भूकंप पर निबंध (प्राकृतिक आपदा)

[प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake) पर छोटे व बड़े निबंध [Long & Short essay Writing on Earthquake in Hindi]

[प्राकृतिक आपदा] भूकंप (Earthquake)

पृथ्वी की सतह के हिलने और कांपने को भूकंप के रूप में जाना जाता है। भूकंप को सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है क्योंकि वे जीवन और संपत्ति को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। भूकम पे निबंध छोटे बच्चो और कॉलेज छात्रों के लिए निबंध प्रस्तुत किया गया है।

#1. [100-150 Words] भूकंप -भूचाल (Bhukamp)

धरती के अचानक हिलने की घटना भूकंप कहलाती है। जब पृथ्वी के आंतरिक गर्म पदार्थों के कारण हलचल उत्पन्न होती है, तो भूकंप की स्थिति उत्पन्न होती है। कभी भूकंप हल्की तो कभी भारी तीव्रता का होता है। कम तीव्रता वाला भूकंप आने पर क्षेत्र-विशेष में धरती केवल हिलती महसूस होती है लेकिन इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। अधिक तीव्रता वाला भूकंप कभी-कभी भारी क्षति पहुँचाता है। कच्चे और कमज़ोर मकान ढह जाते हैं, चल-अचल संपत्ति का भारी नुकसान होता है। सैंकड़ों मनुष्य मकान के मलबे में दबकर मर जाते हैं। हज़ारों घायल हो जाते हैं। लोग बेघर-बार होकर अस्थायी निवास में रहने के लिए विवश होते हैं। परिस्थितियों के सामान्य बनाने में कई महीने या कई वर्ष लग जाते हैं। भूकंप को रोका नहीं जा सकता परंतु सावधानियाँ बरतने से इससे होने वाली क्षति ज़रूर कम की जा सकती है। इससे बचाव के लिए भूकंपरोधी भवनों का निर्माण करना चाहिए। भूकंप आने पर घबराना नहीं चाहिए बल्कि आवश्यक सावधानियाँ बरतनी चाहिए। भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, इसका मिल-जुलकर मुकाबला करना चाहिए।

#2. [400-500 Words] भूकंप पर निबंध-essay on earthquake in Hindi

भूमिका : भूकंप पृथ्वी का अपनी धुरी से हिलकर कम्पन करने की स्थिति को भूकम्प या भूचाल कहा जाता है। कभी-कभी तो यह स्थिति बहुत भयावह हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के ऊपर स्थित जड़-चेतन हर प्राणी और पदार्थ का या तो विनाश हो जाता है या फिर वह सर्वनाश की-सी स्थिति में पहुंच जाता है। जापान के विषय में तो प्रायः सुना जाता है कि वहां तो अक्सर भूकम्प आकर विनाशलीला प्रस्तुत करते ही रहते हैं। इस कारण लोग वहां लकड़ियों के बने घरों में रहते हैं। इसी प्रकार का एक भयानक भूकम्प बहुत वर्षों पहले अविभाजित भारत के कोटा नामक स्थान पर आया था। उसने शहर के साथ-साथ हजारों घर-परिवारों का नाम तक भी बाकी नहीं रहने दिया था।

अभी कुछ वर्षों पहले गढ़वाल और महाराष्ट्र के कुछ भागों को भूकम्प के दिल दहला देने वाले हादसों का शिकार होना पड़ा था। प्रकृति की यह कैसी लीला है कि वह मानव-शिशुओं के घर-घरौंदों को तथा स्वयं उनको भी कच्ची मिट्टी के खिलौनों की तरह तोड़-मरोड़कर रख देती है। पहले यह भूकम्प गढ़वाल के पहाड़ी इलाकों में आया था, जहां इसने बहुत नुकसान पहुंचाया था। थोड़े दिन पश्चात् महाराष्ट्र के एक भाग में फिर एक भूकम्प आया जिसने वहां सब कुछ मटियामेट कर दिया था। महाराष्ट्र में धरती के जिस भाग पर भूकम्प के राक्षस ने अपने पैर फैला दिए थे वहाँ तो आस-पास के मकानों के खण्डहर बन गए थे। उन मकानों में फंसे लोग कुछ तो काल के असमय ग्रास बन गए थे, कुछ लंगड़े-लूले बन चुके थे। एक दिन बाद समाचार में पढ़ा कि वहां सरकार और गैर-सरकारी स्वयं-सेवी संस्थाओं के स्वयंसेवक दोनों राहत कार्यों में जुटे हुए थे। ये संस्थाएं अपने साधनों के अनुरूप सहृदयता का व्यवहार करती हुई पीड़ितों को वास्तविक राहत पहुंचाने का प्रयास कर रही थीं।

भूकम्प कितना भयानक था यह दूरदर्शन में वहां के दृश्य देखकर अन्दाजा हो गया था। जिन भागों पर भूकम्प का प्रकोप था वहां सब कुछ समाप्त हो चुका था। हल जोतने वाले किसानों के पशु तक नहीं बचे थे। दुधारू पशुओं का अन्त हो चुका था। सैकड़ों लोग मकानों के ढहने और धरती के फटने से मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। इस प्रकार हंसता-खेलता संसार वीरान होकर रह जाता है। सब ओर गहरा शून्य तथा मौत का-सा सन्नाटा छा जाता है। कभी-कभी मैं सोचता हूं कि जापान के लोग कैसे रहते होंगे जहां इस प्रकार के भयावह भूकम्प आए दिन आते रहते हैं।

26 जनवरी, 2001 को गुजरात सहित पूरे भारत ने भूकंप का कहर देखा। भुज सहित संपूर्ण गुजरात में भारी जान-माल का नुकसान हुआ। 8 अक्टूबर, 2005 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और उससे सटे भारतीय कश्मीर में दिल दहला देने वाला जो भूकंप आया उसमें जहाँ एक लाख से अधिक लोंग काल के गाल में समा गए, वहीं लाखों लोग घायल हुए। अरबों रुपए की संपत्ति की हानि हुई।

भूकंप वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक ऐसा कोई उपकरण-यंत्र विकसित नहीं हुआ है, जिससे यह बात पता चल सके कि अमुक-अमुक क्षेत्रों में भूकंप आने वाला है। भूकंप के आते समय ‘रिक्टर स्केल’ पर सिर्फ उसकी क्षमता का ही माप लिया जा सकता है। जापान, पेरू व अमेरिका के कुछ राज्यों में जहां भूकंप के झटके अकसर महसूस किए जाते हैं, वहां के वैज्ञानिकों ने भूकंपरोधी मकानों (Earthquake Resistance) का निर्माण किया है। भारत के भूकम्प प्रमाणित क्षेत्रों में भी ‘भूकंपरोधी’ मकानों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरकार को कारगर नीति बनानी चाहिए।

#3. [600-700 Words] Bhukamp par nibandh भूकंप निबंध हिंदी में

भूमिका : प्रकृती उस ईशवर की रचना होने के कारण अजय है। मनुष्य आदि काल से प्रकृति की शक्तियों के साथ संघर्ष करता रहा है। उसने अपनी बुद्धि साहस एवं शक्ति के बल पर प्रकृति के अनेक रहस्य का उद्घाटन करने में सफलता प्राप्त की है लेकिन इस प्रकृति की शक्तियों पर पूर्ण अधिकार करने की सामर्थ्य मनुष्य में नहीं है। प्रकृति अनेक रूपो में हमारे सामने आती है। ये कभी अपना कोमल और सुखदायी रूप दिखाती है। तो कभी ऐसा कठोर रूप धारण करती है कि मनुष्य इसके सामने विवश और असहाय हो जाता है। आंधी तूफान, अकाल, अनावृष्टि अतिवृष्टि तथा भूकम्प ऐसे ही प्रकोप है।

भूकम्प क्या है: भूमि के हिलने को भूचाल, भूकंप की संज्ञा दी जाती है। धरती का कोई भी अंग ऐसा नहीं बचा जहां कभी ना कभी भूकंप के झटके ना आए हो, भूकंप के हल्के झटके से तो विशेष हानि नहीं होती है। लेकिन जब कभी जोर के झटके आते हैं तो वे प्रलय कारी दृश्य उपस्थित कर देते हैं। कामायनी के महाकाव्य के रचयिता श्री जयशंकर प्रसाद में प्रकृति का प्रकोप का वर्णन करते हुए लिखा है।

हा – हा – कार हुआ क्रंदनमय कठिन कुलिश होते थे चूर हुए दिगंत वाघेर, भीषण रव बार-बार होता था क्रूर।।

भूकंप का कारण: भूकंप क्यों आते हैं यह एक ऐसा रहस्य है जिसका उद्घाटन आज तक नहीं हो सका वैज्ञानिकों ने प्रकृति को मनुष्य के अनुकूल बनाने का प्रयत्न किया है । वह गर्मी तथा सर्दी में स्वयं को बचाने के लिए वातावरण को अपने अनुकूल बना सकता है। लेकिन भूकंप तथा बाढ़ आदि ऐसे देवी प्रकोप है जिनका समाधान मनुष्य जाति सैकड़ों वर्षों के कठोर प्रयोत्नो के बावजूद भी नहीं कर पाई है।

भूकंप के कारण के विभिन्न मत: भूकम्प को विषय में लोगों के भिन्न-भिन्न मत है, भुगर्भ शास्त्रियों का मत है कि धरती के भीतर तरल पदार्थ है, जब अंदर की गर्मी के कारण तीव्रता से फैलने लगते हैं तो पृथ्वी हिल जाती है। कभी-कभी ज्वालामुखी का फटना भी भूकम्प का कारण बन जाता है। भारत एक धर्म प्रधान देश है, यहां के लोगों का मत है कि जब पृथ्वी के किसी भाग पर अत्याचार और अनाचार बढ़ जाते हैं तो उस भाग में देवी प्रकोप के कारण भूकंप आते है। देहातो में तो यह कथा भी प्रचलित है कि शेषनाग ने पृथ्वी को अपने सिर पर धारण कर रखा है। उसके सात सिर है जब एक सिर पृथ्वी के बोझ के कारण थक जाता है। तो उसे दूसरे सिर पर बदलना है उसकी इस क्रिया से पृथ्वी हिल जाती है। और भूकंप आ जाता है, अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि जब पृथ्वी पर जनसंख्या जरूरत से अधिक बढ़ जाती है तब उसे संतुलित करने के लिए भूकम्प उत्पन्न करती हैं।

भूकंप से हानि: भूकंप का कारण कोई भी क्यों ना हो, पर इतना निश्चित है कि यह एक दैवी प्रकोप है जो अधिक विनाश का कारण बनता है यह जान लेवा ही नहीं बनता बल्कि मनुष्य की शताब्दीयो की मेहनत को भी नष्ट कर देता है। बिहार में बड़े विनाशकारी भूकंप देखे हैं हजारों लोग मौत के मुंह में चले गए भूमि में दरारें पड़ गई जिनमें जीवित प्राणी समा गए पृथ्वी के गर्भ से कई प्रकार की विषैली गैस उत्पन्न हूंई जिनमें प्राणियों का दम घुट गया। भूकंप के कारण जो लोग धरती में समा जाते हैं उनके मृत शरीरों को बाहर निकालने के लिए धरती की खुदाई करनी पड़ती है। यातायात के साधन नष्ट हो जाते हैं बड़े-बड़े भवन धराशाई हो जाते हैं लोग बेघर हो जाते हैं धनवान निर्धन बन जाते हैं और निर्धनों को जीने के लाले पड़ जाते हैं।

भूकंप का उल्लेख: सन 1935 में क्वेटा ने भूकंप का प्रलयकारी नृत्य देखा था। भूकंप के तेज झटकों के कारण देखते ही देखते एक सुंदर नगर नष्ट हो गया हजारों स्त्री पुरुष जो रात की सुखद नींद का आनंद ले रहे थे क्षण भर में मौत का ग्रास बन गए। मकान, सड़के ओर व्रक्ष आदि सब नष्ट हो गए सब कुछ बहुत दयनीय हो गया। बहुत से लोग अपंग हो गए। किसी का हाथ टूट गया तो किसी की टॉन्ग, कोई अँधा हो गया तो कोई बहरा। अनेक स्त्रियां विधवा हो गई। बच्चे अनाथ हो गए। भारत देश के गुजरात राज्य में सन 2001 का भूकंप ऐसा रहा कि जिससे हुई बर्बादी अभी तक किसी भी भूकम्प से हुई बर्बादी से अधिक है। आज भी जब उस भूकम्प की करुण कहानी सुनते है।तो ह्रदय कांप उठता है।

भूकंप क्यों आते हैं ? इस संबंध में भिन्न-भिन्न मत प्रचलित हैं। भूगर्भशास्त्रियों की राय है कि पृथ्वी के भीतर की तहों में सभी धातुएँ और पदार्थ आदि तरल रूप में बह रहे हैं। जब वे भीतर की गरमी के कारण अधिक तेजी से बहते और फैलते हैं तो धरती काँप उठती है। कभी-कभी ज्वालामुखी पर्वतों के फटने से भी भूकंप आ जाते हैं। एक अन्य मत यह भी प्रचलित है कि पृथ्वी के भीतर मिट्टी की तहों के बैठने (धसकने) से भी धरती हिल उठती है।

