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चंद्रयान 3 पर निबंध 100, 300, 500 शब्दों में | Chandrayaan 3 Essay in Hindi

  • by Rohit Soni
  • Essay , Science

इस लेख में हमने शेयर किए है चंद्रयान 3 पर निबंध 100, 300, 500 शब्दों में | Chandrayaan 3 Essay in Hindi. यह स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी निबंध है।

Table of Contents

चंद्रयान 3 पर निबंध 100, 300, 500 शब्दों में | Chandrayaan 3 Essay in Hindi

चंद्रयान 3 पर निबंध 100 शब्दों में: भारत का अंतरिक्ष मिशन का अद्वितीय कदम

  • चंद्रयान 3, भारत का एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन है। इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर लैंड करना और वहां से वैज्ञानिक अनुसंधान करना है।
  • इस मिशन का आयोजन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) द्वारा किया जा रहा है और यह चंद्रमा की अद्वितीय गहराइयों के अध्ययन को महत्वपूर्ण बना रहा है।
  • चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को लॉच किया गया है और 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा पर लैंड किया।
  • चंद्रयान 3 के अंतरिक्ष यातायात क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत को अंतरिक्ष में मजबूती देने का प्रयास कर रहा है।
  • इस मिशन से हम चंद्रमा की सतह की संरचना, रसायनी गुण, और मौसम के बारे में विशेष जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • चंद्रयान 3 के सफलता के बाद, अंतरिक्ष के गूढ़ रहस्यों से पर्दा उठाया जा सकता है।
  • यह मिशन भारत की अंतरिक्ष यातायात क्षेत्र में नया कदम है और हमारे वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान कर रहा है।
  • भारत चांद की दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाले विश्व का पहला देश है। और चांद पर पहुंचने चौथा देश बन चुका है।
  • इस मिशन की सफलता से भारत का अंतरिक्ष यातायात क्षेत्र में नया मील का पत्थर रखा जाएगा।
  • चंद्रयान 3 मिशन का सफल होना भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में नये दरवाज़े खोल दिया है और अंतरिक्ष की अद्वितीय रहस्यों को खोलने में हमारे लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।

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चंद्रयान 3 पर निबंध 300 शब्दों में: धरती से चांद तक का सफर

यहाँ पर Chandrayaan 3 Essay in Hindi 300 शब्द में दिया गया है।

प्रस्तावना:

“चंद्रयान-3” भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा चलाया गया एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन है। भारत इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह की खोज और अध्ययन करने का प्रयास कर रहा है। चंद्रयान-3 में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को चंद्रमा पर भेजा जाएगा और साथ ही एक ऑर्बिटर भी होगा, जो चंद्रमा की सतह को पूरी तरह से निगरानी करेगा। इस मिशन का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र को मजबूत करना और अंतरिक्ष में नए रहस्यों और ज्ञान को प्राप्त करना है।

चंद्रयान 3 मिशन क्या है ?

“चंद्रयान-3” एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन है, जिसे ISRO ने 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव सतह पर जानकारी जुटाना है। इस मिशन में विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर लैंड होगा, जबकि रोवर उसके सतह पर खोज करेगा। इसके अलावा, एक ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह को निगरानी करेगा और जानकारी जुटाएगा।

इस मिशन के माध्यम से हम निम्नलिखित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं:

  • चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर पानी और बर्फ की मौजूदगी की जानकारी।
  • चंद्रमा की सतह और उसकी संरचना की जानकारी।
  • चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल की जानकारी।
  • चंद्रमा में मौजूद वायुमंडल की जानकारी।
  • चंद्रमा में मौजूद प्राकृतिक खनिजों की जानकारी।

“चंद्रयान-3″ मिशन के माध्यम से भारत अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहा है। यदि यह मिशन सफल होता है, तो भारत चंद्रमा पर यान उतारने वाले देशों की सूची में शामिल होगा। इसके साथ ही हम चंद्रमा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे, जो हमारे वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान को बढ़ावा देगी और अंतरिक्ष के रहस्यों को सुलझाने में मदद करेगी।”

चंद्रयान 3 पर निबंध 400 शब्दों में: भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण की नई खोज

भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण क्षेत्र में चंद्रयान 3 एक महत्वपूर्ण कदम है। इस निबंध में, हम चंद्रयान 3 के मिशन की एक छोटी सी झलक प्राप्त करेंगे और यह जानेंगे कि यह कैसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है।

चंद्रयान 3: भारत का अंतरिक्ष मिशन

चंद्रयान-3 भारत का अगला अंतरिक्ष मिशन है, जो चंद्रयान-2 के बाद चलने वाला है। इस मिशन के लक्ष्य में चंद्रमा के सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग प्रदर्शित करना, प्रग्जान रोवर को चंद्रमा पर भ्रमण का प्रदर्शन करना और यथास्थित वैज्ञानिक प्रयोग करना शामिल है। इस लंबे सफर में चंद्रयान-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रतिभागियों द्वारा विकसित और निर्मित किया गया है।

मिशन का लक्ष्य

चंद्रयान 3 का मुख्य लक्ष्य चंद्रमा की सतह में जीवन जीने के लिए जरूरी चीजे जैसे- पानी, आक्सीजन, हाइड्रोजन जैसे ऊर्जा स्रोतों की खोज करना है। यह ऊर्जा स्रोतें भविष्य में अंतरिक्ष यातायात के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं।

चंद्रयान 3 का कार्यक्रम

चंद्रयान 3 का पहला कदम इसके लॉन्च का होता है। मिशन को विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है ताकि यह सफलतापूर्वक चंद्रमा की ओर बढ़ सके।

  • सूचना संग्रहण

चंद्रयान 3 के लिए सूचना संग्रहण का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मिशन चंद्रमा की सतह में ऊर्जा स्रोतों की खोज के लिए आवश्यक डेटा और जानकारी इकट्ठा करता है।

  • अंतरिक्ष यातायात

मिशन का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा चंद्रमा के करीब पहुँचना है। इसके बाद, यह संग्रहित डेटा और जानकारी को भूमि पर भेजता है।

  • वैज्ञानिक अनुसंधान

चंद्रयान 3 के साथ, वैज्ञानिक अनुसंधान होता है जिससे हम चंद्रमा की सतह में ऊर्जा स्रोतों की पूरी तरह समझ सकते हैं।

चंद्रयान 3 के महत्व

चंद्रयान 3 मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह हमारे देश को अंतरिक्ष में एक महत्वपूर्ण स्थान पर पहुंचाएगा और उसे ऊर्जा स्रोतों की खोज में नई संभावनाओं की ओर बढ़ाएगा।

इस निबंध में, हमने चंद्रयान 3 के मिशन की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की है। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नई ऊर्जा की खोज करने का प्रयास है। चंद्रयान-3 सफलता पूर्वक चाँद पर उतर चुका है। इस सफलता के बाद, भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नई पहचान मिल चुकी है। और विश्व में उच्च स्तरीय विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में उच्च स्थान प्राप्त हो गया है।

और चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव के बारे में जानकारी मिलेगी जिसके बारे में आज तक कोई भी देश कोई जानकारी प्राप्त नहीं कर सका है। यह भारत के लिए बेहद गर्व की बात है।

चंद्रयान 3 पर निबंध 500 शब्दों में: धरती से चांद तक का सफर

यहाँ पर Chandrayaan 3 Essay in Hindi 500 शब्द में दिया गया है।

चंद्रयान 3, जो कि भारत के वैज्ञानिक और अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा चलाया गया, एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन है जिसने धरती से चांद का सफर किया। इस निबंध में, हम चंद्रयान 3 के मिशन के बारे में विस्तार से जानेंगे, इसके उद्देश्यों को समझेंगे, और कैसे यह धरती से चांद की ओर एक महान सफर का प्रारंभ करता है।

चंद्रयान 3 मिशन की शुरुआत

साल 2019 में चंद्रयान 2 की क्रैश लैंडिंग के बाद ISRO की टीम ने चंद्रयान-3 के लिए काम शुरू किया था।

चंद्रयान 3 की धरती से सफल लांचिग

भारत का तीसरा मून मिशन ‘चंद्रयान-3’ 14 जुलाई को लॉन्च हुआ था। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया था।

धरती से चांद तक का सफर

चंद्रयान 3 का धरती से चांद तक का सफर 3 लाख 84000 हजार किलोमीटर महज 40 दिनों का रहा हैं। चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई 2023 को 2:35 बजे इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM-3 M4 लॉन्चर (रॉकेट) द्वारा लॉन्च किया गया। अब चंद्रयान-3 ने अपनी सटीक कक्षा में चंद्रमा की यात्रा शुरू कर दी है।

इसे चांद तक भेजने के लिए धरती की ऑर्बिट पर 5 चक्कर लगाना होता है। फिर चांद की हाइवे पर जाना होता है-

  • 15 जुलाई 2023 को पहला ऑर्बिट-राइजिंग मैनूवर किया गया। अंतरिक्ष यान अब 41762 किमी x 173 किमी कक्षा में है।
  • 17 जुलाई 2023 को दूसरा ऑर्बिट-राइजिंग मैनूवर किया गया। अंतरिक्ष यान अब 41603 किमी x 226 किमी कक्षा में है।
  • 22 जुलाई 2023 को चौथा ऑर्बिट-राइजिंग मैनूवर किया गया। अंतरिक्ष यान अब 71351 किमी x 233 किमी की कक्षा में है।
  • 25 जुलाई 2023 को यान की कक्षा को बढ़ाकर 71351 किमी x 288 किमी पर सेट किया गया।
  • इसके बाद 1 अगस्त 2023 अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित किया गया है। हासिल की गई कक्षा 288 किमी x 369328 किमी है। जो कि सीधे धरती की कक्षा को छोड़कर चांद की हाइवे पर निकल गया है।
  • 05 अगस्त 2023 चंद्रयान-3 अब सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है। जैसा कि पूर्वनियोजित था, कक्षा 164 किमी x 18074 किमी हासिल की गई।
  • 06 अगस्त 2023 एलबीएन#2 सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। अंतरिक्ष यान चंद्रमा के चारों ओर 170 किमी x 4313 किमी की कक्षा में है।
  • 09 अगस्त 2023 को किए गए एक मैनूवर के बाद चंद्रयान -3 की कक्षा घटकर 174 किमी x 1437 किमी हो गई है।
  • 14 अगस्त, 2023 अंतरिक्ष यान 151 किमी x 179 किमी कक्षा में है।
  • 16 अगस्त, 2023 को मैनूवर के बाद अंतरिक्ष यान 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में है।
  • 17 अगस्त, 2023 लैंडर माड्यूल सफलतापूर्वक नोदन मॉड्यूल से अलग हुआ।
  • 19 अगस्त 2023 लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के चारों ओर 113 किमी x 157 किमी की कक्षा में है।
  • 20 अगस्त, 2023 लैंडर मॉड्यूल 25 किमी x 134 किमी कक्षा में है।

चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग

  • 23 अगस्त 2023 को शाम 6: लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शाम 6:04 बजे चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंडिंग किया। ‘मैं अपनी मंजिल तक पहुंच गया और आप भी!’: चंद्रयान-3 चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कर ली है। बधाई हो, भारत!
  • 24 अगस्त, 2023 चंद्रयान-3 रोवर: भारत में निर्मित। चंद्रमा के लिए बनाया गया! CH-3 रोवर लैंडर से नीचे उतरा और भारत ने चंद्रमा पर सैर की!

इस मिशन की सफलता भारतीय विज्ञान के नए खोज के रूप में देखी जा सकती है जो देश को विश्व में एक शक्ति बना दिया है। चंद्रयान-3 की लैंडिंग सफलतापूर्वक चांद की उस जमीन पर करा कर भारत ने एक नया इतिहास रच दिया है। जहाँ पर किसी पहुँचने की हिम्मत कोई भी देश आज तक नहीं कर पाया है।

FAQ: Chandrayaan 3

Q 1. चंद्रयान-3 का धरती से चांद तक का सफर.

उत्तर: चंद्रयान 3 का धरती से चांद तक का सफर 3 लाख 84000 हजार किलोमीटर महज 40 दिनों का रहा हैं। चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई 2023 को 2:35 बजे इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM-3 M4 लॉन्चर (रॉकेट) द्वारा लॉन्च किया गया। और 23 अगस्त 2023 को शाम 6:04 बजे सफलता पूर्वक उतर गया।

Q 2. चंद्रयान-3 की लॉच व लैंडिंग तिथि क्या है? (Chandrayaan-3 Launch and Landing Date)

उत्तर: चंद्रयान 3 को इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा 14 जुलाई 2023 को 23 अगस्त 2023 को शाम 6:04 बजे चंद्रमा पर साफ्ट लैडिंग की जा चुकी है। और विश्व में भारत ने यह कर के एक नया इतिहास रच दिया है।

Q 3. चंद्रयान-3 के मिशन का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: चंद्रयान-3 के मिशन का मुख्य उद्देश्य है- 1. चंद्र सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग प्रदर्शित करना 2. रोवर को चंद्रमा पर भ्रमण का प्रदर्शन करना और 3. यथास्थित वैज्ञानिक प्रयोग करना

Q 4. चंद्रयान-3 का अंतरिक्ष मिशन कितने समय तक चलेगा?

उत्तर: चंद्रयान-3 का मिशन 14 दिनों का है क्यों चंद्रमा पर अगले 14 दिनों तक ही दिन रहेगा। क्योंकि चंद्रमा पर 14 दिन का दिन होता है और 14 दिन तक रात रहती है। चूकि प्रग्जान रोबर सोलर पैनल से चलेगा इसिलिए अगने 14 दिन तक ही उसे एनर्जी मिल सकेगी।

Q 5. क्या चंद्रयान 3 सफलता पूर्वक लैडिंग किया है?

उत्तर: हाँ, चंद्रयान-3 सफलता पूर्वक चाँद पर उतर चुका है। इस सफलता के बाद, भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नई पहचान मिल चुकी है और विश्व में उच्च स्तरीय विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में उच्च स्थान प्राप्त हो गया है। और चंद्रमा के उस साउथ पोल हिस्से के बारे में जानकारी मिलेगी जिसके बारे में आज तक कोई भी देश कोई जानकारी प्राप्त नही कर सका है।

Q 6. सॉफ्ट लैंडिंग क्या है

सरल शब्दों में कहें तो, ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का मतलब किसी अंतरिक्ष यान की सफल लैंडिंग से है, जिससे उसे या उसके पेलोड को कोई भी नुकसान नहीं होता है।

जबकि इसके विपरीत, ‘हार्ड लैंडिंग’, में लैंडिग होने वाला वाहन सतह पर कीफी तेज गति से टकराता है जिससे अक्सर लैंडिंग वाहन को काफी नुकसान पहुचता है और वह क्रैश हो जाता है।

चंद्रयान 3 पर निबंध 100, 300, 500 शब्दों में | Chandrayaan 3 Essay in Hindi

Hello friends मेरा नाम रोहित सोनी (Rohit Soni) है। मैं मध्य प्रदेश के सीधी जिला का रहने वाला हूँ। मैंने Computer Science से ग्रेजुएशन किया है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए मैं पिछले 5 वर्षों से लेखन का कार्य कर रहा हूँ। और अब मैं Hindi Read Duniya और कई अन्य Website का Admin and Author हूँ। Hindi Read Duniya   पर हम उपयोगी , ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में  शेयर करने का प्रयास करते हैं। इस website को बनाने का एक ही मकसद है की लोगों को अपनी हिंदी भाषा में सही और सटीक जानकारी  मिल सके। View Author posts

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चंद्रयान 3 पर हिंदी निबंध और भाषण: Chandrayaan 3 Essay in Hindi for School Students

Chandrayaan 3 निबंध - essay on chandrayaan 3 in hindi: चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग होते ही भारत ने अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नई उपलब्धि हासिल की. जागरण जोश पर देखें चंद्रयान ३ के बारे में यह निबंध अपने स्कूल, कॉलेज के किसी भी प्रोजेक्ट या असाइनमेंट के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. .

Pragya Sagar

Chandrayaan 3 Essay, Speech in Hindi:  चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर इतिहास रचा और वैश्विक स्तर पर भारत का मान बढ़ाया। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए चंद्रयान-3 को 'वर्ल्ड स्पेस अवार्ड' से सम्मानित किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष महासंघ ने इस पुरस्कार की घोषणा करते हुए इसे ऐतिहासिक उपलब्धि करार दिया है। यह सम्मान चंद्रयान-3 को 14 अक्टूबर को इटली के मिलान में आयोजित 75वें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री कांग्रेस के उद्घाटन समारोह के दौरान दिया जाएगा।

प्रज्ञान रोवर चंद्रयान लैंडर से नीचे उतरा और भारत ने चंद्रमा पर सैर की! चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हो गई है. चाँद के बारे में हो रहे सभी वैज्ञानिक कार्य और भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में चंद्रयान 3 सबसे महत्वपूर्ण है.  जागरण जोश के इस आर्टिकल में हमने चंद्रयान पर लगभग 200 शब्दों में एक essay अथवा speech दिया है। छात्र इस निबंध और भाषण को अपने स्कूल के होमवर्क , असाइनमेंट, क्लास एक्टिविटी के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. साथ ही साथ हमने और भी विस्तार में चंद्रयान 3 की जानकारी इस निबंध के बाद दी है जिसका उपयोग करके आप इसे और भी बड़ा और विस्तृत बना सकते हैं।

Chandrayaan-3 Mission: Efforts have been made to establish communication with the Vikram lander and Pragyan rover to ascertain their wake-up condition. As of now, no signals have been received from them. Efforts to establish contact will continue. — ISRO (@isro) September 22, 2023

चंद्रयान-3 हिंदी निबंध और भाषण - Essay and Short Speech on Chandrayaan 3 in Hindi

चंद्रयान-3 भारत का महत्वाकांक्षी और सफल चंद्र मिशन है। अपने पूर्ववर्तियों, चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 के नक्शेकदम पर चलते हुए। चंद्रयान-3 दक्षिणी ध्रुव चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का भारत का सफल प्रयास है। चंद्रमा के इस हिस्से तक पहुंचने वाला अब तक भारत एकमात्र देश है। इस महान तकनीकी सफलता को चिह्नित करने के लिए, प्रत्येक वर्ष 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया जाएगा।

चंद्रयान 3 के बारे में

चंद्रयान 3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.35 बजे भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। विक्रम रोवर ने 24 अगस्त, 2023 को शाम 6:30 बजे चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की। विभिन्न इन-सीटू प्रयोगों को करने के बाद, रोवर को 2 सितंबर, 2023 को निष्क्रिय कर दिया गया।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने विक्रम लैंडर के साथ चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग हासिल करने के लिए इस परियोजना की शुरुआत की, जिसने प्रयोग करने और मूल्यवान डेटा इकट्ठा करने के लिए प्रज्ञान रोवर को तैनात किया। मिशन चंद्रमा के भूविज्ञान, खनिज विज्ञान और बाह्यमंडल का अध्ययन करने पर केंद्रित है, जो चंद्रमा की उत्पत्ति और विकास के बारे में हमारी समझ में योगदान देगा।

चंद्रयान-3 के मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और नरम लैंडिंग का प्रदर्शन करना, चंद्रमा पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन करना और इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना है। मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, लैंडर में कई उन्नत प्रौद्योगिकियाँ मौजूद हैं जैसे कि लेजर और आरएफ-आधारित अल्टीमीटर, वेलोसीमीटर, प्रोपल्शन सिस्टम, आदि। ऐसी उन्नत तकनीकों को पृथ्वी की स्थितियों में सफलतापूर्वक प्रदर्शित करने के लिए, कई लैंडर विशेष परीक्षण, जैसे इंटीग्रेटेड कोल्ड टेस्ट, इंटीग्रेटेड हॉट टेस्ट और लैंडर लेग मैकेनिज्म प्रदर्शन परीक्षण की योजना बनाई गई है और इसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया है।

चंद्रयान 3 का महत्व

“चंद्रयान-3 भारत का एक महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन है। 24 अगस्त, 2023 को ISRO के नवीनतम अपडेट के अनुसार, चंद्रयान 3 रोवर प्रज्ञान लैंडर से नीचे उतर गया है और भारत ने चंद्रमा पर सैर की है! भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश है। चंद्रयान-3 चाँद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का भारत का दूसरा प्रयास था।  यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO: Indian Space Research Organisation) द्वारा 14 जुलाई, 2023 को 2.35 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया और करीब दो हफ़्ते बाद, यानी कि , करीब 5 अगस्त को चंद्रयान ३ चन्द्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा। 

चंद्रयान-3 के मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग का प्रदर्शन करना, चंद्रमा पर रोवर के चलने का प्रदर्शन करना और इन-सीटू यानि चाँद की सतह पर ही वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना है। मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, लैंडर में कई उन्नत प्रौद्योगिकियाँ मौजूद हैं जैसे कि लेजर और आरएफ-आधारित अल्टीमीटर, वेलोसीमीटर, प्रोपल्शन सिस्टम, आदि। ऐसी उन्नत तकनीकों को पृथ्वी की स्थितियों में सफलतापूर्वक प्रदर्शित करने के लिए, कई लैंडर विशेष परीक्षण, जैसे इंटीग्रेटेड कोल्ड टेस्ट, इंटीग्रेटेड हॉट टेस्ट और लैंडर लेग मैकेनिज्म प्रदर्शन परीक्षण की योजना बनाई गई है और इसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया है।

चंद्रयान-3 के माध्यम से, भारत का लक्ष्य अपनी तकनीकी कौशल, वैज्ञानिक क्षमताओं और अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना है। यदि चंद्रयान-3 सफल होता है, तो यह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा। यह मिशन युवा पीढ़ी को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।”

Chandrayaan-3 Mission: 'India🇮🇳, I reached my destination and you too!' : Chandrayaan-3 Chandrayaan-3 has successfully soft-landed on the moon 🌖!. Congratulations, India🇮🇳! #Chandrayaan_3 #Ch3 — ISRO (@isro) August 23, 2023

चंद्रयान 3 से क्या नयी जानकारी प्राप्त होगी?

  • चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर पानी की बर्फ की उपस्थिति के बारे में 
  • चंद्रमा की सतह और उसके संरचना के बारे में
  • चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के बारे में 
  • चंद्रमा के वायुमंडल के बारे में 

चंद्रयान 3 पर अपडेट

22 सितंबर, 2023: विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ फिर से संबंध स्थापित करने के लिए इसरो द्वारा परीक्षण जारी।

4 सितंबर, 2023: चंद्रयान-3, प्रज्ञान 3 रोवर सो रहा है (sleep mode)।

29 अगस्त, 2023: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सल्फर, एल्यूमीनियम, कैल्शियम, लोहा, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन पाए गए।

23 अगस्त, 2023 : चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हो गई है

23 अगस्त, 2023: चंद्रयान 3 सॉफ्ट-लैंडिंग का लाइव प्रसारण 23 अगस्त, 2023 IST 17:20 बजे शुरू होगा

20 अगस्त, 2023: लैंडर मॉड्यूल 25 किमी x 134 किमी कक्षा में है। पावर्ड डिसेंट 23 अगस्त, 2023 को लगभग 1745 बजे शुरू होने की उम्मीद है

19 अगस्त, 2023: लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के चारों ओर 113 किमी x 157 किमी की कक्षा में है। दूसरी डी-बूस्टिंग की योजना 20 अगस्त, 2023 को बनाई गई है

17 अगस्त, 2023: लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग किया गया। 18 अगस्त, 2023 को डिबॉस्टिंग की योजना बनाई गई

16 अगस्त, 2023: 16 अगस्त, 2023 को गोलीबारी के बाद अंतरिक्ष यान 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में है

14 अगस्त, 2023: मिशन कक्षा गोलाकार चरण में है। अंतरिक्ष यान 151 किमी x 179 किमी कक्षा में है

09 अगस्त, 2023: 9 अगस्त, 2023 को किए गए एक युद्धाभ्यास के बाद चंद्रयान -3 की कक्षा 174 किमी x 1437 किमी तक कम हो गई है

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चंद्रयान 3 पर निबंध | Essay on Chandrayaan 3 in Hindi

Essay on Chandrayaan 3 in Hindi

Essay on Chandrayaan 3 in Hindi : चंद्रयान 3 भारत का एक बहुत महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन है, जिसे 14 जुलाई, 2023 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था, और 24 अगस्त 2023 को उसकी चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की गयी थी। यह भारत का तीसरा चंद्र अभियान है जो भारत की एक बहुत बड़ी अंतरिक्ष उपलब्धि है।

चंद्रयान 3 के प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा के साउथ पोल पर उतर कर चंद्रमा की सैर की, और चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग भी किए। Chandrayaan 3 Mission का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर लैंड करना, और उसके वातावरण का अध्ययन करना है। सच में Chandrayaan 3 भारत के लिए काफी बड़ी उपलब्धि है।

इस आर्टिकल में, हम चंद्रयान 3 पर निबंध Hindi Mein लिख रहे है, जिसका इस्तेमाल आप अपने स्कूल होमवर्क, असाइनमेंट या क्लास एक्टिविटी के लिए कर सकते है। Essay on Chandrayaan 3 in Hindi में निम्नलिखित प्रकार से है।

प्रस्तावना – चंद्रयान 3 पर निबंध – Essay on Chandrayaan 3 in Hindi

चंद्रयान-3 भारत का तीसरा चंद्र मिशन है, जिसने चंद्रमा के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग की है। चंद्रमा के इस हिस्से तक पहुंचने वाला भारत एकमात्र देश है। चंद्रयान-3 के मिशन का संचालन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) के द्वारा किया गया।

Chandrayaan 3 ने 24 अगस्त, 2023 को शाम 6:30 बजे चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की थी। भारत की इस महान तकनीकी सफलता को चिन्हित करने के लिए, हर साल 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया जाएगा।

यह चंद्र मिशन हमें चंद्रमा के भूविज्ञान, खनिज विज्ञान और बाह्यमंडल का अध्ययन करने में मदद करेगा। भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला तीसरा देश है।

चंद्रयान 3 मिशन क्या है

चंद्रयान 3 भारत का महत्वपूर्ण चंद्र मिशन है जिसके तहत 14 जुलाई , 2023 को श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के साउथ पोल की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करना था।

Chandrayaan 3एक मल्टी-पार्ट मिशन है, जिसमें एक ऑर्बिटर, एक विक्रम लैंडर और एक प्रज्ञान रोवर शामिल है। इसका ऑर्बिटर चंद्रमा की परिक्रमा लगाएगा और चंद्रमा की सतह एव उसके वातावरण का अध्ययन करेगा।

इसका विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा, और प्रज्ञान रोवर को चंद्रमा की सतह पर छोड़ेगा। इसके बाद प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की तरह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। और चंद्रमा की सतह की संरचना, रसायन विज्ञान और भूविज्ञान का अध्ययन करेगा।

चंद्रयान-3 का मिशन 23 अगस्त , 2023 को सफलतापूर्वक पूरा हुआ था, इसलिए यह दिन भारत के लिए काफी अहम है। हमारे विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर दी है और प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग भी शुरू कर दिए है।

चंद्रयान 3 के मुख्य उद्देश्य

भारत ने चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 के बाद चंद्रयान-3 को लॉन्च किया, जिसके मुख्य तीन उद्देश्य हैं- 1. सुरक्षित और सॉफ्ट चंद्र लैंडिंग करना, 2. चंद्रमा की सतह पर रोवर को छोड़ना, और 3. चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करना।

चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्ण लैंडिंग की और साथ ही प्रज्ञान रोवर को भी सफलतापूर्वक छोड़ा। प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग भी शुरू कर दिए है।

इस बार प्रज्ञान रोवर में कई प्रकार के वैज्ञानिक उपकरण भी लगाए गए हैं, ताकि वह चंद्रमा की सतह पर 14 दिनों तक वैज्ञानिक प्रयोग कर सके। इन प्रयोगों से चंद्रमा पर जल की मौजूदगी, जीवन की संभावनाओं, और चंद्रमा की उत्पत्ति व विकास के बारे में पता लगाया जाएगा।

चंद्रयान 3 का महत्व

Chandrayaan 3 भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि चंद्रयान-3 एक ऐसा मिशन है जिसने चंद्रमा के साउथ पोल की जमीन पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की है। इसके कई वैज्ञानिक और आर्थिक महत्व हैं।

चंद्रयान-3 के वैज्ञानिक महत्व:

  • यह मिशन चंद्रमा की सतह पर कुछ महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग करेगा।
  • इससे हमे चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का पता चल सकेगा।
  • इससे हम चंद्रमा पर जीवन की संभावनाओं का भी अध्ययन कर पाएंगे।
  • इससे हम चंद्रमा की सतह की संरचना, रसायन विज्ञान और भूविज्ञान का अध्ययन कर पाएंगे।

चंद्रयान-3 के आर्थिक महत्व:

  • इससे भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का और अधिक विकास होगा।
  • यह मिशन युवाओं को अंतरिक्ष उद्योग में अपना करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
  • इससे देश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।
  • इससे भारत देश को चंद्रमा की अमूल्य जानकारी प्राप्त होगी, जिसे कई देश खरीदना चाहेंगे।

चंद्रयान 3 की चुनौतियां

चंद्रयान 3 के सामने कुछ चुनौतियां भी आयी, लेकिन फिर चंद्रयान 3 ने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। चंद्रयान-3 के सामने सबसे बड़ी चुनौति चंद्रमा पर लैंडिंग करना था, क्योंकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह काफी ऊबड़-खाबड़ थी।

Chandrayaan 3 को अंतरिक्ष के मौसम और माईक्रोमेटोरोइड के प्रभावों का भी सामना करना पड़ा। इसके अलावा चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर के साथ सही तरीके से नेविगेशन करना भी चुनौतीपूर्ण था।

एक और महत्वपूर्ण चुनौती यह भी पुराने ऑर्बिटर का उपयोग करके चंद्रयान-3 के साथ मजबूत संपर्क बनाए रखना।

चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग और लैंडिंग

चंद्रयान 3 को 14 जुलाई , 2023 शुक्रवार को श्रीहरिकोटा में भारतीय समय के अनुसार दोपहर 2:35 पर लॉन्च किया गया था। इसे ISRO के PSLV-C53 रॉकेट ने सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। इस चंद्रयान-3 का भारत लगभग 3,843 किलोग्राम था।

इस चंद्रयान-3 को 23 अगस्त , 2023 को चंद्रमा की सतह पर भारतीय समय के अनुसार सायं 6:04 बजे के आसपास लैंड किया गया। विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग की और साथ ही प्रज्ञान रोवर को भी सफलता से छोड़ा।

चंद्रयान 3 से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • चंद्रयान-3 भारत का तीसरा चंद्र मिशन है, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की।
  • चंद्रयान-3 मिशन के वजह से भारत दुनिया में चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला तीसरा देश बना।
  • Chandrayaan 3 एक मल्टी-पार्ट मिशन था, जिसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर शामिल था।
  • भारत एकमात्र देश है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच पाया है।
  • चंद्रयान-3 का कुल भार लगभग 3,834 किलोग्राम था।
  • इस मिशन का कुल बजट 615 करोड़ रूपये है।
  • चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग इसरो द्वारा PSLV-C53 रॉकेट द्वारा की गयी थी।
  • चंद्रयान-3 की सफलता की वजह से हर साल भारत में 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया जाएगा।
  • Chandrayaan 3 भारत का सफल अंतरिक्ष मिशन है, जो भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
  • चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर 14 दिन वैज्ञानिक प्रयोग करेगा, ताकि पानी की मौजूदगी और जीवन की संभावनाओं का अध्ययन किया जा सके।

उपसंहार

चंद्रयान 3 भारत का एक बहुत बड़ा अंतरिक्ष मिशन है जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करके भारत का एक नया अंतरिक्ष इतिहास बना दिया। यह पूरे भारत के लिए बहुत ही गौरवशाली उपलब्धि है। इस मिशन से भारत के युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षैत्र में आने के लिए प्रेरणा मिलेगी।

Chandrayaan 3 Essay In Hindi में हमने जाना कि कैसे हमारे भारत के वैज्ञानिकों ने पूरी मेहनत और लगन से चांद पर पहुंचने का सपना पूरा किया। इस मिशन की सफलता को पूरी दुनिया हमेशा इतिहास और विज्ञान के क्षैत्र में याद किया जाएगा।

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Chhoti Badi Baatein

  • हिंदी निबंध संग्रह - Hindi Essay Collection

चंद्रयान-3 पर निबंध – Chandrayaan-3 essay in Hindi

Chandrayaan-3 essay in Hindi – चंद्रयान-3 भारत और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की एक महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष परियोजना है जो चंद्रमा के अध्ययन से संबंधित है। इस लेख में हम एक निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं जिसमें हम चंद्रयान-3 के बारे में बात करेंगे। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी होगा।

Table of Contents

चंद्रयान-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान का महत्वपूर्ण कदम

प्रस्तावना:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 के जरिए चंद्रमा पर कदम रख दिया है जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन बनकर उभरा है। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष परियोजना में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य हमारी वैज्ञानिक और अनुसंधान क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है।

चंद्रयान-3 मिशन की महत्वकांशा 

आखिरकार वह दिन आ ही गया जब हमारे देश ने चांद पर कदम रख ही दिया। 23 अगस्त 2023 का वह सुनहरा दिन हमेशा के लिए इतिहास बन गया जिसे सदियों तक कोई नहीं भूल पाएगा। 

इस ऐतिहासिक दिन पर भारतीयों समेत पूरी दुनिया की निगाहें टेलीविजन स्क्रीन पर टिकी थीं। जैसे ही खबर आई कि चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर ली है, इसरो के वैज्ञानिकों के साथ-साथ पूरे देश की आम जनता में खुशी की लहर दौड़ गई।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की मदद से हमारा देश विज्ञान के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन प्रगति कर रहा है। आज भारत विज्ञान के क्षेत्र में अमेरिका और रूस जैसे शक्तिशाली देशों को भी चुनौती देने में लगा हुआ है।

हमारा देश चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। वैसे तो हमारा देश चांद पर पहुंचने का सफर पहले भी शुरू कर चुका था लेकिन आखिरी कुछ पलों में यह असफल हो गया।

आपको याद होगा कि 2019 में इसरो ने चंद्रमा पर लगभग 70 डिग्री दक्षिण के अक्षांश पर लैंडर और रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन इसरो की यह कोशिश सफल नहीं हो पाई। 

चंद्रयान-2 मिशन के लैंडर का एक भाग, जिसे “विक्रम” के नाम से जाना जाता है, 7 सितंबर 2019 को चंद्र सतह पर उतरने में विफल रहा था। लैंडर चंद्रमा की सतह पर एक गड्ढे के पास उतरने की कोशिश कर रहा था, लेकिन लगभग 2.1 किमी की ऊंचाई पर संपर्क टूट गया और वह चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

इस असफलता से हमारे वैज्ञानिकों को बहुत दुख हुआ लेकिन वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी। चंद्रयान-2 मिशन के बाद चंद्रयान-3 की योजना बनाई गई जो चंद्रमा की सतह की विशेषज्ञता को आगे बढ़ाने का एक प्रयास था। वह कोशिश करते रहे और आखिरकार चंद्रयान-3 के साथ उनकी कोशिश सफल रही। अब चंद्रयान-3 की सफलता ने तय कर दिया है कि भारत चंद्रमा की सतह पर एक नया इतिहास रचेगा। 

यह सफलता भारत की अंतरिक्ष परियोजना में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है और भारत वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति का हिस्सा बन सकता है। यह सफलता यह भी दर्शाती है कि भारत का वैज्ञानिक समुदाय ऐसे महत्वपूर्ण मिशनों को उच्च गुणवत्ता और निष्ठा के साथ सफलतापूर्वक पूरा कर सकता है।

चंद्रयान-3 मिशन क्या है?

