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बेरोजगारी पर निबंध (Essay on Unemployment in Hindi)

देश में बेरोजगारी ऐसा मुद्दा है जो 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सरकार को बहुमत में आने से रोक दिया। देश में इस समय बेरोजगारी चरम पर है। यहाँ हमने छात्रों के लिए बेरोजगारी पर बहुत ही आसान भाषा में जानकारी युक्त निबंध दिए हैं जो अलग अलग शब्द सीमा में लिखा गया है। जैसे – छोटे बच्चों के लिए बेरोजगारी पर 100 – 200 शब्दों में निबंध और बड़े बच्चों के लिए बेरोजगारी पर 300 – 400 शब्दों में निबंध। आप अपने आवश्यकता और क्लास के अनुसार कोई भी निबंध चुन सकते हैं।

बेरोजगारी पर निबंध (100 – 200 शब्द) – Berojgari par nibandh

भारत देश में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन गयी है जो समाज और देश को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। बेरोजगारी का मतलब होता है काम की कमी, जिससे लोग अपनी आजीविका नहीं चला पाते। आज ऐसी स्थिति हो गयी है कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है। यह स्थिति न केवल उनकी व्यक्तिगत ज़िन्दगी को खराब करती है, बल्कि पूरे परिवार और समाज पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

बेरोजगारी का प्रमुख कारण शिक्षा स्तर में गिरावट और रोजगार के अवसरों की कमी है। इसके अलावा, दिन प्रतिदिन जनसंख्या में वृद्धि भी बेरोजगारी का एक बड़ा कारण है क्योकि जब लोगों की संख्या अधिक होती है, तो नौकरियों की संख्या घट जाती है।

बेरोजगारी की वजह से आर्थिक समस्या बढ़ती है, परिवार में तनाव बढ़ता है, और परेशान युवा या तो अपराधी बन जाते हैं या अपनी जान ले लेते हैं। शिक्षा में सुधार करके और सरकार द्वारा नई नौकरियाँ उत्पन्न करके ही बेरोजगारी दर को कम किया जा सकता है। सरकार को स्वरोजगार को भी प्रोत्साहित करना होगा। तब जाकर हमारे देश से बेरोजगारी हटेगी और देश का भविष्य सुधरेगा।

बेरोजगारी पर निबंध (300 – 400 शब्द) – Unemployment essay in Hindi

आज के समय में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन गयी है क्योकि जैसे जैसे टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट हो रहा है वैसे वैसे बरोजगारी बढ़ती जा रही है जो समाज और देश दोनों को प्रभावित कर रही है। एक बेरोजगार व्यक्ति वह व्यक्ति है जो काम करने की इच्छा और क्षमता तो रखता है लेकिन उसे काम नहीं मिल रहा हो। पुरे भारत में व्यापक रूप से फैली ये समस्या सभी के सामाजिक और आर्थिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।

बेरोजगारी के कारण

भारत में बेरोजगारी के कई कारण हैं जिसमे सबसे पहले है लोगों के पास सही स्किल का न होना क्योकि शिक्षा प्रणाली में कमियों के कारण बहुत से युवा सही ढंग से शिक्षित नहीं हो पाते हैं। वे केवल डिग्री प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन उनमें व्यावसायिक कौशल और व्यावहारिक ज्ञान की कमी होती है। साथ ही साथ जनसंख्या वृद्धि भी बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण है। हर साल लाखों युवा नौकरी के बाजार में प्रवेश करते हैं, लेकिन उपलब्ध नौकरियों की संख्या बहुत कम होती है।

बेरोजगारी के दुष्प्रभाव

बेरोजगारी की वजह से लोगों के पास आय का स्रोत नहीं होता जिससे गरीबी बढ़ती है और सामाजिक समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं, जैसे कि अपराध, मानसिक तनाव और असंतोष। ऐसे लोग हीनभावना से ग्रसित हो जाते हैं क्योकि वो अपने और अपने परिवार के लिए आर्थिक संसाधनों की व्यवस्था नहीं कर पाते। फोर्ब्स इंडिया द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार पिछले 10 सालों में (2014 – 2024) बेरोजगारी दर 5.44% से बढ़कर 8.03 % हो गया है।

देश के प्रगति के लिए बेरोजगारी पर जीत जरुरी

समाज से अगर बेरोजगारी हटानी है तो सबसे पहले शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत है ताकि युवा सही ढंग से प्रशिक्षित हो सकें और वो रोजगार के योग्य बन सके। व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना चाहिए ताकि युवा कई तरह के स्किल्स में पारंगत हो सकें। रोजगार सृजन के लिए सरकार द्वारा नई नीतियाँ बनायी जानी चाहिए और उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए।

GST कम करके और टैक्स लिमिट बढ़ा करके सरकार द्वारा छोटे व्यापारियों को भी प्रोत्साहित करने की जरूरत है क्योंकि ये छोटे उद्योग लोकल क्षेत्र में लोगों के लिए रोजगार के प्रमुख स्रोत होते हैं।

बेरोजगारी एक जटिल सामाजिक और आर्थिक समस्या है जिसे सुलझाने के लिए सरकार सहित हम सभी को सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है। शिक्षा में सुधार, उद्योगों में बढ़ोत्तरी, और सरकार के संयुक्त प्रयासों से ही हम इस समस्या का समाधान पा सकते हैं। समाज और देश के प्रगति के लिए बेरोजगारी पर जीत जरुरी है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Unemployment (बेरोजगारी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- भारत विश्व का सबसे अधिक बेरोजगारों का देश है।

उत्तर- हरियाणा

उत्तर- ओडिशा

उत्तर- भारत में अत्यधिक जनसंख्या एवं शिक्षा का अभाव बेरोजगारी का मुख्य कारण है।

उत्तर- फोर्ब्स इंडिया द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार पिछले 10 सालों में (2014 – 2024) बेरोजगारी दर 5.44% से बढ़कर 8.03 % हो गया है।

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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi

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ADVERTISEMENTS:

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi!

बेरोजगारी देश के सम्मुख एक प्रमुख समस्या है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से अवरुद्‌ध करती है । यहाँ पर बेरोजगार युवक-युवतियों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है । स्वतंत्रता के पचास वर्षों बाद भी सभी को रोजगार देने के अपने लक्ष्य से हम मीलों दूर हैं ।

बेरोजगारी की बढ़ती समस्या निरंतर हमारी प्रगति, शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रही है । हमारे देश में बेरोजगारी के अनेक कारण हैं । अशिक्षित बेरोजगार के साथ शिक्षित बेरोजगारों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है । देश के 90% किसान अपूर्ण या अर्द्ध बेरोजगार हैं जिनके लिए वर्ष भर कार्य नहीं होता है । वे केवल फसलों के समय ही व्यस्त रहते हैं ।

शेष समय में उनके करने के लिए खास कार्य नहीं होता है । यदि हम बेरोजगारी के कारणों का अवलोकन करें तो हम पाएँगे कि इसका सबसे बड़ा कारण देश की निरंतर बढ़ती जनसंख्या है । हमारे संसाधनों की तुलना में जनसंख्या वृद्‌धि की गति कहीं अधिक है जिसके फलस्वरूप देश का संतुलन बिगड़ता जा रहा है ।

इसका दूसरा प्रमुख कारण हमारी शिक्षा-व्यवस्था है । वर्षो से हमारी शिक्षा पद्‌धति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है । हमारी वर्तमान शिक्षा पद्‌धति का आधार प्रायोगिक नहीं है । यही कारण है कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् भी हमें नौकरी नहीं मिल पाती है ।

बेरोजगारी का तीसरा प्रमुख कारण हमारे लघु उद्‌योगों का नष्ट होना अथवा उनकी महत्ता का कम होना है । इसके फलस्वरूप देश के लाखों लोग अपने पैतृक व्यवसाय से विमुख होकर रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं ।

आज आवश्यकता इस बात की है कि बेरोजगारी के मूलभूत कारणों की खोज के पश्चात् इसके निदान हेतु कुछ सार्थक उपाय किए जाएँ । इसके लिए सर्वप्रथम हमें अपने छात्र-छात्राओं तथा युवक-युवतियों की मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा ।

यह तभी प्रभावी हो सकता है जब हम अपनी शिक्षा पद्‌धति में सकारात्मक परिवर्तन लाएँ । उन्हें आवश्यक व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करें जिससे वे शिक्षा का समुचित प्रयोग कर सकें । विद्‌यालयों में तकनीकी एवं कार्य पर आधारित शिक्षा दें जिससे उनकी शिक्षा का प्रयोग उद्‌योगों व फैक्ट्रियों में हो सके और वे आसानी से नौकरी पा सकें ।

इस दिशा में सरकार निरंतर कार्य कर रही है । अपनी पंचवर्षीय व अन्य योजनाओं के माध्यम से लघु उद्‌योग के विकास के लिए वह निरंतर प्रयासरत है ।

सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्‌यालयों में तकनीकी तथा व्यवसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जा रहा है । बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रण में लेने हेतु विभिन्न परिवार कल्याण योजनाओं को लागू किया गया है । सभी बड़े शहरों में रोजगार कार्यालय खोले गए हैं जिनके माध्यम से युवाओं को रोजगार की सुविधा प्रदान की जाती है ।

परंतु विभिन्न सरकारों ने यह स्वीकार किया है कि रोजगार कार्यालयों के माध्यम से बहुत थोड़ी संख्या में ही बेराजगारों को खपाया जा सकता है क्योंकि सभी स्थानों पर जितने बेकार हैं उसकी तुलना में रिक्तियों की संख्या न्यून है । इस कारण बहुत से लोग असंगठित क्षेत्र में अत्यंत कम पारिश्रमिक पर कार्य करने के लिए विवश हैं ।

वर्तमान में सरकार इस बात पर अधिक बल दे रही है कि देश के सभी युवक स्वावलंबी बनें । वे केवल सरकारी सेवाओं पर ही आश्रित न रहें अपितु उपयुक्त तकनीकी अथवा व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण कर स्वरोजगार हेतु प्रयास करें ।

नवयुवकों को उद्‌यम लगाने हेतु सरकार उन्हें कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान कर रही है तथा उन्हें उचित प्रशिक्षण देने में भी सहयोग कर रही है । हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि बदलते परिपेक्ष्य में हमारे देश के नवयुवक कसौटी पर खरे उतरेंगे और देश में फैली बेरोजगारी जैसी समस्या से दूर रहने में सफल होंगे ।

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भारत में बेरोज़गारी

  • 04 Jan 2022
  • 11 min read
  • सामान्य अध्ययन-III
  • वृद्धि एवं विकास

भारत में बेरोज़गारी के प्रकार, आजीविका और उद्यम हेतु सीमांत व्यक्तियों के लिये समर्थन (मुस्कान), पीएम-दक्ष (प्रधानमंत्री दक्ष और कुशल संपूर्ण हितग्राही), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY), स्टार्टअप इंडिया योजना

भारत में बेरोज़गारी के प्रकार, भारत में बेरोज़गारी के कारण और समाधान।

चर्चा में क्यों?

‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी’ (CMIE) के आँकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2021 में भारत की बेरोज़गारी दर बीते  चार महीने के उच्चतम 7.9% पर पहुँच गई है।

  • ओमिक्रॉन वेरिएंट से उत्पन्न खतरे के बीच कोविड-19 के मामलों में हुई बढ़ोतरी और कई राज्यों में लागू नए प्रतिबंधों के कारण आर्थिक गतिविधि और खपत का स्तर प्रभावित हुआ है।
  • यह भविष्य में आर्थिक सुधार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • बेरोजगारी का प्रयोग प्रायः अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य के मापक के रूप में किया जाता है।
  • बेरोज़गारी को सामान्यत: बेरोज़गारी दर के रूप में मापा जाता है, जिसे श्रमबल में शामिल व्यक्तियों की संख्या में से बेरोज़गार व्यक्तियों की संख्या को भाग देकर प्राप्त किया जाता है।
  • कार्यरत (आर्थिक गतिविधि में संलग्न) यानी 'रोज़गार'।
  • काम की तलाश में या काम के लिये उपलब्ध यानी 'बेरोज़गार'।
  • न तो काम की तलाश में है और न ही उपलब्ध।
  • पहले दो श्रम बल का गठन करते हैं और बेरोजगारी दर उस श्रम बल का प्रतिशत है जो बिना काम के है।
  • बेरोज़गारी दर = (बेरोज़गार श्रमिक/कुल श्रम शक्ति) × 100
  • यह मुख्य रूप से भारत के कृषि और असंगठित क्षेत्रों में पाई जाती है।
  • भारत में खेतिहर मज़दूरों के पास वर्ष भर काफी कम काम होता है।
  • भारत में बहुत से लोगों को आवश्यक कौशल की कमी के कारण नौकरी नहीं मिलती है और शिक्षा के खराब स्तर के कारण उन्हें प्रशिक्षित करना मुश्किल हो जाता है।
  • भारत में चक्रीय बेरोज़गारी के आँकड़े नगण्य हैं। यह एक ऐसी घटना है जो अधिकतर पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं में पाई जाती है।
  • वर्ष 2016 में विश्व बैंक के आँकड़ों ने भविष्यवाणी की थी कि भारत में ऑटोमेशन से खतरे में पड़ी नौकरियों का अनुपात साल-दर-साल 69% है।
  • दूसरे शब्दों में, एक कर्मचारी को एक नई नौकरी खोजने या एक नई नौकरी में स्थानांतरित करने के लिये समय की आवश्यकता होती है, यह अपरिहार्य समय की देरी घर्षण बेरोज़गारी का कारण बनती है।
  • इसे अक्सर स्वैच्छिक बेरोज़गारी के रूप में माना जाता है क्योंकि यह नौकरी की कमी के कारण नहीं होता है, बल्कि वास्तव में बेहतर अवसरों की तलाश में श्रमिक स्वयं अपनी नौकरी छोड़ देते हैं।
  • इन व्यक्तियों को ' बेरोज़गार' माना जाता है क्योंकि उनके कार्य का रिकॉर्ड कभी भी बनाया नहीं जाता हैं।
  • यह भारत में बेरोज़गारी के मुख्य प्रकारों में से एक है।
  • बड़े व्यवसाय वाले बड़े संयुक्त परिवारों में बहुत से ऐसे व्यक्ति होंगे जो कोई काम नहीं करते हैं तथा परिवार की संयुक्त आय पर निर्भर रहते हैं।
  • यह बेरोज़गारी के प्रमुख कारणों में से एक है।
  • हालाँकि भारत में कृषि अविकसित है।
  • साथ ही यह मौसमी रोज़गार भी प्रदान करती है।
  • कुटीर उद्योगों का उत्पादन गिरने से कई कारीगर बेरोज़गार हो गए।
  • कम गतिशीलता के लिये भाषा, धर्म और जलवायु जैसे कारक भी ज़िम्मेदार हैं।
  • इस प्रकार बहुत से लोग जो कार्य करने के इच्छुक हैं वे कौशल की कमी के कारण बेरोज़गार हो जाते हैं।

सरकार द्वारा हाल की पहल

  • आजीविका और उद्यम हेतु सीमांत व्यक्तियों के लिये समर्थन (SMILE)
  • पीएम-दक्ष (प्रधानमंत्री दक्ष और कुशल संपूर्ण हितग्राही)
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई)
  • स्टार्टअप इंडिया योजना
  • रोज़गार सृजित करने हेतु प्रत्येक उद्योग के लिये व्यक्तिगत रूप से डिज़ाइन किये गए विशेष पैकेजों की आवश्यकता होती है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण लोगों के प्रवास को कम करने में मदद मिलेगी जिससे शहरी क्षेत्र की नौकरियों पर दबाव कम होगा।
  • कौशल विकास के माध्यम से मानव पूंजी में वृद्धि करना।
  • औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों में सभी नागरिकों के लिये पर्याप्त संख्या में अच्छी गुणवत्ता वाली नौकरियों का सृजन करना।
  • श्रम बाज़ार में सामाजिक एकता और समानता को मज़बूत करना।
  • सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों में सुसंगतता और अभिसरण ।
  • उत्पादक उद्यमों में प्रमुख निवेशक बनने के लिये निजी क्षेत्र का समर्थन करना।
  • अपनी आय में सुधार करने के लिये अपनी क्षमताओं को मज़बूत करके स्वरोज़गार करने वाले व्यक्तियों का समर्थन करना।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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भारत में बेरोजगारी की समस्या पर लेख निबंध | Unemployment is Big Problem in India Essay in Hindi

भारत में बेरोजगारी की समस्या पर लेख निबंध Unemployment in India Essay (Bharat me berojgari ki samasya) in hindi

अगर हम बहुत ही सरल शब्दो मे समझना चाहे, तो बेरोजगारी का सीधा सीधा संबंध काम या रोजगार के अभाव से है. या कहा जा सकता है कि जब किसी देश की जनसंख्या का अनुपात वहा उपस्थित रोजगार के अवसरो से कम हो, तो उस जगह बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो जाती है. बढ़ती बेरोजगारी के कई कारण हो सकते है जैसे बढ़ती जनसंख्या, शिक्षा का अभाव, ओधगिकरण आदि.

Berojgari ki samasya

Table of Contents

भारत में बेरोजगारी की समस्या (Unemployment in India in hindi)

बेरोजगारी / बेकारि से तात्पर्य उन लोगो से है, जिन्हे काम नहीं मिलता ना कि उन लोगो से जो काम करना नहीं चाहते. यहा रोजगार से तात्पर्य प्रचलित मजदूरी की दर पर काम करने के लिए तैयार लोगो से है. यदि किसी समय किसी काम की मजदूरी 110 रूपय रोज है और कुछ समय पश्चात इसकी मजदूरी घटकर 100 रूपय हो जाती है और कोई व्यक्ति इस कीमत पर काम करने के लिए तैयार नहीं है, तो वह व्यक्ति बेरोजगार की श्रेणी मे नहीं आएगा. इसके अतिरिक्त बच्चे, बुड़े, अपंग, वृध्द या साधू संत भी बेरोजगारी की श्रेणी मे नहीं आते.

जनसंख्या वृध्दी और बढ़ती बेरोजगारी :

जनसंख्या वृध्दी और शिक्षा की कमी मे गहरा संबंध है जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती गयी, उनके हिसाब से न तो शिक्षा के साधनो की वृध्दी हुई ना ही परिवार मे हर बच्चे को ठिक से शिक्षा का अधिकार मिल पाया ना व्यवस्था. आज भी भारत मे अधिक्तर जनसंख्या अशिक्षित है. परिवार मे ज्यादा बच्चो के चलते हर किसी को शिक्षा देने मे माता पिता असमर्थ पाये गए, जिसके परिणाम यह हुये,कि या तो परिवार मे बेटियो से शिक्षा का अधिकार छीना जाने लगा या पैसो की कमी के चलते परिवार के बड़े बच्चो को अपनी पढ़ाई छोड़कर मजदूरी मे लगना पढ़ा| जिसके परिणाम उन्हे आगे जाकर बेरोजगारी के रूप मे भुगतने पड़े.

जिस हिसाब से जनसंख्या मे वृध्दी हुई उस हिसाब से उद्योग और और उत्पादन मे वृध्दी नहीं हुई| यह भी बढ़ती बेरोजगारी का एक कारण है. तेजी से ओध्योगीकरण भी बढ़ती बेरोजगारी का एक कारण है. पहले भारत मे हस्तकला का काम किया जाता था, जो विश्वप्रसिध्द था, परंतु ओध्योगीकरण के चलते यह कला विलुप्त सी हो गयी और इसके कलाकार बेरोजगार.

शिक्षा और बेरोजगारी :

शिक्षा और बेरोजगारी का भी गहरा संबंध है, हमने पहले ही कहा आज भी भारत की जनसंख्या काफी बड़े अनुपात मे अशिक्षित है, तो आशिक्षा के चलते बेरोजगारी का आना तो स्वभाविक बात है. परंतु आज कल अशिक्षा के साथ साथ एक बहुत बड़ी समस्या है, हर छात्र के द्वारा एक ही तरह की शिक्षा को चुना जाना. जैसे आज कल हम कई सारे इंजीनीयर्स को बेरोजगार भटकते देखते है, इसका कारण इनकी संख्या की अधिकता है. आज कल हर छात्र दूसरे को फॉलो करना चाहता है, उसकी अपनी स्वयं की कोई सोच नहीं बची वो बस दूसरों को देखकर अपने क्षेत्र का चयन करने लगा है . जिसके परिणाम यह सामने आए है कि उस क्षेत्र मे रोजगार की कमी और उस क्षेत्र के छात्र बेरोजगार रहने लगे. आज कल न्यूज़ पेपर मे यह न्यूज़ मे आम बात है कि छोटी छोटी नौकरी के लिए भी अच्छे पढे लिखे लोग आवेदन करते है, इसका कारण उनकी बेरोजगारी के चलते उनकी मजबूरी है.

बेरोजगारी के प्रकार (Types of unemployment):

  • संरचनात्मक बेरोजगारी : यदि किसी देश की अर्थव्यवस्था मे कोई परिवर्तन होता है और उसके कारण जो बेरोजगारी उत्पन्न होती है उसे संरचनात्मक बेरोजगारी कहते है.
  • अल्प बेरोजगारी : जब कोई व्यक्ति जीतने समय काम कर सकता है, उससे कम समय उसे काम मिलता है या कह सकते है कि उसे अपनी क्षमता से कम काम मिलता है, उसे अल्प बेरोजगारी कहते है. इस अवस्था मे व्यक्ति वर्ष मे कुछ समय बेरोजगार रहता है. यह बेरोजगारी 2 प्रकार की है :
  • दृश्य अल्प बेरोजगारी
  • अदृश्य अल्प बेरोजगारी

दृश्य अल्प बेरोजगारी : इस बेरोजगारी मे व्यक्ति को अपनी क्षमता से कम समय काम मिलता है जिसके फलस्वरूप उसकी आय भी कम होती है.

अदृश्य अल्प बेरोजगारी : इस बेरोजगारी की अवस्था मे व्यक्ति को उसके द्वारा किए गए काम के अनुपात मे कम वेतन मिलता है . मतलब वह ज्यादा समय काम करता है और वेतन कम होता है.

  • खुली बेरोजगारी : यह बेरोजगारी का वह रूप है, जिसमे व्यक्ति काम करने के योग्य भी है और वह काम करना भी चाहता है, परंतु उसे काम नहीं मिलता . इस तरह की बेरोजगारी समान्यतः कृषि श्रमिकों, शिक्षित व्यक्तियों या उन लोगो मे पायी जाती है, जो काम की तलाश मे गाव से शहर की तरफ आए हो और उन्हे काम नहीं मिलता.
  • मौसमी बेरोजगारी : भारत कृषि प्रधान देश है, यहा साल मे कुछ समय जैसे फसलों की बुआई कटाई के समय श्रमिकों की आवश्यकता अधिक होती है, वही अन्य समय वे बेरोजगार हो जाते है. उसी प्रकार यदि किसान स्वयं भी साल मे केवल एक फसल लेता है, तो अन्य समय वह बेरोजगार हो जाता है.
  • छिपी बेरोजगारी : छिपी बेरोजगारी से तात्पर्य होता है, कि इसमे ऐसा लगता तो है कि व्यक्ति काम मे लगा है, परंतु वास्तविकता मे ईएसए नहीं होता और उसकी आय नहीं होती.

भारत में बेरोजगारी कैसे कम की जा सकती है

  • सरकार ने अनेक योजनायें शुरू की है, उनके तहत भारत में बेरोजगारी को कम किया जा सकता है. अगर इन योजनाओं का प्रसार सही से होता है तो बेरोगारी में कमी आ सकती है.
  • बढती जनसंख्या को कंट्रोल करना.
  • अपना खुद का व्यवसाय शुरू करें, अब सरकार भी बिजनेस लोन उपलब्ध करवा रही है.
  • भारत में डिग्री से ज्यादा अगर एक्सपीरिएंस को अहमियत दी जाए तो भारत में बेरोजगारी कम हो सकती है.
  • आरक्षण खत्म किया जाए, आज आरक्षण की वजह से अनेक प्रतिभाशाली लोग बेरोजगार हैं.

बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुये कई योजनाए लागू की गयी, उनमे से कुछ हम आपको बता रहे है:

  25 अगस्त 2005 को इस योजना को अधिनियमित किया गया. इस योजना के अंतर्गत गरीब ग्रामीण परिवार को वर्ष मे 100 दिन रोजगार उपलब्ध कराना अनिवार्य किया गया. महात्मा गाँधी रोजगार गेरेंटी योजना के अंतर्गत प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी 220 रूपय तय की गयी थी.
 इस योजना का मुख्य उद्देश्य युवाओ को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है. फिलहाल इस योजना का केंद्र उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान है.

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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

Essay on Unemployment in Hindi : हम यहां पर बेरोजगारी की समस्या पर निबंध हिंदी में शेयर कर रहे है। इस निबंध में बेरोजगारी की समस्या के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध | Essay on Unemployment in Hindi

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (250 शब्द).