जापान आदि कुछ ऐसे देश है जहां भूकंप की संभावना अधिक रहती है यहां पर मकान पत्थर चुने तथा ईट के ना होकर लकड़ी तथा गत्ते के बनाए जाते हैं। ये साधन भूकम्प के प्रभाव को कम कर सकते हैं पर उसे रोक नहीं सकते है। भूकंप जब भी आता है जान और माल की हानि अवश्य होती है। टर्की में भी एक भीषण भूकंप आया था जिसके परिणाम स्वरूप हजारों मनुष्य दबकर मर गए थे भूकंप के हल्के झटके भी कम भयंकर नही होते उससे भवनों को क्षति पहुंचती है।

उपसंहार : आज का युग विज्ञान का युग कहलाता है। पर विज्ञान देवी प्रकोप के सामने विवश है। भूकम्प के मनुष्य कारण क्षण भर में ही प्रलय का दृश्य उपस्थित हो जाता है। ईश्वर की इच्छा के आगे सब विवश है। मनुष्य को कभी भी अपनी शक्ति और बुद्धि का घमंड नहीं करना चाहिए उसे हमेशा प्रकृति तथा ईश्वर की शक्ति के आगे नतमस्तक रहना चाहिए। ईश्वर की कृपा ही मानव जाति को ऐसे प्रकोप से बचा सकती है।

#4. [800-1000 Words Long essay] प्राकृतिक आपदा भूकंप पर निबंध

प्रस्तावना : मनुष्य अपने स्वार्थ सिद्धि और तरक्की के कारण पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंचा रहा है। पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। इसके कारण कई प्राकृतिक आपदाओं को इसने जन्म दिया है। भूकंप एक भयंकर प्राकृतिक आपदा है। यह एक भीषण संकट है। भूकंप जैसे ही आता है , यह जीव जंतु , मनुष्य सभी की जान ले लेता है। पेड़ पौधे नष्ट हो जाते है। बड़ी बड़ी इमारतें कुछ ही मिनटों में ताश के पत्तों की तरह ढह जाती है। भूमि पर दरार पड़ जाती है। अचानक धरती पर तीव्र गति से कम्पन होती है कि एक ही झटके में सब कुछ नष्ट हो जाता है। कई परिवार भूकंप की इस भयावह आपदा के शिकार हो जाते है। हर तरफ त्र्याही त्र्याही मच जाती है। भूकंप दो अक्षरों -भू + कम्प से बना है। भू मतलब धरती और कम्प का अर्थ है कम्पन। इस प्रकार भूमि यानी धरती पर अचानक आये कम्पन को भूकंप कहते है।

लोग बेघर हो जाते है और इस विनाशकारी आपदा की वजह से घायल हो जाते है। भूकंप के समक्ष मनुष्य की हालत दयनीय और असहाय हो जाती है। अपने चारो तरफ वह विनाश देखने को बेबस हो जाता है। भूकंप , बड़े उन्नत शहरों को खंडहरों में बदल कर रख देता है। मनुष्य ने हर क्षेत्र में प्रगति कर ली मगर भूकंप पर विजय पाने में असफल रहा है। ज़्यादातर भूंकम्प ज्वालामुखी विस्फोटो से आते है। जब ज्वालामुखी विस्फोट होता है , धरती में कम्पन पैदा हो जाता है। भूंकम्प आने पर चट्टानें टूट जाती है। जहाँ पर यह भूकंप आता है , वहां पर बसे गाँव और शहर नष्ट हो जाते है। जान माल की प्रचुर हानि होती है। कई बार दरारे इतनी गहरी पड़ती है कि लोग जिन्दा दफ़न हो जाते है। संचार और यातायात के सभी साधन भूकंप की वजह से नष्ट हो जाते है।

भूकंप पीड़ित जगहों पर कई वर्षो तक खुशहाली लौटती नहीं है। जीवन सामान्य होने में वक़्त लगता है। धरती को कृषि योग्य बनाने के लिए सैंकड़ो सालों से की गयी परिश्रम एक पल में नष्ट हो जाती है। भूकंप की वजह से सागर में भयानक लहरें उठती है जो वहां के क्षेत्रों में बसे लोगो पर कहर बरसाती है। भूकंप के समय समुद्र में तैर रही जहाजों का बचना नामुमकिन हो जाता है।

भारत में गुजरात के भुज में 7.7 तीव्रता से विनाशकारी भूकंप आया था। इस भूकंप में तीस हज़ार से ज़्यादा लोगो की जान चली गयी थी।

चार परतो से मिलकर धरती का निर्माण होता है। क्रस्टल , मेन्टल , इनर कोर , आउटर कोर इन चार परतो के नाम है। जब घरती के अंदर यह टेकटोनिक प्लेट हिलती है भूंकम्प आता है। धरती पर कभी कभार इतना अधिक दबाव पड़ता है कि पहाड़ खिसकने लगते है। टेकटोनिक प्लेट की तरह पहाड़ो , महासागरों की भी विभिन्न प्लेट होती है। भूकंप तब भी आ सकता , जब ऐसी प्लेट्स एक दूसरे के संग टकराती है।

भूकंप आने के कुछ कारण , मनुष्य का परमाणु परीक्षण , अनियमित प्रदूषण खदानों में विस्फोट , गहरे कुएं से तेल प्राप्त करना , जगह -जगह पर बाँध का निर्माण करवाना है । भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल में मापी जाती है। भूकंप को जिस उपकरण से मापा जाता है , उसे सिस्मोमीटर कहा जाता है। अगर दो से तीन तक की रिक्टर स्केल की भूकंप आती है ,तो यह भूकंप इतनी तीव्र नहीं होती है। अगर भूकंप की तीव्रता सात रिक्टर या उससे ज़्यादा होती है , तो भीषण विनाश ले आती है। ऐसे भूकंप में जान माल का बहुत नुकसान होता है।

जिस जगह में जनसंख्या का घनत्व अधिक होती है , वहां भूकंप से भयानक हानि होती है। शहरों में बड़ी इमारते होती है ,वो ढह जाती है जिसमे कई लोग दब कर मर जाते है। जब भूकंप आता है , तो नदियों और समुन्दरो में लहरें बढ़ जाती है। इससे बाढ़ का भय बढ़ जाता है।

अगर अतिरिक्त कम्पन होता है , धरती का बुरी तरीके से फटना शुरू हो जाता है। भूकंप आने पर चारो तरफ तनाव और भय का माहोल उतपन्न हो जाता है। मनुष्य को ऐसे घरो का निर्माण करना चाहिए ,जो भूकंप की चपेट को झेल सके। भूकंप रोधी घर होने चाहिए। जैसी ही लोगो को भूकंप के झटके महसूस होते है , उन्हें अपने मकान से निकलकर , खुले स्थान पर जाना चाहिए। अगर देर हो रही है , तो किसी सख्त फर्नीचर के नीचे छिप जाए । एक बात का ध्यान रखे , भूकंप के समय लिफ्ट का उपयोग बिलकुल ना करे। बिजली की मैन स्विच बंद कर दे। भूकंप की वजह से बड़े बड़े घरो और पाइपलाइनो में भयंकर आग लग सकती है। इससे और अधिक लोगो की जान जा सकती है। कई तरह के बिजली उपकरणों के कारण और अधिक भयंकर हादसा हो सकता है। इसलिए सावधानी बरतनी ज़रूरी है। समुद्र में जब भूकंप आता है ,तो वहां ऊँची लहरों का निर्माण होता है। यह सब विनाश भूकंप की ही देन है।

भूकंप आने से पूर्व मनुष्य को कोई चेतावनी नहीं मिलती है। लोगो को भूकंप के बारे में पहले से कुछ जानकारी नहीं मिलती है। कभी भूकंप की गति कम होती है , लोग इसे भूल जाते है। जब भूकंप अपने चरम सीमा पर होता है , तो गंभीर घाव दे जाता है। भूकंप अचानक दस्तक देती है और सब कुछ तहस नहस कर देती है।

यह सबसे घातक प्राकृतिक आपदा है। इससे लोगो की जिंदगी और संपत्ति सब लूट जाती है। भूकंप की उत्पत्ति जहां होती है , उसे भूकंप केंद्र कहा जाता है। भूकंप जैसे महाविनाश को रोकना असंभव है। मनुष्य को इसके प्रभाव को कैसे कम किया जाए , इस पर विचार करना चाहिए। मनुष्य भूकंप के कष्टों को कम ज़रूर कर सकता है। सामाजिक संस्थाएं ग्रसित जगहों में जाकर पीड़ित लोगो की मदद करती है। सरकार पीड़ित लोगो के पुनः स्थापना के लिए सरकारी अनुदान देती है। राहत कोष जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती है। मनुष्यो के औद्योगीकरण और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में तीव्र गति की उन्नति ने इन भयानक प्राकृतिक आपदाओं को जन्म दिया है। मनुष्य को इस पर नियंत्रण करना बहुत ज़रूरी है।

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1 thought on “भूकंप पर निबंध (प्राकृतिक आपदा)”

Well l think u could have posted 200-300 words limitation too. Coz there situation in which we don’t need much words and of course least words.So for that situation 200-300 words is perfect. I just wanted to make u know about it……..

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भूकंप पर निबंध – 10 lines (Earthquake Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

essay in hindi bhukamp

Earthquake Essay in Hindi – भूकंप सबसे भयानक प्राकृतिक आपदाओं में से एक है। इसके स्रोत का पता पृथ्वी के निर्माण के शुरुआती दिनों में लगाया जा सकता है। यह जीवन और संपत्ति के बड़े नुकसान के लिए जिम्मेदार है। इसलिए, यह मानव जाति के लिए एक बड़ी समस्या है। भूकंप शब्द ग्रीक शब्दों से बना है, ‘पृथ्वी’ का अर्थ है जमीन और ‘भूकंप’ का अर्थ है हिलना या कांपना। इसलिए, भूकंप पृथ्वी का हिलना या कांपना है।

भूकंप पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित टेक्टोनिक प्लेटों में गड़बड़ी के कारण होता है। भूकंप संक्षिप्त और हल्के या बड़े और विनाशकारी हो सकते हैं। हमारे ग्रह ने सदियों से कई गंभीर और हल्के भूकंपों का सामना किया है। भूकंप ज्यादातर संक्षिप्त होते हैं लेकिन सेकंड के भीतर बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बन सकते हैं। अतीत में भूकंपों के कारण दुनिया भर के लोगों को अत्यधिक नुकसान उठाना पड़ा है।

बच्चों के लिए भूकंप पर 10 लाइनें (10 Lines On Earthquake For Kids in Hindi)

  • भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है।
  • वे तब होते हैं जब कुछ तरकीबें पृथ्वी की सतह के नीचे चलती हैं, जिससे कंपन या भूकंपीय तरंगें पैदा होती हैं।
  • इससे हम अपने पैरों के नीचे से पूरी जमीन हिलती हुई महसूस कर सकते हैं। इससे इमारतें, पेड़ और अन्य ऊंची संरचनाएं टूट कर गिर सकती हैं।
  • भूकंप की तीव्रता या तीव्रता को उसका परिमाण कहते हैं और इसे रिक्टर स्केल पर 1 से 10 तक मापा जाता है।
  • भूकंप को सिस्मोग्राफ से मापा जा सकता है।
  • 6 या 7 परिमाण के भूकंप बहुत शक्तिशाली होते हैं और इससे बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हो सकता है।
  • जिस स्थान पर भूकंप की उत्पत्ति होती है, उसे उसका अधिकेंद्र कहा जाता है। यह स्थान आपदा के अधिकतम प्रभाव का सामना करता है।
  • भूकंप-प्रवण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को हमेशा खतरे का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए और आपदा प्रबंधन रणनीति बनानी चाहिए क्योंकि भूकंप की भविष्यवाणी करना मुश्किल है।
  • भूकंप के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका खुले मैदान में दौड़ना है।
  • यदि आस-पास कोई खुली जगह नहीं है, तो आप एक मजबूत और मजबूत टेबल के नीचे झुक सकते हैं।

भूकंप पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay on Earthquake in Hindi)

भूकंप दुनिया में कहीं भी आ सकते हैं, और हालांकि उनकी घटना का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है, कुछ चीजें हैं जो आप अपने आप को और अधिक तैयार करने के लिए कर सकते हैं यदि कोई हमला करता है। इसमें जाने के लिए एक भूकंप किट तैयार होना, यह जानना कि कैसे गिरना, ढकना और रुकना है, और अपने क्षेत्र में किसी भी संभावित जोखिम के बारे में सूचित रहना शामिल है। सुनिश्चित करें कि आपके पास भोजन, पानी और अन्य आपूर्तियों के साथ एक आपातकालीन किट है, और जानें कि भूकंप आने पर क्या करना चाहिए। यदि आप सुनिश्चित नहीं हैं कि क्या करना है, तो खिड़कियों और अन्य वस्तुओं से दूर रहना सबसे अच्छा है जो आप पर गिर सकते हैं और सुरक्षित स्थान पर जा सकते हैं।

भूकंप पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay on Earthquake in Hindi)

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जो अपने साथ कई खतरे लेकर आती है। पृथ्वी के हिलने और हिलने से इमारतें गिर सकती हैं, जिससे लोग अंदर फंस सकते हैं। इस तरह के अचानक परिवर्तन के कारण होने वाला कंपन आमतौर पर बहुत मामूली होता है, लेकिन बड़े भूकंप कभी-कभी भूमि के बहुत बड़े झटकों का कारण बनते हैं। हिलती हुई लहरें उस स्थान से फैलती हैं जहां पहली बार चट्टान टूटना शुरू होती है; इस स्थान को भूकंप का केंद्र या हाइपोसेंटर कहा जाता है।

अगर भूकंप शुरू होने पर आप अंदर हों, तो जमीन पर लेट जाएं और अपने सिर को ढक लें। भूकंप का परिमाण एक भूकंपीय घटना में जारी भूकंपीय ऊर्जा की मात्रा से संबंधित है।

