हिंदी का महत्व ( Importance of Hindi )

आज के युग में हम हिंदी के महत्व को उजागर करने जा रहे हैं। हिंदी के उद्भव , विकास और प्रसिद्धि इन सभी बिंदुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा करने की कोशिश करेंगे। यह लेख हिंदी भाषी तथा गैर हिंदी भाषी लोगों के लिए भी लाभदायक है , जिसके माध्यम से वह हिंदी को और विस्तार पूर्वक समझ सकेंगे।

यह लेख हिंदी के महत्व को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है। जिसके माध्यम से आपके ज्ञान की वृद्धि और जिज्ञासा की शांति हो सके। ऐसा इस लेख का उद्देश्य  है –

Table of Contents

हिंदी का महत्व ( निबंध के रूप में प्रस्तुत )

पृष्ठभूमि – हिंदी की प्रसिद्धि आज देश ही नहीं अभी तो विदेश मे भी है। हिंदी का सरलतम रूप आज समाज में व्याप्त है।  हिंदी का अध्ययन देश ही नहीं अपितु विदेश में भी किया जा रहा है। हिंदी भाषी क्षेत्रों का दायरा व्यापक और विस्तृत होता जा रहा है , जिसमें संभावनाएं असामान्य रूप से बढ़ती जा रही है।

खड़ी बोली को पीछे छोड़कर हिंदी भाषा में एक नया रूप धारण किया , जिसमें इसके पाठकों और श्रोताओं का साथ मिलता गया। हिंदी भाषी लोग भारत में बेहद ज्यादा संख्या में उपलब्ध है , जिसके कारण भारतीय साहित्य में हिंदी भाषा ने अपनी प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली। वर्तमान शोध में यह पाया गया है कि इंटरनेट की दुनिया में गुणात्मक रूप से वृद्धि करने वाली भाषा हिंदी है।

जिसके अध्ययन के लिए विदेशी लोग भी लालाहित हैं।

माना जाता है हिंदी का जन्म उर्दू , अरबी और फारसी भाषाओं से हुआ है। मेरा ऐसा मानना है काफी शब्द उनसे ग्रहण किया गया है , किंतु संस्कृत का यह सरलतम रूप है। हिंदी मे  , संस्कृत और उर्दू के शब्दों भाषा के शब्दों का प्रयोग देखने को मिलता है।

हिंदी भाषा के उद्भव के कारण

हिंदी के उद्भव से पूर्व की जो भाषाएं भारत में प्रचलित थी वह सामान्य जनमानस की भाषा नहीं थी। संस्कृत पढ़े लिखे और विद्वानों की भाषा मानी जाती थी।  इस भाषा का प्रयोग सामान्य जीवन में नहीं किया जाता था। जिसके कारण इस भाषा से सामान्य जन परिचित नहीं थे। भारत की अधिकतर आबादी गांव में निवास करती थी , जहां के लोग अपनी क्षेत्रीय भाषा में बातचीत किया करते थे। इन ग्रामीणों को बैंक अथवा कार्यालय में हिंदी भाषा का प्रयोग करने में सुविधा होती है। अतः ऐसे क्षेत्र बहुतायत संख्या में है जहां कार्यालय भाषा हिंदी है।

हिंदी के शब्द सरल और सुविधाजनक माने जाते हैं। इस प्रकार यह लोग सम्मानीय की भाषा बनती है। हिंदी का साहित्य में आगमन एक क्रांतिकारी चरण है। हिंदी से पूर्व प्राकृत , अपभ्रंश , खड़ी बोली आदि का प्रयोग था जो बेहद ही जटिल भाषा मानी जाती है। इसको लिखना और बोलना बेहद कठिन माना जाता है।

अतः नवजागरण काल में हिंदी भाषा का चलन आरंभ हुआ।

भारतेंदु हरिश्चंद्र और उनकी सहयोगी टोलियों ने हिंदी भाषा के क्षेत्र में बेहद सराहनीय कार्य किया। भारतेंदु को हिंदी भाषा के विकास का श्रेय दिया जाता है इससे पूर्व खड़ी बोली प्रचलन में थी।

जनसामान्य की रुचि को ध्यान में रखते हुए भारतेंदु ने हिंदी भाषा का चलन आरंभ किया।

तत्काल समय में कविता नाटक और उपन्यास की रचना हिंदी में की गई जिसे लोगों ने खूब सराहा और धीरे-धीरे मध्यमवर्गीय पाठकों का उदय हुआ। इन पाठकों की प्रमुख भाषा हिंदी थी।

अतः उन्होंने हाथों-हाथ इन उपन्यास और साहित्य को अपनाया।

हिंदी भाषी क्षेत्र की जानकारी

हिंदी भाषा का क्षेत्र आज व्यापक हो गया है , पूर्व समय में उत्तर भारत का संपूर्ण भाग हिंदी भाषी माना जाता था। जिसमें प्रमुख मध्य प्रदेश , उत्तर प्रदेश , बिहार आदि है। इन प्रदेशों में अधिक आबादी और संख्या होने के कारण हिंदी भारत में लोकप्रिय भाषा बन गई।  आज वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा उभर कर सामने आई है। वर्तमान समय में देश ही नहीं अपितु विदेश में भी हिंदी भाषा की सराहना की जा रही है। हिंदी भाषा इतनी सरल है कि जो शब्द का उच्चारण होता है वही शब्द लिखित रूप में होता है।

जबकि अन्य भाषाओं में शब्द का उच्चारण और लेख विभिन्न होते हैं।

विदेशी पाठक भी हिंदी का अध्ययन कर रहे हैं और इस क्षेत्र में उभरती संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं।

इंटरनेट पर हिंदी भाषी लोगों का निरंतर गुणात्मक रूप से वृद्धि हो रही है।

जिसका यही कारण है कि हिंदी सरल और सुगम भाषा बनती जा रही है। यह एक विशाल समूह की भाषा है जो सरल और सुगम मानी गई है।

वैश्विक स्तर पर हिंदी का महत्व – Hindi ka mahatva vaishvik star par

भारत सदैव से विश्व गुरु माना गया है , बीच में कुछ कालखंड ऐसे रहे जहां भारत अपनी राजनीतिक परिस्थितियों में घिर गया था। किंतु वह आज भी विश्व गुरु बनने की राह में पीछे नहीं है। भारत में वैदिक गुरुकुल और शिक्षा को ग्रहण करने के लिए देश-विदेश से शिक्षार्थी आया करते थे यहां के गुरुकुल की शिक्षा दुर्लभ थी। नालंदा विश्वविद्यालय इसका एक प्रमुख उदाहरण है।

  • भारत ने ही विश्व को वेद और योग तथा विज्ञान की शिक्षा दी।
  • भारतीय वेद पुराणों में निहित विज्ञानों को आज के वैज्ञानिक खोज कर रहे हैं।
  • जबकि उन सभी को भारतीय वेद पुराण में लिखा जा चुका था।

इसको आप झुठला नहीं सकते।

ठीक इसी प्रकार हिंदी की पकड़ विश्व स्तर पर हो गई है। इसके पाठकों के माध्यम से हिंदी भाषा का विस्तार हो रहा है। आज विदेशी लोग भी व्यापार करने के लिए भारत की ओर ताक रहे हैं। ऐसी स्थिति में वह हिंदी भाषा का गहन अध्ययन कर रहे हैं। आए दिन शोध में यह पाया जा रहा है कि भारतीय हिंदी भाषा का निरंतर गुणात्मक रूप से विकास हो रहा है। अतः इनकी आबादी और पाठकों की संख्या बेहद अधिक है ऐसे में विदेशी भी भारत की ओर अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं।

इंटरनेट पर इंग्लिश और चाइना भाषा के बाद हिंदी ही सबसे लोकप्रिय भाषा मानी जा रही है। देश विदेश के लोग हिंदी सीखने के लिए मोटी रकम खर्च कर रहे हैं।

हिंदी के साहित्य

हिंदी के साहित्य का वर्तमान में वैश्विक स्तर पर मांग बढ़ गई है। हिंदी के साहित्य व्यक्ति के जीवन से जुड़े होते हैं। उसमें हर्ष , विषाद , संवेदना सभी प्रकार के भाव निहित होते हैं। हिंदी साहित्य मानवीय संवेदनाओं को प्रकट करने में सक्षम है। आप इन साहित्य को पढ़कर यह महसूस करेंगे कि यह हूबहू आपके सामने आपके आंखों के दृश्य को प्रकट कर रहा है। हिंदी से पूर्व खड़ी बोली और अवधी भाषा का प्रचलन जोर पर था।

किंतु इन साहित्य को पढ़ने में उनके शब्दों को समझने में काफी कठिनाई का अनुभव करना पड़ता था। तत्कालीन लेखकों और कवियों ने इस पर विचार विमर्श कर हिंदी भाषा में साहित्य का रूपांतरण और रचना आरंभ की। जयशंकर प्रसाद , भारतेंदु हरिश्चंद्र , प्रेमचंद , आदि प्रमुख कवियों ने सामाजिक जीवन को हूबहू हिंदी साहित्य में पाठक के सामने प्रकट किया है।

यही कारण है कि प्रेमचंद को कलम का सिपाही माना जाता है।

उनकी रचना ग्रामीण परिवेश से जुड़ी हुई थी , यह साहित्य ग्रामीण जीवन को प्रकट करने का सामर्थ्य रखती थी। इन कवियों के साहित्य को ग्रामीण जीवन का महाकाव्य भी माना गया है।

हिंदी साहित्य जनसामान्य का साहित्य है।

इस साहित्य के पाठक का दायरा बेहद विस्तृत और व्यापक है।

शब्द और उच्चारण

हिंदी विश्व की एक इकलौती ऐसी भाषा है जो शब्द उच्चारण किए जाते हैं वही शब्द लिखे जाते हैं। हिंदी के अतिरिक्त अन्य सभी भाषाओं में उच्चारण और लेखन में बेहद ही अंतर देखने को मिलता है।

कई बार शब्दों को पढ़कर उसके उच्चारण में अस्पष्टता होती है।

हिंदी को इन्हीं सभी कठिनाइयों को ध्यान में रखकर विस्तार मिला। हिंदी जन सामान्य और मध्यम वर्ग की सशक्त भाषा है। इस भाषा में अनेक भाषाओं के शब्दों को समाहित किया गया है।

जिसमें प्रमुख अरबी , फारसी , उर्दू , संस्कृत आदि भाषाएं शामिल है।

इंटरनेट पर भी हिंदी का प्रयोग इसलिए प्रसिद्ध है , क्योंकि इसके शब्दों का लिखना और उच्चारण करना पाठकों के लिए सुलभ है। दिन – प्रतिदिन इसी सुगमता के कारण हिंदी का निरंतर विकास होता जा रहा है।

वह दिन दूर नहीं जब हिंदी विश्व स्तर की सर्वश्रेष्ठ भाषा कहलाई जाएगी।

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5 thoughts on “हिंदी का महत्व ( Importance of Hindi )”

हिंदी का महत्व सिर्फ वही व्यक्ति समझ सकता है जो इसमें छुपे रास को ग्रहण कर सकने की क्षमता रखता है। आपका लेख वाकई काबिले तारीफ है। आशा है आपसे इसी प्रकार के लेखन की।

धन्यवाद शुभाष जी। हमें इस बात की ख़ुशी है कि ये लेख आपको अच्छा लगा।

आज के जमाने में हिंदी का महत्व बढ़ता ही जा रहा है और इसलिए मेरा सभी से अनुरोध है की हिंदी विभाग की सहायता लेकर अपनी हिंदी मजबूत करें और अपने आप को बेहतर बनाएं।

बहुत अच्छा लेख तैयार किया है आपने, हिंदी का महत्व बहुत है अगर सामने वाला समझना चाहे तो

राष्ट्रपती रामनाथ कोविन्द जी ने कहा है.. “हिंदी अनुवाद की नहीं बल्कि संवाद की भाषा है। हिंदी मौलिक सोच की भाषा है।”

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भाषा का महत्व पर निबंध | Essay On The Importance Of Language In Hindi

नमस्कार फ्रेड्स आज हम  भाषा का महत्व पर निबंध Essay On The Importance Of Language In Hindi  पढ़ेगे.

आज के निबंध में जानेगे कि भाषा क्या होती है हिंदी भाषा का महत्व जीवन में भाषा की उपयोगिता के बारे में विस्तार से सरल भाषा में जानेगे.

भाषा का महत्व पर निबंध Essay On The Importance Of Language

भाषा का महत्व पर निबंध Essay On The Importance Of Language

भाषा भावों की वाहिका और विचारों की माध्यम होती है. अतएवं किसी भी जाति अथवा राष्ट्र की भावोंत्क्रष और विचारों की समर्थता उसकी भाषा से स्पष्ट होती है.

जब से मनुष्य ने इस भूमंडल पर होश संभाला है, तभी से भाषा की आवश्यकता रही है. भाषा व्यक्ति को व्यक्ति से, जाति को जाति से राष्ट्र को राष्ट्र से मिलाती है.

भाषा का महत्व पर निबंध Short Essay On The Importance Of Language

भाषा द्वारा ही राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोया जा सकता है. राष्ट्र को सक्षम और धनवान बनाने के लिए भाषा और साहित्य की सम्पन्नता और उसका विकास परमआवश्यक है.

भाषा का भावना से गहरा सम्बन्ध है. और भावना तथा विचार व्यक्तिगत के आधार है. यदि हमारे भावों तथा विचारों को पोषक रस किसी विदेश अथवा पराई भाषा से मिलता है. तो निश्चय ही हमारी व्यक्तिगत भी भारतीय अथवा स्वदेशी न रहकर अभारतीय अथवा विदेशी हो जाएगा.

प्रत्येक भाषा और प्रत्येक साहित्य अपने देश काल और धर्म से परिचित तथा विकसित होता है. उस पर अपने महापुरुषों और चिंतको का, उनकी अपनी परिस्थतियों के अनुसार प्रभाव पड़ता है.

कोई दूसरा देश काल और समाज भी उस सुंदर स्वास्थ्यकारी संस्कृति से प्रभावित हो, यह आवश्यक नही है.

अतएवं व्यक्ति के व्यक्तित्व का समुचित विकास और उसकी शक्तियों को समुचित गति अपने पठन पाठन में मिल सकती है.

इसका कारण यह भी है कि मात्रभाषा में जितनी सहज गति से संभव है और इसमे जितनी कम शक्ति समय की आवश्यकता पडती है उतनी किसी भी विदेशी और पराई भाषा से संभव नही है.

यह भी सच है कि हमारे देश के प्रतिभाशाली और होनहार लोग पशिचमी भाषा और साहित्य में अपनी क्षमता को देखकर स्वयं भी चकिंत रह जाते है. जिसकी यह मातृभाषा नही है.

यह भी मानना पड़ेगा कि इन परिश्रमी लोगों ने अपनी शक्ति समय और तन्मयता पराई भाषा के लिए खपाई, वह यदि मातृभाषा के लिए प्रयोग की गई होती तो एक अद्भुत चमत्कार ही हो गया होता.

माइकेल मधुसूदन दत्त का द्रष्टान्त आपके सामने है. प्रतिभा के स्वामी इस बांगला कवि ने अंग्रेजी में काव्य रचना करके कीर्ति और गौरव कमाने के लिए भारी परिश्रम और प्रयत्न किया. यह तथ्य उनको तब समझ में आया जब वे इंग्लैंड यात्रा पर गये.

बहुत अच्छा लिखकर भी वह द्वितीय श्रेणी के लेखक और कवित से अधिक कुछ नही हो सके. यदि चाहते तो अपनी भाषा के कृतित्व के बल पर वह सहज ही प्रथम श्रेणी के कवियों में प्रतिष्टित हो सकते थे.

यह सब पता चलने के बाद उन्होंने अपनी भाषा में लिखने का निर्णय किया. प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण की क्या आवश्यकता है.

श्रीमती सरोजनी नायडू यदि अपनी मातृभाषा में काव्यरचना करती तो निश्चय ही श्रेष्ट कवयित्री होने का गौरव प्राप्त करती. मै देखती हु कि उच्च ज्ञान विज्ञान का माध्यम अंग्रेजी होने पर पिछले डेढ़ सौ वर्षो में अंग्रेजी में एक भी रवीन्द्रनाथ, शरतचंद्र, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पन्त और उमाशंकर जोशी आदि पैदा नही हो सके. राष्ट्रभाषा राष्ट्र की उन्नति की धौतक होती है.

मानव जाति के विकास के सिदीर्घ इतिहास में सर्वाधिक महत्व संप्रेषण के माध्यम का रहा है और वह माध्यम है भाषा. मनुष्य समाज की इकाई होता है तथा मनुष्यों से ही समाज बनता है.

समाज की इकाई होने के कारण परस्पर विचार, भावना, संदेश, सूचना आदि को अभिव्यक्त करने के लिए मनुष्य भाषा का ही प्रयोग करता हैं.

वह भाषा चाहे संकेत भाषा हो अथवा व्यवस्थित, ध्वनियों शब्दों या वाक्यों में प्रयुक्त कोई मानक भाषा हो. भाषा के माध्यम से ही हम अपने भाव एवं विचार दूसरे व्यक्ति तक पहुचाते हैं तथा दूसरे व्यक्ति के भाव एवं विचार जान पाते हैं.

भाषा ही वह साधन हैं. जिससे हम अपने इतिहास संस्कृति, संचित विज्ञान तथा महान परम्पराओं को जान पाते हैं.

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध Essay on importance of Hindi language

संसार में संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, बंगला, गुजराती, उर्दू, मराठी, तेलगू, मलयालम, पंजाबी, उड़िया, जर्मन, फ्रेंच, इतालवी, चीनी जैसी अनेक भाषाएँ हैं. भारत अनेक भाषा भाषी देश हैं.

तथा अनेक बोली और भाषाओं से मिलकर ही भारत राष्ट्र बना हैं. संस्कृत हमारी सभी भारतीय भाषाओं की सूत्र भाषा है तथा वर्तमान में हिंदी हमारी राजकीय भाषा हैं.

भाषा के दो प्रकार होते है, पहला मौखिक व दूसरा लिखित. मौखिक भाषा आपस में बातचीत के द्वारा, भाषणों तथा उद्बोधन के रूप में प्रयोग में लाई जाती हैं.

तथा लिखित भाषा लिपि के माध्यम से लिखकर प्रयोग में लाई जाती हैं. यदपि भाषा भौतिक जीवन के पदार्थों तथा मनुष्य के व्यवहार व चिंतन की अभिव्यक्ति के साधन के रूप में विकसित हुई हैं.

जो हमेशा एक सी नहीं रहती हैं अपितु उसमें दूसरी बोलियों, भाषाओं से सम्पर्क भाषाओं से शब्दों का आदान प्रदान होता रहता हैं.

जीवन के प्रति रागात्मक सम्बन्ध भाषा के माध्यम से ही उत्पन्न होता हैं. किसी सभ्य समाज का आधार उसकी विकसित भाषा को ही माना जाता हैं.

हिंदी खड़ी बोली ने अपने शब्द भंडार का विकास दूसरी जनपदीय बोलियों, संस्कृत तथा अन्य समकालीन विदेशी भाषाओं के शब्द भंडार के मिश्रण से किया हैं. किन्तु हिंदी के व्याकरण के विविध रूप अपने ही रहे हैं.

हिंदी में अरबी फ़ारसी अंग्रेजी आदि विदेशी भाषाओं के शब्द भी प्रयोग के आधार पर तथा व्यवहार के आधार पर आकर समाहित हो गये हैं. भाषा स्थायी नहीं होती उसमें दूसरी भाषा के लोगों के सम्पर्क में आने से परिवर्तन होते रहते हैं.

भाषा में यह परिवर्तन धीरे धीरे होता हैं. और इन परिवर्तनों के कारण नई नई भाषाएँ बनती रहती हैं, इसी कारण संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि के क्रम में ही आज की हिंदी तथा राजस्थानी, गुजराती, पंजाबी, सिन्धी, बंगला, उड़िया, असमिया, मराठी आदि अनेक भाषाओं का विकास हुआ हैं.

भाषा के भेद प्रकार (Type of language)

जब हम आपस में बातचीत करते है तो मौखिक भाषा का प्रयोग करते है तथा पत्र, लेख, पुस्तक, समाचार पत्र आदि में लिखित भाषा का प्रयोग करते हैं. विचारों का संग्रह भी हम लिखित भाषा में ही करते हैं.

  • मौखिक भाषा (Oral language)
  • लिखित भाषा (written language)

मूलतः सामान्य जन जीवन के बीच बातचीत में मौखिक भाषा का ही प्रयोग होता हैं, इसे प्रयत्नपूर्वक सीखने की आवश्यकता नहीं होती हैं.

बल्कि जन्म के बाद बालक द्वारा परिवार व समाज के सम्पर्क तथा परस्पर सम्प्रेष्ण व्यवहार के कारण स्वाभा विक रूप से ही मौखिक भाषा सीखी जाती हैं.

जबकि लिखित भाषा की वर्तनी और उसी के अनुरूप उच्चारण प्रयत्नपूर्वक सीखना पड़ता हैं. मौखिक भाषा की ध्वनियों के लिए स्वतंत्र लिपि चिह्नों के द्वारा भी भाषा का निर्माण होता हैं.

भाषा और बोली में अंतर

एक सीमित क्षेत्र में बोले जाने वाले भाषा के स्थानीय रूप को बोली कहा जाता हैं, जिसे उप भाषा भी कहते हैं. कहा गया है कि कोस कोस पर पानी बदले पांच कोस पर बानी.

हर पांच सात मील पर बोली में बदलाव आ जाता हैं. भाषा का सीमित, अविक सित तथा आम बोलचाल वाला रूप बोली कहलाती हैं.

जिसमें साहित्य की रचना नहीं होती तथा जिसका व्याकरण नहीं होता व शब्दकोश भी नहीं होता, जबकि भाषा विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती हैं, उसका व्याकरण तथा शब्दकोश होता हैं तथा उसमें साहित्य लिखा जाता हैं.

किसी बोली का संरक्षण तथा अन्य कारणों से यदि क्षेत्र विस्तृत होने लगता है तो उसमें साहित्य लिखा जाने लगता हैं. तो वह भाषा बनने लगती है तथा उसका व्याकरण निश्चित होने लगता हैं.

  • जाति का अर्थ परिभाषा महत्व
  • पुरुषार्थ का अर्थ व परिभाषा
  • भारत के राज्य और उसकी भाषाएँ
  • शिक्षा का अर्थ महत्व व परिभाषा

उम्मीद करता हूँ दोस्तों भाषा का महत्व पर निबंध Essay On The Importance Of Language In Hindi का यह लेख आपकों पसंद आया होगा.

भाषा के महत्व पर दिया गया निबंध पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

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दा इंडियन वायर

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध

a essay on hindi ka mahatva

By विकास सिंह

importance of hindi language

विषय-सूचि

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध (Importance of hindi language)

हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा का महत्व सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में काफी अधिक है।

हिंदी भाषा में 11 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं और इसे “देवनागरी” नामक एक लिपि में लिखा जाता है। हिंदी एक समृद्ध व्यंजन प्रणाली से सुसज्जित है, जिसमें लगभग 38 विशिष्ट व्यंजन हैं। हालाँकि, ध्वनि की इन इकाइयों के रूप में स्वरों की संख्या निर्धारित नहीं की जा सकती है, बड़ी संख्या में बोलियों की मौजूदगी के कारण, जो व्यंजन प्रदर्शनों की सूची के कई व्युत्पन्न रूपों को नियोजित करती हैं।

हालाँकि, व्यंजन प्रणाली का पारंपरिक मूल सीधे संस्कृत से विरासत में मिला है, जिसमें अतिरिक्त सात ध्वनियाँ हैं, जिन्हें फारसी और अरबी से लिया गया है।

हिंदी भाषा किन क्षेत्रों में बोली जाती है?

500 मिलियन से अधिक बोलने वालों के साथ, चीनी के बाद हिंदी दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी को भारत के “राजभाषा” (राष्ट्रभाषा) के रूप में अपनाने से पहले इसमें काफी बदलाव आया है।

इंडो-आर्यन भाषाई वर्गीकरण प्रणाली के सिद्धांत के अनुसार, हिंदी भाषाओं के मध्य क्षेत्र में रहती है। 1991 की जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदी को “देश भर में एक भाषा” के रूप में भारतीय आबादी के 77% से अधिक द्वारा घोषित किया गया था। भारत की बड़ी आबादी के कारण हिंदी दुनिया में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।

1991 की भारत की जनगणना के अनुसार (जिसमें हिंदी की सभी बोलियाँ शामिल हैं, जिनमें कुछ भाषाविदों द्वारा अलग-अलग भाषाएं मानी जा सकती हैं – जैसे, भोजपुरी), हिंदी लगभग 337 मिलियन भारतीयों की मातृभाषा है, या भारत के 40% लोगों की है। उस वर्ष जनसंख्या।  एसआईएल इंटरनेशनल के एथनोलॉग के अनुसार, भारत में लगभग 180 मिलियन लोग मानक (खारी बोलि) हिंदी को अपनी मातृभाषा के रूप में मानते हैं, और अन्य 300 मिलियन लोग इसे दूसरी भाषा के रूप में उपयोग करते हैं।

भारत के बाहर, नेपाल में हिंदी बोलने वालों की संख्या 8 मिलियन, दक्षिण अफ्रीका में 890,000, मॉरीशस में 685,000, अमेरिका में 317,000 है। यमन में 233,000, युगांडा में 147,000, जर्मनी में 30,000, न्यूजीलैंड में 20,000 और सिंगापुर में 5,000, जबकि यूके, यूएई, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी हिंदी बोलने वालों और द्विभाषी या त्रिभाषी बोलने वालों की उल्लेखनीय आबादी है जो अंग्रेजी से हिंदी के बीच अनुवाद और व्याख्या करते हैं।

हिंदी भाषा का विकास (growth of hindi language)

1947 के विभाजन के बाद भारत सरकार द्वारा समर्थित संक्रांति दृष्टिकोण से हिंदी की वर्तमान बनावट बहुत प्रभावित है। स्वतंत्रता से पहले अपने मूल रूप में, हिंदी ने उर्दू के साथ मौखिक समानता की काफी हद तक साझा की है। हिंदी और उर्दू को अक्सर एक ही इकाई के रूप में संदर्भित किया जाता था जिसका शीर्षक था “हिंदुस्तानी”।

इसके साथ ही कई अन्य भाषाओं जैसे अवधी, बघेली, बिहारी (और इसकी बोलियाँ), राजस्थानी (और इसकी बोलियाँ) और छत्तीसगढ़ी। हालाँकि, यह दृष्टिकोण वस्तुतः प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान और सार्वजनिक सूचना के माध्यम की वकालत करता है, जो वाराणसी बोली की तर्ज पर भारतीय विद्वानों द्वारा विकसित एक संस्कृत-उन्मुख भाषा को रोजगार देता है।

लिपि:

देवनागरी लिपि

महत्वपूर्ण लेखक:

रामधारी सिंह ‘दिनकर’, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन, हरिवंश राय बच्चन, नागार्जुन, धर्मवीर भारती, अशोक बजाज, अशोक बजाज, अशोक बजाज चंद्र शुक्ला, महादेवी वर्मा, मुंशी प्रेमचंद, फणीश्वर नाथ रेणु, हरिशंकर परसाई, रामवृक्ष बेनीपुरी, चक्रधर शर्मा गुलेरी, विष्णु प्रभाकर, अमृत लाल नागर, भीष्म साहनी, सूर्यकांत निराला आदि को हिंदी के सबसे मशहूर लेखकों में गिना जाता है ।

हिंदी स्थानीयकरण और सूचना प्रौद्योगिकी

हिंदी टाइपिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले कई लोकप्रिय फॉन्ट हैं; यूनिकोड, मंगल, क्रुतिदेव, आदि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की एक टीम पहले से ही मशीनी अनुवाद सॉफ्टवेयर को विकसित करने और हिंदी को मानकीकृत करने के लिए काम कर रही है, हालाँकि वे इसके माध्यम से कोई बड़ा तोड़ नहीं बना पाए हैं।

हिंदी भाषा की बढ़ती प्रोफ़ाइल के प्रति हाल की चेतना ने लाखों हिंदी बोलने वालों को आशा दी है और आशा है कि आने वाले समय में हिंदी को मान्यता मिलेगी और संयुक्त राष्ट्र आधिकारिक भाषा बन जाएगी। यह समय हिंदी केंद्र, हिंदी विश्वविद्यालयों, हिंदी गैर सरकारी संगठनों और लाखों हिंदी भाषियों को हिंदी की रूपरेखा बढ़ाने के लिए हाथ मिलाना चाहिए। हिंदी सिनेमा और बॉलीवुड ने पहले ही अच्छा योगदान दिया है, इसी तरह हिंदी मीडिया ने भी चमत्कार किया है।

वैश्विक मोर्चे पर हिंदी के बढ़ते महत्व के आधार पर, अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद और हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद के लिए भविष्य उज्ज्वल है। हालाँकि, भारतीय को अंग्रेज़ी शब्दकोश और अंग्रेज़ी से हिंदी शब्दकोश में ऑनलाइन हिंदी विकसित करने और ऑनलाइन हिंदी भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने के प्रयासों की आवश्यकता है।

[ratemypost]

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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धन्यवाद !

