How to write book review in Hindi with example- पुस्तक समीक्षा कैसे लिखें
अगर आप कोई ऐसी वेबसाइट खोलने की सोच रहे हैं जो किताबों पर आधारित है या किसी भी freelancer वेबसाइट पर book reviewer बनना चाहते हैं तो यह वेबसाइट आपके लिए ही है । आप इस पोस्ट में विस्तारपूर्वक जानेंगे कि how to write book review in Hindi यानि कि हिंदी में पुस्तक समीक्षा कैसे करें ? इस पोस्ट के माध्यम से आप आसानी से किसी भी book का review Hindi में कर सकते हैं ।
प्राचीन समय से ही किताबों की महत्ता विश्व समाज में सर्वोपरि रही है । पहले लोग किताबों के बारे में लोगों से सुन सुन कर , फिर किताब को पढ़ते थे । परन्तु , आज के digital दुनिया में लोग इंटरनेट पर किताबों के reviews खोजते हैं । इसके अलावा कई ऐसे publishers हैं जो अपनी किताब का review कराते हैं ताकि उन्हें सही मूल्यांकन का पता चल सकें । यह freelancing के अंतर्गत आता है ।
ऐसे में अगर आप किसी भी वजह या profession के लिए पुस्तक समीक्षा सीखना चाहते हैं तो how to write book review in Hindi का यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही ज्यादा हेल्पफुल रहेगा । इसलिए इसे अंत तक पढ़ें और अगर आपको यह हेल्पफुल लगे तो शेयर जरुर करें । तो चलिए जानते हैं book review format in Hindi –
Book review क्या है ?
Book review एक पुस्तक का विश्लेषण है जिसमें इसके विषय, खूबियां, कमियां और संदर्भ शामिल हैं । इसमें किताब का संक्षिप्त सारांश, लेखक के पृष्ठभूमि की जानकारी, किताब का विषय और कंटेंट का evaluation किया जाता है ।
अपने विद्यार्थी दौर में आपने अपने हिंदी / इंगलिश शिक्षक से बुक रिव्यू करने का होमवर्क अवश्य पाया होगा या पा रहे होंगे । तो ऐसे में आप किताब के बारे में क्या राय रखते हैं या आपको किताब कैसी लगी , यही नहीं लिख सकते । सही मायनों में पुस्तक समीक्षा यह नहीं है । पुस्तक समीक्षा करते वक्त आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –
- किताब का short summary ( सारांश )
- लेखक की पृष्ठभूमि
- किताब का टॉपिक
- Content का critical evaluation
अगर आप ऊपर दिए इन 4 बिंदुओं को ध्यान में रखकर book review in Hindi करते हैं तो वह सही मायनों में पुस्तक समीक्षा होगी । आगे आप इस how to write book review in Hindi पोस्ट में उदाहरण के माध्यम से भी जानेंगे कि पुस्तक समीक्षा कैसे करें ?
How to write book review in Hindi
चलिए आपके प्रश्न book review kaise kare का उत्तर देते हैं । इसके पहले आप यह instagram infographic देख सकते हैं जिससे कि आपको इस पोस्ट के बारे में संक्षेप में idea हो जाएगा ।
अगर आप सच में एक expert book reviewer बनना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले ढेर सारी किताबें पढ़ना चाहिए । आप किसी भी भाषा की किताबें पढ़कर काफी कुछ सीख सकते हैं इसलिए सबसे पहले पढ़ें ।
How to write book review in Hindi के लिए यह helpful infographic –
1. किताब की short summary लिखें
किसी भी किताब की समीक्षा करते समय , शुरुआत में उसकी short summary अवश्य लिखें । इससे लेखकों को उस किताब के content के बारे में थोड़ा idea हो जाता है कि वे किताब में क्या पढ़ेंगे । परन्तु , ध्यान रखें कि आपको इस summary में अपने reviews चाहे वो positive हों या negative , नहीं लिखना है । इसके साथ ही इस short summary में spoilers लिखने से बचें ।
अगर आप किताब के असली climax और अंत को शुरुआत में ही उजागर कर देंगे , तो readers के गुस्से का सामना आपको करना पड़ सकता है । इसलिए पाठकों के किताब पढ़ने के मज़े को बिल्कुल भी खराब न करें । इसके अलावा एक expert book reviewer की तरह किताब की समीक्षा करें ।
2. किताब के plus points को बताएं
book review in Hindi को लिखने के लिए short summary से शुरुआत करें । इसके बाद आपको बुक के बारे में short introduction देते हुए plus points बताना है । यह हमेशा ध्यान रखें कि समीक्षा के शुरुआत में कभी भी negative points को लिखने से बचें । किताब की अच्छाइयों को बताते हुए आप इन बिंदुओं का उत्तर दे सकते हैं –
- किताब में आपका सबसे पसंदीदा किरदार कौन था ?