विभिन्न प्रकार के भूकंप

भूकंप तीन प्रकार के होते हैं:

उथला | उथला भूकंप तब होता है जब भूकंप का फोकस पृथ्वी की सतह के करीब होता है। ये भूकंप आमतौर पर अन्य दो प्रकारों की तुलना में कम शक्तिशाली होते हैं, लेकिन फिर भी बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।

मध्यम | मध्यवर्ती भूकंपों का एक फोकस होता है जो सतह और पृथ्वी के आवरण के बीच स्थित होता है, और आमतौर पर उथले भूकंपों की तुलना में अधिक शक्तिशाली होता है।

दीप | गहरे भूकंपों का फोकस मेंटल में स्थित होता है, जो क्रस्ट के नीचे पृथ्वी की परत है। वे सबसे शक्तिशाली प्रकार के भूकंप हैं, और यहां तक ​​कि सतह पर नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।

भूकंप पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay on Earthquake in Hindi)

भूकंप और ज्वालामुखी दो प्राकृतिक आपदाएं हैं जो पृथ्वी की सतह में परिवर्तन के कारण होती हैं। इन प्राकृतिक आपदाओं को लाने में मनुष्य की बहुत कम या कोई भूमिका नहीं है। भूकंप और ज्वालामुखियों का परस्पर संबंध कहा जाता है। यह देखा गया है कि ज्वालामुखी क्षेत्र भूकंप के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं जो अक्सर आसन्न ज्वालामुखी के चेतावनी संकेत के रूप में काम करते हैं।

भूकंप मूल रूप से पृथ्वी का हिलना है। भूकंप या तो पृथ्वी की सतह के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण या ज्वालामुखियों में मैग्मा की गति के कारण आते हैं। ज्वालामुखीय विस्फोट मैग्मा आंदोलनों के कारण हो सकते हैं। भूकंप कमजोर होने के साथ-साथ हिंसक भी हो सकते हैं। जबकि कमजोर ज्वालामुखियों को शायद ही महसूस किया जाता है, हिंसक लोगों के परिणामस्वरूप बड़ी इमारतों की तबाही और जीवन की भारी हानि हो सकती है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई भूकंप आए हैं जिससे गंभीर विनाश हुआ है।

ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह से गर्म लावा का विस्फोट है। यह तब होता है जब पृथ्वी की पपड़ी फट जाती है। गर्म लावा, जहरीली गैसें और ज्वालामुखीय राख ज्वालामुखी विस्फोटों के माध्यम से निकलती हैं और विशाल विनाश का कारण बन सकती हैं। विभिन्न प्रकार के ज्वालामुखियों में सुपर ज्वालामुखी, उप-हिमनद ज्वालामुखी, पानी के नीचे के ज्वालामुखी और मिट्टी के ज्वालामुखी शामिल हैं।

ज्वालामुखीय भूकंप क्या है?

ज्वालामुखीय भूकंप जिसे ज्वालामुखी टेक्टोनिक भूकंप भी कहा जाता है, मैग्मा की गति के कारण होता है। यह आंदोलन दबाव डालता है और मैग्मा के चारों ओर चट्टान में परिवर्तन का कारण बनता है और यह अंततः ज्वालामुखीय भूकंप का कारण बनता है। इन भूकंपों को बड़े विनाश का कारण माना जाता है जिसमें जमीन की विकृति, इमारतों का उखड़ना और जमीन की दरारें शामिल हो सकती हैं।

भूकंप और ज्वालामुखी दोनों से मानव जाति को भारी नुकसान हो सकता है। जबकि वैज्ञानिक इन दोनों की भविष्यवाणी करने की पूरी कोशिश करते हैं, वे इन प्राकृतिक आपदाओं के समय और तारीख का निर्धारण करने में सफल नहीं हुए हैं। भूकंप और ज्वालामुखी प्रवण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहना चाहिए और इनका सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए और ऐसी समस्या होने पर शांति और समझदारी से काम लेना चाहिए।

भूकंप पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay on Earthquake in Hindi)

सीधे शब्दों में कहें तो भूकंप का अर्थ है पृथ्वी की सतह का हिलना। यह पृथ्वी की सतह का अचानक कांपना है। भूकंप निश्चित रूप से एक भयानक प्राकृतिक आपदा है। इसके अलावा, भूकंप जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। कुछ भूकंप प्रकृति में कमजोर होते हैं और संभवत: उन पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। इसके विपरीत, कुछ भूकंप बड़े और हिंसक होते हैं। प्रमुख भूकंप प्रकृति में लगभग हमेशा विनाशकारी होते हैं। सबसे उल्लेखनीय, भूकंप की घटना काफी अप्रत्याशित है। यही बात उन्हें इतना खतरनाक बनाती है।

भूकंप के प्रकार

टेक्टोनिक भूकंप : पृथ्वी की पपड़ी में असमान आकार की चट्टानों के स्लैब शामिल हैं। चट्टानों के ये स्लैब टेक्टोनिक प्लेट्स हैं। इसके अलावा, यहां ऊर्जा संग्रहित है। यह ऊर्जा टेक्टोनिक प्लेटों को एक दूसरे से दूर या एक दूसरे की ओर धकेलने का कारण बनती है। जैसे-जैसे समय बीतता है, ऊर्जा और गति दो प्लेटों के बीच दबाव बनाती है।

इसलिए, यह भारी दबाव फॉल्ट लाइन बनाने का कारण बनता है। साथ ही, इस गड़बड़ी का केंद्र बिंदु भूकंप का फोकस है। नतीजतन, ऊर्जा की तरंगें फोकस से सतह तक यात्रा करती हैं। इससे सतह का हिलना शुरू हो जाता है।

ज्वालामुखीय भूकंप : यह भूकंप ज्वालामुखी गतिविधि से संबंधित है। इन सबसे ऊपर, ऐसे भूकंपों की तीव्रता कमजोर होती है। ये भूकंप दो प्रकार के होते हैं। पहला प्रकार ज्वालामुखी-विवर्तनिक भूकंप है। यहां इंजेक्शन लगाने या मैग्मा निकालने से झटके आते हैं। इसके विपरीत दूसरा प्रकार दीर्घकालीन भूकंप है। यहाँ भूकंप पृथ्वी की परतों के बीच दबाव परिवर्तन के कारण होता है।

पतन भूकंप: ये भूकंप गुफाओं और खानों में होते हैं। इसके अलावा, ये भूकंप कमजोर परिमाण के हैं। खदानों के ढहने का कारण संभवत: भूमिगत विस्फोट हैं। इन सबसे ऊपर, खदानों के ढहने से भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं। नतीजतन, ये भूकंपीय तरंगें भूकंप का कारण बनती हैं।

विस्फोटक भूकंप: ये भूकंप लगभग हमेशा परमाणु हथियारों के परीक्षण के कारण आते हैं। जब कोई परमाणु हथियार फटता है तो बड़ा धमाका होता है। इसके परिणामस्वरूप भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। यह संभवतः भूकंप का परिणाम है।

भूकंप के प्रभाव

सबसे पहले, जमीन का हिलना भूकंप का सबसे उल्लेखनीय प्रभाव है। इसके अलावा, कंपन के साथ-साथ जमीन का फटना भी होता है। इससे आधारभूत सुविधाओं को भारी नुकसान होता है। भूकंप की गंभीरता भूकंप के परिमाण और अधिकेंद्र से दूरी पर निर्भर करती है। साथ ही, गंभीरता को निर्धारित करने में स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियां एक भूमिका निभाती हैं। भूभंग पृथ्वी की सतह के दृश्य विखंडन को संदर्भित करता है।

भूकंप का एक अन्य महत्वपूर्ण प्रभाव भूस्खलन है। ढलान की अस्थिरता के कारण भूस्खलन होता है। यह ढलान अस्थिरता भूकंप के कारण होती है।

भूकंप मिट्टी के द्रवीकरण का कारण बन सकता है। यह तब होता है जब जल-संतृप्त दानेदार सामग्री अपनी ताकत खो देती है। इसलिए, यह ठोस से तरल में बदल जाता है। नतीजतन, कठोर संरचनाएं तरलीकृत जमा में डूब जाती हैं।

भूकंप के परिणामस्वरूप आग लग सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भूकंप से बिजली और गैस की लाइनें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। सबसे बढ़कर, आग लगने के बाद उसे रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है।

भूकंप कुख्यात सुनामी भी पैदा कर सकते हैं। सुनामी लंबी तरंगदैर्घ्य वाली समुद्री लहरें हैं। ये समुद्री लहरें बड़ी मात्रा में पानी की अचानक या अचानक गति के कारण होती हैं। यह समुद्र में भूकंप के कारण है। इन सबसे ऊपर, सुनामी 600-800 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा कर सकती है। समुद्री तट से टकराने पर ये सूनामी भारी तबाही मचा सकती हैं।

अंत में, भूकंप पृथ्वी की एक महान और भयानक घटना है। यह प्रकृति के विरुद्ध मनुष्य की दुर्बलता को दर्शाता है। यह एक जबरदस्त घटना है जो निश्चित रूप से सभी को झकझोर कर रख देती है। इन सबसे ऊपर, भूकंप केवल कुछ सेकंड के लिए ही रहता है, लेकिन इससे अकल्पनीय क्षति हो सकती है।

भूकंप पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1 विस्फोटक भूकंप क्यों आता है.

A1 परमाणु हथियारों के परीक्षण के कारण एक विस्फोटक भूकंप आता है।

Q2 भूकंप के कारण भूस्खलन क्यों होते हैं?

A2 भूस्खलन ढलान की अस्थिरता के कारण होता है। सबसे उल्लेखनीय, यह ढलान अस्थिरता भूकंप के कारण होती है।

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भूंकप पर निबंध – Essay on Earthquake in Hindi

Essay on Earthquake

भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो कि जीव-जन्तु, जलवायु, पेड़-पौधे, वनस्पति, पर्यावरण समेत समस्त मानव जीवन के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं है। भूकंप, जब भी आता है, धरती पर इतनी तेज कंपन होता है कि पल-भर में ही सब-कुछ तहस-नहस हो जाता है और तमाम मानव जिंदगियों एक झटके में बर्बाद हो जाती हैं।

अक्सर स्कूल के बच्चों को भूंकप पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, इसी दिशा में हम अपने इस पोस्ट में आपको भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसमें भूकंप से संबंधित सभी मुख्य तथ्य शामिल किए गए हैं, इस निबंध को आप अपनी जरुरत के मुताबिक इस्तेमाल कर सकते हैं –

Essay on Earthquake in Hindi

भूकंप, जैसी अत्यंत विध्वंशकारी और भयावह आपदा जब भी आती है, धरती पर इतनी तेज कंपन हो उठता है कि पल भर में ही सब-कुछ नष्ट हो जाता है। भूकंप आने पर न सिर्फ सैकड़ों जिंदगियों का पल भर में विनाश हो जाता है, बल्कि करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति भी एक ही झटके में मलबे का ढेर बन जाती है।

तेज भूकंप आने पर न जाने कितनी इमारतें ढह जाती हैं, नदियों, जलाशयों में उफान आ जाता हैं, धरती फट जाती है और सुनामी का खतरा बढ़ जाता है, भूकंप को तत्काल प्रभाव से नहीं रोका जा सकता है।

भूकंप क्या है – What is the Earthquake

भूकंप शब्द – दो अक्षरों से मिलकर बना है- भू+कंप अर्थात, भू का अर्थ है भूमि, और कंप का मतलब कंपन से है तो इस तरह भूमि पर कंपन को ही भूकंप कहते हैं।

वहीं अगर भूकंप को परिभाषित किया जाए तो – भूकंप एक अत्यंत विध्वंशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से है, जिसमें अचानक से धरती सतह पर तेजी से कंपन होना लगता है, अर्थात धरती बुरी तरह हिलने-डुलने लगती है।

वहीं जब भूकंप की तीव्रता की गति अत्यंत तेज होती है, तो यह उस भयावह स्थिति को उत्पन्न करता है, जिसमें धरती फटने लगती हैं, नदियों, जलाशयों में तेजी से उफान आता है, जिससे भूस्खलन और सुनामी जैसे संकट का खतरा पैदा हो जाता है, और इससे बड़े स्तर पर जान-माल की हानि होती है, और इसके तत्काल प्रभाव पर काबू नहीं पाया जा सकता है।

भूकंप आने के कारण – Causes of Earthquake

प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों कारणों से भूकंप आ सकता है-

भूकंप आने के प्राकृतिक कारण – Natural Causes of Earthquake

क्रस्टल, मेनटल, इनर कोर और आउट कोर इन चार परतों से मिलकर धरती बनी हैं, इन परतों को टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है, वहीं जब ये प्लेट्स अपने स्थान से खिसकती हैं अर्थात हिलती-डुलती हैं तो भूकंप की स्थिति पैदा हो जाती है। इसके साथ ही जब धरती की निचली सतह में तरंगें उत्पन्न होती हैं, तो भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा जन्म लेती हैं

धरती का तापमान बढ़ने से ज्वालामुखी फटते हैं, जिसके कारण भूकंप जैसी विनाशकारी आपदा आती है।

धरती के अंदर की चट्टानों के खिसकने की वजह से भी भूकंप आते हैं, इसलिए धऱती पर दवाब होने की वजह से पहाड़ वाले स्थान पर भूकंप ज्यादा आते हैं।

