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भ्रष्टाचार को रोकने के लिए प्रेरित करता भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध

Corruption free india essay in hindi, भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध.

प्राचीन काल से ही भारत को सोने की चिड़िया, विश्वगुरु जैसे उपनामों की संज्ञा दी जाती थी लेकिन बदलते दौर खुद के मनमाने तरीके से विकास को लेकर जिस प्रकार लोगो के चरित्र का नैतिक पतन हुआ है उसके चलते हमारे देश में सर्वाधिक भ्रष्टाचार Corruption का ही विकास हुआ है भ्रष्टाचार | Corruption एक ऐसा शब्द जिसके आते ही हमारे आखो के सामने एक ऐसी रुपरेखा तैयार हो जाती है जो कही न कही हमारे न्याय, कानून, सरकारी व्यवस्था के विरुद्ध जाकर सिर्फ अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए किसी भी हद तक लोग जा सकते है जिसकी शायद कल्पना भी नही की जा सकती है,  तो चलिए भ्रष्टाचार पर निबन्ध | Bhrashtachar Mukt Bharat Essay In Hindi जानते है.

भ्रष्टाचार क्या है भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबन्ध

B hrashtachar par nibandh.

भारत को भ्रष्टाचार मुक्त | Corruption Free India के लिए सबसे पहले हमे ये भ्रस्टाचार क्या है इसे समझना जरुरी है जब कोई भी कुछ अपने निजी फायदों के लिए कानून द्वारा स्थापित नियमो को ताक पर रखकर अनैतिक तरीको से अपना कार्य पूरा करना चाहता है या अपना सिर्फ फायदा चाहता है तो वही भ्रष्टाचार | Corruption कहलाता है.

भ्रष्टाचार का अर्थ है भ्रष्ट आचरण यानि बुरा आचरण यानी की जो कोई कार्य बुरे या गलत तरीके से किया जाय वही भ्रष्टाचार कहलाता है जब भी किसी देश में भ्रष्टाचार बढ़ता है उस देश का विकास रुक जाता है और लोगो के आचरण का नैतिक पतन भी होता है.

भ्रष्टाचार की शुरुआत कैसे होती है ?

Opening of corruption in hindi.

अक्सर हमे समाचारपत्रों, टीवी न्यूज़ में भ्रष्टाचार की खबर देखने को मिलती है एक जमाना हुआ करता था की लोग कितने कम रूपये के लिए भ्रष्टाचार करते थे लेकिन आज जब भी कोई भ्रष्टाचार होता है है हम खुद बड़े चाव से देखते है उस भ्रष्टाचार में जो रूपये है उसमे कितने अधिक जीरो यानी 0 जुड़े हुए है यानी समय के साथ भ्रष्टाचार का रूप भयानक हो चूका है और इतनी आम हो चूकी है जैसे लगता है तो ये तो हमारे समाज का आम हिस्सा बन गया है.

Table of Contents :-

लेकिन जरा सोचिये इस भ्रष्टाचार यानि Corruption की शुरुआत कैसे होती है तो इसे बहुत ही साधारण तरीके से समझा जा सकता है जैसा की हमारे आचरण में मुफ्त में कोई भी चीज मिलने पर हमे बहुत ही ख़ुशी का अनुभव होता है और लगता है की हमारा काम भी बन जाये और काम के बदले हमे कुछ खर्च भी न करना पड़े जैसा की अक्सर हम सभी तो यात्रा जरुर करते है और यात्रा के लिए नियमो के अनुसार किराये का टिकट लेना अनिवार्य है अन्यथा पकड़े जाने पर जुर्माना होता है ये हम सभी अच्छी तरह से जानते है फिर भी जिस ट्रेन से हम रोज यात्रा करते है उसका टिकट लेना अपने शान के खिलाफ समझते है और हम सभी बिना डर के यात्रा भी करते है.

और यह मानकर चलते है की चलो पकड़े जायेगे तब देखा जायेगा बस हम सभी यही से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना शुरू करते है और जिस दिन हम पकड़े जाते है फिर अपने गलती को छुपाने के लिए सीधे रूप से पैसो का ऑफर कर देते है और पैसा आज के ज़माने में हर किसी की जरूरत है यह जितना अधिक होता है हमे लगता है उतना अधिक ही हो जाय फिर भला वह अधिकारी भी आपके साथ भ्रष्टाचार को बढ़ावा में साथ देता है यानि एक छोटी सी शुरुआत व्यवसाय बन जाता है.

और कभी ऐसा भी होता है जल्दबाजी में हम ट्रेन छुटने के डर से टिकट नही ले पाते है और हम अपनी गलती भी मानते है और पकड़े जाने पर चालान कटवाने के लिए भी राजी होते है तो पहले से पहले से भ्रष्टाचार में लिफ्त वह अधिकारी चालान काटने के बजाय कुछ पैसे बिना किसी रसीद के लेने को तैयार होता है और वह बिना टिकट के आपको यात्रा की अनुमति भी दे देता है ऐसा करके वह सीधे रूप से आपके पैसो को सही जगह पहुचने के बजाय उसकी जेब में चला जाता है बस यही है भ्रष्टाचार जो कही भी किसी भी रूप में शुरू हो सकता है इसके लिए जितना सरकारी तन्त्र जिम्मेदार है उससे कही अधिक हम सभी भी जिम्मेदार है.

भ्रष्टाचार को कैसे रोके

Romoval of corruption in hindi.

तो इसका सीधा सा उत्तर है है इसकी शुरुआत खुद से कर सकते है अगर हर व्यक्ति मन में ठान ले की आज से वह कभी भी अपने कार्यो पूर्ति और निजी फायदा के लिए गलत रास्तो और कानून का उलंघन नही करेगा तो निश्चित ही इस भ्रष्टाचार रूपी राक्षस पर सत्य की जीत हो सकती है.

भ्रष्टाचार को रोकने के तरीके और उपाय

How to stop corruption tarike aur upay in hindi.

1 – किसी भी देश में समाज का निर्माण में 3 महत्वपूर्ण अंग होते है वे है माता, पिता और शिक्षक, जिस देश में शिक्षा का स्तर जितना अधिक ऊचा होंगा वहा के लोग उतने अत्यधिक शिक्षित होंगे और इस शिक्षा की शुरुआत हमारे घर में माता पिता और शिक्षक से ही शुरू होता है और फिर बच्चे को जैसा शिक्षा मिलेगा वो बच्चा वैसा ही बनेगा यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है.

अक्सर छोटी छोटी बातो में माता पिता द्वारा जाने अनजाने में ही झूट बोला जाता है जो की यही झूट बच्चा भी बोलना सीख जाता है फिर आगे चलकर वही बच्चा अपने सुविधा के अनुसार झूट बोलने लगता है बस यही से शुरू हो जाती है भ्रष्टाचार की शुरुआत, यदि माता पिता और शिक्षक किसी भी परिस्थिति में झूठ न बोलने का सलाह (Advice) दे तो निश्चित ही वह बच्चा हमेसा सत्य बोलेगा जो की भ्रष्टाचार को रोकने में काफी कारगर साबित होता है.

जाने खुश रहने के राज

2 – नैतिक चरित्र निर्माण के जरिये यदि हम बच्चो की छोटी छोटी गलतियों की अनदेखी करते है तो यही बच्चे की गलतिया उनकी आदत में शुमार हो जाती है कभी कभी ऐसा होता है की बच्चो को कुछ खाने का मन करता है लेकिन माता पिता के डाट के डर से वे खुलकर बता नही पाते है या माता पिता द्वारा देने से मना कर दिया जाता है जिसके बाद बच्चे उस चीज को पाने के लिए चोरी जैसे बुरे रास्तो का सहारा लेना शुरू करते है और जैसे ही कामयाब होते है उन्हें यही रास्ता आसान लगने लगता है.

फिर आगे चलकर पूरे जिन्दगी अपने कार्यो को आसान बनाने के लिए चोरी, छल कपट का सहारा लेते है ऐसे में यदि शुरू से बच्चो को अच्छे चरित्र निर्माण में ध्यान दिया जाय तो निश्चित ही बुरे रास्तो जैसे भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है.

3 – आसान रास्ता जीवन का एक ऐसा मार्ग है जिसपर हर कोई चलना चाहता है हर कोई यही चाहता है उसे ज्यादा मेहनत किये बिना ही सबकुछ मिल जाये ऐसे में हर इन्सान यही चाहता है उसे कुछ पाने के लिए आसान रास्ते मिले जिसके लिए यह प्रयासरत भी रहता है ताकि उसे जीवन में अधिक मेहनत न करना पड़े लेकिन यदि लोग समझ जाए की सफलता का कोई शॉर्टकट नही होता है तो निश्चित ही भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है.

4 – आर्थिक असमानता भी हमारे देश में भ्रष्टाचार को बहुत अधिक बढ़ावा देता है जो व्यक्ति अमीर है वह और अमीर होता जा रहा है और जो गरीब है वह अपनी गरीबी और महगाई के चलते दी प्रतिदिन और भी गरीब होता जा रहा है यदि हमारे देश की सरकारे सबके कल्याण के लिए एक ऐसी योजना लाये जिसमे सबको एक समान आर्थिक आजादी मिले तो निश्चित ही अमीर गरीब के बीच की दुरी कम होंगी तो गरीब और अमीर सभी ईमानदारी से अपने कार्य के प्रति ईमानदार होंगे तो निश्चित ही भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है.

5 – किसी भी देश को चलाने के लिए कानून की आवश्यकता पडती है और जिस देश व्यवस्था जितना अधिक दुरुस्त होगा उतना अधिक ही लोग अपने सरकारों द्वारा बनाये गये व्यवस्था का लाभ ले सकते है और यदि सरकार द्वारा स्थापित व्यवस्था का सही से लोग और पूरी ईमानदारी से हर कोई अपना कार्य करे तो निश्चित ही भ्रष्टाचार की शुरुआत ही नही होंगी तो देश खुशहाल होंगा और सभी लोग अपने राष्ट्रीय कर्तव्यो के प्रति ईमानदार भी बने रहेगे.

इसके अतिरिक्त अनेक उपायों द्वारा भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है जरूरत तो बस इस बात की है हर व्यक्ति पूरी ईमानदारी से अपने कार्यो के प्रति सजग रहे.

कैसे बनेगा भ्रष्टाचार मुक्त भारत

Corruption free india essay in hindi.

यदि सच में हम सभी भ्रष्टाचार मुक्त भारत | Corruption Free India का सपना सच करना चाहते है तो आज से ही हम सभी प्रण ले की परिस्थितिया चाहे कैसी भी हो जाय हम ईमानदारी का राह नही छोड़ेगे और अपने स्तर पर तो कभी भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा नही देंगे इसकी शुरुआत हम खुद कर सकते है,

जैसे यदि हमारे पास बाइक है बिना हेलमेट, गाड़ी के कागजात के बिना कभी भी बाइक नही चलाएंगे, बिना टिकट यात्रा नही करेगे जैसे तमाम बाते है जिन्हें हम खुद नही करेगे और और दुसरो को भी समझायेंगे तो निश्चित ही यह एक प्रयास के रूप में छोटा हो सकता है लेकिन यदि ऐसी छोटे छोटे कार्यो की शुरुआत करके भ्रष्टाचार पर काबू पा सकते है और भारत को भ्रष्टाचार मुक्त भारत बना सकते है और जैसा की हम सभी जानते है कोई कार्य कठिन नही होता है जरूरत होती है तो एक कोशिश करने की तो आप भी एक कोशिश तो करिए……

तो आप सभी को भ्रष्टाचार पर लिखा गया यह निबन्ध कैसे बनेगा भ्रष्टाचार मुक्त भारत | Corruption Free India Essay in Hindi कैसा लगा अगर आपके भी कोई सुझाव, सलाह, Advice हो तो हमे कमेंट बॉक्स में जरुर बताये.

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भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध – Essay on Corruption-Free India in Hindi

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भारत एक ऐसा देश है जो अपनी संस्कृति, विरासत और विविधता के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह देश एक समय पर ‘सोने की चिड़िया’ के नाम से जाना जाता था। परंतु, आज भारतीय समाज के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है भ्रष्टाचार । भ्रष्टाचार वह दीमक है जो समाज को अंदर से खोखला बना रहा है।

Table of Contents

भ्रष्टाचार का अर्थ

भ्रष्टाचार का अर्थ है भ्रष्ट आचरण, अवैधानिक कार्य या नियमों के विपरीत जाकर व्यक्तिगत लाभ के लिए किसी अधिकार का दुरुपयोग। जब कोई व्यक्ति या समूह अपने अधिकार का उपयोग दूसरों के हितों को नजरअंदाज कर स्वयं के लिए अवैध लाभ उठाता है, तब वह भ्रष्टाचार कहलाता है।

भ्रष्टाचार के प्रकार

भ्रष्टाचार कई प्रकार का हो सकता है:

  • राजनीतिक भ्रष्टाचार: यह तब होता है जब राजनेता और सरकारी पदाधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करते हैं। इसमें चुनाव में धांधली, रिश्वतखोरी, पद का दुरुपयोग और अवैध धन-प्राप्ति शामिल हैं।
  • प्रशासनिक भ्रष्टाचार: यह प्रकार का भ्रष्टाचार सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच होता है। इसमें सरकारी सेवाओं का अनुचित लाभ, फर्जी बिलिंग, ठेके देने में धांधली आदि शामिल हैं।
  • व्यापारिक भ्रष्टाचार: यह तब होता है जब व्यापारी और व्यवसायी अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अवैध तरीकों का सहारा लेते हैं। इसमें टैक्स चोरी, नकली वस्त्र विक्रय, अवैध जोखिम उठाना आदि शामिल हैं।
  • सामाजिक भ्रष्टाचार: यह प्रकार का भ्रष्टाचार समाज के विभिन्न वर्गों में प्रचलित होता है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, न्यायालय और अन्य सामाजिक संस्थाओं में भ्रष्टाचार देखा जा सकता है।

भ्रष्टाचार के कारण

भ्रष्टाचार के पीछे कई कारण होते हैं:

  • गरीबी और बेरोजगारी: गरीबी और बेरोजगारी से तंग आकर लोग अवैध तरीकों का सहारा लेते हैं।
  • कम वेतन: सरकारी और निजी क्षेत्र में कम वेतन मिलने से लोग अवैध धन प्राप्ति के लिए इच्छा रखते हैं।
  • कानूनी ढांचे की कमजोरी: कानूनी व्यवस्था की कमजोरी और धीरतिर प्रक्रिया से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।
  • राजनीतिक प्रभाव: राजनीति में बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण अन्य क्षेत्रों में भी भ्रष्टाचार बढ़ता है।
  • शिक्षा का अभाव: शिक्षा के अभाव में लोग भ्रष्टाचार को गलत नहीं समझते और उसका हिस्सा बन जाते हैं।

भ्रष्टाचार से होने वाले नुकसान

भ्रष्टाचार से व्यक्तिगत, सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर कई नुकसानों का सामना करना पड़ता है:

  • आर्थिक नुकसान: भ्रष्टाचार से देश की आर्थिक स्थिति कमजोर होती है, जहां विकास की गति धीमी हो जाती है और जनसंपदा का दुरुपयोग होता है।
  • सामाजिक नुकसान: समाज में असमानता और असंतोष बढ़ता है, जिससे अपराध बढ़ते हैं।
  • राजनीतिक नुकसान: लोकतंत्र की नींव कमजोर होती है और जनता का विश्वास टूटता है।
  • नैतिक नुकसान: नैतिक मूल्य और समाजिक मूल्यों की गिरावट होती है।

भारत में भ्रष्टाचार का इतिहास

भारत में भ्रष्टाचार का इतिहास पुराना है। आजाद भारत में 1950 के दशक से ही भ्रष्टाचार की घटनाएं सामने आने लगी थीं। 1960 और 1970 के दशकों में होकेरा सीमेंट घोटाला और नागरवाला कांड जैसी घटनाएं इससे भरे पड़े हैं। 1980 के दशक में बोफोर्स घोटाला और 1990 के दशक में हवाला कांड इस समस्या को नई ऊंचाइयों तक ले गए।

भ्रष्टाचार के खिलाफ कानूनी उपाय

भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ कई कानून और संस्थाएं बनाई गई हैं:

  • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988: यह अधिनियम सरकारी कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए पारित किया गया था।
  • केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI): इस संस्था की स्थापना भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और दृष्टिपूर्ण कार्रवाई के लिए की गई है।
  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005: यह अधिनियम प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ाने के लिए लागू किया गया था।
  • लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013: यह अधिनियम केंद्र और राज्य स्तर पर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लागू किया गया था।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सामाजिक प्रयास

भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए समाज को भी आगे आना होगा। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:

  • शिक्षा और जागरूकता: भ्रष्टाचार के दुष्परिणामों के बारे में लोगों को शिक्षा और जागरूकता दिलानी होगी।
  • नैतिक शिक्षा: स्कूलों और कॉलेजों में नैतिक शिक्षा को अधिक महत्व दिया जाना चाहिए।
  • पारदर्शिता: प्रशासनिक गतिविधियों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए तकनीकी साधनों का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • जनसहभागिता: जनता को भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष में सहभागी बनाना होगा।
  • मीडिया का रोल: मीडिया को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और जनसाधारण को जागरूक करना चाहिए।

भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना

भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देखना किसी भी भारतीय का विचार हो सकता है। इसे साकार करने के लिए हमें एक संगठित और सतत प्रयास करना होगा। हमें अपने जीवन में ईमानदारी, नैतिकता और पारदर्शिता को अपनाना होगा। केवल तभी हम उस भारत का निर्माण कर सकते हैं, जो विकासशील से विकसित राष्ट्र बन सके।

भ्रष्टाचार वह दीमक है जो हमारे समाज और राष्ट्र को अंदर से खोखला बना रहा है। इसे समाप्त करने के लिए हमें कानूनी उपायों के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता की भी आवश्यकता है। हमें अपनी भावी पीढ़ी को एक ऐसा समाज सौंपना है, जहां ईमानदारी, न्याय और नैतिकता का साम्राज्य हो। भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना तभी साकार हो सकता है, जब हम सभी सामूहिक प्रयास करें और इसे समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हों।

आइए, हम सभी मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रयासरत हों और अपने देश को एक नया ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए कार्य करें। यह न केवल हमारी वर्तमान पीढ़ी के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अनिवार्य है।

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भारत में भ्रष्टाचार

  • 11 Oct 2023
  • 28 min read
  • सामान्य अध्ययन-IV
  • शासन व्यवस्था में ईमानदारी
  • सामान्य अध्ययन-II
  • पारदर्शिता और जवाबदेहिता

शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही, भारत में भ्रष्टाचार के सामान्य कारण और इसकी रोकथाम

प्रसंग :  

भारत के प्रधानमंत्री ने 76वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की दोहरी चुनौतियों के खिलाफ तीखा हमला किया और कहा कि यदि समय पर इसका समाधान नहीं किया गया तो यह  बड़ी चुनौती बन सकती है। साथ ही ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ द्वारा ‘ भ्रष्टाचार बोध सूचकांक ’ 2023 (CPI) जारी किया गया।

  • समग्र तौर पर यह सूचकांक दर्शाता है कि पिछले एक दशक में अधिकांश देशों में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण की स्थिति या तो काफी हद तक स्थिर या खराब रही है। भारत ने भ्रष्टाचार बोध सूचकांक 2023 में 40 अंक प्राप्त किये।

भ्रष्टाचार:

भ्रष्टाचार सत्ता के पदों पर बैठे लोगों द्वारा किया गया असन्निष्ठ व्यवहार है। इसकी शुरुआत किसी निजी लाभ के लिये सार्वजनिक पद का उपयोग करने की प्रवृत्ति से होती है।

  • इसके अलावा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भ्रष्टाचार कई लोगों के लिये आदत का विषय बन गया है। यह इतनी गहराई तक व्याप्त है कि भ्रष्टाचार को अब एक सामाजिक मानदंड माना जाता है। इसलिये भ्रष्टाचार का तात्पर्य नैतिकता की विफलता से है।

भारत में भ्रष्टाचार के पीछे के कारण:

  • पारदर्शिता की कमी: सरकारी प्रक्रियाओं, निर्णय लेने और सार्वजनिक प्रशासन में पारदर्शिता की कमी भ्रष्ट आचरण के लिये अधिक अवसर प्रदान करती है। जब कार्यों तथा निर्णयों को सार्वजनिक जाँच से बचाया जाता है, तो अधिकारी जोखिम के कम डर के साथ भ्रष्ट गतिविधियों में संलग्न हो सकते हैं।
  • भ्रष्ट व्यक्तियों को अपर्याप्त सज़ा के कारण दंड से मुक्ति की धारणा भ्रष्टाचार को और अधिक बढ़ावा दे सकती है। भ्रष्ट आचरण वाले व्यक्तियों को जब यह विश्वास हो जाता है कि वे दंड से बच सकते हैं, तो उनके इसमें शामिल होने की संभावना अधिक हो जाती है।
  • कम वेतन और प्रोत्साहन: सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों, विशेषकर निचले स्तर के पदों पर बैठे लोगों का कम वेतन उन्हें रिश्वतखोरी और भ्रष्ट आचरण के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है, क्योंकि वे भ्रष्टाचार को अपनी आय के पूरक के साधन के रूप में देखते हैं।
  • भारत का जटिल आर्थिक वातावरण, जिसमें विभिन्न लाइसेंस, परमिट और अनुमोदन शामिल हैं, भ्रष्टाचार के अवसर पैदा कर सकते हैं। व्यवसाय इस माहौल से निपटने के लिये रिश्वतखोरी का सहारा ले सकते हैं।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप: प्रशासनिक मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते सरकारी संस्थानों को अपनी  स्वायत्तता से समझौता करने को मजबूर होना पड़ सकता है। राजनेता व्यक्तिगत या पार्टी लाभ के लिये अधिकारियों पर भ्रष्ट गतिविधियों में शामिल होने का दबाव डाल सकते हैं।
  • सांस्कृतिक कारक: कुछ संदर्भों में भ्रष्ट आचरण की सांस्कृतिक स्वीकृति हो सकती है, जो भ्रष्टाचार को कायम रखती है। यह धारणा कि "हर कोई ऐसा करता है" व्यक्तियों को नैतिक रूप से समझौता किये बिना भ्रष्टाचार में शामिल होने के लिये प्रेरित कर सकता है।
  • व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा का अभाव: व्हिसलब्लोअर की अपर्याप्त सुरक्षा व्यक्तियों को भ्रष्टाचार की रिपोर्ट करने से रोक सकती है। संभावित प्रतिशोध का डर मुखबिरों को चुप रहने को मजबूर करने के साथ ही भ्रष्टाचार को पनपने में सहायक हो सकता है।
  • सामाजिक असमानता: सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकती हैं, क्योंकि धन और शक्ति वाले व्यक्ति अपने प्रभाव का उपयोग अधिमान्य उपचार प्राप्त करने तथा बिना किसी परिणाम (Without Repercussions) के भ्रष्ट आचरण में संलग्न होने के लिये कर सकते हैं।