Finally I got a nice speech

thank you vikas singh bhai

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हिंदी भाषा पर निबंध और हिंदी का महत्व – Essay On Hindi Bhasha Ka Mahatva In Hindi

Essay on hindi bhasha ka mahatva in hindi, हिंदी भाषा पर निबन्ध और हिंदी का महत्व.

किसी भी राष्ट्र की पहचान उसके भाषा और उसके संस्कृति से होती है और पूरे विश्व में हर देश की एक अपनी भाषा और अपनी एक संस्कृति है जिसे छाव में उस देश के लोग पले बड़े होते है यदि कोई देश अपनी मूल भाषा को छोड़कर दुसरे देश की भाषा पर आश्रित होता है उसे सांस्कृतिक रूप से गुलाम माना जाता है,

क्यूकी जिस भाषा को लोग अपने पैदा होने से लेकर अपने जीवन भर बोलते है लेकिन आधिकारिक रूप से दुसरे भाषा पर निर्भर रहना पड़े तो कही न कही उस देश के विकास में उस देश की अपनाई गयी भाषा ही सबसे बड़ी बाधक बनती है क्यूकी आप कल्पना कर सकते है जिस भाषा अपने बचपन से बोलते है और उसी भाषा में अपने सारे कार्य करने पढ़े तो आपको आगे बढने में ज्यादा परेशानी नही होगी लेकिन यदि आप जो बोलते है उसे छोड़कर कोई दूसरी भाषा में आपको कार्य करना पड़े तो कही न कही यही दूसरी भाषा हमारे विकास में बाधक जरुर बनती है,

यानी हमे दुसरो की भाषा सीखने का मौका मिले तो यह अच्छी बात है लेकिन दुसरो की भाषा के चलते अपनी मातृभाषा को छोड़ना पड़े तो कही न कही दिक्कत का सामना जरुर करना पड़ता है तो ऐसे में आज हम बात करते है अपने देश भारत के राजभाषा हिंदी के बारे में जो हमारी मातृभाषा भी है और हमे इसे बोलने में फक्र महसूस करना चाहिए.

विश्व भाषा के रूप में हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबन्ध

Essay on hindi.

हमारे देश की मूल भाषा हिंदी है लेकिन भारत में अंग्रेजो की गुलामी के बाद हमारे देश के भाषा पर भी अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य हुआ भारत देश तो आजाद हो गया लेकिन हिंदी भाषा पर अंग्रेजी भाषा का आज भी आधिपत्य आज तक कायम है अक्सर अपने देश के लोग के मुह से यह कहते हुए सुना जाता है की हमारी हिंदी थोड़ी कमजोर है ऐसा कहने का तात्पर्य यही होता है की उनकी अंगेजी भाषा हिंदी के मुकाबले काफी अच्छी है और यदि भूल से यह कह दे की हमारी अंग्रेजी कमजोर है तो उसे लोग कम पढ़ा लिखा मान लेते है क्या यह सही है किसी भाषा पर अगर हमारी अच्छी पकड न हो तो क्या इसे अनपढ़ मान लिया जाय शायद ऐसा होना हमारे देश की विडम्बना है,

Table of Contents :-

लेकिन आईये आज आप सभी को हिंदी भाषा के बारे में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण तथ्य बतलाते है जिसे आप सभी जानकर जरुर गर्व महसूस करेगे.

हिंदी भाषा के महत्वपूर्ण तथ्य | हिंदी का महत्व

Hindi ka mahatva.

भले ही आज हमारी सारी पढाई लिखाई और सारे कार्य अंग्रेजी में होता है लेकिन भारत के लोग की मूलभाषा हिंदी है और आप भारत के किसी भी कोने में चले जाईये अगर आपको हिंदी आता है तो आपको रहने कार्य करने में कोई परेशानी नही होगी और हिंदी एक ऐसी भाषा है जो पूरे भारत को एकता में जोड़ता है तो आईये जानते है हिंदी भाषा से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य | Interesting Facts about Hindi और हमारे देश में हिंदी का महत्व | Hindi Ka Mahatva के बारे में जानते है.

1 – हिंदी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के सिन्धु शब्द से हुई है सिन्धु नदी के क्षेत्र में आने कारण ईरानी लोग सिन्धु न कहकर हिन्दू कहने लगे जिसके कारण यहाँ के लोग हिन्द, हिन्दू और हिंदुस्तान कहलाने लगे

2 – हिंदी भारत की सवैंधानिक राजभाषा है जिसे 14 सितम्बर 1949 को अधिकारिक रूप से राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया

3 – भारत में अनेक भाषा और बोलिया बोली जाती है हमारे देश में इतनी भाषाए है की ये कहावत कही गयी है

“ कोस कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वानी ”

अर्थात हमारे देश भारत में हर एक कोस की दुरी पर पानी का स्वाद बदल जाता है और 4 कोस पर भाषा यानि वाणी भी बदल जाती है लेकिन इन सभी भाषाओ में सबसे अधिक भाषा बोले जाने वाली हिंदी है.

4 – हिंदी विश्व की चीनी भाषा के बाद दूसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है हिंदी हमारे देश भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान, फिजी, मारिसस, गयाना, सूरीनाम और नेपाल में सबसे अधिक हिंदी भाषा बोली जाती है.

5 – हिंदी भाषा भारत के अतिरिक्त जहा जहा प्रवासी भारतीय रहते है उनमे भी अधिक संख्या में हिंदी बोली जाती है जैसे अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, यमन, कनाडा, युंगाडा, सिंगापूर, न्यूजीलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन के अतिरिक्त बहुत से देशो में बोली जाती है.

6 – विश्व के सबसे उन्नत भाषाओ में हिंदी भाषा सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है अर्थात हम जो हिंदी में लिखते है वही बोलते भी है और वही उसका मतलब भी होता है जबकि अन्य भाषाओ में ऐसा नही है.

7 – हिंदी भाषा बोलने में ससे अधिक सरल और लचीली भाषा है हिंदी भाषा को बोलना और समझना बहुत ही आसन है.

8 – दुनिया की एकमात्र हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो की सबसे अधिक और तेजी से प्रसारित होने वाली भाषाओ में से एक है हिंदी भाषा के बोले जाने में लगभग 94% की दर से वृद्धि हो रही है जो की हिंदी बोलने वालो के लिए एक अच्छीखबर है.

9 – हिंदी भाषा एक ऐसी भाषा है जिसमे त्रुटी न के बराबर है अर्थात हिंदी भाषा जो लिखी जाती है वही बोली भी जाती है.

10 – हिंदी भाषा का शब्दकोश बहुत ही बड़ा है हिंदी भाषा में अपनी किसी भी एक भावना को व्यक्त करने के लिए अनेक शब्द है जो की अन्य भाषाओ की तुलना में अपने आप में अद्भुत है.

11 – हिंदी भाषा को लिखने के लिए देवनागरी लिपि का प्रयोग किया जाता है जो की हिंदी भाषा वैज्ञानिक तथ्यों पर खरी उतरती है.

12 – हिंदी भाषा के मूल शब्दों में लगभग ढाई लाख से अधिक शब्द है और हिंदी भाषा की यह भी विशेषता है की देशी और बोले जाने वाली बोलियों के शब्दों को अपने आप में आत्मसात कर लेती है.

13 – हिंदी भाषा अपने आप में इतनी महत्वपूर्ण है की हिंदी की सभी साहित्य सभी दृष्टियों से परिपूर्ण है.

14 – हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कई बार आन्दोलन हो चुके है सबसे पहले दयानंद सरस्वती ने किया था जिसे बाद में महात्मा गांधीजी ने भी आन्दोलन चलाये.

15 – कंप्यूटर और मोबाइल के आ जाने के बाद पूरे विश्व में सुचना क्रांति आ गयी और लोग घर बैठे इन्टरनेट पर विश्व की कही भी जानकारी प्राप्त कर लेते है जिसके कारण कंप्यूटर क्रांति में भी हिंदी का तेजी से प्रचार और प्रसार हो रहा है.

16 – हिंदी भाषा का इतना अधिक मांग है की दुनिया के सबसे बड़े Search Engine Google ने भी वर्ष 2009 में हिंदी भाषा को अपना लिया और हिंदी की लोकप्रियता इतनी अधिक है की दुसरे भाषा के मुकाबले हिंदी 94% की वृद्धि दर से सबसे आगे बढने वाली भाषा है जिसे गूगल भी मानता है.

17 – हिंदी भाषा इन्टरनेट की दुनिया में इतनी तेजी से बढ़ा है की इन्टरनेट पर लाखो सजाल ( Website) चिट्ठे (Blogs), गपशप (Chats), विपत्र (Email), वेबखोज (Search Engine), मोबाइल सन्देश (SMS) , अनेक प्रकार के हिंदी मोबाइल एप्प मौजूद है.

18 – एक समय ऐसा सोचा जाता था की कंप्यूटर और इन्टरनेट केवल अंग्रेजी भाषाओ के लिए है लेकीन हिंदी भाषा की इतनी अधिक मांग है की अब हर जगह इन्टरनेट पर हिंदी भाषा के रूप में कुछ भी Search कर सकते है और कोई भी जानकरी हिंदी में भी प्राप्त कर सकते है.

19 – हिंदी भाषा का हिंदी सिनेमा पर भी खास प्रभाव है पूरे भारत में हिंदी सिनेमा लोगो के दिलो की धड़कन है और हिंदी गाने तो लोगो के दिल को सुकून देने वाली होती है.

20 – हिंदी भाषा इतनी अधिक प्रसिद्द है कोई भी Social Network Site बिना हिंदी को अपनाये आगे तरक्की नही पा सकता है इसका जीता जागता उदाहरण Facebook है और यहाँ तक की गूगल खुद ऑनलाइन हिंदी टाइपिंग के लिए Google Hindi Typing Tool सेवा प्रदान करता है.

हिंदी भाषा का महत्व

H indi bhasha ka mahatva in hindi.

हमारे देश भारत की मुख्य भाषा हिंदी है बिना हिंदी के हम कोई भी अपनी दिनचर्या नही बिता सकते है लेकिन आज भी हमारे देश में अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य है जो हमारी भाषा हिंदी को सम्मान मिलना चाहिए शायद वो आज तक अभी नही मिला है लेकिन बिना हिंदी के हम अपने विकास की कल्पना नही कर सकते है.

हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए भारतेंदु हरीशचन्द्र के योगदान को भुलाया नही जा सकता है और सौभाग्य में हमे भी भारतेंदु हरीशचन्द्र के वाराणसी में स्थित हरीशचन्द्र कॉलेज में इंटर की पढाई करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ . हिंदी भाषा का महत्व भारतेंदु हरीशचन्द्र के इस कथन से लगाया जा सकता है.

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।

विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।

शब्दार्थ –

निज यानी अपनी मूल भाषा से ही उन्नति सम्भव है, क्योंकि यही सारी हमारी मूल भाषा ही सभी उन्नतियों का मूलाधार है।  और मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण सम्भव नहीं है। हमे विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान सभी देशों से जरूर लेने चाहिये, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा में ही करना चाहिये.

हिन्दी दिवस के 100 नारे स्लोगन Hindi Diwas Naare Slogan in Hindi

हिंदी भाषा का इतना अधिक महत्व है की बिना हिंदी को इन्टरनेट से जोड़े लोगो को इन्टरनेट से नही जोड़ सकते है और जब कोई भी काम अपने भाषा में हो तो यह लोगो को जल्दी समझ में आती है इसी कारण अब इन्टरनेट की दुनिया भी हिंदी को अपनी अधिकारिक भाषा के रूप में अपना लिया है जिससे हर भारतीय अब आसानी से इन्टरनेट से जुड़ सकता है.

सही अर्थो में कहा जाय तो अगर हम अपने मूलभाषा हिंदी का प्रचार प्रसार करे तो निश्चित ही विविधता वाले भारत को अपनी हिंदी भाषा के माध्यम से एकता मे जोड़ा सकता है.

हिंदी के महत्व को देखते हुए प्रत्येक 14 सितम्बर को हिंदी दिवस | Hindi Diwas के रूप में मान्य जाता है हिंदी दिवस एक ऐसा अवसर होता है जिसके माध्यम से सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाधा जा सकता है.

तो आईये हम सब लोगो को अधिक से अधिक हिंदी भाषा के महत्व को समझाए और पूरे विश्व में हिंदी भाषा को उचित सम्मान दिलाये और खुद एक हिन्दीभाषी बने.

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12 COMMENTS

Aap hmesha acche lekh likhte hai

Bahut sunder laga . Bahut gyanbardhak raha.

I don’t know hindi… I thought I could find something easily from this web, but it was too difficult for me to find full stops from this, so I have a suggestion, please add full stops when you write a paragraph or an essay…. please.

Hindi ki nibhand ke liye angrezi sabd kyu ???

आयन इन्टरनेट अभी भी अंग्रेजी ही समझता है सो कुछ शब्द अग्रेजी के उपयोग करने पड़ते है

Hindi bhasha par nibandh likhne ke liye dhanyawad sir…

Bahut hi acha laga apka Ye nibandh. Thank you

It’s lovely, mere teacher ko bahout Pasand Aaya….

Aapka nibandh bahut hi accha hai

Yah nibandh bahut hi sundar ek ek cheej ko spasht kiya bahut sundar lekin isme vakya mein misprint hai, Thank You,

Dhanywad. Hmari Hindi bhasha amar rahe.

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हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध। Essay on Hindi Bhasha ka Mahatva

मातृभाषा हिंदी पर निबंध |essay on hindi bhasha ka mahatva.

hindi bhasha ka mahatva

हिंदी भाषा दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है| दुनिया में सर्व प्रथम संस्कृत भाषा का निर्माण हुआ उसके बहुत जल्द देवनागरी लिपि जो आज हिंदी के नाम से जानी जाती है उसका अस्तित्व आया| हिंदी संस्कृत भाषा का सरल अनुवाद है|

संस्कृत को सरल करने के लिए हिंदी का जन्म हुआ है| हिंदी के बाद भारत वर्ष में तमिल, तेलगु ,कन्नड़, गुजरती, उर्दू तथा कई अन्य भाषा अस्तित्व में आयी| सम्पूर्ण दुनिया पहले सिर्फ भारत थी आज सहस्त देशों में बट चुकी है| आज के आधुनिक संसार में ऐसा कोई देश नहीं जहाँ हिंदी न बोली जाती हो  क्योंकि  हर जगह का अस्तित्व भारत से हुआ है और हिंदी भारत की धरोहर है|

हिंदी शब्द का जन्म संस्कृत भाषा के सिन्धु शब्द से हुआ है| सिन्धु एक नदी का नाम है जो की भारत वर्ष की प्रमुख और प्राचीन नदियों में से एक है| बाहरी महाद्वीप के लोग इस नदी को उदाहरण के रूप में “जिस देश में  ये नदी है” वहां के लोगों को सिंधु न कह के हिन्दू पुकारने लगे क्यों की उनके तलाफुज़ में स शब्द निकलना बहुत कठिन होता था, जिस वजह से स की जगह ह लगा कर सिंधु को हिन्दू कहने लगे|

तब से भारत के लोगो को हिन्दू पुकारा जाने लगा, और आगे चल के पूरा देश हिंदुस्तान के नाम से जाना जाने लगा और उसी हिन्दू से हिंदी शब्द आया और हिंदी भाषा का नाम करण हुआ| हिन्दू शब्द किसी भी शास्त्र, वेद, पुराण, उपनिषद में कहीं नहीं है, यह नाम हमे ज़बरदस्ती सौंपा गया है| आज के हिन्दू वास्तव में सनातन तथा आर्य है और सभी नए धर्म के लोग भी पहले सनातन ही थे| .

हमारे देश में हिंदी को राष्ट्रीय भाषा का दर्ज़ा मिला है परंतु उसको आधिकारिक काम में कोई अहमियत नहीं | आधिकारिक काम काजो में अंग्रेजी को ही महत्व दिया जाता है| आज के समय हिंदी भाषा सिर्फ नाम मात्रा के लिए श्रेष्ठ है, इसका महत्व लोग भूलते जा रहे है| हम सभी हिंदी में ही वार्तालाप करते है ये एक बहुत ही अच्छी बात है|

हिंदी एक मात्रा ऐसी भाषा है जिसको समझना बाकी हर भाषा से सबसे सरल है| हिंदी हर एक भारतीय को अानी चाहिए क्योंकि इसने हमे जीवन के आदर्श सिखाये है|

हिंदी देवनागरी लिपि में लिखा जाता है| हिंदी भारत की राष्ट्र भाषा नहीं है क्योंकि की भारत के संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रीय अधिकार नहीं दिया गया है| हिंदी भाषा से ही अन्य सभी भाषाओँ का विस्तार हुआ है | हिंदी की देवनागरी में 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं  जो की बाएं से दाएं लिखी जाती है| भारत में हिंदी को सर्व प्रिय मन जाता है|

हिंदी भाषा आज के समय मज़ाक का  विषय बनते जा रहा है| आज के समय अंग्रेजी को ज़ादा महत्व दिया जा रहा है| आज के समय में किसी विद्यार्थी से हिंदी की वर्णमाला सुनाने को कहा जाए तोह ९० प्रतिशत लोग इसमें असफल रहेंगे, वहीं अंग्रेजी की वर्णमाला शायद ही किसी पढ़ने वाले विद्यार्थी से न बने|

आज के समय हिंदी विश्व की पांच सबसे प्रसिद्ध भाषाओ में से एक है | एक तरह से समझा जाए तो हिंदी हमारे दिल की भाषा है और आज अंग्रेजी पेट की भाषा है| आज देश में हिंदी और अंग्रेजी की लड़ाई में हिंदी हारती जा रही है| देश में हिंदी बोलने वालों को महत्व नहीं दिया जा रहा है | हिंदी ही एक मात्र भाषा है जिसमे इंसान अपनी अनुभूति, अभिव्यक्ति पूर्ण रूप से ज़ाहिर कर सकता है अन्यथा ये किसी और भाषा में पूर्ण रूप से नहीं पाया जाता|

हिंदी का सबसे बड़ा महत्व ये है की इस भाषा में त्रुटि बिल्कुल  भी नहीं है| ये जैसे बोली जाती है वैसे ही सोची और समझी जाती है| भारत की हिंदी फिल्मे पूरी दुनिया में देखि और पसंद की जाती है और भारत का संगीत जो की हिंदी भाषा से निर्मित  सबसे ज़ादा गाया और बजाया जाता है| भारत की हिंदी फिल्मों का देश के लोगों पे ज़बरदस्त प्रभाव होता है और ये भारत के बहार भी अपनी छाप छोड़ती है| दुनिया में सबसे ज़ादा गाने हिंदी भाषा में बने है |

किसी भी देश की भाषा उसकी उनती का मार्ग होती है और भारत में हिंदी ने सबसे अहम् भूमिका निभाई है| हिंदी भाषा ही एक भाषा है जिसने पुरे देश को एकता के बंधन में बांध के रखा है| हमारे देश के संविधान में हिंदी को देश की संघ भाषा का दर्जा दिया गया है | आज पूरे विश्व में तकरीबन १३० देशो में हिंदी भाषा का अध्यन होता है|

आज के समय कोई भी व्यक्ति पूर्ण रूप से शुद्ध हिंदी में वार्तालाप नहीं करता| यह एक गंभीर विषय है जिसे समय रहते इसका समाधान ढूँढना बहुत आवश्यक है | भारत देश के विश्वप्रसिद्ध नेताओं ने हिंदी का महत्व बखूबी समझा और उसे बहुत सम्मान दिया है जैसे स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव गाँधी इत्यादि|

श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एक बार संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिंदी में इतना प्रभावशाली भाषण दिया था जिसको विश्व में सभी सुनने वाले लोग स्तब्ध रह गए थे | वर्तमान में भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने हिंदी का महत्त्व दुनिया को बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी, उनके भाषण हमेशा हिंदी में रहते है चाहे वो कोई भी राज्य या देश में जाए| हिंदी भाषा इतनी प्रभावशाली है की आज दूर देश से लोग हिंदी  पढ़ने भारत आते है|

पिछले कुछ वर्षो में हिंदी का सत्तर काफी बढ़ा है जिसमे श्री नरेंद्र मोदी जी का बहुत बड़ा योगदान है| पर फिर भी हिंदी का सत्तर उस स्थान पे नहीं है जहाँ उससे होना चाहिए था, इसके लिए हमे अपनी शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधर करने पड़ेंगे, वैसे भी हमारे देश की शिक्षा प्रणाली एक दम निचले सत्तर पे है|

भारत में हिंदी के लेखकों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है जिसमे कई प्रसिद्ध लेखक,कवी,गीतकार और साहित्यकार को आज भी उनके कार्य के लिए हमेशा याद किया जाता है जिसमे कालिदास, आर्यभट,कबीर, मुंशी प्रेम चाँद, हरिवंश राइ बच्चन, आनंद बक्शी, समीर अनजान, गुलज़ार, जावेद अख्तर, रविंद्र जैन , ये सब वो नाम है जिनकी तारीफ़ के लिए हिंदी के सभी शब्द कम पड़ जाए| हिंदी के गीतकार समीर को २०१५ में तकरीबन ३५२४ हिंदी गीत लिखने पे गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित किया गया|

ये सभी बातें हिंदी की महानता को दर्शाती है| तारीख १४ सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में बहुत धूम-धाम से हर जगह मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन १९४९ में, भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में गणराज्य भारत  की आधिकारिक भाषा के रूप में लिखी हिंदी को अपनाया था।

हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है| इसलिए हिंदी के महत्व को समझे और दुसरो को भी समझाएं |

अंततः इससे याद रखे , “हिंदी किसी एक प्रदेश की भाषा नहीं बल्कि देश में सर्वत्र बोली जाने वाली भाषा है ” -विलियम |

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हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध। Essay on Hindi Bhasha ka Mahatva

हिंदी भाषा का महत्त्व पर निबंध : किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र की अपनी एक भाषा होती है जो उसका गौरव होती है। राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र के स्थायित्व के लिए राष्ट्रभाषा अनिवार्य रूप से होनी चाहिए जो किसी भी राष्ट्र के लिये महत्वपूर्ण होती है। स्वतंत्र भारत की संविधान सभा ने 14 सितम्बर 1949 को ही हिंदी भाषा को भारत संघ की राजभाषा के रूप में मान्यता दे दी।

हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध 

हिंदी भाषा का महत्त्व पर निबंध। Essay on Hindi Bhasha ka Mahatva

निजभाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल।  बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटे न हिय को सूल। 

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सर आपसे सम्पर्क कर सकते है।

जी,आप अवश्य संपर्क कर सकते हैं.

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Bahut achha h especially students k liye.thanks.

Dhanyavad bhaiya

हौसला बढाने के लिए आपका धन्यवाद. आपको और सभी पाठकों को होली की शुभकामनाएं.

