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हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध

importance of language essay in hindi

By विकास सिंह

importance of hindi language

विषय-सूचि

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (Importance of hindi language)

हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा का महत्व सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में काफी अधिक है।

हिंदी भाषा में 11 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं और इसे “देवनागरी” नामक एक लिपि में लिखा जाता है। हिंदी एक समृद्ध व्यंजन प्रणाली से सुसज्जित है, जिसमें लगभग 38 विशिष्ट व्यंजन हैं। हालाँकि, ध्वनि की इन इकाइयों के रूप में स्वरों की संख्या निर्धारित नहीं की जा सकती है, बड़ी संख्या में बोलियों की मौजूदगी के कारण, जो व्यंजन प्रदर्शनों की सूची के कई व्युत्पन्न रूपों को नियोजित करती हैं।

हालाँकि, व्यंजन प्रणाली का पारंपरिक मूल सीधे संस्कृत से विरासत में मिला है, जिसमें अतिरिक्त सात ध्वनियाँ हैं, जिन्हें फारसी और अरबी से लिया गया है।

हिंदी भाषा किन क्षेत्रों में बोली जाती है?

500 मिलियन से अधिक बोलने वालों के साथ, चीनी के बाद हिंदी दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी को भारत के “राजभाषा” (राष्ट्रभाषा) के रूप में अपनाने से पहले इसमें काफी बदलाव आया है।

इंडो-आर्यन भाषाई वर्गीकरण प्रणाली के सिद्धांत के अनुसार, हिंदी भाषाओं के मध्य क्षेत्र में रहती है। 1991 की जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदी को “देश भर में एक भाषा” के रूप में भारतीय आबादी के 77% से अधिक द्वारा घोषित किया गया था। भारत की बड़ी आबादी के कारण हिंदी दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।

1991 की भारत की जनगणना के अनुसार (जिसमें हिंदी की सभी बोलियाँ शामिल हैं, जिनमें कुछ भाषाविदों द्वारा अलग-अलग भाषाएं मानी जा सकती हैं – जैसे, भोजपुरी), हिंदी लगभग 337 मिलियन भारतीयों की मातृभाषा है, या भारत के 40% लोगों की है। उस वर्ष जनसंख्या।  एसआईएल इंटरनेशनल के एथनोलॉग के अनुसार, भारत में लगभग 180 मिलियन लोग मानक (खारी बोलि) हिंदी को अपनी मातृभाषा के रूप में मानते हैं, और अन्य 300 मिलियन लोग इसे दूसरी भाषा के रूप में उपयोग करते हैं।

भारत के बाहर, नेपाल में हिंदी बोलने वालों की संख्या 8 मिलियन, दक्षिण अफ्रीका में 890,000, मॉरीशस में 685,000, अमेरिका में 317,000 है। यमन में 233,000, युगांडा में 147,000, जर्मनी में 30,000, न्यूजीलैंड में 20,000 और सिंगापुर में 5,000, जबकि यूके, यूएई, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी हिंदी बोलने वालों और द्विभाषी या त्रिभाषी बोलने वालों की उल्लेखनीय आबादी है जो अंग्रेजी से हिंदी के बीच अनुवाद और व्याख्या करते हैं।

हिंदी भाषा का विकास (growth of hindi language)

1947 के विभाजन के बाद भारत सरकार द्वारा समर्थित संक्रांति दृष्टिकोण से हिंदी की वर्तमान बनावट बहुत प्रभावित है। स्वतंत्रता से पहले अपने मूल रूप में, हिंदी ने उर्दू के साथ मौखिक समानता की काफी हद तक साझा की है। हिंदी और उर्दू को अक्सर एक ही इकाई के रूप में संदर्भित किया जाता था जिसका शीर्षक था “हिंदुस्तानी”।

इसके साथ ही कई अन्य भाषाओं जैसे अवधी, बघेली, बिहारी (और इसकी बोलियाँ), राजस्थानी (और इसकी बोलियाँ) और छत्तीसगढ़ी। हालाँकि, यह दृष्टिकोण वस्तुतः प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान और सार्वजनिक सूचना के माध्यम की वकालत करता है, जो वाराणसी बोली की तर्ज पर भारतीय विद्वानों द्वारा विकसित एक संस्कृत-उन्मुख भाषा को रोजगार देता है।

लिपि:

देवनागरी लिपि

महत्वपूर्ण लेखक:

रामधारी सिंह ‘दिनकर’, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन, हरिवंश राय बच्चन, नागार्जुन, धर्मवीर भारती, अशोक बजाज, अशोक बजाज, अशोक बजाज चंद्र शुक्ला, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद, फणीश्वर नाथ रेणु, हरिशंकर परसाई, रामवृक्ष बेनीपुरी, चक्रधर शर्मा गुलेरी, विष्णु प्रभाकर, अमृत लाल नागर, भीष्म साहनी, सूर्यकांत निराला आदि को हिंदी के सबसे मशहूर लेखकों में गिना जाता है ।

हिंदी स्थानीयकरण और सूचना प्रौद्योगिकी

हिंदी टाइपिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले कई लोकप्रिय फॉन्ट हैं; यूनिकोड, मंगल, क्रुतिदेव, आदि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की एक टीम पहले से ही मशीनी अनुवाद सॉफ्टवेयर को विकसित करने और हिंदी को मानकीकृत करने के लिए काम कर रही है, हालाँकि वे इसके माध्यम से कोई बड़ा तोड़ नहीं बना पाए हैं।

हिंदी भाषा की बढ़ती प्रोफ़ाइल के प्रति हाल की चेतना ने लाखों हिंदी बोलने वालों को आशा दी है और आशा है कि आने वाले समय में हिंदी को मान्यता मिलेगी और संयुक्त राष्ट्र आधिकारिक भाषा बन जाएगी। यह समय हिंदी केंद्र, हिंदी विश्वविद्यालयों, हिंदी गैर सरकारी संगठनों और लाखों हिंदी भाषियों को हिंदी की रूपरेखा बढ़ाने के लिए हाथ मिलाना चाहिए। हिंदी सिनेमा और बॉलीवुड ने पहले ही अच्छा योगदान दिया है, इसी तरह हिंदी मीडिया ने भी चमत्कार किया है।

वैश्विक मोर्चे पर हिंदी के बढ़ते महत्व के आधार पर, अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद और हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद के लिए भविष्य उज्ज्वल है। हालाँकि, भारतीय को अंग्रेज़ी शब्दकोश और अंग्रेज़ी से हिंदी शब्दकोश में ऑनलाइन हिंदी विकसित करने और ऑनलाइन हिंदी भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने के प्रयासों की आवश्यकता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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धन्यवाद !

Finally I got a nice speech

thank you vikas singh bhai

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हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध

यहां पर हिंदी का महत्व पर निबंध (Hindi Bhasha ka Mahatva Par Nibandh) के बारे में बताने वाले है। हिंदी एक ऐसी भाषा है, जिसके बारे जितना लिखा जाए उतना काम ही है।

Hindi Bhasha ka Mahatva

इस भाषा से हम कई और भाषाओं का ज्ञान भी ले सकते हैं। यहां पर हमने हिन्दी भाषा का महत्व (hindi bhasha ka mahatva nibandh) के जरिये आपको बताने का प्रयास किया है। आप इसे अंत तक जरूर पढ़े।

वर्तमान विषयों पर हिंदी में निबंध संग्रह तथा हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध पढ़ने के लिए यहां  क्लिक करें।

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (Hindi Bhasha ka Mahatva Essay In Hindi)

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (250 शब्द).

विश्व की प्राचीन और सरल भाषाओं की सूची में हिंदी को अग्रिम स्थान मिला है। हिंदी भारत की मूल है। यह भाषा हमारी संस्कृति और संस्कारों की पहचान है। हिंदी भाषा हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान और गौरव प्रदान करवाती है।

विश्व की सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा में हिन्दी का स्थान दूसरा आता है। भारत देश में यह भाषा सबसे ज्यादा बोली जाती है, इसलिए हिंदी भाषा को 14 सितम्बर 1949 के दिन अधिकारिक रूप से राजभाषा का दर्जा दिया गया।

भारत ही एक ऐसा देश है, जिसकी राष्ट्रभाषा और राजभाषा एक ही है। जो यह साबित करता है कि  भारत देश में हिंदी का कितना महत्व है।

हिंदी भाषा का जन्म लगभग एक हजार वर्ष पहले हुआ था। ऐसा माना जाता है कि हिंदी का जन्म देवभाषा संस्कृत की कोख से हुआ है। संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, अवहट्ट, हिन्दी यह हिंदी भाषा का विकास क्रम है।

हिंदी एक भावात्मक भाषा है, जो लोगों के दिल को आसानी छू लेती है। हिंदी भाषा देश की एकता का सूत्र है। पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रचार करने का श्रेय एक मात्र हिंदी भाषा को जाता है। भाषा की जननी और साहित्य की गरिमा हिंदी भाषा जन-आंदोलनों की भी भाषा रही है।

आज भारत में पश्चिमी संस्कृति को अपनाया जा रहा है, जिसके चलते अंग्रेजी भाषा का सभी क्षेत्रों में चलन बढ़ गया है। वास्तविक जीवन में भले ही हम हिंदी का प्रयोग जरूर करते है लेकिन कॉर्पोरेट जगत में ज्यादातर अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग होता है, जो हमारे लिए एक शर्मनाक बात है।

फिर भी दुनिया में हिंदी की बढ़ती पॉपुलरटी को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि हिंदी भविष्य की भाषा है। एक भारतीय होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि हमें भी हिंदी के महत्व को बढ़ाना देना चाहिए।

importance of language essay in hindi

  • राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबंध
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हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (1200 शब्द)

एक स्वतंत्र देश की खुद की एक भाषा होती है, जो उस देश का मान-सम्मान और गौरव होती है। भाषा और संस्कृति ही उस देश की असली पहचान होती है। भाषा ही एक ऐसा जरिया है, जिसकी मदद से हम अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

विश्व में कई सारी भाषाएँ बोली जाती है, जिसमें हिंदी भाषा का विशेष महत्व है। यह भाषा भारत में सबसे अधिक बोली जाती है और विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में दूसरा स्थान है।

हिंदी सिर्फ एक भाषा का काम ही नहीं करती है। यह सभी लोगों को एक दूसरे को आपस में जोड़े रखने का काम भी करती है। हिंदी सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में बोली जाने वाली भाषा है।

इसका अध्ययन विदेशों में भी होता है और विश्व के कोने-कोने से लोग भारत सिर्फ हिंदी सिखने के लिए आते है। ऐसा माना जाता है कि संस्कृत भाषा का सरलतम रूप हिंदी भाषा ही है। हिंदी भाषा में संस्कृत के काफ़ी शब्दों का समावेश देखने को मिल जाएगा।

हिंदी भाषा का विकास

विश्व में कुल 3 हजार भाषाएं बोली जाती है, उनमें से हिंदी एक भाषा है। रूप या आकृति के आधार पर हिंदी वियोगात्मक भाषा है। भारत देश में 4 भाषा के परिवार मिलते है, जो भारोपीय, द्रविड़, ऑस्ट्रिक व चीनी तिब्बती है। भारत में सबसे अधिक बोला जाने वाला भाषा परिवार भारोपीय परिवार है।

यह भाषा की आदि जननी संस्कृत है। संस्कृत पाली, प्राकृतिक भाषा से होती हुई और अपभ्रंश तक पहुंचती है। फिर अपभ्रंश से गुजरती हुई प्राचीन/प्रारंभिक हिंदी का रूप लेती है। सामान्यता हिंदी भाषा के इतिहास का आरंभ अपभ्रंश से माना जाता है।

हिंदी भाषा का विकास क्रम

संस्कृत⇾ पालि⇾ प्राकृत⇾ अपभ्रंश⇾ अवहट्ट⇾ प्राचीन/प्रारम्भिक हिन्दी

हिंदी भाषा का महत्व

यह एक ऐसी भाषा है, जो सभी धर्मों के लोगों को जोड़े रखने का काम करती है। यह सिर्फ एक भाषा का काम ही नहीं करती, यह एक देश की संस्कृती, वेशभूषा, रहन सहन, पहचान आदि है।

हमारे में से कई लोग ऐसी भी है, जो यह मानते है कि वह हिंदी नहीं सीखेंगे फिर भी उनका काम बन जायेगा। लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि भारत में हर व्यक्ति अन्य भाषाओं को मुख्य भाषा के रूप में प्रयोग में नहीं ला सकता है। लेकिन हिंदी एक ऐसी भाषा है, जिसकी मदद से हर भारतीय आसानी से आपस में समझ सकते हैं।

हिंदी को संस्कृत की बड़ी बेटी का दर्जा प्राप्त है। हिंदी बहुत ही सरल भाषा है, जिससे हर कोई सिखकर इसका प्रयोग कर सकता है। यह सिखने में बहुत ही आसान है। हिंदी को सिखने के लिए आपको अधिक खर्चे करने की भी जरूरत नहीं है।

हिंदी को मात्र कुछ किताबों की मदद से सिखा जा सकता है। हिंदी भाषा का प्रयोग भारत के लोग अपने बचपन से करना शुरू कर देते है।

हिंदी- एक भावात्मक भाषा

भारत एक ग्रामीण देश है और इसकी अधिकतर जनसंख्या ग्रामीण इलाकों से तालुक रखती है। भारत में सभी अंग्रेजी नहीं जानते। इसलिए भारत में आपको किसी से भी बात करनी हो या फिर संवाद करना हो तो आपको पहले हिंदी का ज्ञान होना ही चाहिए।

यह एक ऐसी भाषा है, जिसकी मदद से हम अपनी भावनाओं को बहुत ही सरल तरीके से व्यक्त कर सकते हैं। हमारे देश में ऐसे बहुत से लोग है, जिनको हिंदी की जानकारी होते हुए भी अन्य भाषओं का प्रयोग करते हैं क्योंकि उनको लगता है कि हिंदी बोलने से उनके चरित्र पर सवाल उठेंगे।

ये सोच रखने वाले हिंदी को अधिक महत्व नहीं देते लेकिन उनको यह जानकारी होनी चाहिए कि हिंदी एक ऐसी भाषा है, जिसे सिखने के लिए लोग लाखों रुपये खर्च करके भारत आते है। हिंदी के महत्व को जानने के लिए यही मात्र काफी है।

इं‍टरनेट युग में हिन्दी

इंटरनेट एक ऐसी जगह है, जहां पर हम हर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत और विश्व में इन्टरनेट जिस रफ़्तार से विकसित हुआ है, वो सही में बहुत तारीफ के काबिल है।

हिंदी भाषा भी अब इंटरनेट पर तेजी से अपना कब्ज़ा जमा रही है। आज के समय में हिंदी भाषा हर समाचार पत्र से लेकर हिंदी ब्लॉग तक अपनी पहचान हासिल कर रही है।

गूगल और विकिपीडिया जैसी बड़ी वेबसाइट हिंदी को हर व्यक्ति तक पहुँचाने में अपनी हर संभव कोशिश कर रही है। इन्होंने हिंदी भाषा के महत्व (Hindi ka Mahatva) को समझते हुए इंटरनेट पर ट्रांसलेटर, सर्च, सोफ्टवेयर आदि को विकसित किया, जिससे लोगों के लिए हिंदी को जानना और भी आसान हो गया।

आज के समय में इंटरनेट पर हर महत्वपूर्ण चीज की जानकारी हिंदी में मिल रही है, जिससे हिंदी और भी लोकप्रिय होती जा रही है। हर कोने में हिंदी की पहचान कायम हो रही है।

हिंदी भाषा के क्षेत्र

ऐसा माना जाता था कि हिंदी उत्तर भारत में ज्यादा बोली जाती है लेकिन अब हिंदी भारत के हर कोने में फैलती गई है और धीरे-धीरे हिंदी भाषा पूरे भारत में लोकप्रिय होती गई। आज के समय में हिंदी भाषा वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही है। इसकी हर जगह पर सराहना हो रही है।

आज के समय में हिंदी मुख्य रूप से भारत के सभी राज्यों में बोली जाती है, इन राज्यों में मुख्य रूप से बिहार, उतरप्रदेश, मध्यप्रदेश, उतराखंड राजस्थान आदि आते है।

यह भाषा भारत के अलावा नेपाल, दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, अमेरिका, यमन, युगांडा, जर्मनी, न्यूजीलैंड, सिंगापुर आदि में भी बोलने वालों की संख्या लाखों में है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, यूके, कनाडा और यूएई में भी हिंदी बोलने वाले और द्विभाषी या त्रिभाषी बोलने वालों की संख्या भी बहुत है।

हिंदी भाषा की विशेषताएं

  • इस भाषा को देवभाषा संस्कृत का सरलतम रूप कहा जा सकता है। इसकी लिपि देवनागरी लिपि है।
  • हिंदी भाषा एक ऐसी भाषा है, जिसमें हम दूसरी भाषा के शब्द भी आसानी से प्रयोग कर सकते है, जिससे हमें आसानी होती है।
  • इस भाषा के वर्णमाला में स्वर और व्यंजन दूसरी भाषाओं की वर्णमालाओं की तुलना में बहुत अधिक व्यवस्थित है।
  • हिंदी भाषा के वर्ण हम जो भी बोलते हैं, उन्हें आसानी से लिख भी सकते हैं जबकि दूसरी भाषाओं में ऐसी नहीं होता है।
  • यह एक ऐसी भाषा है, जिसमें निर्जीव वस्तुओं के लिए लिंग का निर्धारण होता है।
  • हिंदी भाषा को पढ़ने के साथ ही इसे आसानी से लिखा भी जा सकता है।
  • हिंदी भाषा के शब्दकोश में मौजूद शब्द हर काम के लिए अलग अलग है और ये शब्द बढ़ ही रहे है।
  • इस भाषा में साइलेंट लेटर्स नहीं होते हैं, जिसके कारण ही इसका उच्चारण और लेखन में शुद्धता होती है।
  • सोशल मीडिया पर हिंदी का प्रयोग हमेशा बढ़ता ही जा रहा है, इसलिए सभी बड़ी बड़ी सोशल मीडिया वेबसाइट ने हिंदी को महत्व देना शुरू कर दिया है।

हिंदी भाषा के प्रति हमारा सभी का यह कर्तव्य है कि हमें हिंदी के विस्तार के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। हमें इसका भरपूर सम्मान करना चाहिए।

यह भाषा सभी धर्मों को जोड़े रखने का काम करती है। सभी को यह समझाना चाहिए कि हिंदी का प्रयोग करना हीनता का प्रतीक नहीं बल्कि यह हमारा गौरव है।

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Comments (2).

बहुत बढ़िया राहुल सर

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importance of language essay in hindi

हिंदी का महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Hindi

by Meenu Saini | Jul 25, 2023 | Hindi | 0 comments

Essay on Importance of Hindi

Hindi Ka Mahatva Par Nibandh Hindi Essay

हिंदी का महत्व (importance of hindi ) par nibandh hindi mein.

