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doordarshan essay writing in hindi

Essay on Doordarshan in Hindi

विज्ञान की मदद से मनुष्य को कई सारे अद्भुत उपकरण व यंत्र प्राप्त हुए हैं। आज के समय में लोगों के लिए कई सारे मनोरंजन यंत्र बनाए गए हैं परंतु विज्ञान का सबसे अनमोल उपकरणों में से दूरदर्शन है। दूरदर्शन जब इस दुनिया में आया था तो लोगों को बहुत ज्यादा पसंद आया था उस समय महंगा हुआ करता था परंतु यह धीरे-धीरे सस्ता होता गया और आज हम हर घर में दूरदर्शन देख सकते हैं। दूरदर्शन (Essay on Doordarshan in Hindi) लोगों के लिए बहुत ही अच्छा मनोरंजन यंत्र है। आज के समय में दूरदर्शन केवल मनोरंजन के लिए ही नहीं परंतु शिक्षा क्षेत्र में भी काम आने लगा है। दूरदर्शन धीरे-धीरे हर क्षेत्र में पहुंचता गया और आज हर व्यक्ति इसका उपयोग आसानी से कर रहा है।

Table of Contents

दूरदर्शन का आविष्कार:-

दूरदर्शन का आविष्कार सबसे पहले 1924 में जॉन लोगी वेयर्ड ने किया था। भारत में दूरदर्शन 15 सितंबर 1959 में आया था। दूरदर्शन को एक कार्यक्रम के रूप में लोगों के सामने प्रस्तुत किया गया था इसे प्रयोगात्मक आधार पर आधे घंटे के लिए शैक्षणिक और विकास रूप से चलाया गया था जिससे लोग इससे देख सके और इसके प्रति जागरूक हो सके। यह हर सप्ताह में 3 दिन आधे आधे घंटे के लिए चलाया जाता था धीरे-धीरे हर कोई टेलीविजन को जानने लगा| भारत में आने से पहले दूरदर्शन (Essay on Doordarshan in Hindi) को टेलीविजन कहा जाता था भारत में आने के बाद 1975 में इसे दूरदर्शन का नाम दिया गया। भारत की हिंदी सभ्यता ने इसे बहुत ही अच्छे से अपनाया था। भारत में यह अविष्कार देखकर लोग बहुत ही खुश हुए। टेलीविजन देखने के लिए लोग दूर दूर से आया करते थे अगर किसी क्षेत्र में एक टेलीविजन हुआ करता था तो आस-पड़ोस के सभी व्यक्ति एक समय में इकट्ठा होकर टेलीविजन देखा करते थे। भारत में टेलीविजन को लेकर भी एकता दिखाई जाती थी।

दूरदर्शन का बढ़ता उपयोग:-

दूरदर्शन मनोरंजन के लिए एक उत्तम साधन है आज यह शिक्षा क्षेत्र में भी काम आने लगा है ज्ञानवर्धक बातें दूरदर्शन में भी बताई जाती हैं। दूरदर्शन के द्वारा लोग समाचार भी सुन सकते हैं जिसमे लोगों को देश और दुनिया की सभी खबरें दी जाती है। दूरदर्शन धीरे धीरे हर क्षेत्र में बढ़ गया है और लोग इसका उपयोग अधिक मात्रा में करने लगे हैं। दूरदर्शन में कई सारे चैनल लाए गए हैं और सभी चैनल को अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया गया है जिस प्रकार बड़े हो या बच्चे अपने हिसाब से दूरदर्शन देख सकते हैं। दूरदर्शन में सभी के लिए बहुत ही अच्छी-अच्छी चीजें सिखाई जाती हैं जो लोगों के लिए बहुत ही मददगार हो सकती है। दूरदर्शन का बढ़ता उपयोग पूरे देश और दुनिया में लोगों को इसके प्रति और भी ज्यादा जागरूक कर रहा है। मनुष्य के दिन भर की थकान में मनोरंजन का एक रास्ता दूरदर्शन बनता है।

दूरदर्शन का प्रभाव:-

दूरदर्शन जिस प्रकार सभी व्यक्ति को पसंद आता है चाहे वह छोटा बच्चा हो या वृद्ध पुरुष सभी को दूरदर्शन देखना बहुत ही अच्छा लगता है। दूरदर्शन में दिखाई जाने वाली सांस्कृतिक कथाएं लोगों को उनके धर्म और संस्कृति से जोड़ती है। पुराने समय से ही दूरदर्शन में महाभारत रामायण जैसे बड़ी-बड़ी अनेक कथाएं दिखाई जाती है जिसे छोटे बच्चे देखकर अपनी संस्कृति को सीखते हैं और वृद्ध अपने भगवान की भक्ति में विलीन हो जाते हैं। दूरदर्शन (Essay on Doordarshan in Hindi) का प्रभाव सबसे ज्यादा मनुष्य में तब पड़ता है जब वह इसे अपने जीवन काल से जोड़कर देखते हैं। दूरदर्शन में दिखाया जाने वाला हर एक कार्यक्रम मनुष्य से जुड़ा होता है। बौद्धिक स्तर पर देखा जाए तो दूरदर्शन में ऐसी कई सारे कार्यक्रम बनाए गए हैं जिससे छात्रों को पढ़ने में भी आसानी होती है। शुरू से ही दूरदर्शन की मान्यता अधिक दिखाई गई है और आज भी दूरदर्शन का पद कम नहीं हुआ है।

अगर कोई व्यक्ति मानसिक तनाव से गुजर रहा है तो वह दूरदर्शन के सामने कुछ समय बैठ जाए तो उसकी सारी थकान दूर हो सकती है जैसा कि हम सब जानते हैं दूरदर्शन के सामने बच्चे से लेकर बड़े कोई भी बैठते हैं तो अपने आसपास की सभी चीजों को भूल जाते हैं। इसका प्रभाव मनुष्य पर ना पड़े इसके लिए बीच-बीच में विज्ञापन भी दिखाए जाते हैं जिससे मनुष्य को कुछ समय का आराम मिले।

दूरदर्शन के लाभ:-

दूरदर्शन सभी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग रूप में लाभदायक होता है आज के समय में दूरदर्शन एक बहुत ही सस्ता और सुलभ मनोरंजन यंत्र है। प्राचीन समय में इसे खरीदने के लिए बहुत पैसे लगते थे जोकि लोगों के आय के ऊपर हुआ करता था। हर कोई इसे खरीदने में असमर्थ हो जाते थे| एक पूरे क्षेत्र में एक से दो ही दूरदर्शन दिखते थे। लोग एक जगह से दूसरी जगह सिर्फ दूरदर्शन को देखने आया करते थे, परंतु आज के समय में हर घर में एक दूरदर्शन मिल ही जाता है। क्योंकि दूरदर्शन (Essay on Doordarshan in Hindi) हर जगह पर है तो मनुष्य इसका लाभ आसानी से उठा पाते हैं जैसे कि दूरदर्शन से हमें यह पता चलता है की मार्केट में महंगाई कितनी ज्यादा बड़ी और घटी है इसके साथ साथ किन देशों में क्या चल रहा है यह भी हमें दूरदर्शन की मदद से आसानी से पता चल जाता है। वर्तमान कोरोना महामारी के समय में भी दूरदर्शन में एक अहम भूमिका निभाई है जिन भी घरों में स्मार्टफोन नहीं हुआ करता था, उनके लिए दूरदर्शन पर ही घर बैठे पढ़ाई करवाई गई। दूरदर्शन के सामने कुछ समय बैठ जाने से ही मानसिक तनाव कम हो जाता है।

दूरदर्शन की हानियां:-

क्योंकि दूरदर्शन हर किसी के घर में हो गया है तो लोग इसका उपयोग अधिक मात्रा में कर रहे हैं जिस प्रकार के लाभ है उसी प्रकार इसकी हानियां भी बहुत है। अक्सर लोग अपने पसंदीदा कार्यक्रम को देखने बैठ जाते हैं तो उसी में वो खो जाते है। टेलीविज़न देखने के लिए लोग अपना काम भी टालने लग जाते है जिससे उनका काम असफल रह जाता है। ज्यादा दूरदर्शन देखने से आंखों में भी असर होने लगता है। दूरदर्शन की हानियां अनेक है। दूरदर्शन के सामने घंटो बैठने से स्वास्थ्य में भी परेशानियां होने लगती है। दूरदर्शन की हानियां से बचने के लिए इसका उपयोग कम से कम करें और केवल मनोरंजन के लिए कुछ समय ही इससे जुड़े रहे।

दूरदर्शन शुरू से ही लोगों के मनोरंजन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा बना है शुरू में दूरदर्शन बड़े आकार के होते थे जिन्हें रखने के लिए बड़ी जगह चाहिए होती थी परंतु आज के समय में दूरदर्शन बहुत ही छोटी जगह में आ जाता है। इसके साथ ही वर्तमान समय में दूरदर्शन के कई सारे प्रकार आ गए हैं और आज हर घर में दूरदर्शन को देखा जा सकता है। दूरदर्शन शुरू से ही बहुत ही लोकप्रिय रहा है और यह आगे भी अलग-अलग रूप में दिखाई दे सकता है।

1.प्रश्न:- दूरदर्शन का आविष्कार कब और किसने किया था?

उत्तर:-  दूरदर्शन का आविष्कार सबसे पहले 1924 में जॉन लोगी वेयर्ड ने किया था।

2.प्रश्न:- भारत में दूरदर्शन को कब लाया गया था?

उत्तर:-  भारत में दूरदर्शन 15 सितंबर 1959 में आया था। दूरदर्शन को एक कार्यक्रम प्रसारण के रूप में लोगों के सामने प्रस्तुत किया गया था ।

3.प्रश्न:- दूरदर्शन का अर्थ क्या है?

उत्तर:- दूरदर्शन में हम एक स्थान में बैठ कर किसी दूसरे स्थान की स्थिति को देख सकते है इसे ही दूरदर्शन कहा जाता है अर्थात दूर के स्थान, जीव व वस्तु के दर्शन।

4.प्रश्न:- दूरदर्शन के लाभ क्या है?

उत्तर:-  दूरदर्शन मनुष्यो के मनोरंजन का साधन है थकान से आया हुआ व्यक्ति अगर दूरदर्शन के सामने कुछ घंटे बैठ जाए तो उसकी थकान कम हो सकती है, इसके अलावा समाचार और शिक्षा के लिए भी दूरदर्शन प्रसिद्ध है।

5.प्रश्न:- दूरदर्शन की हानिया क्या है?

उत्तर:- दूरदर्शन के सामने घंटो बैठने से मानव शरीर में बहुत सी बीमारियां होने लगती है और आंखों पर भी असर इसका देखने को मिलता है।

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Doordarshan essay in hindi दूरदर्शन पर निबंध.

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दूरदर्शन पर निबंध हिंदी में Doordarshan Par Nibandh Essay In Hindi

Doordarshan Par Nibandh Essay In Hindi प्रिय विद्यार्थियों आपका स्वागत है आज हम दूरदर्शन पर निबंध हिंदी में  जानेगे.

स्कूल के विद्यार्थियों को टेलीविजन अथवा दूरदर्शन पर अनुच्छेद निबंध भाषण लिखने को कहा जाता हैं.

आज हम 5, 10 लाइन 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में टेलीविजन अथवा दूरदर्शन निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 ,9, 10 के बच्चों के लिए बता रहे हैं.

दूरदर्शन पर निबंध Doordarshan Par Nibandh Essay In Hindi

दूरदर्शन पर निबंध Doordarshan Par Nibandh Essay In Hindi

दूरदर्शन हमारे घरों का आवश्यक उपकरण बन चुका हैं. छोटे पर्दे के सिनेमा के नाम से यह घर घर प्रतिनिधित्व कर रहा हैं.

छात्रवर्ग तो दूरदर्शन का दीवाना हैं. उनके आचार-विचार, भाव भंगिमा नख शिख सज्जा भाषा और व्यवहार का दीक्षा गुरू दूरदर्शन बन चुका हैं.