भूकंप पर वैज्ञानिकों की आधुनिक शोध के तहत प्लेट टेक्टोनिस्क भी भूकंप का कारण हैं, इसके तहत जब पहाड़ों, महासागरों, मरुभूमियों और महाद्धीपों की अलग-अलग प्लेटें होती हैं, जो कि लगातार खिसकती रहती हैं, वहीं ऐसी प्लेटों के आपस में टकराने से या फिर अलग होने पर भी भूंकप आता है।

भूकंप आने के मानव निर्मित कारण – Man-made Causes of Earthquake

  • परमाणु परीक्षण।
  • नाभिकीय और खदानों के विस्फोट।
  • गहरे कुओं से तेल निकालना या फिर किसी तरह का अपशिष्ट या तरल पदार्थ भरना।
  • विशाल बांध का निर्माण।

रिक्टर स्केल से मापी जाती है भूकंप की तीव्रता:

रिक्टर स्केल से भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। आपको बता दें कि सिसमोमीटर द्धारा रिएक्टर स्केल में मापी गई भूकंप की तीव्रता 2-3 रिएक्टर में आती है, तो इसे सामान्य माना जाता है ,यानि कि इसके तहत हल्के झटकों का एहसास होता है।

इसमें ज्यादा नुकसान नहीं होता है, वहीं जब यह तीव्रता 7 से ज्यादा होती है, तो इस तीव्रता वाले भूकंप, बेहद खतरनाक और विनाशकारी होते हैं और सब-कुछ तहस नहस कर देते हैं।

भूकंप से नुकसान – Effects of Earthquake

  • भूकंप से कई जिंदगियां तबाह हो जाती हैं।
  • भीड़-भाड़ वाले इलाके में भूकंप से काफी नुकसान होता है, कई बड़ी इमारते पल भर में ढह जाती हैं, वहीं मलबों के नीचे भी कई लोग दब कर मर जाते हैं।
  • भूकंप से नदियों, जलाशयों के जल में उफान आ जाता है, जिससे सुनामी और बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
  • अत्याधिक तेज कंपन से धरती फंटना शुरु हो जाती है, अर्थात भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

भूकंप आने पर अपनी सुरक्षा कैसे करें:

  • भूकंप जैसी भयावह आपदा पर काबू पाना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन भूकंप आने पर घबराने की बजाय अगर समझदारी के साथ नीचे लिखी कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो आप अपना बचाव कर सकते हैं –
  • ऐसे मकानों का निर्माण करवाना चाहिए जो कि भूकंप रोधी हों।
  • भूकंप के झटकों का एहसास होते ही, तुरंत घर से निकलकर खुले स्थानों पर जाएं, वहीं अगर घर से बाहर निकलने में टाइम लगे तो कमरे के कोने में या फिर किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे जाकर छिप जाएं।
  • भूकंप के दौरान लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें।
  • घर में उपलब्ध बिजली के सारे उपकरण को बंद कर दें, और बिजली का मेन स्विच बंद कर दें।
  • कार चलाते वक्त तुरंत कार से बाहर निकलें।

भूकंप से बचने के उपाय:

भूकंप जैसी भयावह आपदा के प्रभाव को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है, भूकंप से बचना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन अगर पहले से ही कुछ भूकंप मापने वाले यंत्र लगा दिए जाएं तो, पहले से ही भूकंप आने की जानकारी मिल सकेगी, जिससे लोगों को पहले से ही आगाह किया जा सकेगा।

अब तक आए सबसे बड़े भूकंप:

  • वाल्डिविया, चिली में 22 मई, 1960 को 9.5 की तीव्रता वाला भयंकर भूकंप आया था, जिसमें चिली समेत न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस ने भारी तबाही मचाई थी और लाखों जिंदगियां इस भूंकप से बर्बाद हो गईं थी।
  • दक्षिण भारत में 9.2 की तीव्रता वाला भूकंप 26 दिसंबर, साल 2004 में आया था, जिसमें कई हजार लोगों की जान चली गई थी।
  • गुजरात के भुज में 26 जनवरी, 2001 में 7.7 की तीव्रता वाला विध्वंशकारी भूकंप आया था, जिसमें करीब 30 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी, और करोड़ों-अरबों रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
  • हैती में 12 जनवरी, 2010 में 7 रिएक्टर की तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसमें करीब 1 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे।

भूकंप, जैसी भयावह और विध्वंशकारी आपदा को रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर इसका पूर्वानुमान लगाकर, इससे प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है।

  • Water is Life Essay
  • Essay on Water Pollution
  • Essay on Science
  • Essay on Disaster Management

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11 बड़े भूकंप कब आए और कहाँ आए?

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भूकंप पर निबंध – Essay on earthquake in Hindi

हेलो दोस्तों, में आज आपके लिए लेकर आया हूँ भूकंप पर निबंध(Short and long essay on earthquake in Hindi). मनुष्य पृथ्वी पर कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है. इनमें से भूकंप सबसे घातक है. घातक इसलिए क्योंकि भूकंप ने कई लोगों की जान ले ली है. भूकंप के दौरान मनुष्य अपना सब कुछ खो देता है. आज आप इस लेख में भूकंप का कारण, भूकंप से नुकसान और भी बहुत कुछ भूकंप के बारे में जानेंगे. तो चलिए हमारे मुख्य लेख के ओर बढ़ते हैं जो है भूकंप पर निबंध (Essay on earthquake in Hindi) .    

भूकंप पर निबंध – Short essay on earthquake in Hindi

प्रस्तावना     .

तूफान और बाढ़ जैसे भूकंप भी एक प्राकृतिक आपदा है. तूफान और बाढ़ से भूकंप ज्यादा खतरनाक होता है. उपग्रह या रडार द्वारा यह पहले से ही ज्ञात हो जाता है कि तूफान होने वाला है. लेकिन उपग्रहों और रडार द्वारा भूकंप होगा या नहीं पता नहीं चल पाता है. इसलिए भूकंप अचानक आता है. लेकिन क्योंकि लोग भूकंप के बारे में कुछ नहीं जान पाते हैं, इसलिए सुरक्षित क्षेत्र में नहीं जा पाते हैं.

भूकंप का कारण    

पृथ्वी की सतह को कठिन मूर्तिकला और कठोर चट्टान की आवरण के साथ आवृत होकर रहा है. लेप का ऊपरी हिस्सा ठंडा होता है. लेकिन धरती के अंदर हमेशा आग लगी रहती है. परिणाम बहुत अधिक गैस या भाप सृष्टि हो रहा है और बहुत सी धातु पिघल रही है. यह सब जगह की कमी को देखते हुए, वे पृथ्वी पर आने के इरादे से पृथ्वी को अंदर से धकेल रहे हैं, नतीजतन भूकंप सृष्टि हो रहा है.

bhukamp par nibandh

भूकंप का भयानक रूप

भूकंप घरों को नष्ट कर देता है. जल स्तर बढ़ जाता है. उदाहरण के लिए, 6 जनवरी, 2001 की सुबह में, गुजरात के कुछ हिस्सों में भूकंप आया था. जिसमें 20,000 से अधिक लोग मारे गए थे और 40,000 से अधिक लोग घायल हुए थे. इस भूकंप ने बहुत सारे जिंदगियों को तबाह कर दिया था.

सरकार और विभिन्न स्वैच्छिक संगठन लोगों को बचाने के लिए काम करते हैं. सेना भी बचाव अभियान में शामिल होते हैं. राहत सहायता भूकंप से न प्रभावित क्षेत्र से आती है. भारत सरकार ने भूकंप प्रभावित क्षेत्रों को सहायता के लिए करोड़ों रुपये प्रदान किए हैं.

दुनिया के किस हिस्से में भूकंप की संभावना है, यह जानने का एक तरीका है; लेकिन कब और कहां भूकंप आएगा यह पता नहीं चल पाता है. तो उस उस क्षेत्र में छोटे और मध्यम आकार के भूकंप से लोगों को बचाने के तरीकों के बारे में सोचना होगा. ऊंची इमारतों की नींव मजबूत रखने की जरूरत है और उस क्षेत्र में जापानी प्रणाली में घर बनाना बेहतर है. जिससे भूकंप से मरने वालों की संख्या में कमी आएगी.

दूसरी ओर, भूकंप मनुष्य पर भगवान का सबसे बड़ा प्रकोप लगता है. क्योंकि इसको रोकने के लिए कोई पूर्व उपाय नहीं है. इसलिए भूकंप से बचने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करना ही एकमात्र रास्ता है.

सृष्टि की शुरुआत से ही पृथ्वी पर होने वाली अधिकांश प्राकृतिक आपदाएँ अचानक और अप्रत्याशित. प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, तूफान, आदि से पहले इन सब के संबंध में कुछ पूर्वानुमान लगाना संभव है. लेकिन भूकंप के मामले में, यह संभव नहीं है. इसलिए भूकंप सभी प्राकृतिक आपदाओं में सबसे अचानक और अप्रत्याशित हैं. बेशक, पृथ्वी की सतह के कुछ क्षेत्रों में अक्सर भूकंप आते हैं. इसलिए उस इलाके के लोग भूकंप के डर से हमेशा सतर्क रहते हैं. हालांकि, ज्यादातर जगहों पर, बिना किसी पूर्वानुमान के, बहुत अचानक और अप्रत्याशित भूकंप आता है. और परिणामस्वरूप, कई लोगों की जान चली जाती है.

भूकंप का कारण

आज से लाखों साल पहले पृथ्वी का निर्माण हुआ था. प्रारंभ में यह एक जलता हुआ और गर्म निर्जन ग्रह था. हालाँकि इसकी सतह समय के साथ ठंडी और सख्त हो गई है, फिर भी इसका आंतरिक भाग तरल और अर्ध-तरल है. सतह से पृथ्वी की सतह तक तापमान धीरे-धीरे बढ़ता है. इसलिए, तापमान पृथ्वी की सतह के विभिन्न स्तरों पर भिन्न होता है. कभी-कभी तापमान में एक विशेष अंतर पृथ्वी की सतह के एक निश्चित स्तर पर होता है, जो बदले में पृथ्वी की सतह में गड़बड़ी का कारण बनता है. गड़बड़ी जितनी तीव्र होगी, उसका सतह पर उतना ही अधिक प्रभाव पड़ेगा और सतह कांप उठेगी. सतह का यह कंपन होता है भूकंप. इसके अलावा, सतह का संतुलन बदलना, पृथ्वी की सतह पर दरारें बनने के बाद और भू अभ्यंतर से गैस निकलने के बाद भूकंप आते हैं. कुछ मामलों में, भूकंप मानव गतिविधि के कारण भी होते हैं.

भूकंप से नुकसान

भूकंप के परिणामस्वरूप, जमीन पर गरज होने के साथ कंपन होने लगता है. सतह के ऐसे अशांत अवस्था के परिणामस्वरूप, घर, पेड़ और बिजली का खंभा आदि सभी नष्ट हो जाते हैं. एक पल में, सुंदर पृथ्वी एक खंडहर बन जाती है. भूकंप के कारण कई इंसान और जानवर मर जाते हैं. विनाशकारी भूकंप से बचे लोगों का पुनरुत्थान करना एक बड़ी समस्या के रूप में प्रकट होता है. सार्वजनिक आवास के अलावा, कई कार्यशालाएं, सरकारी भवन, शैक्षणिक संस्थान, मंदिर, चर्च, मस्जिद आदि भी भूकंप से विशेष रूप से प्रभावित होते हैं. इसके अलावा, सड़कें, रेलमार्ग, पोल, बांध, आदि बिखर जाते हैं और नष्ट हो जाते हैं. नतीजतन, परिवहन, संचार, बिजली और पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बाधित होता है. बड़े भूकंप के कारण समुद्र के तटीय क्षेत्र में भी कुछ बदलाव होता है. कुछ तटीय क्षेत्र भी जलमग्न हो जाते हैं, या समुद्र का पानी सूखी भूमि बन जाता है.

दुनिया के भूकंप-प्रभावित क्षेत्र

भूकंप पृथ्वी की सतह के अपेक्षाकृत कमजोर क्षेत्रों में होते हैं. इस तथ्य के कारण है कि भूमिगत गड़बड़ी कमजोर क्षेत्र को जल्दी से प्रभावित कर सकती है. प्रशांत महासागर के व्यापक तटीय क्षेत्र, उत्तर और दक्षिण अमेरिकी महाद्वीपों के उत्तर-पश्चिमी हिस्से और दक्षिणी यूरोप में अक्सर भूकंप आते हैं. भारत के हिमालय की तलहटी के तल पर और दक्षिण भारतीय  के कुछ हिस्सों को भूकंप संभावित क्षेत्रों के रूप में जाना जाता है.

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भूकंप

सृष्टि की शुरुआत से कई बार भूकंप आए हैं जिसके वजह से जीवित दुनिया जबरदस्त रूप से पीड़ित हुआ है. अब भी हर दो साल के अंतराल पर विभिन्न स्थानों पर भूकंप आते हैं. 1988 से 2001 के बीच दुनिया में छह भूकंप आए हैं. 1950 और 1975 के बीच चार भूकंप आए हैं. भूकंप कहां आएगा, कब आएगा, कोई भी निश्चित रूप से बोल नहीं सकता. चूंकि यह एक प्राकृतिक आपदा है, यह पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर करता है. मनुष्य के लिए इसे नियंत्रित करना असंभव है.

