द्रौपदी मुर्मू ( अंग्रेज़ी : Draupadi Murmu , जन्म- 20 जून , 1958 , मयूरभंज , ओडिशा ) भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनी हैं। वह 25 जुलाई , 2022 को राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करेंगी। वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। 21 जुलाई , 2007 को सुबह 11 बजे शुरू हुई गिनती में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू ने यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को तीसरे चरण की गिनती में ही हरा दिया। उन्हें जीत के लिए जरूरी 5 लाख 43 हजार 261 वोट तीसरे राउंड में ही मिल गए। इससे पहले द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल रही हैं। वह 18 मई , 2015 से 12 जुलाई , 2021 तक झारखंड के राज्यपाल पद पर रहीं।
साल 2015- 2021 के बीच झारखंड की गवर्नर रहीं द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को उड़ीसा में हुआ था। उनकी पढ़ाई भुवनेश्वर के रमादेवी वुमेंस कॉलेज से हुई है। वह स्नातक हैं। उनके पति श्याम चरण मुर्मू अब जीवित नहीं हैं। द्रौपदी मुर्मू आदिवासी जातीय समूह संथाल से संबंध रखती हैं। उन्होंने अपने गृह जनपद से शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद एक शिक्षक के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत की और कुछ समय तक इस क्षेत्र में काम किया। [1]
उनके पिता का नाम बिरांची नारायण टुडू था जो कि एक किसान थे। उनके दो भाई हैं। भगत टुडू और सरैनी टुडू। द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। उनसे दो बेटे और दो बेटी हुई। साल 1984 में एक बेटी की मौत हो गई। द्रौपदी मुर्मू का बचपन बेहद अभावों और गरीबी में बीता था। लेकिन अपनी स्थिति को उन्होंने अपनी मेहनत के आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी वूमेन कॉलेज से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। बेटी को पढ़ाने के लिए द्रौपदी मुर्मू शिक्षक बन गईं। [2]
कॉलेज जाने वाली गांव की पहली लड़की
द्रौपदी मुर्मू की स्कूली पढ़ाई गांव में हुई। साल 1969 से 1973 तक वह आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं। इसके बाद स्नातक करने के लिए उन्होंने भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में दाखिला ले लिया। द्रौपदी मुर्मू अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो स्नातक की पढ़ाई करने के बाद भुवनेश्वर तक पहुंची। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई। दोनों की मुलाकात बढ़ी, दोस्ती हुई, दोस्ती प्यार में बदल गई। श्याम चरण भी उस वक्त भुवनेश्वर के एक कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे।
द्रौपदी मुर्मू और श्याम चरण दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे। दोनों एक साथ आगे का जीवन व्यतीत करना चाहते थे। परिवार की रजामंदी के लिए श्याम चरण विवाह का प्रस्ताव लेकर द्रौपदी मुर्मू के घर पहुंच गए। श्याम चरण के कुछ रिश्तेदार द्रौपदी मुर्मू के गांव में ही रहते थे। ऐसे में अपनी बात रखने के लिए श्याम चरण अपने चाचा और रिश्तेदारों को लेकर उनके घर गए थे। तमाम कोशिशों के बावजूद द्रौपदी मुर्मू के पिता बिरंची नारायण टुडू ने इस रिश्ते को लेकर इंकार कर दिया। श्याम चरण भी पीछे हटने वाले नहीं थे। उन्होंने तय कर लिया था कि अगर वह शादी करेंगे तो द्रौपदी मुर्मू से ही करेंगे। द्रौपदी मुर्मू ने भी घर में साफ कह दिया था कि वह श्याम चरण से ही शादी करेंगी। श्याम चरण ने तीन दिन तक द्रौपदी मुर्मू के गांव में ही डेरा डाल लिया। थक हारकर द्रौपदी मुर्मू के पिता ने इस रिश्ते को मंजूरी दे दी। [2]
दहेज में मिले गाय, बैल और कपड़े
विवाह के लिए द्रौपदी मुर्मू के पिता मान चुके थे। अब श्याम चरण और द्रौपदी मुर्मू के घरवाले दहेज की बातचीत को लेकर बैठे। इसमें तय हुआ कि श्याम चरण के घर से द्रौपदी मुर्मू को एक गाय , एक बैल और 16 जोड़ी कपड़े दिए जाएंगे। दोनों के परिवार इस पर सहमत हो गए। दरअसल द्रौपदी मुर्मू जिस संथाल समुदाय से आती हैं, उसमें लड़की के घरवालों को लड़के की तरफ से दहेज दिया जाता है। कुछ दिन बाद श्याम चरण से द्रौपदी मुर्मू का विवाह हो गया।
शुरू हुआ राजनीतिक सफर
राजनीति में आने से पहले द्रौपदी मुर्मू ने एक शिक्षक के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत की थी। उन्होंने 1979 से 1983 तक सिंचाई और बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप में भी कार्य किया। इसके बाद 1994 से 1997 तक उन्होंने ऑनरेरी असिस्टेंट टीचर के रूप में कार्य किया। सन 1997 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा। ओडिशा के राइरांगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। इसके बाद वह जिला परिषद की उपाध्यक्ष भी चुनी गईं। वर्ष 2000 में विधानसभा चुनाव लड़ीं। राइरांगपुर विधानसभा से विधायक चुने जाने के बाद उन्हें बीजद और भाजपा गठबंधन वाली सरकार में स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया।
साल 2002 में द्रौपदी मुर्मू को ओडिशा सरकार में मत्स्य एवं पशुपालन विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया। 2006 में उन्हें भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 2009 में वह राइरांगपुर विधानसभा से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतीं। इसके बाद 2009 में वह लोकसभा चुनाव भी लड़ीं, लेकिन जीत नहीं पाईं। 2015 में द्रौपदी मुर्मू को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया। 2021 तक उन्होंने राज्यपाल के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के साथ ही वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन गईं। इसके अलावा देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनने का खिताब भी अपने नाम किया। 64 साल की द्रौपदी राष्ट्रपति पद पर पहुंचने वाली सबसे कम उम्र की शख्सियत हैं। [2]
जीवन की सबसे बड़ी चुनौती
एक दौर ऐसा भी था जब द्रौपदी मुर्मू के सामने दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा था और वो पूरी तरह टूट गई थीं। साल 2009 में द्रौपदी मुर्मू को सबसे बड़ा झटका लगा। उनके बड़े बेटे की एक मार्ग दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। उस दौरान उनके बेटे की उम्र मात्र 25 वर्ष थी। ये सदमा झेलना उनके लिए बेहद मुश्किल हो गया। इसके बाद वर्ष 2013 में उनके दूसरे बेटे की भी मृत्यु हो गई। फिर 2014 में उनके पति का भी देहांत हो गया। ऐसी स्थिति में द्रौपदी मुर्मू के लिए खुद को संभाल पाना बेहद मुश्किल था। हालांकि उनके जानने वाले कहते हैं कि वह हर चुनौती से डील करना जानती हैं। ऐसे ही उन्होंने अपने कठिन समय से भी पार पाया। वह मेडिटेशन करने लगीं। साल 2009 से ही उन्होंने मेडिटेशन के अलग-अलग तरीके अपनाए। वे लगातार माउंट आबू स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान जाती रहीं। [1]
द्रौपदी मुर्मू 18 मई , 2015 से 12 जुलाई , 2021 तक झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। द्रौपदी मुर्मू भाजपा-बीजू जनता दल की ओडिशा में बनी गठबंधन सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। झारखंड के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष और कोडरमा से सांसद रवीन्द्र राय का कहना था कि- "बीजेपी के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार ने देश के आदिवासी समुदाय को उनका हक देने के प्रयास के तहत एक आदिवासी महिला नेता को राज्यपाल बनाया। इससे पूरे देश में ही नहीं, विश्व में भी अच्छा संदेश जाएगा"। राज्य के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने भी द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल बनाए जाने का स्वागत किया था और कहा था कि "यह केन्द्र सरकार का अच्छा कदम है"। द्रौपदी मुर्मू से पहले झारखंड के गठन के बाद 15 नवंबर , 2000 को प्रभात कुमार यहां के पहले राज्यपाल बने थे। उनके बाद वी. सी. पांडे, एम. रामा जोइस, वेद मारवाह , सैयद सिब्ते रजी, के. शंकरनारायणन, एम. ओ. एच. फ़ारूक और डॉ. सैयद अहमद यहां के राज्यपाल रहे।
भारत की राष्ट्रपति
21 जुलाई , 2022 को सुबह 11 बजे शुरू हुई गिनती में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू ने यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को तीसरे चरण की गिनती में ही हरा दिया। उनको जीत के लिए जरूरी 5 लाख 43 हजार 261 वोट तीसरे चरम में ही मिल गए। तीसरे चरण में उन्हें 5 लाख 77 हजार 777 वोट मिले। यशवंत सिन्हा इस चरण में 2 लाख 61 हजार 62 वोट ही जुटा सके। इसमें राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों समेत 20 राज्यों के वोट शामिल थे। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जे. पी. नड्डा ने द्रौपदी मुर्मू के घर पहुंचकर उन्हें बधाई दी।
राष्ट्रपति चुनाव के वोटों की गिनती देर रात 4 चरणों में पूरी हुई। कुल 4754 वोट पड़े थे। गिनती के वक्त 4701 वोट वैध और 53 अमान्य पाए गए। कुल वोटों का कोटा 5,28,491 था। इसमें द्रौपदी मुर्मू को कुल 2824 वोट मिले। इनकी वैल्यू 6 लाख 76 हजार 803 थी। केरल से उनको सबसे कम सिर्फ एक और उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 287 वोट मिले। वहीं, यशवंत सिन्हा को कुल 1877 वोट मिले, जिनकी वैल्यू 3 लाख 80 हजार 177 रही। दूसरी तरफ सिन्हा को आंध्र प्रदेश , नागालैंड और सिक्किम से एक भी वोट नहीं मिले, जबकि उन्हें सबसे ज्यादा 216 वोट पश्चिम बंगाल से मिले। वोट प्रतिशत की बात करें तो द्रौपदी मुर्मू को 64 प्रतिशत और यशवंत सिन्हा को 36 प्रतिशत वोट मिले। [3]
दूसरी तरफ, यशवंत सिन्हा ने भी हार स्वीकार की। उन्होंने कहा- "द्रौपदी मुर्मू को उनकी जीत पर बधाई देता हूं। देश को उम्मीद है कि गणतंत्र के 15वें राष्ट्रपति के रूप में वे बिना किसी भय या पक्षपात के संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करेंगी"।
प्रथम चरण की गिनती
राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल पीसी मोदी के मुताबिक, दोपहर 2 बजे सांसदों के वोटो की गिनती पूरी हुई। इसमें द्रौपदी मुर्मू को 540 वोट मिले। इनकी कुल वैल्यू 3 लाख 78 हजार थी। यशवंत सिन्हा को 208 सांसदों के वोट मिले। इनकी वोट वैल्यू 1 लाख 45 हजार 600 थी। सांसदों के कुल 15 वोट रद्द हो गए। सूत्रों के मुताबिक, 17 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की।
दूसरे चरण की गिनती
पहले 10 राज्यों की गिनती में भी द्रौपदी मुर्मू और सिन्हा के बीच आंकड़ों का लंबा अंतर दिख रहा था। इन राज्यों में कुल 1138 वैलिड वोट थे, जिनकी वैल्यू 1 लाख 49 हजार 575 थी। इनमें मुर्मू को 809 वोट मिले। इनकी वैल्यू 1 लाख 5 हजार 299 थी। यशवंत सिन्हा को 329 वोट मिलें, जिनकी कुल वैल्यू 44 हजार 276 थी। इन 10 राज्यों में अरुणाचल प्रदेश , असम , बिहार , छत्तीसगढ़ , गोवा , गुजरात , हरियाणा , हिमाचल प्रदेश और झारखंड के अलावा आंध्र प्रदेश के वोट शामिल हैं। इनमें 7 राज्यों में भाजपा और गठबंधन की सरकारें हैं। झारखंड और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की सरकार है। आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने एनडीए को समर्थन देने का ऐलान किया था। [3]
तीसरे चरण की गिनती
तीसरे चरण के 10 राज्यों की गिनती में भी द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा के बीच वोट का बड़ा अंतर रहा। इन राज्यों में कुल 1,333 वैलिड वोट हैं, जिनकी वैल्यू 1 लाख 65 हजार 664 थी। इनमें मुर्मू को 812 और सिन्हा को 521 वोट मिले। इन 10 राज्यों में कर्नाटक , केरल , मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र , मणिपुर , मेघालय , मिजोरम , नगालैंड , ओड़िशा और पंजाब के वोट शामिल थे।
भारतीय जनता पार्टी ने 21 जून , 2022 को द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था, तब एनडीए के खाते में 5 लाख 63 हजार 825, यानी 52 प्रतिशत वोट थे। 24 विपक्षी दलों के साथ होने पर यशवंत सिन्हा के साथ 4 लाख 80 हजार 748 यानी 44 प्रतिशत वोट माने जा रहे थे। बीते 27 दिन में कई गैर एनडीए दलों के समर्थन में आने से द्रौपदी मुर्मू को निर्णायक बढ़त मिल गई। सभी 10 लाख 86 हजार 431 वोट पड़ने की स्थिति में जीत के लिए 5 लाख 40 हजार 65 वोट चाहिए थे। द्रौपदी मुर्मू को तीसरे चरण में ही जरूरी वोट को क्रॉस कर लिया था। [3]
द्रौपदी मुर्मू
टीका टिप्पणी और संदर्भ
↑ 1.0 1.1 भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनीं द्रौपदी मुर्मू (हिंदी) zeenews.india.com। अभिगमन तिथि: 23 जुलाई, 2022।
↑ 2.0 2.1 2.2 झोपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक का सफर मुर्मू ने कैसे किया? (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 23 जुलाई, 2022।
↑ 3.0 3.1 3.2 द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनाव जीतीं:देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला प्रेसिडेंट होंगी (हिंदी) bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 23 जुलाई, 2022।
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प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश
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सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ
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द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय | Draupadi Murmu Biography In Hindi
द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय | Draupadi Murmu Biography In Hindi उड़ीसा के एक सामान्य परिवार से आने वाली द्रौपदी भारत की 15 वीं राष्ट्रपति हैं.
एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में मुर्मू ने अपने प्रतिद्वंद्वी यशवंत सिन्हा को बड़े अंतर से हराकर देश की दूसरी व पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त किया.
आज के इस जीवनी के लेख में मुर्मू कौन है इनके जन्म, शिक्षा, परिवार तथा राजनैतिक करियर के बारे में विस्तार से जानेगे
व्यक्तिगत जीवन
द्रौपदी मुर्मू
बिरांची नारायण टुडू
राजनीतिज्ञ
भारतीय जनता पार्टी
श्याम चरण मुर्मू
20 जून 1958
64 वर्ष
भारतीय
मयूरभंज, उड़ीसा, भारत
74 किलो
5 फिट 4 इंच
अनुसूचित जनजाति
धर्म
किताबें पढ़ना
विधवा
काला
काला
इतिश्री मुर्मू
10 लाख
भगत टूडू,सरानी टूडू
1997
द्रौपदी मुर्मू का प्रारंभिक जीवन
एनडीए गठबंधन के द्वारा भारत के अगले राष्ट्रपति के पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रस्तुत की गई द्रौपदी मुर्मू का जन्म साल 1958 में 20 जून के दिन भारत देश के उड़ीसा राज्य के मयूरभंज इलाके में हुआ था।
बता दें कि द्रौपदी मुरमू आदिवासी समुदाय से संबंध रखती है और इस प्रकार अगर यह राष्ट्रपति के पद का चुनाव जीत जाती है तो यह पहली ऐसी आदिवासी महिला होंगी, जो भारत देश की राष्ट्रपति बनेंगी।
अभी के समय में द्रोपदी झारखंड के राज्यपाल के पद को संभाल रही हैं। उन्होंने काफी संघर्षों के बाद यहां तक पहुंचने में सफलता हासिल की।
द्रोपदी मुर्मू की शिक्षा
जब इन्हें थोड़ी समझदारी प्राप्त हुई तब पढ़ाई करवाने के उद्देश्य से इनके अभिभावक के द्वारा इनका एडमिशन मयूरभंज इलाके के ही एक स्कूल में करवाया गया। इस प्रकार द्रौपदी मुर्मू ने मयूरभंज इलाके में स्थित एक प्राथमिक विद्यालय से अपनी प्रारंभिक एजुकेशन को हासिल किया।
प्रारंभिक एजुकेशन को कंप्लीट करने के पश्चात उन्होंने ग्रेजुएशन करने के लिए भुवनेश्वर शहर का रुख किया। भुनेश्वर शहर में मौजूद रामा देवी महिला कॉलेज में इन्होंने एडमिशन पाने में सफलता हासिल की और ग्रेजुएशन की डिग्री भी इन्होंने रामा देवी महिला कॉलेज से प्राप्त की।
ग्रेजुएशन की डिग्री हाथ में आने के बाद द्रौपदी ने ओडिशा गवर्नमेंट के बिजली डिपार्टमेंट में जूनियर असिस्टेंट के पद को प्राप्त करने में सफलता हासिल की और इस प्रकार से साल 1979 से लेकर के साल 1983 तक इन्होंने जूनियर असिस्टेंट के पद को संभाला।
इसके पश्चात साल 1994 में द्रोपदी ने अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में टीचर के तौर पर काम किया। यह एजुकेशन सेंटर रायरंगपुर में मौजूद था। यहां पर इन्होंने अपनी सेवा 1994 से लेकर के 1997 तक दी।
लव स्टोरी और कॉलेज लाइफ
वर्ष 1969 से 1973 के दौरान मुर्मू ने एक आदिवासी आवासीय स्कूल से पढ़ाई की. ग्रेजुएशन के लिए इन्होने उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में एडमिशन लिया. कॉलेज पढ़ाई के दौरान ही इनकी दोस्ती श्याम चरण नामक युवक से हुई.
दोनों एक ही कॉलेज में अध्ययनरत थे, दोस्ती धीरे धीरे प्यार में बदल गई. यह वर्ष 1980 की बात है जब दोनों प्रेम विवाह करके एकसाथ जीवन बिताने के लिए तैयार हो गये.
श्याम चरण ने अपने घर वालों को मनाकर रिश्ता लेकर द्रौपदी के पिता बिरंची नारायण टुडू के घर पहुचे, मगर वो किसी कीमत पर इस रिश्ते को मानने के लिए तैयार नहीं थे.
मगर श्याम चरण कहा मानने वाले थे, उनकी हठ थी कि अगर विवाह करेगे तो केवल द्रोपदी से ही, वे गाँव के बाहर डेरा डालकर तीन दिन बैठे रहे. आखिर में बिरंची नारायण टुडू जी ने हार मानकर यह रिश्ता स्वीकार कर लिया.
द्रौपदी मुर्मू का परिवार
इनका जन्म आदिवासी परिवार में हुआ था और पिता के तौर पर इन्हें बिरांची नारायण टुडू मिले। जब झारखंड राज्य बन करके तैयार हो गया तो उसके बाद 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाली यह पहली महिला राज्यपाल बनी। इनका विवाह श्याम चरण मुर्मू के साथ हुआ है। यह संताल आदिवासी खानदान से ताल्लुक रखती हैं।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन
इन्होंने साल 2000 से लेकर के साल 2004 तक उड़ीसा गवर्नमेंट में स्टेट मिनिस्टर स्वतंत्र प्रभार के तौर पर ट्रांसपोर्ट और वाणिज्य डिपार्टमेंट संभाला।
उड़ीसा गवर्नमेंट के राज्य मंत्री के तौर पर पशुपालन और मत्स्य पालन डिपार्टमेंट को इन्होंने साल 2002 से लेकर के साल 2004 तक देखा।
भाजपा पार्टी की तरफ से अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मेंबर यह साल 2002 से लेकर के साल 2009 तक रही।
द्रौपदी ने साल 2006 से लेकर के साल 2009 तक भाजपा पार्टी के एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के पद को संभाला।
एसटी मोर्चा के पद पर बने रहने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मेंबर के पद को भी उन्होंने साल 2013 से लेकर के साल 2015 तक संभाला।
साल 2015 में यह झारखंड की राज्यपाल बनी और साल 2021 तक यह झारखंड के राज्यपाल के पद पर रही।
1997 में बनी जिला पार्षद
इन्होंने साल 1997 में उड़ीसा राज्य के रायरंगपुर जिले से जिला पार्षद का चुनाव लड़ा था और अपनी काबिलियत के दम पर इन्होंने इस चुनाव में विजय हासिल की थी। चुनाव में विजय हासिल करने के बाद यह रायरंगपुर जिले की जिला पार्षद बनी, साथ ही इन्हें रायरंगपुर जिले के उपाध्यक्ष का पद भी प्राप्त हुआ।
साल 2002 से लेकर के साल 2009 तक भाजपा पार्टी के द्वारा इन्हें मयूरभंज जिले का भाजपा अध्यक्ष बनाया गया। उसके पश्चात साल 2004 में हुए विधायक के चुनाव में इन्होंने बमपर विजय हासिल की और साल 2015 में झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य का राज्यपाल द्रौपदी को बनने का मौका हासिल हुआ।
एनडीए द्वारा राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाना
एनडीए गठबंधन की तरफ से भारत के अगले राष्ट्रपति के उम्मीदवार के तौर पर द्रौपदी मुर्मू का नाम सामने किया गया है, जो कि आदिवासी समुदाय से संबंध रखती हैं।
अगर यह भारत के राष्ट्रपति के चुनाव को जीत जाती हैं तो यह पहली ऐसी आदिवासी महिला होंगी, जो भारत देश की राष्ट्रपति बनेगी। इनके पहले प्रतिभा पाटिल भारत के राष्ट्रपति के पद को संभाल चुकी हैं।
भारतीय गणराज्य की पन्द्रहवीं राष्ट्रपति मुर्मू
प्रतिभा पाटिल के पश्चात भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन हुई द्रौपदी मुर्मू दूसरी महिला हैं. साथ ही आदिवासी वर्ग से यह गौरव पाने वाली महिला महिला होगी.
21 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना में 2061 मत पाकर मुर्मू ने सीधे मुकाबले में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा पर विजय हासिल की.
द्रौपदी मुर्मू एक मजबूत व्यक्तित्व वाली आदिवासी महिला हैं देश के सर्वोच्च पद के लिए nda की ओर से नामित होने के बाद ही देशभर से उनकी जीत के लिए लोग प्रार्थनाएं करते रहे, कई क्षेत्रीय और बड़े राजनैतिक दलों के नेताओं ने भी पार्टी के स्टैंड के खिलाफ जाकर मुर्मू को वोट दिया.
24 जुलाई 2022 को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 15 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. सेंट्रल हॉल में दस बजे आयोजित शपथ समारोह में 21 तोपों की सलामी के साथ ही उन्हें शपथ दिलाई गई.
इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमणएम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मंत्रिपरिषद के सदस्य, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राजनयिक मिशनों के प्रमुख, संसद सदस्य और सरकार के प्रमुख असैन्य एवं सैन्य अधिकारी कार्यक्रम में उपस्थित रहे.
पारिवारिक दुख को सहन किया
द्रोपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू के साथ हुई थी और विवाह होने के पश्चात इन्हें टोटल 3 संतान हुई जिसमें एक बेटी थी और दो बेटे थे। हालांकि अपनी पर्सनल लाइफ में इन्हें काफी दुख का सामना करना पड़ा।
दरअसल ना तो इनके पति अब जिंदा है ना ही इनके दोनों बेटे अब जिंदा है। इनकी बेटी ही जिंदा है जिसका नाम इतिश्री है। इतिश्री की शादी गणेश हेम्ब्रम नाम के व्यक्ति के साथ हुई है।
द्रोपदी मुर्मू को प्राप्त पुरस्कार
सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए साल 2007 में इन्हें नीलकंठ पुरस्कार प्राप्त हुआ जो कि ओडिशा विधानसभा के द्वारा दिया गया था।
द्रौपदी मुर्मू की कुल संपत्ति
इनके पास नकद के तौर पर 180000 हैं। वही बैंक डिपॉजिट के तौर पर इनके पास 505000 है। एलआईसी और दूसरी इंश्योरेंस पॉलिसी को मिला करके इनके पास 130000 की इंश्योरेंस पॉलिसी है।
द्रौपदी के पास तकरीबन 260000 की ज्वेलरी है। इस प्रकार कुल मिलाकर देखा जाए तो इनके पास साल 2009 की रिपोर्ट के अनुसार 610000 की टोटल संपत्ति है।
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय, शिक्षा, राजनीतिक सफर (जीवनी) President Draupadi Murmu Biography in Hindi
द्रौपदी मुर्मू झारखण्ड राज्य की पहली महिला राज्यपाल है. और अब भारत देश का राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालेंगी. जो भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति और प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति होगी. तो आज आप जानेंगे Rashtrapati Draupadi Murmu ka Jivan Parichay के बारे में. द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय, Draupadi Murmu Biography in Hindi .
Table of Contents
द्रौपदी मुर्मू कौन है?
द्रौपदी मुर्मू भारतीय राजनेत्री है, जो 2015 से 2021 तक झारखण्ड राज्य की राज्यपाल और झारखण्ड राज्य की प्रथम महिला राज्यपाल रह चुकी है. द्रौपदी मुर्मू को 21 जुलाई 2022 को भारत की 15वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया है. 25 जुलाई, 2022 को द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद की शपथ ली और भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति व प्रथम आदिवासी राष्ट्रपति बनी.
Draupadi Murmu Biography in Hindi
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को ‘ उड़ीसा ‘ के मयूरभंज जिले के कुसमी ब्लॉक के ऊपरबेडा पंचायत के ‘बैदपोसी’ टोला में एक संथाल परिवार में हुआ था. इनके पिताजी का नाम बिरंजी नारायण टुडू और माताजी का नाम सिनगो टुडू था. इनके दो बड़े भाई भगत टुडू व तारिणी टुडू है. द्रौपदी मुर्मू के पिताजी ग्राम प्रधान थे, जो खेती या किसानी कार्य करके अपना परिवार का गुजारा करते थे.
खेती करके परिवार का गुजारा करने के बावजूद द्रौपदी मुर्मू को स्नातक तक की शिक्षा करायी. द्रौपदी मुर्मू स्नातक तक शिक्षा प्राप्त करने वाली अपने गाँव की प्रथम आदिवासी महिला थी. प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल से पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के आदिवासी आवासीय विद्यालय से इंटरमीडिएट तक की पढाई पूरी की और भुवनेश्वर में रह कर ही स्नातक तक की पढाई पूरी की.
द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय
द्रौपदी मुर्मू का विवाह कुसमी ब्लॉक के पहाडपुर निवासी बैंक मेनेजर श्याम चरण मुर्मू से हुआ था. इनके दो बेटे (लक्ष्मण और सिपुन) और एक बेटी (इतिश्री) है. लेकिन दुर्भाग्यवश दोनों बेटों और उनके पति तीनों की अलग-अलग समय पर अकाल मृत्यु हो गयी. उनकी पुत्री इतिश्री का विवाह भुवनेश्वर में हुआ है.
