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5+ पुस्तकालय पर निबंध – Essay on Library in Hindi

Essay on Library in Hindi : दोस्तों आज हमने पुस्तकालय पर निबंध लिखा है क्योंकि पुस्तकालय हमारे विद्यार्थी जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखते है. इनके माध्यम से हमें देश विदेश महान लेखकों की लिखी हुई किताबें पढ़ने का अवसर मिलता है.

अक्सर विद्यार्थियों से परीक्षाओं और विद्यालय में pustakalay per nibandh  लिखने के लिए दिया जाता है इसी को ध्यान में रखते हुए हमने कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए अलग अलग शब्द सीमा में यह निबंध लिखा है.

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Short Essay on Library in Hindi 150 Words – पुस्तकालय पर निबंध 150 words

पुस्तकालय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है जिसे हम पुस्तक + आलय कहते है जिसे हम आसान शब्दों में पुस्तकों का घर भी कह सकते है क्योंकि यहां पर ज्ञान विज्ञान ग्रंथ साहित्य राजनीतिक विज्ञान एवं अलग-अलग भाषाओं का संग्रह होता है.

पुस्तकालय कई प्रकार के होते है जैसे व्यक्तिगत पुस्तकालय, विद्यालय का पुस्तकालय, सार्वजनिक पुस्तकालय, चलते फिरते पुस्तकालय और आजकल तो डिजिटल पुस्तकालय भी उपलब्ध है.

इन सभी पुस्तकालयों में तरह-तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तकें मिलती है जिन्हें कोई भी पुस्तक प्रेमी जाकर पड़ सकता है और अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकता है.

पुस्तकालय हमारे राष्ट्रीय धरोहर के रूप में होते है क्योंकि यहां पर हमारे पूर्वजों की लिखी हुई अच्छी किताबों का संग्रहण किया जाता है जिसका उपयोग हम आगे आने वाले जीवन को बेहतर बनाने के लिए कर सकते है.

जो भी व्यक्ति अच्छी और अधिक मूल्य वाली पुस्तके नहीं करी सकता है वह यहां पर आकर आराम से शांत माहौल में पुस्तकें पड़ सकता है और अपने ज्ञान के जिज्ञासा को शांत कर सकता है.

Best Essay on Library in Hindi 300 Words – पुस्तकालय पर निबंध 300 words

पुस्तकालय हमारे जीवन का अभिन्न अंग होते है क्योंकि पुस्तकालय में हम शांतिपूर्वक विभिन्न ज्ञानवर्धक किताबें पढ़कर ज्ञान का अर्जन कर सकते है जो कि हमारे जीवन को खुशहाल बनाता है और हमें सोचने समझने की शक्ति भी प्रदान करता है.

पुस्तकालय की भूमिका मानव जीवन में प्राचीन काल से ही रही है क्योंकि प्राचीन काल में प्रिंटिंग मशीन नहीं होने के कारण हस्तलिखित किताबे ही होती हो थी जिस कारण उनका मूल्य भी अधिक होता था और किताबें भी कम ही उपलब्ध हो पाती थी इसीलिए पुस्तकालय की स्थापना की गई.

पुस्तकालय की स्थापना से जो भी व्यक्ति किताबें पढ़ने का इच्छुक होता था वह पुस्तकालय में जाकर शांत माहौल में किताबें पढ़ सकता था इससे गरीब वर्ग के लोगों को अधिक फायदा हुआ क्योंकि वे लोग अधिक मूल्य की किताबें पढ़ नहीं सकते थे.

एक पुस्तकालय में लगभग सभी प्रकार की पुस्तके जैसे कला, धर्म, जाति, राजनीतिक, विज्ञान, कृषि, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय पुस्तके मिल जाती है जिनकी सहायता से सभी लोग अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते है कुछ बड़े पुस्तकालयों में अलग-अलग भाषा और प्रांत की पुस्तकें भी उपलब्ध होती है.

वर्तमान में पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते है जैसे विद्यालय के पुस्तकालय जहां पर छात्र-छात्राएं और शिक्षक जाकर किताबें और पत्र पत्रिकाएं पढ़ सकते है दूसरे पुस्तकालय विश्वविद्यालयों के होते है जहां पर वहां के विद्यार्थी जाकर पढ़ सकते है.

कुछ पुस्तकालय ट्रस्ट द्वारा भी संचालित किए जाते है जिनका मूल उद्देश्य गरीब एवं पिछड़े वर्ग के लोगों को शिक्षा प्रदान करना होता है क्योंकि गरीब विद्यार्थी के पास मूल्यवान उसको को खरीदने के लिए धन नहीं होता है. इन पुस्तकालयों में महीने की न्यूनतम फीस रखी जाती है.

चौथे नंबर पर सार्वजनिक पुस्तकालय आते है जो कि सरकार द्वारा चलाए जाते है जिसमें सभी लेखकों और कवियों की प्रमुख किताबें होती है साथी देश और विदेश की पत्र-पत्रिकाएं में होती है जिन्हें कोई भी व्यक्ति या विद्यार्थी पुस्तकालय में जाकर पढ़ सकता है.

Pustakalay Per Nibandh – पुस्तकालय पर निबंध 500 Words

रूपरेखा –

पुस्तकालय हमारे देश में प्राचीन युग से ही प्रचलन में रहा है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण नालंदा विश्वविद्यालय का पुस्तकालय जो कि विदेशी आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिया था लेकिन अब उसे पुन: स्थापित कर दिया गया है.

पुस्तकालयों की भूमिका मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण रही है इसी कारण आज हमारी शिक्षा पद्धति इतनी सुदृढ़ हो पाई है. पुस्तकालयों के कारण गरीब विद्यार्थियों को भी अच्छी किताबें पढ़ने को मिली है जिसे चाहो और सामाजिक और आर्थिक विकास भी हुआ है.

वर्तमान में भी पुस्तकालयों की महत्वता कम नहीं हुई है आज भी विद्यार्थी शिक्षक और अन्य व्यक्ति उच्च स्तर की किताबें पढ़ने के लिए पुस्तकालय में जाते है.

पुस्तकालय क्या है –

प्राचीन काल में शिक्षा पद्धति इतनी उन्नत नहीं थी और साथ ही पुस्तकों का भी अभाव था इसलिए पुस्तकालय की स्थापना की गई जहां पर सभी प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाती थी ताकि सभी लोग आकर उन पुस्तकों से ज्ञान अर्जित कर सकें.

शिक्षा के क्षेत्र में यह बहुत ही अच्छा कदम साबित हुआ. एक सार्वजनिक पुस्तकालय में धर्म साहित्य वाणिज्य कला विज्ञान पत्र पत्रिकाएं बच्चों के मनोरंजन के लिए ज्ञानवर्धक एवं चुटकुलों की किताब और पुराने ग्रंथ दादी सभी प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध होती है.

पुस्तकालय में कोई भी व्यक्ति जाकर अपनी इच्छा के अनुसार किताबों का चयन करके उसे पुस्तकालय में बैठ कर पढ़ सकता है कुछ पुस्तकालय में किताबें कुछ समय के लिए घर पर ले जाने के लिए भी दी जाती है.

पुस्तकालयों के कारण नई नई किताबें पढ़ने वाले जिज्ञासु लोगों और ज्ञान की वृद्धि करने के लिए विद्यार्थियों को बहुत अधिक लाभ हुआ.

पुस्तकालय की विशेषता –

(1) पुस्तकालयों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पाठकों को अंतर्मुखी और चिंतनशील बनाते है.

(2) पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ने के लिए शांत माहौल मिलता है जिसे एकाग्र होकर हम पढ़ाई कर सकते है.

(3) पुस्तकालय में देश दुनिया में क्या हो रहा है और आगे क्या होने वाला है इसका पता लगता है

(4) पुस्तक पढ़ने से हमारे सोचने समझने की शक्ति का विकास होता है.

(5) यहां पर हमें ज्ञान अर्जन करने के लिए अधिक मूल्य की आवश्यकता नहीं होती है.

(6) प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक समीक्षक आर. ए. रिएर्ड्स लिखा था कि अगर हम किसी अच्छी पुस्तक को पढ़ते हैं तो उससे हमारी सोच बदल जाती है जिससे व्यक्ति का पुन: सर्जन होता है.

(7) यहां पर हमें प्रत्येक भाषा में किताबें पढ़ने को मिलती है इसलिए किसी भी देश का नागरिक यहां पर आकर किताबें पढ़ सकता है.

(8) पुस्तकें हमें दूसरे देशों की संस्कृतियों और सामाजिक जीवन से जोड़ती है.

निष्कर्ष –

किसी भी देश में पुस्तकालयों का होना बहुत आवश्यक होता है यह व्यक्ति के जीवन के साथ साथ देश के आर्थिक विकास में भी सहयोग करता है. वर्तमान में असहज जीवन प्रणाली से जीवन यापन कर रहे लोगों के लिए पुस्तकालय और भी अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है.

पुस्तकालय उन्हें एकांत में बैठकर चिंतन और मनन करने का अवसर प्रदान करते है जो की बाहरी जीवन में असंभव के समान है. हमें पुस्तकालयों की महत्वता को समझते हुए उन्हें बढ़ावा देना चाहिए.

Essay on Library in Hindi 1100 Words

प्रस्तावना –

पुस्तकालय शब्द दो शब्दों में समाहित है पुस्तक + आलय जिसका शाब्दिक अर्थ पुस्तक रखने का स्थान होता है. पुस्तकें मानव की सबसे अच्छी दोस्त होती है जो कि बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक उसका सहारा होती है.

पुस्तकों के कारण ही आज शिक्षा पद्धति इतनी सुदृढ़ हो पाई है लेकिन पुराने जमाने में आज की तरह पुस्तक प्रिंटिंग की व्यवस्था नहीं थी जिसके कारण पुस्तकें हाथों से लिखी जाती थी इसलिए पुस्तकों की संख्या भी कम होती थी.

जिसके कारण पुस्तकों का मूल्य अधिक होता था और साधारण व्यक्ति उन्हें खरीद कर पढ़ नहीं पाता था और वह पुस्तके आसानी से उपलब्ध भी नहीं हो पाती थी इसीलिए पुस्तकालय की स्थापना की गई. पुस्तकालय की स्थापना के बाद शिक्षा के जगत में एक अनोखी क्रांति देखने को मिली.

पुस्तकालय के प्रकार –

व्यक्तिगत पुस्तकालय – व्यक्तिगत पुस्तकालयों की श्रेणी में व पुस्तकालय आते हैं जो लोग अपने घरों मैं एक अलग कमरे की व्यवस्था करके उसमें अपनी रुचि की किताबें रखते हैं और उन्हें पढ़ते हैं इन पुस्तकालय उसे सिर्फ उस घर के व्यक्ति ही शिक्षा ग्रहण कर सकते है.

विद्यालय, विश्वविद्यालय का पुस्तकालय – विद्यालय और विश्वविद्यालय के पुस्तकालय वहां के विद्यार्थी और शिक्षकों के लिए होते है जहां पर कई प्रकार की भाषाओं और ज्ञान वाली पुस्तकें पत्र पत्रिकाएं उपलब्ध होती है यह पर छोटे बच्चों के मनोरंजन के लिए चुटकुलों वाली किताबें भी उपलब्ध होती हैं वही शिक्षकों के लिए दैनिक अखबार उपलब्ध होता है.

सार्वजनिक पुस्तकालय – सार्वजनिक पुस्तकालय में दो श्रेणी के पुस्तकालय आते है जिसमें कुछ पुस्तकालय समाजसेवी ट्रस्ट द्वारा चलाए जाते हैं और कुछ सरकार के अनुदान द्वारा चलाए जाते हैं यहां पर कोई भी व्यक्ति आकर पुस्तके पढ़ सकता है.

चल-पुस्तकालय – चल पुस्तकालय वे पुस्तकालय होते है जो की मोटर वाहनों में संचालित होते हैं इन्हीं संचालित करने के लिए मोटर वाहनों में किताबे रखती जाती हैं और प्रतिदिन गांव गांव जाकर पुस्तकालय संचालित किए जाते है इन पुस्तकालय से किताबे कम मूल्य पर खरीदी भी जा सकती है.

डिजिटल पुस्तकालय – वर्तमान में इंटरनेट व्यवस्था और मोबाइल के सस्ते होने के कारण ज्यादातर लोग किताबों को मोबाइल और कंप्यूटर पर पढ़ना पसंद करते है. इसीलिए अब किताबों को पीडीएफ के रूप में बनाकर लोगों को पढ़ने के लिए उपलब्ध कराया जाता है यह विभिन्न वेबसाइटों की माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है जिनमें से एक हिंदी यात्रा भी है जिसे आप अभी पढ़ रहे है.

पुस्तकालय का महत्व –

पुस्तके मानव की सच्ची साथी होती है और इन को पढ़ने की लालसा सभी विद्यार्थियों और व्यक्तियों में होती है. उसको को पढ़ने से ज्ञान का संचार तो होता ही है साथ ही में व्यक्तिगत गुणों का विकास भी होता है शायद इसीलिए वृद्धावस्था में भी लोग किताबों से मोह नहीं छुड़ा पाते है.

सभी व्यक्तियों को नई नई किताबें पढ़ना पसंद होती हैं किसी की पसंद कोई लेखक विशेष की किताब होती है तो किसी की पसंद मनोरंजन वाली किताबें पढ़ने का होता है तो किसी का ज्ञान ज्ञान वाली पत्र पत्रिकाएं पढ़ने का होता है लेकिन इसके लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है जो कि सभी व्यक्तियों के पास नहीं होता है.

यहीं पर पुस्तकालय अपनी अहम भूमिका निभाते हैं और हमें हर दिन नवीनतम और पुराने लेखों द्वारा लिखी गई किताबें एक जगह ही उपलब्ध करवाते है.

साथ ही इन पुस्तकालय में किताबें पढ़ने के लिए अधिक रुपयों की भी आवश्यकता नहीं होती है जिसके कारण समाज का प्रत्येक व्यक्ति पुस्तकालय में जाकर अपने पसंद की किताबें पढ़ सकता है और अपने जीवन को सुदृढ़ बना सकता है.

पुस्तकालयों ने हमारी शिक्षा व्यवस्था में रीड की हड्डी का काम किया है आज प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति अगर हर प्रकार की पुस्तक पढ़ पा रहा है तो यह सिर्फ पुस्तकालयों के कारण ही हो पाया है.

पुस्तकालय के नियम –

पुस्तकालय में पढ़ने के लिए कुछ नियमों का पालन करना बहुत अधिक जरूरी होता है.

(1) पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ते समय शांति व्यवस्था बनाए रखना जरूरी होता है.

(2) पुस्तकालय की किताबों और पत्र-पत्रिकाओं को फाड़ना एवं पर लिखना सख्त मना होता है.

(3) पुस्तकालय में शोर शराबा मचाने पर आपको कुछ करने में से निलंबित भी किया जा सकता है.

(4) यहां से ली गई किताबों को नियमित अवधि में वापस लौटाना आवश्यक होता है.

(5) पुस्तकालय में किसी भी प्रकार का कचरा फैलाने या फिर थूकना की सख्त मनाही होती है.

पुस्तकालय के लाभ –

(1) पुस्तकालय से हमें विभिन्न प्रकार की पुस्तकें पढ़ने का अवसर प्रदान होता है.

(2) यहां पर हम विभिन्न प्रकार की भाषाओं वाली किताबें पढ़ सकते है.

(3) यहां पर किताबें पढ़ने से मन एकाग्र रहता है क्योंकि पुस्तकालय कक्ष शांत होते है.

(4) पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ने के लिए अधिक धन की आवश्यकता नहीं होती है.

(5) पुस्तकालय में सभी वर्गों के लोगों को किताब पढ़ने के लिए समान अवसर होता है.

(6) इनके माध्यम से हमारी शिक्षा व्यवस्था बहुत सुदृढ़ होती है.

(7) इनसे हमारे देश की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था में सहयोग मिलता है क्योंकि यहां पर ज्ञानवर्धक किताबें पढ़कर व्यक्ति अच्छा काम करता है.

वर्तमान में पुस्तकालयों की आवश्यकता –

वर्तमान में भी पुस्तकालय उतनी ही अहमियत रखते हैं जितनी कि वह पुराने जमाने में रखा करते थे खासकर हमारे भारत देश में आज भी पुस्तकालयों की कमी है क्योंकि हमारे देश में आज भी कई लोगों को शिक्षा उपलब्ध नहीं हो पाती है जिसका एक अहम कारण शिक्षा का वाणिज्य करण है जिसके कारण शिक्षा दिन-प्रतिदिन महंगी होती जा रही है.

इसीलिए पुस्तकालयों की महत्वता और अधिक बढ़ती जा रही है आज भी हमारे देश के गांव में पुस्तकालय देखने को नहीं मिलते है जिसके कारण वहां के गरीब लोग पढ़ लिख नहीं पाते हैं और अपना पूरा जीवन गरीबी में व्यतीत करने को मजबूर हो जाते है.

अगर हमें हमारे देश के प्रत्येक बच्चे को अच्छी शिक्षा देनी है तो हमें अच्छे पुस्तकालयों का विकास करना होगा. विदेशों में शिक्षा व्यवस्था इसीलिए सुदृढ़ है क्योंकि वहां के प्रत्येक गांव और शहर में एक पुस्तकालय जरूर होता है.

हमें भी प्रत्येक गांव में पुस्तकालय खोलने चाहिए जिससे हमारे देश का प्रत्येक बच्चा पढ़ लिख कर एक अच्छा व्यक्ति बनेगा और सामाजिक विकास के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास में भी सहयोग करें.

उपसंहार –

प्रत्येक राष्ट्र की सांस्कृतिक और ज्ञान-विज्ञान के विकास के लिए पुस्तकालयों की बहुत आवश्यकता है. पुस्तकालय शिक्षा व्यवस्था की रीड की हड्डी माना जाता है यहां पर प्रत्येक व्यक्ति अपने ज्ञान की पिपासा को शांत कर सकता है.

अगर हमें हमारे देश में शिक्षा का प्रचार प्रसार करना है तो प्रत्येक स्थान पर पुस्तकालयों की स्थापना की जानी बहुत आवश्यक है साथ ही उन्हें सुचारू रूप से चलाने की भी आवश्यकता है. अच्छे पुस्तकालयों से हमारे देश के भविष्य का निर्माण अधिक तेजी से होगा.

इसीलिए हमें पुस्तकालयों की अहम भूमिका समझते हुए इन्हें सामाजिक और सरकारी अनुदान से बढ़ावा देना होगा.

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22 thoughts on “5+ पुस्तकालय पर निबंध – Essay on Library in Hindi”

Thnx for this paragraph ☺️🥰🥰

Mujhe tou bohot acha laga.

thank you for this paragraph or as known as best essay this help me a lot thanks a lot I have no more words for appreciation now 🙂

Thank you for the essay this is so easy to learn other then any other

Thanks for this wonderful essay it helped me a lot thanks 🙏

Welcome Arsha

ok ok ok ko ko ok ok o o o kok o k

Good this is your good thoughts give me more thought thanks

Welcome Pranjal Singh Meena

Pustakalay ruprekha

Best essay in pustkalay ka mahtva.

Thank you Akshay Pandey for appreciation

आपने 11 क्लस के लिए कियो नही लिखी?

Rahima sagol, हमने यह निबंध कक्षा 11 के लिए भी लिखा बस हम लिखना भूल गये, अब हमने अपनी भूल को सही कर लिया. सुझाव के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद.

Mahabidhyalay ke liye kyo nhi a rha nibandh

Sonam ji aap yah dekhe Mera Vidyalaya Essay in Hindi – मेरा विद्यालय पर निबंध

Pustkalay samagri k chhati k kya karan hai…

Rakesh kumar mishra, hum is bare me jald hi likhnge

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पुस्तकालय पर निबंध | Essay on Library in Hindi

पुस्तकालय पर निबंध Essay on Library in Hindi:  पुस्तकालय अर्थात लाइब्रेरी हमारे सामाजिक और शैक्षिक जीवन का एक अहम स्थान हैं. आज का निबंध पुस्तकालय पर हिंदी में दिया गया हैं. स्कूल स्टूडेंट्स या कॉलेज के विद्यार्थी प्रोजेक्ट के रूप में लाइब्रेरी एस्से का उपयोग कर सकते हैं.

Essay on Library in Hindi- पुस्तकालय पर निबंध

essays on ‘Library ‘ for Class 1, 2, 3, 4, 5,  6, 7, 8, 9, 10 कक्षा के स्टूडेंट्स के लिए Library Essay पुस्तकालय निबंध  यहाँ पर 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में दिया गया हैं.

प्रत्येक स्कूल में एक पुस्तकालय भवन होता है, जिसमें छात्रों तथा अध्यापकों के पढ़ने के लिए विविध प्रकार की ज्ञानवर्धक पुस्तकों तथा पत्रिकाओं का संग्रह रहता हैं.

बच्चों को मेरे विद्यालय के पुस्तकालय पर छोटा बड़ा निबंध (hindi essay pustakalaya) आदि लिखने को कहा जाता हैं. आप हमारे इस निबंध की मदद से एक बेहतरीन पुस्तकालय निबंध को प्रस्तुत कर सकते हैं.

पुस्तकालय पर निबंध-

विद्यालयों तथा कॉलेज में पुस्तकालय स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना है जहां पर उन्हें डिस्टर्ब करने वाला कोई भी ना हो और यही वजह है कि लाइब्रेरी में पुस्तकें पढ़ते वक्त हम ध्यानमग्न हो जाते है। क्योंकि यहां पर हम जो भी पढ़ते हैं, वह शांत वातावरण होने के कारण सीधा हमारे दिमाग में बैठ जाता है।

लाइब्रेरी की स्थापना हो जाने के कारण अब लोगों को विभिन्न प्रकार के विषयों से संबंधित ज्ञानवर्धक किताबें एक ही जगह पर मिल जाती है, साथ ही कुछ पुस्तकालय ऐसे भी हैं जो फ्री में लोगों को पुस्तकालय में आकर के किताब पढ़ने का मौका देते हैं। इससे हम अपनी मनपसंद किताब पढ़ सकते हैं और अपने ज्ञान में बढ़ोतरी कर सकते हैं।

पुस्तकालय के स्थापित होने का सबसे ज्यादा फायदा अगर किसी को मिला है तो वह लोग गरीब समुदाय के लोग ही हैं, क्योंकि इन लोगों के पास किताबें खरीदने के लिए कभी कबार पैसे नहीं होते हैं। यही वजह है कि सार्वजनिक पुस्तकालयों में जाकर के वे लोग भी अपनी पसंदीदा किताब पढ़ अपने ज्ञान का विस्तार कर सकते है।

पुस्तकालय के अंदर हमें पॉलिटिक्स, जाति, धर्म, कला, साइंस,राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से संबंधित किताबे आसानी से पढ़ने के लिए मिल जाती है। इससे हमें विभिन्न प्रकार की घटनाओं का ज्ञान होता है जो प्रतियोगी परीक्षा में हमारे लिए काफी काम आता है।

पुस्तकालय में आपको अंग्रेजी भाषा के अलावा हिंदी तथा अन्य कई भाषाओं की किताबें भी आसानी से मिल जाती है। साहित्य प्रेमी के लिए तो पुस्तकालय साक्षात स्वर्ग के समान होता है।

पुस्तकालय पर निबंध (Essay on Library in Hindi)

पुस्तकालय वह स्थान है भिन्न भिन्न तरह के ज्ञान, जानकारों, सन्दर्भ एवं सेवाओं का विस्तृत संग्रह रहता हैं. पुस्तकालय शब्द अंग्रेजी के लाइब्रेरी शब्द का हिंदी रूपान्तरण हैं.

