने आसपास के क्षेत्र में देश में विदेश में होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी से भी अवगत होना जरूरी है।

एक महिला अपने परिवार में सभी चीजों के लिए बहुत जिम्मेदार मानी जाती है, क्योंकि हर समस्या का सामना वह बड़ी समझदारी से कर सकती है। महिलाओं की सशक्त होने की वजह से आज पूरा समाज अपने आप सशक्त हो सकता है।

 पिछले कुछ ही सालों से सभी लोगों को महिला सशक्तिकरण का बहुत फायदा मिल रहा है। महिला अपने स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवार, नौकरी सभी की जिम्मेदारियां बहुत अच्छे से निभा रही है। इसके अलावा देश और समाज के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी को लेकर वह अक्सर सचेत रहती हैं। सभी महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी रुचि का प्रदर्शन बहुत अच्छे से करती है और कई सालों के संघर्ष के बाद सभी नारी जाति को सही राह पर चलने के लिए उनका अधिकार मिल पा रहा है।

नारी सशक्तिकरण निबंध – 500 words

हमारे देश में आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही नारी को एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इस बात का प्रमाण हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। प्राचीन ग्रंथों में तो नारी को देवी के समान पूजनीय माना गया है। ग्रंथों में बताया गया है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता’ अर्थात जहां नारी का सम्मान किया जाता है। वहां देवता भी निवास करते हैं। 

कोई भी समाज राज्य तब तक प्रगति की ओर नहीं बढ़ सकता है जब तक नारी के प्रति भेदभाव हीन भावना का त्याग वह नहीं करेगा। इसलिए नारी का सम्मान बहुत जरूरी है और नारी का सशक्त होना भी जरूरी है।

  नारी सशक्तिकरण का अर्थ

नारी सशक्तिकरण का सही शब्दों में यह अर्थ होता है कि अपने स्वयं के निर्णय और अधिकार नारी खुद अपने दम पर ले सके यह ही नारी सशक्तिकरण का सही और आसान अर्थ है। प्राचीन समय से ही महिलाओं को समाज और परिवार में बहुत महत्वपूर्ण स्थान मिला हुआ था। पहले के समय में सभी स्त्रियां शिक्षित और समर्थ भी होती थी। वह राज्य के संचालन के साथ-साथ घर परिवार की जिम्मेदारियां भी बहुत अच्छे से निभा लेती थी।

भारत की संस्कृति में नारी का स्थान

 समय के साथ जैसे जैसे बदलाव आता गया वैसे वैसे नारी का पतन भी शुरू हो गया। भारत मे नारी की स्वतंत्रता को छीन लिया गया। उसके शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार को भी खत्म कर दिया। देश और समाज के प्रति जो उसके कर्तव्य पालन थे, उनसे भी महिला को वंचित कर दिया गया था। नारी सशक्त और असमर्थ हो चुकी थी

भारत के स्वतंत्र होने के साथ-साथ नारी ने भी अपने स्वरूप को पहचाना और वह अपने पहले के गौरव और अपने अस्तित्व को पाने के लिए पूरी तरह बेचैन हो उठी नारी आज शिक्षा व्यवस्था विज्ञान सैनिक सेवा चिकित्सा कला राजनीति हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने में समर्थ हो चुकी है।

समय के साथ-साथ अब वर्तमान समय में नारी को सशक्त बनाने की पूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। स्थानीय शासन में भी अब 33% का आरक्षण महिलाओं को मिल चुका है। महिलाएं अच्छी शिक्षा प्राप्त करने से अपने आप सशक्त होती रहेंगी।

भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत

भारत में महिला सशक्तिकरण की जरूरत इसलिए पड़ी थी क्योंकि यहां पर आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही लोगों में लैंगिक असमानता देखने को मिली थी और यहां पुरुष प्रधान समाज भी था। परिवार और समाज के बीच महिलाओं को उनके अधिकारों से और अन्य कई कारणों से भी दबाया जाता था। महिलाओं के साथ में अनेक तरह की हिंसा होती थी। यह सब वारदात भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी होते थे।

 प्राचीन समय से चलते आ रहे इस पुराने प्रचलन ने रीति रिवाज का रूप ले लिया। भारत में एक तरफ महिलाओं को सम्मान देने के लिए देवी के रूप में पूजने की परंपरा है,लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यहां महिलाओं को पूजने से ही देश के विकास की हर जरूरत को पूरा किया जाये। देश में हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बहुत जरूरी है। महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाए। तभी देश का विकास का सही आधार बनेगा।

महिला सशक्तिकरण में भारत सरकार की भूमिका

भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए महिला और बाल विकास कल्याण मंत्रालय के द्वारा भारत सरकार के सहयोग से बहुत सी योजनाएं चल रही है…

  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान योजना
  • महिला शक्ति केंद्र योजना
  • उज्जवला योजना
  • पंचायती राज्य योजना में महिलाओं का आरक्षण
  • महिला हेल्पलाइन योजना
  • सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एंप्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन

भारत जिस तेज गति से प्रगतिशील देश की श्रेणी में रखा जा रहा है। उस तेजी से ही महिला सशक्तिकरण को और अधिक बढ़ावा मिलना चाहिए। आज की इस पोस्ट के द्वारा हमने आपको “ नारी सशक्तिकरण पर निबंध ” छोटे से बड़े रूप में लिखना बताया है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह जरूर पसंद आएगा। अगर आपको इससे जुड़ी किसी भी जानकारी के विषय में जानना है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन से जुड़े रह सकते हैं।

  • क्रांतिकारी महिलाओं के नाम
  • नारी शिक्षा पर निबंध
  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
  • बेरोजगारी पर निबंध 
  • मेरा घर पर निबंध 10 लाइन

आपको यह नारी सशक्तिकरण निबन्ध कैसा लगा? हमें कमेंट करके जरुर बताएं।

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नारी शक्ति पर निबंध (Nari Shakti Essay In Hindi)

नारी शक्ति पर निबंध (Nari Shakti Essay In Hindi Language)

आज   हम नारी शक्ति पर निबंध (Essay On Nari Shakti In Hindi) लिखेंगे। नारी शक्ति पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

नारी शक्ति पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Nari Shakti In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

नारी में सहनशीलता, प्रेम, धैर्य और ममता जैसे गुण मौजूद है। किसी भी समाज की कल्पना नारी के बिना नहीं की जा सकती है। जब कोई नारी कोई भी चीज़ करने की ठान लेती है, तो वह कर दिखाती है।

नारी की हिम्मत और सहनशीलता पुरुषो से भी अधिक है। नारी अपने वादे से पीछे नहीं हटती है। नारी अपने जिम्मेदारियों को निभाती है और कठिन परिस्थितियों में अपने शक्ति का परिचय देती हुयी नज़र आती है।

देश में कई महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्र में अपने साहस और सूझ बुझ का परिचय दिया है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ो के खिलाफ निडर होकर जंग लड़ी थी। उन्होंने आजादी के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी थी।

नारी ने अपने हर रूप में यह साबित किया है कि वह अबला नारी नहीं है। वक़्त आने पर वह अपने हालातों से लड़ भी सकती है और उसे काबू में भी ला सकती है। नारी चाहे वह माँ हो, या बहन, या फिर पत्नी, उसके हर रूप में उसका सम्मान करना चाहिए।

घर संभालना और अपनों की देखभाल

नारी के गर्भ से जीवन का आरम्भ होता है। नारी अपने जीवन में कई भूमिकाएं निभाती है। वह एक दिन में बिना थके घंटो काम करती है। वह अपने परिवार के सदस्यों की देख रेख करती है। परिवार के लोगो को अच्छी सलाह देती है।

जब परिवार का कोई भी सदस्य कभी बीमार पड़ता है, तो वह उसकी देख भाल करती है। जब घर का कोई सदस्य थक कर घर आता है, तो महिलाएं खाना परोसती है और कोई भी परिवार के सदस्य की चिंता और थकान अपने बातों से दूर कर देती है।

वह बच्चो की शिक्षक बन जाती है और उन्हें पढ़ाती है और अपने घरेलू  नुस्खों से परिवार के सदस्यों का इलाज़ भी करती है। वह बिना शर्त रखे सभी काम करती है और अपनों को खुश रखती है। वह औरो के जिन्दगी में ख़ुशी लाने के लिए बलिदान भी करती है।

महिलाएं अब नहीं है कमज़ोर

आज महिलाएं कमज़ोर नहीं है। वह शिक्षित हो रही है। वह अपने विचारो को घर – बाहर निडर होकर रखती है। वह सम्मान और मर्यादा में रहना जानती है। वह संस्कारो का पालन करती है। उन्हें कोई भी असम्मान करे, तो अब वह चुप नहीं रहती है। महिलाओं ने अपने अधिकारों को पहचान लिया है और हर क्षेत्र में अपनी सशक्त भूमिका निभा रही है।

प्रेरणादायक स्रोत

इंदिरा गाँधी, कल्पना चावला, सरोजिनी नायडू जैसी महान शख़्सियत ने अपने आपको अपने क्षेत्र में ना केवल साबित किया, बल्कि लोगो के लिए वे प्रेरणादायक स्रोत भी बनी।

आत्मनिर्भर और स्वयं निर्णय लेना

पहले के जमाने में लड़कियों का पढ़ना लिखना अच्छा नहीं माना जाता था। उन्हें घर के चार दीवारों में जैसे कैद कर लिया जाता था। वह अपना कोई भी निर्णय खुद नहीं ले पाती थी। आज नारी शिक्षित हो रही है।

ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां महिलाएं काम ना कर रही हो। आज महिलाएं पुरुषो के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही है। पुरुषो से किसी मामले में वह कम नहीं है। किसी किसी स्थान में महिलाओं ने पुरुषो को पीछे छोड़ दिया है।

आजकल महिलाएं उच्च पदों पर काम कर रही है और घर चला रही है। वह घर और दफ्तर दोनों को बराबर संभाल रही है। महिलाएं खुद अपने पाँव पर खड़ी हो रही है और घर का खर्चा चला रही है।

आत्मविश्वास के साथ जिन्दगी जीना

नारी शिक्षित हो गयी है और आज देश में महिलाओं के प्रगति के लिए अभियान चलाये जा रहे है। नारी आत्मविश्वास के साथ सभी मुश्किलों का सामना करके आगे बढ़ रही है। हर क्षेत्र में वह सफलता प्राप्त कर रही है।

अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाना

जिस देश में जहां देवी की पूजा की जाती है, वहाँ कुछ लोग ऐसे भी है जो महिलाओं का असम्मान करते है। कुछ घरो और समाज में आज भी महिलाओं के साथ अत्याचार होता है। आज वर्त्तमान युग में नारी पहले से अधिक जागरूक और समझदार हो गयी है।

जब उनपर अत्याचार बढ़ जाता है, तो वह उसके खिलाफ विरोध करना भी जानती है। बेवक़ूफ़ है वह लोग जो महिलाओं को कमज़ोर समझते है।अब वक़्त आ गया है कि पुरुष भी महिलाओं के सोच और उनके विचारधाराओ का सम्मान करे। महिलाओं को जो इज़्ज़त मिलनी चाहिए, उसे समाज और घर उन्हें अवश्य दे।

जब जब महिलाओं पर अत्याचार बढ़ जाता है, तो वह काली माँ जैसा रूप धारण कर लेती है और अपराधियों का सर्वनाश कर देती है। जो लोग महिलाओं का सम्मान नहीं करते है और उन्हें कमज़ोर समझते है, वह नारी शक्ति के प्रभावशाली शक्ति से परिचित नहीं होते है।

नारी शक्ति के कई उदहारण है और वर्त्तमान युग में महिलाओं ने अपनी शक्ति और मज़बूती का परिचय भी समय समय पर दिया है।

नारी और उसका स्वभाव

नारी बहुत ही साधारण और मीठे स्वभाव की होती है। जितनी सहनशीलता नारी में है, उतनी सहनशीलता पुरुषो में नहीं है। वह हर हालत को सोच समझ कर और धैर्य के साथ संभाल लेती है। पहले के जमाने में लड़की को सिर्फ बोझ समझा जाता था।

पहले के ज़माने में लोग नारी को घर के कामो में संलग्न कर देते थे। घर वाले सोचते थे की लड़कियां पढ़ लिखकर क्या करेगी, आगे जाकर उन्हें शादी करनी है और घर संभालना है। उस ज़माने में लड़कियों के सोच को अहमियत नहीं दी जाती थी।

संघर्ष करने की शक्ति

नारी में संघर्ष करने की अपार शक्ति होती है। वह हर परिस्थिति के अनुसार अपने आपको ढाल लेती है। जब भी घर में मुश्किल हालत पैदा होते है, तो महिलाएं सभी सदस्यों को संभालती है और संयम के साथ सबको सलाह देती है।

जब कोई उनके संयम की परीक्षा लेना चाहता है और उन्हें ज़रूरत से ज़्यादा परेशान करता हैं, तो वह नारी शक्ति का रूप धारण कर लेती है। पहले के ज़माने में महिलाओं को अपने ससुराल में रहकर ताने सुनने पड़ते थे।

वह सहमी हुयी रहती थी। अशिक्षित होने के कारण वह विवश रहती थी। लेकिन आज इक्कीसवी सदी में हालातों में परिवर्तन आ गया है। अब महिलाओं को बोझ नहीं उन्हें एक प्रभावशाली नारी शक्ति के रूप में देखा जाता है।

रानी लक्ष्मीबाई नारी शक्ति का जीता जागता उदाहरण है। उनका विवाह कम उम्र में हो गया था। वह बचपन से ही अन्याय के विरुद्ध लड़ना जानती थी। जब उनके पति की मृत्यु हुयी, तब उन्होंने झांसी को संभाला और अंग्रेज़ो के खिलाफ आखरी दम तक जंग लड़ी। उन्होंने अंग्रेज़ो के विरुद्ध लड़ते हुए अपने साहस का परिचय दिया।

आज की नारी मज़बूत है और उनके आँखों में कई सपने है। आज की नारी शिक्षित और वह पहले के कुप्रथाओ से बाहर निकलकर आ चुकी है। आज नारी डॉक्टर है, इंजीनियर है, शिक्षक भी है।

वह पुरुषो से किसी मामले में ना तो कमज़ोर है और ना ही कम है। आजकल कई जगहों में महिलाओं के साथ अत्याचार और अन्याय हो रहे है और वह चुप चाप सहन कर रही है। नारी आगे बढ़ रही है और कई क्षेत्र में अपने देश का नाम रोशन कर रही है। अब वक़्त आ गया कि सभी पुरुष नारी और उनके सोच का सम्मान करे।

नारी को देवी माँ का स्वरुप माना जाता है। अब परिवारों और समाज को भी नारी और उसके अस्तित्व का सम्मान करना होगा। आज नारी हर कार्य में पुरुषो से भी बेहतर साबित हो रही है और अपनी एक अलग पहचान बना रही है। सदियों से चल रही कुप्रथाओ को तोड़कर वह हौसलों की नई उड़ान भर रही है।

इन्हे भी पढ़े :-

  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध (Women Empowerment Essay In Hindi)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध (Bhartiya Samaj Me Nari Ka Sthan Essay In Hindi)
  • स्त्री पुरुष समानता पर निबंध (Stri Purush Samanta Essay In Hindi)
  • नारी शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध (Beti Bachao Beti Padhao Hindi Essay)

तो यह था नारी शक्ति   पर निबंध (Women Power Essay In Hindi) , आशा करता हूं कि नारी शक्ति पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Nari Shakti) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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नारी शक्ति पर निबंध

essay on hindi nari shakti

By विकास सिंह

women नारी शक्ति

वह लगभग सभी भावों में ब्रह्मांड की रचनात्मक शक्ति है। जीवन उसके गर्भ में शुरू होता है और यह उसके मार्गदर्शक हाथों और कोमल देखभाल की बदौलत है कि यह फल फूल पाता है। उसकी ममता से बुरे से बुरे रोग ठीक हो जाते हैं।

वह लगातार काम करती है; अक्सर एक ही दिन में लगातार घंटों तक काम करती है  जैसे सफाई, खाना पकाना, नर्सिंग और फिर भी हर समय कुछ करने को तत्पर। वह एक ही बार में माँ, पत्नी, बेटी, दोस्त, सलाहकार, की विभिन्न भूमिकाएँ निभाती हैं; इसी वजह से उसे शक्ति माना जाता है।

वह मल्टीटास्क कर सकती है – फोन पर एक कान, टेलीविजन पर एक आंख, दूसरा कान स्टोव पर रखे सूप पर, एक कान लगातार चेतावनी पर सिर्फ बच्चे के जागने पर, और एक हाथ से आटा मिलाते हुए। निश्चित रूप से वह अलौकिक, है और एक देवी, से बिलकुल कम नहीं है। उसके विविध गुण देखकर विस्मय होता हैं।

जब आप बीमार होते हैं तो वह आपका पालन-पोषण करती है, आपको प्यार से खाना खिलाती है, दवाएं देती है और जल्दी से जल्दी आपको ठीक कर देती है। जब आप थके हुए घर आते हैं और हारे होते हैं तो वह आपको अपनी बाहों में ले लेती है और आपकी थकान शांत करती है।

वह आपको फिर से जीवंत करती है, और आपको जीवंत बनाती है। वह आपको सुकून देती है, आपके आत्मविश्वास का निर्माण करती है और आपको उसकी दुनिया का हिस्सा बनने पर गर्व महसूस करती है। वह आपको अपने लक्ष्यों के लिए निर्देशित करती है, और अपनी ज़िन्दगी में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में आपको उसकी मदद चाहिए होती है तो हमेशा सहारा बनके आपके पीछे कड़ी होती है।