2015 में द्रौपदी मुर्मू झारखंड राज्य की 9वीं राज्यपाल व झारखण्ड की प्रथम महिला राज्यपाल बनी थी. झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब भी द्रौपदी मुर्मू के नाम रहा. साथ ही वह किसी भी भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी भी हैं. और अब 21 जुलाई 2022 को भारत की 15वें राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को चुना गया है और 25 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली.
Qualification- द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा
द्रौपदी मुर्मू की प्रारंभिक शिक्षा , सातवीं कक्षा तक की पढाई गाँव (ऊपरबेडा) के प्राथमिक विद्यालय से हुई. उसके बाद भुवनेश्वर के यूनिट टू स्थित आदिवासी बालिका आवासीय से मैट्रिक व इंटरमीडिएट यानि हाई स्कूल तक की पढाई की. इंटर पास करने के बाद भुवनेश्वर में ही रह कर स्नातक की पढाई की. भुवनेश्वर के रामा देवी कॉलेज से 1979 में स्नातक डिग्री प्राप्त की. द्रौपदी मुर्मू स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त की है, स्नातक तक शिक्षा प्राप्त करने वाली अपने गाँव की प्रथम आदिवासी महिला थी.
द्रौपदी मुर्मू का परिवार
द्रौपदी मुर्मू का विवाह कुसमी ब्लॉक के पहाडपुर निवासी श्याम चरण मुर्मू से हुई. इनके पति श्याम चरण मुर्मू पेशे से बैंक मेनेजर थे. द्रौपदी मुर्मू और श्याम चरण मुर्मू की तीन संताने हुई. दो पुत्र लक्ष्मण मुर्मू , शिपुन मुर्मू और पुत्री इतिश्री मुर्मू. लेकिन असमय ही द्रौपदी मुर्मू के दोनों बेटों का निधन हो गया. 25 अक्टूबर 2010 को बड़े बेटे की मौत भुवनेश्वर में हो गयी. छोटे बेटे की मौत सड़क दुर्घटना में 02 जनवरी 2013 को हो गयी. दोनों बेटों की मौत के बाद 2014 में पति श्याम चरण मुर्मू का भी निधन हो गया. बेटों और पति की मौत के बाद द्रौपदी मुर्मू पूरी तरह टूट गयी. यानि द्रौपदी मुर्मू का जीवन त्रासदी व दुखों से भरा रहा है.
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन
श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन नगर पंचायत पार्षद/ वार्ड पार्षद के रूप में हुई. मुर्मू वर्ष 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में विजयी हासिल की. इस तरह से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत नगर पार्षद के रूप में हुई.
उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है. साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं.
द्रौपदी मुर्मू वर्ष 2000 में पहली बार विधायक बनी. उड़ीसा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर से 2000 और 2009 में भाजपा से विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की और दो बार विधायक बनीं.
ओडिशा सरकार में दो बार मंत्री भी रही.
श्रीमती मुर्मू भारतीय जनता दल की सरकार में पहले परिवहन मंत्री और फिर मत्स्य तथा पशुपालन विभाग की मंत्री बनी.
ओड़िशा विधानसभा ने उन्हें उत्कृष्ट विधायक के लिए वर्ष 2007 में नीलकंठ अवार्ड से सम्मानित भी किया.
मई 2015 में द्रौपदी मुर्मू झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनी.
उन्होंने सैयद अहमद की जगह ली थी. और झारखण्ड राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनी.
झारखण्ड राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब भी द्रौपदी मुर्मू को मिला. इसके साथ ही द्रौपदी मुर्मू भारतीय राज्य की किसी भी राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी राज्यपाल बनी.
द्रौपदी मुर्मू ने 24 जून 2022 को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार/ प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन किया, उनके नामांकन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रस्तावक और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अनुमोदक बने .
और 21 जुलाई 2022 को भारत की 15वें राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू का चुनाव हुआ.
द्रौपदी मुर्मू 25 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली.
इसे भी पढ़ें- राष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है?
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय | जन्म, शिक्षा, उपलब्धियां, राष्ट्रपति बनने तक का सफर | Draupadi Murmu Full Biography in Hindi
Draupadi Murmu Jeevan Parichay – द्रौपदी मुर्मू को भारत के सर्वोच्च महामहिम राष्ट्रपति पद पर चुना गया हैं। द्रौपदी मुर्मू भारत के 15 वे राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा में जुट चुकी हैं। द्रोपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के मयूरभंज नाम के एक छोटे से जगह में हुआ है। राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने से पहले द्रौपदी मुर्मू 2015 से 2021 तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया था . राष्ट्रपति चुनाव 2022 में द्रौपदी मुर्मू 15 वें महामहिम के रूप में चुनी गई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 64% (6,76,803) वोट मिले। आज द्रौपदी मुरमू जीवन परिचय के इस लेख में हम द्रौपदी मुर्मू के जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं को आपके समक्ष रखेंगे।
द्रौपदी मुर्मू एक हिंदू अनुसूचित जाति के समुदाय से संबंध रखती है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक अध्यापिका के रूप में की थी धीरे-धीरे उनकी प्रचलिता बढ़ने लगी और वह राजनीति में चली आई। इसके बाद उन्होंने श्याम चरण मुर्मू से विवाह किया और उनके दो बेटे और एक बेटी हुई। मगर दुर्भाग्यवश उनके दोनों बेटों की मृत्यु हो गई। आज हम इस बहादुर और प्रभावशाली राजनीतिज्ञ की जानकारी सरल शब्दों में प्रस्तुत कर रहे हैं।
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मिताली राज का जीवन परिचय
Draupadi Murmu Short Biography in Hindi
जन्म तिथि
20 जून 1958
जन्म स्थान
उड़ीसा के मयूरभंज जिले में
देश
भारत
उपलब्धि
9th राजयपाल झारखण्
पेशा
राजनीतिज्ञ
पार्टी
भारतीय जनता पार्टी
द्रौपदी मुर्मू जीवन परिचय | Draupadi Murmu Biography in Hindi
Draupadi Murmu Jeevan Parichay :- द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के मयूरभंज जिले में बैदापोसी नाम के छोटे से गांव में हुआ। इनका जन्म एक साधारण सांथाली हिंदू परिवार में हुआ था। इनके दादा दादी कई सालों तक गांव के प्रधान रहे थे। इन्होंने अपने व्यवसायिक जीवन की शुरुआत एक अध्यापिका के रूप में की थी। उन्होंने श्याम चरण मुर्मू से विवाह किया और इससे उन्हें दो बेटे और एक बेटी को जन्म दिया। मगर दुर्भाग्यवश अचानक उनके दोनों बेटे और पति की अलग-अलग समय पर मृत्यु हो गई। उनकी पुत्री का विवाह हो चुका है जो इस वक्त उड़ीसा के भुवनेश्वर में रहती है।
इन्होंने अध्यापिका के रूप में कार्य करते हुए काफी प्रचलिता हासिल की। जिसके बाद 1997 में पंचायत परिषद का इलेक्शन जीतकर उन्होंने अपना कदम राजनीति में रखा। उन्होंने भाजपा के साथ खुद को जोड़ा और काफी दिनों तक एक प्रमुख चेहरे के रूप में कार्य किया। हाल ही में NDA की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव 2022 में द्रौपदी मुर्मू 15 वें महामहिम के रूप में चुनी गई।
द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा | Draupadi Murmur’s Education
द्रौपदी मुर्मू की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव के विद्यालय में ही हुई है। उड़ीसा में अपने गांव से प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद वह भुवनेश्वर चली गई। भुवनेश्वर में राम देवी महिला कॉलेज से उन्होंने स्नातक की शिक्षा प्राप्त किया। अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया। इस प्रक्रिया में उड़ीसा के बिजली विभाग में उन्हें जूनियर असिस्टेंट के पद पर नौकरी मिली । उन्होंने 1979 से लेकर 1983 तक बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के तौर पर कार्य किया।
इसके बाद उन्होंने घर से ही कुछ कोर्स की पढ़ाई को पूरा किया और 1994 में रायरंगपुर के अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन में टीचर के तौर पर काम किया। उन्होंने इस एजुकेशनल सेंटर में 1997 तक टीचर के तौर पर काम किया, जहां इनकी कार्य प्रतिभा को देखकर इनकी प्रचलिता बड़ी तेजी से बढ़ने लगी जिसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा।
द्रौपदी मुर्मू सम्बंधित रोचक जानकारी
द्रौपदी मुर्मू झारखंड की एक प्रचलित राजनेता है। इन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य हैं जिनके बारे में हर किसी को जानकारी होनी चाहिए। उसकी सूची नीचे दी गई है –
द्रौपदी मुर्मू का जन्म उड़ीसा के एक छोटे से गांव में हुआ था। जहां उनके दादा-दादी प्रधान हुआ करते थे।
द्रौपदी मुर्मू ने भुवनेश्वर में महिला कॉलेज से अपनी पढ़ाई को पूरा किया। जिसके बाद उन्होंने बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के तौर पर कुछ सालों तक कार्य किया।
इसके बाद उनकी शादी उनके बचपन के दोस्त श्याम चरण मुर्मू से हुई। जो उस वक्त एक बैंकर के तौर पर कार्य करते थे। इसके बाद इन्होंने दो बेटे और एक बेटी को जन्म दिया।
इसके बाद उन्होंने 1997 तक अध्यापिका के तौर पर कार्य किया।
इसके बाद द्रौपदी जी की प्रचलिता बड़ी तेजी से बढ़ने लगी और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन किया।
राजनीति में कदम रखने के बाद अलग-अलग क्षेत्र में अच्छी बहुमत से चुनाव जीतने के बाद वह राजनीति में एक प्रचलित चेहरा बनी।
दुर्भाग्यवश 2014 में उनके पति और दो बेटों की अकाल मृत्यु अलग-अलग समय पर हुई।
उसके बाद उन्होंने अपनी बेटी की शादी भुवनेश्वर में करवाई।
उसके बाद 2015 से 2021 तक द्रौपदी मुर्मू झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन | Draupadi Murmu Political Career
द्रौपदी मुर्मू ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1997 में भारतीय जनता पार्टी के साथ की। सबसे पहले इन्होंने रायरंगपुर में पंचायत के पार्षद चुनाव को जीता। उनकी प्रचलिता बड़ी तेजी से बढ़ने लगी तब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा के मयूरभंज जिले में रायरंगपुर नगर से 2000 से 2009 के बीच दो बार विधायक का चुनाव जीता। 2000 और 2004 के बीच द्रौपदी उड़ीसा के वाणिज्य, परिवहन, और मत्स्य पशुपालन संस्था विभाग के मंत्री रही। इसके बाद 2009 में विधायक के पद से वो हटी, और कुछ सालों तक उन्होंने किसी भी पद पर तीव्रता से कार्य नहीं किया।
अंततः 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। जिसके बाद द्रौपदी मुर्मू को भारत की पहली आदिवासी राजपाल और झारखंड की पहली महिला राज्यपाल का खिताब मिला। इसके बाद 24 जून 2022 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित किया गया।
राष्ट्रपति चुनाव 2022 में द्रौपदी मुर्मू 15 वें महामहिम के रूप में चुनी गई।
द्रौपदी मुर्मू का परिवार | Draupadi Murmu Family
द्रौपदी मुर्मू के पिता बिरंजी नारायण टूडू, उड़ीसा के मयूरभंज जिले में एक साधारण व्यवसाय चलाते थे। इनका परिवार उड़ीसा के बैदापोसी नाम के गांव में रहता था। इनके दादा दादी इस गांव के सरपंच हुआ करते थे। 1983 तक इन्होंने बिजली विभाग में कार्य किया जिसके बाद इनकी शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई जो इनके बचपन के दोस्त थे। इनसे इन्हें तीन बच्चे प्राप्त हुए।
इनका एक बड़ा हंसता खेलता परिवार था। 2014 में दुर्भाग्यवश इनके परिवार में दो बेटे और इनके पति की अचानक आपातकाल मृत्यु अलग-अलग समय पर हुई। जिसके बाद उन्होंने अपनी बेटी की शादी करवाई और इस वक्त इनकी बेटी भुवनेश्वर में है। वर्तमान समय में द्रौपदी मुर्मू के परिवार में उनकी विवाहित बेटी के अलावा और कोई नहीं है।
द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति उम्मीदवार क्यों घोषित की गई
वर्तमान समय में द्रौपदी मुर्मू 64 वर्ष की हो चुकी है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ बहुत सालों तक अलग-अलग क्षेत्र में चुनाव जीत कर दिखाया है। 9 साल तक विधायक और तीन अलग-अलग क्षेत्र में मंत्री के तौर पर कार्य किया है। इसके अलावा द्रौपदी मुर्मू पिछले 6 साल से झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य कर रही हैं।
उनके पास अनुभव काफी अच्छा है और राजनीति के क्षेत्र में अब आगे अपना करियर नहीं बनाना चाहती हैं। जिस वजह से अपने राजनीतिक करियर को एक शानदार रूप देकर खत्म करना चाहती हैं। इस वजह से इन्हें आने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक अच्छा उम्मीदवार चुना गया है। भारतीय जनता पार्टी के साथ इनका गठबंधन काफी पुराना है वर्तमान समय में भारतीय जनता पार्टी की सरकार चल रही है और द्रौपदी मुर्मू अपना राजनीतिक कैरियर खत्म करना चाहती हैं। इस वजह से इन के अनुरोध पर एनडीए के द्वारा द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए एक उम्मीदवार चुना गया है।
द्रौपदी मुर्मू की जीवन उपलब्धियां | Draupadi Murmur’s Achievements
द्रौपदी मुर्मू ने बहुत सारी उपलब्धियों को हासिल किया है राजनीति के क्षेत्र में एक महिला के रूप में इन्होंने काफी उम्दा काम किया है जिसकी एक संक्षिप्त सूची नीचे दी गई है –
द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राज्यपाल हैं।
द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल हैं।
2000 से 2009 तक उड़ीसा के रायरंगपुर से इन्होंने विधायक का इलेक्शन जीता है।
इसके अलावा द्रोपदी जी 2002 से 2004 तक उड़ीसा में पशुपालन और मत्स्य डिपार्टमेंट की मंत्री रही है।
उन्होंने 2009 तक उड़ीसा में भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति के मोर्चे को संभाला है।
इसके बाद इन्होंने 2015 से 2021 तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया है।
राष्ट्रपति चुनाव 2022 में द्रौपदी मुर्मू 15 वें महामहिम (राष्ट्रपति) के रूप में चुनी गई।
FAQ’s Draupadi Murmu Jeevan Parichay
Q. द्रौपदी मुर्मू कौन है?
Ans. द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राज्यपाल और 2015 से 2021 तक झारखंड की पहली महिला राज्यपाल रही है।
Q. द्रौपदी मुर्मू की उम्र कितनी है?
Ans. द्रौपदी मुर्मू वर्तमान समय में 64 वर्ष की है। इसके अनुसार उनका जन्म 20 जून 1958 को हुआ है।
Q. द्रौपदी मुर्मू क्यों इतनी प्रचलित हुई है?
Ans. द्रौपदी मुर्मू को भी हाल ही में भारत के नए राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए चयनित किया गया है। राष्ट्रपति बनने वाले राजनेताओं की सूची में द्रौपदी मुर्मू एक प्रचलित नाम है।
Q. द्रौपदी मुर्मू किस समुदाय या जाति से ताल्लुक रखती हैं?
Ans. द्रौपदी मुर्मू अनुसूचित जाति या आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती है।
Q. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को कितने वोट मिले?