जहां अंग्रेजी अधिकांश देशों में व्यापक रूप से बोली जाती है और इसे दुनिया की शीर्ष दस सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक माना जाता है, वहीं दूसरी ओर हिंदी इस सूची में तीसरे स्थान पर है।

देश के कई राज्यों में हिंदी अभी भी कई लोगों के लिए मातृभाषा है और ज्ञान प्रदान करने के माध्यम के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली अंग्रेजी एक बड़ी बाधा बनी हुई है। यह भी कहा गया है कि संख्यात्मकता और साक्षरता में मजबूत आधार कौशल सुनिश्चित करने के लिए, पाठ्यक्रम उस भाषा में प्रदान किया जाना चाहिए जिसे बच्चा समझता है।

हिंदी के महत्व के निबंध में हम आज हिंदी का महत्व, हिंदी के विकास के प्रभाव और भारत की आजादी के बाद संविधान सभा में हिंदी को लेकर हुए बवाल, समाधान और प्रमुख अनुच्छेदों की बात करेंगे, जो हिंदी की जरूरत और महत्व का वर्णन करते हैं।

हिंदी और भारतीय संविधान

भारतीय संविधान के प्रमुख भाषा संबंधी अनुच्छेद, अन्य प्रमुख अनुच्छेद, हिंदी भाषा पर ही क्यों हो रही है बहस, हिंदी का महत्व.

जैसे अंग्रेजी दुनिया को एक सूत्र में बांधती है, वैसे ही हमारे देश में हिंदी एक पुल है जो लोगों को जोड़ती है। मतलब जब दुनिया की सबसे बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हिंदी भाषा के महत्व और शक्ति को समझ सकती हैं, तो हम भारतीय इसकी सुंदरता और प्रासंगिकता को क्यों नहीं समझ सकते?

हमें यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि भारत में केवल 10% लोग ही अंग्रेजी बोलते हैं। हालाँकि, 2011 की भाषाई जनगणना के अनुसार, हिंदी कुल जनसंख्या के लगभग 44% की मातृभाषा है। इतने स्पष्ट आँकड़ों के बावजूद, भारत भर के स्कूल इंग्लिश मीडियम होने की होड़ में लगे हुए हैं।

नई शिक्षा नीति छात्रों को उनकी क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने का भी समर्थन करती है। नीति के अंशों में उल्लेख किया गया है कि छोटे बच्चे अपनी घरेलू भाषा/मातृभाषा में अवधारणाओं को अधिक तेज़ी से सीखते और समझते हैं। नीति में आगे कहा गया है कि जहां भी संभव हो, कम से कम ग्रेड 5 तक, लेकिन अधिमानतः ग्रेड 8 और उससे आगे तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा ही होगी।

बी.एन. राव ने कहा कि “भारत के नए संविधान के निर्माण में सबसे कठिन समस्याओं में से एक, भाषाई प्रांतों की मांग और समान प्रकृति की अन्य मांगों को पूरा करना होगा”। इस मुद्दे ने संविधान सभा को उसके तीन साल के जीवनकाल तक परेशान और परेशान किया।

संविधान सभा ने ऐसा नहीं किया, लेकिन इस मुद्दे को हल करने के लिए कड़ी मेहनत की क्योंकि भाषाई-सह-सांस्कृतिक आधार पर प्रांतों के पुनर्गठन के लिए मजबूत दबाव और मांग थी, जिससे संविधान की सामग्री प्रभावित हो रही थी।

जनवरी 1950 में संविधान के उद्घाटन के साथ, विधानसभा को इस मुद्दे से राहत मिली क्योंकि उन्होंने संविधान निर्माण के दौरान भाषाई प्रांतों के गठन को शामिल करने से इनकार कर दिया था।

भारत का संविधान राष्ट्रभाषा के मुद्दे पर मौन है। इस प्रकार, हिंदी भारत की क्षेत्रीय भाषाओं में से एक है, न कि हमारी राष्ट्रीय भाषा।

संविधान को 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया था और इसमें कहा गया था कि अनुच्छेद 343 के अनुसार देवनागरी लिपि में हिंदी और अंग्रेजी को पंद्रह साल की अवधि के लिए संघ की आधिकारिक भाषाओं के रूप में नामित किया गया था। नतीजतन, दक्षिणी राज्यों से इसका कड़ा विरोध हुआ, जहां द्रविड़ भाषा बोली जाती थी।

कानून में अंग्रेजी का उपयोग जारी रखने को प्राथमिकता दी गई, जो अधिक स्वीकार्य थी। हिन्दी के विपरीत इसका संबंध किसी विशेष समूह से नहीं था। इसके अलावा, राष्ट्रभाषा के मुद्दे पर संविधान मौन है। यह संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत उल्लिखित किसी भी धार्मिक भाषा को चुनने की स्वतंत्रता प्रदान करता है, जिसमें हिंदी सहित 22 क्षेत्रीय भाषाएं शामिल हैं। बंगाली, गुजराती, मराठी, उड़िया या कन्नड़ की तरह, हिंदी भी देश के विशिष्ट क्षेत्रों तक ही सीमित है।

अनुच्छेद 343 को पढ़ते समय भ्रम और झूठ की गुंजाइश पैदा होने लगती है और यह स्पष्ट कथन न होने के कारण भी कि भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है।

भ्रम को और बढ़ाते हुए, अनुच्छेद 351, जो हिंदी भाषा के विकास के लिए एक निर्देशात्मक आदेश है, कहता है कि सरकार को भारत की समग्र संस्कृति को व्यक्त करने के माध्यम के रूप में काम करने के लिए हिंदी के प्रसार को बढ़ावा देना होगा।

संविधान राज्यों को एक या अधिक भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश राज्य ने उत्तर प्रदेश राजभाषा (अनुपूरक प्रावधान) अधिनियम, 1969 के तहत हिंदी को अपनी आधिकारिक भाषा के रूप में नामित किया है।

अनुच्छेद 120 (संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा): अनुच्छेद 120 के अनुसार, संसद में कामकाज हिंदी या अंग्रेजी में किया जाएगा। हालाँकि, यदि कोई सदस्य किसी भी आधिकारिक भाषा में पर्याप्त रूप से पारंगत नहीं है तो वह अपनी मातृभाषा में खुद को अभिव्यक्त कर सकता है।

अनुच्छेद 344 (राजभाषा आयोग एवं संसद समिति): अनुच्छेद 344 में एक समिति की स्थापना का प्रावधान है और समिति का कर्तव्य होगा कि वह आयोगों की सिफारिशों की जांच करे और हिंदी भाषा के प्रगतिशील उपयोग पर राष्ट्रपति को रिपोर्ट करे। इसलिए, संविधान के प्रावधान हिंदी भाषा के उपयोग की दिशा में प्रगति पर प्रकाश डालते हैं।

अनुच्छेद 345 (किसी राज्य की आधिकारिक भाषा या भाषाएँ): अनुच्छेद 345 किसी राज्य की विधायिका को संबंधित राज्य में किसी एक या अधिक भाषाओं को अपनाने या सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए हिंदी का उपयोग करने का प्रावधान करता है, जब तक कि राज्य की विधायिका आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी भाषा का उपयोग करने का प्रावधान नहीं करती।

अनुच्छेद 346 (एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या एक राज्य और संघ के बीच संचार के लिए आधिकारिक भाषा): अनुच्छेद 346 संघ में एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच या एक राज्य और संघ के बीच आधिकारिक प्रयोजन या संचार के लिए उपयोग की जाने वाली आधिकारिक भाषा प्रदान करता है। इसके अलावा, यदि दो या दो से अधिक राज्य इस बात पर सहमत हैं कि आधिकारिक उद्देश्यों या संचार के लिए हिंदी भाषा आधिकारिक भाषा होनी चाहिए।

अनुच्छेद 347 (किसी राज्य की जनसंख्या के एक वर्ग द्वारा बोली जाने वाली भाषा से संबंधित विशेष प्रावधान): अनुच्छेद 347 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हैं कि राज्य की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा उनके द्वारा बोली जाने वाली भाषा को राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त भाषा के रूप में चाहता है, तो वह ऐसी भाषा को राज्य में मान्यता प्राप्त भाषा बनाने का निर्देश दे सकते हैं।

अनुच्छेद 348 (सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों और अधिनियमों, विधेयकों आदि के लिए प्रयुक्त भाषा): अनुच्छेद 348 में कहा गया है कि जब तक संसद द्वारा अन्यथा प्रदान नहीं किया जाता है, सर्वोच्च न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाही, आधिकारिक पाठ, संसद में पेश किए गए बिल, संसद द्वारा पारित अधिनियम या सभी आदेश, नियम और विनियम अंग्रेजी में होने चाहिए।

भारत एक विविधतापूर्ण देश है जिसमें अलग-अलग पृष्ठभूमि, धर्म, समुदाय, समूह, खान-पान, संस्कृति आदि के लोग शामिल हैं।

एक लोकप्रिय नारा है जिसमें कहा गया है कि भारत में हर कुछ किलोमीटर पर पानी की तरह भाषा बदल जाती है।

जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में हिंदी 44 प्रतिशत से भी कम भारतीयों की भाषा है और लगभग 25 प्रतिशत लोगों की मातृभाषा है। इसलिए, भारत के लिए एक राष्ट्रीय भाषा का चुनाव कठिन है और अक्सर हिंसा और गरमागरम बहस देखी जाती है।

भारत जैसे बहुभाषी देश में सत्तासीन सरकार ने अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कई बार घोषणा की है कि ‘हिंदी’ भारत की राष्ट्रीय भाषा है।

उदाहरण के लिए, 2017 में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने एक सार्वजनिक संबोधन में कहा था कि हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा है। उसी वर्ष, सत्तासीन सरकार ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की भाषा के रूप में हिंदी में संशोधन करने का प्रयास किया।

ताजा बहस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय शैक्षिक नीति, 2020 से सामने आई है। नीति में सरकार ने गैर-हिंदी भाषी राज्यों में अंग्रेजी और संबंधित क्षेत्रीय भाषा के साथ हिंदी पढ़ाना अनिवार्य करने की सिफारिश की थी। हालाँकि, बाद में सरकार ने नीति को संशोधित किया और इसे गैर-अनिवार्य घोषित कर दिया।

हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है

14 सितंबर 1949 को हिंदी भारतीय संघ की पहली मान्यता प्राप्त आधिकारिक भाषा थी। इसके बाद 1950 में, भारत के संविधान ने देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित किया। हिंदी के अलावा अंग्रेजी को भी भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई।

हिंदी भाषा का निम्न महत्व है;

हिंदी उर्दू के शब्दों में समानता है

हिंदी का उर्दू, एक अन्य इंडो-आर्यन भाषा से गहरा संबंध है। इसलिए, यदि आप हिंदी भाषा सीख रहे हैं तो इसे उर्दू सीखने में भी आसानी से लागू किया जा सकता है।

दोनों भाषाओं की उत्पत्ति एक समान है और ये परस्पर सुगम हैं। हालाँकि, हिंदी का अपना व्याकरण और वाक्यविन्यास है, लेकिन हिंदी वर्णमाला सीखने से अंततः आपको उर्दू शब्दों का उच्चारण करने में मदद मिलेगी क्योंकि दोनों की शब्दावली समान है।

व्यवसाय में उपयोगी

भारत की आधिकारिक भाषा होने के अलावा, हिंदी का उपयोग भारत के बाहर रहने वाले लोगों द्वारा दूसरी भाषा के रूप में भी किया जाता है। यह इसे अंतर्राष्ट्रीय संचार के लिए एक बहुत उपयोगी भाषा बनाता है। हिंदी बोलने वालों की इतनी बड़ी आबादी होने के कारण, यह भाषा दुनिया भर के स्कूलों में भी आमतौर पर पढ़ाई जाती है।

जो कोई भी विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करना चाहता है उसे भारत में अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए कुछ प्रयास करने की आवश्यकता होगी। भारत वर्तमान में अमेरिका, चीन और जापान के बाद (जीडीपी के हिसाब से) दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अनुमान है कि 2025 तक भारत जापान से आगे निकल जाएगा। भारत की विकास और नवाचार की विशाल क्षमता ने हिंदी को वैश्विक भाषा के रूप में महत्व दिया है।

पर्यटन के अलावा, भारत विज्ञान, वाणिज्य, व्यवसाय और अन्य सूचना प्रणाली/डिजिटल मीडिया जैसे हर पहलू में बढ़ रहा है।

हालाँकि देश के अंदर अभी भी कुछ सामाजिक समस्याएँ हैं। भारत की वृद्धि अजेय प्रतीत होती है और धीमी होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। दक्षिण एशिया क्षेत्र में परिचालन और बिक्री विस्तार पर नजर रखने वाली कंपनियां ज्यादातर ऐसे लोगों को भर्ती कर रही हैं जो भारतीय संस्कृति से परिचित हैं और जो स्पष्ट और धाराप्रवाह हिंदी बोल और लिख सकते हैं।

जो लोग धाराप्रवाह हिंदी बोल और लिख सकते हैं, उन्हें दक्षिण एशिया की कंपनियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों में भी सक्रिय रूप से भर्ती किया जाता है। यदि आप हिंदी बोलने और लिखने में सक्षम होंगे तो यह वास्तव में आपके लिए फायदेमंद होगा।

चाहे आप भारत में प्रवास करने की योजना बनाएं या नहीं, अंत में, आप निश्चित रूप से हिंदी भाषा के महत्व को सीखने के अपने निर्णय को बहुत फायदेमंद पाएंगे।

भारतीय संस्कृति की समझ को व्यापक बनाता है

दुनिया भर में हिंदी बोलने वालों की संख्या 1 अरब से अधिक है। इसे “भारत की मातृभाषा” कहा गया है क्योंकि अंग्रेजी के व्यापक प्रसार से पहले यह बहुसंख्यक भारतीयों की पहली भाषा थी। हिंदी उत्तर प्रदेश राज्य की भी प्राथमिक भाषा है, जहां भारत की लगभग आधी आबादी रहती है। हिंदी बोलना सीखना आपको देश के लोगों और उनकी संस्कृति को बेहतर ढंग से जोड़ने और समझने में मदद कर सकता है।

हिंदी सीखने से अन्य भाषाएँ सीखने में मदद मिलती है

किसी भाषा को सीखने का सबसे अच्छा लाभ यह है कि यह आपको अन्य भाषाएँ सीखने में मदद करती है। यदि आप हिंदी भाषा सीखने का प्रयास कर रहे हैं, तो स्पेनिश, फ्रेंच या जर्मन जैसी अन्य भाषाएँ अपनी मूल भाषा या उन भाषाओं से आसानी से सीखी जा सकती हैं जो आपने पहले सीखी हैं।

दूसरी भाषा सीखने से न केवल आपको अंग्रेजी में अधिक पारंगत होने में मदद मिलेगी। लेकिन अन्य विदेशी भाषाएँ सीखने पर भी आपको लाभ मिलता है।

उदाहरण के लिए, यदि आप स्पैनिश सीखने से पहले हिंदी सीखते हैं, तो आपके लिए स्पैनिश में शब्द और वाक्यांश सीखना आसान हो जाएगा क्योंकि वे परिचित लगेंगे। इसी तरह, कुछ बुनियादी अरबी शब्द सीखने से फ़ारसी सीखना बहुत आसान हो सकता है और इसके विपरीत भी।

हिन्दी भाषा भारतीय संस्कृति एवं अस्मिता का एक अनिवार्य अंग है। हिंदी भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, और यह भारतीय जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे सरकार, व्यवसाय, शिक्षा और मनोरंजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

दूसरी भाषा के रूप में हिंदी सीखना उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो भारत में काम करने की योजना बना रहे हैं।

हालाँकि, हिंदी भाषा को बढ़ावा देने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे क्षेत्रीय विविधता और अंग्रेजी का बढ़ता प्रभाव। इन चुनौतियों के बावजूद, हिंदी भाषा के महत्व को कम नहीं किया जा सकता है, और भाषा को बढ़ावा देने और इसके सांस्कृतिक महत्व को संरक्षित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

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हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध Essay On Hindi Bhasha Ka Mahatva In Hindi

हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध Essay On Hindi Bhasha Ka Mahatva In Hindi :- हिंदी हमारी मातृभाषा होने के साथ साथ भारत की राष्ट्रभाषा बनने की प्रबल दावेदार एवं योग्य हैं.

14 सितम्बर 2023 को हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के अवसर पर आपके लिए अपनी भाषा हिंदी के महत्व, आधुनिक भारत के विकास में हिंदी का महत्व व योगदान जैसे विषयों पर बात करने जा रहे हैं.

हमें भाषा के महत्व की समझ होनी चाहिए. मात्र पढने लिखने एवं बोलने की भाषा होने के अतिरिक्त राष्ट्र की प्रतीक, राष्ट्रीय एकता, अंतर्राष्ट्रीय पहचान के रूप में भी हिंदी भारत का सम्मान बढ़ा सकती हैं.

हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध

हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध Essay On Hindi Bhasha Ka Mahatva In Hindi

Hindi Bhasha के महत्व को इस छोटी कविता से समझा जा सकता है, यानि जीवन की परिभाषा ही हिंदी है. एक हिंदी भाषी के लिए दुनियां तभी सजीव है जब उसे कोई समझने एवं बात का जवाब देने वाला हो.

हिंदी हमारे देश को एकता के सूत्र में पिरोए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. Hindi Diwas मनाने का इतिहास संविधान के उस प्रावधान से जुड़ा हुआ है,

जब 14 सितम्बर 1949 के दिन भारतीय संविधान द्वारा औपचारिक रूप से हिंदी को भारत की राष्ट्र भाषा का दर्जा प्रदान किया गया था.

पहली बार  Hindi Bhasha के सम्मान में राष्ट्रीय हिंदी दिवस 1953 को मनाया गया था. उसके बाद हर साल इसी दिन देशभर में हिंदी डे मनाया जाता हैं.

इस अवसर पर विद्यालयों, कॉलेजों एवं अन्य सरकारी दफ्तरों में हिंदी दिवस पर निबंध, भाषण, नाटक, कविता, शायरी, कवि सम्मेलन प्रतियोगिताओं का आयोजन होता हैं.

हमारी सोशल मिडिया पर भी  Hindi Bhasha के महत्व को लोग बखूबी समझते हैं. बहुत से लोग इस दिन अपने स्टेट्स हिंदी में ही पोस्ट करते हैं तथा हिंदी दिवस विशेस शायरी कोट्स से सारा माहोल हिन्दीमय रूप ले लेता हैं.

Essay On Hindi Bhasha Ka Mahatva In Hindi

आज हिंदी का इन्टरनेट पर निरंतर विकास हो रहा हैं. गूगल ने भी हिंदी में टाइपिंग के लिए ऐसे टूल विकसित किए हैं. जिनसे अंग्रेजी में टाइप करने पर स्वतः हिंदी के वर्ण आ जाते हैं.

