Hindi Essays for Class 8: Top 10 Hindi Nibandhs

essay in hindi for class 8

List of popular essays for Class 8 students in Hindi Language!  

व्यायाम का महत्त्व पर निबन्ध | Essay on Importance of Exercise in Hindi

ग्रीष्म ऋतु की दोपहर पर निबन्ध | Essay on An Afternoon in Summer in Hindi

खेल-कूद का महत्त्व पर निबन्ध | Essay on Importance of Games and Sports in Hindi

एक क्रिकेट मैच पर निबन्ध | Essay on A Cricket Match in Hindi

लोकल ट्रेन में यात्रा पर निबन्ध |Essay on Journey in a Local Train in Hindi

पहली बारिश का अनुभव पर निबन्ध | Essay on Feeling of the First Rainfall in Hindi

शीत ऋतु (जाड़े की ऋतु) पर निबन्ध | Essay on Winter Season in Hindi

ADVERTISEMENTS:

शीत ऋतु की एक रात पर निबन्ध | Essay on A Winter Night in Hindi

पेड़-पौधों का महत्त्व पर निबन्ध | Essay on Importance of Plants and Trees in Hindi

मेरी पहली रेल यात्रा पर निबन्ध | Essay on My First Train Journey in Hindi

Hindi Nibandh for Class 8 (Essay) # 1

संसार के समस्त सुखों की प्राप्ति अच्छे स्वास्थ्य पर ही निर्भर है । साथ ही हमारा स्वास्थ्य अच्छा हो इसके लिए नियमित व्यायाम आवश्यक है । व्यायाम से शरीर सुगठित बनता है और मन प्रफुल्लित हो उठता है ।

व्यायाम शारीरिक एवं मानसिक ग्रंथियों के विसर्जन का एक बहुत उपयोगी माध्यम है । इस धरती पर विभिन्न जीव-जंतुओं का निवास है । सभी जीव-जंतु गति कर सकते हैं । यह गतिशीलता ही उन्हें स्वस्थ रखती है उनके जीवन को विकासमान बनाती है । व्यायाम इस गतिशीलता को बनाए रखने का एक साधन है ।

विभिन्न प्रकार के व्यायाम से हमारा रक्त संचार बढ़ता है, हमारी पेशियाँ मजबूत बनती हैं । साँस की गति बढ़ने से शरीर को अधिक ऑक्सीजन मिलता है रक्त शुद्ध हो जाता है । विभिन्न अंगों की निष्कियता दूर होती है तथा शरीर के अंदर एक नई स्फुर्ति एवं ताजगी आ जाती है ।

व्यायाम कई प्रकार के हैं । सुबह या शाम को तेज गति से भ्रमण करना भी एक अच्छा व्यायाम है । इस व्यायाम को सभी आयु वर्ग के व्यक्ति कर सकते हैं । बच्चे एवं युवा वर्ग के लोग विभिन्न प्रकार की खेल-कूद गतिविधियों में भाग लेकर अपना व्यायाम कर सकते हैं ।

साइक्लिंग, तैराकी, घुड़सवारी, दौड़ तथा व्यायामशाला में विभिन्न उपकरणों की सहायता से व्यायाम करने वाले अपने स्वास्थ्य को नच्छी दशा में वनाए रख सकते हैं । पुलिस तथा सेना के जवानों की नियमित कवायद होती है ताकि वे चुस्त एवं फुर्तीले बने रहें ।

जुड़ो, कराटे आदि भी व्यायाम करने के ही ढंग हैं । विद्यालयों में बच्चों से पी.टी. कराई जाती हे ताकि उनका शारीरिक विकास हो सके । एथलेटिक्स की सभी खेल स्पर्द्धाण्यूँ व्यायाम के उद्देश्य से परिपूर्ण होती हैं । यदि शरीर अच्छा है तो संसार के सभी सुख और समस्त वैभव हमारे काम के हैं ।

‘शरीर माद्यै खलु धर्मसाधनम्’ जिससे यह ज्ञात होता है कि शरीर रूपी साधन की अवहेलना नहीं की जानी चाहिए । यदि हम दिन-रात बैठे-बैठे ही अपना कार्य करते हैं तो इसका कुप्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर अवश्य पड़ेगा । मोटापा उच्च रक्तचाप मधुमेह शारीरिक दुर्बलता मानसिक शिथिलता पेट संबंधी बीमारियाँ शीघ्र थकावट आदि व्यायाम से दूर रहने के परिणाम हो सकते हैं ।

व्यायाम का महत्त्व न समझने वाले अनेक प्रकार की बीमारियों से युक्त हो सकते हैं । अत: हमारी काया निरोगी हो इसके लिए व्यायाम बहुत जरूरी है । आजकल युवाओं तथा बच्चों में व्यायाम के प्रति दिलचस्पी बढ़ रही है । पहले अखाड़े में कुश्ती खेलकर व्यायाम किया जाता था जिसमें ग्रामीण युवा बड़ी संख्या में भाग लेते थे ।

आजकल इन अखाड़ों का स्थान जिमखाने ने ले लिया है । यहाँ व्यायाम करने के अनेक साधन उपलब्ध होते हैं । इससे भी एक कदम आगे बढ़कर लोग योगासन की तरफ अधिक प्रवृत्त हुए हैं जिससे व्यक्ति का शरीर तो बलिष्ठ बनता ही है साथ-साथ उसका आत्मिक विकास भी होता है । चाहे किसी भी प्रकार का व्यायाम किया जाए इसमें नियमितता अवश्य होनी चाहिए । अनियमित व्यायाम से कुछ खास लाभ नहीं मिल पाता है ।

Hindi Nibandh for Class 8 (Essay) # 2

ग्रीष्म ऋतु की दोपहर सूर्यदेव के प्रचंड रूप का प्रतीक है । प्राणियों का कंठ सूखा जाता है पेड़-पौधे झुलस जाते हैं । आलस्य थकावट और उदासीनता सर्वत्र दिखाई देती है । मच्छर, मक्खी और क्षुद्र जीव-जंतु भी किसी कोने में किसी शीतल स्थान में आश्रय ग्रहण करने लगते हैं ।

ग्रीष्म ऋतु वैसे ही कष्टदायक है । उस पर ग्रीष्म की दुपहरी का तो कहना ही क्या ! भगवान् भास्कर आकाश के मध्य में स्थित होकर अपनी तीक्षा किरणें रूपी बाणों से सबको आहत कर देते हैं । धरती की तपन बढ़ रही है उसमें दरारें आ गई हैं । तारकोल की सड़कें पिघल रही हैं ।

धरती का जल पाताल की गहराई तक पहुँच गया है । घर के फर्श भी गरम हो गए हैं । खिड़की से गरम वायु का आता झोंका त्वचा को झुलसा रहा है । गरम हवा लू का रूप धारण कर न जाने कब किसे अपनी चपेट में ले ले ! छाया को भी छाया की आवश्यकता है ।

कवि बिहारीलाल कहते हैं:

“बैठि रही अति सघन बन पैठि सदन तन माँह । देखि दुपहरी जेठ की छाँहौं चाहति छाँह ।।”

मानव और पशु-पक्षी तो व्याकुल हैं ही, छाया भी आहत और दु:खी है । छाया को भी आश्रय चाहिए । पथिक भी जब जेठ की दुपहरी में पेड़ की छाया में कुछ देर विश्राम करते हैं तो उन्हें पूरा आराम नहीं मिल पाता । गरमी की दोपहर में एक ही माँग है – ठंडे पानी की ।

जल जितना शीतल हो उतना अच्छा । पानी कितना भी पीया जाय, संतुष्टि नहीं होती । सारा पानी पसीने के रूप में निकल जाता है । ऐसे में मजदूरों की क्या हालत होती होगी वर्णन नहीं किया जा सकता । पर उन्हें तो काम करना ही है । कच्ची ईंटें बनानी हैं भवन निर्माण करना है, रिकशा चलाना है आदि-आदि कितने ही काम करने हैं ।

पसीने से लथपथ प्यास से व्याकुल मजदूर पत्थर तोड़ ही रहा है । पेट की ज्वाला उसे दुपहरी में भी आराम नहीं करने दे रही । गरमी की दोपहर को तो झेलना ही है । पर कैसे बिजली के पंखे भी तो गरम हवा ही छोड़ रहे हैं । फिर भी पंखे से पसीने से रक्षा तो हो ही जाती है । शहरों के लोगों ने अपने घर कूलर लगा रखे हैं ।

अमीरों के घर पर ए.सी. लगे हुए हैं । महानगरों की भीषण गरमी से छुटकारा पाने के लिए परिवार सहित लोग पर्वतीय स्थलों में चले जाते हैं । मगर समर्थ नागरिक ही ऐसा कर सकते हैं । आम नागरिकों के लिए तो बरफू ही मिल जाय तो बहुत है ।

खीरा, ककड़ी, पुदीने का शरबत बेल का शरबत आदि ग्रीष्मकालीन दुपहरी के लिए किसी वरदान से कम नहीं । दोपहर की गरमी से बचने के लिए आम नागरिक अपना अधिकांश कार्य प्रात: या सायं ही निबटाते हैं । शिक्षा संस्थानों में अवकाश घोषित कर दिया जाता है ।

बहुत से कार्यालय भी सुबह से लेकर मध्याह्न तक खुले रहते हैं । यदि दोपहर में निकलना ही पड़े तो छाता लेकर या सिर पर तौलिया, टोपी या पगड़ी बाँधकर निकलते हैं । ग्रीष्म की दुपहरी कई दृष्टि से लाभप्रद भी है । खेतों में लगी फसलें पकती हैं ।

ककड़ी, खीरा, खरबूजा, तरबूज, आडू, आलूबुखारे आदि के अधिक उत्पादन के लिए दोपहर की कड़ी धूप लाभप्रद है । पेड़ों में लगे आमों को भी पकने का अवसर मिलता है । दोपहर की गरमी पर्वतों के हिम को पिघलाकर बहुत सी नदियों को सदानीरा बनाती है ।

समुद्र का जल वाष्पित होकर ऊपर उठता है जो कालांतर में मानसून का रूप धारण कर लेता है । मच्छरों एवं हानिकारक कीटाणुओं का सफाया हो जाता है । ग्रीष्म की दुपहरी प्रकृति का ही एक रूप है । हमें उसके इस भीषण रूप का भी स्वागत करना चाहिए ।

Hindi Nibandh for Class 8 (Essay) # 3

हमारे जीवन में खेल-कूद का अत्यधिक महत्त्व है । इससे हमारा शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है । यही कारण है कि सभी विद्यालयों में पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद के कार्यक्रमों को भी प्रधानता दी जाती है ।

वास्तव में मूल-कूद के बिना प्राप्त शिक्षा अधूरी ही है । हम लोग विभिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं । कुछ खेल घर में या किसी कक्ष में खेले जा सकते हैं । शतरंज, वीडियो गेम्स, लूडो, कैरम आदि खेलों से हमारा मनोरंजन तो अवश्य होता है परंतु उचित व्यायाम नहीं हो पाता ।

अत: हमें इनडोर गेम्स के साथ-साथ कुछ आउटडोर गेम्स भी अवश्य खेलने चाहिए । क्रिकेट, हॉकी, फुटबाल, बॉलीबाल, बैडमिंटन, लॉन टेनिस, कबट्टी आदि अनेक ऐसे खेल हैं जिनसे भरपूर व्यायाम होता है । मैदानों में खेले जाने वाले सभी खेल हमारे भीतर नया उत्साह एवं उमंग भर देते हैं ।

शरीर का रक्त-संचार तेज होता है जिससे हमें स्कूर्ति का अनुभव होता है । कई टीम आधारित खेल बच्चों तथा युवाओं में ‘समूह भावना’ या ‘टीम स्पीरिट’ का विकास करते हैं । इससे हमें पता चलता है कि यदि सामूहिक प्रयास किए जाएँ तो किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त हो सकती है ।

यदि मिलकर कोशिश की जाए तो राष्ट्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है । खेल-कूद न केवल टीम भावना जगाते हैं अपितु आपसी प्रेम और भाईचारा भी बढ़ाते हैं । विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से हम अलग-अलग क्षेत्रों एवं देशों के व्यक्तियों से परिचय प्राप्त करते हैं । हमारा संपर्क बढ़ता है हम नई-नई बातों की जानकारी प्राप्त करते हैं ।

खेल-कूद के बिना जीवन जड़ हो जाता है । गतिशीलता के अभाव में तरह-तरह की छटाएं एवं ग्रंथियाँ जन्म लेती हैं । व्यक्ति की प्रतिभा का समुचित विकास नहीं हो पाता । हम वीरता साहस धैर्य सहयोग अनुशासन जैसे जीवन-मूल्यों से अपरिचित रह जाते हैं ।

खेल के विभिन्न नियमों के पालन के माध्यम से बच्चों को आरंभ से ही अनुशासन की शिक्षा मिलती रहती है । निशानेबाजी, घूँसेबाजी, साइक्लिंग, अश्वारोहण तथा एथलेटिक्स के खेलों के माध्यम से हमारे अंदर साहस वीरता तथा तन्मयता आती है ।

हम अपनी शक्ति का विकास कर उसका उचित उपयोग करना सीखते हैं । खेल-कूद एक ऐसा-क्षेत्र बनता जा रहा है जहाँ आजकल धन और यश दोनों का मिलन है । खिलाड़ी न केवल अपना अपितु अपने देश और समाज का भी नाम रोशन करते हैं ।

सचिन तेंदुलकर, कपिलदेव, ध्यानचंद, विश्वनाथन आनंद, सानिया मिर्जा, महेश भूपति जैसे भारतीय खिलाड़ियों ने दुनिया में भारत का नाम ऊँचा किया है । खेल हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होते हैं । बच्चा खेल-खेल में ही बहुत कुछ सीख लेता है । खेल-कूद हमारे सर्वांगीण विकास का एक मजबूत आधार स्तंभ है ।

Hindi Nibandh for Class 8 (Essay) # 4

पिछले माह मैं भारत और पाकिस्तान के मध्य कोलकाता के ईडन गार्डन में हो रहे तृतीय एकदिवसीय मैच देखने गया । बड़ा ही अविस्मरणीय दृश्य था । खचाखच भरे स्टेडियम में दर्शकों का उत्साह देखते ही बनता था ।

स्टेडियम में लगभग नब्बे हजार दर्शक थे । दिन-रात का मैच अपराह्न दो बजकर पंद्रह मिनट पर आरंभ हुआ । टॉस भारतीय कप्तान राहुल द्रविड ने जीता और पहले बल्लेबाजी करने का निश्चय किया । मैच का आरंभ हुआ ।

पारी की शुरुआत सचिन तेंदुलकर और उपकप्तान वीरेंद्र सहवाग ने की । सहवाग ने पहली ही गेंद पर चौका जड़कर अपने मंसूबे साफ कर दिए । सहवाग और तेंदुलकर ने मिलकर पारी की अच्छी शुरुआत की और भारत के स्कोर को बिना कोई विकेट खोए पचपन तक पहुँचा दिया ।

परंतु शोएब अख्तर की एक खतरनाक गेंद को उठाकर मारने के चक्कर में सहवाग लॉग ऑन बाउंड्री पर लपक लिए गए । इसके बाद सचिन भी पैंतीस रन बनाकर रन आउट हो गए । बाद में राहुल द्रविड़ और महेंद्र सिंह धोनी ने अच्छी साझेदारी की और भारतीय स्कोर को दो विकेट पर एक सौ पचहत्तर तक पहुँचा दिया ।

धोनी शानदार अर्द्धशतक बनाकर जमे हुए थे परंतु राहुल स्लिप पर लपक लिए गए । धोनी भी इकसठ रन बनाकर क्लीन बोल्ड हो गए । आगामी बल्लेबाजों युवराज और इरफान पठान ने भी कुछ अच्छे शॉट लगाए । रही-सही कसर हरभजन सिंह ने एक ही ओवर में दो छक्के और दो चौके लगाकर पूरी कर दी ।

भारत की पारी पचास ओवर समाप्त होने पर सात विकेट पर 305 रन तक पहुँच गई । इस प्रकार भारत ने एक विशाल स्कोर खड़ा कर दिया था । जब पाकिस्तान की पारी आरंभ हुई तो भारत की ओर से जहीर खान और अगरकर ने गेंदबाजी की कमान सँभाली ।

जहीर खान को अपने दूसरे ओवर में पहली सफलता मिली तो भारतीय खिलाड़ी उछल पड़े । परंतु शाहिद अफरीदी और युसुफ योहाना ने पाकिस्तानी बल्लेबाजी को मजबूत आधार प्रदान किया । अफरीदी ने सत्तर रन बनाए जिसमें पाँच चौके और छह छक्के थे ।

ऐसा लग रहा था कि पाकिस्तानी टीम मजबूत स्थिति में पहुँच गई है परंतु अगरकर ने दो लगातार ओवरों में दो विकेट चटकाकर सनसनी फैला दी । पाकिस्तानी टीम के कप्तान इंजमाम कुछ खास न कर सके और मात्र नौ रन बनाकर पैवेलियन लौट गए ।

इसके बाद हरभजन की घूमती गेंदों ने कमाल दिखाना शुरू किया । पाकिस्तान की पूरी टीम चौवालीस ओवर में दो सौ छप्पन रन बनाकर पैवेलियन लौट गई । सभी भारतीय खिलाड़ियों के चेहरों पर जीत की खुशी स्पष्ट दिखाई दे रही थी ।

दर्शकों का उत्साह भी चरम सीमा पर था । दर्शक मैच के दौरान तिरंगा लहराकर तथा तालियाँ बजाकर अपनी सार्थक भूमिका निभा रहे थे । मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार हरभजन सिंह को प्रदान किया गया जिन्होंने तीन विकेट लिए थे तथा तीस रन भी बनाए थे ।

यह पुरस्कार पं. बंगाल के मुख्यमंत्री के करकमलों द्वारा अन्य विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति में प्रदान किया गया । भारतीय कप्तान ने इस जीत का श्रेय अपनी टीम के सभी खिलाड़ियों को दिया । मैच समाप्त होने पर हम लोग खुशी-खुशी घर लौट आए । यह मैच मुझे लंबे समय तक याद रहेगा ।

Hindi Nibandh for Class 8 (Essay) # 5

भारत के नगरीय क्षेत्रों में लोकल ट्रेनों के चलने से स्थानीय निवासियों को काम-काज के स्थानों तक आने-जाने में बहुत मदद मिलती है । लोकल ट्रेन देश के प्राय: सभी भागों में स्थानीय यात्रियों की सुविधा के लिए चलाए जाते हैं ।

इनका किराया प्राय: कम होता है जिससे मध्यवर्गीय तथा निर्धन वर्ग के यात्रियों को राहत मिलती है । जिन क्षेत्रों से होकर रेलमार्ग गुजरता है वहाँ के लोग स्थानीय रेल सेवाओं का भरपूर लाभ उठाते हैं ।परंतु लोकल ट्रेन की यात्रा हमेशा सुखदायी नहीं होती है ।

खासकर सुबह और शाम के समय इनमें अत्यधिक भीड़ होती है । यात्रियों से खचाखच भरी बोगियों में अच्छी तरह पैर रखने की जगह नहीं होती । विभिन्न कार्यालयों के कर्मचारी छात्र-छात्राएँ दूधवाले फेरीवाले सब्जीवाले आदि विभिन्न वर्गों के व्यक्ति अपने-अपने गंतव्य तक जाने के लिए सुबह के समय इन लोकल ट्रेनों की यात्रा करते हैं ।

इन दैनिक यात्रियों को लोकल ट्रेन में चढ़ने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है । ऐसी हालत में वृद्धों, महिलाओं और बच्चों के लिए इनमें यात्रा करना अत्यंत कठिन होता है । मुझे लोकल टेरन से यात्रा करने के कई अवसर प्राप्त हुए हैं । परंतु एक बार मुझे अत्यंत कष्टकारक अनुभव से गुजरना पड़ा ।

ट्रेन पर किसी तरह चढ़ तो गया परंतु कई मिनटों तक दरवाजे से ही लटकी हुई दशा में रहना पड़ा । आगे खड़े यात्री सरकने के लिए तैयार ही नहीं थे । किसी तरह बोगी में दाखिल हो गया परंतु एक पैर ही बोगी पर टिका था । यात्रियों का दवाब सभी ओर से था ।

कुछ यात्री मेरे पैर पर ही अपना पैर रखकर आगे बढ़ जाते थे । ऊपर से भयंकर गरमी और फव्वारे की तरह शरीर से छूटता पसीना । हमारी ट्रेन प्रत्येक पाँच-दस मिनट चलकर फिर से रुक जाती थी । छोटे से छोटे हाल एवं स्टेशन पर भी दस मिनट तक रुककर चलना इस टेरन की नियति बन गई थी ।

ट्रेन जब भी रुकती बोगी के अंदर बाहरी हवा का प्रवेश कम हो जाता था । सभी यात्रियों का गरमी के कारण बुरा हाल था । टेरन की रफ्तार अत्यंत धीमी थी । किसी तरह मैं डब्बे के मध्य भाग तक पहुँच गया । मुझे यहाँ तक पहुँचाने में पीछे खड़े यात्रियों के लगातार दिए जाने वाले धक्के का बहुत बड़ा योगदान था ।

परंतु यहाँ भी राहत नहीं थी । मूँगफली, चाय, पान-बीड़ी-सिगरेट, मसालेदार चने, ककड़ी, खीरा आदि बेचने वाले अपनी आक्रामक शैली में जब आगे बढ़ते तो खड़े हुए यात्रियों को हर बार अपनी पोजीशन बदलनी पड़ती थी । इस भयंकर गरमी में खीरा, ककड़ी तथा शीतल पेय खरीदने वाले यात्रियों की संख्या अधिक थी ।

इस यात्रा के दौरान मैंने कई बार खाली हुई सीट पर बैठने की चेष्टा की परंतु असफल ही रहा । मेरी तरह कई अन्य इस सीट के दावेदार थे । कई बार मुझे ‘लेडीज फर्स्ट’ के सिद्धांत के आधार पर खाली हुई सीट पर बैठने के स्वाभाविक अधिकार से वंचित होना पड़ा ।

कुछ दूरी पर खड़ा एक वृद्ध बार-बार बगल की सीट पर बैठे यात्रियों की ओर करुण नेत्रों से देख रहा था । परंतु उसके नेत्रों की भाषा समझकर किसी ने भी उसे नहीं बिठाया । कुछ यात्री सीट हथियाने की चेष्टा में बीच-बीच में आपस में लड़ भी बैठते थे ।