लेटिन भाषा के लाइवर शब्द से इसकी उत्पत्ति मानी जाती हैं, जिसका अर्थ होता है पुस्तक. पुस्तकालय की हिस्ट्री लेखनी प्रणाली तथा पुस्तक व दस्तावेजों को उसी स्वरूप में लम्बे समय तक रखने की प्रणाली से साथ शुरू हुआ था.

हिंदी शब्द पुस्तकालय एक संधि शब्द हैं जो पुस्तक+आलय दो भिन्न शब्दों से मिलकर बना हैं जिनका आशय उस स्थान से हैं जहाँ पढ़ने की सामग्री पुस्तकें, फिल्म, पत्रपत्रिकाएँ, मानचित्र, हस्तलिखित ग्रंथ, ग्रामोफोन रेकार्ड एव अन्य पठनीय सामग्री आदि का विस्तृत संग्रह किया गया हो.

हालांकि कई बुक स्टॉल पर भी अलमारियां भरी ढेरों पुस्तके होती हैं मगर व्यवसायिक दृष्टि से पुस्तक संग्रह होने के कारण उसे पुस्तकालय की श्रेणी में नहीं गिना जाता हैं.

आज हम बच्चों के पुस्तकालय पर निबंध लेकर आए हैं. स्कूल में कई बार बच्चों को पुस्तकालय के महत्व पर निबंध लिखने को कहा जाता हैं, आप यहाँ दिए गये निबंध को अपने शब्दों में छोटा बड़ा करके उपयोग कर सकते हैं.

पुस्तकालय का महत्व पर निबंध

पुस्तकालय (पुस्तक+आलय) शब्द का अर्थ हैं पुस्तकों का घर. वह स्थान जहाँ पुस्तकों का संग्रह किया जाता हैं. पुस्तकालय कहा जाता हैं. पुस्तकालय में अनेक विषयों की पुस्तकें विषयानुसार क्रम से लगी रहती हैं. इनमें से लोग अपनी रूचि और आवश्यकता के अनुसार पुस्तकें पढ़कर हमारा ज्ञान बढ़ाते हैं.

पुस्तकालयों के प्रकार (types of library in hindi) – पुस्तकालय मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, निजी पुस्तकालय और सार्वजनिक पुस्तकालय.

निजी पुस्तकालय वह होता हैं जो अपने ही घर के लिए स्थापित करते हैं. ऐसे पुस्तकालय में केवल एक ही व्यक्ति या परिवार की रूचि की पुस्तके होती हैं.

सार्वजनिक पुस्तकालय आम जनता के लिए होता हैं. ऐसे पुस्तकालयों का संचालन तीन तरह से होता हैं. व्यक्तिगत स्तर पर, पंचायती स्तर पर और सरकारी स्तर पर. कुछ धनी लोग अपने ही पैसों से पुस्तकालय खुलवाकर लोगों की मदद करते हैं. ये व्यक्तिगत पुस्तकालय कहलाते हैं.

मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर तथा विद्यालयों द्वारा संचालित पुस्तकालय पंचायती होते हैं. इनके अतिरिक्त सरकार भी कुछ पुस्तकालय चलाती हैं.

पुस्तकालय की उपयोगिता-  पुस्तकालय ज्ञान के भंडार होते हैं. जिनके पास विद्यालय जाने का समय नही हैं, वे लोग पुस्तकालय की पुस्तकों से अपना ज्ञान बढ़ाते हैं. आज पुस्तकों के मूल्य बढ़ गये हैं.

इसलिए सब लोग उन्हें खरीद नही पाते हैं. किन्तु पुस्तकालय से पुस्तकें लेकर तो सभी पढ़ सकते हैं. इस प्रकार निर्धन व्यक्तियों के लिए पुस्तकालय विशेष लाभदायक होते हैं.

पुस्तक पढ़ना खाली समय बिताने का एक अच्छा साधन हैं. जब हमारे पास कोई काम नही होता है तो हमारा दिमाग बहुत सी अनुचित बाते सोचने लगता हैं. इस प्रकार पुस्तकालय हमें बुरी आदतों से बचाकर अच्छा नागरिक बनाते हैं.

पुस्तकालय में वे ही लोग आते हैं. जो ज्ञान बढ़ाना तथा स्वयं को सुधारना चाहते हैं. इस प्रकार पुस्तकालय में जाने से हमारी भले लोगों से भेट होती हैं इससे आपसी प्रेम भी बढ़ता हैं.

उपसंहार-  पुस्तकालय हमारे सच्चे मित्र होते हैं. वे हमें उबने नही देते. वे हमारा मनोरंजन करते तथा ज्ञान बढ़ाते हैं.

पुस्तकालय के लाभ हिंदी निबंध

मानव शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जिस प्रकार हमें पौष्टिक संतुलित भोजन की आवश्यकता होती हैं. उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक हैं.

यदि हमे ज्ञान की प्राप्ति करनी है तो इसके लिए मस्तिष्क को गतिशील बनाना पड़ता हैं. ज्ञान प्राप्ति का सबसे सरल रास्ता विद्यालय में जाकर गुरूजी से अध्ययन करना होता हैं. तथा इसका दूसरा माध्यम पुस्तकालय होते हैं.

किसी व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति के लिए विविध संस्थानों में प्रवेश के लिए बहुत सारी राशि खर्च करनी पड़ती हैं. मगर इन्ही के विकल्प के रूप में सरकार द्वारा सरकारी विद्यालय खोले जाते है.

इसमें छात्रों तथा अध्यापकों के पढ़ने के लिए एक अलग कक्ष का प्रावधान होता हैं जिसे हम पुस्तकालय कहते हैं. इससे हर वह व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर सकता हैं, जिसको पढने में रूचि एवं लग्न हो.

पुस्तकालय का अर्थ होता है पुस्तक घर अथवा जहाँ किताबों को सहेज कर रखा जाता हैं. इस हिसाब से उन सभी रूम, म्यूजियम अथवा शॉप्स को पुस्तकालय की श्रेणी में गिना जाता हैं.

जहाँ ढेरों नवीन प्राचीन पठन पाठन के लिहाज से उपयोगी पुस्तकों का संग्रह किया जाता हो. मानव के लिए पुस्तके ज्ञान की उपहार है तो पुस्तकालयों को ज्ञान भंडार कह सकते हैं. जो ज्ञान राशि रुपी मूल्यवान पुस्तकों का भंडारण करके रखता हैं.

पुस्तकालय का महत्व (Importance of Library in Hindi)

हमारे लिए पुस्तकालय ज्ञान मन्दिर अथवा जहाँ स्वयं देवी सरस्वती विराजमान होती हैं वह स्थान हैं जहाँ मनुष्य ज्ञान रुपी धन को पाकर जीवन के अज्ञान रुपी अँधेरे को दूर कर पाता हैं. ये हमें प्रत्यक्ष ज्ञान प्रदान करते हैं.

समाज तथा राष्ट्र की दशा व दिशा के निर्धारण में पुस्तकालयों की अहम भूमिका होती हैं. मानव के विकास में पुस्तकीय ज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई हैं. हमारे मस्तिष्क, बुद्धि, दृष्टिकोण के विकास में पुस्तक तथा पुस्तकालय का अहम योगदान होता हैं.

हम पुस्तकीय ज्ञान पाकर न केवल अपने जीवन को समर्थ बना सकते हैं बल्कि देश समाज तथा मानवता के कल्याण के कार्य भी कर सकते हैं. हर व्यक्ति अपनी मनचाही पुस्तक को बाजार से लाकर नहीं पढ़ सकता हैं.

वह आर्थिक रूप से इतना सबल नहीं होता कि पुस्तकों पर व्यय कर सके. अथवा दुर्लभ ग्रंथ तथा पुस्तकों को कहीं से मंगवा सके. पुस्तकालय उन लोगों की बड़ी मदद करता हैं.

यह उन पुस्तकों का भी एकमात्र स्रोत हैं जिनका वर्तमान में प्रकाशन नहीं किया जाता हैं. यह पुस्तक मन्दिर ही अमूल्य धरोहर रुपी पुस्तकों की प्रतियों को समाज के लिए सहेजकर रखता हैं.

पुस्तकालयों के प्रकार (Types of Library)

पुस्तकालय अपने स्वरूप के आधार पर भिन्न भिन्न प्रकार के होते हैं जिनमें से कुछ ये हैं.

  • व्यक्तिगत पुस्तकालय
  • विद्यालय एवं महाविद्यालय के पुस्तकालय
  • सार्वजनिक पुस्तकालय
  • सरकारी पुस्तकालय

सरकारी तथा सार्वजनिक प्रकार के पुस्तकालय आज के दौर में बेहद कम देखने को मिलते हैं. बड़े बड़े नगरों शहरों में है भी तो लोगों को इस सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी नहीं रहती हैं. विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के पुस्तकालयों का क्षेत्र सीमित होता हैं.

इसमें स्कूल कॉलेज में पढाए जाने वाले विषयों से सम्बन्धित ही नवीन तथा प्राचीन लेखकों की पुस्तकें ही रहती हैं. आज के समय में बड़ी संख्या में व्यक्तिगत पुस्तकालय चलन में हैं.

हर छोटे बड़े शहर में इस प्रकार के पुस्तकालय देखने को मिल जाएगे. जहाँ निर्धारित फीस देकर शांत एवं व्यवस्थित माहौल के मध्य पुस्तकों का अध्ययन किया जा सकता हैं.

पुस्तकालय से लाभ (Benefits of Library)

पुस्तकालय मानव जाति के कल्याण की राह दिखाने वाले केंद्र हैं इसके कुछ फायदे इस प्रकार हैं.

ज्ञान की प्राप्ति (Knowledge Gain)

शिक्षा का मूलभूत उद्देश्य मानव के मस्तिष्क का विकास हैं. वह अपने पसंद के विषयों को पढकर ज्ञान प्राप्त करता हैं. विद्याल यों में सीमित पुस्तकीय व व्यवहारिक ज्ञान की प्राप्ति होती हैं.

बच्चें मात्र चंद पुस्तकों को पढकर अगली कक्षा में प्रवेश कर जाते हैं. उन्हें अपने विषय का पूर्ण ज्ञान पटापट नहीं होता है. विषयवार ज्ञान को विस्तृत दायरे में पढ़ने के लिए विविध पुस्तकों को पढना पड़ता हैं.

मनोरंजन का स्वस्थ साधन (Library as a Entertainment)

आज मनोरंजन के सैकड़ों साधन हो गये हैं व्यक्ति अपने खाली समय का उपयोग मनोरंजन के लिए कभी फिल्म, खेल, गेम्स आदि में व्यतीत करते हैं. पुस्तकालय मनोरंजन एवं खाली समय के सदुपयोग का सबसे बेहतरीन साधन हैं.

पुस्तकें न केवल हमें संसार के सम्बन्ध में हमारे ज्ञान को बढ़ाती हैं बल्कि हमारे विचार तथा दृष्टिकोण को भी परिपक्व बनाती हैं. पुस्तकों से मानसिक विकास को गति मिलती हैं तथा अपने रूचि के अनुसार खाली समय में अच्छी पुस्तकों को पढकर मनोरंजन भी कर सकते हैं.

दुर्लभ पक्षियों की प्राप्ति के साधन

पुस्तकालय अतीत और वर्तमान के बीच सेतु का कार्य करते हैं. किसी विषय पर शोध, अनुसन्धान में ये पुस्तकें बड़ी मददगार साबित होती हैं. जहाँ हम दुलर्भ विषयों के सम्बन्ध में जानकारी पा सकते हैं. पुस्तकालय में आसानी से प्रत्येक विषय से सम्बंधित दुर्लभ पुस्तकें आसानी से मिल जाती हैं.

पठन-पाठन में सहयोगी (Beneficial for both Student and Teachers)

विद्यार्थी व शिक्षक दोनों के लिए पुस्तकालय बड़े मददगार साबित हो सकते हैं. अपने बौद्धिक ज्ञान तथा सामान्य ज्ञान व जानकारी में वृद्धि आसानी से कर सकते हैं.

उपसंहार (Conclusion)

यही मायनों में पुस्तकालय ही ज्ञान के मन्दिर हैं जो हमें विविध विषयों की पुस्तके सुलभता से उपलब्ध करवाकर मानव जीवन को वास्तविक अर्थ प्रदान करते हैं.

सरकार व समाज को चाहिए कि वे अपने नागरिकों को लिए ऐसे अधिक से अधिक पुस्तकआलयों की स्थापना करे तथा उनका सही ढंग से संचालन किया जाए.

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I’m a school student My name is Pavithra and I am using my mother’s phone

It was very helpful And I had an ASL about this topic it was very helpful than Wikipedia because you’re giving the basic ideas which is more important Thank you sir/maam But I found one mistake That is In Hindi language full stop is one line no line segment (l) But here you are putting English language’s full stop I know you know it most probably you must be mistakenly written Any way Thankyou

I’m a school student Pavithra And I am using my mother’s phone It was very helpful than Wikipedia because you’re giving the basic ideas which is more important I had an ASL about this topic and it was very helpful But I found a mistake that In Hindi language full stop is one line no line segment but here you have used the dot full stop Any way thank you sir /maam

दरअसल हम जिस हिंदी फॉण्ट को उपयोग कर रहे हैं उसमें पूर्ण विराम के लिए अंग्रेजी का फुल स्टॉप … ही हैं जबकि हिंदी के पूर्ण विराम की खड़ी लाइन | भी हम उपयोग करने की कोशिश करेगे. आप हमसे निरंतर जुड़े रहे इसके लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन करते हैं. हम आपकी आशाओं पर खरा उतरने का प्रयत्न करेंगे|

Thank you Sir.

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पुस्तकालय पर निबंध (Library Essay In Hindi)

जहाँ ज्ञान का भण्डार एक साथ हमें मिल जाये, जहाँ ज्ञान की बढ़ोतरी होती है, जहा हम हमारे समय का सदुपयोग करते है, उसे हम पुस्तकालय कहते है। पुस्तकालय में तरह-तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तके पड़ने को हमे मिलती है। जिन्हें कोई भी पुस्तक प्रेमी जाकर पड़ सकता है।

पुस्तकालय के रूप

आप पुस्तकालय में कोपी ओर कलम के अलावा कुछ नहीं ले जा सकते है। पुस्तकालय के बाहर निकलते वक्त समय, तारीख, दिन और हस्ताक्षर कर आई कार्ड वापस ले लिया जाता है।

वैसे तो अलग-अलग पुस्तकालय के अपने -अपने नियम होते हैं। परंतु फिर भी कुछ नियम प्रत्येक पुस्तकालय में लागू किए जाते हैं। पुस्तकालय में आने जाने के लिए कुछ सामान्य नियम बना दिये गए है।

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Hindi Essay on “Library”, “पुस्तकालय” Complete Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.

पुस्तकालय ज्ञान का भंडार है। सभ्यता का इससे ही शृंगार है। निर्धनों का धन , धनवान का मित्र है। साहित्य रक्षक प्यार का आधार है ।

पुस्तकालय का अर्थ है –पुस्तकों का घर, मन्दिर अथवा भंडार । जहाँ पुस्तकों का संग्रह होता है, उसे पुस्तकालय कहा जाता है। पुस्तकालय में केवल पुस्तकें ही नहीं रखी जाती बल्कि वहाँ पत्र-पत्रिकताएँ भी पढ़ने को मिलती हैं। जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सन्तुलित एवं पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए पुस्तकों द्वारा ज्ञान प्राप्त करना भी अनिवार्य है। शास्त्रों में कहा गया है कि यदि शरीर के किसी अंग से कार्य न लिया न लिया जाए तो उसकी क्रियाशीलता प्रायः समाप्त सी हो जाती है। ठीक इसी प्रकार मस्तिष्क को क्रियाशीलता प्रदान करने के लिए तथा उसे गतिशीलता देने के लिए शुद्ध ज्ञान एवं नए नए विचारों की नितान्त आवश्यकता होती है। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं -‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ भाव हे भगवान् हमें अज्ञान के अन्धकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले चलो। पुस्तकालय ही ऐसे मन्दिर हैं जो हमें अज्ञानरूप अन्धकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाशपूर्ण लोक में ले जाते हैं।

पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं। पहली प्रकार के पुस्तकालय वे हैं जो हमारे स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में होते हैं । इन पुस्तकालयों द्वारा अध्यापकगण तो लाभान्वित होते ही हैं, परन्तु आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के विद्यार्थी की ज्ञान पिपासा भी इन पुस्तकालयों द्वारा शान्त होती है।

दूसरी प्रकार के पुस्तकालय व्यक्तिगत पस्तकालय होते हैं। ज्ञान प्राप्ति की जिज्ञासा रखने वाले और धनवान व्यक्ति हज़ारों रूपये व्यय करके प्राचीन तथा अर्वाचीन साहित्य एकत्रित करते हैं तथा अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं तथा आस-पास के रहने वाले व्यक्ति भी ऐसे पुस्तकालयों से लाभ प्राप्त करते हैं। कोई भी व्यक्ति अपना व्यक्तिगत पुस्तकालय खोल सकता है।

तीसरी प्रकार के पुस्तकालय सरकारी पुस्तकालय होते हैं। इनकी व्यवस्था स्वयं सरकार करती है परन्तु यह साधारण लोगों की पहुंच से बाहर होते हैं, इसलिए जनसाधारण को ऐसे पुस्तकालयों का कोई विशेष लाभ नहीं होता। चौथी प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक पुस्तकालय होते हैं। इन पुस्तकालयों से सभी लाभ उठाते हैं। इन पुस्तकालयों में व्यक्ति अपनी इच्छानुसार पुस्तक निकलवा कर पढ़ सकता है और एक निश्चित शुल्क देकर सदस्य बन कर कुछ दिनों के लिए पुस्तक घर ले जाकर भी पढ़ सकता है। ऐसे पुस्तकालयों में साथ में वाचनालय का भी प्रबन्ध होता है। बहुत से व्यक्तियों को अखबार पढ़ने की सनक होती है और वे इसी बहाने पुस्तकालय पहुंच जाते हैं। यदि ऐसे वाचनालय-जिनमें पत्र-पत्रिकाएँ, मैगज़ीन आदि न हो तो जनसाधारण पुस्तकालयों से ज्यादा लाभ प्राप्त नहीं कर सकता।

पाँचवे प्रकार के पुस्तकालय चल पुस्तकालय होते हैं। ऐसे पुस्तकालय भारत में न के बराबर हैं परन्तु विदेशों में ऐसे पुस्तकालय अधिक संख्या में होते हैं। इन पस्तकालयों का स्थान गाड़ी में होता है। स्थान स्थान पर ये पुस्तकालय जनता को नवीन साहित्य से परिचित करवाते रहते हैं जिससे देश का प्रत्येक नागरिक राष्ट्रीय साहित्य तथा देश की गतिविधियों से परिचित होता रहता है।

पुस्तकालयों की दृष्टि से इंग्लैंड, अमेरिका और रूस सबसे आगे हैं । इंग्लैंड के ब्रिटिश म्यूजियम में पुस्तकों की संख्या पचास लाख है। पुस्तकों के अतिरिक्त यहां पर 11,000 देशी तथा विदेशी पत्र-पत्रिकाएँ आती हैं। अमेरिका में वाशिंगटन कांग्रेस पुस्तकालय विश्व का सबसे बड़ा पुस्तकालय माना जाता है। इस पुस्तकालय में चार करोड़ से भी अधिक पुस्तकें हैं। भारत में कोलकाता के राष्ट्रीय  पुस्तकालय में दस लाख से अधिक पुस्तकें हैं।

कुछ व्यक्तियों की यह बुरी आदत है कि वह पुस्तकालय से पुस्तकें तथा पत्र पत्रिकाएँ लाकर उनमें से अपनी मनपसन्द फोटो पृष्ठ आदि फाड़ कर अपने पास रख लेते हैं और पुस्तकों तथा पत्र पत्रिकाओं को गन्दा भी कर देते हैं। ऐसा करना नागरिकता, पुस्तकालय की सदस्यता और मानवता के विरुद्ध बात है।

पुस्तकालय के अनेक लाभ हैं जिनसे प्रमुख निम्नलिखित हैं :

( क ) ज्ञान वृद्धि : पुस्तकालयों से छात्रों तथा अध्यापकवर्ग को ही नहीं परन्तु जन साधारण को भी ज्ञान वृद्धि में सहायता मिलती है। किसी विषय का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए उस पर केवल एक या दो पुस्तकें पढ़ना ही पर्याप्त नहीं हैं परन्तु उसी विषय पर लिखी गई अधिक से अधिक पुस्तकों का अध्ययन करके ही अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। ज्ञान वृद्धि के अतिरिक्त पुस्तकालयों द्वारा ज्ञान का प्रसार भी होता है जिससे मनुष्य कुसंगति, कुवासनाओं और प्रलोभनों आदि से बचा रहता है।

( ख ) सत्संग के साधन : पुस्तकालय मनुष्य को सत्संग भी प्रदान करता है। पुस्तकों के अध्ययन से हमें मानसिक शान्ति मिलती है, मन कुछ समय के लिए संसार की चिन्ताओं से मुक्त हो जाता है। कबीर, तुलसीदास और भर्तृहरि के श्रृंगार, नीति और वैराग्य शतक पढ़ कर ऐसा कौन सुहृदय पाठक नहीं होगा जिसके मन में संसार की असारता का आभास नहीं होता होगा। महापुरुषों की जीवनीयाँ हमारे लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं, जिन्हें पढ़कर परम सन्तोष और परम आनन्द का अनुभव तो को भी सफल बना सकते हैं।

( ग ) श्रेष्ठ मनोरंजन : ज्ञान के अतिरिक्त पस्तकालय श्रेष्ठ मनोरंजन का भी भंडार है। मनोरंजन के अन्य साधनों रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा आदि पर पैसा खर्च करके आदमी अपना मनोरंजन करता है। जबकि पुस्तकालय में बिना पैसा खर्च करके देश-विदेश के समाचार जान सकता है।

( घ ) समाज का कल्याण : व्यक्तिगत लाभ के अतिरिक्त पुस्तकालयों द्वारा समाज का भी व्यापक हित होता है। विभिन्न देशों की पुस्तकों के अध्ययन से विभिन्न देशों की सामाजिक परम्पराओं, मान्यताओं एवं व्यवस्थाओं का भी परिचय प्राप्त होता है। जिससे हम अपने समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियाँ, अव्यवस्था इत्यादि को सुधारने में सफल हो सकते हैं।

पुस्तकालय मानव जीवन और सभ्यता का एक प्रमुख अंग है। भारतीय लोगों को पुस्तकालय की जितनी अधिक से अधिक सुविधाएँ प्राप्त होंगी उतना ही वे अधिक उन्नति करेंगे और उन्नतिशील देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकने में समर्थ हो सकेंगे। इसलिए हमें पुस्तकालयों के विकास के कार्य को अपना सामाजिक कर्त्तव्य समझ कर इसमें अपना योगदान डालना चाहिए।

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पुस्तकालय पर निबंध – Essay on library in Hindi

पुस्तकालय पर निबंध (Essay on library in Hindi): सभ्यता के विकास के साथ-साथ मानव ज्ञान का दायरा बढ़ता जा रहा है. शिक्षित लोगों की संख्या भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. पुस्तक मनुष्य का एक वफादार दोस्त है. यह अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने का एक शानदार तरीका है. इसके अलावा, पत्रिकाओं और समाचार पत्रों को पढ़ने से आपको वर्तमान घटनाओं के साथ-साथ भाषा और साहित्य के विकास के बारे में जानने में आसान होती है. जिस संस्था में ये सभी चीजें एक साथ मिलती हैं उसे पुस्तकालय कहा जाता है. वास्तव में पुस्तकालय ज्ञान की मंजिल है.  