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हिंदी भाषा भारत में बोली जाने वाली मुख्य भाषा है। इसे सदियों से हमारे पूर्वज और अब हमारे द्वारा संवाद के लिए उपयोग किया जाता है। यह हमारी धरोहर है, जिसे हमें सुरक्षित रखते हुए अपनी आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है। हिंदी भाषा का महत्व बढ़ाने और इसके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए हर साल 14 सितंबर के दिन हिंदी दिवस मनाया जाता है। भारत विविधताओं वाला देश है, हिंदी भाषा भारत की विविधता में एकता को दर्शाती है। यहां मुख्य रूप से संवाद और आम बोलचाल के लिए हिंदी भाषा का प्रयोग किया जाता है। स्कूलों में भी प्रारंभिक कक्षा से ही हिंदी भाषा को मुख्य विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। हिन्दी बहुत प्राचीन और देश की राष्ट्र भाषा है। हमें हिंदी भाषा के महत्व को बरकाराकर रखना चाहिए एवम इसका सम्मान करना चाहिए।

Hindi Language Essay in Hindi 200 Words

हिंदी दिवस राष्ट्रीय उत्सव है, जिसे हर साल 14 सितंबर के दिन मनाया जाता हैं। हिंदी भाषा मुख्य रूप से भारत में बोली जाती है, इसके अलावा विश्व के करीब 420 मिलियन से भी ज्यादा लोगों द्वारा पहली भाषा के रूप में हिंदी का उपयोग किया जाता है। जबकि विश्व के 120 मिलियन लोग दूसरी भाषा के तौर पर हिंदी भाषा को संवाद और आम बोलचाल के लिए प्रयोग करते हैं। हिंदी दिवस एक अवसर है, हिंदी भाषा को सम्मान देने एवं उसके गौरव को बढ़ाने का।

हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और एक भारतीय होने के नाते हमें अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए और इसे सम्मान देना चाहिए। हमें केवल जरूरत के अनुसार ही अन्य भाषा जैसे अंग्रेजी का उपयोग करना चाहिए। क्योंकि हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है इसलिए हमें इसका सर्वाधिक उपयोग करना चाहिए एवं अपनी भविष्य की पीढ़ी को इसका महत्व समझाना चाहिए, ताकि वह भी इसका महत्व समझें और इसका उपयोग करें।

हिंदी भाषा को सम्मान देने के लिए हर साल 14 सितंबर एक दिन राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है, जबकि इसका विस्तार करने और वैश्विक स्तर पर इसका महत्व समझाने के लिए 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी भाषा भारतीयों की पहचान है और इस पहचान पर हमें गर्व होना चाहिए।

Hindi Diwas Par Nibandh 250 Words 

हर साल 14 सितंबर के दिन भारत में राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा का महत्व बढ़ाने और उसे सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।  भारत में सर्वप्रथम हिंदी दिवस को सन 1953 में 14 सितंबर के दिन मनाया गया था। हिंदी दिवस को मनाने का फैसला प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी द्वारा किया गया था। आजादी के बाद भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर 1950 को हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था।

सन 1950 को 26 जनवरी के दिन संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा प्रदान किया गया। सन 2006 में पहली बार 10 जनवरी के दिन हिंदी को विश्व के स्तर पर पहचान देने के लिए विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day) मनाया गया। 14 सितंबर का दिन हमारे लिए अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी के महत्व और गौरव को मनाने का दिन है। राष्ट्रभाषा के उपयोग से भारतीय समाज एवं राष्ट्र का विकास हो रहा है। यह सबसे प्राचीनतम एवं सरलता से समझ आने वाली भाषा है।

इस दिन स्कूल कॉलेज में हिंदी दिवस की थीम पर आयोजन किया जाता है, जिसमें निबंध लेखन, कविता वाद-विवाद, पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिताएं होती हैं। आज समय की मांग को देखते हुए हर कोई अंग्रेजी भाषा के पीछे भाग रहा है। यह गलत भी नहीं है, लेकिन भारतीयों को अपनी राष्ट्रभाषा की तुलना किसी अन्य भाषा से न करके उसके प्रति गर्व महसूस करना चाहिए। हमें अवश्यकता पड़ने पर ही अन्य भाषा का उपयोग करना चाहिए। हम भारतीयों को अपनी राष्ट्रभाषा का सम्मान करना चाहिए एवं हिंदी भाषा पर गर्व करना चाहिए।

Hindi ka Mahatva Essay in Hindi 300 Words 

14 सितंबर के दिन हर साल पूरे भारत में राष्ट्रीय हिंदी दिवस को मनाया जाता है। हिंदी दिवस हर एक भारतीय और हिंदी भाषी के लिए अति महत्वपूर्ण है। हम सभी लोग जानते हैं, कि भारत विविधताओं वाला देश है, जिसमें विभिन्न धर्म, जाति, वेशभूषा और परंपरा को मानने वाले लोग रहते हैं लेकिन हम सबको हिंदी भाषा में जोड़कर रखा हुआ है, क्योंकि सभी लोगों द्वारा हिंदी भाषा का उपयोग किया जाता है।

भारत की आजादी के बाद हिंदी भाषा को उचित सम्मान देने के लिए संविधान सभा ने 14 सितंबर 1950 के दिन देवनागिरी लिपि हिंदी को भारत के आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में चुना और 26 जनवरी 1950 के दिन संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी भाषा को आधिकारिक रूप से भारतीय भाषा का दर्जा दे दिया गया। राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाने का फैसला प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी का था जिसके बाद देश में सबसे पहले 14 सितंबर 1953 को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया गया। इसके अलावा 10 जनवरी के दिन विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है, जो सबसे पहले 2006 में मनाया गया था।

हिंदी दिवस को स्कूल कॉलेज एवं अन्य सरकारी तथा गैर सरकारी संगठनों द्वारा मनाया जाता है। हिन्दी दिवस के आयोजन पर पोस्टर मेकिंग, निबंध लेखन, कविता भाषण एवं वाद-विवाद आदि प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। इस वर्ष 2023 में पूरे भारत में 14 सितंबर से लेकर 29 सितंबर 2023 के बीच में हिंदी पखवाड़े का आयोजन किया जाएगा। हिंदी भारत की बहुत पुरानी भाषा है, हमारे साहित्यकारों द्वारा हिन्दी भाषा में कई रचनाएं लिखी गई हैं।

आज समय के साथ लोगों का भाषा के लिए नजरिया बदल गया है, वे एक भाषा को ऊपर तथा अन्य भाषा को नीचा देखते हैं। किसी भाषा के न आने पर वे शर्मिंदा होते हैं, लेकिन हमें यह समझने की अवश्यकता है की भाषा अपने विचार, भावना को व्यक्त करने का माध्यम है, यह प्रतियोगिता का विषय नहीं है। हम भारतीयों को आज अपनी भाषा का मूल समझते हुए, उसका उपयोग सर्वाधिक उपयोग करने की आवश्यकता है। हमें अपनी राष्ट्रीय भाषा हिंदी का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए एवं इस पर गर्व होना चाहिए।

Essay on Importance of Hindi 500 Words 

14 सितंबर के दिन हर साल राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। जबकि विश्व हिंदी दिवस को 10 जनवरी के दिन मनाया जाता है। हिंदी भाषा का इतिहास में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान और गौरवशाली इतिहास है। हिंदी भाषा कई साहित्यकारों की रचनाओं एवं स्वतंत्रता संग्राम की कहानियों में लिखी गई है। भारत में यूं तो कई सारी भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन मुख्य रूप से हिंदी भाषा का उपयोग किया जाता है। हिंदी भाषा केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के करीब 600 मिलियन से भी ज्यादा अधिक लोगों द्वारा उपयोग की जाती है। हर साल हिंदी भाषा को सम्मान देने एवं इसकी महत्वता को बढ़ाने के लिए हिंदी दिवस को मनाया जाता है। 

हिन्दी दिवस 14 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है?

हिंदी दिवस को 14 सितंबर के दिन मनाने का मुख्य कारण यह है कि इसी दिन सन 1950 में महात्मा गांधी जी ने दक्षिण भारतीय राजभाषा कमिशन को गठित किया था। इसका उद्देश्य हिंदी भाषा को भारत की राजभाषा के रूप में प्रचारित और प्रसारित करने का था। सन 1950 में 14 सितंबर के ही दिन संविधान सभा ने देवनागरी लिपि हिंदी को देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में चुना था और इसके साथ ही 26 जनवरी 1950 में संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी को आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया था। सन 1953 में 14 सितंबर के दिन पूरे देश में पहली बार हिंदी दिवस को मनाया गया था। 

हिंदी का महत्व

हिंदी भाषा का सबसे बड़ा महत्व तो यह है, कि वह हमारी राष्ट्रीय और प्राचीनतम भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा का उद्भव संस्कृत भाषा से हुआ है और संस्कृत भाषा देवताओं के समय की भाषा मानी जाती है। हिंदी भाषा में कई साहित्य, वेद एवं भारतीय संस्कृति और धार्मिक ग्रंथ लिखे गए हैं। अंग्रेजों द्वारा भारत पर कई अत्याचार किए गए एवं अंग्रेजों ने अपनी सभ्यता की छाप भारत पर छोड़ने की पूरी कोशिश की लेकिन भारत ने अपनी संस्कृति को बनाए रखने का भरसक प्रयास किया। इसीलिए ही संविधान सभा ने हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में पहचान दिलाने के लिए राष्ट्रीय हिंदी दिवस को मनाए जाने का महत्वपूर्ण फैसला लिया, ताकि लोग अपने देश की प्राचीन भाषा और संस्कृति से जुड़े रहें। 

हिंदी दिवस कैसे मनाया जाता है?

हिंदी दिवस को भारत में पहली बार 1953 में मनाया गया था, तब से लेकर आज तक यहां भारत में हर साल मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न स्कूलों और कॉलेज के साथ सरकारी तथा गैर सरकारी संगठनों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें भाषण, साहित्यिक प्रस्तुतियां, गीत, नृत्य एवं कविता आदि शामिल है। इस साल 2023 में 14 सितंबर से लेकर 29 सितंबर के बीच हिंदी पखवाड़े का आयोजन किया जाएगा। इन आयोजनों एवं कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को राष्ट्रीय भाषा के महत्व को समझने का अवसर मिलता है। 

भारतीयों के लिए उनकी संस्कृति, परंपरा एवं भाषा उनका गौरव एवं धरोहर है। हिंदी भाषा हमारे देश में प्राचीन काल से बोली जाने वाली भाषा है, एवं इस भाषा में भारत की संस्कृति, साहित्य एवं आजादी के लिए किए गए प्रयासों की कहानी लिखी गई है। राष्ट्रिय एवं विश्व हिंदी दिवस जैसे आयोजन हमारी राष्ट्र भाषा के महत्व को जानने एवम उसको सम्मान देने के लिए मनाए जाते हैं। हम भारतीयों की पहचान हमारी संस्कृति, परंपरा और हमारी भाषा ही है, इसलिए हमें अपनी पहचान को खुलकर एवम गर्व से व्यक्त करना चाहिए। 

Hindi ka Mahatva Essay in Hindi

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Hindi Diwas Essay in Hindi ” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Hindi ka Mahatva Essay in Hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Hindi Diwas Essay in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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हिंदी भाषा का महत्व – Essay on Hindi Bhasha ka Mahatva

Hindi bhasha ka mahatva.

हिंदी है हमारी मातृभाषा, जीवित रखे इसका स्वरूप, नहीं तो एक दिन हम पहचान नहीं पाएंगे अपने ही भारत का रूप। यह पंक्तियां पूर्ण रूप से सिद्ध करती है कि हिंदी को हम केवल इसलिए नहीं ठुकरा सकते हैं। क्योंकि उसमें विज्ञान और सम्पूर्ण तकनीक की जानकारी विद्यमान नहीं है। बल्कि हमारी मातृभाषा होने के कारण वह हमारी माता समान है। जोकि सदैव हमारे लिए आदरणीय है। हिंदी भाषा ने सम्पूर्ण विश्व में भारत को ख्याति अर्जित कराई है। और यह समस्त विश्व में बोली जाने वाली प्रसिद्ध भाषाओं में तीसरे स्थान पर आती है। जिसे भारत की मातृभाषा का दर्जा भी प्राप्त है। ऐसे में देश की मातृभाषा होने के कारण हिंदी के अस्तित्व को बनाए रखना हमारा परम कर्तव्य है। क्योंकि किसी ने सही कहा है कि…..

हिंदी से हिन्दुस्तान है, हिंदी से यह जहान है, हिंदी हमारी मातृभाषा है, विश्व में यही एक महान् भाषा है।

हिंदी का इतिहास

हिंदी का वर्तमान स्वरूप जो हमारे सामने मौजूद है, वह प्राचीन समय की संस्कृत भाषा समेत पालि, प्राकृत, अपभ्रंश और अवहट्ट आदि भाषाओं के मध्य से निकलकर यहां तक पहुंचा है। हालांकि हिंदी के लिए वर्तमान सफर इतना आसान नहीं रहा। प्रारम्भ से ही हिंदी को अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। पहले उसे संस्कृत और उर्दू भाषा से अवतरित माना जाता था। तत्पश्चात् जैसे जैसे भारत पर ब्रिटिश हुकूमत का शासन हो गया। वैसे वैसे हिंदी पर भी अंग्रेजी भाषा ने अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। हालांकि हमारे देश के कई महान व्यक्तियों ने हिंदी के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। जिसके परिणामस्वरूप हिंदी आज भी अखबारों, पत्र पत्रिकाओं, लेखों, कविताएं, सरकारी लेनदेनों, साधारण बोलचाल समेत साहित्य की भाषा मानी जाती है। इतना ही नहीं, हिंदी भाषा के महत्व को स्वीकारते हुए वर्धा समिति के अनुरोध पर वर्ष 1953 से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा को भारत देश के कोने कोने में प्रसारित करना है। ऐसे में कहा जा सकता है कि हिंदी ना केवल भारत की राष्ट्रीय अखंडता का प्रतीक है। बल्कि यह एक सच्चे भारतीय की पहचान भी है। इसलिए प्रत्येक भारतीय को हिंदी भाषा के प्रति अपने सम्मान और प्रेम को सदैव प्रकट करते रहना चाहिए।

अंग्रेजी का दौर हिंदी के लिए बना काल

दुर्भाग्यवश आधुनिक विज्ञान के इस युग में हिंदी भाषा अंग्रेजी के अत्यधिक प्रचलन से पिछड़ती जा रही है। आज बच्चा जन्म लेने के कुछ सालों बाद जैसे ही पढ़ने के लिए विद्यालय जाता है। तो अंग्रेजी शिक्षा पद्धति पर आधारित स्कूलों में उसे हिंदी वर्णमाला के स्थान पर अंग्रेजी वर्णमाला का अभ्यास कराया जाता है। और यदि बच्चा हिंदी विषय के अलावा अन्य किसी विषय की कक्षा में हिंदी के शब्द का गलती से प्रयोग भी कर लेता है। तो उस पर भारी जुर्माना लगा दिया जाता है। ऐसे में अपने ही देश में हिंदी की ऐसी दुर्दशा देखकर किसी के द्वारा कही हुई कुछ पंक्तियां याद आती है कि…..

हिंदी के माथे की बिंदी बन गई आज उसका कलंक, एक दो तीन तो नहीं पर याद है सब अंग्रेजी के अंक, आने वाली पीढ़ी जब हिंदी से नज़रें चुराएगी, बेतुकी बढ़ेगी और हिंदी कहकर उसकी हंसी उड़ाएगी, तो फिर हिंदी किसकी शरण में जाएगी?

आज यह प्रश्न हम सबके सामने खड़ा है कि आखिर हिंदी जिसकी शरण में जाएगी? क्योंकि अंग्रेजी पढ़कर हम बड़े आदमी जरूर बन सकते हैं। लेकिन देश की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति को बांधे रखने के लिए हिंदी भाषा का ज्ञान आवश्यक है। दूसरा, अंग्रेजी आज भी एक ऐसी भाषा है। जो हमारे सगे संबंधियों में फर्क नहीं बता पाई है। फिर ऐसी भाषा से हम कैसे एक परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास की उम्मीद लगा सकते हैं। इसलिए एक दोहा भी प्रचलित है कि….

अंग्रेजी पढ़कर यद्यपि सब गुन होत प्रवीन, पै निज भाषा ज्ञान के रहत हीन के हीन।।

यानि अंग्रेजी का ज्ञान होने पर आप समस्त प्रकार के भौतिक गुणों से संपन्न हो जाते हैं। लेकिन अपनी मातृ भाषा का ज्ञान नहीं होने पर आप ज्ञान हीन ही रह जाते हैं।

हिंदी भाषा की आवश्यकता और महत्व

किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए उसकी मातृभाषा का होना आवश्यक है। ऐसे में तमाम भारतीयों द्वारा बोली जाने वाली भाषा हिन्दी ही सम्पूर्ण देश को एकजुट करने में सक्षम है। इसलिए देश की आज़ादी के पश्चात् हिंदी को राजभाषा का दर्जा दे दिया गया था। क्योंकि सम्पूर्ण भारतवर्ष में हिंदी ही एक ऐसी भाषा है, जोकि देश के हर क्षेत्र में अलग अलग प्रकार से बोली जाती है। इसमें सरलता, आत्मीयता, सर्वव्यापकता का गुण विद्यमान है। हिंदी भाषा का प्रयोग देश के अनेकों राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश आदि में होता है। इसके अलावा विश्व के कई देश नेपाल, श्रीलंका, मॉरीशस, यूनाईटेड स्टेट्स, फ़िजी, युगांडा, यूनाईटेड किंगडम, न्यूजीलैंड, जर्मनी, सिंगापुर इत्यादि देशों में भी हिंदी भाषा का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है। साथ ही हिंदी भाषा विदेशियों को काफी आकर्षित करती है। जिसके चलते वह भारत आने से पहले या भारत आकर यहां हिंदी सीखने की इच्छा जाहिर करते हैं। तो वहीं कुछ लोग हिंदी को वर्तमान समय की भाषा ना बताते हुए किताबी भाषा कहते हैं। जबकि इसके उलट जब से ऑनलाइन बाज़ार बढ़ा है। तब से हिंदी भाषा के क्षेत्र में भविष्य की अपार संभावनाएं तलाश ली गई है। यही कारण है कि आज हिंदी भाषी व्यक्ति भी पैसा कमा सकता है। उदाहरणार्थ, ब्लॉगिंग, भाषा अनुवादक, भाषा प्रेषक और कंटेंट के क्षेत्र में अच्छे हिंदी जानकारों की मांग काफी बढ़ गई है।

हिंदी से जुड़े रोचक तथ्य

हिंदी विश्व में प्रचलित चाइनीज भाषा मंडारिन के बाद बोली जाने वाली तीसरी सबसे लोकप्रिय भाषा है। भारत में हिंदी, बंगला, तेलगु, मराठी और फिर तमिल सर्वाधिक प्रचलित भाषाएं हैं। भारत में कुल आबादी का 77% वर्ग हिंदी भाषा का प्रयोग करता है। हिंदी की लिपि देवनागरी है। जिसमें कुल 52 वर्ण होते हैं। जिनमें से 11 स्वर और 33 व्यंजन होते है। इंटरनेट पर हिंदी का पहला शब्द वेबपोर्टल था। जिसके बाद से हिंदी भी इंटरनेट की दुनिया में छा गई। हिंदी की सबसे पहली कविता अमीर खुसरो ने लिखी थी। और हिंदी की पहली फिल्म आलम आरा थी।  भारत समेत विश्व के कई प्रसिद्ध विश्व विद्यालयों में हिंदी एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में पढ़ाई और सिखाई जाती है। हिंदी भाषा का आधुनिक जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र को कहा जाता है। और इसका प्रथम उपन्यास लाला श्रीनिवास द्वारा रचित परीक्षा गुरूकहलाता है। इसका प्रथम महाकाव्य पृथ्वीराजरासो है। जिसमें पृथ्वीराज के जीवन का वर्णन मिलता है। साथ ही हिंदी का पहला अखबार उदंत मार्तण्ड कहलाता है। जिसे जुगल किशोर शुक्ल द्वारा संपादित किया गया था। हिंदी भाषा की प्रथम कहानी का श्रेय रानी केतकी की कहानी को दिया जाता है। और इसका प्रथम नाटक नहुष था। सर्वप्रथम हिंदी विश्व सम्मेलन का आयोजन 1975 में नागपुर में आयोजित हुआ था।

हिंदी ना केवल भारतीयों की एक भाषा है। अपितु समस्त देशवासियों को एक सूत्र में पिरोए रखने का एक माध्यम है। जिसके सम्मान और विकास को लेकर हमें जीवनभर प्रयत्न करना चाहिए।

इसके साथ ही हमारा निबंध हिंदी भाषा का महत्व (Hindi Bhasha ka Mahatva) समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए निबंध लेखन को पढ़ें।

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अंशिका जौहरी

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पुस्तकों का महत्व पर निबंध

Pustak ka Mahatva Essay in Hindi: पुस्तक मनुष्य जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है और पुस्तकों के माध्यम से ही व्यक्ति ज्ञान धारण करता है। हम यहां पर पुस्तकों का महत्व निबंध हिंदी में (Pustako ka Mahatva) शेयर कर रहे है।

Pustak-ka-Mahatva-Essay-in-Hindi

इस निबंध में हमारे जीवन में पुस्तकों का महत्व (Pustakon ka Mahatva) के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

Read Also:  हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

पुस्तकों का महत्व पर निबंध | Pustak ka Mahatva Essay in Hindi

पुस्तक का महत्व पर निबंध 150 शब्दों में (pustak ka mahatva essay in hindi).

किताब मनुष्य के जीवन के लिए एक अच्छे दोस्त की तरह भूमिका निभाती है। किताब मनुष्य को अकेलापन दूर करवाती है और किताब मनुष्य को महान बनाने में बहुत महत्व रखती है। किताब हर इंसान को आदर्श बनाती है और किताब से व्यक्ति जीवन भर तक सीख सकता है। किताब ही ज्ञान का खजाना है, जहां से जितना चाहो उतना ज्ञान हासिल कर सकते हो।

विद्यार्थी के जीवन में भी पुस्तक का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। विद्यार्थी के जीवन की शुरुआत संघर्ष और ज्ञान प्राप्त करने की चाहत होती है। ऐसे में किताब वहां विद्यार्थी के जीवन में एक नया मोड़ लाती है और विद्यार्थी को जहान अर्जित करवाने का काम करती है। पुस्तक को पढ़ना मनुष्य को बेहतर अहसास करवाता है।

लोगों को अपने जीवन में धर्म को सबसे ज्यादा महत्व देना चाहिए। आपका नाम से अकेलापन दूर होता है। आप को ज्ञान की प्राप्ति होती है, जिससे आप अपने जीवन को और अधिक आगे बढ़ा सकते हैं और इसीलिए हर विद्यार्थी को उसके माता पिता और शिक्षक पुस्तक पढ़ने की सलाह देते हैं। क्योंकि पुस्तक में बहुत सारा ज्ञान होता है।

Pustak ka Mahatva Essay in Hindi

पुस्तकों का महत्व पर निबंध 250 शब्द में (Pustako ka Mahatva Par Nibandh)

स्कूल में मेरे कई दोस्त हैं और मुझे उनके साथ खेलना अच्छा लगता है। घर के आसपास भी कई बच्चे हैं, जो मेरे मित्र हैं। मैं बिना किसी संदेह के उनकी दोस्ती का सम्मान करता हूँ। पर मेरे पास एक और साथी है, जो मुझे इन सब दोस्तों से भी ज्यादा प्यारा है, वह दोस्त मेरी किताबें है।

मैंने घर पर ही अपना एक छोटा सा पुस्तकालय बना रखा है। जब से मैंने पुस्तकालय बनाया है तब से मैं लगातार नई नई किताबें इकट्ठा कर रहा हूँ। पहले मेरे पास छोटी कहानियों वाली किताबें थीं। मेरी माँ बिस्तर पर मुझे उन्ही किताबों के किस्से पढ़कर सुनाती थी। वर्तमान में मेरे पुस्तकालय में कल्पनाओं से भरी, सांस्कृतिक कहानियों से सुसज्जित, भूविज्ञान, विज्ञान, इतिहास इत्यादि विषयों की किताबें हैं, जिन्हें मैं नियमित रूप से पढ़ता रहता हूँ।

मैं किताबों से प्यार करता हूँ। छुट्टी के दिनों में मुझे कोई भी किताब मिल जाती है तो मैं उसे पढ़ने बैठ जाता है और उसमें इतना मगन हो जाता हूँ कि खाने का ध्यान भी नहीं रहता। मेरे घर मे माता पिता हमेशा यही समझाते है कि किताबे पढ़ना चाहिये क्योंकि इनमें बहुत ताकत होती है। किताबे हमारी जीवन मे बहुत बड़ा बदलाव ला सकती है। इसलिए मैं पुस्तक का महत्व अच्छी तरह समझता हूं।

मुझे अपने साथियों और स्कूल के पुस्तकालयों से नियमित रूप से किताबें मिलती हैं। पुस्तकों से मैं बहुत आकर्षण रखता हूँ। मुझे लगता है कि मैं विभिन्न चीजों के बारे में बहुत कुछ जानता हूँ। जबकि मेरे साथी जो घर पर किताबें नहीं पढ़ते हैं, वो इतनी बातें नहीं जानते। हालांकि मेरी संगति में रहकर मेरे कुछ मित्र भी पुस्तकों के महत्व को समझ चुके है और अब नियमित अध्ययन करते हैं।

Pustak ka Mahatva Essay in Hindi

पुस्तकों का हमारे जीवन में महत्व निबंध 500 शब्द (Pustak ka Mahatva Nibandh)

हर मनुष्य के जीवन के लिए पुस्तक बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। पुस्तक को पढ़कर ही मनुष्य महान बनता है और सफलता की चोटी तक पहुंचता है। शुरुआत में मनुष्य को विद्यार्थी के रूप में पुस्तक से सामना करना पड़ता है और वही पुस्तक विद्यार्थी से उस मनुष्य को महान व्यक्ति बनाती है। पुस्तक का अर्थ लिखी हुई पोथी है, जिसे साधारण तौर पर लिखा हुआ ज्ञान भी कहा जाता है।

विद्यार्थी के जीवन में पुस्तक का महत्व

जब बच्चा स्कूल जाने लायक होता है और उसे स्कूल में प्रवेश मिलता है तो वहां से विद्यार्थी के रूप में उस बच्चे को रोजाना किताबों से सामना करना पड़ता है। उस बच्चे के जीवन को संवारने में पुस्तक की भूमिका अहम होती है। विद्यार्थी के जीवन में पुस्तक विद्यार्थी के जीवन की जड़ों को मजबूत करने का काम करती है। जड़ों को मजबूत कर के महान व्यक्ति बनाने तक का काम पुस्तक का ही होता है।

पुस्तक विद्यार्थी के साथ हर समय एक दोस्त की तरह रहती है और हर समय अपना ज्ञान फ्री में विद्यार्थी को बाटती रहती है। अतः विद्यार्थी को उसके माता-पिता और अध्यापक गण भी पुस्तक पढ़ने की सलाह देते हैं, जिससे विद्यार्थी को ज्यादा से ज्यादा ज्ञान अर्जित हो और विद्यार्थी पुस्तक ज्ञान सागर से कुछ ज्ञान प्राप्त कर सकें।

वयस्क और बुजुर्ग के जीवन में पुस्तक का महत्व

विद्यार्थी जीवन जीते समय हर व्यक्ति पुस्तक का प्रयोग अवश्य करता है। पुस्तक का प्रयोग करके विद्यार्थी सभी कक्षाएं उत्तीर्ण करता है और आगे से आगे पढ़ाई करता रहता है। लेकिन विद्यार्थी जीवन पूरा होने के बाद भी पुस्तक हर व्यस्क व्यक्ति और बुजुर्ग व्यक्ति के लिए भी जरूरी है।

ऐसा आपने भी सुना होगा कि सीखते रहना चाहिए सीखने वालों की कभी हार नहीं होती है और जिस मनुष्य की सीखने की कामना रहती है, वह आगे जाकर सफल होता है। इसी तरह से वयस्क व्यक्ति और बुजुर्ग के जीवन में भी पुस्तक का महत्व है।

मनुष्य को अकेलापन दूर करने में सहायता देती है। हर मनुष्य के लिए नया ज्ञान सीखना पुस्तक के जरिए ही संभव है। मनुष्य के जीवन में पुस्तक मार्गदर्शन करने का काम करती है। मनुष्य के व्यक्तित्व को निखारती हैं और उसके दृष्टिकोण में बदलाव लाती है।

कई लोग अपने जीवन में मनोरंजन के तौर पर कहानियों की पुस्तकें पढ़ते हैं। कहानियों से भी मनुष्य को सीखने को मिलता है। पुस्तक मनुष्य के जीवन में आत्मविश्वास पैदा करती है। मानसिक और भावनात्मक क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित होती है। पुस्तक के जरिए ही मनुष्य अपने शब्दावली और ज्ञान को बढ़ा सकता है। पुस्तक मनुष्य को अलग-अलग भाषाएं सीखने में सहायता करती है।

ई पुस्तक क्या है और भविष्य में ई पुस्तक का क्या महत्व होगा

आज के ऑनलाइन जमाने में हर काम ऑनलाइन किया जा रहा है। लोग किताबें भी ऑनलाइन पढ़ रहे हैं। इंटरनेट पर ही ई पुस्तक या ईबुक काफी ज्यादा प्रचलित होती जा रही है। लोग इसे पढ़ना पसंद करते हैं। पुस्तक चाहे ऑफलाइन हो या ऑनलाइन उसका महत्व समान ही होता है और पुस्तक से ज्ञान भी समान ही अर्जित होता है।

ई पुस्तक यानी कि किताब का एक स्वरूप, जिसे ऑनलाइन माध्यम से प्रसारित किया जा रहा है, उसे ई पुस्तक कहा जाता है।

भविष्य में ऑफलाइन पुस्तक जिसे आज के समय में हम उपयोग करें हैं, उस का प्रचलन कम हो जाएगा और मोबाइल और कंप्यूटर के जरिए ही पुस्तक का प्रचलन और उपयोग बढ़ जाएगा। क्योंकि आज के समय में हर कार्य जिसको ऑनलाइन करना हर व्यक्ति पसंद करता है। ऐसे में किताबों का ऑनलाइन होना जाहिर है।