हिंदी के विकास में इसका अहम योगदान रहा हैं. जिसकी बदौलत आज इन्टरनेट के युग में हम विभिन्न वेबसाइटों पर हिंदी में कंटेट पढने को मिल रहे हैं.

भारत के बहुत से दक्षिणी एवं पूर्वी राज्यों में आज हिंदी को समझा जाने लगा हैं. भले ही कहने को हम गर्व करते है कि हमारी मातृभाषा हिंदी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा हैं.

मगर हम इसका अपमान स्वयं करते हैं. पहली क्लाश में एडमिशन लेने वाले बच्चे को यस सर और मे आई कम इन सर जैसे अंग्रेजी शब्दों के साथ लाते है. जिसका मतलब स्वयं उस बालक को भी पता नही होता हैं.

हम भी अपनी बोलचाल की भाषा में अंग्रेजी के शब्दों को बोलना गर्व की बात समझते है. हमें कब समझ आएगा. एक गुलामी की प्रतीक अंग्रेजी भाषा को टूटी फूटी बोलकर हम कब तक उन्हें अपमानित करते रहेगे.

क्या दोष है हमारी हिंदी में जो हम अंग्रेजी के दीवाने होते जा रहे हैं. सबसे बड़ी प्रशासनिक नौकरियों में आज भी हिंदी माध्यम की सरकारी स्कूलों में पढ़े बच्चें आगे आ रहे हैं.

हमारी न्याय व्यवस्था हो या सरकारी सिस्टम इन्होने भी हिंदी भाषा का बढ़ चढकर अपमान किया हैं. आज भी हमारे लोगों की यह मानसिकता बनी हुई है कि दो चार अंग्रेजी की स्पेलिंग, ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार कविता और अंग्रेजी वर्णमाला क्या सीख लेते पूरे मोहल्ले में ढिढोरा पीटने लग जाते हैं.

16 वीं एवं 17 वीं सदी का युग जब भारत में पुनर्जागरण एवं सुधारवाद का काल ऐसा था. जब भारत के उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम चारों दिशाओं में  Hindi Bhasha   को बोला जाता था.

बस लार्ड मेकाले की बदनीयती ने भारत पर अंग्रेजी थोपने की तमन्ना ने भारत की सांस्कृतिक एकता को ही ध्वस्त नही किया बल्कि आज की युवा पीढ़ी को अंग्रेजी के गुलाम बनाकर रख दिया.

आज भी हमारे शासन की भाषा का माध्यम अंग्रेजी बनी बैठी हैं. हिंदी कुछ ही मातृभाषा प्रेमियों, कवियों एवं साहित्यकारों तक सिमट कर रह गई हैं.

हिंदी की दुर्दशा के लिए जितने जिम्मेदार अन्य कारक है उससे कही अधिक फिल्म जगत ने हिंदी को अपमानित करने में कोई कसर नही छोड़ी हैं.

हिंदी भाषा की फिल्म बनाने वाले अभिनेता सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजी में ही इन्टरव्यू देते नजर आएगे. उन्हें यह एहसास नही है हम जिसकी वजह से आज स्टार बने है वह हिंदी ही हैं. मगर खुद को साना दिखाने के लिए वो अंग्रेजी बोलते है.

उनके लाखों अंध भक्त उनकों फॉलो करते हैं. हिंदी दिवस के अवसर पर हमें स्वयं जागना होगा तथा हिंदी का अपमान करने वालों को सबक सिखाना होगा. तभी इस देश की राष्ट्र भाषा के पद पर हिंदी भाषा स्थापित हो सकेगी.

हमारे युवा वर्ग को चाहिए कि वो अपनी मातृभाषा हिंदी के महत्व को समझे, अपने ह्रदय में इसे सजोकर रखे और इसकी दुर्दशा होने से केवल हम और आप ही बचा सकते हैं. आज जरुरी नही उच्च पदों के लिए हमें हिंदी को छोड़ना पड़ेगा.

यदि ऐसा किसी नौकरी के लिए करना भी पड़े तो हमें हिंदी से दूरी बनाने की बजाय इसे अपनी भाषा ही बनाकर रखना चाहिए. जब भारत के प्रधानमन्त्री हिंदी से ही विश्व भर में अपना काम चला सकते हैं. फिर हम क्यों नही.

हिंदी का महत्व पर निबंध। Essay on Hindi ka Mahatva

निजभाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल। बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटे न हिय को सूल।

एक आजाद मुल्क के प्रतीक उनका क्षेत्रफल, राष्ट्र ध्वज, राष्ट्र गान, राष्ट्रीय चिह्न जितने मायने रखते हैं. उतनी ही महत्वपूर्ण उस देश की राष्ट्रभाषा होती हैं. देश की एकता, अखंडता एवं स्थायित्व के लिए एक राष्ट्रभाषा होना परिहार्य हैं.

भारत के स्वतंत्रता सैनानियों का सपना था, कि हम विषम भाषा परिस्थतियों से गुजरे है वो आजाद भारत के नागरिकों को नही झेलनी पड़े. इसके लिए उन्होंने हिंदी को भारत की राष्ट्र भाषा बनाने की बात कही थी.

इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमारी संविधान सभा द्वारा 14 सितम्बर 1949 को भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया था.

सर्वव्यापकता, प्रचुर साहित्य रचना, बनावट की दृष्टि से सरलता और वैज्ञानिकता ये वो गुण है जो किसी देश की आधुनिक भाषा में होने चाहिए. जो राष्ट्रभाषा बनने का दावा करती हैं. हिंदी भाषा इन सम्पूर्ण गुणों से परिपूर्ण हैं. अतः अब समय आ चूका है. गुलामी की निशानी अंग्रेजी को उखाड़ फेककर हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनानी चाहिए.

आज भारत में ऐसा कोई राज्य नही हैं. जहाँ के लोग बिलकुल भी हिंदी से अपरिचित हैं. अहिन्दी भाषी राज्यों में बड़ी संख्या में लोग मिल जाएगे जो हिंदी को अच्छी तरह समझते हैं.

इसके उल्ट भारत के 1 या 2 प्रतिशत ही लोग ऐसे है जो अंग्रेजी को ठीक से समझते हैं अथवा आम बोलचाल में उसका उपयोग करते हैं.

  • हिंदी भाषी राज्य- उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली
  • द्वितीय भाषा हिंदी वाले राज्य- पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र और अंडमान निकोबार
  • अहिन्दी भाषी राज्य- तमिल नाडु, पाण्डिचेरी, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, मेघालय (इन राज्यों में 1 से 2 प्रतिशत लोग ही हिंदी जानते हैं)

हिंदी भाषा के महत्व को राष्ट्र विकास एवं एकता के सन्दर्भ में कभी भी नकारा नही जा सकता हैं. तुलसी जैसे कवियों की याद आती है. जब लोग हिंदी के हश्र की बात करते हैं. विदेशी आक्रान्ताओं के आक्रमण से त्रस्त भारतीय जनता को भक्ति मार्ग से बांधने वाली भाषा हिंदी ही थी.

14th September Hindi Day  के दिन मातृभाषा हिंदी के इतिहास, महत्व, भविष्य एवं साहित्य का समाज में योगदान को देखा जाता हैं.

हिंदी भाषा का महत्व Hindi Bhasha Ka Mahatva Essay Slogan In Hindi

हिंदी हमारी मातृभाषा हैं. जिसे भारत की राष्ट्रभाषा होने का गर्व प्राप्त होना चाहिए. बिना राष्ट्र भाषा के राष्ट्र गूंगा कहलाता हैं. ठीक वैसी ही स्थति हमारे यहाँ हैं.

100 करोड़ जनता की बोली, विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा, विश्व का सबसे समृद्ध साहित्य एवं शब्दकोश वाली हिंदी अपने ही वतन भारत में अपमानित हैं. Hindi Diwas  के लिए यहाँ हिंदी भाषा के महत्व पर निबंध, भाषण कविता आदि प्रस्तुत की गई हैं.

इस लेख में हम बात करने वाले है Hindi Bhasha के महत्व, इसके इतिहास, विकास, राष्ट्र के विकास में योगदान एवं हिंदी शब्द की उत्पत्ति के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करने वाले हैं.

14 सितम्बर को हर साल राष्ट्रीय हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता हैं. इस दिन को मनाने का उद्देश्य  Hindi Bhasha  के इतिहास वर्तमान एवं भविष्य के बारे में चर्चा करने के साथ ही किस तरह हिंदी को देश की मुख्य भाषा बनाई जाए.

आदि विषयों पर स्कुल एवं कॉलेजों में हिंदी दिवस का महत्व, कविता, भाषण, निबंध एवं कवि सम्मेलनों का आयोजन किया जाता हैं.

Hindi Bhasha के Mahatva के इस आर्टिकल में हम आपकों Hindi Language Essay & Slogans के द्वारा मातृभाषा के महत्व के बारे में जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं.

Essay & Slogans On Hindi – हिंदी का महत्व

हिंदी शब्द की उत्पत्ति व विकास (Origin and development of Hindi word)

हिंदी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत से मानी जाती हैं. यह सिन्धु शब्द से बना हैं. माना जाता है कि सिंध नदी के आस-पास रहने वाले लोगों को सिन्धु कहा जाने लगा.

उसी काल में ईरानियों की भाषा में स वर्ण का उच्चारण ह के समान किया जाता था. उदाहरण के लिए इरानी लोग असुर को अहुर कहा करते थे.

इसी प्रकार अफगान के पार भारतवर्ष के क्षेत्र को ‘हिन्द’, ‘हिन्दुश कहा जाने लगा. यह सिन्धु शब्द पहले ह के गलत उच्चारण के चलते हिन्दू बना फिर हिंदी और कालान्तर में हिन्द हो गया.

उस समय के अरबी एवं फ़ारसी साहित्य में भारत के क्षेत्र के लोगों की भाषा के लिए ज़बान-ए-हिंदी शब्द का प्रयोग किया जाता था.

यह क्षेत्र दिल्ली और आगरा के पास का था. जिसे आज की खड़ी बोली हिंदी की जन्मस्थली भी माना जाता हैं. हिंदी भाषा को हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में माना जाता हैं. इसकी मुख्य लिपि देवनागरी है, जिनमें संस्कृत के शब्दों की बहुतायत है.

अवहट्ठ जो अपभ्रश का रूप था, इसके बाद हिंदी का जन्म हुआ. लगभग एक हजार वर्ष पुराना हिंदी इतिहास हैं. मध्यकाल व इससे पूर्व के हिंदी साहित्य को ब्रज एवं अवधि में लिखा गया था.

कबीरदास, सूरदास, तुलसीदास, मीराबाई, मलिक मुहम्मद जायसी, बोधा, आलम, ठाकुर जैसे कालजयी हिंदी कवियों की रचनाओं ने हिंदी साहित्य को विस्तृत रूप प्रदान किया हैं.

अवधी, ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुंदेली, बघेली, भोजपुरी, हरियाणवी, राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, झारखंडी, कुमाउँनी, मगही भिन्न भिन्न राज्यों में बोली जाने वाली हिंदी की उपभाषाएँ अथवा बोलियाँ हैं.

राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी का महत्व (Importance of Hindi language)

आज कोई भी देश को ले लीजिए उनकी अपनी एक राष्ट्र भाषा होती हैं. जिस पर सम्पूर्ण देशवासियों को गर्व होता हैं. देश की जनता, राजनेता, अभिनेता हर कोई उसी भाषा में ही बात करता हैं. एक देश की राष्ट्र भाषा उन्हें एकता एवं स्थायित्व प्रदान करती हैं.

यदि हम हिंदी भाषा को देखे तो संविधान द्वारा 14 सितम्बर 1949 को भारत की राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया गया. भारतीय संविधान में 22 भाषाओं को यह दर्जा प्राप्त हैं.

वर्ष 1953 में इसी दिन को ऐतिहासिक बनाने के लिए राष्ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितम्बर के दिन ही मनाने का निश्चय किया गया था.

सर्वव्यापकता, प्रचुर साहित्य रचना, बनावट की दृष्टि से सरलता और वैज्ञानिकता ये वों गुण है जो एक राजभाषा में होने पर ही उन्हें एक आधुनिक भाषा होने का दर्जा दिया जाता हैं.

हिंदी भाषा में ये सभी गुण विद्यमान हैं. चूँकि हिंदी अभी तक भारत की राजभाषा हैं. जिसका अर्थ यह है कि सरकारी कामकाज की भाषा आम लोग सरकार के कार्यों एवं नीतियों को समझ सके इसलिए ही राजभाषा का प्रावधान किया जाता हैं.

इंग्लैंड, अमेरिका, जापान, कोरिया, चीन, पकिस्तान, नेपाल, मॉरिशस, बंगलादेश, सूरीनाम भारत के अतिरिक्त ये वो देश है जहाँ बड़ी संख्या में लोग हिंदी भाषा को बोलते और समझते हैं. भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली आदि की मुख्य भाषा हिंदी हैं.

पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र और अंडमान निकोबार ये वों क्षेत्र है जहाँ प्रथम भाषा वहां की स्थानीय भाषा है. सैकड भाषा का दर्जा हिंदी को दिया गया हैं. आज हिंदी का महत्व इस कदर बढ़ गया है कि इसने आधुनिक तकनीकी को भी अपना लिया है.

हिन्दी दिवस पर स्लोगन ! Hindi Slogans On Hindi Divas

Slogan 1: हिंदी में बात है क्योंकि हिन्दी में जज्बात है

Slogan 2: हिन्दी हमारी शान है, देश का अभिमान है

Slogan 3: हिन्दी का सम्मान करे, देश का मान करे

Slogan 4: चलो मिलकर मुहीम चलाये, आज ही से हिन्दी अपनाए

Slogan 5: जन – जन से करो पुकार, हिंदी ने किया हमपे उपकार

Slogan 6: हिन्दी बनती हमें महान, देश की है यह शान

Slogan 7: अंग्रेजी को पछाड़ दो, हिन्दी को आकार दो

हिंदी दिवस का महत्व 

आशा करता हूँ आपको यहाँ Hindi Bhasha का Mahatva पर एस्से स्लोगन्स आपकों पसंद आए होंगे. इस लेख को आप Hindi Diwas पर बोलने के लिए भाषण में उपयोग कर सकते हैं.

हिंदी के महत्व को नकारा नही जुआ सकता, यह देश के विभिन्न भागो को एकता के धागें में बांधकर रखती हैं. तथा सभी हिंदी भाषियों के दिल में अपनत्व का भाव जगाती हैं. साथ ही हिंदी का साहित्य सागर विस्तृत होने के कारण यह समाज को सही राह बताने में सक्षम हैं.

आज के हिंदी दिवस पर लेख में आप हिंदी भाषा के इतिहास, शब्द की उत्पत्ति विकास एवं वर्तमान भारत में महत्व पर प्रकाश डाल सकते हैं. आपकों बता दे हर साल 14 सितम्बर को हिंदी डे उस ऐतिहासिक निर्णय के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं. जब संविधान में 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया था.

यदि आप हिंदी भाषा अथवा Hindi Diwas के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो यहाँ पर निचे दिए गये आर्टिकल को रीड कर अपने भाषण अथवा निबंध की अच्छी तैयारी कर सकते हैं.

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हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध। Essay on Hindi Bhasha ka Mahatva

मातृभाषा हिंदी पर निबंध |essay on hindi bhasha ka mahatva.

hindi bhasha ka mahatva

हिंदी भाषा दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है| दुनिया में सर्व प्रथम संस्कृत भाषा का निर्माण हुआ उसके बहुत जल्द देवनागरी लिपि जो आज हिंदी के नाम से जानी जाती है उसका अस्तित्व आया| हिंदी संस्कृत भाषा का सरल अनुवाद है|

संस्कृत को सरल करने के लिए हिंदी का जन्म हुआ है| हिंदी के बाद भारत वर्ष में तमिल, तेलगु ,कन्नड़, गुजरती, उर्दू तथा कई अन्य भाषा अस्तित्व में आयी| सम्पूर्ण दुनिया पहले सिर्फ भारत थी आज सहस्त देशों में बट चुकी है| आज के आधुनिक संसार में ऐसा कोई देश नहीं जहाँ हिंदी न बोली जाती हो  क्योंकि  हर जगह का अस्तित्व भारत से हुआ है और हिंदी भारत की धरोहर है|

हिंदी शब्द का जन्म संस्कृत भाषा के सिन्धु शब्द से हुआ है| सिन्धु एक नदी का नाम है जो की भारत वर्ष की प्रमुख और प्राचीन नदियों में से एक है| बाहरी महाद्वीप के लोग इस नदी को उदाहरण के रूप में “जिस देश में  ये नदी है” वहां के लोगों को सिंधु न कह के हिन्दू पुकारने लगे क्यों की उनके तलाफुज़ में स शब्द निकलना बहुत कठिन होता था, जिस वजह से स की जगह ह लगा कर सिंधु को हिन्दू कहने लगे|

तब से भारत के लोगो को हिन्दू पुकारा जाने लगा, और आगे चल के पूरा देश हिंदुस्तान के नाम से जाना जाने लगा और उसी हिन्दू से हिंदी शब्द आया और हिंदी भाषा का नाम करण हुआ| हिन्दू शब्द किसी भी शास्त्र, वेद, पुराण, उपनिषद में कहीं नहीं है, यह नाम हमे ज़बरदस्ती सौंपा गया है| आज के हिन्दू वास्तव में सनातन तथा आर्य है और सभी नए धर्म के लोग भी पहले सनातन ही थे| .

