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कैसे एक शोधपत्र (Research Paper) लिखें

यह आर्टिकल लिखा गया सहयोगी लेखक द्वारा Chris Hadley, PhD . क्रिस हेडली, पीएचडी विकीहाउ टीम का हिस्सा है और कंटेंट स्ट्रेटजी और डेटा और एनालिटिक्स पर काम करते है। क्रिस हैडली ने 2006 में UCLA से कॉग्निटिव साइकोलॉजी में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। क्रिस की अकेडमिक रिसर्च कई वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। यहाँ पर 8 रेफरेन्स दिए गए हैं जिन्हे आप आर्टिकल में नीचे देख सकते हैं। यह आर्टिकल १,४२,७०३ बार देखा गया है।

स्कूल की ऊंची कक्षाओं में पढ़ने के दौरान और कॉलेज पीरियड में हमेशा ही, आपको शोध-पत्र तैयार करने के लिए कहा जाएगा। एक शोध-पत्र का इस्तेमाल वैज्ञानिक, तकनीकी और सामाजिक मुद्दों की ख़ोज-बीन और पहचान में किया जा सकता है। यदि शोध-पत्र लेखन का आपका यह पहला अवसर है, तो बेशक कुछ डरावना भी लग सकता है, पर मस्तिष्क को अच्छी तरह से संयोजित और एकाग्र करें, तो आप खुद के लिए इस प्रक्रिया को आसान बना सकते हैं। शोध-पत्र तो स्वयं नहीं लिख जाएगा, पर आप इस प्रकार से योजना बना सकते हैं, और ऐसी तैयारी कर सकते हैं कि लेखन व्यावहारिक रूप में खुद-ब-खुद जेहन में उतरता चला जाए।

अपने विषयवस्तु का चयन

Step 1 अपने आप से महत्वपूर्ण प्रश्न कीजिए:

  • आम तौर पर, वेबसाइट जिनके नाम के अंत में .edu, .gov, या .org होता है, ऎसी सूचनाएं रखती हैं जिन्हें इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसा इसलिए है कि ये वेबसाइट स्कूलों, सरकार या उन संगठनों की होती हैं जो आपके विषय से सम्बंधित हैं।
  • अपनी खोज का प्रश्न बार-बार बदलें ताकि आपके विषय पर अलग-अलग तरह के खोज परिणाम मिलें। अगर कुछ भी मिलता नज़र न आये तो ऐसा हो सकता है कि आपकी खोज का प्रश्न अधिकाँश लेखों के शीर्षक से मेल नहीं खा रहा है जो आपके विषय पर हैं।

Step 5 एकेडमिक डेटाबेस का इस्तेमाल कीजिये:

  • ऐसे डेटाबेस ढूंढ़िए जो आपके विषय को ही सम्मिलित करते हों। उदहारण के लिए PsycINFO एक ऐसा डेटाबेस है जो कि केवल मनोविज्ञान और समाजशास्त्र के क्षेत्र में ही विद्वानों द्वारा किये काम को सम्मिलित करता है। एक सामान्य खोज के मुकाबले यह आपको अपने अनुरूप शोध सामग्री पाने में मदद करेगा। [२] X रिसर्च सोर्स
  • पूछताछ के एकाधिक खोज-बॉक्स या केवल केवल एक ही प्रकार के स्रोत वाले आर्काइव के साथ अधिकाँश अकादमिक डेटाबेस आपको ये सुविधा देते हैं कि आप बेहद विशिष्ट सूचना मांग सकें (जैसे केवल जर्नल आलेख या केवल समाचार पत्र)। इस सुविधा का लाभ उठाकर जितने अधिक खोज बॉक्स आप इस्तेमाल कर सकते हैं उतना करें।
  • अपने विभाग के पुस्तकालय जाएँ और लाइब्रेरियन से अकादमिक डेटाबेस, जिनकी सदस्यता ली गयी है, की पूरी सूची और उनके पासवर्ड ले लें।

Step 6 अपने शोध में रचनात्मक हो जाएँ:

एक रूपरेखा का निर्माण

Step 1 किताब पर टीका-टिप्पणी,...

  • रूपरेखा बनाने और शोधपत्र लिखने का काम आखिरकार आसान करने के लिए टीका-टिप्पणी का काम गहनता से कीजिये। जिस चीज़ के महत्वपूर्ण होने का आपको ज़रा भी अंदेशा हो या जो आपके शोधपत्र में इस्तेमाल हो सकता है, उसकी निशानदेही कर लीजिए।
  • जैसे-जैसे आप अपने शोध में महत्वपूर्ण हिस्सों को चिन्हित करते जाएँ, अपनी टिप्पणी और नोट जोड़ते जाएँ कि इन्हें आप अपने शोध-पत्र में कहाँ इस्तेमाल करेंगे। अपने विचारों को लिखना जैसे-जैसे वे आते जाएँ, आपके शोधपत्र लेखन को कहीं आसान बना देगा और ऎसी सामग्री के रूप में रहेगा जिसे आप सन्दर्भ के लिए फिर-फिर इस्तेमाल कर सकें।

Step 2 अपने नोट्स को सुनियोजित करें:

  • हर उद्धरण या विषय जिसे आपने चिन्हित किया है उसे अलग-अलग नोट कार्ड पर लिखने की कोशिश कीजिए। इस तरह से आप अपने कार्डों को मनचाहे ढंग से पुनर्व्यवस्थित कर सकेंगे।
  • अपने नोट का रंगों में कोड बना लें, ताकि वे आसान हो जाएँ। अलग-अलग स्रोतों से जो भी नोट आप ले रहे हैं, उन्हें सूची बद्ध कर लें, और फिर सूचना के अलग-अलग वर्गों को अलग-अलग रंगों में चिन्हित कर लें। उदाहरण के लिए, जो कुछ भी आप किसी विशेष किताब या जर्नल से ले रहे हैं उन्हें एक कागज़ पर लिख लें ताकि नोट्स को सुगठित किया जा सके, और फिर जो कुछ भी चरित्रों से सम्बंधित है उसे हरे से चिन्हित करें, कथानक से जुड़े सबकुछ को नारंगी रंग में चिन्हित करें, आदि-आदि।

Step 3 सन्दर्भों का पन्ना बना लें:

  • एक तार्किक शोधपत्र विवादित विषयों पर एक पक्ष लेता है और एक दृष्टिकोण के लिए तर्क प्रस्तुत करता है। मुद्दे पर एक तर्कसंगत प्रतिपक्ष के साथ बहस की जानी चाहिए।
  • एक विश्लेषणात्मक शोधपत्र किसी महत्त्वपूर्ण विषय पर नए सिरे से दृष्टिपात करता है। विषय आवश्यक नहीं है कि विवादित हो, पर आपको अपने पाठकों को सहमत करना पड़ेगा कि आपके विचारों में गुणवत्ता है। यह महज आपके शोध से विचारों की उबकाई भर नहीं, बल्कि अपने उन विशिष्ट अद्वितीय विचारों की प्रस्तुति है जिन्हें आपने गहन शोध से सीखा है।

Step 5 आपके पाठक कौन होंगे यह निर्धारित कर लीजिये:

  • थीसिस विकसित करने का आसान तरीका है कि उसे एक प्रश्न के रूप में ढालिए जिसका आपका निबंध उत्तर देगा। वह मुख्य प्रश्न या हाइपोथीसिस क्या है जिसको आप अपने शोधपत्र में प्रमाणित करना चाहते हैं? उदाहरण के लिए आपकी थीसिस का प्रश्न हो सकता है, “मानसिक बीमारियों के इलाज की सफलता को सांस्कृतिक स्वीकृति कैसे प्रभावित करती है?” यह प्रश्न आपकी थीसिस क्या होगी उसे निर्धारित कर सकता है – इस प्रश्न के लिए आपका जो भी उत्तर होगा, वही आपका थीसिस-कथन होगा।
  • शोधपत्र के सभी तर्कों को दिए बिना या उसकी रूपरेखा बताये बिना ही आपकी थीसिस को आपके शोध के मुख्य विचार को व्यक्त करना होगा। यह एक सरल कथन होना चाहिए, न कि कई सहायक वाक्यों का एक समूह, आपका बाक़ी शोधपत्र तो इस काम के लिए है ही!

Step 7 अपने मुख्य बिन्दुओं को निर्धारित कर दें:

  • जब आप अपने मुख्य विचारों की रूप-रेखा बनाएं, उनको एक विशिष्ट क्रम में रखना अहम है। अपने सबसे मज़बूत तर्कों को निबंध के सबसे पहले और सबसे अंत में रखिये। जबकि ज्यादा औसत बिन्दुओं को निबंध के बीचोंबीच या अंत की तरफ रखिये।
  • सबसे मुख्य बिन्दुओं को एक ही पैराग्राफ में समेटना ज़रूरी नहीं है, विशेष करके अगर आप एक अपेक्षाकृत लंबा शोधपत्र लिख रहे हैं। प्रमुख विचारों को जितने पैराग्राफ में आप ज़रूरी समझें फैलाकर लिख सकते हैं।

Step 8 फॉरमैटिंग के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखिये:

  • अपनी हर बात को साक्ष्यों से पुष्ट करें। क्योंकि यह एक शोधपत्र है इसलिए ऐसी टिप्पणी न करें जिसकी पुष्टि सीधे आपके शोध के तथ्यों से न हो।
  • अपने शोध में पर्याप्त व्याख्याएं दीजिये। बिना तथ्यों के अपने मत के बखान का विलोम बगैर किसी व्याख्या के बिना तथ्यों को देना होगा। यद्यपि आप निश्चित ही पर्याप्त प्रमाण देना चाहते हैं, तो भी जहां भी संभव हो अपनी टिप्पणी जोड़ते हुए यह सुनिश्चित कीजिए कि शोधपत्र पर आपकी मौलिक और विशिष्ट छाप हो।
  • बहुत सारे सीधे लम्बे उद्धरण देने से बचें। यद्यपि आपका निबंध शोध पर आधारित है, फिर भी महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको अपने विचार प्रस्तुत करने हैं। जिस उद्धरण का आप इस्तेमाल करना चाहते हैं, जब तक वह बेहद अनिवार्य न हो, उसे अपने ही शब्दों में व्यक्त और विश्लेषित करने की कोशिश कीजिए।
  • अपने पेपर में साफ़-सुथरे और संतुलित गति से एक बिंदु से दूसरे तक जाने का प्रयास करें। निबंध में स्वछन्द तारतम्य और प्रवाह होना चाहिए, इसके बजाय कि अनाड़ी की तरह रुक-रुक कर क्रम टूटे और फिर अचानक शुरू हो जाए। यह ध्यान रखें कि लेख के मुख्य भाग वाला हर पैरा अपने बाद वाले से जाकर मिलता हो।

Step 2 निष्कर्ष लिखें:

  • आपके निष्कर्ष का लक्ष्य, साधारण शब्दों में, इस प्रश्न का उत्तर देना है, “तो क्या?” ध्यान रखें कि पाठक आख़िरकार महसूस करे कि उसे कुछ प्राप्त हुआ है।
  • कई कारणों से अच्छा नुस्खा तो यह है कि, निष्कर्ष को भूमिका के पहले लिख लिया जाये। पहली बात तो यह है कि जब प्रमाण आपके दिमाग में ताज़ा हों तो निष्कर्ष लिखना ज्यादा आसान होता है। उससे भी बड़ी बात यह है, सलाह दी जाती है कि आप निष्कर्ष में अपने सबसे चुनिन्दा शब्द और भाषा का मजबूती से इस्तेमाल करें और फिर उन्हीं विचारों को भिन्न शब्दों में अपेक्षाकृत कम वेग के साथ भूमिका में रख दें, न कि इसका उल्टा करें; यह पाठकों पर ज्यादा स्थायी प्रभाव छोड़ेगा।

Step 3 निबंध की प्रस्तावना लिखें:

  • MLA फॉर्मेट को विशेष रूप से साहित्यिक शोध-पत्रों के लिए इस्तेमाल किया जाता है और इसमें ‘उद्धृत सामग्री’ की एक सूची अंत में जोड़नी होती है, इस विधि में अंतरपाठीय उद्धरण प्रयोग किये जाते हैं।
  • APA फॉर्मेट का इस्तेमाल सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में शोधपत्रों के लिए शोधकर्त्ताओं द्वारा किया जाता है, और इसमें भी अंतरपाठीय उद्धरण देने होते हैं। इसमें निबंध का अंत “सन्दर्भ” पृष्ठ के साथ होता है, और इसमें मुख्य भाग के पैराग्राफों के बीच में अनुच्छेद शीर्षक का प्रयोग भी किया जा सकता है।
  • शिकागो फोर्मटिंग को प्रमुखतः ऐतिहासिक शोधपत्रों के लिए इस्तेमाल किया जाता है और इसमें अंतरपाठीय उद्धरण के स्थान पर पृष्ठ के नीचे फुटनोट का प्रयोग होता है और साथ में एक ‘उद्धृत सामग्री’ और सन्दर्भों का पृष्ठ जुड़ता है। [७] X रिसर्च सोर्स

Step 5 अपने कच्चे प्रारूप...

  • अपने पेपर का सम्पादन यदि खुद आपने किया है, तो उस पर वापस आने से पहले कम से कम तीन दिन प्रतीक्षा कीजिए। अध्ययन दिखाते हैं कि, लेख समाप्त करने के बाद भी दो-तीन दिन तक यह आपके जेहन में ताज़ा बना रहता है, और इसलिए ज्यादा संभावना यह रहेगी कि आम तौर पर आप जिन बुनियादी त्रुटियों को पकड़ पाते, उन्हें भी अपनी सरसरी नज़र में नजरअंदाज कर जाएँगे।
  • दूसरों के द्वारा संपादन को महज इसलिए नजरअंदाज न करें कि उनसे आपका काम बढ़ जाएगा। अगर वे आपके पेपर के किसी अंश को दोबारा लिखे जाने की सलाह दे रहे हों तो उनके इस आग्रह का संभवतया उचित कारण है। अपने पेपर के सघन सम्पादन पर समय दीजिए। [८] X रिसर्च सोर्स

Step 6 अंतिम ड्राफ्ट को लिखिए:

  • रिसर्च के दौरान महत्वपूर्ण थीम, प्रश्नों और केन्द्रीय मुद्दों को ढूँढ़ें।
  • यह समझने की कोशिश करें कि, आप वास्तव में निर्दिष्ट रूप में किस चीज़ का अन्वेषण करना चाहते हैं, इसके बजाय कि पेपर में ढेर सारे व्यापक विचारों को ठूस दिया जाए।
  • ऐसा करने के लिये अंतिम क्षण तक प्रतीक्षा मत कीजिए।
  • अपने असाइंमेंट को समयानुसार पूरा करना सुनिश्चित कीजिए।

संबंधित लेखों

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  • ↑ http://www.infoplease.com/homework/t3sourcesofinfo.html
  • ↑ http://www.ebscohost.com/academic
  • ↑ http://owl.english.purdue.edu/owl/resource/552/03/
  • ↑ http://owl.english.purdue.edu/owl/resource/544/02/
  • ↑ http://www.indiana.edu/~wts/pamphlets/thesis_statement.shtml
  • ↑ http://libguides.jcu.edu.au/content.php?pid=83923&sid=3619280
  • ↑ http://writing.yalecollege.yale.edu/why-are-there-different-citation-styles
  • ↑ http://professionalonlineediting.com/how-to-edit-your-essay-or-research-paper-fast.asp

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Chris Hadley, PhD

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assignment paper kaise likhe

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Assignment का first page कैसे बनाएं ? एक प्रोफेशनल असाइनमेंट कैसे बनाएं

Tomy Jackson

अगर आप एक स्कूल या कॉलेज के छात्र हैं तो आपको Assignment की importance तो पता होगी ही । ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों में छात्रों से असाइनमेंट बनवाए जाते हैं ताकि उनके knowledge & creativity की जांच हो सके । अगर आप अपने शिक्षक या बॉस को खुश करना चाहते हैं तो आपको एक प्रोफेशनल असाइनमेंट बनाना होगा जिसमें designing & decoration भी महत्वपूर्ण हैं । इसलिए इस पोस्ट में आप जानेंगे कि assignment ka first page kaise banaye ?

न सिर्फ असाइनमेंट का फर्स्ट पेज बल्कि पूरा का पूरा असाइनमेंट आप कैसे डिजाइन कर सकते हैं , के बारे में भी जानकारी इस पोस्ट में दी जाएगी । अगर आप एक professional assignment बनाने के साथ ही उसे डिजाइन करने के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी चाहते हैं तो पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें ।

इस पोस्ट में आपको प्रोफेशनल असाइनमेंट बनाने और असाइनमेंट का फर्स्ट पेज बनाने के लिए Types , templates , video tutorials , decoration ideas , examples दिए जायेंगे ताकि आपकी मदद हो सके । साथ ही पोस्ट के अंत में FAQs को भी शामिल किया गया है ताकि आपके सभी प्रश्नों का उत्तर दिया जा सके ।

एक Assignment क्या होता है ?

Assignment एक शिक्षक द्वारा अपने विद्यार्थी को दिया गया एक ऐसा school / college work है जिसे छात्र को स्कूल के बाहर करना होता है । शिक्षक छात्रों के पाठ्यक्रम से ही जुड़ा कोई ऐसा कार्य देते हैं जिसमें research , creativity और responsibility की जरूरत होती है जिससे छात्र में ये सभी चीजें विकसित हो सकें ।

असाइनमेंट बनवाने के अन्य फायदों में शामिल है :

  • छात्र research पर ज्यादा ध्यान देता है जो आज के समय की मांग भी है ।
  • परीक्षा और अन्य महत्वपूर्ण टेस्ट की तैयारी हो जाती है ।
  • असाइनमेंट बनाते हुए छात्रों को कई समस्याएं आती हैं जिनसे उन्हें खुद जूझना होता है , इससे problem solving skill का विकास होता है ।
  • इससे छात्रों का mental exercise भी होता है और critical thinking skill का भी विकास होता है ।

Types of assignment

Assignment अलग अलग प्रकार का होता है जिन्हें आप नीचे पढ़कर जान सकते हैं । इन सभी प्रकारों के बारे में विस्तार से जानकर ही आप सही ढंग से प्रोफेशनल असाइनमेंट तैयार कर सकते हैं :

1. Praparatory Assignment : ये असाइनमेंट विद्यार्थियों को अगले दिन किए जाने वाले कार्य के लिए तैयार करने के लिए है ।

2. Study Assignment : इस तरह के असाइनमेंट में छात्रों को अलग अलग कार्य करने के लिए दिए जाते हैं जैसे समस्या समाधान असाइनमेंट, चार्ट, ग्राफ़, टेबल आदि । इन सभी चीजों पर बच्चे असाइनमेंट तैयार करते हैं ।

3. Revisional Assignment : इस तरह के असाइनमेंट तब दिए जाते हैं जब :

  • जो सीखा गया उस पर अभ्यास प्रदान करना
  • किसी विषय या इकाई अध्ययन से संबंधित जानकारी के retention और reproduction की जाँच करना
  • पढ़ाए गए विषय के विचारों की समझ की जाँच करना

4. Remedial Assignment : यह असाइनमेंट का एक प्रकार है जिसमें ऊपर दिए गए सभी असाइनमेंट के ऊपर छात्रों से लिए गए प्रतिक्रिया को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है । इन असाइनमेंट का उद्देश्य कमजोर बिंदुओं को दूर करना और गलतफहमियों को दूर करना है ।

एक Professional Assignment कैसे बनाएं ?