भारी जन संख्या के कारण भारत देश कई प्रकार की समस्या से घेरा हुआ है। उन में से बेरोजगारी की समस्या ने सरकार और प्रजा दोनों की नींद उड़ाकर रख दी है। बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में एक बाधक है। बेरोजगारी अपने साथ गरीबी तथा दरिद्रता जैसी कई ओर समस्याओं को जन्म देती है। किसी व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार रोजगार ना मिलना, उसे बेरोजगारी कहते है।

जनसंख्या वृद्धि, मशीनीकरण, शिक्षा तथा योग्यता में कमी, आरक्षण नीति, मंदा आर्थिक विकास, कुटीर उद्योग में गिरावट और मौसमी व्यवसाय जैसे बेरोजगारी के लिए कई कारण जवाबदार है। बेरोजगारी के भी कई प्रकार होते है जैसे कि चक्रीय बेरोजगारी, घर्षण बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, छुपी हुई बेरोजगारी।

वैसे तो बेरोजगारी दूर करना आसान काम नहीं है लेकिन अगर हम थोड़े निति-नियम बनाकर चले तो यह थोड़ी कम हो सकती है। सरकार ने हर परिवार के कम से कम एक सदस्य को नौकरी देने का जरुर प्रयास करना चाहिए। शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा भी देना चाहिए, जिससे विद्यार्थी को भिन्न भिन्न प्रकार के क्षेत्र में रोजगार मिल सके।

विदेश से आयात करने वाली चीज़ों पर रोक लगाना चाहिए और देश में ही ऐसे चीजों का उत्पादन करना चाहिए। जिससे देश के लोगों को काम मिल सके। बेरोजगारी ने भ्रष्टाचार, आतंकवाद, चोरी, डकैती, अशांति तथा अपहरण जैसी अनेक घातक गुनाह को जन्म दिया है।

बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है, जो आजादी के समय से हमारे साथ जुड़ी हुई है। सरकार ने इस समस्या को दूर करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं पर अभी तक कोई सफलता हासिल नहीं कर पाई है।

berojgari ki samasya per nibandh

बेरोजगारी पर निबंध 300 शब्दों में (Berojgari ki Samasya Par Nibandh)

आज के समय में हमारे देश में बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या मानी जा रही है। भारत में बेरोजगारी का यह मुद्दा दिन प्रतिदिन गंभीर होता जा रहा है। देश में बेरोजगारी की समस्या बढ़ने के पीछे कई कारण है। देश में बेरोजगारी शिक्षा के अभाव की वजह से बढ़ रही है। साथ ही साथ रोजगार के अवसरों की कमी और जनसंख्या अधिक होने की वजह से भी बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।

बेरोजगारी के बहुत सारे कारण है और बेरोजगारी को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा कई कदम भी उठाए गए हैं। लेकिन फिर भी बेरोजगारी कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। मुख्य रूप से जो विकासशील देश में होते हैं, उन में बेरोजगारी की समस्या आम तौर पर देखी जाती है और इन्हीं में भारत का नाम भी शामिल है।

भारत भी एक विकासशील देश है और भारत में बेरोजगारी की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। दिन प्रतिदिन बेरोजगारी का इस तरह से बढ़ना देश के विकास और देश की उन्नति में नकारात्मक प्रभाव डालता है। बेरोजगारी के बहुत सारे कारण हैं, जिसमें जनसंख्या वृद्धि भी एक मुख्य कारण है। देश में लगातार जनसंख्या वृद्धि की वजह से बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो रही है।

हमारे देश में मौसम आधारित व्यवसाय अधिक होने की वजह से देश में बेरोजगारी बनी रहती है। क्योंकि यहां की जनसंख्या अधिकतर कृषि पर निर्भर है और कृषि एक मौसम के आधार पर निर्भर बिजनेस है। औद्योगिक क्षेत्र की धीमी गति की वजह से भी रोजगार के अवसर नहीं मिल पाते हैं।

सरकार को रोजगार के अवसर प्रदान करवाने के लिए कई प्रकार के प्रयास करने चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण पर मुख्य रूप से काम करना चाहिए। शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सुचारु रुप से चलाने की कोशिश करनी चाहिए और औद्योगीकरण को बढ़ावा देना चाहिए ताकि वहां से नए-नए रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके और देश का हर व्यक्ति बेरोजगारी से मुक्त हो सके।

बेरोजगारी पर निबंध 400 शब्दों में (Berojgari ki Samasya Nibandh)

आज के समय में भारत में बेरोजगारी की एक मुख्य समस्या देखने को मिल रही है। भारत देश इस समस्या से पूरी तरह से जूझ रहा है। देश का हर व्यक्ति बेरोजगारी जैसी विकट समस्या का सामना कर रहा है। देश में बेरोजगारी के बहुत सारे कारण है, जिसमें बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकीकरण विकास में कमी भी मुख्य कारण है।

बेरोजगारी क्यों बढ़ रही है?

देश भर में आज के समय में बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बेरोजगारी बढ़ने के पीछे कई कारण है, जिसकी जानकारी हम आपको नीचे कुछ इस तरह से प्रदान करवा रहे हैं:

नए रोजगार के अवसर मिलना

आज के समय में गवर्नमेंट जॉब के चक्कर में लाखों लोग तैयारियां कर रहे हैं और बेरोजगार बैठे हैं। लेकिन सरकारी भर्तियां बिल्कुल कम निकल रही है। जितने लोग तैयारियां कर रहे हैं, उनके मुकाबले सिर्फ एक पर्सेंट ही सरकारी भर्ती निकलती है। चपरासी जैसी पोस्ट के लिए भी एमए और पीएचडी डिग्री किए हुए विद्यार्थी आवेदन लगा देते हैं और एक पोस्ट के लिए 500 लोगों की प्रतिस्पर्धा बनी हुई हैं। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि देश में बेरोजगारी का क्या हाल है।

देश की बढ़ती जनसंख्या

देश में बेरोजगारी की मुख्य वजह बढ़ती जनसंख्या भी है। क्योंकि जन संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। लेकिन रोजगार के अवसर उपलब्ध ना होने की वजह से बेरोजगारी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही है।

देश में औद्योगीकरण की वृद्धि कम होना

भारत देश में ऐसे तो हर क्षेत्र में औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन धीमी गति से औद्योगिकीकरण देश में चल रहा है, जिसकी वजह से सीमित लोगों को ही नौकरी मिल पाती है। ऐसे में बेरोजगारी कम होने का कोई चांस ही नहीं है।

शिक्षा का अभाव

आज के समय में भी शिक्षा का अभाव देशभर में है और इसी वजह से रोजगार के नए अवसर लोगों को नहीं मिल रहे हैं।

बेरोजगारी को कम करने के लिए क्या करें?

  • देश में बढ़ रही बेरोजगारी को कम करना बहुत ही जरूरी है। सरकार भी इसके लिए प्रयास कर रही है और हम सभी को बेरोजगारी कम करने का प्रयास करना चाहिए।
  • बेरोजगारी को कम करने के लिए सबसे पहले हमें अपने बच्चों को और अपने आसपास के बच्चों को शिक्षित करवाना चाहिए। शिक्षा से बेरोजगारी की समस्या से 90% तक हल हो जाएगी।
  • जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करना हम सभी का फर्ज है। हालांकि सरकार भी इसके बारे में विचार विमर्श कर रही है और सरकार द्वारा भी इसके बारे में कई कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन फिर भी हम सभी को मिलकर जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करना होगा।
  • औद्योगिक विकास को लेकर सरकार द्वारा किए जाने वाले प्रयास सराहनीय है। लेकिन अभी भी इसमें और अधिक विकास तीव्र होने की आवश्यकता है और उसी से बेरोजगारी को नियंत्रित किया जा सकता है।

देश में बढ़ रही बेरोजगारी चिंता का विषय है। लेकिन यदि देश में हम शिक्षा पर ध्यान देंगे और जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देंगे तो नए रोजगार के अवसर भी मिलने शुरू हो जाएंगे और बेरोजगारी भी धीरे-धीरे कम हो जाएगी।

बेरोजगारी पर निबंध 500 शब्दों में (Berojgari ki Samasya Essay in Hindi)

हमारे देश में दिन-प्रतिदिन बेरोजगारी देश के लिए एक गंभीर समस्या बन रही है। सरकार के द्वारा कई तरह से प्रयास भी किए जा रहे हैं। लेकिन बेरोजगारी को अब तक नियंत्रण में नहीं लाया जा सका है। बेरोजगारी को लेकर सरकार के द्वारा भी चिंता जताई गई है। क्योंकि पिछले कई सालों में बेरोजगारी की दर में काफी बढ़ोतरी हुई है।

इसे देखते हुए सरकार ने बेरोजगारी भत्ता जैसी कई सुविधाएं देने का प्रयास किया है। लेकिन सिर्फ सरकारी भत्ता मिलने से बेरोजगारी खत्म नहीं हो सकती है।

पिछले सालों के बेरोजगारी के आंकड़े

देश में बेरोजगारी की दर दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। साल 1982 से लेकर 2013 के बीच बेरोजगारी की दर 7.32 प्रतिशत थी। उसके पश्चात बेरोजगारी की दर में काफी कमी देखने को मिली और बेरोजगारी की दर 5% से नीचे दर्ज हुई।

लेकिन साल 2015 के बाद एक बार फिर बेरोजगारी की दर में जबरदस्त उछाल दर्ज हुआ और यह देश के लिए चिंता का विषय बन गया है। आज के समय में बेरोजगारी की दर 9% से आगे पहुंच गई है।

बेरोजगारी को कम कैसे करें?

देशभर में जिस प्रकार से बेरोजगारी बढ़ रही है, उसी को देखते हुए सरकार के द्वारा बेरोजगारी को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन सरकार के साथ-साथ हम सभी को बेरोजगारी कम करने में अपना हाथ आगे बढ़ाना चाहिए। बेरोजगारी कम करने के लिए शिक्षा के अभाव को कम करना होगा और शिक्षा के अभाव को कम करने से बेरोजगारी को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

साथ ही साथ जनसंख्या नियंत्रण पर भी हम सभी को देश में जागरूकता फैलानी होगी और जनसंख्या नियंत्रण के प्रति सख्त कदम उठाने होंगे। देश में जनसंख्या नियंत्रण होने से बेरोजगारी कई हद तक कम हो जाएगी।

अगर ऐसे ही बेरोजगारी बढ़ी तो देश में क्या होगा?

आज जिस प्रकार से देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, उसी प्रकार की देश में यदि भविष्य में भी बेरोजगारी बढ़ती गई तो भविष्य में देश में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होगी। हालांकि इन समस्याओं का सामना आज के समय में भी हमारा देश कर रहा है, जो कुछ इस प्रकार से हैं

देश में गरीबों की संख्या में वृद्धि होगी

आज भी भारत देश में लाखों की संख्या में गरीब लोग बैठे हैं। लेकिन इस प्रकार से बेरोजगारी बढ़ती गई तो देश में गरीब लोगों की संख्या बढ़ जाएगी, जो भविष्य के लिए देश के लिए एक सबसे बड़ा चिंता का विषय बन जाएगा।

अपराध में बढ़ोतरी होगी

देश के कई कोनों में आज के समय में भी अपराध दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं और इसी प्रकार से बेरोजगारी बढ़ने से भविष्य में अपराध में और अधिक बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है। क्योंकि जब नौकरी की तलाश करते करते व्यक्ति थक जाता है तो व्यक्ति को कोई न कोई गलत रास्ता मिलता है और ऐसे में चोरी, डकैती जैसे मामले बढ़ जाएंगे।

मानसिक बीमारी में बढ़ोतरी होगी

शुरुआत में विद्यार्थी सरकारी नौकरी पाने की चाह में बहुत कोशिश करता है। लेकिन नौकरी नहीं मिलने की वजह से विद्यार्थी के दिमाग पर मानसिक प्रेशर बढ़ जाता है और ऐसे में व्यक्ति मानसिक तनाव और मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाता है और भविष्य में भी इन बीमारियों का सामना हम सभी को करना पड़ेगा।

देश में इस प्रकार से बढ़ रही बेरोजगारी देश के लिए एक चिंता का विषय है। सरकार के द्वारा भी अधिकारी को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। हम सभी को सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बेरोजगारी को कम करने का प्रयास करना चाहिए।

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध 800 शब्दों में (Berojgari ki Samasya Per Nibandh)

लगभग दुनिया के सभी  देशों में बढ़ती जनसंख्या ने बेरोजगारी को आज विस्फोटक स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। बेरोजगारी के आंकड़े दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे है। अब बेरोजगारी इतना विकराल और भयावह रूप धारण कर चुका है कि इसका सामना करना हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है।

उन लाखों युवाओं के लिए कोई रोजगार नहीं है, जो हर साल शिक्षण संस्थानों में से पढ़कर बाहर हो रहे हैं। हमारी सरकार और योजनाकारों के सामने बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। बेरोजगारी का राष्ट्रीय संकट भारत की एक बड़ी आबादी को विशेष रूप से युवा पीढ़ी को प्रभावित करता है।

बेरोजगारी का अर्थ

एक कुशल और प्रतिभाशाली व्यक्ति को कई कारणों से उचित नौकरी नहीं मिलना यह स्थिति बेरोजगारी को संदर्भित करती है।

बेरोजगारी के कारण

बेरोजगारी का मुख्य कारण जन संख्या है। देश की जनसंख्या में जिस गति के साथ वृद्धि हो रही है, लेकिन उसी गति से औद्योगिक उन्नति और राष्ट्रीय आय में वृद्धि नही हो रही है। देश की शिक्षित जन संख्या के मुकाबले में नौकरी की सीट काफी कम है। बिज़नेस के लिए कठिन निति-नियम होने के कारण देश के युवा नौकरी करना ज्यादा पसंद करते है।

वर्षो से हमारी शिक्षा व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। हमारी यह शिक्षा प्रणाली सिर्फ डिग्रीयां तक ही सीमित है। उच्च शिक्षा प्राप्त होने के बाद भी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिल पाती है। वर्तमान समय में बढ़ते टेक्नोलॉजी की वजह से मशीन ने आदमी की जगह ले ली है, जिसने काफी लोगों की रोजगारी छीन ली है।

पूंजी की कमी, निवेश की कमी, कम उत्पादन, व्यापार चक्र में गिरावट, उद्योगों की अव्यवस्था, प्रौद्योगिकी का उपयोग आदि जैसे कारक बेरोजगारी के मूल कारण हैं।

बेरोजगारी के प्रकार

बेरोजगारी के मुख्यत्व दो प्रकार है। स्वैच्छिक और अनैच्छिक बेरोजगारी। स्वैच्छिक बेरोजगारी तब उत्पन्न होती है जब कोई व्यक्ति काम न करने की इच्छा से किसी रोजगार के आधीन नहीं होता है और वह अपने काम के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहता है।

अनैच्छिक बेरोजगारी में विभिन्न प्रकार की बेरोजगारी जैसे की प्रच्छन्न बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, खुली बेरोजगारी, तकनीकी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ अन्य बेरोजगारी जैसे की चक्रीय बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, अल्प रोजगार, घर्षण बेरोजगारी, पुरानी बेरोजगारी और आकस्मिक बेरोजगारी भी है।

बेरोजगारी के दुष्परिणाम

बेरोजगारी हमारे देश के लिए अभिशाप बन गई है, वो देश के युवा लोगों की मानसिक शांति छीन लेती है। देश के युवानों को तनावग्रस्त जीवन जीने पर मजबूर कर देती है। बेरोजगारी के कारण देश के कई लोग निर्धनता और भुखमरी के शिकार हो जाते है। युवाओं में बढ़ता आक्रोश  चोरी, डकैती, हिंसा, अपराध और आत्महत्या जैसे अपराध करने पर मजूर कर देता है।

बेरोजगारी निराशा और असंतोष का कारण बनती है। यह सनक को जन्म देता है और विनाशकारी दिशाओं में युवाओं की ऊर्जा को नष्ट कर देता है। बेरोजगारी के कारण मानसिक स्थिति से बचने के लिए लोग ड्रग्स और शराब की बुरी आदतों से ग्रस्त हैं।

बेरोजगारी दूर करने के उपाय

बेरोजगारी को संपूर्ण दूर नही किया जा सकता। सही दिशा में कुछ प्रयास करने से वो कम हो सकती है। सबसे पहले हमें जन संख्या को काबू करना होगा। जन संख्या काबू में करने के लिए हमें खुद से जागरूक होना पड़ेगा। सरकार को छोटे छोटे बिज़नेस को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए कई निति नियम बनाने होंगे। यदि ज्यादा मात्रा में छोटे छोटे बिज़नेस को बढ़ावा दिया जाएगा तो युवायों को ज्यादा मात्रा में नौकरीया मिलेंगी।

स्व-रोजगार को सरकारी सहायता के साथ और अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। भारत एक कृषि प्रधान देश है। सरकार को प्रत्येक क्षेत्र विशेष रूप से कृषि के सुधार पर ध्यान देना चाहिए। बेहतर सिंचाई सुविधाएं, बेहतर कृषि उपकरण, बहु फसल चक्रण और फसल प्रबंधन के बारे में ज्ञान के प्रसार पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

हमें अपनी पुरानी शिक्षा नीति को बदलना पड़ेगा। व्यावसायिक तथा तकनीकी शिक्षा पर अधिक जोर देना होगा। भारत सरकार ने बेरोजगारी दर को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और राजीव गांधी स्वावलंबन रोजगार योजना जैसी योजनाएं भारत में बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए सरकार द्वारा की गई पहलों के उदाहरण हैं।

भारत सरकार बेरोजगारी को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी उठा रही है। समय आ गया है कि भारत के लोग सरकार के साथ मिलकर एकता के साथ इस समस्या का सामना करें।

वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी युवाओं के कौशल विकास पर जोर दिया है ताकि वे राष्ट्र निर्माण के मिशन को पूरा कर सकें। देश को अपने वर्तमान परिदृश्य पर गंभीरता से विचार करने और बेरोजगारी की विशाल समस्या का सामना करने के लिए कुछ गंभीर उपचारात्मक उपायों के बारे में सोचने की जरूरत है। अंततः यह समस्याराष्ट्र के पतन की ओर ले जाएगा।

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध pdf

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Rahul Singh Tanwar

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बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध (Essay on Unemployment Problem and Solution in Hindi)

Table of Contents

बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर 700 शब्दों का निबंध

बेरोजगारी क्या है?

बेरोजगारी तब होती है जब कोई व्यक्ति जो सक्रिय रूप से रोजगार खोज रहा है वह असमर्थ है। बेरोजगारी का उपयोग अक्सर अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य के उपाय के रूप में किया जाता है।

बेरोजगारी का सबसे लगातार उपाय बेरोजगारी दर है। बेरोजगारी एक आर्थिक संकेत हैं जो अधिक लोगों में देखा गया हैं। न केवल हमारे देश भारत में बल्कि पूरे विश्व में बेरोजगारी एक बहुत गंभीर मुद्दा है। यहां लाखों और हजारों लोग ऐसे हैं, जिनके पास रोजगार नहीं है। बढ़ती जनसंख्या और नौकरियों की मांग के कारण भारत में बेरोजगारी की समस्या बहुत गंभीर है। बेरोजगारी ना केवल हमारे देश में है, यह तो पूरे विश्व में फैला हुआ हैं। हर सौ में से देखा जाए तो साठ लोग अभी बेरोजगार हैं। बेरोजगारी के वजह से तो कितने लोगों की मृत्यु भी हो गईं हैं। और ये रुक नहीं रही। हर साल हम कितने गरीब लोग अपनी जान गवा बैठते है। उन्हें अपना जीवन यापन करने के लिए ना कुछ पैसे रहते ना कुछ खाने का।

हम अधिकतर ट्रेन या स्टेशन पर ये देखते हैं कि कितने लोग भीख मांगते हैं। वह इसलिए भी है क्यूकि उन्हें ना खाने का कुछ रहता है और ना रहने का जगह।और उनमें ज्यादातर बच्चे रहते हैं।बेरोजगार होने के लिए आबादी के एक बड़े हिस्से का बहुत कारण है। इनमें से कुछ कारण जनसंख्या वृद्धि, धीमी आर्थिक वृद्धि, मौसमी व्यवसाय, आर्थिक क्षेत्र में गिरावट। अभी स्थिति इतनी कठोर हो गई है कि लोग कुछ भी करने को तैयार है।

इन सबके अलावा, आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र में लगा हुआ है और यह क्षेत्र केवल रोजगार प्रदान करता है।बेरोजगारी विभिन्न कारणों से होती है जो मांग पक्ष, या नियोक्ता, और आपूर्ति पक्ष, या कार्यकर्ता दोनों से आते हैं।

2020 में अभी बेरोजगारी कि स्थिति-

अगर हम अभी की बात करे तो अभी का जो समय हैं उससे हम ये आंकड़ा लगा सकते हैं कि अभी बेरोजगारी और बढ़ेगी। हम सब जानते हैं कि अभी कोरोना काल हैं और इसमें सभी लोग अपने घरों पर हैं। कितने लोगों की तो नौकरी भी छुट गई हैं। जो लोग काम करते थे वो सब भो अपने घर पर बैठ गए हैं।इस वजह से सबसे ज्यादा परेशानी किसान,मजदूर लोगों को हैं। यहां तक कि हमने ये भी देखा है की जितने लोग बाहर थे वे सब अपने घर वापस लौट गए हैं क्यूकि उन्हें काम से निकाल दिया गया है। बड़ी बड़ी कंपनिया भी बंद हो चुकी हैं और वो लोग तो अपने लोगों को काम पर से भी हटा रहे।

अब समस्या तो ये है कि ये लोग जाएंगे कहां और ये लोग अपना घर को कैसे चलाएंगे। ये लोग परेशान होकर तो खुदकुशी के रहे।और जब सब ठीक रहेगा तो ये जरूरी नहीं कि सब लोगों को नौकरी मिल ही जाएगी। यह सब बेरोजगारी का मुख कारण हैं।बेरोजगारी और गरीबी साथ-साथ चलती है। बेरोजगारी की समस्या गरीबी की समस्या को जन्म देती है।

लंबे समय तक के रोजगार ना मिलने के बाद युवा पैसे कमाने का गलत तरीका ढूंढते हैं।बेरोजगारी से छुटकारा पाने के लिए तनाव, वे शराब या ड्रग्स स्वीकार करते हैं। बेरोजगार लोग आत्महत्या को अपने जीवन के अंतिम विकल्प के रूप में स्वीकार करते हैं। यह मानसिक के साथ-साथ शारीरिक रूप से भी प्रभावित करता हैं।

बेरोजगारी का समाधान-

  • बेरोजगारी का सबसे पहला समाधान हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करना है। सरकार को लोगों को छोटे परिवार रखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए। सरकार को स्कूलों और विश्वविद्यालयों की देखभाल के लिए एक समिति का चयन करना चाहिए। पढ़ाए जाने वाले सिलेबस का उद्योगों के लिए कोई उपयोग नहीं है, इसलिए शिक्षा वर्तमान के अनुसार होनी चाहिए और तीव्र औद्योगीकरण का सृजन किया जाना चाहिए।
  • ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से ग्रामीण लोगों का शहरी शहरों में पलायन रुकेगा और इससे शहरी शहर की नौकरियों पर अधिक दबाव नहीं पड़ेगा।
  • अधिक विदेशी कंपनियों को भारत में अपनी इकाई खोलने की अनुमति देनी चाहिए, ताकि रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध हों।
  • जो भी योजना बनता हैं उसे नियमित रुप से देखना चाहिए कि वो काम कर रहा है या नहीं।
  • शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए, संगठित औद्योगिक क्षेत्र को भी पर्याप्त संख्या में श्रमिकों को अवशोषित करना चाहिए।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य पर ज्यादातर ध्यान देना चाहिए। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अधिक स्कूल, अस्पताल, स्वास्थ्य देखभाल क्लीनिक न केवल उनके निर्माण के दौरान रोजगार पैदा करेंगे, बल्कि और भी महत्वपूर्ण होंगे, जब वे शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए काम करना शुरू करेंगे।

बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर 300 शब्दों का निबंध

बेरोजगारी कया हैं?

आज कई समस्याएं हैं समाज में, लेकिन परिवार, समाज, राज्य और देश में बेरोजगारी की समस्या अलग है। लोगों को काम नहीं मिलता और मिलता भी है तो अपनी क्षमता के मुताबिक नहीं मिलता। यह बेरोजगारी है। यह समस्या एक बड़ा संकट है कई चीजों के कारण ये होता है जैसे कृषि में रुचि की कमी और इसके कारण बेरोजगारी की स्थिति पैदा होती है।

बेरोजगारी का दुस्प्रभाव :

औद्योगिक क्षेत्र मजदूर जो संकट के दौर से जूझ रहे हैं बेरोजगारी या मानसिक पीड़ा और, सामाजिक दुर्व्यवहार, अपराध को चुनने लगते है ताकि पैसा का पाए। आज कल कई लोग किसी भी रूप में धन प्राप्त करने के गलत तरीके को स्वीकार करते है और इसका बोहोत खराब परिणाम होता है। उन्हें इसी के वजह से आगे कठिनाई का सामना करना पड़ता हैं।शिक्षा प्रणाली भी इसका मुख्य कारण है। हमारे देश की शिक्षा उन्हें प्रवेश के लिए उपयुक्त नहीं है। हमें जो शिक्षा मिलती है वह हमारे जीवन में काम नहीं आती है।

जनसंख्या लगातार बढ़ रहा है। जिसके कारण रोजगार में बाधक है। बढ़ती आबादी के कारण काम कम हो रहा है। कंप्यूटर के आने से लाखों लोग बेकार हो गए हैं, क्योंकि एक कंप्यूटर दस के रूप में अकेले काम करता है। हमारे देश के किसान अनपढ़ हैं, इसलिए वे खेती के नए और वैज्ञानिक तरीके से अनजान हैं। किसान गरीब हैं जिसके कारण वे अपने लिए नए चीजों को खरीदने असमर्थ हैं।

इन समस्याओं का हल यही है कि सबसे पहले शिक्षा प्रणाली को सुधारना होगा। समाज में फैली बेरोजगारी को हटाना होगा। लोगों को शिक्षित करना होगा। तभी यह समस्या मिट सकेगी।

हमारे देश की सरकार को इस समस्या को हल करने के लिए एक उपयुक्त और बेहतर समाधान खोजना चाहिए; अन्यथा देश कभी आगे नहीं बढ़ेगा। इसके लिए, शिक्षा नीति अच्छी करनी होगी और साथ ही साथ नौकरी का भी प्रवधान रखना होगा ताकि लोग पढ़ने के लिए जागृत होंगे आगे नौकरी भी कर लेंगे।

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Unemployment Problem And Solution Essay In Hindi

बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – Unemployment Problem And Solution Essay In Hindi

बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – essay on unemployment problem and solution in hindi.

