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Critical Thinking Skills in Hindi: जानिए क्या होती है क्रिटिकल थिंकिंग?

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  • Updated on  
  • दिसम्बर 22, 2023

Critical Thinking Skills in Hindi

क्रिटिकल थिंकिंग आज के युग में सबसे ट्रेंडिंग स्किल में से एक है लेकिन बड़े-बड़े प्रोफेसनल भी इसे अच्छे से समझ नहीं पाते हैं। आलोचनात्मक सोच कौशल या critical thinking skills in Hindi आपको उपलब्ध सभी तथ्यों और सूचनाओं के आधार पर किसी स्थिति को समझने और उसका सही आकलन करने में मदद करती है। महत्वपूर्ण सोच कौशल की मदद से, आप किसी समस्या को परिभाषित करने और हल करने के लिए सूचना, डेटा और तथ्यों को क्रमबद्ध और व्यवस्थित कर सकते हैं।   दरअसल critical thinking skills in Hindi हमारे सोचने का ही एक तरीका है जो हमारी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों के लिए ही काफ़ी उपयोगी है। इस ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे कि क्रिटिकल थिंकिंग क्या है? विद्यार्थी जीवन और आम जीवन में इसका क्या महत्व है।

This Blog Includes:

Critical thinking skills in hindi क्या है, क्रिटिकल थिंकिंग सार्वभौमिक है, अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण, भाषा और प्रस्तुति कौशल में सुधार करता है, रचनात्मकता को बढ़ावा देता है, आत्म-प्रतिबिंब के लिए महत्वपूर्ण, विज्ञान और लोकतंत्र का आधार, क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स के प्रकार, क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स को आसानी से कैसे समझें, छात्र जीवन में क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स का महत्व, 1. सटीक कारण खोजें, 2. डेटा, सुझाव और तर्क एकत्र करें, 3. डेटा के बारे में आलोचनात्मक बनें, 4. महत्व की पुष्टि करें, 5. कोई उपाय बताएं, 6. वर्तमान या संवाद, क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स इंप्रूव कैसे करें, बेस्ट क्रिटिकल थिंकिंग बुक्स.

क्रिटिकल थिंकिंग, तर्कसंगत रूप से सोचने और विचारों के बीच तार्किक संबंध को समझने की क्षमता है। ऐसी स्किल्स प्लेटो और सुकरात जैसे प्रारंभिक यूनानी दार्शनिकों के समय से लेकर आधुनिक युग तक चर्चा का विषय बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए, नकली समाचारों की पहचान करने की क्षमता, तथ्यों का विश्लेषण करना आदि। क्रिटिकल थिंकिंग के लिए कई अलग-अलग परिभाषाएं मौजूद हैं, जो आम तौर पर तर्कसंगत, संदेहपूर्ण, निष्पक्ष विश्लेषण या तथ्यात्मक साक्ष्य के मूल्यांकन से ही सम्बन्धित हैं।

क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स क्यों जरूरी है?

अब प्रश्न यह उठता है कि क्रिटिकल थिंकिंग क्यों महत्वपूर्ण है? यहां कुछ कारण दिए गए हैं, जो यह बताएंगे कि ये स्किल्स क्यों इतनी ज्यादा जरूरी है-

आप चाहे कोई भी नौकरी-पेशा अपनाएं, ये कौशल हमेशा प्रासंगिक रहेंगे और आपकी सफलता के लिए हमेशा फायदेमंद रहेंगे। वे किसी क्षेत्र विशेष के लिए नहीं हैं। इससे आपको किसी भी विषय में गहराई से समझने में मदद मिलती है।

हमारा भविष्य प्रौद्योगिकी, सूचना और नवाचार पर निर्भर करता है। हमारी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के लिए, समस्याओं को जल्द से जल्द और प्रभावी ढंग से हल करने के लिए गंभीर सोच की आवश्यकता है। जल्द से जल्द समस्याओं को हल करने से समस्याओं की वजह से व्यय होने वाले समय को बचाया जा सकता है।

अपने आप को सर्वोत्तम रूप से व्यक्त करने के लिए, हमें यह जानने की आवश्यकता है कि स्पष्ट और व्यवस्थित रूप से कैसे सोचें – अर्थात क्रिटिकल थिंकिंग का अभ्यास करें। जब आप सोच समक्ष कर बोलेंगे तो आपकी भाषा में सुधार होना स्वाभाविक होगा।

क्रिटिकल थिंकिंग का अभ्यास करके, हम खुद को न केवल समस्याओं को हल करने की अनुमति दे रहे हैं बल्कि ऐसा करने के लिए नए और रचनात्मक विचारों के साथ भी आ रहे हैं। क्रिटिकल थिंकिंग हमें इन विचारों का विश्लेषण करने और तदनुसार उन्हें समायोजित करने की अनुमति देती है।

क्रिटिकल थिंकिंग के बिना, हम वास्तव में एक सार्थक जीवन कैसे जी सकते हैं? हमें अपने जीवन के तरीकों और विचारों को आत्म-प्रतिबिंबित करने और सही ठहराने के लिए इस कौशल की आवश्यकता है। क्रिटिकल थिंकिंग हमें खुद का मूल्यांकन करने के लिए क्षमता प्रदान करती है।

लोकतंत्र के लिए और वैज्ञानिक तथ्यों को साबित करने के लिए, दुनिया में क्रिटिकल थिंकिंग की जरूरत है। सिद्धांतों का ज्ञान के साथ समर्थन किया जाना चाहिए। एक समाज को प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए, उसके नागरिकों को सही और गलत (महत्वपूर्ण सोच का उपयोग करके) के बारे में राय स्थापित करने की आवश्यकता होती है।

यहां क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स के कुछ प्रमुख प्रकारों को विस्तारपूर्वक समझाया गया है –

  • विश्लेषण : क्रिटिकल थिंकिंग का प्रमुख हिस्सा किसी स्थिति या समस्या की सावधानीपूर्वक जांच करने की क्षमता है। विश्लेषणात्मक कौशल वाले लोग जानकारी की जांच कर सकते हैं, समझ सकते हैं कि इसका क्या अर्थ है, क्या यह सही है और दूसरों को उस जानकारी के निहित अर्थों को ठीक से समझा सकते हैं।
  • कम्युनिकेशन : आपको अपने निष्कर्ष अपने नियोक्ताओं या सहकर्मियों के समूह के साथ साझा करने की आवश्यकता हो सकती है। अपने विचारों को प्रभावी ढंग से शेयर करने के लिए आपको दूसरों के साथ कम्युनिकेट करने में सक्षम होना चाहिए। इसलिए, आपको पता होना चाहिए कि प्रभावी ढंग से और कुशलता से कैसे संवाद किया जाए।
  • क्रिएटिविटी : क्रिटिकल थिंकिंग में अक्सर रचनात्मकता या क्रिएटिविटी और नवीनता शामिल होती है। आप जो जानकारी देख रहे हैं उसमें आपको पैटर्न खोजने की आवश्यकता हो सकती है या एक समाधान के साथ आना पड़ सकता है जिसे पहले किसी और ने नहीं सोचा था।
  • प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स : प्रॉब्लम सॉल्विंग एक और महत्वपूर्ण क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स है जिसमें किसी समस्या का विश्लेषण करना, समाधान तैयार करना, कार्यान्वित करना और योजना की सफलता का आकलन करना शामिल है। 

आइए एक उदाहरण की मदद से क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स को आसानी से समझते हैं-

  • समस्या की पहचान करें – कल्पना कीजिए कि आप काम पर हैं। कोई व्यक्ति, संभावित रूप से आपका मैनेजर, आपको गलत डेटा की समस्या के बारे में बताता है। फिर पहली चीज जो आप करेंगे वह है समस्या की पहचान करना। समस्या क्या है? क्या पूरे विभाग में गलत डेटा प्रसारित किया गया है।
  • इसके पीछे के कारण को समझें – फिर समस्या की पहचान करने के बाद आप इस परिदृश्य के पीछे के कारण को समझने की कोशिश करेंगे। इसके पीछे क्या कारण है? आपको पता चला कि सॉफ़्टवेयर में कोई समस्या है।
  • रिसर्च और डेटा एकत्र करें – जैसा कि आपने पाया है कि समस्या सॉफ्टवेयर में है, तो आप इस विषय पर अधिक रिसर्च करेंगे। इस मुद्दे पर रिसर्च और डेटा एकत्र करने के बाद आपको पता चला कि सॉफ्टवेयर पिछले वर्ष और चालू वर्ष के डेटा को एक साथ मिला रहा है।
  • डेटा व्यवस्थित करें – इसके बाद, आपको सॉफ़्टवेयर में संशोधन करना होगा और डेटा को उसके संबंधित वर्ष के अनुसार सही ढंग से व्यवस्थित करने का प्रयास करना होगा।
  • समाधान लागू करें – उसके बाद, आपको इस समस्या को हल करने के लिए सॉफ़्टवेयर इंजीनियरों को कॉल करना होगा और विभाग में सभी को सूचित करना होगा कि प्रसारित डेटा के आधार पर रिपोर्ट न करें।
  • समाधानों का विश्लेषण करें – इसके बाद, आपको यह जांचना होगा कि विभाग में कोई है जो अभी भी समस्या का सामना कर रहा है या अभी भी पिछले डेटा के आधार पर रिपोर्ट कर रहा है।
  • सॉल्यूशन को रिफाइन करने के तरीकों की पहचान करें- यदि कुछ कर्मचारी हैं, जो पुराने डेटा का उपयोग कर रहे हैं तो उन्हें नए डेटा का उपयोग करने को कहें और विभाग को भेजने से पहले डेटा की जांच करना सुनिश्चित करें।

छात्रों में क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स का ख़ास महत्व है जो कि सिर्फ़ केवल विद्यार्थी जीवन में ही नहीं बल्कि आगे चलके निजी और प्रोफेशनल जीवन में भी काम आएगी। छात्र जीवन में क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स के महत्व को नीचे बताया गया है-

  • क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स में क्रिएटिविटी एक अहम रोल अदा करती हैं। आप किसी प्रॉब्लम का सबसे अलग और क्रिएटिव हल निकाल पाएंगे, जो आपके लिए काफी उपयोगी भी साबित हो सकते हैं।
  • उज्जवल भविष्य के लिए एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज़ के रूप में ये स्किल्स जीवन के हर पहलू में आपके काम आएंगी।
  • आपका व्यक्तित्व कौशल बेहतर होगा। जब आप किसी किसी भी परिस्थिति में स्पष्ट और व्यवस्थित तरीके से सोचना सीख जाते हो तो आप दूसरों के सामने खुद को अच्छे तरीके से प्रस्तुत कर सकते हैं और आपकी इस गुणवत्ता का सबसे बड़ा फ़ायदा भविष्य में जॉब इंटरव्यू के दौरान या ऑफिस प्रेजेंटेशन में अपनी धाक ज़माने के समय होगा। 
  • आपका व्यक्तित्व और संचार कौशल ही आपको अपने करियर में नई ऊँचाइयों तक पहुँचने के लिए मददगार साबित होगा।
  • इसके जरिए आपको इम्तिहान में आने वाले लॉजिक बेस्ड प्रश्नों को हल करने में सहायता मिलेगी। जो स्कूल की परीक्षाओं से लेकर बड़े बड़े प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पूछे जाएंगे और तब आपकी क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स ही उन प्रश्नों को हल करने में आपकी मदद करेगी।

एक क्रिटिकल थिंकर कैसे बनें?

