आवेदन पत्र और प्रारूप

आवेदन पत्र (Aavedan Patra in Hindi) हम उस समय लिखते है जब हमें किसी से निवेदन या कुछ कार्य करवानी होती है। aavedan patra कई तरीके के होते है जैसे छुट्टी के लिए, नौकरी के लिए, किसी समस्या को सुधारने के लिए, किसी को सूचना देने के लिए, व्यवसाय संबंधित इत्यादि।

आवेदन पत्र को लिखने का सलीका या तरीका होता है, जिसके तहत आवेदन पत्र लिखा जाता है।

चलिए जानते है आवेदन पत्र का प्रारूप (application format) , लिखने का तरीका और उससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

आवेदन पत्र को मूलतः हम तीन भागों में बाँट सकते है। इसके पहले भाग में जिसको आवेदन पत्र लिख रहे है, उससे संबंधित अधिकारी के कार्यालय के नाम के साथ अधिकारी को संबोधन और अभिवादन दिया जाता है।

दूसरे भाग में, जो बातें अधिकारी को बताना चाहते है, उसे स्पष्ट और कम शब्दों में लिखा जाता है। यह भाग सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है। तीसरे और अंतिम भाग में, आवेदन पत्र के सबसे नीचे दायें तरफ अपना नाम, हस्ताक्षर, पता इत्यादि लिखा जाता है।

आवेदन पत्र में अभिवादन के तौर पर महोदय/महोदया, श्रीमान/श्रीमती/सुश्री लिखते है और समापन के समय धन्यवाद/सधन्यवाद या साधुवाद लिख सकते है। अब बात करते है आवेदन पत्र हिंदी में (aavedan patra in hindi) लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

आवेदन पत्र लिखते समय किन बातों का ध्यान रखें?

आवेदन पत्र को लिखते समय निम्न बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

  • आवेदन पत्र सरल और कम शब्दों में लिखा जाना चाहिए।
  • आवेदन पत्र में विषय लिखना बहुत जरूरी है, विषय ना लिखने से छोटी सी समस्या उत्पन्न होती है। लेकिन विषय लिखा होने से पढ़ने वाले को पहले ही समझ आ जाता है कि आवेदन पत्र किस संदर्भ में है।
  • आवेदन पत्र की भाषा औपचारिक होती है, इसमें केवल आप अपने कार्य से संबंधित बातें ही लिख पाते है और यही होना चाहिए। अनर्गल बातें लिखने से बचना चाहिए।

ये थी तीन प्रमुख बातें, जो हमें आवेदन पत्र लिखते समय ध्यान रखनी चाहिए। अब कुछ विषयों के बारे में जान लेते है, जो अमूमन उपयोग में लिए जाते है।

विद्यार्थियों द्वारा लिखे जाने वाले आवेदन पत्र के मुख्य विषय

  • टी. सी. लेने हेतु
  • फीस माफी हेतु
  • बुक बैंक से पुस्तक प्राप्त करने हेतु
  • परीक्षा में बैठने हेतु
  • शिक्षक के अभद्र व्यवहार की शिकायत हेतु इत्यादि

कर्मचारी द्वारा लिखे जाने वाले आवेदन पत्र के मुख्य विषय

  • वेतन वृद्धि हेतु
  • स्थानांतरण हेतु
  • जरूरी कार्य के लिए अवकाश हेतु
  • नैकारी से त्यागपत्र हेतु
  • नौकरी लेने हेतु
  • अन्य कर्मचारी के अभद्र व्यवहार की शिकायत हेतु

जनसाधारण द्वारा लिखे जाने वाले आवेदन पत्र के मुख्य विषय

  • सड़क निर्माण हेतु
  • पानी की समस्या अवगत कराने हेतु
  • विशेष आयोजन हेतु
  • गलियों की सफाई हेतु
  • बिजली का मीटर बदलवाने हेतु
  • एफ आई आर हेतु
  • बैंक खाता ट्रांसफर करने हेतु
  • बैंक में नाम , मोबाइल, नंबर, पता इत्यादि बदलने हेतु

ये थी कुछ बातें विषय के संबंधित, अब आपको एक आवेदन पत्र के प्रारूप का उदाहरण दे देता हूँ।

विद्यार्थी के लिए आवेदन पत्र का प्रारूप

सेवा में, श्रीमान प्राचार्य महोदय (विद्यालय का नाम) (विद्यालय का पता)

विषय: दो दिन के अवकाश हेतु।

सविनय नम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय का कक्षा ______ का छात्र/छात्रा हूँ। मैं कल शाम से बीमार (जिस बीमारी से बीमार हो उसका विवरण लिखे) हूँ।

मुझे चिकित्सक ने दो दिन के लिए आराम करने की सलाह दी है, इसलिए मैं विद्यालय में दिनाँक __/__/20__ से __/__/20__ तक उपस्थित नहीं हो पाऊँगा/पाऊँगी।

अतः प्रार्थना है कि मुझे दो दिन के लिए अवकाश देने कि कृपा करें इसके लिए मैं सदा आपका आभारी रहूँगा/रहूँगी।

दिनांक: __/__/20__

आपका आज्ञाकारी शिष्य/शिष्या

छात्र/छात्रा का नाम कक्षा…………………. रोल नं……………….

कर्मचारियों के आवेदन पत्र का प्रारूप

सेवा में, (मैनेजर का नाम) (डिपार्टमेंट का नाम) (कंपनी का नाम व पता)

विषय – आवश्यक कार्य के लिए अवकाश हेतु।

श्रीमान, नम्र निवेदन है कि मैं__________ आपकी कंपनी में______________ के पद पर कार्य कर रहा हूँ/रही हूँ। मैं आपको सूचित करना चाहता/चाहती हूँ कि मैं जरूरी कार्य_________________ के कारण 1 दिन के लिए कार्यालय नहीं या पाऊँगा/पाऊँगी।

अगर मेरी अनुपस्थिति में कोई विशेष कार्य आता है तो आप मुझे मेरे मोबाइल नंबर पर संपर्क कर सकते है। कृपया मुझे दिनाँक_________ अवकाश देने की कृपा करें। इसके लिए मैं आपका सदा आभारी रहूँगा/रहूँगी।

दिनाँक___________

भवदीय आपका नाम मोबाइल नंबर________

जनसाधारण के आवेदन पत्र का प्रारूप

सेवा में, मुख्य अभियंता (अपने बिजली विभाग का नाम लिखे) (अपने शहर/गाँव का नाम)

विषय – (शिकायत का विषय लिखे)

माननीय महोदय, मेरा नाम , मैं वार्ड नंबर(अपना वार्ड नंबर लिखे) का/की निवासी हूँ। मेरा बिजली मीटर संख्या यह है। महोदय मैं आपको सूचित करना चाहता/चाहती हूँ कि मेरे _ (अपनी पूरी शिकायत/समस्या लिखे)।

अतः आपसे निवेदन है कि मेरी इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान करने की कृपा करें, इसके लिए मैं आपका सदा आभारी रहूँगा/रहूँगी।

दिनाँक: __/__/20__

प्रार्थी (अपना नाम लिखे) (अपना पता लिखे)

आवेदन पत्र लिखने का तरीका बहुत ही आसान है आवेदन पत्र बहुत ही सरल और सटीक भाषा में लिखना होता है, जिससे आसानी से पढ़ा जा सके।

आवेदन पत्र को ख़त, चिठ्ठी, प्रार्थना पत्र भी कहा जाता है।

हम उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा शेयर किया गया आर्टिकल आवेदन पत्र का प्रारूप इन हिंदी (Aavedan Patra in Hindi) आपको पसंद आया होगा।

अगर आपका कोई सुझाव हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं। साथ ही इसे अपने मित्रों और परिवारजनों के साथ जरुर शेयर करें।

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कैसे ऐब्सट्रैक्ट लिखें (Write an Abstract)

यह आर्टिकल लिखा गया सहयोगी लेखक द्वारा Megan Morgan, PhD . मेगन मॉर्गन जॉर्जिया यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ पब्लिक एंड इंटरनेशनल मामलों में ग्रेजुएट प्रोग्राम एकेडेमिक एडवाइजर हैं। उन्होंने 2015 में जॉर्जिया यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में PhD की डिग्री प्राप्त की। यहाँ पर 13 रेफरेन्स दिए गए हैं जिन्हे आप आर्टिकल में नीचे देख सकते हैं। यह आर्टिकल १४,११५ बार देखा गया है।

यदि आपको किसी अकादमिक या वैज्ञानिक पेपर के लिए ऐब्स्ट्रैक्ट लिखना हो, तब घबराइए मत! आपका ऐब्स्ट्रैक्ट तो किसी पेपर या काम का, एक संक्षिप्त, अपने आप में सम्पूर्ण सारांश है जिसका उपयोग दूसरे लोग विहंगावलोकन के लिए करते हैं। [१] X विश्वसनीय स्त्रोत University of North Carolina Writing Center स्त्रोत (source) पर जायें आपने लेख में क्या लिखा है इसका विवरण ऐब्स्ट्रैक्ट में होता है, चाहे वह वैज्ञानिक परीक्षण हो या साहित्यिक विश्लेषणात्मक पेपर। इससे आपके पाठक को पेपर समझने में सहायता मिलनी चाहिए और जो इस पेपर को खोज रहे हों, उसे पढ़ने से पहले ही, उनको यह निर्णय करने में सहायता मिलनी चाहिए कि क्या यह उनके काम का है। ऐब्स्ट्रैक्ट लिखने से पहले अपने पेपर को पूरा करिये, फिर उसका सारांश बनाइये जिससे उसके उद्देश्य, समस्या, विधि, परिणाम और आपके काम के निष्कर्ष पहचाने जा सकें। जब यह सब विवरण मिल जाएगा, तब केवल उसे संगठित करने का कार्य रह जाएगा। चूंकि ऐब्स्ट्रैक्ट आपके द्वारा किए हुये काम का संक्षिप्तिकरण मात्र है, इसे कर पाना सरल है!

ऐब्स्ट्रैक्ट की शुरुआत (Getting Your Abstract Started)

Step 1 पहले अपना एक...

  • थीसिस और ऐब्स्ट्रैक्ट दो बिलकुल अलग चीज़ें हैं। किसी पेपर की थीसिस में मुख्य विचार या प्रश्न का परिचय दिया जाता है, जबकि ऐब्स्ट्रैक्ट में पूरे पेपर की, विधि और परिणामों के साथ, समीक्षा की जाती है।
  • चाहे आपको पता भी हो कि आपका पेपर किस बारे में होने वाला है, सदैव ऐब्स्ट्रैक्ट को अंत के लिए बचा कर रखिए। अगर आप ऐसा करेंगे तो बहुत हद तक सही सारांश प्रस्तुत कर पाएंगे – जो भी आपने लिखा है बस उसका संक्षिप्तिकरण कर दीजिये।

Step 2 ऐब्स्ट्रैक्ट लिखने की...

  • क्या लंबाई की कोई अधिकतम या न्यूनतम सीमा है?
  • क्या शैली संबंधी कोई आवश्यकताएँ हैं?
  • आप किसी इंस्ट्रक्टर के लिए लिख रहे हैं या प्रकाशन के लिए?

Step 3 अपने पाठकों का ध्यान रखिए:

  • क्या आपकी फ़ील्ड के दूसरे अकादमिक यह ऐब्स्ट्रैक्ट पढ़ेंगे?
  • क्या इसे किसी सामान्य पाठक या किसी दूसरी फ़ील्ड के व्यक्ति के लिए पहुँचने योग्य होना चाहिए?

Step 4 तय करिए कि...

  • विवरणात्मक ऐब्सट्रैक्ट उद्देश्य, लक्ष्य तथा रिसर्च की विधि बताते हैं परंतु परिणाम का हिस्सा छोड़ देते हैं। ये आम तौर पर 100-200 शब्दों के होते हैं।
  • सूचनात्मक ऐब्सट्रैक्ट आपके पेपर के कंडेंस्ड वर्ज़न की तरह होते हैं जिसमें आपकी रिसर्च और उसके परिणामों का ओवरव्यू मिलता है। ये विवरणात्मक ऐब्सट्रैक्टों से कहीं लंबे होते हैं तथा एक पैरा से लेकर एक पृष्ठ तक के हो सकते हैं। [४] X रिसर्च सोर्स
  • ऐब्सट्रैक्ट की दोनों शैलियों में मूल जानकारी एक सी ही होती है, मुख्य अंतर केवल यह होता है कि सूचनात्मक ऐब्सट्रैक्ट में ही परिणाम शामिल किए जाते हैं, और सूचनात्मक ऐब्सट्रैक्ट, विवरणात्मक ऐब्सट्रैक्ट से अधिक लंबा होता है।
  • एक आलोचनात्मक ऐब्सट्रैक्ट का आम तौर पर इस्तेमाल नहीं होता है, परंतु कुछ कोर्सों में इसकी आवश्यकता हो सकती है। आलोचनात्मक ऐब्सट्रैक्ट से भी वही लक्ष्य प्राप्त होते हैं जो अन्य ऐब्सट्रैक्टों से, परंतु इसके द्वारा चर्चा किए जा रहे अध्ययन या काम का लेखक की अपनी रिसर्च से भी संबंध स्थापित किया जाता है। इसमें रिसर्च डिज़ाइन या विधि की भी आलोचना हो सकती है। [५] X विश्वसनीय स्त्रोत University of North Carolina Writing Center स्त्रोत (source) पर जायें

ऐब्सट्रैक्ट का लेखन

Step 1 अपना उद्देश्य पहचानिए:

  • आपने इस अध्ययन या प्रोजेक्ट का निर्णय क्यों किया?
  • आपने अपनी रिसर्च कैसे की?
  • आपको क्या प्राप्त हुआ?
  • आपकी रिसर्च के नतीजे क्यों महत्वपूर्ण हैं?
  • कोई आपका पूरा लेख क्यों पढ़े?

Step 2 समस्या जो सामने है उसे स्पष्ट करिए:

  • आपकी रिसर्च किस समस्या को बेहतर समझने या सुलझाने में सहायक है?
  • आपके अध्ययन का स्कोप क्या है – एक सामान्य समस्या, या कुछ विशेष?
  • आपका मुख्य दावा या तर्क क्या है?

Step 3 अपनी विधियाँ स्पष्ट करिए:

  • वेरिएबल तथा अपनी अप्रोच को देते हुये अपनी रिसर्च की चर्चा करिए।
  • अपने दावे के समर्थन में साक्ष्यों को बताइये।
  • अपने सबसे महत्त्वपूर्ण स्त्रोतों का ओवरव्यू दीजिये।

Step 4 अपने परिणामों का...

  • अपनी रिसर्च या अध्ययन से आप किस निष्कर्ष पर पहुंचे?
  • क्या आपकी अवधारणा या तर्क को समर्थन मिला?
  • आम निष्कर्ष क्या हैं?

Step 5 अपना निष्कर्ष बताइये:

  • आपके कार्य का तात्पर्य क्या है?
  • आपके परिणाम सामान्य हैं, अथवा विशिष्ट।

ऐबस्ट्रैक्ट को फॉरमैट करना

Step 1 उसे क्रम में रखिए:

  • अनेक जर्नलों में ऐबस्ट्रैक्टों के लिए विशेष शैली संबंधी दिशा निर्देश होते हैं। यदि आपको भी कोई नियम सूची या निर्देश दिये गए हों, तो उनका अक्षरशः पालन करिए। [१०] X विश्वसनीय स्त्रोत PubMed Central स्त्रोत (source) पर जायें

Step 2 सहायक सूचना उपलब्ध कराइये:

  • ऐबस्ट्रैक्ट में सीधे सीधे ऐक्रोनिम या ऐब्रीविएशन का इस्तेमाल मत करिए क्योंकि पाठक को समझाने के लिए इन्हें स्पष्ट करना होगा। इससे लिखने की क़ीमती जगह घिरती है, तथा सामान्यतः इससे बचा जाना चाहिए।
  • यदि आपका विषय किसी जानी - पहचानी चीज़ के बारे में है, तो आप उन लोगों के नामों या जगहों का संदर्भ दे सकते हैं जिन पर आपका पेपर केन्द्रित हो।
  • ऐबस्ट्रैक्ट में तालिकाएँ, संख्याएँ, स्त्रोत, या लंबे उद्धरण मत शामिल करिए। ये बहुत जगह लेते हैं तथा सामान्यतः आपके पाठक ऐबस्ट्रैक्ट में इन्हें नहीं चाहते।

Step 3 शुरुआत से लिखिए:

  • उदाहरण के लिए, यदि आप संस्कृतियों के अंतर के कारण स्कीज़ोफ़्रेनिया के बोध पर पेपर लिख रहे हों, तब “स्कीज़ोफ्रेनिया,” “सांस्कृतिक आदान-प्रदान,” ”संस्कृति-बद्ध” तथा “सामाजिक स्वीकार्यता” जैसे शब्दों का अवश्य इस्तेमाल करें।

Step 5 वास्तविक सूचना का इस्तेमाल करें:

  • शब्दजाल से बचना सुनिश्चित करिए। यह विशिष्ट शब्द आपके सामान्य पाठकों द्वारा शायद नहीं समझे जाएँगे और उन्हें उलझन में डाल सकते हैं। [१३] X रिसर्च सोर्स

Step 7 दोहराइए अवश्य:

  • प्रोफ़ेसर से, अपने क्षेत्र के सहकर्मी से, ट्यूटर से या लेखन केंद्र के सलाहकार से चर्चा करना बहुत लाभदायक हो सकता है। यदि आपके पास ये संसाधन उपलब्ध हों, तो इनका उपयोग करिए।
  • सहायता मान कर आप अपने क्षेत्र में चल रही परम्पराओं के बारे में जान सकते हैं। जैसे कि, विज्ञान में सामान्यतः पैसिव वॉइस का उपयोग (“प्रयोग किए गए थे”) करते हैं। जबकि, हयूमनिटीज़ में ऐक्टिव वॉइस पसंद की जाती है।
  • आमतौर पर ऐब्सट्रैक्ट एक या दो पैरा के होते हैं, और उन्हें पूरे लेख की लंबाई के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। समान प्रकाशनों में अन्य ऐब्सट्रैक्ट देखिये और समझिए कि आपका कैसा होना चाहिए।. [१५] X रिसर्च सोर्स
  • ध्यान से विचार करिए कि आपका पेपर या ऐब्सट्रैक्ट कितना तकनीकी होना चाहिए। यह मान लेना उचित होगा कि आपके पाठकों को आपके क्षेत्र की कुछ समझ होगी और उसमें चलने वाली भाषा की भी, परंतु ऐब्सट्रैक्ट को जितना सहज पठनीय बना सकेंगे उतना ही अच्छा होगा।

संबंधित लेखों

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  • ↑ http://writingcenter.unc.edu/handouts/abstracts/
  • ↑ http://writing.wisc.edu/Handbook/presentations_abstracts_examples.html
  • ↑ http://owl.english.purdue.edu/owl/resource/656/1/
  • ↑ http://uss.tufts.edu/arc/HOW%20TO%20WRITE%20AN%20ABSTRACT%20for%20Tufts%20Symp.pdf
  • ↑ https://www.ece.cmu.edu/~koopman/essays/abstract.html
  • ↑ https://owl.english.purdue.edu/owl/resource/656/1/
  • ↑ http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3136027/
  • ↑ http://writing.wisc.edu/Handbook/presentations_abstracts.html

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प्रोफेशनल मेल कैसे लिखे ? |10 tips for writing effective Business Emails | How to write a Professional email?