चंद्रयान-3 एक भारतीय अंतरिक्ष मिशन है जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह का अध्ययन करना है। यह मिशन चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन के बाद आयोजित किया गया था और इसका निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा किया गया है। इस चंद्रयान-3 को बनाने में पूरी तरह से भारतीय तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।

14 जुलाई 2023 को इसरो द्वारा चंद्रयान 3 जैसा महत्वपूर्ण मिशन को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। लॉन्चिंग और लैंडिंग के बीच 40 दिन का समय था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव सतह पर सफलतापूर्वक उतारना था, जिसमें यह सफल साबित हुआ। 

चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह की गहराई में विशेषज्ञता हासिल करना है। इसके लिए इस मिशन में एक विशेष अंतरिक्ष यान भेजा गया है, जिसमें यंत्र और वैज्ञानिक उपकरण लगे हुए हैं।

सफल चंद्रयान-3 मिशन भारतीय वैज्ञानिकों को चंद्रमा की सतह के रहस्यों में विशेषज्ञता प्रदान कर सकता है और भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण स्थान दिला सकता है।

चंद्रयान 3 की विशेषताएं

  • चंद्रयान 3 को बनाते समय भारत ने किसी भी तरह से विदेशी तकनीक का सहारा नहीं लिया है। बल्कि भारतीय वैज्ञानिकों ने इसे पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बनाया है।
  • चंद्रयान-3 की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव वाले हिस्से पर उतारा गया है।
  • चंद्रयान-3 वैज्ञानिकों को तस्वीरें भेजेगा जिससे अनुमान लगाया जाएगा कि चंद्रमा की सतह की संरचना क्या है।
  • चंद्रयान-3 हमें चंद्रमा पर पानी और बर्फ की मात्रा के बारे में जानकारी देगा।
  • चंद्रयान 3 हमें यह पता लगाने में भी मदद करेगा कि चंद्रमा पर कितने प्राकृतिक तत्व और खनिज उपलब्ध हैं।
  • यह यान यह भी पता लगाएगा कि चंद्रमा पर कितनी तरह की प्राकृतिक गैसें जमा हैं।

चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य:

चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर विशेषज्ञता हासिल करना है। इसके लिए मिशन में एक विशेष अंतरिक्ष यान भेजा गया है, जिसमें अध्ययन उपकरण और वैज्ञानिक उपकरण लगाए गए हैं। यह यान चंद्रमा की सतह पर शोध करेगा और नए डेटा और जानकारियां पृथ्वी पर भेजेगा।

इस मिशन की सफलता से हमें चंद्रमा के रहस्यों को जानने का मौका मिलेगा। यह हमारे वैज्ञानिक समुदाय के लिए गर्व की बात है और यह उपलब्धि हमारे अंतरिक्ष अनुसंधान को नई दिशाएँ प्रदान करेगा।

पिछले चंद्रयान मिशनों से मिली सफलताओं और सीखों पर आधारित चंद्रयान-3 मिशन के कई प्रमुख उद्देश्य होने की उम्मीद है।

  • चंद्रमा की सतह का अध्ययन: चंद्रयान-3 का उद्देश्य चंद्रमा की सतह का अधिक विस्तार से पता लगाना, उसकी स्थलाकृति, खनिज विज्ञान और संरचना का अध्ययन करना है। यह अन्वेषण चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास और विकास के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान कर सकता है।
  • डेटा संग्रह और प्रसारण: इसका प्राथमिक उद्देश्य चंद्र सतह से डेटा एकत्र करना और उसे वापस पृथ्वी पर संचारित करना है। यह डेटा शोधकर्ताओं को चंद्र प्रक्रियाओं को समझने और वैज्ञानिक ज्ञान में योगदान करने में मदद कर सकता है।
  • रोवर तैनाती: चंद्रयान-3 में एक रोवर शामिल है जिसे चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतारा गया है। रोवर अब चंद्रमा की सतह पर घूमने, प्रयोग करने, डेटा एकत्र करने और इसे पृथ्वी पर वापस भेजने में सक्षम है।
  • वैज्ञानिक जांच: चंद्रयान -3 मिशन चंद्रमा के विभिन्न पहलुओं, जैसे कि इसके बाह्यमंडल, सतह रसायन विज्ञान और स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों में पानी की बर्फ की उपस्थिति का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक उपकरण भी ले गया है।
  • प्रौद्योगिकी प्रदर्शन: चंद्रयान-3 में चंद्र वातावरण में प्रणोदन, नेविगेशन, संचार और स्वायत्त संचालन में प्रगति प्रदर्शित करने के लिए नई तकनीकों को शामिल किया गया है।

चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान का विवरण:

चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान के कुछ विवरण इस प्रकार हैं:-

  • लैंडर: लैंडर को चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से छूने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें आमतौर पर चंद्रमा की सतह और परिवेश का अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक उपकरण शामिल हैं।
  • रोवर: रोवर एक छोटा, चलने योग्य वाहन है जो लैंडर द्वारा ले जाया जाता है और चंद्रमा की सतह पर घूम सकता है। यह प्रयोग करने और डेटा एकत्र करने के लिए विभिन्न वैज्ञानिक उपकरणों से सुसज्जित है।
  • वैज्ञानिक उपकरण: अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह, खनिज संरचना, बाह्यमंडल और बहुत कुछ का अध्ययन करने के लिए विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक उपकरणों से सुसज्जित है। इन उपकरणों में कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर, सिस्मोमीटर और ड्रिल शामिल हो सकते हैं।
  • संचार उपकरण: अंतरिक्ष यान डेटा को पृथ्वी पर वापस भेजने के लिए संचार प्रणालियों से सुसज्जित है। यह वैज्ञानिकों को चंद्र पर्यावरण और वैज्ञानिक प्रयोगों के परिणामों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
  • ऊर्जा स्रोत: अंतरिक्ष यान अपने विभिन्न प्रणालियों और उपकरणों के लिए बिजली उत्पन्न करने के लिए, आमतौर पर सौर पैनलों के रूप में एक ऊर्जा स्रोत से सुसज्जित है।
  • स्वायत्त प्रणालियाँ: चंद्र मिशनों की दूरस्थ प्रकृति को देखते हुए, अंतरिक्ष यान अक्सर नेविगेशन, डेटा संग्रह और निर्णय लेने के लिए स्वायत्त प्रणालियों से सुसज्जित हैं।

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चंद्रयान-3 पर निबंध (Essay On Chandrayaan-3 In Hindi)

चंद्रयान-3 पर निबंध (Essay On Chandrayaan-3 In Hindi)

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चंद्रयान 3 पर 10 लाइन (10 Lines On Chandrayaan-3 In Hindi)

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हमारे देश ने अपने वैज्ञानिक सफर में कई बार अपनी प्रतिभा को साबित किया है और भारत का परचम लहराया है। जिसमें से हाल ही में एक बड़ी उपलब्धि हमें प्रोजेक्ट चंद्रयान-3 में देखने को मिली है। भारत ने दूसरी बार न केवल अपने चाँद तक पहुंचने का सफर पूरा किया बल्कि देश के कौशल के साथ मॉडर्न टेक्नोलॉजी का बखूबी प्रयोग कर के सारे देश को गौरांवित महसूस कराया। भारत अब काफी तेजी से तरक्की कर रहा है और जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी योग्यता दिखा रहा है। स्पेस के क्षेत्र में चंद्रयान-3 मिशन का सफल होना हमारी प्रगति के लिए बड़ा कदम रहा है। चंद्रयान 3 पर इस हिंदी निबंध में आपको भारत से चंद्रमा की इस रोमांचक यात्रा के बारे में बताया गया है, जो आने वाले पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। मिशन चंद्रयान 3 पर दिए इस निबंध को बहुत सरल और आसान शब्दों में बच्चों और विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है। इससे उन्हें देश की इस बड़ी उपलब्धि के बारे में जानने और समझने में मदद मिलेगी। चाहे आप अपने कक्षा में इस विषय पर पढ़ रहे हों, किसी स्कूल कार्यक्रम की तैयारी कर रहे हों या बस आपको अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए चंद्रयान-3 के बारे में पढ़ना हो, आपको इस निबंध से भारत से चंद्रमा की इस सफल यात्रा से जुडी कई अद्भुत बातें जानने को मिलेंगी।

चंद्रयान 3 मिशन भारत से अंतरिक्ष की दुनिया का एक सफल प्रयास रहा है, जिसके बारे में आपको नीचे बहुत आसान वाक्यों में 10 लाइन दी गई है।

  • ‘चंद्रयान 3’ इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) द्वारा तीसरा चंद्र मिशन है।
  • यह 14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया।
  • इस मिशन में विक्रम लैंडर, और प्रज्ञान रोवर शामिल है।
  • इस मिशन का लक्ष्य चांद के साउथ पोल वाले हिस्से पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है।
  • रोवर प्रज्ञान चंद्रमा के चारों ओर घूमकर उसकी सतह का अध्ययन कर के पृथ्वी पर जानकारी भेजेगी।
  • इसे चांद पर भेजने का उद्देश्य वहां पानी, बर्फ, चट्टानों और हवा के बारे में और अधिक खोज करना है।
  • 23 अगस्त 2023 के शाम 6:04 पर चंद्रयान 3 चंद्रमा पर सफलता पूर्व लैंड हुआ।
  • इस पूरे मिशन में लगभग 650 करोड़ रूपए की लागत आई है।
  • चंद्रयान 3 मिशन के बाद भारत विश्व का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने दक्षिणी ध्रुव में सॉफ्ट लैंडिंग की है।
  • इस मिशन के बाद भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चन्द्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है।

क्या आपको भारत को हाल में मिली मिशन चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक जीत के बारे में शार्ट पैराग्राफ या शार्ट एस्से में जानकारी प्राप्त करनी है, तो नीचे दिए 200 से 300 शब्दों में चंद्रयान 3 पर हिंदी निबंध पढ़ें।

चंद्रयान 3 इसरो के सबसे मुख्य चंद्र मिशनों में से एक है। 14 जुलाई 2023 में चंद्रयान 3 को लॉन्च किया गया, इसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना था। इस मिशन में 2 भाग है लैंडर जिसे विक्रम कहा जाता है और प्रज्ञान रोवर। इस मिशन का उद्देश्य चांद पर ठंडे क्षेत्र में पानी का पता लगाना है। चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 की असफलता और चुनौतियों के अनुभव के बाद चंद्रयान 3 दोबारा पूरे दृढ़ संकल्प के साथ अपने मिशन को पूरा करने के लिए तैयार किया गया जिसमें भारत को सफलता प्राप्त हुई। इस मिशन के दौरान भारत को अंतरिक्ष में अपने तकनिकी कौशल को प्रदर्शित करने का अवसर मिला। चाँद पर भेजे गए अत्याधुनिक उपकरण वहां मौजूद मिट्टी की जांच करने व अन्य जानकारी को प्राप्त करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। चंद्रयान 3 एक महीना अंतरिक्ष में घूमने के बाद 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा की सतह पर दक्षिणी ध्रुव में कामयाबी के साथ सॉफ्ट लैंडिंग की। इस मिशन के बाद भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चाँद पर सॉफ्ट लैंडिंग चौथा शामिल किया जाने लगा है। इस मिशन का केंद्र बिंदु चंद्रमा के भूविज्ञान, खनिज विज्ञान और बाह्यमंडल में गहराई से जाना है, जिससे इसकी उत्पत्ति और विकास के बारे में हमें अधिक जानकारी मिल सके। इस मिशन का सफल होना हर भारतीय के लिए गौरव की बात है। स्पेस रिसर्च की दुनिया में भारत ने एक बेहतरीन उपलब्धि प्राप्त की है और दुनिया भर से भारत की इस विशाल जीत की सरहाना की जा रही है।

Short Essay on Chandrayaan 3 in Hindi

भारत ने अपने तीसरे चंद्र मिशन, चंद्रयान-3 के साथ एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। यह दिन भारत के लिए और इसके पीछे मौजूद वैज्ञानिकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा है। आइए, चंद्रयान-3 के तीसरे लूनर मिशन के बारे में इस लॉन्ग एस्से की मदद से विस्तार में जानते हैं:

चंद्रयान-3 की पृष्ठभूमि (Background of Chandrayaan 3)

मिशन चंद्रयान भारत का एक महत्वपूर्ण स्पेस मिशन है जिसका उद्देश्य पृथ्वी से चांद तक पहुंचना है और वहां के बारे में रिसर्च करना है। चंद्रयान 1 और चंद्रयान 2 के विफलता के बाद चंद्रयान 3 के ऊपर सभी देशों की नजरें टिकी थी।

चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है, जो चांद के सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने की संपूर्ण क्षमता प्रदर्शित करता है। इसमें लैंडर और रोवर मुख्य रूप से शामिल है। इसे एलवीएम3 द्वारा एसडीएससी एसएचएआर, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया। इसमें जो प्रोपल्शन मॉड्यूल है वह लैंडर और रोवर कॉन्फिगरेशन को 100 किमी चांद के ऑर्बिट तक ले गया। चंद्रयान 3 के सफलता ले बाद भारत चंद्रमा के सतह को छूने वाला चौथा देश बन गया था।

चंद्रयान-3 मिशन का आर्किटेक्चर (Chandrayaan-3 Mission’s Architecture)

चंद्रयान-3 का डिजाइन पिछले जितने मिशन हुए हैं उन पर ही आधारित है। इस मिशन में कुशल संचार के लिए परिचालन चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का उपयोग करते हुए, नए लैंडर और रोवर का इस्तेमाल किया गया है।

चंद्रयान-3 के मुख्य उद्देश्य (Key Objectives of Chandrayaan-3)

इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन के लिए तीन प्रमुख उद्देश्य बताए हैं:

  • सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग – इनका सबसे बड़ा उद्देश्य यही था कि चंद्रयान चंद्रमा की सतह पर आराम से और सुरक्षित रूप से लैंडिंग करे।
  • रोवर संचालन – प्रज्ञान रोवर को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि वो चाँद पर पहुंचने के बाद चाँद की सतह पर घूमे और उसके बारे में जरूरी डेटा इकट्ठा कर सके।
  • वैज्ञानिक रिसर्च – इस मिशन से वैज्ञानिकों को चंद्रमा पर मौजूद मिट्टी, पानी, बर्फ, खनिज और अन्य तत्वों का अध्ययन करना है।

चंद्रयान-3 में शामिल वैज्ञानिक (Scientists Of Chandrayaan-3)

चंद्रयान-3 में कई प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जो इस प्रकार हैं:

  • एस सोमनाथ, इसरो अध्यक्ष (इसरो चेयरमैन)
  • पी वीरामुथुवेल, चंद्रयान-3 के परियोजना निदेशक (प्रोजेक्ट डायरेक्टर)
  • एस उन्नीकृष्णन नायर, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक (डायरेक्टर ऑफ साराभाई स्पेस सेंटर)
  • ए राजराजन, लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड के अध्यक्ष (चेयरमैन ऑफ लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड)
  • एम शंकरन, यू आर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक (डायरेक्टर ऑफ यू आर राव सैटेलाइट सेंटर)

चंद्रयान-3 की चुनौतियां (Challenges Of Chandrayaan-3)

  • सॉफ्ट लैंडिंग – चंद्रमा के ऊबड़-खाबड़ दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करना चुनौतीपूर्ण था।
  • रोवर नेविगेशन – प्रज्ञान रोवर का सही तरीके से नेविगेशन करना जरूरी था।
  • अंतरिक्ष के पर्यावरण के खतरे – अंतरिक्ष के मौसम और माईक्रोमेटोरोइड के प्रभावों का ध्यान रखना पड़ता है।
  • संचार (कम्युनिकेशन) – पुराने ऑर्बिटर का उपयोग करके मजबूत संपर्क बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है।

चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग और लैंडिंग (Launching and Landing Of Chandrayaan-3)

भारत के लिए चंद्रयान 3 मिशन बहुत अहम है, जिसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। इसरो ने 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 को सफल तरीके से लॉन्च किया। इसके बाद चंद्रयान-3 अंतरिक्ष में एक महीने अपने मुकाम पर पहुंचने के लिए लंबी यात्रा की और उसके बाद 23 अगस्त 2023 को 18:04 बजे चंद्रमा पर अपनी ऐतिहासिक लैंडिंग पूरी की। इस ऐतिहासिक पल को देखने के लिए पूरा भारत ही नहीं बल्कि कई देश इंतजार में थे। यह सफल लैंडिंग स्पेस टेक्नोलॉजी और स्पेस रिसर्च में भारत को आगे लेकर जाती है।

चंद्रयान-3 के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts about Chandrayaan in Hindi)

  • चंद्रयान 3 का रोवर प्रज्ञान ने भारत के झंडे और इसरो के चिन्ह के साथ, चांद की जमीन पर अपना पहचान छोड़ा, जो चंद्रमा के साउथ पोल में पहुंचने वाला पहला देश है।
  • चंद्रयान 3 में करीब 650 करोड़ (75 मिलियन डॉलर) की लागत लगी है।
  • भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश और मून लैंडिंग की सूची में चौथा स्थान प्राप्त हुआ है।
  • इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के ठंडे क्षेत्रों में जमे हुए पानी और बर्फ और वहां मौजूद अन्य तत्वों का पता लगाना है।
  • इस मिशन में एक लैंडर, ‘विक्रम’ और एक रोवर, ‘प्रज्ञान’ शामिल है, जिसका नाम भारत की अंतरिक्ष यात्रा के दिग्गजों, विशेष रूप से इसरो के संस्थापक, विक्रम साराभाई के सम्मान में रखा गया है।

चंद्रयान 3 के निबंध से आपके बच्चे को अंतरिक्ष में हासिल की गई सफलता के बारे काफी कुछ जानने और सीखने को मिला होगा। बच्चों को सीखने को मिलेगा की कैसे हमारे भारत के वैज्ञानिक और इंजीनियर ने पूरी मेहनत और लगन के साथ चाँद तक पहुंचने का सपना पूरा किया है। इस मिशन की सफलता को हमेशा इतिहास, विज्ञान के क्षेत्र में याद किया जाएगा।

क्या आपके मन में भी चंद्रयान 3 से जुड़े कुछ सवाल हैं, जिन्हें आप जानना चाहते हैं। आइए देखते हैं आखिर वह सवाल कौन से हैं।

1. चंद्रयान का सबसे पहला क्या नाम था?

चंद्रयान का पहले सोमयान नाम था जिसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपाई ने बदल कर चंद्रयान रखा।

2. चंद्रयान 3 का वजन कितना है?

चंद्रयान 3 का वजन 2145 किलोग्राम है।

3. चंद्रमा पर पानी की खोज किस देश ने की?

चंद्रमा पर पानी के मौजूद होने का पता सबसे पहले भारत देश ने लगाया।

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चंद्रयान-3 होम / गतिविधियां/ भावी मिशन / चंद्रयान-3 / चंद्रयान-3 ब्योरा

चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है, जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग की एंड-टू-एंड क्षमता प्रदर्शित करता है। इसमें लैंडर और रोवर विन्यास शामिल हैं। इसे एलवीएम3 द्वारा एसडीएससी शार, श्रीहरिकोटा से प्रमोचित किया जाएगा। प्रणोदन मॉड्यूल 100 किमी चंद्र कक्षा तक लैंडर और रोवर विन्यास को ले जाएगा। प्रणोदन मॉड्यूल में चंद्र कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवीय मीट्रिक मापों का अध्ययन करने के लिए स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (एसएचएपीई) नीतभार है।

लैंडर नीतभार: तापीय चालकता और तापमान को मापने के लिए चंद्र सतह तापभौतिकीय प्रयोग (चेस्ट); लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीयता को मापने के लिए चंद्र भूकंपीय गतिविधि (आईएलएसए) के लिए साधनभूत; प्लाज्मा घनत्व और इसकी विविधताओं का अनुमान लगाने के लिए लैंगमुइर जांच (एलपी)। नासा से एक निष्क्रिय लेजर रिट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे को चंद्र लेजर रेंजिंग अध्ययनों के लिए समायोजित किया गया है।

रोवर नीतभार: लैंडिंग साइट के आसपास मौलिक संरचना प्राप्त करने के लिए अल्फा कण एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) और लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस)।

अधिक जानकारी

चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (एलएम), प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) और एक रोवर शामिल है, जिसका उद्देश्य अंतरग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को विकसित और प्रदर्शित करना है। लैंडर के पास निर्दिष्ट चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंड करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता होगी जो इसकी गतिशीलता के दौरान चंद्र सतह के इन-सीटू रासायनिक विश्लेषण करेगा। लैंडर और रोवर के पास चंद्र सतह पर प्रयोग करने के लिए वैज्ञानिक नीतभार हैं। पीएम का मुख्य कार्य एलएम को लॉन्च व्हीकल इंजेक्शन से अंतिम चंद्र 100 किमी गोलाकार ध्रुवीय कक्षा तक ले जाना और एलएम को पीएम से अलग करना है। इसके अलावा, प्रणोदन मॉड्यूल में मूल्यवर्धन के रूप में एक वैज्ञानिक नीतभार भी है जिसे लैंडर मॉड्यूल के अलग होने के बाद संचालित किया जाएगा। चंद्रयान-3 के लिए चिन्हित किया गया लॉन्चर एलवीएम3 एम4 है जो एकीकृत मॉड्यूल को ~170x36500 किमी आकार के एलिप्टिक पार्किंग ऑर्बिट (ईपीओ) में स्थापित करेगा।

चंद्रयान-3 के मिशन के उद्देश्य हैं:

  • चंद्र सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग प्रदर्शित करना
  • रोवर को चंद्रमा पर भ्रमण का प्रदर्शन करना और
  • यथास्थित वैज्ञानिक प्रयोग करना

मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए लैंडर में कई उन्नत प्रौद्योगिकियां मौजूद हैं जैसे,

  • अल्टीमीटर: लेजर और आरएफ आधारित अल्टीमीटर
  • वेलोसीमीटर : लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा
  • जड़त्वीय मापन: लेजर गायरो आधारित जड़त्वीय संदर्भ और एक्सेलेरोमीटर पैकेज
  • प्रणोदन प्रणाली: 800N थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58N एटिट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स
  • नौवहन, गाइडेंस एंड कंट्रोल (NGC): पावर्ड डिसेंट ट्रैजेक्टरी डिजाइन और सहयोगी सॉफ्टवेयर तत्व
  • खतरे का पता लगाना और बचाव : लैंडर खतरे का पता लगाना और बचाव कैमरा और प्रसंस्करण एल्गोरिथम
  • लैंडिंग लेग तंत्र