दूरदर्शन का विस्तार – भारत में दूरदर्शन का आगमन वर्ष 1959 के आस-पास हुआ था. तब यह एक वैज्ञानिक चमत्कार मात्र की वस्तु थी.

केवल सम्पन्न व्यक्ति अथवा सरकारी प्रतिष्ठान ही इसका आनन्द लेने के अधिकारी थे. किन्तु पिछले वर्षों में दूरदर्शन सुरसा के मुख की भांति विस्तार को प्राप्त हुआ हैं.

दूरदर्शन के लाभ – आज दूरदर्शन सर्वव्यापक रूप में जनजीवन का अनिवार्य अंग बन चूका हैं. सामजिक जीवन का कोई भी अंग, कोई भी क्षेत्र इससे प्रभावित हुए बिना नही रह सकता हैं.

मनोरंजन के क्षेत्र में – मनोरंजन के क्षेत्र में तो इसने अपने सभी प्रतियोगियों को पछाड़ दिया हैं. सिनेमा से भी सुलभ और सुविधाजनक मनोरंजन दूरदर्शन से प्राप्त होता हैं. घर पर निश्चिंतता से बैठकर विविध प्रकार के मनोरंजन के लाभ और कोई उपकरण नही करा सकता.

फिल्म, नृत्य, नाटक, कवि सम्मेलन, विविध खेल और प्रतियोगिताएं दर्शन द्रश्य, पर्यटन आदि मनोरंजन के विविध स्वरूप घर बैठे उपलब्ध रहते हैं.

शिक्षा के क्षेत्र में – शिक्षा के  क्षेत्र में भी दूरदर्शन ने नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं. सक्रिय और प्रभावी शिक्षण प्रणाली में दूरदर्शन का मुकाबला कोई नही कर सकता.

कृषि के क्षेत्र में- कृषि सम्बन्धी जानकारियाँ, मौसम सम्बन्धी भविष्यवाणीयां, पारिवारिक समस्याएं, रसोईघर की ज्ञान वृद्धि तथा सौदर्य सुरक्षा आदि की जानकारी देने से दूरदर्शन की उपयोगिता सभी को अनुभव हो रही हैं.

राजनीति के क्षेत्र में- राजनीतिक दृष्टि से तो दूरदर्शन का आज भी भारी महत्व हैं. जनमत के निर्माण, राजनेताओं के विचार और आचार के दर्शन, विश्व की राजनैतिक घटनाओं से परिचय आदि के द्वारा निरंतर राजनैतिक जागरूकता बनाए रखने में दूरदर्शन की ही भूमिका हैं.

व्यापार के क्षेत्र में दूरदर्शन- दूरदर्शन आज व्यापार का अभिन्न अंग बन चूका हैं. कौन सा वस्त्र, कौन सा भोजन, कौनसी सज्जा सामग्री, चाय, टूथपेस्ट और मसाले आपके लिए उपयोगी हैं. यह सलाह दूरदर्शन बिना कोई शुल्क लिए निरंतर दे रहा हैं.

दूरदर्शन से हानियां- दूरदर्शन का सबसे घातक प्रभाव युवावर्ग पर पड़ा हैं. युवक युवतियों का खान पान, वस्त्र, हाव भाव भाषा और चरित्र सभी कुछ दूरदर्शन से प्रभावित हो रहा हैं.

हिंसा, अश्लीलता, उद्दंडता, शिक्षा से अरुचि, सामाजिक मर्यादाओं की उपेक्षा बाजारू प्रेम प्रसंग सभी कुछ दूरदर्शन युवाओं और छात्र वर्ग के सामने परोस रहा हैं. अपराध, आतंक, मानसिक तनाव आदि सभी का उत्तरदायी दूरदर्शन ही हैं.

व्यापारिक विज्ञापनों द्वारा समाज को मुर्ख बनाने में भी दूरदर्शन सहायक बन रहा हैं. राजनीतिक दृष्टि से भी इसका दुरूपयोग हो रहा हैं. इसके माध्यम से सत्तारूढ़ दल के प्रचार को अधिक महत्व दिया जाता हैं.

स्वास्थ्य की दृष्टि से भी दूरदर्शन हानिकारक हैं. निरंतर देखने से दृष्टि हास्य, मानसिक तनाव और आंगिक जड़ता आदि रोग भी दूरदर्शन दे रहा हैं.

क्षेत्र में भी दूरदर्शन ने नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं. सक्रिय और प्रभावी शिक्षण प्रणाली में दूरदर्शन का मुकाबला कोई नही कर सकता.

उपसंहार – लाभ और हानियों पर विचार विमर्श करने के पश्चात भी दूरदर्शन की महत्वपूर्ण भूमिका से इनकार नही किया जा सकता हैं. प्रत्येक आविष्कार का दुरूपयोग या सदुपयोग मनुष्य के ऊपर निर्भर हैं.

दूरदर्शन के व्यापक प्रसार और प्रभाव का सदुपयोग करके उसे समाज का परम मित्र, मार्गदर्शक और सहयोगी बनाया जा सकता हैं.

Doordarshan Par Nibandh 300 Words – दूरदर्शन पर निबंध

दूरदर्शन आधुनिक वैज्ञानिक युग का महत्वपूर्ण आविष्कार हैं. यह एक ऐसा यंत्र हैं जिसकी सहायता से व्यक्ति दूर की वस्तु एवं व्यक्ति को देख व सुन सकता हैं.

इस यंत्र की सहायता से कानों और आँखों दोनों की तृप्ति होती हैं. दूरदर्शन का आविष्कार सन 1926 में इंग्लैंड के जॉन एल बेयर्ड ने किया था. दूरदर्शन मनोरंजन के साथ साथ शिक्षा देने, जानकारी बढ़ाने, प्रसार और प्रचार का भी महत्वपूर्ण एवं सशक्त माध्यम हैं.

आरम्भ में दूरदर्शन काफी महंगा था, इसीलिए यह प्रत्येक व्यक्ति को तो क्या प्रत्येक देश तक सुलभ नही था. धीरे धीरे इसका प्रचलन और प्रसारण इस सीमा तक बढ़ा कि आज दूरदर्शन सर्वत्र देखा और सुना जा सकता हैं.

अब यह राजभवन से लेकर झोपडी तक पहुच चूका हैं. पहले तो दूरदर्शन श्याम श्वेत स्वरूप में ही प्राप्त था परन्तु अब तो रंगीन दूरदर्शन सारे संसार में उपलब्ध हैं.

इसके द्वारा देश विदेश में होने वाले खेलों को हम घर बैठे देख सकते हैं. और उनका भरपूर आनन्द उठा सकते हैं. इसके अतिरिक्त देश विदेश में घटित घटनाओं को सीधे आँखों से देख सकते हैं. आजकल दूरदर्शन के माध्यम से कक्षा में पाठ भी पढाया जाता हैं. जिसे बच्चे भली भांति समझ लेते हैं.

आजकल दूरदर्शन को भू उपग्रह से जोड़ दिया गया हैं ताकि ग्रामवासी इसका भरपूर लाभ उठा सके. आज के व्यस्त जीवन में यह मनोविनोद का बढ़िया और सस्ता साधन हैं.

इसके द्वारा नाटक हास्य व्यंग्य संगीत कवि सम्मेलन चलचित्र तथा अनेक प्रकार के सीरियल देखकर हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं. इसके माध्यम से कृषि सम्बन्धी कार्यक्रम दिखाकर कृषि कार्यों की अधिकाधिक जानकारी दी जा रही हैं.

इस तरह से दूरदर्शन कृषि के विकास में किसानो की सहायता कर रहा हैं. विज्ञापनों को देकर व्यापारी वर्ग व विभिन्न वस्तुओं के निर्माता अपनी वस्तुओं की बिक्री बढ़ा सकते हैं.

दूरदर्शन अंतरिक्ष विज्ञान की भी कई तरह से सहायता कर रहा हैं. सुदूर ग्रहों की जानकारी इसके कैमरे सरलता से कर लेते हैं.

विज्ञान के नित्य नयें नयें आविष्कारों ने इसे अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया हैं. केबल टीवी स्टार टीवी वी सी आर कंप्यूटर खेल आदि ने दूरदर्शन को नया रूप दे दिया हैं.

दूरदर्शन में कुछ कमियां भी दृष्टिगत होती हैं. इसके प्रकाश से तथा इसे अनवरत देखने से आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता हैं. यहाँ तक आँखे भी खराब हो जाती हैं.

इसके द्वारा कुछ ऐसे कार्यक्रम देखने को मिलते हैं. जिनसे बच्चों के मानस पटल पर विपरीत प्रभाव पड़ता हैं. इससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती हैं.

Doordarshan Par Nibandh 500 words In Hindi

आधुनिक युग में टेलीविजन या दूरदर्शन मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय साधन हैं. यह ज्ञानवर्धक अनोखा आविष्कार हैं. दूरदर्शन अर्थात टेलीविजन का सर्वप्रथम प्रयोग 25 जनवरी 1926 को इंग्लैंड के एक इंजिनियर जॉन बेयर्ड ने किया था.

इसका उत्तरोतर विकास होता रहा और अनेक कार्यों में इसकी उपयोगिता बढ़ी. हमारे देश में सन 1959 से दूरदर्शन का प्रसारण आरम्भ हुआ और यह सारे भारत में प्रसारित हो रहा हैं.

दूरदर्शन का महत्व

वर्तमान में समाचार प्रसारण के लिए दूरदर्शन सबसे लोकप्रिय साधन हैं. दूरदर्शन पर समाचारों के अतिरिक्त अनेक कार्यक्रम दिखाए जाते हैं.

कृषि दर्शन, व्यापार समाचार, नाटक, सुगम संगीत, प्रश्नोत्तरी, चौपाल, महिलाओं के लिए कार्यक्रम, खेलकूद प्रतियोगिताओं का सीधा प्रसारण, शिक्षा कार्यक्रमों का विस्तार, ज्ञानदर्शन एवं फिल्मों का प्रसारण आदि अनेक कार्यक्रम दूरदर्शन पर दिखाए जाते हैं.

विविध उत्पादों के विज्ञापन एवं सूचनाएं भी प्रसारित होती हैं. इन कार्यक्रमों से मनोरंजन के साथ ही शिक्षा एवं जनजागरण का प्रसार तथा ज्ञान वृद्दि भी होती हैं. इन सभी कारणों से दूरदर्शन का अत्यधिक महत्व हैं.

दूरदर्शन विज्ञान का चमत्कार

हमारे सामाजिक जीवन में दूरदर्शन की अनेक उपयोगिताओं को देखते हुए इसे विज्ञान का वरदान ही माना गया हैं. आए दिन की घटनाएं, समाचार, मौसम सम्बन्धी जानकारी, खेलकूद का प्रसारण आदि दूरदर्शन पर आसानी से मिल जाते हैं.

आज के समय में दूरदर्शन पर हजारों की संख्या में चैनल अलग अलग धारावाहिकों तथा कार्यक्रमों का प्रसारण करते हैं. जिनसे हमारी सामाजिक तथा सांस्कृतिक परम्पराओं को भी मजबूती मिलती हैं.

साथ ही यह जनजागरण का मुख्य साधन भी बन चूका हैं. रोगों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने, जनसंख्या तथा परिवार नियोजन के कार्यक्रमों के द्वारा समाज तक सीधा संदेश पहुचाने में ये कारगर उपाय हैं.

Doordarshan Essay In Hindi – दूरदर्शन वरदान या अभिशाप निबंध

प्रस्तावना – दूरदर्शन आज भारतीय जन जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया हैं. दृश्य और श्रव्य दोनों साधनों के सुसंयोजन ने इसे मनोरंजन का श्रेष्ठतम साधन प्रमाणित कर दिया हैं.

नित्य नई तकनीकों के प्रवेश और नये नये चैनलों के उद्घाटन ने बालक और युवा वर्ग को दूरदर्शन का दीवाना बना दिया हैं.

दूरदर्शन का प्रभाव क्षेत्र – दूरदर्शन बालकों, युवकों, वृद्धों गृहणियों तथा व्यावसायियों आदि सभी में अपनी पैठ बना चुका हैं. दूरदर्शन यंत्र के सामने बैठे छात्र अपनी पढ़ाई और युवा अनेक दायित्व भूल जाते हैं.