संकेत बिंदु –

  • बेरोज़गारी के कारण
  • बेरोज़गारी के परिणाम
  • बेरोज़गारी का अर्थ
  • समाधान के उपाय

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना – स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश को कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ा है। इन समस्याओं में मूल्य वृद्धि, जनसंख्या वृद्धि, प्रदूषण, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी आदि प्रमुख हैं। इनमें बेरोजगारी का सीधा असर व्यक्ति पर पड़ता है। यही असर व्यक्ति के स्तर से आगे बढ़कर देश के विकास में बाधक सिद्ध होता है।

Unemployment Problem And Solution Essay In Hindi

बेरोज़गारी का अर्थ – ‘रोज़गार’ शब्द में ‘बे’ उपसर्ग और ‘ई’ प्रत्यय के मेल से ‘बेरोज़गारी’ शब्द बना है, जिसका अर्थ है वह स्थिति जिसमें व्यक्ति के पास काम न हो अर्थात जब व्यक्ति काम करना चाहता है और उसमें काम करने की शक्ति, सामर्थ्य और योग्यता होने पर भी उसे काम नहीं मिल पाता है। यह देश का दुर्भाग्य है कि हमारे देश में लाखों-हज़ारों नहीं बल्कि करोड़ों लोग इस स्थिति से गुजरने को विवश हैं।

Unemployment Problem And Solution Essay

बेरोज़गारी के कारण – बेरोज़गारी बढ़ने के कई कारण हैं। इनमें सर्वप्रमुख कारण हैं- देश की निरंतर बढ़ती जनसंख्या। इस बढ़ती जनसंख्या के कारण सरकारी और प्राइवेट सेक्टर द्वारा रोज़गार के जितने पद और अवसर सृजित किए जाते हैं वे अपर्याप्त सिद्ध होते हैं। परिणामतः यह समस्या सुरसा के मुँह की भाँति बढ़ती ही जाती है। बेरोज़गारी बढ़ाने के अन्य कारणों में अशिक्षा, तकनीकी योग्यता, सरकारी नौकरी की चाह, स्वरोज़गार न करने की प्रवृत्ति, उच्च शिक्षा के कारण छोटी नौकरियाँ न करने का संकोच, कंप्यूटर जैसे उपकरणों में वृद्धि, मशीनीकरण, लघु उद्योग-धंधों का नष्ट होना आदि है।

इनके अलावा एक महत्त्वपूर्ण निर्धनता भी है, जिसके कारण कोई व्यक्ति चाहकर भी स्वरोज़गार स्थापित नहीं कर पाता है। हमारे देश की शिक्षा प्रणाली भी ऐसी है जो बेरोजगारों की फौज़ तैयार करती है। यह शिक्षा सैद्धांतिक अधिक प्रयोगात्मक कम है जिससे कौशल विकास नहीं हो पाता है। ऊँची-ऊँची डिग्रियाँ लेने पर भी विश्वविद्यालयों और कालेजों से निकला युवा स्वयं को ऐसी स्थिति में पाता है जिसके पास डिग्रियाँ होने पर भी काम करने की योग्यता नहीं है। इसका कारण स्पष्ट है कि उसके पास तकनीकी योग्यता का अभाव है।

समाधान के उपाय – बेरोज़गारी दूर करने के लिए सरकार और बेरोज़गारों के साथ-साथ प्राइवेट उद्योग के मालिकों को सामंजस्य बिठाते हुए ठोस कदम उठाना होगा। इसके लिए सरकार को रोजगार के नवपदों का सृजन करना चाहिए। यहाँ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नवपदों के सृजन से समस्या का हल पूर्णतया संभव नहीं है, क्योंकि बेरोजगारों की फ़ौज बहुत लंबी है जो समय के साथसाथ बढ़ती भी जा रही है। सरकार को माध्यमिक कक्षाओं से तकनीकी शिक्षा अनिवार्य कर देना चाहिए ताकि युवा वर्ग डिग्री लेने के बाद असहाय न महसूस करे।

सरकार को स्वरोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए बहुत कम दरों पर कर्ज देना चाहिए तथा युवाओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था करते हुए इन उद्योगों का बीमा भी करना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह लघु एवं कुटीर उद्योगों के अलावा पशुपालन, मत्स्य पालन आदि को भी बढ़ावा दे। प्राइवेट उद्यमियों को चाहिए कि वे युवाओं को अपने यहाँ ऐसी सुविधाएँ दे कि युवाओं का सरकारी नौकरी से आकर्षण कम हो। युवा वर्ग को अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए तथा उनकी उच्च शिक्षा बाधक नहीं बल्कि सफलता के मार्ग का साधन है जिसका प्रयोग वे समय आने पर कर सकते हैं। अभी जो भी मिल रही है उसे पहली सीढ़ी मानकर शुरुआत तो करें। इसके अलावा उच्च शिक्षा के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा अवश्य ग्रहण करें ताकि स्वरोजगार और प्राइवेट नौकरियों के द्वार भी उनके लिए खुले रहें।

बेरोज़गारी के परिणाम – कहा गया है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। बेरोज़गार व्यक्ति खाली होने से अपनी शक्ति का दुरुपयोग असामाजिक कार्यों में लगाता है। वह असामाजिक कार्यों में शामिल होता है और कानून व्यवस्था भंग करता है। ऐसा व्यक्ति अपना तथा राष्ट्र दोनों का विकास अवरुद्ध करता है। ‘बुबुक्षकः किम् न करोति पापं’ भूखा व्यक्ति कौन-सा पाप नहीं करता है अर्थात भूखा व्यक्ति चोरी, लूटमार, हत्या जैसे सारे पाप कर्म कर बैठता है। अत: व्यक्ति को रोज़गार तो मिलना ही चाहिए।

उपसंहार – बेरोज़गारी की समस्या पूरे देश की समस्या है। यह व्यक्ति, समाज और देश के विकास में बाधक सिद्ध होती है। जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाने के साथ ही इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। बेरोज़गारी कम करने में सरकार के साथ-साथ समाज और युवाओं की सोच में बदलाव लाना आवश्यक है।

बेरोजगारी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Unemployment Essay in Hindi

आज हम आपके लिए बेरोजगारी पर निबंध लेकर आये हैं, आज बेरोजगारी की समस्या बेहद गंभीर है इस विषय पर हमने निचे 100 शब्दों में, 150, 250 शब्दों में और 500 शब्दों में हिंदी निबंध लिखा हुआ है जो की आपके काम आ सकती है।

बेरोजगारी पर निबंध

प्रस्तावना:

आज हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बेरोजगारी बढ़ती ही जा रही है। ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो इस समस्या से जूझ रहे हैं क्योंकि उनके पास अपनी जीविका चलाने के लिए कोई काम धंधा नहीं है। यह ऐसा गंभीर मुद्दा है जिसको अगर सुलझाया ना जाए तो दिन पर दिन इससे लोग प्रभावित होते रहेंगे।

किसी भी देश की प्रगति तब तक संभव नहीं है जब तक वहां पर उचित रोजगार के अवसर ना हो। हमारी भारत सरकार हालांकि भारत से बेरोजगारी दूर करने के लिए बहुत से तरीके अपना रही है लेकिन बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण अभी भी भारी संख्या में लोग बेरोजगारी से जूझ रहे हैं।

बेरोजगारी बढ़ने के कारण:

हमारे देश में बेरोजगारी बढ़ने के कई सारे कारण हो सकते हैं उसमे कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

  • शिक्षा का अभाव
  • जनसंख्या वृद्धि
  • कौशल की कमी
  • सरकारी नौकरी की इच्छा
  • स्वरोजगार के लिए जागरूक नहीं होना
  • व्यवसाय के लिए पूंजी और जानकारी का आभाव

आज के समय में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या अधिक है उसका सबसे बड़ा कारण कौशल की कमी है। देश की शिक्षा व्यवस्था कुछ इस प्रकार है कि उसमें लोगों की कौशल विकास पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता जिसकी वजह से लोग नौकरी की तलाश करते हैं और स्वरोजगार के लिए तैयार नहीं हो पाते।

berojgari par nibandh in hindi

बेरोजगारी पर निबंध 100 शब्दों में 

वर्तमान समय में हमारे देश में ऐसी स्थिति बनी हुई है कि ज्यादातर लोग बेरोजगार हैं। देखा जाए तो बेरोजगारी किसी भी देश के लिए अभिशाप से कम नहीं है क्योंकि इससे सभी लोगों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

बेरोजगारी की वजह से किसी भी इंसान का जीवन खुशहाल नहीं हो सकता क्योंकि इसके साथ गरीबी और भुखमरी जैसी परेशानियां भी जन्म लेती हैं। हमारे देश में आज ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिनको उनकी योग्यता के अनुसार काम नहीं मिलता और ऐसे में उन्हें कोई छोटा मोटा काम करके गुजारा करना पड़ता है।

बहुत से युवाओं को तो नौकरी मिलती ही नहीं है जिसकी वजह से उनका जीवन काफी दुखदायी हो जाता है। इसके पीछे एक नहीं अनेकों कारण है जैसे की जनसंख्या का तेजी से बढ़ना, नौकरी पर अधिक निर्भर होना, मशीनीकरण, शिक्षा की कमी, कुटीर उद्योग में गिरावट इत्यादि। 

बेरोजगारी पर निबंध 150 शब्दों में 

भारत में बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है और यह समस्या बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। वैसे तो बेरोजगारी की समस्या के पीछे बहुत सारे कारण हैं लेकिन शिक्षा और कौशल की कमी एक बड़ी वजह है जिससे भी हर दिन बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए भारत सरकार ने बहुत से कदम भी उठाए हैं लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पायी है। 

वैसे तो भारत की गिनती विकासशील देशों में होती है लेकिन यहां बेरोजगारी ने अपने कदम जमाए हुए हैं। किसी भी देश के लिए बेरोजगारी में वृद्धि होना काफी खतरनाक होता है क्योंकि यह उसके विकास और उन्नति में काफी बुरा प्रभाव डालती है। 

बेरोजगारी दूर करने के उपाय 

बेरोजगारी जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं –

  • जनसंख्या पर नियंत्रण करना चाहिए।
  • केवल नौकरी पर निर्भर नही रहना चाहिए लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • सरकार को चाहिए कि सभी वर्गों के लिए उचित रोजगार की सुविधा उपलब्ध कराए। 
  • देश की शिक्षा और व्यवस्था को बेहतरीन तरीके से चलाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
  • शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सिमित नही होनी चाहिए बल्कि कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) पर ध्यान देना चाहिए।
  • औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवाई जा सके। 

बेरोजगारी पर निबंध 250 शब्दों में 

बेरोजगारी की समस्या आम बन चुकी है जिसकी चपेट में हमारा पूरा देश आया हुआ है। देश का हर दूसरा तीसरा व्यक्ति बेरोजगार है। हजारों लाखों लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने बड़ी-बड़ी डिग्रियां हासिल की हुई है लेकिन फिर भी वो बेरोजगार हैं। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि अधिक पढ़ाई करने के बाद भी लोग चपरासी जैसी छोटी मोटी नौकरियां करके गुजारा कर रहे हैं। 

बेरोजगारी के मुख्य कारण 

देश में बढ़ती हुई बेरोजगारी के अनेकों कारण हैं जिनमें से मुख्य कारण इस प्रकार से हैं –

  • लोगों में शिक्षा की कमी है जिसकी वजह से उन्हें रोजगार के नए अवसरों का लाभ नहीं मिल पाता।
  • लोग स्वरोजगार के लिए जागरूक नही हैं सिर्फ नौकरी पाने की होड़ लगी हुई है।
  • भारत में औद्योगिकरण की गति काफी धीमी है जिसकी वजह से केवल कुछ ही लोगों को नौकरी के अवसर मिलते हैं। 
  • देश में जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही है ऐसे में रोजगार के उपलब्ध साधन सीमित हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी में भी तीव्रता आ रही है।
  • बहुत से लोगों की सरकारी नौकरी करने की चाह होती है जिसकी वजह से अगर उन्हें कोई अच्छी प्राइवेट नौकरी मिलती भी है तो वो उसमें रुचि नहीं लेते। लेकिन सरकारी नौकरी के लिए जो कंपटीशन होता है उसमें भारी संख्या में लोग भाग लेते हैं और नौकरी केवल चुनिंदा लोगों को ही मिलती है। यह भी एक बहुत बड़ा कारण है बेरोजगारी को बढ़ाने के पीछे। 

बेरोजगारी के मुख्य प्रकार 

बेरोजगारी आमतौर पर दो तरह की होती है जो कि इस प्रकार से है –

  • स्वैच्छिक बेरोजगारी – स्वैच्छिक बेरोजगारी का मतलब होता है जब किसी इंसान को काम तो मिल जाए लेकिन उसकी काम करने की बिल्कुल भी इच्छा ना हो। ऐसे लोग किसी भी काम को करने के अधीन नहीं होते हैं और इसके अलावा वह अपने काम से किसी भी तरह का कोई भी समझौता नहीं करते। 
  • अनैच्छिक बेरोजगारी – अनैच्छिक बेरोजगारी कई तरह की होती है जैसे कि मौसमी बेरोजगारी, टेक्निकल बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, पुरानी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी और आकस्मिक बेरोजगारी। 

बेरोजगारी पर निबंध 500 शब्दों में 

बढ़ती हुई बेरोजगारी किसी भी देश के लिए बहुत ही ज्यादा चिंता की बात है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि देश में लोगों के पास रोजगार नहीं होगा तो ऐसे में खुशहाली भी नहीं होगी। जब लोगों की मूलभूत जरूरतें भी पूरी नहीं होती और उनके पास रोजगार भी नहीं होता तो ऐसे में उनके जीवन पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

भारत में बेरोजगारी के जो आंकड़े हैं वो लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। यह हमारे देश के लिए एक अत्यधिक चिंता का विषय है क्योंकि जिस तरह से बीते कुछ सालों में बेरोजगारी की दर में उछाल आया है वो काफी गंभीर विषय है। 

बेरोजगारी का क्या अर्थ है 

बेरोजगारी का मतलब होता है कि जब कोई बहुत ज्यादा कुशल और प्रतिभाशाली व्यक्ति किसी कारणवश उचित नौकरी हासिल नहीं कर पाता तो तब यह स्थिति बेरोजगारी को जन्म देती है। 

भारत में बेरोजगारी को जन्म देने वाले कारक 

हमारे देश भारत में बेरोजगारी को जन्म देने वाले कारक निम्नलिखित इस प्रकार से हैं –

  • हमारे देश भारत की जनसंख्या बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ रही है जिसकी वजह से देश में बेरोजगारी भी बढ़ रही है। 
  • देश का आर्थिक विकास भी काफी धीमी गति से हो रहा है जिसकी वजह से लोगों को रोजगार के मौके बहुत ही कम मिल रहे हैं और ऐसे में बेरोजगारी की दर में वृद्धि हो रही है। 
  • मौजूदा समय में कुटीर उद्योग के उत्पादन में काफी ज्यादा गिरावट आई है और कहीं ना कहीं यह भी बेरोजगारी का एक बड़ा कारण है। 
  • भारत में तकनीकी उन्नति काफी धीमी गति से हो रही है और इस वजह से भी बेरोजगारी बढ़ रही है। 
  • बहुत से लोग अपनी शिक्षा बीच में ही अधूरी छोड़ देते हैं और इस वजह से उन्हें नौकरी के उचित अवसर नहीं मिल पाते। 
  • कुछ लोग सरकारी नौकरी करने के चक्कर में भी बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं। 

बेरोजगारी से उत्पन्न होने वाली समस्याएं 

बेरोजगारी से उत्पन्न होने वाली कुछ समस्याएं इस प्रकार से हैं –

  • बढ़ती हुई बेरोजगारी गरीबी को जन्म देती है। 
  • लोगों के पास यदि रोजगार नहीं होगा तो ऐसे में वह अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए अपराध करने लगेंगे। 
  • बेरोजगारी की वजह से व्यक्ति मानसिक तनाव में रहने लगता है जिसके काफी घातक परिणाम हो सकते हैं क्योंकि व्यक्ति इतना परेशान हो जाता है कि वह आत्महत्या तक भी कर लेता है। 

हालांकि बेरोजगारी को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है लेकिन इसे कुछ कोशिशों के द्वारा काफी हद तक कम किया जा सकता है – 

  • ज्यादा से ज्यादा मात्रा में लघु उद्योगो को और छोटे छोटे बिजनेस को बढ़ावा देना चाहिए। 
  • देश की बढ़ती हुई जनसंख्या पर काबू करना चाहिए।
  • सरकार को चाहिए कि वह स्वरोजगार जैसी योजनाओं के द्वारा नागरिकों की सहायता करे।
  • भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसलिए जरूरी है कि यहां की खेती बाड़ी में सुधार होना चाहिए। इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकेंगे।
  • पुराने समय से जो शिक्षा नीति चली आ रही है उसमें बदलाव करना भी जरूरी है। छात्रों को व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा देने पर ज्यादा से ज्यादा जोर होना चाहिए। ‌

बेरोजगारी पर 10 लाइन निबंध

  • वर्तमान समय में बढती हुई बेरोजगारी सभी देशों के लिए एक बहुत ही बड़ी समस्या है।
  • बेरोजगारी के साथ गरीबी और भुखमरी जैसी परेशानियां भी जन्म लेती हैं।
  • जनसंख्या बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ रही है जिसकी वजह से देश में बेरोजगारी भी बढ़ रही है। 
  • अशिक्षा, अयोग्यता और रोजगार के अवसर की कमी वजह से बेरोजगारी बढ़ रही है।
  • आजकल शिक्षित बेरोजगारी भी लगातार बढ़ रही है इसका मुख्य कारण लोग स्वरोजगार की जगह नौकरी पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।
  • कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
  • जनसँख्या नियंत्रण के लिए उचित प्रबंध करने चाहिए।
  • लघु और कुटीर उद्योगों के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहिये।

बेरोजगारी पर निबंध PDF Download

आप इस निबंध को PDF में भी डाउनलोड कर सकते हैं इसके लिए निचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें:

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  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • परोपकार पर निबंध
  • समय का महत्व पर निबंध

दोस्तों बेरोजगारी पर निबंध के इस आर्टिकल में हमने आपको बेरोजगारी से संबंधित सारी जानकारी दी। हमें पूरी उम्मीद है कि आपके लिए यह आर्टिकल काफी लाभदायक रहा होगा। हमारे इस लेख को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें। 

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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – Unemployment essay in Hindi

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (Essay on unemployment in Hindi) : आज आप यहाँ पे बेरोजगारी के बारे सब कुछ जानने को पायेंगे, जैसे की बेरोजगारी क्या है? कितने प्रकार के बेरोजगारी होते हैं? और बेरोजगारी समस्या को कैसे ठीक क्या जा सकता है. तो और देर किस बात की, बिना देर किये चलिये बढ़ते हैं हमारे मुख्य लिख की और जो है बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (Unemployment essay in Hindi) .

बेरोजगारी की समस्या पर निबं ध (450 words) – unemployment essay in Hindi

बेरोजगारी क्या है (what is unemployment in hindi).

भारत की ज्यादातर युवाओं को शायद बेरोजगारी क्या है समझाना जरूरत नहीं है. क्योंकी सबको पता है हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है गरीबी और बेरोजगारी. और ये बेरोजगारी की वजह से ही गरीबी को इतनी बड़ी पहचान मिल गयी है. तो वास्तव में हम बेरोजगारी किसे कहेंगे, चिंता करने से सिर्फ एक आदमी याद आते हैं वह हैं लोर्ड किनिस. वह कहे थे की “People at any economy desiring work but not finding it according to their qualifications is called unemployment.”

वर्तमान स्थिति में विचार करने की बात ये है की, हमारे देश में शिक्षित लोगों जिस तरह से बढ़ रहे हैं उसी तरह से बेरोजगारी की तादाद भी बढ़ रहे हैं. लेकिन सरकारी या निजी नौकरी संस्था में रिक्त पद का अनुपात बहुत कम होता है. बेरोजगारी युवाओं सब घर पर बैठे नहीं रहते है, उनमें से कुछ आत्म नियुक्ति में व्यस्त रहते हैं. तब ये सब आत्म नियुक्ति क्या है? क्या ये आत्म नियुक्ति बेरोजगारी दूर करने में सहायक नहीं होगा?  फिर सरकारी आकलन अनुसार जाना जाता है कि देश में बेरोजगारी समस्या बिलकुल भी नियंत्रण में नहीं है. तो चलिए जानते हैं बेरोजगारी कितने प्रकार के होते हैं?

berojgari ki samasya par nibandh

बेरोजगारी के प्रकार (Types of unemployment in Hindi)

1.     चिंता परिपूर्ण बेरोजगारी.

ये सब बेरोजगारी काम करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहते है, लेकिन इन सब के लिए काम नहीं होता है. इस प्रकार के बेरोजगारी सिर्फ दो कारणों से होता है. एक है जनसंख्या वृद्धि और दूसरा है युवाओं का सहर के तरफ चाह कर रहना. क्योंकि की हर युवा ये सोच रहे है की काम सिर्फ सहर पे ही मिलता है.

2.    प्रच्छन्न बेरोजगारी

इस प्रकार के बेरोजगारी थोड़ा जटिल होता है. क्योंकि इस प्रकार के बेरोजगार कहीं न कहीं रोजगार पा जाते हैं , असल में देखा जाये तो इस प्रकार के रोजगार लोगों को विकसित होने के लिए कोई भी सहायता मिल नहीं पाता है.

3.     ऋतुकालीन बेरोजगारी

भारत में, कृषि प्रक्रिया पूरे वर्ष नहीं चलती है. इसलिए किसानों कुछ महीनों तक बेकार हो कर बैठते  हैं.

बेरोजगारी की समस्या को कैसे हल करें? (How to solve the unemployment problem?)

हमारे देश की ज्यादातर युवाओं का समस्या है बेरोजगारी. और प्रायः युवा इस समस्या का संधान सिर्फ नौकरी करके हल करना चाहते है. पर ऐसा कुछ नहीं है हम सब हमारे रचनात्मकता दिमाग से बहुत कुछ कर सकते हैं. हम सब को ये सोचना चाहिए की हम खुद काम करने की बदले में दूसरों को काम दें. जब तक हम सब युवाएं ऐसे सोच नहीं रखेंगे, तो हमारा देश से तबतक बेरोजगारी दूर नहीं होगा. और हम सब को सरकार से ये निवेदन करना चाहिए की जितना हो सके नौकरी पैदा करें.

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (1000 words) – Unemployment essay in Hindi

प्रस्तावना     .

यह दुनिया एक कार्यस्थल है. हर इंसान को यहां कुछ न कुछ करना होता है. जो कोई भी व्यक्ति किसी प्रकार के काम में शामिल नहीं होता है, उसे बेरोजगार कहा जाता है. खासतौर पर भारत जैसे लोकतांत्रिक राष्ट्र में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है. यह समस्या ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में व्यापक है. शिक्षित और अशिक्षित दोनों युवा समूह इस समस्या का सामना किया है. बेरोजगारी हमारे देश की शांति, प्रगति, एकजुटता और समृद्धि में बाधा बन रही है. इसलिए कहा गया है,  “Occupation is the necessary basis of all enjoyment” – Leigh Haunt.

बेरोजगारी के मुख्य कारण क्या हैं?

जनसंख्या वृद्धि दर हमारे देश की आर्थिक विकास दर से बहुत अधिक है इसलिए देश अपेक्षा के अनुरूप प्रगति नहीं कर रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पादन जनसंख्या वृद्धि के समान दर से नहीं बढ़ पा रहा है. इस बढ़ती आबादी के लिए कृषि में पर्याप्त काम नहीं है. इसलिए आजीविका की तलाश में, कई बेरोजगार ग्रामीण इलाकों को छोड़कर शहरी क्षेत्रों को जा रहे हैं. शिक्षा के प्रसार के परिणामस्वरूप देश में शिक्षित लोगों की संख्या में वृद्धि देश में प्रगति का संकेत है; लेकिन सभी शिक्षित लोगों के पास सही नौकरियां नहीं होने के कारण शिक्षित बेरोजगारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. दिन प्रतिदिन बेरोजगारी बढ़ रही है. वर्तमान में, हमारे देश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 2 करोड़ से अधिक है.

कई कारणों से इस तरह की एक गंभीर समस्या उत्पन्न होती है. इसलिए मशीन सभ्यता कुछ मायनों में इसके लिए जिम्मेदार है. आज जो काम बहुत लोग उच्च लागत पर कर सकते हैं, वह बहुत बड़े कारखाने द्वारा बहुत कम लोगों के साथ और थोड़े समय में सहजता से किया जाता है. हमारे देश में जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है, इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार के लिए कारखानों की संख्या बढ़ाना संभव नहीं है. दोषपूर्ण शिक्षा प्रणालियों के कारण ऐसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. जैसा कि अपेक्षित था, हम सब तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं. उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद हमारे देश में कोई भी शिक्षित व्यक्ति कड़ी मेहनत करके पैसा कमाने के लिए आत्म-निर्भर महसूस करता है. अफसोस की बात है, वे अभी भी नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

हमारे देश में कृषि प्रणाली बहुत खराब है. कृषि में, किसान केवल 6 महीने के लिए सक्रिय होते हैं; लेकिन बाकी के 6 महीने बिना काम के बेकार रहते हैं. इसलिए हमारे देश के किसानों की दुर्दशा दयनीय है. किसान सबसे पिछड़े हैं. इसलिए हमारे देश में, बेरोजगारी जैसी गंभीर बीमारी समाज के हर स्तर पर हुई है.

विभिन्न श्रेणियों की बेरोजगारी

हम आमतौर पर दो तरह की बेरोजगारी देखते हैं. पहली है स्वैच्छिक बेरोजगारी (Voluntary unemployment) और दूसरी है अनैच्छिक बेरोजगारी (Involuntary unemployment).  लेकिन बेरोजगारी को विभिन्न भागों में विभाजित किया गया है.

  • चक्रीय बेरोजगारी (Cyclical Unemployment) :

यह पूंजीवादी व्यापार और वाणिज्य के मामले में होता है. कभी-कभी बड़ी संख्या में कर्मचारियों को कार्य से निकाल दिया जाता है. ऐसी स्थिति आमतौर पर तब उत्पन्न होती है जब व्यापार में खराब स्थिति होती है.