महत्वपूर्ण थिंकिंग स्किल्स विकसित करने के लिए आपको समय, धैर्य और अभ्यास की आवश्यकता होती है। क्रिटिकल थिंकिंग का अभ्यास करने के लिए आपके सामने आने वाली हर समस्या पर इन छह चरणों को लागू करें-

क्रिटिकल थिंकिंग विकसित करने के लिए अवलोकन बहुत महत्वपूर्ण है। कर्मचारी जो अपनी नौकरी के दौरान बहुत प्रारंभिक चरण में अवलोकन कौशल विकसित करते हैं, वे समस्याओं को जल्दी पहचानने और हल करने में सर्वश्रेष्ठ होते हैं। वे एक नई समस्या की पहचान करने में तेज होते हैं और अनुभव के आधार पर किसी समस्या के उत्पन्न होने से पहले उसका अनुमान लगाने में सक्षम हो सकते हैं।

किसी समस्या की पहचान करने के बाद, आपको विश्लेषणात्मक कौशल की आवश्यकता होती है। आपको समस्या के बारे में तथ्यों, आंकड़ों और जानकारी के आधार पर स्थिति का विश्लेषण करने में सक्षम होना चाहिए।

यह पुष्टि करने के लिए कि क्या निष्कर्ष साक्ष्य-आधारित हैं या सिर्फ राय हैं, डेटा के स्रोतों और विश्वसनीयता की जाँच करें। पर्याप्त जानकारी और डेटा के साथ अपनी परिकल्पना का समर्थन करें।

अपनी जानकारी के महत्व के स्तर और अपने नमूने के आकार की वैधता की जांच के लिए स्टेस्टिस्टिक एनालिसिस का उपयोग करें। जिससे आपको सही जानकारी प्राप्त हो सके।

निष्कर्षों की एक सूची बनाएं और अंतिम रूप दें कि कौन सा सही है। अंतिम मूल्यांकन में प्रदान की गई जानकारी और डेटा से निष्कर्ष निकालना और समाधान प्रदान करना शामिल है। मूल्यांकन करते समय, विशिष्ट समस्या के संबंध में पहले से ही ज्ञान और अनुभव होना बेहतर होता है।

अपनी महत्वपूर्ण सोच प्रक्रिया के परिणामों को टीम के अन्य सदस्यों को बताने के लिए, संचार कौशल महत्वपूर्ण हैं। लोगों से अधिक से अधिक कम्युनिकेट करें और उन्हें समझने की कोशिश करें।

आपकी क्रिटिकल थिंकिंग को बेहतर बनाने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  • राय लें – हम ज्यादातर समस्याओं से निपटने के लिए अपने दृष्टिकोण से सोचते हैं। हालांकि, अगर हम किसी और के दृष्टिकोण से सोचने की कोशिश करते हैं तो हमें निर्णय लेने में आसानी हो सकती है।
  • परिणामों पर विचार करें – हमारे द्वारा चुने गए प्रत्येक विकल्प के अपने परिणाम होते हैं या समस्या में अन्य शामिल हो सकते हैं। हमें सबसे खराब स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए और परिणामों पर विचार करना चाहिए।
  • ठीक से रिसर्च करें – क्रिटिकल थिंकिंग के लिए समस्याओं को हल करने के लिए समस्या की जड़ तक जाना अतिआवश्यक है। अतः आपको रिसर्च के लिए तैयार होने की आवश्यकता है।
  • चीजों को अधिक जटिल न करें – चीजों को अधिक जटिल करना हममें से बहुतों में समान है। चीजों के बारे में सोचना जरूरी है लेकिन अगर आप ज्यादा सोचना शुरू करते हैं तो यह चीजों को मुश्किल बना देता है। यह क्रिटिकल थिंकिंग नहीं ओवर थिंकिंग कहलाएगी, इसलिए उतना ही सोचें जितना ओवर न हो।

क्रिटिकल थिंकिंग, तर्कसंगत रूप से सोचने और विचारों के बीच तार्किक संबंध को समझने की क्षमता है। ऐसी स्किल्स प्लेटो और सुकरात जैसे प्रारंभिक यूनानी दार्शनिकों के समय से लेकर आधुनिक युग तक चर्चा का विषय बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए, नकली समाचारों की पहचान करने की क्षमता, तथ्यों का विश्लेषण करना आदि।

आलोचनात्मक सोच स्पष्ट और सुसंगत मानदंडों का उपयोग करके हमारे द्वारा उत्पन्न या प्राप्त जानकारी को ठीक से व्यवस्थित, सत्यापित और मूल्यांकन करने की क्षमता है। यह एक प्रतिबिंबित संदेह दिखाने की प्रवृत्ति है जो हमें खुद तय करने की अनुमति देती है कि क्या विश्वास करना है या नहीं।

critical thinking skills in Hindi को हिंदी में आलोचनात्मक सोच कौशल कहते हैं।

विश्लेषण कौशल, संचार कौशल, समस्या समाधान कौशल, क्रिएटिविटी आदि क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स के ही तत्व हैं।

आशा करते हैं कि आपको critical thinking skills in Hindi ब्लॉग से जानाकीर प्राप्त हो गई होगी। ऐसे ही अन्य हिंदी ब्लॉग  के लिए बने रहें हमारी वेबसाइट Leverage Edu पर।

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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Critical Thinking Skills क्या होती है और इसका क्या महत्व है?

Critical Thinking Skills क्या होती है

Critical Thinking Skills अक्सर लोग क्रिटिकल थिंकिंग को गलत नजरिए से देखते है क्यूंकि उनका मानना है की क्रिटिकल थिंकिंग का मतलब सिर्फ दूसरो की खामियां निकालना ही होता है लेकिन ऐसा नही है कि आंख बंद करके सिर्फ बुराइओ पर विश्वास कर लिया जाए असल में इसमें अच्छाई और बुराई दोनो का मिश्रण होता है क्रिटिकल थिंकिंग दोनो पहलुओं की समीक्षा की जाती है। अगर आप भी क्रिटिकल थिंकिंग के बारे में जानना चाहते है और इसे कैसे इंप्रूव करें जानना चाहते है तो लेख को अंत तक जरूर पढ़े।

Table of Contents

क्रिटिकल थिंकिंग स्किल क्या है? What is Critical Thinking Skills in Hindi

अगर आप किसी मुसीबत में फस जाते है तो आपको उस मुसीबत से निकलने के लिए गहन सोच की आवश्यकता पड़ती है आपकी गहराई से सोचने की क्षमता ही उस मुसीबत से निकलने में मदद करती है वो ऐसे जब आप मुसीबत में फंसे होते है तब आप सोचते है क्या ये करना सही होगा या गलत ये सोच ही आपकी Critical Thinking ही होती है।

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Critical Thinking Skills Tips in Hindi

  • खुद से ऐसे सावल पूछिए जिसमे आपको जानकारी एकत्रित करनी पड़े आपको अपनी समस्या को सुलझाने का मौका मिले यहां जानकारी का मतलब किताबी जानकारी से नही है बल्कि आपके जीवन के अनुभव से है।
  • जो किसी भी परिस्थिति को कंट्रोल करने और सही निर्णय लेने मे आपकी मदद कर सके ऐसा करने से धीरे धीरे आपकी आलोचनात्मक सोच का विकास होने लगेगा।
  • जैसे आपको अपने लिए एक मित्र की तलाश करनी है जो की आपको सही रास्ता दिखा सके परेशानी में आपकी मदद कर सके। सही और गलत मित्र का चुनाव करने के लिए क्रिटिकल थिंकिंग का उपयोग करना होगा जिस से आप सामने वाले को एनालिसिस कर पाएंगे क्या सही है और क्या गलत है इस से आप ये निर्णय ले पाएंगे की वो आपक मित्र बनने के काबिल है या नहीं।

क्रिटिकल थिंकिंग के महत्व

आलोचनात्मक सोच का एक खास महत्व है जो कॉलेज लाइफ में ही नही बल्कि आपकी पर्सनल लाइफ और प्रोफेशनल लाइफ दोनो में काम आयेगी।

  • परीक्षा में आने वाले लॉजिक बेस्ड प्रशन को हल करने में सहायता मिलेगी। बोर्ड एग्जाम ही नही बल्कि सरकारी नौकरी के लिए कंप्टीशन एग्जाम में भी लॉजिक प्रशन को हल करने में आसानी होगी।
  • परीक्षा में आने वाले उच्चतर आदेश सोच कौशल प्रशन और रीजनिंग बेस्ड प्रशन आपकी Critical Thinking Skills आलोचनात्मक सोच कौशल को परखने लिए ही पूछे जाते है।
  • जिनका उत्तर देते समय आपको हर तरीके से एनालिसिस करना होता है और उसे वास्तविक जीवन से जोड़ते हुए सोच विचार करके उत्तर देना होता है।

