गांधी जयंती पर निबंध (Gandhi Jayanti Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500 शब्दों मे
गांधी जयंती पर निबंध(Gandhi Jayanti Essay in Hindi) – महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाया जाता है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था, और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था।
उनकी स्मृति में चित्रकला और निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। अहिंसक आंदोलन महात्मा गांधी के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के प्रयास का जश्न मनाने के लिए इसे लागू किया जाए और पुरस्कृत किया जाए।
आमतौर पर उनकी याद में महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन (रघुपति राघव राजा राम) गाए जाते हैं। पूरे भारत में महात्मा गांधी की मूर्तियों को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है और कुछ लोग उस दिन मांस और शराब का सेवन करने से परहेज करते हैं। सार्वजनिक भवन, जैसे बैंक और डाकघर, दिन के लिए बंद रहते हैं।
महात्मा गांधी जयंती निबंध पर 10 लाइन (10 Lines Essay On Mahatma Gandhi Jayanti in Hindi)
- प्रत्येक वर्ष, 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए गांधी जयंती को भारत के राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
- इस दिन को हम अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाते हैं, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने अपनाया है।
- यह भारत में आधिकारिक तौर पर घोषित छुट्टियों में से एक है।
- दुनिया भर के लोग उस दिन महात्मा गांधी के योगदानों को श्रद्धांजलि देते हैं और उनकी शिक्षाओं की प्रशंसा करते हैं।
- भारत के निवासी, गांधी की मूर्तियों को फूलों से सजाते हैं।
- राज घाट स्मारक के पास, राजनीतिक दल और लोग राष्ट्रपिता को अपनी श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित होते हैं।
- विभिन्न स्कूल और कॉलेज महात्मा गांधी की स्मृति में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
- महात्मा गांधी ने अहिंसा और शांति का विचार दिया।
- उन्होंने हमेशा शराब पीने जैसी बुरी आदतों का विरोध किया।
- उस दिन हम उनकी विचारधारा और शिक्षाओं को याद करते हैं, जो उन्होंने समाज को दी।
गांधी जयंती पर निबंध 100 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 100 words in Hindi)
यह राष्ट्रपिता (महात्मा गांधी, जिन्हें बापू भी कहा जाता है) की जयंती है। गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को पूरे भारत में एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में मनाई जाती है। यह स्कूलों, कॉलेजों, शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी कार्यालयों, समुदायों, समाज और अन्य स्थानों में कई उद्देश्यपूर्ण गतिविधियों का आयोजन करके मनाया जाता है। भारत सरकार द्वारा 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। इस दिन, पूरे भारत में सरकारी कार्यालय, बैंक, स्कूल, कॉलेज, कंपनियां आदि बंद रहते हैं लेकिन इसे बड़े उत्साह और ढेर सारी तैयारियों के साथ मनाया जाता है।
गांधी जयंती पर निबंध 150 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 150 words in Hindi)
गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। यह दिन उनकी जयंती का प्रतीक है। गांधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे। हम इस दिन को देश के लिए किए गए उनके बलिदान की याद में मनाते हैं। उन्होंने अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने के लिए विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया। सत्याग्रह प्रसिद्ध आंदोलनों में से एक था। भारत छोड़ो आंदोलन और स्वदेशी आंदोलन अन्य दो प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण आंदोलन हैं जिन्होंने हमें 1947 में आजादी दिलाई।
इस दिन, कई छात्र लोगों को अहिंसा का संदेश देने वाले नाटक करते हैं। कई छात्र उनकी जयंती को चिह्नित करने के लिए इस दिन देशभक्ति के गीत गाते हैं। कई छात्र गांधीजी और उनकी शिक्षाओं के विषय पर पेंटिंग करते हैं। यह दिन देशभक्ति के उत्साह में डूबा हुआ है और हम उनकी बुद्धिमान शिक्षाओं को याद करते हैं- “बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत बोलो”। इस दिन उनके जीवन पर केन्द्रित कई फिल्में टेलीविजन और रेडियो चैनलों पर प्रसारित की जाती हैं। जल्द ही हम हिंदी, मलयालम में गांधी जयंती पर पैराग्राफ अपडेट करेंगे।
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गांधी जयंती पर निबंध 200 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 200 words in Hindi)
गांधी जयंती प्रत्येक 2 अक्टूबर को पड़ती है। यह एक राष्ट्रीय पर्व है। मोहनदास करमचंद गांधी अपने शिक्षण में अहिंसा का प्रचार करने के लिए जाने जाते हैं। स्वदेशी और सत्याग्रह सहित उनके विभिन्न आंदोलन अहिंसा की उनकी धारणाओं पर आधारित थे।
वह बहुत पहले से ‘मेक इन इंडिया’ की अवधारणा में विश्वास करते थे और इसलिए उन्होंने अपने साथी लोगों को चरखे के रूप में जाने जाने वाले हाथ के पहिये के माध्यम से कपड़े बुनने के लिए कहा। उन्होंने खादी के कपड़े पहने और विदेशी उत्पादों को त्याग दिया। वे न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जातिवाद और छुआछूत जैसे सामाजिक कलंक को दूर किया। उन्होंने तत्कालीन अछूतों को हरिजन या ईश्वर की संतान का नाम दिया।
उनकी शिक्षाओं को चिह्नित करने के लिए स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पूरे काउंटी में गांधी जयंती पूरे दिल से मनाई जाती है। विभिन्न छात्र ‘अहिंसा’ या अहिंसा और स्वदेशी आंदोलन की शिक्षाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए नाटकों और नुक्कड़ नाटकों में अभिनय करते हैं। छात्र इस दिन पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताओं में भी भाग लेते हैं और उनकी तस्वीरें भी बनाते हैं।
उनके सम्मान में बैंक और कार्यालय बंद रहते हैं। सिद्धांत और छात्र उनकी शिक्षाओं पर भाषण देते हैं। फिल्मों का प्रसारण उनके जीवन पर केन्द्रित होता है। अन्य नेताओं के साथ-साथ उनके अथक प्रयासों के कारण ही आज हम अपने देश में खुलकर सांस ले सकते हैं।
गांधी जयंती पर निबंध 250 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 250 words in Hindi)
गांधी जयंती भारत में हर साल 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है और कॉलेज, स्कूल और कार्यालय बंद रहते हैं।
गांधी जयंती कैसे मनाई जाती है?
गांधी जयंती को राष्ट्रपिता और सत्य और अहिंसा के साथ उनके प्रयोग के प्रति बहुत सम्मान के साथ मनाया जाता है। पूरे देश में कई स्थानों पर निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता और अन्य जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
गांधी जयंती दक्षिण अफ्रीका में भी मनाई जाती है, जहां गांधी जी ने भारतीयों और मूलनिवासी अश्वेतों के अधिकारों की वकालत करते हुए 21 साल तक लड़ाई लड़ी। दुनिया के अन्य हिस्सों में भारतीय दूतावासों में विशेष स्मारक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महात्मा गांधी की जन्म तिथि, 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय शांति और अहिंसा दिवस के रूप में नामित किया, जिसे पूरे विश्व में मनाया जाता है।
गांधी जयंती का महत्व
अपने पूरे सार्वजनिक जीवन में, महात्मा गांधी ने दैनिक गतिविधियों और आचरणों में सख्त अनुशासन का अभ्यास किया था। उन्हें अपनी नीतियों पर अगाध विश्वास था, जो जनता में भी परिलक्षित होता था। वह एक महानायक थे जिन्होंने दुनिया को दमन और अन्याय से लड़ने के लिए एक नया हथियार दिया – “असहयोग”। सत्य, अहिंसा और असहयोग की उनकी संयुक्त नीतियां जनता के बीच एक त्वरित हिट थीं। उनका जन्मदिन मनाना और उनके मूल्यों को याद रखना हमें एक समाज और एक राष्ट्र के रूप में और अधिक विकसित होने में मदद करता है।
गांधी जयंती एक राष्ट्रीय त्योहार है जब राष्ट्र अपने महान योद्धा को याद करता है जिन्होंने लाखों लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और देश को अंग्रेजों के दमनकारी शासन से मुक्त कराया।
गांधी जयंती पर निबंध 300 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 300 words in Hindi)
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1969 को हुआ था। हम उनकी जयंती और हमारे देश को ब्रिटिश राज के चंगुल से मुक्त कराने के उनके प्रयासों को चिह्नित करने के लिए गांधी जयंती मनाते हैं। राष्ट्रपिता के रूप में भी जाने जाने वाले, उन्होंने अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने और ‘भारत’ के सार को बनाए रखने के लिए विभिन्न आंदोलनों में अपना योगदान दिया है। अहिंसा और सादा जीवन उनके दो बुनियादी सिद्धांत थे जिनका उन्होंने पालन किया।
अफ्रीका में कानून की शिक्षा प्राप्त एक व्यक्ति अपने देशवासियों को आजाद कराने के लिए भारत लौटा। सिर्फ एक धोती पहने, उसे एक जोड़ी गिलास और एक छड़ी के साथ जोड़कर, वह साथी भारतीयों के साथ नमक निकालने और ब्रिटिश उपनिवेशों को यह दिखाने के लिए मीलों पैदल चलकर दांडी गए कि हमारे पास अपार शक्तियाँ हैं। सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रचारक, उन्होंने अपने देशवासियों को अस्पृश्यता जैसी तत्कालीन मौजूदा सामाजिक बुराइयों से भी मुक्त कराया।
वह आत्मनिर्भरता में विश्वास करते थे और इसलिए अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कपड़े पहनने के बजाय अपने खुद के कपड़े बुनने की अवधारणा को बढ़ावा दिया। इसने भारतीय महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया, इसलिए उन्हें मुक्ति मिली।
भारत इस तरह गांधी जयंती मनाता है:
- स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बच्चों और लोगों को उनके योगदान से अवगत कराने के लिए नाटकों, नृत्य प्रदर्शनों, भाषणों और पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं।
- सम्मान में बैंक और कार्यालय बंद रहे।
- राजघाट, नई दिल्ली में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है और उसे फूलों से सजाया जाता है।
- उनके जीवन को दर्शाने वाली फिल्में टेलीविजन पर प्रसारित की जाती हैं।
- संयुक्त राष्ट्र ने अहिंसा में अपने विश्वास को चिह्नित करने के लिए 2 अक्टूबर को अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया है।
गांधी जी ने हमें आत्मनिर्भरता, ईमानदारी और अहिंसा का महत्व सिखाया। छात्र उनके पसंदीदा भजन- ‘रघुपति राघव’ को गाने के अलावा विधानसभाओं में इसका पालन करने की शपथ लेते हैं।
गांधी जयंती पर निबंध 500 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 500 words in Hindi)
गांधी जयंती एक प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार है जिसका उत्सव भारत में 2 अक्टूबर को मनाया जाता है। सबसे उल्लेखनीय, यह त्यौहार मोहनदास करमचंद गांधी की जयंती मनाता है। इसके अलावा, गांधी जयंती भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया गया है। त्योहार निश्चित रूप से भारत में एक महत्वपूर्ण अवसर है।
महात्मा गांधी का जन्म ब्रिटिश शासन के तहत भारत में हुआ था। वह निश्चित रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे प्रमुख व्यक्ति थे। महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” की उपाधि से सम्मानित किया गया है। यह भारत की स्वतंत्रता के लिए उनके निरंतर सर्वोपरि प्रयासों के कारण था।
गांधी का व्यापारी वर्ग का परिवार था। यह आत्मविश्वासी व्यक्ति 24 वर्ष की आयु में दक्षिण अफ्रीका चला गया। वह वहां कानून की पढ़ाई करने गया था। 1915 में दक्षिण अफ्रीका से उनकी वापसी हुई। फिर वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने। अपने अथक परिश्रम के कारण वे जल्द ही कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए।
महात्मा गांधी के प्रयास केवल भारतीय स्वतंत्रता तक ही सीमित नहीं थे। मनुष्य ने विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराइयों से भी संघर्ष किया। ये सामाजिक बुराइयाँ अस्पृश्यता, जातिवाद, स्त्री अधीनता आदि थीं। इसके अलावा, उन्होंने गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद के लिए भी महत्वपूर्ण प्रयास किए।
महात्मा गांधी को भारत में ब्रिटिश शासन के प्रति घोर अरुचि थी। हालांकि, वह हिंसा के रास्ते के पक्ष में नहीं थे। गांधी अहिंसा (अहिंसा) के दर्शन में सख्ती से विश्वास करते थे। नतीजतन, उस व्यक्ति ने शांतिपूर्ण तरीके से ब्रिटिश शासन का विरोध किया। इसके अलावा, गांधी के शांतिपूर्ण विरोध और आंदोलन अत्यधिक प्रभावी थे। उनके तरीके और योजनाएँ बहुत कुशल थीं। अपनी अविश्वसनीय प्रभावशीलता के कारण, गांधीजी अन्य विश्व नेताओं के लिए प्रेरणा बन गए। एक बार फिर, गांधी को महात्मा की एक और उपाधि से सम्मानित किया गया। महात्मा शब्द का अर्थ महान आत्मा है। उनके जन्मदिन को शानदार स्मरण और उत्सव के दिन में बदल दिया गया।
महात्मा गांधी की स्मृति
सबसे पहले, गांधी जयंती और कुछ नहीं बल्कि महात्मा गांधी की एक भव्य स्मृति है। गांधी जयंती निश्चित रूप से भारत के राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है। देशभक्ति के इस अवसर का उत्सव हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में आयोजित किया जाता है।
गांधी जयंती के अवसर पर प्रार्थना सेवा और श्रद्धांजलि होती है। ये प्रार्थना सेवाएं और श्रद्धांजलि पूरे देश में होती हैं। इसके अलावा, गांधी जयंती पर विभिन्न प्रार्थना सभाएं और स्मारक समारोह भी होते हैं। ये आयोजन स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी संस्थानों में होते हैं। खास बात यह है कि इस तरह के आयोजनों में हर तबके के लोग हिस्सा लेते हैं।
जगह-जगह चित्रकला, निबंध आदि की प्रतियोगिताएं होती रहती हैं। इसके अलावा, ऐसी प्रतियोगिताओं के लिए पुरस्कारों का वितरण होता है। कई स्कूलों और कॉलेजों में छात्र महात्मा गांधी के जीवन पर वृत्तचित्र और प्रदर्शन भी देखते हैं। नतीजतन, युवाओं के बीच अहिंसक जीवन शैली को बढ़ावा मिल रहा है। गांधीजी के पसंदीदा भजन (हिंदू भक्ति गीत) के गायन कार्यक्रम भी हैं। एक अन्य अनुष्ठान गांधी प्रतिमाओं को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है। अंत में, कुछ व्यक्ति गांधी जयंती पर मांस खाने या शराब पीने से बचते हैं।
गांधी जयंती महात्मा गांधी के महान व्यक्तित्व का सम्मान करती है। यह इस महान व्यक्तित्व के जीवन को प्रतिबिंबित करने और संजोने का अवसर है। इसके अलावा, सभी को इस दिन उनकी तरह जीने की कोशिश करनी चाहिए। गांधी जयंती निश्चित रूप से भारत में एक बहुत ही देशभक्ति का दिन है।
गांधी जयंती निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: (FAQs)
Q.1 गांधीजी ने अपने प्रथम सत्याग्रह का प्रयोग कहाँ किया था.
उत्तर. गांधीजी ने अपना पहला सत्याग्रह 1906 में दक्षिण अफ्रीका में प्रयोग किया।
Q.2 महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु कौन थे?
उत्तर. लियो टॉल्स्टॉय महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु थे।
Q.3 हम अहिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कब मनाते हैं?
उत्तर. अहिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2 अक्टूबर को गांधीजी के जन्मदिन पर मनाया जाता है।
Q.4 गांधीजी को किस विश्वविद्यालय ने अपने स्थापना दिवस पर आमंत्रित किया था?
उत्तर. गांधीजी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने के लिए बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था।
Q.5 गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब लौटे थे?
उत्तर. गांधीजी 9 जनवरी को दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और इस दिन को प्रवासी भारत दिवस के रूप में मनाया जाता है।
Q.6 आरबीआई द्वारा महात्मा गांधी श्रृंखला के बैंक नोट कब जारी किए गए थे?
उत्तर. 1996 में RBI द्वारा महात्मा गांधी श्रृंखला के बैंकनोट जारी किए गए थे।
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महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi): गांधी जयंती पर निबंध 10 लाइनें, 100, 200, 500 शब्दों में निबंध लिखना सीखें
Updated On: July 19, 2024 01:43 pm IST
प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिवस को गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) लिखने में छात्रों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। नीचे दिये गये आर्टिकल से आप निबंध लिखना सीख सकते है।
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गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): “अहिंसा के पुजारी” और “राष्ट्रपिता” कहलाने वाले महात्मा गांधी जी को बापू नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। महात्मा गाँधी जी का जन्म शुक्रवार 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी व इनकी माता का नाम पुतली बाई था। इनकी माता एक धार्मिक महिला थी नियमित तौर पर उपवास रखती थी। गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत में विश्वास रखने वाले परिवार में हुआ था। जैन धर्म का महात्मा गाँधी जी पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा जिस वजह से अहिंसा, सत्य जैसे व्यवहार स्वाभाविक रूप से गाँधी जी में बचपन से ही दिखने लगे थे। वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे, उनके 2 भाई और 1 बहन थी। गाँधी जी के पिता हिन्दू तथा मोढ़ बनिया जाति के थे। लोग गाँधीजी को प्यार से बापू कहते थे। साधारण जीवन उच्च विचार वाले बापू जी ने अंग्रेजी हुकूमत से अंतिम साँस तक अहिंसा की राह में चलते हुए संघर्ष किया। भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन में हर तबके के लोगों को अपने साथ जोड़कर भारत को आज़ादी दिलाने में गाँधी जी ने अहम योगदान दिया है। ये भी पढ़ें - दशहरा पर निबंध
महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi 200 words)
गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): गांधी जयंती महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाने वाला एक अवसर है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था। स्मारक सेवाएं इसे चिह्नित करती हैं, और पूरे भारत में श्रद्धांजलि दी जाती है, जिसमें उन प्रसिद्ध स्थानों को शामिल किया गया है जहां उनका दौरा किया गया था और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। गांधी जी हमारे देश के राष्ट्रपिता और बापू के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। वो एक सच्चे देशभक्त नेता थे और अहिंसा के पथ पर चलते हुए पूरे देश का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेतृत्व किया। गांधी जी के अनुसार ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने के लिये अहिंसा, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता ही एकमात्र हथियार था। गांधी जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा था हालांकि देश को आजादी मिलने तक उन्होंने अपने अहिंसा आंदोलन को जारी रखा था। उनका विश्वास हमेशा सामाजिक समानता में था और वह अस्पृश्यता के भी खिलाफ थे। देश की राजधानी नई दिल्ली में गांधीजी की समाधि या राजघाट पर बहुत सी तैयारियों के साथ गांधी जयंती मनायी जाती है। राजघाट के समाधि स्थल को फूलों की माला से सजाया जाता है और गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। समाधि पर सुबह के समय धार्मिक प्रार्थना भी रखी जाती है। इसे पूरे देशभर में स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थियों के द्वारा राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित नाट्य ड्रामा, कविता व्याख्यान, गायन, भाषण, निबंध लेखन आदि प्रतियोगिताएं भी होती हैं। महात्मा गांधी की याद में लोग गांधी जी का सबसे प्रिय गीत “रघुपति राघव राजा राम” भी गाते हैं। ये भी पढ़ें- दिवाली पर निबंध
गांधी जयंती पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi in 500+ words)
मोहनदास करमचंद गांधी.
गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti) - मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म भारत के पोरबंदर, कंथियावाड़ में पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी और उनकी चौथी पत्नी पुतलीबाई के घर हुआ था। 1882 में उन्होंने कस्तूरबाई माकनजी से शादी की, जिनसे उनके पांच बच्चे हुए। गांधीजी ने 1887 में सामलदास कॉलेज, भाऊनगर में दाखिला लिया, लेकिन एक सत्र के बाद छोड़ दिया। हालाँकि, उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए लंदन जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और वह 4 सितंबर 1888 को लंदन के लिए रवाना हो गए।
गांधी जयंती
भारत में प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन वर्ष 1869 को गांधीजी का जन्म हुआ था। हमारे देश की आजादी में राष्ट्रपिता का योगदान सबसे अहम था, इसीलिए हर साल उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय उत्सव और अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन सरकारी छुट्टी होती है। इस अवसर पर स्कूलों और सरकारी संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में तो खासतौर से निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। सभी सरकारी जगहों पर गांधीजी को श्रद्धांजलि दी जाती है। गांधी जयंती पर लोग गांधी जी के आदर्शों के महत्त्व को समझते हुए अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं।
देश की आजादी में गांधीजी का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर ही ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद करवाया। गांधी जी ने न सिर्फ देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई बल्कि वह भारत के साथ कई अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए। गांधी जी ने 4 महादेशों और 14 देशों में लोगों को नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरित करने का काम भी किया, तो वहीं भारत में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों की शुरुआत की। देश की आजादी के लिए गांधी जी हमेशा आगे रहे और हर भारतीय की आवाज़ बने। गांधी जी का सपना न केवल देश की आजादी था बल्कि वह देश को भी एकता के सूत्र में बंधा हुआ देखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की।
गांधीजी के अनुसार मन, वचन और शरीर से किसी को भी दु:ख न पहुँचाना ही अहिंसा है। गांधीजी के विचारों का मूल लक्ष्य सत्य एवं अहिंसा के माध्यम से विरोधियों का हृदय परिवर्तन करना है। अहिंसा का अर्थ ही होता है प्रेम और उदारता की पराकाष्ठा। गांधी जी व्यक्तिगत जीवन से लेकर वैश्विक स्तर पर ‘मनसा वाचा कर्मणा’ अहिंसा के सिद्धांत का पालन करने पर बल देते थे। आज के संघर्षरत विश्व में अहिंसा जैसा आदर्श अति आवश्यक है। गांधी जी बुद्ध के सिद्धांतों का अनुगमन कर इच्छाओं की न्यूनता पर भी बल देते थे।
महात्मा गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे। सत्य की राह में चलते हुए अहिंसात्मक रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य पद्धतियों को उन्होंने सत्याग्रह नाम दिया था।उनके द्वारा सत्याग्रह का अर्थ अन्याय, शोषण, भेदभाव, अत्याचार के खिलाफ शांत तरीकों से बिना किसी हिंसा के अपने हक़ के लिए लड़ना था। गाँधी जी द्वारा चम्पारण और बारदोली सत्याग्रह किये गए जिसका उद्देश्य अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार और अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ लड़ना थाकई बार इन सत्याग्रह के दौरान महात्मा गाँधी जी को जेल जाना पड़ा था। अपने सत्याग्रह में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन का समय-समय पर प्रयोग किया।
स्वदेशी आन्दोलन
स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत बंगाल विभाजन के विरोध में हुई थी और इस आन्दोलन की औपचारिक शुरुआत कलकत्ता के टाउन हॉल में 7 अगस्त ,1905 को एक बैठक में की गयी थी। इसका विचार सर्वप्रथम कृष्ण कुमार मित्र के पत्र संजीवनी में 1905 ई. में प्रस्तुत किया गया था। इस आन्दोलन में स्वदेशी नेताओं ने भारतियों से अपील की कि वे सरकारी सेवाओं,स्कूलों,न्यायालयों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें और स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहित करें व राष्ट्रीय कोलेजों व स्कूलों की स्थापना के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहित करें। अतः ये केवल राजनीतिक आन्दोलन ही नहीं था बल्कि आर्थिक आन्दोलन भी था।
स्वदेशी आन्दोलन को अपार सफलता प्राप्त हुई थी। बंगाल में जमींदारों तक ने इस आन्दोलन में भाग लिया था। महिलाओं व छात्रों ने पिकेटिंग में भाग लिया। छात्रों ने विदेशी कागज से बनी पुस्तकों का बहिष्कार किया। बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय, बिपिन चन्द्र पाल और अरविन्द घोष जैसे अनेक नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया। अनेक भारतीयों ने अपनी नौकरी खो दी और जिन छात्रों ने आन्दोलन में भाग लिया था उन्हें स्कूलों व कालेजों में प्रवेश करने रोक दिया गया। आन्दोलन के दौरान वन्दे मातरम को गाने का मतलब देशद्रोह था। यह प्रथम अवसर था जब देश में निर्मित वस्तुओं के प्रयोग को ध्यान में रखा गया।
खिलाफत आन्दोलन
प्रथम विश्व युद्ध के बाद खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई। असहयोग भारत (नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट) और खिलाफत आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात भारत में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ अनेक आंदोलन किये थे, जिसमें 1919 से 1922 तक दो महत्वपूर्ण आंदोलन खिलाफत आंदोलन एवं असहयोग आंदोलन चलाये गये थे। खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य तुर्की के खलीफा पद को पुनः स्थापित करना था। खिलाफत आंदोलन 1919 से 1924 तक चला था। हालाँकि इस आंदोलन का सीधा सम्बन्ध भारत से नहीं था। इस का प्रारम्भ 1919 में अखिल भारतीय कमिटी का गठन करके किया गया था। अखिल भारतीय कमिटी का गठन अली बंधुओं द्वारा किया गया था।
अंत्योदय एक ऐसा मिशन था जो गांधीजी के दिल के करीब था। अंत्योदय शब्द का अर्थ है " अंतिम व्यक्ति का उत्थान " या सबसे निराश, सबसे गरीब वर्ग के लोगों के उत्थान की दिशा में काम करना, जो कि बापू के अनुसार, केवल सर्वोदय द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है, अंत्योदय द्वारा सभी का विकास।
सात्विक आहार
महात्मा गांधी सात्विक खाने में विश्वास रखते थे। गुस्सा दिलाने वाले खाने से वह परहेज करते थे इसलिए हरी सब्जियों की मात्रा खाने में रखते थे। उबली हुई सब्जियों को बिना नमक के साथ खाना उनकी आदतों में रहा है। चुकंदर बैंगन भी उबालकर गांधी जी अपनी डाइट में लेते थे। सादा खाना उनकी पसंद हमेशा से रहा था, इसी क्रम में उन्होंने दाल और चावल को अपनी डाइट का हिस्सा बनाया था। दाल और चावल भी सात्विक खाने का प्रतीक होता है। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अच्छी होती है।
महात्मा गाँधी के साथ चरखे का नाम भी विशेषतौर पर जोड़ा जाता है। भारत में चरखे का इतिहास बहुत प्राचीन होते हुए भी इसमें उल्लेखनीय सुधार का काम महात्मा गाँधी के जीवनकाल का ही मानना चाहिए। सबसे पहले सन 1908 में गाँधी जी को चरखे की बात सूझी थी, जब वे इंग्लैंड में थे। उसके बाद वे बराबर इस दिशा में सोचते रहे। वे चाहते थे कि चरखा कहीं न कहीं से लाना चाहिए। गाँधी जी ने चरखे की तलाश की थी। एक गंगा बहन थीं, उनसे उन्होंने चरखा बड़ौदा के किसी गांव से मंगवाया था। इससे पहले गाँधी जी ने चरखा कभी देखा भी नहीं था, सिर्फ उसके बारे में सुना था। बाद में उस चरखे में उन्होंने काफ़ी सुधार भी किए। दरअसल गाँधी जी के चरखे और खादी के पीछे सेवा का भाव था। उनका चरखा एक वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था का प्रतीक भी था। महिलाओं की आर्थिक स्थिति के लिए भी, उनकी आजादी के लिए भी। आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भी और उस किसान के लिए भी, जो 6 महीने ख़ाली रहता था।
हालाँकि स्वराज शब्द का अर्थ स्वशासन है, लेकिन गांधीजी ने इसे एक ऐसी अभिन्न क्रांति की संज्ञा दी जो कि जीवन के सभी क्षेत्रों को समाहित करती हैगांधी जी के लिये स्वराज का अर्थ व्यक्तियों के स्वराज (स्वशासन) से था और इसलिये उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिये स्वराज का मतलब अपने देशवासियों हेतु स्वतंत्रता है और अपने संपूर्ण अर्थों में स्वराज स्वतंत्रता से कहीं अधिक है। आत्मनिर्भर व स्वायत्त्त ग्राम पंचायतों की स्थापना के माध्यम से ग्रामीण समाज के अंतिम छोर पर मौजूद व्यक्ति तक शासन की पहुँच सुनिश्चित करना ही गांधी जी का ग्राम स्वराज सिद्धांत था। आर्थिक मामलों में भी गांधीजी विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था के माध्यम से लघु, सूक्ष्म व कुटीर उद्योगों की स्थापना पर बल देते थे। गांधी जी का मत था कि भारी उद्योगों की स्थापना के पश्चात् इनसे निकलने वाली जहरीली गैसें व धुंआ पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, साथ ही बहुत बड़े उद्योगों का अस्तित्व श्रमिक वर्ग के शोषण का भी मार्ग तैयार करता है।
महात्मा गांधी पर 10 लाइनों में निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi in 10 Lines)
- महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
- गाँधी जी का जन्म स्थान गुजरात का पोरबंदर शहर है।
- गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतली बाई था।
- महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
- गाँधी जी का विवाह 15 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गाँधी जी से हुआ था।
- गाँधी जी राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
- गाँधी जी ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी।
- महात्मा गाँधी जी गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना राजनितिक गुरु मानते थे।
- गाँधी जी को बापू, महात्मा, राष्ट्रपिता आदि नामो से भी जाना जाता है।
- 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के गाँधी जी को गोली मार उनकी हत्या कर दी थी ।
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महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi
Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।
2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
इन कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी जी के महत्व को बताने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं।
इसलिए आज हम आपको देश के राष्ट्रपितामह एवं बापू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं-
महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “ राष्ट्रपिता और बापू ” के नाम से जाने जाते है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे।
भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था।
राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की। अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।
उन्होंने काफी अभियानों की शुरुवात की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आंदोलन और उनके द्वारा किये गये ये सभी आन्दोलन भारत को आज़ादी दिलाने में कारगार साबित हुए। अंततः उनके द्वारा किये गये संघर्षो की बदौलत भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिल ही गयी।
महात्मा गांधी का जीवन काफी साधारण ही था वे रंगभेद और जातिभेद को नही मानते थे। उन्होंने भारतीय समाज से अछूत की परंपरा को नष्ट करने के लिये भी काफी प्रयास किये और इसके चलते उन्होंने अछूतों को “हरिजन” का नाम भी दिया था जिसका अर्थ “भगवान के लोग” था।
महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आज़ादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये।
गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।
महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी और राजघाट, दिल्ली में लाखोँ समर्थकों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
“भविष्य में क्या होगा, यह मै कभी नहीं सोचना चाहता, मुझे बस वर्तमान की चिंता है, भगवान् ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।”
महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई के महानायक थे, जिन्हें उनके महान कामों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
आज उनके अथक प्रयासों, त्याग, बलिदान और समर्पण की बल पर ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।
वे सत्य और अहिंसा के ऐसे पुजारी थे, जिन्होंने शांति के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। महात्मा गांधी जी के महान विचारों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित है।
महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन, परिवार एवं शिक्षा – Mahatma Gandhi Information
स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार माने जाने वाले महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में जन्में थे। गांधी का जी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
उनके पिता जी करम चन्द गांधी ब्रिटिश शासनकाल के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, जिनके विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।
वहीं जब वे 13 साल के थे, तब बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई थी, जिन्हें लोग प्यार से ”बा” कहकर पुकारते थे।
गांधी जी बचपन से ही बेहद अनुशासित एवं आज्ञाकारी बालक थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात में रहकर ही पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां से लौटकर उन्होंने भारत में वकाकलत का काम शुरु किया, हालांकि, वकालत में वे ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।
महात्मा गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Mahatma Gandhi Political Career
अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव का शिकार होना पड़ा था। गांधी जी के साथ घटित एक घटना के मुताबिक एक बार जब वे ट्रेन की प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए थे, तब उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया था।
इसके साथ ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया था। जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।
वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से राजनीति में घुसे और फिर अपने सूझबूझ और उचित राजनैतिक कौशल से देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया एवं स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सैद्धान्तवादी एवं आदर्शवादी महानायक के रुप में महात्मा गांधी:
महात्मा गांधी जी बेहद सैद्धांन्तवादी एवं आदर्शवादी नेता थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व थे, उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग ”महात्मा” कहकर बुलाते थे।
उनके महान विचारों और आदर्श व्यत्तित्व का अनुसरण अल्बर्ट आइंसटाइन, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों ने भी किया है।
ये लोग गांधी जी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी था।
सत्य और अहिंसा उनके दो सशक्त हथियार थे, और इन्ही हथियारों के बल पर उन्होंने अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।
वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ समाजसेवक भी थे, जिन्होंने भारत में फैले जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव आदि को दूर करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किए थे।
अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र की सेवा में लगे रहे गांधी जी की देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्धारा हत्या कर दी गई थी।
वे एक महान शख्सियत और युग पुरुष थे, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ अडिग होकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन से हर किसी को सीख लेने की जरूरत है।
महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi par Nibandh
प्रस्तावना-
2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
वे एक एक महापुरुष थे, जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है।
महात्मा गांधी जी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव के खिलाफ तमाम संघर्षों के बाद जब वे अपने स्वदेश भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत बेकसूर भारतीयों पर अपने अमानवीय अत्याचार कर रही थी और देश की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी।
जिसके बाद उन्होंने क्रूर ब्रिटिशों को भारत से बाहर निकाल फेंकने का संकल्प लिया और फिर वे आजादी पाने के अपने दृढ़निश्चयी एवं अडिग लक्ष्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन:
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए। उनके शांतिपूर्ण ढंग से चलाए गए आंदोलनों ने न सिर्फ भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर कर दी थीं, बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया था। उनके द्धारा चलाए गए कुछ मुख्य आंदोलन इस प्रकार हैं-
चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Kheda Movement
साल 1917 में जब अंग्रेज अपनी दमनकारी नीतियों के तहत चंपारण के किसानों का शोषण कर रहे थे, उस दौरान कुछ किसान ज्यादा कर देने में समर्थ नहीं थे।
जिसके चलते गरीबी और भुखमरी जैसे भयावह हालात पैदा हो गए थे, जिसे देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से चंपारण आंदोलन किया, इस आंदोलन के परिणामस्वरुप वे किसानों को करीब 25 फीसदी धनराशि वापस दिलवाने में सफल रहे।
साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में भीषण बाढ़ आने से वहां के लोगों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे में किसान अंग्रेजों को भारी कर देने में असमर्थ थे।
जिसे देख गांधी जी ने अंग्रेजों से किसानों की लगान माफ करने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को उनकी मांगे माननी पड़ी और वहां के किसानों को कर में छूट देनी पड़ी।
महात्मा गांधी जी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।
महात्मा गांधी जी का असहयोग आंदोलन – Asahyog Movement
अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं जलियावाला बाग हत्याकांड में मारे गए बेकसूर लोगों को देखकर गांधी जी को गहरा दुख पहुंचा था और उनके ह्रद्य में अंग्रेजों के अत्याचारों से देश को मुक्त करवाने की ज्वाला और अधिक तेज हो गई थी।
जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर असहयोग आंदोलन करने का फैसला लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीय जनता से अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन नहीं देने की अपील की।
गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े स्तर पर भारतीयों ने समर्थन दिया और ब्रिटिश सरकार के अधीन पदों जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया साथ ही सरकारी स्कूल, कॉलजों एवं सरकारी संस्थानों का जमकर बहिष्कार किया।
इस दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी वस्त्रों एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक सत्याग्रह(1930) – Savinay Avagya Andolan
महात्मा गांधी ने यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ चलाया था। उन्होंने ब्रटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए इसके तहत पैदल यात्रा की थी।
गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने कुछ अनुयायियों के साथ सावरमती आश्रम से पैदल यात्रा शुरु की थी। इसके बाद करीब 6 अप्रैल को गांधी जी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून की अवहेलना की थी।
नमक सत्याग्रह के तहत भारतीय लोगों ने ब्रिटिश सरकार के आदेशों के खिलाफ जाकर खुद नमक बनाना एवमं बेचना शुरु कर दिया।
गांधी जी के इस अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार के हौसले कमजोर पड़ गए थे और गुलाम भारत को अंग्रेजों क चंगुल से आजाद करवाने का रास्ता साफ और मजबूत हो गया था।
महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन(1942)
अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साल 1942 में ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के कुछ साल बाद ही भारत ब्रिटिश शासकों की गुलामी से आजाद हो गया था।
आपको बता दें जब गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, उस समय दूसरे विश्वयुद्ध का समय था और ब्रिटेन पहले से जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था, ऐसी स्थिति का बापू जी ने फायदा उठाया। गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने एकत्र होकर अपना समर्थन दिया।
इस आंदोलन का इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। इस तरह से यह आंदोलन, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।
इस तरह महात्मा गांधी जी द्धारा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।
वहीं उनके आंदोलनों की खास बात यह रही कि उन्होंने बेहद शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाए और आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने पर उनके आंदोलन बीच में ही रद्द कर दिए गए।
- Mahatma Gandhi Slogan
महात्मा गांधी जी ने जिस तरह राष्ट्र के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, उनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं आज जिस तरह हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में गांधी जी के महान विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी देश-दुनिया में हिंसा कम हो सकेगी और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।
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60 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi”
Gandhi ji is my favorite
अपने अलग अलग तरह से गाँधी जी के कार्यो को बताया है बहुत अच्छा
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गांधी जयंती पर निबंध | Essay On Gandhi Jayanti in Hindi, 10 लाइन (कक्षा 3 से 10 के लिए)
- Festival 2024
Gandhi Jayanti Essay in Hindi: भारत में हर साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में गांधी जयंती मनाई जाती हैं। यह अवसर देश में हर नागरिक द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने वाला एक अवसर है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया था। स्मारक सेवाएँ इसे चिह्नित करती हैं, और पूरे भारत में इस दिन गांधी जी को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है, जिसमें वे प्रसिद्ध स्थान भी शामिल हैं जहाँ उन्होंने दौरा किया था और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। उनकी स्मृति में चित्रकला और निबंध प्रतियोगिताएं का भी आयोजन किया जाता है।इसके साथ ही अहिंसा का पालन करने वाली सर्वोत्तम परियोजनाओं और सेवाओं को भारत के नागरिकों को पुरस्कार और सम्मान बैज देकर पुरस्कृत किया जाता है। अहिंसक आंदोलन महात्मा गांधी के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के प्रयास का जश्न मनाने के लिए इसे लागू किया जाए और पुरस्कृत किया जाए।
महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन, रघुपति राघव राजा राम, आमतौर पर उनकी याद में गाया जाता है। पूरे भारत में महात्मा गांधी की मूर्तियों को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है और कुछ लोग उस दिन मांस और शराब का सेवन करने से परहेज करते हैं। जैसे कि हमने आपको बताया कि इस दिन निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है तो इसके मद्देनजर हम इस लेख के जरिए आपके लिए महात्मा गांधी जी की जयंती पर निबंध लेकर आएं है जो आप निबंध प्रतियोगिता में कार उपयोग में ले सकते हैं। इस लेख में आपको निबंध कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10 से लेकर किसी भी प्रकार की बड़ी निबंध प्रतियोगिता में उपयोग में ले सकते है और अपने लोगों के साथ साझा कर सकते हैं। इस लेख में कई पॉइन्ट जोडे़ गए है जैसे कि गांधी जयंती Gandhi Jayanti Essay in Hindi 2023, Gandhi Jayanti Par Nibandh, 2 October PR Nibandh, गांधी जयंती पर निबंध | Essay on Gandhi Jayanti 2023,Gandhi Jayanti ka Nibandh, गांधी जयंती पर निबंध 10 लाइन | 10 Lines on Gandhi jayanti,Gandhi Jayanti Par Nibandh, FAQ’s। इस लेख को अंत तक पढ़े और एक से बढ़कर एक महात्मा गांधी जयंती पर निबंध पाएं।
Gandhi Jayanti Essay in Hindi 2023- Overview
का नाम | |
कब मनाया जाता है | हर साल 2 अक्टूबर |
कैसे मनाया जाता है | भारत में अलग-अलग समारोह आयोजित करके |
क्यों मनाया जाता है | महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता थे, उनके सम्मान में |
गांधी जयंती पर निबंध | Gandhi Jayanti Par Nibandh
Gandhi Jayanti Par Nibandh :- गांधी जयंती का त्यौहार हर साल 2 अक्टूबर को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता मानते है जिस वजह से उनके जन्मदिन के अवसर पर देश के अलग-अलग क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के समारोह का आयोजन किया जाता है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो राजकोट के कोर्ट में दीवान का काम करते थे। महात्मा गांधी का विवाह महज 12 वर्ष की आयु में 13 वर्ष की कस्तूरबा गांधी से तय कर दिया गया था। विवाह के बाद महात्मा गांधी बैरिस्टर की पढ़ाई करने के लिए लंदन चले गए थे।
अपनी पढ़ाई को पूरा करने के बाद वह मुंबई में कुछ दिनों तक वकालत की प्रैक्टिस करते रहे उसके बाद साउथ अफ्रीका के बड़े सेठ का केस लड़ने के लिए उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। अपनी पत्नी के साथ वह दक्षिण अफ्रीका चले गए और वहां के लोगों की दयनीय स्थिति को देखकर वहां के लोगों के लिए आंदोलन करना शुरू किया। महात्मा गांधी कुछ गिने-चुने वकीलों में शामिल हो गए जिन्होंने अहिंसा के दम पर केवल अपनी वकालत के ज्ञान को दर्शाते हुए अंग्रेजों से अपने हिसाब का कानून बनवाया। लगभग 21 साल साउथ अफ्रीका में रहने के बाद वह अपनी पत्नी और बच्चे के साथ भारत 1915 में वापस आए।
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गांधी जयंती लॉन्ग निबंध | Long Essay On Gandhi Jayanti
गांधी जयंती भारत में एक राष्ट्रीय अवकाश है जो 2 अक्टूबर को मोहनदास करमचंद गांधी के जन्मदिन पर मनाया जाता है। यह गांधी के जीवन और कार्य का स्मरण कराता है, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रभावशाली राजनीतिक नेता थे। भारत में गांधी को अक्सर “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है, और उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। उनकी स्मृति और विरासत का सम्मान करने के लिए गांधी जयंती पर कई कार्यक्रम और गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। इनमें सार्वजनिक भाषण , अंतरधार्मिक सभाएं, शैक्षिक कार्यक्रम, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सेवा परियोजनाएं शामिल हैं।
महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, भारत में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। वह एक हिंदू परिवार से आते थे। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर राज्य के दीवान थे। उनकी माँ, पुतलीबाई, एक धार्मिक महिला थीं जो नियमित रूप से उपवास करती थीं।गांधीजी की शिक्षा राजकोट के स्थानीय स्कूलों में हुई और बाद में उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में पढ़ाई की। 1888 में, वह इनर टेम्पल में कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए। लंदन में रहते हुए, उन्होंने हिंदू धर्मग्रंथ पढ़े और लियो टॉल्स्टॉय और जॉन रस्किन के प्रभाव में आये। वे शाकाहारी समाज से भी जुड़े।1891 में भारत लौटने के बाद, गांधीजी ने बॉम्बे (अब मुंबई) में कानून का अभ्यास शुरू किया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के अधिकारों की भी वकालत की, जो ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा भेदभाव का सामना कर रहे थे। 1915 में, वह भारत लौट आए और ब्रिटिश शासन से आजादी के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) पार्टी का नेतृत्व किया।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी का योगदान
महात्मा गांधी को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का जनक माना जाता है। उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पुणे, भारत में एक हिंदू परिवार में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। एक युवा व्यक्ति के रूप में, उन्होंने लंदन में कानून की पढ़ाई की और फिर अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू करने के लिए भारत लौट आए। हालाँकि, जल्द ही उनकी रुचि राजनीति में बढ़ गई और वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।गांधी जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के अधिकारों के लिए लड़कर की। उन्होंने 1893 से 1914 तक वहां 21 साल बिताए, उनकी स्थितियों को सुधारने के लिए काम किया। उन्होंने हिंद स्वराज या इंडियन होम रूल नामक एक पुस्तक भी लिखी, जिसमें स्वतंत्र भारत के लिए उनका दृष्टिकोण सामने आया।
जब प्रथम विश्व युद्ध छिड़ा, तो गांधी ने भारतीयों से उनका विश्वास और सहयोग हासिल करने के लिए ब्रिटिश युद्ध प्रयासों का समर्थन करने का आग्रह किया। युद्ध के बाद, उन्होंने सविनय अवज्ञा और सत्याग्रह (अहिंसक प्रतिरोध) जैसे विरोध के शांतिपूर्ण तरीकों का उपयोग करके स्वतंत्रता के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी। ये तकनीकें भारत के अंदर और बाहर दोनों जगह जनमत जीतने में बहुत सफल रहीं। 26 जनवरी , 1930 को, गांधीजी ने ब्रिटिश द्वारा लगाए गए नमक कर के विरोध में नमक इकट्ठा करने के लिए समुद्र तक एक मार्च का नेतृत्व किया। इस घटना को नमक मार्च के नाम से जाना गया और इससे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने में मदद मिली। 1932 में, गांधीजी ने हिंदुओं के खिलाफ भेदभाव करने वाली ब्रिटिश नीतियों का विरोध करने के लिए भूख हड़ताल शुरू की। इससे भी स्वतंत्रता के लिए जनता का समर्थन जुटाने में मदद मिली।
अहिंसा और सत्याग्रह के विचार
अहिंसा और सत्याग्रह के कई अलग-अलग विचार हैं, लेकिन उन सभी का एक ही लक्ष्य है: शांतिपूर्ण तरीकों से न्याय प्राप्त करना। अहिंसक प्रतिरोध उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ एक शक्तिशाली हथियार है, और सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए पूरे इतिहास में इसका सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है। सत्याग्रह, या सत्य-बल की अवधारणा, महात्मा गांधी द्वारा भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद का विरोध करने के एक तरीके के रूप में विकसित की गई थी। सत्याग्रह इस विश्वास पर आधारित है कि सत्य हिंसा से अधिक शक्तिशाली है, और अहिंसक प्रतिरोध से सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन हो सकता है। गांधीजी ने भारतीय स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के लिए अपने अभियानों में सत्याग्रह का बहुत प्रभावी ढंग से उपयोग किया।आज भी न्याय और समानता की हमारी लड़ाई में अहिंसा और सत्याग्रह के विचार प्रासंगिक बने हुए हैं। ऐसी दुनिया में जहां हिंसा बहुत आम है, हमें याद रखना चाहिए कि शांति संभव है। हमें प्रेम और करुणा की शक्ति से नफरत और कट्टरता के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। हमें अधिक न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण विश्व की अपनी खोज कभी नहीं छोड़नी चाहिए।
सत्य और अहिंसा के सिद्धांत
गांधी जयंती दो मुख्य सिद्धांतों का जश्न मनाती है: सत्य और अहिंसा। गांधी जीवन के सभी पहलुओं में सच्चाई और ईमानदारी में विश्वास करते थे, साथ ही लोगों को दूसरों के साथ बातचीत में अहिंसक होने की आवश्यकता पर भी विश्वास करते थे। उन्होंने महसूस किया कि ये सिद्धांत एक न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण समाज बनाने के लिए आवश्यक थे। इसलिए गांधी जयंती अधिक सामंजस्यपूर्ण विश्व प्राप्त करने के तरीके के रूप में इन मूल्यों को बढ़ावा देती है।
गाँधी जी को प्राप्त प्रमुख उपलब्धियाँ या पुरस्कार
- -गांधी जी 1948 में नोबेल शांति पुरस्कार के प्राप्तकर्ता थे
- -उन्हें 1930 में टाइम मैगजीन का मैन ऑफ द ईयर नामित किया गया था
- -गांधी जी को 1948 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था
- -उन्हें 1989 में मानवाधिकार के लिए राफ्टो पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था
- -गांधी जी को 1915 में ब्रिटिश सरकार द्वारा नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया गया था, लेकिन बाद में उन्होंने 1922 में इसे त्याग दिया।
गांधी जयंती समारोह
गांधी जयंती का अवसर भारत में एक भव्य त्योहार है। यह उत्सव हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में होता है, जहां महात्मा गांधी की स्मृति का सम्मान करने के लिए प्रार्थना सेवाएं या श्रद्धांजलि आयोजित की जाती हैं। वह कई अच्छी चीजों के लिए जिम्मेदार व्यक्ति थे, जिसमें नस्लवाद के खिलाफ उनकी प्रतिबद्धता भी शामिल थी, जिसे हम आज भी देखते हैं, भले ही वह चले गए हों।ये आयोजन पूरे स्कूलों में होते हैं – सरकारी संस्थान और निजी दोनों; वहाँ स्मारक समारोह भी देखे जा सकते हैं। लेखन, कला और अन्य गतिविधियों के लिए प्रतियोगिताएँ दुनिया भर में होती रहती हैं। इन प्रतियोगिताओं के लिए कीमतें भी वितरित की जाती हैं। कई स्कूलों और विश्वविद्यालयों में छात्र महात्मा गांधी की यात्रा के बारे में नाटक और वृत्तचित्र भी देखते हैं।परिणामस्वरूप, युवाओं को अहिंसक जीवन शैली जीने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, गांधी जी के पसंदीदा भजन (हिंदू भक्ति गीत) गाने के अवसर भी होते हैं। उत्सव के तौर पर गांधी जी के स्मारकों को फूलों और मालाओं से सजाया गया है। गांधी जयंती महात्मा गांधी के उत्कृष्ट चरित्र का जश्न मनाती है। यह इस शानदार व्यक्तित्व के जीवन को रुकने और सराहने का मौका है। इस दिन सभी को उनके जैसा जीवन जीने का प्रयास भी करना चाहिए। दरअसल, गांधी जयंती को भारत में देशभक्ति का दिन माना जाता है।
गांधी जयंती देश के महानतम नायक का सम्मान करने वाला एक राष्ट्रीय त्योहार है, जिन्होंने लाखों लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्त कराया। इसके अलावा, गांधी जयंती भारत की तीन राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र ने 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया। यह त्यौहार वास्तव में भारत में एक महत्वपूर्ण अवसर है।
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Gandhi Jayanti Essay in Hindi | 2 October PR Nibandh
अपने राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के नेतृत्व में उन्होंने भारत में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करने का निर्णय किया। उन्होंने 1917 से अपना आंदोलन शुरू किया जिसमे उनका पहला आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से शुरू हुआ था जिसे चंपारण सत्याग्रह कहा जाता है। इस तरह के अलग-अलग आंदोलन करते हुए 1942 में महात्मा गांधी ने अपना आठवां आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन को शुरू किया और अंततः देश को 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के हाथ से मुक्त करवाया।
महात्मा गांधी को उनके विचार और बेहतरीन कार्य की वजह से भारत का राष्ट्रपिता कहा जाता है। उन्होंने विषम परिस्थिति में बेहतरीन तरीके से देश के नौजवानों का नेतृत्व किया और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए देश को अंग्रेजों से मुक्त करवाया। आज भी सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की उनकी रणनीति काफी कारगर मानी जाती है जिसके बारे में जागरूकता फैलाने का कार्य 2 अक्टूबर को किया जाता है। देश के प्रत्येक नौजवानों को सत्य और अहिंसा के बारे में समझाने का प्रयास किया जाता है।
प्रत्येक साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी का जन्म दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ विभिन्न प्रकार के समारोह के जरिए संपन्न में किया जाता है। सरकार इस दिन विभिन्न प्रकार के नियम और योजनाओं को लागू करती है। हर साल की तरह इस साल भी महात्मा गांधी के बलिदान और उनके अतुलनीय कार्य को सराहना देने के लिए गांधी जयंती का त्यौहार मनाया जाएगा।
गांधी जयंती पर निबंध | Essay on Gandhi Jayanti 2023
गांधी जयंती का त्यौहार हर साल बड़े हर्षोल्लास के साथ 2 अक्टूबर को मनाया जाता है। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था, उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी के दादाजी उम्र चंद्र गांधी गुजरात के राजवाड़ा परिवार में दीवान का कार्य किया करते थे। अंग्रेजों का शासन शुरू हुआ तो उनके पिता को राजकोट के कोर्ट में दीवान के कार्य के लिए ट्रांसफर कर दिया गया। वहां से उनके पिता ने वकील और जज के बारे में समझा और अपने बेटे को इस पद पर आगे बढ़ने का नेर्तित्व किया। अपनी प्रारंभिक पढ़ाई करने के दौरान महात्मा गांधी का विवाह महज 12 वर्ष की आयु में उनसे 1 साल बड़े कस्तूरबा गांधी के साथ कर दिया गया था।
महात्मा गांधी शादी के कुछ सालों बाद अपनी बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए थे। लंदन में अपनी पढ़ाई को पूरा करने के बाद मुंबई में कुछ सालों तक मुंबई के कोर्ट में प्रैक्टिस किया था। उसी दौरान उन्हें दक्षिण अफ्रीका में एक केस लड़ने का मौका मिला था जहां केस जीतने के बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के लोगों के साथ हो रहे नस्ली भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने का निर्णय किया था। अपनी पत्नी के साथ 21 वर्ष तक महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में रहे थे। उसके बाद अपने राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के नेतृत्व पर वह 9 जनवरी 1915 को दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आए थे। महात्मा गांधी अपनी वकालत के कार्य की वजह से दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए भी भारतीय अखबारों में हमेशा सुर्खियों में रहते थे।
गांधी जयंती पर निबंध | Gandhi Jayanti PR Essay
Gandhi Jayanti Par Nibandh:- भारत में उन्होंने 1917 से अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन प्रक्रिया शुरू किया था। भारत में उन्होंने अपना राजनीतिक कार्य एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में शुरू किया जिसमें उन्होंने चंपारण सत्याग्रह, खेड़ा आंदोलन, रौलट एक्ट विरोध, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन, जैसे विभिन्न प्रकार के आंदोलनों का निर्वाहन किया था।
मोहनदास करमचंद गांधी किस सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर आजादी मांगने के तरीके से प्रभावित होकर महान लेखक रविंद्र नाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी थी। महात्मा गांधी पूरे भारत में प्रचलित हुए थे और उनके बलिदान के लिए आजादी के बाद उन्हें राष्ट्रपिता घोषित किया गया था। हर साल उनके बलिदान और बेहतरीन कार्य के लिए हम 2 अक्टूबर को गांधी जयंती का त्यौहार मनाते है। इस दिन महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा की बात की जाती है अलग-अलग जगह पर गांधी जयंती का समारोह आयोजित किया जाता है और इस तरह भारत में गांधी जयंती का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आने वाले समय में भी हमें इस तरह गांधी जयंती का त्यौहार मनाते रहेंगे और महात्मा गांधी के विचारों का निर्वहन करते हुए उनके सत्य और अहिंसा के पथ पर चलने का प्रयास करेंगे।
गांधी जयंती पर निबंध 10 लाइन | 10 Lines On Gandhi Jayanti
- महात्मा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर हम गांधी जयंती का त्यौहार बड़े हर्षोल्लास के साथ पूरे भारतवर्ष में हर साल 2 अक्टूबर को मनाते है।
- महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था।
- महात्मा गांधी जात से एक वैष्णव परिवार से ताल्लुक रखते थे जहां उनके दादा परदादा राजवाड़ा परिवार में दीवान का काम किया करते थे।
- महात्मा गांधी भारत से अपनी पढ़ाई को पूरा करने के बाद बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन गए थे।
- महात्मा गांधी का विवाह 12 वर्ष की आयु में 13 वर्ष की कस्तूरबा गांधी से कर दिया गया था।
- महात्मा गांधी के पिता का नाम करमचंद गांधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई था।
- महात्मा गांधी बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद दक्षिण अफ्रीका चले गए थे जहां उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के लोगों के लिए नस्लभेद के खिलाफ आवाज उठाया था और आंदोलन किया था।
- 9 जून 1915 को महात्मा गांधी इस वर्ष बाद दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे।
- अपने राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के साथ उन्होंने 1 साल भारत भ्रमण किया था जिसके बाद 1917 से उन्होंने आंदोलन प्रक्रिया शुरू की थी।
- 1917 में महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह के साथ आंदोलन शुरू किया था।
- 1920 में उन्होंने असहयोग आंदोलन और 1922 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन के साथ पूरे भारतवर्ष में सत्य और अहिंसा का बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया था।
- महात्मा गांधी ने अपने पूरे जीवन काल में आठ महत्वपूर्ण आंदोलनों को अंजाम दिया था जिसके परिणाम स्वरूप 1947 में भारत आजाद हुआ था।
- महात्मा गांधी के अतुलनीय कार्य नेतृत्व और निर्वाहन प्रक्रिया के साथ किए गए कार्य के बाद उन्हें राष्ट्रपिता घोषित किया गया।
- हर साल गांधी जयंती के अवसर पर अलग-अलग समारोह का आयोजन किया जाता है और महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के मार्ग को स्पष्ट रूप से लोगों के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाता है।