अगर आप एक professional assignment बनाना चाहते हैं तो आप नीचे दिए सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर ऐसा कर सकते हैं :

1. Guidelines को कभी नजरंदाज न करें

अगर आप एक प्रोफेशनल असाइनमेंट बनाना चाहते हैं जिसे देखकर आपके शिक्षक आपको पूरे नंबर दे दें तो आपको उनके या school / university द्वारा दिए guidelines को कभी नजरंदाज नहीं करना चाहिए । हमेशा अपने शिक्षक या प्रोफेसर द्वारा बताए tips , dos & don’ts , ideas को ध्यान से सुनें और उनका पालन भी करें ।

इस तरह से आप सही ढंग से एक बढ़िया असाइनमेंट बना पाएंगे जिससे आपके टीचर्स भी खुश होंगे । अगर आप उनके द्वारा बताई गई बातों को नहीं मानते हैं तो आपको आपके शिक्षक के गुस्से की याद दिलाने की जरूरत मुझे नहीं । 😀

2. Quantity पर नहीं quality पर ध्यान दें

एक professional assignment बनाने के लिए यह जरूरी है कि आप quantity पर नहीं बल्कि quality पर ध्यान दें । अगर आपने लिख लिखकर 100 – 200 pages को भर दिया है तो आपके टीचर को यह लगेगा कि यह अधिक नंबर पाने की एक कोशिश मात्र है । इसलिए आप कम ही लिखें परंतु बेहतरीन लिखें । आप to the point जानकारी ही लिखें और फालतू का पेज भरने से बचें ।

आपने अपने कॉलेज / स्कूल में यह ध्यान दिया होगा कि कम पेजेस लिखने वालों को भी बेहतरीन अंक दिए जाते हैं । इसका मुख्य कारण ही यही है कि वे जरूरत की जानकारी ही लिखते हैं और पेज भरने पर नहीं बल्कि quality information प्रोवाइड करने पर ध्यान देते हैं ।

3. असाइनमेंट simple & presentable बनाएं

मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव से आपको बस यही कहना चाहूंगा कि overdecoration से बचें । ज्यादा फूल , फल और मेकअप के चक्कर में आप अपने प्रेजेंटेशन को बेकार बना देते हैं । ध्यान रखें कि आपको decoration पर कम और quality content पर ज्यादा ध्यान देना है । आपको creativity का पता आपके सजावट से नहीं बल्कि कंटेंट को प्रेजेंट करने के तरीके से पता चलता है ।

अगर आप प्रेजेंटेशन में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके professional decoration और high quality content पर ध्यान देना होगा । नीचे templates & examples में मैंने प्रोफेशनल असाइनमेंट डेकोरेशन के कुछ उदाहरण को जोड़ा है जिसे आप आगे देखेंगे ।

4. Font , colour , size का विशेष ध्यान रखें

यह बेहद जरूरी है कि आप एक professional assignment बनाने के लिए सही font , size & colour का ध्यान रखें । अपने fonts को हमेशा simple & presentable रखें । इसके साथ ही , 2 से 3 colours का इस्तेमाल ही असाइनमेंट बनाने के लिए करें । आप जिन भी रंगों का इस्तेमाल करें वे ज्यादा गाढ़ा न हों और न ही ऐसा कि पढ़ने में समस्या हो ।

साथ ही , size का भी विशेष ध्यान रखें । अगर आप paper file की मदद से असाइनमेंट तैयार कर रहे हैं तो सभी पेजेस एक ही साइज के हों और fonts भी एक ही आकार के हों । इसके अलावा , अगर आप laptop या desktop की मदद से असाइनमेंट तैयार कर रहे हैं तब भी font के आकर का विशेष ध्यान रखें ।

5. सही क्रम में चीजें व्यवस्थित रखें

अगर आप दिए गए असाइनमेंट को बिना क्रम में लिखते हैं तो आपको बिल्कुल भी अच्छे अंक प्राप्त नहीं होंगे । उदहारण के तौर पर आप इस Assignment ka first page kaise banaye पोस्ट को देख सकते हैं । इसमें मैंने सभी जानकारी को व्यवस्थित तौर पर क्रम में लिखा है । आप नीचे दिए order को फॉलो कर सकते हैं :

  • Introduction
  • Method / procedure
  • Result / Discussion

6. उचित जगहों पर graphs , images , maps इत्यादि जोड़ें

जब जरूरी हो तो graphs , images , maps इत्यादि असाइनमेंट से जुड़ी चीजें जरूर जोड़ें । इससे जब आप अपने असाइनमेंट को कक्षा के सामने प्रेजेंट करेंगे तो आपको दिक्कत नहीं आएगी । इन सभी चीजों को जोड़ने की वजह से टॉपिक को समझना और समझाना दोनों आसान हो जाता है ।

एक professional assignment में ये सभी चीजें होनी जरूरी भी हैं । हालांकि , जाहिर सी बात है कि आप इन कंटेंट को गूगल से ही डाउनलोड करेंगे तो इनका एक reference page भी जरूर बनाएं । Reference page की ज्यादा जरूरत तब होती है जब आप digitally assignments create कर रहे हों ।

Assignment ka first page kaise banaye ?

कहते हैं न कि ‘ first impression is the last impression ‘ इसलिए आपको अपने assignment का first page ऐसा बनाना चाहिए जो impressive हो । आप इसे simple yet attractive रखें ताकि आपको अच्छे अंक प्राप्त हो सकें । असाइनमेंट का फर्स्ट पेज बनाने के लिए आपको इस फॉर्मेट पर ध्यान देना चाहिए :

  • Name of College with Logo
  • Academic Year
  • Name of Department
  • Assignment Name
  • Submission Date
  • Submitted By: (Your Name)
  • Submitted To: (Professor Name)

अगर आप Laptop या computer की मदद से असाइनमेंट बना रहे हैं तो इसका first page ऊपर दिए वीडियो जैसा बना सकते हैं । ठीक इसी फॉर्मेट में आप पेन और पेपर पर भी assignment first page design कर सकते हैं । आप पेन , स्केच पेन , कलर पेंट इत्यादि की मदद से असाइनमेंट का पहला पेज डिजाइन कर सकते हैं । डिजाइन का टेम्पलेट आप नीचे भी देख सकते हैं ।

Assignment Templates

आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके ढेरों असाइनमेंट टेम्पलेट देख सकते हैं जिसकी मदद से assignment ka first page design कर सकते हैं । ये असाइनमेंट हमारी साइट्स पर stored नहीं हैं , इन्हें आप Digiandme.com साइट से देख और इनका पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं ।

नीचे दिए लिंक पर उपलब्ध सभी templates को ms office की मदद से डिजाइन किया गया है । आप भी microsoft office की मदद से ऐसा टेम्पलेट डिजाइन कर सकते हैं जिसके लिए ऊपर वीडियो दे दिया गया है ।

Free templates on Digiandme

Assignment Examples

नीचे मैंने 2 असाइनमेंट के उदाहरणों को जोड़ा है जिसमें से एक के बारे में संक्षेप से चर्चा भी किया है कि आप कैसे इसे बना सकते हैं । इससे आपको idea हो जायेगा कि असाइनमेंट के प्रश्न कैसे होते हैं और इसे आप कैसे बना सकते हैं :

Assignment 1 solution

उदाहरण के तौर पर अगर हम assignment 1 solution की बात करें तो इसका आप assignment बनाने के लिए निम्नलिखित चीजें जोड़ सकते हैं :

  • Assignment का first page
  • भारतीय स्वतंत्रता में लेखकों के योगदान के बारे में संक्षेप में
  • आपके प्रोजेक्ट के बारे में
  • भारतीय स्वतंत्रता में योगदान देने वाले सभी लेखकों या कवियों के बारे में विस्तार से
  • भारतीय स्वतंत्रता में कलम का योगदान को संक्षेप में लिखें

आपने इस पोस्ट में विस्तार से जाना कि assignment ka first page kaise banaye और इसके साथ ही प्रोफेशनल असाइनमेंट कैसे बनाएं , असाइनमेंट क्या होता है , इसके फायदे क्या है , उदाहरण , टेम्पलेट और फॉर्मेट भी आपने देखा ।

  • Case Study क्या होता है और कैसे करें
  • Mock Test क्या है और कैसे क्रिएट करें
  • Education loan क्या है और कैसे मिलता है
  • Best पैसा कमाने के लिए ऐप्स

अगर फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो नीचे कमेंट करके पूछें और अगर पोस्ट से आपकी मदद हुई हो तो शेयर जरूर करें ।

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I have always had a passion for writing and hence I ventured into blogging. In addition to writing, I enjoy reading and watching movies. I am inactive on social media so if you like the content then share it as much as possible .

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WEST BENGAL STATE UNIVERSITY

Gobordanga Hindu College

Name-Bijoy kumar Majumdar Roll-1211118 No-23193 Reg.No.-1182111102338 Subject – Environment Studies Semester-1st

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असाइनमेंट कैसे बनाये - how to make ignou assignment.

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Assignment:- इस पोस्ट में आप जानेंगे इग्नू का असाइनमेंट कैसे बनाया जाता हैं। असाइनमेंट बनाने का सही तरीका क्या होता हैं। एक अच्छा असाइनमेंट बनाते समय किन-किन बातो का ध्यान रखा जाता हैं। इग्नू का असाइनमेंट बनाते समय आप को किन-किन चीजों की जरूरत पढेंगी।

ignou assignment kaise banaye

इस पोस्ट में आप जानेंगे

असाइनमेंट क्या हैं.

  • असाइनमेंट का प्रश्न पत्र कैसे डाउनलोड करें?

असाइनमेंट जमा करने की अंतिम तारीख़?

असाइनमेंट जमा कहां करें, असाइनमेंट का फ्रंट पेज, स्टूडेंट आई.डी. कार्ड, असाइनमेंट बनाने के लिए जरुरी चीजें, असाइनमेंट का उत्तर कैसे ढूँढे, असाइनमेंट का रसीद.

जब आप इग्नू में नया एडमिशन लेते हैं तो एडमिशन के समय आप को कुछ सब्जेक्ट सेलेक्ट करना होता हैं। जिस सब्जेक्ट को आप पढ़ना चाहते हैं। तो आप जो भी सब्जेक्ट सेलेक्ट करते हैं। उनका ही आप को असाइनमेंट बनाना होता हैं। और एग्जाम से पहले आप को असाइनमेंट बना कर जमा करना होता हैं। आप जितना अच्छा असाइनमेंट बनाएंगे आप को उतने ही अच्छे नंबर दिए जाएंगे।

असाइनमेंट बनाने के लिए सबसे पहले आप को असाइनमेंट का प्रश्न पत्र डाउनलोड करना होगा। इग्नू के ऑफिसियल से आप किसी भी प्रोग्राम के लिए असाइनमेंट का प्रश्न पत्र डाउनलोड कर सकते हैं। जैसे की :- Master's Degree Programmes, Bachelor's Degree Programmmes, P.G. Diploma Programmes, Diploma Programmes, Certificate Programmes, P.G. CertificateProgrammes, Foundation Courses. असाइनमेंट का प्रश्न पत्र डाउनलोड करने के लिए आप को इग्नू के ऑफिसियल वेबसाइट पर जाना होगा। इग्नू का प्रश्न पत्र डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

और अगर आप को असाइनमेंट का प्रश्न पत्र डाउनलोड करने में कोई भी प्रॉब्लम होता हैं तो आप उपर दिया गया यूट्यूब वीडियो देख सकते हैं। 

  • फ्रंट पेज जिस पर आप का सभी डिटेल्स रहेगा।
  • Student ID Card.
  • असाइनमेंट का प्रश्न पत्र। 
  • ब्लू और ब्लैक कलम। असाइनमेंट का प्रश्न उत्तर आप को ब्लू और ब्लैक कलम से लिखना होगा। 
  • Practical Page,अगर आप को Diagram भी बनाना हैं तो आप को Practical Page का इस्तेमाल करना चाहिए। 
  • Double Side Line Page (Both Side Ruled) का भी आप इस्तेमाल कर सकते हैं। 
  • Diagram बनाने के लिए पेंसिल इत्यादी।

Assignment Making Guidelines - ( Click Here )

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Assignment receipt pdf page download kahan se hoga sar..

thnku so much

Sir kya jaruri hai ager question 250 word main puchh raha hai toh utna hi answer likhna chahiye ager 250 ke jagah main 300 word likh toh mera number kat jayenga kya sir

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  • April 17, 2024

Hello Students… Read This Post in English अगर आप IGNOU University  में नए Student है तो Starting में इसका प्रोसेस आपके लिए Confusing हो सकता है  जैसे की इग्नू एडमिशन Cycle क्या होता है IGNOU में Exams कैसे होते है IGNOU में Assignment क्या होते है और ये कैसे बनाये जाते है और कहा सबमिट किये जाते है   इन सब बातो को ही हम निचे बताने जा रहे है आईये देखते है !और हाँ हर एक पॉइंट दूसरे पॉइंट से रिलेटेड है तो पोस्ट को पूरा पढ़े अच्छे से समझने के लिए !

  1.IGNOU एक Open University है इसमें दो Admission Cycle/Session  होते है एक  January  और दूसरा July  मतलब IGNOU में आप Year में दो बार एडमिशन ले सकते है !

IGNOU Me Exams Kaise Hote Hai?

आईये देखते IGNOU में Exams कैसे होते है Suppose आपने Jan 2022  में Admission लिया है और आपका कोर्स Semester वाइज है  जैसे BCA, MCA,MBA  etc तो  आपका Session Jan 2022  हुआ जिसके  Exams जून 2022  में होंगे और Exams form  मार्च 2022  में भरे जायगे ठीक इसी प्रकार अगर आपने जुलाई 2022  में एडमिशन लिया है  तो आपका Session जुलाई 2022  है जिसके exams Dec 2022  में होंगे और Exams form Sep 2022  में भरे जायेगे !

2.अगर आपका कोर्स Year Wise है जैसे BA, B.com, B.sc,M.sc  etc और आपने Jan 2022  में एडमिशन लिया है तो आपका Session Jan 2022  है जिसके Exams Dec 2022  में होंगे और Exams Form Sep 2022  में भरे जायेगे ठीक इसी प्रकार यदि आपने जुलाई 2022  में Admission लिया है तो आपके Exams जून 2023  में होंगे जिसके की Exams Form मार्च 2023 में भरे जायगे !  

NOTE- IGNOU में कभी-कभी डेट Extend होती है जैसे की कभी Jan वाले Admission Feb में भी होते है तो भी आपका Session Jan ही होगा , आपको हेमशा आपका Session देखना है वो आप IGNOU Website  पर अपना अकाउंट Log in करने के बाद देख सकते है  ! जैसे निचे के पिक्चर में दिखया गया है !

IGNOU me Apna Session Aur Assignments Code Kaise Check Kaire?

अपना session और assignments code चेक करने के लिए आपको सबसे पहले निचे दिए गए लिंक पर लोग इन करना है  लोग इन करते ही आप निचे की Picture की तरह आपका session और assignments code चेक कर सकते है !          Click Here To Log in

assignmnts code and session ignoubaba

Kya IGNOU me Assignmets Submit Karna Jaruri Hai ?

आईये अब IGNOU Assignments के बारे में समझते है, IGNOU में Assignments Submit करना Compulsory है बिना असाइनमेंट आपकी Degree Complete नहीं होगी और उधर ही Assignments Final Mark-sheet ,में 30%(किसी-किसी Subject में 25% भी ) Marks, Assignments  के add होते है मतलब आप कुछ ऐसे समझिये अगर आपके किसी subject में theory में मार्क्स 100 में से 60 है और असाइनमेंट  में 100 से 80 तो 60 का 70 % =42 और 80 का 30% =24, तो आपके टोटल मार्क्स उस Subject में 42+24 =66 आएंगे 100 में से, और यही कैलकुलेशन सभी Subjects के साथ होगा तो इसलिए Assignment अच्छे से बनाना बहुत जरुरी है !

IGNOU Assignments Questions Paper kaha se Downlaod kairen ?

Assignments  Questions  पेपर  Download करने के लिए सबसे पहले आपको निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करना है अब यह पर एक पेज ओपन हो जायगा इस पेज में एक सर्च बॉक्स दिया हुआ है जिस पर क्लिक करके आप Assignments  Questions पेपर आसानी से Download कर  सकते है                                                                                          LINK – Download From Here

2

ध्यान रहे आपको वही Assignments Question पेपर Download करना है जो आपका Session है जैसे अगर आपका सेशन Jan  2021 है तो आपको July 2020 -Jan 2021 का Assignments Question पेपर Download करना है ठीक इसी प्रकार अगर आपका Session जुलाई 2021 है तो आपको जुलाई 2021 -Jan 2022 वाला Assignments Question पेपर Download करना है और उसको Solve करना है !

NOTE:-IGNOU में  ईयर में एक बार Assignments Question पेपर आता है और एक ईयर में दो  सेशन होते है इसलिए एक Assignment Question पेपर दो सेशन के लिए वैलिड रहता है  Assignments Question पेपर में 21 -22 में 21,इसलिए लिखा जिन स्टूडेंट्स ने जुलाई 2021  सेशन में रजिस्ट्रेशन किया  है वो इसको सोल्वे करेंगे और 22 इसलिए लिखा है जो स्टूडेंट्स Jan 2022 में रजिस्ट्रेशन करेंगे वो भी इसी को सोल्वे करेंगे !                                                                    

IGNOU Assignments Kaise Likhe Aur Kaha Submit Kare ?

आईये अब समझते है Assignments Solve  करना कैसे Start करे सबसे पहले आपको आपके Session का Assignment Question Paper IGNOU Website से Download कर लेना है फिर उसके बाद Questions  के According Answers,Find Out करके लिखना स्टार्ट करना है आप असाइनमेंट लिखने के लिए A4 साइज का Page lined or planed its your choice both Use कर सकते है Assignment Solve करने के बाद आपको आपके Question Paper का black nd white print  out निकलवाना है और एक आपको आपका Front पेज बनाना है और एक 5rs वाली फाइल खरीद ले  इस फाइल में आपको सबसे पहले Front पेज लगाना हैं फिर Assignment का Question पेपर और फिर जो आपने लिखा है Same यही प्रोसेस सभी subjects के लिए होगा इस प्रकार आपको हर एक Subject code की file बना लेनी है अब ये फाइल Submit करने के लिए रेडी है जो की आपके स्टडी Center submit होगी ,study center का एड्रेस आप आपका IGNOU Account लोग इन करने के बाद देख सकते है ! फ्रंट पेज आप खुद से भी बना सकते है हमने निचे लिंक दिया है इसमें आप देख सकते है खुद से फ्रंट पेज कैसे बना सकते है और आप simply प्रिंट आउट भी निकलवा सकते है !  

I hope की ये आर्टिकल आपके लिए Helpfull रहा होगा please इसको आपके इग्नू फ्रैंड्स के साथ शेयर करना न भूले अगर अब भी कोई Confusion है तो आप कमेंट करके पूछ सकते है  !

IGNOUBABA%2B %2BCopy

39 thoughts on “IGNOU Assignment Kaise Bnaye and Submit Kaise Kare”

mere 2022 k assignments submit nhi huye hai,,kaha or aksie submit karu.please help

sep 2024 me submit krr dijiye aapke study center prr

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Education Aacharya - एजुकेशन आचार्य

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Education Aacharya - एजुकेशन आचार्य

शोध पत्र कैसे लिखें ?[HOW TO WRITE A RESEARCH PAPER ?]

एक शोध कर्त्ता जब अपना शोध कार्य पूर्ण करता है तब वह शोध के लाभ को जन जन तक या तत्सम्बन्धी परिक्षेत्र के लोगों को उससे परिचित कराना चाहता है और शोध से प्राप्त दिशा पर विद्वत जनों काप्रतिक्रियात्मक दृष्टि कोण जानना चाहता है ऐसी स्थिति में सहज सर्वोत्तम विकल्प दिखता है -शोध पत्र सम्पूर्ण शोध ग्रन्थ को सार रूप में सरल,बोध गम्य,शीघ्र अधिगमन योग्य बनाने के लिए शोध पत्र का प्रयोग किया जाता है ऐसे कई शोध पत्र,शोध पत्रिकाओं का हिस्सा बन जाते हैं एवम ज्ञान पिपासुओं की ज्ञान क्षुधा की तृप्तीकरण का कार्य करते हैं तथा जन जन तक इसका लाभ पहुँचना सुगम हो जाता है सेमीनार में इन्ही शोधपत्रों का वाचन होता है। शोधपत्र से आशय(Meaning Of Research Paper )- शोधपत्र,शोध रिपोर्ट या शोध कार्य का व्यावहारिक प्रस्तुति योग्य सार आलेख है जो परिणाम को अन्तिम रूप में समेट भविष्य की दिशा निर्धारण में सहयोगान्मुख है। प्रो 0 एस 0 पी 0 गुप्ता ने अपनी पुस्तक अनुसंधान संदर्शिका में बताया – “पत्र पत्रिकाओं (Journals) में प्रकाशित होने वाले अथवा संगोष्ठियों (Seminars) व सम्मेलनों(Conferences) में वाचन हेतु तैयार किये गए अनुसन्धान कार्य सम्बन्धी लेखों को प्रायः अनुसंधान पत्रक (Research Paper)का नाम दिया जाता है।” इस सम्बन्ध में एक अन्य शिक्षा शास्त्री डॉ 0 आर 0 ए 0 शर्मा ने अपनी पुस्तक “शिक्षा अनुसन्धान के मूल तत्व एवं शोध प्रक्रिया” में लिखा – “शोध प्रपत्र लिखना कठिन कार्य है क्योंकि यह कार्य आलोचनात्मक,सृजनात्मक तथा चिन्तन स्तर का है। शोध प्रपत्र लेखन में एक विशिष्ट प्रक्रिया का अनुसरण करना होता है जिसमें समुचित क्रम को अपनाया जाता है।” अतः उक्त आलोक में कहा जा सकता है कि शोध प्रपत्र सम्पूर्ण शोध के परिणाम व सुझाव से युक्त वह प्रपत्र है जो स्व विचार के स्थान पर तथ्य निर्धारण हेतु तत्पर शोध आधारित दृष्टिकोण से वास्ता रखता है। शोध प्रपत्र के प्रकार (Types Of Research Paper)- काल व शोध के प्रकार के आधार पर शोध पत्र के प्रकारों का निर्धारण विद्वतजनों द्वारा किया गया है कुछ विशेष प्रकारों को इस प्रकार क्रम दे सकते हैं – विवाद प्रिय या तार्किक शोध पत्र (Argumentative Research Paper) कारण प्रभाव शोध पत्र (Cause and Effect Research Paper) विश्लेणात्मक शोध पत्र (Analytical Research Paper) परिभाषीकरण शोध पत्र (Definition Research Paper) तुलनात्मक शोध पत्र (Contrast Research Paper) व्याख्यात्मक शोध पत्र (Interpretive Research Paper) शोध प्रपत्र का प्रारूप (Research Paper Format)- शोध पत्र लिखने का कोई पूर्व निर्धारित प्रारूप सभी प्रकार के शोध हेतु निर्धारित नहीं है शोध कर्त्ता का सम्यक दृष्टि कोण ही शोध प्रपत्र का आधार बनता है फिर भी अपूर्णता से बचने हेतु सभी प्रमुख बिंदुओं को सूची बद्ध कर लेना चाहिए।दिशा,प्रवाह, अनुभव,अवलोकन सभी से शोध पत्र को प्रभावी बनाने में मदद मिलती है सामान्यतः शोध प्रपत्र प्रारूप में अधोलिखित बिन्दुओं को आधार बनाया सकता है। – (अ)- भूमिका (ब)- विषय वस्तु (स)- मुख्य अंश (द)- परिणाम व सुझाव संक्षेप में भूमिका लिखने के बाद विषय वस्तु से परिचय कराना चाहिए यहीं शोध शीर्षक के बारे में लिखकर मुख्य अंश के रूप में शोध प्रक्रिया,उपकरण व प्रदत्त संग्रहण,विश्लेषणआदि के बारे में संक्षेप में लिखते हुए प्राप्त परिणामों को सम्यक ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए व इसी आधार पर सुझाव देने चाहिए अपने दृष्टिकोण को थोपने से बचना चाहिए। अच्छे शोध प्रपत्र के गुण (Qualities Of a Good Research Paper ) या अच्छे शोध प्रपत्र की विशेषताएं (Characteristics Of a Good Research Paper ) या अच्छे शोध प्रपत्र के लाभ (Advantage Of a Good Research Paper )- शोध प्रपत्र लिखना और सम्यक सन्तुलित शोध प्रपत्र लिखने में अन्तर है अतः प्रभावी शोध पत्र लिखने हेतु आपकी जागरूकता के साथ निम्न गुण ,विशेषताओं का होना आवश्यक है तभी समुचित लाभ प्राप्त होगा। (1 )- नवीन ज्ञान से संयुक्तीकरण। (2 )-शोध कार्यों सम्बन्धित दृष्टिकोण का सम्यक विकास। (3 )-पुनः आवृत्ति से बचाव। (4 )-परिश्रम को उचित दिशा। (5 )-विभिन्न परिक्षेत्र के शोधों से परिचय। (6 )-समीक्षा में सहायक। (7 )-विशेषज्ञों के सुझाव जानने का अवसर। (8 )-शक्ति व धन की मितव्ययता। (9 )-अनुभव में वृद्धि। (10 )-प्रसिद्धि में सहायक। सम्पूर्ण शोध पत्र लेखन के उपरान्त यदि वैदिक काल की मर्यादा के अनुसार सन्दर्भ ग्रन्थ सूची भी दे दी जाए तो कृतज्ञता ज्ञापन के साथ दूसरे शोध कर्त्ताओं की मदद हो सकेगी।

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assignment paper kaise likhe

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assignment paper kaise likhe

कैसे लिखे सबसे अच्छा आर्टिकल?

assignment paper kaise likhe

  • Updated on  
  • दिसम्बर 2, 2022

Article writing in Hindi बहुत ही आसान होता है, परंतु जब हम उसे लिखने बैठते हैं, तो हमें समझ नहीं आता कि क्या लिखें और क्या नहीं! जब हम बोलते हैं तब हमारी बातों पर हमारा कंट्रोल नहीं होता, हम बहुत सारी बातें बोलते हैं। परंतु जब लिखने की बात आती है तब हम वही बातें लिखते हैं जो बहुत जरूरी होती है। ठीक उसी तरह आर्टिकल लिखने मतलब होता है कि कम से कम शब्दों में ज्यादा से ज्यादा और जानकारी के बारे में बताना। जब हम बातें करते हैं तो हमें सामने वाले चेहरे को देखकर पता चलता है कि हम जो बोल रहे हैं वह उसे समझ आ रहा है या नहीं, परंतु जब लिखने के बाद आती है तब हमें इस बात का पता नहीं चलता।

यदि आप पैराग्राफ राइटिंग इन हिंदी लिखना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करें:  Paragraph writing in Hindi

आर्टिकल लेखन क्या है?