- क्या किताब के सभी किरदार जीवंत ( real ) लग रहे थे ?
- क्या कोई पुस्तक पढ़ते समय आगे की कहानी को guess कर सकता है ?
- क्या आपको कहानी बांधे रखती है ?
- किताब में कौनसा भाग आपको सबसे अच्छा लगा ?
- क्या किताब ने आपकी भावनाओं से खेलने की कोशिश की ? जैसे हसना , रोना या दुखी होना इत्यादि ।
- आपको कौनसा dialogue सबसे रोचक लगा ?
3. किताब के negative points को लिखें
किताब के Good points को लिखने के बाद आपको उन points को लिखना चाहिए , जो आपको किताब के बारे में अच्छा न लगा हो । इसमें आप सभी negative points को लिख सकते हैं । Book review करते समय हमेशा critical रहें और ईमानदारी दिखाएं । आपकी किताब समीक्षा किसी भी पुस्तक के sales को घटा या बढ़ा सकती है इसलिए plz be honest !
Negative points को लिखते समय भी आप निम्न बिंदुओं पर गौर करें –
- क्या कहानी का main character पाठकों को entertain कर पाएगा या वह अपनी भूमिका सही से निभा पाया ?
- क्या आपको कहानी का अंत उबाऊपन लगा ? अगर हां तो क्यों ?
- क्या यह किताब / कहानी अपने main theme या topic से न्याय कर पाई ?
इन बिंदुओं को आप विस्तार से अपने किताब के नकारात्मक समीक्षा वाले भाग में लिख सकते हैं । इस तरह आप आसानी से और बेहतरीन तरीके से किताब के नकारात्मक पक्ष को भी पाठकों के समक्ष रख सकते हैं ।
4. अपने समीक्षा को round up करें
जिस तरह से आपने पूरी कहानी या किताब के कंटेंट को शुरुआत में summarise किया था ठीक उसी तरह आपको अपने book reviews को भी round up करना है । इसमें आप overall experience के बारे में बात करते हुए book recommendation भी कर सकते हैं । उदाहरण के तौर पर – यह किताब किसे पसंद आएगी ? क्या यह teenage बच्चो के पढ़ने लायक है ?
इसकेे अलावा आप ऐसी ही किसी अन्य किताब से compare भी कर सकते हैं । पर ध्यान रखें कि आप जिस भी अन्य किताब से compare करें , कम ही लिखें । ऐसा न लगे कि आप साथ ही किसी अन्य किताब की भी marketing कर रहे हों ।
5. किताब को rate करें
अगर आप जिस भी किताब का book review कर रहे हैं , उसका rating भी कर दें तो यह bonus point साबित होगा और आपके रीडर्स भी यह decide कर सकेंगे कि उन्हें यह पुस्तक पढ़नी है या नहीं । आप चाहें तो किताब के overall experience को 5 या 10 में से star दे सकते हैं ।
इस तरह आप समझ गए होंगे कि पुस्तक समीक्षा कैसे लिखें । पुस्तक समीक्षा को लिखने के लिए यह जरूरी 5 बिंदुओं को ध्यान में अवश्य रखें और बुक रिव्यू लिखना शुरू करें ।
How to write book review in Hindi – Examples
अगर आप How to write book review in Hindi का एक बेहतरीन Example तलाश रहे हैं , तो Femina वेबसाइट पर छपे Animal farm Hindi book review की पुस्तक समीक्षा को पढ़ सकते हैं । इसे पढ़कर आप सही मायने में किसी पुस्तक की समीक्षा कर सकते हैं ।
इसके अलावा भी अगर आप विद्यार्थी हैं तो learncbse पर इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं जिसमें ढेरों पुस्तक समीक्षाएं मौजूद है । इसे आप पढ़कर अपने स्कूली परीक्षाओं में लिख भी सकते हैं ।
पुस्तक समीक्षा के लिए क्या Qualification हैं ?