1908 में इटली में आए भयावह भूकंप में एक लाख बीस हजार लोग मारे गए थे. पेरू में 1960 में आए भूकंप में कम से कम 60,000 लोग मारे गए थे. चीन में 1958 में आए भूकंप ने भी हजारों लोगों की जान ले ली थी. 1934 में बिहार में आए भूकंप में 10,000 से अधिक लोग, 1993 में लातूर में आए भूकंप में 9,000 से अधिक लोग, 2001 में गुजरात में आए भूकंप में 20,000 लोग और 2005 में पाकिस्तान के कब्जे वाले भारत में 40,000 लोग मारे गए थे.

भूकंप की तीव्रता

बाढ़ के दौरान बाढ़ के पानी के बहाव के परिणाम, के साथ-साथ तूफानों के दौरान बहने वाली हवा की गति कम होती है, इसी तरह भूकंप की तीव्रता भिन्न भिन्न प्रकार की होती है. भूकंप की तीव्रता मापक यंत्र को रिक्टर स्केल कहा जाता है. कंपन की तीव्रता के अनुसार, रिक्टर स्केल बढ़ना शुरू हो जाता है. भूकंप की तीव्रता की  मात्रा जितनी अधिक होती है, क्षति की भयावहता भी उतनी ही अधिक होती है. इस पैमाने का नाम कैलिफोर्निया के एक प्रमुख वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर के नाम पर रखा गया है. भूकंप की आशंका वाले क्षेत्रों में इस पैमाने का उपयोग करके भूकंप की तीव्रता निर्धारित की जाती है.

सहायता और बचाव कार्य 

भूकंप प्रभावित क्षेत्र में कई लोग मारे जाते हैं. यदि मृतकों की लाशों का समय पर दाह संस्कार किया नहीं जाता है, तो वे सड़ जाएंगे और पर्यावरण प्रदूषित हो जाएगा. और बाकी बचे लोगों के बीमार होने का खतरा रहता है. इसी तरह, घायलों को तत्काल उपचार के परिणामस्वरूप, वे ठीक हो जाते हैं. कुछ लोगों को बड़ी मुश्किल से बचाया जाता है. इसलिए इन सभी क्षेत्रों में सेवा और बचाव कार्य आवश्यक है. घायलों और बचे लोगों को उनके जीवन आवश्यक भोजन, पानी, दवाई आदि उपलब्ध कराया जाता है. भूकंप प्रभावित क्षेत्र में, कई घर पूरी तरह या आंशिक रूप से ध्वस्त हो जाते हैं. इसलिए घरों का पुनर्निर्माण और प्रभावित लोगों को स्थानांतरित करना बहुत महत्वपूर्ण है. सरकारी अधिकारी और कई स्वयंसेवक और संगठन इस काम में शामिल होते हैं. भूकंप से प्रभावित क्षेत्र को आर्थिक सहायता भी दिया जाता है.

कैसे सावधान रहें

भूकंप की भविष्यवाणी करना मुश्किल है. फिर भी पृथ्वी पर सबसे अधिक भूकंप वाले क्षेत्रों के लोगों और संबंधित देशों की सरकारों को इस संबंध में अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है. पहले से ही सूखे खाद्य पदार्थ जैसे चूड़ा, चीनी, ब्रेड, बिस्कुट उपलब्ध होने चाहिए. आवास लकड़ी, बांस, पुआल, से बना होना चाहिए. भूकंप होने से हताहतों की संख्या होगा  और मौतों की संख्या भी कम होगा.

भूकंप को बर्दाश्त करना अत्यधिक दुर्भाग्य की पहचान है. वैज्ञानिकों ने आधुनिक तकनीक का उपयोग करके भूकंप की भविष्यवाणियों की गणना करने के लिए काम कर रहे हैं. भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है. इंसानों के लिए इससे पूरी तरह बच निकलना आसान नहीं है.

आपके लिए :-

  • आतंकवाद पर निबंध
  • वायु प्रदूषण पर निबंध
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ये था हमारा लेख भूकंप पर निबंध (short and long earthquake essay in Hindi). उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा. अगर पसंद आया है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें. मिलते है अगले लेख में. धन्यवाद.

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  • भूकंप क्या है ? भूकंप के कारण, प्रकार, स्केल, भारत में भूकंप के जोन

भूकंप क्या है ? (Bhukamp In Hindi Types Zone Scale) भूकंप के कारण, प्रकार, भूकंप मापने की स्केल, भूकंप का वितरण और प्रमुख पेटी, भूकंप का प्रभाव, भारत में भूकंप के जोन, आदि पूरी जानकारी यहां पर दी गई हैं, पूरा जरूर पढ़ें |

धरती में विभिन्न कारणों से उत्पन्न कंपन को भूकंप कहां जाता है | पृथ्वी के आंतरिक भाग से ऊष्मा का अचानक मुक्त होने पर भूकंप आते हैं |सतह का वह बिंदु जहां से भूकंपीय तरंगे सर्वप्रथम पहुंचती हैं, उसे भूकंप का अधिकेंद्र या Epicenter कहते हैं |

जबकि भूकंप के उद्गम केंद्र को अपकेंद्र ( Focus ) कहां जाता हैं, जहां से भूकंप के दौरान ऊर्जा निकलती हैं और भूकंपीय तरंगों का निर्माण होता है | अवकेंद्र के ठीक ऊपर अधिकेंद्र होता है |

भूकंप भूगोल का महत्वपूर्ण टॉपिक है और इस आर्टिकल में आपको पूरी जानकारी मिल जाएगी, इसे पूरा अच्छे से जरूर पढ़ें |

Bhukamp In Hindi

महत्वपूर्ण बिंदु -

भूकंप के कारण | Bhukamp In Hindi

प्लेट विवर्तनिक गतिविधि (plate tectonic).

  • पृथ्वी पर स्थित विभिन्न प्लेटों की गति के कारण भूकंप आते हैं |
  • अभीसारी प्लेट किनारों पर उच्च तीव्रता के तथा अपसारी प्लेट किनारों पर मध्यम तीव्रता के भूकंप तथा संरक्षित प्लेट किनारों पर निम्न तीव्रता के भूकंप आते हैं |
  • पृथ्वी पर सर्वाधिक इसी प्रकार के भूकंप आते हैं | हिमालय पर्वत क्षेत्र में ऐसे भूकंप आते हैं |

ज्वालामुखी क्रियाएं (Volcanic Earthquake)

  • ज्वालामुखी के विस्फोट होने पर भी क्षेत्र में भूकंप आते हैं |
  • ज्वालामुखी विस्फोट के कारण भूमि में कंपन होता है और इस कारण से उसी क्षेत्र में लगातार भूकंप की गतिविधियां भी होती हैं |
  • ज्वालामुखी विस्फोट की तीव्रता जितनी अधिक होती हैं, भूकंप की तीव्रता उतनी ही अधिक होगी |
  • इस तरह के भूकंप जापान सहित हवाई द्वीप प्रशांत महासागर के रिंग ऑफ फायर क्षेत्र में आते हैं |

भ्रंश निर्माण

  • भ्रंश निर्माण की क्रिया के दौरान पृथ्वी के आंतरिक भाग से अचानक संग्रहित ऊर्जा निकलती हैं और इस कारण से भूकंप आते हैं |

समास्थितिक समायोजन (Isostatic Adjustment)

पृथ्वी अपने उच्च और नीच स्थानों के बीच संतुलन बनाकर रखती हैं और जब भी यह संतुलन बिगड़ता है तो पृथ्वी रचनात्मक गतिविधियों द्वारा से पुनः स्थापित करने का प्रयास करती हैं और उस दौरान भूकंप आते हैं |

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भूकंप का मापन

रिएक्टर स्केल.

  • रिएक्टर स्केल परिणाम मापने की स्केल हैं, जिसके अंतर्गत भूकंप के दौरान मुक्त होने वाली ऊर्जा को देखा जाता है |
  • रिएक्टर स्केल में 0 से 9 तक इकाई होती हैं |
  • रिएक्टर स्केल में भूकंप की तीव्रता का 1 इकाई बढ़ने पर उसकी ऊर्जा 10 गुना बढ़ जाती हैं |

मर्केल्ली स्केल

  • मर्केल्ली स्केल के अंतर्गत भूकंप की तीव्रता को देखा जाता है और इसमें भूकंप द्वारा हुए विनाश / आघात के आधार पर भूकंप को तय किया जाता है |
  • इसमें 1 से 12 तक की इकाइयां रोमन आंकड़ों में होती हैं |
  • यह एक गुणात्मक स्केल हैं |

भूकंप के प्रभाव

  • भूकंप विज्ञान से पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी मिलती है |
  • कई बार भूकंप के कारण जलमग्न क्षेत्र ऊपर उठ जाता है और द्वीप का निर्माण होता है |
  • इसके विपरीत कई बार भूकंप से तटवर्ती क्षेत्र धस जाते हैं, जिससे गहरे बंदरगाह प्राप्त होते हैं |
  • भूकंप से लाखों जान माल की हानि होती हैं | नवीनतम उदाहरण 2023 में तुर्की में आया भूकंप हैं |
  • भूकंप से अन्य आपदाओं की संभावनाएं बढ़ जाती हैं; जैसे – ज्वालामुखी, सुनामी, भूस्खलन, हिमस्खलन , आदि |
  • भूकंप के कारण कई बड़े बांध टूट जाते हैं जिससे बाढ़ की समस्या होती हैं |
  • भूकंप के कारण कई अवसंरचनाए नष्ट (infrastructure damage) हो जाती हैं |
  • आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आधार पर भी नकारात्मक प्रभाव होता है |

भूकंप का वितरण

भूकंप का वितरण प्लेट विवर्तनिक के आधार पर दर्शाया जाता है | विश्व में मुख्य रूप से भूकंप की निम्नलिखित भूकंप की पेटी (belts of earthquake) हैं –

परि प्रशांत महासागरीय पेटी

  • यह भूकंप की प्रमुख पेटी है जहां पर विश्व के दो तिहाई भूकंप इसी क्षेत्र में आते हैं |
  • यह पेटी अभीसारी प्लेट किनारों पर स्थित हैं अतः यहां उच्च तीव्रता के भूकंप आते हैं |
  • इस क्षेत्र में विवर्तनिक ज्वालामुखी और समस्थिक भूकंप आते हैं |
  • इस पेटी क्षेत्र में उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, जापान, फिलीपींस, आदि सम्मिलित हैं |
  • प्रशांत महासागर के चारों ओर के अति संवेदनशील भूकंप क्षेत्र को “ Rings Of Fire ” भी कहा जाता है |

मध्य महाद्वीपीय पेटी

  • इस पेटी क्षेत्र में विश्व के लगभग 21% भूकंप आते हैं |
  • यह पेटी अभीसारी प्लेट किनारों पर स्थित हैं अतः यहां भी बहुत उच्च तीव्रता के भूकंप आते हैं |
  • इस क्षेत्र में इंडोनेशिया, म्यानमार, भारत, पाकिस्तान, अरब प्रायद्वीप, दक्षिणी यूरोप और उत्तरी अफ्रीका सम्मिलित हैं |

मध्य महासागरीय पेटी

  • यह पेटी महासागरीय क्षेत्र में अपसारी प्लेट किनारों पर स्थित हैं |
  • इस क्षेत्र में मध्यम से निम्न तीव्रता के भूकंप आते हैं |
  • यह भूकंप महासागरीय कटक वाले क्षेत्र में आते हैं; जैसे – मध्य अटलांटिक कटक

भारत में भूकंप

भारत में मुख्य रूप से हिमालय क्षेत्र भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित रहता है क्योंकि यहां पर इंडो ऑस्ट्रेलियन प्लेट तथा यूरेशियन प्लेट मिलती हैं | इन्हीं दोनों प्लेटों के मिलने से हिमालय का निर्माण भी हुआ है | अभी भी इंडो ऑस्ट्रेलियन प्लेट प्रतिवर्ष 1cm की दर से यूरेशियन प्लेट की ओर बढ़ रही हैं |

दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत पुराना और प्रौढ़ भूभाग हैं, जिसे स्थिर माना जाता है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कृष्णा भीमा नदी क्षेत्र में भ्रंश के कारण भूकंप की घटनाएं हुई हैं |

भारत में भूकंप का मापन मेदवेदेव स्पूनर कार्निक स्केल के द्वारा किया जाता है, इसे संक्षिप्त में MSK स्केल भी कहते हैं | इसे 1964 में लाया गया था, इसलिए इसे MSK-64 भी कहा जाता है |

यह स्केल मर्केल्ली स्केल पर आधारित हैं और इसमें आघात की तीव्रता देखी जाती है | इसमें 1 से 12 तक की इकाइयां रोमन में लिखी हैं और भारत के भूकंप के क्षेत्र इसी स्केल के आधार पर दर्शाए जाते हैं |

पूरे भारत को भूकंप की तीव्रता के आधार पर 4 जोन में बांटा गया है | भारतीय मानक ब्यूरो ने जोन-1 को जोन-2 में मिला दिया है अतः भारत में अब केवल 4 भूकंप क्षेत्र हैं –

  • इस क्षेत्र में MSK-9 या उससे अधिक तीव्रता के भूकंप आते हैं |
  • यह भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र हैं क्योंकि यहां पर यूरेशियन और indo-australian प्लेट मिलती हैं |
  • इस क्षेत्र में अंडमान निकोबार, उत्तर पूर्वी राज्य, उत्तरी बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, लद्दाख तथा गुजरात का कच्छ प्रायद्वीप शामिल है |
  • इस क्षेत्र में MSK-8 तक के भूकंप आते हैं और यह जोन-5 के निकट स्थित हैं | अतः यहां भी उच्च तीव्रता के भूकंप देखे जाते हैं |
  • इस क्षेत्र में लद्दाख, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, सिक्किम तथा महाराष्ट्र सम्मिलित हैं |
  • इस क्षेत्र में MSK-7 तीव्रता के भूकंप ( मध्यम तीव्रता ) आते हैं |
  • इस क्षेत्र में उत्तरी मैदानी प्रदेश तथा प्रायद्वीपीय भारत के सभी राज्य सम्मिलित हैं |
  • इस क्षेत्र में MSK-6 या उससे कम तीव्रता के भूकंप आते हैं |
  • भारत का बहुत बड़ा भाग इसी जोन में आता है |
  • इस जोन में उत्तर पश्चिमी भारत तथा प्रायद्वीपीय भारत का अधिकतम हिस्सा सम्मिलित हैं |

earthquake zone in india map

भूकंप से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न [FAQs]

भूकंप की परिभाषा क्या है ?

