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Essay on River: परीक्षाओं में आने वाले नदियों पर निबंध

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  • Updated on  
  • अगस्त 26, 2024

Essay on River in Hindi

एक प्राकृतिक बहने वाले जलमार्ग को नदी कहते हैं। प्राकृतिक स्थानों से निकलने वाली नदी आमतौर पर मीठे पानी की होती हैं और यह समुंद्र में जाकर गिरती हैं। यह किसी महासागर, समुद्र, झील या किसी अन्य नदी की ओर बहती है। नदियाँ वर्षा, पिघलती बर्फ और हिमपात और झरनों से बनती हैं, जो धाराओं में एकत्रित होकर बड़े जलमार्गों में प्रवाहित होती हैं। अफ्रीका में नील नदी को पारंपरिक रूप से दुनिया की सबसे लंबी नदी माना जाता है, जिसकी लंबाई लगभग 6,650 किलोमीटर (4,130 मील) है। दक्षिण अमेरिका में अमेज़न नदी भी एक मशहूर नदी है। भारत में भी कई नदियां हैं जिनमें गंगा नदी सबसे अधिक प्रसिद्ध जाती है। ये नदियां अपने साथ ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखती हैं इसके ये मानव से के लिए बहुत उपयोगी भी हैं। नदियों पर विद्यालय में निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जिसमें नदियों पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस ब्लॉग में Essay on River in Hindi के कुछ सैंपल दिए गए हैं आप जिनकी मदद ले सकते हैं।

This Blog Includes:

नदी पर 100 शब्दों में निबंध, नदी पर 200 शब्दों में निबंध, नदियों का महत्त्व , नदियों को बचाएं , उपसंहार .

Essay on River in Hindi 100 शब्दों में नीचे दिया गया है-

नदी मानव जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। नदी भूमि से होकर बहती है और पीने, कृषि और उद्योग के लिए पानी उपलब्ध कराती है। पृथ्वी पर मीठा पानी प्रदान करने वाला सबसे बड़ा स्त्रोतों में नदियां प्रमुख हैं। एक नदी विविध पारिस्थितिकी तंत्रों का भी समर्थन करती है क्योंकि किसी भी स्थान पर वातावरण वहां पर स्थित पानी के स्त्रोत पर निर्भर करता है। ये पौधों और जानवरों के लिए आवास भी प्रदान करती है। नदियाँ परिवहन के लिए भी उपयोग में ली जाती हैं। कई स्थानों में नदियों को परिवहन के रूप में माल और लोगों की आवाजाही आसानी से संभव हो पाती है। वे मछली पकड़ने और पर्यटन जैसी गतिविधियों के माध्यम से अर्थव्यवस्था में भी योगदान देती हैं। नदियाँ दुनिया भर में सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनकी सुंदरता इन्हें देखने वाले लोगों को आकर्षित करती है। जबकि उनकी शक्तिशाली धाराएँ जलविद्युत शक्ति (हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर) उत्पन्न कर सकती हैं। नदियाँ जीवन को बनाए रखने और विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक हैं।

Essay on River in Hindi 200 शब्दों में नीचे दिया गया है-

नदी मीठे पानी का एक प्राकृतिक बहता हुआ जलाशय है। यह अपने यात्रा में किसी महासागर, समुद्र, झील या किसी अन्य नदी की ओर बढ़ती है। यह किसी स्रोत से शुरू होती है, जैसे कि पहाड़, पहाड़ियाँ या भूमिगत झरने, जहाँ पिघली हुई बर्फ और बारिश का पानी इकट्ठा होता है। जिस बिंदु से नदी शुरू होती है उसे स्रोत कहा जाता है। जहाँ यह समाप्त होती है उसे मुहाना कहा जाता है। 

नदियाँ आमतौर पर संकरी धाराओं के रूप में शुरू होती हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों से गुज़रते हुए एक बड़े, व्यापक प्रवाह का निर्माण करती हैं। नदियाँ मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे पहाड़ी क्षेत्रों में उत्पन्न होती हैं। नदियां शुरू में संकरी, नदियाँ धीरे-धीरे चौड़ी होती जाती हैं क्योंकि वे समतल मैदानों की ओर बढ़ती हैं। उन्हें वर्षा या पिघलती बर्फ और बर्फ से पानी का मिल सकता है।

नदियाँ मुख्य जलमार्ग या छोटी सहायक नदियाँ हो सकती हैं। वे अंततः समुद्र या झीलों में बहती हैं। बरसात के मौसम में, नदियाँ उफान पर आ सकती हैं और बाढ़ के दौरान खतरनाक हो सकती हैं। गर्मियों में नदियां छोटी या सूखी हो जाती हैं। शरद ऋतु और वसंत में, नदियों का पानी आमतौर पर साफ और ताज़ा होता है।

नदी पर 500 शब्दों में निबंध

नदी पर 500 शब्दों में निबंध (Essay on River in Hindi) नीचे दिया गया है-

नदियाँ मानव सभ्यताओं के लिए आवश्यक होती हैं। वे जीवन के लिए आवश्यक ताज़ा पानी प्रदान करती हैं। हम पानी के बिना जीवित नहीं रह सकते और नदियाँ मीठे पानी का मुख्य स्रोत हैं। ऐतिहासिक रूप से सभी सभ्यताएँ नदी के किनारों के पास विकसित हुई हैं। दूसरे शब्दों में नदियाँ पृथ्वी की नसों की तरह हैं जो जीवन को बनाए रखती हैं। इस निबंध में, हम नदियों के महत्व का पता लगाएंगे और उन्हें बचाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।

नदियों को अक्सर किसी देश की जीवन रेखा कहा जाता है। कोई भी जीव जल के बिना जीवित नहीं रह सकता है और नदियाँ इसका एक प्रमुख स्रोत हैं। प्रारंभिक सभ्यताएँ नदी के किनारे उपजाऊ मिट्टी के कारण विकसित हुईं। लोगों ने पहचाना कि नदी घाटियाँ खेती के लिए आदर्श थीं और भूमि पर खेती करने के लिए इन क्षेत्रों में बस गए।

नदियाँ पहाड़ों से शुरू होती हैं, जहाँ वे अपने साथ चट्टान, रेत और मिट्टी ले जाती हैं। जैसे-जैसे वे मैदानों में बहती हैं, पानी धीमा हो जाता है और इस उपजाऊ सामग्री को जमा करता है। जिससे उनके किनारों की मिट्टी समृद्ध होती है। जब नदियाँ ओवरफ्लो होती हैं, तो वे पोषक तत्वों से भरपूर इस मिट्टी को भूमि पर फैला देती हैं, जिससे यह कृषि के लिए अधिक उत्पादक बन जाती है।

नदियाँ खेती के लिए महत्वपूर्ण हैं, रेगिस्तान को उत्पादक भूमि में बदलने में मदद करती हैं। उनका उपयोग बांध बनाने के लिए भी किया जाता है। बांध पर जलविद्युत शक्ति (हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर) उत्पन्न कर सकते हैं और वन्यजीव संरक्षण (वाइल्ड लाइफ रिजर्व) का समर्थन कर सकते हैं। ऐतिहासिक रूप से, नदियाँ महत्वपूर्ण परिवहन मार्गों के रूप में काम करती थीं, जो सड़कों और रेलमार्गों के निर्माण से पहले माल और लोगों को ले जाने का सबसे सस्ता तरीका प्रदान करती थीं। नदियाँ पहाड़ों से खनिज ले जाती हैं, पर्यटन को बढ़ावा देती हैं और मछली पकड़ने के उद्योगों को बढ़ावा देती हैं।

प्रदूषण बढ़ने के साथ ही नदियों की सुरक्षा करना पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है। नदियों की सुरक्षा करने के लिए हमें कई उपाय अपनाने होंगे। सबसे पहले, हमें शरीर धोने के लिए कठोर रसायनों के बजाय बायोडिग्रेडेबल क्लीनिंग प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना चाहिए। नहाते समय तक रखकर और इस्तेमाल न होने पर पानी बंद करके नहाते समय पानी की बर्बादी से बचें। शौचालय में इस्तेमाल होने वाले पानी की मात्रा को केवल जरुरत तक के पानी उपयोग करके पानी बचाया जा सकता है। पानी बचाने के लिए अपने दाँत ब्रश करते या शेविंग करते समय नल बंद करना भी ज़रूरी है।

उपयोग में न होने पर लाइट बंद करके और डिवाइस को अनप्लग करके बिजली की बचत करें, क्योंकि इससे बिजली बनाने में इस्तेमाल होने वाले पानी की भी बचत होती है। नदियों में कचरा न फेंककर उन्हें प्रदूषित होने से बचाएं। ऊर्जा और पानी की हानि को रोकने के लिए पाइपों को इंसुलेट करें और वाष्पीकरण को कम करने के लिए सुबह जल्दी या शाम को पौधों को पानी दें। कारों को धोने के लिए रीसाइकिल किए गए पानी का इस्तेमाल करने से ताज़े पानी को बचाने में और मदद मिल सकती है। इन प्रक्रियाओं का पालन करके, हम अपनी नदियों की रक्षा और संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।

नदियाँ प्रकृति से मिले महत्वपूर्ण उपहार हैं। ये हमें कई लाभ प्रदान करती हैं। वर्तमान में नदियां बहुत प्रदूषित हो रही हैं। सभी के लिए एकजुट होकर इस प्रदूषण को रोकने और बेहतर भविष्य के लिए हमारी नदियों की रक्षा करने के लिए कार्रवाई करना महत्वपूर्ण है।

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नदियों से केवल फसल ही नहीं उपजाई जाती है बल्कि वे सभ्यता को जन्म देती हैं अपितु उसका लालन-पालन भी करती हैं। इसलिए मनुष्य हमेशा नदी को देवी के रूप में देखता आया है। हमारे अतीत में ऋषि, मुनियों ने इन नदियों के किनारे ज्ञान को प्राप्त किया। अभी भी बड़े बड़े विकसित महानगर नदियों के किनारे बसे हैं।

सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि भारत में कुल कितनी नदियों का प्रवाह होता है, तो आपको बता दें कि भारत में छोटी-बड़ी मिलाकर कुल 200 प्रमुख नदियां हैं। इसके अलावा देश के अलग-अलग भागों में भी कुछ नदियों का प्रवाह होता है, जो कि स्थानीय स्तर पर सिंचाई से लेकर पीने के पानी के लिए उपयोगी हैं।

वे पीने के पानी की आपूर्ति करती हैं, कृषि और वनस्पतिकी के लिए मूल स्रोत होती हैं, और वनस्पतियों और जीवों के जीवन के लिए आवास प्रदान करती हैं. प्राकृतिक प्रकृति की महत्वपूर्ण सीख: नदियाँ प्राकृतिक प्रकृति की महत्वपूर्ण सीख प्रदान करती हैं, जैसे कि जल, जलवायु, और वनस्पतिकी.

हम सभी को जीवित रहने के लिए पानी की आवश्यकता है। नदियाँ दुनिया भर के लोगों के लिए ताज़ा पीने के पानी का अनमोल स्रोत हैं।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Essay on River in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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नदी पर निबंध हिन्दी में – Essay on River in Hindi

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Reported by Rohit Kumar

Published on 24 August 2024

नदी पर निबंध:- प्रकृति में मौजूद नदी स्वच्छ जल का स्रोत नदी को माना गया है। दुनिया भर में बहुत सी सभ्यताएं नदी किनारे ही विकसित हुई हैं। आप जानते हैं की इस धरती पर जीवन के विकास में नदियों का अहम योगदान रहा है। नदियां हमारे लिए हमेशा से सहायक सिद्ध होती आयी हैं। जैसा की आप जानते हैं की अकसर विभिन्न भर्ती की प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी के प्रश्न पत्र में निबंध-लेखन से संबंधित प्रश्न पूछ लिए जाते हैं। यदि आप भी किसी सरकारी भर्ती प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो हमारा यह आर्टिकल आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। आज के अपने इस लेख में हमने आपको नदी पर लिखे जाने वाले निबंध (Essay on River) के बारे में जानकारी प्रदान की है। यदि कभी आपके पास नदी पर निबंध लेखन से संबंधित प्रश्न आता है आप आर्टिकल में दिए गए नदी पर निबंध को समझकर एक बढ़िया निबंध लिख पाएंगे जिससे आप परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकें।

नदी पर निबंध हिन्दी में - Essay on River in Hindi

यह भी पढ़े :- भारत की सबसे लंबी नदी कौन सी है ?

प्रस्तावना (Preface):

नदी एक ऐसी प्रवाहित धारा जो न कृषि हेतु फसल उपजाति है बल्कि किसी भी सभ्यता के विकास में सहायक होती है। पुरातन समय से मनुष्य नदी को देवी-देवताओं के रूप में पूजता आया है। हम यह भी जानते हैं हमारे देश में बहुत से ऐसे ऋषि मुनि हुए हैं जिन्होंने नदी किनारे कड़ी तपस्या कर अध्यात्म और मोक्ष से संबंधित ज्ञान प्राप्त किया है।

नदी किसे कहते हैं ?

नदी के महत्व को समझने से पहले आपको यह समझना होगा की नदी किसे कहा जाता है। भू वैज्ञानिकों ने नदी के सन्दर्भ में एक मानक परिभाषा तय की है। इस परिभाषा के अनुसार- “नदी भूमि की ऊपरी सतह पर बहती हुई वह जलधारा है जिसका स्रोत प्राकृतिक रूप से बने झील, हिमनद, झरना होते हैं।” आपको बताते चलें की नदी शब्द का उद्गम संस्कृत भाषा के शब्द नद्य से आया है। संस्कृत भाषा में नदी को एक और नाम से जाना जाता है वह है सरिता, तरिणी आदि।

नदी के कार्य:

नदियों को भूवैज्ञानिक आधार पर इसके कार्यों को तीन भागों में विभाजित किया गया है –

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  • द्रवचालित क्रिया:
  • सन्निघर्षण:
  • नदी परिवहन: जब नदी के जल में घुलकर अपरदित पदार्थ एक स्थान से दूसरे स्थान तक बहकर चलें जाते हैं तो यह क्रिया नदी परिवहन कहलाती है।
  • नदी विक्षेपण : अब नदी के जल में मौजूद अपरदित पदार्थों के कारण नदी के प्रवाह तेज हो जाता है और नदी विभिन्न भागों में बंट जाती है। नदी विक्षेपण कहलाती है।
  • भू-गर्भ: जब भूमि के द्वारा बाढ़ या वर्षा का जल अवशोषित कर अपने अंदर समाहित कर लिया जाता है तो ऐसा जल भूगर्भीय जल कहलाता है।

नदी (River) कितने प्रकार की होती है ?

भू-वैज्ञानिकों ने नदियों को दो प्रकार में विभाजित किया है –

  • सदानीरा: सदानीरा उन नदियों को कहा जाता है जिनका स्त्रोत प्राकृतिक होता है यदि हम सरल भाषा में कहें की तो नदी का उद्गम स्थल प्राकृतिक होता है। गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, अमेज़न, नील आदि नदियां सदानीरा नदी का बेहतरीन उदाहरण हैं। सदानीरा नदियां वर्ष भर जल से भरी रहती हैं।
  • बरसाती नदियां: जिन नदियों का उद्गम बरसात के जल के कारण हुआ है उन्हें बरसाती नदियां कहा जाता है। यह नदियां बरसात के समय उत्पन्न होती हैं और बरसात का मौसम खत्म हो जाने पर समाप्त हो जाती हैं।

नदियों का हमारे जीवन में क्या महत्व है ?

  • आप तो जानते ही हैं की प्राचीन काल से नदियां हमारा भरण-पोषण करती आयी हैं। प्राचीन काल में ऋषि मुनि शान्ति की तलाश में नदी किनारे ही अपना स्थान बनाते थे और एकांत में बैठकर तपस्या करते थे
  • प्राचीन में व्यापार भी नदियों के द्वारा किया जाता था। सामान और वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में भू-मार्ग की बजाय जल मार्ग पर खर्च कम आता था इसलिए जल मार्ग का उपयोग अधिक किया जाता था।
  • नदियों ने हमेशा से ही निस्वार्थ भाव से मानव जाति की सेवा की है।
  • आज का आधुनिक मानव अपने स्वार्थ और विकास के लिए नदी जैसे प्राकृतिक संसाधन का दोहन करता जा रहा है। आज आप देखें की प्लास्टिक कचरा, फैक्ट्रियों का कचरा, महानगरों का सिविर का गंदा पानी सब नदियों में बहाया जा रहा है।
  • इस तरह के कचरे से नदियाँ प्रदूषित होती हैं और नदी में रहने वाले जलीय जीवों को नुकसान पहुँचता है।
  • प्रदूषण के कारण नदियों से हमें बाढ़ जैसे दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं जो मानव सभ्यता को बहुत नुकसान पहुंचाती है। यदि हमने समय रहते इन सब को रोकने के उपाय नहीं किये तो मानव सभ्यता का अंत निश्चित है।
  • नदियां हमें खेती हेतु उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी प्रदान करती है। कृषि हेतु जलोढ़ मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना गया है।
  • नदियां खेती की मिट्टी के साथ लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान करती है। आप देखेंगे की नदी में की जाने वाली बोटिंग, रिवर राफ्टिंग आदि कार्यों से पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलता है। यदि हम यह कहें की नदियां हमारे देश के आर्थिक विकास में अहम योगदान रखती हैं तो गलत नहीं होगा।
  • अपने देश भारत में यदि हम नदी के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व की बात करें तो बहुत से धार्मिक नगर वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, नासिक, उज्जैन, गुवाहाटी, गया, पटना आदि नदियों के किनारे ही बसें हैं जहाँ प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु स्नान, पूजा आदि कार्यों के लिए आते हैं।
  • हमारे देश भारत में नदियों को जीवनदायिनी और मातृ स्वरूप माना गया है। लम्बे समय से हमारी आस्था नदियों से जुड़ी रही है।

दुनिया की सबसे लम्बी नदी कौन सी है ?

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दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें की दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील नदी (Nile River) है। जो अफ्रीका महाद्वीप के North-East (नार्थ-ईस्ट) क्षेत्र में बहती है। दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील नदी की लम्बाई 6,650 किलोमीटर (4132 मील) है जो हमारे देश की सबसे लम्बी नदी गंगा से तीन गुनी है। आपको बता दें की नील नदी के नाम की उत्पत्ति यूनानी भाषा के शब्द “नीलोस” से हुआ है। नील नदी का उद्गम अफ्रीका के बहुत प्रसिद्ध ब्लू नील वाटर फॉल झरने से होता है और यह नदी अफ्रीका के मिश्र, युगाण्डा, इथियोपिया, सूडान जैसे देशों से होकर गुजरती है। इसके बाद नदी का अंतिम स्थान भूमध्य सागर है जहाँ नदी डेल्टा बनाकर भू मध्य सागर से मिल जाती है।

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भारत की कुछ प्रमुख नदियां:

भारत में नदियों को पवित्र और पूजनीय माना जाता है। मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी धर्म के कार्यों में नदियों का अपना ही महत्व है। आप देखें की जब मनुष्य की मृत्यु हो जाती है और मनुष्य का दाह संस्कार कर दिया जाता है तो दाह संस्कार के बाद मनुष्य का अस्थि विसर्जन नदी में किया जाता है। मान्यता है की नदियों में प्रवाहित की गयी अस्थियों से मृतक की आत्मा को मोक्ष मिलता है। यहाँ लिस्ट में हमने आपको भारत की कुछ प्रमुख पवित्र नदियों के बारे में बताया है आप देख सकते हैं –

1गंगा नदी2,510 किलोमीटर
2यमुना नदी1,375 किलोमीटर
3गोदावरी नदी1,465 किलोमीटर
4कावेरी नदी805 किलोमीटर
5महानदी900 किलोमीटर
6तुंगभद्रा नदी531 किलोमीटर
7हुगली नदी260 किलोमीटर
8नर्मदा नदी1,312 किलोमीटर
9चम्बल नदी960 किलोमीटर
10ब्रह्मपुत्र नदी2,880 किलोमीटर

निष्कर्ष (Conclusion):

दोस्तों आज आपने इस लेख नदी के बारे में जाना। यदि नदियां साफ़ एवं स्वच्छ होंगी तो हमारा प्राकृतिक वातावरण भी शुद्ध होगा। बिना जल और नदियों के इस धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। धरती पर अपने जीवन के अस्तित्व को बचाने के लिए हमें नदी संरक्षण कार्यक्रम के तहत लोगों को जागरूक करना होगा।

नदी (River) से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण रोचक तथ्य:

  • दुनिया में ऐसे 18 देश हैं जहाँ एक भी नदी नहीं है।
  • उत्तरी अमेरिका की सबसे लम्बी नदी का नाम है मिसौरी नदी
  • दुनिया में बांग्लादेश को नदियों की भूमि कहा जाता है। आपको बता दें की बांग्लादेश में लगभग 700 से अधिक नदियां हैं।
  • अमेरिका में बहने वाली रो रिवर. ये मोंटाना दुनिया की सबसे छोटी नदी है। इस नदी की लम्बाई 201 फ़ीट (61 मीटर) है।

नदी से संबंधित प्रश्न एवं उत्तर (FAQs):

नदी के पर्यायवाची शब्द कौन से हैं .

नदी – तरिणी तरंगवती अपगा निम्नगा तरंगिनी प्रवाहिनी द्वीपवती लरमाला नदिया निर्झरणी जलमाला शैवालिनी कूलंकषा नद सरिता

हमारे देश की राष्ट्रीय नदी कौन सी है ?

भारत की राष्ट्रीय नदी गंगा है।

गंगा की लम्बाई कितनी है ?

भारत की पवित्र नदियों में से एक माने जाने वाली गंगा की लम्बाई (भारत से लेकर बांग्लादेश तक) 2,525 किलोमीटर है।

दुनिया की सबसे बड़ी नदी कौन सी है ?