सिविल सेवाओं में भ्रष्टाचार की व्यापकता के कारण:

  • सिविल सेवा का राजनीतिकरण: जब सिविल सेवा के पदों का उपयोग राजनीतिक समर्थन के लिये पुरस्कार के रूप में किया जाता है या रिश्वत हेतु स्थानांतरण किया जाता है, तो उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार के अवसर काफी बढ़ जाते हैं।
  • निजी क्षेत्र की तुलना में कम वेतन: निजी क्षेत्र की तुलना में सिविल सेवकों का वेतन कम हो सकता है,  वेतन में अंतर की भरपाई के लिये कुछ कर्मचारी रिश्वत का सहारा लेते हैं।
  • प्रशासनिक देरी: फाइलों की मंज़ूरी में देरी भ्रष्टाचार का मूल कारण है क्योंकि आम नागरिकों को फाइलों की शीघ्र मंज़ूरी के लिये दोषी अधिकारियों और प्राधिकारियों को रिश्वत देने को मजबूर होना पड़ता है।
  • चुनौती रहित सत्ता की औपनिवेशिक विरासत: सत्ता के उपासक वाले समाज में सरकारी अधिकारियों के लिये नैतिक आचरण से विचलित होना आसान होता है।
  • कानून का कमज़ोर प्रवर्तन: भ्रष्टाचार की बुराई को रोकने के लिये कई कानून बनाए गए हैं लेकिन उनके कमज़ोर प्रवर्तन ने भ्रष्टाचार को रोकने में बाधा के रूप में काम किया है।

भ्रष्टाचार का प्रभाव:

  • गुणवत्ता की मांग करने हेतु किसी को इसके लिये भुगतान करना पड़ सकता है। यह कई क्षेत्रों जैसे- नगर पालिका, बिजली, राहत कोष के वितरण आदि में देखा जा सकता है।
  • सबूतों की कमी या यहाँ तक कि मिटाए गए सबूतों के कारण किसी अपराध में संदेह का लाभ उठाया जा सकता है।
  • इन निम्न-गुणवत्ता वाली सेवाओं का कारण इसमें शामिल ठेकेदारों और अधिकारियों द्वारा अनुचित तरीके से धन अर्जित करना है।
  • ये लोग अनुसंधान के लिये उन जाँचकर्त्ताओं को धनराशि स्वीकृत करते हैं जो उन्हें रिश्वत देने लिये तैयार हैं।
  • अधिकारियों की अवहेलना: भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी के बारे में नकारात्मक बातें कर लोग उसकी अवहेलना करने लगते हैं। अवहेलना के कारण अधिकारी के प्रति अविश्वास पैदा होता है और परिणामस्वरूप निम्न श्रेणी के अधिकारी भी उच्च श्रेणी के अधिकारियों का अनादर करेगा, इसी क्रम में वह भी उसके आदेशों का पालन नहीं करता है।
  • प्रशासकों के प्रति सम्मान की कमी: राष्ट्र के प्रशासक जैसे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के प्रति जनता के सम्मान में कमी आती है। सामाजिक जीवन में सम्मान मुख्य मानदंड है।
  • सरकारों के प्रति विश्वास की कमी: जनता अपने जीवन स्तर में सुधार और नेता के सम्मान की इच्छा के साथ चुनाव के दौरान मतदान के लिये जाते हैं। यदि राजनेता भ्रष्टाचार में लिप्त है, तो वह लोगों का विश्वास खो देगा और वे ऐसे नेताओं का निर्वाचित नहीं करेंगे।
  • भ्रष्टाचार से जुड़े पदों में शामिल होने से परहेज: ईमानदार और मेहनती लोग भ्रष्ट समझे जाने वाले विशेष पदों के प्रति घृणा करने लगते हैं।
  • विदेशी निवेश में कमी: सरकारी निकायों में भ्रष्टाचार के कारण कई विदेशी निवेशक विकासशील देशों में निवेश करने से कतराते हैं।
  • इससे निवेश, उद्योगों की शुरुआत और विकास की गति धीमी हो जाती है।
  • यदि उचित सड़क, पानी और बिजली की व्यवस्था नहीं है, तो ऐसे क्षेत्र में कंपनियांँ नए उद्योग स्थापित नहीं करना चाहती हैं, जो उस क्षेत्र की आर्थिक प्रगति में बाधा डालती है।

भारत में भ्रष्टाचार से लड़ने को कानूनी और नियामक ढाँचे:

  • वर्ष 2018 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके अंतर्गत रिश्वत लेने और रिश्वत देने को अपराध की श्रेणी के तहत रखा गया।
  • धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act), 2002 का उद्देश्य भारत में धन शोधन (Money Laundering) के मामलों को रोकना और आपराधिक आय के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है।
  • कंपनी अधिनियम (The Companies Act), 2013 कॉर्पोरेट क्षेत्र को स्वनियमन का अवसर देकर इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की रोकथाम करता है। 'धोखाधड़ी' शब्द की एक व्यापक परिभाषा है, इसे कंपनी अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय (Criminal) अपराध माना गया है।
  • भारतीय दंड संहिता (The Indian Penal Code- IPC), 1860 के अंतर्गत रिश्वत, धोखाधड़ी,  विश्वासघात जैसे अपराध से संबंधित मामलों को कवर किया गया है।
  • बेनामी लेन-देन (निषेध) अधिनियम, 1988 उस व्यक्ति के दावे प्रतिबंधित करता है जिसने किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर संपत्ति अर्जित की है।
  • ये "लोकपाल तथा लोकायुक्त" कुछ निश्चित श्रेणी के सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच करते हैं।
  • केंद्रीय सतर्कता आयोग: इसका कार्य प्रशासन की निगरानी करना और भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों में कार्यपालिका को सलाह देना एवं मार्गदर्शन करना है।
  • 1964 में संशोधन: IPC के तहत 'लोक सेवक' तथा 'आपराधिक कदाचार' की परिभाषा का विस्तार किया गया और एक लोक सेवक के लिये आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने को अपराध बना दिया गया।

भ्रष्टाचार को रोकने में नैतिकता का महत्त्व:

  • नैतिक सीमाएँ स्थापित करना: नैतिक सिद्धांत सही और गलत को परिभाषित करने के लिये एक रूपरेखा प्रदान करते हैं। भ्रष्टाचार के संदर्भ में नैतिकता स्पष्ट सीमाएँ निर्धारित करती है, जो स्वीकार्य व्यवहार को अनैतिक या भ्रष्ट आचरण से अलग करती है।
  • जवाबदेही को बढ़ावा देना: नैतिकता की मांग है कि व्यक्ति अपने कार्यों और निर्णयों की ज़िम्मेदारी लें। जब लोगों को नैतिक सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया जाता है, तो उनके कार्यों के पारदर्शी और जवाबदेह होने की अधिक संभावना होती है, जिससे भ्रष्टाचार, जो कि दूसरों को नुकसान पहुँचा सकता है, की संभावना कम हो जाती है ।
  • पारदर्शिता को बढ़ावा देना: पारदर्शिता एक प्रमुख नैतिक सिद्धांत है। नैतिक संगठनों और व्यक्तियों के पारदर्शी पर और ईमानदारी से काम करने की अधिक संभावना होती है तथा ऐसे माहौल में भ्रष्टाचार का पनपना मुश्किल हो जाता है जहाँ कार्य और निर्णय जाँच के अधीन होते हैं।
  • विश्वास कायम करना: विश्वास नैतिक व्यवहार की आधारशिला है। जब व्यक्तियों और संस्थानों को भरोसेमंद माना जाता है, तो उनके भ्रष्टाचार में शामिल होने या उसे बर्दाश्त करने की संभावना कम होती है। समाज में उच्च स्तर का विश्वास भ्रष्टाचार के प्रति प्रलोभन को कम करता है।
  • नागरिकों के सद्गुणों को प्रोत्साहित करना: नैतिक मूल्य नागरिक सद्गुणों को बढ़ावा देते हैं, जो व्यक्तियों को दूसरों की कीमत पर व्यक्तिगत लाभ हासिल करने के बजाय समाज के सर्वोत्तम हित में कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। नागरिक सद्गुण भ्रष्टाचार का एक प्रभावशाली निवारक है।
  • कानून के शासन का समर्थन: नैतिक व्यवहार कानून के शासन और कानूनी तथा नियामक ढाँचे के प्रति सम्मान को कायम रखता है। भ्रष्ट आचरण में अक्सर कानून को दरकिनार करना या उसका उल्लंघन करना शामिल होता है एवं नैतिकता का पालन कानूनी मानदंडों के प्रति सम्मान को मज़बूत करता है।
  • व्हिसलब्लोअर संरक्षण: नैतिक संगठन और सरकारें भ्रष्टाचार की रिपोर्ट करने वाले व्हिसिलब्लोअर की सुरक्षा को प्राथमिकता देती हैं। नैतिक मूल्य अनैतिक व्यवहार की रिपोर्टिंग के लिये प्रोत्साहित करते हैं, जो भ्रष्टाचार को उजागर करने एवं संबोधित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • वैश्विक प्रतिष्ठा: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी राष्ट्र की प्रतिष्ठा के लिये नैतिक व्यवहार आवश्यक है। नैतिक शासन और निम्न भ्रष्टाचार स्तर वाले देश में विदेशी निवेश और सहयोग की संभावना अधिक होती है।
  • दीर्घकालिक स्थिरता: भ्रष्ट आचरण अक्सर अल्पकालिक लाभ प्रदान करता है लेकिन दीर्घकाल में नुकसान पहुँचा सकता है। समाज के सतत् विकास और समृद्धि के लिये नैतिक व्यवहार आवश्यक है।

सार्वजनिक जीवन के मानक और भ्रष्टाचार की रोकथाम पर नोलन समिति की सिफारिशें:

1995 में यूनाइटेड किंगडम में नोलन समिति ने भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये सार्वजनिक पदाधिकारियों, अधिकारियों, सिविल सेवकों, नौकरशाहों, नागरिक समाज और नागरिकों द्वारा शामिल किये जाने वाले सात नैतिक मूल्यों की रूपरेखा तैयार की:

  • निःस्वार्थता: सार्वजनिक अधिकारियों/नौकरशाहों को लोकहित के संदर्भ में निर्णय लेना चाहिये।  
  • सत्यनिष्ठा: नौकरशाहों को ऐसे किसी वित्तीय या अन्य दायित्व के अधीन बाहरी व्यक्तियों या संगठनों के तहत नहीं होना चाहिये जिससे उनके आधिकारिक कर्त्तव्य प्रभावित हों।
  • वस्तुनिष्ठता: सार्वजनिक कामकाज़, नियुक्तियाँ करने, अनुबंध या पुरस्कार और लाभ के लिये लोगों की सिफारिश करने में नौकरशाहों को योग्यता को आधार बनाना चाहिये।
  • जवाबदेहिता: नौकरशाह अपने निर्णयों और कार्यों के लिये जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं तथा उन्हें अपने पद को भी जाँच/समीक्षा के अधीन रखना चाहिये।
  • खुलापन: नौकरशाहों के सभी निर्णयों और कार्यों में खुलापन होना चाहिये। उन्हें अपने निर्णयों का स्पष्ट कारण देना चाहिये तथा सूचना तभी प्रतिबंधित करनी चाहिये जब व्यापक जन-हित के लिये आवश्यक  हो।
  • ईमानदारी: नौकरशाह का यह दायित्व है कि वह सार्वजनिक कर्त्तव्यों से संबंधित अपने निजी हितों की घोषणा करे और ऐसे किसी विरोध के समाधान के लिये आवश्यक कदम उठाए जो सार्वजनिक हितों की रक्षा करने में बाधक हो।
  • नेतृत्व: नौकरशाहों को अपने नेतृत्व द्वारा उदाहरण पेश करते हुए इन सिद्धांतों को विकसित करने के साथ इनका समर्थन करना चाहिये।

भ्रष्टाचार से निपटने हेतु दूसरे ARC की सिफारिशें:

भारत में एक सलाहकार निकाय, द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (द्वितीय ARC) ने भ्रष्टाचार के मुद्दे को संबोधित करने और सार्वजनिक प्रशासन की अखंडता तथा दक्षता में सुधार के लिये कई व्यापक सिफारिशें कीं। इन सिफारिशों का उद्देश्य भ्रष्टाचार को रोकना एवं सरकारी कार्यों में पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ाना है। द्वितीय ARC द्वारा की गई कुछ प्रमुख सिफारिशें निम्नलिखित हैं:

  • व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014 : दूसरे ARC ने व्हिसलब्लोअर्स के लिये सुरक्षा और प्रोत्साहन बढ़ाने हेतु व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम में संशोधन की सिफारिश की। इसमें उन्हें उत्पीड़न से बचाना तथा वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना शामिल है।
  • केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC): दूसरे ARC ने CVC को अधिक स्वतंत्रता, संसाधन और अधिकार देकर भ्रष्टाचार को रोकने तथा मुकाबला करने में उसकी भूमिका को मज़बूत करने की सिफारिश की।
  • केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI): आयोग ने भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने में CBI की स्वायत्तता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिये उपाय सुझाए।
  • मानक संचालन प्रक्रियाएँ (SOP): द्वितीय ARC ने अधिकारियों की विवेकाधिकार शक्तियों को कम करने के लिये सरकारी प्रक्रियाओं और सेवाओं हेतु स्पष्ट SOP के विकास की सिफारिश की। इससे भ्रष्टाचार एवं मनमाने निर्णय लेने की गुंजाइश कम हो जाती है।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: प्रौद्योगिकी और ई-गवर्नेंस का लाभ उठाकर सरकारी लेन-देन में मानवीय हस्तक्षेप और विवेकाधिकार को कम किया जा सकता है। आयोग ने भ्रष्टाचार के अवसरों को कम करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक तरीकों को अपनाने को प्रोत्साहित किया।
  • पुलिस की जवाबदेही: आयोग ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों की अखंडता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिये व्यापक पुलिस सुधारों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इसमें पुलिस बल में पारदर्शिता, जवाबदेही तथा व्यावसायिकता बढ़ाने के उपाय शामिल हैं।
  • सामुदायिक पुलिसिंग: सामुदायिक पुलिसिंग को बढ़ावा देने से पुलिस और जनता के बीच विश्वास पैदा हो सकता है, जिससे भ्रष्टाचार तथा सत्ता के दुरुपयोग के मामलों में कमी आएगी।
  • आचार संहिता: आयोग ने नैतिक व्यवहार को बढ़ावा देने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिये एक आचार संहिता के विकास की सिफारिश की।
  • सिटीज़न चार्टर: सरकारी विभागों को सिटीज़न चार्टर अपनाने के लिये प्रोत्साहित करने से जवाबदेही बढ़ सकती है और सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार हो सकता है।
  • मीडिया और शिक्षा: आयोग ने भ्रष्टाचार के हानिकारक प्रभावों तथा नैतिक आचरण के महत्त्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिये मीडिया और शैक्षणिक संस्थानों का उपयोग करने का सुझाव दिया।
  • संसदीय समितियाँ: सरकारी संचालन और व्यय की जाँच में संसदीय समितियों की भूमिका को मज़बूत करने से भ्रष्टाचार का पता लगाने तथा उसे रोकने में मदद मिल सकती है।
  • डिजिटल परिवर्तन: द्वितीय ARC ने मानवीय हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार के अवसरों को कम करने के लिये सरकारी प्रक्रियाओं के व्यापक डिजिटल परिवर्तन की सिफारिश की।

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 2 और 3

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भ्रष्टाचार पर निबंध – Corruption Essay in Hindi

भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध.

Corruption In Hindi

सामान्य शब्दों में भ्रष्टाचार का अर्थ है मानव का अपने आचार – विचार से भ्रष्ट या पतित हो जाना।  यह एक जाना माना तथ्य है कि भ्रष्टाचार सत्तासीन लोगों को ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों तक को नैतिक रूप से पतित करने वाला एक खतरान तन्तु है। वस्तुतः यह सत्तासीन लोगों एवं सरकारी कर्मचरियों की कार्यकुशलता को बुरी तरह से क्षीण बना देता है।

(भारत में भ्रष्टाचार के रूप) 

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं जहाँ के लोग अपनी कार्यनिष्ठा, और लगन, मेहनत के लिए जाने जाते हैं। लेकिन यहाँ के एक सरकारी कार्यालय का दृश्य देखें तो आम आदमी का शायद सरकार के कार्य प्रणाली से ही विश्वास उठ जाएगा। इन कार्यालयों में फाइल पर वजन (रिश्वत) रखें बगैर कोई काम हो ही नहीं सकता है। रिश्वत भ्रष्टाचार का ही एक रूप है। 

भारत में भ्रष्टाचार न सिर्फ बड़े पैमाने पर व्याप्त है, बल्कि वह सुव्यवस्थित, प्रणालीबद्ध नियोजित एवं स्वैच्छिक बनकर रिश्वतखोरों एवं रिश्वत देने वाले दोनों ही पक्षों को फायदा पहुँचाने वाली व्यवस्था का रूप ग्रहण कर चुका है।  आज भारत में भ्रष्टाचार के जितने रूप व्याप्त है दुनिया के शायद ही किसी अन्य देशों में मिलता हो।

कदम – कदम पर रिश्वत, भाई – भतीजावाद, मिलावट, मुनाफाखोरी, कालाबाजारी, कमीशनखोरी, दायित्व पालन में विमुखता, सरकारी साधनों का दुरुपयोग, विदेशी मुद्रा हेरा – फेरी, रक्षा सौदा में कमीशन, आयकर चोरी, ठेके आदि देने में जान – पहचान, सरकार बनाने और सरकार बचाने के लिए संसद – सदस्यों और विधान – सभा सदस्यों की खरीद – फरोस्त आदि सभी भ्रष्टाचार के ही रूप है ।इसके परिणामस्वरुप ही प्रगति और विकास का लाभ सामान्य और आम जन तक नहीं पहुँच पा रहा है।

ये तो भ्रष्टाचार के कुछ उदाहरण मात्र है। इनके अलावा भी भ्रष्टाचार के अनगिनत स्वरुप है।   अनेक प्रकार के पाप, दुराचार और अन्याय – अत्याचार लगातार बढ़ रहे है । कोई कहीं भी सुरक्षित नहीं है । राजनीति, प्रशासन, धर्म, समाज आदि कोई भी तो क्षेत्र इस भ्रष्टाचार के प्रभाव से अछूता नहीं । इसका प्रमाण तब मिलता है जब एक ही ऑफिस में लगभग समान स्तर पर और साथ – साथ बैठकर काम करने वाला भी एक – दूसरे का काम बिना मुट्ठी गर्म किये नहीं करना चाहता । 

e –

(भारत में भ्रष्टाचार के कारण) 

भारत में भ्रष्टाचार के अनेक कारण है; समाज में व्याप्त गरीबी, बेरोजगारी बहुतों की प्राथमिक सुविधाएँ भी पूरी नहीं करती; फिर तो यह विवश हो जाते है अपवित्रता के मार्ग से करने के लिए।

दूसरा है अधिक धन बनाने की लालसा, लोगों में लालच का भूत इस कदर सवार होता है कि वह अपने नैतिक मूल्यों की चिंता किए बगैर अपने जान की बलि चढ़ाकर पैसे कमाना चाहता है।

तीसरा है लोगों से समाज में प्रतिष्ठा पाने की मानसिकता। इसके लिए एक दूसरे का गला घोटकर वह अपने स्वार्थ को पूरा करना चाहता है।

हालांकि भ्रष्टाचार के रोज नये स्वरुप बनते भी रहते है और अधिक से अधिक लाभ पाने की इच्छा और प्रक्रिया में पता नहीं आज भ्रष्टाचार के कितने रूप इजाद कर लिए गए है । परिणाम हमारे सामने है। जब मानवों की तृष्णा उपलब्ध साधनों से शांत नहीं होती तो उसकी पूर्ति के लिए ही भ्रष्ट तरीके अपनाते है। साधारण शब्दों में कहें तो भौतिक सुख – सुविधाओं को बिना परिश्रम के सरलता से प्राप्त कर लेने की दौड़ ही भ्रष्टाचार का मूल कारण है।

इस प्रकार देखें तो आज समूची नैतिकता, व्यवस्था ही भ्रष्ट होकर रह गयी है। दूध का धुला खोजने पर भी नहीं मिलता है और जो मिलता भी है उसे विनष्ट करने की तमाम चेष्टा की जाती है। ऐसे में आखिर भ्रष्टाचार मुक्त भारत कैसे बनेगा ?

