जल ही जीवन है निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Jal Hi Jeevan Hai Essay in Hindi

आज के इस पोस्ट में हम आपको जल ही जीवन है निबंध कैसे लिखें इस बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। अक्सर स्कूल में विद्यार्थियों से जल ही जीवन है पर निबंध या जल संरक्षण से सम्बन्धित निबंध लिखने को कहा जाता है। यह निबंध बच्चों को जल के महत्व के बारे बताते हैं जो की बहुत ही आवश्यक है। यदि आप भी जल पर निबंध लिखना चाहते हैं तो आर्टिकल को पूरा पढ़ें। यहाँ हम आपकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए 100 शब्द से 500 शब्दों तक छोटे से बड़े रूप में “ जल ही जीवन है निबंध” कैसे लिखते हैं इसकी जानकारी देने वाले हैं।

Jal Hi Jeevan Hai Essay in Hindi

जल ही जीवन है निबंध (100 शब्द)

जल हर मनुष्य के जीवन के लिए आवश्यक है या हम कह सकते हैं कि जल के बिना किसी का भी जीवन संभव नहीं है। जल केवल मनुष्यों के लिए ही नही बल्कि पशु-पक्षी और पेड़-पौधों के लिए भी बहुत जरुरी है। इसीलिए कहा जाता है “जल है तो कल है, जल है तो जीवन है”। हमारी पृथ्वी पर जल का लगभग 71% हिस्सा मौजूद है। जिसमें से 3% पानी पीने योग्य है।

पृथ्वी पर मौजूद पीने योग्य जल बहुत ही सीमित है। इसलिए पेय जल की आपूर्ति के लिए पानी बचाना और जल संरक्षण करना बहुत जरूरी हो गया है। जल संरक्षण हर नागरिक की जिम्मेदारी है। सरकार इसके लिए अनेक प्रयास कर रही है। इसकी शुरुआत सबसे पहले हर व्यक्ति को अपने घर से करनी होगी। तभी जल संरक्षण किया जा सकेगा।

जल ही जीवन है निबंध हिंदी में 150 शब्द

“जल ही जीवन है” यह बात बिल्कुल सत्य और प्रमाणित है। बिना पानी के धरती पर जीवन संभव नहीं है। आज पृथ्वी पर मनुष्य से लेकर पेड़-पौधे और पशुओं तक आप किसी की भी कल्पना बिना पानी के नहीं कर सकते। पानी का उपयोग हम पीने के लिए ही नहीं बल्कि रोजाना के कार्यों में भी करते हैं। इसीलिए पानी बहुत महत्वपूर्ण है। 

जल पशु-पक्षी, जीव-जंतु और पेड़-पौधों के विकास के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की मनुष्य के लिए। क्योंकि पेड़ पौधों बिना पानी के जीवित नहीं रह सकते और बिना पेड़-पौधों के मनुष्य जीवन संभव नही है। क्योंकि हमें ऑक्सीजन और भोजन देने का काम पेड़-पौधे ही करते हैं। इसीलिए कहीं ना कहीं देखा जाए तो इस जीवन-चक्र में पानी एक महत्वपूर्ण स्थान है। 

हमें पानी को व्यर्थ बर्बाद नही करना चाहिए और जितना हो सके उतना पानी बचाना चाहिए। सरकार ने जल संरक्षण के बहुत से उपाय किए हैं अनेक योजनाएं भी सरकार के द्वारा चलाई जा रही है।

जल का संरक्षण एक गंभीर मुद्दा है इसपर हर किसी को ध्यान देने की आवश्यकता है। जल संरक्षण करना इस धरती पर रहने वाले हर मनुष्य की जिम्मेदारी है। अगर आज पृथ्वी पर पानी की बचत नहीं की गई तो 1 दिन पृथ्वी पर से मनुष्य का अस्तित्व और जीव-जंतुओं का भी अस्तित्व खत्म हो जाएगा। इसलिए जल बचाना अति आवश्यक है।

जल ही जीवन है निबंध हिंदी में 250 शब्द

जल भगवान के द्वारा हम इंसानों को दिया गया एक बहुत ही बहुमूल्य उपहार है। इसलिए इसका संरक्षण करना बहुत जरूरी है। पानी का महत्व सबके जीवन में बहुत ज्यादा है। जल को बचाना हर नागरिक का कर्तव्य है। जिस प्रकार से आज जल प्रदूषण का खतरा बढ़ता जा रहा है जोकि बहुत दुखद समस्या है। अगर हमने धरती पर पानी की बचत बिल्कुल भी नहीं की तो आने वाले समय में धरती पर पानी का नामोनिशान खत्म हो जाएगा।

जल का महत्व

जल किस प्रकार से हर मनुष्य के लिए जरूरी है उसी तरह से पृथ्वी पर रहने वाले हर प्राणी मात्र जीव जंतु पेड़ पौधों के लिए भी जल इतना ही महत्वपूर्ण है। हमारा शरीर पंच तत्वों से बना है उनमें से एक तत्व जल है। हमारे शरीर का आधे से ज्यादा वजन पानी से ही बना हुआ है। बिना पानी के फसल पैदा करना भी मुश्किल होता है। अगर फसलों को नियमित रूप से पानी नहीं मिला तो आप पैदावार सही ढंग से नहीं कर पाओगे। इसीलिए जल का महत्व कहीं ना कहीं हर जगह होना जरूरी है। लोगों को जल की कीमत समझ में आनी चाहिए।

जैसा की हम सभी जानते हैं की पीने योग्य पानी की मात्रा बहुत ही सिमित है लेकिन इसके बावजूद जल का प्रदूषण लगातार हो रहा है। नदियाँ, तालाब, झील यहाँ तक की भूमिगत जल भी अब दूषित होने लगे हैं। जल प्रदूषण का मुख्य कारण हम मनुष्यों के द्वारा फैलाया जाने वाला कचरा और फक्ट्रियों से निकलने वाले खतरनाक केमिकल हैं। जल संरक्षण के लिए हमें जल प्रदूषण को कम करना भी जरुरी है।

संपूर्ण पृथ्वी पर पानी बहुत सीमित मात्रा में है इसीलिए उसकी बचत करना हम सबकी जिम्मेदारी है। क्योंकि जल है तो कल है, जल के बिना जीवन संभव नहीं है। इसीलिए सबको जल के महत्व को भी समझना अनिवार्य है। कहीं इतनी देर ना हो जाए कि आप पानी को धरती पर बिल्कुल भी देखने लायक ना बचा पाये।

जल ही जीवन है निबंध हिंदी में 500 शब्द

हमें पृथ्वी पर जल नदी, तालाब, वर्षा से अधिक मात्रा में मिलता है। धरती पर मौजूद ज्यादातर जल समुद्र में पाए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं वह जल आपके काम लेने योग्य नही है। आप उस जल का उपयोग नहीं कर सकते। समुद्र का जल बहुत खारा होता है जो की हमारे लिए उपयोगी नही है। समुद्र के पानी में नमक अधिक पाया जाता है इसीलिए उस पानी से केवल आप नमक बना सकते हैं। इसलिए बाकी स्थानों पर बचे हुए पीने योग जल का हमें संरक्षण करना जरुरी है।

जल का महत्व हम सब के लिए इसलिए जरूरी है क्योंकि संपूर्ण ब्रह्मांड में नौ ग्रह मौजूद हैं उन सभी ग्रहों में केवल पृथ्वी एकमात्र ग्रह ऐसा है जिस पर मनुष्य का जीवन संभव है इसका कारण है यहां पर जल है। जल की वजह से संपूर्ण पृथ्वी पर सृष्टि का चक्र चलता है इसीलिए यहां हर प्राणी मात्र पानी की वजह से ही जिंदा है अगर पानी की बचत ना की गई जल के महत्व को नहीं समझा गया तो मनुष्य का जीवन मुश्किल में पड़ सकता है।

आप सब देखते हैं कि आसपास हरियाली फल फूल से आप का वातावरण कितना अच्छा लगता है। क्या जानते हैं यह सभी हरियाली फल फूल अच्छा वातावरण भी जल की वजह से संभव हो पाता है। पृथ्वी पर जल की विशेष महत्व को हमारे महान कवियों ने भी अपनी कविता में लिखकर बताया है जैसे रहीमदास जी ने अपने दोहे में लिखा है:

“रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून  पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून” – रहीमदास जी

जल का संरक्षण

जल संरक्षण से तात्पर्य यह है कि “ जल को अधिक पहले से व्यर्थ के उपयोग से बचाना” जल संरक्षण संपूर्ण नागरिकों को एकजुट होकर करना चाहिए। नहीं तो पृथ्वी पर सभी का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। वर्षा के समय व्यर्थ बह रहे जल को भी आप बचा सकते हैं। इसी तरह से छोटे-छोटे उपायों से जल संरक्षण किया जा सकता है। अगर व्यर्थ में जल बहता है तो उसकी कमी तो एक न एक दिन पढ़ ही जाएगी। आप सभी जानते हैं कि पूरी पृथ्वी पर पीने का पानी केवल तीन प्रतिशत है। इसीलिए जल का संरक्षण जरूरी हो गया है।

कृषि क्षेत्र में जल का प्रयोग

आप सभी जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है हमारे देश में लगभग दो-तिहाई हिस्से पर खेती किया जाता है सरकार के द्वारा पंचवर्षीय योजना कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए और सिंचाई विकास को प्राथमिकता देने के लिए ही किए जा रहे हैं। धरती पर जल का सबसे ज्यादा उपयोग खेती में ही होता है

विश्व जल दिवस की शुरुआत

जल के संरक्षण जल के महत्व को समझने के लिए सरकार के द्वारा विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत सन 1933 में 22 मार्च से शुरू कर दी थी। विश्व जल दिवस को आज उत्सव के रूप में संपूर्ण विश्व में मनाया जाता है। सभी विकसित देशों में स्वच्छ और साफ जल की उपलब्धता करवाना और अधिकतर जल संरक्षण के प्रयास पर ही ध्यान केंद्रित करने के लिए कार्य किए जा रहे हैं।

जल ही जीवन है मिशन की शुरुआत

जल ही जीवन है मिशन की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा देश के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर संबोधित करते समय की गई थी। देश के संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “देश में लगभग 50% परिवारों को ही पाइपलाइन से पानी मिल रहा है। उन्होंने जल संकट के बारे में बताते हुए भी कहा कि सरकार का विशेष ध्यान देने का निर्णय ले लिया गया है। इस निर्णय के अंतर्गत देश के सभी घरों में पाइप के द्वारा जल पहुंचाने का कार्य किया जाएगा। इसी उद्देश्य के लिए इस मिशन की शुरुआत की गई थी। ताकि हमारे देश के सभी लोगों को साफ अच्छा स्वच्छ जल मिल पाए। जिससे कि देश में लोगों को गंदे पानी की वजह से या पानी की कमी की वजह से किसी तरह की कोई बीमारी का सामना ना करना पड़े।

  • जल प्रदूषण पर निबंध
  • जल संरक्षण पर निबंध
  • वृक्षारोपण पर निबंध
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से आपको “ जल ही जीवन है पर निबंध ” के बारे में जानकारी प्रदान की है। इसमें हमने 100,150, 250, 500 शब्दों में “ जल ही जीवन है निबंध” का वर्णन किया है।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको जो भी जानकारी इस लेख के माध्यम से दी है वह आपको जरूर पसंद आएगी। अगर आपको हमारी जानकारी अच्छी लगी तो इसको अधिक से अधिक लाइक शेयर कीजिए और हो सके तो कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करके बता सकते है।

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जल ही जीवन है पर निबंध- Water is Life Essay in Hindi

Dear Students, He Welcomes You Are Looking About Water is Life Essay in Hindi. यहाँ जल ही जीवन है पर निबंध Water is Life Essay in Hindi Language Or Jal Hi Jeevan Hai Par Nibandh In 100, 150, 200, 250, 300, 400 And 500 Words Short Long Essay For Class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10th Class Kids.

जल ही जीवन है पर निबंध- Water is Life Essay in Hindi

जल ही जीवन है – निबंध 1

प्रस्तावना – जल का एक नाम जीवन भी हैं. वैज्ञानिक भी कहते हैं कि पृथ्वी पर जीवन का आरम्भ जल से ही हुआ. अतः जल जीवन का आधार हैं. जल के बिना प्राणियों का अस्तित्व सम्भव नहीं हैं. जल मनुष्य के लिए प्रकृति का अमूल्य उपहार हैं.

जल संकट (water crisis) – संसार में जल का भयंकर अभाव होने की संभावना हैं. इसका कारण निरंतर बढ़ रही जनसंख्या हैं. मनुष्यों तथा पशुओ की वृद्धि के साथ ही पानी की आवश्यकता तेजी से बढ़ रही हैं.

दूसरी ओर प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण पहाड़ो तथा ग्लेशियरों की बर्फ तेजी से पिघल रही हैं और अत्यधिक दोहन के कारण भूजल का भंडार भी घट रहा हैं. ऐसी दशा में पानी की मांग बढ़ेगी ही. यह माना जा रहा हैं कि तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए ही होगा.

जल संरक्षण का तात्पर्य – जल संरक्षण का तात्पर्य हैं जल का अपव्यय रोकना और वर्षा के समय व्यर्थ बह जाने वाले जल को भविष्य के लिए सुरक्षित करके रखना. बताया जाता हैं कि धरती का तीन चौथाई भाग जल से ढका हुआ हैं, किन्तु पीने योग्य या उपयोगी जल की मात्रा बहुत सिमित हैं.

हम प्रायः धरती के भीतर स्थित जल को उपयोग में लाते हैं. कुएँ, हैण्डपम्प, नलकूप, सबमर्सिबिल पम्प आदि से यह जल प्राप्त होता हैं. धरती के ऊपर नदी, तालाब, झील, झरनों आदि का जल उपयोग में आता हैं किन्तु प्रदूषण के चलते जलाशयअनुपयोगी होते जा रहे हैं.

Water is Life

धरती के भीतर स्थित जल की अंधाधुंध खिचाई के कारण जल का स्तर निरंतर गिरता जा रहा हैं. यह भविष्य में घोर संकट का संकेत हैं. अतः जल का संरक्षण करना अनिवार्य हो गया हैं.

जल संरक्षण कि आवश्यकता व उपाय – देशभर में धरती के अंदर का जल का स्तर निरंतर गिरता जा रहा हैं. भू गर्भ के जल का संतुलन वर्षा के जल से ही होता हैं. जो भारत में अत्यंत कम होता हैं. अतः धरती को पानी वापिस नहीं मिल पाता. अब जल संरक्षण की चेतना जागृत हो रही हैं.

लोग परम्परागत रीतियों से जल का भंडारण कर रहे हैं. सरकार भी इस दिशा में प्रयास कर रही हैं. खेती में जल की बर्बादी रोकने के लिए सिंचाई की फव्वारा पद्धति, पाइप लाइन से आपूर्ति, हौज पद्धति, खेत में ही तालाब बनाने आदि को अपनाया जा रहा हैं. मैग्सेस पुरस्कार प्राप्त श्री राजेन्द्र सिंह का तरुण भारत संघ तथा अन्य समाजसेवी संगठन भी सहयोग कर रहे हैं.

जल संरक्षण के अन्य उपाय – उपर्युक्त उपायों के अतिरिक्त जल संरक्षण के अन्य उपायों को अपनाया जाना भी परम आवश्यक हैं. शीतल पेय बनाने वाली कम्पनियों तथा बोतल बंद जल बेचने वाले संस्थानों पर नियंत्रण किया जाना चाहिए.

वर्षा के जल को संग्रह करके रखने के लिए पुराने तालाब, पोखर आदि का संरक्षण आवश्यक हैं. उनको पाटकर उनका भवन निर्माण तथा अन्य कार्यों के लिए उपयोग रोका जाना आवश्यक हैं.

नये तालाब अधिक से अधिक बनाये जाने चाहिए. नगरों में पानी का अपव्यय बहुत हो रहा हैं. अतः जल के अपव्यय पर कठोर नियंत्रण होना चाहिए.

उपसंहार – धरती के अंदर जल स्तर का गिरते जाना आने वाले जल संकट की चेतावनी हैं. भूमंडल का वातावरण गर्म हो रहा हैं इससे नदियों के जन्म स्थल ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं.

कहीं ऐसा न हो कि हमारी प्रसिद्ध नदियों का नाम मात्र शेष रह जाए अतः हम सभी का दायित्व है कि तन, मन और धन से जल संरक्षण को सफल बनाएं.

जल ही जीवन है – निबंध 2

इस पृथ्वी पर रहने वाले अधिकांश प्राणियों का जीवन जल पर निर्भर है। अतः पानी के बिना उनके जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। एक मनुष्य का औसतन शरीर 70% जल से बना हुआ है। लेकिन फिर भी हम जल के महत्व को हमेशा ही नजरअंदाज करते हैं और जल को बर्बाद करते हैं। जल का संरक्षण आज मानव समाज के अत्यंत आवश्यक हो चुका है।

जहां कई सारे शहरों में जल की अपार सुविधा है तो वहीं कई शहर व गावों में जल की कमी देखने को मिलती है। मुंबई जैसे पापुलेटेड सिटी में जल की इतनी कमी है कि लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ता है। लेकिन वही बंगाल और बिहार जैसे जगहों पर जहां जल की सुविधाएं हैंवहां लोग जल की बर्बादी करते हैं। 

 आने वाले समय में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने की संभावना पैदा हो रही है, जहां हमारे वंशज जल के लिए तड़पेंगे। बहुत से शहरों में तो अभी से ही यह स्थिति देखने को मिलती है।

जल को बर्बाद करने के साथ-साथ लोग भारी मात्रा में जल प्रदूषित भी करते हैं। जिसके कारण जलीय प्राणियों को भी अपने जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

हम सभी लोगों का यह कर्तव्य है कि हम जल को साफ रखें ताकि हमें जल की कमी कभी महसूस ना हो साथ ही साथ जलीय जंतु को भी कोई हानि ना हो। 

जल ही जीवन है – निबंध 3

जल प्रकृति के सबसे खास उपहारों में से एक है! इस धरती पर जीवित रहने के लिए वायु की जितनी आवश्यकता होती है। उतनी ही आवश्यकता जल की भी है।

 जल के बिना इस धरती पर कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता है। चाहे जलीय प्राणी हो या फिर स्थलीय प्राणी मनुष्य हो या पेड़ पौधे जल के बिना जीवित रहना नामुमकिन है। इसीलिए तो जल को जीवन की संज्ञा दी गई है। 

जल का महत्व व उसकी प्राप्ति 

इस धरती पर रहने वाले हर प्राणी को जीवित रहने के लिए जल की आवश्यकता है। जल विशेषतया हमें नल, कुएं, तालाब, झील, समुद्र आदि से प्राप्त होता है। हालांकि समुंद्र जल में नमक की मात्रा अधिक होने के कारण उस जल का उपयोग पीने के लिए नहीं किया जाता है। 

इतना ही नहीं समुद्र के जल को पीने योग्य बनाना बहुत मुश्किल होता है। इसीलिए झील, तालाब और कुएं के जल को ही पीने के लिए उपयोग में लाया जाता है। 

जल के महत्व को समझना है तो आप उस जगह पर जा कर देखिए जहां सूखा पड़ा है! जिस जगह पर जल की कमी होती है उस जगह पर मिट्टी सूख जाती है जिसके कारण फसल उगाना भी नामुमकिन हो जाता है जिसके कारण लोगों को आर्थिक नुकसान भी होता है। 

कृषि प्रधान होने के कारण हमारे देश के हर कोने में खेती की जाती है लेकिन इसके बावजूद कई स्थानों पर जल की बहुत ही समस्या है। इस समस्या से परेशान होकर किसान कई बार आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं।

जल के महत्व को समझना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। वरना आने वाले समय में शायद हम भी जल की कमी के कारण अपने जीवन में संघर्ष करने पर मजबूर हो जाएंगे।

जल ही जीवन है – निबंध 4 

आपने यह तो जरूर सुना होगा कि “जल है तो कल है” चाहे आप दुनिया के किसी भी हिस्से में क्यों ना चले जाए! जल की आपूर्ति के बिना आप जीवित ही नहीं रह सकते हैं। 

जल स्रोतों में कमी और जल प्रदूषण

 जिस तरह से इंसान प्रगति की ओर बढ़ रहा है। वैसे वैसे शुद्ध जल से प्राप्ति के स्त्रोत भी धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। अब तो ऐसा हो गया है जैसे हमें अशुद्ध जल पीने की ही आदत हो गई है। और इसका सबसे बड़ा कारण जल की कमी है।

जल को बर्बाद करने के साथ-साथ लोग इसे अंधाधुंध प्रदूषित कर रहे हैं! चाहे बात जानवरों के नहाने की हो या फिर फैक्ट्री के कचरे को नदी में बहाने की हो। लोग जल को हर तरह से गंदा कर रहे हैं! जल प्रदूषण के कारण वैसे तो लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन फिर भी लोग अपनी आदत नहीं सुधार रहे हैं। 

जल प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारी

जल प्रदूषण के कारण लोगों को कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है जैसे लूज मोशन, डायरिया, डिसेंट्री आदि। यह सभी परेशानियां ऐसी हैं जिनका इलाज अगर सही समय पर ना किया जाए तो व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती हैं। 

अगर कोई प्रदूषित जल का सेवन करता है तो उसे आंख में जलन, सांस लेने में तकलीफ, ‌टीबी, गले में इंफेक्शन, साइनस, अस्थमा एवं फेफड़ों से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। 

जल प्रदूषण को रोकने के उपाय

जल प्रदूषण को रोकने और जल की बर्बादी को कम करने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है, लोग इस बारे में सतर्क भी हो रहे हैं। लोगों को जल प्रदूषण के प्रति जागरूक करने के लिए अलग-अलग एनजीओ/संस्थाओं के द्वारा कई अभियान चलाए जाते हैं।

इन अभियानों में लोगों को जल का महत्व समझाया जाता है। इतना ही नहीं लोगों को यह भी बताया जाता है कि वह किस तरह जल की बर्बादी को रोक सकते हैं और जल संरक्षण करने में सरकार की सहायता कर सकते हैं।

 सरकार भी देश की समस्या को लेकर नई नई योजनाएं जैसे जल संरक्षण योजना, जल जीवन योजना लागू कर रही है। ताकि जल की कमी होने से रोका जा सके।

  • जल संरक्षण पर निबंध
  • जल प्रदूषण पर निबंध
  • जल प्रदूषण क्या है कारण प्रभाव एवं रोकने के उपाय
  • जल पर कुछ पक्तियां

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”जल ही जीवन है” पर निबंध (1500+ words) – jal hi jeevan hai essay in hindi

  • Post author: Sachin Rathi
  • Post published: April 4, 2023
  • Post category: Hindi essay
  • Post comments: 0 Comments

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नमस्कार मित्रो, इस आर्टिकल में हमने ”जल ही जीवन है” पर एक सुन्दर निबंध लिखा है। यह निबंध सभी स्कूल के छात्रों के साथ साथ सभी तरह की competition परीक्षा के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा। इस निबंध को पढ़ने के बाद आपको कही और  jal hi jeevan hai essay in hindi  खोजने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

”जल ही जीवन है” पर निबंध 300 शब्दों में ( for class 1 to 8 )

Table of Contents

जल एक ऐसी बहुमूल्य वस्तु है। इसके बिना आदमी का जीवन संभव ही नहीं है। जल  भगवान का दिया हुआ ऐसा वरदान है।जो ना केवल पीने के काम आता है , इससे हम नहाने का, कपड़े धोनेे का, खाना पकाने का और साफ-सफाई का भी काम करते हैं। पानी ना केवल आम आदमी के लिए आवश्यक है बल्कि जानवरों और पशु- पक्षियों के लिए भी उतना ही आवश्यक है।

जल ही जीवन है‘ यह बात सत्य है, कि पानी के बिना इस पृृथ्वी पर जीवन यापन करना  मुश्किल है। 

पानी का मनुष्य के जीवन में बहुत अधिक महत्व है,  इसे नष्ट होने से बचाना हमारा धर्म है। जिस तरह सेे जल प्रदूषण बढ़ रहा है। पृृथ्वी पर पानी की बचत नहीं की और  बर्बादी को नहीं रोका तो आने वाले समय में धरती पर पानी का नाम ही मिट जायेगा। 

जल को हमारे जीवन के लिए मूल्यवान कहा जाता है।   इसके बिना जीवन भी आसान नही है। जल है तो जीवन है। जल हमारी पृथ्वी में लगभग 71 प्रतिशत है।

हमारे पीने योग्य केवल 3 प्रतिशत ही पानी है। जिसे अलवणीय जल कहा जाता है, और इसका छोटा सा हिस्सा ही प्रयोग के लिए मौजूद है। अलवणीय जल की मौजूदगी समय और स्थान के अनुसार अलग-अलग होती हैं। जल के विकास के लिए जल का संरक्षण आवश्यक हो गया है। जल मनुष्य के लिए जरूरी होता है।  जल महज सेवन के लिए नहीं विभिन्न प्रकार के गतिविधियों में इस्तेमाल होता है। 

”जल ही जीवन है” पर निबंध 1000 शब्दों में (long)

जल का परिचय :.

जल एक ऐसी बहुमूल्य वस्तु है। इसके बिना आदमी का जीवन संभव ही नहीं है। जल  भगवान का दिया हुआ ऐसा वरदान है।जो ना केवल पीने के काम आता है , इससे हम नहाने का, कपड़े धोनेे का, खाना पकाने का और साफ-सफाई का भी काम करते हैं। पानी ना केवल आम आदमी के लिए आवश्यक है बल्कि जानवरों और पशु- पक्षियों के लिए भी ही आवश्यक है।

जल की जरूरत हमें नियमित रूप होती है जल नदियों, तालाबों वर्षा के स्रोत से प्राप्त होता है। पृथ्वी पर अधिकांश जल समुंद्र में पाया जाता है। कुछ खारा होता है और कुछ बर्फीला होता है। इसका पानी उपयोग नही कर सकते हैं  समुद्र के जल में नमक की मात्रा बहुत अधिक होती है तथा समुद्र के जल से नमक बनाया जाता है जिसे हम लोग खाने में उपयोग करते हैं।

जल का महत्व :

जैसे पानी मनुष्य के लिए आवश्यक है, उसी प्रकार से जानवरो, पेड़ पौधे और पृथ्वी के अन्य उसी सभी के लिए जरूरी है।  जल के बिना पृथ्वी पर जीवन नामुमकिन है।

कुछ फसलें ऐसी होती हैं। जिनकी पानी के बिना उपज नहीं होती हैं जैसे – गेहूं, चावल, मक्का आदि।  इसलिए जल की एक-एक बूंद को व्यर्थ होने से बचाना चाहिए क्योंकि जल है तो कल है।

जल का निर्माण कैसे होता है?