मैंने ‘संतोषम् परमं सुखम्’ वाले नीति वाक्य को ध्यान में रखकर खड़े रहकर ही लोकल टेरन की यह यात्रा पूरी करने का मन ही मन संकल्प ले लिया । लगभग अस्सी किलोमीटर की दूरी चार घंटे में तय करने के बाद ट्रेन ने मुझे मेरे गंतव्य स्टेशन तक पहुँचा दिया । इक्कीसवीं सदी की इस तेज रफ्तार ट्रेन को धन्यवाद देकर मैं धक्का-मुक्की करते हुए ट्रेन से उतर गया ।

Hindi Nibandh for Class 8 (Essay) # 6

जून का आखिरी सप्ताह था । गरमी की छुट्टियाँ अब अपने अंतिम चरण में थीं । सूर्यदेव का कहर जारी था । लंबे पहाड़ से दिन काटे नहीं कट रहे थे । इस पर विद्युत विभाग की अनुकंपा थी कि बार-बार बिजली गुल हो रही थी ।

फ्रिज में रखा पानी ठंडा होने का नाम ही नहीं ले रहा था क्योंकि बिजली उससे रूठी हुई थी । बरफ बेचने वालों की बन आई थी । घरवालों के आदेश पर मैं साइकिल पर सवार होकर डाकखाने की ओर चल पड़ा । दिन के ग्यारह बजे थे । कोलतार की सड़कें आग उगल रही थीं । शरीर से पसीने छूट रहे थे ।

जैसे-तैसे डाकघर पहुँचा । अभी मैं डाकखाने में ही था कि अचानक आँधी चलने लगी । धूल भरी हवाएँ आसमान में कुछ हल्के पदार्थों को भी उड़ाने लगीं । आसमान में अचानक बादल घिर आए । थोड़ी देर में पवन शांत हो गया तो मैं पोस्टकार्ड और लिफाफा जेब में रखकर साइकिल पर वापस घर लौटने के लिए सवार हो गया ।

अभी मैं बाजार में ही था कि मोटी-मोटी बूँदें तीव्र गति से बरसने लगीं । इस सुहाने मौसम ने मेरा मन आह्वादित कर दिया । यह मौसम की पहली बारिश थी । मैं भीगने लगा । वर्षा के थपेड़े सहते हुए साइकिल चलाना कठिन हो रहा था । मेरे कपड़े पूरी तरह भीग चुके थे । मैंने साइकिल रोक दी । एक दुकान के सामने साइकिल खड़ी कर मैंने दुकान के द्वार पर शरण ली ।

सड़कों पर भीड़ कम हो गई थी फिर भी कुछ लोग पहली बारिश का आनंद उठाते हुए भीगते चल रहे थे । सड़क पर पानी तेजी से बहने लगा । जब बौछारें कुछ कम हुईं तो मैंने साइकिल फिर से सँभाल ली । वहाँ रुकने से भी अधिक लाभ न था क्योंकि मेरे कपड़े पूरी तरह भीग रहे थे । डाकखाने से खरीदा हुआ पत्र भी लगभग तर हो चुका था ।

मैंने साइकिल की गति थोड़ी बढ़ा दी । मैं शीघ्र घर पहुँचकर कपड़े बदलना चाहता था । भयंकर गरमी की स्थिति से अचानक सरदी की स्थिति में आने वाले खतरे का भी मुझे आभास था । मुख्य सड़क से गली में अपनी साइकिल को मोड़ा तो देखा गली में अचानक काफी पानी भर आया है । जैसे-तैसे घर पहुँचा । कपड़े बदले । कपड़ों व पत्रों को सुखाने के लिए टेबल पर फैला दिया ।

बारिश अभी भी हो रही थी । कभी तेज तो कभी धीमी । मेढक अचानक टर्राने लगे । छत से पानी की मोटी धार गिर रही थी जिसने आँगन में गट्टा बना दिया था । मेरे छोटे भाई ने झटपट कागज की नाव बना ली और उसे पानी में छोड़ दिया । सब कुछ जो अभी सूखा-सूखा सा था अचानक गीला हो गया ।

मैंने सोचा अब बिजली रहे या जाए कोई परवाह नहीं पानी और मौसम तो तत्काल ठडा हो ही जाएगा । वर्षा थम गई । शीघ्र ही आसमान साफ हो गया परंतु कुछ बादल अभी भी सूरज से अठखेलियाँ खेल रहे थे । मेरे आँगन में अंगूर की लताएँ और कुछ पौधे थे । सब इस पहली वर्षा में नहाकर हरे-भरे प्रतीत हो रहे थे ।

आँगन के एक कोने में छोटे-छोटे मेढक उछल-कूद कर रहे थे । थोड़ी देर में मेरे कुछ मित्र आ गए । उन्होंने फुटबाल खेलने का आग्रह किया तो मैं झट तैयार हो गया । सुहावने मौसम में फुटबाल खेलना बहुत अच्छा लग रहा था । इस पहली बारिश के बाद सभी राहत की साँस ले रहे थे ।

Hindi Nibandh for Class 8 (Essay) # 7

उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले देश भारत में शीत ऋतु की अलग पहचान है । तापमान में गिरावट सर्द हवा और बरफीला मौसम इस ऋतु को अन्य ऋतुओं से अलग कर देता है ।

कुहरा कुहासा हिमपात और कंपित कर देने वाली सरदी की इस ऋतु में दिन की लंबाई काफी घट जाती है । शीत ऋतु में आनंदित होने से कई अवसर हैं । गरम भोजन का स्वाद खुली मंद धूप का आनंद, वस्त्र-परिधानों को धारण करने का सुख, बरफ के खेलों का लुत्फ और गरम जल से स्नान करने का आनंद उठाने के लिए यह ऋतु उत्तम ऋतु है ।

वर्षा की किचकिच अब नहीं । खलिहानों में खरीफ की पकी फसल को देखकर किसान खुश हो जाते हैं । काले मेघों की जगह रूई से सफेद मेघों और सूरज के बीच लुका-छिपी का खेल मन को भाता है । सरिता का जल इस ऋतु में निर्मल हो जाता है ।

मासों में प्रसिद्ध मास मार्गशीर्ष भी इसी ऋतु में आता है । फिर अत्यधिक सरदी वाला मास पौष और माघ आता है । फालुन में जाड़े का प्रकोप शांत होने लगता है । जाड़े की ऋतु में आग बड़ी प्रिय होती है । सूरज जब आग बरसाना कम कर देता है तो चूल्हे की आग का महत्त्व बढ़ जाता है ।

लोग सुबह-शाम अग्नि के पास बैठना पसंद करते हैं । लकड़ी, घास-फूस, पुआल, उपला आदि जलाकर गाँवों और शहरों में आग तापने वालों की कमी नहीं होती । आँख में धुआँ लगने के बावजूद हम लोग अग्नि के पास ही रहते हैं । आजकल बिजली है, हीटर है, वातानुकूलित यत्र भी हैं ।

रजाई, कंबल, ऊनी कपड़े, शाल कोट आदि निकाल लिए जाते हैं । फिर भी शीतलहरी कुछ वृद्धों एवं बीमारों के लिए यमदूत बन कर आ ही जाती है । सरदी में पर्वतीय क्षेत्रों की ठंड और शोभा बढ़ जाती है । पहले हिमपात की प्रतीक्षा में पर्यटक यहाँ इकट्ठा होने लगते हैं । बरफू पर फिसलने वालों की होड़ लग जाती है ।

ऊँची-नीची धरती पर पहाड़ों पर बरफू की चादर बिछ जाती है । तापमान शून्य से भी कई डिग्री नीचे चला जाता है । कई प्रसिद्ध मार्ग बरफ के जमाव के कारण बद हो जाते हैं । मैदानी क्षेत्रों में भी जाड़े का कहर कम नहीं होता । कोहरा छाता है तो दिन में भी अँधेरा सा हो जाता है ।

सूर्यदेव निस्तेज से हो जाते हैं । वाहनों से होने वाली दुर्घटनाएँ बढ़ जाती हैं । रेलों, वायुयानों के चलने के समय में परिवर्तन करना पड़ता है । कई उड़ानें रह कर दी जाती हैं । फसलों पर पाला पड़ता है तो काफी क्षति होती है । जाड़े की ऋतु में शाम होते ही लोग घर में कंबल-चादर ओढ़कर बैठ जाते हैं ।

पक्षी अपने घोंसलों में दुबके रहते हैं । कुत्ते ठंड के मारे विचित्र आवाजें देने लगते हैं । घरेलू पशुओं को भी ठंड लगती है, उन्हें भी अपने आश्रय-स्थल में रहना अच्छा लगता है । शीत ऋतु आलस्य की ऋतु है । प्रात: जल्दी उठना कठिन लगता है ।

शीत ऋतु में खाने-पीने का बड़ा आनंद है । जो खाया सो पच गया बदहजमी नहीं हुई । गरम-गरम रोटी, पराँठा, आलू-गोभी की गरम सब्जी आदि कितने ही पदार्थ जीभ को भाते हैं । इस ऋतु में सेब, संतरा, केला, चीकू आदि फल तथा टमाटर, मटर, गोभी, चुकंदर, मूली, सेम, आलू आदि सब्जियाँ खूब होती हैं ।

काजू बादाम मूँगफली अखरोट आदि मेवे इसी ऋतु में होते हैं । गाजर का हलवा काजू की बरफी, रेवड़ी, तिल के लट्टू, गुड़ आदि का स्वाद बहुत भाता है । किसान खरीफ की फसल काटकर खेतों में रबी की फसलें लगाते हैं । गेहूँ गन्ना चना मूँग मटर अरहर आदि की फसल खेतों में लहलहा उठती है ।

शीत ऋतु स्वास्थ्यप्रद ऋतु है । आयुर्वेद में वर्णित है कि शीत ऋतु में शरीर में भोजन का संचय होता है रक्त-बल बढ़ता है । शीत ऋतु में संचित पदार्थों का उपयोग शरीर पूरे वर्ष करता है । दीपावली छठ और मकर संक्रांति के त्योहार जाड़े की ऋतु की खुशी को कई गुणा बढ़ा देते हैं ।

Hindi Nibandh for Class 8 (Essay) # 8

दिसंबर का आखिरी सप्ताह था । इन दिनों सरदी काफी बढ़ गई थी । कश्मीर में भारी हिमपात हुआ था इस कारण उत्तर भारत के मैदानी भागों में भी काफी सरदी हो गई थी ।

न्यूनतम तापमान दो डिग्री सेल्सियस के आस-पास आ गया था । मेरे शहर के लोग शाम होते ही अपने-अपने घरों में घुस जाते थे । इन्हीं दिनों की एक रात हम सबके लिए बहुत ही कष्टदायक थी । सुबह से ही हल्की बूँदा-बाँदी हो रही थी । सूर्यदेव के दर्शन दिन भर नहीं हुए ।

अपराह्न चार बजे बारिश तो थम गई परंतु हवा में ठंडक काफी बढ़ गई थी । नियमानुसार मैं मैदान में क्रिकेट खेलने चला गया । ठंड के कारण बैट ठीक से नहीं पकड़ा जा रहा था । खेल में भाग-दौड़ के कारण हल्की गरमाहट आई लेकिन वापस घर पहुँचते ही फिर से सरदी हावी होने लगी ।

रास्ते में भी इक्का-दुक्का लोग ही नजर आए थे । कई परिवारों के सदस्य मिलकर आग ताप रहे थें । सभी आपस में भीषण ठंड की चर्चा कर रहे थे । आज की स्थिति देखकर मैंने भी कुछ बेकार पड़ी लकड़ियाँ ढूँढ निकाली । इनमें फिाई का तेल डालकर अग्नि प्रज्वलित की ।

माँ-पिताजी दादा जी और हम भाई-बहन भी गोलाकार बैठकर आग तापने लगे । आखिर कब तक आग के निकट बैठा जा सकता था, हमने सभी खिड़कियों और दरवाजों को बंद कर दिया और चादर-कंबल ओढ़ लिया । रात्रि के आठ बज गए थे हमें भूख भी लग रही थी ।

माँ खाना पकाने चली गई हालांकि आज उनका मन नहीं हो रहा था कि इतने ठंडे पानी का स्पर्श किया जाए । माँ के हाथ का गरमागरम खाना खाकर हम लोग सोने चले गए । पिताजी खाना खाकर नित्य कुछ देर टहलते थे पर आज की ठंड ने उंनकी भी हिम्मत पस्त कर दी थी । वे भी चुपचाप सो गए ।

मैं सो तो गया था पर रजाई के अंदर भी हल्की कँपकँपी हो रही थी । ठंडे हाथ-पाँव गरम होने का नाम ही नहीं ले रहे थे । मेरा पालतू कुत्ता एक कोने में बैठा ठंड से कु-कू कर रहा था । बाहर के कुत्तों के रोने की आवाजें रह-रहकर आ रही थीं ।

मनुष्य और पशु-पक्षी सरदी से ठिठुर रहे थे । उसी समय पहरे वाले ने दरवाजे पर सावधान रहने की दस्तक दी । मैंने सोचा, यह चोरों से सावधान रहने कह रहा है या सरदी से ! क्या चोरों को सरदी नहीं लगती जो वे इस कंपकंपाने वाली सरदी में चोरी करने घर से निकलेंगे !

कुछ देर बाद नींद आ गई । सुबह उठा तो देखा सूर्यदेव प्रकट हो रहे हैं । मैं मुँह-हाथ धोकर अखबार के पन्ने पलटने लगा । उसकी हेडलाइन थी – ‘तापमान शून्य से नीचे पहुँचा पाँच वर्षो का सबसे ठंडा दिन ।’ जाड़े की यह रात मेरे लिए अविस्मरणीय थी ।

Hindi Nibandh for Class 8 (Essay) # 9

मानव का अस्तित्व पेड़-पौधों पर ही निर्भर है । इतना ही नहीं पृथ्वी पर स्थित सभी जीवों के जीवन का आधार ये वनस्पतियाँ ही हैं । यदि पृथ्वी पर पेड़-पौधे न होते तो यह जीवन-शून्य और उजाड़ स्थान होता ।

चारों ओर एक वीरानी सी छाई होती । चाहे कोई भी युग हो, मानव सभ्यता के विकास में पेडू-पौधों का पर्याप्त महत्त्व रहा है । एक समय था जब मानव जंगलों में निवास करता था । फल-मूल खाकर अपना गुजारा करता था । पेड़ों के तले विश्राम करता था ।

पेड़ों की शाखाओं पर सोता था । बाद में उसने पेड़ों की लकड़ी से चाक बनाकर मिट्टी के बरतनों का निर्माण किया । उसने लकड़ी की ही गाड़ी स्लेज बनाई । भारतीय ग्रामीण जीवन का सदियों तक आधार बनी बैलगाड़ी लकड़ी की ही बनी थी । भारत के चिकित्सकों ने पेड़-पौधों पर आधारित चिकित्सा-विधि आयुर्वेद की खोज की ।

पेड़-पौधों से प्राप्त घास-फूस और लकड़ी से हमने घर बनाए इन्हें जलाकर खाना पकाया । वनस्पतियाँ कदम-कदम पर मानव को सहयोग देती रहीं । यहाँ तक कि मृत्यु के बाद जिस चिता पर मनुष्यों को जलाया जाता रहा है वह भी लकड़ी की ही निर्मित होती है ।

पेड़-पौधे वायु को प्रदूषण मुक्त रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं । जिस प्रकार महादेव गरल पीकर पचा गए उसी तरह वनस्पतियाँ कार्बन डाइऑक्साइड रूपी गरल पीकर जीव-जंतुओं को ऑक्सीजन रूपी प्राणदायी गैस भेंट करते हैं ।

भीषण गरमी में जबकि भयानक लू चलती है, पेड़-पौधे वातावरण को ठंडा रखने में तथा अपने आश्रित को ठंडी छाँव देने में बहुत मदद करते हैं । तरह-तरह के स्वादिष्ट फल जड़ी-बूटियाँ इमारती लकड़ी कपास गोंद रबड़ आदि भेंट कर ये हमारे जीवन को सुखमय बनाते हैं ।

कई पेड़-पौधों के पत्ते भी उपयोग में लाए जाते हैं । आम और केले के पत्ते पूजा-पाठ में काम आते हैं । तेंदू के पत्ते से बीड़ी तैयार की जाती है । खजूर, नारियल,ताड़ आदि के पत्तों से टोकरी, चटाई आदि वस्तुएँ बनाई जाती हैं ।

सोफा, झाड़ू, कागज, दियासलाई आदि विभिन्न वस्तुओं के निर्माण में पेड़-पौधों का सर्वत्र उपयोग किया जाता है । पेड़-पौधों की उपयोगिता की गणना करना कठिन है । हमारा भोजन प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से वनस्पतियों पर ही निर्भर है ।

अधिकांश जीवों का भोजन वनस्पतियों से प्राप्त विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ ही हैं । विभिन्न प्रकार के फूलों के पौधों से सुसज्जित फुलवारी किसे आकर्षित नहीं करती । वन्य जीवों, कीटों, भँवरों, तितलियों, पक्षियों तथा सरीसृप जीवों का निवास-स्थान पेड़-पौधों के इर्द-गिर्द ही है ।

कलात्मक पौधे गहवाटिका की शोभा बढ़ाते हैं । बसंत पेड़-पौधों के बिना ऋतुराज नहीं कहलाता तथा वनस्पतियों के बगैर मयूरों का नृत्य भी फीका-फीका सा लगता । कोयल की कुक तथा भौंरों का गुंजार हरितिमा रहित वातावरण में बिलकुल अशोभनीय लगता ।

पेड़ न केवल पृथ्वी को हरा-भरा रखते हैं अपितु मेघों को आकर्षित कर वर्षा भी कराते हैं । ये बाढ़ तथा सूखे की स्थितियों को रोकने में भी योगदान देते हैं । अपनी जड़ों की मिट्टी को सख्ती से पकड़कर ये उपरिमृदा के संरक्षण मिट्टी के कटाव तथा भूस्फलन को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

पेड़-पौधों के महत्त्व को देखते हुए इनके संरक्षण का उपाय करना चाहिए । हमें इन्हें अधिक से अधिक संख्या में लगातार धरती के प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखना चाहिए । वनों के निरंतर हो रहे कटाव को रोककर दुर्लभ होते जा रहे वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखा जा सकता है ।

इस समय जबकि दुनिया के लोग विकास की दौड़ में अपने पर्यावरण के प्रति उपेक्षा का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं, पेड़-पौधों को लगाकर पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने की जिम्मेदारी हम सब की है ।

Hindi Nibandh for Class 8 (Essay) # 10

मेरी पहली रेल यात्रा एक छोटे से स्टेशन जसीडीह से आरंभ होकर स्टील नगरी टाटा तक हुई थी । हम अपने निवास स्थान से बस द्वारा स्टेशन पहुँचे । मेरे साथ मेरे बड़े भाई एवं भाभी थीं ।

मेरे भाई साहब टाटा स्टील कंपनी में एकाउंटेंट थे । मैं उनके साथ टाटा भ्रमण पर जा रहा था । स्टेशन के बाहर यात्रियों की अच्छी-खासी संख्या थी । ऑटो रिकशा वाले स्टेशन से बाहर निकल रहे यात्रियों को अपनी ऑटो में बैठने का आग्रह कर रहे थे ।

कुली वर्ग के लोग यात्रियों का सामान सिर पर उठाए स्टेशन से बाहर निकल रहे थे या अंदर आ रहे थे । स्टेशन से बाहर खाने-पीने की कई दुकानें लगी हुई थीं । भाई साहब ने टाटा-पटना एक्सप्रेस के स्टेशन पहुँचने के समय की जानकारी ली । अभी हमारी ट्रेन आने में एक घंटे का समय था ।

हम अपने सामान के साथ टिकट बिक्री केंद्र की ओर बढ़ गए । वहाँ लोग टिकट खिड़कियों पर पंक्तिबद्ध खड़े थे । मैं भी भाई साहब के निर्देश पर यथेष्ट रकम लेकर पंक्ति में खड़ा हो गया । दस मिनट में टिकट खरीदने का कार्यक्रम पूरा हो गया ।

हम लोग जलपान गृह में हल्का नाश्ता कर प्लेटफॉर्म पर चले गए । प्लेटफॉर्म पर कोई ट्रेन आकर रुकी थी इसलिए यहाँ यात्रियों के आने-जाने का ताँता लगा हुआ था । कुछ यात्रियों के पास इतना सामान था कि मानो वे पूरा घर ही उठाकर चले आए थे ।

प्लेटफॉर्म पर खाने-पीने की हलकी-फुलकी वस्तुएँ बिक रही थीं । कई टिकट संग्राहक काला कोट पहने यहाँ विचरण कर रहे थे । रेलवे सुरक्षा बल के जवान भी इधर-उधर चहलकदमी कर रहे थे । सफाई कर्मचारी प्लेटफॉर्म की सफाई कर रहे थे ।

शीघ्र ही हमारी ट्रेन के आने की सूचना प्रसारित कर दी गई । कुछ मिनटों में ट्रेन धड़धड़ाती हुई आ धमकी । हम लोग शीघ्रता से सामान्य श्रेणी के डब्बे में सवार हो गए । डब्बे में कुछ सीटें खाली थीं इसलिए हम लोग आराम से बैठ गए । टेरन चली और शीघ्र ही उसने रफ्तार पकड़ ली ।

मेरी खुशी का ठिकाना न रहा । मैं खिड़की के किनारे बैठकर निरंतर ओझल होते जा रहे दृश्यों का आनंद उठाने लगा । हरे-भरे खेतों, पहाड़ियों, नदियों आदि के दृश्य मुझे अत्यंत आकर्षित कर रहे थे । पल-पल नवीन दृश्यों को देखते हवा के ठंडे झोंके खाते हुए रेल से यात्रा करने का यह अनुभव अत्यंत सुखदायी प्रतीत हो रहा था ।

अब मेरा ध्यान डब्बे के अंदर गया । टिकट संग्राहक बारी-बारी से यात्रियों से टिकट माँग रहे थे । हमने भी अपना टिकट दिखाया । एक यात्री बिना टिकट ही यात्रा कर रहा था । उसे जुर्माना भरना पड़ा । हम लोग आपस में हलकी-फुलकी बातचीत करते, मूँगफली, कच्चा चना, फल आदि खाते-पीते यात्रा का आनंद उठा रहे थे ।

डब्बे में यात्रियों का आना-जाना लगा ही रहता था । जिस स्टेशन पर टेरन रुकती तरह-तरह की वस्तुएँ बेचने वाले प्लेटफार्म से ही यात्रियों को आकर्षित करते थे । कुछ भिखारी भी यात्रियों के सामने हाथ फैलाकर रुपया-पैसा माँग रहे थे ।

एक विकलांग भिखारी के कटोरे में सिक्का डालकर मैंने उसे सतुष्ट किया । अब हमारी यात्रा की मंजिल आने वाली थी । हम लोग अपना सामान उठाकर दरवाजे तक आ गए । टेरन रुकते ही हम बारी-बारी से उतर गए । यहाँ के स्टेशन पर भी खासी भीड़ थी ।

मैं इस नवीन स्थान का अवलोकन करता हुआ जा रहा था । स्टेशन से बाहर निकलकर भाई साहब ने ऑटो रिकशा किराए पर लिया और हम लोग अपने गंतव्य की ओर चल पड़े । मेरी पहली रेल यात्रा कई नवीन अनुभवों से परिपूर्ण थी ।

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Hindi Essay | हिंदी में निबंध for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12

Hindi essay for classes 3 to 12 students, benefits of essay writing:, essay writing in hindi:, conclusion:, faqs:      .