  • आकस्मिक बेरोजगारी (Sudden Unemployment) :

कार्यस्थल में अचानक परिवर्तन होने पर आकस्मिक बेरोजगारी उत्पन्न होती है. यह आमतौर पर उद्योग, वाणिज्य और व्यापार के मामले में होता है. जब कोई विशेष कार्य अचानक समाप्त हो जाता है, उस समय कई लोगों को निकाल दिया जाता है.

  • विफलता उद्योगों की वजह से बेरोजगारी (Unemployment caused by failure Industries) :

ऐसी बेरोजगारी की समस्या तब होती है जब कोई उद्योग बंद होने की कगार पर आ जाता है. इसके विभिन्न कारण हो सकते हैं. साझेदारों के बीच संघर्ष, व्यापार में भारी नुकसान या व्यावसायिक महत्व की हानि और विभिन्न अन्य कारण इस समस्या के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.

  • उद्योग और व्यापार में गिरावट के कारण बेरोजगारी (Unemployment caused by deterioration in Industry and Business) :

कभी-कभी विभिन्न प्रकार के उद्योगों, वाणिज्य और व्यापार में अचानक गिरावट आती है. इसके लिए विभिन्न कारण जिम्मेदार हैं. कर्मचारी की अक्षमता, मजबूत प्रतिस्पर्धा, कम लाभ, आदि के कारण उद्योग और व्यवसाय इस तरह की बेरोजगारी का सामना करते हैं.

  • मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment) :

कुछ उद्योग और वाणिज्य अपने कर्मचारियों को वर्ष के विशिष्ट मौसम या समय के लिए नियुक्त करते हैं. जब समय सीमा समाप्त हो जाती है, तो उन कर्मचारियों को निकाल दिया जाता है. चीनी उद्योग इसका एक उदाहरण है.

बेरोजगारी के कुछ विशेष कारण

कई समस्याओं ने इस बेरोजगारी की समस्या पैदा की है. इसके कुछ व्यक्तिगत कारण हैं. इसके लिए अधिक उम्र, व्यावसायिक अक्षमता, शारीरिक विकलांगता आदि जिम्मेदार हैं. बाहरी कारकों में तकनीकी जानकारी और वित्तीय प्रणाली शामिल हैं. अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी अर्थनीति में सुधार करती है, बेरोजगारी के कुछ के लिए कम्प्यूटरीकरण जिम्मेदार है.

बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए उपाय

जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण बेरोजगारी को खत्म करने में मदद कर सकता है. लेकिन बेरोजगारी को खत्म करने का यह एकमात्र तरीका नहीं है. शिक्षा नीतियों को बदलना और शिक्षित युवाओं के दृष्टिकोण को बदलना इस दिशा में विशेष रूप से सहायक हो सकता है. यद्यपि विभिन्न शिक्षा आयोगों ने स्वतंत्रता के बाद के भारत में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने की सिफारिश की है, लेकिन अभी तक इसका विस्तार नहीं हुआ है. जहाँ भी व्यावसायिक शिक्षा दी जाती है, वह प्रतिबद्धता और ईमानदारी की कमी के कारण यह शिक्षा फलदायी नहीं हो पा रही है. इसलिए, ऐसे युवाओं युवतियों के बहुत कम उदाहरण हैं जिन्होंने अपनी व्यावसायिक शिक्षा पूरी कर ली है और वे स्व-नियोजित हैं और किसी भी पेशे में लगे हुए हैं. इसलिए यदि व्यावसायिक शिक्षा को सार्वजनिक किया जा सकता है और बच्चे को शुरू से ही इससे जोड़ा जाता है, तो वह भविष्य में जीविका कमाने में सक्षम हो सकता है.

सरकार की योजना

सरकार देश से बेरोजगारी मिटाने के लिए काम कर रही है. आजकल, कई शिक्षित और अर्ध-शिक्षित लोगों को कुटीर उद्योग बनाने या चलाने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आर्थिक रूप से सहायता मिलता है. इन सभी योजनाओं को राज्य उद्योग विभाग के तहत विभिन्न जिला औद्योगिक केंद्रों और राष्ट्रीय करण बैंकों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है.इसके अलावा, ग्रामीण श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं लागू की गई हैं. इन सभी योजनाओं को पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभागों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है.

प्राचीन भारतीयों ने पेशे के प्रभुत्व को देखते हुए व्यापार और कृषि के पीछे सरकारी नौकरी को रखा था. लेकिन समय बीतने के साथ सरकारी नौकरी ज्यादातर लोगों की पसंदीदा पसंद बन गई है. बेरोजगारी काफी हद तक मिटने की उम्मीद है अगर ज्यादातर लोग अपनी मानसिकता को बदल दें और कृषि, उद्योग, वाणिज्य या कई अन्य नौकरियों पर ध्यान केंद्रित करें.

आपके लिए :-

  • खेलकूद की महत्व
  • दहेज प्रथा पर निबंध
  • भूकंप पर निबंध
  • नारी शिक्षा पर निबंध

ये था बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (essay on unemployment in Hindi) . उम्मीद है बेरोजगारी की समस्या के ऊपर लिखा गया ये निबंध आपको पसंद आया होगा. अगर पसंद आया है, तो इस लेख को शेयर करना न भूलें. मिलते हैं अगले लेख में. धन्यवाद.

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Berojgari Essay In Hindi बेरोजगारी पर निबंध कारण, निवारण, और निष्कर्ष

Meghna

Berojgari Essay In Hindi बेरोजगारी पर निबंध कारण, निवारण, और निष्कर्ष : बेरोजगारी भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। ऐसे सैकड़ों और हजारों लोग हैं जिनके पास रोजगार नहीं है। इसके अलावा, बढ़ती आबादी और नौकरियों की मांग के कारण भारत में बेरोजगारी ( Berojgari Essay In Hindi ) की समस्या बहुत गंभीर है। इसके अलावा, अगर हम इस समस्या की उपेक्षा करते हैं तो यह राष्ट्र के विनाश का कारण बनने जा रहा है।

मनुष्य की तीन मूलभूत आवश्यकताएँ हैं- भोजन, घर और वस्त्र । इन सभी जरूरतों को ठीक से तभी पूरा किया जा सकता है जब व्यक्ति के पास पैसा हो। और इस धन को अर्जित करने के लिए व्यक्ति को नियोजित होना चाहिए, अर्थात उसके पास वेतनभोगी व्यवसाय होना चाहिए। हालाँकि, दुनिया में और हमारे देश में भी कई लोग ऐसे हैं जो नौकरी पाने में असफल रहे हैं। ( Essay On Unemployment )

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सम्मानजनक जीवन जीने के लिए लोगों को पैसा कमाने और अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की जरूरत है। बेरोजगारी उनसे यह अधिकार छीन लेती है और उनका जीवन स्तर खराब हो जाता है। बेरोजगारी के कारण पैसे की कमी के कारण पौष्टिक भोजन की कमी हो जाती है, जिस वजह से उनका स्वस्थ्य भी प्रभावित होता है| जब बेरोजगार व्यक्तियों ( Berojgari Essay In Hindi )के बच्चों को उचित आहार नहीं मिल पाता है, तो ऐसे में वे तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। उनके जीवन की गुणवत्ता समय के साथ काफी कम हो जाती है।

तो आइये बेरोजगारी के मुद्दे पर बात करें, और जानें आखिर वो क्या वजह है जो बेरोजगारी ( Berojgari Essay In Hindi )को जन्म देती है, और इस परेशानी से निवारण कैसे पाएं| सभी जानकारियां हासिल करने के लिए पोस्ट के साथ अंत तक बने रहें|

Berojgari Essay In Hindi

बेरोजगारी क्या है? इसे एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें एक व्यक्ति जो नौकरी करने को तैयार है, उसके पास सभी आवश्यक कौशल हैं, लेकिन वह नौकरी पाने में विफल रहता है जिससे उसे आजीविका मिलती है। इसमें वे लोग शामिल नहीं हैं जो नौकरी की तलाश में नहीं हैं। ( Berojgari Essay In Hindi )

बेरोजगारी के प्रकार

अब हम जानते हैं कि बेरोजगारी क्या है लेकिन बेरोजगारी का मतलब केवल यह नहीं है कि व्यक्ति के पास नौकरी नहीं है। इसी तरह, बेरोजगारी में वे लोग भी शामिल हैं जो अपनी विशेषज्ञता से बाहर के क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। विभिन्न प्रकार की बेरोजगारी में प् रच्छन्न बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, खुली बेरोजगारी, तकनीकी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी ( Best Essay On Unemployment ) शामिल हैं।

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बेरोजगारी के कारण

स्कूलों और कॉलेजों में कौशल आधारित शिक्षा की कमी बेरोजगारी का मुख्य कारण है। हमारी शिक्षा प्रणाली मुख्य रूप से व्यावहारिक आधारित कार्यों से अधिक गुणवत्ता और ज्ञान और लिखित परीक्षा से संबंधित है।

इन्हीं कारणों से ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद इंटरव्यू का सामना करने के दौरान छात्र अपने आप में आत्मविश्वास और कौशल की कमी महसूस करते हैं। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि भी खेती पर बोझ, कृषि क्षेत्र में कम उत्पादकता, दोषपूर्ण आर्थिक नियोजन, पूंजी की कमी आदि भी बेरोजगारी के कुछ प्रमुख कारण हैं।

बेरोजगारी के प्रभाव

बेरोजगारी का प्रभाव श्रमिकों और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था दोनों द्वारा महसूस किया जा सकता है| बेरोजगारी के कारण श्रमिकों को वित्तीय कठिनाई का सामना करना पड़ता है जो परिवारों, रिश्तों और समुदायों को प्रभावित करता है। जब ऐसा होता है, तो उपभोक्ता खर्च, जो कि अर्थव्यवस्था के विकास के प्रमुख चालकों में से एक है, नीचे चला जाता है, जिससे मंदी या अवसाद भी हो जाता है।

बेरोजगारी के परिणामस्वरूप मांग, खपत और क्रय शक्ति में कमी आती है, जिसके परिणामस्वरूप व्यवसायों के लिए कम लाभ होता है और बजट में कटौती और कार्यबल में कमी आती है। यह एक ऐसा चक्र बनाता है जो चलता रहता है और उस पर किसी प्रकार के हस्तक्षेप के बिना उलटना मुश्किल होता है।

बेरोजगारी का समाधान

  • बेरोजगारी का सबसे पहला उपाय हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करना है। सरकार को लोगों को छोटे परिवार रखने के लिए प्रेरित करना चाहिए। भारत सरकार ने जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए पहल शुरू की है लेकिन फिर भी जनसंख्या बढ़ रही है
  • भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए
  • आज के युवाओं को उस संस्थान में शामिल होना चाहिए या उस पाठ्यक्रम का चयन करना चाहिए जहां उचित प्रशिक्षण दिया जाता है और पाठ्यक्रम वर्तमान उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार है। अपनी रुचि के अनुसार पाठ्यक्रम लें, जो आपका भविष्य उज्ज्वल करेगा
  • सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित और विकसित करना चाहिए ताकि ग्रामीण उम्मीदवार शहरी क्षेत्रों में पलायन न करें
  • तीव्र औद्योगीकरण का सृजन किया जाना चाहिए
  • ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से ग्रामीण लोगों का शहरों की ओर पलायन रुकेगा और इससे शहरी नौकरियों पर अधिक दबाव नहीं पड़ेगा
  • सरकार को अधिक विदेशी कंपनियों को भारत में अपनी इकाई खोलने की अनुमति देनी चाहिए, ताकि रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध हो सकें

बेरोजगारी एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक मुद्दा है जिसके परिणामस्वरूप हर चीज पर जबरदस्त प्रभाव पड़ता है लेकिन अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसके कारणों को निर्धारित करने और इसे बेहतर तरीके से कैसे संबोधित किया जाए, इसके लिए बेरोजगारी के आकलन की एक मजबूत प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।

हम उम्मीद करते हैं बेरोजगारी के ऊपर इस निबंध ( Berojgari Essay In Hindi )ने आपको इस विषय पर बहुत सी नयी जानकारियां उपलब्ध कराई होंगी|

बेरोजगारी आज की बढ़ती महंगाई के ज़माने में एक गंभीर समस्या है, और इस पर विचार किया जाना बहुत ही आवश्यक है| कई नयी जानकारियों के लिए पेज के साथ बने रहें, और अपने सुझाव हमें कमेंट बॉक्स द्वारा भेजें|

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बेरोजगारी पर निबंध- Unemployment Essay in Hindi

बेरोजगारी पर बड़े व छोटे निबंध (200, 300, 400, 600, 700, 800 से 1000 शब्दों में )- Short and long Essay on Unemployment in Hindi .

Unemployment Essay in Hindi

भारत में कई समस्याए है उसी एक समस्या में से एक बेरोज़गारी एक प्रमुख और गंभीर समस्या के रूप में उभर कर आयी है। बेरोजगारी का अर्थ है योग्यता और प्रतिभाओं के बावजूद रोजगार के अवसर पाने में नाकामयाब होना। हमारे देश में लाखो युवको के पास डिग्री और अच्छी शिक्षा है फिर भी किसी कारणवश उन्हें नौकरी नहीं मिल पाता है। बेरोजगार व्यक्ति यानी व्यक्ति हर मुमकिन या नामुमकिन कार्य करना चाहता है मगर दुर्भाग्यवश  उसे नौकरी नहीं मिल पाती है।

Table of Contents (विषय सूची- बेरोजगारी पर बड़े व छोटे निबंध )

निबंध 200-300 शब्दों में बेरोजगारी पर निबंध प्रस्तावना सहित।.

प्रस्तावना : आधुनिक युग में बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण समस्या बन चुकी है जो विभिन्न देशों को प्रभावित कर रही है। यह न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि समाज और राष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीर परिणाम उत्पन्न कर रही है।

बेरोजगारी का कारण: बेरोजगारी के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि अर्थव्यवस्था की अस्थिरता, तकनीकी उन्नति के कारण कामों की संख्या में कमी, शिक्षा संस्थानों में उचित शिक्षा की अभाव, विशेषज्ञता की कमी, और सरकारी नीतियों की अनुपयुक्तता आदि।

प्रभाव : बेरोजगारी का प्रभाव समाज के विभिन्न क्षेत्रों में महसूस होता है। यह न केवल आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक समर्थन, और समाज में सामाजिक स्थिति की दृष्टि से भी गहरा परिणाम डालता है।

समाधान : बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकारों को उचित नीतियों की प्राथमिकता देनी चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में निवेश और तकनीकी शिक्षा की महत्वपूर्णता को समझते हुए, युवाओं को उनके कौशलों के अनुसार रोजगार प्रदान करने के उपाय अपनाने चाहिए। स्वामी विवेकानंद की भारतीय युवा को शिक्षित, उद्यमी और समर्थ बनाने की प्रेरणा को मानते हुए, युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अवसर प्रदान करने चाहिए।

निष्कर्ष : बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है जिसका समाधान समाज, सरकार और व्यक्तिगत स्तर पर साथ मिलकर कर सकते हैं। उचित नीतियों के अपनाने, शिक्षा के प्रति निवेश, और युवाओं के कौशल विकास के माध्यम से हम बेरोजगारी को कम कर सकते हैं और एक समृद्धि और सकारात्मक समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

निबंध 400-500 शब्दों में – भारत में बेरोजगारी और बेरोजगारी के कारन

प्रस्तावना: बेरोजगारी एक ऐसी समस्या है जो भारतीय समाज के उन आवामी वर्गों को प्रभावित करती है, जो उचित कौशल और योग्यता के साथ होते हुए भी उचित रोजगार नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। इस निबंध में, हम भारत में बेरोजगारी के प्रकार, कारण, समस्या और इसके समाधान पर चर्चा करेंगे।

भारत में बेरोजगारी के प्रकार: बेरोजगारी के कई प्रकार हो सकते हैं, जैसे कि विद्युत बेरोजगारी, खाद्य बेरोजगारी, नौकरी की बेरोजगारी आदि। विद्युत बेरोजगारी में विद्युत योजनाओं की कमी के कारण लोगों को बिजली साप्लाई नहीं मिलती है। खाद्य बेरोजगारी में किसानों को सही मूल्य मिलने के बावजूद वे अपनी उत्पादन को बेचने में समस्या का सामना करते हैं। नौकरी की बेरोजगारी में युवाओं को विशिष्ट क्षेत्र में उचित रोजगार की कमी होती है।

भारत में बेरोजगारी के कारण:

  • अशिक्षा और योग्यता की कमी: अधिकांश लोग अवशिष्ट शिक्षा और योग्यता के बावजूद उचित रोजगार पाने में समस्या का सामना करते हैं।
  • आर्थिक संकट: भारत की अस्थिर अर्थव्यवस्था और आर्थिक संकट के कारण नौकरियों की संख्या में कमी हो सकती है, जिससे बेरोजगारी बढ़ सकती है।
  • विशेषज्ञता की कमी: कई क्षेत्रों में विशेषज्ञता की कमी के कारण युवा व्यक्तियों को उचित कौशल नहीं होता, जिससे उन्हें सही रोजगार नहीं मिलता।
  • नौकरी की अवसादना: विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी की अवसादना होने के कारण युवा लोग बेरोजगार हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें उनकी योग्यता और कौशल के आधार पर नौकरी नहीं मिलती।
  • असमानता: भारत में आर्थिक असमानता के कारण कुछ लोगों को उचित रोजगार पाने में समस्या हो सकती है, जबकि कुछ व्यक्तियों के पास उच्चतम शिक्षा और योग्यता होती है।

भारत में बेरोजगारी की समस्या: बेरोजगारी भारतीय समाज

के लिए एक महत्वपूर्ण समस्या है, जिससे कई समसामयिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। यह समस्या सामाजिक असमानता, आर्थिक दुर्बलता, युवा पीढ़ियों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है।

बेरोजगारी की समस्या और समाधान: बेरोजगारी को कम करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने नौकरियों के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे कि ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’ आदि। यह योजनाएँ युवाओं को उचित कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके स्वयं के उद्यम का संरचना करने का अवसर प्रदान कर रही हैं।

निष्कर्ष: भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है जो समाज के विकास में बाधापूर्ण रूप से प्रभावित करती है। अशिक्षा, योग्यता की कमी, आर्थिक संकट, असमानता आदि बेरोजगारी के कारण हो सकते हैं। हमें योग्यता और कौशल में सुधार करने के साथ-साथ समाज में अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के उपायों पर विचार करने की आवश्यकता है ताकि युवा पीढ़ियों को समर्पित और उत्तम रोजगार के अवसर मिल सकें।

निबंध 600-700 शब्दों में- बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध

भारत में अन्य समस्याओं की तरह बेरोज़गारी एक प्रमुख और गंभीर समस्या के रूप में उभर कर आई है। बेरोज़गारी का अर्थ है योग्यता और प्रतिभाओं के बावजूद रोजगार के अवसर पाने में नाकामयाब होना। हमारे देश में लाखों युवकों के पास डिग्री और अच्छी शिक्षा है, फिर भी किसी कारणवश उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती है। बेरोजगार व्यक्ति यानी व्यक्ति हर मुमकिन या नामुमकिन कार्य करना चाहता है, मगर दुर्भाग्यवश उसे नौकरी नहीं मिल पाती है।

हमारे देश में बेरोजगारी जैसी समस्याएं निरंतर ज़ोर पकड़ रही हैं। लाखों युवाओं के पास उच्च शिक्षा से संबंधित डिग्रियाँ होने के बावजूद वे अपनी क्षमता के अनुसार रोजगार के अवसर पाने में असमर्थ हो रहे हैं। हर दिन युवाएँ इंटरव्यू की लम्बी कतारों में खड़ी होती हैं और आये दिन कई दफ्तरों के चक्कर लगाते हैं ताकि उन्हें एक बेहतर नौकरी मिल सके।

बेरोज़गारी के प्रकार भिन्न-भिन्न होते हैं। ‘ओपन अनरोज़’ एक ऐसी स्थिति है जहाँ श्रम बल के एक बड़े हिस्से को नौकरी नहीं मिलती, जिससे उन्हें नियमित आय मिल सके। ‘प्रछन्न बेरोज़गारी’ भारतीय कृषि को प्रभावित करती है, जहाँ अधिक श्रमिकों की उत्पादकता शून्य होती है। ‘मौसमी बेरोज़गारी’ कुछ मौसमों में होने वाली बेरोज़गारी होती है, जैसे कृषि और बर्फ कारखानों में। ‘चक्रीय बेरोज़गारी’ व्यापार चक्रों के कारण होती है, जब व्यवसायिक गतिविधियों में गिरावट आती है। ‘शिक्षित बेरोज़गारी’ में शिक्षित युवक उचित रोज़गार पाने में असमर्थ होते हैं। ‘आद्योगिक बेरोज़गारी’ में अनपढ़ व्यक्तियों के लिए रोज़गार के अवसर नहीं मिल पाते हैं।

भारत में बेरोज़गारी की वृद्धि के कई कारण हैं। जनसंख्या की वृद्धि एक प्रमुख कारण है, जो बेरोज़गारी के

अवसरों को और भी कठिन बनाती है। विशेष रूप से युवा वर्ग बढ़ रहा है और उन्हें उच्च शिक्षा की आवश्यकता होती है, लेकिन उच्च शिक्षा के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिल पाने की समस्या होती है।

सरकार द्वारा बेरोज़गारी के खिलाफ़ कई पहलुओं का समर्थन किया गया है, जैसे कौशल विकास प्रोग्राम, रोज़गार मित्र योजना, मुद्रा योजना, और नौकरी पोर्टल जैसे पहलुओं की शुरुआत की गई है। ये पहलु सहायक हो सकते हैं, लेकिन बेरोज़गारी की समस्या को हमेशा के लिए हल नहीं कर सकते।

बेरोज़गारी को कम करने के लिए एक सामग्री समाधान शिक्षा में सुधार है। युवाओं को उच्च शिक्षा के साथ-साथ उद्यमिता की भावना और नौकरी नहीं सिर्फ नौकरीदाता, बल्कि नौकरी सृजनाता भी बनने की प्रेरणा देनी चाहिए।

इस समस्या का हल ढूँढने के लिए शिक्षा, सरकारी नीतियाँ, और समाज की भागीदारी की आवश्यकता है। बेरोज़गारी को कम करने के लिए एकमात्र सरकारी प्रयास ही काफी नहीं होता है, बल्कि हम सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

आपके प्रश्न के अनुसार, यहाँ पर बेरोज़गारी पर एक निबंध का प्रतिष्ठान दिया गया है। आप इस निबंध का उपयोग करके अपने प्रोजेक्ट में उपयुक्त जानकारी को शामिल कर सकते हैं।

निबंध 800-1000 शब्दों में- बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध

भारत में अन्य समस्याओं की तरह बेरोज़गारी एक प्रमुख और गंभीर समस्या के रूप में उभर कर आयी है। बेरोजगारी का अर्थ है योग्यता और प्रतिभाओं के बावजूद रोजगार के अवसर पाने में नाकामयाब होना। हमारे देश में लाखो युवको के पास डिग्री और अच्छी शिक्षा है फिर भी किसी कारणवश उन्हें नौकरी नहीं मिल पाता है। बेरोजगार व्यक्ति यानी व्यक्ति हर मुमकिन या नामुमकिन कार्य करना चाहता है मगर दुर्भाग्यवश  उसे नौकरी नहीं मिल पाती है।

हमारे देश में बेरोजगार जैसी समस्याएं निरंतर ज़ोर पकड़ रही है। हमारे देश में नौजवान के पास उच्च शिक्षा संबंधित डिग्रीयां होने के बावजूद उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार रोजगार के अवसर नहीं मिल पा रहे है। हर रोज़ युवक इंटरव्यू की लम्बी कतारों में खड़े होते है और आये दिन कई दफ्तरों के चक्कर लगाते है ताकि उन्हें एक बेहतर नौकरी मिल जाए। कुछ एक को छोड़कर कई युवको को नौकरी ना मिलने के कारण अपने हाथ मलने पड़ते है।

बेरोजगारी के प्रकार

unemployment  – यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ श्रम बल के एक बड़े हिस्से को नौकरी नहीं मिलती है जिससे उन्हें नियमित आय मिल सके। यह ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति को संदर्भित करता है जहाँ लोग काम करने के लिए इच्छुक है मगर उन्हें कार्य नहीं मिल पाता है। वह लोग काम करने में सक्षम है पर रोजगार नहीं मिल पाता है।

प्रछन्न बेरोजगारी  -यह विशेष रूप से भारतीय कृषि परिदृश्य को प्रभावित करता है। इस मामले में आवश्यकता से अधिक श्रमिक खेत पर लगे हुए है , जहाँ सभी वास्तव में उत्पादक बनाने में योगदान नहीं कर रहे है और कई श्रमिकों की उत्पादकता शून्य है। यह तब होता है जब लगभग पूरा परिवार कृषि उत्पादन में संलग्न है। कुछ लोगो के निष्कासन से उत्पादन की मात्रा कम नहीं होती। जनसँख्या में तेज़ी से वृद्धि और वैकल्पिक रोजगार के अवसरों की कमी के कारण कृषि में भीड़भाड़ को भारत में प्रछन्न बेरोजगारी के मुख्या कारणों के रूप में देखा जा सकता है।

मौसमी बेरोज़गारी  -यह बेरोजगारी है जो वर्ष के कुछ मौसमो के दौरान होती है। कुछ उद्योग और व्यवसाय जैसे कृषि और बर्फ कारखानों आदि में उत्पादन गतिविधियां केवल कुछ मौसमो में होती है। इसलिए एक वर्ष में एक निश्चित अवधि के लिए रोजगार प्रदान करते है। लेकिन बाकी महीनो में इस प्रकार की गतिविधियों में लगे लोग बेरोजगार हो जाते है।