पुस्तक मनुष्य के जीवन साथी के तौर पर काम करती है और एक दोस्त के रूप में हर समय पुस्तक मनुष्य को सहारा देती है। पुस्तक मनुष्य को ज्ञान बांटती है। आगे बढ़ने के लिए पुस्तक कि मनुष्य की मानसिक क्षमता को मजबूत करती है और आत्मविश्वास बढ़ाती है।

पुस्तकों का महत्व पर निबंध 850 शब्द में (Pustako ka Mahatva Essay in Hindi)

इस दुनिया में कुछ भी किताबों को पढ़ने के समान खुशी नही दे सकता है। पुस्तकों को पढ़ने से अविश्वसनीय आनन्द और शांति का अहसास होता है। पुस्तकें विभिन्न प्रकार के जानकारी को संग्रहित करके रखती हैं।

हमें बस अपने दैनिक जीवन में पुस्तकों को पढ़कर उनमे संग्रहित लाभकारी जानकारी को समझना और उसे अपने जीवन मे उतारने की आवश्यकता है। कई पुस्तकों में महान व्यक्तियों के व्यक्तिगत इतिहास होते हैं, जो हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं। जीवन के विभिन्न चरणों में पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी सहायक होती हैं।

हमारी सबसे अच्छी मित्र है किताबें

किताबें हमारे दिन-प्रतिदिन के अस्तित्व में सबसे अच्छी दोस्त हैं, उन्होंने हमें कभी अकेले नही रहने दिया और हमारे सबसे करीबी साथी के समान बनी रही। जब भी हमें उनकी आवश्यकता होती है, वे हमारे लिए उपलब्ध होती हैं। किताबें हमें अपने सामान्य परिवेश को समझने और अच्छे और बुरे के बीच भेद करने में मदद करती हैं।

वे हमारी आदर्श सहयोगी और प्रशिक्षक हैं। किताबों को समझकर हम कुछ अच्छी बातें अपने जीवन मे उतारकरऔर बेहतर बनते हैं। वे हमारे उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करती हैं और साथ ही उन्हें हासिल करने में पूरा सहयोग करती हैं। हममें से एक बड़ी संख्या में लोग अपने अतिरिक्त समय में पुस्तक पढ़ते है क्योंकि पढ़ने से मानसिक दबाव को कम करने में मदद मिलती है।

यह हमें एक काल्पनिक दुनिया में ले जाती है और पढ़ने के बाद हम बहुत अच्छा महसूस करते हैं। पुस्तकें हमारी अंतर्दृष्टि और कल्पनाशक्ति को उन्नत करने में हमारी सहायता करती है।

विद्यार्थियों के लिए पुस्तकों का महत्व

विद्यार्थी जीवन को संघर्षों से भरा हुआ और ज्ञान प्राप्त करने के लिए समर्पित जीवन माना जाता है। प्रत्येक विद्यार्थी को पुस्तकों को समझने की प्रवृत्ति सिखानी चाहिए। चूंकि छात्र जीवन में किसी व्यक्ति का निर्माण होता हैं। अतः उन्हें अपने माता-पिता, शिक्षकों और बुजुर्गों द्वारा किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।

किताबों के साथ मित्रता करना उनके लिए सबसे आदर्श तरीका है। ऐसी कई पुस्तकें हैं, जिनमें कुछ अविश्वसनीय चरित्रों का जीवन विवरण हैं। ये पुस्तकें उन व्यक्तियों के अस्तित्व के इतिहास से प्रेरित होने में विद्यार्थियों की सहायता कर सकती हैं। इनका वे सम्मान करते हैं और इनसे प्रेरित होकर अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए आवश्यकतानुसार काम करते हैं। पढ़ने से एकाग्रता और ध्यान में सुधार होता है, जो आमतौर पर एक छात्र के जीवन में आवश्यक है।

कुछ घंटे हर दिन पढ़ने से पढ़ने से भाषा की समझ बढ़ती है और शब्दकोश बनाने में मदद मिलती है। किताबें दुनिया के बारे में नई जानकारी, विचार और वास्तविकताओं को प्राप्त करने में छात्रों की मदद करती हैं। विद्यार्थी पुस्तकों को समझने के लिए उत्सुक हो जाते हैं।

विद्यार्थियों की पुस्तकों को समझने में मदद करने से एक अधिक सभ्य व्यक्ति बनाने में भी मदद मिलती है। नैतिकता और गुणों से पहचानी गई महान पुस्तकों को पढ़ने से महान विशेषताओं के साथ समझ में सुधार होता है और इस तरह वे बड़े होकर समाज के जिम्मेदार और विचारशील व्यक्ति बन जाते हैं।

क्या ई-किताबें और इंटरनेट हमारे जीवन में किताबें के महत्व को कम कर रहे हैं?

लोगों को लगता है कि वेब का उपयोग करके और डिजिटल किताबें डाउनलोड करके जानकारी प्राप्त करना आसान है। पर मेरे हिसाब से डिजिटल किताबों को किताबों की तरह पढ़ना मुश्किल है। इसे डाउनलोड करने के लिए सेलफोन या कंप्यूटर के उपयोग की आवश्यकता होती है।

इन उपकरणों को चार्जिंग और इंटरनेट की जरूरत होती है। इनके बिना वे काम नहीं करेंगे। वही दूसरी तरफ कागज की पुस्तकों को पढ़ने के लिए ऐसी किसी विशेष सुविधा की जरूरत नहीं है। हम किताब को कभी भी पढ़ सकते हैं और इसमें कुछ भी खर्च नहीं होता है। इसे किसी भी प्रकार के इंटरनेट की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा पढ़ने का आनंद की कोई सीमा नहीं है।

फ़िल्म देखने से बेहतर किताब पढ़ना क्यों है?

फिल्में देखना खुद को व्यस्त रखने का एक अच्छा तरीका है। लेकिन एक फिल्म विशेष रूप से 2-3 घंटे की होती है और उसके बाद पूरी होती है। पुस्तक पढ़ना स्पष्ट रूप से फिल्मों को देखने से बेहतर है। जब हम किसी कहानी की किताब या किसी चरित्र को पढ़ते हैं तो वह फिल्मो में इसी तरह की कहानी देखने की तुलना में अधिक दिलचस्प होती है।

किताबे पढ़ने से हमारे दिमाग का भी व्यायाम होता है। दिमाग मजबूत और स्वास्थ्य बनता है, जबकि फिल्मो में हमारा दिमाग उतना क्रियाशील नही होता है। पढ़ने वाली किताब एक दिन में खत्म नहीं हो सकती। इसे काफी लंबे समय तक पढ़ा जाता है।

जैसे-जैसे हम विभिन्न भागों को समाप्त करते हैं, कहानी की किताब या उपन्यास को पढ़ना हमारे लिए एक अविश्वसनीय रुचिकर काम बनता जाता है। हम उस कहानी में इतना तल्लीन हो जाते हैं जैसे वह कहानी वास्तव में घटित हो रही हो।

पुस्तकों पढ़ना एक अच्छी आदत है, जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। हम सभी को पुस्तकों को समझने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना चाहिए। पुस्तकें हमें महत्वपूर्ण जानकारी देती हैं और साथ ही हमें और अधिक प्रखर, बुध्दिमान बनाती हैं।

पुस्तकों को पढ़ने से हमारे जीवन में तनाव की कोई जगह नही बचती है और हमारी रचनात्मक क्षमता में वृद्धि होती है। इन्हीं सब विशेषताओं के कारण पुस्तकों का महत्व बहुत अधिक है।

हमने यहाँ पर विद्यार्थी जीवन में पुस्तकों का महत्व ( Pustak ka Mahatva Essay in Hindi )  शेयर किया है। उम्मीद करते हैं आपको यह लेख अवश्य पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। यदि आपका इसे लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

  • मेरी प्रिय पुस्तक पंचतंत्र पर निबंध
  • पुस्तकालय पर निबंध
  • पुस्तकालय के महत्व पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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Anushasan ka Mahatva | अनुशासन का महत्व कितना जरूरी है?

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  • Updated on  
  • नवम्बर 17, 2023

Anushasan ka Mahatva

अनुशासन का मूल्य वह करने का तरीका है जो करने की आवश्यकता है। अभ्यास न केवल व्यक्ति को सकारात्मक कार्य स्थापित करने की अनुमति देता है। यह हमारे दिमाग और शरीर को प्रशिक्षित करने में मदद करता है और हमें अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम बनाता है। हर एक मनुष्य के जीवन में अनुशासन होना सबसे ज्यादा महत्व होता है। खुशहाल जीवन जीने के लिए अनुशासन होना बहुत ही आवश्यक है। कोई भी अवस्था हो, हमें अनुशासित रहना चाहिए। इस ब्लॉग में हम अनुशासन का महत्व (Anushasan ka Mahatva) विस्तार से जानेंगे।

This Blog Includes:

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अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है- अनु और शासन। अनु उपसर्ग है जो शासन से जुड़ा है और जिससे अनुशासन शब्द बना है। जिसका अर्थ है- किसी नियम के अधीन रहना या नियमों के शासन में रहना। हमारे जीवन के हर एक काम के लिए बेहतर अनुशासन की आवश्यकता होती है। पारिवारिक और सामाजिक जीवन में तो कहीं ज्यादा अनुशासन की आवश्यकता होती है। यह एक कटु सच्चाई है कि अनुशासन के बिना सफलता नहीं हासिल की जा सकती। जिस देश के लोग अनुशासित हैं, जहां की सेना अनुशासित है, वह देश निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर होता रहेगा, वह सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ता रहेगा।

अच्छे विद्यार्थी को हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए। अच्छे विद्यार्थी के गुणों में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। अनुशासन का पालन करके ही एक अच्छा विद्यार्थी बना जा सकता है। अच्छे विद्यार्थी को माता पिता, शिक्षकों, बड़ों की आज्ञा हमेशा पालन करना चाहिए। जीवन को आनंदपूर्वक जीने के लिए विद्या और अनुशासन दोनों आवश्यक हैं। अनुशासन भी एक प्रकार की विद्या अपनी दिनचर्या, भजन चाल, रहन-सहन, सोच-विचार और अपने समस्त व्यवहार को व्यवस्थित करना ही अनुशासन है। अनुशासन का गुण बचपन में ही ग्रहण किया जाना चाहिए। अनुशासन जीवन के लिए परमावश्यक है तथा उसकी प्रथम पाठशाला है।

शिक्षा में Anushasan ka Mahatva बहुत ही ज्यादा है। स्टूडेंट्स लाइफ में व सामाजिक जीवन तथा हर जगह हमें अनुशासन के नियमों का पालन करना चाहिए। इससे ही हमारा जीवन सुखद बनता है और हम अपना व्यक्तित्व निखार कर सबके सामने पेश कर पाते हैं। शिक्षा में यदि हम अनुशासन का पालन करते हैं तो हमें शिक्षा के साथ-साथ आत्मविश्वास की भी प्राप्ति होती है। यदि हम पढ़ाई करते समय अनुशासन का पालन करते हैं तो हम अच्छे नंबर से उत्तीर्ण हो सकते हैं। विद्यालय में अनुशासन का पालन करने पर हम अध्यापक द्वारा पढ़ाए जाने वाला हर अध्याय अच्छे से समझ सकते हैं।

मनुष्य के जीवन में Anushasan ka Mahatva कितना आवश्यक है, हम प्वाइंट्स में जानेंगेः

  • हम किसी न किसी अनुशासन का किसी न किसी रूप में पालन करते हैं। हम भले जी कहीं भी हों स्कूल, घर, कार्यालय, संस्थान, कारखाने, खेल के मैदान, युद्ध के मैदान या अन्य किसी भी स्थान पर हों।
  • अनुशासन इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐसा करने से काम शांति से और अच्छे से हो जाता है।
  • कई सफल व्यक्ति जिन्होंने अपने जीवन में काफी सफलता हासिल की हो वह अपनी इस सफलता का श्रेय अनुशासन को देते हैं। अनुशासन ने ही उन्हें वह सफलता दिलाई है।
  • अनुशासन हमारे व्यक्तिगत जीवन, करियर, काम, अध्ययन, जीवन शैली और यहां तक कि सामाजिक जीवन तक फैला हुआ है। इसलिए इसका महत्व भी हमारे जीवन के लिए बहुत अधिक है।
  • अनुशासन हमें आगे बढ़ने का सही तरीका, जीवन में नई चीजें सीखने, कम समय के अंदर अधिक अनुभव करने जैसे बहुत सारे अवसर प्रदान करता है।

हम अपने जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का पालन कर सकते हैंः

  • एक संतुलित और नियमित दिनचर्या का पालन करना।
  • कार्यों को समय पर पूरा करने का हरसंभव प्रयास करना।
  • व्यर्थ के कार्यों से दूर रहना।
  • बुरी आदतों और कार्यों से दूरी बनाना।
  • अपने कार्यों के प्रति पूरी लगन रखना।

anushasan ka mahatva

हमें अपने जीवन को अनुशासित बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए। अपने जीवन में Anushasan ka Mahatva जानना जरूरी है और इसके लिए इन नियमों का पालन करना चाहिए:

  • एक संतुलित और नियमित दिनचर्या का पालन करना चाहिए।
  • अपने से छोटे और बड़े लोगों का सम्मान करना चाहिए।
  • अपने कार्यों को समय पर पूरा करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।
  • व्यर्थ के कार्यों से दूर रहना चाहिए अर्थात समय का सही उपयोग करना चाहिए।
  • बुरी आदतों और कार्यों से हमेशा दूर रहना चाहिए।
  • हर व्यक्ति के प्रति सकारात्मक सोच रखना चाहिए।
  • अपने कार्यों के प्रति पूरी लगन रखना चाहिए और हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए।
  • अपने जीवन में कोशिश करें कि हमेशा संयम से काम करें।

अनुशासन के विभिन्न लोगों द्वारा विभिन्न प्रकार बताए गए हैं। नीचे इसके प्रकार दिए गए हैं-

  • सकारात्मक अनुशासन: सकारात्मक अनुशासन व्यवहार के सकारात्मक बिन्दुओं पर ध्यान केंद्रित करता है। यह व्यक्ति में एक तरह का सकारात्मक विचार उत्पन्न करता है, कि कोई व्यक्ति अच्छा या बुरा नहीं होता, बल्कि उसके व्यवहार अच्छे या बुरे होते हैं। किसी बच्चे के माता–पिता उन्हें समस्या सुलझाने के कौशल सिखाते हैं और साथ ही उन्हें विकसित करने के लिए उनके साथ काम करते हैं। माता–पिता अपने बच्चे को अनुशासन सिखाने के लिए शिक्षण संस्थाओं में भेजते हैं। यह सभी पहलू सकारात्मक अनुशासन को बढ़ावा देते हैं। और इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • नकारात्मक अनुशासन: नकारात्मक अनुशासन वह अनुशासन है जिसमें यह देखा जाता है, कि कोई व्यक्ति क्या गलत कर रहा है, जिससे उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। किसी व्यक्ति को आदेश देना एवं उन्हें नियमों और कानूनों को पालन करने के लिए मजबूर करना नकारात्मक अनुशासन होता है।
  • सीमा आधारित अनुशासन: सीमा आधारित अनुशासन सीमाएं निर्धारित करने और नियमों को स्पष्ट करने के लिए होता है। इस अनुशासन के पीछे एक सरल सिद्धांत है, कि जब एक बच्चे को यह पता होता है, कि यदि वे सीमा से बाहर जाते हैं, तो इसका परिणाम क्या होता है, तो ऐसे बच्चे आज्ञाकारी होते हैं। उनका व्यवहार सकारात्मक होता हैं और वे खुद को हमेशा सुरक्षित महसूस करते हैं।
  • व्यवहार आधारित अनुशासन: व्यवहार में संशोधन करने से सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही परिणाम होते हैं। अच्छा व्यवहार प्रशंसा या पुरस्कार के साथ आता है, जबकि दुर्व्यवहारों के कारण नकारात्मक परिणामों को हवा मिलती है, इसलिए इससे काफी नुकसान भी होता है।
  • आत्म अनुशासन: आत्म अनुशासन का अर्थ है, अपने मन और आत्मा को अनुशासित करना जो बदले में हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं। इसके लिए हमें अपने आप को अनुशासित होने के लिए प्रेरित करना होगा. यदि हमारा दिमाग अनुशासित रहेगा, तो हमारा शरीर अपने आप ही अच्छे से कार्य करेगा।

अनुशासन का महत्व पर 100 शब्दों पर निबंध इस प्रकार लिख सकते हैंः

हर एक मनुष्य के जीवन में अनुशासन होना बहुत ही जरूरी है, जिस व्यक्ति में अनुशासन नहीं होता वह अनुशासनहीन कहलाता है। जीवन में सफल व्यक्ति बनने के लिए अनुशासन का महत्व होना बहुत ही आवश्यक है। जो भी कार्य हम सही समय पर करते हैं और जिस ढंग से करते हैं उस पर से हमारा अनुशासन का पता चलता है। बचपन से ही बच्चों में अनुशासन होना बहुत ही जरूरी है, विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्व होता है। जीवन का मूल मंत्र अनुशासन का महत्व है। गांधीजी के जीवन में अनुशासन का महत्व बहुत ही था, वह जीवन में अपना  हर कार्य समय के साथ और दिनचर्या का कठोरता के साथ पालन करते थे।

“हम सभी को दो चीजें बर्दाश्त करनी पड़ती हैं: अनुशासन का कष्ट या पछतावे और मायूसी की पीड़ा।” – Jim Rohn

250 शब्दों में Anushasan Ka Mahatva Essay in Hindi इस प्रकार हैः

अनुशासन होना हर मनुष्य के जीवन में बहुत ही आवश्यक है, अनुशासित व्यक्ति  के अंदर आज्ञाकारी का गुण होता है। अनुशासन पूरे जीवन में बहुत ही महत्व का होता है और साथ ही सभी  कार्य में इसकी जरूरत होना बहुत ही आवश्यक है। किसी भी प्रोजेक्ट पर गंभीरता से कार्य करने के लिए अनुशासन होना बहुत ही आवश्यक है अगर हम अपने वरिष्ठ की आज्ञा का पालन नहीं करते तो, हमें आगे चलकर परेशानियों का सामना करना पड़ता है और हमें असफलता प्राप्त होती है। यही वजह है कि Anushasan ka Mahatva हर मनुष्य की जिंदगी में होना जरूरी है।

जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमें हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए , अपने माता-पिता एवं शिक्षकों के आदेशों का पालन करना चाहिए। अनुशासन हमारे रोज की दिनचर्या में होना जरूरी है, सुबह जल्दी उठ कर, पानी पीकर, शौचालय जाना चाहिए फिर दांतों को साफ करके, नहाना चाहिए और नाश्ता करने के बाद स्कूल जाना चाहिए। साथ ही हमारे आसपास स्वच्छता और सफाई रखना बहुत ही आवश्यक है। 

अपने माता पिता को हमेशा खुश रखना चाहिए, उन्हें कभी भी  दुखी नहीं करना चाहिए। हमें स्कूल में समय पर पहुंच जाना चाहिए और अच्छे से यूनिफॉर्म और तैयार होकर जाना चाहिए।नियम के अनुसार प्रार्थना करना चाहिए और शिक्षकों की आज्ञा का पालन करना बहुत ही आवश्यक है। अपना कार्य खुद ही करना चाहिए और पाठ को अच्छे से याद रखना और लिखावट साफ सुथरी होना बहुत ही अनिवार्य है।

हमें हमेशा चौकीदार ,शिक्षक या हमसे बड़े लोगों के साथ अच्छे से बर्ताव करना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए। हमेशा सफल इंसान बनने के लिए अनुशासन होना बहुत ही जरूरी है। जिस व्यक्ति में अनुशासन है वह जीवन में कहीं सारी उपलब्धियां प्राप्त कर सकता है।

anushasan ka mahatva

Anushasan Ka Mahatva Par Anuchchhed (500 शब्द)

अनुशासन का महत्व पर अनुच्छेद इस प्रकार लिख सकते हैंः

अनुशासन दो शब्दों का मिश्रण करके बना है: अनुशासन। अनुशासन का यह अर्थ है कि अपने विकास के लिए कुछ नियम निर्धारित करना और उस नियम का रोजाना पालन करना चाहे वह नियम हमें पसंद हो या ना हो इसी को हम अनुशासन का महत्व कहते हैं। अगर हम अपने जीवन में नियम के साथ नहीं जीते या चलते तो हमारा जीवन व्यर्थ है।

अनुशासन का महत्व सीखने के लिए सबसे बड़ा उदाहरण प्रकृति का है। सूरज हमेशा अपने नियमित समय पर उगता है और नियमित समय पर ही ढल जाता है, नदियां हमेशा बहती ही रहती है, गर्मी, ठंड या बारिश का मौसम अपने नियमित समय पर आते हैं और चले जाते हैं। अगर किसी भी रूप से प्रकृति अपने काम नियमित ना करें तो मानव जाति का विनाश हो जाएगा,  ठीक उसी तरह हमें भी अपने काम नियमित रूप से ना करे तो हमारा जीवन भी पतन हो जाएगा। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो समाज में रहता है और समाज में रहने के लिए अनुशासन का होना बहुत ही आवश्यक है।

अनुशासन हमारे जीवन में सफलता की सीढ़ी है जिस पर चढ़कर या उसके सहारे हम कोई भी मंजिल को अपने जीवन में हासिल कर सकते हैं। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का बहुत ही महत्व है क्योंकि यह वह पड़ाव है जहां वह जीवन में सब कुछ सीखते हैं, छोटू से प्यार, बड़ों का आदर, समय का पक्का ,नियम का पालन करना आदि। अनुशासन सबसे ज्यादा खेलों में अपनी भूमिका अदा करता है। अनुशासन कई लोगों के जीवन में जन्म से ही मौजूद होता है और कुछ लोगों को अपने जीवन में उत्पन्न करना पड़ता है। अनुशासन दो प्रकार का होता है : पहला जो किसी के जीवन में जबरदस्ती से  लाया जाए और लोगों पर धक्के से थोपा जाए यह बाहरी अनुशासन कहलाता है।

दूसरा अनुशासन वह है जो लोगों में पहले से ही विद्यमान होता है वह आंतरिक अनुशासन कहलाता है। जब भी कोई भी मनुष्य अपना हर काम समय से करेगा और व्यवस्थित तरीके से करेगा तो सफलता अवश्य उसके कदम चूमेगी और वह अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है। अनुशासन में रहने के तरीके: अपना किसी भी प्रकार के कार्य को आज ही पूरा करने का प्रयास करें कल करने के लिए ना छोड़े, रोज सही और अच्छी दिनचर्या का पालन करने का प्रयास करें, जीवन का हर एक कार्य पूरी लगन और मेहनत के साथ करें, बुरे कामों और बुरी आदतों से दूर रहे।

अनुशासन के बिना मनुष्य का जीवन आधा अधूरा है, जीवन में सफलता की कुंजी अनुशासन है। अनुशासन के आधार पर हमारे जीवन का भविष्य तय होता है। अनुशासन की राह पर चलना थोड़ा मुश्किल होता है ,परंतु इस राह पर चलने के बाद मिलने वाला फल बहुत ही स्वादिष्ट और मीठा होता है। अनुशासन बहुत डोर है, जो हमें आकाश की बुलंदियों को छूने के लिए मदद करती है।

संकेत बिंदु

  • प्रस्तावना 
  • विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व
  • अनुशासन का खत्म होना
  • अनुशासनहीनता के कारण एवं निवारण के उपाय

प्रस्तावना- अनुशासन शब्द दो शब्दों के मेल से बना है, जो है ‘अनु’ तथा ‘शासन’ । अनु का अर्थ-“अनुगमन करना” तथा शासन का अर्थ- “अर्थव्यवस्था या नियम” होता है। इस प्रकार से कहा जा सकता है कि अनुशासन का अर्थ है नियम व्यवस्था का अनुसरण करना। अर्थात प्रशासनिक एवं राज सामाजिक व्यवस्था के विपरीत काम ना करना जिससे समाज में रहने वाले लोगों को कष्ट की प्राप्ति हो। पूरे ब्रह्मांड और प्रकृति का कण-कण अनुशासन से बाधित है तो मनुष्य अनुशासन बद्य क्यों नहीं रह सकता है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व- विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बहुत अधिक महत्व है। विद्यार्थियों से समाज बहुत अधिक अपेक्षा रखता है क्योंकि वे देश का भविष्य है। यह न केवल स्वयं का बल्कि अपने परिवार समाज तथा राष्ट्रीय का गौरव होते हैं। विद्यार्थी जीवन में मनमाना काम करने की इच्छा सफलता प्राप्ति में रुकावट होती है। इस समय में विद्यार्जन के साथ-साथ अच्छे संस्कार अपने तथा विकसित होने पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बिना अनुशासन के विद्यार्थी जीवन सफल नहीं हो सकता है।

अनुशासन का खत्म होना- प्राचीन काल में गुरुकुल में विद्या प्राप्ति की परंपरा थी ‌‌। वहां विद्यार्थी गुरुकुल के नियम का दृढ़ता से पालन करते थे। उनकी शिक्षा और दीक्षा का प्रमुख आधार अनुशासन ही था, परंतु आज के समय में विद्यार्थी उन शिष्यों की तरह नहीं है। आज के विद्यार्थी में सहनशीलता, आज्ञाकारिता, श्रद्धा और अनुशासन की बहुत अधिक कमी है। छात्रों में अहंकार तथा निरंकुशता का भाव उत्पन्न होता जा रहा है। उनकी बातों में शिष्टता और विनम्रता दोनों भाव विलुप्त होते जा रहे हैं ‌। इसलिए आज के विद्यार्थी को अनुशासन का पालन करने की अधिक आवश्यकता है।

अनुशासनहीनता के कारण एवं निवारण के उपाय- अनुशासनहीनता का मुख्य कारण यह है कि अरुचिकर पाठ्यक्रम, पुरानी घिसी पिटी शिक्षा प्रणाली, भविष्य के प्रति अनिश्चितता, अध्यापक तथा अभिभावक का विद्यार्थी के प्रति व्यवहार। यदि हमें इस समस्या से निपटना है तो हमें इन कारणों को गहनता से समझने की आवश्यकता है। ताकि विद्यार्थियों या बच्चों में अध्यापक और अभिभावक के प्रति आदर भाव उत्पन्न हो सके। इसके अतिरिक्त शिक्षा प्रणाली को रुचिकर बनाने की आवश्यकता है। विद्यार्थी के साथ-साथ अध्यापक तथा उनके माता-पिता को भी अनुशासन को अपनाने की आवश्यकता है।

उपसंहार- आज का विद्यार्थी या बच्चे अपने भविष्य के प्रति जागरूक हैं। बस यह आवश्यक है कि वहां अपने मनमानी इच्छा को नियंत्रण में रखें यदि वह ऐसा करता है तो वह समाज में, परिवार में तथा और लोगों के बीच एक अच्छी छवि छोड़ता है।

अनुशासन हमें सही और सुखी जीवन जीने की कला को सिखाता है। अनुशासन के जरिए हमें अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अहम किरदार निभाता है। इसके जरिए हम टाइम मैनेजमेंट, हेल्दी लाइफ स्टाइल और नौतिका आदि सीख सकते हैं। इसके साथ ही कुछ मुख्य अनुशासन के लाभ इस प्रकार हैंः

  • अनुशासन हमारे व्यक्तित्व विकास में सहायक होता है।
  • इससे हम तनाव मुक्त रहते हैं।
  • इससे हमें समय के महत्व का पता चलता है जिससे हम अपने समय को सही तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • अनुशासन में रहने पर हम अपने साथ-साथ अपने समाज का भी विकास करते हैं।
  • अनुशासन में रहने पर हमें खुशहाली की प्राप्ति होती है।
  • यदि हम अनुशासन में रहते हैं तो हमें देखने वाले लोगों में भी अनुशासन अपनाने की इच्छा होती है।
  • अनुशासन में रहने पर हमें शिक्षा की सही प्राप्ति होती है।
  • अनुशासन से हमें उज्जवल भविष्य की प्राप्ति होती है।

अनुशासन पर सुविचार इस प्रकार हैं:

अनुशासन पढ़ना, सीखना, प्रशिक्षण लेना, और इसके तरीके को जीवन में लागू करना है।

अनुशासन कोई नियम, कानून या सजा नहीं है, और न ही समर्पण या कर्तव्य पालन, कठोर, बोरिंग या हमेशा एक ही काम करने वाला है। अनुशासन एक विकल्प है जो आपकी पसंद हो सकता है, और यह निर्णय लेने में भी बेहतर होता है।

अनुशासन वह प्रकृति है जो प्रकृति द्वारा बनाई गई हर चीज में मौजूद होता है।

एक अनुशासित मन सुख की ओर जाता है और एक अनुशासनहीन मन दुःख की ओर ले जाता है।

सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण चाबियों में से एक अनुशासन है, किन्तु यह जानते हुए भी हम इसका पालन करना पसंद नहीं करते है।

यह कोई जादू की छड़ी नहीं है जो हमारी समस्याओं को हल कर सके. समाधान हमारे काम और अनुशासन दोनों के साथ मिलता है।

अनुशासन लक्ष्य और सफलता के बीच एक पुल की तरह काम करता है।

नियमित रूप से आत्म अनुशासन और आत्म नियंत्रण से आप चरित्र की महानता को विकसित कर सकते हैं।

कोई भी व्यक्ति दूसरे को आदेश देने के लिए फिट नहीं है जब वह खुद को आदेश नहीं दे सकता है।

कुछ लोग अनुशासन को एक संस्कार मानते हैं, किन्तु मेरे लिए यह एक तरह का आदेश है जो मुझे उड़ान भरने के लिए स्वतंत्र करता है।

अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है- अनु और शासन। अनु उपसर्ग है जो शासन से जुड़ा है और जिससे अनुशासन शब्द निर्मित हुआ है। जिसका अर्थ है- किसी नियम के अधीन रहना या नियमों के शासन में रहना। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक है।

अनुशासन विद्यार्थी को पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के अन्य क्षेत्रों के प्रति एकाग्र और प्रेरित होना सिखाता है। एक अनुशासित विद्यार्थी अपनी शैक्षणिक संस्थान का गौरव होता है। समाज द्वारा हमेशा उनका सम्मान किया जाता है। अनुशासन के बिना हम एक सफल छात्र की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

अनुशासित व्यक्ति ही समाज और जीवन में सम्मान पाते हैं। अनुशासन हमें वक्त की कदर करना सिखाता है, जो कि लक्ष्य प्राप्ति और राष्ट्र निर्माण व विकास में सहायक है। जीवन में प्रारम्भ से ही अनुशासन का विशेष महत्व रहा है। आज के संदर्भ में यदि बात करें तो अनुशासन सभी के जीवन का आवश्यक अंग होना चाहिए।

अनुशासन के प्रकार यह होते हैं – शिक्षक द्वारा आरोपित अनुशासन, समूह-आरोपित अनुशासन, आत्मारोपित अनुशासन, कार्य आरोपित अनुशासन, प्राकृतिक अनुशासन आदि।

अनुशासन चीजों को आसान बनाता है और हमारे जीवन में सफलता लाता है।

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अनुशासन का महत्व पर निबंध- Essay on Discipline in Hindi

In this article, we are providing Essay on Discipline in Hindi / Anushasan Ka Mahatva in Hindi अनुशासन पर निबंध हिंदी में, अनुशासन का महत्व, अनुशासन का अर्थ। Discipline essay in 150, 200, 300, 500, 1000 words For Class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 Students.