दोस्तों, इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता की इमेल आज के मॉडर्न बिज़नेस कम्युनिकेशन में बहुत अहम् भूमिका रखता है। हर रोज़ लाखो इमेल्स भेजी जाती है। कंपनी से कस्टमर्स को, सप्प्लिएर्स को, एक एम्प्लोयी से उनके मैनेजर्स को और को-वर्कर्स को या किसी और को ।

एक बिज़नेस इ मेल लिखना और अपने दोस्तों या परिवार को ईमेल लिखना ये दोनों एक दूसरे से बहुत अलग है । जब हम एक बिज़नेस इ मेल की बात करते है तो हमे बहुत सावधानी रखनी होती है। हमारी टोन प्रोफेशनल होनी चाहिए लेकिन प्रोफेशनल के साथ साथ विनम्र भी होना चाहिए ।

आपकी बिज़नेस इमेल्स कैसे इफेक्टिव हो उसके लिए आज हम आपको दस टिप्स देने वाले है । ये दस टिप्स अगर आप ध्यान में रखेंगे तो आपकी मेल बहुत ही प्रोफेशनल और इफेक्टिव बनेगी ।

  • Keep it as short as possible. Don’t overwrite:

किसी ईमेल को लिखने से पहले एक बार सोचिये क्या उस मेल को लिखने की सच में ज़रूरत है । आज के समय में  हर किसी को डेली बहुत ईमेल से डील करना पड़ता है । और हर बन्दे के पास समय की कमी है । तो आपका मेल लिखना कितना महत्वपूर्ण है ये ज़रूर सोचिये किसी भी मेल को लिखने से पहले।

अगर आपका मेल लिखना महत्वपूर्ण है तो उस मेल में सिर्फ उतनी ही जानकारी रखिये जितनी ज़रूरी है । आपकी मेल पढ़ कर समझ आना चाहिए की आप क्या मैसेज कम्यूनिकेट करना चाह रहे है ।

अगर आपका मैसेज बड़ा है तो आप अपने मेल मैटर को बुलेट्स और पैराग्राफ्स में डिवाइड कर दीजिये । इससे पड़ने वाले को आपकी बात समज़ने में आसानी होगी।

2. Meaningful Subject Line:

आपकी ईमेल की सब्जेक्ट लाइन एक न्यूज़पेपर की हैडलाइन की तरह होनी चाहिए जो रेसिपिएंट का ध्यान खींचे और आपके मेल मैटर को सम्मरराइज भी करे। 

अगर आप खाली सब्जेक्ट मैटर के साथ ईमेल भेजेंगे तो हो सकता है की आपका ईमेल रिसीवर आपकी मेल को स्पैम समझ कर इग्नोर कर दे।

आपका सब्जेक्ट मैटर इफेक्टिव और इन्फोर्मटिवे होना चाहिए । उदाहरण के लिए :

अगर आपको वीकली मीटिंग की ईमेल भेजनी है तो आपका सब्जेक्ट लाइन सिर्फ मीटिंग नहीं होना चाहिए । उससे कुछ क्लियर नहीं हो रहा आपका सब्जेक्ट मैटर होना चाहिए  : weekly meeting -10 am-Tuesday 13 march 2018..

Meeting                                                 Weekly meeting -10 Am – Tuesday 13 March, 2018

अगर आपको बहुत छोटा मैसेज कन्वेय करना है अपनी ईमेल में जोकि सब्जेक्ट मैटर में ही आ जायेगा तो आप लास्ट में “EOM” शब्द ज़रूर इस्तेमाल कीजिये । EOM मतलब End of Message। इसका मतलब है की आपको मेल ओपन करने की ज़रूरत नहीं है । मैसेज सिर्फ इतना ही है । लेकिन EOM सिर्फ उन्ही के लिए इफेक्टिव है जिन्हे EOM का मतलब पता हो।

3. Don’t mix the matter in Email

मान लीजिये आपको किसी बन्दे को दो डिफरेंट बाते कम्यूनिकेट करनी है तो दोनों बातो को एक ही मेल में मर्ज मत करिये । दोनों की अलग अलग मेल भेजिए। दो अलग अलग मेल भेजने में आपकी न तो कॉस्ट ज्यादा आएगी और न  ही एफर्ट ज्यादा लगेंगे बस मेल रिसीवर के लिए बहुत आसान हो जायेगा दोनों पॉइंट्स को अच्छे से समज़ना।

उदाहरण के लिए :

अगर आपको आपके सहकर्मी से कोई रिपोर्ट मांगनी है और उसे किसी मीटिंग के लिए भी बुलाना है तो दोनों पर्पस के लिए आपको दो अलग अलग मेल भेजनी चाहिए । इससे मेल पाने वाले बन्दे के लिए बहुत ही आसान हो जायेगा ।

4. Avoid short forms:

जब भी आप कोई प्रोफेशनल मेल लिख रहे है तो प्लीज अपनी मेल में शार्ट फॉर्म्स इस्तेमाल मत करिये । शार्ट फॉर्म इस्तेमाल करने से आपका ज्यादा समय बचने वाला नहीं है बल्कि ये आपका एक बहुत ही  गलत इम्प्रेसन डालेगा मेल प्राप्त करने वाले पर। आपके शार्ट फॉर्म इस्तेमाल करने से उसे लग सकता है आप उसे लेकर ज्यादा सीरियस नहीं है। या ये मेल आपके लिए महत्वपूर्ण नहीं है और हो सकता है आपकी शार्ट फॉर्म उसे समझ न आये।

उदाहरण के तौर पर:

अगर आप लिखना चाहते है: please find attached तो इसको PFA मत लिखिए । ज़रूरी नहीं दूसरा बन्दा भी आपके जितना ही स्मार्ट हो । हो सकता है उसके लिए pfa का मतलब कुछ और हो ।

5. Start with greetings:

अगर आप अपनी मेल को पर्सनलाइज़ करके लिखेंगे और ग्रीटिंग से स्टार्ट करेंगे तो इसका बहुत ही पॉजिटिव इम्पैक्ट आता है । पहली बात तो ये की रिसीवर को एक अच्छी फीलिंग आती है, उसे लगता है की आपने मेल सिर्फ उसी को भेजी है ऐसा नहीं की एक जनरल सा मैसेज सबको कॉपी किया हो और ग्रीटिंग से पता चलता है की आपको कितने बिज़नेस एटिकेट्स है और आपका इम्प्रैशन बहुत अच्छा जायेगा ।

6. Attachments:

अगर आप मेल में अटैचमेंट भेजना चाहते है तो  ध्यान रखिये की आपने अटैचमेंट मेल में अटैच्ड कर दी हो ।  बहुत बार ऐसा होता है की लोग मेंशन तो कर देते है की Please find attached herewith लेकिन फाइल अटैच करना भूल जाते है । तो ध्यान रखे की आपने फाइल अटैच कर दी हो और अटैचमेंट तभी अटैच करे जब ये ज़रूरी हो । और  आपकी अटैच्ड फाइल की एक समरी अपनी मेल मैटर में ज़रूर रखिये । अगर आपकी अटैचमेंट वाली फाइल में ज्यादा मैटर नहीं हो तो बेटर है की आप उसे मेल में ही कॉपी पेस्ट कर द्जिये इससे आपके रेसिपिएंट का समय और  एफर्टस बचेगा जो उसे अटैचमेंट को ओपन करने में लगेगा ।

7. Be careful with your tone:

जब भी आप किसी से फेस टू फेस कम्यूनिकेट करते है तो आपके शब्दों की बजाय सामने वाला बन्दा आपकी बॉडी लैंग्वेज से जज करता है की आपका बेहेवियर रूड है या नहीं लेकिन जब बात आती है मेल की वहाँ सिर्फ आपके शब्दों से ही रिफ्लेक्ट होता है की आपका बेहेवियर कैसा है। हो सकता है की आपकी मेल देख कर आपको मिसइन्टरप्रेट कर लिया जाये । 

In case you need a report from your colleague and you write a mail:

I need your report by 2 pm today or I will miss my deadline.

तो इस मेल को पढ़कर राहुल को लगेगा की रोहन राहुल को आर्डर दे रहा है और एक धमकी देकर रिपोर्ट मांग रहा है । इस मेल से राहुल और रोहन के बीच में लड़ाई हो जाने की पूरी पॉसिबिलिटी है और हो सकता है की राहुल रिपोर्ट में भी डिले करे।

लेकिन अगर रोहन इसी मेल को ऐसे लिखे :

Thanks for all your hard work on that report. Could you please send your final report to me by 2 pm, So I don’t miss my deadline?

Thanks so much!

मुझे पूरी उम्मीद है की इस मेल को पढ़कर राहुल पूरा सपोर्ट रोहन को देगा और रिपोर्ट को 2 बजे तक देने के लिए पूरी कोशिश करेगा ।

8. Proofreading:

अपनी मेल को लिखकर सेंड बटन पैर क्लिक करने से पहले एक बार उसे अच्छे से पढ़िए । अपनी मेल मैटर की स्पेलिंग, ग्रम्मेर  और पंक्चुएशनस को अच्छे से चेक करिये जिससे कोई गलती न हो आपकी मेल में। आपकी मेल आपकी प्रोफेशनल इमेज को बनाने में अहम् रोल प्ले करती है तो अपनी टाइपिंग गलती से अपनी इमेज को बर्बाद मत करिये ।

9. Respond promptly

बहुत बार ऐसा होता है की आपने मेल चेक कर ली, पढ़ ली लेकिन आप उसका रिप्लाई नहीं कर पाए । रिप्लाई न करने का मतलब रिजेक्शन ही होता है । तो अगर मेल ऐसी है जिसपर आप टाइम कम होने की वजह से या किसी और वजह से इमीडिएटली रिप्लाई नहीं कर पा रहे तो आप जनरल सा मैसेज डाल दीजिये जैसे की : “Got your mail, thanks will check and get back to you”। इससे अगर आप बाद में रिप्लाई करना भूल भी गए तो सामने वाला बन्दा आपको रिमाइंडर मेल डाल देगा ।

10. Don’t assume privacy:

एक कहावत है न:

Praise in public, and criticize in private।  आप अपनी मेल में कभी भी ऐसा कुछ न लिखे जिससे आपको बाद में पछताना पड़े । आपकी मेल कभी भी आपके अगेंस्ट प्रूफ की तरह इस्तेमाल हो सकते है। तो हमेशा इस बात का ध्यान रखे की आप अपनी मेल में क्या लिख रहे है ।

तो दोस्तों आज हमने आपको आपकी मेल्स को इफेक्टिव बनाने के लिए 10 टिप्स दिए  और अगर आप मेल ड्राफ्ट करते समय इन 10 पॉइंट्स को ध्यान में रखेंगे तो डेफिनेंटली आपकी मेल बहुत इफेक्टिव होगी।

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कार्यालयी पत्र – सरकारी या कार्यालयी पत्र, प्रारूप या रूपरेखा और उदाहरण

कार्यालयी पत्र या सरकारी पत्र.

कार्यालयी पत्र (Official Letter) : ‘कार्यालयी पत्र’ अंग्रेजी के ‘ऑफीशियल लेटर’ का हिन्दी रूपान्तर है। इस प्रकार के पत्रों का आदान-प्रदान जिन-जिन के बीच होता है, उनमें से प्रमुख निम्नांकित हैं-

  • किसी देश की सरकार और अन्य देश की सरकार के बीच
  • केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच
  • सरकार और दूतावासों के बीच
  • एक राज्य सरकार और दूसरी राज्य सरकार के बीच
  • सरकार और अन्य देशी-विदेशी संस्थानों, संघों या संगठनों के बीच
  • सरकार और अन्य विभागों के बीच
  • विशिष्ट विभाग और अधीनस्थ विभागों के बीच
  • सरकार और व्यक्ति विशेष के बीच
  • विभिन्न कार्यालयों और व्यक्ति विशेष के बीच

इस प्रकार के समस्त पत्र कार्यालयी पत्राचार की व्यापक सीमा में आते हैं। कार्यालय का आशय, किसी सरकारी, अर्द्धसरकारी, गैर सरकारी, स्वायत्तशासी, वह स्थान विशेष है जहाँ से प्रशासन का संचालन होता है। इसीलिए इस प्रकार के पत्रों को शासकीय या प्रशासकीय पत्र भी कहते हैं। कार्यालयों की दृष्टि से सरकारी कार्यालयों का क्षेत्र बहुत व्यापक और प्रभावशाली होता है, इसलिए कार्यालयी पत्रों पर विचार करते समय सरकारी कार्यालयों से सम्बन्धित पत्रों के लेखन का भी ज्ञान आवश्यक होता है। अन्य कार्यालयों के पत्रों का प्रारूप सरकारी पत्रों का ही प्रतिरूप होता है।

कार्यालयी पत्र में ध्यान देने योग्य बातें

  • सबसे ऊपर दायीं ओर कार्यालय, विभाग, संस्थान या मंत्रालय का नाम मुद्रित या टंकित होना चाहिए। पता और पिनकोड भी यहीं लिखना होता है।
  • उसके नीचे दिनाँक, कभी-कभी दिनाँक ऊपर न देकर पत्र के अन्त में बायी ओर लिखा जाता है।
  • प्रेषक का नाम पद और पता लिखते हैं।
  • प्रेषक के नाम, पद,पता लिखकर उसके नीचे ‘सेवा में लिखते हुए प्रेषिती (पत्र पाने वाले) का नाम-पद-पता लिखना चाहिए।
  • जिस विषय को लेकर पत्र लिखा जा रहा है उसका उल्लेख प्रेषिती के थोड़े नीचे से मध्यभाग में ‘विषय’ शब्द लिखकर किया जाता है।
  • बायीं तरफ प्रेषिती को सम्बोधन के लिए ‘महोदय’, ‘महोदया’, ‘मान्यवर’ आदि लिखा जाता है।
  • पत्र प्रारम्भ करने से पूर्व प्राप्त पत्र या भेजे गए पत्र की संख्या और दिनांक का उल्लेख कर देना चाहिए।
  • इसके बाद मूल पत्र लिखा जाना चाहिए।
  • प्रत्येक बात के लिए पृथक् अनुच्छेद का प्रयोग करना चाहिए।
  • पत्र में जहाँ तक सम्भव हो, उत्तम पुरुष (मैं, हम) शैली का प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। अन्य पुरुष शैली ही उपयुक्त रहती है।
  • पत्र की भाषा शिष्ट, सरल और सुसंगत होनी चाहिए।
  • पत्र समाप्ति के बाद बायीं ओर भवदीय, आपका विश्वासपात्र या सद्भावनापूर्वक आपका,लिखकर हस्ताक्षर किये जाते हैं।
  • हस्ताक्षर के नीचे कोष्ठक में अपना नाम लिख देना चाहिए। ऊपर अगर पद और पता नहीं दिया गया है तो नीचे लिख देना चाहिए।
  • सभी सम्बन्धित अधिकारियों या विभागों का पत्र का पृष्ठांकन किया जाना अपेक्षित होता है।
  • आवश्यक संलग्न क्रम संख्या लिखकर संलग्न कर देना चाहिए।

कार्यालयी पत्र की रूपरेखा

संख्याः
प्रेषक या कार्यालय
अशोक जैन,
पत्र संख्या – आ 26/ 250
नगर निगम
जयपुर, दिनांक 15.9.2023

उप प्रशासक, नगर निगम, जयपुर।

प्रेषिती का पद और पताः

मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार, जयपुर

सम्बोधन : महोदय

(पत्र का प्रारम्भः) आपके पत्र संख्या 13ल/7/2023 दिनांक 10 सितम्बर, 2023 के उत्तर में मुझे यह कहने का आदेश हुआ कि———————————————————————————————————————————————————————————————————————————-।

आपका विश्वासपात्र स्वनिर्देश ह. (अशोक जैन)

संलग्र पत्र सूची संलग्रः (1)………….. (2)………….. (3)………….. पृष्ठांकन : प्रतिलिपि निम्नलिखित को प्रेषित है: (1)………….. (2)………….. (3)…………..

Karyalayi Patra

कार्यालयी पत्र के विविध प्रकार

कार्यालयी पत्र के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

  • शासनादेश (Govermnent Order)
  • कार्यालय आदेश (Office Order)
  • परिपत्र (Circular)
  • अनुस्मारक या स्मरण पत्र (Reminder)
  • अर्द्धशासकीय या अर्द्धसरकारी पत्र (Semi-Official Letters)
  • अधिसूचना (Notification)
  • कार्यालय ज्ञापन (Official Memorandum)
  • ज्ञापन (Memorandum)
  • अशासनिक पत्र (Unofficial letters)
  • पृष्ठांकन (Endorsement)
  • संकल्प या प्रस्ताव (Resolution)
  • स्वीकृति या मंजूरी पत्र (Sanction letter)
  • प्रेस विज्ञप्ति (Press Communique/Pru-Note)
  • सूचना (Notice)
  • पावती (Acknowledgement)
  • मितव्यय पत्र

कार्यालयी पत्रों के उदाहरण  निम्नलिखित हैं:-

1. शासनादेश (Government Order)

ऐसे पत्रों को शासनादेश कहते हैं जिनके माध्यम से सरकार द्वारा लिये गये निर्णयों को अधीनस्थ विभागों को सम्प्रेषित किया जाता है। ध्यान रखें कि-

  • शासनादेश प्रायः सरकार के सचिव के द्वारा विभागों को भेजे जाते हैं।
  • पत्र लेखक सामान्यतः यह लिखकर पत्र प्रारम्भ करता है कि “मुझे आपको। यह लिखने/सूचित करने/अनुरोध करने का निर्देश/आदेश हुआ है कि……”
  • कभी-कभी “आदेश दिया जाता है कि………” से भी शासनादेश का प्रारम्भ होता है।
  • ये पत्र प्रथम पुरुष एक वचन (मैं) में ही लिखे जाते हैं।

सामान्यतः इन पत्रों का उपयोग किसी नीतिगत निर्णय, वित्तीय स्वीकृतियों कर्मचारियों के वेतन-भत्ते एवं सेवा नियमों के सम्बन्ध में सरकार निर्णयों की सूचना और क्रियान्विति के लिए किया जाता है।

शासनादेश लिखने की रीति

  • सबसे ऊपर पत्र संख्या दी जाती है।
  • इसके बाद सरकार, मंत्रालय, विभाग का उल्लेख रहता है।
  • इसके बाद स्थान और दिनांक होता है, इन्हें दायीं ओर भी लिखा जाता है।
  • बायीं ओर भेजने वाले का नाम-पद-पता लिखते हैं और कई बार नहीं भी लिखा जाता।
  • प्राप्तकर्ता का नाम, पता और सम्बोधन नहीं दिया जाता।
  • सम्बन्धित विभागों को पत्र की प्रतिलिपि भेज दी जाती है।
  • अन्त में हस्ताक्षर और पद का उल्लेख किया जाता है।

पत्र संख्या -क/2/27/2023 (च)

राजस्थान सरकार, शिक्षा मन्त्रालय, भाषा विभाग, जयपुर

अरविन्द मेहता, सचिव, राजस्थान सरकार, शिक्षा विभग

शासनादेश है कि निम्नांकित प्रपत्रों और पत्रों में राजभाषा हिन्दी का उपयोग किया जाए-

  • वेतन, बिल, यात्रा बिल, सभी प्रकार के आवेदन-पत्र तथा इन सबके सम्बन्ध में किया जाने वाला पत्राचार।
  • सभी प्रकार की टिप्पणियाँ और आदेश।
  • हिन्दी-भाषी राज्यों के साथ पत्राचार।
  • केन्द्र सरकार से प्राप्त हिन्दी में लिखे पत्रों के उत्तर।
  • अंग्रेजी में लिखे सभी पत्रों में हस्ताक्षर हिन्दी में किए जाएँ।