एक माँ के रूप में, वह बच्चों की मनोचिकित्सक, डॉक्टर, नौकरानी और विश्वासपात्र की भूमिका निभाती हैं। चाहे वह उनका पसंदीदा लंच हो या स्कूल में कोई प्रोजेक्ट या फिर क्रिकेट मैच वह हमेशा उनके लिए भी होता है। हर सफल आदमी के पीछे एक औरत होती है, हाँ, एक माँ, एक बेटी, एक दोस्त या शायद एक बहन उनके पीछे सफलता का राज होता है।

वह बिना शर्त के देती है, बिना कारण के वह प्यार करती है, और आपको गलतियों के लिए बार बार क्षमा करती है। वह आपकी ज़िन्दगी को खुशहाल बनाने के लिए अपने सपनों का त्याग कर देती है। वह आपकी उपलब्धियों पर गर्व करती है और आपकी निराशा के माध्यम से आपके हाथ पकड़ती है।

विषय-सूचि

नारी शक्ति पर निबंध, women’s power essay in hindi (100 शब्द)

महिलाएं हमारे समाज में उनके जन्म से लेकर जीवन के अंत तक विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाती हैं। आधुनिक समाज में कुशल भूमिका में सभी भूमिकाएं और समय पर नौकरी करने के बाद भी, वह कमजोर है क्योंकि पुरुष अभी भी समाज का सबसे मजबूत लिंग हैं।

सरकार द्वारा समाज में बहुत सारे जागरूकता कार्यक्रमों, नियमों और विनियमों के बाद भी, उसका जीवन एक आदमी की तुलना में अधिक जटिल है। उसे बेटी, पोती, बहन, बहू, पत्नी, माँ, सास, दादी, आदि के रूप में अपना और परिवार के सदस्यों का ख्याल रखना पड़ता है। स्वयं, परिवार और देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए बाहर आने और नौकरी करने में वह सक्षम है।

नारी शक्ति पर निबंध, women’s power essay in hindi (150 शब्द)

भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार, पुरुष की तरह ही सभी क्षेत्रों में समाज में महिलाओं को समानता प्रदान करना एक कानूनी बिंदु है। महिला और बाल विकास विभाग भारत में महिलाओं और बच्चों के समुचित विकास के लिए इस क्षेत्र में अच्छा काम करता है।

महिलाओं को प्राचीन समय से भारत में एक शीर्ष स्थान दिया जाता है, हालांकि उन्हें सभी क्षेत्रों में भाग लेने के लिए सशक्तिकरण नहीं दिया गया था। उन्हें अपने विकास और विकास के लिए हर पल मजबूत, जागरूक और सतर्क रहने की जरूरत है। महिलाओं को सशक्त बनाना विकास विभाग का मुख्य उद्देश्य है क्योंकि बच्चे के साथ सशक्त मां किसी भी राष्ट्र का उज्ज्वल भविष्य बनाती है।

महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई कई तैयार करने वाली रणनीतियाँ और पहल प्रक्रियाएँ हैं। पूरे देश की आबादी में महिलाओं की आधी आबादी है और महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास के लिए हर क्षेत्र में स्वतंत्र होने की जरूरत है।

नारी शक्ति पर निबंध, women’s power essay in hindi (200 शब्द)

पिछले कुछ सालों में दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध काफी हद तक बढ़ गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, यह पाया गया है कि तीन में से प्रत्येक महिला ने पिछले वर्ष में लगभग दो से पांच बार यौन उत्पीड़न का सामना किया है। महिलाओं के सर्वेक्षण के अनुसार, यह पाया गया कि महिलाएं पुलिस पर अपना विश्वास खो रही हैं। दिल्ली सरकार के महिला और बाल विकास विभाग के सर्वेक्षण से, राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 80% महिलाओं को अपनी सुरक्षा के बारे में डर है।

महिलाओं को न केवल रात या शाम को बल्कि उनके घर, कार्य स्थलों, या अन्य स्थानों जैसे सड़क, क्लब, आदि में दिन के समय में परेशान किया जाता है, यह सर्वेक्षण के माध्यम से पाया गया है कि यौन उत्पीड़न का कारण लिंग की कमी है खुले वातावरण और अनुचित कार्यात्मक बुनियादी ढांचे जैसे कि खुले क्षेत्र में शराब और ड्रग्स की खपत, पर्याप्त प्रकाश की कमी, सुरक्षित सार्वजनिक शौचालय, फुटपाथ, प्रभावी पुलिस सेवा की कमी, ठीक से काम करने वाले हेल्पलाइन नंबरों की कमी आदि, महिलाओं की समस्याओं में एक अहम भूमिका निभाते हैं।

कोई भरोसा नहीं कि पुलिस ऐसे उत्पीड़न के मामलों पर अंकुश लगा सकती है। महिला सुरक्षा की इस समस्या को समझने और हल करने की तत्काल आवश्यकता है ताकि वे भी अपने देश में पुरुषों की तरह समान रूप से विकसित हो सकें।

नारी शक्ति पर निबंध, women’s power essay in hindi (250 शब्द)

प्रस्तावना :.

देश की उचित सामाजिक और आर्थिक वृद्धि के लिए महिला शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। पुरुष और महिला दोनों सिक्के के दो पहलू की तरह हैं और समाज के दो पहियों की तरह समान रूप से चलते हैं। इसलिए दोनों देश में विकास और विकास के महत्वपूर्ण तत्व हैं और इस प्रकार शिक्षा में समान अवसर की आवश्यकता है। यदि दोनों में से कोई भी नकारात्मक पक्ष लेता है, तो सामाजिक प्रगति संभव नहीं है।

भारत में महिला शिक्षा के लाभ:

भारत में महिला शिक्षा देश के भविष्य के लिए अत्यधिक आवश्यक है क्योंकि महिलाएं अपने बच्चों की पहली शिक्षिका का अर्थ है राष्ट्र का भविष्य। यदि महिलाओं की शिक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है, तो यह राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य से अनभिज्ञ होगा।

एक अशिक्षित महिला सक्रिय रूप से परिवार को संभालने, बच्चों की उचित देखभाल और इस तरह कमजोर भविष्य की पीढ़ी में भाग नहीं ले सकती है। हम नारी शिक्षा के सभी फायदे नहीं गिना सकते।

एक शिक्षित महिला अपने परिवार को आसानी से संभाल सकती है, प्रत्येक परिवार के सदस्य को जिम्मेदार बना सकती है, बच्चों में अच्छे गुणों को विकसित कर सकती है, सामाजिक कार्यों में भाग ले सकती है और सभी उसे सामाजिक और आर्थिक रूप से स्वस्थ राष्ट्र की ओर ले जाएंगे।

एक आदमी को शिक्षित करके, केवल एक आदमी को शिक्षित किया जा सकता है, लेकिन एक महिला को शिक्षित करने से, पूरे देश को शिक्षित किया जा सकता है। महिला शिक्षा का अभाव समाज के शक्तिशाली हिस्से को कमजोर करता है। तो, महिलाओं को शिक्षा के लिए पूर्ण अधिकार होना चाहिए और उन्हें पुरुषों से नीच नहीं माना जाना चाहिए।

निष्कर्ष:

भारत अब महिला शिक्षा के क्षेत्र में एक अग्रणी देश है। भारत का इतिहास बहादुर महिलाओं के लिए कभी खाली नहीं है, लेकिन यह गार्गी, विश्वबारा, मैरिट्रेई (वैदिक युग की) जैसी महिला दार्शनिकों से भरा है और अन्य प्रसिद्ध महिलाएं जैसे मीराबाई, दुर्गाबाती, अहल्याबी, लक्ष्मीबाई, आदि हैं। भारत की सभी प्रसिद्ध ऐतिहासिक महिलाएं। इस उम्र की महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं। हम समाज और देश के लिए उनके योगदान को कभी नहीं भूलेंगे।

नारी शक्ति पर निबंध, women’s power essay in hindi (300 शब्द)

आधुनिक भारतीय समाज में महिलाएं वास्तव में आगे हैं यदि हम उनकी तुलना प्राचीन काल से करते हैं लेकिन अगर हम महिला सशक्तिकरण के बारे में बात करते हैं, तो हम कह सकते हैं कि वास्तव में सभी क्षेत्रों में महिलाएं सशक्त नहीं हैं। इतना आगे होने के बाद भी, महिलाओं को कठिन परिस्थितियों को हराते हुए लंबे रास्ते से जाने की जरूरत है।

दो लिंगों के बीच संतुलन बनाए रखने तक महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में बहुत प्रभाव प्राप्त किया है। हम कह सकते हैं कि महिलाओं को पहले की तुलना में अधिक स्वतंत्रता है, हालांकि कई मामलों में सच नहीं है क्योंकि समाज में पूर्वाग्रह अभी भी बना हुआ है।

आत्मरक्षा तकनीक सबसे पहली और महत्वपूर्ण चीज है, जिसके लिए प्रत्येक महिला को अपनी सुरक्षा के लिए उचित आत्मरक्षा प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए। उन्हें कुछ प्रभावी रक्षा तकनीकों के बारे में पता होना चाहिए जैसे कि किक टू ग्रोइन, ब्लॉकिंग पंच, आदि।

आम तौर पर ज्यादातर महिलाओं को छठी इंद्रिय भेंट की जाती है, जो कि जब भी किसी समस्या में बनती है, तो उन्हें इस्तेमाल करनी चाहिए। उन्हें एक बार किसी भी स्थिति से बचना चाहिए जो उन्हें उनके लिए बुरा लगता है।

जब भी वे समस्या में होते हैं महिलाओं के कुछ जोखिमों को कम करने के लिए पलायन और दौड़ भी एक अच्छा तरीका है। उन्हें कभी भी किसी अनजान जगह पर किसी अनजान व्यक्ति के साथ नहीं जाना चाहिए। महिलाओं को अपनी शारीरिक शक्ति को समझना और महसूस करना होगा और उसके अनुसार उपयोग करना होगा।

वे कभी भी खुद को पुरुषों से कमजोर नहीं महसूस करते और कुछ आत्मरक्षा प्रशिक्षण लेते हैं। साइबरस्पेस में इंटरनेट पर किसी के साथ संवाद करते समय उन्हें सावधान रहना चाहिए। काली मिर्च स्प्रे को एक उपयोगी आत्म-रक्षा उपकरण के रूप में भी साबित किया जा सकता है, हालांकि इसमें एक खामी है कि कुछ लोगों को फुल-फेस स्प्रे के बाद भी इसके माध्यम से नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है।

यह हमलावर को रोक नहीं सकता है इसलिए महिलाओं को इस पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होना चाहिए और अन्य तकनीकों का भी उपयोग करना चाहिए। उनके पास सभी आपातकालीन नंबर होने चाहिए और यदि संभव हो तो व्हाट्सएप भी ताकि वे तुरंत अपने परिवार के सदस्यों और पुलिस को बता सकें।

महिलाओं को कार चलाते समय और किसी भी यात्रा पर जाते समय बहुत सचेत रहना चाहिए। उन्हें स्वयं या निजी कार से यात्रा करते समय कार के सभी दरवाजों को बंद करना होगा।

महिला सुरक्षा एक बड़ा सामाजिक मुद्दा है जिसे सभी के प्रयास से तत्काल हल करने की आवश्यकता है। यह देश के विकास और विकास को बाधित कर रहा है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि देश की आधी आबादी को सभी पहलुओं (शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से) में नुकसान पहुंचा रहा है।

नारी शक्ति पर निबंध, women’s power essay in hindi (400 शब्द)

महिलाएं समाज के विकास और विकास में एक महान भूमिका निभाती हैं और इसे एक उन्नत और आधुनिक समाज बनाती हैं। ब्रिघम यंग द्वारा एक प्रसिद्ध कहावत है कि, “आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं; आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं। आप एक महिला को शिक्षित करते हैं; आप एक पीढ़ी को शिक्षित करते हैं।

”महिलाओं को शिक्षित करना और उन्हें शक्ति देना बहुत महत्वपूर्ण है जिसका समाज में महिला सशक्तिकरण और समाज के विकास के लिए अनुसरण करने की आवश्यकता है। क्योंकि यह सच है कि, अगर कोई पुरुष शिक्षित और सशक्त हो रहा है, केवल तभी उसे लाभान्वित किया जा सकता है, जबकि अगर एक महिला शिक्षित और सशक्त हो रही है, तो पूरे परिवार और समाज को फायदा हो सकता है।

महिलाएं ऐसी चीजें नहीं हैं जिन्हें उनकी कम शक्ति और अधिकार के कारण उपेक्षित किया जा सकता है बजाय इसके कि उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए सशक्त और प्रोत्साहित किया जाए। महिलाएं दुनिया की आधी आबादी हैं जिसका मतलब है दुनिया की आधी ताकत।

अगर किसी भी देश की महिलाओं को सशक्त नहीं किया जाता है तो इसका मतलब है कि देश में आधी शक्ति का अभाव है। स्वभाव से, महिलाएं अपनी सभी भूमिकाएं बड़ी जिम्मेदारियों के साथ निभाती हैं और एक स्वस्थ परिवार, ठोस समाज और शक्तिशाली देश बनाने की क्षमता रखती हैं। बहुत सारे प्रयास किए गए हैं लेकिन अभी भी महिलाएं पिछड़ी हुई हैं और घरेलू गतिविधियों तक सीमित हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि अगर एक अशिक्षित महिला घर को ठीक से संभाल सकती है तो एक अच्छी शिक्षित महिला पुरुषों की तरह पूरे देश का नेतृत्व क्यों नहीं कर सकती है।

महिलाओं के बिना पुरुषों के लिए कुछ भी संभव नहीं है, वे समाज की मूल इकाई हैं, वे एक परिवार बनाते हैं, परिवार एक घर बनाते हैं, एक घर समाज बनाते हैं और अंततः समाज एक देश बनाते हैं। तो एक महिला का योगदान हर जगह जन्म लेने और बच्चे को जन्म देने से लेकर पूरे जीवन और अन्य क्षेत्रों की देखभाल के लिए होता है।

महिलाओं की सभी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को समाजों द्वारा कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। शिक्षा और महिला सशक्तीकरण के बिना परिवार, समाज और देश में कोई विकास संभव नहीं है। महिलाओं को अच्छी तरह से पता है कि कैसे बात करना है, कैसे व्यवहार करना है, विभिन्न वर्गों के लोगों के साथ कैसे व्यवहार करना है, आदि।

वह सभी स्थितियों को संभालना जानती हैं क्योंकि वह एक अच्छे समाज की बुनियादी बातों को अच्छी तरह से जानती हैं और मुख्य भूमिका के रूप में विनम्रता से अपनी भूमिका निभाती हैं। एक मजबूत समाज का निर्माण। इससे पहले, जब महिलाओं का जीवन दासों से भी बदतर था, तो महिलाओं को जानवरों के रूप में माना जाता था और सेक्स खिलौने के रूप में उपयोग किया जाता था।

महिलाओं के लिए एक लड़की को जन्म देना एक पाप था, या तो उन्हें मार दिया गया, जिंदा दफना दिया गया या परिवार के पुरुष मुखिया द्वारा फेंक दिया गया। हालाँकि, समाज में कुछ हद तक सुधार देखा गया है लेकिन आज भी कई पिछड़े इलाकों में यह चला आ रहा है और महिलाओं को इन कृत्यों को सहना पड़ रहा है।

नारी शक्ति पर निबंध, women’s power essay in hindi (800 शब्द)

प्रस्तावना:.