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निबंध (Hindi Essay)

आजकल के समय में निबंध लिखना एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है, खासतौर से छात्रों के लिए। ऐसे कई अवसर आते हैं, जब आपको विभिन्न विषयों पर निबंधों की आवश्यकता होती है। निबंधों के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए हमने इन निबंधों को तैयार किया है। हमारे द्वारा तैयार किये गये निबंध बहुत ही क्रमबद्ध तथा सरल हैं और हमारे वेबसाइट पर छोटे तथा बड़े दोनो प्रकार की शब्द सीमाओं के निबंध उपलब्ध हैं।

निबंध क्या है?

कई बार लोगो द्वारा यह प्रश्न पूछा जाता है कि आखिर निबंध क्या है? और निबंध की परिभाषा क्या है? वास्तव में निबंध एक प्रकार की गद्य रचना होती है। जिसे क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया हो। एक अच्छा निबंध लिखने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान देना चाहिए जैसे कि – हमारे द्वारा लिखित निबंध की भाषा सरल हो, इसमें विचारों की पुनरावृत्ति न हो, निबंध के विभिन्न हिस्सों को शीर्षकों में बांटा गया हो आदि।

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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Class 8 Hindi Grammar Chapter 29 निबंध लेखन

essay in hindi for class 8

Class 8 Hindi Grammar Chapter 29 निबंध लेखन (Nibandh Lekhan). Here we will study about how to write an impressive essay in Hindi, what are the properties of a good Nibandh. All the contents related to Nibandh Lekhan are updated for session 2024-25 for CBSE Board as well as State Boards like UP Board, MP Board, Gujrat, Rajasthan, etc. Samples of निबंध लेखन are given here, so that students can take help to write new Nibandh.

  • कक्षा 8 के लिए हिन्दी व्याकरण – निबंध लेखन

कक्षा: 8 हिन्दी व्याकरण
अध्याय: 29 निबंध लेखन

विचार, भाव तथा अभिव्यक्ति को प्रकट करने का सबसे उत्तम साधन है। अच्छे निबंध के गुण हैं:

  • 1. निबंध का आरंभ रोचक होना चाहिए।
  • 2. निबंध विषय के दायरे में होता है।
  • 3. शुद्ध वर्तनी तथा विराम चिह्नों का ध्यान रखा जाता है।
  • 4. निबंध की भाषा विषय के अनुकूल होनी चाहिए।
  • 5. विषय की जानकारी को श्रृंखलाबद्ध तरीके से प्रस्तुत करना चाहिए।

नेताजी सुभाषचंद्र बोस नेताजी सुभाषचंद्र बोस मूलतः कलकत्ता (अब कोलकाता) के निवासी थे, किंतु इनके पिता कटक में मजिस्ट्रेट थे। वहीं शिशु सुभाष का जन्म 23 जनवरी, 1897 को हुआ था। बालक सुभाष की आरंभिक शिक्षा-दीक्षा कटक में ही हुई थी। उनके पिता यद्यपि कटक (उड़ीसा) में बस गए थे, किंतु उन्हें कलकत्ता आना-जाना पड़ता था। श्री सुभाषचंद्र बोस 22 वर्ष की युवा उम्र में भारत छोड़कर पढ़ाई करने के लिए 15 सितंबर 1919 को लंदन चले गए थे। उसी समय प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ था। यद्यपि इस युद्ध से अंग्रेजों को काफी धक्का लगा था। हाँ! सुभाषजी के इंग्लैंड जाने से पहले जलियाँवाला बाग हत्याकांड जरूर हुआ था, जिससे सारा भारत देश तिलमिलाया हुआ था।

इंग्लैंड में इस खबर को ज्यादा विस्तार से छपने नहीं दिया गया। इसलिए सुभाष भी इस घटना से ज्यादा अवगत नहीं थे। महात्मा गाँधी और कुछ नेतागण लोगों को जागरूक कर रहे थे। सुभाष बाबू के लिए एक और मुश्किल थी। वे अपने पिता से किए हुए वादे कि आई. सी. एस. परीक्षा पास करके लौटना है, की वजह से, वे काफी तल्लीनता से अध्ययन करने में जुटे हुए थे। अपने उद्देश्य में सफल होने के पश्चात् सुभाष को भारत की स्थिति के बारे में पता चला। उन्होंने अंग्रेजी सरकार की नौकरी न करके देशसेवा का कार्य करने का निर्णय लिया। भारत में आकर वे सर्वप्रथम महात्मा गाँधी से मिले और अहिंसा और असहयोग आंदोलन में कांग्रेस का साथ दिया।

सुभाष बाबू की कार्यनिष्ठा देखकर उन्हें बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया और इसी समय “साइमन कमीशन” की नियुक्ति का विरोध करने के लिए एक आंदोलन छेड़ा गया “साइमन कमीशन वापस जाओ”। इसी आंदोलन के पश्चात् वे सन् 1928 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने और कालांतर में उन्होंने अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस की बागडोर अपने हाथ में ली और सन् 1931 तक उसके अध्यक्ष बने रहे। कांग्रेस का अध्यक्ष चुने जाने के बाद, गाँधीजी और अन्य उदारवादी (नर्म दल वाले) दल से मतभेद होने के कारण मई 1939 में कांग्रेस से इस्तीफा देकर अपनी फारवर्ड ब्लाक नाम पार्टी बना ली।

निर्भीक सुभाष चंद्र बोस बिना ज्यादा परीक्षा के भारत को ब्रिटिश दासता से आजाद कराने के पक्षधर थे। 1942 जनवरी में आजाद हिंद फौज की स्थापना हुई। आजाद हिंद फौज का उद्देश्य भी यही था कि भारत को हाथ जोड़कर और चरखा चलाकर नहीं, अपितु महाशक्ति का उपयोग करके आजाद कराया जाए। स्वतंत्रता के इस अमर सेनानी का दुःखद अंत कैसे हुआ, अथवा वे अभी तक जीवित हैं- चर्चा के विषय हैं। कुछ लोगों का कथन है कि एक जापानी जहाज में जिसमें ये भी सवार थे, आग लग जाने के कारण इनकी मृत्यु हो गई। आज सुभाषजी, जिन्हें भारतवासी नेताजी के प्रिय संबोधन से पुकारते हैं, हमारे बीच में नहीं हैं, किंतु उनका नाम भारत की स्वतंत्रता के अग्रणी सेनानियो में सदा अमर रहेगा।

लोकतंत्र में समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं का काफी महत्त्व होता है। समाचार पत्र लोकमत को व्यक्त करने का सबसे सशक्त साधन है। जब रेडियो तथा टेलीविजन का ज्यादा जोर नहीं था, समाचार पत्रों में छपे समाचार पढ़कर ही लोग देश-विदेश में घटित घटनाओं की जानकारी प्राप्त किया करते थे। अब रेडियो तथा टेलीविजन सरकारी क्षेत्र के सूचना के साधन माने जाते हैं। अत: तटस्थ और सही समाचारों के लिए ज्यादातर लोग समाचार पत्रों को पढ़ना अधिक उचित और प्रामाणिक समझते हैं। समाचार पत्र केवल समाचार अथवा सूचना ही प्रकाशित नहीं करते वरन् उसमें अलग-अलग विषयों के लिए अलग-अलग पन्ने और स्तंभ निर्धारित होते हैं।

पहला पन्ना सबसे महत्त्वपूर्ण खबरों के लिए होता है। महत्त्वपूर्ण में भी जो सबसे ज्यादा ज्वलंत खबर होती है वह मुख पृष्ठ पर सबसे ऊपर छापी जाती है। पहले पृष्ठ का शेष भाग अन्यत्र छापा जाता है। अखबार का दूसरा पन्ना ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं होता उसमें प्रायः वर्गीकृत विज्ञापन छापे जाते हैं। तृतीय पृष्ठ पर ज्यादातर स्थानीय समाचार तथा कुछ बड़े विज्ञापन छापे जाते हैं। चौथा पृष्ठ भी प्रायः खबरों तथा बाजार भावों के लिए होता है। पाँचवें पृष्ठ में सांस्कृतिक गतिविधियाँ और कुछ खबरें भी छापी जाती हैं। बीच के पृष्ठ के दाहिनी ओर भी महत्त्वपूर्ण लेख, सूचनाएँ एवं विज्ञापन दिए जाते हैं। अगले पृष्ठों पर स्वास्थ्य, महिला मंडल, बालबाड़ी जैसे स्तंभ होते हैं। अंतिम पृष्ठ से पहले खेल समाचार, सोना, चाँदी, जिन्सों आदि के भाव होते हैं। कुछ अखबार बहुत चर्चित कंपनियों के शेयर भाव अपने पाठकों के लिए छापते हैं। अंतिम पृष्ठ पर पहले पृष्ठ का शेष भाग तथा अन्य महत्त्वपूर्ण खबरों को छापते हैं।

पहले अखबार केवल इकरंगे हुआ करते थे। उसमें छापे गए चित्र ब्लैक एण्ड ह्वाइट होते थे। अब छपाई अथवा मुद्रण कला में काफी प्रगति हुई है जिसकी वजह से अखबारों में अनेक प्रकार के आकर्षक रंगीन चित्र भी छापे जाते हैं। रविवारीय और बुधवारीय परिशिष्टों में कहानियाँ, कविताएँ, निबंध और उत्कृष्ट विज्ञापन छापे जाते हैं। अखबार का मुख पृष्ठ काफी अच्छा होना चाहिए। कुछ पाठक तो अच्छा संपादकीय तथा मोटी खबरें पढ़ने के लिए ही अखबार खरीदते हैं। कुछ अखबार ऐसे होते हैं जिनमें रिक्तियों, खाली स्थानों की खबरें काफी विस्तार से छापी जाती हैं। अखबार कई प्रकार के होते हैं दैनिक, त्रिदिवसीय, साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक अखबार भी होते हैं। आमतौर से दैनिक समाचार पत्र ही ज्यादा लोकप्रिय होते हैं। कुछ साप्ताहिक अखबार होते हैं जो पूरे सप्ताह की गतिविधियों का लेखा-जोखा छापते हैं।

अखबार के बाद पत्रिकाओं का भी अपना एक विशिष्ट महत्त्व है। पत्रिकाएँ ज्यादातर विषय प्रधान तथा अपने एक सुनिश्चित उद्देश्य को लेकर निकाली जाती हैं। कुछ पत्रिकाएँ केवल नवीन कथाकारों की कहानियाँ ही छापती हैं, सारिका, माया आदि में पहले कहानियाँ छपा करती थीं। कई पत्रिकाएँ ज्योतिष जैसे विषयों की जानकारी के लिए ही छापी जाती हैं। इंडिया टुडे साप्ताहिक पत्रिका है जो अंग्रेजी तथा हिंदी दोनों भाषाओं में छपती है। इसमें ज्यादातर राजनीतिक समाचार होते हैं। अखबार स्वतंत्र होने चाहिए और उसमें वही सामग्री छपनी चाहिए जो सत्य, शिव तथा सुंदर हो। परंतु ऐसा नहीं हो पाता। इनके स्वामी बड़े-बड़े पूंजीपति ही होते हैं, उनके संबंध विभिन्न राजनीतिक दलों से होते हैं। जिसके कारण कोई भी अखबार विचारों की अभिव्यक्ति पूरी तरह से नहीं रख पाता। अवसर मिलते ही वह पार्टी विशेष का समर्थक बनकर उसी का गुणगान करने लगता है।

पत्रिकाओं की स्थिति अखबारों से थोड़े भिन्न होती है। किंतु जो पत्रिकाएँ राजनीति से जुड़ी होती हैं उन्हें अकसर परेशान होना पड़ता है। माया और मनोहर कहानियाँ जैसी पत्रिकाएँ हलचल मचाने वाली पत्रिकाएँ हैं। कोई-न-कोई धमाका करना इनका काम है। अतएव ऐसी पत्रिकाओं को अपने दृष्टिकोण में सुधार लाना चाहिए। वर्तमान युग में अखबार एवं पत्रिकाओं का महत्त्व निरंतर बढ़ता जाता है। प्रायः प्रत्येक पढ़ा-लिखा व्यक्ति अखबार पढ़ने के लिए उत्सुक अवश्य होता है। इसलिए अखबार एवं पत्रिकाओं के मालिकों एवं संपादकों को चाहिए कि वे अपने दायित्व को समझें तथा समाज की सहज उन्नति के लिए सदा सचेत रहकर ऐसी खबरें छापें जो सही तथा समन्वयवादी हों।

दीपावली हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसे प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली एक ऐसा पर्व है जिसके आगे-पीछे कई पर्व मनाए जाते हैं। धनतेरस से इस पर्व का आरंभ होता है। इस दिन लोग लक्ष्मी, गणेश, बरतन तथा पूजा की सामग्री खरीदते हैं। धनतेरस से अगले दिन व्यापक रूप से सफाई की जाती है तथा भगवती लक्ष्मी के आगमन के लिए घर-बाहर काफी सजावट की जाती है। इसे छोटी दीपावली कहा जाता है। इस दिन लोग घर के आस-पास सरसों के तेल के दीए जलाकर रखते हैं। इस दिन से अगले दिन दीपावली का महापर्व आता है।

इस पर्व में मिठाई, खील, बताशे, चीनी के खिलौने तथा अन्य सजावटी सामान पुष्पमालाएँ धूप एवं अगरबत्तियाँ आदि अवश्य खरीदी जाती हैं। लोग इस अवसर पर अपने मित्रों और संबंधियों को मिठाइयाँ और उपहार देते हैं। शाम को दीपक जलाए जाते हैं, और पूजन की तैयारी की जाती है। लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा को स्नान कराकर चंदन, धूप, पुष्पमाला आदि चढ़ाकर विधिवत् पूजन करके प्रसाद समर्पित किया जाता है। कुछ लोग दीपावली के दिन रात 12 बजे भी भगवती लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

दीपावली के पर्व की शुरुआत कब से हुई इसके विषय में अनेक कथाएँ हैं, जिनमें सबसे ज्यादा प्रचलित कथा यह है कि रावण का वध करने के उपरांत जब भगवान राम अयोध्या वापस आए थे, तो लोगों ने उनके स्वागत के लिए घर, बाहर सभी जगह दीपक जलाए थे। दीपक जलाने का रिवाज तभी से चला आ रहा है। इस अवसर पर श्रीराम की पूजा करने का विधान होना चाहिए था, लेकिन आज लोग लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी समृद्धि तथा धन-संपत्ति की देवी हैं। भगवान गणेशजी मोदकप्रिय तथा आमोद और सुख देने वाले हैं। वे विद्या के समुद्र तथा बुद्धि के देने वाले हैं। गणेशजी की इन्हीं विशेषताओं के कारण शायद उनकी अर्चना शुरू की गई होगी।

इस प्रकार दीपावली की विशेषता है कि आराधक जहाँ एक ओर धन लक्ष्मी, श्री-समृद्धि चाहता है, वहीं ज्ञान-विद्या-बुद्धि का भी अभिलाषी है। दीपावली का पर्व दोनों प्रकार की आकांक्षाओं की पूर्ति करने का अवसर देता है। दीपावली का पर्व ऐसे समय आता है, जब न तो ज्यादा गर्मी होती है और न ज्यादा जाड़ा पड़ता है। वर्षा ऋतु के बाद पैदा हुए कीड़े-मकोड़े, मक्खी-मच्छर, दीपावली के त्यौहार के सिलसिले में की जाने वाली सफाई से समाप्त हो जाते हैं। दीपावली के त्योहार में जहाँ अनेक गुण हैं, वहीं उस त्योहार के कुछ दुर्गुण भी हैं। जैसा कि पहले लिखा जा चुका है कि इस त्यौहार के साथ पाँच त्यौहारों का मेल-मिलाप है। धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा (प्रतिपदा का) भ्रातृ द्वितीया। इन पाँच दिनों तक खान-पान में कुछ न कुछ व्यतिक्रम होता ही रहता है। इसलिए इस त्यौहार के आस-पास के दिनों में खाने-पीने में पूरा संयम बरतना चाहिए। दीपावली एक खर्चीला त्योहार है। कुछ लोग कर्ज लेकर भी इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। नए कपड़े पहनते हैं, कार्ड भेजते हैं तथा डटकर मिठाई खाते हैं। नतीजा यह होता है कि आम नागरिक को पूरा महीना तंगी से काटना पड़ता है। इस प्रकार यह त्यौहार आम लोगों के लिए सुखकारी होने की जगह दु:खकारी सिद्ध होता है। दीपावली के पर्व के विषय में एक आम धारणा यह भी है कि इस त्योहार के दिन जुआ खेलने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं तथा वर्ष भर धन आता रहता है।

ऐसे अंधविश्वास के कारण लक्ष्मी और गणेश के पूजन का यह महापर्व लोगों के आकस्मिक संकट का कारण बन जाता है। कुछ लोग जुए में अपना सर्वस्व एक ही रात में गँवा बैठते हैं। सारांश यह है कि दीपावली एक मंगलमय त्योहार है जिसे व्यक्तिगत तथा सामूहिक दोनों प्रकार से मनाने की आवश्यकता है। इस पर्व को सार्वजनिक रूप से धूमधाम के साथ मनाया जाना चाहिए, ताकि हम अपने पौं-त्योहारों के इतिहास और महत्त्व को अधिक अच्छी तरह से जान सकें और उनमें यदि कहीं कोई बुराई हो, तो उसे दूर भी कर सकें। दीपमाला निश्चय ही हमें अंधकार से हटाकर प्रकाश की ओर ले जाती है।

Class 8 Hindi Grammar Chapter 29 निबंध लेखन

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NCERT Class 8 Hindi Books PDF Download [Updated 2023-24]

Ncert books for class 8 hindi pdf download.

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  • NCERT Book for Class 8 Vasant Textbook PDF
  • NCERT Book for Class 8 Durva Textbook PDF
  • NCERT Book for Class 8 Bharat ki Khoj Textbook PDF
  • NCERT Book for Class 8 Sanshipt Budhcharit Textbook PDF

NCERT Hindi Book For Class 8 Vasant Chapter-wise PDF

  • Chapter 1  ध्वनि
  • Chapter 2  लाख की चूड़ियाँ
  • Chapter 3  बस की यात्रा
  • Chapter 4  दीवानों की हस्ती
  • Chapter 5  चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
  • Chapter 6  भगवान के डाकिये
  • Chapter 7  क्या निराश हुआ जाए
  • Chapter 8  यह सबसे कठिन समय नहीं
  • Chapter 9  कबीर की साखियाँ
  • Chapter 10  कामचोर
  • Chapter 11  जब सिनेमा ने बोलना सीखा
  • Chapter 12  सुदामा चरित
  • Chapter 13  जहाँ पहिया हैं
  • Chapter 14  अकबरी लोटा
  • Chapter 15  सूरदास के पद
  • Chapter 16  पानी की कहानी
  • Chapter 17  बाज और साँप
  • Chapter 18  टोपी

NCERT Hindi Book For Class 8 Durva Chapter-wise PDF

  • Class 8 Durva Chapter 1
  • Class 8 Durva Chapter 2
  • Class 8 Durva Chapter 3
  • Class 8 Durva Chapter 4
  • Class 8 Durva Chapter 5
  • Class 8 Durva Chapter 6
  • Class 8 Durva Chapter 7
  • Class 8 Durva Chapter 8
  • Class 8 Durva Chapter 9
  • Class 8 Durva Chapter 10
  • Class 8 Durva Chapter 11
  • Class 8 Durva Chapter 12
  • Class 8 Durva Chapter 13
  • Class 8 Durva Chapter 14
  • Class 8 Durva Chapter 15
  • Class 8 Durva Chapter 16
  • Class 8 Durva Chapter 17
  • Class 8 Durva Chapter 18
  • Class 8 Durva Chapter 19

NCERT Hindi Book For Class 8 Bharat ki Khoj Chapter-wise PDF

  • Class 8 Bharat ki Khoj Chapter 1
  • Class 8 Bharat ki Khoj Chapter 2
  • Class 8 Bharat ki Khoj Chapter 3
  • Class 8 Bharat ki Khoj Chapter 4
  • Class 8 Bharat ki Khoj Chapter 5
  • Class 8 Bharat ki Khoj Chapter 6
  • Class 8 Bharat ki Khoj Chapter 7
  • Class 8 Bharat ki Khoj Chapter 8
  • Class 8 Bharat ki Khoj Chapter 9

NCERT Hindi Book For Class 8 Sanshipt Budhcharit Chapter-wise PDF

  • Class 8 Sanshipt Budhcharit Chapter 1
  • Class 8 Sanshipt Budhcharit Chapter 2
  • Class 8 Sanshipt Budhcharit Chapter 3
  • Class 8 Sanshipt Budhcharit Chapter 4
  • Class 8 Sanshipt Budhcharit Chapter 5

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2023 हिंदी के प्रसिद्ध निबंध-famous Hindi essay, Long & Short essay in Hindi. Current Essay topics in Hindi 2023 1

2023 हिंदी के प्रसिद्ध निबंध-famous Hindi essay, Long & Short essay in Hindi. Current Essay topics in Hindi 2023

कक्षा पहली से लेकर बारहवीं तक के सभी छात्र के लिए निबंध लेखन की एक संग्रह जहाँ पर आपको कई सारे अलग-अलग विभिन्न विषयों पर निबंध लेखन मिलेंगे। निचे दिए गए निबंध कक्षा 1 से लेकर 12 class तक लिए कुछ निबंध प्रस्तुत है। सीधे निबंध ढूंढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

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#short essay: हमारा प्रिय कवि : तुलसीदास.