इस समय सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र पर किसी न किसी रूप में दूरदर्शन का प्रभाव हैं. युवा इसके मनोरंजक पक्ष से व्यवसायी इसकी असीमित विज्ञापन क्षमता से, राजनीतिज्ञ इसके देशव्यापी प्रसारण से धर्मात्मा लोग इसकी कथाओं और धार्मिक स्थलों की सजीव प्रस्तुती से प्रभावित हैं.

दूरदर्शन अथवा दूरदर्शन – दूरदर्शन की लोकप्रियता जैसे जैसे बढ़ रही हैं वैसे वैसे इसका हानिकारक पक्ष भी सामने आता जा रहा हैं. इसके दुष्प्रभाव संक्षेप में इस प्रकार हैं.

  • सामजिक दुष्प्रभाव- दूरदर्शन ने व्यक्ति के सामाजिक जीवन को गहराई से कुप्रभावित किया हैं. छात्र और युवा वर्ग घंटों इससे चिपका बैठा रहता हैं. इससे उनके जीवन में एकाकीपन आ गया हैं. और उनकी सामाजिक सक्रियता कम होती जा रही हैं विडियो गेम और कार्टून फिल्मों में उलझे रहने से उनके स्वाभाविक खेलकूद पर विराम सा लग गया हैं.
  • आर्थिक दुष्प्रभाव – दूरदर्शन लोगों के आर्थिक शोषण का भी माध्यम बन गया हैं. भ्रामक और अतिशयोक्तिपूर्ण विज्ञापनों के द्वारा लोगों को अपव्यय के लिए उकसाया गया है. अनेक कार्यक्रमों द्वारा एस एम एस कराके और मत संग्रह कराके लोगों की जेबें खाली कराई जाती हैं.
  • स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव – छात्र और युवा वर्ग घंटों दूरदर्शन के कार्यक्रम देखते रहते हैं. इससे उनकी आँखे खराब हो जाती हैं. मोटापा और पाचन क्रिया में विकार उत्पन्न हो जाते हैं.

दुष्प्रभावों से बचाव – दूरदर्शन के कुप्रभावों के बचाव तभी हो सकता हैं. जब जनता और सरकार दोनों ही सचेत हों. अभिभावक, शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ताओं को दूरदर्शन के अश्लील और भ्रामक कार्यक्रमों का विरोध करना चाहिए.

इसके साथ ही छात्रों और युवाओं का भी सही मार्गदर्शन करना चाहिए. सरकार को भी दूरदर्शन पर नियंत्रण करना चाहिए.

उपसंहार – दूरदर्शन एक प्रबल प्रभाव छोड़ने वाला माध्यम हैं. उसे अपने सामाजिक दायित्व पर पूरा ध्यान देना चाहिए.

केवल व्यावसायिक लाभ को ही ध्यान में रखना चाहिए. दूरदर्शन के धारावाहिकों का एक नैतिक स्तर होना चाहिए, सरकार को भी इस दिशा में कठोर उपाय करने चाहिए.

दूरदर्शन के लाभ और हानि पर निबंध Advantages And Disadvantages Of Doordarshan Television In Hindi

आधुनिक युग में टेलीविजन या दूरदर्शन मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय साधन है. यह ज्ञानवर्धक का अनोखा आविष्कार है.

दूरदर्शन अर्थात टेलीविजन का सर्वप्रथम प्रयोग 25 जनवरी 1926 को इंग्लैंड के एक इंजिनियर जॉन बेयर्ड ने किया था. इसका उतरोतर विकास होता रहा और अनेक कार्यों में इसकी उपयोगिता बढ़ी.

हमारे देश में सनः 1959 में दूरदर्शन का प्रसारण प्रारम्भ हुआ और आज यह सारे देश में प्रसारित हो रहा है.

दूरदर्शन का महत्व (Importance of Doordarshan)

वर्तमान समय में समाचार प्रसारण के लिए दूरदर्शन सबसे लोकप्रिय साधन है. दूरदर्शन पर समाचारों के अतिरिक्त अनेक कार्यक्रम दिखाए जाते है.

कृषि-दर्शन, व्यापार समाचार, नाटक, सुगम संगीत, प्रश्नोतरी, चौपाल, महिलाओं के लिए कार्यक्रम, खेलकूद प्रतियोगिताओं का सीधा प्रसारण शिक्षा कार्यक्रमों का विस्तार , ज्ञान दर्शन एवं फिल्मों का प्रसारण इत्यादि अनेक कार्यक्रम दूरदर्शन पर दिखाएं जाते है.

इन कार्यक्रमों से मनोरंजन के साथ ही शिक्षा एवं जन जागरण का प्रसार तथा ज्ञान वृद्धि भी होती है. इन सभी कारणों से दूरदर्शन का अत्यधिक महत्व है.

दूरदर्शन विज्ञान का वरदान (Doordarshan, science welfare)

सामाजिक जीवन में दूरदर्शन की उपयोगिता को देखकर इसे विज्ञान का वरदान माना जा सकता है. दूरदर्शन पर विश्व में घटने वाली घटनाओं का प्रसारण, मौसम की जानकारी, बाढ़, भूकम्प, प्राकृतिक दुर्घटना आदि के समाचार तत्काल मिल जाते है.

रोगों के निवारण, जनसंख्या नियन्त्रण तथा सामाजिक कुप्रवृत्तियों को रोकने में भी इसकी काफी उपयोगिता है. महिलाओं को दस्तकारी एवं गृह उद्योग के सबंध में इससे जानकारी दी जाती है शिक्षा के क्षेत्र में यह विज्ञान का श्रेष्ट वरदान है.

दूरदर्शन का दुष्प्रभाव (Side effects of television)

दूरदर्शन से कुछ हानियाँ भी है. इससे बच्चे मनोरंजन में अधिक रूचि लेने से पढ़ने में जी चुराते है. टेलीविजन पर धारावाहिक कार्यक्रमों एवं एक्शन फिल्मो के प्रसारण से नवयुवकों पर गलत प्रभाव पड़ रहा है.

चोरी, बलात्कार, कुकृत्य आदि की प्रवृति इससे बढ़ी है. इस पर अश्लील विज्ञापनों का प्रसारण होने पर हमारी पारिवारिक संस्कृति पर बुरा असर पड़ रहा है.

तथा नवयुवक फैश्नपरस्त हो रहे है. इस तरह के दुष्प्रभावों के कारण दूरदर्शन को अभिशाप भी माना जा रहा है. आज के युग मनोरंजन की द्रष्टि से टेलीविजन की उपयोगिता है.

इससे संसार की नवीनतम घटनाओं, समाचारों आदि की जानकारी मिलती है तथा लोगों के ज्ञान का विकास होता है.

आर्थिक एवं सामाजिक विकास में इसका महत्व सर्वमान्य है, परन्तु इसके कुप्रभावों से युवकों को मुक्त रखा जावे, यह भी अपेक्षित है.

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दूरदर्शन पर निबंध (Doordarshan Essay In Hindi)

दूरदर्शन पर निबंध (Doordarshan Essay In Hindi Language)

आज   हम दूरदर्शन पर निबंध (Essay On Doordarshan In Hindi) लिखेंगे। दूरदर्शन पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

दूरदर्शन पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Doordarshan In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

आज का युग विज्ञानं का युग है। इस युग में विज्ञान ने काफ़ी उन्नति कर ली है। आए दिन नए- नए अविष्कार होते रहते हैं। इन्हीं अविष्कारों में एक महत्वपूर्ण अविष्कार दूरदर्शन का है। मनुष्य अपने दिन भर की शारीरिक और मानसिक थकान को दूर करने के लिए दूरदर्शन का सहारा लेता है। इससे उसका बौद्धिक और चारित्रिक विकास भी होता है।

दिन भर काम करने के बाद हमे बोरियत महसूस होने लगती है। उस बोरियत को कम करने के लिए मनोरंजन का सहारा हम लेते है। दूरदर्शन को सभी लोग चाव से देखते है। इसमें प्रसारित किए जाने वाले सभी प्रोग्राम हर आयु वर्ग के लिए काफी उपयोगी साबित होते है।

दूरदर्शन के जरिए किसानो कों खेती करने के लिए किस बीज का इस्तेमाल करना चाहिए, इन सब के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। वहीं छात्रों के लिए उनकी शिक्षा से जुड़ी  जानकारी प्राप्त होती है। दुनिया के किस कोने में कौन सी घटना कब घटित हुई, इन सब की जानकारी हमें दूरदर्शन से ही प्राप्त होती है।

दूरदर्शन का अर्थ और विस्तार

टेलीविजन को हिंदी में दूरदर्शन के नाम से जाना जाता हैं। टेलीविजन शब्द दो शब्दों से जुड़कर बना है। टेली और विजन, जिसका सामान्य अर्थ होता है दूर घटित किसी घटना के दृश्यों को आंखों के सामने उपस्थित कराना। दूरदर्शन रेडियो की तकनीक का ही विकसित रूप होता है।

टेलीविजन का सबसे पहले प्रयोग 1925 में ब्रिटेन के वैज्ञानिक जे. एल. बेयर्ड ने किया था। इसका आविष्कार करने का श्रेय जे. एल. बेयर्ड को ही जाता है। उन्होंने इसका आविष्कार 1926 में किया था।

वहीं भारत में इसका प्रसारण 1959 में किया गया था। टेलीविजन मनोरंजन के आविष्कारों में सबसे महत्वपूर्ण अविष्कार है। समाज के सभी वर्ग के लोगों को टेलीविजन ने काफी प्रभावित किया है।

आज के समय में टेलीविजन लगभग हर परिवार का हिस्सा बन चुका है। टेलीविजन मनोरंजन का सबसे सस्ता और सहजता से मिलने वाला साधन बन चुका है। पूरी दुनिया के समाचार  आप दूरदर्शन की सहायता से प्राप्त कर सकते हैं।

आप दूरदर्शन के जरिये घर बैठे दुनिया भर के कोने कोने की जानकारी लगातार प्राप्त कर सकते है। वही समय के साथ साथ दूरदर्शन में भी काफी परिवर्तन आया है। आज के समय में लोग अपने घरों में केबल या डिश के जरिए दूरदर्शन के चैनल के माध्यम से अपना मनोरंजन कर रहे हैं।

दूरदर्शन में अत्याधुनिक परिवर्तन

दूरदर्शन ने आज की युवा पीढ़ी को सबसे अधिक प्रभावित किया है। पहले के समय में केवल श्वेत श्याम दूरदर्शन लोगों के घर में हुआ करते थे और उन्हें शाम से लेकर देर रात तक मनोरंजन के लिए एक ही चैनल उपलब्ध होते थे।

लेकिन समय के साथ इसमें परिवर्तन होता गया। आज के समय में रंगीन टेलीविजन चैनल के साथ आने लगे हैं। दर्शकों के मनोरंजन के लिए 500 से भी अधिक चैनल आने लगे है, जिनमें दिन रात नए-नए प्रोग्राम प्रसारित होते रहते हैं।

दूरदर्शन के सिद्धांत और रेडियो में समानता

दूरदर्शन का सिद्धांत रेडियो के सिद्धांत से काफी मिलता-जुलता है। रेडियो के प्रसारण में आमतौर पर वार्ता और गायक स्टूडियो में ही अपना गायन या वार्ता को प्रस्तुत करता है। इसकी आवाज से हवा में जो तरंगे उठती है, वह माइक्रोफोन बिजली की तरंगों में परिवर्तित हो जाती है।

इन्हीं तरंगों को भूमिगत तारों में ट्रांसमीटर तक पहुंचाया जाता है, जो उन तरंगों को रेडियो की तरंगों में बदल कर रख देता है। वही तरंगे टेलीविजन आपके घरों में पकड़ लेता है।