प्रतिलिपि सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु निम्नांकित को प्रेषित है– (1) सचिव, राज्यपाल। (2) सचिव, मुख्यमंत्री। (3) समस्त सचिव, उपसचिव, सहायक सचिव, राज्य सचिवालय। (4) सरकार के अधीनस्थ समस्त कार्यालय अध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष।

2. कार्यालय आदेश (Office Order)

यह वह कार्यालयी पत्र है जिसमें किसी मन्त्रालय, विभाग एवं कार्यालय के कर्मचारियों को उनकी नियुक्ति, स्थायीकरण, स्थानान्तरण, पदोन्नति, अवकाश स्वीकृति-अस्वीकृति आदि के विषय में आन्तरिक प्रशासन सम्बन्धी आदेश प्रसारित किये जाते हैं।

कार्यालय आदेश पत्र में-

  •  ऊपर बायीं ओर अन्य पत्रों की तरह प्रेषक और प्रषिती का नाम-पद-पता एवं सम्बोधन का प्रयोग नहीं होता है।
  • नीचे ‘भवदीय’, ‘आपका विश्वासपात्र’ जैसा स्वनिर्देश भी नहीं होता।
  • अन्त में दायीं ओर प्रेषक हस्ताक्षर और पद का नाम रहता है।
  • अन्त में ही बायीं ओर पत्र पाने वाले विभाग या व्यक्ति का नाम लिख दिया जाता है।
  • यह पत्र अन्य पुरुष में लिखा जाता है।
  • शेष बातें अन्य पत्रों जैसी होती हैं।

भाषा विभाग के अधोलिखित महानुभावों को दिनांक 6.9.2023 से 20000-2000-25000 की वेतन श्रृंखला में अनुभाग अधिकारी के रूप में पदोन्नत किया जाता है-

  • श्री विवेक शर्मा पुत्र श्री हरीश शर्मा
  • श्री रामसिंह मीणा पुत्र श्री रामकेश मीणा
  • श्री रामफूल बैरवा पुत्र श्री श्यामलाल बैरवा

प्रतिलिपि आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित है-

  • निदेशक, भाषा विभाग
  • श्री विवेक शर्मा
  • श्री रामसिंह मीणा
  • श्री रामफूल बैरवा
  • संस्थापन शाखा

3. परिपत्र (Circular)

जिस पत्र के माध्यम से जब कोई एक सूचना, निर्देश या अनुदेश एक साथ ही अनेक मंत्रालयों, कार्यालयों, विभागों, अधिकारियों, कर्मचारियों तक भेजी जाती है तो उस पत्र को परिपत्र कहते हैं परिपत्र में-

  • ऊपर बायीं ओर प्रेषक का नाम-पद-पता नहीं दिया जाता।
  • जिनको यह पत्र भेजा जाता है, उनके पद का नाम-पता अन्त में बायीं ओर दिया जाता है।
  • कई बार ज्ञापन, कार्यालय-ज्ञापन परिपत्र का रूप ले लेते हैं।
  • पत्र के अन्त में भवदीय, आपका, आपका विश्वासपात्र जैसे स्वनिर्देशों का प्रयोग नहीं किया जाता।
  • इसमें अन्य पुरुष शैली का ही प्रयोग किया जाता है।
  • कभी-कभी प्रेषक का नाम-पद पता और सेवा में लिखकर प्रेषिती का पद एवं पता तथा सम्बोधन भी किया जाता है।
  • कुछ परिपत्रों में पत्र का विषय भी लिखा जाता है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने यह जानना चाहा है कि प्रदेश के विद्यालयों, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में अनसचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों की कितनी लड़कियों का इस वर्ष प्रवेश दिया गया है ? आज प्रदेश की शिक्षण संस्थाओं में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों की कितनी छात्राएँ पढ़ रही है ? विगत तीन वर्षों की तुलना में उनकी संख्या में वृद्धि का प्रतिशत क्या है ? उपयुक्त मंत्रालय को पन्द्रह दिन के भीतर तथ्य आँकड़े भिजवा दिये जाने चाहिएँ।

प्रतिलिपि प्रेषित है-

  • निदेशक, स्कूली शिक्षा
  • निदेशक, कॉलेज शिक्षा
  • समस्त जिला शिक्षा अधिकारी
  • समस्त महाविद्यालयों के प्राचार्य
  • समस्त महाविद्यालयों के कुलसचिव

राजस्थान के समस्त जिलाधिकारी।

राजस्थान के महामहिम राज्यपाल द्वारा मुझे आपको यह सूचित करने का आदेश हुआ है कि खाद्यान्न संकट को देखते हुए इस वर्ष प्रत्येक गाँव और प्रत्येक किसान से गेहूँ अनिवार्य लेवी के लिए आवश्यक कदम उठाये और समुचित व्यवस्था की जाये। इससे राजस्थान सरकार को गेहूँ का पर्याप्त संग्रह करने में सहायता मिलेगी।

4. अनुस्मारक या स्मरण पत्र (Reminder)

जब भेजे गये पत्र का उत्तर बहुत दिनों तक नहीं आता तो उस पत्र की याद दिलाते हुए जो पत्र भेजा जाता है, उसे अनुस्मारक या स्मरण पत्र कहते हैं। इसमें पत्र का प्रारूप पहले पत्र जैसा ही रखा जाता है। इस पत्र को स्थिति के अनुसार नम्र या थोड़ी कड़ी भाषा में लिखा जा सकता है।

एक अनुस्मारक के बाद और भी कई अनुस्मारक भेजने पड़ सकते हैं। बाद वाले अनुस्मारकों में पहले पत्रों की संख्या का उल्लेख कर देना चाहिए। अनुस्मारक का आकार सामान्य पत्रों की अपेक्षा काफी छोटा होता है।

5. अर्द्धशासकीय या अर्द्धसरकारी पत्र (Semi-Official Letter)

अर्द्धशासकीय या अर्द्धसरकारी पत्र भी एक प्रकार का सरकारी पत्र ही होता है। दोनों में अन्तर केवल अनौपचारिकता-औपचारिकता का हैं। अर्द्धशासकीय पत्र अनौपचारिक होते हैं और शासकीय पत्र औपचारिक। ये पत्र किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से लिखे जाते हैं।

जब कोई अधिकारी किसी दूसरे अधिकारी से व्यक्तिगत स्तर पर कोई जानकारी चाहता है या किसी बात की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता है तो वह अर्द्धशासकीय पत्र को माध्यम बनाता है। अधिकारी चाहता है कि दूसरा अधिकारी व्यक्तिगत रुचि लेकर काम को निबटा दे। इससे कार्यालयी जंजाल में फंसे हुए मामले शीघ्र निबट जाते हैं।

सामान्यतः निम्नांकित परिस्थितियों में अर्द्धशासकीय पत्र लिखे जाते हैं-

  • जब कार्य सम्पन्न होने में विलम्ब हो रहा हो।
  • कार्य को शीघ्र सम्पन्न कराना हो।
  • जब पत्र पाने वाला अधिकारी उस कार्य की ओर ध्यान न दे पाया हो।

अर्द्धशासकीय पत्र-लेखन की रीति

  • यह व्यक्तिगत और अनौपचारिक पत्र है। इसे एक अधिकारी व्यक्तिगत रूप से दूसरे अधिकारी को व्यक्तिगत नाम से लिखता और भेजता है।
  • अर्द्धशासकीय पत्र उत्तमपुरुष, एक वचन (मैं) शैली में लिखा जाता है।
  • अर्द्धशासकीय पत्र की भाषा आत्मीय और मैत्रीभाव से युक्त होती है।
  • सम्बोधन में प्रिय श्री, प्रिय, श्रीयुत…..जी आदि का प्रयोग होता है।
  • ऊपर बायीं ओर प्रेषक का नाम-पद पता लिखा रहता है।
  • नीचे पत्र भेजने वाला अधिकारी केवल हस्ताक्षर करता है। पद-नाम-पता नहीं लिखा जाता।
  • पत्र के अन्त में नीचे दायीं ओर हस्ताक्षर के पूर्व स्वनिर्देश स्वरूप सद्भावी, आपका, भवनिष्ठ आदि लिखा जाता है। ‘भवदीय’ जैसे औपचारिक शब्द का प्रयोग प्रायः नहीं किया जाता है।
  • अर्द्धशासकीय पत्र सीधे सम्बन्धित अधिकारी को ही दिये जाते हैं। अन्य डाक सामग्री की तरह कार्यालय में ही खोलकर अधिकारी के सामने प्रस्तुत नहीं किये जाते हैं।
  • यदि आवश्यक हो तो उस पर ‘गोपनीय’ लिख दिया जाता है ताकि कोई कर्मचारी उसे खोलने की भूल न करें।
  • पत्र पाने वाले अधिकारी का नाम-पद-पता पत्र के अन्त में नीचे बायी ओर लिख दिया जाता है।

कमलेश महाजन, सचिव, मानव संसाधन मंत्रालय नई दिल्ली।

अर्द्धशासकीय पत्रांक 75/शि.वि./76/200 दिनांक 3.9.2023

प्रिय श्री मेहता,

कृपया इस विभाग के पत्रांक 25/ने.रो./222/200 दिनांक 28.7.201…. को देखने का कष्ट करें। पत्र में मांगी गयी सूचना अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। साग्रह अनुरोध है कि नेहरू रोजगार योजना की क्रियान्विति के यथा तथ्य आँकडे अपनी टिप्पणी सहित अविलम्ब भेजने का कष्ट करें।

श्री मंगलचन्द मेहता मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार, जयपुर-302004

6. अधिसूचना (Notification)

सरकार के राजपत्र (गजट) में प्रकाशित होने वाली सूचना को अधिसूचना कहा जाता है। ध्यान रखें कि-

  • अधिसूचना का क्षेत्र बहुत व्यापक है। उच्च अधिकारियों की नियुक्ति, प्रतिनियुक्ति, स्थानान्तरण, अधिनियमों में संशोधन आदि बहुत से क्षेत्र अधिसूचना की सीमा में आते हैं।
  • सरकार की ओर से अधिसूचना जनसाधारण, सरकारी कार्यालयों, सम्बन्धित अधिकारियों, कर्मचारियों की जानकारी के लिए जारी की जाती है।
  • अधिसूचना में यह बताना नितान्त आवश्यक है कि उसे गजट के किस भाग में प्रकाशित किया जाना है। भाग के साथ अनभाग का भी उल्लेख आवश्यक है।
  • अधिसूचना में किसी को भी महोदय जैसा कोई सम्बोधन नहीं होता है।
  • अधिसूचग अन्य पुरुष शैली में लिखी जाती है।
  • अन्त में भवदीय, आपका, आदि स्वनिर्देश का प्रयोग नहीं होता है।

श्री राजबली उपाध्याय आई. ए. एस. को जो वर्तमान में राजस्थान सरकार में हैं दिनांक 30.9.2023 से कृषि मंत्रालय में अवर सचिव के रूप में प्रतिनियुक्त किया जाता है।

अधिसूचना संख्या 40/9/200

उपर्युक्त अधिसूचना की प्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचनार्थ प्रेषित है-

  • स्थापना शाखा, कृषि मंत्रालय, नई दिल्ली।
  • कोषाधिकारी, नई दिल्ली।
  • मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार, जयपुर।
  • श्री राजबली उपाध्याय, आई.ए.एस., राजस्थान सरकार।
  • प्रबन्धक, मुद्रणालय, नई दिल्ली।

7. कार्यालय ज्ञापन (Office Memorandum)

कार्यालय ज्ञापन का प्रयोग विभिन्न मंत्रालयों के मध्य सूचनाओं के आदान-प्रदान करने हेतु किया जाता है। कार्यालय ज्ञापन के सम्बन्ध में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है-

  • कार्यालय ज्ञापन अन्य पुरुष शैली में लिखा जाता है।
  • इसमें महोदय, प्रिय महोदय, जैसे सम्बोधन नहीं होते हैं।
  • अन्त में भवदीय, आपका आदि भी नहीं लिखा जाता है। भेजने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर नाम-पद-पता नहीं लिखा जाता है।
  • ज्ञापन पाने वाले मंत्रालय का नाम अन्त में बायीं ओर लिखते हैं।
  • अधीनस्थ कार्यालयों के साथ इस प्रकार के ज्ञापन प्रयोग में नहीं लाये जाते।
  • कार्यालय ज्ञापन में प्रायः ‘अधोहस्ताक्षरी को यह निर्देश हुआ है’ जैसे किसी वाक्य से पत्र का प्रारम्भ किया जाता है।
  • ज्ञापन में विषय लिखा जाता है।

अधोहस्ताक्षरी को राजभाषा हिन्दी के प्रयोग सम्बन्धी शासनादेश संख्या 525/रा.भा./200 दिनांक 1.8.201…. की ओर ध्यान आकर्षित करने का निर्देश हुआ है कि उसके पालन के प्रति अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अतः राज्य सरकार के सभी विभागों, कार्यालयों को पुनः निर्देश दिया जाता है कि भविष्य में सम्पूर्ण पत्राचार राजभाषा हिन्दी में ही किया जाए।

राजस्थान राज्य के समस्त मंत्रालय विभाग

8. ज्ञापन (Memorandum)

कार्यालय ज्ञापन और ज्ञापन की रूपरेखा में कोई विशेष अन्तर नहीं होता। इन दोनों के बीच केवल यह अन्तर होता है कि कार्यालय ज्ञापन का प्रयोग विभिन्न मंत्रालयों के बीच किया जाता है और ज्ञापन का प्रयोग किसी एक मंत्रालय अथवा विभाग के अन्दर ही होता है। ज्ञापन में आवेदन-पत्रों के उत्तर पत्र-प्राप्ति की सूचना, याचिकाओं आदि के उत्तर दिये जाते हैं।

श्री हरस्वरूप पारीक को उनके आवेदन पत्र दिनांक 6.9.202…. के सन्दर्भ में सूचित किया जाता है कि राज्य सरकार ने तदर्थ नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित नियमों को स्वीकार कर लिया है।

आवेदन पत्र और नियमावली के लिए 50/-(पचास रुपये मात्र) का मनीऑर्डर इस कार्यालय के उपनिदेशक, अकादमी शाखा के नाम भेजें।

श्री हरस्वरूप परीक, 24 बापू नगर, जयपुर।

9. अशासनिक पत्र (Non-official Letter)

अशासनिक पत्र को अनौपचारिक निर्देश या अशासनिक टिप्पणी भी कहते हैं। इस पत्र का उपयोग किसी मंत्रालय, विभाग से किसी बात, समस्या या प्रस्ताव पर उसकी सम्पति, विचार टिप्पणी या किसी पूर्व आदेश-निर्देश का स्पष्टीकरण चाहा जाता है।

अशासनिक पत्र दो रूपों में लिखे जाते हैं-

  • सम्बन्धित फाइल पर ही टिप्पणी लिखकर उसे सम्बन्धित मंत्रालय या विभाग को भेज दिया जाता है।
  • स्वतन्त्र रूप से टिप्पणी लिखकर भेज दी जाती है, फाइल नहीं भेजी जाती।

अशासनिक पत्र में किसी विशेष औपचारिकता का निर्वाह नहीं किया जाता। इसमें-

  • कोई सम्बोधन नहीं होता।
  • इसमें स्वनिर्देश भी नहीं होता है।
  • ऊपर मंत्रालय, विभाग का नाम, स्थान और दिनांक अन्य पत्रों की तरह ही दिया जाता है।
  • इसके बाद विषय लिखा जाता है।
  • नीचे हस्ताक्षर और पद नाम होता है।

शासनादेश सं. 37/4क/200 दिनांक 1.2.201…. के अनुसार 21.1.201…. तक तदर्थ रूप में नियुक्त सभी महाविद्यालयी व्याख्याताओं को स्थायी आधार पर नियुक्त मान लिया गया है। अब ये व्याख्याता वरीयता क्रम के निर्धारण में अपने अस्थायी सेवाकाल को भी सम्मिलित करवाना चाहते हैं। इस सम्बन्ध में विधि विभाग के निर्देश आवश्यक प्रतीत होते हैं, अत: यह विभाग विभाग विधि विभाग से वास्तविक वैधानिक स्थिति को स्पष्ट करने का आग्रह करता है।

विधि विभाग राजस्थान सरकार अशासनिक टिप्पणी संख्या 11/का.वि./74/200

10. पृष्ठांकन (Endorsement)

मूल पत्र या उसकी प्रतिलिपि जिस अन्य विभागों को भेजी जाती है, उनका उल्लेख नीचे किया जाता है, इसी को पृष्ठांकन कहते हैं। पृष्ठांकन के पूर्व इस प्रकार के वाक्य लिखे जाते हैं-

  • मूल पत्र या प्रतिलिपि सूचनार्थ
  • आवश्यक कार्रवाई हेतु
  • शीघ्र अनुपालनार्थ
  • रिकॉर्ड के लिए
  • शीघ्र उत्तर देने के लिए
  • क, ख, ग का मूल रूप में
  • अ, ब, स को आवश्यक जाँच के लिए
  • क, ख, ग को उनके पत्रांक………दिनांक………के उत्तर में प्रेषित है।

जयपुर, दिनांक 17.9.2023

प्रतिलिपि निम्नांकित को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित है-

  • वित्त विभाग, राजस्थान सरकार
  • विधि विभाग, राजस्थान सरकार
  • कार्मिक विभाग, राजस्थान सरकार

11. संकल्प या संस्ताव (Resolution)

अधिसूचना की तरह ही संकल्प या संस्ताव भी राजपत्र (गजट) में प्रकाशित किये जाते हैं। गजट के भाग-अनुभाग का उल्लेख आवश्यक होता है। संकल्प का प्रयोग निम्नांकित कार्यों के लिए किया जाता है-

  • नीतिगत प्रश्नों पर सरकारी निर्णय की घोषणा के लिए।
  • किसी समस्या पर निष्पक्ष सम्मति के लिए आयोग या जाँच समिति की घोषणा के लिए।
  • आयोग या जाँच समिति के प्रतिवेदन की घोषणा के लिए।

संकल्प में विषय की पृष्ठभूमि और कारण, सरकारी आदेश और जिनको प्रतियाँ भेजनी होती है, उनका उल्लेख किया जाता है।

प्रदेश के विशिष्ट क्षेत्रों में बढ़ते हुए साम्प्रदायिक एवं जातिगत संघर्ष और तनाव को देखते हुए सरकार ने एक समिति गठित की है। यह समिति साम्प्रदायिक एवं जातिगत संघर्ष और तनाव के कारणों पर विचार करेगी और निवारण के लिए अपने सुझाव दिनांक 18.12.2023 तक सरकार को देगी। इस समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे-

  • श्री रामसिंह यादव, संसद सदस्य।
  • श्री शंकरलाल शर्मा, सचिव, गृह विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार।
  • मौलाना श्री अब्दुल करीम, अध्यक्ष, साम्प्रदायिक शान्ति सेना।

इस समिति के अध्यक्ष श्री रामानंद यादव होंगे।

संख्या 39/म.स./37/201

आदेश दिया जाता है कि इस संकल्प की प्रतिलिपि उपर्युक्त तीनों महानुभावों को भेज दी जाए।

यह भी आदेश दिया जाता है कि सचिव, गृह विभाग और प्रबन्धक, राजकीय मुद्रालय को भी आवश्यक कार्यवाही हेत प्रतिलिपि भेज दी जाए।

12. स्वीकृति या मंजूरी-पत्र (Sanction Letter)