भूमिका – पुस्तकालयों के विभिन्न रूप – विद्यालयों में पुस्तकालय – संरचना और प्रबंधन – पुस्तकालयों से लाभ – उपसंहार

जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उत्तम भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए अध्ययन की आवश्यकता होती है. विविध पुस्तकों के अध्ययन से ज्ञान में वृद्धि होती है. विविध प्रकार की पुस्तकें हमें पुस्तकालय से उपलब्ध होती हैं. पुस्तकालय दो शब्दों के मेल से बना है. पुस्तक + आलय अर्थात पुस्तकों का घर. जिस स्थान पर पढ़ने के उद्देश्य से विभिन्न पुस्तकों का संग्रह होता है उसको पुस्तकालय कहते हैं. पुस्तकालय ज्ञानर्जन का प्रमुख साधन है.

पुस्तकालयों के विभिन्न रूप

पुस्तकालय के विभिन्न रूप होते हैं. कई पुस्तकालय एक ही विषय के होते हैं. वहां अन्य विषयों की पुस्तकें नहीं मिलती हैं. जैसे- विज्ञान पुस्तकालय, वाणिज्य विषयक पुस्तकालय, कानून विषयक पुस्तकालय आदि. जहां पर विभिन्न विषयों की पुस्तकें होती हैं वे पुस्तकालय भी कई प्रकार के होते हैं. ऐसे पुस्तकालय मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं. एक – व्यक्तिगत पुस्तकालय, दो – विद्यालयी पुस्तकालय, तीन – सार्वजनिक पुस्तकालय. कई व्यक्तियों को पुस्तक संग्रह का शौक होता है. धीरे-धीरे उनका यह संग्रह पुस्तकालय का रूप धारण कर लेता है. यह व्यक्तिगत पुस्तकालय कहलाता है. विभिन्न विद्यालयों तथा संस्थाओं में भी पुस्तकालय होते हैं. वे विद्यालयी पुस्तकालय कहलाते हैं. विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों के पुस्तकालय इसके ही अंतर्गत आते हैं. सार्वजानिक पुस्तकालय जनता के लिए होते हैं जिनका संचालन सरकार या सार्वजनिक संस्थाएं करती हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में भी पुस्तकालय की सुविधा दी गयी है. आजकल चलते-फिरते पुस्तकालय भी चल गए हैं जो गाड़ियों में चलते हैं.

pustakalaya par nibandh

विद्यालयों में पुस्तकालय

प्रत्येक विद्यालय में एक पुस्तकालय अवश्य होता है. हमारे विद्यालय में भी एक पुस्तकालय है. पुस्तकालय की व्यवस्था के लिए एक पुस्तकालयाध्यक्ष होता है जो छात्रों को पुस्तकें आबंटित करता है. यह निश्चित समय के लिए दी जाती हैं और बाद में वापस करनी पड़ती हैं. माध्यमिक स्तर तक के विद्यालयों में दो प्रकार की पुस्तकें होती हैं. एक, बुक बैंक की पुस्तकें जो केवल कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकें होती हैं. दूसरी, सामान्य पुस्तकें जो पाठ्यक्रम के अतिरिक्त सामान्य ज्ञान की वृद्धि के लिए होती हैं. सभी प्रकार की पुस्तकें छात्रों व अध्यापकों को एक निश्चित अवधि तक के लिए मिलती हैं. पुस्तकालय में पढ़ने के लिए भी पुस्तकें मिलती हैं जो तुरंत लौटनी पड़ती हैं. 

संरचना और प्रबंधन

पुस्तकालयों में आमतौर पर निबंधों, कहानियों, उपन्यासों, कविता, यात्रा कहानियों और महापुरुषों की जीवनी पर बड़ी संख्या में किताबें होती हैं. इसके अलावा, कुछ पुस्तकालयों में विभिन्न समाचार पत्र और पत्रिकाएँ आने की व्यवस्थाएं होती है. उन्हें बड़ी-बड़ी अलमारी में सजा कर रखा जाता है. प्रत्येक विषय के लिए अलग अलमारी होती है. पुस्तकालय में सभी पुस्तकों की सूची एक बड़े खाते में रहता है. इसे कैटलॉग(catalogue) कहा जाता है. इसके अलावा, पाठकों को किताबें उपलब्ध कराने के लिए एक और रजिस्टर रहता है. स्कूलों में, एक एक शिक्षक इन सभी जिम्मेदारियों को निभाते है.

पुस्तकालयों से लाभ

पुस्तकालय ज्ञान का भंडार है और एक सच्चा शिक्षक है. विद्वान लोगों की ज्ञान की प्यास इन्हीं पुस्तकालयों में बैठकर बुझती है. कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके पास सब प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध हों. यह संभव भी नहीं हो सकता कि एक व्यक्ति हर प्रकार की पुस्तकें खरीद सके. पुस्तकालय ही एक ऐसा भंडार है जहां से हर प्रकार की पुस्तकें मिल सकती हैं. अध्यापक, वकील, चिकित्सक, लेखक, कवि आदि पुस्तकालयों से ही अपने ज्ञान की वृद्धि करते हैं. इसके अतिरिक्त पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार की पत्र-पत्रिकाएं भी मिल जाती हैं जिनका अध्ययन हर व्यक्ति करना चाहता है. प्रत्येक व्यक्ति को अध्ययन करने के लिए शांत वातावरण की आवश्यकता होती है. यह वातावरण हमें घरों, कार्यालयों तथा अन्य स्थलों पर नहीं मिल सकता. यह वातावरण हमें केवल पुस्तकालय ही दे सकता है. 

आजकल हर जगह पुस्तकालय उपलब्ध होते हैं. हमें पुस्तकालयों में जाकर समय का सदुपयोग करना चाहिए. पुस्तकालयों की पुस्तकें सार्वजनिक संपत्ति होती हैं. इसलिए हमें उनकी रक्षा करनी चाहिए. उनके चित्रों या उनके किसी पृष्ठ को कोई क्षति नहीं पहुंचानी चाहिए क्योंकि एक पुस्तक से अनेक व्यक्तियों को लाभ मिलता है.

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तो यह था पुस्तकालय पर निबंध (Essay on library in Hindi). उम्मीद है यह निबंध आपके लिए सहायक हुआ होगा. यह निबंध को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें. मिलते है अगले निबंध. धन्यवाद.   

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Essay On Library : पुस्तकालय पर हिंदी में निबन्ध

Meena Bisht

  • March 15, 2020
  • Hindi Essay

Essay On Library in Hindi : पुस्तकालय पर हिंदी में निबन्ध

निबंध हिंदी में हो या अंग्रेजी में , निबंध लिखने का एक खास तरीका होता है। हर निबंध को कुछ बिंदुओं (Points ) पर आधारित कर लिखा जाता है। जिससे परीक्षा में और अच्छे मार्क्स आने की संभावना बढ़ जाती है। हम भी यहां पर पुस्तकालय पर निबंध को कुछ बिंदुओं पर आधारित कर लिख रहे हैं। आप भी अपनी परीक्षाओं में निबंध कुछ इस तरह से लिख सकते हैं। जिससे आपके परीक्षा में अच्छे मार्क्स आयें।

Essay On Library

पुस्तकालय पर हिंदी में निबन्ध.

प्रस्तावना  

कहते है कि इंसान की सबसे अच्छी दोस्त किताबें ही होती हैं। और एक प्रेरणादायक किताब 1000 मित्रों से अच्छी अच्छी होती है।क्योंकि हो सकता है आपका सबसे अच्छा दोस्त आपके बुरे समय में आपका साथ छोड़ दें। लेकिन एक अच्छी प्रेरणादायक , सही मार्ग दिखाने वाली किताब आपके बुरे से बुरे समय में भी आपको नेक सलाह दे , जीवन में निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा ही देती हैं। 

क्योंकि  ज्ञान ही हमारे बुद्धि विवेक को जगाता है।ज्ञान से ही हमारी सोच समझ में फर्क आता है। हमें अच्छे-बुरे का ज्ञान होता है।जीवन में सदैव अच्छे कर्म करते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए। यह ज्ञान हमें किताबों से ही मिलता है। 

पुस्तकालय का अर्थ

एक ऐसा स्थान या घर जहां पर अलग-अलग विषयों , भाषाओं व लेखकों की किताबों को संग्रह कर रखा गया हो।उसे साधारण भाषा में पुस्तकालय कहा जाता है। पुस्तकालय ही वह जगह हैं जहां पर छोटे बच्चों की कविता-कहानियों से लेकर बड़े-बड़े दर्शनशास्त्र , राजनीति शास्त्र ,अर्थ शास्त्र , पुराने महाग्रंथ , धार्मिक ग्रंथ ,संगीत , कला आदि से जुड़ी हुई किताबें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।

पुस्तकालय ही एक ऐसी जगह है जहां पर ढेरों पुस्तकें यानि पुस्तकों का संग्रह बड़े करीने से सहेज कर रखा जाता है। बड़े-बड़े पुस्तकालयों में दुनिया के सभी छोटे -बड़े लेखकों की किताबें , चाहे वह किसी भी भाषा में लिखी हो , आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। 

पुस्तकालय के प्रकार (Essay On Library)

पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं जैसे व्यक्तिगत पुस्तकालय , किसी स्कूल या कॉलेज का पुस्तकालय , सार्वजनिक पुस्तकालय , सरकारी पुस्तकालय और  डिजिटल पुस्तकालय। 

  व्यक्तिगत पुस्तकालय

इस तरह के पुस्तकालय किसी व्यक्ति द्वारा अपने व्यक्तिगत प्रयोग के लिए बनाए जाते हैं।इस तरह के पुस्तकालयों का उपयोग भी सीमित लोगों द्वारा ही किया जाता है।जैसे जिस व्यक्ति द्वारा बनाया गया हो। उसके द्वारा व उसके सगे संबंधी , रिश्तेदार या दोस्त आदि के द्वारा ही उपयोग किया जाता हैं। इस प्रकार के पुस्तकालय का प्रयोग बाहरी व्यक्ति नहीं कर सकते हैं। 

स्कूल या कॉलेज का पुस्तकालय (Essay On Library)

ऐसे पुस्तकालय लगभग हर विद्यालय में बनाए जाते हैं। जहां पर उस कॉलेज या स्कूल की शिक्षा या विषयों से संबंधित किताबों का संग्रह रखा जाता है। और जिनका लाभ सिर्फ उस कॉलेज या स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों या शिक्षकों को ही मिलता है। बाहरी व्यक्ति इस तरह के पुस्तकालय से लाभान्वित कम होते हैं। 

सार्वजनिक पुस्तकालय

इस तरह के पुस्तकालयों में किताबों का विशाल संग्रह होता है।यहां पर हर तरह की किताबों चाहे वह कोई भी विषय हो , आसानी से उपलब्ध रहती है।इस तरह के पुस्तकालय सभी व्यक्तियों के लिए खुले रहते हैं। यानी इस तरह के पुस्तकालयों का उपयोग कोई भी व्यक्ति कर सकता है।

इस तरह के पुस्तकालयों में हर तरह की किताबें उपलब्ध रहती हैं। और कोई भी इन पुस्तकों का उपयोग कर सकता है। विद्यार्थी वर्ग के लिए इस तरह के सार्वजनिक पुस्तकालय बहुत उपयोगी होते हैं। 

सरकारी पुस्तकालय

कुछ पुस्तकालय सरकार द्वारा चलाए जाते हैं।इस तरह के पुस्तकालयों में भी पुस्तकों का विशाल भण्डार होता है। इस तरह के पुस्तकालयों की देखरेख सरकारी स्तर पर की जाती हैं। व किताबें का संग्रह भी सरकार की तरफ से ही किया जाता हैं। 

यहां भी लगभग सभी तरह के विषयों की किताबें उपलब्ध रहती हैं। और इस तरह के पुस्तकालयों का उपयोग कोई भी व्यक्ति कर सकता है।

डिजिटल लाइब्रेरी

समय के साथ-साथ लाइब्रेरी या पुस्तकालय का स्वरूप भी बदला है।आज के समय में सबकुछ ऑनलाइन उपलब्ध है , तो पुस्तकालय कहां पीछे।आजकल विद्यार्थियों या पुस्तक पढ़ने के शौकीनों के लिए ऑनलाइन लाइब्रेरी भी उपलब्ध है।जहां पर जाकर आप अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं।

पुस्तकालय से लाभ 

पुस्तक व ज्ञान का महत्व हमेशा से ही इंसान के जीवन में अत्यधिक रहा है।ऐसे में पुस्तकालय का महत्व भी बढ़ जाता है। जो निम्न है। 

  • पुस्तकालय ऐसी जगह है जहां पर किताबों का अनूठा व विशाल संग्रह होता है। और जहां पर जाकर कोई भी व्यक्ति ज्ञान अर्जित कर सकता है।
  • यह उन लोगों के लिए तो और भी ज्यादा उपयोगी है जो लोग महंगी किताबों का मूल्य नहीं चुका सकते हैं। वो पुस्तकालयों में जाकर इन किताबों से आसानी से ज्ञान अर्जित कर सकते हैं। और जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। 
  • विद्यार्थियों के लिए पुस्तकालय सबसे ज्यादा महत्व रखता है क्योंकि कई तरह की प्रतियोगिता परीक्षाओं या कॉलेज से संबंधित विषयों की पुस्तकों आसानी से मिल जाती हैं।
  • पुस्तकालय में आ राम से बैठकर अध्ययन किया जा सकता है। और जीवन में सफलता पाई जा सकती हैं।
  • पुस्तकालय एक ऐसी जगह है जहां पर धर्म, जाति कुछ भी मायने नहीं रखती।क्योंकि पुस्तकालय में किसी भी धर्म या जाति का कोई भी व्यक्ति जाकर ज्ञान अर्जित कर सकता है। बशर्ते उसके मन में ज्ञान पाने की लालसा हो। 
  • विद्यार्थियों , गरीब व पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए तो यह विद्या का मंदिर ही है। 

पुस्तकालय की विशेषताएं (Essay On Library)

  • पहली और सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पुस्तकालय में हर तरह की पुस्तक आपको आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। 
  •  पुस्तकालय का माहौल अमूमन शांत रहता है। वहां पर किसी भी तरह का शोर-शराबा करने की इजाजत नहीं दी जाती है। इसीलिए आप वहां पर शांत और एकाग्र मन से किताबों का अध्ययन कर सकते हैं। 
  •  पुस्तकालयों में हर रोज विभिन्न तरह के ताजा अखबार या पत्र-पत्रिकाएं भी रखी जाती हैं। जिनको पढ़ कर आप हर दिन अपने को अपडेट कर सकते हैं। यानी देश दुनिया की हर खबर की आप हर रोज जानकारी ले सकते हैं। 
  •  पुस्तकें ही हमारी सबसे अच्छी दोस्त होती हैं। इसलिए आप विभिन्न तरह की पुस्तकों को पढ़ने का आनंद उठा सकते हैं। अब वो चाहे दादी नानी की कहानियां हो या कोई भी अन्य विषय हो।
  • कुछ पुस्तकालयों में किताबों से ज्ञान अर्जित करने में कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। कुछ-कुछ पुस्तकालयों में शुल्क लिया जाता है। लेकिन वह भी बहुत कम होता है जिसे आप आसानी से चुका सकते हैं।कई पुस्तकालयों में सदस्यता कार्ड भी बनाए जाते हैं। 
  • पुस्तकालय एक ऐसी जगह होती है जिसमें जाति , धर्म या समाज का कोई बंधन नहीं होता हैं।यहां पर एकता भाईचारे को बढ़ावा मिलता है।
  • पुस्तकालय में नए से नए लेखकों व पुराने से पुराने लेखकों की किताबें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। यहां तक कि हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा लिखे गए महाकाव्य व महाग्रंथ भी  उपलब्ध हो जाते हैं। जो बाजार में उपलब्ध नहीं होते हैं।
  • दुनिया भर के लेखकों की किताबें यहां पर आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। 
  • कुछ किताबे तो काफी महंगी होती हैं जिनको हर वर्ग के लोग आसानी से नहीं खरीद पाते हैं। ऐसी किताबों को लाइब्रेरी में जाकर आराम से पढ़ा जा सकता है। 

पुस्तक व पुस्तकालय का महत्व

पुस्तकों का महत्व इंसान के जीवन में सदा ही रहा है। चाहे वह ऋषि-मुनियों का काल हो या आज का समय। किताब मनुष्य के लिए हमेशा ही उपयोगी रही हैं।यह अलग बात है कि हमारे पूर्वजों के पास किताबों का इतना बड़ा संग्रह नहीं होता था। क्योंकि तब किताबें हाथ से लिखी जाती थी यानी हस्तलिखित होती थी।इसीलिए उस समय किताबें सीमित होती थी। 

लेकिन आज प्रिंटिंग प्रेस की सुविधा होने से एक ही समय में हजारों किताबें छप जाती हैं।लेकिन उस समय की किताबें आज भी हमारी अमूल्य धरोहर हैं। जो हमें उस समय की जानकारी और जीवन के नैतिक मूल्यों के बारे में बताती हैं।और जीवन में सदैव आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। 

भारत में कई ऐसे पुस्तकालय हैं जहां पर किताबों का अच्छा संग्रह है।कोलकाता का “राष्ट्रीय पुस्तकालय” भी उन्हीं में से एक है। इसके अलावा गुजरात के बड़ौदा में स्थित “केंद्रीय पुस्तकालय” की गिनती भी भारत के दूसरे नंबर के पुस्तकालय में होती है।

दुनिया के कई देशों में भी कई शानदार पुस्तकालय हैं। अमेरिका का “वाशिंगटन कांग्रेस पुस्तकालय” दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय माना जाता है।दूसरे नंबर पर रूस का “लेनिन पुस्तकालय” आता है।

उपसंहार (Essay On Library)

इंसान के अंदर ज्ञान प्राप्त करने की लालसा पुरातन समय से ही रही है और हमेशा ही रहेगी। चाहे हम कितनी भी तरक्की कर लें या कितने भी डिजिटल क्यों न हो जायें।पुस्तकालय का महत्व सदैव हमारे जीवन में रहेगा और व्यक्ति की किताबें ही सदैव सबसे अच्छी दोस्त रहेंगी।

व्यक्ति के विकास में किताबों की सदैव अहम भूमिका रही है।क्योंकि शिक्षा ही आदमी के बुद्धि विवेक को खोलती है।और उसका बौद्धिक , सामाजिक और आर्थिक विकास ज्ञान अर्जित करने से ही सम्भव है।  

हालांकि जब से अधिकतर चीजें डिजिटल हो गई है। पुस्तकालय का महत्व थोड़ा कम जरूर हो गया है।लेकिन खत्म नहीं हुआ। अच्छे स्तर के पुस्तकालय खोलने और उनमें अधिक किताबों का संग्रह करना आवश्यक है। ताकि पुस्तकालय और अधिक समृद्ध हो सकें। और ज्ञानवर्धक किताबें लोगों तक पहुंच सके। 

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Essay On Library In Hindi पुस्तकालय का महत्व पर निबंध

इस निबंध Essay On Library In Hindi में पुस्तकालय पर निबंध (Pustakalaya Par Nibandh) और पुस्तकालय का महत्व (Importance Of Library Essay) के बारे में जानकारी बतायी गयी है। पुस्तकालय किताबों का संग्रह होता है। अंग्रेजी में इसे लाइब्रेरी भी कहते है। किताबें ज्ञान का भंडार होती है और पुस्तकालय ज्ञान का सागर है। पुस्तकालय का महत्व पर निबंध लेखन का प्रयास यहां पर किया गया है।

लाइब्रेरी को पुस्तक या किताबों का घर भी कहते है। वो घर जहाँ पर किताबें होती है, पुस्तकालय कहलाता है। निर्धन छात्रों और गरीब पाठकों के लिए पुस्तकालय एक ज्ञान का वरदान है। तो आइए मित्रों पुस्तकालय पर निबंध “Pustakalaya Essay in Hindi” की चर्चा करते है।

पुस्तकालय पर निबंध Essay On Library In Hindi

पुस्तकालय ( Library ) में पुस्तकों का संग्रह होता है, इसलिए इसे पुस्तकों का संग्रहालय भी कहते है। पुस्तकालय में तमाम तरह की किताबों का संग्रह होता है। लाइब्रेरी में हर विषय वस्तु से संबंधित किताबें मिलती है। चाहे किताब राजनीति, इतिहास से प्रेरित हो या फिर गणित और विज्ञान को बताती हो, हर विषय की महत्वपूर्ण पुस्तकें मिल जाती है। यहां पर मनोरंजन की पत्रिका, उपन्यास, कहानियां भी पढ़ने को मिलती है। “पुस्तकालय” शब्द पुस्तक और आलय दो शब्दों से मिलकर बना है। इसलिए पुस्तकालय का अर्थ हुआ “पुस्तकों का घर”। लाइब्रेरी में ज्ञानवर्धक पुस्तकें होती है जो ज्ञान का रसपान करवाती है। किसी भी विषय का श्रेस्ठ ज्ञान पाने का स्थान पुस्तकालय है। एक अच्छा पुस्तकालय साफ सुथरा और व्यवस्थित होता है।