दूरदर्शन पर हम केवल वही देख पाते हैं, जो दूरदर्शन कैमरा चित्रित करता रहता है। वही रेडियो उन चित्रों को रेडियो की तरंगों से दूर की जगह पर भेज रहा होता है। दूरदर्शन के लिए एक खास स्टूडियो निर्माण होता है, जहां पर गायक और नृतक दोनों ही अपना प्रोग्राम पेश कर रहे होते हैं।

दूरदर्शन का मनोरंजन से संबंध

दूरदर्शन मनोरंजन के लिए एक लोकप्रिय साधन के रूप में जाना जाता है। दूरदर्शन पर कई प्रकार के प्रभावी कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं। इससे लोगों को काफी जानकारी मिलती  है। दूरदर्शन को देखने और सुनने से मनोरंजन के साथ-साथ लोगों के ज्ञान में वृद्धि होती है।

शिक्षा प्रचार के साधन के रूप में

दूरदर्शन के जरिए शिक्षा का प्रसार और प्रचार होता है। यह बच्चो के लिए वास्तविकता में सार्थक रूप से शिक्षक भी है। इसके द्वारा बच्चो को अपने पाठ्यक्रम संबंधी ज्ञान, विद्वान व विशेषज्ञ शिक्षकों के माध्यम से दिया जाता है। वही प्रौढ़ शिक्षा पर भी तरह-तरह के कार्यक्रम दूरदर्शन पर प्रसारित किए जाते हैं।

सामाजिक चेतना बढ़ाने में कारगर

समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के पीछे हमेशा से दूरदर्शन का हाथ रहा है। सामाजिक और शैक्षणिक के अलावा स्वास्थ्य जीवन शैली जीने की नसीहते भी हमें दूरदर्शन के जरिए ही मिलती है। समाज में फैली विभिन्न प्रकार की कुरीतियां को हटाने के लिए दूरदर्शन पर तरह-तरह के प्रोग्राम प्रसारित होते हैं, जिससे लोगों में जागरूकता आती है।

दूरदर्शन का बच्चो पर पड़ने वाला कुप्रभाव

दूरदर्शन से लोगों को जहां अनेकों लाभ पहुंचते हैं, वही इससे कुछ हानियां भी होती है। दूरदर्शन का उपयोग यदि हम सहि तरीकों और नीतियों के तहत राष्ट्रीय हितों के लिए नहीं करते हैं, तो वह समय दूर नहीं जब हमारा देश अपनी प्राचीन सभ्यता को भूलकर पश्चिमी सभ्यता को अपना लेगा।

दूरदर्शन ने बच्चों की पढ़ाई पर भी बुरा असर डाला है। बच्चों को अधिक से अधिक अपने मनोरंजन के लिए दूरदर्शन ही चाहिए होता है। पढ़ाई न करके अपना अधिकांश समय बच्चे दूरदर्शन को देखने में ही लगाते हैं।

आज के समय में दूरदर्शन में पहले की तुलना में अधिकतर फिल्में प्रसारित होती है। इन फिल्मों को देखने से बच्चों पर बुरा असर पड़ता है और छोटी सी उम्र में ही धूम्रपान और शराब जैसी बुरी आदते बच्चो को लग जाती हैं। फिल्मों में अहिंसक रूप से मारने पीटने को देखने से बच्चों के मन में अहिंसा करने की प्रवृत्ति का जन्म होता है।

दूरदर्शन की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता। देश विदेश के बारे में जानकारी हमें दूरदर्शन के द्वारा ही प्राप्त होती है। किसी भी चीज के अच्छे और बूरे दोनों ही पहलू होते है।  यदि दूरदर्शन का लोग सही तरीके से इस्तेमाल करते है, तो इससे उनका सर्वागीण विकास होता है। भारत के नव निर्माण में दूरदर्शन की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।

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तो यह था दूरदर्शन   पर निबंध (Doordarshan Essay In Hindi) , आशा करता हूं कि दूरदर्शन पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Doordarshan) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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Essay on Doordarshan in Hindi – दूरदर्शन पर निबंध

February 12, 2018 by essaykiduniya

Here you will get Paragraph and Short Essay on Doordarshan in Hindi Language for Students and Kids of all Classes in 200 and 400 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में दूरदर्शन पर निबंध मिलेगा।

Essay on Doordarshan in Hindi

Paragraph & Short Essay on Doordarshan in Hindi – दूरदर्शन पर निबंध ( 100 words )

दुरदर्शन आज के समय की सबसे बड़ा मनोरंजन का साधन है जिसे अंग्रेजी में टेलीविजन के नाम से जाना जाता है। इस पर बहुत से प्रोग्राम आते हैं जिनमें से कुछ ग्यान देते हैं तो कुछ केवल मनोरंजन करते हैं। यह विग्यापन का भी अच्छा स्त्रोत है। इसपर बहुत से प्रोग्राम का सीधा प्रसारण भी किया जाता है। इस पर हम देश विदेश की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन टेलीविजन को ज्यादा देखने से दृष्टि कमजोर होती है और बहुत से ऐसे प्रोग्राम आते हैं जो बच्चों को नहीं देखने चाहिए। टेलीविजन हमारे दिन को आसानी से व्यतीत करने में सहायती करता है।

Short Essay on Doordarshan in Hindi Language- दूरदर्शन पर निबंध (200 words)

15 सितंबर, 1959 को यूनेस्को ने भारत को 20,000 अमरीकी डालर और भारत के सबसे बड़े प्रसारण संगठन डोडारसन को शुरू करने के लिए फिलिप्स सेट दिया। ऐसा कहा जाता है कि प्रसारण उपकरण जर्मन द्वारा दान किया गया था जो एक औद्योगिक प्रदर्शनी के लिए आए थे। अखिल भारतीय रेडियो ने फर्श अंतरिक्ष और प्रारंभिक समाचार सामग्री की आपूर्ति की। शुरुआती वर्ष में केवल 180 टीवी सेट थे। 10 वर्षों में संख्या 1250 सेट तक बढ़ी। सेट एक कानपुर आधारित टीवी विनिर्माण कंपनी द्वारा प्रदान किए गए थे 1970 में नंबर 2200 था और 1977 में यह 2,25,000 तक पहुंच गया|

दूरदर्शन ने 1965 में खबरों का प्रसारण शुरू किया। 5 मिनट की अवधि बुलेटिन सुश्री प्रतिमा देव ने प्रस्तुत की। 1975 में, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के पिता विक्रम साराभाई ने पूरे भारत में टीवी सिग्नल भेजने के लिए एक भारतीय सैटेलाइट (INSAT) योजना का सुझाव दिया| 1976 में, दूरदर्शन आकाश से अलग हो गया| दूरदर्शन के पास 80 टीवी और 32 रेडियो चैनलों के गुलदस्ता के साथ डायरेक्ट होम होम प्लेटफार्म डीडी फ्री डिश एयर के लिए नि: शुल्क है। दूरदर्शन वर्तमान में 34 सैटेलाइट चैनल संचालित कर रहा है। नवंबर 2012 में डीडी भारती को संगीत, नृत्य, कला और शिल्प, इतिहास, विरासत, विज्ञान, ऊर्जा, पर्यावरण, परंपराओं, त्योहारों और भारत के व्यक्तित्वों के लिए पूर्व निर्धारित समय स्लॉट के साथ कला और संस्कृति को समर्पित चैनल के रूप में फिर से शुरू किया गया था। दुनिया। डीडी-वर्ल्ड को 2002 में डीडी-इंडिया में बदल दिया गया था। डीडी-भारत कार्यक्रम दुनिया के 38 देशों में पनडुब्बी केबल, उपग्रह और डीटीएच प्लेटफार्मों के माध्यम से पहुंच रहे हैं।

Long Essay on Doordarshan in Hindi Language – दूरदर्शन पर निबंध (400 words)

1959 में भारत के लिए टेलीविजन पेश किया गया था, लेकिन हमारे पास 30 से अधिक वर्षों के लिए केवल एक राष्ट्रीय चैनल था, जो दुर्लभ रूप से जीवन में घुस गया। पच्चीस साल बाद, केवल 24 × 7 टीवी ही होते हैं। केपीएमजी के मुताबिक, 1992 में 1.2 मिलियन टीवी घरों में हम 1996 में 14.2 मिलियन और 2014 में 168 मिलियन और 14 9 मिलियन सी एंड एस के घर गए थे।

वर्तमान में 800 से अधिक लाइसेंस प्राप्त चैनल हैं – 1991 में एक था – प्रोग्रामिंग की हर शैली के साथ और कुछ हमें नहीं पता था: मनोरंजन, संगीत, खेल, समाचार, जीवन शैली, आध्यात्मिकता, संपत्ति आदि। पहले 24 × 7 समाचार चैनल 1998 में शुरू हुआ था| भारतीय टेलीविजन के प्रतिष्ठित इतिहास ने राष्ट्र में ऑडियो विजुअल मीडिया की प्रगति, विस्तार और विकास की कल्पना की है।

1980 के दशक के दौरान भारतीय लघु स्क्रीन प्रोग्रामिंग शुरू हुई और उस समय केवल एक राष्ट्रीय चैनल दूरदर्शन था, जो सरकार के स्वामित्व में था। रामायण और महाभारत पहली प्रमुख टेलीविजन श्रृंखला का उत्पादन किया गया। यह सीरियल एकल कार्यक्रम के लिए विश्व रिकॉर्ड दर्शक जहाज संख्या के चरम पर पहुंच गया। 1980 के दशक के अंत तक अधिक से अधिक लोग टीवी सेट खरीदने शुरू कर चुके थे।

भारत में टेलीविजन करीब चार दशकों तक अस्तित्व में रहा है। पहले 17 वर्षों के लिए, यह हड़बड़ी फैल गया और संचरण आमतौर पर काले और सफेद रंग में था देश के विचारकों और नीति निर्माताओं, जो अभी तक औपनिवेशिक शासन के सदियों से मुक्त हो गए थे, हालांकि टेलीविजन एक शानदार तत्व है जो भारतीय बिना बिना कर सकते हैं। 1955 में एक कैबिनेट के फैसले को प्रिंट मीडिया में किसी भी विदेशी निवेश को अस्वीकार कर दिया गया था, जिसके बाद से लगभग 45 वर्षों तक धार्मिक रूप से अपनाया गया था। टीवी सेट की बिक्री, खरीदारों के लिए जारी किए गए लाइसेंस द्वारा प्रतिबिंबित केवल 676,615 तक 1977 तक थी|

हाल के दिनों में, भारतीय टेलीविजन को निजी चैनलों के साथ मिलकर एकीकरण में कहा गया है जो एकदम शानदार चमकदार प्रस्तुति में सभी तरह के मनोरंजन और शैक्षिक शो प्रदान करता है। भारतीय टेलीविजन या छोटी स्क्रीन ने अपरिहार्यता के स्तर हासिल किए हैं। ऑडियो विजुअल मीडिया के बिना जीवन को एक ठहराव माना जाता है ग्लैमर पैक साबुन और धारावाहिक, रियलिटी शो, टॉक शो और अन्य मनोरंजन संकुल भारतीय जीवन शैली का एक बड़ा हिस्सा शामिल हैं।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध (  Essay on Doordarshan in Hindi – दूरदर्शन पर निबंध ) को पसंद करेंगे।

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Essay on Doordarshan in hindi – दूरदर्शन (टेलीविजन) पर निबंध

हेलो दोस्तों आज फिर में आपके लिए लाया हु Essay on Doordarshan in Hindi पर पुरा आर्टिकल। जैसा की आप जानते है जब तक इंटरनेट का दौर नहीं आया था तब तक Doordarshan का बहुत बोल बाला था आज आपको Doordarshan से रूबरू करवायेंगे . आईये पढ़ते है Essay on Doordarshan in hindi या दूरदर्शन (टेलीविजन) पर निबंध

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  • Essay on Doordarshan in hindi

प्रस्तावना :

आज विज्ञान की उन्नति चरम सीमा पर है। दूरदर्शन भी विज्ञान का ही एक चमत्कारिक आविष्कार है। यह बच्चों, बूढ़ों, विद्यार्थियों, व्यवसायियों, महिलाओं, राजनीतिज्ञों, वकीलों, डॉक्टरों सभी के लिए समान रूप से फायदेमंद है। दूरदर्शन ने मनुष्य के जीवन के खालीपन को भरने के साथ-साथ उसका पूरा मनोरंजन भी किया है।