महिला सशक्तिकरण को बहुत ही सरल शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि यह महिलाओं को शक्तिशाली बना रहा है ताकि वे अपने जीवन और परिवार और समाज में अच्छी तरह से होने के बारे में अपने निर्णय ले सकें। यह महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें समाज में उनके वास्तविक अधिकारों को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।

हमें भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता क्यों है

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत एक पुरुष प्रधान देश है जहाँ हर क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व है और महिलाओं को केवल परिवार की देखभाल के लिए जिम्मेदार माना जाता है और अन्य कई प्रतिबंधों सहित घर में रहते हैं। भारत में लगभग 50% आबादी केवल महिला द्वारा कवर की जाती है इसलिए देश का पूर्ण विकास आधी आबादी का मतलब महिलाओं पर निर्भर करता है, जो कि सशक्त नहीं हैं और अभी भी कई सामाजिक वर्जनाओं द्वारा प्रतिबंधित हैं।

ऐसी स्थिति में, हम यह नहीं कह सकते हैं कि हमारा देश भविष्य में अपनी आधी आबादी के सशक्तीकरण के बिना विकसित होगा अर्थात महिलाओं के बिना। यदि हम अपने देश को एक विकसित देश बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले पुरुषों, सरकार, कानूनों और महिलाओं के प्रयासों से भी महिलाओं को सशक्त बनाना बहुत आवश्यक है।

प्राचीन समय से भारतीय समाज में लैंगिक भेदभाव और पुरुष वर्चस्व के कारण महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता उत्पन्न हुई। महिलाओं को उनके परिवार के सदस्यों और समाज द्वारा कई कारणों से दबाया जा रहा है। उन्हें भारत और अन्य देशों में परिवार और समाज में पुरुष सदस्यों द्वारा कई प्रकार की हिंसा और भेदभावपूर्ण प्रथाओं के लिए लक्षित किया गया है।

प्राचीन समय से समाज में महिलाओं के लिए गलत और पुरानी प्रथाओं ने अच्छी तरह से विकसित रीति-रिवाजों और परंपराओं का रूप ले लिया है। भारत में कई महिला देवी की पूजा करने की परंपरा है, जिसमें समाज में महिलाओं को मां, बहन, बेटी, पत्नी और अन्य महिला रिश्तेदारों या दोस्तों को सम्मान दिया जाता है।

लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि केवल महिलाओं का सम्मान या सम्मान करने से देश में विकास की जरूरत पूरी हो सकती है। उसे जीवन के हर पड़ाव में देश की बाकी आधी आबादी के सशक्तिकरण की जरूरत है।

भारत एक प्रसिद्ध देश है जो एकता और विविधता का प्रतीक है ’जैसी सामान्य कहावत साबित करता है, जहां भारतीय समाज में कई धार्मिक मान्यताओं के लोग हैं। महिलाओं को हर धर्म में एक विशेष स्थान दिया गया है जो लोगों की आँखों को कवर करने वाले एक बड़े पर्दे के रूप में काम कर रही है और उम्र से एक आदर्श के रूप में महिलाओं के खिलाफ कई बीमार प्रथाओं (शारीरिक और मानसिक सहित) की निरंतरता में मदद करती है।

प्राचीन भारतीय समाज में सती प्रथा, नागर वधू प्रणाली, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या, क्षमा प्रार्थना, पत्नी को जलाने, कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न, बाल विवाह, बाल श्रम, देवदाशी प्रथा का रिवाज था। इस प्रकार की सभी कुप्रथाएं समाज की पुरुष श्रेष्ठता जटिल और पितृसत्तात्मक व्यवस्था के कारण हैं।

सामाजिक-राजनीतिक अधिकार (काम करने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, खुद तय करने का अधिकार, आदि) महिलाओं के लिए परिवार के पुरुष सदस्यों द्वारा पूरी तरह से प्रतिबंधित थे। महिलाओं के खिलाफ कुछ कुकृत्य को खुले दिमाग और महान भारतीय लोगों द्वारा समाप्त किया गया है जो महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण प्रथाओं के लिए आवाज उठाते हैं।

राजा राम मोहन राय के निरंतर प्रयासों के माध्यम से, अंग्रेजों को सती प्रथा की कुप्रथा को खत्म करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बाद में, भारत के अन्य प्रसिद्ध समाज सुधारकों (ईश्वर चंद्र विद्यासागर, आचार्य विनोबा भावे, स्वामी विवेकानंद, आदि) ने भी अपनी आवाज उठाई थी और भारतीय समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए कड़ी मेहनत की थी। भारत में, विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 ईश्वर चंद्र विद्यासागर के निरंतर प्रयासों से देश में विधवाओं की स्थिति में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था।

हाल के वर्षों में, भारत सरकार द्वारा महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए विभिन्न संवैधानिक और कानूनी अधिकारों को लागू किया गया है। हालांकि, इतने बड़े मुद्दे को हल करने के लिए, महिलाओं सहित सभी के निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है।

आधुनिक समाज की महिला अधिकारों के बारे में अधिक जागरूक हो रही है जिसके परिणामस्वरूप इस दिशा में काम करने वाले कई स्वयं सहायता समूहों, गैर सरकारी संगठनों आदि की संख्या बढ़ रही है। अपराधों के साथ-साथ होने के बाद भी सभी आयामों में अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए महिलाओं को खुले दिमाग से और सामाजिक बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ाया जा रहा है।

संसद द्वारा पारित कुछ अधिनियम समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976, दहेज प्रतिषेध अधिनियम -1961, अनैतिक यातायात (रोकथाम) अधिनियम -1956, गर्भावस्था अधिनियम-1971 की चिकित्सा समाप्ति, मातृत्व लाभ अधिनियम -1961, सती आयोग (रोकथाम) अधिनियम-1987, बाल विवाह निषेध अधिनियम -2016, पूर्व-गर्भाधान और पूर्व-नेटल डायग्नोस्टिक तकनीक (विनियमन और दुरुपयोग की रोकथाम) अधिनियम-1994, कार्य स्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, संरक्षण और अधिनियम) -2016, आदि। कानूनी अधिकारों के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए।

भारत में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने और महिलाओं के खिलाफ अपराध को कम करने के लिए, सरकार ने एक और अधिनियम जुवेनाइल जस्टिस (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) विधेयक, 2015 (विशेषकर निर्भया कांड के बाद जब एक आरोपी किशोर को रिहा किया गया था) पारित किया है। यह अधिनियम जघन्य अपराधों के मामलों में 18 से 16 वर्ष की आयु को कम करने के लिए 2000 के पहले किशोर अपराध कानून (किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000) का प्रतिस्थापन किया है।

भारतीय समाज में महिला सशक्तीकरण को वास्तव में लाने के लिए, समाज की पितृसत्तात्मक और पुरुष प्रधान प्रणाली वाली महिलाओं के खिलाफ कुप्रथाओं के मुख्य कारण को समझना और समाप्त करना होगा। इसे खुले मन से और संवैधानिक और अन्य कानूनी प्रावधानों के साथ महिलाओं के खिलाफ स्थापित पुराने दिमाग को बदलने की जरूरत है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Essay on nari shakti in hindi नारी शक्ति पर निबंध women power essay in hindi.

Today, we are sharing essay on Nari Shakti in Hindi नारी शक्ति पर निबंध for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 66, 7, 8, 9, 10, 11, 12. Read नारी शक्ति पर निबंध – Essay on Nari Shakti in Hindi (Women Power Essay in Hindi).

Essay on Nari Shakti in Hindi

नारी शक्ति पर निबंध Essay on Nari Shakti in Hindi

Essay on Nari Shakti in Hindi 800 Words

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:!!

अपमान मत करना नारियों का, इनके बल पर जग चलता हैं, पुरुष जन्म लेकर तो, इन्हीं की गोद में पलता हैं!

नारी का मूल रूप जननी-यानी धरती का है, जो नर-मादा सभी प्रकार की फसलों को न केवल जन्म देती है, बल्कि अपने अंतर के अमृत से पाल-पोसकर बड़ा भी करती है, सुखी-समृद्ध भी बनाती है। अत: नारी सत्ता के पूर्ण अस्तित्व की सामान्य स्वीकृति और सहयोग के बिना किसी राष्ट्र के नव-निर्माण की तो क्या, उसके मूल अस्तित्व की कल्पना और रक्षा तक कर पाना संभव नहीं है।

परंपरा के अनुरूप नारी का स्थान यदि घरपरिवार तक ही सीमित मान लिया जाए, तब भी वह सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। वह इसलिए कि देश, समाज और राष्ट्र आदि सभी की सत्ता का उदमग घर-परिवारों के साकार अस्तित्व से ही हुआ करता है। वह नींव है, बुनियाद है, जिसकी उपेक्षा एंव अभाव में किसी भी प्रकार के निर्माण की बात तक नहीं सोची जा सकती।

गृहस्वामिनी के क्षेत्र एंव अधिकार तक सीमित रहकर भी यदि नारी हमें सृजनात्मक लालन-पालन एंव दृष्टिकोण दे पाएगी, तभी तो देशीयता, जातीयता और राष्ट्रीयता का भाव जाग सकेगा कि जो हमेशा युगानुकूल नव-निर्माण का ज्वलंत प्रश्न बना रहा करता है। घर में रहकर नारी ही पुरुष और अन्य सभी सदस्यों को वह संस्कार के भाव और विचार, वह प्रेरणा और सक्रियता प्रदान कर सकती है कि जो घर से बाहर जीवन, समाज एंव राष्ट्र-निर्माण के लिए परम आवश्यक ही नहीं, बुनियादी शर्त है।

अत: नव-निर्माण द्वारा प्रगति एंव समृद्धि का अकांक्षा रखने वाला कोई भी व्यक्ति और राष्ट्र नारी की उपेक्षा नहीं कर सकता। मध्यकालीन विषम परिस्थितियों के कारण और प्रभाव से भारत ने ऐसा किया, तो आज तक उस सबका दुष्परिणाम भी पराधीनता, अव्यवस्था, अराजकता और पिछड़ेपन के रूप में भोगा है। आज भी व्यवहार के स्तर पर नारी के प्रति पुरुष समाज के दृष्टिकोण में कोई विशेष अंतर नहीं आ पाया है, इसी कारण हमारे घर-परिवार विघटित होकर बिखर रहे हैं।

कहने को आज का युग विचार, भाव और क्रिया आदि सभी स्तरों पर आमूल-चूल परिवर्तित हो चुका है। पुरानी मान्यताए, मध्यकालीन मानमूल्य और नैतिकतांए आज व्यर्थ हो चुकी हैं। प्रतिदिन, प्रति क्षण और प्रति पग नवमूल्यों का सृजन हो रहा है। फिर आज विश्व के किसी भी देश में नारी का संसार केवल घर-परिवार तक सीमित नहीं रह गया।

जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सक्रिय होकर वह अपनी अदभुत प्रतिभा और कार्यक्षमता का परिचय दे रही है। स्कूल-टैक्सी-बस-ड्राइवरी से लेकर वायुयान उड़ाने तक का कठिन उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य वह निर्भय होकर कर रही है। अत: अब नारी के प्रति मध्यकालीन कवियों वाला वह दृष्टिकोण नहीं चल सकता कि जिसके अनुसार उसे खुला नहीं छोड़ना चाहिए, ताकि वह इत्र की तरह कहीं उड़ न जाए। या उसे खुले नरम-गरम वातावरण में नहीं जाने देना चाहिए, ताकि माखन की टिकिया के समान वह गर्मी पाकर पिघल और सर्दी पाकर जम न जाए। भीषण तपते रेगिस्तानों और हिमालय के उच्चतम शिखरों की तूफानी ठंडक में भी वह अपने-आपको भरा-पूरा रखकर पुरुष से भी कहीं अधिक शक्तिशाली, कार्य-कुशल सिद्ध कर चुकी है।

अपनी इन गतिविधियों से वह निश्चिय ही राष्ट्र की प्रगति के कदमों को आगे बढ़ा रही है। फिर अब तो उसके कदमों के माध्यम से राष्ट्र के कदम दक्षिण धुरव की सघन एंव पथरीली शीतलता तक भी स्पर्श कर आए हैं। नारी के कोमल हाथ सभी प्रकार के उद्योग-धंधे भी कुशलता से चला रहे हैं। फिर उसे पुरुष से कम क्योंकर कहा और समझा जा सकता है?

हमारे चारो ओर के जीवन में नारी-सक्रियता से स्पष्ट है कि आज की नारी बीते कल वाली नहीं, बल्कि आने वाले कल की उन्नतम संभावना है। वह प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़कर राष्ट्र निर्माण में सहयोग दे रही है। फिर भी खेद के साथ यह स्वीकारना ही पड़ता है कि भारतीय पुरुष समाज का व्यवहार के स्तर पर नारी के प्रति दृष्टिकोण आज भी मध्ययुगीन एंव सामंती ही हैं।

इसे हम संक्रमण काल की मानसिकता कह सकते हैं, किंतु इसकी उपेक्षा नहीं कर सकते। उपेक्षा करना उचित भी नहीं। पुरुष समाज को इस गंदे एंव संकीर्ण मानसिकता से बाहर निकल नारी के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलना होगा। उसे भोज्या से बहुत अधिक मानना होगा। उससे सम्मानपूर्वक सहयोग मांगना होगा। उसकी एकाग्रता के गुण से संयत कार्यक्षमता का सर्वत्र उचित उपयोग करना होगा।

ऐसा करके ही हम उसे राष्ट्र-निर्माण में सहयोगिनी बना सकते हैं। राष्ट्र का चरम विकास भी तभी संभव हो सकेगा, जब नारी शक्ति का समूचित उपयोग कर पाना हम सीख लेंगे। उसे अब किसी भी प्रकार के बंधन में बांध रख पाना संभव नहीं। अत: उसके लिए सहयोग-सहकार के द्वारा उन्मुक्त होने चाहिए। तभी वह अपनी अदभुत अंतरंग शक्तियों का वास्तविक परिचय दे सकेगी।

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Nari Sashaktikaran Essay in Hindi: जानिए नारी सशक्तीकरण पर निबंध हिंदी में

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  • Updated on  
  • फरवरी 22, 2024

Nari Sashaktikaran Essay in Hindi

छात्रों को नारी सशक्तिकरण के बारे में जानना चाहिए क्योंकि यह लैंगिक समानता, सामाजिक न्याय और एक अधिक समावेशी समाज को बढ़ावा देता है। नारी सशक्तिकरण के महत्व को समझने से छात्रों को लिंग की परवाह किए बिना सभी के लिए समान अवसरों और अधिकारों के मूल्य को पहचानने में मदद मिलती है। नारी सशक्तिकरण के बारे में छात्रों को शिक्षित करने से महिलाओं के अनुभवों और चुनौतियों के प्रति सम्मान और समझ को बढ़ावा मिलता है। इसलिए कई बार छात्रों को नारी सशक्तीकरण पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। Nari Sashaktikaran Essay in Hindi के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

नारी सशक्तीकरण पर निबंध 100 शब्दों में, नारी सशक्तीकरण पर निबंध 200 शब्दों में, वर्तमान समय में नारी सशक्तिकरण की आवश्यकता, देश की महिलाओं को सशक्त कैसे बनाएं , नारी सशक्तीकरण पर 10 लाइन्स.

नारी सशक्तिकरण महिलाओं को समाज में उनकी स्वायत्तता, अवसर और अधिकार प्रदान करने की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।  यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है, यह सुनिश्चित करता है कि महिलाओं को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल और निर्णय लेने वाली भूमिकाओं तक समान पहुंच मिले। महिलाओं को सशक्त बनाने से न केवल उन्हें व्यक्तिगत रूप से लाभ होता है बल्कि सामाजिक प्रगति और आर्थिक विकास भी होता है।

शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से, महिलाएं रूढ़िवादिता को चुनौती देने, बाधाओं को कम करने और अपनी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनती हैं। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे परिवार कल्याण, सामुदायिक विकास और राष्ट्रीय समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

ऐसे माहौल को बढ़ावा देना जारी रखना जरूरी है जहां महिलाएं आगे बढ़ने और नेतृत्व करने के लिए सशक्त महसूस करें। महिला सशक्तिकरण में निवेश करके, समाज अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकते हैं और सभी के लिए अधिक न्यायसंगत और समावेशी दुनिया बना सकते हैं।

Nari Sashaktikaran Essay in Hindi 200 शब्दों में नीचे दिया गया है:

नारी सशक्तीकरण महिलाओं को जीवन पर नियंत्रण और अधिकार प्राप्त करने में सहायता करता है। नारी सशक्तीकरण महिलाओं को अपनी आकांक्षाओं को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।  सशक्त नारी को अपनी इच्छानुसार पढ़ने और काम करने अनुमति होती है। वे कमजोरियों पर काबू पाने और अधिक आत्मविश्वासी होती हैं। क्योंकि महिलाएं दुनिया की आधी आबादी हैं, इसलिए उनका विकास सामाजिक कल्याण, आर्थिक समृद्धि और वैश्विक प्रगति के लिए आवश्यक है। सशक्त महिलाएँ खुशहाल परिवारों के पोषण और सामाजिक और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

लोगों के द्वारा लगाए गए अवरोध अक्सर नारी सशक्तीकरण में बाधा डालते हैं। कई बार उन्हें घरेलू भूमिकाओं तक सीमित कर देते हैं। इस मानसिकता के परिणामस्वरूप लड़कियों को शिक्षा से वंचित किया जाता है। नारियों को सामाजिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं की सुरक्षा के बारे में चिंताएँ उनके सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण बाधाएँ पैदा करती हैं।

फिर भी, महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी योग्यता साबित की है, रूढ़िवादिता को दूर किया है और अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। नारी सशक्तिकरण को बढ़ाने के प्रयासों में बाल विवाह को समाप्त करने और दहेज प्रथा को खत्म करने जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। एक निष्पक्ष और समान समाज बनाने के लिए लैंगिक पूर्वाग्रहों को खत्म करना और शिक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और नागरिक समाज के बीच सहयोग का होना भी महत्वपूर्ण है।

नारी सशक्तीकरण पर निबंध 500 शब्दों में

Nari Sashaktikaran Essay in Hindi 500 शब्दों में नीचे दिया गया है:

सशक्त महिलाओं को स्वयं निर्णय लेने की शक्ति होती है। लंबे समय से महिलाओं को उत्पीड़न और भेदभाव का सामना करना पड़ा है। यहाँ तक कि महिलाओं को मतदान जैसे बुनियादी अधिकारों से भी दूर रखा जाता है। समय के साथ, महिलाओं ने अपनी ताकत को पहचाना और अपना सशक्तिकरण करना शुरू कर दिया। नारी सशक्तीकरण का उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। उन्हें पुरुषों से स्वतंत्र रूप से समाज में अपनी जगह बनाने के लिए प्रोत्साहित करना था। क्योंकि महिला समाज का आधा हिस्सा होती हैं उस देश की तरक्की के लिए नारी का सशक्त होना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। 

पूरे इतिहास में, दुनिया भर में महिलाओं ने आज अपनी स्थिति हासिल करने के लिए दुर्व्यवहार के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। पश्चिमी देशों में प्रगति में सशक्त महिलाओं की भागीदारी को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। भारतीय इतिहास में भी नारियों की अहम भूमिका रही है। लेकिन वर्तमान समय में भारत और कई देश अभी भी महिलाओं को सशक्त बनाने में पीछे हैं।

ऑनर किलिंग जैसी प्रथाओं के कारण सुरक्षा संबंधी चिंताएँ व्याप्त हैं, जहाँ परिवारों का मानना है कि महिलाओं की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए उन्हें नुकसान पहुँचाना स्वीकार किया जाता है। प्रतिबंधों से भरे सामाजिक मानदंड महिलाओं की शिक्षा और स्वतंत्रता को सीमित करते हैं। जिससे अक्सर कम उम्र में विवाह और पुरुष के वर्चस्व को बढ़ावा दिया जाता है। घरेलू हिंसा एक और अहम मुद्दा है। समाज में ये अवधारणाएं भी हैं की महिलाएं महज़ संपत्ति हैं। इसके अलावा दफ्तरों पर लिंग को लेकर भेदभाव बरकरार है, महिलाओं को अक्सर समान काम के लिए कम वेतन मिलता है।