इस प्रश्न का एक ही उत्तर है कि वे ढेरों कानून-तंत्र जो भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए बनाएं गए हैं उनको निर्दयतापूर्वक देश में लागू करना होगा । कठोर से कठोर कदम उठाने के साथ – साथ सामाजिक व मनोवैज्ञानिक उपाय भी करने होंगे । इसके लिए भारत में भ्रष्टाचार नियंत्रण हेतु समय – समय पर विभिन्न संस्थाओं, कमेटियों एवं आयोगों का गठन किया जाता रहा है जिनमें से प्रमुख है –

भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए बनें भ्रष्टाचार उन्मूलन क़ानून   

  • विभागीय नियंत्रण
  • क़ानूनी प्रावधान
  • लेखा परिक्षण
  • 1964 के पूर्व व्यवस्था
  • केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरों (C. B. I.)
  • केन्द्रीय सतर्कता आयोग (C. V. C.)
  • मंत्रालय में सतर्कता आयोग
  • राज्यों में सतर्कता आयोग
  • लोकायुक / लोकपाल

लेकिन ये भी एक कटु सत्य है कि कानून बनाकर और कठोर दंड देखकर भय तो उत्पन्न किया जा सकता है पर भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं किया जा सकता । इसलिए दृढ़ संकल्प और नैतिक सक्रियता भ्रष्टाचार की समस्या से छुटकारा पाने के कारगर उपायों में एक सबसे अच्छा उपाय है । अगर लोग राष्ट्र और मानवता के प्रति अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन करें । अपने अंदर नैतिकता को जगाये । जियो और जीने दो के सिद्धांत को अपनायें तो भ्रष्टाचार की समस्या से मुक्ति पायी जा सकती है ।

इसके अलावा हर धर्म, समाज और राजनीति के अगुआ स्वयं नैतिक बनकर कठोरता से नैतिकता के अनुशासन को लागू करें । जो सर्वविदित और घोषित अपराधी हैं, उनके साथ किसी भी प्रकार की रू-रियायत न बरते ।

e – book [

आज जन्म लेने वाली नयी पीढ़ी के सामने जब हम नैतिक मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करना शुरू कर देंगे, जब भ्रष्ट हो चुकी पीढ़ी को बलपूर्वक दबा दिया जायेगा, तब कही जाकर इस स्थितिहीनता और भ्रष्टता का रोकथाम हो सकेगा। 

नव – निर्माण और विकास के दौर से गुजर रहे मानवों के लिए ये एक बहुत बड़ा दुर्भाग्य है जो की  सारा संसार भ्रष्टाचार रूपी दानव के पंजे में बुरी तरह फंसा है। भारत तो भ्रष्टाचार की दलदल में इतनी बुरी तरह निमग्न हो चूका है कि समझ में नहीं आता पहले यहाँ दलदल था या भ्रष्टाचार ? भ्रष्टाचार मुक्त भारत देश तभी होगा जब लोग अपने मन पर संयम, इच्छाओं पर नियंत्रण, भौतिक उपलब्धियों की दौड़ से पीछा छुड़ाकर सहज स्वाभाविक जीवन व्यतीत करना आरम्भ करेंगे । ये सभी उपाएँ मिलकर यक़ीनन भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त करने में मदद करेंगी ।

आज हम जिस गंभीर विषय पर आपसे कुछ शेयर करने जा रहें है वह है “भ्रष्टाचार”। भ्रष्टाचार सिर्फ हमारे समाज या देश के लिए बड़ी समस्या नहीं है, यद्धपि भ्रष्टाचार पूरे विश्व के लिए एक बड़ी भयानक समस्या है । और आपको बता दे कि यह न ही नई कुप्रथा है और न ही अचेतन कुरीति बल्कि वास्तविकता तो यह कि भ्रष्टाचार सदियों से अपने किसी न किसी रूप में सदैव कायम रहा है और पढ़ी दर पीढ़ी एक परम्परा की भाँती इस भ्रष्टाचार का भी हस्तान्तरण होता आ रहा है। यही कारण है कि भ्रष्टाचार रोकने के अनेक तरीके होने के बावजूद भी यह लगातार समाज व देश को क्षतिग्रस्त करता रहता है। जैसे की गेहूं में लगा घून उसको तहस-नहस कर देता है ठीक उसी तरह भ्रष्टाचार रूपी घून इस देश की आदर्श और नैतिकता की जड़ों को धीरे – धीरे खोखला करता जा रहा है।

अफ़सोस अगर अब भी इसे रोका नहीं गया तो यह आगामी दस वर्षो में एक सहज स्वाभाविक जीवन व्यतीत करना हम सबके लिए मुश्किल कर देगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या यही हमारी नियति होगी या बदलेगा भारत का भविष्य । और यह नया भारत क्या एक भ्रष्टाचारमुक्त भारत होगा। तो मैं आप से यही कहूँगी कि बेशक नये भारत का निर्माण होगा। असल में हमारे आचरण एवं व्यवहार का पतन ही तो भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण है। तो फिर हम दूसरों को क्यों दोषी ठहराएं ?

माफ़ कीजिएगा! बार – बार भ्रष्टाचारी कहना अच्छा तो नहीं लगता, पर वास्तविकता नकारी भी तो नहीं जा सकती । हकीकत यही है कि आज भारत में भ्रष्टाचार के जितने रूप व्याप्त है दुनिया के शायद ही किसी अन्य देशों में मिलता हो। यहाँ तो कदम – कदम पर रिश्वत, भाई – भतीजावाद, मिलावट, मुनाफाखोरी, कालाबाजारी, कमीशनखोरी, दायित्व पालन में विमुखता, सरकारी साधनों का दुरुपयोग, विदेशी मुद्रा हेरा – फेरी, रक्षा सौदा में कमीशन, आयकर चोरी, ठेके आदि देने में जान – पहचान, सरकार बनाने और सरकार बचाने के लिए संसद – सदस्यों और विधान – सभा सदस्यों की खरीद – फरोस्त आदि सभी भ्रष्टाचार के रूप में मौजूद होने के परिणामस्वरुप प्रगति और विकास का लाभ सामान्य और आम जन तक नहीं पहुँच पा रहा है । ये तो भ्रष्टाचार के कुछ उदाहरण मात्र है। इनके अलावा भी भ्रष्टाचार के अनगिनत स्वरुप है ।

यह आवश्यक नहीं कि भ्रष्टाचार केवल धन के ही रूप में हो । अनेक प्रकार के पाप, दुराचार और अन्याय – अत्याचार लगातार बढ़ रहे है । कोई कहीं भी सुरक्षित नहीं है । राजनीति, प्रशासन, धर्म, समाज आदि कोई भी तो क्षेत्र इस भ्रष्टाचार के प्रभाव से अछूता नहीं । इसका प्रमाण तब मिलता है जब एक ही ऑफिस में लगभग समान स्तर पर और साथ – साथ बैठकर काम करने वाला भी एक – दूसरे का काम बिना मुट्ठी गर्म किये नहीं करना चाहता ।

भ्रष्टाचार के कारण

जल्दी से जल्दी अमीर होने की हवस, लालच, मानव मन की इच्छाएँ, सुविधापूर्ण आरामदायक जीवन व्यतीत करने की लालसा के कारण आज यह स्थिति पैदा हुई है। हालांकि भ्रष्टाचार के रोज नये स्वरुप बनते भी रहते है और अधिक से अधिक लाभ पाने की इच्छा और प्रक्रिया में पता नहीं आज भ्रष्टाचार के कितने रूप इजाद कर लिए गए है । परिणाम हमारे सामने है। आज कोई भी भ्रष्टाचार के बल पर अपार सम्पति जुटा लेने वाला संतुष्ट नहीं । फिर भी जब मानवों की तृष्णा उपलब्ध साधनों से शांत नहीं होती तो उसकी पूर्ति के लिए ही भ्रष्ट तरीके अपनाते है। साधारण शब्दों में कहें तो भौतिक सुख – सुविधाओं को बिना परिश्रम के सरलता से प्राप्त कर लेने की दौड़ ही भ्रष्टाचार का मूल कारण है।

भारत में लोक प्रशासन के क्षेत्र का विलक्षण विकास होने के कारण भ्रष्टाचार की मात्रा में असाधारण वृद्धि हुई है । आज यहाँ भ्रष्टाचार के कारण एक मनुष्य ने दूसरे को आतंकित कर रखा है । भ्रष्टाचार की जड़े इतनी फैल चुकी है कि उन्हें काटना सरल नहीं है । ऐसे में आखिर भ्रष्टाचार मुक्त भारत कैसे बनेगा ? तो इस प्रश्न का एक ही उत्तर हो सकता है कि वे ढेरों कानून-तंत्र जो भ्रष्टाचार रोकते हैं उनको निर्दयतापूर्वक देश में लागू करना होगा । कठोर से कठोर कदम उठाने के साथ – साथ सामाजिक व मनोवैज्ञानिक उपाय भी करने होंगे और इसके लिए भारत में भ्रष्टाचार नियंत्रण हेतु समय – समय पर विभिन्न संस्थाओं, कमेटियों एवं आयोगों का गठन किया जाता रहा है जिनमें से प्रमुख है –

लेकिन ये एक कटु सत्य है कि कानून बनाकर और कठोर दंड देखकर भय तो उत्पन्न किया जा सकता है पर भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं किया जा सकता । इसलिए दृढ़ संकल्प और नैतिक सक्रियता भ्रष्टाचार की समस्या से छुटकारा पाने के कारगर उपायों में एक सबसे अच्छा उपाय है । अगर लोग राष्ट्र और मानवता के प्रति अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन करें । अपने अंदर नैतिकता को जगाये । जियो और जीने दो के सिद्धांत को अपनायें तो भ्रष्टाचार की समस्या से मुक्ति पायी जा सकती है ।

भ्रष्टाचार मुक्त भारत देश तभी होगा जब लोग अपने मन पर संयम, इच्छाओं पर नियंत्रण, भौतिक उपलब्धियों की दौड़ से पीछा छुड़ाकर सहज स्वाभाविक जीवन व्यतीत करना आरम्भ करेंगे । ये सभी उपाएँ मिलकर यक़ीनन भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त करने में मदद करेंगी ।

यह भी देखें – भ्रष्टाचार अथवा करप्शन पर नारा

निवदेन – Friends अगर आपको ‘ भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर विस्तृत निबंध (Hindi Essay on Corruption Free India (Bhrashtachar Mukht Bharat) For Children and Students) ‘  पर यह निबंध अच्छा लगा हो तो हमारे Facebook Page को जरुर like करे और  इस post को share करे | और हाँ हमारा free email subscription जरुर ले ताकि मैं अपने future posts सीधे आपके inbox में भेज सकूं |

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3 thoughts on “ भ्रष्टाचार पर निबंध – Corruption Essay in Hindi ”

Thanks for sharing us the nice article on corruption.

Corruption is a major issue in India and have written well about causes and mitigation of corruption.Very good article.

भ्रस्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या है उस पर इतना सुन्दर निबंध शेयर करने के लिए शुक्रिया

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दा इंडियन वायर

भ्रष्टाचार को कैसे रोका जा सकता है?

corruption free india essay hindi

By विकास सिंह

how to stop corruption essay in hindi

विषय-सूचि

भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय पर निबंध (how to stop corruption essay in hindi)

भारत में भ्रष्टाचार:.

अपने सरलतम अर्थों में, भ्रष्टाचार को स्वार्थी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए रिश्वतखोरी या सार्वजनिक स्थिति या शक्ति के दुरुपयोग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है या व्यक्तिगत संतुष्टि प्राप्त करने के लिए ऐसा करना कहा जाता है। इसे “व्यक्तिगत लाभ के विचार के परिणामस्वरूप अधिकार के दुरुपयोग के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसे मौद्रिक होने की आवश्यकता नहीं है”।

हाल के सेंचुरीज़ में भारत ने दुनिया के तीन सबसे भ्रष्ट देशों में जगह बनाई है। भारत में भ्रष्टाचार नौकरशाही, राजनीति और अपराधियों के बीच सांठगांठ का परिणाम है। भारत को अब एक नरम राज्य नहीं माना जाता है। यह अब एक विचारशील राज्य बन गया है जहाँ एक विचार के लिए सब कुछ हो सकता है। आज, ईमानदार छवि वाले मंत्रियों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है। एक समय में, रिश्वत का भुगतान गलत चीजों को करने के लिए किया जाता था, लेकिन अब सही समय पर सही चीजें प्राप्त करने के लिए रिश्वत का भुगतान किया जाता है।

यह अच्छी तरह से स्थापित है कि राजनेता दुनिया भर में बेहद भ्रष्ट हैं। वास्तव में, एक ईमानदार राजनेता को पाकर लोग आश्चर्यचकित होते हैं। ये भ्रष्ट राजनेता दाग मुक्त, अस्वस्थ और अप्रभावित हैं। लाल बहादुर शास्त्री या सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेता अब एक दुर्लभ नस्ल हैं, जिनकी मृत्यु के समय बहुत कम बैंक बैलेंस था। देश में घोटालों और घोटालों की सूची अंतहीन है।

अब हाल ही में 2010 से शुरू होने से पहले कॉमन वेल्थ गेम्स भ्रष्टाचार आम धन खेल के साथ प्रमुख भूमिका निभा रहा है। 1986 के बोफोर्स अदायगी घोटाले में सेना के लिए एक स्वीडिश फर्म से बंदूकें खरीदने में कुल 1750 करोड़ रुपये शामिल थे। 1982 के सीमेंट घोटाले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शामिल थे, 1994 के चीनी घोटाले में केंद्रीय खाद्य राज्य मंत्री, यूरिया घोटाला और निश्चित रूप से 1991 का हवाला घोटाला, बिहार में चारा घोटाला को कोई नहीं भूल सकता है। या स्टांप घोटाला जिसने न केवल राजनीतिक क्षेत्र बल्कि पूरे समाज को झकझोर दिया था।

क्या हमारे समाज में भ्रष्टाचार रोकना संभव है?

भ्रष्टाचार एक कैंसर है, जिसे हर भारतीय को ठीक करने का प्रयास करना चाहिए। सत्ता में आने पर कई नए नेता भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए अपने दृढ़ संकल्प की घोषणा करते हैं, लेकिन जल्द ही वे खुद भ्रष्ट हो जाते हैं और बड़ी संपत्ति अर्जित करने लगते हैं।

भ्रष्टाचार के बारे में कई मिथक हैं, जिनका विस्फोट करना होगा यदि हम वास्तव में इसका मुकाबला करना चाहते हैं। इनमें से कुछ मिथक हैं: भ्रष्टाचार जीवन का एक तरीका है और इसके बारे में कुछ भी नहीं किया जा सकता है। केवल अविकसित या विकासशील देशों के लोग ही भ्रष्टाचार के शिकार होते हैं। हमें भ्रष्टाचार से लड़ने के उपायों की योजना बनाते समय इन सभी कच्चे तेल के संकटों से बचना होगा।

सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार करके भ्रष्टाचार को मारना या हटाना संभव नहीं है। क्योंकि हम सभी जानते हैं कि जो लोग भ्रष्ट हैं, उनमें से अधिकांश आर्थिक या सामाजिक रूप से पिछड़े नहीं हैं, निश्चित रूप से वे एक उल्लेखनीय सामाजिक स्थिति वाले होंगे।

“भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों और विनियमों की स्थापना में एक दशक की प्रगति के बावजूद, ये परिणाम दर्शाते हैं कि दुनिया के सबसे गरीब नागरिकों के जीवन में सार्थक सुधार देखने से पहले बहुत कुछ किया जाना बाकी है।”

भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय (ways to stop corruption in hindi)

लालची व्यापारी लोगों और बेईमान निवेशकों को राजनीतिक कुलीनों को रिश्वत देना बंद करना चाहिए। वे या तो प्राप्त करने वाले या रिश्वत देने वाले छोर पर नहीं होंगे। राजनीती के लोगों को समाज की भलाई से पहले अपने निजी मामलों को रखना बंद करना होगा। सरकार को भ्रष्टाचार से संबंधित पाठ्य पुस्तकों में एक अध्याय और उसके परिणाम की इच्छा शामिल करनी चाहिए।

हम सभी को भ्रष्टाचार के बारे में बात करके इसे रोकने की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार तभी खत्म होने वाला है जब हमारे जैसे लोग खड़े होकर बोलेंगे।

यदि हम भ्रष्टाचार को जड़ से हटाने के लिए कदम नहीं उठाते हैं, तो विकासशील देश शब्द हमेशा हमारे देश भारत से जुड़ा रहेगा। इसलिए हम आम आदमी हमारे भारत से भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए समाधान कर रहे हैं और इसलिए हम अपने देश को विकसित बनाने में भी सहायक होंगे। यह संभव है..आज की पीढ़ी इस व्यवस्था को बदलने की इच्छुक है। और जल्द ही भारत से भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा। भ्रष्टाचार से बचने के लिए हर व्यक्ति की अपनी जिम्मेदारी होनी चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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भ्रष्टाचार पर निबंध Essay on Corruption in Hindi (1000W)

भ्रष्टाचार पर निबंध Essay on Corruption in Hindi (1000W)

इस लेख में भ्रष्टाचार पर निबंध (Essay  on Corruption in Hindi) लिखा गाय है जिसमें हमने प्रस्तावना, भ्रष्टाचार के विविध रूप, कारण, निवारण, भ्रष्टाचार पर 10 लाइन के बारे में बताया है।

Table of Contents

प्रस्तावना (भ्रष्टाचार पर निबंध Essay on Corruption in Hindi)

भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना है भ्रष्ट और आचार । भ्रष्ट का अर्थ है बिगड़ा हुआ या खराब तथा आचार का अर्थ है अच्छा आचरण या व्यवहार है। 

इस प्रकार किसी व्यक्ति के द्वारा अपनी गरिमा से गिरकर किया हुआ कार्य भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार पूरे विश्व में बहुत ही तेजी से फैल रहा है। भारत के साथ-साथ अब यह अन्य देशों को भी दीमक की तरह खाते जा रहा है।

भ्रष्टाचार के विविध रूप Types of Corruption in Hindi

वर्तमान में भ्रष्टाचार के जड़ व्यापक रूप से बहुत ही तेजी से फैले हुए हैं इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

रिश्वत लेना – किसी भी कार्य को शीघ्र से, बिना जांच पड़ताल, नियम विरुद्ध, पैसे ले कर करने के काम को रिश्वत लेना कहलाता है। भ्रष्टाचार का रूप पूरी दुनिया मे फैल चुका है।

भाई-भतीजावाद – अपने पद और सत्ता का गलत उपयोग करके लोग भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देते हैं। इसमें वह अपने सगे संबंधी जो उसके लायक नहीं होते है उसे वह पद दे देते हैं, जिससे योग्य व्यक्ति का हक छीन जाता है। यह भ्रष्टाचार का एक बड़ा रूप है।

कमीशन- आज हर क्षेत्र में कमीशन देना पड़ता है जैसे स्कूलों में दाखिला के लिए कमीशन, सड़क बनने के लिए कमीशन, कहीं पर कोई बिल्डिंग बनाना है तो कमीशन। यानी की सुविधा प्रदाता द्वारा आपके लाभ में से कुछ प्रतिशत ले लेता है उसे ही कमीशन कहते हैं। वर्तमान में सरकारी, अर्द्ध सरकारी, ठेके के कार्य में कमीशन बाजी बहुत ही अधिक हो रही है। इसके कारण समाज में कोई भी काम से नहीं हो पा रहा है।

शोषण- शोषण भ्रष्टाचार का नवीन रूप है। कोई शक्तिशाली व्यक्ति किसी व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के जरिए उसके मजबूरी का फायदा उठाकर उसका शोषण करता है शोषण कहलाता है।

भ्रष्टाचार के कारण Reasons of Corruption in Hindi

भ्रष्टाचार के कारण निम्नलिखित है –

  • महंगी शिक्षा – महंगी शिक्षा भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण है। सरकारी स्कूलों के शिक्षक अच्छी तनखा पाने के बाद भी अच्छे से नहीं पढ़ा रहे हैं और दूसरी ओर प्राइवेट स्कूलों की फीस इतनी महंगी हो गई है की देश के गरीब की बात तो दूर मध्यम धर्मिय परिवार के लिए भी पढ़ाना मुश्किल हो गया है। ऐसे में निरक्षरता देश में तेजी से पैर पसार रहा है।
  • लाचार न्याय व्यवस्था – लाचार न्याय व्यवस्था भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। ऐसे कई लोग हैं जो अरबों रुपए का घोटाले कर देते हैं और अपने धनबल के सहारे वह हर कानून व्यवस्था को खरीद लेते हैं। इससे कई मासूम और लोगों का जीवन बर्बाद हो जाता है।
  • जागरूकता का अभाव – लोगों में जागरूकता की कमी के कारण भ्रष्टाचार हो रहा है। सरकारी अधिकारी से लेकर व्यापारी तक छोटे मासूम लोगों को ठग कर उनसे उनका काम करवाने के लिए पैसे ले लेते हैं।
  • चारित्रिक पतन व जीवन मूल्यों का ह्रास – जैसे पहले का व्यक्ति अपने धर्म को मानता था। धर्म की राह पर ही चल कर वह सारे काम करता था। वह घुस भी लेता था तो कुछ हद तक लेता था, लेकिन आज हमारे जीवन मूल्यों में कमी आई है।

भ्रष्टाचार का निवारण Prevention of Corruption in Hindi

  • जन आंदोलन – भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सबसे पहले हमें जन आंदोलन करना होगा जिससे हम लोगों को जागरूक कर सके और उनके अधिकार के लिए उन्हें लड़ना सिखा सकें तभी हम भ्रष्टाचार को रोक सकते हैं।
  • कठोर कानून बनाया जाए – इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर से कठोर कानून बनाने जाएं। हर व्यक्ति को पता होना चाहिए कि जो व्यक्ति भ्रष्टाचार करेगा वह सजा का हक़दार होगा, तभी वह अनुचित कार्य करने से पहले एक बार जरूर सोचेगा। भ्रष्टाचार करने वाले व्यक्ति को कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहिए, इसीलिए कानून के हाथ भी लंबे और कठोर करने चाहिए।
  • निशुल्क उच्च शिक्षा – व्यक्ति को निशुल्क शिक्षा प्राप्त हो और वह उच्च पद पर बिना कोई घुस दिए आसीन हो जिससे भ्रष्टाचार को रोका जा सके।
  • पारदर्शिता – भारत के प्रत्येक कार्यालय में पारदर्शिता होनी चाहिए तभी भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है। गोपनीयता के नाम पर ही भ्रष्टाचार होता है। हर चीज को गोपनीय रखना है भ्रष्टाचार है।
  • कार्य स्थल पर व्यक्ति की सुरक्षा व संरक्षण – कार्य स्थल पर व्यक्ति को अपने कार्य को पूरी ईमानदारी से पूरा करने के लिए उसे सुरक्षा मिले तभी वहां निडर होकर अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी के साथ कर सकेंगे। यदि कोई उसे डराता है धमकाता है गलत काम करने के लिए, तो उसे यह लगे कि उसके पास सुरक्षा हो जिससे वह निडर होकर अपना काम कर सके।
  • नैतिक मूल्यों की स्थापना – जब तक नैतिक मूल्यों की स्थापना नहीं होगी तब तक भ्रष्टाचार को रोकना बहुत ही कठिन होगा। यह नैतिकता समाज और परिवार से ही उत्पन्न होती है। इसके लिए समाज सुधारकों और प्रचारकों के साथ-साथ शिक्षक वर्ग को भी आगे आना है।
  • दफ्तरों में लोगों की कमी ना हो – अक्सर देखा जाता है कि जिस दफ्तरों में लोगों की आवश्यकता होती है वहां कम लोगों को नियुक्त किया जाता है जिसके कारण काम करने में उन्हें परेशानी होती है। वह अपना काम नहीं कर पाते हैं। जिससे अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है पहले आम आदमी का काम आसानी से पूर्ण हो जाता है पर दूसरे आदमी का काम को कराने के लिए लोग भ्रष्टाचार का रास्ता अपनाते हैं।
  • सभी कार्यालयों और दफ्तरों में कैमरे लगाए जाएं – सभी कार्यालय और दफ्तरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए जिससे वहां पर काम करने वाले कर्मचारियों पर निगरानी रख सके। जिससे वहां घुस लेने को डरे तथा अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी के साथ करें।

भ्रष्टाचार पर 10 लाइन 10 Line on Corruption in Hindi

  • भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना है भ्रष्ट और आचार। भ्रष्ट का अर्थ है बिगड़ा हुआ या खराब तथा आचार का अर्थ है आचरण।
  • किसी भी व्यक्ति के द्वारा अपनी गरिमा से गिरकर किया हुआ कार्य भ्रष्टाचार कहलाता है।
  • भ्रष्टाचार वर्तमान में बहुत ही व्यापक रूप से फैल गया है।
  • भ्रष्टाचार भी आतंकवाद और देशद्रोह के समान है।
  • यह एक बहुत ही बड़ा अपराध है जिसके कारण देश के आर्थिक स्थिति पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • भ्रष्टाचार में कमी ना दिखने का कारण यह है कि भ्रष्टाचार आप सभी की आदत सी बन चुकी है।
  • भ्रष्टाचार के कारण ही सरकार द्वारा किए गए कई कार्य आज भी पूर्ण नहीं हो पा रहा है।
  • अपने पद और सत्ता का गलत उपयोग करके लोग भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
  • भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार को कड़ी से कड़ी नियम बनाना होगा सभी भ्रष्टाचार को रोक सकते हैं।
  • भ्रष्टाचार पूरे विश्व को दीमक की भांति खाते जा रहा है।

निष्कर्ष Conclusion

भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत ही मजबूत है इसे दूर करने के लिए जन आंदोलन चलाया जाए, अच्छे कानून बनाए जाएं तभी हम भ्रष्टाचार को दूर कर सकते हैं। इससे पूरे देश को अंदर ही अंदर खोखला करते जा रहा है।

हमें ना ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना चाहिए और ना ही भ्रष्टाचार में भागीदारी देना चाहिए। यदि आपको हमारा यह लेख भ्रष्टाचार पर निबंध (Essay  on Corruption in Hindi) अच्छा लगा हो तो हमें कमेंट करें धन्यवाद।

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भ्रष्टाचार: कारण और रोकथाम पर निबंध | Essay on Corruption : Causes and Prevention in Hindi

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भ्रष्टाचार: कारण और रोकथाम पर निबंध | Essay on Corruption : Causes and Prevention in Hindi!