हमारे देश में हिंदी को राष्ट्रीय भाषा का दर्ज़ा मिला है परंतु उसको आधिकारिक काम में कोई अहमियत नहीं | आधिकारिक काम काजो में अंग्रेजी को ही महत्व दिया जाता है| आज के समय हिंदी भाषा सिर्फ नाम मात्रा के लिए श्रेष्ठ है, इसका महत्व लोग भूलते जा रहे है| हम सभी हिंदी में ही वार्तालाप करते है ये एक बहुत ही अच्छी बात है|

हिंदी एक मात्रा ऐसी भाषा है जिसको समझना बाकी हर भाषा से सबसे सरल है| हिंदी हर एक भारतीय को अानी चाहिए क्योंकि इसने हमे जीवन के आदर्श सिखाये है|

हिंदी देवनागरी लिपि में लिखा जाता है| हिंदी भारत की राष्ट्र भाषा नहीं है क्योंकि की भारत के संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रीय अधिकार नहीं दिया गया है| हिंदी भाषा से ही अन्य सभी भाषाओँ का विस्तार हुआ है | हिंदी की देवनागरी में 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं  जो की बाएं से दाएं लिखी जाती है| भारत में हिंदी को सर्व प्रिय मन जाता है|

हिंदी भाषा आज के समय मज़ाक का  विषय बनते जा रहा है| आज के समय अंग्रेजी को ज़ादा महत्व दिया जा रहा है| आज के समय में किसी विद्यार्थी से हिंदी की वर्णमाला सुनाने को कहा जाए तोह ९० प्रतिशत लोग इसमें असफल रहेंगे, वहीं अंग्रेजी की वर्णमाला शायद ही किसी पढ़ने वाले विद्यार्थी से न बने|

आज के समय हिंदी विश्व की पांच सबसे प्रसिद्ध भाषाओ में से एक है | एक तरह से समझा जाए तो हिंदी हमारे दिल की भाषा है और आज अंग्रेजी पेट की भाषा है| आज देश में हिंदी और अंग्रेजी की लड़ाई में हिंदी हारती जा रही है| देश में हिंदी बोलने वालों को महत्व नहीं दिया जा रहा है | हिंदी ही एक मात्र भाषा है जिसमे इंसान अपनी अनुभूति, अभिव्यक्ति पूर्ण रूप से ज़ाहिर कर सकता है अन्यथा ये किसी और भाषा में पूर्ण रूप से नहीं पाया जाता|

हिंदी का सबसे बड़ा महत्व ये है की इस भाषा में त्रुटि बिल्कुल  भी नहीं है| ये जैसे बोली जाती है वैसे ही सोची और समझी जाती है| भारत की हिंदी फिल्मे पूरी दुनिया में देखि और पसंद की जाती है और भारत का संगीत जो की हिंदी भाषा से निर्मित  सबसे ज़ादा गाया और बजाया जाता है| भारत की हिंदी फिल्मों का देश के लोगों पे ज़बरदस्त प्रभाव होता है और ये भारत के बहार भी अपनी छाप छोड़ती है| दुनिया में सबसे ज़ादा गाने हिंदी भाषा में बने है |

किसी भी देश की भाषा उसकी उनती का मार्ग होती है और भारत में हिंदी ने सबसे अहम् भूमिका निभाई है| हिंदी भाषा ही एक भाषा है जिसने पुरे देश को एकता के बंधन में बांध के रखा है| हमारे देश के संविधान में हिंदी को देश की संघ भाषा का दर्जा दिया गया है | आज पूरे विश्व में तकरीबन १३० देशो में हिंदी भाषा का अध्यन होता है|

आज के समय कोई भी व्यक्ति पूर्ण रूप से शुद्ध हिंदी में वार्तालाप नहीं करता| यह एक गंभीर विषय है जिसे समय रहते इसका समाधान ढूँढना बहुत आवश्यक है | भारत देश के विश्वप्रसिद्ध नेताओं ने हिंदी का महत्व बखूबी समझा और उसे बहुत सम्मान दिया है जैसे स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव गाँधी इत्यादि|

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एक बार संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिंदी में इतना प्रभावशाली भाषण दिया था जिसको विश्व में सभी सुनने वाले लोग स्तब्ध रह गए थे | वर्तमान में भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने हिंदी का महत्त्व दुनिया को बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी, उनके भाषण हमेशा हिंदी में रहते है चाहे वो कोई भी राज्य या देश में जाए| हिंदी भाषा इतनी प्रभावशाली है की आज दूर देश से लोग हिंदी  पढ़ने भारत आते है|

पिछले कुछ वर्षो में हिंदी का सत्तर काफी बढ़ा है जिसमे श्री नरेंद्र मोदी जी का बहुत बड़ा योगदान है| पर फिर भी हिंदी का सत्तर उस स्थान पे नहीं है जहाँ उससे होना चाहिए था, इसके लिए हमे अपनी शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधर करने पड़ेंगे, वैसे भी हमारे देश की शिक्षा प्रणाली एक दम निचले सत्तर पे है|

भारत में हिंदी के लेखकों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है जिसमे कई प्रसिद्ध लेखक,कवी,गीतकार और साहित्यकार को आज भी उनके कार्य के लिए हमेशा याद किया जाता है जिसमे कालिदास, आर्यभट,कबीर, मुंशी प्रेम चाँद, हरिवंश राइ बच्चन, आनंद बक्शी, समीर अनजान, गुलज़ार, जावेद अख्तर, रविंद्र जैन , ये सब वो नाम है जिनकी तारीफ़ के लिए हिंदी के सभी शब्द कम पड़ जाए| हिंदी के गीतकार समीर को २०१५ में तकरीबन ३५२४ हिंदी गीत लिखने पे गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित किया गया|

ये सभी बातें हिंदी की महानता को दर्शाती है| तारीख १४ सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में बहुत धूम-धाम से हर जगह मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन १९४९ में, भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में गणराज्य भारत  की आधिकारिक भाषा के रूप में लिखी हिंदी को अपनाया था।

हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है| इसलिए हिंदी के महत्व को समझे और दुसरो को भी समझाएं |

अंततः इससे याद रखे , “हिंदी किसी एक प्रदेश की भाषा नहीं बल्कि देश में सर्वत्र बोली जाने वाली भाषा है ” -विलियम |

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हिंदी का महत्व ( Importance of Hindi )

आज के युग में हम हिंदी के महत्व को उजागर करने जा रहे हैं। हिंदी के उद्भव , विकास और प्रसिद्धि इन सभी बिंदुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा करने की कोशिश करेंगे। यह लेख हिंदी भाषी तथा गैर हिंदी भाषी लोगों के लिए भी लाभदायक है , जिसके माध्यम से वह हिंदी को और विस्तार पूर्वक समझ सकेंगे।

यह लेख हिंदी के महत्व को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है। जिसके माध्यम से आपके ज्ञान की वृद्धि और जिज्ञासा की शांति हो सके। ऐसा इस लेख का उद्देश्य  है –

Table of Contents

हिंदी का महत्व ( निबंध के रूप में प्रस्तुत )

पृष्ठभूमि – हिंदी की प्रसिद्धि आज देश ही नहीं अभी तो विदेश मे भी है। हिंदी का सरलतम रूप आज समाज में व्याप्त है।  हिंदी का अध्ययन देश ही नहीं अपितु विदेश में भी किया जा रहा है। हिंदी भाषी क्षेत्रों का दायरा व्यापक और विस्तृत होता जा रहा है , जिसमें संभावनाएं असामान्य रूप से बढ़ती जा रही है।

खड़ी बोली को पीछे छोड़कर हिंदी भाषा में एक नया रूप धारण किया , जिसमें इसके पाठकों और श्रोताओं का साथ मिलता गया। हिंदी भाषी लोग भारत में बेहद ज्यादा संख्या में उपलब्ध है , जिसके कारण भारतीय साहित्य में हिंदी भाषा ने अपनी प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली। वर्तमान शोध में यह पाया गया है कि इंटरनेट की दुनिया में गुणात्मक रूप से वृद्धि करने वाली भाषा हिंदी है।

जिसके अध्ययन के लिए विदेशी लोग भी लालाहित हैं।

माना जाता है हिंदी का जन्म उर्दू , अरबी और फारसी भाषाओं से हुआ है। मेरा ऐसा मानना है काफी शब्द उनसे ग्रहण किया गया है , किंतु संस्कृत का यह सरलतम रूप है। हिंदी मे  , संस्कृत और उर्दू के शब्दों भाषा के शब्दों का प्रयोग देखने को मिलता है।

हिंदी भाषा के उद्भव के कारण

हिंदी के उद्भव से पूर्व की जो भाषाएं भारत में प्रचलित थी वह सामान्य जनमानस की भाषा नहीं थी। संस्कृत पढ़े लिखे और विद्वानों की भाषा मानी जाती थी।  इस भाषा का प्रयोग सामान्य जीवन में नहीं किया जाता था। जिसके कारण इस भाषा से सामान्य जन परिचित नहीं थे। भारत की अधिकतर आबादी गांव में निवास करती थी , जहां के लोग अपनी क्षेत्रीय भाषा में बातचीत किया करते थे। इन ग्रामीणों को बैंक अथवा कार्यालय में हिंदी भाषा का प्रयोग करने में सुविधा होती है। अतः ऐसे क्षेत्र बहुतायत संख्या में है जहां कार्यालय भाषा हिंदी है।

हिंदी के शब्द सरल और सुविधाजनक माने जाते हैं। इस प्रकार यह लोग सम्मानीय की भाषा बनती है। हिंदी का साहित्य में आगमन एक क्रांतिकारी चरण है। हिंदी से पूर्व प्राकृत , अपभ्रंश , खड़ी बोली आदि का प्रयोग था जो बेहद ही जटिल भाषा मानी जाती है। इसको लिखना और बोलना बेहद कठिन माना जाता है।

अतः नवजागरण काल में हिंदी भाषा का चलन आरंभ हुआ।

भारतेंदु हरिश्चंद्र और उनकी सहयोगी टोलियों ने हिंदी भाषा के क्षेत्र में बेहद सराहनीय कार्य किया। भारतेंदु को हिंदी भाषा के विकास का श्रेय दिया जाता है इससे पूर्व खड़ी बोली प्रचलन में थी।

जनसामान्य की रुचि को ध्यान में रखते हुए भारतेंदु ने हिंदी भाषा का चलन आरंभ किया।

तत्काल समय में कविता नाटक और उपन्यास की रचना हिंदी में की गई जिसे लोगों ने खूब सराहा और धीरे-धीरे मध्यमवर्गीय पाठकों का उदय हुआ। इन पाठकों की प्रमुख भाषा हिंदी थी।

अतः उन्होंने हाथों-हाथ इन उपन्यास और साहित्य को अपनाया।

हिंदी भाषी क्षेत्र की जानकारी

हिंदी भाषा का क्षेत्र आज व्यापक हो गया है , पूर्व समय में उत्तर भारत का संपूर्ण भाग हिंदी भाषी माना जाता था। जिसमें प्रमुख मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश , बिहार आदि है। इन प्रदेशों में अधिक आबादी और संख्या होने के कारण हिंदी भारत में लोकप्रिय भाषा बन गई।  आज वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा उभर कर सामने आई है। वर्तमान समय में देश ही नहीं अपितु विदेश में भी हिंदी भाषा की सराहना की जा रही है। हिंदी भाषा इतनी सरल है कि जो शब्द का उच्चारण होता है वही शब्द लिखित रूप में होता है।

जबकि अन्य भाषाओं में शब्द का उच्चारण और लेख विभिन्न होते हैं।

विदेशी पाठक भी हिंदी का अध्ययन कर रहे हैं और इस क्षेत्र में उभरती संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं।

इंटरनेट पर हिंदी भाषी लोगों का निरंतर गुणात्मक रूप से वृद्धि हो रही है।

जिसका यही कारण है कि हिंदी सरल और सुगम भाषा बनती जा रही है। यह एक विशाल समूह की भाषा है जो सरल और सुगम मानी गई है।

वैश्विक स्तर पर हिंदी का महत्व – Hindi ka mahatva vaishvik star par

भारत सदैव से विश्व गुरु माना गया है , बीच में कुछ कालखंड ऐसे रहे जहां भारत अपनी राजनीतिक परिस्थितियों में घिर गया था। किंतु वह आज भी विश्व गुरु बनने की राह में पीछे नहीं है। भारत में वैदिक गुरुकुल और शिक्षा को ग्रहण करने के लिए देश-विदेश से शिक्षार्थी आया करते थे यहां के गुरुकुल की शिक्षा दुर्लभ थी। नालंदा विश्वविद्यालय इसका एक प्रमुख उदाहरण है।

  • भारत ने ही विश्व को वेद और योग तथा विज्ञान की शिक्षा दी।
  • भारतीय वेद पुराणों में निहित विज्ञानों को आज के वैज्ञानिक खोज कर रहे हैं।
  • जबकि उन सभी को भारतीय वेद पुराण में लिखा जा चुका था।

इसको आप झुठला नहीं सकते।

ठीक इसी प्रकार हिंदी की पकड़ विश्व स्तर पर हो गई है। इसके पाठकों के माध्यम से हिंदी भाषा का विस्तार हो रहा है। आज विदेशी लोग भी व्यापार करने के लिए भारत की ओर ताक रहे हैं। ऐसी स्थिति में वह हिंदी भाषा का गहन अध्ययन कर रहे हैं। आए दिन शोध में यह पाया जा रहा है कि भारतीय हिंदी भाषा का निरंतर गुणात्मक रूप से विकास हो रहा है। अतः इनकी आबादी और पाठकों की संख्या बेहद अधिक है ऐसे में विदेशी भी भारत की ओर अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं।

इंटरनेट पर इंग्लिश और चाइना भाषा के बाद हिंदी ही सबसे लोकप्रिय भाषा मानी जा रही है। देश विदेश के लोग हिंदी सीखने के लिए मोटी रकम खर्च कर रहे हैं।

हिंदी के साहित्य

हिंदी के साहित्य का वर्तमान में वैश्विक स्तर पर मांग बढ़ गई है। हिंदी के साहित्य व्यक्ति के जीवन से जुड़े होते हैं। उसमें हर्ष , विषाद , संवेदना सभी प्रकार के भाव निहित होते हैं। हिंदी साहित्य मानवीय संवेदनाओं को प्रकट करने में सक्षम है। आप इन साहित्य को पढ़कर यह महसूस करेंगे कि यह हूबहू आपके सामने आपके आंखों के दृश्य को प्रकट कर रहा है। हिंदी से पूर्व खड़ी बोली और अवधी भाषा का प्रचलन जोर पर था।

किंतु इन साहित्य को पढ़ने में उनके शब्दों को समझने में काफी कठिनाई का अनुभव करना पड़ता था। तत्कालीन लेखकों और कवियों ने इस पर विचार विमर्श कर हिंदी भाषा में साहित्य का रूपांतरण और रचना आरंभ की। जयशंकर प्रसाद , भारतेंदु हरिश्चंद्र , प्रेमचंद , आदि प्रमुख कवियों ने सामाजिक जीवन को हूबहू हिंदी साहित्य में पाठक के सामने प्रकट किया है।

यही कारण है कि प्रेमचंद को कलम का सिपाही माना जाता है।

उनकी रचना ग्रामीण परिवेश से जुड़ी हुई थी , यह साहित्य ग्रामीण जीवन को प्रकट करने का सामर्थ्य रखती थी। इन कवियों के साहित्य को ग्रामीण जीवन का महाकाव्य भी माना गया है।

हिंदी साहित्य जनसामान्य का साहित्य है।

इस साहित्य के पाठक का दायरा बेहद विस्तृत और व्यापक है।

शब्द और उच्चारण

हिंदी विश्व की एक इकलौती ऐसी भाषा है जो शब्द उच्चारण किए जाते हैं वही शब्द लिखे जाते हैं। हिंदी के अतिरिक्त अन्य सभी भाषाओं में उच्चारण और लेखन में बेहद ही अंतर देखने को मिलता है।

कई बार शब्दों को पढ़कर उसके उच्चारण में अस्पष्टता होती है।

हिंदी को इन्हीं सभी कठिनाइयों को ध्यान में रखकर विस्तार मिला। हिंदी जन सामान्य और मध्यम वर्ग की सशक्त भाषा है। इस भाषा में अनेक भाषाओं के शब्दों को समाहित किया गया है।

जिसमें प्रमुख अरबी , फारसी , उर्दू , संस्कृत आदि भाषाएं शामिल है।

इंटरनेट पर भी हिंदी का प्रयोग इसलिए प्रसिद्ध है , क्योंकि इसके शब्दों का लिखना और उच्चारण करना पाठकों के लिए सुलभ है। दिन – प्रतिदिन इसी सुगमता के कारण हिंदी का निरंतर विकास होता जा रहा है।

वह दिन दूर नहीं जब हिंदी विश्व स्तर की सर्वश्रेष्ठ भाषा कहलाई जाएगी।

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5 thoughts on “हिंदी का महत्व ( Importance of Hindi )”

हिंदी का महत्व सिर्फ वही व्यक्ति समझ सकता है जो इसमें छुपे रास को ग्रहण कर सकने की क्षमता रखता है। आपका लेख वाकई काबिले तारीफ है। आशा है आपसे इसी प्रकार के लेखन की।

धन्यवाद शुभाष जी। हमें इस बात की ख़ुशी है कि ये लेख आपको अच्छा लगा।

आज के जमाने में हिंदी का महत्व बढ़ता ही जा रहा है और इसलिए मेरा सभी से अनुरोध है की हिंदी विभाग की सहायता लेकर अपनी हिंदी मजबूत करें और अपने आप को बेहतर बनाएं।

बहुत अच्छा लेख तैयार किया है आपने, हिंदी का महत्व बहुत है अगर सामने वाला समझना चाहे तो

राष्ट्रपती रामनाथ कोविन्द जी ने कहा है.. “हिंदी अनुवाद की नहीं बल्कि संवाद की भाषा है। हिंदी मौलिक सोच की भाषा है।”

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बचपन में जब मैं छोटी थी तो मुझे हिंदी बोलने में बहुत शर्म महसूस होती थी। हालांकि मेरी गलती भी नहीं थी। मेरी परवरिश ऐसी जगह हुई जहां पर यह माना जाता था कि अंग्रेजी बोलने से रुतबा बढ़ता है और हिंदी बोलने से रुतबा घटता है। मेरी स्कूल भी कैथोलिक थी। वहां पर अंग्रेजी में बात ना करने पर बच्चों पर फाइन के रूप में जुर्माना लगता था। मुझे अंग्रेजी बोलने और लिखने में बहुत मजा आने लगा। मैंने अंग्रेजी भाषा पर अपनी पकड़ बढ़ा दी। इसका नतीजा यह हुआ कि हिंदी भाषा में मेरे अंक कम आने लगे।

“जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी।” 

– (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।

राधिकारमण प्रसाद सिंह जी के द्वारा लिखा गया यह वाक्य एकदम सही है। आज के समय में स्थिति कुछ ऐसी ही हो रखी है। आज भारत के लोग दुनियाभर की भाषाओं को सीखने में लगे हैं। फ्रेंच और स्पेनिश भाषा सीखना उनको सम्मान की बात लगती है। आजकल के समय में लोग अपने बच्चों को भी विदेशी भाषाओं को सिखाने में लगे हैं। वह यही चाहते हैं कि उनका बच्चा इन सभी भाषाओं में पारंगत हो।

जब भी उनका बच्चा हिंदी बोलता है तो उनको शर्म महसूस होने लगती है। सभी माँ-बाप यही चाहते हैं कि उनके बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोले। जब उनका बच्चा धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलता है तो उनको बहुत अच्छा महसूस होता है। वह इसे गर्व की बात समझते हैं। लेकिन क्या आपको यह लगता है कि हम ऐसा करके सही दिशा में जा रहे हैं। नहीं बिल्कुल भी नहीं। ऐसा करके हम अपने आप को गर्त में ही धकेल रहे हैं। ऐसा होना बिल्कुल गलत है। क्योंकि ऐसा करके हम अपनी ही संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं।

आज के दौर में भाषाएं

आज के समय में लोग अलग अलग प्रकार की भाषाएं सीखने में लगे हुए हैं। कोई जर्मन सीख रहा है तो कोई फ्रेंच और स्पेनिश भाषा सीखने में व्यस्त है। सारी भाषाओं का अपना अलग महत्व होता है। सभी की अपनी खूबियां है। लेकिन जो बात हमारी भाषा हिंदी में है वह किसी और में नहीं है। हिंदी बड़ी ही प्यारी और मीठी भाषा है। पूरी दुनिया में इस भाषा के कई जने दीवाने हैं। हम जब हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं तो ऐसा लगता है कि मानो मुँह में जैसे मिश्री घुल गई है। यह भाषा हमारी धड़कनों में बसी है।

हिंदी भाषा का इतिहास

जब भी हमें अपने विचारों को व्यक्त करना होता है तो हम उसे बोलकर व्यक्त करते हैं। बिना बोले या लिखे हम अपनी भावनाओं को दूसरों के सामने जाहिर नहीं कर पाते हैं। हम इंसान हमेशा से ही कोई ना कोई माध्यम से अपने विचारों को दूसरों के सामने व्यक्त करते आए हैं। हम काफी समय से अपने भावों को जाहिर करते आए हैं। जैसे आदिमानव की अपनी अलग भाषा हुआ करती होगी। हम यह नहीं कह सकते कि उस समय कौन सी भाषा का प्रयोग होता होगा। लेकिन अगर हम अपनी भाषा के इतिहास के बारे में देखें तो हमें यह ज्ञात होता है कि हमारी सबसे पुरानी भाषा संस्कृत रही है।

हिंदी भाषा कैसे विकसित हुई?