पुस्तक समीक्षा करने के लिए कोई specific qualification की जरूरत तो नहीं है , फिर भी अगर आप एक expert book reviewer बनना चाहते हैं तो हिंदी / इंगलिश विषय में स्नातक या स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई कर सकते हैं । इससे आपकी हिंदी या अंग्रेजी भाषा पर काफी अच्छी पकड़ हो जाएगी , जो आपको पुस्तक समीक्षा में काफी मदद करेगा ।
इसके अलावा भी आप पुस्तक समीक्षा लिखने से पहले इन बिंदुओं पर ध्यान दें –
- ज्यादा से ज्यादा किताबों को पढ़ें
- किताबों का मुफ्त में रिव्यू करना शुरू करें
- ऊपर बताए गए guidelines को ध्यान में रखकर ही book review करें
- Book review करते समय ईमानदारी दिखाएं और हमेशा रीडर्स की भलाई के बारे में सोचें
- अपनी इंटरनेट पर online presence बनाएं और सभी बुक रिव्यूज को अपने ब्लॉग पर रखें
- किसी खास genre की पुस्तक समीक्षा करने के लिए specialist बनें
- अपने सबसे बेहतरीन समीक्षाओं को इकट्ठा करें और जरूरत पड़ने पर clients को दिखाएं
- किसी बेहतरीन book community का हिस्सा जरूर बनें
- किसी भी बुक लॉन्च के एक महीने पहले से ही उस पुस्तक की समीक्षा की तैयारी करें
अगर आप ऊपर बताए गए सभी बिंदुओं पर ध्यान देकर book review in Hindi करते हैं तो आप आसानी से इस फील्ड में expert बन सकते हैं ।
Book review करने के लिए websites
अगर आप पुस्तक समीक्षा करने के लिए तैयार और eligible हैं तो आप content writing के अंतर्गत नीचे दिए वेबसाइट्स पर आने लिए जॉब ढूंढ सकते हैं ।
- writer fulbooks
- Kirkus Media
- Online Book Club
How to write book review in Hindi – Conclusion
अगर आप किसी भी पुस्तक की समीक्षा लिखना चाहते हैं या कर रहे हैं तो यह पोस्ट आपके लिए काफी लाभदायक साबित होगा । इसे आप पूरा पढ़ें और पोस्ट में लिखें बिंदुओं को पुस्तक समीक्षा करते समय अवश्य ध्यान में रखें । How to write book reviews in Hindi का यह पोस्ट अगर आपको पसंद आया हो तो शेयर अवश्य करें ताकि अन्य लोगों को भी फायदा हो ।
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- Literature review meaning in Hindi
- Amish Tripathi Books in Hindi
- Motivational Books in Hindi
- Atomic Habits Book Summary in Hindi
- Best Osho Books in Hindi
- Human Psychology Books in Hindi
इसके साथ ही आप पोस्ट के बारे में नीचे कॉमेंट कर सकते हैं । हम इस वेबसाइट पर पुस्तक समीक्षा भी करते हैं , तो आपको किस पुस्तक की समीक्षा चाहिए उसे भी कमेंट के जरिए अवश्य बताएं ।
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Women emporment and bharat in hindi review
We’ll review this one in near future.
Very nicely written article, lot to learn from this. Good job they are very helpful for hindi review of books.
very nice content . thank you sir
Thanks Pramod, keep visiting.