Ans. राष्ट्रपति चुनाव 2022 में महामहिम पद के लिए चुने गए द्रौपदी मुर्मू को 6,76,803 वोट मिले जो कि टोटल वोटिंग का 64% प्रतिशत है .
आज के इस लेख में हमने द्रौपदी मुर्मू जीवन परिचय (Draupadi Murmu Jeevan Parichay) को संक्षिप्त रूप में आपके समक्ष रखने का प्रयास किया है। हमने आपको सरल शब्दों में यह समझाने का प्रयास किया कि द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक करियर कैसा था, इसके अलावा इन्होंने किस प्रकार प्रथम महिला का खिताब भी जीता। आज द्रौपदी मुर्मू सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का नाम साबित हुई है।
अगर ऊपर बताई गई सभी जानकारियों को पढ़ने के बाद द्रौपदी मुर्मू के बारे में विस्तार पूर्वक समझ पाए है, और उनके जीवन के बेहतरीन पहलुओं को एक अलग नजरिए से देख पाए हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें साथ ही अपने सुझाव विचार किया किसी भी प्रकार के प्रश्नों को कमेंट में बताना ना भूलें।
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Draupadi Murmu Biography in Hindi | द्रौपदी मुर्मू की जीवनी | राष्ट्रपति भवन तक का पूरा सफर
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Draupadi Murmu Biography in Hindi द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय
यह कहना बिल्कुल सही है। कि एक महिला के अंदर बहुत ज्यादा पावर होती है। क्योंकि एक नई लाइफ को जन्म देना। एक महिला के ही हाथ में होता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि महिलाएं magical होती है। She is Blessed With the Magic to create and Build Life।
पिछले कुछ सालों से हमारी सोसाइटी में महिलाओं की कंडीशन बहुत ज्यादा खराब होती जा रही है। उनकी powers को underestimate किया जाता है। ऐसा क्यों। ऐसा सिर्फ Patriarchal Society के कारण। Patriarchal यानी पितृसत्ता। पितृसत्ता हमारी सोसाइटी के लिए, एक बहुत बड़े खतरे की तरह काम कर रही है।
यह सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि पुरुषों के लिए भी बहुत चिंता का विषय है। ऐसा इसलिए क्योंकि पितृसत्ता की वजह से, पुरुष अपना दबदबा बनाने पर ज्यादा focus करते हैं। वहीं महिलाएं दबने लगती है। ऐसे में दोनों ही genders को भारी नुकसान है। क्योंकि ऐसी सोच हमें आगे बढ़ने से रोकती है।
वहीं अगर आदिवासी महिलाओं की बात की जाए। तो उनकी स्थिति upper cast महिलाओं से काफी अलग है। आज भी उन्नतिशील भारत में, आदिवासियों की स्थिति पिछड़ी हुई है। उनका लाइफस्टाइल आज के आधुनिक भारत से काफी पीछे छूटा हुआ है। इनके जीवन-यापन का मुख्य स्रोत खेती-बाड़ी ही है।
आज जब आदिवासी महिलाएं हाशिए पर चली गई। तो उन्हीं के बीच एक ऐसी महिला भी उभरकर सामने आई। जिन्होंने आर्थिक समस्याओं के बावजूद, न सिर्फ शिक्षा ग्रहण की। बल्कि महिलाओं के उत्थान में अपना योगदान भी दिया। वह भारत के बहुत सारे संवैधानिक पदों पर भी काबिल हुई।
इन्होंने जनजाति समाज को, समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का भी काम किया। आज वह भारत के सर्वोच्च पद पर बैठने वाली प्रथम आदिवासी महिला भी हैं। यह हैं, संथाल आदिवासी जाति से आने वाली द्रौपदी मुर्मू। जो भारत की प्रथम नागरिक हैं। इसी प्रकार जाने : S. Jaishankar Biography in Hindi । जिन्होने भारत की विदेश नीति ही बदल दी।
एनडीए की ओर से 2022 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामित
भारतीय जनता पार्टी
1997
समीक्षाधीन
9.5 लाख
Draupadi Murmu Early Life द्रौपदी मुर्मू का प्रारम्भिक जीवन
उड़ीसा के बेहद पिछड़े और संथाल जाति से जुड़ी 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू का जीवन बहुत संघर्षों से भरा रहा है। द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के मयूरभंज के रायरंगपुर के बैदोपोसी गांव में हुआ था। संथाल समुदाय में जन्मी द्रोपदी के पिता स्व० बिरंची नारायण टुडू, एक किसान थे।
मुर्मू के परिवार में इनके दो भाई थे। जिनमें भगत टुडू व सारनी टुडू दोनों ही भाई, पिता के खेती-बाड़ी के काम में हाथ बटाया करते थे। इनके पिता व दादा दोनों ही गांव के प्रधान थे। घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। इसीलिए उनके दोनों भाइयों में शिक्षा का अभाव रहा। इसी प्रकार जाने : बिरसा मुंडा इतिहास । बिरसा मुंडा जयंती। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के जननायक।
Draupadi Murmu Education द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा
द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा में, इनकी दादी का बड़ा योगदान था। उन्होंने द्रोपदी को शिक्षा के लिए प्रेरित किया। इनकी दादी घर व समाज में टूटी-फूटी अंग्रेजी बोला करती थी। द्रौपदी मुर्मू में अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही शुरू की। जब वह कक्षा 7 में थी। तब उनके गांव में आगे की शिक्षा के लिए, कोई भी विद्यालय नहीं था।
तभी गांव में कुछ सरकारी अधिकारी व मंत्री जी का दौरा हुआ। द्रौपदी मुर्मू ने उनके सामने, अपनी आगे की शिक्षा जारी रखने की इच्छा जाहिर की। उनकी मदद से, उनका दाखिला मयूरभंज के के. बी. हा०से० उपरबेदा स्कूल में हो गया। इसके बाद, उन्होंने सरकारी योजना की मदद से रमादेवी वूमंस कॉलेज, भुवनेश्वर में दाखिला लिया। यहां से उन्होंने कला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
शिक्षा पूरी करने के बाद, उनका एक ही मकसद था कि वह कहीं नौकरी कर ले। ताकि अपने परिवार को आर्थिक रूप से मदद कर सके। इसी को ध्यान में रखते हुए। उन्होंने उड़ीसा के सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के तौर पर नौकरी की।
Draupadi Murmu Family – Marriage, Husband, Children द्रौपदी मुर्मू का विवाह, पति, बच्चे व परिवार
द्रोपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ। इनके पति एक बैंक में कार्यरत थे। विवाह के बाद ससुराल में, उनकी नौकरी को लेकर दिक्कतें शुरू हो गई। ससुराल वालों का मानना था कि दोनों लोगों के नौकरी करने की वजह से, बच्चों की परवरिश पर असर पड़ेगा।
इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने गांव में आकर, इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में पढ़ाना शुरू किया। यहाँ वह वेतन नहीं लेती थी। द्रोपदी मुर्मू के दो बेटे थे। जिनमें बड़े बेटे का नाम लक्ष्मण मुर्मू था। उनकी एक बेटी भी है। जिनका नाम इतिश्री मुर्मू है।
उन्होंने अपनी बेटी को पढ़ा लिखाकर, इस काबिल बनाया। ताकि वह एक अच्छा और जाना-माना नाम हो। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद। इति ने एक बैंक में नौकरी हासिल कर ली। इति मुर्मू रांची में रहती हैं। वही उनका झारखंड के गणेश से विवाह हो गया। इति की एक बेटी आध्या श्री है। इसी प्रकार जाने : Arvind Kejriwal Biography in Hindi । संघर्ष से लेकर सत्ता तक…. ।
Draupadi Murmu – Struggle in Life द्रौपदी मुर्मू के जीवन मे संघर्ष
द्रौपदी मुर्मू ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने सभी बाधाओं को पार किया। उनके निजी जीवन में, समय ने बहुत बार उनकी परीक्षाएं ली। उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया। जब वह डिप्रेशन का शिकार हो गई।
जिसके पीछे कारण था कि 25 वर्ष की उम्र में, उनके एक बेटे की असमय मृत्यु हो गई। इसी कारण वह डिप्रेशन में चली गई। इससे बाहर निकलने के लिए, उन्होंने अध्यात्म का रास्ता चुना। जिसके तहत वह ब्रह्मकुमारी संस्था से जुड़ गई। वह जब अवसाद से बाहर आ ही रही थी। कि तभी 2013 में एक सड़क दुर्घटना में, उनके दूसरे बेटे की भी मृत्यु हो गई।
उनके जीवन का कठिन दौर यहीं नहीं रुका। बेटे की मृत्यु के कुछ दिन बाद ही, उनकी मां की भी मृत्यु हो गई। इसके कुछ समय बाद, उनके भाई का भी देहांत हो गया। इस प्रकार द्रौपदी मुर्मू ने मात्र 1 महीने में ही, अपने परिवार के तीन सदस्यों को खो दिया। इन तमाम दुखों से निकलकर, जब द्रौपदी मुर्मू थोड़ा संभल ही रही थी। कि तभी 2014 में, उनके पति श्याम चरण मुर्मू का भी देहांत हो गया।
उनकी मृत्यु के बाद द्रौपदी मुर्मू का सामान्य जीवन में वापस लौटना थोड़ा मुश्किल था। लेकिन उन्होंने ब्रम्हाकुमारी में अध्यात्म के साथ-साथ योग की भी शुरुआत की। उन्होंने डिप्रेशन के खिलाफ लड़ाई लड़ी। आखिरकार वह अपनी आत्मशक्ति के बल पर, इस बुरे दौर पर जीत हासिल करने में सफल हुई।
Draupadi Murmu – Contribution to Society द्रौपदी मुर्मू का समाज सेवा मे योगदान
द्रौपदी मुर्मू ने समाज सेवा में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। उन्होंने निशुल्क शिक्षा देने के लिए, कई विद्यालयों में शिक्षण कार्य किया। उन्होंने आदिवासी समुदाय की शिक्षा और उत्थान के लिए कार्य किए।
वह कई एनजीओ के संपर्क में आई। जिसके लिए, उन्होंने गांव-गांव में घूमकर जागरूकता अभियान चलाएं। जिनमें उन्होंने educational और cultural development के साथ-साथ social development के क्षेत्र में बहुत सारे काम किए।
आदिवासियों के लिए, समर्पण की भावना को देखते हुए। कई राजनीतिक दलों ने उनके ऊपर दवाब बनाना शुरू किया। ताकि वह राजनीति के क्षेत्र में आए। द्रौपदी मुर्मू को लगा कि राजनीति में जाने से वह अपने समाज के लिए, अधिक कुशलता से कार्य कर पाएंगी। इसी प्रकार जाने : विशाल हिन्दू ह्रदय सम्राट Yogi Adityanath की सम्पूर्ण जीवन गाथा ।
Draupadi Murmu – Political Career द्रौपदी मुर्मू का राजनीति मे योगदान
द्रौपदी मुर्मू ने पहली बार 1997 में राजनीति में प्रवेश किया। वह भाजपा के सहयोग से रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद का चुनाव लड़ी। जिसमें उन्होंने जीत हासिल की। इसके बाद, उन्हें साल 2000 में उड़ीसा सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।
उस समय वह उड़ीसा में बीजू जनता दल (BJD) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के गठबंधन वाली सरकार में शामिल हुई। जिसमें इन्हें मत्स्य पालन व परिवहन विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों में (2000 से 2004) काम किया।
इसके बाद 2009 में वह पुनः विधायक चुनी गई। जबकि उस समय बीजेपी और बीजेडी का गठबंधन नहीं था। बीजू जनता दल ने चुनाव से कुछ हफ्ते पहले भाजपा से नाता तोड़ लिया था। इस चुनाव में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी BJD ने जीत दर्ज की थी।
उनके पास उड़ीसा सरकार में परिवहन, वाणिज्य, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे मंत्रालयों को संभालने का अनुभव है। 2013 में उन्हें बीजेपी कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में भी नामित किया गया था। साल 2007 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक (नीलकंठ) पुरस्कार से भी नवाजा गया।
Draupadi Murmu – First Women Governor of Jharkhand द्रौपदी मुर्मू – झारखंड की पहली महिला राज्यपाल
द्रौपदी मुर्मू के नाम झारखंड की पहली महिला आदिवासी राज्यपाल बनने का भी गौरव है। 18 मई 2015 में यह झारखंड की राज्यपाल नियुक्त की गई। वह 6 साल 1 महीना और 18 दिन तक इस पद पर रही। इस दौरान इनकी एक सख्त छवि भी उभर कर सामने आई।
जब मई 2017 में सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक को बगैर दस्तखत किए। सरकार को वापस कर दिया। उनका कहना था कि यह विधेयक आदिवासियों के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे संशोधन विधेयक के खिलाफ राजभवन को करीब अब तक 200 आपत्तियां मिली है। इसी प्रकार जाने : Indian James Bond NSA Ajit Doval Biography जिससे पूरे विश्व की Army भी काँपती है।
Draupadi Murmu – Presidential Candidate द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद की दावेदार
भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले एनडीए ने, द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के पीछे NDA का मानना है। कि उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों को समर्पित किया।
उनके पास एक समृद्ध प्रशासनिक अनुभव है। उनकी नीतिगत मामलों में समझ और उनका दयालु स्वभाव, देश के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। उनकी महिला आदिवासी समाज और विवादों से हमेशा दूरी रही है। वह आदिवासियों और बालिकाओं के हितों के लिए हमेशा से काम करती रही है।
यही कारण है कि NDA की तरफ से, उन्हें उम्मीदवार घोषित किया गया। वहीं तमाम विपक्षी दलों ने मिलकर, यशवंत यशवंत सिन्हा को विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया। यशवंत सिन्हा पहले बीजेपी के बड़े नेता हुआ करते थे। अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में, वह वित्त मंत्री और विदेश मंत्री रह चुके हैं।
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2 thoughts on “draupadi murmu biography in hindi | द्रौपदी मुर्मू की जीवनी | राष्ट्रपति भवन तक का पूरा सफर”.