दूरदर्शन का अर्थ :

दूरदर्शन का शाब्दिक अर्थ है–‘दूर की वस्तु को देखना।’ दूरदर्शन के द्वारा हम दूर से प्रसारित ध्वनि और चित्र को देख भी सकते हैं तथा सुन भी सकते हैं। दूरदर्शन में रेडियो (आकाशवाणी) तथा चलचित्र (सिनेमा) दोनों की विशेषताएँ होती है। इसके द्वारा आवाज के साथ-साथ बोलने वाले या अभिनय करने वाले को साक्षात देखा भी जा सकता है। रेडियो के द्वारा तो हम देश-विदेश की घटनाओं को केवल सुन सकते हैं लेकिन टेलीविजन के द्वारा उन घटनाओं तथा चित्रों को अपनी आँखों से देख भी सकते हैं।

दूरदर्शन का आविष्कार :

दूरदर्शन का आविष्कार सन् 1926 में स्कॉटलैण्ड के वैज्ञानिक ‘बेयर्ड’ ने किया था। सन् 1936 में पहली बार बी. बी.सी. लन्दन से दूरदर्शन के कार्यक्रम का प्रसारण हुआ था। लेकिन भारतवर्ष में दूरदर्शन का शुभारम्भ अक्तूबर, 1959 में हुआ था और इसका उद्घाटन हमारे प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के शुभ हाथों द्वारा हुआ था। पहले यह केवल ‘काला-सफेद’ रूप में ही उपलब्ध था लेकिन अब तो यह रंगीन स्वरूप में सारे विश्व में उपलब्ध हैं।

दूरदर्शन के लाभ :

दूरदर्शन आज के प्रतियोगितावादी युग में बहुत महत्त्वपूर्ण है। किसी भी बात के बारे में पुस्तक या अखबार में पढ़कर या रेडियो में सुनकर हम उस व्यक्ति विशेष से इतना प्रभावित नहीं हो पाते, जितना कि उसको साक्षात् देखकर होते हैं। दूरदर्शन शिक्षा प्रचार का एक सशक्त माध्यम है इसके द्वारा जहाँ एक ओर विद्यार्थी को उसके पाठ्यक्रम ‘गगन गित न रापलेला

से सम्बन्धित जानकारी मिलती है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण किसानों को खेती, पशुपालन, परिवार-नियोजन, शिक्षा की उपयोगिता, अंध-विश्वासों तथा कुरीतियों के दुष्परिणामों आदि की सम्पूर्ण जानकारी भी प्राप्त होती है। दूरदर्शन पर आज खेल प्रेमी हर खेल का सीधा प्रसारण देख सकते हैं, वहीं दूसरी ओर कानून के प्रमुख कानून सम्बन्धी, चिकित्सक चिकित्सा सम्बन्धी, अध्यापक अध्यापन सम्बन्धी आधुनिकतम जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। दूरदर्शन आज के व्यस्त जीवन में मनोविनोद तथा मनोरंजन का भी सबसे सस्ता तथा सरल माध्यम है।

आज दूरदर्शन पर संगीत, नाटक, हास्य-व्यंग्य, गायन, नृत्य, कवि-सम्मेलन, चलचित्र आदि अनेकों कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।

दूरदर्शन से हानियाँ :

हर सिक्के के दो पहलूओं की भांति दूरदर्शन की कुछ कमियाँ भी हैं। पहले तो टेलीविजन के विस्तृत कार्यक्रमों के कारण परिवार के सदस्य एक-दूसरे से दूर हो गए हैं। आज सभी अपना खाली समय टेलीविजन पर अपना मनपसंद कार्यक्रम देखकर व्यतीत करना चाहते हैं। टेलीविजन को लगातार देखने से हमारी आँखों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। यहाँ तक कि आँखों की रोशनी भी जा सकती है।

इससे व्यक्ति का मोटापा भी बढ़ सकता है। बच्चे बाहरी खेल नहीं खेलना चाहते इससे उनका शारीरिक विकास रुक जाता है। कभी-कभी टेलीविजन पर अश्लील फिल्में तथा दूसरे भद्दे नृत्य आदि भी दिखाए जाते हैं जिससे हमारे मस्तिष्क पर कुप्रभाव पड़ता है।

यह तो सच्चाई है कि हर वस्तु में सुविधा के साथ दुविधा अवश्य होती है। अमृत का प्रयोग भी यदि आवश्यकता से अधिक किया जाए तो वह भी हानिकारक सिद्ध होगा। अधिक मात्रा में फल, दूध, मेवों का सेवन भी नुकसानदायक होता है। ठीक उसी प्रकार हमे दूरदर्शन को अपने जीवन की नीरसता तथा एकरसता को समाप्त करने के लिए थोड़े समय के लिए प्रयोग करना चाहिए। हमे दूरदर्शन पर अच्छे कार्यक्रम देखकर लाभान्वित होना चाहिए न कि भद्दे और अश्लील कार्यक्रम देखकर अपनी बुद्धि को हानि पहुँचानी चाहिए।

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  • दूरदर्शन (टेलीविजन) पर निबंध

टेलिविजन एक नया और मनोरंजन का बढ़िया साधन है । स्काटलैंड के इंजीनियर बेयर्ड ने इसका अविष्कार किया। अभी मंहगा होने के कारण यह भी सबको सुलभ नहीं । रेडियो में तो हम बोलने वाले की आवाज ही सुनते हैं, परन्तु टेलीविजन में हम बोलने वाले को हंसते-बोलते, गाते-बजाते, नाचते भी देख सकते हैं। इससे हम समाचार, भाषण, बहस, वाद- विवाद देख सकते हैं ।

टेलीविजन पर हम घर बैठे भी फिल्म देख सकते हैं। सभा, मैच, जुलूस आदि को हम घर बैठे अपनी आंखों से देख सकते हैं। | टेलीविजन द्वारा हम अपना तथा अपने मित्रों का बहुत मनोरंजन कर सकते हैं। मनोरंजन के साथ-साथ इससे हमारा ज्ञान भी बहुत बढ़ता है।

भारत में अभी कुछ ही स्थानों पर टेलीविजन प्रसारण केन्द्र हैं। यथा नई दिल्ली, श्रीनगर, अमृतसर, पूना, कानपुर, बम्बई । अन्य स्थानों पर शीघ्र ही दूर- दर्शन केन्द्रों की स्थापना की सम्भावना है।

दूरदर्शन आधुनिक युग का महत्त्वपूर्ण आविष्कार है। यह एक ऐसा यन्त्र है जिसकी सहायता से व्यक्ति दूर की वस्तु एवं व्यक्ति को देख और सुन सकता है। इस यन्त्र की सहायता से कानों तथा आँखों दोनों की तृप्ति होती है। दूरदर्शन का आविष्कार सन् 1926 ई. में इंग्लैंड के जॉन एल. बेयर्ड ने किया था। दूरदर्शन मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा देने, जानकारी बढ़ाने, प्रसार और प्रचार का भी महत्त्वपूर्ण तथा सशक्त साधन है।

आरम्भ में दूरदर्शन काफी महँगा पड़ता था, इसीलिए यह प्रत्येक व्यक्ति को तो क्या प्रत्येक देश तक में सुलभ नहीं था। धीरे-धीरे इसका प्रचलन और प्रसारण इस सीमा तक बढ़ा कि आज यह सर्वत्र देखा और सुना जा सकता है। अब यह राजभवन से लेकर झोपड़ी तक में पहुँच चुका है। पहले यह श्वेत-श्याम स्वरूप में ही प्राप्त था परन्तु अब तो रंगीन दूरदर्शन, सारे विश्व में उपलब्ध है।

इसके द्वारा हम देश-विदेश में होने वाले खेलों को घर बैठकर देख सकते हैं और उनका भरपूर आनन्द उठा सकते हैं। इसके अतिरिक्त देश-विदेश में घटित घटनाओं को हम सीधे अपनी आँखों से देख सकते हैं। आजकल इसके माध्यम से कक्षा में पाठ भी पढ़ाया जाता है जिसे बच्चे भली प्रकार समझ लेते हैं। आजकल दूरदर्शन को भू-उपग्रह से जोड़ दिया गया है ताकि ग्रामवासी भी इसका भरपूर लाभ उठा सकें।

आज के व्यस्त जीवन में यह मनोविनोद का बढ़िया और सस्ता साधन है। इसके द्वारा नाटक, हास्य-व्यंग्य, संगीत, कवि सम्मेलन, चलचित्र तथा अनेक प्रकार के सीरियल देखकर हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं। इसके माध्यम से कृषि सम्बन्धी कार्यक्रम दिखा कर कृषि कार्यों की अधिकाधिक जानकारी दी जा रही है। इस तरह यह कृषि के विकास में किसानों की सहायता कर रहा है।

विज्ञापनों को देकर व्यापारी वर्ग व विभिन्न वस्तुओं के निर्माता अपनी सहायता कर रहा है। सुदूर ग्रहों की जानकारी इसके कैमरे सरलता से प्राप्त कर लेते हैं। विज्ञान के नित्य नए-नए आविष्कारों ने इसे अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया है। केबल टी.वी., स्टार टी.वी., वी.सी.आर., कम्प्यूटर खेल आदि ने इसे नया रूप दे दिया है।

दूरदर्शन में कुछ कमियाँ भी दृष्टिगत होती हैं। इसके प्रकाश से तथा इसे अनवरत देखने से आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, यहाँ तक कि आँखें खराब भी हो जाती हैं। इसके द्वारा कुछ ऐसे कार्यक्रम देखने को मिलते हैं जिनका बच्चों के मानस पटल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित (कुंठित) होती है।

आज घर-घर में टेलीविजन हैं। टेलीविजन एक प्रभावशाली प्रचार माध्यम बन | चुका है। इस पर दिन-रात कोई-न-कोई कार्यक्रम आता ही रहता है। फिल्म, चित्रहार,  रामायण, महाभारत, और अनेक धारावाहिक कार्यक्रम तो बूढ़ों से लेकर बच्चों तक | सबकी जुबान पर रहते हैं। सारे काम-कंधे को छोड़कर लोग इन कार्यक्रमों को देखने के लिए टी.वी. सेट के करीब खिंचे चले आते हैं।

रेडियो-प्रसारण में वक्ता अथवा गायक की आवाज रेडियोधर्मी तरंगों द्वारा श्रोता तक पहुँचती है। इस कार्य में ट्रांसमीटर की मुख्य भूमिका होती है। रेडियो तरंगें एक सेकंड में ३ लाख कि.मी. की गति से दौड़ती हैं। दूरदर्शन में जिस व्यक्ति अथवा वस्तु का | चित्र भेजना होता है, उससे परावर्तित प्रकाश की किरणों को बिजली की तरंगों में बदला जाता है, फिर उस चित्र को हजारों बिंदुओं में बाँट दिया जाता है।

एक-एक बिंदु के प्रकाश को एक सिरे से क्रमशः बिजली की तरंगों में बदला जाता है। इस प्रकार टेलीविजन | का एंटेना इन तरंगों को पकड़ता है। विद्युत् तरंगों से सेट में एक बड़ी ट्यूब के भीतर ‘इलेक्ट्रॉन’ नामक विद्युत् कणों की धारा तैयार की जाती है। ट्यूब की भीतरी दीवार में एक मसाला लगा होता है। इस मसाले के कारण चमक पैदा होती है। सफेद भाग पर ‘इलेक्ट्रॉन’ का प्रभाव ज्यादा होता है और काले भाग पर कम। टेलीविजन समुद्र के अंदर खोज करने में बड़ा सहायक सिद्ध हुआ है। चाँद के धरातल का चित्र देने में भी यह सफल रहा।

आज बाजार में रंगीन, श्वेत-श्याम, बड़े,  मझले तथा छोटे हर तरह के टेलीविजन सेट उपलब्ध है। सन् 1925 में टेलीविजन का आविष्कार हुआ था। ग्रेट ब्रिटेन के एक वैज्ञानिक  जॉन एल. बेयर्ड ने टेलीविजन का आविष्कार किया था।