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निर्मला मुंशी प्रेमचंद उपन्यास समीक्षा | Nirmala Book Review In Hindi
दोस्तों जैसा की आप जानते है मुंशी प्रेमचंद ने अपने जीवन काल में विभिन्न उपन्यास और कहानियो की रचना की है जो भारतीय समाज को सच्चा आइना दिखाती है ! आज भी उनके कहानी और उपन्यास उतने ही लोकप्रिय है जितने उस ज़माने में हुआ करते थे ! दोस्तों आज किस इस पोस्ट में हम मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास ‘निर्मला’ की समीक्षा करेंगे ! तो आइये शुरू करते है Nirmala Book Review In Hindi / Nirmala Munshi Premchand Novel Review In Hindi
Introduction
उपन्यास का नाम – निर्मला / Nirmala
लेखक का नाम – मुंशी प्रेमचंद
विषय – साहित्य
कुल पृष्ठ – 184
Nirmala Book Review In Hindi
‘निर्मला’ मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित एक प्रसिद्द हिंदी उपन्यास है ! जिसका प्रकाशन सन 1927 में हुआ था ! प्रेमचंद जी द्वारा यह उपन्यास दहेज़ प्रथा और अनमेल विवाह को आधार बनाकर लिखा गया है ! इस उपन्यास की मुख्य पात्र ‘निर्मला’ नाम की एक 15 साल की सुन्दर और सुशिल लड़की है ! निर्मला की शादी से पहले ही किसी कारणवश उसके पिता की मृत्यु हो जाती है , जिससे उनके परिवार पर दुखो का पहाड़ टूट पड़ता है !
दहेज देने की क्षमता न होने के कारण निर्मला का विवाह एक अधेड़ पुरुष के साथ कर दिया जाता है जिसके पहले से 3 लड़के थे और उनकी पहली पत्नी की मौत हो चुकी होती है !
निर्मला चरित्र की पवित्र होने के बावजूद भी उसे समाज और अपने पति की गलत नजरो का शिकार होना पड़ता है ! इससे उन्हें समाज में अनादर का सामना करना पड़ता है ! इस प्रकार निर्मला विभिन्न परिस्थितियों को सहती हुई अंत में मृत्यु को प्राप्त होती है !
निर्मला उपन्यास में मुंशी प्रेमचंद ने दहेज़ प्रथा और अनमेल विवाह का मार्मिक चित्रण किया है ! इस उपन्यास में बिना सहमती के विवाह और दहेज़ के कारण होने वाले दुष्प्रभावो का सटीकता से वर्णन किया गया है ! साथ ही एक नारी की सहिष्णुता का भी बखूबी वर्णन किया गया है ! एक नारी ही है जो तमाम बुराइयों और विपरीत परिस्थितियों का बखूबी सामना कर सकती है !
अगर हम आज के भारतीय समाज की बात करे तो कई निर्मला ऐसी मिल जाएगी जिन्हें समाज में कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है ! कई महिलाये अनमेल विवाह और दहेज़ के कारण मौत का शिकार हो जाती है !
निर्मला उपन्यास के मुख्य पात्र
निर्मला – मुंशी जी ( तोताराम ) की पत्नी
मंसाराम – मुंशी जी का बड़ा बेटा
जियाराम , सियाराम – मुंशी जी के छोटे बेटे
रुक्मणि – मुंशी जी की विधवा बहन
कृष्णा – निर्मला की बहन
प्रेमचंद जी ने निर्मला उपन्यास की भाषा को काफी सरल और समझने योग्य बनाया है ! इस उपन्यास में निर्मला को मुख्या पात्र बनाया गया है ! यह उपन्यास महिलाओ के संघर्ष और सहिष्णुता को दिखाता है ! कैसे एक महिला चरित्रवान होते हुए भी उसे समाज की गलत निगाहों का सामना करना पड़ता है ! इस उपन्यास में कई किरदारों की मौत हो जाती है ! निर्मला को भी विभिन्न दुखो का सामना करना पड़ता है , इसके बावजूद भी वह हिम्मत नहीं हारती है और परेशानियों का डटकर सामना करती है !