Essay on Discipline in Hindi

अनुशासन पर निबंध | Discipline Essay in Hindi in 150 words

अनुशासन का अर्थ है-नियमों के अनुसार जीवन-यापन। अनुशासन मानव की प्रगति का मूलमंत्र है। अनुशासन से मनुष्य की सारी शक्तियाँ केंद्रित हो जाती हैं। उससे समय बचता है। बिना अनुशासन के बहुत सारा समय इधर-उधर के सोच-विचार में नष्ट हो जाता है। यदि सूर्य और चंद्रमा को भी अनुशासन ने न बाँध रखा होता, तो शायद ये भी किसी दिन अँगड़ाई लेने ठहर जाते। तब इस सृष्टि का न जाने क्या होता! मनुष्य को प्रकृति ने छूट दी है। वह चाहे तो अनुशासन अपना कर अपना जीवन सफल कर ले; अन्यथा पश्चात्ताप कर ले । संसार के सभी सफल व्यक्ति अनुशासन की राह से गुजरे हैं। गाँधी जी समय और दिनचर्या के अनुशासन का कठोरता से पालन करते थे। अंग्रेजों की थोड़ी-सी सेना पूरे भारत पर इसलिए शासन कर सकी, क्योंकि उसमें अद्भुत अनुशासन था। इसके विपरीत भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम केवल इसीलिए विफल हो गया, क्योंकि उनमें आपसी तालमेल और अनुशासन नहीं था।

Adarsh Vidyarthi Par Nibandh

Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Essay

अनुशासन पर निबंध हिंदी में | Anushasan Ka Mahatva par Nibandh 300 words

अनुशासन का अर्थ- अनुशासन दो शब्दों के मिश्रण से बना है अनु+शासन.अनुशासन का अर्थ है नियमो का पालन करना। अनुशासन को अगर दूसरे सब्दो में कहे तो अपने विकास के लिए कुछ नियम निर्धारित करना और उस नियम का रोजाना पालन करना चाहे वो नियम आपको पसंद हो या ना हो इसी को अनुशासन कहते है। अगर आप अपने जीवन को नियम के साथ नही जीते तो आपका जीवन व्यर्थ है। जिस प्रकार खाना बिना नमक इसी प्रकार अनुशासन बिना जीवन व्यर्थ हो जाता है इसलिए हमें अपने जीवन को नियम के साथ जीना चाहिए।

अनुशासन को सीखने का सबसे बड़ा उदाहरण प्रकृति है जिस प्रकार से सूरज अपने नियमित समय पर उगता है और अपने नियमति समय पर ढल जाता है,नदियाँ हमेशा बहती है,गर्मी और ठंड के मौसम अपने नियमित समय पर आते जाते रहते है। ये सारे काम अपने नियमित रूप से चालू रहते है अगर प्रकृति ये सारे काम को नियमित रूप से ना करे तो मानव जाति का पतन हो जाएगा ठीक इसी तरह हम भी अपने काम को नियमित रूप से ना करे और अपने आप को अनुशासन में ना रखे तो हमारे जीवन का भी पतन हो जाएगा इसलिए हमें अपने आपको को अनुशासित करना चाहिए।

इस पृथ्वी पर जितने भी माह पुरुष हुए है उन सब में एक बात समान है की वह जानते है कि उन्हें कौन सा काम सबसे पहले करना है और वह अपने प्रति बहुत ईमानदार है ऐशे ही हमको भी पता रहना चाहिए कि कौन सा काम हमे सबसे पहले करना है। अगर हम अपना जीवन नियम के साथ जिये तो हमारा जीवन सुख और शांति से भर जायगा।

अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi in 500 words

अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है अनु और शासन। अनु का अर्थ है पालन और शासन का मतलब नियम। हमारे जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है यह हमें नियमों का पालन करना सिखाता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जो कि समाज में रहता है और उसमें रहने के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है।अनुशासन हमारी सफलता की सीढ़ी होती है जिसके सहारे हम कोई भी मंजिल हासिल कर सकते है। जिस व्यक्ति के जीवन में अनुशासन नहीं उस व्यक्ति का जीवन कभी खुशहाल नहीं होता। प्रकृति भी सभी कार्य अनुशासन में ही करती है सूर्य समय पर उदय होता है और समय पर ही अस्त होता है। अगर इन सब में से कुछ भी इधर उधर हुआ तो पूरा जीवन ही अस्त वयस्त हो जाएगा।

अनुशासन का विद्यार्थि जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्तव है क्योंकि यह जीवन का वह पड़ाव होता है जहाँ हम जो कुछ सीखते है वह हमारे साथ हमेशा रहता है। अनुशासन के अंदर बड़ो का आदर, छोटों से प्यार, समय का पक्का, नियमों का पालन और अध्यापकों का अनुसरण आदि आता है। अनुशासन प्रिय लोग सभी को बहुत पसंद आते है। अनुशासन व्यक्ति को चरित्रवान और कौशल बनने में मदद करता है। सैनिक जीवन में अनुशासन देखने को मिलता है जिसकी वजह से वो कठिन परिस्थितियों में जी पाते है। खेलों में अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अनुशासन प्रिय खिलाड़ी ही खेल को जीत सकता है। अनुशासन एक व्यक्ति से लेकर समाज तक सभी के लिए आवश्यक विद्यार्थियों में हर काम समय पर करने की आदत होती है वह अपना आज का काम कल पर नहीं टालते। वह दी हुई समय गति में ही कार्य पूरा करने की कोशिश करते है जो कि किसी भी नौकरी पेशे के लिए चुने जाते है।

अनुशासन कई लोगों में जन्म से ही मौजुद होते है और कुछों को उत्पन्न करना पड़ता है। अनुशासन दो प्रकार का होता है- पहला जो किसी में जोर जबरदस्ती से लाया जाता है और लोगों पर धक्के से थोपा जाता है इसे बाहरी अनुशासन कहते है। दूसरा वह होता है जो लोगो में पहले से ही विद्यमान होता है और इसे आंतरिक अनुशासन कहते है।

जब कोई व्यक्ति हर काम समय से करेगा, व्यवस्थित तरीके से करेगा तो सफलता अवश्य ही उसके कदम चुमेगी और वह अपना लक्षय को प्राप्त कर लेगा। इंसानों के साथ साथ पशु भी अनुशासन में रहना पसंद करते है। हर क्षेत्र में अनुशासित लोंगो को ही प्राथमिकता दी जाती है। जिस व्यक्ति को समय की कदर नही दुनिया भी उसकी कदर नहीं करती। अनुशासन हीन व्यक्ति हमेशा जीवन में पिछड़ा हुआ रह जाता है वह कभी लक्षय को प्राप्त नहीं कर पाता। आजकल विद्यार्थि बहुत ही अनुशासन हीन होते जा रहे है वह समय का महत्व को भूलते जा रहे है और बड़ो का आदर करना भी।अनुशासन हीनता को उच्च शिक्षा से नियंत्रित किया जा सकता है। अनुशासन हमें लक्षय प्राप्ति और राष्ट्र के विकास में सहायक होता है। हम सब को अपने जीवन में अनुशासन को अपनाना चाहिए।

#Discipline Essay in Hindi

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इस लेख के माध्यम से हमने Anushasan Par Nibandh |  Hindi Essay on Discipline  का वर्णन किया है और आप यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

अनुशासन पर निबंध हिंदी में anushasan par lekh anushasan nibandh anushasan ka mahatva essay in hindi

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18 thoughts on “अनुशासन का महत्व पर निबंध- Essay on Discipline in Hindi”

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थैंक्स सर, बहुत ही बढ़िया निबंध सर

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Hindi Essay on “Pustakalaya ka Mahatva”, “पुस्तकालय का महत्व”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

Pustakalaya 

पुस्तकालय का महत्व

Pustakalaya ka Mahatva

Top 3 Hindi Essay on ” Pustakalaya Ka Mahatva”

निबंध नंबर :- 01

पुस्तकालय शब्द पर जब हम विचार करते हैं, तो हम इसे दो शब्दों के मेल। से बना हुआ पाते हैं—पुस्तक + आलय ; अर्थात् पुस्तक का घर जहाँ विभिन्न प्रकार की पुस्तकें होती हैं और जिनका अध्ययन स्वतंत्र रूप से किया जाता है, उसे पुस्तकालय कहा जाता है। इसके विपरीत जहाँ पस्त तो हों लेकिन उनका अध्ययन स्वतंत्र रूप से न हो और वे अलमारी में बन्द पड़ी रहती हों, उसे पुस्तकालय नहीं। कहते हैं इस दृष्टिकोण से पुस्तकालय ज्ञान और अध्ययन का एक बड़ा केन्द्र होता है ।

प्राचीनकाल में पुस्तकें आजकल के पुस्तकालयों की तरह एक जगह नहीं होती थीं; अपितु प्राचीनकाल में पुस्तकें हस्तलिखित हुआ करती थीं। इसलिए इन पुस्तकों का उपयोग केवल एक ही व्यक्ति कर पाता था। दूसरी बात यह कि प्राचीनकाल में पुस्तकों से ज्ञान प्राप्त करना एक बड़ा कठिन कार्य होता था; क्योंकि पुस्तकें आज जितनी प्रकार की एक ही जगह मिल जाती हैं, उतनी तब नहीं मिलती थीं। इसलिए विविध प्रकार की पुस्तकों से आनन्द, ज्ञान या मनोरंजन करने के लिए। आज हमें जितनी सुविधा प्राप्त हो चुकी हैं, उतनी इससे पहले नहीं थीं। इस प्रकार से पुस्तकालय हमारी इस प्रकार की सुविधाओं को प्रदान करने में आज अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका को निभा रहे हैं।

पुस्तकालय की कोटियाँ या प्रकार कई प्रकार के होते हैं। कुछ पुस्तकालय व्यक्तिगत होते हैं, कुछ सार्वजनिक होते हैं और कुछ सरकारी पुस्तकालय होते हैं।

व्यक्तिगत पुस्तकालय, वे पुरतकालय होते हैं, जो किसी व्यक्ति-विशेष से ही सम्बन्धित होते हैं। ऐसे पुस्तकालयों में पुस्तकों की संख्या बहुत ही सीमित और थोड़े प्रकार को होती है। हम कह सकते हैं कि व्यक्तिगत पुस्तकालय एक प्रकार । से स्वतंत्र और ऐच्छिक पुस्तकालय होते हैं इन पुस्तकालयों का लाभ और उपयोग उठाने वाले भी सीमित और विशेष वर्ग के ही विद्यार्थी होते हैं। इन पुस्तकालयों की पुस्तक बहुत सामान्य या माध्यम श्रेणी की होती हैं। व्यक्तिगत पुस्तकालय को निजी पुस्तकालय की भी संज्ञा दी जाती है। इस प्रकार के पुस्तकालय मुख्य रूप से धनी और सम्पन्न वर्ग के लोगों से चलाए जाते हैं। ऐसे पुस्तकालयों की संख्या भी पाठकों के समान ही सीमित होती है, क्योंकि स्वतंत्र अधिकार के कारण इन पुस्तकालयों के नियम-सिद्धान्त का पालन करने में सभी पाठक समर्थ नहीं हो पाते हैं ।

संस्थागत पुस्तकालय भी पुस्तकालयों के विभिन्न प्रकारों में एक विशेष प्रकार का पुस्तकालय है। संस्थागत पुस्तकालय का अर्थ है-किसी संस्था द्वारा चलने वाले। पुस्तकालय। ऐसे पुस्तकालय स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों या किसी अन्य संस्था के द्वारा संचालित हुआ करते हैं। इस प्रकार के पुस्तकालय व्यक्तिगत या निजी पुस्तकालय के समान नहीं होते हैं, जो स्वतंत्रतापूर्वक चलाए जाते हैं। संस्थागत पुस्तकालय के पाठक न तो सीमित होते हैं और न इसके सीमित नियम ही होते हैं, अपितु इस प्रकार के पुस्तकालय तो विस्तृत नियमों के साथ अपने पाठकों की ‘संख्या असीमित ही रखते हैं। इसलिए इन पुस्तकालयों में पुस्तकों की संख्या भी बहुत बड़ी या असीमित होती है। इसी तरह इस प्रकार के पुस्तकालयों की पुस्तके बहुमूल्य और अवमूल्य अर्थात् सस्ती और महँगी दोनों ही होती हैं। हम यह कह सकते हैं कि इस प्रकार के पुस्तकालयों की पुस्तके महँगी होती हई भी मध्यम श्रेणी की होती हैं। संस्थागत पुस्तकालयों की पुस्तकें साहित्य, संगीत, कला, दर्शन, धर्म राजनीति, विज्ञान, समाज, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय आदि सभी स्तरों की अवश्य होती हैं। संस्थागत पुस्तकालयों की संख्या सभी प्रकार के पुस्तकालयों से अधिक होती है इस दृष्टिकोण से संस्थागत पुस्तकालयों का महत्त्व सभी प्रकार के पुस्तकालयों से बढ़कर है।

पुस्तकालयों का तीसरा प्रकार सार्वजनिक पुस्तकालयों का है। सार्वजनिक पुस्तकालयों की संख्या संस्थागत पुस्तकालयों की संख्या से बहुत कम होती है; क्योंकि इस प्रकार के पुस्तकालयों का उपयोग या सम्बन्ध केवल बौद्धिक और पुस्तक-प्रेमियों से ही अधिक होता है। कहीं-कहीं तो सरकार के द्वारा और कहीं-कहीं सामाजिक संस्थाओं के द्वारा भी सार्वजनिक पुस्तकालयों का संचालन होता है। चाहे जो कुछ हो सरकार द्वारा ये पुस्तकालय मान्यता प्राप्त होते हैं। सरकार इन पुस्तकालयों की सहायता समय-समय पर किया करती है। अतः सार्वजनिक पुस्तकालयों का भविष्य व्यक्तिगत पुस्तकालयों के समान अंधकारमय नहीं होता है।

पुस्तकालय का एक छोटा-सा प्रकार चलता-फिरता पुस्तकालय है। इस प्रकार के पुस्तकालयों का महत्त्व अवश्य है; क्योंकि समय के अभाव के कारण लोग इस प्रकार के पुस्तकालयों को अवश्य लाभ उठाते हैं। सुविधाजनक अर्थात घर बैठे ही इन पुस्तकालयों का लाभ उठा पाने के कारण इनका महत्त्व और लोकप्रिय होना निश्चय ही सत्य है। सीमित संख्या होने के कारण यद्यपि इन पुस्तकालयों का प्रसारकम है, लेकिन महिलाओं के लिए ये अवश्य अधिक उपयोगी है।

पुस्तकालय ज्ञान-विज्ञान की रहस्यमय जानकारी को प्रदान करने में अवश्य महत्त्वपूर्ण भूमिका को निभाते हैं। ये हमें सत्संगति प्रदान करते हैं। हमें अज्ञान के। अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। इसलिए हमें पुस्तकालयों का अवश्य अधिक-से-अधिक उपयोग करना चाहिए।

निबंध नंबर :- 02

Pustakalaya Ka Mahatva 

पुस्तकालय वह भवन है जहाँ अनेक पुस्तकों का विशाल भण्डार होता है। वहाँ बड़े-बड़े विचारकों, महापरुषों एवं विद्वानों द्वारा लिखित अनेक पुस्तकें होती हैं। वहाँ जाकर हम अपनी रुचि के अनुसार पुस्तक लेकर अध्ययन करते हैं।

पुस्तकालय का अर्थ होता है-पुस्तकों का घर। इसमें विविध विषयों पर पुस्तकों का विशाल संग्रह होता है। पुस्तकालय सरस्वती का पावन मंदिर है। निर्धन व्यक्ति भी पुस्तकालय में विविध विषयों की पुस्तकों का अध्ययन करके ज्ञान प्राप्त कर सकता है। पुस्तकालय ऐसा स्थान है जहाँ उच्च कोटि के ग्रंथ आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।

पुस्तकालय चार प्रकार के होते हैं-(1) व्यक्तिगत पुस्तकालय, (2) विद्यालयों के पुस्तकालय, (3) सार्वजनिक पुस्तकालय, (4) सरकारी पुस्तकालय। इन चारों में से केवल सार्वजनिक पुस्तकालयों का ही उपयोग सभी व्यक्तियों के लिए होता है। इनमें घर पर पुस्तकें ले जाने के लिए इनका सदस्य बनना पड़ता है। कलकत्ता, दिल्ली, मुंबई आदि नगरों में सचल पुस्तकालय भी हैं जो घूम-घूमकर पुस्तकें बाँटते हैं।

पुस्तकालय मानव जीवन की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। ये ज्ञान, कला और संस्कृति के प्रसार केन्द्र होते हैं। ज्ञानवृद्धि के लिए पुस्तकालयों से बढ़कर अन्य कोई साधन नहीं है। पुस्तकालयों में बालकों के लिए बाल-साहित्य भी होता है। घर पर खाली बैठे गप्पें मारने की अपेक्षा पुस्तकालय में जाकर पढ़ना अधिक उपयोगी होता है। पुस्तकालय में पहुँचकर महान विद्वानों, विचारकों और महापुरुषों से साक्षात्कार होता है। यदि हमें महात्मा गाँधी, सुकरात, राम, कृष्ण, ईसा मसीह, महावीर आदि के श्रेष्ठ विचारों की संगति प्राप्त करनी है, तो पुस्तकालय से उत्तम अन्य स्थान कोई नहीं है।

इस समय भारत में कलकत्ता, दिल्ली, मुंबई, पटना, वाराणसी आदि स्थानों पर भव्य पुस्तकालय हैं। इंग्लैण्ड में 50 लाख पुस्तकें और सो के पस्तकालय में लगभग एक करोड़ पुस्तकें हैं। देश में मुसलमानों प्राचीन परंपरा रही है। नालंदा और तक्षशिला में भारत के अति पनि पुस्तकालय थे।

पस्तकालय समाज के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। उनके विकास देशवासियों में नवचेतना का उदय होता है। प्रत्येक गाँव में जनसंख्या के आधार पर पुस्तकालयों का निर्माण होना चाहिए। क्योंकि पुस्तकालय की हैं जो सुयोग्य नागरिकों के चरित्र-निर्माण एवं समाज के उत्थान में सहायक होते हैं। अत: पुस्तकालयों के विकास के लिए सतत् प्रयत्न किए जाने चाहिए।

निबंध नंबर :- 03

पुस्तकालय को ज्ञान और जानकारी का खजाना माना जाता है । प्रत्येक युग में विश्व में अनेक लेखकों, विचारकों और कवियों ने जन्म लिया है । उनके विचारों और अनुभवों को पुस्तकों में संरक्षित रखा जाता है । पुस्तकालय में ऐसे ही महान लेखकों और विचारकों की पुस्तकें एकत्रित कर रखी जाती हैं । शेक्सपियर, वर्डस्वर्थ, प्रेमचंद, तुलसीदास, कालिदास आदि महान कवियों और लेखकों की रचनाएँ यहाँ संग्रहित की जाती हैं । इन पुस्तकों को पढ़ने से हमारा मार्गदर्शन होता है । पुस्तकालय का सदस्य बनकर हम लोग अपनी-अपनी रुचि की पुस्तकों का चुनाव कर सकते हैं । यहाँ से पुस्तकें घर ले जाकर पढ़ी जा सकती हैं । पाठक पुस्तकालय के शांत वातावरण में बैठकर अपनी पसंद की पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं । पुस्तकालय के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए सभी अच्छे विद्यालयों में पुस्तकालय की स्थापना की गई है। आम जनता के लिए शहरों में सार्वजनिक पुस्तकालय होते हैं । मामूली सी फीस देकर कोई भी इसका सदस्य बन सकता है । पुस्तकालय से जुड़ाव वास्तव में ज्ञान के अथाह भंडार से जुड़ने जैसा है।

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खेल का महत्व पर निबंध (Importance of Sports Essay in Hindi)

खेल का महत्व

हम यहाँ दैनिक जीवन में खेल के महत्व पर विभिन्न शब्द सीमाओं में विद्यार्थियों के लिए बहुत से निबंध उपलब्ध करा रहे हैं। आजकल, शिक्षकों के द्वारा विद्यार्थियों को आमतौर पर निबंध लेखन और पैराग्राफ लेखन का कार्य दिया जाता है। निबंध लेखन किसी भी विषय के बारे में विद्यार्थियों में लेखन क्षमता, कौशल और ज्ञान को बढ़ावा देता है। यहाँ दिए गए खेल के महत्व पर सभी निबंध सरल और आसान वाक्यों का प्रयोग करके लिखे गए हैं। इसलिए, विद्यार्थी इनमें से कोई भी निबंध अपनी जरुरत और आवश्यकता के अनुसार चुन सकते हैं:

खेल का महत्व पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Importance of Sports in Hindi, Khel ka Mahatva par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – खेल का महत्व.