आर्टिकल लेखन एक ऐसा तरीका है जिसमें हम किसी भी विषय के बारे में लिखकर उसकी जानकारी या उसके बारे में बता सकते है। उसे हिंदी में ‘ लेख ‘ कहा जाता है। Article writing in Hindi का मतलब होता है कि किसी भी विषय पर ज्यादा से ज्यादा जानकारी देना। आर्टिकल राइटिंग दो प्रकार के होते हैं-

  • पहला प्रकार-  जिसके हर शब्द का अपना एक अलग ही महत्व होता है।
  • दूसरा प्रकार- किसी भी आर्टिकल में उस विषय की जानकारी को सरल और साधारण भाषा में समझाया गया हो।

आर्टिकल लेखन के उद्देश्य

एक लेख निम्नलिखित उद्देश्यों को ध्यान में रखकर लिखा जाना चाहिए-

  • इसे विषय या रुचि के विषय को अग्रभूमि में लाना चाहिए।
  • लेख में सभी आवश्यक जानकारी पर चर्चा होनी चाहिए।
  • इसे पाठकों को सिफारिशें करनी चाहिए या सुझाव देना चाहिए।
  • यह पाठकों पर प्रभाव डालने और उन्हें सोचने पर मजबूर करने के योग्य होना चाहिए।
  • लेख में लोगों, स्थानों, उभरती चुनौतियों और तकनीकी प्रगति सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होनी चाहिए।

आर्टिकल लेखन फॉर्मेट

आप जो कुछ भी लिखना चाहते हैं, आपके लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप पहले लेख की संरचना को जानें और फिर उसके अनुसार विवरण का उल्लेख करें। मुख्य रूप से 3 खंडों में  विभाजित- शीर्षक, बायलाइन और मुख्य भाग  , आइए हम लेख लेखन प्रारूप पर एक नज़र डालते हैं जिसे आपको अपनी जानकारी लिखते समय ध्यान में रखना चाहिए।

शीर्षक या उप शीर्षक

पहली बात जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए और लेख लेखन में सबसे महत्वपूर्ण घटक शीर्षक/शीर्षक है। पाठकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह आवश्यक है कि लेख को 5 से 6 शब्दों से अधिक का आकर्षक शीर्षक दिया जाए। 

बायलाइन या लेखक का नाम

शीर्षक के नीचे एक बाइलाइन आती है जिसमें उस लेखक का नाम होता है जिसने लेख लिखा है। यह हिस्सा लेखक को वास्तविक श्रेय अर्जित करने में मदद करता है जिसके वे हकदार हैं।

लेख का मुख्य भाग

मुख्य भाग में एक लेख की मुख्य सामग्री होती है।  कहानी लेखन  हो या लेख लेखन, यह पूरी तरह से लेखक पर निर्भर करता है कि वह रचना की लंबाई और उन पैराग्राफों की संख्या तय करे जो जानकारी को एम्बेड करेंगे। आम तौर पर, एक लेख में 3 या 4 पैराग्राफ होते हैं, जिसमें पहला पैराग्राफ पाठकों को यह बताता है कि लेख किस बारे में होगा और सभी आवश्यक जानकारी। दूसरे और तीसरे पैराग्राफ में विषय की जड़ को शामिल किया जाएगा और यहां सभी प्रासंगिक डेटा, केस स्टडी और आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। इसके बाद, चौथा पैराग्राफ उस लेख को समाप्त करेगा जहां समस्याओं के समाधान, जैसा कि दूसरे और तीसरे मार्ग (यदि कोई हो) में प्रस्तुत किया गया है, पर चर्चा की जाएगी। 

ऑटिकल कैसे लिखा जाता है?

जब भी आप किसी भी टॉपिक पर आर्टिकल लिखते हैं तो आपको बहुत सारी बातों को ध्यान रखना पड़ता है जो आपके लिखने की क्षमता को कई गुना ज्यादा निखरता हैं इसलिए ऑटिकल लिखने के लिए नीचे दिए गए जानकारी को ध्यान से पढ़े जो आपको ऑटिकल लिखने में कई ज्यादा मदद करेंगा।

सोचकर लिखना सीखें

यह Article writing in Hindi का सबसे महत्वपूर्ण अंग और सबसे पहला भाग है कि आप किसी भी टॉपिक में कोई भी ऑटिकल लिखते है तो सिर्फ एक विचार को ध्यान में रखकर ना लिखे बल्कि उस पूरे समाज और सभी लोगों के लिए लिखें जो आपके इस ऑटिकल का फायदा मिल सकें। और इमेजिनेशन ही एक ऐसी चीज है जिसे आप हर तरह का सीन क्रिएट कर सकते हैं इमेजिनेशन के जरिये ही आप अपने अंदर ही अंदर आर्टिकल का एक बेतरीन स्ट्रक्चर तैयार कर सकते है जो आपके रीडर्स को आपका पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए उत्साहित करता है।

शांत वातावरण

अक्सर आपने फिल्मों में देखा और पढ़ा होगा कि अगर कोई लिखता है तो वह एक ऐसा वातावरण देखते है जहाँ शाति हो और वहाँ वे अपनी लिखने की कौशल को एक बेहतर लेखन शैली पर लेकर जा सकें। ऐसा इसलिए ताकि वह किसी भी तरीके से डिस्टर्ब न हो ताकि वह अपनी इमेजिनेशन पर पूरी तरह से केंद्रित रह सकें क्योंकि हमारा मन बहुत चंचल हैं और अगर कोई हमें डिस्टर्ब कर देता है तो हम उस इमेजिनेशन से एक दम बहार आ जाते है औऱ फिर से उसपर केंद्रित होने में काफ़ी समय लग सकता है इसलिए हमेशा एक अच्छा और बेहतरीन ऑटिकल लिखने के पहले शांत वातावरण की जरूरत होती है।

एक शब्द का इस्तेमाल बार-बार ना करें

ऑटिकल लिखते समय इस बात का हमेशा आपको ध्यान रखना है कि आप किसी भी शब्द को एक से ज्यादा बार अपने ऑटिकल में इस्तेमाल नहीं करें। अब इसका मुख्या कारण यानी ऐसा करने से आपके रीजर्स ऑटिकल पढ़ते पढ़ते बोर हो जाते है जिसके बाद उस ऑटिकल में ज्यादा संख्या में व्यू नहीं आते हैं। इसलिए एक जैसे शब्दों का प्रयोग न करके उसके जैसे समान अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग करें जिसे रीडर्स को यह न लगे कि वह बार-बार की की लाइन पढ़ रहा है।।

ज़ीरो से लिखना शुरू करें

आर्टिकल लिखते समय आपको नहीं पता होता कि आपका यह ऑटिकल दुनिया के किन कौने में कौन से व्यक्ति द्वारा पढ़ा जा रहा है। इसलिए आपने ऑटिकल में जब भी आप किसी भी टॉपिक के बारे में बताएं तो इस बात को ध्यान में रखकर लिखें जिसको पढ़कर उस टॉपिक के बारे में किसी भी रीडर में मन में अधूरी जानकारी ना रहें। इसलिए आपको अपने आर्टिकल को बिल्कुल ज़ीरो से लिखना चाहिए ताकि हर वर्ग का व्यक्ति बहुत आसनी से समझ सकें क्योंकि जब आपके लिखे गए तथ्य लोगों के समझ नही आते तो वह आपके आर्टिकल को छोड़कर चले जाते है।

अपने अनुभव के साथ लिखें

अगर आप किसी एक ऐसे विषय पर लिख रहे हैं जिसमे आपका अपना कोई पर्सनल अनुभव हैं तो आपको उसी आधार पर अपने आर्टिकल को लिखना चाहिए। क्योंकि हम सब की एक जैसी समस्याएं होती हैं और रीडर्स उस समय सबसे ज्यादा आर्टिकल को पढ़ने के लिए उत्साहित होता है जब उसे लगता है कि उसकी समस्या भी बिल्कुल ऐसी है और फिर वह उनका हल जाने के लिए अंत तक आर्टिकल पढ़ता है।

आर्टिकल लिखने का सही तरीका

Article writing in Hindi सरल और साधारण भाषा में होना चाहिए। ताकि उसे एक बार पढ़ना शुरू करें तो अंत तक उसे पूरा पढ़ कर ही रखें।आर्टिकल पढ़ने वाले के लिए लाभदायक होना चाहिए ताकि उसके हर सवालों के जवाब उसके अंदर उसे मिल जाए। इसलिए आर्टिकल लिखने से पहले उसके फॉर्मेट के बारे में हमें पता होना चाहिए। आर्टिकल लिखने की शुरुआत कैसी करनी चाहिए? कहां पर किस बारे में बताना चाहिए ?आर्टिकल को पूरा कैसे करना चाहिए ?उसके अंदर कौनसी-कौनसी बातों का उल्लेख करना चाहिए? ऐसे कई सारी बातों का ध्यान में रखकर आर्टिकल आप शानदार रूप से लिख सकते हैं। Article writing in Hindi को तीन भाग में विभाजित किया गया है:

लेख लेखन उद्घाटन अनुभाग

लेख लेखन कार्रवाई अनुभाग, लेख लेखन समापन अनुभाग.

यदि आप  informal letter in Hindi  के बारे में जानकारी चाहते हैं तो दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

आर्टिकल लेखन की शुरुआत सरल और आसान भाषा से होनी चाहिए। आर्टिकल के अंदर कहीं जाने वाली बातों का उल्लेख करना चाहिए। सीधे-सीधे बातों को पेश न करके उसे रोचक वाले शब्दों से उद्घाटन करना चाहिए। इमैजिनेशन जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके आर्टिकल को पढ़ने पर मजबूर करने वाले शब्दों का प्रयोग करें। अपने कई बार देखा होगा न्यूज़ में कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है जिससे हम न्यूज़ को देखने के लिए व्याकुल हो जाते हैं।

उदाहरण के तौर पर,” गौर से देखिए इस मासूम बच्ची को”, यह शब्द सुनते ही हमारा पूरा ध्यान न्यूज़ की  तरफ केंद्रित हो जाता है। हमें वह न्यूज़ को देखने पर मजबूर कर देता है। ठीक उसी तरह हमारे आर्टिकल में भी कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग करके हम रीडर्स को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं। किसी भी बात को समझाने के लिए सीधे-सीधे ना बताकर, रोचक वाले शब्दों का इस्तेमाल करके अपने आर्टिकल को आकर्षित बना सकते हैं।

यह सबसे अहम विमाग होता है। जिसमें हम उन बातों का उल्लेख करता है , जिसके लिए रीडर आर्टिकल को पढ़ने के लिए आया होता है। इसलिए यह एक्शन पार्ट कहलाता है। इसके अंदर रीडर्स के सवालों के जवाब के बारे में लिखा जाता है।

उदाहरण के लिए-

  • डॉक्टर कैसे बने
  • डॉक्टर के लिए कौन सी पढ़ाई करनी चाहिए
  • डॉक्टर के लिए कौन सा कोर्स करना चाहिए
  • डॉक्टर के लिए टॉप कॉलेज
  • डॉक्टर के लिए टॉप सरकारी कॉलेज
  • डॉक्टर के लिए कितने साल की पढ़ाई होती है
  • डॉक्टर की पढ़ाई के बाद क्या करना चाहिए
  • ऐसे कई सारे सवालों का जवाब आर्टिकल के अंदर उल्लेख होना चा

इन सभी सवालों का जवाब देकर आप रीडर को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं। आर्टिकल लेखन हमेशा सरल और साधारण वाक्य और भाषा में होना चाहिए। आर्टिकल को अलग-अलग उदाहरण के साथ समझा भी सकते हैं।

जितना आर्टिकल राइटिंग का ओपनिंग सेक्शन जरूरी होता है ठीक उतना ही आर्टिकल राइटिंग का समापन विभाग भी उतना ही जरूरी होता है। आर्टिकल राइटिंग क्लोजिंग सेक्शन में आप पूरे आर्टिकल के ओवरव्यू के बारे में बताते हैं। इसके अंदर कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में समझा सकते हैं। समापन विभाग तुरंत खत्म ना करें उसके अंदर थोड़ी-थोड़ी रोचक वाले शब्दों का प्रयोग करके  आकर्षित बनाएं ताकि रीडर अंत तक पूरा आर्टिकल पढ़ें। Article Writing in Hindi इस प्रकार तीन हिस्सों में बांट सकते हैं। अगर आप यह तीन हिस्सों में अच्छे से आर्टिकल लिखेंगे तो आप रीडर को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं। आर्टिकल राइटिंग को बेहतर बनाने के लिए उसके अंदर राइटिंग स्किल होना बहुत ही जरूरी है। राइटिंग स्किल से आप अपने आर्टिकल को और भी बेहतर बना सकते हैं।

आर्टिकल राइटिंग के लिए स्टेप बाय स्टेप गाइड 

प्रारूप जानने के बाद, आइए लेख लिखने की प्रक्रिया में शामिल 5 सरल चरणों पर एक नजर डालते हैं:-

चरण 1: अपने लक्षित दर्शकों को खोजें

किसी भी विषय पर लिखने से पहले, लेखक के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह पहले उन श्रोताओं की पहचान करे जो लेख लक्षित करता है। यह लोगों, बच्चों, छात्रों, किशोरों, युवा वयस्कों, मध्यम आयु वर्ग, बुजुर्ग लोगों, व्यवसायी लोगों, सेवा वर्ग आदि का एक विशेष समूह हो सकता है। आप जिस भी समूह के लोगों के लिए लिखना चुनते हैं, उस विषय का चयन करें जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हो। उनके जीवन को प्रभावित करता है या प्रासंगिक जानकारी फैलाता है। 

उदाहरण के लिए, यदि लेख माता-पिता पर केंद्रित है, तो आप बाल मनोविज्ञान, बच्चे के दैनिक पोषण आहार आदि के बारे में लिख सकते हैं। स्वर और भाषा भी लेख लेखन में उपयुक्त श्रोताओं से मेल खाना चाहिए। 

चरण 2: एक विषय और एक आकर्षक शीर्षक चुनें

अपने लक्षित दर्शकों को चुनने के बाद, लेख लेखन में दूसरा महत्वपूर्ण कदम अपनी रचना के लिए एक उपयुक्त विषय चुनना है। यह एक विचार देता है कि आपको लेख के साथ कैसे प्रक्रिया करनी चाहिए। विषय का चयन करने के बाद, उसके लिए एक दिलचस्प शीर्षक के बारे में सोचें। 

उदाहरण के लिए, यदि आप छात्रों को उपलब्ध विभिन्न एमबीए विशेषज्ञताओं से अवगत कराना चाहते हैं, तो आप लिख सकते हैं – ”  एमबीए विशेषज्ञता के बारे में आपको जो कुछ भी जानने की आवश्यकता है  “।

चरण 3: रिसर्च कुंजी है

अपने लक्षित दर्शकों, विषय और लेख के शीर्षक का चयन करने के परिणामस्वरूप, लेख लेखन में शोध सबसे महत्वपूर्ण चीज है। लेख में शामिल की जाने वाली सभी सूचनाओं को जानने के लिए ढेर सारे लेख, आंकड़े, तथ्य और डेटा, और नए शासी कानून (यदि कोई हों) पढ़ें। इसके अतिरिक्त, डेटा की प्रामाणिकता की जांच करें, ताकि आप कुछ भी पुराना न बताएं। लेख लिखने के साथ आगे बढ़ने से पहले, बुलेट पॉइंट्स और कीवर्ड्स में लेख का एक रफ ड्राफ्ट या रूपरेखा तैयार करें ताकि आप महत्वपूर्ण जानकारी से न चूकें। 

चरण 4: लिखें और प्रूफरीड

एक बार जब आप सभी तथ्य और डेटा एकत्र कर लेते हैं, तो अब आप अपना लेख लिखना शुरू कर सकते हैं। जैसा कि चर्चा की गई है, लेख को एक परिचयात्मक पैराग्राफ के साथ शुरू करें, उसके बाद एक वर्णनात्मक और एक समापन पैराग्राफ। आपके द्वारा सब कुछ लिखने के बाद, अपने पूरे लेख को प्रूफरीड करना और यह जांचना उचित है कि कहीं कोई व्याकरण संबंधी त्रुटि तो नहीं है। एक पाठक के रूप में, जब आप एक छोटी सी गलती भी देखते हैं तो यह एक बड़ा मोड़ बन जाता है। साथ ही, सुनिश्चित करें कि सामग्री किसी अन्य वेबसाइट से कॉपी नहीं की गई है। 

चरण 5: चित्र और इन्फोग्राफिक्स जोड़ें

लोगों को पढ़ने के लिए अपनी सामग्री को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए, आप कुछ इन्फोग्राफिक्स भी शामिल कर सकते हैं। छवियों को जोड़ने से लेख और भी आकर्षक हो जाता है और यह अधिक प्रभावशाली साबित होता है। इस प्रकार आपके लेख लेखन के उद्देश्य को सफल बनाते हैं!