प्राचीनकाल में हमने संस्कृत भाषा को देवभाषा का दर्जा दे रखा था। उस समय सभी लोग संस्कृत ही बोलते और लिखते थे। राजा और प्रजा इसी भाषा का प्रयोग करती थी। बड़े बड़े ग्रंथ भी इसी भाषा में लिखे गए। संस्कृत भाषा से ही अन्य सभी भाषाओं का जन्म हुआ। हिंदी भाषा भी संस्कृत भाषा की ही देन है।

हिंदी भाषा तकरीबन 1000 वर्षों से हमारे दिलों पर राज कर रही है। सबसे पहले इस भाषा को प्रचलन में लाने का श्रेय ईरानी लोगों को जाता है। क्योंकि हम भारतीय सिंधु नदी के पास रहा करते थे इसलिए हमारा नाम सिंधु से हिंदू पड़ गया। हिंदी भाषा की उत्पत्ति का श्रेय उत्तर भारत को जाता है। हिंदी भाषा की उत्पत्ति अपभ्रंश से मानी जाती है।

हिंदी भाषा किन भाषाओं का मिश्रण है?

हिंदी विविध भाषाओं का मिला जुला रूप है। अगर हिंदी भाषा के विकास की हम बात करें तो हम अपनी प्रचीन संस्कृत को दो हिस्से में बाँट सकते है लौकिक संस्कृत भाषा और पहली प्राकृत भाषा। इससे ही आगे फिर दूसरी प्राकृत भाषा अस्तित्व में आई। इसी भाषा को हम सभी पाली नाम से भी जानते हैं।

बाद में आगे चलकर हमने पाली भाषा को तीन हिस्सों में बांट दिया था – मागधी, अर्धमागधी (प्राकृत) और शौरसेनी। पश्चिमी हिंदी, राजस्थानी, पहाड़ी, गुजराती को हम शौरसेनी की आधुनिक भाषा कह सकते हैं। नागर अप्रभंश को दो हिस्से में विभाजित कर सकते हैं- पूर्वी हिंदी और पश्चिमी हिंदी। और आखिर में वर्तमान हिंदी। खड़ी बोली को हम हिंदी भाषा का विकसित रूप मानते हैं। यह भाषा बोलने और लिखने में बहुत ही प्यारी लगती है।

हिंदी भाषा का महत्व

हमारे जीवन में हिंदी भाषा का महत्व बहुत ज्यादा है। हिंदी भाषा हमारे देश की जान है और पहचान भी। आज हिंदी की वजह से ही हम है। आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर जो हमें पहचान और मान सम्मान मिला है वह सब हिंदी की बदौलत ही है। यह हम भी अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारा देश बहुत बड़ा है।

इस देश में भिन्न भिन्न प्रकार की जाति और धर्म के लोग निवास करते हैं। उनका खान पान अलग है और पहनावा भी अलग है। पर एक चीज है जो उनको जोड़े रखती है। वह है हमारी राजभाषा। हम यहां पर हिंदी भाषा का बोल रहे हैं। हिंदी भाषा का उदय करीब हजार वर्ष पहले हुआ था। उस समय से लेकर आज तक यह भाषा हमारे लिए गौरव की भाषा बनी हुई है। इसका प्रमाण हम सभी के सामने है।

आज के समय में हमारी हिंदी फ़िल्मों और गानों को खूब पसंद किया जाता है। विदेशों में भी हमारी हिंदी फ़िल्मों को बड़ी चाव से देखा जाता है। यहां तक की हमारी आजादी के समय भी हिंदी भाषा ने बड़ा अहम योगदान दिया। उस समय कविताएं, कहानियां और भाषण इसी भाषा में लिखे और दिए गए। आजादी संग्राम के दौरान यह भाषा एक प्रमुख भाषा बनी रही। आज के दौर में तकरीबन करोड़ों की संख्या में लोग हिंदी बोल और समझ सकते हैं। हिंदी के महत्व को समझते हुए ही हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।

हिंदी को राजभाषा का दर्जा कब प्राप्त हुआ?

यह हम सभी को पता है कि हिंदी को हमारी राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। हिंदी से हम भारतीयों का गहरा जुड़ाव है। हिंदी ने हमें नया आयाम दिया है। अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मागधी और मारवाड़ी सभी हिंदी भाषा का ही अंश है।

अमेरिका और कनाडा जैसे विकसित देशों में भी हिंदी को सीखने वालों की संख्या अधिक है। लेकिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा कब प्राप्त हुआ, यह सोचने वाली बात है। हिंदी को राजभाषा बनाने का प्लान तो कभी से ही चल रहा था। बहुत से विदेशी आक्रमणकारियों ने यह सोचा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दे देते हैं।

लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए। फिर आजादी से पहले यह मांग उठनी शुरू हो गई थी कि हिंदी को ही भारत की राष्ट्रभाषा बना दी जाए। 15 अगस्त 1947 के बाद से यह मुद्दा बहुत गर्म हो गया था। क्योंकि भारत में अनेकों भाषाएँ बोली जाती थी इसलिए ऐसा हो नहीं पाया। लेकिन 1949 में अंतिम निर्णय यह लिया गया कि हिंदी को राष्ट्रभाषा की जगह राजभाषा का दर्जा दे दिया जाए। तब से लेकर आज तक हिंदी हमारी राजभाषा बनी हुई है।

हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर

साल 2014 तक तो हिंदी भाषा को लेकर दुनिया में इतनी जागरूकता नहीं थी। लेकिन 2014 के बाद से हिंदी भाषा के प्रति दुनियाभर भर में सम्मान और उत्साह देखने को मिला। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि इस भाषा को लेकर पहले कोई क्रेज नहीं था। हिंदी के प्रति दीवानगी तो हमेशा से ही रही है।

अब हम बात करते हैं कि क्या हम हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर मिल सकते हैं? तो इसका सीधा सा उत्तर है – हाँ। आज के दौर में जब हिंदी भाषा को इतनी लोकप्रियता मिल गई है कि इस भाषा से हम रोजगार के अवसर भी प्राप्त कर सकते हैं। आज बैंकिंग सेक्टर से लेकर फिल्मी जगत और विज्ञापन की दुनिया में हिंदी भाषा का बोलबाला है।

आज के समय में हम हिन्‍दी राजभाषा अधिकारी, हिन्‍दी अध्यापन, हिन्‍दी पत्रकारिता, हिन्‍दी अनुवादक/दुभाषिया, रेडियो जॉकी और समाचार वाचक के रूप में धन अर्जन कर सकते हैं। आज मीडिया, फिल्म, जनसंपर्क, बैंकिंग क्षेत्र, विज्ञापन आदि क्षेत्रों में अनुवादकों की मांग भी काफी बढ़ गई है। इसलिए आज के समय में अगर हमारी हिंदी भाषा पर पकड़ अच्छी है तो हमारे सामने रोजगार के ढेरों अवसर है।

हिंदी भाषा के कुछ प्रसिद्ध लेखकों के नाम

  • सीताराम सेकसरिया
  • लीलाधर मंडलोई
  • प्रहलाद अग्रवाल
  • रविंद्र केलेकर
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल
  • जयशंकर प्रसाद
  • रामचन्द्र शुक्ल
  • हरिवंशराय बच्चन
  • महादेवी वर्मा
  • सुमित्रानंदन पन्त
  • सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
  • सुभद्राकुमारी चौहान
  • सोहनलाल द्विवेदी
  • माखनलाल चतुर्वेदी
  • भारतेन्दु हरिश्चंद
  • रामनरेश त्रिपाठी

हिंदी भाषा पर निबंध 200 शब्दों में

इस दुनिया में सभी को अपनी भाषा प्रिय होती है। उनको अपनी भाषा पर अभिमान और गर्व होता है। रूस में रहने वाले लोग रशियन बोलते हैं। तो वहीं जापान में रहने वाले लोग जापानी बोलते हैं। हमारे देश के लोग हिंदी बोलते हैं। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। हिंदी भाषा को भारत के दिल की धड़कन माना जाता है।

हमारी भाषा विदेशों में भी बड़े ही चाव के साथ बोली जाती है। इस भाषा की लोकप्रियता इतनी है कि आज अंग्रेजी के बाद अगर कोई दूसरी भाषा सीख रहा है तो वह हिंदी भाषा है। हिंदी भाषा बोलने और लिखने में बहुत ही सरल है। जब कोई विदेशी हमारी भाषा को अच्छे से बोलता है तो हमें बहुत गर्व महसूस होता है।

आज हिंदी भाषा का बोलबाला भी हर जगह नजर आता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हमारी हिंदी सिनेमा और हिंदी गाने हर किसी को पसंद आते हैं। आज के दौर में हिंदी भाषा में रोजगार के अवसर भी अधिक हो गए हैं। आज आप हिंदी का लेखक या टीचर बनकर खूब कमा सकते हैं। यूट्यूब पर भी हजारों ऐसी वीडियो उपलब्ध है जिसमें आपको हिंदी भाषा के बारे में अच्छा ज्ञान दिया जाता है। आज के दौर में हिंदी भाषा ने अपनी अच्छी पहचान बना ली है।

हिंदी भाषा पर 10 लाइन

  • हिंदी हमारी राजभाषा के नाम से जानी जाती है।
  • आज के समय में 70 करोड़ लोग हिंदी भाषा को समझ और बोल सकते हैं।
  • 14 सितंबर 1949 को पहली बार हिंदी भाषा को भारत की राजभाषा होने का सम्मान मिला।
  • हमारे देश के बड़े बड़े नेता जैसे महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस आदि हिंदी का बड़ा सम्मान करते थे।
  • अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभाव हिंदी भाषा का है।
  • भारत हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाता है।
  • हिंदी भाषा समझने में बड़ी आसान और बोलने में बड़ी प्यारी भाषा है।
  • हिंदी भाषा का अविष्कार आज से 1000 वर्ष पहले ही हो गया था।
  • हमें लोगों में हिंदी भाषा के प्रति प्रेम और जागरूकता जगानी चाहिए।
  • मेरी भी प्रिय भाषा हिंदी ही है।

हिंदी भाषा ने हमें विश्व में नई पहचान और सम्मान दिलाया है। हिंदी भाषा से हमारी संस्कारों की जड़ें जुड़ी हुई है। हमें हिंदी भाषी होने पर बड़ा गर्व है। आज दुनियाभर के 70 करोड़ लोग हिंदी बोल सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आज आपको हमारे द्वारा तैयार किया गया यह निबंध जरूर पसंद आया होगा।

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हिंदी भाष से सम्बंधित FAQs

Q1. हिंदी भाषा के बाद सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा कौन सी है?

A1. हिंदी भाषा के बाद सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा बांग्ला और तेलुगू है।

Q2. हिंदी को राजभाषा होने का सम्मान कब मिला था?

A2. 14 सितंबर 1949 को पहली बार हिंदी भाषा को भारत की राजभाषा होने का सम्मान मिला था।

Q3. हिंदी भाषा का जन्म कौन सी भाषा से हुआ?

A3. हिंदी भाषा का जन्म अपभ्रंश भाषा से हुआ था।

Q4. हिंदी के कुछ लेखकों का नाम बताइए?

A4. जयशंकर प्रसाद, कबीर, महादेवी वर्मा, मल्लिक मुहम्मद जायसी, मीराबाई, रसखान, संत रैदास, तुलसीदास, कालिदास, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला आदि।

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हिंदी दिवस विशेष- हिंदी भाषा का महत्त्व, प्रसार और प्रासंगिकता.

  • 14 Sep, 2022 | संकर्षण शुक्ला

importance of language essay in hindi

मानव जाति अपने सृजन से ही स्वयं को अभिव्यक्त करने के तरह-तरह के माध्यम खोजती रही है। आपसी संकेतों के सहारे एक-दूसरे को समझने की ये कोशिशें अभिव्यक्ति के सर्वोच्च शिखर पर तब पहुँच गई जब भाषा का विकास हुआ। भाषा लोगों को आपस मे जोड़ने का सबसे सरल और जरूरी माध्यम है। आज यानी 14 सितंबर को हिंदी दिवस के अवसर पर, इस आलेख में हिंदी भाषा पर चर्चा की गई है।

14 सितंबर को ही हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है?

दरअसल इसी दिन संविधान सभा ने वर्ष 1949 में हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाया था। आजादी के बाद हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के संबंध में तमाम बहस-मुहाबिसें हुईं। अहिंदी भाषी राज्य हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के पक्षधर नहीं थे। इनमें भी दक्षिण भारतीय राज्य जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश पश्चिम बंगाल प्रमुख थे। उनका तर्क था कि हिंदी उनकी मातृभाषा नहीं है और यदि इसे राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया जाएगा तो ये उनके साथ अन्याय सरीखा होगा। अहिंदी भाषी राज्यों के विरोध को देखते हुए संविधान निर्माताओं ने मध्यमार्ग अपनाते हुए हिंदी को राजभाषा का दर्जा दे दिया, इसके साथ ही अंग्रेजी को भी राज्यभाषा का दर्जा दिया गया। वर्ष 1953 में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाए जाने का प्रस्ताव दिया तब से ये दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

हिंदी भाषा की विकास यात्रा

एक भाषा के रूप में अगर हिंदी भाषा की विकास यात्रा की बात करें तो यह एक लंबी और सतत प्रक्रिया है। एक भाषा के विकास में उस समाज और संस्कृति की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है जहाँ पर ये बोली जाती है। हिंदी भाषा के विकास में भी समाज और संस्कृति की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है; खासकर उत्तर भारतीय राज्यों की भूमिका। भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत रही है और इसी भाषा के विभिन्न काल खंडों में अलग-अलग स्वरूपों में हुए वियोजन से हिंदी का विकास हुआ है।

संस्कृत भाषा से पालि, पालि से प्राकृत, प्राकृत से अपभ्रंश, अपभ्रंश से अवहट्ट, अवहट्ट से पुरानी हिंदी और पुरानी हिंदी से आधुनिक हिंदी का विकास हुआ है जिसे आज हम बोलते है। हालांकि इसे लेकर मतभेद है कि अपभ्रंश से हिंदी का विकास हुआ है या पुरानी हिंदी से। मगर वर्तमान भाषाविज्ञानी इसे अपभ्रंश से ही विकसित हुआ मानते है।

अगर हिंदी भाषा के विकास के कालखंड की बात करें तो यह तीन कालों में विकसित हुई- पहला कालखंड 1100 ईस्वी - 1350 ईस्वी का माना जाता है, इसे प्राचीन हिंदी का काल कहा जाता है। दूसरा कालखंड मध्य काल (1350 ईस्वी - 1850 ईस्वी) कहा जाता है। इस काल में हिंदी भाषा की बोलियों अवधी और ब्रज में विपुल साहित्य रचा गया। तीसरा कालखंड 1850 ईस्वी से अब तक माना जाता है और इसे आधुनिक काल की संज्ञा दी जाती है। इस काल में हिंदी भाषा का स्वरूप बेहद तेजी से बदला है।

दरअसल इस काल में हिंदी जन-जन की भाषा बन गई। ये वो दौर था जब आजादी की लड़ाई लड़ी जा रही थी और इस दौरान हिंदी का संपर्क भाषा के रूप में प्रचलन खूब बढ़ा। ये हिंदी भाषा का ही असर था कि उत्तर भारत ही नहीं दक्षिण भारत से भी आने वाले आजादी के नायकों ने इसे राष्ट्रभाषा के रूप मे स्वीकार किये जाने की पुरजोर वकालत की। हालांकि हिंदी भाषा को आज तक राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिल सका है।

क्यों नहीं है हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा?