चक्रीय बेरोजगारी  -यह नियमित अंतराल पर व्यापार चक्रो के कारण होता है। आमतौर पर पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाएं व्यापार चक्र के अधीन होती है और व्यवसायिक गतिविधियों में गिरावट आने से बेरोजगारी बढ़ती है।

शिक्षित बेरोजगारी  -सबसे भयावह तरह की बेरोजगार है जब शिक्षित युवक अपने शिक्षा के अनुरूप उचित रोजगार पाने में असमर्थ है। अच्छे शिक्षित युवक तो है लेकिन उपलब्ध नौकरियों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि नहीं हो रही है।

आद्योगिक बेरोजगारी  -यह अनपढ़ व्यक्ति जो शहरी क्षेत्रों में कारखानों में कार्य करने में इच्छुक और सक्षम है लकिन इस श्रेणी में कार्य नहीं पा सकते है।

भारत में दिन प्रतिदिन बेरोज़गारी की वृद्धि के कई कारण है। सबसे प्रमुख है जनसंख्या वृद्धि। भारत की जनसंख्या लगभग 130 करोड़ है। जनसंख्या वृद्धि एक मुख्या समस्या है जो बेरोज़गारी के लिए 100 फीसदी जिम्मेदार है। जितनी ज़्यादा जनसंख्या होगी उतनी ही रोजगार के स्तर पर मुकाबला होगा जिसमे ज़्यादातर लोगो को रोजगार के अवसर नहीं मिलेंगे अर्थात नौकरी के पोस्ट यानी पद  कम होंगे और उम्मीदवार ज़्यादा होंगे और गिने चुने लोगो को ही योग्यता अनुसार नौकरी मिलेगी।

आद्योगिक क्षेत्र में बढ़ता मशीनीकरण भी बेरोजगारी का दूसरा प्रमुख कारण है जिसके अंतर्गत एक मशीन चुटकी भर में कई लोगो के काम कर देता है जिससे कई लोग बेरोज़गार के दर पर आकर खड़े हो जाते है। मशीने कम वक़्त में जल्दी कार्य कर सकता है। इसी वजह से लोगो को रोजगार के अवसर मिलना बिलकुल ना के बराबर हो जाते है।

प्रत्येक वर्ष मशीनो के आने से लघु व्यवसाय ठप होने लगे और बेरोजगारी का दल जमा होने लगा। कंप्यूटर का अविष्कार मानवजाति के लिए महत्वपूर्ण है मगर इसने कई लोगो के रोजगार के मौको को भी छीना है।

कभी कभी लोगो को मन मारकर एक ऐसी नौकरी करनी पड़ती है जो उसकी योग्यता अनुसार नहीं है। क्यों की वह यही सोचता है कि कुछ ना करने से तो कुछ करना बेहतर है। इसी कारण उन्हें विवश होकर ऐसी नौकरी करनी पड़ती है।

कभी मनुष्य को नौकरी न मिलने से वह गलत संगत में पड़ जाता है और शार्ट कट से पैसे कमाने के चक्कर में गलत रास्ता पकड़ लेता है। सरकारे आयी और गयी लेकिन बेरोजगारी की समस्या हल होने का नाम ही नहीं लेती है। बेरोजगारी की समस्या चोरी, डैकती और गलत गैरकानूनी चीज़ो का बढ़ावा देती है।

दुनिया में हर देश में बेकारी संबंधित समस्याएं है लेकिन भारत में इस समस्या ने चरम सीमा पकड़ ली है। जनसँख्या वृद्धि जिस रफ़्तार से बढ़ रही है वह दिन दूर नहीं भारत जनसँख्या वृद्धि में पहले पायदान पर खड़ा पाया जाएगा। बेकारी का अगला प्रमुख कारण है शिक्षा प्रणाली। शिक्षा प्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ है यहाँ बिज़नेस संबंधित शिक्षा का अभाव देखा जा सकता है। विद्यार्थिओं को तकनिकी शिक्षा पर ज़ोर देना चाहिए।  प्रैक्टिकल क्षेत्रों पर पढ़ाने की आवश्यकता है ताकि युवक रटे रटाये नागरिक न बने। इंजीनियर तो है पर उन्हें मशीनो पर कार्य करना नहीं आता है।

स्किल डेवेलपमेंट जैसी योजनाओं को प्रोत्साहन मिलना चाहिए और युवाओं को नविन चीज़ो और वस्तुओं की खोज करने की इच्छाशक्ति प्राप्त हो ताकि देश को तरक्की की राह पर ले जा सके और विदेशी कंपनी हमारे देश के उद्योगों पर निवेश करना चाहे।

घरेलु उद्योगों को सरकार द्वारा प्रोत्साहित ना किया जाना एक  प्रमुख कारण है जिससे बेरोजगारी में इजाफा हो रहा है। बड़े व्यापारियों को बड़े रकम आसानी से प्राप्त हो जाते है मगर लघु उधोगो पर कोई ध्यान नहीं देता है। आम नागरिको को लघु उद्योगों के लिए निवेश नहीं मिल पाता है जिससे लघु उद्योगों की प्रगति रुक ही जाती है।

समस्याओं   का   समाधान

हमे अपनी शिक्षण प्रणाली को रोजगार अनुकूलित बनाना होगा। व्यावसायिक शिक्षा को महत्व देने की आवश्यकता है। जो युवक स्वंग रोजगार करने की चाह रखते है उन्हें क़र्ज़ प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी होनी चाहिए। देश में कल -कारखानों और नए उद्योगों की स्थापना करनी होगी जहाँ बेहतर रोजगार के अवसर मिल सके। सबसे पहले भ्र्ष्टाचार जो पीढ़ियों दर चली आ रही समस्याएं है जिन पर पर रोक लगाना आवश्यक है युवाओं की उम्मीदों को सही दिशा में प्रोत्साहित करना होगा ताकि वह रोज़गार अवसर हेतु नविन विचारो को तय कर सके।

भारत में बेरोजगारी मिटाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। आये दिन सरकार कई योजनाएं ले आयी है जैसे प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना और शिक्षित बेरोजगार लोन योजना जिनका हमे सोच समझकर उपयोग करने की ज़रूरत है। गरीबी की रेखा में जीने वाले लोगो की अशिक्षा को मिटाने की पुरज़ोर कोशिश करनी होगी।

बेरोजगारी की इन समस्याओं के प्रति सरकार को और अधिक गंभीर होना चाहिए। शिक्षण प्रणाली में सुधार के संग पूरे देश को शिक्षित करना चाहिए ताकि कोई  नागरिक रोजगार से वंचित न रहे। जनसंख्या वृद्धि की समस्याओं पर पूर्णविराम लगाने की आवश्यकता है।  भारत की भीषण आबादी बेरोजगार को बढ़ावा देने में सहायक है।  सरकार को नयी योजनाओं के साथ प्रशिक्षण केंद्र और शिक्षण व्यवस्था में बदलाव लाने की आवश्यकता है। नए विकास की नीतियों के साथ भारत को आगे बढ़ना है ताकि बेरोजगारी की इस समस्या को जड़ से मिटा सके।

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Berojgari Ki Samasya Par Nibandh: ऐसे लिखें बेरोजगारी की समस्या पर निबंध 100, 200 और 500 शब्दों में

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  • Updated on  
  • जनवरी 2, 2024

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh

छात्रों को अध्ययन के अपने चुने हुए क्षेत्र में रोजगार के बारे में पता होना चाहिए। बेरोजगारी दर को प्रभावित करने वाले कारकों को समझने से उन्हें अपने करियर और भविष्य की नौकरी की संभावनाओं के बारे में भी निर्णय लेने में सहायता मिल सकती है। बेरोजगारी किसी अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का एक प्रमुख संकेतक है। यह किसी भी देश के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसलिए कई बार छात्रों को बेरोजगारी की समस्या पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। Berojgari Ki Samasya Par Nibandh के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

बेरोजगारी की समस्या पर 100 शब्दों में निबंध, बेरोजगारी की समस्या पर 200 शब्दों में निबंध, बेरोजगारी को समझें, बेरोजगारी के प्रकार, बेरोजगारी के कारण, बेरोजगारी के परिणाम, बेरोजगारी पर सरकार के द्वारा उठाए गए कदम, बेरोजगारी की समस्या पर 10 लाइन्स.

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh 100 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

भारत में बेरोज़गारी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि जो कोई भी काम करना चाहता है उसके लिए पर्याप्त नौकरियाँ नहीं हैं। कई लोग इस समस्या से प्रभावित हैं, बेरोजगारी का कारण मुख्य रूप से नौकरी के विकल्पों की कमी, लोगों के कौशल और नियोक्ताओं को उनकी आवश्यकता के बीच एक मेल न होना। तेजी से बढ़ती आबादी के कारण यह मुद्दा और भी अधिक गंभीर हो गया है। 

इस समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार अधिक नौकरियाँ पैदा करने के लिए कदम उठा रही है। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और प्रधान मंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) जैसे कार्यक्रम पेश किए हैं। इन पहलों का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना और नियोक्ताओं को नौकरी की तलाश कर रहे अधिक लोगों को नौकरी पर रखने के लिए बढ़ावा देना है।

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh 200 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश में बेरोजगारी की समस्या को हल करना है तो हमें लोगों के कौशल को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भारत में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं। ऐसा तब होता है जब कोई व्यक्ति काम करने के लिए तैयार और इच्छुक होता है लेकिन उसे नौकरी नहीं मिल पाती है, जिससे गरीबी और सामाजिक अशांति जैसी समस्याएं पैदा होती हैं।

भारत में बेरोजगारी का एक बड़ा कारण नौकरी के अवसरों की कमी है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि अर्थव्यवस्था पर्याप्त तेज़ी से नहीं बढ़ रही है, कुछ उद्योगों को अधिक निवेश की आवश्यकता है, या विशिष्ट नौकरियों के लिए बेहतर शिक्षा और प्रशिक्षण की आवश्यकता है। इसके अलावा, भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, इसलिए नौकरी बाजार में प्रवेश करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या को बनाए रखने के लिए अधिक नौकरियों की आवश्यकता है।

बेरोज़गारी का एक अन्य कारण लोगों के पास मौजूद कौशल और नियोक्ता के बीच बेमेल होना है। भारत में कई लोगों को उपलब्ध नौकरियों के लिए क्वालिफिकेशन प्राप्त करने के लिए नए कौशल सीखने या अधिक शिक्षा प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, जिससे उनके लिए काम ढूंढना कठिन हो जाता है। कुछ नौकरियों के लिए विशिष्ट कौशल की भी आवश्यकता होती है जो कई लोगों के पास नहीं होता है।  हालाँकि, भारत सरकार विभिन्न कार्यक्रमों, नीतियों, निवेश और शिक्षा को बढ़ावा देकर बेरोजगारी को दूर करने के लिए काम कर रही है।

भारत सरकार ने लोगों को कौशल प्रदान करने के लिए प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना जैसे अभियान भी चलाएं हैं जिसमें लोगों को तीन महीने तक ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा भी सरकार कई प्रकार के अलग अलग आयोजन करती है जैसे की रोजगार मेला इत्यादि। 

यह भी पढ़ें : Essay on Vikram Sarabhai in Hindi : पढ़िए विक्रम साराभाई पर 500 शब्दों में निबंध

बेरोजगारी की समस्या पर 500 शब्दों में निबंध

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh 500 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

बेरोजगारी, एक व्यापक सामाजिक-आर्थिक चुनौती है। जैसे-जैसे व्यक्ति अपनी आजीविका बनाए रखने के लिए सार्थक रोजगार की तलाश करते हैं, बेरोजगारी में योगदान की जटिल परस्पर क्रिया सामने आती है। भारत को बढ़ती जनसंख्या के साथ यह मुद्दा और भी बढ़ता जा रहा है। 

इस जटिल मुद्दे से निपटने के लिए, आर्थिक संरचनाओं, तकनीकी बदलावों और नीति ढांचे की समझ जरूरी है। 

बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि यह देश के विकास को धीमा कर देती है। जब लोगों के पास नौकरियां नहीं होती हैं, तो इससे विभिन्न समस्याएं पैदा हो सकती हैं। रोजगार के बिना, व्यक्ति देश को नुकसान पहुंचाने वाली अनुचित गतिविधियों का सहारा ले सकते हैं।

बेरोज़गारी में वृद्धि अक्सर कई युवाओं को आपराधिक व्यवहार की ओर धकेलती है और पूरे देश को इसके परिणामों से जूझना पड़ता है। अधिक लोगों के बेरोजगार होने से देश भर में चोरी, डकैती, हत्या और अपहरण जैसे गंभीर अपराधों में वृद्धि हो रही है। इन अपराधों को कम करने का सबसे प्रभावी उपाय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना है।

बेरोज़गारी का मतलब सिर्फ लोगों के पास नौकरियों की कमी नहीं है। इसमें वे स्थितियाँ भी शामिल हैं जहाँ लोग ऐसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं जो उनके कौशल से मेल नहीं खाते। बेरोजगारी विभिन्न प्रकार की होती है, जैसे छिपी हुई बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, खुली बेरोजगारी, तकनीकी बेरोजगारी और संरचनात्मक बेरोजगारी। इसके अतिरिक्त, चक्रीय बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, अल्परोजगार, घर्षणात्मक बेरोजगारी, दीर्घकालिक बेरोजगारी और आकस्मिक बेरोजगारी है।

इनमें से भारत में सबसे आम प्रकार मौसमी बेरोजगारी, अल्परोज़गारी और छिपी हुई बेरोज़गारी हैं।

भारत एक महत्वपूर्ण बेरोजगारी चुनौती का सामना कर रहा है, और कई कारक इस समस्या में योगदान करते हैं। तेजी से बढ़ती जनसंख्या एक प्रमुख कारक है, क्योंकि अधिक लोग कार्य क्षेत्र में प्रवेश करते हैं, जिससे नौकरियों के लिए तीव्र प्रतिस्पर्धा होती है। यह स्थिति विशेषकर युवाओं में उच्च बेरोजगारी दर का कारण बन सकती है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए भारत को अपनी जनसंख्या वृद्धि का प्रबंधन चाहिए। अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए स्टार्टअप इंडिया योजना जैसी पहल को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

दूसरा कारण तकनीकी शिक्षा की कमी है। भारत में कई स्कूल और कॉलेज पुराने पाठ्यक्रम पेश करते हैं जो मौजूदा नौकरी बाजार की मांगों के अनुरूप नहीं हो सकते हैं। आज की दुनिया में तकनीकी कौशल के महत्व को देखते हुए, युवाओं को शुरुआत में ही तकनीकी शिक्षा प्रदान करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि वे बाद में उपयुक्त रोजगार पा सकें।

देश में धीमी होती आर्थिक वृद्धि भी चिंता का विषय है। धीमी गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था पर्याप्त नई नौकरियाँ पैदा नहीं कर सकती है, जिससे बेरोजगारी की समस्या बढ़ जाती है। इससे निपटने के लिए सरकार को आर्थिक विकास में तेजी लाने, रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने के लिए काम करना चाहिए।

खेती जैसे मौसमी व्यवसायों पर भारत की निर्भरता बेरोजगारी में योगदान कर सकती है क्योंकि ये गतिविधियाँ केवल वर्ष के विशिष्ट समय में ही नौकरियाँ प्रदान करती हैं। इसके अतिरिक्त, औद्योगिक क्षेत्र की सुस्त वृद्धि और कुटीर उद्योग में गिरावट ने नौकरी के अवसरों को और सीमित कर दिया है।  इसका मुकाबला करने के लिए, इन क्षेत्रों को बढ़ावा देने और अधिक रोजगार संभावनाएं पैदा करने के लिए सरकारी समर्थन की आवश्यकता है।

नौकरियों के बिना, लोग अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अवैध गतिविधियों का सहारा ले सकते हैं।  बेरोजगारी को कम करना न केवल आर्थिक विकास के बारे में है, बल्कि गरीबी और अपराध से जुड़े सामाजिक मुद्दों को रोकने के बारे में भी है।

यदि मौजूदा स्थिति बनी रहती है, तो बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण समस्या बन सकती है, जो अर्थव्यवस्था के लिए कई अन्य समस्याएं लेकर आएगी।  इसमें गरीबी में वृद्धि, अधिक अपराध, श्रमिकों के साथ अनुचित व्यवहार, राजनीतिक अस्थिरता, मानसिक स्वास्थ्य में चुनौतियाँ और मूल्यवान कौशल का नुकसान शामिल है।  ये सभी कारक मिलकर अंततः राष्ट्र के पतन का कारण बन सकते हैं।

सरकार बेरोजगारी के मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और इसे धीरे-धीरे कम करने के लिए कई उपाय लागू किए हैं। इनमें से कुछ पहलों में आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई), प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई), राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) परियोजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमजीनरेगा), गरीब कल्याण रोजगार अभियान (पीएमजीकेआरए), आजीविका – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), पं. दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई), ग्रामीण स्वरोजगार और प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई), पीएम- स्वनिधि योजना, दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम), प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई), प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (एनएपीएस), उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, पीएम गतिशक्ति – मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान शामिल हैं। 

डिजिटल इंडिया, अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत),मेक इन इंडिया, स्मार्ट सिटीज, श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन, राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर, स्टैंड अप इंडिया योजना, स्टार्ट-अप इंडिया, प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी, स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण, स्वच्छ भारत मिशन – शहरी (एसबीएम-यू), प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई), लघु और कुटीर उद्योगों के लिए समर्थन, विदेशों में रोजगार को बढ़ावा देना, जवाहर ग्राम समृद्धि योजना और कई अन्य योजनाएं इसमें शामिल हैं। 

इसके अतिरिक्त, सरकार ने निजी क्षेत्र में भी रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ नियमों को और अधिक लचीला बना दिया है।

संक्षेप में कहें तो भारत में बेरोजगारी की समस्या बहुत गंभीर हो गई है।  हालाँकि, सरकार और स्थानीय अधिकारी अब बेरोजगारी को दूर करने और कम करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। समस्या को पूरी तरह से हल करने के लिए, मूल कारण, जो कि भारत की बड़ी आबादी है, पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है।

Berojgari Ki Samasya Par Nibandh के बाद बाद बेरोजगारी की समस्या पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:

  • भारत में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं।
  • यह समस्या बहुआयामी है, जिसमें मौसमी और संरचनात्मक सहित विभिन्न प्रकार की बेरोजगारी है।
  • भारत की तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर्याप्त नौकरियां उपलब्ध कराने की चुनौती को बढ़ा देती है।
  • तकनीकी शिक्षा की कमी और बेमेल कौशल बेरोजगारी में योगदान करते हैं।
  • सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए मनरेगा और पीएमआरपीवाई जैसी योजनाएं लागू की हैं।
  • धीमी आर्थिक वृद्धि और मौसमी व्यवसायों पर निर्भरता बेरोजगारी संकट को बढ़ाती है।
  • औद्योगिक और कुटीर उद्योग क्षेत्रों में गिरावट से नौकरी के अवसर और सीमित हो गए हैं।
  • बढ़ती बेरोजगारी से गरीबी, अपराध दर और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
  • इस मुद्दे के समाधान के लिए जनसंख्या नियंत्रण और कौशल विकास सहित समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
  • जबकि प्रयास किए जा रहे हैं, भारतीय बेरोजगारी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए निरंतर और व्यापक रणनीतियाँ आवश्यक हैं।

भारत में बेरोजगारी नौकरी के अवसरों की कमी, धीमी आर्थिक वृद्धि, बेमेल कौशल और देश की तेजी से बढ़ती आबादी जैसे कारकों के कारण होती है।

सरकार ने रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए मनरेगा, पीएमआरपीवाई और अन्य जैसी विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम लागू किए हैं। इसके अतिरिक्त, कौशल विकास को प्रोत्साहित करने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।

भारत में बेरोजगारी को निम्न प्रकारों में बांट सकते हैं, छिपी हुई बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी और घर्षण बेरोजगारी शामिल है। प्रत्येक प्रकार की विशेषता नौकरी की उपलब्धता को प्रभावित करने वाले विशिष्ट कारकों से होती है।

बेरोजगारी से गरीबी, उच्च अपराध दर और सामाजिक अशांति में वृद्धि हो सकती है। यह व्यक्तियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और इसके परिणामस्वरूप कार्यबल के लिए मूल्यवान कौशल का नुकसान हो सकता है।  समाज की समग्र भलाई और स्थिरता के लिए बेरोजगारी को संबोधित करना महत्वपूर्ण है।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Berojgari Ki Samasya Par Nibandh के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। सी प्रकार के  अन्य निबंध से जुड़े ब्लॉग्स  पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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बेरोजगारी पर निबंध | Berojgari Par Nibandh

बेरोजगारी पर निबंध – आजादी के इतने साल बाद भी भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बनी है। इस समस्या के कारण व्यक्ति व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी नहीं होते और और न ही देश के विकास का विकास हो पता है।

भारत सरकार ने इस बेरोजगारी दूर करने के लिए कई कदम उठाये लेकिन अभी तक कोई सफलता हासिल नहीं हुई है। देश में बेरोजगारी बढ़ने से भ्रष्टाचार, आतंकवाद, चोरी, डकैती, अशांति तथा अपहरण जैसी घटनाये होने लगती है। इसलिए अगर हम थोड़े नीति-नियम बनाकर चले तो यह समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।

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बेरोजगारी क्या है – What is Unemployment in Hindi

बेरोजगारी से तात्पर्य ऐसे लोगो से है, जिनके पास कोई काम नहीं है या फिर वो लोग जो काम नहीं करते है। जब कोई शिक्षित या अशिक्षित काम करने योग्य हो और उसे काम न मिले तो वह बेरोजगारी की क्षेणी में आ जाता है।

बेरोजगारी होने से किसी भी देश का आर्थिक विकास रुक जाता है। इसके अलावा बेरोजगारी व्यक्तिगत और पूरे समाज पर भी एक साथ कई प्रकार से नकारात्मक प्रभाव डालती है, जो बहुत चिंता का विषय है।

बेरोजगारी के कारण – Causes of Unemployment in Hindi

भारत भी एक विकासशील देश है फिर भी यहाँ पर बेरोजगारी की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। देश में बेरोजगारी बढ़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं है, जो निम्नलिखित हैं।

जनसंख्या में वृद्धि – आज हमारे देश में जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि हम दुनियाँ में जनता की दृष्टि से दूसरे स्थान हैं। और यदि जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित नहीं किया गया तो, वो दिन दूर नहीं जब जनसंख्या के मामले में भारत पहले नंबर पर हो जाएगा और इतनी अधिक जनसंख्या को रोजगार देना संभव नहीं है। इसलिए बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए सबसे पहले जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना चाहिए।

शिक्षा का अभाव – आजादी के इतने वर्ष बाद भी भारत शिक्षा का अभाव देशभर में है। शिक्षा का अभाव होने से रोजगार के नए अवसर लोगों को नहीं मिल पाते हैं। आज के समय में भी भारत में कई ऐसे गाँव और शहर है जहाँ पर स्कूल और कॉलेज नहीं हैं और लोगो को अपने घर से दूर जाना पड़ता है।

सभी लोग अपने बच्चों को दूर पढ़ने के लिए नहीं भेजते हैं इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे पैसे का भाव, वाहन की सुविधा न होना आदि जिस वजह से वो शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। इसके अलावा हमें स्कूल और कॉलेजों में केवल किताबी ज्ञान के बारे में बताया जाता है, जब हमें किताबी ज्ञान के साथ-साथ एक कुशल श्रमिक या उद्यमी के रूप में तैयार करना चाहिए है।

औद्योगिकरण – बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिए देश में औद्योगिक विकास को तेज करना चाहिए। छोटे-छोटे लघु उद्योग के उत्पादन को बड़े स्तर पर करना चाहिए, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगो को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

मौसमी व्यवसाय – हमारे देश में ज्यादातर मौसमी व्यवसाय किया जाता है और यह व्यवसाय कुछ दिनों या महीनो तक चलता है। उसके बाद इस व्यवसाय से जुड़े लोग बेरोजगार हो जाते हैं।

यातायात की सुविधा न होना – हमारे देश में आज भी कई ऐसे गाँव और शहर हैं जहाँ पर यातायात की सुविधा नहीं है। सड़क और रेल परिवहन का विकास न होने से जो व्यक्ति जहाँ पर है वहीं रुक जाता है जिससे लोगो को रोजगार नहीं मिल पाते।

बेरोजगारी रोकने के उपाय – Solution of Unemployment in Hindi

देश में बेरोजगारी एक अभिशाप है। इससे कारण देश और लोगो की तरक्की नहीं होती है। इसलिए इसे संगठित एवं योजनाबद्ध तरीके से दूर करने का प्रयास करना चाहिए। बेरोजगारी निवारण में निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं।

जनसँख्या वृद्धि को नियंत्रित करना – हमारे देश में जिस अनुपात में रोजगार के साधन उपलब्ध उससे कई गुना जनसंख्या है। इसीलिए बेरोज़गारी दूर करने के लिए सबसे पहले जनसंख्या में वृद्धि रोकना चाहिए है। भारत सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर एक शक्त क़ानून लाना चाहिए और देश की जनता को छोटे परिवार के प्रति चेतना जागृत करनी चाहिए।

कृषि का विकास – भारत एक कृषि प्रधान देश है यहाँ की ज्यादातर आबादी कृषि पर निर्भर है। इसलिए सरकार आधुनिक तरीके से खेती करने के लिए बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही लोगो को बीज, खाद्य, सिचाई के साधन जैसे सुविधाएं लोगो को उपलब्ध कराना चाहिए।

शिक्षा-पद्धति में सुधार – बेरोजगारी दूर करने के लिए शिक्षा-पद्धति में सुधार लाना बहुत जरुरी है। विद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्रों में केवल किताबी ज्ञान होता है, जबकि किताबी ज्ञान के साथ-साथ एक कुशल श्रमिक या उद्यमी के रूप में छात्रों को तैयार करना चाहिए है।

लघु और कुटीर उद्योगों का विकास – इस प्रकार के उद्योग ज्यादातर छोटे शहर व ग्रामीण इलाकों में किये जाते हैं। इन उद्योगों को करने के लिए कम पूजी के आवश्यकता पड़ती हैं और परिवार के सदस्यों द्वारा आसानी से संचालित होते हैं। सरकार को लघु और कुटीर उद्योगों का विकास और पूंजी उपलब्ध करवाना चाहिए, ताकि लोग अपनी क्षमता, श्रम, कला-कौशल के अनुसार खुद का रोजगार साधन पा सकें। अतः सरकार को इनके विकास के लिये पूंजी उपलब्ध करानी चाहिए।

औद्योगिकीकरण – सरकार को लोगों के लिए रोजगार के नए-नए अवशर प्रदान करना चाहिए। साथ ही अपने व्यापार को ज्यादा से ज्यादा दूसरे देशों में भी निर्यात करना चाहिए।

बेरोजगारी के दुष्परिणाम – Bad effect Of Unemployment in Hindi

बेरोजगारी न केवल एक व्यक्ति परेशान रहता है बल्कि पूरा समाज इससे प्रभावित होता है। एक बेरोज़गार व्यक्ति अनुशासनहीन, चरित्रहीन और अपराधिक प्रवृति का होने लगता है। इस प्रकार से बेरोजगारी से व्यक्ति, परिवार, समाज और सम्पूर्ण राष्ट्र प्रभावित होता है। बेरोजगारी के दुष्परिणाम निम्नलिखित होते हैं।

पारिवारिक विघटन – एक बेरोजगार व्यक्ति केवल खुद आहत नही होता है बल्कि उसके साथ-साथ उसका परिवार भी परेशान रहता है। बेरोजगार होने से घर पर हमेशा पैसे की तंगी बनी रहती है जिससे परिवार को भरपेट भोजन, पहनने के लिए कपड़े, रहने के लिए घर और भी कई सारी चीजों से वंचित रहना पड़ता है। इसके अलावा परिवार में चिंता और कलह का माहोल बना रहता है।

आतंकवाद को बढ़ावा – बेरोजगारी आतंकवाद को बढ़ावा देती है। एक बेरोजगार व्यक्ति पैसे की तंगी को दूर करने के लिए अपराधिक प्रवृति को अपनाता है। वह पैसा बनाने के लिए आसान उपाय ढूँढने लगता है चोरी, डकैती और अन्य खतरनाक अपराधों को अंजाम देने लगता है।

राष्ट्र का नुकसान – बेरोज़गार व्यक्ति जो अपने लिए कुछ नहीं कर सकता है वो राष्ट्र के लिए क्या योगदान देगा। और जब देश में ऐसे बेरोज़गार लोगों की संख्या बढ़ने लगती है तो इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

इन्हें भी पढ़े –

  • अग्निपथ योजना पर निबंध
  • हर घर तिरंगा पर निबंध
  • महंगाई पर निबंध
  • आपदा प्रबंधन पर निबंध
  • राष्ट्रीय एकता पर निबंध

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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध-Berojgari Ki Samasya Essay In Hindi

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध :.