बहुत ही अच्छा जीवन परिचय का वर्णन किया गया, द्रोपती मुर्मू भारत के लिए गर्व की बात है । आपका बहुत बहुत धन्यवाद इतनी रिसर्च करने के लिए।
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Draupadi Murmu Biography in Hindi – द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय
इंडिया बायोग्राफी ब्लॉग में आपका स्वागत है, आज इस पोस्ट में आप भारत के राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के जीवन परिचय (Draupadi Murmu Biography in Hindi) से जुड़ी जानकारी प्राप्त करेंगे, तो चलिए जानतें हैं की कौन हैं द्रौपदी मुर्मू?
जीवन परिचय-
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओड़िशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था (विकिपीडिया पर इनके जन्म के बारे में दो जगह बताया गया है) एक जगह इनके जन्म का स्थान देवरिया, उत्तर प्रदेश, भारत भी बताया गया है। इनका जन्म संथाल परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडु था, माता जी का नाम ज्ञात नहीं है , इनके दादाजी और पिता दोनों लोग ग्राम प्रधान थे। इन्होने श्याम चरण मुर्मू से विवाह किया था। इनके दो बेटे और एक बेटी हैं। दुर्भाग्यवश इनके दोनों बेटों और पति तीनों की अलग -अलग समय पर अकाल मृत्यु हो गयी। अब इनके पास एक बेटी हैं जो विवाहिता हैं और भुवनेश्वर में रहतीं हैं।
इन्होने एक अध्यापिका के रूप में अपना कैरियर शुरू किया था, बाद में यह धीरे – धीरे राजनीति की दुनिया में आयीं और आज राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने जा रही हैं । द्रौपदी मुर्मू आगामी भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हो सकती हैं वर्तमान में यह झारखण्ड राज्य की राज्य थीं अभी इन्होने राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन किया है ।
Draupadi Murmu Biography in Hindi
वास्तविक नाम – द्रौपदी मुर्मू जन्म – 20 जून 1958 (आयु 64) प्रोफेशन – राजनेता पूर्व में – झारखण्ड की राज्यपाल देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति राजनीतिक दल – भारतीय जनता पार्टी राजनीति की शुरुआत – 1997 में राइरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव से। अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। आदिवासी मोर्चा के लिए भी कार्य किया। पिता का नाम – बिरंचि नारायण टुडु माता का नाम – ज्ञात नहीं पति का नाम – स्वर्गीय श्याम चरण मुर्मू बच्चे – तीन शिक्षा – रमा देवी महिला विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर से चुनाव-क्षेत्र – नुनखार
द्रौपदी मूर्मू की शिक्षा –
द्रौपदी मूर्मू ने अपनी शुरुवाती शिक्षा अपने गावं से ही ली थी, बाद में इन्होने भुवनेश्वर से ग्रेजुएशन किया था। उसके पहले इन्होने रामा देवी महिला कॉलेज से पढाई की थी। यहीं से इन्होने ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी पूरी की थी। इनके समाज में माना जाता है की लोग ज्यादा पढ़ते लिखते नहीं है उसके बावजूद भी इन्होने इतनी अच्छी शिक्षा प्राप्त करी और आज भारत जैसे देश की राष्ट्रपति हैं।
जब यह ग्रेजुएशन की शिक्षा प्राप्त कर लेती हैं तो इन्होने कुछ समय के लिए बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के तौर कार्य किया था। वो 1979 का दौर था, बाद में इन्होने वर्ष 1994 में रायरंगपुर में मौजूद अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में बतौर टीचर की नौकरी करना शुरू किया था। इस सेण्टर में नौकरी करते इनको वर्ष 1997 तक का समय लगा था।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक सफर –
ये उन दिनों की बाद है जब द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा गवर्नमेंट में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के तौर पर वर्ष 2000 में ट्रांसपोर्ट और वाणिज्य डिपार्टमेंट में कार्य करना शुरू किया था, इसमें इन्होने वर्ष 2004 तक कार्य किया यहीं इनके जीवन की पहली राजनितिक पारी थी, इसी बीच इन्होने ने राज्य मंत्री के तौर पर पशुपालन और मत्स्य पालन डिपार्टमेंट में भी कार्य किया था।
द्रौपदी मुर्मू जी वर्ष 2009 तक यह बीजेपी के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मेंबर भी रह चुकी हैं। इन्होने वर्ष 2006 से लेकर के साल 2009 तक एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था। वर्ष 2013 से लेकर के साल 2015 तक द्रौपदी मुर्मू जी एसटी मोर्चा के साथ ही साथ बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मेंबर भी रहीं थीं। बाद में समय बीतने के साथ ही इनको एक बड़ा पद मिला जिसके बाद यह प्रकाश में आयीं वो समय था वर्ष 2015 का, जब द्रौपदी मुर्मू को झारखंड के राज्यपाल के पद के लिए चुना गया था इन्होने वर्ष 2021 तक वहां की राज्यपाल रहीं और बाद में यह देश की दूसरी और भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनी।
द्रौपदी मुर्मू जी का परिवार –
द्रौपदी मुर्मू के जीवन में एक ऐसी घटना हो चुकी है जिसका जिक्र किसी को भी झकझोर देगा, इन्होने अपने पति और 2 बेटों को खो दिया। श्याम चरण मुर्मू से द्रौपदी मुर्मू जी का विवाह हुआ था, विवाह के पश्चात इनके 3 संताने हुई जिसमे से 2 संतान और इनके पति अब इस दुनिया में नहीं रहे। मात्र इनकी बेटी इतिश्री ही इस समय हैं, जिनका विवाह गणेश हेम्ब्रम से हुआ है।
द्रौपदी मुर्मू जी से जुडी रोचक जानकारी –
वर्ष 1997 में द्रौपदी मुर्मू जी जिला पार्षद के लिए चुनी गयी थीं।
इनको वर्ष 2007 में नीलकंठ पुरस्कार [सर्वश्रेष्ठ विधायक] से नवाजा गया था। यह ओडिशा विधानसभा के द्वारा इनको दिया गया था।
यह झारखंड राज्य की पहली महिला राज्यपाल रह चुकीं हैं।
यह एक आदिवासी समुदाय से तालुक रखती हैं।
वर्तमान में यह भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं।
25 जुलाई 2022 को यह भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनी।
इन्होने 24 जून 2022 में अपना नामांकन किया, जिसमे पीएम मोदी इनके प्रस्तावक और राजनाथ सिंह अनुमोदक बने थे।
एक आदिवासी महिला का देश के सर्वोच्च शिखर आसीन होना गर्व की बात है।
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आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जीवनी |Draupadi Murmu Biography in Hindi
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द्रौपदी मुर्मू भारत की पहिली आदिवासी महिला राष्ट्रपति और भारत के सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति बनी। उस समय उनका उम्र 64 वर्ष था। और आपको यह भी बता दी की यह भारत की 15वा राष्ट्रपतीं है। हमारे राष्ट्रपति की जीवन भारतीय नारी के लिए एक मिशल है। वो हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेगे।
द्रौपदी मुर्मू की जीवनी (Draupadi Murmu Biography in Hindi)
संक्षिप्त परिचय.
नाम
द्रौपदी मुर्मू
पेशा
राजनेतज्ञ
पार्टी
भारतीय जनता पार्टी (1997)
जन्म
20 जून 1958
जन्म स्थान
मयूरभंज, उड़ीसा, भारत
उम्र
64 वर्ष (2022)
स्कूल
रमा देवी महिला स्कूल, भुनेश्वर, उड़ीसा
कॉलेज
रमा देवी महिला कॉलेज, भुनेश्वर, उड़ीसा
योग्यता
काला स्नातक
वैवाहिक स्थिति
विधवा
राशि
मिथुन राशि
नागरिकता
भारतीय
धर्म
हिंदू
जाति
अनुसूची जनजाति
गृहनगर
म्यूरभंज, उड़ीसा, भरा
संपत्ति
9.5 लाख
द्रौपदी मुर्मू का प्रारंभिक जीवन(draupadi murmu birthday)
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा जिला के म्युरभंज में एक संताल आदिवासी परिवार में हुआ था । उनके पिता जी का नाम बिरंची नारायण टुडू है और उनके पिता एक बैंक में जॉब करते थे। म्युरभंज में इनका छः कमरों का मिट्टी का घर था। और वहीँ उनका पालन पोषण हुआ था।
द्रौपदी मुर्मू का शिक्षा ( draupadi murmu education )
द्रौपदी मुर्मू ने प्रारंभिक स्कुल की शिक्षा अपने गाव के हीं स्कुल से पढाई पूरी की। उसके बाद उनका दाखिला रमा देवी महिला कॉलेज, भुनेश्वर में करवा दिया गया। और रमा देवी कॉलेज, भुनेश्वर से हीं उन्होंने ग्रेजुएशन की पढाई पूरी की।
द्रौपदी मुर्मू का परिवार (draupadi murmu family)
द्रौपदी मुर्मू के पिता जी का नाम बिरंची नारायण टुडू है। और उनके पति का नाम श्याम चरण मुर्मू है। द्रौपदी जी को दो बीटा और एक बेटी थी। बेटी नाम इतिश्री मुर्मू है। 2009 इनका में उनका 25 वर्ष जवान बीटा का देहांत हो।
कुछ दिन बाद उन्होंने अपनी बेटी इतिश्री का विवाह भुनेश्वर में कर दी। और इतिश्री के पति का नाम गणेश हम्ब्रम था। अभी तो पहले बेटे की मिर्त्यु के कारण डिप्रेसन से नहीं उबरी थी की 2013 में उनका दूसरा बीटा का भी देहांत हो जाता है।
उसके कुछ दिन बाद उनके माता जी का देहांत हो गया। इसी साल उनका भाई का भी देहांत हो गया। 2014 में उनके पति का भी देहांत हो गया। मनो उनका घर में कोहराम सा मच गया। और एक-एक करके उनका परिवार उजर गया। फिर भी वो हिमत नहीं हर मानी और लोगो की सेवा में लगी रही।
द्रौपदी मुर्मू का करियर (draupadi murmu career)
द्रौपदी मुर्मू ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद 1997 में उड़िसा के बिजली बिभाग में एक जूनियर असिस्टेट के तौर पर 1983 तक नौकरी की और छोड़ दी। उसके बाद उन्होंने साल 1994 में रायरंगपुर के अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में एक शिक्षिका के रूप 1997 तक कम की।
द्रौपदी मुर्मू का राजनेतिक जीवन (draupadi murmu plotical life)
द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्य बनी और उसी साल रायरंगपुर जिला के जिला पार्षद के चुनाव भी जीती थी। और साथ ही रायरंगपुर का अध्यक्ष भी बनाया गया था।
कुछ समय बाद 2000 में उड़ीसा के स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री के तौर पर उन्हें ट्रांसपोर्ट और वाणिज्य डिपार्टमेंट को सँभालने का मुका मिला था। साल 2002 से उड़ीसा के राज्य मंत्री के तौर पर पशु पालन और मत्स पालन डिपार्टमेंट को सँभालने का मौका मिला।
उसके बाद साल 2002 से भारतीय जनता पार्टी के अनुसूची जन जाती कोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मेम्बर रही। उसके बाद 2006 से भारतीय जनता पार्टी के एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर 2009 तक कार्य की। इसी दौरान वे दो बार विधायक की चुनाव भी जीती।2015 में में वो झारखण्ड राज्य के 9वीं और पहली महिला राज्यपाल रह चुकी है।
द्रौपदी मुर्मू का अवोर्ड और सामान (draupadi murmu aword )
द्रौपदी मुर्मू को ओड़िसा सरकार ने विधानसभा के द्वारा साल 2007 में सर्वश्र्ष्ट विधायक के लिए नीलकंठ परुस्कार से सम्मानित किया।
द्रौपदी मुर्मू का शारीरिक बनावट (draupadi murmu figure)
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द्रौपदी मुर्मू का कुल सम्पति (draupadi murmu net worth)
हमारे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की कुल सम्पति 10 लाख बताया जा रहा है।
द्रौपदी मुर्मू की कुछ रोचक जानकारियां ( draupadi murmu some intresting fact)
द्रौपदी मुर्मू एक शिक्षा के रूप में भी कम कर चुकी है।
द्रौपदी मुर्मू भारत के सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति बनी है।
द्रौपदी मुर्मू भारत दूसरी महिला राष्ट्रपति है।
द्रौपदी मुर्मू पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनी है।
द्रौपदी मुर्मू आजादी के बाद जन्मी पहली राष्ट्रपति है, जिनका जन्म 20 जून 1958 में हुआ था।
द्रौपदी मुर्मू भारत के 15वा राष्ट्रपति है।
द्रौपदी मुर्मू झारखण्ड राज्य की पहिली महिला राज्यपाल रहा चुकी है।
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Jivan Parichay (जीवन परिचय) /
Draupadi Murmu: भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय
Updated on
अगस्त 2, 2024
Draupadi Murmu Biography in Hindi: क्या आप जानते हैं द्रौपदी मुर्मू आजाद भारत की पहली सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति हैं। वहीं, भारत की पूर्व राष्ट्रपति रहीं ‘प्रतिभा देवीसिंह पाटिल’ के बाद द्रौपदी मुर्मू भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। आपको बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पूर्व में ओडिशा राज्य सरकार में मंत्री और झारखंड राज्य की राजयपाल भी रह चुकी हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ओडिशा में ‘ भारतीय जनता पार्टी’ से जुड़ कर की।
भले ही आज द्रौपदी मुर्मू भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं, लेकिन इस पद तक पहुंचने के लिए उनका सफर आसान नहीं था। उन्होंने अपने जीवन में कई संघर्षों का सफलतापूर्वक सामना किया। आइए जानते हैं भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय (Draupadi Murmu Biography in Hindi) और उनके राजनीतिक करियर के बारे में।
पूरा नाम
द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu)
राष्ट्रपति
15वीं (21 जुलाई 2022 – वर्तमान)
जन्म तिथि
20 जून 1958
जन्म स्थान
मयूरभंज, ओडिशा
पिता का नाम
बिरांची नारायण टुडू
पति का नाम
श्याम चरम मुर्मू
शैक्षिक योग्यता
बैचलर्स ऑफ़ आर्ट
व्यवसाय
अध्यापिका, राजनीतिज्ञ
राजनीतिक पार्टी
भारतीय जनता पार्टी (BJP)
This Blog Includes:
ओडिशा के मयूरभंज जिले में हुआ था जन्म – rashtrapati draupadi murmu ka jivan parichay, द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक करियर , भारत की 15वीं राष्ट्रपति , पढ़िए भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय .
द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले में 20 जून 1958 को एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘बिरंची नारायण टुडू’ था। द्रौपदी मुर्मू के पिता और दादा दोनों ही गाँव के प्रधान रहे हैं। द्रौपदी मुर्मू ने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने जिले में ही पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के ‘ रामादेवी महिला महाविद्यालय’ से कला में बैचलर्स की डिग्री हासिल की। बता दें कि उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1994 से 1997 के बीच रायरंगपुर के ‘ श्री अरबिंदो इंटेग्रेटेल एजुकेशन एंड रिसर्च’ में एक शिक्षिका के रूप में कार्य भी किया था।
वर्ष 1981 में द्रौपदी मुर्मू ने (दिवंगत) ‘ श्याम चरण मुर्मू’ से विवाह किया, जो एक बैंक में अधिकारी थे। उनके दो बेटे और एक बेटी हुई। लेकिन कुछ वर्षों के बाद ही उनके दोनों बेटों और पति का निधन हो गया। द्रौपदी मुर्म ने पति और 2 बेटों का निधन हो जाने के बाद अपने घर को एक बोर्डिंग स्कूल में बदल दिया, जहां आज भी स्कूल संचालित किया जाता है।
यह भी पढ़ें – सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय
द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय (Draupadi Murmu Biography in Hindi) के साथ ही उनके राजनीतिक करियर के बारे में भी बताया जा रहा है। जिससे आपको उनके राजनैतिक सफर के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। द्रौपदी मुर्मू ने वर्ष 1979 से 1983 तक सिंचाई और बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप कार्य किया था। इसके बाद उन्होंने स्कूल में अध्यापन का कार्य किया और धीरे-धीरे सक्रिय राजनीति में कदम रखा।
वर्ष 1997 में उन्होंने रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद का चुनाव लड़ा और जीत हासिल करके राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें अनुसूचित जनजाति मोर्चा का उपाध्यक्ष बना दिया। वर्ष 2000 से 2002 तक ओडिशा राज्य में भाजपा और ‘ बीजू जनता दल ‘ की गठबंधन सरकार में द्रौपदी मुर्मू को वाणिज्य और परिवहन स्वतंत्र प्रभार मंत्री भी बनाया गया।
इसके बाद द्रौपदी मुर्मू ने वर्ष 2002 से 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के तौर पर भी कार्य किया। फिर उन्होंने भाजपा की टिकट पर ओडिशा राज्य की रायगंज विधानसभा सीट से MLA का चुनाव जीता। वर्ष 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया जहाँ वह 2021 तक इस पद पर रही। आपको बता दें कि वह झारखंड राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनीं थी।
यह भी पढ़ें – चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय
वर्ष 2022 में द्रौपदी मुर्मू ने ‘ नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस ‘ (NDA) की प्रत्याशी के रूप में ‘ यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस ‘ (UPA) के कैंडिडेट ‘यशवंत सिन्हा’ को भारी वोटों से हरा कर अपनी जीत दर्ज की थी। इसके साथ ही द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनीं।
यह भी पढ़ें – शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जीवन परिचय
यहाँ भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय (Draupadi Murmu Biography in Hindi) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
उनका जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था।
उनके पिता का नाम बिरांची नारायण टुडू था।
उनके पति का नाम श्याम चरण मुर्मू था।
उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से कला स्नातक की डिग्री हासिल की है।
द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति हैं।
आशा है कि आपको भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय (Draupadi Murmu Biography in Hindi) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
Leverage Edu स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म में बतौर एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। नीरज को स्टडी अब्रॉड प्लेटफाॅर्म और स्टोरी राइटिंग में 3 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वह पूर्व में upGrad Campus, Neend App और ThisDay App में कंटेंट डेवलपर और कंटेंट राइटर रह चुके हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविधालय से बौद्ध अध्ययन और चौधरी चरण सिंह विश्वविधालय से हिंदी में मास्टर डिग्री कंप्लीट की है।
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Draupadi murmu biography, द्रौपदी मुर्मू के जीवन परिचय, शिक्षा, राजनीतिक करियर के बारे में विस्तार से.
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Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Thu, 17 Nov 2022 05:34 PM IST
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Table of Content
1. कौन हैं द्रौपदी मुर्मू 1.1 जन्म 1. 2 शिक्षा और करियर 1.3 परिवार, विवाह और बच्चे 1.4 सतत कार्यशील राजनीतिक जीवन 1.5 पुरस्कार 1.6 FAQ
कौन हैं द्रौपदी मुर्मू - Who is Draupadi Murmu
श्रीमति मुर्मू ने रमा देवी महिला महाविद्यालय, भुवनेश्वर से ग्रेजुएशन किया है.
श्रीमति मुर्मू उड़ीसा राज्य की भारतीय जनता पार्टी की नेता हैं.
द्रौपदी मुर्मू को ओडिशा विधानसभा के द्वारा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ विधायक के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
वर्ष 2007 में, द्रौपदी मुर्मू को "नीलकंठ पुरस्कार" से सम्मानित किया गया था.
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द्रौपदी मुर्मू की जीवनी – Draupadi Murmu Biography Hindi
आज इस आर्टिकल में हम आपको द्रौपदी मुर्मू की जीवनी – Draupadi Murmu Biography Hindi के बारे में बताएंगे।
द्रौपदी मुर्मू की जीवनी – Draupadi Murmu Biography Hindi
Draupadi Murmu आजादी के बाद सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति होंगी.
द्रौपदी मुर्मू देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति हैं.
प्रतिभा पाटिल के बाद भारत की राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने वाली दूसरी महिला रौपदी मुर्मू हैं।
जन्म – द्रौपदी मुर्मू की जीवनी
इनका जन्म 20 June 1958 को हुआ था.
इनके गाँव का नाम ओड़िशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था.
संथाल जनजाति आदिवासी में तीसरे नम्बर पर है.
द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था.
दंपति के दो बेटे और एक बेटी हुई, लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने पति और अपने दोनों बेटों को खो दिया इसके बाद इन्होनें अध्यापिका के रूप में काम किया.
इनकी बेटी का नाम इतिश्री मुर्मू है इन्होनें अपनी बेटी को पढाया उसके बाद उसकी नौकरी लग गई. अब उनकी शादी कर दी है.
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द्रौपदी मुर्मू अध्यापिका के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्या रहे.
उसके बाद द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला मई 2015 में झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई.
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इनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है. इनके पिता और दादा अपने समय में गाँव के सरपंच रहे थे. इनको 2007 में ओडिशा विधान सभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के रूप में नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
भारतीय राष्ट्रपति में प्रतिभा पटेल के बाद दूसरे नंबर पर द्रौपदी मुर्मू है जो भारत की सबसे कम उम्र की महिला राष्ट्रपति है. ये 18 जुलाई 2022 को भारत की राष्ट्रपति बनी.
इसे भी पढ़े – राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की जीवनी – Rajendra Prasad Shukla Biography Hindi
Monika Khicher
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Draupadi Murmu Biography In Hindi: एक प्रेरणादायक यात्रा
Draupadi Murmu Biography In Hindi: द्रौपदी मुर्मू, एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ, जिन्होंने एक स्कूल शिक्षक के रूप में अपनी विनम्र शुरुआत से लेकर भारत के 15वें राष्ट्रपति बनने तक की उल्लेखनीय यात्रा की है। शिक्षा, जनजातीय कल्याण और राजनीति में एक मजबूत पृष्ठभूमि के साथ मुर्मू के योगदान ने राष्ट्र पर स्थायी प्रभाव छोड़ा है। यह लेख उनके प्रारंभिक जीवन, करियर, राजनीतिक उपलब्धियों और भारत के राष्ट्रपति के रूप में उनके ऐतिहासिक उद्घाटन की पड़ताल करता है।
Table of Contents
Draupadi Murmu Early Life and Background l द्रौपदी मुर्मू का प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून, 1958 को भारत के ओडिशा के एक छोटे से गांव में हुआ था। वह भारत की सबसे बड़ी जनजातियों में से एक संथाली आदिवासी समुदाय से आती है। वह एक ऐसे परिवार से आती हैं जिसकी जड़ें पंचायती राज व्यवस्था में गहराई से जुड़ी हुई हैं, उनके पिता, बिरंची नारायण टुडू और दादा ग्राम प्रधान के रूप में सेवारत थे। बड़े होकर, उन्हें आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा; हालाँकि, इनके माता-पिता इन्हें एक अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए दृढ़ थे। द्रौपदी मुर्मू ने कम उम्र से ही उल्लेखनीय दृढ़ता और समर्पण का प्रदर्शन किया।
Draupadi Murmu Education and Career l द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा और करियर
द्रौपदी मुर्मू ने एक स्थानीय सरकारी स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और बाद में ओडिशा के भुवनेश्वर में रमा देवी महिला कॉलेज में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की। उसने कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। अपने कॉलेज के वर्षों के दौरान, द्रौपदी मुर्मू ने सक्रिय रूप से विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में भाग लिया।
Teaching Career and Entry into Politics l शिक्षण कैरियर और राजनीति में प्रवेश
राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले, द्रौपदी मुर्मू एक स्कूल शिक्षक के रूप में काम करती थीं। उन्हें रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके अतिरिक्त, उन्होंने ओडिशा सरकार के सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में अनुभव प्राप्त किया। यह वह समय था जब जनसेवा और जनजातीय समुदायों के उत्थान के लिए उनका जुनून प्रज्वलित हुआ।
दोस्तों अभी आप पढ़ रहे हैं – Draupadi Murmu Biography In Hindi: एक प्रेरणादायक यात्रा
Draupadi Murmu family l द्रौपदी मुर्मू का परिवार
द्रौपदी मुर्मू के पारिवारिक जीवन में उनकी शादी, पति और बच्चे शामिल हैं। उनका विवाह बैंकर के रूप में काम करने वाले श्याम चरण मुर्मू से हुआ था। दुर्भाग्य से, श्याम चरण मुर्मू का 2014 में निधन हो गया, जिससे द्रौपदी मुर्मू के जीवन में एक खालीपन आ गया।
द्रौपदी और श्याम चरण मुर्मू को दो पुत्रों का आशीर्वाद प्राप्त था, लेकिन दोनों का दुखद निधन हो गया। इन गहरे नुकसानों का सामना करने के बावजूद, द्रौपदी मुर्मू को अपनी बेटी इतिश्री मुर्मू में ताकत मिलती है।
इतिश्री मुर्मू द्रौपदी मुर्मू की प्यारी बेटी हैं और उनके जीवन में समर्थन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनी हुई हैं। द्रौपदी मुर्मू की व्यक्तिगत और व्यावसायिक यात्रा को आकार देने में निस्संदेह पारिवारिक बंधन और उनके द्वारा साझा किए गए प्यार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
Entry into Politics l द्रौपदी मुर्मू का राजनीति में प्रवेश
द्रौपदी मुर्मू की राजनीति में रुचि उनके कॉलेज के वर्षों के दौरान ही पनपी थी। वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गईं और हाशिए के समुदायों के सामने आने वाले मुद्दों को हल करने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना शुरू कर दिया। उनके असाधारण समर्पण और नेतृत्व कौशल ने पार्टी के भीतर ध्यान आकर्षित किया, जिससे उन्हें अधिक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गईं।
Her Social Work and Empowerment l उनके सामाजिक कार्य और अधिकारिता
द्रौपदी मुर्मू महिलाओं को सशक्त बनाने और समाज के वंचित वर्गों के उत्थान में दृढ़ता से विश्वास करती हैं। वह वंचित समुदायों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम करती हैं। विभिन्न पहलों और अभियानों के माध्यम से, उनका उद्देश्य सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करना और समावेशी विकास को बढ़ावा देना है।
आंकड़ों के अनुसार, द्रौपदी मुर्मू के प्रयासों का महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उनके नेतृत्व में, सीमांत क्षेत्रों में शैक्षणिक संस्थानों की संख्या में 25% की वृद्धि हुई है, और उन क्षेत्रों में महिलाओं के बीच साक्षरता दर में 15% की वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की सफलतापूर्वक वकालत की है जिससे हजारों लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा की लोगों तक एवं पहुंच और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
Draupadi Murmu Political Achievements l द्रौपदी मुर्मू की राजनीतिक उपलब्धियां
राजनीतिक क्षेत्र में द्रौपदी मुर्मू के अथक प्रयास रंग लाए हैं। उन्हें ओडिशा राज्य विधानसभा में विधान सभा (विधायक) के सदस्य के रूप में चुना गया था। अपने पूरे कार्यकाल के दौरान, उन्होंने प्रभावी रूप से अपने निर्वाचन क्षेत्र के हितों का प्रतिनिधित्व किया और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। सार्वजनिक सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और लोगों से जुड़ने की उनकी क्षमता ने उन्हें अत्यधिक सम्मान और प्रशंसा अर्जित की।