आर्टिकल राइटिंग के उदाहरण

  • महिला सशक्तिकरण

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।। जब बात महिलाओं की आती है तो सबसे पहले इसी श्लोक को याद किया जाता है। हम सब औरत को देवी का रुप मानते है, आत्मविश्वास, अनुभव, रचनात्मकता से परिपूर्ण वास्तविकता में यहीं एक औरत की पहचान है। पारंपरिक समाज और चार दिवारों तक सीमित रहने वाली औरत आज देश कि राष्ट्रीय आय में अपनी भूमिका निभा रही है। महिलाएं आर्थिक कारकों के कारण उद्यमिता में प्रवेश करती हैं जो उन्हें अपने दम पर आगे बढ़ाती हैं। भारतीय महिलाएं, जिन्हें बेहतर माना जाता है लेकिन वे समाज में समान भागीदार नहीं हैं। महिलाओं की उद्यमीता में लिंग अंतर बहुत मायने रखता है। जिसके कारण बहुत सी परेशानीयों का सामना करना पड़ता है। आईआईटी, दिल्ली द्वारा किए सर्वेक्षण के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में छोटे व्यवसाय का एक तिहाई महिलाएं है। एशियाई देशों में कुल कार्यबल का 40 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं का है। भारत में महिलाएं अपने परिवार से बहुत भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई हैं। घर के काम, बच्चों परिवार के सदस्यों की देखभाल करने में व्यस्त रहती है। ऐसे में उनके पास अपने लिए कुछ करने ंका समय कहां बचता है। दुसरी समस्या है हमारा पुरुष प्रधान समाज। महिलओं के साथ पुरुषों के बराबर व्यवहार नहीं किया जाता है। व्यवसाय में उनके प्रवेश के लिए परिवार के प्रमुख की मुजूरी की आवश्यकता होती है। पारंपरिक रूप से उद्यमिता को पुरुषों कि निगरानी में रखा गया है जो महिलाओं के विकास में रूकावट हैं। महिला साक्षरता को लेकर आंकडे बदल रहे है। भारतीय समाजों में प्रचलित परंपराएं और रीति-रिवाज एक बोझ बन जाते है। भारत में महिलाएं स्वभाव से कमजोर, शर्मीली और सौम्य है। ऐसे में शिक्षा, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता की कमी उनकी क्षमता में कमी कर देती है। चूंकि महिलाएं मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और मनी कलेक्शन के लिए इधर-उधर भाग दौड़ नहीं कर सकती हैं, इसलिए उन्हें निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन इन सबके बाद भी उन्होंने अपनी पहचान पा ली है जैसे- अखिला श्रीनिवासन, प्रबंध निदेशक, श्रीराम इनवेस्टमेंट लि., चंदा कोचर, कार्यकारी निदेशक, आईसीआईसीआई बैंक, एकता कपूर, क्रिएटिव डायरेक्टर, बालाजी टेलीफिल्म्स लि., ज्योति नाइक, अध्यक्ष, लिज्जत पापड., किरण मजूमदार शॉ, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, बायोकॉन लि, ललिता डी गुप्ते, जेएमडी, आईसीआईसीआई बैंक , नैना लाल किडवार, डिप्टी सीईओ, प्रीता रेड्डी, प्रबंध निदेशक, अपोलो अस्पताल, प्रिया पॉल, अध्यक्ष, एपीजे पार्क होटल राजश्री पैथी, अध्यक्ष, राश्री शुगर्स एंड केमिकल्स लि

छात्रों के लिए कोविड-19 पर लेख लेखन

कोविड-19 ने मानव जीवन के सभी वर्गों को प्रभावित किया है। जबकि इसने सभी उद्योग क्षेत्रों को प्रभावित किया, इसका शिक्षा पर बड़ा प्रभाव पड़ा। रात के भीतर कक्षाओं को ऑफलाइन से ऑनलाइन कर दिया गया था, लेकिन इससे छात्रों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई, खासकर उन छात्रों के लिए जो कॉलेजों में प्रवेश करने वाले थे। स्थिति बेहतर होने की उम्मीद में छात्रों ने एक साल का अंतराल भी लिया। जबकि दुनिया भर में टीकाकरण के कारण स्कूल और कॉलेज खुल रहे हैं, अभी भी कई चुनौतियाँ हैं।

COVID-19 को समझना, यह कैसे फैलता है, और खुद को कैसे सुरक्षित रखना है, यह सबसे महत्वपूर्ण चीजें हैं जो स्कूल के फिर से खुलते ही सबसे पहले सीखी जानी चाहिए। छात्रों को उन नियमों को जानना चाहिए जिनका वे पालन करने जा रहे हैं और स्कूल कक्षा में कोविड-19 सुरक्षा नियमों का पालन करने के लाभ। बच्चों को समझाना बहुत मुश्किल है क्योंकि हो सकता है कि मासूम दिमाग वर्तमान परिस्थितियों से परिचित न हो।

कोविड-19 के संपर्क में आने के जोखिम से बचने के लिए हर छात्र और स्कूल फैकल्टी को हर समय इन नियमों का पालन करना चाहिए। छात्रों को हर समय हैंड सैनिटाइटर साथ रखना होगा। छात्रों को कभी भी अपने हाथों पर छींक नहीं देनी चाहिए, बल्कि उन्हें इसे अपनी कोहनी से ढंकना चाहिए, या एक ऊतक या रूमाल का उपयोग कर सकते हैं। छात्रों को सूचित करें कि वे अपनी आंख, नाक और मुंह को बार-बार न छुएं। चूंकि आंखों और नाक को छूने से वायरस फैलने की संभावना बहुत अधिक है। यदि छात्र और शिक्षक इन बुनियादी नियमों का पालन करते हैं, तो प्रसार को रोका जा सकता है और स्कूल फिर से खुल सकते हैं।

एक अच्छा लेख लिखने के लिए टिप्स

कुछ ही समय में एक उत्कृष्ट लेख लिखने में आपकी मदद करने के लिए बहुत सारे उपयोगी संकेतों के साथ चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका यहां दी गई है:

  • सभी विचारों की सूची बनाना और उन्हें संभाल कर रखना 
  • सभी प्रकार के विकर्षणों को दूर करना 
  • विषय पर कुशलता से शोध करना 
  • इसे सरल और कम जटिल रखना 
  • अपने विचारों को बुलेट पॉइंट्स में लिखने का प्रयास करें 
  • पहला मसौदा लिखने के बाद संपादित करें 
  • एक टाइमर सेट करें 

लेख लेखन में सामान्य गलतियों से बचना चाहिए

त्रुटियों की संभावना अब बढ़ जाती है जब आप लेख लेखन के चरणों और लेख लेखन प्रारूप को समझते हैं। सामान्य भूलों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं: 

  • तथ्यों या उद्धरणों या इसी तरह के मामलों का उपयोग नहीं करना
  • ऐसे स्वर का उपयोग करना जो बहुत औपचारिक हो
  • इसका अर्थ जाने बिना कठिन शब्दावली का प्रयोग करना 
  • अपने लेख के लिए आकर्षक शीर्षक का उपयोग नहीं करना 
  • जानकारी को विभाजित करने के लिए अनुच्छेदों का उपयोग नहीं करना
  • व्यक्तिगत विचार या राय व्यक्त नहीं करना

ध्यान रखने योग्य बातें

  • लेखों के विषय अद्वितीय और प्रासंगिक होने चाहिए
  • लेख पर ध्यान देना चाहिए
  • यह दिलचस्प होना चाहिए
  • इसे पढ़ना आसान होना चाहिए
  • एक लेख लिखने का मुख्य लक्ष्य खोजें। लक्ष्य सूचना, मनोरंजन, और सलाह प्रदान करने या तुलना करने आदि से कुछ भी हो सकता है।
  • शीर्षक आकर्षक, स्पष्ट और दिलचस्प होना चाहिए
  • परिचय या प्रारंभिक पैराग्राफ अत्यधिक चौकस होना चाहिए। अपने शब्दावली कौशल का प्रयोग करें या शुरुआत के लिए कुछ प्रश्नवाचक शब्दों का उपयोग करने का प्रयास करें
  • स्पष्ट कथनों का प्रयोग करें और अभिकथन करें
  • दोहराव और शीर्ष तर्क और कारणों से बचें
  • अनुच्छेद लेखन की शैली का उपयोग करें और सामग्री को विशिष्ट और स्पष्ट रूप से लिखें
  • उन बिंदुओं का उपयोग करने से बचें जो केवल आपकी रुचि रखते हैं और आम जनता के लिए नहीं
  • अपने लेख लेखन को हमेशा एक अच्छे और तार्किक नोट पर समाप्त करें

आर्टिकल लेखन टॉपिक्स

क्या आपको एक लेख लिखना है जो अभी चलन में है और आपको बेहतर स्कोर करने में मदद करेगा या आपको बेहतर अभ्यास करने में मदद करेगा? लेख लेखन के लिए समसामयिक विषयों की सूची इस प्रकार है:

  • ग्लोबल वार्मिंग
  • पर्यावरण प्रदूषण
  • इंटरनेट का प्रभाव
  • शिक्षा और फिल्में
  • शिक्षा में खेलों का महत्व
  • योग और माइंड हीलिंग
  • मानसिक स्वास्थ्य का महत्व
  • समाज में शिक्षा का महत्व
  • शिक्षा के महत्व पर लेख
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध
  • इंटरनेट पर निबंध
  • जीवन में मेरा उद्देश्य पर निबंध
  • शिक्षा प्रणाली पर निबंध
  • लोकतंत्र पर निबंध
  • करियर लक्ष्य निबंध कैसे लिखें?
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध

आशा करते हैं कि आपको Article Writing in Hindi ब्लॉग अच्छा लगा होगा । यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं, तो हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन 1800 572 000 पर कॉल कर बुक करें।

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Mujhe v article writing skill sikhna h ? Plss help 🙏(Blogging)

दिलशद जी, आर्टिकल लिखने के लिए आपको बहुत सारी बातों को ध्यान रखना पड़ता है जैसे सोचकर लिखे, एक शब्द का इस्तेमाल बार-बार ना करें, एक आकर्षक शीर्षक चुनें आदि।

बहुत सुन्दर जानकारी आर्टिकल लेखन के लिए।

आपका धन्यवाद

बहुत-बहुत आभार

आर्टिकल मानव को एक निश्चित मार्ग दिखाता है जो मानव उसे अपरिचित है कि मानव जीवन में क्या चल रहा है और क्या होने वाला है उसे चीज को आर्टिकल एक माध्यम जो उनकी क्रिया शक्ति को प्रभावित करना। सूचना के माध्यम से बताया है

आर्टिकल लेखन क्या है? इसके बारे में जानने के लिए आप हमारी साइट पर जाकर ब्लॉग्स पढ़ सकते हैं।

Article Writing in Hindi में लेखन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई है।

आपका धन्यवाद, इसी तरह https://leverageedu.com/ पर बने रहें।

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मुख्य परीक्षा में उत्तर कैसे लिखें?

  • 07 Sep 2018
  • 38 min read

सिविल सेवा परीक्षा में आपकी मेहनत और सफलता के बीच कोई अनिवार्य तथा समानुपातिक कारण-कार्य संबंध नहीं है। अर्थात्  यह ज़रूरी नहीं कि अधिक मेहनत करने वाला अभ्यर्थी सफल हो ही जाएगा और कम मेहनत करने वाला अभ्यर्थी सफल नहीं होगा। सफलता मेहनत के साथ-साथ कई अन्य कारकों पर निर्भर करती है जिनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है आपकी उत्तर-लेखन शैली। 

  • उत्तर-पुस्तिका की जाँच करने वाले परीक्षक को इस बात की बिल्कुल जानकारी नहीं होती कि उत्तर-पुस्तिका किस उम्मीदवार की है, उसने कितनी गंभीरता से पढ़ाई की है या उसकी परिस्थितियाँ कैसी हैं इत्यादि। 
  • परीक्षक के पास अभ्यर्थी के मूल्यांकन का एक ही आधार होता है और वह यह कि अभ्यर्थी ने अपनी उत्तर-पुस्तिका में किस स्तर के उत्तर लिखे हैं? अगर आपके उत्तर प्रभावी होंगे तो परीक्षक अच्छे अंक देने के लिये मजबूर हो जाएगा और यदि उत्तरों में दम नहीं है तो फिर आपने चाहे जितनी भी मेहनत की हो, उसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकलेगा। 
  • आपकी सफलता या विफलता में तैयारी की भूमिका 50% से अधिक नहीं है। शेष 50% भूमिका इस बात की है कि परीक्षा के तीन घंटों में आपका निष्पादन कैसा रहा? आपने कितने प्रश्नों के उत्तर लिखे? किस क्रम में लिखे, बिंदुओं में लिखे या पैरा बनाकर लिखे, रेखाचित्रों की सहायता से लिखे या उनके बिना लिखे, साफ-सुथरी हैंडराइटिंग में लिखे या अस्पष्ट हैंडराइटिंग में, उत्तरों में तथ्यों और विश्लेषण का समुचित अनुपात रखा या नहीं- ये सभी वे प्रश्न हैं जो आपकी सफलता या विफलता में कम से कम 50% भूमिका निभाते हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि अधिकांश उम्मीदवार इतने महत्त्वपूर्ण पक्ष के प्रति प्रायः लापरवाही बरतते हैं और उनमें से कई तो अपने कॉलेज के बाद के जीवन का पहला उत्तर मुख्य परीक्षा में ही लिखते हैं।
  • यूपीएससी मुख्य परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति वर्णनात्मक होती है जिसमें प्रश्नों के उत्तर को  निर्धारित शब्दों (सामान्यत:100 से 300 शब्द) में उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है, अत: ऐसे प्रश्नों के उत्तर लिखते समय लेखन शैली एवं तारतम्यता के साथ-साथ समय प्रबंधन आदि पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। 
  • लेखन शैली एवं तारतम्यता का विकास सही दिशा में निरंतर अभ्यास से संभव है, जिसके लिये अभ्यर्थियों को विषय की व्यापक समझ के साथ-साथ कुछ महत्त्वपूर्ण बातों का भी ध्यान रखना चाहिये। 
  • हमारा उद्देश्य यही समझाना है कि उम्मीदवारों को शुरू से ही उत्तर-लेखन शैली के विकास के लिये क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिये? 

उत्तर-लेखन के विभिन्न चरण: 

उत्तर-लेखन की संपूर्ण प्रक्रिया को नीचे दिये गए चार चरणों में विभाजित करके समझा जा सकता है- 1. प्रश्न को समझना तथा सुविधा के लिए उसे कई टुकड़ो में बाँटना 2. उत्तर की रूपरेखा तैयार करना 3. उत्तर लिखना 4. उत्तर के प्रस्तुतीकरण को आकर्षक बनाना। 

प्रश्न को समझना तथा टुकड़ो में बाँटना

उत्तर-लेखन प्रक्रिया का सबसे पहला चरण यही है कि उम्मीदवार प्रश्न को कितने सटीक तरीके से समझता है तथा उसमें छिपे विभिन्न उप-प्रश्नों तथा उनके पारस्परिक संबंधों को कैसे परिभाषित करता है? सच तो यह है कि आधे से अधिक अभ्यर्थी इस पहले चरण में ही गंभीर गलतियाँ कर बैठते हैं।

  • प्रश्न को समझने का अर्थ यह है कि प्रश्नकर्त्ता हमसे क्या पूछना चाहता है? कई बार प्रश्न की भाषा ऐसी होती है कि हम संदेह में रहते हैं कि क्या लिखें और क्या छोड़ें? इस समस्या का निराकरण करने के लिये प्रश्न को समझने की क्षमता का विकास करना आवश्यक है।
  • प्रश्न को ठीक से समझने के लिये मुख्यतः दो बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिये- 1. प्रश्न के अंत में किस शब्द का प्रयोग किया गया है।  2. प्रश्न के कथन में कितने तार्किक हिस्से विद्यमान हैं और उन सभी में आपसी संबंध क्या हैं?
  • प्रश्न के अंत में दिये गए शब्दों से आशय उन शब्दों से है जो बताते हैं कि प्रश्न के संबंध में अभ्यर्थी को क्या करना है? ऐसे शब्दों में  विवेचन कीजिये, विश्लेषण कीजिये, प्रकाश डालिये, व्याख्या कीजिये, मूल्यांकन कीजिये, आलोचनात्मक मूल्यांकन, परीक्षण, निरीक्षण, समीक्षा, आलोचना, समालोचना, वर्णन/विवरण एवं स्पष्ट कीजिये/स्पष्टीकरण दीजिये  इत्यादि शामिल हैं।
  • इन शब्दों के आधार पर तय होता है कि परीक्षक अभ्यर्थी से उत्तर में क्या उम्मीद कर रहा है? यह सही है कि बहुत से परीक्षक खुद ही इन शब्दों के प्रति हमेशा चौकस नहीं रहते, किंतु अभ्यर्थियों को यही मान कर चलना चाहिये कि परीक्षक इन्हीं शब्दों को आधार बनाकर ही उत्तर का मूल्यांकन करते हैं। 
  • इसको ध्यान में रखते हुए हमने कुछ महत्त्वपूर्ण शब्दों को विभिन्न वर्गों में बाँटकर उसके सही आशय को स्पष्ट किया है जिससे आपके उत्तर को एक सही दिशा मिल सके। 

व्याख्या/वर्णन/विवरण/स्पष्ट कीजिये/ स्पष्टीकरण दीजिये/प्रकाश डालिये: 

  • इन सभी शब्दों से प्रायः समान आशय व्यक्त होते हैं।
  • ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से सिर्फ इतनी अपेक्षा होती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियाँ सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
  • वर्णन और विवरण वाले प्रश्नों में तथ्यों की गुंजाइश ज़्यादा होती है जबकि ‘व्याख्या कीजिये’, ‘प्रकाश डालिये’ या ‘स्पष्टीकरण दीजिये’ वाले प्रश्नों में पूछे गए विषय को सरल भाषा में समझाते हुए लिखने की अपेक्षा  होती है।

आलोचना/समीक्षा/समालोचना/परीक्षा/परीक्षण/निरीक्षण/गुण-दोष विवेचनः 

  • इन सभी प्रश्नों को एक वर्ग में रखा जा सकता है।
  • ऐसे प्रश्न उम्मीदवार से किसी तथ्य या कथन की अच्छाइयों और बुराइयों की गहरी समझ की अपेक्षा करते हैं।
  • आलोचना शब्द से यह भाव ज़रूर निकलता है कि अभ्यर्थी को इसमें पूछे गए विषय से जुड़ी नकारात्मक बातें लिखनी हैं किंतु सच यह है कि आलोचना का सही अर्थ गुण और दोष दोनों पक्षों पर ध्यान देना है। 
  • मोटे तौर पर अनुपात यह रखा जा सकता है कि समीक्षा/समालोचना/परीक्षा/परीक्षण/निरीक्षण जैसे प्रश्नों में अच्छे और बुरे पक्षों का अनुपात लगभग बराबर रखा जाए जबकि आलोचना वाले प्रश्नों में नकारात्मक पक्षों का अनुपात कुछ बढ़ा दिया जाए अर्थात् 70-75% तक कर दिया जाए।

मूल्यांकन/आलोचनात्मक मूल्यांकनः

  • मूल्यांकन का अर्थ है किसी कथन या वस्तु के मूल्य का अंकन या निर्धारण करना।
  • ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा होती है कि वह पूछे गए विषय का सार्वकालिक या वर्तमान महत्त्व रेखांकित करे, उसकी कमियाँ भी बताए और अंत में स्पष्ट करे कि उस कथन या वस्तु की समग्र उपयोगिता कितनी है?
  • मूल्यांकन से पहले आलोचनात्मक लिखा हो या नहीं, तार्किक रूप से दोनों बातों को एक ही समझना चाहिये। 
  • मूल्यांकन की कोई भी गंभीर प्रक्रिया तभी पूरी हो सकती है जब उसके मूल में आलोचनात्मक पक्ष का ध्यान रखा गया हो। 
  • सार यह है कि आलोचनात्मक मूल्यांकन वाले प्रश्नों में अभ्यर्थी को पहले गुण और दोष बताने चाहियें और अंत में उन दोनों की तुलना के आधार पर यह स्पष्ट करना चाहिये कि उस कथन या वस्तु का क्या और कितना महत्त्व है?

विवेचन/मीमांसाः 

  • मीमांसा का अर्थ होता है किसी विषय को व्यवस्थित तथा संपूर्ण रूप में प्रस्तुत करना। 
  • ऐसे प्रश्नों का उत्तर लिखना कठिन नहीं होता। उस प्रश्न से संबंधित सभी संभव पक्षों को मिलाकर लिख देना पर्याप्त होता है। 
  • विवेचन वाले प्रश्नों में भी मूल अपेक्षा यही होती है।अंतर सिर्फ इतना होता है कि इसमें किसी कथन या तथ्य की चर्चा करते हुए तार्किक व्याख्या की ज़्यादा अपेक्षा होती है।

विश्लेषणः  

  • विश्लेषण तथा संश्लेषण परस्पर विरोधी शब्द हैं। जहाँ संश्लेषण का अर्थ बिखरी हुई चीज़ों को जोड़कर एक करना होता है, वहीं विश्लेषण का अर्थ होता है- किसी एक विचार या कथन को सरल से सरल हिस्सों में विभाजित करना। 
  • किसी कथन का विश्लेषण करते हुए अभ्यर्थी को अपने मन में क्या, क्यों, कैसे, कब, कहाँ, कितना जैसे संदर्भों को आधार बनाना चाहिये।

वीडिओ देखें :  पुछल्ले शब्दों (Tailender words) के बारें में विस्तार से समझने के लिये क्लिक करें ।  

प्रश्नों का तार्किक विखंडन:

  • सरल भाषा में कहें तो तार्किक विखंडन का अर्थ है जटिल वाक्य को कुछ सरल वाक्यों में तोड़कर उसमें अंतर्निहित उप-प्रश्नों की पहचान करना।  
  • सरल कथनों में तो यह समस्या सामने नहीं आती किंतु जैसे ही जटिल वाक्य-संयोजन वाले प्रश्न उपस्थित होते हैं, अभ्यर्थी के समक्ष उनकी व्याख्या और अर्थ-बोध से जुड़ी कठिनाइयाँ प्रकट होने लगती हैं।
  • ऐसी स्थिति में अभ्यर्थी को मुख्य रूप से उन मात्रा-सूचक या तीव्रता-सूचक शब्दों पर ध्यान देना चाहिये जो प्रश्न का फोकस निर्धारित करते हैं। 
  • उदाहरण के लिये, यदि प्रश्न है कि "1975 में घोषित राष्ट्रीय आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे विवादास्पद समयों में से एक के रूप में देखा जाता है।’ मूल्यांकन कीजिये।"  तो इसमें ‘सबसे विवादास्पद समयों में से एक’ वाक्यांश पर सर्वाधिक ध्यान दिया जाना चाहिये। इसमें निहित है कि आपातकाल स्वतंत्र भारत के इतिहास का अकेला विवादास्पद समय नहीं रहा है बल्कि कई विवादास्पद समयों में से एक है। इसके साथ-साथ, इसमें यह भी निहित है कि इस प्रश्न में अभ्यर्थी को हर विवादास्पद समय पर टिप्पणी नहीं करनी है बल्कि उन गिने-चुने विवादास्पद समयों पर चर्चा करनी है जिनकी तुलना में शेष विवादास्पद समय कम तीव्रता वाले रहे हैं।
  • इस प्रश्न में अभ्यर्थी को दिये गए कथन का विखंडन कई उप-प्रश्नों में करना होगा, जैसे- 1975 का आपातकाल अत्यंत विवादास्पद काल क्यों माना जाता है, स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे अधिक विवादास्पद काल कौन-कौन से माने जा सकते हैं, तथा सर्वाधिक विवादास्पद कालों की तुलना में 1975 के आपातकाल की क्या स्थिति रही है?