Gandhi Jayanti Par Nibandh FAQ’s
Q. गांधी जयंती कब मनाया जाता है.
हर साल गांधी जयंती 2 अक्टूबर को मनाया जाता है।
Q. गांधी जयंती का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
गांधी जयंती का त्यौहार महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के मार्ग को स्पष्ट रूप से दर्शाने के लिए मनाया जाता है।
Q. महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का खिताब किसने दिया?
महात्मा गांधी को सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रपिता का खिताब दिया था।
Q. महात्मा गांधी को महात्मा का खिताब किसने दिया था?
महात्मा गांधी को महान लेखक रविंद्र नाथ टैगोर ने महात्मा का खिताब दिया था।
Q. महात्मा गांधी के गुरु कौन थे?
महात्मा गांधी के गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे।
आज इस लेख में हमने Gandhi Jayanti Par Nibandh 2023 से जुड़ी विस्तार पूर्वक जानकारी आपके समक्ष प्रस्तुत की है। इस लेख में अपने Gandhi Jayanti nibandh बेहतरीन तरीके से पाया होगा। अगर हमारे द्वारा साझा की गई जानकारियों को पढ़ने के बाद आप गांधी जयंती और महात्मा गांधी के बारे में विस्तारपूर्वक समझ पाए हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें साथ ही अपने सुझाव और विचार कमेंट में बताना ना भूलें।
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उद्देश्यपूर्ण विचारधारा से ओतप्रोत महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व आदर्शवाद की दृष्टि से श्रेष्ठ था। इस युग के युग पुरुष की उपाधि से सम्मानित महात्मा गाँधी को समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है पर महात्मा गाँधी के अनुसार समाजिक उत्थान हेतु समाज में शिक्षा का योगदान आवश्यक है। 2 अक्टुबर 1869 को महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ। यह जन्म से सामान्य थे पर अपने कर्मों से महान बने। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा इन्हें एक पत्र में “महात्मा” गाँधी कह कर संबोधित किया गया। तब से संसार इन्हें मिस्टर गाँधी के स्थान पर महात्मा गाँधी कहने लगा।
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“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ ही साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।
महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीक्षा
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। आस्था में लीन माता और जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से हुई, हाईस्कूल की परीक्षा इन्होंने राजकोट से दिया, और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से किया।
महात्मा गाँधी का शिक्षा और स्वतंत्रता में योगदान
महात्मा गाँधी का यह मानना था की भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधीन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो। साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता। शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।
बचपन में गाँधी जी को मंदबुद्धि समझा जाता था। पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। हम महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में सम्बोधित करते है और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे।
इसे यूट्यूब पर देखें : Mahatma Gandhi par Nibandh
Mahatma Gandhi par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)
देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता हैं।
बापू को ‘फ ा दर ऑफ नेशन ’ (राष्ट्रपिता) की उपाधि किसने दिया ?
महात्मा गाँधी को पहली बार फादर ऑफ नेशन कहकर किसने संबोधित किया, इसके संबंध में कोई स्पष्ठ जानकारी प्राप्त नहीं है पर 1999 में गुजरात की हाईकोर्ट में दाखिल एक मुकदमे के वजह से जस्टिस बेविस पारदीवाला ने सभी टेस्टबुक में, रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार गाँधी जी को फादर ऑफ नेशन कहा, यह जानकारी देने का आदेश जारी किया।
महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन
निम्नलिखित बापू द्वारा देश की आजादी के लिए लड़े गए प्रमुख आंदोलन-
- असहयोग आंदोलन
जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था की ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।
- नमक सत्याग्रह
12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किये गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।
- दलित आंदोलन
गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।
- भारत छोड़ो आंदोलन
ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।
- चंपारण सत्याग्रह
ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानो से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।
महात्मा गाँधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिस साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।
Essay on Mahatma Gandhi in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)
“कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते, क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है” – महात्मा गाँधी
गाँधी जी के वचनों का समाज पर गहरा प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। वह मानवीय शरीर में जन्में पुन्य आत्मा थे। जिन्होंने अपने सूज-बूझ से भारत को एकता के डोर में बांधा और समाज में व्याप्त जातिवाद जैसे कुरीति का नाश किया।
गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा
दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीय पर हो रहे प्रताड़ना को सहना पड़ा। फर्स्ट क्लास की ट्रेन की टिकट होने के बावजूद उन्हें थर्ड क्लास में जाने के लिए कहा गया। और उनके विरोध करने पर उन्हें अपमानित कर चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया गया। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में कई होटल में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया।
बापू की अफ्रीका से भारत वापसी
वर्ष 1914 में उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के बुलावे पर गाँधी भारत वापस आए। इस समय तक बापू भारत में राष्ट्रवाद नेता और संयोजक के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे। उन्होंने देश की मौजूदा हालात समझने के लिए सर्वप्रथम भारत भ्रमण किया।
गाँधी, कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बेहतरीन लेखक
गाँधी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव को कलम की सहायता से बखूबी पन्ने पर उतारा है। महात्मा गाँधी ने, हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया में संपादक के तौर पर काम किया। तथा इनके द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तक हिंद स्वराज (1909), दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (इसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने संघर्ष का वर्णन किया है), मेरे सपनों का भारत तथा ग्राम स्वराज हैं। यह गाँधीवाद धारा से ओतप्रोत पुस्तक आज भी समाज में नागरिक का मार्ग दर्शन करती हैं।
गाँधीवाद विचार धारा का महत्व
दलाई लामा के शब्दों में, “आज विश्व शांति और विश्व युद्ध, अध्यात्म और भौतिकवाद, लोकतंत्र व अधिनायकवाद के मध्य एक बड़ा युद्ध चल रहा है” इस अदृश्य युद्ध को जड़ से खत्म करने के लिए गाँधीवाद विचारधार को अपनाया जाना आवश्यक है। विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारकों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अमेरिका के नेल्सन मंडेला और म्यांमार के आंग सान सू के जैसे ही लोक नेतृत्व के क्षेत्र में गाँधीवाद विचारधारा सफलता पूर्वक लागू किया गया है।
गाँधी जी एक नेतृत्व कर्ता के रूप में
भारत वापस लौटने के बाद गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने कई अहिंसक सविनय अवज्ञा अभियान आयोजित किए, अनेक बार जेल गए। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर लोगों का एक बड़ा समूह, ब्रिटिश सरकार का काम करने से इनकार करना, अदालतों का बहिष्कार करना जैसा कार्य करने लगा। यह प्रत्येक विरोध ब्रिटिश सरकार के शक्ति के समक्ष छोटा लग सकता है लेकिन जब अधिकांश लोगों द्वारा यह विरोध किया जाता है तो समाज पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।
प्रिय बापू का निधन
30 जनवरी 1948 की शाम दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में मोहनदास करमचंद गाँधी की नाथूराम गोडसे द्वारा बैरटा पिस्तौल से गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में नाथूराम सहित 7 लोगों को दोषी पाया गया। गाँधी जी की शव यात्रा 8 किलो मीटर तक निकाली गई। यह देश के लिए दुःख का क्षण था।
आश्चर्य की बात है, शांति के “नोबल पुरस्कार” के लिए पांच बार नॉमिनेट होने के बाद भी आज तक गाँधी जी को यह नहीं मिला। सब को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले प्रिय बापू अब हमारे बीच नहीं हैं पर उनके सिद्धान्त सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे।
FAQs: महात्मा गांधी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. अल्फ्रेड हाई स्कूल को अब मोहनदास हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।
उत्तर. 30 जनवरी1948 को शाम 5.17 बजे गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
उत्तर. नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने उन्हें बापू के नाम से सम्बोधित किया।
उत्तर. बेरेटा 1934. 38 कैलिबर पिस्तौल का इस्तेमाल नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी को मारने के लिए किया था।
उत्तर. ऐसा माना जाता है कि भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार महात्मा गांधी से बड़ा नहीं है।
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गांधीजी की 150 वीं जयंती पर निबंध | Gandhi Jayanti Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on Gandhi Jayanti in Hindi
By: savita mittal
जीवन परिचय | Gandhi Jayanti Essay in Hindi
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महात्मा गाँधी के सन्दर्भ में महान वैज्ञानिक आइन्स्टीन ने कहा था कि “भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मास से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।” वस्तुतः महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व इतना व्यापक था कि गाँधीबाद एक विचार बन गया, जिसकी प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी। गाँधीजी ने सम्पूर्ण विश्व को अपनी विचारधारा से प्रभावित किया।
गाँधीजी द्वारा प्रयोग में लाए गए सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह की बुनियाद इतनी मजबूत थी कि आज भारत सहित विश्व के अनेक देश इसे अपनाकर अपने लोकतान्त्रिक मूल्यों को प्रमाद कर रहे है। गाँधीजी के विचारों की प्रासंगिकता ही है कि पूरा विश्व गाँधीजी की 150वीं जयन्ती श्रद्धा एवं सम्मान से मना रहा है।
महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था। महात्मा की उपाधि उन्हें रवीन्द्रनाथ टैगोर ने प्रदान की थी। गाँधीजी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचन्द गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। उनका विवाह कस्तूरबाई (कस्तूरबा गाँधी) से हुआ था। उनकी प्राथमिक शिक्षा राजकोट में हुई। बाद में वे बकालत की पढ़ाई करने के लिए लन्दन चले गए।
वकालत की पढ़ाई के बाद जय ये भारत लौटे, तो उन्हें वकालत पेशे के प्रारम्भिक दौर में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। 1893 ई. में एक व्यापारी दादा अब्दुल्ला का केस लड़ने के लिए गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका गए और फिर वर्ष 1915 में भारत लौटे। दक्षिण अफ्रीका में ही गांधीजी ने अंग्रेजों की नस्लवादी नीतियों का विरोध प्रारम्भ किया था, जिसके बाद गाँधीजी की छवि काफी लोकप्रिय हो गई।
भारत लौटने के बाद गांधीजी ने अपने राजनीतिक गुरु गोपालकृष्ण गोखले की सलाह पर एक वर्ष पूरे भारत का दौरा किया। उसके बाद चम्पारण सत्याग्रह को सफल बनाया। चम्पारण सत्याग्रह ने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को नई दिशा दी और गाँधीजी को लोग आशा भरी नजरों से देखने लगे। फलत वर्ष 1919 से 1947 तक भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन गाँधीजी के नेतृत्व में चलाया गया, जिसकी अन्तिम परिणति आजादी के रूप में हुई। वर्ष 1919 से 1947 तक के युग को ‘गाँधी युग’ कहा जाता है।
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गाँधीजी के विचारों का प्रसार करने हेतु आज हम उनकी 150वी जयन्ती मना रहे हैं। उनके विचार पूरे विश्व के लिए प्रेरणादायी हैं। गाँधीजी ने एक बार स्वयं कहा था कि “गांधी मर सकता है, परन्तु गाँधीवाद हमेशा जिन्दा रहेगा।” वस्तुत उनके विचार का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत था।
ये छोटे-से-छोटे बिन्दुओं पर भी व्यापक व गहन विचार करते थे। गाँधीजी ने सत्य और अहिंसा, सत्याग्रह, सर्वोदय, स्वदेशी, स्वराज, न्यासिता, अस्पृश्यता, बुनियादी शिक्षा, राजनीति और धर्म, साध्य और साधन आदि पर अपने विचार प्रकट किए।
गांधीजी ने सत्य और अहिंसा को प्रमुख हथियार माना। इसी प्रकार सत्याग्रह आधुनिक विश्व को गाँधीजी की प्रमुख देन है। सत्याग्रह का अर्थ है- सत्य की विजय हेतु किए जाने वाले आध्यात्मिक व नैतिक संघर्ष करना। गांधीजी ने समाज के सभी वर्गों एवं व्यक्तियों के लिए सर्वोदय का विचार प्रस्तुत किया, साथ ही उन्होंने अस्पृश्यता को कलंक माना। गाँधीजी राजनीति को धार्मिक तथा आध्यात्मिक मानते थे। उन्होंने अपने जीवन में प्रत्येक जगह साध्य और साधन दोनों की पवित्रता पर बल दिया।
गांधीजी के विचारों का प्रचार-प्रसार करने के लिए भारत सरकार राष्ट्रीय और जयन्ती वर्षगाँठ मना रही है। इस उद्देश्य से राष्ट्रपति की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें उपराष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष, केन्द्रीय मन्त्रिगण, सभी राज्य / केन्द्रशासित प्रदेश के मुख्यमन्त्री/प्रशासक, राजनीतिक प्रतिनिधि, गाँधीवादी विचारक और सभी क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल हैं। इस समिति में 9 विदेशी सहित कुल 125 सदस्य हैं।
2 अक्टूबर, 2019 को गाँधीजी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भारत सरकार के ‘स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ग्रामीण भारत को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया।
जनभागीदारी के महत्व पर बल देते हुए इस अवसर पर जल जीवन मिशन’ प्रारम्भ किया गया। इस मिशन के अंतर्गत “नल से जल” कार्यक्रम के माध्यम से वर्ष 2024 तक प्रत्येक घर को नल का पानी उपलब्ध कराया जाएगा। इसी अवसर पर वर्ष 2022 तक प्लास्टिक मुक्त भारत के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान किया गया।
महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती पर रेल तथा वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्रालय द्वारा ‘स्टेशन स्वच्छता सर्वे रिपोर्ट’ जारी की गई। इसमें उत्तर-पश्चिम रेलवे जोन को सबसे स्वच्छ जोन का दर्जा दिया गया, जबकि सबसे स्वच्छ गैर-उपनगरीय स्टेशन का दर्जा जयपुर को मिला।
भारत को सबसे कुशल राष्ट्रों में से एक के रूप में स्थापित करने के लिए एशिया हेरिटेज फाउण्डेशन द्वारा ‘नई तालीम’ उत्सव का आयोजन किया गया। नई तालीम, शरीर, मन और आत्मा की सम्पूर्ण शिक्षा को कुशल श्रम के माध्यम से प्रसारित करने का सिद्धान्त है। वर्ष 1987 में गाँधीजी ने नई तालीम के नाम से एक जीवन दर्शन तथा शिक्षा पद्धति देश के सामने रखी थी, जो अहिंसक, समतामूलक व न्यायपूर्ण समाज निर्माण का उद्देश्य रखती थी।
भारत सरकार ने न्यूयॉर्क टाइम्स में ‘भारत और विश्व को क्यों है गांधी की जरूरत’ शीर्षक से एक आलेख प्रकाशित करवाया। इस आलेख के अनुसार भावी पीढ़ियाँ महात्मा गांधी के विचारों, उद्देश्यों को कैसे याद रख सकेंगी, इसके लिए ‘आइन्स्टीन चुनौती’ प्रस्तुत की गई।
इसका मुख्य उद्देश्य महात्मा गाँधी के विचारों को अमर बनाना है। इसके लिए विचारकों, तकनीक विशेषज्ञों, उद्यमियों आदि से अपील की गई है कि वे आगे आएं और नवाचार के माध्यम से गांधीजी के विचारों को प्रसारित करें।
भारत के विदेश मन्त्रालय द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ में गाँधीजी पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 2 अक्टूबर, 2019 को किया गया। इससे पूर्व सितम्बर, 2019 में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में 50 किलोबाट के गाँधी सोलर पार्क का उद्घाटन भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने किया। इसी अवसर पर हुए विश्व में गाँधी की प्रासंगिकता कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र ने महात्मा गांधी पर एक विशेष डाक टिकट जारी किया। गांधीजी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर देशभर में जगह-जगह पर स्वच्छ भारत यात्रा’ निकाली गई।
महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती की स्मृति तथा सड़क सुरक्षा के सन्देश को प्रसारित करने के लिए ‘ड्राइव फॉर पीस’ का शुभारम्भ 3 फरवरी, 2019 को किया गया। महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती को चिह्नित करने हेतु महाराष्ट्र सरकार द्वारा वर्धा में ‘स्वच्छ भारत वर्ल्ड यूनिवर्सिटी’ की स्थापना का निर्णय लिया गया है। इस विश्वविद्यालय में स्वच्छता, सफाई और पर्यावरण पर शोध अध्ययन पर ध्यान केन्द्रित किया जाना है।
महात्मा गाँधी से सम्बन्धित साहित्य, उनके जीवन घटनाक्रम और उनके सामाजिक कार्यों को एक पोर्टल पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर ने नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गाँधीनगर के साथ ‘गांधीपीडिया’ के विकास के लिए साझेदारी की है।
महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती के सन्दर्भ में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने बॉलीवुड के कलाकारों को एक समारोह में सम्बोधित किया। उन्होंने राष्ट्र निर्माण की दिशा में कार्य करने हेतु बॉलीवुड को प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर प्रधानमन्त्री मोदी के अनुसार अगर कहीं एक विचार, एक व्यक्ति है, जो दुनियाभर के लोगों के बीच सम्पर्क स्थापित कर सकता है, तो वह महात्मा गाँधी है।
2 अक्टूबर, 2019 को पर्यटन मन्त्रालय द्वारा पर्यटन पर्व 2019 का आयोजन नई दिल्ली में राष्ट्रव्यापी पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया। यह आयोजन महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती को सगांधियन चैलेंज महात्मा गाँधी की 150वी जयन्ती के अवसर पर अटल नवाचार मिशन, अटल टिंकरिंग लैस और मनिसेक इण्डिया के तत्त्वावधान में जनरेशन अनलिमिटेड द्वारा सम्मिलित रूप से प्रारम्भ किया गया।
यह नवाचार चुनौती भारत के प्रत्येक बच्चे को गाँधी के सिद्धान्तों का उपयोग करते हुए उनके सपनों के एक स्थापी भारत के लिए भनय समाधान तैयार करने हेतु एक मंच प्रदान करती है। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में ₹150 का चाँदी का स्मारक सिक्का जारी किया। यह स्मारक सिक्का गाँधीजी पर जारी होने वाला 113वीं स्मारक सिक्का है।
गांधीजी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर भारत सरकार ने एक डाक टिकट जारी किया। साथ ही पो रूम,
तुर्की, फिलीस्तीन, उज्बेकिस्तान, श्रीलंका और संयुक्त राष्ट्र ने भी डाक टिकट जारी किया। इसके अतिरिक्त भी कई अन्य देशों ने डाक टिकट जारी किया।
महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती समारोह की संयोजन समिति की बैठक में भाग लेते हुए पुर्तगाल के प्रधानमन्त्री एण्टोनियो कोस्टा ने महात्मा गांधी के आदशों को शाश्वत बनाए रखने के लिए उनके विचारों और उद्धरणों से प्रेरित ‘गांधी नागरिकता शिक्षा पुरस्कार’ प्रारम्भ करने की घोषणा की। यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष प्रदान किया जाएगा।
इस प्रकार गांधीजी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर कृता राष्ट्र उनको श्रद्धाजलि अर्पित कर रहा है। वस्तुतः विश्व आज भारत को एक अलग पहचान मिली हुई है, इसमें गाँधीजी की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने सत्य और अहिंसा आदि विचारों के माध्यम से जो महान् आदर्श स्थापित किया, उसकी जरूरत आज भी उतनी ही बनी हुई है।
विनोबा भावे ने कहा था कि “वह आदमी कोई पुरानी किताब नहीं था, जिसमें कुछ नया न जुड़े, जिसके बस नए प्रकरण निकलते रहें। गाँधीजी आज होते तो क्या करते, यह सही सवाल और तरीका नहीं है। उनसे विचार मिला है, ऐसा स्वतन्त्र चिन्तन करना चाहिए।”
निःसन्देह आज पूरे विश्व को गाँधी के विचारों की जरूरत है और इस सन्दर्भ में भारत सरकार ने गाँधीजी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम एवं मिशन आयोजित कर एक महान् व्यक्ति (गांधीजी) को सच्ची श्रद्धांजलि प्रदान की है।
reference Gandhi Jayanti Essay in Hindi
मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।
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गांधी जयंती पर निबंध
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रूपरेखा : प्रस्तावना - गांधी जयंती राष्ट्रीय पर्व के रूप में - गांधी जी में अद्भुत नेतृत्व शक्ति - हरिजन सेवा संघ की स्थापना - हिंदू-मुस्लिम एकता - सत्य-अहिंसा का मार्ग - गांधी जी में विचारों व क्रियाओं का विरोध और सांमजस्य - उपसंहार।
गांधी जयंती एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है जो राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के लिये हर वर्ष मनाया जाता है। पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में भी इसे मनाया जाता है। 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में गांधी जयंती को घोषित किया गया है। मोहनदास करमचन्द गांधी (2 अक्टूबर 1869 में जन्म) के जन्म दिवस को याद करने के लिये पूरे देश में गांधी जयंती को राष्ट्रीय अवकाश के रुप में मनाया जाता है। उनके भारतीय स्वतंत्रता के लिये किये गये अहिंसा आंदोलन से आज भी देश के राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ देशी तथा विदेशी युवा नेता भी प्रभावित होते है।