यदि हम कुछ पलों के लिए इतिहास की ओर देखें या किसी सफल व्यक्ति के जीवन पर प्रकाश डालें तो हम देखते हैं कि, नाम, प्रसिद्धी और धन आसानी से नहीं आते हैं। इसके लिए लगन, नियमितता, धैर्य, और सबसे अधिक महत्वपूर्ण कुछ शारीरिक क्रियाओं अर्थात् स्वस्थ जीवन और सफलता के लिए एक व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है। नियमित शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए खेल सबसे अच्छा तरीका है। किसी भी व्यक्ति की सफलता मानसिक और शारीरिक ऊर्जा पर निर्भर करती है। इतिहास बताता है कि, केवल वर्चस्व (प्रसिद्धी) ही राष्ट्र या व्यक्ति पर शासन करने की शक्ति है।

खेल का महत्व

शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए खेल सबसे अच्छा तरीका है, जो बहुत लाभदायक है। बहुत से देशों में खेलों को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है, क्योंकि वे एक व्यक्ति के जीवन में खेल के वास्तविक लाभ और व्यक्तिगत व पेशेवर जीवन में इसकी आवश्यकता को जानते हैं। किसी धावक (एथिलीट) या पेशेवर खिलाड़ी के लिए शारीरिक गतिविधियाँ बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। यह उनके और उनके जीवन के लिए बहुत मायने रखती है। खेल खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत अच्छा अवसर रखता है। कुछ देशों में, कुछ अवसरों कार्यक्रमों और त्योहारों के आयोजन पर स्पोर्ट्स और खेल गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, उदाहरण के लिए; प्राचीन यूनान के ओलम्पियाड को सम्मान प्रदर्शित करने के लिए ओलम्पिक खेलों का आयोजन किया जाता है।

खेल सभी के व्यस्त जीवन में विशेष रुप से विद्यार्थियों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। यहाँ तक कि, पूरे दिन में से, कम से कम थोड़े से समय के लिए सभी को खेलों में सक्रिय रुप से भाग लेना चाहिए। खेल बहुत ही आवश्यक है क्योंकि, खेलों में नियमित रुप से शामिल होने वाले व्यक्ति में यह शारीरिक और मानसिक तंदरुस्ती लाता है। जिन व्यक्तियों की व्यस्त दिनचर्या होती है, वे बहुत ही आसानी व शीघ्रता से थक जाते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, एक सूकून और आराम का जीवन जीने के लिए हम सभी को स्वस्थ मस्तिष्क और स्वस्थ शरीर की आवश्यकता होती है।

नाम, प्रसिद्धी, और पैसा प्राप्त करने के लिए शिक्षा बहुत आवश्यक है। इसी तरह से, स्वस्थ शरीर और मस्तिष्क प्राप्त करने के लिए, सभी को किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि में अवश्य शामिल होना चाहिए, जिसके लिए खेल सबसे अच्छा तरीका है।

निबंध 2 (400 शब्द) – स्पोर्ट्स के मूल्य व लाभ

खेल बहुत ही अच्छी शारीरिक गतिविधि है जो तनाव और चिन्ता से मुक्ति प्रदान करता है। यह खिलाड़ियों के लिए अच्छा भविष्य और पेशेवर जीवन का क्षेत्र प्रदान करता है। यह खिलाड़ियों को उनके आवश्यक नाम, प्रसिद्धी और धन देने की क्षमता रखता है। इसलिए, हम कह सकते हैं कि, व्यक्तिगत लाभ के साथ ही पेशेवर लाभ के लिए भी खेल सकते हैं। दोनों ही तरीकों से, यह हमारे शरीर, मस्तिष्क और आत्मा को लाभ पहुँचाता है।

स्पोर्ट्स का मूल्य

कुछ लोग अपने शरीर और मस्तिष्क की तंदरुस्ती, आनंद आदि के लिए नियमित रुप से खेलते हैं हालांकि, कुछ अपने जीवन में बहुमूल्य दर्जा पाने के लिए खेलते हैं। कोई भी निजी और पेशेवर जीवन में इसके मूल्य को अनदेखा नहीं कर सकता है। पहले ओलम्पिक खेल 1896 में एथेंस में आयोजित हुए थे, जो अब नियमित रुप से हर चार साल बाद विभिन्न देशों में आयोजित होते हैं। इसमें इनडोर और आउटडोर दोनों प्रकार के खेल शामिल होते हैं, जिसमें विभिन्न देशों के खिलाड़ी भाग लेते हैं।

कुछ आउटडोर या मैदान में खेले जाने वाले खेल फुटबॉल, हॉकी, वालीबॉल, बेसबॉल, क्रिकेट, टेनिस, खो-खो, कबड्डी आदि है, जिन्हें खेलने के लिए मैदान की आवश्यकता होती है। इनडोर खेल कैरम, ताश खेलना, शतरंज, टेबिल टेनिस, पहेली, आदि हैं, जो घर में बिना किसी मैदान के खेले जा सकते हैं। कुछ खेल इनडोर और आउटडोर दोनों होते हैं जैसे – बैडमिंटन और टेबिल टेनिस।

स्पोर्ट्स के लाभ

खेल और स्पोर्ट्स हमारे लिए बहुत ही लाभदायक हैं क्योंकि वे हमें समयबद्धता, धैर्य, अनुशासन, समूह में कार्य करना और लगन सिखाते हैं। खेलना हमें, आत्मविश्वास के स्तर का निर्माण करना और सुधार करना सिखाता है। यदि हम खेल का नियमित अभ्यास करें, तो हम अधिक सक्रिय और स्वस्थ रह सकते हैं।

खेल गतिविधियों में शामिल होना, हमें बहुत से रोगों से सुरक्षित करने में मदद करता है; जैसे – गठिया, मोटापा, हृदय की समस्याओं, मधुमेह, आदि। यह हमें जीवन में अधिक अनुशासित, धैर्यवान, समयबद्ध और विनम्र बनाता है। यह हमें जीवन में सभी कमजोरियों को हटाकर आगे बढ़ना सिखाता है। यह हमें बहादुर बनाता है, और चिड़चिड़ेपन व गुस्से को हटाकर खुशी का अहसास देता है। यह हमें शारीरिक रुप से तंदरुस्त और मानसिक आराम प्रदान करता है, जिससे कि हम सभी समस्याओं से आसानी से निपट सकें।

खेल गतिविधियों में शामिल होना एक व्यक्ति के लिए बहुत से तरीकों से लाभदायक होता है। यह न केवल शारीरिक ताकत प्रदान करता है बल्कि, यह मानसिक शक्ति को भी बढ़ाता है। बाहर खेले जाने वाले खेल फुटबॉल, क्रिकेट, वॉलीबॉल, हॉकी, दौड़ आदि शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक तंदरुस्ती को सुधारने में मदद करते हैं। यद्यपि, कुछ घर के अन्दर खेले जाने वाले खेल जैसे; दिमागी खेल, शतरंज, सुडोकु आदि हमारी मानसिक शक्ति और मन एकाग्र करने की क्षमता के स्तर को बढ़ाते हैं।

निबंध 3 (500 शब्द) – स्वास्थ्य, धन और राष्ट्र के निर्माण में खेल की भूमिका

खेल और स्पोर्ट्स शारीरिक गतिविधि हैं, जो प्रतियोगी स्वभाव के कौशल विकास में मदद करती हैं। आमतौर पर, दो या अधिक समूह एक दूसरे के साथ मनोरंजन या इनाम प्राप्त करने के लिए एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं। महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, क्योंकि यह एक व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य, वित्तीय स्थिति को बढ़ावा देता है। यह नागरिकों के चरित्र और स्वास्थ्य के निर्माण के द्वारा राष्ट्र को मजबूती प्रदान करने में महान भूमिक निभाता है। खेल मनुष्य के कार्य करने के तरीकों में गति और सक्रियता लाता है।

स्वास्थ्य, धन और राष्ट्र के निर्माण में खेल की भूमिका

खेल के महत्व और भूमिका को किसी के भी द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण विषय है। लोग अपने व्यक्तिगत विकास के साथ ही पेशेवर विकास के लिए खेल गतिवधियों में शामिल हो सकते हैं। यह लड़के और लड़कियों दोनों के लिए अच्छे शरीर का निर्माण करने के लिए बहुत अच्छा है। यह लोगों को मानसिक रुप से सतर्क, शारीरिक रुप से सक्रिय और मजबूत बनाता है।

खेल के दो सबसे अधिक महत्वपूर्ण लाभ; अच्छा स्वास्थ्य और शान्त मस्तिष्क हैं। विद्यार्थी देश के युवा हैं, और वे खेले गतिविधियों के द्वारा और अधिक लाभान्वित हो सकते हैं। वे और अधिक अनुशासित, स्वस्थ, सक्रिय, समयनिष्ठ हो सकते हैं और आसानी से व्यक्तिगत व पेशेवर जीवन में किसी भी कठिन स्थिति के साथ सामना कर सकते हैं। खेलों में नियमित रुप से शामिल होना आसानी से चिंता, तनाव और घबराहट से उबरने में मदद करता है।

यह शरीर के अंगों के शारीरिक कार्यों को बेहतर बनाता है और इस तरह, पूरे शरीर के कार्यों को सकारात्मक रुप से नियंत्रित करता है। यह शरीर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है और इस प्रकार मन या दिमाग शांतिपूर्ण, तेज, और बेहतर एकाग्रता के साथ सक्रिय रहता है। यह शरीर व मन की शक्ति और ऊर्जा का स्तर बढ़ा देता है। यह हर किसी को नीरस जीवन से एक अच्छा अन्तराल (ब्रेक) देता है।

खेल उज्ज्वल पेशेवर कैरियर रखता है इसलिए, इसमें रुचि रखने वाले युवाओं को चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है, और उन्हें तो केवल पूरी लगने के साथ अपनी इस रुचि को नियमित रखना है। यह टीम में सहयोग और टीम निर्माण की भावना के विकास के द्वारा सभी को टीम में कार्य करना सिखाता है। खेलों के प्रति अधिक झुकाव एक व्यक्ति और एक राष्ट्र दोनों को स्वस्थ और वित्तीय रुप से अधिक मजबूत बनाता है। इसलिए, इसे अभिभावकों, शिक्षकों और देश की सरकार के द्वारा अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

निष्कर्ष: प्रख्यात खेल हस्तियों की भूमिका

अधिक प्रसिद्ध खेल हस्तियों को रखने वाला राष्ट्र कम समय में बहुत आसानी से दुनिया भर में अपनापन प्राप्त कर लेता है। देश के युवाओं को प्रेरित करने के लिए अतिरिक्त प्रयास की कोई जरूरत नहीं पड़ती है। वे बहुत आसानी से पहले से ही प्रसिद्ध खेल हस्तियों को देखकर प्रेरित होते रहते हैं। इस तरह के देश के युवाओं को खेल के क्षेत्र में कैरियर बनाने में अधिक मौके मिलते हैं। सर्वविदित खिलाड़ी भी अपने देश के आगामी युवकों प्रोत्साहित करते हैं।

Importance of Sports Essay

निबंध 4 (600 शब्द) – खेल: चरित्र और स्वास्थ्य निर्माण

लोगों द्वारा आकस्मिक या संगठित भागीदारी के माध्यम से की जाने वाली प्रतिस्पर्धी खेल गतिविधियों को हम खेल कह सकते हैं। यह सभी की शारीरिक क्षमता और कौशल को सुधारने और बनाए रखने में मदद करता है। यह प्रतिभागियों के लिए मनोरंजन का एक तरीका है। खेल वास्तव में सभी के द्वारा विशेषरुप से बच्चों द्वारा पसंद किए जाते हैं हालांकि, ये उनके लिए विभिन्न तरीकों से हानि भी पहुँचा सकते हैं। यह बच्चों को आसानी से घायल कर सकता है या अध्ययन से भटका सकता है। फिर भी, बच्चे अपने मित्रों के साथ खेलने के लिए बाहर जाना पसंद करते हैं।

यदि हम इतिहास पर नजर डालें तो हम देखते हैं कि, खेलों को प्राचीन समय से ही बहुत अधिक महत्व दिया जा रहा है। आधुनिक समय में, अन्य मनोरंजन बढ़ाने वाली चीजों, जैसे- विडियो गेम, टीवी आदि की वृद्धी और प्रसिद्धी के कारण जीवन में खेलों की माँग कम हो रही है। यद्यपि, यह भी सत्य है कि, खेल बहुत से देशों के द्वारा सांस्कृतिक गतिविधियों की तरह माने जाते हैं, इसलिए हम कह सकते हैं कि, भविष्य में खेल और स्पोर्ट्स का प्रचलन कभी खत्म नहीं होगा।

खेल गतिविधियों को स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थियों के अच्छे शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य और पेशेवर भविष्य के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। खेल उन सभी के लिए, जो इनमें पूरी लगन के साथ शामिल होता के लिए भविष्य में अच्छा कैरियर रखते हैं। यह विशेषरुप से विद्यार्थियों के लिए बहुत ही लाभदायक है क्योंकि, यह शारीरिक और मानसिक विकास को सहायता प्रदान करता है। वे लोग जो खेलों में अधिक रुचि रखते हैं और खेलने में अच्छे हैं, वे अधिक सक्रिय और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। वे कार्यस्थल पर बेहतर अनुशासन के साथ ही नेतृत्व के गुणों को विकसित कर सकते हैं।

शारीरिक समन्वय और ताकत

यह माना जाता है कि, खेल और ताकत एक ही सिक्के के दो पहलु हैं। यह सत्य है कि, खेल में भागीदारी करने वाले एक व्यक्ति के पास सामान्य व्यक्ति (जो व्यायाम नहीं करता हो) से अधिक ताकत होती है। खेलों में रुचि रखने वाला व्यक्ति महान शारीरिक ताकत विकसित कर सकता है और किसी भी राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के खेल में भागीदारी करने के द्वारा अपना भविष्य उज्ज्वल कर सकता है। खेल प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने, शारीरिक समन्वय बनाए रखने, शरीर की ताकत को बढ़ाने और मानसिक शक्ति में सुधार करने में मदद करता है।

चरित्र और स्वास्थ्य निर्माण

नियमित आधार पर खेल खेलना एक व्यक्ति के चरित्र और स्वास्थ्य निर्माण में मदद करता है। यह आमतौर पर देखा जा सकता है कि, युवा अवस्था से ही खेल में शामिल रहने वाला एक व्यक्ति, बहुत ही साफ और मजबूत चरित्र के साथ ही अच्छे स्वास्थ्य को विकसित करता है। खिलाड़ी बहुत अधिक समय के पाबंद और अनुशासित होते हैं, इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि, खेल राष्ट्र और समाज के लिए विभिन्न मजबूत और अच्छे नागरिक प्रदान करता है।

खेल आमतौर पर, एक दूसरे पर विजय प्राप्त करने की कोशिश के साथ दो प्रतिस्पर्धी टीमों के बीच एक प्रतियोगिता के रूप में खेला जाता है।खेल और स्पोर्ट्स के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिन्हें हम घर के बाहर खेलते हैं उन्हें आउटडोर (मैदानी खेल) खेल कहते हैं, वहीं जो घर के अन्दर खेले जाते हैं उन्हें इनडोर खेल कहा जाता है। दोनों में से एक प्रतिभागी विजेता होता है, वहीं दूसरा हारता है। खेल वास्तव में सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण गतिविधि है, विशेषरुप से बच्चों और युवाओं के लिए क्योंकि यह शरीर को स्वस्थ और तंदरुस्त रखता है।

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समय का महत्व पर निबंध | Samay Ka Mahatva Essay In Hindi

समय हमारे जीवन की बहुत ही अमूल्य वस्तु है क्योंकि आप खोया हुआ धन पुन कमा कर प्राप्त कर सकते है, खोया हुआ वैभव भी पुनः प्राप्त कर सकते है लेकिन खोया हुआ समय आप लाख कोशिश करने के बाद भी पुनः प्राप्त नहीं कर सकते है क्योंकि जो समय बित गया वो बित गया उसे आप वापस नहीं ला सकते है

तो चलिए जानते है बिना देरी किए Samay Ka Mahatva Nibandh In Hindi

  • 1.1 समय का सदुपयोग
  • 1.2 समय का महत्व
  • 1.3 समय का सदुपयोग करने से सुखों की प्राप्ति
  • 1.4 कार्य में सफलता
  • 1.5 आलस्य बड़ा शत्रु
  • 1.6 समय सिमित
  • 1.7 विधार्थी जीवन में समय का महत्व
  • 1.8 Samay Ka Mahatva Nibandh In Hindi
  • 1.9 Share This :
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Samay Ka Mahatva Essay In Hindi

Samay Ka Mahatva Essay In Hindi

  • समय का सदुपयोग

समय का चक्र सदा चलता ही रहता है कभी स्थिर नहीं रहता है इसलिए एक कहावत है कि “बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता”

जिसको समय का मुल्य पता है वो समय का सदुपयोग करके अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है और बिल्कुल इसके विपरित

जिसको समय का मुल्य पता नहीं है वो समय का दुरपयोग करता है जिससे वो अपने जीवन में कभी सफल नहीं होता है क्योंकि

सफलता की कुंजी समय का सदुपयोग है

समय एक अमूल्य वस्तु है जो धन से भी ज्यादा मूल्यवान होती है क्योंकि खोया हुआ धन कमा कर पुनः प्राप्त कर सकते है लेकिन समय पुनः प्राप्त नहीं कर सकते है

समय व्यक्ति की दुर्लभ संपत्ति है इसलिए जिस समय पर जो कार्य निर्धारित किया गया है उस समय पर वो कार्य किया जाए तो समय का सदुपयोग होता है

जो व्यक्ति आज के काम को आज ही करता है वो अपने जीवन में हमेशा सफलता प्राप्त करता लेकिन जो व्यक्ति आज के काम को कल पर छोड़ता है वो व्यक्ति अपने जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है

इसलिए एक कहावत है

जो व्यक्ति समय की क़दर नही करता है । समय भी उसकी क़दर नहीं करता है

समय का महत्व

एक व्यक्ति के जिवन में समय का बहुत ही महत्व होता है जो व्यक्ति समय का महत्व जानता वो अपने जीवन में समय का सदुपयोग करके अपने जीवन में हमेशा सफलता प्राप्त करता है लेकिन

जो व्यक्ति समय का महत्व नहीं जानता है वो व्यक्ति अपने जीवन में समय का दुरपयोग करके कभी अपने जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है

क्योंकि मनुष्य का जीवन नदी की धारा के समान होता है जिस तरह नदी की धारा संघर्ष करके लगातार आगे बढ़ती रहती है ऊंची नीची भूमि को पार करके वैसे ही मनुष्य को जीवन भी संघर्ष करके लगातार आगे बढ़ता रहता है सुख – दुःख की भूमि को पार करके

जो व्यक्ति समय की उंगली पकड़कर समय के साथ आगे बढ़ता रहा है वो व्यक्ति अपने जीवन में हमेशा सफलता प्राप्त करता है क्योंकि उसे पता है बिता हुआ समय लाख कोशिश करने पर भी उसे वापस नहीं ला सकते है

जैसे पानी की एक-एक बूंद एकत्रित होकर विशालकाय सागर का निमार्ण करती है वैसे ही व्यक्ति भी यदि समय की एक-एक बूंद को अपने जीवन में सदुपयोग करके एकत्रित करता है तो वो भी एक दिन जरूर सफलता प्राप्त करता है

  • भारत में कुल कितने राज्य है
  • भारत में कितनी भाषाएं बोली जाती हैं
  • अमेरिका में कितने राज्य है
  • दुनिया में कितने देश है 

समय का सदुपयोग करने से सुखों की प्राप्ति

समय का सदुपयोग करने से आप सभी सुखों की प्राप्ति कर सकते है जो व्यक्ति अपना काम समय पर करता है वो उस काम में जरुर सफलता प्राप्त करता है और जो व्यक्ति अपना काम समय पर नहीं करता है वो उस काम में असफलता ही प्राप्त करता है और

समय पर काम करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में तो सफलता प्राप्त कर लेता है लेकिन उसके साथ वो अपने परिवार, गाँव, शहेर, और देश की उन्नति का कारण भी बनते है

समय पर काम करने वाला व्यक्ति बुद्धिमान, धनवान और बलवान बनता है वो हर एक काम समय पर करके अपने काम में जरुर सफलता प्राप्त करता है

आप इतिहास ध्यानपूर्वक देखते हैं तो आपको जरूर पता चलेगा जितने भी महान व्यक्ति और अमीर हुए व्यक्ति अपने जीवन में सदा ही समय का सदुपयोग करते थे वो अपना काम समय पर ही करते थे

कार्य में सफलता

जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करता है वो व्यक्ति अपने कार्य में सफलता प्राप्त करता है और जो व्यक्ति समय का दुरपयोग करते हैं वो व्यक्ति अपने कार्य में असफलता ही प्राप्त करते है

समय का हर एक पल, हर एक क्षण और हर एक साँस ही जीवन होता है जो व्यक्ति अपने जीवन में समय के हर एक पल, क्षण का सदुपयोग करता है वो अपने जीवन में हमेशा सफलता प्राप्त करता है और

जो व्यक्ति अपने जीवन में समय के हर एक पल, क्षण का दुरपयोग करता है यानी इधर उधर की बातों में और व्यर्थ कामो में समय को बर्बाद करता है वो व्यक्ति कभी भी अपने कार्य में सफलता प्राप्त नहीं कर पाता

समय ही सत्य है

समय का सही तरीके से उपयोग करना सफलता की कुंजी है

  • 10th Std के बाद क्या करे और कोनसा सब्जेक्ट ले
  • 12th साइंस पास करने के बाद क्या करे(PCM/PCB) वाले
  • 12th Commerce के बाद क्या करें? 

आलस्य बड़ा शत्रु

आलस्य आपका सबसे बड़ा शत्रु है यह आपके जीवन का एक कीड़ा है जो यदि आपके जीवन में लग जाता हैं तो वो आपके जीवन के समय को बहुत बर्बाद कर देता है इसलिए

एक व्यक्ति को हमेशा अपने जीवन में समय का सदुपयोग करना चाहिए जिससे वो एक सफल व्यक्ति बने और यदि वो व्यक्ति समय का दुरपयोग करता है तो वो कभी भी एक सफल व्यक्ति नहीं बन पाता है और

जब समय बीत जाता है तब व्यक्ति को यह एहसास होता है कि उसने अपने जीवन का कितना अमुल्य समय गंवा दिया है

समय का दुरपयोग करने से दुःख और दरिद्रता के अलावा कुछ नहीं मिलता है आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है

भगवान प्रत्येक मनुष्य को निश्चित समय के साथ ही पृथ्वी पर भेजा है भगवान ने हमें जितना भी समय दिया है उसमें ही हमे अपने जीवन में सफलता प्राप्त करनी है और यदि हम वो समय बेकार के कामो में व्यतीत कर देते है और जब होश आता है तब तक बहुत देर हो जाती है हमारा समय चला जाता है समय के महत्व पर एक बहुत ही अच्छी कहावत है –

जिस देश के व्यक्ति समय का सदुपयोग करते है वो देश बहुत ही समुद्र हो सकता है

  • CID कैसे बने?
  • IPS कैसे बने?
  • IAS कैसे बने?

विधार्थी जीवन में समय का महत्व

एक विधार्थी के जीवन में समय का बहुत महत्व होता है क्योंकि जो विधार्थी अपने विधार्थी जीवन में ही समय का महत्व जान लेता है वो आगे जाके एक सफल व्यक्ति बनता है

एक विधार्थी को अपनी रोज की पढ़ाई रोज ही करनी चाहिए उसे कल पर कल से परसों पर नहीं टालनी चाहिए जैसे

एक किसान अपने खेत में अगर बीज निश्चत समय पर नहीं बोता है और समय निकल जाने के बाद बोता है तो वह एक अच्छी फसल नहीं पैदा कर सकता है ठीक उसी तरह ही एक विधार्थी जो अपनी रोज की पढ़ाई रोज नहीं करता है और जब परीक्षा आती है तब पढ़ाई करने बैठ ते है तो वो परीक्षा में अच्छे मार्क्स नहीं ला पाते है या परीक्षा में फेल हो जाते हैं एक कहावत है

का बर्षा जब कृषि सुखाने, समय चूकि पुनि का पछताने।

तब उनको बहुत पछतावा होता है कि आखिर हम रोज की पढ़ाई रोज करते तो हम परीक्षा में बहुत ही अच्छे मार्क्स ला सकते है और बहुत ही अच्छे मार्क्स से पास होते लेकिन “अब पछताये होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत”

जो विधार्थी समय का सदुपयोग करते हैं वो स्कुल और जीवन की हर एक परीक्षा में सफलता प्राप्त करता है और एक अच्छा व्यक्ति बनता है और

जो विधार्थी समय का दुरपयोग करता है इधर उधर की बातों में, घूमने-फिरने और बेकार के व्यर्थ कामो में वो स्कुल और जीवन की हर एक परीक्षा में अफलता प्राप्त करते है और वो चाहकर भी अपना खोया हुआ समय वापस नहीं ला सकते है

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब।। …कबीर दास दोहे

अर्थ: इसका अर्थ होता है कल पर टालने वाले काम को आज ही कर ले और आज के काम को अभी कर लो क्योंकि कबीर दास जी मानते हैं कि अगर पल में प्रलय आ जाएगा तो हम अपना काम नहीं कर पाएंगे

समय का महत्व देते हुए हमें हमेशा समय का सदुपयोग करना चाहिए हमारे जीवन का एक-एक पल बहुत ही कीमती है जिसको हम इधर उधर के बेकार कामों में बर्बाद कर देते है तो हमें जीवन के अन्त में बहुत पछतावा होता है

एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।। … स्वामी विवेकानंद

अर्थ: एक समय में आप एक ही काम करो और उस काम को करते हुए अपना पुराना ध्यान उस काम में लगा दो और बाकी सब कुछ भुल जाओ जिससे आप उस काम में सफलता प्राप्त कर सके क्योंकि कोई भी एक काम को आप पुरा ध्यान लगा कर करते है तो आप उस काम में जरुर सफलता प्राप्त करते है

किसी व्यक्ति की वर्तमान स्थिति को देखकर उसके भविष्य का मजाक ना उड़ाओ क्योंकि कल में इतनी शक्ति है कि वह एक मामूली कोयले के टुकड़े को हीरे में तबदिल कर सकता है ।। … चाणक्य

अर्थ: यदि कोई व्यक्ति अपना काम समय पर सदा करता है और समय का सदुपयोग करता है तो समय में इतनी शक्ति है कि समय उसका एक आम आदमी से बहुत बड़ा आदमी बना सकता है है

पुरुष बली नहीं होत है समय होत बलवान।।

अर्थ: कोई व्यक्ति बलवान नहीं होता है समय बलवान होता है और यह बात १००% सत्य है जो व्यक्ति समय को महत्व नहीं देता है समय भी उसको महत्व नहीं देता है इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन में समय को जरूर महत्व देना चाहिए

यदि आप एक समय में दो कार्य कर रहे हैं तो इसका अर्थ है कि आप दोनों ही कार्य नहीं कर रहे है।।

अर्थ: कोई व्यक्ति एक समय में दो कार्य करता है तो उसका मतलब वो व्यक्ति दोनों ही काम नहीं कर रहा है

अपने मिनटों का ध्यान रखें घंटे अपना ध्यान खुद रख लेते।। …लॉर्ड चेस्टरफील्ड

अर्थ: आप अपने जीवन के हर एक मिनिट का सदुपयोग करे क्योंकि घंटे बीत जाने में देरी नहीं होती है इसलिए समय के एक-एक क्षण का सदा सदुपयोग करे

उपसंहार: हम हमारे जीवन में समय का महत्व समझ कर समय का सदुपयोग करते हैं तो दुनिया में ऐसा कोई भी काम नहीं ही जिसमें आप सफलता प्राप्त नहीं कर सकते है

हर एक व्यक्ति का कर्तव्य होता है कि वो अपने जीवन में समय का सदा सदुपयोग करे और इधर उधर के बेकार कामों में समय का दुरपयोग न करे अपने बीते हुए समय को भुल जाओ और आज अभी और इस क्षण से समय का सदुपयोग करना शुरू कर दिजिए जिससे सफलता आप से कभी दुर न हो सके

इस Samay Ka Mahatva Nibandh का इस्तेमाल किसी भी कक्षा के विद्यार्थी कर सकते है और यह निबंध आप नीचे दिए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है

  • व्यक्ति के जीवन में समय का महत्व पर निबंध
  • व्यक्ति के जीवन में समय की क़ीमत
  • समय बलवान है

यह जरुर पढ़े  :-

  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध
  • क्रिसमस पर निबंध हिंदी
  • Hindi Barakhadi | हिंदी बारहखड़ी
  • 100 Fruits Name In Hindi And English
  • Hindi Numbers 1 to 100
  • Student Ka Full Form
  • दुनिया का सबसे बड़ा देश कौन सा है
  • दुनिया के सात अजुबे के नाम और फोटो देखिये
  • शरीर के अंगों के नाम हिन्दी और English में

Samay Ka Mahatva Nibandh In Hindi

मुझे आशा है कि आपको  Samay Ka Mahatva Essay In Hindi  इसके बारे में जानकारी आपको हमारे आर्टिकल से मिल गई होगी

यदि आपके मन में कोई सवाल है तो  Comment  करके जरूर बताएं में उसका जवाब देने की पुरी कोशिश करुंगा और आपको हमारा यह पोस्ट केसा लगा यह भी  Comment  करके बताना मेरा आप लोगों से  Request  है कि

यदि आपको मेरा यह पोस्ट अच्छा लगा है और इससे आपको कुछ जानने को मिला है और लगता है यह जानकारी अन्य लोगों को भी मिलनी चाहिए है तो इसे आप Social Media पर जरुर Share कीजिये जिससे इसकी जानकारी और भी लोगों को मिले और वो भी जान सके कि  समय के महत्व पर निबंध और समय का सदुपयोग पर निबंध   में

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6 thoughts on “समय का महत्व पर निबंध | samay ka mahatva essay in hindi”.

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जीवन में कला का महत्व पर निबंध | kala ka mahatva Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on kala ka mahatva in Hindi

By: savita mittal

जीवन में कला का महत्व पर निबंध | kala ka mahatva Essay in Hindi

Essay on the importance of art in our life in hindi।। कला का हमारे जीवन में महत्व पर हिंदी में निबंध video.