Critical Thinking Books

Best Critical Thinking Books of All Time : आलोचनात्मक सोच को समझने के लिए किताबें

यह स्किल्स भी पढ़े   : बेसिक कंप्यूटर स्किल क्या है जानिए सबकुछ हिंदी में।

Critical Thinking से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब

ये सवाल अक्सर इंटरनेट पर पूछे जाते है हमने इन सवालों का जवाब देने की पूरी कोशिश की है ताकि आपके मन में कोई सवाल ना रहे :

Q.  आलोचनात्मक समझ क्या हैं?

A. क्रिटिकल थिंकिंग (आलोचनात्मक समझ) किसी भी विषय, घटना या स्थिति को बारीकी से समझना और सोचना और ठीक से विश्लेषण करना।

Q. क्रिटिकल थिंकिंग जीवन में महत्वपूर्ण क्यों है?

A. क्रिटिकल थिंकिंग हमारे जीवन में महत्वपूर्ण इसलिए है क्युकी यह हमे रोजाना के जीवन में आ रही परेशानी का सही ढंग से निर्णय लेने की ताकत देता है और सफल और खुशहाल जीवन जीने का रास्ता बनाता है।

दोस्तो आज के लेख में मैने आपको Critical Thinking Skills (आलोचनात्मक सोच कौशल) के बारे में विस्तार से जानकारी देने की कोशिश की। मैने पूरी कोशिश की एक ही लेख में सारी जानकारी देने की आपको जानकारी कैसे लगी कॉमेंट बॉक्स के माध्यम से जरूर बताएं। 

आपको लेख पढ़कर कुछ नया सीखने को मिला है तो इसे अपने दोस्तो और ग्रुप्स में भी शेयर करिए इससे मुझे मोटिवेशन मिलेगा और में ऐसी ही अच्छी जानकारी आप तक लाता रहूंगा। मिलते है फिर ऐसी ही अच्छी और नई जानकारी के साथ तब तक ब्लॉग के साथ जुड़े रहिए। यहां तक लेख पढ़ने के लिए आपको । धन्यवाद ।

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Critical Thinking in Hindi – क्या है क्रिटिकल थिंकिंग और इसके फायदे

Tomy Jackson

किसी भी देश और समाज के लिए Critical Thinking का महत्व बहुत ज्यादा है । किसी भी पक्ष के अच्छाइयों और बुराइयों को पूरे आंकलन के साथ उठाना, उसकी बारीकियां समझना तब जाकर कोई फैसला लेना ही क्रिटिकल थिंकिंग की विशेषता है । अक्सर आलोचनात्मक सोच को निंदा से जोड़कर देखा जाता है और माना जाता है कि इसका अर्थ सिर्फ और सिर्फ कमियां निकालना ही है ।

लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है । उदाहरण के तौर पर, भारत में लगभग हर हफ्ते ही कोई न कोई फिल्म रिलीज की जाती है । फिल्म रिलीज करने के तुरंत पश्चात कुछ Film Critics फिल्म को देखते हैं, उसकी बारीकियां समझते हैं, फिल्म समीक्षा के विभिन्न मानकों पर फिल्म को तौलते हैं तब जाकर Ratings & Reviews देते हैं ।

इन रिव्यू में सिर्फ और सिर्फ फिल्म की अच्छाइयां या सिर्फ बुराइयां ही नहीं होती, बल्कि दोनों का मिश्रण होता है । एक सही समीक्षक उन दोनों पहलुओं को सटीकता और पूरे विश्लेषण के साथ उजागर करता है और बस यही है Critical Thinking । यानि जो कुछ भी घटित हो रहा है उसे आंखें बंद करके मान लेना नहीं बल्कि उसके हर तथ्यों की जांच करना, जानकारी जुटाना और फिर उसके बुरे अच्छे दोनों पहलुओं पर ध्यान देना ।

Critical Thinking क्या है ?

Critical thinking

Critical Thinking को हिंदी में आलोचनात्मक सोच भी कहते हैं जो किसी भी स्तिथि, विषय या घटनाओं की बारीकियों पर तर्कसंगत रूप से सोचने, तथ्यों का विश्लेषण करने और सही गलत दोनों पहलुओं को उजागर करने की कला है । इसके लिए तठस्थ होना बहुत आवश्यक होता है ।

इसे आसान से उदाहरण की मदद से समझिए । मान लेते हैं कि आप किसी गांव के निवासी हैं और आपके यहां हर 5 वर्ष में प्रधान/सरपंच के चुनाव कराए जाते हैं । इस बार भी एक चुनाव है और चुनाव में खड़ा व्यक्ति आपसे कहता है कि अगर मैं जीतता हूं तो आप सबको हर महीने 3,000 रुपए दिए जायेंगे । यह सुनकर कई लोग ऐसे होंगे जो उसकी बात पर भरोसा भी कर लेंगे ।

लेकिन अगर आप Critical Thinking वाले व्यक्ति हैं तो आप तुरंत अपने गांव की जनसंख्या और दी जा रही राशि का आंकलन करेंगे । आपको समझ आ जायेगा कि इस तरह इस व्यक्ति को 500 परिवार वाले इस गांव में 15,00,000 रुपए खर्च करने होंगे जोकि बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है । इसके अलावा सरकार भी बिना हिसाब किताब के ग्राम पंचायत के राजस्व विभाग में इतने रुपए नहीं भेज सकती । यानि सामने वाला व्यक्ति झूठ बोल रहा है ।

Critical Thinking Examples

वर्तमान युग कुछ ऐसा है कि Fake News और Fake People की संख्या बढ़ती ही जा रही है । इस परिस्थिति में आपका तर्कसंगत होकर सोचना जरूरी हो जाता है । अगर आप हर घटना, व्यक्ति, परिस्थिति आदि का बारीकी से अध्ययन और आंकलन करेंगे तभी जाकर सही निर्णय ले सकेंगे । नीचे हमने कुछ Best Critical Thinking Examples दिया है ।

इन उदाहरणों को हमने रोजमर्रा के जीवन से उठाया है ताकि आप ज्यादा बेहतर ढंग से इसे समझ सकें । नीचे दिए गए उदाहरण अवश्य ही आपके साथ भी रोजाना घटित होते होंगे लेकिन क्या आप सही फैसले ले पाते हैं ? चलिए देखते हैं ।

यहां आप ढेरों Review Sites की मदद से सबसे पहले उस इलेक्ट्रॉनिक सामान के रिव्यूज पढ़ते हैं । जिन व्यक्तियों ने पहले से इस सामान का उपयोग किया है, उन्होंने अपना अनुभव इंटरनेट पर सांझा किया है । आपको समझ आता है कि सामान के प्रचार प्रसार में कंपनी ने काफी रूपए खर्च किए हैं लेकिन यह Durable नहीं है यानी ज्यादा दिन तक नहीं चलता ।

उसने वादा किया है कि उसके जितने पर हर गांव में एक लाइब्रेरी खोली जाएगी, कक्षा 1वीं में प्रथम आने पर छात्र/छात्रा के कॉलेज तक की पढ़ाई का खर्च सरकार उठाएगी और साथ ही हर राज्य के हर सरकारी स्कूल में प्रोजेक्टर की मदद से पढ़ाई की जाएगी । एक छात्र के तौर पर आपको यह वादे लुभावने लगते हैं । लेकिन आप तो ठहरे Critical Thinking वाले व्यक्ति, इसलिए सबसे पहले उस प्रत्याशी के इतिहास और पूर्व संसदीय क्षेत्र पर एक नजर डालते हैं ।

आप सबसे पहले उस पोस्ट पर पुलिस के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देते हैं और यहीं नहीं, बिना खबर को वेरिफाई किए मैसेज को अन्य 10 ग्रुप में फॉरवर्ड कर देते हैं । इससे हर तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आने लगती है और एक बड़े प्रदर्शन की योजनाएं बनने लगती हैं । लेकिन उसके अगले ही दिन सुबह आप Twitter या टेलीविजन पर Fact Check के माध्यम से जानते हैं कि यह तस्वीर पाकिस्तान की थी और खबर बिल्कुल निराधार है । इसका खुलासा स्वयं प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने किया है कि उन पर कोई लाठीचार्ज नहीं किया गया था ।

Critical Thinking कैसे करें ?

सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह आता है कि आखिर Critical Thinking की कैसे जाती है ? क्रिटिकल थिंकिंग करने के लिए आपको किसी पढ़ाई, डिग्री आदि की आवश्यकता नहीं है । आप मात्र कुछ प्रश्नों के माध्यम से हर परिस्थिति को तार्किक ढंग से एनालाइज कर सकते हैं । चलिए सबसे पहले उन प्रश्नों पर नजर डालते हैं इसके बाद हम विस्तार से समझेंगे कि क्रिटिकल थिंकिंग कैसे की जाती है ।

1. क्या: सबसे पहले जब भी आपके पास कोई इनफॉर्मेशन या परिस्थिति आए तो आपको पूछना यह इनफॉर्मेशन क्या है । यह इनफॉर्मेशन किस बारे में है ? यह क्या कुछ जानकारी आपको प्रदान करता है ।

2. कौन: दूसरा प्रश्न आपका होना चाहिए कि इस जानकारी को प्रसारित करने वाला या उस परिस्थिति में सबसे मुख्य व्यक्ति कौन है ? क्या उस पर भरोसा किया जा सकता है ? क्या उसका इतिहास संदेहजनक या विवादास्पद रहा है ?

3. कब: आपको मिली जानकारी कितनी पुरानी है ? क्या इस जानकारी का वर्तमान समय में कोई महत्व रह गया है ?

4. क्यों: यह परिस्थिति/घटना/जानकारी अस्तित्व में क्यों आई ? जानकारी प्रसारित करने वाले व्यक्ति का उद्देश्य क्या था ?