2 अक्टूबर, 1869 को गांधी जी भारत-भू पर प्रगटे थे। इसलिए कृतज्ञ राष्ट्र उनके जन्म-दिवस को, राष्ट्रीय-पर्व के रूप में मनाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। अर्चना के अगणित स्वर मिलकर इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष और महामानव की वंदना करता है। राष्ट्र को उनकी देन, उपकार तथा वरदान के लिए 'गांधी मेलों' द्वारा उनका पुनीत स्मरण करता है।
अपने हाथ से कते सूत की लंगोटी पहनने वाले, चरखे को अहिंसा के प्रतीक के रूप में स्वीकार करके भारत के प्राचीन ग्राम्योद्यम एवं ग्राम्य-जीवन की महत्ता को मशीनों के वर्तमान युग में भी उज्ज्वल करने वाले, सहिष्णुता, त्याग, संयम और सादगी की मूर्ति बापू के जीवन की छाप आज हमारे खान-पान, रहन-सहन, भाव-विचार, भाषा और शैली, परिच्छद और परिधान, काव्य और चित्रकारी, दर्शन और सामाजिक व्यवहार धर्म-कर्म, राष्ट्रीयता और अन्तरराष्ट्रीयता, उनमें से प्रत्येक पर कहीं न कहीं देखी जा सकती है।
गांधी जी में अदभुत नेतृत्व-शक्ति थी। उन्होंने भारत को स्वतन्त्र करवाने के लिए कांग्रेस पार्टी के माध्यम से स्वतंत्र आंदोलन का नेतृत्व किया। सविनय अवज्ञा भंग, असहयोग, विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार, रॉलेट- एक्ट, नमक कानून, हरिजन एवार्ड आदि का विरोध राष्ट्रीय आन्दोलन के 'माइल-स्टोन' थे। जनता ने उनके नेतृत्व में जेलें भरी, लाठिया-गोलियाँ खाईं, जीवन बलिदान कर दिए। अहिंसात्मक आन्दोलन को अपनाकर आस्था रूप में खिली जवानी के पुष्प समर्पित किए। 1942 का आन्दोलन 'करो या मरो' स्वतंत्र समर का निर्णायक आन्दोलन था, जो गांधी जी के नेतृत्व-सफलता का सर्वोत्कृष्ट प्रमाण है।
गांधी जो ने शराब को शरीर और आत्मा का शत्रु बताकर उसका विरोध किया। हजारों महिलाएँ और पुरुष शराब की दुकानों पर धरना देने लगे । लाखों शराबियों और शराब का आस्वादन करने वालों ने जीवन में मद्य-निषेध का व्रत लिया।
गांधी जो ने 'हरिजन-सेवा-संघ' की स्थापना की । हरिजनों के आत्मबल को ऊँचा उठाने के लिए' अद्ठ्तोद्धार ' कार्यक्रम शुरू किए। स्वयं हरिजन बस्ती में रहने लगे। अछूतों के प्रति की जाने वाली घृणा को प्रेम में बदला। कुएँ का पानी और मंदिर के पट उनके लिए खुले । 'निषेध' प्रवेश में परिवर्तित हुआ । हरिजनबन्धु न केवल हिन्दू धर्म के अविभाज्य अंग बने रहे, अपितु गाँधो जी के व्यवहार, कृत्य और कार्यक्रमों से वे सामाजिक और सांस्कृतिक सम्मान के पात्र भी बने।
गांधी जी ने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं से प्रेम करना सिखाया | विदेशी-वस्त्रों की होली जलवाई। विदेशी-वस्तुओं का बहिष्कार करने की प्रवृत्ति बनाई । परिणामत: घर-घर में चरखा चला। खद्दर का प्रयोग बढ़ा। खद्दर हमारे शरीर की आन, बान और शान बना। खादी-आश्रम खुले। करधे चले, लाखों लोगों को रोटी-रोजी का साधन मिला। राष्ट्रीयता की एक पहचान बनी।
गांधी जी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता का श्रीगणेश किया। मुसलमानों को राष्ट्रीयता के प्रवाह में प्रवाहित होने क्रे लिए प्रेरित किया। हिन्दू-मुस्लिम ऐक्य के लिए अनेक बार उपवास किए। 'हिन्दू-मुस्लिम भाई भाई' उनका आदर्श वाक्य बना। हिन्दुओं ने हठधर्मिता छोड़ी। मुस्लिम-सुविधा के लिए अपने धार्मिक-सामाजिक, सिद्धान्तों की बलि चढ़ाई। मुस्लिम आत्मा को चोट पहुँचाने वाले कृत्यों से सावधान-सचेत रहे । परिणामत: राष्ट्र भक्त अनेक मुसलमान कांग्रेस के कंठहार बने। जैसे--मौलाना अबुल कलाम आजाद, खान अब्दुलगफ्फार खाँ, शौकतअली बंधु।
सत्य, अहिंसा और सादगी गांधी जी के जीवन की त्रिवेणी थी, जिनका संगम थी उनकी काया। जीवन-भर एक लंँगोटी में जीवन बिताया। रेल की तीसरी श्रेणी के डिब्बे में यात्रा की। खान-पान, वचन और कर्म में सात्विकता बरती। गांधी जी सत्य मैं परमेश्वर के दर्शन करते थे, वे उसे मुक्ति-मार्ग समझते थे। सत्य को प्राण और आत्मा कांविशिष्ट गुण मानते थे। जीवन में सत्य के प्रयोग करके वे मानव से महामानव बन गए। अहिंसा उनके आचरण का मंत्र था जीवन शैली का मार्ग था।
गांधी जी में विचारों व क्रियाओं का विरोध और सांमजस्य गांधी जी हिन्दी को राष्ट्र की आत्मा मानते थे। उन्होंने दक्षिण मैं हिन्दी प्रचार और प्रसार के लिए राष्ट्र-भाषा प्रचार समिति तथा दक्षिण हिन्दी-प्रचार सभा जैसी संस्थानों की नीव डालीं। उनके प्रोत्साहन से लाखों लोगों ने हिन्दी सीखी, हिन्दी को आजीविका का साधन माना।
विश्व कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर गांधी जीवन में विचारों और क्रियाओं का विरोध एवं सामंजस्य प्रदर्शित करते हुए लिखते हैं, 'वे स्वयं निर्धन और दरिद्र हैं, किन्तु सबको सुखी एवं सम्पन्न बनाने को दिशा में वे सबसे अधिक क्रियाशील हैं । वे घोर रूप से क्रान्तिकारी है, किन्तु क्रान्ति के पक्ष में वे जिन शक्तियों को जाग्रत करते हैं, उन्हें अपने नियन्त्रण में भी रखते हैं। वे एक साथ प्रतिमापूजक और प्रतिमा-भंजक भी हैं । मूर्तियों को यथास्थान रखते हुए वे आराधकों को उच्च स्तर पर ले जाकर प्रतिमाओं के दर्शन करने की शिक्षा देते हैं । वे वर्णाश्रम के विश्वासी हैं, किन्तु जाति-प्रथा को चूर्ण किये जा रहे हैं। भाव-भावना को वे भी मनुष्य की नैतिक प्रगति का बाधक मानते हैं, किन्तु टालस्टॉय की भान्ति वे सौन्दर्य और नारी को संदेह की दृष्टि से नहीं देखते। गांधी जी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जो सुधार वे दूसरों को सिखाते हैं, उन सुधारों की कीमत पहले वे आप चुका देते हैं।
गांधी जयंती गांधी जी को स्मरण करने का पुण्य दिन है। इस दिन स्थान-स्थान पर गांधी-मेले लगते हैं । इनमें गांधी जो के जीवन को झाँकियाँ दिखाई जाती हैं, उनके जीवन की विशिष्ट घटनाओं के चित्र लगाए जाते हैं। गांधी जी पर प्रवचन और भाषण होते हैं। मुख्य समारोह दिल्ली के राजघाट पर होता है। राष्ट्र के कर्णधार, मुख्यतः राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री और नेतागण तथा श्रद्धालु-जन गांधी जी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। प्रार्थना-सभा में राम धुन तथा गांधी जी के प्रिय-भजनों का गान होता है। विभिन्न धर्मों के पुजारी प्रार्थना करते हैं, अपने-अपने धर्म-ग्रन्थों से पाठ करते हैं। श्रद्धा-सुमन चढ़ाने और भजन-गान का कार्यक्रम 'बिड़ला हाउस' में भी होता है, जहाँ गांधी जी शहीद हुए थे।
गांधी जी आज भी राजनीतिज्ञों के लिए विध्ननाशक, मंगलदाता गणेश जी हैं। भोली- भाली जनता को ढगने, सम्पन्नता और सत्ता का भोग भोगने का गुरु-मंत्र हैं।
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हमारे देश में कई ऐसे महापुरुष हुए हैं जिन्होंने अपने कार्य और विचारों से हम सभी को प्रेरित किया है। इन्हीं महापुरुषों में से एक नाम साबरमंती के संत कहे जाने वाले महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का भी शामिल है। गांधी जी का पूरा जीवन हम सभी के लिए एक सीख है कि कैसे उन्होंने अपने बनाए हुए सत्य और अहिंसा के रास्ते पर अटल रहकर ही देशहीत के कार्य किए। गांधी जी का जीवन इतना साधारण और सरल न था, लेकिन फिर भी उनकी सरलता उनके व्यक्तित्व में हमेशा ही झलकती थी, जिसकी चर्चा आगे की गई है।
महात्मा गांधी जैसी महान आत्मा का जन्म इस धरती पर केवल एक ही बार होता है लेकिन उनके आदर्श, सिद्धांत और विचार आने वाली न जाने कितनी पीढ़ियों तक अपनी छाप छोड़कर जाते हैं। महात्मा गांधी एक ऐसी शख़्सियत थे जिन्होंने न केवल हमारे देश के भीतर बल्कि देश के बाहर भी लोगों को प्रेरित किया और बताया कि हिंसा किए बिना भी अपनी हक़ की लड़ाई लड़ी जा सकती है और उस पर विजय भी प्राप्त की जा सकती है।
गांधी जयंती कब और क्यों मनाई जाती है?
भारत में हर साल 2 अक्टूबर का दिन देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिवस यानी कि गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 में हुआ था इसलिए 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में भी मनाया जाता है। महात्मा गांधी के सम्मान में हर साल 2 अक्टूबर का दिन अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। अहिंसा दिवस की शुरुआत वर्ष 2007 से हुई थी। गांधी जयंती पर विशेष रूप से पूरे देश में सरकारी अवकाश होता है।
गांधी जयंती का महत्त्व
गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करम चंद गांधी है और उनका जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। सभी उन्हें राष्ट्रपिता बापू के नाम से भी संबोधित करते हैं। गांधी जी ने भारत की आज़ादी के लिये अंग्रेजों के खिलाफ जीवन भर संघर्ष किया। वह अहिंसा और ईमानदारी के रास्ते पर चलकर ही एक नये और स्वच्छ भारत का निर्माण करना चाहते थे।
उनका कहना था कि “अहिंसा एक दर्शन है, एक सिद्धांत है और एक अनुभव है जिसके आधार पर समाज का बेहतर निर्माण करना संभव है। समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को समान दर्जा और अधिकार मिलना चाहिए भले ही उनका लिंग, धर्म, रंग या जाति कुछ भी हो।” गांधी जयंती का महत्त्व हमें बताता है कि व्यक्ति को हमेशा अपने जीवन में अहिंसा के धर्म का पालन करना चाहिए और गांधी जी के सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
निष्कर्ष के तौर पर यही कहा जा सकता है कि गांधी जी के गांधी से महात्मा गांधी बनने तक के सफर को और उनके विचारों को हमेशा याद रखा जाएगा और समय समय पर उन्हें दोहराया जाता रहेगा।
गांधी जयंती पर निबंध 300 शब्द में
हर साल राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में गांधी जयंती मनायी जाती है। गांधी जयंती महात्मा गांधी के जन्म दिवस पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये पूरे देश के लोगों द्वारा 2 अक्टूबर को मनायी जाती है। गांधी जी हमारे देश के राष्ट्रपिता और बापू के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। वो एक सच्चे देशभक्त नेता थे और अहिंसा के पथ पर चलते हुए पूरे देश का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेतृत्व किया। गांधी जी के अनुसार ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने के लिये अहिंसा, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता ही एकमात्र हथियार था।
गांधी जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा था हालांकि देश को आजादी मिलने तक उन्होंने अपने अहिंसा आंदोलन को जारी रखा था। उनका विश्वास हमेशा सामाजिक समानता में था और वह अस्पृश्यता के भी खिलाफ थे। देश की राजधानी नई दिल्ली में गांधीजी की समाधि या राजघाट पर बहुत सी तैयारियों के साथ गांधी जयंती मनायी जाती है।
राजघाट के समाधि स्थल को फूलों की माला से सजाया जाता है और गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। समाधि पर सुबह के समय धार्मिक प्रार्थना भी रखी जाती है। इसे पूरे देशभर में स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थियों के द्वारा राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है। गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित नाट्य ड्रामा, कविता व्याख्यान, गायन, भाषण, निबंध लेखन आदि प्रतियोगिताएं भी होती हैं। महात्मा गांधी की याद में लोग गांधी जी का सबसे प्रिय गीत “रघुपति राघव राजा राम” भी गाते हैं।
महात्मा गांधी देश के नेताओं और खासतौर से देश के युवाओं के लिये प्रेरणादायी स्रोत हैं। कई महान नेता जैसे मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला, जेम्स लॉसन आदि भी गांधी जी के अहिंसा और स्वतंत्रता की लड़ाई के लिये शांतिपूर्ण तरीकों से प्रेरित हुए। भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों के लोग भी महात्मा गांधी के विचारों का अनुसरण करते हैं।
गांधी जयंती पर निबंध 500 शब्द में
भारत में प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन वर्ष 1869 को गांधीजी का जन्म हुआ था। हमारे देश की आजादी में राष्ट्रपिता का योगदान सबसे अहम था, इसीलिए हर साल उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय उत्सव और अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन सरकारी छुट्टी होती है। इस अवसर पर स्कूलों और सरकारी संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में तो खासतौर से निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। सभी सरकारी जगहों पर गांधीजी को श्रद्धांजलि दी जाती है। गांधी जयंती पर लोग गांधी जी के आदर्शों के महत्त्व को समझते हुए अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं।
देश की आजादी में गांधीजी का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर ही ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद करवाया। गांधी जी ने न सिर्फ देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई बल्कि वह भारत के साथ कई अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए।
गांधी जी ने 4 महादेशों और 14 देशों में लोगों को नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरित करने का काम भी किया, तो वहीं भारत में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों की शुरुआत की। देश की आजादी के लिए गांधी जी हमेशा आगे रहे और हर भारतीय की आवाज़ बने। गांधी जी का सपना न केवल देश की आजादी था बल्कि वह देश को भी एकता के सूत्र में बंधा हुआ देखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की।
गांधी जी अपने सिद्धांतों के प्रति अपनी अंतिम सांस तक प्रतिबद्ध रहे। महात्मा गांधी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे। गांधी जी के विचार और सिद्धांत ऐसी कई समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, जिनका सामना आज हम सब कर रहे हैं।
गांधी जी ने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते समय संयम और करुणा, दोनों का अनुपालन करने की सलाह दी और स्वयं इनका पालन करके मिसाल कायम करते हुए नेतृत्व प्रदान किया। गांधी जी अपना शौचालय स्वयं ही साफ किया करते थे और वह चाहते थे कि सभी को अपने आसपास के वातावरण को साफ और स्वच्छ बनाकर रखना चाहिए। वह पानी को भी कम से कम बर्बाद करने की सलाह देते थे। गांधी जी ने भारत की आज़ादी के साथ-साथ ग्रामीण विकास, कृषि प्रधान देश, साफ-सफाई को बढ़ावा, खादी को प्रोत्साहन, महिलाओं का सशक्तीकरण और आर्थिक समानता सहित कई महत्त्वपूर्ण चीज़ों पर भी विशेष ध्यान दिया। गांधी जी की सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने हर भारतीय को इस बात का अहसास दिलाया था कि वे देश की आज़ादी के लिए ही काम कर रहे हैं।
उन्होंने अध्यापक, वकील, डॉक्टर, किसान, मजदूर, उद्यमी आदि सभी लोगों के में ये आत्मविश्वास भर दिया था कि जो कुछ भी वे कर रहे हैं उसी से वे भारत के स्वाधीनता संग्राम में अपना योगदान दे रहे हैं। गांधी जी के इन्हीं महान विचारों के लिए दुनिया उन्हें युग-युगांतर तक याद करती रहेगी।
ये भी पढ़ें
- महात्मा गांधी की जीवनी
- गांधी जयंती पर भाषण
गांधी जयंती पर 10 लाइनें
- भारत में हर साल 2 अक्टूबर का दिन गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
- महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
- उन्हें बापू या राष्ट्र का पिता भी कहा जाता था।
- बापू का जन्म 02 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नाम के एक छोटे से गांव में हिंदू परिवार में हुआ था।
- उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था और मां का नाम पुतिलिबाई था।
- 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
- उन्होंने भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लगातार धैर्य और साहस के साथ लड़ाई लड़ी।
- गांधी जी ने देश को आजाद करवाने के लिए असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, दांडी मार्च, खिलाफत आंदोलन आदि अन्य कई आंदोलन चलाए।
- गांधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे और वह कई बार जेल भी गए थे।
- 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की छाती में तीन गोलियां दागकर उनकी हत्या कर दी।
गांधी जयंती पर FAQs
प्रश्न- गांधी जयंती कब और क्यों मनाई जाती है?
उत्तर : गांधी जयंती 2 अक्टूबर को मनाई जाती है क्योंकि इस दिन देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जन्मदिवस होता है।
प्रश्न- गांधी जी का जन्मदिन क्यों मनाया जाता है?
उत्तर : 2 अक्टूबर को ही गांधीजी का जन्म हुआ था। देश की आजादी में राष्ट्रपिता के योगदान को देखते हुए हर साल उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है।
प्रश्न- महात्मा गांधी का पहला आंदोलन कौन सा था?
उत्तरः चंपारण सत्यग्रह।
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गांधी जयंती पर निबंध | महत्व | उत्सव Essay on Gandhi Jayanti in Hindi
गांधी जयंती पर निबंध essay on gandhi jayanti in hindi.
वह महान राजनीतिक नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनके द्वारा सत्य, शांति और अहिंसा के मार्ग का उपयोग करके हम अपने देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के लिए किए गए उनके संघर्ष और कड़ी मेहनत को कभी भूला नहीं सकते हैं।
महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ “सत्याग्रह आंदोलन” के रूप में अपने अहिंसक प्रतिरोध किये। महात्मा गांधी द्वारा “सत्याग्रह आंदोलन” की तरह कई अन्य आन्दोलन किए गए थे, 1942 में “भारत छोड़ो आंदोलन” या “भारत अगस्त आंदोलन” के साथ 1942 में “दांडी मार्च” थे, जो भारत को अंग्रेजों से मुक्त करने के लिए महात्मा गांधी जी के प्रमुख हथियार थे। इन गतिविधियों के कारण, उन्हें कई बार गिरफ्तार भी कर लिया गया । अंत में 15 अगस्त 1947 को भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी मिली।
Table of Content
2 अक्टूबर, गांधी जयंती का उत्सव Celebration of Gandhi Jayanti
हमारे राष्ट्र पिता के रूप में कहे जाने वाले “महात्मा गांधी” की जन्म तिथि हर साल हम 2 अक्टूबर, को राष्ट्रीय उत्सव और बहुत हर्षोल्लास के साथ मानते है| हम इसे “गांधी जयंती” के नाम से जानते है। हमारे देश में, केवल तीन विशेष दिन राष्ट्रीय त्योहार के रूप में घोषित किए गये हैं, ये 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस , 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस और 2 अक्टूबर को गांधी जयंती है।
गांधी जयंती मुख्य रूप से महात्मा गांधी को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारतीय स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष किया था। 2 अक्टूबर का यह दिन का महत्व महान है- इसे अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी जाना जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महात्मा गांधी जी को सम्मान देने के लिए विश्व भर में अहिंसा को बढ़ावा देने के लिए 15 जून 2007 को इसे लागू करने का फैसला किया|
इस शुभ दिन पर, गांधी जयंती उत्सव राजघाट में “महात्मा गांधी के स्मारक” में मनाया जाता है जहां हमारे देश के प्रतिष्ठित लोग बापू के संस्कारित स्थान पर फूल मालायें चढ़ाते हैं और उनके पसंदीदा भक्ति गीत “रघुपति राघव राजा राम ” आमतौर पर उनकी स्मृति में गाए जाते हैं।
गांधीजी के अनुसार, आज़ादी प्राप्त करने के लिए सच्चाई और अहिंसा को ही एकमात्र साधन मानते थे। वह कई बार जेल भी गए। महात्मा गांधी हमेशा सामाजिक असमानता और अस्पृश्यता के खिलाफ विश्वास करते थे।
स्कूलों और कॉलेजों में उत्सव Celebration at School and Colleges
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा और गांधी के प्रयासों जैसे विषयों पर स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षिक संस्थानों में नाटक, खेल और भाषण पठन जैसी विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। निबंध लेखन प्रतियोगिता, महात्मा गांधी नारा प्रतियोगिता, गांधी जयंती भाषण प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, और चित्रकला प्रतियोगिताओं जैसी अन्य मजेदार गतिविधियां हमेशा विभिन्न संस्थानों के छात्रों के लिए आयोजित की जाती हैं।
गांधीजी ने असहयोग आंदोलन (1920) , दांडी मार्च (1930) और क्विट इंडिया मूवमेंट (1942) जैसे विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया हैं। ये सभी आंदोलन बेहद सफल थे और युवाओं द्वारा समर्थित भी थे।
स्वतंत्रता के लिए भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी की भूमिका Role of Mahatma Gandhi in the Indian National Movement
गांधी जी के नेतृत्व में सबसे महान और सबसे सफल आंदोलनों में से एक चंपारण आंदोलन था। जब महात्मा गांधी भारत लौट आए, तो उन्होने देखा भारत के किसानों कितनी समस्याओं का सामना कर रहे है|
चंपारण उत्तरी बिहार में स्थित एक छोटा सा जिला है। जहां, किसानों को अपने छोटे टुकड़ों पर नील की खेती करने के लिए मजबूर होना पड़ा| वास्तव में, किसानों को अपने उपजाऊ भूमि पर नील की खेती करके भारी नुकसान पहुंचा।
गांधी ने गरीब किसानों को उनकी मजदूरी में वृद्धि के लिए भी संघर्ष का नेतृत्व किया और इसमें सफलता भी मिली। आंदोलन के बाद मजदूरी में 35% की वृद्धि हुई थी। 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा गांधी जयंती के अवसर को “अहिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस” घोषित किया गया है। हिंदू राष्ट्रवादी नाथू राम गोडसे के हमले के कारण 30 जनवरी 1948 को उनकी मृत्यु हो गई थी।
निष्कर्ष Conclusion
गांधी जयंती का जश्न मनाने का उद्देश्य महात्मा गांधी के दर्शन, सिद्धांतों और अनमोल विचारों को लोगों तक पहुँचाना है और दुनिया भर में लोगों में अहिंसा और विश्वास की भावना उत्पन्न कराना है। इन तरीकों से, हम हर साल हमारे महान नेता को दिल से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। हम बापू को हर गांधी जयंती पर उनके महान कर्मों के लिए याद करते हैं।
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महात्मा गांधी पर निबंध | Mahatma Gandhi Essay in Hindi
महात्मा गांधी पर निबंध, 200, 250, 300, 500, 1000 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi, 200, 250, 300, 500, 1000 words, Mahatma Gandhi Par Nibandh Hindi Mein)
Mahatma Gandhi Essay in Hindi – मोहनदास करमचन्द गांधी एक ऐसे महान पुरुष थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा और मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था. गांधी जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी ख्याति न केवल अपने देश में बल्कि पुरे संसार में भी फैली हुई थी. गांधी का कहना था कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने से ही भारत को स्वतंत्र किया जा सकता है, और इसी अटूट विश्वास के फलस्वरूप उन्हें जनता का भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए यही रास्ता चुना और वे किसी भी तरह की अहिंसक कार्रवाई के घोर विरोधी थे.