राष्ट्रपति या राज्यपाल की स्वीकृति प्राप्त होने पर ही स्वीकृति-पत्र लिखा जाता है। जिन मामलों में वित्तीय प्रावधान करने होते हैं, उनकी पूर्व स्वीकृति राष्ट्रपति या राज्यपाल, से लेना आवश्यक होता है। मान लीजिए किसी विभाग में कोई नया पद सृजित करना है तो ऐसा करने के पूर्व सरकार को राष्ट्रपति या राज्यपाल की स्वीकृति लेनी होती है। स्वीकृति मिल जाने के बाद ही कोई नया पद सृजित किया जा सकता है। इस तरह की स्वीकृतियों की प्रतियाँ महालेखापाल या लेखापाल एवं वित्त मंत्रालय या वित्त विभाग को अवश्य भेजी जाती हैं। स्वीकृति पत्र सरकार की ओर से सम्बन्धित विभाग को लिखे जाते हैं।

संख्या 704/शि.का./370/201

शासन सविचालय, राजस्थान सरकार, जयपुर

दिनांक 17.9.20120

प्रियरंजन ठाकुर मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार, जयपुर।

शिक्षा-आयुक्त कॉलेज शिक्षा, जयपुर।

मुझे आपको यह सूचित करने का निर्देश मिला है कि महामहिम राज्यपाल ने आपके कॉलेज शिक्षा निदेशालय में जोधपुर प्रभाग के लिए 15000-500-20,000 के वेतनमान में एक संयुक्त निदेशक के पद की स्वीकृति प्रदान कर दी है। पद पर होने वाले व्यय के लिए वित्तीय प्रावधान करने की भी स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है।

भवदीय हस्ताक्षर.. मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार दिनांक 17.9.2023 संख्या : 471/201

प्रतिलिपि सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु निम्नांकित को प्रषित है-

  • वित्त विभाग
  • कार्मिक विभाग
  • कॉलेज शिक्षा निदेशालय।

13. प्रेस विज्ञप्ति (Press Communique/Press-note)

महत्त्वपूर्ण सरकारी आदेश, प्रस्ताव अथवा निर्णय के व्यापक सार्वजनिक प्रचार के लिए समाचार-पत्रों में प्रकाशनार्थ भेजी जाने वाली विज्ञप्ति को प्रेस विज्ञप्ति या प्रेस नोट कहा जाता है।

  • समाचार-पत्र का सम्पादक प्रेस विज्ञप्ति में कोई काट-छाँट नहीं कर सकता, उसे ज्यों का त्यों छापना होता है।
  • किन्तु जब कोई सामग्री प्रेस नोट के रूप में प्रकाशन के लिए भेजी जाती है तो सम्पादक उसे सम्पादित कर सकता है, उसे छोटा रूप भी दिया जा सकता है।
  • प्रेस विज्ञप्ति अथवा प्रेस नोट में सबसे ऊपर यह भी लिखा रहता है कि इसे किस तिथि को प्रकाशित किया जाना है। समय से पूर्व उसका प्रकाशन नहीं किया जा सकता।
  • प्रेस विज्ञप्ति या प्रेस नोट का अपना एक शीर्षक होता है। सम्बोधन और स्वनिर्देश नहीं होता।
  • अन्त में नीचे बायीं ओर हस्ताक्षर तथा पद-नाम लिखा जाता है।
  • अन्त में नीचे बायीं ओर मंत्रालय का नाम और दिनांक लिखे जाते हैं।
  • विज्ञप्ति को सीधे समाचार-पत्र कार्यालयों में न भेजकर सूचना अधिकारी के पास भेजा जाता है।

प्रेस विज्ञप्ति

भारत और चीन के बीच वर्षों से चले आ रहे सीमा-विवाद पर समझौता हो चुका है। समझौते पर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने सहमति स्वरूप हस्ताक्षर कर समझौते को लागू करने की स्वीकृति प्रदान की है। सीमा-रेखा के निर्धारण के लिए विवादग्रस्त क्षेत्र के मध्य भाग की रेखा-सीमा मानकर दोनों देशों का मान्य समाधान स्वीकार किया गया है।

सूचना अधिकारी, प्रेस सूचना ब्यूरो, भारत सरकार नई दिल्ली के प्रकाशनार्थ प्रेषित।

परराष्ट्र मंत्रालय, नई दिल्ली दिनांक 15.9.2023

14. सूचना (Notice)

प्रेस विज्ञप्ति की भाँति ही सूचना भी समाचार-पत्रों में प्रकाशित की जाती है सरकार सार्वजनिक जीवन और हित के मामलों को सर्वसाधारण तक पहुँचाने के लिए जिन साधनों को काम में लाती है, उनमें सूचना का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। अधिकांश सरकारी विज्ञापन भी सूचना की सीमा में आते हैं।

इसके अतिरिक्त रोजगार सम्बन्धी सूचना, किसी व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित होने की सूचना आदि सूचना के कई रूप होते हैं। व्यावसायिक संस्थान भी अनेक प्रकार की सूचनाएँ प्रकाशित कराते रहते हैं। सूचना के अन्त में सूचना प्रकाशित करने वाले अधिकारी का नाम व पदनाम दिया जाता है, पर कभी-कभी ऐसा नहीं भी होता है, केवल नाम ही लिखा जाता है।

सार्वजनिक जीवन से जुडी सूचनाओं को प्रारम्भ सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि ….. “जैसे किसी वाक्य से होता है। ऐसी सूचनाओं का दैनिक समाचार-पत्रों में प्रकाशित होना एक आम बात है।”

क्रमांक: लेखा/हड्डी/25/201 दिनांक 19.9.2023

सर्वसाधारण को सूचनार्थ प्रकाशित किया जाता है कि पंचायत समिति दौसा क्षेत्र के मृतक पशुओं की हड्डियाँ उठाने का ठेका 2021 के लिए पंचायत समिति मुख्यालय पर दिनांक 28.9.2023 को दोपहर तीन बजे से पाँच बजे तक खुली बोली द्वारा नियमानुसार नीलाम किया जायेगा।

बोली लगाने से पूर्व 5000/-रुपये धरोहर राशि के रूप में जमा कराने होंगे। शेष शर्तों और नियमों की जानकारी कार्यालय समय में अधोहस्ताक्षरी से प्राप्त की जा सकती है।

15. पावती (Acknowledgement)

प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या अन्य मंत्रियों के पास प्रतिदिन ऐसे पत्र आते रहते हैं जिनमें किसी कार्यालय या अधिकारी की शिकायत की जाती है। अपनी व्यक्तिगत समस्या से अवगत करवा कर सहायता की माँग की जाती है और भी अनेक प्रकार के पत्र लिखे जाते रहते हैं। इस प्रकार के सभी पत्रों को बड़े लोगों द्वारा पढ़ा जाना सम्भव नहीं होता। निजी सचिव या सहायक पत्रों को आवश्यक कार्यवाही के लिए सम्बन्धित कार्यालय या अधिकारी के पास भेज देता है।

परंतु शिष्टाचारवश पत्र प्रेषक को सन्तोष देने हेतु पत्र-प्राप्ति की स्वीकृति अथवा सूचना भेज दी जाती है। इस तरह के पावती पत्र पहले से छपे या अंकित रहते हैं, उनमें उस व्यक्ति विशेष का केवल नाम और दिनांक भरना होता है।

श्री विनय शर्मा
51, अजायबघर का रास्ता
किशनपोल बाजार, जयपुर
मुख्यमंत्री
राजस्थान सरकार,
जयपुर।
दिनांक 25.9.2023

प्रिय महोदय, आपका दिनांक 20.9.2023 का पत्र मुख्यमंत्रीजी को प्राप्त हो गया है। आप निश्चिन्त रहें, उस पर कार्रवाई शुरू कर दी गयी है।

16. तार (Telegram)

जब तत्काल कार्रवाई आवश्यक होती है तब तार का उपयोग किया जाता है। तार चूँकि छोटा पत्र-रूप है इसलिए इसमें संक्षिप्ति और स्पष्टता आवश्यक होती है। तार के दो रूप होते हैं –

  • सरल और स्पष्ट तार (Simple and Clear Telegram)
  • बीजांक या कूटभाषा तार (Cypher or Code Telegram)

पहले तार की भाषा सरल और स्पष्ट होती है। उन्हें कोई भी आसानी से समझ सकता है । दूसरे तार की भाषा कूट-भाषा होती है। इसमें गोपनीय संदेश भेजे जाते हैं। पहले प्रकार के तार की पुष्टि के लिए डाक से प्रतिलिपि या पत्र भेजा जाता है, पर कूट-भाषा-तार की पुष्टि नहीं की जाती।

विषय या समस्या की गम्भीरता प्रदर्शित करने के लिए तारों पर निम्नांकित संकेत शब्द लिखे जाते हैं-

  • आवश्यक या महत्त्वपूर्ण (Important)
  • अत्यावश्यक (Urgent)
  • तात्कालिक (Immediate)
  • जीवन रक्षा हेतु संकट-संदेश (S.D.S)
  • सैन्य तात्कालिक (Operation Immediate)
तार अत्यावश्यक

तार में शामिल न किया जाये संख्या 25 /38 दिनांक 23 सितम्बर, 2023 निदेशक, कॉलेज शिक्षा, जयपुर।

17. मितव्यय पत्र (Saving-ram)

मितव्यय पत्र विदेश स्थित दूतावासों के माध्यम से विदेशी सरकारों को भेजा जाने वाला तार ही होता है। इन तारों को हवाई डाक से कूटनीतिक थैले में बन्द करके भेजा जाता है। इन पर मितव्यय पत्र लिखा रहता है। यदि कोई गोपनीय सन्देश देना होता है तो कूट-भाषा का प्रयोग किया जाता है।

परराष्ट्र नई दिल्ली

भारत दूतावास, मास्को।

मास्को सरकार को सूचित कर दें कि भूकम्प पीड़ितों की सहायता के लिए भारत सरकार पचास हजार टन चावल, बीस हजार टन दूध पाउडर और एक करोड़ जीवन रक्षक गोलियाँ तुरन्त भेज रही है।

  • Patra Lekhan
  • सरकारी या कार्यालयी पत्र

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  • स्वयं का विकास

बायोडाटा कैसे लिखा जाता है? How to Write Biodata in Hindi

Ainain

आज हम जानेंगे  बायोडाटा कैसे लिखा जाता है  की पूरी जानकारी  (biodata in hindi kaise likhe)  के बारे में क्योंकि आप ने इंटरनेट पर बहुत सारी बायोग्राफी वाले वेबसाइट देखी होगी, जिसके ऊपर भारत के साथ ही साथ दुनिया के लोकप्रिय लोगों की बायोग्राफी लिखी गई होती है। बायोग्राफी अर्थात किसी व्यक्ति की जिंदगी के बारे में ढेर सारी बातें। अक्सर बायोग्राफी ऐसे ही लोगों की लिखी जाती है जो किसी न किसी फील्ड में कामयाबी हासिल कर चुके होते हैं या फिर जिन्होंने कुछ अनोखा ही काम किया होता है।

हालांकि सामान्य लोगों की भी बायोग्राफी लिखी जाती है परंतु उसे बायोडाटा कहा जाता है। इसमें फर्क यह समझे कि बायोग्राफी सफल हो चुके लोगों की लिखी जाती है और बायोडाटा सामान्य लोगों का लिखा जाता है। आज के इस लेख में जानेंगे कि  biodata kaise likha jata hai , बायोडाटा क्या होता है, बायोडाटा कितने प्रकार का होता है, बायोडाटा कैसे लिखें, आदि की सारी जानकारीयां विस्तार में जानने को मिलेंगी, इसलिये पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढे़ं।

बायोडाटा क्या होता है? – What is Biodata in Hindi

Biodata Kaise Likha Jata Hai

बायोडाटा पढ़ कर के हम किसी भी व्यक्ति की जिंदगी के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं। एक प्रकार से देखा जाए तो बायोडाटा के अंदर उस व्यक्ति के पैदा होने से लेकर के संघर्ष करने तक की सारी कहानी होती है। यहां तक कि उस व्यक्ति ने कैसे सफलता हासिल की, उसने कौन सी पढ़ाई की, उसके साथ जीवन में कौन-कौन सी घटनाएं घटित हुई, इसकी जानकारी भी होती है।

बायोग्राफी को बायोडाटा कहा जाता है और बायोडाटा को हिंदी भाषा में जीवनी, वृतांत या फिर आंकड़ा कहा जाता है। बायोडाटा अक्सर इंसानों का ही लिखा जाता है, जिसके अंदर उसके जीवन के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देने का प्रयास किया जाता है। अगर बायोडाटा शब्द के बारे में बात करें तो यह अंग्रेजी का शब्द है और इसे अलग अलग करने पर इसका पहला शब्द बायो बनता है और दूसरा शब्द डाटा बनता है, जिसमें से बायो का मतलब होता है जीवनी और डाटा का मतलब होता है आंकड़ा।

इस प्रकार शब्दों और अंकों को मिलाकर के बायोडाटा तैयार होता है। बायोडाटा को जीवनी विवरण भी कहा जाता है। किसी भी फेमस इंसान की बायोग्राफी या फिर बायोडाटा पढ़ने के लिए आप इंटरनेट पर आसानी से व्यक्ति का नाम लिख करके उसके पीछे बायोडाटा लिख करके सर्च कर सकते हैं।

बायोडाटा कैसे लिखा जाता है?

बायोडाटा के अंदर किसी भी इंसान की जिंदगी के बारे में काफी कुछ जानकारी लिखी जाती है। अगर बात करें बायोडाटा कैसे तैयार किया जाता है तो बता दे कि उसे तैयार करने के लिए अलग-अलग कंडीशन को ध्यान में रखा जाता है, साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि आप किसके ऊपर बायोडाटा तैयार कर रहे हैं। शादी के लिए बायोडाटा अलग होता है और एजुकेशन के लिए बायोडाटा अलग होता है। इसके अलावा इसके कई प्रकार भी होते हैं।

बायोडाटा कितने प्रकार का होता है? – Types of Biodata Format

Biodata 5 प्रकार के होते हैं जो नीचे विस्तार से लिखे गए हैं।

  • Marriage Biodata.
  • Biodata for Job.
  • Personal Biodata.
  • Educational Biodata.
  • Medical Biodata.

बायोडाटा फॉर्मेट क्या है? – What is Biodata Format

बायोडाटा के कई प्रकार होते हैं। इसलिए जिस प्रकार के लिए हम बायोडाटा तैयार करते हैं उस प्रकार के हमें फॉर्मेट का इस्तेमाल करना पड़ता है जिसे बायोडाटा फॉर्मेट कहा जाता है। बायोडाटा के अंदर हमें जो जानकारी बतानी होती है उसकी सबसे पहले हम एक लिस्ट बनाते हैं। इसी लिस्ट बनाने की क्रिया को भी बायोडाटा फॉर्मेट कहां जाता है।

ये भी पढ़ें : रिज्यूम क्या होता है? Resume कैसे बनाये

फॉर्मेट का मतलब होता है कि आपको उसी हिसाब से काम करना है जिस प्रकार का फॉर्मेट बताया गया है या फिर दिखाया गया है। नीचे हम आपको बायोडाटा के अलग-अलग प्रकार के बारे में बता रहे हैं, साथ ही यह भी बता रहे हैं कि उसमें क्या लिखा जाता है।

व्यक्तिगत बायोडाटा कैसे लिखें (How to Write Personal Biodata in Hindi)

Personal Biodata In Hindi

इस प्रकार का बायोडाटा तब तैयार किया जाता है जब व्यक्ति अपने बारे में किसी को बताना चाहता है। पर्सनल बायोडाटा को हिंदी भाषा में व्यक्तिगत जानकारी भी कहा जाता है। इसे खास ऐसे मौके पर तैयार किया जाता है, जब आप अपने आप को लोगों के सामने एक अच्छी छवि वाले व्यक्ति के तौर पर पेश करना चाहते हैं। खासतौर पर जो लोग सामाजिक काम करते हैं वह इस प्रकार के बायोडाटा तैयार करवाते हैं। पर्सनल बायोडाटा तैयार करने के लिए नीचे दी गई जानकारियों को आपको अपने बायोडाटा में शामिल करना पड़ता है।

  • पिता का नाम
  • माता का नाम
  • वैवाहिक स्थान
  • राष्ट्रीयता
  • पसंद या रूचि
  • संपर्क नंबर
  • एजुकेशन की जानकारी

नौकरी के लिए बायोडाटा कैसे लिखें? – How to write biodata for job in Hindi

Education Biodata Format

अगर कभी आप नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाते हैं, तब आपको अपना एक अच्छा सा नौकरी वाला बायोडाटा अवश्य तैयार करके अपने साथ लेकर के जाना चाहिए, क्योंकि एचआर की टीम आपके बायोडाटा को पढ़कर के अपने आप यह जान जाती है कि वास्तव में आपको उनकी कंपनी में नौकरी देनी चाहिए अथवा नहीं। नीचे दी गई जानकारी जब कभी भी आप नौकरी के लिए बायोडाटा तैयार करवाए, तब आपको उसमें शामिल करवानी है या फिर करनी है।

  • व्यक्तिगत जानकारी
  • एक्सपीरियंस की जानकारी

एजुकेशन बायोडाटा कैसे लिखें? – How to write Education Biodata in Hindi

Biodata For Job

इस प्रकार का बायोडाटा विद्यार्थी वर्ग तब तैयार करवाते हैं, जब वह किसी इंस्टिट्यूट, कॉलेज, यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए अप्लाई करते हैं। एजुकेशन बायोडाटा में विद्यार्थियों को अपनी व्यक्तिगत जानकारी तो शामिल करनी ही होती है, साथ ही उन्हें अपनी क्वालिफिकेशन के बारे में भी अच्छे से बताना होता है। अब आगे आप यह भी जान ले कि एजुकेशन बायोडाटा में आपको कौन-कौन सी बातों को शामिल करना पड़ता है।

  • वर्तमान पता
  • वैवाहिक स्थति
  • शैक्षिक योग्यता

शादी का बायोडाटा कैसे लिखें? – How to Write Marriage Biodata in Hindi

अभी भी ऐसे कई लोग हैं जो शादी करने के लिए रिश्तेदारों के द्वारा बताए गए रिश्ते को ही पसंद करते हैं परंतु अब आधुनिक जमाने में लोग अपने लिए बेस्ट लाइफ पार्टनर ढूंढने के लिए ऑनलाइन मैट्रिमोनियल वेबसाइट यानी की शादी करवाने वाली वेबसाइट का सहारा ले रहे हैं। ऐसी वेबसाइट पर अगर आप भी शादी के लिए अपना अकाउंट बनाना चाहते हैं, तो आपको अपना एक अच्छा सा मैरिज बायोडाटा भी अवश्य तैयार कर लेना चाहिए, ताकि आपको शादी के प्रपोजल आने के चांस ज्यादा हो। नीचे आपको मैरिज बायोडाटा कैसे बनाया जाता है और उसमें कौन सी बातें लिखी जाती है, इसकी जानकारी दी गई है।

  • माता-पिता का नाम
  • परिवार का विवरण
  • शैक्षिक पृष्ठभूमि
  • शारीरिक संरचना
  • संपर्क की जानकारी
  • जीवन का उद्देश्य जीवन
  • साथी से अपेक्षा

मेडिकल बायोडाटा कैसे लिखें? – How to Write Medical Biodata in Hindi

मेडिकल बायोडाटा के अंदर आप अपने स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आप मेडिकल बायोडाटा को मेडिकल सर्टिफिकेट के तहत भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे तैयार करने के लिए नीचे दी गई बातों को आप को मेडिकल बायोडाटा में शामिल करना पड़ता है।

  • विकलांगता पर इंफॉर्मेशन
  • एलर्जी पर इंफॉर्मेशन
  • अस्थमा और अल्सर की इंफॉर्मेशन

बायोडाटा तैयार करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • अधिक से अधिक बायोडाटा 3 पेज का ही होना चाहिए।
  • बायोडाटा में आपने जो फोन नंबर और ईमेल आईडी दी है वह चालू होनी चाहिए।
  • इसके अंदर आपको अपने घर के आसपास के इलाके का भी वर्णन अवश्य करना चाहिए।
  • इसमें आपको सारी बातें बिल्कुल सही सही लिखनी चाहिए।
  • बायोडाटा में पासपोर्ट साइज की रंगीन फोटो का ही इस्तेमाल आपको करना चाहिए।
  • आप जिस किसी भी भाषा में बायोडाटा लिखे, सारा बायोडाटा उसी भाषा में होना चाहिए।

Biodata से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बायोडाटा का मतलब क्या है.