संसार के सभी जीवों में मनुष्य श्रेष्ठ है। उसके पास बुद्धि और विवेक के रूप में दो ऐसी नैसर्गिक शक्तियाँ हैं, जिनके कारण वह अन्य जीवों से श्रेष्ठ बन पाया है। आत्मरक्षा की प्रवृत्ति और प्रजनन क्षमता लगभग सभी जीवों में पाई जाती है और वे इनसे सन्तुष्ट हो जाते हैं, परन्तु मनुष्य केवल इससे ही सन्तुष्ट होकर नहीं रह जाता। सम्भवतः यही विचार कला के जन्म का मूल है।

वास्तव में, ‘कला’ क्या है इसका सही उत्तर दे पाना सरल नहीं है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने कला के सन्दर्भ में अपना मत व्यक्त करते हुए कहा है-“अभिव्यक्ति की कुशल शक्ति ही कला है।” इटली के महान् विद्वान् ने भी कला को अभिव्यक्ति का साधन मानते हुए कहा है- “कला का सम्बन्ध केवल स्वानुभूव ही कला का रूप धारण कर लेती है। अत: अभिव्यक्ति की पूर्णता ही कला है, अभिव्यक्ति ही उसका सौन्दर्य है।”

एक अन्य विद्वान् ने कला को परिभाषित करते हुए लिखा है- “ कला, कलाकार के आनन्द के श्रेय और प्रेय तथा आदर्श और यथार्थ को समन्यित करने वाली प्रभावोत्पादक अभिव्यक्ति है।”

वास्तव में, कला सुन्दरता की अभिव्यक्ति है और समृद्धि की परिचायक है। कहा जाता है कि जिस जाति की कला जितनी समृद्ध और सुन्दर होगी, वह जाति उतनी ही गौरवशाली और प्राचीन होगी, इसलिए कला को किसी भी राष्ट्र की संस्कृति का मापदण्ड भी कहा जाता है। 

जब व्यक्ति भौतिक रूप से सुरक्षित होता है और उसे किसी बात का भय नहींआज राजनीतिक पार्टी भी अपने चुनाव प्रचार के लिए मोबाइल का सहारा लेकर करोड़ों लोगों तक पहुँचने का प्रयास करती है। मोबाइल के माध्यम से आज लोग अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का खुलकर प्रयोग कर रहे हैं। मोबाइल में वीडियो कॉल की सुविधा ने लोगों के बीच की दूरी मिटा दी है। 

kala ka mahatva Essay in Hindi

यहाँ पढ़ें :  1000 महत्वपूर्ण विषयों पर हिंदी निबंध लेखन यहाँ पढ़ें :  हिन्दी निबंध संग्रह यहाँ पढ़ें :  हिंदी में 10 वाक्य के विषय

मोबाइल में सीडियो कॉल के माध्यम से लोग प्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे को देखते हुए बात कर सकते हैं। आपस में बात करना, विचारों का आदान-प्रदान आज इतना आसान हो गया है कि लोग पत्र लिखना भूल गए हैं, जबकि पत्र लेखन (पोस्टकार्ड और अन्तर्देशीय) हमारी संस्कृति का अभिन्न अग रह चुका है।

छात्रों के जीवन में भी मोबाइल अत्यधिक सकारात्मक परिवर्तन लाया है। यदि किसी प्रश्न का उत्तर ढूँढना हो तो तुरन्त स्मार्टफोन में इण्टरनेट पर सर्च किया जा सकता है। यदि कोई रास्ता भटक जाए तो मोबाइल में उपलब्ध गूगल मैप से सही पते तक पहुँचा जा सकता है। उसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति विपत्ति में हो तो मोबाइल के माध्यम से कॉल आदि कर अपनी विपत्ति को टाल सकता है। उदाहरण के लिए, पुलिस, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड आदि को तुरन्त सूचित किया जा सकता है।

आज जब हम बाजार जाते हैं तो बाजर में भी मोबाइल की प्रभुता देखने को मिलती है। फुटपाथ पर कैम्प लगाकर सिम बेचना, मोबाइल से सम्बन्धित विभिन्न उपकरण, मोबाइल सेल आदि देखने को मिलती है। प्रतिदिन नए-नए मोबाइल का प्रचार टीबी, समाचार-पत्र आदि में देखने को मिल रहा है। लोग आज किसी को कुछ उपहार देना चाहते हैं, तो सबसे अच्छा विकल्प मोबाइल ही लगता है। इस प्रकार मोबाइल उद्योग आज पूरी दुनिया में फैल चुका है।

भारत में ही टेलीकम्पनियों के बीच काफी प्रतिस्पर्द्धा बढ़ गई है, टेलीडेंसिटी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। अत: यह कहा जा सकता है कि बाजार से लेकर जीवन शैली तफ़ मोबाइल ने क्रान्तिकारी प्रभाव डाला है। निश्चित रूप से मोबाइल ने संचार क्रान्ति को सफल बना दिया है।

नकारात्मक पहलू बर्तमान समय में अपराधों को बढ़ावा देने में मोबाइल की मुख्य भूमिका है। मोबाइल के माध्यम से तीव्र रूप से सूचना के आदान-प्रदान की सुविधा ने अपराधियों का मनोबल बढ़ा दिया है। कानून और पुलिस से बचने के लिए अपराधियों द्वारा सिम बदल-बदल कर मोबाइल का उपयोग किया जा रहा है, जिस कारण अपराधियों को पकड़ने में समय लग जाता है।

ऐसा भी देखा जाता है कि जेल में बन्द अपराधी मोबाइल के माध्यम से अपराध को निर्देशित करते रहते हैं। यद्यपि यह एक गम्भीर विषय है जो हमें सोचने को बाध्य करता है कि जेल में अपराधियों को मोबाइल कैसे मिल जाता है, निश्चित रूप से यह व्यवस्था की असफलता व कमजोरी है। मोबाइल के माध्यम से हो रहे अपराधों पर नियन्त्रण हेतु आज इलेक्ट्रॉनिक सर्विलास और ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम पर सरकार को अपने बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ता है।

मोबाइल के माध्यम से लड़कियों के एमएमएस बनाना, गन्दी गन्दी बातें करना आदि जैसी घटनाएँ बढ़ रही हैं, जो हमारी संस्कृति का क्षरण कर रही हैं। मोबाइल आज वैचारिक प्रदूषण का सबसे बड़ा माध्यम बन गया है। मोबाइल फोन में उपलब्ध सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाह फैलाना, महापुरुषों के बारे में भ्रांतियाँ फैलाना, सामाजिक सौहार्द बिगाड़ना, दूसरे को परेशान करना, धमकाना आदि सामान्य बातें हो गई हैं। इसके माध्यम से लोगों को अधूरा ज्ञान मिलता है, जो समाज के लिए अत्यधिक घातक सिद्ध हो रहा है।

मोबाइल के बढ़ते प्रयोग के कारण आज हमारी संस्कृति पतन की ओर अग्रसर है। लोग अपने संस्कार भूल गए हैं और एक ही घर में रहकर भी साथ नहीं रह रहे हैं, क्योंकि सब अपने-अपने मोबाइल में वयस्त रहते हैं। घर के बड़े-बुजुर्ग स्वयं को अकेला महसूस करते हैं। 

मोबाइल के बढ़ते प्रयोग के कारण आज के समाज में रचनात्मकता कम होती जा रही हैं, साथ ही मोबाइल ने लोगों की चिन्तनशीलता ध्यान शक्ति को भी कम कर दिया है। मोबाइल ने सबसे अधिक छात्र जीवन को दुष्प्रभावित किया है, क्योंकि ध्यान और चिन्तन छात्र के लिए सबसे अधिक आवश्यक है तथा मोबाइल इसके मार्ग में सबसे बड़ा बाधक है। मोबाइल के कारण छात्रों में एकाग्रता नहीं बन पाती है, जिस कारण उनकी पढ़ाई बाधित होती है। 

मोबाइल के कारण छात्र पोर्नोग्राफी भी देखने लगते हैं, जिससे उनकी मानसिक क्षमता भी प्रभावित होती है। साथ ही छात्रों के द्वारा महंगे मोबाइल की माँग करने के कारण घर का बजट भी बिगड़ जाता है।

मोबाइल हमारे स्वास्थ्य को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाता है। मोबाइल से निकलने बाली तरंगे हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी घातक होती है। मोबाइल फोन पर सिनेमा देखने से आँखों के खराब होने की सम्भावना बढ़ जाती है। उसी प्रकार इयरफोन के माध्यम से गाना सुनकर लोग अपने कानों पर कुप्रभाव डालते हैं। इसके अतिरिक्त सिरदर्द, थकान, चक्कर आना, रक्तचाप, हृदय रोग आदि जैसी समस्याएँ उत्पन्न करने में मोबाइल की अहम् भूमिका होती है।

लोग मोबाइल में इतने व्यस्त हो चुके हैं कि ये सड़क व रेल दुर्घटना आदि के शिकार हो रहे हैं, क्योंकि लोग कानों में इयरफोन लगाकर रेलवे लाइन या सड़क को पार करने की कोशिश करते हैं। मोबाइल के कारण लोग अपना कीमती समय जब धन दोनों व्यर्थ कर देते हैं। लोग अनावश्यक कॉल, मैसेज, सोशल मीडिया आदि में व्यस्त रहते हैं। साथ ही मोबाइल कम्पनी व ऐप व्यक्ति के निजी जीवन पर निगरानी रखते हैं, जिससे निजता के अधिकार के उल्लंघन होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि मोबाइल हमारे जीवन को काफी सहज करते हुए हमारी जीवन-शैली में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाया है, लेकिन साथ ही कुछ नकारात्मक पहलुओं को भी जन्म दिया है, जिस कारण हम अपनी संस्कृति, रचनात्मकता आदि से दूर हो रहे हो निश्चित रूप से मोबाइल आज हमारे जीवन का सबसे अनिवार्य अंग बन गया है अर्थात् मोबाइल के बिना आज जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है, लेकिन मोबाइल के दुष्प्रभावों को देखते हुए हमें सचेत होकर इसका प्रयोग करने की आवश्यकता है।

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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समय के महत्व पर निबंध-Value Of Time Essay In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)

समय के महत्व पर निबंध-samay ka mahatva essay in hindi.

a essay on hindi ka mahatva

समय के महत्व पर निबंध 1 (100 शब्द)

मानव जीवन नदी की धारा के समान होता है। जिस तरह से नदी की धारा ऊँची नीची भूमि को पार करती हुई लगातार आगे बढती है उसी प्रकार जीवन की धारा सुख-दुःख रूपी जीवन के अनेक संघर्षों को सहते-भोगते आगे बढती रहती है। आगे बढने में जो मदद करता है वह समय कहलाता है।

जो भागते हुए समय को पकडकर इसके साथ-साथ चल सकते हैं, जिस किसी ने भी समय के महत्व को पहचाना है और उसका सदुपयोग किया है, वह उन्नति की सीढियों पर चढ़ता चला गया है। लेकिन जिसने इसका तिरस्कार किया है समय ने उसे बर्बाद कर दिया है। समय का सदुपयोग ही विकास और सफलता की कुंजी है।

समय के महत्व पर निबंध 2 (200 शब्द)

हमारे लिए सबसे कीमती वस्तु समय ही है। इस युग मे सभी कार्य समय पर निर्भर होते है। इसलिए किसी ने कहा है। कि अपना टाइम आएगा। प्रत्येक कार्य करने के लिए समय की जरूरत होती है। समय गरीब को अमीर तथा अमीर को गरीब मे बदल सकता है। यदि हम अपने समय को बर्बाद कर रहे है। तो यह बड़ा पाप है।

हम समय को बर्बाद करते है। तो समय हमे बर्बाद कर देता है। इसलिए खुद को बर्बादी से बचाने के लिए समय को बर्बाद नहीं करें। समय की बर्बादी से हमारे भविष्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। समय ही हमारा सबसे श्रेष्ठ धन है। इससे बढ़कर कुछ भी नहीं है। जो लोग समय को ज्यादा महत्व देते है समय भी उन्हे ज्यादा महत्व देता है। कई लोग ऐसे होते है।

जिन पर मुसीबत आने पर वे अपना धैर्य खो देते है। और अपना अमूल्य समय को गंवा देते है। समय की महता जो नहीं मानता समय उसकी भी महता नहीं जनता है। समय को हम न तो खरीद सकते है। और न उसे बेच सकते है। हर रोज सुबह होती है। और फिर शाम होती है। ये इसका नित्यकर्म है। हमे भी समय की तरह अपने नित्यकर्म का टाइम-टेबल बनाकर चलना चाहिए।

समय के महत्व पर निबंध 3 (300 शब्द)

भूमिका :  मानव जीवन नदी की धारा के समान होता है। जिस तरह से नदी की धारा ऊँची नीची भूमि को पार करती हुई लगातार आगे बढती है उसी प्रकार जीवन की धारा सुख-दुःख रूपी जीवन के अनेक संघर्षों को सहते-भोगते आगे बढती रहती है। जीवन का उद्देश्य लगातार आगे बढना होता है इसी में सुख है, आनंद है।

छात्रवास में समय का महत्व :   छात्रवास में समय का बहुत अधिक महत्व होता है। किसान अपने खेत में अलग-अलग ऋतुओं में अलग-अलग प्रकार की फसल उगाता है। अगर बीज बोने का निश्चित समय किसी प्रकार से बीत जाता है तो वह फसल पैदा नहीं हो सकती है। ठीक यही दशा छात्रों के जीवन की भी होती है। विद्यार्थी जीवन वह समय होता है जब मनुष्य सारे जीवन भर के लिए तैयार होता है।

इसीलिए इस अवस्था में उसे समय के महत्व को जानना और उसका उपयोग करना उसके लिए बहुत आवश्यक होता है। छात्र की जीवन रूपी भवन की नींव भी इसी समय पर बनती है।

जिस तरह से एक बहुत बड़ी पुस्तक को लिखने के लिए एक-एक अक्षर लिखना पड़ता है और तब एक पुस्तक लिखी जाती है इसी तरह विद्यार्थियों को एक-एक सैकेंड का उपयोग करके इतनी बड़ी किताबों को पढना पड़ता है केवल तभी वह उसके ज्ञान को प्राप्त कर सकता है।

उपसंहार :  अगर हम समय के महत्व को समझकर समय का सदुपयोग करते हैं तो सफलता हमसे कभी भी दूर नहीं होती है। हम सभी का कर्तव्य है कि हम अपने बचे हुए समय का सदुपयोग करें और अपने राष्ट्र के भविष्य को उन्नति की ओर ले जाएँ। हमे हमेशा अपने काम को निश्चित रूप से समय पर ही पूरा करना चाहिए।

समय के महत्व पर निबंध 4 (400 शब्द)

भूमिका : एक आम और सही कहावत है कि, “समय और ज्वार-भाटा किसी का इंतजार नहीं करते हैं”, जिसका अर्थ है कि, समय किसी का भी इंतजार नहीं करता है, सभी को समय के साथ-साथ चलना चाहिए। समय आता है और हमेशा की तरह चला जाता है पर कभी भी रुकता नहीं है।

समय सभी के लिए निःशुल्क होता है, लेकिन कोई भी इसे कभी भी न तो बेच सकता है, न ही खरीद सकता है। यह अबंधनीय है, अर्थात् कोई भी इसकी सीमा निर्धारित नहीं कर सकता है। यह समय ही है, जो सभी को अपने चारों ओर नचाता है। अपने जीवन में कोई भी न तो इसे हरा सकता है, और न ही इससे जीत सकता है।

समय अमूल्य है : समय पर सबसे अच्छी कहावत है “समय और ज्वार किसी का इंतजार नहीं करते।” सभी को समय के मूल्य और महत्व को समझना चाहिए। लोग अक्सर पैसे को अपना सबसे मूल्यवान संसाधन मानते हैं, जबकि धन की तुलना में समय अधिक मूल्यवान है।

समय आंशिक रूप से इस कारण से है कि हम सभी को हमारे जीवन में केवल एक निश्चित समय आवंटित किया जाता है, और इसलिए हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि, हम इसे बुद्धिमानी से उपयोग करें।

समय का माप :   समय अमाप है। समय का कोई आरंभ और अंत नही है। समय अविभाज्य और अतुलनीय है।समय को सेकंड, मिनट, घंटे, दिन, सप्ताह, महीने, साल, दशक और सदियों में बांटा गया है। समय  हमेशा आगे की ओर बढ़ता जाता रहता है, वो कभी पीछे मुड़कर नही देखता।

उपसंहार : समय का सदुपयोग हमारे जीवन की उन्नति की कुंजी है वह लोग जीवन में सफल बनते हैं जो समय का सही तरीके से प्रयोग करते हैं जिससे हमारे जीवन में समन्वय बना रहता है संत महात्मा और संसार के जितने भी महान व्यक्ति थे उनका हम कई यूगो के बाद भी याद करते हैं क्योंकि वह समय के मूल्य को पहचानते थे।

उन्होंने हर कार्य को समय पर करने की प्रेरणा दी जो घड़ी हम हाथ में बांध कर चलते हैं वह हमसे कहती है कि मेरे साथ चलो भले ही आगे चलो पर मेरे से पीछे हो कर नहीं चलना क्योंकि साथ चलने से सदा जीवन सुखी रहता है और समय सोने से भी अधिक मूल्यवान है और इसकी कीमत समय पर ही समझना जरूरी है।

समय के महत्व पर निबंध 5 (500 शब्द)

भूमिका :  आगे बढने में जो मदद करता है वह समय कहलाता है। जो भागते हुए समय को पकडकर इसके साथ-साथ चल सकते हैं, जिस किसी ने भी समय के महत्व को पहचाना है और उसका सदुपयोग किया है, वह उन्नति की सीढियों पर चढ़ता चला गया है। लेकिन जिसने इसका तिरस्कार किया है समय ने उसे बर्बाद कर दिया है। समय का सदुपयोग ही विकास और सफलता की कुंजी है।

मानव जीवन में समय का बहुत महत्व होता है। जब समय के मूल्य को पहचान लिया जाता है तो वही समय का सदुपयोग होता है। बीता हुआ समय कभी भी वापस लौट कर नहीं आता है। समय किसी का भी दास नहीं होता है। समय किसी पर भी निर्भर नहीं होता है वह अपनी गति से चलता है। जो व्यक्ति समय के महत्व को नहीं समझ पाता है वह कभी भी अपने जीवन को सफल नहीं बना सकता है।

आलस्य का त्याग :  जब समय बीत जाता है तब हमें समय के महत्व का एहसास होता है। जब समय का दुरूपयोग किया जाता है तब दुःख और दरिद्रता के अलावा कुछ प्राप्त नहीं होता है। समय का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य होता है। आलस्य जीवन का एक कीड़ा होता है। अगर वह जीवन में लग जाता है तो जीवन नष्ट हो जाता है। जब लखपति समय से चूक जाता है तो वह भी निर्धन हो जाता है।

सुखों की प्राप्ति :  जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करता है केवल वही सभी सुखों को प्राप्त कर पाता है। जो व्यक्ति अपने काम को समय पर कर लेता है उसे कोई भी व्यग्रता नहीं होती है। जो व्यक्ति अपने काम को समय पर करता है वह केवल अपना ही भला नहीं करता है बल्कि अपने परिवार गाँव, और राष्ट्र की उन्नति का कारण भी बनता है।

समय सिमित :  भगवान ने प्रत्येक मनुष्य को एक निश्चित उद्देश्य और निश्चित समय के साथ पृथ्वी पर भेजा है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में नपा-तुला समय होता है। जब हम ज्यादातर समय को बेकार के कामों में व्यतीत कर देते हैं तब हमें होश आता है। समय के महत्व पर एक कहावत भी कही गई है – अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

उपसंहार :   अगर हम समय के महत्व को समझकर समय का सदुपयोग करते हैं तो सफलता हमसे कभी भी दूर नहीं होती है। हम सभी का कर्तव्य है कि हम अपने बचे हुए समय का सदुपयोग करें और अपने राष्ट्र के भविष्य को उन्नति की ओर ले जाएँ। हमे हमेशा अपने काम को निश्चित रूप से समय पर ही पूरा करना चाहिए।

हम सभी भारत देश के निर्माता हैं। हमें हमेशा अपने देश की उन्नति के लिए अपने जीवन के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना चाहिए। अगर हम काम को निश्चित समय पर पूरा करते हैं तो इससे समय भी बच जाता है जिसका प्रयोग हम समाज के कल्याण के लिए भी कर सकते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि कभी भी समय व्यर्थ न हो सके। समय का पूरा उपयोग करना चाहिए और समय के महत्व को समझाना चाहिए।

समय के महत्व पर निबंध 6 (700 शब्द)

भूमिका : अपने जीवन के हर मिनट का आनंद लेना सीखें। अभी में खुश रहो। भविष्य में आपको संतुष्ट करने के लिए खुद से बाहर किसी चीज़ का इंतज़ार न करें। इस बात पर विचार करें कि आपके पास कितना कीमती समय है, चाहे वह काम पर हो या आपके परिवार के साथ। हर मिनट का आनंद और स्वाद लेना चाहिए।

समय को घंटों, दिनों, वर्षों और इसी प्रकार मापा जाता है। समय हमें अपनी दैनिक गतिविधियों को व्यवस्थित और संरचित करने की एक अच्छी आदत बनाने में मदद करता है। कोई भी समय को रोक नहीं सकता है। समय के साथ साथ हमारी उम्र और अनुभव भी बढ़ते जाते हैं !

समय का सदुपयोग : हा ये आवश्यक है कि हम समय रहते ही अगर समय का महत्व समझ जाते हैं । और समय की महत्व या समय का सदुपयोग कर लेते है तो उसे हम समय को खरीदने जैसा समझ सकते हैं। अगर वक विद्यार्थी समय रहते मन लगाकर अच्छी शिक्षा ग्रहण कर लेता हैं।

तो समय हमेशा उसे खुशी प्रदान करता रहेगा। वही अगर विद्यार्थी अपनी लापरवाही के कारण समय बर्बाद करता रहता है। तो ये निश्चित ही है कि भविष्य में उसे अनेक कष्ट मिलने तय हैं। अतः समय का सदुपयोग करना बहुत जरूरी होता हैं।

विद्यार्थी जीवन में समय का महत्व :   बूँद-बूँद से सागर बनता है। इसी प्रकार छोटे-छोटे क्षणों से हमारा जीवन बनता है, छात्र जीवन हमारे जीवन की प्रारंभिक अवस्था है। यह व्यक्तित्व निर्माण की अवस्था कही गई है। यदि छात्र शुरुआती अवस्था में ही समय का महत्व सीख जाते हैं तो अपना बाकी का जीवन सुख व समृद्धि के साथ जीते हैं।

समय की शक्ति :  पिछले समय में कई राजा खुद को अपनी उम्र के शासक और सभी के रूप में घोषित करते हैं। लेकिन, वे भूल जाते हैं कि उनके पास सीमित समय है। दुनिया में समय ही एकमात्र ऐसी चीज है जो असीम है। समय आपको सेकंड के एक आंदोलन में एक राजा या भिखारी बना सकता है।

समय बर्बाद :  जो व्यक्ति समय के महत्व ( समय के महत्व को समझता हैं। वो फालतू बिन किसी मतलब के इधर से उधर टहलता नज़र नहीं आएगा। अनेक ऐसे लोग नज़र आ जाएंगे जो पत्ते खेलने में घंटो व्यतीत कर देते है या कहे कि समय बर्बाद कर देते हैं। वो आने समय का सदुपयोग म करके दुरुपयोग कर रहे होते हैं।

समय का प्रभावी उपयोग :  कोई भी व्यक्ति अगर समय का सही उपयोग करना सीख गया तो निश्चित सफलता उनके कदम चूमेगी। समय का सदुपयोग कर जीवन को नयी दिशा प्रदान की जा सकती है। समय एक प्रेरक शक्ति है। इससे जीवन में कुछ हासिल करने की ललक आती है।

विद्यार्थी के जीवन में समय का काफी योगदान होता है। अगर विद्यार्थी ने समय का सदुपयोग करना सिख गया तो निश्चित वह जीवन में अपने लक्ष्यों तक आसानी से पहुंच सकता है। समय का सदुपयोग कर जीवन को नयी दिशा प्रदान की जा सकती है।

समय की पाबंदी :   हर किसी को जीवन के हर मोड पर समय की पाबंदी के साथ चलना चाहिए । समय की पाबंदी का अर्थ है, एक व्यक्ति के लिए निश्चित समय पर कार्य करना या दिए हुए समय पर किसी भी कार्य को पूरा करना। यह बेहतर जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।

यदि हम जीवन के हर काम में समय के पाबंद रहें , तो कोई भी हमारे लिए कुछ भी गलत नहीं कह सकता है।  छात्रों को स्कूल समय पर जाना चाहिए। यदि वे समय पर होंगे, तो सजा से बचेंगे और हमेशा शिक्षकों नज़रों में वह एक प्रभावशाली विद्यार्थी रहेगा।

उपसंहार : हमारी दैनिक दिनचर्या; जैसे- स्कूल का कार्य, गृह कार्य, सोने के घंटे, जागने का समय, व्ययाम, भोजन करना आदि योजना अनुसार और समय के अनुसार आयोजित होनी चाहिए। हमें कठिन परिश्रम करने का आनंद लेना चाहिए और कभी भी अपनी अच्छी आदतों को बाद में करने के लिए टालना नहीं चाहिए। हमें समय के महत्व को समझना चाहिए और इसी के अनुसार रचनात्मक ढंग से प्रयोग करना चाहिए, ताकि हम समय से धन्य हो न कि नष्ट हो।

समय के महत्व पर निबंध 7 (1000+ शब्द)

भूमिका : मानव जीवन नदी की धारा के समान होता है। जिस तरह से नदी की धारा ऊँची नीची भूमि को पार करती हुई लगातार आगे बढती है उसी प्रकार जीवन की धारा सुख-दुःख रूपी जीवन के अनेक संघर्षों को सहते-भोगते आगे बढती रहती है। जीवन का उद्देश्य लगातार आगे बढना होता है इसी में सुख है, आनंद है।

आगे बढने में जो मदद करता है वह समय कहलाता है। जो भागते हुए समय को पकडकर इसके साथ-साथ चल सकते हैं, जिस किसी ने भी समय के महत्व को पहचाना है और उसका सदुपयोग किया है, वह उन्नति की सीढियों पर चढ़ता चला गया है। लेकिन जिसने इसका तिरस्कार किया है समय ने उसे बर्बाद कर दिया है। समय का सदुपयोग ही विकास और सफलता की कुंजी है।

समय सिमित : भगवान ने प्रत्येक मनुष्य को एक निश्चित उद्देश्य और निश्चित समय के साथ पृथ्वी पर भेजा है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में नपा-तुला समय होता है। जब हम ज्यादातर समय को बेकार के कामों में व्यतीत कर देते हैं तब हमें होश आता है। समय के महत्व पर एक कहावत भी कही गई है – अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

इसी वजह से हर बुद्धिमान व्यक्ति समय के महत्व को समझता है। हमारा जीवन समय से जुड़ा हुआ होता है। भगवान ने हमें जितना भी समय दिया है उसमे एक पल की भी वृद्धि होना असंभव है। जिस राष्ट्र के व्यक्ति समय के महत्व को समझ जाते हैं वही राष्ट्र समृद्ध हो सकता है। समय के सदुपयोग से ही मनुष्य निर्धन, अमीर, निर्बल, सबल, मुर्ख और विद्वान् बन सकता है।