यदि राष्ट्रभाषा और राजभाषा के अंतर की बात की जाए तो इनमें दो प्रमुख अंतर हैं। एक अंतर इन्हें बोलने वालों की संख्या से है और दूसरा अंतर इनके प्रयोग का है। राष्ट्रभाषा जहाँ जनसाधारण की भाषा होती है और लोग इससे भावात्मक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े होते हैं तो वही राजभाषा का सीमित प्रयोग होता है। राजभाषा का प्रयोग अक्सर सरकारी कार्यालयों और सरकारी कार्मिकों द्वारा किया जाता है। कुछ देश जैसे ब्रिटेन की इंग्लिश, जर्मनी की जर्मन और पाकिस्तान की उर्दू; की राष्ट्रभाषा और राजभाषा एक ही है। मगर बहुभाषी देशों के साथ यह समस्या है। यहाँ राष्ट्रभाषा और राजभाषा अलग-अलग होती है।

राष्ट्रभाषा किसी देश को एक करने के लिहाज से बेहद महत्त्वपूर्ण होती है। यही कारण है कि महात्मा गांधी ने वर्ष 1917 में गुजरात के भरूच में हुए गुजरात शैक्षिक सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाए जाने की वकालत की थी-

"भारतीय भाषाओं में केवल हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया जा सकता है क्योंकि यह अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है; यह समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक सम्पर्क माध्यम के रूप में प्रयोग के लिए सक्षम है तथा इसे सारे देश के लिए सीखना आवश्यक है।"

हालांकि आजादी के बाद इसे लेकर तमाम तरह के विवाद हुए और अंततः अंग्रेजी के साथ इसे राजभाषा के रूप में ही स्वीकार किया गया। शुरूआत में तो यह प्रावधान 15 वर्षों के लिए ही था और साथ ही संसद को भी ये शक्ति दी गई थी कि वो अंग्रेजी के प्रयोग को बढ़ा सकता है। वर्ष 1965 में हिंदी को एकमात्र राजभाषा बनाए जाने के समय के पूर्व ही अहिंदी भाषी राज्यों का विरोध इस कदर तीव्र हो गया कि अंततः तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को अहिंदी भाषी राज्यों को ये आश्वासन देना पड़ा कि आपकी सहमति के बिना हिंदी को एकमात्र राजभाषा नहीं बनाया जाएगा।

इसीलिए वर्ष 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया। वर्ष 1967 में इसे संशोधित किया गया। इसमें किये गए प्रावधानों से अहिंदी भाषी राज्यों की तो चिंता खत्म हो गई मगर हिंदी को राष्ट्रीय एकता का प्रमुख तत्व मानने वाले लोगों की चिंताएं बढ़ गई। सरकार ने इन चिंताओं को संबोधित करते हुए त्रिभाषा फार्मूला दिया। इसके अंतर्गत पहली भाषा मातृभाषा होगी जिसमें प्रारंभिक शिक्षा दी जाएगी। दूसरी भाषा गैर हिन्दी भाषियों के लिए हिंदी और हिंदी भाषियों के लिए आठवीं अनुसूची में शामिल कोई भी भाषा होगी। तीसरी भाषा अंतर्राष्ट्रीय भाषा यानी अंग्रेजी होगी ताकि शिक्षित भारतीय विश्व से भी आसानी से जुड़ सकें।

हालांकि विभिन्न राज्यों की सहमति के अभाव में इसे लागू नहीं किया जा सका। इसी क्रम वर्ष 1976 में राजभाषा अधिनियम लाया गया और इसके अंतर्गत राजभाषा विभाग की स्थापना की गई। यह विभाग ही हिंदी के प्रचार-प्रसार से संबंधित विभिन्न समारोहों जैसे हिंदी दिवस, हिंदी पखवाड़ा और हिंदी सप्ताह का आयोजन करता है। इसी के तत्त्वाधान में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस भी मनाया जाता है।

अगर हिंदी भाषा की संवैधानिक स्थिति की बात की जाए तो यह राजभाषा के रूप में संविधान के भाग 5, भाग 6, भाग 17 में समाविष्ट है। भाग 17 में राजभाषा शीर्षक के अंतर्गत 4 अध्याय है। इसमें संघ शासन, प्रादेशिक शासन, उच्चतम और उच्च न्यायालयों में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा के संबंध में विशेष निर्देश दिए गए हैं।

भाग 5 के अनुच्छेद 120 में बताया गया है कि संसदीय कामकाज की भाषा हिंदी और अंग्रेजी होगी। यदि किन्हीं सदस्यो को इन्हें बोलने में दिक्कतें हैं तो वो अध्यक्ष की अनुमति लेकर अपनी भाषा में बात कह सकते हैं। भाग 6 के अंतर्गत अनुच्छेद 210 में राज्य विधानमंडल के लिए भी ऐसे प्रावधान हैं।

अगर हिंदी भाषा की वैश्विक स्थिति की बात की जाए तो यह विश्व के 150 से अधिक देशों में फैले 2 करोड़ भारतीयों द्वारा बोली जाती है। इसके अलावा 40 देशों के 600 से अधिक विश्वविद्यालयों और स्कूलों में पढाई जाती है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा मंदारिन है तो दूसरा स्थान हिंदी भाषा का है। इसके अलावा भारत और फिजी की यह राजभाषा है। ब्रिटिश भारत काल के दौरान बहुत से श्रमिको को भारत से बाहर ले जाया गया था। इनमें से अधिकांश देशों में हिंदी भाषा आज एक क्षेत्रीय भाषा है; ये देश है- मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिनाद, गुयाना आदि। मॉरीशस में तो विश्व हिंदी सचिवालय की भी स्थापना की गई है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा अभी भी हिंदी को नहीं मिल सका है।

अगर हिंदी भाषा की एक भाषा के तौर पर सामयिक स्थिति का विश्लेषण किया जाए तो इसके समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं। सबसे बड़ी चुनौती तो इसे 'राष्ट्रभाषा की स्वीकार्यता' का न मिलना है। इसके अलावा एक उच्च शिक्षित अभिजात्य वर्ग ऐसा भी है जो हिंदी बोलने में शर्म और हिचकिचाहट महसूस करता है। हिंदी भारत की सार्वभौमिक संवाद भाषा भी नहीं है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की 41 फीसदी आबादी की ही मातृभाषा हिंदी है। इसके अलावा लगभग 75 फीसदी भारतीयों की दूसरी भाषा हिंदी है जो इसे बोल और समझ सकते हैं।

हिंदी भाषा के सामने एक प्रमुख चुनौती यह है कि यह अब तक रोजगार की भाषा नहीं बन पाई है। आज तमाम मल्टीनेशनल कंपनियों के दैनिक कामकाज से लेकर कार्य संचालन की भाषा अंग्रेजी है। इसके अलावा तमाम क्षेत्रीय राजनीतिक और सामाजिक संगठन भी अपने निहित स्वार्थों के लिए हिंदी का विरोध करते हैं। अभी भी भारत में उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा का माध्यम ज्यादातर अंग्रेजी ही रहता है। हिंदी भाषा की हालत आज ऐसी है कि इसके संबंध में जागरूकता सृजन के लिए विभिन्न सेमिनारों, समारोहों और कार्यक्रमों का सहारा लेना पड़ता है।

हालांकि इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल ने हिंदी भाषा के भविष्य के संबंध में भी नई राहें दिखाई है। गूगल के अनुसार भारत में अंग्रेजी भाषा में जहाँ विषयवस्तु निर्माण की रफ्तार 19 फीसदी है तो हिंदी के लिए ये आंकड़ा 94 फीसदी है। इसलिए हिंदी को नई सूचना-प्रौद्योगिकी की जरूरतों के मुताबिक ढाला जाए तो ये इस भाषा के विकास में बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इसके लिए सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के स्तर पर तो प्रयास किए ही जाने चाहिए, निजी स्तर पर भी लोगों को इसे खूब प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त हिंदी भाषियों को भी गैर हिंदी भाषियों को खुले दिल से स्वीकार करना होगा। उनकी भाषा-संस्कृति को समझना होगा तभी वो हिंदी को खुले मन से स्वीकार करने को तैयार होंगे।

संकर्षण शुक्ला उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले से हैं। इन्होने स्नातक की पढ़ाई अपने गृह जनपद से ही की है। इसके बाद बीबीएयू लखनऊ से जनसंचार एवं पत्रकारिता में परास्नातक किया है। आजकल वे सिविल सर्विसेज की तैयारी करने के साथ ही विभिन्न वेबसाइटों के लिए ब्लॉग और पत्र-पत्रिकाओं में किताब की समीक्षा लिखते हैं।

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

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  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
  • देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध | Essay on Hindi : Our National Language in Hindi

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राष्ट्रभाषा हिन्दी पर निबन्ध | Essay on Hindi : Our National Language in Hindi!

राष्ट्रभाषा का अर्थ है राष्ट्र की भाषा (Language of the nation) । अर्थात् ऐसी भाषा, जिसका प्रयोग देश की हर भाषा के लोग आसानी से कर सकें, बोल सकें और लिख सकें । हमारे देश की ऐसी भाषा है हिन्दी । आजादी के पहले अंग्रेजी सरकार ने अंग्रेज के माध्यम से सारा काम चलाया किन्तु अपने देश में सबके लिए एक भाषा का होना आवश्यक है, ऐसी भाषा जो अपने देश की हो । वह भाषा केवल हिन्दी ही है ।

2. विशेषताए:

हिन्दी को संस्कृत की बड़ी बेटी कहते हैं । हिन्दी का प्रमुख गुण यह है कि यह बोलने, पढ़ने, लिखने में अत्यंत सरल है । हिन्दी के प्रसिद्ध विद्वान जॉर्ज ग्रियर्सन ने कहा है कि हिन्दी व्याकरण के मोटे नियम केवल एक पोस्टकार्ड पर लिखे जा सकते हैं ।

संसार के किसी भी देश का व्यक्ति कुछ ही समय के प्रयत्न से हिन्दी बोलना और लिखना सीख सकता है । इसकी दूसरी विशेषता है कि यह भाषा लिपि (Script) के अनुसार चलती है । इसमें जैसा लिखा जाता है, वैसा ही बोला जाता है ।

इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि संसार की लगभग सभी भाषाओं के शब्द इसमें घुलमिल सकते हैं । कुर्सी, आलमारी, कमीज, बटन, स्टेशन, पेंसिल, बेंच आदि अनगिनत शब्द हैं जो विदेशी भाषाओं से आकर इसके अपने शब्द बन गए हैं ।

ADVERTISEMENTS:

हिन्दी संसार के अनेक विश्वविद्यालयों (Univercities) में पढ़ाई जाती है और इसका साहित्य (Literature) भी विशाल है । इसके अलावा, हिन्दी ने देश में एकता लाने में बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है । उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक, भारत के अधिकतर विद्वानों ने भारत की एकता और अखंडता (Unity and Integrity) के लिए हिन्दी का समर्थन किया है ।

इतने अधिक गुणों से भरपूर होकर भी हिन्दी आज अंग्रेजी के पीछे क्यों चल रही है ? इसका सबसे बड़ा कारण है ऊँचे पदों पर बैठे व्यक्ति जो अंग्रेजी के पुजारी हैं वे सोचते हैं कि अंग्रेजी न रही तो देश पिछड़ जाएगा ।

अंग्रेजी देश की अधिकतर जनता के लिए कठिन है, इसलिए वे जनता पर इसके माध्यम से अपना रौब रख सकते हैं । दूसरा कारण है- क्षेत्रीय भाषाओं (Regional Languages) के मन में बैठा भय । उन्हें लगता है कि यदि हिन्दी अधिक बड़ी तो क्षेत्रीय भाषाएँ पीछे रह जाएँगी ।

वास्तव में ये दोनों विचार गलत हैं । ऊँचे पदों पर बैठे अधिकारी हिन्दी के माध्यम से देश की अधिक सेवा कर सकते हैं और जनता का प्रेम पा सकते हैं । आज अंग्रेजी क्षेत्रीय भाषाओं को पीछे धकेल (Push) रही है जबकि हिन्दी की प्रकृति (Nature) किसी को पीछे करने की नहीं, बल्कि मेलजोल की है । यदि हिन्दी का विकास होता है, तो क्षेत्रीय भाषाओं का भी विकास होगा ।

4. उपसंहार:

भारत की भूमि पर जन्म लेने के नाते हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम भारत की भाषाओं के विकास पर बल दें और हिन्दी का विकास करके सभी भाषाओं को जोड़ने का प्रयास करें । तभी हिन्दी सचमुच राष्ट्रभाषा बन पाएगी ।

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भारत की राष्ट्र भाषा हिंदी का महत्व और निबंध !

September 13, 2017 By Prakash Singh 14 Comments

भारत की राष्ट्र भाषा हिंदी का महत्व और निबंध !!! Hindi Language Diwas Essay Importance In Hindi

Hindi Language Diwas Essay Importance In Hindi

हमारा देश हर वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाता हैं. हिंदी हमारे देश की राष्ट्र भाषा हैं. 14 सितम्बर सन 1949 को भारतीय सविंधान सभा ने एक फैसला लिया कि हिंदी भारत की राष्ट्र भाषा होगी.

इसी ऐतिहासिक फैसले को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये भारत की राष्ट्र भाषा प्रचार समिति ने 1953 से हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाने का फैसला किया जो कि भारत में हर राज्य और हर वर्ग तक हिंदी भाषा के प्रचार और प्रसार के लिये इस दिन को चुना गया.

Hindi Diwas Essay Importance In Hindi

हिंदी है हम

हिंदी दिवस के पीछे का इतिहास

भारत के राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी ने सन 1918 को हिंदी साहित्य सम्मलेन में हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने को कहा था गाँधी ने हिंदी के विकास और बुनियादी ढांचे को पुरे देश में प्रयोग में लाने को कहा था.

वर्ष 1949 में हिंदी की स्थिति

आजादी के बाद भारत में 14 सितम्बर को काफी विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया भारतीय सविंधान ने भी अपने 17 के lesson की धारा 343 (1) में कुछ लेख मिलते हैं. जिसमे यह कहा गया हैं ”’ संघ की राज भाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिये प्रयोग में होने वाले अंक का रूप अन्तराष्ट्रीय होगा ”’ . क्योंकि यह फैसला 14 सितम्बर को ही लिया गया था.

इस दिन हिंदी को पुरे देश में राष्ट्र भाषा के रूप में चुना गया. देश के राष्ट्र भाषा बनने पर गैर हिंदी राज्य के लोगो ने अपना गुस्सा भी दिखाया था और हिंदी भाषा में भी अंग्रेजी भाषा का प्रभाव पड़ने लगा.

वर्ष 1991 में हिन्दी की स्थिति

भारत एक कृषि प्रधान देश है यह सबको मालूम होगा, भारत में कृषि का अंशदान 20% ही रह गया हैं और इसका असर भारत की राष्ट्र भाषा में पड़ने लगा हैं. भारत में अंग्रेजी के अलावा दुसरे भाषा की पढाई कई लोगो को मुश्किल लगती है.

आज भारत में कई ऐसे राज्य हैं जहाँ हिंदी ना के बराबर बोली जाती हैं. आज भी भारत के हर राज्य अपनी राज्य की भाषा को जायदा महत्व देते हैं जैसे- गुजरात में गुजराती, महाराष्ट्र में मराठी, पंजाब में भाषा पंजाबी, नागालैंड में फुल english, सिक्किम में अपनी भाषा बोलते है.

आज भी भारत में हिंदी राज्य बहुत ही कम हैं जहाँ हिंदी को बढ़ावा दिया जाता हैं जैसे – हिंदी राज्य मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि कुछ गिने चुने राज्य ही हिंदी भाषा राज्य हैं. देश के अन्य राज्यों में हिंदी ना के बराबर बोली जाती हैं जिसका मतलब है हिंदी भाषा खतरे हैं और हिंदी का मजाक उड़ाया जाता हैं.

भारत के आज की नव पीढ़ी थोड़ा अंग्रेजी और हिंदी या फिर कुछ लोकल भाषा के साथ मिलकर बोलते हैं. जिससे हिंदी की पहचान कम होती नजर आ रही हैं ये तो रहा समाज का हाल अब बात करे हमारे देश के नेताओं की तो वो देश की संसद और शपथ ग्रहण में भी हिंदी को ना के बराबर बोलते हैं या तो अंग्रेजी या फिर अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में बोलते हैं जो कि हिंदी का एक अपमान हैं.

हिंदी भाषा के लिए कार्यक्रम

भारत में हर साल 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में कार्यक्रम होते हैं. इस दिन स्कूल सरकारी प्रतिष्ठान और अन्य जगहों पर हिंदी दिवस के रूप में कार्यक्रम होते हैं. स्कूल और कॉलेजों में निबंध लेखन, वाद – विवाद और हिंदी विचार-विमर्श किया जाता हैं.

इस दिन पूरा देश हिंदी के रूप में रंगा होता हैं. सरकार इस दिन पुरस्कार का भी सम्मान रखती हैं, सरकार ऐसे व्यक्ति को यह पुरस्कार देती है जिसने जन-जन तक हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये अपना बहुमूल्य और कीमती समय देश की राष्ट्र भाषा के लिये लगा दी हो.

सरकार इस दिन 1 लाख रुपये का चैक और कुछ प्रतीक भी देती हैं लेकिन 14 सितम्बर को तो हिंदी – हिंदी होती है और अगले ही दिन हिंदी को भूल जाते हैं इसके लिये सरकार ने कई कार्यक्रम निकाले हैं जैसे- हिंदी सप्ताह राजभाषा जिसमे यह कहा गया हैं कि साल के एक हफ्ते हम हिंदी भाषा के ऊपर देंगे और हिंदी को मजबूत बनाने में अपना वचन का पालन करेंगे.

हिन्दी भाषा की वर्तमान स्थिति

हिंदी भाषा पुरे विश्व में सबसे ज्यादा बोलने में चौथे नम्बर पर आती हैं लेकिन उसे अच्छी तरह से समझना, पढ़ना तथा लिखना यह बहुत कम संख्यां में लोग जानते है. आज के समय में हिंदी भाषा के ऊपर अंगेर्जी भाषा के शब्दों का ज्यादा असर पड़ा हैं. आज के समय में अंग्रेजी भाषा ने अपनी जड़े ज्यादा घेर ली हैं जिससे हिंदी भाषा के भविष्य में खो जाने की चिंतायें बढ़ गयी हैं.

जो लोग इस हिंदी भाषा में ज्ञान रखते हैं उन्हें हिंदी के प्रति अपने जिम्मेदारी का बोध करवाने के लिये इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता हैं जिससे वे सभी अपने कर्तव्यों का सही पालन करके हिंदी भाषा के गिरते हुए स्तर को बचा सकें. लेकिन समाज और सरकार इसके प्रति उदासीन दिखती हैं हिन्दी भाषा को आज भी संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा भी नहीं बनाया जा सका हैं.

हालात ऐसे आ गए हैं कि हिंदी भाषा को हिंदी दिवस के मौके पर सोशल मीडिया पर आज भी ” हिंदी में बोलो “ करके शब्दों का प्रयोग करना पड़ रहा हैं. कुछ पत्रकारों ने मीडिया से कहा हैं कि कम से कम हिंदी दिवस के मौके पर तो हिंदी में बात-चीत करे जिससे हिंदी राष्ट्र भाषा को कुछ सम्मान मिल सकें.

हिंदी दिवस मनाने के प्रमुख उद्देश्य

अगर हिंदी का विकास करना हैं तो लोगो को दूसरी भाषाओं को छोड़ कर अपनी देश की जन्म भाषा को स्वीकार करना पढ़ेगा इस दिन सभी सरकारी और गैर सरकारी कार्यालय में अंग्रेजी के बदले हिंदी भाषा को उपयोग करने की सलाह दी जाती हैं. जो हर साल हिंदी में अच्छे कार्य और अच्छी तरह से इसका प्रयोग करता है तथा लोगो तक हिंदी भाषा का प्रचार और प्रसार करता हैं तो उसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया जाता हैं.

आज भी हमारे समाज में कई लोग हिंदी के बदले विदेशी भाषाओं को ज्यादा तबज्जो देते हैं और इससे हिंदी भाषा खतरे के निशान के ऊपर जाता नजर आ रहा हैं. यहाँ तक की उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हिंदी भाषा की संस्था में भी हिंदी भाषा खतरे में हैं. इस 14 सितम्बर को सबसे मेरा निवेदन हैं कि अपनी सभी कार्यो और बोलचाल में हिंदी का ज्यादा प्रयोग करे और दूसरो को भी हिंदी का ज्ञान बताएं.

आज कल संचार का युग हैं इसमें सोशल मीडिया जैसे – Facebook , Whatsapp, Twitter और अन्य मीडिया में हिंदी के कई विकल्प रखे गए हैं और साथ ही हिंदी के भंडार भरे पड़े हैं. इसमें भी हिंदी भाषा के शब्दकोश के बारे में जानकारियाँ दी जाती हैं.