दुनिया की सबसे बड़ी नदी साउथ अमेरिका महाद्वीप की अमेज़न (Amazon) नदी है। यहाँ बड़ी का मतलब नदी की चौड़ाई से है। जिसकी लम्बाई 6,400 किलोमीटर है।

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नदी के महत्व पर निबंध

Essay On Importance Of River In Hindi: नमस्कार दोस्तों। आज हम आप सभी लोगों को अपने इस महत्वपूर्ण निबंध के माध्यम से भारत में देवी का दर्जा दी जाने वाली नदियों के महत्व पर निबंध बताने वाले हैं। दोस्तों नदिया हमारे भारत में प्राचीन समय से ही अहम भूमिका निभाते हुए आई है और इसका काफी महत्व भी माना जाता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे तो भारत के नदियों के किनारे पर ही प्राचीन भारत के सभ्यताओं का विकास हुआ है और हड़प्पा सभ्यता के रूप में जानी जाने वाली प्राचीन और ऐतिहासिक भारतीय सभ्यता सिंधु नदी द्वारा बनाई गई है।

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हमारे भारत में मुख्य रूप से जानी जाने वाली नदियां गंगा, यमुना, सरस्वती और सिंधु है। आज के इस निबंध में हम आप सभी लोगों को नदियों के महत्व के विषय में बताने वाले हैं। आप सभी लोगों को यहां पर नदियों के महत्व पर निबंध 250 शब्द और 850 शब्द में जानने को मिलेगा, तो चलिए शुरू करते हैं।

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नदी के महत्व पर निबंध | Essay On Importance Of River In Hindi

नदी के महत्व पर निबंध (250 शब्द).

भारत में और भारत के ऐतिहासिक कहानियों में गंगा नदी का नाम सर्वोपरि है और भारत में इसके साथ-साथ बहुत सी नदियां भी हैं, जिनका खुद का कुछ ना कुछ महत्व जरूर है। दोस्तों शुरुआती समय में भारत के सभी लोग अपने जीवन को पवित्र करने के लिए नदियों में स्नान करते हैं। नदियों को बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली और महत्वपूर्ण माना जाता है। नदियों के किनारे ही भारत में बहुत से तीर्थ स्थल भी बनाए गए हैं और इसमें से सबसे ज्यादा तीर्थ स्थल माता गंगा के नदी के किनारे बनाए गए हैं।

नदियां हमारे देश में आर्थिक वैज्ञानिक सामाजिक और अन्य कई रूपों में काफी ज्यादा सहायक सिद्ध हुई है और नदियां हमें जल्द प्रदान करने के साथ-साथ शुद्ध वातावरण भी प्रदान करती हैं और इतना ही नहीं इसके साथ साथ नदियों से ज्यादा से ज्यादा किसान अपने खेतों की सिंचाई भी करते हैं।

नदियां लोगों को रोजगार भी प्रदान करती हैं जैसे कि मछली पालन का रोजगार और नौका विहार का रोजगार इत्यादि। वर्तमान समय में नदियां काफी ज्यादा दूषित हो रही थी, इसीलिए भारत सरकार के द्वारा नदियों को शुद्ध कराने के लिए बहुत से आंदोलन और योजनाएं भी चलाई गई हैं।

दोस्तों भारत में नदियों को देवी रूप माना जाता है और इसी कारण से इन्हें माता कह कर पूजा भी जाता है। भारत में नदियों का महत्व बहुत ही बड़ा है और सबसे बड़ा महत्व धार्मिक इतिहास को रोमांचक बनाने में रहा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भारत को एक तरह से नदियों का देश नाम से भी पुकारा जाता है।

भारत की हमेशा से यही मान्यता रही है,कि पवित्र नदियों में स्नान करने से लोगों के पाप धुल जाते हैं और वे लोग अपने जीवन की नई शुरुआत भी कर सकते हैं। भारत में पुराने समय के बहुत से विषयों ने इन्हीं पवित्र नदियों के किनारे पर बैठकर अपने ज्ञान की प्राप्ति की और लोगों को ज्ञान की प्राप्ति भी करवाई।

नदी के महत्व पर निबंध (850 शब्द)

नदियां हमारे भारत की प्राचीन और अनमोल निशानी रही हैं। हमारे भारत देश को एक अन्य नाम नदियों का देश से भी विदेशों में जाना जाता है। भारत में अन्य देशों के मुकाबले बहुत सी नदियां पाई जाती हैं, जिनके अपने अपने कुछ पौराणिक मान्यताएं भी हैं।

भारत की इन सभी नदियों को शुद्ध और बहुत ही ज्यादा पवित्र माना जाता है। हमारे भारतवर्ष के इन सभी नदियों में से सबसे ज्यादा पवित्र और शुद्ध माता गंगा को माना जाता है और माता गंगा के नदी का जल कई बार औषधियों को बनाने और चर्म रोग दूर करने के लिए भी किया जाता है। वैज्ञानिकों ने अब तक यह नहीं पता लगा पाया है, कि आखिर गंगा के जल में क्या है? किससे औषधियां भी बनाई जा रही हैं और लोगों के चर्म रोग भी दूर हो रहे हैं।

हालांकि हमारे भारत में केवल नदियां ही नहीं बल्कि अन्य भी बहुत सारी चीजें हैं, जिनका अपना ही एक रहस्य है और वैज्ञानिक अब तक इसे सुलझा नहीं पाए हैं। नदियों को लेकर वैज्ञानिकों के द्वारा अब तक रिसर्च जारी है और किसी विशेष जानकारी को वैज्ञानिकों के द्वारा इकट्ठा नहीं किया जा सका है। नदिया पापनाशिनी और आप धुलने वाली मानी जाती हैं।

भारत की सबसे लंबी नदी

हमारे भारत की सबसे लंबी नदी गंगा है, जिसकी लंबाई 2510 किलोमीटर है। गंगा भारत की सबसे लंबी नदी होने के साथ-साथ सबसे ज्यादा पवित्र, शुद्ध और पावनी नदी मानी जाती है। गंगा नदी पूरे भारत में फैली हुई है। गंगा नदी को न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी जाना जाता है और विदेशों से भी लोग गंगा नदी के दर्शन के लिए आए दिन आते रहते हैं।

भारत की प्रसिद्ध एवं पवित्र नदियां

दोस्तों जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं, हमारे भारत में हर छोटी से बड़ी नदियां एक दूसरे से जाकर मिलती है और इसके बाद इनके मिलन स्थान को संगम कहा जाता है और यह सभी नदियां एक दूसरे से मिलकर अंत में समुंद्र से जाकर मिल जाती हैं, जिससे कि सभी नदियों का मेल एक विशाल जल भंडार का निर्माण करती है। दोस्तों हमारे भारत में बहुत सी नदियां हैं और इन नदियों को बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध और पवित्र माना जाता है। भारत की यह सभी प्रसिद्ध एवं पवित्र नदियां निम्नलिखित है;

  • ब्रह्मपुत्र

नदियों का धार्मिक महत्व और रहस्य की खोज

भारत की हमेशा से यही मान्यता रही है कि पवित्र नदियों में स्नान करने से लोगों के पाप धुल जाते हैं और वे लोग अपने जीवन की नई शुरुआत भी कर सकते हैं। भारत में पुराने समय के बहुत से विषयों ने इन्हीं पवित्र नदियों के किनारे पर बैठकर अपने ज्ञान की प्राप्ति की और लोगों को ज्ञान की प्राप्ति भी करवाई।

नदियों से होने वाले नुकसान

दोस्तों जिस प्रकार हमारे भारत में नदियों का काफी महत्व है, उसी प्रकार नदियां कुछ तरीके से हमारे लिए नुकसानदायक भी सिद्ध हो रही है, परंतु यह नुकसान सिर्फ और सिर्फ मनुष्य के द्वारा प्रकृति के साथ किए गए खिलवाड़ के साथ ही होता है। तो यह जानते हैं, कि नदियों के द्वारा क्या-क्या नुकसान होते हैं;

  • नदियों का संतुलन बिगड़ने के बाद यह अपने रौद्र रूप को धारण कर लेती हैं और एक बार यदि यह रूद्र रूप धारण कर लेती हैं तो तबाही का कारण बन जाती है।
  • प्रकृति के साथ छेड़खानी करने से आए दिन बाढ़ आने की समस्या बनी रहती है और बाढ़ के साथ-साथ सुनामी, भूस्खलन इत्यादि जैसी समस्याएं भी सामने आ जाती हैं।
  • नदियों का नुकसान ना केवल मनुष्य को बल्कि पशु पक्षियों को भी काफी पड़ता है, नदियों में मनुष्य के द्वारा जो भी कल कारखानों से निकलने वाला कचरा बाहर जाता है, उसके द्वारा नदियां प्रदूषित हो जाती हैं और इस कारण से अनेकों रूप रोग उत्पन्न होते हैं, जिससे कि जानवरों को भी काफी नुकसान होता है और यह बहुत ही भयंकर माहौल बना लेती हैं।
  • अब तक नदियों के द्वारा हुई सबसे बड़ी हानि के रूप में केदारनाथ और बद्रीनाथ का उदाहरण लिया जाता है जहां पर हजारों लोगों की मृत्यु हो गई थी और बहुत ही धनधान्य की हानि भी हुई थी।

हमारे इस लेख के माध्यम से हमने आपको नदी के महत्व के विषय में जानकारी बताई है और इन से होने वाले नुकसान और पर भी चर्चा की है। दोस्तों यदि प्रकृति के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती है, तो यह हमें किसी भी प्रकार से कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे और यदि ठीक इसी के विपरीत प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की जाती है, तो इसका परिणाम हमें बहुत ही बुरा देखने को मिलता है और इसी की वजह से अक्सर सुनामी, बाढ़ और भूस्खलन आते रहते हैं।

हम आप सभी लोगों से उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह नदी के महत्व पर निबंध ( Essay On Importance Of River In Hindi) बहुत ही ज्यादा पसंद आया होगा और आपको कुछ आवश्यक जानकारी भी प्राप्त हुई होगी।

यदि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह महत्वपूर्ण निबंध पसंद आया हो, तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना बिलकुल भी ना भूलें और यदि आपके मन में इस लेख को लेकर किसी प्रकार का कोई सवाल या फिर सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरुर बताएं।

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Home » Essay Hindi » नदी की जानकारी पर निबंध | Information & Essay On River In Hindi

नदी की जानकारी पर निबंध | Information & Essay On River In Hindi

इस लेख River Information In Hindi में नदी पर निबंध (Essay On River In Hindi) नदियों के लाभ और विश्व की प्रमुख नदियाँ की जानकारी दी गयी है। नदी मनुष्य जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही है। नदी एक जगह से दूसरी तक बहती है और कई स्थानों को आपस में जोड़ती है।

सदियों से मनुष्य नदी के मुहाने पर बसता आ रहा है। ये व्यापारिक, आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है। पूरे विश्व में नदियाँ पायी जाती है। मानव सभ्यता के विकास में इनका अहम योगदान है। नदी को सरिता, प्रवाहिनी जैसे नामों से भी जाना जाता है।

नदी पर निबंध – Essay On River In Hindi

नदी धरती के तल पर प्रवाहित जल की धारा है। इसका उद्गम स्रोत बारिश, पर्वत, झीले होती है। नदी अपने अंतिम पड़ाव में किसी समुद्र में जाकर मिलती है। नदी मीठे पानी का एक बहुत बड़ा स्रोत है। विज्ञान की जिस शाखा के अंतर्गत नदियों का अध्ययन किया जाता है, उसे “ पोटेमोलॉजी ” कहते है। यह अपने साथ रेत बहाकर ले जाती है।

नदियाँ मुख्यतः दो प्रकार की होती है। एक प्रकार की नदी हमेशा बारिश के पानी पर निर्भर होती है। बारिश ना हुई तो उसका अस्तित्व नही होता है। दूसरी प्रकार की नदियां सदानीर वर्षभर बहती रहती है। नदी को उसकी आयु के आधार पर भी वर्गीकृत किया गया है।

1. युवा नदी (इस प्रकार की नदी का बहाव तेज होता है।)

2. परिपक्व नदी (इनका बहाव धीमा होता है।)

3. बूढ़ी नदी (यह बहुत धीमी बहती है।)

भारत की गंगा, ब्रह्मपुत्र जैसी बड़ी नदियाँ हिमालय पर्वत शंखला से निकलती है। पर्वतों पर मौजूद बर्फ पिघलने से इन नदियों का उदगम हुआ है। पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश बहुत ज्यादा होती है। यही कारण है कि नदियों में पानी का बहाव हमेशा रहता है। पर्वतीय क्षेत्रों के अलावा दक्षिण तराई क्षेत्रों में भी नदियों का उद्गम होता है। गोदावरी, कृष्णा और कावेरी जैसी नदियाँ इन तराई क्षेत्रों से उद्गमित होती है।

नदी की जानकारी – River Information In Hindi

नदी के पानी का बहाव हमेशा ऊपर से नीचे की तरफ गुरुत्वाकर्षण की वजह से होता है। नदियों में पानी धरातल पर और धरातल के नीचे बहता है। नदियों के सुख जाने के बाद भी भूजल बहता रहता है। नदियाँ समुद्र के पास आकर डेल्टा का निर्माण भी करती है।

ज्यादातर नदियाँ अपने उदगम स्थल से बहते हुए समुद्र में मिल जाती है। कुछ नदियां समुद्र में नही मिलती है। राजस्थान में मौजूद लुणी नदी ऐसी ही एक नदी है। यह कुछ दूर बहकर लुप्त हो जाती है। इसका कारण रेगिस्तान है जिसमें नदी का पानी रिस जाता है। कई छोटी नदियाँ बड़ी नदी में जाकर मिल जाती है। इससे नदी का फैलाव बढ़ जाता है।

नदियों के लाभ (Advantages Of Rivers In Hindi)

1. नदी (River) पानी का मुख्य स्रोत है। यह दूर दराज इलाको तक पानी ले जाती है। मानव सभ्यता के फलने फूलने का मुख्य कारण नदी है। नदियों का एक निश्चित बहाव होता है। नदी किसी भी विशेष क्षेत्र के लिए संजीवनी होती है। पीने के लिए पानी उपलब्ध करवाती है। खेतों की सिंचाई के लिए जल की आपूर्ति करती है।

2. नदी एक व्यापारिक मार्ग की तरह भी कार्य करती है। नावों और छोटे जहाजों के माध्यम से व्यापार किया जाता है। नदी परिवहन का मार्ग भी होती है।

3. नदियों के जल के साथ उपजाऊ मिट्टी बहकर आती है जो कृषि में उपयोग की जाती है। नदी के जल के साथ रेत और बजरी भी बहकर आती है। बजरी का इस्तेमाल पक्के मकान बनाने में किया जाता है।

4. नदियों पर बांध भी बनाये जाते है। इससे पानी को रोक लिया जाता है। जो आसपास के इलाकों में पानी की आपूर्ति करता है।

5. नदियों में पाई जाने वाली मछलियां भोजन का बड़ा स्रोत है। नदियों में जलीय जीवन भी पाया जाता है।

6. नदियों पर बिजली सयंत्र भी बने होते है। इनमे पानी से बिजली का निर्माण होता है।

7. नदियों को पवित्र भी माना गया है। गंगा नदी में अस्थियों को बहाया जाना शुभ माना जाता है। नदियों की पूजा भी की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते है। बड़े बड़े धार्मिक स्थल नदियों के किनारे ही बसे हुए है।

नदी किसी भी क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। नदी का विकराल रूप भी होता है। कई क्षेत्रों में नदी बाढ़ का कारण भी बनती है। बिहार का शौक कहलाने वाली “ कोसी नदी ” के कारण बाढ़ आती रहती है। तेज बारिश के कारण भी नदियां उफान पर आ जाती है।

नदियों में प्रदूषण की विकट समस्या

आजकल की यह विकट समस्या है जो प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। जल प्रदूषण के कारण नदियों का पानी दूषित हो रहा है। जल प्रदूषण का मुख्य कारण नदियों में फैक्टरियों से निकला रसायनिक प्रदार्थ का मिलना है। शहरों और गांवों से गंदगी और कचरा बहकर नदियों में मिल जाता है।

नदियों में लोग नित्य क्रिया भी करते है। नदियों का प्रदूषण अपना विकराल रूप ले रहा है। गंगा जैसी पवित्र नदी भी हरिद्वार आते आते प्रदूषित हो गयी है। बाढ़ के कारण पशुओं के शव नदियों में मिलकर उसे दूषित करते है।

नदियों में प्रदूषण को रोकने का सबसे अच्छा उपाय सामाजिक जागरूकता है। फैक्टरियों को नदियों से दूर स्थापित करना चाहिए। कचरे का निकास नदियों में होने से रोकना चाहिए।

विश्व की प्रमुख नदियाँ – River Essay In Hindi

1. गंगा नदी – गंगा नदी भारत की पवित्र नदी है। हिन्दू धर्म में गंगा नदी का विशेष महत्व है। इसको भागीरथी नदी भी कहते है। गंगा नदी की लंबाई 2525 किलोमीटर है। यह गंगोत्री से निकलकर बंगाल की खाड़ी में मिलती है। यह पूर्णत भारत में ही बहती है।

गंगा की सहायक नदियों में घाघरा नदी, यमुना नदी, महानदी प्रमुख है। गंगा नदी भारतीय लोगो की आस्था का प्रतीक है। गंगा दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में भी आती है।

2. ब्रह्मपुत्र नदी – यह भी हिन्दू मान्यताओं में पवित्र मानी गयी है। इसका उदगम स्थान तिब्बत है। इस नदी की लंबाई 2900 किलोमीटर है। यह नदी पूर्वी भारत की प्रमुख नदी है।

3. नील नदी – यह विश्व की सबसे लम्बी नदी है। इस नदी के पास कई सभ्यताओं का विकास हुआ है। मिस्र की सम्भता नील नदी के कारण ही पनपी है। यह अफ्रीका में बहती है। नील नदी की लंबाई 6650 किलोमीटर है।

4. अमेजन नदी – अमेजन नदी दुनिया की दूसरी सबसे लम्बी नदी है। इस नदी के आसपास के इलाकों में अमेज़न के घने जंगल पाये जाते है। अमेजन की लंबाई 6400 किलोमीटर है। अमेजन नदी दक्षिण अमेरिका में बहती है। इस नदी का घनत्व विश्व मे सबसे ज्यादा है।

5. कांगो नदी – इस नदी की लंबाई 4700 किलोमीटर है। कांगो अफ्रीका की दूसरी सबसे बड़ी नदी है।

6. यलो नदी – यह चीन की प्रमुख नदी है। इस नदी की लंबाई 5464 किलोमीटर है। यलो दुनिया की सबसे गहरी नदी है।

7. यांग्त्ज़ी नदी – यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी नदी है। यांतजी एशिया की सबसे बड़ी नदी है जो चीन में बहती है। इस नदी की लंबाई 6300 किलोमीटर है।

8. सिंधु नदी – यह एक ऐतिहासिक नदी है। इसके पास कई प्राचीन सभ्यताओं का विकास हुआ है। सिंधु घाटी सभ्यता का विकास भी सिंधु नदी के पास हुआ है। इस नदी की लंबाई 3200 किलोमीटर है। इसका उद्गम स्थल तिब्बत का पठार है। यह अरब सागर में जाकर मिलती है। सिंधु नदी भारत, पाकिस्तान और चीन होकर बहती है। सिंधु नदी की सहायक नदियों में रावी, सतलज, चेनाब नदी प्रमुख है।

9. सरस्वती नदी – यह भी ऐतिहासिक और पवित्र नदी है। यह वर्तमान में विलुप्त हो चुकी है। वेद और पुराणों में इस नदी का जिक्र मिलता है। वर्तमान में यह नदी धरातल पर सुख चुकी है लेकिन धरातल के नीचे आज भी यह बहती है।

10. गोदावरी नदी – इस नदी को दक्षिण भारत की गंगा भी कहते है। यह एक दक्षिण तटवर्तीय नदी है। इस नदी का उद्गम स्थल महाराष्ट्र का नासिक है। नासिक से बहते हुए यह बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

गंगा नदी, यमुना नदी और सरस्वती नदी का संगम त्रिवेणी संगम कहलाता है। इन नदियों के अलावा भी कावेरी नदी, नर्मदा नदी, यमुना नदी, महानदी, कृष्णा नदी, लुणी नदी, बनास नदी, अलकनंदा नदी, सरयू नदी, चम्बल नदी, गंडक नदी जैसी कई नदियाँ है जो भारत में बहती है। विश्व में बहने वाली अन्य प्रमुख नदियों में अमूर नदी, डेन्यूब नदी, इरावदी, लेना नदी, मिसिसिपी नदी, मैकेंजी नदी, नाइजर नदी, पराना नदी, पराग्वे नदी जैसी नदियां आती है।

नदी पर निबंध Essay On River In Hindi , नदियों के लाभ ( Advantages Of Rivers) और विश्व की प्रमुख नदियाँ ( Rivers Name In Hindi) के बारे में यह आर्टिकल River Information In Hindi आपको कैसा लगा? यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे शेयर भी करे।

Frequently Asked Question About Rivers:-

Q.1 पूर्णत भारत में बहने वाली सबसे लम्बी नदी कौनसी है?

Ans. गंगा नदी

Q.2 बिहार का शौक किसे कहते है?

Ans. कोसी नदी

Q.3 दक्षिण भारत की गंगा किसे कहते है?

Ans. गोदावरी नदी

Q.4 दुनिया की सबसे लम्बी नदी कौनसी है?

Ans. नील नदी

Q.5 त्रिवेणी संगम किसे कहते है?

Ans. गंगा नदी, यमुना नदी और सरस्वती नदी का संगम

Q.6 नदी का पर्यायवाची शब्द क्या है?