महिलाओं को बोलने और अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए सशक्त बनाना महत्वपूर्ण है। यह दबाव बनाने वाली प्रथाओं को खत्म करने और सभी लिंगों के लिए समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करने का समय है।

महिलाओं को सशक्त बनाने के कई तरीके हैं और इसके लिए व्यक्तियों और सरकार दोनों के प्रयासों की आवश्यकता है।  सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, लड़कियों की शिक्षा यह सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य होनी चाहिए कि उन्हें अपना जीवन बनाने के लिए ज्ञान प्राप्त हो।

लिंग की परवाह किए बिना सभी के लिए समान अवसर आवश्यक हैं, जिसमें समान कार्य के लिए उचित वेतन भी शामिल है। लड़कियों को सशक्त बनाने और उन्हें अपनी आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने की अनुमति देने के लिए बाल विवाह को समाप्त करना महत्वपूर्ण है।

महिलाओं को वित्तीय रूप से स्वतंत्रता के लिए कौशल सिखाने के लिए कार्यक्रम उपलब्ध होने चाहिए, जिससे उन्हें किसी भी आर्थिक समस्या से निपटने में मदद मिल सके।

महिलाओं को सामाजिक फैसले के डर के बिना अपमानजनक रिश्तों को छोड़ने में सुरक्षित महसूस करना चाहिए। माता-पिता को अपनी बेटियों को सिखाना चाहिए कि खतरनाक स्थिति को किस प्रकार से सुलझाया जाए। 

महिलाओं को सशक्त बनाना न केवल एक नैतिक अनिवार्यता है बल्कि सामाजिक प्रगति और समानता के लिए भी एक आवश्यकता है। शिक्षा, समान अवसर और सहायता प्रणालियों तक पहुंच सुनिश्चित करके, हम महिलाओं की सहायता कर सकते हैं। हम सभी के लिए अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज बना सकते हैं। महिलाओं के लिए यह बाधाओं को तोड़ने, रूढ़िवादिता को चुनौती देने और हर जगह अधिकारों की बात करने का समय है। आइए हम सब मिलकर एक ऐसी दुनिया की ओर प्रयास करें जहां हर महिला के पास अपनी किस्मत खुद बनाने और मानवता की भलाई में योगदान करने की शक्ति हो।

नारी सशक्तीकरण पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:

  • महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं को अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान करना है।
  • नारी सशक्तीकरण में सभी क्षेत्रों में समान जीवन के लिए महिलाओं को अवसर और अधिकार सुनिश्चित करना शामिल है।
  • महिलाओं को लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और सामाजिक प्रगति में योगदान देना है।
  • नारी सशक्तीकरण में महतवपूर्ण कार्य महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक अवसरों तक पहुंच शामिल है।
  •  भेदभाव को कम करने के लिए महिला को आर्थिक और मानसिक रूप से सशक्त होने की आवश्यकता है।
  • नारी सशक्तीकरण महिलाओं को अपनी जिम्मेदारी उठाने और निर्णय लेने में सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम बनाता है।
  • नारी सशक्तीकरण महिलाओं को सकारात्मक परिवर्तन को बढ़ावा देने और आगे बढ़ाने में सहायक हैं।
  • महिलाओं के पास पुरूषों के प्रति समान अधिकार होने चाहिए। 
  • एक विकासशील समाज में महिलाओं के मूल्य और योगदान को पहचाना जाता है।
  • महिलाओं को सभी के लिए अधिक न्यायसंगत और समृद्ध दुनिया बनानी चाहिए। 

महिला सशक्तिकरण का तात्पर्य महिलाओं को स्वयं निर्णय लेने की शक्ति, स्वायत्तता और अवसर प्रदान करने की प्रक्रिया से है, जिससे वे अपनी पूरी क्षमता हासिल करने और समाज में सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम हो सकें।

महिला सशक्तिकरण सामाजिक प्रगति और विकास के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है, आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है और सामाजिक स्थिरता में योगदान देता है। सशक्त महिलाएँ परिवारों के पोषण और सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

कई कारक महिला सशक्तीकरण में बाधा डालते हैं, जिनमें सांस्कृतिक मानदंड और लैंगिक रूढ़ियाँ शामिल हैं जो महिलाओं की भूमिकाओं और अवसरों को सीमित करती हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच की कमी, भेदभावपूर्ण कानून और प्रथाएं, लिंग आधारित हिंसा और असमान आर्थिक अवसर और वेतन।

व्यक्ति और सरकारें महिलाओं के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक अवसरों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने वाली नीतियों और पहलों को लागू करके महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए समुदायों और संस्थानों के भीतर सम्मान, समावेश और लैंगिक समानता की संस्कृति को बढ़ावा देना आवश्यक है।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Nari Sashaktikaran Essay in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के अन्य कोर्स और सिलेबस से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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नारी शक्ति पर निबंध व भाषण। Woman Power Essay & Speech in Hindi 

Essay & speech on nari shakti (woman empowerment in india)  in hindi –  नारी शक्ति एवं महिला सशक्तिकरण पर भाषण और निबंध.

Woman Power in Hindi

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि “एक राष्ट्र हमेशा ही अपने यहाँ की महिलाओं से सशक्त बनता है , वह माँ , बहन और पत्नी की भूमिकाओं में अपने नागरिकों का पालन पोषण करती है और तब जाकर यह सशक्त नागरिक , एक सशक्त समाज और सशक्त राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाते है।”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह कथन दर्शाता है कि देवीयता प्राप्त नारी कभी माँ के रूप में तो कभी बेटी के रूप में ईश्वर का दिया एक अमूल्य धन है जो बिना परिश्रम लिए अत्यंत आत्मीयता से सभी परिवार जनों की सेवा करती है और जिसने जमीन से आसमान तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहराया है। बावजूद इसके समाज में आज भी कुछ लोग ऐसे है जो महिलाओं को अबला नारी कहते है और मानसिक व शारीरिक रूप से उसका दोहन करने में तनिक भी नहीं हिचकिचाते है। 

प्रसिद्द लेखिका तसलीमा नसरीन ने लिखा है कि – “वास्तव में स्त्रियाँ जन्म से अबला नहीं होती, उन्हें अबला बनाया जाता है।” पेशे से एक डॉक्टर तसलीमा नसरीन ने उदाहरण के रूप में इस तथ्य की ब्याख्या की है – “जन्म के समय एक ‘स्त्री शिशु’ की जीवनी शक्ति का एक ‘पुरुष शिशु’ की अपेक्षा अधिक प्रबल होती है, लेकिन समाज अपनी परम्पराओं और रीति – रिवाजों एवं जीवन मूल्यों  के द्वारा महिला को “सबला” से “अबला” बनाता है।”

इसका मतलब है की व्यक्तित्व को निखारने के लिए प्रकृति लिंग का भेदभाव नहीं करती है। इसलिए आज आवश्यकता इस बात की है कि हमें महिलाओं का सशक्तिकरण करने के लिए महिलाओं को एहसास दिलाना होगा कि उनमें अपार शक्ति है, उनको अपनी आंतरिक शक्ति को जगाना होगा। क्योंकि जिस प्रकार एक पक्षी के लिए केवल एक पंख के सहारे उड़ना संभव नहीं है, वैसे ही किसी राष्ट्र की प्रगति केवल शिक्षित पुरुषों के सहारे नहीं हो सकता है।

राष्ट्र की प्रगति व सामाजिक स्वतंत्रता में शिक्षित महिलाओं की भूमिका उनती ही अहम् है जितना की पुरुषों की और इतिहास इस बात का प्रमाण है कि जब नारी ने आगे बढ़कर अपनी बात सही तरीके से रखी है, समाज और राष्ट्र ने उसे पूरा सम्मान दिया है और आज की नारी भी अपने भीतर की शक्ति को सही दिशा निर्देश दे रही है यही कारण है कि वर्तमान में महिलाओं की प्रस्थिति एवं उनके अधिकारों में वृद्धि स्पष्ट देखी जा सकती है। 

आज समाज में लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से भी लोगों की सोच में बहुत भारी बदलाव आया है। अधिकारिक तौर पर भी अब नारी को पुरुष से कमतर नहीं आका जाता। यही कारण है कि महिलाएं पहले से अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर हुई है। जीवन के हर क्षेत्र में वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मजबूती से खड़ी हैं और आत्मबल, आत्मविश्वास एवं स्वावलंबन से अपनी सभी जिम्मेदारी निभाती है। 

वर्तमान में महिला को अबला नारी मानना गलत है। आज की नारी पढ लिखकर स्वतंत्र है अपने अधिकारों के प्रति सजग भी है | आज की नारी स्वयं अपना निर्णय लेती है। आज की नारी ‘शक्ति’ का सघन पुंज है।  यह शक्ति जिस रूप में प्रकट होती है,  वह उसी रूप में परिलक्षित होती है। 

आज की नारी जब अपने अबोध एवं नवजात बालक को स्तनपान कराती है तो वह वात्सल्य एवं ममता का साकार रूप होती है। जब वह अपने केंद्र पर खड़ी होकर हुंकार भरती है तो वह दुर्गा एवं कालीरुपा बन जाती है, फिर उसकी दृढ़ता एवं साहस के सामने कोई नहीं टिकता है। जब नारी अपनी सुकोमल सम्वेदनाओं के संग विचरती है तो सृष्टि में सौंदर्य की एक नई आभा, एक दिव्य प्रकाश बिखर जाता है। 

वर्तमान स्थिति में नारी ने जो साहस का परिचय दिया है, वह  आश्चयर्यजनक है। आज नारी की भागीदारी के बिना कोई भी काम पूर्ण नहीं माना जा रहा है। समाज के हर क्षेत्र में उसका परोक्ष – अपरोक्ष रूप से प्रवेश हो चुका है। 

आज तो कई ऐसे प्रतिष्ठान एवं संस्थाएँ हैं, जिन्हें केवल नारी संचालित करती है। हालांकि यहां तक का सफर तय करने के लिए महिलाओं को काफी मुश्किलों एवं संघर्षों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए अभी मिलों लम्बा सफर तय करना है, जो कंटकपूर्ण एवं दुर्गम है लेकिन अब महिलाएं हर क्षेत्र में आने लगी है। 

आज की नारी जाग्रत एवं सक्रिय हो चुकी है। वह अपनी शक्तियों को पहचानने लगी है जिससे आधुनिक नारी का वर्चस्व बढ़ा है। व्यापार और व्यवसाय जैसे पुरुष एकाधिकार के क्षेत्र में जिस प्रकार उसने कदम रखा है और जिस सूझ – बूझ एवं कुशलता का परिचय दिया है, वह अद्भुत है। बाजार में नारियों की भागीदारी बढ़ती जा रही है। तकनीकी एवं इंजीनियरिंग जैसे पेचीदा विषयों में उसका दखल देखते ही बनता है। 

किसी ज़माने में अबला समझी जाने वाली नारी को मात्र भोग एवं संतान उत्पत्ति का जरिया समझा जाता था। उन्हें घर की चारदीवारी में रहना पड़ता था और ऐसे में नारी की उपलब्धियों को इतिहास के पन्नों में ढूढ़ना पड़ता है। 

जिन औरतों को घरेलू कार्यों में समेट दिया गया था, वह अपनी इस चारदीवारी को तोड़कर बाहर निकली है और अपना दायित्व स्फूर्ति से निभाते हुए सबको हैरान कर दिया है। इक्कीसवीं सदी नारी के जीवन में सुखद संभावनाएँ लेकर आई है। नारी अपनी शक्ति को पहचानने लगी है वह अपने अधिकारों के प्रति जागरुक हुई है। 

शक्ति स्वरूप नारी की सफलता के आँकड़ो का वर्णन करें तो शायद उसे समेट पाना संभव नहीं होगा, परंतु विश्लेषण करने पर पता चलता है कि नारी की प्रकृति बड़ी अनोखी और बेजोड़ होती है। उसमे अनगिनत तत्व एक साथ समाए होते हैं। हरेक तत्व की अपनी खास विशेषता होती है। 

नारी करुणा भी है तो निष्ठुरता भी है, वात्सल्य भी है तो भोग की चरम कामना भी है, त्याग भी है तो मोह का प्रचंड चक्रवात भी उमड़ता – घुमड़ता है। इसमें प्रेम भी समाहित है और घृणा भी शामिल है। इसी में भक्ति के साथ बहिरंग का आकर्षण भी है। इसी में सौंदर्य के साथ विभत्सता भी है। इसमें पवित्रता और कुटिलता दोनों सम्मिलित हैं | ये दोनों विपरीत तत्व बड़ी  तीव्रता एवं बहुलता में नारी में उपस्थित हैं। 

नारी शक्ति की पहचान “मीरा” ने भक्तितत्त्व को बढ़ाया था। उनने पाँच हजार वर्ष पूर्व के कृष्ण को, राधा के समान उपलब्ध कर लिया। गार्गी, घोषा, अपाला ने ज्ञानतत्व को विकसित किया था और वे इतनी पारदर्शी ज्ञानी बन गई कि उन्हें ऋषिकाओं के नाम से संबोधित करते हैं। 

  • नारी जीवन पर तीन प्रेरक कविता
  • महिला सशक्तिकरण पर बेहतरीन नारे एवं सुविचार
  • नारी अस्मिता पर प्रेरक कविता
  • नारी शिक्षा पर कविता
  • भारत में महिलाओं की स्थिति पर निबंध

माता देवकी ने कठोर तप किया था और इसी कारण उनके दिव्य गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। 

कालितत्व भी नारी में ही समाहित है। इसे बढ़ाने वाली थी क्षत्रा क्षत्राणीयाँ, जिनके कोमल करों में तलवारे खनकती थीं।  घोड़ों की पीठ पर वे बिजली के समान कौंधती थीं। रानी लक्ष्मीबाई ने ऐसी वीरता का परिचय दिया था। Malala Yousafzai जिन्हें उत्कृष्ट कार्यों के लिए सबसे कम उम्र में नोबेल प्राइज मिला। 

वर्तमान समय में नारियों की दक्षता, कुशलता, और विभिन्न क्षेत्रों में उनकी बढ़ती प्रतिभा में  उनके अंदर निहित विशिष्ट तत्वों के विकसित होने के कारण ही उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। 

आज के दौर में स्त्री परिवार को चुनौती देती हुयी महत्वाकांक्षा के सपने संजोती हुई अपने विकास को अवरुद्ध करने वाली सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ती आर्थिक रूप से स्वतंत्रा प्राप्त करती तथा स्त्रियों की पारंपरिक भूमिका से भिन्न खड़ी अपनी अलग जमीन तलाशती स्त्री के रूप में हमारे सामने आती है। जो अपने व्यक्तित्व से अथाह प्रेम करती है और उसे कही कुंठित नहीं होने देती। आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के प्रयास के साथ वह अपनी अस्तिमा के प्रति पूरी तरह सजग है। 

इसी कारण स्वामी विवेकानंद ने कहा था –

“नारी का उत्थान स्वयं नारी ही करेगी। कोई और उसे उठा नहीं सकता। वह स्वयं उठेगी। बस, उठने में उसे सहयोग की आवश्यकता है और जब वह उठ खड़ीं होगी तो दुनिया की कोई ताकत उसे रोक नहीं सकती। वह उठेगी और समस्त विश्व को अपनी जादुई कुशलता से चमत्त्कृत करेगी।”

अगर आज की सभी नारी स्वयं को पहचानने, अपनी आंतरिक शक्तियों को उभारने और उन्हें रचनात्मक कार्यों में लगा दे तो विकास की गति कई गुना बढ़ सकती है। शक्ति तो शक्ति है, वह जहाँ पर लगेगी, अपना परिचय देगी। ठीक इसी प्रकार नारी शक्ति है, उसे और अधिक पददलित, शोषित और बेड़ियों में नहीं बाँधा जा सकेगा। उसे स्वयं में पवित्रता और साहस, शौर्य को फिर बढ़ाना होगा, जिससे कि उसे भोग्या के रूप में न देखा जा सके। यदि वह अपने स्वरुप को पहचान सकेगी तो वह आज के अश्लील मार्केट में बिकने से बच सकेगी। 

( परीक्षा उपयोगी और महत्वपूर्ण निबंध पढ़ने के लिए यहाँ click करे )

नारी शक्ति  : Woman Power in Hindi   के इस प्रेरणादायी लेख के साथ हम चाहते है कि हमारे   Facebook Page को भी पसंद करे | और हाँ यदि future posts सीधे अपने inbox में पाना चाहते है तो इसके लिए आप हमारी   email subscription  भी ले सकते है जो बिलकुल मुफ्त है |

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3 thoughts on “ नारी शक्ति पर निबंध व भाषण। Woman Power Essay & Speech in Hindi  ”

Kya speech di me to 1st price Paula thanks you are giving speech

Bahut hi accha likha hai apne thanks

Bahut hi Acha ..padhak bahut hi Acha laga baki post ki tarah aapki yah post bhi achi hai …

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नारी सशक्तिकरण पर निबंध | Women Empowerment Essay In Hindi Pdf

आज का यह लेख  नारी सशक्तिकरण पर निबंध ( Women Empowerment Essay In Hindi Pdf ) के रूप में दिया गया हैं. महिला सशक्तिकरण जिन्हें नारी सशक्तिकरण के नाम से जाना जाता हैं, यहाँ पढ़िए यहाँ छोटा बड़ा नारी महिला वीमेन एम्पावरमेंट हिंदी एस्से यहाँ स्टूडेंट्स के लिए दिया गया हैं.