उपर्युक्त उन्नत तकनीकों को पृथ्वी की स्थिति में प्रदर्शित करने के लिए, कई लैंडर विशेष परीक्षणों की योजना बनाई गई है और सफलतापूर्वक संपन्न किए गए हैं।

  • एकीकृत शीत परीक्षण - परीक्षण प्लेटफॉर्म के रूप में हेलीकॉप्टर का उपयोग करके एकीकृत संवेदक और नौवहन प्रदर्शन परीक्षण का प्रदर्शन
  • एकीकृत हॉट परीक्षण - टॉवर क्रेन का परीक्षण प्लेटफॉर्म के रूप में उपयोग करके संवेदक, एक्चुएटर्स और एनजीसी के साथ बंद लूप प्रदर्शन परीक्षण का प्रदर्शन
  • लैंडर लेग मैकेनिज्म परफॉरमेंस परीक्षण एक लूनर सिमुलेंट परीक्षण बेड पर विभिन्न टच डाउन स्थितियों का अनुकरण करता है।

चंद्रयान -3 के लिए समग्र विनिर्देश नीचे दिए गए हैं:

क्र सं. प्राचल विशेष विवरण
1. मिशन लाइफ (लैंडर और रोवर) एक चंद्र दिवस (~14 पृथ्वी दिवस)
2. लैंडिंग साइट (प्राइम) 4 किमी x 2.4 किमी 69.367621 द., 32.348126 पू.
3. विज्ञान नीतभार लैंडर:
4. दो मॉड्यूल विन्यास
5. द्रव्यमान
6. विद्युत उत्पादन
7. संचार
8. लैंडर संवेदक
9. लैंडर एक्ट्यूएटर्स प्रतिक्रिया व्हील - 4 नग (10 एनएम और 0.1 एनएम)
10. लैंडर प्रणोदन प्रणाली द्वि-प्रणोदक प्रणोदन प्रणाली (एमएमएच + एमओएन3), 4 नग, 800 एन थ्रॉटलेबल इंजन और 8 नग. 58 एन; थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स
11. लैंडर तंत्र
12. लैंडर सतहस्पर्श विनिर्देश

चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल और रोवर पर नियोजित वैज्ञानिक नीतभार के उद्देश्य नीचे दिए गए हैं:

क्र.सं. लैंडर नीतभार
1. मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर और एटमॉस्फियर (रंभा) की रेडियो एनाटॉमी लैंगमुइर जांच (एलपी) निकट सतह प्लाज्मा (आयन और इलेक्ट्रॉन) घनत्व और समय के साथ इसके परिवर्तन को मापने के लिए
2. चंद्रा का सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (चास्टे) ध्रुवीय क्षेत्र के निकट चंद्र सतह के तापीय गुणों का मापन करना।
3. चंद्र भूकंपीय गतिविधि के लिए साधन (आईएलएसए) लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीयता को मापने और चंद्र क्रस्ट और मेंटल की संरचना को चित्रित करने के लिए।
4. लेजर रिट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे (एलआरए) यह चंद्र प्रणाली की गतिकी को समझने के लिए एक परक्रिय प्रयोग है।
1. लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) गुणात्मक और मात्रात्मक तात्विक विश्लेषण और चंद्र-सतह की हमारी समझ को आगे बढ़ाने के लिए रासायनिक संरचना और खनिज संरचना का अनुमान लगाना।
2. अल्फा कण एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) मौलिक संरचना (एमजी, अल, सी, के, सीए, टीआई, फे) निर्धारित करना।
1. निवासयोग्यग्रह पृथ्वी (शेप) की स्पेक्ट्रो-ध्रुवीयमिति परावर्तित प्रकाश में छोटे ग्रहों की भविष्य की खोजों से हमें विभिन्न प्रकार के एक्सो -प्लैनेट्स की जांच करने की अनुमति मिलेगी जो कि निवासयोग्य (या जीवन की उपस्थिति के लिए) योग्य होंगे।

चंद्रयान-3 मॉड्यूल के तीन आयामी झलक नीचे दी गईं हैं:

Chandrayaan-3 – Elements

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मैं जब छोटी थी तो मेरी दादी मुझे हमेशा लोरियां सुनाया करती थीं। उनकी एक लोरी की मुझे आज भी याद आती है- ‘चंदा मामा दूर के, पुए पकाए बूर के। आप खाए थाली में, मुन्ने को दे प्याली में।’ इस लोरी को सुनकर मैं हमेशा एक ही बात सोचा करती थी कि अगर हम चंदा मामा पर जाकर रहने लग जाएं, तो हमें वहां कैसा लगेगा। एक दिन मैंने पापा के पास यह पूछा कि पापा हम चांद पर कैसे रहने जा सकते हैं। पापा को मेरे प्रश्न पर हंसी आ गई। वह बोले चांद पर तो कोई भी नहीं जा सकता है बेटा।

मुझे सभी कहा करते थे कि चांद पर जाना संभव नहीं है। लेकिन मेरा मन मुझसे कहा करता था कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब हमारा देश चांद को भी फतह कर लेगा। आखिरकार वो दिन आ ही गया जब हमारे देश ने चांद पर कदम रख ही लिए। 23 अगस्त 2023 का वो सुनहरा दिन कोई भी सदियों तक नहीं भूलेगा। सभी की आंखें टेलीविजन स्क्रीन पर ही टिकी हुई थीं। जैसे ही यह खबर आई कि चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 ने सफल लैंडिंग कर ली है, पूरे देश में मानो खुशी की लहर दौड़ गई। आंखों से मानो खुशी के आंसू छलक पड़े। तो आज का हमारा यह आर्टिकल चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) पर आधारित है। इस पोस्ट के माध्यम से हम चंद्रयान 3 के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करेंगे।

हमारा देश विज्ञान में दिन प्रतिदिन प्रगति कर रहा है। आज भारत अमेरिका और रूस जैसे शक्तिशाली देशों को भी विज्ञान क्षेत्र में चुनौती देने में लगा है। इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण 23 अगस्त 2023 का दिन था, जब चंद्रयान 3 ने चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली थी। यह खबर आते ही हमारा देश चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाला विश्व का पहला देश बन गया। हालांकि हमारे देश ने इससे पहले भी चांद तक पहुंचने का सफर शुरू किया था लेकिन वह सफर बीच रास्ते में ही खत्म हो गया था।

आपको याद होगा कि इसरो ने लैंडर और रोवर को चंद्रमा पर लगभग 70 डिग्री दक्षिण के अक्षांश पर साॅफ्ट लैंडिंग करवाने की पूरी कोशिश की थी लेकिन इसरो की यह कोशिश सफल नहीं हो पाई थी। उस समय चंद्रयान का लैंडर विक्रम चांद की सतह से टकरा गया था और उसी समय चंद्रयान 2 का मिशन असफल हो गया था। इस विफलता से वैज्ञानिकों को भारी दुख पहुंचा था लेकिन वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी। वह लगातार प्रयास करते गए और आखिरकार उनका प्रयास चंद्रयान 3 से सफल हुआ। अब चंद्रयान 3 की सफलता ने यह तय कर दिया है कि भारत चंद्रमा की सतह पर एक नया इतिहास रचेगा।

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चंद्रयान 3 क्या है?

चंद्रयान 3 भारत का एक ऐसा महत्वाकांक्षी मिशन है जिससे चंद्रमा की सतह से जुड़ी कई सारी जानकारियां हासिल होंगी। इस मिशन का सारा श्रेय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को जाता है। चंद्रयान 3 जैसे महत्वपूर्ण मिशन को इसरो द्वारा 14 जुलाई 2023 को लांच किया गया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य यह था कि कैसे चंद्रयान चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करेगा। लांचिंग और लैंडिंग के बीच 40 दिनों का समय था। इस चंद्रयान 3 को बनाने में भारतीय टेक्नोलॉजी का ही पूर्ण रुप से इस्तेमाल किया गया है।

इसरो के वैज्ञानिक इस मिशन को सफल बनाने के लिए दिन-रात जुटे हुए थे। चंद्रयान 3 को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लांच होने की हरी झंडी मिली थी। जैसे चंद्रयान 2 में एक लैंडर और एक रोवर था। ठीक उसी प्रकार चंद्रयान 3 में भी एक लैंडर और एक रोवर शामिल है। इसी के साथ इस बार लैंडर और रोवर के साथ एक आर्बिटर भी रखा गया है। तीनों चीजों का अपना अलग महत्व है। लैंडर का काम होगा यान को सफलतापूर्वक तरीके से चांद पर उतारना। रोवर चांद की सतह पर रहकर काफी सारी चीजों की खोज करेगा। तो वहीं आर्बिटर यह अध्ययन करेगा कि चांद पर किस तरह का वातावरण है। चंद्रयान 3 पूरी तरह से भारतीय तकनीक से बनकर तैयार हुआ है।

चंद्रयान 3 की विशेषताएं

  • चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3) की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव हिस्से पर लैंड हुआ।
  • चंद्रयान 3 हमें यह जानकारी देगा कि आखिर चांद पर पानी और बर्फ की मात्रा कितनी है।
  • चंद्रयान 3 यह पता लगाने में भी हमारी मदद करेगा कि आखिर चांद पर कितनी मात्रा में प्राकृतिक तत्व एवं खनिज उपलब्ध हैं।
  • चंद्रयान 3 को बनाते वक्त भारत ने किसी भी प्रकार से विदेशी तकनीक का सहारा नहीं लिया है। बल्कि वैज्ञानिकों ने पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक का सहारा लिया है।
  • यह यान ये भी पता लगाएगा कि आखिर चंद्रमा पर कितनी प्रकार की प्राकृतिक गैसों का भंडारण है।
  • चंद्रयान 3 वैज्ञानिकों को तस्वीरें भेजेगा कि आखिर चंद्रमा की सतह का ढांचा किस प्रकार है।
  • यह यान इस बात की भी खोज करेगा कि क्या चांद पर भी धरती की ही तरह पशु-पक्षियों का निवास है।

चंद्रयान 3 से होने वाले लाभ

चंद्रयान 3 भारत का सबसे प्रत्याशित मिशन था। सभी लोग इसके लांचिंग के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। इससे पहले 2019 में चंद्रयान 2 की असफलता के बाद हर कोई चंद्रयान 3 की सफलता के लिए प्रार्थना कर रहा था। आखिरकार सभी की प्रार्थनाएं सफल हो गईं। चंद्रयान 3 ने आखिरकार दक्षिणी ध्रुव सतह पर भारत का झंडा फहरा ही दिया। चंद्रयान 3 के सफल होने से भारत को अनेक प्रकार के लाभ होंगे, जैसे-

  • चंद्रयान 3 के सफल होने से अब हमारे वैज्ञानिकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में सफलता मिलेगी। अब हमारे देश का मान सम्मान और भी ज्यादा बढ़ जाएगा।
  • अब पूरे विश्व में हमारी तकनीकी क्षमताओं पर बहुत ज्यादा विश्वास बढ़ जाएगा।
  • हमारा देश दुनिया का ऐसा चौथा देश बन जाएगा जिसने चांद पर पहुंचने का गौरव हासिल किया है। अमेरिका, रूस और चीन पहले ही कारनामा कर चुके हैं।
  • चंद्रयान 3 ने हमारे देश के लिए मून इकॉनोमी का भी रास्ता खोज लिया है।
  • अब हमारे देश की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में और भी ज्यादा प्रगति होगी।
  • चंद्रयान 3 की सफलता हमारे देश के युवाओं के लिए भी बहुत महत्व रखती है।
  • इस मिशन से यह पता चल पाएगा कि आखिर चांद सही मायने में दिखता कैसा है।
  • चंद्रयान 3 की सफलता हमें असफलताओं से हार नहीं मानने की शिक्षा देती है।

चंद्रयान का इतिहास

चंद्रयान का इतिहास जानने के लिए हम चलते हैं साल 2008 में। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने साल 2008 में अपना पहला अंतरिक्ष यान चांद पर भेजा था। यह यान भारत का पहला मानवरहित यान माना गया था। इस यान को रॉकेट की मदद से चांद पर भेजा गया था। चंद्रयान 1 की अवधि 10 दिन और 6 माह चली थी। इस मिशन का उद्देश्य चांद पर पानी के अंश और हीलियम का पता लगाना था।

भारत ने दूसरा इतिहास तब रचा जब भारत ने चंद्रयान 2 को चांद पर भेजने का फैसला किया। इतने लंबे अंतराल के बाद भारत की फिर से उम्मीदें जगीं। भारत के वैज्ञानिकों ने पूरे चंद्रयान 2 को बनाने में किसी भी विदेशी तकनीक की सहायता नहीं ली। चंद्रयान 2 में शामिल था एक ऑरबिटर, एक रोवर एवं एक लैंडर। 22 जुलाई 2019 को इसरो द्वारा श्रीहरिकोटा रेंज से चंद्रयान 2 को प्रक्षेपित किया गया था।

इस मिशन के तहत चंद्रयान 2 ने अंतरिक्ष में 47 दिनों का सफर तय किया था। भारत इतिहास रचन की ओर था। लेकिन इससे पहले कि यह मिशन पूरा हो पाता, इसरो का लैंडर विक्रम से संपर्क ही टूट गया। दरअसल लैंडर विक्रम चांद की सतह से टकराने के कारण क्रैश हो गया था। और आखिरकार चंद्रयान 2 मिशन कामयाब नहीं हो पाया।

चंद्रयान 3 के 10 रोचक तथ्य

  • चंद्रयान 3 मिशन को सफल बनाने के लिए 615 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
  • चंद्रयान 3 का जो रोवर है वह वैज्ञानिकों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा। दरअसल यह रोवर वैज्ञानिकों को चांद पर होने वाली हर गतिविधियों के बारे में जानकारी देगा।
  • चंद्रयान 3 को लाॅन्च करने का श्रेय वीइकल मार्क 3 सेटेलाईट को जाता है।
  • चंद्रमा के साउथ पोल को डार्क साइड ऑफ मून कहकर पुकारा जाता है। चांद का साउथ पोल आज भी दुनिया के लिए रहस्य है।
  • चंद्रयान 3 चंद्रमा पर अनेक प्रकार के संसाधनों की खोज करेगा।
  • चंद्रयान 2 की असफलता के बाद से इसरो के वैज्ञानिकों ने लगातार 4 साल तक चंद्रयान 3 पर कड़ी मेहनत की।
  • 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष पर कदम रखने वाले भारत के पहले व्यक्ति थे।
  • चंद्रयान 3 की सफलता से भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर अपने कदम रखे।
  • चंद्रयान 3 की सफलता से अमेरिका के आर्टेमिस मिशन को बहुत लाभ पहुंचेगा।
  • Larsen and Toubro, Mishra Dhatu Nigam, BHEL, Godrej Aerospace, Ankit Aerospace, Walchandnagar Industries आदि बड़ी कंपनियां भी चंद्रयान 3 की सफलता में बड़ा योगदान रखती हैं।

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चंद्रयान 3 पर FAQs

Q1. चंद्रयान 3 क्या है?

A1. चंद्रयान 3 भारत का एक ऐसा महत्वाकांक्षी मिशन है जिससे चंद्रमा की सतह से जुड़ी कई सारी जानकारियां हासिल होंगी। इस मिशन का सारा श्रेय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को जाता है। चंद्रयान 3 जैसे महत्वपूर्ण मिशन को इसरो द्वारा 14 जुलाई 2023 को लांच किया गया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य यह था कि कैसे चंद्रयान चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करेगा।

Q2. चंद्रयान 3 ने कौन सी तारीख को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी?

A2. चंद्रयान 3 ने 23 अगस्त वर्ष 2023 को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी।

Q3. चंद्रयान 3 को बनाने में कितना खर्च आया?

A3. चंद्रयान 3 को बनाने में 615 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

Q4. चंद्रयान 3 से क्या फायदा है?

A4. चंद्रयान 3 मिशन से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव सतह से जुड़े कई रहस्यों के बारे में पता चलेगा।

Q5. चंद्रयान 3 कब छोड़ा गया?

A5. 14 जुलाई वर्ष 2023 को।

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creative writing on chandrayaan 3 in hindi

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100, 200, 300, 350 & 400 Word Essay on Chandrayaan-3 in English & Hindi

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Table of Contents

Introduction

Chandrayaan-3 is India’s ambitious lunar mission, following in the footsteps of its predecessors, Chandrayaan-1 and Chandrayaan-2. Chandrayaan-3 is India’s second attempt to land softly on the Moon. It is a project undertaken by the Indian Space Research Organisation (ISRO) to land on the moon’s surface and deploy a rover to conduct experiments and gather valuable data. The mission studies the moon’s geology, mineralogy, and exosphere. This will contribute to our understanding of the moon’s origin and evolution. 

250 Words Expository Essay on Chandrayaan-3

Chandrayaan-3 is the third lunar exploration mission of India’s space program. It is being jointly developed by the Indian Space Research Organisation (ISRO) and the Russian space agency, Roscosmos. The mission was announced in 2020 and is expected to be launched in 2021. The mission’s primary objective is to perform an unmanned soft landing on the Moon.

The mission will be carried out by the GSLV Mk-III launch vehicle and will include an orbiter, a lander, and a rover. The orbiter will map the lunar surface and study its topography, mineralogy, and exosphere. The lander will deploy the rover, which will explore the lunar surface and search for water and other minerals.

The mission will also carry out various experiments, such as a Raman spectrometer to study the lunar surface composition and mineralogy, a mass spectrometer to analyze the atmosphere, and a neutron spectrometer to search for water and ice. In addition, the mission will also conduct a synthetic aperture radar experiment to map the lunar surface and study its composition.

Chandrayaan-3 is expected to provide valuable data for the scientific community. This will help us understand the Moon’s geology, composition, and environment. It will also be used to study the solar system’s evolution and life’s origin.

Chandrayaan-3 is a significant mission, as it marks the first time India has undertaken a Moon mission. This mission will also be a great opportunity for India to demonstrate its space exploration capabilities. The data and information gathered during the mission will also be used to develop new technologies and create new opportunities for space exploration.

300 Words Argumentative Essay on Chandrayaan-3

Chandrayaan-3 is India’s third lunar exploration mission, currently under planning. It is set to launch in 2021 following Chandrayaan-2’s success. The mission aims to explore the moon’s south polar region, which has never been studied before. By doing so, it could potentially uncover new information about the moon’s composition, origin, and past.

The Chandrayaan-3 mission is an ambitious undertaking and has the potential to revolutionize our understanding of the moon. It will be the first mission to explore the moon’s south polar region, which is largely unexplored. This region is believed to contain a wealth of minerals, including water and ice, which could support future human exploration. Additionally, the mission could uncover new information about the moon’s past, providing valuable insight into its formation and evolution.

On the other hand, there are also some potential drawbacks to the mission. First, Chandrayaan-3 is a costly endeavor, and success is not guaranteed. It is also unclear how much enlightening information the mission will uncover, as the south-polar region has never been studied before. Finally, the mission could be dangerous for astronauts if they are sent to the moon’s surface, as the area is largely unexplored and could contain unknown risks.