जल ऐसा पदार्थ है जो  हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के अणुओं से मिलकर बनता है इसलिए जल का रासायनिक सूत्र भ्2व् है, सरल शब्दों में कहें हाइड्रोजन की एक ऑक्साइड के रूप में जब हाइड्रोजन या हाइड्रोजन योगिक जलते हैं या ऑक्सीजन का ऑक्सीजन यौगिकों के साथ में मिलते हैं  उसके बाद जल का निर्माण होता है। जल ऐसा पदार्थ है जिसके तीन रूप होते हैं – 

भारत के जल संसाधन :

विश्व के धरातल का क्षेत्र लगभग 2.45 प्रतिशत जल संसाधनों का 4 प्रतिशत और जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत भाग है। देश में 1 वर्ष में प्राप्त कुल जल की मात्रा  4,000 घन किलोमीटर है।

धरातलीय जल और  पूर्ति योग जल से 1,869 घन किलोमीटर जल मौजूद है। इसमें केवल कुछ प्रतिशत जल का इस्तेमाल किया जा सकता है। देश में जल संसाधन 1,122 घन किलोमीटर है।

जल के स्रोत :

पृथ्वी पर जल के चार प्रमुख स्रोत है। नदिया, झीले, तलैया, तालाब। देश में कुल नदिये तथा सहायक नदियों की लंबाई 1.6 कि.मी. से अधिक है। सभी नदियों को मिलाकर 10,360 नदियां हैं।  सभी नदी बेसिनो में औसत वार्षिक प्रवाह 1,869 घन किलोमीटर में होने कल्पना की गयी है।

जलीय और अन्य दबावों के कारण प्राप्त  जल का केवल  690 घन कि.मी. (32ः) जल का ही इस्तेमाल किया जा सकता है। नदियां जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु के जल  क्षेत्र बहुत विस्तृत हैं। गंगा, ब्रह्मपुत्र  नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में वर्षा अधिक होती है। 

नदियां  देश के कुल क्षेत्र के लगभग एक तिहाई भाग पर पाई जाती हैं। जिनमें कुल जल संसाधनों का 60 प्रतिशत जल पाया जाता है। दक्षिण भारतीय नदियां जैसे – गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में जल का अधिकतर भाग काम में लाया जाता है।  ब्रह्मपुत्र, और गंगा, नदियो  में  संभव नहीं हो सका है

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जल का प्रयोग और जरूरत

 भारत एक कृषि प्रधान देश है और  जनसंख्या का दो – तिहाई हिस्सा कृषि पर निर्भर है। पंचवर्षीय योजना में कृषि की उपज को बढ़ाने के लिए सिंचाई को एक अति उच्च प्राथमिकता की गई है।

बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना जैसे – भाखड़ा नांगल, हीराकुंड, दामोदर, घाटी, परियोजना, नागार्जुन सागर, परियोजना, इंदिरा गांधी, नहर परियोजना आदि। पृथ्वी का भूजल सबसे अधिक कृषि में उपयोग किया जाता है।  जल का 89 प्रतिशत और भूजल का 92 प्रतिशत जल का प्रयोग  किया जाता है। औद्योगिक सेक्टर में जल केवल 2 प्रतिशत और भूजन का 5 प्रतिशत भाग ही उपयोग में किया जाता है।

धरातलीय जल का प्रयोग भूजल की तुलना में 9 प्रतिशत जल के क्षेत्र में कृषि का हिस्सा अधिक है फिर भविष्य में  औद्योगिक और घरेलू सेक्टर में जल का इस्तेमाल बढ़ाने की संभावना है। 

विश्व जल दिवस

22 मार्च को  विश्व जल दिवस मनाया जाता है।  देश के स्थानों पर विभिन्न प्रोग्राम किए जाते हैं.। यह दिवस 1933 से मनाई जा रही है। इस दिन को उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व के विकसित देशों को  जल की उपलब्धता के साथ जल के महत्व पर भी ध्यान देना है।

जल उपयोग किन राज्यों में अधिक है

पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, और तमिलनाडु, राज्यों में जल का प्रयोग बहुत अधिक है।  कुछ राज्यो में छत्तीसगढ़ उड़ीसा केरल आदि जल का कम प्रयोग करते हैं।

गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा, और महाराष्ट्र  आदि जल संसाधनों का द्वारा उपयोग कर रहे हैं।  

उपसंहार : jal hi jeevan hai essay in hindi

पृथ्वी पर पानी की मात्रा सीमित है और इसकी सूचना सभी को होनी चाहिए क्योंकि जल ही जीवन है जल के बिना जीवन नामुमकिन है  हमें इसके महत्व को समझाना चाहिए । 

 सरकार और कई संस्थाएं भी अभियान से जागरूकता फैला रहे हैं।पानी बचत के कार्यक्रम में पूरा-पूरा सहयोग देते हुए पानी की बचत करनी चाहिए। इसके महत्व को समझे और जल की बचत करना सीखो।, जल है तो हम है, जल है तो जीवन है।

कहा जाता है कि आप भोजन के बिना 21 दिन तक जिंदा रह सकते हैं जल के बिना 100 घंटे 3 से 4 दिन और वायु के बिना 5 मिनट।  हमारे जिंदा रहने के लिए वायु के बाद जल अधिक उपयोगी है।

अंतिम शब्द- इस आर्टिकल में आपने jal hi jeevan hai essay in hindi पढ़ा। आशा करते है, आपको ये निबंध पसंद आया होगा। इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करके उनकी मदद जरूर करे।

FAQ’S

जल एक ऐसी बहुमूल्य वस्तु है। इसके बिना आदमी का जीवन संभव ही नहीं है। जल  भगवान का दिया हुआ ऐसा वरदान है।जो ना केवल पीने के काम आता है , इससे हम नहाने का, कपड़े धोनेे का, खाना पकाने का और साफ-सफाई का भी काम करते हैं। पानी ना केवल आम आदमी के लिए आवश्यक है बल्कि जानवरों और पशु- पक्षियों के लिए भी उतना ही आवश्यक है।

जैसे पानी मनुष्य के लिए आवश्यक है, उसी प्रकार से जानवरो, पेड़ पौधे और पृथ्वी के अन्य उसी सभी के लिए जरूरी है।  जल के बिना पृथ्वी पर जीवन नामुमकिन है।

22 मार्च को  विश्व जल दिवस मनाया जाता है।  देश के स्थानों पर विभिन्न प्रोग्राम किए जाते हैं.। यह दिवस 1933 से मनाई जा रही है। इस दिन को उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व के विकसित देशों को  जल की उपलब्धता के साथ जल के महत्व पर भी ध्यान देना है।

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जल ही जीवन है पर निबंध

जल ही जीवन है हिंदी निबंध , jal hi jeevan hai essay in hindi.

जल मनुष्य के लिए बेहद अहम होता है। जल के बैगर हम एक दिन भी नहीं रह सकते है। हम पानी पिए बिना जीवित नहीं रह सकते है। जल सिर्फ सेवन के लिए नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के गतिविधियों में इस्तेमाल होती है।  जल से हम खाना बनाते है , कपड़े धोते है , नहाते है और हर बार हाथ पैर भी हम जल द्वारा धोते है। जल नियमित रूप से हमे ज़रूरत होती है।  जल हमे नदियों , तालाबों , वर्षा जैसे स्रोत से प्राप्त होती है |  पृथ्वी पर अधिकांश जल समुन्दर में पाया जाता  है , जो खारा है और कुछ बर्फीला होता है। इन का पानी हम ना इस्तेमाल कर सकते है और ना ही सेवन कर सकते है। पृथ्वी पर पीने लायक  जल सिर्फ दो प्रतिशत होता  है। जल एक प्राकृतिक संसाधन है , इसका सोच समझकर इस्तेमाल करना चाहिए। निरंतर जल का  गलत उपयोग और उसे बेवजह  बर्बाद करने की आदत ने मनुष्य और जीव जंतुओं को मुश्किल में डाल दिया है।

जल सिर्फ मनुष्य के लिए ही नहीं  बल्कि पशु पक्षियों और पेड़ पौधों के लिए भी ज़रूरी होता है। पर्यावरण जल के बैगर नष्ट हो सकता है। आजकल भूमिगत  जल में काफी गिरावट आयी है जिसके कारण ना सिर्फ गाँव बल्कि शहरों में भी पानी की दिक्कत पायी जाती  है। जल धरती पर कई रूपों में पायी जाती है जैसे बर्फ के रूप में , नदियों और तालाबों में जल यानी तरल पदार्थ के रूप में और वाष्प के तौर पर पायी जाती है। वाष्प की वजह से वह बदल बनते है।  इन्ही बादलो की वजह से बरसात होती है।  वर्षा होती है , तभी जाकर भूमिगत जल का स्तर बढ़ता है।  आजकल कई क्षेत्रों में अनावृष्टि के कारण पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं होता है।

बरसात की मात्रा  में  पहले की तुलना में काफी गिरावट आयी है जिससे जल स्रोत जैसे नदी , तालाब इत्यादि जलाशय  सभी   सूख रहे है। इसका प्रमुख कारण है मनुष्य का अंधाधुंध वनो को काटना। वन उन्मूलन ने वर्षा के दर को कम किया है।  अगर वृक्ष नहीं होंगे तो वर्षा कैसे होगी। पृथ्वी का तापमान निरंतर बढ़ रहा है , जिसके कारण पर्यावरण पर  इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है और पानी की कमी हो रही है।

सत्तर फीसदी जल मनुष्य के शरीर में व्याप्त है। जल के बिना कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता है। अगर ऐसी ही स्थिति बनी रही तो हमारे आने वाली पीढ़ी को जल मिलेगा ही नहीं।  प्रदूषण , कल कारखानों के कारण बढ़ता चला जा रहा है। कल कारखानों से निकलता हुआ कचरा और विषाक्त  पदार्थ नदियों और तालाबों में प्रवाहित कर दिए जाते है। इससे जल प्रदूषण की भयानक स्थिति बहुत सालो से बनी हुयी है। कई नियम लागू किये गए है , मगर फिर भी जल प्रदूषित हो रहे है , जिसके कारण पीने का पानी लोगो को नहीं मिल पा रहा है।

प्रदूषित पानी की वजह से कई प्रकार की बीमारियां फैल रही है।  अच्छा शुद्ध जल मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी होता है। पानी पीने से भोजन सही तरीके से पचता है।  पानी हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकाल देते है। हमे रोज़ाना आठ से दस गिलास पानी का सेवन अवश्य करना चाहिए। रोज़ाना पानी पीने से हम सक्रीय रहते है और यह हमेशा हमे हाइड्रेटेड रखती है।

हमे पानी का उपयोग सोच समझ के करना चाहिए। हमे व्यर्थ रूप से पानी खर्च नहीं करना चाहिए।  अगर कभी भी बिना वजह नल खुला हुआ दिखे तो उसे तुरंत बंद कर देना चाहिए। पानी की एक एक बूंद के लिए लोग तरसते  है। जितना आवश्यक हो उतना जल का इस्तेमाल करे। जैसे ही  वर्षा हो , वर्षा का जल एक जगह इकठ्ठा यानी संग्रह करना चाहिए।  इस प्रक्रिया को रेन वाटर हार्वेस्टिंग कहते है। जल को बचाने के लिए लोगो को पेड़ -पौधे लगाने होंगे। जिन भी उद्योगों और फैक्टरियों की वजह से जल प्रदूषित  हो रहा है , उनको चेतावनी देना आवश्यक है। ऐसी फैक्टरियों को दूषित गन्दा पानी ,  नदियों के जल में नहीं मिलाना चाहिए। लोगो को भी किसी प्रकार का कचरा और बेकार की चीज़ें पानी में नहीं फेंकनी चाहिए। अक्सर देखा गया है , लोग अपने गाड़ियों को धोने  के लिए कई लीटर पानी यूँ ही बहा देते है। इस पर लोगो को नियंत्रण रखना ज़रूरी है। हमे वृक्षारोपण जैसी पद्धति को अपनाना चाहिए। अधिक से अधिक  पौधे लगाने चाहिए।

प्लास्टिक जैसी वस्तुओं का उपयोग  कई  स्थानों  पर बंद कर दिया गया है। ऐसी वस्तुओं से जल प्रदूषण होता है। सरकार को ऐसी सुव्यवस्थित योजना बनानी चाहिए जिसमे समग्र नदियों को एक साथ जोड़ा जाए। इससे कई क्षेत्रों में जहाँ जल की समस्या है , उन्हें जल प्राप्त होगा। कई लोग पानी के महत्व को समझते हुए भी उसे गन्दा कर रहे है। उन  लोगो को अपनी आदतें और सोच बदलनी होगी। गाँवों और कस्बो में लोग तालाबों के पानी में नहाते है और कपड़े इत्यादि धोते है।  इससे तालाबों का पानी गन्दा हो रहा है।  लोगो को इस प्रकार के कार्य करने से रोकना ज़रूरी है।

जल का सही उपयोग और जल बचाओ जैसी चीज़ो को प्रत्येक घरो तक पहुंचाना ज़रूरी बन गया है। जल का सही मोल वह इंसान जानता है , जो कई किलोमीटर चलकर जल मटके में भर कर लाता है। हमारे देश की जनसंख्या आसमान छू रही है।  दुनिया में जनसंख्या के मामले में भारत दूसरे नंबर पर खड़ा है। जितने अधिक लोग होंगे , उतनी पानी की अधिक ज़रूरत होगी और पानी के लिए टैंकर के सामने लम्बी लाइने होंगी।  जितने अधिक लोग जल का खर्च भी उतना अधिक होगा। देश के कुछ राज्यों को डार्क जोन की केटेगरी में डाला गया है।  अगर ऐसे ही चलता रहा तो कुछ वर्षो बाद उन राज्यों में भूमिगत पानी समाप्त हो जाएगा। लोगो को जितनी ज़रूरत हो , उतना ही पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। पृथ्वी पर शुद्ध   जल प्राप्त करना संकटपूर्ण स्थिति बन चुकी है। हम सब एक जुट होकर अगर प्रयत्न करे तो हम इस स्थिति से उभर सकते है। लोगो को अपने दैनिक कार्यो के लिए सोच समझ कर जल का उपयोग करना चाहिए।  सरकार द्वारा लोगो के घरो पर पानी का मीटर लगाने की ज़रूरत है।  इससे  जल का दुरूपयोग कम होगा और लोग जल की सही माईनो में कदर करेंगे।

प्रदूषित जल पीने के कारण जीव जंतु बीमार हो रहे है और उनकी मृत्यु हो रही है। प्रदूषित जल का उपयोग किसी जगह पर सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है। जिसके कारण फसले रोगग्रस्त हो रहे है।  इन फसलों के सेवन से लोग बीमार हो रहे है। इन चीज़ो पर अंकुश लगाना बेहद आवश्यक है।

लोगो में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए विश्व जल दिवस मनाया जाता है। यह हर साल 22 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन लोगो को जल का असली मोल के बारें में समझाया जाता है।  यह भी बताया जाता है कि धरती पर कई लोग गन्दा पानी पीने को मज़बूर है।  इसमें सभी के साथ की ज़रूरत है। विद्यालय और सभी शिक्षा संस्थानों में छात्रों को इस विशेष दिन जल का महत्व समझया जाता है |

जल समस्त प्राणियों के लिए अमृत से कम नहीं होता है। अगर ऐसी स्थिति बनी रही तो वह दिन दूर नहीं कि जल के बिना पूरी पृथ्वी समाप्त हो जायेगी। अभी भी समय है कि हम जल संरक्षण करे और जल को प्रदूषित होने से बचाये। देश की सरकार अपनी तरफ से भरपूर कोशिशें कर रहे है।  आम जनता को भी जल की अहमियत समझनी होगी और प्रत्येक व्यक्ति को जल के मामले में जागरूक होना चाहिए। हमारा दायित्व है कि हम जल को बचाये और जल की असली  कीमत समझे।

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जल ही जीवन है निबंध – Jal Hi Jeevan Hai Hindi Essay

by Editor updated March 17, 2020, 4:15 PM 23 Comments

जल ही जीवन है हिन्दी निबंध (कक्षा 1 से 12 तक) | Jal Hi Jeevan Hai Hindi essay For Class 1 to 12

जल ही जीवब है निबंध  (150 शब्द)

मनुष्य भूखा तो कई दिन रह सकता है लेकिन जल के बिना एक दिन भी नहीं। मनुष्य ही क्या इस धरती का जर प्राणी-पशु और पक्षी भी जल के बिना एक दिन भी नहीं रह सकते। बिना जल के तो पेड़-पौधे भी जीवित नहीं रह सकते। शायद इसीलिए जल की जीवन कहा गया है।

लेकिन क्या हम आज जल का महत्व समझ पा रहे हैं, जी नहीं बिलकुल नहीं। आज हमने ऐसी परिस्थितियाँ खड़ी कर दीं हैं की हमारी आने वाली पीढ़ी को जल नशीब ही नहीं होगा। अगर समय रहते हमने अपनी भूलों की नहीं सुधारा तो आने वाले वक़्त में भरी जल-संकट का सामना पूरी दुनिया को करना पद सकता है।

हमें जरूरत है जल-संवर्धन की, हमें जरूरत है जल प्रदूषण को रोकने की, हमें जरूरत है जल को व्यर्थ करने की आदत को रोकने की। आइये हम सभी मिलकर जल ही जीवन है इस वाक्य को अंतरात्मा से अपनाए और अपने जीवन को बचाने का प्रण लें।

जल ही जीवन है (200 शब्द) 

इस संसार में मानव, पशु, पक्षियों को जीवन जीने के लिए जो चीज सबसे जरूरी है वो है हवा और पानी। दोनों के बिना इस पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। पानी जिसे हम जल भी कहते हैं इसे जीवन भी कहा जाता है क्यूंकी हमारे शरीर का 70 प्रतिशत भाग में जल है। बिना जल के ना तो मनुष्य जी सकता है और ना ही अन्य प्राणी। जल है तो कल है यही सोच रखते हुये हमें उसका मूल्य समझना होगा और उसे व्यर्थ करने से बचना होगा। आज हम देखते हैं जगह-जगह जल की कमी के कारण लोग परेशान हैं, सिर्फ लोग ही नहीं अन्य प्राणी भी जल की कमी से ग्रसित हैं।

जिस तरह से हम आधुनिकता की अंधी दौड़ में भटक रहे हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं उसकी वजह से आने वाले समय में धीरे धीरे नदियां, तालाब, नहरें सब सूख जाएँगे और विश्व गहरे जल संकट में फंस जाएगा।

जल को जीवन के समान समझकर हमें उसका संरक्षण करना होगा और अधिक से अधिक जल का संचय करना होगा। वर्षा के समय बहुत सारा जल समुद्र में चला जाता है, उसका व्यय होता है। यह हमें रोकना होगा और उस जल को संचित करना चाहिए, तभी हमारी आने वाली पीढ़ी जल के संकट से बाहर आ पाएगी।

जल ही जीवन है (400 शब्द) 

हमारी इस धरती का 70 प्रतिशत हिस्सा जलीय है, समुद्र जो की सबसे बड़ा जल का स्त्रोत है वो पूरी धरती में फैला हुआ जल का विशाल भंडार है। किन्तु मनुष्य और अन्य जीवों के लिए पीने के लिए और अन्य कार्यों में उपयोग के लिए जिस जल की आवश्यकता है वह इस धरती पर सिर्फ 3 प्रतिशत ही है। इसलिए आज हमें यह कहने की जरूरत है की – जल ही जीवन है और आज से ही हमें इसे व्यर्थ ना करने की कसम खानी चाहिए।

हमारी पृथ्वी पर अब उपयोग करने लायक जल धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है और इसका बड़ा कारण भी हम मनुष्य ही हैं। अगर इसी तरह से हम प्रकृति का नाश करते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब तीसरा विश्वयुद्ध जल के लिए होगा।

हम कुछ दिन भोजन के बिना रह सकते हैं लेकिन जल के बिना एक दिन भी नहीं रह सकते क्यूंकी मनुष्य के शरीर का 70 प्रतिशत हिस्सा जल का है।

अगर आज भी हम अपने आपको जागरूक कर लें और यह प्रण कर लें की प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं करेंगे, अधिक से अधिक वृक्ष लगाएंगे, जल का सिंचय करेंगे और उसका व्यर्थ प्रयोग नहीं करेंगे तो निश्चित रूप से हम जल की इस कमी को पूरा कर पाएंगे।

बरसात के समय जो जल धरती पर गिरता है उसका बहुत सा भाग समुद्र में चला जाता है, अगर हम उस जल का तालाब, जलाशय, कुंड, आदि बनाकर संचय करें तो हम बहुत सारा जल संचय कर सकते हैं और उसका उपयोग अपने रोजिंदा जीवन में कर सकते हैं।

विश्व के कई देश हैं जो समुद्र के खारे पानी को विशेष मशीनों से पीने लायक बनाकर उसे उपयोग में लेते हैं, हमें इसी तरह की टेक्नोलोजी का विकास करना चाहिए। धरती के अंदर जल के स्तर को बढ़ाने के लिए हमें विशेष कदम उठाने की जरूरत है।

जब तक हम जल का व्यर्थ उपयोग बंद नहीं करेंगे तब तक हम जल के भंडार को नहीं बचा सकते। महात्मा गांधीजी हमेशा उतना ही जल लेते थे जितनी आवश्यकता हो, यही सोच हर इंसान को अपनानी होगी।

हमारी आने वाली पीढ़ी को अगर हम जल की कमी से झूझता हुआ नहीं देखना चाहते तो अभी से हमें जागना होगा और अपनी धरती पर जल के भंडार को बचाना होगा। अगर हम नहीं जागे तो आने वाली पीढ़ी हमें कभी क्षमा नहीं करेगी। आइये हम सब “ जल ही जीवन है ” इस मंत्र को अपने जीवन में आत्मसात करें और जल को बचाएं।

जल ही जीवन है (600 शब्द) 

प्रकृति ने हमें बहुत सी अनमोल चीजें दीं हैं और उनमें से ही एक है जल, जो की इस समस्त शृष्टि के लिए जीवन है। जल के बिना हम मानव जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। हम भूखे पेट तो रह सकते हैं लेकिन जल के बिना हम एक दिन भी नहीं जी सकते।

समुद्र इस धरती पर जल का सबसे बड़ा भंडार है लेकिन वो जल हम उपयोग में नहीं ले सकते क्यूंकी समुद्र का जल खारा होता है। मानव और अन्य प्राणी धरती पर नदियों, तालाब, जलाशय और भूगर्भ के जल पर ही निर्भर हैं। इस पूरी धरती पर सिर्फ 3 प्रतिशत जल ही हमारे उपयोग करने लायक है। लेकिन अब हमारे जल के स्त्रोत धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं और आज दुनिया के सामने सबसे बड़ा संकट अगर है तो वो है जल संकट।

नदियों के बहाव में हस्तक्षेप, पेड़ों का काटना, बरसात के पानी का व्यय, पानी का व्यर्थ उपयोग, जल का संचय ना करना और बढ़ता हुआ जल प्रदूषण आज हमारे लिए सबसे बड़ा जल संकट खड़ा कर रहा है।

आज दुनिया में कई जगह ऐसी हैं जहां पीने के लिए एक बूंद नहीं बचा, लोगों को दूर- दूर तक पानी के लिए जाना पड़ता है, सूखे की मार से किसान परेशान हैं, जंगल के प्राणी तड़प कर मर रहे हैं, नदियां सूख रही हैं – ये सबकुछ हमारी भूलों का परिणाम है।

हमने सीमित जल के संसाधनों का सही से इस्तेमाल नहीं किया, जल को व्यर्थ किया है। रोजिंदा जीवन में हम देखते हैं की किस तरह से लोग पानी को बर्बाद करते हैं। पानी का इसी प्रकार का व्यय के कारण आज ऐसे हालात सामने खड़े हो गए हैं की जल के भंडार समाप्त हो गए हैं। गर्मी के मौसम में कई जगह लोगों को पीने का पानी भी नशीब नहीं होता।

बरसात के मौसम में ढेर सारा पानी बहकर समुद्र में मिल जाता है और खारा हो जाता है। पानी के संचय की उचित व्यवस्था ना होने के कारण हम उस बरसात के पानी को भी संचित नहीं कर पाते। एक तरफ पानी का इतना व्यय और दूसरी तरफ उसके संचय की कोई व्यवस्था ना होना जल के संकट का बड़ा कारण है।

विश्व में सऊदी अरब एक ऐसा देश है जहां ज़्यादातर रेगिस्तानी भूभाग है लेकिन वहाँ जल के संचय की ऐसी व्यवस्था है की कभी पानी की समस्या नहीं होती। ऐसी ही व्यवस्था भारत और अन्य देशों को करनी चाहिए। जगह-जगह तालाब, जलाशय, नहरें बनाकर हमें जल का संचय करना चाहिए। नदियों में होने वाले प्रदूषण को रोकना चाहिए और उन्हें साफ रखना चाहिए।

समय पर बरसात का ना होना भी जल के संकट को जन्म देता है। पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करना हमें बंद करना होगा और जंगलों की कटाई पूरी तरह से रोकनी होगी। अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर हमें प्रकृति को फिर से हरा-भरा करना होगा, तभी जाकर हम अच्छी बारिस की उम्मीद कर सकते हैं।

अपने रोजिंदा जीवन मे हमें जल का सही और सीमित उपयोग करना होगा। जहां एक ग्लास जल की आवश्यकता होती है वहाँ हम एक टंकी पानी बहा देते हैं, यह आदत हमें बदलनी होगी। लोगों को हमें जागरूक करने की आवश्यकता है इसके लिए हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस भी मनाया जाता है ताकि लोग जल के महत्व को समझें और अपने आपको जिम्मेदार बनाएँ।

जल ही जीवन है यह मंत्र सभी को अपने जीवन में अपनाने की जरूरत है, तभी हम अपना आज सुधार पाएंगे और तभी हमारी आने वाली पीढ़ियाँ जल के संकट से बच पाएँगी। अगर हम आज नहीं जागे तो कल को देर हो सकती है। जल है तो आज है, कल है यह सोच रखकर हम सबको प्रकृति की इस देन को बचाना चाहिए।

जल ही जीवन है (1000 शब्द) 

जल तो है सोना, इसे कभी नहीं खोना। धरती पर निवास करने वाली जीवशृष्टि के लिए जल सबसे महत्वपूर्ण प्रकृति की देन है। इस देन को हमें संभाल कर रखना है और इसके रक्षण के लिए सदैव एक जिम्मेदार मनुष्य की तरह प्रयाष करते रहना चाहिए।

हमारी इस सुंदर सी पृथ्वी पर वैसे तो प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है लेकिन एक कीमती चीज हमें जो दी है वो है जल जिसे हम अपने रोजिंदा जीवन में पानी (Water) कहते हैं। आपको यह जानकार हैरानी होगी की हमारे शरीर का 70 प्रतिशत हिस्सा जल का बना हुआ है और इसीलिए हमें बार-बार पानी पीकर अपनी प्यास को तृप्त करना पड़ता है।

सिर्फ यही नहीं, धरती का भी 70 प्रतिशत भाग जलमय है, जिसमें नदियां, समुद्र और हिमखंड आदि आते हैं। इतने बड़े जल का भंडार होने के बाद भी सिर्फ 3 प्रतिशत जल ही हम मनुष्यों और प्राणियों के उपयोग करने के लायक है क्यूंकी अधिकतर जल समुद्र का है जो की खारा होता है और हम उसका उपयोग नहीं कर सकते। जल इसीलिए जीवन है क्यूंकी इतनी कम मात्रा में यह धरती पर है और इसकी एक एक बूंद भी हमारे लिए कीमती है।

धरती पर जल संकट

मानवीय भूलों का ही परिणाम है की आज धरती पर जल संकट खड़ा हो गया है। लगातार बढ़ता प्रदूषण और जल के संचय का अभाव इसके मुख्य कारण हैं। प्रकृति के साथ हमने बहुत खिलवाड़ कर लिया और इसके गंभीर परिणाम हमें अब धीरे धीरे देखने को मिल रहे हैं।

धरती अब सूखती जा रही है। कई जगहों पर अब एक बूंद भी पानी नहीं बचा। लोगों को पानी की तलाश में दूर-दूर तक जाना पड़ता है। किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं है उन्हें सूखे के हालातों का सामना करना पड़ रहा है। जंगलों में प्राणियों के लिए पीने लायक पानी नहीं बचा जिसकी वजह से उनके जीवन पर भी खतरा मंडराने लगा है।

लगातार जंगलों की कटाई की वजह से बरसात में कमी आई है। नदियों के बहाव को रोकने की वजह से वो सूख रहीं हैं, हम बरसात के पानी का संचय भी नहीं कर रहे और बरसात का सारा पानी समुद्र में व्यर्थ चला जाता है। मानव की इस अनदेखी का नतीजा निकलकर अब सामने आ रहा है और खड़ा हो रहा है जल संकट जो की तीसरे विश्वयुद्ध का भी कारण बन सकता है।

बढ़ता जल प्रदूषण

हमारी धरती के जल स्त्रोत को अगर किसी ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है तो वो है – बढ़ता हुआ जल प्रदूषण। नदियों में बेरोक-टोक प्लास्टिक, कूड़ा-कचड़ा डालना, कारखानों और फेक्टरियों का गंदा पानी नदियों में डालना आदि की वजह से नदी के पानी को भी अशुद्ध कर दिया है।

इतना जल को प्रदूषित करने के कारण नदियां सूख रही हैं, पानी पीने लायक भी नहीं रहा।

अगर इसी प्रकार हम नदियों, तालाबों आदि को प्रदूषित करते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब नदियों का आस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा और हमारे पास एक मात्र नदियों का ही सहारा है वो भी खतम हो सकता है।

धरती पर जल कैसे बचाएं

ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका कोई हल ना हो। अगर हम आज भी अपनी गलतियों से सबक लें और जाग जाएँ तो धरती पर समाप्त होते हुये जल को हम बचा सकते हैं। हमें कुछ ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जिसमे समय अवश्य लगेगा किन्तु उसके दूरगामी परिणाम हमें बहुत अच्छे देखने को मिलेंगे।

सर्वप्रथम हमें जल की एक एक बूंद की कीमत को समझना होगा। अपने रोजिंदा जीवन की क्रियाओं में हम बहुत सारा जल व्यर्थ बहा देते हैं, यह आदत हमें बदलनी होगी। महात्मा गांधीजी से हम एक बात सीख सकते हैं वो यह की महात्मा गांधीजी हमेशा उतना ही जल लेते थे जितने की आवश्यकता हो और यदि जल बचता भी था तो उसे व्यर्थ में नहीं बहाते थे। यही सोच हमें अपने अंदर लाने की जरूरत है।

दूसरा काम हम कर सकते हैं नदियों, तालाबों आदि को प्रदूषित ना करना। नदियों में जो कूड़ा-कचड़ा, गंदा पानी फेंकते हैं वो हमें बंद करना होगा। त्योहार के समय मूर्तियाँ विसर्जन करते समय यह ध्यान रहे की मूर्ति मिट्टी की बनी हो या उसे किसी कृत्रिम कुंड में विसर्जित करना चाहिए। नदियों की साफ सफाई कर हमें उसके जल को पवित्र करना चाहिए। यही काम हमें समुद्र के लिए भी करना है वहाँ भी हमें गंदगी फैलाने से बचना चाहिए।

लगातार जंगलों की कटाई की वजह से बरसात में कमी आई है। हमें हरित क्रान्ति लानी होगी और ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण कर धरती पर हरियाली लानी होगी। ऐसा करने से बरसात के हालात में सुधार होगा।

समुद्र के जल को हम विशेष मशीनों के जरिये पीने लायक बना सकते हैं, ऐसा करने से समुद्र का जल भी उपयोग में लाया जा सकता है।

सबसे महत्वपूर्ण कदम हमें यह उठाना है की जल के संचय की आदत को डालना है। जगह जगह कुंड, तालाब, जलाशयों का निर्माण कर हमें बरसात के पानी को एकत्र करना चाहिए, ऐसा करने से निश्चित रूप से जहां जल संकट है वहाँ पानी की कमी से निजात मिलेगी।

एक और काम हमें करना है और वो है जन जागृति का, जिसके बिना अन्य कार्य सब व्यर्थ हैं। लोगों को हमें समझाना होगा की जल हमारे लिए कितना महत्व रखता है।

विश्व जल दिवस

23 comments.