जीवनी, जीवन परिचय

बायोडाटा कौन सी भाषा में लिखना चाहिए?

जिस भाषा में बायोडाटा तैयार करने की आवश्यकता हो।

बायोडाटा के फायदे क्या है?

कंडीशन के हिसाब से इसके फायदे अलग-अलग हैं।

बायोडाटा किस पर लिखा जाता है?

सादे पन्ने पर

क्या हम कंप्यूटर से बायोडाटा बना सकते हैं?

आशा है आपको  बायोडाटा कैसे लिखा जाता है  के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। अगर अभी भी आपके मन में  biodata kaise likha jata hai  (how to write biodata  in Hindi ) और  बायोडाटा कैसे लिखा जाता है  को लेकर आपका कोई सवाल है तो आप बेझिझक कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें ताकि सभी को  biodata kaise likha jata hai के बारे में जानकारी मिल सके।

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RSCIT क्या है? – RSCIT Course के लिए योग्यता, दस्तावेज, Syllabus | RSCIT Course कैसे करें

RSCIT क्या है? (What is RSCIT), RSCIT Course के लिए योग्यता (Qualification/Eligibility for RSCIT Course), RSCIT Course कैसे करें (How to do RSCIT Course), RSCIT Course के लिए दस्तावेज (Documents for RSCIT Course), RSCIT Exam कैसा होगा, RSCIT Course Details in Hindi, RSCIT Computer Course Syllabus, RSCIT Computer Course का Form कैसे भरे?, RSCIT Computer Course.

आज के समय में सरकारी नौकरी करने के लिए हर किसी को Computer Course की सबसे ज्यादा जरूरत होती है और यह लगभग सभी नौकरियों में जरूरी भी हो गया है। आज हम आपको RSCIT क्या है? के बारे में बताने वाले है और साथ ही RSCIT Course कैसे करे? इसके बारे में भी जानकारी देगे। अगर आप राजस्थान से है तो आपको RSCIT क्या है? के बारे में जानकारी होना बहुत जरुरी है। यह Course बेहतरीन भविष्य के लिए बहुत ही उपयोगी होता है इसलिए आपको इसके बारे में पूरी जानकारी पता होनी चाहिए

RSCIT क्या है?

आज कल हर क्षेत्र में Government Job को लेकर अलग-अलग Computer Courses की Demand सबसे ज्यादा होती है। RSCIT Computer Course एक ऐसा Course है जिसे हर आम नागरिक आसानी से कर सकता है क्योकि यह एक Basic Computer Course है।

RSCIT क्या है? (RSCIT Course Details in Hindi) –

RSCIT Course राजस्थान सरकार द्वारा प्रमाणित एक Basic Computer Course है। RSCIT Course को 25 अप्रैल 2008 में IT Education Level बढ़ाने के लिए शुरु किया गया था। यह एक Diploma Course पर आधारित Exam है। RSCIT Computer Course सरकारी नौकरियों में आवेदन के लिए बहुत जरूरी हो गया है। 

इस Course में Computer से जुड़ी Basic जानकारी जैसे Ms-word, Ms-excel, Ms-PowerPoint, Typing, Painting और Internet आदि के बारे में बताया जाता है। इस Computer Course की अवधि 3 माह होती है और इसे Hindi, English दोनों भाषाओ में किया जा सकता है।

RSCIT Full Form In Hindi – 

RSCIT Full Form – Rajasthan State Certificate Of Information Technology और हिंदी में इसे राजस्थान राज्य प्रमाणपत्र सूचना प्रौद्योगिकी भी कहा जाता है जो की एक Computer Course का नाम होता है।

RSCIT Course के लिए योग्यता (Qualification/Eligibility for RSCIT Course) –

अगर आप RSCIT Course करना चाहते है तो इसके लिए आपको कुछ जरुरी योग्यता को पूरा करना होता है। इन योग्यता के बाद ही आप इसके लिए आवेदन कर सकते है। RSCIT Course को करने के लिए निम्न योग्यता है –

  • RSCIT Course करने वाले उम्मीदवार की नागरिकता भारतीय होना अनिवार्य है।
  • RSCIT Course को करने के लिए दसवीं उत्तीर्ण होना जरुरी है।

RSCIT Course कैसे करें (How to do RSCIT Course) –

अगर आप RSCIT Course करना चाहते है तो इसके लिए आप आसानी से आवेदन कर सकते है। इसमें आवेदन करने के लिए आपको सबसे पहले किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान अर्थात् IT ज्ञान केंद्र में इसके लिए आवेदन करना होता है। 

आवेदन के लिए आपको कुछ दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, दसवीं की मार्कशीट आदि की प्रति जमा करनी होती है। इसके साथ में इस Course की फीस भी जमा करवानी होती है और RSCIT का फॉर्म भरना होता है।

RSCIT Course के लिए दस्तावेज (Documents for RSCIT Course) –

  • 10वीं की मार्कशीट।
  • Passport size Photo
  • ID Proof (जैसे आधार कार्ड)
  • मोबाइल नंबर।

आवेदन करते समय आवेदन पत्र में अपना मोबाइल नंबर सही भरे ताकि आपको समय-समय पर सूचनाएं मिलती रहे।  

RSCIT Course के मुख्य बिंदु (RSCIT Course Details in Hindi) –

  • RSCIT Course की फीस ₹3,350 प्रति उम्मीदवार और सरकारी कर्मचारी के लिए ₹2,700 प्रति उम्मीदवार है। 
  • RSCIT Course को हिंदी और english दोनों भाषाओ में कर सकते है। 
  • RSCIT Course की अवधि 3 महीने या 132 घंटे होती है। प्रतिदिन 2 घंटे क्लास होती है जिसमे 1 घंटा Practical और 1 घंटा Theory का होता है। 
  • RSCIT Computer Course को पास करने के लिए आपको Total 100 Number में से 40 Number लाना होगा।

RSCIT Exam कैसा होगा –

RSCIT में आपको दो प्रकार से परीक्षा देनी होती है जिसको उत्तीर्ण करने के बाद ही आपको सर्टिफिकेट मिलता है।

  • Internal Exam

Internal Exam –

यह परीक्षा सीधे Online होती है और 30 अंको की होती है। इसमें आप अपने कम्प्यूटर क्लास से ही परीक्षा दे सकते है। इसमें आपको 30 में से 12 अंक लाने अनिवार्य है।

Main Exam –

यह एक Offline परीक्षा है जो 70 अंको की होती है। इसमें आपको 70 में से 28 अंक लाने अनिवार्य है और इसमें आपको हर Question के 2 नंबर दिए जाते है और आपको 14 प्रश्नों के सही उत्तर देना जरूरी है तभी आप इस परीक्षा को पास कर सकते है।

RSCIT Computer Course Syllabus –

जब आप कोई Exam देते हैं तो सबसे पहले उसके syllabus के बारे में जानते है, ताकि आप सही दिशा में तैयारी कर सके और अच्छे अंक प्राप्त कर सके।

  • कंप्यूटर से परिचय (Introduction to Computers)
  • कंप्यूटर सिस्टम (Computer System)
  • अपने कंप्यूटर को जाने (Exploring Your Computer) 
  • इंटरनेट का परिचय (Introduction of Internet)
  • डिजिटल भुगतान और प्लेटफार्म (Digital Payments & Platforms)
  • इंटरनेट के अनुप्रयोग (Internet Applications)
  • राजस्थान के नागरिको के लिए डिजिटल सेवाएँ (Digital Services for Citizens of Rajasthan)
  • राजस्थान में नागरिक सेवाओ तक पहुँच (Accessing Citizen Service in Rajasthan)
  • नागरिक केन्द्रित सेवाओ की जानकारी (Exploring Common Citizen Centric Services)
  • मोबाइल डिवाइस/स्मार्टफोन के साथ कार्य करना (Working with Mobile Devices/Smartphone)
  • माइक्रोसॉफ्ट-वर्ड (Microsoft Word)
  • माइक्रोसॉफ्ट-एक्सेल (MS-Excel)
  • माइक्रोसॉफ्ट पॉवरपॉइंट (MS-PowerPoint)
  • साइबर सुरक्षा एवं जागरूकता (Cyber Security and Awareness)
  • आपके कंप्यूटर का प्रबंधन (Managing your Computer)
  • कंप्यूटर के अन्य अनुप्रयोग (Getting More From Your Computer)

RSCIT Course करने के फायदे (Benefits of RSCIT Course) –

  • RSCIT Computer Course करना चाहिए क्योकि राजस्थान सरकार ने सभी सरकारी भर्तियों के लिए कंप्यूटर कोर्स अनिवार्य कर दिया है।
  • आज के समय में काम Digital तरीके से किए जा रहे हैं जिनके लिए Computer की आवश्यकता होती है, इसलिए आपको Basic Computer का ज्ञान होना आवश्यक है।
  • Computer में ज्ञान होने से आप Internet के माध्यम से बहुत सारी जानकारी और ज्ञान को प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं।
  • इससे आप अपनी English और Hindi Typing को भी अच्छा बना सकते है।
  • RSCIT Course करने से आपके कंप्यूटर ज्ञान में वृद्वि होगी और आपको Basic Computer का ज्ञान हो जाता है।

इन्हें भी पढ़े –

  • RSCIT Important Questions
  • कंप्यूटर शब्दावली (Computer shabdawali)
  • Computer parts Full Form
  • Computer Basic Shortcut Keys
  • MS Excel Shortcut Keys

निष्कर्ष (Conclusion) –

आज हमने RSCIT क्या है? के बारे में जाना है। मैंने आपको RSCIT क्या है? के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देने की कोशिश की है तथा आपको सरल से सरल शब्दों में समझाने की कोशिश की है। इसके साथ ही RSCIT Course कैसे करें, RSCIT Course के लिए योग्यता, RSCIT Exam कैसा होगा, RSCIT Computer Course Syllabus और RSCIT Course करने के फायदे आदि के बारे में बताया है। अगर आप RSCIT Course से सम्बंधित कोई सवाल पूछना चाहते है तो आप हमे Comments के जरिए हमसे पूछ सकते है।

मुझे उम्मीद है आपको RSCIT क्या है? आर्टिकल पसंद आया होगा और कुछ नया सीखने या जानने को मिला होगा। अगर आपको RSCIT क्या है?आर्टिकल ज्ञानवर्धक लगा हो तो आप इसे अपने दोस्तों और अन्य लोगो के साथ share करें ताकि लोगो को भी इसके बारे में जानकारी प्राप्त हो सके। धन्यवाद !

FAQ – What is RSCIT

Q.1 rscit का पूरा नाम क्या है.

Ans. RSCIT का पूरा नाम  Rajasthan State Certificate Of Information Technology और हिंदी में इसे राजस्थान राज्य प्रमाणपत्र सूचना प्रौद्योगिकी भी कहा जाता है।

Q.2 RSCIT में कितने नंबर लाना जरूरी है?

Ans. RSCIT में Pass होने के लिए आपको 100 में से 40 अंक लाना अनिवार्य है। इसमें Internal Exam में 30 में से 12 अंक और Main Exam में 70 में से 28 अंक लाने अनिवार्य है।

Q.3 क्या सरकारी नौकरी के लिए RSCIT जरूरी है?

Ans. RSCIT एक डिप्लोमा कोर्स पर आधारित परीक्षा है। RSCIT एक Computer Course है और क्योंकि अब सरकारी विभाग में आने वाली भर्तियों के लिये Computer Course अनिवार्य हो गया है।

Q.4 क्या RSCIT में नेगेटिव मार्किंग होती है?

Ans. RSCIT में 70 अंकों के पेपर में ऑब्जेक्टिव टाइप के 35 सवाल पूछे जाते है। प्रत्येक सवाल 2-2 अंकों का होता है। नेगेटिव मार्किंग नहीं होने की वजह से परीक्षार्थियों को पेपर हल करने में आसानी रहती है।

Q.5 RSCIT Computer Course कितने महीने का होता है?

Ans. RSCIT Computer Course का प्रशिक्षण 132 घंटे ( 3 माह) की अवधि का होता है। RKCL RSCIT Course 100 अंक का होता है, इसमें से 40% नंबर अर्थात् 40 अंक लाने अनिवार्य होते हैं। RSCIT Course में 2 परीक्षा होती हैं अर्थात् पहली प्रायोगिक परीक्षा और दूसरी लिखित परीक्षा होती है।

Q.6 RSCIT परीक्षा में उत्तीर्ण अंक क्या है?

Ans. RSCIT परिणाम के लिए उत्तीर्ण मानदंड 40 प्रतिशत है।

Q.7 RSCIT Computer Course में क्या सिखाया जाता है?

Ans. RSCIT Course का मुख्य उद्देश्य Basic Computer की जानकारी और IT Skills में सुधार करना है। इसमें Computer का Basic Knowledge जैसे – कंप्यूटर का परिचय, MS-Word, MS-Excel, MS-PowerPoint, Typing और Internet के बारे में जानने को मिलता है।

Q.8 RSCIT परीक्षा में कितने प्रश्न होते हैं?

Ans. RSCIT परीक्षा में के पेपर में कुल 35 प्रश्न पूछे जाते हैं और इस परीक्षा को पास करने के लिए आपको कम से कम 14 प्रश्नों का सही उत्तर देना होता है।

Q.9 RSCIT की परीक्षा कब होगी 2023?

Ans. Rscit Exam का आयोजन 23 July (जुलाई) 2023 को किया जायेगा।

Q.10 आरएससीआईटी कोर्स कितने महीने का होता है?

Ans. आरएससीआईटी कोर्स 3 महीने में Complete होता है।

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कवर लेटर लिखने की शुरूआत उस अधिकारी या मैनेजर के नाम से करें जिसे कवर लेटर लिखना है। इसके अलावा कवर लेटर लिखते समय आदरणीय, डियर, पर्सनल डायरेक्टर जैसे शब्दों परहेज करें अगर आप किसी का नाम लिखेंगे तो आपका कवर लेटर बाकियों से काफी अलग होगा। हालाँकि आप जिस जगह अप्लाई कर रहे है वहां पर किसी अधिकारी का नाम जानना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन थोड़ी सी रिसर्च करके आप नाम जान सकते है। अगर आप किसी अधिकारी को उसके नाम से संबोधित करते है तो उसका ज्यादा इंप्रैशन पड़ता है।

2.कवर लेटर में फोकस करें सिर्फ इस बात पर-

2.कवर लेटर में फोकस करें सिर्फ इस बात पर-

एक अच्छा केवर लेटर रिक्रूटर को ये बताता है कि इस जॉब प्रोफाइल के लिए आप क्यो उपयुक्त है। और इस कंपनी के लिए आगामी समय में आपका क्या योगदान रहेगा। इसके अलावा आप कंपनी और उस जॉब के बारे में रिसर्च करके ये बातें लिख सकते है कि इस जॉब प्रोफाइल के लिए आप बेस्ट च्वाइस क्यों है। इसके अलावा आप अपने एक्सपीरियंस को जोड़कर भी कुछ बातें लिख सकते है कि कैसे आप अपने एक्सपीरियंस का उस जॉब में इस्तेमाल कर सकते है।

3.आप कंपनी के लिए कैसे फायदेमंद होगें ये जरूर लिखें-

3.आप कंपनी के लिए कैसे फायदेमंद होगें ये जरूर लिखें-

कोई रिक्रूटर जब किसी एम्प्लॉयी को जॉब पर रखता है तो वह यही सोचता है यह शख्स कंपनी के लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए कवर लेटर में इस बात का जिक्र होना बेहद जरूरी है कि आप उस कंपनी के लिए क्या कर सकते है। आप चाहे तो इसके लिए अपने पुराने एक्सपीरियंस और डिग्री के बारे में बता सकते है कि मेरे पास इस फील्ड का इतना एक्सपीरियंस है और मै आपकी कंपनी को कितना आगे ले जा सकता हूँ।

4.ज्यादा एक्साइटमेंट ना दिखाएं-

4.ज्यादा एक्साइटमेंट ना दिखाएं-

कवर लेटर में एक्साइटमेंट जैसी बातों का उल्लेख नही करें जैसे मुझे आपके कॉल का बेसब्री से इंतजार है, मैं आशा करता हूँ कि मुझे आपसे इंटरव्यू की कॉल आएगी जैसे वाक्यों का प्रयोग नही करें। इससे सामने वाले को आपकी उत्सुकता और बेसब्री का पता चलता है और ये सामने वाले पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके बजाय आप ये लिख सकते है कि आप खुद उनसे संपर्क करके इंटरव्यू के लिए पूछेंगे। इससे रिक्रूटर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

5.स्पेलिंग मिस्टेक का रखे खास ध्यान-

5.स्पेलिंग मिस्टेक का रखे खास ध्यान-

कवर लेटर लिखते समय और एक बार अच्छे से पढ़कर जरूर देखें, इससे स्पेलिंग मिस्टेक पकड़ में आ जाती है। स्पेलिंग मिस्टेक आपके लापरवाह होने की बात कहती है जिससे रिक्रूटर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए ध्यान रखे कि कवर लेटर में किसी भी तरह की स्पेलिंग मिस्टेक या व्याकरण संबंधी गलती तो नही है।

6.कवर लेटर के साइज का रखे ध्यान-

6.कवर लेटर के साइज का रखे ध्यान-

आज के समय में हर किसी के पास समय की कमी है इसलिए इसलिए कोई भी आपका 2-3 पेज का कवर लेटर नही पढ़ना चाहेगा। इसलिए कवर लेटर साइज का खास ध्यान रखें। कवर लेटर का साइज कभी भी एक पेज से ज्यादा नही होना चाहिए। कवर लेटर जितना संक्षिप्त होगा उसका उसर उतना ही ज्यादा और प्रभावी होगा। इसलिए कवर लेटर को सिर्फ एक पेज तक ही सिमित रखे।

ये भी पढ़ें- Resume Tips For Freshers: फ्रेशर्स को रिज्यूमे बनाते समय रखना चाहिए इन 7 बातों का ध्यान

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ये हैं सच्‍चे प्‍यार की 15 निशानियां

प्यार हो जाने पर इंसान अपने सपनों को किसी और की सोच के साथ साझा करने लगता है. पर क्या ये प्यार ही सच्चा प्यार है? कहीं ये सिर्फ आकर्षण तो नहीं?

true love

  • 01 जुलाई 2015,
  • (अपडेटेड 01 जुलाई 2015, 1:36 PM IST)

assignment me kya likha jata hai

हम सभी को कभी न कभी किसी न किसी से प्यार होता ही है. जिस वक्त ये फीलिंग हमारे मन में आती है हम ये भरोसा करने लग जाते हैं कि यही एक बात है जो सच है और बाकी सबकुछ झूठ और फरेब ही है.

