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त्रिशूल ' के लिए मैं ऐसे व्यक्ति की सुलाश में था जिसे न सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मिसाइल युद्ध की ठोस जानकारी हो बल्कि जो टीम के सदस्यों में आपसी समझ बढ़ाने के लिए पेचीदगियों को भी समझा सके और टीम का समर्थन प्राप्त कर सके । इसके लिए मुझे कमांडर एस.आर. मोहन उपयुक्त लगे, जिनमें काम को लगन के साथ करने की जादुई शक्ति थी । कमांडर मोहन नौसेना से रक्षा शोध एवं विकास में आए थे ।
'अग्नि', जो मेरा सपना थी, के लिए किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो इस परियोजना में कभी-कभी मेरे दखल को बरदाश्त कर सके । यह बात मुझे आर.एन. अग्रवाल में नजर आई । वह मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेकोलॉजी के विलक्षण छात्रों में से थे । वह डी.आर.डी.एल. में वैमानिकी परीक्षण सुविधाओं का प्रबंधन सँभाल रहे थे ।
तकनीकी जटिलताओं के कारण ' आकाश ' एवं ' नाग ' को तब भविष्य की मिसाइलों के रूप में तैयार करने पर विचार किया गया । इनकी गतिविधियाँ करीब आधे दशक बाद तेजी पर होने की उम्मीद थी । इसलिए मैंने ' आकाश ' के लिए प्रह्लाद और ' नाग ' के लिए एन. आर. अय्यर को चुना । दो और नौजवानो-वी.के. सारस्वत एवं ए.के. कपूर को क्रमश: सुंदरम तथा मोहन का सहायक नियुक्त किया गया ।
-इसी पुस्तक से
प्रस्तुत पुस्तक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जीवन की ही कहानी नहीं है बल्कि यह डॉ. कलाम के स्वयं की ऊपर उठने और उनके व्यक्तिगत एवं पेशेवर संघर्षों की कहानी के साथ ' अग्नि ', ' पृथ्वी ', ' आकाश ', ' त्रिशूल ' और ' नाग ' मिसाइलों के विकास की भी कहानी है; जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को मिसाइल-संपन्न देश के रूप में जगह दिलाई । यह टेकोलॉजी एवं रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की आजाद भारत की भी कहानी है ।
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A. p. j. abdul kalam.
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Customers find the book inspirational, helpful for the mind, and touching. They also appreciate the extreme devotion to work and duty towards nation. Overall, readers say the book makes them feel and think positively about life.
" Very Motivational and Patriotic. Real Hero of India, Doctor of Science, Kalam Sir...." Read more
""Wings of Fire" by Dr. A.P.J. Abdul Kalam is a captivating and inspiring autobiography that provides a glimpse into the life of one of India's most..." Read more
"It's hurt touching story Made me feel and think positive about life and world and technologyThanks for writing this book." Read more
" Best motivational book ." Read more
Customers are mixed about the writing style. Some mention that the writing is insightful and deeply motivational, while others say that the Hindi translation is very poor and there are some factual mistakes in the hindi edition.
"...His writing is not only insightful but also deeply motivational...." Read more
"...of one of the makers of modern india.though there are some factual mistakes in hindi edition but soul of the book remains pure." Read more
" Great narration and easy translation in Hindi.Much t learn from the book." Read more
" Hindi translation is very poor Some year ago I bought english version it was good but this is terrible." Read more
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होम > परमहंस योगानन्द > योगी कथामृत
परमहंस योगानन्दजी की चिरप्रतिष्ठित आध्यात्मिक रचना पर एक विस्तारपूर्ण अवलोकन।
वर्ष 2021-22 में परमहंस योगानन्दजी की योगी कथामृत की पचहत्तरवीं वर्षगांठ है जोकि विश्व के सबसे प्रशंसित आध्यात्मिक श्रेष्ठ ग्रंथों में से एक है।
परमहंस योगानन्दजी की जीवन-यात्रा को समर्पित इस पृष्ठ पर आपका स्वागत है। इस पुस्तक ने विश्व के लाखों लोगों के मन एवं हृदय को स्पर्श किया है। करीब सात दशक से भी अधिक समय से इस पुस्तक ने अनगिनत पाठकों को भारत के प्राचीन योग-विज्ञान एवं आत्म-साक्षात्कार की वैज्ञानिक पद्धतियों से अवगत कराया है जोकि विश्व सभ्यता को दी गयी भारत की अद्वितीय एवं चिरस्थाई देन हैं।
1946 में प्रथम प्रकाशन के समय से ही अति उत्कृष्ट कृति के रूप में अभिनंदित की जा रही योगी कथामृत लगातार सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक पुस्तकों की सूची में शामिल रही है एवं अनेक पंथों के आध्यात्मिक अन्वेषकों द्वारा पढ़ी जा रही है। 1999 में इस पुस्तक को “शताब्दी की 100 सर्वोत्कृष्ट आध्यात्मिक पुस्तकों” में से एक कह कर सम्मानित किया गया।
इस पुस्तक के प्रति रुचि में निरंतर वृद्धि के कारण इसे पंद्रह प्रमुख भारतीय उपमहाद्वीपीय भाषाओं में एवं दुनिया भर की पचास से अधिक भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित किया गया है।
हार्डबॉउन्ड, पेपरबैक, ऑडियो एवं ई-बुक रूपों में उपलब्ध
योगी कथामृत के ऑडियो संस्करण को अपने मोबाईल फोन में इन पाँच भाषाओं में डाउनलोड कर सुनें ।
यह ई-बुक ई-पब फॉर्मैट पर आधारित है और इसे किसी भी उपकरण जिसमें ई-रीडिंग एप में पढ़ा जा सकता है।
सर बेन किंग्सले, जिन्होंने “गांधी” फिल्म के लिए अकादमी अवार्ड प्राप्त किया, की वाणी में पढ़ी गयी ।
सबसे प्रेरक प्रसंग.