वीडिओ देखें :   कठिन प्रश्नों को समझने तथा हल करने के लिये किन बातों का रखें ध्यान; क्लिक करें।

उत्तर की रूपरेखा तैयार करना

  • उत्तर-लेखन प्रक्रिया के दूसरे चरण के अंतर्गत उत्तर की एक संक्षिप्त रूपरेखा बनाई जा सकती है। 
  • कई अभ्यर्थी इस प्रक्रिया का प्रयोग करने से बचते हैं और समय बचाने के लिये सीधे उत्तर लिखने की शुरुआत कर देते हैं। अगर उनकी लेखन क्षमता बहुत सधी हुई न हो तो तय मानकर चलिये कि उनके उत्तर में अव्यवस्था तथा बिखराव का आना स्वाभाविक है। बेहतर यही है कि अभ्यर्थी दस मिनट की जगह आठ मिनट में ही उत्तर लिखे किंतु उसका उत्तर बिल्कुल सधा हुआ हो। 
  • बहुत अच्छी लेखन क्षमता वाले कुछ अभ्यर्थियों का स्तर तो इतना ऊँचा होता है कि वे प्रश्न को पढ़ते ही मन-ही-मन उत्तर की रूपरेखा तैयार कर लेते हैं और सीधे उत्तर-लेखन की शुरुआत कर देते हैं। पर यह क्षमता अर्जित करना एक लंबी और श्रमसाध्य प्रक्रिया है जिसे हर अभ्यर्थी में नहीं पाया जा सकता।
  • नए अभ्यर्थियों के लिये यही बेहतर है कि वे उत्तर की शुरुआत करने से पहले थोड़ा सा समय रूपरेखा या ‘सिनोप्सिज़’ (Synopsis) बनाने पर खर्च करें।
  • रूपरेखा बनाने का अर्थ यह है कि उत्तर से संबंधित जो बिंदु अभ्यर्थी के दिमाग में हैं, उन्हें किसी रफ कागज़ पर लिखकर व्यवस्थित कर लिया जाए। ज़रूरी नहीं है कि हर बिंदु को लिखा ही जाए, यह भी हो सकता है कि अभ्यर्थी रेखाचित्र जैसे किसी फॉर्मेट में उसे तैयार कर ले। 
  • उदाहरण के लिये, यदि प्रश्न है कि "एक कुशल नेतृत्व की वज़ह से एक दुरूह संभावना को यथार्थ में परिवर्तित किया जा सका। भारतीय रियासतों के एकीकरण के संदर्भ में इस कथन पर चर्चा कीजिये।" तो इसकी संभावित रूपरेखा कुछ इस प्रकार बनाई जानी चाहिये- 1. भूमिकाः  पटेल और बिस्मार्क की तुलना। 2. दुरूह संभावनाः  1947 की स्थिति, अंग्रेज़ों की योजना, कई रियासतों/राजाओं की स्वतंत्र रहने की इच्छा आदि। 3. कुशल नेतृत्वः  पटेल की कार्य-क्षमता व कार्य-शैली का संक्षिप्त वर्णन। 4. निष्कर्षः  पटेल की भूमिका को बिस्मार्क तथा गैरीबाल्डी आदि की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण सिद्ध करना।
  • शुरू में अभ्यर्थी इसी फॉर्मेट पर रूपरेखा बनाते हैं। धीरे-धीरे वे इस प्रक्रिया के अभ्यस्त हो जाते हैं और सिर्फ कुछ टूटे-फूटे शब्द लिखने से भी उनका काम चल जाता है। 
  • आपको मुख्य परीक्षा में बैठने से पहले रूपरेखा निर्माण का इतना अभ्यास कर लेना चाहिये कि परीक्षा भवन में केवल कुछ आधे-अधूरे संकेतों से ही रूपरेखा संबंधी कार्य पूरा हो सके।
  • परीक्षा भवन में समय के दबाव को देखते हुए यह स्वाभाविक है कि प्रत्येक उत्तर को लिखने से पहले अभ्यर्थी उत्तर की रूपरेखा नहीं बना पाता। अगर आपके साथ भी गति का ऐसा संकट हो तो बेहतर होगा कि 20 में से शुरुआती 7-8 प्रश्नों का उत्तर आप संक्षिप्त रूपरेखाओं के आधार पर लिखें और बाद के प्रश्नों के उत्तर सीधे लिख दें।

उत्तर लिखना

  • एक अच्छा उत्तर वह है जो प्रश्न का उत्तर है।  
  • प्रश्न की रूपरेखा तैयार हो जाने के बाद अभ्यर्थी को वास्तविक उत्तर-लेखन करना चाहिये।
  • एक अच्छे उत्तर की मुख्यत: दो विशेषताएँ होती हैं-  प्रामाणिकता तथा प्रवाह । 
  • प्रामाणिकता  का अर्थ है कि उत्तर में ऐसे ठोस तथ्य और तर्क विद्यमान होने चाहियें जिनसे प्रश्न की वास्तविक मांग पूरी होती हो अर्थात् परीक्षक को उत्तर पढ़कर यह महसूस होना चाहिये कि अभ्यर्थी ने विषय का गंभीर अध्ययन किया है। 
  • प्रवाह  का अर्थ है कि उत्तर के पहले शब्द से अंतिम शब्द तक ऐसी क्रमबद्धता होनी चाहिये कि परीक्षक को उत्तर पढ़ते समय बीच में कहीं भी रुकना न पड़े।
  • एक अच्छे उत्तर-लेखन के संबंध में प्रायः प्रत्येक अभ्यर्थी के मन में कुछ जिज्ञासाएँ अनिवार्य रूप से होती हैं जिनका समाधान करने का प्रयास किया गया है।

शब्द सीमा का पालनः 

  • प्रायः अभ्यर्थियों के मन में जिज्ञासा होती है कि उन्हें दी गई शब्द-सीमा के अंदर ही उत्तर लिखना है या इसमें थोड़ी बहुत छूट ली जा सकती है? अगर हाँ, तो कितनी?
  • इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले यह समझ लेना चाहिये कि लोक सेवा आयोग के लिये व्यावहारिक तौर पर यह संभव नहीं है कि वह हर अभ्यर्थी के उत्तरों की शब्द संख्या को गिनने की व्यवस्था कर सके। अतः अभ्यर्थियों को सबसे पहले इस दबाव से मुक्त हो जाना चाहिये कि उनके एक-एक शब्द की गणना की जाती है।
  • इस संबंध में एक सच यह भी है कि भले ही आयोग शब्दों की गणना न करता हो, पर परीक्षक अपने अनुभवों के आधार पर उत्तर-पुस्तिका देखते ही यह अनुमान लगा लेता है कि उत्तर में शब्दों की संख्या लगभग कितनी है। 
  • शब्दों की संख्या बहुत अधिक या बहुत कम होने पर ही परीक्षक का ध्यान उस ओर जाता है। ऐसी स्थिति में उसके पास यह विवेकाधीन शक्ति होती है कि वह अभ्यर्थी को इस गलती के लिये दंडित करे या नहीं? 
  • सार यह है कि शब्दों की सीमा का थोड़ा-बहुत उल्लंघन करने में समस्या नहीं है किंतु यह उल्लंघन 10-20% से अधिक नहीं होना चाहिये।
  • कुछ अभ्यर्थी इस बात को लेकर भी परेशान रहते हैं कि शब्दों की गणना में ‘है’, ‘था’, ‘चाहिये’ आदि शब्दों की गणना की जाती है या नहीं? उनमें से कुछ यह दावा भी करते हैं कि इन्हें उत्तर की शब्द-सीमा में शामिल नहीं किया जाता। वस्तुतः यह एक भ्रांति है। शब्दों की गणना में सभी प्रकार के शब्द शामिल होते हैं, चाहे वे योजक शब्द हों या अन्य शब्द। हाँ, यह ज़रूर है कि कोष्ठक में लिखे गए शब्दों को प्रायः शामिल नहीं किया जाता। इसी प्रकार, अगर कहीं समास भाषा का प्रयोग किया जाता है तो समास में आने वाले दोनों शब्दों को हाइफन की वज़ह से प्रायः एक शब्द ही मान लिया जाता है। 

वीडिओ देखें :  शब्द-सीमा के संबंध में अधिक स्पष्टता एवं विस्तार से समझने के लिये क्लिक करें ।

बिंदुओं में लिखें या पैराग्राफ में? 

  • यह भी अधिकांश उम्मीदवारों की एक सामान्य जिज्ञासा है कि उन्हें उत्तर-लेखन के अंतर्गत बिंदुओं का प्रयोग करना चाहिये या नहीं? वस्तुतः इस प्रश्न का उत्तर हाँ या नहीं में देना संभव नहीं है। यह निर्णय इस बात पर निर्भर करता है कि प्रश्न की प्रकृति क्या है?
  • अगर प्रश्न की प्रकृति ऐसी है कि उसके उत्तर में विभिन्न तथ्यों या बिंदुओं को सूचीबद्ध किये जाने की आवश्यकता है तो निस्संदेह उसमें बिंदुओं का प्रयोग किया जाना चाहिये। किंतु अगर प्रश्न की प्रकृति शुद्ध विश्लेषणात्मक है तो बिंदुओं के प्रयोग से बचना आवश्यक है। ऐसा उत्तर पैराग्राफ पद्धति के अनुसार लिखना ही ठीक रहता है।
  • उदाहरण के तौर पर, अगर यह प्रश्न पूछ लिया जाए कि ‘भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान घटने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण पाँच घटनाएँ कौन सी थीं?’  तो इसके उत्तर में बिंदुओं का प्रयोग किया जाना चाहिये। एक छोटी-सी भूमिका लिखने के बाद अभ्यर्थी को सीधे 1-5 तक बिंदु बनाकर एक-एक तथ्य प्रस्तुत करते जाना चाहिये।
  • अगर यह प्रश्न पूछ लिया जाए कि "जहाँ महात्मा गांधी जाति व्यवस्था की कुरीतियों पर कोई गंभीर चोट नहीं कर सके, वहीं डॉ. अम्बेडकर ने जाति व्यवस्था के मूल पर प्रहार किया। स्पष्ट कीजिये"। इस प्रश्न की स्पष्ट अपेक्षा है कि उत्तर का पहला पैरा महात्मा गांधी के संबंध में और दूसरा पैरा डॉ. अम्बेडकर के संबंध में लिखा जाना चाहिये और दोनों ही पैराग्राफों में सिर्फ एक-एक बिंदु की व्याख्या किये जाने की ज़रूरत है। (स्पष्ट है कि ऐसे उत्तरों में बिंदुओं या शीर्षकों की भूमिका नहीं होती। यदि हम अनावश्यक बिंदुओं का प्रयोग करेंगे तो निस्संदेह नुकसान में ही रहेंगे)।

रेखाचित्रों का प्रयोग करें या नहीं?

  • अभ्यर्थियों के मन में एक दुविधा इस बात को लेकर भी रहती है कि उन्हें किसी उत्तर में रेखाचित्र (जैसे पाई डायग्राम, वेन डायग्राम, तालिका, फ्लो-चार्ट) आदि का प्रयोग करना चाहिये या नहीं?
  • इस प्रश्न का उत्तर यह है कि निबंध तथा विश्लेषणात्मक प्रश्नों में प्रायः इस प्रवृत्ति से बचना ही अच्छा रहता है। किंतु यदि प्रश्न की प्रकृति ही ऐसी हो कि उसमें विभिन्न वस्तुओं का आपसी संबंध या वर्गीकरण आदि दिखाए जाने की ज़रूरत हो तो रेखाचित्र का प्रयोग सहायक भी हो सकता है। 
  • उदाहरण के लिये, अगर एथिक्स के प्रश्नपत्र में पूछ लिया जाए कि "अपराध और पाप की धारणाओं में अंतर स्पष्ट करें। क्या यह ज़रूरी है कि हर अपराध पाप हो और हर पाप अपराध?"  तो इस प्रश्न के उत्तर में दो अवधारणाओं का संबंध स्पष्ट करने के लिये वेन डाइग्राम का प्रयोग कर लेना चाहिये। कई जटिल अवधारणाओें में अंतर जितनी आसानी से किसी डायग्राम के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है, उतनी आसानी से लिखित शब्दों के माध्यम से नहीं।
  • सार यह है कि जहाँ विभिन्न धारणाओं के पारस्परिक संबंधों या वर्गीकरण आदि को स्पष्ट करना हो, वहाँ रेखाचित्र शैली का प्रयोग करना हमेशा फायदेमंद होता है किंतु शुद्ध विश्लेषणात्मक प्रश्नों में ऐसे प्रयोगों से बचना चाहिये।

कैसी शब्दावली का प्रयोग करें? 

  • उत्तर लिखने में भाषा-शैली की सरलता एवं सहजता बनाए रखना चाहिये। शब्दों के चयन में इतनी सावधानी बरतना अनिवार्य है कि उत्तर की गरिमा से समझौता न हो।
  • उर्दू, फारसी परंपरा के शब्दों का प्रयोग निबंध में तो कुछ मात्रा में किया जा सकता है किंतु सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्रों में ऐसी भाषा के प्रयोग से बचना चाहिये। 
  • अंग्रेज़ी की शब्दावली का प्रयोग करने में समस्याएँ कम हैं। जहाँ भी कोई जटिल, तकनीकी शब्द पहली बार आए, वहाँ आपको कोष्ठक में अंग्रेज़ी का शब्द भी लिख देना चाहिये। कोष्ठक में लिखते समय आप रोमन लिपि का प्रयोग कर सकते हैं। अगर आप अंग्रेज़ी के किसी तकनीकी शब्द का प्रयोग देवनागरी लिपि में करते हैं तो उसके लिये कोष्ठक की ज़रूरत नहीं है। किंतु ध्यान रखें कि इस सुविधा का प्रयोग केवल बहुत ज़रूरी शब्दों के लिये ही किया जाना चाहिये। अगर अंग्रेज़ी शब्दों का प्रयोग सामान्य अनुपात से अधिक मात्रा में हुआ तो परीक्षक के मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  • परीक्षा में सामान्यतः उस शब्दावली को अधिक महत्त्व दें जो संस्कृत मूल की अर्थात् तत्सम् है। ऐसी शब्दावली प्रायः अधिक औपचारिक मानी जाती है और परीक्षा के अनुशासन को देखते हुए परीक्षक इसे उचित समझते हैं। उदाहरण के लिये, ‘प्रधानमंत्री जी अस्वस्थ्य  है’  कहने में जो औपचारिकता है, वह यह कहने में नहीं है कि ‘वज़ीरे आज़म साहब की तबीयत नासाज़ है।’  इसलिये जहाँ तक संभव हो, अपनी शब्दावली को सरल, सहज किंतु तत्समी बनाए रखने का प्रयास करें।

भूमिका आदि लिखें या नहीं?  

  • अभ्यर्थियों को इस प्रश्न पर भी पर्याप्त संदेह रहता है कि उन्हें अपने उत्तर की शुरुआत में भूमिका लिखनी चाहिये अथवा नहीं? इसी प्रकार, उत्तर के अंत में निष्कर्ष की आवश्यकता को लेकर भी संदेह बना रहता है।
  • आजकल सामान्य अध्ययन और वैकल्पिक विषयों में 200-250 शब्दों से अधिक शब्द-सीमा वाले उत्तर नहीं पूछे जाते हैं। इसलिये, आजकल यह मानकर चलना ठीक है कि बिना किसी औपचारिक भूमिका के आप सीधे अपने उत्तर की शुरुआत कर सकते हैं।
  • उत्तर का पहला एकाध वाक्य ऐसा रखना चाहिये जो भूमिका की ज़रूरत को पूरा कर दे। अगर प्रश्न किसी विवाद पर आधारित है तो एक-दो पंक्तियों का निष्कर्ष भी दिया जाना चाहिये किंतु सामान्य तथ्यात्मक प्रश्नों में निष्कर्ष की कोई आवश्यकता नहीं है।
  • उदाहरण के लिये, अगर प्रश्न है कि ‘स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर के तुलनात्मक योगदान पर चर्चा करें’  तो उसकी संक्षिप्त भूमिका और निष्कर्ष क्रमशः इस प्रकार हो सकते हैं-
  • भूमिकाः  भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की मुख्यधारा का नेतृत्व यदि महात्मा गांधी कर रहे थे तो उसी समय डॉ. अम्बेडकर सदियों से वंचित दलित व आदिवासी समुदाय को मुख्यधारा में जोड़ने की कोशिश कर रहे थे। इन दोनों महान नेताओं के बीच तुलना के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं-
  • निष्कर्षः  सार यह है कि यदि महात्मा गांधी की बड़ी भूमिका भारत को अंग्रेज़ों से आज़ाद कराने में थी तो डॉ. अंबेडकर की भूमिका हमें रूढ़ियों और शोषण से आज़ाद कराने में थी।

उत्तर के प्रस्तुतीकरण को आकर्षक बनाना उत्तर-लेखन का अंतिम पक्ष यह है कि हम अपने उत्तर को ज़्यादा सुंदर व प्रभावशाली कैसे बना सकते हैं? इसके कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार हैं-

  • उत्तर के सबसे महत्त्वपूर्ण शब्दों तथा वाक्यों को रेखांकित करना न भूलें, पर यह ध्यान रखें कि रेखांकन का प्रयोग जितनी कम मात्रा में करेंगे, उसका प्रभाव उतना ही अधिक होगा। कई विद्यार्थी लगभग हर पंक्ति को ही रेखांकित कर देते हैं जिसका कोई लाभ नहीं मिलता।
  • अभ्यर्थी को चाहिये कि वह काले और नीले दो रंगों के पेन का प्रयोग करे। जैसे वह नीले पेन से उत्तर लिख सकता है और काले पेन से महत्त्वपूर्ण हिस्सों को रेखांकित कर सकता है। पर यह ध्यान रखें कि इन दोनों रंगों के अलावा अन्य किसी भी रंग के पेन का प्रयोग करना नियम के विरुद्ध है। 
  • आपकी लिखावट (हैंडराइटिंग) जितनी साफ-सुथरी होगी, आपको अधिक अंक मिलने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। 
  • अच्छी हैंडराइटिंग से एक मनोवैज्ञानिक लाभ मिल जाता है जो अंततः अंकों के लाभ में परिणत होता है। अगर आपकी हैंडराइटिंग साफ नहीं है तो नुकसान होना तय है। इसलिये, अभी से कोशिश कीजिये कि हैंडराइटिंग कम से कम ऐसी ज़रूर हो जाए कि उसे पढ़ते हुए परीक्षक को तनाव या सिर-दर्द न हो।
  • अपने शब्दों तथा पंक्तियों के मध्य खाली स्थान इस तरह से छोड़ें कि आपकी उत्तर-पुस्तिका आकर्षक नज़र आए। दो पंक्तियों के बीच में जितना गैप छोड़ते हैं, दो पैराग्राफ के बीच में उससे कुछ ज़्यादा गैप छोड़ें ताकि दूर से देखकर ही यह समझ आ जाए कि कहाँ से नया पैराग्राफ शुरू हो रहा है। 
  • इसी प्रकार, हर नया पैराग्राफ लगभग एक ही स्केल से शुरू करें। बाईं तरफ, जहाँ से लिखने का स्थान शुरू होता है, वहाँ से लगभग दो शब्दों का खाली स्थान छोड़कर पैराग्राफ शुरू करना चाहिये और सभी पैराग्राफ उसी बिंदु से शुरू किये जाने चाहियें। 

वीडिओ देखें :   बेहतर उत्तर लेखन के संबंध में और अधिक विस्तार से समझने के लिये क्लिक करें।

परीक्षा में समय प्रबंधन

मुख्य परीक्षा के प्रायः सभी प्रश्नपत्रों में एक बड़ी समस्या यह भी आती है कि तीन घंटों में सभी प्रश्नों का उत्तर कैसे लिखा जाए? प्रत्येक प्रश्न को कितना समय दिया जाए? सभी प्रश्न किये जाएँ या कुछ को छोड़ दिया जाए? आदि आदि। कुछ लोगों का मानना है कि परीक्षा में समय का विभाजन प्रत्येक प्रश्न के लिये बराबर होना चाहिये किंतु मनोवैज्ञानिक स्तर पर इस बात को सही नहीं माना जा सकता। 

  • शुरुआती उत्तरों का प्रभाव ज़्यादा महत्त्वपूर्ण होता है और अंत तक उस प्रभाव के आधार पर लाभ या नुकसान होता रहता है। इसलिये, शुरुआती कुछ प्रश्नों पर तुलनात्मक रूप से अधिक समय दिया जाना चाहिये।
  • परीक्षा के अंतिम एक घंटे में अभ्यर्थी की सोचने और लिखने की गति अभूतपूर्व तरीके से बढ़ चुकी होती है। इसलिये, अंतिम कुछ प्रश्नों को तुलनात्मक रूप से कम समय मिले तो भी चिंता नहीं करनी चाहिये।
  • हो सकता है कि आप परीक्षा में समय प्रबंधन की इस रणनीति पर पूरी तरह न चल सकें और अंतिम समय में कई प्रश्न बचे रह जाएँ। जैसे मान लीजिये कि समय सिर्फ 20 मिनट रह गया हो और प्रश्न 5 या 6 बचे हुए हों। ऐसी स्थिति में भी कोशिश यही रहनी चाहिये कि कोई प्रश्न छूटे नहीं। अगर आप सभी प्रश्नों में सिर्फ फ्लो-चार्ट या डायग्राम के माध्यम से महत्त्वपूर्ण बिंदु भी लिख देंगे तो भी आपको ठीक-ठाक अंक मिलने की संभावना रहती है । 
  • उत्तर-पुस्तिका के अंतिम हिस्से तक पहुँचते- पहुँचते परीक्षक के मन में अभ्यर्थी के बारे में एक राय बन चुकी होती है और अंकों का निर्धारण प्रायः उस राय के आधार पर ही हो रहा होता है। 
  • अगर आपके बारे में पहले ही अच्छी राय बन गई है तो अंतिम कुछ प्रश्नों में डायग्राम या सिर्फ बिंदु देखकर भी परीक्षक अच्छे अंक दे देगा क्योंकि वह आपके पक्ष में सकारात्मक अभिवृत्ति बना चुका होता है।  
  • लेकिन अगर आप कुछ प्रश्न पूरी तरह छोड़ देंगे तो वह चाहकर भी आपको अंक नहीं दे सकेगा क्योंकि आपने उसे अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करने का मौका ही नहीं दिया। 
  • सार यह है कि कोशिश करनी चाहिये कि एक भी प्रश्न छूटे नहीं। हाँ, जो प्रश्न अभ्यर्थी को आता ही नहीं है, वह तो उसे छोड़ना ही होगा।
  • अगर आप उपरोक्त सभी बिन्दुओं को ध्यान रखते हुए उत्तर लिखते हैं तो निश्चित रुप से आपका उत्तर श्रेष्ठ होगा और आप अच्छे अंक प्राप्त कर सकेंगे, जिससे आपकी सफलता की संभावना बढ़ जाएगी।

वीडिओ देखें :  परीक्षा के दौरान बेहतर समय प्रबंधन के संबंध में और अधिक विस्तार से समझने के लिये क्लिक करें ।

assignment paper kaise likhe

Achha Nibandh Kaise Likhe

एक अच्छा निबंध कैसे लिखते हैं? निबंध लेखन का तरीक़ा/प्रारूप

निबंध वह रचना है जो किसी विषय पर विचारपूर्वक एवं क्रमबद्ध रूप से लिखी जाती है।  निबंध-लेखन एक कला है। किसी अन्य कला में प्रवीण होने के लिए जिस तरह निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है, ठीक उसी तरह विभिन्न विषयों पर अपने विचारों को लिखित रूप में अभिव्यक्त करने के लिए निरंतर अभ्यास द्वारा ही कोई अच्छा निबंध लिख सकता है। और आज हम इसी के बारे में बात करेंगे कि निबंध लेखन का तरीक़ा क्या है और एक अच्छा निबंध कैसे लिखें?