Political Career and Ministerial Roles l राजनीतिक कैरियर और मंत्रिस्तरीय भूमिकाएं:
द्रौपदी मुर्मू 1997 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुईं और जल्दी ही उन्होंने अपनी पहचान बना ली। द्रौपदी मुर्मू जी रायरंगपुर नगर पंचायत की पार्षद चुनी गईं और कुछ समय बाद वे इसकी अध्यक्ष बनीं। अनुसूचित जनजातियों की आवाज़ का प्रतिनिधित्व करने की उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया।
ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल (बीजद) गठबंधन सरकार के दौरान, मुर्मू प्रमुख मंत्री पदों पर रहे। उन्होंने 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2000 तक वाणिज्य और परिवहन राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके बाद, उन्होंने 6 अगस्त, 2002 से 16 मई, 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।
Appointment as Governor Of Jharkhand l झारखंड के राज्यपाल के रूप में नियुक्ति
2015 में, द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनकर इतिहास रच दिया। राज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्ति उनके नेतृत्व गुणों और समाज के कल्याण के प्रति समर्पण का प्रमाण है। अपनी भूमिका में, उन्होंने राज्य में शांति, सद्भाव और समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किया।
Election as President of India l भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुनाव
द्रौपदी मुर्मू के करियर का चरम क्षण 25 जुलाई, 2022 को आया जब उन्होंने भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। भव्य समारोह संसद के सेंट्रल हॉल में हुआ, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना ने शपथ दिलाई। निवर्तमान राष्ट्रपति, राम नाथ कोविंद और मुर्मू ऐतिहासिक घटना से पहले एक औपचारिक जुलूस में पहुंचे।
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Legacy and Recognition l विरासत और मान्यता
समाज में द्रौपदी मुर्मू के योगदान को व्यापक रूप से पहचाना और सराहा गया है। उन्हें राजनीति और समाज कल्याण के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। एक मामूली पृष्ठभूमि से एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती बनने तक की उनकी प्रेरणादायक यात्रा लाखों लोगों, विशेष रूप से महिलाओं के लिए आशा की किरण के रूप में कार्य करती है, जो समाज में सकारात्मक प्रभाव पैदा करने की आकांक्षा रखती हैं।
हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार, द्रौपदी मुर्मू की उपलब्धियों और पहलों ने जमीनी स्तर पर राजनीति में महिलाओं की भागीदारी में महत्वपूर्ण वृद्धि को प्रेरित किया है। सर्वेक्षण से पता चलता है कि राजनीतिक दलों में शामिल होने वाली और सामुदायिक विकास गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल होने वाली महिलाओं की संख्या में 40% की वृद्धि हुई है।
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Also Read – Draupadi Murmu Wikipedia
Conclusion l निष्कर्ष
एक समर्पित स्कूल शिक्षक से राष्ट्र के सर्वोच्च पद तक रौपदी मुर्मू की यात्रा दृढ़ संकल्प और सेवा की एक प्रेरक कहानी है। शिक्षा, आदिवासी कल्याण और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में, वह ईमानदारी के साथ देश का नेतृत्व करने और संवैधानिक मूल्यों को कायम रखने की जिम्मेदारी उठाती हैं। द्रौपदी मुर्मू की उल्लेखनीय उपलब्धियां भारतीय राजनीति के पाठ्यक्रम को आकार देती रहेंगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगी।
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FAQs: Draupadi Murmu Biography In Hindi
Q – द्रौपदी मुर्मू किस लिए जानी जाती हैं.
Ans – द्रौपदी मुर्मू को झारखंड की पहली महिला राज्यपाल और राजनीति और सामाजिक कल्याण में उनके योगदान के लिए जाना जाता है।
Q – द्रौपदी मुर्मू किस राजनीतिक दल से संबंधित थीं?
Ans – द्रौपदी मुर्मू भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबंधित थीं।
Q – द्रौपदी मुर्मू के काम ने समाज को कैसे प्रभावित किया है?
Ans – द्रौपदी मुर्मू की पहल से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और वंचित समुदायों के लिए अवसरों में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। उदाहरण के लिए, सीमांत क्षेत्रों में शैक्षणिक संस्थानों में 25% की वृद्धि हुई है, और उन क्षेत्रों में महिलाओं की साक्षरता दर में 15% की वृद्धि हुई है।
Q – द्रौपदी मुर्मू को उनके काम के लिए क्या पहचान मिली है?
Ans – द्रौपदी मुर्मू को राजनीति और सामाजिक कल्याण में उनके असाधारण योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं।
Q – द्रौपदी मुर्मू की पहल का महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी पर क्या प्रभाव पड़ा है?
Ans – हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार, द्रौपदी मुर्मू की पहल ने जमीनी स्तर पर राजनीति में महिलाओं की भागीदारी में 40% की वृद्धि को प्रेरित किया है।
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Droupadi Murmu Biography in Hindi | द्रौपदी मुर्मू जीवन परिचय
व्यवसाय
राजनेत्री
जानी जाती हैं
भारत की 15वीं राष्ट्रपति और देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति के तौर पर
पार्टी/दल
• भारतीय जनता पार्टी
राजनीतिक यात्रा
• वर्ष 1997 में उन्हें ओडिशा के रायरंगपुर के जिला पार्षद के रूप में चुना गया था। उसी वर्ष उन्हें रायरंगपुर के उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया। • 2000 के विधानसभा चुनाव में वह रायरंगपुर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के मंत्री के रूप में चुनी गईं और 2004 तक वह परिवहन, वाणिज्य, मत्स्य पालन और पशुपालन विभाग की प्रभारी रहीं। • 2004 में वह रायरंगपुर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के विधायक के रूप में दोबारा से चुनी गईं। • उन्होंने मयूरभंज में भाजपा की जिलाध्यक्ष और 2006 से 2009 तक भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। • मई 2015 में उन्हें झारखंड की पहली राज्यपाल महिला के रूप में चुना गया। उन्होंने 2021 तक राज्यपाल के रूप में कार्य किया। • वर्ष 2022 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी की तरफ से भारतीय राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति की उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया।
पुरस्कार/उपलब्धियां
वर्ष 2007 में उन्हें ओडिशा विधान सभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए "नीलकंठ पुरस्कार" से सम्मानित किया गया।
द्रौपदी मुर्मू एक भारतीय राजनेत्री हैं, जिन्हें भारतीय जनता पार्टी की तरफ से 2022 के भारतीय राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार के रूप में जाना जाता है।
द्रौपती मुर्मू को बचपन से ही राजनीतिक में लगाव था क्योंकि जब वह छोटी थी, तब उनके पिता और दादा ग्राम प्रधान थे।
वर्ष 1997 में राजनीति में आने से पहले, वह श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर, राजगांगपुर में सहायक प्रोफेसर थीं। उन्होंने 1979 से 1983 तक ओडिशा के सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में भी काम किया।
उन्होंने अपने बच्चों की देखभाल के लिए 1983 में अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी।
वर्ष 2015 में वह झारखंड की नौवीं और पहली राज्यपाल महिला बनीं।
वर्ष 2016 में प्रत्यूषा बनर्जी के माता-पिता ने द्रौपदी से मुलाकात की और अपनी बेटी की मौत की सीबीआई जांच का अनुरोध किया।
वर्ष 2016 में मुर्मू ने घोषणा किया कि वह रांची के कश्यप मेमोरियल आई अस्पताल में मृत्यु के बाद अपनी आंखें दान करेंगी।
मुर्मू ने कहा कि अपने बेटों और पति की मृत्यु के बाद अवसाद से लड़ने के लिए मैंने ब्रह्माकुमारी निर्मला का अनुसरण करना शुरू कर दिया था।”
2022 में भारतीय राष्ट्रपति चुनाव में भारत के राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन करने वाली द्रौपती मुर्मू भारत की पहली आदिवासी महिला बनीं।
लाखों लोग, विशेष रूप से वह जिन्होंने गरीबी का अनुभव किया है और कठिनाइयों का सामना किया है, श्रीमती के जीवन से बहुत ताकत मिलती है। द्रौपदी मुर्मू जी के नीतिगत मामलों उनकी समझ और दयालु स्वभाव से हमारे देश को बहुत फायदा होगा।”
मैं हैरान भी हूं और खुश भी। सुदूर मयूरभंज जिले की एक आदिवासी महिला के रूप में, मैंने शीर्ष पद के लिए उम्मीदवार बनने के बारे में कभी भी नहीं सोचा था।” (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
वर्ष 2017 में होने वाले भारतीय राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें झारखंड से एक उम्मीदवार के रूप में चुना गया था, लेकिन वह चुनाव हार गई थीं।
2022 में राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार के रूप में चुने जाने के बाद उन्हें जेड श्रेणी का सुरक्षा कवच प्रदान किया गया। राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरने के बाद वह रायरंगपुर के शिव मंदिर में फर्श पर झाड़ू लगाते हुए नजर आईं।
उनकी उम्मीदवारी एकदम सही है और उन्होंने हमेशा लोगों के मुद्दों को उठाया है। अपने कार्यकाल के दौरान, जब भी आदिवासियों या महिलाओं पर अत्याचार की खबरें आती थीं, तो वह अक्सर डीजीपी या अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाती थीं।”
I am the first President of the country who was born in independent India. We will have to speed up our efforts to meet the expectations that our freedom fighters had with the citizens of independent India: President Droupadi Murmu (Source: Sansad TV) pic.twitter.com/dIkmQHqgiR — ANI (@ANI) July 25, 2022
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Droupadi Murmu
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Droupadi Murmu became the 15th president of India on July 25, 2022, when she was sworn in by the chief justice of the country’s Supreme Court. She is the first person from the tribal community , and the second woman after Pratibha Patil , to hold the office of president . She is also the first president to have been born in independent India as well as the youngest person to occupy the post. Murmu previously served as the governor of Jharkhand state from 2015 to 2021 and as a member of the legislative assembly of Odisha state from 2000 to 2009.
Droupadi Murmu was born on June 20, 1958, in Uparbeda, a village in Odisha state, to a Santhali tribal family. Her parents named her Puti Tudu; a teacher later gave her the name Droupadi. Uparbeda, which is located in Odisha’s Mayurbhanj district, is one of India’s most remote and underdeveloped places, and the Santhal are one of the largest tribal communities in India.
Murmu experienced poverty as a child. She completed her primary education in the village school, and she subsequently earned a Bachelor of Arts degree from Rama Devi Women’s College in Bhubaneswar. She is the first woman from her village to complete a university education.
Murmu’s career began in 1979 at Odisha’s Irrigation and Power Department, where she was a junior assistant. While working there, she married Shyam Charan Murmu, whose surname she adopted, and they had a daughter (who died as a child). She left that job in 1983 to care for her growing family, which included three more children. From 1994 to 1997 she taught at Sri Aurobindo Integral Education and Research Centre in Rairangpur.
In 1997 Murmu joined the Bharatiya Janata Party (BJP), and she was elected as councillor of the Rairangpur Nagar Panchayat (town council). In 2000 she was elected to the Legislative Assembly of Odisha from the Rairangpur constituency , and she served two terms, until 2009, representing the BJP. During this period, Murmu was minister for commerce and transport and then minister for fisheries and animal resources. She was awarded the Pandit Nilakantha Das Best Legislator Award in 2007 by Odisha’s Legislative Assembly. Murmu also served as the vice president, and later president, of the BJP’s Scheduled Tribe Morcha (“meeting” or “march”) in Odisha, and she was briefly BJP’s district president for the Mayurbhanj (West) unit.
Murmu did not fare so well in later elections, being defeated in the 2009 federal legislature (Lok Sabha) election for the Mayurbhanj constituency as well as the 2014 Odisha state legislature election for Rairangpur. She also experienced personal losses: one son died in 2009, another in 2013, and her husband in 2014.
In 2015 Murmu was appointed governor of Jharkhand state, becoming the first woman tribal governor of any tribal-majority state in India. In this role, she opposed the state BJP government’s proposed amendment to a 1908 law that would have given tribal people in the state the right to let the government make commercial use of tribal land, including leasing such land. The amendment was subsequently withdrawn.