एक शिष्य ने पूछा – “आपके विचार में ‘योगी कथामृत’ का कौनसा लेखांश साधारण आदमी के लिए सबसे अधिक प्रेरणा देने वाला है?” गुरुदेव ने थोड़ी देर सोचा, फिर बोले :
“मेरे गुरुदेव श्रीयुक्तेश्वरजी के ये शब्द – ‘’अतीत को भूल जाओ। सभी लोगों का बीता हुआ जीवन अनेक कलंकों से कलुषित है। मनुष्य के आचरण का तब तक कोई भरोसा नहीं किया जा सकता जब तक वह ईश्वर में अधिष्ठित न हो जाए। भविष्य में सब कुछ सुधर जाएगा यदि तुम अभी से आध्यात्मिक प्रयास शुरू कर दो।
“चेतना और पदार्थ के बीच के सम्बन्ध की, वैज्ञानिक समझ का उत्तरोत्तर उद्भव हमारे समय की एक सबसे महत्त्वपूर्ण प्रवृत्ति है.... चिकित्सक और रोगी दोनों ने अब समझना शुरू कर दिया है कि हमारा दिन-प्रतिदिन का स्वास्थ्य व कल्याण हमारी मानसिक अवस्था पर कितना निर्भर करता है।… शरीर, मन और आत्मा के अन्तर्सम्बन्ध को उदघाटित करती, इन खोजों ने चिरकालिक पीड़ा के उपचार पर गहन प्रभाव डाला है और अनेकों वर्ष पूर्व परमहंस योगानन्द द्वारा सिखाए गए “आदर्श जीवन”के सिद्धांतों की अमिट महत्ता को प्रदर्शित करने वाले पीड़ा के दृष्टिकोण की ओर अग्रसर किया है।”
मुझे इस पुस्तक से प्रेम है। उन सभी को इसे अवश्य पढ़ना चाहिए जो अपने विचारों और सिद्धांतों को चुनौती देने का साहस रखते हैं। इस पुस्तक में विद्यमान ज्ञान की समझ और उसका कार्यान्वयन आपके पूरे दृष्टिकोण और जीवन को बदल देगा। ईश्वर पर विश्वास रखो और अच्छे कर्म करते हुए आगे बढ़ते रहो #onelove #begrateful #helponeanother
“[परमहंस योगानन्द की] योगी कथामृत कई वर्षों से असाधारण रूप से सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तक रही है। विश्व के विभिन्न भागों में उनके सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप केंद्र, निष्ठावान् जिज्ञासु आत्माओं के प्रिय आश्रयस्थल हैं।...मुझे याद है जो छाप उन्होंने मुझ पर छोड़ी जब मैं [सेल्फ़-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप मुख्यालय में] ग्रेटर लॉस एंजिलिस में 1950 में उनसे मिला।...उनके समीप एक ऐसी शान्ति की अनुभूति थी जो सांसारिक नहीं थी और जो प्रतिदिन साधारणतः खोजे जाने वाली शांतचित्तता से परे थी। उनकी लोकप्रियता का कारण स्पष्ट था।...
उनकी सफलता बाहरी तड़क-भड़क से कहीं आगे थी। उनके पास एक रहस्य था, क्रियायोग का रहस्य (सार्वभौमिक क्रियाशीलता का योग…”
"एक प्रत्यक्षदर्शी द्वारा आधुनिक हिन्दू सन्तों की असाधारण जीवन कथाओं एवं अलौकिक शक्तियों के वर्णनों से युक्त इस पुस्तक का सामयिक और सर्वकालिक, दोनों दृष्टियों से महत्व है।... निस्सन्देह उनकी असाधारण जीवन-कथा भारत की आध्यात्मिक संपदा पर अत्यधिक प्रकाश डालने वाली पश्चिम में प्रकाशित पुस्तकों में से एक है।"
"अत्यंत मोहक सादगी से पूर्ण और आत्मोद्घाटन करने वाली जीवनियों में से एक।... ज्ञान का एक वास्तविक भंडार।... जिन महान विभूतियों से इन पृष्ठों में भेंट होती है।... वे यादों में मित्रों की भांति लौटते हैं, गहन आध्यात्मिक ज्ञान से समृद्ध, और इन सभी महानतम विभूतियों में से एक है, ईश्वरोन्मत्त स्वयं लेखक!"
