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Shabd Aur Pad | शब्द और पद की परिभाषा, प्रकार, अंतर और उदाहरण
Table of Contents
Shabd Aur Pad
आज का यह लोग बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है, क्योंकि इस लेख में हम शब्द और पद ( Shabd Aur Pad ) की परिभाषा से संबंधित आवश्यक जानकारी पर चर्चा करेंगे।
दरअसल पद और शब्द हिंदी व्याकरण का एक ऐसा भाग है, जिसमें लोग अक्सर कंफ्यूज हो जाते हैं परंतु पद और शब्द के बीच काफी अंतर पाया जाता है। जिनके बारे में लोगों को जागरूक होना जरूरी है।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए, हम यहां शब्द किसे कहते हैं, पद की परिभाषा क्या है, शब्द और पद ( Shabd Aur Pad ) में क्या अंतर है आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे तो चलिए फिर बिना देर किए, इस लेख को शुरू करते हैं –
शब्द किसे कहते हैं
शब्द भाषा का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिन का इस्तेमाल लोग बातचीत करने लेखन और संवाद में करते हैं। यह ध्वनियां या अक्षरों के समूह के रूप में होता है, जिन्हें स्पष्ट रूप से अर्थ प्रकट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
सरल शब्दों में कहे, तो शब्द विभिन्न अक्षरों के योग से बनता है। शब्द लोगों की समझने की दृष्टि सोचने और उन्हें व्यक्त करने तथा समझने में मदद करते हैं।
जब भी आप बात करते हैं, तब आप शब्दों का प्रयोग करते हैं ताकि आपके विचार और भावनाएं दूसरों के साथ साझा कर सके।
शब्द की परिभाषा : लेखन या संवाद के दौरान जिन छोटे-छोटे अक्षरों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें वर्ण कहते हैं। इन्हीं वर्णों के मेल से शब्द का निर्माण होता है। अन्य शब्दों में कहीं तो वर्णों के मेल या योग को शब्द कहा जाता है।
जैसे की –
शब्द कितने प्रकार के होते हैं
हिंदी व्याकरण के अनुसार अलग-अलग आधारों के अंतर्गत शब्द को चार वर्गों में विभाजित किया गया है।
उत्पत्ति के आधार पर
प्रयोग के आधार पर, रचना के आधार पर, अर्थ के आधार पर.
उत्पत्ति के आधार पर शब्दों को चार वर्गों में विभाजित किया गया है।
ऐसे शब्द जो संस्कृत भाषा से लिए गए हैं परंतु उसे हिंदी भाषा में जीव का क्यों प्रयोग किया जा रहा है उन्हें तत्सम शब्द कहा जाता है।
ऐसे शब्द जो की संस्कृत भाषा से लिए तो गए हैं परंतु उसे हिंदी में प्रयोग करने से पहले इसका अर्थ परिवर्तित कर दिया जाता है, उन्हें तद्भव शब्द कहा जाता है।
- आग – अग्नि
- दूध – दूध
- रात – रात्री
ऐसे शब्द जो कि विदेशों से आए हैं परंतु हिंदी भाषा में उसे सामान्य तौर पर प्रयोग किया जाता है, उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं।
अंग्रेजी – डॉक्टर, स्कूल, ऑफिस, टीचर, रेल, फीस, बटन आदि।
फारसी – खुशामद, गुब्बारा, आमदनी, आसमान, जलेबी, ज़मीन, तराजू, जंजीर, उर्दू, इस्तीफा, इम्तिहान, इशारा, ईमान, इंतजार, किताब, कब्र।
पुर्तगाली – बाल्टी, चाबी, कनेक्टर, इस्पात, काजू, बिस्कुट, आलू, पपीता, साबुन, पादरी।
तुर्की – लाश, चेचक, कुर्ता, खच्चर, भड़ास, सौगात, बीबी, चम्मच, बारूद, तोप।
ऐसे शब्द जो क्षेत्रीय भाषाओं से लिए गए हैं और उन्हें हिंदी भाषा में सामान्य तौर पर प्रयोग किया जाता है, उन्हें देशज शब्द कहते हैं।
प्रयोग के आधार पर शब्दों को दो भागों में बांटा गया है।
विकारी शब्द
अविकारी शब्द.