प्रस्तावना : भारत महानताओं का देश है। कोई क्षेत्र ऐसा नहीं, जहाँ हमारी कीर्ति की पताका न फहरायी हो। चाहे वह क्षेत्र वीरता का रहा हो या साहित्य का। यहाँ यदि महाराणा प्रताप, सुभाषचंद्र बोस तथा अब्दुल हमीद जैसे वीर पैदा हुए हैं। तो साहित्य के क्षेत्र में रवींद्रनाथ ठाकुर, प्रेमचंद, सूर, कबीर और तुलसी जैसे महान् लेखकों और कवियों ने जन्म लिया। साहित्यकारों में मुझे सबसे अधिक प्रेरणा महात्मा तुलसीदास से मिली है।

जीवन-वृत्त : कहा जाता है कि तुलसीदास को जन्म देते ही इनकी माता हुलसी की मृत्यु हो गयी थी। इनके पिता आत्माराम दुबे ने इन्हें घर से निकाल दिया। उन्होंने कहा कि ‘इसके नक्षत्र परिवार एवं गाँव वालों के लिए अमंगलकारी हैं। यह जहाँ भी रहेगा, नाश ही उपस्थित करेगा।’ घर की दासी ने इनका लालन-पालन किया। जन्म के समय वे रोये नहीं थे, अपितु उन्होंने अपने मुख से ‘राम’ शब्द का उच्चारण किया था। इस आधार पर इनका नाम ‘रामबोला’ रख दिया गया।

बड़ा होने पर इनका विवाह रत्नावली से हुआ। वे उसकी सुंदरता पर अत्यधिक मोहित थे। एक दिन रत्नावली अपने मायके चली गयी। इस पर वे उसके लिए बेचैन हो उठे और आँधी, वर्षा तथा रात्रि की परवाह न करते हुए रत्नावली के पास जा पहुँचे। रत्ना ने मधुर फटकार दी। मगर तुलसीदास के मन में उनके शब्द गढ़ गए।

सब कुछ त्यागकर वे घर से निकल पड़े। स्वामी नरहरिदास के संपर्क से इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन्होंने ‘रामचरितमानस’ की रचना की। बनारस के पंडों ने इस ग्रंथ का घोर विरोध किया। उन्होंने तुलसीदास जी को जान से मार डालने के लिए गुंडे लगवाए। मगर वे सफल न हो सके। धीरे-धीरे तुलसीदास का यश फैलता चला गया। उनकी राम-कथा को सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे।

उपसंहार : तुलसीदास जी ने अपने जीवनकाल में अनेक ग्रंथों की रचना की। इनमें विनयपत्रिका, कवितावली, गीतावली तथा रामचरितमानस अत्यधिक प्रसिद्ध ग्रंथ हैं। तुलसीदास के महान् ग्रंथ रामचरितमानस को तो घर-घर में प्रतिष्ठा प्राप्त है। जब तक भारत में हिंदू-धर्म जीवित रहेगा, तुलसीदास का नाम अमर रहेगा।

#short Essay: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

प्रस्तावना : भारतभूमि पर जब-जब भी विपत्ति आयी, तब-तब यहाँ, किसी-न-किसी महान् विभूति का उदय हुआ। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी उन्हीं विभूतियों में से एक हैं। यह उसी संत की तपस्या का एवं साधना का प्रतिफल है कि हम आज स्वतंत्र भारत में साँस ले रहे हैं।

जीवन-परिचय : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक नगर में हुआ। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी था। वे राजकोट रियासत में दीवान थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था। वह धर्मपरायण महिला थीं। गांधी जी पर प्रारंभ से ही सत्यता और कर्त्तव्यपरायणता का प्रभाव पड़ा।

गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात में हुई। अपने बचपन में उन्होंने मातृ-पितृ भक्त श्रवणकुमार’ एवं ‘सत्य हरिश्चंद्र’ नाटक पढ़े।

वे उनसे बहुत अधिक प्रभावित हुए। तभी से उन्होंने माता-पिता की सेवा एवं सत्य को अपनाने का व्रत ले लिया। अठारह वर्ष की आयु में गांधी जी ने हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की और वे वकालत की शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए। वकालत की शिक्षा पूरी करके वे स्वदेश लौटे। एक मुकदमे के सिलसिले में उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाने का अवसर प्राप्त हुआ। वहाँ पर आंदोलन आरंभ कर दिया। उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। अंत में वे प्रवासी भारतीयों को गोरों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने में सफल हुए।

राजनीति में प्रवेश : जब गांधी जी अफ्रीका से लौटे, उससे पूर्व ही देश में स्वतंत्रता आंदोलन आरंभ हो चुका था। गांधी जी ने अफ्रीका में पर्याप्त ख्याति प्राप्त की थी। इस कारण भारतवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया। उन्होंने देश की स्वतंत्रता की बागडोर उनके हाथों में सौंप दी। गांधी जी ने पूर्ण विश्वास के साथ स्वतंत्रता-आंदोलन का संचालन किया। उनके नेतृत्व में ब्रिटिश सत्ता के विरोध में बड़े-बड़े आंदोलन चलाए गए। गांधी जी ने सभी आंदोलन अहिंसात्मक रूप से चलाए। उनके इन्हीं सिद्धांतों पर अंग्रेजों को झुकना पड़ा। उनके अथक् प्रयासों के बाद 15 अगस्त सन् 1947 को देश स्वतंत्र हुआ।

अपने चारित्रिक गुणों के बल पर महात्मा गांधी विश्व में प्रसिद्ध हुए। वे केवल राजनीतिज्ञ ही नहीं थे। वे आध्यात्मिक एवं सामाजिक नेता भी थे। जीवनभर वे अछूतों के उद्धार, विदेशी वस्तुओं के परित्याग, चर्खा आंदोलन, सत्याग्रह जैसे महान् कार्यों में लगे रहे।

स्वर्गवास : देश को स्वतंत्र हुए एक वर्ष भी नहीं हुआ था। 30 जनवरी 1948 का दिन था। शाम के समय जब गांधी जी अपने सहयोगियों के साथ प्रार्थना-स्थल पर जा रहे थे, तभी नाथूराम गोडसे नाम के व्यक्ति ने उन पर रिवाल्वर से गोलियां चला दीं। स्वतंत्रता के अग्रणी दूत गांधी जी हमसे हमेशा के लिए विदा हो गए। उपसंहार : गांधी जी इस युग के सबसे महान् युग-पुरूष थे।

उन्होंने भारतवासियों को जाग्रत किया। उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दी। हमें सत्य और अहिसा के मार्ग पर चलकर देश को विकास की ओर अग्रसर करना होगा। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

#short Essay: पंडित जवाहरलाल नेहरू

प्रस्तावना : भारत के लाल जवाहरलाल से संपूर्ण विश्व परिचित है। उनका जन्म 14 नवंबर सन् 1889 में इलाहाबाद के आनंदभवन में हुआ। नेहरू जी के पिता पंडित मोतीलाल नेहरू उस समय के प्रसिद्ध वकील थे। उनकी माता जी का नाम स्वरूपरानी था। वे नेहरू जी को असीम प्यार करती थीं। नेहरू जी के परिवार पर लक्ष्मी की महान् कृपा थी। इसलिए नेहरू जी का लालन-पालन राजकुमारों के समान हुआ। उनकी आरंभिक शिक्षा मौलवी, पंडित एवं एक अंग्रेज पादरी की देख-रेख में घर पर ही हुई।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उच्च शिक्षा इंग्लैंड से प्राप्त की। लंदन के हैरो एवं कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों में अपनी शिक्षा पूर्ण कर के वे सन् 1912 में बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे। राजनीति में प्रवेश : सन् 1916 में नेहरू जी का विवाह कमलादेवी के साथ हुआ। कमलादेवी देशभक्त महिला थीं। लंदन से लौटने के बाद से ही नेहरू जी राजनीति की ओर खिंचते गए। सन् 1920 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन आरंभ किया। नेहरू जी भी उसमें सम्मिलित हुए। फलस्वरूप उन्हें बंदी बना लिया गया।

सन् 1929 में उन्हें काँग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। उस समय उन्होंने रावी नदी के तट पर पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करने की प्रतिज्ञा की। तभी से वे भारतीय जनता के हृदय-सम्राट् बन गए। नेहरू जी ने अनेक बार जेल-यात्राएँ की। उन्होंने अपने जीवन के चौदह वर्ष जेलों में व्यतीत किए।

स्वतंत्रता आंदोलन के बीच में ही उनकी पत्नी कमला नेहरू बीमार पड़ गयीं। परंतु कमला जी को बचाया नहीं जा सका। वहीं पर उनकी मृत्यु हो गयी। वे अपनी एकमात्र संतान इंदिरा को लंदन के एक स्कूल में दाखिला दिलाकर भारत लौट आए। वे फिर से देश-सेवा के काम में लग गए।

प्रधानमंत्री के रूप में : 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हुआ। देश में नये सूर्य का उदय हुआ। जनता ने दीप जलाकर खुशियाँ मनायीं। पंडित जवाहरलाल नेहरू को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। वे लगातार सत्तरह वर्ष तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके कार्यकाल में भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में उन्नति की।

उपसंहार : नेहरू जी सदैव विश्व-शांति के समर्थक रहे। हमारा देश आज भी पंडित जी के बताये मार्ग पर अग्रसर है। 27 मई सन् 1964 को अचानक इस महान् पुरुष का निधन हो गया। उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके बताए हुए मार्ग पर चलें और अपने देश को विश्व में श्रेष्ठ बनाएँ।

#Short Essay: देश के प्रिय नेता राजीव गांधी

प्रस्तावना : स्वर्गीय राजीव गांधी विश्वप्रसिद्ध नेता थे। वे आज हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने अपने कार्यों के द्वारा थोड़े समय में ही बड़ी ख्याति अर्जित की। श्रीमती इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद राजीव गांधी के कंधों पर प्रधानमंत्री पद का भार आया। उनके लिए यह बड़ी मुश्किल का समय था। तब वे न हँस सकते थे, न खुश हो सकते थे और न ही रो सकते थे। एक ओर विशाल देश के प्रधानमंत्री का पद था तो दूसरी ओर माँ की अकाल मृत्यु का दु:ख। ऐसे समय में उन्होंने बड़े धैर्य, साहस एवं संयम का परिचय दिया।

जीवन-परिचय : राजीव गांधी का जनम 20 अगस्त 1944 को बंबई में हुआ। उनकी माता का नाम श्रीमती इंदिरा गांधी एवं पिता का नाम श्री फिरोज गांधी था। इंदिरा गांधी ने राजनीति में रहते हुए माँ का पूर्ण दायित्व निभाया। देश की आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री पद संभाला। तब राजीव गांधी अपनी माता के साथ दिल्ली में रहे। उनके पिता फिरोज गांधी लखनऊ से बराबर उनके पास आते रहते थे।

राजीव गांधी ने किण्डर गार्टन के बाद दून स्कूल से आई. एस. सी. की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। वहाँ पर उन्होंने तकनीकी शिक्षा भी प्राप्त की। स्वदेश लौटकर उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब की सदस्यता ग्रहण की। विमान-चालक का काम सीखने के बाद राजीव गांधी विमान-चालक बन गए।

राजनीति में प्रवेश : अपने छोटे भाई संजय गांधी की असामयिक मृत्यु के बाद राजीव गांधी राजनीति में आए। सन् 1981 के चुनाव में वे पहली बार लोकसभा के सदस्य चुने गए। 30 अक्टूबर 1984 को श्रीमती इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनाया गया।

उपसंहार : राजीव गांधी के मन में राष्ट्र के विकास और देशवासियों के जीवन-स्तर को सुधारने की प्रबल इच्छा थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने वायदों को पूरा करने का प्रयास किया। उन्होंने अपने शासनकाल के पाँच वर्ष पूरे किए। सन् 1989 के चुनाव में काँग्रेस दल को लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इस कारण वे विपक्ष के नेता रहे। 21 मई 1991 को वे पेरम्बुदूर में जनसभा को सम्बोधित करने के लिए जा रहे थे। तभी कुछ देशद्रोहियों ने मानव-बम द्वारा उनकी जघन्य हत्या कर दी। देश से उसका युवा एवं प्रिय नेता छिन गया। निश्चय ही इस अभाव की पूर्ति असंभव है। राजीव गांधी की मृत्यु से भारतीय राजनीति को बहुत बड़ी हानि पहुंची।

#Short Essay: श्रीमती इंदिरा गांधी

जीवन परिचय : श्रीमती गांधी भारत की ही नहीं, विश्व की लोकप्रिय महिला नेता थीं। संपूर्ण विश्व उनकी प्रतिभा एवं उनके गुणों का प्रशंसक रहा है। उनका जन्म 19 नवंबर सन् 1917 को इलाहाबाद के आनंद भवन में हुआ।

उनके पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रसिद्ध नेता थे। इंदिरा जी को बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय वातावरण मिला। . उनके बचपन का नाम इंदिरा प्रियदर्शनी था। तेरह वर्ष की आयु में उन्होंने बच्चों की वानर सेना का गठन किया। उनकी वानर सेना स्वतंत्रता सेनानियों को सूचनाएँ पहुँचाने का कार्य करती थी।

श्रीमती गांधी ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। इतिहास उनका प्रिय विषय था। सन् 1944 में फिरोज गांधी से उनका विवाह हुआ। उनके दो पुत्र राजीव गांधी एवं संजय गांधी हुए। स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद वह नेहरू जी के साथ ही रहती रहीं। वह उनके कार्यों में पूरा सहयोग करती थीं। इस प्रकार बचपन से ही उन्होंने राजनीति को समझने का प्रयास किया।सन् 1955 में उन्हें काँग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। 19 जनवरी 1966 को वे देश की प्रधानमंत्री चुनी गयीं।

प्रधानमंत्री के रूप में : प्रधानमंत्री बनने के बाद श्रीमती गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। समाज में समानता का नियम लागू किया। अमीर-गरीब की खाई को समाप्त करने के प्रयास किए। उन्होंने बंगलादेश को पाकिस्तान की बर्बर शासन-नीति से छुटकारा दिलाया। इससे विश्वस्तर पर भारत को गौरव मिला। उन्होंने सन् 1975 में देश में आपातकाल घोषित कर दिया। इसका दुरुपयोग होने के कारण सन् 1917 के चुनाव में वे चुनाव हार गयीं। किंतु ढाई वर्ष बाद देश में पुनः चुनाव हुए।

चुनाव में श्रीमती गांधी की जीत हुई। वह फिर से देश की प्रधानमंत्री चुनी गयीं। 12 जनवरी 1982 में उन्होंने देश में बीस सूत्री कार्यक्रम लागू किया। सन् 1983 में देश में उन्होंने एशियाई खेल आयोजित करवाए। 1983 में निर्गुट देशों का सम्मेलन बुलाया। श्रीमती गांधी द्वारा आयोजित इन कार्यक्रमों से विश्वस्तर पर देश की प्रतिष्ठा बढ़ी।

31 अक्टूबर सन् 1984 को उनके अंगरक्षकों ने ही उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया। देश ने अपने एक महान् नेता को खो दिया।

उपसंहार : श्रीमती गांधी हमारे देश की महान् विभूति थीं। वे विश्वस्तर की महिला नेता थीं। वास्तव में श्रीमती गांधी के अनुपम बलिदान, राष्ट्रभक्ति, उत्तरदायित्वपूर्ण आचरण, शासनपटुता, नेतृत्व एवं लोकप्रियता आदि को भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व नतमस्तक होकर स्वीकार करता है।

#Short Essay: क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस

प्रस्तावना : भारत की आजादी के लिए अनेक वीर सपूतों ने अपना बलिदान दिया। सुभाषचंद्र बोस भी महान् नेता और देश-भक्त पुरुष थे। उन्होंने अपना जीवन देश के लिए बलिदान कर दिया था।

जीवन-परिचय : सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 ई. में कटक में हुआ। बोस के पिता का नाम जानकीदास बोस तथा माता जी का नमा प्रभावती था। उनके पिता उस समय कटक के प्रसिद्ध वकील थे। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें रायबहादुर की उपाधि से विभूषित किया था। सुभाष बचपन से ही तेज बुद्धि के थे। प्रथम श्रेणी में बी०ए० करने के पश्चात् वे इंग्लैंड गए। वहाँ से आई०सी०एस० की परीक्षा उत्तीर्ण कर सन् 1920 में स्वदेश लौटे।

राजनीति में प्रवेश : महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन संपूर्ण देश में फैल चुका था। लोग ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गयी उपाधियों का त्याग कर रहे थे। ऐसे समय में बोस चुपचाप सरकारी नौकरी नहीं कर सके। उन्होंने सरकारी नौकरी को त्याग दिया। उन्होंने देश के स्वतंत्रता-संग्राम में भाग लेना उचित समझा। उस समय बंगाल की राजनीति में देशबंधु चितरंजनदास सर्वोच्च स्थान पर थे।

सुभाष बोस ने उनसे भेंट की और उन्हें अपना गुरु बनाया। धीरे-धीरे सभाष बंगाल के राजनीतिक क्षेत्र में उन्नति करते गए। वे लोकप्रिय कार्यकर्ता और नेता माने जाने लगे। उन्हें अनेक बार जेल-यात्रा करनी पड़ी। धीरे-धीरे वे देश के शीर्ष नेताओं की पंक्ति में आ खड़े हुए।

सुभाष बोस दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। वे यथाशक्ति विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते थे। भारत से अचानक बाहर जाकर वे दूसरे महायुद्ध के समय वर्मा पहुँचे। वहाँ उन्होंने भारतीय सैनिकों को इकट्ठा कर ‘आजाद हिंद फौज’ का गठन किया। इसका उद्देश्य भारत को स्वतंत्र कराना था।

उपसंहार : 18 अगस्त 1945 ई. में जापान जाते हुए फारमोसा में एक वायुयान दुर्घटना में सुभाष की मृत्यु हो गयी। वीर क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस की देशभक्ति से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।

#Short Essay: वैशाखी

प्रस्तावना : वैशाखी का पवित्र त्योहार वैशाख मास (अप्रैल माह) में हिंदू माह के अनुसार पहली तिथि को मनाया जाता है। यह हिन्दुओं के नववर्ष का पहला दिन माना जाता है। गुरु गोविंदसिंह ने इसी दिन सन् 1699 ई. में खालसा पंथ की नींव डाली। तबसे सिक्ख जाति में वैशाखी का पर्व एक धार्मिक पर्व बन गया है। इस दिन सभी सिक्ख गुरुद्वारे में जाकर गुरुग्रंथ-साहब का पाठ सुनते हैं।

मनाने का कारण : वैशाखी का पर्व पूरे उत्तरी भारत में मनाया जाता है। यह पूर्वोत्तर राज्यों में भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। पंजाब में इसका बहुत अधिक महत्त्व है। इस पर्व को यहाँ पर अधिक’ धूम-धाम से मनाया जाता है। सिक्खों के दसवें गुरु गोविंदसिंह ने वैशाखी पर्व को एक ऐसे कार्य के लिए चुना, जिसने सिक्ख धर्म का रूप ही बदल दिया। उन्होंने वैशाखी को खालसा दिवस का नाम भी दिया। अर्थात् ऐसा दिवस, जब गुरु गोविंदसिंह के हाथों सिक्ख धर्म का रूप निखर गया। वह सभी कमजोरियों से मुक्त हो गया।

खालिस अथवा शुद्ध हो गया। गुरु गोविंदसिंह से पूर्व सिक्ख धर्म शांति एवं अहिंसा का समर्थक था। गुरु नानकदेत ने उन्हें यही शिक्षा दी थी। नानकदेव का कहना था कि किसी को कष्ट देना पाप है। गुरु नानकदेव एवं गुरु तेगबहादुर ने बड़े-बड़े कष्ट सहे। उन्होंने हिंसा का मार्ग नहीं अपनाया। शांति एवं सहनशीलता का मार्ग नहीं त्यागा। गुरु गोविंदसिंह ने मानवता, शांतिप्रियता एवं सद्भाव को तो स्वीकार किया; किंतु उन्होंने कहा कि अत्याचार के सामने सिर झुकाना, अत्याचार का समर्थन करना कायरता का सूचक है।

इन विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने सिक्ख-संप्रदाय को एक नया रूप दिया। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और अत्याचारों का विरोध किया। इस प्रकार वैशाखी का पर्व पंथ को और भी अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए मनाया जाता है।

इस. पर्व को मनाने का एक कारण और भी है। सन् 1919 ई. में वैशाखी पर्व मनाने के लिए लोग जलियाँवाला बाग में एकत्रित हुए। उन निहत्थे लोगों पर ब्रिटिश शासक जनरल डायर ने अंधाधुंध गोलियाँ चलवा दी थीं। इस गोलीकांड में सैकड़ों निर्दोष बच्चे, बूढ़े, स्त्री व पुरुष मौत के मुँह में चले गए। उनकी आत्मा की शांति के लिए भी इस दिन प्रार्थना की जाती है।

उपसंहार : इस प्रकार वैशाखी का पर्व नववर्ष के आगमन एवं अत्याचारों के विरोध का पर्व है। यह सभी को शिक्षा देता है कि वे सदैव मानवता, शांति एवं सद्भावना का समर्थन करें। अत्याचारों को किसी भी स्थिति में सहन न करें।

#Short Essay: विजयादशमी

प्रस्तावना : विजयादशमी हिंदुओं का प्रसिद्ध पर्व है। यह प्रतिवर्ष क्वार सदी दशमी को मनाया जाता है। इसलिए इसको दशहरा भी कहते हैं। मनाने का कारण : हमारे देश में विजयादशमी पर्व का इतिहास बहुत पुराना है। वास्तव में यह ऋतु-परिवर्तन की सूचना देने वाला पर्व है। यह पर्व बताता है कि वर्षा ऋतु बीत गई है और सुहावनी शरद् ऋतु आ गई है।

विजयादशमी पर्व के विषय में यह मान्यता है कि इसी तिथि को श्री रामचंद्र जी ने राक्षसराज रावण को पराजित करके उसका वध किया था। इस प्रकार एक बड़े अन्यायी से संसार को मुक्त करके उन्होंने धर्म और न्याय की प्रतिष्ठा की थी।