समय अमूल्य वस्तु : समय एक अमूल्य वस्तु के साथ-साथ अमूल्य धन भी होता है। समय की कीमत धन से बहुत अधिक होती है इसीलिए समय अमूल्य होता है। धन आज है कल नष्ट हो जाएगा परसों वापस आ जाएगा लेकिन एक बार समय अतीत की गर्त में समा जाता है तो वह चाहकर भी वापस नहीं आता है।

हमारा कर्तव्य होता है कि हमें दिन में जो भी काम करना है उसे सुबह ही निश्चित कर लेना चाहिए। दिन में उस काम को करके समाप्त कर देना चाहिए। विद्यालय से जो भी समय बचता है उसका प्रयोग अन्य कलाओं को सीखने में करना चाहिए। बेकार की बातों में समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए लेकिन जीवन में थोडा मनोरंजन भी होना चाहिए। आज के काम को कभी भी कल पर नहीं छोड़ना चाहिए।

मनुष्य के जीवन का हर पल उसकी दुर्लभ संपत्ति होती है क्योंकि अगर धन-दौलत न रहे तो उसे दुबारा परिश्रम करके प्राप्त किया जा सकता है लेकिन समय वह संपत्ति होती है जो एक बार चले जाने से दुबारा नहीं आती है। इसी वजह से समय का सदुपयोग मनुष्य के लिए बहुत जरूरी होता है।

जब सही समय पर सही काम किया जाता है तभी समय का सदुपयोग होता है। समय बहुत बलवान होता है यह किसी के लिए नहीं रुकता और न ही किसी का इंतजार करता है यह लगातार चलता ही रहता है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कोई-न-कोई लक्ष्य होता है जीवन में लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें समय के महत्व को जानना होगा।

जो मनुष्य आज के काम को कल पर छोड़ देता है वह कभी भी सफल नहीं हो पाता है। लेकिन जो मनुष्य आज के काम को आज ही समाप्त कर देता है वह मनुष्य जीवन में हमेशा सफलता प्राप्त करता है। भाग्य भी ऐसे मनुष्यों का साथ देता है वे अपने जीवन में उच्च से उच्चतर लक्ष्य की तरफ बढ़ते जाते हैं।

समय का महत्व : समय के सदुपयोग का बहुत महत्व होता है। अगर समय पर काम नहीं होता है तो समय का सदुपयोग नहीं हो पाता है जिससे जीवन अभिशाप बन जाता है। हर व्यक्ति अपने जीवन में उन्नति करने की इच्छा रखता है। वह हमेशा अपने जीवन में धनवान, बलवान और विद्वान् बनना चाहता है। जब मनुष्य ऐसी इच्छा रखता है तो उस के समय के महत्व को समझना बहुत जरूरी होता है।

जिस किसी ने भी समय के सदुपयोग को समझा है वह उन्नति के शिखर पर पहुंच चुका है। बहुत से महान पुरुषों ने भी समय के महत्व को समझकर ही सफलता प्राप्त की थी। जो व्यक्ति समय का सम्मान करता है समय भी उसका सम्मान करता है। जो समय को बर्बाद करता है समय उसे बर्बाद कर देता है।

गाँधी जी ने भी बहुत ही सावधनी और बुद्धिमानी से समय का सदुपयोग किया था इसी वजह से वे महान पुरुष बने थे। महान वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन अपने बचपन में सब्जी बेचकर पैसे कमाते थे। उनके अध्यापक उन्हें बहुत बुद्धिमान समझते थे। वे जीवन में कठोर-से-कठोर परिस्थितियों का सामना करने के लिए डटे रहते थे। उन्होंने समय के महत्व को समझ लिया था इसलिए समय को व्यर्थ नहीं गंवाते थे।

वे लगातार परिश्रम करते रहे जिसकी वजह से आज वे एक महान वैज्ञानिक बन गए। उन्होंने रेडियम की खोज करके पूरे जगत को रोशन किया है। प्रत्येक मनुष्य को समय के सही मूल्य को पहचानना चाहिए समय निकलने पर काम करने वालों को अक्सर पछताना ही पड़ता है।

एक-एक बूंद के एकत्रित रूप विशाल सागर को देखा जा सकता है और जब एक-एक बूंद टपकती है तो बड़े-से-बड़ा बर्तन भी खाली हो जाती है। कुछ इसी तरह से जीवन भी पल और क्षण के मिलने से बना होता है। जितने भी पल और क्षण बीत जाते हैं वे कभी वापस लौटकर नहीं आते हैं।

समय बीतते हुए अनुमान नहीं होता है लेकिन इन क्षणों के बीतने से दिन, सप्ताह, मास और साल बीतते जाते हैं। समय के बीतने के साथ ही जीवन के दिन भी बीत जाते हैं। जो लोग समय की गति को नहीं जानते और इसके महत्व को नहीं समझते हैं, समय को नष्ट करते हैं समय भी ऐसे लोगों को नष्ट कर देता है।

सुखों की प्राप्ति : जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करता है केवल वही सभी सुखों को प्राप्त कर पाता है। जो व्यक्ति अपने काम को समय पर कर लेता है उसे कोई भी व्यग्रता नहीं होती है। जो व्यक्ति अपने काम को समय पर करता है वह केवल अपना ही भला नहीं करता है बल्कि अपने परिवार गाँव, और राष्ट्र की उन्नति का कारण भी बनता है।

जो व्यक्ति समय का सदुपयोग करता है वह धनवान, बुद्धिमान और बलवान बन सकता है। माता लक्ष्मी भी उसकी सखी बन सकती हैं। ऐसे व्यक्ति की संतान कभी भी पैसे की वजह से दुखी नहीं होती है। अगर हम बहुत ही ध्यानपूर्वक देखते हैं तो हमें पता चलता है कि आज तक जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं वे सभी समय के सदुपयोग को जानते थे इसी वजह से महान कहलाए थे।

कार्य की सफलता : समय का हर पल, हर क्षण और हर साँस ही जीवन होता है। जो अपने जीवन के एक-एक पल का सदुपयोग करता है उसका जीवन सफल हो जाता है लेकिन जो एक पल भी व्यर्थ कर देता है उसका जीवन निरर्थक बन जाता है। कार्य की सफलता कार्य की कुशलता से अधिक कार्य की तत्परता पर निर्भर करती है। समय ही सत्य होता है।

समय का सदुपयोग ही सफलता और समृद्धि के प्रतीक और परिचायक होते हैं। समय का सदुपयोग करने के लिए मनुष्य को नियमित जीवन जीना चाहिए। हमारे देश में समय का बहुत अधिक दुरूपयोग होता है। बेकार की बातों में समय को बेकार किया जाता है। समय का सबसे अधिक दुरूपयोग मनोरंजन के नाम पर किया जाता है। समय को खोकर कोई भी व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता है।

आलस्य का त्याग : जब समय बीत जाता है तब हमें समय के महत्व का एहसास होता है। जब समय का दुरूपयोग किया जाता है तब दुःख और दरिद्रता के अलावा कुछ प्राप्त नहीं होता है। समय का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य होता है। आलस्य जीवन का एक कीड़ा होता है। अगर वह जीवन में लग जाता है तो जीवन नष्ट हो जाता है। जब लखपति समय से चूक जाता है तो वह भी निर्धन हो जाता है।

अगर हमें स्टेशन पहुंचने में 5 मिनट देरी हो जाती है तो ट्रेन हाथ से छूट जाती है। अगर छात्र को परीक्षा के लिए देरी हो जाती है तो उसकी परीक्षा छूट जाती है। आज के समय में बहुत से युवक अवकाश के दिनों में व्यर्थ घर में बैठे रहते हैं अथवा बुरी संगति में पड़कर समय को बर्बाद करते रहते हैं। समय का दुरूपयोग एक पाप के समान होता है और जो भी इस पाप के कीच में गिर जाता है उसका कभी भी उद्धार नहीं हो सकता है। हमें सदैव समय के दुरूपयोग से बचना चाहिए।

छात्रवास में समय का महत्व : छात्रवास में समय का बहुत अधिक महत्व होता है। किसान अपने खेत में अलग-अलग ऋतुओं में अलग-अलग प्रकार की फसल उगाता है। अगर बीज बोने का निश्चित समय किसी प्रकार से बीत जाता है तो वह फसल पैदा नहीं हो सकती है। ठीक यही दशा छात्रों के जीवन की भी होती है। विद्यार्थी जीवन वह समय होता है जब मनुष्य सारे जीवन भर के लिए तैयार होता है।

इसीलिए इस अवस्था में उसे समय के महत्व को जानना और उसका उपयोग करना उसके लिए बहुत आवश्यक होता है। छात्र की जीवन रूपी भवन की नींव भी इसी समय पर बनती है। जिस तरह से एक बहुत बड़ी पुस्तक को लिखने के लिए एक-एक अक्षर लिखना पड़ता है और तब एक पुस्तक लिखी जाती है इसी तरह विद्यार्थियों को एक-एक सैकेंड का उपयोग करके इतनी बड़ी किताबों को पढना पड़ता है केवल तभी वह उसके ज्ञान को प्राप्त कर सकता है।

जो छात्र अपनी रोज की पढाई को पूरा नहीं कर पाता है उस छात्र को परीक्षा के समय में अपनी पढाई एक विशाल पहाड़ की तरह लगती है। जब परीक्षा की तैयारी पूरी नहीं होती है तो वे गलत तरीकों से परीक्षा को उत्तीर्ण करने की कोशिश करते हैं। इन गलत तरीकों से उन्हें असफलता मिलती है और इन कामों से उनका समाज में सिर नीचा हो जाता है।

उन्हें बाद में बहुत पछतावा होता है लेकिन बाद में पछताने से कोई फायदा नहीं होता है। समय का सदुपयोग करने वाला छात्र अपने जीवन में एक सफल नागरिक बन जाता है लेकिन जो विद्यार्थी समय को बातों में या इधर-उधर घूमने-फिरने में व्यर्थ करता है, वह अंत में रोता है, पछताता है लेकिन वह चाहकर भी उस समय को वापस नहीं ला सकता है। भगवान एक बार में केवल एक ही पल देते हैं तथा दूसरे पल से पूर्व पहले पल को छीन लेते हैं।

उपसंहार : अगर हम समय के महत्व को समझकर समय का सदुपयोग करते हैं तो सफलता हमसे कभी भी दूर नहीं होती है। हम सभी का कर्तव्य है कि हम अपने बचे हुए समय का सदुपयोग करें और अपने राष्ट्र के भविष्य को उन्नति की ओर ले जाएँ। हमे हमेशा अपने काम को निश्चित रूप से समय पर ही पूरा करना चाहिए।

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Kitabon Ka Mahatva Essay In Hindi | पुस्तक पर निबंध

हमारे जीवन में पुस्तकों का काफी अहम रोल हैl हमें पुस्तकों से बहुत कुछ सीखने को मिलता हैl  स्कूल में Kitabon Ka Mahatva Essay In Hindi लिखने के लिए कहा जाता है l इस लेख के माध्यम से आज हम आपको पुस्तकों के महत्व पर निबंध के जरिए जानकारी देने वाले हैं। इसलिए अंत तक जरूर पढ़ना । आपको लेख के माध्यम से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा

Kitabon Ka Mahatva Essay In Hindi

Table of Contents

पुस्तक पर निबंध | Kitabon Ka Mahatva Essay In Hindi

हमारे जीवन में पुस्तकों का काफी महत्वपूर्ण स्थान है। जब बच्चे का जन्म होता है, तो उसके पश्चात स्कूल में दाखिला करवाया जाता है। बच्चों को पुस्तक दिखाकर सिखाया जाता है। फिर धीरे-धीरे बच्चों को भाषा का ज्ञान दिया जाता है और उन्हें पढ़ना और लिखना सिखाया जाता है ।

देखा जाए तो पुस्तक से हमें जो सीखने को मिलता है, वह हमारे भविष्य में काम आता है। अगर हम कामयाब लोगों की बात करें, तो उन सभी में उन लोगों का नाम शामिल है,जिन्होंने पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दिया है। अपनी कामयाबी की पुस्तकों में उन्होंने इस बात का वर्णन भी किया है।

पुस्तक हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों है?

एक बच्चे से लेकर बड़े व्यक्ति तक हर कोई पुस्तक के माध्यम से सीख सकता है। पुस्तक हमारे जीवन का आधार है। ज्ञानी व्यक्ति इस को ही कहा जाता है, जिसके पास ज्ञान होता है और यह ज्ञान पुस्तकों से सीखने को मिलता है।

आप एक उदाहरण के माध्यम से समझे। अगर बचपन में किसी बच्चे को स्कूल ही ना भेजा जाए, उसे पुस्तक ही ना पढ़ाई जाए। तो क्या वह कामयाब इंसान बन सकता है ? पुस्तक से बच्चे को भाषा समझनी, पढ़नी और बोलनी आती है

पुस्तक के माध्यम से ही है, पर्यावरण अध्ययन विषय के माध्यम से पर्यावरण को जान सकता है। पुस्तक के माध्यम से ही अंग्रेजी, हिंदी और गणित विषय को समझ पाते है। हमारी रोजाना जिंदगी में भाषा का कितना महत्व है,यह आप जानते ही हैं।

अगर किसी व्यक्ति को भाषा पढ़नी, लिखनी और बोलन ही ना आए, तो वह एक जानवर की तरह ही होगा। क्योंकि जानवर को भी भाषा का ज्ञान नहीं होता है। तो इसीलिए हम समझ सकते हैं की पुस्तक का हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण रोल है।

पुस्तकें हमारे जीवन को कैसे बदल सकती हैं?

पुस्तक हमारे जीवन को एक नया मार्ग दिखाती है। क्योंकि पुस्तक से हम वह सब सीखने को मिलता है, जो हमें कहीं और से सीखने को नहीं मिलता है। आपने कामयाब लोगों की पुस्तक तो पढ़ी होंगी। उन्होंने अपने जीवन में किस प्रकार से कामयाबी हासिल की है। पुस्तक के माध्यम से आप को पढ़ने को मिलता है। आज के समय में हिंदी, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में काफी सारी पुस्तक मार्केट में उपलब्ध है ।

एक विद्यार्थी को इन सभी पुस्तक में से एक ना एक पुस्तक को तो पढ़ना चाहिए। क्योंकि पुस्तक के माध्यम से आगे भविष्य के बारे में सोचने, समझने और जिंदगी के हर पहलू को समझने के लिए ज्ञान मिलता है। पुस्तक से हमें भारत के इतिहास, दुनिया के इतिहास और मौजूदा समय में कैसे भारत विकासशील देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है। इन सब के बारे में भी जानकारी मिलती है।

यह भी पढ़ें: कंप्यूटर पर निबंध

पुस्तकों से हमें हमारे पूर्वजों, हमारे नेताओं, राजा और यह जानकारी भी मिलती है कि किस प्रकार भारत को आजादी मिली थी। यानी देखा जाए तो पुस्तक से हमें हमारे राजनीतिक इतिहास और साइंस के बारे में भी जानकारी मिलती है। पुस्तक से हमारा जीवन बदल सकता है। बहुत पुस्तक मार्केट में उपलब्ध है,जो युवाओं को प्रेरणा देती है।

युवा इन सभी पुस्तकों से प्रेरणा लेकर नया सीख कर आगे जीवन में बहुत बड़े काम कर रहे हैं। अगर एक अच्छी पुस्तक का चयन हम कर लें, तो हमारा जीवन बदल सकता है। युवाओं को ऐतिहासिक, आध्यात्मिक, राजनीतिक और अन्य सभी प्रकार की पुस्तक पढ़नी चाहिए।

रोजाना किसी न किसी एक पुस्तक में से कुछ जरूर पढ़ना चाहिए। अगर आप अपने जीवन में इन सब चीजों को अपनाएंगे,तो आपका जीवन सफल हो जाएगआ। पुस्तक हमारे भविष्य का निर्माता है । यह कहना गलत नहीं होगा क्योंकि बहुत लोग दुनिया में ऐसे हैं, जिनके पास कुछ नहीं था । लेकिन उन्होंने पुस्तक पढ़ी, उन्होंने शिक्षा ग्रहण की और आज वह इतने काबिल हो गए हैं कि वह दुनिया को मुट्ठी में रखते हैं।

इनकी काबिलियत को पूरी दुनिया जानती है। इसलिए इन सभी बातों से आपको समझ आ गया होगा की पुस्तक का हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण स्थान है‌।

पुस्तकों का महत्व अद्वितीय है, इससे हमें ना केवल ज्ञान मिलता है, बल्कि यह हमारे जीवन का आधार भी है। पुस्तकें हमें अच्छे व्यक्ति बनने की मार्गदर्शन करती हैं, और कई कामयाब लोगों की कहानियों से हमें सीखने का अवसर मिलता है। यहां एक सजीव उदाहरण से दिखाया गया है कि शिक्षा के बिना किसी को भी सफलता प्राप्त करना मुश्किल है, और पुस्तकें हमें समाज में सही रास्ते पर चलने का मार्गदर्शन करती हैं। इसलिए, पुस्तकों का हमारे जीवन में एक अद्वितीय स्थान है जो हमें सीखने और बढ़ने का साहस प्रदान करता है।

इस लेख के माध्यम से हमने आपको Kitabon Ka Mahatva Essay In Hindi के बारे में जानकारी दी है‌। उम्मीद करते हैं कि आपको जानकारी समझ में आ गई होगी।

जानकारी को अन्य लोगों के साथ शेयर करना। क्योंकि पुस्तक सिर्फ विद्यार्थियों के लिए नहीं बल्कि युवाओं के लिए और हर उम्र के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

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स्वच्छता का महत्व पर निबंध (Swachata Ka Mahatva Essay In Hindi)

स्वच्छता का महत्व पर निबंध (Swachata Ka Mahatva Essay In Hindi)

आज   हम स्वच्छता का महत्व पर निबंध (Essay On Swachata Ka Mahatva In Hindi) लिखेंगे। स्वच्छता का महत्व पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

स्वच्छता का महत्व पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Swachata Ka Mahatva In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कई विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

स्वच्छता यानी आस पास सफाई रखना, जो की अत्यंत महत्वपूर्ण है। सिर्फ घर की सफाई ही नहीं बल्कि अपने आस पड़ोस को स्वच्छ रखना ज़रूरी है। हमारे धर्मो और संस्कृति में भी साफ़ सफाई का विशेष महत्व है। स्वच्छता मनुष्य को शारीरिक और मानसिक स्तर पर स्वस्थ रखती है।

स्वच्छता का अर्थ है साफ़ – सफाई। अगर हम आस पास सफाई नहीं रखेंगे, तो बीमारियों के फैलने का डर लगा रहता है। जितनी हमारे आस पास गन्दगी रहेगी उतना ही हम कभी भी स्वस्थ नहीं रह पाएंगे और उतना ही हमे स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां होगी।

हमे स्वंय अपने आस पड़ोस, आँगन, बगीचे को साफ़ रखना चाहिए और दूसरो को भी सफाई के प्रति जागरूक करना चाहिए। देश के हर नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह अपने आस पास कूड़ा, कचरा ना फेंके। महात्मा गांधी जी ने भी स्वच्छता पर काफी ज़ोर दिया था। कोरोना काल के इस कठिन परिस्थिति में लोग सफाई को अधिक प्राथमिकता दे रहे है और हर पल हाथ भी धो रहे है।

गंदगी से फैलती है बीमारियां

स्वच्छता की अहमियत लोगो को पता होने के बावजूद, वह छोटी छोटी चीज़ो का ध्यान नहीं रखते है। जैसे गाड़ी से जाते समय कुछ लोग कचरा बाहर फेंक देते है। यह बहुत गलत है। कई सड़को पर कूड़ा यूहीं पड़ा रहता है और इससे गंदगी फैलती है। गन्दगी से सिर्फ हम ही नहीं बल्कि पशु भी बीमार पड़ते है। रास्ते पर प्लास्टिक का कचरा पड़ा रहता है और गाय उसे खाना समझ कर खा लेती है, इससे उनकी मौत हो जाती है।

कोरोना संकटकाल में स्वच्छता का महत्त्व

अभी कोरोना संकटकाल की वजह से लोग साफ़ सफाई पर विशेष ध्यान दे रहे है। कोरोना संकटकाल के दौरान लोग अस्पतालों की सफाई और अपने घर और अपने आस पास की सफाई पर ज़ोर दे रहे है। साफ़ सफाई हमारे जीवन में बेहद आवश्यक है।

स्वच्छता संबंधित दैनिक कार्य

जीवन को खूबसूरत और स्वस्थ बनाने के लिए अपने तन, घर और आस पड़ोस की सफाई ज़रूरी है। हम शरीर को रोज़ साफ़ रखते है, जो अनिवार्य भी है। नहाना, दांतों को साफ़ रखना, नाख़ून काटना और साफ़ पोशाक पहनंना, घर के हर कोने की सफाई इत्यादि कार्य हर दिन करने से स्वच्छता बनी रहती है। प्रातकाल उठकर हम अपने दांतो की सफाई सबसे पहले करते है।

बीमारी मुक्त जीवन

जब मनुष्य स्वच्छ रहेगा तो उसके आस पास का वातावरण बीमारी मुक्त रहेगा। बड़ो को अपने बच्चो को स्वच्छता के महत्व के विषय में अवगत कराना चाहिए। स्वच्छता के महत्व को सभी को समझाना और उसका पालन करना ज़रूरी है। मनुष्य को अपने आस पड़ोस की साफ़ सफाई करनी चाहिए जैसे हम अपने घरो को साफ़ रखते है।

हर स्थान पर बसे धार्मिक स्थलों की प्रातकाल पूजा की जाती है। ऐसे जगहों पर लोगो को यहां वहां कचरा नहीं फेंकना चाहिए। कचरे को कूड़ेदान में ही फेंकना चाहिए।

घर की नियमित रूप से साफ़ सफाई

जब सवेरे उठकर हम नहा लेते है और साफ़ सुथरे कपड़े पहनते है, तो हम अपने को ताज़ा और स्वच्छ महसूस करते है। हम घर पर सबसे पहले झाड़ू लगाते है और घर और आँगन को फिनाइल इत्यादि पदार्थों से पौछा लगाकर साफ करते है। इससे घर कीटाणुमुक्त हो जाता है।

स्वस्थ मन और तन जीवन में मनुष्य को अपने कार्य में सफल बनाता है और चिंतन मनन में मदद करता है। घर को साफ़ रखने से घर पर आने वाले मेहमान भी प्रसन्न होते है। इससे लोगो पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

धार्मिक स्थल / सार्वजनिक जगहों की सफाई

मंदिर इत्यादि धार्मिक स्थलों पर लोग पूजा पाठ करने के लिए आते है। इसलिए धार्मिक स्थलों की साफ़ सफाई ज़रूरी है। वहाँ कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। कई लोग धार्मिक स्थलों और कई सार्वजनिक जगहों पर आते है और गंदगी फैलाते है। लोगो को यह अहसास होना ज़रूरी है कि गंदगी फैलाने से कई भयंकर बीमारियां जन्म लेती है।

विचारो और सोच में स्वच्छता

आपने आस पास और खुद की स्वच्छता के साथ, मन की शुद्धि होना भी अत्यंत ज़रूरी है। हमारे मन के विचार भी अच्छे और शुद्ध होने चाहिए। जब हम तन को स्वच्छ रखेंगे, तो मन भी स्वच्छ रहेगा।

रोग से ग्रस्त

अपने आस पास और स्वंय की साफ़ सफाई करना एक अच्छा स्वभाव है। कुछ लोग जानकर भी इस अच्छी आदत को अपनाते नहीं है। देश के कई जगहों में, बस्तियों में गन्दगी पायी जाती है। कई लोग शिक्षित नहीं होते है, इसलिए सफाई के महत्व को समझ नहीं पाते है।

इसी वजह से बीमारियां उनके गली मोहल्ले में फैल जाती है। हमेशा घर और आस पड़ोस को रासायनिक पदार्थो यानी फिनाइल इत्यादि से साफ़ करना चाहिए। अपने बर्तन को समय पर साफ़ कर लेना चाहिए। कपड़े धोकर पहनने चाहिए। इससे हम स्वस्थ रहते है और बीमारियां कोसो दूर रहती है। हमे अपने आस पास कीटकनाशक दवाई का छिड़काव करना चाहिए। इससे मच्छर और मक्खियां कम आती है।

प्रदूषित वातावरण

आजकल हमारी धरती पर प्रदूषण बढ़ गया है। जितनी अधिक गन्दगी होगी, प्रदूषण में बढ़ोतरी देखने मिलेगी। प्रदूषण में वृद्धि हमारे लिए बहुत हानिकारक है। स्वच्छ वातावरण और पर्यावरण का होना अनिवार्य है। अपने आस पास और सड़को की सफाई रखना ज़रूरी है। अगर मनुष्य साफ़ सफाई नहीं रखेगा तो निश्चित तौर पर बीमार पड़ जाएगा। यदि हम अपने वातावरण को साफ़ नहीं रख पाए तो प्रदूषण कभी कम नहीं हो सकेगा।

प्लास्टिक पर प्रतिबंध

प्लास्टिक जल्दी सड़ता नहीं है और मिटटी में जाकर मिलता नहीं है। प्लास्टिक हानिकारक पदार्थ है और सालो साल समुद्रतल पर यूँही पड़ा रहता है। मनुष्य प्लास्टिक का इस्तेमाल दैनिक रूप से करता है। प्रकृति का संतुलन बनाये रखना बहुत ज़रूरी है। इसलिए अपने आस पास को साफ़ रखने के लिए प्लास्टिक से बने सामान का उपयोग हमे नहीं करना चाहिए।

अब देश ने प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए कड़े नियम बनाये है। यह एक सकारात्मक कदम है, जिसका पालन हम सभी को करना चाहिए। कागज़ और कपड़े की थैली का इस्तेमाल करना चाहिए, प्लास्टिक की थैली का नहीं। हम बीमारियों से छुटकारा पा सकते है, यदि हम हमेशा स्वच्छता को बनाये रखे।

स्वच्छ भारत अभियान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल २०१४ के गांधी जयंती पर स्वच्छ भारत अभियान आरम्भ किया था। यह काफी लोकप्रिय अभियान रहा और देश द्वारा चलाया गया। बहुत सारे गाँवों में शौचालय की व्यवस्था अच्छी नहीं थी। स्वच्छ भारत अभियान के आरम्भ होते ही कई गाँवों में शौचालय का निर्माण करवाया गया। गाँवों में लोगो के बाहर शौच करने की आदत पर अंकुश लगाने को कहा गया। इससे लोगो ने स्वच्छता की अहमियत को समझा।

देश के सभी नागरिको की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने आस पास के वातावरण को साफ़ रखे, पर्यावरण को दूषित ना करे और उसे सुन्दर बनाने की पूरी चेष्टा करे। सिर्फ कुछ लोगो के जागरूकता से यह संभव नहीं है। सभी को मिलकर धरती और पर्यावरण को स्वच्छ रखना होगा। हमे आस पास के नदियों, झीलों, समंदर, बगीचों को साफ़ रखना होगा।

हमे कचरा यहां वहाँ नहीं बल्कि कूड़ेदान में फेंकना चाहिए और बच्चो को भी यही सीख देनी चाहिए। हमें प्रकृति और पर्यावरण को गन्दगी से बचाना चाहिए। स्वच्छता को हम सभी लोगो को गंभीरता से लेना चाहिए।

इन्हे भी पढ़े :-

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तो यह था स्वच्छता का महत्व  पर निबंध (Swachata Ka Mahatva Essay In Hindi) , आशा करता हूं कि स्वच्छता का महत्व पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Swachata Ka Mahatva) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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