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जल ही जीवन है पर निबंध

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जल ही जीवन है पर निबंध: Jal hi Jivan Hai Par Nibandh

जल हमारे जीवन में एक बहुत महत्वपूर्ण पदार्थ है जो कि हमें प्रकृति द्वारा दिया गया अमूल्य उपहार है। इसके बिना पृथ्वी सूनी है। यदि यह हमारे जीवन में नहीं होगा तो हम अपना कोई भी कार्य पूरा नहीं कर पाएंगे इसलिए इसे जल ही जीवन कहा गया है अर्थात जल ही हमारा जीवन है ... Read more

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Reported by Saloni Uniyal

Published on 20 April 2024

जल हमारे जीवन में एक बहुत महत्वपूर्ण पदार्थ है जो कि हमें प्रकृति द्वारा दिया गया अमूल्य उपहार है। इसके बिना पृथ्वी सूनी है। यदि यह हमारे जीवन में नहीं होगा तो हम अपना कोई भी कार्य पूरा नहीं कर पाएंगे इसलिए इसे जल ही जीवन कहा गया है अर्थात जल ही हमारा जीवन है यदि ये नहीं होगा तो पृथ्वी पर कोई भी प्राणी जीवित नहीं रहेगा। आपको बता दें पृथ्वी का भाग 70 प्रतिशत पानी से घिरा हुआ है जिसमें से हम केवल 1 प्रतिशत ही इस्तेमाल कर सकते हैं जिसकी वजह से इसका संरक्षण करना बहुत आवश्यक हो गया है। सरल भाषा में कहें तो सभी जीव जंतुओं को जीवित रहने के लिए जल की आवश्यकता होती है इसके अतिरिक्त पृथ्वी पर उपस्थित पेड़ पौधे, कीट पतन आदि सभी जल के बिना जीवित रहना असंभव है। अकसर स्कूल में शिक्षकों द्वारा जल ही जीवन है पर बच्चों से निबंध प्रतियोगिता कराई जाती है जिसके लिए बच्चे इंटरनेट की सहायता लेते हैं।

जल ही जीवन है पर निबंध: Jal hi Jivan hai per Nibandh

जल का महत्व, लाभ

हमारे सम्पूर्ण जीवन में जल के बहुत महत्वूर्ण कार्य है जिसके हम कुछ कार्यों के बारे में नीचे बताने जा रहें हैं आप देख सकते है।

  • कृषि- जैसा कि दोस्तों आप सभी को पता है कि हमारा देश भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश में किसानों द्वारा अन्न उगाया जाता है इसे ही कृषि कहते हैं लेकिन बिना पानी के कृषि करना संभव नहीं है। यदि खेतों में पानी की सिंचाई नहीं की जाएगी तो धरती सूखी पड़ जाएगी जिससे सभी फसलें सुख जाएगी और बर्बाद हो जाएगी। इसलिए कृषि करने के लिए पानी की सिंचाई होना जरुरी है।
  • दैनिक जीवन में- हमारे दैनिक जीवन की बात करें तो इसमें सबसे ज्यादा कार्य पानी से होते है जिसमें हमारा खाना, पीना, नहाना एवं अन्य कई कार्य किये जाते है। इसके अतिरिक्त हमारी बॉडी का 60 से 70 प्रतिशत भाग पानी से बना हुआ है इस वजह से हमें पानी की जरुरत पड़ती है। रक्त का जो अधिकांश भाग है वह भी जल ही होता है।
  • जीव जंतु एवं वनस्पति- पानी जितना जरुरी मनुष्य के लिए है उतना ही महत्वपूर्ण पशु पक्षी, जीव जंतु एवं पेड़ पौधों के लिए ही भी होता है। अर्थात पृथ्वी पर उपस्थित कोई भी जीवित प्राणी बिना जल के जीवित नहीं है।

जल के स्रोत

प्रकृति में जल के कई स्रोत है जिससे हम जल प्राप्त करते हैं। सबसे पहले तो वर्षा का जल है इसकी वजह से ही पृथ्वी पर पानी है अगर वर्षा नहीं होंगे तो पूरी पृथ्वी सूखी पड़ जाएगी। लेकिन मनुष्य अपने लाभ के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रहा है जिससे वर्षा का पानी धरती पर गिरते ही बह जाता है और अवशोषित नहीं हो पता जो कि एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। इसके अतिरिक्त पानी के कई स्रोत हैं जैसे- नदियां, तालाब, झील एवं कुँए इनसे भी हम जल प्राप्त करके अपनी पूर्ति करते हैं।

विश्व जल दिवस

विश्व में लोगों को जल ही जीवन है के विषय में जागरूक एवं इसके महत्व को समझाने के लिए हर साल विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है जिसे कि अंग्रेजी में World Water Day कहा जाता है। आज के समय में कई लाखों लोग ऐसे हैं जिन तक भरपूर मात्रा में पानी नहीं पहुँच पता जिससे उन्हें कई समस्याएं होती है, तो का जगह पानी की कमी के कारण लोगों को दूषित ही पानी पीना पड़ता है। विश्व जल दिवस के दिन लोगों को बताया जाता है कि हमारे जीवन में जल का कितना महत्व है इसकी कमी के कारण सम्पूर्ण पृथ्वी का जीवन संकट में पड़ जाएगा जिसके लिए हमें इसे संरक्षण करने का प्रयास करना है। स्कूल में भी इस दिवस पर कार्यक्रम कराए जाते हैं एवं बच्चों से निबंध भी लिखाए जाते हैं।

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जल प्रदूषण

आज के समय में जल कमी की समस्या का सामना हर व्यक्ति को करना पड़ रहा है और इसका सबसे बड़ा कारण जल प्रदूषण है। जल प्रदूषण का मेन कारण मनुष्य है। बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों एवं कारखाने से निकलने वाले पानी को नदियों एवं अन्य जल स्रोतों में मिला दिया जाता है जिस कारण पानी प्रदूषित हो जाता है जिससे वह पीने लायक नहीं बचता है। लोग अपने घरों से कूड़ा कचरा ले जाकर नदियों में फैंक देते है तो कई लोग नदियों में कपड़े धोते है जिस वजह से सम्पूर्ण नदी दूषित हो रही है और दिन प्रतिदिन जल प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है।

जल प्रदूषण को रोकने के उपाय

  • जल के किसी भी स्रोत को दूषित होने से रोके।
  • जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें अपने आस-पास के नागरिकों को जागरूक करना होगा।
  • फैक्ट्रियों एवं कारखानों से निकलने वाले गंदे जल एवं कूड़े को नदियों में प्रवाहित ना करें।
  • घर से निकलने वाले गंदे पानी को प्रवाहित करने के लिए अलग नालियां बनाई जाए और उसके पानी को नदियों में मिलाने के बजाय दूसरी जगह उचित प्रबंधन करके प्रवाहित करें। इससे नदियां दूषित नहीं होंगी।
  • जल प्रदूषण को रोकने के साथ आपको जल संरक्षण भी करना है इसके लिए आप वर्षा जल को एकत्रित कर सकते हैं।
  • अधिक से अधिक पेड़ों को लगाएं ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे।
  • घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को जल निकायों में प्रवाहित ना करें।

जल से होने वाली हानियां

जल हमारे जीवन का एक मुख्य हिस्सा है लेकिन अधिक जल होने से भी कई हानियां होती है जो कि निम्नलिखित है –

  • अत्यधिक वर्षा होने से बाढ़ आ जाती है जिससे लोगों के घर तबाह हो जाते हैं एवं बाढ़ में डूबने के कारण कई लोगों की मृत्यु भी हो जाती है।
  • अत्यधिक पानी होने से सभी फैसले बर्बाद हो जाती है जिससे सारा अनाज नष्ट हो जाता है जो कि अकाल का कारण बनता है।
  • पानी से कई प्रकार की बीमारियाँ भी होती है जैसे- पीलिया, टाइफाइड बुखार, दस्त, उल्टियां, पेट ख़राब एवं हैजा आदि रोग दूषित पानी के उपयोग करने से होते हैं।
  • तेज बारिश होने से शहरों में सड़कें पानी से भर जाती है जिस कारण लोगों के काम रुक जाते हैं एवं किसी भी व्यक्ति का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।

जल ही जीवन है पर 10 लाइन

जल ही जीवन है पर 10 लाइन नीचे निम्न प्रकार से बताई हुई है –

  • जल हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण पदार्थ है जो कि मनुष्य, जानवरों, पौधों एवं प्रकृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
  • जल को पानी, नीर तोय के नाम से भी जाना जाता है।
  • प्रकृति में जल तीन अवस्थाओं में पाया जाता है।
  • जल हमारे जीवन में एक अमूल्य उपहार है इसका उपयोग सही से करें।
  • जल को संरक्षित करके रखे ताकि पृथ्वी पर इसकी कमी ना हो।
  • जल ही जीवन है इस अर्थ का सही उपयोग करके, इस विषय पर लोगों को जागरूक करें।
  • आवश्यकता से अधिक पानी का इस्तेमाल ना करें।
  • बारिश के पानी को इकट्ठा करके जल संरक्षण किया जा सकता है।
  • पानी का कोई भी रंग नहीं होता यह बेरंग होता है।
  • जल का रासायनिक नाम H2O है।

यह भी देखें:

  • वर्षा ऋतु पर निबंध: Essay on Rainy Season in Hindi
  • जल संरक्षण पर निबंध: Save Water Essay in Hindi
  • मेरी माँ पर निबंध (My Mother Essay in Hindi)
  • विश्व स्वास्थ्य दिवस पर निबंध | World Health Day Essay in Hindi
  • अनुशासन पर निबंध – Discipline Essay in Hindi

जल ही जीवन है पर निबंध से सम्बंधित प्रश्न/उत्तर

जल ही जीवन है यह क्यों कहा गया है?

हमारे जीवन में जल एक अमूल्य उपहार है जो कि बहुत महत्वपूर्ण है इसके बिना हमारा कोई भी कार्य पूरा नहीं हो सकता है हमारे आम जीवन में जल सबसे महत्वपूर्ण है।

व्यक्ति के जीवन में जल का क्या महत्व है?

हमें जीवन में दैनिक कार्यों को करने के लिए जल चाहिए होता है इसकी सहायता से हम सभी कार्यों को पूर्ण कर पाते हैं इसके अतिरिक्त हमारे शरीर के लिए जल एक महत्वपूर्ण भाग है।

पृथ्वी का कितना प्रतिशत भाग जल से घिरा हुआ है?

पृथ्वी का कितना 70 प्रतिशत भाग जल से घिरा हुआ है।

जल को दूषित होने से कैसे रोके?

हमें जल को दूषित होने से रोकने के लिए जल संरक्षण का अधिक महत्व समझना है इसके लिए हमें नदियों में गन्दगी नहीं करनी है जितने भी पानी के स्रोत हैं उन्हें दूषित होने से बचाना है।

क्या जल को संरक्षण करने के लिए विश्व जल संरक्षण दिवस मनाया जाता है?

जी हाँ, हर वर्ष विश्व जल संरक्षण दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है।

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Saloni Uniyal

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जल ही जीवन है पर निबंध- Water is Life Essay in Hindi

In this article, we are providing information about Water is Life in Hindi. जल ही जीवन है पर निबंध- Water is Life Essay in Hindi Language, Jal Hi Jeevan Hai Par Nibandh for Class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 Students.

जल ही जीवन है पर निबंध- Water is Life Essay in Hindi

जल हमें प्रकृति के द्वारा दिया गया एक महत्वपूर्ण संसाधन है लेकिन अन्य संसाधनो की तरह यह भी सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है। वैसे तो हमारे पृथ्वी का 70 प्रतिशत हिस्सा जल है लेकिन मनुष्य के पीने लायक जल केवल 1 प्रतिशत ही है बाकि का जल नदियों, तालाबों और पहाड़ो में बर्फ के रूप में जमा हुआ है। जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है क्योंकि जल के अभाव में व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है इसलिए जल ही जीवन है और यह केवल सीमित मात्रा में मौजूद है और यदि हम उसका भी दुरूपयोग करते रहेंगे तो एक समय ऐसा आऐगा जब हमारे पास पीने के लिए भी पानी नहीं होगा।

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जल ही जीवन है पर 10 लाइनें निबंध

Essay on Water Conservation in Hindi

Slogans on Water Pollution in Hindi

जल का महत्व ( Importance of Water )- जल मनुष्य के लिए बहुपयोगी है। जल का प्रयोग पीने, खाना बनाने, कपड़े धोने, बर्तन धोने, साफ सफाई आदि के कार्यों के लिए किया जाता है। पानी का प्रयोग खेतों की सिंचाई के लिए भी किया जाता है। जल केवल मानव जाति के लिए ही आवश्यक नहीं है बल्कि पशु पक्षियों और वनस्पतियों का जीवन भी जल पर ही निर्भर करता है। जल के बिना मनुष्य कोई भी कार्य नहीं कर सकता है।

जल का दुरूपयोग और उसके दुष्परिणाम – मनुष्य निरंतर अपनी कल क्रियाओं से जल को दुषित करता जा रहा है जिससे कि जल प्रदुषित हो जाता है और दुषित जल के प्रयोग से हैजा और कलोरा जैसी बिमारियाँ उत्पन्न होती है। जल को यूहीं बहता हुआ छोड़ने से जल की कमी हो जाती है जिससे कि भूमि बंजर होती जा रही है और पेड़ पौधों का सही पालन पोषण नहीं हो पा रहा है। जल के अनावश्यक प्रयोग के कारण भूमिगत जल का स्तर गिरता ही जा रहा है। यदि इस तरह पानी का दुरूपयोग होता रहा तो इसका परिणाम बहुत ही विनाशकारी होगा।

जल सरंक्षण – जल ही जीवन है इसलिए इसका सरंक्षण और इसकी सुरक्षा बहुत ही आवश्यक है। वर्षा के जल को घर की छत पर टैंक बनाकर उसमें सरंक्षित किया जा सकता है जिसको कपड़े धोने और साफ सफाई के कार्यों के लिए प्रयोग किया जा सकता है। हम नलों को बहता हुआ न छोड़कर और टूटे हुए पानी के पाइपों दी मरम्मत करवाकर भी पानी को सरंक्षित कर सकते हैं।

निष्कर्ष- कहा जाता है कि जल है तो कल है और यह बिल्कुल सच है क्योंकि जल के बिना जीवन संभव ही नहीं है। इसलिए जल का सरंक्षण एक वैश्विक मुद्दा है और हम सबको मिलकर जल को स्वच्छ और सरंक्षित रखने का प्रयास करना चाहिए।

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10 Lines on Save Water in Hindi

Speech on Save Water in Hindi

Save Water Slogans in Hindi

Save Water Essay in Hindi

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Hindi Essay on “Jal hi Jeevan hai” , ”जल ही जीवन है” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

जल ही जीवन है

Jal hi Jeevan hai

निबंध नंबर – 01

क्षिति, जल, पावक, गगन और समीर ये पांच तत्व हमारे धर्मग्रंथों में मौलिक कहे गए हैं तथा हमारी शरीर रचना में इनकी समान रूप से भूमिका होती है। इनमें वायु और जल ये दो ऐसे तत्व हैं जिनके बिना हमारे जीवन की कल्पना एक क्षण भी नहीं की जा सकती। जीवों को जिस वस्तु की जरूरत जिस अनुपात में है, प्रकृति में वे तत्व उसी अनुपात में मौजूद हैं। पर आज जल और वायु दोनेां पर संकट के काले बादल आच्छादित हैं तो समझना चाहिए कहीं न कहीं हमने मूलभूत भूलें की हैं।

जल एक तरल पदार्थ है जो अपने ठोस और गैस रूप में भी मौजूद है। अवस्था परिवर्तन करने का जल का यह स्वभाव उसके उपयोग के आयामों को विस्तृत कर देता है। जल यदि बरफ बनकर न रह पाता तो गंगा जैसी सदानीरा नदियां न होतीं और जल यदि गैस बनकर वाष्पित न हो पाता तो धरती पर वर्षा होने की संभावना न बचती। ओस के कणों की तुलना कवि व शायर न जाने किन-किन रूपों में करते हैं, उनके काव्य जगत का यह हिस्सा रीता ही रह जाता। लेकिन मानव का यह गुणधर्म है कि जिस वस्तु को वह व्यवहार में लाता है, उसे दूषित कर ही देता है। यही कारण है कि आज नदी जल, भूमिगत जल, कुंए-बावड़ी का जल, समुद्र का जल और यहां तक कि वर्षा का जल भी कम या अधिक अनुपात में दूषित हो चुका है। जल प्रदूषण पर गोष्ठियां तथा सेमीनार हुए जा रहे हैं परंतु इस विश्वव्यापी समस्या का कोई ठोस हल अभी तक सामने नहीं आ पाया है।

हाल में यह प्रयास भी हो रहा है कि इस नैसर्गिक संपदा का पेटेंट करा लिया जाए। अर्थात किसी खास नदी या बांध के जल पर किसी खास बहुराष्ट्रीय कंपनी का अधिकार हो और वे इस जल को बोतलों में बंद कर बाजार में मिनरल वाटर के नाम से बेच सकें। सुनने में आया है कि सरकार भी इस पर राजी थी मगर पर्यावरणविदों ने बखेड़ा खड़ा कर दिया तो उसने चुप्पी साध ली। पर जिस तरह से प्रत्येक वस्तु पर बाजारवाद हावी हो रहा है उसे देखकर कहा नहीं जा सकता कि कब तक नदियां तथा अन्य जलाशय उक्त कंपनियों के चंगुल से बचे रह सकेंगे। सरकारें भी अपने बढ़े खर्च की भरपाई के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है।

जल के अनेक उपयोगों में सबसे महत्वपूर्ण है पेयजल। घरेलू उपयोग का जल भी पेयजल जैसी शुद्धता का होना आवश्यक माना गया है। मगर पेयजल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता हमारे देश में दिनोंदिन घटती जा रही है। जल के भूमिगत स्त्रोतों के स्तर में ट्यूबवेलों की बढ़ती संख्या तथा जल संग्रहण की ठीक प्रणाली न होने के कारण स्थाई गिरावट दज्र की गई है। पहले लोग नदियों का जल बेधडक़ पी लिया करते थे परंतु आज स्थितियां पूरी तरह बदल गई है। शहर के निकट की नदी या झील में उस शहर का सारा गंदा पानी बेहिचक उड़ेल दिया जाता है जिससे प्रदूषण के साथ-साथ झीलों और सरोवरों के छिछलेपन की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। जल प्रदूषण के कारण जल के विभिन्न भंडारों के जलजीवों का जीवित रह पाना भी कठिन होता जा रहा है। गरीब और जनसंख्या बहुत देशों में तो जल की समस्या और भी जटिल रूप में है।

हमारे देश के जलसंकट को दूर करने के लिए दूरगामी समाधान के रूप में विभिन्न बड़ी नदियों को आपस में जोडऩे की बातें कही गई हैं। इसका बहुत लाभ मिलेगा क्योंकि नदियों का जल जो बहकर सागर जल में विलीन हो जाता है, तब हम उसका भरपूर उपयोग कर सते हैं। इस प्रणाली से निरंतर जलसंकट झेल रहे क्षेत्रों के लोग पर्याप्त मात्रा में जल प्राप्त कर सकते हैं। जिस तरह इंदिरा गांधी नहर बन जाने से राजस्थान की अतृप्त भूमि की प्यास बुझ सकी, ऐसे ही अन्य प्रयासों से देश भर में खुशहाली और हरियाली लाई जा सकती है। अन्यथा कावेरी नदी के जल के बंटावारे को लेकर जिस प्रकार का अंतहीन विवाद दक्षिण भारत के दो राज्यों के मध्य है, उसी तरह अन्य स्थानों पर भी जल को लेकर घमासान मच सकता है।

जलसंकट से जुड़ा एक पहलु यह भी है कि जब पहाड़ों पर हरियाली घटती हे तो वहां बर्फ के जमाव तथ्ज्ञा वहां की नमी में कमी आ जाती है। इसी तरह मैदानों और पठारों पर जब वनस्पतियां घटने लगती हैं तो यहां औसत वर्ष की मात्रा में क्रमिक रूप से ह्रास होने लगता है। इसका सीधा असर भूमिगत जल के स्तर पर पड़ता है। इस तरह देखें तो पर्यावरण का एक पहलू उसे दूसरे पहलू से जुड़ा हुआ है। ज्यों-ज्यों मानव पर्यावरण की उपेक्षा करेगा त्यों-त्यों उसे जलसंकट, वायुसंकट जैसे कई संकटों का सामना करना पड़ेगा।

कहा जाता है कि जल की बूंद-बूंद कीमती है। यदि ऐसा है तो इसकी बूंद-बूंद की रक्षा का प्रयत्न करना चाहिए। नलों को आधे-अधूरे तरीके से बंद करना, सार्वजनिक नलों को टूटी-फूटी दशा में छोड़ देना आदि कुछ ऐसे कार्य हैं जिनसे जल की खूब बर्बादी होती है। इस स्थिति में उपयोग में लाया गया गंदा जल इन भंडारों के स्वच्छ जल को भी गंदा कर देता है। चूंकि पेयजल की मात्रा धरती पर सीमित है अत: इसका दुरुपयोग कुछ लोगों के लिए भले ही हितकर हो, आम लोगों को भारी खामियाजा उठाना पड़ता है।

निबंध नंबर – 02

Jal Hi Jeevan Hai

जल ‘ जीवन ‘ का पर्याय – जल है, तभी जीवन है। वैज्ञानिक कहते हैं-मनुष्य जल से जन्मा है। जल न हो, तो कोई भी खाद्य या पेय पदार्थ बन नहीं सकता। इनके बिना मनुष्य जी नहीं सकता। तभी सभी मानव-सभ्यताएँ नदियों, झरनों या सरोवरों के इर्द-गिर्द जन्मी; फली-फूली और विकसित हुई। ऐसे जल को जीवन कहना ठीक ही है।

प्रकृति का वरदान – जल प्रकृति का वरदान है। इसे फैक्ट्रियों में नहीं बनाया जा सकता। हाँ, इससे फैक्ट्रियाँ चलाई जा सकती हैं। धरती पर जितना जल है उसका 97.3% जल खारे समुद्र में एकत्र है। इसका उपयोग नहीं हो सकता। 2% जल दक्षिणी और उत्तरी ध्रुवों में हिम के रूप में जमा है। शेष बचे 0.07 जल में से 0.06 नदियों-झरनों में प्रवाहित है। मात्र 0.01% जल धरती के गर्भ में सुरक्षित है।

जल – संकट की स्थिति – आज हम जल-संकट में से गुजर रहे हैं। उसके दो कारण हैं-बढ़ती आबादी और जल का कुप्रबंधन। आबादी बढ़ रही है तो उसको पीने-नहाने-धोने के लिए जल चाहिए। उसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए उद्योग-धंधे और मकान भी चाहिए। इन सबके लिए चाहिए जल। जबकि जल के स्रोत वही हैं-पुराने।

जल – प्रबंधन के उपाय – यदि बढ़ती हुई जरूरतों के हिसाब से मनुष्य जल का विवेकपूर्ण प्रबंधन कर ले, तब भी जल-संकट दूर हो सकता है। परंतु इस दिशा में आज का मनुष्य चिंतित तो है, पर तैयार नहीं है।

वर्षा का जल पेय होता है, उपयोगी होता है। परंतु उसका 80% भाग नदी-नालों में बहकर वापस समुद्र में चला जाता है। यदि उस जल को जंगलों, वनस्पतियों, तालाबों या भू-गर्भीय स्रोतों में रोक लिया जाए तो हम जल-संकट से उबर सकते हैं। इसके लिए जंगलों को हरा-भरा और समृद्ध बनाना जरूरी है। दूसरे, खुले और ढके हुए तालाबों को स्वच्छ और भरपूर रखना आवश्यक है। तीसरे, वर्षा-जल को भूमि के गर्भ में पहुँचाना आवश्यक है। चौथे, नदियों के पवित्र जल को गंदगी और रासायनिक कचरे से दूर रखना आवश्यक है। जितनी जल्दी हम चेतेंगे, उतनी जल्दी जीवनदायी जल को संरक्षित कर सकेंगे और जीवन-रूपी अमृत का पान कर सकेंगे। रहीम ने बहुत पहले कह दिया था

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apke nibandh aache hai par kuch jadha detail mai hotha tho acha hotha per apka bahuth dhanyavad

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जल ही जीवन है पर निबंध

Jal Hi Jeevan Hai Par Nibandh: जीवन जीने के लिए हवा, पानी और भोजन की जरूरत होती है। इनमें से किसी एक के बिना भी व्यक्ति जिंदा नहीं रह सकता। पानी न केवल मनुष्य के जीने के लिए बल्कि पशु-पक्षी, जीव-जंतु सभी के जीवन के लिए जरूरी है। जल का प्रयोग ना व्यक्ति केवल पानी पीने के लिए बल्कि भोजन बनाने से लेकर फसल उगाने तक के लिए करता है।

जल अमूल्य तत्व है, जो एक बार खत्म हो जाए तो व्यक्ति उसे द्वारा उत्पन्न नहीं कर सकता। दुःख की बात तो यह है कि हर मानव जानता है कि जल सीमित मात्रा में है फिर भी जल को प्रदूषित करता है। इसीलिए स्कूल कॉलेजों में बच्चों को जल का महत्व सिखाने के लिए उन्हें “जल ही जीवन है” पर निबंध लिखने दिया जाता है।

Jal-Hi-Jeevan-Hai-Par-Nibandh

इसीलिए आज के इस लेख में हम 200, 500 और 800 शब्दों में जल ही जीवन है निबंध (Essay on Jal hi Jeevan Hai in Hindi) लेकर आए हैं। यदि आप विद्यार्थी हैं और आपको स्कूल या कॉलेज में जल ही जीवन पर निबंध लिखने के लिए दिया है तो यह लेख आपके लिए बहुत ही उपयोगी साबित होने वाला है। इसके अतिरिक्त इस निबंध को पढ़कर आप भी जल के महत्व को जान पाएंगे और जल संरक्षण में अपना योगदान दे पाएंगे।

Read Also:  हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

जल ही जीवन है पर निबंध | Jal Hi Jeevan Hai Par Nibandh

जल ही जीवन है निबंध हिंदी में 200 शब्द.