Ans. आपगा, सरिता, तटिनी, प्रवाहिनी

यह भी पढ़े –

  • महासागरों के बारे में जानकारी 
  • मरुस्थल के बारे में जानकारी 
  • जल पर निबंध 

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नदी पर निबंध Essay On River In Hindi

Essay On River In Hindi – Essay On Ganga River In Hindi दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग में नदी पर निबंध लिखकर बताएंगे क्योंकि यह एक ऐसा विषय है जिस पर शिक्षक हम में निबंध लिखने को देते हैं क्योंकि नदी हम सभी मनुष्य के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कई सारे लोगों का जीवन नदी की वजह से ही चल रहा है इसीलिए हमें इस विषय पर जानकारी होना बहुत ज्यादा आवश्यक है इसलिए आप इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े ताकि आपको अधिक जानकारी प्राप्त हो सके

तो चलिए शुरू करते हैं।

Essay On River In Hindi

नदी पर निबंध – Essay On River In Hindi

Essay on ganga river in hindi.

नदी धरती पर रहने वाले कई सारे जीव जंतुओं के लिए प्राण दाता स्वरूप है क्योंकि नदी का पानी कुछ जानवर एवं मनुष्य कर अपना जीवन यापन करते हैं नदी जल का एक बहुत ही बेहतरीन स्रोत है जिसकी मदद से किसान अपनी खेती करता है मछुआरा उसमें मछली मारता है तथा गरीब व्यक्ति उसमें अपने बच्चों को नहलाना उसका पानी को पीना इत्यादि कार्य को करता है। नदियों में जल वर्षा ऋतु में इकट्ठा होता है और इसका पानी निरंतर बढ़ता रहता है जिस वजह से यह बहुत ही शुद्ध एवं साफ सुथरा होता है जिसका उपयोग पीने के लिए भी किया जा सकता है नदिया धरती पर बहने वाला जल स्रोत है जो सभी को एक समान सहायता करता है।

नदियों का पानी हम सभी के जीवन में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि कई बार धरती पर जब अकाल पड़ जाता है और वर्षा ऋतु समय पर नहीं आती तब कई सारे किसान एवं मनुष्य को समस्या उत्पन्न हो जाती है ऐसे में नदियों का पानी उनको बहुत अधिक सहायता करता है जैसे उनकी फसलों की सिंचाई करना तथा पीने एवं अन्य कार्यों के लिए पानी उपलब्ध नदी के मदद से ही होता है।

नदिया हमारे भारत देश ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी बहती है लेकिन भारत देश में नदी को पूजा जाता है जैसे गंगा नदी भारत देश की सबसे पवित्र नदी मानी गई है जिसको हर एक स्थान पर पवित्र स्थान दिया जाता है तथा वह सभी नदियों में उच्च मानी गई है इस वजह से उनको पूजा अर्चना की जाती है लोग गंगा नदी में नहा कर पवित्र होते हैं इसी प्रकार से और भी कई सारी नदियां प्राचीन काल से चली आ रही है जिसके किनारे बैठ कर ऋषि मुनि तब किया करते थे और अपनी साधना को पूरा नदी के किनारे ही किया करते थे।

हमें हड़प्पा तथा सिंधु घाटी की सभ्यता जो वर्तमान समय में खोजने पर पता चली है वह नदियों के किनारे ही निकली थी और वहीं पर विकसित हुई थी हमारे भारत देश में कुछ नदिया बहुत प्रमुख नदियां मानी गई है जैसे ब्रह्मपुत्र यमुना गंगा सिंधु घाघरा सरस्वती कृष्ण कावेरी तथा कोसी यह नदियां भारत देश में बहुत अधिक प्रसिद्ध है।

जरूर पढिये: 

Essay On Benefits Of River In Hindi

भारत देश तथा अन्य देशों में कई सारी छोटी मोटी नदियां मौजूद हैं लेकिन इन सभी का संगम एक स्थान पर होता है जिससे जल भंडार के नाम से जाना जाता है लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी लंबी नदी नील नदी को माना गया है और उसके पश्चात हमारी गंगा नदी है और भारत देश की सबसे बड़ी नदी गंगा नदी को कहा जाता है। नदियों से हमें पानी प्राप्त होता है हम उसका उपयोग खेतों की सिंचाई करने पशुओं को नहलाने पानी पीने एवं अन्य तरह के कार्यों के लिए उसका उपयोग करते हैं लेकिन इसके जितने अधिक फायदे हैं उतना इसके नुकसान भी होते हैं क्योंकि जलभराव की वजह से कई बार नदियों पर बांध टूट जाता है तथा जिस स्थान पर बांध नहीं बना है वह वर्षा ऋतु में अधिक वर्षा होने पर नदी का पानी का स्तर बढ़ जाता है और इस वजह से वह आसपास के क्षेत्रों में बढ़ने लगता है

जहां पर गांव एवं अन्य काबिले बसे हुए रहते हैं नदी के किनारे कुछ लोग अपना जीवन यापन करते हैं और जब वर्षा ऋतु में अधिक वर्षा की वजह से जलभराव उनके घरों तक आता है तब ऐसे में उनको बहुत अधिक नुकसान होता है उनके फसल खाने की सामग्री सब नष्ट हो जाती है उसी प्रकार से जब नदी पर बना बांध जलभराव की वजह से टूटता है तब वह बहुत ही देवता के साथ आसपास के क्षेत्र में बढ़ता है जिसे बाढ़ का नाम दिया जाता है और यह बाढ़ इतनी बड़ी प्राकृतिक आपदा है जो लोगों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाती है बहुत सारे लोगों की जान चली जाती है तथा कुछ लोगों का जनधन कहानी होता है।

नदियों की वजह से मात्र बाढ़ ही नहीं आता बल्कि सुनामी भूस्खलन जैसी समस्याएं भी उत्पन्न होती है। जब बाढ़ एवं सुनामी आती है तब बड़ी से बड़ी बिल्डिंग में भी गिर जाती है इससे भारत सरकार एवं धरती पर रहने वाले मनुष्य को बहुत अधिक समस्या होती है इतना ही नहीं पशु पक्षियों को भी बहुत ज्यादा परेशानी होती है क्योंकि वह मनुष्य की तरह ऊंचा स्थान पर नहीं जा पाते वह धरती पर ही रहते हैं जिस वजह से कुछ जानवर पानी के साथ बह जाते हैं और अपने जान से हाथ गंवा बैठते हैं। जानवरों की मृत्यु जब बाढ़ की वजह से होती है तब वह धीरे-धीरे पानी में है सर जाते हैं और फिर उस से तरह-तरह के बैक्टीरिया तथा कीटाणु निकलते हैं जो मनुष्य एवं अन्य जानवरों के लिए बहुत ही खतरनाक होते हैं इसी वजह से बाढ़ एवं सुनामी आने के पश्चात कई सारी बीमारी है बहुत ही तेजी के साथ फैलती हैं।

कई सारे किसान एवं मनुष्य नदी के किनारे अपना घर बस आते हैं ताकि उनको आसानी से जल की प्राप्ति हो सके लेकिन जब भारी वर्षा के कारण बाढ़ एवं सुनामी आती है तब आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही अधिक समस्या होती है इसलिए यदि हम मनुष्यों के लिए वरदान और श्राप दोनों ही तरीके से उभर कर आती है। आम मनुष्य को कई बार बहुत सारी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है क्योंकि कचरे को फेंक देते हैं और उसके जल का उपयोग करने से उसे समस्या होती है।

दोस्तों अभी हमने आपको इस ब्लॉग में नदियां पर निबंध लिखकर बताएं अगर आपको यह पसंद आया हो तो आपसे अपने दोस्तों के साथ भी साझा करें और यदि आपका कोई सवाल है तो आप उनसे कमेंट में अवश्य पूछे एवं अपने सुझाव को आप हमें कमेंट करके दे।

अगर हमारे द्वारा Essay On River In Hindi में दी गई जानकारी में कुछ भी गलत है तो आप हमें तुरंत Comment बॉक्स और Email में लिखकर सूचित करें। यदि आपके द्वारा दी गई जानकारी सही है, तो हम इसे निश्चित रूप से बदल देंगे। दोस्तों अगर आपके पास Essay On Importance Of River In Hindi के बारे में हिंदी में और जानकारी है तो हमें कमेंट बॉक्स में बताएं। हम Ganga River In Hindi Essay इसमे जरूर बदलाव करेंगे। और ऐसेही रोमांचक जानकारी को पाने के लीएं   HINDI.WIKILIV.COM पे आते रहिएं धन्यवाद

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Essay on river in hindi नदी पर निबंध.

Read an essay on River in Hindi language. Know more about rivers in India and how to write an essay on river in Hindi. आज हम लिख रहे है नदी पर निबंध। ये निबंद आप को भारत की सब नदियों के बारे में बताएगा। ये निबंद स्कूल में सभी जमातों में पूछा जाता है।

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Essay on River in Hindi

नदी पर निबंध

“गंगेच यमुने चैव गोदावरि! सरस्वति! नर्मदे सिंधु कावेरी जलेडिस्मन सन्निधि कुरु॥”

भगवान की नित्य पूजा करते समय इस श्लोक के माध्यम से हम भारतवासी भारत की सभी नदियों को अपने छोटे से कलश में आकर बैठने की प्रार्थना, करते हैं।

मनुष्य सृष्टि के आरंभ से ही प्रकृति का पुजारी रहा है। पेड़-पौधों से लेकर सागर, सरिता, चाँद, सूरज तक समस्त प्राकृतिक रचनाओं के प्रति हम अपना श्रद्धा सुमन अर्पित करते रहे है। भगवान की तरह उनकी भी पूजा करते आये हैं। यही हमारी सांस्कृतिक अध्यात्मिक पहचान है। ऐसा नहीं की आध्यात्मिक भारत विकास के रास्ते में चलते हुए विज्ञान की क्षेत्र में तनी सारी सफलताओं को चुनने के बाद अपनी आध्यात्मिकता को भूल गया है। बल्कि विज्ञान से लेकर साहित्य, इतिहास तक के हर क्षेत्र में भारत की आध्यात्मिकता की पहचान आज भी बनी हुई है। इस संदर्भ में चाहे प्रकृति की पूजा हो या नदी की चर्चा, किसी की भी बात हो, जैसे इतिहास इनकी सत्यता का साक्षी है वैसे साहित्य उस सत्यता की बहती धारा है। उसी तरह विज्ञान भी अपने परीक्षण के जरिए वैसी सत्यता के महत्व को और भी बढ़ाता रहा है। इनमें साहित्य ही है जो प्रकृति और जीवन को एक-दूसरे के साथ जोड़ने की क्षमता रखता है। ‘प्रकृति से अलग जीवन, या जीवन से दूर प्रकृति असंभव ही है: ‘इस सत्यता को हम प्रकृति की बहुत बड़ी देन, इस नदी की हर बहाव में ही ढूंढ़ सकते हैं। यूँ कहें कि नदी के धार से ही हम जीवन की धारा को समझ सकते हैं। सिर्फ नित्य पूजा के वक्त ही नहीं बल्कि पाप धोकर बिगड़े जीवन में परिवर्तन लाने के लिए भी मनुष्य नदी में ही जाता है और कमर तक पानी में खड़ा होकर संकल्प करता है । तब जाकर उसको विश्वास होता है कि उसका पाप धुल गया है, और अब उसका संकल्प पूरा होकर उसके जीवन में सुख और समृद्धि लाने वाला है।

“जीवन के हर पहलू को समझना हमें नदी ही सिखाती है। इस बात का प्रमाण हमारा साहित्य है। वेदकाल के ऋषियों से लेकर व्यास, वाल्मीकि, शुककालिदास, भवभूति, क्षेमेन्द्र, जगन्नाथ तक संस्कृत के किसी भी कवि को लेंगे तो हमें यही देखने को मिलेगा कि नदी को देखते ही उनकी प्रतिभा भी पूरे वेग से प्रवाहित होने लगती है। कवि, रचनाकार और साहित्यकार- ये तो रहे भावुकता और आवेग के स्रोत। लेकिन हम साधारण मनुष्य भी नदी को देखते ही मन में यह विचार ले आते हैं कि यह नदी आती कहाँ से और जाती कहाँ तक है? यह विचार या सवाल सनातन है। नदी का आदि और अन्त तो होना ही चाहिए। नदी को जितनी बार हम देखते हैं मन में उतनी ही बार यह सवाल उठता है। और यह सवाल जितना पुराना होता जा रहा है उतना अधिक गंभीर और अधिक बनता जाता है, मन एकाग्र होकर प्रेरणा देता है और पैर चलने लगते है, आदि और अन्त को ढूंढ़ने के लिए। लेकिन जीवन की तरह नदी की कोई आदि और अन्त नहीं होता। जीवन की आने-जाने की लीला शून्य में से अनन्त तक है जिसे हम सनातन लीला कहते हैं। जैसा हम जानते हैं शून्य और अनन्त, दोनों अमर हैं। इस संदर्भ में कालेलकर ने कहा है: “जीवन के प्रतीक के सामन नदी कहां से आती है और कहाँ तक जाती है? शून्य से आती है और अनन्त में समा जाती है। शून्य यानी अत्यल्प, सूक्ष्म, किन्तु प्रबल, और अनन्त का अर्थ है विशाल और शांत। शून्य और अनन्त दोनों एक से गूढ़ है। दोनों अमर हैं, दोनों एक ही हैं। शून्य में से अनन्त- इस प्रकार यह सनातन लीला है।”

नदी और जीवन के संदर्भ में चर्चा करते समय मन में यह सवाल जरुर ही आ जाता है। कि क्या जीवन नदी के प्रवाह के समान है? काका कालेलकर ने पुण्य सरिताओं के संस्मरण पर लिखी अपनी पुस्तक का नाम ‘जीवन लीला’ रखा। उन्होंने पुस्तक के प्रारंभ में लिखा है: “अपने संस्कृत कवियों के नदी वर्णन और और स्रोतों पर मैं मुग्ध हैं। इनमें सबसे अधिक भक्ति ही नजर आती है। उनका शब्द लालित्य असाधारण होता है। भाषा-प्रवाह मानों नदी के प्रवाह के साथ होड़ करता है।” वह सरिता-संस्कृति की व्याख्या इस तरह करते हैं: “जो भूमि केवल वर्षा के पानी से ही सींची जाती है उसे ‘देव मातृक’ कहते हैं। और जो भूमि नदी के पानी से सींची जाती है उसे ‘नदी मातृक’ कहते हैं। अर्थात् वह नदी को माता कहते हैं। इसलिए हमारे मन में आये विचार जीवन-प्रवाह भी नदी-प्रवाह की तरह हैं।

इसमें सवाल की कोई गुंजाईश ही नहीं। जीवन में बहुत सारे उतार-चढ़ाव आते हैं, आशा निराशा के क्षण आते हैं और इस उतार-चढ़ाव से हम थक कर, हारकर, परेशान होकर, जीवन से निराश होने लगते हैं। ठीक उसी तरह नदी में भी उतार-चढ़ाव आते हैं। कभी उस पर बांध बनाए जाते हैं, तो कभी उसमें बाढ़ आ जाती हैं। नदी न तो निराश होती है और न ही रुकती है। वह उतार-चढ़ाव, बांध या किसी बाधा की बिल्कुल भी परवाह नहीं करती। बल्कि उन्हें पूरी शक्ति से तोड़कर आगे बढ़ती चली जाती है। या यूँ कहें कि नदी की गति ही उसकी शक्ति होती है और मार्ग में आने वाली बाधाएं उसकी शक्ति को, गति को और बढ़ा देती हैं।

हम मानव भी तो अपना जीवन इसी तरह जीते हैं भले ही कितनी रुकावटें, कितने दु:ख, निराशा आते हैं और चले जाते हैं। लेकिन उस दु:ख और निराशाओं के अन्दर भी आशा और उम्मीदों की किरणों को ढूंढ़ते हुए हम आगे की तरफ बढ़ते रहते हैं। यही हमारी जीवन-गति और प्रवाह है और यह प्रवाह हमेशा ऐसा ही रहनी चाहिए, जो नदी सिखाती है। निराश होकर रुक जाने की बजाय आशाओं की सितारों केचुनते हुए चलते रहना ही जीवन प्रवाह की सच्ची सार्थकता है।

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नदी परिचय - आइए नदी को जानें (Let's know the river)

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प्रकृति द्वारा विकसित एवं लगातार परिमार्जित मार्ग पर बहते पानी की अविरल धारा ही नदी है। बरसात उसे जन्म देती है। वह सामान्यतः ग्लेशियर, पहाड़ अथवा झरने से निकलकर सागर अथवा झील में समा जाती है। इस यात्रा में उसे अनेक सहायक नदियाँ मिलती हैं। नदी और उसकी सहायक नदियाँ मिलकर नदी तंत्र बनाती है। जिस इलाके का सारा पानी नदी तंत्र को मिलता है, वह इलाका जल निकास घाटी (वाटरशेड) कहलाता है। नदी, जल निकास घाटी पर बरसे पानी को इकट्ठा करती है। उसे प्रवाह में शामिल कर आगे बढ़ती है। वही उसके पानी की समृद्धि का आधार होता है। नदी को अपनी यात्रा में बाढ़ के पानी के अलावा भूजल से सम्बन्धित दो प्रकार की परिस्थितियाँ मिलती हैं। पहली परिस्थिति जिसमें भूजल भण्डारों का पानी बाहर आकर नदी को मिलता है। दूसरी परिस्थिति जिसमें नदी में बहते प्रवाह का पूरा या कुछ हिस्सा, रिसकर भूजल भण्डारों को मिलता है। नदी, दोनों ही स्थितियों (Effluent– Gaining stage or influent– losing stage) का सामना करते हुए आगे बढ़ती है। नदी का प्रवाह मिट्टी के कटाव व चट्टानों के नष्ट होने से प्राप्त मलबे तथा वनस्पतियों के अवशिष्टों को बहाकर आगे ले जाता है। उसका एक भाग सतही रन-आफ और दूसरा भाग भूजल प्रवाह कहलाता है। प्रवाह के इस विभाजन को प्रकृति नियंत्रित करती है। बरसात में सतही रन-आफ और बाकी दिनों में धरती की कोख से रिसा भूजल ही नदी में बहता है। अनुमान है कि नदी तल के ऊपर बहने वाले रन-आफ और नदी तल के नीचे बहने वाले भूजल का अनुपात 38:01 है। उल्लेखनीय है कि भूजल प्रवाह, गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव से, लगातार निचले इलाको की ओर बहता है। उसकी इस यात्रा में कुछ पानी नदी के प्रवाह के रूप में सतह पर तथा बाकी हिस्सा नदी तल के नीचे-नीचे चलकर समुद्र में समा जाता है। नदी के सूखने के बावजूद नदी तल के नीचे पानी का प्रवाह बना रहता है। दूसरा महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि नदी को भूजल का अधिकतम योगदान उथले एक्वीफरों से ही मिलता है। नदी तंत्र में प्रवाहित बाढ़ के पानी के साथ मलबा (मिट्टी, सिल्ट, उपजाऊ तत्व इत्यादि) बहता है। उसका कुछ हिस्सा बाढ़-क्षेत्र (Floodplain) में और बाकी हिस्सा पानी के साथ आगे बढ़ जाता है और समुद्र के निकट पहुँचकर डेल्टा का निर्माण करता है। नदी तंत्र में प्रवाहित पानी का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा मलबे (ठोस) का और बाकी 30 प्रतिशत हिस्सा घुलित रसायनों का होता है। नदी तंत्र में प्रवाहित पानी का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा मुख्यतः बोल्डरों, बजरी, रेत और सिल्ट होता है। नदी मार्ग में उनका जमाव धरती का ढाल, प्रवाह की गति, जल की परिवहन क्षमता से नियंत्रित होता है। बोल्डर, बजरी जैसे बड़े कण नदी के प्रारम्भिक भाग में तथा छोटे कण अन्तिम भाग में मिलते हैं। नदी अपने जलग्रहण क्षेत्र पर बरसे पानी को बड़ी नदी, झील अथवा समुद्र में जमा करती है पर कभी-कभी उसके मार्ग में मरुस्थल आ जाता है। उसके आने के कारण नदी का पानी रेत में रिसने लगता है। वाष्पीकरण भी बढ़ जाता है। नदी पर सूखने का खतरा बढ़ने लगता है। यदि पानी की आपूर्ति बनी रहती है तो वह मरुस्थल की रिसाव बाधा को पार कर लेती है। यदि पार नहीं कर पाती तो मरुस्थल में गुम हो जाती है। नदी अपने जीवन काल में युवा अवस्था (Youth stage), प्रौढ़ अवस्था (Mature stage) तथा वृद्धावस्था (Old stage) से गुजरती है। इन अवस्थाओं का सम्बन्ध उसके कछार के ढाल से होता है। अपनी युवावस्था तथा प्रौढ़ावस्था में नदी अपने कछार में भूआकृतियों (Land forms) का निर्माण करती है। उनका परिमार्जन (Modify) करती है। अपनी प्राकृतिक भूमिका का निर्वाह करती है। वह जैविक विविधता से परिपूर्ण होती है। उसका अपना पारिस्थितिक तंत्र होता है जो स्थिर पानी (Lake and reservoir) के पारिस्थितिक तंत्र से पूरी तरह भिन्न होता है। वह प्राकृतिक एवं प्रकृति नियंत्रित व्यवस्था है जो वर्षाजल, सतही जल तथा भूजल को सन्तुलित रख, अनेक सामाजिक तथा आर्थिक कर्तव्यों का पालन करती है। वह जागृत इको-सिस्टम है। नदी पर निर्भर समाज के लिये वह आजीविका का आधार है। कुदरती तौर नदी का प्रवाह अविरल होता है। सूखे दिनों में उसका प्रवाह धीरे-धीरे कम होता है। नदी में रहने वाले जीव-जन्तु और वनस्पतियाँ उस बदलाव से परिचित होते हैं। इसलिये कुछ उस बदलाव के अनुसार अपने को ढाल लेते हैं तो कुछ अन्य इलाकों में पलायन कर जाते हैं। वृद्धावस्था में नदी का कछार लगभग समतल हो जाता है। पानी फैलकर बहता है। तटों का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। उस स्थिति में नदी की पहचान खत्म हो जाती है। वह विलुप्त हो जाती है पर उसके कछार पर पानी बरसना समाप्त नहीं होता। हर स्वस्थ नदी अविरल होती है। प्रदूषण मुक्त रहती है। अविरलता उसकी पहचान है। स्वस्थ नदी के निम्न मुख्य संकेतक हैं- 1. सुरक्षित कैचमेंट (Secure catchment) 2. पर्याप्त बहाव (Adequate flow ) 3. स्वच्छ पानी (Clean water) 4. अक्षत चरित्र (Intact characters) उपरोक्त विवरणों से स्पष्ट है कि नदी मात्र बहता पानी नहीं है। वह जटिल प्रणाली है। उस जटिल प्रणाली में जल धारा के अलावा और नदी के अन्य अन्तरंग घटक यथा नदी तल (River Bed), नदी तट (River Bank), बाढ़ क्षेत्र (Flood plain), राईपेरियन जोन (Riparian zone) और कछार / बेसिन (Basin) इत्यादि होते हैं। इन घटकों को नदी से पृथक कर नहीं देखा जा सकता। वे सभी घटक नदी परिवार के सदस्य हैं। उनका संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है-