भ्रष्टाचार हमारी राष्ट्रीय समस्या है । ऐसे व्यक्ति जो अपने कर्तव्यों की अवहेलना कर निजी स्वार्थ में लिप्त रहते हैं ‘भ्रष्टाचारी’ कहलाते हैं । आज हमारे देश में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरे तक समाहित हैं ।

कोई भी मंत्रालय, कोई भी विभाग शेष नहीं बचा है जहाँ पर भ्रष्टाचार के आरोप न लगे हों । मुनष्य की स्वार्थ लोलुपता व वर्तमान परिवेश में उसकी भोगवादी प्रवृत्ति भ्रष्टाचार के लिए उत्तरदायी समझी जाती है । भ्रष्टाचार हर एक दृष्टि में देश व समाज के घातक होता है ।

जब तक इस राष्ट्रीय समस्या का स्थाई निदान नहीं मिलता तब तक कोई देश या राष्ट्र पूर्ण रूप से उन्नति को प्राप्त नहीं कर सकता । यह पथ-पथ पर प्रगति की राह का अवरोधक बनता रहेगा । भ्रष्टाचार के कारणों का यदि हम गहन अध्ययन करें तो हम देखते हैं कि इसके मूल में अनेक कारण हैं जो भ्रष्टाचार के लिए कारण बनते हैं । सबसे प्रमुख कारण है आदमी में असंतोष की प्रवृत्ति ।

मनुष्य कितना भी कुछ हासिल कर ले परंतु उसकी और अधिक प्राप्त कर लेने की लालसा कभी समाप्त नहीं होती है । किसी वस्तु की आकांक्षा रखने पर यदि उसे वह वस्तु सहज रूप से प्राप्त नहीं होती है तब वह येन-केन प्रकारेण उसे हासिल करने के लिए उद्‌यत हो जाता है । इस प्रकार की परिस्थितियाँ भ्रष्टाचार को जन्म देती हैं ।

भ्रष्टाचार का दूसरा प्रमुख कारण है- मनुष्य की स्वार्थ की प्रवृत्ति । बात चाहे एक व्यक्ति की हो या फिर किसी समाज या संप्रदाय की, लोगों में निजी स्वार्थ की भावना परस्पर असामानता को जन्म देती है । यह असामानता आर्थिक, सामाजिक व प्रतिष्ठा के मतभेद को बढ़ावा देती है ।

किसी उच्च पद पर आसीन अधिकारी प्राय: गुणवत्ता की अनदेखी कर अपने समाज, परिवार अथवा संप्रदाय के लोगों को प्राथमिकता देता है तो उसका यह कृत्य भ्रष्टाचार का ही रूप है । भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्ति सदैव न्याय की अनदेखी करता है ।

ADVERTISEMENTS:

” एक छोटी , एक सीधी बात , विश्व में छायी हुई है वासना की रात । ”

देश में चारों ओर व्याप्त सांप्रदायिकता, भाषावाद, भाई-भतीजावाद, जातीयता आदि से पूरित वातावरण भ्रष्टाचार के प्रेरणा स्त्रोत हैं । भ्रष्टाचार के कारण ही कार्यालयों, दफ्तरों व अन्य कार्यक्षेत्रों में चोरबाजारी, रिश्वतखोरी आदि अनैतिक कृत्य पनपते हैं । दुकानों में मिलावटी सामान बेचना, धर्म का सहारा लेकर लोगों को पथभ्रमित करना तथा अपना स्वार्थ सिद्‌ध करना, दोषी व अपराधी तत्वों को रिश्वत लेकर मुक्त कर देना अथवा रिश्वत के आधार पर विभागों में भरती होना आदि सभी भ्रष्टाचार के प्रारुप हैं ।

हमारे देश के लिए यह बड़ी ही दुर्भाग्यपूर्ण विडंबना है कि युधिष्टिर, हरिश्चंद्र जैसे धर्मनिष्ठ शासकों व साधु-संतों की इस पावन धरती पर आज भ्रष्टाचार का विष फैल चुका है । छोटे से छोटे कर्मचारियों से लेकर देश की सत्ता पर बैठे हमारे शीर्षस्थ नेतागण भी आज भ्रष्टाचार में लिप्त हैं ।

समस्त भारतीय राजनीतिक परिवेश आज कुरसीवाद पर सिमट गया है । कुरसी के लिए हमारे राजनीतिज्ञ कोई भी सीमा लाँघने के लिए तैयार हैं । देश की रक्षा करने हेतु उच्च पदों पर आसीन मंत्री व अधिकारियों पर ही जहाँ भ्रष्टाचार के आरोप लगते हों, उस देश के भविष्य की कल्पना बड़े ही सहज रूप से की जा सकती है ।

भ्रष्टाचार के फलस्वरूप राष्ट्र को अनेकों विषमताओं का सामना करना पड़ रहा है । सभी ओर अव्यवस्था व असमानता तथा देश के नवयुवकों में व्याप्त चिंता, भय व आक्रोश, भ्रष्टाचार के ही दुष्परिणाम हैं ।

यदि इसी भाँति भ्रष्टाचार फलता-फूलता रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी समस्त शक्तियाँ क्षीण होती चली जाएँगी । हमारी राष्ट्रीय एकता खंड़ित होने के कगार पर पहुँच जाएगी । अत: राष्ट्र की एकता व अखंडता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि हम भ्रष्टाचार को मिटाने की दिशा में ठोस कदम उठाएँ ।

भ्रष्टाचार के समाधान के लिए आवश्यक है कि भ्रष्टाचार संबंधी नियम और भी सख्त हों तथा भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिले । इसके लिए सख्त और चुस्त प्रशासन अनिवार्य है । इस समस्या के निदान के लिए केवल सरकार ही उत्तरदायी नहीं है, इसके लिए सभी धार्मिक, सामाजिक व स्वयंसेवी संस्थाओं को एकजुट होना होगा । सभी को संयुक्त रूप से इसे प्रोत्साहन देने वाले तत्वों का विरोध करना होगा ।

सभी भारतीय नागरिकों को इसे दूर करने हेतु कृतसंकल्प होने की आवश्यकता है । भ्रष्टाचार के दोषी व्यक्तियों का पूर्णरूपेण सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए ताकि ऐसे लोगों के मनोबल को खंडित किया जा सके जिससे वह इसकी पुनरावृत्ति न कर सके । भ्रष्टाचार के विरोध में राष्ट्रीय जन-जागृति ही राष्ट्र को भ्रष्टाचार जैसी कुरीतियों से मुक्त करा सकती है ।

उसी समय हम गर्व से कह सकते हैं कि :

” अरुण यह मधुमय देश हमारा!

जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा ।

सरस तामरस गर्भ विभा पर नाच रही तरुशिखा मनोहर

छिटका जीवन हरियाली पर मगंल कुंकुम सारा ।

अरुण यह मधुमय देश हमारा ! ”

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Corruption Essay in Hindi

Corruption Essay in Hindi: भ्रष्टाचार क्या है? भ्रष्टाचार पर निबंध

भ्रष्टाचार देश के लिए एक ज्वलंत समस्या है. भारत समेत अन्य विकसित देशों में भ्रष्टाचार काफी तेजी से फैलता जा रहा है. भ्रष्टाचार जैसी समस्या के लिए हम सभी ज्यादातर देश के राजनेताओं को ज़िम्मेदार मानते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि देश का आम नागरिक भी भ्रष्टाचार के विभिन्न स्वरूप में भागीदार हैं. वर्तमान समय में कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है, प्रत्येक क्षेत्र भ्रष्ट्राचार से घिरा है. तो आज हम आपसे इसी के बारे में बात करेंगे कि भ्रष्ट्राचार क्या है? Corruption Essay in Hindi

Table of Contents

भ्रष्टाचार क्या है? 

भ्रष्टाचार दो शब्दों ‘ भ्रष्ट और आचरण ‘ से मिलकर बना है. इसका शाब्दिक अर्थ भ्रष्ट आचरण होता है. ऐसा कार्य जो मनुष्य के द्वारा अपने स्वार्थ सिद्धि की कामना के लिए समाज के नैतिक मूल्यों को दाव पर रख कर किया जाता है, भ्रष्टाचार कहलाता है. रिश्वत, कालाबाजारी, जमाखोरी, मिलावट ये सभी भ्रष्ट्राचार के ही रूप है. आज के समय में सम्पूर्ण राष्ट्र और समाज इसकी चपेट में आ गया है.

आज के समय में व्यक्ति अपनी खुद की छोटी-छोटी इच्छाओं की पूर्ति हेतु, देश को संकट में डालने में तनिक भी देर नहीं करता है. देश के नेताओं द्वारा किया गया घोटाला ही भ्रष्टाचार नहीं है अपितु दूकानदार द्वारा ग्राहकों को मिलावट राशन देना भी भ्रष्टाचार का स्वरूप है. साधारण भाषा में कहा जाए तो, अवैध तरीके से धन अर्जित करना भ्रष्ट्राचार है.

भ्रष्टाचार पर निबंध: Corruption Essay in Hindi

भूमिका- भ्रष्टाचार एक ज्वलंत समस्या है. आज के समय में शिक्षा, स्वास्थ्य , व्यापार, राजनीति, सामाजिक कार्य जैसी अन्य क्षेत्रों में भ्रष्टाचार विद्यमान है. कोई भी ऐसा क्षेत्र बाकी नहीं है, जहाँ भ्रष्टाचार न हो. नेता, अधिकारी रिश्वत ले रहे हैं, तो व्यापारी जमाखोरी, कालाबाजारी और वस्तुओं में  मिलावट कर रहे हैं. आम नागरिक भी किसी न किसी रूप में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में भागीदार हैं. सम्पूर्ण राष्ट्र और समाज भ्रष्टाचार जैसी समस्या से ग्रसित है.

अर्थ- भ्रष्टाचार दो शब्दों- ‘भ्रष्ट’ और ‘आचार’ के मेल से बना है. भ्रष्ट का अर्थ है निकष्ट ‘विचार’ और ‘आचार’ का अर्थ है आचरण करना. इसके वश  में होकर मनुष्य अपना सदाचार भूलकर भ्रष्ट आचरण करने लगता है.

यह एक विचित्र वृक्ष के समान है, जिसकी जड़े ऊपर की ओर तथा शाखाएं निचे की ओर बढ़ती है. इसकी विषैली शाखाओं पर बैठकर मनुष्य, मनुष्य का खून चूस रहा है. इस घृणित प्रकृति के कारण आज हमारे प्रयोग की हर वस्तु दूषित हो गई है, और होती ही जा रही है.

स्वरूप- भ्रष्टाचार को कई  रूपों में देखा जा सकता है. जैसे शुद्ध वस्तुओं में मिलावट, जमाखोरी , रिश्वत वसूलना और कालाबाजारी ये सभी भ्रष्टाचार रूपी परिवार के ही सदस्य है. आज सम्पूर्ण समाज तथा राष्ट्र इसके चपेट में आ गयी है.

चारों और फैले आर्थिक अभाव के वातावरण में समाज के समर्थ लोग अपने तथा अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा हेतु, भ्रष्ट तरीके अपनाने से जरा भी नहीं कतराते. भ्रष्टाचार का विष समाज के प्रत्येक मानव में फैलता जा रहा है.

भ्रष्टाचार पर लेख 

कारण- भ्रष्टाचार के लिए किसी भी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता बल्कि दोषी तो वह व्यवस्था है, जो धन-दौलत को मानवता से ऊपर समझती है. अतः हर प्रकार के भ्रष्ट आचरण द्वारा धनसंग्रह को बल मिला है. भ्रष्टाचार के कई कारण हो सकते हैं,

  •   भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है. लचीला कानून के होने की वजह से पैसे के दम पर अधिकांश भ्रष्टाचारी जेल से बरी हो जाते हैं. इससे
  • अपराधी को दण्ड का भय नहीं होता है और वे गलत कार्य करते रहते हैं.
  • इसका एक और गंभीर कारण है, व्यक्ति का लोभी स्वभाव होना.
  • लालच और असंतुष्टि एक ऐसा विकार है जो व्यक्ति को बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता है, व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने धन को बढ़ाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है, जिसके कारण मिलावट का कार्य करता है.
  • व्यक्ति के व्यक्तित्व में आदत बहुत गहरा प्रभाव डालता है. मनुष्य का आदत भी भ्रष्टाचार के लिए उत्तरदायी है.
  • देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ रही है. किसी व्यक्ति को गलत तरीके से धन संग्रह करते देखकर, दूसरा व्यक्ति भी धन के लालच में गलत राह अपना लेता है.

Essay on Corruption in Hindi 

समाधान के उपाय- 

  • इस गंभीर समस्या का समाधान के लिए जनता एवं सरकार दोनों को मिलकर प्रयत्न करना होगा.
  • देश के लचीले कानून को शख्त करना और सभी तरह के अपराधी के लिए दंड का प्रावधान करना होगा.
  • प्रशासन की शक्तियाँ भ्रष्टाचार के मूल कारणों का पता लगाए.
  • इसके साथ ही जनता भी अपने सम्पूर्ण नैतिक बल और साहस के साथ भ्रष्टाचार को मिटाने का प्रयत्न करें.
  • भ्रष्टाचारियों से निपटने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे, चाहे वे कितने ही उच्चे पद पर क्यों ना हो, उन्हें भी दंड दिया जाना चाहिए.
  • सरकार को ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे सभी कार्य निश्चित समय पर पूरे हो जाएँ और भ्रष्टाचार की खुशबू भी न आये.

निष्कर्ष- ये सभी कारक भ्रष्टाचार के उत्तरदायी है, भ्रष्टाचार से जुड़े सभी व्यक्तियों को दंड मिलना चाहिए. भ्रष्टाचार जैसी गंभीर समस्या का निदान कारण भारत के लिए अति आवश्यक है. वरना सभी प्रगतिशील योजनाएँ मात्र कागज पर ही बनती रहेगी. यह एक गंभीर समस्या है, इसका निदान करना अतिआवश्यक है.

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भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

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Corruption Essay in Hindi – भ्रष्टाचार किसी भी प्रकार के रिश्वत के बदले व्यक्तियों या समूह द्वारा किए गए किसी भी कार्य को संदर्भित करता है। भ्रष्टाचार को एक बेईमान और आपराधिक कृत्य माना जाता है। साबित होने पर, भ्रष्टाचार कानूनी दंड का कारण बन सकता है। अक्सर भ्रष्टाचार के कार्य में कुछ के अधिकार और विशेषाधिकार शामिल होते हैं। भ्रष्टाचार की सभी विशेषताओं और पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ऐसी परिभाषा खोजना बहुत कठिन है। हालांकि, राष्ट्र के जिम्मेदार नागरिक के रूप में, हम सभी को भ्रष्टाचार के सही अर्थ और उसके हर रूप में प्रकट होने के बारे में जागरूक होना चाहिए ताकि जब भी हम इसका सामना करें तो हम इसके खिलाफ आवाज उठा सकें और न्याय के लिए लड़ सकें। 

भ्रष्टाचार पर 10 लाइन निबंध

  • 1) भ्रष्टाचार लाभ कमाने का एक अनैतिक और अनुचित साधन है।
  • 2) भ्रष्टाचार देश के समान विकास के मार्ग की सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।
  • 3) एक सर्वे के अनुसार 92% भारतीयों ने अपने जीवन में कभी न कभी किसी सरकारी अधिकारी को नौकरी में तेजी लाने या उसे पूरा करने के लिए रिश्वत दी है।
  • 4) भारत में भ्रष्टाचार व्यवस्था के हर स्तर पर है, चाहे वह सार्वजनिक क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र।
  • 5) फोर्ब्स की 2017 में एशिया के 5 सबसे भ्रष्ट देशों की सूची में 69% रिश्वत दर के साथ भारत शीर्ष पर है।
  • 6) भ्रष्टाचार सरकार की योजनाओं और लाभों के एक बड़े हिस्से को अवशोषित करता है और लाभार्थी तक बहुत कम पहुंचता है।
  • 7) विश्व बैंक के अनुसार गरीब लोगों के लिए नियत अनाज का 40% ही उन तक पहुँचता है।
  • 8) कई निर्वाचित सांसदों या विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं; फिर भी वे चुनाव लड़ सकते हैं।
  • 9) सूचना का अधिकार अधिनियम हर स्तर पर भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए एक महान उपकरण है।
  • 10) जब तक हम सख्त कदम नहीं उठाएंगे, तब तक हम भारत से भ्रष्टाचार को दूर नहीं कर सकते।

भ्रष्टाचार पर 20 लाइन निबंध

  • 1) भ्रष्टाचार पैसा कमाने का एक बुरा तरीका है।
  • 2) यह समाज के लाभ के लिए दी गई शक्ति का दुरुपयोग है।
  • 3) लोगों का लालच भ्रष्टाचार का मुख्य कारण है।
  • 4) लोग अपने काम में तेजी लाने के लिए अधिकारियों को रिश्वत देते हैं।
  • 5) रिश्वत पैसे या उपहार के रूप में हो सकती है।
  • 6) सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
  • 7) रिश्वत लेने या देने वाले को सजा मिलनी चाहिए।
  • 8) भ्रष्टाचार देश के विकास को सीधे प्रभावित करता है।
  • 9) भ्रष्टाचार एक अपराध है, और सभी को इसके खिलाफ लड़ना चाहिए।
  • 10) आइए हम सब मिलकर शपथ लें कि हम रिश्वत नहीं देंगे और न ही लेंगे और देश के विकास में मदद करेंगे।
  • 11) भ्रष्टाचार दूसरों से अवैध लाभ प्राप्त करने का एक अनैतिक, अनैतिक और आपराधिक कृत्य है।
  • 12) उच्च पद पर आसीन व्यक्ति आमतौर पर अधिक पैसा कमाने के लिए इस कदाचार में लिप्त होता है।
  • 13) भ्रष्टाचार में, लाभ या तो मौद्रिक या किसी अन्य वस्तु जैसे संपत्ति, आभूषण, या कुछ और में होता है।
  • 14) यह कुछ लोगों द्वारा बड़े लोगों के लिए छोटे एहसान प्राप्त करने या मांगने से शुरू होता है जो किसी राष्ट्र के सामान्य कानून और व्यवस्था को प्रभावित करता है।
  • 15) यह अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर सेंध लगाता है।
  • 16) “क्षुद्र भ्रष्टाचार” एक छोटे प्रकार का भ्रष्टाचार है।
  • 17) “भव्य भ्रष्टाचार” भ्रष्टाचार का एक उच्च स्तर है जिसमें सरकारी अधिकारी अवैध रूप से भारी धन हस्तांतरित करते हैं।
  • 18) लगभग हर सरकारी क्षेत्र में अपने काम को पूरा करने के लिए भ्रष्टाचार का समर्थन करना होगा।
  • 19) निजी कंपनियों में गबन के रूप में भी भ्रष्टाचार होता है।
  • 20) भाई-भतीजावाद भी एक प्रकार का भ्रष्टाचार है जो किसी रिश्तेदार या मित्र को उच्च पद पर बढ़ावा देना या नियुक्त करना है।

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भ्रष्टाचार पर लघु निबंध 100 शब्द