एक दिन ऐसा आता है जब वह हालातो का सामना करते – करते इस दुनियां को सदा के लिए अलविदा कह जाती है ! दोस्तों प्रेमचंद जी का यह उपन्यास एक नारी की सहिष्णुता को दिखाता है ! अगर आप नारी की सहिष्णुता और सहनशीलता को जानना और समझना चाहते है तो निर्मल उपन्यास को एक बार अवश्य पढ़े !
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हेल्लो फ्रेंड्स , मेरा नाम जगदीश कुमावत है और मै BooksMirror.Com का फाउंडर हूँ ! यह एक हिंदी बुक्स ब्लॉग है जिसमे हम Motivational और self – help बुक्स की समरी और रिव्यु शेयर करते है !
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पुस्तक समीक्षा : धर्मवीर भारती द्वारा रचित 'गुनाहों का देवता'
“कुछ नहीं बिनती! तुम कहती हो, सुधा को इतने अन्तर पर मैंने रखा तो मैं देवता हूँ! सुधा कहती है, मैंने अन्तर पर रखा, मैंने पाप किया! जाने क्या किया है मैंने? क्या मुझे कम तकलीफ है? मेरा जीवन आजकल किस तरह घायल हो गया है, मैं जानता हूँ। एक पल मुझे आराम नहीं मिलता। क्या उतनी सजा काफी नहीं थी जो सुधा को भी किस्मत यह दण्ड दे रही है? मुझी को सभी बचैनी और दु:ख मिल जाता। सुधा को मेरे पाप का दण्ड क्यों मिल रहा है?”
"गलत मत समझो चन्दर! मैं जानती हूँ कि मैं तुम्हारे लिए राखी के सूत से भी ज्यादा पवित्र रही हूँ लेकिन मैं जैसी हूँ, मुझे वैसी ही क्यों नहीं रहने देते! मैं किसी से शादी नहीं करूँगी। मैं पापा के पास रहूँगी। शादी को मेरा मन नहीं कहता, मैं क्यों करूँ? तुम गुस्सा मत हो, दुखी मत हो, तुम आज्ञा दोगे तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ, लेकिन हत्या करने से पहले यह तो देख लो कि मेरे हृदय में क्या है?"
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गोदान - मुंशी प्रेमचंद ( review of Godaan by munshi Premchand ) Book review
गोदान की समीक्षा (godan- book review), गोदान के लेखक " मुंशी प्रेमचंद" (1900-1936), गोदान,मुंशी जी की कालजयी रचना में से एक है।उनकी हर उपन्यास समाज के लिए दर्पण की तरह ही है एवं समाज को उसके ही स्वरूप का दर्शन कराती हैं।तथा वर्तमान समय में भी यह हमें 'आज के ही वर्तमान से मिलाती हैं। इसलिए गोदान को कालजयी माना हैं। गोदान की कहानी हमें ग्रामीण-जीवन और शहरी विचारधारा को बहुत ही अद्भुत ढंग से देखने और समझने का अनुभव देती हैं।, गोदान के पात्र - , गोदान का मुख्य पात्र "होरी महतो " जो एक गरीब किसान है और अपने सच्चे आदर्शों के साथ अपने जीवन की मूलभुत वस्तु के लिए संघर्ष करता है, वही उसकी पत्नी 'धनिया'है, जो एक तेज-तरार और बेबाक महिला हैं उसे समाज की रीत- व्यवहार से कोई मतलब नही है।उसका बेटा गोबर एक गरमखून का युवा,ज़मीदार रायसाहब और उनके कुछ मित्र मेहता ,मिस मालती जो डॉक्टर है और बड़ी ही बोल्ड महिला,जो अपने अधिकारों के प्रति सजग हैं।