वर्णन : विजयादशमी का सबसे बड़ा आकर्षण ‘रामलीला’ है। कोई भारतीय ऐसा नहीं होगा, जिसने कभी-न-कभी और कहीं-न-कहीं रामलीला न देखी हो। राम की कथा का प्रचार हमारे देश में ही नहीं, बाहर के भी अनेक देशों में है। उन देशों में भी रामलीला के प्रदर्शन हर साल होते हैं। इस सिलसिले में इंडोनेशिया का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

हमारे देश में रामलीला का इतना प्रचार है कि छोटे-बड़े शहरों, नगरों के अतिरिक्त गाँवों में भी लोग बड़े उत्साह से इसका आयोजन करते हैं। नगरों में कई स्थानों पर एक साथ रामलीला होती है। राम-जन्म, सीता-स्वयंवर, लक्ष्मण-परशुराम-संवाद, सीता-हरण, हनुमान द्वारा लंका-दहन, लक्ष्मण-मेघनाद-युद्ध आदि के दिन तो दर्शकों की अपार भीड़ रामलीला-मंडप में दिखाई देती है। सचमुच रामलीला के दिनों की चहल-पहल देखने-योग्य होती है। रात-भर दर्शकों का तांता लगा रहता है।

रामलीला का प्रदर्शन प्रायः तुलसीदास जी के संसार-प्रसिद्ध ग्रंथ ‘रामचरितमानस’ के आधार पर होता है। मंच के एक ओर बैठे व्यास जी ‘मानस’ की पंक्तियाँ गाते जाते हैं और उन्हीं के अनुसार पात्र अभिनय करके कथा आगे बढ़ाते हैं।

अंतिम दिन की रामलीला रंगमंच पर न होकर खुले मैदान में होती है। जहाँ राम-रावण युद्ध होता है और राम रावण का वध करते हैं। उसके तुरंत बाद रावण का पुतला जलाया जाता है। इस पुतले को बनाने में कई दिन लगते हैं। विजयादशमी के दूसरे दिन भरत-मिलाप का उत्सव मनाया जाता है। उस दिन का दृश्य बड़ा हृदयहारी होता है।

नंगे पैरों भागते हुए भरत बड़े भाई राम के चरणों पर गिर पड़ते हैं। श्रीराम अपने भाई को बीच में ही रोककर उन्हें अपनी विशाल भुजाओं में ले लेते हैं। इस दृश्य को देखकर सभी की आँखें आँसुओं से भर जाती हैं।

उपसंहार : विजयादशमी का पर्व अन्याय पर न्याय की विजय का प्रतीक है। इसके माध्यम से हम राम के आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

#Short Essay: रक्षाबंधन

प्रस्तावना : रक्षाबंधन भारत का बहुत ही प्राचीन और महत्त्वपूर्ण त्योहार है। रक्षाबंधन दो शब्दों से मिलकर बना है- रक्षा बंधन। अतः रक्षाबंधन का अर्थ है रक्षा के लिए किया गया प्रण। इस दिन भाई अपनी बहिन की रक्षा के लिए प्रतिज्ञा करते हैं। होली, दीपावली, दशहरा आदि त्योहारों की भाँति इस त्योहार का भी विशेष महत्त्व है।

समय : रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस त्योहार को श्रावणी, सलूनों आदि नामों से भी पुकारा जाता है। यह वर्षा ऋतु का प्रमुख त्योहार माना जाता है।

मनाने का कारण : रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? इस विषय में कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। एक बार देवताओं और राक्षसों में युद्ध प्रारंभ हो गया, जिसमें देवताओं की हार होने लगी। यह जानकर इंद्र को बड़ी चिंता हुई। युद्ध में विजय पाने के लिए श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन इंद्र की पत्नी ने इंद्र के हाथ में रक्षा का बंधन बाँधा था, जिससे देवताओं की विजय हुई और राक्षसों की हार हुई। तभी से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है।

रक्षाबंधन को मनाने के विषय में एक दूसरी कथा भी प्रचलित है। एक समय चित्तौड़ की रानी कर्मावती पर गुजरात के राजा ने आक्रमण कर दिया। कर्मावती ने सम्राट् हुमायूँ के पास राखी भेजी थी। हुमायूँ ने कमवती को अपनी धर्म की बहिन मानकर उसकी रक्षा की। वास्तव में रक्षाबंधन का त्योहार भाई और बहिन के पावन प्रेम को प्रकट करता है।

मनाने की विधि : रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए कई दिन पूर्व से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। बाज़ार से सुंदर-सुंदर राखियाँ खरीदी जाती हैं। जो भाई बाहर रहते हैं उनके लिए बहिनें राखियाँ डाक द्वारा भेजती हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन प्रात:काल से ही एक निराली प्रसन्नता सी छाई रहती है। सफाई आदि के बाद दीवारों पर चित्र बनाए जाते हैं। इस दिन घरों में खीर, सेवइयाँ आदि बनाई जाती हैं। राखी की पूजा होती है। बहिन-भाई नए-नए वस्त्र धारण करते हैं। बहिनें अपने भाइयों को राखी बाँधती हैं तथा दक्षिणा में रुपये भी देते हैं।

इस दिन घरों में भी लोग राखी देने के लिए आते हैं तथा दक्षिणा पाते हैं। वास्तव में यह त्योहार भाई-बहिन के असीम स्नेह का प्रतीक है। इस प्रकार पूरे दिन प्रसन्नता का वातावरण रहता है।

उपसंहार : वास्तव में रक्षाबंधन भारत का बड़ा पवित्र एवं महत्त्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार से व्यक्तियों में स्नेह एवं कर्तव्यपालन की भावना जाग्रत होती है। हम सभी को इस त्योहार की पावनता एवं शुद्धता को बनाए रखना चाहिए।

#Short Essay: जन्माष्टमी

प्रस्तावना : हमारे देश में अनेक महान् आत्माओं ने जन्म लिया। उन्होंने अपने जीवन में अनेक लोकहितकारी कार्य किए। इसलिए आज भी उनका स्मरण किया जाता है। हम श्रद्धापूर्वक उनको नमन करते हैं। श्रीकृष्ण भी ऐसे ही अवतारी पुरुष थे। श्रीकृष्ण देवकी-वसुदेव के पुत्र थे। उनका जन्म भादो मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को हुआ था। अत: यह पर्व प्रतिवर्ष जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

श्रीकृष्ण की महानता : कृष्ण के जन्म के समय मथुरा में क्रूर एवं अत्याचारी कंस का शासन था। वह श्रीकृष्ण का मामा था। ज्योतिषियों ने उसे बताया था कि तेरा भानजा ही तेरा वध करेगा। अपने प्राणों के भय से उसने अपनी बहिन देवकी और बहनोई वसुदेव को बंदी बना लिया था। देवकी और वसुदेव के बंदी जीवन में ही श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। श्रीकृष्ण ने आततायी कंस से जनता को मुक्ति दिलायी। श्रीकृष्ण एक चतुर राजनीतिज्ञ थे।

वे योगीराज, विद्वान्, वीर योद्धा, देश-उद्धारक, सच्चे मित्र, अनुपम दानी और सेवा-भाव के आदर्श परुष थे। दुर्योधन की पराजय, कंस, जरासंघ, शिशुपाल आदि आततायियों का वध, अर्जुन को गीता का उपदेश, गरीब ब्राह्मण सुदामा की सहायता आदि कार्य श्रीकृष्ण की महानता को प्रकट करते हैं।

वर्णन : जन्माष्टमी के दिन लोग दिन-भर उपवास करते हैं। मंदिर में सजावट की जाती है। रासलीलाएँ होती हैं। इस अवसर पर श्रीकृष्ण की झाँकियाँ भी निकाली जाती हैं। मूर्तियाँ बनायी जाती हैं। सायंकाल लोग झाँकियों को देखने जाते हैं। मंदिरों एवं बाजारों में काफी चहल-पहल होती है। जन्माष्टमी का पर्व कृष्ण के जन्मस्थान गोकुल एवं वृदावन में बहुत. धूमधाम से मनाया जाता है। अन्य स्थानों की तुलना में यहाँ कुछ अधिक ही उत्साह दिखायी देता है। भक्तजन दिनभर उपवास के बाद अर्द्धरात्रि में श्रीकृष्ण के जन्म के समय मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं। प्रसाद बाँटा जाता है। इसके बाद भक्तगण भोजन करके अपना उपवास समाप्त करते हैं।

उपसंहार : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हमें अपने कर्तव्यों को पूरा करने, बिना किसी इच्छा के कर्म करने एवं समाज में उच्चादर्श स्थापित करने की शिक्षा देता है। कृष्ण की भाँति हमें भी सच्चा मित्र और लोकहितकारी बनना चाहिए। हमें श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।

#Short Essay: स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त)

प्रस्तावना : गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है-‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।’ अर्थात् पराधीन को स्वप्न में भी सुख नहीं मिलता है। सुख स्वाधीनता में ही निहित है। पराधीनता नरक के समान है। स्वतंत्रता हमारे बलिदानी वीरों का अमूल्य उपहार है।

महत्त्व : स्वतंत्रता दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है। स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए हमारे अनेक वीर सपूतों ने अपना बलिदान दिया। अनेक ललनाओं के सुहाग मिट गए। माताओं की गोदें सूनी हो गयीं। वीर सेनानियों ने अंग्रेजों के द्वारा दी गयी शारीरिक एवं मानसिक यातनाओं को सहन किया। आखिकार हमारी सभी पीड़ाओं का अंत हुआ। देश को अपना गौरव, स्वाभिमान एवं स्वामित्व प्राप्त हुआ। वह मंगलमय दिन 15 अगस्त 1947 था। तभी से यह दिन देशवासियों के लिए महत्त्वपूर्ण पर्व बन गया। उसी दिन से भारत के निवासी प्रतिवर्ष अपनी स्वतंत्रता की वर्षगाँठ बड़ी धूमधाम एवं अत्यधिक हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

दिवस का वर्णन : स्वतंत्रता दिवस देश का पवित्र पर्व है। इसे प्रतिवर्ष देश के कोने-कोने में बड़ी धूम-धाम से एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हर्ष एवं उल्लास का प्रतीक है। 15 अगस्त के समारोह प्रात:काल से सायंकाल तक चलते हैं। इसका मुख्य समारोह राजधानी दिल्ली में होता है। प्रात:काल लालकिले की प्राचीर पर देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। वे देश को संबोधित करते हैं। प्रांतों की राजधानियों में प्रदेश के मुख्यमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। विद्यालयों में छात्र एवं शिक्षक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। प्रात:काल प्रभातफेरियाँ निकलती हैं। राष्ट्रीय गीत गाए जाते हैं। वातावरण में चारों ओर शहीदों की जय के नारे गूंज उठते हैं।

उपसंहार : इस पावन पर्व पर हमें अपनी कमजोरियों को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए। आज देश में भाषा, प्रांत, जाति के कारण अनेक झगड़े हो रहे हैं। अनुशासनहीनता बढ़ती जा रही है। इससे हमारी स्वतंत्रता को आघात पहुंच रहा है। इन सभी बुराइयों को दूर करने के लिए हमें पूरा प्रयत्न करना चाहिए। हमें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे हमारी स्वतंत्रता को आघात पहुँचे।

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April 26, 2019 by Rama Krishna

CBSE Class 8 Hindi अनुच्छेद-लेखन Pdf free download is part of NCERT Solutions for Class 8 Hindi . Here we have given NCERT Class 8 Hindi अनुच्छेद-लेखन.

अनुच्छेद लेखन भी कला है। किसी विषय पर सीमित शब्दों में अपने विचार लिखना ही अनुच्छेद लेखन है। यदि अनुच्छेद को ‘लघु निबंध’ कहा जाए तो गलत न होगा। इसमें शब्द सीमा के भीतर विषय-परिचय, वर्णन व निष्कर्ष लिखने होते हैं। इस प्रकार अनुच्छेद को निबंध का लघुतम रूप कहा जा सकता है। अनुच्छेद लिखने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • अनुच्छेद की भाषा सरल होनी चाहिए।
  • भाषा संक्षिप्त, भाव प्रधान, अर्थपूर्ण और प्रभावोत्पादक होनी चाहिए।
  • कक्षा आठवीं 125-150 शब्द होनी चाहिए।
  • इसमें अनावश्यक विस्तार नहीं होना चाहिए।
  • इसमें शब्द-चयन पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
  • वाक्यों में परस्पर संबंध होना चाहिए।

आवश्यकता हो तो मुहावरे या लोकोक्ति का प्रयोग कर विषय-वस्तु को और रोचक बनाया जा सकता है।

अनुच्छेद के कुछ उदाहरण

1. मीठी वाणी वाणी से ही सबकी पहचान होती है। इसीलिए किसी कवि ने ठीक ही कहा है ‘बोली एक अनमोल है जो कोई बोले जानि’ ‘हिए तराजू तोलि के तब मुख बाहर आनि’।

मनुष्य वाणी के द्वारा ही दूसरे को अपना मित्र या शत्रु बना लेता है। मीठी वाणी बोलने से आप अपने विरोधियों को भी अपने पक्ष में कर सकते हैं और इससे मन को शांति मिलती है। मीठी वाणी से मनुष्य समाज में सम्मान प्राप्त करता है। मीठा बोलकर लोगों का दिल जीत सकते हैं। मधुर वाणी से शत्रु का हृदय भी जीता जा सकता है। ‘वाणी’ मनुष्य का आभूषण है। संसार में सभी मनुष्य मीठी वाणी बोलें, तो परस्पर प्रेम और शांति से मिलकर रह सकेंगे। इसके माध्यम से समस्त संसार की समस्याओं का समाधान निकल पाएगा। इसीलिए किसी कवि ने कहा है कि- ‘मधुरवचन है औषधि, कटुक वचन है तीर’ मधुर वचन औषधि के समान होते हैं, जबकि कटु वचन तीर के समान।

2. मैं पर्यावरण रक्षक हूँ । प्रकृति से मनुष्य का अटूट संबंध रहा है। मानवीय विकास में प्रकृति की विशेष भूमिका रही है। मुझे इस बात की गंभीर चिंता रहती है कि यदि इसी प्रकार हम लोग पर्यावरण को नुकसान पहुँचाते रहे तो इस पृथ्वी की क्या होगा? इस पृथ्वी को जिसे ‘माँ’ के रूप में देखते हैं, क्या अपने स्वार्थ के कारण ऐसे ही नष्ट हो जाएगी। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। अपने वजूद को बचाने के लिए इस पृथ्वी को हमें बचाना ही होगा। इस धरती माँ को बचाने के लिए अभी और कुछ करने का संकल्प लेना होगा। इन्हीं विचारों को लेकर हमने पर्यावरण संरक्षण समिति बनाई। अब हममें से प्रत्येक व्यक्ति पर्यावरण प्रेमी है। हम लोग अपने घर के आस-पास वातावरण को साफ सुथरा रखते हैं। कोई भी खुशी का अवसर हो, एक पौधा अवश्य लगाते हैं। हम सब उसकी देखभाल करते हैं। इस तरह हम लोग विश्व स्तर पर इस समस्या का समाधान कुछ न कुछ अवश्य निकालेंगे।

3. परिश्रम की महिमा परिश्रम सफलता की कुंजी है। यह सभी प्रकार की उपलब्धि तथा सफलता का आधार है। परिश्रमी व्यक्तियों ने मानव जाति के उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। परिश्रम से कठिन से कठिन काम भी आसान हो जाता है। मेहनत से जी चुराने वाला व्यक्ति आलसी बन जाता है। उसे जीवन में किसी प्रकार का लाभ नहीं होता। उसमें कार्य के प्रति उमंग, उत्साह और जोश नहीं होता। परिश्रमी व्यक्तियों ने वैज्ञानिक उन्नति में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है। अपने परिश्रम के बलबूते मनुष्य अंतरिक्ष में जा चुका है। परिश्रमी व्यक्ति ही सदैव सफलता प्राप्त करता है। अतः हमें सभी कार्य सदैव परिश्रमपूर्वक करना चाहिए।

4. परीक्षा के दिन प्राचीन काल से ही परीक्षा की परंपरा चली आ रही है। ज्यों-ज्यों परीक्षा निकट आती है, त्यों-त्यों धड़कन तेज़ हो जाती है। हर काम में जल्दी लगी रहती है। परीक्षा हमें शत्रु की तरह दिखाई देती है। तनाव के कारण छात्रों को रातों में नींद नहीं आती। दिल काफ़ी बेचैन रहता है। चिंताएँ लगातार बनी रहती हैं। हर समय नींद में कापी और किताबों का सपना आता रहता है। यहाँ हमेशा भय बना रहता है कि कोई विषय में कमी न रह जाए। मानसिक तनाव में रहता है। जिनकी पूरी तैयारी रहती है वे तनावयुक्त रहते हैं। बच्चे सोचते है काश! ये परीक्षाएँ न होतीं, तो जीवन कितना सरल और सुखी होता।

5. भारतीय संस्कृति भारतीय संस्कृति का मूल ‘वैदिक संस्कृति है। यह संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। भारतीय संस्कृति पर अनेक धर्म, जाति, संप्रदाय, मत और आचार-विचारों का प्रभाव पड़ता गया। भारतीय संस्कृति में समाज के सभी पहलुओं पर विचार किया गया तथा व्यक्ति, परिवार, समाज से लेकर राष्ट्रीय उद्भव तक के विभिन्न मार्ग दिखाए गए। हमारी संस्कृति अपनी उदारता-सहिष्णुता के कारण आज भी विश्व को आकर्षित करती है। यहाँ विचारों की स्वतंत्रता है। ‘समन्वय की भावना भारतीय संस्कृति की विशेषता है। भारतीय संस्कृति आशावाद, धार्मिकता तथा अहिंसा की सबसे बड़ी समर्थक है।

6. जीवन में खेलकूद का स्थान जीवन की सफलता के लिए शारीरिक, मानसिक तथा मौलिक विकास का होना अति आवश्यक है। इसके लिए व्यायाम या खेल बहुत अनिवार्य है। खेलों से हम अनुशासन, संगठन, आज्ञा पालन, साहस, आत्मविश्वास तथा एकाग्रचितता जैसे गुणों को प्राप्त करते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यायाम, खेलकूद आवश्यक है। प्राणायाम योगासन, दंड-बैठक आदि से शरीर की पुष्टि हो सकती है लेकिन इनसे भरपूर मनोरंजन नहीं होता है। दौड, कूद, खों-खों, हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट आदि खेलों में व्यायाम के साथ-साथ हमारी पूरा मनोरंजन भी होता है। खेलकूद से केवल हमारा शरीर की पुष्ट नहीं होता बल्कि खेल के मैदानों में आज्ञाकारिता, अनुशासन, धैर्य, संयम, सहिष्णुता, सहयोग, एकता, त्याग, जैसे गुण अनायास ही प्राप्त हो जाते हैं। खेलों से राष्ट्रीय एकता की भावना पुष्ट होती है। आज देश-विदेश में अनेक स्तरों पर खेलों का आयोजन होता है। प्रांतीय, राष्ट्रीय, राष्ट्रमंडलीय, एशियाई तथा ओलंपिक आदि खेलों का नियमित रूप से आयोजन होता रहता है।

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Samvad Lekhan In Hindi For Class 8: हिन्दी संवाद लेखन कक्षा 8 NCERT, Examples

दोस्तों इस लेख में, हमने CBSE Samvad Lekhan In Hindi For Class 8 में यह लेख तैयार की है, यदि आप भी कक्षा 8 के विद्यार्थी हैं और बातचीत करने के लिए संवाद लेखन की तलाश में हैं, तो यह लेख आपकी बहुत मदद करेगी। इसमें मैंने Samvad Lekhan For Class 8 के लिए रखा है, ताकि आपकी पढ़ाई अच्छे से हो सके और आप संवाद आदि प्रतियोगिता में भाग लेकर जीत सकें।

Table Of Contents

  • 1 Samvad Lekhan In Hindi For Class 8
  • 2 संवाद लेखन के उदाहरण
  • 3 संवाद लेखन कक्षा ८ विद्यार्थी के लिए हिंदी में
  • 4 Samvad Lekhan In Hindi For Class 8 Question
  • 5 कक्षा ८ के विद्यार्थियों के लिए हिंदी में संवाद लेखन
  • 6 Samvad Lekhan In Hindi For Class 8 Example
  • 7 Samvad Lekhan In Hindi For Class 8 Topic
  • 8.1 संवाद किसे कहते हैं?
  • 8.2 संवाद में क्या क्या विशेषताएं होनी चाहिए?
  • 8.3 निष्कर्ष

Samvad Lekhan In Hindi For Class 8

“Samvad Lekhan” कक्षा 8 के विद्यार्थी के लिए हिंदी भाषा के अध्ययन में शामिल एक सामान्य विषय है। यह दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच संवाद या वार्तालाप लिखने की कला को संदर्भित करता है। यह अभ्यास विद्यार्थी को उनके लेखन कौशल को बढ़ाने में मदद करता है और हिंदी व्याकरण और शब्दावली पर उनकी पकड़ में सुधार करता है। तो बस लेख को नीचे स्क्रॉल करें और CBSE Samvad Lekhan For Class 8 Hindi पढ़ें और जानकारी प्राप्त करें।

Samvad Lekhan In Hindi For Class 8: हिन्दी संवाद लेखन कक्षा 8 NCERT, Examples

संवाद लेखन के उदाहरण

1) संवाद: सब्जी वाला और ग्राहक के बीच संवाद

सब्जी वाला (मोदी): नमस्ते, माम! कैसे मदद कर सकता हूँ?

ग्राहक राहुल गांधी: नमस्ते! मुझे कुछ सब्जियां और फल चाहिए। क्या आपके पास टमाटर, प्याज, और केले हैं?

सब्जी वाला (मोदी): हां, बिल्कुल! हमारे पास टमाटर, प्याज, और केले उपलब्ध हैं। कितने चाहिए?

ग्राहक राहुल गांधी: मुझे आधे किलो टमाटर, एक किलो प्याज, और दो केले चाहिए।

सब्जी वाला (मोदी): ठीक है, मैं आपके लिए वो सब तैयार करता हूँ।

(सब्जी वाला सब्जियों को तैयार करता है और ग्राहक को दिखाता है)

सब्जी वाला (मोदी): ये रहे आपके आधे किलो टमाटर, एक किलो प्याज, और दो केले।

ग्राहक राहुल गांधी: बिल कितना है?