भ्रष्टाचार का अर्थ उन प्रथाओं या निर्णयों से है जो कम पक्षों के लिए प्रतिकूल समाधान में परिणत होते हैं। जब नैतिक पतन होता है, और कोई भी ईमानदार मूल्यांकन आपको यह एहसास नहीं करा सकता है कि आप गलत रास्ते पर चले गए हैं, तो यह भ्रष्टाचार की ओर ले जाता है। सत्ता और धन की लालसा अक्सर भ्रष्टाचार के सामान्य कारण होते हैं। भ्रष्टाचार एक व्यक्ति को उसके चरित्र से दूर कर देता है, और इससे कर्तव्यों की क्षमता बिगड़ जाती है। विभिन्न देशों के कई राजनीतिक नेता इसमें शामिल होते हैं और यह तेजी से निचले स्तर तक भी फैलता है। महाशक्तिशाली देश भी इससे अछूते नहीं हैं।

भ्रष्टाचार पर निबंध 150 शब्द

आज कोई भी देश भ्रष्टाचार की बीमारी से अछूता नहीं है। सभी देश और हर देश इसमें अनैच्छिक रूप से भाग लेता है क्योंकि यही अविश्वसनीय सफलता और शक्ति की कुंजी है। और शक्ति धन की राशि से आती है, इसलिए लोग नैतिक रूप से खुद को नीचा दिखाते हैं और नकदी के लिए गलत दिशा में भागते हैं। सभी देशों में भ्रष्टाचार की मात्रा में अंतर हो सकता है, लेकिन यह सभी समान है।

सार्वजनिक जीवन, व्यक्तिगत जीवन, राजनीति, प्रशासन, शिक्षा और यहाँ तक कि अनुसंधान और सुरक्षा भी भ्रष्टाचार से अछूती नहीं है। शायद ही कोई अपवाद हो। अन्य देशों में भ्रष्टाचार को उचित दंड दिया जाता है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है, क्योंकि किसी भी भ्रष्टाचार के लिए कोई विशिष्ट सजा नहीं है। भ्रष्टाचार एक ऐसा अपराध है जो जीवन को बर्बाद नहीं करता बल्कि परिवारों को भी बर्बाद करता है क्योंकि एक बार जब व्यक्ति को इसकी आदत हो जाती है तो उसे खुद के अलावा कोई नहीं रोक सकता है।

भ्रष्टाचार पर निबंध 200 शब्द

कई घोटाले ऐसे हैं जो लोगों की नजरों में तो नहीं आते लेकिन बहुत प्रभावित हुए हैं। उन्हें भ्रष्टाचार के नाम से जाना जाता है। भ्रष्टाचार विश्वासघात का एक ऐसा कार्य है जो शायद ही किसी ने या किसी स्थान को छोड़ा हो। अस्पतालों से लेकर निगमों और सरकारों तक, कुछ भी और कोई भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है। भ्रष्टाचार उच्च स्तरों से शुरू होता है और तेजी से निचले स्तरों तक चला जाता है, जिससे कम मेहनत और धोखा देने वाले परिणामों का माहौल बनता है।

इस बात के भी प्रमाण हैं कि राजनेताओं को ड्रग लॉर्ड्स और तस्करों द्वारा संसाधन उपलब्ध कराए गए थे, और जब उन्हें या उनके अस्तित्व को खतरा होता है, तो उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप ज्यादातर मौत हो जाती है। यहां तक ​​कि सबसे प्रभावशाली देश भी भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं हैं क्योंकि सत्ता और सफलता किसे पसंद नहीं होगी? और ऐसा करने का सबसे आसान तरीका है अत्यधिक धन अर्जित करना। भ्रष्टाचार उन्हें अपमानजनक प्रभाव से रोकता है। हालाँकि, भ्रष्टाचार उनकी नैतिकता या मूल्यों के पतन को नहीं रोक सकता है और यह उसी को बढ़ाता है। हममें से कोई भी कल्पना भी नहीं कर सकता है कि व्यक्तिगत संचय के लिए उनके खाते में कितना पैसा जाता है। भ्रष्टाचार अब एक ऐसा कीड़ा है जो सरकार के हर विभाग और कार्यक्षेत्र के अंदर कपटी है। भ्रष्टाचार ने अब हमारी अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया है, और इसके कारण हमारे कार्य अस्त-व्यस्त हो गए हैं।

भ्रष्टाचार पर निबंध 250 शब्द 300 शब्द

एक उद्धरण कहता है कि “भ्रष्टाचार से लड़कर कोई नहीं लड़ सकता” और यह पूरी तरह से सही है। भ्रष्टाचार का अर्थ है वह कार्य जो धन की लालसा या लालच से उत्पन्न होता है और अवैध कार्यों को करने के लिए किसी भी हद तक जाने की आवश्यकता होती है। भ्रष्टाचार दुनिया के हर हिस्से और देश में सक्रिय है। भ्रष्टाचार को किसी भी तरह से रोका या क्रियान्वित नहीं किया जा सकता है। इसे तभी समाप्त किया जा सकता है जब मनुष्य के हृदय में इसे रोकने की बात हो। भ्रष्टाचार के कई तरीके हैं, और सबसे आम रिश्वतखोरी है।

रिश्वत का अर्थ उस युक्ति से है जिसका उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए उपकार या उपहारों का उपयोग करने के लिए किया जाता है। इसमें तरह-तरह के उपकार शामिल हैं। दूसरा गबन है जिसका अर्थ है संपत्ति को रोकना जिसका उपयोग आगे चोरी के लिए किया जा सकता है। आमतौर पर, इसमें एक या एक से अधिक व्यक्ति शामिल होते हैं जिन्हें इन संपत्तियों को सौंपा जाता है, और इसे वित्तीय धोखाधड़ी भी कहा जा सकता है। तीसरा ‘भ्रष्टाचार’ है जिसका अर्थ है व्यक्तिगत लाभ के लिए किसी राजनेता की शक्ति का अवैध उपयोग। यह ड्रग लॉर्ड्स या नारकोटिक बैरन्स द्वारा सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।

जबरन वसूली का अर्थ है किसी संपत्ति, भूमि या संपत्ति पर अवैध रूप से दावा करना। पक्षपात या भाई-भतीजावाद भी इन दिनों पूर्ण प्रवाह में है जब केवल सत्ता में बैठे लोगों के पसंदीदा व्यक्ति या प्रत्यक्ष रिश्तेदार ही अपनी क्षमता में वृद्धि करते हैं। भ्रष्टाचार को रोकने के कई तरीके नहीं हैं, लेकिन वे मौजूद हैं।

सरकार अपने कर्मचारियों को बेहतर वेतन दे सकती है जो उनके काम के बराबर है। काम का बोझ कम करना और कर्मचारियों को बढ़ाना भी इस प्रभावशाली और अवैध प्रथा को रोकने का एक शानदार तरीका हो सकता है। इसे रोकने के लिए सख्त कानून की जरूरत है और मुकाबला करने का सबसे अच्छा तरीका; यह दोषी अपराधियों को उनके अंत तक पहुँचाने का तरीका है। सरकार देश में महंगाई के स्तर को कम रखने के लिए काम कर सकती है ताकि वे उसके अनुसार काम कर सकें। भ्रष्टाचार से लड़ा नहीं जा सकता और इसे केवल रोका जा सकता है।

भ्रष्टाचार पर निबंध 500 शब्द

भ्रष्टाचार एक व्यक्ति या एक समूह द्वारा एक बेईमान कार्य को संदर्भित करता है, जो दूसरों के उचित विशेषाधिकारों से समझौता करता है। भ्रष्टाचार किसी देश के आर्थिक और बुनियादी ढांचे के विकास को कम करता है और इसके लोगों की भलाई के लिए अब तक की सबसे संभावित बाधा है।

भ्रष्टाचार के तरीके

भ्रष्टाचार के दो बहुत सामान्य तरीके हैं – रिश्वतखोरी, गबन और भ्रष्टाचार।

  • किसी अनुचित पक्ष के बदले में दिए गए धन, उपहार और अन्य लाभों को रिश्वत कहा जाता है और इस कार्य को समग्र रूप से ‘रिश्वत’ कहा जाता है।
  • रिश्वत के रूप में कई तरह की सुविधाएं दी जा सकती हैं। उदाहरण के लिए, पैसा, जमीन, कर्ज, कंपनी के शेयर, रोजगार, घर, कार, गहने आदि।
  • दूसरी ओर, गबन धन या संपत्ति का दुरुपयोग करने का एक कार्य है जिसे देखने वाले को सौंपा गया है। यह एक प्रकार की वित्तीय धोखाधड़ी है जो व्यक्तियों या लोगों के समूहों द्वारा की जाती है जिन्हें धन/संपत्ति सौंपी गई है।

भ्रष्टाचार एक प्रकार का राजनीतिक भ्रष्टाचार है। व्यक्तिगत लाभ के लिए जनता के लिए किए गए फंड के दुरुपयोग को संदर्भित करने के लिए अमेरिका में इस शब्द का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

भ्रष्टाचार के प्रकार / उदाहरण

नीचे हमारे दैनिक जीवन से संबंधित विभिन्न विभागों/क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के कुछ उदाहरण दिए गए हैं।

  • सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार

इसमें सरकार द्वारा लोक कल्याण और अन्य विकास योजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार एजेंसियों के भीतर भ्रष्टाचार शामिल है। यह अब तक का सबसे प्रचलित प्रकार का भ्रष्टाचार है जो बड़ी संख्या में सामान्य आबादी के हितों को प्रभावित करता है।

  • न्यायिक भ्रष्टाचार

न्यायिक भ्रष्टाचार न्यायाधीशों द्वारा कदाचार के एक कार्य को संदर्भित करता है, जिसमें वे व्यक्तिगत लाभ की पेशकश के बदले तथ्यों और सबूतों की अनदेखी करते हुए पक्षपातपूर्ण निर्णय देते हैं।

  • शिक्षा में भ्रष्टाचार

पिछले कुछ दशकों से, भारत के कुछ राज्यों में शिक्षा विभाग को सबसे भ्रष्ट विभाग माना जाता था। इस दावे को पुष्ट करने के कई कारण थे – शिक्षकों और कर्मचारियों की अनुचित और अवैध नियुक्तियाँ, परिणामों/ग्रेडों में हेरफेर, छात्रों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन का गबन, आदि। निरक्षरता और स्कूल छोड़ने वालों की दर में वृद्धि के लिए शिक्षा में भ्रष्टाचार भी जिम्मेदार है। मुख्य रूप से देश के दूरस्थ ग्रामीण स्थानों में।

  • पुलिसिंग में भ्रष्टाचार

पुलिस की कानून और व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि प्रत्येक व्यक्ति को संविधान में निहित न्याय का समान अधिकार मिले। पुलिस जाति, पंथ, धर्म, आयु, लिंग या अन्य विभाजनों के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव नहीं करने के लिए कर्तव्यबद्ध और नैतिक रूप से बाध्य है। पुलिस काफी हद तक इस तरह से कार्य करती है कि उसे करना चाहिए; हालांकि, कभी-कभी इसके अधिकारियों के खिलाफ पक्षपात के गंभीर आरोप लगाए जाते हैं। पुलिस व्यवस्था को प्रभावी ढंग से और निष्पक्ष तरीके से काम करने के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप से स्वतंत्र बनाना बहुत आवश्यक है।

  • स्वास्थ्य सेवा में भ्रष्टाचार

स्वास्थ्य सेवा प्रणाली एक आवश्यक क्षेत्र है जो लाखों आम नागरिकों के जीवन को प्रभावित करता है। एक भ्रष्टाचार मुक्त स्वास्थ्य सेवा प्रणाली केवल यह सुनिश्चित करती है कि स्वास्थ्य सेवा का लाभ गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंचे और किसी भी आकस्मिक स्थिति में कोई भी चिकित्सा सहायता के बिना न रहे। दुर्भाग्य से, यह उतना अच्छा नहीं है जितना लगता है। यह क्षेत्र धन के गबन का शिकार रहा है, जिसमें रोगियों के लिए बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के लिए आवंटित धन को भ्रष्ट अधिकारियों, डॉक्टरों और अन्य पदाधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत लाभ के लिए गबन किया जाता है। साथ ही जमीनी स्तर पर लाभार्थी तक सभी मुफ्त दवा व अन्य सुविधाएं नहीं पहुंच पाती हैं।

भ्रष्टाचार एक राष्ट्र के विकास और इसके लोगों के कल्याण में सबसे संभावित बाधा है। यह केवल एक विशिष्ट क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है और इसमें कार्यालयों, विभागों, क्षेत्रों आदि की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। लोगों को इसके प्रभावों के बारे में जागरूक करके और सख्त भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को लागू करके ही प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है।

भ्रष्टाचार पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. भ्रष्टाचार का क्या अर्थ है.

उत्तर. भ्रष्टाचार का मतलब शक्तिशाली पदों पर बैठे लोगों द्वारा बेईमानी करना है।

Q.2 क्या भ्रष्टाचार एक अपराध है?

उत्तर. हाँ, यह एक अपराध है और यह समाज और राष्ट्र के विकास को धीमा करता है।

Q.3 किस देश को दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश कहा जाता है?

उत्तर. दक्षिण सूडान को दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश कहा जाता है।

Q.4 दुनिया के किस देश में सबसे कम भ्रष्टाचार है?

उत्तर. डेनमार्क दुनिया का ऐसा देश है जहां सबसे कम भ्रष्टाचार है।

Q.5 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम क्या है?

उत्तर. यह सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के व्यवसायों में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए 1988 में भारत सरकार द्वारा पारित एक अधिनियम है।

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Corruption Essay in Hindi

भ्रष्टाचार पर निबंध – Corruption Essay in Hindi

भ्रष्टाचार पर छोटे-बड़े निबंध (essay on corruption in hindi), भ्रष्टाचार : कारण और निवारण अथवा भारत का राष्ट्रीय चरित्र और भ्रष्टाचार – (corruption: causes and prevention or national character and corruption of india).

  • प्रस्तावना,
  • भ्रष्टाचार क्या है?
  • भ्रष्टाचार के विविध रूप,
  • भ्रष्टाचार की व्यापकता,
  • भ्रष्ट राजनीतिज्ञ,
  • सरकार की जन-विरोधी नीतियाँ,
  • निवारण के उपाय,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना- ‘आचारः परमोधर्मः’ भारतीय संस्कृति का सर्वमान्य सन्देश रहा है। सदाचरण को व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन का आधार मानने के कारण ही भारतभूमि ने विश्व में प्रतिष्ठा पाई थी। आज देश के सामने उपस्थित समस्याएँ और संकट, भ्रष्ट आचरण के ही परिणाम हैं।

Corruption Essay

भ्रष्टाचार क्या है? What is the Corruption

सत्य, प्रेम, अहिंसा, धैर्य, क्षमा, अक्रोध, विनय, दया, अस्तेय (चोरी न करना), शूरता आदि ऐसे गुण हैं जो प्रत्येक समाज में सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं। इन गुणों की उपेक्षा करना या इनके विरोधी दुर्गुणों को अपनाना ही आचरण से भ्रष्ट होना या भ्रष्टाचार है, किन्तु आज भ्रष्टाचार से हमारा तात्पर्य अनैतिक आचरण द्वारा जनता के धन की लूट से है।

Corruption Essay in Hindi

भ्रष्टाचार के विविध रूप- आज भ्रष्टाचार देश के हर वर्ग और क्षेत्र में छाया हुआ है। चाहे शिक्षा हो, चाहे धर्म, चाहे व्यवसाय हो, चाहे राजनीति, यहाँ तक कि कला और विज्ञान भी इस घृणित व्याधि से मुक्त नहीं हैं। सरकारी कार्यालयों में जाइए तो बिना सुविधा शुल्क के आपका काम. नहीं होगा।

भ्रष्टाचार की व्यापकता- भारत में भ्रष्टाचार का कारण वह औपनिवेशिक जनविरोधी केन्द्रीयकृत प्रशासनिक ढाँचा है, जो देश को अंग्रेजी साम्राज्य से विरासत में मिला है। नेतृत्व की कमजोरी के कारण इसको जनोपयोगी बनाने का प्रयास ही नहीं हो सका है।

भ्रष्टाचार निरन्तर फैलता गया है। जब से भारत में वैश्वीकरण, निजीकरण, उदारीकरण, बाजारीकरण की नीतियाँ बनी हैं, तब से घोटालों की बाढ़ आ गयी है। राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला, एंट्रेक्स-इसरो घोटाला, अवैध खनन घोटाला, आईपीएल घोटाला, नोट के बदले वोट घोटाला, पिछली केन्द्रीय सरकार के खनन तथा ‘टूजी’ घोटाले भ्रष्टाचार की अटूट परंपरा का स्मरण कराते हैं।

भ्रष्ट राजनीतिज्ञ-यथा राजा तथा प्रजा की कहावत के अनुसार भ्रष्टाचार शासकों से जनता की ओर फैल रहा है। अकेले टू जी घोटाले में सरकारी धन की जो लूट हुई है, उससे सभी भारतीय परिवारों को भोजन दिया जा सकता है शिक्षा के कानूनी अधिकार को हकीकत में बदला जा सकता है।

सरकार की जनविरोधी नीतियाँ- पिछली सरकारों की आर्थिक नीतियाँ, जिनको उदारवाद या आर्थिक सुधार का ‘शुगर कोटेड’ रूप देकर पेश किया गया, जन विरोधी थीं। इनके द्वारा जनता के धन को कानूनी वैध रूप देकर लूटा गया है।

जैसे सट्टा गैर-कानूनी है पर शेयर बाजार तथा वायदा बाजार का सट्टा पूरी तरह कानूनी है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी निजीकरण ने भी भ्रष्टाचार में वृद्धि की है।

जल, जंगल, जमीन, खनिज, प्राकृतिक संसाधन आदि को कानून बदलकर कम्पनियों तथा पूँजीपतियों को लुटाया जाना। किसानों, मजदूरों, गरीबों, आदिवासियों के शोषण का दुष्परिणाम नक्सलवाद के रूप में सामने आ चुका है। टू जी घोटाले में टाटा, रिलायन्स आदि के नाम भी हैं। इन कम्पनियों ने सरकार से सस्ते आवंटन प्राप्त कर विदेशी कम्पनियों को बेचकर करोड़ों रुपयों का लाभ कमाया है।

निवारण के उपाय- भ्रष्टाचार की इस बाढ़ से जनजीवन की रक्षा केवल चारित्रिक दृढ़ता ही कर सकती है। समाज और देश के व्यापक हित में जब व्यक्ति अपने नैतिक उत्तरदायित्व का अनुभव करे और उसका पालन करे तभी भ्रष्टाचार का विनाश हो सकता है।

भ्रष्टाचार का अन्त करने के लिए वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था को बदलना भी जरूरी है। इसके लिए आई.ए.एस. अधिकारियों को प्राप्त शक्तियों में कमी करना आवश्यक है। निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की योग्यता, आयु तथा कर्त्तव्य परायणता तय होनी चाहिए। अयोग्य जन प्रतिनिधि को वापस बुलाने का अधिकार जनता को होना चाहिए।

चुनाव में खड़े होने वाले व्यक्ति की सम्पत्ति तथा आचरण की जाँच होनी चाहिए। राजनीति में अपराधियों का प्रवेश रुकना चाहिए। पूँजीवादी आर्थिक नीतियाँ जो विदेशी पूँजी पर आधारित हैं, बदलकर जनवादी स्वदेशी अर्थनीति को अपनाया जाना चाहिए। प्रशासन में शुचिता और पारदर्शिता होनी चाहिए।

उपसंहार- भारत में भ्रष्टाचार की दशा अत्यन्त भयावह है। बड़े-बड़े पूँजीपति, राजनेता तथा प्रशासनिक अधिकारियों का गठजोड़ इसके लिए जिम्मेदार है। इससे मुक्ति के लिए निरन्तर सजग रहकर प्रयास करना जरूरी है।

सौभाग्य से जनता को सजग रहकर उनका समर्थन और सहयोग करना चाहिए। वर्तमान केन्द्रीय सरकार ने एक सीमा तक उच्चस्तर पर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का प्रयास किया है। पारदर्शिता पर भी जोर दिया गया है।

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भ्रष्टाचार पर भाषण

भ्रष्टाचार से तात्पर्य किसी व्यक्ति द्वारा शक्तिशाली स्थिति में होकर बेईमानी या अनैतिक आचरण का कोई कार्य करना है। कई लोगों को विशेष रूप से युवा छात्रों को भ्रष्टाचार और इसके असंतोष के बारे में विस्तार से जानने के लिए बहुत जिज्ञासा होता है और ऐसा इसलिए क्योंकि यह हमारे देश के आर्थिक विकास और समृद्धि को प्रभावित कर रहा है। भ्रष्टाचार पर हमारी स्पीच खासकर की लम्बी वाली स्पीच इस विषय पर विस्तृत जानकारी को साझा करती है। स्पीच इतनी प्रभावशाली है कि यह आपके दर्शकों पर असर छोड़ने में आपकी मदद भी कर सकती है।

भ्रष्टाचार पर छोटे तथा बड़े स्पीच (Short and Long Speech on Corruption in Hindi)

भाषण – 1.

आदरणीय शिक्षकगण और छात्रों को मेरा शुभ नमस्कार!