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भूमिका : बेरोजगारी उन्नति के रास्ते में बहुत बड़ी समस्या है। बेरोजगारी का अर्थ होता है काम करने की इच्छा करने वाले को काम न मिलना। आज भारत को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सभी समस्याओं में से बेरोजगारी की समस्या प्रमुख है। प्राचीनकाल में हमारा भारत पूर्ण रूप से संपन्न देश था इसी वजह से इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था।

बहुत सालों से इस समस्या को दूर करने की कोशिशें की जा रही है। लेकिन अभी तक किसी को भी सफलता नहीं मिल पायी है। इसकी वजह से बहुत से परिवार आर्थिक दशा से खोखले हो चुके हैं। आर्थिक योजनाओं में यह सबसे बड़ी रुकावट है। हमारे देश में आर्थिक योजनाएँ तब तक सफल नहीं हो पाएंगी जब तक बेरोजगारी की समस्या खत्म नहीं हो जाती।

आज हम स्वतंत्र तो हैं लेकिन अभी तक आर्थिक दृष्टि से सक्षम नहीं हुए हैं। हम चारों तरफ से चोरी, छीना-छपटी, खून और लूटमार की बातें सुनते रहते हैं। आज के समय में सभी जगह पर हड़तालें की जा रही हैं। आजकल हर किसी को अपने परिवार के पेट को भरने की चिंता रहती है।

वो लोग अपने परिवार का पेट अच्छाई के मार्ग पर चलकर भरें या बुराई के मार्ग पर चलकर इस बात का कोई मूल्य नहीं है। बेरोजगारी सामाजिक और आर्थिक समस्या है। यह समस्या गांवों और शहरों में समान रूप से फैली हुई है।

जनसंख्या में वृद्धि :  हमारे देश की बेरोजगारी में रोज वृद्धि हो रही है। हमारी सरकार इस समस्या का हल ढूँढ रही है पर लगातार बढती जनसंख्या इसका हल नहीं ढूंढने देती है। हर साल जितने व्यक्तियों को काम दिए जाते हैं उनसे कई गुना लोग बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार ने जनसंख्या को कम करने के कई अप्राकृतिक उपाय खोजे हैं लेकिन इसके बाद भी जनसंख्या लगातार बढती ही जा रही है।

जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण शिक्षा के साधनों में कमी होने लगी जिससे लोग अशिक्षित रह गये। हमारे देश में अशिक्षित पुरुष और स्त्रियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढती ही जा रही है। बढती जनसंख्या बेरोजगारी का बहुत ही बड़ा कारण है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश का संतुलन बिगड़ रहा है। जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगारों की कमी और अवसर में बहुत कम वृद्धि हो रही है इसी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है।

अधूरी शिक्षा प्रणाली :  हजारों सालों से हमारी शिक्षा पद्धति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। हमारी शिक्षा प्रणाली के अधुरा होने की वजह से भी बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। अधूरी शिक्षा प्रणाली को अंग्रेजी सरकार ने परतंत्र के समय में भारतियों को क्लर्क बनाने के लिए शुरू किया था जैसे-जैसे समय बदलता गया वैसे-वैसे परेशानियाँ भी बदलने लगीं। इस शिक्षा प्रणाली से सिर्फ ऐसे लोग तैयार होते हैं जो बाबु बनते हैं।

जवाहरलाल नेहरु जी ने कहा था कि हर साल लाखों लोग शिक्षा प्राप्त करने के बाद नौकरी के लिए तैयार होते हैं लेकिन हमारे पास नौकरियां बहुत ही कम होती हैं। ऐसे लोगों को नौकरी न मिलने की वजह से ये बेकार हो जाते है। आजकल किसी को भी एम० ए० या बी० ए० किये लोग नहीं उन्हें सिर्फ विशेषज्ञ और वैज्ञानिक चाहिएँ। इसी कारण से बहुत कम लोग शिक्षा ग्रहण करते हैं।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगारोन्मुख शिक्षा की व्यवस्था नहीं होती है जिससे बेरोजगारी और अधिक बढती है। इसी वजह से जो व्यक्ति आधुनिक शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके पास नौकरियां ढूंढने के अलावा और कोई उपाय नहीं होता है। शिक्षा पद्धिति में परिवर्तन करने से विद्यार्थी शिक्षा का समुचित प्रयोग कर पाएंगे।

विद्यार्थियों को तकनीकी और कार्यों के बारे में शिक्षा देनी चाहिए ताकि वे अपनी शिक्षा के बल पर नौकरी प्राप्त कर सकें। सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में व्यवसाय के ऊपर शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। आज के युग में शिक्षित और कुशल लोगों की जरूरत होती है जिन लोगों के पास शिक्षा नहीं होती है उन लोगों को रोजगार प्राप्त नहीं होता है।

हमारी शिक्षा प्रणाली में साक्षरता को अधिक महत्व दिया जाता है। तकनीकी शिक्षा में केवल सैद्धांतिक पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है इसमें व्यावहारिक शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता है इसी वजह से लोग मशीनों पर काम करने से कतराते है। साधारण शिक्षा से हम सिर्फ नौकरी करने के योग्य बनते हैं इसमें मेहनत का कोई काम नहीं होता है।

उद्योग धंधों की अवनति :   उद्योग धंधो की अवनति के कारण भी बेरोजगारी बढती जा रही है। प्राचीनकाल में बेरोजगारी की समस्या ही नहीं थी उस समय हर व्यक्ति के पास काम था। कुछ लोग चरखा चलाते थे, कुछ गुड बनाते थे और कुछ लोग खिलौने बनाते थे। जब अंग्रेजी हुकुमत आई थी तो उन लोगों ने अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए इस सब कामों को नष्ट कर दिया था।

अंग्रेजों ने लोगों में से आत्मनिर्भरता को समाप्त कर दिया था। रोजगारों के दस्तावेजों के हिसाब से हर साल लाखों लोग बेरोजगार होते थे लेकिन अब इनकी संख्या करोंड़ों से भी ऊपर हो गई है। हमें बेरोजगार लोगों की पूरी संख्या का निश्चित पता नहीं होता क्योंकि बहुत से लोग रोजगार कार्यालय में अपना नाम ही दर्ज नहीं करवाते हैं।

पढ़े लिखे लोग भूखा मरना तो पसंद करते हैं पर मजदूरी करना पसंद नहीं करते हैं। वे लोगों के सामने छोटे काम को करने में संकोच करते हैं। वे यह सोचते हैं कि लोग कहेंगे कि पढ़ा-लिखा होकर भी मजदूरी कर रहा है। यही बात लोगों को कुछ नहीं करने देते हैं। लेकिन शिक्षा उन्हें यह तो नहीं कहती है कि तुम मजदूरी मत करो।

सरकारी नीतियाँ :  बेरोजगारी की समस्या शहर और गाँव दोनों में उत्पन्न हो रही है। जिससे धन की व्यवस्था ठीक नहीं रह पाई जिसकी वजह से बड़े-बड़े कारीगर भी बेकार होते हैं। गांवों में किसान खेती के लिए वर्षा पर आश्रित रहता है। उसे अपने खाली समय में कुटीर उद्योग चलाने चाहिएँ। इस वजह से उसकी और देश की हालत ठीक हो जाती है।

आजकल गाँव के लोग शहरों में आकर बसने लगे हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है। गांवों में लोग कृषि करना पसंद नहीं करते जिसकी वजह से गांवों की आधी जनसंख्या बेरोजगार रह जाती है। पुराने समय में वर्ण व्यवस्था में पैतृक व्यवसाय को अपना लिया गया था जिस वजह से बेरोजगारी कभी पैदा ही नहीं होती थी।

जब वर्ण-व्यवस्था के भंग हो जाने से पैतृक व्यवसाय को नफरत की नजर से देखा जाता है तो बेटा पिता के व्यवसाय को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होता है। आज के युवाओं को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जो उन्हें रोजगार दिलाने में सहायता करे। औद्योगिक शिक्षा की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए ताकि शिक्षित लोगों की बेरोजगारी को कम किया जा सके।

शिक्षा से लोग स्वालम्बी होते हैं। उन लोगों में हस्तकला की भावना पैदा नहीं होती है। आधे से भी ज्यादा लोग रोजगार की तलाश में भटकते रहते हैं और बेरोजगारों की लाइन और लंबी होती चली जाती है। हमारे देश में बहुत अधिक जनसंख्या है जिस वजह से उद्योग धंधों में उन्नति की बहुत अधिक आवश्यकता है।

उद्योग धंधों को सार्वजनिक क्षेत्रों में ही स्थापित किया गया है , जब तक घरेलू दस्तकारों को प्रोस्ताहन नहीं दिया जाएगा तब तक बेरोजगारी की समस्या ठीक नहीं हो सकती है। सरकार कारखानों की संख्या में वृद्धि कर रही है। उद्योग धंधों की स्थापना की जा रही है। उत्पादन क्षेत्रों को विकसित किया जा रहा है।

सामाजिक और धार्मिक मनोवृत्ति और सरकारी विभागों में छंटनी :  सामाजिक और धार्मिक मनोवृत्ति से भी बेरोजगारी की समस्या बढती जा रही है। आज के समय में ऋषियों और साधुओं को भिक्षा देना पुण्य की बात मानी जाती है। जब स्वस्थ लोग दानियों की उदारता को देख कर भिक्षावृत्ति पर उतर आते हैं। इस प्रकार से भी बेरोजगारी की परेशानी बढती जा रही है।

हमारे यहाँ के सामाजिक नियमों के अनुसार वर्ण-व्यवस्था के अनुसार विशेष-विशेष वर्गों के लिए बहुत विशेष-विशेष कार्य होते हैं। सरकारी विभागों में वर्ण-व्यवस्था के अनुसार काम दिए जाते हैं। अगर उन्हें काम मिलता है तो करते हैं वरना हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। इस तरीके की सामाजिक व्यवस्था से भी बेरोजगारी बढती है।

बेकारी की वजह से युवाओं में असंतोष ने समाज में अव्यवस्था और अराजकता फैला रखी हैं। हमें सरकारी नौकरियों के मोह को छोडकर उस काम को करना चाहिए जिसमें श्रम की जरूरत होती है। लाखों लोग अपने पैतृक व्यवसाय को छोडकर रोजगार की खोज में इधर-उधर घूमते रहते हैं।

जनसंख्या वृद्धि पर रोक और शिक्षा :  जनसंख्या वृद्धि को रोककर बेरोजगारी को नियंत्रित किया जा सकता है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए विवाह की आयु का नियम कठोरता से लागु किया जाना चाहिए। साथ ही शिक्षा-पद्धिति में भी सुधार करना चाहिए। शिक्षा को व्यावहारिक बनाना चाहिए। विद्यार्थियों में प्रारंभ से ही स्वालंबन की भावना को पैदा करना होगा।

देश के विकास और कल्याण के लिए पंचवर्षीय योजना को चलाया गया जिससे किसी भी राष्ट्र की पहली शर्त सब लोगों को रोजगार देना होता है। लेकिन पहली पंचवर्षीय योजना से बेरोजगारी की समस्या और अधिक बढ़ गई थी। बेरोजगारी की समस्या को सुलझाने के लिए मन की भावना को बदलना बहुत जरूरी है।

मन की भावना को बदलने से किसी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझा चाहिए। डिग्री लेना ही ज्यादा जरूरी नहीं होता है जरूरी होता है अपनी कुशलता और योग्यता को प्राप्त करना।

उपसंहार :  बरोजगारी देश की एक बहुत बड़ी समस्या है। सरकार के द्वारा बेरोजगारी को खत्म करने के लिए बहुत से कदम उठाये जा रहे हैं। बेरोजगारी उस संक्रामक बीमारी की तरह होती है जो अनेक बिमारियों को जन्म देती है। लोगों का कहना है कि अभी सरकार को बेरोजगारी से छुटकारा नहीं मिल पाया है पर वो इतने साधन जुटा रही है जिससे भविष्य में बेरोजगारी की समस्या को खत्म किया जा सके।

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Berojgari ki Samasya par Nibandh

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध: बेरोजगारी का अर्थ: बेरोजगारी की समस्या का कारण: Unemployment Essay in Hindi

बेरोजगारी देश के लिए एक ज्वलंत समस्या है. महाविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद डिग्री लेकर रोजगार की तलाश में भटकते हुए नवयुवक के चेहरे पर निराशा और चिंता का भाव होना सामान्य बात हो गई है. जब रोजगार की तलाश में भटकते हुए, युवक को अपनी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिलती, तो युवक अपनी डिग्रियां फाड़ने, जलाने के लिए विवश हो जाते हैं. उस समय घर एवं समाज के लोग उसे निकम्मा समझते हैं. बेरोजगारी की समस्या आज देश का सबसे बड़ा मुद्दा बना गया है. तो आज हम आपसे बात करेंगे Berojgari ki Samasya par Nibandh के बारे में.

Table of Contents

बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

प्रस्तावना .

आज देश में बेरोजगारी एक वायरस की तरह फैल चुका है, जिसका जल्द से जल्द समाधान नहीं किया गया, तो हालात बद से बदतर होने में देर नहीं लगेगा. देश की तरक्की के रास्ते में कई सारे कारक पाव पसारे खड़े हैं, लेकिन बेरोजगारी उनमें से सबसे महत्वपूर्ण कारक है. महात्मा गाँधी जी ने बेरोजगारी को “समस्याओं का समस्या” कहा है.

युवाओं में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है, जिससे तनाव भी बढ़ता जा रहा है. हमारा देश युवाओं का देश कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की जनसंख्या का सबसे बड़ा हिस्सा युवा हैं, जो की अच्छी बात है. लेकिन जब युवा जनसंख्या ही बेरोजगार हो, तो देश के लिए कोई लाभ नहीं है. क्योंकि बेरोजगार युवा आखिर देश के विकास में क्या योगदान दे सकती है.

बेरोजगारी का अर्थ

बेरोजगारी का अर्थ है, योग्यता होने के बावजूद कोई काम न मिलना .आज देश में कई ऐसे युवक हैं जो ग्रेजुएशन, बीएड की डिग्री प्राप्त करके रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं. रोजगार नहीं मिलने के कारण स्नातक, परास्नातक, शिक्षा-स्नातक की पढाई करके गाँव के गलियों में भटक रहे हैं. बेरोजगार होने के कारण अक्सर युवाएं तनाव में रहते हैं, जिससे कई तरह के रोग उनके शरीर में घर बना लेते हैं.

एक बेरोजगार इंसान न सिर्फ अपने परिवार बल्कि, देश के भी किसी काम नहीं आ सकता. बेरोजगार लोगों को उनके परिवार वाले एक बोझ की तरह देखते हैं, और बेरोजगार लोग भी समाज के तानों से तंग आकर गलत रास्ते चुन लेते हैं. ताकि उनके माथे पर निकम्मे होने का कलंक ना रहे.  बेरोजगारी बहुत छोटा सा शब्द है, लेकिन इसके अर्थ और परिणाम बहुत खतरनाक होते हैं.

बेरोजगारी के प्रकार 

अल्प बेरोजगारी.

अल्प बेरोजगारी का अर्थ है, क्षमता के अनुसार रोजगार न मिलना. यानि कुछ समय या घंटे का काम मिलना. उदहारण के लिए, एक व्यक्ति 8 घंटों तक कार्य करने में सक्षम होते हुए भी उसे सिर्फ 2-4 घंटे तक का हीं रोजगार मिल पा रहा है, तो इसे अल्प बेरोजगारी कहा जाता है. ये स्थिति मजदूरों में देखा जा सकता है. जैसे मान लीजिए उन्हें एक दीवार बनाना है जिसके लिए उन्हें लगभग 5 घंटे का समय लगेगा. इस हिसाब से उस मजदूर को मात्र 5 घंटे तक के लिए रोजगार उपलब्ध हुआ, बाकी समय वह बेरोजगार हीं कहलाएगा.

खुली बेरोजगारी 

खुली बेरोजगारी वह स्थिति है, जब एक व्यक्ति के पास पूरा समय कोई काम नहीं होता. इसमें व्यक्ति के पास किसी प्रकार का कोई भी रोजगार नहीं होता. ऐसे लोग अपने परिवार के किसी सदस्य के पर निर्भर होते हैं, खुली बेरोजगारी गाँव और शहर दोनों में हीं देखी जा सकती है. खुली बेरोजगारी की समस्या से अधिकतर युवा जूझ रहे हैं, जिन्हें कोई अच्छा काम उपलब्ध नहीं होता. और छोटी-मोटी काम को करने में ये लोग अपना अपमान समझते हैं.

मौसमी बेरोजगारी

मौसमी बेरोजगारी का मतलब होता है, एक मौसम के लिए काम का मिलना. इसमें एक इंसान के पास कोई निर्धारित काम नहीं होता, मौसम के आने पर काम का मिलना और मौसम के खत्म होते ही बेरोजगार हो जाए. जैसे अगर कोई व्यक्ति दीया बनाने का काम करता है, तो वह केवल दिपावली के समय तक हीं रोजी-रोटी कमा पा रहा है. बाकी समय वह बेरोजगार हीं रहेगा.

उसी तरह एक किसान को भी मौसमी बेरोजगारी का शिकार होना पड़ता है. जब मॉनसून आता है, तब किसान खेती का कार्य करते हैं, उसके बाद बाकी का समय उन्हें बेरोजगार रहना पड़ता है. भारत जैसी कृषि प्रधान देश में मौसमी बेरोजगारी विद्यमान है. क्योंकि यहाँ की अधिकांश जनसँख्या कृषि कार्य पर निर्भर रहते हैं.

Berojgari ke Karan: बेरोजगारी की का कारण

दूषित शिक्षा प्रणाली .

बेरोजगारी का सबसे प्रमुख कारण है, दूषित शिक्षा प्रणाली. हमारे देश में गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं दिया जाता, यहाँ केवल साक्षारत दर में वृद्धि हो रहा है. शिक्षा के नाम पर छात्रों को रट के परीक्षा पास कैसे करना है? ये सिखाया जाता है. क्लास होते हीं दिमाग से रटंत ज्ञान भी निकल जाती हैं.ऐसी शिक्षा प्रणाली एक बेहतर शिक्षित जनसंख्या का निर्माण नहीं कर सकता.

गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के अभाव में विद्यार्थियों में व्यावसायिक कौशल विकसित नहीं हो पाता, जिसके कारण उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता. क्योंकि    वर्त्तमान  समय में लगभग सभी कम्पनियाँ स्किल के अनुसार रोजगार देती है, और युवाओं में स्किल्स का अभाव होता है.

जनसंख्या वृद्धि

जनसंख्या वृद्धि बेरोजगारी की एक बहुत बड़ी समस्या है. बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उपलब्ध अवसर की कमीं हो जाती है. बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण सरकार सभी को रोजगार नहीं दे पाती. सभी के लिए रोजगार उपलब्ध न होना, सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चिंता विषय बन गयी है.  बड़ी जनसंख्या के कारण न तो, शिक्षा पर ठीक से ध्यान दिया जाता है और ना हीं स्वास्थ्य पर. इसलिए अगर कम जनसंख्या होगा तो, अवसर सबको बराबर मिलेंगे और कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा.

पिछड़ी हुई कृषि 

ये तो सबको मालूम है कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है मगर कृषि कोई करना नहीं चहता. क्योंकि कृषि करने की तकनीक काफी पुरानी है. वही हल – फल और फसल लगाने की परंपारिक विधि, जिससे फसलों में मुनाफा नहीं दिखता और लोग कृषि क्षेत्र में दिलचस्पी नहीं दिखाते.

यही कुछ बेरोजगारी की समस्या का कारण है. इस ज्वलंत समस्या का निदान किए बिना देश का विकास असंभव है. इसलिए बेरोजगारी की समस्या का निदान करना बेहद जरुरी है.

बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने के उपाय 

  • जनसंख्या पर नियंत्रण करके बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है.
  • देश की जनसँख्या में कमी होगी, तो सभी को रोजगार के अवसर प्राप्त होगा.
  • शिक्षा प्रणाली में सुधार करके बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है.
  • लघु, कुटीर उद्योग, हस्तकरघा उद्योगों का विकास किया जाए, औधोगीकरण से सभी को रोजगार के अवसर मिलेंगे.

इसे भी पढ़ें: खेल का महत्त्व पर निबंध 

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बेरोज़गारी की समस्या और समाधान

Berojgari ki Samasya aur Samadhan

भारत में बेरोज़गारी की समस्या एक भयानक समस्या है। यहाँ लगभग 44 लाख लोग प्रतिवर्ष बेरोजगारों की पंक्ति में आकर खड़े हो जाते हैं। आज भारत में करोड़ों अशिक्षित और शिक्षित बेरोज़गार हैं।

बेरोज़गारी का पहला और सबसे मुख्य कारण जनसंख्या में निरंतर वृद्धि होना है। भारत में जनसंख्या 2.5 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ रही है। जिसके लिए प्रतिवर्ष 50 लाख व्यक्तियों को रोजगार देने की आवश्यकता पड़ती है जबकि मात्र 5-6 लाख लोगों को ही रोजगार मिल पाता है।

बेरोज़गारी के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली दोषपूर्ण है। यहाँ व्यवसाय प्रधान शिक्षा का अभाव है। व्यावहारिक या तकनीकी शिक्षा के अभाव में शिक्षा पूरी करने के बाद विद्यार्थी बेरोज़गार रहता है। इसके अतिरिक्त लघु और कुटीर उद्योगों के बंद होने के कारण भी बेरोजगारी बढ़ रही है। कच्चे माल के अभाव और तैयार माल के बाज़ार में खपत न होने के कारण श्रमिक लघु एवं कुटीर उद्योगों को छोड़ रहे हैं। इस प्रकार बेरोज़गारी की समस्या और बढ़ रही है।

यंत्रीकरण अथवा मशीनीकरण ने भी असंख्य लोगों के हाथ से रोज़गार छीनकर उन्हें बेरोज़गार कर दिया है, क्योंकि एक मशीन कई श्रमिकों का काम निपटा देती है। फलस्वरूप बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार  हो रहे हैं।

इस बेरोजगारी का समाधान भी संभव है। बेरोज़गारी को कम करने सर्वोत्तम उपाय है-जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना। जनसंख्या को  बढ़ने से रोककर भी बेरोज़गारी को रोका जा सकता है। इसके अलावा शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाया जाना चाहिए ताकि शिक्षित होने के बाद विद्यार्थी को रोजगार मिल सके।

बेरोजगारी कम करने के लिए लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास भी अत्यावश्यक है। सरकार द्वारा धन, कच्चा माल, तकनीकी सहायता देकर तथा इनके तैयार माल की खपत कराके इन उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे भी बेरोज़गारी में कमी आएगी। इसके अतिरिक्त मुर्गी पालन, दुग्ध व्यवसाय, बागवानी आदि उद्योग-धंधों को विकसित करके भी रोज़गार बढ़ाया जा सकता है।

सरकार को चाहिए कि बेरोज़गारी को कम करने के लिए वह सड़क-निर्माण, वृक्षारोपण आदि कार्यों पर जोर दे ताकि अशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार मिल सके।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि जन्म-दर में कमी करके, शिक्षा का व्यवसायीकरण करके और लघु उद्योगों को प्रोत्साहन देकर बेरोज़गारी का स्थायी समाधान सम्भव है।

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बेरोजगारी की समस्या पर निबंध हिंदी में Bekari ki samasya essay in hindi

Bekari ki samasya essay in hindi.