सब्जी वाला (मोदी): टमाटर के 30 रुपए, प्याज के 40 रुपए, और केले के 20 रुपए, तो कुल 90 रुपए होंगे।

ग्राहक राहुल गांधी: ठीक है, मैं 100 रुपए देता हूँ।

( ग्राहक राहुल गांधी: 100 रुपए का नकद देता है)

सब्जी वाला (मोदी): धन्यवाद, सर जी! आपका आभारी हूँ।

ग्राहक राहुल गांधी: आपका धन्यवाद, दिवाली में फलों और सब्जियों की आपकी सेवा का अच्छा मजा है!

सब्जी वाला (मोदी): हमें खुशी है कि आपको हमारी सेवा पसंद आई। कृपया हमें फिर से आने का अवसर दें।

ग्राहक राहुल गांधी: बिल्कुल, ज़रूर! शुक्रिया और आपको भी दिवाली की शुभकामनाएँ!

संवाद लेखन कक्षा ८ विद्यार्थी के लिए हिंदी में

2) संवाद: नेता और जनता के बीच संवाद

नेता (केजरीवाल): नमस्ते, मेरे प्रिय नागरिकों! मुझे आपके सवालों और सुझावों का स्वागत है।

जनता (कृष्णा): नमस्ते, सर! हमारे इलाके में सड़कों की स्थिति बहुत खराब हो रही है। क्या आप कुछ कर सकते हैं?

नेता (केजरीवाल): हाँ, सड़कों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए हम योजना बना रहे हैं। इसमें जल्द ही सुधार किया जाएगा, लेकिन हमारे पास संकटकालीन समय में कुछ सीमित संसाधन हैं।

जनता (कृष्णा): हम समझते हैं कि संसाधन सीमित है, लेकिन क्या हम सड़कों के निर्माण में नौकरियों की स्थापना करने का योजना बना सकते हैं?

नेता (केजरीवाल): बिल्कुल, यह एक अच्छा विचार है! हम नौकरियों की स्थापना के लिए काम कर रहे हैं, जिससे न केवल सड़कों की स्थिति सुधारेंगे, बल्कि नौकरियों का भी संवर्धन होगा।

जनता (कृष्णा): धन्यवाद, सर! हमें इस योजना का समर्थन है, और हम आपके साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं।

नेता (केजरीवाल): मुझे खुशी है कि आप इस परियोजना के समर्थक हैं। हम ने जनता की आवाज को सुना है और उनके हित में काम करने के लिए समर्पित हैं।

जनता (कृष्णा): सर, हम आपकी मेहनत और सेवाओं के लिए आपकी प्रशंसा करते हैं, और हम आपसे इस सड़क सुधार कार्यक्रम के लिए आगे बढ़ने की आशा करते हैं।

नेता (केजरीवाल): धन्यवाद, मेरे प्रिय नागरिकों! आपके सहयोग के बिना हम कुछ नहीं कर सकते। आपकी सक्रिय भागीदारी से हम सबकुछ संभव होता है।

जनता (कृष्णा): हमें गर्व है कि हम इस नागरिकता का हिस्सा हैं, और हम आपके साथ मिलकर इस इलाके को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

नेता (केजरीवाल): फिर से धन्यवाद, और जनहित में हम सब मिलकर काम करेंगे!

Samvad Lekhan In Hindi For Class 8 Question

3) संवाद: दुर्गा पूजा की छुट्टी पर शिक्षक और छात्र के बीच संवाद

शिक्षक (श): नमस्ते, अर्जुन! कैसे हो तुम?

छात्र (अ): नमस्ते, सर! मैं ठीक हूँ। आपका दिन कैसा गया?

श : मेरा दिन अच्छा गया, धन्यवाद। तुमने तो आज स्कूल क्यों नहीं आया? आज तो दुर्गा पूजा की छुट्टी है।

अ : हां, सर, आज हमें छुट्टी मिली है। दुर्गा पूजा के मौके पर हमारे घर पर पूजा आयोजित है, इसलिए मैं छुट्टी पर हूँ।

श : यह सुनकर अच्छा लगा कि तुम अपने परिवार के साथ दुर्गा पूजा मना रहे हो। यह खुशी का मौका है।

अ : हां, सर, दुर्गा पूजा हमारे लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। हम इसे बड़ी उल्लास के साथ मनाते हैं।

श : यह सही है, अर्जुन! त्योहारों का महत्व अपने संप्रेरणा और परंपराओं के साथ होता है।

अ : हां, सर, और इसके साथ ही हम अपने पढ़ाई को भी जारी रखते हैं।

श : बढ़िया, अर्जुन! तुम्हारे विद्यालय के लिए आपका समर्थन महत्वपूर्ण है।

अ : धन्यवाद, सर! हम छुट्टी का आनंद लेते हैं, लेकिन हम अपने पढ़ाई को भी नजरअंदाज नहीं करते हैं।

श : यह सही तरीके से है, अर्जुन! तुम्हारे उद्धेश्यों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ते रहो।

अ : जी, सर, मैं पूरी ईमानदारी से अपने काम में लगा रहूँगा।

श : इसी तरह की मेहनत से तुम अपने लक्ष्यों को हासिल करोगे, अर्जुन! ध्यान रखना, और दुर्गा पूजा की छुट्टी का आनंद लेना।

अ : धन्यवाद, सर! आपकी शुभकामनाओं के लिए।

श : सभी को दुर्गा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ!

कक्षा ८ के विद्यार्थियों के लिए हिंदी में संवाद लेखन

4) संवाद: “दिन और रात बराबर” – शिक्षक और छात्र के बीच

शिक्षक (श): नमस्ते, विक्रम! तुम्हारा दिन कैसा गया?

छात्र (व): नमस्ते, सर! मेरा दिन अच्छा गया। आपका कैसा रहा?

श : मेरा दिन भी ठीक ही गुजरा, धन्यवाद। तुमने सुना कि आज दिन और रात बराबर हो रहे हैं, ना?

व : हां, सर! आज हमें स्कूल में यह पढ़ाया गया। यह कैसे संभव है?

श : यह बहुत रोचक है, ना? दिन और रात का बराबर होना हमारे पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में वर्षा के समय के कारण होता है।

व : वाह, यह बिल्कुल अद्भुत है! तो क्या हमें आज रात को सोने के बजाय पढ़ाई करनी चाहिए?

श : अच्छा प्रयास है, लेकिन सुनो, रात को भी आपकी आवश्यकता है अच्छी नींद की। अच्छी नींद से ही हम सही तरह से पढ़ाई कर सकते हैं।

व : सही कहा, सर! मैं अच्छी नींद को महत्वपूर्ण मानता हूँ।

श : ठीक है, विक्रम, तुम अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखो और अच्छे गुणवत्ता की पढ़ाई करो। दिन और रात की समय समझाने के लिए यह स्कूल का एक बड़ा अद्वितीय पाठ है।

व : धन्यवाद, सर! मैं जानता हूँ कि यह हमारे लिए महत्वपूर्ण ज्ञान है।

श : तुम्हें समझने के लिए बहुत धन्यवाद, विक्रम! आप एक अच्छे छात्र हैं।

व : धन्यवाद, सर! मैं प्रयास करूँगा कि अगले सप्ताह के परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करूँ।

श : बढ़िया, विक्रम! तुम्हारे सफल होने की शुभकामनाएँ! और याद रखना, दिन और रात बराबर होने का मतलब है कि तुम्हें समय का सदुपयोग करना चाहिए।

व : जी, सर! मैं समय का सही तरीके से उपयोग करूँगा।

श : बेहतरीन, विक्रम! तुम्हारे साथ बात करके मेरी खुशी हुई। सफलता की कामना करता हूँ।

व : धन्यवाद, सर! आपकी शुभकामनाओं के लिए।

Samvad Lekhan In Hindi For Class 8 Example

5) संवाद: “बिहार और झारखंड” – शिक्षक और छात्र के बीच

छात्र (अ): नमस्ते, सर! मैं ठीक हूँ। आपका कैसा दिन बीता?

श : मेरा दिन ठीक ही बीता, धन्यवाद। तुम्हारा कैसा रहा?

अ : मेरा दिन भी अच्छा गया, सर! परंतु मुझे एक सवाल है – बिहार और झारखंड में अलग-अलग राज्य क्यों हैं, जब वे पहले एक ही राज्य थे?

श : यह एक बड़ा इतिहासिक प्रश्न है, अर्जुन! प्राचीनकाल में बिहार और झारखंड क्षेत्र एक साथ थे, और यह राज्य जहाँ भाषा, संस्कृति, और लोकसंख्या के पहलु में मिलते थे।

अ : फिर क्या हुआ?

श : 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड एक अलग राज्य बना, और उसके बाद से दोनों राज्य अलग-अलग राजनीतिक और प्रशासनिक विकल्पों का आनंद ले रहे हैं।

अ : क्या यह उनके विकास में मदद कर रहा है?

श : हां, अर्जुन, यह उनके विकास में मदद कर रहा है। यह राज्य अब अपने विकास की दिशा में अधिक स्वतंत्र हैं और अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिए संबंधित कदम उठा रहे हैं।

अ : यह सुनकर अच्छा लगा कि राज्य अपने विकास के लिए कदम उठा रहे हैं।

श : हां, अर्जुन, यह एक अच्छा उदाहरण है कि कैसे राज्य अपने समृद्धि की दिशा में काम कर सकते हैं।

अ : धन्यवाद, सर, मुझे यह समझने में मदद मिली।

श : कोई भी प्रश्न हो तो कृपया पूछिए, अर्जुन, मैं यहाँ हूँ तुम्हारी मदद के लिए।

अ : बिल्कुल, सर, धन्यवाद!

Samvad Lekhan In Hindi For Class 8 Topic

6) संवाद: “बिहार और उत्तर प्रदेश का नक्शा” – शिक्षक और छात्र के बीच

शिक्षक (श): नमस्ते, आर्या! कैसे हो तुम?

छात्र (आ): नमस्ते, सर! मैं ठीक हूँ। आपका कैसा दिन बीता?

आ : मेरा दिन भी अच्छा गया, सर! आज हमारे इतिहास के पाठ में हमें बिहार और उत्तर प्रदेश के नक्शे के बारे में पढ़ाया गया।

श : वाह, यह बहुत रोचक है! तुम्हें कैसे लगा?

आ : मुझे यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि बिहार और उत्तर प्रदेश दो अलग राज्य हैं, लेकिन उनके बीच इतने सारे सामाजिक और ऐतिहासिक संबंध हैं।

श : हाँ, बिहार और उत्तर प्रदेश दो अलग राज्य हैं, लेकिन वे अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मृदुलताओं के लिए प्रसिद्ध हैं।

आ : सर, क्या आप मुझे बता सकते हैं कि इन दो राज्यों के बीच के सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध क्यों हैं?

श : बिहार और उत्तर प्रदेश के बीच के सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध उनके ऐतिहासिक और भौगोलिक समानताओं के कारण हैं। यह राज्य दोनों गंगा नदी के तट पर स्थित हैं और इसके अलावा इनमें विविधता का मेल है।

आ : वाह, यह समझने में मदद मिली कि क्यों इन राज्यों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध हैं।

श : हां, यह भारत के सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है और हमें इसे महत्वपूर्णीयता देना चाहिए।

आ : धन्यवाद, सर! मैंने बहुत कुछ सीखा आपके पाठ से।

श : कोई भी प्रश्न हो तो कृपया पूछिए, आर्या, मैं यहाँ हूँ तुम्हारी मदद के लिए।

आ : बिल्कुल, सर, धन्यवाद!

संवाद लेखन कक्षा 8 वर्कशीट

प्रश्नः 1) बढ़ती महँगाई को लेकर दो नागरिकों की बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।

  • हरिप्रसाद – अरे पंकज क्या लाए हो बाजार से?
  • पंकज – जी, अंकल ज्यादा कुछ नहीं, बस थोड़ी सी दालें और चावल ही लाया हूँ।
  • हरिप्रसाद – अब इस बढ़ती महँगाई ने तो सबका हाथ ही तंग कर दिया है।
  • पंकज – कुछ न पूछिए! सभी चीजों के दाम आसमान को छू रहे हैं, कोई भी चीज सस्ती नहीं है। कुछ दालों के तो 200 रुपए किलो तक पहुँच गए हैं।
  • हरिप्रसाद – दालें ही क्या सभी चीजें इतनी महँगी हो गई हैं कि वे आम आदमी की पहुँच से बाहर होती जा रही हैं।
  • पंकज – पर मेरी एक बात समझ में नहीं आती। महँगाई को रोकने के लिए सरकार क्यों कुछ नहीं कर रही है?
  • हरिप्रसाद – अरे भैया! मुझे तो लगता है दाल में कुछ काला है। वरना सरकार चाहे तो क्या कुछ नहीं कर सकती। महँगाई के खिलाफ़ कानून बना सकती है। चीजों के दाम तय कर सकती है।
  • पंकज – यही नहीं, उचित दाम से अधिक मूल्य वसूलने वालों को धर पकड़ भी सकती है।
  • हरिप्रसाद – हाँ, सरकार आए दिन कुछ न कुछ बयान अवश्य देती है। कभी वायदे करती है, कभी योजनाएँ बनाती है, पर न तो वे वायदे कभी पूरे होते हैं और न ही वे योजनाएँ।
  • पंकज – आश्चर्य की बात यह है कि विपक्षी पार्टियाँ भी सरकार पर दबाव डालने के लिए कुछ नहीं कर रही हैं।

प्रश्नः 2) चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद – चॉक और ब्लैकबोर्ड के बीच संवाद।

  • चॉक – ब्लैक बोर्ड देखो तो तुम पर मेरी लिखाई कितनी अच्छी लग रही है।
  • ब्लैक बोर्ड – हाँ तुम्हारी लिखाई सफ़ेद जो है।
  • चॉक – अभी-अभी पेंट होने की वजह से तुम्हारा रंग बिल्कुल काला हो गया है।
  • ब्लैक बोर्ड − इसलिए तुमसे लिखा गया सब कुछ साफ़ व सुंदर दिख रहा है।
  • चॉक – हम दोनों की जोड़ी विद्यालय में बहुत प्रसिद्ध है .
  • ब्लैक बोर्ड – हाँ होगी क्यों नहीं ! शिक्षक हमारे द्वारा ही तो बच्चों को पढ़ा पाते हैं .
  • चॉक – तुम बच्चों के लिए किताब की तरह हो .
  • ब्लैक बोर्ड − तुम कलम (pen ) की तरह हो .
  • चॉक – जब बच्चे मुझे लेने ऑफिस में जाते हैं तो उन्हें बहुत मजा आता है .
  • ब्लैक बोर्ड − मुझ पर लिखा हुआ मिटाते समय बच्चा अपने आपको कक्षा का खास बच्चा समझता है .
  • चॉक – ब्लैक बोर्ड भैया !बच्चे बहुत मासूम होते हैं .
  • ब्लैक बोर्ड − हाँ ! कुछ-कुछ शैतान भी होते हैं . हर प्रकार के बच्चे कक्षा में बहुत अच्छे लगते हैं .
  • चॉक – अरे हाँ ! मैं lockdown में सभी को बहुत याद करती हूँ .
  • ब्लैक बोर्ड − कोरोना के कारण विद्यालय बंद होने से मैं भी बच्चों को देखने के लिए तरस गया .
  • चॉक – अरे छोड़ो भी online मोड में तुम तो गूगल ब्लैक बोर्ड बन गए हो .
  • ब्लैक बोर्ड − हा,हा,हा ! जल्दी ही तुम गूगल चॉक बन जाओगी.

प्रश्नः 3) माँ और बच्चे के बीच संवाद।

  • बबीत – माँ, मुझे बहुत भूल लग रही है। आप डॉनल्ड का बर्गर मँगा दो।
  • माँ – बबीत, कल तुमने पीज़ा खाया था और सुबह मैगी। तुम्हें कितनी बार समझाया है कि यह कूड़ा अर्थात ‘जंक फूड’ है, इसे नहीं खाना चाहिए।
  • बबीत – माँ, पीजी तो कल अक्षत के जन्मदिन की पार्टी में खाया था और मैगी भैय्या ने बनाई थी।
  • माँ – पर, गया तो तुम्हारे पेट में न। नुकसान तो तुम्हारा हुआ ना। जानते हो ये सब चीजें दिल को तो कमजोर करती ही हैं, साथ ही शरीर को मोटा करती हैं और न जाने कितनी बीमारियों को जन्म देती हैं। तुम अपने शरीर को ऐसा करना चाहोगे।
  • बबीत – सॉरी, माँ अब से मैं ‘जंक फूड’ नहीं केवल हरी सब्ज़ियाँ खाऊँगा।
  • माँ – शाबाश, मेरा अक्लमंद बेटा।

प्रश्नः 4) कलम का कॉपी से संवाद – कलम और कॉपी के बीच संवाद।

  • कलम – कॉपी! क्या मेरे द्वारा तुम पर लिखा जाना तुम्हें अच्छा लगता है।
  • कॉपी – जब तुम. छात्र या अन्य लोग मुझ पर सुंदर-सुंदर शब्द लिखते हैं तो मैं बहुत खुश होती हूँ।
  • कलम – सच ! बहुत अच्छी बात है।
  • कॉपी – लेकिन अगर किसी की लिखावट खराब होती है या स्याही मुझ पर फैलती है तो मुझे बुरा लगता है।
  • कलम – मैं ऐसा बिलकुल नहीं चाहती लेकिन कई बार बच्चे मनोरंजन के कारण कुछ भी लिख देते हैं।
  • कॉपी – मुझे तुम पर गर्व है कलम ! क्योंकि तुम्हारे बिना मेरा होना ही अधूरा है। तुम्हारे बिना मेरी कोई उपयोगिता नहीं है। मैं तुम्हारी आभारी हूँ।
  • कलम – ऐसा मत बोलो, तुम्हारे बिना मेरी भी कोई उपयोगिता नहीं है।
  • कॉपी – हाँ !लगता है हम दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं .
  • कलम – (गाना गुनगुनाती है ) हम बने ,तुम बने ,एक दूजे के लिए …
  • कॉपी – जोड़ी नंबर -1 जिंदाबाद.

संवाद किसे कहते हैं?

संवाद को जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच में विचार और जानकारी का आदान-प्रदान कहा जाता है, तो उसे ‘संवाद’ कहते हैं। संवाद एक महत्वपूर्ण सामाजिक और कॉम्यूनिकेशन कौशल है, जिसमें विचारों, विचारों और जानकारी को स्वतंत्र रूप से व्यक्त किया जा सकता है और दूसरे व्यक्तियों के साथ साझा किया जा सकता है। संवाद एक सुनने और बोलने का प्रक्रियात्मक प्रक्रिया होता है, जिसमें ज्ञान, विचार, और भावनाओं का आपसी आदान-प्रदान होता है।

संवाद किसी भी विषय पर हो सकता है, जैसे कि व्यक्तिगत बातचीत, सामाजिक विषय, व्यवसायिक परिप्रेक्ष्य, शिक्षा, और कई अन्य। संवाद का मुख्य उद्देश्य जानकारी साझा करना, गहरे विचारों को व्यक्त करना, और दूसरों के साथ बातचीत करके विचारों को सुधारना और समझाना होता है।

संवाद के दो प्रमुख रूप होते हैं:

  • मौखिक संवाद (Oral Communication): मौखिक संवाद मौखिक भाषा का उपयोग करके होता है, जिसमें व्यक्तिगत बातचीत, बोलचाल, भाषण, और संवादिता शामिल होते हैं। इसमें आवाज, भाषा, भावनाओं का अभिव्यक्ति शामिल होता है। मौखिक संवाद का उदाहरण हैं – व्यक्तिगत बातचीत, व्यवसायिक मीटिंग, भाषण, और टेलीफोन कॉल इत्यादि।
  • लिखित संवाद (Written Communication): लिखित संवाद मौखिक भाषा की बजाय लिखित शैली में होता है। इसमें ब्रीफ, रिपोर्ट, पत्र, ईमेल, लिखित संदेश, और दस्तावेजों का उपयोग होता है। यह लिखित विचारों को स्पष्टता और निष्कर्षता के साथ प्रस्तुत करने का माध्यम होता है और स्थायी रूप से दस्तावेजों में रिकॉर्ड किया जा सकता है।

संवाद में क्या क्या विशेषताएं होनी चाहिए?