In conclusion, Chandrayaan-3 is an ambitious mission that could revolutionize our moon understanding. It has the potential to uncover new information about the moon’s composition, origin, and past, as well as to provide valuable insight into its formation and evolution. However, it is also an expensive and potentially dangerous endeavor, and its success is not guaranteed. It is imperative to weigh the pros and cons carefully before deciding whether or not to pursue the mission.

350 Words persuasive Essay on Chandrayaan-3

Chandrayaan-3, India’s third moon mission, is an exciting prospect for space exploration. It is a mission that will explore the lunar surface for the first time since the Chandrayaan-2 mission in 2019. This mission is set to launch in 2021 and will be a major milestone in India’s space exploration goals.

Chandrayaan-3 will be an ambitious mission that explores the lunar surface in greater detail than ever before. This mission will be the first to deploy a rover on the moon’s surface to collect samples and conduct experiments. Additionally, the mission will deploy an orbiter and a lander to the moon. The orbiter will be equipped with a high-resolution camera and a spectrometer to map the lunar surface and observe the moon’s environment. The lander will be equipped with seismometers and other instruments to measure the moon’s internal structure.

The mission will also focus on finding water evidence on the moon. This is a major goal of Chandrayaan-3, as water is a vital resource for humans on the moon. The mission will also search for minerals that could be used for resource extraction.

Chandrayaan-3 is a crucial mission for India’s space exploration efforts. It will provide a wealth of data that can further our understanding of the moon and its environment. Additionally, the mission will provide valuable insight into the moon’s potential as a resource for human exploration and colonization.

The mission will also be a significant step in India’s space exploration ambitions. As India’s space exploration capabilities expand, Chandrayaan-3 will be a major milestone in this process. The mission will demonstrate India’s ability to explore space on its own and serve as a stepping stone for future missions.

In conclusion, Chandrayaan-3 is an ambitious mission that will explore the moon’s surface and environment in greater detail than ever before. It will be a major milestone in India’s space exploration ambitions and provide valuable data for future missions. The mission will also be a crucial step in India’s space exploration efforts and will demonstrate India’s capabilities in this area

400 Words Descriptive Essay on Chandrayaan-3

Chandrayaan-3 is the third mission of India’s lunar exploration program developed by the Indian Space Research Organisation (ISRO). The mission is proposed to be launched in 2021 and is expected to land at the Moon’s south pole. This mission is a follow-up mission to Chandrayaan-2 which was launched in July 2019, and will go to the Moon’s surface.

Chandrayaan-3 is designed to land a rover on the lunar surface and explore the region for the mineral and chemical composition of the Moon. The mission will also carry a lander and a rover to the lunar surface. The lander will measure the mineral and chemical composition of the surface. The rover will map the terrain and collect samples for further analysis.

The mission will also be equipped with a variety of instruments and cameras to study the lunar surface and its environment. These instruments will analyze the lunar surface for its composition and characteristics. In addition, they will be used to study the lunar environment and its atmosphere. This data will help us in understanding the origin and evolution of the Moon.

The mission will also carry a variety of payloads including a Synthetic Aperture Radar (SAR), a Lunar Infrared Imaging System (LIRIS), a High-Resolution Camera (HRC), and a Laser Induced Breakdown Spectroscopy (LIBS) system. The SAR will be able to study the Moon’s surface in greater detail and detect the presence of water or ice on the surface. LIRIS will be used to measure the lunar surface temperature and the HRC will be utilized to take high-resolution pictures of the surface. LIBS will analyze the composition of rocks and soils on the lunar surface.

The mission will also conduct experiments on the lunar surface. These experiments will include studies of the lunar environment, the measurement of the Moon’s magnetic field, and the study of the Moon’s gravitational field.

Chandrayaan-3 is an ambitious project and is expected to be a major milestone in India’s space exploration program. The mission is expected to provide valuable data to further understand the Moon’s origin and evolution. The mission will also provide critical data to plan future Moon missions.

Bottom line:

An important development in India’s space exploration program is Chandrayaan-3. The success of Chandrayaan extends beyond scientific breakthroughs to include advantages for the nation’s socioeconomic system. Additionally, it will encourage and inspire the next generation to pursue science and technology.

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Essay on chandrayaan 3 in english & hindi, introduction – essay on chandrayaan 3.

Chandrayaan 3 is India’s ambitious lunar mission, a testament to the country’s advancements in space exploration. Following the success of Chandrayaan 1 and the partial success of Chandrayaan 2, the Indian Space Research Organisation (ISRO) launched Chandrayaan 3 to further explore the moon and demonstrate India’s capabilities in space technology.

Essay on Chandrayaan 3 in English

Chandrayaan 3 is an Indian lunar mission developed by the Indian Space Research Organisation (ISRO). It aims to build upon the achievements and learnings from the previous Chandrayaan missions. Unlike Chandrayaan 2, Chandrayaan 3 does not have an orbiter and focuses solely on landing a rover on the moon’s surface to conduct scientific experiments. The mission’s primary objective is to demonstrate a safe and soft landing on the lunar surface, which will be a significant milestone for ISRO and India.

Essay on Chandrayaan 3 in Hindi

चंद्रयान 3 भारत का महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन है, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित किया गया है। यह पिछले चंद्रयान मिशनों की उपलब्धियों और सीखों पर आधारित है। चंद्रयान 3 में कोई ऑर्बिटर नहीं है और इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करना है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर एक रोवर को उतारना और वैज्ञानिक प्रयोग करना है, जो इसरो और भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।

Essay on Chandrayaan-3 in English 150 Words

Chandrayaan 3 is India’s third lunar exploration mission developed by ISRO. The mission aims to land a rover on the moon’s surface, focusing on demonstrating a safe and soft landing. Unlike its predecessor, Chandrayaan 3 does not include an orbiter. The primary objective is to conduct scientific experiments on the lunar surface, enhancing our understanding of the moon’s composition. This mission is crucial for India as it signifies the nation’s growing capabilities in space exploration and its commitment to advancing scientific knowledge. Chandrayaan 3 represents a significant step towards establishing India as a key player in the global space community.

Short Essay on Chandrayaan 3

Chandrayaan 3 is an important milestone in India’s space exploration journey. Developed by ISRO, the mission focuses on landing a rover on the lunar surface to conduct scientific experiments. Unlike Chandrayaan 2, which included an orbiter, lander, and rover, Chandrayaan 3 is designed solely for landing on the moon and deploying a rover. The primary objective is to achieve a safe and soft landing on the moon, a critical step for future space missions. This mission will help scientists gather valuable data about the lunar surface, its composition, and other scientific phenomena. Chandrayaan 3 is a testament to India’s growing prowess in space technology and its commitment to contributing to global space research.

Essay on Chandrayaan-3 in 250 Words

Chandrayaan 3, developed by the Indian Space Research Organisation (ISRO), is India’s third lunar mission. It aims to build upon the successes and learnings of the previous Chandrayaan missions. Unlike Chandrayaan 2, which included an orbiter, lander, and rover, Chandrayaan 3 focuses solely on landing a rover on the lunar surface. The primary goal of this mission is to demonstrate a safe and soft landing on the moon, a significant milestone for ISRO.

The mission involves a lander and a rover, which will perform various scientific experiments on the moon’s surface. These experiments will provide valuable data on the lunar soil, its composition, and other scientific phenomena. Chandrayaan 3’s success will mark a significant achievement for India, showcasing its capabilities in space exploration and technology.

Chandrayaan 3 is crucial for several reasons. First, it demonstrates India’s technological advancements and ability to undertake complex space missions. Second, the data gathered from the lunar surface will contribute to our understanding of the moon and its potential for future human exploration. Lastly, Chandrayaan 3 reinforces India’s position as a key player in the global space community, opening doors for international collaborations and future missions.

In conclusion, Chandrayaan 3 represents a significant step forward for India’s space program. It underscores ISRO’s commitment to advancing space technology and contributing to global scientific knowledge.

Essay on Chandrayaan 3 in 500 Words

Introduction.

Chandrayaan 3 is an ambitious lunar mission by the Indian Space Research Organisation (ISRO), aimed at exploring the moon and demonstrating India’s capabilities in space technology. Following the successes and lessons learned from Chandrayaan 1 and Chandrayaan 2, Chandrayaan 3 is focused on achieving a safe and soft landing on the lunar surface, deploying a rover to conduct scientific experiments.

Objectives of Chandrayaan 3

The primary objective of Chandrayaan 3 is to demonstrate the ability to perform a safe and soft landing on the moon. This mission does not include an orbiter; instead, it comprises a lander and a rover. The lander is designed to carry the rover to the lunar surface, where it will conduct various scientific experiments. The key objectives of Chandrayaan 3 include:

  • Safe Landing : Achieving a safe and precise landing on the lunar surface.
  • Rover Deployment : Deploying a rover to explore the lunar terrain and conduct experiments.
  • Scientific Research : Conducting scientific research to gather data on the lunar surface, including its composition and other phenomena.

Importance of Chandrayaan 3

Chandrayaan 3 is significant for several reasons:

  • Technological Advancement : It demonstrates India’s advancements in space technology and its ability to undertake complex space missions.
  • Scientific Contribution : The data collected from the lunar surface will contribute to our understanding of the moon, its composition, and potential resources.
  • Global Positioning : Chandrayaan 3 reinforces India’s position as a key player in the global space community, paving the way for future international collaborations and missions.
  • Inspiration : The mission serves as an inspiration for young scientists and engineers, showcasing India’s capabilities in space exploration.

Challenges and Preparations

Chandrayaan 3 faced several challenges, including ensuring the reliability of the landing system, designing a robust rover, and managing the mission within a limited budget. ISRO has made significant preparations to address these challenges, incorporating lessons learned from the Chandrayaan 2 mission. Rigorous testing and simulations were conducted to ensure the success of the landing and rover operations.

Mission Details

Chandrayaan 3 consists of a lander and a rover. The lander is equipped with advanced sensors and instruments to ensure a precise landing. The rover is designed to explore the lunar surface, conduct experiments, and transmit data back to Earth. Some of the key features of the mission include:

  • Advanced Landing System : Equipped with sensors, cameras, and algorithms to ensure a safe and precise landing.
  • Rover Capabilities : The rover is designed to navigate the lunar terrain, conduct experiments, and transmit data.
  • Scientific Instruments : Both the lander and rover are equipped with scientific instruments to study the lunar surface, including its composition, mineralogy, and other phenomena.

Impact of Chandrayaan 3

Chandrayaan 3’s success will have a significant impact on various fronts:

  • Scientific Knowledge : The data gathered will enhance our understanding of the moon and its potential resources, contributing to global scientific knowledge.
  • Technological Innovation : The mission showcases India’s technological capabilities and innovations in space exploration.
  • International Collaboration : Chandrayaan 3 opens doors for future international collaborations, allowing India to partner with other space-faring nations.
  • Economic Growth : The success of Chandrayaan 3 can boost India’s space industry, attracting investments and fostering economic growth.

Essay on Chandrayaan 3 in Kannada/ ಚಂದ್ರಯಾನ್ 3 ಬಗ್ಗೆ ಪ್ರಬಂಧ – ಕನ್ನಡದಲ್ಲಿ

ಭಾರತದ ಮಹತ್ವಾಕಾಂಕ್ಷೆಯ ಚಂದ್ರಯಾನ್ 3 ಮಿಷನ್, ಭಾರತದ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಶೋಧನಾ ಸಂಸ್ಥೆ (ಇಸ್ರೋ) ನಿಂದ ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಲಾದ ಮಹತ್ವಾಕಾಂಕ್ಷೆಯ ಚಂದ್ರ ಮಿಷನ್ ಆಗಿದೆ. ಚಂದ್ರಯಾನ್ 1 ಮತ್ತು ಚಂದ್ರಯಾನ್ 2 ಯಶಸ್ವಿನಂತರ, ಚಂದ್ರಯಾನ್ 3 ಮಿಷನ್ ಚಂದ್ರನ ಅಧ್ಯಯನವನ್ನು ಮುಂದುವರಿಸಲು ಮತ್ತು ಭಾರತವು ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ತಂತ್ರಜ್ಞಾನದಲ್ಲಿ ಸಾಧಿಸಿರುವ ಮುನ್ನಡೆಯನ್ನು ತೋರಿಸಲು ಉದ್ದೇಶಿಸಿದೆ.

ಚಂದ್ರಯಾನ್ 3 ನ ಪ್ರಮುಖ ಗುರಿ ಚಂದ್ರನ ಮೇಲ್ಮೈಯಲ್ಲಿ ಸುರಕ್ಷಿತವಾಗಿ ಇಳಿಯುವುದು. ಈ ಮಿಷನ್‌ಗೆ ಆರ್ಬಿಟರ್ ಇರುವುದಿಲ್ಲ, ಆದರೆ ಇತರ ಚಂದ್ರಯಾನ್ ಮಿಷನ್‌ಗಳ ತರಹ ಲ್ಯಾಂಡರ್ ಮತ್ತು ರೋವರ್ ಅನ್ನು ಒಳಗೊಂಡಿದೆ. ಈ ರೋವರ್ ಚಂದ್ರನ ಮೇಲ್ಮೈಯಲ್ಲಿ ವಿವಿಧ ವೈಜ್ಞಾನಿಕ ಪ್ರಯೋಗಗಳನ್ನು ನಡೆಸುತ್ತದೆ.

ಚಂದ್ರಯಾನ್ 3 ಮಿಷನ್‌ನ ಮಹತ್ವವನ್ನು ಕೆಲವು ಅಂಶಗಳಲ್ಲಿ ಕಾಣಬಹುದು:

  • ತಾಂತ್ರಿಕ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ : ಈ ಮಿಷನ್ ಭಾರತವು ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ತಂತ್ರಜ್ಞಾನದಲ್ಲಿ ಸಾಧಿಸಿರುವ ಮುನ್ನಡೆಯನ್ನು ತೋರಿಸುತ್ತದೆ.
  • ವಿಜ್ಞಾನಕ್ಕೆ ಕೊಡುಗೆ : ಚಂದ್ರನ ಮೇಲ್ಮೈಯಿಂದ ಸಂಗ್ರಹಿಸಲಾದ ಡೇಟಾ ನಮ್ಮ ಚಂದ್ರನ ಮೇಲೆ ಹೊಂದಿರುವ ಅರಿವನ್ನು ಹೆಚ್ಚಿಸುತ್ತದೆ.
  • ಆಂತರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಸ್ಥಿತಿ : ಈ ಮಿಷನ್ ಭಾರತವನ್ನು ಜಾಗತಿಕ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಮುದಾಯದಲ್ಲಿ ಪ್ರಮುಖ ಆಟಗಾರನಾಗಿ ಸ್ಥಾಪಿಸುತ್ತದೆ.

ಸವಾಲುಗಳು ಮತ್ತು ಸಿದ್ಧತೆ

ಚಂದ್ರಯಾನ್ 3 ಹಲವು ಸವಾಲುಗಳನ್ನು ಎದುರಿಸಿತು, ವಿಶೇಷವಾಗಿ ಲ್ಯಾಂಡಿಂಗ್ ವ್ಯವಸ್ಥೆಯ ವಿಶ್ವಾಸಾರ್ಹತೆಯನ್ನು ಖಚಿತಪಡಿಸಿಕೊಳ್ಳುವುದು. ಇಸ್ರೋವು ಈ ಸವಾಲುಗಳನ್ನು ಯಶಸ್ವಿಯಾಗಿ ನಿಭಾಯಿಸಲು ಸಾಕಷ್ಟು ಸಿದ್ಧತೆಗಳನ್ನು ಮಾಡಿತ್ತು, ವಿಶೇಷವಾಗಿ ಚಂದ್ರಯಾನ್ 2 ನಿಂದ ಪಡೆದ ಪಾಠಗಳನ್ನು ಬಳಕೆ ಮಾಡಿತು.

ನಿರ್ಣಾಯಕ ಅಂಶಗಳು

ಚಂದ್ರಯಾನ್ 3 ನ ಯೋಜನೆಗಳು:

  • ಲ್ಯಾಂಡಿಂಗ್ ವ್ಯವಸ್ಥೆ : ಸುರಕ್ಷಿತವಾಗಿ ಇಳಿಯಲು ತಾಂತ್ರಿಕ ಸಂವೇದಕ ಮತ್ತು ಸಾಧನಗಳನ್ನು ಒಳಗೊಂಡಿದೆ.
  • ರೋವರ್ : ಚಂದ್ರನ ಮೇಲ್ಮೈಯಲ್ಲಿ ಸಂಚಾರ ಮಾಡಿ ವೈಜ್ಞಾನಿಕ ಪ್ರಯೋಗಗಳನ್ನು ನಡೆಸುತ್ತದೆ.
  • ವಿಜ್ಞಾನ ಸಾಧನಗಳು : ಲ್ಯಾಂಡರ್ ಮತ್ತು ರೋವರ್‌ಗಳಲ್ಲಿ ಚಂದ್ರನ ಮೇಲ್ಮೈಯ ಅಧ್ಯಯನಕ್ಕೆ ಉಪಯೋಗಿಸುವ ಸಾಧನಗಳನ್ನು ಹೊಂದಿದೆ.

ಚಂದ್ರಯಾನ್ 3 ಭಾರತದ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಸಂಶೋಧನೆಗೆ ಪ್ರಮುಖ ಮೆಟ್ಟಿಲು. ಇದು ತಂತ್ರಜ್ಞಾನ ಮತ್ತು ವಿಜ್ಞಾನ ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ಭಾರತದ ಮುನ್ನಡೆಯನ್ನು ತೋರಿಸುತ್ತದೆ ಮತ್ತು ಭವಿಷ್ಯದ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಮಿಷನ್‌ಗಳಿಗೆ ದಾರಿ ಮಾಡಿಕೊಡುತ್ತದೆ.

Essay on Chandrayaan 3 in Telugu/ చంద్రయాన్ 3 పై వ్యాసం – తెలుగు

చంద్రయాన్ 3 భారతదేశం యొక్క అత్యంత ప్రాముఖ్యత కలిగిన చంద్ర మిషన్, ఇది భారత అంతరిక్ష పరిశోధనా సంస్థ (ఇస్రో)చే అభివృద్ధి చేయబడింది. చంద్రయాన్ 1 మరియు చంద్రయాన్ 2 విజయాల తర్వాత, చంద్రయాన్ 3 మిషన్ చంద్రునిపై మరింత అన్వేషించడానికి మరియు భారతదేశం అంతరిక్ష సాంకేతికతలో సాధించిన పురోగతిని చూపించడానికి ఉద్దేశించబడింది.

చంద్రయాన్ 3 యొక్క ప్రధాన లక్ష్యం చంద్రునిపై సురక్షితంగా ల్యాండ్ అవ్వడం. ఈ మిషన్‌లో ఆర్బిటర్ లేదు, కానీ ల్యాండర్ మరియు రోవర్ ఉన్నాయి. ఈ రోవర్ చంద్రుని ఉపరితలంపై వివిధ శాస్త్రీయ ప్రయోగాలను నిర్వహిస్తుంది.

చంద్రయాన్ 3 మిషన్ యొక్క ప్రాముఖ్యత కొన్ని అంశాలలో ఉంది:

  • సాంకేతిక పురోగతి : ఈ మిషన్ భారతదేశం సాంకేతికతలో చేసిన పురోగతిని చూపిస్తుంది.
  • శాస్త్రీయ దానం : చంద్రుని ఉపరితలంనుంచి సేకరించిన డేటా మన చంద్రుని గురించి అవగాహనను పెంచుతుంది.
  • అంతర్జాతీయ స్థానం : ఈ మిషన్ భారతదేశం ని అంతర్జాతీయ అంతరిక్ష సమాజంలో కీలక పాత్రధారిగా స్థాపిస్తుంది.