नदी तल (River Bed)

नदी तल की सतह ढालू होती है। उसका ढाल प्रवाह की दिशा में होता है। उसकी सतह पर कैचमेंट से बहाकर लाये कण, कुदरती ढंग से जमा होते हैं। इन कणों का जमाव बेहद व्यवस्थित और निश्चित क्रम (बड़े से छोटे) में होता है। इन कणों के नीचे की सतह चट्टानी, कच्चे पत्थर या बालू/मिट्टी की होती है। नदी का तल हमेशा नदी की भौतिक सीमाओं के अन्दर स्थित होता है। उसका निर्माण और परिमार्जन, बहता पानी करता है। यह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। स्वस्थ नदी में तल के ऊपर से पानी बहता है। यदि वाटर टेबिल नदी के तल के नीचे उतर जाये तो तल पानी सोखने लगता है। नदी का प्रवाह कम होने लगता है। उस पर सूखने का खतरा मँडराने लगता है। उल्लेखनीय है कि सूखे दिनों में पानी सामान्यतः नदी तल के आंशिक हिस्से से ही बहता है। बरसात में जब रन-आफ की मात्रा बढ़ जाती है तो सबसे पहले नदी तल की रेत पानी सोखती है। संतृप्त होती उसके बाद ही पानी, नदी तल के पूरे हिस्से से या उसकी सीमाओं (नदी तट) को लाँघ कर बहता है। उल्लेखनीय है कि प्रकृति में कहीं-कहीं परित्यक्त नदी तल भी मिलते हैं।

नदी तट (River bank)

सामान्य आदमी के लिये नदी तट का अर्थ नदी तल की दाहिनी और बाँयी सीमा है। वे सामान्यतः ढालू होते हैं। उनका ढाल असमान होता है। उनकी सतह ऊबड़-खाबड़ होती है। वे नदी के तल की सीमा को निर्धारित करते हैं। नदी की बाढ़, हर साल मिट्टी काट कर उनको परिमार्जित करती है। परिमार्जन के कारण उनका विस्तार होता है। उनके बीच की दूरी बढ़ती है। उनके बीच की दूरी बढ़ने के कारण नदी की चौड़ाई बढ़ती है। सूखे दिनों में नदी का पानी किसी एक किनारे के पास से अथवा उससे अलग-अलग दूरी से बहता है। यह स्थिति स्थायी नहीं है। साल-दर-साल उसमें बदलाव सम्भव है। मामूली बाढ़ के समय पानी उनकी सीमाओं में रहता है पर जब बाढ़ रौद्र रूप धारण कर लेती है तो वह दोनों तटों को लाँघ कर कछार में फैल जाता है। नदी के तटों को दाँया तट और बाँया तट के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। उन्हें यह पहचान, प्रवाह के दाहिनी ओर या बाँयी ओर स्थित होने के कारण मिलती है। मैदानी इलाकों में एक तट के निकट रेत और दूसरे तट के निकट घाट मिलता है।

बाढ़ क्षेत्र (Flood plain)

बरसात के मौसम में नदियों में अनेक बार बाढ़ आती है। कई बार वह नदी के दोनों तटों को लाँघ कर कछार में भी फैलती है पर बाढ़ों के दौरान, कछार में पानी का फैलाव एक जैसा नहीं होता। वह अक्सर बदलता रहता है। जल विज्ञानियों ने बाढ़ क्षेत्र को परिभाषित किया है। उनके अनुसार बाढ़ क्षेत्र, नदी कछार का वह आप्लावित इलाका है जो अधिकतम बाढ़ के दौरान डूबता है। यही वह क्षेत्र है जो पानी में अस्थायी रूप से डूबता है। जिसमें तबाही मचती है। जन-धन की हानि होती है लेकिन बाढ़ हमेशा हानिकारक नहीं होती। वह कछार में उपजाऊ मिट्टी और पोषक तत्व जमा करती है। कछार को समतल बनाने की दिशा में काम करती है। नदी मार्ग के जल प्रपातों को समाप्त करती है। उल्लेखनीय है कि बाढ़ क्षेत्र में कई बार नदियाँ अपना रास्ता बदलती हैं। बाढ़ क्षेत्र को पहचानना बहुत सरल है। नदी मार्ग के दोनों ओर पाई जाने वाली कुदरती वनस्पतियों तथा वृक्षों में बहुत अधिक भिन्नता होती है। यह भिन्नता वृक्षों तथा वनस्पतियों की अनुकूलन क्षमता में भिन्नता के कारण होती है। उदाहरण के लिये बाढ़ क्षेत्र में नमी की अधिकता के कारण अक्सर हरी घास और फूलों की अधिकता देखी जाती है। कई परिस्थितियों में बाढ़ क्षेत्र में दलदली भूमि भी मिल सकती है। वनस्पतियों, काई या शैवाल से ढँकी होने के बावजूद यह भूमि नदी तंत्र तथा जैवविविधता का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होती है। बाढ़ क्षेत्र में वही वृक्ष पाये जाते हैं जो नमी झेलने में सक्षम होते हैं।

राईपेरियन जोन (Riparian zone)

नदी के दोनों किनारों की पट्टी में कुदरती रूप से कुछ विशेष प्रकार की वनस्पितियाँ पैदा होती हैं। उन्हें सामान्य व्यक्ति नहीं पहचान पाते पर उनको पहचानना वनस्पति विज्ञानियों और स्थानीय जानकारों के लिये सहज होता है। राईपेरियन जोन, वह सीमित इलाका है जिसमें कुछ विशेष प्रकार की वनस्पतियाँ पैदा होती हैं। उल्लेखनीय है कि नदी की सेहत के लिये वे बेहद महत्त्वपूर्ण और आवश्यक होती हैं। हर साल आने वाली बाढ़, उन्हें समृद्ध करती है। अनुसन्धानों से पता चला है कि नदी के पानी (सतही जल और भूजल) की गुणवत्ता सुधारने में राईपेरियन जोन की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। वे पानी में मौजूद नाइट्रेट की सान्द्रता को कम करती है। राईपेरियन जोन का सबसे बड़ा योगदान पौधों के रूप में नदी में मिलने वाले जलीय जीव-जन्तुओं को भोजन उपलब्ध कराना है। उल्लेखनीय है कि राईपेरियन जोन में पनपने वाली वनस्पतियों के सूखे पत्ते झड़कर या बहकर नदी को मिलते हैं। ये पत्ते सूखे अर्थात मृत होने के कारण, भले ही ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं करा पाते पर वे जलीय जीव-जन्तुओं को सूखी वनस्पतियों और उन पर पनप रहे बैक्टीरिया या फंगस या कीड़ों का भोजन अवश्य उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा राईपेरियन जोन की वनस्पतियाँ नदी के घाट को स्थायित्व तथा नदी के पानी को सही अम्लीयता प्रदान करती हैं। वे भूजल रीचार्ज में सहयोग भी देती हैं। नदी जल को निर्मल बनाने में राईपेरियन जोन का विशिष्ट महत्त्व है।

घाटी (Valley)

नदी को पानी (सतही तथा भूजल) प्रदान करने वाला क्षेत्र नदी घाटी या नदी का कछार कहलाता है। यह वह क्षेत्र है जिसे नदी की शरीर कहा जा सकता है। ऐसा शरीर जिसे नुकसान पहुँचाने का मतलब नदी को नुकसान पहुँचाना भी कहा जा सकता है।

नदी का प्रवाह (River flow)

भारत जैसे देश में जिसका अधिकांश भू-भाग मानसून पर निर्भर है, में नदियों को वर्षाकाल में भारी मात्रा में बाढ़ का पानी मिलता है। अवर्षा के आठ माहों में प्रवाह का स्रोत भूजल होता है। सूखे माहों में नदी का प्रवाह एक समान नहीं होता। जैसे-जैसे एक्विफरों का पानी नदी में डिस्चार्ज होता है, वैसे-वैसे एक्विफर खाली होते हैं। भूजल स्तर में गिरावट आती है। नदी का प्रवाह घटने लगता है। यदि बरसात द्वारा नदी को पानी की पूर्ति नहीं हो तो प्रवाह समाप्त हो जाता है। नदी सूख जाती है। उल्लेखनीय है कि कुछ दशक पहले तक, अनेक नदियाँ बारहमासी थीं। मौसमी परिवर्तनों के कारण उनके प्रवाह में घट-बढ़ देखी जाती थी। नदी तंत्र की जैवविविधता सुरक्षित थी।

पर्यावरणीय प्रवाह (Environmental flow)

सूखे मौसम में नदियों के प्रवाह का घटना स्वाभाविक है लेकिन प्रत्येक स्वस्थ नदी को अपनी पहचान बनाए रखने के लिये हर समय जीवन रक्षक न्यूनतम प्रवाह की आवश्यकता होती है। इस न्यूनतम प्रवाह को वैज्ञानिक पर्यावरणीय प्रवाह कहते हैं। पर्यावरणीय प्रवाह, नदी तंत्र में, लगातार बहने वाले पानी की वह न्यूनतम मात्रा है जो उस पर आश्रित जीव-जन्तुओं तथा वनस्पतियों की सुरक्षा, उनके तालमेली विकास एवं जिन्दा रहने तथा प्राकृतिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिये आवश्यक है। उस प्रवाह से समझौता सम्भव नहीं है। पर्यावरणीय प्रवाह की गिरावट से नदी की सेहत खराब होती है। जलीय जीवन असुरक्षित होता है। प्राकृतिक जिम्मेदारियों को निभाने की क्षमता कम होती है। उल्लेखनीय है कि प्रवाह के समाप्त होने के बावजूद, नदी तल के नीचे होने से प्रवाह सक्रिय रहता है। वह प्रवाह अपने साथ घुले रसायनों को गन्तव्य तक ले भी जाता है पर वह पर्यावरणी प्रवाह नहीं है। भारत की प्रत्येक नदी का न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह परिभाषित किया जाना चाहिए। उसकी अनदेखी के कारण ही नदियों की अस्मिता को ग्रहण लगा है।

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  • Essay on River in Hindi – नदी पर निबंध @ 2019

हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on River जिससे हम हिंदी में नदी पर निबंध कहते है। इस आर्टिकल में आप नदी के बारे में बहुत कुछ ऐसी बातो को जानेंगे जो बहुत ही काम लोगो को पता है। आज हम आपको Essay on River in Hindi यानि नदी पर निबंध के बारे में बताएँगे तो अगर आप अपने बच्चे के लिए इस टॉपिक पर निबंध ढूंढ रहे है तो यह आपके बच्चे के होमवर्क में बहुत मदद करेगा।

Essay on River in Hindi

मेरा नाम नदी है, मैं जहाँ से भी गुजर जाती हैं, वहाँ की धरती, पशु-पक्षी, खेल-खलिहानों आदि सब की प्यास-बुझा देती हूँ। मेरे आगमन से उनकी प्यास बुझ जाती है और वे फिर से हरे-भरे हो जाते हैं। समय-समय पर मेरे अनेक नाम पड़ गए हैं। नदी, नहर, तटिनी, सरिता, क्षिप्रा आदि मेरे ही नाम हैं। मैं तेज प्रवाह से बहती हैं, इसीलिए लोग मुझे प्रवाहिनी कहते हैं और बहते समय मैं ‘सर-सर’ की ध्वनि करती हैं, इसलिए लोग मुझे सरिता कहते हैं।

उद्गम तथा विकास :

मेरा जन्म पर्वतमालाओं की गोद से हुआ है। बचपन से ही मैं चंचल प्रवृत्ति की थी, तभी तो मैं एक स्थान पर टिक ही नहीं सकती तथा मैं बहती ही रहती हैं। जब मैं गति से आगे बढ़ती हैं तो रास्ते में पड़े पत्थर, पेड़-पौधे, वनस्पतियाँ इत्यादि भी मुझे नहीं रोक पाते। अनेक बार तो बड़े-बड़े शिलाखण्ड आकर मेरा रास्ता रोकने की कोशिश करते हैं लेकिन मैं पूरी शक्ति लगाकर उन्हें पार करती हुई आगे बढ़ जाती हैं। जहाँ-जहाँ से मैं गुजरी मेरे किनारों को तट का नाम दे दिया गया। मैदानी इलाकों में मेरे तटों में आस-पास छोटी-बड़ी अनेक बस्तियाँ स्थापित होती गई। मेरे जल से सिंचाई कार्य होने लगा तथा प्यासे जीव-जन्तुओं की प्यास बुझने लगी। लोगों ने अपनी आवश्यकतानुसार मेरे ऊपर पुल भी बना लि

खुशहाली का कारण :

मैं देश की खुशहाली के लिए सदैव अप सर्वस्व न्यौछावर करने को तैयार रहती हूँ। मेरे पानी को बिजली पैदा करने के लिए काम में लाया गया और बिजली से अनेक उपकरण चलाए जाते हैं। मैं सभी के इतने काम आती हैं लेकिन अहंकार मुझे छू तक भी नहीं गया है। मैं तो प्रसन्नता का अनुभव करती हूँ जब मेरा अंग-अंग समाज के हित में लगता है। पूरी धरती ही मेरा परिवार है, मैं तो ऐसा ही हैं।

सागर से मिलन :

लेकिन मैं भी तो थक जाती हैं। इसलिए अब मैं अपने प्रिय सागर से मिलकर उसमें अपने आप को समाने जा रही हूँ। मैंने इस लम्बी यात्रा के बीच में अनेक घटनाएँ घटती देखती हैं। मेरे ऊपर बने पुलों में से सैनिकों की टोलियाँ, राजनेताओं, डाकुओं, साधु-महात्माओं, राजा-महाराजाओं आदि को गुजरते हुए देखा है। मैंने तो कितनी ही बस्तियाँ बसते और उजड़ते हुए देखी है। यही तो है मेरी सुख-दुख से भरी आत्मकथा। ।

मैं तो अपना पूरा जीवन मानव-सेवा के लिए अर्पित कर चुकी हैं, लेकिन मुझे दुखै तब होता है, जब लोग मुझे प्रदूषित कर देते हैं। कूड़ा-कचरा मेरे अन्दर डालकर लोग मुझे गंदा करते हैं। फिर भी मैं अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटकेंगी और सदा मानव सेवा में बहती रहूँगी।

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नदी की आत्मकथा मैं नदी हूं। मेरे कितने ही नाम हैं जैसे नदी, नहर, सरिता, प्रवाहिनी, तटिनी, क्षिप्रा आदि। ये सभी नाम मेरी गति के आधार पर रखे गए हैं। सर-सर कर चलती रहने के कारण मुझे सरिता कहा जाता है। सतत् प्रवाहमयी होने के कारण मुझे प्रवाहिनी कहा गया है। इसी प्रकार दो तटों के बीच में बहने के कारण तटिनी तथा तेज गति से बहने के कारण क्षिप्रा कहलाती हूं।

साधारण रूप में मैं नहर या नदी हूं। मेरा नित्यप्रति का काम है कि मैं जहां भी जाती हूं वहां की धरती, पशु-पक्षी, मनुष्यों व खेत-खलिहानों आदि की प्यास बुझा कर उनका ताप हरती हूं तथा उन्हें हरा-भरा करती रहती हूं। इसी में मेरे जीवन की सार्थकता तथा सफलता है।

आज मैं जिस रूप में मैदानी भाग में दिखाई देती हूं वैसी मैं सदैव से नहीं हूं। प्रारम्भ में तो मैं बर्फानी पर्वत शिला की कोख में चुपचाप, अनजान और निर्जीव-सी पड़ी रहती थी। कुछ समय पश्चात् मैं एक शिलाखण्ड के अन्तराल से उत्पन्न होकर मधुर संगीत की स्वर लहरी पर थिरकती हुई आगे बढ़ती गई। जब मैं तेजी से आगे बढ़ने पर आई तो रास्ते में मुझे इधर-उधर बिखरे पत्थरों ने, वनस्पतियों ने, पेड़-पौधों ने रोकना चाहा तो भी मैं न रूकी। कई बार तो मेरी राह में अनेक बड़े-बड़े शिलाखण्ड आ जाते और मेरा पथ रोकने की कोशिश करते परन्तु मैं अपनी पूरी शक्ति को संचित करके उन्हें पार कर आगे बढ़ जाती।।

इस प्रकार पहाड़ों, जंगलों को पार करती हुई मैदानी इलाके में आ पहुंची। जहां-जहां से मैं गुजरती मेरे आस-पास तट बना दिए गए, क्योंकि मेरा विस्तार होता जा रहा था। मैदानी इलाके में मेरे तटों के आस-पास छोटी-बड़ी बस्तियां स्थापित होती गई। वहीं अनेक गांव बसते गए। मेरे पानी की सहायता से खेती-बाड़ी की जाने लगी। लोगों ने अपनी सुविधा के लिए मुझ पर छोटे-बड़े पुल बना लिए। वर्षा के दिनों में तो मेरा रूप बड़ा विकराल हो जाता है।

डलनी सब बाधाओं को पार करते हुए चलते रहने से अब मैं थक गई है तथा अपने प्रियतम सागर से मिलकर उसमें समाने जा रही हूं। मैंने अपने इस जीवन काल में अनेक घटनाएं घटते हुए देखी हैं। सैनिकों की टोलियां, सेनापतियों, राजा-महाराजाओं, राजनेताओं, डाकुओं, साधु-महात्माओं को इन पुलों से गुजरते हुए देखा है। पुरानी बस्तियां ढहती हुई तथा नई बस्तियां बनती हुई देखी हैं। यही है मेरी आत्मकथा।।

मैंने सभी कुछ धीरज से सुना और सहा है। मैं आप सभी से यह कहना चाहती हूं कि आप भी हर कदम पर आने वाली विघ्न-बाधाओं को पार करते हुए मेरी तरह आगे बढ़ते जाओ जब तक अपना लक्ष्य न पा लो।।

नदियाँ जीवित प्राणियों को प्रकृति के द्वारा दिए गए उपहारों में से एक हैं। नदियों  का धरती पर वही स्थान है जो मानव शरीर में धमनियों का है। धमनियाँ खून को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाती हैं तो नदियाँ जल को सभी जीवों के लिए सुलभ बनाती हैं। कल-कल करती नदी की धारा का दृश्य हमें सुख और संतोष प्रदान करता है। जीव-समुदाय इसके जल को पीकर अपनी प्यास बुझाता है। इससे फ़सल सींचे जाते हैं।

मनुष्य इस जल से नहाने-धोने का कार्य करते हैं। आधुनिक युग में नदी जल को रोककर बाँधों का निर्माण किया गया है जो जल की आवश्यकता पूर्ति के साथ-साथ विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता को भी पूर्ण करता है। इन सब बातों को देखते हुए नदियों की सुरक्षा पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए। नदी जल की निर्मलता को बनाए रखने की चेष्टा की जानी चाहिए। नदियों में प्रदूषण को कम करने के लिए चहुंमुखी प्रयास करने चाहिए।

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गंगा भारत की नदी है। यह हिमालय से निकलती है और बंगाल की घाटी में विसर्जित होती है। यह निरंतर प्रवाहमयी नदी है। यह पापियों का उद्धार करने वाली नदी है। भारतीय धर्मग्रंथों में इसे पवित्र नदी माना गया है और इसे माता का दर्जा दिया गया। है। गंगा केवल नदी ही नहीं, एक संस्कृति है। गंगा नदी के तट पर अनेक पवित्र तीर्थों का निवास है।

गंगा को भागीरथी भी कहा जाता है। गंगा का यह नाम राजा भगीरथ के नाम पर पड़ा। कहा जाता है कि राजा भगीरथ के साठ हजार पुत्र थे। शापवश उनके सभी पुत्र भस्म हो गए थे। तब राजा ने कठोर तपस्या की। इसके फलस्वरूप गंगा शिवजी की। जटा से निकलकर देवभूमि भारत पर अवतरित हुई। इससे भगीरथ के साठ हजार पुत्रों का उद्धार हुआ। तब से लेकर गंगा अब तक न जाने कितने पापियों का उद्धार कर चुकी है। लोग यहाँ स्नान करने आते हैं। इसमें मृतकों के शव बहाए जाते हैं। इसके तट पर शवदाह के कार्यक्रम होते हैं। गंगा तट पर पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन आदि के कार्यक्रम चलते ही रहते हैं।