ऐसे शब्द जिन्हें पुरुष, वचन, काल, कारक और लिंग के माध्यम से परिवर्तन किया जा सके उन्हें विकारी शब्द कहा जाता है।
विकारी शब्द के चार भेद होते हैं –
ऐसे शब्द जिन्हें पुरुष, वचन, काल, कारक और लिंग के माध्यम से परिवर्तन नहीं किया जा सके, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं।
अविकारी शब्दों को भी चार भागों में बांटा गया है –
- समुच्चयबोधक अव्यय
- क्रिया विशेषण
- संबंध बोधक अव्य
- विस्मयादिबोधक काव्य
रचना के आधार पर शब्दों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है।
योगरूढ़ शब्द
ऐसे शब्द जिन्हें खंड नहीं किया जा सकता यानी टुकड़े नहीं किया जा सकते, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं। रूढ़ शब्दों को मूल शब्द के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसे शब्द जिन्हें खंड करके या टुकड़े करके बहुत ही सरलता के साथ लिखा जा सकता है, उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं।
- क्षमा + शील = क्षमाशील
- भोज + नालय = भोजनालय
- घुड़ + सवार = घुड़सवार
- श्रम + इक = श्रमिक
- राज + पुरुष = राजपुरुष
- परि + श्रम = परिश्रम
ऐसे शब्द जिन्हें खंडित तो किया जा सकता है परंतु इसका अर्थ स्पष्ट करने के लिए उन्हें आपस में एक करना पड़ता है।
अर्थ के आधार पर शब्दो को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है।
निरर्थक शब्द
सार्थक शब्द.
निरर्थक शब्द, ऐसे शब्दों को कहते हैं जिनका कोई अर्थ नहीं होता। सरल शब्दों में कहे तो अर्थहीन शब्दों को निरर्थक शब्द कहा जाता है। यह ऐसे शब्द होते हैं, जो प्राय सार्थक शब्द के आगे या पीछे जुड़कर अर्थ विस्तार करते हैं।
- बच्चे पढ़ने में ठीक ठाक है।
- यह सामान मत उठाओ, कहीं गिर कर टूट न जाए।
सार्थक शब्द ऐसे शब्दों को कहा जाता है, जिनके अर्थ स्पष्ट हो। सरल शब्दों में कहे तो जिन शब्दों का कुछ ना कुछ अर्थ होता है यानी मतलब होता है उन्हें ही सार्थक शब्द कहा जाता है।
हिंदी व्याकरण के अनुसार सार्थक शब्दों को चार वर्गों में विभाजित किया गया है।
जैसे कि –
एकार्थी शब्द
अनेकार्थी शब्द, पर्यायवाची यानी समानार्थी शब्द.
- विलोम शब्द
ऐसे शब्द जिनका केवल एक अर्थ होता है, उन्हें एकार्थी शब्द कहा जाता है।
जैसे की –
ऐसे शब्द जिनका एक से अधिक मतलब हो उन्हें अनेकार्थी शब्द कहा जाता है।
जैसे की –
- काल – मौसम, अवधि, समय
- विचार = इरादा, निर्णय, राय।
- परिवर्तन = सुधार, हेरफेर, बदलाव।
- दंड = कसरत, डण्डा, सजा।
- उत्तर = एक दिशा, जवाब
ऐसे शब्द जिनके अर्थ एक समान हो, उन्हें समानार्थी शब्द कहा जाता है। सरल शब्दों में कहें तो किसी भी एक शब्द के एक समान कई मतलब होते हैं, उन्हें ही समानार्थी शब्द या पर्यायवाची शब्द कहा जाता है।
जैसे की –
- इंसान – मानव , आदमी , मनुष्य , मानुष।
- दवा – औषध, दवाई, इलाज, चिकित्सा, उपचार, दवा-दारू।
- अनाथ – तीम, लावारिस, बेसहारा, अनाश्रित
- थोड़ा – अल्प, न्यून, जरा, कम।
विलोम या विपरीतार्थक शब्द
ऐसे शब्द जिनके अर्थ एक दूसरे से विपरीत हो विपरीतार्थक शब्द कहलाते हैं। सरल शब्दों में कहें, तो एक शब्द का उल्टा अर्थ देने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहा जाता है।
जैसे कि –
- खुशबू × बदबू
- चंद्रमा × सूर्य
- लड़का × लड़की
शब्द के उदाहरण क्या है