सभी को एकजुट होकर हिंदी के विकास को एक नये सिरे से शिखर तक ले जाना होगा हिंदी भाषा के खोते और गिरते हुए स्तर को जिन्दा रखने में ये एक आखिरी हथियार हैं जिससे देश की राष्ट्र भाषा को कुछ सम्मान मिल सकें.

हिंदी के लेखको और हिंदी के जानकारों का कहना है कि अब हिंदी दिवस एक सरकारी कार्य की तरह रह गया हैं साल में एक दिन के सरकार को हिंदी की याद आती हैं. एक दिन के दिवस से हिंदी भाषा का कोई विकास नहीं हो सकता हैं. हमारे समाज में कई ऐसे अंग्रेज लोग भी है जो हिंदी दिवस में मौके पर लोगो का स्वागत अंग्रेजी में बोलकर करते हैं जो हिंदी का एक अपमान हैं.

सरकार लोगो को यह दिखा रही हैं की हम हिंदी के प्रति कार्य कर रहे हैं लेकिन कई बार देखा गया हैं कि सरकारी अफसर भी हिंदी दिवस के मौके पर अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में अपने कार्य करते हुए पकड़े गए हैं.

पढ़े : हिंदी दिवस पर 21 बेस्ट नारे !

दोस्तों ! हिंदी हमारे देश की राष्ट्र भाषा हैं जिसपर हमें गर्व होना चाहिए की हम हिंदी भाषी हैं. हमें देश की राष्ट्र भाषा का सम्मान करना चाहिए. हमारे देश में सभी धर्मों के लोग रहते है उनके खान-पान, रहन-सहन और वेश-भूषा अलग-अलग हैं पर एक हिंदी ही हैं जो सभी धर्मों के लोगो को एकता में जोड़ती हैं. हिंदी भाषा हमारे देश की धरोहर हैं जिस तरह हम अपने तिरंगे को सम्मान देते हैं उसी प्रकार अपने देश की राष्ट्र भाषा को भी सम्मान देना चाहिए.

देश के लेखको ने हिंदी के ऊपर कई गीत और रचनाएँ लिखी है जिसमे एक हैं ””’ हिंदी हैं हम वतन हैं हिन्दोस्तान हमारा ””’ ये शब्द देश की शान में लिखे गए हैं और हमें गर्व महसूस कराते हैं. अपने अन्दर और दिलो दिमाग में यह सोच होनी चाहिए की ”’ पहले अपना देश आता हैं बाद में दूसरा देश आता हैं ”’ —- जय हिन्द जय भारत.

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Hello Friends, I am Prakash Singh.. I am Write OF Mostaly In Biography And History. I Love TO Share My View To Others. So This Way Its My Small Step.. If You Like The Topics Of Biography And History.. You Can Read Our Many Post Of This Topics.. Read Hindi Biography

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November 30, 2021 at 7:09 pm

This is very help ti us thank so much

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January 31, 2020 at 7:52 am

Wah sir ji achi essay ,superr…

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September 13, 2019 at 11:49 am

nice easy of hindi improtance

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August 26, 2019 at 10:12 pm

Haa hindi alaga alag dharma kae logo ko ek ladies mae peronae ka jarya hae humae hindi bhasa par naan hae

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हिंदी भाषा का महत्व – Importance of Hindi language in Hindi

आज आप हिंदी भाषा का महत्व (Importance of Hindi language in Hindi) के बारे में जानेंगे. हम सब तो हिंदी बोलते हैं लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा की हिंदी भाषा का विकास कहां से हुआ है. इसी तरह हिंदी भाषा के सर्वनाम, विशेषण और लिपि के बारे में शायद ही कोई जानता होगा. तो चलिए हमारे लेख हिंदी भाषा का महत्व के ओर बढ़ते हैं.

जिस प्रकार प्राचीन भाषाओं में संस्कृत विशिष्ट स्थान रखती है, उसी प्रकार आधुनिक भाषाओं में कई दृष्टियों से हिंदी अपना विशिष्ट स्थान रखती है. इसका विकास बिलकुल सुनिश्चित वैज्ञानिक प्रणाली से हुआ है, जैसे किसी सुर-शिल्पी ने हिन्दी की भाषिक मूर्ति का निर्माण बहुत ही सोच-समझकर किया हो.

हिंदी भाषा का विकाश

हिंदी का काया मुख्यतः संस्कृत से बनी है. यह संस्कृत की प्रतिलिपि नहीं, वरन् स्वयं विकसित है. इसका व्यक्तित्व अपना है, निराला है. इसने लगभग अस्सी प्रतिशत शब्द संस्कृत से ज्यों-के-त्यों लिये हैं तथा बहुतेरे शब्दों को काट-कपचकर, तराश-खरादकर अपने अनुकूल भी बना लिया है. हिंदी ने संस्कृत के ‘पत्र’ शब्द को ‘पत्ते’ के अर्थ में लिया, किन्तु इसने पत्ते का विकास इसीलिए कर लिया कि ‘पत्ते’ और ‘पत्र’ (चिठ्ठी) में संदेह की गुंजाइश न रह जाए.

hindi bhasha ka mahatva

हिंदी संपूर्ण हिन्द की भाषा है, किसी स्थानविशेष की भाषा नहीं. यह बँगला, असमिया, ओड़िया, गुजराती, मराठी, पंजाबी, तमिल आदि की तरह स्थानविशेष का बोध नहीं कराती. हिंदी भाषा सारे देश की है, सारे देश के लिए बनी है, अतः उसकी प्रकृति भारतमाता की प्रकृति की तरह सरल है. इसीलिए हिंदी ने वक्र मार्ग का नहीं, वरन् ऋजु मार्ग का अवलम्बन किया है.

संस्कृत में क्रियाएँ दो प्रकार से चलती थीं – तिङंत और कृदंत. तिङंत का रास्ता बड़ा ही टेढ़ा था. इसके अनेक रूप हो जाते थे. एक ही धातु ‘कृ’ को लें :

अहम् अकरवम् – मैने किया.

वयम् अकृर्म – हमने किया.

त्वम् अकरोः – तूने किया.

यूयम् अकुरुत – तुमने (तुमलोगों ने) किया.

2 विभिन्न पुरुष-वचनों में संस्कृत तिङंत के विभिन्न रूप हैं, किन्तु हिंदी ने सर्वत्र ‘क्रिया’ का एक रूप लिया. संस्कृत के कृदंत रूप बड़े ही सरल हैं. उसी से हिंदी ने अपनी क्रियाओं का विकास किया.

बालकेन कृतम् – बालक ने किया.

बालकैः कृतम् – बालकों ने किया.

त्वया कृतम् – तूने किया.

युष्मभिः कृतम् – तुमलोगों ने किया.

मया कृतम् – मैने किया.

अस्माभिः कृतम् – हमने (हमलोगों ने) किया.

इसी एक कृदंत रूप ‘कृतम्’ से हिंदी ने अपने ‘किया’ रूप का विकास किया. रही ‘ने’ जोड़ने की बात. ‘बालकेन’ का ‘इन’ अलग करके वर्ण-विपर्यय के द्वारा ‘न+इ=ने’ रूप कर लिया गया.

संस्कृत में पुरुष-भेद से इस ‘ने’ चिह्न के न मालूम कितने रूप होते हैं, जबकि भूतकाल की कर्मवाच्य और भाववाच्य क्रियाओं के सभी करक के साथ इस एक ‘ने’ विभक्ति का प्रयोग होता है. 

इतना ही नहीं, हिंदी में यदि ‘करना’, ‘बनाना’ तथा ‘होना’ – इन तीन धातुओं को जानते हैं, तो फिर संज्ञा के साथ जोड़कर अनंत धातुओं का निर्माण कर सकते हैं. जैसे – हिसाब बनाना, काम बनाना, भोजन बनाना, घर बनाना, मिठाई बनाना, हजामत बनाना, कपड़ा बनाना, मुंह बनाना, मुर्ख बनाना आदि; किन्तु अंग्रेजी मेंइसी के लिए to make sum, to fulfil work, to cook food, to build a house, to prepare sweet, to shave, to weave cloth, to pull face, to make a fool आदि आते हैं. इस तरह हम देखते हैं कि हिंदी-क्रिया का निर्माण भी बहुत सुगम है.    

हिंदी ने न केवल क्रिया की जटिलता दूर की, वरन् अपने सारे पदों (प्रातिपदिक, धातु, उपसर्ग, अव्यय आदि) के ग्रहण में भी सरल पद्धति अपनायी है. इसने स्वरांत शब्दों को छोड़कर व्यंजनांत शब्द स्वीकार किए हैं. जैसे – पंचाशत् का ‘पचास’, चत्वारिन्शत् का ‘चालीस’ आदि. इसने ‘ब्रजनवतरुनितमालमुकुटमणि’ जैसी प्रलम्ब जटिल सामासिक पद्धति छोड़कर अलग-अलग लिखने या संयोजक चिन्हों के द्वारा लिखने की पद्धति स्वीकार की. इसने सन्धि के भी शताधिक उलझे नियमों से हमारा पिण्ड छुड़ाया. 

हिंदी के सर्वनाम भी सरल और निराले हैं. संस्कृत में ‘अस्मद्-युष्मद्’ सर्वनाम ही सभी लिंगों में सामान रूप से व्यवहृत होते हैं, किन्तु अन्य सभी सर्वनाम अपना रूप परिवर्तित करते हैं.

कस्य अयं पुत्रः?

कस्या इयं पुत्री?

किंतु, हिंदी में लिंग का बखेड़ा ही नहीं है. वह पढ़ेगा या पढ़ेगी, में जाऊँगा या मैं जाऊँगी. सर्वनाम स्त्रीलिंग-पुंलिंग में बिलकुल अपरिवर्तनीय है.

इतना ही नहीं, पुरुषवाचक सर्वनाम एकवचन-बहुवचन के झमेले से प्रायः बचे हुए हैं. हम एकवचन के लिए भी ‘हम’, बहुवचन के लिए भी ‘हम’, एकवचन के लिए भी ‘तुम’, बहुवचन के लिए भी ‘तुम’, एकवचन के लिए ‘वे’, बहुवचन के लिए भी ‘वे’ का प्रयोग करते हैं; किन्तु अंग्रेजी, बंगला आदि भाषाओं में यह सुविधा नहीं है.       

हिंदी विशेषण की विषेशताओं के क्या कहने? हिंदी में विशेषण के साथ अलग विभक्ति लगाने का बखेड़ा भी नहीं है. विशेषण तो विशेष्य के रंग में सराबोर होता है, विशेष्य की विभक्तियाँ ही विशेषण की विभक्तियाँ बन जाती हैं. जैसे – चतुर छात्रों से पूछो : मुर्ख लड़कों को पीटो.

किन्तु संस्कृत में इसके लिए ‘मेधावी’ और मुर्ख में भी विभक्तियाँ लगानी पड़ेंगी. यथा – चतुरान् छात्रान् प्रच्छ्; मूर्खान बालकान ताडय. अनेक स्थलों पर हिंदी के विशेषण में लिंग-परिवर्तन का भी असर नहीं होता. जैसे – सुन्दर लड़का, सुन्दर लड़की, तेज लड़का, तेज लड़की, चतुर लड़का, चतुर लड़की. इसी तरह विशेषण की आधिकायावस्था (comparative) और अतिशयावस्था (superlative) में न तो संस्कृत की भांति ‘दूर, दवियस्, दविष्ठ’ रटना पड़ता है. बस, ‘से’ और ‘सबसे’ के द्वारा सारी समस्या हल हो जाती है.   

मोहन सोहन से अच्छा है. (अधिक्यावस्था)

मोहन सबसे अच्छा है. (अतिशयावस्था) 

कारकविभक्ति      

हिंदी में बहुत अधिक कारकविभक्तियों का भी झमेला नहीं है. बस ने, को, से, के लिए, का, में और पर – इन सात कारकविभक्तियों को जान लेने से सारा काम चल जाता है.

यह भी पढ़ें :-

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हिंदी इस मानी में और भी सौभाग्यशालिनी है कि उसने संस्कृत की देवनगरी – देवों के नगर में प्रयुक्त होनेवाली – संस्कारित उच्चारणानुकूल लिपि अपनायी है. इसी लिपि में उसे संस्कृत का अक्षय भंडार भी मिला है तथा इसी लिपि में उसने मराठी और नेपाली जैसी सहवर्तिनी भाषाओं का सान्निध्य भी प्राप्त किया है. उर्दू की लिपि सीखिए, तो ‘जबर-जेर-पेश’ की ही हैरानी नहीं है, बल्कि नुक्ता के हेरफेर से ‘खुदा’ को ‘जुदा’ होने का भय बना रहता है.

देवनगरी-लिपि में जो कुछ लिखा जाता है, सभी उच्चरित होता है, किन्तु फ्रांसीसी भाषा पढ़ें तो इस अनुच्चरित के अनेक नियम कंठस्थ करने पड़ेंगे. जर्मन-भाषा के umlaut तथा रुसी-भाषा के accent चिन्हों के कारण उच्चारण संबंधी अनेक कठिनाइयाँ उपस्थित होती हैं.

बँगला में भी लिखते कुछ हैं और बोलते कुछ है. जैसे लिखते है ‘भव्य’, बोलते है ‘भोव्ब’. तमिल में तो वर्ग के द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ वर्ण ही गायब हैं. गाँधी के लिए ‘कांधी’ लिखना पड़ेगा, क्योंकि ‘ग’ के लिए पृथक ध्वनि-संकेत, यानी लिपि है ही नहीं. हिंदी में विदेशी भाषा की भांति article तथा preposition का भी झमेला नहीं है.  

सरलता और उत्कृष्टता की दृष्टि से ही नहीं, वरन् सार्थकता की दृष्टी से भी देवनगरी संसार में सर्वश्रेष्ठ लिपि है. इस लिपि का प्रत्येक वर्ण शब्द है, उसके एक ही नहीं, वरन् कई-कई अर्थ हैं.

व्याकरण का सरलीकरण

इस प्रकार जो हिंदी इतनी समृद्ध, प्रायः समग्र देश के संपर्क एवं रागात्मक ऐक्य की मोहक भाषा है, उसके व्याकरण को कुछ अहिन्दीभाषी विद्वान राजनीतिक कारणों एवं वैदिशिक प्रलोभनों से क्लिष्ट बतलाते हैं. वे चाहते हैं कि हिंदी का सरलीकरण किया जाए. किन्तु, स्वयं ही इतनी सरल है, उसका पुनः सरलीकरण कैसा? इसके व्याकरण  पोस्टकार्ड पर अँटने लायक नियमों में बाँध दिया जाए – ऐसा कहनेवाले सज्जन अपनी भाषाओं के व्याकरण की कतर-व्योंत क्यों नहीं करते हैं? वे संसार की अन्य भाषाओं-अंग्रेजी, जर्मन, फ्रांसीसी, रुसी आदि के व्याकरणों पर क्यों नहीं दृष्टिपात करते हैं?   

भाषा तो एक प्रवाह है और खासकर हिंदी-भाषा तो ऐसा प्रवाह है कि इसे हिमालय से कन्याकुमारी और द्वारका से कामरूप तक देखा जा सकता है. हिंदी-भाषा किसी बादशाह के शाही बाग के माली के द्वारा सजाया गया गुलदस्ता नहीं है, वरन् यह तो परमात्मा की इच्छा पर क्षण-क्षण विकास-विस्तार पानेवाली वनस्थली है. यदि कहीं-कहीं यह ज्यामितिक नियमों की अवहेलना कर दे, तो इसके लिए कैंची- कपचकर क्या इसके सौन्दर्य को विनष्ट करना वांछनीय है.

संसार में सबकुछ सीखने की आवश्यकता पड़ती है. हजामत बनाने की जानकारी के लिए भी शिक्षण और अभ्यास की आवश्यकता पड़ती है. एक हिंदी-व्याकरण है, जिसके लिए शिक्षण और अभ्यास व्यर्थ माना जाता है. प्रायः सभी अपने को हिंदी का जन्मजात पंडित मान लेते हैं. यद्यपि हिंदी सरल-सुबोध है; फिर भी यह इतने विशाल जनसमुदाय की सामान्य बोल-चाल, साहित्य-संस्कृति, राजनीति, विज्ञान, इतिहास, शास्त्र आदि का भाषा है कि इसके व्याकरण-ज्ञान के लिए श्रम की आवश्यकता है. में यह नहीं कहता कि हिंदी व्याकरण सीखने के लिए इंद्र जैसे गुरु और बृहस्पति जैसे शिष्य को दिव्य हजार वर्ष लगाने की आवश्यकता है.

तो यह था हिंदी भाषा का महत्व (Importance of Hindi language in Hindi) के ऊपर लेख. अगर आप हिंदी भाषा के बारे में और कुछ जानते हैं, तो हमें जरूर बताएं.      

1 thought on “हिंदी भाषा का महत्व – Importance of Hindi language in Hindi”

vaah ji bahut accha

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Importance Of Hindi Language Essay: A Comprehensive Guide

Importance Of Hindi Language Essay: A Comprehensive Guide

Importance Of Hindi Language Essay: Hindi is an Indo-Aryan language and one of the official languages of India. With over 300 million speakers, Hindi is the fourth most spoken language in the world. Hindi is a language that represents the culture and identity of the people of India. The importance of Hindi language can be seen in many aspects of Indian life, such as business, entertainment, education, and culture. In this comprehensive guide, we will explore the historical significance of Hindi language, its importance in India and beyond, and its relevance in various aspects of life.

Table of Contents

Importance Of Hindi Language Essay

In this blog Importance Of Hindi Language Essay, we include About Importance Of Hindi Language Essay, in 100, 200, 250, and 300 words. Also cover Importance Of Hindi Language Essay for classes 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, and up to the 12th class and also for kids, children, and students. You can read more  Essay Writing in 10 lines about sports, events, occasions, festivals, etc… Importance Of Hindi Language Essay is also available in different languages. In this Importance Of Hindi Language Essay, the following features are explained in the given manner.

Historical Significance Of Hindi Language

The origins of Hindi language can be traced back to the 7th century when the language evolved from Sanskrit. Hindi evolved as a result of interactions between the local dialects and the Persian and Arabic languages. Hindi is closely related to other Indian languages like Punjabi, Gujarati, Bengali, and Marathi. Hindi has also been influenced by English, which has led to the creation of many new words and phrases.

Hindi has played an important role in Indian history and culture. During the Mughal era, Hindi was the language of the common people, while Urdu was the language of the elites. The Indian independence movement also played a significant role in the development of Hindi. Hindi was chosen as the official language of India after independence due to its widespread use across the country.

Importance Of Hindi In India

Hindi is one of the official languages of India, and it is the most widely spoken language in the country. Hindi is the language of government, education, and business in many parts of India. Hindi is also the language of Bollywood, which is the largest film industry in the world. The importance of Hindi language can be seen in various aspects of Indian life.