गंगा हिमालय में स्थित गंगोत्री नामक स्थान से निकलती है। हिमालय की बर्फ । पिघलकर इसमें आती रहती है। अत: इस नदी में पूरे वर्ष जल रहता है। इस सदानीरा नदी का जल करोड़ों लोगों की प्यास बुझाता है। करोड़ों पशु-पक्षी इसके जल पर निर्भर हैं। लाखों एकड़ जमीन इस जल से सिंचित होती है। गंगा नदी पर फरक्का आदि कई | बाँध बनाकर बहुउद्देशीय परियोजना लागू की गई है।

अपने उद्गम स्थान से चलते हुए गंगा का जल बहुत पवित्र एवं स्वच्छ होता है। हरिद्वार तक इसका जल निर्मल बना रहता है। फिर धीरे-धीरे इसमें शहरों के गंदे नाले का जल और कूड़ा-करकट मिलता जाता है। इसका पवित्र जल मलिन हो जाता है। इसकी मलिनता मानवीय गतिविधियों की उपज है। लोग इसमें गंदा पानी छोड़ते हैं। इसमें सड़ी-गली पूजन सामग्रियाँ डाली जाती हैं। इसमें पशुओं को नहलाया जाता है। और मल-मूत्र छोड़ा जाता है।

इस तरह गंगा प्रदूषित होती जाती है। वह नदी जो हमारी पहचान है, हमारी प्राचीन सभ्यता की प्रतीक है, वह अपनी अस्मिता खो रही है। गंगा जल में अनेक विशेषताएँ हैं। इसका जल कभी भी खराब नहीं होता है। बोतल में वर्षों तक रखने पर भी इसमें कीटाणु नहीं पनपते। हिन्दू लोग गंगा जल से पूजा-पाठ करते हैं। गंगा तट पर बिखरी चिकनी मिट्टी ‘मृतिका’ से दंतमंजन बनाए जाते हैं। लोग इससे तिलक करते हैं।

गंगा तट पर अनेक तीर्थ हैं। बनारस, काशी, प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार आदि इनमें प्रमुख हैं। प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है। यहाँ प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ का विशाल मेला लगता है। लोग बड़ी संख्या में यहाँ आकर संगम स्नान करते हैं। बनारस और काशी में तो पूरे वर्ष ही भक्तों का समागम होता है। पवित्र तिथियों पर लोग निकटतम गंगा घाट पर जाकर स्नान करते हैं और पण्य लाभ अर्जित करते हैं। विभिन्न अवसरों पर यहाँ मेले लगा करते हैं।

गंगा अपना रूप बदलती रहती है। आरंभ में यह सिकुड़ी सी होती है पर मैदानी भागों में इसका तट चौड़ा हो जाता है। चौडे तटों के इस पार से उस पार जाने के लिए नौकाएँ एवं स्टीमर चलती हैं। गंगा नदी पर अनेक स्थानों पर लंबे पुल भी बनाए गए हैं। इससे परिवहन सरल हो गया है।

गंगा नदी अपने तटवर्ती क्षेत्रों की भूमि को उपजाऊ बनाकर चलती है। भूमि को यह सींचती भी है। अत: कृषि की समृद्धि में इसका बहुत योगदान है। जैसे-जैसे गंगा नदी आगे बढ़ती है, उसमें कई नदियाँ मिलती जाती हैं। इसकी धारा वेगवती होती जाती है। वर्षा ऋतु में तो इसमें कई स्थानों पर बाढ़ आ जाती है। बाढ़ से फ़सलों और संपत्ति की भारी हानि होती है। अंत में यह बंगाल में घसती है। यहाँ इसकी धारा सस्त पड जाती है जिससे बेसिन का निर्माण होता है। फिर यह बंगाल की खाड़ी (समुद्र) में समा जाती है। इस प्रकार गंगा नदी की यात्रा समाप्त हो जाती है।

गंगा नदी का भारतीय संस्कृति में अन्यतम स्थान है। इसलिए इसे राष्ट्रीय नदी घोषित कर दिया गया है। गंगा की सफ़ाई के लिए कुछ कार्ययोजनाएँ भी बनाई गई हैं। लोगों को इसमें सहभागिता करनी चाहिए। गंगा जल को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए उपयुक्त प्रयास करने चाहिए।

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नदियाँ संसार की महान सभ्यताओं और संस्कृतियों की जननी है। संसार की सभी सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे ही हुआ है। प्रागैतिहासिक काल से ही नदियाँ मानव को अनेक रूपों से उपकृत करती आयी है। यदि नदियाँ न होती तो कदाचित् मानव सभ्यता और संस्कृति का विकास भी नहीं होता।

यूरोपीय सभ्यता और संस्कृति के विकास में पो, राइन,सीन और एड्रियेटिक सागर का महत्वपूर्ण योगदान है। इजीप्ट की सभ्यता और संस्कृति का विकास नील नदी के किनारे ही हुआ। भारतवर्ष में सिंधु घाटी की सभ्यता का विकास भी नदी के किनारे ही हुआ था। आज भी बड़े-बड़े  औद्योगिक नगर नदियों के किनारे ही अवस्थित हैं।

प्राचीन काल में यातायात के साधनों का अभाव था। उस समय | नदियों के रास्ते ही आवागमन होता था। वाणिज्य-व्यापार, संस्कृति, कला | के साथ-साथ नदियाँ बड़े-बड़े आक्रमणों का भी श्रोत बनी। आज भी बड़े-बड़े मालवाहक जहाज नदियों के रास्ते ही आयात-निर्यात के सस्ते और सुलभ साधन बने हुए हैं। नदियों का व्यावसायिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण उपयोग है।

बड़े-बड़े औद्योगिक शहरों का विकास नदी किनारे अवस्थित होने के कारण ही हुआ। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, वाराणसी, कानपुर, चेन्नई, पटना आदि शहर नदी के किनारे ही अवस्थित हैं। इसका कारण यह है कि नदियों में दूषित जल का आसानी से उत्सर्जन किया जा सकता है और पानी के नियमित बहाव के कारण कृडे-कचरे इकट्टे नहीं हो पाते। साथ ही नदियों के जल को स्वच्छ बनाकर पेय जल के रूप में आसानी से परिणत किया जाता है। फलतः पेय जल का संकट उतना नहीं रह जाता। बड़े-बड़े उद्योगों जैसे चमड़ा, जूट आदि के लिए पानी की।

अधिक आवश्यकता होती है। जो नदियों से आसानी से उपलब्ध होता है। फलतः इन उद्योगों के विकास में नदिया प्रमुख कारक तत्व है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए नदियों का महत्व अविस्मरणीय और अवर्णनीय हैं। भारत की कृषि व्यवस्था में सिंचाई का मुख्य आधार नदियों द्वारा प्राप्त जल है। यदि नदियों के जल के रख रखाव की समुचित व्यवस्था की जाय तो इससे न केवल सिंचाई की समस्या हल होगी अपितु धरती की निचली  सतह में व्याप्त जल स्तर को भी बढ़ाया जा सकता है।

आधुनिक समय में नदियों की जल धारा से विद्युत पैदा किया जाता है जो आज ऊर्जा का प्रधान साधन है। साथ ही आर्थिक प्रगति में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है।

इसके अतिरिक्त नदियों में जलक्रीड़ा के आयोजन भी किए जाते हैं। नदी के किनारे प्राकृतिक सौंदर्य की भव्य छटा के मध्य उद्यानों का निर्माण भी किया गया है जो हमें कई प्रकार से आह्लादित करते है।  आधुनिक समय में बड़े शहरों में सड़क यातायात वाहनों की बहुलता के कारण व्यस्त और दुरूह होते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में नदियों के रास्ते आसानी से यात्रा का आनन्द लिया जाता है। इस प्रकार आर्थिक, व्यवसायिक, सांस्कृतिक आदि सभी दृष्टियों से नदियाँ मानव समाज को निर्मित और विकसित करती आयी है। सभ्यता, संस्कृति आदि की प्रगति के लिए मानवीय समाज नदियों का ऋणी है।

मैं नदी हूँ। मेरे कितने ही नाम हैं जैसे नदी, नहर, सरिता, प्रवाहिनी, तटिनी क्षिप्रा आदि। ये सभी नाम मेरी गति के आधार पर रखे गए हैं। सर-सर कर चलती रहने के कारण मुझे सरिता कहा जाता है। सतत् प्रवाहमयी होने के कारण मुझे  प्रवाहिनी कहा गया है। इसी प्रकार दो तटों के बीच में बहने के कारणं तटिनी  तथा तेज गति से बहने के कारण क्षिप्रा कहलाती हूँ। साधारण रूप में मैं नहर  या नदी हूँ।

मेरा नित्यप्रति का काम है कि मैं जहाँ भी जाती हूँ वहाँ की धरती, पशु-पक्षी, मनुष्यों व खेत-खलिहानों आदि की प्यास बुझा कर उनका ताप हरती हैं तथा उन्हें हरा-भरा करती रहती हैं। इसी में मेरे जीवन की सार्थकता तथा सफलता है।

आज मैं जिस रूप में मैदानी भाग में दिखाई देती हैं वैसी मैं सदैव से नहीं हैं। प्रारम्भ में तो मैं बर्फानी पर्वत शिला की कोख में चुपचाप, अनजान और निर्जीव सी पड़ी रहती थी। कुछ समय पश्चात् मैं एक शिलाखण्ड के अन्तराल से उत्पन्न होकर मधुर संगीत की स्वर लहरी पर थिरकती हुई आगे बढ़ती गई। जब मैं तेजी. से आगे बढ़ने पर आई तो रास्ते में मुझे इधर-उधर बिखरे पत्थरों ने, वनस्पतियों, पेड़-पौधों ने रोकना चाहा तो भी मैं न रुकी। कई बार तो मेरी राह में अनेक बड़े-बड़े शिलाखण्ड आ जाते और मेरा पथ रोकने की कोशिश करते परन्तु मैं अपनी पूरी शक्ति को संचित करके उन्हें पार कर आगे बढ़ जाती।

इस प्रकार पहाड़ों, जंगलों को पार करती हुई मैदानी इलाके में आ पहुँची। जहाँ-जहाँ से मैं गुजरती मेरे आस-पास तट बना दिए गए, क्योंकि मेरा विस्तार | होता जा रहा था। मैदानी इलाके में मेरे तटों के आस-पास छोटी-बड़ी बस्तियाँ स्थापित होती गई। वहीं अनेकों गाँव बसते गए। मेरे पानी की सहायता से खेती बाड़ी की जाने लगी। लोगों ने अपनी सुविधा के लिए मुझ पर छोटे-बड़े पुल बना लिए। वर्षा के दिनों में तो मेरा रूप बड़ा विकराल हो जाता है।

इतनी सब बाधाओं को पार करते हुए चलते रहने से अब मैं थक गई हूँ तथा | अपने प्रियतम सागर से मिलकर उसमें समाने जा रही हैं। मैंने अपने इस जीवन काल में अनेक घटनाएँ घटते हुए देखी हैं। सैनिकों की टोलियाँ, सेनापतियों, राजा-महाराजाओं, राजनेताओं, डाकुओं, साधु-महात्माओं को इन पुलों से गुजरते हुए देखा है। पुरानी बस्तियाँ ढहती हुई तथा नई बस्तियाँ बनती हुई देखी हैं। यही है मेरी आत्मकथा।।

मैंने सभी कुछ धीरज से सुना और सही है। मैं आप सभी से यह कहना चाहती हैं कि आप भी हर कदम पर आने वाली विघ्न-बाधाओं को पार करते हुए मेरी तरह आगे बढ़ते जाओ जब तक अपना लक्ष्य न पा लो।

  • वर्षा ऋतु पर निबंध 
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Romi Sharma

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2 thoughts on “ essay on river in hindi – नदी पर निबंध @ 2019 ”.

बोहोत ही अच्छा लिखे है आपने।

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गंगा नदी पर निबंध / Essay on River Ganga in Hindi

essay on river in hindi

गंगा नदी पर निबंध / Essay on River Ganga in Hindi!

गंगा भारत की नदी है । यह हिमालय से निकलती है और बंगाल की घाटी में विसर्जित होती है । यह निरंतर प्रवाहमयी नदी है । यह पापियों का उद्‌धार करने वाली नदी है । भारतीय धर्मग्रंथों में इसे पवित्र नदी माना गया है और इसे माता का दर्जा दिया गया है । गंगा केवल नदी ही नहीं, एक संस्कृति है । गंगा नदी के तट पर अनेक पवित्र तीर्थों का निवास है ।

गंगा को भागीरथी भी कहा जाता है । गंगा का यह नाम राजा भगीरथ के नाम पर पड़ा । कहा जाता है कि राजा भगीरथ के साठ हजार पुत्र थे । शापवश उनके सभी पुत्र भस्म हो गए थे । तब राजा ने कठोर तपस्या की । इसके फलस्वरूप गंगा शिवजी की जटा से निकलकर देवभूमि भारत पर अवतरित हुई ।

इससे भगीरथ के साठ हजार पुत्रों का उद्‌धार हुआ । तब से लेकर गंगा अब तक न जाने कितने पापियों का उद्‌धार कर चुकी है । लोग यहाँ स्नान करने आते हैं । इसमें मृतकों के शव बहाए जाते हैं । इसके तट पर शवदाह के कार्यक्रम होते हैं । गंगा तट पर पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन आदि के कार्यक्रम चलते ही रहते हैं ।

गंगा हिमालय में स्थित गंगोत्री नामक स्थान से निकलती है । हिमालय की बर्फ पिघलकर इसमें आती रहती है । अत: इस नदी में पूरे वर्ष जल रहता है । इस सदानीरा नदी का जल करोड़ों लोगों की प्यास बुझाता है । करोड़ों पशु-पक्षी इसके जल पर निर्भर हैं । लाखों एकड़ जमीन इस जल से सिंचित होती है । गंगा नदी पर फरक्का आदि कई बाँध बनाकर बहुउद्‌देशीय परियोजना लागू की गई है ।

अपने उद्‌गम स्थान से चलते हुए गंगा का जल बहुत पवित्र एवं स्वच्छ होता है । हरिद्वार तक इसका जल निर्मल बना रहता है । फिर धीरे- धीरे इसमें शहरों के गंदे नाले का जल और कूड़ा-करकट मिलता जाता है । इसका पवित्र जल मलिन हो जाता है । इसकी मलिनता मानवीय गतिविधियों की उपज है । लोग इसमें गंदा पानी छोड़ते हैं । इसमें सड़ी-गली पूजन सामग्रियाँ डाली जाती हैं । इसमें पशुओं को नहलाया जाता है और मल-मूत्र छोड़ा जाता है । इस तरह गंगा प्रदूषित होती जाती है । वह नदी जो हमारी पहचान है, हमारी प्राचीन सभ्यता की प्रतीक है, वह अपनी अस्मिता खो रही है ।

ADVERTISEMENTS:

गंगा जल में अनेक विशेषताएँ हैं । इसका जल कभी भी खराब नहीं होता है । बोतल में वर्षों तक रखने पर भी इसमें कीटाणु नहीं पनपते । हिन्दू लोग गंगा जल से पूजा-पाठ करते हैं । गंगा तट पर बिखरी चिकनी मिट्‌टी ‘ मृतिका ‘ से दंतमंजन बनाए जाते हैं । लोग इससे तिलक करते हैं ।

गंगा तट पर अनेक तीर्थ हैं । बनारस, काशी, प्रयाग ( इलाहाबाद). हरिद्वार आदि इनमें प्रमुख हैं । प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है । यहाँ प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ का विशाल मेला लगता है । लोग बड़ी संख्या में यहाँ आकर संगम स्नान करते हैं । बनारस और काशी में तो पूरे वर्ष ही भक्तों का समागम होता है । पवित्र तिथियों पर लोग निकटतम गंगा घाट पर जाकर स्नान करते हैं और पुण्य लाभ अर्जित करते हैं । विभिन्न अवसरों पर यहाँ मेले लगा करते हैं ।

गंगा अपना रूप बदलती रहती है । आरंभ में यह सिकुड़ी सी होती है पर मैदानी भागों में इसका तट चौड़ा हो जाता है । चौड़े तटों के इस पार से उस पार जाने के लिए नौकाएँ एवं स्टीमर चलती हैं । गंगा नदी पर अनेक स्थानों पर लंबे पुल भी बनाए गए हैं । इससे परिवहन सरल हो गया है ।

गंगा नदी अपने तटवर्ती क्षेत्रों की भूमि को उपजाऊ बनाकर चलती है । भूमि को यह सींचती भी है । अत: कृषि की समृद्धि में इसका बहुत योगदान है । जैसे-जैसे गंगा नदी आगे बढ़ती है, उसमें कई नदियों मिलती जाती हैं । इसकी धारा वेगवती होती जाती है । वर्षा ऋतु में तो इसमें कई स्थानों पर बाढ़ आ जाती है । बाढ़ से फसलों और संपत्ति की भारी हानि होती है । अंत में यह बंगाल में घुसती है । यहाँ इसकी धारा सुस्त पड़ जाती है जिससे बेसिन का निर्माण होता है । फिर यह बंगाल की खाड़ी (समुद्र) में समा जाती है । इस प्रकार गंगा नदी की यात्रा समाप्त हो जाती है ।

गंगा नदी का भारतीय संस्कृति में अन्यतम स्थान है । इसलिए इसे राष्ट्रीय नदी घोषित कर दिया गया है । गंगा की सफाई के लिए कुछ कार्ययोजनाएँ भी बनाई गई हैं । लोगों को इसमें सहभागिता करनी चाहिए । गंगा जल को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए उपयुक्त प्रयास करने चाहिए ।

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भारत की प्रमुख नदी प्रणालियां

भारत के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनकाल से ही नदियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक सिंधु (सिन्धु) घाटी सभ्यता का उदय भी सिंधु (सिन्धु) तथा गंगा (गङ्गा) नदी की घाटियों में ही हुआ था। नदी किनारे व्यापारिक एवं यातायात की सुविधाओं के कारण देश के अधिकांश नगर नदियों के किनारे ही विकसित हुए थे। इसलिए आज भी देश के सभी धार्मिक शहर नदियों के किनारे ही बसे हैं। इसी के साथ नदियां आज भी देश की सर्वाधिक जनसंख्या को कृषि एवं पीने के लिए जल उपलब्ध कराती है।  

भारत की नदी प्रणालियां सिंचाई, पेयजल, किफायती परिवहन और बिजली उत्पादन के साथ-साथ देश की एक बड़ी आबादी को रोजी-रोटी देने का काम करती हैं। भारत की नदियां UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2023 में भाग लेने वाले उम्मीदवारों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय हैं। इस लेख में हम आपको भारत की नदी प्रणाली के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। इससे आपको यूपीएससी परीक्षा 2023 के साथ-साथ अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी मदद मिलेगी।

यहां हम भारतीय नदियों और आईएएस परीक्षा 2023 में उनकी भूमिका पर चर्चा करेंगे। भारत की प्रमुख नदी प्रणालियों के बारे में अंग्रेजी में पढ़ने के लिए The Major Indian River Systems पर क्लिक करें।

आप अपनी IAS परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले UPSC Prelims Syllabus in Hindi को गहराई से समझ लें और उसके अनुसार अपनी तैयारी की योजना बनाएं।

नोट- UPSC 2023 परीक्षा नजदीक आ रही है , इसलिए आप अपनी तैयारी को बढ़ाने के लिए BYJU’S के The Hindu Newspaper के दैनिक वीडियो विश्लेषण का उपयोग करें।

प्रमुख भारतीय नदी प्रणालियों की सूची- नदियां और उनका उद्गम

भारत की अधिकांश नदियां अपना जल बंगाल की खाड़ी में गिराती हैं। कुछ नदियां देश के पश्चिमी भाग से होकर बहती हैं और अरब सागर में मिल जाती हैं। अरावली पर्वतमाला के उत्तरी भाग, लद्दाख के कुछ भाग और थार मरुस्थल के शुष्क क्षेत्रों में अंतर्देशीय जल निकासी है। भारत की सभी प्रमुख नदियां तीन मुख्य जलसंभरों में से एक से निकलती हैं। ये जलसंभर हैं –

  • हिमालय और काराकोरम श्रेणी
  • छोटा नागपुर पठार और विंध्य और सतपुड़ा रेंज
  • पश्चिमी घाट
नदी प्रणाली कुल लंबाई भारत में लंबाई
सिंधु नदी प्रणाली 3180 किमी 700 किमी
ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली 2900 किमी 916 किमी
गंगा नदी प्रणाली 2510 किमी 2510 किमी
यमुना नदी प्रणाली 1376 किमी 1376 किमी
नर्मदा नदी तंत्र 1312 किमी 1312 किमी
तापी नदी प्रणाली 724 किमी 724 किमी
गोदावरी नदी प्रणाली 1465 किमी 1465 किमी
कृष्णा नदी प्रणाली 1400 किमी 1400 किमी
कावेरी नदी प्रणाली 805 किमी 805 किमी
महानदी नदी तंत्र 851 किमी 851 किमी

प्रमुख नदी प्रणाली – सिंधु नदी प्रणाली

  • सिंधु मानसरोवर झील के पास तिब्बत में कैलाश श्रेणी के उत्तरी ढलान से निकलती है।
  • भारत और पाकिस्तान दोनों में इसकी बड़ी संख्या में सहायक नदियां हैं और स्रोत से कराची के पास बिंदु तक इसकी कुल लंबाई लगभग 3180 किमी है जहां यह अरब सागर में गिरती है। इसकी लगभग 700 किमी लंबाई भारत में स्थित है।
  • यह जम्मू और कश्मीर में भारतीय क्षेत्र में एक सुरम्य कण्ठ बनाकर प्रवेश करती है।
  • कश्मीर क्षेत्र में, यह कई सहायक नदियों – जस्कर, श्योक, नुब्रा और हुंजा के साथ जुड़ती है।
  • यह लेह में लद्दाख रेंज और जास्कर रेंज के बीच बहती है।
  • यह अटॉक के पास 5181 मीटर गहरी खाई के माध्यम से हिमालय को पार करती है, जो नंगा पर्वत के उत्तर में स्थित है।
  • भारत में सिंधु नदी की प्रमुख सहायक नदियां झेलम, रावी, चिनाब, ब्यास और सतलज हैं।