यहां नीचे हम शब्द के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके माध्यम से आप शब्दों का अर्थ भली भांति समझ जाएंगे।
पद किसे कहते हैं
पद भाषा के सबसे महत्वपूर्ण भागों में से एक होता है। जब हम किसी भी वाक्य या बोलचाल में किसी सार्थक या अर्थपूर्ण शब्द का उपयोग करते हैं, तो हम उसे “पद” कहते हैं।
दूसरे शब्दों में कहे तो जब भी किसी सार्थक या अर्थपूर्ण शब्दों का प्रयोग वाक्य में किया जाता है तो उन्हें पद कहते हैं। सरल शब्दों में कहा जाए तो वचन, कल और लिंग आदि के वर्ण पद कहलाते हैं।
आमतौर पर बोलचाल और लेखन के समय, जब किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, या भावना की बात की जाती हैं, तो उस वाक्य में “पद” का उपयोग होता हैं। यह पद वाक्य का मूख्य अंश होता हैं, जिन्हें शब्दों के अन्य हिस्सों के साथ मिलाकर वाक्य बनाते हैं।
- राम सोता है। (इस वाक्य में दो अलग-अलग पद है राम, सोता)
- विनय स्टेज पर नाचता है (इस वाक्य में तीन अलग-अलग पद है विनय स्टेज और नाचता)
पद कितने प्रकार के होते हैं
हिंदी व्याकरण के अनुसार पदों के पाँच प्रकार होते हैं।
किसी भी व्यक्ति, वस्तु, गुण, जाति, धर्म, स्थान आदि का बोध कराएं तो उन्हें संज्ञा कहा जाता है। अंग्रेजी भाषा में संज्ञा को Noun के नाम से जानते हैं।
ऐसे शब्द जिनका प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते हैं।
वाक्य में प्रयुक्त शब्दों से कार्य को करने का बोध हो, तो उन्हें क्रिया कहा जाता है।
ऐसे शब्द जो प्राय सर्वनाम और संज्ञा की विशेषता बताता हो तथा उनके स्थान का बोध कराता हो, उन्हें विशेषण कहा जाता है।
ऐसे शब्द जहाँ लिंग, कारक, वचन, क्रिया आदि के कारण उन में परिवर्तन ना हो सके, तो उन्हें अव्यय कहते हैं।
शब्द और पद में क्या अंतर है
अक्सर लोग शब्द और पदों के बीच अंतर नहीं समझ पाते हैं। कई लोगों को तो यह एक समान लगता है परंतु इन दोनों के बीच काफी अंतर होता है। नीचे हम शब्द और पद के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर के बारे में विस्तार पूर्वक बताएंगे।
आज के इस पोस्ट में हमने जाना की शब्द और पद ( Shabd Aur Pad ) में क्या अंतर है। साथ ही साथ हमने यहां शब्द कितने प्रकार के होते हैं, पद कितने प्रकार के होते हैं तथा पद के उदाहरण, पद की परिभाषा सहित शब्द की परिभाषा के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की है।
उम्मीद करते हैं, कि आज के इस लेख में दी गई जानकारी आपको अच्छी तरह से समझ आ गई होगी। लेकिन इसके बावजूद यदि इस लेख से संबंधित आपको और अधिक जानकारी चाहिए तो नीचे कमेंट के माध्यम से आप अपनी बात हम तक पहुंचा सकते हैं।
लेकिन यदि यह लेख आपको पसंद आया हो और यहाँ दिए जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई हो, तो कृपया इस लेख को शेयर करना बिल्कुल भी ना भूले।
शब्द की परिभाषा क्या है?
वर्णों के मेल या योग को शब्द कहा जाता है।
पद से क्या तात्पर्य है?
किसी भी सार्थक यानी अर्थपूर्ण शब्दों का प्रयोग वाक्य में किया जाता है, तो उन्हें पद कहते हैं।
शब्द पद कब बनता है?
जब शब्द वाक्य में प्रयुक्त होते हैं तो ऐसी स्थिति में शब्द पद में परिवर्तित हो जाता है।
शब्दों के भेद कितने आधारों पर किए जाते हैं?
शब्दों के भेद को मुख्ता चार -अलग आधारों के अंतर्गत किया जाता है – उत्पत्ति के आधार पर, प्रयोग के आधार पर, बनावट के आधार पर तथा अर्थ के आधार पर।
पद के उदाहरण क्या है?