जैसा कि आप सभी को पता है इस संसार मे जितनी महत्वपूर्ण वायु है, उतना ही महत्वपूर्ण जल भी है। पृथ्वी पर जितने भी जीव जंतु, मनुष्य हैं उन सभी के लिए जल बहुत ही ज़्यादा महत्वपूर्ण तत्व है। हमारे इस संसार मे चाहें जीव जंतु हो कीड़े मकोड़े हो या पेड़ पौधे इन सब के लिए जल अमृत के समान काम करता है। इस पृथ्वी पर जब कुछ भी नही था तब जल था, जल के बिना हम इस संसार की कल्पना ही नहीं कर सकते और जल हम सब के लिए प्रकृति का अमूल्य तोहफा है।

आज के समय लोगों ने जल को प्राथमिकता देना ही बंद कर दिया है और हमारे वैज्ञानिकों ने तो साफ साफ यह कह दिया है। अगर जल का बचाव नहीं किया गया तो बहुत जल्द हम सभी को इसका अभाव देखना पड़ेगा। बढ़ती जनसँख्या और बढ़ते जल के उपयोग से हम जल को उतनी महत्त्ता नहीं दे रहे, जितनी हमें देनी चाहिए।

आपको ज्ञात होगा कि हमारे द्वारा किये गए कृत्यों से हमें नुकसान नहीं होगा अपितु पूरी प्रकति को होगा और सभी सजीव वस्तुओं को इसका अभाव झेलना पड़ेगा। तलाबों, नदियों, झरनों में जल दूषित होना शुरू हो गया है, वह अब पीने योग्य नहीं रह गया है।

हमने अगर जल्द से जल्द कुछ न किया तो यह आगे बहुत बड़ी मुसीबत बन जाएगी, वक़्त रहते हमें जल को बचाने के उपाय करने चाहिए और दूसरे लोगों को जरूर प्रेरित करना चाहिए।

jal hi jeevan hai essay in hindi

जल ही जीवन है निबंध हिंदी में 500 शब्द

जल पृथ्वी का एक ऐसा प्राकृतिक तत्व है, जिसके बिना किसी भी जीव के अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ब्रह्मांड के नौ ग्रहों में से केवल पृथ्वी पर ही पानी मौजूद है। यही कारण है कि केवल पृथ्वी पर ही जीव है।

जलना ना केवल बाहरी पर्यावरण में मौजूद है बल्कि जल मनुष्य के शरीर में भी मौजूद है। इंसान भले भोजन के बिना एक सप्ताह जीवित रह सकता है लेकिन पानी के बिना 2 दिन से जादा जीवित नहीं रह सकता। पानी न केवल व्यक्ति के प्यास को बुझाता हैं बल्कि मनुष्य को स्वस्थ रहने में भी मदद करता है।

क्योंकि पानी शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालता है, इसीलिए डॉक्टर द्वारा हर रोज 8 से 10 गिलास पानी के सेवन करने को कहा जाता है। रोजाना पानी पीने से मनुष्य सक्रिय रहता है और पानी शरीर को हाइड्रेटेड रखता है।

मनुष्य केवल पिने के लिए ही नहीं बल्कि अनेकों कार्यों के लिए जल का प्रयोग करता है। कपड़ा धोने, साफ सफाई करने, फसल उगाने, भोजन बनाने इत्यादि तमाम कामों में जल का प्रयोग होता है। यदि जला ना हो तो यह तमाम काम रुक जाएंगे।

दुख की बात तो यह है कि हर मनुष्य जानता है कि जल के बिना उसका अस्तित्व खत्म हो जाएगा, उसके बावजूद भी मनुष्य जल को प्रदूषित करने से बाज नहीं आ रहा है। मनुष्य जल को प्रदूषित करके धरती से जीवों के अस्तित्व को खत्म कर रहा है और अब विनाश का समय भी नजदीक आ रहा है।

जैसा आप सभी जानते होंगे कि धरती का ¾ भाग जल से घिरा हुआ है लेकिन पीने योग्य पानी की मात्रा बहुत ही कम है। समुद्र और महासागर का पानी खारा होने के कारण ना वह पीने के काम आ सकता है ना ही उससे अन्य कार्य किए जा सकते हैं। जब धरती पर बारिश होती है तब मनुष्य को पीने लायक जल मिल पाता है। यह जल नदी, तालाब, कुएं में इकट्ठा होते हैं और मनुष्य इसी जल स्त्रोत से अपने पानी की आवश्यकता को पूरी कर पाता है।

लेकिन दिन प्रतिदिन मनुष्य अपने कई गतिविधियों से प्रदूषण फैला रहा है, फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं, वाहनों से निकलने वाले धुएं पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है, जिस कारण बारिश भी अब सही मात्रा में नहीं हो पाती और इस कारण धरती पर पीने योग्य पानी मनुष्य को जुट नहीं पा रहा है।

जल का संरक्षण कैसे करें

अगर मनुष्य लंबे समय तक पानी का उपयोग करते रहना चाहता है तो मनुष्य को उन गतिविधियों को रोकना पड़ेगा, जिसके कारण जल और पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। इसके अतिरिक्त जल का बचत करना भी बहुत जरूरी है। क्योंकि बहुत से ऐसे लोग हैं, जो जल को बिना वजह बर्बाद करते हैं। बहुत से लोग नल खोल कर रख देते हैं, पानी बहते रहता है।

यदि मनुष्य चाहता है कि भविष्य में वह पानी की एक बूंद के लिए ना तरसे तो अभी से ही उसे पानी के उपयोग पर कटौती करना पड़ेगा अर्थात जितना पानी की जरूरत है उतना ही प्रयोग करें। इसके अतिरिक्त ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए ताकि सही समय पर सही मात्रा में बारिश हो और पीने लायक पानी धरती को प्राप्त हो सके।

इसके अतिरिक्त अन्य लोगों को भी जल संरक्षण के लिए प्रेरित करना चाहिए। जिन फैक्ट्रियों के द्वारा गंदा पानी नदियों में डाला जा रहा है, उन्हें चेतावनी देनी चाहिए कि वह कचरे को पानी में बहा कर जल को प्रदूषित ना करें।

यदि मनुष्य पानी के महत्व को नहीं समझेगा तो आने वाला भविष्य उसके लिए बहुत भयानक हो सकता है। इसीलिए अभी से ही हर एक मनुष्य को पानी की बचत करने के लिए सतर्क रहनि चाहिए।

जल ही जीवन है पर निबंध (800 शब्द)

जल हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण तत्व है, जिसके बिना हम इस धरती पर रहने की कल्पना तक नही कर सकते, पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु, पेड़ पौधें और प्रकृति से जुड़ी विभिन्न तत्वों का जल एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जल के बिना इस धरती पर जीवन काट पाना न के समान है। जल भगवान के द्वारा दिये गए इस जीवन का आधार है।

पृथ्वी पर जल की मात्रा तेज़ी से नीचे की ओर बढ़ रही है जल हमे तलाबों, झरनों, कुआं, झील आदि स्थानों से प्राप्त होता है और अब तो अधिकतर तालाब, कुएं, झील सूखने लगे हैं। आपको बताते चले कि हमे इस पृथ्वी पर जितना जल प्राप्त होता है, उसका २.५ प्रतिशत जल ही पीने योग्य होता है बाकी का खारा जल होने की वजह से पीने में उपयोग नहीं करते हैं।

पृथ्वी में जल की कमी महसूस होने के साथ साथ एक और समस्या है, जिसका समाधान स्वयं मनुष्य ही कर सकता है। हम बात कर रहे हैं जल प्रदूषण की। जल प्रदूषण आज के समय बहुत ही बड़ी समस्या है। आज लगभग हर तरफ जल तालाबों झरनों कुओं आदि का जल प्रदूषित हो रहा है वह पीने योग्य नही बचा है। हमें जल्द से जल्द अनेक उपाय करने चाहिए और हर संभव प्रयास करना चाहिए कि जल प्रदूषित न हो।

जल संरक्षण का तात्पर्य

जल संरक्षण से तात्पर्य यह है कि हमें जल अव्यय को रोकना चाहिए। आज के समय मे हमें जल अधिक से अधिक मात्रा में बचाना चाहिए, वर्षा के दौरान बेवजह बह जाने वाले जल या किसी अनावश्यक कार्य के लिए उपयोग में लाया गया जल उसे हम सब को बचाना चाहिए। जितनी मात्रा में उसका उपयोग करना है, उतना ही करना चाहिए और कोशिश करना चाहिए कि उससे कम में ही हो जाये।

हमारे पृथ्वी का तीन चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है। परन्तु यह भी सच्चाई है कि पीने योग्य जल की मात्रा बहुत कम सीमित रह गयी है। जल का संरक्षण करना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। आपको बताते चलते हैं पृथ्वी के भीतर स्तिथ जल की अधिक मात्रा में खिंचाई होने के कारण जल का स्तर और गिरता चला जा रहा है।

इसके अलावा प्रदूषित जल होने के कारण उपयोग में नही आ पा रहा है, यह आने वाले समय मे घोर संकट का संदेश है। इसलिए हमें अभी से जागरूक हो जाना चाहिए और जल को अधिक से अधिक बचाना चाहिए।

जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियां व उपाय

जैसा कि आपको ज्ञात होगा कि जल प्रदूषण से बहुत सी बीमारियों का सामना करना पड़ता है, जल प्रदूषण से मानव जाति को ही नुकसान नहीं पहुंचाता अपितु जलीय जीव पशु पक्षियों आदि को भी इसका सामना करना पड़ता है। अनेक से ऐसे कारखाने हैं, जिनमें विषैला जल निकलता है और सीधे नदियों नहरों तालाबों आदि में जाकर मिलता है और प्रदूषित हो जाता है, जिस कारण लोगों हैजा, मलेरिया, टाइफाइड, हैपेटाइटिस, दस्त और भी अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ता है।

बहुत सी ऐसी बीमारियां होती हैं, जो प्रदूषित जल के कारण ही होती है। आज के समय लगभग 80 प्रतिशत बीमारियां प्रदूषित जल के कारण हो रही हैं। अगर ऐसे ही रहा तो हमें इससे होने वाले और नही दुष्प्रभावों को झेलना पड़ेगा। हमें जल्द से जल्द इस बीमारी से निजात पाने के लिए अनेक उपाय करने चाहिए और प्रकति से जुड़े रहना चाहिए।

आज के इस दौर में बढ़ते जल प्रदूषण को देखते हुए सरकार द्वारा बहुत से अभियान चलाए जा रहे हैं। हर जगह नदियां, तालाब आदि का विशेष ध्यान रखा जा रहा है तो हमारा भी यह कर्तव्य बनता है कि हमें अपनी तरफ से जल बचाना चाहिए, उसकी बर्बादी नही करनी चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए।

सबसे पहले तो जो लोग नदियों तालाबों नहरों कुओं आदि के किनारे बैठकर नहाते और कपड़े धुलते हैं, उसके पश्चात साबुन का इस्तेमाल करते हैं, वह जल में जाकर मिलता है, जिससे जल प्रदूषित होता हैं, उन्हें रोकना चाहिए और उन्हें समझाना चाहिए और इसके अलावा हमें बड़े बड़े गड्डों में जल को एकत्रित करना होगा।

लोगों को जल बचाने के लिए जागरूक करना होगा वर्षा में हो रहे जल को भी एकत्रित करना होगा। कारखानों से आ रहे दूषित जल को नदियों, तलाबों आदि में मिलने से रोकना होगा और सभी को आवश्यकता अनुसार की जल को खर्च करने की सलाह देनी होगी। इन प्रयासों से हम जल दूषित होने और जल कम होने से कुछ मात्रा में रोक सकते हैं।

जल वह महत्वपूर्ण तत्व है, जिसके बिना हम और हमारा जीवन दोनों अधूरे हैं। जल ही जीवन है जल के बिना पृथ्वी पर गुज़र बसर कर पाना संभव नहीं है। जल मानव जाति ही नहीं बल्कि संसार मे सजीव तत्वों को भी जीवित रहने के लिए महत्वपूर्ण भूमिक अदा करती है।

आज जल की हो रही इस कमी को देखते हुए हम सबको मिलकर अनेक प्रयास करने चाहिए और जैसा कि हमने बताया लोगों को जागरूक करना चाहिए। इन समस्याओं से बचने के लिए जल संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए।

भूमंडल के निचले स्तर के गर्म होने के कारण नदियों के जमीनी सतह के ग्लेशियर तेज़ी से गर्म हो रहे हैं। परन्तु अगर हम जल संरक्षण को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे तो हम अधिक से अधिक मात्रा में जल का स्तर बढ़ा लेंगे और अनेक बीमारियों से बचेंगे।

हमने यहाँ पर जल ही जीवन है निबंध हिंदी में (jal hi jivan hai nibandh) के बारे में जानकारी प्राप्त की है। उम्मीद करते हैं आपको यह लेख अवश्य पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरुर करें। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।

  • जैव विविधता पर निबंध
  • पृथ्वी बचाओ पर निबंध
  • जलवायु परिवर्तन पर निबंध
  • पानी बचाओ पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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Thanks for this essay……it’s so helpful…. and I’ll done my homework….. thank u so much ??

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Jal hi jeevan hai essay in hindi जल ही जीवन है पर निबंध.

Read Jal Hi Jeevan Hai Essay in Hindi जल ही जीवन है पर निबंध. Students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12 need this essay. So read short and easy Jal Hi Jeevan Hai Essay in Hindi जल ही जीवन है पर निबंध.

Jal Hi Jeevan Hai Essay in Hindi

Jal Hi Jeevan Hai Essay in Hindi

जल ही जीवन है, जल से ही जीवन है, या यूं भी कह सकते हैं कि जल में ही जीवन है। ऐसा कहने का तात्पर्य ?? पानी के अनेकों नाम है, हम कई नामों से पानी को पुकारते हैं- जल, वारी, नीर, अंबु, सलिल। पानी सभी जीव जंतुओं के जीवित रहने के लिए आवश्यक है, पानी के बगैर इस पृथ्वी पर किसी भी प्राणी का जी पाना संभव नहीं है।

वैसे कहें तो हमारी पृथ्वी का 70% भाग ही पानी है परंतु पीने लायक स्वच्छ पानी केवल 2% के भाग में ही है। पीने का पानी हमें अलग-अलग जगहों से प्राप्त होता है, जैसे नदियां, तालाब, वर्षा का पानी, भूमिगत पानी परंतु इन सभी जल स्त्रोतों में दिन-ब-दिन कमी आती जा रही है जो कि अपने आप में चिंता की बात है। पानी हमारे जीवन का अभिन्न अंग है, अत्यंत महत्वपूर्ण है हमारे लिए।

यहां तक कि मानव शरीर का 70% भाग भी जल से ही बना है अर्थात जल के बिना जीवन की कल्पना करना भी संभव नहीं है, क्योंकि मनुष्य भोजन के बिना तो काफी अवधि तक रह सकता है परंतु बिना पानी के मानव शरीर जीवित नहीं रह सकता है और अगर पूरा 1 सप्ताह पानी ना मिले तो मृत्यु भी संभव है। उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं।

सुधार के उपाय: विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों।कलकारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिएं।

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जल ही जीवन है। Jal Hi Jeevan Hai Par Nibandh

by StoriesRevealers | May 13, 2020 | Essay in Hindi | 0 comments

Jal hi Jeevan hai Essay in Hindi

Jal hi Jeevan hai Essay in Hindi : जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी कि वजह से हि पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है। पृथ्वी पर जीवन जारी रखना बहुत महत्वपूर्ण है। पानी के बिना किसी भी ग्रह पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। संपूर्ण ब्रह्मांड में पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है, जहाँ पानी और जीवन मौजूद है। इसलिए, हमें अपने जीवन में पानी के महत्व को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए और सभी संभव तरीकों का उपयोग करके पानी को बचाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। पृथ्वी लगभग 71 प्रतिशत पानी से घिरा हुआ है, हालांकि, पीने के लिए बहुत कम पानी है, जल संतुलन का प्राकृतिक चक्र संचालित रूप से बारिश और वाष्पीकरण की वजह से चलता है, हालांकि, पृथ्वी पर पानी है और यह पीने योग्य है, जो कि बहुत कम मात्रा में उपलब्ध है। लोगों के अच्छे व्यवहार से जल संरक्षण संभव हो सकता है।

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हमें पानी क्यों बचाना चाहिए?

पहले आपको पानी के महत्व को जानना होगा, यही कारण है कि पानी हमारे जीवन में मूल्यवान है। ऑक्सीजन, पानी और भोजन के बिना जीवन संभव नहीं है। लेकिन तीनों में सबसे महत्वपूर्ण पानी है। अब प्रश्न उठता है कि कितने प्रतिशत शुद्ध जल पृथ्वी पर मौजूद है। 

Jal hi Jeevan hai Essay in Hindi

Jal hi Jeevan hai Essay in Hindi

आंकड़ों के अनुसार, यह अनुमान है कि पृथ्वी पर 1 प्रतिशत से भी कम पानी पीने योग्य है। अगर हमें दुनिया के पीने के पानी और आबादी का पूरा अनुपात लगए तो पता चलता है कि पुरी दुनिया मे एक अरब लोग 1 गैलन पानी से अधिक नही प्राप्त होता। यह भी आकलन किया गया है कि 2025 तक 3 बिलियन से अधिक लोग पानी की कमी का सामना करेंगे हैं।

अब लोग साफ पानी के महत्व को समझने लगे हैं, हालांकि वे पानी को पूरी तरह से बचाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। पानी बचाना एक अच्छी आदत है, और सभी को पृथ्वी पर जीवन बचाए रखने के लिए अपनी पूरी कोशिश करनी चाहिए। कुछ साल पहले, कोई भी दुकान में पानी नहीं बेचता था, हालांकि अब समय बहुत बदल गया है और अब हम देख सकते हैं कि शुद्ध पानी की बोतल हर जगह बेची जा रही है। अतीत में, लोग दुकानों में बिकने वाले पानी को देखकर आश्चर्यचकित होते थे, हालांकि, अब, वे अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए 20 रुपये प्रति बोतल या उससे अधिक देने के लिए तैयार हैं। हम स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं कि आने वाले वर्षों में दुनिया भर में स्वच्छ पानी की कमी होगी। नीचे, हमने कुछ तथ्य दिए हैं जो आपको बताएंगे कि स्वच्छ पानी आज हमारे लिए कितना मूल्यवान हो गया है

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  • जलजनित बीमारियों के कारण 4 मिलियन से अधिक लोगों की मौत हो जाती है।
  • अधिकांश विकासशील देश साफ पानी की कमी और गंदे पानी से होने वाली बीमारियों से पीड़ित हैं।
  • पानी से होने वाली बीमारियों के कारण हर 15 सेकंड में एक बच्चे की मौत हो जाती है।
  • दुनिया भर में लोगों ने पानी की बोतलों का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जिसकी लागत  60 डॉलर से 80 डॉलर बिलियन प्रति वर्ष है।
  • भारत, अफ्रीका और एशिया के ग्रामीण क्षेत्रों में, लोगों को साफ पानी के लिए लंबी दूरी (लगभग 4 किमी से 5 किमी) तय करनी पड़ती है।
  • भारत में जल जनित बीमारियों के कारण लोग पीड़ित हैं, जिसके कारण भारत की अर्थव्यवस्था बहुत प्रभावित हुई है।

पानी बचाने के तरीके

हमने अपनी जीवनशैली में कोई बदलाव किए, पानी बचाने के कुछ शानदार तरीके साझा किए। घरेलू सदस्य घरेलू कार्यों के लिए प्रति दिन 240 लीटर पानी खर्च करते हैं। चार सदस्यीय का एक छोटा परिवार प्रति दिन 960 लीटर और प्रति वर्ष 350400 लीटर खर्च करता है। पानी की कुल खपत का केवल 3 प्रतिशत भोजन पीने और खाना पकाने के लिए उपयोग किया जाता है, बाकी पानी का उपयोग अन्य जैसे स्नान, कपड़े धोने, पौधों आदि के लिए किया जाता है। 

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जल संरक्षण के कुछ सामान्य नुस्खे

  • हर किसी को अपनी ज़िम्मेदारी समझनी चाहिए खाना पकाने और भोजन के उपयोग के अतिरिक्त पानी को बचना चाहिए।
  • अगर धीरे-धीरे हम सभी लोग पानी की बचत करना शुरू कर देंगे, ता उस पानी का इस्तेमाल शौचालय में पानी डालकर, उसकी सफाई आदि करेंगे, अतिरिक्त पानी की बचत संभव हो सकती है।
  • हमें शौच, कपड़े धोने और पौधों के लिए बारिश के पानी को बचाना चाहिए।
  • हमें अपने कपड़े वॉशिंग मशीन में तभी धोना चाहिए जब वह पुरी तरह से गंदे हो चुके हो। इस तरह, हम प्रति माह 4500 लीटर पानी के साथ-साथ बिजली भी बचाएंगे।
  • शावर से स्नान करने के बजाय बाल्टी और मग का उपयोग करें, जिससे प्रति वर्ष 150 से 200 लीटर पानी की बचत होगी।
  • हमें हर उपयोग के बाद अपना नल ठीक से बंद कर देना चाहिए, जिससे हर महीने 200 लीटर पानी की बचत होगी।
  • होली के त्योहार के दौरान पानी के अत्यधिक उपयोग के कारण, सूखे को सुरक्षित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • पानी की बर्बादी से खुद को बचाने के लिए, हमें उन लोगों की खबर से अवगत होना चाहिए जो अपने जीवन के लिए पानी की प्रत्येक बूंद के लिए रोजाना संघर्ष कर रहे हैं।

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जल ही जीवन है पर निबंध (Jal Hi Jeevan Hai Essay In Hindi)

जल ही जीवन है पर निबंध (Jal Hi Jeevan Hai Essay In Hindi)

आज   हम जल ही जीवन है पर निबंध (Essay On Jal Hi Jeevan Hai In Hindi) लिखेंगे। जल ही जीवन है पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

जल ही जीवन है पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Jal Hi Jeevan Hai In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

जल को हमारे जीवन का मूल्यवान धरोहर कहे या ये कहे की इसके बिना जीवन के बारे में सोच भी नही सकते, तो ये गलत भी नहीं होगा। क्योंकि जल है तो जीवन है। जल हमारी पृथ्वी में लगभग 71 प्रतिशत है।

इसमें से हमारे पीने योग्य केवल 3 प्रतिशत ही पानी है। जिसे अलवणीय जल कहा जाता है और इसका बहुत छोटा भाग ही मानव उपयोग के लिए उपलब्ध है। अलवणीय जल की उपलब्धता समय और स्थान के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है। इस प्रकार जल के विकास के लिए जल का मूल्यांकन और संरक्षण आवश्यक हो गया है।

हमारे देश भारत के जल संसाधन

भारत में विशव के धरातलीय क्षेत्र का लगभग 2.45 प्रतिशत, जल संसाधनों का 4 प्रतिशत और जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत भाग पाया जाता है। देश में एक वर्ष में वर्णन से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4,000 घन की. मि. है।

धरातलीय जल और पुनः पूर्तियोग जल से 1,869 घन की. मि. जल उपलब्ध है। इसमे से केवल 60 प्रतिशत जल का लाभदायक उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार हमारे देश में जल संसाधन 1,122 घन की. मि. है।

जल के स्त्रोत

पृथ्वी पर जल के चार मुख्य स्त्रोत है। जो की है नदियाँ, झीलें, तलैया, तलाब। देश में कुल नदिया तथा सहायक नदिया जिनकी लम्बाई 1.6 की. मि.से अधिक है, ऐसी नदियों को मिलाकर 10,360 नदियां है। भारत में सभी नदी बेसिनों में औसत वार्षिक प्रवाह 1,869 घन की. मि.होने का अनुमान किया गया है।

फिर भी स्थलाकृतिक, जलीय और अन्य दबावों के कारण प्राप्त धरातलीय जल का केवल लगभग 690 घन की. मि (32%) जल का ही उपयोग किया जा सकता है। कुछ नदिया जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु के जल ग्रहण क्षेत्र बहुत बड़े है। गंगा, ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में वर्षा अपेक्षाकृत अधिक होती है।

ये नदिया यधापि देश के कुल क्षेत्र के लगभग एक तिहाई भाग पर पाई जाती है, जिनमे कुल धरातलीय जल संसाधनों का 60 प्रतिशत जल पाया जाता है। दक्षिण भारतीय नदिया जैसे गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में वार्षिक जल प्रवाह का अधिकतर भाग काम में लाया जाता है। लेकिन ऐसा ब्रह्मपुत्र और गंगा बेसिनों में अभी भी सम्भव नहीँ हो सका है।

जल की जरूरत और उसका उपयोग

पारम्परिक रूप से भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसकी जनसंख्या का लगभग दो – तिहाई भाग कृषि पर निर्भर है। इसलिये पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि उत्पादन को बढाने के लिए सिचाई के विकास को एक अति उच्च प्राथमिकता प्रदान की गई है।

और बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना जैसे भाखड़ा नागल, हीराकुंड, दामोदर घाटी परियोजना, नागार्जुन सागर परियोजना, इंदिरा गांधी नहर परियोजना आदि शुरू की गईं है। वास्तव में वर्तमान में जल की माँग सिचाईं की आवश्यकता के लिए अधीक है।

हमारी पृथ्वी का भूजल सबसे अधिक कृषि में इस्तेमाल किया जाता है। इसमे धरातलीय जल का 89 प्रतिशत और भूजल का 92 प्रतिशत जल का उपयोग किया जाता है। जबकि ओधोगिक सेक्टर में सतह जल केवल 2 प्रतिशत और भूजल का 5 प्रतिशत भाग ही उपयोग में लाया जाता है।

घरेलू सेक्टर में धरातलीय जल का उपयोग भूजल की तुलना में अधिक 9 प्रतिशत है। कुल जल के क्षेत्र में कृषि क्षेत्र का भाग दूसरे सेक्टरों से अधिक है। फिर भी भविष्य में भी और अभी भी ओधोगिक और घरेलू सेक्टर में जल का उपयोग बढ़ने की सम्भावना है।

किन राज्यो में जल उपयोग अधिक है।

पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और तमिलनाडु राज्यो में भूजल का उपयोग बहुत अधिक है। परंतु कुछ राज्य जैसे छतीसगढ़, ओडिशा, केरल आदि अपने भूजल क्षमता का बहुत कम उपयोग करते है।

गुजरात, उत्तरप्रदेश, बिहार, त्रिपुरा और महाराष्ट्र्र अपने भूजल संसाधनों का मध्यम दर से उपयोग कर रहे है। यदि वर्तमान प्रवर्ती जारी रहती है, तो जल के माँग की आपूर्ति करने की आवश्यकता होगी। ऐसी स्थिति विकास के लिए हानिकारक होगी और सामाजिक उथल-पुथल और विघटन का कारण हो सकती है।

जल के गुणों का हास

जल की गुणवत्ता से तातपर्य जल की शुद्धता अथवा अनावश्यक बाहरी पदार्थो से रहित जल से है। जल बाहरी पदार्थ जैसे सूक्ष्म जीव, रासायनिक पदार्थो, ओधोगिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थो से प्रदूषित होता है। इस प्रकार के पदार्थ जल के गुणों में कमी लाते है और इसे मानव उपयोग के योग्य नहीं रहने देते।

जब विषैले पदार्थ झीलों, झरनों, नदियों, समुद्रों और अन्य जलाशयों में प्रवेश करते है। तो वे जल में घुल जाते है अथवा जल में निलंबित हो जाते है। इससे जल प्रदूषण बढ़ता है और जल के गुणों में कमी आने से जलीय तंत्र (aquatic system) प्रभावित होते है।

कभी-कभी प्रदूषक नीचे तक पहुँच जाते है और भूजल को प्रदूषित करते है। हमारे देश में गंगा और यमुना ऐसी पवित्र नदियां है, जो सबसे अधिक प्रदूषित है। परंतु अभी इनको साफ रखने के कई कार्य चल रहे है।

विशव जल दिवस

22 मार्च को मनाने वाले विशव जल दिवस के दिन, देश के कई जगहों पर विभिन्न कार्यक्रम किये जाते है। 1933 से मनाये जा रहे इस दिवस को आज भी काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विशव के सभी विकसित देशो को स्वस्छ और साफ जल की उपलब्धता करना, साथ ही जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करना है।

सबसे पहले यह जल दिवस ब्राजील और रियो डी जेनेरियो में वर्ष 1922 में आयोजित किया गया था। पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा  आयोजित किये कार्यक्रम में विशव जल दिवस मनाने की सबसे पहले पहल की गयी थी।

तथा 1993 में सयुक्त राष्ट्र ने अपने सामान्य सभा के द्वारा निर्णय लेकर इस दिन को वार्षिक उत्सव मनाने का निर्णय लिया था। और इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगो को साफ और स्वच्छ जल प्रदान करना है।

जल जीवन मिशन

हमारी भारत सरकार द्वारा जल जीवन मिशन को साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये खर्च करके प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदी ने इसका एलान किया। इस मिशन के तहत घर-घर में पाइप के द्वारा पानी पहुचाने का लक्ष्य है।

73 वे स्वत्रंत्रता दिवस पर लाल किले से राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए मोदी जी ने कहा की, देश में अभी करीब 50 फीसदी परिवार को पाइप के द्वारा पानी नही मिल पा रहा है। जल संकट का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा की सरकार ने एक विशेष काम की तरफ बल देने का निर्णय लिया है।

और वह काम है, हमारे देश के हर घर में जल पहुंचाना। हर घर को पीने का शुद्ध जल मिले, इस उद्देश्य की पूर्ति करने के लिए उन्होंने एलान किया की हम इस मिशन को बहुत आगे लेकर जाएंगे, ताकि सभी को स्वस्छ और साफ जल की प्राप्ति हो सके।