विभिन्न कारण से पृथ्वी की प्लेटों में हलचल के कारण उत्पन्न कंपन को भूकंप कहां जाता है | पृथ्वी के आंतरिक भाग से ऊष्मा का अचानक मुक्त होने पर भूकंप आते हैं |

भूकंप की तीव्रता किसमें मापी जाती हैं ?

भूकंप की तीव्रता सिस्मोग्राफ यंत्र द्वारा मापी जाती हैं और भूकंप को मापने वाली स्केल का नाम रिएक्टर स्केल हैं |

समभूकंपीय रेखा किसे कहते हैं ?

वह काल्पनिक रेखा जो सामान्य तीव्रता वाले भूकम्पीय क्षेत्र को जोड़ती हैं, उसे समभूकंपीय रेखा कहां जाता है |

होमोसिस्मल लाइन क्या है ?

होमोसिस्मल लाइन वह काल्पनिक रेखा है, जो उन स्थानों को जोड़ती है जहां पर एक समय (समान समय) पर भूकंप आते हैं |

अवकेंद्र किसे कहा जाता है ?

भूकंप के उद्गम केंद्र जहां से भूकंप की ऊर्जा निकलती है और तरंगों का निर्माण होता है उसे भूकंप का उद्गम केंद्र या अवकेंद्र (Focus) कहा जाता है |

भूकंप का अधिकेंद्र किसे कहते हैं ?

भूकंप का अधिकेंद्र (Epicenter) पृथ्वी की सतह पर वह बिंदु होता है, जहां भूकंपीय तरंगे सर्वप्रथम पहुंचती हैं | यह अवकेंद्र के ठीक ऊपर होता है और यहां पर सर्वाधिक विनाश भी होता है |

भारत में भूकंप के कितने जोन हैं

भारत में भूकंप के चार प्रमुख जोन हैं | उनका वर्गीकरण जोन 2 से जोन 5 तक है |

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Naresh Kumar

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1- भूकम्प Bhukamp in Hindi

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भूकंप पर निबंध (Earthquake Essay In Hindi)

भूकंप पर निबंध (Earthquake Essay In Hindi Language)

हमारी इस धरती पर कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, जिनके माध्यम से सामान्य जनजीवन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। किसी भी प्राकृतिक आपदा से कई प्रकार की हानियां होती हैं, जिनमें मुख्य रूप से भूकंप शामिल है। जो कहीं ना कहीं हमारे अंदर डर और घबराहट के भाव उत्पन्न करता है।

जब कभी खतरनाक भूकंप आता है, तो ऐसे में उनके कारणों को समझना आसान नहीं होता है। लेकिन भूकंप आने का एक विशेष कारण पृथ्वी में विभिन्न प्रकार के बने टेक्निकल प्लेट में आने वाली गति है, जिसके अंतर्गत यह टेक्निकल प्लेट आपस में टकराने लगते हैं और एक अतिरिक्त उर्जा बाहर निकलती है। जिस वजह से भूकंप की तरंगे उत्पन्न होती हैं और भूकंप का रूप लेकर त्रासदी का कारण बन जाती हैं।

आज तक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कई प्रकार के घातक भूकंप आ चुके हैं, जिनके माध्यम से जनजीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। जिनमे से कुछ भूकंप के बारे में निचे दिया गया है। 

4) भारत के गुजरात में 2001 में आया भूकंप भी बहुत ही खतरनाक माना जाता है, जिसमे लगभग 200000 लोगों की मृत्यु हुई और कई हजारों लोग घर से बेघर हो गए थे।

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भूकंप पर निबन्ध | Essay on Earthquake in Hindi

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भूकंप पर निबन्ध | Essay on Earthquake in Hindi!

भूकंप का नाम लेते ही मन भय से काँप (Shiver) उठता है । जहाँ भूकंप होता है, वहाँ अनेक मकान ध्वस्त (Demolish) हो जाते हैं और मानव के साथ-साथ अनेक जीव-जंतु घरों में दबकर मरजाते हैं चारों-ओर-प्रलय (Total end) का दृश्य (Scene) उपस्थित हो जाता है ।

धरती काँपती है, तो कहीं नदी के बीच से जमीन निकल आती है, तो कहीं धरती फट कर झील (Lake) का रूप ले लेती है । भूकंप आता है और दे जाता है अनेक प्रकार के कष्ट और कई प्रकार की पीड़ा (Pain) ।

जापान को भूकंप का देश कहा जाता है । वहाँ आए दिन धरती डोलती रहती है । ये भूकप ज्वालामुखी (Volcano) के फटने के कारण होते हैं । जापान में ज्वालामुखी पहाड़ अधिक संख्या में है जो धरती के अन्दर गर्मी बढ़ जाने के कारण ज्वालामुखी अचानक फट पड़ता और धरती डोलने लगती है ।

ADVERTISEMENTS:

धरती के भीतर चट्‌टानों (Rocks) के इधर-उधर खिसकने (Move) से भी धरती डोलती है । इसलिए अधिक पहाड़ों वाले स्थानों पर भी भूकंप होता है क्योंकि वहाँ धरती पर दबाव (Pressure) अधिक होता है । यह दबाव अधिक ऊंचे-बड़े मकानों के कारण भी होता है और भूकंप का खतरा बढ़ जाता है । आधुनिक विज्ञान (Modern science) ने भूकंप का एक और कारण (Cause) खोज निकाला है, जिसे प्लेट टेक्टोनिक्स (Plate) कहा जाता है ।

इसके अनुसार भिन्न महाद्वीपों (Continents) और महासागरों (Oceans), पर्वतों (Mountains) तथा मरुभूमियों (Deserts) की अलग-अलग प्लेटें होती हैं, जो निरंतर (Always) खिसकती रहती हैं । उन्हीं प्लेटों के टकराने या अलग होने पर भूकंप आता है ।

भारत में हिमालय के क्षेत्र, पूर्वोत्तर भारत (North-Eastern india) तथा पश्चिम के कुछ क्षेत्रों में अब तक भयंकर भूकंप आ चुके हैं । हाल में ही गुजरात में आये भीषण भूकंप में बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुई थीं । भूकंपों के बाद राहत कार्य (Measures for comfort) चलाये जाते हैं किन्तु इसके आने की सूचना पहले से दिये जाने का कोई तरीका अब तक ज्ञात (Known) नहीं है ।

फिर भी इससे अपनी जान बचाने के लिए लकड़ी के मकानों में रहने और अपने पास मोबाइल फोन, टॉर्च पानी की बोतल और कुछ आवश्यक चीजें हमेशा रखना लाभकारी रहता है । पेड़-पौधे भी भूकंप से हमारी रक्षा करते हैं ।

4. उपसंहार :

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा (Natural Calamity) है जिसे रोकना यदि मनुष्य के लिए संभव नहीं है, तो कम-से-कम उससे बचने के लिए आधुनिक विज्ञान (Modern science) की पूरी मदद तो अवश्य ले सकता है ।

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Hindi Essay on “Bhukamp : Ek Prakritik Aapada”, “भूकम्प : एक प्राकृतिक आपदा”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

भूकम्प : एक प्राकृतिक आपदा

Bhukamp : Ek Prakritik Aapada

भूकम्प तूफान, अतिवृष्टि, अनावृष्टि हिमपात आदि की तरह एक प्राकृतिक आपदा है। इस आपदा का प्रकोप विश्व के किसी-न-किसी हिस्से पर पड़ता ही रहता है। इस आपदा के शिकार अनेक प्राणी होते रहते हैं। इससे होने वाली जान-माल की हानि का केवल अनुमान ही लगाया जाता है। ऐसा इसलिए कि इसके प्रभाव असीमित और अनिश्चित होते हैं। फलतः इसके विषय में निश्चित रूप से कहना कुछ कठिन अवश्य होता है।

‘भूकम्प’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है-“भू’ और ‘कम्प’ । ‘भू’ शब्द का अर्थ होता है-‘पृथ्वी’ और ‘कम्प’ शब्द का अर्थ होता है-‘कांपना या हितना’ । इस प्रकार ‘भूकम्प’ शब्द का अर्थ हुआ- ‘पृथ्वी का कांपना या

हिलना । अब प्रश्न यह है कि पृथ्वी का कांपना या हिलना क्यों होता है ? दूसरे शब्दों में पृथ्वी क्यों कांपती या हिलती है ? इस प्रश्न का उत्तर वैज्ञानिक बड़ी खोजबीन करके दिए हैं। उनके अनुसार प्राकृतिक कारणों के फलस्वरूप पृथ्वी के भीतर की पर्ते या चट्टानें अस्थिर होकर हिलने लगती हैं। उनके हिलने से पृथ्वी के ऊपरी भाग में भी कम्पन होता है। इस कंपन की प्रक्रिया और स्वरूप को भूकम्प कहा जाता है।

“भूकम्प’ आने के कारण वैज्ञानिकों ने अनेक बताए हैं। उनमें दो कारणं मुख्य रूप से हैं–1. विवर्तनिक कारण, और 2. अविवर्तनिक कारण। विवर्तनिक कारण के अनुसार पृथ्वी के दाब के कारण भूकम्प आता है। दूसरे शब्दों में पृथ्वी का दाब सर्वत्र एक समान नहीं है, अर्थात् पृथ्वी के भीतर कहीं-कहीं अधिक गहराई पर। तापमान कम भी है और अधिक भी। फलस्वरूप इसकी भीतरी पतों (सतहों पर भी दाब कहीं अधिक और कहीं कम है। जहाँ पर दाब अधिक है, वह कभी न – कभी बहुत बढ़ जाता है। कभी तो इतना अधिक बढ़ जाता है कि पृथ्वी की भीतरी स्थिर (पते) चट्टानें हिलने-डोलने के कारण मुड़ कर टूटने लगती हैं। इसका प्रभाव ऊपरी चट्टानों (पतों) पर पड़ने लगता है। फलस्वरूप चट्टानें (पते) सरकने लगती हैं। इनके सरकने की प्रक्रिया के दौरान भूकम्प आने लगता है।

भूकम्प के विषय में लोगों के भिन्न-भिन्न मत हैं। भूगर्भ शास्त्रियों का मत । है कि धरती के भीतर तरल पदार्थ है। ये जब अन्दर की गर्मी के कारण तीव्रता से फैलने लगते हैं, तो पृथ्वी हिल जाती हैं। कभी-कभी ज्वालामुखी का फटना भी भूकम्प का कारण बन जाता है। भारत एक धर्म भीरु देश है। यहां के लोगों का मत है कि जब पृथ्वी के किसी भाग पर अत्याचार और अनाचार बढ़ जाते हैं, तो उस भाग में देवी प्रकोप के कारण भूचाल आते हैं। देहातों में यह कथा भी प्रचलित है कि शेष नाग ने पृथ्वी को अपने सिर पर धारण कर रखा है। उसके सात सिर हैं। जब एक सिर पृथ्वी के बोझ के कारण थक जाता है तो उसे दूसरे सिर पर बदलता है। उसकी इस क्रिया से पृथ्वी हिल जाती है, और भूकम्प आ जाता है। अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि जब पृथ्वी पर जनसंख्या जरूरत से अधिक बढ़ जाती। हैं, तो प्रकृति उसे सन्तुलित करने के लिए भूकम्प उत्पन्न करती है।

भूकम्प का कारण कोई भी क्यों न हो, पर इतना निश्चित है कि यह एक दैवी प्रकोप है, जो अत्यधिक विनाश का कारण बनता है। यह जानलेवा ही नहीं। बनता, बल्कि मनुष्य की शताब्दियों-सहस्त्राब्दियों की मेहनत के परिणाम को भी नष्ट-भ्रष्ट कर देता है। बिहार, बंगाल, उड़ीसा आदि ने बड़े विनाशकारी भूकम्प देखे हैं। हजारों लोग मौत के मुंह में चले गये। भूमि में दरारें पड़ गईं, जिनमें जीवित प्राणी समा गये। पृथ्वी के गर्भ से कई प्रकार की विषैली गैसें उत्पन्न हुई, जिनसे प्राणियों का दम घुट गया। भूकम्प के कारण जो लोग धरती में समा जाते हैं, उनके मृत शरीरांग को बाहर निकालने के लिए धरती की खुदाई करनी पड़ती है। यातायात के साधन नष्ट हो जाते हैं। बड़े-बड़े भवन धराशायी हो जाते हैं। लोग बेघर हो जाते हैं। धनवान् अकिंचन बन जाते हैं और निर्धनों को जीने के लाले पड़ जाते हैं।