दोस्तों, लाइब्रेरी कई प्रकार की होती है और कई जगह होती है। जैसे आप स्कूल या कॉलेज में पढ़ाई करते है, वहां पर पुस्तकालय होता है। चाहे वो कॉलेज या स्कूल सरकारी हो या फिर प्राइवेट। स्कूली पुस्तकालयों में केवल उसी स्कूल के विद्यार्थियों और शिक्षकों को अनुमति होती है। बड़े शहरों में सार्वजनिक पुस्तकालय भी होते है जो सरकार की तरफ से खोले गए होते है। कुछ लोग घर में भी एक छोटा पुस्तकालय रखते है जिसे निजी लाइब्रेरी भी कहते है।

सार्वजनिक संस्थाओं के द्वारा भी लाइब्रेरी स्थापित होती है जहां मुफ्त में या कुछ फीस देकर पुस्तके पढ़ी जा सकती है। पुस्तकालय में किताबों की संख्या कितनी भी हो सकती है। जितना बड़ा पुस्तकालय होगा, उतनी ही ज्यादा पुस्तकें उसमें होती है। पुस्तकालय का आकार इस बात पर निर्भर करता है कि पाठकों की संख्या कितनी है। आज इंटरनेट का जमाना है, किताबों ने सॉफ्टवेयर की शक्ल ले ली है। ई बुक के रूप में विज्ञान, राजनीति, भाषा, गणित जैसे कई विषयों की पुस्तकें ऑनलाइन उपलब्ध है।

पुस्तकालय पर निबंध Pustakalaya Par Nibandh –

Essay On Library In Hindi – पुस्तकालय (Library) ज्ञान को बढ़ाता है। यहां पर केवल स्कूली विषय से संबंधित पुस्तकों के अलावा भी कई विषयो की पुस्तकें मिलती है। स्कूली पुस्तकों के अलावा मोटिवेशनल किताबें, महापुरुषों की जीवनी, धर्मग्रंथ इत्यादि भी मिलते है। इसलिए पुस्तकें बौद्धिक विकास के साथ चरित्र का विकास भी करती है। प्रेम, ईष्या, वीरता इत्यादि रसों की पुस्तकें लाइब्रेरी में मिल जाती है। फिल्मी मैगज़ीन हो या फिर मुंशी प्रेमचंद जी की लिखी कहानियां हो, पुस्तकालय श्रेस्ठ स्थान है। एक ही जगह पर विभिन्न विषयों की कई लेखकों द्वारा लिखित पुस्तकें मिलने का एकमात्र स्थान पुस्तकालय है। चाहे साहित्य के सम्राट शेक्सपियर की किताब हो या फिर आइजेक न्यूटन की लिखी विज्ञान की कोई पुस्तक हो, हर लेखक का ज्ञान आपको एक जगह पर मिल जाता है।

लाइब्रेरी में पढ़ाई के लिए शांत वातावरण होता है। इसमें टेबल और कुर्सी लगी होती है जहां पर बैठकर पाठक पुस्तक पढ़ने का आनन्द लेते है। इस जगह को वाचनालय भी कहते है। गर्मियों से बचाव के लिए पुस्तकालय में पंखा लगा होता है। कई पुस्तकालयों में कूलर या एसी भी होता है। पीने के लिए पानी की समुचित व्यवस्था भी होती है। कुछ बड़े पुस्तकालयों में चाय नास्ते का इंतेजाम भी होता है।

प्रत्येक लाइब्रेरी के अपने नियम होते है जो अनिवार्य रूप से लागू होते है। एक नियम जो हर लाइब्रेरी में होता है, वह है शांति स्थापित रखना। पुस्तकालय में किताबें सुव्यवस्थित तरीके से रखी होती है। विषयवार किताबों को लाइब्रेरी की आलमारियों में व्यवस्थित किया जाता है। लाइब्रेरी में रखी हुई पुस्तकें राष्ट्रीय संपदा है और हमें इन्हें गन्दा नही करना चाहिए। किताबों के पन्ने फाड़ना, पेन से किताबों पर लिखना जैसे कृत्य हमे नही करने चाहिए।

पुस्तकालय का महत्व Importance Of Library In Hindi –

Essay On Library In Hindi – देश और दुनिया के इतिहास को संजोकर रखी गयी पुस्तकें भी लाइब्रेरी में होती है। इतिहास को बताती कालजयी किताबें इतिहास का दर्पण है जिनमें हमें भूतकाल का पता चलता है। दुनिया में कई ऐसे पुस्तकालय है जो अमर ऐतिहासिक किताबों को रखे हुए है। आज भी इतिहास इन किताबों में सुरक्षित लाइब्रेरी में पड़ा है। पुस्तकालयों में कई दुलर्भ किताबें भी मौजूद है। पुस्तकालय की किताबें बेची नही जाती है, इन्हें किराए पर ले जाकर घर पर पढ़ सकते है। यहां पर कई ऐसी किताबें भी होती है जो आसानी से पाठकों को उपलब्ध नही होती है। लेकिन पाठक पुस्तकालय आकर उन किताबों का अध्ययन कर सकते है।

दुनिया में लगभग प्रत्येक देश में पुस्तकालय है। इंग्लैंड और रूस में सबसे ज्यादा लाइब्रेरी मौजूद है। कांग्रेस लाईब्रेरी, वाशिंगटन डीसी दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय है। इसमें 16.40 करोड़ के आसपास पुस्तकें मौजूद है। इसके अलावा ब्रिटिश पुस्तकालय लंदन, लेनिन पुस्तकालय रूस इत्यादि दुनिया के बड़े पुस्तकालय है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया कोलकाता, भारत देश का सबसे बड़ा पुस्तकालय है। इस पुस्तकालय में करीब 10 लाख पुस्तकें मौजूद है। भारत में प्राचीनकाल में भी तक्षशिला, नालन्दा जैसे विश्वविद्यालय थे और इनमें पुस्तकालय भी मौजूद थे।

पुस्तकालय प्राचीनकाल से ही शिक्षा और ज्ञान के भंडार के रूप में लोगो के लिए हमेशा से ही उपलब्ध है। पुराने जमाने में भी किताबों का घर लाइब्रेरी होती थी। एक प्रश्न यह भी उठता है की पुस्तकालय की आवश्यकता क्यों महसूस हुई? पहले प्रिंटिंग करने की सुविधा नही थी और पुस्तकों को हाथों से लिखा जाता था। इसलिए पुस्तकें बहुत कम उपलब्ध थी। इसलिए सभी लोगों के पास पुस्तक का ज्ञान पहुँचाने के लिए पुस्तकालय की स्थापना की गई थी।

Pustakalaya Essay in Hindi लाइब्रेरी पर निबंध –

Essay On Library In Hindi – शुरुआत में लाइब्रेरी कुछ जगहों पर ही होते थे। विद्वानों और जिज्ञासुओं को बड़े शहरों में ज्ञान के लिए जाना पड़ता था। जब प्रिटिंग प्रेस का आविष्कार हुआ, तब भी पुस्तकालय का महत्व था। इसके कई वर्षों बाद तक लाइब्रेरी का महत्व था लेकिन वर्तमान में पुस्तकालय का महत्व कम हुआ है। इसका मुख्य कारण इंटरनेट का बढ़ता प्रभाव और ई बुक की उपलब्धता है। फिर भी पुस्तकालय अपना स्थान बनाये हुए है।

ज्ञान अनमोल होता है जिस पर हर इंसान का अधिकार है। गरीब बच्चें और विद्यार्थी पुस्तकें खरीदने में सक्षम नही होते है। लाइब्रेरी इस समस्या का हल है जहां बच्चों को फ्री में पुस्तकें पढ़ने को मिल जाती है। पुस्तकालय स्वतंत्र होता है जिस पर हर जिज्ञासु का अधिकार है। पुस्तकालय को अध्ययन का केंद्र भी कहते है। छात्र जीवन में लाइब्रेरी का विशेष महत्व होता है। छात्रों को हर प्रकार के विषय की पुस्तक लाइब्रेरी में मिल जाती है। गरीब छात्रों को भी किताबों का अध्ययन करने की सुविधा मिलती है। छात्र इन पुस्तकों से नोट्स बनाकर परीक्षा की तैयारी कर सकता है।

एक अच्छा “पुस्तकालय” वह है, जहाँ पर पाठकों के अनुरूप विभिन्न विषयों की पुस्तकें होती है। जिस तरह से मनुष्य को जीवित रहने हेतु भोजन की आवश्यकता है, ठीक उसी तरह मनुष्य जीवन व्यतीत करने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है। विचारों की शुद्धता और शक्ति के लिए पुस्तकों का अध्ययन जरूरी है। पुस्तकों के अध्ययन की श्रेस्ठ जगह “पुस्तकालय” है।

अन्य निबंध –

  • शिक्षा पर निबंध
  • पुस्तक पर निबंध
  • विद्यालय पर निबंध

Note – इस पोस्ट Essay On Library In Hindi में पुस्तकालय पर निबंध (Pustakalaya Par Nibandh) और पुस्तकालय का महत्व (Importance Of Library In Hindi) के बारे में जानकारी आपको कैसी लगी। यह आर्टिकल “Pustakalaya Essay in Hindi” पसंद आया हो तो इसे शेयर भी करे।

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पुस्तकालय पर निबंध (Essay On Library In Hindi)

Essay On Library In Hindi

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पुस्तकालय पर 10 लाइन का निबंध (10 Lines On Library In Hindi)

पुस्तकालय पर निबंध 200-300 शब्दों में (short essay on library in hindi in 200-300 words), पुस्तकालय पर निबंध 400-600 शब्दों में (essay on library in hindi in 400-600 words), पुस्तकालय के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है (what will your child learn from a library essay), अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न(faqs).

पुस्तकालय एक ऐसी जगह होती है जहां कई तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तकें, जानकारियां, अनुसंधान, सूचनाएं आदि हासिल होती हैं। पुस्तकालय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। पुस्तक और आलय, ये मिलकर पुस्तकालय बनाता है, जिसका आसान भाषा में अर्थ पुस्तक या किताबों का घर होता है। यहां पर आपको ज्ञान, विज्ञान, साहित्य, राजनिति विज्ञान और अलग-अलग भाषाओं का संग्रह मिलता है। छात्रों के लिए पुस्तकालय महत्वपूर्ण माना जाता है जिससे उन्हें अलग-अलग किताबों से ज्ञान हासिल हो सके। पुस्तकालय सिर्फ स्कूल में ही नहीं बल्कि कॉलेज, सरकारी कार्यालयों और निजी पुस्तकालय के रूप में होते हैं। यही नहीं देश के विकसित होने के साथ-साथ अब पुस्तकालय भी विकसित हो गए हैं क्योंकि अब डिजिटल लाइब्रेरी भी होने लगी जिनसे लोग घर बैठे अपने फोन एवं लैपटॉप पर भी किताबें आसानी से पढ़ सकते हैं। पुस्तकालय को ज्ञान का भंडार कहा जाता है और यहां लोग शांति भरे माहौल में अपनी किताबों का आनंद उठाते हैं। इस लेख में पुस्तकालय के बारे में निबंध कैसे लिखा जा सकता है इसके बारे में और उसकी महत्ता, जरूरत आदि के बारे में बताया गया है। अगर बच्चों को स्कूल में लाइब्रेरी पर एस्से लिखने को दिया गया है तो यहाँ निबंध के कुछ सैंपल दिए गए हैं जिनसे उसे मदद मिल सकेगी।

पुस्तकालय और उसके भूमिका के बारे में सभी को जानकारी होगी, ऐसे में जानिए कि इससे जुड़ी अहम 10 बातों को बिंदुवार कैसे बताया जाए। इनकी मदद से बच्चा 100 शब्दों का एक संक्षिप्त निबंध भी लिख सकता है।

  • पुस्तकालय को ज्ञान का भंडार माना जाता है।
  • यह दो शब्दों से मिलकर बना है – पुस्तक+आलय।
  • यहां ज्ञानवर्धक किताबों के साथ मनोरंजक किताबें भी उपलब्ध की जाती हैं।
  • पुस्तकालय में अलग-अलग विषयों की किताबों को बिना खरीदे पढ़ने की सुविधा मिलती है।
  • पुस्तकालय में जाने और किताबें पढ़ने के अपने नियम होते हैं।
  • लाइब्रेरी में किताब पढ़ते समय शोर मचाने की सख्त मनाही होती है।
  • यहां पर विषयों के हिसाब से किताबों के संग्रह बनाए जाते हैं ताकि ढूंढने में आसानी हो।
  • विद्यार्थियों के लिए पुस्तकालय न केवल किताबें मिलने की बल्कि शांति में पढ़ाई करने की भी जगह होती है।
  • इसके कई प्रकार हैं जैसे निजी, सार्वजानिक, विद्यालय, डिजिटल पुस्तकालय आदि।
  • सभी स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थाओं में पुस्तकालय का होना अनिवार्य माना जाता है।

निबंध लिखना भी एक कला है और इस कला को सही ढंग से समझना जरूरी है ताकि बच्चा कम शब्दों में एक अच्छा एस्से लिख सके। नीचे पुस्तकालय पर लिखे निबंध का उदाहरण आप ले सकते हैं।

पुस्तकालय का मतलब होता है किताबों का घर। यह एक ऐसा स्थान है जहां हर विषय से जुड़ी किताबें आसानी से एक जगह पर मिल जाती हैं। इसलिए ही इसे लोग ज्ञान का भंडार भी कहते हैं। हर स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय में पुस्तकालय अवश्य होता है। इसमें छात्र अपनी रूचि के अनुसार किताबें चुनकर पढ़ सकते हैं। यह सिर्फ छात्रों के लिए ही नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए बना है जिसे ज्ञानवर्धक चीजें जानने की उत्सुकता हो, शिक्षा हासिल करनी हो और पढ़ने में रूचि हो। पुस्तकालय में सिर्फ पुस्तकें ही नहीं बल्कि समाचार पत्र, ऐतिहासिक पत्र और विभिन्न प्रकार के शब्दकोश भी मौजूद होते हैं। ज्ञान के साथ-साथ यहां मनोरजक किताबें भी पढ़ने को मिलती हैं जैसे मैगजीन, कॉमिक बुक, स्टोरी बुक आदि। पुस्तकालय वास्तव एक बड़ा सा कमरा या कभी-कभी एक पूरी बिल्डिंग भी हो सकती है, जिसमें कई अलमारियां और शेल्फ होती हैं। यहाँ हर एक विषय के हिसाब से किताबों को रखा जाता है। इसके अलावा प्रत्येक किताब का एक सीरियल नंबर होता है। ऐसा करने से किताबें आसानी से मिल जाती हैं। पुस्तकालय के अपने नियम होते हैं और इनका पालन करना जरूरी है। यहां पर तेज आवाज में बात करना या शोर मचाना सख्त मना है। यहां लाइब्रेरी कार्ड बनाया जाता है, जिसके आधार पर आप किताब पढ़ने के लिए कुछ दिन के लिए घर ले जा सकते हैं और तय समय के बाद वापस कर सकते हैं। यदि आपने किताब वापस नहीं की तो आप पर फाइन भी लगता है। आजकल पुस्तकालय डिजिटल अवतार में भी मौजूद है और लोग इसका लाभ घर बैठे उठा रहे हैं।

Short Essay on Library in Hindi

पुस्कालय में हमें हर तरह का ज्ञान हासिल होता है और छात्रों के लिए इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि आपके बच्चे को भी लाइब्रेरी जाना पसंद और वह उसके बारे में निबंध लिखना चाहता है तो इस सैंपल की मदद से वो सरल शब्दों में एक अच्छा निबंध लिख सकता है।

भारत में पुस्तकालय की शुरुआत (Establishment of library in India)

भारत के राष्ट्रीय पुस्तकालय (नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया) की शुरुआत कलकत्ता पब्लिक लाइब्रेरी से हुई थी, जिसकी स्थापना साल 1835 में हुई थी और जनता के लिए इसे मार्च 1836 में खोला गया था। वर्ष 1844 में तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड मेटकॉफ ने इस पुस्तकालय को एक बड़े भवन में स्थानांतरित कर दिया। 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम भड़कने के बाद यूरोपीय समुदायों ने पुस्तकालय को अनुदान देना बंद कर दिया और साल 1859 में इस पुस्तकालय को कलकत्ता नगरपालिका ने अपने प्रबंधन में ले लिया था।

पुस्तकालयों के प्रकार (Types of Library)

पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते हैं, आइए उन प्रकारों की विशेषता जानते हैं –

  • व्यक्तिगत पुस्तकालय
  • विद्यालय एवं महाविद्यालय के पुस्तकालय
  • सार्वजनिक पुस्तकालय
  • सरकारी पुस्तकालय

पुस्तकालय के फायदे (Benefits Of Library)

1. ज्ञान की प्राप्ति.

पुस्तकालय से हमें हर तरह की ज्ञानवर्धक बातें जानने को मिलती है। जैसे इंसान के शरीर को ढंग से कार्य करने के लिए पोषण की जरूरत होती है वैसे ही उसके दिमाग को ज्ञान की आवश्यकता होती है ताकि वह सही तरीके से कार्य कर सके। यहां आप अपने पसंद के विषय को शांति से पढ़कर ज्ञान बढ़ा सकते हैं।

2. मनोरंजन का साधन

वैसे तो आजकल मनोरंजन के कई साधन मौजूद हैं, लेकिन किताबें पढ़कर मनोरंजन पाना एक स्वस्थ मनोरंजन माना जाता है। ये खाली समय का दुरुपयोग न करने सदुपयोग करने का सबसे बेहतरीन तरीका माना जाता है।

3. छात्रों और शिक्षकों के लिए उपयोगी

विद्यार्थी व शिक्षक दोनों के लिए पुस्तकालय बड़े मददगार साबित होते हैं। वे अपने बौद्धिक ज्ञान तथा सामान्य ज्ञान व जानकारी में वृद्धि आसानी से कर सकते हैं।

पुस्तकालय का महत्व (Importance Of Library)

हिन्दू समाज में पुस्तकालय को ज्ञान का मंदिर माना जाता, क्योंकि यहां व्यक्ति ज्ञान के रूप में धन हासिल करता है और अपने अज्ञान के अंधकार को कम करता है। पुस्तकालय समाज और राष्ट्र की दिशा और दशा बदलने की क्षमता रखता है। यह व्यक्ति को मानसिक तौर से सक्षम बनाता और उसकी बुद्धि विकसित करता है। यहां से मिलने वाले ज्ञान से वह न सिर्फ अपने जीवन को बेहतर बना सकता है बल्कि समाज का विकास भी कर सकता है।

पुस्तकालय के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts about Library in Hindi)

  • दुनिया की सबसे पहली लाइब्रेरी का इतिहास ईसा पूर्व 7वीं शताब्दी का है।
  • 19वीं शताब्दी में पुस्तकालय में काम करने वालों को लिखावट की एक विशेष की शैली सीखनी पड़ती थी जिसे ‘लाइब्रेरी हैंड’ कहा जाता था।
  • सार्वजनिक पुस्तकालयों से सबसे अधिक बार चोरी होने वाली पुस्तक गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स है।
  • 2011 में ऑस्ट्रेलिया में कैमडेन स्कूल ऑफ आर्ट्स की लाइब्रेरी में चार्ल्स डार्विन की एक किताब का पहला संस्करण लौटाया गया था। यह पुस्तक वर्ष 1889 में किसी को दी गई थी और लगभग 122 साल बाद वापस लौटाई गई थी।
  • पोलैंड की राजधानी वॉरसॉ प्रति व्यक्ति पुस्तकालयों की सबसे बड़ी संख्या वाला शहर है। यह 100,000 नागरिकों पर 11.5 पुस्तकालय हैं।

पुस्तकालय पर आधारित इस निबंध से आपके बच्चे को यही सीख मिलती है कि किताबें पढ़ना जीवन का आधार है क्योंकि इससे हमें तरह का ज्ञान हासिल होता है। यह ज्ञान न सिर्फ आपके व्यक्तिगत कल्याण हेतु कार्य करता है बल्कि समाज के विकास में भी मदद करता है। इसकी अहमियत सिर्फ छात्रों के जीवन में ही नहीं बल्कि शिक्षकों, किताबों में रूचि रखने वाले, ज्ञान हासिल करने वाले लोगों के लिए भी है। ऐसे में इस आप इस निबंध की सहायता से अपने शब्दों में एक बेहतरीन एस्से लिख सकते हैं।

1. दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय किस देश में स्थित है ?

दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय अमेरिका में स्थ‍ित है, जिसका नाम लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस है।

2. भारत में पुस्तकालय का जनक किसे कहा जाता है?

एस.आर. रंगनाथन भारत में पुस्तकालय के जनक माने जाते हैं।

यह भी पढ़ें:

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hindi essay on library for class 7

Essay on Importance of Library in Hindi- पुस्तकालय का महत्व पर निबंध

In this article, we are providing an Essay on Importance of Library in Hindi पुस्तकालय पर निबंध- पुस्तकालय के लाभ और प्रकार। Nibandh in 200, 300, 500, 600, 800 words For Students.  