उन्होंने कहा की जल मिशन के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कार्य करेंगी और आने वाले वर्षों में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा रकम इस मिशन के लिए खर्च करने का हमने संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री जी ने बताया की जल जीवन मिशन पर आगामी वर्षो में करीब 3.5 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।

मोदी जी ने कहा की हमे जल संरक्षण के प्रयासो में अधिक तेजी लानी होंगी। उल्लेखनीय है की सरकार ने 2024 तक हर घर में नल के जरिये पानी पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। मोदी जी ने प्रत्येक घर में पानी की उपलब्धता के तहत इस मिशन की शुरुआत की है।

भारतिय राष्ट्रिय जल नीति 2002 की विशेषता

(1) सिचाई और बहुउद्देशीय परियोजना में पीने का जल घटक में सम्मिलित करना चाहिए, जहां पेय जल का स्त्रोत कुछ भी नही है।

(2) पेय जल सभी मानवजाति और प्राणियों को उपलब्ध कराना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

(3) भूमि के जल के शोषण को सीमित और नियमित करने के लिये कोई उपाय करना जरूरी है।

(4) सतह और भूजल दोनों की गुणवत्ता के लिए नियमित जॉच होनी चाहिए। जल की गुणवत्ता को सुधारने के लिए एक चरणबद्ध कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए।

(5) जल के सभी विविध प्रयोगों में कार्यक्षमता सुधारनी चाहिए।

(6) दुर्लभ संसाधनों के रूप जल के लिए जागरूकता विकसित करना चाहिए।

(7) शिक्षा विनिमय, उपकरणों, प्रेरको और अनुकर्णो द्वारा संरक्षण चेतना बढ़ानी चाहिए।

जल क्रांति अभियान (2015-16)

जल एक पुनः उपयोगी संसाधन है। लेकिन इसकी उपलब्धता सीमित है। जल क्रांति अभियान की शुरुआत भारत सरकार ने 2015-16 में आरम्भ कि थी। जिसका मुख्य उद्देश्य देश में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है। भारत के विभिन्न क्षेत्रो में लोग पारम्परिक तरीको से जल संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित करते है।

जल क्रांति अभियान का लक्ष्य स्थानीय निकाय और सरकारी संगठन एवं नागरिको को सम्मिलित करके, इस अभियान के उद्देश्य के बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिश करना है। ताकि जल क्रांति अभियान को अत्याधिक महत्व दिया जाए। जल क्रांति अभियान इर तरह से बनाया गया है की, जल सुरक्षा द्वारा खाध सुरक्षा और आजीविका प्रदान की जाए।

जल संरक्षण (पानी की बचत)

पानी के लिए रहीमदास जी ने बहुत पहले ही चेतावनी दे दी थी। परन्तु हम मनुष्य किसी भी बात को समझने में काफी देर लगा देते है और जब समझते है तब समय निकल चुका होता है। जैसे उन्होंने कहा था

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सुन। पानी गए ना उबरे, मोती मानुष चुन।।

इसका अर्थ है की जिस प्रकार आटे को पानी के बिना नरम नही किया जा सकता और मोती का मूल्य उसकी चमक के बिना नही हो सकता। उसी प्रकार मनुष्य को भी अपने व्यवहार में पानी जैसी विनम्रता लानी चाहिए, क्योंकि अच्छा पानी और अच्छी वाणी अगर ना हो तो केवल नुकसान ही हाथ आता है।

जो की हम वर्तमान में देख ही रहे है। पानी के बिना कितना नुकसान और तकलीफ हमे उठानि पड़ती है। इसलिये पानी को बचाये और अपना जीवन अच्छा बनाये।

घरेलू जल संरक्षण के उपाय

हम चाहे तो हमारे दैनिक कार्य में खर्च होने वाले पानी की बचत करे, तो बहुत पानी को बचा सकते है। उसके लिए कुछ उपाय कुछ इस प्रकार है।

(1) बर्तन धोते समय, ब्रश करते समय, दाढ़ी बनाते समय नल को तभी खोले जब पानी की आवश्यकता हो। ना की पहले से ही नल खोलकर पानी की बर्बादी करे।

(2) नहाते समय शावर की जगह बाल्टी का प्रयोग करे, इससे पानी की बचत होंगी। इस काम के लिए भारत रत्न से सम्मानित सचिन तेंदुलकर जी से प्रेरणा ले सकते है। जो केवल एक बाल्टी से नहाते है।

(3) गाड़ी धोते वक्त भी नल की जगह बाल्टी का इस्तेमाल करना चाहिए।

(4) वाशिंग मशीन में थोड़े थोड़े कपड़े धोने के अपेक्षा एक बार ही सारे कपड़े धोये।

(5) जहां कहि भी नल लीक हो रहे है उन्हें सही करवाये, क्योंकि इससे भी पानी का बहुत नुकसान होता है।

(6) बर्तन धोने के लिए बाल्टी का प्रयोग करे, इससे पानी का नुकसान नही होता है।

(7) बागबग़ीचे में पानी पाइप से देने की अपेक्षा, वाटर केन का प्रयोग करना चाहिए।

(8) सिंचाई क्षेत्र हेतु कृषि के लिए कम लागत की आधुनिक तकनीकों को अपनाना जल संरक्षण हेतु उपयोगी है।

(9) पानी की कमी से बचने के लिए वृक्षारोपण करना चाहिए। जिससे अच्छी बारिस होंगीं और पानी की समस्या कम हो सकती है।

(10) पानी की उपयोगिता को कम करने के लिए ओधोगिक क्षेत्र, कारखानों आदि में आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना चाहिए, जिससे पानी का कम नुकसान होगा।

हमारी पृथ्वी पर पानी की मात्रा सीमित है और इस बात की जानकारी सभी को रखनी चाहिए। क्योंकि जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन सम्भव नहीँ है। इसके लिए हमे इसके महत्व को समझना होंगा। वरना ऐसा ना हो की हम पानी को पीना तो दूर देख भी ना सके।

इसलिए अभी से इसके संरक्षण के बारे में सोचना और पानी की बचत करना बहुत जरूरी है। सरकार और कई संस्थाएं, साथ ही कई अभियान भी पानी के लिए जागरूकता फैला रहे है। तो हमे भी इन पानी बचत के कार्यक्रम में पूरा-पूरा सहयोग देते हुए पानी की बचत करनी चाहिए।

क्योंकि बहुत कीमती है ये पानी किसी सोने चांदी से कम नही है। इसलिए इसके महत्व को समझिए और जल की बचत करिए, जल है तो हम है, जल है तो जीवन है।

इन्हे भी पढ़े :-

  • 10 Lines On Jal Hi Jeevan Hai In Hindi Language
  • जल प्रदूषण पर निबंध (Water Pollution Essay In Hindi)
  • जल है तो कल है पर निबंध (Jal Hai To Kal Hai Essay In Hindi)
  • जल संरक्षण पर निबंध (Water Conservation Essay In Hindi)
  • पानी बचाओ पर निबंध (Save Water Essay In Hindi)

तो यह था जल ही जीवन है पर निबंध , आशा करता हूं कि जल ही जीवन है पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Jal Hi Jeevan Hai) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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जल ही जीवन है पर निबंध (Jal hi Jeevan hai Essay Hindi)

👀 इस पेज पर नीचे लिखा हुआ  जल ही जीवन है पर निबंध (Jal hi Jeevan hai Essay Hindi) आप को अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए निबंध लिखने में सहायता कर सकता है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयों पर हिंदी में निबंध मिलेंगे (👉  निबंध सूचकांक ), जिन्हे आप पढ़ सकते है, तथा आप उन सब विषयों पर अपना निबंध लिख कर साझा कर सकते हैं

जल ही जीवन है पर निबंध Jal hi Jeevan hai Essay Hindi

‘जल ही जीवन है’ यह कथन बिल्कुल सत्य है। क्योंकि पानी के बिना इस धरती पर जीवन की कल्पना करना भी  मुश्किल है। जल एक ऐसी कीमती चीज़ है, जिसके बिना इंसान का कोई अस्तित्व ही नहीं। जल हमारे लिए ईश्वर का दिया हुआ वरदान है। यह न केवल पीने के काम आता है, बल्कि इससे हम नहाते, कपड़े धोते हैं, खाना पकाते हैं और साफ़ सफ़ाई भी करते हैं। पानी न केवल मनुष्य के लिए ज़रूरी है, बल्कि जीव-जंतुओं और पंछियों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

पानी का हमारे जीवन में बहुत ज़्यादा महत्व है, इसीलिए इसे बर्बाद होने से बचाना भी हमारा कर्तव्य है। जिस तरह से आज के समय में जल प्रदूषण बढ़ा है, वह बहुत ही दुखद है। यदि आज हमने धरती के पानी की बचत नहीं की और उसकी बिना वजह बर्बादी को नहीं रोका, तो आने वाले समय में धरती पर पानी का नामों निशान नहीं बचेगा। और हमारी आने वाली पीढ़ी बिना पानी के धरती पर जीवित नहीं रह सकेगी।

जल ही जीवन है पर निबंध (Jal hi Jeevan hai Essay Hindi) –

💦 जल ही जीवन है पर निबंध (Jal hi Jeevan hai Essay Hindi) पर यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

प्रस्तावना (Introduction) –

पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग पानी से ढका हुआ है, जिसमें से केवल तीन प्रतिशत पानी ही पीने योग्य है। इसलिए अगर हम चाहते हैं कि भविष्य में हमें पानी की कमी की गंभीर समस्या से न जूझना पड़े तो हम सबको मिलकर पानी की बचत और उसकी बर्बादी रोकनी होगी। जब लोगों के पास पानी बहुत होता है तो उन्हें उसकी कदर नहीं होती, लेकिन जब उनके पास पानी की कमी हो जाती है तब उन्हें पता चलता है कि पानी कितना कीमती है। हम पर ऐसी स्थिति न आ पड़े इसलिए हमें पहले से ही जल को दूषित होने से बचाना होगा।

जल का महत्व (Importance of Water) –

जल जैसे मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण है, वैसे ही यह जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों और पृथ्वी के अन्य प्राणियों के लिए भी ज़रूरी है। हमारे शरीर का आधा वजन ही पानी से बना हुआ है। बिना जल के पृथ्वी पर जीवन ही असंभव है। क्योंकि जल के बिना मनुष्य तड़पने लगता है और दम घुटने से उसकी मौत हो जाती है। 

जल के बिना पंछियों और अन्य प्राणियों का भी यही हाल होता है। कुछ फसलें ऐसी होती हैं, जो पानी के बिना पैदा ही नहीं होती हैं। जैसे – गेहूं, चांवल, मक्का आदि। पानी के बिना पेड़-पौधे मुरझा जाते हैं और ऑक्सीजन की कमी से मृत्यु हो जाती है।

जल का निर्माण कैसे होता है (How is Water Formed) –

जल एक ऐसा पदार्थ है, जो दो हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के अणुओं से मिलकर बनता है। इसलिए जल का रासायनिक सूत्र H2O है। यदि आसान शब्दों में कहें तो हाइड्रोजन की एक ऑक्साइड के रूप में जब हाइड्रोजन या हाइड्रोजन-यौगिक जलते हैं या ऑक्सीजन या ऑक्सीजन-यौगिकों के साथ में प्रतिक्रिया करते हैं, तब जाकर जल का निर्माण होता है। जल एक ऐसा पदार्थ है, जिसकी तीन अवस्थाएं होती हैं –

(1) ठोस (Solid)

(2) द्रव्य (Liquid)

(3) गैस (Gas)

जल प्रदूषण से जल में कमी (Water Loss Due to Water Pollution) –

पृथ्वी पर जल की कमी का एक मुख्य कारण जो है, वह जल प्रदूषण है। लोग नदी, तालाबों आदि में नहाते हैं, कपड़े धोते हैं, जानवरों को स्नान कराते हैं, जिससे पानी दूषित हो जाता है और पीने योग्य नहीं बचता।

इसके अलावा लोग प्लास्टिक का इस्तेमाल करके भी जल को प्रदूषित करते हैं। प्लास्टिक जल प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है। प्लास्टिक एक ऐसी चीज़ है, जो नष्ट नहीं होती और लोग इसे जब तालाबों और नदियों में फेंकते हैं तो धीरे धीरे वो वहां इकट्ठा होती है और जल प्रदूषण का कारण बनती है।

इसके अलावा फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल भी जल प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है। फैक्ट्रियों से निकलने वाला केमिकल या गंदा पानी जब नदियों और तालाबों में जाकर मिलता है तो वो पानी पीने लायक नहीं बचता और इस तरह लोगों को पानी की कमी की समस्या का सामना करना पड़ता है।

जल संरक्षण के उपाय क्या हैं (Water Conservation Measures in Hindi) –

जिस तरह पानी की बर्बादी के कई तरीके हैं, उसी तरह पानी बचाने यानी जल संरक्षण के उपाय भी कई हैं। पानी बचाने के लिए आपको केवल नीचे बताई गई छोटी छोटी चीजों पर ध्यान देना है –

• ब्रश करते समय, दाढ़ी बनाते समय या सिंक में बर्तन धोते समय आप नल तभी खोलें जब आपको पानी की ज़रूरत हो। बिना वजह पाइप खोलने से केवल पानी की बर्बादी होगी।

• नहाते वक्त आप शॉवर के बाजए यदि बाल्टी और मग का इस्तेमाल करते हैं तो पानी की काफी हद तक बचत हो सकती है। 

• गाड़ी धोते वक्त भी आपको पाइप का इस्तेमाल करने की बजाए मग और बाल्टी का इस्तेमाल करके गाड़ी को धोना चाहिए।

• यदि कहीं पाइप या नल लीक कर रहा हो तो उसे फौरन बदलवाएं, क्योंकि इससे काफी पानी बिना वजह बह जाता है।

• वाशिंग मशीन में थोड़े थोड़े कपड़े धोने की बजाए, एक साथ सारे कपड़े धोने की कोशिश करें।

• पेड़ों में पाइप से पानी देने की बजाए, वॉटर टैंक से पानी देने पर पानी की बचत होती है।

• नदियों और तालाबों में नहाने और कपड़े आदि धोने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

• कारखानों या फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल या गंदे पानी नदियों को गंदा करते हैं। इनके ऊपर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

• वर्षा के पानी को संचय करने का प्रयत्न करना चाहिए।

• ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाने चाहिए। क्योंकि जहां पेड़ होते हैं, उस क्षेत्र में अधिक वर्षा होती है। और वर्षा से नदियों में जल अच्छी तरह जाकर भर जाता है। इसके अलावा पेड़ पौधे स्वच्छ पर्यावरण के लिए भी बहुत अच्छे होते हैं।

• यदि आपके पास पालतू जानवर हैं तो आप उन्हें अपने बगीचे में नहला सकते हैं। इससे आपका जानवर नहा भी लेगा और बगीचे को भी पानी मिल जाएगा।

• अगर किसी सार्वजनिक स्थलों की नल खराब हैं तो उन्हें जल्द से जल्द ठीक कराने का प्रयत्न करके भी अधिक मात्रा में जल की बचत की जा सकती है।

निष्कर्ष (Conclusion) – 

हमारी पृथ्वी पर पानी एक सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है। यदि हमने इसे बचाने और इसका दुरुपयोग बंद नहीं किया तो हमारी आने वाली पीढ़ी को पानी की एक एक बूंद के लिए तरसना पड़ सकता है। इसलिए सरकार और हम सबको पानी को संरक्षित करने और उसे बर्बाद होने से बचाने के लिए अलग अलग तरह के प्रयास करने चाहिए। तभी जाकर हम धरती पर पानी की कमी को रोक सकते हैं। क्योंकि जल ही जीवन है। 

जल के बिना कुछ भी मुमकिन नहीं। यह धरती नहीं, यह हरियाली नहीं, न मनुष्य, न जानवर, न पंछी कोई भी नहीं। हम सबका यह कर्तव्य है कि हम सब मिलकर अपने आने वाले भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए पानी की कीमत को समझें और उसको सुरक्षित करें।

👉 यदि आपको यह लिखा हुआ  जल ही जीवन है पर निबंध (Jal hi Jeevan hai Essay Hindi) पसंद आया हो, तो इस निबंध को आप अपने दोस्तों के साथ साझा करके उनकी मदद कर सकते हैं

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  • Essays in Hindi /

Importance of Water in Hindi: जल का महत्व 10 लाइन

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  • Updated on  
  • अगस्त 12, 2023

जल का महत्व पर निबंध

हमारा शरीर का 70% जल से बना हुआ है, केवल हमारा शरीर ही नहीं परंतु हमारी पूरी पृथ्वी दो-तीहाई जल से अच्छादित है। हमारे शरीर और जीवन की पूंजी जल, वायु और भोजन हैं। हमारे जीवन में अगर इनमें से अगर एक भी चीज न रही तो हमारा जीवन संकट में पड़ सकता है। आपने यह तो सुना ही होगा “जल ही जीवन है।” इस ब्लॉग में हम जल का महत्व (Importance of Water in Hindi) पर विभिन्न निबंध लिखना सीखेंगे।

This Blog Includes:

जल का क्या महत्व है, जल ही जीवन है पर निबंध, जल का महत्व पर निबंध 100 शब्द, जल के महत्व पर निबंध 300 शब्द, जल के महत्व पर निबंध पोस्टर, जल का महत्व निबंध 400 शब्द, जल का महत्व निबंध 500 शब्द, जल का महत्व इन हिंदी 10 लाइन, जल का महत्व 10 लाइन, जल का महत्व पर 10 अनमोल विचार.

मनुष्य के शरीर का 70% हिस्सा पानी का बना हुआ है। इंसान 5 दिन बिना खाना खाए रह सकता है लेकिन बिना पानी के एक दिन भी गुजारना मुश्किल हो जाता है। पानी केवल पीने के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन के उद्देश्यों जैसे स्नान, खाना पकाने, सफाई और कपड़े धोने आदि के लिए भी आवश्यक है। जल हाइड्रोजन के दो और ऑक्सीजन के एक अणु से मिल कर बनता है।

जब भी जल के महत्व की बात आती है हमारे दिमाग में सबसे पहली लाइन यही आती है ‘Jal hi Jeevan Hai’। हमारे शरीर की सरंचना ऐसे हुई है, जिसमें 70% हिस्सा जल का है। दुनिया के हर जीव को जीने के लिए जल की आवश्यकता होती है। पेड़-पौधों से लेकर जानवर तक हर जीव पानी की उपस्थिति के कारण मौजूद है।

पानी हमारे रोजमर्रा की जिंदगी के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। सफाई से लेकर खाना बनाने तक, कपड़े से लेकर, बर्तन साफ करने तक हर कार्य को करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। घर हो या बाहर हर जगह हमें पानी की आवश्यकता होती ही है और इसी को पूरा करने के लिए नए-नए तरह की तकनीक का उपयोग किया जा रहा है ताकि हमें कभी पानी की कमी महसूस न हो और हर जगह हमें पानी उपलब्ध मात्रा में मिल सके। हम जिस बिजली का उपयोग करते हैं वह भी पानी से ही बनती है।

पानी की कमी आज देश के लिए बड़ा मुद्दा बन चुकी है। देश के कई राज्य ऐसे हैं जहाँ अकाल पड़ रहा है। हम समाचार पत्र में पढ़ते ही रहते हैं कि कई देश और कई राज्य ऐसे है, जो अकाल से जूझ रहे हैं।

Importance of water in Hindi पर 100 शब्दों पर निबंध इस प्रकार है:

Importance of Water in Hindi (जल का महत्व )

“जल ही जीवन है”, इसका यह अर्थ है कि जहां पानी होता है वहां जीवन होता है। पूरे ब्रह्मांड में पृथ्वी पर ही जल पाया जाता है। जल हमें प्रकृति के द्वारा दिया गया है तो हमें इसका सम्मान करना चाहिए न कि इसका व्यर्थ में बर्बाद करना चाहिए। मनुष्य, जानवरों, पेड़ पौधे सभी के जीवन में जल का उपयोग होता है, जल के बिना जीवन असंभव है। दो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के अणुओं को मिलाकर जल बनता है। जल का रासायनिक सूत्र H2o है। सभी को हमेशा साफ और शुद्ध जल ही पीना चाहिए। पानी का एक एक बूंद भी बहुत कीमती होता है।

Importance of Water in Hindi

पानी सबसे महत्वपूर्ण पदार्थों में से एक है, जो पौधों ,जानवरों ,मनुष्य के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। पानी के बिना हम जीवन के बारे में सोच भी नहीं सकते। हमारे शरीर का आधा वजन पानी से बनता है, पानी के बिना दुनिया में कोई भी जीव जिंदा नहीं रह सकता। जीवन में पानी केवल पीने के लिए ही नहीं परंतु दैनिक जीवन में भी बहुत उपयोगी है जैसे कि स्नान करना ,खाना पकाना ,कपड़े धोने के लिए ,सफाई करने के लिए आदि ऐसी बहुत सारी चीजों के लिए आवश्यक है। जल की तीन अवस्थाएं होती है:

  • ठोस (solid)
  • द्रव्य (liquid)

पृथ्वी के 70% भाग पर जल विद्यमान है। यह जल महासागरों ,सागरों में  वितरित है। जल एक रासायनिक पदार्थ के रूप में भी काम आता है, यह रंगहीन और गंधहीन होता है। जल का क्वथनांक (boiling point)  1000 डिग्री सेल्सियस होता है। जल का सतही तनाव (surface tension) उच्च होता है, क्योंकि जल के अणु के बीच होने वाली अंत क्रिया कमजोर होती है। जल बहुत अच्छा विलायक साल्वेंट (solvent) होता है। इसका यह मतलब है कि जो पदार्थ अच्छी तरीके से पानी में घुल जाता है। जल की इस घुलनशील प्रवृत्ति को  हाइड्रोफिलिक (hydrophilic) का नाम दिया जाता है, जैसे कि नमक चीनी ,आदि। ऐसे भी कुछ पदार्थ होते हैं जो पानी में घुलनशील नहीं होते जैसे कि तेल और वसा। जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है, भविष्य में हमारे लिए जल का संरक्षण करना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

जल का महत्व निबंध के लिए पोस्टर नीचे दिया गया है-

पृथ्वी इस ब्रह्मांड में एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां पानी और ऑक्सीजन की उपलब्धता के कारण ही जीवन संभव है। जल पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों के लिए जीवन की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। हालाँकि पृथ्वी की सतह पर पानी की प्रचुर मात्रा का 97.5% पानी खारा है और 2.5% ताजा पानी (पीने के लायक) है। दुनिया का केवल 3% पानी एक ऐसे रूप में है जिसका हम उपयोग कर सकते हैं। हम प्रत्येक दिन बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग करते हैं, क्योंकि पानी कई अलग-अलग उद्देश्यों को पूरा करता है। 

2020 के लिए जल संरक्षण के प्रयासों में उत्तर प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ राज्य का दर्जा दिया गया है। जल शक्ति मंत्रालय ने जल संरक्षण की दिशा में उनके कार्यों और प्रयासों के लिए क्रमशः राजस्थान और तमिलनाडु को दूसरे और तीसरे स्थान से सम्मानित किया। देश को अपनी कृषि, सिंचाई, उद्योग और घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष 1,000 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता है। पानी का उपयोग तो लगातार बढ़ता जा रहा वहीं इसकी उपलब्धता में कमी होती जा रही है। पानी की इस कमी को पूरा करने के लिए सकारात्मक और प्रभावी कदमअपनाने होंगे।

पृथ्वी पर महासागर, नदियां, झील, भूमिगत जल और वर्षा जल के मुख्य और सबसे बड़े स्रोत हैं। पानी को बचाना और संरक्षित करना आज की आवश्यकता है। कई गांव पीने की कमी की बड़ी समस्या का सामना कर रहे हैं। पानी सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए हमें पानी बचाना चाहिए। हम सभी को इस समस्या का एहसास होना चाहिए और पानी बचाने के लिए प्रयास करने चाहिए। वर्षा जल संचयन जैसे कदम पानी बचाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। हम पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। पानी हमारी दुनिया के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। हमें अच्छे जीवन और आने वाली पीढ़ी के लिए जल का संरक्षण करना होगा। पानी की कमी और पानी की उच्च जरूरतों को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि हमें पानी की बचत के लिए संरक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ करने की आवश्यकता है।

एक निष्कर्ष पर पहुंचा जाये तो यह कह सकते हैं कि बिना जल के जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है। लॉरेन ईसेली का कहना है कि “यदि इस ग्रह पर जादू है, तो यह पानी में निहित है।”

पृथ्वी पर हर एक जीव के लिए जल का बहुत ही बड़ा महत्व है। जीने के लिए जल के बिना कुछ भी संभव नहीं है। जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। पृथ्वी पर जल पाया जाता है इसी कारण से इसे ब्रह्मांड का एक अनोखा ग्रह कहा जाता है। जल के कारण ही पृथ्वी पर मनुष्य की जाति विकसित हो रही है। जीने के लिए मनुष्य पशु, पेड़ पौधों सभी को जल की जरूरत होती है।अगर किसी कारण जल समाप्त हो जाता है तो कोई भी जीव जंतु जीवित नहीं रह पाएगा क्योंकि सभी जीने के लिए जल का उपयोग करते हैं। पृथ्वी का 7 8% जल महासागर में पाया जाता है, जिसमें नमकीन जल मिलता है परंतु यह पानी किसी काम के योग्य नहीं है। 2.7 प्रशीतक जल ही पीने के योग्य है, जो पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव इस्तेमाल करते हैं।

जल ही जीवन है इस बात का हर एक मनुष्य को ध्यान रखना चाहिए। मनुष्य को जल के संरक्षण के बारे में विचार करना चाहिए क्योंकि पृथ्वी से जल तेजी से विलुप्त हो रहा है यानी कि कम हो रहा है। फैक्ट्रियों द्वारा प्रदूषण फ़ैल रहा है, इनका सारा कचरा नदियों, झीलों और तालाबों में जाकर मिल रहा है, जिसके कारण जल दूषित हो रहा है। हमें जल को दूषित होने से रोकना चाहिए ताकि आने वाले समय के लिए हम जल को बचा सकें। 65 से 80% तक जल मनुष्य के शरीर में पाया जाता है। 7% रक्त में होता है। हमेशा साफ और शुद्ध जल पीना चाहिए। ब्लीचिंग पाउडर, फिटकरी डालकर हम जल को साफ कर सकते हैं। पानी पीने से पहले उसे उबालना चाहिए, जिसके कारण उसमें मौजूद बैक्टीरिया मर जाते हैं।

मनुष्य के साथ-साथ पेड़ पौधों को जल की उतनी ही आवश्यकता होती है। जल के बिना कोई भी पेड़ पौधे विकसित नहीं हो सकते, वह मुरझा जाते हैं और सूख जाते हैं। मनुष्य को जीवित रहने के लिए पेड़ पौधों का जीवित रहना उतना ही आवश्यक है। खेत में ऐसे कई सारी फसल हैं जो जल के द्वारा ही संभव हो सकती हैं जैसे कि गेहूं, मक्का ,चावल ,आदि। पशु पक्षियों और अन्य जीवो को भी मनुष्य की तरह प्यास लगती है। रेगिस्तान में पाए जाने वाले ऊंट को “रेगिस्तान का जहाज ” कहते हैं। वह अपने शरीर में एक बार में 50 लीटर तक पानी पीकर उसे संचित कर सकता है और कई दिनों तक बिना पानी के जीवित भी रह सकता है।

हाइड्रोजन के दो अणु और ऑक्सीजन के एक अणु को मिलाकर जल बनता है। जल का रासायनिक नाम H2Oहै। जल से बिजली का उत्पादन भी किया जा सकता है। जल हमें सिर्फ पीने के लिए नहीं परंतु कई सारे कामों के लिए उपयोगी होता है जैसे कि कपड़े धोने के लिए, नहाने के लिए , भोजन बनाने के लिए, आदि ऐसे कई सारे कार्यों के लिए जल का उपयोग होता है। जल ही जीवन है इस बात का हमें ध्यान रखना चाहिए और हमें जितना हो सके उतना जल को बचाना चाहिए।

जल का महत्व इन हिंदी 10 लाइन नीचे दी गई हैं-

  • पानी सबसे महत्वपूर्ण पदार्थों में से है जो पौधों ,जानवरों ,मनुष्य के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। 
  • हमारे शरीर का आधा वजन पानी से बनता है ।
  • पानी का रासायनिक नाम H2O होता है ।
  • जल की तीन अवस्थाएं होती हैं।
  • जल का कोई भी रंग नहीं होता।
  • जल का क्वथनांक 100 डिग्री सेल्सियस होता है।
  • ऐसे भी कुछ पदार्थ होते हैं जो पानी में घुलनशील नहीं होते जैसे कि तेल और वसा। 
  • पृथ्वी पर हर एक जीव के लिए जल का बहुत ही बड़ा महत्व है।
  • पृथ्वी के जल का 78% महासागर में पाया जाता है।
  • 2.7% जल ही पीने के योग्य है।

जल के महत्त्व पर 10 लाइन नीचे दी गई है:

Importance of water in Hindi पर 10 अनमोल विचार नीचे दिए गए हैं- 

importance of water in hindi

  • “पानी पृथ्वी का खून है इसे यूं ही ना बहाएं”
  • “पानी नहीं अमृत है, इसको बचाना हमारा कर्तव्य है।
  • “जल ही जीवन का अमूल्य धन इसको बचाओ करो जतन।”
  • “जब आप बचाते हैं पानी, तब आप बचाते हैं जिंदगानी।”
  • “हर बच्चा, बुड्ढा और जवान पानी को बचाकर बने महान”
  • “बिन जल जीवन नहीं रहेगा, जल की अद्भुत महिमा तुम जानो”
  • “हर कोई इंसान पानी को बचाकर बने महान”
  • “जरुरत के अनुसार पानी का कीजिए उपयोग, जल बचाओ अभियान में आपका होगा सहयोग”
  • “जो पानी को बचाएगा समझदार तो कहलाएगा”
  • “जल तो है सोना, इसे कभी भी नहीं खोना!”

importance of water in hindi

मनुष्य जल को विभिन्न कार्यों में प्रयोग करता है। जैसे इमारतों, नहरों, घाटी, पुलों, जलघरों, जलकुंडों, नालियों एवं शक्ति घरों आदि के निर्माण में। जल का अन्य उपयोग खाना पकाने, सफाई करने, गर्म पदार्थ को ठंडा करने, वाष्प शक्ति, परिवहन, सिंचाई व मत्स्य पालन आदि कार्यों के लिये किया जाता है।

पानी तीन रूपों में होता है: 1. ठोस, बर्फ के रूप में, 2. तरल, पानी के रूप में, और गैस, जलवाष्प के रूप में।

शहरों में रहने वाले लोगों के लिए तो नल का पानी ही सबसे सुरक्षित और स्वस्थ विकल्प है।

पानी को साफ करने के लिए इसे पीतल, तांबे या मिट्टी के बर्तन में 100 डिग्री सेल्सियस पर उबालें और पीने लायक होने पर ही प्रयोग में लें। ध्यान रहे कि एक बार उबाले गए पानी को आप आठ घंटे के भीतर प्रयोग कर लें वर्ना इसमें वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से फिर से अशुद्धियां आ जाती हैं।

आशा करते हैं कि आप इस ब्लॉग के माध्यम से जल का महत्व (Importance of Water in Hindi) समझ गए हैं। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं, तो हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करने के लिए 1800 57 2000 पर कॉल कर बुक करें।

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हेलो अनुज आपका आभार, ऐसी ही और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर बनें रहें।

Essay बहुत अच्छा लिखा है। जल ही जीवन है। प्लीज मेरी पोस्ट के बारे में बताएं कैसी लिखी है

आपका बहुत-बहुत आभार।

This is really helpfull 😇

आपका धन्यवाद।

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Jal Jeevan Ka Aadhar Essay In Hindi

जल जीवन का आधार निबंध – Jal Jeevan Ka Aadhar Essay In Hindi

जल जीवन का आधार निबंध – essay on jal jeevan ka aadhar in hindi.