  • In government, Hindi is the language of communication in many states of India. It is also used in the central government and the Indian parliament. Hindi is also the language of the Indian judiciary, and many legal documents are written in Hindi.
  • In education, Hindi is the medium of instruction in many schools and universities across the country. Many educational institutions also offer Hindi as a second language, and students are encouraged to learn Hindi.
  • In business, Hindi is an essential language for communication in India. Many businesses require their employees to be fluent in Hindi, especially if they operate in the northern parts of the country where Hindi is the dominant language.

Importance Of Hindi In India

Importance Of Hindi In Business

  • India is a rapidly growing economy, and the importance of Hindi language in business cannot be overstated. Hindi is the language of commerce in many parts of India.
  • Many businesses require their employees to be fluent in Hindi to communicate effectively with their clients and customers.
  • Hindi is also an essential language in the global marketplace. India has emerged as a major player in the global economy, and many businesses around the world are looking to enter the Indian market. Knowing Hindi can give businesses a competitive edge in India.
  • Hindi is also a language of diplomacy. India has a growing presence on the international stage, and Hindi is an important language in diplomatic circles. Hindi is one of the official languages of the United Nations, and many Indian diplomats are fluent in Hindi.

Importance Of Hindi In Culture And Entertainment

Hindi is an important language in Indian culture and entertainment. Hindi is the language of Bollywood, which is the largest film industry in the world. Bollywood movies are watched by millions of people around the world, and Hindi songs are popular across India.

Hindi is also an important language in Indian literature. Many famous Indian authors have written in Hindi, and Hindi literature is an essential part of Indian culture. Hindi poetry and literature have played a significant role in shaping the Indian identity and culture.

Importance Of Learning Hindi As A Second Language

  • Learning Hindi as a second language has many benefits. Hindi is a language that is spoken widely in India, and knowing Hindi can help you communicate more effectively with people in India. Hindi is also a language of culture and entertainment, and knowing Hindi can help you appreciate Indian movies, music, and literature.
  • Learning Hindi can also be beneficial for people who plan to work or do business in India. Hindi is an essential language for business in India, and being able to speak Hindi can give you a competitive advantage.
  • Hindi is also a language of diplomacy. India is an emerging power on the international stage, and Hindi is an important language in diplomatic circles. Knowing Hindi can help you communicate more effectively with Indian diplomats and officials.

Challenges In Promoting Hindi Language

Despite the importance of Hindi language, there are some challenges in promoting the language. One of the main challenges is the regional diversity in India. India is a country with many different languages, and promoting Hindi can sometimes be seen as a threat to regional languages and cultures.

Another challenge is the growing influence of English in India. English is the language of business, education, and technology in many parts of India, and many people prefer to use English over Hindi.

In conclusion, Hindi language is an essential part of Indian culture and identity. Hindi is the most widely spoken language in India, and it plays an important role in various aspects of Indian life, such as government, business, education, and entertainment. Learning Hindi as a second language can be beneficial for people who plan to work or do business in India.

However, there are also some challenges in promoting Hindi language, such as regional diversity and the growing influence of English. Despite these challenges, the importance of Hindi language cannot be overstated, and efforts should be made to promote the language and preserve its cultural significance.

Read More: Role Of Language In Education Essay

FAQ’s On Importance Of Hindi Language Essay

Question 1. What is the importance of Hindi language?

Answer: Hindi language is important for several reasons:

  • It is the most widely spoken language in India.
  • It is the official language of the Indian government.
  • It is a language of culture and entertainment.
  • It can be beneficial for communication, business, and diplomacy in India.

What is the importance of Hindi language?

Question 2. Why Hindi is important in our life in English?

Answer: Hindi language is important in our life because:

  • It is the language of communication for a significant portion of the Indian population.
  • It helps us understand and appreciate Indian culture and traditions.
  • It opens up opportunities for business and employment in India.
  • It is an important language in diplomacy and international relations.

Question 3. What are the benefits to learn Hindi?

Answer: The benefits of learning Hindi include:

  • Improved communication with Hindi-speaking people in India.
  • A better understanding and appreciation of Indian culture and entertainment.
  • Enhanced job opportunities in India.
  • Better prospects in diplomacy and international relations involving India.

Question 4. Did you know facts about Hindi language?

Answer: Some interesting facts about the Hindi language include:

  • Hindi is the fourth most spoken language in the world.
  • It is written in the Devanagari script, which has 47 characters.
  • The word “Hindi” comes from the Persian word “Hind”, which means “land of the Indus River”.
  • Hindi has many loanwords from other languages, including Arabic, Persian, and English.

Question 5. Why is Hindi language unique?

Answer: Hindi language is unique for several reasons:

  • It has a rich history and culture, dating back to ancient India.
  • It is written in the Devanagari script, which is distinct from other scripts used in India.
  • It has a diverse vocabulary, incorporating words from Sanskrit, Persian, and Arabic.
  • It has a unique grammar structure, with verb forms that vary depending on the gender and number of the subject.

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Importance of Hindi Language

Akshay salaria.

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Exciting offers ending soon.

India is a land of 22 languages. Despite what British rule did to our country, we managed to push through the challenges and is now one of the emerging superpowers of the world. Post-British Raj the relevance of the English language gained momentum. Even today, students fail to understand the importance of the Hindi language and study it just to pass the exam and perhaps not with the same enthusiasm they study other subjects.

The roots of this language can be traced back to the 7th century CE. Despite its archaic and significant roots, the Hindi language doesn’t get its due acknowledgment and gets overshadowed by the ‘intellectual’ aspect of the English language.

Just like English binds the world together, Hindi in our country is a bridge that connects people. One of the national dailies reported :

meaning when the world’s biggest multi-nationals can realise the importance and power of the Hindi language, why can’t we Indians fathom its beauty and relevance? 

जब देश और दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियां हिंदी को अपने असीमित बाजार के रूप में देख रही हैं, तब हम क्यों खुद ही अपनी हिंदी की शक्ति को नहीं समझ पा रहे हैं।

To our utter shock, only 10% of people in India speak English. However, according to the 2011 linguistic census, Hindi is the mother tongue of almost 44% of the total population. Despite such clear statistics, schools across India fail to link this massive gap.

But why is this happening? How can this be solved?

Importance of hindi language

Hindi still is a mother language for many in several states of the country and English used as a medium to impart knowledge remains a great barrier. It is also been said that to ensure strong foundation skills in numeracy and literacy, the curriculum should be imparted in a language that a child understands.

The New Education Policy also supports teaching students in their regional language. The excerpts from the policy mention that young children learn and grasp nontrivial concepts more quickly in their home language/mother-tongue. The policy further states that wherever possible, the medium of instruction until at least Grade 5, but preferably till Grade 8 and beyond, will be the mother-tongue.

UNESCO Director-General Irina Bokova underlined the basic principle of children learning in a language they speak. “ With a new global education agenda that prioritizes quality, equity, and lifelong learning for all, it is essential to encourage full respect for the use of mother language in teaching and learning and to promote linguistic diversity. Inclusive language education policies will not only lead to higher learning achievement, but contribute to tolerance, social cohesion, and, ultimately, peace,” he explains.

Schools irrespective of their positioning should give Hindi the importance it needs. 

GenZ needs to know how important the relevance of the Hindi language is or for that matter any native language. They need to know why all diplomats prefer speaking in their native language even while addressing global platforms. Taking pride in what your country stands for must be imbibed in students at a very early age. Let school be that starting point. 

What does LEAD School offer?

LEAD School since its inception stands for promoting the true essence of knowledge and making quality learning accessible to students who do not have its access otherwise. Standing firm to its agenda, The Sampoorna Hindi program at the LEAD School is an integrated program aimed at developing Hindi language skills along with general awareness and values with relevant cultural context, making it easier for students to read, write, and speak in Hindi.

Through this program , students develop strong comprehension and thinking skills along with developing strong grammar and phonetic skills leading to correct written and spoken expression.

A few of its biggest highlights will change how school owners have perceived their school productivity for years. Through this program, school owners can now, 

  • Bring the LEAD advantage to Hindi, with multi-modal learning
  • Make every Hindi teacher an excellent teacher
  • All students can achieve high learning outcomes
  • The unique ELGA language learning approach would now come to Sampoorna Hindi

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For teachers too this program remains a boon. Easy to use lesson plans and resources and best practices of language learning incorporated from the ELGA program, make the teaching impactful.

LEAD School has a unique approach to Hindi where language learning is simplified by breaking it into its core components of Phonics, Whole Words, Reading & Listening Comprehension, Grammar, Writing & Speaking Expression.

  • Integrated Program

Language skills are augmented with General Awareness and Values. This goes beyond academics to develop students’ social and relationship skills.

  • Holistic development

The curriculum is based on LEAD Values of – Learn, Think, Do, Be, which focuses on developing a well-balanced individual with strong character and values.

  • Unique 5C framework

Curriculum designed on 5C framework – Connection to life, Connection to prior learning, Catering to different learners, Concentric learning, Contextualization of learning

This program, is divided class-wise and has a separate learning module for each class. Class 1 will create a strong foundation to recognise and understand the language; Class 2 will build on the foundation, develop skills of listening-reading- speaking-writing; Class 3-5 will develop a deep understanding of grammar, further develop listening, reading, speaking, writing skills; Class 6-8 will enable students to answer questions and express themselves through a deep understanding of NCERT books supported by additional language enrichment content and Class 9-10 will prepare the students to answer any type of a question that might come in the Board exam.

LEAD is transforming schools by making children future-ready. To make yours a LEAD powered school: Partner with us today

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हिंदी निबंध का संग्रह (List Of Hindi Essays)

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अगर आपको निचे दिए निबंध के लिस्ट में आपका मनचाहा निबंध नहीं मिले, तो आप हमारे वेबसाइट के search फीचर का इस्तेमाल करके निबंध ढूंढ सकते है।

हिंदी निबंध (Hindi Essays) | List Of 300+ Essays Topics In Hindi

निबंध के अंग और संरचना

भावात्मक निबंध

इसमे बुद्धि तत्व की अपेक्षा भाव पक्ष का महत्व अधिक होता है। क्योंकि इसका सम्बन्ध भावना अर्थात हमारे ह्रदय से होता है। इसमे तीन प्रकार कि शैलियों का उपयोग किया जाता है।धारा शैली, तरंग शैली, विशेष शैली।

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अंग्रेजी के महत्व पर निबंध Importance of English language essay in Hindi

इस लेख में हम आपको अंग्रेजी के महत्व पर निबंध Importance of English language essay के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

Table of Content

अंग्रेजी के महत्व पर निबंध Importance of English language essay

हमारे जीवन में अंग्रेजी का बहुत महत्व है। आज के समय जो लोग अंग्रेजी भाषा नहीं जानते हैं वह अपने आपको पिछड़ा हुआ पाते हैं। अंग्रेजी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है जबकि मंडारिन (चीन की भाषा) और स्पेनिश विश्व में सबसे अधिक बोली जाती है। अंग्रेजी 67 देशों में बोली जाती है।

अंग्रेजी का महत्व नौकरी पाने के लिए भी बहुत अधिक है। संपूर्ण विश्व में 20% जनसंख्या अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करती है। अंग्रेजी एक ऐसी भाषा है जो हमें दुनिया से जोड़ती है।

इंग्लिश स्पीकिंग का महत्व Importance of english speaking

देश में अंग्रेजी बोलने वाले लोगों को श्रेष्ठ समझा जाता है। आजकल तो इंग्लिश स्पीकिंग संस्थानों की बाढ़ सी आ गई है। हर छोटे-मोटे शहर में इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स करवाए जा रहे हैं। सभी मां बाप का सपना होता है कि उनके बच्चे फराटेदार अंग्रेजी बोले।

शिक्षा में अंग्रेजी भाषा का महत्व importance of English Language in education

अंग्रेजी भाषा का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि यह कंप्यूटर की भाषा भी है। कंप्यूटर की सारी चीजें सॉफ्टवेयर कोडिंग ग्राफिक डिजाइनिंग सोशल मीडिया सब कुछ अंग्रेजी में है। इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। आजकल सोशल मीडिया पूरे विश्व में फैल चुका है। सभी लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। मजबूरन उन्हें अंग्रेजी सीखनी पड़ती है।

संवाद करने के लिए अंग्रेजी भाषा की आवश्यकता Importance of English communication skills

स्टूडेंट के लिए अंग्रेजी भाषा का महत्व  importance of speaking english for students.

स्टूडेंट के लिए अंग्रेजी किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि आजकल सभी परीक्षाएं अंग्रेजी भाषा में होती हैं। इसके अलावा भारत के बहुत से स्टूडेंट विदेश में जाकर शिक्षा प्राप्त करते हैं। ऐसे में अंग्रेजी का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है। क्योंकि विदेशों में अंग्रेजी भाषा में ही शिक्षा दी जाती है।

विश्व में अंग्रेजी भाषा का महत्व Importance of English language in world

इस तरह अंग्रेजी एक बहुत ही महत्वपूर्ण भाषा है। इसे “ग्लोबल लैंग्वेज” भी कहते हैं। जिन लोगों को अंग्रेजी आती है वह विश्व में कहीं भी आ जा सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र में पांच भाषाओं में अंग्रेजी को भी मान्यता दी गई है।

भारत में अंग्रेजी भाषा का महत्व Importance of english in india

भारत में दक्षिणी राज्य जैसे कर्नाटक तमिलनाडु केरला आंध्र प्रदेश उड़ीसा कोलकाता जैसे राज्यों में वहां की स्थानीय भाषा बोली जाती है। ऐसी स्थिति में अंग्रेजी का महत्व बढ़ जाता है। जिन लोगों को अंग्रेजी आती है वह वहां पर जाकर आसानी से लोगों से बात कर सकते हैं। जिन्हें अंग्रेजी नहीं आती है उन्हें देश में भी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है।

व्यापार के लिए अंग्रेजी भाषा का महत्व English in business communication

इसके साथ ही बैंकों में अंग्रेजी का इस्तेमाल बढ़-चढ़कर किया जाता है। पैसे निकालने और जमा करने के लिए भी लोग इंग्लिश में फॉर्म भरते हैं। देश में डिजिटल क्रांति होने के बाद पैसों का लेन-देन मोबाइल फोन और कंप्यूटर के द्वारा किया जाता है जिसमें अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए आज अंग्रेजी भाषा का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है  

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Independence Day Essay 2024: Short and Long Essay For School Students!

Independence day 2024: this article discusses short and long essay ideas in english for independence day. find some of the best ideas for independence day in 10 lines, 100 words, 150 words, 250 words, and long format. .

Akshita Jolly

Short Independence Day Essay in 100 Words

Independence Day is celebrated on 15th August every year to mark the country’s freedom from British rule in 1947. This day is a tribute to all those heroes who sacrificed their lives for the independence of the nation. 

It is our responsibility as the people of the country to honour them, especially on this day. On Independence Day, celebrations can be held at many places including schools as well. These activities include flag hoisting, patriotic speeches and other cultural events across the country. Many colleges also organise special programmes to honour the spirit of independence on this special day. 

On this day, the Prime Minister also addresses the nation from the Red Fort in Delhi, reflecting on the progress made and the changes that are being done for the good.  Independence Day reminds every Indian of the value of freedom and the responsibility to uphold it. So, let’s celebrate it with full enthusiasm. 

Short Independence Day Essay in 150 Words

India’s Independence Day is celebrated on 15 August every year, which marks the country’s freedom from British rule in 1947. The day symbolises the arduous struggle for independence which is led by many prominent leaders. Independence Day is a day for the citizens to reflect on the sacrifices that have been made by many people in the past to get India free from the rule of the Britishers. 

It is a day to encourage the students as well so that they can build a developed nation. Many programs are also held in the country like patriotic songs, cultural programs, and flag-hoisting ceremonies in schools and colleges that foster a sense of unity and pride among everyone. 

Long Independence Day Essay In 200 Words

Independence Day celebrated on August 15, every year holds great significance for every Indian. The day marks the anniversary of India’s freedom from British rule in 1947, nearly 200 years of colonial dominance.  It is a time to honour the countless freedom fighters who fought bravely for the freedom of the nation. 

Well, the celebration of Independence Day begins when the Prime Minister hoists the national flag at the Red Fort in Delhi. He/She also gives a speech highlighting the importance of the day and remembering all those heroes who sacrificed their lives for the freedom of the nation. 

This day is not just a commemoration of the past but also a reminder of the responsibilities that come with freedom. The day serves as an inspiration for all the citizens of the country to contribute towards the development of the nation and also uphold the values of democracy, equality, and freedom that the country was founded upon.

Independence Day is a celebration of the rich heritage of India, its culture and its people as well. It reminds every Indian of the importance of unity, the power of collective effort, and the significance of maintaining hard-won freedom for future generations.

Long Essay on Independence Day in 500 Words

Students can take the ideas from the above lines and then add on the below lines to complete the essay in 500 words. 

Independence Day, celebrated annually on August 15th, is one of the most important national holidays in India. The day marks the end of the freedom struggle from the British Raj. It is a day of immense pride, and the day to remember the sacrifices made by the many people to give the country freedom from the British Raj. 

Independence Day is celebrated with great enthusiasm across India. The day begins with the hoisting of the national flag, followed by the singing of the national anthem, "Jana Gana Mana." The most prominent ceremony takes place at the Red Fort in Delhi, where the Prime Minister hoists the flag and delivers a speech to the nation. This speech reflects on the country's achievements, the struggles of the past and how they have been curbed to develop the country for the better. 

Schools, colleges, and other institutions also organise various events,  that include flag-hoisting ceremonies, cultural programs, and patriotic performances. These activities help instil a sense of national pride among the school students, reminding them of the sacrifices made by their forebears.

Independence Day is a powerful symbol of India's journey from being the slave of Britishers to finally getting freedom. It is a day to honour the past, celebrate the present, and inspire future generations to continue the work of building a developed nation. As India moves forward, Independence Day will always serve as a reminder of the power of unity, resilience, and the enduring spirit of freedom.

Top 10 Additional Lines On Independence Day 2024 

  • Independence Day is celebrated as a national holiday in India with great enthusiasm. 
  • Schools and colleges organise various events, including parades, speeches and cultural performances to mark the importance of this day. 
  • It is a day to remind the endless struggles of all the freedom fighters for the sacrifices they made to make the country free. 
  • The national anthem ‘Jana Gana Mana’ is also being sung with pride, invoking a deep sense of patriotism among the citizens. 
  • On the special day, the Prime Minister also gives a speech to reflect on the progress made since Independence.
  • The day unites people of different cultures and brings them together to celebrate the special day. 
  • Independence Day also serves as a reminder to uphold the values of democracy, equality and justice. 
  • Many children and adults participate in kite flying, which has been a traditional activity since long. 
  • The Indian tricolour flag is also hoisted across the country to symbolise unity and freedom.
  • This day is an important day to mark the sacrifices of many and also to be ready for the future. 
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