आज की स्पीच का विषय भ्रष्टाचार है और मैं उसी पर अपने विचारों को साझा करूँगा विशेष रूप से राजनीतिक भ्रष्टाचार पर। हमारे देश के गठन के बाद से सब कुछ राजनीतिक नेताओं और सरकारी क्षेत्रों में शासन करने वालों द्वारा तय होता है। जाहिर है हम एक लोकतांत्रिक देश हैं लेकिन जो भी सत्ता में आ जाता है वह उस शक्ति का दुरुपयोग करके अपने निजी लाभ के लिए धन और संपत्ति हासिल करने की कोशिश करता है। आम लोग खुद को हमेशा अभाव की स्थिति में पाते हैं।

हमारे देश में अमीर और गरीब के बीच का अंतर इतना बढ़ गया है कि यह हमारे देश में भ्रष्टाचार का एक स्पष्ट उदाहरण है जहां समाज के एक वर्ग के पास समृद्धि और धन है और वहीँ दूसरी तरफ अधिकांश जनता गरीबी रेखा से नीचे रहती है। यही कारण है कि कुछ देशों की अर्थव्यवस्था को गिरावट का सामना करना पड़ रहा है जैसे अमरीका की अर्थव्यवस्था।

यदि हम अपने देश के जिम्मेदार नागरिक हैं तो हमें यह समझना चाहिए कि यह भ्रष्टाचार हमारे राष्ट्र के आर्थिक विकास में खाई है और हमारे समाज में अपराध को जन्म दे रहा है। यदि हमारे समाज का बहुसंख्यक वर्ग अभाव और गरीबी में रहना जारी रखेगा और किसी भी रोजगार का अवसर नहीं मिलेगा तो अपराध दर कभी कम नहीं होगी। गरीबी लोगों की नैतिकता और मूल्यों को नष्ट कर देगी जिससे लोगों के बीच नफरत में वृद्धि होगी। हमारे इस मुद्दे को हल करने और हमारे देश के संपूर्ण विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करने हेतु संघर्ष करने का यह सही समय है।

इस तथ्य की परवाह किए बिना कि असामाजिक तत्व हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था के भीतर हैं या बाहर हैं संसद को इनके खिलाफ सख्त कानूनों को पारित करना चाहिए। हमारे देश में सभी के लिए एक समान व्यवहार होना चाहिए।

यदि कोई भ्रष्टाचार के पीछे कारणों का विचार और मूल्यांकन करता है तो यह अनगिनत हो सकते हैं। हालांकि भ्रष्टाचार के रोग फैलने के लिए जिम्मेदार कारणों में मेरा मानना ​​है कि सरकार के नियमों और कानूनों के प्रति लोगों का गैर-गंभीर रुख तथा समाज में बुराई फ़ैलाने वालों के प्रति सरकार का सहारा है। ऐसा प्रतीत होता है कि जिन लोगों को भ्रष्टाचार का अंत करने के लिए नियोजित किया जाता है वे स्वयं अपराधी बन जाते हैं और इसे प्रोत्साहित करते हैं। हालांकि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई सख्त कानून हैं जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम, भारतीय दंड संहिता 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 आदि लेकिन इन कानूनों का कोई गंभीर क्रियान्वयन नहीं है।

भ्रष्टाचार के पीछे एक और महत्वपूर्ण कारण नौकरशाही और सरकारी कार्यों की पारदर्शिता है। विशेष रूप से सरकार के अधीन चलाए जाने वाले संस्थान गंभीर मुद्दों के तहत नैतिक अस्पष्टता दिखाते हैं। जो धन गरीब लोगों के उत्थान के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए वह खुद राजनीतिज्ञों ने अपने इस्तेमाल के लिए रख लिया। इससे भी बदतर जो लोग समृद्ध नहीं हैं और सत्ता में बैठे लोगों को रिश्वत नहीं दे सकते वे अपना काम नहीं करवा पा रहे हैं इसलिए उनकी काम की फ़ाइल कार्रवाई के बजाए धूल फांक रही है। जाहिर है किसी भी बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में गिरावट तब-तब आएगी जब-जब भ्रष्ट अधिकारियों ने देश पर शासन किया है।

स्थिति बहुत तनावग्रस्त हो गई है और जब तक सामान्य जनता कोई कदम ना उठाए और सतर्क नहीं हो जाती तब तक भ्रष्टाचार को हमारे समाज से उखाड़ फेंका नहीं जा सकता है। तो आइए हम एक साथ खड़े हो और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ें।

भाषण – 2

हमारे आदरणीय प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल, साथी सहकर्मियों और मेरे प्रिय छात्रों सभी को नमस्कार!

मैं इतिहास विभाग के वरिष्ठ संकाय सदस्यों में से एक स्वतंत्रता दिवस समारोह की पूर्व संध्या पर आप सभी का स्वागत करता हूं। उत्सव और प्रसन्नता के बीच संकाय सदस्यों द्वारा हमारे गंभीर संकट को दूर करने पर विचार किया गया है, जो मुख्यतः भ्रष्टाचार है, जिससे हमारे देश की जनसँख्या पीड़ित है।

यद्यपि हमारे महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता संग्राम को सालों पहले जीता था लेकिन भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी आदि जैसे गंभीर मुद्दे अभी भी हमारे देश की अर्थव्यवस्था को खा रहे हैं और इसे विकसित करने में सक्षम नहीं हैं। शासन या समाज में पूरी तरह से समस्या कहां है? हमें उन क्षेत्रों की पहचान करने की जरूरत है जो भ्रष्टाचार को फ़ैलाते हैं और उन कारणों को समाप्त करने के लिए सख्त उपाय अपनाने की जरुरत है। ब्रिटिश शासन से आजादी हासिल करना एक चीज थी लेकिन हम अपनी स्वतंत्रता का मज़ा तब उठा पाएंगे जब इस देश का हर नागरिक जीवित रहने के बुनियादी मानकों का आनंद उठा पाएंगे। उसके बाद हमारे समाज में कोई बुराई नहीं रहेगी।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारा देश प्रकृति और उज्ज्वल परिदृशयों का देश है। हालांकि हमारी भूमि की सुंदरता और सद्भावना आगामी भ्रष्ट गतिविधियों से जूझ रही है जो चारों ओर हो रही हैं। लगभग हर क्षेत्र में हम भ्रष्ट कर्मियों को देख सकते हैं जो अपनी भूमिकाएं और जिम्मेदारियों को तब तक सही तरीके से नहीं निभाते जब तक कि आम लोगों द्वारा उन्हें रिश्वत नहीं दी जाती। इस तरह की अवैध गतिविधियां दिन-ब-दिन बढ़ रही हैं। हम इस देश के निवासी के रूप में इन लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं और उनके खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही भी नहीं की जा रही है।

इसके अलावा ऐसे लोगों का मानना ​​है कि वे आसानी से कानूनों से बच सकते हैं और सुरक्षित रह सकते हैं। अधिक अधिकार और शक्तियों की वजह से अधिकारी भ्रष्ट हो गए हैं और स्थिति इतनी खराब हो गई है कि अगर किसी आम आदमी को सरकारी कर्मचारी या प्रशासन से काम करवाने की ज़रूरत होती है तो उसे भ्रष्ट विधि को अपनाना होगा। वास्तव में आपको प्रशासन में वरिष्ठ पदों और जूनियर स्टाफ से लेकर लिपिक पदों पर भ्रष्ट आदमी काम करते मिल पाएंगे। एक आम आदमी के लिए यह वास्तव में मुश्किल है कि वह उनसे बचे या अपना काम पूरा करे।

न केवल शहर बल्कि छोटे क़स्बे और गांव भी इसके प्रभाव में आ गए हैं। मुझे लगता है कि यह सही समय है जब हम अपने देश के नागरिक के रूप में अपनी धरती मां के चेहरे से भ्रष्टाचार को खत्म करने और हमारे देश की अगली पीढ़ी के लिए एक भ्रष्ट मुक्त देश बनाने तथा इस पर गर्व महसूस करने की जिम्मेदारी ले।

जाहिर है हमारे विद्यार्थी ही इस देश का भविष्य हैं। इसलिए आपको किसी भी स्थिति में किसी भ्रष्ट पथ को अपनाने की प्रतिज्ञा नहीं करनी चाहिए और वास्तव में आप किसी भी गैरकानूनी या अवैध गतिविधि के खिलाफ अपनी आवाज उठाए। जब हम जान-बूझ आँख बंद कर लेते हैं तो समस्याएं बढ़ जाती हैं परन्तु मैं आशा करता हूं कि हम सभी हमारे देश में कहीं भी होने वाली भ्रष्ट गतिविधियों का कड़ा विरोध करेंगे और ऐसे अधिकारियों का पर्दाफाश करेंगे जो हमारे विकास के क्षेत्र में रुकावट डालने का काम करते हैं।

भाषण – 3

सुप्रभात प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और मेरे प्रिय मित्रों,

इस सभा का विषय है, ‘भ्रष्टाचार’। भ्रष्टाचार एक जहर है जो व्यक्तियों और देश के मूल्यों को नष्ट कर देता है।

भ्रष्टाचार के साधन के रूप में मेरा दृष्टिकोण यह है कि यह एक ऐसा कृत्य है जो जानबूझ कर किया जाता है जिससे देश की प्रामाणिकता और गुणवत्ता कम हो जाती है। लोग भ्रष्टाचार को एक सरल बात के रूप में इस तरह समझाते हैं, ‘मुझे जल्दी थी इसलिए मैंने थोड़े पैसे देकर अपना काम तुरंत करवा लिया’ लेकिन मेरे प्यारे दोस्तों यह सरल वक्तव्य इतनी हानिकारक है कि यह सीधे देश की छवि और कद पर असर करता है।

हमें व्यक्तियों के रूप में समझना चाहिए कि भले ही हमारा काम पैसे देकर तुरंत हो जाता है लेकिन भीतर ही भीतर यह हमारे जीवन की गुणवत्ता को बिगाड़ती जा रही है। यह देश की बुरी छवि बनाता है और हमारे देश को भ्रष्टाचार देशों की सूचि में ऊपर पहुंचाता है। हालाँकि यह बड़ी बात नहीं है कि हम अतिरिक्त राशि का भुगतान करके या कुछ लोगों से लाभ लेने के लिए उन्हें रिश्वत दूँ लेकिन मुझे विश्वास है कि आप एक बार गहराई से सोचे तो आपको पता चलेगा की यह लोगों के नैतिक गुणों या मूल्यों को खत्म करता है।

मनुष्य का गिरता आत्ममूल्य केवल उस व्यक्ति का नहीं है जो रिश्वत ले रहा है बल्कि उस व्यक्ति का भी है जो इसे देता है। भ्रष्टाचार देश और व्यक्ति की प्रामाणिक समृद्धि और विकास के बीच बाधा है। यह देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से सभी पहलुओं के विकास को प्रभावित करता है।

भ्रष्टाचार से तात्पर्य सरकार द्वारा बनाए गए सभी नियमों को तोड़कर कुछ निजी लाभों के लिए सार्वजनिक शक्ति का अनुचित उपयोग भी है। हमारे देश में भ्रष्टाचार का एक सामान्य उदाहरण नकद रूप में काला धन प्राप्त करना भी है। यहां तक ​​कि चुनावों के दौरान ऐसा भी देखा जाता है कि कुछ मंत्रियों के परिसर में छापे मारे जाते हैं या घर में नकदी मिलती हो।

जी हां, ये सब भ्रष्टाचार के रूप हैं। कई राजनीतिक नेताओं का कहना है कि हम भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहते हैं लेकिन ईमानदारी से मैंने इसको खत्म करने का कोई ठोस प्रयास नहीं देखा है। भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने के लिए हमें मूल कारणों पर काम करना होगा। हमारे देश की जड़ों के अंदर गहराई तक भ्रष्टाचार फ़ैल गया है और इसका उन्मूलन करने के लिए हमें पूर्ण समर्पण के साथ एक बड़ी गतिविधि या एक परियोजना चलानी चाहिए।

सख्त कार्रवाइयों को नीतियों में प्रलेखित किया जाना चाहिए और उन्हें उन पर लागू करना चाहिए जो भ्रष्टाचार को अपने लालच के लिए अभ्यास में लाते हैं।

इस सभा का हिस्सा बनने के लिए आप सभी का धन्यवाद। मुझे खुशी है कि हमने इस महत्वपूर्ण विषय को हमारी चर्चा बिंदु के रूप में चुना है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया जहाँ भी दिखे वहां भ्रष्टाचार को रोकें। हमें स्वार्थी नहीं होना चाहिए और बस हमारी सुविधा के बारे में सोचना चाहिए। मुझे आशा है कि आप सब मेरी और हमारे देश को भ्रष्टाचार के इस बदसूरत कार्य से मुक्ति दिलाने में मदद करेंगे।

धन्यवाद। आप सभी का दिन शुभ हो। हम सभी को मिल कर भ्रष्टाचार खत्म करना है।

आप सभी को नमस्कार! इस अवसर का हिस्सा बनने और इसके लिए समय निकालने के लिए धन्यवाद।

इस शाम के लिए मेरी चर्चा का विषय ‘भ्रष्टाचार’ का कैंसर है जिसने हमारी जिंदगी बीमार बना दी है। भ्रष्टाचार एक प्राधिकरण या प्रभावशाली पार्टी के मापन पर एक गैरकानूनी व्यवहार है जो कि अवैध, भ्रष्ट या सैद्धांतिक मूल्यों के साथ अपरिवर्तनीय हैं। हालांकि यह शब्द किसी भी देश को परिभाषित करने के लिए बहुत आसान है लेकिन इससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल है। भ्रष्टाचार सबसे बड़ा अनैतिक कार्य है जो देश की छवि को कमजोर और नकारात्मक बना देता है।

भ्रष्टाचार में धन की रिश्वतखोरी और गबन सहित कई गतिविधियां शामिल हो सकती हैं। भ्रष्टाचार ने भारतीय अर्थव्यवस्था और सरकार को इतना प्रभावित किया है कि इसका उन्मूलन करने के लिए कोई आसान समाधान नहीं है। अगर किसी देश के नागरिक भ्रष्ट होते हैं तो यह उस देश के मूल्यों में कमी को बढ़ाता है। हमें नहीं पता है कि हम जो करते हैं, कहाँ रहते हैं, क्या करते हैं उन सब का एक हिस्सा बन जाता है।

भ्रष्ट लोग हमेशा सच्चाई और ईमानदारी के नकली चेहरे के पीछे खुद को छिपाते हैं। हमेशा भ्रष्टाचार को नौकरशाही-राजनीतिक-पुलिस के गठजोड़ के रूप में जाना जाता है जो कि लोकतंत्र को खाती है।

ज्यादातर बार भ्रष्टाचार उच्च स्तर से शुरू होता है और यह बहुत कम स्तर तक भी जाता है। भ्रष्टाचार की ऊँचाई उस हद तक पहुंच गई है जहां इन भ्रष्ट लोगों के न्याय का कोई उचित कानून नहीं हैं। अत्यधिक भ्रष्ट लोग, जो पैसे के लिए कुछ भी कर सकते हैं, की वजह से आम आदमी या गरीब लोगों के लिए जीवित रहना बहुत मुश्किल हो गया है।

भ्रष्टाचार का स्तर उतना कम हो सकता है जब ट्रैफिक पुलिस अधिकारी को हेलमेट नहीं पहनने के लिए रिश्वत देनी पड़े या निजी ठेकेदार सरकारी व्यक्तियों को सार्वजनिक काम की निविदा प्राप्त करने या नौकरी पाने के लिए रिश्वत देनी पड़े। आज भ्रष्टाचार विकास में बाधा पैदा करने वाले सबसे बड़े कारकों में से एक है और लोकतंत्र को नुकसान भी पहुंचाता है। भ्रष्टाचार एक राष्ट्र के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

हम सभी को यह समझना चाहिए कि भ्रष्टाचार देश की प्रगति के रास्ते में एक बाधा के रूप में कार्य कर रहा है। हम में से हर एक को उन कृत्यों से सावधान रहना चाहिए जो हम करते हैं। हम अपनी पसंदीदा सीट आवंटन के लिए यात्रा टिकट इंस्पेक्टर (टीटीआई) को 100-200 रुपये दे देते हैं लेकिन गहराई से देखे तो उस व्यक्ति ने सभी लोगों से पैसे लेकर सीट देना आदत ही बना ली है।

इस वार्तालाप का हिस्सा बनने के लिए धन्यवाद। मेरे सत्र के निष्कर्ष के रूप में मैं आपको सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि भ्रष्ट न केवल वह व्यक्ति है जो अवैध धन प्राप्त करता है बल्कि वह भी है जो रिश्वत देता है। मुझे आशा है कि अब से आप सभी किसी को रिश्वत नहीं देंगे और दूसरों को भी नियंत्रित करेंगे। हम चीजों को छोटे कर्मों के रूप में देखते हैं लेकिन अंत में ये छोटे कार्य ही भ्रष्टाचार के प्रति जागरूकता पैदा करते हैं।

धन्यवाद! आप सभी का दिन शुभ रहे और इस सन्देश को तब तक साझा करते रहें जब तक हमारा देश भ्रष्टाचार मुक्त नहीं हो जाता।

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भ्रष्टाचार पर निबंध | Essay on Corruption in Hindi | Corruption Essay in Hindi | bhrashtachar par nibandh | bhrashtachar essay in hindi

By: Amit Singh

भूमिकाः भ्रष्टाचार समाज पर एक अभिशाप से कम नहीं है। भ्रष्टाचार के अंतर्गत व्यक्ति अनुचित लाभ के लिए लोगों की मजबूरी, संसाधनों का गलत फायदा उठाता है। आज भ्रष्टाचार की वजह से भी कहीं न कही समाज में समुदायों के बीच की खाई चौङी हो चुकी है। भ्रष्टाचार की वजह से देश के विकास में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रभाव पङता है।

भ्रष्टाचार का क्या अर्थ है

भ्रष्टाचार दो शब्दों ‘भ्रष्ट+आचार’ के मेल से बना है जिसमें ‘भ्रष्ट’ का अर्थ है बुरा और ‘आचार’ से अभिप्राय आचरण से है। इस तरह भ्रष्टाचार का अर्थ हुआ ऐसा आचरण जो बुरा हो। वहीं भ्रष्टाचार करने वाले व्यक्ति को भ्रष्टाचारी कहा जाता है। भ्रष्टाचारी एक ऐसा व्यक्ति होता है जो अपने स्वार्थों की पुर्ति के लिए गलत आचरण रखता है। वह न्याय व्यवस्था के विरुद्ध जाते हुए अपने हितों को साधता है।

भ्रष्टाचार कईं अलग-अलग तरीके से किया जाता है। कोई काला-बाजारी, चोरी, रिश्वत तो, चीजों के ज्यादा दाम लेना, गरीबों का पैसा हङपना जैसे हथकंडो के जरिए भ्रष्टाचार को अंजाम देता है।

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भ्रष्टाचार के तरीकें

भ्रष्टाचार को कई तरीको के जरिए अंजाम दिया जाता है। आइए जानते हैं इसके विभिन्न प्रकारो के बारें में-

  • चुनावी धांधली- आजकल देश में होने वाले चुनावों में कई तरह की धांधलियां की जाती है। जैसे कि लोगों से शराब और पैसों के बदले वोट खरीदना।
  • रिश्वत लेना- रिश्वत के लेन-देन की प्रक्रिया तो आजकल हर जगह विध्यमान है। लेकिन अकसर सरकारी कार्यालयों में रिश्वत लेने के मामले सामने आते हैं।
  • कई बार गैर-सरकारी संगठनों में रिश्वत लेने के मामले भी सामने आएं है। नौकरी के लिए भी कई असक्षम लोग घूस देकर उच्च पदों पर काबिज हो जाते है। जबकि काबिल लोग नौकरी की तलाश में दर-दर भटकते हैं।
  • टैक्स न देना- लेकिन जरूरी नहीं की भ्रष्टाचार सिर्फ उच्च पदों पर बैठे लोगों द्वारा ही किया जाता है। ब्लकि जो नागरिक टैक्स का भुगतान नहीं करते वे भी एक तरह से भ्रष्टाचार ही कर रहें हैं।

Essay on Corruption in Hindi

भ्रष्टाचार के क्या कारण होते हैं ?

यूं तो प्रत्येक व्यक्ति भ्रष्टाचार के प्रमुख कारणों से वाकिफ है। लेकिन इनके अलावा भी भ्रष्टाचार के पीछे कई कारण विद्यमान है तो चलिए इन कारणों को भी जान लेते हैः-

  • देश का कमजोर कानून- भ्रष्टाचार को लेकर ओर भी ज्यादा कङे कानून बनाने जरूरी है।
  • लालच या स्वार्थ- अधिकतर भ्रष्टाचारी लोभ और स्वार्थ में आकर भ्रष्टाचार करते हैं। इस तरह के लोग अपने लालच में अंधे होकर गरीब, लाचार और बेसहारा लोगों का हक छिनने से नहीं कतरातें।
  • सामाजिक और आर्थिक प्रतिष्ठा- लोगों में सामाजिक प्रतिष्ठा और आर्थिक सम्पन्नता हासिल करने की होङ-सी लगी हुई है। कोई भी व्यक्ति इन दोनों मामलों में किसी से पीछे नहीं होना चाहता। यही वजह है कि वे इस प्रतिष्ठा को हासिल करने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं।
  • पद और प्रतिष्ठा- राजनीति में पद व औहदे के हिसाब से लोगों को तौला जाता है। और उच्चतम पद को हासिल करने के लिए व्यक्ति खुद को भ्रष्ट बना लेता है।
  • ईर्ष्या- दुसरों की प्रगति से जलना प्रत्येक इंसान की फितरत होती है। ईर्ष्या की भावना का शिकार हुआ व्यक्ति अक्सर भ्रष्टाचार की राह में चल देता है।
  • असंतोष- कई बार ऐसा भी होता है जब व्यक्ति किसी असंतोष या अभाव के चलते भ्रष्टाचार को अपना लेता है।

भ्रष्टाचार के परिणाम

भ्रष्टाचार ने हमेशा हमारे समाज तथा देश में नकारात्मक प्रभाव डाला है। आइए जानते हैं इसके कुछ दुष्परिणामों के बारे में-

  • सक्षम और योग्य लोगों को उचित अवसर न मिलना।
  • लोगों में असमानता की खाई का चौङा होना। भ्रष्टाचार की वजह से गरीबों और अमीरों के बीच असमानता और भी बङी होती है।
  • लोगों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पङता है।
  • इससे देश की अर्थव्यवस्था पर बूरा प्रभाव पङता है। देश में काले धन में बढोतरी होती है।
  • भ्रष्टाचार की वजह से अधिक से अधिक लोग बेरोजगार होते हैं।
  • भ्रष्टाचार देश के विकास को भी रोकता है। क्योंकि इसकी वजह से लोगों में कामचोरी , निकम्मापन जैसी प्रवृति पनपने लगती है।

भ्रष्टाचार को कैसे रोकें ?