हमारे देश में टेलीविजन द्वारा प्रयोग के तौर पर 15 सितंबर, 1 9 51 को नई दिल्ली के आकाशवाणी केंद्र से इसका प्रथम प्रसारण किया गया था। प्रथम सामान्य प्रसारण नई दिल्ली से 15 अगस्त, 1 9 65 को किया गया था। और हाँ, एक समय ऐसा आया, जब आकाशवाणी और दूरदर्शन एक-दूसरे से अलग हो गए।

इस तरह से 1 अप्रैल, 1 9 76 को दोनों माध्यम एक-दूसरे से स्वतंत्र हो गए।  टेलीविजन के राष्ट्रीय कार्यक्रमों का प्रसारण ‘इनसेट -1 ए’ के माध्यम से 15 अगस्त, 1 9 82 से प्रारंभ हो गया था। उसके बाद आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, महाराष्ट्र में इसके प्रसारण केंद्र खोले गए। इस तरह टेलीविजन के विविध कार्यक्रमों का प्रसारण होने लगा।

भारत में टेलीविजन तेजी से चर्चित होता जा रहा है। सन् 1 9 51 में टी.वी. ट्रांसमीटर की संख्या मात्र 1 थी। यह ट्रांसमीटर दिल्ली में स्थापित किया गया था। इनकी संख्या बढ़ते-बढ़ते सन् 1 9 73 मे 5 और 1 9 83 में 42 तक पहुँच गई।

वर्ष 1 9 84  में यह संख्या 126 थी। कम शक्ति के ट्रांसमीटरों (लो पॉवर ट्रांसमीटर्स) की स्थापना के साथ ही देश में टी.वी. ट्रांसमीटरों की संख्या 166 हो गई।  5 सितंबर, 1987  तक देश के पास 99 ट्रांसमीटर थे। इनके बारह पूर्ण विकसित केंद्र, आठ रिले ट्रांसमीटर वाले छह इनसेट केंद्र (एक अपने रिले ट्रांसमीटर के साथ) और 183 लो पॉवर ट्रांसमीटर थे।

टेलीविजन आज अपने लगभग 300 ट्रांसमीटरों के साथ देश के 47 प्रतिशत क्षेत्र में फैली 47 प्रतिशत आबादी की सेवा करता है। सबसे बड़ी बात यह है कि दूरदर्शन के माध्यम से हम घर बैठे दुनिया की सैर कर लेते हैं। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, फिल्मोत्सव, ओलंपिक और क्रिकेट मैचों के सजीव प्रसारण देखकर मन झूम उठता है। समय-समय पर कई विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण तो देखते ही बनता है।

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टलीविजन के आविष्कारों में दूरदर्शन का एक महत्वपूर्ण स्थान है। दूरदर्शन (टलीविजन) ने  समाचारों में घटनाओं के माध्यम का दृश्यीकरण प्रस्तुत कर समस्त विश्व को इतना करीब ला दिया है कि मानो ऐसा लगता हो कि दुनिया एक गांव बन गयी है। अमेरिका व जापान में घटने वाली घटनाओं को आप घर बैठे तुरंत देख सकते हैं। संप्रति दूरदर्शन मनोरंजन का एक सस्ता व सहज माध्यम है। इस माध्यम की अपनी तमाम खूबियाँ हैं।

इसके बावजूद इस भाष्य का दुरुपयोग भी हो रहा है। दूरदर्शन पर कुछ ऐसे कार्यक्रमों का प्रस्तुतीकरण भी किया जा रहा है, जिसका प्रभाव नवयुवकों व बच्चों के दिलोदिमाग पर बुरा पड़ रहा है। और, यह तो रही इस माध्यम के दुरुपयोग की बात, जिसके लिए इस वैज्ञानिक आविष्कार को दोषी करार नहीं दिया जा सकता। इसके लिए दूरदर्शन के कार्यक्रम बनाने वाले और सरकार ही कुसूरवार है।

टेलीविजन का आविष्कार करने का श्रेय जॉन बेयर्ड को दिया जाता है जो स्कॉटलैण्ड के निवासी थे। उनके द्वारा यह आविष्कार सन् 1926 में किया गया था। सन् 1936 में बी.बी.सी. लन्दन से टी.वी. का प्रसारण शुरू हुआ। इसके आविष्कार का श्रेय यद्यपि जॉन बेयर्ड को प्राप्त हुआ है, किन्तु अन्य लोगों ने भी इस आविष्कार में प्रकारान्तर से अपनी विशेष भूमिका निभाई थी। ऐसे लोगों में मोर्स, कार्लस्टाईन, प्रोटोविज, ग्राहम बैल, जगदीश चन्द्र बसु और मार्कोनी का नाम उल्लेखनीय है।

भारत में टेलीविजन कितना उपयोगी और लाभकारी है यदि इस पर विचार किया जाए तो पक्ष में अधिक और विरोध में कम तर्क सामने आएंगे। दूरदर्शन मनोरंजन का श्रेष्ठ साधन होने के साथ-साथ कलाओं का उन्नायक भी है। दूरदर्शन में दिखाए जाने वाले नाटकों, प्रहसनों, मनोरंजक कार्यक्रमों के जरिये हमारे दूर-दराज के ग्रामवासी भी आनन्दित होते हैं। जो कार्यक्रम तथा शास्त्रीय नृत्य कभी राजदरबारों तथा दरबार के विशिष्ट व्यक्तियों को सुलभ थे अब आम जनता को भी सुलभ हो गए हैं। अतः दूरदर्शन के कार्यक्रमों को हम लोकरंजक कार्यक्रम कह सकते हैं।

दूरदर्शन से जहां कला के क्षेत्र में चेतना जगी है, वहीं व्यापार के क्षेत्र में इसका योगदान कम नहीं है। दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले कुछ विज्ञापनों की शैली काफी प्रभावशाली होती है जिसे दर्शक बरबस देखना चाहता है। इन आकर्षणों की वजह से विज्ञापनदाता के उत्पादों की बिक्री भी बढ़ जाती है। इसीलिए टेलीविजन पर विज्ञापन की दरें काफी अधिक होती है तथा बहत नपा-तला समय विज्ञापनदाताओं को दिया जाता है।

दूरदर्शन से हमें अपनी प्राचीन गरिमा का बोध होता है। महाभारत और रामायण की कथाएं, नेहरू जी की लिखी भारत की खोज ऐसे कार्यक्रम टी.वी. ने दिखाए हैं जिनकी वजह से लोगों के मन में अपनी संस्कृति के प्रति काफी अनुराग जागा है। टी.वी. आज के समय में ऐसी अनोखी ईजाद है जो मानव की अनेक प्रकार से लाभ दे रही है। इन सब लाभों के होते हुए भी टी.वी. के अवगुणों की संख्या भी कम नहीं है।

कुछ विचारकों का मत है कि टी.वी. अधिक देखने से लोगों की वैयक्तिक विचारशक्ति कुंठित होने लगती है। टी.वी. के कार्यक्रम एक घिसी-पिटी परम्परा पर आधारित होते हैं जिनमें केवल कुछ लोगों का ही योगदान होता है। इसलिए अधिक टी.वी. देखने से मनुष्य की स्वतंत्र चिंतन की शक्ति में अवरोध आने लगता है जो चिन्ता का विषय हैं।

भारत एक निर्धन देश है। बहुत से लोग तो केवल एक कमरे अथवा कोठरी या झुग्गी में रहकर ही गुजारा करते हैं। वे टी.वी. तो खरीद लेते हैं किन्तु उसे जितनी दूरी से देखना चाहिए, उतनी दूरी से उसे नहीं देखते। फलतः निरंतर ऐसा करने से नेत्र-ज्योति पर अन्तर आने लगता है। विशेषज्ञों का मत है कि ब्लैक एण्ड व्हाइट टी.वी. के अपेक्षा रंगीन टी.वी. आंखों के लिए ज्यादा हानिप्रद है।

मनोवैज्ञानिकों का विचार है कि मन्दमति बालकों के लिए टी.वी. देखना ज्यादा हानिप्रद हो सकता है। ‘अति सर्वत्र वर्जयेत्’ कहावत को ध्यान में रखते हुए टी.वी. को एक सीमा के अन्दर तथा निर्धारित दूरी से देखना ही उचित माना गया है। भारतीय टी.वी. दूरदर्शन) पर फिल्में दिखाने का प्रचलन कुछ ज्यादा ही हो गया है। इन फिल्मों के चयन में पूरी सावधानी न बरतने के कारण कभी-कभी घटिया और बचकानी फिल्में भी दूरदर्शन में दिखाई जाती हैं।

कला के नाम पर देर रात को दिखाई जाने वाली फिल्मों में कभी-कभी कुरूपता को दिखाने में भी सतर्कता नहीं बरती जाती जिससे दर्शकों की मानसिकता पर अस्वस्थ प्रभाव पड़ता है।

सारांश यह है कि वर्तमान समय में दूरदर्शन की उपयोगिता बहुत अधिक है। उसके अनेक लाभ हैं, किन्तु उससे होने वाली हानियां भी कम नहीं हैं। अच्छा हो कि दूरदर्शन हानियों से सावधान रहने के विषय में भी अपने कार्यक्रम दिखाए।

दूरदर्शन आधुनिक वैज्ञानिक युग का महत्वपूर्ण आविष्कार है। यह एक ऐस। यत्र है, जिसकी सहायता से व्यक्ति दूर की वस्तु एवं व्यक्ति को पंख और स् । सकता है। इस यन्त्र की सहायता से कानों तथा आंखों दोनों की तृप्ति होती है। दूरदर्शन का आविष्कार सन् 1926 ई. में इंग्लैंड के जॉन एल.बेयर्ड ने किया थ दूरदर्शन मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा देने, जानकारी बढ़ाने, प्रसार और प्रचा। का भी महत्त्वपूर्ण तथा सशक्त साधन है।

आरम्भ में दूरदर्शन काफी महँगा पड़ता था, इसीलिए यह प्रत्येक व्यक्ति छ । तो क्या प्रत्येक देश तक में सुलभ नहीं था। धीरे-धीरे इसका प्रचलन और प्रसार। इस सीमा तक बढ़ा कि आज यह सर्वत्र देखा और सुना जा सकता है। अब यः रजभवन से लेकर झोंपड़ी तक में पहुँच चुका है। पहले यह श्वेत-श्याम स्वरुप में ही प्राप्त था परन्तु अब तो रंगीन दूरदर्शन सारे विश्व में उपलब्ध है। इस द्वारा हम देश-विदेश में होने वाले खेलों को घर पर बैठकर देख सकते हैं और उनका भरपूर आनन्द उठा सकते हैं। इसके अतिरिक्त देश-विदेश में घटित घटनाओं को हम सीधे अपनी आँखों से देख सकते हैं।

आजकल इसके माध्यम से कक्षा में पाठ भी पढ़ाया जाता है जिसे बच्चे भली प्रकार समझ लेते हैं। आजकल दूरदर्शन को भू–उपग्रह से जोड़ दिया गया है कि ताकि ग्रामवासी भी इसका भरपूर लाभ उठा सकें। आज के व्यस्त जीवन में यह मनोविनोद का बढ़िया और सस्ता साधन है। इसके द्वारा नाटक, हास्य-व्यंग्य, संगीत, कवि सम्मेलन, चलचित्र तथा अनेक प्रकार के सीरियल देखकर हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं। इसके माध्यम से कृषि सम्बन्धी कार्यक्रम दिखा कर कृषि कार्यों की अधिकाधिक जानकारी दी जा रही है। इस तरह यह कृषि के विकास में किसानों की सहायता कर रहा है।

विज्ञापनों को देकर व्यापारी वर्ग व विभिन्न वस्तुओं के निर्माता अपनी वस्तुओं की बिक्री बढ़ा सकते हैं। दूरदर्शन अन्तरिक्ष विज्ञान की भी कई तरह से सहायता कर रहा है। सुदूर ग्रहों की जानकारी इसके कैमरे सरलता से प्राप्त कर लेते हैं। विज्ञान के नित्य नए-नए आविष्कारों ने इसे अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया है। केबल टी.वी., स्टार टी.वी., वी.सी.आर., कम्प्यूटर खेल आदि ने इसे नया रूप दे दिया है।