सन् 1985 में वन्यैटा ने भूकम्प का प्रलयकारी नृत्य देखा था। भूकम्प के तेज झटकों के कारण देखते ही देखते एक सुन्दर नष्ट-भ्रष्ट हो गया। हजारों स्त्री-पुरुष, जो रात की सुखद नींद ले रहे थे। क्षण भर में मौत का ग्रास बन गये। मकान सड़कें। और वृक्ष आदि नष्ट हो गये। सर्वत्र करुणाजनक चीत्कार थी। वहुत-से लोग अपंग हो गये। किसी का हाथ टूट गया, तो किसी की टांग, कोई अन्धा हो गया, तो कोई बहरा। अनेक स्त्रियाँ विधवा हो गईं। बच्चे अनाथ हो गये। अब आज भी जब हम उस भूकम्प की करुण कहानी सुनते हैं, तो हृदय कांप उठता है।

देश के इतिहास में सबसे भयानक भूकम्प 11 अक्टूबर 1737 में कलकत्ता में आया था, जिसमें लगभग तीन लाख लोग काल में समा गए। 30 सितम्बर की सुबह मराठवाड़ा क्षेत्र के लातूर एवं उस्मानाबाद में भयानक भूकम्प से हजारों लोग मरे और घायलों की संख्या भी पर्याप्त थी। करीब 90 गांवों में भयानक तबाही हो गई।

वास्तव में भूकम्प एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जो इस वैज्ञानिक मानव की अद्भुत शक्ति को अपने प्रलयकारी शक्तियों और प्रभावों से चुनौती देने में हर प्रकार से सफल रही है। इससे इस वैज्ञानिक मानव के अपने सभी चलते और साधनों का घमण्ड चूर-चूर होता रहा है। अतएव यह आपदा हमें यह पाठ पढ़ाती । है कि हमें प्राकृतिक शक्तियों के प्रभावों को स्वीकारते हुए उससे बचने के लिए ईश्वर के प्रति नम्र होना चाहिए। यही नहीं यह पूर्ण विश्वास भी रखना चाहिए कि ईश्वर की कृपा से ही इस प्रकार की आपदा से बचने की कोई स्थावी राह मिल सकती है।

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भूकंप पर निबंध व कविता Earthquake Essay & Poem in Hindi

Earthquake essay in hindi.

essay on bhukamp in hindi-भूकंप का नाम सुनते ही मन में डर का एहसास होना शुरू हो जाता है क्योंकि भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसके द्वारा कई मनुष्य, जीव जंतु आदि का विनाश हो जाता है। भूकंप से हर कोई डरता है भूकंप धीमी गति से शुरू होता है और तेज भी हो आता है भूकंप धरती की सतह पर होने वाला एक ऐसा कंपन है जिसकी वजह से धरती हिलने लगती है और धरती पर दरारें पड़ जाती हैं।

Earthquake Essay & Poem in Hindi

कभी-कभी धरती फटकर एक नदी जैसा रुप ले लेती है भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिससे सब कुछ तबाह हो सकता है यह कई जगह आ भी चुका है।

भूकंप आने का कारण

कहते हैं कि भूकंप ऐसे स्थान पर अधिकतर आता है जहां पर पहाड़ अधिक होते हैं वहां पर धरती पर अधिक दबाव पड़ता है जिस कारण भी भूकंप आता है। जहां पर बड़े बड़े ऊंचे ऊंचे मकान होते हैं वहां पर भी भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है धरती की निचली सतह से कुछ तरंगें सी उत्पन्न होती हैं जिस वजह से यह एक भूकंप का रूप ले लेता है।

शुरुआत में तरंगे थोड़ी बहुत होती हैं इससे कोई भी नुकसान नहीं होता लेकिन फिर यह बढ़ सकती हैं अगर हम इस स्थिति से बचना चाहें तो बच सकते हैं लेकिन धीरे-धीरे अगर भूकंप तेजी से बढ़ता जाता है फिर यह इतना खतरनाक हो जाता है कि इससे बच पाना बहुत मुश्किल होता है और कई मनुष्य, जीव जंतु आदि दबकर मारे जाते हैं।

भूकंप से सुरक्षा कैसे करें

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जिसके बारे में पूर्व जानकारी लगा पाना तो बहुत ही मुश्किल होता है। हमें सावधान रहना चाहिए और भूकंप से बचने के लिए उपाय करने चाहिए। हमें कहीं पर भी इस समय वाहन नहीं चलाना चाहिए और हमें अपने परिवार वालों के साथ एकजुट रहना चाहिए। यदि भूकंप आपको प्रतीत हो तो आपको चाहिए कि आप ऐसे स्थान पर पहुंच जाएं जहां पर आसपास घर आदि ना हो यानी जगह एकदम खुले में हो जैसे कि सड़क या मैदान जिससे आप बच सकें।

आपको चाहिए कि आप अपने साथ उजाले के लिए टॉर्च रखे। किसी से संपर्क करने के लिए मोबाइल फोन आदि हमेशा साथ रखें और अपनी कीमती चीजों को भी अपने साथ रखें जिससे अगर भूकंप की स्थिति बिगड़ती है तो आप अपने जीवन को फिर से शुरू कर सकें। अपने आपको भूकंप से सुरक्षित रखने के लिए आपको चाहिए कि आप भूकंप प्रतीत होने पर नदी-नालों आदि से दूर रहें क्योंकि कभी-कभी भूकंप की तीव्रता से यह एक भयानक रुप ले लेते हैं और बहुत ही नुकसानदायक होते हैं। जहां पर बड़ी बड़ी बिल्डिंग है, पर्वत हैं ऐसे स्थान से आप दूर ही रहे क्योंकि ऐसे स्थानों पर भूकंप अधिकतर आते रहते हैं।

इस तरह से आप अपने आपको कुछ हद तक भूकंप से होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं।

भूकंप पर कविता earthquake poem in hindi

जब भी भूकंप आए

खुद के होश ना गवाएं

घर और हवेली से दूर चले जाएं

जीवन को तुम बचाएं

भूकंप है विनाशकारी

इससे होता है नुकसान भारी

प्रकृति का प्रकोप है ये

जीवन के लिए दुखदाई है ये

भूकंप से तुम बचो

अब तुम सतर्क रहो

खुद के होश ना गवाये

  • भूकंप पर विचार व स्लोगन Earthquake quotes & slogan in hindi

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भूकंप पर निबंध Bhukamp Par Nibandh

Bhukamp Par Nibandh – Earthquake Essay In Hindi दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग में भूकंप पर निबंध लिखकर बताएंगे क्योंकि यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में जाना ना हर एक बच्चे के लिए बहुत ज्यादा आवश्यक है क्योंकि भूकंप कभी भी कहीं पर भी आ सकते हैं और ऐसे में यदि हमें उसके बारे में जानकारी नहीं होगी तब ऐसे में हमारी जान जाने की संभावना अधिक हो जाती है इसीलिए शिक्षक हमें इस विषय पर जानकारी संकलित करने का मौका देते हैं और निबंध के जरिए हम यह बहुत ही आसानी के कर सकते हैं इसलिए हमारे इस ब्लॉग को आप अंत तक अवश्य पढ़े।

तो चलिए शुरू करते हैं

Bhukamp Par Nibandh

भूकंप पर निबंध – Bhukamp Par Nibandh

Earthquake essay in hindi.

भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आता है जिसमें बहुत सारे लोगों की जान चली जाती है और जनधन की हानि इसमें बहुत अधिक होती है वैसे ही हर एक प्राकृतिक आपदा में जन्मदिन की बहुत अधिक हानि होती है लेकिन भूकंप में बहुत ज्यादा होती है क्योंकि भूकंप जब आता है तब पूरी धरती हिल उठती है और दरारे पड़ जाती है जिस वजह से बड़ी बड़ी बिल्डिंग गिर जाती है और यह देश में कोई व्यक्ति रह जाता है तब उसकी जान चली जाती है क्योंकि बड़ी बिल्डिंग गिरने पर बचाओ बहुत मुश्किल हो जाता है।

भूकंप की वजह से कई सारे लोग अपने परिवार को छोड़ देते हैं कई सारे बच्चे अनाथ हो जाते हैं क्योंकि भूकंप बहुत ही भयंकर और खौफनाक होता है यह एक प्राकृतिक आपदा है जिस पर हमारा बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं है क्योंकि कई हजार वर्ष पहले हमारी पृथ्वी पूरी तरीके से आग का गोला थी और इसे ठंडा होने में बहुत अधिक समय लगा धीरे-धीरे या ऊपरी परत पर ठंडी हो चुकी है जिस पर हम वर्तमान समय पर प्राणी रहते हैं लेकिन इसके बावजूद भी धरती अभी भी अंदर से बहुत अधिक गर्म है और इसी की वजह से भूकंप आते हैं क्योंकि जब अंदर हलचल होती है तब उसका प्रभाव धरती के ऊपर आता है और इस प्रभाव को हम नहीं रोक सकते इसे रोकने के लिए हम मनुष्य को बहुत कड़ा परिश्रम करना पड़ेगा लेकिन पेड़ पौधों को भी जिस तरीके से काटा जा रहा है उससे धरती की गर्मी और अधिक बढ़ रही है तथा वर्षा ना होने की वजह से यह और भी खौफनाक होता जा रहा है क्योंकि आने वाला समय भूकंप के जरिए पृथ्वी का नाश होने में बिल्कुल भी समय नहीं लगेगा क्योंकि जब पृथ्वी अंदर से गर्म होकर बाहर निकलने के लिए उबाल मारेगी तब उसका असर ऊपर आएगा और बड़ी-बड़ी बिल्डिंगे भी एक सेकंड में गिर कर मिट्टी में मिल जाएंगे

भूकंप आना वर्तमान समय से नहीं आरंभ हुआ है यह बहुत प्राचीन समय से चला आ रहा है और कितनी बार बड़ा भूकंप आया है उसमें कई सारे लोग मारे गए हैं और हाल ही में हर एक व्यक्ति को विदित होने वाला एक बहुत ही भयंकर भूकंप आया था जो नेपाल में आया था जहां पर कितने सारे लोगों की जानें गई और उसका झटका हमारे पूरे भारत में पढ़ा था क्योंकि कई सारे राज्यों में भी झटके की वजह से बड़ी बड़ी बिल्डिंग गिर गई और लोगों की बहुत हानि हुई।

पृथ्वी के यदि इसी प्रकार से गर्मी बढ़ती रही तो अंदर के गर्म पदार्थ और भी गर्म हो जाएंगे और उनके गर्म होने की वजह से हम सभी धरती वासियों को अधिक गर्मी झेलना पड़ेगा भूकंप तब आता है जब पृथ्वी के अंदर मौजूद छोटे-छोटे टेक्निकल प्लेट होते हैं और यह दूरी बनाकर घूमते रहते हैं लेकिन कभी-कभी यह बहुत पास आकर घूमने लगते हैं और इसी वजह से वह आपस में टकरा जाते हैं और जितनी तीव्रता के साथ यह टकराते हैं भूकंप आने की तीव्रता भी उतनी अधिक होती है और यह तीव्रता के अनुसार ही जन एवं धन की हानि होना संभव होता है

जरूर पढिये: 

Bhukamp Ke Bare Mein

इतना ही नहीं हमारे धरती पर कई स्थानों पर ज्वालामुखी भी है और ज्वालामुखी भी भूकंप आने की सबसे बड़ी वजह भी होती है क्योंकि ज्वालामुखी के अंदर बहुत अधिक गर्मी होती है और वह गर्मी विस्फोट के रूप में बाहर निकलती है और जब ज्वालामुखी में विस्फोट होता है तब उसका असर आसपास के क्षेत्र में बहुत ही गहरा पड़ता है ज्वालामुखी के जितने पास जो गांव एवं क्षेत्र मौजूद होगा वहां पर भूकंप उतना ही अधिक गहरा प्रभाव डालेगा।

भूकंप आने की वजह से बहुत सारा नुकसान हमें झेलना पड़ता है और जिस राज्य एवं जिस देश में भूकंप आता है उसका भरपाई सरकार को करना पड़ता है और यह बहुत ही महंगा होता है कई सारे लोगों को अपने घर से बेघर होना पड़ता है और इसका भी पूरा करने के लिए सरकार को ही बोझ उठाना पड़ता है।

जब कहीं स्थान पर भूकंप आता है तब ऐसे में हमें कुछ बातें अपने आप में अवश्य ध्यान में रखनी चाहिए क्योंकि जब भूकंप आता है तब हमें किसी भी बिल्डिंग के नीचे नहीं खड़े रहना चाहिए बिल्डिंग से तुरंत उतर कर नीचे खुले स्थान पर पहुंच जाना चाहिए और बिल्डिंग से निकलते समय हमें लिफ्ट का उपयोग नहीं करना है सीढींओ के जरिए हमें बिल्डिंग से नीचे उतरना है।

हमें खुले स्थान पर पहुंच जाना चाहिए और यदि हम खुले स्थान पर नहीं पहुंच पा रहे हैं तब भी हमें किसी ऐसे सुरक्षित स्थान पर जाना चाहिए जहां पर हमारे ऊपर भारी वस्तु गिरने की संभावना कम हो। भूकंप का झटका महसूस होते ही हमें हर एक कार्य को बीच में ही रोककर सबसे पहले खुद के जान को बचाना चाहिए क्योंकि भूकंप कितनी तीव्रता से आ रहा है इसका अंदाजा हम बिल्कुल भी नहीं लगा सकते हमें अभी भी याद है कि जब भूकंप आया था तब ऐसा लग रहा था कि धरती पूरी तरीके से ऊपर नीचे हो रही है और यह बहुत ही भयंकर होता है इसलिए खुले स्थान में खुद को रखना सबसे ज्यादा आवश्यक है। और जितना हो सके हमें अधिक से अधिक वृक्षों को लगाना चाहिए ताकि धरती पर गर्मी कम हो और भूकंप आने की संभावना भी कम हो सके।