नारी सशक्तिकरण पर निबंध | Women Empowerment Essay In Hindi

नारी सशक्तिकरण पर निबंध | Women Empowerment Essay In Hindi

Get Here Free Short Essay On Women Empowerment Essay In Hindi Pdf For School Students & Kids

नमस्कार दोस्तों आज का निबंध महिला सशक्तिकरण पर निबंध Women Empowerment Essay In Hindi पर दिया गया हैं. महिला सशक्तिकरण अर्थात वीमेन एम्पोवेर्मेंट अर्थ महत्व पर आसान भाषा में स्टूडेंट्स के लिए यहाँ निबंध दिया गया हैं.

यह जानना आवश्यक हैं आखिर  महिला सशक्तिकरण हैं क्या ? सरल शब्दों में कहा जाए तो नारी (स्त्री,महिला) को उस स्तर तक ले जाना जहाँ से वह अपने निर्णय स्वय कर सके.

वे अपने करियर, शादी, रोजगार, परिवार नियोजन सहित सभी विषयों पर बिना किसी के मदद व दवाब के निर्णय ले सके.

उन्हें वे सभी अधिकार प्राप्त हो जो पुरुष वर्ग को हैं, वह किसी के भरोसे जीने की बजाय इस काबिल बन जाए कि स्वय अपना कार्य कर सकने में सक्षम हो, यही महिला सशक्तिकरण हैं.

चलिए महिला सशक्तिकरण (वीमेन एम्पोवेर्मेंट) के छोटे निबंध को.

150 शब्द, नारी सशक्तिकरण निबंध

यदि हम अपने देश की ही बात करे तो आए दिन प्रति हजार लोगों पर स्त्रियों की संख्या निरंतर कम ही होती जा रही हैं. इसका दूसरा पहलु सरकार की ओर से कथित दलीले हैं. सरकार के कथनानुसार गाँव के लोगों तक 100 फीसदी शिक्षा पहुच चुकी हैं.

जिससे कारण बालिका शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के विषय में लोगों में जागरूकता बढ़ रही हैं. मगर आज की स्थति बया करती है, आज भी कई जातिया ऐसी हैं जहाँ लडको की संख्या अधिक और लड़कियों की संख्या में कमी हैं.

मजबूरन अब लोगों को अपनी जाति की परिधि से बाहर निकलकर शादी ब्याह करना पड़ता हैं. सभव हैं अभी भी स्थति नियंत्रित की जा सकती हैं. फिर भी हम नही जगे, तो जिस तरह जीवो की प्रजातियाँ लुप्त हो रही हैं. जिनमे कल बेटियों का नाम भी आ सकता हैं.

बेटी हम सभी के घर में उजाले का दीपक हैं, भला वो भी तो इंसान हैं. वह इस संसार की जगत जननी हैं. जिनकी रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य भी हैं. इसलिए आज हम सभी यह सकल्प करे कि कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाते हुए, इन्हे भी बेटों की तरह जीने का अधिकार देगे.

नारी सशक्तिकरण हिंदी निबंध 300 शब्द ( Essay On Women Empowerment In Hindi)

संकट एवं चुनौतियों का मुकाबला करने में महिलाएं अपने शौर्य और पराक्रम में कभी पीछे नही रही हैं. इन्होने सदा ही आगे बढ़कर चुनौतियों का न केवल समझदारी के साथ सामना किया हैं, बल्कि इन्हें अपने साहस एवं सूझ बुझ से परास्त भी किया हैं.

जब भी राष्ट्र एवं विश्व मानवता पर संकट के बादल छाएँ है युवतियों के शौर्य ने ही प्रचंड प्रभजन बनकर इन्हें छिन्न भिन्न किया हैं.

कथाएँ वैदिक इतिहास की हो या फिर उपनिषदों की अथवा आधुनिक समय की, सभी ये ही सच बताती हैं कैकेय राज्य की राजकुमारी अप्रतिम यौद्धा था. एक भीषण युद्ध में कैकेयी ने अपनी जान पर खेलकर अपने पति दशरथ की जान बचाई थी. जगन्माता सीता युद्धकला में अत्यंत निपुण थी. रणचंडी दुर्गा और महाकाया काली का शौर्य तो सर्वविदित हैं.

वैदिककाल में महिलाओं को न केवल ज्ञान प्रदान किया जाता था, बल्कि उन्हें युद्ध की कला एवं कुशलता में पारंगत होने के लिए विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाता था.

अतः वैदिक काल की महिलाएं किसी भी पराक्रमी युवा से कम नही होती थी. अपने देश का प्राचीन इतिहास महिलाओं के शौर्य एवं पराक्रम से भरा पड़ा हैं.

ऐसी अनगिनत घटनाएं है जिनमें महिलाओं ने अपनी रणकुशलता एवं समझदारी से हारी बाजी को जीत में बदल दिया और इतिहास की धारा को मोड़ने में सक्षम और समर्थ हो सकी.

घुड़सवारी, तलवारबाजी, धनुषविद्या जैसी अनेक युद्धकलाओं में पारंगत अनेकों वीरांगनाओं के नाम इतिहास में दर्ज है अमर हैं.

भारत में नारी सशक्तिकरण का इतिहास ( Women Empowerment in hindi)

भारत के स्वतंत्र होने का इतिहास भी इस तथ्य का साक्षी हैं वर्ष 1857 से वर्ष 1947 तक लम्बे स्वतंत्रता संघर्ष में देशवासियों के ह्रदय में देशभक्ति एवं क्रांति की भावों को आरोपित करने वाले युवाओं के साथ युवतियों की भूमिका भी सराहनीय रही. वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई भी थी.

उनके समान अद्भुत साहस, शौर्य, पराक्रम एवं जज्बा आज भी किसी में देख पाना संभव नही हैं. जबकि रानी लक्ष्मीबाई तो तब मात्र 30 वर्ष की थी. उनकी सेना की एक और जाबाज झलकारीबाई युवती ही थी.

उन्ही की प्रेरणा से सुंदर, मुंदर, जूही, मोतीबाई जैसी नृत्यांगनाएं क्रांति की वीरांगनाएँ बन गई. स्वाधीनता की बलिवेदी पर स्वयं का सर्वस्व लुटाने वाली ये वीरांगनाएं आज भी किसी प्रेरणा से कम नही हैं.

निबंध (400 शब्द) Women Empowerment Hindi Essay

हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत में महिलाओं का अति प्राचीनकाल से ही सम्मानजनक स्थान रहा हैं. वैदिक काल में महिलाओं को शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रो में पुरुषो के बराबर अधिकार प्राप्त थे.

लेकिन उत्तरवैदिक काल आते-आते पर्दा-प्रथा, अशिक्षा तथा अन्य कुरुतिया फैलती गईं और नारी सिर्फ घर की चारदीवारी में कैद होने लगी तथा पुरुषो के निजी स्वामित्व वाली वस्तु मानी जाने लगी. सामाजिक अंधविश्वास,पाखंड, अशिक्षा तथा पितर प्रधान समाज में महिलाओं की स्थति बद से बदतर होती चली गईं.

आधुनिक काल में शिक्षा के प्रचार, समाज सुधारकों के प्रयासों से महिला के सम्मान तथा अधिकारों के लिए आवाज उठने लगी.

महिला सशक्तिकरण जोर पकड़ने लगा. महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओ की सकारात्मक सहभागिता आवश्यक हैं. महिलाओं के प्रति समन्वयात्मक द्रष्टिकोण अपनाकर पुराने रूढ़ सामाजिक मूल्यों के रूपांतरण की आवश्यकता हैं.

नारी / महिला सशक्तिकरण का अर्थ (Women Empowerment Meaning In Hindi)

महिला सशक्तिकरण से तात्पर्य ऐसा वातावरण सर्जित करने से हैं जिसमे प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमताओ का पूर्ण उपयोग करते हुए अपने जीवन व कार्यो के लिए निर्णय स्वय ले सके. वर्तमान में नारी विकास के लिए हमारे सविधान में मूल अधिकारों व निति निर्देशक तत्वों में भी कई प्रावधान हैं. जिनमे नारी को पुरुष के समान अधिकार दिए हैं.

2005 में हिन्दू उतराधिकार कानून में संशोधन से बेटियों को भी बेटों के बराबर अधिकार प्रदान किये गये हैं. राजनितिक क्षेत्र में भी नारी ने पुरुषो के बराबर कंधे से कंधा मिलाकर अपनी पहचान बनाई हैं.

देश के प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति व राज्यों के मुख्यमंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष आदि पदों पर स्त्रियों अपना स्थान बना रही हैं. सामाजिक क्षेत्र में भी नारी आगे रही हैं. जिनमे रमाबाई पंडित ने स्त्री शिक्षा पर कार्य किया तो मदर टरेसा ने सर्वधर्म समभाव से सभी गरीबो के लिए मुक्त में सेवा कार्य किया हैं.

आर्थिक क्षेत्रो में भी पुरुषो के बराबर व्यापार में हाथ आजमा रही हैं. व सफल भी हो रही हैं. इनमे चंदा कोचर, इंद्रा नूरी आदि महिलाओं के नाम आते हैं.

साहित्यिक क्षेत्र में मानवीय संवेदना को गहराई तक महसूस कर लिखने में महादेवी वर्मा, सरोजनी नायडू जैसी महिला लेखिकाओं के नाम मुख्य हैं. खेल के क्षेत्र में भी सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, अपुर्वी चन्देल जैसी खिलाड़ियों ने उल्लेखनीय कार्य किया हैं.

महिला सशक्तिकरण के प्रयास (Effort Of Women Empowerment In Hindi)

सरकार द्वारा भी महिला सशक्तिकरण के लिए 8 मार्च 2010 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रिय मिशन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल द्वारा शुरू किया गया था.

राज्य सरकारों ने भी महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएँ शुरू की गईं. जैसे स्वास्थ्य सखी योजना, कामधेनु योजना, स्वावलम्बन योजना, स्वशक्ति योजना आदि वर्तमान समय में महिला सशक्तिकरण के बारे में स्वय महिलाए भी जागरूक हो गईं हैं. यह शिक्षा के प्रचार का प्रभाव हैं.

नारी सशक्तिकरण हिंदी निबंध 500 शब्द (Hindi Essay About Women Empowerment )

भारतीय संस्कृति में नारी का स्थान

आदिकाल से हमारा देश नारीपूजक रहा हैं, तभी तो नारायण से पूर्व लक्ष्मी, शंकर से पूर्व भवानी, राम के पूर्व सीता और कृष्ण के पूर्व राधा का नामोच्चार होता हैं.

भारतीय समाज में विदुषी महिलाओं की कोई भी कमी नहीं रही. रणभूमि में भारतीय नारी ने अपने जौहर दिखाए, लेकिन दैनिक जीवन में भारतीय नारी कभी नर के समकक्ष सम्मान की अधिकारिणी नहीं बन पाई.

नारी की वास्तविक स्थिति

समाज का पचास प्रतिशत वर्ग नारी वर्ग हैं. किन्तु समाज के निर्माण में उसकी भूमिका को प्रायः नजरअंदाज किया जाता हैं. सच तो यह है कि समाज का पुरुष वर्ग नारी की भूमिका का विस्तार नहीं चाहता है.

उसे भय है कि नारी अभ्युदय से उसका महत्व और एकाधिकार समाप्त हो जाएगा. अशिक्षा और रुढ़िवादी दृष्टिकोण ने नारी की भूमिका की स्थिति को शौचनीय बना रखा हैं.

नारी शिक्षा का महत्व

शिक्षित नारी तो दो कुलों का उद्धार करती हैं. नारी को अशिक्षित रखकर राष्ट्र की आधी क्षमता का विनाश किया जा रहा हैं. शिक्षित नारी ही बच्चों का लालन पोषण ठीक ढंग से कर पाती हैं.

वह बच्चों में अच्छे संस्कार उत्पन्न कर सकती हैं. उसे समाज में सभ्य ढंग से जीना आता हैं. शिक्षा, नारी में आत्मविश्वास पैदा करती हैं. और बुरे दिनों में उसकी सबसे विश्वसीय सहायिका बनती हैं.

शिक्षित नारी की भूमिका

नारी शिक्षा का देश में जितना प्रचार प्रसार हुआ हैं. उसका श्रेष्ठ परिणामों सभी के सामने हैं. आज नारी जीवन के हर क्षेत्र में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने की क्षमता रखती हैं. शिक्षा, विज्ञान, राजनीति, धर्म, समाज सेवा और सेना में भी आज नारी प्रशन्सनीय भूमिका निभा रही हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी नारी चेतना करवट ले रही हैं. उनको स्थायी स्वशासन में 30 प्रतिशत भागीदारी का अधिकार मिल गया हैं. किन्तु यहाँ भी अशिक्षा ने उसकी भूमिका को पृष्टभूमि में डाल रखा हैं. पंचायतों में उसके प्रतिनिधि ही भाग ले रहे हैं.

नारी आज सफल व्यवसायी हैं, प्रबन्धक, अध्यापक है, वकील है, मंत्री है, प्रधानमंत्री है, राज्यपाल है, मुख्यमंत्री हैं, वैज्ञानिक है तथा साहसिक अंतरिक्ष अभियानों में पुरुषों से होड़ लेती हैं. कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं.

शिक्षित नारी का आदर्श स्वरूप

भारतीय नारी ने जीवन के हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को प्रमाणित किया हैं. कुछ महिलाएं शिक्षित होने का अर्थ कतिपय हास्यास्पद क्रियाकलापों से जोड़ लेती हैं. उनके अनुसार विशेष वेशभूषा अपनाना, फैशन परेडो और किटी पार्टियों में भाग लेना ही शिक्षा और प्रगतिशीलता की निशानी हैं.

भारतीय नारी के कुछ महत्वपूर्ण दायित्व हैं. उसे अपने विशाल नारी समाज को आगे बढ़ाना हैं. देश की ग्रामीण बहिनों को उनके अज्ञान एवं अंधविश्वासों से मुक्ति दिलानी हैं. हमें अपनी खेल सम्बन्धी महान परम्पराओं की पुनः स्थापना करनी हैं.

600 शब्द नारी सशक्तिकरण हिंदी निबंध (Short Empowerment Of Women Hindi Essay)

नारी सशक्तिकरण से आशय (Meaning of women empowerment)

प्राचीन भारत में नारी को समाज तथा परिवार में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था. उस समय स्त्रियाँ सुशिक्षित और समर्थ होती थी. समाज और राज्य के संचालन में भी उनका योगदान होता था. भारत में पराधीनता के प्रवेश के साथ ही नारी का पतन आरम्भ हो गया.

उनकी स्वतंत्रता प्रतिबंधित हो गई, उनको शिक्षा प्राप्त करने तथा देश समाज के प्रति कर्तव्यपालन से रोक दिया गया. वह अशक्त और असमर्थ हो गई. स्वाधीन भारत के लिए नारी की अशक्तता कदापि हितकर नहीं. वह देश के नागरिकों की आधी संख्या हैं.

उनके बिना देश का भविष्य उज्ज्वल हो ही नहीं सकता. अतः नारी के संबल, शिक्षित और समर्थ बनाने की आवश्यकता को गहराई से महसूस किया गया, उसको शिक्षा प्राप्त करने, घर से बाहर जाकर काम करने, समाज और राष्ट्र के निर्माण में योगदान देने के लिए अवसर दिया जाना जरुरी हो गया.

घर से बाहर कार्यालयों, उद्योगों, राजनैतिक संस्थाओं में नारी को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाना राष्ट्र की आवश्यकता बन चूका हैं. नारी को सशक्त बनाने का काम तेजी से आगे बढ़ रहा हैं. परन्तु संसद तथा विधान सभाओं में उसके लिए स्थान आरक्षित होना अभी भी शेष हैं.

नारी को सशक्त बनाने के प्रयास हो रहे हैं. उद्योग, व्यापार, उच्च शिक्षा, वैज्ञानिक शोध एवं प्रशासन के क्षेत्र में वह निरंतर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं. स्थानीय शासन में उसे 33 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त हो चूका हैं.

संसद और विधानसभाओं भी उसे आरक्षण प्राप्त होना सुनिश्चित हैं. अच्छी शिक्षा प्राप्त होने पर वह स्वयं ही सशक्त हो जायेगी.

वर्तमान समाज में नारी की स्थिति (Status of women in present society)

स्वतंत्र भारत में नारी ने अगड़ाई ली हैं. वह फिर से अपने पूर्व गौरव को पाने के लिए बैचेन हो उठी हैं. शिक्षा व्यवस्था, विज्ञान, सैन्य सेवा, चिकित्सा, कला, राजनीति हर क्षेत्र में वह पुरुष से कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं.

वह सरपंच है, जिला अध्यक्ष है, मेयर है, मुख्यमंत्री है, प्रधानमंत्री है, राष्ट्रपति हैं. लेकिन अभी तक तो यह सौभाग्य नगर निवासिनी नारी के हिस्से में ही दिखाई देता हैं. उसकी ग्रामवासिनी करोड़ों बहिनें अभी तक अशिक्षा, उपेक्षा और पुरुष के अत्याचार झेलने को विवश हैं.

एक ओर नारी के सशक्तिकरण की, उसे संसद और विधानसभाओं में ३३ प्रतिशत आरक्षण देने की बातें हो रही हैं तो दूसरी और पुरुष वर्ग उसे नाना प्रकार के पाखंडों और प्रलोभनों से छलने में लगा हुआ हैं.

सशक्तिकरण हेतु किये जा रहे प्रयास- भारतीय नारी का भविष्य उज्ज्वल हैं. वह स्वावलम्बी बनना चाहती हैं. अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व बनाना चाहती हैं. सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में अपनी उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज कराना चाहती हैं.