गांधी जी ने आखिरकार सत्य और अहिंसा को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल करके कई वर्षों तक ब्रिटिश हुकूमत के अधीन रहे भारत देश को आजाद कराया. भारत में अंग्रेजों द्वारा भारतीय जनता पर अत्याचार किए जा रहे थे और निर्बलों तथा रक्षाहीनों का पूंजीवादी शोषण अपने चरम पर था. गांधीजी को इन सभी कारकों के परिणामस्वरूप राजनीति में प्रवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उन्होंने मानवता को अपने धर्म के रूप में देखा था.
गांधीजी का कहना था, मैं तब तक धार्मिक जीवन व्यापन नहीं कर सकता जब तक कि मैं खुद को पूरी मानवता के साथ आत्मसात नहीं कर लेता और मैं इसे तब तक पूरा नहीं कर सकता जब तक मैं राजनीति में नहीं आता. राजवैद्य जीवराम कालिदास ने साल 1915 में पहली बार गांधी जी के लिए “महात्मा” की उपाधि का प्रयोग किया. था. चूंकि उन्होंने देश की स्वतंत्रता में सबसे बड़ा योगदान दिया, इसलिए महात्मा गांधी को भारतीय लोग भगवान के रूप में पूजते हैं, जो उन्हें बापू के रूप में संदर्भित करते हैं. आज के इस आर्टिकल में हम आपको महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ) बताने जा रहे है.
Table of Contents
महात्मा गांधी पर निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi)
महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (mahatma gandhi essay in hindi 200 words).
महात्मा गांधी का जन्म पश्चिम भारत (अब का गुजरात) में 2 अक्टूबर वर्ष 1869 को हुआ. इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गाँधी था. गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद्र गाँधी था था. इनके पिता काठियावाड़ की रियासत के दीवान हुआ करते थे. माता की आस्था और स्थानीय जैन रीति-रिवाजों के फलस्वरूप गांधीजी के जीवन पर इस धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा. 13 साल की उम्र में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से हुआ था.
गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से पूरी हुई, इसके बाद वे राजकोट और अहमदाबाद गए जहां से उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह लंदन चले गए जहां से उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की.
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महात्मा गांधी का सोचना था कि भारतीय शिक्षा को संचालित करने के लिए सरकार नहीं, बल्कि समाज को जागरूक होना चाहिए. इस वजह से महात्मा गांधी ने एक बार भारत की शिक्षा को “द ब्यूटीफुल ट्री” से संबोधित किया था. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया. इनका कहना और सपना था कि देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित हो. और “शोषण विहिन समाज की स्थापना” करना गांधीजी का मूल मंत्र था.
महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 250 Words)
हमारे देश भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ. गांधीजी की माता पुतलीबाई और पिता करमचंद गांधी थे. मोहनदास करमचंद्र गांधी को ज्यादातर लोग बापू या राष्ट्रपिता के रूप में संदर्भित करते हैं. इस बात का कोई निश्चित रिकॉर्ड नहीं है कि शुरू में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में किसने संदर्भित किया था, लेकिन साल 1999 में गुजरात के उच्च न्यायालय के समक्ष जस्टिस बेविस पारदीवाला द्वारा लाए गए एक मामले के परिणामस्वरूप, रवींद्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले सभी टेस्टबुक में गांधीजी को फादर ऑफ नेशन कहा, और इसके बाद यह आदेश जारी किया.
गांधी जी जब विदेश से वकालत की पढाई करके लौटे तब भारत में अंग्रेजी हुकूमत का राज था. इस अंग्रेजी हुकूमत की नीवं की उखाड़ फैकने के लिए महात्मा गांधी जी ने कई क्रांतिकारी लड़ाई लड़ी. देश को आजादी दिलाने के लिए स्वराज और नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, दाढ़ी मार्च, स्वतंत्रता और भारत का विभाजन और भारत छोड़ो आंदोलन निकाले गए.
अंत में महात्मा गांधी के नेतृत्व और कई प्रयासों के कारण भारत को आजादी मिली. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए सत्य और अहिंसा का रास्ता चुना. महात्मा गांधी से पहले भी लोग सत्य और अहिंसा के बारे में जानते थे, परन्तु गांधी जी ने जिस प्रकार शान्ति और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सत्याग्रह किया, उससे अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा. गांधी जी का जीवन सादगी पूर्ण था. वे स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर जोर देते थे और हमेशा सफेद वस्त्र धारण करते थे.
महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 500 Words)
भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने लौह मन वाले देश की जनता को 200 साल से भी ज्यादा समय से चली आ रही ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाई.
महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन
नीचे हम आपको महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन के बारे में बताने जा रहे हैं-
चंपारण सत्याग्रह आंदोलन – साल 1917 में महात्मा गांधीजी के निर्देशन में बिहार के चंपारण क्षेत्र में सत्याग्रह आंदोलन हुआ. इसे चंपारण का सत्याग्रह भी कहा जाता है. यह गांधी के नेतृत्व में भारत में प्रारंभिक सत्याग्रह आंदोलन था. गांधी ने किसान आंदोलन के दौरान भारत में पहला सफल सत्याग्रह प्रयोग किया. यह आंदोलन नील उत्पादकों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ था, जो एक जबरदस्त और सफल आंदोलन बन गया.
खेड़ा आंदोलन – यह आंदोलन भी किसान से जुड़ा आंदोलन था। जब गुजरात के एक गाँव खेड़ा में बाढ़ आई, तो स्थानीय किसानों ने अधिकारियों से करों (टैक्स) को माफ़ करने के लिए गुहार लगाई. इसे लेकर गांधी जी ने हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की. और किसानों ने कर न देने का संकल्प लिया. साथ ही किसानों ने सामाजिक बहिष्कार का आयोजन किया. परिणामस्वरूप वर्ष 1918 में सरकार ने अकाल के अंत तक राजस्व कर संग्रह की शर्तों में ढील दी.
रॉलेट एक्ट का विरोध – अंग्रेजी सरकार ने साल 1919 में बढ़ते आंदोलनों के भीतर स्वतंत्रता की बढ़ती आवाज को दबाने के लिए रॉलेट एक्ट लाया गया. इसे काला कानून भी कहा जाता है. इस एक्ट के अंतर्गत वायसराय कुछ कामों की छुट मिल गई जिसमे किसी भी राजनेता को किसी भी पल गिरफ्तार करने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार किया जा सकता है. गांधी के रहते हुए भारत की जनता ने इस एक्ट का पुनर्जोर विरोध किया.
असहयोग आंदोलन – गांधी जी और कांग्रेस के नेतृत्व में साल 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया गया. गांधीजी का सोचना था कि ब्रिटिश हुकूमत में निष्पक्ष न्याय प्राप्त करना असंभव था, इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से देश के सहयोग को हटाने के लिए असहयोग आंदोलन की योजना बनाई. इस आंदोलन ने देश की आजादी में एक नया जीवन प्रदान किया.
नमक सत्याग्रह – नमक सत्याग्रह को दांडी सत्याग्रह और दांडी मार्च के रूप में जाना जाता है. साल 1930 में जब अंग्रेजी हुकूमत ने नमक टैक्स लगाया तो महात्मा गांधी ने इस कानून के विरोध में यह आंदोलन शुरू किया. गांधी सहित 78 लोग अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से 390 किलोमीटर पैदल चलकर दांडी के तटीय गांव पहुंचे. यह यात्रा 12 मार्च को शुरू हुई और 6 अप्रैल, 1930 तक चली. कुल 24 दिनों तक चली इस यात्रा में हाथों पर नमक प्राप्त करके नमक-विरोधी नियम का उल्लंघन करने का आह्वान किया गया.
दलित आंदोलन – 8 मई, 1933 को, महात्मा गांधी ने छुआछूत की व्यापक प्रथा के विरोध में दलित आंदोलन शुरू किया. इस आंदोलन ने देश को इस हद तक प्रभावित किया कि छुआछूत काफी हद तक समाप्त हो गया. गांधी जी ने इससे पहले साल 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की भी स्थापना की थी.
भारत छोड़ो आंदोलन – साल 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बॉम्बे सत्र के दौरान गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. यह आंदोलन ब्रिटिश प्रभुत्व के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ. इस आंदोलन के कारण अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा.
महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन (10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi)
- गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है.
- गांधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर जिले में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था.
- इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गांधी था.
- इनके पिता एक दीवान थे और माँ जैन धर्म के प्रति सद्भावना थी.
- सिर्फ 13 साल की उम्र में इनका विवाह कस्तूरबा के साथ हुआ.
- स्कूल और कॉलेज की पढाई भारत से और कानून की पढाई लंदन से पूरी की.
- देश की आजादी के दौरान पहला आंदोलन चम्पारण था.
- गांधी जी देश के राष्ट्रपिता के साथ साथ राजनीतिक और समाज सुधारक भी थे.
- गांधीजी द्वारा निर्मित प्रथम ‘सत्याग्रह आश्रम’ मौजूदा समय में एक राष्ट्रीय स्मारक है.
- गांधी जी के जीवन में तीन मूल मन्त्र – सत्य, अहिंसा और ब्रम्हचर्य.
निष्कर्ष – आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ). उम्मीद करते है आपको यह जानकरी जरूर पसंद आई होगी.
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गाँधी जयंती पर निबंध: Gandhi Jayanti per Nibandh Hindi Me [2023]
Gandhi jayanti essay in hindi: 2 अक्टूबर भारतीयों और दुनिया भर के लोगों के लिए एक विशेष अवसर है। भारत में, हम इस दिन को गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे 'अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस' (international day of non violence) के रूप में मनाया जाता है। इस आर्टिकल में school students के लिए गांधी जयंती पर 100, 200 और 500 शब्दों में निबंध दिया गया है।.
गांधी जयंती पर निबंध कैसे लिखें?
- एक अच्छा निबंध लिखने का रहस्य आसान है: इसे संक्षिप्त, सरल रखें।
- अपने निबंध को तीन भागों में बाँटें: परिचय, मुख्य भाग और निष्कर्ष।
- अपने निबंध की शुरुआत महात्मा गांधी quote या slogan से करें।
- पहले पैराग्राफ में महात्मा गांधी और गांधी जयंती समारोह का परिचय दें।
- गांधी जी के जीवन और कार्य पर विस्तार से प्रकाश डालें।
- गांधी जयंती मनाने के महत्व के बारे में बात करते हुए समापन करें।
गांधी जयंती जीवन परिचय
- मोहनदास करमचंद गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात के एक सामान्य परिवार में हुआ था।
- उनके पिता का नाम करमचंद गाँधी एवं उनकी माता का नाम पुतलीबाई था।
- माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव की थीं एवं पिता करमचंद बहुत सज्जन थे और इसका गांधीजी के व्यक्तित्व पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा|
- गाँधीजी ने प्राथमिक और उच्च शिक्षा गुजरात में प्राप्त की।
- बापू बचपन में एक साधारण छात्र थे|
- स्वभाव से गांधीजी अत्यधिक शर्मीले एवं संकोची थे।
- उन्होंने अपने असाधारण कार्यों एवं अहिंसावादी विचारों से केवल भारत देश की नहीं बल्कि पूरे विश्व की सोच बदल दी।
- उनके जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में 2 अक्टूबर को विषा शांति दिवस मनाया जाता है|
गांधी जी द्वारा बताई गई कुछ प्रसिद्ध सूक्तियां
- "ईमानदार मतभेद आम तौर पर प्रगति के स्वस्थ संकेत हैं।"
- "आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों।"
- "उस प्रकार जिएं कि आपको कल मर जाना है। सीखें उस प्रकार जैसे आपको सदा जीवित रहना हैं।"
- "अहिंसा सबसे बड़ा कर्तव्य है। यदि हम इसका पूरा पालन नहीं कर सकते हैं तो हमें इसकी भावना को अवश्य समझना चाहिए और जहां तक संभव हो हिंसा से दूर रहकर मानवता का पालन करना चाहिए।"
- "बेहतर है कि हिंसा की जाए, यदि यह हिंसा हमारे दिल में हैं, बजाए इसके कि नपुंसकता को ढकने के लिए अहिंसा का शोर मचाया जाए।"
- "आपको मानवता में विश्वास नहीं खोना चाहिए। मानवता एक समुद्र है, यदि समुद्र की कुछ बूंदें सूख जाती है तो समुद्र मैला नहीं होता।"
- "व्यक्ति को अपनी बुद्धिमानी के बारे में पूरा भरोसा रखना बुद्धिमानी नहीं है। यह अच्छी बात है कि याद रखा जाए कि सबसे मजबूत भी कमजोर हो सकता है और बुद्धिमान भी गलती कर सकता है।"
100 शब्दों में गाँधी जयंती पर निबंध: Essay on Gandhi Jayanti in 100 Words
हर साल 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती भारत में गाँधी जयंती के रूप में मनाई जाती है. ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त करने के लिए लड़ाई लड़ने में बापू के योगदान को याद करने के लिए यह दिन पूरे देश में बड़े शौक के साथ मनाया जाता है।
200 शब्दों में गाँधी जयंती पर निबंध: Gandhi Jayanti Essay in English 200 Words
2 अक्टूबर को भारत में महात्मा गांधी की जन्मजयंती मनाई जाती है, जिन्हें अधिकांश विश्व में "गांधी" के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अहिंसा का प्रचार किया और दुनिया को यह सिखाया कि शब्दों की ताकत से बुराइयों को अच्छाइयों में बदला जा सकता है। यह दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है और विश्वभर में 'अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में मान्यता प्राप्त है, क्योंकि उन्होंने अहिंसावादी स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख योगदान दिया।
500 शब्दों में गाँधी जयंती पर निबंध: Essay on Gandhi Jayanti in 500 Words
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाने के लिए भारत हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाता है। ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त करने और भारत के आम लोगों की उनके अधिकारों, खुशी और जीवन के लिए लड़ाई लड़ने में बापू के योगदान को याद करने के लिए यह दिन पूरे देश में बड़े शौक और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
2 अक्टूबर 2023 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 154वीं जयंती समारोह है। उन्हें यह उपाधि एक अन्य प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा दी गई थी। गांधी जयंती भारत में हासिल की गई महान उपलब्धियों, गांधी द्वारा भारतीय लोगों के साथ लड़ी गई बड़ी लड़ाइयों और बुराई पर अच्छाई का प्रतिबिंब है। गांधीजी ने न केवल भारत को ईस्ट इंडिया कंपनी के दुष्ट शासन से मुक्त कराया, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज के सामाजिक मुद्दों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। उन्होंने हमें आत्मनिर्भरता, साहस, अहिंसा, सादगी, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा की शक्ति सिखाई।
महात्मा गांधी की जयंती मनाने के लिए डाकघर, बैंक, स्कूल और अन्य सभी महत्वपूर्ण स्थान दिन बंद रखे जाते हैं। इस दिन शराब और मांस का सेवन भी बापू के सम्मान में वर्जित है. मूर्तियों, सड़कों और बापू के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण स्थानों, जैसे साबरमती आश्रम, राजघाट, इत्यादि को फूलों से सजाया जाता है। उनका पसंदीदा भजन, रघुपति राघव राजा राम स्कूल असेंबली और देश भर में जहां भी गांधी जयंती मनाई जाती है, वहां बजाया जाता है।
भारत के ऐतिहासिक अतीत और क्रांतिकारी आंदोलनों को आकार देने में महात्मा गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, गांधी जयंती को भारत में एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह भव्य उत्सव देश के सम्मानित नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों को प्रमुख महत्व देने और उनसे सर्वश्रेष्ठ प्राप्त करने के लिए अतीत के संघर्षों का सम्मान करने में भारतीयों की खुशी और भक्ति का प्रतीक है।
गांधीजी एक प्रमुख और प्रशंसित अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व थे, इसलिए संयुक्त राष्ट्र ने गांधी के महत्वपूर्ण दर्शन और अहिंसक सिद्धांत को चिह्नित करने के लिए 2 अक्टूबर को 'अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में घोषित किया है। भारत सरकार इस शुभ अवसर पर देश में गांधी से संबंधित स्थानों पर स्मारक सेवाओं और श्रद्धांजलि का आयोजन करती है। देश के उन नागरिकों को पुरस्कार और बैज प्रदान किए जाते हैं जिन्होंने राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
देश भर के स्कूल विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते हैं जैसे निबंध प्रतियोगिताएं, भाषण प्रतियोगिताएं, कविता प्रतियोगिताएं, नाटक, पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताएं, ड्राइंग और पेंटिंग प्रतियोगिताएं, स्वच्छता या वृक्षारोपण अभियान, आदि। इन सभी गतिविधियों का उद्देश्य महात्मा गांधी के बारे में ज्ञान प्रदान करना और भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने में भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्षों के बारे में सिखाना है।
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- गांधी जयंती सरल शब्दों में क्या है? + हर साल 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती भारत में गाँधी जयंती के रूप में मनाई जाती है.
- गांधी जयंती पर निबंध कैसे लिखें? + एक अच्छा निबंध लिखने का रहस्य आसान है: इसे संक्षिप्त, सरल रखें। अपने निबंध को तीन भागों में बाँटें: परिचय, मुख्य भाग और निष्कर्ष। अपने निबंध की शुरुआत महात्मा गांधी quote या slogan से करें।
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Mahatma Gandhi essay in Hindi | महात्मा गाँधी पर निबंध 200, 300, 500 और 1000 word मे
Mahatma Gandhi essay in Hindi : महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता और एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत पर कई आंदोलन चलाए थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी ( Mohandas Karamchand Gandhi ) था, जिनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को ब्रिटिश शासन (अंग्रेजों) से आजाद कराया था।
गांधी जी एक महान विचारक और समाज सुधारक भी थे, जिन्होने सामाजिक कुरितियों जैसे जातिवाद, छुआछुत और बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई थी। इसके अलावा उन्होने स्वदेशी आंदोलन का भी नेतृत्व किया था। ऐसे महान व्यक्ति के बारे में आपको जरूर पढ़ना चाहिए।
स्कूलों में अक्सर Mahatma Gandhi Essay in Hindi में लिखने के लिए कहा जाता है। इसलिए मैं आपको महात्मा गाँधी पर निबंध 200, 300, 500 और 1000 word मे लिखकर दूंगा, जिससे निबंध प्रतियोगिता में बहुत अच्छे अंक ला सकते है।
महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi essay in Hindi
महात्मा गांधी, जिन्हें भारत में “ बापू ” या “ राष्ट्रपिता ” के नाम से भी जाना जाता है, वे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और महान विचारक थे। उन्होंने अहिंसा, सत्य और प्रेम के सिद्धांतों के आधार पर भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने इंग्लैंड में कानून (वकालत) की पढ़ाई की और फिर भारत लौटने के बाद एक वकील के रूप में काम किया। 1893 में, वे दक्षिण अफ्रीका चले गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी।
1915 में भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने भारत में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया था, जिनमें दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन शामिल थें।
महात्मा गांधी के सफल आंदलनों की वजह से ब्रिटिश शासन काफी कमजोर हुआ, और अंतत: 1947 में उन्हे भारत छोड़ना पड़ा। इस तरह भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में गांधी जी का काफी योगदान था। गांधी जी एक महान सत्य और अहिंसा प्रचारक थे, जिन्होने अपनी पूरी जिंदगी में इन सिद्धांतों का पालन किया और दुनिया भर के लोगों को भी प्रेरित किया।
महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में – Gandhi Jayanti per Nibandh Hindi
प्रस्तावना.
महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति है जिन्हे भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में भारत के पोरबंदर स्थान पर हुआ था। उन्होने अपनी पूरी जिंदगी में केवल अहिंसा और सत्य के सिद्धांतो पर कार्य किया।
गांधी जी भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे, जिनका भारत की आजादी में काफी बड़ा योगदान रहा है। उन्होने काफी सारे सफल आंदोलनों का नेतृत्व किया हैं।
महात्मा गांधी का जीवन
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, जिनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतली बाई था। गांधी जी ने प्रारंभिक जीवन में हिंदू शिक्षा प्राप्त की, जिसमें उन्होने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषाओं का अध्ययन किया।
1888 में, गांधी जी कानून की पढ़ाई के लिए लंदन गए, जहां पढ़ाई पूरी करने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय कंपनी में काम करने गए। वहां पर उन्होने भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव पर एक सफल आंदोलन किया।
इसके बाद गांधी जी 1915 में भारत लौटे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व संभाला। और फिर गांधी जी ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए काई आंदोलनों का नेतृत्व किया, जैसे- सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन आदि।
महात्मा गांधी राष्ट्रपिता के रूप में
महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया है, क्योंकि उन्होने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में काफी बड़ा योगदान दिया था, और इसके अलावा उन्होने भारत को अहिंसा, सत्य और प्रेम की शिक्षा भी दी है।
उपसंहार
महात्मा गांधी काफी महान व्यक्ति थे, जिन्होने भारत देश को आजादी दिलाने में काफी बड़ा योगदान दिया। इसके अलावा भारत को एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित किया। उन्होने पूरे विश्व में लोगों के बीच समानता और भाईचारे को बढ़ावा देने की शिक्षा। और एक सादा और स्वेदशी जीवन जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया।
महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में
महात्मा गांधी काफी एक बहुत ही महान पुरुष थे जिन्होने पूरे विश्व को अहिंसा, सत्य और प्यार का पाठ पढ़ाया था। गांधी जी के इन्ही सिद्धांतों की वजह से उन्हे केवल भारत में ही नही बल्कि पूरे संसार में महान पुरुष माना जाता है।
गांधी जी ने काफी सारे शांतिपूर्वक आंदोलन किए थे, जिसकी वजह से अंग्रेजो को भारत को छोड़ना पड़ा था। गांधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे, और इसके साथ – साथ एक अच्छे समाज सुधारक भी थे। उन्होने अपनी पूरी जिंदगी में लोगों के बीच समानता और भाईचारा लाने का काम किया। उन्होने महिलाओं के अधिकारों, दलितों के अधिकारों और श्रमिकों के अधिकारों के लिए भी काम किया।
गांधी जी का परिवार
महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदा करमचंद गांधी है और इनके पिता का नाम करमचंद गांधी है। इसके अलाव इनकी माता का नाम पुतलीबाई है। गांधी जी अपने पिता की चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे।
गांधी जी की माता अत्यधिक धार्मिक महिला थी, जिनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। इसके अलावा गांधी जी के पिता, करमचंद गांधी ब्रिटिश आधिपत्य के तहत पश्चिमी भारत की एक छोटी सी रियासत पोरबंदर के दिवान थे।
गांधी जी के परिवार में 4 बेटे और 13 पोते-पोतियां हैं। अगर आज के समय की बात करें तो उनके पोते-पोतियां और उनके 154 वंशज आज 6 देशों रह रहे हैं।
महात्मा गांधी की शिक्षा
गांधी जी ने प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से ही प्राप्त की थी, जहां उन्होंने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषओं का अध्ययन किया। इसके बाद 1888 में गांधी जी कानून की पढ़ाई के लंदन गए। वे लंदन विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई पूरी करके दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होने एक भारतीय कंपनी में काम किया।
दक्षिण अफ्रीका में सक्रियता
जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका गए तब उन्होने देखा कि वहां भारतीय लोगों के साथ भेदभाव हो रहा है। वहां पर नस्लीय भेदभाव भी हो रहा था। उस समय महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्य के सिद्धातों से एक आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को भी अधिकार मिले।
स्वदेश आगमन
दक्षिण अफ्रीका में सफल आंदोलन करने के बाद गांधी जी 1915 में स्वदेश लौट आए। इसके बाद उन्होने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व संभाला और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को एक नयी दिशा दी। उन्होने अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर एक स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसने ब्रिटिश शासन काफी प्रभावित किया।
गांधी जी ने भारत आने के बाद काफी सारे आंदोलन किए, और सभी आंदोलन अंहिसा और शांतिपूर्वक तरीके से किए थे, जिससे उनके अधिकतर सभी आंदोलन सफल हुए थे।
महात्मा गांधी का जीवन काफी शिक्षाप्रद था। उन्होने पूरे विश्व को कई शिक्षाएं दी, जैसे- अहिंसा, सत्य, सादगी, स्वदेश प्रेम, सेवा। गांधी जी की शिक्षाएँ दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणाएं है, जिससे एक बेहतर और अधिक न्यायपूर्ण दुनिया बनायी जा सकती है। इसलिए हम सभी को महात्मा गांधी जी की शिक्षाओं को अपनाना चाहिए।
महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में – Mahatma Gandhi essay in 1000 Word
महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi ) एक अच्छे समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी और आध्यात्मिक नेता थे। इसी वजह से गांधी जी को भारत में “ राष्ट्रपिता” और “ बापू” के नाम से जाना जाता है। उन्होने काफी सारे अंदोलन किए थे, और सभी आंदोलन अहिंसा, सत्य और प्रेम के सिद्धांतों पर आधारित थे।
महात्मा गांधी जी का जन्म
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था, जो राजकोट राज्य के दिवान थे। और उनकी माता का नाम पुतली बाई था, जो एक धार्मिक गृहिणी थी। महात्मा गांधी जी अपने परिवार में सबसे छोटे थे।
महात्मा गांधी जी की शिक्षा
महात्मा गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही प्राप्त की थी। उन्होने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषाओं का अध्ययन किया था, और सा एक पारंपरिक हिंदू शिक्षा प्राप्त की। गांधी जी ने पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती।
गांधी जी की तेरह वर्ष में पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा के साथ विवाह करवा दिया गया था, जब वे स्कूल में पढ़ते थे। युवा अवस्था में गांधी जी ने 1887 में जैसे-तैसे ‘मुबंई यूनिवर्सिटी’ की मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित ‘सामलदास कॉलेज’ में दाखिला लिया।
गांधी जी एक डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन वैष्णव परिवार में चीर-फाड़ की इजाजत नही थी, इसलिए उन्हे बैरिस्टर (कानून) की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जाना पड़ा।
महात्मा गांधी जी की विदेश यात्रा
सितंबर 1888 में, गांधी जी लंदन (इंग्लैंड) पहुंच गए। वहां पर उन्होने चार लॉ कॉलेज में से एक ‘इनर टेंपल’ कानून महाविद्यालय में प्रवेश लिया। उन्होने 1890 में, लंदन विश्वविद्यालय में मैट्रिक की परीक्षा दी।
गांधी जी ने अपनी लॉ की पढ़ाई को काफी गंभीरता से लिया। उन्होने लंदन में शाकाहारी रेस्तरां के लिए हड़ताल भी की थी। गांधी जी लंदन वेजिटेरियन सोसाइटी में कार्यकारी समिति के सदस्य बने थे।
दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन
महात्मा गांधी थोड़े समय के लिए इंग्लैंड से भारत आए थे, तब वे अब्दुल्ला के चचेरे भाई के लिए वकील बनने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए, जो दक्षिण अफ्रीका के शिपिंग व्यापारी थे। लेकिन वहां उन्होने देखा कि वहां पर भारतीय लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में एक सत्याग्रह आंदोलन चलाया ताकि वहां रहने वाले भारतीयों को न्यायपूर्ण अधिकार मिले। यह सत्याग्रह आंदोलन अफ्रीका में सात वर्षों से अधिक समय तक चला। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहे, लेकिन गांधी जी के नेतृत्व में सभी भारतीय अल्पसंख्यकों के छोटे से समुदाय ने संघर्ष जारी रखा।
अंतत: दक्षिण अफ्रीका में सभी भारतीयों को न्यायपूर्ण अधिकार मिले।
महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन
दक्षिण अफ्रीका में सफल आंदोलन करने के बाद गांधी जी सन् 1914 में भारत लौट आए। उस समय सभी देशवासियों ने गांधी जी को महात्मा कहकर पुकारना शुरू कर दिया। इसके बाद गांधी जी ने चार वर्ष बारतीय स्थिति का अध्ययन किया।
गांधी जी ने भारत में कई आंदोलनों का सफल नेतृत्व किया था।
1. चंपारण सत्याग्रह आंदोलन
चंपारण सत्याग्रह आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1917 में बिहार के चंपारण जिले में शुरू हुआ था। यह आंदोलन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था।
2. खेड़ा आंदोलन
एक बार गुजरात का एक गांव काफी बुरी तरह से बाढ़ की चपेट में आ गया था, तो स्थानीय किसानों ने कर माफी के लिए शासकों से अपील की। लेकिन शासकों ने उनकी अपील को नही स्वीकारा। इसके बाद गांधी जी ने खेड़ा आंदोलन शुरू किया गया, जिसकी वजह से 1918 में सरकार ने अकाल समाप्ति तक राजस्व कर के भुगतान की शर्तों पर ढील दी।
3. रॉलेट ऐक्ट के विरुद्ध आंदोलन
अंग्रेजों ने भारत में उठ रही आजादी की आवाज को दबाने के लिए 1919 में एक रॉलेट ऐक्ट लगाया था, जिसे काले कानून के नाम से भी जाना जाता था। इस ऐक्ट से ब्रिटिश सरकार किसी भी भारतीय व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी।
उस समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में रॉलेट ऐक्ट के विरोध हुए आंदोलन में पूरा देश शामिल हुआ था।
4. असहयोग आंदोलन
असहयोग आंदोलन काफी महत्वपूर्ण आंदोलन है, जो महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में 1920 में शुरू किया गया था। इस आंदोलन से सभी भारतीयों में स्वतंत्रता के लिए एक नई जागृति पैदा हुई। इस आंदोलन का उद्देश्य था कि ब्रिटिश स्रकार से राष्ट्र के सहयोग को वापिस लेना।
5. नमक सत्याग्रह आंदोलन
महात्मा गांधी के सभी आंदोलनों में से एक सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन यह भी था। यह आंदोलन 12 मार्च 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद में है, से शुरू हुआ, और दांडी गांव तक 24 दिनों तक पैदल मार्च के रूप में चला। यह आंदोलन ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ आंदोलन था।
6. दलित आंदोलन
महात्मा गांधी एक अच्छे समाज सुधारक भी थे, जिन्होने देश में फैल रहे छुआछुत के विरोध में 8 मई 1933 को आंदोलन शुरू किया था। इस आंदोलन ने पूरे देश में काफी हद तक छुआछुत को कम किया था। इसके बाद गांधी जी ने 1932 में छुआछुत विरोधी लीग की स्थापना की थी।
7. भारत छोड़ो आंदोलन
महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ 1942 में एक बहुत बडा आंदोलन छेड़ा, जिसका नाम, भारत छोड़ो आंदोलन था। इस आंदोलन से गांधी जी ने अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबुर किया। इसके साथ ही गांधी जी ने एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन करो या मरो भी शुरू किया, जिससे इस आंदोलन को और मजबूती मिली।
इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार की हुकूम को काफी कमजोर कर दिया था।
महान बलिदान
भारत छोड़ो आंदोलन के बाद बाद ब्रिटिश हुकूमत काफी कमजोर हुई और अंतत: 1947 में पूरा भारत स्वतंत्र हो गया। लेकिन गांधी जब तक जिंदी थे, तब तक देश के उद्धार के लिए काम करते रहे। गांधी जी ने हिंदु और मुस्लिम एकता का अभियान शुरू किया था, लेकिन इससे कुछ लोग खुश नही थे।
30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला भवन में सभा के समय नाथूराम गोड़से ने मौका देखकर गांधी जी को गोली मार दी। हालांकि गांधी जी के मरने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमेशा जिंदा है।
महात्मा गांधी सच में एक महान पुरुष थे, जिन्होने अच्छी तरह से स्वतंत्र सेनानी और समाज सेवक का रोल निभाया। गांधी जी ने शांति और अहिंसा के आधार पर आंदोलन किया और अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबूर किया।
महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नही बल्कि पूरे विश्व पटल पर शांति और अहिंसा का प्रतीक है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती पर ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप मनाने की घोषणा की।
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गांधी जयंती निबंध 2024 – Gandhi Jayanti Essay in Hindi Pdf Download for Class 1-12 Pdf – Gandhi Jayanti par Nibandh
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गांधी जयंती निबंध 2024 – Gandhi Jayanti Essay in Hindi Pdf
आप सभी को दोस्तों मेरा प्रणाम – 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती 2024 है| हम सभी यहा गांधीजी को श्रद्धांजलि देने के लिए इकठे हुए है | हम Mahatma Gandhi Ji के महान व्यक्ति के बारे में बात करेगे |
जिन्होंने हमें सत्य और अहिशा के मार्ग पर चलाना सिखया था | हम गांधी जयंती को पुरे भारत में एक राष्ट्रीय अवकाश के रूप मे मनाते है| महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है |
जिसे हम बापू या राष्ट्रपिता के नाम से भी जानते है | आज आप हमारे साथ पढेगे Mahatma Gandhi Jayanti Essay Hindi और सभी विद्यार्थियो के लिए Nibandh On Bapu For School Student Class LKG UKG And 1 2 3 4 5 6 7 8 सभी कक्षाओं के विद्यार्थी अपनी शाला मे गांधी जयंती पर हिंदी में निबंध को आराम से गाँधी जयंती के अवसर पर प्रस्तुत कर सकते है
गांधी जयंती पर निबंध 2024
महात्मा गांधी जयंती 2 अक्टूबर 2024 : हम सभी को पता है कि 2 अक्टूबर को हर साल गांधी जयंती मनाई जाती हैं. इस दिन एक अन्य महापुरुष जिनका नाम लाल बहादुर शास्त्री है उनकी जयंती भी हैं.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सम्मान देने के लिए गांधी जयंती- Gandhi Jayanti मनाई जाती हैं. सत्य एवं अहिंसा के परम पुजारी राष्ट्रपिता गांधी के जन्म दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता हैं.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे 2007 से मनाना शुरू किया था. गांधीजी के सम्मान में इस दिन छात्रों को महात्मा गांधी जयंती का भाषण, गांधी जयंती के लिए निबंध Gandhi Jayanti par essay, ka nibandh आदि बोलने को कहा जाता हैं. कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के विद्यार्थियों के लिए हम गांधीजी जयंती के लिए निबंध लेकर आए हैं.
यहाँ आपके लिए गांधी जयंती 2022 Class 1, Class 2, Class 3, Class 4, Class 5, Class 6, Class 7, Class 8, Class 9, Class 10 के लिए गांधी जयंती पर निबंध, गांधी जयंती का एस्से,
गांधी जयंती के लिए स्पीच, महात्मा गांधी पर कविता पोएम In Hindi, English, Sanskrat, Gujrati, Marathi, Tamil, Telgu, Punjabi, Urdu में गांधी जयंती का निबंध 100 शब्दों में, 200 शब्दों में, 250 शब्दों में, 300 शब्दों में, 400 शब्दों में, 500 शब्दों में, 10 लाइन महात्मा गांधी पर आदि दी जा रही हैं.
आप सभी को 2 अक्टूबर 2024 गांधी जयंती & शास्त्री जयंती की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं.
महात्मा गांधी जयंती 2024 पर निबंध
गांधी जयंती भारत का राष्ट्रीय पर्व है यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर के उपलक्ष्य में हर साल मनाया जाता हैं. समूचे भारत देश में बड़े ही हर्षोल्लास से गांधी जी की जयंती मनाई जाती हैं.
सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने भारत की आजादी के लिए इन्ही हथियारों को अपनाया. गांधी जी को भारत के राष्ट्रपिता और बापू उपनाम से भी जाना जाता हैं.
महात्मा गांधी ने अपने जीवन कई अहिंसक आंदोलन किये जिनमें चम्पारण, नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो और असहयोग आंदोलन मुख्य थे. आज भी गांधीजी को पूरा विश्व उनके सत्याग्रह की क्षमता के लिए जानता हैं.
मेक इन इंडिया
गांधीजी स्वाधीनता, स्वच्छता और स्वावलंबन के पक्षधर थे, इन्होने अप्रत्यक्ष रूप से मेक इन इंडिया की शुरुआत तो वर्ष 1921 में ही कर दी थी. स्वदेशी अपनाने और विदेशी वस्तुओं का उपयोग न करने पर उनका बड़ा जोर था.
चरखा गांधीजी की निशानी था, वे स्वयं हाथ की बनी खादी की धोती पहना करते थे. आज पूरा विश्व बापू की 150 वीं जयंती को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मना रहा हैं. ये उनके सिद्धांतों की एक बड़ी जीत हैं.
जातिवाद और अस्पृश्यता
बापू में कई से बढ़कर एक गुण थे, वे एक सच्चे देशभक्त तो थे ही साथ ही अच्छे नेता, समाज सुधारक भी थे. इन्होने समाज की कई कुरीतियों को समाप्त करने की भी पहल की. वे जाति व्यवस्था के घोर विरोधी थे.
इन्होने अछूतों को हरिजन का नाम दिया था. गांधी जी बुनियादी शिक्षा और स्वच्छता के भी पक्षधर थे. हिन्दू मुस्लिम भाईचारे के लिए तथा महिला अधिकारों के लिए भी का महत्वपूर्ण योगदान था.
देश के स्कूलों और कॉलेजों में कार्यक्रम
हमारे देश के राष्ट्रीय पर्वों में गांधी जयंती की गिनती की जाती हैं. इस दिन देश के प्रत्येक कोने में स्थापित विद्यालयों कॉलेजों में बापू के जन्म दिवस के अवसर पर विभिन्न तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं.
गांधी जी के संदेशो उनकी शिक्षाओं को जन जन तक पहुचाने के लिए निबंध, पोस्टर, प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता हैं, काव्यकारों द्वारा गांधी जी के जीवन पर कविता, शायरी आदि का वाचन किया जाता हैं.
महात्मा गांधी बापू सच्चे अर्थों में एक महापुरुष थे, जिन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई तो लड़ी ही साथ ही एक नयें युग की नीव भी रखी. उनके सपनों के भारत के खाके को किसी न किसी रूप में आज भी पूरा करने में हर भारतीय अपना योगदान दे रहा हैं.
2 अक्टूबर के दिन गांधी जयंती के दिन हम सभी को बापू को अपना आदर्श मानते हुए उनके बताएं मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए, साथ ही गांधी दर्शन की बातों को समाज में प्रसारित किये जाने की महत्ती आवश्यकता हैं.
गांधी जयंती निबंध 2024 – Gandhi Jayanti Essay in Hindi
भूमिका:- सत्य एवं अहिंसा को मानवता का धर्म मानने वाले गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था. वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बड़े नेताओं में से एक थे.
सत्याग्रह, अहिंसा एवं सादा जीवन और स्वच्छता इनके जीवन के मुख्य सिद्धांत थे. एक ऐसे सैद्धांतिक व्यक्ति से ही प्रभावित हुए बंगाली कवि टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी थी.
सत्य के साथ प्रयोग उनकी आत्मकथा थी. वे हमेशा सत्य की खोज में अपनी भूलों एवं गलतियों पर नयें एक्स्परिमेंट करते थे. अंग्रेजी सत्ता को भारत से बाहिर करने के लिए पहली बार उन्होंने महिलाओं एवं दलितों को आन्दोलन से जोड़ इसे जन आन्दोलन का रूप दिया.
उन्होंने कई व्यापक आन्दोलन चलाकर भारत की आजादी के लिए भूमिका तैयार कर दी थी. वे अस्पर्शयता एवं अस्वच्छता के पूर्ण खिलाफी थे.
गांधी जयंती क्यों मनाते हैं – महात्मा गांधी जिनका पूर्ण नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के काठियावाड़ जिले में हुआ था.
पोरबन्दर में जन्में गांधी के जन्म दिन को गांधी जयंती के राष्ट्रीय पर्व के रूप में देशभर में मनाते हैं. इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाते हैं, तथा सभी सरकारी संस्थाओं, विद्यालयों में सरकारी अवकाश भी होता हैं.
गांधीजी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने दिल्ली में एक प्रार्थना सभा के दौरान कर दी थी. उनकी समाधि राजघाट में बनी हुई हैं. जहाँ पर इस दिन राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री सभी बड़े पदाधिकारी आकर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजली अर्पित करते हैं.
इस दिन देश के भर शैक्षणिक संस्थानों एवं सरकारी कार्यालयों में महात्मा गांधी के कार्यों देश के प्रति उनके योगदान को याद किया जाता तथा उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये जाते हैं.
एक प्रसिद्ध नायककार ने महात्मा गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि आने वाली पीढियां यकीन ही नही करेगी कि भारत में एक समय में ऐसा महान पुरुष हुआ था.
सत्य एवं अहिंसा के पुजारी थे, जिन्होंने भारतीय इतिहास के महापुरुषों की अग्रिम पंकित में स्वयं को स्थापित किया था. भारत के राष्ट्रपिता नव भारत के निर्माता एवं भाग्य विधाता थे.
गांधीजी के पिताजी राजकोट के दीवान थे, उनकी माता का नाम पुतली बाई था जो बेहद धार्मिक महिला थी, जिनकें विचारों का गांधीजी के जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ा. महात्मा गांधी की आरम्भिक शिक्षा पोरबंदर में फिर राजकोट में हुई.
जब वे 18 साल के हुए उन्होंने दसवीं पास कर ली थी तथा वकालत के लिए उन्हें इंग्लैंड भेज दिया गया था. इससे पूर्व इनका विवाह कस्तूरबा गांधी के साथ मात्र तेरह वर्ष की आयु में ही हो चूका था. जब वे इंग्लैंड से वकालत कर घर पहुचे तब तक उनकी माँ पुतली बाई का देहावसान हो चूका था.
जब वे बेरिस्टर की डिग्री लेकर गुजरात लौटे तो उन्हें एक क्लाईट के केस की सुनवाई की सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा. उन्होंने वहां जाकर देखा कि वहां भारतीय लोगों के साथ अंग्रेजों द्वारा रंगभेद चरम पर था. गांधीजी उनका भेदभाव स्वयं भी भुगत चुके थे.
उन्हें एक बार चलती ट्रेन से इसलिए फेक दिया था क्योंकि वे गोरे लोगों के डिब्बे में चढ़ गयें जिनमें काले अर्थात भारतीय लोगों का प्रवेश निषेध था. उन्होंने भारतीय लोगों के लिए न्याय की लड़ाई बड़ी निडरता के साथ लड़ी तथा अन्तः वे इसमें कामयाब भी रहे.
महात्मा गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट आए यहाँ आकर उन्होंने भारत के लोगों के साथ गोरी सरकार द्वारा किये जा रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाई, उन्होंने किसानों के हक़ के लिए उनके साथ कई आन्दोलन किए.
उन्होंने सबसे पहले रोलेट एक्ट का विरोध किया जिनका उन्हें राष्ट्रव्यापी समर्थन भी मिला. जब भारत आजादी की राह पर था तो वे शस्त्र क्रांति की बजाय सत्याग्रह एवं अहिंसा के रास्ते पर चल रहे थे. इस दौरान उन्हें कई बार जेल की यात्रा भी करनी पड़ी थी.
उनके मुख्य आंदोलनों में बिहार का नील सत्याग्रह, दांडी यात्रा, खेड़ा का किसान आन्दोलन महात्मा गांधी के मुख्य सत्याग्रह थे. उन्होंने आम भारतीयों को स्वदेशी अपनाने के लिए संदेश दिया वे खुद चरखा चलाते थे तथा खादी के बने वस्त्र पहना करते थे.
वर्ष 1942 में उन्होंने भारत छोड़ों आन्दोलन की शुरुआत की, इन्ही के अथक प्रयासों के फलस्वरूप 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली, आजादी के बाद भारत में रामराज्य की उनकी कल्पना थी, जो शायद आज तक पूरी नही हो पाई हैं.
गांधीजी छुआछुत में विश्वास नही करते थे, उनका सम्पूर्ण जीवन अछूतों के उद्धार, ग्राम सुधार, नारी शिक्षा और हिन्दू मुस्लिम एकता के संघर्ष में ही व्यतीत हुआ. 30 जनवरी 1948 को दिल्ली की प्रार्थना सभा में जाते समय नाथूराम गोडसे ने गांधीजी पर गोलियां चला दी.
उन्होंने वही पर हे राम कहते हुए प्राण त्याग दिए इस तरह गांधीजी मर कर भी आज जिन्दा हैं. गांधी जयंती पर निबंध आपकों अच्छा लगा हो तो आगे जरुर शेयर करे.
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गाँधी जयंती पर 10 लाइन निबंध। 10 Lines about Gandhi Jayanti in Hindi
आज हम “ गाँधी जयंती पर 10 लाइन निबंध ” लेकर आपके समक्ष आये है इस आर्टिकल में आप “ 10 Lines about Gandhi Jayanti in Hindi ” में पढ़ेंगे।
Table of Contents
Mahatma Gandhi Essay in Hindi
महात्मा गाँधी जी ने देश को आजादी दिलाने लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। महात्मा गाँधी जी के जन्म दिवस को gandhi jayanti के नाम से जाना जाता है। हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनाई जाती है।
महात्मा गांधी, जिन्हें मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से भी जाना जाता है, 20वीं शताब्दी के दौरान भारत में एक राजनीतिक नेता, वकील और आध्यात्मिक नेता थे। गाँधी जी ने अहिंसन आंदोलन के माध्यम से ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया था।
गांधी का जन्म 1869 में ब्रिटिश शासित भारत में हुआ था उन्होंने लंदन में एक वकील के रूप में शिक्षा प्राप्त की थी। वह 1915 में भारत लौट आए और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए, जिसने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन को समाप्त करने की मांग की। ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए सविनय अवज्ञा, हड़ताल और अन्य अहिंसक आंदोलन रणनीति का उपयोग करते हुए, वह जल्दी से आंदोलन के एक बड़े नेता के रूप में उभरे।
गांधी राजनीतिक परिवर्तन प्राप्त करने के साधन के रूप में अहिंसा की शक्ति में विश्वास करते थे, और उनके अहिंसा के प्रति झुकाव का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर एक बड़ा प्रभाव था। उनका मानना था कि अहिंसक प्रतिरोध स्वतंत्रता और न्याय प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है, और उन्होंने भारतीयों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध करने के लिए अहिंसा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने 1930 में दांडी मार्च का नेतृत्व किया, जिसमें हजारों भारतीयों ने ब्रिटिश सरकारी द्वारा नमक पर कर लगाने का विरोध किया था। यह मार्च भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था और पूरे भारत में सविनय अवज्ञा के अन्य कार्यों को प्रेरित करने में मदद की।
1947 में, भारत ने ब्रिटिश शासन से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की, और गांधी उस वार्ता में एक प्रमुख व्यक्ति थे जिसने देश की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया। हालांकि, उनका काम खत्म नहीं हुआ था। उन्होंने गरीबों और शोषितों के अधिकारों के लिए लड़ना जारी रखा और 1948 में उनकी हत्या कर दी गई, जिसका कारण भारत से पाकिस्तान का बटवारा करना था। भारत पाकिस्तान के बटवारे में लाखों हिन्दुओ की हत्या की गयी बहुत से औरतों के साथ दरिंदगी हुई इन्ही बातों से आहात होकर नाथू राम गोडसे द्वारा उन्ही हत्या कर दी गयी थी।
महात्मा गांधी की विरासत आज भी जीवित है। भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में उनके काम और अहिंसा के उनके दर्शन के लिए उन्हें भारत और दुनिया भर में एक नायक के रूप में याद किया जाता है। उनकी शिक्षाएँ लोगों को शांति और न्याय के लिए काम करने के लिए प्रेरित करती हैं, और वे आधुनिक इतिहास के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक हैं।
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10 Lines about Gandhi Jayanti in Hindi
- महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
- गाँधी जी का जन्म स्थान गुजरात का पोरबंदर शहर है।
- 2 अक्टूबर को भारत में पूर्ण अवकाश होता है।
- गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतली बाई था।
- महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
- गाँधी जी का विवाह 15 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गाँधी जी से हुआ था।
- गाँधी जी राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
- गाँधी जी ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी।
- महात्मा गाँधी जी गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना राजनितिक गुरु मानते थे।
- गाँधी जी ने अंग्रेजो से भारत को आज़ादी दिलाने के लिए असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे आंदोलन चलाये।
- गाँधी जी को बापू, महात्मा, राष्ट्रपिता आदि नामो से भी जाना जाता है।
- 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के गाँधी जी को गोली मार उनकी हत्या कर दी थी ।
- महात्मा गाँधी जी की समाधी दिल्ली में स्थित है।
- गाँधी जी की समाधि का नाम राजघाट है।
5 Lines about Gandhi Jayanti in Hindi
- गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
- इनके पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था।
- इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले में हुआ था।
- इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था।
- 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने इनकी गोली मारकर हत्या कर दी।
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FAQ about Gandhi Jayanti in Hindi
1. गांधी जी के राजनीतिक गुरु कौन थे?