  • प्रस्तावना,
  • जल का जीवन में महत्व,
  • जल संरक्षण की आवश्यकता,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

जल जीवन का आधार निबंध – Jal Jeevan Ka Aadhar Nibandh

प्रस्तावना– जल जीव–सृष्टि का आधार है। जहाँ जल है वहाँ जीवन है। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि जल के बिना जीवन संभव नहीं। यही कारण है कि प्रकृति ने जीवों के लिए पृथ्वी पर जल के विशाल भण्डार उपलब्ध कराए हैं।

मनुष्य मनुष्येतर जीव–जन्तु, पेड़–पौधे सभी अपने अस्तित्व के लिए जल पर निर्भर हैं। ऐसे जीवनाधार जल की सुरक्षा और सदुपयोग मनुष्य मात्र का कर्तव्य है। किन्तु खेद का विषय है कि भौतिक सुख–सुविधाओं की अन्धी दौड़ में फंसा मनुष्य इस मूल्यवान वस्तु को दुर्लभ बनाए दे रहा है।

जल का जीवन में महत्व– जल का मानव–जीवन में पग–पग पर महत्त्व है। हमें पीने के लिए जल चाहिए, नहाने के लिए जल चाहिए, भोजन बनाने और स्वच्छता के लिए जल चाहिए। खेतों की सिंचाई के लिए जल चाहिए, दूध–दही, घी और मिठाई . के स्रोत पालतू पशुओं के लिए जल चाहिए। झोंपड़ी और महल बनाने को, भगवान को मनाने को, पुण्य कमाने को, मनोरंजन और व्यापार को भी जल चाहिए। इसीलिए जल का एक नाम जीवन भी कहा जाता है। जल के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। संसार में स्थित मरुस्थल जल के अभाव का परिणाम दिखा रहे हैं। वहाँ रहने वाले लोगों का जीवन कितना कष्टदायक है।

जल संरक्षण की आवश्यकता– आज जीवन की रक्षा करने वाला जल स्वयं ही अपनी रक्षा के लिए तरस रहा है। सुख–सुविधाएँ सजाने के पागलपन से ग्रस्त आदमी ने जल का इतना दोहन किया है, उसे इतना मलिन बनाया है कि देश में पानी के लिए त्राहि–त्राहि मची हुई है। भूगर्भ में जल का स्तर निरन्तर गिरता जा रहा है।

गहराई से आने वाला जल खारा और अपेय हो गया है। नदियाँ हमारे कुकर्मों से प्रदूषित ही नहीं हुई हैं बल्कि समाप्त होने के कगार पर पहुँच चुकी हैं। प्रदूषण के कारण भूमण्डलीय ताप में वृद्धि हो रही है और ध्रुव प्रदेश की बर्फ तथा ग्लेशियर तेजी पिघल रहे हैं। यह सब महासंकट की चेतावनियाँ हैं जिन्हें मनुष्य अपनी मूढ़ता और स्वार्थवश अनसुनी कर रहा है।

आज जल संरक्षण आवश्यक ही नहीं अनिवार्य हो गया है। जीना है तो जल.को बचाना होगा। उसका सही और नियन्त्रित उपयोग करना होगा। जलाशयों को प्रदूषित होने से बचाना होगा।

उपसंहार– वन और जल दोनों ही जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं। दुर्भाग्य से आज दोनों ही संकटग्रस्त हैं। केवल सरकारी उपायों से ही इनकी सुरक्षा सम्भव नहीं है, जनता को भी इनके संरक्षण की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। जल और वनों का दुरुपयोग करने वाले उद्योगों पर कठोर नियन्त्रण होना चाहिए।

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जल बचाओ जीवन बचाओ पर निबंध (Save Water Save Life Essay in Hindi)

पृथ्वी पर जीवन के लिए जल का होना बहुत ही आवश्य है क्योंकि जल भी वायु के तरह ही मानव जीवन के लिए बहुत ही जरूरी है। सभी जीवित जीव फिर चाहे वह मनुष्य हो या फिर दूसरे जीव-जन्तु हो या पेड़ पौधे सभी अपने जीवन के लिए ताजे पानी पर निर्भर करते हैं। इसी जल बचाओ पृथ्वी बचाओ विषय पर हमने आप के लिए छह निबंध तैयार किये हैं, जोकि आपके काफी काम आयेंगे। इसके साथ ही इन निंबधों में जल संरक्षण के तरीकों और आवश्यकता के विषय में भी बताया गया है। इन निबंधों को तैयार करते वक्त इसमें हमें जल सरक्षण की आवश्यकता क्यों है? तथा जल संरक्षण के लिए चलाये जाने वाले अभियान, जल संरक्षण का महत्व जैसे विषयों को ध्यान में रखा है।

जल बचाओ जीवन बचाओ पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Essay on Save Water Save Life in Hindi, Jal Bachao Jivan Bachao par Nibandh Hindi mein)

आप अपनी आवश्यकता अनुसार जल बचाओ जीवन बचाओ विषय पर दिये गये इन निबंधो का उपयोग कर सकते हैं। इन निबंधो के माध्यम से हमने जल के महत्व, जल संरक्षण क्यों आवश्यक है, जल का क्या महत्व है, जल संरक्षण जागरुकता के लिए कौन से विभिन्न तरीके है, जल सरंक्षण के क्या तरीके है, जीवन के रक्षा के लिए जल कैसे बचाये, हमें जल बचाने की आवश्यकता क्यों है, जल को जीवन क्यों कहा जाता है, जल संरक्षण अभियान क्या है जैसे प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया है।

जल के महत्व पर निबंध 1 (200 शब्द)

वायु के बाद जल वह दूसरा सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है जो पृथ्वी पर जीवन के लिए सबसे आवश्यक है। पीने के अलावा जल का कपड़े धोने, खाना बनाने, साफ-सफाई करने जैसे अन्य कई कार्यों के लिए भी उपयोग किया जाता है। पानी मनुष्यों और जीव-जन्तुओ के साथ ही पेड़-पौधों के लिए भी बहुत ही आवश्यक है। जल जैसी हमारी यह महत्वपूर्ण प्राकृतिक संपदा कृषि के साथ ही उद्योगों के लिए भी बहुत ही आवश्यक है।

जल का महत्व

पृथ्वी पर जीवन के शुरुआत से ही जल एक बहुत ही महत्वपूर्ण संसाधन रहा है और यहीं कारण है कि विश्व की सभी प्रमुख सभ्यताओं का उदय नदियों के किनारे ही हुआ है। भारत के कई बड़ो शहरों के विकास में नदियों का काफी बड़ा योगदान रहा है क्योंकि नदियों के रास्ते परिवहन का कार्य काफी सुगमता से हो जाता है। आज के समय में वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर जीवन की संभवनाओं की तलाश कर रहे हैं क्योंकि उन्हें वहां पानी का कुछ जमा हुआ अंश और वायु में नमी मिली है। इस विषय की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम कहीं भी जल द्वारा ही जीवन की संभवना की परिकल्पना करते है, यहीं कारण है कि जल को जीवन भी कहा गया है।

पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए भी जल काफी महत्वपूर्ण है, जैसे कि समुद्र से वाष्पित हुआ पानी, वायु में मिलकर बादल बन जाता है। जब बादल समुद्र से मैदानी इलाकों में पहुंच कर ठंडा होता है तो यह पानी में बदल जाता है और वर्षा के रुप में नदियों तथा जल स्त्रोतों को भर देता है।

जल बचाओ जीवन बचाओ :  जल संरक्षण के महत्व पर निबंध 2 (300 शब्द)

जल बचाओ जीवन बचाओ का यह नारा अब हमारे लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। यह तो हम सब जानते है कि पृथ्वी पर जीवन के लिए जल भी वायु के समान ही काफी आवश्यक है लेकिन इस विषय में सबसे चिंता की बात यह है कि पृथ्वी पर स्वच्छ ताजे पानी की मात्रा दिन-प्रतिदिन घटती ही जा रही है। पानी के कमी के कारण विश्व भर में सूखा, कई तरह की बीमारियां, प्राकृतिक प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही है परन्तु इस विषय की सबसे दुखद बात यह है कि लोग अभी भी जल संरक्षण के महत्व को लेकर पूर्ण रुप से जागरुक नही हो रहे है।

जल संरक्षण का महत्व

प्रकृतिक चक्र पूर्ण से जल पर निर्भर करता है क्योंकि जबतक जल वाष्प बनकर वायु में नही मिलेगा तब तक वर्षा नही होगी। जिसके कारण फसलें खराब हो जायेंगी और इसकी सबसे बुरी बात यह होगी की इसके कारण सूखे की समस्या भी उत्पन्न हो जायेगी। प्रत्येक जीवित व्यक्ति चाहे फिर वह मनुष्य हो, जानवर हो या फिर पेड़-पौधे सभी को पानी की आवश्यकता होती है और हमारे द्वारा यह पानी सिर्फ पीने के लिए ही नही उपयोग किया जाता है बल्कि की कपड़े धोने, पोछा लगाने, खाना पकाने और कृषि कार्यों तथा पावर प्लाटों  जैसे औद्योगिक कार्यों में भी उपयोग किया जाता है।

भारत के कई सारे क्षेत्रों में ताजे पानी की उपलब्धता या तो बहुत कम है या फिर बिल्कुल ही नगण्य है। इन जगहों पर लोगों को अपने दैनिक कार्यों के लिए पानी लाने के लिए मीलों दूर तक जाना पड़ता है। पीने का यह पानी सभी जीवित व्यक्तियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है और यदि हमने अभी भी इसके संरक्षण को लेकर कार्य नही किया तो आने वाले समय में हमारे अस्तित्व पर भी संकट आ जायेगा।

शहरीकरण में जल का उपयोग

ज्यादेतर शहर नदियों के किनारे बसे होते हैं क्योंकि प्रत्येक उद्योग को विभिन्न प्रकार के उत्पादन के लिए जल की आवश्यकता होती है, फिर चाहे वह कपड़ा बनाने का कार्य हो, धोने का कार्य हो, ठंडा करने का कार्य हो या फिर घोलने का हर काम में पानी की आवश्यकता होती ही है। इसके अलावा जल का सबसे बड़ा उपयोग बिजली बनाने में भी किया जाता है।

पृथ्वी पर मौजूद असंख्य प्राकृतिक संसाधन जल के सहायता से ही निर्मित होते है, ताजा और पीने का पानी हमारा सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक है जो हमारे स्वस्थ्य जीवन को बरकरार रखता है। बिना जल सरंक्षण किये, पृथ्वी पर जीवन को अब और नही बचाया जा सकता है, इसलिए यह काफी महत्वपूर्ण है कि हम जल संरक्षण के कार्यों को लेकर और भी संजीदा हो, ताकि हमारे ग्रह पर जीवन ऐसे ही फलता-फूलता रहे।

जल बचाओ पृथ्वी बचाओ : जन जागरुकता पर निबंध – 3 (400 शब्द)

पृथ्वी के सभी जीवों के लिए जल एक बहुमूल्य संपदा है और इसके बिना जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है। यह कहना काफी दुखद है कि भले ही पृथ्वी का लगभग 71 प्रतिशत भाग पानी से ढंका हुआ हो लेकिन फिर भी हमारे ग्रह से दिन-प्रतिदिन पीने का स्वच्छ पानी समाप्त होता जा रहा है। यहीं कारण है कि कई सारे देशों में जल बचाओ जीवन बचाओ जैसे विषय को लेकर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों और सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है।

जन जागरुकता लाने के लिए उठाये जा सकने वाले विभिन्न कदम

वर्तमान समय में लोग जल संसाधनों में कमी, गिरते भूजल स्तर, सूखे और वर्षाजल संरक्षण जैसे विषयों को लेकर कई तरह की बाते कर रहे है। इसमें सबसे बड़ा मुद्दा भूजल संसाधनो के दोहन का है, जोकि आज के समय में एक वैश्विक समस्या बन गया है। हमें हमेशा से ही बताया जाता है कि पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग पानी से ढका हुआ लेकिन इसमें से मात्र 3.5 प्रतिशत ही ताजा पानी है, जिसका हम सेवन कर सकते है बाकि का जल समुद्री पानी के रुप में मौजूद है। जिसका हम प्रत्यक्ष रुप से सेवन नही कर सकते है।

इस समस्या को सुलझाने के लिए हमें सभी लोगों में सामाजिक जागरुकता लाने की आवश्यकता है क्योंकि आज के समय में पूरा विश्व ही जल रिक्तिकरण की इस समस्या से जूझ रहा है।

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रत्येक वर्ष 22 मार्च के दिन “विश्व जल दिवस” मनाया जाता है, इसके अंतर्गत लोगों को ताजे पानी के संसाधनो के प्रबंधन के विषय में समझाया जाता है।
  • भारत सरकार भी जल संसाधनों के सही संरक्षण और प्रबंधन को लेकर लोगों में कई सारे जन जागरुकता अभियान चला रही है।
  • भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा इस मुद्दे पर लोगों को जागरुक करने के लिए कई सारे विभाग बनाये गये हैं। इसके अलावा इस कार्य के लिए मंत्रालय भी है, जिसका नाम ‘पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय’ है जो गंगा तथा अन्य नदियों के सफाई का कार्य करती है।
  • केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा भी भूजल संरक्षण, वर्षा जल संग्रहण और कृत्रिम पुनरभरण को लेकर कई सारे कार्यक्रम चलाये जाते है।
  • आध्यत्मिक गुरु “श्री जग्गी वासुदेव” ने लोगों में “रैली फार रीवर” जैसे अभियान चलाकर लोगों में जागरुकता लाने का प्रयास किया है। उन्होंने नदीयों को फिर से जीवंत करने के लिए नदियों के किनारे कम से कम एक किलोमीटर तक पेड़ लगाने का सुझाव दिया है। इसी तरह सरकारी भूमि या फिर कृषि भूमि के किनारे भी पेड़ लगाये जा सकते है। इसे तरह से लगाये गये यह पेड़ सुनिश्चित करेंगे कि हमारी नदियों को पूरे साल नम मिट्टी उपलब्ध हो। यह बाढ़, सूखे के कारण होने वाले मिट्टी के कटाव को भी कम करेगा जो कि अंततः किसानों की आय में वृद्धि करेगा।

हम सभी को अपने जीवन में जल के इस महत्व को समझना होगा क्योंकि इसके कमी के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याएं बहुत ही गंभीर होंगी। इस विषय को लेकर सरकार और कई सारे एनजीओ भी लोगों में जागरुकता फैलाने का कार्य कर रहें है। इसीलिए हमारे ग्रह पर उपलब्ध यह जल बहुत ही बहुमूल्य है और हमें इसे किसी प्रकार से व्यर्थ नही करना चाहिए।

जल संरक्षण करो जीवन बचाओ निबंध – 4 (500 शब्द)

ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्पन्न हुई सबसे बड़ी समस्या भारी मात्रा में जल का ह्रास होना है और इसका एक दूसरा मुख्य कारण जल का दुरुपयोग करना भी है। आज के समय में यह काफी जरूरी है कि हम जल बचाओ जीवन बचाओ जैसे वाक्य के अर्थ को समझे। ताजा पानी हमारे उन तमाम जरूरतों में से सबसे मुख्य है, जो हमारे स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है।

जल संरक्षण करने के क्या – क्या तरीके हैं?

पृथ्वी पर भंयकर सूखे जैसे जल संकट को टालने के लिए हमसब को जल का कम से कम और अच्छे तरीके से उपयोग करना होगा। इस निबंध में हमने इस बात पर प्रकाश डालने की कोशिश की है जल संरक्षण कैसे किया जाय, जिससे की वातावरण की सुदंरता को ऐसे ही बरकरार रखा जा सके। अगर इन बातों पर हम गंभीरतापूर्वक गौर करेंगे तो हमें पता चलेगा कि यह कार्य कोई बहुत मुश्किल नही है। सर्वप्रथम हमें इसकी शुरुआत अपने दैनिक कार्यों से करनी होगी।

हमारे युवा पीढ़ी को “जल बचाओ पृथ्वी बचाओ” के इस फार्मूले को अच्छे से समझने की आवश्यकता है। अगर हम चाहें तो अपने छोटे-छोटे कार्यो द्वारा सैकड़ो गैलन पानी बचा सकते है। ऐसे ही कुछ तरीकों के विषय में यहां बताया गया है, जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में अपना सकते है।

  • हमें अपने दैनिक गतिविधियों के दौरान थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए जैसे कि हांथ धोते वक्त, मंजन करते वक्त, दाढ़ी बनाते वक्त पानी के नल को बंद कर देना चाहिए। ऐसा करके हम लदभग 160 गैलन पानी प्रतिमाह बचा सकते है।
  • नहाने के समय फुहारे के जगह बाल्टी तथा मग का इस्तेमाल करके भी हम काफी मात्रा में पानी बचा सकते है।
  • पौधों को दोपहर के जगह सुबह और शाम के समय पानी देना पानी बचाने के कार्य में एक अच्छा उपाय साबित हो सकता है, इसके साथ ही बरसात के मौसम में वृक्षारोपड़ करके हम पौधे लगाते समय खर्च होने वाले पानी को काफी कम कर सकते है।
  • हमें अपने घरों में किसी तरह के पानी के लीकेज को तत्काल रुप से ठीक कराना चाहिए, ताकि इससे होने वाली पानी की बर्बादी को रोका जा सके।
  • कार धोने के लिए पाईप के इस्तेमाल से काफी मात्रा में पानी नष्ट हो जाता है, इसलिए हमें इसके स्थान पर बाल्टी का उपयोग करना चाहिए।
  • वाशिंग मशीन और डिश वाशर का उपयोग करते समय हमें उन्हें पूर्ण रुप उनके अधिकतम क्षमता का उपयोग करना चाहिए तभी इनके द्वारा हम पानी का के बर्बादी को रोक सकते है।
  • अपने घरों में पानी के पुनरावृत्ति के लिए हमें हमेशा सही फैसला लेना चाहिए ताकि हमेशा जल संरक्षण के इस कार्य को किया जा सके और सही मात्रा में पानी को बचाया जा सके।

जल संरक्षण एक ऐसा कार्य है, जिसके द्वारा हम प्रकृति के साथ ही अपने भविष्य को भी सुरक्षित कर सकते है। जैसा कि हम जानते है पृथ्वी पर दिन-प्रतिदिन पानी का स्तर गिरता जा रहा है, जिसके कारण पर्यावरण भी काफी बुरे तरीके से प्रभावित होता जा रहा है। यह हमारे लिए काफी सहायक होगा यदि हम जल संरक्षण और जल की शुद्धता बनाये रखने के तरीकों के विषय में सीख ले। इसके द्वारा ना सिर्फ हम अपने जीवनस्तर में सुधार लायेंगे बल्कि अपने आने वाले पीढ़ीयों का भविष्य भी सुनिश्चित कर पायेंगे।

हमारे ग्रह पर उपलब्ध वर्तमान जल के स्थिति को देखते हुए, हमें जल का एक-एक कतरा बचाने की आवश्यकता है। जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे ग्रह का 71 प्रतिशत हिस्सा पानी से ढका हुआ है लेकिन इसमें से मात्र 3.5 प्रतिशत ही ताजा पानी है, जोकि हमारे पीने के लिए उपयुक्त है। इसलिए यह काफी आवश्यक है कि हम पानी की महत्वता को समझे और इसके संरक्षण के लिए प्रयास करें ताकि भविष्य में हमारे आने वाले पीढ़ीयों तक भी स्वच्छ जल की उपलब्धता बनी रहे।

जल बचाओ जीवन बचाओ और पृथ्वी बचाओ पर निबंध – 5 (600 शब्द)

पृथ्वी पर उपलब्ध सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से जल सबसे प्रमुख है क्योंकि इसका उपयोग मनुष्य, जीव-जन्तु, पेड़-पौधे जैसे सभी जीवित जीवों द्वारा किया जाता है। हमें हमारे हर दैनिक कार्य के लिए पानी की आवश्यकता होती है और इसके बिना हम जीवन की कल्पना भी नही कर सकते है। हमें पीने, खाना पकाने, नहाने, कपड़े धोने जैसे सभी कार्यों के लिए पानी की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही हमें कृषि, उत्पादन उद्योगों, विभिन्न प्रकार के रसायन उद्योगों, पावर प्लांट तथा कई अन्य औद्योगिक कार्यों के लिए पानी की आवश्यकता पड़ती है। परन्तु दुर्भाग्य से विश्व भर में पानी के कमी की समस्या विश्व भर में बढ़ती जा रही है।

जल बचाओ जीवन बचाओ पृथ्वी बचाओ

पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवों के लिए जल सबसे जरूरी वस्तु है। सभी जीवों को सुरक्षित और स्वस्थ जीवन के लिए पानी की आवश्यकता होती है। जैसे-जैसे जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जल का उपयोग भी बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा शहरीकरण के कारण पेड़ो की संख्या भी तेजी से घटती जा रही है, जिसके कारण प्रदूषण, कई क्षेत्रों में सूखे, फसलों के नुकसान और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं में तेजी से वृद्धि होती जा रही है। इसलिए यह वह समय है जब हमें जल संरक्षण के कार्यों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि जीवन और पृथ्वी को भी बचाया जा सके।

पानी की कमी

हमने विश्व के विभिन्न भागो में पानी के कमी के कई सारी खबरें सुनी है। यहां हम बतायेंगे की आखिर पानी की कमी क्या और कैसे होती है। यह वह समस्या होती है जब स्वच्छ और ताजे पानी की काफी कमी हो जाती है। कुछ तथ्यों से पता चला है कि विश्व की एक तिहाई आबादी जो लगभग 2 अरब के करीब है, उसे वर्ष में करीब एक महीने पानी के कमी जैसी समस्या से जूझना पड़ता है। इसके साथ ऐसा अनुमान है कि लगभग 50 करोड़ लोगों को पूरे वर्ष पानी के कमी का सामना करना पड़ता है। अब इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है कि साउथ अफ्रीका का केपटाउन शहर विश्व का वह पहला बड़ा शहर होगा जहां जल्द ही पानी खत्म हो जायेगा।

पृथ्वी का लगभग 71 प्रतिशत भाग पानी से ढका हुआ है, लेकिन फिर भी ऐसा क्यों है कि हमारे उपर यह गंभीर जल संकट मंडरा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि विश्व का लगभग 96.5 प्रतिशत पानी समुद्री पानी के रुप में मौजूद है, जोकि खारा होता है और हमारे सेवन के लिए उपयुक्त नही है, मात्र 3.5 प्रतिशत जल ही जो भूजल, ग्लेशियर, नदियों और झीलों के रुप में उपलब्ध है सिर्फ वहीं हमारे सेवन योग्य है। आबादी बढ़ने के कारण पानी के यह प्राकृतिक संसाधन तेजी से खत्म होते जा रहे है और इसके साथ ही पानी की बर्बादी, तेजी से हो रहे औद्योगिकरण और शहरीकरण के कारण जल का यह संकट और भी गहराता जा रहा है। भारत के कुछ हिस्सों तथा कुछ अन्य देशों में लोग पानी के गंभीर संकट से जूझ रहे है। जिसके कारण इन स्थानों पर सरकार को पानी के टैंकर द्वारा पानी उपलब्ध करवाना पड़ रहा है। भारत में 1951 से 2011 के बीच में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता लगभग 70 प्रतिशत तक घट चुकी है तथा सन् 2050 तक इसमें 22 प्रतिशत और कमी होने की संभावना है।

विश्व जल दिवस

संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 मार्च के दिन को “विश्व जल दिवस” घोषित किया गया है, ताकि लोगों को ताजे पानी के महत्व और पृथ्वी पर इसके समाप्ति से उत्पन्न होने वाले समस्याओं के विषय मे समझाया जा सके। सन् 2018 के इस वर्ष में विश्व जल दिवस का थीम ‘प्रकृति के लिए जल’ रखा गया है, जिसका अर्थ 21 सदी में होने वाली पानी के समस्या के प्राकृतिक उपाय खोजने से है।

जल हमारा वह सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है, जिसकी जरूरत हर जीवित व्यक्ति को होती है। यदि हम कहते हैं कि जल ही जीवन है तो इसमें कुछ भी गलत नही है। इसलिए हमें जल संरक्षण पर बल देने की आवश्यकता है ताकि इसके द्वारा जीवन और पृथ्वी को भी बचाया जा सके। पीने योग्य पानी का अर्थ उस तरह के पानी के उपलब्धता से है जो हमारे पीने के लिए सुरक्षित और उपयुक्त हो। इसके साथ ही हमें अपने पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने तथा ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निपटने के लिए भी हमें जल संरक्षण के विषय पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि स्वच्छ जल की गुणवत्ता ऐसे ही बने रहे तथा वह किसी प्रकार के रसायनों तथा कचरों से भी मुक्त रहे।

जल बचाओ जीवन बचाओ पर निबंध – 6 (1000 शब्द)

जैसा कि हम सब जानते है कि वायु के बाद जल हमारे ग्रह के सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक है। जल हमारे जीवनयापन के लिए काफी महत्वपूर्ण है, इसके बिना हम जीवन की कल्पना भी नही कर सकते हैं। हम सब जानते है कि पृथ्वी का लगभग 71 प्रतिशत भाग समुद्रों, महासागरों, नदियों और ग्लेशियरों के रुप में जल से ढका हुआ है लेकिन इसमें से मात्र 1 प्रतिशत ही मानव उपयोग के लिए उपयुक्त है।