5. कैसे: क्या जो जानकारी प्राप्त हुई है, वह Credible और Authentic सोर्स से है ? जानकारी को कैसे प्रसारित किया गया है ? जानकारी प्रसारित करने के लिए किन साक्ष्यों को उठाया गया है ?

इन प्रश्नों के आधार पर आपको काफी जानकारियां मिल जायेंगी । आपको बस इतना याद रखना है कि किसी भी पूर्वाग्रहों से दूरी बनाकर रखें । उदाहरण के तौर पर अगर आप किसी राजनीतिक पार्टी के किसी कार्य, वादे आदि पर Critical Thinking करना चाहते हैं तो सबसे पहले भूल जाएं कि आप अन्य किस पार्टी को पसंद करते हैं या आपकी आइडियोलॉजी क्या है ।

Critical Thinking का सबसे पहला और महत्वपूर्ण नियम ही यही है कि आपको तठस्थ रहना होगा । आप किसी एक तरफ अगर झुके नहीं होंगे तो ज्यादा बेहतर ढंग से पूरी परिस्थिति को सही नजरिए से देख समझ सकेंगे ।

Critical Thinking Skill कैसे डेवलप करें ?

Critical Thinking Skill को डेवलप करने के लिए आपको कुछ कदम उठाने होंगे । खासकर कि अगर आप एक युवा हैं, एक छात्र हैं तो आपको नीचे बताई गई बातों को अवश्य ध्यान में रखकर ही अपने जीवन के निर्णयों को लेना चाहिए । एक छात्र के लिए क्रिटिकल थिंकिंग का महत्व काफी ज्यादा है क्योंकि आप सभी ही कल के भविष्य हैं ।

1. तठस्थ रहना बेहद जरूरी

क्रिटिकल थिंकिंग का पहला नियम कहता है कि आप किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रहों से दूषित न हों । उदाहरण के तौर पर मान लेते हैं कि आप किसी एक चीज में विश्वास रखते हैं लेकिन परिस्थिति ऐसी बनती है कि अन्य चीजों में विश्वास करने वालों से संबंधित कोई परिस्थिति खड़ी हो जाती है । तो ऐसे में आपको अपने विश्वास को कुछ समय के लिए दरकिनार करके सबके नजरिए से सोचने की शुरुआत करनी चाहिए ।

जब तक आप अपने मन में पहले से बनाई गई सोच या अवधारणा से ऊपर नहीं उठेंगे, तबतक आपको पूरी सच्चाई का पता नहीं लग पायेगा । उदाहरण के तौर पर उन्हीं News Anchors या News TV Channels को ज्यादा मान दिया जाता है जो किसी पहलू के दोनों पक्षों को सामने रखते हों । उन लोगों की बातों को ज्यादा तवज्जो दी जाती है जो अपने विचार थोपने के बजाय विपरीत विचारों को सटीकता से दर्शाते हैं ।

2. सही Sources से जानकारी इकट्ठी करें

Critical Thinking का दूसरा महत्वपूर्ण नियम है कि आपका स्रोत सही होना चाहिए । अक्सर ऐसा होता है कि हम ऐसे स्रोतों से जानकारी उठा लेते हैं जो खुद एक तरफा हैं । Polarisation के इस दौर में कई बार ऐसा लगता है कि निष्पक्ष शब्द ही मिथ्या है । इसलिए आप कोशिश करें कि हमेशा Credible और Authentic Sources से जानकारी इकट्ठी करें ।

इसके साथ ही आपकी कोशिश यह भी होनी चाहिए कि कभी भी सिर्फ एक ही स्रोत से जानकारी इकट्ठी न करें । आपको ढेरों अलग अलग Sources से Information इकट्ठी करनी चाहिए ताकि आप सही और गलत का निर्णय ले सकें । हम आपको Recommend करेंगे कि उन स्रोतों से जानकारी इकट्ठी करें जो सिर्फ और सिर्फ जानकारी देते हों, न कि अपनी राय ।

3. Information के भूत, वर्तमान और भविष्य को खंगाले

आपके सामने जिस भी इनफॉर्मेशन या परिस्थिति का जिक्र हुआ है, उसके भूत भविष्य और वर्तमान की पूरी जानकारी भी आपके पास होनी चाहिए । Critical Thinking Examples के अंतर्गत हमने आपको एक ऐसा ही उदाहरण दिया था जिसमें परिस्थिति के हिसाब से भूतकाल में जाना पड़ा था ।

जब आपके पास हर समय या परिस्थिति के हिसाब से जानकारी मौजूद होगी तो आप ज्यादा बेहतर ढंग से मूल्यांकन, समीक्षा कर सकेंगे ।

4. समाधान सोचें

क्रिटिकल थिंकिंग के अंतर्गत अगला पड़ाव आता है समाधान सोचने का । किसी भी समस्या का समाधान भी आपको सोचना है और आपको यह बताना है कि आपके हिसाब से किन कमजोरियों को किस प्रकार से दूर किया जा सकता है । एक Critical Thinker का काम सिर्फ और सिर्फ किसी जानकारी को अलग अलग नजरिए से देखना और दोनों पक्षों को उजागर करना भर नहीं है ।

अगर कोई बुरा पक्ष दिखाई दे तो उसका समाधान भी आपको देना है । एक आलोचनात्मक विचारक के रूप में न सिर्फ आप खुद का बल्कि समाज का भी भला कर रहे होते हैं । किसी भी इनफॉर्मेशन का विश्लेषण करना सिर्फ आपको ही नहीं बल्कि उस जानकारी से जुड़े लोगों को भी फायदा पहुंचाता है । इसलिए अगर समस्या आपको दिखाई दी है तो समाधान भी सुझाइए ।

5. समाधान लागू करें

आखिरी कदम होना चाहिए सोचे हुए समाधान को लागू करने या कराने का । अगर आप निर्णय लेने के पद पर हैं तो आप अपने परिवार, संगठन आदि पर समाधान को लागू कर सकते हैं । अगर आप निर्णय लेने की स्तिथि में नहीं हैं तो कम से कम अपने समाधानों की जानकारी जरूर प्रसारित कर सकते हैं ।

हालांकि अगर आप किसी अन्य व्यक्ति को किसी समस्या का समाधान समझाने जा रहे हैं तो आपको पूरे साक्ष्यों, अध्ययनों आदि के साथ तैयार रहना होगा ।

  • Skill Development in Hindi
  • Listening Skills in Hindi
  • Self Management Skills in Hindi
  • Key Skills in Hindi
  • Time Management in Hindi
  • Distance Learning in Hindi
  • Online Classes in Hindi

Critical Thinking Course

हमारे समाज में वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए सबसे जरूरी है Critical Thinking । किसी भी संस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए भी क्रिटिकल थिंकिंग का होना बहुत जरुरी है । अगर किसी संस्था का मालिक पूर्वाग्रहों से दूषित होकर फैसले लेगा तो इससे कई लोग बुरी तरह प्रभावित होंगे । इसलिए अब कंपनियां किसी व्यक्ति को नौकरी पर रखते हुए उसके क्रिटिकल थिंकिंग स्किल की जांच भी करती है ।

अगर आप भी किसी अच्छी कंपनी में नौकरी करना चाहते हैं तो जरूरी है कि इसका कोर्स करें । Critical Thinking Course आपको आसानी से इंटरनेट पर मिल जायेंगे । कुछ प्लेटफॉर्म जिनकी मदद से आप विश्लेषणात्मक चिंतन कोर्स कर सकते हैं:

  • Coursera.org

Critical Thinking Books in Hindi

अगर आप क्रिटिकल थिंकिंग को गहराई से समझना चाहते हैं तो इसपर लिखी कई पुस्तकें भी पढ़ सकते हैं । इस विषय पर दुनिया के कई बड़े विद्वानों ने बेहतरीन किताबें लिखी हैं जिन्हें पढ़कर आप काफी कुछ सीख सकते हैं ।

Critical Thinking से जुड़े कई प्रश्न अक्सर इंटरनेट पर पूछे जाते हैं । इन सभी प्रश्नों को हमने एकत्रित करके उनके उत्तर नीचे दिए हैं । अगर आपके मन में भी कोई प्रश्न Critical Thinking in Hindi से सम्बन्धित हैं तो आप कॉमेंट के जरिए पूछ सकते हैं ।

1. क्रिटिकल थिंकिंग का मतलब क्या है ?

क्रिटिकल थिंकिंग का मतलब किसी भी जानकारी या परिस्थिति का तठस्थ होकर विश्लेषण और मूल्यांकन करना और इसकी कमियां और अच्छाइयों दोनों का उजागर करना । क्रिटिकल थिंकिंग किसी भी जानकारी को ज्यों का त्यों न मानने की सीख देती है ।

2. क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स क्या हैं ?

क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स एक व्यक्ति को अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय को लेने में मदद करती है । यह स्किल यानी कौशल व्यक्ति को हर जानकारी या परिस्थिति में विभिन्न प्रकार से सोचने और समझने की शक्ति प्रदान करती है ।

3. क्रिटिकल थिंकिंग कितना महत्वपूर्ण है ?

Critical Thinking हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें रोजमर्रा के जीवन में सही निर्णय लेने के लिए क्षमतावान बनाता है । क्रिटिकल थिंकिंग एक सफल, खुशहाल जीवन का रास्ता भी है ।

4. Creative Thinking और Critical Thinking में अंतर क्या है ?

Creative Thinking सिर्फ और सिर्फ नए विचारों को जन्म देने की प्रक्रिया है । क्रिएटिव थिंकिंग के अंतर्गत सिर्फ किसी विचार को जन्म देना और फिर उसे असलियत का रूप देने की कोशिशें आती हैं तो वहीं क्रिटिकल थिंकिंग किसी विचार के विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन से सम्बन्धित है ।

5. Analytical Thinking in Hindi क्या है ?

Analytical thinking आपके द्वारा एकत्रित और व्यवस्थित की गई जानकारी का मूल्यांकन करके जटिल मुद्दों से निपटने की क्षमता है । विश्लेषणात्मक विचारकों को समस्याओं की पहचान करने, डेटा से जानकारी निकालने और पहचानी गई समस्या के व्यावहारिक समाधान तक पहुंचने में सक्षम होना चाहिए ।

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critical thinking meaning in hindi

आलोचनात्मक चिंतन (Critical Thinking) क्या हैं?