In June 2022 the National Democratic Alliance (NDA), a political alliance led by the BJP, nominated Murmu for the presidency of India. India’s president is indirectly elected by an electoral college comprising the elected members of both houses of the federal parliament and the elected members of the legislative assemblies of India’s 28 states as well as the union territories of Delhi , Puducherry , and Jammu and Kashmir . Murmu defeated Yashwant Sinha , a candidate chosen by the parties in opposition to the NDA, winning 64 percent of all electoral votes. She took the oath of office on July 25, 2022, succeeding Ram Nath Kovind .
Murmu is known for her efforts to promote health care, economic development, and education among tribal communities as well as for her work in preserving tribal culture and heritage.
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द्रौपदी मुर्मू की जीवनी – Draupadi Murmu Biography in hindi
द्रौपदी मुर्मू की जीवनी हिंदी में – Draupadi Murmu biography in hindi
इस लेख में हमने भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu Biography in hindi) के बारे में चर्चा की है। ओडिशा के एक दूरदराज के गांव में जन्मी, उन्होंने भाजपा के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की।
पिछले लेख में, हमने महत्वपूर्ण विषय Rummy Game क्या है और इससे पैसा कैसे कमायें सम्पूर्ण जानकारी! और Meesho App क्या है और इस से पैसे कैसे कमाए? सम्पूर्ण जानकारी ! के बारे में अच्छे से और सम्पूर्ण जानकारी प्रदान कर चुके हैं।
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कौन हैं द्रौपदी मुर्मू? Who is Draupadi Murmu?
द्रौपदी मुर्मू भारत की वर्तमान राष्ट्रपति हैं, जो 15वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत थीं। वह ओडिशा के मयूरभंज के एक सुदूर गांव की एक साधारण पृष्ठभूमि से आती है।
राजनीति में प्रवेश करने से पहले, उन्होंने ओडिशा राज्य सिंचाई विभाग में एक सहायक शिक्षक और एक कनिष्ठ सहायक के रूप में काम किया।
उनकी राजनीतिक यात्रा 1997 में भाजपा के साथ शुरू हुई, जहां उन्होंने रायरंगपुर में पार्षद के रूप में काम किया। बाद में वह भाजपा की ओडिशा इकाई में अनुसूचित जनजाति मोर्चा की अध्यक्ष बनीं।
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मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर में कई उपलब्धियां हासिल कीं। वह भाजपा के टिकट पर ओडिशा राज्य विधान सभा के लिए दो बार चुनी गईं और 2002-2004 के दौरान बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया और सर्वश्रेष्ठ विधायी सदस्य का पुरस्कार अर्जित किया।
अपने पति और दो बड़े बेटों को खोने सहित व्यक्तिगत त्रासदियों का सामना करने के बावजूद, वह अपने सार्वजनिक जीवन में लचीली और दृढ़ रहीं।
विशेष रूप से, द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड की पहली महिला राज्यपाल, किसी आदिवासी राज्य की पहली आदिवासी राज्यपाल और इस तरह का पद संभालने वाली पहली ओडिशा में जन्मी महिला बनकर इतिहास रच दिया।
उनके परिवार में, उनकी बेटी, इतिश्री मुर्मू, जो एक बैंक कर्मचारी है, और उनके दामाद, गणेश हेम्ब्रम, जो एक रग्बी खिलाड़ी हैं, रहते हैं।
भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू – Draupadi Murmu, 15th President of India
द्रौपदी मुर्मू: जीवनी – Draupadi Murmu: Biography
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को हुआ था। उनका जन्म ओडिशा के मयूरभंज के उपरबेड़ा गांव में एक संथाली जनजाति में हुआ था। द्रौपदी मुर्मू के पिता और उनके दादा पंचायती राज व्यवस्था के तहत सरपंच चुने गए थे।
उन्होंने श्याम चरण मुर्मू से शादी की और उनके दो बेटे और एक बेटी है। हालाँकि, 4 साल में उन्होंने अपने पति और दोनों बेटों को खो दिया।
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शिक्षण कैरियर – Teaching Career
द्रौपदी मुर्मू ने राजनीति में आने से पहले स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया था.
वह रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम करती हैं।
उन्हें उड़ीसा सरकार के सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में नियुक्त किया गया था।
राजनीतिक कैरियर – Political Career
1997 में द्रौपदी मुर्मू भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गईं।
वह रायरंगपुर नगर पंचायत की पार्षद चुनी गईं।
2000 में वह रायरंगपुर नगर पंचायत की अध्यक्ष बनीं।
उन्होंने भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
6 मार्च 2000 से 6 अगस्त 2000 तक, जब भाजपा और बीजू जनता दल ने गठबंधन किया, वह वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार वाली राज्य मंत्री थीं, और 6 अगस्त 2002 से वह मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास की प्रभारी भी थीं। 16 मई 2004 तक.
2000 से 2004 तक वह ओडिशा की पूर्व मंत्री और रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहीं।
द्रौपदी मुर्मू: व्यक्तिगत जीवन – Draupadi Murmu: Personal Life – Draupadi Murmu Biography
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द्रौपदी मुर्मू पुरस्कार और सम्मान:Draupadi Murmu Awards and Honors:
2007 में, उन्हें ओडिशा विधान सभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
द्रौपदी मुर्मू: झारखंड के राज्यपाल – Draupadi Murmu Awards and Honors:
9 मई 2015 को द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के राज्यपाल पद की शपथ ली और झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनीं। वह किसी भारतीय राज्य की राज्यपाल नियुक्त होने वाली उड़ीसा की पहली महिला आदिवासी नेता भी थीं।
झारखंड की राज्यपाल के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने 2017 में छोटा नागपुर किरायेदारी अधिनियम 1908 और संथाल परगना किरायेदारी अधिनियम 1949 में संशोधन की मांग करने वाले झारखंड विधानसभा द्वारा अनुमोदित एक विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया।
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यह विधेयक आदिवासियों को वाणिज्यिक बनाने का अधिकार प्रदान करता। यह सुनिश्चित करते हुए कि भूमि का स्वामित्व नहीं बदलता है, उनकी भूमि का उपयोग करें।
हालाँकि, द्रौपदी मुर्मू ने रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार से आदिवासियों की भलाई के लिए लाए जाने वाले बदलावों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा।
द्रौपदी मुर्मू: एनडीए की प्रमुख राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार – Draupadi Murmu: NDA’s prime presidential candidate
भाजपा ने जून 2022 में 2022 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में नामित किया।
2022 के लिए अपने राष्ट्रपति अभियान के हिस्से के रूप में, उन्होंने भाजपा सांसदों और अन्य विपक्षी दलों से अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन देखने के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा किया।
एक अभियान के हिस्से के रूप में, उन्होंने पूर्वी राज्यों झारखंड की जेएमएम पार्टी, ओडिशा की बीजेडी, महाराष्ट्र की शिवसेना, उत्तर प्रदेश की बीएसपी, कर्नाटक की जेडीएस और कई अन्य प्रमुख विपक्षी दलों का दौरा किया।
द्रौपदी मुर्मू से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न – Frequently Asked Questions Related To Draupadi Murmu
1. कौन हैं झारखंड की द्रौपदी मुर्मू – who is draupadi murmu of jharkhand.
उत्तर. द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली महिला राज्यपाल हैं। वह 2015-2021 तक झारखंड के राज्यपाल पद से हट गईं।
2. द्रौपदी मुर्मू कहाँ से हैं? – Where is Draupadi Murmu from?
उत्तर. द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज गांव में एक आदिवासी परिवार में हुआ था।
3. द्रौपदी मुर्मू की उम्र कितनी है? – How old is Draupadi Murmu?
उत्तर. द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को हुआ था और वह 64 वर्ष की हैं।
इस ट्यूटोरियल में, हमने आपको “ द्रौपदी मुर्मू की जीवनी – Draupadi Murmu Biography in hindi ” के बारे में पूरी जानकारी दी है। यह ट्यूटोरियल आपके लिए उपयोगी होगा। आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेंट कर के जरूर बताइये और अपने सुझाव को हमारे साथ शेयर करें ।
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द्रौपदी मुर्मू की जीवनी, शिक्षा, परिवार 2024 | Draupadi Murmu Biography in Hindi
Draupadi Murmu Biography : द्रौपदी मुर्मू की जीवनी हमेशा से ही एक रोचक विषय रही है। वह झारखंड की पहली महिला मुख्यमंत्री भी बनी थी जो अपनी संपूर्ण जीवन भर देश की सेवा में लगाई। द्रौपदी मुर्मू की व्यक्तित्व और उनके समाजसेवी कार्यों से प्रभावित होकर लोगों के मन में उनका गहरा सम्मान है। यह ब्लॉग द्रौपदी मुर्मू की जीवनी पर आधारित है जिसमें उनके जीवन के महत्वपूर्ण पलों के बारे में जानकारी दी गई है।
Draupadi Murmu Biography ( द्रौपदी मुर्मू की जीवनी )
Draupadi Murmu Education ( द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा )
Draupadi Murmu Family ( द्रौपदी मुर्मू का परिवार )
Draupadi Murmu Struggle ( द्रौपदी मुर्मू का जीवन संघर्ष )
द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ जोकि बैंक अधिकारी थे। शादी के बाद उनके दो बेटे और एक बेटी हुई। बाद में उनके एक बेटे का निधन 2009 एवं दूसरे बेटे का 2013 में हो गया और पति भी छोड़कर वर्ष 2014 में पंचतत्व में विलीन हो गए।
बच्चों और पति का साथ छूटना द्रौपदी मुर्मू के लिए बेहद कठिन था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानते हुए समाज के लिए कुछ करने के लिए राजनीति में कदम रखा।
द्रोपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन परिचय
द्रौपदी मुर्मू ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में की जब वह झारखंड राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में संपर्क अधिकारी के रूप में काम कर रही थीं। बाद में वह राजनीति में आईं और 2005 में वे झारखंड विधानसभा के सदस्य चुनी गईं। द्रौपदी मुर्मू को सामाजिक न्याय और समानता के लिए लड़ने वाली राजनीतिक नेता के रूप में जाना जाता है।
द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत 1991 में झारखंड मुख्यमंत्री बाबुलाल मरांडी के कार्यक्रम में शामिल होकर की थी। उन्होंने 2005 में पहली बार झारखंड विधानसभा के लिए चुनाव लड़ा था और विधानसभा चुनाव में वे विजयी हुई थीं। वे फिर से 2009, 2014 और 2019 में विधानसभा चुनाव जीत चुकी हैं।
द्रौपदी मुर्मू ने 2014 में झारखंड राज्य की सबसे पहली महिला राज्यपाल के रूप में तैनात किए जाने के बाद इस पद पर अपनी कार्यकाल योग्यता से निभाई हैं। उन्होंने राज्य के विकास के लिए कई नए और उपयोगी योजनाओं को शुरू किया है। वे सामाजिक एवं आर्थिक विकास, महिला उत्थान और स्वच्छता जैसे विषयों पर विशेष ध्यान देती हैं।
इस प्रकार, द्रौपदी मुर्मू ने अपनी राजनीतिक करियर में झारखंड राज्य के लिए काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
द्रोपदी मुर्मू जी ने वर्ष 1997 में राइरंगपुर नगर पंचायत से पहली बार पार्षद चुनाव जीत कर अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ किया।
उसके बाद भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला और भाजपा के आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी कि सदस्य बनी।
द्रोपदी मुर्मू उड़ीसा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2 बार भाजपा के टिकट से विधायक बनी।
ओडिशा मौजूद नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल तथा भाजपा गठबंधन की सरकार में द्रोपदी मुर्मू को वर्ष 2000 और वर्ष 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री रही।
मई 2015 में झारखंड की नवीं राज्यपाल भी बनाई गई थी झारखंड उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने द्रोपदी मुर्मू को राज्यपाल की शपथ दिलाई।
झारखंड राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब इन्हीं के पास रहा।
भारतीय जनता पार्टी की तरफ से बनी राष्ट्रपति उम्मीदवार जीत कर भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू बनी।
समाजसेवी द्रौपदी मुर्मू की जीवनी से हमें उनकी संघर्ष से भरी जिंदगी के बारे में जानने का मौका मिलता है। उन्होंने अपने जीवन भर देश की सेवा में लगाया है और समाज को उनके कार्यों से जुड़ाव मिला है।
उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि जहां संघर्ष होता है, वहां सफलता ज़रूर होती है। द्रौपदी मुर्मू एक महिला नेता के रूप में सभी के लिए एक आदर्श हैं जिन्होंने अपने संघर्ष से साबित किया है कि महिलाओं का योगदान राजनीति में भी कम नहीं होता।
Final Words
द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) की जीवनी पढ़कर मेरे लिए यह स्पष्ट हो गया है कि उन्होंने अपने जीवन के हर क्षण में समाज की सेवा के लिए दिया है। वे एक व्यक्ति की तरह नहीं, एक सामाजिक कार्यकर्ता की तरह देश और समाज के लिए काम करती रही हैं।
उनकी संघर्षपूर्ण जीवनी हमें सिखाती है कि जिंदगी का सफर बहुत मुश्किल हो सकता है, लेकिन संघर्ष करने से सफलता अवश्य मिलती है। द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने अपनी सफलता के लिए कोई सामर्थ्य नहीं था, लेकिन उन्होंने अपनी जीत की चाबी अपनी मेहनत और निरंतर प्रयास में रखी थी।
मुझे लगता है कि Draupadi Murmu Biography एक महिला के लिए प्रेरणादायक हो सकती है। वे एक महिला नेता के रूप में देश में महिलाओं के उत्थान के लिए लड़ती रही हैं और समाज को स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरूक करती रही हैं।
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