जल ना सिर्फ मनुष्यों के जीवन के लिए आवश्यक है बल्कि की पृथ्वी पर मौजूद लगभग सभी प्रजातियां इस पर निर्भर करती है अगर इसे जैविक रुप से देखा जाये तो पानी में ऐसे कई गुण होते हैं जो वस्तुओं के साथ प्राकृतिक अभिक्रियाएं करती है। पृथ्वी पर उपस्थित लगभग सभी प्राणी अपने जीवन के लिए जल पर निर्भर है और जल की दिन-प्रतिदिन होती जा रही कमी तथा कई सारी प्रजातियों की इस पर निर्भरता को देखते हुए यह काफी आवश्यक है कि हम जल संरक्षण पर ध्यान दे।

जल ही जीवन है

जल हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमारे जीवनयापन के लिए बहुत ही आवश्यक है। इसके बिना जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है और यदि हमें पृथ्वी पर जीवन को बनाये रखना है तो इस बात में कोई संदेह नही है की हमें जल को भी बचाना होगा। हम पानी ना सिर्फ पीते हैं बल्कि की अपने दूसरे अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में भी इसे उपयोग में लाते है जैसे कि स्नान, खाना पकाने में, कपड़े धोने में, बागवानी और अन्य कई कार्यों में भी इसका दैनिक रुप से उपयोग करते है।

पृथ्वी पर उपस्थित पेड़-पौधे और जीव-जन्तु भी पूर्ण रुप से पानी पर निर्भर करते है और इसकी कमी इनके भी वृद्धि और विकास को प्रभावित करेगी जिससे पूरा पर्यावरण तंत्र और खाद्य श्रृंखला प्रभावित हो जायेगा। इसलिए यह काफी आवश्यक है कि हम पानी की बचत करके इसके पर्याप्त उपलब्धता को बनाये रखें ताकि पृथ्वी पर जीवन इसी प्रकार से फलता-फूलता रहे।

जल संरक्षण की आवश्यकता

विश्व के कई सारे हिस्से कम वर्षा के कमी और भूजल के गिरते स्तर के कारण पानी की भयंकर कमी से जूझ रहे है। कई सारे स्थानों पर भूजल या तो दूषित हो चुका है या फिर वर्षा के कमी के कारण उसकी पुनःपूर्ति नही हो पायी है। इन सभी कारणों से कई क्षेत्रों में पानी की कमी दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

औद्योगिकरण और शहरीकरण के जैसे वजहों से भूजल के कमी में वृद्धि हुई है क्योंकि तेजी से होते विकास के कारण पानी की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। डब्लूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रति 9 व्यक्तियों में से एक व्यक्ति तथा लगभग 84.4 करोड़ लोगो आज भी शुद्ध पानी उपलब्ध नही हो पाया है। इन आकड़ों को देखने से पता चलता है कि अगर पानी की यह समस्या ऐसे ही बनी रही तो भविष्य में आने वाले इस गंभीर जल संकट को टाला नही जा सकता है। इसके लिए हमें अभी से प्रयास करते हुए जल संरक्षण के कार्य शुरु कर देने चाहिए ताकि इस महत्वपूर्ण संसाधन को हम अपने भविष्य के पीढ़ियों के लिए भी बचा सके।

जल संरक्षण की पहल

जल संरक्षण एक ऐसी पहल है, जिसका मकदस लोगों को जल संरक्षण के विषय में जागरुकता फैलाना तथा उन्हें जल के महत्व के विषय में बताना है ताकि लोग भविष्य के लिए इसका संरक्षण कर सके। जल संरक्षण अभियान लोगो को इस बात का अहसास दिलाता है कि हमारे पृथ्वी के लिए जल कितना महत्वपूर्ण है, जिससे की हम भविष्य के लिए इसका संरक्षण कर सके। जल संरक्षण अभियान के द्वारा लोगो को इस बात का ज्ञान दिया जाना चाहिए की स्वच्छ और साफ पानी के स्त्रोत काफी सीमित है और उनका अत्यधिक उपयोग करने पर वह समाप्त हो जायेंगे, जोकि मानव अस्तित्व के लिए भी संकट पैदा कर देगा।

हालांकि पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग पानी से ढका हुआ है, लेकिन प्रत्यक्ष रुप यह पानी से हमारे उपयोग के लिए उपयुक्त नही है। इसलिए हमारे पास पृथ्वी पर जो भी स्वच्छ पानी मौजूद है, हमें जितना हो सके उसका उतने अच्छे से उपयोग करना चाहिए। यह प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि अपने आने वाली पीढ़ीयों के सुरक्षा के लिए जल संरक्षण का कार्य करे।

अगर हम जीवन को बनाये रखने के लिए हर जगह ताजे पानी की उपलब्धता चाहते है तो हमें आज से जल संरक्षण के आदतों को अपना लेना चाहिए तभी आगे चलकर हम जल की उपलब्धता को बरकरार रख पायेंगे और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में भी स्वच्छ जल उपलब्ध करा पायेंगे।

जल बचाओ जीवन बचाओ

जैसा कि हम सब जानते है कि जल ही जीवन है इसीलिए हर तरह का जीवन इसपर निर्भर करता है लेकिन आज भी भारत में 21 प्रतिशत बीमारियां गंदे पानी के उपयोग से पैदा होती है और साफ पानी की कमी के कारण यह समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। आज भी भारत में लगभग 16.3 करोड़ लोगों को पीने का सवच्छ और सुरक्षित पानी नही उपलब्ध है, जोकि तमाम तरह के बीमारियां को बढ़ाने के साथ ही घातक होता जा रहा है।

बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए हम इस बात का अनुमान लगा सकते हैं कि आने वाले समय में पीने के साफ पानी की मांग भी बढ़ेगी। यदि भारत का प्रत्येक नागरिक प्रतिदिन 1 लीटर पानी भी बचायेगा तो यह एक बड़ा बदलाव ला सकता है। आपका बचाया हुआ 1 लीटर यह पानी उस बच्चे को एक नया जीवन दे सकता है, जिसके पास पीने के स्वच्छ पानी की सुविधा नही है। इसके साथ ही आपके द्वारा बचाया हुआ पानी सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए भी बहुत सहायक होगा। आप अपने इन छोटे कदमों द्वारा कई लोगों के जीवन में बड़े बदलाव आ सकते हैं।

जल सरंक्षण कैसे करें? (पानी कैसे बचाये)

यह तो हम सब ही जानते हैं कि जल, जीवन के समतुल्य है और यदि हम चाहते हैं कि पृथ्वी पर मानव जीवन बना रहे तो हमें जल बचाने के नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए। इसी विषय में नीचे कुछ तरीके बताये गये हैं, जिनका पालन करके हम और भी अच्छे से जल संरक्षण कर सकते हैः

  • दाढ़ी बनाते समय और मंजन करते समय जब उपयोग ना हो तो पानी के नलों को अच्छे से बंद कर दे।
  • ऐसे फ्लशिंग सिस्टम का उपयोग किजिए, जो पानी की खपत कम करता हो।
  • नहाने के लिए फुहारे का उपयोग कम किजिए, इसके जगह मग और बाल्टी का उपयोग किजिए।
  • सिचाईं के लिए पानी भराई प्रणाली की जगह ड्रिप इरीगेशन प्रणाली का उपयोग किजिए।
  • अपने बगानों में शाम के समय पानी का छिड़काव करें और इसमें जरुरत से ज्यादे पानी की इस्तेमाल ना करें।
  • सार्वजनिक स्थलों पर खुले हुए पानी के नलों को बंद कर दे और यदि ऐसा ना हो पाये तो तात्कालिक रुप से इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को अवश्य दें।
  • अपने घरों और क्षेत्रों में वर्षाजल संरक्षण तंत्र की स्थापना करवायें।
  • आरओ फिल्टर से निकले हुए खराब पानी को व्यर्थ ना करें बल्कि की इसका उपयोग पौधों को सींचने और कपड़े धोने में करे।
  • टंकियों में पानी भरकर बहने से बचाने के लिए फ्लोट वाल्व लगवायें।

जल जीवन का आधार है, उदाहरण के लिए यदि आप किसी बर्तन में कुछ दिन के लिए पानी रख देंगे तो कुछ दिन बाद उसमें से कुछ ना कुछ अवश्य उग जायेगा। यह इस बात को प्रमाणित करता है कि आखिर किस प्रकार से जल जीवन के स्थापना में सहयोग करता है। चाहे वह मनुष्य हो, जीव-जन्तु हो या फिर पेड़-पौधे सभी का जीवन जल पर टिका हुआ है। यदि पानी उपलब्ध ना हो तो किसी प्रकार प्रकार के जीव के लिए थोड़े समय तक भी जिंदा रह पाना मुश्किल होगा। पृथ्वी का सबसे बुद्धिमान जीव होने के कारण हम मनुष्यों की यह जिम्मेदारी है कि हम किसी प्रकार से भी पानी की बर्बादी ना करें ताकि पृथ्वी पर हर तरह का जीवन बना रहे, जिससे हमारे ग्रह का पर्यावरण संतुलन इसी प्रकार से बना रहे।

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Jal Hi Jivan Hai Nibandh: जल ही जीवन है पर निबंध

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जल ही जीवन है निबंध हिंदी में 100 शब्द (jal hi jivan hai essay in hindi)

‘जल ही जीवन है’ यह कथन एकदम सत्य है. क्योंकि जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. वैसे तो हमारी पृथ्वी का लगभग तीन चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है लेकिन उसमें से 97 प्रतिशत पानी उपयोग के योग्य नहीं है यानी यह पानी मनुष्य के पीने योग्य नहीं है मात्र 3% पानी ही उपयोग के योग्य हैं. इस 3% में से भी 1% से भी कम मनुष्य उपयोग कर सकता है क्योंकि बाकी का पानी ग्लेशियर के रूप में बर्फ बन कर जमा हुआ है. हमें पानी का उपयोग बहुत सोच समझ कर करना चाहिए. नहाते समय हमेशा बाल्टी में पानी भरकर नहाना चाहिए, नल को खुला नहीं छोड़ना चाहिए. इसके साथ ही पानी को इकट्ठा करने के लिए भी हमें वर्षा ऋतु के दौरान जो भी संभव हो ऐसे उपाय करनी चाहिए. क्योंकि कहा गया है कि “जल है तो कल है.”

जल ही जीवन है पर निबंध 200 शब्द (jal hi jivan hai nibandh in hindi)

विश्व आर्थिक मंच का मानना है कि आने वाले वर्षों में जल की समस्या विकराल रूप लेने वाली है. इसी संस्था ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि संपूर्ण दुनिया के 75% से भी अधिक लोग जल संकट से जूझ रहे हैं. वैसे तो संपूर्ण विश्व में 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में औपचारिकता पूरी की जाती हैं, परंतु हमें इस दिन लोगों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित करना चाहिए. क्योंकि जल संरक्षण कोई एक व्यक्ति या संस्था मिलकर नहीं कर सकती देश ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व का हर एक व्यक्ति जल संरक्षण के बारे में सोचेगा तभी यह संभव है. 

जल संरक्षण करके हम ना केवल इस पृथ्वी पर रहने वाले जीवो की रक्षा कर सकते हैं बल्कि अपनी आगे आने वाली पीढ़ी का भी संरक्षण कर सकते हैं. हम विभिन्न तकनीकों को अपनाकर जल्द संरक्षण कर सकते हैं. जैसे बरसात के पानी को हम रेन वाटर हार्वेस्टिंग करके, बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र के पानी को बांध बनाकर फिल्टर किया जा सकता है, पारंपरिक तरीकों से कुएं एवं बावडियों का निर्माण करेंगे और  पाइपलाइनो की मरम्मत करके आदि. जल एक ऐसा संसाधन है जिसे मानव अपनी कोशिशों के जरिए नहीं बना सकता है. इसलिए जल के महत्व को समझते हुए हम सभी को संकल्प लेना होगा कि पानी की बर्बादी कम से कम हो.

जल ही जीवन है पर निबंध 300 शब्दों में(jal hi jivan hai par nibandh)

पृथ्वी पर पानी एक अमूल्य धरोहर है, जिसे इंसान चाहकर संरक्षित तो कर सकता है लेकिन इस को पुनः बना नहीं सकता है. विभिन्न जारी रिपोर्टों के मुताबिक विश्व में कई देश जल संकट से जूझ रहे हैं. अगर ऐसी ही स्थिति आगे भी बनी रहती है तो बहुत ही जल्दी इस पृथ्वी की संपूर्ण जीवो से लेकर मनुष्यों की जातियां समाप्त हो जाएगी. 

जल का जीवन में महत्व

पानी के महत्व का पता इस बात से आसानी से लगाया जा सकता है कि एक वयस्क मनुष्य का शरीर लगभग 60% पानी से ही बना होता है. इसके साथ पानी एक ऐसा संसाधन है जिसके बिना पृथ्वी पर उपलब्ध जीवो की कल्पना भी नहीं की जा सकती. पानी का महत्व आप उस किसान से पूछ सकते हैं जिसके खेत में बारिश ना हुई हो.

जल प्रदूषण के कारण

के इस दौर में पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ जल प्रदूषण भी तेजी से हो रहा है. क्योंकि आजकल हर एक उद्योग धंधे में पानी की आवश्यकता होती है जिसके बाद गंदे या प्रदूषित पानी को नदियों में छोड़ दिया जाता है. जिससे कि नदी का पूरा पानी दूषित हो जाता है. जिससे ना सिर्फ जल के जीवो पर इसका प्रभाव पड़ता है बल्कि उस पानी को पीने वाले मनुष्यों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है.

हम सभी को मिलकर जल संरक्षण का प्रयास करना होगा. जिसमें सरकार को भी जल को प्रदूषित करने पर कड़े कानूनों को लाना होगा जिससे कि जल प्रदूषण को कम किया जा सकेगा. वही दूषित पानी को फिर से उद्योग धंधों में कैसे उपयोग किया जा सकता है इस बारे में योजनाएं बनानी होगी. बारिश के पानी को कैसे घर के कामों में उपयोग किया जा सकता है इस बारे में लोगों को जागरूक और प्रेरित करना होगा. क्योंकि जल संरक्षण किसी एक व्यक्ति से नहीं हो सकता है इसे संपूर्ण देश को ही नहीं बल्कि विश्व के सभी व्यक्तियों को इसके प्रति जागरूक करना होगा. क्योंकि जल के बिना जीवन की कल्पन  करना असंभव है.

Jal Hi Jivan Hai Nibandh

जल ही जीवन है निबंध हिंदी में 500 शब्द (jal hi jeevan hai essay in hindi,)

भूमिका/प्रस्तावना.

जल का एक नाम ‘जीवन’ है. वैज्ञानिक भी कहते हैं कि पृथ्वी पर जीवन का प्रारंभ जल से ही हुआ है. अतः जल जीवन का आधार है. बिना जल के प्राणियों का अस्तित्व संभव नहीं है. जल प्रकृति का एक अमूल्य उपहार है.

जल संरक्षण का तात्पर्य

जल संरक्षण का तात्पर्य है कि पानी का अपव्यय होने से रोकना और वर्षा ऋतु के समय व्यर्थ बह जाने वाले पानी को भविष्य के लिए सुरक्षित करना. बताया जाता है कि धरती का तीन चौथाई भाग पानी से ढका हुआ है लेकिन पीने योग्य पानी और उपयोग योग्य पानी की मात्रा बहुत ही सीमित है. हम प्रायः धरती के भीतर उपलब्ध जल को उपयोग में लाते हैं. कुएं, हैंडपंप, नलकूप, सबमर्सिबल पंप आदि से हमें पानी प्राप्त होता है. धरती के ऊपर नदी, तालाब झील झरना आदि का जल उपयोग में आता है. किंतु आज के बढ़ते प्रदूषण के कारण यह सभी जलाशय प्रदूषित होते जा रहे हैं. प्रदूषण हो जाने के कारण इन जलाशयों का जल अनुपयोगी होता जा रहा है. धरती के भीतर के जल का अंधाधुंध उपयोग करने से इसका जलस्तर भी लगातार नीचे गिरता जा रहा है. यह भविष्य में पानी के घोर संकट का संकेत है. अतः जल का संरक्षण करना अनिवार्य है.

जल जीवन में का महत्व

हमारे जीवन में पानी एक अनिवार्य संसाधन है. क्योंकि हम सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक पानी का सैकड़ों बार उपयोग करते हैं. चाहे हमें ब्रश करना हो या खाना बनाना हो. जीवन के हर एक छोटे से छोटे हिस्से के लिए पानी की आवश्यकता होती है. जब हमें प्यास लगती है तो पानी के बिना एक-दो घंटे रह पाना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसी स्थिति में यदि भविष्य में लोगों के लिए पानी की कमी होगी तो लोग अपना जीवन यापन कैसे करेंगे? इसके लिए सभी लोगों को प्रभावी कदम उठाने होंगे तभी पानी की कमी की समस्या का कोई हल निकल सकेगा

जल का संरक्षण

देश में जल स्तर लगातार गिरता ही जा रहा है. भूमि के अंदर उपलब्ध जल के स्तर का संतुलन वर्षा के जल से होता है. वही जल का स्तर हमारे देश में पहले से ही कम होता जा रहा है. देश के कई हिस्सों में वर्षा कम होने के कारण धरती को फिर से पानी नहीं मिल पाता है. इसी को देखते हुए लोग अब जल संरक्षण के लिए जागृत हो रहे हैं. लोग परंपरागत विधियों के माध्यम से जल का भंडारण कर रहे हैं. सरकार भी इस दिशा में लगातार प्रयास कर रही है. खेतों में जल के अपव्यय को रोकने के लिए सिंचाई की फव्वारा पद्धति, पाइप लाइन से आपूर्ति, हौज पद्धति, खेत में ही तालाब बनाने आदि की पद्धति को अपनाया जा रहा है. 

धरती के भीतर लगातार जल स्तर का गिरना जल संकट की चेतावनी है. भूमंडल का वातावरण गरम हो रहा है जिस वजह से नदियों के जन्म स्थल ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. कहीं ऐसा ना हो कि हमारी प्रसिद्ध नदियों के सिर्फ नाम ही शेष रह जाएं. हम सभी का यह दायित्व बनता है कि हम सभी मिलकर अपने तन मन धन से जल संरक्षण को सफल बनाएं.

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jal hi jivan hai essay in hindi

जल एक महत्वपूर्ण घटक है। यह प्रकृति द्वारा दिया गया सबसे अमूल्य तत्वों में से एक है। जल के बिना जिस तरह हम मनुष्यों का जीवन संभव नहीं है उसी तरह जल के बिना यह सृष्टि भी संभव नहीं है। वैसे तो हमारी पृथ्वी चारों ओर से जल से गिरी हुई है परंतु पीने और जीवन यापन करने योग्य बहुत कम है और दिन प्रतिदिन कम भी होता जा रहा है। हमारी पृथ्वी पर 71% पानी है और पीने योग्य 2.9% पानी है। अब आप खुद ही सोच लीजिए कि भविष्य में हमें पानी की कितनी कमी हो सकती है। इसलिए हमें पानी को बचाने के बारे में अवश्य सोचना चाहिए। क्योंकि हम अपने जीवन में कितनी भी तरक्की कर लें परंतु पानी की कमी कोई और वस्तु पूरी नहीं कर सकती।

जल बिना जीवन यह सोचना भी मुश्किल है। जल के बिना पृथ्वी पर जीवन बिल्कुल असंभव है। पृथ्वी पर रहने वाले हर जीव जंतु वृक्ष पेड़ सभी के लिए पानी बहुत महत्वपूर्ण है। इसीलिए जल को जीवन का आधार कहा जाता है। जिस तरह जीवन के लिए हवा, खाना, भूमि जरूरी है उसी तरह जल ही जीवन के लिए बहुत जरूरी है। कहते हैं जब संसार में कुछ नहीं था जब सिर्फ और सिर्फ जल था जल के बिना संसार का होना बिल्कुल ही मुश्किल है। जल भगवान द्वारा हमें दिया गया एक अमूल्य तोहफा है। और यह जल हमारे लिए कितना जरूरी है यह सब आप भली-भांति जानते होंगे के बिना जल के 1 दिन भी जीना कितना मुश्किल हो जाता है।

जल के लाभ उसके बारे में हम सबको पता है कि जल से हमें कितने लाभ होते हैं। जल की ही वजह से हमें इतने सुंदर पेड़-पौधे, नदियां, तालाब देखने को मिलते हैं। हमारे जीवन जीने के लिए भोजन जरूरी है और उस भोजन को उगाने में जमीन के लिए पानी एक अमृत की तरह काम करता है। जल एक शीतल तत्व है जिसके सेवन मात्र से ही हमें एक ऐसा सुख मिलता है जिसका वर्णन भी नहीं किया जा सकता। जल ही हमारे शरीर को शुद्ध करने के काम आता है जल से हमारे शरीर की कई सारी बीमारियां भी दूर होती है। इसलिए जल को बचाए रखना और इसे प्रदूषित होने से बचाना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी बनती है। पर हम मनुष्यों ने जल को सिर्फ एक छोटी सी चीज मानकर उस पर ध्यान देना व उसे बचाने का प्रयास करना भी बिल्कुल ही छोड़ दिया है। और हम अपना सुख देखने के लिए प्रकृति को दुख पहुंचाते जा रहे हैं। दिन व दिन सभी प्राकृतिक चीजों को प्रदूषित करते जा रहे हैं। हमें अपने इस कार्य को रोक कर जल की सुरक्षा और उसे बचाने के बारे में जरूर सोचना चाहिए।

जल से हानियां

वैसे तो जल भगवान द्वारा हमें दिया गया सबसे अमूल्य तोहफा है और इससे हमें सिर्फ और सिर्फ लाभ होते हैं परंतु हमारी ही कुछ गलतियों की वजह से यह पानी हमें हानि भी पहुंचाता है। जिस तरह से मनुष्य अपना विकास करते जा रहा है वह अपने विकास के साथ-साथ प्रकृति को भी काफी नुकसान पहुंचाते जा रहा है। अबू पृथ्वी के हर कोने पर इंसान बस्ते जा रहे हैं जिससे कि जंगल, पेड़-पौधों,  नदियो का स्थान हमारे जीवन से खत्म होते जा रहा है। प्रकृति में आए बदलाव के कारण कभी-कभी जल की वर्षा इतनी हो जाती है कि चारों तरफ सिर्फ और सिर्फ पानी ही होता है और बाढ़ भी आ जाती है। बाढ़ आने से हमें जान-माल की बड़ी हानि होती है। अधिक पानी गिर जाने की वजह से हमारी सारी फसलें खराब हो जाती है जिससे कि भुखमरी या अकाल भी आ जाता है। हमारे द्वारा फैलाए गए प्रदूषण की वजह से जल दूषित हो जाता है इसके बाद वह अन्य नदियों या तालाबों में मिलकर हमारे घर पीने में इस्तेमाल किया जाता है जिसे पीने के बाद हमें कई सारी बीमारियां होने लगती है।

जल कैसे जीवन है?

जल प्राणियों की प्यास बुझाता है। इसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल ही नहीं असंभव है। जल एक ऐसा तत्व है जिसकी जरूरत हमें जीवन के हर पड़ाव पर पड़ती है। जल के बिना ना तो मनुष्य जिंदा रख सकते हैं ना पशु-पक्षी और ना वृक्ष सबके लिए जीवन का एक ही जरिया है सिर्फ और सिर्फ जल। जल को हमारे वेद पुराणों में देवता कहा गया है। और यह भी कहा है कि बिना जल के जीवन असंभव है इसीलिए हर व्यक्ति को जल को इस्तेमाल करने के साथ-साथ उसे बचाने के बारे में जरूर सोचना चाहिए.

जिस तरह हम जल का अंधाधुन इस्तेमाल करते जा रहे हैं उससे यह कहना गलत नहीं होगा कि हम अपने ही हाथों अपने जीवन का सर्वनाश करते जा रहे हैं। क्योंकि समय रहते अगर जल को संरक्षित करने के बारे में ना सोचा गया तो आगे चलकर हमें एक बूंद पीने योग्य जल के लिए काफी संघर्ष करना पड़ सकता है इसलिए आज समय रहते ही जल की खपत सावधानीपूर्वक करनी होगी और उसे बचाने के लिए प्रभावी उपाय और प्रयास करने होंगे।

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  jal hi jivan hai nibandh in hindi

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दा इंडियन वायर

जल है तो कल है पर निबंध

essay on topic jal hi jeevan hai

By विकास सिंह

essay on topic jal hi jeevan hai

मनुष्य को पीने के लिए जल की आवश्यकता होती है। कृषि के लिए पानी की आवश्यकता होती है। किसी नें सही कहा है, जल है तो कल है।  हमें व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने के लिए, और अपने घरों और आस-पास को साफ रखने के लिए पानी की आवश्यकता है। कई औद्योगिक प्रक्रियाओं को भी पानी की आवश्यकता होती है।

विषय-सूचि

जल है तो कल है पर निबंध, save water essay in hindi (200 शब्द)

हम हर जगह यह सुनते रहते हैं कि भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए हमें पानी बचाना चाहिए लेकिन हम इसे हमेशा हल्के में लेते हैं। जब से हम सुबह उठते हैं और जब तक हम रात में सोते हैं तब तक हमें पानी की आवश्यकता होती है और कई तरीकों से पानी का उपयोग करते हैं।

वास्तव में पानी के बिना हमारे दिन की कल्पना करना असंभव है। लेकिन हर कदम पर हम इसे बहुत बर्बाद कर रहे हैं। हमें स्कूलों में पढ़ाया जाता है कि हमारे ग्रह का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा पानी से ढका हुआ है, लेकिन यह सब हमारे उपयोग के लिए फिट नहीं है इसलिए हमें पानी बर्बाद नहीं करना चाहिए।

हमारी सरकार और अन्य जागरुकता पैदा करने वाले संगठनों के पास समय है और फिर से हमें जल संरक्षण के महत्व के बारे में शिक्षित करने का प्रयास किया है। ऐसे कई तरीके हैं जिनके द्वारा हम अपने दैनिक जीवन में पानी बचा सकते हैं। उपयोग न होने पर नल को बंद करने जैसे सरल कार्य, कपड़े धोने में पानी का पुन: उपयोग करने की कोशिश करना, शॉवर के बजाय बाल्टी का उपयोग करना कुछ ऐसे तरीके हैं जिनके द्वारा हम बहुत सारा पानी बचा सकते हैं।

अगर हम समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाएंगे तो जल्द ही हमें पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा। मनुष्य पानी के बिना जीवित नहीं रह सकता है और यह केवल हम ही हैं जो इसे सबसे अधिक बर्बाद कर रहे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पृथ्वी को बचाने के लिए हमें पानी बचाने की जरूरत है।

जल है तो कल है पर निबंध, save water essay in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना:.