प्रमुख नदी प्रणाली – ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली

  • ब्रह्मपुत्र मानसरोवर झील से निकलती है, जो सिंधु और सतलुज का भी स्रोत है।
  • यह 2900 किलोमीटर लंबी है, इसकी लंबाई सिंधु नदी से थोड़ी सी अधिक है।
  • इसका अधिकांश मार्ग भारत के बाहर स्थित है।
  • यह पूर्व दिशा में हिमालय के समानांतर बहती है। जब यह नामचा बरवा तक पहुंचती है, तो यह इसके चारों ओर एक यू-टर्न लेती है और अरुणाचल प्रदेश राज्य में भारत में प्रवेश करती है।
  • यहां इसे दिहांग नदी के नाम से जाना जाता है। भारत में, यह अरुणाचल प्रदेश और असम राज्यों से होकर बहती है और कई सहायक नदियों द्वारा जुड़ी हुई है।
  • असम में ब्रह्मपुत्र की अधिकांश लंबाई में एक लट चैनल में है। 

ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्बत में त्संगपो के नाम से जाना जाता है। यहां इसे पानी काफी कम मात्रा में प्राप्त होता है इसलिए तिब्बत क्षेत्र में इसमें कम गाद होती है। लेकिन भारत में, ब्रह्मपुत्र नदी भारी वर्षा के क्षेत्र से होकर गुजरती है, और इस तरह, ब्रह्मपुत्र नदी वर्षा के दौरान बड़ी मात्रा में पानी और महत्वपूर्ण मात्रा में गाद बहाती है। यह आयतन की दृष्टि से भारत की सबसे बड़ी नदियों में से एक मानी जाती है। यह असम और बांग्लादेश में आपदा पैदा करने के लिए भी जानी जाती  है।  

प्रमुख नदी तंत्र – गंगा नदी तंत्र

  • गंगा गंगोत्री ग्लेशियर से भागीरथी के रूप में निकलती है।
  • गढ़वाल मंडल में देवप्रयाग पहुंचने से पहले, मंदाकिनी, पिंडर, धौलीगंगा और बिशेनगंगा नदियां अलकनंदा में और भेलिंग नाला भागीरथी में मिल जाती हैं।
  • पिंडर नदी पूर्वी त्रिशूल से निकलती है और नंदादेवी कर्ण प्रयाग में अलकनंदा से मिलती है। मंदाकिनी रुद्रप्रयाग में मिलती है।
  • भागीरथी और अलकनंदा दोनों का जल देवप्रयाग में गंगा के नाम से बहता है।

भारत के हिमालयी राज्य उत्तराखंड में, विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और देवप्रयाग नाम के पंच प्रयाग हैं। उत्तराखंड के ये प्रसिद्ध पंच प्रयाग यहां की मुख्य नदियों के संगम पर स्थित हैं। भारत में नदियों को देवी का रूप माना जाता है, इसलिए नदियों के संगम को बहुत ही पवित्र माना जाता है। गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल प्रयाग को भारत में बहुत पवित्र माना गया है। प्रयाग के बाद गढ़वाल क्षेत्र के संगमों को सबसे पवित्र माना गया है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जिस जगह नदियों का संगम होता है उसे प्रमुख तीर्थ स्थल के रुप में माना जाता है। इन स्थलों पर कई संस्कार भी किए जाते हैं। 

गंगा की प्रमुख सहायक नदियां- यमुना, दामोदर, सप्त कोसी, राम गंगा, गोमती, घाघरा और सोन नदी हैं। गंगा नदी अपने स्रोत से 2525 किमी की दूरी तय करने के बाद बंगाल की खाड़ी में मिलती है।

नोट: आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए BYJU’S के साथ जुडें , यहां हम प्रमुख जानकारियों को आसान तरीके से समझाते हैं।

प्रमुख नदी तंत्र – यमुना नदी प्रणाली

  • यमुना नदी गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
  • यह उत्तराखंड में बंदरपूंछ चोटी पर यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है।
  • नदी में शामिल होने वाली मुख्य सहायक नदियों में सिन, हिंडन, बेतवा केन और चंबल शामिल हैं।
  • टोंस यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
  • नदी का जलग्रहण क्षेत्र दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश तक फैला हुआ है।

प्रमुख नदी तंत्र – नर्मदा नदी प्रणाली

  • नर्मदा मध्य भारत में स्थित एक नदी है।
  • यह मध्य प्रदेश राज्य में अमरकंटक पहाड़ी के शिखर से निकलती है।
  • यह उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच पारंपरिक सीमा रेखा को रेखांकित करती है।
  • यह प्रायद्वीपीय भारत की प्रमुख नदियों में से एक है। केवल नर्मदा, ताप्ती और माही नदियां ही पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं।
  • नर्मदा नदी मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों से होकर बहती है।
  • यह गुजरात के भरूच जिले में अरब सागर में गिरती है।

प्रमुख नदी तंत्र – तापी नदी प्रणाली

  • यह एक मध्य भारतीय नदी है। यह पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली प्रायद्वीपीय भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है।
  • यह दक्षिणी मध्य प्रदेश के पूर्वी सतपुड़ा रेंज से निकलती है।
  • यह अरब सागर के कैम्बे की खाड़ी में बहने से पहले मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र, पूर्वी विदर्भ क्षेत्र और महाराष्ट्र के खानदेश जैसे दक्कन के पठार और दक्षिण गुजरात के उत्तर-पश्चिम कोने में कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थानों से होकर पश्चिम दिशा में बहती है।
  • तापी नदी का बेसिन ज्यादातर महाराष्ट्र राज्य के पूर्वी और उत्तरी जिलों में स्थित है।
  • तापी नदी मध्य प्रदेश और गुजरात के कुछ जिलों को भी कवर करती है।
  • तापी नदी की प्रमुख सहायक नदियां- वाघुर नदी, अनेर नदी, गिरना नदी, पूर्णा नदी, पंजारा नदी और बोरी नदी हैं।

प्रमुख नदी तंत्र –  गोदावरी नदी प्रणाली

  • गोदावरी नदी भूरे रंग के पानी के साथ भारत की दूसरी सबसे लंबी धारा है।
  • गोदावरी नदी को अक्सर दक्षिण की गंगा या वृद्ध (पुरानी) गंगा भी कहा जाता है।
  • यह एक मौसमी नदी है, जो गर्मियों के दौरान सूख जाती है और मानसून के दौरान चौड़ी हो जाती है।
  • यह नदी महाराष्ट्र में नासिक के पास त्र्यंबकेश्वर से निकलती है।
  • यह मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा राज्यों के माध्यम से दक्षिण-मध्य भारत में दक्षिण-पूर्व में बहती है, और बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
  • गोदावरी नदी राजमुंदरी में एक उपजाऊ डेल्टा बनाती है।
  • इस नदी के किनारों पर कई तीर्थ स्थल हैं, नासिक (महाराष्ट्र), भद्राचलम (तेलंगाना), और त्र्यंबकेश्वर आदि स्थित है। इसकी कुछ सहायक नदियों में प्राणहिता (पेनुगंगा और वर्दा का संयोजन), इंद्रावती नदी, बिन्दुसार, सबरी और मंजीरा नदि शामिल हैं।
  • एशिया का सबसे बड़ा रेल-सह-सड़क पुल जो कोवूर और राजमुंदरी को जोड़ता है, गोदावरी नदी पर ही स्थित है।

प्रमुख नदी तंत्र – कृष्णा नदी प्रणाली

  • कृष्णा भारत की सबसे लंबी नदियों में से एक है, जो महाराष्ट्र में महाबलेश्वर से निकलती है।
  • यह सांगली से होकर बहती है और बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
  • यह नदी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों से होकर बहती है।
  • तुंगभद्रा नदी इसकी मुख्य सहायक नदी है जो स्वयं पश्चिमी घाट से निकलने वाली तुंगा और भद्रा नदियों से बनती है।
  • दुधगंगा नदियां, कोयना, भीमा, मल्लप्रभा, दिंडी, घाटप्रभा, वारना, येरला और मुसी कुछ अन्य सहायक नदियां हैं।

प्रमुख नदी तंत्र – कावेरी नदी प्रणाली

  • यह पश्चिमी घाट में स्थित तालकावेरी से निकलती है।
  • यह कर्नाटक के कोडागु जिले में एक प्रसिद्ध तीर्थ और पर्यटन स्थल है।
  • कावेरी नदी का उद्गम कर्नाटक राज्य के पश्चिमी घाट रेंज में है, और कर्नाटक से तमिलनाडु के माध्यम से है।
  • कावेरी नदी बंगाल की खाड़ी में गिरती है। यह नदी कृषि के लिए सिंचाई जल उपलब्ध कराती है और यह दक्षिण भारत के प्राचीन राज्यों और आधुनिक शहरों की जीवन रेखा मानी जाती है।
  • कावेरी नदी की कई सहायक नदियां हैं, जिनमें अर्कवती, शिमशा, हेमवती, कपिला, शिमशा, होन्नुहोल, अमरावती, लक्ष्मण कबिनी, लोकपावनी, भवानी, नोय्याल और तीर्थ शामिल है।

प्रमुख नदी तंत्र – महानदी नदी प्रणाली

  • महानदी मध्य भारत के सतपुड़ा रेंज से निकलती है और यह पूर्वी भारत की प्रसिद्ध नदी है।
  • यह पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। महानदी, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड और उड़ीसा राज्य से होकर गुजरती है।
  • सबसे बड़ा बांध, हीराकुंड बांध महानदी पर ही बनाया गया है।

कावेरी नदी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

कावेरी नदी में कितने बांध हैं.

कावेरी नदी पर कर्नाटक में चार प्रमुख बांध है- कृष्णा राजा सागर (केआरएस), काबिनी, हरंगी और हेमवती हैं।

क्या कावेरी एक बारहमासी नदी है?

कावेरी एक बारहमासी नदी है क्योंकि कावेरी की निचली पहुंच नमी युक्त उत्तर-पूर्वी मानसूनी हवाओं के मार्ग में पड़ती है। अधिकांश अन्य प्रायद्वीपीय नदियों में केवल दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान पानी आता है।

कावेरी नदी क्यों सूख रही है?

वनों की कटाई, सिंचाई और कृषि परियोजनाओं ने पश्चिमी घाट के जंगलों को खत्म कर दिया है। इसलिए यहां की मिट्टी, अपने अंदर पानी को बनाए रखने की अपनी क्षमता खो चुकी है। नतीजतन नदी सूखती जा रही है।

भारत की सबसे बड़ी नदी प्रणाली कौन सी है?

गंगा नदी प्रणाली, भारत की सबसे बड़ी नदी प्रणाली है। सिंधु बेसिन में ग्लेशियरों की सबसे बड़ी संख्या (3500) है, जबकि गंगा और ब्रह्मपुत्र बेसिनों में क्रमशः लगभग 1000 और 660 ग्लेशियर हैं।

भारत में दो प्रकार की नदियां कौन सी होती हैं?

भारतीय नदियों को इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है – हिमालयी नदियां और प्रायद्वीपीय नदियां।

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essay on river in hindi

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10 Lines River in Hindi | नदी पर 10 लाइन निबंध

In this article, we are providing 10 Lines on River in Hindi for students and kids for classes 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12. हिंदी में नदी पर 10 वाक्य | पंक्तियाँ, Short essay on river in hindi 10 lines.

10 Lines River in Hindi | नदी पर 10 लाइन निबंध

( Set-1 ) 10 Lines on River in Hindi for kids

1. नदी एक प्रकृति रूप से बहने वाला जल है।

2. यह जल का एक सामान्य स्त्रोत है।

3. यह पहाड़ो से निकलती है।

4. नदियों का जल बहुत स्वच्छ होता है।

5. जंगलो मे जानवर नदी के पानी से प्यास बुझाते है।

6. कृषि कार्यो मे भी इसका प्रयोग किया जाता है।

7. लोग इसमें कपडे धोते है और स्नान करते है।

8. गाँव मे रहने वाले लोग पूरी तरह नदियों के जल पर निर्भर रहते है।

9. गंगा , यमुना , कावेरी, कृष्णा आदि भारत की प्रसिद्ध नदियाँ है।

10. हमे नदियों को दूषित होने से बचाना चाहिए।

जरूर पढ़े-

Essay on Nadi Ki Atmakatha in Hindi

Essay on Waterfall in Hindi

( Set-2 ) 10 Lines on River in Hindi for kids

1. भारत में नदियों को भगवान का दर्जा दिया गया है।

2. नदी,पानी का एक बहुत बड़ा संसाधन है, जो हमारे बहुत से कामों में आता हैं।

3. नदियों से हमे पीने के लिए साफ़ पानी और खेतों के लिए सिंचाई का पानी भी मिलता है।

4. नदियों के तेज धाराओं से बिजली भी बनाई जाती है।

5. इस दुनियाँ की सबसे लंबी नदी का नाम नील है

6. जब पर्वतों पर जमी बर्फ पिघलती हैं तब वो नदियों का रूप ले लेती हैं।

7. नदियों में बहुत अलग अलग प्रकार के जीव जन्तु भी रहते हैं।

8. आज के समय में लोग नदियों को बहुत ही ज्यादा प्रदूषित कर रहे है।

9. नदियों के बीना हमारा जीवन इस धरती पर संभव नहीं है।

10. जिस देश में नदियों का अभाव होता है, उस देश में कभी भी पूर्ण रूप से हरियाली नही आती।

Water is Life Essay in Hindi

10 Lines on Save Water in Hindi

Save Water Essay in Hindi

इस लेख के माध्यम से हमने Ten lines on River in Hindi Essay का वर्णन किया है और आप यह article को नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

Nadi ke bare mein 10 line lines on river in hindi River par lines

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नर्मदा नदी पर निबंध Narmada river essay in hindi

Narmada river essay in hindi.

दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं भारत की पांचवीं सबसे बड़ी नदी नर्मदा नदी के बारे में। आप इसे जरूर पढ़ें और नर्मदा नदी के बारे में पूरी जानकारी लें तो चलिए पढ़ते हैं आज के इस लिखित लेख को

Narmada river essay in hindi

नर्मदा नदी भारत की पांचवीं सबसे बड़ी नदी मानी जाती है, नर्मदा नदी को रेवा भी कहा जाता है। नर्मदा नदी का जन्म दिवस माघ शुक्ल की सप्तमी को होता है इनके जन्म दिवस को हम सभी नर्मदा जयंती महोत्सव के रूप में काफी धूमधाम से मनाते हैं। भारत देश की 4 नदियों को  चार वेदों के रूप में जाना जाता है इसी तरह नर्मदा नदी को सामवेद के रूप में जाना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि नर्मदा नदी के तट पर कार्तवीर्य अर्जुन ने रावण को हरा दिया था। नर्मदा नदी का उद्गम स्थल अमरकंटक है यह अमरकंटक मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में है, अमरकंटक एक ऐसा तीर्थ स्थल है जहां पर तरह-तरह के प्रसिद्ध मंदिर है एवं वहां का वातावरण वास्तव में हम सभी को जरूर देखने जाना चाहिए।

कई पर्यटक वहां के रमणीय वातावरण एवं तीर्थ स्थलों को देखने के लिए आते हैं। अमरकंटक शुरू से ही ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रही है ऐसा कहा जाता है कि अमरकंटक के एक कुंड से ही नर्मदा नदी का उद्गम हुआ वास्तव में नर्मदा नदी का उद्गम स्थल काफी प्रसिद्ध है।

नर्मदा नदी के इस उद्गम स्थल तक पहुंचने के लिए आप अलग-अलग मार्गों से जा सकते हैं। यदि आप सड़क मार्ग से यहां जाना चाहते हैं तो यह मार्ग मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ की सड़कों से जुड़ा हुआ है।

सबसे अच्छा मार्ग बिलासपुर की सड़क से होते हुए जाता है जो बहुत ही अच्छा है इसी तरह यदि आप रेल मार्ग के द्वारा जाना चाहते हैं तो आप बिलासपुर के रेलवे स्टेशन से अमरकंटक की ओर जा सकते हैं। नर्मदा नदी एक पवित्र नदी है यह हमारे पापों को दूर करती है। हम सभी नर्मदा नदी की पूजा अर्चना करते हैं।

नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवन रेखा भी कहा जाता है हमारे भारत देश में प्रमुख 7 नदियां हैं इनमें से नर्मदा नदी भी एक प्रमुख नदी है, जो काफी प्रसिद्ध है। नर्मदा नदी के उद्गम स्थल को देखने के लिए श्रद्धालु सिर्फ भारत से ही नहीं विदेशों से भी आते हैं।

अमरकंटक काफी प्रसिद्ध स्थल है हम सभी को अपने जीवन काल में यहां पर दर्शन करने के लिए जरूर जाना चाहिए। नर्मदा जयंती महोत्सव के दिन तो यहां पर और भी बहुत ज्यादा भीड़भाड़ होती है, लोग भारी संख्या में इस दिन दूरदराज से आते हैं और अपने नेत्रों का लाभ उठाते हैं।

नर्मदा नदी के जल से पितरों का तर्पण भी किया जाता है एवं कई तरह की मान्यताएं ऐसी हैं जो मानव जाति के कल्याण के लिए है। ऐसा भी कहा जाता है कि नर्मदा नदी हम सभी की परेशानियों को दूर करती हैं एवं पति पत्नी के दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाने में मदद करती हैं।

जिस व्यक्ति को भी ग्रह दोष होते हैं नर्मदा नदी उनके इन दोषों को दूर करती है वास्तव में नर्मदा नदी एक पवित्र नदी हैं हम सभी को नर्मदा नदी मैं स्नान आदि जरूर करना चाहिए और अपने जीवन में आ रही परेशानियों को दूर करना चाहिए।

नर्मदा नदी एक हिसाब से देखें तो काफी उपयोगी भी है नर्मदा नदी के जल के द्वारा कृषि को सिंचित किया जाता है, ये कृषि के लिए बहुत ही उपयोगी है।

  • नर्मदा बचाओ आंदोलन का इतिहास व् निबंध Narmada bachao andolan history in hindi language
  • अमरकंटक नर्मदा नदी का उद्गम स्थल Amarkantak tourism in hindi

दोस्तों नर्मदा नदी पर हमारे द्वारा लिखा यह आर्टिकल Narmada river essay in hindi आपको पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें धन्यवाद।

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हिंदी कोना

10 Lines on River in Hindi । नदी पर 10 लाइन निबंध

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मीठे मीठे जल का प्रमुख स्रोत नदी है हमारी पृथ्वी में 75% पानी है और 25% भूमि है, जिस पर मनुष्य निवास करता है।  खारा पानी हमारे किसी काम का नहीं रोजाना की जरूरतों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए हमें मीठे पानी की जरूरत होती है।  हम जानते हैं कि मानव शरीर का लगभग एक तिहाई भाग पानी से बना है अर्थात एक मनुष्य को पीने के लिए औसतन 2 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।  पानी पीने के अलावा नहाने, घर धोने, बर्तन धोने ,कपड़े धोने तथा घर की साफ सफाई के लिए भी हमें जल की आवश्यकता होती है । अर्थात जल ही हमारा जीवन है । केवल मनुष्यों को ही नहीं बल्कि समस्त जीव-जंतुओं को पानी की आवश्यकता होती है ।

Table of Contents

River in Hindi

मीठे पानी का मुख्य स्रोत नदी है । नदियों के अलावा तालाब, कुआ और हैंडपंप इत्यादि भी मीठे पानी का स्रोत है । पर इस लेख के माध्यम से हम नदियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे ।

नदियों की उत्पत्ति

नदियों की उत्पत्ति का प्रमुख स्रोत पर्वत है । पर्वतों की चोटी पर जमी बर्फ धीरे-धीरे पिघलते हैं और नदियों का रूप धारण करते हैं । विश्व का केवल 3% पानी मीठा है जिसका हम उपयोग करते हैं । आइए जानते हैं कि विश्व के प्रमुख पर्वत श्रृंखला और उन से निकलने वाली नदियों के नाम

विक्टोरिया झील नील  नदी भूमध्य सागर
पेरू ग्लेसियर अमेज़ॉन अटलांटिक महासागर
रेड रॉक मिस्सिप्पी मेक्सिको की खाड़ी
तिब्बत चंग जियांग चीन सागर
अल्ताई पर्वत ओब नदी ओब की खाड़ी
 गंगोत्री गंगा बंगाल की खाड़ी
उराल पर्वत  उराल नदी केस्पियन सागर
तिब्बत सिंधु नदी अरब सागर
चम्यायुंग दंग ब्रम्हपुत्र गंगा नदी
 वल्दी पठार वोल्गा नदी केस्पियन सागर