సవాళ్లు మరియు సన్నాహాలు

చంద్రయాన్ 3 అనేక సవాళ్లను ఎదుర్కొంది, ముఖ్యంగా ల్యాండింగ్ వ్యవస్థ యొక్క విశ్వసనీయతను నిర్ధారించడం. ఇస్రో ఈ సవాళ్లను విజయవంతంగా అధిగమించడానికి సన్నాహాలు చేసింది, ముఖ్యంగా చంద్రయాన్ 2 నుండి నేర్చుకున్న పాఠాలను ఉపయోగించింది.

ప్రధాన అంశాలు

చంద్రయాన్ 3 యొక్క ప్రణాళికలు:

  • ల్యాండింగ్ వ్యవస్థ : సురక్షితంగా ల్యాండ్ అవ్వడానికి టెక్నికల్ సెన్సార్లు మరియు పరికరాలను కలిగి ఉంది.
  • రోవర్ : చంద్రుని ఉపరితలంపై ప్రయాణించి శాస్త్రీయ ప్రయోగాలను నిర్వహిస్తుంది.
  • శాస్త్రీయ పరికరాలు : ల్యాండర్ మరియు రోవర్‌లో చంద్రుని ఉపరితలం అధ్యయనం కోసం ఉపయోగించే పరికరాలు ఉన్నాయి.

చంద్రయాన్ 3 భారతదేశం యొక్క అంతరిక్ష పరిశోధనలో ఒక ప్రధాన మైలురాయి. ఇది సాంకేతికత మరియు శాస్త్రీయ రంగంలో భారతదేశం యొక్క పురోగతిని చూపిస్తుంది మరియు భవిష్యత్తు అంతరిక్ష మిషన్లకు మార్గం సుగమం చేస్తుంది.

Conclusion – Essay on Chandrayaan 3

Chandrayaan 3 represents a significant milestone in India’s space exploration journey. It highlights the country’s advancements in space technology and its commitment to contributing to global scientific knowledge. The mission’s success will not only enhance our understanding of the moon but also inspire future generations of scientists and engineers. As ISRO continues to push the boundaries of space exploration, Chandrayaan 3 stands as a testament to India’s growing prowess in the field.

Hindimaterials

Chandrayaan-3 Mission के बारे में पूरी जानकारी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान सगंठन (इसरो) ने 14 जुलाई 2023 को अपना Chandrayaan-3 Mission को लॉन्च किया।

इस Chandrayaan-3 Mission के द्वारा भारत पुनः चांद की सतह पर अपने लैंडर को उतारने की कोशिश कर रहा था और उसे 23 अगस्त 2023 को शाम 6.04 मिनट पर सफलता मिल ही गई जब Chandrayaan ने चाँद की सतह को छुआ। जब Chandrayaan-3 Mission को लॉन्च किया गया था तभी से यह लगातार आगे बढ़ रहा था और यह अनुमान लगाया जा रहा था कि यदि सब कुछ सही रहा तो यह 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतार जाएगा। और ऐसा ही हुआ तथा Chandrayan-3 Mission ने सफलता प्राप्त कर ली।

जैसा कि आपको पता होगा कि ISRO ने 2019 में अपना Chandrayaan-2 Mission लॉन्च किया था। लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से वह मिशन अपने अंतिम चरण में असफल हो गया था और हमें आंशिक सफलता ही मिली थी।

Chandrayaan-2 Mission की असफलता के बावजूद भारतीय वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी और एक बार फिर चंद्रमा की ओर अपने Chandrayaan-3 Mission भेज दिया। हमारे भारतीय वैज्ञानिक चंद्रमा पर जाने और वहां तिरंगा लहराने के भरसक प्रयास कर रहे थे और इसमें सफल रहे।

23 अगस्त को इंतजार की घड़ी खत्म हुई और Chandrayaan-3 ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैन्डिंग कर ली है। यह दिन ISRO और हमारे देश के लिए ऐतिहासिक दिन है और इसे हमेशा याद किया जाएगा। यह स्पेस रिसर्च में भारत के लिए एक और उपलब्धि है।

Chandrayaan-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की और ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है। साथ ही चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक अपना यान उतारने वाला दुनिया का चौथा देश भी बन गया है। भारत से पहले चंद्रमा की सतह पर अपना यान उतारने वाले अन्य तीन देश हैं – अमेरिका, रूस और चीन।

इस लेख में Chandrayaan-3 Mission से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गई हैं जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। यदि आप भी किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो यह लेख आपके लिए लाभदायक है, इसे पूरा जरूर पढ़ें।

साथ ही हमनें इस लेख में Chandrayaan-3 Mission से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर भी दिए हैं जो आगामी परीक्षाओं में पूछे जा सकते हैं।

Table of Contents

Chandrayaan-3 Mission: Important Points

Chandrayan-3 Mission

Chandrayaan-3 Mission से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को यहाँ टेबल के रूप में दिया गया है। ये one-day exams के लिए important हैं। इन्हें याद कर लें।

मिशन का नामChandrayaan-3 Mission
कब लॉन्च किया गया14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे
कहाँ से लॉन्च किया गयासतीश धवन स्पेस सेंटर
सतीश धवन स्पेस सेंटर कहाँ स्थित हैश्रीहरीकोटा, तिरुपति जिला (आंध्र प्रदेश)
लॉन्च किसने कियाISRO ने
ISRO का फुल फॉर्म  Indian Space Research Organisation
ISRO के वर्तमान अध्यक्षश्री एस. सोमनाथ
Chandrayaan-3 को ले जाने वाले रॉकेट का नामLVM3 (Launch Vehicle Mark-3)
Chandrayaan-3 के लैंडर का नामविक्रम
Chandrayaan-3 के साथ जाने वाले रोवर का नामप्रज्ञान
Chandrayaan-3 Mission की लागत615 करोड़ रुपये
चांद पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला भारत कौन सा देश होगाचौथा देश (अन्य तीन देश – अमेरिका, रूस और चीन)
चंद्रयान 3 मिशन की थीमScience Of The Moon
Chandrayaan-3 का कुल वजन3900 किग्रा
अन्य दो चंद्रयान मिशनचंद्रयान-1 – 2008; चंद्रयान-2 – 2019  

चंद्रयान मिशन क्या है?

चंद्रयान मिशन भारत का एक महत्वाकांक्षी स्पेस प्रोजेक्ट है जिसके माध्यम से चाँद के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करना है। इस मिशन की शुरुआत तब हुई थी जब भारत ने 2008 में अपना पहला चंद्रयान-1 लॉन्च किया था। उसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया, लेकिन इसमें आंशिक सफलता ही मिली।

इसी चंद्रयान मिशन के अंतर्गत अब चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया है। इसे 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरीकोटा से लॉन्च किया गया।

इस तरह चंद्रयान-2 का ही अगला चरण चंद्रयान-3 मिशन है।

Chandrayaan-3 की चंद्रमा की सतह पर सफल लैन्डिंग

Chandrayaan-3 Mission के अंतर्गत लैंडर को चाँद की सतह पर 23 या 24 अगस्त को उतरने का अनुमान लगाया गया था। और यह सच साबित हुआ जब Chandrayan ने 23 अगस्त को चाँद की सतह पर सफल लैंडिंग की।

वैसे तो चंद्रमा पर जाने में इतने दिन नहीं लगते हैं लेकिन हम अभी चंद्रयान को सीधे चंद्रमा पर भेजने में सक्षम नहीं है। इसलिए चंद्रयान-3 ने पहले पृथ्वी की पाँच कक्षाओं में चक्कर लगाए और फिर उसे चंद्रमा की कक्षा में प्रक्षेपित कर दिया।

उसके बाद चंद्रमा की कक्षाओं में भी कुछ दिन चक्कर लगाए और अंततः यह चंद्रमा की सतह पर उतर गया। इसीलिए Chandrayaan-3 Mission को चंद्रमा पर जाने में कुल 40 दिन लग गए।

पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 3,84,400 km है और यदि चंद्रयान-3 को सीधे चंद्रमा की सतह पर भेजने की कोशिश की होती तो इसका सारा ईंधन रास्ते में ही खर्च हो गया होता। यदि ज्यादा ईंधन रखते हैं तो रॉकेट का वजन बहुत अधिक हो जाएगा जिसके लिए एक बहुत ही शक्तिशाली इंजन की जरूरत पड़ेगी। LVM-3 केवल 142 फुट लंबा है जिसमें बहुत अधिक ईंधन नहीं रखा जा सकता है।

इसीलिए इसे पृथ्वी की कक्षाओं में चक्कर लगाने के लिए छोड़ दिया जाता है और साथ ही कक्षा-उत्थान (orbit-raising ) भी किया जाता है। जब चंद्रयान पृथ्वी की पाँचवी कक्षा में पहुँच जाता है तो इसे पृथ्वी की गति और गुरुत्वाकर्षण की सहायता से चंद्रमा की कक्षा में फेंक दिया जाता है।

फिर यही प्रक्रिया चंद्रमा की कक्षाओं में होता है और अंत में यान चंद्रमा की सतह पर उतर जाता है। इसीलिए Chandrayaan-3 Mission को चाँद की सतह पर सफल लैंडिंग में 40 दिन लग गए।

Chandrayaan-3 Mission स्पेसक्राफ्ट मॉड्यूल

Chandrayaan-3 Mission के लिए जाने वाले स्पेसक्राफ्ट में दो मॉड्यूल हैं – पहला प्रोपल्शन मॉड्यूल और दूसरा लैंडर-रोवर मॉड्यूल।

प्रोपल्शन मॉड्यूल का मुख्य काम है लैंडर-रोवर मॉड्यूल को चंद्रमा तक ले जाना। चंद्रमा के करीब पहुंचने के बाद, लैंडर-रोवर मॉड्यूल स्वयं को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग कर लेगा और चंद्रमा की सतह की ओर गिरने लगेगा।

लेकिन लैंडर में चार ऐसे इंजन लगे हैं जो इसे ऊपर की ओर धक्का देंगे और इसके उतरने की गति को धीमा कर देंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रमा की सतह को छूने से ठीक पहले इसकी यात्रा करने की गति 2 मीटर प्रति सेकंड हो जाएगी। इससे वह चंद्रमा पर धीरे से नीचे उतरेगा और सॉफ्ट-लैंडिंग कर सकेगा।

Chandrayaan-3 Mission के उद्देश्य

Chandrayaan-3 Mission का उद्देश्य है चंद्रमा की सतह के बारे में अधिक से अधिक जानकारी इकट्ठा करना । इसके लिए चंद्रयान-3 के लैंडर पर चार तरह के साइंटिफिक पेलोड लगे हैं जो इस प्रकार हैं –

Sl. Noलैंडर पेलोडउद्देश्य
1.Langmuir probe (LP)चंद्रमा की सतह के निकट प्लाज्मा (आयनों और इलेक्ट्रॉनों) के घनत्व और समय के साथ इसके परिवर्तनों को मापना
2.Chandra’s Surface Thermo physical Experiment (ChaSTE)ध्रुवीय क्षेत्र के निकट चंद्रमा के सतह के तापीय गुणों को मापना
3.Instrument for Lunar Seismic Activity (ILSA)लैंडिंग स्थल के आसपास भूकंपीयता को मापने और चंद्रमा की परत और मेंटल की संरचना का चित्रण करने के लिए।
4.LASER Retroreflector Array (LRA)इसका काम है चंद्रमा प्रणाली की गतिशीलता को समझना

इसी तरह रोवर में भी दो साइंटिफिक पेलोड लगे हैं जो इस प्रकार हैं –

Sl. Noरोवर पेलोडउद्देश्य
1.LASER Induced Breakdown Spectroscope (LIBS)गुणात्मक और मात्रात्मक तात्विक विश्लेषण और चंद्र-सतह के बारे में हमारी समझ को आगे बढ़ाने के लिए रासायनिक संरचना प्राप्त करना और खनिज संरचना का अनुमान लगाना।
2.Alpha Particle X-ray Spectrometer (APXS)चंद्रमा के लैंडिंग स्थल के आसपास की मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना (Mg, Al, Si, K, Ca,Ti, Fe) के बारे में जानकारी प्राप्त करना

Chandrayaan-3 Mission में जाने वाले लैंडर और रोवर

Chandrayaan-3 Mission में यान के साथ एक लैंडर और एक रोवर भेजे गए हैं। Chandrayaan-2 में भी एक लैंडर और एक रोवर गए थे। Chandrayaan-3 के साथ भेजे गए लैंडर का नाम ‘ विक्रम ‘ है और रोवर का नाम ‘ प्रज्ञान ‘ है।

लैंडर के चाँद की निर्धारित स्थल पर सॉफ्ट लैंडिंग होने के लगभग ढाई घंटे बाद रोवर प्रज्ञान बाहर निकला। अब यह चाँद की सतह पर अपनी गतिशीलता के दौरान रासायनिक विश्लेषण शुरू कर देगा। लैंडर और रोवर में चाँद की सतह पर प्रयोग करने के लिए कई वैज्ञानिक उपकरण लगाए गए हैं।

रोवर सहित इस लैंडर मॉड्यूल का कुल वजन 1752 किग्रा है।

लैंडर और रोवर में अंतर – लैंडर स्पेसक्राफ्ट या रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने के लिए होता है। इसके लिए लैंडर उन्नत तकनीक से लैस होता है। इसमें ऊंचाई मापने के लिए अल्टीमीटर, वेग मापने के लिए वेलोमीटर और खतरे का पता लगाने और बचाव के लिए कैमरे लगे होते हैं। चाँद की सतह पर लैंड होने के बाद ये घुम-फिर नहीं सकता है और अपने पैरों पर एक ही जगह खड़ा रहता है।

Lander- Vikram

लैंडर के साथ ही रोवर को भेजा जाता है जो लैंडर से निकलकर चाँद की सतह पर स्वतंत्र रूप से इधर-उधर घूम-फिर सकता है और वैज्ञानिक विश्लेषण कर सकता है। इसमें पहिये लगे होते हैं जो रोवर को चलने में मदद करते हैं।

Rover

लैंडर और रोवर दोनों के पास वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए कई उपकरण लगे हैं। इन उपकरणों की मदद से ये चंद्रमा की मिट्टी का विश्लेषण कर सकते हैं, यह जांच सकते हैं कि चंद्रमा की सतह गर्मी का संचालन कैसे करती है और भूकंप की लहरें चंद्रमा की सतह से कैसे गुजरती हैं आदि।

चांद पर सफल लैंडिंग करने वाले देश

चांद पर अभी तक सफल लैंडिंग करने वाले विश्व के केवल तीन देश ही हैं – अमेरिका, रूस और चीन। Chandrayaan-3 के सफल लैंडिंग करने के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है।

लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात है कि भारत ने अपने चंद्रयान को चाँद के साउथ पोल पर लैंड कराया है जहां आज तक किसी भी देश ने किसी तरह के यान की लैंडिंग नहीं कराई है। इस तरह साउथ पोल पर यान लैंड कराने वाला भारत विश्व का पहला देश बन गया है।

Chandrayaan-3 Mission से संबंधित FAQs

Chandrayaan-3 mission को कब लॉन्च किया गया.

उत्तर – 14 जुलाई 2023

चंद्रयान 3 का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?

Chandrayaan-3 Mission का उद्देश्य है चंद्रमा की सतह के बारे में अधिक से अधिक जानकारी इकट्ठा करना जैसे – चंद्रमा के हवा मंडल और तापमान का अध्ययन, चंद्रमा की सतह पर पानी के संकेतों की खोज आदि।

Chandrayaan-3 Mission के लिए जाने वाले स्पेसक्राफ्ट में कितने मॉड्यूल थे?

दो मॉड्यूल थे – पहला प्रोपल्शन मॉड्यूल और दूसरा लैंडर-रोवर मॉड्यूल।

चंद्रमा की सतह के निकट प्लाज्मा (आयनों और इलेक्ट्रॉनों) के घनत्व और समय के साथ इसके परिवर्तनों को मापने के लिए कौन सा यंत्र लगा है?

Langmuir probe (LP)

चंद्रयान-3 मिशन का कुल खर्च कितना है?

615 करोड़ रुपये

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण MCQs

  • चंद्रयान 3 के लैंडर का नाम क्या है? a. प्रज्ञान b. विक्रम c. ऋतु d. ध्रुव उत्तर- b. विक्रम
  • चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है? a) चंद्रमा पर उतरना b) चंद्रमा की परिक्रमा करना c) चंद्रमा पर वैज्ञानिक प्रयोग करना d) चंद्रमा पर एक रोवर को लॉन्च करना Answer: c) चंद्रमा पर वैज्ञानिक प्रयोग करना
  • चंद्रयान-3 चंद्रमा के किस क्षेत्र में उतरा? a) उत्तरी ध्रुव के पास b) भूमध्य रेखा के पास c) दक्षिणी ध्रुव के पास d) इनमें से कोई नहीं Answer: c) दक्षिणी ध्रुव के पास
  • Chandrayaan-3 के साथ जाने वाले रोवर का नाम क्या है? a. प्रज्ञान b. विक्रम c. ऋतु d. ध्रुव उत्तर- a. प्रज्ञान
  • चंद्रयान-3 मिशन का शुभारंभ कब हुआ? a) जुलाई 2023 b) अगस्त 2023 c) सितंबर 2023 d) अक्टूबर 2023 उत्तर: b) अगस्त 2023
  • चंद्रयान-3 मिशन का कुल खर्च कितना है? a) ₹500 करोड़ रुपये b) ₹615 करोड़ रुपये c) ₹700 करोड़ रुपये d) ₹800 करोड़ रुपये उत्तर: b) ₹615 करोड़ रुपये
  • चंद्रयान-3 मिशन के परियोजना निदेशक (Project Director) कौन हैं? a) के. सिवन b) एम. अन्नदुरई c) पी वीरामुथुवेल d) एस. सोमनाथ उत्तर: c) पी वीरामुथुवेल
  • चांद पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला भारत कौन सा देश बना? a) तीसरा b) चौथा c) पाँचवाँ d) छठा उत्तर : b) चौथा
  • चंद्रयान-3 कब लॉन्च किया गया? a) 14 जुलाई 2023 b) 15 जुलाई 2023 c) 16 जुलाई 2023 d) 17 जुलाई 2023 उत्तर : a) 14 जुलाई 2023
  • चंद्रयान-3 को कहाँ से लॉन्च किया गया था? a) श्रीहरिकोटा b) बैंगलोर c) तिरुवनंतपुरम d) हैदराबाद उत्तर: a) श्रीहरिकोटा
  • Chandrayaan-3 को ले जाने वाले रॉकेट का नाम क्या है? a) GSLV Mk IV b) PSLV-C49 c) LVM3 (Launch Vehicle Mark-3) d) ISRO Falcon उत्तर: c) LVM3 (Launch Vehicle Mark-3)
  • चाँद पर पहुँचने वाले देशों में कौन सा देश नहीं है? a) अमेरिका b) भारत c) जापान d) रूस उत्तर : c) जापान
  • चंद्रयान-1 कब लॉन्च किया गया था? a) 2007 b) 2008 c) 2009 d) 2010 उत्तर : b) 2008
  • ISRO के वर्तमान चेयरमैन कौन हैं? a) के. सीवन b) एस सोमनाथ c) एम. अन्नदुरई d) पी वीरामुथुवेल उत्तर : b) एस सोमनाथ

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creative writing on chandrayaan 3 in hindi