दूरदर्शन में कुछ कमियों भी दृष्टिगत होती हैं। इसके प्रकाश से तथा इसे अनवरत देखने से आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, यहाँ तक कि ऑखें खराब भी हो जाती है। इसके द्वारा कुछ ऐसे कार्यक्रम देखने को मिलते हैं जिनका बच्चों के मानस पटल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित (कुटित) होती है।

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दूरदर्शन पर निबंध – Importance Of Doordarshan Essay In Hindi

Hindi Essay प्रत्येक क्लास के छात्र को पढ़ने पड़ते है और यह एग्जाम में महत्वपूर्ण भी होते है इसी को ध्यान में रखते हुए hindilearning.in में आपको विस्तार से essay को बताया गया है |

दूरदर्शन पर निबंध – Essay On Importance Of Doordarshan In Hindi

संकेत बिंदु –

  • दूरदर्शन का प्रभाव
  • दूरदर्शन से हानियाँ
  • दूरदर्शन का बढता उपयोग
  • दूरदर्शन के लाभ

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना – विज्ञानं ने मनुष्य को एक से बढ़कर एक अद्भुत उपकरण प्रदान किए हैं। इन्हीं अद्भुत उपकरणों में एक है दूरदर्शन। दूरदर्शन ऐसा अद्भुत उपकरण है जिसे कुछ समय पहले कल्पना की वस्तु समझा जाता था। यह आधुनिक युग में मनोरंजन के साथसाथ सूचनाओं की प्राप्ति का महत्त्वपूर्ण साधन भी है। पहले इसका प्रयोग महानगरों के संपन्न घरों तक सीमित था, परंतु वर्तमान में इसकी पहुँच शहर और गाँव के घर-घर तक हो गई है।

दरदर्शन का बढ़ता उपयोग – दूरदर्शन मनोरंजन एवं ज्ञानवर्धन का उत्तम साधन है। आज यह हर घर की आवश्यकता बन गया है। उपग्रह संबंधी प्रसारण की सुविधा के कारण इस पर कार्यक्रमों की भरमार हो गई है। कभी मात्र दो चैनल तक सीमित रहने वाले दूरदर्शन पर आज अनेकानेक चैनल हो गए हैं। बस रिमोट कंट्रोल उठाकर अपना मनपसंद चैनल लगाने और रुचि के अनुसार कार्यक्रम देखने की देर रहती है। आज दूरदर्शन पर फ़िल्म, धारावाहिक, समाचार, गीत-संगीत, लोकगीत, लोकनृत्य, वार्ता, खेलों के प्रसारण, बाजार भाव, मौसम का हाल, विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रम तथा हिंदी-अंग्रेजी के अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में प्रसारण की सुविधा के कारण यह महिलाओं, युवाओं और हर आयुवर्ग के लोगों में लोकप्रिय है।

दरदर्शन का प्रभाव – अपनी उपयोगिता के कारण दूरदर्शन आज विलसिता की वस्तु न होकर एक आवश्यकता बन गया है। बच्चेबूढ़े, युवा-प्रौढ़ और महिलाएँ इसे समान रूप से पसंद करती हैं। इस पर प्रसारित ‘रामायण’ और महाभारत जैसे कार्यक्रमों ने इसे जनमानस तक पहुँचा दिया। उस समय लोग इन कार्यक्रमों के प्रसारण के पूर्व ही अपना काम समाप्त या बंद कर इसके सामने आ बैठते थे। गाँवों और छोटे शहरों में सड़कें सुनसान हो जाती थीं। आज भी विभिन्न देशों का जब भारत के साथ क्रिकेट मैच होता है तो इसका असर जनमानस पर देखा जा सकता है। लोग सब कुछ भूलकर ही दूरदर्शन से चिपक जाते हैं और बच्चे पढ़ना भूल जाते हैं। आज भी महिलाएँ चाय बनाने जैसे छोटे-छोटे काम तभी निबटाती हैं जब धारावाहिक के बीच विज्ञापन आता है।

दरदर्शन के लाभ – दूरदर्शन विविध क्षेत्रों में विविध रूपों में लाभदायक है। यह वर्तमान में सबसे सस्ता और सुलभ मनोरंजन का साधन है। इस पर मात्र बिजली और कुछ रुपये के मासिक खर्च पर मनचाहे कार्यक्रमों का आनंद उठाया जा सकता है। दूरदर्शन पर प्रसारित फ़िल्मों ने अब सिनेमा के टिकट की लाइन में लगने से मुक्ति दिला दी है। अब फ़िल्म हो या कोई प्रिय धारावाहिक, घर बैठे इनका सपरिवार आनंद लिया जा सकता है।

दूरदर्शन पर प्रसारित समाचार ताज़ी और विश्व के किसी कोने में घट रही घटनाओं के चित्रों के साथ प्रसारित की जाती है जिससे इनकी विश्वसनीयता और भी बढ़ जाती है। इनसे हम दुनिया का हाल जान पाते हैं तो दूसरी ओर कल्पनातीत स्थानों, प्राणियों, घाटियों, वादियों, पहाड़ की चोटियों जैसे दुर्गम स्थानों का दर्शन हमें रोमांचित कर जाता है। इस तरह जिन स्थानों को हम पर्यटन के माध्यम से साक्षात नहीं देख पाते हैं या जिन्हें देखने के लिए न हमारी जेब अनुमति देती है और न हमारे पास समय है, को साक्षात हमारी आँखों के सामने प्रस्तुत कर देते हैं।

दूरदर्शन के माध्यम से हमें विभिन्न प्रकार का शैक्षिक एवं व्यावसायिक ज्ञान होता है। इन पर एन०सी०ई०आर०टी० के विभिन्न कार्यक्रम रोचक ढंग से प्रस्तुत किए जाते हैं। इसके अलावा रोज़गार, व्यवसाय, खेती-बारी संबंधी विविध जानकारियाँ भी मिलती हैं।

दरदर्शन से हानियाँ दूरदर्शन लोगों के बीच इतना लोकप्रिय है कि लोग इसके कार्यक्रमों में खो जाते हैं। उन्हें समय का ध्यान नहीं रहता। कुछ समय बाद लोगों को आज का काम कल पर टालने की आदत पड़ जाती है। इससे लोग आलसी और निकम्मे हो जाते हैं। दूरदर्शन के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। इससे एक ओर बच्चों की दृष्टि प्रभावित हो रही है तो दूसरी और उनमें असमय मोटापा बढ़ रहा है जो अनेक रोगों का कारण बनता है।

दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रमों में हिंसा, मारकाट, लूट, घरेलू झगडे, अर्धनंगापन आदि के दृश्य किशोर और युवा मन को गुमराह करते हैं जिससे समाज में अवांछित गतिविधियाँ और अपराध बढ़ रहे हैं। इसके अलावा भारतीय संस्कृति और मानवीय मूल्यों की अवहेलना दर्शन के कार्यक्रमों का ही असर है।

उपसंहार –  दूरदर्शन अत्यंत उपयोगी उपकरण है जो आज हर घर तक अपनी पैठ बना चुका है। इसका दूसरा पक्ष भले ही उतना उज्ज वल न हो पर इससे दूरदर्शन की उपयोगिता कम नहीं हो जाती। दूरदर्शन के कार्यक्रम कितनी देर देखना है, कब देखना है, कौन से कार्यक्रम देखने हैं यह हमारे बुद्धि विवेक पर निर्भर करता है। इसके लिए दूरदर्शन दोषी नहीं है। दूरदर्शन का प्रयोग सोच-समझकर करना चाहिए।

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Hindi Essay on “Doordarshan”, “दूरदर्शन”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

Doordarshan

विज्ञान ने आज मानव को अनेक उपहार दिए हैं। दूरदर्शन भी विज्ञान का अनुपम उपहार है। दूरदर्शन शब्द अंग्रेजी शब्द (Television) का पर्याय है। दूर और Vision देखना अर्थात् दूरदर्शन। इसके द्वारा घर बैठे-ही-बैठे अनेक घटनाओं. नाटकों, खेलकुद तथा अन्य समारोहों को साक्षात देखा जा सकता है। दूरदर्शन का आविष्कार श्री जे० एल० बेयर्ट ने सन 1925 में किया था। हमारे देश में सन् 1951 में दिल्ली में प्रथम दूरदर्शन केन्द्र की स्थापना हुई थी। आज टैलीविजन मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा का भी साधन बन गया है। इसके द्वारा अनेक शिक्षाप्रद नाटकों तथा कार्यक्रमों अनेक प्रकार की बुराईयां दूर होती है। दूरदर्शन के द्वारा हमारे ज्ञान में वृद्धि होती है। हमें अनेक प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है। इसके द्वारा हम अनेक कार्यक्रमों को घर बैठे देख सकते हैं जिन्हें देख पाना हमारे लिए सम्भव नहीं। ओलम्पिक, एशियाई खेल, क्रिकेट मैच, अनेक प्रकार के राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों को हम सीधे घर बैठे देख सकते हैं। आजकल तो सैटेलाइट के माध्यम से विदेशों के कार्यक्रम भी देखना सम्भव हो गया है। देश के संसद की सारी कार्यवाही भी दूरदर्शन पर दिखाई जाने लगी है। कृषि के क्षेत्र में भी टी० वी० के माध्यम से किसानों को केवल मौसम सम्बन्धी जानकारी ही नहीं मिलती अपितु पर्दे पर अनेक विधियां, सावधानियां तथा प्रयोग दिखाए जाते हैं। दूरदर्शन के बढ़ते प्रयोग से इसकी कुछ हानियां बी सामने आ रही हैं। अधिक समय तक तथा ठीक विधि से दूरदर्शन न देखने पर आँखों की ज्योति क्षीन होती है। विद्यार्थीगण दूरदर्शन के कार्यक्रमों को इतनी रूचि लेने लगे हैं कि उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता। दूरदर्शन पर जो फिल्म या चित्रहार दिखाए जाते हैं उनके दृष्य भद्दे होते हैं, जिन्हें परिवार के सभी लोग एक साथ बैठकर नहीं देख सकते। इसीलिए विद्यार्थियों को चाहिए कि दूरदर्शन के आदी न बनें और पढ़ाई के समय पर पढ़ाई ही करें। सरकार को चाहिए कि दूरदर्शन पर अच्छी शिक्षाप्रद फिल्में तथा ऐसे कार्यक्रम दिखाने का प्रबन्ध करें जिससे राष्ट्रीय एकता में वृद्धि हो तथा जन-जागरण हो।

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Essay on Doordarshan in English and Hindi | Television Essay in English 500 Words | दूरदर्शन वरदान या अभिशाप पर निबंध

Essay on Doordarshan in english and hindi

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Table of Contents

Doordarshan

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Essay on Doordarshan in English and Hindi | Television Essay in English 500 Words

(1) The utility of television as a means of entertainment, a means of promoting education, aiding in social consciousness, ill effects of television, Conclusion

Meaning in Hindi

दूरदर्शन की उपयोगिता मनोरंजन के साधन के रूप में, शिक्षा प्रचार का साधन, सामाजिक चेतना में सहाय, दूरदर्शन का कुप्रभाव, निष्कर्ष

(2) Doordarshan is a wonderful invention of the modern era, it broadcasts whatever events happen every day. A teacher is the one who directly educates the audience. Its antiquity can be linked to the Mahabharata period. Even in the Mahabharata era, Sanjay must have had a device like Doordarshan, through which he continued to narrate the entire story of the Mahabharata war to Maharaja Dhritarashtra. Sanjay had a vision of the supernatural powers and divine vision of the Mahabharata period. Modern vision television has come to the world for the last four decades.