भ्रष्टाचार को कई उपायों को अपनाकर रोका जा सकता है। आइए जानते हैं उनके बारे में।

कठोर दंड व्यवस्था – भ्रष्टाचार रोकने के लिए कठोर दंड व्यवस्था का प्रावधान किया जाना चाहिए। क्योंकि जब लोगों में कानून का डर होगा तभी वे इस तरह के गैरकानूनी कृत्य करने से डरेंगे।

डिजिटलीकरण को बढावा देकर – अगर हम डिजिटलीकरण को बढावा देतें हैं तो इसके जरिए भ्रष्टाचार में कमी लाई जा सकती है। क्योंकि जब पैसों के लेन-देन में तीसरे व्यक्ति की आवश्यक्ता ही नहीं होगी तो रिश्वत और घूसखोरी की नोबत ही नहीं आएगी।

गैरकानूनी कारखानों पर ताला – गैरकानूनी कारखानों पर किसी भी तरह की कार्यवाही से बेहतर है कि उन्हें बंद कर दिया जाए। जिससे अन्य लोग भी इसे उदाहरण के तौर पर कुछ सीख सकें।  

पारदर्शिता – सरकारी कामकाज में गोपनीयता रखने के बजाय जनता के समक्ष प्रत्येक कार्य का लेखा-जोखा रखना चाहिए।

जागरुकता – भ्रष्टाचार को लेकर जितने ज्यादा से ज्यादा लोग जागरुक होंगे उतना ही प्रभावी तरीके से हम इसकी रोकथाम कर सकेंगे।

ऐसा नहीं है कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कोई कदम अभी तक नहीं उठाएं गए है। दरअसल, भ्रष्टाचार को लेकर कई कानून बनाएं गए है जिनमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 , धन शोधन निवारण अधिनियम, कंपनी अधिनियम, विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम 2010 आदि प्रमुख हैं।

भारत में भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार देश-दुनिया के कोने-कोने में विध्यमान है। भारत जैसे विकासशील देश में तो भ्रष्टाचार विकराल रुप धारण कर चुका है। आकङों की माने तो आज भारत भ्रष्टाचार के मामले में 94वें स्थान पर पहुंच चुका है।

अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस

भ्रष्टाचार सिर्फ भारत में ही नहीं ब्लकि पूरे विश्वभर में विद्धमान है। इसलिए दुनियाभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 9 दिसंबर को भ्रष्टाचार विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, इस दिन को मनाने का क्षेय संयुक्त राष्ट्र को जाता है जिसने 31 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार दिवस मनाएं जाने की घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र संघ का कहना है कि भ्रष्टाचार एक जघन्य अपराध है और यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार यह दिन, यह देखने के लिए भी मनाया जाता है कि विभिन्न देशों की सरकारें भ्रष्टाचार को लेकर क्या कदम उठा रहीं हैं। इसके साथ ही विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार की स्थिति को जानने के लिए प्रत्येक वर्ष करप्शन परसेप्शन इंडेक्स नाम से एक रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है। इस रिपोर्ट से यह पता चलता है कि विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए क्या कदम उठाया गया है और इन देशों में भ्रष्टाचार की क्या स्थिति है।

इस साल आए इस रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के मामले में 194 देशों में से भारत 82वें स्थान पर है। जो कि काफी चिंताजनक है। पिछले वर्ष की रिपोर्ट में भारत भ्रष्टाचार के मामले में 77वें स्थान पर था। लेकिन इस बार वह 5 पायदान नीचे खिसक गया है।

उपसंहार – भ्रष्टाचार एक संक्रामक रोग की तरह पूरे विश्वभर में फैल रहा है। भ्रष्टाचार की जङे भारत में भी काफी ज्यादा मजबूत हो चूंकि है। भ्रष्टाचार की स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो गई है कि आज रिश्वत लेने के मामले में पकङा गया व्यक्ति फिर रिश्वत देकर छूट जाता है।

अगर भ्रष्टाचार को लेकर कङे कानून नहीं बनाएं जाते तो यह धीरे-धीरे पूरे देश को खोखला कर देगा। कङे कानून के साथ इसे लेकर जागरूकता भी फैलानी चाहिए।

Essay on Corruption in Hindi | भ्रष्टाचार पर निबंध व भाषण | Speech on Corruption / Bhrashtachar – video

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Essay on corruption in hindi भ्रष्टाचार पर निबंध.

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भ्रष्टाचार पर निबंध Essay on Corruption in Hindi

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भ्रष्टाचार पर निबंध Essay on Corruption in Hindi 200 Words

विचार-बिंदु – • अर्थ • भारत में भ्रष्टाचार की स्थिति • भ्रष्टाचार के कारण • हल।

भ्रष्टाचार का अर्थ है – भ्रष्ट आचरण अर्थात् पतित व्यवहार। रिश्वत, कामचोरी, मिलावट, कालाबाजारी, मुनाफाखोरी, भाई-भतीजावाद, जमाखोरी, अनुचित कमीशन लेना, चोरों-अपराधियों को सहयोग देना आदि सब भ्रष्टाचार के रूप हैं। दुर्भाग्य से आज भारत में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक भ्रष्टाचार के दलदल में लथपथ हैं। लज्जा की बात यह है कि स्वयं सरकारी मंत्रियों ने करोड़ों-अरबों के घोटाले किए हैं। भ्रष्टाचार फैलने का सबसे बड़ा कारण है-प्रबल भोगवाद। हर कोई संसार-भर की संपत्ति को अपने पेट, मुँह और घर में भर लेना चाहता है। दूसरा बड़ा कारण है – नैतिक, धार्मिक या आध्यात्मिक शिक्षा का अभाव। तीसरा कारण है – पैसे को सलाम।

अन्य कुछ कारण हैं – भूख, गरीबी, बेरोजगारी आदि। भ्रष्टाचार को मिटाना सरल नहीं है। जब तक कोई ईमानदार शासक प्रबल इच्छा शक्ति से भ्रष्टाचार के गढ़ को नहीं तोड़ता, तब तक इसे सहना होगा। इसके लिए भी शिक्षकों, कलाकारों और साहित्यकारों को अलख जगानी होगी।

भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध (Corruption Free India Essay in Hindi) – Essay on Corruption in Hindi 300 Words 

भ्रष्टाचार का अर्थ है “भ्रष्ट + आचार”, जहा भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। भ्रष्टाचार किसी भी व्यक्ति के साथ-साथ देश के लिए बहुत बुरी समस्या है, जो दोनों के विकास और प्रगति में रुकावट डालता है। जब कोई व्यक्ति अपने स्वार्थके लिए न्याय व्यवस्था के नियमो से विरुद्ध जाकर गलत आचरण करने लगता है तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है।

भ्रष्टाचार एक सामाजिक बुराई है, जो इंसान की सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक क्षमता के साथ खेल रहा है। लालच की वजह से भ्रष्टाचार की जड़ें और मजबूत होती जा रही है। भ्रष्टाचार दरअसल सत्ता, पद, शक्ति और सार्वजनिक संस्थान का दुरुपयोग है। अब तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत इस वक्त विश्व में भ्रष्टाचार के मामले में 84 वे स्थान पर है। सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार सिविल सेवा, राजनीति, व्यापार और गैरकानूनी क्षेत्रों में फैला है, जहा भ्रष्टाचार के कई रंग-रूप है जैसे रिश्वत, काला-बाजारी, जान-बूझकर दाम बढ़ाना, पैसा लेकर काम करना।

विश्व में भारत अपने लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध है लेकिन भ्रष्टाचार की वजह से इस को बहुत क्षति पहुंच रही है। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार यहां के राजनीतिज्ञ है, जिनसे हम ढेर सारी उम्मीदें रखते हैं, चुनावो के दौरान यह बड़े-बड़े सपने दिखाते हैं, जिनको हम वोट देते हैं और चुनाव जीतने के बाद यह सभी चुनावी वायदे भूल कर अपने असली रंग में आ जाते हैं। मुझे पूरा यकीन है की अगर राजनीतिज्ञ अपने लालच को त्याग देंगे, तो हमारे देश से भ्रष्टाचार की बीमारी दूर हो जाएगी। देश को आगे बढ़ाने के लिए हमें सरदार पटेल और शास्त्री जैसे ईमानदार नेता को चुनना चाहिए क्योंकि केवल ऐसे नेता ही देश को सही दिशा दे सकते है और भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ सकते हैं। केवल राजनीतिज्ञ को ही नहीं बल्कि देश के नागरिकों को भी भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं का सामना करने के लिए एकजुट होना होगा। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हमारे देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 के बड़े नोटों को बंद करके बहुत ही इतिहासिक कदम उठाया, जिसकी सभी तारीफ कर रहे है।

भ्रष्टाचार मुक्त समाज पर निबंध – Essay on Corruption in Hindi 400 Words

वर्तमान समय में भ्रष्टाचार के दानव से संपूर्ण समाज त्रस्त है। अधिकांश व्यक्ति अनुचित व्यवहार द्वारा अधिक धन अर्जित करने के प्रयास में लगे रहते हैं। असंख्य व्यक्ति रिश्वत लेते हैं। अधिकांश नेता चुनाव जीतने के लिए अनैतिक साधनों का प्रयोग करते हैं। व्यापारी लोग भी खाद्य पदार्थों में मिलावट करते हैं। किसान भी सब्जियों तथा फलों में इंजैक्शन लगाकर अथवा कैमिकल का प्रयोग कर उन्हें दूषित करते हैं तथा महंगे दामों पर बेचते हैं। दूध, घी, मिठाइयों आदि में मिलावट तो सामान्य बात है। न्यायालयों में अनेक न्यायाधीश रिश्वत लेते हैं। यह सब कुछ भ्रष्टाचार के अन्तर्गत ही आता है। वस्तुतः वर्तमान समाज में भ्रष्टाचार मुक्त समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हमारे प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार मिटाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं।

आज के संदर्भ में दूरदर्शन भ्रष्टाचार फैलाने का सबसे बड़ा माध्यम बन चुका है। विभिन्न चैनलों पर इतने अश्लील कार्यक्रम दिखाए जाते हैं कि टी०वी० के प्रोग्राम भी परिवार के साथ बैठकर नहीं देख सकते। किशोरवर्ग तथा युवावर्ग के लिए चरित्रहीनता सम्मान की वस्तु बन गई है। अवैध संबंधों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दिया जा रहा है। फिल्मों में हिंसा और नग्नता का खुलेआम प्रदर्शन भी समाज की व्यवस्था को अपाहिज बनाने में पूरा योगदान दे रहा है। फैशन के नाम पर नारी शरीर को ‘उत्पाद’ की तरह प्रस्तुत किया जाता है। प्रतिदिन हो रहे फैशन शो हमारी भ्रष्ट होती सामाजिक व्यवस्था का प्रमाण हैं। आजकल पारिवारिक संबंधों में भी भ्रष्टाचार ने विषबीज बो दिए हैं। तथाकथित ‘कज़िन’ (Cousin) तथा ‘अंकल’ किस प्रकार परिवार के बच्चों को शारीरिक शोषण करते हैं, इसका प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है। अनेक परिवारों में निकट के रिश्तेदार किशोरियों को अपनी कामपिपासा की पूर्ति का साधन बनाते हुए ज़रा भी हिचकिचाते नहीं।

वर्तमान समाज में लाखों लड़कियाँ ‘कालगर्ल’ का काम करती हैं। लाखों स्त्रियाँ वेश्याएँ हैं। धन कमाने के लिए ये स्त्रियाँ समाज की व्यवस्था को विकृत करने का प्रयास कर रही हैं। समाज में मदिरा का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। मदिरा पीकर लोग अनेक प्रकार के अनैतिक कार्य करते हैं। इस प्रकार सामाजिक जीवन अपनी विषबल फैलाता जा रहा है। इसे रोकने के लिए ‘संचार माध्यम’ (मीडिया) बहुत सहायक तथा कठोर कानून भी इस पर रोक लगाने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।

भ्रष्टाचार पर निबंध Long Essay on Corruption in Hindi 500 Words

मनुष्य के चरित्र और आचरण में गिरावट, उसका पतित हो जाना, कर्तव्य पथ से विमुख हो जाना और समाज विरोधी बन जाना भ्रष्टाचार कहलाता है। आचरण और चरित्र सम्बन्धी हमारी कुछ स्थापित मर्यादाएं हैं। इन्हीं पर हमारा जीवन और समाज टिका हुआ है। इन्हीं के आधार पर हमारी संस्कृति और सभ्यता का विकास हुआ है। भ्रष्ट व्यक्ति समाज के लिए और स्वयं अपने लिये भी हानिकारक होता है। आज के स्वार्थपूर्ण और भौतिकवादी युग में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। सारा समाज पतित राजनेताओं, मौका-परस्त सरकारी अधिकारियों, पदलोलुप और रिश्वतखोर अफसरों आदि से भरा पड़ा है। जमाखोरों, चोर बाजारियों और मुनाफाखोरों की एक श्रेणी देखी जा सकती है।

भ्रष्टाचार के अनेक रूप, प्रकार और अवस्थाएं हैं। उनको पूरी तरह गिनना या उनका वर्णन करना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है। भ्रष्टाचार कैंसर या एड्स की तरह है, जो हमारे सम्पूर्ण राजनीतिक, सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था को उजाड़ रहा है। जीवन के हर क्षेत्र में यह आज व्याप्त है। धर्म राजनीति, शिक्षा, व्यापार, सरकारी सेवा, लेन-देन आदि सभी जीवन के कार्य इससे ग्रस्त हैं। धार्मिक नेता और तथाकथित गुरु, मुल्ला-मौलवी आदि अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं। अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए वे साम्प्रदायिक हिंसा, वैमनस्य और घृणा फैलाने से भी नहीं चूकते। धर्म और भगवान के नाम पर लोगों से पैसा एंठकर वे अपनी जेबें भरने में व्यस्त हैं।

लोगों के अंधविश्वासों का वे पूरा लाभ उठा रहे हैं। धर्म जहां जोडने, नैतिकता का विस्तार करने और पारस्परिक सद्भाव का माध्यम होना चाहिये, वहीं आज अशांति, कलह, संघर्ष और पतन का कारण बना हुआ है। व्यापारी मिलावट और जमाखोरी के काले धंधों में पूरी तरह लिप्त हैं। कर की चोरी तो उनके लिए एक सामान्य बात है। राजनीतिक नेताओं तथा दलों को वे चंदा आदि देकर अपनी मनचाही कर रहे हैं। कहीं किसी का डर या भय नहीं है।

कुर्सी के लोभ और राजनीतिक स्वार्थों में अंधे हमारे राजनेताओं और प्रशासकों ने तो सभी सीमाएं तोड़ दी हैं। जो रक्षक होने चाहिये थे, वहीं अब भक्षक बन गये हैं। दल बदलुओं की आज चांदी है। राजनेताओं के संरक्षण में अपराधी फलफूल रहे हैं। धन के बल पर चुनाव जीतकर वे संसद तथा विधान सभाओं में पहुंच रहे हैं। अनेक अपराधी छवि के लोग आज मंत्री बने हुए हैं या कोई अन्य लाभ के महत्त्वपूर्ण पद पर आसीन हैं। सत्ता और संकीर्ण स्वार्थों में आज जो कुछ हो रहा है, वह सब जानते हैं। इस बेशर्मी और भ्रष्टाचार से लोग परेशान हैं परन्तु कहीं कोई उपचार नज़र नहीं आता। भ्रष्टाचार से शिक्षक और डॉक्टर भी अछूते नहीं हैं।

पैसे के लालच में परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक कर दिये जाते हैं। झूठे प्रमाणपत्र और डिग्रीयां बाँटी जाती हैं और महत्त्वपूर्ण पदों पर लोगों को नियुक्त किया जा रहा है। अध्यापक कक्षा में पढ़ाने के बजाए टयूशन्स में लगा हुआ है। डॉक्टर झूठे प्रमाण पत्र देकर लोगों को अनुचित लाभ प्राप्त करने में सहायता कर रहे हैं। अस्पतालों से दवाइयां तथा दूसरे महत्त्वपूर्ण उपकरण काले बाजार में धड़ल्ले से बिक रहे हैं।

नैतिकता, आदर्श, परोपकार, जीवन मूल्य आदि शब्द मात्र रह गये हैं जिनका अस्तित्व, पुस्तकों या शब्दकोषों तक ही सीमित रह गया है। आज सब स्वार्थ की बात करते हैं, सिद्धान्तों या नैतिकता की नहीं । शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, जल आपूर्ति, राशन-वितरण, बिजली, कृषि, किसी भी विभाग में चले जाएं भ्रष्टाचार के उदाहरण आपको मिल जायेंगे। असीमित आशा-आकांक्षाएं, भौतिक अंधी दौड़ और पश्चिमी सभ्यता की विवेकहीन नकल ने हमें पागल कर दिया है। हम तुरन्त धन और यश का पहाड़ खड़ा करना चाहते हैं और परिश्रम नहीं करना चाहते। अतः हम भ्रष्ट उपाय अपनाते हैं और दूसरों को भी भ्रष्ट बनने को तैयार कर लेते हैं।

आज हमें लोकनायक जयप्रकाश नारायण, महात्मा गाँधी, रफी अहमद किदवई, लाल बहादुर शास्त्री, दीनदयाल उपाध्याय जैसे नेताओं की बड़ी आवश्यकता है। उन जैसा त्यागी, तपस्वी, निस्वार्थ समाजसेवी और आदर्शों पर चलने वाला कोई भी नेता आज दिखाई नहीं देता। भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक सामाजिक क्रांति और आंदोलन की आज बड़ी आवश्यकता है। सबसे पहली आवश्यकता है कि चुनावों को निष्पक्ष और स्वच्छ बनाया जाए। अपराधियों और भ्रष्ट लोगों को चुनाव लड़ने, मंत्री बनने तथा लाभ का कोई पद न प्राप्त करने दिया जाए। चुनाव आयोग और न्यायालयों को इस कार्य में और अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी।

युवा वर्ग इस मामले में बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। युवकों को आगे आकर भ्रष्ट लोगों का पर्दाफाश करना चाहिये। उन्हें प्रतिज्ञा करनी चाहिये कि वे कभी भी किसी भी अवस्था में न तो रिश्वत देंगे न लेंगे। दहेज लेना और देना भी एक भ्रष्टाचार है। नवयुवक और नवयुवतियां दहेज के बिना विवाह द्वारा एक बहुत अच्छा उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं। युवा वर्ग को भ्रष्ट लोगों के बहिष्कार का आंदोलन प्रारम्भ करना चाहिये।

भ्रष्टाचार को मिटाना असंभव तो नहीं है, परन्तु कठिन अवश्य है। इस पुण्य कार्य के लिए समाज के सभी वर्गों और लोगों को कमर कसनी चाहिये। भ्रष्ट देशों की सूची में भारत का ऊंचा स्थान है। यह हमारे लिए बड़ी शर्म की बात है। नेताओं का यह कर्तव्य है कि वे अपने आचरण, व्यवहार तथा चरित्र से आदर्श प्रस्तुत करें जिससे कि जनता उनका अनुसरण कर सके। हमारी सभ्यता और संस्कृति हमसे यह मांग करती है कि हम जीवन के हर क्षेत्र में नैतिकता और कर्तव्य परायणता को सर्वोच्च स्थान दें।

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corruption free india essay hindi

  • भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध for UPSC Students

by Meenu Saini | Jul 13, 2022 | Hindi | 0 comments

भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध  for UPSC Students

भारत में भ्रष्टाचार (Corruption in India) Essay in Hindi for UPSC Students 

इस लेख में हम यूपीएससी (UPSC) छात्र के लिए भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध लिखखेगे | भ्रष्टाचार होता क्या है, भ्रष्टाचार के कारण, भ्रष्टाचार दूर करने के उपाय, भारत सरकार की भ्रष्टाचार दूर करने के लिए बनाई गई नीतियां के बारे में जानेगे |

भ्रष्टाचार एक व्यापक संक्रामक परजीवी है जो प्रणालियों, विभागों, संस्थानों, व्यक्तियों या समूहों के जीवन को चूस रहा है और जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रवेश कर चुका है, चाहे वह सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक या नैतिक हो। यह वास्तव में शर्म की बात है कि भारत दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में से एक है। हमारे देश में जीवन का शायद ही कोई क्षेत्र होगा जहां हमें भ्रष्टाचार सामना न करना पड़े। 

इस लेख में हम भ्रष्टाचार के कारण, प्रभाव, भ्रष्टाचार को कम करने के लिए भारतीय सरकार द्वारा उठाए गए कदम के बारे में बात करेंगे। 

संकेत सूची (Contents)

  • भ्रष्टाचार की परिभाषा 

भ्रष्टाचार के कारण

  • भ्रष्टाचार के प्रभाव 

भ्रष्टाचार को कम करने के लिए भारतीय सरकार द्वारा उठाए गए कदम 

भारतीय समाज कैसे भ्रष्टाचार मुक्त बन सकता है.