आलोचनात्मक चिंतन Critical Thinking सत्य-असत्य एवं सही-गलत के मध्य अंतर स्पष्ट करने की कला हैं। यह व्यक्ति को अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित करने की ओर आकर्षित एवं अभिप्रेरित करता हैं। यह व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से विचार करने एवं उचित मूल्यांकन करने का कौशल प्रदान करता हैं।

यह व्यक्ति मे ज्ञान प्राप्त करने की जिज्ञासा का विकास करता हैं। जिस कारण व्यक्ति किसी प्रकरण को विस्तार पूर्वक जानने हेतु अधिक प्रश्न पूछता हैं एवं अपनी जिज्ञासा को शांत करता हैं। आज हम आलोचनात्मक चिंतन से संबंधित सभी पहलुओं का अध्ययन कारिंगे और जनिंगे कि आलोचनात्मक चिंतन क्या है?

आलोचनात्मक चिंतन क्या हैं? What is Critical Thinking

critical thinking kya hai

यह व्यक्ति की सृजनात्मक क्षमता का विकास करता है एवं स्वयं द्वारा नवाचारों एवं क्रियाओं की खोज करने की ओर प्रेरित करता हैं। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने का कार्य करता है एवं उसमें नेतृत्व क्षमता एवं कौशलों का विकास करता हैं। जिसकी सहायता से व्यक्ति अन्य व्यक्तियों को आकर्षित एवं स्वयं को प्रभावशाली सिद्ध करता हैं।

यह व्यक्ति को किसी भी प्रकरण का विश्लेषण करने एवं किसी समस्या का समाधान एवं वर्तमान परिस्थिति के अनुसार व्यवहार करने में भी सहायता करता हैं। यह व्यक्ति को समाज के साथ समायोजन करने एवं सामाजिक कार्यों में सहयोग करने व जीविकोपार्जन हेतु व्यवसाय करने योग्य बनाता हैं।

यह वैज्ञानिक चिंतन का विकास करता है जिसकी सहायता से व्यक्ति किसी भी समस्या का क्रमबद्ध रूप से अध्ययन कर पाता हैं। यह व्यक्ति को सटीक जानकारी एकत्रित करने में उसकी सहायता करता हैं। जिस कारण वह वस्तु का उसके सही रूप में आकलन करने में सक्षम हो पाते हैं।

आलोचनात्मक चिंतन की विशेषता Characteristics of Critical Thinking

1. यह व्यक्ति को दार्शनिक बनाता हैं एवं किसी वस्तु का विश्लेषण करने में उसकी सहायता करता हैं।

2. यह व्यक्ति को सही-गलत एवं सत्य-असत्य का चयन करने में सहायता करता हैं।

3. यह प्रश्नात्मक कौशल में वृद्धि करने का कार्य करता है एवं व्यक्ति को अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु प्रेरित करता हैं।

4. आलोचनात्मक चिंतन व्यक्ति को सटीक निर्णय लेने में उसकी सहायता करता हैं। जो उसे भविष्य में सफलता के मार्ग पर ले जाता हैं।

5. इस चिंतन के द्वारा व्यक्ति में रचनात्मक गुणों का विकास होने लगता हैं।

आलोचनात्मक चिंतन की उपयोगिता Importance of Critical Thinking

आलोचनात्मक चिंतन का विकास कर व्यक्ति दुसरो के विचारों पर चिंतन-मनन कर ही उन विचारों को स्वीकार या अस्वीकार कर पाता हैं। यह व्यक्ति को बुद्धिजीवी बनने एवं लोगों का नेतृत्व करने व समाज के साथ समायोजन करने में भी उसकी सहायता करता हैं।

यह व्यक्ति को उसके कार्यो एवं उसके विचारों में परिपक्वता लाने एवं उसके आत्मविश्वास में वृद्धि लाने का कार्य करता हैं।

शिक्षा में आलोचनात्मक चिंतन की भूमिका Role of Critical Thinking in Education

शिक्षक जब किसी प्रकरण को छात्र को ध्यानपूर्वक समझाता है तो छात्रों में क्यों,क्या और कैसे जैसे प्रश्न जन्म लेते है परंतु जब उन छात्रों को क्यों,क्या व कैसे का उत्तर प्राप्त हो जाता है, अर्थात जब वह उस प्रकरण से संबंधित सभी आंकड़ों एवं ज्ञान अर्जित कर लेते है तो वह उस प्रकरण से संबंधित सभी अनकही बातों को एक उसके भावात्मक पहलुओं को भी समझने लगते है और उनके अधिगम की यही प्रक्रिया उनमें आलोचनात्मक चिंतन critical thinking का विकास करती हैं।

जिससे वह भविष्य में भी सही-गलत एवं सत्य-असत्य के मध्य के अंतर को सामान्य तौर पर समझने लगते है। जो उनको सदैव सफलता के मार्ग की ओर अग्रसर करती है। यह छात्रों को समस्या-समाधान की प्रक्रिया में उनकी सहायता करती है एवं उनको किसी भी प्रकरण पर पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने हेतु जिज्ञासु बनाती हैं।

आलोचनात्मक चिंतन व्यक्ति की सार्वभौमिक सत्य जानने की ओर प्रेरित करता है। जो उन्हें सही जानकारी एकत्रित करने में उनकी सहायता करता है एवं सही निर्णय लेने के कौशल का विकास करता हैं।

तो दोस्तों आज आपने जाना कि आलोचनात्मक चिंतन क्या हैं? अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो तो इस पोस्ट को अपने अन्य मित्रों के साथ भी अवश्य शेयर करें।

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critical thinking skills

Critical thinking skills क्या होती है ? विद्यार्धी जीवन में इसका महत्त्व

क्रिटिकल थिंकिंग आज के युग में सबसे ट्रेंडिंग स्किल में से एक है लेकिन बड़े बड़े प्रोफेसनल भी इसे समज हीं नहीं पाते  ,असल में क्रिटिकल होना यानि की किसी मामले में हमें उसकी खामियों को पहचानना होता है । पर कुछ लोग क्रिटिकल होने को गलत नजर से देखते है।  दरअसल Critical thinking skills  हमारे सोचने का ही एक तरीका है जिसमे हम एक Logical और Free thinking के साथ किसी problem का Suitable solution निकालते हैंl

इसके अंदर हमें अपने विचारो को तरह -तरह से विश्लेषित करना होगा की Brain में आए Idea को सही रूप दे सकेंl क्रिटिकल थिंकिंग में आपको सामने की स्थिति की हर शुद्धता समझते हुए complete presence of mind के साथ किसी Proper solution तक पहुंचना होता ह

Table of Contents

What is critical thinking skills- क्या होती है क्रिटिकल थिंकिंग

Life में बेहतर बनने के लिए और लाइफ में कुछ  प्राप्त करने के लिए आपको अच्छे Decision लेने की जरुरत होती है। जब आप किसी problems में फंसे हुए होते हैं उस दौरान आपके गहराई से सोचने(deep Thinking) की क्षमता ही आपको उस problems से बाहर निकलने में मदद करती है।

गहराई से सोचना एक तरह की process होती है जिसमें आप खुद से यह question करते हैं कि कैसे किसी चीज को चुना जाए, क्या सही है क्या गलत है । गहराई से सोचने की power को बढ़ाने के लिए आपको अपने Brain में विचारों को बढ़ाने की जरुरत होती है। कुछ तरीकों की मदद से आप अपने depply सोचने की क्षमता को grow सकते हैं।

Critical Thinking skills: को गहराई से समझने के लिए क्या करे ?

  • ध्यान रखें कि आप अपने लिए विचार कर रहे हो
  •  सोचें, लिखें और share करें
  • Question पूछें
  • समझें कि कोई भी हर time गहराई से नहीं सोच सकता
  • Take notice

Student life मे Critical thinking skills का महत्व ?

student में Critical thinking  का ख़ास महत्त्व है जो कि सिर्फ़ school  life में ही नहीं बल्कि आगे चलके निजी व Professional life में भी काम आएगीl

  • आपकी creative thinking में बदलाव आएंगे : किसी problem का सबसे अलग और creative हल निकालने के लिए आपको कुछ नए Ideas दिमाग में लाने होंगे जो कि वर्तमान स्थिति से पूरी तरह संबंध रखते हों और जो आपके लिए काफी Useful साबित हो सकेंl ऐसे ideas निकालते समय आपके दिमाग की Creativity ख़ास रोल निभाती हैl
  • उज्जवल भविष्य के लिए एक्स्ट्रा करीकुलर (Extracurricular) एक्टिविटीज़ के फ़ायदे हर student के लिए जानना बेहद ज़रूरी है
  •  आपका व्यक्तित्व कौशल बेहतर होगा : जब आप किसी किसी भी परिस्थिति में Clear and orderly तरीके से सोचना सीख जाते हो तो आप दूसरों के सामने खुद को अच्छे तरीके से present कर सकते हो और आपकी इस Quality का सबसे बड़ा फ़ायदा भविष्य में Job interview के दौरान या Office presentation में अपनी धाक ज़माने के समय होगा l साथ ही साथ आपकी Personality और  Communication Skills  ही आपको अपने Career में नई ऊँचाइयों तक पहुँचने के लिए मिसाल बनेगी
  • इम्तिहान में आने वाले Logic based question  का हल करने में सहायता मिलेगी : board exam ही नहीं बल्कि Government Job के लिए दी जाने वाली Competitive exam में भी कई तर्क आधारित प्रश्न पूछे जाते हैंl exam में आने वाले HOTS (उच्चतर आदेश सोच कौशल प्रश्न)  और Reasoning based questions आपकी Critical thinking skills को test करने के लिए ही पूछे जाते हैं जिनका हल निकालते समय आपको question में दिखाई गयी स्थिति का हर तरह से Analysis करना होगा और उसे Real life से जोड़ते हुए उचित नतीजे तक पहुँचना होगाl
  • ये भी पढ़े :- मेरा नाम क्या है ?