उत्तर- गोपाल कृष्ण गोखले के प्रस्ताव पर गांधीजी ने स्वतंत्रता आंदोलन में अपना योगदान दिया।
2. गांधी जी द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलन कौन से थे?
उत्तर -गांधी जी द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलन में चंपारण, सविनय,अवज्ञा,सहयोग और नमक आंदोलन महत्वपूर्ण थे।
3. महात्मा गांधी ने किस पार्टी की स्थापना की और कब?
उत्तर- महात्मा गांधी जी ने इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को मुंबई में की।
4. महात्मा गांधी जी की हत्या किसने की?
उत्तर- महात्मा गांधी जी की हत्या नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को की।
5. गांधी जी के प्रमुख आदर्श क्या थे?
उत्तर- गांधी जी के प्रमुख आदर्श सत्य और अहिंसा थे।
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Gandhi Jayanti in Hindi – गांधी जयंती कब है और यह क्यों मनाते हैं?
- Updated on
- सितम्बर 23, 2023
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। मोहनदास करमचंद गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बहुत योगदान दिया। गांधी जी के आंदोलन और संघर्षों की कहानी आज भी हम सब पढ़ते और सुनते हैं। स्कूल हो या बोर्ड एग्जाम कई बार गांधी जयंती (Gandhi Jayanti in Hindi) के बारे में स्टूडेंट्स से पूछा जाता है, इसलिए इस ब्लॉग में हम गांधी जयंती कब है के बारे में जानेंगे।
This Blog Includes:
Gandhi jayanti kab hai, गांधी जयंती क्यों मनाई जाती है, गांधी जी का जन्म और मृत्यु कब हुई थी, अहिंसा और महात्मा गांधी, राजघाट पर गांधी जयंती कैसे मनाते हैं, स्कूलों में उत्सव कैसे मनाते हैं, गांधी जी की शिक्षा , गांधी जी की विचारधारा का योगदान, गांधी जयंती पर नारे, गांधी जी के आंदोलनों की लिस्ट, गांधी जयंती के अनमोल विचार , गांधी जी के बारे में रोचक तथ्य , 10 lines on mahatma gandhi in hindi for class 2.
महात्मा गांधी को मोहनदास करमचंद गांधी और बापू के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर और मृत्यु 30 जनवरी, 1948 दिल्ली में हुई थी। महात्मा गांधी को भारतीय राष्ट्रवाद के प्रमुख नेता और 20वीं सदी में अहिंसा के मुखिया के रूप में जाना जाता है। वे हर परिस्तिथियों में भी कभी किसी का साथ नहीं छोड़ते थे।
गांधी जी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर उन्होंने भारत को गुलामी से मुक्त कराया था। इसी लिए हर वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में इस दिन को पूरा देश एक उत्सव के रूप में उनका जन्मदिन मनाता हैं।
विश्व स्तर पर जो आज भी प्रसिद्ध व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं, वे हैं महात्मा गांधी जिनको उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी और सत्य विचारों के लिए जाना जाता है। उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था। उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में भी हम उनको आज नमन करते हैं। गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। लेकिन उनकी मृत्यु 30 जनवरी 1948 की वह सुबह जब दिल्ली के बिड़ला हाउस स्थित प्रार्थना स्थल पर नाथूराम गोडसे द्वारा लगातार तीन गोलियां चलाई गई और उस गोलियों ने महात्मा गांधी की जिंदगी छीन ली।
अहिंसा का अर्थ है किसी भी कठिन परिस्थितियों या किसी भी चीज को प्राप्त करने के लिए शारीरिक बल के प्रयोग न किया जाएं। गांधीजी की नजरों में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का वास्तविक महत्व यह था कि यह अहिंसक तौर पर चलाया गया था। महात्मा गांधी जी ने हिंसा का विरोध न सिर्फ इसलिए किया क्योंकि निहत्थे लोगों के पास कोई सशस्त्र नहीं था, बल्कि सफलता की बहुत कम उम्मीद थी, बल्कि इसलिए कि वे हिंसा को सही नहीं मानते थे, क्योंकि वो चीज हल होने की तुलना में ज्यादा समस्याएं पैदा कर सकती थी, जिससे नफरत और देश में कड़वाहट को पैदा कर सकती थी।
महात्मा गांधी जयंती का उत्सव
गांधी जयंती भारत में एक राजपत्रित अवकाश (Gazetted Holiday) है और यह दिवस देश के कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में बहुत हर्षोउल्लाश के साथ मनाया जाता है। इस दिन स्कूल और कॉलेज में हो रहे उत्सव देखने में बहुत आनंद आता है। गांधीजी के जन्म दिवस पर स्टूडेंट्स के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं और नाटक का आयोजन किया जाता है। और कई कॉलेज और स्कूलों को इस दिन स्टूडेंट्स को पुरस्कृत भी किया जाता है। देश भर के सभी हिस्सों में महात्मा गांधी की मूर्तियों पर फूल मालाओं और फूलों से सजाया जाता है और रघुपति राघव राजा राम, जोकि गांधीजी का पसंदीदा भजन था, स्कूल और कॉलेज के छात्रों द्वारा गाया जाता है।
गांधी जयंती के दिन राजघाट नई दिल्ली में गांधी जी की मूर्ति के सामने श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए प्रार्थना सभाएं को आयोजित किया जाता है। जहां गांधी जी का अंतिम संस्कार किया गया था, वहां पर भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री उपस्थित होते हैं, उनका सबसे पसंदीदा और भक्ति गीत रघुपति राघव राजा राम उनकी याद में गाया जाता है। और इसी प्रकार राजघाट पर गांधी दिवस मनाते हैं।
प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन भारत में कई स्कूलों द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। छात्र इस दिन बापू के सत्य और अहिंसा के संदेश पर आधारित गीत गाते हैं, नाटक का आयोजन करते हैं और भाषण भी तैयार करते हैं। वहीं स्कूल के छोटे बच्चे गांधी जी की तरह कपड़े पहनकर और साथ ही राष्ट्रवादी गीत गाकर इस कार्यक्रम को मनाते हैं। इन सभी कार्यक्रम समारोह में स्कूलों के छात्र गांधी जयंती पर उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं।
महात्मा गांधी की शिक्षा ने उन्हें दुनिया के सबसे महान लोगों में से एक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गांधी जी ने पोरबंदर में पढ़ाई की थी और फिर माध्यमिक परीक्षा के लिए राजकोट गए थे। वह अपनी वकालत की आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चले गए। गांधी जी ने 1891 में अपनी वकालत की शिक्षा पूरी की। लेकिन किसी कारण वश उन्हें अपने कानूनी केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां जाकर उन्होंने रंग के चलते हो रहे भेदभाव को महसूस किया और उसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने की सोची। वहां के लोग लोगों पर जुल्म करते थे और उनके साथ दुर्व्यवहार करते थे।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की वकालत करने का निर्णय लिया था। जिसे अहिंसा के सिद्धांत के साथ शुरू किया गया था। उन्होंने मानवाधिकारों के लिए हमेशा खड़े रहे और सत्य, अहिंसा और सामाजिक कल्याण की अपनी विचारधारा से लाखों लोगों को प्रेरित किया। चंपारण सत्याग्रह, खेड़ा सत्याग्रह, खिलाफत आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय-अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई स्वतंत्रता आंदोलनों का हिस्सा थे।
यह भी पढ़ें : महात्मा गांधी के जीवन की घटनाएं, जो देती हैं आगे बढ़ने का संदेश और प्रेरणा
गांधी जयंती पर नारे इस प्रकार हैं
- अहिंसा परमो धर्म
- सत्यमेव जयते
- स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है
Gandhi Jayanti in Hindi में गांधी जी के आंदोलनों की लिस्ट इस प्रकार है
- असहयोग आंदोलन: 1920 से गांधी जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया था।
- नमक सत्याग्रह: 12 मार्च, 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद स्थित है, दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था।
- दलित आंदोलन: बापू ने 8 मई 1933 से छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की थी।
- भारत छोड़ो आंदोलन: अगस्त सन 1942 में महात्मा गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी तथा अवज्ञा आंदोलन ”करो या मरो” शुरू करने का निर्णय लिया था।
- चंपारण सत्याग्रह: 1917 को महात्मा गांधी की अगुवाई में बिहार के चंपारण जिले से चंपारण आंदोलन भारत का पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ था।
Gandhi Jayanti in Hindi पर महात्मा गांधी के 10 अनमोल विचार इस प्रकार बताए जा रहे हैं
- पाप से घृणा करो, पापी से प्रेम करो।
- साफ़-सुथरा, स्वच्छ और सम्मानित जीवन जीने के लिए धन की आवश्यकता नहीं होती।
- मनुष्य के रूप में हमारी सबसे बड़ी क्षमता दुनिया को बदलना नहीं है, बल्कि खुद को बदलना है।
- विनम्रता के बिना सेवा स्वार्थ और अहंकार है।
- मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।
- केवल तभी बोलें जब मौन से सुधार हो।
- संतुष्टि प्रयास में निहित है, प्राप्ति में नहीं।
- शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं आती है। एक एक अदम्य इच्छा शक्ति से आता है।
- ताकत जीतने से नहीं आती, जब आप कठिनाइयों से गुजरते हैं और हार नहीं मानने का निर्णय लेते हैं, तो वह ताकत होती है।
महात्मा गांधी के जीवन के कुछ रोचक तथ्य नीचे दिए गए हैं :
- दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से 21 मील दूर 1100 एकड़ की जगह पर एक छोटी कॉलोनी, टॉल्स्टॉय फार्म की स्थापना गांधी जी ने सत्याग्रह संघर्ष में सहयोगियों के लिए की।
- 1930 में गांधी जी ने दांडी नमक मार्च का नेतृत्व किया और 1942 में स्वतंत्रता संग्राम के समय भारत छोड़ो आंदोलन को चलाया।
- 2007 में संयुक्त राष्ट्र ने गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया।
- महात्मा गांधी को 5 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।
- महात्मा गांधी जी की मातृभाषा गुजराती थी।
- पूर्व बिड़ला हाउस के बगीचे में मोहनदास करमचंद गांधी जी की हत्या की गई थी।
- टाइम मैगजीन ने 1930 में महात्मा गांधी को पर्सन ऑफ द ईयर नामित किया था।
- प्रसिद्ध लेखक लियो टॉलस्टॉय और गांधी जी पत्रों के जरिए एक-दूसरे से बातचीत करते थे।
क्लास 2 के लिए महात्मा गांधी के लिए 10 लाइन इस प्रकार हैं
- महात्मा गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था।
- महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
- महात्मा गांधी के पिता जी का नाम करमचंद गांधी और माता जी का नाम पुतलीबाई था।
- महात्मा गांधी जी का विवाह 15 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गांधी के साथ हुआ था।
- महात्मा गाँधी जी ने अपनी पढ़ाई यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से पूरी की थी।
- महात्मा गांधी राजनीतिक गुरु के रूप में गोपाल कृष्ण गोखले जी को आदर्श मानते थे।
- महात्मा गाँधी ने अंग्रेजो के खिलाफ असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे कई बड़े आंदोलन चलाए थे।
- मोहन दास करमचंद गाँधी जी को महात्मा, बापू, राष्ट्रपिता आदि नामों से पुकारा जाता है।
- 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के द्वारा मोहन दास करमचंद गांधी जी की हत्या कर दी गयी थी ।
- मोहन दास करमचंद गांधी जी (बापू) की समाधि दिल्ली में स्थित है राजघाट में है।
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गांधी जी को श्रद्धांजलि देने के लिए।
2 अक्टूबर, 2023 को उनकी 154वीं जयंती है।
4 जून 1944 को।
अशोक स्तंभ की फोटो थी।
उम्मीद है कि Gandhi Jayanti in Hindi ब्लॉग में आपको महात्मा गांधी के बारे में बहुत सी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi : दोस्तो आज हमने महात्मा गांधी पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।
इस लेख के माध्यम से हमने एक Mahatma Gandhi जी के जीवन का और उनके आंदोलनों वर्णन किया है इस निबंध की सहायता से हम भारत के सभी लोगों को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और उनके विचारों के बारे में बताएंगे।
Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi
महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता माने जाते हैं उन्हें बच्चा-बच्चा बापू के नाम से भी जानता है। Mahatma Gandh i ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों से इन अहिंसा पूर्वक की लड़ाई लड़ी थी।
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनचंद करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।
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महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के ही एक स्कूल में हुई थी और उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई करी थी। वहां पर उन्होंने देखा कि अंग्रेज लोग काले गोरे का भेद भाव करते हैं
और भारतीय लोगों से बर्बरता पूर्वक व्यवहार करते है। यह बात में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी इसके खिलाफ उन्होंने भारत आकर आंदोलन करने की ठानी।
यह भी पढ़ें – स्वच्छ भारत अभियान निबंध Swachh Bharat Abhiyan Essay in Hindi
भारत आते ही Mahatma Gandhi ने गरीबों के लिए कई हिंसक आंदोलन किए और अंत में उन्होंने “भारत छोड़ो आंदोलन” प्रारंभ किया जिसके कारण हमारे देश को आजादी मिली थी।
भारत की आजादी के 1 साल बाद महात्मा गांधी जी की 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी।
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 400 Words
महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।
Mahatma Gandhi का जन्म गुजरात राज्य के एक छोटे से शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो की अंग्रेजी हुकूमत में एक दीवान के रूप में कार्य करते थे।
उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि गृहणी थी वे हमेशा पूजा पाठ में लगी रखी थी इसका असर हमें गांधी जी का सीन देखने को मिला है वह भी ईश्वर में बहुत आस्था रखते है।
महात्मा गांधी के जीवन पर राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व का बहुत अधिक प्रभाव था इसी कारण उनका झुकाव सत्य के प्रति बढ़ता गया।
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Mahatma Gandhi का व्यक्तित्व है बहुत ही साधारण और सरल था इसका असर हमें उनके अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में देखने को मिलता है उन्होंने कभी भी हिंसात्मक आंदोलन नहीं किए हुए हमेशा अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार के रूप में काम में लेते थे।
उन्होंने अपना पूरा जीवन हमारे भारत देश के लिए समर्पित कर दिया था उन्हीं के अथक प्रयासों से हम आज एक आजाद देश में सुकून की सांस ले पा रहे है। महात्मा गांधी जी ने भारत में अपने जीवन का पहला आंदोलन चंपारण से प्रारंभ किया गया था
जिसका नाम बाद में चंपारण सत्याग्रह ही रख दिया गया था इस आंदोलन में उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था।
इसी प्रकार उन्होंने खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह (दांडी यात्रा) जैसे और भी आंदोलन किए थे जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे।
उन्होंने अपने जीवन का अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन किया था जो कि अंग्रेजों को मुझसे भारत को आजादी दिलाने के लिए हुआ था इसी आंदोलन के कारण हमें वर्ष 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी।
लेकिन गांधीजी भारत की इस आजादी को ज्यादा दिन देख नहीं पाए क्योंकि आजादी के 1 साल बाद ही नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत ही दुखद था इस दिन हमने एक महान व्यक्ति को खो दिया था।
नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या तो कर दी लेकिन उनके विचारों को नहीं दबा पाया आज भी उनके विचारों को अमल में लाया जाता है।
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 1800 words
प्रस्तावना –
महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इसीलिए भारत में उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से पुकारा जाता है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित है। उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए भारत के लिए आंदोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत के लोगों को समर्पित कर दिया था इसी समर्पण की भावना के कारण उन्होंने भारत के लोगों के हितों के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन आंदोलन किए थे जिनमें वे पूरी तरह से सफल रहे थे। उनका अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुई।
यह भी पढ़ें – बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध – Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi
उनके सम्मान में पूरे विश्व भर में 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है और भारत में महात्मा गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।
प्रारंभिक जीवन –
महात्मा गांधी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था उनके पिताजी करमचंद गांधी अंग्रेजी हुकूमत के दीवान के रूप में काम करते थे उनकी माताजी पुतलीबाई गृहणी थी वह भक्ति भाव वाली महिला थी जिन का पूरा दिन लोगों की भलाई करने में बीतता था।
जिसका असर हमें गांधी जी के जीवन पर भी देखने को मिलता है। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य की पोरबंदर शहर में हुआ था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । महात्मा गांधी की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही हुई थी।
Mahatma Gandhi बचपन में अन्य बच्चों की तरह ही शरारती थे लेकिन धीरे-धीरे उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती गई जिनके कारण उनके जीवन में बदलाव आना प्रारंभ हो गया था। उनका विवाह 13 साल की छोटी सी उम्र में ही कर दिया गया था उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था जिन्हें प्यार से लोग “बा” के नाम से पुकारते थे। उस समय बाल विवाह प्रचलन में था इसलिए गांधी जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था।
उनके बड़े भाई ने उनको पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेज दिया था। 18 वर्ष की छोटी सी आयु में 4 सितंबर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 में महात्मा गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास करके सुदेश आए और मुंबई में वकालत प्रारंभ कर दी।
अहिंसावादी जीवन का प्रारंभ –
महात्मा गांधी के जीवन में एक अनोखी घटना घटने के कारण उन्होंने अहिंसा वादी जीवन जीने का प्रण ले लिया था। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने 1899 के एंगलो बोअर युद्ध के समय स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर मदद की थी लेकिन इस युद्ध की विभीषिका को देख कर अहिंसा के रास्ते पर चलने का कदम उठाया था इसी के बल पर उन्होंने कई आंदोलन अनशन के बल पर किये थे जो कि अंत में सफल हुए थे।
उन्होंने ऐसे ही दक्षिण अफ्रीका के जोल विद्रोह के समय एक सैनिक की मदद की थी जिसे लेकर वे 33 किलोमीटर तक पैदल चले थे और उस सैनिक की जान बचाई थी। जिसे प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी के जीवन के प्रारंभ से ही रग-रग में मानवता और करुणा की भावना भरी हुई थी।
राजनीतिक जीवन का प्रारंभ –
दक्षिण अफ्रीका में जब गांधी जी वकालत की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उन्हें काले गोरे का भेदभाव झेलना पड़ा। वहां पर हमेशा भारतीय एवं काले लोगों को नीचा दिखाया जाता था। एक दिन की बात है उनके पास ट्रेन की फर्स्ट एसी की टिकट थी लेकिन उन्हें ट्रेन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया और उन्हें मजबूरी में तृतीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी।
यहां तक कि उनके लिए अफ्रीका के कई होटलों में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। यह सब बातें गांधीजी के दिल को कचोट गई थी इसलिए उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया ताकि वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटा सके।
भारत में महात्मा गांधी का प्रथम आंदोलन –
महात्मा गांधी जी का भारत में प्रथम आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ का क्योंकि अंग्रेजों ने किसानों से खाद्य फसल की पैदावार कम करने और नील की खेती बढ़ाने को जोर दे रहे थे और एक तय कीमत पर अंग्रेजी किसानों से नील की फसल खरीदना चाहते थे।
इसके विरोध में Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1917 में चंपारण नाम के गांव में आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी गांधीजी मानने को तैयार नहीं थे अंत में अंग्रेजों को गांधी जी की सभी बातें माननी पड़ी। बाद में इस आंदोलन को चंपारण आंदोलन के नाम से जाना गया।
इस आंदोलन की सफलता से गांधीजी में और विश्वास पैदा हुआ और उन्होंने जान लिया था कि अहिंसा से ही वे अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ सकते है।
खेड़ा सत्याग्रह –
खेड़ा आंदोलन में Mahatma Gandhi ने किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ही किया था। वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नाम के गांव में भयंकर बाढ़ आई थी जिसके कारण किसानों की सारी फसलें बर्बाद हो गई थी और वहां पर भयंकर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
इतना सब कुछ होने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के अफसर करो (Tax) में छुट नहीं करना चाहते थे। वह किसानों से फसल बर्बाद होने के बाद भी कर वसूलना चाहते थे। लेकिन किसानों के पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था तो किसानों ने यह बात गांधी जी को बताई।
गांधीजी अंग्रेजी हुकूमत के इस बर्बरता पूर्वक निर्णय से काफी दुखी हुए फिर उन्होंने खेड़ा गांव से ही अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा पूर्वक आंदोलन छेड़ दिया। महात्मा गांधी के साथ आंदोलन में सभी किसानों ने हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने खेड़ा के किसानों का कर (Tax) माफ कर दिया। इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना गया।
असहयोग आंदोलन –
अंग्रेजी हुकूमत के भारतीयों पर बर्बरता पूर्ण जुल्म करने और जलियांवाला हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी जी को समझ में आ गया था कि अगर जल्द ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ नहीं किया गया तो यह लोग भारतीय लोगों को अपनी क्रूर नीतियों से हमेशा खून चूसते रहेंगे।
महात्मा गांधी जी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था जिसके बाद वर्ष 1920 में Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दी । इस आंदोलन के अंतर्गत गांधी जी ने सभी देशवासियों से निवेदन किया कि वे विदेशी वस्तुओं का उपयोग बंद कर दें और स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं।
इस बात का लोगों पर इतना असर हुआ कि जो लोग ब्रिटिश हुकूमत के अंदर काम करते थे उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा देना चालू कर दिया था। सभी लोगों ने अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी सूती वस्त्र पहने लगे थे।
इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे। लेकिन आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था और चोरा चोरी जैसे बड़े कांड होने लगे थे जगह-जगह लूटपाट हो रही थी। गांधी जी का अहिंसा पूर्ण आंदोलन हिंसा का रुख अपना रहा था। इसलिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें 6 वर्ष की जेल की सजा भी हुई थी।
नमक सत्याग्रह –
ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता दिन प्रतिदिन भारतीयों पर बढ़ती ही जा रही थी। ब्रिटिश हुकूमत ने नया कानून पास करके नमक पर अधिक कर लगा दिया था। जिसके कारण आम लोगों को बहुत अधिक परेशानी हो रही थी।
नमक पर अत्यधिक कर लगाए जाने के कारण महात्मा गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नमक पर भारी कर लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा प्रारंभ की जो कि 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के दांडी नामक गांव में समाप्त हुई।
इस यात्रा में गांधी जी के साथ हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। दांडी गांव पहुंचकर गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के कानून की अवहेलना करते हुए खुद नमक का उत्पादन किया और लोगों को भी स्वयं नमक के उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस आंदोलन की खबर देश विदेश में आग की तरह फैल गई थी जिसके कारण विदेशी देशों का भी ध्यान इस आंदोलन की तरफ आ गया था यह आंदोलन गांधी जी की तरफ से अहिंसा पूर्वक लड़ा गया था जो कि पूर्णत: सफल रहा। इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है।
नमक आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत विचलित हो गई थी और उन्होंने इस आंदोलन में सम्मिलित होने वाले लोगों में से लगभग 80000 लोगों को जेल भेज दिया था।
भारत छोड़ो आंदोलन –
महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत को भारत से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया । इस आंदोलन की नींव उसी दिन पक्की हो गई थी जिस दिन गांधी जी ने नमक आंदोलन सफलतापूर्वक किया था।
उन्हें विश्वास हो गया था कि अंग्रेजों को अगर भारत से बाहर क देना है तो उसके लिए अहिंसा का रास्ता ही सबसे उत्तम रास्ता है। महात्मा गांधी ने यह आंदोलन कब छेड़ा जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और ब्रिटिश हुकूमत अन्य देशों के साथ युद्ध लड़ने में लगी हुई थी।
द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण अंग्रेजों की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही थी उन्होंने भारतीय लोगों को लिखते विश्वयुद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया। लेकिन भारतीय लोगों ने उन्हें नित्य विश्वयुद्ध से अलग रखने पर जोर दिया।
बाद में ब्रिटिश हुकूमत के वादा करने पर भारतीय लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया। ब्रिटिश हुकूमत ने वादा किया था कि वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को स्वतंत्र कर देंगे। यह सब कुछ भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव के कारण ही हो पाया और वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई।
महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन पूर्ण रूप से सफल रहा। इसकी सफलता का श्रेय सभी देशवासियों को भी जाता है क्योंकि उन्हीं की एकजुटता के कारण इस आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई और अंत में सफलता प्राप्त हुई।
उपसंहार –
Mahatma Gandhi बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे वे हमेशा सत्य और अहिंसा में विश्वास रखते थे। उन्होंने हमेशा गरीब लोगों का साथ दिया था। जब देश में जाति, धर्म और अमीर गरीब के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा था तब गांधी जी ने ही गरीबों को साथ लेते हुए उन्हें “हरिजन” का नाम लिया और इसका मतलब भगवान के लोग होता है।
उनके जीवन पर भगवान बुद्ध के विचारों का बहुत प्रभाव था इसी कारण उन्होंने अहिंसा का रास्ता बनाया था। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी। उन्होंने भारत देश के लिए जो किया है उसके लिए धन्यवाद सब बहुत कम है।
हमें उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए आज लोग एक दूसरे से छोटी छोटी बात पर झगड़ा करने लगते हैं और हर एक छोटी सी बात पर लाठी और बंदूके चलाने लगते है। गांधी जी ने कहा था कि जो लोग हिंसा करते हैं वे हमेशा नफरत और गुस्सा दिलाने की कोशिश करते है। गांधीजी के अनुसार अगर शत्रु पर विजय प्राप्त करनी है तो हम अहिंसा का मार्ग भी अपना सकते है। जिसको अपनाकर गांधी जी ने हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाई थी।
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10 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi”
Rohit ji app ne sahi bola
apke essay ka koi app hai महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रवीण विश्नोई जी, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे
Bhut Accha laga ye padh ke or hame ghadhi Ji ke bare me kafi jankari basil hui or isko Yaar Karna bhi easy hoga kyoki ye saral shbdo me tha or aasha karte he ese hi hame Jo chaye wo ese hi mile
Nishat khan ji, hum aap ko aise hi saral bhasha me content dete rahnge. Parsnsha ke liye aap ka bhut bhut Dhanyawad.