ये कुछ ऐसी बातें हैं जिन्हें सच्चे प्यार का आधार माना जाता है. अगर आपका प्यार सच्चा है तो कभी न कभी आपको भी ये बातें महसूस हुई होंगी और अगर नहीं हुई हैं तो अब भी वक्त है. सच्चा प्यार कभी भी किसी भी उम्र में मिल सकता है:

1. क्या आपके साथ ऐसा होता है कि अगर आप सड़क पर अकेले चल रहे हैं तो आपके ख्यालों में सिर्फ वही शख्स रहता है. आपके आस-पास बहुत सी चीजें होती हैं लेकिन आपके विचारों में सिर्फ वही शख्स होता है?

2. क्या अपना फेवरिट लव सांग सुनने पर आपको सिर्फ उसी की याद आती है और आपको ये लगता है कि उस गाने का हर शब्द आपको ही ध्यान में रखकर लिखा गया है?

3. क्या आपको उस शख्स की हर बुराई और बचकानी हरकत में भी अच्छाई नजर आती है और उसकी गलतियों प्यार आता है?

4. क्या आप दोनों के बीच खूब बहस होती है लेकिन अंत में आप सारी बातें भूलकर कूल हो जाते हैं?

5. क्या आप उसकी गैर-मौजूदगी में खुद को अधूरा महसूस करते हैं? चाहे कितने ही लोग आपके साथ हों आपकी नजरें उसे ही खोजती हैं?

6. क्या उसके दुखी होने पर आपको भी दुख होता है और आप चाहते हैं कि कैसे भी करके आप उसके दुख को दूर कर दें?

7. क्या आपको अपने प्यार पर पूरा भरोसा है और आपको कोई डर नहीं है कि आप उसे खो देंगे? क्या आप इस बात पर यकीन कर चुके हैं कि वो हमेशा आपके साथ ही रहेगा?

8. क्या आपको उसके लिए किसी चीज की कुर्बानी देने में कुछ भी बुरा नहीं लगता है और आपको लगता है कि ऐसा करने से उसे खुशी होगी इसलिए यही करना सही है?

9. आप खुद तो उससे लड़ाई कर लेते हैं और मन ही मन दुखी भी होते हैं. पर क्या किसी और का उसके खिलाफ बोलना आपको जरा भी नहीं सुहाता है और आप उस दूसरे शख्स को खरी-खोटी सुना देते हैं?

10. क्या अब आप जो कुछ भी करते हैं 'हम' की भावना से करते हैं और 'मैं' की भावना को उसके मिलने के बाद से ही छोड़ दिया है?

11. क्या कई बार पब्लिक प्लेसेज पर आप एक-दूसरे को छेड़ते है और ये भूल जाते हैं कि आपके आस-पास दूसरे भी मौजूद हैं?

12. क्या आपने इस नए साथी मिलने के बाद से आप अपने फेसबुक पेज पर काफी कुछ बदल रहे हैं? मसलन अपनी प्रोफाइल पिक्‍चर बदलना, आए दिन रोमांटिक गानों का अपडेट डालना, पॉजिटिव बातें और लव या उससे जुड़े पोस्‍ट शेयर करना.

13. क्या अब आपको कहीं भी अकेले जाना अच्छा नहीं लगता है और अकेले होने पर आप उसके साथ की ख्वाहिश करते हैं?

14. क्या अब लोगों ने आपसे ये पूछना शुरू कर दिया है कि आप दोनों शादी कब कर रहे है?

15. क्या आप अपने आप से ये कहते हैं कि मुझे अपने साथी के लिए सबसे अच्छा बनना है क्योंकि वो सबसे अच्छा है और बेस्ट डिजर्व करता है?

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How To Type In Hindi

Hindi Me Type Karna Bahut hi Aasan Hai Vo Bhi bina Kisi Hindi Keyboard ya Bina Hindi Typing Sikhe Bhi Aap hindi me type kar sakte hai. Ji ha yah bilkul sach hai aapko bas vaise hi likhna hai jaise ki yaha likha hua hai or software use apne aap hindi me change kar dega, Uske liye aapko free online software uplabdha hai, to bas hindi me type kijiye or apni bhasha me hi kam kijiye. Hindi me type karne ke liye neeche diye gaye link per click kare.

1.  Type in Hindi / Write in Hindi

2.  Type in Hindi in Android Mobile Phone

3.  हिन्दी बोले और अपने आप टाइप हो जाएगा

Hindi me type karne ki kai sare tarike hai uper diya gaya tarika sabse assan or free bhi hai, eske alwa bhi kai sare tariko se hindi me typing ki ja sakti hai, hindi me kai prakar ke keyboard layout prachaln me hai or alag alag font bhi hindi typing ke liye use me liye jate hai, aap neeche diye gaye link se hindi keyboard layout ke bare me jankari prapt kar sakte hai.

Hindi Keyboard Layout

Hindi Typing Ke exam ke liye aapko hindi typing keyboard per hi practise karni hogi, Hindi typing exam me keyboard ka layout or font fix hota hai aapko usi me type karna hota hai, hindi typing exam me english se hindi banae wale software kam me nahi aate hai, esilye yadi aapko hindi typing ka exam dena ho to aap neech link se hindi typing sikh sakte hai or aapki typing speed bhi check kar sakte hai.

Hindi Typing Tutor

Hindi Typing Test

1. Hindi Font Display Nahi Ho To kya Kare

Aksar aap hindi me likha pad nahi pate kyuki vaha question mark sign (prashnavachak chinh) ya box (varg ke jaise dibbe) dikhayi dete hai. Eska karna yahi ki aap ke computer system me Hindi ke Unicode Font installed nahi hai, Hindi ka sabse popular unicode font Mangal font hai Jise aap neeche diye huye link se download kar sakte hai. agar aap koi website open kare or aapko hindi font nahi dikhai de to aapko aapke browser ki settings change karni paregi.

Download Hindi Font

2. Save Hindi File in Notepad

Jab aap mangal hindi font me likha ya type kiya hua save katre hai to vapas file open karne per aapko varg jaise dibbe ya question mark sign najar aate hai to es problem ka solution yah hai ki aap jab bhi hindi unicode font me likha hiua save kare tan uski encoding unicode kar de neech diye gaye image me dhekhe

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Es file ko aapko unicode me save karna hoga tabhi dubara open karne per aapko hindi me hi dikhayi dega.

3. Hindi Anuvad Karna

Yadi aap kisi bhi sentence ya paragraph ka hindi me anuvad karna chate hai to website per aapko online tool diya hua hai jisse aap hindi me anuvad yani ke hindi translation kar sakte hai, yah software machine translation per kary karta hai, eske sath hi hi esme hindi se english me bhi anuvad kiya ja sakta hai, to aaj se english language aapke liye koi bhadha nahi hai ab aap aasani se english to hindi or hindi to english translation kar sakte hai.

English (Angreji) se Hindi Me Anuvad

Hindi se Angreji (English) Me Anuvad

4. Unicode Hindi Font ko Krutidev Me Badlana

Yadi aap unicode hindi font ko krutidev ya phir eska ulta yani ke, Kruti dev font ko unicode me badlana chahte hai to aap yah kam badi aasani se kar sakte hai eske liye neeche diye gaye link per click kare. es prakar aapne chahe jo font me text likha ho aap bina dubara likhe hi use dusre font me parivartit kar sakte hai.

Unicode to Krutidev Converter

Krutidev to Unicode Converter

5. Download Hindi English Dictionary

Hindi se English ka online shabdkosh jisme aap kisi bhi english word ka hindi meaning dekh sakte hai. Ye online dictionary hai jise aap neeche diye gaye link per click karke hindi meaning ya english meaning definationdekh  kar sakte hai, english to hindi dictionary free me work karti hai jaha aapko english meaning dalna hai dictionary use hindi arth bata degi, Or aap chahe to kisi bhi Hindi shabd ka English me kya kahte hai search kar sakte hai. Yani ab aap hindi or english dono ke arth or meaning dekh sakte hai. Yah dekhne ke liye neeche diye gaye link per jaye

English to Hindi Shabdkosh & Hindi to English Shabdkosh Free Download

6. Hindi Typing Software Free Me Download Kare

Hindi me type karne ke liye hame kuch softwares ki jarurat hoti hai. Ye software free me download kiye ja sakte hai ye kai prakar ke hote hai jaise ki - English me type kare or vo Hindi me convert ho jaye. Aur Remington Gail hindi typing software or inscript typing software bhi free me download kiya ja sakta hai In sabhi ko free me download karne ke liye necche diye gaye link per click kare:

Hindi Typing Software Free Download

Home > भगवत गीता के लेखक कौन हैं | गीता में क्या लिखा है ?

भगवत गीता के लेखक कौन हैं | गीता में क्या लिखा है ?

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गीता किसने लिखी और कब लिखी : 5000 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया ज्ञान ही गीता के श्लोक हैं। प्रमाणों के अनुसार दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में ‘महाभारत ग्रंथ’ की रचना हुई थी। स्वामी विवेकानंद जी ने लिखा है कि 18वीं शताब्दी से पहले गीता का जन-सामान्य में बहुत प्रचार नहीं था। जब आदिगुरु श्री शंकराचार्य जी ने भगवदगीता के ऊपर व्याख्या ‘ शंकर भाष्य ‘ लिखा, उसके बाद से पुनः समाज में भगवदगीता के प्रति नई जागरूकता और प्रचार-प्रसार हुआ।

Table of Contents

भगवत गीता किसने लिखी , रचयिता कौन हैं | Bhagwat Geeta ke rachiyata kaun hai 

भगवदगीता के लेखक महर्षि वेदव्यास हैं, जिनका पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास था। वेदव्यास जी ने महाभारत के श्लोक बोले थे, जिसे सुनकर भगवान श्री गणेश ने लिखा था। महाभारत के भीष्म पर्व नामक खंड में कौरव-पांडव युद्ध का वर्णन है। भीष्म पर्व में लिखित, कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध से पहले कृष्ण-अर्जुन संवाद के रूप में जो श्लोक बोले गए हैं, उन्हीं 700 श्लोक का संकलन ‘ श्री मदभगवदगीता ‘ कही जाती है।

महाभारत युद्ध के लिए जब कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरव-पांडव की सेना आमने-सामने खड़ी हुईं तो अर्जुन कौरवों के दल में अपने गुरु, बंधु, मित्र, परिचित और संबंधियों आदि को देखकर मोहग्रस्त और भ्रमित होकर किंकर्तव्यविमूढ़ (Bewildered) हो जाते हैं।

तब भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को गीता के श्लोक के माध्यम से उचित धर्म-कर्म-कर्तव्य के सत्य ज्ञान का उपदेश देते हैं। गीता के ज्ञान से अर्जुन के सभी संदेह और मनोविकार नष्ट हो गये और वो पूर्ण उत्साह और सम्यक बुद्धि (Right mindset) से युक्त होकर युद्ध के लिए तैयार हो जाते हैं।

गीता के अध्याय और उनके नाम 

गीता में 18 अध्याय हैं। हर अध्याय का अलग-अलग नाम है। ये नाम इस प्रकार हैं :

1. पहला अध्याय – अर्जुनविषाद योग 2. दूसरा अध्याय – सांख्ययोग 3. तीसरा अध्याय – कर्मयोग 4. चौथा अध्याय – ज्ञान-कर्म-सन्यास योग 5. पाँचवाँ अध्याय – कर्म सन्यास योग 6. छठवाँ अध्याय – आत्मसंयम योग 7. सातवाँ अध्याय – ज्ञान-विज्ञान योग 8. आठवाँ अध्याय – अक्षरब्रह्म योग 9. नवां अध्याय – राजगुह्य योग 10. दसवां अध्याय – विभूति योग 11. ग्यारहवाँ अध्याय – विश्वरूपदर्शन योग 12. बारहवाँ अध्याय – भक्तियोग 13. तेरहवाँ अध्याय – क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ विभाग योग 14. चौदहवाँ अध्याय – गुणत्रय विभाग योग 15. पंद्रहवाँ अध्याय – पुरुषोत्तम योग 16. सोलहवां अध्याय – दैवासुर सम्पद्विभाग योग 17. सत्रहवाँ अध्याय – श्रद्धात्रय विभाग योग 18. अठारहवाँ अध्याय – मोक्ष सन्यास योग

bhagwat geeta ke rachyita kaun hai

गीता नाम का अर्थ क्या है | Meaning of Gita

गीता नाम ‘गीत’ शब्द से बना है, जोकि एक तरह की पद्य रचना है। विद्वानों के अनुसार गीता नाम का अर्थ – दैवीय गान, स्वर्गीय गीत या ईश्वर के वचन माना गया है। गीता के अन्य नाम ईश्वर गीता, अनंत गीता, हरि गीता, व्यास गीता हैं।

श्रीमदभगवत शब्द की व्याख्या जानें | Meaning of Shrimadbhagwat

गीता को सम्मानपूर्वक लिए जाने का नाम श्री मदभगवतगीता है।

श्रीमद शब्द किसी को उच्च श्रेणी का आदर देने के लिए भी नाम के पहले लगाया जाता है, जैसे कि कोई धार्मिक ग्रंथ, तीर्थ, गुरु या आचार्य के नाम के साथ लगाया जाता है। श्रीमद शब्द का अर्थ है जो लक्ष्मी और ऐश्वर्य संपन्न है अथवा मंगलकारी और ज्ञान का सागर है।

भागवत शब्द में पंचमहाभूतों का संकेत है. भागवत= भ.अ.ग.व्.त.

भ का अभिप्राय भूमि से, अ का अग्नि से, ग का गगन (आकाश) से, व का वायु से और त का तोय अर्थात जल से है.

गीता में क्या लिखा है –

वैसे तो गीता संस्कृत भाषा में लिखी है और ये ग्रंथ हिन्दू धर्म के अंतर्गत आता है लेकिन उसके उपदेश में कोई भी धार्मिक धर्मांधता या दृष्टिकोण नहीं है।

गीता में तो मुख्यतः मनुष्य जीवन के सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर है। गीता दुनिया का एकमात्र ऐसा धर्मग्रंथ है जोकि मानव के स्तर की बातें, जीवन के मूलभूत प्रश्नों और कर्म के सिद्धांत के बारे में बड़े सुंदरता और सूक्ष्मता से बताता है।

गीता में अर्जुन एक मनुष्य के रूप में अपनी शंकायें, प्रश्न पूछते हैं और भगवान श्रीकृष्ण उनके प्रश्नों का उत्तर देते हैं व संदेह-निवारण करते हैं। अर्जुन जो प्रश्न करते हैं, वे हर ऐसे व्यक्ति के मन में आते हैं जोकि कभी न कभी या अक्सर ही जीवन को समझने का प्रयास करता है।

अर्जुन और कृष्ण के ये प्रश्नोत्तर कई विषयों जैसे कर्म, कर्मफल, धर्म, जन्म-मृत्यु, सत्य-असत्य, आत्मा-परमात्मा, कर्तव्य, भय-शोक, सही मनोवृत्ति, जीवन जीने का सही मार्ग आदि पर आधारित है।

यह संसार कर्म प्रधान है यानि हर जीवित प्राणी को कर्म करना ही होता है। कर्म को लेकर हर व्यक्ति के मन में हमेशा बहुत से प्रश्नों का जाल बना रहता है। जैसे कि हम कौन सा कर्म करें ? कर्मफल क्या है ? हमारे द्वारा किया गया हर कर्म जीवन को कैसे दिशा देता है ? कर्म का महत्व क्या है ? आदि।

कोई भी कर्म करने से पहले उसका विचार दिमाग में आता है। मनुष्य एक सोच-विचार करने वाला जीव है और किसी एक ही कार्य को करने से पहले हर व्यक्ति की मनोदशा अलग-अलग हो सकती है।

कर्म के परिणाम की चिंता या किसी कर्म को करने में मोह, शंका का भाव आना मनुष्य का स्वभाव है लेकिन इस सोच के साथ कई समस्यायें हैं, जिनका समाधान गीता में बताया गया है। गीता इस बारे में भी बताती है कि कर्म करने के लिए हमारी मनोवृत्ति कैसी हो जिससे कि हम उचित कर्म करते हुए भी कर्मबंधन में न पड़ें।

गीता में कर्मयोग का सिद्धांत बहुत प्रसिद्ध है जोकि हमें बताता है कि संसार से विरक्त होकर वैराग्य प्राप्त करना ही शांति और मुक्ति का एकमात्र उपाय नहीं है। सही तरीके और सही विचार से अगर कर्म किया जाए तो कर्म भी हमें आसक्ति के बजाय विरक्ति और ज्ञान की प्राप्ति करा सकता है।

गीता कहती है कि सही सोच से उचित कर्म यानि निष्काम कर्म करके एक गृहस्थ संसार में कर्तव्यों को करते हुए भी एक विरक्त साधु के समान कर्मबंधन से मुक्त होकर सद्गति प्राप्त कर सकता है।

अगर कोई आपसे पूछे कि गीता के मुख्य उपदेश क्या है तो आप हमारे इस लेख को पढ़कर बड़ी आसानी से किसी को भी गीता के मुख्य उपदेश समझा सकते हैं : गीता के 15 मुख्य उपदेश क्या हैं

गीता एक ऐसा ग्रंथ है जोकि मानव जाति के लिए हमेशा प्रासंगिक था और हमेशा रहेगा। आधुनिक काल में भगवतगीता का प्रचार दुनिया भर में हो रहा है और हर देश-काल, समाज का व्यक्ति गीता ज्ञान के प्रकाश से जीवन को सुंदर, सफल बनाकर परम शांति पा सकता है।

> गीता की संस्कृत, हिंदी PDF डाउनलोड करें

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गीता के ले खक (रचयिता) और ज्ञान की जानकारी अपने दोस्तों को व्हाट्सप्प, फ़ेसबुक पर शेयर करके जरूर बतायें जिससे ये लेख कई लोग पढ़ सकें। आप नीचे कमेन्ट बॉक्स में अपने अनुभव और प्रश्न भी लिख सकते हैं। 

14 thoughts on “भगवत गीता के लेखक कौन हैं | गीता में क्या लिखा है ?”

श्रीमद्भागवत गीता से संबंधित आपकी सभी जानकारियां बहुत अच्छी लगी।

Geeta Bhagavad Ek mahan garnth hai bhagavad Geeta is Garet …….

महानुभाव मुझे मेरे एक प्रश्न का उत्तर नहीं मिल रहा है.. प्रश्न है.. जो गीता के जो उपदेश हैं वो भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहे हैं लेकिन उनको लिखने वाला कौन है क्युकी जिसने भी लिखे हैं मतलब वेदव्यास जी ने उनको भगवान कृष्ण और अर्जुन के संवाद जी जानकारी कैसे हुई जब कि वो तो वहाँ पर उपस्थित ही नहीं थे कृपा करके आप मेरी शंका दूर करें

‘महाभारत’ में इस प्रकार का उल्लेख आया है कि वेदव्यास ने हिमालय की तलहटी की एक पवित्र गुफ़ा में तपस्या में संलग्न तथा ध्यान योग में स्थित होकर महाभारत की घटनाओं का आदि से अन्त तक स्मरण कर मन ही मन में महाभारत की रचना कर ली थी, परन्तु इसके पश्चात उनके सामने एक गंभीर समस्या आ खड़ी हुई कि इस महाकाव्य के ज्ञान को सामान्य जन साधारण तक कैसे पहुँचाया जाये, क्योंकि इसकी जटिलता और लम्बाई के कारण यह बहुत कठिन कार्य था कि कोई इसे बिना किसी त्रुटि के वैसा ही लिख दे, जैसा कि वे बोलते जाएँ। इसलिए ब्रह्मा के कहने पर व्यास भगवान गणेश के पास पहुँचे।

Mr. Ved Vyas ke Paas itni divya Shakti bhi thi ki vo vahan par present huey bina Sab kuch Jaan Gaye.. AUR Bhagvanon se bhi Direct Baat thi : ki ek writer ke roop mein ek bhagvaan ko appoint kiya gya..