Bekari (Berojgari) ki samasya essay in hindi -कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज का हमारा टॉपिक है  Bekari ki samasya essay in hindi दोस्तों जैसे कि आज हम सभी जानते हैं कि बेकारी आज हमारे समाज का हिस्सा बन चुकी है,आज हमारे बहुत सारे नए युवक बेरोजगार या बेकारी की समस्या से जूझ रहे हैं,यह समस्या काफी गंभीर है और ज्यादातर लोगों को इस समस्या से जूझना पड़ता है.

Bekari ki samasya essay in hindi

आज लोग पढ़ाई करते हैं कुछ लोगों को रोजगार मिल जाता है लेकिन बहुत सारे लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता है वह बेकार हो जाते हैं आजकल इतनी प्रतिस्पर्दा आ चुकी है कि अच्छे-अच्छे लेवल की नौकरियां पाना  बहुत मुश्किल हो गया है,प्राइवेट नौकरी,सरकारी नौकरी में बहुत सारे लोग काम करते है इसलिए अब वहां पर लोगों की नौकरियों के ज्यादा चांस नही रह गए हैं इस कारण हमारे देश में बेकारी फेल रही है इस को जल्द से जल्द खत्म करना बहुत जरूरी है.

हम देखते हैं कि पहले के जमाने में लोग खेती किसानी करते थे और अपना जीवन यापन करते थे लेकिन आजकल के जमाने में खेती किसानी दिनादीनकम होती जा रही है इसके अलावा भी आज मौसम का कोई भी भरोसा नहीं है मौसम दिनादिन बदल रहा है जिसके कारण फसलों का नुकसान हो रहा है जिसके कारण लोग  फसलों पर भी भरोसा नहीं रख पाते हैं वह रोजगार की तलाश करते हैं लेकिन आजकल के जमाने में नौकरी मिलना बहुत ही मुश्किल है जिस कारण ज्यादातर लोग बेरोजगारी की समस्याओं से जूझ रहे हैं

कुछ लोग तो बेरोजगारी के चलते हैं मानसिक संतुलन खो देते हैं और वही पर कुछ लोग आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं,आज हम देखें तो जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है जिसके कारण हमारे देश में बेरोजगारी फेल रही है क्योंकि एक कंपनी नौकरी दे तो किस-किस को दे सरकार नौकरी दे तो किस किसको दे,इस वजह से वहुत सारी समस्याएं उत्पन्न हो रही है,हम सभी को समझना होगा और सरकार के साथ में हाथ बढ़ाकर हमको बेरोजगारी खत्म करने के लिए अग्रसर होना होगा.

इन्हें भी पढिये-  जनसँख्या वृद्धि पर निबंध jansankhya vriddhi essay in hindi

आज हमारे देश में रोजगार पाने के बहुत से अवसर हैं इनमें से एक बहुत बड़ा अवसर लोगों के बीच में आता है नेटवर्क मार्केटिंग बिजनेस.हम देखते हैं कि इस बिजनेस के जरिए लोगों को रोजगार दिया जाता है जिससे हमारे देश में बेकारी खत्म हो रही है और लोगों को पैसा कमाने का एक उचित और अच्छा अवसर मिल रहा है आजकल के लोगों को जमाने के साथ बदल कर इस अवसर को पहचानने की जरूरत है जिससे हमारे देश में बेकारी खत्म हो सके.

दोस्तों आज हम देखते हैं कि बेकारी लोगों को बहुत परेशान कर डालती हैं उनका मानसिक संतुलन खो देती हैं इस वजह से यह सिस्टम बहुत ही अच्छा है इससे देश की बेरोजगारी या बेकारी को खत्म करके हम हमारे देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकते हैं,हम देखते हैं कि लोग तरह-तरह के बिजनेस करते हैं लेकिन आजकल के बिजनेस में बहुत इन्वेस्ट करने की जरूरत होती है लेकिन नेटवर्क मार्केटिंग बिजनेस लोगों को बिना कुछ लगाए बिजनेस करने का मौका देता है जिसके कारण हमारे देश में बेकारी खत्म होगी और हमारा देश आगे बढ़ेगा.

हम सब जानते हैं की बेरोजगारी हमारे देश की बहुत बड़ी समस्याओं में से एक है इसको खत्म करने के लिए हम को बहुत तेजी दिखानी होगी,बेकारी को अगर खत्म नहीं किया गया तो बहुत बड़ी समस्या आगे भी उत्पन्न होगी.आज हम देखते हैं कि घर में बच्चे मां बाप को भी सही से नहीं रखते हैं क्योंकि बच्चों के पास आज कोई रोजगार नहीं है उनको खुद खाने के लिए या अपने बच्चों को खिलाने के लिए पैसे नहीं है तो वह अपने मां बाप का सम्मान नहीं करते वह सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं अपने मां बाप के लिए कुछ नहीं कर पाते और इसका सबसे बड़ा कारण होता है बेकारी की समस्या.

अगर हम किसी तरह इस बेकारी की समस्या को खत्म कर देंगे तो दोस्तों आने वाले समय में हमारे साथ हमारे बच्चों के साथ हमारी पूरी फैमिली के साथ बहुत अच्छा होगा,बेरोजगारी या बेकारी की समस्या बहुत ही तेजी से फेल रही है इतनी तेजी से फैल रही है कि आज हमारे ज्यादातर लोग बेकार हैं,लोग 30-35 साल तक की उम्र के हो जाते हैं लेकिन उनको अच्छा रोजगार नहीं मिल पाता या यह भी कह सकते हैं कि वह रोजगार के अवसर को पहचान नहीं पाते हैं

हमें इन दोनों बातों में सुधार करने की जरूरत है और हमारे देश को बेरोजगार मुक्त करके इस देश से बेरोजगारी को हमेशा के लिए खत्म करने की जरूरत है तभी हमारा देश नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकेगा,पहले जनसंख्या बहुत कम थी इस वजह से बेरोजगारी की कोई खास समस्या नहीं थी लेकिन आजकल जनसंख्या भी बहुत तेजी से बढ़ रही है और आजादी के बाद तक जनसंख्या तेजी से बढ़ी है और इसी बीच हमारे बीच में बेकारी भी बढ़ी है.

आखिर में मैं सिर्फ आप सभी से यही कहना चाहूंगा कि दोस्तों एक समस्या ही हमारे देश में बहुत बड़ी बड़ी समस्याओं को जन्म देती है,आज हमारे देश का नौजवान गुस्साया हुआ है इसका सबसे बड़ा कारण है और रोजगार ना मिलना आज हमारे देश की सरकार को भी लोगों को रोजगार देने के लिए कुछ स्पेशल कदम उठाने की जरूरत है,आज हम देखते हैं कि प्राचीन काल से लेकर अभी तक आधुनिक जमाने में वहुत सारी मशीनों का आविष्कार हुआ है

इस कारण ज्यादातर काम मशीनों के द्वारा हो रहे हैं और कारखानों या कंपनियों को लोगों की कम जरूरत पड़ती है इस वजह से ही हमारे देश में बेकारी की समस्या पैदा हो रही है,हम सभी को इस बेकारी की समस्याओं को खत्म करने की जरूरत है और अपनी सोच को बदल कर सरकार के अच्छे कदम पर उनके साथ आगे बढ़ने की जरूरत है तभी हम हमारे देश से बेरोजगारी को खत्म कर सकेंगे और हमारे देश को ऊंचाइयों पर पहुंचा सकेंगे.

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बेरोजगारी पर निबंध - Essay on Unemployment in Hindi - Berojgari Essay in Hindi - Berojgari par Nibandh

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बेरोजगारी पर हिंदी निबंध

रुपरेखा : प्रस्तावना - बेरोजगारी की बढ़ती संख्या - अशिक्षित होने के कारन - व्यापार में गिरावट - सरकार की नीतियाँ - सरकारी विभागों में सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण - बढ़ती बेरोजगारी का समाधान - उपसंहार।

जहाँ रोजगार नहीं होता तथा जिन लोगों के पास रोजगार नहीं होता उन्हें बेरोजगार कहते है। बेरोजगारी स्वंय तथा देश की उन्नति के रास्ते में एक बड़ी समस्या है। काम करने की इच्छा करने वाले को काम न मिलना को भी बेरोजगारी कहते है। आज भारत में बेरोजगारी की समस्या प्रमुख है। बेरोजगारी के कारन बहुत से परिवार आर्थिक दशा से खोखले हो चुके हैं। हमारे देश में आर्थिक योजनाएँ तब तक सफल नहीं हो पाएंगी जब तक बेरोजगारी की समस्या खत्म नहीं हो जाती। आज हम स्वतंत्र तो हैं लेकिन अभी तक आर्थिक दृष्टि से सक्षम नहीं हुए हैं।

हमारे देश में बेरोजगारी की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । देश में लगातार बढती जनसंख्या के कारन जितने व्यक्तियों को काम दिए जाते हैं उनसे दुगने लोग बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार ने जनसंख्या को कम करने के कई अप्राकृतिक उपाय खोजे हैं लेकिन इसके बाद भी जनसंख्या लगातार बढती ही जा रही है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश का संतुलन बिगड़ रहा है। जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगारों की कमी हो रही है इसी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है।

देश में उचित शिक्षा प्रणाली न होने के कारण से भी बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। उचित शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कौशल की कमी, प्रदर्शन संबंधी मुद्दे और बढ़ती आबादी सहित कई कारक भारत में इस समस्या को बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगार उन्मुख शिक्षा की व्यवस्था नहीं होती है जिससे बेरोजगारी और अधिक बढती है। इसी वजह से जो व्यक्ति आधुनिक शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके पास नौकरियां ढूंढने के अलावा और कोई उपाय नहीं होता है। शिक्षा पद्धिति में परिवर्तन करने से विद्यार्थी शिक्षा का समुचित प्रयोग कर पाएंगे। विद्यार्थियों को तकनीकी और कार्यों के बारे में शिक्षा देनी चाहिए ताकि वे अपनी शिक्षा के बल पर नौकरी प्राप्त कर सकें। सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के साथ व्यापार का भी ज्ञान देना चाहिए जिससे आगे चलकर नौकरी ना मिलने पर स्वंय का व्यापार स्थापित कर सके।

उद्योग धंधो की अवनति के कारण भी बेरोजगारी बढती जा रही है। आकलन के मुताबिक हर साल लाखों लोग बेरोजगार होते थे लेकिन अब इनकी संख्या करोंड़ों से भी ऊपर हो गई है। देश में महंगाई के कारन व्यापार में गिरावट हो गयी है। जिसके चलते रोजगार मिलना कम हो गया है। हमारे देश में बहुत अधिक जनसंख्या है जिस वजह से उद्योग धंधों में उन्नति की बहुत अधिक आवश्यकता है। उद्योग धंधों को सार्वजनिक क्षेत्रों में ही स्थापित किया गया है , जब तक घरेलू दस्तकारों को प्रोस्ताहन नहीं दिया जाएगा तब तक बेरोजगारी की समस्या ठीक नहीं हो सकती है। सरकार कारखानों की संख्या में वृद्धि कर रही है। उद्योग धंधों की स्थापना की जा रही है। उत्पादन क्षेत्रों को विकसित किया जा रहा है जिससे बेरोजगारी की संख्या कम हो सके।

बेरोजगारी की समस्या शहर और गाँव दोनों में उत्पन्न हो रही है। कई लोग गाँव के लोग शहरों में आकर बसने लगे हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है। गांवों में लोग कृषि करना पसंद नहीं करते जिसकी वजह से गांवों की आधी जनसंख्या बेरोजगार रह जाती है। पुराने समय में वर्ण व्यवस्था में पैतृक व्यवसाय को अपना लिया गया था जिस वजह से बेरोजगारी कभी पैदा ही नहीं होती थी। जब वर्ण-व्यवस्था के भंग हो जाने से पैतृक व्यवसाय को नफरत की नजर से देखा जाता है तो बेटा पिता के व्यवसाय को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होता है। औद्योगिक शिक्षा की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिए ताकि शिक्षित लोगों की बेरोजगारी को कम किया जा सके। शिक्षा से लोग स्वालम्बी होते हैं। उन लोगों में हस्तकला की भावना पैदा नहीं होती है। आधे से भी ज्यादा लोग रोजगार की तलाश में भटकते रहते हैं और बेरोजगारों की लाइन और लंबी होती चली जाती है।

सरकारी विभागों में सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी बेरोजगारी की समस्या बढती जा रही है। आज के समय में ऋषियों और साधुओं को भिक्षा देना पुण्य की बात मानी जाती है। जब स्वस्थ लोग दानियों की उदारता को देख कर भिक्षावृत्ति पर उतर आते हैं। इस प्रकार से भी बेरोजगारी की परेशानी बढती जा रही है। हमारे यहाँ के सामाजिक नियमों, वर्ण-व्यवस्था के अनुसार विशेष-विशेष वर्गों के लिए कई विशेष कार्य होते हैं। सरकारी विभागों में वर्ण-व्यवस्था के अनुसार काम दिए जाते हैं। अगर उन्हें काम मिलता है तो करते हैं वरना हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। इस तरीके की सामाजिक व्यवस्था से भी बेरोजगारी बढती है। युवाओं में असंतोष ने समाज में अव्यवस्था और अराजकता फैला रखी हैं। हमें सरकारी नौकरियों के मोह को छोडकर उस काम को करना चाहिए जिसमें श्रम की जरूरत होती है। आज लाखों लोग अपने पैतृक व्यवसाय को छोडकर रोजगार की खोज में इधर-उधर घूम रहे है।

जनसंख्या वृद्धि को रोककर बेरोजगारी को नियंत्रित किया जा सकता है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए विवाह की आयु का नियम कठोरता से लागु किया जाना चाहिए। साथ ही शिक्षा-पद्धिति में भी सुधार करना चाहिए। शिक्षा को व्यावहारिक बनाना चाहिए। विद्यार्थियों में प्रारंभ से ही स्वालंबन की भावना को पैदा करना होगा। देश के विकास और कल्याण के लिए पंचवर्षीय योजना को चलाया गया जिससे किसी भी राष्ट्र की पहली शर्त सब लोगों को रोजगार देना होता है। लेकिन पहली पंचवर्षीय योजना से बेरोजगारी की समस्या और अधिक बढ़ गई थी। बढ़ती बेरोजगारी का समाधान है स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना, अपने देश में अधिक से अधिक उत्पाद बनेंगे तो देश में रोजगार की संख्या बढ़ेगी जिससे बेरोजगारी का मसला हल होगा।

बेरोजगारी स्वंय तथा देश की उन्नति के रास्ते में एक बड़ी समस्या है। सरकार के द्वारा बेरोजगारी को खत्म करने के लिए बहुत से कदम उठाये जा रहे हैं। बेरोजगारी उस संक्रामक बीमारी की तरह होती है जो अनेक बिमारियों को जन्म देती है। बेरोजगारी व्यक्ति की सच्चाई, ईमानदारी और दया का गला घोट देती है। बेरोजगारी लोगों को अनेक प्रकार के अत्याचार करने के लिए मजबूर करती है। सरकार को नव युवकों को उद्यम लगाने के लिए ऋण दे रही है और उन्हें उचित प्रशिक्षण देने में भी साथ दे रही है। देश के नागरिक आशा कर रहे है की आने वाले कल में बेरोजगारी की समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाए और देश की अर्थव्यवस्था और विकास मजबूत रहे।

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Hindi Essay on “Berojgari ki Samasya” , ” बेरोजगारी की समस्या” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

भारत में बेरोजगारी, bharat me berojgari, बेरोजगारी की समस्या .

Berojgari ki Samasya

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7 Best Hindi Essay on “Berojgari ki Samasya”

निबंध नंबर :-01

समस्याओ के देश भारतवर्ष में जो एक बहुत बड़ी समस्या सभी को पीड़ित व आतंकित किए हुए है, वह है बेकारी की समस्या | भारत में यह समस्या द्वितीय महायुद्ध के समाप्त होते – होते बढने लगी थी और आज यह अपनी चरम सीमा पर विद्दमान है | तथा यह धीरे-धीरे विकराल रूप धारण करती जा रही है | आज देश में शिक्षित बेरोजगारो की संख्या लगभग दस करोड़ है जिसमे लाखो युवक पथ-भ्रष्टता एव अराजकता के शिकार बन गये है | आज जो देश में हिसा, तोड़ – फोड़ , मारधाड़ , धोखाधड़ी आदि कई तरह के आपराध पनप  रहे है उनका कारण है बेकार युवा वर्ग की मानसिकता | कहावत भी है खाली मन – मस्तिष्क शैतान का घर |

हमारे देश में बेकार अंग्रेजो की देन है | अंग्रेजी ने देश के उन छोटे-छोटे उद्दोगो को समाप्त कर दिया जिन्हें प्राचीन काल से भारतीय अपने घरो में चलाकर रोजीरोटी कमा लेते थे | कोई कपड़ा बुनता, कोई चरखा कातता , कोई गुड बनाता तो कोई टोकरी व खिलौने | यह सब उन्होंने अपने देश के व्यापार को बढ़ाने के लिए किया |

बेकारी की समस्या का दूसरा मूल कारण है भारत की बढती जनसंख्या | देश के साधन तथा उत्पादन तो आगे बढ़ते नही वरन उपभोक्तओ की संख्या निरन्तर बढती गई | अंत : प्रत्येक घर में दरिद्रता बढती चली गई | अर्थात परिवार में कमाने वालो की संख्या सीमित होती चली गई |

इसका तीसरा कारण है वर्तमान शिक्षा पद्धति , जो देश में केवल क्लर्को की संख्या को बढ़ाने में सहायक रही | चौथा कारण है सामजिक व धार्मिक परम्पराओ का होना | साधु-सन्यासियों को भिक्षा देने व दान देने के प्रवृत्ति ने भी लोगो को आलसी बना दिया है | ह्रष्ट-पुष्ट शरीर वाले लोग भी भिक्षावृति पर उत्तर आटे है | वर्णव्यवस्था के कारण भी बेरोजागारी को बढ़ावा मिला है | किसी एक वर्ग का व्यक्ति दुसरे के कार्य को नही अपनाना चाहता , भले ही उसे बेकार ही क्यों ने रहना पड़े |

बेरोजागारी के कारण युवको में फैले आक्रोश तथा असन्तोष ने समाज में अव्यवस्था व अराजकता की स्थिति पैदा कर दी है | यदि इसका शीघ्र ही कोई हल नही ढूंढा गया तो इसके भयंकर परिणाम होने की सम्भावना है आज इस बढ़ते हुए बेकारी के रोग को समूल उखाड़ फेकने के लिए हमे अनेक उपाय करने होगे | सर्वप्रथम तो जनसंख्या की वृद्धि को रोकना होगा | दूसरा हमे अपनी शिक्षा पद्धति में परिवर्तन करना होगा | वह तकनीकी व व्यावहारिक होनी चाहिए | तीसरा घरेलू व लघु उद्दोगो को बढ़ावा देना होगा | चौथा हमे अपनी धार्मिक मान्यताओं में परिवर्तन लाना होगा |

भारत की सरकार ने इस समस्या के हल के लिए काफी ठोस कदम उठाए है | जैसे (i) स्नातक बेरोजगारों को सस्ते डॉ पर रुपया उधार देना (ii) 20-सूत्री कार्यक्रम की स्थापना करना तथा (iii) बड़े-बड़े उद्दोगो की स्थापना करना आदि |

निबंध नंबर :-02

बेरोजगारी की समस्या

बेरोजगारी देश के सम्मुख एक प्रमुख समस्या है जो प्रगति के मार्ग को तेजी से अवरूद्ध करती है। यहाँ पर बेरोजगार युवक-युवतियों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। स्वतंत्रता के पचास वर्षों बाद भी सभी को रोजगार देने के अपने लक्ष्य से हम मीलों दूर हैं। बेरोजगारी की बढ़ती समस्या निरंतर हमारी प्रगति, शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रही है।

हमारे देश मंे बेरोजगारी के अनेक कारण हैं। अशिक्षित बेरोजगार के साथ शिक्षित बेरोजगारों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है। देश के 90ः किसान अपूर्ण या अद्ध बेरोजगार हैं जिनके लिए वर्ष भर कार्य नहीं होता है। वे केवल फसलों के समय ही व्यस्त रहते हैं। शेष समय में उनके करने के लिए खास कार्य नहीं होता है।

यदि हम बेरोजगारी के कारणों का अवलोकन करें तो हम पाएँगे कि इसका सबसे बड़ा कारण देश की निंरतर बढ़ती जनसंख्या है। हमारे संसाधनों की तुलना में जनसंख्या वृद्धि की गति कहीं अधिक है जिसके फलस्वरूप देश का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। इसका दूसरा प्रमुख कारण हमारी शिक्षा-व्यवस्था है। वर्षोंे से हमारी शिक्षा पद्धति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है। हमारी वर्तमान शिक्षा पद्धति का आधार प्रायोगिक नहीं है। यही कारण है कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् भी हमें नौकरी नहीं मिल पाती है। बेरोजगारी का तीसरा प्रमुख कारण हमारे लघु उद्योगों का नष्ट होना अथवा उनकी महत्ता का कम होना है। इसके फलस्वरूप देश के लाखों लोग अपने पैतृक व्यवसाय से विमुख होकर रोजगार की तलाश मंे इधर-उधर भटक रहे हैं।

आज आवश्यकता इस बात की है कि बेरोजगारी के मूलभूत कारणों की खोज के पश्चात् इसके निदान हेतु कुछ सार्थक उपाय किए जाएँ। इसके लिए सर्वप्रथम हमें अपने छात्र-छात्राओं तथा युवक-युवतियांे की मानसिकता में परिवर्तन लाना होगा। यह तभी प्रभावी हो सकता है जब हम अपनी शिक्षा प्रदान करें जिससे वे शिक्षा का समुचित प्रयोग कर सके। विद्वालयों में तकनीकी एवं कार्य पर अधारित शिक्षा दें जिससे उनकी शिक्षा का प्रयोग उद्योगों व फैक्ट्रियों में हो सके और वे आसानी से नौकरी पा सकें।

इस दिशा मंे सरकार निरंतर कार्य कर रही है। अपनी पंचवर्षीय व अन्य योजनाओं के माध्यम से लघु उद्योग के विकास के लिए वह निरंतर प्रयासरत है। सभी सरकारी एंव गैर सरकारी विद्यालयोें मे तकनीकी तथा व्यावसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रण में लेने हेतु विभिन्न परिवार कल्याण योजनाओं को लागू किया गया है। सभी बड़े शहरों मे रोजगार कार्यालय खोले गए हैं जिनके माध्यम से युवाओं को रोजगार की सुविधा प्रदान की जाती है। परंतु विभिन्न सरकारों ने यह सवीकार किया है कि रोजगार कार्यालयों के माध्यम से बहुत थोड़ी संख्या में ही बेराजगारों को खपाया जा सकता है क्योंकि सभी स्थानों पर जितने बेकार हैं उसकी तुलना मे रिक्तियांे की संख्या न्यून है। इस कारण बहुत से लोग अंसगठित क्षेत्र में अत्यंत कम पारिश्रमिक पर कार्य करने के लिए विविश हैं।

वर्तमान में सरकार इस बात पर अधिक बल दे रही है कि देश के सभी युवक स्वावलंबी बनें। वे केवल सरकारी सेवाओं पर ही आश्रित न रहें अपितु उपयुक्त तकनीकी अथवा व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण कर स्वरोजगार हेतु प्रयास करें। नवयुवकों को उद्यम लगाने हेतु सरकार उन्हें कम ब्याज दरों पर ऋण प्रदान कर रही है तथा उन्हें उचित प्रशिक्षण देने में भी सहयोग कर रही है। हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि बदलते परिपेक्ष्य मंे हमारे देश के नवयुवक कसौटी पर खरे उतरेेंगे और देश में फैली बेरोजगारी जैसी समस्या से दूर रहने में सफल होंगे।

निबंध नंबर :- 03

बेरोजगारी: एक अभिशाप

Berojgari – ek abhishap.