Essay on Importance of Library in Hindi- पुस्तकालय का महत्व पर निबंध

Pustakalaya ka mahatva par nibandh ( 800 words )

‘पुस्तकालय’ शब्द पुस्तक + आलय दो शब्दों के मेल से बना है। इसका अर्थ है- वह स्थान या घर जहां पर काफी मात्रा में प्रस्तुत राखी जाती है। आज के युग में पुस्तक हमारे जीवन का एक अंग बन चुकी है लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं की वह प्रत्येक पुस्तक को खरीद सके। आजकल पुस्तकें बहुत महंगी हो चुकी है। अंत: हमें की शरण लेनी पड़ती है।

छोटे-छोटे स्कूलों से लेकर बड़े-बड़े स्कूल और कॉलेज इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए स्थापित किए गए हैं परंतु ज्ञान का क्षेत्र इतना विशाल है कि ये शिक्षण-संस्थाएँ एक निश्चित सीमा और निश्चित ज्ञान में पूर्ण रूप से ज्ञान-साक्षात्कार नहीं करा सकतीं। इसलिए ज्ञान-पिपासुओं को पुस्तकालय का सहारा लेना पड़ता है। प्राचीन काल में पुस्तके हस्तलिखित होती थीं जिनमें एक व्यक्ति के लिए विविध विषयों पर अनेक पुस्तके उपलब्ध कराना बड़ा कठिन था परंतु आज के मशीनी युग में भी जबकि पुस्तकों का मूल्य प्राचीन काल की अपेक्षा बहुत ही कम है, एक व्यक्ति अपनी ज्ञान-पिपासा की तृप्ति के लिए सभी पुस्तके खरीदने में असमर्थ है। पुस्तकालय हमारी इस असमर्थता में बहुत सहायक हैं।

पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते हैं। कई विद्या-प्रेमी, जिन पर लक्ष्मी की कृपा होती है, अपने उपयोग के लिए अपने घर में ही पुस्तकालय की स्थापना करते हैं। ऐसे पुस्तकालय ‘व्यक्तिगत पुस्तकालय’ कहलाते हैं। सार्वजनिक उपयोगिता की दृष्टि से इनका महत्व कम होता है।

दूसरे प्रकार के पुस्तकालय कॉलेजों और विद्यालयों में होते हैं। इनमें बहुधा उन्हीं पुस्तकों का संग्रह होता है जो पाठ्य विषयों से संबंधित होती हैं। इस प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक उपयोग में भी नहीं आते। इनका उपयोग छात्र और अध्यापक ही करते हैं परंतु ज्ञानार्जन और शिक्षा की पूर्णता में इनका सर्वाधिक महत्व है। ये पुस्तकालय, सार्वजनिक पुस्तकालय नहीं होते। इनके बिना शिक्षालयों की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

तीसरे प्रकार के राष्ट्रीय पुस्तकालयों में देश-विदेश में छपी विभिन्न विषयों की पुस्तकों का विशाल संग्रह होता है। इनका उपयोग भी बड़े-बड़े विद्वानों द्वारा होता है। चौथे प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक पुस्तकालय होते हैं। इनका संचालन सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा होता है। आजकल ग्रामों में भी ग्राम पंचायतों के द्वारा सबके उपयोग के लिए पुस्तकालय चलाए जा रहे हैं परंतु शिक्षा के क्षेत्र में इनका महत्वपूर्ण योगदान नहीं होता। आजकल एक अन्य प्रकार के पुस्तकालय दिखाई देते हैं, उन्हें चल-पुस्तकालय’ कहते हैं। ये मोटरों या गाड़ियों में बनाए जाते हैं। इनका उद्देश्य ज्ञान-विज्ञान का प्रसार करना होता है। इनमें अधिकतर प्रचार-साहित्य ही होता है।

पुस्तकालय का उपयोग – पुस्तकालय का कार्य पाठको के उपयोग के लिए सभी प्रकार की पुस्तकों का संघ्रह करना है। अपने पाठको की रूचि और आवश्यकता को देखते हुए पुस्तकालय अधिकारी देश-विदेश में मुद्रित पुस्तके प्राप्त करने में सुविधा के लिए पुस्तकों की एक सूची तैयार करते हैं। पाठकों को पुस्तके प्राप्त कराने के लिए एक कर्मचारी नियुक्त किया जाता है। पुस्तकालय में पाठकों के बैठने और पढ़ने के लिए समुचित व्यवस्था होती है। पढ़ने के स्थान को ‘वाचनालय’ कहते हैं। पाठकों को घर पर पढ़ने के लिए भी पुस्तके दी जाती हैं परंतु इसके लिए एक निश्चित राशि देकर पुस्तकालय की सदस्यता प्राप्त करनी होती है। पुस्तकालय में विभिन्न पत्रिकाएँ भी होती हैं।

पुस्तकालयों की दृष्टि से रूस, अमेरिका और इंग्लैंड सबसे बड़े देश हैं। मॉस्को के लेनिन पुस्तकालय में लगभग डेढ़ करोड़ मुद्रित पुस्तके संगृहीत हैं। वाशिंग्टन (अमेरिका) के काँग्रेस पुस्तकालय में चार करोड़ से भी अधिक पुस्तके हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा पुस्तकालय समझा जाता है। इंग्लैंड के ब्रिटिश म्यूजियम पुस्तकालय में पचास लाख पुस्तकों का संग्रह है। भारत में कोलकाता के राष्ट्रीय पुस्तकालय में दस लाख पुस्तके हैं। केद्रीय पुस्तकालय, बड़ोदरा में लगभग डेढ़ लाख पुस्तकों का संग्रह है। प्राचीन भारत में नालंदा और तक्षशिला में बहुत बड़े पुस्तकालय थे।

पुस्तकालय के अनेक लाभ हैं। ज्ञान-पिपासा की शांति के लिए पुस्तकालय के अतिरिक्त और कोई साधन नहीं है। अध्यापक विद्यार्थी का केवल पथ-प्रदर्शन करता है। ज्ञानार्जन की क्रिया पुस्तकालय से ही पूरी होती है। देश-विदेश के तथा भूत और वर्तमान के विद्वानों के विचारों से अवगत कराने में पुस्तकालय हमारा सबसे बड़ा साथी है। आर्थिक दृष्टि से भी पुस्तकालय का महत्व कम नहीं है। एक व्यक्ति जितनी पुस्तके पढ़ना चाहता है, उतनी खरीद नहीं सकता। पुस्तकालय उसकी इस कमी को भी पूरी कर देता है। कहानी, उपन्यास, कविता और मनोरंजन विषयों की पुस्तके भी वहाँ से प्राप्त हो जाती हैं। अवकाश के समय का सदुपयोग पुस्तकालय में बैठकर किया जा सकता है। अत: आधुनिक युग में शिक्षित व्यक्ति के जीवन में पुस्तकालय का काफ़ी महत्व है।

दूरदर्शन तथा फिल्मों ने पुस्तकों के प्रकाशन को अत्यधिक प्रभावित किया है लेकिन पुस्तकों की उपयोगिता प्रत्येक युग में बनी रहेगी। सामान्य पाठक पुस्तकों को खरीद नहीं सकता। अत: उसे पुस्तकालय का ही सहारा लेना पड़ता है। आज ग्रामीण क्षेत्रों में पुस्तकालयों की अत्यधिक आवश्यकता है। अनपढ़ता को दूर करने में पुस्तकालयों का बड़ा योगदान हो सकता है।

Essay on Importance of Education in Hindi

Pustako ka mahatva par nibandh

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पुस्तकालय पर निबंध Essay on Library in Hindi

पुस्तकालय पर निबंध Essay on Library in Hindi

क्या आप पुस्तकालय पर  निबंध (Essay on Library in Hindi) की तलाश कर रहें हैं? अगर हाँ! तो यह लेख आपके लिए बेहद मददगार साबित होने वाला है। हमने इस लेख में प्रस्तावना, पुस्तकालय का अर्थ , इतिहास ,विशेषता,महत्व तथा पुस्तकालय पर 10 के बारे में लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (पुस्तकालय पर निबंध Essay on Library in Hindi)

एक स्वस्थ शरीर के लिए पौष्टिक तथा संतुलित आहार की आवश्यकता होती है उसी प्रकार एक स्वस्थ मन के लिए अच्छे विचारों की आवश्यकता होती है।

ज्ञान अर्जित करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया पुस्तकालय है। जिसके द्वारा सभी को विभिन्न प्रकार की जानकारियां प्राप्त होती हैं।

मस्तिष्क को गतिशील बनाए रखने के लिए समय-समय पर नए सद्विचारों की आवश्यकता होती है, जिसे प्राप्त करने के कई स्त्रोत हैं।

पुस्तकालय की लोकप्रियता आज के समय में दुनिया भर में बढ़ गई है। एक प्रसिद्ध कहावत है की सौ दोस्तों से अच्छी एक पुस्तक की संगति होती है। जो मनुष्य को सच्ची राह दिखाती है। दुनिया भर में पुस्तकालयों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जिससे लोगों में ज्ञान का प्रचार हो रहा है।

पुस्तकालय का अर्थ Definition of the Library in Hindi

पुस्तकालय वह जगह है जहां विभिन्न प्रकार के जानकीयों स्त्रोत और सूचनाओं का संग्रह पुस्तकों के रूप में किया जाता है। पुस्तकालय शब्द अंग्रेजी के लाइब्रेरी शब्द से बना है।  लाइब्रेरी शब्द लेटिन भाषा के लाइवर शब्द से हुई है जिसका अर्थ पुस्तक होता है।

यह दो शब्दों से मिलकर बना है- पुस्तक+ आलय। सामान्य भाषा में पुस्तकालय का तात्पर्य उस स्थान से होता है जहां अध्ययन के लिए विभिन्न प्रकार की पुस्तकें, पत्रिका, हस्तलिखित ग्रंथ, विभिन्न प्रकार के मानचित्र मानचित्र,  तथा ऐतिहासिक कहानियों का संग्रह किया जाता है।

पुस्तकालय में सभी धर्मों भाषाओं तथा विषयों के बारे में पर्याप्त जानकारीयों का संग्रह होता है। यहां पर संग्रह की गई सभी चीजें विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध होती हैं जैसे हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, तमिल, इत्यादि।

लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता लाने में पुस्तकालयों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पुस्तकालय किसी भी देश की धरोहर के समान होती है जिसके सुरक्षा के लिए कई प्रकार के प्रबंध किए जाते हैं। 

पुस्तकालय का इतिहास History of The Library in Hindi

अमेरिका के फिलाडेल्फिया नगर में ईस्वी सन 1713 में सबसे पहले शुल्क पर चलने वाली प्रथम सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना की गई। अमेरिकन पुस्तकालय संघ की स्थापना के पश्चात सार्वजनिक  पुस्तकालय के निर्माण को गति मिली।

समय बीतने के साथ  बच्चों के लिए भी ईस्वी सन 1885 में  न्यूयॉर्क में सार्वजनिक बाल पुस्तकालयों की स्थापना की गई। ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्र संघ पुस्तकालय की स्थापना के पश्चात पुस्तकालय आंदोलन की दिशा में तेजी से वृद्धि हुई जिसके बाद पूरी दुनिया में इसका प्रचार प्रसार हुआ।

भारत में प्राचीन समय से ही नालंदा विश्वविद्यालय जैसे कई शैक्षणिक स्थानों में पुस्तकालय की स्थापना की जा चुकी थी। पूरी दुनिया में भारत  विश्व गुरु तथा एक महान देश था जहां शिक्षा को सबसे अधिक महत्व दिया जाता था।

पुस्तकालय का इतिहास विभिन्न पुस्तकों और दस्तावेजों के स्वरूपों को संरक्षित करने की पद्धति से जुड़ा है। प्राचीन समय में वर्तमान जैसी कोई भी तकनीक उपलब्ध नहीं थी जिसके कारण हस्तलिखित ग्रंथों का निर्माण करना पड़ा। सभी लोग विद्वानों की हस्तलिखित जानकारियों को पढ़ सके जिसके लिए इसे सार्वजनिक स्थान पर रखा जाने लगा।

पुस्तकालय की विशेषता Features of Library in Hindi

किसी भी ज्ञान को प्राप्त करने का सबसे अच्छा स्त्रोत पुस्तकालय होता है। क्योंकि पुस्तकों के जरिए सभी महापुरुषों की जीवनी तथा विचारों को नजदीक से समझने का अवसर मिलता है।

पृथ्वी के निर्माण से लेकर आज तक कि जो भी घटनाएं घटित हुई है उन सभी की जानकारी पुस्तक से प्राप्त होती है इसीलिए यह पूरी दुनिया के लिए एक वरदान स्वरुप है।

पुस्तकालय का निर्माण विभिन्न उद्देश्यों के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में किया जाता है।  इसके अनेकों प्रकार है जैसे-  सार्वजनिक पुस्तकालय, राष्ट्रीय पुस्तकालय, कला पुस्तकालय, चिकित्सा पुस्तकालय और अन्य शैक्षणिक पुस्तकालय आदि 

शिक्षा का प्रसारण आम लोगों तक करने के लिए सार्वजनिक पुस्तकालय का निर्माण किया गया है। इसका उद्देश्य सामान्य लोगों को सुशिक्षित करके राष्ट्र के प्रति कर्तव्य परायण बनाने का है।

देश के सभी लोगों को सरकार द्वारा प्राप्त पुस्तकालय की सुविधा को सरकारी पुस्तकालय कहां जाता है जिसमें निशुल्क सभी लोग मनचाही पुस्तकों को पढ़ सकते हैं।

इसके अलावा पेशेवर लोगों द्वारा अलग प्रकार के पुस्तकालय का निर्माण किया जाता है, जो निजी पुस्तकालय कहलाता है। ऐसे पुस्तकालयों में किसी निश्चित विषय पर जानकारियों का संग्रह किया जाता है जैसे चार्टर्ड अकाउंटेंट, चिकित्सा विज्ञान, इंजीनियरिंग, इत्यादि।

पुस्तकालय का महत्व Importance of Library in Hindi

पुस्तकालय विद्या के उस पवित्र मंदिर के समान होता है जहां ज्ञान के अनंत भंडार का संग्रह किया जाता है। इसके जरिए सभी लोगों को हर प्रकार की जानकारी दी सरलता से उपलब्ध हो जाती है।

कई ऐसे पुस्तक होते हैं जिनका शुल्क बेहद ज्यादा होता है जिसे गरीब लोग नहीं खरीद पाते हैं ऐसी स्थिति में पुस्तकालय उनके लिए वरदान स्वरूप सिद्ध होता है।

आज के समय में भले ही टेक्नोलॉजी के विकास के कारण विभिन्न प्रका  के शिक्षा के साधन उपलब्ध हो  लेकिन पुराने समय से ही पुस्तकों को शिक्षा प्राप्ति का एक अहम स्त्रोत बताया गया है।

पुस्तकालय के कारण सभी गरीब विद्यार्थियों को शिक्षा में बेहद सहायता मिलती है जिनसे वे अपनी पढ़ाई को महंगाई के युग में भी जारी रख पाते हैं।

पुस्तकालयों के प्रसारण के कारण विश्व के किसी भी भूभाग में दुर्लभ से भी दुर्लभ किताबों की उपलब्धि की जा सकती है।

 किसी भी विषय का अध्ययन करने के लिए एक शांत अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है जो निश्चित ही यहां पर होती है।

सभी पुस्तकालयों में लोगों के पढ़ने के लिए अनुकूल व्यवस्था की जाती है, जिसमें पीने के लिए स्वच्छ पानी, कुर्सियां, और पंखे की व्यवस्था भी की जाती है। 

हर स्थान पर पुस्तकालयों के नियम कानून अलग-अलग होते हैं इसीलिए  यहां की सुरक्षा के लिए लाइब्रेरियन उपस्थित रहता है।

पुस्तकों तथा अन्य चीजों की सुरक्षा के लिए यहां पर हर कोने में सीसीटीवी कैमरा भी लगाया जाता है, जिससे लोग पुस्तकालय के किसी भी वस्तु  को नुकसान न पहुंचाएं।

इस प्रकार के शैक्षणिक स्थानों पर हिंसा और शोरगुल करना मना होता है। अनुशासनहीनता पर लाइब्रेरियन द्वारा ऐसा करने वाले व्यक्ति पर शुल्क भी लगाया जा सकता है।

पुस्तकालय के जरिए प्रत्येक  मनुष्य आत्मा संशोधन तथा अवलोकन कर सकता है। एकांत तथा शांत वातावरण में पढ़ने की इच्छा और भी प्रबल हो जाती है।

पुस्तकालय पर 10 लाइन Best 10 Lines on Library in Hindi

  • पुस्तकालय के माध्यम से  सभी लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता आकर्षण बढ़ता है।
  • यह शिक्षा का ऐसा पवित्र स्थान होता है जहां निर्धन से लेकर अमीर वर्ग के सभी लोग बेहद आसानी से ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
  • अमेरिका में स्थित लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस दुनिया के सबसे बड़ी लाइब्रेरी में से एक है।
  • नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ इंडिया भारत की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है जो पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में स्थित है।
  • पुस्तकालय किसी भी देश की वास्तविक धरोहर होती है जिसके जरिए लोगों को अपने इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है।
  • यहां पर पुस्तक पढ़ने के लिए अनुशासन का आवश्यक रूप से ध्यान रखा जाता है उन्होंने
  • पुस्तकालय में हर जगह सीसीटीवी कैमरा लगाया जाता है जिसके जरिए सभी लोगों पर नजर रखा जाता है।
  • सार्वजनिक, निजी, सरकारी इत्यादि जैसे कई प्रकार के पुस्तकालय होते हैं।
  • यहां पर समाचार पत्र, वार्षिक पत्रिका,  अर्धवार्षिक पत्रिका इत्यादि विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध होते हैं।
  • पुस्तकालय में प्राचीन समय के ग्रंथ, महापुरुषों की जीवनी इत्यादि जैसे अमूल्य जानकारियों का संग्रह होता है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने पुस्तकालय के ऊपर निबंध (Essay on Library in Hindi)हिंदी में पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको सरल लगा हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें।

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पुस्तकालय पर निबंध | Essay on Library in Hindi

Essay on Library in Hindi

पुस्तकालय पर निबंध (महत्व, लाभ और प्रकार) | Essay on Library (Impoertance, Benefits and Types) in Hindi | Pustakalaya Par Nibandh

पुस्तकालय का अर्थ होता है ‘पुस्तकों का घर’. जहां पुस्तकों को रखा जाता हो या संग्रह किया जाता है. अतः पुस्तकों के उन सभी संग्रहालयों को पुस्तकालय कहा जा सकता है जहाँ पुस्तकों का उपयोग पठन-पाठन के लिए किया जाता है. पुस्तकों को ज्ञान प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ माध्यम माना गया है. पुस्तकें ज्ञान राशि भंडार को अपने में संचित किए रहती है. ज्ञान ही ईश्वर है तथा सत्य एवं आनंद है.

पुस्तकालय का महत्व (Importance of Library in Hindi)

पुस्तकालय सरस्वती देवी की आराधना का मंदिर है. यहां आराधना करके आराधक वीणापानी सरस्वती का प्रत्यक्ष दर्शन करता है. यह ज्ञान प्राप्ति में सहायक होता है. इसी कारण व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र तीनों के लिए महत्वपूर्ण है. पुस्तकें ज्ञान प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन है. इनसे मनुष्य के ज्ञान का विकास होता है तथा उनका दृष्टिकोण व्यापक होता है. उनकी बुद्धि और विचार क्षमता में वृद्धि होती है. एक ज्ञानी व्यक्ति ही समाज एवं राष्ट्र के साथ साथ मानवता का कल्याण कर सकता है जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है.

एक व्यक्ति अपनी रुचि एवं आवश्यकता के अनुसार पुस्तक खरीद नहीं सकता. कोई भी व्यक्ति आर्थिक रूप से इतना सशक्त नहीं होता कि वह मनचाही पुस्तक खरीद सके. अनेक बार पैसा जुटा लेने पर पुस्तके प्राप्त नहीं होती है क्योंकि उनमें से कुछ का प्रकाशन बंद हो चुका होता है और उनकी प्रतियां भी दुर्लभ हो जाती है. पुस्तकालय में जिज्ञासु अपनी आवश्यकता एवं प्रयोजन के अनुसार सभी पुस्तकों को प्राप्त कर लेता है तथा उनका अध्ययन करता है. अतः ज्ञान प्राप्ति के क्षेत्र में पुस्तकालय का महत्व अत्यधिक है.

पुस्तकालयों के प्रकार (Types of Library)

पुस्तकालय के विभिन्न प्रकार होते हैं जैसे

  • व्यक्तिगत पुस्तकालय
  • विद्यालय एवं महाविद्यालय के पुस्तकालय
  • सार्वजनिक पुस्तकालय
  • सरकारी पुस्तकालय

व्यक्तिगत पुस्तकालय के अंतर्गत पुस्तकों के वे संग्रहालय आते हैं जिनमें कोई व्यक्ति अपनी विशेष रुचि एवं आवश्यकता के अनुसार पुस्तकों का संग्रह करता है. विद्यालय तथा महाविद्यालय के अंतर्गत वे पुस्तकालय आते हैं जिनमें छात्रों और शिक्षकों के पठन पाठन हेतु पुस्तकों का संग्रह किया जाता है. कोई भी व्यक्ति सदस्य बन कर इसका उपयोग कर सकता है. सरकारी पुस्तकालयों का प्रयोग राज्य कर्मचारी एवं सरकारी अनुमति प्राप्त व्यक्तियों द्वारा किया जाता है.

पुस्तकालय से लाभ (Benefits of Library)

पुस्तकालय ज्ञान का भंडार होता है. इससे अनेक लाभ है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं.

ज्ञान की प्राप्ति (Knowledge Gain)

शिक्षा का वास्तविक अर्थ मनुष्य के ज्ञान का विकास करना है. यह ज्ञान मनुष्य की रुचि के अनुसार विभिन्न विषयों से संबंधित होता है. विद्यालय तथा महाविद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा की परिसीमा संकुचित होती है. पाठ्यक्रम को पढ़कर कोई विद्यार्थी पास तो हो सकता है किंतु उससे उस विषय का समुचित ज्ञान प्राप्त नहीं होता. विषयगत ज्ञान के वास्तविक स्वरुप को प्राप्त करने के लिए उस विषय से संबंधित ज्ञान प्राप्त करने के लिए अन्य पुस्तकों का अध्ययन करने के लिए पुस्तकालय की आवश्यकता होती है. अतः पुस्तकालय ज्ञान की प्राप्ति में अमूल्य योगदान प्रदान करते हैं.

मनोरंजन का स्वस्थ साधन (Library as a Entertainment)

प्रत्येक मनुष्य के लिए मनोरंजन आवश्यक होता है तथा मनोरंजन के लिए पुस्तकों से अच्छा कोई साधन नहीं है. यह मनोरंजन के साथ-साथ संसार के अन्य विषयों की जानकारी भी बढ़ाती है. इससे हमारे विचारों में व्यापकता आती है. मानसिक योग्यता का विकास होता है. पुस्तकालय में आप अपनी रुचि के अनुसार पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं. इसी कारण या मनोरंजन का एक स्वस्थ एवं सस्ता साधन है.

दुर्लभ पक्षियों की प्राप्ति के साधन

किसी भी विषय पर शोध एवं अनुसंधानात्मक कार्यों के लिए पुस्तकालय में संग्रहित पुस्तकों से व्यक्ति उन दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त कर सकता है जिनकी जानकारी उसे अन्य किसी प्रकार से नहीं हो सकती. किसी भी विषय से संबंधित यह पुस्तकें पुस्तकालय में मिल जाती है जो प्रायः दुर्लभ हो जाती है.