दूरदर्शन आधुनिक युग का एक अद्भुत अविष्कार है यह प्रत्येक दिन जो भी घटना घटती है उन्हें प्रसारित करता है दूरदर्शन ज्ञान का एक उत्तम साधन है जिससे छात्रों एवं अन्य व्यक्तियों को भरपूर जानकारी प्राप्त होती है। दर्शकों को सचित्र प्रत्यक्ष शिक्षित करने वालो शिक्षक है। इसकी प्राचीनता महाभारत काल से जोड़ी जा सकती है। महाभारत युग में भी संजय के पास दूरदर्शन सरीखा कोई यंत्र रहा होगा, जिसके माध्यम से वे महाराजा धृतराष्ट्र को महाभारत युद्ध की संपूर्ण गाथा सुनाते रहे। महाभारत कालीन आलौकिक शक्तियों एवं दिव्य दृष्टि में संजय की दृष्टि रही। आधुनिक दिव्य दृष्टि टेलीविजन का आगमन विश्व में विगत चार दशकों से हुआ है।

(3) The first telecast in our country by Doordarshan started on 15 September 1959 in New Delhi. At that time the television department was under All India Radio. The range of transmission is only 40 kms around Delhi. Was. At that time only education programs for school children were broadcast. Television developed a little in 1965 but daily service was started from 15 August 1956. The formula for the success of television’s popularity and development journey is that today television has acquired the form of a necessary necessity among the Indian masses.

सर्वप्रथम दूरदर्शन द्वारा हमारे देश में प्रसारण 15 सितंबर 1959 को नई दिल्ली में शुरू हुआ। उस समय टेलीविजन विभाग आल इंडिया रेडियो के ही अंतर्गत था। प्रसारण की सीमा दिल्ली के आस-पास केवल 40 किलो मी. थी। उस समय केवल स्कूली बच्चों के लिए पढ़ाई का कार्यक्रम प्रसारित होता था। 1965 में टेलीविजन थोड़ा विकसित हुआ पर 15 अगस्त 1956 से प्रतिदिन की सेवा की शुरुआत की गई। टेलीविजन की लोकप्रियता एवं विकास यात्रा की सफलता का सूत्र यह है कि आज टेलीविजन भारतीय जनता के बीच आवश्यक आवश्यकता का रूप प्राप्त कर लिया है।

(4) Modern television has become the most popular means of entertainment. The public continues to benefit from the effective programs of many channels. Its listening-darshan brings both enlightenment and entertainment. The film is telecast from time to time from various centres. The hallmark of songs and music based on the films Miti is found in Chitrahar. Poetry lovers keep enjoying the poetry conferences and Mushairas held in different parts of the country sitting at home. Folk-songs, folk-dances, far-flung rural philosophy could taste the folk expression. The spirit of preservation and promotion of folk arts is inherent behind such programs. Programs like Antyakshari, Quiz have gained special popularity.

आधुनिक दूरदर्शन मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय साधन बन चुका है। अनेक चैनलों के प्रभावी कार्यक्रमों से जनता लाभन्वित होती रहती है। इसके श्रवण-दर्शन से ज्ञानवर्धन और मनोरंजन दोनों ही होता है। विविध केंद्रों से समय-समय पर फिल्म का प्रसारण होता है। फिल्मों मिलती पर आधारित गीत-संगीत की बानगी चित्रहार में मिलती है। कविता प्रेमी दर्शकों को घर बैठे देश के विभिन्न भागों में होने वाले कवि सम्मेलनों व मुशायरों का आनंद मिलता रहता है। लोक-गीत, लोक-नृत्य दूर-दराज के ग्रामीण दर्शन लोक अभिव्यक्ति का आस्वादन कर सके। इस तरह के कार्यक्रमों के पीछे लोककलाएं के संरक्षण एवं संवर्धन की भावना निहित रहती है। अन्तयाक्षरी , प्रश्नोत्तरी जैसे कार्यक्रमों ने विशेष लोकप्रियता प्राप्त की है।

(5) Education is also promoted through Doordarshan. He is a meaningful teacher of children. Through this, curricular knowledge is given to the children by learned and expert teachers. Nowadays Doordarshan syllabus is prescribed for each subject. Various programs are broadcast on adult education. The broadcast of the courses of Indira Gandhi Open University and U.G.C. Doordarshan is a special achievement in the field of education. The book review broadcast from the morning is very popular in the literary world. Contemporary discussions have been an important link in solving social problems. Broadcasting of news is especially popular among students, adults and general public. Not only does the business class benefit from the broadcast of advertisements, the public also gets to know about the new products coming in the market sitting at home. In television education, both the sense organs and the hearing senses of the students work together. As a result, while the education work is simple, effective and realistic, it also becomes entertaining.

दूरदर्शन के द्वारा शिक्षा का प्रचार प्रसार भी होता है। यह बच्चों का सार्थक शिक्षक है। इसके माध्यम से बच्चों को पाठयक्रम संबंधी ज्ञान, विद्वान व विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा दिया जाता है। आजकल प्रत्येक विषय के लिए दूरदर्शन पाठ्यक्रम निर्धारित है। प्रौढ़शिक्षा पर तरह-तरह के कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय और U.G.C के पाठ्यक्रमों का प्रसारण दूरदर्शन कि शिक्षा के क्षेत्र में विशेष उपलब्धि है। प्रात: कालीन से प्रसारित पुस्तक समीक्षा साहित्य जगत में काफी लोकप्रिय है। समसामयिक परिचर्चाएं सामाजिक गुत्थियों को सुलझाने में महत्वपूर्ण कड़ी रही है। समाचारों का प्रसारण विद्यार्थियों, वयस्कों एवं सामान्य जन में विशेष लोकप्रिय है। विज्ञापनों के प्रसारण से व्यापारी वर्ग को तो लाभ होता ही है जनता भी बाजार में आने वाली नए उत्पादन हो को घर बैठे जान जाती है। दूरदर्शन शिक्षा में विद्यार्थियों की दर्शनेन्द्रयां और श्रवणेन्द्रिया दोनों ही एक साथ काम करती हैं। फलत: एक ओर जहां शिक्षा कार्य सरल, प्रभावशाली और यथार्थ परक होता है, वही मनोरंजक भी हो जाता है।

(6) Television has proved to be meaningful and helpful in the development of economic, social, educational health etc. Or proved to be a major link to the needs, potential access, technology and economic aspects of national development.

आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक स्वस्थ्य आदि के विकास में टेलीविजन सार्थक एवं सहयोगी साबित हुआ है। या राष्ट्रीय विकास की आवश्यकताओं, संभावित पहुंच, प्रौद्योगिकी एवं आर्थिक पहलुओं के लिए बहुत बड़ी कड़ी के रूप में सिद्ध हुआ।

(7) While Doordarshan has many advantages, it also has disadvantages. If it is not used for national interests under the right methods and policies, then the time is not far when the whole country will start flying in the storm of modernity. Broadcasting of programs influenced by western imitation is having a bad effect on the culture. Doordarshan’s programs have greatly influenced the education of the children of the house. Children leave the homework and study given from school and get involved in watching the Pratik program broadcast on Doordarshan. In the absence of proper study and proper preparation, they use unfair means or fail in the examination. Now more films are being shown on Doordarshan than before. Due to not being very careful in the selection of these films, most of the substandard films are aired. In the late night films in the name of art, sometimes buffaloes are shown, which has an unhealthy effect on the mentality of the audience.

दूरदर्शन से जहां अनेक लाभ है वही उससे हानियां भी है। यदि इसका उपयोग सही तारीको एवं नीतियों के तहत राष्ट्रीय हितों के लिए नहीं हुआ तो वह समय दूर नहीं है जब पूरा देश आधुनिकता की आंधी में उड़ने लगेगा। पश्चिमी अंधानुकरण से प्रभावित कार्यक्रमों के प्रसारण से संस्कृति पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। दूरदर्शन के कार्यक्रमों ने घर के बच्चों की पढ़ाई को अत्यधिक प्रभावित किया है। बच्चे विद्यालय से दिया गया गृह कार्य व अध्ययन छोड़कर दूरदर्शन पर प्रसारित प्रतिक कार्यक्रम को देखने में संलग्न हो जाते हैं। संपूर्ण अध्ययन एवं समुचित तैयारी के अभाव में परीक्षा में अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं या फिर असफल हो जाते हैं। दूरदर्शन पर पहले की अपेक्षा अब ज्यादा फिल्में दिखायी जा रही हैं। इन फिल्मों के चयन मैं पूरी सावधानी न बरतने के कारण अधिकतर घटिया फिल्में प्रसारित कर दी जाती हैं। कला के नाम पर देर रात को दिखाई जाने वाली फिल्मों में कभी-कभी भौड़े दिखाये जाते हैं जिसका दर्शकों की मानसिकता पर अस्वस्थ प्रभाव पड़ता है।

(8) In the present time, the utility of Doordarshan is very high. Doordarshan should be used in the right direction by adopting the formula of Barjayet everywhere in the protection and addressing of social, economic, political, cultural and moral values ​​society. If its shortcomings are to be refined and if one remains aware of the ill-effects, then surely Doordarshan will have an important contribution in the role of Navnirman of a prosperous India.

वर्तमान समय में दूरदर्शन की उपयोगिता बहुत अधिक है। सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं नैतिक मुल्य समाज को सही दिशा देने, संस्कृतियों के संरक्षण एवं संबोधन में अतिसर्वत्र बर्जयेत का फार्मूला अपनाते हुए सही दिशा में दूरदर्शन का प्रयोग किया जाए। इसकी  कमियों को परिष्कार किया जाए और दुष्परिणामो के प्रति सचेत रह जाए तो निश्चित रूप से समृद्ध भारत के नवनिर्माण की भूमिका में दूरदर्शन का महत्वपूर्ण योगदान होगा।

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हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

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  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
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  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
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  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
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  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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  4. दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध

    दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध - Essay On Doordarshan In Hindi दूरदर्शन का जीवन पर बढ़ता अनुचित प्रभाव - Doordarshan's Increasing Undue Influence On Life रूपरेखा- प्रस्तावना, दूरदर्शन का प्रभाव ...

  5. Importance Of Doordarshan Essay In Hindi

    दूरदर्शन पर निबंध - Essay On Importance Of Doordarshan In Hindi. संकेत बिंदु -. प्रस्तावना. दूरदर्शन का प्रभाव. दूरदर्शन से हानियाँ. दूरदर्शन का बढता उपयोग ...

  6. दूरदर्शन पर निबंध (Doordarshan Essay In Hindi Language)

    दूरदर्शन पर निबंध (Doordarshan Essay In Hindi) प्रस्तावना. आज का युग विज्ञानं का युग है। इस युग में विज्ञान ने काफ़ी उन्नति कर ली है। आए दिन नए- नए अविष्कार होते रहते हैं ...

  7. Essay on Doordarshan in Hindi

    Doordarshan Essay in Hindi Language- दूरदर्शन पर निबंध: Paragraph, Short Essay on Doordarshan in Hindi Language for Students and Kids of all Classes in 100, 200, 400 words.

  8. Hindi Essay on "Doordarshan ke Labh aur Haniya", "दूरदर्शन के लाभ और

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  9. Essay on Doordarshan in hindi

    लो दोस्तों आज फिर में आपके लिए लाया हु Essay on Doordarshan in Hindi पर पुरा आर्टिकल। जैसा की आप जानते है जब तक इंटरनेट का दौर नहीं आया था तब तक Doordarshan का बहुत बोल बाला था

  10. दूरदर्शन पर निबंध

    दूरदर्शन पर निबंध - Essay On Importance Of Doordarshan In Hindi. संकेत बिंदु -. साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध ...

  11. Hindi Essay on "Doordarshan ", "दूरदर्शन", for Class 5, 6, 7, 8, 9 and

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  12. Hindi Essay on "Doordarshan", "दूरदर्शन", Hindi Anuched, Nibandh for

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  13. Essay on Doordarshan in English and Hindi

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  14. Hindi Essay (Hindi Nibandh)

    दूरदर्शन पर निबंध - (Importance Of Doordarshan Essay) दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध - (Doordarshan Essay) बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध - (Baste Ka Badhta Bojh Essay)

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