"(योगानन्दजी की) सुप्रसिद्ध योगी कथामृत में, वह "विश्व चैतन्य" का, जोकि यौगिक अभ्यासों के उच्च स्तरों में प्राप्त होता है, एवं यौगिक और वेदान्तिक दृष्टि से अनेक दिलचस्प मानवी पहलुओं का आश्चर्यजनक विवरण देते हैं।"
योगी कथामृत की रचना एक ऐसा कार्य था जिसके लिए परमहंस योगानन्दजी ने अनेक कई वर्षों तक काम किया। जब मैं सन् 1931 में माउण्ट वॉशिंग्टन आई, परमहंस योगानन्दजी ने पहले से ही आत्मकथा पर काम करना आरम्भ कर दिया था। एक बार जब कुछ सचिवीय कार्यों को करने के लिए मैं उनके अध्ययन कक्ष में थी, मुझे उनके द्वारा लिखित कुछ आरम्भिक अध्यायों में से एक को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ — यह “बाघ स्वामी,” पर था। उन्होंने मुझे उसे सुरक्षित रखने के लिए कहा और समझाया कि जो पुस्तक वे लिख रहे थे वह उसमें जायेगा।
“ओह!” और “आह!” के बीच हम शायद ही अपनी वह ख़ुशी व्यक्त कर पाए, जो भारत के महान् साधु — सन्तों के बीच बीते, उनके बहुप्रतीक्षित जीवन वृतांत को, अंततः देखकर मिली — उनके सानिध्य में बीते अनमोल समय में, जिसे सुनाकर, उन्होंने हमें प्रायः रोमांचित किया था। उन्होंने कुछ पृष्ठ खोले और अंत में महावतार बाबाजी के चित्र पर आकर रुक गए। लगभग रुकी साँसों के साथ, हमनें अपनी श्रद्धा अर्पित की और उस कृपा को आत्मसात किया, जो परम-परम- परमगुरु की झलक पाने वाले पहले होने पर अनुभव की।
गुरुजी पुस्तक का लेखन कार्य अधिकतर आश्रम के अपने अध्ययन कक्ष में करते थे। मुझे ऐसे भी अवसर याद हैं जब वह पूरी—पूरी रात श्रुतलेख दिया करते थे, और दूसरे अवसर, जब यह दिन भर जारी रहता था और उसके बाद भी चलता था। दया माँ और आनंद माँ की तरह मैं सचिव संबंधी दायित्वों में शामिल नहीं होती थी, जो कि उनके वचन को कभी शॉर्ट हैंड में लिखती थीं और अन्य समय पर कभी टाइपराइटर प्रयोग करती थीं। मेरा दायित्व अधिकतर उनका भोजन तैयार करना होता था ताकि वे निर्बाध काम कर सकें!
आसामी , बांग्ला , गुजराती , हिन्दी , कन्नड़ , मलयालम , मराठी , नेपाली , उड़िया , पंजाबी , संस्कृत , तामिल , तेलुगु , उर्दू , सिंहला
योगी कथामृत की रचना.
इसके लेखन की भविष्यवाणी तो बहुत पहले ही कर दी गई थी। आधुनिक समय में योग के पुनर्जागरण के आरम्भिक व्यक्तियों में से एक, उन्नीसवीं शताब्दी के गुरु श्रद्धेय लाहिड़ी महाशय ने पहले ही कह दिया था: “पश्चिम में योग के प्रति गहरी रुचि पैदा होने के कारण मेरे देहत्याग के पचास वर्ष बाद मेरा एक जीवन चरित्र लिखा जाएगा। योग का संदेश सारे विश्व में फैल जाएगा। इससे सभी के एकमात्र परमपिता की प्रत्यक्ष अनुभूति पर आधारित एकता के कारण मानव जाति में विश्व बंधुत्व स्थापित होने में सहायता होगी।”
कई वर्ष पश्चात् लाहिड़ी महाशय के उन्नत शिष्य स्वामी श्रीयुक्तेश्वरजी ने यह भविष्यवाणी श्री योगानन्दजी को बतायी।
पुस्तक के अंतिम अध्याय में परमहंस योगानन्दजी लिखते हैं :
“ईश्वर प्रेम है : सृष्टि के लिए उनकी योजना केवल प्रेम में ही निहित हो सकती है। क्या यह सरल विचार मानव हृदय को विद्धतापूर्ण तर्कों की अपेक्षा अधिक सान्त्वना नहीं देता है? प्रत्येक वह सन्त जो परम-सत्य के मर्म तक पहुँच गया है, यह प्रमाणित कर चुका है कि एक दिव्य सार्वभौमिक योजना का अस्तित्व है और यह सुन्दर तथा आनन्दपूर्ण है।”
हमारी यह आशा है कि भारत के सन्तों के पारलौकिक सत्य में एक गहरी आस्था के साथ आप अपनी आत्मा को उन्मुक्त होता पाएंगे। और वह आस्था कठिनाइयों के समय, एवं सच्चे सुख तथा तृप्ति की खोज में आपको सहारा देती है।
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Uploaded by Nisheeth on August 23, 2015
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