निबंध लेखन का तरीक़ा

निबंध लेखन का एक विस्तृत भाग होता है जो किसी विशेष दृष्टिकोण, विश्लेषण, व्याख्या, तथ्य अथवा प्रक्रियाओं के समुच्चय की वैधता के लिए एक प्रकरण का निर्माण करता है। किसी विषय पर निबंध लिखने से पहले अपने ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर ही एक प्रारूप बनाना चाहिए।

निबंध तर्कपूर्ण, वर्णात्मक, विश्लेषणात्मक, अन्वेषणात्मक अथवा समीक्षात्मक हो सकते हैं; लेकिन उन सभी का एक विषय प्रस्तुत करने, संरक्षण प्रदान करने एवं पाठक के लिए एक दृष्टिकोण रखने का सामान्य उद्देश्य होता है। अतः एक निबंध की श्रेष्ठता न केवल प्रस्तुत तथ्यों की वैधता में निहित होती है, बल्कि इन तथ्यों के चयन, समालोचनात्मक मूल्यांकन, संगठन तथा प्रस्तुति पर भी निर्भर होती है।

एक अच्छा निबंध कैसे लिखें?

  • अच्छा निबंध लिखने के लिए सबसे पहले तो उस विषय पर अपने ज्ञान एवं अनुभव के बारे में सोचना चाहिए।
  • एक अच्छे निबंध में विचारों में क्रमबद्धता होती है और यही क्रमबद्धता किसी भी निबंध को प्रभावी बनाती है।
  • निबंध को हर हाल में विषय-केंद्रित होना चाहिए। विषय से भटकाव किसी भी निबंध का सबसे बड़ा दोष माना जाता है।
  • निबंध का प्रारम्भ हमेशा विषयवस्तु के परिचय से करें।
  • परिचय के बाद निबंध के मध्य भाग को लिखें, इसमें विषयवस्तु को अनावश्यक विस्तार न दें।
  • उपसंहार में सारांश के साथ निबंध को समाप्त करें।
  • निबंध उसी विषय पर लिखना अधिक अच्छा होता है, जिसकी अच्छी जानकारी हो।
  • वर्तनी की दृष्टि से शुद्ध शब्दों का प्रयोग करना चाहिए तथा इनकी अनावश्यक आवृत्ति से बचना चाहिए।
  • वाक्य-विन्यास ठीक रखते हुए विराम-चिन्हों का उचित प्रयोग करना चाहिए।
  • व्याकरण-सम्मत स्पष्ट भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
  • निबंध की भाषा-शैली सीधी, सरल, सुबोध तथा विषय के अनुकूल रखनी चाहिए।
  • लम्बे-लम्बे क्लिष्ट शब्दों के प्रयोग से यथासंभव बचना चाहिए, क्योंकि इनसे भाषा प्रवाह में बाधा पहुँचती है और निबंध अस्वाभाविक लगने लगता है।
  • निबंध का आकार न बहुत छोटा और न ही बहुत लम्बा होना चाहिए।
  • सभी विचारों को पूर्णता के साथ स्पष्ट रूप से व्यक्त करना चाहिए।
  • मध्य-भाग लिखते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि एक अनुच्छेद में एक ही भाव हो। विभिन्न अनुच्छेदों को भी विचारों की भाँति सही क्रम में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
  • विषयवस्तु का वास्तविक प्रसार मध्य-भाग में ही करना चाहिए।
  • निबंध का सारांश उपसंहार में ही लिखना चाहिए तथा इसमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अंतिम वाक्य के साथ निबंध की पूर्णता का आभास हो।

इसे भी पढ़ें: निबंध कितने प्रकार के होते हैं?

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Hindi got its name from the Persian word Hind, which means ”land of the Indus River”. It is spoken by more than 528 million people as a first language and around 163 million use it as a second language in India, Bangladesh, Mauritius and other parts of South Asia.

Hindi is written with the Devanagari alphabet , developed from the Brahmi script in the 11th century AD. It contains 36 consonants and 12 vowels . In addition, it has its own representations of numbers that follow the Hindu-Arabic numeral system.

  • 14 Independent Vowels (१३ स्वर):  अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः, ऋ, ॠ
  • 36 Consonants (३६ व्यंजन):  क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह
  • 3 Joint Words (संयुक्त अक्षर):  क्ष, त्र, ज्ञ
  • Full Stop (पूर्ण विराम):  ।
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कार्यालयी पत्र – सरकारी या कार्यालयी पत्र, प्रारूप या रूपरेखा और उदाहरण

कार्यालयी पत्र या सरकारी पत्र.

कार्यालयी पत्र (Official Letter) : ‘कार्यालयी पत्र’ अंग्रेजी के ‘ऑफीशियल लेटर’ का हिन्दी रूपान्तर है। इस प्रकार के पत्रों का आदान-प्रदान जिन-जिन के बीच होता है, उनमें से प्रमुख निम्नांकित हैं-

  • किसी देश की सरकार और अन्य देश की सरकार के बीच
  • केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच
  • सरकार और दूतावासों के बीच
  • एक राज्य सरकार और दूसरी राज्य सरकार के बीच
  • सरकार और अन्य देशी-विदेशी संस्थानों, संघों या संगठनों के बीच
  • सरकार और अन्य विभागों के बीच
  • विशिष्ट विभाग और अधीनस्थ विभागों के बीच
  • सरकार और व्यक्ति विशेष के बीच
  • विभिन्न कार्यालयों और व्यक्ति विशेष के बीच

इस प्रकार के समस्त पत्र कार्यालयी पत्राचार की व्यापक सीमा में आते हैं। कार्यालय का आशय, किसी सरकारी, अर्द्धसरकारी, गैर सरकारी, स्वायत्तशासी, वह स्थान विशेष है जहाँ से प्रशासन का संचालन होता है। इसीलिए इस प्रकार के पत्रों को शासकीय या प्रशासकीय पत्र भी कहते हैं। कार्यालयों की दृष्टि से सरकारी कार्यालयों का क्षेत्र बहुत व्यापक और प्रभावशाली होता है, इसलिए कार्यालयी पत्रों पर विचार करते समय सरकारी कार्यालयों से सम्बन्धित पत्रों के लेखन का भी ज्ञान आवश्यक होता है। अन्य कार्यालयों के पत्रों का प्रारूप सरकारी पत्रों का ही प्रतिरूप होता है।

कार्यालयी पत्र में ध्यान देने योग्य बातें

  • सबसे ऊपर दायीं ओर कार्यालय, विभाग, संस्थान या मंत्रालय का नाम मुद्रित या टंकित होना चाहिए। पता और पिनकोड भी यहीं लिखना होता है।
  • उसके नीचे दिनाँक, कभी-कभी दिनाँक ऊपर न देकर पत्र के अन्त में बायी ओर लिखा जाता है।
  • प्रेषक का नाम पद और पता लिखते हैं।
  • प्रेषक के नाम, पद,पता लिखकर उसके नीचे ‘सेवा में लिखते हुए प्रेषिती (पत्र पाने वाले) का नाम-पद-पता लिखना चाहिए।
  • जिस विषय को लेकर पत्र लिखा जा रहा है उसका उल्लेख प्रेषिती के थोड़े नीचे से मध्यभाग में ‘विषय’ शब्द लिखकर किया जाता है।
  • बायीं तरफ प्रेषिती को सम्बोधन के लिए ‘महोदय’, ‘महोदया’, ‘मान्यवर’ आदि लिखा जाता है।
  • पत्र प्रारम्भ करने से पूर्व प्राप्त पत्र या भेजे गए पत्र की संख्या और दिनांक का उल्लेख कर देना चाहिए।
  • इसके बाद मूल पत्र लिखा जाना चाहिए।
  • प्रत्येक बात के लिए पृथक् अनुच्छेद का प्रयोग करना चाहिए।
  • पत्र में जहाँ तक सम्भव हो, उत्तम पुरुष (मैं, हम) शैली का प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। अन्य पुरुष शैली ही उपयुक्त रहती है।
  • पत्र की भाषा शिष्ट, सरल और सुसंगत होनी चाहिए।
  • पत्र समाप्ति के बाद बायीं ओर भवदीय, आपका विश्वासपात्र या सद्भावनापूर्वक आपका,लिखकर हस्ताक्षर किये जाते हैं।
  • हस्ताक्षर के नीचे कोष्ठक में अपना नाम लिख देना चाहिए। ऊपर अगर पद और पता नहीं दिया गया है तो नीचे लिख देना चाहिए।
  • सभी सम्बन्धित अधिकारियों या विभागों का पत्र का पृष्ठांकन किया जाना अपेक्षित होता है।
  • आवश्यक संलग्न क्रम संख्या लिखकर संलग्न कर देना चाहिए।

कार्यालयी पत्र की रूपरेखा

संख्याः
प्रेषक या कार्यालय
अशोक जैन,
पत्र संख्या – आ 26/ 250
नगर निगम
जयपुर, दिनांक 15.9.2023

उप प्रशासक, नगर निगम, जयपुर।

प्रेषिती का पद और पताः

मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार, जयपुर

सम्बोधन : महोदय

(पत्र का प्रारम्भः) आपके पत्र संख्या 13ल/7/2023 दिनांक 10 सितम्बर, 2023 के उत्तर में मुझे यह कहने का आदेश हुआ कि———————————————————————————————————————————————————————————————————————————-।

आपका विश्वासपात्र स्वनिर्देश ह. (अशोक जैन)

संलग्र पत्र सूची संलग्रः (1)………….. (2)………….. (3)………….. पृष्ठांकन : प्रतिलिपि निम्नलिखित को प्रेषित है: (1)………….. (2)………….. (3)…………..

Karyalayi Patra

कार्यालयी पत्र के विविध प्रकार

कार्यालयी पत्र के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

  • शासनादेश (Govermnent Order)
  • कार्यालय आदेश (Office Order)
  • परिपत्र (Circular)
  • अनुस्मारक या स्मरण पत्र (Reminder)
  • अर्द्धशासकीय या अर्द्धसरकारी पत्र (Semi-Official Letters)
  • अधिसूचना (Notification)
  • कार्यालय ज्ञापन (Official Memorandum)
  • ज्ञापन (Memorandum)
  • अशासनिक पत्र (Unofficial letters)
  • पृष्ठांकन (Endorsement)
  • संकल्प या प्रस्ताव (Resolution)
  • स्वीकृति या मंजूरी पत्र (Sanction letter)
  • प्रेस विज्ञप्ति (Press Communique/Pru-Note)
  • सूचना (Notice)
  • पावती (Acknowledgement)
  • मितव्यय पत्र

कार्यालयी पत्रों के उदाहरण  निम्नलिखित हैं:-

1. शासनादेश (Government Order)

ऐसे पत्रों को शासनादेश कहते हैं जिनके माध्यम से सरकार द्वारा लिये गये निर्णयों को अधीनस्थ विभागों को सम्प्रेषित किया जाता है। ध्यान रखें कि-

  • शासनादेश प्रायः सरकार के सचिव के द्वारा विभागों को भेजे जाते हैं।
  • पत्र लेखक सामान्यतः यह लिखकर पत्र प्रारम्भ करता है कि “मुझे आपको। यह लिखने/सूचित करने/अनुरोध करने का निर्देश/आदेश हुआ है कि……”
  • कभी-कभी “आदेश दिया जाता है कि………” से भी शासनादेश का प्रारम्भ होता है।
  • ये पत्र प्रथम पुरुष एक वचन (मैं) में ही लिखे जाते हैं।

सामान्यतः इन पत्रों का उपयोग किसी नीतिगत निर्णय, वित्तीय स्वीकृतियों कर्मचारियों के वेतन-भत्ते एवं सेवा नियमों के सम्बन्ध में सरकार निर्णयों की सूचना और क्रियान्विति के लिए किया जाता है।

शासनादेश लिखने की रीति

  • सबसे ऊपर पत्र संख्या दी जाती है।
  • इसके बाद सरकार, मंत्रालय, विभाग का उल्लेख रहता है।
  • इसके बाद स्थान और दिनांक होता है, इन्हें दायीं ओर भी लिखा जाता है।
  • बायीं ओर भेजने वाले का नाम-पद-पता लिखते हैं और कई बार नहीं भी लिखा जाता।
  • प्राप्तकर्ता का नाम, पता और सम्बोधन नहीं दिया जाता।
  • सम्बन्धित विभागों को पत्र की प्रतिलिपि भेज दी जाती है।
  • अन्त में हस्ताक्षर और पद का उल्लेख किया जाता है।

पत्र संख्या -क/2/27/2023 (च)

राजस्थान सरकार, शिक्षा मन्त्रालय, भाषा विभाग, जयपुर

अरविन्द मेहता, सचिव, राजस्थान सरकार, शिक्षा विभग

शासनादेश है कि निम्नांकित प्रपत्रों और पत्रों में राजभाषा हिन्दी का उपयोग किया जाए-

  • वेतन, बिल, यात्रा बिल, सभी प्रकार के आवेदन-पत्र तथा इन सबके सम्बन्ध में किया जाने वाला पत्राचार।
  • सभी प्रकार की टिप्पणियाँ और आदेश।
  • हिन्दी-भाषी राज्यों के साथ पत्राचार।
  • केन्द्र सरकार से प्राप्त हिन्दी में लिखे पत्रों के उत्तर।
  • अंग्रेजी में लिखे सभी पत्रों में हस्ताक्षर हिन्दी में किए जाएँ।

प्रतिलिपि सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु निम्नांकित को प्रेषित है– (1) सचिव, राज्यपाल। (2) सचिव, मुख्यमंत्री। (3) समस्त सचिव, उपसचिव, सहायक सचिव, राज्य सचिवालय। (4) सरकार के अधीनस्थ समस्त कार्यालय अध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष।

2. कार्यालय आदेश (Office Order)

यह वह कार्यालयी पत्र है जिसमें किसी मन्त्रालय, विभाग एवं कार्यालय के कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति, स्थायीकरण, स्थानान्तरण, पदोन्नति, अवकाश स्वीकृति-अस्वीकृति आदि के विषय में आन्तरिक प्रशासन सम्बन्धी आदेश प्रसारित किये जाते हैं।

कार्यालय आदेश पत्र में-

  •  ऊपर बायीं ओर अन्य पत्रों की तरह प्रेषक और प्रषिती का नाम-पद-पता एवं सम्बोधन का प्रयोग नहीं होता है।
  • नीचे ‘भवदीय’, ‘आपका विश्वासपात्र’ जैसा स्वनिर्देश भी नहीं होता।
  • अन्त में दायीं ओर प्रेषक हस्ताक्षर और पद का नाम रहता है।
  • अन्त में ही बायीं ओर पत्र पाने वाले विभाग या व्यक्ति का नाम लिख दिया जाता है।
  • यह पत्र अन्य पुरुष में लिखा जाता है।
  • शेष बातें अन्य पत्रों जैसी होती हैं।

भाषा विभाग के अधोलिखित महानुभावों को दिनांक 6.9.2023 से 20000-2000-25000 की वेतन श्रृंखला में अनुभाग अधिकारी के रूप में पदोन्नत किया जाता है-

  • श्री विवेक शर्मा पुत्र श्री हरीश शर्मा
  • श्री रामसिंह मीणा पुत्र श्री रामकेश मीणा
  • श्री रामफूल बैरवा पुत्र श्री श्यामलाल बैरवा

प्रतिलिपि आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित है-

  • निदेशक, भाषा विभाग
  • श्री विवेक शर्मा
  • श्री रामसिंह मीणा
  • श्री रामफूल बैरवा
  • संस्थापन शाखा

3. परिपत्र (Circular)

जिस पत्र के माध्यम से जब कोई एक सूचना, निर्देश या अनुदेश एक साथ ही अनेक मंत्रालयों, कार्यालयों, विभागों, अधिकारियों, कर्मचारियों तक भेजी जाती है तो उस पत्र को परिपत्र कहते हैं परिपत्र में-

  • ऊपर बायीं ओर प्रेषक का नाम-पद-पता नहीं दिया जाता।
  • जिनको यह पत्र भेजा जाता है, उनके पद का नाम-पता अन्त में बायीं ओर दिया जाता है।
  • कई बार ज्ञापन, कार्यालय-ज्ञापन परिपत्र का रूप ले लेते हैं।
  • पत्र के अन्त में भवदीय, आपका, आपका विश्वासपात्र जैसे स्वनिर्देशों का प्रयोग नहीं किया जाता।
  • इसमें अन्य पुरुष शैली का ही प्रयोग किया जाता है।
  • कभी-कभी प्रेषक का नाम-पद पता और सेवा में लिखकर प्रेषिती का पद एवं पता तथा सम्बोधन भी किया जाता है।
  • कुछ परिपत्रों में पत्र का विषय भी लिखा जाता है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने यह जानना चाहा है कि प्रदेश के विद्यालयों, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में अनसचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों की कितनी लड़कियों का इस वर्ष प्रवेश दिया गया है ? आज प्रदेश की शिक्षण संस्थाओं में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों की कितनी छात्राएँ पढ़ रही है ? विगत तीन वर्षों की तुलना में उनकी संख्या में वृद्धि का प्रतिशत क्या है ? उपयुक्त मंत्रालय को पन्द्रह दिन के भीतर तथ्य आँकड़े भिजवा दिये जाने चाहिएँ।

प्रतिलिपि प्रेषित है-

  • निदेशक, स्कूली शिक्षा
  • निदेशक, कॉलेज शिक्षा
  • समस्त जिला शिक्षा अधिकारी
  • समस्त महाविद्यालयों के प्राचार्य
  • समस्त महाविद्यालयों के कुलसचिव

राजस्थान के समस्त जिलाधिकारी।

राजस्थान के महामहिम राज्यपाल द्वारा मुझे आपको यह सूचित करने का आदेश हुआ है कि खाद्यान्न संकट को देखते हुए इस वर्ष प्रत्येक गाँव और प्रत्येक किसान से गेहूँ अनिवार्य लेवी के लिए आवश्यक कदम उठाये और समुचित व्यवस्था की जाये। इससे राजस्थान सरकार को गेहूँ का पर्याप्त संग्रह करने में सहायता मिलेगी।

4. अनुस्मारक या स्मरण पत्र (Reminder)

जब भेजे गये पत्र का उत्तर बहुत दिनों तक नहीं आता तो उस पत्र की याद दिलाते हुए जो पत्र भेजा जाता है, उसे अनुस्मारक या स्मरण पत्र कहते हैं। इसमें पत्र का प्रारूप पहले पत्र जैसा ही रखा जाता है। इस पत्र को स्थिति के अनुसार नम्र या थोड़ी कड़ी भाषा में लिखा जा सकता है।

एक अनुस्मारक के बाद और भी कई अनुस्मारक भेजने पड़ सकते हैं। बाद वाले अनुस्मारकों में पहले पत्रों की संख्या का उल्लेख कर देना चाहिए। अनुस्मारक का आकार सामान्य पत्रों की अपेक्षा काफी छोटा होता है।

5. अर्द्धशासकीय या अर्द्धसरकारी पत्र (Semi-Official Letter)

अर्द्धशासकीय या अर्द्धसरकारी पत्र भी एक प्रकार का सरकारी पत्र ही होता है। दोनों में अन्तर केवल अनौपचारिकता-औपचारिकता का हैं। अर्द्धशासकीय पत्र अनौपचारिक होते हैं और शासकीय पत्र औपचारिक। ये पत्र किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से लिखे जाते हैं।

जब कोई अधिकारी किसी दूसरे अधिकारी से व्यक्तिगत स्तर पर कोई जानकारी चाहता है या किसी बात की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता है तो वह अर्द्धशासकीय पत्र को माध्यम बनाता है। अधिकारी चाहता है कि दूसरा अधिकारी व्यक्तिगत रुचि लेकर काम को निबटा दे। इससे कार्यालयी जंजाल में फंसे हुए मामले शीघ्र निबट जाते हैं।

सामान्यतः निम्नांकित परिस्थितियों में अर्द्धशासकीय पत्र लिखे जाते हैं-

  • जब कार्य सम्पन्न होने में विलम्ब हो रहा हो।
  • कार्य को शीघ्र सम्पन्न कराना हो।
  • जब पत्र पाने वाला अधिकारी उस कार्य की ओर ध्यान न दे पाया हो।