  नदियों का उद्गम स्थान पर्वत है । पर्वतों से बहते हुए नदी अपने   बाल्यावस्था  में रहती है। जैसे बालक चंचल होता है उसी प्रकार नदी इस अवस्था में अपनी चंचलता लिए रहती है और जहां जहां इसे ढलान मिलता है । यह अपना मार्ग तय कर लेती है । रास्ते की हर कठिनाइयों का सामना करते हुए खुद अपना मार्ग प्रशस्त करती है । एक नदी की यात्रा यहां से ही शुरू होती है । नदी बहते- बहते अपने दूसरे पड़ाव पर आती है, जहां इसकी धारा बहुत तेज हो जाती है । सबसे अब यह पर्वतों से होकर मैदानों की तरफ आती है और पत्थरों को काटकर तथा मैदानों को चीर कर अपना रास्ता बनाती है । यहां नदियों में थोड़ी स्थिरता आती है । इस समय नदियां अपने यौवन अवस्था तक पहुंचती हैं । तत्पश्चात नदियां विभिन्न शाखाओं में विभक्त हो जाती हैं तथा अनेक नामों से जानी जाती है । जिस रास्ते से गुजरती है । उस भूमि को उर्वर बनाती हैं । अब नदियां चौड़ी हो जाती हैं तथा उनमें एकदम स्थिरता आ जाती है । इस इस समय नदियां अपने प्रौढ़ावस्था में होती हैं । एक प्रौढ़ व्यक्ति की भांति नदियों में स्थिरता तथा गंभीरता जाती है। वह बिल्कुल शांत हो जाती हैं। इस स्थान पर नदियों का पानी भी बहुत गहरा होता है। इसके बाद नदियां अपने वृद्धावस्था में पहुंचती है और अंततः सागर में समा जाती है ।नदियों की यात्रा कि यह अंतिम पड़ाव होती है। यहां नदियों के मुहाने और अधिक चौड़े हो जाते हैं। नदियों का कल- कल आवाज बिल्कुल शांत हो जाता है और अंततः अपनी यात्रा पूरी करने के बाद यह सागर में विलीन हो जाती है।

 विश्व की जितनी भी सभ्यताएं हुई हैं ।सब में एक ही बात सामान्य थी कि यह नदियों के किनारे विकसित हुए । सभ्यताओं के नदियों के किनारे विकसित होने के कारण क्या थे आइए जानते हैं-

1)   खेती के लिए पानी की आपूर्ति की सुविधा

2)   पीने तथा दूसरे क्रियाकलापों में सुविधा

3)   पशुओं को पानी पिलाने तथा तथा नहलाने की सुविधा

4)      मिट्टी का उर्वर होना यातायात करने में सुविधा

लोगों ने तब तक तालाब भी बनाना सीख लिया था ,जिसका प्रमाण हमें हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में मिलता है। नदियां दो प्रकार की होती हैं  -पर्वतों के बर्फ पिघल कर निकलने वाली नदियां और बारिश के पानी से निकलने वाली नदियां

पहली नंबर वाली नदियां ही दुनिया में अधिक पाई जाती हैं। नदियां मीठे जल का स्रोत होती है। बरसात के दिनों में नदियों में बाढ़ आना आम बात है, पर बाढ़ चले जाने के बाद नदियां मिट्टी की उर्वरता को बढ़ा देती है। भारत में तो नदियों की पूजा भी की जाती है। नदियां हमारे लिए बेहद उपयोगी मीठे जल का स्रोत है ।सोचिए अगर नदियां ही पूरी धरती से विलुप्त हो जाएं तो क्या होगा ? कल्पना मात्र से भी डर लगता है ना ! मीठे जल का स्रोत धीरे-धीरे घटने लगा है। मीठे पानी का स्तर अब और भी नीचे चला गया है। हमें याद रखना होगा कि मीठा जल केवल 3% ही दुनियाभर में पाया जाता है ।इसलिए इसका उपयोग भी हमें सोच समझ कर करना चाहिए। हम पानी को बगैर सोचे समझे लापरवाही से प्रयोग करते हैं। अक्सर रास्तों में कॉरपोरेशन वाले नल बहते ही रहते हैं ,तब बेहद कष्ट होता है उन लोगों के बारे में सोच कर जिन्हें मीलों का सफर तय करके एक मटका पानी मिलता है ।अभी भी भारत वर्ष में ऐसे राज्य हैं जिन्हें मीठे पानी के लिए को सोचना पड़ता है या सरकारी कॉरपोरेशन के नलों पर घंटों लाइन में लगकर पानी लाना पड़ता है। यह समस्या केवल हमारी आपकी नहीं है, पूरे भारतवर्ष की है। नदियों से हमें काफी कुछ मिला है ।नदियां बहुत से सभ्यताओं की साक्षी रही है। बहुत से महानगर नदियों के किनारे ही विकसित हो गए हैं ।भारत की प्रमुख नदियों के नाम निम्नलिखित है –गंगा, यमुना, सरस्वती, सतलुज, गोमती, हुगली, दामोदर, ताप्ती, तीस्ता पद्मा, सिंधु, ब्रम्हपुत्र, नर्मदा तथा कावेरी । आज इस लेख में आप “ 10 Lines on River in Hindi”  पढ़ेंगे।

10 Lines on River in Hindi

  • नदियों का उद्गम श्रोत पर्वत है। विश्व भर की अधिकांश नदियाँ इसी प्रकार निकली है।
  • नदियाँ दो प्रकार की होती है – पर्वतों के हिम से पोषित और बर्षा द्वारा पोषित ।
  • पर्वतों से बहते समय ये अपनी बाल्यावस्था में होती है। यह बहुत ही चंचल होती है तथा संकीर्ण भी।
  • अपनी बाल्यावस्था में ये कल -कल की आवाज़ करते हुए झरनो के रूप में बहती है।
  • अपनी युवावस्था तक आते -आते ये स्थल पर आती है और जहाँ ढलान मिलता है वहां ये बहने लगती है।
  • प्रौढ़ावस्था तक आते -आते इनमे काफी ठहराव और स्थिरता आ जाती है तथा इसके मुहाने और भी चौड़े हो जाते है।
  • मुख्य नदी बहुत सी शाखाओं में बँट जाती है। और भिन्न -भिन्न नामो से जानी जाती है।
  • गंगा भारत कीसब से पवित्र नदी है।
  • बाढ़ आने पर नदियाँ विकराल रूप धारण कर लेती है और फसलों तथा गावों का सत्यानाश कर देती है।
  • बाढ़ चले जाने की बाद भूमि अधिक उपजाऊ हो जाती है।

5 Lines on River in Hindi

  • नदियाँ मीठे पानी का मुख्य श्रोत है।
  • विश्व में केवल 3 % पानी ही मीठा है।
  • मीठे पानी का संचय हमारा दायित्व है।
  • विश्व में जितनी भी सभ्यताएँ हुई है, सभी नदी किनारे हुई है।
  • नदियों के किनारे बड़े- बड़े महानगर बसे हुए है।

हमें आशा है आप सभी लोगों को River in Hindi  पर लिखा यह छोटा सा लेख पसंद आया होगा । आप इस लेख को  10 Lines about River in Hindi  के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं।

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FAQ on River in Hindi

Question- नदियाँ मीठे जल का मुख्य श्रोत है। कैसे? Ans-हमारी धरती का 75 % भाग खारे जल से भरा है,जो हमारे किसी काम का नहीं। केवल 3% ही मीठा जल पाया जाता है ,जिसका हम प्रयोग करते है। ऊंचे पर्वत श्रृंखला पर जमे हिम से पिघलकर नदियाँ बनती है। नदियाँ हमें पीने का जल से लेकर रोज़मर्रा की सभी ज़रूरतों को पूराकरतीहै। इसलिए नदियाँ ही मीठे पानी का मुख्य श्रोत है।

Question- नदियों का विलय कहाँ होता है? Ans-पर्वतो से निकल नदियाँ मैदानों,पठारों और समतल भूमि से निकलती है। जहाँ भी इसे ढलान मिलता है,ये बहती चली जाती है। नदियाँ केवल पानी ही नहीं धोती, बल्कि छोटे -छोटे पत्थरो के टुकड़े भी धोती है। अपनी लम्बी यात्रा पूरी होने के बाद ये सीधे समुद्र में पहुँचती है।

Question- नदियों की उपयोगिता के बारे में पाँच पंक्तियाँ लिखे। नदियों की उपयोगिता निम्नलिखित है – 1) नदियाँ मीठे पानी का मुख्य श्रोत है। 2)विश्व की जनसँख्या को नदियाँ ही पोषित करती है। 3)नदियों में मीठे जल की मछलियों का वास होता है। इन मछलियों को खाना लाभदायक है। 4)नदियों में कई प्रकार की खेल प्रतियोगताओं का आयोजन किया जाता है। 5)नदियाँ भूमि की नमी को बरक़रार रखती है।

Question- दुनिया की सबसे बड़ी नदी कौन सी है? Ans- दुनिया की सबसे बड़ी नदी अफ्रीका की नील नदी है,जो की विक्टोरिया झील से निकलकर भूमध्य सागर में विलय हो जाती है। इसकी लम्बाई 6650 किलोमीटर है।

Question- गंगा को हिन्दुओं का पवित्र नदी क्यों माना जाता है? Ans- गंगा भारत की सबसे बड़ी नदी है तथा अलग अलग स्थानों में भिन्न -भिन्न नामो से जानी जाती है। ये हिमालय के गंगोत्री से निकलकर हरिद्वार, इलाहबाद, पटना, प्रयागराज, कानपूर, वाराणसी तथा अंत में पश्चिम बंगाल से होते हुए बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करती है। ऐसा माना जाता है की भगीरथ के अथक प्रयास से ये धरती पर आयी। इसकी लम्बाई 2510 किलोमीटर है। हिन्दुओं के हर पूजन में गंगा जल का प्रयोग होता है। कई जगह तो इसकी आरती भी की जाती है। इस जल की विशेषता यह है की इसमें कभी कीड़े नहीं लगते।

दा इंडियन वायर

यमुना नदी पर निबंध

essay on river in hindi

By विकास सिंह

Essay on yamuna river in hindi

यमुना नदी पर निबंध (Essay on yamuna river in hindi)

भारत में नदियाँ केवल जल स्त्रोत ही नहीं हैं, बल्कि उन्हें ईश्वर और देवी के रूप में पूजा जाता है और पवित्र माना जाता है। इस तरह के सम्मान की स्थिति के बावजूद, नदियों को खुले सीवेज नालियों, पर्याप्त सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों की कमी, मिट्टी के कटाव और नदी के पानी में प्लास्टिक के कचरे को डंप करने आदि के कारण प्रदूषित किया जा रहा है, यमुना एक ऐसा उदाहरण जहां सफाई का हर प्रयास विफल रहा है।

यमुना नदी में कभी नीला पानी था, लेकिन अब यह नदी दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है, खासकर नई दिल्ली के आसपास का इसका हिस्सा। राजधानी अपना 58% कचरा नदी में बहा देती है। नदी के पानी में खतरनाक दर से प्रदूषक बढ़ रहे हैं। वे दिन दूर नहीं जब दिल्ली के घरों में पहले की तुलना में प्रदूषित पानी होगा। वर्तमान में दिल्ली के 70% लोग यमुना नदी का उपचारित पानी पी रहे है।

दिल्ली सीवेज के 1,900 मिलियन लीटर प्रति दिन (MLD) का उत्पादन कर रही है, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड (DJB) जो सीवेज के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है, शहर में उत्पन्न कुल सीवेज का केवल 54 प्रतिशत का संग्रह और उपचार कर रहा है। इसके अलावा भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने पाया है कि 32 में से 15 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अपनी क्षमताओं से नीचे काम कर रहे हैं।

यह यमुना नदी को पहले से कहीं अधिक तेज गति से प्रदूषित कर रहा है। शहरी आबादी में वृद्धि के अलावा नदी में प्रदूषण भी बढ़ रहा है। वहीं, यमुना के किनारे दिल्ली और शहरों में भूमिगत जल जल प्रदूषण के कारण प्रदूषित हो रहा है। अधिकारियों में से एक द्वारा यमुना नदी को “सीवेज नाली” भी माना जाता है।

यमुना अधिकांश प्रदूषित नदी क्यों है?

यमुना के पाँच खंड हैं- हिमालयी खंड (उद्गम से लेकर तजेवाला बैराज तक 172 किमी), ऊपरी खंड (ताजेवाला बैराज से वजीराबाद बैराज 224 किमी), दिल्ली सेगमेंट (वजीराबाद बैराज से ओखला बैराज 22 किमी), यूट्रीफाइड सेगमेंट (ओखला बैराज) 490 किलोमीटर), और पतला खंड (चंबल कंफ्लुएंस टू गंगा कॉन्फ्लुएंस 468 किलोमीटर)।

यमुना अपने दिल्ली खंड में सबसे अधिक प्रदूषित है। यमुना नदी पल्ला गाँव से दिल्ली में प्रवेश करती है। 22 नाले यमुना में गिरते हैं। इनमें से 18 नाले सीधे नदी में और 4 आगरा और गुड़गांव नहर के माध्यम से गिरते हैं।

पर्याप्त संख्या में सीवेज उपचार संयंत्रों की कमी के कारण यमुना के प्रदूषित में वृद्धि हुई है। इससे पहले यमुना का सबसे प्रदूषित हिस्सा दिल्ली में वज़ीराबाद से लेकर उत्तर प्रदेश के इटावा के बीच स्थित था। हाल ही में प्रदूषित भाग बढ़ गया है और अपने शुरुआती बिंदु को पानीपत, हरियाणा में स्थानांतरित कर दिया है। इसलिए 100 किलोमीटर प्रदूषित भाग को जोड़ा दिया गया है।

पिछले दो दशकों में यमुना की सफाई के लिए 6,500 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं। लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि यमुना का प्रदूषित भाग 500 किमी से बढ़कर 600 किमी हो गया है। जलीय जीवन का समर्थन करने के लिए, पानी में 4.0 मिलीग्राम / लीटर भंग ऑक्सीजन होना चाहिए। दिल्ली में वज़ीराबाद बैराज से आगरा तक यमुना में इसकी सीमा 0.0 मिलीग्राम / लीटर और 3.7 मिलीग्राम है।

जल प्रदूषण को इसकी जैव रासायनिक ऑक्सीजन की मांग के स्तर को मापने के द्वारा मापा जाता है और अनुमेय सीमा 3 मिलीग्राम / लीटर या उससे कम होती है। जबकि यमुना के सबसे प्रदूषित भाग में 14 – 28 मिलीग्राम / एल बीओडी सांद्रता है। बीओडी बढ़ रही है क्योंकि कई अनुपचारित सीवेज नालियां हैं जो नदी में नालियों को डालती हैं।

निज़ामुद्दीन ब्रिज और आगरा के बीच यमुना के जलस्तर में जहरीले अमोनिया का स्तर अधिक है। पानीपत और आगरा के बीच स्ट्रेच में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का उच्च स्तर होता है। तीन बैराज यानि वजीराबाद बैराज, ITO बैराज और ओखला बैराज दिल्ली में यमुना नदी के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं।

यमुना नदी की सफाई के लिए कुछ कदम:

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की स्थापना, एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स (ईटीपी) की स्थापना, कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थापना, यमुना एक्शन प्लान, पर्यावरण जागरूकता अभियान दिल्ली सरकार द्वारा यमुना की सफाई के लिए की गई कुछ पहलें हैं। इसके अलावा इसकी गुणवत्ता के लिए पानी की नियमित जांच की जाती है।

यमुना एक्शन प्लान (YAP) – यमुना की सफाई के लिए यमुना एक्शन प्लान है। 1993 से जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी, जापान सरकार भारत सरकार को चरणों में यमुना को साफ करने में सहायता कर रही है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के 29 शहरों में 39 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट योजना के चरण I में बनाए गए थे। यमुना एक्शन प्लान I और II के तहत लगभग 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

परिणाम:

लेकिन यमुना की सफाई का हर लक्ष्य अब तक काम नहीं आया है और नदी अभी भी प्रदूषित है। सीवेज उपचार की अधिकांश सुविधाएं या तो कमज़ोर हैं या ठीक से काम नहीं कर रही हैं। इसके अलावा नदी में केवल बरसात के मौसम के दौरान ताजा पानी मिलता है और लगभग नौ महीने तक पानी लगभग स्थिर रहता है।

इससे हालत और बिगड़ जाती है। बिना किसी नतीजे के करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं। भ्रष्ट प्रशासन और लोगों का रवैया सफाई कार्यक्रमों को छिपाने के लिए पर्याप्त है। हमें एक व्यक्ति के रूप में नदी में कुछ भी नहीं फेंकने की जिम्मेदारी लेनी होगी।

[ratemypost]

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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एक नदी की आत्मकथा निबंध Autobiography of a River in Hindi हिन्दी

नदी की आत्मकथा निबंध Autobiography of a River in Hindi

इस लेख में आप एक नदी की आत्मकथा निबंध Autobiography of a River in Hindi हिन्दी में पढेंगे। यह स्कूल और कॉलेज के परीक्षाओं में पुछा जाता है। इस आत्मकथा में एक नदी स्वयं के विषय में बखान कर रही है।

Table of Content

मुझे कई अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, जैसे : नहर, सरिता, प्रवाहिनी, तटिनी, आदि। मैं मुख्यतः स्वभाव से चंचल हूं, पर कभी-कभी मद्धम भी हो जाती हूं।  

कल-कल करके बहती ही रहती हूं, निरंतर – बिना रुके, बिना अटके, बस चलती ही रहती हूं। मेरा जन्म पर्वतों में हुआ और वहां से झरनों के रूप में मैं आगे बढ़ती हूं और फिर बहते बहते बस सागर में जा मिलती हूं।

मनुष्य मुझसे अनेकों प्रकार से जुड़ा हुआ है,  या यूं कहूँ के मैं मनुष्य के लिए अति उपयोगी हूँ। मनुष्य के लिए मेरे क्या क्या उपयोग हैं ? चूंकि मेरे भीतर जीव जंतु पाए जाते हैं इसलिए मैं मनुष्य के लिए भोजन का स्त्रोत हूं, मैं ना जाने कितने ही लोगों का पेट भरती हूं।

मैं पर्यावरण में पारितंत्र का संतुलन भी बनाए रखती हूं। मेरे ही पानी द्वारा मनुष्य अपने उपयोग के लिए बिजली उत्पन्न करता है और उस बिजली से मशीनरी के ढेरों काम होते हैं।

मैं किसी एक क्षेत्र, एक राज्य या किसी एक देश से बंधी हुई नहीं हूं। मुझे कोई सरहद रोक नहीं सकती है। मैं बस पाई जाती हूं, मैं बस हूं, मौजूद हूं – हर जगह, हर क्षेत्र, राज्य, देश में – अलग-अलग रूपों में, भिन्न-भिन्न प्रकार से, विभिन्न नामों के साथ।

प्रकृति बहुत कुछ, बहुत से भी ज्यादा कुछ देती है, परंतु मूक रहती है, उन चीजों का कभी हिसाब नहीं लेती। परंतु मुझे इस संदर्भ में तकलीफ महसूस होती है, मेरे भी एहसास है, मुझे भी दुख-सुख महसूस होता है।

आज परिस्थितियां यह है कि नदियों का पानी अत्यंत दूषित हो चुका है। फैक्टरियों से निकला हुआ जहरीला पदार्थ, कचरा, मलबा, घरों के कूड़े से निकला हुआ प्लास्टिक , गंदगी, त्योहारों का जमा हुआ कचरा और ना जाने कितनी ही चीजें नदियों के पानी में मिलकर प्रदूषण फैला रही है।

इन सब बिंदुओं के विपरीत कुछ अच्छे पल, कुछ अच्छे लम्हे भी हैं मेरी झोली में। एक सुनसान खूबसूरत जंगल में बहते हुए, जब मैंने एक थके हुए राहगीर की प्यास बुझाई थी, तब बहुत अच्छा महसूस हुआ था।

बाग में खेलते हुए छोटे बच्चे ने जब मिट्टी में सने अपने छोटे-छोटे हाथ मुझमे धोए थे, छप-छप करके मेरे पानी के साथ खेल किया था, तब अत्यंत आनंद आया था।  

त्योहारों के वक्त में, जब मेरे आसपास भीड़ उमड़ती है, मेले लगते हैं, खूब रौनक होती है, सभी चेहरों पर मुस्कान होती है, तब बहुत अच्छा लगता है।

\त्योहारों में अलग ही खुशी होती है , सभी लोग: बच्चे, बूढ़े, जवान, महिलाएं, छोटी बच्चियां, लड़के – एक ही जगह एकत्रित होते हैं, भिन्न भिन्न प्रकार के व्यंजन बनते हैं, हर्ष उल्लास का पर्व सा होता है, यह सभी बहुत खुशनुमा लगता है।

परन्तु बहुत से पल ऐसे भी होते है, जब मन भाव विभोर हो जाता है। जीवन काल पूरा होने पर, जब मनुष्य मृत्यु की गोद में समा जाता है और मिट्टी का शरीर चिता पर जलने के बाद राख में बदल जाता है, बस राख रह जाती है। जीवंत होने पर जो व्यक्ति प्यारा होता है, मृत्यु के बाद उसी को चिता की आग दिखाते हैं और अस्थियां नदी में बहते हैं : यही कटु सत्य है।

और बस यही सबसे बड़ा फर्क है, मनुष्य और मुझ में; मैं कभी मरती नहीं हूँ, मेरी मृत्यु नहीं होती, और न ही मेरी कोई इच्छाएँ है। यह संभव ही नहीं है, चूँकि मेरी कोई जीवन अवधि नहीं होती है।

मैं प्रकृति की देन हूं और प्रकृति तो सदा ही रही है। मैं थी, मैं हूं और मैं रहूंगी। मेरे दम पर भिन्न भिन्न प्रकार के प्राणी जीवित है, मैं जीवन देती हूं। कोई ऐसी वस्तु नहीं, ऐसा हथियार नहीं, जो मेरे प्राण ले ले।

बस कहीं टूट कर बैठना नहीं है, कहीं ठहरना नहीं है, बस चलते चले जाना है – जीवन की बहती हुई धारा के संग, जैसे जैसे जीवन बहता चला जाए, बस उसी प्रकार अपने अस्तित्व को ढाल लेना है, परिस्थितियों के अनुसार।

मनुष्य के कार्यकलापों के कारण ही पारितंत्र का संतुलन खो चुका है। वनों की कटाई, बढ़ती हुई आबादी से निरंतर बढ़ता हुआ प्रदूषण : जल प्रदूषण , वायु प्रदूषण , थल प्रदूषण – इन्हीं सब परिस्थितियों के कारण ही आज हालात इतने खराब हैं।

आज दुनिया के हर कोने में, बाढ़ जैसे हालात आसानी से देखे जा सकते हैं। बाढ़ अपने आप में एक अत्यंत दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति हैं। हर ओर बस पानी ही पानी नजर आता है, पर पीने को एक बूंद भी नहीं मिलती। मकान, दुकानें, बाजार, सभी कुछ जलमग्न हो जाता है।

कारणवश, यह भी हो सकता है कि एक दिन ऐसा भी आए, के मेरा नीर ही सूख जाए और मुझ में जीवन ही ना रहे; इसलिए मनुष्य को मेरी यही सलाह होगी कि वह अपने आप पर काबू रखें, अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखें : वरना वह दिन दूर नहीं जब प्रकृति में हाहाकार मच जाएगा और जन जीवन कुछ भी नहीं बचेगा। 

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने एक नदी की आत्मकथा निबंध Autobiography of a River in Hindi हिन्दी में पढ़ा। आपको यह कैसा लगा कमेंट के माध्यम से ज़रूर बताएं।

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Essay On River

500 words essay on river.