Student critical thinking skills कैसे सीखे ?

  • अपनी सोच को दें एक Strong आधार किसी भी question का उपयुक्त उत्तर बिना Knowledge के नहीं दिया जा सकताl जैसे की आप अपने आप से question कर रहे हो कि आपको गुस्सा कब आता है? क्यों आता है? और आप अपने गुस्से पे काबू कैसे पा सकते हो? तो इसके लिए आपको उन स्थितियों का Analysis करना होगा जब-जब आपका खुद पर से Control खो जाता होगा अब ये पता लगाओ कि आप किन तरीकों  से उस situation को या तो दोबारा आने से रोक सकते हो या उस दौरान खुद पर कैसे Overcome पा सकते होl इसके लिए आपको उन Events के बारे में इनफार्मेशन एकत्रित करनी होगी जिनकी वजह से ऐसी situations उत्पन्न होती है कि आप अपने गुस्से पे काबू नहीं पा सकतेl  धीरे-धीरे Collected होने वाली जानकारी एक दिन इतनी विशाल हो जाएगी की आप हर situations के पूर्व-प्रभाव समझने लगोगे और life में हर प्रश्न या problems का हल बड़ी आसानी से निकाल सकोगेl
  • Critical thinking में प्रवेश करने का यह सबसे नॉर्मल तरीका हैl बस अपने आप से एक question कीजिए कि आप life में क्या करना चाहते हैं या जो सब आप school में कर रहे हो ये सब किस लिए हैl लेकिन कोई भी question ऐसा न हो जिसका जवाब आपको सिर्फ  हाँ या न में देना होl ऐसे question पूछिए जिनका जवाब देने के लिए आपको knowledge की परतों को छान कर problems को सुलझाने का अवसर मिलेl यहाँ knowledge का अर्थ हम किताबी knowledge से नहीं बल्कि life के Experiences और भावनाओं से ले रहे हैं जो किसी भी situations को control करने में और Right decision तक पहुँचने में आपकी मदद करते हैंl इससे आपके भीतर Critical thinking का विकास सहज ही होने लगेगाl
  • जैसे आपको अपने Classmates में से ऐसे friends की तलाश करनी है जो कि आपको सही सगत दे सकेl ऐसे में सही और गलत का अंतर करने के लिए आपको Mind awareness और समझ का उपयोग करना होगाl इसके लिए आप सामने वाले लोगों की वार्तालाप व उनके Physical appearance का Analysis करें जिससे आपके Brain में उनके लिए एक धारणा यानि feel हो पाएl

ये भी पढ़े :- Articel writing कैसे करे ?

Critical thinking skills सीखने के तरीके

Critical सोच एक vision है जिसमें person किसी विचार की कल्पना करता है और फिर किसी conclusion पर पहुंचने के लिए ज़रूरी कदम उठाने के कार्य के बारे में सोचता है। इसमें research, जांच, मूल्यांकन, अनुमान और implementation शामिल है। आज की सूचना society में कई व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण सोच क्षमता होना महत्वपूर्ण है। महत्वपूर्ण सोच skill की पाँच-चरण Proccess का उपयोग समस्या समाधान की चिंता को समाप्त कर सकता है।

  • Problem को पहचानो

महत्वपूर्ण सोच में पहला कदम problems की पहचान करना है। विचार करें कि मसला क्या है और इसे तोड़ दें ताकि यह problems दोबारा न हो सके। अपने आप से पूछें कि क्या यह problem वास्तव में इतनी बड़ी है। यह Determined करें कि यह problem क्यों मौजूद है और इसके Solution के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया तो क्या result होंगे। इसके अलावा, यह determined करें कि हल करने की proccess में कौन शामिल होना चाहिए।

  • Information इकट्ठा करें

problems के बारे में अधिक से अधिक सीखना महत्वपूर्ण है। reason और समाधानों के लिए देखें, लेकिन केवल Face value पर तथ्यों को स्वीकार न करें। research और सभी संभावनाओं की जांच करे । मुद्दे के बारे में अन्य लोगों की Opinions and views जानने में संकोच न करें। आपके द्वारा सीखी गई information की Validity और Reliability  दोनों निर्धारित करें।

  • Evidence का मूल्यांकन करें

अगला कदम उन Evidence या सूचनाओं का मूल्यांकन करना है जिन्हें एकत्र किया गया है। सुनिश्चित करें कि information सटीक है। यह पुष्टि करें कि यह सिर्फ एक source से आया है और प्रत्येक source निष्पक्ष और भरोसेमंद दोनों हैं। निर्धारित करें कि information तथ्य या राय पर आधारित है या नहीं। उन सभी ways की सूची बनाएं, जिनकी Explanation की जा सकती है।

  • Solution पर विचार करें

Evidence मूल्यांकन से प्राप्त findings के आधार पर कई समाधानों के Plan बनाएं। इन विकल्पों में से प्रत्येक के advantage and disadvantage को जाने । यह स्पष्ट करना important है कि बाधाएं क्या हो सकती हैं, साथ ही Solution के किसी भी छोटे या Long term results क्या हो सकते हैं।

  • चयनित करना और उन्हें लागु करना 

एक विकल्प पर Decision लेने पर विचार करने के लिए तीन factor हैं। पहला solutions के साथ शामिल risk की मात्रा निर्धारित कर रहा है। दूसरा solutions की Practicality है और तीसरा किसी Priority के साथ सहमति है जिसे पूरा करने की requirement है। एक बार जब solution का चयन किया जाता है और action के लिए रखा जाता है, तो योजना implementation के परिणामों की निगरानी करके अनुवर्ती action की आवश्यकता होती है।

ये भी पढ़े:-  Negotiation skills क्या होती है .?

Top 5 best critical thinking books

  • Critical Thinking by Tom Chatfield :- यह आलोचनात्मक सोच पर एक अत्यधिक पसंद की जाने वाली पुस्तक है,इस पुस्तक में लेखक ने क्रिटिकल थिंकिंग के बारे में बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी । जो अच्छी तरह से पढ़ने  के लायक है।
  • Thinking Fast And Slow by Daniel Kahneman :- यह नोबेल पुरस्कार विजेता चिकित्सक द्वारा लिखी गई एक पुस्तक है जो स्पष्ट रूप से सोचने की हमारी क्षमता के लिए मनोवैज्ञानिक रूप प्रदान करती है ।। यह एक अच्छी तरह से शोधित पुस्तक है और पढ़ने के लायक है कि हमारा मस्तिष्क किसी चीज के बारे मे  कैसे तय करता है।
  • The Great Mental Models by Shane Parrish :-लेखक, शेन पैरिश लोकप्रिय  स्ट्रीट ब्लॉग के नाम से प्रसिद्ध व्यक्ति है जो महत्वपूर्ण सोच सहित विषयों की एक विस्तृत विविधता को कवर करता है। यह किताब मानसिक मॉडल के बारे में हैं, जो विशेष रूप से आपको अधिक स्पष्ट रूप से सोचने में मदद  करेगी। ये अवश्य पढ़ें!
  • Factfulness by Hans Rosling :-यह इस साल मैंने पढ़ी सबसे अच्छी किताबों में से एक है क्योंकि दुनिया मैं मौजूद अधिक जटिल चीजों के बारे में स्पष्ट रूप से सोचना बहुत मुश्किल है। यह किताब पढ़ने पर आप को दुनिया मे मौजूद अद्भुत चीजों के बारे में जानने को मिलेगा
  • The Art of Thinking Clearly by Rolf Dobelli :-यह किताब भी एक बहुत अच्छी किताब है इस किताब में 99 तरीके बताए गए हैं कि कैसे आप किसी चीज के बारे में सोच सकते हैं कुछ तरीके उनमें से मनोवैज्ञानिक हैं, कुछ तार्किक हैं, उनमें से कुछ सामाजिक हैं.

2 thoughts on “Critical thinking skills क्या होती है ? विद्यार्धी जीवन में इसका महत्त्व”

Nicely written, good information, Thank you

  • Pingback: Life Skills (जीवन कौशल) क्या है और इसे कैसे सीखे ?

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Critical thinking kaise karte hai? What is critical thinking and how can you do it? This video gives you 5 steps for critical thinking that would allow you to ask the right questions and make right decisions. To be an independent thinker and make the right decisions, critically analyzing the situation at hand is important. This video is a easy primer on Critical Thinking with Hindi examples. 00:00 Critical Thinking ke 5 Step 00:57 जानकारी का मूल्यांकन करना 02:36 महत्वपूर्ण सोच का अर्थ 03:32 आलोचनात्मक सोच का उपयोगे 04:09 सूत्रबद्ध प्रश्न 04:58 सूचना का स्रोत 05:50 तार्किक सोच 06:55 परिणाम के बारे में सोचना 07:55 राय सुनना #CriticalThinking #Skills #Thinking #SmartBano

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चिन्तन (Thinking) – अर्थ एवं परिभाषा, साधन और चिंतन के प्रकार

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चिंतन क्या है?

चिन्तन (Thinking) : मानवीय जीवन समस्याओं से भरा हुआ है। हम एक समस्या का हल खोज नहीं पाते, दूसरी सामने उपस्थित हो जाती है। ये समस्याएँ प्रयत्न बिना भी हल हो जाती हैं और कभी-कभी प्रयत्न  चिन्तन को जन्म देता है।

दैनिक जीवन में बड़े एवं बुजर्ग कहते हैं कि ‘ करने से पहले सोचो ‘ या ‘ अनुभव करने से पहले सोचो ‘। इसका मुख्य कारण है कि चिन्तन एवं तर्क समस्या समाधान और उचित निर्णय लेने में सहायता करते हैं।

चिन्तन का अर्थ एवं परिभाषाएँ

चिंतन की विशेषता, चिन्तन के उपकरण या साधन, चिन्तन के प्रकार, मूर्त एवं अमूर्त चिन्तन, अपसारी एवं अभिसारी चिन्तन, meaning and definitions of thinking.