अर्द्धशासकीय पत्र-लेखन की रीति

  • यह व्यक्तिगत और अनौपचारिक पत्र है। इसे एक अधिकारी व्यक्तिगत रूप से दूसरे अधिकारी को व्यक्तिगत नाम से लिखता और भेजता है।
  • अर्द्धशासकीय पत्र उत्तमपुरुष, एक वचन (मैं) शैली में लिखा जाता है।
  • अर्द्धशासकीय पत्र की भाषा आत्मीय और मैत्रीभाव से युक्त होती है।
  • सम्बोधन में प्रिय श्री, प्रिय, श्रीयुत…..जी आदि का प्रयोग होता है।
  • ऊपर बायीं ओर प्रेषक का नाम-पद पता लिखा रहता है।
  • नीचे पत्र भेजने वाला अधिकारी केवल हस्ताक्षर करता है। पद-नाम-पता नहीं लिखा जाता।
  • पत्र के अन्त में नीचे दायीं ओर हस्ताक्षर के पूर्व स्वनिर्देश स्वरूप सद्भावी, आपका, भवनिष्ठ आदि लिखा जाता है। ‘भवदीय’ जैसे औपचारिक शब्द का प्रयोग प्रायः नहीं किया जाता है।
  • अर्द्धशासकीय पत्र सीधे सम्बन्धित अधिकारी को ही दिये जाते हैं। अन्य डाक सामग्री की तरह कार्यालय में ही खोलकर अधिकारी के सामने प्रस्तुत नहीं किये जाते हैं।
  • यदि आवश्यक हो तो उस पर ‘गोपनीय’ लिख दिया जाता है ताकि कोई कर्मचारी उसे खोलने की भूल न करें।
  • पत्र पाने वाले अधिकारी का नाम-पद-पता पत्र के अन्त में नीचे बायी ओर लिख दिया जाता है।

कमलेश महाजन, सचिव, मानव संसाधन मंत्रालय नई दिल्ली।

अर्द्धशासकीय पत्रांक 75/शि.वि./76/200 दिनांक 3.9.2023

प्रिय श्री मेहता,

कृपया इस विभाग के पत्रांक 25/ने.रो./222/200 दिनांक 28.7.201…. को देखने का कष्ट करें। पत्र में मांगी गयी सूचना अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। साग्रह अनुरोध है कि नेहरू रोजगार योजना की क्रियान्विति के यथा तथ्य आँकडे अपनी टिप्पणी सहित अविलम्ब भेजने का कष्ट करें।

श्री मंगलचन्द मेहता मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार, जयपुर-302004

6. अधिसूचना (Notification)

सरकार के राजपत्र (गजट) में प्रकाशित होने वाली सूचना को अधिसूचना कहा जाता है। ध्यान रखें कि-

  • अधिसूचना का क्षेत्र बहुत व्यापक है। उच्च अधिकारियों की नियुक्ति, प्रतिनियुक्ति, स्थानान्तरण, अधिनियमों में संशोधन आदि बहुत से क्षेत्र अधिसूचना की सीमा में आते हैं।
  • सरकार की ओर से अधिसूचना जनसाधारण, सरकारी कार्यालयों, सम्बन्धित अधिकारियों, कर्मचारियों की जानकारी के लिए जारी की जाती है।
  • अधिसूचना में यह बताना नितान्त आवश्यक है कि उसे गजट के किस भाग में प्रकाशित किया जाना है। भाग के साथ अनभाग का भी उल्लेख आवश्यक है।
  • अधिसूचना में किसी को भी महोदय जैसा कोई सम्बोधन नहीं होता है।
  • अधिसूचग अन्य पुरुष शैली में लिखी जाती है।
  • अन्त में भवदीय, आपका, आदि स्वनिर्देश का प्रयोग नहीं होता है।

श्री राजबली उपाध्याय आई. ए. एस. को जो वर्तमान में राजस्थान सरकार में हैं दिनांक 30.9.2023 से कृषि मंत्रालय में अवर सचिव के रूप में प्रतिनियुक्त किया जाता है।

अधिसूचना संख्या 40/9/200

उपर्युक्त अधिसूचना की प्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचनार्थ प्रेषित है-

  • स्थापना शाखा, कृषि मंत्रालय, नई दिल्ली।
  • कोषाधिकारी, नई दिल्ली।
  • मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार, जयपुर।
  • श्री राजबली उपाध्याय, आई.ए.एस., राजस्थान सरकार।
  • प्रबन्धक, मुद्रणालय, नई दिल्ली।

7. कार्यालय ज्ञापन (Office Memorandum)

कार्यालय ज्ञापन का प्रयोग विभिन्न मंत्रालयों के मध्य सूचनाओं के आदान-प्रदान करने हेतु किया जाता है। कार्यालय ज्ञापन के सम्बन्ध में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है-

  • कार्यालय ज्ञापन अन्य पुरुष शैली में लिखा जाता है।
  • इसमें महोदय, प्रिय महोदय, जैसे सम्बोधन नहीं होते हैं।
  • अन्त में भवदीय, आपका आदि भी नहीं लिखा जाता है। भेजने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर नाम-पद-पता नहीं लिखा जाता है।
  • ज्ञापन पाने वाले मंत्रालय का नाम अन्त में बायीं ओर लिखते हैं।
  • अधीनस्थ कार्यालयों के साथ इस प्रकार के ज्ञापन प्रयोग में नहीं लाये जाते।
  • कार्यालय ज्ञापन में प्रायः ‘अधोहस्ताक्षरी को यह निर्देश हुआ है’ जैसे किसी वाक्य से पत्र का प्रारम्भ किया जाता है।
  • ज्ञापन में विषय लिखा जाता है।

अधोहस्ताक्षरी को राजभाषा हिन्दी के प्रयोग सम्बन्धी शासनादेश संख्या 525/रा.भा./200 दिनांक 1.8.201…. की ओर ध्यान आकर्षित करने का निर्देश हुआ है कि उसके पालन के प्रति अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अतः राज्य सरकार के सभी विभागों, कार्यालयों को पुनः निर्देश दिया जाता है कि भविष्य में सम्पूर्ण पत्राचार राजभाषा हिन्दी में ही किया जाए।

राजस्थान राज्य के समस्त मंत्रालय विभाग

8. ज्ञापन (Memorandum)

कार्यालय ज्ञापन और ज्ञापन की रूपरेखा में कोई विशेष अन्तर नहीं होता। इन दोनों के बीच केवल यह अन्तर होता है कि कार्यालय ज्ञापन का प्रयोग विभिन्न मंत्रालयों के बीच किया जाता है और ज्ञापन का प्रयोग किसी एक मंत्रालय अथवा विभाग के अन्दर ही होता है। ज्ञापन में आवेदन-पत्रों के उत्तर पत्र-प्राप्ति की सूचना, याचिकाओं आदि के उत्तर दिये जाते हैं।

श्री हरस्वरूप पारीक को उनके आवेदन पत्र दिनांक 6.9.202…. के सन्दर्भ में सूचित किया जाता है कि राज्य सरकार ने तदर्थ नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित नियमों को स्वीकार कर लिया है।

आवेदन पत्र और नियमावली के लिए 50/-(पचास रुपये मात्र) का मनीऑर्डर इस कार्यालय के उपनिदेशक, अकादमी शाखा के नाम भेजें।

श्री हरस्वरूप परीक, 24 बापू नगर, जयपुर।

9. अशासनिक पत्र (Non-official Letter)

अशासनिक पत्र को अनौपचारिक निर्देश या अशासनिक टिप्पणी भी कहते हैं। इस पत्र का उपयोग किसी मंत्रालय, विभाग से किसी बात, समस्या या प्रस्ताव पर उसकी सम्पति, विचार टिप्पणी या किसी पूर्व आदेश-निर्देश का स्पष्टीकरण चाहा जाता है।

अशासनिक पत्र दो रूपों में लिखे जाते हैं-

  • सम्बन्धित फाइल पर ही टिप्पणी लिखकर उसे सम्बन्धित मंत्रालय या विभाग को भेज दिया जाता है।
  • स्वतन्त्र रूप से टिप्पणी लिखकर भेज दी जाती है, फाइल नहीं भेजी जाती।

अशासनिक पत्र में किसी विशेष औपचारिकता का निर्वाह नहीं किया जाता। इसमें-

  • कोई सम्बोधन नहीं होता।
  • इसमें स्वनिर्देश भी नहीं होता है।
  • ऊपर मंत्रालय, विभाग का नाम, स्थान और दिनांक अन्य पत्रों की तरह ही दिया जाता है।
  • इसके बाद विषय लिखा जाता है।
  • नीचे हस्ताक्षर और पद नाम होता है।

शासनादेश सं. 37/4क/200 दिनांक 1.2.201…. के अनुसार 21.1.201…. तक तदर्थ रूप में नियुक्त सभी महाविद्यालयी व्याख्याताओं को स्थायी आधार पर नियुक्त मान लिया गया है। अब ये व्याख्याता वरीयता क्रम के निर्धारण में अपने अस्थायी सेवाकाल को भी सम्मिलित करवाना चाहते हैं। इस सम्बन्ध में विधि विभाग के निर्देश आवश्यक प्रतीत होते हैं, अत: यह विभाग विभाग विधि विभाग से वास्तविक वैधानिक स्थिति को स्पष्ट करने का आग्रह करता है।

विधि विभाग राजस्थान सरकार अशासनिक टिप्पणी संख्या 11/का.वि./74/200

10. पृष्ठांकन (Endorsement)

मूल पत्र या उसकी प्रतिलिपि जिस अन्य विभागों को भेजी जाती है, उनका उल्लेख नीचे किया जाता है, इसी को पृष्ठांकन कहते हैं। पृष्ठांकन के पूर्व इस प्रकार के वाक्य लिखे जाते हैं-

  • मूल पत्र या प्रतिलिपि सूचनार्थ
  • आवश्यक कार्रवाई हेतु
  • शीघ्र अनुपालनार्थ
  • रिकॉर्ड के लिए
  • शीघ्र उत्तर देने के लिए
  • क, ख, ग का मूल रूप में
  • अ, ब, स को आवश्यक जाँच के लिए
  • क, ख, ग को उनके पत्रांक………दिनांक………के उत्तर में प्रेषित है।

जयपुर, दिनांक 17.9.2023

प्रतिलिपि निम्नांकित को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित है-

  • वित्त विभाग, राजस्थान सरकार
  • विधि विभाग, राजस्थान सरकार
  • कार्मिक विभाग, राजस्थान सरकार

11. संकल्प या संस्ताव (Resolution)

अधिसूचना की तरह ही संकल्प या संस्ताव भी राजपत्र (गजट) में प्रकाशित किये जाते हैं। गजट के भाग-अनुभाग का उल्लेख आवश्यक होता है। संकल्प का प्रयोग निम्नांकित कार्यों के लिए किया जाता है-

  • नीतिगत प्रश्नों पर सरकारी निर्णय की घोषणा के लिए।
  • किसी समस्या पर निष्पक्ष सम्मति के लिए आयोग या जाँच समिति की घोषणा के लिए।
  • आयोग या जाँच समिति के प्रतिवेदन की घोषणा के लिए।

संकल्प में विषय की पृष्ठभूमि और कारण, सरकारी आदेश और जिनको प्रतियाँ भेजनी होती है, उनका उल्लेख किया जाता है।

प्रदेश के विशिष्ट क्षेत्रों में बढ़ते हुए साम्प्रदायिक एवं जातिगत संघर्ष और तनाव को देखते हुए सरकार ने एक समिति गठित की है। यह समिति साम्प्रदायिक एवं जातिगत संघर्ष और तनाव के कारणों पर विचार करेगी और निवारण के लिए अपने सुझाव दिनांक 18.12.2023 तक सरकार को देगी। इस समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे-

  • श्री रामसिंह यादव, संसद सदस्य।
  • श्री शंकरलाल शर्मा, सचिव, गृह विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार।
  • मौलाना श्री अब्दुल करीम, अध्यक्ष, साम्प्रदायिक शान्ति सेना।

इस समिति के अध्यक्ष श्री रामानंद यादव होंगे।

संख्या 39/म.स./37/201

आदेश दिया जाता है कि इस संकल्प की प्रतिलिपि उपर्युक्त तीनों महानुभावों को भेज दी जाए।

यह भी आदेश दिया जाता है कि सचिव, गृह विभाग और प्रबन्धक, राजकीय मुद्रालय को भी आवश्यक कार्यवाही हेत प्रतिलिपि भेज दी जाए।

12. स्वीकृति या मंजूरी-पत्र (Sanction Letter)

राष्ट्रपति या राज्यपाल की स्वीकृति प्राप्त होने पर ही स्वीकृति-पत्र लिखा जाता है। जिन मामलों में वित्तीय प्रावधान करने होते हैं, उनकी पूर्व स्वीकृति राष्ट्रपति या राज्यपाल, से लेना आवश्यक होता है। मान लीजिए किसी विभाग में कोई नया पद सृजित करना है तो ऐसा करने के पूर्व सरकार को राष्ट्रपति या राज्यपाल की स्वीकृति लेनी होती है। स्वीकृति मिल जाने के बाद ही कोई नया पद सृजित किया जा सकता है। इस तरह की स्वीकृतियों की प्रतियाँ महालेखापाल या लेखापाल एवं वित्त मंत्रालय या वित्त विभाग को अवश्य भेजी जाती हैं। स्वीकृति पत्र सरकार की ओर से सम्बन्धित विभाग को लिखे जाते हैं।

संख्या 704/शि.का./370/201

शासन सविचालय, राजस्थान सरकार, जयपुर

दिनांक 17.9.20120

प्रियरंजन ठाकुर मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार, जयपुर।

शिक्षा-आयुक्त कॉलेज शिक्षा, जयपुर।

मुझे आपको यह सूचित करने का निर्देश मिला है कि महामहिम राज्यपाल ने आपके कॉलेज शिक्षा निदेशालय में जोधपुर प्रभाग के लिए 15000-500-20,000 के वेतनमान में एक संयुक्त निदेशक के पद की स्वीकृति प्रदान कर दी है। पद पर होने वाले व्यय के लिए वित्तीय प्रावधान करने की भी स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।

भवदीय हस्ताक्षर.. मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार दिनांक 17.9.2023 संख्या : 471/201

प्रतिलिपि सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु निम्नांकित को प्रषित है-

  • वित्त विभाग
  • कार्मिक विभाग
  • कॉलेज शिक्षा निदेशालय।

13. प्रेस विज्ञप्ति (Press Communique/Press-note)

महत्त्वपूर्ण सरकारी आदेश, प्रस्ताव अथवा निर्णय के व्यापक सार्वजनिक प्रचार के लिए समाचार-पत्रों में प्रकाशनार्थ भेजी जाने वाली विज्ञप्ति को प्रेस विज्ञप्ति या प्रेस नोट कहा जाता है।

  • समाचार-पत्र का सम्पादक प्रेस विज्ञप्ति में कोई काट-छाँट नहीं कर सकता, उसे ज्यों का त्यों छापना होता है।
  • किन्तु जब कोई सामग्री प्रेस नोट के रूप में प्रकाशन के लिए भेजी जाती है तो सम्पादक उसे सम्पादित कर सकता है, उसे छोटा रूप भी दिया जा सकता है।
  • प्रेस विज्ञप्ति अथवा प्रेस नोट में सबसे ऊपर यह भी लिखा रहता है कि इसे किस तिथि को प्रकाशित किया जाना है। समय से पूर्व उसका प्रकाशन नहीं किया जा सकता।
  • प्रेस विज्ञप्ति या प्रेस नोट का अपना एक शीर्षक होता है। सम्बोधन और स्वनिर्देश नहीं होता।
  • अन्त में नीचे बायीं ओर हस्ताक्षर तथा पद-नाम लिखा जाता है।
  • अन्त में नीचे बायीं ओर मंत्रालय का नाम और दिनांक लिखे जाते हैं।
  • विज्ञप्ति को सीधे समाचार-पत्र कार्यालयों में न भेजकर सूचना अधिकारी के पास भेजा जाता है।

प्रेस विज्ञप्ति

भारत और चीन के बीच वर्षों से चले आ रहे सीमा-विवाद पर समझौता हो चुका है। समझौते पर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने सहमति स्वरूप हस्ताक्षर कर समझौते को लागू करने की स्वीकृति प्रदान की है। सीमा-रेखा के निर्धारण के लिए विवादग्रस्त क्षेत्र के मध्य भाग की रेखा-सीमा मानकर दोनों देशों का मान्य समाधान स्वीकार किया गया है।

सूचना अधिकारी, प्रेस सूचना ब्यूरो, भारत सरकार नई दिल्ली के प्रकाशनार्थ प्रेषित।

परराष्ट्र मंत्रालय, नई दिल्ली दिनांक 15.9.2023

14. सूचना (Notice)

प्रेस विज्ञप्ति की भाँति ही सूचना भी समाचार-पत्रों में प्रकाशित की जाती है सरकार सार्वजनिक जीवन और हित के मामलों को सर्वसाधारण तक पहुँचाने के लिए जिन साधनों को काम में लाती है, उनमें सूचना का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। अधिकांश सरकारी विज्ञापन भी सूचना की सीमा में आते हैं।

इसके अतिरिक्त रोजगार सम्बन्धी सूचना, किसी व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित होने की सूचना आदि सूचना के कई रूप होते हैं। व्यावसायिक संस्थान भी अनेक प्रकार की सूचनाएँ प्रकाशित कराते रहते हैं। सूचना के अन्त में सूचना प्रकाशित करने वाले अधिकारी का नाम व पदनाम दिया जाता है, पर कभी-कभी ऐसा नहीं भी होता है, केवल नाम ही लिखा जाता है।

सार्वजनिक जीवन से जुडी सूचनाओं को प्रारम्भ सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि ….. “जैसे किसी वाक्य से होता है। ऐसी सूचनाओं का दैनिक समाचार-पत्रों में प्रकाशित होना एक आम बात है।”

क्रमांक: लेखा/हड्डी/25/201 दिनांक 19.9.2023

सर्वसाधारण को सूचनार्थ प्रकाशित किया जाता है कि पंचायत समिति दौसा क्षेत्र के मृतक पशुओं की हड्डियाँ उठाने का ठेका 2021 के लिए पंचायत समिति मुख्यालय पर दिनांक 28.9.2023 को दोपहर तीन बजे से पाँच बजे तक खुली बोली द्वारा नियमानुसार नीलाम किया जायेगा।

बोली लगाने से पूर्व 5000/-रुपये धरोहर राशि के रूप में जमा कराने होंगे। शेष शर्तों और नियमों की जानकारी कार्यालय समय में अधोहस्ताक्षरी से प्राप्त की जा सकती है।

15. पावती (Acknowledgement)

प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या अन्य मंत्रियों के पास प्रतिदिन ऐसे पत्र आते रहते हैं जिनमें किसी कार्यालय या अधिकारी की शिकायत की जाती है। अपनी व्यक्तिगत समस्या से अवगत करवा कर सहायता की माँग की जाती है और भी अनेक प्रकार के पत्र लिखे जाते रहते हैं। इस प्रकार के सभी पत्रों को बड़े लोगों द्वारा पढ़ा जाना सम्भव नहीं होता। निजी सचिव या सहायक पत्रों को आवश्यक कार्यवाही के लिए सम्बन्धित कार्यालय या अधिकारी के पास भेज देता है।

परंतु शिष्टाचारवश पत्र प्रेषक को सन्तोष देने हेतु पत्र-प्राप्ति की स्वीकृति अथवा सूचना भेज दी जाती है। इस तरह के पावती पत्र पहले से छपे या अंकित रहते हैं, उनमें उस व्यक्ति विशेष का केवल नाम और दिनांक भरना होता है।

श्री विनय शर्मा
51, अजायबघर का रास्ता
किशनपोल बाजार, जयपुर
मुख्यमंत्री
राजस्थान सरकार,
जयपुर।
दिनांक 25.9.2023

प्रिय महोदय, आपका दिनांक 20.9.2023 का पत्र मुख्यमंत्रीजी को प्राप्त हो गया है। आप निश्चिन्त रहें, उस पर कार्रवाई शुरू कर दी गयी है।

16. तार (Telegram)

जब तत्काल कार्रवाई आवश्यक होती है तब तार का उपयोग किया जाता है। तार चूँकि छोटा पत्र-रूप है इसलिए इसमें संक्षिप्ति और स्पष्टता आवश्यक होती है। तार के दो रूप होते हैं –

  • सरल और स्पष्ट तार (Simple and Clear Telegram)
  • बीजांक या कूटभाषा तार (Cypher or Code Telegram)

पहले तार की भाषा सरल और स्पष्ट होती है। उन्हें कोई भी आसानी से समझ सकता है । दूसरे तार की भाषा कूट-भाषा होती है। इसमें गोपनीय संदेश भेजे जाते हैं। पहले प्रकार के तार की पुष्टि के लिए डाक से प्रतिलिपि या पत्र भेजा जाता है, पर कूट-भाषा-तार की पुष्टि नहीं की जाती।

विषय या समस्या की गम्भीरता प्रदर्शित करने के लिए तारों पर निम्नांकित संकेत शब्द लिखे जाते हैं-

  • आवश्यक या महत्त्वपूर्ण (Important)
  • अत्यावश्यक (Urgent)
  • तात्कालिक (Immediate)
  • जीवन रक्षा हेतु संकट-संदेश (S.D.S)
  • सैन्य तात्कालिक (Operation Immediate)
तार अत्यावश्यक

तार में शामिल न किया जाये संख्या 25 /38 दिनांक 23 सितम्बर, 2023 निदेशक, कॉलेज शिक्षा, जयपुर।

17. मितव्यय पत्र (Saving-ram)

मितव्यय पत्र विदेश स्थित दूतावासों के माध्यम से विदेशी सरकारों को भेजा जाने वाला तार ही होता है। इन तारों को हवाई डाक से कूटनीतिक थैले में बन्द करके भेजा जाता है। इन पर मितव्यय पत्र लिखा रहता है। यदि कोई गोपनीय सन्देश देना होता है तो कूट-भाषा का प्रयोग किया जाता है।

परराष्ट्र नई दिल्ली

भारत दूतावास, मास्को।

मास्को सरकार को सूचित कर दें कि भूकम्प पीड़ितों की सहायता के लिए भारत सरकार पचास हजार टन चावल, बीस हजार टन दूध पाउडर और एक करोड़ जीवन रक्षक गोलियाँ तुरन्त भेज रही है।

  • Patra Lekhan
  • सरकारी या कार्यालयी पत्र

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Article Writing कैसे करें – आर्टिकल लिखना सीखें (Article Writing In Hindi)

Article Writing In Hindi : आज का यह लेख उन लोगों के लिए है जो इंटरनेट पर लेखन कला को सीखना चाहते हैं Article Writing से पैसे कमाना चाहते हैं.