संवाद को सफल बनाने के लिए कुछ विशेषताएं होनी चाहिए:

  • सुनने की क्षमता (Listening Skills): संवाद में सुनने की क्षमता महत्वपूर्ण है। आपको ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए, ताकि आप दूसरे व्यक्ति के भावनाओं और विचारों को समझ सकें।
  • स्पष्टता (Clarity): संवाद की स्पष्टता होनी चाहिए, ताकि दूसरे व्यक्ति समझ सकें कि आप क्या कहना चाह रहे हैं। अशब्द, अन्यायुक्त या अस्पष्ट भाषा से बचना चाहिए।
  • समय प्रबंधन (Time Management): संवाद में समय का सही उपयोग करना महत्वपूर्ण है। आपको अपनी बात को संक्षेप से प्रस्तुत करना चाहिए और समय पर बातचीत को समाप्त करना चाहिए।
  • संवादिक और अवसरवादी (Engagement and Adaptability): आपको संवादिक बनने का प्रयास करना चाहिए, जिससे कि आप दूसरे व्यक्ति के साथ संवाद में रुचाना ला सकें। आपको परिस्थितियों के आधार पर अपने संवाद को समायोजित करने की क्षमता होनी चाहिए।
  • समझदारी (Empathy): संवाद में सामंजस्य और समझदारी होनी चाहिए। आपको दूसरे व्यक्ति की दृष्टिकोण समझने का प्रयास करना चाहिए और उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
  • संवाद में सजीवता (Active Participation): आपको संवाद में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए, न कि केवल बोलने वाले या सुनने वाले की भूमिका में रहना चाहिए।
  • संवाद के उद्देश्य का पालन (Objective): आपको संवाद के उद्देश्य को स्पष्ट रूप से समझना चाहिए और उसे प्राप्त करने के लिए अपने संवाद को अनुकूलित करना चाहिए।
  • संवाद में संतुलन (Balance): संवाद में संतुलन बनाए रखना चाहिए, यानी कि आपको बातचीत के समय बातचीत के सभी पक्षों को महत्व देना चाहिए।
  • भाषा का उपयोग (Language Usage): संवाद में सामाजिक, व्यवसायिक या अन्य संदर्भों के हिसाब से उपयुक्त भाषा का उपयोग करना चाहिए।
  • प्रतिक्रिया और पुनरावलोकन (Feedback and Reflection): संवाद के बाद प्रतिक्रिया और सोच-समझकर विचार करना चाहिए ताकि आप अपने संवाद कौशल में सुधार कर सकें।

इन विशेषताओं का पालन करके, आप संवाद को और भी प्रभावी और सार्थक बना सकते हैं।

संवाद लेखन में ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित हो सकती हैं:

  • विषय का साफ़ संकेत (Clear Subject Line): अगर आप एक ईमेल या संदेश के माध्यम से संवाद कर रहे हैं, तो आपके संदेश के विषय को स्पष्ट रूप से प्रकट करने के लिए संकेत देना चाहिए।
  • उपयुक्त और सुविधाजनक भाषा (Appropriate and Conducive Language): संवाद में उपयुक्त भाषा का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। आपको अपने प्राप्त करने वाले संवादके की भाषा और स्तर के आधार पर भाषा का चयन करना चाहिए।
  • संक्षेप और मुख्य बिंदु (Conciseness and Main Points): अपने संवाद को संक्षेप में लिखने का प्रयास करें और मुख्य बिंदुओं को हाइलाइट करें।
  • उचित तारीख और समय (Appropriate Date and Time): संवाद में समय और तारीख को सही ढंग से उचितता के साथ उपयोग करें।
  • सटीक और योग्य प्राधिकृतियां (Accurate and Relevant Credentials): आपके संवाद के साथ उचित प्राधिकृतियां और संवादक के विचार को समर्थित करने वाली जानकारी को संबंधित रूप से प्रस्तुत करें।
  • उचित संवाद प्रारूप (Proper Dialogue Format): अगर आप किसी प्रकार के संवाद लेख रहे हैं, तो संवाद प्रारूप का उपयोग करें, जिसमें व्यक्तिगत वक्ताओं की बोलचाल को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जाता है।
  • सजीव और रुचिकर संवाद (Engaging and Interesting Conversation): आपके संवाद को सजीव और रुचिकर बनाने के लिए उदाहरण, कथा, या उद्धरणों का उपयोग कर सकते हैं।
  • समय प्रबंधन (Time Management): संवाद में समय का सही उपयोग करना महत्वपूर्ण है। आपको संवाद को समय सीमित करके लिखना चाहिए, ताकि आपके संवादके को समय से पूरी जानकारी मिल सके।
  • प्रतिक्रिया के लिए खुला द्वार (Open Door for Feedback): संवाद में प्रतिक्रिया के लिए संवादके को खुला द्वार दें, ताकि वह आपके संवाद के साथ सहयोग कर सकें या संवाद को आगे बढ़ा सकें।
  • श्रीष्ठ संवाद कौशल (Excellent Communication Skills): अच्छे संवाद कौशल होने का प्रयास करें, जैसे कि सुनने, बोलने, और समझने की क्षमता।

इन सुझावों का पालन करके, आप संवाद लेखन में अधिक प्रभावी और प्रोफेशनल तरीके से संवाद कर सकते हैं।

तो आपको यह लेख CBSE Samvad Lekhan In Hindi For Class 8 कैसी लगी नीचे Comment करके हमें जरूर बताएं तथा लेख को अपने दोस्तों मे शेयर जरूर से जरूर करें, क्योंकि HINDIDP.IN पर ही आपको सबसे सटीक जानकारी देने का काम हम कर रहें है और करते रहेंगे।

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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Pustkalaya ”, ”पुस्तकालय” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes

Pustkalaya , essay no. 01.

पुस्तकें ज्ञान का भण्डार होती हैं। हर प्रकार का ज्ञान आज के युग में पुस्तकों के रूप में उपलब्ध है। आज प्रायःसभी लोग ज्ञान की प्राप्ति के प्रयत्न करते रहते हैं। पुस्तकें ज्ञान भी देती है मनोरंजन भी करती हैं। पुस्तकें मनुष्य की सच्ची मित्र हैं। उनको पढ़ने से ज्ञान भी मिलता है, समय का सदुपयोग भी हो जाता है।

कोई व्यक्ति कितना भी धनवान क्यों न हो सभी पुस्तकें खरीद कर अपने पास नहीं रख सकता। दूसरे किसी पुस्तक को एक बार पढ़ लेने पर उसकी उपयोगिता उस व्यक्ति के लिए समाप्त हो जाती है। खरीद कर पढ़ी गई पुस्तक घर में व्यर्थ ही पड़ी रहती है। इस समस्या को सुलझाने के लिए ही पुस्तकालयों की आवश्यकता हुई।

पुस्तकालय किसी सार्वजनिक स्थानों पर भवनों में खोल दिए जाते हैं। इनकी व्यवस्था किसी सभा या व्यक्ति द्वारा की जाती है। इसमें सभी विषय साहित्य, विज्ञान, राजनीति, दर्शन, वास्तु आदि की पुस्तकों का संग्रह किया जाता है। हम अपनी आवश्यक पुस्तक कुछ दिनों के लिए वहाँ से घर लेजा सकते हैं। उसे पढ़कर वापस कर देते हैं। किसी और को आवश्यकता होने पर वही पुस्तक वह भी ले जा सकता है। इस प्रकार एक ही पुस्तक हजारों लोगों को पढ़ने के लिए मिल सकती है। पुस्तक का भरपूर उपयोग होता है।

पुस्तकालय में संदर्भ ग्रंथ भी रखे जाते हैं। इन ग्रंथों को कोई घर नहीं ले जा सकता। शब्द कोश आदि वहाँ रहते हैं। जिज्ञासु लोग वहीं उनको देखकर अपनी ज्ञानपिपासा शान्त कर लेते हैं।

पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं। हर पुस्तकालय में सुविधाएँ उसको सामर्थ्य के अनुसार उपलब्ध होती है। बड़े समृद्धिशाली पुस्तकालयों में पुस्तकों के अतिरिक्त पत्रिकाएँ एवं समाचार पत्र भी उपलब्ध रहते हैं। ये वाचनालयों से जुड़े होते हैं। वाचनालयों में बैठकर हम समाचार पत्र पढ़ सकते हैं, पत्रिकाएँ पढ़ सकते हैं। कोई कोई पुस्तकालय एक दो कमरों तक ही सीमित होते हैं। उनमें पुस्तकों की संख्या भी सीमित रहती है।

सभी पाठशालाओं एवं कालिजों में भी पुस्तकालय रहते हैं। इनमें भी दो भाग कर दिए जाते हैं। एक भाग विशाल होता है। जहाँ बड़ी बड़ी पुस्तकें रखी जाती है और इसका लाभ अध्यापक एवं विद्यार्थी दोनों उठा सकते हैं। दूसरे भाग में कक्षा पुस्तकालय होता है। इसमें सरल और छोटी पुस्तकें कक्षा के स्तर के अनुसार सीमित संख्या में रखी जाती हैं। ये बहुधा कक्षा अध्यापक के पास रहती हैं। अध्यापक सप्ताह में एक दिन विद्यार्थीयों को पुस्तकें देते लेते हैं।

फुरसत का समय पुस्तकालय में बिताना लाभकारी है। महान लेखकों की कृतियाँ पढ़कर मनुष्य को ज्ञान तो मिलता ही है, मनोरंजन भी कम नहीं होता। देश विदेश का साहित्य पढ़ने से उनमें जागति आती है। उन्हें नई दृष्टि मिलती है। इस प्रकार पुस्तकालय समाज और देश के लिए हितकारी हैं।

आज हर नगर और गाँव में पुस्तकालय की आवश्यकता है। पुस्तकालय का सदस्यता शुल्क ऐसा निर्धारित होना चाहिए जो सर्व साधारण को सुलभ हो। अधिक से अधिक लोग उससे लाभ उठा सकें। उसके कार्य का समय ऐसा हो कि उस समय सभी को फुर्सत रहे।

कुछ लोगों में पुस्तकालय के दुरुपयोग की प्रवृत्ति ने जन्म ले लिया है। बहुधा पुस्तकालय की पुस्तकों के पृष्ठ अंदर से फाड़ लिए जाते हैं। जिससे पुस्तक का महत्व ही नष्ट हो जाता है। आवश्यक ज्ञान के पृष्ठ पाठक फाड़ लेते हैं। उनको चाहिए कि आवश्यक अंशों को नोट करलें, पुस्तकों को नष्ट करके ऐसे व्यक्ति कितने ज्ञान पिपासुओं की आशाओं पर पानी फेर देते हैं।

कुछ नवयुवक पुस्तक के पन्नों में अपशब्द, अश्लील बातें आदि लिखकर अपनी दूषित मनोवृत्ति को प्रकट करते हैं। इससे किसी को कोई लाभ तो होता नहीं पुस्तक विकृत हो जाती है। सचमुच पुस्तकालय ज्ञान के दीपक है। इनसे प्रकाश पाकर ही हमारा समाज ज्ञान का प्रकाश प्राप्त कर सकता है।

पुस्तकालय Library

Essay no. 02.

पुस्तकालय शब्द ‘पुस्तक’ और ‘आलय’ दो शब्दों के मेल से बना है। पुस्तकालय का शाब्दिक अर्थ है पुस्तकों या किताबों का घर। जहाँ सामूहिक और व्यवस्थित ढंग से पढ़ने के लिए पुस्तकें रखी रहती हैं, उस स्थान को ‘पुस्तकालय’ कहा जाता है। प्रत्येक विद्यालय में पुस्तकालय का होना आवश्यक है। मेरे विद्यालय में भी पुस्तकालय है। पुस्तकालय में ज्ञानवर्धक और लाभदायक पुस्तकें होनी चाहिए।

कोई भी व्यक्ति अपनी ज़रूरत की सारी किताबें शायद खरीद नहीं सकता है इसलिए पुस्तकालय से पुस्तकें लेकर छात्र-छात्राएँ अपनी आवश्यकता पूरी करते हैं। पुस्तकालय से पाठ्यक्रम के अतिरिक्त अपनी रुचि की पुस्तकें भी प्राप्त की जा सकती हैं। यहाँ से कोई भी विद्यार्थी एक निश्चित समय के लिए पुस्तकें प्राप्त कर सकता है। पुस्तकालय केवल विद्यालय में ही नहीं बल्कि गाँवों और शहरों में भी होते हैं। आम आदमी उनसे लाभ उठाता है।

हमारे विद्यालय में एक शिक्षक पुस्तकालय के प्रभारी हैं। छात्र-संघ के प्रधानमंत्री की सहायता से प्रत्येक वर्ग के छात्रों को पुस्तकें देते हैं। प्रत्येक विद्यार्थी को सप्ताह में एक दिन पुस्तकें दी जाती हैं। उसी दिन पहले ली गई पुस्तकें लौटानी पड़ती हैं। शिक्षक छात्रों के बौद्धिक स्तर के अनुसार सुरुचिपूर्ण पुस्तकें चुनकर देते हैं। पुस्तकालय किसी भी विद्यालय का प्राण है। इन पुस्तकों के पढ़ने से हमारे ज्ञान में वृद्धि होती है।

हमें पुस्तकालय से मनोनुकूल पुस्तकें नियमपूर्वक लेनी और पढ़नी चाहिए। इससे नियमित होकर पढ़ने की प्रवृत्ति भी जागती है। हमारे विद्यालय का पुस्तकालय काफी समृद्ध है। विद्यालयों के अलावा भी अनेक प्रकार के पुस्तकालय होते हैं जो सरकार तथा अन्य संस्थाओं द्वारा संचालित किए जाते हैं। इनकी सदस्यता लेकर कोई भी व्यक्ति पुस्तकें प्राप्त कर सकता है।

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essay in hindi for class 8

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NCERT Solutions For Class 8 Hindi Vasant

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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant - Free PDF Download

CBSE Class 8 Hindi Vasant comprises 18 chapters based on poems and prose written by famous authors of all times. Preparing these chapters will need the assistance of NCERT Solutions Class 8 Hindi Vasan t. These solutions have been compiled by experts to provide assistance in studying the chapters completely and scoring more in the exams.

Detailed Overview of Class 8 Hindi Vasant NCERT Solutions

Class:

Subject:

(Vasant)

Number of Chapters:

18

Content Type:

Text, Videos, Images and PDF Format

Academic Year:

2024-25

Medium:

English and Hindi

Available Materials:

Chapter Wise

Other Materials

Download Chapter Wise List of NCERT Solutions Class 8 Hindi Vasant PDF

Follow the NCERT Solutions Class 8 Hindi Vasant Overview and download the free PDF versions of the solutions according to your need. You can conveniently access these files and proceed to resolve doubts on your own for all the chapter exercises.

Learn how the experts have skillfully answered the questions to develop a unique strategy. Use this strategy to answer all the questions within the given time and score more in the Hindi exams.

Chapters of Vasant Textbook

The class 8 syllabus of Hindi Vasant includes the following chapters. The chapters are specifically designed to help in creating a better understanding of Hindi literature.

The NCERT Vasant book for Class 8 is regarded as a valuable material for test preparation. This book contains everything you'll need to effectively prepare for the interview and get the grades you want. This textbook is ideal for self-study because all of the content is provided in a straightforward manner using plain language. The textbook would also assist students in improving their Hindi by reinforcing the language's fundamental notions. It's why NCERT Book is recommended by CBSE and several other state boards for students to improve overall linguistic competence and score well enough in their examinations.

Students of Class 8 of the CBSE board follow the Hindi Book Vasant for their schoolwork. NCERT Solution for Hindi Vasant Class 8 are provided to students so that they can get the help that they need. Vasant Class 8 Solutions will cover all the important questions from the latest edition of NCERT book Class 8 Hindi Vasant. So, there is no doubt about the fact that students will easily be able to gain a strong knowledge of the subject.

You can also download NCERT Solutions for Class 8 Maths and NCERT Solution for Class 8 Science to help you to revise complete syllabus and score more marks in your examinations.

NCERT Class 8 Hindi Vasant Chapterwise Solutions

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NCERT Book Solutions for Class 8 Hindi Vasant - PDF Solutions

It is really important for students of Class 8 to maintain a good foundation in different topics that are provided in the curriculum of the schools. Class 8 is an important milestone for students. Hence, NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant would be a helping hand. These solutions are well-crafted and detailed. So, students can use these to prepare for the exams and score better marks. Also, it helps a lot when it comes to doing homework as well. 

This is your chance to choose the NCERT Hindi Vasant Class 8. The solutions are created with the main aim of answering the questions which students might feel are too complicated for them. With the help of Hindi Vasant Class 8 solutions, you don’t have to put much time into crafting answers because they are already done by the experts. So, it makes the task of studying and homework much simpler. Since it is really important to pay attention in class and interpret what the texts are trying to say, there are some fairly difficult questions at the end of every chapter. Hindi Vasant Class 8 solutions provide an insight into the chapter and also improve the skills of comprehension and interpretation in students. 

Chapter 1 - Dhwani

This poem is about how the poet wants to take flowers’ laziness away and make them energetic. It also discusses the spring season and its relevance.

Chapter 2 - Lankh ki Chudiyan

This chapter covers the story of the ‘Machine Age’ and the changes it has brought into the world. In the story, the author visits his uncle’s village and talks about the unemployment issues caused by the machines.

Chapter 3 - Bus ki Yatra

‘Bus ki Yatra is about the experience of an author while traveling on a bus. He explains the bus condition and talks about the advice he received from people when taking the bus.

Chapter 4 - Diwanon ki Hasti

‘Diwanon ki Hasti’ is a poem written by Bhagwati Charan Verma where you will learn about his perspective on life and how he feels about the beggars.

Chapter 5 - Chiththiyon ki Anuthi Duniya

In this chapter, you will learn about letters and the importance of pin code, stamps, etc. You will also learn what will happen if you use the wrong stamps while sending a letter.

Chapter 6 - Bhagwan ke Dakiae

In the ‘Bhagwan ke Dakiae’ poem, the poet presents clouds and birds as messengers or postmen of gods. You will also learn about the kind of messages the poet writes about and who can read these letters.

Chapter 7 - Kya Nirash Huaa Jaae

In this chapter, you will learn about the experiences the author had being cheated by people. The author talks about how important it is to be careful and how preaching is much easier said than done.

Chapter 8 - Yah Sab Se Kathin Samay Nahi

In this poem, the poet Jaya Jadwani talks about how if we have courage to fulfill our goals, there won’t be any difficult times.

Chapter 9 - Kabir ki Sakhiyan

In this chapter, you will be learning some powerful verses written by the famous poet Kabir.

Chapter 10 - Kaamchor

Through this chapter, the author tries to help the reader understand the importance of sharing responsibilities, hard work, and getting involved in household chores. 

Chapter 11 - Jab Cinema Ne Bolna Sikha

In this chapter, you will learn about Indian cinema’s amazing history and how sound technologies changed the movie-viewing experience. You will also learn about movie dubbing and other movie-related trivia.

Chapter 12 - Sudama Charit

This chapter covers the story of Lord Krishna and Sudama, his friend. You will learn about how Lord Krishna helped Sudama with his troubles.

Chapter 13 - Jaha Pahiya Hai

In this chapter, you will learn about how cycling became an important part for women's rights social movement in rural Tamil Nadu.

Chapter 14 - Akbari Lota

This story by Annapurnanand Verma is about Bhilwasi who steals from his wife and fools a person through a fake story.

Chapter 15 - Surdas ke Pad

This chapter is based on Lord Krishna’s childhood.

Chapter 16 - Paani ki Kahani

This story from Ramchandra Tiwari is about water, the transpiration process in plants, and other concepts.

Chapter 17 - Baaj aur Saanp

In this chapter, you will read about the story of the snake and the brave hawk. You will find out how humans were able to fulfill their flying aspirations in the sky.

Chapter 18 - Topi

This is a fun story about two sparrows arguing about human clothing. Learn how the female sparrow is able to fulfill her dream of having a cap woven for her and what happens when kind sees her beautiful cap.

NCERT Hindi Vasant Class 8 Solution 

You can download the Vasant Class 8 PDF without any difficulty at our website. It is really important these days to get a hold of the chapters in every subject. This is where Vedantu can help. These solutions are provided for students so that they can find out the answers to questions when they find it too hard. It is of extreme importance for the students of Class 8 to score good marks.

Here are some of the most important reasons why students need to follow the NCERT Solutions Class 8 Hindi Vasant. We hope that this will help you out. 

Reliable Solutions

One of the best things about the NCERT Solution Class 8 Hindi Vasant from Vedantu is that these solutions are definitely more apt and reliable than any others. These solutions are created with the leading team of experts and experienced teachers. They have done thorough research to present the best solutions according to the latest curriculum of the CBSE board. The aim is to help the students understand the ideas behind each poem in the best possible way. Hence, there is no doubt that the answers will be well thought out and will be easy to understand for the Class 8 students. This is also a great resource from an exam point of view. You will learn to frame good answers and score high in your exams. Vedantu’s Class 8 Hindi Solutions is also very helpful in revision. 

Understanding The Concept 

Most of the time, students who are in Class 8 aren’t really able to concentrate on class and they miss out on important topics. With the help of Vasant NCERT book Class 8 solutions, they no longer have to worry about classwork. These answers which are provided here are definitely easy to understand and hence will not pose much of a challenge for students. For those who need some additional help with their Hindi knowledge in Class 6 choosing the NCERT 8th class, Hindi Vasant solution would be a good idea. 

Important Questions From Every Chapter 

Here is another important reason why going for NCERT 8th class Hindi book Vasant solution would be recommended for students. There are some important questions in the chapters which help in increasing the skills of the students. By having the answers to these questions, students can score good marks in the examination. 

Get Your Hands On CBSE Class 8 Hindi Vasant solution

Do you know where you are going to find some of the best solutions for Vasant Hindi Class 8 questions? Vedantu is one of the places where you can find all that you are looking for regarding the CBSE Class 8 Hindi Vasant solution. We have carefully drafted answers from experts who have experience in providing the guidance and lectures that students need. Rely on the services of Vedantu and you will not regret it later. 

CBSE Class 8 Hindi Vasant NCERT Solutions - Salient Features of the NCERT Solutions 

Class 8 Hindi has a vivid syllabus of prose, poems, stories, and essays written by famous authors. The salient features of NCERT SOlutions are as follows:

These chapters have been handpicked by the CBSE board to ensure the development of Hindi language and comprehension skills among the students.

Preparing these chapters will need 8th Standard Hindi Vasant Notes and the solutions to the respective exercise questions. These questions have also been framed to help the students check how better they have understood the context of a chapter. This is where the solutions framed by the experts of Vedantu will become very useful.

The solutions have been prepared by following the CBSE guidelines and the latest syllabus to cover and explain the context of the chapters. Students will find the easy language used to compile the answers comprehensible. They will be able to learn these answers faster and understand the context better.

Each exercise of a chapter has fundamental questions that students can use to assess their preparation level. Their preparation will take a productive course with the assistance of these solutions.

CBSE Class 8 Hindi Vasant NCERT Solutions - Benefits NCERT Solution

Following are the benefits of NCERT Solutions of CBSE Class 8 Hindi Vasant:

The solutions of a chapter have been formulated in a PDF file that students can download and access anytime. This file is free to download for the convenience of the students. You can also find out the solutions to the chapters you need according to your study curriculum and make your preparation sessions more productive.

Follow how the experts have answered the questions in these NCERT Class 8 Hindi solutions and learn how to answer fundamental questions. Develop your answering skills and find a unique way to score more in the exams.

Resolve your doubts based on the exercise questions to smoothly understand the context of these chapters. Make your chapter preparation stronger by referring to the solutions and completing the syllabus on time.

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FAQs on NCERT Solutions For Class 8 Hindi Vasant

1. What is there in the NCERT Solutions for Class 8 Hindi?

The NCERT Solutions will have all the well-crafted answers for Class 8 Hindi chapters from the syllabus. Hence, there are all the answers that students are looking for and they are easily available for download on Vedantu’s website and application.

2. Where Will I Procure All the Solutions for Class 8 Hindi NCERT Book?

On the Vedantu portal, you will be able to find Class 8 Hindi book NCERT Solutions and that too for all the short answer type questions, long answer type questions and grammar questions.

3. How Will One Find the Solutions for Hindi Vasant Class 8 Book?

In the Class 8 Hindi book NCERT Solutions space on Vedantu, you’ll come across detailed solutions for your Vasant textbook questions that are created by our experts.

4. How to prepare Class 8 Hindi to score full marks?

Students must study each and every chapter thoroughly in order to score full marks in the Class 8 Hindi subject. After completing a chapter, students should practice writing answers to all the questions which are given at the end of each chapter. This will help the students to improve, not only their learning capacity but writing accurate answers also. It will help them to increase their writing speed and save time. Students should practice regularly to score high marks in Hindi subjects.