“BUT in Mr. Ved Vyas ko Khud ko likhna bhi nahi aata tha..” STRANGE NA…

Likhna ata tha but he didn’t had speed, read story again.

‘महाभारत’ में इस प्रकार का उल्लेख आया है कि वेदव्यास ने हिमालय की तलहटी की एक पवित्र गुफ़ा में तपस्या में संलग्न तथा ध्यान योग में स्थित होकर महाभारत की घटनाओं का आदि से अन्त तक स्मरण कर मन ही मन में महाभारत की रचना कर ली थी, परन्तु इसके पश्चात उनके सामने एक गंभीर समस्या आ खड़ी हुई कि इस महाकाव्य के ज्ञान को सामान्य जन साधारण तक कैसे पहुँचाया जाये, क्योंकि इसकी जटिलता और लम्बाई के कारण यह बहुत कठिन कार्य था कि कोई इसे बिना किसी त्रुटि के वैसा ही लिख दे, जैसा कि वे बोलते जाएँ। इसलिए ब्रह्मा के कहने पर व्यास भगवान गणेश के पास पहुँचे।

Divya dristy k dawra.kiyunki bedvayas KO bi divya Cristy thi our wake Alva sanjay KO.bi

नमस्कार सर जी अपने जो जानकारी भगवत गीता के बारे में दी है वह जानकर मुझे बहुत अच्छा लगा, कृपया इसी तरह के पोस्ट लिखकर के लोगो का मार्ग दर्शन करे। – भगवन आपको खुश रखे।

भागवत गीता के बारें जानकारी बहुत अच्छी लगी । बहुत बहुत धन्यवाद॥एसी और जानकारी भागवत गीता के बारे दें॥

बहुत ही महत्तवपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई ।

Jai sri ram

Bahut hi achi jankari prapt hui h Jai shree ram

हमारे धर्म ग्रन्थ ये बताते हे की हमें मैं को त्याग देना चाहिए ताकि हम परमात्मा में विलीन हो सके , तो फिर कृष्णा गीता में ऐसा क्यों कहते हे ही मैं ही सुब कुछ हु ओर मेरे सिवा कुछ भी नहीं ???

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  • Essays in Hindi /

ईमेल कैसे लिखें?

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  • Updated on  
  • जनवरी 13, 2024

Email Kaise Likhe

संचार हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, समय के साथ संचार के तरीकों में निरंतर परिवर्तन आया है। प्राचीन काल में संदेशों को कबूतरों जैसे पक्षियों द्वारा आदान-प्रदान किया गया था। पहले के समय में घोड़े की सवारी करके संदेशवाहक संदेश लेकर जाते थे, जिसमें बहुत वक़्त लगता था। फिर फैक्स और उसके बाद पेजर आया जिनमें केवल मैसेज के माध्यम से संचार स्थापित किया जाता था। टेक्नोलॉजी ने और उन्नति करी जिसके बाद फिर डाक के माध्यम से पत्र भेजे जाने लगे। उसी तरह इंटरनेट के माध्यम का उपयोग करके मैसेज इलेक्टॉनिक फॉर्म में भेजे जाने लगे यानि Email जिसे हम इलेक्ट्रॉनिक मेल के नाम से भी जानते हैं। ये एक आधुनिक रूप है पत्र का। इस ब्लॉग में आपको हर तरह की जानकारी मिलेगी जैसे – Email Kya Hai, ईमेल आईडी कैसे बनाएं? ईमेल कैसे लिखें, आइए अब हम ईमेल लेखन का फॉरमेट के बारे में विस्तार से जानते हैं।

This Blog Includes:

ईमेल के बारे में कुछ बातें , जानिए ईमेल आईडी कैसे बनाएं, सिंपल ईमेल कैसे लिखें, ईमेल लिखने से पहले जानिए ईमेल टर्म्स , ईमेल लिखने के लिए टॉप 10 टिप्स, प्रोफेशनल ईमेल कैसे लिखें, ईमेल लिखने का फॉर्मेट, ईमेल एड्रेस के लिए उदाहरण.

CheckOut: डाटा एंट्री कैसे करते हैं

ईमेल क्या है?

ईमेल का मतलब Electronic Mail है। ये मेल भेजने का डिजिटल माध्यम है। जिसमें एक यूजर दूसरे यूजर को इंटरनेट का इस्तेमाल करके संदेश कई मीलों दूर बैठे भी भेज सकता है। इस ईमेल में टेक्स्ट, फाइल, पिक्चर या किसी अटैचमेंट के माध्यम से व्यक्तियों या समूहों को भी भेजा जा सकता है।

  • दुनिया का सबसे पहला ईमेल ‘ रे टॉमलिंसन’ (Ray Tomlinson) ने सन् 1971 में पहली बार भेजा था। बता दें कि टॉमलिंसन ने पहला ईमेल स्वयं को ही भेजा था। एक टेस्ट ईमेल मैसेज के तौर पर, जिसमें उन्होंने कुछ Text लिखे थे, जो की थे “QWERTYUIOP“ @’ साइन का उपयोग करके यूजरनेम को मेल सर्वर के साथ लिंक किया गया था। ईमेल मैसेज को ARPANET के माध्यम से भेजा गया। 
  • ईमेल का अविष्कार किसने किया इस पर काफी विवाद है, शुरुआत में इसका श्रेय रे टॉमलिंसन को दिया जाता था लेकिन 1978 में 14 साल के बालक शिव अय्यादुरै (Shiva Ayyadurai) जो भारतीय मूल के अमेरिकी है उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड डेंटिस्ट्री ऑफ न्यू जर्सी के लिये ईमेल सिस्टम बनाने का काम शुरू किया था।
  • सामान्यतः ईमेल मैसेजिस को ASCII (American Code For Information Interchange) में एनकोड किया जाता है।

जैसे हम लिखते समय पेन और कॉपी का इस्तेमाल करते हैं। वैसे ही कंप्यूटर में सन्देश टाइप करने के लिए कीबोर्ड का उपयोग किया जाता है और ईमेल क्लाइंट के माध्यम से भेजते हैं। ईमेल अकाउंट हम किसी ईमेल प्रोग्राम के माध्यम से फ्री में बना सकते हैं। Gmail, Outlook, Yahoo Mail, Hotmail, Reddifmail बेहतरीन ईमेल प्रोग्राम्स हैं। आप इनमें से किसी एक या अधिक के द्वारा अपने लिए ईमेल अकाउंट बना सकते हैं। ईमेल ID को  मुख्य रूप से दो भाग होते हैं। इनसे मिलकर एक ईमेल ID बनती है। इन्हें आप ऊपर देख सकते हैं। पहला भाग यूजरनेम होता है और दूसरा भाग डोमेन नेम कहलाता है, जिसमें @ साइन होता है जिसे की दोनों को भाग किया जाता है।

अब जानते हैं की ईमेल आईडी कैसे बनाई जाती है. पूरी जानकारी नीचे स्टेप बाय स्टेप दी गई है।

  • विजिट करें gmail.com

2. Create an Account पर क्लिक करें

Create a new Google Account page यहाँ आपको दो विकल्प दिखेंगे। यहां आपको साइन-इन और Create an Account ईमेल ID बनाने के लिए Create an Account पर क्लिक करें। 

3. अपना नाम और पासवर्ड लिखें

यहाँ पर आपको अपनी निजी जानकारी भरनी है। अपना पहला और आखरी नाम लिखे और नीचे आपको यूजरनेम लिखना होगा अगर (ऑलरेडी टेकन आता है तो कुछ और लिखें) उसके बाद नेक्स्ट पर क्लिक करें। इसके अंदरआपको दोबारा पासवर्ड डालना है कन्फर्म करने के लिए।

4. एंटर करें अपना मोबाइल नंबर, DOB और क्लिक करें नेक्स्ट स्टेप पर

हम यहाँ अपना मोबाइल नंबर दर्ज करते है क्योंकि वह OTP नंबर आएगा साथ ही DOB और जेंडर लिखें।

5. Yes I ‘am पर क्लिक करें

इसम पेज में जो भी सर्विसेज है उसको आप अपने मोबाइल नंबर में ऐड करना चाहते है ।अगर आप सभी गूगल सर्विस में अपना नंबर ऐड करना चाहते है तो Yes I’am पर क्लिक करें।

6. क्लिक करें नेक्स्ट स्टेप पर

अब इसे क्लिक करने पर आपको ले लिए जाएगा, Google की सेवा गोपनीयता और नीति की शर्तें को रिव्यु कर लें और फिर ‘I Agree’ पर क्लिक करें।अब आपका अकाउंट बन गया।

एक ईमेल का बनावट सादी होती है। लेकिन विभिन्न ईमेल सर्विस के लेआउट थोड़ी अलग हो सकती है। लेकिन आमतौर पर एक ईमेल के दो महत्वपूर्ण पार्ट्स होते है हैडर और बॉडी।

ईमेल हैडर मेल के बारे में जरूरी जानकारी प्रदान करता है। इस सेक्शन में मेल भेजने वाले और प्राप्त करने वाले व्यक्ति का ईमेल एड्रेस और मेल किस बारे में इस तरह की जानकारी लिखी जाती है एक ईमेल के हैडर में निम्नलिखित भाग हो सकते हैं।

From : इस फील्ड में ईमेलकर्ता यानी सेन्डर का ईमेल एड्रेस आएगा। To : इस फील्ड में आपको मैसेज प्राप्त करने वाले यानी प्राप्तकर्ता का ईमेल एड्रेस देना होता है। CC : इसकी फुल फॉर्म है कार्बन कॉपी। ये फील्ड वैकल्पिक होता है। यहां आप उन व्यक्तियों के ईमेल एड्रेस देंगे जिन्हें आप ईमेल प्राप्तकर्ता को भेजी गई ईमेल की कॉपी देना चाहते हैं। साथ ही ईमेल प्राप्तकर्ता को भी पता लग जाता है कि आपने किस व्यक्ति को मेल भेज रहे हैं।  BCC : इसका मतलब है ब्लाइंड कार्बन कॉपी ये फील्ड भी वैकल्पिक है। CC की तरह ही BCC का समान कार्य होता है लेकिन इससे ईमेलकर्ता यानी रेसिपिएंट को ये नहीं पता चलता कि आपने मेल की कॉपी किसे भेजी है। Subject : इस फील्ड में आपको ईमेल का उद्देश्य अर्थात मेल किस बारे में है ये लिखना है। Body : ईमेल के इस भाग में वास्तविक कंटेंटलिखा जाता है। जो भी मैसेज आपको भेजना है उसे यहां लिखें। इसी भाग में नीचे की तरफ होता है। अटैचमेंट: अटैचमेंट का विकल्प भी दिया गया है। इनका उपयोग करके आप अपनी मेल के साथ अलग  प्रकार की फाइले जैसे – इमेज, ऑडियो, वीडियो, लिंक और इमोजी इत्यादि भेज सकते हैं।

  • इनबॉक्स: ये सबसे महत्वपूर्ण सेक्शन है। यहाँ आप  दूसरे यूजर द्वारा भेजे गए सभी इमेल्स को चेक कर सकते हैं।
  • मैसेज पैन: जब आप इनबॉक्स सेक्शन में किसी ईमेल पर क्लिक करते है तो वह मैसेज पैन में ओपन हो जाएगी। अब आप मेल को पढ़ सकते हैं और यहां मौजूद अलग-अलग ऑप्शन के माध्यम से मेल पर अपना रिस्पांस दे सकते हैं।
  • स्टार्रेड: जब आप कोई मेल ओपन करते है तो मैसेज पैन में ऐड स्टार का एक विकल्प आता है। इसका उपयोग ये है कि आप किसी महत्वपूर्ण ईमेल को मार्क कर सकते है ताकि आप उन्हे बाद में आसानी से पा सके।
  • स्नूज़ेड: मैसेज पैन में स्नूज़ एक ऑप्शन होता है जिसका उपयोग करके आप किसी भी ईमेल को आज इस हफ्ते अगले हफ्ते या किसी भी दिन फिर से इनबॉक्स में टॉप पर ला सकते हैं।
  • सेंट: इस सेक्शन में आपके द्वारा भेजे गए सभी इमेल्स की लिस्ट मौजूद होती है। इससे आप ये चेक कर सकते हैं कि आपने किन-किन व्यक्तियों को मेल किया है।
  • ड्राफ्ट्स: मेल जिन्हें आपने लिखा तो सही पर सेंट नहीं  कर पाए या सेव बटन पर क्लिक करके छोड़ दिया। वो इमेल्स आपको इस सेक्शन पर देखने को में मिलेंगे।
  • स्पैम: जो भी अवांछित ईमेल होती है उन्हें मेल द्वारा फिल्टर करके खुद ब खुद स्पैम फोल्डर में चले जाते हैं। स्पैम इमेल्स में  वायरस और स्पैम होते है उन्हें ओपन करना सेफ नहीं है। तो अगर आपको भी इनबॉक्स में कोई संदिग्ध मेल दिखाई दे तो आप तुरंत रिपोर्ट स्पैम ऑप्शन पर क्लिक करके उसे स्पैम फोल्डर में मूव कर सकते हैं।
  • ट्रैश या बिन: जब आप डिलीट बटन पर क्लिक करके किसी ईमेल को हटाना चाहते हैं तो वह स्थायी रूप से नहीं  हटती बल्कि ट्रैश या बिन सेक्शन में मूव हो जाती है। तो अगर आप किसी मेल को स्थायी रूप से डिलीट करना चाहते हैं तो आपको ट्रैश सेक्शन में जाकर उसे परमानेंट डिलीट करना होगा। हालांकि यहां से उस मेल को वापस इनबॉक्स में चली जाती है।

CheckOut: विज्ञापन लेखन कैसे करें

  • विषय को ध्यान से चुनें: अच्छे मेल की सबसे बड़ी खासियत है उसका विषय, अपने मेल के विषय को हाईलाइट किया जा सकता है। इससे रिसीव करनेवाले को आपका ईमेल बेहतर समझ आएगा। सब्जेक्ट बताता है ईमेल काम का है या नहीं।
  • ईमेल छोटा लिखें: जब भी कोई मेल लिखें तो कोशिश करें कि छोटा हो और काम शबदो में लिखा गया हो, उतना लिखें जितने से रिसीवर को समझ आ जाए।
  • शुभकामना से शुरू करें: अपना ईमेल शुभकामना से शुरू करें जिसके बाद व्यक्ति का नाम और अल्पविराम हो।  यह एक मित्र को ईमेल है, आप “हाय, हे, या हैलो जैसे कुछ अनौपचारिक शब्द भी प्रयोग कर सकते हैं।
  • उनसे हाल जानें: एक पंक्ति छोड़कर और प्रश्न पूछें आप कैसे हैं?”या लिखें, में उम्मीद करता हूँ आप अच्छे होंगे इससे आपके मित्र को पता चलेगा कि आप उनकी परवाह करते हैं।
  • ईमेल कैपिटल या बोल्ड में ना लिखें: ईमेल लिखते समय कैपिटल या बोल्ड फॉन्ट उपयोग ना करें क्योंकि ऐसा करने से रिसीवर पर गलत प्रभाव पड़ता है।
  • अपने बारे में बताएं और उनके जीवन के बारे में पूछें: अपने मित्र को अपने जीवन के किसी रोमांचक घटनाक्रम के बारे में बताएं, और उनसे भी पूछें कि उनके साथ नया क्या हुआ है।
  • प्वॉइंट्स में लिखें अपनी बात: अपनी बातों को प्वॉइंट्स में समझाने की कोशिश करें। अक्सर लोग मोबाइल पर ईमेल पढ़ते हैं इसलिए अगर आप अपनी बातों  को पॉइंट्स में कहेगे तो उन्हें पढ़ने में आसानी होगी।
  • ईमेल अटैच करें: ईमेल में एक साथ बड़ी अटैचमेंट न भेजे इसे फ़ाइल होस्टिंग सेवा से भेज सकते हैं इसके अलावा ज़िप फाइल या रीसाइज फोटो बना कर भेज सकते हैं।
  • ईमेल को समाप्त करें: ईमेल के अंत में ऐसा कुछ लिखें, शुभकामनाएं,जल्द ही आपसे मिलेंगे , “प्यार।” उसके बाद, कुछ पंक्तियाँ छोड़ें और अपना नाम टाइप करें।

इस बात से आप इंकार नहीं कर सकते है की प्रोफेशनल वर्ल्ड में  संचार बहुत जरूरी है जब आप प्रोफेशनल इमेल में काफी सावधानिया रखनी पढ़ती है| आई देखते कुछ प्रोफेशनल ईमेल कैसे लिखें-

  • छोटा रखें और ओवरराइट न करें: पहले ये देखें कि मेल लिखना जरूरी है अगर जरूरी है तो उसमे उतनी ही जानकारी दे जितनी जरूरी है।  मेल पढ़ कर समझ आना चाहिए की आप क्या कहना चाहते हो। अगर बड़ा है तो बुलेट पॉइंट्स में लिखें।
  • सब्जेक्ट लाइन पर ध्यान दें: ईमेल लिखते समय मेल की सब्जेक्ट लाइन पर खास ध्यान होना चाहिए। सब्जेक्ट लाइन को देखकर ही कोई ईमेल पढ़ता है। ईमेल लिखते समय मेल की सब्जेक्ट लाइन पर खास ध्यान दें। सब्जेक्ट लाइन को देखकर ही कोई ईमेल पढ़ता है। आपको अपना मटर प्रभावशाली रखना होगा।
  • टाइम से भेजें अपने मेल:   ज़रूरी मेल सुबह के दौरान ही भेजे जाते हैं। जिसके चलते मेल बॉक्स काफी भर जाता है।   इसलिए जवाब देने वाला इंसान सिर्फ ख़ास मेल को ही देखता है। तो सुबह के बजाए शाम को भेजें। 

From: प्रेषक का ईमेल पता To: Reciever का ईमेल पता CC: कार्बन कॉपी BCC: ब्लाइंड कार्बन कॉपी विषय: यहाँ अपने विषय रखो अभिवादन: यहाँ अपना  शब्द डालें जैसे प्रिय मुख्य विषय वस्तु: विषय से संबंधित  समापन: कथन समाप्त करना अटैचमेंट ज्वाइन करें: पीडीएफ, इमेज जैसी फाइल अटैच करें हस्ताक्षर: प्रेषक का नाम, संकेत, आदि From ईमेल आईडी के माध्यम से ईमेल भेजे जाते हैं। यहां आपको अपना ईमेल पता दर्ज करना होगा। To यहां आपको रिसीवर का ईमेल एड्रेस डालना होगा। अगर आप किसी कंपनी को ईमेल करना चाहते हैं तो आपको कंपनी का ईमेल एड्रेस डालना होगा। CC जब आप एक ही ईमेल 2 या अधिक ईमेल पते पर भेजना चाहते हैं तो CC का उपयोग कर सकते हैं। मतलब आप एक से अधिक रिसीवर को एक ही संदेश भेजने के लिए CC का उपयोग कर सकते हैं। BCC BCC का मतलब होता है ब्लाइंड कार्बन कॉपी। सीसी की तरह ही इसका भी उपयोग एक से ज्यादा लोगों के मेल भेजने के लिए किया जाता है। लेकिन बीसीसी में लिखा हुआ ईमेल एड्रेस, To में और सीसी द्वारा ईमेल प्राप्त करने वाले बीसीसी का ईमेल एड्रेस नहीं देख सकते।