दोस्तों अभी हमने आपको इस ब्लॉग में भूकंप पर निबंध लिखकर बताएं अगर आपको यह पसंद आया हो तो आपसे अपने दोस्तों के साथ भी साझा करें और यदि आपका कोई सवाल है तो आप उनसे कमेंट में अवश्य पूछे एवं अपने सुझाव को आप हमें कमेंट करके दे।

अगर हमारे द्वारा Bhukamp Par Nibandh में दी गई जानकारी में कुछ भी गलत है तो आप हमें तुरंत Comment बॉक्स और Email में लिखकर सूचित करें। यदि आपके द्वारा दी गई जानकारी सही है, तो हम इसे निश्चित रूप से बदल देंगे। दोस्तों अगर आपके पास Bhukamp Par Tippani के बारे में हिंदी में और जानकारी है तो हमें कमेंट बॉक्स में बताएं। हम Bhukamp Ke Bare Mein Bataiye इसमे जरूर बदलाव करेंगे। और ऐसेही रोमांचक जानकारी को पाने के लीएं   HINDI.WIKILIV.COM   पे आते रहिएं धन्यवाद

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Bhukamp in hindi

Bhukamp information in hindi : प्रकर्ति मनुष्य को खुल कर सब कुछ देती हैं परन्तु कभी कभी विनाशकारी रूप भी ले लेती है। ये विनाशकारी रूप प्राकर्तिक आपदा आने के समय दिखाई पड़ता है। ये आपदाएं कुछ समय के लिए ही आती हैं। परन्तु ऐसी आपदाओं के कारण भारी मात्रा में जान-माल की हानि होती है।

यूं तो धरती पर कई प्राकर्तिक आपदाएं आती रहती हैं इन्ही में से एक है भूकंप। भूकंप वह आपदा है जो कभी भी कहीं भी आ सकता है। यह अगर अनर्थकारी रूप ले ले तो पृथ्वी पर प्रलय भी ला सकता है। अब ऐसे में सवाल ये उठता है की भूकंप है क्या (Bhukamp in hindi), ये कैसे आता है और इससे कैसे बचा जाए। अगर आप भी यही सब जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को ध्यान से पढ़िए क्युकी इसमें भूकंप से जुड़ी जानकारी (essay on earthquake in hindi) को बड़े विस्तार से बताया गया है।

भूकंप क्या है | Bhukamp kya hai | What is an Earthquake

भूकंप (Earthquake) भू पटल की कम्पन अथवा लहर है जो धरातल के नीचे अथवा ऊपर चट्टानों के लचीलेपन या गुरुत्वाकर्षण की समस्थिति में क्षणिक अव्यवस्था होने पर उत्पन्न होती है। आसान भाषा में बात करें तो भूकंप वह घटना है जिसके द्वारा भूपटल में हलचल पैदा होती है तथा कम्पन होता है। यह कम्पन तरंग के रूप में होता है जैसे-जैसे ये तरंगे केंद्र से दूर जाती हैं उतना उनकी शक्ति या तीव्रता का आभास होता है।

भूकंप आने के पहले के संकेत | Bhukamp information in hindi

भूकंप सम्बन्धी घटना का अध्ययन विज्ञान की जिस शाखा के अंतर्गत किया जाता है उसे भूकंप विज्ञान (Seismology) कहते हैं। भूकंप आने के पहले वायु मंडल में रेडॉन गैस की मात्रा में वृद्धि हो जाती है। अतः इस गैस की मात्रा में वृद्धि होना उस प्रदेश में भूकंप आने का संकेत होता है। भूकंप के दौरान पृथ्वी में कई प्रकार की तरंगों की उत्पत्ति होती है और इन भूकम्पीय लहरों को सीस्मोग्राफ पर अंकन कर भूकंप की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जाता है। भूकंप (Earthquake) के दौरान उत्पन्न भूकम्पीय लहरों को मुख्या रूप से तीन श्रेणियों में रखा जा सकता है।

1. प्राथमिक या पी तरंगे (Primary waves or P waves) 2. अनुप्रस्थ या गौर तरंगे (Transverse or secondary waves) 3. धरातलीय तरंगे (Surface or long period waves)

भूकंप के कारण | Bhukamp ke karan | Causes of earthquake in hindi

भूकंप प्राकर्तिक व मानवीय दोनों कारणों से आ सकता है। जैसे की प्राकर्तिक कारणों में ज्वालामुखी किर्या, भू संतुलन से सम्बंधित समायोजन, प्लेटों की गतिशीलता, आंतरिक गैसों की मात्रा में वृद्धि, पृथ्वी का घूर्ण जलीय भार आदि की वजह से भूकंप (Earthquake) आ सकता है। वहीं मानवीय कारण जैसे की परमाणु परिक्षण, बांधों एवं विशाल जलाशयों का निर्माण, अस्थिर प्रदेशों में सड़कों का निर्माण आदि भूकंप आने के कारण हैं।

भूकंप के प्रभाव | Bhukamp ke prabhav | Effects of an earthquake

भूकंप का प्रभाव दो रूपों में होता है प्रथम प्रभाव उत्पत्ति केंद्र के चारों तरफ तरंगों के द्वारा प्रसारित होता है। दूसरा प्रभाव धरातलीय भागों में ऊपर तथा नीचे की तरफ लंबवत रूप से होता है। भूकंप का यह रूप अत्यंत विनाशकारी होता है। जहाँ से भूकंप की शुरुआत होती है उस स्थान को भूकंप का केंद्र कहते हैं। भूकंप आने की स्थिति में सबसे पहले कम्पन का अनुभव यहीं पर होता है। भूकंप केंद्र से जो लहरें प्रसारित होती हैं उन्हें भूकंप लहरें कहते हैं।

भूकंप से होने वाली क्षति | Damages from Earthquake

भूकंप वह प्राकर्तिक आपदा है जो चाहे तो पृथ्वी पर प्रलय भी ला सकती है। अगर किसी क्षेत्र में भूकंप आता है तो वहां जान माल को भारी क्षति पहुँचती है। भूकंप से निम्न जन हानियाँ हो सकती हैं:

  • मनुष्य एवं जीव जन्तु की मृत्यु
  • जनस्वास्थ पर प्रभाव
  • भौतिक क्षति
  • परिवहन नेटवर्क में बाधा
  • बिजली और संचार सेवा में रूकावट

यह भी पढ़िए: जानिए बाढ़ के बारे में समस्त जानकारी

भूकंप मापने का यंत्र | instrument to measure the earthquake.

जिस सवेदनशील यंत्र द्वारा भूकम्पीय तरंगों की तीव्रता मापी जाती है उन्हें सीस्मोमीटर (Seismometer) कहते हैं। सीस्मोमीटर पर सीस्मोग्राफ के द्वारा भूकंप को मापा जाता है इसके तीन स्केल होते हैं।

1. रोस्सी फोरेल स्केल (Rossi forel scale) : इसके मापक 1 से 11 तक होते हैं। 2. मरकेली स्केल (mercalli scale) : यह अनुभव प्रधान स्केल है जिसके 12 मापक होते हैं। 3. रिचटर स्केल (Richter scale) : यह गड़तीय मापक है जिसकी तीव्रता 0 से 9 तक होती है।

भूकंप के दुष्प्रभाव को कम करने के उपाय | Bhukamp ki jankari

भूकंप वह प्राकर्तिक आपदा है जो कभी भी कहीं भी आ सकती है। परन्तु फिर भी अगर कुछ बातें ध्यान में रखी जाए तो इसके दुष्प्राभव को कम किया जा सकता है जैसे कि :

  • भवन निर्माण से पहले मिट्टी की किस्म का विश्लेषण करा लेना चाहिए नरम मिट्टी के ऊपर मकान नहीं बनाने चाहिए।
  • भारतीय मानक ब्यूरो ने भूकंप की दृष्टि से सुरक्षित निर्माण कार्य के लिए भवन सहिंताएँ और मार्गदर्शन निर्देश प्रकाशित किये हैं। भवन का निर्माण करने से पूर्व नगर पालिका निर्धारित उपनियमों के अनुसार नक्शों की जांच करती हैं। ऐसे में हमें भी चाहिए की निर्माण से पहले सुनिश्चित कर लें की हमारे भवन के नक़्शे की जांच हुई हो।
  • सरकारी अधिकारियों, बिल्डरों, ठेकेदारों व अन्य लोगों को प्रक्षिशण द्वारा जागरूकता विकासित की जानी चाहिए व इससे बचने के उपाय बताए जाना चाहिए।

भूकंप से कैसे बचें | How to avoid earthquake

1. भूकंप के झटके महसूस होने पर अपने भवन से निकल कर किसी खुली जगह पर चले जाएँ। 2. भूकंप के समाय बिजली व गैस के कनेक्शन को हाथ ना लगाए बल्कि इसे बंद कर दें। 3. भूकंप के वक्त लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं करें। 4. भूकंप के वक़्त अगर घर से नहीं निकल पाएं हैं तो ऐसे में दीवार के कोने से चिपक कर खड़े हो जाएँ। 5. भूकंप आने पर पेड़ व बिजली के खम्बे से दूर रहें।

तो दोस्तों ये थी भूकंप से जुडी कुछ जानकारी (bhukamp information in hindi), हम आशा करते हैं कि आपको भूकंप क्या है (bhukamp in hindi) व इससे जुड़ी जानकारी समझ आ गयी होगी। आपको ये जानकारी कैसी लगी नीचे कमेंट करके अवश्य बताइए। इस पोस्ट को शेयर करें और हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें। हमसे जुड़े रहने के लिए पास में दिए घंटी के बटन को दबा कर ऊपर आये नोटिफिकेशन पर Allow का बटन दबा दें जिससे की आप अन्य खबरों का लुफ्त भी उठा पाएं।

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भूकंप पीड़ित की आत्मकथा पर निबंध bhukamp pidit ki atmakatha essay in hindi.

Know information about भूकंप पीड़ित की आत्मकथा Bhukamp Pidit Ki Atmakatha. We are writing an essay on Bhukamp Pidit Ki Atmakatha in Hindi. Read Bhukamp Pidit Ki Atmakatha.

Bhukamp Pidit Ki Atmakatha Essay in Hindi

Bhukamp Pidit Ki Atmakatha

Bhukamp Pidit Ki Atmakatha Essay in Hindi 300 Words

मैं पिछले महीने अपने चाचा के घर बिहार के राजेंद्रनगर में आई थी। हम खाना खा रहे थे की अचानक गिलास में पानी हिलने लगा। पहले तो मुझे लगा की शायद कोई स्टूल (Table) को हिला रहा है, पर उसी वक़्त मुझे कुछ अलग सा महसूस हुआ कि जैसे कोई मुझे आगे पीछे हिला-डुला रहा हो। उसी वक़्त बहार से चीक पुकार की आवाज़े आने लगी। मेरी आंखे पंखे की तरफ गयी तो देखा की वो भी हिल रहा था, तभी समझ गए की यह भूचाल है। हम सब सीढ़ियों के जरिये निचे खुले मैदान में पहुंच गए। आस पड़ोस वाले भी सभी खुले मैदान में पहुंच गए और कुछ लोग पहुंच रहे थे। तभी 1 और जोर का झटका महसूस हुआ। तभी देखा की साथ वाला मकान गिर गया। देखते ही देखते सभी घर एक एक करके गिरते चले गए। ऐसा भयानक दृश्य देख मैं बहुत घबरा गयी थी।

लोगो की चीक पुकार और चारो तरफ अफरा तफरी मे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था की क्या करे या क्या न करे। हम दिल से लोगो की मदद करना चाहते थे लेकिन भयानक भूचाल के छटके हम अभी भी महसूस कर रहे थे। सब कुछ इतना जल्दी हुआ के कुछ समझ ही नहीं पाए। 2 min बाद सब रुक सा गया पर तब तक बहुत नुकसान हो चुका था। चारो ओर मलबे के ढेर दिख रहे थे और धुएं का गुबार। थोड़ी देर मे पुलिस और डॉक्टर पहुंचने लगे। तभी मुझे पापा का फ़ोन आया और उन्होंने मेरा हाल चाल पूछा और उन्होंने मुझे हौसला दिआ। हम भी सभी की तरह 3 या 4 दिन बिना छत के सोए और समाज सेवी संस्थाओं से हमे खाना मिला। हालात ठीक होने पर में अपने घर गयी।

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Short Essay on 'Earthquake' in Hindi | 'Bhukamp' par Nibandh (400 Words)

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COMMENTS

  1. Earthquake

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  12. भूकंप पर निबंध 10 लाइन

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  13. भूकंप पर निबन्ध

    भूकंप पर निबन्ध | Essay on Earthquake in Hindi! 1. भूमिका: भूकंप का नाम लेते ही मन भय से काँप (Shiver) उठता है । जहाँ भूकंप होता है, वहाँ अनेक मकान ध्वस्त (Demolish) हो जाते हैं और मानव के ...

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    Earthquake Essay in Hindi. essay on bhukamp in hindi-भूकंप का नाम सुनते ही मन में डर का एहसास होना शुरू हो जाता है क्योंकि भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसके द्वारा कई मनुष्य, जीव जंतु ...

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  17. भूकंप से जुड़ी समस्त जानकारी

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  18. भूकंप पीड़ित की आत्मकथा निबंध Bhukamp Pidit Ki Atmakatha essay in Hindi

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  20. Short Essay on 'Earthquake' in Hindi

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