देश की प्रमुख सशक्त नारियों का परिचय (Introduction of the country’s main empowered women)

स्वतंत्रता के लिए होने वाले आंदोलन में अनेक नारियों ने अपना योगदान देकर नारी शक्ति का परिचय दिया था. रानी लक्ष्मीबाई से कौन अपरिचित हैं. सरोजनी नायडू, विजय लक्ष्मी पंडित, सचेत कृपलानी, राजकुमारी अमृतकौर, अरुणा आसफअली आदि को कौन नहीं जानता.

भारत की इंदिरा गांधी, जय ललिता, मायावती, महादेवी, मन्नू भंडारी, लता मंगेशकर, सानिया मिर्जा, बछेंद्री पाल, कल्पना चावना, सुनीता विलियम्स आदि नारियों ने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सफलता अर्जित की हैं.

देशीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भारतीय नारियों ने कीर्तिमान स्थापित किये हैं. इनमें मल्ल विद्या का उल्लेख विशेष उल्लेखनीय हैं.

पुरुष और नारी के संतुलित सहयोग में ही दोनों की भलाई हैं. दोनों एक दूसरे को आदर दे तथा एक दूसरे को आगे बढ़ाने में सहयोग करे. इसी से ही भारत का भविष्य उज्ज्वल होगा.

(700 शब्द) महिला सशक्तिकरण पर निबंध Essay On Women Empowerment In Hindi

इसी गौरवगाथा में आज की युवा नारियां थल सेना, वायु सेना एवं जलसेना में भी प्रवेश कर अपने साहस का परिचय दे रही हैं. बीकानेर की तनुश्री पारिक वह पहली महिला हैं. जो सीमा सुरक्षाबल जैसे संघर्षपूर्ण क्षेत्र में एसिस्टेंट कमांडेंट के रूप में नियुक्त हुई. तेईस वर्ष की तनुश्री स्वयं को इस पद पर पाकर अत्यंत गौरवान्वित महसूस करती हैं.

उनका कहना है कि यदि नारी संकल्पित हो जाये तो उसको कोई शक्ति नही डिगा सकती हैं. बचपन से उनके मन में एक अदम्य इच्छा जागती थी. कि राष्ट्र के लिए उनका जीवन उत्सर्ग हो.

स्वयं के लिए तो सब जीते है पर राष्ट्र के लिए जीना और राष्ट्र को अपनी हर साँस में महसूस करना, दिल की हर धड्कन में इसे बसा लेना ही जीवन की सार्थकता है वे कहती है कि bsf में जाकर उनका यह सपना पूरा हुआ हैं.

सीमा सुरक्षा बल में पुरुष सैनिकों का वर्चस्व है कठिन से कठिन परिस्थियों में स्वयं को ढाल लेना एवं अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य को अंजाम देना उनके अनुकूल होता हैं. परन्तु इन भीषण एवं विषम परिस्थियों में महिलाओ का कार्य करना अत्यंत कठिन एवं दुष्कर होता हैं.

परन्तु तनुश्री ने इन असम्भव जैसे कठिन कार्य को आसान बना दिया. और उन युवा नारियों के लिए प्रेरणा बन गई, जो इस दिशा में सोचती है और इस क्षेत्र में अपना शौर्य और पराक्रम लगाना चाहती हैं.

crpf में बकायदा दो महिला बटालियन नियुक्त हैं और अपने साहस का शानदार परिचय दे रही हैं. दरअसल पुलिस एवं सेना क्षेत्र को महिलाओं के लिए उपयुक्त नही माना जाता,

परन्तु आज की नारियो ने इस तथ्य को न केवल झूठला दिया हैं, बल्कि अपनी समझदारी एवं अप्रितम शौर्य से सबको अचम्भित भी कर दिया हैं.

नारियों के इन अद्भुत कारनामों में एक और नाम अनीता पुरोरा का जुड़ता हैं, जो भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर तैनात रही हैं. उन्होने इस पद को अपनी कुशलता और विशेषज्ञता से सुशोभित किया था.

उनका कहना है कि यह उनके लिए सपना सच होने जैसा था. बचपन से ही उमंग और उत्साह उनके मन में कुचाले मारा करते थे.

युवावस्था में कदम धरते ही उनकी असीमित मानसिक एवं शारीरिक ऊर्जा एक पथ खोज रही थी. जो इस चुनौतीपूर्ण पद को पाकर सही दिशा में बहने लगी. राष्ट्र के प्रति उनका यह जज्बा एवं समर्पण निसंदेह अविस्म्रिय एवं अद्भुत हैं.

भारतीय वायुसेना में नारियों का प्रवेश और उनका योगदान महत्वपूर्ण हो रहा हैं. इस क्षेत्र में उनकी अभिरुचि यह दर्शाती हैं कि आज की युवा नारियां युवाओं से किसी भी क्षेत्र में कमतर या कमजोर नही हैं.

बल्कि उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का जज्बा रखती हैं. उनकी इस अभिरुचि के कारण वर्ष 1991 में ही युवा नारियों को पायलट की भूमिका देनी शुरू हो गई थी.

मगर अब तक ये सिर्फ हेलीकॉप्टर और परिवहन विमान ही उड़ाती रही हैं. इस कड़ी में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2016 के अवसर पर एयर इंडिया की से चलाई गई दुनिया की सबसे लम्बी वीमेन फ्लाईट का नेतृत्व उतराखंड की बेटी क्षमता वाजपेयी ने किया.

उनके निर्देशन में पूरी टीम, जो युवा लड़कियों से सुसज्जित थी, ने 17 घंटे में 14500 किलोमीटर का सफर तय कर नया विश्व रिकॉर्ड बना डाला.

नई दिल्ली से सेनफ्रांसिस्को तक विमान का संचालन करने वाली क्षमता वाजपेयी को भारत की तीसरी और उत्तराखंड की पहली महिला कमांडर होने का गर्व प्राप्त हैं.

परन्तु इन सबके बावजूद अब युवा नारियों की चुनौती और भी बड़ी होने वाली हैं, भारत के इतिहास में पहली बार तीन कैडेट वाला महिला लड़ाकू पायलटों का पहला बैच भारतीय वायुसेना में शामिल हो रहा हैं. यह पल बेहद अहम एवं गौरवशाली हैं.

अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कंठ महिला पायलटों के इन जत्थों में शामिल हैं. ये तीनों ही युवा वय की हैं. और इनकी आँखों में दुश्मनों के लिए विनाश और विप्लव का सपना सजोया हुआ हैं.

इन तीनों अधिकारियों ने आसमान में बीजली की रफ्तार से विमान उड़ाने की साहसिक भूमिका में आने के साथ ही इस क्षेत्र में पुरुषों के आधिपत्य को चुनौती दे दी हैं.

देश की वीरांगनाओं में एक नाम निवेदिता का भी हैं, जो स्वामी विवेकानंद की मानसपुत्री के नाम से जानी जाती थी. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अभूतपूर्व योगदान दिया था.

उनके गुरु स्वामी विवेकानंद ने नारियों के लिए कहा था- नारी शक्ति का प्रतीक हैं सरष्टि में ऐसी कोई शक्ति नही, जो उन्हें शक्ति प्रदान कर सके. उन्हें तो केवल बोध भर कराने की आवश्यकता हैं. शेष तो वे स्वयं अपना कार्य कर लेगी.

आज भी स्वामी जी का यह अग्निमंत्र सर्वकालिक हैं. आज भी प्रेरक हैं और कल भी रहेगा. इस अग्निमंत्र के सहारे युवा नारी को स्वयं को सबल बनाकर अपने शौर्य पराक्रम को राष्ट्रहित में लगा देना चाहिए.

Q. आज के भारत में महिलाओं की स्थिति क्या हैं?

Q. महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता क्यों हैं, q. महिला सशक्तिकरण पर निबंध कैसे लिखे.

  • महिला आरक्षण निबंध
  • कामकाजी महिलाओं पर निबंध
  • नारी/महिला सुरक्षा पर निबंध
  • नारी शक्ति पर सुप्रसिद्ध नारे स्लोगन

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भारतीय नारी पर निबंध हिंदी में | नारी शक्ति पर निबंध | essay on Indian woman in hindi

समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com   आपको निबंध की श्रृंखला में  भारतीय नारी पर निबंध हिंदी में | नारी शक्ति पर निबंध | essay on Indian woman in hindi पर निबंध प्रस्तुत करता है।

इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

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पहले जान लेते है भारतीय नारी पर निबंध हिंदी में | नारी शक्ति पर निबंध | essay on Indian woman in hindi पर निबंध की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा

(1) प्रस्तावना

(2) भारतीय नारी का अतीत

(3) मध्य काल में भारतीय नारी

(4) नारी की वर्तमान स्थिति

(5) नारी का भविष्य

(6) उपसंहार

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भारतीय नारी पर निबंध हिंदी में,नारी शक्ति पर निबंध,essay on Indian woman in hindi,

यदि मानव समाज को एक गाड़ी मान लिया जाये तो स्त्री-पुरुष उसके दो पहिये हैं। दोनों स्वस्थ और मजबूत होने आवश्यक हैं। दोनों में से यदि एक भी कमजोर हुआ तो गाड़ी-गाड़ी न रहकर ईंधन हो जायेगी।

‘चलती का नाम गाड़ी है। समाज का कर्तव्य है कि वह नारी और नर, समाज के इन दोनों पक्षों को सबल और उन्नत बनाने का प्रयत्न करे ।

युग-युग से नर की दासी बन, जिसने सही यातना भारी। शूर सपूतों की हो जननी, महापीड़िता भारत नारी॥ रही सदा अनुरूप नरों के, किन्तु उपेक्षित दास अभी है। बढ़ेगा, जब नारी सम्मान भारत का कल्याण तभी है।

भारतीय नारी का अतीत

प्राचीन काल में भारत के ऋषि-मुनियों ने नारी के महत्त्व को भली-भांति समझा था। उस समय यहाँ नारी का सर्वांगीण विकास हआ था।

सीता जैसी साध्वी, सावित्री जैसी पतिव्रता, गार्गी और मैत्रेयी जैसी विदुषियों ने इस देश की भूमि को अलंकृत किया था। इनका नाम लेते ही हमारा मस्तक गौरव से ऊँचा हो जाता है।

उस समय यहाँ का आदर्श था- यत्र नार्यस्तु पूज्यत्ते, रमन्ते त्र देवता।

जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है, वहाँ देवता रमण करते है ।

मध्यकाल में भारतीय नारी

समय परिवर्तित हुआ। हमारे समाज में अनेक कुप्रथा फैलनी शुरू हुई और नारी का महत्त्व घटना शुरू हुआ। स्त्री देवी न रह कर विलास की सामग्री बनने लगी। उसके प्रति श्रद्धा घटती चली गयी।

विदेशियों के आगमन ने उसमें और भी नमक-मिर्च लगाया। परिणाम यह हुआ कि नारी पुरुष की एक ऐसी बपौती बन गयी कि जिसंको वह घर की चारदीवारी के अन्दर बन्द करके सुरक्षित रखने लगा। उसे न शिक्षा का अधिकार रहा, न बोलने का।

पुरुष के किसी भी काम में दखल देना उसके लिए अपराध हो गया। वह पुरुष की अतृप्त वासनाओं को तृप्त करने का साधन मात्र रह गयी ।

नारी जाति का इतना घोर पतन हुआ कि वह स्वयं अपने को भूल गयी। समाज में उसका भी कुछ महत्त्व है-इसका नारी को स्वयं भी ध्यान न रा। उसके हृदय से विकास की भावना ही लुप्त हो गयी ।

पति की मनस्तृप्ति करने, उसकी उचित-अनुचित प्रत्येक इच्छा के सामने सिर झुकाने के लिए मानो विधाता ने उसकी सृष्टि की हो।

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने नारी के उस स्वरूप का बड़ा ही स्वाभाविक वर्णन किया है-

“अबला-जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आँचल में है दूध और आँखों में पानी।”

नारी की वर्तमान स्थिति

बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ ही सामाजिक आन्दोलन भी आरम्भ हुआ। समाज में एक जागृति की लहर दौड़ी।

राजा राममोहन राय तथा महर्षि दयानन्द के द्वारा समाज की कुप्रथाओं को समाप्त किया जाने लगा । नारी समाज की ओर विशेष ध्यान दिया गया। आगे चलकर महात्मा गांधी के नेतृत्व में सामाजिक क्रान्ति हुई। जनता ने नारी के महत्त्व को समझना शुरू किया तथा उसके बन्धन शिथिल होने लगे ।

नारी ने पुनः शिक्षित होना सीखा। यहाँ तक कि राष्ट्रीय आन्दोलन में अनेक नारियों ने महत्त्वपूर्ण कार्य किया। सरोजिनी नायडू तथा विजयलक्ष्मी पण्डित जैसी मान्य महिलाओं ने आगे बढ़कर नारी समाज का पथ – प्रदर्शन किया। 1947 ई० में भारत स्वतन्त्र हुआ, तब से भारत में सभी क्षेत्रों में विकास कार्य प्रारम्भ हुआ।

समाज के दोषों को दूर करने का भरसक प्रयत्न शुरू हुआ। नारी समाज में कुछ जागृति हुई। सबसे महत्त्वपूर्ण घटना यह हुई कि भारत के संविधान में नारी को पुरुषों के समान अधिकार दिये गये। इस प्रकार की वैधानिक समानता नारी को सम्भवतः प्रथम बार मिली थी।

हर्ष है कि शिक्षा, विज्ञान तथा राजनीति आदि क्षेत्रों में आज नारी का प्रवेश है। अनुभव इस बात को बताता है कि नारी कला, किसी भी दृष्टि से पुरुष से कम नहीं है।

आज हम देखते हैं कि भारत के स्त्री समाज में तेजी से जागृति आ रही है। पुरुषों ने भी नारी के महत्त्व को समझना शुरू कर दिया है। थोड़े ही समय में भारतीय नारी ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत की नारी संसार की किसी भी जाति अथवा देश की नारी से विद्या, बुद्धि, सौन्दर्य और वीरता में कम नहीं है।

आज भी हमारे देश में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। महिला आरक्षण बिल तथा सशक्तीकरण बिल ने महिलाओं में जागरूकता एवं शक्ति सम्पन्नता पैदा की है।

नारी का भविष्य

यह ठीक है कि नारी की स्थिति में बहुत अधिक सुधार हुआ है किन्तु यह विकास भी पूर्ण नहीं कहा जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का अभी बहुत कम चलन है।

शिक्षा के अभाव में विकास असम्भव है। इसमें सन्देह नहीं है कि गाँव में स्त्री शिक्षा में काफी प्रगति होती जा रही है। आशा है, कुछ ही समय में भारत के सभी बालक व बालिकाएँ शिक्षित होंगे। उस शिक्षित समाज में पुरुष और नारी एक-दूसरे के महत्त्व को समझेंगे।

वह दिन दूर नहीं जब भारत में नर और नारी दोनों समान रूप से उन्नति के पथ पर साथ-साथ चलेंगे और स्कूल, दफ्तर, प्रयोगशाला तथा सेना तक में समान रूप से कार्य करते पाये जाएँगे।

बिना नारी के विकास के यह समाज अधूरा है । जैसे पत्नी-पति की अर्धागिनी है, ठीक इसी प्रकार नारी समाज का अद्धांग है। आधे अंग के अस्वस्थ तथा अविकसित रहने पर पूरा अंग ही रोगी और अविकसित रहता है।

यदि मनुष्य शिव है तो नारी शक्ति है, यदि पुरुष विश्वासी है तो नारी श्रद्धामयी है, यदि पुरुष पौरुषमय है तो नारी लक्ष्मी है- किसी भी दृष्टि से वह पुरुष से कम नहीं है।

वह पुत्री के रूप में पोषणीय, पत्नी के रूप में अभिरमणीय तथा माता के रूप में पूजनीय है। उसमें संसार की अपूर्व शक्ति निहित है। प्रसन्न होने पर वह कमल के समान कोमल और कुद्ध होने पर साक्षात चण्डी भी है।

वास्तव में नारी अनेक शक्तियों से युक्त अनेकरूपा है, उसके कल्याण एवं विकास की कामना करना प्रत्येक भारतीय का पवित्र कर्तव्य है।

नारी अनेक रूपा हैं-

“सरस्वती दुर्गा कमला ये, नारी के ही रूप हैं। रत्न-प्रसविनी जग में नारी, इसके रूप अनूप

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Indian Woman Essay In Hindi

भारतीय नारी पर निबंध – Indian Woman Essay In Hindi

भारतीय नारी पर निबंध – essay on indian woman in hindi.