’पृथ्वी पर जीवन बचाने के लिए पानी बचाओ’, यह नियम अब हम सभी के लिए प्रमुख आवश्यकता बन गया है। हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी पर रहने के लिए पानी उतना ही आवश्यक है, लेकिन सबसे बुरी बात यह है कि दिन पर दिन ताजा पानी कम होता जा रहा है।

पानी की कमी के कारण दुनिया में सूखे, विभिन्न बीमारियों, पर्यावरण प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसे कई प्राकृतिक संकट पैदा हो रहे हैं, फिर भी दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा पानी की बचत के महत्व को नहीं समझ रहा है।

जल बचाओ पृथ्वी बचाओ:

स्वच्छ जल अभी भी भारत के कई दूरदराज के क्षेत्रों में एक लक्जरी है। कई को अपने परिवार के लिए दो बाल्टी स्वच्छ पानी पाने के लिए हर दिन किलोमीटर तक चलना पड़ता है। दूसरी तरफ हम में से कई ऐसे हैं जो हर दिन निर्दयतापूर्वक पानी बर्बाद करते हैं। स्वच्छ पेयजल की पहुँच प्राप्त करना प्रत्येक नागरिक का अधिकार होना चाहिए।

हमें पानी के महत्व को समझना होगा और इसके अभाव से जुड़ी समस्याओं के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। हमें अपने बच्चों को शिक्षित करना चाहिए कि वे पानी का उपयोग बहुत समझदारी से करें और भविष्य के लिए बचत करें। हम स्वच्छ पानी को भी दूषित करते हैं जो इसे पीने के उद्देश्यों के लिए अयोग्य बनाता है। हमारी सरकार द्वारा पानी की बचत के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए जल संरक्षण पर विभिन्न परियोजनाएं शुरू की गई हैं, फिर भी कई पानी की कमी के कारण पीड़ित हैं।

निष्कर्ष:

देशों की सरकार को विभिन्न क्षेत्रों में पानी की समुचित आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए और लोगों को समझदारी से पानी का उपयोग करना चाहिए और प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए किसी भी प्रकार के अपव्यय से बचना चाहिए।

जल है तो कल है पर निबंध, save water essay in hindi (400 शब्द)

हमारी धरती मां ने हमेशा हमारी रक्षा की है और हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि हमें वह सब कुछ मिले जिसकी हमें जरूरत है। मानव जाति के हित के लिए सभी प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं। लेकिन दुख की बात है कि बदले में हमने इन संसाधनों का केवल शोषण और दुरुपयोग किया है। जल एक प्राकृतिक संसाधन है जो सभी जीवन रूपों की आधारशिला है।

यह कहना कठिन है, लेकिन यह तथ्य यह है कि पीने योग्य पानी दिन-प्रतिदिन पूरी दुनिया में कम हो रहा है, यहां तक ​​कि पृथ्वी भी 71% पानी से ढकी हुई है। पानी बचाओ जीवन बचाओ ’के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न देश विभिन्न कार्यक्रम और कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।

पानी बचाओ धरती बचाओ:

हम पानी के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं इसलिए हमें महसूस करना चाहिए कि यह बहुत महत्वपूर्ण है। शोध के अनुसार यह ज्ञात है कि पृथ्वी पर सभी पानी के ताजे पानी का केवल 1% है। हम इंसान इसे किसी भी चीज की तरह बर्बाद कर रहे हैं। वो दिन दूर नहीं जब पानी सोने जैसा महंगा होगा। ऐसे कई तरीके हैं जिनमें हम नीचे दिए गए पानी की बर्बादी में योगदान दे रहे हैं-

  • उपयोग में न होने पर नल को खुला छोड़ना।
  • जरूरत न होने पर लॉन और पार्कों में पानी छिडकाव करना।
  • पानी का पुन: उपयोग नहीं करना: अधिकांश पानी का पुन: उपयोग किया जा सकता है इसलिए बहुत अधिक बचत की जा सकती है।

सामाजिक जागरूकता के लिए विभिन्न कदम:

वर्तमान समय में हर जगह लोग जल संसाधनों की कमी, भूजल स्तर में कमी, दुनिया के कई हिस्सों में सूखे और वर्षा जल संचयन आदि के बारे में बात कर रहे हैं। जल संसाधनों की कमी अब दुनिया के लिए एक वैश्विक समस्या बन गई है और प्रमुख तथ्य है। यह तब हो रहा है जब पृथ्वी लगभग 71% पानी से ढकी हुई है। वास्तव में उपयोगी पानी केवल 3.5% उपलब्ध है, अन्य महासागर का पानी है जिसका उपयोग नहीं किया जा सकता है।

ऐसे किसी भी मुद्दे का सामना करना और हल करना सभी के लिए सामाजिक जागरूकता है। पूरी दुनिया अब पानी की कमी के ऐसे वैश्विक मुद्दे को सुलझाने के लिए एकजुट है।

सभी को हमारे जीवन में पानी के महत्व और पानी की कमी के दौरान आने वाली समस्या को समझना चाहिए। सरकार और एनजीओ पानी के महत्व के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं और कैसे दैनिक जीवन में पानी की बचत करते हैं। पानी कीमती है और हमें इसे बर्बाद नहीं करना चाहिए।

जल है तो कल है पर निबंध, save water essay in hindi (500 शब्द)

पानी (रासायनिक सूत्र H2O) एक पारदर्शी रासायनिक पदार्थ है। यह हर प्राणी के लिए मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। जिस तरह हवा, धूप और भोजन, पृथ्वी पर जीवन के उचित विकास और विकास के लिए पानी की आवश्यकता होती है। हमारी प्यास बुझाने के अलावा, पानी का उपयोग कई अन्य गतिविधियों जैसे कि सफाई, धोने और खाना पकाने के लिए किया जाता है।

पानी बचाने का महत्व:

इस तथ्य में कोई रॉकेट साइंस नहीं है कि पानी को बचाना बहुत जरूरी है अन्यथा हम नहीं जी पाएंगे। जल इस पृथ्वी पर सभी जीवन रूपों के लिए आधार और नींव है। हालाँकि हमें लगता है कि पृथ्वी पर पानी पर्याप्त है लेकिन हमें इस बात का एहसास नहीं है कि पानी एक असीम संसाधन नहीं है। अगर हम जल्द ही पानी के संरक्षण के प्रयास नहीं करेंगे तो मीठे पानी की आपूर्ति समाप्त हो जाएगी। सरकारी अधिकारियों और हमारे नागरिकों के लिए भी जल संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता पर होना चाहिए।

पानी के संरक्षण से हमारे समाज पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे। ताजे पानी की भूमिगत आपूर्ति की निकासी में शहरीकरण के परिणाम में वृद्धि। इससे खेती और सिंचाई आदि जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों के लिए कम पानी उपलब्ध होता है।

यदि हम पानी का संरक्षण करते हैं तो हम अपने खेतों के लिए पर्याप्त पानी रख पाएंगे और फसलें बेहतर होंगी। पानी बचाने का मतलब यह भी नहीं है कि पेड़ों को काट दिया जाए क्योंकि जड़ें भूमिगत जल की मेज पर टिक जाती हैं। पानी बचाने के प्रयास में हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे और बदले में हम एक हरियाली पैदा करेंगे।

जल संरक्षण के उपाय क्या हैं?

पृथ्वी पर सूखे की सबसे खराब स्थिति को रोकने के लिए पानी का बेहतर और कम उपयोग हमारी आवश्यकता है। इस निबंध में, हम इस बात पर ध्यान केंद्रित करेंगे कि सौंदर्य हरियाली के वातावरण और पृथ्वी पर सबसे महत्वपूर्ण रूप से जीवन को बचाने के लिए पानी का संरक्षण कैसे किया जाए। अगर हम इस पर गंभीरता से सोचते हैं तो हमने पाया कि यह बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है। पहले हमें अपने दैनिक जीवन से शुरुआत करने की जरूरत है।

हमारी नई पीढ़ी को “पृथ्वी बचाओ धरती बचाओ” के सूत्र को समझने की अत्यधिक आवश्यकता है। हम इसे अपने जीवन के हर सेकंड में सहेज सकते हैं। एक छोटा कदम पानी की बचत में सैकड़ों गैलन जोड़ सकता है। यहाँ कुछ बिंदु हैं जिन्हें हमें अपने दैनिक जीवन में ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

हमें पानी की बर्बादी नहीं करनी चाहिए और इसके संरक्षण की दिशा में अपना योगदान देना चाहिए। हमें ऐसी गतिविधियों और योजनाओं का अभ्यास करना और बढ़ावा देना चाहिए जो जीवित प्राणियों की वर्तमान और भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिए पानी के संरक्षण और उसके स्रोतों की रक्षा करने में मदद करें।

जल है तो कल है पर निबंध, save water essay in hindi (600 शब्द)

हर दिन हम पानी बचाने के विज्ञापनों और अभियानों को सुनते हैं। हमारे आस-पास हर कोई हमारे लिए चिल्ला रहा है लेकिन क्या हम वास्तव में सुन रहे हैं। क्या हमने कभी इस समस्या के बारे में गंभीरता से सोचा है? पानी सबसे कीमती मुफ्त उपहारों में से एक है जो प्रकृति ने हमें प्रदान किया है।

मनुष्य दैनिक आधार पर बड़ी मात्रा में पानी बर्बाद करता है और यह अब प्रमुख चिंताओं में से एक बन गया है। इस दिशा में कई अभियान शुरू किए गए हैं लेकिन वे उतने उपयोगी साबित नहीं हो रहे हैं जितने होने चाहिए। हमारी सरकार ने भी पानी के संरक्षण के लिए विभिन्न कार्यक्रम और पहल शुरू की हैं, लेकिन जब तक हम लोगों को समस्या की गंभीरता का एहसास नहीं होगा, तब तक कुछ नहीं होगा।

जल के विभिन्न रूप:

जल पृथ्वी पर तीन अलग-अलग रूपों में मौजूद है – ठोस, तरल और गैस। इन रूपों पर एक संक्षिप्त नज़र है:

ठोस: पानी बर्फ बनाने के लिए 0 डिग्री पर जम जाता है जो इसकी ठोस अवस्था है। जैसे ही पानी जम जाता है, इसके अणु अलग हो जाते हैं और इससे इसकी तरल अवस्था में पानी की तुलना में बर्फ कम घनी हो जाती है। इसका मतलब है कि इसकी तरल अवस्था में पानी की मात्रा की तुलना में बर्फ हल्का है। इस प्रकार यह पानी पर तैर सकता है।

तरल: यह पानी का सबसे आम रूप है। इसकी तरल अवस्था में पानी का उपयोग पीने, धोने, सफाई, खाना पकाने, खेतों की सिंचाई और उद्योगों में विभिन्न उत्पादों को तैयार करने और प्रसंस्करण करने सहित कई तरीकों से किया जाता है।

गैस: पानी के फोड़े के रूप में, यह तरल से गैस में बदल जाता है, जिसे अक्सर जल वाष्प कहा जाता है। वाष्प हमेशा हमारे आसपास मौजूद होते हैं। जब पानी के वाष्प शांत होते हैं, तो वे एक बादल बनाते हैं।

पानी बचाओ जीवन बचाओ दुनिया बचाओ:

पृथ्वी पर जीवन के लिए पानी की प्रमुख आवश्यकता है। जीवन को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने के लिए सभी जीवित लोगों को पानी की आवश्यकता होती है। जैसे-जैसे जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, पानी की खपत भी बढ़ रही है और शहरीकरण के कारण पेड़ नियमित रूप से घटते जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषण, विभिन्न क्षेत्रों में सूखा, क्षतिग्रस्त फसल और ग्लोबल वार्मिंग की सबसे खराब स्थिति है।

इस प्रकार यह जीवन को बचाने और दुनिया को बचाने के लिए पानी को बचाने के लिए सभी को आदतें बनाने का उचित समय है।

पानी को संरक्षित करने के तरीके:

ऐसे कई तरीके हैं जिनसे हम पानी बचाने के लिए अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन के लिए आवेदन कर सकते हैं:

ब्रश करते समय नल बंद कर दें और आवश्यकता पड़ने पर ही इसका उपयोग करें। शावर की बजाय बाल्टी से स्नान करें, इससे बहुत सारा पानी बच सकता है। आपके घर में जो भी पानी का रिसाव है उसे ठीक करें। हाथ धोते समय नल बंद कर दें।

कपड़े धोने में जो पानी आपने इस्तेमाल किया है, उसका दोबारा इस्तेमाल करने की कोशिश करें। साबुन के पानी का आसानी से उपयोग किया जा सकता है। धोने वाली कारों में कम पानी का उपयोग करें। सब्जियों को धोने के लिए कम पानी का उपयोग करें।

लॉन की नली को ज्यादा देर तक न चलने दें। जल निकायों को प्रदूषित न करें। एक पेड़ लगाओ, यह बहुत उपयोगी होगा। बिजली का संरक्षण करें क्योंकि कई बिजली संयंत्र पनबिजली पर चलते हैं। इसलिए बिजली बचाने से आपको बदले में पानी बचाने में मदद मिलेगी।

जबकि पानी पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, यह समझने की आवश्यकता है कि विभिन्न घरेलू, कृषि और औद्योगिक उपयोग के लिए उपयोग की जाने वाली मात्रा सीमित है। यह बुद्धिमानी से उपयोग करने के लिए आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह हर एक तक पहुंचे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Bahut achcha nibandh hai asha karta hun ki aur bhi acche nibandh aap bhejenge

Very nice nibandh

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जल ही जीवन है पर निबंध || Jal hi Jivan hai per Nibandh Hindi mein

'जल ही जीवन है' यह कथन बिल्कुल सत्य है, क्योंकि पानी के बिना इस धरती पर जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है। जल एक ऐसी कीमती चीज है। जिसके बिना इंसान का कोई अस्तित्व ही नहीं जल हमारे लिए ईश्वर का दिया हुआ वरदान है। यह ना केवल पीने के काम आता है बल्कि इससे हम नहाते हैं, कपड़े धोते हैं, खाना पकाते हैं और साफ-सफाई भी करते हैं। पानी ना केवल मनुष्य के लिए जरूरी है बल्कि जीव जंतुओं और पक्षियों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

पानी का हमारे जीवन में बहुत ज्यादा महत्व है, इसलिए इसे बर्बाद होने से बचाना भी हमारा कर्तव्य है। जिस तरह से आज के समय में जल प्रदूषण बढ़ रहा है। वह बहुत ही दुखद है, यदि आज हमने धरती के पानी की बचत नहीं की और इसकी बिना वजह बर्बादी को नहीं रोका तो आने वाले समय में धरती पर पानी का नामोनिशान नहीं बचेगा और हमारी आने वाली पीढ़ी बिना पानी के धरती पर जीवित नहीं रह सकेगी।

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प्रस्तावना (Introduction) -

जल को हमारे जीवन का मूल्यवान धरोहर कहें या ये कहें कि इसके बिना जीवन के बारे में सोच भी नहीं सकते तो यह गलत भी नहीं होगा,क्योंकि जल है तो जीवन है। जल हमारी पृथ्वी में लगभग 71% है।

इसमें से हमारी पीने योग्य केवल 3 प्रतिशत ही पानी है। जिसे अलवणीय जल कहा जाता है, और इसका बहुत छोटा भाग ही प्रयोग के लिए उपलब्ध है। अलवणीय जल की उपलब्धता समय और स्थान के अनुसार भिन्न-भिन्न होती हैं। इस प्रकार जल के विकास के लिए जल का मूल्यांकन और संरक्षण आवश्यक हो गया है। जल मनुष्य के लिए बेहद अहम होता है जल के बगैर हम 1 दिन भी नहीं रह सकते हैं। हम पानी पिए बिना जीवित नहीं रह सकते। जल सिर्फ सेवन के लिए नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के गतिविधियों में इस्तेमाल होता है ।

जल से हम खाना बनाते हैं, कपड़े धोते हैं, नहाते हैं और हाथ, पैर भी हम जल द्वारा धोते हैं। जल नियमित रूप से हमें जरूरत होता है जल हमें नदियों, तालाबों वर्षा जैसे स्रोत से प्राप्त होता है। पृथ्वी पर अधिकांश जल समुंद्र में पाया जाता है। जो खारा रहा है और कुछ बर्फीला होता है। इनका पानी हम ना इस्तेमाल कर सकते हैं और ना ही सेवन कर सकते हैं क्योंकि समुद्र के पानी में नमक की मात्रा अत्यधिक होती है तथा समुद्र के ही पानी से नमक बनाया जाता है जिसे हम खाने के रूप में उपयोग करते हैं।

जल का महत्व (Important Of Water) -

जल जैसे मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण है, वैसे ही यह जीव जंतुओं, पेड़ पौधे और पृथ्वी के अन्य प्राणियों के लिए भी जरूरी है। हमारे शरीर का आधा वजन ही पानी से बना हुआ है, बिना जल के पृथ्वी पर जीवन ही असंभव है क्योंकि जल के बिना मनुष्य तड़पने लगता है और दम घुटने से उसकी मौत हो जाती है।

जल के बिना पंछियों और अन्य प्राणियों का भी यही हाल होता है। कुछ फसलें ऐसी होती हैं। जो पानी के बिना पैदा ही नहीं होती हैं जैसे - गेहूं, चावल, मक्का आदि पानी के बिना पेड़ पौधे मुरझा जाते हैं और ऑक्सीजन की कमी से मृत्यु हो जाती है, इसलिए जल की एक-एक बूंद को व्यर्थ होने से बचाना चाहिए क्योंकि जल है तो कल है।

जल का निर्माण कैसे होता है? (How to water Formed?) -

जल एक ऐसा पदार्थ है जो दो हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के अणुओं से मिलकर बनता है इसलिए जल का रासायनिक सूत्र H₂O है, यदि आसान शब्दों में कहें तो हाइड्रोजन की एक ऑक्साइड के रूप में जब हाइड्रोजन या हाइड्रोजन योगिक जलते हैं या ऑक्सीजन का ऑक्सीजन यौगिकों के साथ में प्रतिक्रिया करते हैं तब जाकर जल का निर्माण होता है। जल एक ऐसा पदार्थ है जिसके तीन अवस्थाएं होती हैं -

ठोस (Solid)

द्रव (Liquid)

गैस (Gas)

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हमारे देश भारत के जल संसाधन (water resources of our country India) -

भारत में विश्व के धरातल क्षेत्र का लगभग 2.45 प्रतिशत जल संसाधनों का 4 प्रतिशत और जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत भाग पाया जाता है। देश में 1 वर्ष में वर्णन से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4,000 घन किलोमीटर है।

धरातलीय जल और पुनः पूर्ति योग जल से 1,869 घन किलोमीटर जल उपलब्ध है। इसमें से केवल कुछ प्रतिशत जल का लाभदायक उपयोग किया जा सकता है इस प्रकार हमारे देश में जल संसाधन 1,122 घन किलोमीटर है।

जल के स्रोत (Sources of water) -

पृथ्वी पर जल के चार मुख्य स्रोत है। जो कि है नदिया, झीले, तलैया, तालाब। देश में कुल नदियां तथा सहायक नदियां जिन की लंबाई 1.6 कि.मी. से अधिक है। ऐसे नदियों को मिलाकर 10,360 नदियां हैं। भारत में सभी नदी बेसिनो में औसत वार्षिक प्रवाह 1,869 घन किलोमीटर में होने का अनुमान किया गया है।

फिर भी स्थलाकृतिक, जलीय और अन्य दबावों के कारण प्राप्त दरात जल का केवल लगभग 690 घन कि.मी. (32%) जल का ही उपयोग किया जा सकता है। कुछ नदियां जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु के जल ग्रहण क्षेत्र बहुत बड़े हैं। गंगा, ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में वर्षा अपेक्षाकृत अधिक होती है।

ये नदियां यद्यपि देश के कुल क्षेत्र के लगभग एक तिहाई भाग पर पाई जाती हैं। जिनमें कुल धरातलीय जल संसाधनों का 60 प्रतिशत जल पाया जाता है। दक्षिण भारतीय नदियां जैसे - गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में वार्षिक जल प्रभाव का अधिकतर भाग काम में लाया जाता है। लेकिन ऐसा ब्रह्मपुत्र, और गंगा, बेसिनो में अभी भी संभव नहीं हो सका है

जल की जरूरत और उसका प्रयोग (Water requirement and its use) -

पारंपरिक रूप से भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसकी जनसंख्या का लगभग दो - तिहाई भाग कृषि पर निर्भर है। इसलिए पंचवर्षीय योजना में कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए सिंचाई के विकास को एक अति उच्च प्राथमिकता प्रदान की गई है।

और बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना जैसे - भाखड़ा नांगल, हीराकुंड, दामोदर, घाटी, परियोजना, नागार्जुन सागर, परियोजना, इंदिरा गांधी, नहर परियोजना आदि शुरू की गई है। वास्तव में वर्तमान में जल की मांग सिंचाई की अवस्था के लिए अधीक है। हमारी पृथ्वी का भूजल सबसे अधिक कृषि में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें धरातल ही जल का 89 प्रतिशत और भूजल का 92 प्रतिशत जल का उपयोग किया जाता है। जबकि औद्योगिक सेक्टर में सतह जल केवल 2 प्रतिशत और भूजन का 5 प्रतिशत भाग ही उपयोग में लाया जाता है।

घरेलू सेक्टर में धरातलीय जल का उपयोग भूजल की तुलना में अधिक 9 प्रतिशत कुल जल के क्षेत्र में कृषि क्षेत्र का भाग दूसरे सेक्टरों से अधिक है फिर भी भविष्य में भी और अभी भी औद्योगिक और घरेलू सेक्टर में जल का उपयोग बढ़ाने की संभावना है।

जल प्रदूषण कम करने के उपाय (Measure to reduce Water Pollution) -

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आज के इस दौर में बढ़ते जल प्रदूषण को देखते हुए सरकार द्वारा बहुत से अभियान चलाए जा रहे हैं हर जगह नदियां तालाब आदि का विशेष ध्यान रखा जा रहा है तो हमारा भी यह करता बनता है कि हमें अपनी तरफ से जल बचाना चाहिए उसकी बर्बादी नहीं करनी चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए

सबसे पहले तो जो लोग नदियों,तालाबों,नहरो और कुओं आदि के किनारे बैठ कर नहाते हैं और कपड़े धुलते हैं, उसके पश्चात साबुन का इस्तेमाल करते हैं वह जल में जाकर मिलता है जिससे जल प्रदूषित होता है उन्हें रोकना चाहिए और उन्हें समझना चाहिए और इसके अलावा हमें बड़े-बड़े गड्ढों में जल को एकत्रित करना होगा।

लोगों को जल बचाने के लिए जागरुक करना होगा वर्षा में हो रहे जल को भी एकत्रित करना होगा। कारखानों से आ रहे दूषित जल को नदियों तालाबों आदि ने मिलने से रोकना होगा और सभी को आवश्यकतानुसार की जड़ को खर्च करने की सलाह देनी होगी इन प्रयासों से हम जल दूषित होने और जल कम होने से कुछ मात्रा में रोक सकते हैं।

किन राज्यों में जल उपयोग अधिक है? (Which states have the highest water use?)

पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, और तमिलनाडु, राज्यों में भूजल का उपयोग बहुत अधिक है। परंतु कुछ राज्य जैसे छत्तीसगढ़ उड़ीसा केरल आदि अपने भूजल क्षमता का बहुत कम उपयोग करते हैं।

 गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा, और महाराष्ट्र अपने भूजल संसाधनों का माध्यम दर से उपयोग कर रहे हैं। यदि वर्तमान प्रवृत्ति जारी रहती है, तो जल के मांग की आपूर्ति करने की आवश्यकता होगी। ऐसी स्थिति विकास के लिए हानिकारक होगी और सामाजिक उथल-पुथल और विघटन का कारण हो सकती है।

जल के गुणों का ह्रास (Degradation of Water) -

जल की गुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता अथवा अनावश्यक भारी पदार्थ से रहित जल से है। जल बाहरी पदार्थ जैसे सूक्ष्म भी जीव, रासायनिक पदार्थों यौगिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से प्रदूषित होता है। इस प्रकार के पदार्थ जल के गुणों में कमी लाते हैं, और इसे मानव उपयोग के योग्य नहीं रहने देते।

जब विषैले पदार्थ झीलों, झरनों, नदियों, समुद्रों, और अन्य जलाशयों में प्रवेश करते हैं। तो वे जल में घुल जाते हैं अथवा जल में निलंबित हो जाते हैं इससे जल प्रदूषण बढ़ता है और जल के गुणों में कमी आने से जली तंत्र(aquatic system) प्रभावित होते हैं।

कभी-कभी प्रदूषण नीचे तक पहुंच जाते हैं और भूजल को प्रदूषित करते हैं। हमारे देश में गंगा और यमुना ऐसी पवित्र नदियां है, जो सबसे अधिक प्रदूषित हैं परंतु अभी इन को साफ रखने के कई कार्य चल रहे है।

जल - जीवन मिशन (Jal Jivan Mission) -

हमारी भारत सरकार द्वारा जल जीवन मिशन को साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए खर्च करके प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसका ऐलान किया इस मिशन के तहत घर-घर में पाइप के द्वारा पानी पहुंचाने का लक्ष्य है।

73 स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए मोदी जी ने कहा कि देश में अभी करीब 50 फ़ीसदी परिवार को पाइप के द्वारा पानी नहीं मिल पा रहा है। जल संकट का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा कि सरकार ने एक विशेष काम की तरफ बल देने का निर्णय लिया है, और वह काम है, हमारे देश के हर घर में जल पहुंचाना और घर को पीने का शुद्ध जल मिले इस उद्देश्य की पूर्ति करने के लिए उन्होंने ऐलान किया कि हम इस मिशन को बहुत आगे लेकर जाएंगे ताकि सभी को स्वच्छ और साफ जल की प्राप्ति हो सके।

उन्होंने कहा कि जल मिशन के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कार्य करेगी और आने वाले वर्षों में साढे़ तीन लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा रकम इस मिशन के लिए खर्च करने का हमने संकल्प लिया है प्रधानमंत्री जी ने बताया कि जल जीवन मिशन पर आगामी वर्षों में करीब 3.5 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। मोदी जी ने कहा कि हमें जल संरक्षण के प्रयासों में अधिक तेजी लानी होगी उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2024 तक हर घर में नल के जरिए पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है मोदी जी ने प्रत्येक कार्य में पानी की उपलब्धता के तहत इस मिशन की शुरुआत की है।

विश्व जल दिवस (World Water day) -

22 मार्च को मनाने वाली विशव जल दिवस के दिन, देश के कई जगहों पर विभिन्न कार्यक्रम किए जाते हैं.1933 से मनाई जा रही है। इस दिवस को आज भी काफी उत्सव के साथ मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विशव की सभी विकसित देशों को स्वच्छ और साफ जल की उपलब्धता करना साथ जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करना है।

जल बचाव के उपाय (Water Conservation Measures) -

जल बचाओ के बहुत सारे उपाय है जैसे कि बर्तन धोते समय कम पानी का उपयोग करना नल की आवश्यकता होने पर ही खोलना नहाते समय सावर का इस्तेमाल नहीं करना बाल्टी के पानी का उपयोग करना जिससे काफी पानी बचता है। बरसात में पानी को स्टोर करके रखना जिसके लिए कई सारे अभियान भी चलाए जा रहे हैं।

जल संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत है जैसे कि टॉयलेट में फ्लैश की जगह बाल्टी से पानी डालें तालाबों का निर्माण करें जिससे पानी की बचत होती है वर्षा के जल को एकत्र करें और छत पर पानी की टंकी बनाएं।

वृक्षों की हो रही कटाई पर रोक लगानी चाहिए और लोगों को और अधिक वृक्षारोपण करने के लिए आग्रह करना चाहिए वृक्ष ही ऐसा साधन है जो वर्षा के लिए उत्तरदाई है जैसे जैसे वनों की कटाई होगी वृक्षों की कटाई होगी जल की समस्या बढ़ती जाएगी इसलिए हमें वनों की अथवा पेड़ों की कटाई पर रोक लगानी चाहिए। हमें जरूरत के हिसाब से ही पानी का उपयोग करना चाहिए और वर्षा के जल का संग्रह करना चाहिए।

उपसंहार (Conclusion) -

हमारी पृथ्वी पर पानी की मात्रा सीमित है और इस बात की जानकारी सभी को रखनी चाहिए क्योंकि जल ही जीवन है जल के बिना जीवन संभव नहीं है इसके लिए हमें इसके महत्व को समझाना होगा। वरना ऐसा ना हो कि हम पानी को पीना तो दूर देख भी ना सकें।

इसलिए अभी से इसके संरक्षण के बारे में सोचना और पानी की बचत करना बहुत जरूरी है। सरकार और कई संस्थाएं साथ ही कई अभिमान भी पानी के लिए जागरूकता फैला रहे हैं। तो हमें भी इन पानी बचत के कार्यक्रम में पूरा-पूरा सहयोग देते हुए पानी की बचत करनी चाहिए, क्योंकि बहुत कीमती है ये पानी किसी सोने-चांदी से कम नहीं है। इसलिए इसके महत्व को समझे और जल की बचत करिए, जल है तो हमें है, जल है तो जीवन है।

कहा जाता है कि आप भोजन के बिना 21 दिन तक जिंदा रह सकते हैं जल के बिना 100 घंटे यानी लगभग 3 से 4 दिन और वायु के बिना 5 मिनट। अर्थात हमारे जिंदा रहने के लिए वायु के बाद जल सर्वाधिक उपयोगी वस्तु है।

जल ही जीवन है पर 10 लाइन (10 line Essay on Water is Life) -

1. जल बहुत महत्वपूर्ण है इसके बिना हम धरती पर जीवित नहीं रह सकते।

2. जंगलों में रहने वाले जंगली जानवर भी पानी की खोज में इंसानों की बस्तियों की तरफ आ जाते हैं, जो की बहुत खतरनाक है।

3. हमें पीने के लिए जो पानी मिलता है वह हमें नदी कुएं तालाब और बारिश से मिलता है।

4. आज पीने के पानी के स्रोत सूख रहे हैं बारिश होना कम हो गई है जिसकी वजह से प्रदूषण बढ़ रहा है।

5. हम सब को पानी का महत्व समझना चाहिए और दूसरों को भी जल ही जीवन है इसके महत्व को समझना चाहिए।

6. धरती पर सभी जीवित प्राणियों के लिए जल अमृत के समान है।

7. अगर इसी तरह जल का दुरुपयोग होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जल की कमी से पूरी पृथ्वी तबाह हो जाएगी।

8. पानी का सदुपयोग करना हमारे लिए बहुत जरूरी है आज दुनिया में कई ऐसे जगह है जहां लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।

9. हमें जल बचाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए और जितना हो सके उतना जल को बचाना चाहिए।

10. जल हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।

यह Blog एक सामान्य जानकारी के लिए है इसका उद्देश्य सामान्य जानकारी प्राप्त कराना है। इसका किसी भी वेबसाइट या Blog से कोई संबंध नहीं है यदि संबंध पाया गया तो यह एक संयोग समझा जाएगा ।

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