सही शब्दों में आर्टिकल लिखने का मतलब होता है अपने ज्ञान को लोगों तक सरल शब्दों में पहुँचाना जिससे पाठकों को आर्टिकल में लिखी गयी हर बात समझ में आनी चाहिए और वे बिना बोर हुए अंत तक आर्टिकल पढ़ सकें.

आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको Article Kaise Likhe, आर्टिकल लिखने का तरीका , आर्टिकल लिखते समय ध्यान देने वाली बातें और लेखक कैसे बने, आर्टिकल राइटिंग इन हिंदी की सारी जानकारी आसान शब्दों में आपके साथ साझा करेंगें.

आर्टिकल कैसे लिखते हैं से पहले यह जानना आवश्यक है कि आखिर आर्टिकल क्या होता है , इसलिए सबसे पहले जानते हैं कि आर्टिकल क्या है .

Article Writing कैसे करें – आर्टिकल लिखना सीखें (Article Writing In Hindi)

आर्टिकल क्या होता है (What is Article in Hindi)

आपने अख़बार, किताबें, मैगजीन या ब्लॉग में लिखे आर्टिकल तो देखे होंगे, आपने देखा होगा उन सभी में एक विषय के बारे में स्पष्ट रूप से बात की गयी होती है. जिसे कोई भी पढ़ सकता है और उसमें लिखे शब्दों को समझ सकता है.

आर्टिकल को हिंदी में लेख कहा जाता है. आर्टिकल या लेख एक ऐसा माध्यम होता है जिसके द्वारा हम अपने विचारों, अनुभव या राय को दुनिया में लोगों तक लिखित रूप में पहुंचा सकते हैं.

आर्टिकल लेखन क्या है (Article Writing In Hindi)

आप भी आर्टिकल लिख सकते हैं, लेकिन आर्टिकल लिखने के लिए आपको किसी भी एक विषय में अच्छी जानकारी होनी चाहिए या फिर आप किसी विषय के बारे में अच्छे से अध्ययन करके भी हिंदी या इंग्लिश में आर्टिकल लिख सकते हैं.

आर्टिकल भी दो प्रकार से लिखा जाता है – एक तो वह जिसमें हर एक शब्द का कुछ न कुछ अर्थ होता है जैसे कोई किताब, धार्मिक किताबें, लेखक के द्वारा लिखी गयी कहानियां आदि. इस प्रकार के लेख को लिखने के लिए आपको बहुत सोच समझकर आर्टिकल लिखना पड़ता है.

दूसरा प्रकार का आर्टिकल होता है जिसमें पूरे अध्ययन के साथ किसी एक विशेष विषय के ऊपर जानकारी लिखी होती हैं, जैसे कि Blog Post , ख़बरें आदि. यदि आप एक अच्छा आर्टिकल लिखना सीख जाते है तो आसानी से आर्टिकल से पैसे कमा सकते है.

  • पैसे कमाने वाला ब्लॉग बनाना सीखें 

आर्टिकल लिखने का तरीका (Article Writing Format In Hindi)

Article Kaise Likhe जानने से पहले आपको यह पता होना चाहिए कि आर्टिकल को लिखने का तरीका क्या है. किसी भी आर्टिकल को एक Format में लिखा जाता है मतलब क्रमबद्ध तरीके से लिखा जाता है.

एक लेखक को यह पता होना चाहिए कि आर्टिकल लेखन में कौन सी चीजें पहले लिखनी है और कौन सी चीजें बाद में. एक लेख को लिखने के लिए आप निम्न Format का इस्तेमाल करें.

#1 – परिचय के साथ शुरुवात करें (Opening Section)

जब भी आप आर्टिकल लिखना शुरू करें तो पहले पैराग्राफ में को बहुत ध्यान से लिखें, क्योकि आपका पहला पैराग्राफ ही तय करता है कि पाठक आपके द्वारा लिखे गए लेख को पूरा पढ़ेगा या नहीं.

आप अपने पहले पैराग्राफ में अपने लेख के बारे में बताइए कि आपने लेख के अन्दर किन विषयों के बारे में लिखा है. आपके लेख को पढ़कर एक पाठक को क्या जानकारी मिलेगी, पाठक को क्या फायदा होगा आदि प्रकार की सभी जानकारी अपने पहले पैराग्राफ में लिखें.

जैसे कि आप कंप्यूटर के बारे में आर्टिकल लिखने वाले हैं तो आप पहले पैराग्राफ में कंप्यूटर के बारे में थोड़ी जानकारी लिखें और पाठकों को बताएं कि आपको इस लेख में क्या जानने को मिलेगा.

आर्टिकल का opening Section कैसे लिखें सीखने के लिए आप इन्टरनेट पर मौजूद Blog को पढ़ सकते हैं किसी अख़बार को पढ़ सकते हैं.

#2 – लेख के बारे में लिखें (Main Section)

आर्टिकल का दूसरा भाग होता है Main Section. यह किसी भी लेख का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है. इसमें आपको अपने लेख को पाठकों को पूरा समझाना है.

लेख का Main Section लिखने से पहले एक Structure  अवश्य बना लें कि कौन से Topic को कब लिखना है और किस Topic से आपको अपने आर्टिकल की शुरुवात करनी है.

माना कि जैसे आप कंप्यूटर पर एक आर्टिकल लिख रहे हैं तो आपका आर्टिकल का Structure  इस प्रकार से होगा –

  • कंप्यूटर क्या है
  • कंप्यूटर का इतिहास
  • कंप्यूटर की पीढियां
  • कंप्यूटर के प्रकार
  • कंप्यूटर की विशेषताएं 
  • कंप्यूटर के उपयोग
  • कंप्यूटर के फायदे
  • कंप्यूटर के नुकसान

आप इस प्रकार से अपने लेख का पूरा ढांचा बना लें ताकि आपको लेख लिखने में कोई परेशानी न हो.

#3 – लेख को ख़त्म करें (Closing Section)

आर्टिकल का यह अंतिम Section होता है. Closing Section में आपको अपने लेख को ख़त्म करना होगा. अपने Closing Section में आप पाठकों के सुझाव ले सकते हैं, उन्हें लेख को शेयर करने के लिए कह सकते हैं.

तो इस प्रकार से आप किसी भी विषय पर आर्टिकल लिख सकते हैं.

आर्टिकल कैसे लिखें (Write Article in Hindi)

अभी तक आप जान गए होंगे कि किसी भी लेख को लिखने का तरीका क्या होता है अब जानेंगे कि Article Kaise Likhe . आपको  Format तो पता है आर्टिकल लिखने का लेकिन अब महत्वपूर्ण बिंदु यह आता है कि आर्टिकल को लिखते कैसे हैं.

किसी भी आर्टिकल को आप निम्न प्रकार से लिखें –

#1 – आर्टिकल लिखने से पहले अच्छे से रिसर्च कर लें

आर्टिकल लिखने से पहले अच्छे से रिसर्च जरुर कर लें, आप जिस भी विषय पर आर्टिकल लिखने वाले हैं उसकी सही और सटीक जानकारी एकत्र कर लें.अगर आप पाठकों को गलत जानकारी देंगे तो वह आगे आपका लेख पढना पसंद नहीं करेंगे.

#2 – आर्टिकल शांत वातावरण में लिखें

आर्टिकल लिखने के लिए हमेशा एक शांत वातावरण का चयन करें. शांत जगह पर आपका दिमाग ज्यादा तेजी से नए विचार बना सकता है. और शांत वातावरण में आपको Disturb करने वाला भी कोई नहीं होगा आप ज्यादा फोकस के साथ एक बेहतरीन लेख लिख सकते हैं.

#3 – लिखने से पहले ब्लूप्रिंट बना लें

आर्टिकल लिखने से पहले आर्टिकल का ब्लूप्रिंट बना लें. ब्लूप्रिंट होता है कि आर्टिकल में लिखने वाले सभी चीजों की लिस्ट. ब्लूप्रिंट बना लेने से आपको आर्टिकल लिखते समय ज्यादा सोचना नहीं पड़ेगा और आप जल्दी एक अच्छा लेख लिखकर तैयार कर सकते हैं.

#4 – जीरो से लिखना शुरू करें

आर्टिकल को जीरो से लिखना शुरू करें और अपने आर्टिकल को ऐसा बनायें कि सभी आयु वर्ग के लोग आपके आर्टिकल को पढ़ सकते हैं. मतलब कि आर्टिकल बच्चे, नौजवान और बूढ़े सभी के मतलब का हो.

#5 – आसान शब्दों का प्रयोग करें

अपने आर्टिकल में हमेशा सरल भाषा और आसान शब्दों का प्रयोग करें. ऐसे शब्दों का प्रयोग करने से बचे जो किसी पाठक की समझ से परे हों.

#6 – एक पूरा आर्टिकल लिखें

हमेशा एक पूरा आर्टिकल लिखने की कोशिस करें, पूरा आर्टिकल वह होता है जिसमें किसी भी विषय के बारे में पूरी जानकारी होती है. मतलब कि जो भी आर्टिकल आप लिख रहें है उसके बारे में पूरी जानकारी लिखना बहुत जरुरी है.

आधी – अधूरी जानकारी वाले आर्टिकल पाठकों को भाते नहीं हैं. और आप भी जानते होंगे कि अधूरा ज्ञान हमेशा खतरनाक होता है.

#7 – छोटे – छोटे पैराग्राफ लिखें

आर्टिकल को हमेशा छोटे – छोटे पैराग्राफ में ही लिखें. आपने भी अक्सर Notice किया होगा कि अगर पूरी बात को एक लम्बे पैराग्राफ में लिख दिया जाता है उसे पढने में उतना मजा नहीं आता है.

वही दूसरी ओर छोटे – छोटे पैराग्राफ लिखने से पाठकों को पढने में मजा आता है और आर्टिकल भी अच्छा पढने योग्य लगता है.

#8 – पाठकों का उत्साह बनाये रखें

आर्टिकल को लिखते समय पाठकों का उत्साह भी बनाये रखें. ऐसा न हो कि पाठक आर्टिकल को बीच में छोड़कर ही चले जाएँ. पाठकों का उत्साह बनाये रखने के लिए आप बीच – बीच में लेख के विषय से सम्बंधित कोई कहानी बता सकते हैं. पाठकों को प्रशन पूछ सकते हैं, आदि प्रकार के बहुत सारे तरीकें है जिसके द्वारा आप पाठकों का उत्साह बनाये रख सकते हैं.

#9 – ऐसा लेख लिखें जैसे आप पाठकों से बात कर रहे हो

आपने अधिकतर देखा होगा लोग YouTube देखना ज्यादा पसंद करते हैं कोई आर्टिकल पढने की तुलना में. क्योकि विडियो में Creater बातें करता है जिससे कि विडियो देखने में उत्साह बना रहता है.

आप भी अपने आर्टिकल को इस प्रकार लिखें जैसे कि आप लोगों से बाते कर रहे हैं. ऐसा लेख लिखने के लिए आप लेख में बीच में कुछ इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं –

  • क्या आपको पता है
  • क्या आप मुझे बता सकते हैं
  • आप ही बताइए

इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करके आप पाठक को अपने लेख में शामिल कर लेते हैं जिससे उसे पढने में मजा आएगा और वह बिना बोर हुए पुरे आर्टिकल को पढ़ेगा.

#10 – पब्लिश करने से पहले खुद पढ़ें

आर्टिकल को पढने से पहले एक बार खुद पुरे आर्टिकल को पाठक के नजरिये से पढ़े. इससे आपको आर्टिकल में होने वाली गलतियों के बारे में पता चलेगा और आप शब्दों का सही तालमेल बैठा सकते हैं. जब आप एक बार पूरा आर्टिकल पढ़ लें तभी जाकर आर्टिकल को पब्लिश करें.

तो यह थे सभी 10 तरीके जिनको Follow करके आप एक अच्छा आर्टिकल लिख सकते हैं.

आर्टिकल लिखते समय ध्यान में रखने वाली बातें

आर्टिकल लिखते समय आपको कुछ सावधानी भी बरतनी चाहिए जैसे कि –

  • आर्टिकल को हमेशा क्रमवाइज लिखें.
  • अपने आर्टिकल में हैडिंग का प्रयोग करें.
  • छोटे – छोटे पैराग्राफ लिखें.
  • आर्टिकल में सही जानकारी दें.
  • अपने आर्टिकल में कुछ नयी जानकारी भी लिखें.
  • पाठकों की जरुरत के अनुसार लिखें.
  • लेख लिखते समय सरल और बोल – चाल वाली भाषा का प्रयोग करें.
  • पाठकों को भी अपने आर्टिकल में शामिल करें.
  • आर्टिकल में Image का इस्तेमाल करें. कम से कम एक image अपने आर्टिकल में जरुर प्रयोग करें.

यह थी कुछ छोटी – छोटी बातें जिन्हें आप  आर्टिकल लिखते समय इस्तेमाल कर सकते हैं.

 पहला आर्टिकल कैसे लिखें

जब आप खुद को एक लेखक के रूप में स्थापित करने के लिए लेखन की शुरुवात करते हैं तो पहला आर्टिकल लिखते समय आपको निम्न बातों का ध्यान देना जरुरी होता है –

  • आर्टिकल लिखते समय बिलकुल न घबराएँ, पुरे आत्मविश्वास के साथ आर्टिकल लिखें.
  • पहला आर्टिकल लिखते समय रिसर्च गहरी होनी चाहिए, कोई भी गलत जानकारी अपने लेख में मत लिखें.
  • अपने अनुभवों को अपने लेख में झोंक दें.
  • ऐसा बिलकुल भी न सोचे कि लोग आपके आर्टिकल को पसंद करेंगे या नहीं, अपनी तरफ से अपना 100 प्रतिशत दें. 

आर्टिकल लिखने से पहले क्या करें

आर्टिकल लिखना शुरू करने से पहले आपको रिसर्च बहुत अच्छे प्रकार से कर लेनी है और साथ में अपने पुरे आर्टिकल का एक ब्लूप्रिंट बना लेना है जिससे आपको लेखन में आसानी होगी.

आर्टिकल में क्या लिखें

आर्टिकल में आप हमेशा उन ही बिन्दुओं के बारे में लिखें जिस विषय पर आप आर्टिकल लिख रहे हैं. सटीक और स्पष्ट जानकारी पाठकों तक पहुँचाने की कोशिस करें.

आर्टिकल लिखने के बाद क्या करें

आर्टिकल लिखने के बाद आपके पास बहुत सारे माध्यम उपलब्ध है जहाँ पर आप अपना आर्टिकल पब्लिश कर सकते हैं जैसे –

  • अगर आपका खुद का ब्लॉग है तो अपने ब्लॉग में पब्लिश कर दें.
  • किसी दुसरे Blogger को आर्टिकल लिखकर दे सकते हैं. जिसमें  Guest Post  और  Content Writing  शामिल है.
  • किसी News Channel में आप अपना आर्टिकल दे सकते हैं.
  • अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर आप आर्टिकल पब्लिश कर सकते हैं.
  • अगर आप थोडा सर्च करेंगे तो इन्टरनेट पर आपको बहुत सी ऐसी वेबसाइट मिल जाएँगी जहाँ पर आपको आर्टिकल पब्लिश करने के पैसे मिलते हैं.

आर्टिकल कितना लम्बा लिखें

आर्टिकल की लम्बाई इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस विषय पर आर्टिकल लिख रहे हैं.

अगर आप एक ऐसे विषय पर आर्टिकल लिख रहे हैं जिसमें ज्यादा लिखने की जरुरत नहीं है और आप उसमें जबरदस्ती ज्यादा लिख रहे हैं तो पाठकों के नजरिये से वह आर्टिकल फालतू होगा.

और वही आप ऐसे विषय पर आर्टिकल लिख रहे हैं जिसमें ज्यादा जानकारी लिखने की जरुरत है और आप उस आर्टिकल को आधी जानकारी के साथ पब्लिश करते हैं तो वह आर्टिकल भी पाठकों के नजरिये से अच्छा नहीं होगा.

 इसलिए आर्टिकल की लम्बाई हमेशा टॉपिक के अनुसार ही लिखें. फालतू की बातें अपने आर्टिकल में add न करें.

अच्छा आर्टिकल कैसे लिखें

एक अच्छा आर्टिकल लिखने के लिए निम्न बातें ध्यान में रखें

  • अपने Title को आकर्षक लिखें.
  • पहले पैराग्राफ में पाठकों का संशय बनाये रखे.
  • आर्टिकल के टॉपिक के अनुसार heading का चयन करें.
  • छोटे – छोटे पैराग्राफ लिखें
  • आर्टिकल को क्रमबद्ध तरीके से लिखें.
  • आर्टिकल में हमेशा आसान शब्दों का इस्तेमाल करें.

आर्टिकल लिखने का अभ्यास कैसे करें

आर्टिकल लिखने का अभ्यास करने के लिए आप अपना खुद का एक Blog बना सकते हैं और उसमें आर्टिकल लिखने का अभ्यास कर सकते हैं. Blog में आर्टिकल लिखने से आपको यह फायदा होगा कि आप समझ सकेंगे कि लोग आपके आर्टिकल को पसंद कर रहे हैं या नहीं .

ब्लॉग के लिए आर्टिकल कैसे लिखें

ब्लॉग के लिए आर्टिकल लिखने के लिए आप निम्न बातों का धयन रखें –

  • आर्टिकल में अलग – अलग प्रकार के Heading का प्रयोग करें जैसे कि H1, H2, H3, H4 आदि.
  • आर्टिकल में Keyword का इस्तेमाल करें.
  • आर्टिकल में छोटे – छोटे पैराग्राफ का इस्तेमाल करें.
  • हफ्ते में कम से कम 2 आर्टिकल पब्लिश करें.
  • ब्लॉग आर्टिकल में कम से कम एक Image का इस्तेमाल करें.
  • Image में Alt tag का इस्तेमाल करें.
  • टाइटल और डिस्क्रिप्शन को आकर्षक लिखें.
  • सर्च इंजन की गाइडलाइन के अनुसार आर्टिकल लिखें.

SEO Friendly आर्टिकल कैसे लिखें

एक SEO Friendly आर्टिकल वह होता है जिसे सर्च इंजन पर रैंक करवाने के लिए लिखा जाता है. SEO फ्रेंडली आर्टिकल लिखते समय निम्न बातों को ध्यान में रखें –

  • सबसे पहले  Keyword Research  कर लेवें 
  • Title में अपने Keyword का इस्तेमाल करें.
  • पहले पैराग्राफ में अपने Focus Keyword का इस्तेमाल करें.
  • किसी भी एक heading में Focus Keyword का इस्तेमाल करें.
  • अपने आर्टिकल में LSI Keywords का प्रयोग करें.
  • अंतिम पैराग्राफ में Focus Keyword का इस्तेमाल करें.
  • आर्टिकल के डिस्क्रिप्शन में भी Focus Keyword का इस्तेमाल करें.
  • Permalink में भी अपने keyword को रखें.
  • Internal Linking करें.
  • जरुरत पड़ने पर Outbound Link का प्रयोग करें.

FAQ For Article kaise Likhe

आर्टिकल एक ऐसा जरिया होता है जिसके द्वारा हम लिखित रूप में अपने ज्ञान या अनुभव को लोगों तक पंहुचा सकते हैं.

अगर आप अभी आर्टिकल राइटिंग की शुरुवात कर रहे हैं तो आप महीने में 10 से 15 हजार रूपये कमा सकते हैं लेकिन बाद में जब आप अच्छे लेखक बन जाते हैं तो आप खुद की किताबें लिखकर पब्लिश कर सकते हैं और लाखों रूपये महीने कमा सकते हैं.

किसी भी आर्टिकल में तीन महत्वपूर्ण भाग होते हैं – Opening Section, Main Section और Closing Section. इन तीन Point को फॉलो करके आप एक अच्छा आर्टिकल लिख सकते हैं.

इस लेख में बताये गए आर्टिकल लिखने के तरीकों को ध्यान में रखकर आप एक अच्छे लेखक बन सकते हैं.

निश्कर्ष: आर्टिकल राइटिंग इन हिंदी 

तो दोस्तों इस लेख के माध्यम से हमने आपको आर्टिकल कैसे लिखे जाते हैं कि पूरी जानकारी हिंदी भाषा के आसान शब्दों में दी है जिसे पूरा पढने के बाद आप समझ गए होंगे कि आर्टिकल कैसे लिखते हैं.

अगर आप एक अच्छे लेखक बन जायेंगे तो आप आर्टिकल लिखर महीने के अच्छे पैसे कमा सकते हैं, बस आपको जरुरत है निरंतर अभ्यास करने की.

आशा करते हैं आपको हमारे द्वारा लिखा गया लेख Article Kaise Likhe जरुर पसंद आया होगा आप इस लेख Article Writing in H indi को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें और उनकी भी मदद करें.

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3 thoughts on “Article Writing कैसे करें – आर्टिकल लिखना सीखें (Article Writing In Hindi)”

शानदार जानकारी शेयर की है सर जी!

Dear sir Thank you so much for sharing such a wonderful and informative blog with us. Keep sharing Regards Kumar Abhishek

Dear sir Such a very helpful and informative blog for every new bloggers . Thank you so much Regards

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