5. Where to find the solutions for NCERT Hindi books for Class 8 exam revision?

On the Vedantu study portal (website and the app), we are providing free solutions for your Class 8 NCERT Hindi books in a chapter-wise format. Students can refer to these solutions to revise one chapter at a time. This will help them to complete their revision of the entire syllabus effectively. All the solutions are very well written by the experts of Vedantu in such a way that they are easier to understand for all the students. These solutions help the students to save time during exams.

6. How to download Class 8 Hindi Vasant NCERT Solutions PDF?

Students can download NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant for free on the Vedantu platform. All the solutions are available in PDF format. Chapter-wise solutions are available making it easier for the students. Visit the Vedantu site (vedantu.com) and select study material and then NCERT solutions. Then, select NCERT Solutions for Class 8 Hindi. Students will be directed to a new page where they can find the Hindi books. Select Hindi Vasant and you will be able to find chapter-wise solutions. Students can use these solutions as their study material during their preparation for exams. 

7. Which is the best book for studying for the Class 8 Hindi exam?

CBSE recommends NCERT books for the students as these books are designed according to the CBSE guidelines. Selecting the right material is very important for the students to prepare effectively. So, it is recommended that students should prepare from the Class 8 NCERT Hindi books for their Class 8 Hindi exam. Students can practice all the important questions from the textbook by referring to Class 8 NCERT Hindi solutions and other study materials. 

8. Are NCERT solutions of Hindi Vasant Class 8 helpful for students?

Yes, the NCERT Solutions of Class 8 Hindi Vasant provided by the Vedantu are very helpful for the students as they are very well framed by the subject experts. All these solutions have made it easier for the students as they are written in an easy and simple language. These solutions are accurate which helps the students improve their answer writing in exams. All these solutions will help the students to save their time on homework as well as during exam preparation. 

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 8

Cbse class 8 study materials.

हिंदी निबंध का संग्रह (List Of Hindi Essays)

हिंदी निबंध (Hindi Essays), List Of 300+ Essays Topics In Hindi

अगर आपको निचे दिए निबंध के लिस्ट में आपका मनचाहा निबंध नहीं मिले, तो आप हमारे वेबसाइट के search फीचर का इस्तेमाल करके निबंध ढूंढ सकते है।

हिंदी निबंध (Hindi Essays) | List Of 300+ Essays Topics In Hindi

निबंध के अंग और संरचना

भावात्मक निबंध

इसमे बुद्धि तत्व की अपेक्षा भाव पक्ष का महत्व अधिक होता है। क्योंकि इसका सम्बन्ध भावना अर्थात हमारे ह्रदय से होता है। इसमे तीन प्रकार कि शैलियों का उपयोग किया जाता है।धारा शैली, तरंग शैली, विशेष शैली।

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essay in hindi for class 8

CBSE Class 8 Hindi Lesson Explanation, Summary and Question Answers from Vasant Bhag 3

Class 8 Hindi Lesson

CBSE Class 8 Hindi Lesson Explanation, Summary, Difficult Words, and Question Answers from Vasant Bhag 3 Book

CBSE Class 8 Hindi  – Here is a detailed Explanation, Summary, Difficult words, Question Answers provided for NCERT Hindi Textbook Vasant Bhag 3 for Class 8. The lessons in this NCERT Book have been provided here with complete explanations from beginning to end. It is ready to study material for class 8 students of the CBSE Board. In this article, you will get lessons as per the syllabus for CBSE Class 8 Hindi.

This is a comprehensive study package for Class 8 Hindi prose and poetry, Chapter wise explanation Summary, Difficult Words and literary devices used. To help Class 8 students in grasping the concepts of NCERT Class 8 Hindi course book, SuccessCDs offers chapter-wise NCERT solutions to all givens lesson in the book. The CBSE Class 8 Hindi Lesson explanations are designed to enable the student to easily grasp the concepts of Class 8 Hindi CBSE syllabus and help them prepare for the final exams in the respective subject.

Topi Class 8 CBSE Hindi Lesson, Summary, Explanation, Question Answers

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टोपी – CBSE class 8 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson ‘Topi’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson.

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सुदामा चरित – CBSE class 8 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson ‘Sudama Charit’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson

Jahan Pahiya hai Class 8 Summary, Explanation, Question Answers

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जहाँ पहिया है – CBSE class 8 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson ‘Jahan Pahiya hai’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson

Surdas ke Pad Class 8 Summary, Explanation, Question Answers

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सूरदास के पद – CBSE class 8 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson ‘Surdas ke Pad’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson

Kamchor Class 8 Summary, Explanation, Question Answers

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कामचोर – CBSE class 8 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson ‘Kamchor’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson

Kabir Ki Saakhiyaan Class 8 Summary, Explanation, Question Answers

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कबीर की साखियाँ – CBSE class 8 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson ‘Kabir Ki Saakhiyaan’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson

Bus Ki Yatra Class 8 Summary, Explanation, Question Answers

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बस की यात्रा – CBSE class 8 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson ‘Bus Ki Yatra’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson.

Yeh Sabse Kathin Samay Nahi Class 8 Summary, Explanation, Question Answers

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यह सबसे कठिन समय नहीं – CBSE class 8 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson ‘Yeh Sabse Kathin Samay Nahi’ along with meanings of difficult words . Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson.

Dhwani Class 8 Summary, Explanation, Question Answers

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ध्वनि – CBSE class 8 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson ‘Dhwani’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson

Kya Nirash Hua Jaye Class 8 Summary, Explanation, Question Answers

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क्या निराश हुआ जाए – CBSE class 8 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson ‘Kya Nirash Hua Jaye’ along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson

Bhagwan Ke Dakiye Class 8 Summary, Explanation, Question Answers

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भगवान के डाकिए – CBSE class 8 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson Bhagwan Ke Dakiye along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson.

Chitthiyon Ki Anoothi Duniya Class 8 Summary, Explanation, Question Answers

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चिट्ठियों की अनूठी दुनिया – CBSE class 8 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson Chitthiyon Ki Anoothi Duniya along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson.

Deewano ki Hasti Class 8 Summary, Explanation, Question Answers

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दीवानों की हस्ती – CBSE class 8 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson Deewano ki Hasti along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson.

Lakh Ki Chudiyan Class 8 Summary, Explanation, Question Answers, Difficult Words

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लाख की चूड़ियाँ – CBSE class 8 Hindi Lesson summary with detailed explanation of the lesson Lakh Ki Chudiyan along with meanings of difficult words. Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary. All the exercises and Question and Answers given at the back of the lesson

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Essay on India in Hindi : छात्र ऐसे लिख सकते हैं हमारे देश भारत पर निबंध

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  • Updated on  
  • अगस्त 30, 2024

Essay on India in Hindi

Essay on India in Hindi : भारत एक विविधतापूर्ण देश है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास के लिए जाना जाता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसकी आबादी एक अरब से ज़्यादा है। भारत हिमालय पर्वतों से लेकर उष्णकटिबंधीय समुद्र तटों तक फैला हुआ है, जो इसकी भौगोलिक विविधता को दर्शाते हैं। यह देश विभिन्न धर्मों, भाषाओं और परंपराओं का घर है, जो विविधता में एकता का एक अनूठा मिश्रण है। आर्थिक रूप से, भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष खोज और उद्योग में विश्व में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है। गरीबी और सामाजिक असमानता जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, भारत अपने सांस्कृतिक सार और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए हुए प्रगति और विकास की दिशा में प्रयास कर रहा है।

भारत देश के बारे में जानकारी इसके प्रत्येक छात्र को होनी चाहिए। छात्रों को कई बार निबंध प्रतियोगिता और कक्षाओं में Essay on India in Hindi दिया जाता है और आपकी मदद के लिए कुछ सैंपल इस ब्लॉग में दिए गए हैं। 

This Blog Includes:

भारत पर 100 शब्दों में निबंध, भारत पर 200 शब्दों में निबंध, प्रस्तावना , भारत का इतिहास, भारत का भूगोल और संस्कृति, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और अन्य प्रतीक, भारत की नदियां  , भारत का भोजन, भारत की भाषाएं, भारत के त्यौहार, भारत की अनेकता में एकता, उपसंहार , भारत पर 10 लाइन – 10 lines essay on india in hindi.

भारत के लोग अपनी ईमानदारी और विश्वसनीयता के लिए जाने जाते हैं। विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के लोग एक साथ शांतिपूर्वक रहते हैं। हिंदी भारत की एक प्रमुख भाषा है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों के लोग कई अन्य भाषाएँ भी बोलते हैं। भारत एक खूबसूरत देश है जहाँ कई महान व्यक्तियों ने जन्म लिया और उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की। भारतीयों के द्वारा अतिथियों को ‘अतिथि देवों भव:’ की उपाधि दी जाती है। दूसरे देशों से आने वाले आगंतुकों का गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है। भारत में सनातन धर्म (जीवन का एक प्राचीन दर्शन) का पालन किया जाता है, जो विविधता में एकता बनाए रखने में मदद करता है।

 भारत कई प्राचीन स्थलों, स्मारकों और ऐतिहासिक धरोहरों का घर है जो दुनिया भर से आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। यह अपनी आध्यात्मिक प्रथाओं, योग और मार्शल आर्ट के लिए प्रसिद्ध है। विभिन्न देशों के कई तीर्थयात्री और भक्त भारत के प्रमुख मंदिरों, स्थलों और ऐतिहासिक विरासतों की सुंदरता का अनुभव करने के लिए आते हैं।

भारत का एक समृद्ध और गौरवशाली इतिहास है और इसे प्राचीन सभ्यता का जन्मस्थान माना जाता है। यह तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय के कारण शिक्षा का एक केंद्र रह चुका है, इसने इतिहास में दुनिया भर के छात्रों को अपने विश्वविद्यालयों में आकर्षित किया है। अपनी अनूठी और विविध संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाने वाला भारत विभिन्न धर्मों के लोगों से प्रभावित है। भारत के धन वैभव को चुराने के लिए इस पर कई आक्रमण हुए। कई साम्राज्यों ने इसे गुलाम बनाने के लिए भी प्रयोग किया। कई स्वतंत्रता सैनानियों के प्रयासों और बलिदानों की बदौलत भारत को 1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। 

हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं, जिस दिन हमारी मातृभूमि आजाद हुई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। अपने समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद, भारत में कई लोग गरीब हैं। रवींद्रनाथ टैगोर, सर जगदीश चंद्र बोस, सर सी.वी. रमन और डॉ. होमी जे. भाभा जैसी असाधारण हस्तियों की बदौलत देश लगातार प्रौद्योगिकी, विज्ञान और साहित्य में आगे बढ़ है। भारत एक शांतिपूर्ण देश है जहाँ लोग अपने त्यौहारों को खुलकर मनाते हैं और अपनी सांस्कृतिक परंपराओं का पालन करते हैं। कश्मीर को अक्सर धरती पर स्वर्ग के रूप में वर्णित किया जाता है। भारत प्रसिद्ध मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, नदियों, घाटियों, उपजाऊ कृषि भूमि और सबसे ऊँचे पहाड़ों का घर है।

भारत पर 500 शब्दों में निबंध

भारत पर 500 शब्दों में निबंध (500 Words Essay on India in Hindi) नीचे दिया गया है –

भारत एक अद्भुत देश है जहाँ लोग कई अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं। यहाँ विभिन्न जातियाँ, पंथ, धर्म और संस्कृतियाँ निवास करती हैं, फिर भी सभी लोग एक साथ सद्भाव से रहते हैं। यही कारण है कि भारत “विविधता में एकता” कहावत के लिए प्रसिद्ध है। भारत दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश भी है।

भारत का इतिहास और संस्कृति समृद्ध है और मानव सभ्यता के उदय के बाद से ही विकसित हुई है। विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता भारत में थी। इसकी शुरुआत प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता और दक्षिण भारत में शुरुआती कृषि समुदायों से हुई। समय के साथ, भारत ने विभिन्न संस्कृतियों के लोगों का निरंतर एकीकरण देखा। साक्ष्य बताते हैं कि शुरुआती दौर में, लोहे और तांबे जैसी धातुओं का उपयोग व्यापक था, जो महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। चौथी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के अंत तक, भारत एक अत्यधिक उन्नत सभ्यता के रूप में विकसित हो चुका था।

भारत दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। इसे हिंदुस्तान और आर्यावर्त के नाम से भी जाना जाता है। यह तीन तरफ से महासागरों से घिरा हुआ है: पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण में हिंद महासागर। भारत का राष्ट्रीय पशु ‘ बाघ’ है, राष्ट्रीय पक्षी ‘ मोर’ है और राष्ट्रीय फल ‘ आम’ है। भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है, और राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है। भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म और यहूदी धर्म सहित विभिन्न धर्मों के लोग सदियों से भारत में एक साथ रहते आए हैं। भारत अपनी समृद्ध विरासत के लिए भी जाना जाता है, जिसमें स्मारक, मकबरे, चर्च, ऐतिहासिक इमारतें, मंदिर, संग्रहालय, प्राकृतिक सुंदरता, वन्यजीव अभयारण्य और प्रभावशाली वास्तुकला शामिल हैं।

भारतीय ध्वज तिरंगे में तीन रंग हैं: केसरिया, सफ़ेद और हरा। सबसे ऊपर का रंग केसरिया पवित्रता का प्रतीक है। बीच का रंग सफ़ेद शांति का प्रतीक है। सबसे नीचे का रंग हरा उर्वरता का प्रतीक है। सफ़ेद पट्टी के बीच में एक नीला अशोक चक्र है, जो 24 तीलियों वाला पहिया है जो कानून और न्याय के चक्र का प्रतीक है। बंगाल टाइगर राष्ट्रीय पशु है, जो शक्ति और शालीनता का प्रतिनिधित्व करता है। मोर यहां का राष्ट्रीय पक्षी है, जो शालीनता, सुंदरता और शान का प्रतीक है। ऐतिहासिक रूप से फील्ड हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है, जो खेल में देश की उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करता है।

भारत में कई प्रमुख नदियाँ हैं, जिनमें से प्रत्येक का सांस्कृतिक, आर्थिक और पारिस्थितिक महत्व है। गंगा हिमालय से निकलती है और उत्तरी भारत से होकर बांग्लादेश में बहती है। यह हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदी मानी जाती है और लाखों लोगों के लिए पीने, कृषि और धार्मिक प्रथाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यमुना हिमालय में यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी है। यह दिल्ली और आगरा से होकर बहती है और अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए महत्वपूर्ण है। 

ब्रह्मपुत्र तिब्बत में निकलती है और बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले असम और भारत के अन्य पूर्वोत्तर राज्यों से होकर बहती है। यह नदी अपने विशाल बेसिन और कृषि क्षेत्र के लिए जानी जाती है। सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत में है और भारत से होते हुए यह पाकिस्तान में भी बहती है। कृष्णा नदी पश्चिमी घाट में उत्पन्न होती है और पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। दक्षिणी भारत में सिंचाई और जलविद्युत परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है। कावेरी नदी पश्चिमी घाट में उत्पन्न होती है और दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी में बहती है। कर्नाटक और तमिलनाडु के दक्षिणी राज्यों में कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। महानदी छत्तीसगढ़ राज्य में उत्पन्न होकर पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। क्षेत्र में सिंचाई और प्रमुख बांधों के लिए महत्वपूर्ण है। नर्मदा नदी सतपुड़ा रेंज से पश्चिम की ओर अरब सागर में बहती है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और नर्मदा घाटी परियोजना के लिए जानी जाती है। ताप्ती नदी सतपुड़ा रेंज से पश्चिम की ओर अरब सागर में बहती है। यह क्षेत्र की कृषि और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।

भारतीय भोजन अपनी समृद्ध विविधता और जीवंत स्वादों के लिए प्रसिद्ध है। यह देश की विशाल सांस्कृतिक और क्षेत्रीय विविधताओं को दर्शाता है। भारत के भोजन में मसालों, जड़ी-बूटियों और सामग्रियों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो जटिल और सुगंधित व्यंजन बनाती है। उत्तर की मसालेदार करी से लेकर दक्षिण के तीखे और नारियल आधारित व्यंजनों तक, भारतीय व्यंजन सभी के लिए कुछ न कुछ प्रदान करते हैं। लोकप्रिय व्यंजनों में बिरयानी, डोसा, समोसे और विभिन्न प्रकार की ब्रेड जैसे नान और रोटी शामिल हैं। भारतीय भोजन में गुलाब जामुन और जलेबी सहित कई तरह की मिठाइयाँ भी शामिल हैं। भोजन का आनंद अक्सर अचार, रायता और चटनी जैसी कई तरह की चीजों के साथ लिया जाता है। यह पाक विविधता भारतीय भोजन को देश की सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत और अभिन्न अंग बनाती है।

भारत एक भाषाई रूप से विविधतापूर्ण देश है, जिसके विशाल विस्तार में बोली जाने वाली भाषाओं की समृद्ध विविधता है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएँ हैं। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू है। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी अलग भाषा या बोली होती है, जो उसकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जबकि सरकारी और कानूनी उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी एक सहयोगी आधिकारिक भाषा के रूप में कार्य करती है। कन्नड़, पंजाबी और गुजराती जैसी क्षेत्रीय भाषाएँ भी अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बहुभाषावाद भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और भाषा और क्षेत्रीय पहचान के बीच के संबंधों को भी।उजागर करता है। भाषा भारत के सामाजिक ताने-बाने का एक महत्त्वपूर्ण पहलू बन जाती है।

भारत अपने जीवंत और विविध त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्रमुख त्योहारों में दिवाली है यह रोशनी का त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली वसंत के अपने रंगीन और हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव के लिए जानी जाती है। ईद दावतों और प्रार्थनाओं के साथ रमजान माह के अंत को चिह्नित करती है। नवरात्रि देवी दुर्गा का सम्मान करने वाला नौ रातों का त्योहार है। अन्य महत्वपूर्ण त्योहारों में क्रिसमस, पोंगल और दुर्गा पूजा शामिल हैं। ये त्यौहार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाते हैं, जो लोगों को हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव, दावत और विभिन्न पारंपरिक अनुष्ठानों में एक साथ लाते हैं।

विविधता में एकता भारत की एक परिभाषित विशेषता है, जहाँ अनेक संस्कृतियाँ, भाषाएँ, धर्म और परंपराएँ सौहार्दपूर्वक सह-अस्तित्व में हैं। अपने लोगों के बीच भारी मतभेदों के बावजूद, भारत विभिन्न जातीयताओं और मान्यताओं के जीवंत ताने-बाने के रूप में खड़ा है। यह देश एक साझा राष्ट्रीय पहचान से एकजुट है। यह सिद्धांत देश के विविध त्योहारों के उत्सव, विभिन्न सांस्कृतिक प्रथाओं के प्रति सम्मान और विभिन्न क्षेत्रीय परंपराओं में दिखाई भी देता है। भारत की ताकत अपनेपन और साझा उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देती है। विविधता में यह एकता भारत के सामाजिक सामंजस्य को बढ़ाती है और इसकी समृद्ध विरासत में योगदान देती है।

भारत एक ऐसा अद्भुत देश है जिसमें संस्कृतियों, जातियों, पंथों और धर्मों का एक समृद्ध मिश्रण है,ह अपनी विरासत, मसालों और इसे अपना घर कहने वाले लोगों के लिए प्रसिद्ध है। विविधता और एकता का यह मिश्रण ही है जिसकी वजह से भारत को अक्सर एक ऐसे स्थान के रूप में वर्णित किया जाता है जहाँ विविधता में एकता पनपती है। भारत आध्यात्मिकता, दर्शन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध है।

भारत पर 10 लाइन (10 Lines Essay on India in Hindi) यहां दी गई हैं –

  • भारत या एशिया में एक प्रायद्वीपीय देश है। भारत देश तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है।
  • अन्य देशों की तुपना में कुल क्षेत्रफल के मामले में भारत दुनिया का 7वां सबसे बड़ा देश है।
  • भारत की जनसंख्या लगघग 1.4286 बिलियन है। यह चीन की 1.4257 बिलियन की तुलना में दुनिया में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है।
  • झारत कर पश्चिमी भाग में अरब सागर, दक्षिणी भाग में हिंद महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी है।
  • भारत देश का उत्तरी भाग पहाड़ों से ढका हुआ है। हिमालय दुनिया की की प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है।
  • भारत में कई छोटी-बड़ी नदियाँ बहती हैं। नदियों में गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी आदि प्रमुख हैं। 
  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा है। तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग है। इसके बीच में अशोक चक्र बना हुआ है जिसमें 24 तीलियां हैं।
  • भारत का राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ में अशोक का सिंह स्तंभ है। इसके नीचे लिखा सत्यमेव जयते है जिसका अर्थ है सत्य की ही जीत होती है।
  • भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है। राष्ट्रगान की रचना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकेंड लगते हैं। 
  • भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है जिसकी रचना बंकिम चंद्र चटर्जी के द्वारा की गई थी।

संसदीय प्रणाली वाली प्रभुता संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य जिसमें 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश।

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन (लगभग 1757-1947) के दौरान, ब्रिटिश भारतीय उपमहाद्वीप को “इंडिया” कहते थे। यह शब्द सिंधु नदी से लिया गया था, जो ब्रिटिश भारत की पश्चिमी सीमा को चिह्नित करती थी। ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने आधिकारिक नाम के रूप में “इंडिया” का इस्तेमाल किया।

दुनिया भर में भारत विविधता में एकता का प्रतिनिधि है। भारत विभिन्न संस्कृतियों, जातियों, पंथों, धर्मों की भूमि है; अनेक मतभेदों के बावजूद हम सौहार्दपूर्वक रहते हैं। भारतीय शांतिप्रिय हैं और संकट के समय लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं। हम “अतिथि देवो भव” के आदर्श वाक्य में विश्वास करते हैं, जिसका अर्थ है कि हमारे मेहमान हमारे भगवान हैं और हमारे देश में आने वाले पर्यटकों के प्रति विशेष रूप से सहायक और दयालु हैं। हमारा देश एक जीवंत देश है जो मेहनती लोगों, समृद्ध वनस्पतियों और जीवों और एक अद्भुत विरासत का घर है। मेहनती नागरिकों का प्रमाण, भारत धीरे-धीरे और लगातार दुनिया की महाशक्तियों में से एक बन रहा है।

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  14. हिन्दी निबंध लेखन

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  24. होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)

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  26. मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in Hindi)

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