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Essay on Chandrayaan 3 for Kids: चंद्रयान-3 पर कैसे लिखें निबंध, देखें 100, 200 और 300 शब्दों के Essay Idea

Essay on Chandrayaan 3: चंद्रयान भारत के महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन में से एक है। इसरो द्वारा पहला चंद्रयान 2008 में भेजा गया था फिर 2019 में चंद्रयान 2 भेजा गया और अब हाल ही में 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान 3 को लॉन्च किया गया है। जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह की जांच, तापमान और अत्यंत रेखाओं के साथ उच्चतम और बेहतरीन रचनाओं का पता लगा कर चंद्रमा के रहस्यों को उजागर करना है। चंद्रयान-3 की लैंडिंग आने वाली 23-24 अगस्त 2023 को निर्धारित की गई है।

Essay on Chandrayaan 3: चंद्रयान-3 पर कैसे लिखें निबंध, देखें 100, 200 और 300 शब्दों के Essay Idea

क्योंकि, चंद्रयान 3 इस समय ट्रेंड में बहुत है, तो ऐसे में स्कूलों में इस विषय पर निबंध लिखने के लिए भी कहा जा सकता है। छात्रों को स्कूल होमवर्क और असाइनमेंट में भी चंद्रयान पर निबंध जैसे टॉपिक शामिल होते हैं। इसलिए आज इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप चंद्रयान 3 पर निबंध कैसे लिख सकते है? यहां हम आपको 100 शब्द में निबंध, 200 शब्दों में निबंध और 300 शब्दों के निबंध देंगे। छात्र इसके अनुसार अपना प्रोजेक्ट पूरा कर सकते हैं और इसमें छात्र अपने अनुसार आवश्यक बदलाव भी कर सकते हैं।

चंद्रयान 3 पर शॉर्ट निबंध (Short Essay on Chandrayaan 3)

चंद्रयान 3 इसरो द्वारा चलाया गया तीसरा मून मिशन है, जिसे 14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 2:35 बजे लॉन्च किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर लैंडिंग करके उसके रहस्यों को उजागर करना है। इससे पहले भी इसरो ने 2019 चंद्रयान 2 को लॉन्च किया था, लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते जितनी जानकारी की उम्मीद थी वो नहीं मिल पाई थी। उस दौरान प्राप्त की गई कुछ तस्वीरों के आधार पर चंद्रयान 3 की निर्माण किया गया है और कुछ आवश्यक बदलावों के साथ इसे लॉन्च किया गया है। चंद्रयान 3 में प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर है। चंद्रयान की कक्षा में प्रवेश के बाद अब 23-24 अगस्त को चंद्रयान 3 चंद्रमा पर लैंडिंग करेगा।

चंद्रयान 3 पर 200 शब्दों का निबंध (200 Word Essay on Chandrayaan 3)

इसरो का सबसे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रमा मिशन है, जिसकी शुरुआत 2008 में की गई थी। अभी तक भारत चंद्रयान के तीन मिशन लॉन्च कर चुका है। हाल ही में चंद्रयान 3 को 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया है, जो 23-24 अगस्त यानी 39 या 40 दिनों में चांद पर पहुंच जाएगा। चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का भारत का ये दूसरा प्रयास है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के रहस्यों, उसकी सतह, भू-विज्ञान, खनिज विज्ञान और बाह्ममंडल का अध्ययन करना है।

चंद्रयान 2 की असफलता के बाद चंद्रयान 3 में कई उन्नत प्रौद्योगिकी मौजूद है। इसमें लेजर और आरएफ-आधारित मल्टीमीटर, वेलोसीमीटर, प्रोपल्शन सिस्टम आदि को शामिल किया गया है, जिसको लेकर कई सफल परीक्षण किए गए हैं। ताकि चंद्रमा की सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन, रोवर के घूमने का प्रदर्शन और इन-सीटू वैज्ञानिक का संचालन किया जाए।

चंद्रयान 3 से भारत का लक्ष्य विश्व को अपनी तकनीकी कौशल, वैज्ञानिक क्षमता और अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना है। जिस प्रकार भारत तेजी से साइंस एंड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, उसे ये विश्व स्तर पर दिखाने का मौका मिलेगा। इसके साथ-साथ ये मिशन आने युवा पीढ़ी को साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेगा। चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग से भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बनेगा।

चंद्रयान पर 300 शब्दों का निबंध (300 Word Essay on Chandrayaan 3)

चंद्रयान 3 इसरो का मून मिशन है। जो पहले के दो चंद्रयान से बिल्कुल अलग बताया जा रहा है। चंद्रयान 2 के दौरान अंतिम समय में होने वाली त्रुटियों के कारण चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश के दौरान लैंडर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उस दौरान हुई कठिनाई को ध्यान में रखते हुए चंद्रयान 3 का निर्माण किया गया था। 2008 से ही इसरो मिशन चंद्रयान पर लगातार काम कर रहा है। चंद्रयान 3 के मुख्य कंपोनेंट में प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर है।

योजना के अनुसार विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा उसके बाद चंद्रमा की सतह की जानकारी, चंद्रमा के वायुमंडल की जानकारी, चंद्रमा पर मौजूद प्राकृतिक खनिजों आदि की जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को देगा।

इसरो द्वारा चंद्रयान 3 को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया है। चंद्रयान 2 की तुलना में चंद्रयान 3 चंद्रमा पर पहुंचने में कम समय लेगा। चंद्रयान 2 को चंद्रमा पर पहुंचने में 48 दिन का समय लगा था और जिस प्रकार चंद्रयान तेजी से चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है उसके अनुसार इसे चंद्रमा तक पहुंचने में केवल 40 से 42 दिन का समय लगेगा। निर्धारित समय के अनुसार चंद्रयान 3 चंद्रमा पर 23-24 अगस्त 2023 को लैंड कर सकता है।

चंद्रयान 3 का रोवर कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर और एक ड्रिल से सुसज्जित है। जो एक चंद्र दिन में 500 मीटर की दूरी तय करते हुए चंद्रमा की सतह की जांच करेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रयान 3 के माध्यम से हम चंद्रमा के भू-विज्ञान, खनिज विज्ञान और बाह्यमंडल की बेहतर समझ प्राप्त कर सकेंगे। इसके साथ ये हमें चंद्रमा की उत्पत्ति और विकास के बारे में समझने में सहायता देगा। चंद्रयान 3 की सफलता भारत के लिए एक गौरव का क्षण होगी। इस समय पूरे विश्व की नजर भारत के चंद्रयान 3 पर टिकी हुई है। इस मिशन की सफलता से भारत की युवा पीढ़ी अपना भविष्य साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बनाने के लिए प्रेरित होगी।

क्या है 'चंद्रयान मिशन'? आइए जानते हैं चंद्रयान 1, 2 और 3 में अंतर और विशेषताएं..

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

Make Your Note

  • 17 Jul 2023
  • 11 min read
  • सामान्य अध्ययन-III
  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी

अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, चंद्रयान-3 मिशन और इसका महत्त्व

चर्चा में क्यों?  

चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग कराने की तैयारी में है।

  • भारत का लक्ष्य संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन की कतार में शामिल होकर यह उपलब्धि हासिल करने वाला विश्व का चौथा देश बनना है। 

चंद्रयान-3 मिशन:   

  • चंद्रयान-3 भारत का तीसरा चंद्र मिशन और चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का दूसरा प्रयास है।
  • इस मिशन के तहत चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई, 2023 को दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से उड़ान भरी थी।
  • इसमें एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (LM), प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) और एक रोवर शामिल है जिसका उद्देश्य अंतर ग्रहीय मिशनों के लिये आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित एवं प्रदर्शित करना है। 
  • चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सुगम लैंडिंग करना।
  • रोवर को चंद्रमा पर घूमते हुए प्रदर्शित करना। 
  • यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना।
  • चंद्रयान-3 के लैंडर (विक्रम) और रोवर पेलोड (प्रज्ञान) चंद्रयान-2 मिशन के समान ही हैं।
  • लैंडर पर वैज्ञानिक पेलोड का उद्देश्य चंद्रमा के पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करना है। इन पेलोड में चंद्रमा पर आने वाले भूकंपों का अध्ययन, सतह के तापीय गुण, सतह के पास प्लाज़्मा में बदलाव और पृथ्वी तथा चंद्रमा के बीच की दूरी को सटीक रूप से मापना शामिल है। 
  • SHAPE का लक्ष्य परावर्तित प्रकाश का विश्लेषण कर संभावित रहने योग्य छोटे ग्रहों की खोज करना है।
  • इसके लैंडिंग क्षेत्र का विस्तार किया गया है जो एक बड़े निर्दिष्ट क्षेत्र के भीतर सुरक्षित रूप से उतरने की सुविधा देता है।
  • लैंडर को अधिक ईंधन से लैस किया गया है ताकि आवश्यकतानुसार लैंडिंग स्थल अथवा वैकल्पिक स्थानों तक लंबी दूरी तय की जा सके।
  • चंद्रयान-2 में केवल दो सौर पैनल की तुलना में चंद्रयान-3 लैंडर में चार तरफ सौर पैनल लगाए गए हैं ।
  • चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से प्राप्त उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवियों का उपयोग लैंडिंग स्थान निर्धारित करने के लिये किया जाता है और साथ ही स्थिरता तथा मज़बूती बढ़ाने के लिये इसमें कुछ संशोधन किया गया है।
  • इसमें लेज़र डॉपलर वेलोसीमीटर नामक एक उपकरण शामिल है जो लैंडर की गति का माप करने के लिये चंद्रमा की सतह पर लेज़र बीम उत्सर्जित/छोड़ेगा करेगा।
  • LVM3 के उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद अंतरिक्ष यान रॉकेट से अलग हो गया। यह एक अंडाकार पार्किंग कक्षा (EPO) में प्रवेश कर गया।
  • चंद्रयान-3 की यात्रा में लगभग 42 दिन लगने का अनुमान है, 23 अगस्त, 2023 को  इसकी चंद्रमा पर लैंडिंग निर्धारित है।
  • चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के समीप है।

दक्षिणी ध्रुव के समीप चंद्रमा की लैंडिंग का महत्त्व:

  • हालाँकि चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव भूमध्यरेखीय क्षेत्र की तुलना में काफी अलग और अधिक चुनौतीपूर्ण भू-भाग है।
  • सूर्य के प्रकाश की कमी के साथ अत्यधिक ठंड उपकरणों के संचालन एवं स्थिरता के लिये कठिनाइयाँ उत्पन्न करती है।
  • इस क्षेत्र का पता लगाना महत्त्वपूर्ण है जो भविष्य में गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण को प्रभावित कर सकता है।

भारत के अन्य चंद्रयान मिशन:    

  • प्रक्षेपण यान: PSLV-C11 .  
  • चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की सतह पर पानी और हाइड्रॉक्सिल का पता लगाने सहित महत्त्वपूर्ण खोजें कीं।
  • प्रक्षेपण यान: GSLV MkIII-M1  
  • यद्यपि लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गए , ऑर्बिटर ने सफलतापूर्वक डेटा एकत्र किया और सभी अक्षांशों पर पानी के प्रमाण पाए।

चंद्रमा मिशन के प्रकार: 

  • उदाहरणतः संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा पायनियर 3 और 4 तथा सोवियत रूस द्वारा लूना (Luna) 3 शामिल हैं।
  • चंद्रयान-1 और 46 अन्य मिशन में ऑर्बिटर का उपयोग किया गया है।
  • चंद्रयान-1 के चंद्रमा प्रभाव जाँच (MIP) ने इस दृष्टिकोण का पालन किया।
  • सोवियत रूस द्वारा वर्ष 1966 में Luna 9 चंद्रमा पर पहली सफल लैंडिंग थी।
  • ये बहुमूल्य डेटा एकत्रित करते हैं और स्थिर लैंडर्स की सीमाओं को पार कर जाते हैं। चंद्रयान-2 के रोवर को प्रज्ञान नाम दिया गया था (चंद्रयान-3 के लिये भी यही नाम रखा गया है)।
  • वर्ष 1969 से 1972 के दौरान छह सफल लैंडिंग के साथ केवल NASA ने ही यह उपलब्धि हासिल की है।
  • वर्ष 2025 के लिये नियोजित नासा का आर्टेमिस III , चंद्रमा पर मानव की वापसी को चिह्नित करेगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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Findings Of Chandrayaan 3 : चंद्रयान 3 ने अब तक क्या खोज की?

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  • Updated on  
  • सितम्बर 1, 2023

Findings Of Chandrayaan 3

चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सुरक्षित रूप से उतरा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की इस ऐतिहासिक सफलता के बाद, प्रज्ञान रोवर दक्षिणी ध्रुव पर चंद्र रहस्यों को उजागर करने के लिए अवलोकन कर रहा है। मिशन के तीन लक्ष्य थे। उनमें से दो हासिल किए गए हैं, पहला चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में सॉफ्ट लैंडिंग और रोवर को सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर लाना। तीसरा लक्ष्य, जिसमें सीधे चंद्रमा पर प्रयोग करना शामिल है, वर्तमान में प्रगति पर है। इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें और जानें Findings Of Chandrayaan 3 के बारे में पूरी जानकारी।

मिशन ने अपने काम में कुछ महत्वपूर्ण प्रगति की है और दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रमा की सतह पर सल्फर, एल्यूमीनियम, कैल्शियम, लोहा, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, ऑक्सीजन और सिलिकॉन की उपस्थिति की पुष्टि की है। इसरो द्वारा तरंग दैर्ध्य के अनुरूप विभिन्न श्रेणियों में इन तत्वों की उपस्थिति दर्शाने वाला एक चार्ट जारी किया गया है।

Findings Of Chandrayaan 3

Findings Of Chandrayaan 3

नीचे Findings Of Chandrayaan 3 विस्तार से बताई जा रही हैं –

27 अगस्त को इसरो ने चंद्रमा की सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ जारी किया और अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने भी चंद्रमा पर दर्ज किए गए उच्च तापमान पर आश्चर्य व्यक्त किया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने एक अपडेट साझा करते हुए कहा कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर चंद्रा के सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) पेलोड ने चंद्रमा की सतह के थर्मल व्यवहार को समझने के लिए ध्रुव के चारों ओर चंद्र ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रोफाइल को मापा। समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुएइसरो के वैज्ञानिक बीएचएम दारुकेशा ने कहा, “हम सभी मानते थे कि सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है। यह आश्चर्यजनक रूप से हमारी अपेक्षा से अधिक है।”

यह भी पढ़ें – Did Chandrayaan 3 Found Water on Moon?

2.  4-मीटर व्यास वाला गड्ढा

27 अगस्त को, चंद्रमा की सतह पर चलते समय, चंद्रयान -3 रोवर को 4-मीटर व्यास वाले गड्ढे के सामने आने पर एक बाधा का सामना करना पड़ा। इसरो के एक अपडेट में कहा गया कि गड्ढा अपने स्थान से 3 मीटर आगे स्थित था। इसके बाद इसरो ने रोवर को अपने पथ पर वापस लौटने का आदेश देने का निर्णय लिया और सूचित किया कि रोवर अब सुरक्षित रूप से एक नए पथ पर आगे बढ़ रहा है।

यह भी पढ़ें – क्या है जवाहर पॉइंट?

3. चंद्रमा पर तत्व

30 अगस्त को, चंद्रयान -3 के ‘प्रज्ञान’ रोवर पर लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप उपकरण ने दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्र सतह में सल्फर की उपस्थिति की ‘स्पष्ट रूप से पुष्टि’ की। एल्युमीनियम (Al), कैल्शियम (Ca), आयरन (Fe), क्रोमियम (Cr), टाइटेनियम (Ti), मैंगनीज (Mn), सिलिकॉन (Si), और ऑक्सीजन (O) जैसे अन्य तत्वों का भी पता लगाया जाता है। अंतरिक्ष एजेंसी ने आगे कहा कि हाइड्रोजन (एच) की खोज जारी है।  

इस बीच, वैज्ञानिकों ने कहा है कि रोवर वर्तमान में “समय के खिलाफ दौड़” में है और इसरो छह पहियों वाले वाहन के माध्यम से अज्ञात दक्षिणी ध्रुव की अधिकतम दूरी को कवर करने के लिए काम कर रहा है। “हमारे पास इस मिशन के लिए कुल मिलाकर केवल 14 दिन हैं, जो चंद्रमा पर एक दिन के बराबर है, इसलिए चार दिन पूरे हो चुके हैं। बचे हुए दस दिनों में हम जितना अधिक प्रयोग और शोध कर पाएंगे, वह महत्वपूर्ण होगा। हम समय के खिलाफ दौड़ में हैं क्योंकि इन 10 दिनों में हमें जो करना है अधिकतम काम और इसरो के सभी वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं, “अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम देसाई ने रविवार को एएनआई को बताया।

Findings Of Chandrayaan 3

यह भी पढ़ें – भारत की ‘ऐतिहासिक’ चंद्रमा लैंडिंग पर दुनिया की क्या प्रतिक्रिया थी?

अभी हमने जाना Findings Of Chandrayaan 3 के बारे में। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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विशाखा सिंह

A voracious reader with degrees in literature and journalism. Always learning something new and adopting the personalities of the protagonist of the recently watched movies.

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चंद्रयान के सफल होने से हमको और आपको क्या फायदा होगा, सरल भाषा में समझें

Chandrayaan-3 benefits: चांद पर पहुंचकर इतिहास लिखने वाला यह मिशन सिर्फ वहां पानी और कीमती खनिजों को खोजने तक सीमित नहीं है. देश की इस उपलब्धि का असर भारतीयों और भारत पर कैसे पड़ेगा. आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं..

चंद्रयान के सफल होने से हमको और आपको क्या फायदा होगा, सरल भाषा में समझें

भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 ने इतिहास रच दिया है. चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा. यह करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है. चंद्रयान-3 की लागत 615 करोड़ करोड़ रुपए है. यह उपलब्धित भारतीयों को गर्व महसूस कराने वाली है, पर सवाल ये सवाल यह भी है इस मिशन से आम इंसान को भला क्या मिलेगा?

चांद पर पहुंचकर इतिहास लिखने वाला यह मिशन सिर्फ वहां पानी और कीमती खनिजों को खोजने तक सीमित नहीं है. देश की इस उपलब्धि का असर भारतीयों और भारत पर कैसे पड़ेगा. आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं.

मून मिशन से किसे क्या मिलेगा?

1- आम इंसान को: भारतीयों का रुतबा बढ़ेगा, तकनीकी सुविधाओं में इजाफा होगा.

चंद्रयान-3 की सफलता सिर्फ भारतीयों को गौरवांवित करने तक सीमित नहीं है. इससे भविष्य में भारतीयों को कई फायदे मिलेंगे. मौसम से जुड़ी जानकारियां मिलेंगी. कम्युनिकेशन और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत मजबूत होगा तो देश का नाम रोशन होगा. नतीजा, दुनियाभर में भारतीयों का रुतबा और बढ़ेगा. आम लोगों को उन सवालों के जवाब मिलेंगे जो सवाल सालों में उनके जेहन हैं. जैसे- क्या वो कभी चांद पर जा पाएंगे, चांद पर जिंदगी है या नहीं, क्या चांद पर खेती की जा सकती है या नहीं या फिर चांद पर कितनी कीमती चीजें मौजूद हैं कि हर देश वहां पर पहुंचने के लिए परेशान. ऐसे तमाम सवालों के जवाब आम लोगों को मिलेंगे.