दर्शनशास्त्र ने यह सिद्ध कर दिया है कि विश्व की प्रगति मानव की चिन्तन शक्ति पर निर्भर करती है। चिन्तन के द्वारा वास्तविकता का पता लगाया जाता है और वास्तविकता विज्ञान को जन्म देती है। अत: चिन्तन शब्द का प्रयोग ‘ याद ‘, ‘ कल्पना ‘ और ‘ अनुमान ‘ आदि के रूपों में किया जाता है; जैसे-परीक्षा में सही उत्तर खोजने के लिये चिन्तन, नये मकान को बनवाने का चिन्तन एवं दूर से आने वाले रिश्तेदार, मित्र या कोई नये व्यक्ति से सम्बन्धित चिन्तन।

हम चिन्तन के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिये कुछ विद्वानों के विचारों को प्रस्तुत करते हैं –

1. गिलफोर्ड (guillford) के अनुसार चिन्तन की परिभाषा.

“चिन्तन प्रतीकात्मक व्यवहार है। यह सभी प्रकार की वस्तुओं और विषयों से सम्बन्धित है।”

“Thinking is a symbolic behaviour for all thinking deals with substitutes for things.”

2. वेलेन्टाइन (Velentine) के शब्दों में चिन्तन की परिभाषा

“मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से ‘चिन्तन’ शब्द का प्रयोग उस क्रिया के लिये किया जाता है जिसमें श्रृंखलाबद्ध विकार किसी लक्ष्य या उद्देश्य की ओर अविराम गति से प्रवाहित होते हैं।”

“In strict psychological discussion it is well to keep the term ‘thinking’ for an activity which consists essentially of a connected flow of ideas which are directed toward some end purpose.”

3. गैरेट (Garret) के अनुसार चिन्तन की परिभाषा

“चिन्तन एक प्रकार का अव्यक्त एवं रहस्यपूर्ण व्यवहार होता है, जिसमें सामान्य रूप से प्रतीकों (बिम्बों, विचारों एवं प्रत्ययों) का प्रयोग होता है।

“Thinking is behaviour which is often implicit and hidden and in which symbols (images, ideas, concepts) are ordinarily employed.” (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});

उपर्युक्त विद्वानों द्वारा परिभाषित दृष्टिकोण का यदि हम विश्लेषण करें, तो चिन्तन के अर्थ के सम्बन्ध में निम्न तथ्य एवं विशेषताएँ पाते हैं-

1. संज्ञानात्मक प्रक्रिया (Cognitive process)

चिन्तन एक संज्ञानात्मक प्रक्रिया है। यह स्वत: ही नहीं होती, बल्कि प्रयत्न करना पड़ता है। प्रयत्न में चुनाव, सीखना, वाद-विवाद और प्राप्ति आदि प्रक्रियाओं के द्वारा ही चिन्तन सम्भव हो पाता है।

2. उद्देश्यपूर्णता (Objectfulness)

चिन्तन की क्रिया उद्देश्यपूर्णता की ओर अग्रसर रहती है। इसमें दिवास्वप्न या कल्पना आदि उद्देश्यहीन क्रियाओं का कोई भी स्थान नहीं रहता।

3. समस्या समाधान (Problem-solving)

चिन्तन के द्वारा समस्या समाधान होता है। व्यक्ति का व्यवहार जब उसे सन्तोष या सुख नहीं देता है तो समस्या उत्पन्न होती है। ये समस्याएँ ही चिन्तन को जन्म देती हैं।

4. प्रतीकात्मक क्रिया (Symbolic activities)

चिन्तन मुख्य रूप से प्रतीकों पर आधारित मानसिक क्रिया है। ब्रूनर और गैरेट का मत है कि चिन्तन में ठोस वस्तुओं की बजाय प्रतीकों का प्रयोग होता है; जैसे-मकान निर्माण में प्रतीकात्मक चिन्तन प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है, न कि ‘प्रयत्न एवं भूल’ का।

अत: निष्कर्ष के तौर पर हम कह सकते हैं कि “ चिन्तन मानसिक रूप से विचार करने की ज्ञानात्मक प्रक्रिया है,जो विभिन्न प्रतीकों के सहारे चलती है और समस्या समाधान में सक्रिय सहयोग देती है। “

Sources or Instruments of thinking

विभिन्न विद्वानों ने अपने अध्ययनों के आधार पर चिन्तन प्रक्रिया के आधार स्तम्भ, उपकरण या साधनों को निम्न भागों में प्रस्तुत किया है

1. प्रतिमाएँ (Images)

मानव अनुभव प्रतिमाओं के आधार पर व्यक्त होता है। हम जो कुछ देखते हैं, करते हैं एवं सुनते हैं सभी का आधार मन में विकसित प्रतिमा होती है। इसलिये इनको स्मृति, प्रतिमा, दृश्य प्रतिमा, श्रव्य प्रतिमा या कल्पना प्रतिमा आदि का नाम देते हैं। ये प्रतिमाएँ वस्तु, व्यक्ति एवं विचार से निर्मित होती हैं। चिन्तन में इन्हीं को आधार बनाया जाता है।

2. प्रत्यय (Concept)

‘प्रत्यय’ सामान्य वर्ग के लिये सामान्य विचार होता है, जो सामान्य वर्ग की सभी वस्तुओं या क्रियाओं का प्रतिनिधित्व करता है। चिन्तन का महत्वपूर्ण साधन प्रत्यय भी माना जाता है। इनके द्वारा हमें सम्पूर्ण ज्ञान का बोध होता है। जैसे- हाथी शब्द को सुनकर हमारे मस्तिष्क में हाथी से सम्बन्धित संचित प्रत्यय जाग जाता है और ‘सम्पूर्ण ज्ञान’ का आभास होने लगता है। अत: प्रत्यय के माध्यम से चिन्तन प्रक्रिया सशक्त होती है।

3. प्रतीक एवं चिह्न (Symbols and signs)

प्रतीक एवं चिह्न मूक रहते हुए भी अपना अर्थ स्पष्ट या व्यक्त करने में समर्थ होते हैं। सड़क पर बने हुए प्रतीक या चिह्न सही गति एवं सुरक्षा को स्पष्ट करते हैं। इससे समय एवं शक्ति की बचत होती है। बालक विद्यालय के घण्टे और घण्टा में अन्तर कर लेते हैं क्योंकि उसे सुनकर उनकी चिन्तन शक्ति अर्थ लगाती है। इसी प्रकार से गणित में + या x का चिह्न अर्थ स्पष्ट करता है कि हमें क्या करना है?

बोरिंग,लैगफील्ड एवं वैल्ड ने लिखा है- “ प्रतीक एवं चिह्न मोहरें एवं गोटियाँ हैं, जिनके द्वारा चिन्तन का महान खेल खेला जाता है। इनके बिना यह खेल महत्त्वपूर्ण एवं सफल नहीं हो सकता। “

Symbols and signs are thus seen to be power and pieces with which the great game of thinking is played. It could not be such a remarkable and successful game without than.

4. भाषा (Language)

भाषा का प्रयोग सामान्यतः होता रहता है। विद्वानों ने भाषा के पीछे चिन्तन शक्ति को बतलाया है। सामाजिक विकास में भाषा संकेतों एवं इशारों से भी प्रकट होती है; जैसे-मुस्कराना, भौहें चढ़ाना, गर्दन हिलाना, अँगूठा दिखा आदि । इन सभी का दैनिक जीवन में प्रयोग किया जाना और बिना बोले अर्थ को लगाना या समझना प्रचलित है। इन सभी के पीछे चिन्तन शक्ति का चलते रहना है, जो अर्थों को स्पष्ट करती है।

5. सूत्र (Formula)

हमारी प्राचीन परम्परा रही है कि हम ज्ञान को छोटे-छोटे सूत्रों में एकत्रित करके संचित करते हैं। इनमें गणित, विज्ञान के सूत्र आते हैं। भारतीय ज्ञान ‘ संस्कृत के श्लाकों ‘ में संचित है, जिसकी व्याख्या से अपार ज्ञान प्रकट होता है। सूत्र को देखकर हमारी चिन्तन शक्ति उसमें निहित सम्पूर्ण ज्ञान को प्रकट करती है।

Types of Thinking

चिन्तन के स्वभाव का अध्ययन करने के पश्चात् चिन्तन के प्रकारों का वर्णन करना आवश्यक होता है। प्रायः चिन्तन को चार रूपों में विभाजित किया जाता है, जो इस प्रकार से हैं-

1. प्रत्यक्षात्मक चिन्तन (Perceptual thinking)

बार-बार के अनुभवों से एकत्रित ज्ञान की स्थायित्वता जाग्रत होकर प्रेरित करती है। जब हम किसी व्यक्ति को बार-बार अपने घर आते देखते हैं, तो उसके व्यवहार का मूल्यांकन हमारे चिन्तन के द्वारा स्वत: हो जाता है, क्योंकि बार-बार के आने से जो अनुभव एकत्रित किये गये, वे सभी उसके व्यवहार को स्पष्ट करते हैं। अत: उस व्यक्ति को देखकर उसके व्यवहार का जाग्रत हो जाना ही प्रत्यक्षात्मक चिन्तन होता है।

2. प्रत्यात्मक (अवधारणात्मक) चिन्तन (Conceptual thinking)

मानव मस्तिष्क ज्ञान या परिचय के फलस्वरूप मस्तिष्क में प्रत्यय स्थापित करता है। यही प्रत्यय पुनः जाग्रत होकर वस्तु को पुनः स्मरण कराने में सहायक होते हैं। इसमें विषय का पूर्ण ज्ञान सन्निहित रहता है। जैसे- छात्र अध्यापक को देखकर कहते हैं, ‘सर’ आ गये यानी अध्यापक शब्द पूर्णता का बोध कराता है और छात्र उसका पूर्ण ज्ञान भी रखते हैं। अत: भाषा एवं नाम का प्रयोग प्रत्यात्मक चिन्तन की विशेषता होती है।