  • प्रस्तावना,
  • भारतीय नारी का अतीत,
  • मध्यकाल में भारतीय नारी,
  • नारी की वर्तमान स्थिति,
  • नारी का भविष्य,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

भारतीय नारी पर निबंध – Bhaarateey Naaree Par Nibandh

युग-युग से नर की दासी बन, जिसने सही यातना भारी। शूर सपूतों की हो जननी, महापीड़िता भारत नारी॥ रही सदा अनुरूप नरों के, किन्तु उपेक्षित दास अभी है। जब नारी सम्मान बढ़ेगा, भारत का कल्याण तभी है।

Indian Woman Essay In Hindi

प्रस्तावना- यदि मानव समाज को एक गाड़ी मान लिया जाये तो स्त्री-पुरुष उसके दो पहिये हैं। दोनों स्वस्थ और मजबूत होने आवश्यक हैं। दोनों में से यदि एक भी कमजोर हुआ तो गाड़ी-गाड़ी न रहकर ईंधन हो जायेगी। ‘चलती का नाम गाड़ी है। समाज का कर्तव्य है कि वह नारी और नर, समाज के इन दोनों पक्षों को सबल और उन्नत बनाने का प्रयत्न करे।

भारतीय नारी का अतीत-प्राचीन काल में भारत के ऋषि-मुनियों ने नारी के महत्त्व को भली-भांति समझा था। उस समय यहाँ नारी का सर्वांगीण विकास हुआ था। सीता जैसी साध्वी, सावित्री जैसी पतिव्रता, गार्गी और मैत्रेयी जैसी विदुषियों ने इस देश की भूमि को अलंकृत किया था। इनका नाम लेते ही हमारा मस्तक गौरव से ऊँचा हो जाता है। उस समय यहाँ का आदर्श था–‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता। अर्थात जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता रमण करते हैं।

मध्यकाल में भारतीय नारी-समय परिवर्तित हुआ। हमारे समाज में अनेक कुप्रथा फैलनी शुरू हुईं और नारी का महत्त्व घटना शुरू हुआ। स्त्री देवी न रह कर विलास की सामग्री बनने लगी। उसके प्रति श्रद्धा घटती चली गयी। विदेशियों के आगमन ने उसमें और भी नमक-मिर्च लगाया। परिणाम यह हुआ कि नारी पुरुष की एक ऐसी बपौती बन गयी कि जिसको वह घर की चारदीवारी के अन्दर बन्द करके सुरक्षित रखने लगा। उसे न शिक्षा का अधिकार रहा, न बोलने का। पुरुष के किसी भी काम में दखल देना उसके लिए अपराध हो गया।

वह पुरुष की अतृप्त वासनाओं को तृप्त करने का साधन मात्र रह गयी। नारी जाति का इतना घोर पतन हुआ कि वह स्वयं अपने को भूल गयी। समाज में उसका भी कुछ महत्त्व है-इसका नारी को स्वयं भी ध्यान न रहा। उसके हृदय से विकास की भावना ही लुप्त हो गयी। पति की मनस्तृप्ति करने, उसकी उचित-अनुचित प्रत्येक इच्छा के सामने सिर झुकाने के लिए मानो विधाता ने उसकी सृष्टि की हो। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने नारी के उस स्वरूप का बड़ा ही स्वाभाविक वर्णन किया है-

“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आंचल में है दूध और आँखों में पानी।”

Essay On Indian Woman In Hindi

नारी की वर्तमान स्थिति- बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ ही सामाजिक आन्दोलन भी आरम्भ हुआ। समाज में एक जागृति की लहर दौड़ी। राजा राममोहन राय तथा महर्षि दयानन्द के द्वारा समाज की कुप्रथाओं को समाप्त किया जाने लगा। नारी समाज की ओर विशेष ध्यान दिया गया। आगे चलकर महात्मा गांधी के नेतृत्व में सामाजिक क्रान्ति हुई। जनता ने नारी के महत्त्व को समझना शुरू किया तथा उसके बन्धन शिथिल होने लगे। नारी ने पुन: शिक्षित होना सीखा। यहाँ तक कि राष्ट्रीय आन्दोलन में अनेक नारियों ने महत्त्वपूर्ण कार्य किया।

सरोजिनी नायडू तथा विजयलक्ष्मी पण्डित जैसी मान्य महिलाओं ने आगे बढ़कर नारी समाज का पथ-प्रदर्शन किया। 1947 ई० में भारत स्वतन्त्र हुआ, तब से भारत में सभी क्षेत्रों में विकास कार्य प्रारम्भ हुआ। समाज के दोषों को दूर करने का भरसक प्रयत्न शुरू हुआ। नारी समाज में कुछ जागृति हुई। सबसे महत्त्वपूर्ण घटना यह हुई कि भारत के संविधान में नारी को पुरुषों के समान अधिकार दिये गये।

इस प्रकार की वैधानिक समानता नारी को सम्भवत: प्रथम बार मिली थी। हर्ष है कि शिक्षा, कला, विज्ञान तथा राजनीति आदि क्षेत्रों में आज नारी का प्रवेश है। अनुभव इस बात को बताता है कि नारी किसी भी दृष्टि से पुरुष से कम नहीं है। आज हम देखते हैं कि भारत के स्त्री समाज में तेजी से जागृति आ रही है।

पुरुषों ने भी नारी के महत्त्व को समझना शुरू कर दिया है। थोड़े ही समय में भारतीय नारी ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत की नारी संसार की किसी भी जाति अथवा देश की नारी से विद्या, बुद्धि, सौन्दर्य और वीरता में कम नहीं है।

नारी का भविष्य-यह ठीक है कि नारी की स्थिति में बहुत अधिक सुधार हुआ है किन्तु यह विकास अभी पूर्ण नहीं कहा जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का अभी बहुत कम चलन है। शिक्षा के अभाव में विकास असम्भव है। इसमें सन्देह नहीं है कि गाँव में स्त्री शिक्षा में काफी प्रगति होती जा रही है। आशा है, कुछ ही समय में भारत के सभी बालक व बालिकाएं शिक्षित होंगे।

उस शिक्षित समाज में पुरुष और नारी एक-दूसरे के महत्त्व को समझेंगे। वह दिन दूर नहीं जब भारत में नर और नारी दोनों समान रूप से उन्नति के पथ पर साथ-साथ चलेंगे और स्कूल, दफ्तर, प्रयोगशाला तथा सेना तक में समान रूप से कार्य करते पाये जायेंगे।

उपसंहार- बिना नारी के विकास के यह समाज अधूरा है। जैसे पत्नी-पति की अर्धांगिनी है, ठीक इसी प्रकार नारी समाज का अद्धांग है। आधे अंग के अस्वस्थ तथा अविकसित रहने पर पूरा अंग ही रोगी और अविकसित रहता है। यदि मनुष्य शिव है तो नारी शक्ति है, यदि पुरुष विश्वासी है तो नारी श्रद्धामयी है, यदि पुरुष पौरुषमय है तो नारी लक्ष्मी है-किसी भी दृष्टि से वह पुरुष से कम नहीं है।

वह पुत्री के रूप में पोषणीय, पत्नी के रूप में अभिरमणीय तथा माता के रूप में पूजनीय है। उसमें संसार की अपूर्व शक्ति निहित है। प्रसन्न होने पर वह कमल के समान कोमल और क्रुद्ध होने पर साक्षात चण्डी भी है। वस्तुत: नारी अनेक शक्तियों से युक्त अनेकरूपा है, उसके कल्याण एवं विकास की कामना करना प्रत्येक भारतीय का पवित्र कर्तव्य है।

आज की नारी सब पर भारी हिंदी निबंध | Women Empowerment Essay

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आज 21वीं शताब्दी में भारत को अपनी उपलब्धियों पर गर्व है । चाँद पर कदम रखने से लेकर विज्ञान और प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में हमने आशातीत सफलता हासिल की है । क्या यह सब महिलाओं के सहयोग के बिना संभव हो पाया है? नहीं, तो फिर महिलाओं को अबला -नारी समझना कहां तक सार्थक है? आज की नारी के बढ़ते कदमों ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है |

आज की 75% महिलाएं शिक्षित हैं। इसलिए हम कह सकते हैं – सशक्त नारी, सशक्त भारत | शिक्षा रूपी हथियार ने महिलाओं को उनके अधिकार और कर्तव्य से भली-भांति अवगत कराया है। पहले महिलाएं केवल घर का चूल्हा चौका करती थी और मात्र संतान उत्पत्ति का साधन मानी जाती थी । उनके पास इतना अधिक खाली समय होता था कि घर की औरतें छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई झगड़ा करती थी और वह झगड़ा कई बार बड़ा रूप लेकर घरेलू हिंसा का कारण बनता था।

भारत में महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment in India)

परन्तु आज की नारी अति व्यस्त है । वह दिन प्रतिदिन नई-नई चीजें सीख कर अपना शारीरिक और मानसिक विकास करने में जुटी है । महिलाएं सभी क्षेत्रों में पुरुषों से आगे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं। आप किसी भी क्षेत्र का नाम लीजिए, सब जगह महिलाओं की बराबर की साझेदारी पाएंगे ।

भारतीय नारी की उपलब्धियां

भारत देश का इतिहास तो वीरांगनाओं के नाम से भरा पड़ा है । इस देश ने हमेशा ही संघर्ष कर आगे बढ़ने वाली महिलाओं की जय जयकार की है और सब उनके आगे नतमस्तक हुए हैं। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, रानी पद्मावती, भारत की पहली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ,बचेंद्री पाल, मिताली राज ,सुष्मिता सेन । ये कुछ ऐसे नाम हैं जो समाज और परिवार की बेङियों को तोड़कर आगे आई । इन्होंने विश्व को दिखा दिया है कि औरतें किसी भी तरीके से अपने पुरुष साथियों से कम नहीं है।

नारी- देवी का रूप

हम कैसे कह सकते हैं कि महिलाओं को सम्मान नहीं दिया जाता? संस्कृत में एक श्लोक है- ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता’ अर्थात, जहाँ नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं । भारत में महिलाओं को हमेशा से उच्च दर्जा दिया गया है । शिक्षित महिलाएं अपने अधिकार और कर्तव्यों को अच्छी तरह पहचानती हैं । आज की महिलाएं केवल घर ही नहीं चलाती अपितु घर खर्च में आर्थिक सहयोग भी प्रदान करती है ।

आज की महिला जागरूक है, जिज्ञासु है, उसने ज्ञान अर्जित किया है। वह ज्यादातर मुद्दों पर अपनी राय प्रकट करती है। घर के सभी रिश्तों को शालीनता के साथ निभाते हुए वह अपने पति और बच्चों के साथ अपने जीवन का आनंद उठाती है । उच्च और निम्न दोनों ही वर्ग के माता-पिता अपने बच्चे और बच्चियों को समान रूप से शिक्षा के अवसर प्रदान करते हैं । ताकि, भविष्य में उनकी लड़कियां आत्मनिर्भर बन सकें। शादी के समय वर पक्ष के माता -पिता अपने बेटे के लिए पढ़ी लिखी बहू चाहते हैं, जो समाज में उनका नाम ऊंचा कर सके और साथ ही साथ घर के खर्चों में हाथ बंटा सके ।

पुलिस,मजिस्ट्रेट, मंत्री, उद्यमी,प्रशासनिक अधिकारी ,डॉक्टर, इंजिनियर, जैसे उच्च पदों पर पुरुषों के साथ महिलायें भी सुशोभित हैं । खेलों में भी पी.टी.उषा ,मिताली राज, सान्या नेहवाल, पी.वी.सिन्धु, सान्या मिर्ज़ा,मैरी कोम जैसी बेटियों ने भारत को नई ऊचाईयों पर पहुंचाया है ।

Women Empowerment Hindi Speech by Droupadi Murmu

भारत में महिला सुरक्षा कानून

भारत की आधुनिक नारी को आगे बढ़ाने में पुरुषों ने भरपूर योगदान दिया है। हमारे पिता,भाई और दोस्त सभी चाहते हैं और कोशिश भी करते हैं कि लड़कियां आगे बढ़े । आज बेटी और बहू के बीच का भेद मिट गया है पुरुषों के इस समाज में स्त्रियों को अधिक से अधिक सुविधाएं दी जा रही हैं। निम्न वर्ग की मजदूर महिलाओं और घरों में काम करने वाली बाइयों की दशा सुधारने के लिए हमारी सरकार भरसक प्रयत्न कर रही है। जैसे: बेटी बचाओ; बेटी पढाओ, महिला-ए-हात, स्वधर घर, सखी हेल्पलाइन इत्यादि।

आज औरतें और लड़कियाँ घर और देश के सभी मामलों में अपनी इच्छा से फैसलें लेने के लिए स्वतंत्र हैं वे कहीं भी घूमें, अपनी मर्ज़ी के कपड़े पहनें और अपनी पसंद के व्यक्ति को वोट देकर देश की राजनीति में सक्रिय रहती है ।

औरतों के लिए इतनी सुविधाएं और कानून होने के बावजूद भी समाज के कुछ चरित्रहीन लोग तंदूर काण्ड, निर्भया काण्ड, जेसिका लाल मर्डर केस जैसे जघन्य अपराध करने से हिचकते नहीं हैं । कुछ मामलों में महिला सुरक्षा को लेकर चूक हो गई है इसके लिए हमारी सरकार को कुछ कड़े कानून बनाने होंगे ताकि जो लोग बलात्कार, हिंसा और महिलाओं से छेड़खानी जैसे कार्यों में संलग्न होते हैं उन पर रोक लग सके । ऐसे अपराधियों को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास जैसी सख्त सज़ा दी जानी चाहिए ताकि महिलाएं बिना डरे शान से सबको साथ लेकर आगे बढ़े सकें।

निष्कर्ष: आज की नारी सब पर भारी निबंध

मेरा ऐसा मानना है कि जब कुछ स्त्रियां यह शिकायत करती हैं कि उन्हें आगे बढ़ने नहीं दिया जा रहा तो इसमें उन स्त्रियों की खुद के प्रयत्न में कमी है । जितनी भी स्त्रियां आज आगे आई हैं । जिनका देश में ऊंचा नाम है । उनको देखकर सभी पुरुष भी ताली बजाते हैं और यह कहकर उनकी प्रशंसा करते नहीं थकते कि, ‘ आज की नारी सब पर भारी’ ।

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नारी शक्ति पर निबंध Essay on nari shakti in hindi language

Essay on nari shakti in hindi language.

हेलो दोस्तों कैसे हो आप सभी,आज का हमारा नारी शक्ति पर निबंध आप सभी के लिए बहुत ही हेल्पफुल है.यहा से आप नारी शक्ति के ऊपर बहुत ही अच्छी जानकारी पा सकते हैं.आप अपने स्कूल,कॉलेज की परीक्षा में निबंध लिखने के लिए यहां से जानकारी पा सकते है तो चलिए पढ़ते है हमारे आज के इस निबंध को

Essay on nari shakti in hindi language

नारी एक शक्ति है प्राचीन काल से ही अभी तक ऐसे कई उदाहरण हमें देखने को मिलते हैं जिससे साबित होता है कि नारी एक शक्ति की तरह है. देखा जाए तो नारी स्वभाव से बहुत ही अच्छी होती हैं नारी पर जब भी अत्याचार होता है तो वह कभी-कभी इतना विकराल स्वरूप रख लेती है कि वह लोगों का नाश करके ही छोड़ते हैं. नारी मां का स्वरुप है वास्तव में हमारे समाज में इस नारी शक्ति का महत्वपूर्ण योगदान है लेकिन कुछ लोग नारी को केवल तुच्छ या कमजोर समझते हैं उन लोगों की यह भूल है क्योंकि नारी आज के जमाने की सबसे बड़ी शक्ति है .

नारी के कुछ महत्वपूर्ण गुण

वैसे देखा जाए तो नारी स्वभाव से बहुत ही सरल और मीठे स्वभाव की होती है लेकिन नारी के अंदर कुछ गुण भी देखने को मिलते हैं नारी के अंदर सहनशीलता होती है. अगर हम देखे कि बचपन से बुढ़ापे तक नारी सब कुछ सहन करती जाती है वह किसी को जवाब भी नहीं देती. बचपन में नारी को बोझ समझा जाता है और जैसे जैसे वह बड़ी होती जाती है उसको बोझ होने का एहसास होता जाता है.परिवार वाले उसकी शादी कर देते हैं, शादी के बाद जब वह ससुराल में आती हैं तो वह सबकी सुनती है उसमें सहनशीलता का गुण प्रमुख रूप से होता है.

इसके अलावा नारी में संघर्ष करने का गुण भी होता है. अगर वह कुछ भी कार्य करती है तो ज्यादातर उसमें पीछे नहीं हटती वह उस कार्य की सफलता के लिए लगातार संघर्ष करती है यह गुण नारी के अंदर विद्यमान होता है.नारी के अंदर धैर्य भी बहुत अधिक होता है लेकिन जब यह हद से ज्यादा हो जाए यानी कि अगर कोई नारी को हद से ज्यादा तंग करे तो फिर नारी शक्ति का रुप ले लेती है और जब नारी शक्ति बनती है तो अच्छे-अच्छे पीछे हटते हुए नजर आते हैं .

नारी शक्ति के कुछ उदाहरण

नारी शक्ति के रूप में हम कई महिलाओं को जानते हैं जो एक शक्ति के रूप में उभरी है.झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जोकि अकेली ही दुश्मनों के छक्के छुड़ा देती थी.दरहसल झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का कम उम्र में विवाह हुआ था और कुछ सालों में ही उनके पति झांसी के राजा का स्वर्गवास हो गया जिस वजह से झांसी की रानी लक्ष्मीबाई बनी लेकिन कुछ लोगों ने एक नारी को राज्य संभालने से मना किया लेकिन झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अपने राज्य की सुरक्षा के लिए सुरक्षा की डोर अपने हाथ में संभाली.

वह तब तक लड़ती रही जब तक की उनकी सांस रही. वह किसी से भी पीछे नहीं हठी और साहसपूर्ण अपनी वीरता से लगातार कोशिश करती रही और साबित कर दिखाया कि नारी एक शक्ति की तरह है .

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पहले की और आज की नारी

देखा जाए तो पहले के जमाने में भी बहुत सारी ऐसी नारियों ने जन्म लिया जिन्होंने नारी को कमजोर ना समझते हुए,अपने आपको कमजोर न समझते हुए साहसपूर्ण डटकर सामना किया और अच्छे-अच्छे के छक्के छुड़ा दिए लेकिन पहले नारी की स्थिति कुछ कमजोर थी.देश में नारी से संबंधित कई कुप्रथाएं थी जैसे कि पर्दा प्रथा, नारी शिक्षा पर जोर ना देना, नारी को केवल घर गृहस्ती के कार्य के लिए ही समझना, समाज में कोई भी महत्वपूर्ण स्थान ना होना, या अपने खुद के निर्णय लेने का अधिकार ना होना लेकिन बदलते जमाने में इस आधुनिक युग में पूरी तरह से तो नहीं लेकिन कुछ हद तक इस तरह की कुप्रथाएं खत्म होती जा रही हैं और नारी भी कमजोर नहीं है.