हमारे देश में बेरोजगारी एक भंयकर समस्या है, जो दिन-प्रतिदिन त्रीव गति से बढ़ती जा रही है। आज के जमाने में पढ़े-लिखे लोगों में बेरोजगारी की समस्या अधिक है। वे अपने स्कूल एवं काॅलेजों से उच्च शिक्षा प्राप्त करके, शिक्षा पर लाखों रूपये खर्च करके अच्छी नौकरी पाने की उम्मीद रखते हैं। यह अधिकाशं नौजवानों का स्वभाव है। यह ब्रिटिश सरकार की देन है।

लेकिन, वर्तमान समय में रिश्वतखोरी- धांधलेबाजी के कारण उनकी अच्छे रोजगार पाने की अभिलाषा पूरी नहीं हो पाती जिससे वे बेरोजगार होकर सड़कों पर भटकते रहते हैं। इसके अलावा नौकरियों की संख्या कम है, पढ़े-लिखे बेरोजगार अधिक हैं, इसके कारण भी समस्या अभिशाप के रूप में फल-फूल रही है।

बेरोजगारी से परेशान होकर कुछ युवक अपराध की दुनिया में शामिल होते हैं तथा लूटपात-चोरी एवं डकैती डालकर अपनी जीविका चलाने का प्रयास करते हैं। जो आज के समय के लिए निहायत चिंताजनक बात है।

बेरोजगारी के कारण युवकों में फैले आक्रोश व असन्तोष ने समाज में हिंसा, तोड़-फोड़, मारधाड़ व अनेक तरह के अपराधों में वृद्वि हुई है। इस बारे में कहा जा सकता है- खाली दिमाग शैतान का घर। नौजवान यदि खाली है, बेरोजगार है तो उस पर शैतानी प्रवृतियां कब्जा जमाएंगी ही।

आज के नौजवानों को जब नौकरी नहीं मिलती तो वे हताशा एवं कुण्ठा का शिकार हो जाते हैं। यह एक स्वाभाविक प्रवृति है।

यदि किसी परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब है और घर में पैसे की तंगी है, युवक को दौड़-धूप करने के बाद भी रोजगार प्राप्त नहीं होता तो ऐसी दशा में अधिकतर युवक आत्महत्या करने का प्रयास भी करते हैं। हताशा और कुण्ठा का परिणाम आत्महत्या के रूप में सामने आता है।

बेरोजगारी का अर्थ- बेरोजगारी का अर्थ ऐसी स्थिति से है, जब कोई इच्छुक व्यक्ति अपनी जीविका चलाने के लिए किसी आॅफिस, दुकान, फैक्ट्री, कारखाने तथा अन्य किसी स्थान पर मजदूरी की दरों पर कार्य मांगने जाता है और मालिक काम करवाने से मना कर देता है तो ऐसी दशा को बेरोजगारी कहते हैं। बेरोजगारी तब बढ़ती है जब मांग और पूर्ति का सन्तुलन बिगड़ जाता है। रोजगार मांगने वालों की संख्या दस है और पूर्ति होने की संख्या एक है। इस अवस्था में एक की पूर्ति होने पर नौ लाख बेरोजगार रह जायेंगे। ऐसे में श्रम का शोषण होगा तथा यदि सरकारी नौकरी का मामला हो तो रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार और सोर्स-सिफारिश को आज के समय बढ़ावा मिलेगा।

बेरोजगारी से उत्पन्न समस्या

बेरोजगारी किसी भी देश की आर्थिक, सामाजिक, दीवालियेपन का प्रतीक है। यह एक महत्वपूर्ण समस्या है, जो देश के कोने-कोने में अपने पांव पसारती है तथा आर्थि समस्या, भ्रष्टाचार और कुण्ठा को समाज व देश में जन्म देती है।

यह एक ऐसी भयानकपूर्ण समस्या है जिसके कारण मानव की मस्तिषक शक्ति तो क्षीण होती ही है, वरन् देश की उन्नति भी रूक जाती है।

बेरोजगारी के कारण

बेरोजगारी को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण निम्न हैं- (1) जनसंख्या में वृद्वि- देश में तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या बेरोजगारी को बढ़ावा देने का प्रमुख कारण है। वर्तमान समय मंे हमारे देश की जनसंख्या सौ करोड़ से ऊपर है। हमारा देश जनसंख्या के हिसाब से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। इस प्रकार अधिक जनसंख्या होने से अन्न, आवास तथा शिक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ता है जिसके कारण बेरोजगारी मे भी वृद्वि होती है।

(2) दोषपूर्ण शिक्षा नीति- बेरोजगारी का दूसरा प्रमुख कारण दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली है। वर्तमान शिक्षा, नौजवानों के मन में स्वावलम्बन या अपने धन्धे चलाने की प्रेरणा न देकर मात्र नौकर या सुविधा भोग की प्रेरणा देती है।

(3) कुटीर उधोगों की तरफ ध्यान न देना- वर्तमान समय में बड़े-बड़े या लघु उधोग तो निरन्तर खोले जा रहे हैं लेकिन छोटे कुटीर उधोगों की तरफ कोई ध्यान नही दिया जा रहा है। मशीनीकरण का उपयोग भी काफी बढ़ गया है, जिस कारण कुटीर उधोगों से जुड़ें लोग, सामान्य शिक्षा प्राप्त अनेक नवयुवक बेकार होते जा रहे है। जिस कारण बेरोजगारी मंे निरन्तर वृद्वि हो रही है।

(4) पंचवर्षीय योजनाओं की असफलता- पंचवर्षीय योजनाओं की असफलता भी बेरोजगारी बढ़ने का प्रमुख कारण है। यदपि स्वतन्त्रता के पश्चात् हमारे देश में पंचवर्षीय योजनाओं का तेजी से प्रयोग हुआ जिसके कारण अनेक बेरोजगारों को रोजगार की प्राप्ति हुई, लेकिन वर्तमान समय में पंचवर्षीय योजनाओं की असफलताओं से रोजगारी पर काफी प्रभाव पड़ा। ‘सबको शिक्षा, सबको काम‘ के सिद्वान्त पर कोई अमल न हो सका।

(5) कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों की कमी- देश में कुशल व प्रशिक्षित व्यक्तियों की कमी है। अच्छी मशीन, उपकरण, खराब हो जाये तो प्रशिक्षित कारीगर नहीं मिलते। उधोग को अधिक विकसित करना हो तो विदेशी व्यक्तियों की सहायता लेनी पड़ती है। हमें अनेक सुविधा साधन के उपकरणों को विदेशों से खरीदना पड़ता है, यदि वही उपकरण देश में बनने लगे तो उसके लिए कुशल प्रशिक्षित व्यक्ति चाहियें। जिनकी कमी है।

बेरोजगारी को रोकने के उपाय

(1) बेरोजगारी को रोकने के लिए सबसे पहले जनसंख्या वृद्वि पर नियंत्रण पाना आवश्यक है। (2) देश की शिक्षा नीति में सुधार लाना होगा। शिक्षा को रोजगार परक बनाना एक अच्छा विकास है। (3) ऐसे कुटीर उधांेगो का विकास करना होगा जहां अधिक से अधिक मजदूरों को काम पर लगाया जा सकें। इसके लिए लघु कुटीर उधोगों को सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जाना चाहिये। (4) पंचवर्षीय योजानाओं को सफल बनाने के लिए हर सम्भव प्रयास करने चाहिये। इसके लिए ‘सबको शिक्षा, सबको काम‘ लक्ष्य बनाकर उसे पूरा किया जाना चाहिये। (5) देश में उपलब्ध कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों को ढूंढकर उन्हें रोजगार देना होगा ताकि देश में उन्नत तकनीक विकसित हो तथा आने वाले समय में अधिकतर को काम मिल सकें। (6) प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग की ओर सरकार को अधिक ध्यान देना चाहिये। (7) आर्थिक एवं सामाजिक ढांचे मंे परिर्वन करना चाहिये।

इन उपरोक्त बिन्दुओं द्वारा ही हमारा देश बेरोजगारी जैसी भंयकर समस्या से छुटकारा पा सकता है। इस समस्या को दूर करके किसी भी देश का आर्थिक विकास किया जाना सम्भव है, अन्यथा देश को अपराध, कुण्ठा-हताशा और हताशा के कारण आत्महत्या की घटनायें बढ़ती चली जायेगी जो देश के लिए अभिशाप साबित होंगी।

निबंध नंबर :- 04

berojgari-ki-Samasya-essay

आज हमारे देश में लाखों, बल्कि करोड़ों नौजवान आजीविका की खोज में इधर-उधर भटकते देखे जा सकते हैं। उनमें से बहुसंख्यक शिक्षित वर्ग के होते हैं और अशिक्षितों की संख्या भी कम नहीं होती। वे न तो शिक्षित ही होते हैं और न ही कोई लाभप्रद रोजगार का प्रशिक्षण उन्हें मिला होता है। रोजगार कार्यालय हर दिन हजारों की संख्या में युवकों के नाम दर्ज करते हैं, किन्तु परिणाम कोई भी नहीं दिखाई देता।

भारत एक कल्याणकारी देश है और सरकार का यह कर्त्तव्य है कि वह देश के नागरिकों को सार्थक रोजगार प्रदान करे। किन्तु किसी भी सरकार के लिये यह कार्य सहज नहीं, क्योंकि प्रत्येक वर्ष लाखों व करोड़ों की संख्या में शिक्षित और अशिक्षित लोग रोजगार की खोज में भटकना शुरू कर देते हैं। अतः यह समस्या एक ऐसी विकट समस्या है जिसका कोई स्थायी विकल्प खोजना ही होगा।

हमारे सामने विश्व के कई देशों के ऐसे उदाहरण हैं जहां सरकारें हजारों नौजवानों को बेरोजगारी भत्ता तब तक देती हैं जब तक कि उन्हें किसी उपयुक्त स्थान पर नियक्ति नहीं मिलती, लेकिन उन देशों की आबादी भारत की आबादी जितनी विशाल नहीं है। साथ ही, उन देशों में काफी बड़ा रोजगार बाजार भी है, क्योंकि वहां के उद्योग-धन्धे विकासशील अर्थव्यवस्था पर आधारित हैं।

भारत में जनसंख्या की समस्या सरकार के लिए एक बहुत बड़ा सरदर्द बनी हुई है। हर वर्ष हजारों नए स्कूल खोलना जरूरी हो रहा है। इसके अलावा गांव के नौजवानों के सामने बेकारी की समस्या अधिक विकट रूप में है क्योंकि या तो उनके माता-पिता भूमिहीन होते हैं या फिर जितनी जमीन उनके पास होती है उससे परिवार के सभी सदस्यों का पर्याप्त गुजारा नहीं हो पाता। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में जो शिक्षा-प्रणाली चलाई जा रही है उसके अन्तर्गत शिक्षित युवकों को रोजगार की तलाश में गांव छोड़कर शहरों में शरण लेनी होती है। कभी-कभी गांव में खेती करने के पेशे को लेकर उनके अन्दर हीन भावना का विकास भी हो जाता है।

शहरी नौजवानों को नए उद्योगों में खपाया जा सकता है या अपनी निजी औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने में उनकी सहायता की जा सकती है। इस प्रकार उन्हें लाभदायक रोजगार दिया जा सकता है। ग्रामीण नौजवानों को भी शिक्षित व प्रशिक्षित करना होगा, तभी कोई तालमेल बिठाया जा सकता है। सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि हमारी शिक्षा-पद्धति सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं करती।

महात्मा गांधी ने कहा था कि प्रत्येक विद्यार्थी को व्यावसायिक प्रशिक्षण स्कूल या कालेज में अध्ययन के दौरान ही प्राप्त कर लेना चाहिये, ताकि शिक्षा समाप्त करने के ठीक बाद वे उस व्यवसाय को अपनाने योग्य हो जाएं। इस प्रकार वे आत्मनिर्भर हो जायेंगे और सामान्यतया समाज-कल्याण में सहायक भी होंगे।

हमारी सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास पर विशेष बल दे रही है। वह ग्रामीण नौजवानों की बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिये विशेष रूप से प्रयत्नशील है। भविष्य में कोई भी औद्योगिक इकाई पांच लाख से अधिक आबादी वाले कस्बे में नहीं खोली जाएगी। इस प्रकार सरकारी सहायता से गांवों में शीघ्र ही नए उद्योग-धन्धे स्थापित किए जाने की योजना है। विभिन्न बैंक भी अपनी शाखाएं गांवों में खोल रहे हैं।

सरकार बेरोजगारी की इस समस्या को गांधीवादी सिद्धान्तों पर हल करने के प्रयत्न कर रही है। इसके साथ-साथ भूमि-सुधार की बहुत अधिक आवश्यकता महसूस की जा रही है। हर नए परिवार के पास. यदि वे कृषि का व्यवसाय चुन रहे हों, कृषि योग्य पर्याप्त जमीन होनी चाहिये और वह जमीन उन्हें सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जानी चाहिये। सरकार को चाहिए कि उन्हें कृषि सम्बन्धी अन्य सभी आवश्यक सुविधाएं और साधन भी उपलब्ध कराए, ताकि वे नई प्राप्त की हुई जमीन से अच्छी फसल उगा सकें।

कहा जाता है कि पूंजीवादी देशों में बेकारी की समस्या का अनुपात बेहद चौकाने वाला होता जा रहा है, लेकिन समाजवादी देशों में बेकारी की समस्या ही नहीं है। इसका स्पष्ट कारण यह है कि समाजवादी देशों में नियोजित अर्थव्यवस्था पर बल दिया जाता है।

सरकार को चाहिये कि देश में जितने भी बड़े उद्योग हैं, उन्हें राष्ट्रीयकृत कर दे और कृषि सम्बन्धी सुधार करे। छोटी औद्योगिक इकाइयों को लगाने पर जोर दिया जाना चाहिये तथा ग्रामीण नवयुवकों को उन इकाइयों को चलाने हेतु उपयुक्त प्रशिक्षण देने के बाद ऋण की व्यवस्था करनी चाहिये। इस संदर्भ में ग्रेजुएट स्कीम तथा अन्य ऐसी निजी रोजगार योजनाओं को भी अपेक्षाकृत अधिक व्यावहारिक व प्रभावशाली बनाया जा सकता है।

आज भारत में हड़ताल तथा तालाबन्दी की बीमारी सभी उद्योगों में फैली हुई है। बैंकों में तथा दूसरे कार्यालयों में आए दिन हड़तालें होती हैं जिससे उनका कार्य स्थगित होता रहता है। जनता में एक बार फिर असन्तोष की भावना घर कर गई है। लोगों को इस बात की आजादी है और लोकतांत्रिक अधिकार प्राप्त हैं कि वे सामाजिक अन्याय के विरुद्ध अपनी आवाज उठाएं, लेकिन सरकार का यह कर्त्तव्य है कि वह इन समस्याओं का उपयुक्त समाधान करे और हर वर्ष स्कूल-कॉलेज से निकल रहे लाखों-करोड़ों नवयुवकों को रोजगार प्राप्त कराने की कुछ ठोस योजनाएं तैयार करे।

सरकार को शिक्षा-प्रणाली में भी सुधार करना चाहिये ताकि सामाजिक आवश्यकताओं की दृष्टि से वह अधिकाधिक उपयोगी हो सके। जो भी नई शिक्षा-पद्धति तैयार की जाए वह रोजगार व व्यवसायों की दृष्टि से संभावनायुक्त होनी चाहिये। हमें चाहिये कि हम जापान तथा विश्व के विकसित देशों की प्रणाली का अध्ययन करें और अपनी अर्थव्यवस्था सुधारने व युवकों को तुरन्त रोजगार उपलब्ध कराने में उन्हें आधार बनायें। शिक्षा-पद्धति का एक ऐसा रूप सामने आना चाहिये कि सभी नए पढ़े-लिखे युवकों को अपनी पढ़ाई समाप्त करने के बाद रोजगार मिल सके। अगर उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण पहले से ही प्राप्त होगा तो उन्हें उपयुक्त व्यवसायों में खपाना आसान होगा।

अतः सरकार को समस्या के स्थायी समाधान की दृष्टि से प्रयत्नशील होना चाहिये और इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रोजगार की नई योजनाएँ अपनानी चाहिये और अपनी गतिविधियां तीव्र करनी चाहिए।

निबंध नंबर :- 05

बेरोज़गारी : समस्या और समाधान

Berojgari – Samasya aur Samadhan

बेकारी की समस्या और अभिप्राय

आज भारत के सामने जो समस्याएँ फण फैलाए खड़ी हैं, उनमें से एक चिंतनीय समस्या है-बेकारी। लोगों के पास हाथ हैं, पर काम नहीं है। प्रशिक्षण है, पर नौकरी नहीं है।

आज देश में प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित दोनों प्रकार के बेरोजगारों की फौज़ जमा है। फैक्ट्रियों, सड़कों, बाजारों में भीड ही भीड है। शहरों में हजारों बेकार मजदूरों के झुंड पर झुंड नज़र आ जाते हैं। रोजगार कार्यालयों में करोड़ों बेकार यवकों के नाम दर्ज हैं। सौ नौकरियों के लिए हज़ारों से लाखों तक आवेदन-पत्र जमा हो जाते हैं।

बेकारी के कारण

बेकारी का सबसे बड़ा कारण है-बढ़ती हुई जनसंख्या। दूसरा कारण है, भारत में विकास के साधनों का अभाव होना। देश के कर्णधारों की गलत योजनाएँ भी बेकारी को बढ़ा रही हैं। गाँधी जी कहा करते थे-“हमारे देश को अधिक उत्पादन नहीं, अधिक हाथों द्वारा उत्पादन चाहिए।” उन्होंने बड़ी-बड़ी मशीनों की जगह लघु उद्योगों को प्रोत्साहन दिया। उनका प्रतीक था-चरखा। परंतु अधिकांश जन आधुनिकता की चकाचौंध में उस सच्चाई के मर्म को नहीं समझे। परिणाम यह हुआ कि मशीनें बढ़ती गईं, हाथ खाली होते गए। बेकारों की फौज़ जमा हो गई। आज के अधिकारी कंप्यूटरों और मशीनों का उपयोग बढ़ाकर रोजगार के अवसर कम कर रहे हैं। बैंक, सार्वजनिक उद्योग नई नौकरियाँ पैदा करने की बजाय अपने पुराने स्टाफ को ही जबरदस्ती निकालने में जुटे हुए हैं। यह कदम देश के लिए घातक सिद्ध होगा। आज भारत को पुनः पैतृक उद्योग-धंधों, व्यवसायों की आवश्यकता

प्रत्येक समस्या का समाधान उसके कारणों में छिपा रहता है। यदि ऊपर-कथित कारणों पर प्रभावी रोक लगाई जाए तो बेरोज़गारी की समस्या का काफी सीमा तक समाधान हो सकता है। व्यावसायिक शिक्षा, लघु उद्योगों को प्रोत्साहन, मशीनीकरण पर नियंत्रण, कंप्यूटरीकरण पर नियंत्रण, रोजगार के नए अवसरों की तलाश, जनसंख्या पर रोक आदि उपायों को शीघ्रता से लागू किया जाना चाहिए।

निबंध नंबर :- 06

Berozgari ki Samasiya

आज विश्व के लगभग हर एक देश के सामने कुछ समस्याएँ विद्यमान हैं। उन्हीं समस्याओं में से एक है-बेराजगारी की समस्या। कहीं कम तो कहीं ज्यादा, यह समस्या समूचे विश्व में विद्यमान है। भारत जैसे विकासशील देश के सामने तो यह भयंकर रूप में उपस्थित है। कभी सोने की चिड़िया कहलाने वाला यह देश आज जिन गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है, उनमे बेकारी की समस्या प्रमुख है लोगों के पास हाथ हैं काम करने की इच्छा है लेकिन काम नहीं है। राजनेताओं के पास लंबे-चौडे वायदे हैं, भविष्य के लिए आकर्षक योजनाएँ हैं परन्तु ये सब जनता को लुभाने के लिए है जिनका प्रयोग चुनाव जीतने या जनता को भ्रमित करने के लिए किया जाता है।

बेकारी या बेरोजगारी की समस्या के कई रूप हैं लोगों की अपनी योग्यता के अनुरूप काम न मिलना, लोगों को अंशकालिक कार्य मिलना, एक ही कार्य में आवश्यकता से अधिक लोगों का कार्यरत रहना, मौसमी काम मिलना-ये सब बेरोजगारी के रूप हैं। आज देश के नगरों में रोजगार कार्यालयों में करोडों बेकार युवक-युवतियों के नाम दर्ज हैं। यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

बेकारी की समस्या के अनेक कारण है जिसमें जनसंख्या का तेज गति से बढ़ना सर्वप्रमुख है। आज में जनसंख्या जिस गति से बढ़ती जा रही है उसे देखकर तो लगता है कि बेकारी की समस्या कभी सुलझ ही न पाएगी क्योंकि जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में रोजगार प्राप्त करके अवसरों का विकास नहीं किया जा सकता। एक बड़ी औद्योगिक इकाई को खड़ा करने में कई वर्ष लग जाते हैं तब तक उसमें कार्य करने को इच्छुक बेरोजकारी की संख्या कई गुना बढ़ जाती है।

बेकारी की समस्या का दूसरा कारण है-देश की कमजोर अर्थव्यवस्था और विकास के साधनों का अभाव। भारत एक विकासशील देश है। विश्व को उन्नत देशों की तुलना में यह निर्धन देश है। धन की कमी के कारण रोजगार के अवसरों पर त्वरित गति से विकास नहीं किया जा सकता। भारत की अधिकांश परियोजनाएँ शीघ्र पूरी हो सकें। अनेक बार ये योजनाएँ अधूरी ही रह जाती हैं।

सरकारी नीतियाँ भी बेरोजगारी को बढ़ाने में पीछे नहीं है। स्वाधीनता प्राप्ति के इतने वर्षों बाद भी हम उन्नत राष्ट्रों की श्रेणी में स्थान नहीं पा सके। हमारे पडोसी चीन को हमसे बाद स्वतंत्रता मिली मगर विकास की दौड में हमसे बहुत आगे निकल गया और हम कछुए की गति से चलते रहे। गांधीजी ने एक बार कहा था।

हमारे देश को अधिक उत्पादन नहीं अधिक हाथों द्वारा उत्पादन करना चाहिए। उनका आश्य था कि बड़ी-बड़ी स्वचालित मशीनों से उत्पादन भले ही बढ़ जाए अधिक हाथों को काम नहीं मिल पाता। इसलिए देश के कुटीर उद्योग कम पूँजी से, छोटे स्थान में, कम लोगों द्वारा शुरू किए जा सकते हैं। आज देश के बड़े-बड़े कारखानों में अनेक लघ उद्योगों को नष्ट कर दिया है तथ उनसे कार्यरत असंख्य लोग बेरोजगार हो गए हैं। कर्नाटक तथा आंध्र तथा तमिलनाडू में अनेक बुनकरों ने बेरोजगारी से तंग आकर आत्महत्या तक की है। फिर सरकार ने विदेशी कंपनियों को भारत में अपने उद्योग लगाने की छूट देकर बची-खुची कसर भी पूरी कर दी है। जो थोड़े बहुत स्वदेशी लघु-उद्योग बचे थे, वे भी तबाह हो गए।

शिक्षित युवक में बाबूगिरी करने की भावना भी बेराजगारी को बढ़ाने में सहायक हुई है। ये युवक हाथ से काम करने में अपना अपमान समझते हैं और सफेदपोश बने रहकर दफ्तरों में थोड़े वेतन पर कार्य करना पसन्द करते हैं। आज की शिक्षा भी रोजगारोन्मुखी नहीं है इसलिए प्रतिवर्ष लाखों शिक्षित बेरोजगार * बढ़ रहे हैं।

बेरोजगारी की समस्या अपराधी वृत्ति को जन्म देती है। – कहानी है-वुभुक्षित किं न करोति पाप’-अर्थात् भूखा व्यक्ति

अपराध नहीं करता। आज देश में जिस प्रकार की अनुशासनहीनता, हिंसा तस्करी, लूटपाट, चोरी, डाका जैसी असामाजिक बुराइयाँ व्याप्त है उनके पीछे कहीं न कहीं बेरोजगारी का हाथ आवश्यक है। छात्रों में असंतोष कर तो सर्वप्रमुख कारण बेरोजगारी ही है।

यद्यपि भारत जैसे विकासशील देश में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या को हल करना सरल नहीं है तथापि जनसंख्या पर रोक लगाकर, कुटीर एवं लघु उद्योगों का विकास करके शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाकर पढ़े लिखे युवकों को कृषि या हाथ से काम करने को प्रोत्साहित करके, विदेशी कंपनियों पर अंकुश लगाकर इस समस्या समाधान में कुछ सफलता मिल सकती है।

निबंध नंबर :- 07

रोजगार का अर्थ है जीवन के भरण-पोषण के लिए काम करना। रोजगार का न मिलना ही बेरोजगारी कहलाती है। हमारे देश में लाखों योग्य और कार्य करने के इच्छुक युवा काम की तलाश में भटक रहे हैं। इससे इनमें असंतोष और हताशा व्याप्त है।

जनसंख्या में तीव्र वृद्धि इस समस्या का प्रमुख कारण है। बेरोजगारी की समस्या का दूसरा प्रमुख कारण है – शिक्षा प्रणाली। हमारी शिक्षा प्रणाली इस तरह की नहीं है कि वह पढ़ाई के दौरान ही विद्यार्थियों को किसी कार्य में दक्ष कर दे, जिससे वह पढ़ाई के उपरांत स्वतः अपने पैरों पर खड़ा हो जावे।

देश में लघु उद्योगों की बुरी हालत ने भी बेरोजगारी को बढ़ाया है। नये नये आविष्कारों के कारण अब मनुष्य का काम मशीनें करने लगी हैं। इससे मानव श्रमशक्ति की आवश्यकता अपेक्षाकृत कम हुई है।

बेरोजगारी की समस्या के कुपरिणाम अब चारों ओर परिलक्षित होने लगे हैं। देश के राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास पर इसका बुरा असर पड़ा है। बेकारी से त्रस्त अनेक युवक प्रायः बेईमानी, भ्रष्टाचार. चोरी-डकैती, लूट-पाट, गुंडागर्दी जैसी समाज विरोधी गतिविधियों के चक्रव्यूह में फँस जाते हैं और समाज के लिए बोझ बन जाते हैं।

बेरोजगारी लोगों को और अधिक गरीब बनाती है, जिससे उनमें मानसिक विकृतियाँ बढ़ती जाती हैं। देश के विकास में बेरोजगारी एक बड़ी बाधा है।

निवारण के उपाय

बेरोजगारी की समस्या से निपटना बहुत कठिन कार्य है। इस पर काबू पाने के लिए जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना होगा। इसके लिये गाँवगाँव छोटे परिवार के महत्व के लिए चेतना जगानी होगी। सैद्धांतिक शिक्षा के स्थान पर रोजगारमूलक शिक्षा प्रणाली लागू करनी होगी।

युवकों में श्रम के प्रति सम्मान और स्वरोजगार के लिये आत्मविश्वास पैदा करना होगा। स्वरोजगार के लिए बैंकों को बेरोजगारों को कम ब्याज पर धन देने की व्यवस्था करनी होगी। गाँवों में कृषि से सम्बन्धित उद्योगों को बढ़ावा देना होगा। जो माल छोटे उद्योग बना रहे हों, उनके उत्पादन पर बड़े उद्योगों में प्रतिबंध लगाना चाहिये।

भारत जैसे गरीब देश में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। सरकार और समाज को प्राथमिकता के आधार पर इस दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिये। अन्यथा देश अस्थिरता, अराजकता, भ्रष्टाचार और हिंसा के कठिन दौर में घिरता जावेगा।

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