पठन-पाठन में सहयोगी (Beneficial for both Student and Teachers)

पुस्तकालय छात्र और कक्षा अध्यापक दोनों के पठन-पाठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. शिक्षक छात्र दोनों ही अपने बौद्धिक शक्तियों एवं व्यक्तिगत ज्ञान के विस्तार की दृष्टि से इसमें संग्रहित पुस्तकों से लाभान्वित होते हैं.

उपसंहार (Conclusion)

पुस्तकालय ज्ञान का भंडार है जो हमें ज्ञान प्रदान करता है. ज्ञान की प्राप्ति से ही मनुष्य वास्तविक अर्थों में मनुष्य बनता है. ऐसे ही मनुष्य से समाज या राष्ट्र का कल्याण होता है. अतः पुस्तकालय हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और आवश्यक है. हर सरकार तथा स्वयंसेवी सामाजिक संस्थाओं को संपूर्ण देश में अधिक से अधिक पुस्तकालयों की स्थापना करनी चाहिए.

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  • मुहावरे और लोकोक्ति में अन्तर
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1 thought on “पुस्तकालय पर निबंध | Essay on Library in Hindi”

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Essay on library in hindi पुस्तकालय पर निबंध.

Write an essay on Library in Hindi language for students. पुस्तकालय पर निबंध। Library is one of the most important things when it comes to enhancing your knowledge. Essay on library in Hindi for class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. If you want you can learn my school library essay in Hindi as well.

Essay on Library in Hindi

Essay on Library in Hindi

Essay on Library in Hindi 300 Words

शिक्षा के बिना मनुष्य पशु तुल्य है। शिक्षा द्वारा व्यक्ति के आन्तरिक गुणों का विकास होता है और मनुष्य सभ्य तथा सुसंस्कृत बनता है। पुस्तकालय शिक्षा एवं ज्ञान के प्रचार प्रसार में हमारी सहायता करते हैं। पुस्तकालय में विभिन्न विषयों की सैकड़ों पुस्तकें उपलब्ध रहती हैं। पुस्कालय में पुस्तकों की सूची एवं स्थान की तालिका के आधार पर हम अपनी पसंद की पुस्तक का चयन कर उसको प्राप्त कर सकते हैं। पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी मित्र हैं। पुस्तकालय में हमें पुस्तकों के अतिरिक्त समाचार पत्र और पत्रिकायें भी पढ़ने को मिलती हैं।

प्रत्येक विद्यालय में एक लाइब्रेरी अथवा पुस्तकालय होता है। हमारे विद्यालय का पुस्तकालय बहुत बड़ा है। हम सप्ताह में एक दिन वहाँ से पुस्तकें प्राप्त करते हैं और पढ़ने के बाद लौटा देते हैं। विद्यालय के पुस्तकालय में केवल हमारे शिक्षक एवं विद्यालय के विद्यार्थी ही जा सकते हैं। वह सार्वजनिक पुस्तकालय नहीं है।

पुस्तकालय में बैठ कर हम अपनी रूचि की पुस्तकों के साथ घण्टों बिता सकते हैं और अपनी पसन्द की पुस्तक को घर ले जाने के लिये जारी करा सकते हैं। पुस्तकालय में बहुत से लोग अपना पढ़ने लिखने का काम करने में व्यस्त होते हैं अतः वहाँ शान्ति बनाये रखना बहुत जरूरी होता है। पुस्तकालय में बातें करना, शोर मचाना, खाना पीना सब मना होता है। कुछ बच्चे विद्यालय के पूस्तकालय की पुस्तकों में से पृष्ठ फाड़ लेते हैं जिससे बाद में अन्य विद्यार्थियों को परेशानी होती है। हमें ऐसा नहीं करना चाहिये। पुस्तकों को साफ एवं सुरक्षित रखना। हमारा कर्तव्य है। पुस्तकालय ज्ञान के मंदिर हैं। हमें पुस्तकालय जाने की आदत बनानी चाहिये।

Essay on Library in Hindi 800 Words

पुस्तकालय का अर्थ है – पुस्तकों का घर, मन्दिर अथवा भंडार। जहाँ पुस्तकों का संग्रह होता है, उसे पुस्तकालय कहा जाता है। पुस्तकालय में केवल पुस्तकें ही नहीं रखी जाती बल्कि वहां पत्र-पत्रिकाएं भी पढ़ने को मिलती हैं। जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सन्तुलित एवं पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए पुस्तकों द्वारा ज्ञान प्राप्त करना भी अनिवार्य है। शास्त्रों में कहा गया है कि यदि शरीर के किसी अंग से कार्य न लिया जाए तो उसकी क्रियाशीलता समाप्त हो जाती है। ठीक इसी प्रकार मस्तिष्क को क्रियाशीलता प्रदान करने के लिए तथा उसे गतिशीलता देने के लिए शुद्ध ज्ञान एवं नये-नये विचारों की नितान्त आवश्यकता होती है।

पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं। पहली प्रकार के पुस्तकालय वे हैं जो हमारे स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में होते हैं। इन पुस्तकालयों द्वारा अध्यापकगण तो लाभान्वित होते ही हैं, परन्तु आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के विद्यार्थी की ज्ञान पिपासा भी इन पुस्तकालयों द्वारा शान्त होती है। दूसरी प्रकार के पुस्तकालय व्यक्तिगत पुस्तकालय होते हैं। ज्ञान प्राप्ति की जिज्ञासा रखने वाले और धनवान् व्यक्ति हज़ारों रुपये व्यय करके प्राचीन तथा अनमोल साहित्य एकत्रित करते हैं तथा अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं तथा आस-पास के रहने वाले व्यक्ति भी ऐसे पुस्तकालयों से लाभ प्राप्त करते हैं। कोई भी व्यक्ति अपना व्यक्तिगत पुस्तकालय खोल सकता है।

तीसरी प्रकार के पुस्तकालय सरकारी पुस्तकालय होते हैं। इनकी व्यवस्था स्वयं सरकार करती है परन्तु यह साधारण लोगों की पहुंच से बाहर होते हैं, इसलिए जनसाधारण को ऐसे पुस्तकालयों का कोई विशेष लाभ नहीं होता।

चौथी प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक पुस्तकालय होते हैं। इन पुस्तकालयों से सभी लाभ उठाते हैं। इन पुस्तकालयों में व्यक्ति अपनी इच्छानुसार पुस्तक निकलवा कर पढ़ सकता है और एक निश्चित शुल्क देकर सदस्य बन कर कुछ दिनों के लिए पुस्तक घर ले जाकर भी पढ़ सकता है। ऐसे पुस्तकालयों के साथ वाचनालय का भी प्रबन्ध होता है। बहुत से व्यक्तियों को अखबार पढ़ने की सनक होती है और वे इसी बहाने पुस्तकालय पहुंच जाते हैं। यदि ऐसे वाचनालय-जिनमें पत्र-पत्रिकाएं, मैगज़ीन आदि न हों तो जनसाधारण पुस्तकालयों से अधिक लाभ प्राप्त नहीं कर सकता। पांचवें प्रकार के पुस्तकालय चल पुस्तकालय होते हैं। ऐसे पुस्तकालय भारत में न के बराबर हैं परन्तु विदेशों में ऐसे पुस्तकालय अधिक संख्या में होते हैं। इन पुस्तकालयों का स्थान गाड़ी में होता है। स्थान-स्थान पर ये पुस्तकालय जनता को नवीन साहित्य से परिचित करवाते रहते हैं जिससे देश का प्रत्येक नागरिक राष्ट्रीय साहित्य तथा देश की गतिविधियों से परिचित होता रहता है।

पुस्तकालयों से छात्रों तथा अध्यापक वर्ग को ही नहीं परन्तु जन साधारण को भी ज्ञान वृद्धि में सहायता मिलती है। किसी विषय का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए उस पर केवल एक या दो पुस्तकें पढ़ना ही पर्याप्त नहीं है परन्तु उसी विषय पर लिखी गई अधिक से अधिक पुस्तकों का अध्ययन करके ही अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। ज्ञान वृद्धि के अतिरिक्त पुस्तकालयों द्वारा ज्ञान का प्रसार भी होता है जिससे मनुष्य कुसंगति, कुवासनाओं और प्रलोभनों आदि से बचा रहता है।

पुस्तकालय मनुष्य को सत्संग भी प्रदान करता है। पुस्तकों के अध्ययन से हमें मानसिक शान्ति मिलती है। मन कुछ समय के लिए संसार की चिन्ताओं से मुक्त हो जाता है। कबीर, तुलसीदास और भर्तृहरि के श्रृंगार, नीति और वैराग्य शतक पढ़ कर ऐसा कौन सहदय पाठक नहीं होगा जिसके मन में संसार की विशालता का आभास नहीं होता होगा। महापुरुषों की जीवनियां हमारे लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं, जिन्हें पढ़कर परम सन्तोष और परमानन्द का अनुभव तो होता ही है परन्तु साथ-साथ उनके द्वारा दिखाए मार्ग पर चलकर हम अपने जीवन को भी सफल बना सकते हैं।

ज्ञान के अतिरिक्त पुस्तकालय श्रेष्ठ मनोरंजन का भी भंडार है। मनोरंजन के अन्य साधनों – रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा आदि पर पैसा खर्च करके आदमी अपना मनोरंजन करता है जबकि पुस्तकालय में आदमी बिना पैसे खर्च करके देश-विदेश के समाचार जान सकता है।

व्यक्तिगत लाभ के अतिरिक्त पुस्तकालयों द्वारा समाज का भी व्यापक हित होता है। विभिन्न देशों की पुस्तकों के अध्ययन से विभिन्न देशों की सामाजिक, परम्पराओं, मान्यताओं एवं व्यवस्थाओं का भी परिचय प्राप्त होता है जिससे हम अपने समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियाँ, अव्यवस्था इत्यादि को सुधारने में सफल हो सकते हैं।

पुस्तकालय मानव जीवन और सभ्यता का एक प्रमुख अंग है। भारतीय लोगों को पुस्तकालय की जितनी अधिक से अधिक सुविधाएं मिलेंगी उतना ही वे अधिक उन्नति करेंगे और उन्नतशील देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकने में योग्य हो सकेंगे।

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Library Essay In Hindi

पुस्तकालय पर निबंध – Library Essay In Hindi

पुस्तकालय पर निबंध – essay on library in hindi.

पुस्तकें ज्ञान का भंडार होती हैं। पुस्तकें हमें अनेक विषयों से अनेक प्रकार की जानकारी प्रदान कराती हैं। ‘पुस्तकालय’ ज्ञान का मंदिर होता है, जो हमारी ज्ञान-पिपासा शांत कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। यह ज्ञान तथा मनोरंजन प्रदान करने का उत्तम साधन है।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

पुस्तकालय में अनेक प्रकार की पुस्तकें, समाचार पत्र-पत्रिकाएँ तथा अन्य पठन-सामग्री संग्रहीत की जाती हैं। इन पुस्तकों पर विषय के अनुसार क्रमसंख्या पड़ी रहती है। जब किसी को कोई पुस्तकें दी जाती हैं तो पुस्तक पर अंकित क्रमसंख्या उसके नाम के आगे रजिस्टर में दर्ज कर दी जाती हैं।

जब किसी व्यक्ति को किसी पुस्तक की आवश्यकता पड़ती है, तो वह पुस्तक का क्रमांक या पुस्तक का नाम और पुस्तकालयाध्यक्ष को बताता है और पुस्तकालयाध्यक्ष पुस्तक को निकालकर उसे दे देता है। इस प्रकार पुस्तकालय को काम अत्यंत व्यवस्थित एवं आधुनिक है।

पुस्तकालय निजी तथा सार्वजनिक दो प्रकार के होते हैं। कुछ लोग व्यक्तिगत तौर पर पुस्तकों को जमा करते हैं तथा घरेलू पुस्तकालय तैयार कर लेते हैं जो निजी पुस्तकालय कहलाता है। दफ़्तर, स्कूल, कॉलेज तथा प्रत्येक क्षेत्र में सार्वजनिक पुस्तकालयों में वैज्ञानिक सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं।

हर पुस्तकालय में वाचनालय होता है जहाँ बच्चे-बड़े कुछ भी पढ़ सकते हैं। पुस्तकालय में हर भाषा में समाचार पत्र उपलब्ध होते हैं। हर भाषा है की पुस्तकों का लाभ उठाना है तो पुस्तकालय इसका सर्वोत्तम साधन है। पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी मित्र है तथा पुस्तकालय इन्हें दिलाने का अच्छा साधन हैं। पुस्तकालय के प्रति हमारा कुछ कर्तव्य भी है। एक तो हमें पुस्तकों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए।

उसके पृष्ठ न फाडू, न ही गंदा करें, इसके लिए सदैव सतर्क रहना चाहिए। कई लोग पुस्तक का नुकसान करते हैं, इससे वे जन व समाज सबका बुरा करते हैं। ऐसा करके न केवल पुस्तक का नुकसान करते हैं बल्कि अन्य लोगों को उस पठन-सामग्री का लाभ नहीं मिल सकता है।

पुस्तकालयों के कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना अनिवार्य है। पुस्तकालय में निश्चित समय के लिए पुस्तकें घर ले जाने की अनुमति होती है। पुस्तकालय का उपयोग करने वालों को चाहिए कि इस अवधि से पहले ही पुस्तकें वापस कर दें।

पुस्तकालय में शांत बैठकर पुस्तकों या पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन करना चाहिए। पुस्तकों पर कोई निशान नहीं लगाना चाहिए और न ही उनमें कुछ फाड़ना चाहिए।

इस प्रकार हम पुस्तकालयों का पूरी तरह से लाभ उठा सकते हैं। पुस्तकालय सार्वजनिक संपत्ति होती है। इसलिए वहाँ बैठकर पुस्तकालय के नियमों का पालन करना चाहिए और शांति बनाए रखनी चाहिए। वहाँ जाकर समय का सदुपयोग करना चाहिए।

Essay On Library In Hindi

दा इंडियन वायर

मेरे स्कूल का पुस्तकालय पर निबंध

hindi essay on library for class 7

By विकास सिंह

my school library essay in hindi

एक स्कूल पुस्तकालय स्कूल के भीतर की एक संरचना है जिसमें पुस्तकों, ऑडियो-विज़ुअल सामग्री और अन्य सामग्री का संग्रह होता है जो उपयोगकर्ताओं की शैक्षिक, सूचनात्मक और मनोरंजक आवश्यकताओं को पूरा करता है।

विषय-सूचि

पुस्तकालय पर निबंध, my school library essay in hindi (200 शब्द)

इन दिनों सीखना कक्षा के व्याख्यान और प्रशिक्षण तक सीमित नहीं है। यह अधिक खोज की यात्रा है जो हमें सीखने के लिए प्रोत्साहित करती है। स्कूल पुस्तकालय शिक्षा प्रणाली में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और स्कूल सेटअप का एक अनिवार्य हिस्सा हैं।

मेरा स्कूल पुस्तकालय एक अच्छी तरह से स्थापित पुस्तकालय है। यह स्कूल के भूतल पर एक बहुत बड़ी लाइब्रेरी है जिसमें कई बुकस्टैंड और कैबिनेट हैं। इन किताबों और अलमारियाँ में पुस्तकों को वर्णानुक्रम में ठीक व्यवस्थित किया जाता है।

इसमें विविध विषयों पर पुस्तकों की एक विस्तृत श्रृंखला है, कहानी की किताबें, हास्य पुस्तकें, आत्मकथाएँ और पत्रिकाएँ। प्रवेश द्वार पर लाइब्रेरियन का डेस्क है। छात्रों के बैठने के लिए पुस्तकालय के केंद्र में टेबल और कुर्सियों की पंक्तियाँ हैं। एक अन्य खंड शिक्षकों के लिए लाइब्रेरी की जगह है।

सभी छात्र अपनी कक्षा की यात्रा के कार्यक्रम के अनुसार पुस्तकालय जाते हैं। पुस्तकालय का दौरा करने के लिए लाइब्रेरी कार्ड ले जाने हैं। हमारी लाइब्रेरियन हमारी जरूरतों के अनुसार पुस्तकों का पता लगाने और चयन करने में बहुत सहायक है। हमें एक बार में एक पुस्तक उधार लेने की अनुमति है और उसी के लिए रिकॉर्ड लाइब्रेरियन द्वारा बनाए रखा जाता है।

हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि पुस्तकें हमारे द्वारा क्षतिग्रस्त न हों और समय पर वापस आ जाएं। लाइब्रेरी बिना किसी गड़बड़ी के पढ़ने के लिए सबसे अच्छी जगह है। मुझे पढ़ना और लिखना बहुत पसंद है इसलिए मेरे लिए पुस्तकालय का दौरा करना वास्तव में बहुत रोमांचक है। मैं अपना पूरा दिन पुस्तकालय में बिता सकता हूं।

मेरे स्कूल का पुस्तकालय पर निबंध, school library essay in hindi (300 शब्द)

प्रस्तावना :.

स्कूल पुस्तकालय स्कूल में पुस्तकालय है जहां शिक्षक, छात्र और स्कूल समुदाय के अन्य सदस्यों के पास विभिन्न संसाधनों जैसे किताबें और पढ़ने की सामग्री, सूचना और सूचना प्रौद्योगिकी तक समान पहुंच होती है। स्कूल की लाइब्रेरी हमें कई सीखने के अवसर, कंप्यूटर के उपयोग और संदर्भ सामग्री प्रदान करती है। यह हमें स्वतंत्र कार्य करने के लिए लचीला शिक्षण स्थान प्रदान करता है।

मेरी स्कूल लाइब्रेरी की यात्रा :

मुझे ब्रेक के दौरान स्कूल पुस्तकालय में मेरी एक दिलचस्प यात्रा याद है। लाइब्रेरियन, मिस जेनिफर ने हमेशा की तरह अपने चेहरे पर एक बहुत ही सुखद मुस्कान के साथ मुझे बधाई दी। मेरा पसंदीदा खंड उपन्यास और नाटकों के साथ कैबिनेट है। मुझे लघु कथाएँ, उपन्यास और नाटक पढ़ना बहुत पसंद है।

इसलिए, मैंने सिर्फ एक दिलचस्प पुस्तक को पढ़ने के लिए सुझाव देने के लिए लाइब्रेरियन से पूछताछ की। उसने मुझे जार्ज बर्नार्ड शॉ का एक नाटक mal पैग्मेलियन ’दिया। उस समय पुस्तकालय में कोई नहीं था। मैं पंक्ति में टेबल के अंत में कुर्सी पर बैठ गया। एक बार जब मैंने पढ़ना शुरू कर दिया तो मैंने खुद को उसमें खो दिया। मैं सिर्फ पढ़ने के लिए गया और कुछ और कक्षाओं को छोड़ दिया क्योंकि मैं इस पुस्तक को पढ़ना नहीं चाहता था।

मैं बारह साल का था और मुझे पढ़ने से प्यार हो गया। मैं लेखन शैली और कहानी से बिल्कुल लालच हो गया। इसने मेरे दिल को पकड़ लिया और मुझे अंतिम शब्द तक तल्लीन कर दिया। यह मेरा सबसे अमिट पढ़ने का अनुभव था।

निष्कर्ष :

एक बार जब मैंने पूरा नाटक पढ़ना शुरू कर दिया तो मैं खुद मुस्कुराया और इतने शानदार अनुभव के लिए आभारी था। मुझे इतनी खुशी हुई कि मैंने इतनी बड़ी किताब की सिफारिश करने के लिए कई बार लाइब्रेरियन को धन्यवाद दिया। मेरे पास मेरे चेहरे पर एक विशाल मुस्कान थी और जब मैं अपने दोस्तों और सहपाठियों के साथ अपने पढ़ने के अनुभव को साझा करने के लिए बहुत उत्साहित था। मेरे अनुभव ने उन्हें भी पढ़ने के लिए प्रेरित किया।

मेरे स्कूल का पुस्तकालय पर निबंध, school library essay in hindi (400 शब्द)

लाइब्रेरी में संसाधनों और सेवाओं, उपयोगी सामग्री, वीडियो और ऑडियो सामग्री का संग्रह होता है जो सभी विषयों में सामान्य उपयोग करता है, यह विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित, मनोविज्ञान या कंप्यूटर विज्ञान है। यह उपयोगकर्ताओं को सभी स्तरों पर ज्ञान प्राप्त करने और प्राप्त करने के लिए संसाधन प्रदान करता है।

दूसरी ओर शिक्षा, व्यक्तिगत विकास के लिए अग्रणी ज्ञान, क्षमता और जानकारी प्रदान करके सकारात्मक मूल्यों को विकसित करती है।

पुस्तकालय और शिक्षा परस्पर जुड़े हुए हैं :

दशकों से पुस्तकालयों ने साक्षरता और सीखने के परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह एक सिद्ध तथ्य है कि प्रभावी स्कूल पुस्तकालय सेवाओं का छात्रों के सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक विकास और विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साक्षरता, शिक्षा और पुस्तकालय हाथ से जाते हैं।

शिक्षा प्रणाली पर पुस्तकालयों का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे छात्रों के लिए आवश्यक सभी प्रकार की जानकारी का एक केंद्र हैं। इसके अलावा, पुस्तकालयों ट्यूशन कार्यक्रमों और शैक्षिक कक्षाएं प्रदान करते हैं। एक पुस्तकालय स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षिक संगठनों का एक अभिन्न अंग है।

स्कूल पुस्तकालय छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन और परिणामों को बढ़ाते हैं। छात्रों को सीखने और पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। वे सीखने के प्रति आग्रह, रुचि और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करते हैं। यह छात्रों के समग्र प्रदर्शन, बेहतर परिणामों और उपलब्धियों में वृद्धि दर्शाता है।

शिक्षा और पुस्तकालय परस्पर जुड़े हुए हैं और मौलिक रूप से एक-दूसरे के साथ सह-अस्तित्व में हैं। शिक्षा ज्ञान, मूल्य, कौशल, आदतें और विश्वास प्राप्त करने की प्रक्रिया है। यह सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें बच्चों को सामाजिक दक्षता कर्मियों के विकास को प्राप्त करने के लिए स्कूल के वातावरण के प्रभाव के अधीन किया जाता है।

शिक्षा प्राप्त ज्ञान और अनुभव का परिणाम है। दूसरी ओर पुस्तकालय ज्ञान की उन्नति के लिए ज्ञान, सूचना और संसाधनों का स्रोत और भंडार है। पुस्तकालय शिक्षा और अनुसंधान के कारण को बढ़ाते हैं। साक्षरता में लोगों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में पुस्तकालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

छात्रों के अध्ययन में सहायता करने और अनुसंधान और शिक्षण में शिक्षकों की सहायता करने के अलावा, स्कूल पुस्तकालय छात्रों में पढ़ने की आदत विकसित करने में मदद करता है और सीखने के अनुभव को समृद्ध करने के लिए ज्ञान और संसाधन प्रदान करता है।

पुस्तकालय आत्म-शिक्षा, सूचना और ज्ञान के साधन के लिए आवश्यक है। शिक्षा औपचारिक रूप से ज्ञान और अनुभव प्राप्त करने की जटिल सामाजिक प्रक्रिया है। छात्रों के विकास के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रणाली में शामिल है। पुस्तकालय हमें आध्यात्मिक, प्रेरणादायक, सूचनात्मक और दिलचस्प पढ़ने का अनुभव प्राप्त करने की अनुमति देता है।

पुस्तकालय इस प्रकार कक्षाओं में प्रदान की गई साक्षरता की उन्नति में एक छलांग है। शिक्षा और पुस्तकालय अकेले मौजूद नहीं हो सकते और अविभाज्य हैं। पुस्तकालय किसी भी औपचारिक शैक्षिक प्रणाली का अनिवार्य हिस्सा है।

मेरे स्कूल का पुस्तकालय पर निबंध, my school library essay in hindi (500 शब्द)

प्रस्तावना:.