Subject आप ईमेल क्यों लिख रहे हैं, आपको उसका विषय लिखना होगा। ताकि रिसीवर पहले यह समझे कि आपने ईमेल क्यों भेजा है। अभिवादन एक अनौपचारिक पत्र में, अभिवादन का अधिक उपयोग किया जाता है। अगर आप अपनी बहन को ईमेल लिख रहे हैं तो आप एक प्यारी बहन लिख सकते हैं। मुख्य सामग्री(Body) मुख्य सामग्री में, आपको एक विस्तृत विषय लिखना होगा। परिचय, बात और निष्कर्ष मुख्य सामग्री में शामिल हैं। फ़ाइल जोड़ें (Attachment) यहां आप पीडीएफ फाइल, पिक्चर या अन्य दस्तावेज संलग्न कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपने किसी पाठ्यक्रम की पीडीएफ फाइल डाउनलोड की है, तो आप इसे ईमेल में संलग्न कर सकते हैं और इसे अपने मित्र को भेज सकते हैं।

हस्ताक्षर अंत में, हस्ताक्षर लाइन लिखना आवश्यक है। अपने विश्वास की तरह और आप अपना नाम लिख सकते हैं। आप नीचे दिए गए ईमेल लेखन के उदाहरण से समझ सकते हैं।

ईमेल लिखने के उदाहरण

From: [email protected] To: [email protected] CC / BCC (आपको जरूरत है तो CC और BCC की लाइन भरें) विषय: पार्टी का निमंत्रण प्रिय भानु मुझे आशा है कि आपको मेरा जन्मदिन याद होगा। मुझे आपको यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि 17 जुलाई की तारीख स्टार हॉल में जन्मदिन की पार्टी है। जिसका समय रात में 7 से 12 बजे तक है। आपको इस बर्थडे पार्टी में जरूर आना है। चेतन 

From: [email protected] To: [email protected] CC… BCC … विषय: सीवर मरम्मत के लिए अनुरोध श्रीमान, ग्रीन वेल का सीवर टूट गया है जिसके कारण नाले का गंदा पानी सड़क पर आ गया है। ज्यादा गंदा फैल रहा है। इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया इस नाले की मरम्मत करवाएं। मुझे आशा है कि आप इस मरम्मत को जल्द से जल्द पूरा कर लेंगे। मुकेश

ईमेल एड्रेस एक यूनिक ID होती है जिसमें इंटरनेट की मदद से आप अपना मैसेज किसी को भी कही से भी आसानी से भेज एवं प्राप्त भी कर सकते हैं। फिजिकल मेल या पुराने मेल (चिट्टी व् डाक ऑफिस) की तरह इसमें भी एक चीज सामान है की जो मैसेज भेज रहा है और जिसको मैसेज भेजा जा रहा है उसके पास एक यूनिक एड्रेस होना चाहिए। किसी भी ईमेल आईडी दो भाग होते हैं – फर्स्ट पार्ट आपका अपना ID (जो की आप अपनी मर्ज़ी से उपलब्ध्ता के बेस पर कुछ भी रख सकते हैं) और दूसरा डोमेन नाम। ये फर्स्ट पार्ट एंड सेकंड डोमेन नाम वाला पार्ट एक दूसरे से @ से जुड़े होते है। जैसे – [email protected] , अमित ईमेल का पहला पार्ट है एवं yahoo.com डोमेन नाम यानी दूसरा पार्ट है। ईमेल एड्रेस का सेकंड पार्ट जो की डोमेन-पार्ट होता है वो एक कंपनी का डोमेन नेम होता है जो की ईमेल सर्विस प्रोवाइड करती है। जैसे की gmail.com या yahoo.com।

इंटरनेट की मदद से एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में तुरंत मैसेजेज का आदान-प्रदान करने की एक विधि को ईमेल कहा जाता है। नेटवर्क के माध्यम से एक कंप्यूटर यूजर द्वारा एक या अधिक यूजर्स को डिस्ट्रिब्‍यूट किया गया इलेक्ट्रॉनिक मैसेज।

क्योंकि अकसर लोग मोबाइल पर ईमेल पढ़ते हैं इसलिए अगर आप अपनी बातों को संक्षेप में समझाएंगे तो अच्छा रहेगा. कोशिश करें कि सबसे ऊपर सबसे जरूरी बात लिख दें और मैसेज को साधारण भाषा में लिखें. 4. ईमेल में विशिष्ट शब्दावली और स्लैंग लिखने से बचें: ईमेल में WT, EEK, KEWL DUDES जैसे शब्द भूलकर भी न लिखें.

अपना जीमेल आईडी अकाउंट ऑनलाइन कैसे प्राप्त करे फ़ोन नंबर से। ईमेल अकाउंट पता करें मोबाइल नंबर से। सबसे पहले आपको अपने एंड्राइड फ़ोन या कंप्यूटर/लैपटॉप के गूगल क्रोम ब्राउज़र में Gmail.com टाइप करके सर्च करना है। http://gmail.com/ इस पर क्लिक करके उसे ओपन करना है। फॉरगॉट ईमेल पर क्लीक करने पर नई विंडो ओपन होगी।

जब आपकी पुरानी जीमेल आईडी मिल गई है तब उसका पासवर्ड पता करने के लिए उस पर क्लिक कीजिए। इसके बाद आपको नीचे फॉरगॉट पासवर्ड? ऑप्शन पर क्लिक कर देना है, जिससे एक और अकाउंट रिकवरी का पेज खुल के आएगा। यहाँ पर आपको ट्राय अनादर वे पर क्लिक करना है।

ईमेल की फुल फॉर्म इलेक्ट्रॉनिक मेल है।

ईमेल भेजने की प्रक्रिया इस प्रकार हैं: सबसे पहले जीमेल डॉटकॉम में लॉग इन करें, अब कंपोज़ पर क्लिक करें, अब ईमेल आईडी डालें जिसको भेजना है और अपना मेसेज लिखें, अब सेंड पे क्लिक कर के ईमेल भेजें।

पहला नेटवर्क ईमेल 1971 में कंप्यूटर इंजीनियर रे टॉमलिंसन द्वारा भेजा गया था। खुद को उन्होंने ईमेल में “QWERTYUIOP जैसा कुछ” भेजा था।

उम्मीद है कि आपको Email Kaise Likhe पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही ज्ञानवर्द्धक और सामान्य ज्ञान से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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Aajkal sabko pata hai ki Email kya hota hai aur aap sabka Gmail address to zaroor hoga hi.

Dekho agar aapka Email address hai to aapko Email address banana bhi ata hi hoga hi. Nahin bhi aata hai to kisi na kisi ne aapka Email address to bana hi diya hoga.

To ab Gmail address bhi hai par kya aapko Gmail theek se use karna aata hai ya nahi?

Ab purane zamane ki chitthi ka khat to log kam hi bhejte hai kyunki ab naya zamana hai.

assignment me kya likha jata hai

Chitthi ayi hai ayi hai watan se, chitthi ayi hai    Pankaj Udhas ki Purani Ghazal

Mera Naam Ashutosh hai aur main 2005 se job kar raha hun. Maine apne career mein anginat mails likhi hai to maine socha ki main aapko Email ya Gmail ke bare mein thoda gyaan de dun.

Josh talks ke courses harazo logo ko help kar rahe hai career mai aage badne ke liye. Iss link par click karke aur janiye courses ke baare mein

Is blog mein mein aapko bataunga Email istemal karne ki aisi zaruri tips jinse aapki bole to zindgi badal jayegi. Kyon Ki koi cheez ko agar aap use karte ho to dhang se hi karo warna to khat hi likha karo na.

Is article mein aap janeinge (Link pe click karke us section pe pahaunch sakte hai)

Email use karne ke fayade ya advantages of using Email in Hindi

Email kaise likhe in Hindi ya Email format tips

To, CC, BCC kya hota hai aur unko dhang se kaise use karein

Advance Gmail tips in Hindi

Pehle sabse bada sawal

Advantages of Email in Hindi ya Email use karne ke fayde

Aap soch rehe honge ki yaar itna bada kalesh hai Email likhna.

Agar aap job kar rahe hai to aapko Email likhna ek bahut bada time waste lagta hoga shayad.

Aap sochte honge ki aap baaton mein bhi to baat kar sakte ho to Email kyu likhein?

assignment me kya likha jata hai

email ke ISTEMAL se baatein kam hoti hai aur kam zyada. samjhe barkhurdar?

Par yeh to wahi baat hui ki hum kuch bhi likhte hi kyu hai?

Baaton baaton mein bhi to baat ho sakti hai par yeh nahi hai. Baatein to theek hai par jo likha jata hai uska mahatva hi alag hota hai.

Aapko main kuch situations ya stithian batata hun jab Email likha hota to pachtana nahi padta

Situation 1 – Boss jo jatana ki aap bahut kaam kar rahe ho ya boss ko loop mein rakhna

Dekhiye boss ek aise prani hote hai jinko aapki jaan khane ka paisa milta hai. Boss hamesha apse puchte rehte hai ki aapne kya kiya, kya nahin kiya aur nahin kiya to kyu nahi kiya.

Boss ki zubaan pe lagaam lagane ka best tarika hai ki aap jo kuch karo uske Email bhej do. Main sharat lagata hun ki woh aap ki mail ko nahi padheinge par agli baar jab woh aapki jaan khane aayenge aap bolna ki sir maine kaam kar liye hai aur Email bhi bhej diya hai. Ek do baar aisa hoga aur phir woh apse yeh puchna hi band kar denge. Bas jeevan ho jayega asaan.

Isko boss ko loop mein rakhna kehte hai. Boss ko itni Emails bhejo ki woh apse pareshan hoke aapko promote kar denge aur phir aap boss ban jaoge aur aapko sab Emails bhejenge.

assignment me kya likha jata hai

apni jaan bachao, boss rupi rakshas ko loop mein rakho email bhej ke

Situation 2 – Likhit pramaan jise aap ka bachav ho paye

Aap office mein kaam karte ho aur aapke sahkarmi ya colleague ko apne kuch karne ko zabani kaha aur usne kiya nahin.

Baad mein woh kaam hua nahin aur jab boss ne pucha ki kyu nahi hua woh sahkarmi mukar hi gaya. Woh jhoot bolne laga ki aapne kaam karne ko kaha hi nahin tha to phase to aap hi.

Ab agar aapne akal laga ke pehle hi Email bhej diya hota aur apne boss ko CC kar diya hota to koi praman to rehta ki aapne bataya tha aur isliye galti aap ki nahi uski hai.

Situation 3 – Minutes of the meeting (Boss ki impress karna)

Boss ke saath aapki lambi meeting hui jismein unhone kafi kuch aapko karne ko kaha. Ab aap smart ho aur jaise hi meeting khatam hui aapne notes dekhe aur sare points sankshep mein karke ek ‘meeting minutes’ ki mail bosss ko bhej di. Bas, boss khush woh sochenge ki aap kitne karmath ho ki pehli baat to aapne kafi dhyaan se meeting mein sab socha aur mail pe sab likh ke bhej bhi diya. Agar aaap yeh karoge to aapka promotion to zarur ho jayega.

assignment me kya likha jata hai

email bhejna samajhdari ki baat hai. akal buffalo se badi hi hoti hai

Situation 4 – Project management

Chalo aapne meri baat suni aur Email ka bharpoor istemal kiya aur promotion paake aap hi boss ban gaye.

Aapne ek project ko plan kiya hai aur meeting mein aapne is plan ko share kiya. Aapke team members ko aapne alag alag kaam diya hai. Ab log to hote hi kaamchor hai to aapne bola to bahaut par woh sab bhool gaye ya jaan ke bhi anjaan ban gaye sab.

Agar aap smart boss ho to aap meeting khatam hote hi ek Email likhoge sab team members ko jis mein aap pure plan ko bataoge aur sab team members ki responsibilities bhi bata doge.

Usi mail pe reply karne team members batayenge ki unhone kya kiya aur kya nahi kiya. Aap kaam na karne par team members ko daat bhi sakte ho aur apna boss wala gyaan bhi pel sakte ho. Email string kisi bhi project ko manage karne ka sabse accha aur asan tarika hai.

Chalo ab boss banne ke sapne abhi chodo. Pehle main aap ko samjhata hun ki  Email likhi kaise jati hai

How to write Email in Hindi 

Aap sabne Hindi aur English shayad padhi hogi school mein. Email bhi ek letter ki tarah hi hoti hai par aapko essay nahi likhna hota hai aur bas kaam ki baat karni chahiye.

Email ka format kya hota hai?

Pehle main aapko Email ya Gmail ke sections ya bhaagon ke bare mein bata deta hun. Jab aap compose Email pe click karte ho Gmail mein to aisi window aati hai.

assignment me kya likha jata hai

(1) To: Yahan aap jisko Email bhejni hai unka Email address likhte ho.

  • Aap bahaut sare Email address bhi To mein dal sakte hai ek ek karke.

(2) Cc:  Iska matlab hota hai Carbon Copy matlab Hindi mein jinka Email address aap yahan likhte ho unko Email ka ek copy milta hai. Cc ka istemal tab karna hota hai jab aap is Email ko kuch aur logon ko bhejna chahte ho par yeh Email unko sambodhit nahi hoti hai.

  • Zyadatar aap apne boss ko business Email mein CC mein rakhte ho jisse boss ko yeh pata chale ki aap bahut kaam kar rahe ho.
  • Agar koi aap ka kaam nahi kar raha hai job pe to kaam nikalne ka sabse acha tareeka hai ki ek mail likho jis mein aap usse kam karne ko keh rahe ho aur us mail ko boss ko bhi CC kar do.

(3) Bcc: Iska matlab hot ahai Blind Carbon Copy. Agar aap To aur CC walon ko batana nahi chahte ki aao kisi aur ko is Email ki copy bhi bhej rahe ho to unka Email address Bcc mein dal do. Unko mail ki copy bhi pahaunch jayegi aur kisi ko pata bhi nahi chalega.

Bcc ki tips

  • Agar aapko bahut sare logon ko mail bhejna hai aur un sabke Email address aapko auron ko nahi dikhana hai to aap To section mein apna mail dalo aur sare baki Emails Bcc mein dal do.

(4) Subject

Jaise hum school ke letter mein Subject likhte the waise hi Email ka subject bhi likha jata hai. Iska matva yeh hota hai ki Inbox mein Email ka Subject dikhta hai aur subject dekh ke Email jisko milti hai usnko yeh pata chal jata hai ki Email mein kya hai.

Email Subject tips

  • Subject ek tareeke se mail ka shirshak ya heading hoti hai jisko padh ke samajh aa jata hai ki Email kis cheez ke bare mein hai
  • Subject ko jitna direct rakh sakte ho utna accha hai. Kaam ki baat karo aur bekaar ki baat nilak do

(5) Email Body

Yeh woh jagah hai jahan Email likhi jati hai. Email ka format aisa rakhna chahiye

Greeting: Yahan aap jisko Email bhej rahe ho usko Hello bolte ho. Aajkal ke yug mein greeting ko zyada formal nahi rakhna chahiye par kuch rules hai jinko aapko follow karna hota hai

  • Agar aap jinko mail bhej rahe ho unko jante ho tab aap greeting mei Hi ya Hello likh sakte ho
  • Agar aap unko nahin jante tab Dear (Naam) likhan hota hai so Dear Mr Sharma, Dear Madhu etc likhna chahiye
  • Agar aapko pata nahin hai ki jinko aap mail bhej rahe ho woh aadmi hai ya aurat to likhiye: Dear Ma’am / Sir

Body:  Email body mein aap Email likhte ho. Mera sujhav yah hai ki bakwaas na karke aap seedha seedha mudde ki baat karein. Business Emails padhne walon ke paas waise bhi time nahi hota hai to unko jald se jald samajh ana chahiye ki aap kya bat kar rahe ho aur aap kya chahte ho unse.

  • Paragraph use karne zaruri hai Email mei warna padhna muhskil ho jata hai. To thodi lines ke baad ek space dal dijiye.
  • Mail bhejne se pehle ek ya do bar usko padh lein kyunki galti ho sakti hai
  • Business mail dhyaan se likhein. Kisi ko gali na dein aur ashiqi nahi kare. Bas matlab ki baat

Sign off:  Sign off mein aap apna naam likho. Aap Sincerely, Regards atyadi bhi use kar sakte ho.

(6) Signature: Professional lagne ke liye aapko ek accha sa signature bana lena chahiye.

Signature Gmail mein settings mein banaya jata hai

Pehle mailbox ke top right pe gear icon ko click karo

assignment me kya likha jata hai

Phir settings pe click karo aur neeche scroll karke

assignment me kya likha jata hai

Phir neeche scroll karke signature type kar lo.

assignment me kya likha jata hai

(7) Formatting options:  Yahan aap Email body ke font change kar sakte ho,  Bold  ya  Italic ya  underline  mein text ko set kar sakte ho, text ka color bhi change kar sakte ho aur text ki orientation bhi. Yahan se aap bullet point aur numbered list bhi bana sakte ho.

(8) Attachment options etc:  Yahan se app attachment add kar sakte hai, text mein link dal sakte hai, emoji dal sakte hai (Business Emails mein Emaiji mat dalna please, informal lagta hai) aur picture attach kar sakte hai.

To yeh hota hai Email ka format.

Ab main aapko apne tajurbe se kuch tips deta hun

Email sab bhej sakte hai par kuch aisi tricks hai jin ko istemal karke aap pareshani se back sakte hai.

Galti se Mail bhejne se bachne ka tarika

Sabse embarrassment ki baat tab hoti hai jab apne koi important mail likhi aur check karne par bhi aapne kuch badi galti kar di aur bhej di. Iske 2 samadhan hai.

Desi tarika

Mere purane boss nein is problem ka bahut hi accha desi upay bataye. Mail likhte hue To aur CC mein se Email address nikal do ya. Mail likho, kafi baar check kar lo aur phir hi Email address dalo.

Angrezi tareeka

Kehte hai ki kamaan se nikla teer wapas nahi aata par ek tareekh hai jisse bheja hua mail wapas aa sakta hai. Aap Gmail settings mein jake mail sending mein delay laga sakte ho.

Aapko mail setting mein jana hai

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Jab aap koi bhi mail bhejoge to neeche left corner mein ek undo ka option ayega 10 second ke liye, to agar aapne falti kari hai to aap usko click karke main ko undo kar sakte ho.

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Inbox ko saaf rakho

Sabse badi tension tab hoti hai jab aapke inbox mein lakhon Emails hoti hai.

Inbox mein wahi mails honi chahiye jinpe kuch gatividhi chal rahi hoti hai. Purani mails ko archive kar dena accha hota hai. Archived mails aapke Inbox mein nahin rehti par delete bhi nahi hoti. Baad mein aap un mails ko Gmail ke search function se dhund sakte ho.

Asha karta hun ki aapko kuch accha gyaan mil gaya hoga Email writing pe.

Min is article ko update karte rahunga. Agar aapko koi doubt hai to comment karke zarur baatein aur main aap ke sawalon ka jawaab zarur dunga.

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Aaj kal computer ka zamana hai. Har voh kaam jisme pehle bahut time,effort aur money waste hota tha abh asani se computer pe kiya ja sakta hai. Computer ka istamaal aaj kal har taraf kiya jata hai. Basic computer skills ana aaj ke waqt mai bahat hi zaruri hai. Basic computer skills sikhna isliye zaruri hai take aap apne worklife ko easy aur efficient bana sako. Aur is computer technology ka wisely istamaal kar sako.

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Toh aaj hi shuru kare apni learning journey Josh Skill ke courses ke sath.

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