Rivers are the backbone of human civilizations which provide freshwater that is the basic necessity for human life. We cannot live without water and rivers are the largest water bodies for freshwater. In fact, all civilizations in the past and present were born near river banks. In other words, they are veins of the earth that make life possible. Through an essay on rivers, we will take a look at their importance and how to save them.

essay on river

Importance of Rivers

We refer to rivers as the arteries of any country. No living organism can live without water and rivers are the most important source of water. Almost all the early civilizations sprang up on the river banks.

It is because, from ancient times, people realized the fertility of the river valleys. Thus, they began to settle down there and cultivate the fertile valleys. Moreover, rivers originate from mountains which carry down rock, sand and soil from them.

Then they enter plains and water keeps moving slowly from the mountainsides. As a result, they deposit fertile soil. When the river overflows, this fertile soil deposits on the banks of rivers. Thus, bringing fresh fertile soil constantly to the fields.

Most importantly, rivers help in agriculture. In fact, a lot of farmers depend on rivers for agricultural purposes. Rivers have the ability to turn deserts into productive farms. Further, we can use them for constructing dams as well.

Further, rivers also are important highways. That is to say, they offer the cheapest method of transport. Before road and railways, rivers were essential means of transportation and communication.

In addition, rivers bring minerals down from hills and mountains. We construct damns across the river for generating hydel power and also preserve the wildlife. Further, they also come in use for encouraging tourism and developing fisheries.

Save Rivers

As pollution is on the rise, it has become more important than ever to save rivers. We must take different measures to do so. First of all, we must use biodegradable cleaning products and not use chemical products for body washing.

Further, we must not waste water when we shower. After that, we must install the displacement device in the back of the toilet for consuming less water. It is also essential to turn the tap off while brushing or shaving.

Moreover, one must also switch off the lights and unplug devices when not in use. This way we save electricity which in turn saves water that goes into the production of electricity. Always remember to never throw trash in the river.

Insulating your pipes will save energy and also prevent water wastage. Similarly, watering the plants early morning or late evening will prevent the loss of water because of evaporation . Finally, try to use recycled water for a carwash to save water.

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Conclusion of the Essay on River

Rivers are essential as they are nature’s blessings for human beings. It provides us with so many things but nowadays, they are being polluted on a very large scale. We must all come together to prevent this from happening and saving our rivers for a better future.

FAQ of Essay on River

Question 1: What is the importance of rivers?

Answer 1: Rivers are important as they carry water and nutrients to areas all around the earth. Further, rivers play quite an important part of the water cycle, as they act as drainage channels for surface water. Most importantly, they provide excellent habitat and food for many of the earth’s organisms.

Question 2: How can we protect our rivers?

Answer 2: We can protect our rivers by segregating our household garbage into biodegradable and non-biodegradable waste. Moreover, volunteering with NGOs and community groups is also great option to save rivers from pollution.

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बाढ़ पर निबंध (Essay On Flood In Hindi)

Essay On Flood In Hindi

In this Article

बाढ़ पर 10 लाइन (10 Lines On Flood In Hindi)

बाढ़ पर निबंध 200-300 शब्दों में (short essay on flood in hindi 200-300 words), बाढ़ पर निबंध 400-600 शब्दों में (essay on flood in 400-600 words), बाढ़ के बारे में रोचक तथ्य (interesting facts about flood in hindi), बाढ़ के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है (what will your child learn from a flood essay), अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (faqs).

प्रकृति द्वारा पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों के जीवन यापन के लिए कई संसाधन मौजूद हैं। जब प्रकृति से छेड़छाड़ करते हैं तो उसके कई दुष्परिणाम हम ही को झेलने पढ़ते हैं। ऐसी ही एक आपदा बाढ़ के रूप में हम जानते हैं। यह स्थिति मानवीय और प्राकृतिक दोनों कारणों से पैदा हो सकती है। लगातार कई दिनों तक वर्षा होने से बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है जिसमें भारी नुकसान होने की संभावना होती है। यहां तक की भूखमरी के हालात पैदा हो जाते हैं और लोगों को आर्थिक तंगी और नुकसान से गुजरना पड़ता है। बाढ़ एक भयंकर आपदा है, जब मॉनसून में अधिक बारिश होने के कारण पानी जगह-जगह जमा होने लगता है, साथ ही उसकी निकासी का कोई सही इंतजाम नहीं किया जाता, तब यह पानी बाढ़ का रूप ले लेता है। जो क्षेत्र नदी के किनारे बसते हैं उनपर इनका अधिक प्रभाव देखा जाता है। जब नदी का बांध अधिक पानी के दवाब से टूट जाता है तो देश को बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ता है। नदी के आसपास मौजूद क्षेत्रों को बहुत नुकसान पहुंचता है और साथ ही कई लोगों की जान भी जाती है। अक्सर स्कूल, कॉलेज में निबंध प्रतियोगिता होती है और उसमें आपको बाढ़ के बारे में निबंध या भाषण लिखने के लिए कहा जाता है, तो उसके लिए आप इस लेख का सहारा ले सकते हैं।

बच्चों को बाढ़ के बारे में सामान्य जानकारी होगी लेकिन यदि उनको बाढ़ पर एक छोटा निबंध लिखना है तो वह इन 10 वाक्यों का उपयोग कर सकते हैं।

  • बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है, जिससे जनजीवन प्रभावित होता है।
  • अधिक बारिश की वजह से क्षेत्रों में पानी जमा होने लगता है तो वह बाढ़ की स्थिति उत्पन्न करता है।
  • कई बार ये आपदा प्राकृतिक तथा मानव द्वारा निर्मित होती है।
  • पेड़ों का कटना, प्रदूषण बढ़ना, ग्लोबल वार्मिंग आदि भी इसके अन्य कारण हैं।
  • बाढ़ आने के कई कारण हैं जैसे अधिक बारिश, बादल फटना, नदी में जल का स्तर बढ़ना आदि।
  • कई बार बाढ़ सुनामी और तूफान जैसा भयंकर रूप ले लेती है।
  • नदी के किनारे बसे शहर, गांव आदि पर बाढ़ का खतरा अधिक होता है।
  • बाढ़ के प्रकोप से जानवर, पक्षी, और लोगों की जानें भी जाती हैं।
  • इससे न सिर्फ जानमाल का नुकसान होता है, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ता है।
  • बाढ़ की चेतावनी देने वाली व्यवस्था हमेशा अच्छे से काम करने चाहिए ताकि लोगों को पहले से जागरूक किया जा सके।

बाढ़ के बारे में लिखने के लिए उसको बेहतर तरीके से जानने की जरूरत है और ऐसे में आप नीचे दिए गए निबंध की मदद ले सकते हैं।

बाढ़ एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिससे जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित होता है। इससे लोगों की जानें जाती है और देश के आर्थिक विकास पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। बाढ़ ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों को अधिक प्रभावित करती है क्योंकि वहां पानी की निकासी के लिए सही जगह नहीं होती है। बाढ़ के प्रकोप के कई कारण हैं, जैसे अधिक बारिश, किसी बांध का टूटना, बादल फटना आदि। वैसे बाढ़ के कई अप्रत्यक्ष कारण भी हैं जैसे ग्लोबल वार्मिंग, अनगिनत पेड़ों की कटाई, प्रदूषण का बढ़ना आदि। बाढ़ के आने के बाद कई क्षेत्रों में पानी भरा रहता है, जिसकी वजह से घरों की नींव कमजोर हो जाती है और सभी पक्के और कच्चे घर टूट जाते हैं। ऐसे में लोग अपने घरों से बेघर हो जाते हैं और जन-धन दोनों का नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में देश को भी इसका प्रभाव झेलना पड़ता है क्योंकि इसका सीधा असर उसके आर्थिक विकास पर पड़ता है। इसकी भयानक स्थिति से हर कोई सहम जाता है और पशु, पक्षी और इन्सान सब इसकी चपेट में आ जाते हैं। कई बार बाढ़ आने के बाद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है, जैसे डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड आदि। जो की बाद में और अधिक हानि पहुंचाती हैं। बाढ़ अक्सर नदी किनारे या पहाड़ी क्षेत्रों में आती है, इसलिए हमेशा वहां बसे लोगों को बारिश के मौसम में चेतावनी दी जाती है ताकि वह सचेत रहें और खुद को इसके प्रभाव से बचा सकें। इसलिए सरकार को बाढ़ अलर्ट सिस्टम को हमेशा सही से काम करना चाहिए ताकि आपदा से पहले लोग सचेत हो जाएं।

Badh par nibandh

दुनिया भर में बाढ़ एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है, जिसके बारे में आपको सही जानकारी होना चाहिए। यदि आपको इस पर अच्छा निबंध लिखना है तो हमारे द्वारा लिखे गए निबंध को पढ़ें और अपने शब्दों में उसे लिखने का प्रयास करें।

बाढ़ क्या है? (What Is a Flood?)

जब किसी स्थान पर लगातार कम समय में अधिक मात्रा में बारिश होती है, तो वहां पर पानी जमा होने लगता है और पानी के अधिक दवाब के कारण वह बांध को तोड़ देता है जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बाढ़ वैसे कई कारणों से उत्पन्न होता है जैसे एक जगह पर अधिक बरसात होना, बांध का टूटना, बारिश से नदी का जल स्तर बढ़ना आदि। इस दौरान समुद्र और नदियों के पानी का प्रवाह इतना अधिक होता है कि यह आसपास के शहरों, गांवों, जंगलों आदि सभी को प्रभावित करता है। बाढ़ के कारण लोगों में अफरा-तफरी मच जाती और तबाही का माहौल नजर आता है। इस आपदा में लोग अपना घर, संपत्ति, यहां तक की परिवार को भी खो देते हैं। ऐसी परिस्थिति किसी भी इंसान के लिए कल्पना से परे है। इन हालातों में सरकार पीड़ितों को राहत सामग्री पहुंचाती है। लेकिन देश के आर्थिक विकास में इसका बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि प्रभावित क्षेत्र का पुनःनिर्माण में अधिक समय और पैसा लगता है।

बाढ़ के कारण (Causes Of Flood)

बाढ़ उत्पन्न होने के कई कारण हैं, उनके बारे में नीचे दिया गया है-

  • बहुत अधिक बारिश- लगातर बारिश के कारण अगर पानी की निकासी सही से नहीं हुई तो वह बाढ़ की स्थिति उत्पन्न करता है।
  • हिमनद का पिघलना – गर्मियों के मौसम में तापमान अधिक हो जाता है, जिसकी वजह से ठंडी जगहों पर जमी हुई बर्फ पिघलने लगती औ हिमनद (ग्लेशियर) पिघलने लगता है तो उसका पानी महासागर के प्रवाह को और बढ़ा देता है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ता है।
  • बांध का टूटना – बांध का उपयोग ऊपर से गिरने वाले पानी को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है लेकिन अगर उसमें क्षमता से अधिक पानी की मात्रा बढ़ती है तो वह टूट जाता है जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ आ जाती है।
  • तटीय क्षेत्र में हवाएं – जो हवाएं तेज और मजबूत होती हैं उनके अंदर समुद्र के जल को सूखे तट पर ले जाने की क्षमता बढ़ जाती है, ऐसे हालात में बाढ़ उत्पन्न होती है।
  • ग्लोबल वार्मिंग – ग्लोबल वार्मिंग भी बाढ़ उत्पन्न करने का एक मुख्य कारण है। इसकी वजह से वातावरण का तापमान अधिक हो जाता है जिससे ग्लेशियर पिघलने लगते हैं। इसके कारण पिघला हुआ पानी महासागर में जाकर पानी के स्तर को बढ़ा देता है और बाढ़ की स्थिति बढ़ जाती है।

बाढ़ के प्रभाव (Effects of Flood)

बाढ़ हमारे जीवन को कई तरह से प्रभावित करता है, आइए जानते हैं कैसे –

  • बाढ़ के कारण जन-जीवन और संपत्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • लोग अपने घरों से बेघर और परिवार वालों से बिछड़ जाते हैं।
  • बाढ़ का जमा हुआ पानी कई इलाकों की इमारतें, घर, स्कूल, कॉलेज आदि सब नष्ट कर देता है।
  • इंसान ही नहीं बल्कि पशु, पक्षी भी इसका शिकार हो जाते हैं।
  • बाढ़ का पानी अपने साथ कई तरह की बीमारियां जैसे मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड आदि लेकर आता है।
  • कई इलाकों में पीने वाला पानी पीने लायक नहीं बचता है।
  • यह जंगलों, खेतों को भी पूरी तरह से तबाह कर देता है।
  • इसकी वजह से पर्यावरण में भी परिवर्तन होता है।
  • बाढ़ को पृथ्वी पर होने वाली खतरनाक आपदा में पहला स्थान मिला है।
  • हर साल बाढ़ के कारण अरबों डॉलर का नुकसान होता है।
  • अचानक से आई बाढ़ करीब 10 से 20 फीट ऊंची पानी की दीवारें बना सकती हैं।
  • बाढ़ का सिर्फ 1 इंच पानी पूरा घर नष्ट कर सकता है।
  • अमेरिका की लगभग 99% प्रदेशों में बाढ़ का अनुभव हुआ है।

इस निबंध से आपके बच्चे को प्राकृतिक आपदा के बारे जानने को मिलता है और ऐसे आपदा के समय में क्या करना चाहिए वो इस निबंध के जरिए जान सकेंगे। वह इस निबंध की मदद से बाढ़ पर एक बेहतरीन निबंध लिख सकेंगे और लोगों को इसके बारे में जागरूक कर सकेंगे।

1. बाढ़ कितने प्रकार की होती हैं?

बाढ़ तीन प्रकार ही होती हैं तटीय बाढ़, नदी बाढ़ और आकस्मिक बाढ़।

2. भारत में आयी सबसे बड़ी बाढ़ कौन सी है?

6 सितंबर 1970 को नर्मदा नदी पर आयी और 11 अगस्त 1979 को मच्छू नदी पर आयी बाढ़ को दुनिया में रिकॉर्ड तोड़ने वाली सबसे बड़ी बाढ़ माना गया है।

3. भारत के किस राज्य में अक्सर बाढ़ आती है?

भारत के असम राज्य में अक्सर बाढ़ का अनुभव होता है।

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  4. नदी पर निबंध- Essay on River in Hindi

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  5. Essay on river in hindi, article, paragraph: नदी पर निबंध, लेख

    नदी पर निबंध, Essay on river in hindi - 1 नदी का जलमार्ग: नदी पानी की एक बड़ी धारा है। नदी आम तौर पर एक पहाड़ या झील से एक समतल भूमि पर आती है। पहले पानी की कई बहुत संकरी ...

  6. नदी के महत्व पर निबंध

    Essay On Importance Of River In Hindi: नमस्कार दोस्तों। आज हम आप सभी लोगों को अपने इस महत्वपूर्ण निबंध के माध्यम से भारत में देवी का दर्जा दी जाने वाली नदियों के महत्व पर निबंध ...

  7. गंगा नदी पर निबंध

    गंगा नदी पर निबंध 400-500 शब्दों में (Essay on Ganga River in 400-500 Words) आपके बच्चे के हिन्दू धर्म की लोकप्रिय और पवित्र नदी पर एक हिंदी निबंध लिखना है और वो भी 400 से 500 की शब्द सीमा ...

  8. नदी के विषय पर बेहतरीन निबंध

    : Read and Enjoy essay on River Hindi essay by famous Hindi Poets Kabir, Rahim, Bihari and Udaybhanu Hans on essay Font by Mehr Nastaliq Web नदी पर निबंध

  9. नदी की जानकारी पर निबंध

    नदी पर निबंध - Essay On River In Hindi. नदी धरती के तल पर प्रवाहित जल की धारा है। इसका उद्गम स्रोत बारिश, पर्वत, झीले होती है। नदी अपने अंतिम पड़ाव में किसी समुद्र में ...

  10. नदी पर निबंध

    DR Siyol मई 12, 2024. नदी पर निबंध हिन्दी में Essay on River in Hindi. मनुष्य को अपने जीवन में हर समय जल की आवश्यकता होती है. बिना जल व्यक्ति एक पल भी जीवित नहीं ...

  11. Essay on Ganga river in hindi, importance: गंगा नदी का महत्व पर निबंध, लेख

    Essay on importance of ganga river in hindi, article, paragraph: गंगा नदी का महत्व पर निबंध, धार्मिक महत्व, सांस्कृतिक महत्व, सामाजिक महत्व, आर्थिक महत्व, पर्यावरणीय महत्व, लेख

  12. नदी पर निबंध Essay On River In Hindi

    नदी पर निबंध - Essay On River In Hindi Essay On Ganga River In Hindi. नदी धरती पर रहने वाले कई सारे जीव जंतुओं के लिए प्राण दाता स्वरूप है क्योंकि नदी का पानी कुछ जानवर एवं मनुष्य कर अपना ...

  13. Essay on River in Hindi नदी पर निबंध

    Read an essay on River in Hindi language. Know more about rivers in India and how to write an essay on river in Hindi. आज हम लिख रहे है नदी पर निबंध। ये निबंद आप को भारत की सब नदियों के बारे में बताएगा। ये निबंद स्कूल में सभी ...

  14. नदी परिचय

    नदी परिचय - आइए नदी को जानें (Let's know the river) 1. सुरक्षित कैचमेंट (Secure catchment) 2. पर्याप्त बहाव (Adequate flow ) 3. स्वच्छ पानी (Clean water) 4. अक्षत चरित्र (Intact characters)

  15. Essay on River in Hindi

    आज हम आपको Essay on River in Hindi यानि नदी पर निबंध के बारे में बताएँगे तो अगर आप अपने बच्चे के लिए इस टॉपिक पर निबंध ढूंढ रहे है तो यह आपके बच्चे के होमवर्क में बहुत ...

  16. गंगा नदी पर निबंध / Essay on River Ganga in Hindi

    गंगा नदी पर निबंध / Essay on River Ganga in Hindi! गंगा भारत की नदी है । यह हिमालय से निकलती है और बंगाल की घाटी में विसर्जित होती है । यह निरंतर प्रवाहमयी नदी है । यह ...

  17. भारत की प्रमुख नदी प्रणालियां/ The Major Indian River Systems in Hindi

    छोटा नागपुर पठार और विंध्य और सतपुड़ा रेंज. पश्चिमी घाट. भारत की प्रमुख नदी प्रणालियां. नदी प्रणाली. कुल लंबाई. भारत में लंबाई. सिंधु ...

  18. 10 Lines River in Hindi

    Essay on Waterfall in Hindi. ( Set-2 ) 10 Lines on River in Hindi for kids. 1. भारत में नदियों को भगवान का दर्जा दिया गया है।. 2. नदी,पानी का एक बहुत बड़ा संसाधन है, जो हमारे बहुत से ...

  19. नर्मदा नदी पर निबंध Narmada river essay in hindi

    Narmada river essay in hindi. दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं भारत की पांचवीं सबसे बड़ी नदी नर्मदा नदी के बारे में। आप इसे जरूर पढ़ें और नर्मदा नदी ...

  20. 10 Lines on River in Hindi । नदी पर 10 लाइन निबंध

    मीठे मीठे जल का प्रमुख स्रोत नदी है हमारी पृथ्वी में 75% पानी है और 25% भूमि है, जिस पर मनुष्य निवास करता है। इस लेख में आप "10 Lines on River in Hindi" पढ़ेंगे।

  21. Essay on yamuna river in hindi: यमुना नदी पर निबंध

    यमुना नदी पर निबंध (Essay on yamuna river in hindi) भारत में नदियाँ केवल जल स्त्रोत ही नहीं हैं, बल्कि उन्हें ईश्वर और देवी के रूप में पूजा जाता है और पवित्र माना जाता है। इस ...

  22. नदी की आत्मकथा निबंध Autobiography of a River in Hindi

    इस लेख में आप एक नदी की आत्मकथा निबंध Autobiography of a River in Hindi हिन्दी में पढेंगे। यह स्कूल और कॉलेज के परीक्षाओं में पुछा जाता है। इस आत्मकथा में एक नदी स्वयं के ...

  23. Essay on River in English for Students and Children

    500 Words Essay On River. Rivers are the backbone of human civilizations which provide freshwater that is the basic necessity for human life. We cannot live without water and rivers are the largest water bodies for freshwater. In fact, all civilizations in the past and present were born near river banks. In other words, they are veins of the ...

  24. बाढ़ पर निबंध

    बाढ़ पर निबंध 400-600 शब्दों में (Essay on Flood in 400-600 Words) दुनिया भर में बाढ़ एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है, जिसके बारे में आपको सही जानकारी होना चाहिए। यदि आपको इस पर अच्छा ...