भ्रष्टाचार एक बहुत पुरानी सामाजिक बुराई है। 

यह मानव समाज में हमेशा किसी न किसी रूप में मौजूद रहा है। गौरतलब है कि ‘अथर्ववेद’ लोगों को भ्रष्टाचार से दूर रहने की चेतावनी देता है।  कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में भ्रष्ट लोगों द्वारा सरकारी धन के दुरुपयोग के लिए अपनाए गए चालीस तरीकों का उल्लेख है। दिल्ली के सुल्तान, अलाउद्दीन खिलजी को अपने भू-राजस्व कर्मचारियों को भ्रष्टाचार में लिप्त होने से बचाने के लिए उनके वेतन में काफी वृद्धि करनी पड़ी।  

” अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के अनुसार, “भ्रष्टाचार से लड़ना केवल सुशासन नहीं है।  यह आत्मरक्षा है।  यह देशभक्ति है।”

भ्रष्टाचार क्या है

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (टीआई) भ्रष्टाचार को “निजी लाभ के लिए सौंपी गई शक्ति का दुरुपयोग” के रूप में परिभाषित करता है। भ्रष्टाचार का अर्थ है सत्ता के दुरुपयोग और दुरुपयोग का कार्य, विशेष रूप से सरकार में उनके द्वारा व्यक्तिगत लाभ के लिए या तो धन या एक पक्ष के लिए।  भारत में 50% से अधिक लोगों ने सार्वजनिक सेवाओं तक पहुँचने के दौरान रिश्वत देना स्वीकार किया है।

भ्रष्टाचार और भारत: एक नजर

  • भारत दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में बना हुआ है। 
  • दुनिया भर में भ्रष्टाचार का मापन करप्शन परसेप्शन इंडेक्स अर्थात् सीपीआई के अनुसार होता है। 
  • विशेषज्ञों और व्यवसायियों के अनुसार यह सूचकांक 180 देशों और क्षेत्रों को सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के कथित स्तरों के आधार पर रैंक करता है।
  • करप्शन परसेप्शन इंडेक्स 2021 के अनुसार, 2021 में भारत की रैंक एक स्थान सुधरकर 85 हो गई, जो 2020 में 86वें स्थान पर थी। 

भ्रष्टाचार के कारणों की जांच एक सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक-प्रशासनिक परिदृश्य की एक विस्तृत तस्वीर प्रस्तुत करती है जो दैनिक आधार पर भ्रष्टाचार को जन्म देती है। 

भारत में भ्रष्टाचार के निम्नलिखित कारण हैं। 

  • चुनावों में काले धन का उपयोग: विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार केवल 70 लाखरुपये की कानूनी सीमा के खिलाफ कम से कम 30 करोड़ खर्च करते हैं। 

पिछले 10 वर्षों में लोकसभा चुनावों के लिए घोषित खर्च में 400% से अधिक की वृद्धि हुई है। जबकि उनकी आय का 69% अज्ञात स्रोतों से आया है। 

  • राजनीति का अपराधीकरण: देश के 30% से अधिक विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। जब कानून तोड़ने वाले कानून निर्माता बन जाते हैं, तो कानून का शासन में भ्रष्टाचार सबसे पहले होता है।
  • अनौपचारिक क्षेत्र का उच्च हिस्सा : भारत में 80% से अधिक कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में हैं और इसलिए कर या श्रम कानूनों के दायरे में नहीं आते हैं। 

ऐसे उद्यम आमतौर पर अधिकारियों को उन कानूनों के दायरे से बाहर रखने के लिए रिश्वत देते हैं। 

  • व्यवसाय करने में आसानी : बिना किसी पारदर्शिता और समय सीमा जैसे मामलों से संबंधित कानूनी जवाबदेही के बिना व्यवसाय शुरू करने और चलाने के लिए आवश्यक अनुमोदनों की अधिकता उद्यमियों को रिश्वत के माध्यम से अपना व्यवसाय आसान बनाने के लिए मजबूर करती है। 
  • उच्च असमानताएँ: भारत में 1% अमीरों के पास कुल संपत्ति का लगभग 60% हिस्सा है। इस तरह की समानताएं पूजीवाद की ओर ले जाती है, कम आय के स्तर पर यह लोगों को अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए मजबूर करता है।  

राजनीति का अपराधीकरण और नौकरशाही का राजनीतिकरण राज्य सत्ता के दुरुपयोग के लिए एकदम सही मंच प्रस्तुत करता है। 

सीबीआई, ईडी, आईटी-विभाग, एसीबी जैसे प्रवर्तन अधिकारियों का दुरुपयोग और स्वायत्तता की कमी भी कानून के प्रतिरोध मूल्य को कमजोर करती है। 

  • औपनिवेशिक नौकरशाही : नौकरशाही अनिवार्य रूप से 19वीं सदी के कानूनों की विशेषता वाली प्रकृति में औपनिवेशिक बनी हुई है। 
  • विफल सुधारात्मक कदम : राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और नौकरशाही के भीतर से प्रतिरोध के कारण नागरिक चार्टर, आरटीआई और ई-गवर्नेंस जैसे प्रमुख सुधारात्मक कदम विफल हो गए हैं।
  • कम मजदूरी : सार्वजनिक क्षेत्र में मजदूरी निजी क्षेत्र से कम है, साथ ही निचले स्तर पर काम करने वालों के लिए खराब कैरियर के विकास के अवसर और कठोर काम करने की स्थिति भी भ्रष्टाचार का कारण बनती है। 
  • न्यायिक विफलता : न्यायपालिका राजनेताओं सहित भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करने में विफल रही है। 

सिविल सेवकों को संविधान के अनुच्छेद 309 और 310 के तहत प्रदान की गई अतिरिक्त सुरक्षा और सिविल सेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले सरकार की अनुमति लेने की आवश्यकता समस्या को और बढ़ा देती है।

सामाजिक और नैतिक

  • जीवनशैली में बदलाव : व्यक्तिवाद और भौतिकवाद की ओर बढ़ते हुए बदलाव ने विलासितापूर्ण जीवन शैली के प्रति आकर्षण बढ़ा दिया है।  अधिक पैसा कमाने के लिए लोग दूसरों की परवाह किए बिना अनैतिक तरीके भी अपनाने को तैयार हैं।
  • सामाजिक भेदभाव : जागरूकता की कमी और राज्य पर उच्च निर्भरता के कारण गरीब लोग भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा शोषण का आसान लक्ष्य बन जाते हैं।
  • शिक्षा प्रणाली की विफलता : युवा पीढ़ी में सहानुभूति, करुणा, अखंडता, समानता आदि के नैतिक मूल्य को विकसित में भारत की शिक्षा प्रणाली बुरी तरह विफल रही है। 

वैश्वीकरण से प्रेरित जीवनशैली में बदलाव ने समाज में नैतिकता और मानवता को और गिरा दिया है। 

भ्रष्टाचार के प्रभाव

भ्रष्टाचार के भारतीय समाज में निम्न प्रभाव हुए हैं। 

  • यह समाज के सामाजिक और नैतिक ताने-बाने को नीचा करता है, सरकार की विश्वसनीयता को कम करता है और राज्य द्वारा गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के मौलिक अधिकारों का शोषण और उल्लंघन करता है।  उदाहरण के लिए, पीडीएस राशन में असमानता गरीबों को उनके भोजन के अधिकार से वंचित करता है। 
  • यह व्यापार करने में आसानी में बाधा डालता है। जैसा कि हाल ही में जारी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक ने इंगित किया है कि “निजी क्षेत्र अभी भी भारत में व्यापार करने के लिए भ्रष्टाचार को सबसे अधिक समस्याग्रस्त कारक मानता है”।  यह निजी निवेश को बाधित करता है जो रोजगार पैदा करता है और नवाचार को बाधित करता है। 
  • आईसीडीएस, एनआरएचएम (यूपी जैसे कई राज्यों में घोटाले सामने आए हैं), नरेगा आदि जैसी कल्याणकारी योजनाओं के खराब परिणामों के कारण बढ़ती असमानता लाभार्थियों को संसाधनों के रिसाव और असमानता का एक और परिणाम है।  विशेष रूप से पिछड़े क्षेत्र में खराब शिक्षा और स्वास्थ्य असमानताओं को बनाए रखने में मदद करता है।
  • कर प्रशासन में भ्रष्टाचार उच्च कर चोरी की ओर ले जाता है जिससे काला धन पैदा होता है। विभिन्न अनुमानों के अनुसार भारत में समानांतर अर्थव्यवस्था का आकार सकल घरेलू उत्पाद का 50% जितना है। 
  • जैसा कि 2जी और कोयला खदानों जैसे बड़े घोटालों का खुलासा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली सीएजी की कई रिपोर्टों में बताया गया है कि भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार के कारण राज्य को भारी नुकसान होता है।
  • भ्रष्टाचार उत्पादन की लागत को बढ़ाता है जिसे अंततः उपभोक्ता को वहन करना पड़ता है। सड़कों और पुलों जैसे परियोजना निष्पादन में यह खराब गुणवत्ता वाली सामग्री को अपनाने की ओर ले जाता है जो ढहने के कारण कई लोगों के जीवन के लिए खतरनाक साबित होती है।
  • विभिन्न शोधों ने भ्रष्टाचार, सार्वजनिक सेवाओं की खराब गुणवत्ता और राजनीति के अपराधीकरण के बीच सीधा संबंध बताया है।
  • अतीत में रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार के कारण पड़ोस में बढ़ती दुश्मनी के दौर में सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण में देरी हुई है।  जो राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से यह शुभ संकेत नहीं है। 
  • अतीत में भ्रष्टाचार ने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों जैसे शहरी क्षेत्रों में वेटलैंड्स का अतिक्रमण और सड़कों में बड़े बड़े गड्ढे शहरी क्षेत्रों में बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं की प्रमुख वजहों में से एक है। 
  • पुलिस जैसी कानून प्रवर्तन एजेंसियों में भ्रष्टाचार कानून के शासन को कमजोर करता है और राज्य और अपराधियों के बीच एक अपवित्र गठजोड़ को बढ़ावा देता है। भ्रष्ट प्रशासन स्वेच्छा से अपने सार्वजनिक सेवा के कर्तव्य का उल्लंघन करते हुए सत्ताधारी दल के अन्यायपूर्ण व्यवहार के सामने आत्मसमर्पण करता है। 
  • पुलिस में भ्रष्टाचार के कारण अपराध की कम रिपोर्टिंग से अपराधियों को प्रोत्साहन मिलता है और न्यायिक भ्रष्टाचार लोगों को न्याय पाने के लिए अतिरिक्त कानूनी तरीकों को अपनाने के लिए मजबूर करता है।

भारत सरकार ने भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए समय समय पर कानून लाती रही है और पुराने कानूनों में संशोधन करती रही है। 

भारत सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए निम्न प्रकार की नीतियां व कानून बनाए गए। 

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988

भ्रष्टाचार के लिए एक परिभाषा प्रदान करता है और उन कृत्यों को सूचीबद्ध करता है जो भ्रष्टाचार के रूप में होंगे जैसे कि रिश्वत, एहसान के लिए उपहार आदि।

यह अधिनियम भ्रष्ट लोगों को बेनकाब करने और ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करने की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है। 

एक अधिकारी के अभियोजन के लिए सरकार से मंजूरी की आवश्यकता होती है। इसमें केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मचारी, सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी, राष्ट्रीयकृत बैंक आदि शामिल हैं।

इस अधिनियम के तहत परीक्षण के लिए विशेष न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है जो उपयुक्त मामलों में संक्षिप्त सुनवाई का आदेश दे सकते हैं। 

बेनामी संपत्ति अधिनियम 1988

हाल के संशोधनों ने बेनामी संपत्ति की परिभाषा को विस्तृत किया है और सरकार को अदालत की मंजूरी के बिना किसी परेशानी के ऐसी संपत्तियों को जब्त करने की अनुमति दी है। 

मनी लांड्रिंग का रोकथाम अधिनियम 2002

इसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग की घटनाओं को रोकना और भारत में ‘अपराध की आय’ के उपयोग को प्रतिबंधित करना है।

मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में सख्त सजा का प्रावधान है, जिसमें 10 साल तक की कैद और आरोपी व्यक्तियों की संपत्ति की कुर्की (जांच के प्रारंभिक चरण में भी और जरूरी नहीं कि सजा के बाद भी) शामिल है।

केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम 2003

सीवीसी को वैधानिक दर्जा देता है। 

केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा में पीएम, एमएचए और एलओपी की एक समिति की सिफारिश पर की जाएगी।

जांच करते समय आयोग के पास सिविल कोर्ट की सभी शक्तियां होती हैं। 

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005

यह अधिनियम पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए सूचना के प्रकटीकरण को जनता का कानूनी अधिकार बनाता है।

इसके अंतर्गत धारा 4 सूचना के सक्रिय प्रकटीकरण और अभिलेखों के डिजिटलीकरण को अनिवार्य करती है। 

कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इसका इस्तेमाल सार्वजनिक प्राधिकरणों के कामकाज में अनियमितताओं को सामने लाने के लिए किया है।

जैसे; मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला।  

कंपनी अधिनियम, 2013

कॉर्पोरेट प्रशासन और कॉर्पोरेट क्षेत्र में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए प्रदान करता है। 

‘धोखाधड़ी’ शब्द की व्यापक परिभाषा दी गई है और यह कंपनी अधिनियम के तहत एक आपराधिक अपराध है। 

विशेष रूप से धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) की स्थापना की गई है, जो कंपनियों में सफेदपोश अपराधों और अपराधों से निपटने के लिए जिम्मेदार है।

एसएफआईओ कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के तहत जांच करता है। 

भारतीय दंड संहिता, 1860 उन प्रावधानों को निर्धारित करता है जिनकी व्याख्या रिश्वत और धोखाधड़ी के मामलों को कवर करने के लिए की जा सकती है, जिसमें आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी से संबंधित अपराध शामिल हैं। 

लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013

लोक सेवकों द्वारा गलत काम करने की शिकायतों की जांच के लिए केंद्र में एक स्वतंत्र प्राधिकरण लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति करता है

लोकपाल की नियुक्ति पीएम, एलओपी, सीजेआई, स्पीकर और एक प्रख्यात न्यायविद की समिति द्वारा की जाएगी। 

एसएआरसी और संथानम समिति जैसे विभिन्न आयोगों ने महत्वपूर्ण और व्यवहार्य सिफारिश की है कि एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। 

नागरिकों को सशक्त बनाने और भारतीय समाज को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने की आवश्यकता है: 

नौकरशाही में सुधार

  • प्रशासन पर अत्यधिक राजनीतिक नियंत्रण को रोकने के लिए सिविल सेवा बोर्ड की स्थापना होना चाहिए। 
  • सरकारों में पदानुक्रम के स्तर को कम करना। 
  • अनुशासनात्मक कार्यवाही को सरल बनाना और विभागों के भीतर निवारक सतर्कता को मजबूत करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भ्रष्ट सिविल सेवक संवेदनशील पद पर काबिज न हों। 
  • सरकार में नियमित प्रक्रियाओं को स्वचालित करने के लिए एआई और बिग डेटा जैसी नई तकनीकों का उपयोग करना। 

चुनावी सुधार

  • आरपीए में संशोधन कर अपराधियों को विधानसभाओं में प्रवेश करने से रोकना। 
  • राजनीतिक दल को नकद चंदे पर रोक लगाना और राजनीतिक दलों के कुल खर्च पर सीमा लगाना। 
  • इंद्रजीत गुप्ता समिति द्वारा अनुशंसित राज्य वित्त पोषण के विचार को अपनाना।  

शासन में परिवर्तन

  • नियमों के बारे में पारदर्शिता और जागरूकता बढ़ाने के लिए आर्थिक सर्वेक्षण द्वारा अनुशंसित नियम अधिनियम (टीओआरए) में पारदर्शिता लाना। 
  • नागरिक चार्टर और सामाजिक लेखा परीक्षा को एक कानूनी बल देना। 
  • स्थानीय निकाय को सशक्त बनाना ताकि उन्हें प्रत्यक्ष लोकतंत्र के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बनाया जा सके। 
  • न्यायिक सुधार भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे में तेजी लाने के लिए ताकि ये कानून एक मजबूत निवारक बने रहें
  • कानून का शासन स्थापित करने और भ्रष्टाचार के मामलों में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए प्रकाश सिंह मामले में एससी द्वारा सुझाए गए 7 सूत्री पुलिस सुधार को अपनाना।
  • संविधान के तहत परिकल्पित कार्यपालिका पर विधायी नियंत्रण को मजबूत करने के लिए दल-बदल विरोधी कानून में संशोधन करना।
  • मंत्रियों के लिए आचार संहिता और आचार संहिता लाना। 
  • सार्क द्वारा अनुशंसित सभी कार्यालयों जैसे कि सार्वजनिक उपक्रमों के बोर्डों को अपने दायरे में लाना। 

भ्रष्टाचार का मुकाबला करने के लिए, भारत सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1998 को अधिनियमित किया है और मुख्य सतर्कता आयोग की स्थापना की है, जो भ्रष्टाचार से सख्ती से निपटने के लिए कानूनी अधिकार प्रदान करता है।  हालांकि न्यायिक प्रक्रिया के लंबे गलियारों के लिए ये पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन न्यायपालिका में गवाहों की कमी और भ्रष्टाचार से शायद ही कोई फर्क पड़ सकता है।

कुशल समाधानों में जन जागरूकता, भ्रष्ट सौदों का बार-बार संपर्क, और सबसे बढ़कर व्हिसलब्लोअर की भूमिका शामिल है।  व्हिसलब्लोअर की अवधारणा पश्चिमी है, लेकिन अगर बड़ी संख्या में लोग भ्रष्ट अधिकारियों पर नजर रखते हैं, उनकी जासूसी करते हैं और संबंधित विभागों से परामर्श करते हैं, तो चीजें बेहतर हो सकती हैं।

सरकार ने अब जवाबदेही पर जोर दिया है और भारत भविष्य के लिए सकारात्मक हो सकता है क्योंकि डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों के साथ सब कुछ डिजिटाइज़ करने से भ्रष्टाचार उच्च स्तर तक कम हो जाएगा क्योंकि सिस्टम में बिचौलियों के लिए कोई जगह नहीं होगी, और सरकार हर चीज की निगरानी करेगी। 

हां, भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है लेकिन इसे व्यवस्थित और सही प्रयासों से खत्म किया जा सकता है।

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Corruption Free India Essay | Essay on Corruption Free India for Students and Children in English

February 14, 2024 by Prasanna

Corruption Free India Essay:  A long lost dream for many Indians, a corruption-free India is something that every Indian always dreams of. But how do we achieve a corruption-free India? Is it just India or the rest world also has problems with corruption. Is there are a country that has zero corruption? Most importantly, what is corruption exactly? How long has corruption been part of our lives? Are politicians solely responsible for corruption in India? How do we prevent corruption in India?

These are some burning questions that one always ponders upon when the issue of corruption in India comes up. Through this particular essay on corruption free India , we hope some of the questions will be answered.

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Long and Short Essays on Corruption Free India for Students and Kids in English

Find below a long essay on corruption free India with a word limit of 600. Also, we have provided a similar essay on corruption free India with a word limit of 200. Both of these essays can be used by schoolchildren and college students for various purposes like essay writing, assignments, tests and project work.

Long Essay On Corruption Free India 600 Words in English

Find below a 600-word long essay on corruption free India is helpful for students of classes 7,8,9 and 10.

India, mostly in recent years, has become popular around the world because of the various scandals and corruption issues that have broken out in the power corridors of the country. Corruption has been a part of India ever since its birth. Corruption is not just something that is associated with politicians and businessmen, corruption is a problem in India that exists in all the levels, right from ministers to watchmen. Basically let us answer a few questions,

What is corruption?

Corruption is an act of dishonesty and a criminal offense conducted by a person or a group of people or an organisation by abusing and taking advantage of their power and position of authority. This means that anything unethical done, for the greed of money, which is beyond the boundaries of the legality of the land, will be termed as corruption. Corruption can be on various levels. A minister taking bribes to provide a license for a businessman, a pion taking kickbacks and bribes to let you inside a government office, a doctor taking a bribe from you to provide you with a fake medical certificate are all the different levels of corruption. One thing we should remember is, giving bribe is as bad and unethical as taking a bribe. Whether the bribe is Rs. 10 or Rs. 10,000 crore does not matter, a bribe is a bribe.

While it is easy to say that we shouldn’t pay bribes, the ground relates to it are far from easy. Imagine your loved one has severe health issues and you don’t have enough money to go to a private hospital. So you have taken them to a government hospital, where you are required to pay a bribe for the authorities to get your loved admitted into the hospital. The question of ethical dilemma becomes faded here and saving the life of our loved one takes precedence. One can’t expect to follow rules and integrity in a time of crisis like this. So how do we tackle corruption in India?

The tacking of corruption should come from higher authorities and the strongest laws and regulations should be in place. There are many laws in places such as the Prevention of corruption act and Jan Lokpal to name a few. While laws are robust in nature, its implementation is somehow weakened. This essay on corruption free India is mostly confined to corruption in the public sector. There is massive corruption in private sectors as well who circumvent the law of the land to make quick money.

To prevent corruption, we have to understand why corruption takes place in the first place.

Why does corruption take place in India?

  • Low salaries for government employees
  • An additional side income
  • Lack of fear of authorities and the law of the land
  • The mentality of “everyone takes a bribe, so why not me?”
  • In times of urgency, bribing might be the only way out. But,

Whose responsibility is to prevent corruption

We simply can’t expect everything to be done by the government when in some cases, the government leaders are themselves involved in massive corruption scandals. The responsibility lies equally with everyone, right from top-level ministers to mid-level government employees and low-level watchmen and workers. The responsibility also lies with the customer and common citizen of the country. He or she should be vigilant and record the acts of corruption and expose such people in accordance with the law.

How to prevent corruption?

While there is no one good answer to that question, here are some steps that should be taken to prevent corruption.

  • Accountability- A sense of accountability of income should be given by all the worker at all levels to prevent taking bribes
  • Vigilance- The anti-corruption officers should be vigilant
  • A sense of responsibility by the bribe givers should be inculcated by conducting anti-corruption awareness campaigns
  • String and robust laws in place
  • Constant monitoring and surveillance of office premises
  • Monitoring and following the irregular financial levels of the employees in question.

Essay on Corruption Free India

Short Essay On Corruption Free India 200 Words in English

Find below a 200-word short essay on corruption free India in English is helpful for students of classes 1,2,3,4,5 and 6.

A corruption-free India is a dream that every politician promises his voters during elections but forgets it during the regime. While corruption is usually associated with public sector employees and politicians, we cannot deny the fact that massive corruption and criminal offences exist even in the private sector of India.

Preventing corruption is not an easy task, especially in a democratic country like India. India is a free-market country with strong laws on privacy and human rights. But this is not the case in authoritarian regimes like North Korea or China. When a state is a complete police state, it becomes easier to tackle corruption since there would be no resistance. But in India, even the anti-corruption officers need to follow the course of the law to prevent corruption.

It is a tricky situation since the criminals circumvent the law while the people catching them has to follow the law. Red tape bureaucracy, lack of accountability and inefficient leadership are some of the reasons for the rising corruption rates in Inda. For India to become truly corruption free, strong laws, the autonomy of power to government officers and good awareness campaigns for the general public should be done.

10 Lines on Corruption Free India Essay

  • The dream of corruption-free India is a long road ahead
  • Corruption in India exists on all levels, from ministers to watchmen
  • Corruption has cost the taxpayers thousands of crores in revenue for the country
  • A thorough unbiased investigation should be conducted when a corruption scandal breaks out
  • Corruption in India exists both in the private sector and public sector
  • Anti-corruption Bureau (ACB) is a governmental autonomous body that is responsible for the prevention of corruption and catching the culprits
  • Lack of transparency, greed for money and ignorance of the people are some of the reasons for corruption in India
  • Bribe giver is as much accountable to corruption as a bribe-taker
  • Lack of accountability and efficient system in place is the reason for high corruption rate in India
  • The lack of development in India is directly related to the amount of corruption that takes place in the country at every level.

Essay About Corruption Free India

FAQ’s on Corruption Free India Essay

Question 1. Which is the most corrupt country in the world

Answer: South Sudan is considered as the most corrupt country in the world

Question 2. Which is the biggest corruption scandal in India?

Answer: The Common Wealth Games, popularly known as CWG scam is the biggest scam in India

Question 3. What are the types of corruption?

Answer: Bribery, extortion, embezzlement, graft and peddling are few types of corruption

Question 4. What is the effect of corruption?

Answer: The effect of corruption is seen in the development and economic distress

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