2- वैज्ञानिकों को: नई जानकारियों से सुलझेंगे अंतरिक्ष के रहस्य

दुनिया के कई वैज्ञानिक मानते हैं कि चांद पर पानी और बर्फ के साथ यूरेनियम, प्लेटिनिम और सोना समेत कई तरह के अयस्क मौजूद हैं. अब भारतीय मिशन चंद्रयान-3 का रोवर अगले 14 दिनों तक वहां पर ऐसी तमाम तरह की जानकारियां जुटाएगा. वहां की तस्वीरें भेजेगा. चांद ऐसा ग्रह है जो धरती के सबसे करीब है. इसलिए यहां से जुटाई गई जानकारियों पर दुनियाभर के वैज्ञानिकों की नजर रहेगी. मिशन पूरा होने के बाद मिले नतीजे, अंतरिक्ष की दुनिया के कई रहस्य खोलेंगे.

3- अर्थव्यवस्था को: प्राइवेट स्पेस सेक्टर में ऐसे बढ़ेगा दबदबा

चंद्रयान-3 का सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. इसकी शुरुआत हो गई है. यह सबकुछ कैसे होगा अब इसे समझते हैं. भारत में वर्तमान में 140 रजिस्टर्ड स्पेस-टेक स्टार्टअप हैं. इनमें स्कायरूट, सैटश्योर, ध्रुव स्पेस शामिल हैं, ये सैटेलाइट सिग्नल से लेकर ब्राॅडबैंड और सोलर फार्म्स तक काम कर रहे हैं. ये तकनीक के जरिए चीजों को आसान बना रहे हैं. पिछले साल इसरो ने देश का पहला प्राइवेट रॉकेट लॉन्च किया था. भारत में पहले प्राइवेट रॉकेट को तैयार करने वाली कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस के को -फाउंडर पवन कुमार चंदाना कहते हैं, चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद भारत कतार में पहुंच गया है जहां अब तक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन थे. भारत चौथा ऐसा देश बन गया है.

वह कहते हैं, हालिया उपलब्धि के साथ स्पेस टेक और साइंस के क्षेत्र में काम करने वाले संस्थान और कंपनियों की मांग दुनिया में बढ़ेगी.देश में इनकी संख्या बढ़ेगी इसके साथ ही रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे. भारत ने पिछले साल देश के प्राइवेट रॉकेट को लॉन्च करके यह साबित भी कर दिया है. इससे सीधेतौर विदेशी निवेश बढ़ने की संभावना है.

एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री यूपी की इकॉनॉमिक पॉलिसी एंड टैक्सेशन कमेटी के चेयरमैन मनीष खेमका गर्व से कहते हैं कि चंद्रयान-3 की कामयाबी तो स्पेस में बड़ी कामयाबी की ओर एक कदम मात्र है. अंतरिक्ष में ताकतवर होने का मतलब है कि मानव जीवन का तेज विकास. सेटेलाइट के माध्यम सटीक और त्वरित मिलने वाली सूचनाएं हर क्षेत्र में काम को आसान बनाने वाली हैं.

वह कहते हैं, चांद पर जल्द से जल्द पहुंचने को लेकर जो मारामारी है, वह इसीलिए हो रही है क्योंकि भारत, अमेरिका, रूस, चीन, सबको पता है कि वहां मानवता की रक्षा के लिए, आगे ग्रहों को एक्सप्लोर करने के लिए बहुत कुछ उपलब्ध है. इस अवसर को कोई भी देश खोना नहीं चाहते. स्पेस टेक्नोलॉजी के विकास से देश की आर्थिक तरक्की भी हो रही है. सब कुछ ठीक से योजना के मुताबिक चला तो साल 2047 तक भारत राजस्व के मामले में 25 फीसदी का भागीदार होगा. अभी सिर्फ तीन फीसदी भागीदारी है.

Chandrayaan (2)

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग का प्रसारण देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरंगा लहराया.

4- कारोबारियों को: स्पेस सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के शेयर्स में रिकॉर्ड बढ़ोतरी

देश की कई निजी कंपनियां स्पेस साइंस के सेक्टर से तेजी से आगे बढ़ रही है. भारत सरकार इन्हें बढ़ावा दे रही है. देश की नामी कंपनियां जैसे- गोदरेज एयरोस्पेस, लार्सन एंड टूब्रो (L&T), हिमसन इंडस्ट्रियल सिरेमिक जैसी कंपनियां चंद्रयान-3 मिशन से जुड़ी हैं. इन कंपनियां के बनाए उपकरणों का चंद्रयान-3 में इस्तेमाल किया गया है. इसका असर कंपनियों के शेयर पर दिखा.

चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद स्पेस कंपनियों के शेयरों में उछाल दिखा. गोदरेज इंडस्ट्रीज, एल एंड टी, टाटा स्टील और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के शेयरों में रिकॉर्ड तेजी देखी गई. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के शेयर 4,138.80 रुपए के साथ 52 हफ्तों के हाई पर पहुंचे. इसके अलावा भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स, पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज और सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स के शेयर्स में बढ़ोतरी हुई.

5- कृषि को: खेती-किसानी को ऐसे मिलेगा फायदा

उत्तर भारत स्थित इसरो के एक मात्र रीजनल एकेडमिक सेंटर फॉर स्पेस के प्रमुख और एनआईटी कुरुक्षेत्र के डीन रिसर्च एंड डेवेलपमेंट प्रो. ब्रह्मजीत सिंह ने बताया कि भारत कृषि प्रधान देश है और चंद्रयान-3 की कामयाबी भारत की उपलब्धि के रूप में देखी जानी चाहिए. क्योंकि स्पेस में भारत जैसे-जैसे ताकतवर होता जाएगा, कृषि क्षेत्र को इसका खूब फायदा मिलेगा. अभी मिट्टी की जांच के लिए नमूने लेकर जांच आदि के काम किए जाते हैं. एआई-एमएल का इस्तेमाल भी मिट्टी की जांच में अब होने लगा है लेकिन स्पेस में ताकत बढ़ने के साथ ही यह काम बहुत आसान, तेज और विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा.

उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने हाल ही में स्मार्ट सिटी, कृषि और हेल्थ सेक्टर में एआई-एमएल की भूमिका बढ़ाने पर काम करने को एक योजना शुरू की है. स्पेस में ताकत बढ़ने का मतलब होगा कि इन तीनों सेक्टर में काम की प्रगति तेज होगी.

यह भी पढ़ें: Chandrayaan 3: क्या मून मिशन से संवर जाएगा भारत का 1000 साल का भविष्य?

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चंद्रयान-3 पर निबंध || Essay on Chandrayaan-3 in Hindi

नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम आपको chandrayaan-3 पर निबंध लिखना बताएंगे। chandrayaan-3 पर लिखा यह निबंध बच्चों और कक्षा 1 से लेकर 12 तक के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है। chandrayaan-3 पर लिखा हुआ यह निबंध आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। दोस्तों आपको हमारी वेबसाइट पर और भी कई विषयों पर निबंध मिलेंगे जिन्हें आप आसानी से पढ़ सकते हैं। दोस्तों अगर आपके लिए यह आर्टिकल useful हो तो अपने सभी दोस्तों को social media platform WhatsApp, Facebook or telegram पर share करिएगा।

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Table of contents –

प्रस्तावना

चंद्रयान-3 क्या है?

चंद्रयान-3 योजना

चंद्रयान-3 की शुरुआत

चंद्रयान-3 मिशन की पृष्ठभूमि

चन्द्रयान-3 अंतरिक्ष यान की विशेषताएं

चन्द्रयान-3 का लैंडर

चन्द्रयान-3 का रोवर

चन्द्रयान-3 से भारत को लाभ

चन्द्रयान-3 पर 10 लाइन हिन्दी में

चन्द्रयान-3 पर 10 लाइन अंग्रेजी में

FAQ'S 

chandrayaan-3 भारत की महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों में से एक है जिसका उद्देश्य चंद्रमा पर अगला कदम बढ़ाना है। इस मिशन के तहत भारत चंद्रमा की सतह पर अपनी वैज्ञानिक अध्ययन और खोज अभियांत्रिकी को मजबूत करने के लिए विक्रम लैंडर और प्रग्यान रोवर भेजेगा। इसमें साथ ही एक ऑरबिटर शामिल होगा जो चंद्रमा की सतह की निगरानी करेगा।

चंद्रयान-3 क्या है?

चंद्रयान - 3 अंतरिक्ष यान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा उल्लिखित तीसरा चंद्र अन्वेषण अभियान है। इसमें chandrayaan-2 के समान एक लैंडर और एक रोवर होगा, लेकिन इसमें ऑबिटर नहीं होगा।

ये मिशन चंद्रयान - 2 की अगली कड़ी है, क्योंकि पिछला मिशन सफलतापूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद अंतिम समय में मार्गदर्शन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास विफल हो गया था, सॉफ्ट लैंडिंग का पुनः सफल प्रयास करने हेतु इस नए चंद्र मिशन को प्रस्तावित किया गया था।

चंद्रयान -3 का लॉन्च सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार, श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई, 2023 शुक्रवार को भारतीय समय अनुसार दोपहर 2:35 बजे निर्धारित किया गया है।

चंद्रयान-3 योजना –

चंद्रयान-3 की योजना के अनुसार विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करेगा और वहां से वैज्ञानिक डेटा और सूचना भेजेगा। इसके साथ ही प्रग्यान रोवर चंद्रमा की सतह पर आगे बढ़कर वैज्ञानिक अध्ययन का कार्य करेगा। इससे हमें चंद्रमा के बारे में नई जानकारी मिलेगी और इसके माध्यम से भारत की वैज्ञानिकता को गर्व की अनुभूति मिलेगी।

चंद्रयान-3 मिशन को वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टि से ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसमें उन्नत संचार तंत्र, ऊर्जा प्रबंधन और उच्च क्षमता की बैटरी शामिल है। इसके अलावा एक औचक रडार और नए प्रकार के उपकरणों का भी उपयोग किया जाएगा। यह सभी तत्व chandrayaan-3 को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक पहुंचाने में मदद करेंगे। chandrayaan-3 योजना के लिए तैयारी करते समय भारत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी देखा गया है। इस मिशन के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अन्य देशों के अंतरिक्ष संगठनों के साथ सहयोग किया गया है। इससे यह साबित होता है कि चंद्रयान-3 का मिशन अग्रणी और महत्वपूर्ण है, और भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी प्रगति को दिखाने के लिए तत्पर है।

चंद्रयान-3 की शुरुआत –

चंद्रयान-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने और वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए एक चंद्र मिशन है। चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 14 जुलाई, 2023 को भारतीय समयानुसार दोपहर 2:51 बजे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से किया गया था।

चंद्रयान-3 एक multi-part मिशन है, जिसमें एक ऑबिटर, एक लैंडर और एक रोवर शामिल है।

चंद्रयान-3 के वैज्ञानिक प्रयोग चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर पानी की बर्फ की उपस्थिति, चंद्रमा की सतह और उसकी संरचना, चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र और चंद्रमा के वायुमंडल का अध्ययन करेंगे।

चंद्रयान-3 मिशन की पृष्ठभूमि -

इसरो के chandrayaan-2 मिशन को ऑरबिटर, रोवर और लैंडर के साथ chandrayaan-2 अंतरिक्ष यान भेजने के लिए डिजाइन किया था। उन्होंने इस अंतरिक्ष यान को सबसे शक्तिशाली जियोसिंक्रोनस वाहनों में से एक, जीएसएलवी-एमके 3 पर लांच किया।

लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग में विफलता के कारण रोवर प्रज्ञान के चंद्रमा पर यात्रा करने के प्रयास में बाधा उत्पन्न हुई।

इसने चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन के लिए आवश्यक भारत की लैंडिंग क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए एक और मिशन का प्रयास किया।

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर यह मिशन 2023 में जापान के सहयोग से होने जा रहा है।

चन्द्रयान-3 अंतरिक्ष यान की विशेषताएं - 

• भारत का लक्ष्य चंद्रमा की सतह की जांच करना है, खासकर उन क्षेत्रों की जहां कुछ अरब वर्षों से सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच रही है। वैज्ञानिक और खगोलशास्त्री चंद्रमा की सतह के इन गहरे हिस्सों में बर्फ और प्रचुर खनिज भंडार की उपस्थिति पर संदेह कर रहे हैं।

• इसके अलावा, यह अन्वेषण केवल सतह तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि इसका उद्देश्य उप-सतह और बाह्यमंडल का अध्ययन करना होगा।

• इस अंतरिक्ष यान का रोवर chandrayaan-2 से

• चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर पानी की बर्फ की उपस्थिति।

• चंद्रमा की सतह और उसकी संरचना।

चन्द्रयान-3 का लैंडर –

chandrayaan-3 का लैंडर विक्रम नाम से है। यह लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और रोवर को छोड़ेगा। रोवर चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। विक्रम लैंडर 1475 किलोग्राम वजनी है और 4.5 मीटर लंबा है। इसमें चार पैर हैं जो इसे चंद्रमा की सतह पर उतरने में मदद करेंगे। लैंडर में एक पेरोजुट भी है जो इसे चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से उतारने में मदद करेगा।

विक्रम लैंडर में एक रोवर दोनों ही भारत द्वारा विकसित सबसे उन्नत अंतरिक्ष यान हैं। इनके सफल होने से भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नई पहचान मिलेगी।

चन्द्रयान-3 का रोवर –

चन्द्रयान - 3 का रोवर प्रज्ञान नाम से है। यह चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। प्रज्ञान 135 किलोग्राम वजनी है और 6.5 मीटर लंबा है। इसमें चार पहिए हैं जो इसे चंद्रमा की सतह पर चलने में मदद करेंगे।

चन्द्रयान-3 से भारत को लाभ –

• chandrayaan-3 भारत को चंद्रमा के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा।

• chandrayaan-3 भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित करेगा।

• chandrayaan-3 भारत के लिए एक राष्ट्रीय गौरव का विषय होगा।

चन्द्रयान-3 पर 10 लाइन हिन्दी में –

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1. इसरो ने चन्द्रयान - 3 को चंद्रमा की तीसरी यात्रा पर भेजने की योजना बनाई है।

2. chandrayaan-2 और चंद्रयान-1 के बाद chandrayaan-3 अगला प्रोजेक्ट है।

3. यह प्रदर्शित करेगा कि चंद्रमा पर उतरना और नेविगेट करना कितना सुरक्षित है।

4. chandrayaan-3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 पर अंतरिक्ष में भेजा गया है।

5. chandrayaan-3 को श्रीहरिकोटा के SDSC से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।

6. chandrayaan-2 की विफलता के लगभग 4 साल बाद चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया है।

7. रिपोर्ट्स के मुताबिक chandrayaan-3 की लागत करीब 70 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।

8. लॉन्चिंग व्हीकल मार्क 3 (LVM 3) रॉकेट chandrayaan-3 को अंतरिक्ष में ले गया।

9. chandrayaan-3 का मुख्य लक्ष्य सतह पर सुरक्षित उतरना, रोवर कैसे काम करता है यह दिखाना और सतह पर वैज्ञानिक परीक्षण करना है।

10. chandrayaan-3 को 23 अगस्त या 24 अगस्त के आसपास उतरने की संभावना है।

चन्द्रयान-3 पर 10 लाइन अंग्रेजी में -

1. Chandrayan-3 is the third lunar exploration mission by ISRO.

2. It is the next project after chandrayaan-2 and chandrayaan-1.

3. It has been sent into space on 14 July 2023 at 2:35 pm.

4. It will demonstrate how safe it is to land and navigate on the moon.

5. It consists of a lander and a rover similar to chandrayan-2, but does not have on orbiter.

6. Chandrayan-3 was successfully launched from SDSC,SHAR, Shriharikota.

7. According to reports, the cost of chandrayan-3 is around 77 million dollar.

8. Chandrayan-3 is likely to land around August 23 or August 24.

9. It has been launched almost-4 years after the failure of chandrayaan-2.

10. It's main goals are two land safely on the surface, show how the raver works and do scientific tests on the surface.

प्रश्न - चन्द्रयान - 3 का क्या महत्व है?

उत्तर - भारत का चंद्रयान-3 मिशन भारत को चंद्रमा पर सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बना देगा। इस मिशन में निवेश आकर्षित करने और भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा देने की क्षमता है।

प्रश्न - चन्द्रयान - 3 का वजन कितना है?

उत्तर - चन्द्रयान - 3 का कुल वजन 3900 किलोग्राम है, जिसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2148kg है और लैंडर मॉड्यूल का वजन 1752 किलोग्राम है।

प्रश्न - चंद्रयान-3 कब लॉन्च हुआ था?

उत्तर - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का तीसरा मून मिशन chandrayaan-3 श्रीहरिकोटा से लांच हो चुका है। 14 जुलाई 2023 शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 2:35 पर chandrayaan-3 को लांच किया गया।

प्रश्न - क्या chandrayaan-3 मिशन सफल है?

उत्तर - इसरो ने दूसरी बार चंद्रयान-3 मिशन की कक्षा सफलतापूर्वक बढ़ाई है। ऑबिट राइजिंग पैंतरेबाजी ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि अंतरिक्ष यान अब केवल 200 किलोमीटर से अधिक की परिधि पर उड़ान भर रहा है।

प्रश्न - चंद्रयान मिशन का उद्देश्य क्या था?

उत्तर - इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। इससे पहले chandrayaan-2 के समय भी इसका उद्देश्य चांद की सतह पर सॉफ्टलैंड कराना ही था, जो अंतिम समय में फेल हो गया था।

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चंद्रयान-3 पर 10 वाक्य (10 Lines on Chandrayaan)

चंद्रयान(Chandrayaan), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) द्वारा चाँद पर भारत के मिशन की एक श्रृंखला है। यह भारत का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन है। आपको इसके बारे में कुछ बुनियादी जानकारी होनी चाहिए। हमने चंद्रयान पर 10 पंक्तियों के कुछ सेट बनाए हैं। आपको इन्हें पढ़ना चाहिए और मुझे यकीन है कि इनमें उपलब्ध जानकारी से आपको कई तरह से फायदा होगा। चंद्रयान-3 की पूरी जानकारी सरलतम शब्दों में लिखा गया है, हमने इस बात का पूरा ध्यान रखते हुए यह लेख ऐसे लिखा है कि हर वर्ग के विद्यार्थियों के विद्यालय संबंधी कार्यों के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हो।

चंद्रयान-3 पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines on Chandrayaan-3 in Hindi)

1) इसरो ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा की तीसरी यात्रा पर भेजने की योजना बनाई है।

2) चंद्रयान-2 और चंद्रयान-1 के बाद चंद्रयान-3 अगला प्रोजेक्ट है।

3) यह प्रदर्शित करेगा कि चंद्रमा पर उतरना और नेविगेट करना कितना सुरक्षित है।

4) चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे पर अंतरिक्ष में भेजा गया है।

5) चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा के SDSC SHAR से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।

6) चंद्रयान-2 की विफलता के लगभग चार साल बाद चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया है।

7) रिपोर्ट्स के मुताबिक, चंद्रयान-3 की लागत करीब 77 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।

8) लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (LVM 3) रॉकेट चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में ले गया।

9) चंद्रयान-3 का मुख्य लक्ष्य सतह पर सुरक्षित उतरना, रोवर कैसे काम करता है यह दिखाना और सतह पर वैज्ञानिक परीक्षण करना है।

10) चंद्रयान-3 को 23 अगस्त या 24 अगस्त के आसपास उतरने की संभावना है।

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