, गोदान की रूपरेखा /महत्व/विषयवस्तु--, उपन्यास में सिर्फ होरी का ही नहीं बल्कि गांव के अन्य किसान व खून चूसने वाले महाजन ,धार्मिक ठगी करने वाले ब्राह्मण ,दलित वर्ग की स्थिति ,पारिवारिक मूल्य,ग्रामीण मूल्य ,परोपकार ,लालच का बहुत ही अद्भुत दर्शन होती हैं। तो वही दूसरी ओर अभिजात्य वर्गों, जो धनी भी है और शिक्षित भी ,वे अपने ही शहरी जीवन के संघर्ष ,तथा विदेशी आदर्शो को अपनाने में लगे हुए हैं , शिक्षित वर्ग भी है जो समाज में परिवर्तन लाना चाहते है ,वे विचारशील है ।जिनके विचारों का मुंशी प्रेमचंद जी ने बहुत ही सार-पूर्ण वर्णन किया है। गोदान समाज में महिला की स्थिति पर भी प्रकाश डालता हैं तथा शिक्षित महिलाओ द्वारा,अन्य महिलाओं को अपनी स्थिति सुधारने के लिए जागरूक करना,जो आज के वर्तमान परिदृश्य में भी जारी है। गोदान 1936 में लिखी गई है परंतु इसमें वर्तमान परिदृश्य का ही वर्णन लगता है।समाज में संघर्ष हमेशा ही चलता रहता है,संघर्ष चाहे अमीर-गरीब का हो, शोषित व शोषक वर्गों का या महिलाओं की स्थिति सुधारने का हो । ये सब संघर्ष तब भी थे ,और आज भी, ये सब है।आप इस उपन्यास को आउटडेटिड नहीं कह सकते है इन्हें भी देखें "नीम का पेड़ - डॉ. राही मासूम रज़ा " समीक्षा , गोदान की भाषा शैली - , गोदान उपन्यास की भाषा सामान्य हिंदी ही हैं और इसमे कुछ-कुछ ग्रामीण बोली का पुट दिखाई देता हैं कुछ स्थानों पर सामाजिक व्यंग्य भी दिखाई देता हैं।गोदान बहुत ही मार्मिक उपन्यास है और पढ़ते समय कई स्थानों पर आँशु को रोका नही जा सकता हैं। मार्मिकता ग्रामीण परिवेश में ही नही वरन् शहरी वर्गों की स्थिति भी मार्मिक ही हैं लोगो का संघर्ष पूरी जीवन-भर,बस अपने बेसिक अवश्यकता के लिए,बहुत ही कष्ट-दायक लगता है। कई सहायक पात्र है जो अपने व्यवहार में इतने सच्चे है कि आपको पढ़कर शांति और ख़ुशी की अनुभूति होती हैं,इसमे आपको भारतीय ग्रामीण परंपरा ,प्रेम ,सामजिक समरसता का बहुत ही सूंदर वर्णन मिलता हैं गोदान के पात्रो की छोटी-छोटी बात,व्यवहार आपको, आपके ही संस्कृति का दर्शन कराएँगे और आपको वर्तमान समाज में, सामजिक अपनापन खोने की झलक दिखाई देगी।, क्यों पढ़ें गोदान - , गोदान आपको सामाजिक मूल्यों तथा विचारों को और साफ देखने में मदद करेगा। यह गोदान उपन्यास आपकी देखने और विचार की दृष्टिकोण में अत्याधिक परिवर्तन लाएगा और आपको अपने शुद्ध भारत से परिचित कराएगा। गोदान उपन्यास खरीदने के लिए बुक पर क्लिक करे |, गोदान टीवी सीरियल बनाम गोदान पुस्तक --, गोदान पर तहरीर टीवी सीरियल है परंतु वह बस होरी पात्र के चारो ओर घूमती है, बुक इतनी बड़ी है कि लेखक के विचारो को पर्दे पर लाना बहुत कठिन है आपको बस पात्रो के संवाद को ही दिखाया गया है।लेखक के विचार जो इस उपन्यास गोदान की आत्मा है उसे दिखाना कठिन है।इसलिए पुस्तक पड़ना ही सही है।.
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