Mahatma Gandhi the legend me hamare liye kya kuch nhi kiya par tabh bhi kuch log unhe abhi bhi Bura Bolte h
Arti Nanda ji aap ne sahi bola aap chahe kitne bhi sahi hi log kuch na kuch to kahe ge, log to bhagvaan ko bhi dosh dete hai gandhi ji to bhi insaan the.
Mahatma gandhi bhale hee kyu na rahe lakin us kee yad aabhi bhee ham sab ke dilo dimag mai hai
Rohit ji app ne sahi bola, Mahatma gandhi ji ke vichar aaj bhi hamare saath hai.
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गांधी जयंती पर निबंध Essay on Gandhi Jayanti in Hindi
इस लेख में हमने महात्मा गांधी जयंती पर निबंध हिंदी में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) लिखा है। अगर आप गांधी जयंती पर बेहतरीन निबंध की तलाश कर रहे हैं तो इस लेख में आपकी सारी तलाश पूरी होने वाली है।
दिए गए लेख में गांधी जयंती क्यों मनाया जाता है तथा इसके महत्व को सरल रूप से समझाया गया है। लेख के अंत में गांधी जयंती पर बेहतरीन 10 लाइनें इस लेख को और भी आकर्षक बनाती हैं।
Table of Contents
प्रस्तावना (गांधी जयंती पर निबंध Essay on Gandhi Jayanti in Hindi)
भारत की आजादी के लिए लाखों देशभक्त शहीद हो चुके हैं। उन्ही शहीदों में से एक मोहनदास करमचंद गांधी है। महात्मा गांधी के आदर्शों को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में एक समान तवज्जो दी जाती है।
प्रतिवर्ष गांधी जयंती 2 अक्टूबर को एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सभी स्कूल, कॉलेज तथा सरकारी दफ्तर सार्वजनिक रूप से बंद रहते हैं।
महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है। वे सत्य और अहिंसा के बहुत बड़े पुजारी थे। उनकी दया, करुणा तथा देशभक्ति को पूरे विश्व में आदर्श के रूप में माना जाता है।
गांधी जयंती के दिन मूलतः गांधी जी के सिद्धांतों और उनके जीवन प्रसंगों से जुड़ी जरूरी ज्ञान की बातों को जन समूह में फैलाने का कार्य किया जाता है।
भारत के साथ-साथ विश्व के अनेक देशों में 2 अक्टूबर के दिन गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है तथा वहां भी सार्वजनिक रूप से अवकाश रहता है।
गांधी जयंती क्यों मनाया जाता है? Why is Gandhi Jayanti Celebrated?
अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 को हुआ था। उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए हर साल 2 अक्टूबर के दिन गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
महात्मा गांधी का जन्म उस समय हुआ था जब भारत अंग्रेजों के साथ संघर्ष कर रहा था। अंग्रेज भारतवासियों के हकों को दबाकर उनका शोषण कर रहे थे तथा भारत के अमूल्य खजाना लूटकर अपने देश ले जा रहे थे।
- महात्मा गांधी एक संपन्न परिवार में जन्मे थे तथा वे प्रारंभिक शिक्षा भारत में पूरी कर शेष पढ़ाई साउथ अफ्रीका तथा इंग्लैंड जाकर पूरी की थी।
साउथ अफ्रीका में महात्मा गांधी अश्वेत वर्गों के हकों के लिए वहां की सरकार से संघर्ष किया था तथा उन्हें उनका हक दिलाया था। साउथ अफ्रीका से आने के बाद महात्मा गांधी भारत आकर तथा भारत की आजादी के लिए कार्य करना शुरू किया था।
भारत भ्रमण करते समय महात्मा गांधी ने भारत का गरीब और शोषित पहलू देखा जिसके बाद उनकी आंखें अश्रुपूर्ण हो उठी। जिसके बाद उन्होंने आजीवन खादी धोती धारण करने का प्रण लिया।
उनकी सात्विकता और उच्च आदर्श के कारण करोड़ों लोग उनके एक आवाहन पर घरों से बाहर निकलकर अंग्रेजी हुकूमत के सामने अपनी जान देने के लिए आगे आ आए।
उनके इन्हीं सद्गुणों के कारण विश्व के करोड़ों लोग उन्हें आदर्श मानते हैं तथा उनके बताए मार्ग पर चलते हैं। उनके लिए श्रद्धा व्यक्त करने के लिए हर वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती का पर्व मनाया जाता है।
महात्मा गांधी जी के विषय में जानकारी Information about Gandhi Jayanti in Hindi
गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता मोहनदास दीवान थे तथा माता पुतलीबाई एक ग्रहणी और धार्मिक किस्म की महिला थी।
बाल्यावस्था में महात्मा गांधी की संगति कुछ बुरे लड़कों के साथ हो गई थी जिसके कारण वे चोरी करना तथा अन्य दुर्गुणों के चंगुल में फंस गए थे।
उस वक्त सिनेमा जगत इतना विकसित नहीं हुआ था। सिनेमा के नाम पर उस वक्त नाटक ही चलित थे। एक बार बालक मोहनदास राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर बने नाटक को देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने भी सत्य पर चलने का प्रण उसी वक्त ले लिया।
घर आकर उन्हें बहुत पश्चाताप हुआ तथा उन्होंने अपने पिताजी से अपने कुसंगति तथा दुर्गुणों को एक पन्ने पर लिखकर माफी मांगी और भविष्य में ऐसी गलती फिर ना दोहराने की कसम खाई।
आगे चलकर उन्होंने अपनी पढ़ाई विदेश जाकर पूरी की और भारत वापस आकर बाकी के स्वतंत्रता सेनानियों के साथ अनेकों आंदोलन किए जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत को यहां के लोगों का हक वापस देने पर मजबूर होना पड़ा।
समय-समय पर उन्हें जेल भी जाना पड़ा। लेकिन उनके समुदाय विशेष के प्रति अति-तुष्टीकरण के दुर्गुण से खफा होकर नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने उन्हें गोली मार दी।
गांधी जयंती का महत्व Importance of Gandhi Jayanti in Hindi
गांधी जयंती का संस्कृति तथा सामाजिक महत्व बेहद ही अधिक है। महात्मा गांधी हमारे देश के अतुलनीय व्यक्ति थे। जिनका ज्यादातर जीवन समाज तथा पिछड़े लोगों के लिए गुजरा।
महात्मा गांधी के पहले लाखों देशभक्तों ने आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दे दी थी और गाँधी जी के साथ लाखों भारतवासियों ने शहादत दी थी। तब कहीं जाकर देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी मिली थी।
गांधी जयंती को पूरे विश्व में राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। 15 जून सन 2007 को यूनाइटेड नेशंस काउंसिल ने 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अहिंसा दिन मनाने के रूप में शुरुआत किया था।
इसका उद्देश्य दुनिया के सभी देशों को महात्मा गांधी के रास्ते पर चलने का ज्ञान देना था। महात्मा गांधी आजीवन सभी के प्रिय रहे, उनकी इज्जत दुनिया के दूसरे देश भी करते है।
गांधी जयंती के माध्यम से भारतीयों को भौतिक तथा मानसिक रूप से समरसता का पाठ पढ़ाया जाता है। इसलिए इस दिन को एकता बढ़ाने के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
महात्मा गांधी को स्वाभिमान तथा आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न दृष्टा माना जाता है। गांधीजी का सपना था कि भारत स्वच्छ और शिक्षित हो। महात्मा गांधी ने उस वक्त असहयोग आंदोलन के रूप में आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी थी।
किसी भी देश के लिए उसके महापुरुषों का योगदान अप्रतिम होता है। भारत के लिए महात्मा गांधी का योगदान अतुलनीय है। महात्मा गांधी के विचारों को जीवित रखने के लिए हर वर्ष गांधी जयंती को मनाया जाता है।
गांधी जयंती कैसे मनाया जाता है? How is Gandhi Jayanti Celebrated?
भारत के सभी राज्यों में गांधी जयंती को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इस अवसर पर भारत के स्कूलों कॉलेजों तथा सरकारी दफ्तरों पर विभिन्न थीम के माध्यम से बापू को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
2 अक्टूबर के दिन प्रधानमंत्री राजघाट, दिल्ली जाकर महात्मा गांधी की प्रतिमा को श्रद्धा सुमन के पुष्प अर्पित करते हैं। उनके सम्मान में उनका पसंदीदा गीत वैष्णव जन तो तेने कहिए”गीत गाया जाता है।
राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि स्थल मौजूद है जिस पर हर वर्ष 2 अक्टूबर को बड़े-बड़े राजनेता व अभिनेता फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि देते हैं।
अनेक जगहों पर महात्मा गांधी के जीवन का नाट्यात्मक अभिनय का कार्यक्रम होता है। जिसमें लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। साथ ही बहुत से जगह महात्मा गांधी जी के जीवन पर भाषण, नाटक, नारा और समूह चर्चा भी आयोजित कि जाती है।
लोग अपने घरों में महात्मा गांधी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। इस दिन रैलियां भी आयोजित की जाती हैं जिसमें महात्मा गांधी की झांकी तथा जीवन वर्णन मुख्य होता है।
गांधी जयंती के दिन विभिन्न सिनेमा चैनलों पर महात्मा गांधी तथा अन्य शहीदों से जुड़ी फिल्में दिखाई जाती हैं। लेकिन आज महात्मा गांधी के नाम पर बहुत सी राजनीतिक पार्टियां अपनी रोटी सेक रही हैं।
महात्मा गांधी के नाम पर वर्षों तक भारतीय राजनीति पर अपना सिक्का जमाया रखने वाली पार्टियां जब अपने करतूतों पर जवाब नहीं दे पाती तो वे महात्मा गांधी के नाम की दुहाई देना शुरू कर देती हैं।
महात्मा गांधी के सपनों को पूर्ण करने के लिए आज सभी भारतवासियों को उनके आदर्शों पर चलने की जरूरत है।
जिस प्रकार महात्मा गांधी ने स्वयं से पहले राष्ट्र को रखा उसी प्रकार आज सभी धर्म, जाति पंथ संप्रदायों को सोचना पड़ेगा तब जाकर भारत कहीं विश्व गुरु बन पाएगा।
गांधी जयंती पर 10 लाइन Best 10 Lines on Gandhi Jayanti in Hindi
- भारत की आजादी के लिए लाखों देशभक्त शहीद हो चुके हैं। उन्ही शहीदों में से एक मोहनदास करमचंद गांधी है।
- प्रतिवर्ष गांधी जयंती 2 अक्टूबर को एक पर्व के रूप में मनाया जाता है।
- महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है वे सत्य और अहिंसा के बहुत बड़े पुजारी थे।
- भारत के साथ-साथ विश्व के अनेक देशों में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
- महात्मा गांधी का जन्म उस समय हुआ था जब भारत अंग्रेजों के साथ संघर्ष कर रहा था।
- भारत भ्रमण करते समय महात्मा गांधी ने भारत का गरीब और शोषित पहलू देखा जिसके बाद उनकी आंखें अश्रुपूर्ण हो उठी।
- एक बार बालक मोहनदास, राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर बने नाटक को देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने भी सत्य पर चलने का प्रण उसी वक्त ले लिया।
- उनके समुदाय विशेष के प्रति अति-तुष्टीकरण के दुर्गुण से खफा होकर नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने उन्हें गोली मार दिया।
- 15 जून सन 2007 को यूनाइटेड नेशंस काउंसिल ने 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अहिंसा दिन मनाने के रूप में शुरुआत किया था।
निष्कर्ष conclusion
इस लेख में आपने महात्मा गांधी जयंती पर निबंध हिंदी में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) पढ़ा आशा है यह लेख आपको सरल तथा आकर्षक लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।
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Mahatma Gandhi Essay in Hindi
Mahatma Gandhi Essay in Hindi: गांधी जी ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ और दक्षिण अफ्रीका में भारत के अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे जिन्होंने भारत देश वासियों के नागरिक अधिकारों की वकालत की थी। तो, आइये देखते हैं उनके जीवन की कुछ झलक, जिनसे हम सीख ले सकें.
Essay on Mahatma Gandhi in Hindi (250 Words)
Essay of gandhi jayanti in hindi (300 words), mahatma gandhi essay in hindi (400 words), about mahatma gandhi essay in hindi (500 words), महात्मा गांधी जी द्वारा किये गये मुख्य काम:.
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता पोरबंदर के दीवान (मुख्यमंत्री) थे; उनकी गहरी धार्मिक माँ वैष्णववाद के लिए समर्पित थी।
अपने अहिंसक दर्शन के लिए दुनिया भर में प्रतिष्ठित, मोहनदास करमचंद गांधी को उनके कई अनुयायी महात्मा के रूप में जानते थे। उन्होंने 1900 के दशक की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय अप्रवासी के रूप में अपनी सक्रियता शुरू की, और विश्व युद्ध 1 के बाद के वर्षों में, वे ब्रिटेन से स्वतंत्रता हासिल करने के लिए भारत के संघर्ष में अग्रणी व्यक्ति बन गए।
अपनी तपस्वी जीवनशैली के लिए जाने जाने वाले-वे अक्सर केवल एक लंगोटी और शॉल पहनते थे और हिंदू धर्म के प्रति आस्था रखते थे. गांधी जी को कई बार कैद किया गया, और उन्होंने भारत के सबसे गरीब वर्गों के उत्पीड़न का विरोध करने के लिए कई भूख हड़तालें भी की।
महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय आप्रवासी के रूप में काफ़ी भेदभाव सहा। जब डरबन में एक यूरोपीय मजिस्ट्रेट ने उनसे अपनी पगड़ी उतारने के लिए कहा, तो उन्होंने इनकार कर दिया और अदालत कक्ष से बाहर चले गए।
अप्रैल-मई 1930 के प्रसिद्ध नमक मार्च में, हजारों भारतीयों ने महात्मा गांधी का अहमदाबाद से अरब सागर तक साथ दिया। इस मार्च में महात्मा गांधी सहित लगभग 60,000 लोगों की गिरफ्तारी हुई।
1947 में विभाजन के बाद, उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच शांति की दिशा में काम करना जारी रखा। गांधी को जनवरी 1948 में एक हिंदू कट्टरपंथी द्वारा दिल्ली में गोली मार दी गयी।
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था, जिसको गांधी जयंती के रूप में जाना जाता है। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। 13 साल की उम्र में, महात्मा गांधी की शादी कस्तूरबा से हुई जो एक अरेंज मैरिज थी। कस्तूरबा ने 1944 में अपनी मृत्यु तक अपने पति के सभी प्रयासों का समर्थन किया।
उनके पिता पोरबंदर के दीवान थे। महात्मा गांधी अपने पिता की चौथी पत्नी पुतलीबाई के पुत्र थे, जो एक संपन्न वैष्णव परिवार से थीं।
महात्मा गांधी का जीवन और संघर्ष के तरीके अब लोगों को काफी प्रभावित करते हैं। एक आदमी की महानता का एहसास तब होता है जब उसका जीवन लोगों को बेहतर बदलाव के लिए प्रभावित करता है, और इसी तरह महात्मा गांधी का जीवन था। उनकी मृत्यु के दशकों के बाद, उनके बारे में पढ़ने पर, लोगों ने बेहतर तरीके से अपने जीवन को बदल दिया।
लगभग 20 वर्षों के लिए दक्षिण अफ्रीका में, महात्मा गांधी ने विरोध प्रदर्शन की अहिंसक पद्धति का उपयोग करते हुए अन्याय और नस्लीय भेदभाव का विरोध किया। सादगीपूर्ण जीवन शैली के कारण उनके बहुत प्रशंसक थे । उन्हें लोग प्यार से बापू के नाम से संबोधित करते थे।
गांधी की पहली बड़ी उपलब्धि 1918 में थी जब उन्होंने बिहार और गुजरात के चंपारण और खेड़ा आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, स्वराज और भारत-छोड़ो आंदोलन का भी नेतृत्व किया।
मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने की थी। नाथूराम गोडसे एक हिंदू राष्ट्रवादी और हिंदू महासभा का सदस्य था। उन्होंने गांधी पर पाकिस्तान का पक्ष लेने का आरोप लगाया और अहिंसा के सिद्धांत का विरोध किया।
मोहनदास गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, भारत में हुआ था। वह 1900 के दशक के सबसे सम्मानित आध्यात्मिक और राजनीतिक नेताओं में से एक बन गए थे । गांधी ने अहिंसक प्रतिरोध से भारतीय लोगों को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने में मदद की। उनको भारतीयों द्वारा राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया गया।
लोग गांधी को ‘ महात्मा ‘ कहते हैं, जिसका अर्थ है महान आत्मा। 13 साल की उम्र में, उन्होंने कस्तूरबा से शादी की थी, जो 13 साल की ही थी। गांधी के चार बच्चे थे। उन्होंने लंदन में कानून (Law) का अध्ययन किया और अभ्यास करने के लिए 1891 में भारत लौट आए।
उन्होंने साहस, अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों के आधार पर कार्रवाई की एक विधि विकसित की जिसको सत्याग्रह नाम दिया गया। उनका मानना था कि लोगों के व्यवहार का तरीका उनके द्वारा हासिल की गई चीज़ों से अधिक महत्वपूर्ण है।
सत्याग्रह ने राजनीतिक और सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अहिंसा और सविनय अवज्ञा को सबसे उपयुक्त तरीकों के रूप में बढ़ावा दिया। 1915 में गांधी भारत लौट आए। 15 वर्षों के भीतर वे भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बन गए।
सत्याग्रह के सिद्धांतों का उपयोग करते हुए उन्होंने अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के अभियान का नेतृत्व किया। गांधी को दक्षिण अफ्रीका और भारत में उनकी गतिविधियों के लिए अंग्रेजों द्वारा कई बार गिरफ्तार किया गया था। उनका मानना था कि उचित कारण के लिए जेल जाना सम्मानजनक है।
1947 में भारत को स्वतंत्रता दी गई और भारत और पाकिस्तान में विभाजन हुआ। हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे हुए। महात्मा गांधी एक अखंड भारत के लिए एक वकील थे, जहां हिंदू और मुस्लिम शांति का समर्थन करते थे।
13 जनवरी, 1948 को, 78 वर्ष की आयु में, उन्होंने खून खराबे को रोकने के लिए अनशन शुरू किया। 5 दिनों के बाद विरोधी नेताओं ने लड़ाई रोकने का संकल्प लिया और गांधी ने अपना अनशन तोड़ दिया। 12 दिन बाद एक हिंदू कट्टरपंथी, नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
महात्मा गांधी ने दुनिया को दिए पांच महान योगदान:
- एक नई भावना और तकनीक – सत्याग्रह.
- नैतिक ब्रह्मांड एक है, इसलिए व्यक्तियों, समूहों और राष्ट्रों की नैतिकता समान होनी चाहिए।
- उनका आग्रह है कि साधन और अंत सुसंगत होना चाहिए.
- यह तथ्य कि उन्होंने खुद को कभी अवतार सिद्ध करने की कोशिश नहीं की।
- अपने सिद्धांतों के लिए दर्द सहने और मरने की इच्छा। इनमें से सबसे बड़ा उनका सत्याग्रह है।
महात्मा गांधी जी का जीवन, विचार और कार्य उन सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो मानव जाति के लिए बेहतर जीवन चाहते हैं।
मोहनदास गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को, पश्चिमी भारत के समुद्री तट पर, गुजरात के एक छोटे से शहर पोरबंदर में हुआ था।
उसके द्वारा उठाए गए नैतिक मुद्दों का महत्व व्यक्तियों और राष्ट्रों के भविष्य के लिए आज भी है। हम आज भी महात्मा गांधी की शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हैं, जो चाहते थे कि हम सदियों पुरानी कहावत को याद रखें।
“मृत्यु के बावजूद, जीवन बना रहता है, और घृणा के बावजूद, प्यार बना रहता है।”
रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘महात्मा’ के रूप में संबोधित किया। सुभाष चंद्र बोस ने हिंद आज़ाद रेडियो पर अपने संदेश में उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा था।
दक्षिण अफ्रीका में, मोहनदास ने डरबन से प्रिटोरिया की अपनी यात्रा के दौरान नस्लीय भेदभाव के कड़वे अनुभव का स्वाद चखा, जहाँ एक मुकदमे के सिलसिले में उनकी उपस्थिति आवश्यक थी।
Maritzburg Station पर उन्हें ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से बाहर कर दिया गया क्योंकि वे ठंड में ‘कलर्स’ कांप रहे थे। Maritzburg Station के Waiting Room में बैठे बैठे, उन्होंने फैसला किया कि अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय भाग जाना कायरता है। इस घटना के साथ सत्याग्रह की अवधारणा विकसित हुई।
- भारत में उनका पहला सत्याग्रह 1917 में बिहार के चंपारण में हुआ था, जिसमें Indigo Plantations के लिए किसानों का अधिकार था।
- अहमदाबाद में, मिल श्रमिकों और मिल मालिकों के बीच विवाद था। गांधी जी ने श्रमिकों के समर्थन में अनशन किया।
- 1919 में, उन्होंने रोलेट बिल के खिलाफ सविनय अवज्ञा का आह्वान किया।
- 1921 में, गांधीजी ने गरीब जनता के साथ खुद को पहचानने के लिए और खादी, हाथ से घूमने वाले कपड़े का प्रचार करने के लिए धोती पहन ली।
- उन्होंने स्वदेशी आंदोलन भी शुरू किया, जिसमें देश में निर्मित वस्तुओं के उपयोग को महत्त्व दिया गया। उन्होंने भारतीयों से विदेशी कपड़े का बहिष्कार करने और इस तरह से ग्रामीणों के लिए काम करने के लिए हाथ से बनी खादी को बढ़ावा देने के लिए कहा।
- 12 मार्च 1930 को, गांधीजी ने साबरमती आश्रम, अहमदाबाद से समुद्र तट पर बसे दांडी गांव तक, ऐतिहासिक नमक मार्च में 78 स्वयंसेवकों के साथ बैठक की। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक अहिंसक आंदोलन था।
- मार्च 1931 में, कुछ संवैधानिक मुद्दों को हल करने के लिए गांधी-इरविन पैक्ट पर हस्ताक्षर किए गए और इसने सविनय अवज्ञा को समाप्त कर दिया।
- 1933 में, उन्होंने Young India की जगह Harijan के साप्ताहिक प्रकाशन की शुरुआत की।
- 1942 में गांधीजी ने एक व्यक्तिगत सत्याग्रह शुरू किया। उस वर्ष लगभग 23 हजार लोग जेल में बंद हुए थे।
- ऐतिहासिक “भारत छोड़ो” प्रस्ताव 8 अगस्त 1942 को कांग्रेस द्वारा पारित किया गया था। गांधी जी के “ करो या मरो ” (Do or Die) के संदेश ने लाखों भारतीयों को प्रभावित किया।
30 जनवरी 1948 को, गांधी जी, नई दिल्ली के बिरला हाउस में प्रार्थना सभा के दौरान नाथूराम विनायक गोडसे द्वारा दागी गई गोलियों से मारे गए।
गाँधी जी के बारे में अधिक जाने – बायोग्राफी
उम्मीद है महात्मा गांधी जी पर ये निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi Essay in Hindi ) आपकी जरूरत पर खरे उतरेंगे. आपके लिए ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी लेकर आते रहेंगे. पढ़ने के लिए धन्यवाद.
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