3. विचारात्मक चिन्तन (Reflective thinking)

महान् शिक्षाशास्त्री ड्यूवी ने विचारात्मक चिन्तन को ही चिन्तन माना है। हम चिन्तन के द्वारा किसी लक्ष्य की प्राप्ति या समस्या का समाधान खोज पाते हैं। इसमें विचारों एवं तर्कों को एक क्रम में स्थापित करने निष्कर्ष निकाले जाते हैं, जो व्यावहारिक एवं सामाजिक होते हैं।

4. सृजनात्मक चिन्तन (Creative thinking)

जब किसी विचार क्रिया के माध्यम से नवीन वस्तु या ज्ञान की खोज की जाती है, तो सृजनात्मक चिन्तन होता है। इसमें वस्तुओं, घटनाओं एवं स्थितियों की प्रकृति की व्याख्या करने के लिये कार्य-कारण के बीच नवीन सम्बन्ध स्थापित करने होते हैं। इसमें व्यक्ति स्वयं समस्या खोजता है और उसके हल को ज्ञात करता है। वर्तमान उन्नति इसी का परिणाम है।

Concrete and Abstruct Thinking

सामान्य रूप से चिन्तन की ये दोनों प्रक्रियाएँ एक-दूसरे से पृथक् पृथक् हैं परन्तु अनेक अर्थों में इनका वर्णन एक साथ किया जाता है क्योंकि जब हम किसी मूर्त वस्तु को देखते हैं तभी उसके बारे में अमूर्त चिन्तन करते हैं।

जैसे – हम एक महिला को बुर्का पहले देखते हैं। यह मानते हैं कि एक महिला हमारे सामने बुर्के से मुंह ढककर जा रही है। इसके बाद आगे के चिन्तन की प्रक्रिया अमूर्त चिन्तन से सम्बन्धित हो जाती है। जब हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि यह महिला बुर्के से अपना मुँह क्यों ढक रही है? इस परम्परा के मूल में कौन-से कारण हैं। यह परम्परा कब से भारतीय समाज में प्रारम्भ है। वर्तमान समय में इसकी क्या प्रासंगिकता है? इन चारों प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करना अमूर्त चिन्तन की प्रक्रिया के अन्तर्गत आता है।

अमूर्त चिन्तन के द्वारा हम जान लेते हैं कि बुर्के में मुँह ढककर महिला अपने सौन्दर्य को छिपाती है जिससे उनको व्यक्ति बुरी दृष्टि से न देखें तथा उनके अपहरण की सम्भावना न हो। यह प्रथा मुस्लिम राजतन्त्र के समय से चली आ रही है।

इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि मूर्त चिन्तन ही अमूर्त चिन्तन का आधार बनता है क्योंकि जब तक हम किसी घटना या वस्तु का अवलोकन नहीं करते तब तक उसके बारे में विचार नहीं करते।

मूर्त एवं अमूर्त चिन्तन में अंतर एवं इनके मध्य विशेषता

मूर्त एवं अमूर्त चिन्तन के मध्य विशेषताओं एवं अन्तर को निम्न रूप में स्पष्ट किया जा सकता है जो कि इन दोनों के स्वरूप एवं प्रक्रिया को स्पष्ट करता है-

Divergent and Convergent Thinking

चिन्तन की प्रक्रिया में अपसारी एवं अभिसारी चिन्तन की प्रक्रिया भी सम्पन्न होती है। इन दोनों प्रकार के चिन्तनों का अध्ययन एक साथ करना इनके अप्रत्यक्ष सम्बन्ध को प्रकट करता है। दोनों प्रकार के चिन्तनों में पर्याप्त अन्तर भी देखा जाता है। इस प्रकार के चिन्तनों का वर्णन निम्न रूप में किया जा सकता है-

1. अपसारी चिन्तन (Divergent thinking)

अपसारी चिन्तन के अन्तर्गत व्यक्ति एक ही व्यवस्था का भित्र-भिन्न रूपों में चिन्तन करता है। दूसरे शब्दों में, इस चिन्तन के माध्यम से व्यक्ति एक ही समस्या का समाधान भिन्न-भिन्न विधियों से करने पर विचार करता है। इसमें एक प्रकार की मस्तिष्क उद्वेलन की प्रक्रिया सम्पन्न होती जिसके आधार में एक विषय पर अनेक विचार उत्पन्न किये जा सकते हैं।

जैसे-ईश्वर की प्राप्ति के विषय में यदि अपसारी चिन्तन किया जाय तो अनेक विचार हमारे समक्ष उपस्थित हो सकेंगे जैसे ईश्वर को दान से प्राप्त किया जा सकता है, ईश्वर को कर्म के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है तथा ईश्वर को भक्ति के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है आदि।

इसी प्रकार के अनेक विषयों पर विविधता युक्त चिन्तन या चुनौतियों का विभिन्न प्रकार से समाधान अपसारी चिन्तन प्रक्रिया के अन्तर्गत आता है।

2. अभिसारी चिन्तन (Convergent thinking)

इस प्रकार के चिन्तन को प्रक्रिया में किसी भी विषय पर एकांगी चिन्तन किया जाता है जो कि उसके लिये आवश्यक होता है। इस प्रकार के चिन्तन में व्यक्ति किसी समस्या का समाधान श्रेष्ठ विचार या तरीके से करता है।

जैसे- ईश्वर प्राप्ति के विषय में विचार करने के लिये व्यक्ति के सामने अनेक विकल्प होते हैं परन्तु वह यह मानता है कि भक्ति सर्वश्रेष्ठ विकल्प है जिससे ईश्वर की प्राप्ति होती है। इस प्रकार वह अन्य विकल्पों को इसलिये छोड़ देता है कि सभी विचार ईश्वर की प्राप्ति में सहायक हैं। इसलिये वह सर्वश्रेष्ठ उपाय भक्ति को अपने चिन्तन का आधार बनाता है।

इस प्रकार अभिसारी चिन्तन में किसी समस्या का समाधान किसी एक विचार, एक विधि या एक उपाय द्वारा सम्पन्न किया जाता है।

अन्य संबधित लेख-

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critical thinking meaning in hindi

A critic is a person who communicates an assessment and an opinion of various forms of creative works such as art, literature, music, cinema, theater, fashion, architecture, and food. Critics may also take as their subject social or government policy. Critical judgments, whether derived from critical thinking or not, weigh up a range of factors, including an assessment of the extent to which the item under review achieves its purpose and its creator's intention and a knowledge of its context. They may also include a positive or negative personal response.

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Meaning In Hindi

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Critical Meaning In Hindi

Pronunciation (उच्चारण).

  • Critical – क्रिटिकल
  • आलोचनात्मक
  • गंभीर
  • नाजुक
  • विकट
  • संकटमय
  • समालोचनसंबंधी
  • संकटपूर्ण
  • गुणदोष परीक्षा संबंधी
  • जोखिम का
  • गुणदोष विवेचक
  • समीक्षात्मक
  • समालोचनात्मक
  • सूक्ष्म
  • विवेचनात्मक
  • पूरा
  • ठीक
  • छिद्रेन्वेषी
  • छिद्रान्वेषी
  • गुणागुणज्ञ
  • शोचनीय
  • दोषदर्शी
  • चिंताजनक

Word Forms / Inflections

  • Critically- (Adverb)
  • Criticality- (Noun)
  • Criticalness- (Noun)

Definition And Hindi Meaning Of Critical

Critical शब्द के मायने

Critical शब्द को एक शब्द या वाक्य में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। यह शब्द विभिन्न स्थितियों में प्रयोग किया जाता है; ( the word critical cannot be defined in one word or a sentence. This word is used in various situations;)

  • जब स्थिति खतरनाक, अनिश्चित या गंभीर हो (when situation is dangerous, uncertain or serious)
  • यह कहना कि किसी के साथ क्या गलत है (saying what is wrong with somebody/somethin)
  • महत्व व्यक्त करने के लिए क्योंकि भविष्य की स्थिति इससे प्रभावित होगी ( to express importance because a future situation will be affected by it )
  • किसी के अच्छे और बुरे गुणों के बारे में सावधानीपूर्वक निर्णय (careful judgements about the good and bad qualities of somebody/something

उदाहरण के तौर पर

  • मैं किसी भी आलोचनात्मक टिप्पणी को अनदेखा कर दूंगा। I will just ignore any critical comments.
  • मैं अपने विषय का एक महत्वपूर्ण कारक लिखना भूल गया।  I forgot to write a critical factor of my topic.

Critical meaning in Hindi और अच्छे से समझने के लिए निचे दिए गये वाक्यों का example जरुर पढ़ें। इन सभी वाक्यों में क्रिटिकल वर्ड का use हुवा है तथा वाक्यों का हिंदी ट्रांसलेशन भी बनाया गया है।

critical meaning in hindi

Example Sentences Of Critical In English-Hindi

Synonyms of critical.

कुछ ऐसे शब्द जिन्हे आप Critical के स्थान पे उपयोग कर सकते हों:

  • Pressing serious
  • Psychological
  • All-important
  • High-priority
  • Now or never
  • Interpretative
  • Dodgy(British Informal)

Antonyms of critical

कुछ ऐसे शब्द जो Critical के विपरीत इस्तेमाल कर सकते हैं:

  • Complementary
  • Unimportant
  • Noncritical
  • Inconsequential
  • Insignificant
  • Unnecessary
  • Dispensable
  • Nonthreatening

Critical: English To Hindi Dictionary

Here you have read about the Definition and Hindi meaning of Critical , Hindi translation of Critical with similar and opposite words, synonyms, and Antonyms of Critical. You also learned the right spoken pronunciation of Critical in Hindi and the English language.

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  • Her lack of interest in the project has provoked sharp criticism from colleagues .
  • You must learn not to overreact to criticism.
  • The government is currently facing severe criticism.
  • I think he felt discouraged because of all the criticism he'd received .
  • His report contained serious criticisms of the finance director and of the entire board of management .

(Translation of criticism from the Cambridge English–Hindi Dictionary © Cambridge University Press)

Examples of criticism

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