स्कूल पुस्तकालय वह जगह है जहाँ शैक्षणिक पुस्तकों और संसाधनों की विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध है। विभिन्न विषयों पर ज्ञान, समझ और प्रदर्शन बढ़ाने के लिए पूरे वर्ष सभी छात्रों को किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं। सीखने और सिखाने की प्रक्रिया के लिए स्कूल की लाइब्रेरी जरूरी है।

पुस्तकालय प्रत्येक छात्र को आवश्यक संसाधनों तक पहुँच और सीखने की प्रक्रिया को सुगम बनाने की सुविधा प्रदान करता है। यह छात्र के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बदलते समय के साथ स्कूल पुस्तकालयों के डिजाइन, आधुनिक उपकरण और रणनीतियाँ बदल जाती हैं।

स्कूल पुस्तकालयों में हमारे पास जिन प्रकार की किताबें हैं, वे हैं: फ़िक्शन बुक, नॉन-फ़िक्शन बुक, रेफ़रेंस बुक्स, लिटरेचर बुक्स, बायोग्राफ़ीज़, जनरल नॉलेज बुक्स, फेबल्स एंड फोकटल्स, कुकबुक और क्राफ्ट बुक्स, कविता बुक्स, सीरीज़ की बुक्स आदि किताबें।

स्कूल लाइब्रेरी का महत्व :

छात्रों के लिए उपयुक्त और लचीला शिक्षण स्थान प्रदान करता है। इन दिनों पुस्तकालय डिजिटल उपकरणों और प्रौद्योगिकियों से लैस हैं जो विषयों पर शोध करना आसान और तेज़ बनाते हैं।

यह हमें गुणवत्तापरक कल्पना और गैर-पुस्तकों के साथ प्रदान करता है जो हमें खुशी के लिए और अधिक पढ़ने और हमारे बौद्धिक, कलात्मक, सांस्कृतिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। स्कूल लाइब्रेरी का माहौल परेशान किए बिना सीखने के लिए एकदम सही है। इससे हमारे लिए सीखना आसान है और तेजी से समझ आता है।

घर पर आगे सीखने के लिए हम अपनी आवश्यकतानुसार पुस्तकें उधार ले सकते हैं। विभिन्न विषयों पर पुस्तकों के अलावा हम अपनी रुचि की किताबें जैसे कहानी की किताबें, आत्मकथाएँ, कॉमिक पुस्तकें और उपन्यास भी उधार ले सकते हैं। हम जीके पुस्तकों को पढ़कर अपने सामान्य ज्ञान में सुधार कर सकते हैं।

यह मन के विकास में मदद करता है और हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है। रुचि के विषयों पर गहराई से ज्ञान के साथ हमें नए और अधिक रोचक आयामों की अंतर्दृष्टि मिलती है। हम अपने स्कूल असाइनमेंट को पूरा करने के लिए पुस्तकों की एक विस्तृत श्रृंखला से संदर्भ ले सकते हैं।

हम नोट्स बनाने और परीक्षा की तैयारी के लिए पुस्तकों का भी उल्लेख कर सकते हैं। यह शब्दावली, पढ़ने और लेखन कौशल विकसित करने में भी मदद करता है। शिक्षकों को प्रभावी सीखने के कार्यक्रमों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए पेशेवर विकास, प्रासंगिक जानकारी और संदर्भ सामग्री तक पहुंच प्रदान करता है।

प्रभावी शिक्षण योजना और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए शिक्षकों के साथ सहयोग करें जो हमें कौशल प्राप्त करने, जानकारी एकत्र करने और मूल्यांकन करने और समस्याओं को हल करने में मदद करते हैं। स्कूल की लाइब्रेरी स्कूल के प्रत्येक सदस्य के लिए सहायक होती है, चाहे उसके छात्र, शिक्षक या कोई अन्य स्टाफ सदस्य। यह व्यक्तिगत विकास के लिए कौशल और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है।

स्कूल के पुस्तकालय का छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह हमें आधुनिक दिन डिजिटल और सामाजिक वातावरण में सफल होने के लिए आवश्यक समग्र कौशल विकसित करने में मदद करता है। नियमित रूप से पुस्तकालय जाने की आदत विकसित करना महत्वपूर्ण है।

हम कक्षाओं में जो कुछ भी सीखते हैं उसे पुस्तकालय में पढ़ने और शोध के साथ पूरक होना चाहिए। यह अध्ययनों को और अधिक रोचक और गहरा बना देगा। पुस्तकालयों में उपलब्ध पुस्तकों की श्रेणी और गुणवत्ता सबसे अच्छी है। एक छात्र के रूप में हम अन्यत्र पुस्तकों की इतनी विस्तृत श्रृंखला तक नहीं पहुँच सकते हैं या पहुँच नहीं सकते हैं।

इस प्रकार, पुस्तकालय हमारे अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जो ज्ञान हमें प्राप्त होता है वह जीवन काल के लिए हमारे साथ रहता है।

स्कूल लाइब्रेरी पर निबंध, essay on school library in hindi (600 शब्द)

स्कूल पुस्तकालय स्कूल के भीतर पुस्तकालय को संदर्भित करता है जहां स्कूल समुदाय के सदस्य जैसे छात्र, शिक्षक और अन्य कर्मचारी विभिन्न शिक्षण और पढ़ने के संसाधनों तक पहुंच सकते हैं। स्कूल के पुस्तकालयों का छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

वे उपयोगकर्ताओं के समग्र व्यक्तिगत विकास और विकास में मदद करते हैं। स्कूल लाइब्रेरी में मुख्य रूप से किताबें, ऑडियो, वीडियो, समय-समय पर और डिजिटल मीडिया शामिल हैं। पुस्तकालय संसाधनों को प्राप्त करने, प्रबंधित करने, व्यवस्थित करने और वितरित करने के लिए लाइब्रेरियन जिम्मेदार हैं।

उन्हें यह सुनिश्चित करने और सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि पुस्तकालय प्रावधान अपने सदस्यों की जरूरतों को पूरा करता है।

एक स्कूल लाइब्रेरियन की नौकरी क्या है?

स्कूल लाइब्रेरियन द्वारा किए गए कार्यों पर एक नज़र है:

  • पुस्तकालय संसाधनों का चयन, कैटलॉगिंग, आयोजन और विकास करना।
  • कर्मचारियों की भर्ती, प्रशिक्षण और कर्तव्यों को सौंपने सहित स्टाफ का प्रबंधन करना।
  • उपयोगकर्ताओं के प्रश्नों को सुनना, समझना और उनका उत्तर देना।
  • योजना और बजट और संसाधनों का प्रबंधन।
  • छात्रों, शिक्षकों और अन्य स्टाफ सदस्यों जैसे समुदाय के विभिन्न समूहों को सेवाएं प्रदान करना और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना।
  • पुस्तकालय संसाधनों का उपयोग करने में उपयोगकर्ताओं को बढ़ावा देना, शिक्षित करना और उनकी सहायता करना।
  • डिजिटल तकनीक के साथ उपयोगकर्ताओं की सुविधा और सहायता।
  • छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों और पुस्तकालय के अन्य उपयोगकर्ताओं के साथ सकारात्मक बातचीत करें।

एक स्कूल लाइब्रेरियन की भूमिका :

स्कूल पुस्तकालय के प्रभावी कामकाज में लाइब्रेरियन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पुस्तकालय के उपयोगकर्ताओं को सीखने के लिए मार्गदर्शन और समर्थन करने के लिए लाइब्रेरियन के पास आवश्यक कौशल हैं, और उन्हें स्वतंत्र पाठकों और शिक्षार्थियों में विकसित करने में मदद करते हैं।

स्कूल लाइब्रेरियन मुख्य रूप से एक शिक्षक, सूचना विशेषज्ञ, अनुदेशात्मक साथी और कार्यक्रम प्रशासक की भूमिका निभाता है। लाइब्रेरियन केवल पुस्तकों के केयरटेकर नहीं हैं, अब वे सलाहकार, सूचना प्रदाता, अनुदेशक पाठक, पाठ्यक्रम डिजाइनर और शिक्षक हैं।

वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में छात्रों की मदद कर सकते हैं। पुस्तकालयों का सेटअप भी कक्षा सेटअप की तरह बदल गया है। बदलते समय के साथ शिक्षा के रुझान ने स्कूल के पुस्तकालयाध्यक्षों की भूमिका को बदल दिया है:

एक लाइब्रेरियन के पास पेशेवर प्रशिक्षण, शिक्षा और नौकरी में अग्रणी होने के लिए आवश्यक क्रेडेंशियल्स हैं। वह संसाधन और सूचना प्रबंधन और प्रावधान में एक मान्यता प्राप्त पेशेवर है। उनकी भूमिका विद्यालय में किए जाने वाले साक्षरता कार्यक्रमों के सहयोगी डिजाइन और कार्यान्वयन के संबंध में सिद्धांत, शिक्षकों और शिक्षकों की बैठकों में नियमित रूप से शामिल होने की है।

उनकी जिम्मेदारी प्रभावी, नियोजन, बजट, मूल्यांकन और रिपोर्टिंग द्वारा स्कूल पुस्तकालय को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना है। उसे शिक्षकों और छात्रों के साथ प्रभावी ढंग से काम करने, प्रमुख समितियों की सेवा करने और अन्य पुस्तकालय कर्मचारियों का प्रबंधन करने के लिए एक कार्यक्रम की योजना बनाने की आवश्यकता है।

वह ऑनलाइन और इंटरनेट डेटाबेस सहित लाइसेंस प्राप्त संसाधनों और डेटाबेस का उपयोग करता है। वह स्कूल पाठ्यक्रम के लिए आवश्यक सामग्री और संसाधनों का चयन करता है और राज्य के मानकों को पूरा करता है। वह शिक्षकों और छात्रों को पाठ्यक्रम और सूचना से जोड़ता है।

लाइब्रेरियन वह है जो सूचना की आवश्यकता को पहचानने और प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए दूसरों का मार्गदर्शन करता है। स्कूल समुदाय के लिए डिजिटल सूचना संसाधनों तक निरंतर पहुंच प्रदान करके उन्नत शिक्षा के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित करता है।

स्कूल लाइब्रेरियन वह है जो स्कूल समुदाय में पढ़ने को प्रोत्साहित करने और समर्थन करने के लिए एक वातावरण बनाता है और विकसित करता है। वह प्रभावी नियोजन और सूचना के प्रावधान के लिए कक्षा शिक्षकों के साथ सहयोग करता है। उसे पेशेवर स्तर, सूचना प्रौद्योगिकी, शैक्षिक अनुसंधान, विकास और स्कूल पुस्तकालय कार्यक्रमों पर अद्यतन रहने की आवश्यकता है।

उन्हें स्थानीय बैठकों के साथ-साथ राज्य और राष्ट्रीय सम्मेलनों में भी भाग लेने की आवश्यकता है।

स्कूल लाइब्रेरियन की भूमिका संसाधनों, सूचना, कौशल और ज्ञान के साथ दूसरों को सशक्त बनाने और लचीले सीखने और शिक्षण वातावरण की स्थापना करना है। स्कूल लाइब्रेरियन शिक्षण स्टाफ की तरह है और इसमें साक्षरता का समर्थन करने और छात्रों के सीखने को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका है।

स्कूल लाइब्रेरियन छात्रों के सीखने का समर्थन करता है और उन्हें कुशल स्वतंत्र शिक्षार्थियों और पाठकों में विकसित करने में मदद करता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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  • Essays in Hindi /

Pustakalaya Essay : स्टूडेंट्स के लिए पुस्तकालय पर निबंध 

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  • Updated on  
  • जुलाई 4, 2024

Pustakalaya Essay in Hindi

पुस्तकालय एक ऐसी जगह है जहां किताबें और सूचना के स्रोत होते हैं। पुस्तकालय में किताबें, पत्रिकाएं, समाचार पत्र और बहुत कुछ शामिल हैं। पुस्तकालय के कई प्रकार होते हैं और यह स्टूडेंट्स के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अपने ज्ञान को बढ़ाने और अपने शोध आदि कार्यों को पूरा करने के लिए वे इन पुस्तकालयों में जा सकते हैं। पुस्तकालय से आप अपनी जरूरत के समय किताबें ले सकते हैं। हर स्कूल और कॉलेज में पुस्तकालय होता है जिसका महत्व समझना जरूरी है, इसलिए इस ब्लाॅग (Pustakalaya Essay in Hindi) में हम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए पुस्तकालय पर निबंध दे रहे हैं।  

This Blog Includes:

पुस्तकालय पर 100 शब्दों में निबंध, पुस्तकालय पर 200 शब्दों में निबंध, पुस्तकालय का महत्व, पुस्तकालय और शिक्षा के बीच संबंध, पुस्तकालय पर 10 लाइन्स.

100 शब्दों में Pustakalaya Essay in Hindi नीचे दिया गया है:

पुस्तकालय ज्ञान के अमूल्य भंडार होते हैं। पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार की पुस्तक पत्रिकाएं और डिजिटल संसाधन होते हैं जिनसे आप ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। पुस्तकालय छात्रों, विद्वानों और आम जनता की जरूरतों को पूरा करते हैं। किताबों से परे, पुस्तकालय अध्ययन, अनुसंधान और चिंतन के लिए शांत स्थान प्रदान करते हैं। ये बौद्धिक विकास और रचनात्मकता को बढ़ावा देते हैं। पुस्तकालय सामुदायिक केंद्र के रूप में भी काम करते हैं, वहां कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और शैक्षिक कार्यक्रमों की मेजबानी की जा सकती है। पुस्तकालय कंप्यूटर, इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल संसाधनों तक पहुंच प्रदान करके डिजिटल विभाजन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पुस्तकालय ज्ञान और संपर्क का केंद्र बिंदु होते हैं।

200 शब्दों में Pustakalaya Essay in Hindi निबंध नीचे दिया गया है:

पुस्तकालय वह स्थान है जहां लोग सीखने और ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक साथ आते हैं। पुस्तकों को बड़ी बुकशेल्फ़ पर व्यवस्थित किया जाता है। कुछ पुस्तकालयों में पुस्तकालय से जारी और प्राप्त पुस्तकों का ट्रैक रखने के लिए डिजिटल सॉफ़्टवेयर होते हैं। तकनीकी प्रगति के कारण, आजकल पुस्तकें ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध हैं। पाठक किंडल जैसे ऐप पर पुस्तक पढ़ सकते हैं लेकिन फिर भी पुस्तकालय की अपनी भूमिका है।

हर स्कूल छात्रों को पुस्तकालय में आने और किताबें पढ़ने के लिए विशिष्ट घंटे आवंटित करता है ताकि वे बचपन से ही पढ़ने की आदत डाल सकें। छात्र अपने असाइनमेंट या गर्मी की छुट्टियों के होमवर्क को पूरा करने के लिए पुस्तकालय से किताबें भी पढ़ते हैं।

पुस्तकालय के नियम और विनियम निर्धारित हैं। आम तौर पर, हमें बात करने की अनुमति नहीं होती है ताकि पाठक विचलित न हों और पढ़ने की उनकी गति न खो जाए। इसके अलावा, अगर पुस्तकालय से जारी की गई कोई किताब खो जाती है, क्षतिग्रस्त हो जाती है या उधारकर्ता से खो जाती है, तो उसे लाइब्रेरियन को जुर्माना देना पड़ता है। इस प्रकार, पुस्तकालय उन पुस्तकों के लिए एक उत्कृष्ट संसाधन है जो मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान और जानकारी भी फैलाती हैं।

पुस्तकालय ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के लिए अहम स्थान होते हैं। वे सूचना और ज्ञान के चाहने वालों के लिए एक समृद्ध स्थान होते हैं। पुस्तकालय में पुस्तकों, पत्रिकाओं और डिजिटल संसाधनों की एक विशाल श्रृंखला होती है।

Pustakalaya Essay in Hindi

पुस्तकालय पर 500 शब्दों में निबंध

500 शब्दों में Pustakalaya Essay in Hindi इस प्रकार है:

पुस्तकालय को ज्ञान का स्तंभ कहा जाता है। ये वर्षों से मानवता के लिए ज्ञान के स्त्रोत बने हुए हैं। कहा जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय का पुस्तकालय अपने समय का दुनिया में सबसे विशाल पुस्तकालय था। शिक्षा के स्थान युगों से आगे निकल गए हैं, जो ज्ञान के चाहने वालों को अमूल्य संसाधन प्रदान करते हैं। प्राचीन स्क्रॉल से लेकर डिजिटल अभिलेखागार तक पुस्तकालय प्रगति की गति के साथ विकसित हुए हैं। पुस्तकालय की वजह से छात्रों को उन पुस्तकों तक पहुंच भी आसानी से मिल जाती है जिन्हें वह सामान्य बाजार में नहीं खरीद सकते। 

पुस्तकालय का महत्व शिक्षा, संस्कृति और समुदाय की आधारशिला के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं। पुस्तकालय भविष्य की पीढ़ियों के लिए पुस्तकों, पांडुलिपियों और अन्य दस्तावेजों को संरक्षित करके मानवता के सामूहिक ज्ञान की रक्षा करते हैं। वे सांस्कृतिक विरासत के भंडार के रूप में कार्य करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि बहुमूल्य जानकारी और अंतर्दृष्टि समय के साथ नष्ट न हो जाएं।

पुस्तकालय विविध रुचियों और जरूरतों को पूरा करते हुए ढेर सारी जानकारी तक पहुंच प्रदान करते हैं। शैक्षणिक अनुसंधान से लेकर मनोरंजक पढ़ने तक, पुस्तकालय पुस्तकों, पत्रिकाओं, मल्टीमीडिया सामग्री और डिजिटल डेटाबेस सहित संसाधनों की एक विशाल श्रृंखला प्रदान करते हैं। पुस्तकालय साक्षरता को बढ़ावा देने और पढ़ने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कहानी सत्र, साक्षरता कार्यशालाएं और पुस्तक क्लब जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से, पुस्तकालय सभी उम्र के लोगों को साहित्य से जुड़ने और आवश्यक साक्षरता कौशल विकसित करने के लिए प्रेरित करते हैं। छात्र अपनी शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए पाठ्यपुस्तकों, सामग्रियों और अध्ययन संसाधनों तक पहुंच सकते हैं। पुस्तकालय सामुदायिक केंद्र के रूप में काम करते हैं, लोगों को विभिन्न गतिविधियों और आयोजनों के लिए एक साथ लाते हैं।

लेखक वार्ता और व्याख्यान से लेकर कला प्रदर्शनियों और कार्यशालाओं तक, पुस्तकालय कई सारे सीखने के अवसर प्रदान करते हैं। डिजिटल युग में, पुस्तकालय कंप्यूटर, इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल संसाधनों तक पहुंच प्रदान करके डिजिटल अंतर को भी कम करते हैं। वे व्यक्तियों को आवश्यक डिजिटल साक्षरता कौशल से सशक्त बनाते हैं और सूचना और प्रौद्योगिकी तक समान पहुंच सुनिश्चित करते हैं।

पुस्तकालयों और शिक्षा के बीच संबंध बहुत गहरा है। यह संबंध एक दूसरे को समर्थन देने और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पुस्तकालय छात्रों और शिक्षकों को पाठ्यपुस्तकों, अध्ययन सामग्री, विद्वान पत्रिकाओं और मल्टीमीडिया संसाधनों सहित संसाधनों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच प्रदान करते हैं। ये संसाधन अतिरिक्त जानकारी और सीखने के अवसर प्रदान करते हैं। पुस्तकालय अनुसंधान के लिए अमूल्य केंद्र के रूप में काम करते हैं, जो अकादमिक डेटाबेस विशेष संग्रह तक पहुंच प्रदान करते हैं।

छात्र और शिक्षक अपने शैक्षणिक प्रयासों के लिए अनुसंधान कर सकते हैं, डेटा एकत्र कर सकते हैं और विद्वान साहित्य तक पहुंच सकते हैं। पुस्तकालय साक्षरता को बढ़ावा देने और छात्रों के बीच पढ़ने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साक्षरता कार्यक्रमों, कहानी कहने के सत्रों और पुस्तक क्लबों के माध्यम से, पुस्तकालय सीखने के लिए जुनून पैदा करते हैं और छात्रों को पढ़ने और समझने के कौशल विकसित करने में मदद करते हैं।

पुस्तकालय छात्रों को जानकारी को प्रभावी ढंग से नेविगेट करने, गंभीर मूल्यांकन करने और गलत सूचना से विश्वसनीय जानकारी को समझना सिखाते हैं। आज के डिजिटल युग में पुस्तकालय छात्रों को कंप्यूटर, इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल संसाधनों तक पहुंच प्रदान करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि सभी छात्रों को उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, आधुनिक शिक्षा के लिए डिजिटल शिक्षण उपकरणों तक पहुंच प्राप्त हो। छात्र और शिक्षक समान रूप से व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए जीवन भर पुस्तकालयों से जुड़ सकते हैं।

पुस्तकालय पर 10 लाइन्स इस प्रकार है:

  • पुस्तकालय ज्ञान के भंडार होते हैं, जिनमें पुस्तकों, पत्रिकाओं और डिजिटल संसाधनों की एक विशाल श्रृंखला होती है।
  • वे भावी पीढ़ियों के लिए मानवता के सामूहिक ज्ञान को संरक्षित करते हुए, सांस्कृतिक भंडार के रूप में कार्य करते हैं।
  • पुस्तकालय शैक्षिक कार्यक्रमों और संसाधनों के माध्यम से साक्षरता और आजीवन सीखने को बढ़ावा देते हैं।
  • वे जानकारी तक पहुंच प्रदान करते हैं और विभिन्न विषयों में अनुसंधान प्रयासों का समर्थन करते हैं।
  • पुस्तकालय अध्ययन, चिंतन और शैक्षणिक गतिविधियों के लिए शांत स्थान प्रदान करते हैं।
  • वे कहानी सुनाने के सत्रों और पुस्तक क्लबों के माध्यम से पढ़ने और साहित्य के प्रति प्रेम को बढ़ावा देते हैं।
  • पुस्तकालय कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्टिविटी तक पहुंच प्रदान करके डिजिटल विभाजन कम करते हैं।
  • वे ऐसे सामुदायिक केंद्र के रूप में कार्य करते हैं, जहां कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और प्रदर्शनिया आयोजित की जा सकती हैं।
  • डिजिटल युग में आगे बढ़ने के लिए पुस्तकालय व्यक्तियों को आवश्यक सूचना साक्षरता कौशल प्रदान करते हैं।
  • पुस्तकालय अमूल्य संस्थान होते हैं जो जीवन को समृद्ध बनाते हैं, समुदायों को सशक्त बनाते हैं और मानवता की बौद्धिक विरासत को संरक्षित करते हैं।

पुस्तकालय शिक्षा प्रणाली का हृदय और आत्मा है। पुस्तकालय ज्ञान का प्रसार करता है और इसके कई उपयोग हैं। पुस्तकालय के उपयोग के आधार पर इसकी कई श्रेणियां हैं। कुछ पुस्तकालय निजी हैं, कुछ सार्वजनिक हैं जबकि कुछ सरकारी हैं। विद्यालय और पुस्तकालय ज्ञान के मंदिर हैं।

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पुस्तकालय पुस्तकों, पत्रिकाओं,  समाचार पत्रों, डिजिटल डेटाबेस, मल्टीमीडिया सामग्री और शैक्षिक उपकरणों सहित संसाधनों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं।

कई पुस्तकालय अपनी वेबसाइटों या लाइब्रेरी ऐप्स के माध्यम से ई-पुस्तकें, ऑडियोबुक, ऑनलाइन डेटाबेस और स्ट्रीमिंग सेवाओं जैसे डिजिटल संसाधनों तक पहुंच प्रदान करते हैं।  इन संसाधनों तक पहुंचने के लिए उपयोगकर्ताओं को अक्सर लाइब्रेरी कार्ड की आवश्यकता होती है।

हाँ, पुस्तकालय में अक्सर सभी उम्र के लोगों के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम किए जाते हैं, जिनमें लेखक वार्ता, पुस्तक क्लब, कहानी कहने के सत्र, कार्यशालाएँ, व्याख्यान, कला प्रदर्शनियाँ और शैक्षिक कार्यक्रम शामिल हैं।

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Hindi Essay on “Library”, “पुस्तकालय”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

आज के युग में पुस्तकालय (लाइब्रेरी) का महत्त्व बढ़ गया है। हर व्यक्ति के लिए संभव नहीं कि वह हर पुस्तक खरीद सके। इसलिए पुस्तकालय की शरण लेनी पड़ती है। प्रत्येक विद्यालय में अपना पुस्तकालय होता है। ज्ञान प्राप्त करने वाले लोग पुस्तकालयों का सहारा लेते हैं। हमारे स्कूल का नाम डी० ए० वी० सैं० स्कूल है। यह एक बहुत बड़ा स्कूल है। इसमें लगभग 1800 बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। स्कूल बड़ा साफ-सुथरा और कमरे हवादार हैं। हमारे प्रधानाध्यापक जी बड़े कुशल और समझ्दार हैं। हमारे स्कूल के एक बड़े कमरे में पुस्तकालय बना हुआ है। इसकी दीवारों पर विद्वानों के चित्र लगे हुए हैं। एक बोर्ड पर चुप रहने का अनुरोध किया हुआ है। हमारे पुस्तकालय में कई समाचार-पत्र, पत्रिकाएं आती हैं। हमारे पुस्तकालय में मुख्य तीन विभाग हैं। अंग्रेज़ी, हिन्दी , पंजाबी। इनमें विभिन्न विषयों से सम्बन्धित कई हजार पुस्तकें हैं। उन पर नम्बर लगे हुए हैं। पुस्तकों की जानकारी प्राप्त करने के लिए कैटलॉग भी बनाया गया है। हमें एक पुस्तक एक सप्ताह के लिए मिलती है। यदि निश्चित तिथि के बाद पुस्तक लौटाते हैं तो जुर्माना देना पड़ता है। किसी पुस्तक पर स्याही से कुछ लिखना या पृष्ठ फाड़ना सख्त मना है। अध्यापक भी पुस्तकालय से पुस्तक लेते हैं। हमारा पुस्तकालय अत्यन्त साफ एवं हवादार है। मझे अपने स्कूल का पुस्तकालय बहुत अच्छा लगता है।

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पुस्तकालय पर निबंध

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पुस्तकालय का अर्थ:- पुस्तकालय वह स्थान है जहाँ विभिन्न प्रकार के ज्ञान, सूचनाओं, स्रोतों आदि का जमावड़ा(संग्रह) रहता है। पुस्तकालय शब्द अंग्रेजी के लाइब्रेरी [library] शब्द का हिंदी रूपांतर है। लाइबेरी शब्द की उत्पत्ति लेतिन शब्द ‘ लाइवर ‘ से हुई है, जिसका अर्थ है पुस्तक। पुस्तकालय का इतिहास लेखन प्रणाली पुस्तकों और दस्तावेज के स्वरूप को संरक्षित रखने की पद्धतियों और प्रणालियों से जुड़ा है। पुस्तकालय यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- पुस्तक + आलय । पुस्तकालय उस स्थान को कहते हैं जहाँ पर अध्ययन सामग्री (पुस्तकें, पत्रपत्रिकाएँ, मानचित्र, हस्तलिखित ग्रंथ, एव अन्य पठनीय सामग्री) संगृहीत रहती है और इस सामग्री की सुरक्षा की जाती है। पुस्तकों से भरी अलमारी अथवा पुस्तक विक्रेता के पास पुस्तकों का संग्रह पुस्तकालय नहीं कहलाता क्योंकि वहाँ पर पुस्तकें व्यावसायिक दृष्टि से रखी जाती हैं।

मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए जिस प्रकार हमें पौष्टिक तथा संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक है। मस्तिष्क को बिना गतिशील बनाये ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता। ज्ञान प्राप्ति के लिए विद्यालय जाकर गुरु की शरण लेनी पड़ती है। इसी तरह ज्ञान अर्जित करने के लिए पुस्तकालय की सहायता लेनी पड़ती है। लोगों को शिक्षित करने तथा ज्ञान देने के लिए एक बड़ी राशि व्यय करनी पड़ती है। इसलिए स्कूल कालेज खोले जाते हैं और उनमें पुस्तकालय स्थापित किये जाते हैं। जिससे कि ज्ञान चाहने वाला व्यक्ति सरलता से ज्ञान प्राप्त कर सके।

पुस्तकालय के दो भाग होते हैं। वाचनालय तथा पुस्तकालय। वाचनालय में देशभर से प्रकाशित दैनिक अखबार के अलावा साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक पत्र-पत्रिकाओं का पठन केन्द्र है। यहां से हमें दिन प्रतिदिन की घटनाओं की जानकारी मिलती है। पुस्तकालय विविध विषयों और इनकी विविध पुस्तकों का भण्डार ग्रह होता है। पुस्तकालय में दुर्लभ से दुर्लभ पुस्तक भी मिल जाती है।

भारत में पुस्तकालयों की परम्परा प्राचीनकाल से ही रही है। नालन्दा, तक्षशिला के पुस्तकालय विश्वभर में प्रसिद्ध थे। मुद्रणकला के साथ ही भारत में पुस्तकालयों की लोकप्रियता बढ़ती चली गई। दिल्ली में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की सैकड़ों शाखाएं हैं। इसके अलावा दिल्ली में एक नेशनल लाइब्रेरी भी है। पुस्तकें मनुष्य की मित्र होती हैं। एक ओर जहां वे हमारा मनोरंजन करती हैं वहीं वह हमारा ज्ञान भी बढ़ाती हैं। हमें सभ्यता की जानकारी भी पुस्तकों से ही प्राप्त होती है। पुस्तकें ही हमें प्राचीनकाल से लेकर वर्तमानकाल के विचारों से अवगत कराती है। इसके अलावा पुस्तकें संसार के कई रहस्यों से परिचित कराती हैं। कोई भी व्यक्ति एक सीमा तक ही पुस्तक खरीद सकता है। सभी प्रकाशित पुस्तकें खरीदना सबके बस की बात नहीं है। इसलिए पुस्तकालयों की स्थापना की गई। पुस्तकालय का अर्थ है पुस्तकों का घर । यहां हर विषय की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। इनमें विदेशी पुस्तकें भी शामिल होती हैं। विद्यालय की तरह पुस्तकालय भी ज्ञान का मंदिर है।

पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं। इनमें पहले पुस्तकालय वे हैं जो स्कूल, कालेज तथा विश्वविद्यालय के होते हैं। दूसरी प्रकार के पुस्तकालय निजी होते हैं। ज्ञान प्राप्ति के शौकीन व्यक्ति अपने-अपने कार्यालयों या घरों में पुस्तकालय बनाकर अपना तथा अपने परिचितों का ज्ञान अर्जन करते हैं। तीसरे प्रकार के पुस्तकालय राजकीय पुस्तकालय होते हैं। इनका संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। इन पुस्तकों का लाभ सभी लोग उठा सकते हैं। चौथी प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक होते हैं। इनसे भी सरकारी पुस्तकालयों की तरह लाभ उठा सकते हैं।

इनके अतिरिक्त स्वयं सेवी संगठनों व सरकार द्वारा सचल पुस्तकालय सेवाएं चलाये जा रहे हैं। यह पुस्तकालय एक वाहन पर होते हैं। हमारा युग ज्ञान का युग है। वर्तमान में ज्ञान ही ईश्वर है व शक्ति है। पुस्तकालय से ज्ञान वृद्धि में जो सहायता मिलती है वह और कहीं से सम्भव नहीं है। विद्यालय में विद्यार्थी केवल विषय से संबंधित ज्ञान प्राप्त कर सकता है लेकिन पुस्तकालय ज्ञान का खजाना है।

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पुस्तकालय पर निबंध, Hindi Essay on library 900 words.

भूमिका :- जिस प्रकार संतुलित आहार से हमारा शरीर हस्टपुस्ट होता है। उसी प्रकार मानसिक विकास के लिए अध्ययन तथा स्वास्थ्य का बड़ा महत्व है। इस संसार मे ज्ञान से बड़कर कोई अन्य वस्तु पवित्र  नही हो सकती। ज्ञान के अभाव में मानव था पशु में कोई अंतर नहीं होता। ज्ञान ही ईशवर है। ज्ञान प्राप्त करने के अनेक साधन है। जिसमें सत्संग , देशाटन तथा सद्ग्रन्थों का अध्धयन है। इन सब मे पुस्तक को ज्ञान पताप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन मना गया है। पुस्तकें ज्ञान राशि के अथाह भंडार को अपने मे संचित किये रहती है। इनके द्वारा घर बैठे हजारो वर्षो के सद्ग्रन्थों की प्राप्ति होती है। जो हमें पुस्तकालयों से होती है। जिनमे हम विज्ञान से परिचित हो सकते है।

पुस्तकालय की उत्पत्ती:- पुस्तकालय दो शब्दों के योग से बना है। पुस्तकों का घर। केवल पुस्तको को एक स्थान पर एकत्रित करने अथवा एक कमरे में भर देने से पुस्तकालय नहीं बन जाता। पुस्तकालय तो एक ऐसा स्थान है। जिसके उपयोगादी का सुनियोजित विधान होता हैं।

पुस्तकालय का महत्व:- पुस्तकालय वह स्थान है। जहाँ पुस्तकों   का समूह होता है। यह पुस्तकें पाठकों को कुछ समय के लिए पढ़ने के लिए उधार दी जाती है। जब समय समाप्त हो जाता है , तो वे पस्तकें वापस कर देते है और नई पस्तकें उधार ले लेते है। प्रत्येक जो पुस्तकालय से पुस्तक उधार लेता है, उसे मासिक या वार्षिक शुल्क चुकाना पड़ता है। फिर वह पुस्तकालय का सदस्य बन जाता है और पुस्तक उधार लेने का अधिकार प्राप्त कर लेता है।

पुस्तकालय सबका सच्चा दोस्त:- पुस्तकालय उनको एक अच्छा अवसर प्रदान करता है। जो पुस्तके क्रय नही कर सकते है। हमारे देश मे प्रत्येक पाठक प्रत्येक पुस्तक खरीद नही सकता है। बहुत कम लोग ऐसा कर पाते है। पुस्तकालय सार्वजनिक सम्पत्ति है। सरकार कस्बो, नगरों, गाँवो में पुस्तकालय खोलती है और उनकी भी मद्त हो जाती है। जो पुस्तक खरीदने में असमर्थ होती है। लेकिन शिक्षा प्राप्त करना चाहते है। इसलिए पुस्तकालय गरीब हो या कोई अमीर व्यक्ति सभी की एक सच्चा मित्र के समान होती है।

पुस्तकालय में पुस्तकों के प्रकार :- पुस्तकालय में अनेक प्रकार की पुस्तकें होती है। पाठक अपनी पसंद  की पुस्तकें उधार लेते है। पुस्तकालय में उपन्यास, जीवनी, आत्मकथाएं, कविताएं, कहानियां आदि से सम्बंधित पुस्तके होती है। कुछ पुस्तकालयों में समाचार पत्र और पत्रिकाएं भी मिलती है।

पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते है। इनमें से प्रथम प्रकार के पुस्तकालय वे है। जो विद्यालयों , महाविद्यालयो तथा विशवविद्यालय , में विधमान है । दूसरे प्रकार के निजी पुस्तकालय है। जिनके स्वामी तथा उपयोग करने वाले प्रायः एक ही व्यक्ति होते है। अध्यपको , वकीलों , डॉक्टरों , साहित्यकारों राजनीतियो तथा अन्य ज्ञान पिपासुओं एवं धनाढ्यों के पुस्तकालय इसी श्रेणी में आते है। तीसरे प्रकार के पुस्तकालय वर्गगत होते है। इनका स्वामी कोई सम्प्रदाय या वर्ग होता है। इन पुस्तकालयो का प्रयोग केवल इन्ही सम्प्रदायो अथवा संस्थानों से सम्बद्ध व्यक्ति कर पाते है। चौथे प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक होते है। ये भी प्रायः संस्थागत अथवा राजकीय होते है। इनका सदस्य कोई भी हो सकता है। ये भी दो प्रकार के हो सकते है।

स्थायी एवं चलते फिरते। इनके अतिरिक्त चल व्यापारिक पुस्तकालय भी होते है। जो बसों या रेलगाड़ी में होते है। इनके अतिरिक्त राजकीय पुस्तकालय भी होते है। जिनकी व्यवस्था सरकार द्वारा होती है तथा इनका प्रयोग विशेष व्यक्तियों तक सीमित होता है। ये जन साधरण की पहुँच से बाहर होते है।

पुस्तकालय के लाभ:- पुस्तकालय से अनेक लाभ है। ये ज्ञान का सक्षम भण्डार है। पुस्तकालय एक ऐसा स्त्रोत है। जहाँ से ज्ञान की निर्मल धारा सदैव वहति रहती है। रामचन्द्र शुक्ल ने ठीक कहा है।

“पुस्तकों के द्वारा हम किसी महापुरुष को जितना जान सकते है। उतना उनके मित्र क्या पुत्र तक भी नही जान सकते”

एक ही स्थान पर विभिन्न भाषाओं, धर्मो, विषयों, वैज्ञानिको, आविष्कारो ऐतिहासिक तथ्यों से सम्बंधित पुस्तकें केवल पुस्तकालय मे ही उपलब्ध हो सकती है।

पुस्तकालय के द्वारा हम आत्मबुद्धि तथा आत्म परिष्कार कर सकते है। पुस्तकों से एक ऐसी ज्ञान धारा बहती है। जो हमारे ह्रदय और हमारे मस्तिष्क का विकास करती है। एकान्त तथा शांत वातावरण में अध्ययनशील होकर कोई भी व्यक्ति ज्ञान की अनेक मणियो को प्राप्त कर सकता है। इस स्थान पर विभिन्न देश तथा कालो के अमूल्य अप्राप्य ग्रन्थ , सुलभता से मिल सकते है पुस्तकों के ज्ञान से हमारा सामान्य ज्ञान भी बढ़ता है।

आधुनिक महंगाई और निर्धनता में प्रत्येक व्यक्ति के लिये अधिक गर्न्थो का क्रय करना सम्भव नही है। पुस्तकालय में नाममात्र का शुल्क देकर अथवा मुफ्त सदस्यता प्राप्त करके अनेक ग्रन्थों का अध्ययन किया जा सकता है। पुस्तकालय में जाकर हमारा पर्याप्त मनोरंजन भी होता है। यहाँ हम अपने अवकाश के क्षणों का सदुपयोग कर सकते है। पुस्तकालय में बेठने से अध्ययन व्रती को बढ़ावा मिलता है तथा गहन अध्ययन सम्भव होता है। महात्मा गांधी कहा करतें थे कि – भारत के प्रत्येक घर मे पुस्तकालय होना चाहिए।

पुस्तकालय की पुस्तक का सदुपयोग:- पुस्तकालय समाजिक महत्व की जगह है। अतः यहाँ के ग्रन्थों को बर्बाद नही करना चाहिए। पुस्तकें समय पर लौटानी चाहिए तथा उनके पृष्ठो को गंदा नही करना चाहिए और न ही पृष्ठ फाड़ने अथवा चित्र काटने चाहिए। पुस्तकालय में बैठ कर शांतिपूर्ण अध्ययन करना चाहिए। पुस्तक जहां से निकली है। अध्यनोपरांत पुस्तक वहीं रख दी जानी चाहिए।

उपसंहार:- आज हमारे देश मे अनेक पुस्तकालय है। परंतु अभी भी अच्छे पुस्तकालय की बहुत कमी है। इस अभाव को दूर करना  सरकार का कर्त्तव्य है। अशिक्षा, निर्धनता, अधिकारो की उपेक्षा आदि के कारण हमारे देश मे पुस्तकालय की हिन दशा है। पुस्तकालय का छात्रों के लिए विशेष महत्व है। अच्छे पुस्तकालय राष्ट निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। अतः सरकार तथा अन्य संस्थानों को चाहिए कि अच्छे पुस्तकालय की स्थापना करें व पुस्तक के महत्व पर लोकमान्य तिलक ठीक ही कहा करते थे।

“में नरक में भी उत्तम पुस्तकों के स्वागत करूँगा , क्योंकि पुस्तके जहां होंगी वही स्वर्ग आ जाएगा”।

#सम्बंधित:- Hindi Essay, हिंदी निबंध। 

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8 thoughts on “पुस्तकालय पर निबंध”

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पुस्तकालय पर निबन्ध | Essay for Kids on Library in Hindi

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पुस्तकालय पर निबन्ध | Essay for Kids on Library in Hindi!

पुस्तकालय शब्द दो शब्दों के योग से बना है : पुस्तक और आलय अर्थात् पुस्तकों का घर । वास्तव में पुस्तकालय का अर्थ केवल पुस्तकों का घर नहीं बल्कि पुस्तकों के घर के रूप में ज्ञान का मंदिर (Temple of Knowledge) है ।

पुस्तकालय एक ऐसा स्थान है जहाँ किसी भी प्रकार की अच्छी पुस्तक के होने की संभावना (Probability) होती है और कोई भी व्यक्ति पुस्तक बिना खरीदे पड़ सकता है ।

पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं – सार्वजनिक पुस्तकालय (Public library), संस्थागत या विभागीय पुस्तकालय (Institutional), निजी पुस्तकालय (Private Library इत्यादि । सार्वजनिक पुस्तकालय सरकार द्वारा चलाये जाते हैं और कुछ निजी संस्थाओं (Private Institution) द्वारा भी । सार्वजनिक पुस्तकालय सामान्य रूप से सभी लोगों के लिए होता है ।

ADVERTISEMENTS:

सदस्यता शुल्क (Membership fees) के रूप में कुछ राशि (Amount) देकर पुस्तकें घर लाकर भी पड़ी जा सकती हैं । विभागीय या संस्थागत पुस्तकालय स्कूल-कॉलेजों या सरकारी विभागों इत्यादि में होते हैं जिसका उपयोग (Use) उस स्कूल-कॉलेज या विभाग के व्यक्तियों के लिए ही होता है । व्यक्ति अपने घर के किसी कमरे में अच्छी पुस्तकों का संकलन (Collection) करके निजी पुस्तकालय बना सकता है ।

3. महत्त्व:

संसार में ज्ञान की जरूरत हर काल (Period) में और हर देश में होती है । जिस देश के लोगों में तरह-तरह की जानकारियाँ सबसे अधिक होती हैं, वहीं देश संसार में सबसे ऊँचा होता है और वही देश सब क्षेत्रों (Areas or fields) में प्रगति (Progress) कर सकता है ।

ज्ञान पाने का सबसे बड़ा और अच्छा मार्ग है पुस्तकालय । किसी प्राचीन (Ancient) विषय का अध्ययन (Study) करना हो या वर्तमान (Present) विषय का, विज्ञान और तकनीक (Science and Technology) का अध्ययन करना होया किसी कला या साहित्य का, कविताओं की कोई अच्छी पुस्तकचाहिए या किसी महापुरुष की जीवनी (Biography) सब कुछ एक स्थान पर यानी पुस्तकालय में हमें मिल सकता है ।

इतना ही नहीं, पुस्तकालय केवाचन कक्ष (Reading hall) में अनेक प्रकार के समाचार-पत्र (Newspaper), पत्रिकाएं (Magagine) आदि भी एकस्थान पर रखी मिल जाती हैं जिसमें से हम अपनी जरूरत के अनुसार पुराने या नये अंक देख सकते है ।

4. उपसंहार:

जिस प्रकार किसी मंदिर में प्रवेश करने पर हमारा मन भगवान या देवी के प्रति श्रद्धा (Reverence) से भर जाता है, उसी प्रकार पुस्तकालय में प्रवेश करने पर हमारे मन में तरह-तरह की पुस्तकों के प्रति आकर्षण तथा ज्ञान की जिज्ञासा (Curiosity) बढ़ जाती है । हमें यदि ज्ञान पाने की जरूरत या शौक (Hobby) है तो हमें नियमित रूप से पुस्तकालय जाना चाहिए ।

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