आज नारी देखा जाए तो हर एक क्षेत्र में भाग लेती है.आज नारी पुरुषों की तरह डॉक्टर है,इंजीनियर भी है कलेक्टर भी है और प्रधानमंत्री भी रह चुकी है,यह देश की मुख्यमंत्री है नारी हर एक क्षेत्र में है. वास्तव में नारी पुरुषों से बिल्कुल भी कमजोर नहीं है नारी देश की सबसे बड़ी शक्ति है और आने वाले समय में वास्तव में नारी सबसे आगे बढ़ेगी लेकिन यह भी हम कह सकते हैं कि आज भी नारी सुरक्षित नहीं है. नारी पर कई तरह के अत्याचार किए जा रहे हैं लेकिन हो सकता है कि लोग नारी की शक्ति को पहचाने और उसका सम्मान करें.

वास्तव में नारी देवी स्वरूपा है यह सबसे शक्तिशाली है लेकिन आजकल के जमाने में भी लोग नारी को कमजोर,निस्सहाय समझते हैं. हम सभी को समझने की जरूरत है कि अगर नारी पर हम किसी तरह के अत्याचार करते हैं तो उसकी सहनशीलता खत्म हो जाएगी और नारी अपनी शक्ति से वास्तव में बहुत कुछ कर डालेगी.नारी शक्तिशाली है यह झांसी की रानी का अवतार है हमें नारी का सम्मान करना चाहिए और हर घर में नारी की इज्जत होना चाहिए ।

  • नारी शक्ति पर कविता Nari shakti poem in hindi

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Nari Sashaktikaran “नारी सशक्तिकरण” Hindi Essay 500 Words, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students.

नारी सशक्तिकरण, nari sashaktikaran.

 नारी सशक्तिकरण से अभिप्राय है नारी को शक्तिशाली बनाना। इसमें एक अर्थ तो यही छिपा हुआ है कि नारी कभी अबला थी ही नहीं। वह शक्तिशाली थी। इसलिए तो कहा गया है कि सशक्त नारी को और अधिक शक्तिशाली बनाना होगा। तभी देश प्रगति के पथ पर निरन्तर तेज गति से आगे बढ़ेगा।

नारी शक्तिशाली होगी तो देश शक्तिशाली होगा। नारी को केवल घर तक सीमित नहीं रखना है उसे उन सबमें पारंगत बनाना है, जिनमें पुरुष है। यह काम हो भी रहा है। देश के पत्येक कर्मक्षेत्र में आज नारी पुरुषों के बराबर काम कर रही है। कहीं-कहीं तो उसने पुरुषों को भी मात दे दी है।

आज की नारी शिक्षित हो रही है। इसी आधार पर वह देश के महत्त्वपूर्ण सेवाक्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही है। ग्या अस्पताल, क्या शैक्षणिक संस्थाएँ, क्या पुलिस क्षेत्र, क्या क्रीडा क्षेत्र, क्या मनोरंजन क्षेत्र, क्या इंजीनियरिंग क्षेत्र क्या अंतरिक्ष क्षेत्र. क्या पर्वतारोहण. कहने का अर्थ है ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहाँ नारी ने अपनी शक्ति का परचम नहीं फहराया है। डॉ रामकमार वर्मा ने नारी की शक्ति को पहचानकर ही लिखा था, “यदि नारी वर्तमान के साथ भविष्य को भी अपने द्वार लो तो वह अपनी शक्ति से बिजली की तड़प को भी लज्जित कर सकती है।”

वर्तमान सरकारें भी नारी को शक्तिशाली बनाने में जुटी हैं। इससे परिवारों की आर्थिक स्थिति भी सुधरी है और उनका समाज में मान भी बढा है। सरकारें भी अब अच्छी तरह समझ गई हैं कि नारी सशक्तिकरण से देश बहुमुखी उन्नति कर सकता है।

वस्तुत: नारी अबला नहीं है, सबला है। उसमें शक्ति है। वह शक्तिशालिनी है। महर्षि वेदव्यास ने तो सेवा को ही स्त्री का बल माना है। महाकवि जयशंकर प्रसाद ने कहा है, ‘नारी माया ममता का बल’ वह शक्तिमयी छाया शीतल। आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने नारी की शक्ति को इस प्रकार परिचित कराया है, “जहाँ कहीं दु:ख सुख की लाख-लाख धाराओं में अपने को दलित द्राक्षा के समान निचोड़कर दूसरे को तृप्त करने की भावना प्रबल है, वही नारी तत्त्व है या शास्त्रीय भाषा में कहें तो शक्ति तत्त्व है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने नारी की शक्ति को पहचाना है। उन्होंने कहा है, “तुम विश्व की पालनी, शक्ति की धारिका हो, शक्तिमय माधुरी के रूप में’ इसलिए नारी सबला है ईरान के शहंशाह ने नारी की शक्ति को यों अभिव्यक्त किया है

सात सलाम उस नारी को जो माँ है युवराज की

वादशाह उससे डरते हैं क्योंकि सत्ता उसकी गोद की।

इस प्रकार नारी को अबला कहना उचित नहीं है। वह तो शक्ति है। इसी शक्ति को हमने आज की परिस्थिति के अनुकूल बनाना है। उसे उन सब अधिकारों को दिलाना है जो पुरुषों को प्राप्त है इसलिए उसकी किसी भी क्षेत्र में उपेक्षा नहीं करनी है।

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आधुनिक नारी पर निबंध

भारतीय नारी तब और अब, आधुनिक नारी पर निबंध adhunik nari par nibandh.

हमारे भारतीय समाज में नारी को बचपन से ही कुछ संस्कार दिए जाते है। और वो संस्कार उसे सहज कर रखना होता है। जैसे धीरे बोलों, किसी के सामने ज्यादा नहीं हसना, गंभीर बनो यानी समझदार बन कर रहना।  उस बच्ची का बचपन न जाने किस अँधेरे कमरे में गुम हो जाता है। हमारा पुरूष प्रधान देश क्यु नहीं समझता कि नारी प्रकृति का अनमोल उपहार है। उसके मन में कुछ कोमल संवेदनाएँ होती है। जो उसे खुबसूरत बनाती है। वो एक ममता का रूप है और इस ममता रूपी नारी को हर रूप में हमेशा छल कपट ही मिला है। परन्तु आज की नारी इन सब बातो को छोड़कर काफी आगे निकल आई है।

आज नारी में आधुनिक बनने की होड़ लगी है। नारी के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है, क्षेत्र में आगे बड़ रही है, बदल रही है और ये परिवर्तन सभी को देखने को मिल रहा है। पहले नारी का जीवन घर की चार दीवारों में ही बीत जाता था। चूल्हा-चौका करके और संतानोत्पति तक ही उसका जीवन सिमित था।  विशेष रूप से नारी का एक ही कर्त्तव्य था। घर संभालना, उसे घर की इज्जत मान कर घर में ही परदे के पीछे रखा जाता था। उसे माँ के रूप में ,पत्नी के रूप में, पुत्री के रूप में,

आज नारी का कदम घर से बाहर की और बड़ गया है। पहले नारी के वस्त्रो पर ध्यान दिया जाता था नारी केवल साडी ही पहन सकती थी। मतलव अपने आप को उसे पूरी तरह से ढक कर रखना नारी का कर्य था। आज की नारी बहुत आगे निकल गई है उसकी वेशभूषा काफी बदल गयी है,  वो अब अपनी मनचाही वेशभूषा के लिए स्वतंत्र है। परन्तु ज़्याद लोग और नारी स्यम अपनी आधुनिक वेशभूषा को और स्वच्छंद विचरण को ही नारी का आधुनिक होना मान रहे है। परन्तु स्वतंत्रता का अपनाना आधुनिकता नहीं  है। नारी को शक्ति का प्रतिक माना जाता रहा है। और उसने अदम्य साहस का परिचय भी दिया है।

इसके अतिरिक्त धर्य एवं त्याग का और नारी को पृथ्वी की संज्ञा दी गयी है। झांसी लक्षमीबाई और पन्ना धाय जैसी नारियो ने इतिहास में नारी शक्ति और त्याग को सिद्ध किया है। वास्तव में दमन का विरोध और प्रगतिशील नवीन विचारो का अपनाना ही नारी का आधुनिक होना है और ऐसा प्रत्येक युग में करती रही है। नारी ने अगर कुछ कहा या करा तो उसमे किसी न किसी रूप में ऊँगली उठा दी गयी

नारी को मानवीय आधिकारो से वंचित किया जाता रहा है। दमन का विरोध करने का, शिक्षा ,राष्ट्र के विकाश में सहयोग देने का अधिकार नहीं दिया जाता था परन्तु बीसवीं शताब्दी के प्राम्भ में पशिचमी राष्ट्र की नारी स्वतंत्र होकर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने लगी थी। उसने शिक्षा का अधिकार प्राप्त कर लिया है। शिक्षा में तो नारीने बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त कर ली है। शिक्षा के द्वारा उसके लिए बहुत सारे द्वार खुल गए है। एशा कोई क्षेत्र है जिसमे उसे प्रगति ना की हो। बीसवी शताब्दी में भारतीय नारी की शिक्षा पर भी स सुधारकों द्वारा बल दिया जाने लगा था ||

आज भारतीय नारी चार दीवारी से निकल कर अपने अधिकारों के प्रति सजग हो गयी है। शिक्षित होकर विभिन्न क्षेत्रों में वो अच्छा प्रदर्शन कर रही है। नारी को भोग्या मानने वाले पुरुष प्रधान समाज में नारी ने प्रमाणित कर दिया की वो भी इस पुरुष प्रधान देश में अपना लोहा रख सकती है। आज उसकी प्रतिभा और दृश्टिकोण पुरुष से पीछे नहीं है। साहित्य ,शचिकित्सा ,विज्ञान , अनेक ऐसे क्षेत्र है। जिसमें नारी ने अपनी प्रतिभा प्रदर्शीत की है। केवल पुरुष का क्षेत्र मानने वाले पुलिस विभाग में मुस्तैदी से अपना कार्य कर रही है। और पुरुष से पीछे नहीं है। कल्पना चावला , बछेंद्री पाल ,ऐसी कई इस्त्रियाँ है अगर जिनका नाम गिनने लगे तो शायद पूरी किताब पड़ ले उनके बारे में या लिखने बैठे तो कॉपी के पन्ने भी कम पड़ जायेंगे आज नारी अंतरिक्ष में जाने के साथ ही हिमालय की दुर्गम चोटी पर भी चढ़ रही है। और ऐसा कोई क्षेत्र नहीं छोड़ रही है जहाँ वो अपनी विजय का झंडा ना फेरा रही हो।

जापान और रूस में, महिलाएं हर काम करती हैं। जापान एटम बमों से तबाह हो गया था लेकिन यह बहुत जल्द ही बच गया क्योंकि इसके मानव संसाधन ने अपनी अर्थव्यवस्था को स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत की। जब एक महिला खुद को उत्पादक कार्य में लगाती है, तो न केवल परिवार बल्कि देश को भी फायदा होता है। जीवन का मानक उसी के अनुसार बढ़ता है। क्रय शक्ति बढ़ती है और हम अपने बच्चों को अधिक सुविधाएं दे सकते हैं। अप्रत्यक्ष तरीके से, यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सहायता है। यदि पति और पत्नी दोनों काम पर हैं, तो उनकी आय दोगुनी हो जाती है। वे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और चिकित्सा सुविधाएं दे सकते हैं। एक महिला जो आर्थिक सुरक्षा का आनंद लेती है, वह परिवार में हंसी खुशी ले आती है। पूरा परिवार पृथ्वी पर स्वर्ग का स्थान बन जाता है | नया भारत कई बदलावों से गुजर रहा है। सामाजिक परिवर्तन हर जगह दिखाई देता है। देश में महिलाओं की स्थिति में बदलाव हो रहा है, हालांकि यह परिवर्तन क्रमिक है। उसे अब घर में घरेलू नौकर या मुफ्त कुक (Cook) के रूप में नहीं रखा जा सकता है।

नारी में विधमान उसकी प्रतिभा और प्रगति समाज के लिए आवश्यक है। परन्तु आधुनिकता के नाम पर नारी को समाज को दूषित करने का कोई अधिकार नहीं है। क्युकी नारी का दर्जा माँ, बेटी, और किसी की पत्नी और साथ ही माँ दुर्गा, सरस्वती के रूप में पूजी जाती है। इसलिए उसको भी इनका सम्मान रखते हुए आगे बढ़ना हे ना की रिश्तो को तोड़कर परीवार को अलग करके आधुनिकता को अपनाना है बेसे भी नारी का दर्जा समाज को सम्मान दिलाने के लिए है समाज को परिवार की तरह जोड़कर रखने के लिए है, ना की तोड़ने के लिए।

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रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध

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भारतीय नारी कल भी संस्कारी थी और आज भी है। अंग प्रदर्शन करना विक्षिप्त मानसिकता का परिचय है।परंतु, ऐसे भटके हुए गिनेचुने महिलाओं के कारण संपूर्ण नारी समाजको तोलना गलत होगा। नारी अगर संवेदनशील, सुकुमार है तो पहाड का सीना चीरने का जज़्बा भी समेटे हुई है। सही और गलत के तराजू में तौलने के लिए हर किसी का व्यक्तिगत नजरिया मायनेरखता है ।स्त्रीत्व एक प्रकृति है और वह नित सृजन कार्य करती है।

अंग प्रदर्शन करने में क्या बुराई हैं ?? अंग ही तो हैं । जो लोग उसे बुरी नजरों से देखते हैं उन्हें क्यों कोई कुछ नही कहता ?

जापान और रूस में, महिलाएं हर काम करती हैं। जापान एटम बमों से तबाह हो गया था लेकिन यह बहुत जल्द ही बच गया क्योंकि इसके मानव संसाधन ने अपनी अर्थव्यवस्था को स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत की। जब एक महिला खुद को उत्पादक कार्य में लगाती है, तो न केवल परिवार बल्कि देश को फायदा होता है। जीवन का मानक उसी के अनुसार बढ़ता है। क्रय शक्ति बढ़ती है और हम अपने बच्चों को अधिक सुविधाएं दे सकते हैं। अप्रत्यक्ष तरीके से, यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सहायता है। यदि पति और पत्नी दोनों काम पर हैं, तो उनकी आय दोगुनी हो जाती है। वे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और चिकित्सा सुविधाएं दे सकते हैं। एक महिला जो आर्थिक सुरक्षा का आनंद लेती है, वह परिवार में हंसी खुशी ले आती है। पूरा परिवार पृथ्वी पर स्वर्ग का स्थान बन जाता है | नया भारत कई बदलावों से गुजर रहा है। सामाजिक परिवर्तन हर जगह दिखाई देता है। देश में महिलाओं की स्थिति में बदलाव हो रहा है, हालांकि यह परिवर्तन क्रमिक । उसे अब घर में घरेलू नौकर या मुफ्त कुक (Cook) के रूप में नहीं रखा जा सकता है।

ध्न्यवाद @Vansh kushwaha हमने इस पोस्ट को अपडेट किया आप देख सकते है।

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Nari Shakti Vandan Adhiniyam

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In recent news, the Lok Sabha has made history by passing the Women’s Reservation Bill , officially known as the Constitution (One Hundred and Twenty Eighth Amendment) Bill in the year 2023. This bill has been a long-pending demand and could bring significant changes to the Indian political landscape.

Long-pending Demand for Women’s Reservation

  • If passed successfully, the bill will provide a remarkable 33% reservation for women in both Lok Sabha and State assemblies.
  • The Union Minister, Mr. Meghwal, introduced this groundbreaking bill, and upon its passage, the number of seats allocated for women in Lok Sabha will increase to 181.

This topic of “Nari Shakti Vandan Adhiniyam” is important from the perspective of the UPSC IAS Examination , which falls under General Studies Portion.

Bill Proposal and Key Highlights

  • The proposed reservation will be effective for a duration of 15 years.
  • Within the reserved seats, there will also be a quota for SC/STs.
  • Jairam Ramesh, General Secretary of Communication Congress, stated that the reservation would become effective after the next census publication and delimitation exercise.

Reservation Details

  • The bill aims to allocate “as nearly as may be” one-third of the total seats in Lok Sabha and State assemblies through direct elections.
  • The delimitation exercise involves redrawing boundaries of both Lok Sabha seats and State assembly seats.
  • Its purpose is to represent changes in population and provide equal representation to different segments of society.

Government Perspective and Goals

  • The government views this bill as a means to encourage greater participation of women in policymaking at both the state and national levels.
  • It aligns with the Nari Shakti Vandan Adhiniyam’s goal of making India a developed country by 2047.

Bill Passing Criteria

  • The bill will require ratification from a minimum of 50% of the states, as it affects state rights.

Pros of the Women’s Reservation Bill

Entry issues.

  • The bill may address the issue of more women entering legislative houses but potentially leading to the loss of experienced legislators.

Community Representation Challenges

  • OBCs and Muslims have faced challenges due to low women empowerment in their communities, and this bill may help address this issue.

Seat Issues

  • While the bill’s rotation effect may result in less dedicated MPs and MLAs, it aims to provide opportunities for a wider range of representatives.

Cons of the Women’s Reservation Bill

Short-term issues.

  • Some critics argue that the bill may hinder the resolution of new talents among women representatives in the short term.

Community Empowerment

  • There is a contrary perspective that incentivizing women’s empowerment could avoid the risk of lower representation in the long run.

Male Politicians’ Strategy

  • Male politicians might explore a wider range of seats to maintain their political presence.

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