पद के उदाहरण है – गंगा गीत गुनगुना रही है, श्याम पुस्तक पढ़ता है, सतलुज भारत की नदी है, भीम बहुत बलवान है।
विराम चिन्ह
स्पर्श व्यंजन
अवतरण चिन्ह
पर्श्विक व्यंजन
मिश्र वाक्य
परिमाण वाचक विशेषण
सकर्मक क्रिया
संयुक्त क्रिया
व्यक्ति वाचक संज्ञा
भाववाचक संज्ञा
पर्यायवाची शब्द
जाति वाचक संज्ञा
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विनोद कुमार शुक्ल
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शब्द – परिभाषा, भेद और उदाहरण
शब्द विचार हिंदी व्याकरण का दूसरा खंड है जिसके अंतर्गत शब्द की परिभाषा, भेद-उपभेद, संधि, विच्छेद, रूपांतरण, निर्माण आदि से संबंधित नियमों पर विचार किया जाता है।
एक या एक से अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि शब्द कहलाती है। जैसे – एक वर्ण से निर्मित शब्द- न (नहीं), अनेक वर्णों से निर्मित शब्द – कुत्ता , शेर , कमल, नयन, प्रसाद, सर्वव्यापी, परमात्मा आदि। भारतीय संस्कृति में शब्द को ब्रह्म कहा गया है।
हिंदी भाषा में शब्दों के वर्गीकरण के चार आधार हैं –
- व्युत्पत्ति/रचना/वनावट के आधार पर शब्द-भेद
- उत्पत्ति/श्रोत के आधार पर शब्द-भेद
प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद
अर्थ की दृष्टि से शब्द-भेद, व्युत्पत्ति के आधार पर या रचना या बनावट के आधार पर शब्दों के भेद.
व्युत्पत्ति के आधार पर या रचना या बनावट के आधार पर हिंदी में शब्द के निम्नलिखित तीन भेद हैं- रूढ़ , यौगिक तथा योगरूढ़ ।
जिन शब्दों के खंड करने पर या टुकड़ा करने पर कोई अर्थ ना निकले, वे शब्द रूढ़ शब्द कहलाते हैं। जैसे- पेड़ , पानी , रूढ़ । इनके टुकड़े करने पर पे + ड़, पा + नी, रू + ढ़ कुछ अर्थ नहीं देते हैं, अतः ये रूढ़ हैं।
जिन शब्दों के खंड करने पर एक टुकड़े का अर्थ आता है एक का नहीं ऐसे शब्दों को भी रूढ़ शब्द कहते हैं। जैसे – चावल , कमल आदि।
चावल = चा + वल (वल का अर्थ आतंरिक शक्ति, परन्तु चा का कोई अर्थ नहीं), कमल = कम + ल, कमल = क + मल
यदि किन्हीं शब्दों का संधि विच्छेद नहीं होता है उन्हें रूढ़ शब्दों की श्रेणी में रखा जाता हैं।
शब्दों को तोड़ने पर दोनों जो शब्द एक सार्थक अर्थ देते हैं, वे यौगिक शब्द कहलाते हैं। जैसे- देवालय , राजपुरुष , हिमालय , देवदूत , आदि ये सभी शब्द दो सार्थक शब्दों के मेल से बने हैं।
देवालय = देव + आलय (यहां देव का अर्थ देवताओं से, और आलय का अर्थ घर), राजपुरुष = राज + पुरुष, हिमालय = हिम + आलय, देवदूत = देव + दूत
योगरूढ़ शब्द
वे शब्द, जो यौगिक तो हैं, किन्तु सामान्य अर्थ को न प्रकट कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं। अर्थात शब्दों को तोड़ने पर शब्दों का अर्थ तो आता है, किंतु वे तीसरे अन्य पदों की ओर संकेत करते हैं। जैसे – पंकज , दशानन , नीलाम्बर , चंद्रशेखर , लम्बोदर आदि।
पंकज = पंक + ज (कीचड़ में उत्पन्न होने वाला – सामान्य अर्थ में प्रचलित न होकर कमल के अर्थ में रूढ़ हो गया है, अतः पंकज शब्द योगरूढ़ है।) दशानन = दश + आनन (दश मुख वाला – रावण के अर्थ में प्रसिद्ध है)
बहुब्रीहि समास के सभी उदाहरण योगरूढ़ शब्दों के उदाहरण माने जाते हैं। इसीलिये योगरूढ़ से सामासिक रूढ़ पद की उत्पति होती है।
बहुब्रीहि + योगरूढ़ = सामासिक रूढ़।
उत्पत्ति या श्रोत के आधार पर शब्दों के भेद
श्रोत या उत्पत्ति या इतिहास के आधार पर शब्दों को निम्नलिखित पांच भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- विदेशज शब्द
- संकर शब्द (देशज + विदेशज)
ऐसे शब्द जिनकी उत्पत्ति की कोई जानकारी नहीं होते है अर्थात जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण परिस्थिति व आवश्यकतानुसार बनकर प्रचलित हो गए हैं वे देशज शब्द कहलाते हैं। इनकी उत्पत्ति प्रायः अपभ्रंश शब्दों जैसे होती है।
जैसे :- पगड़ी, गाड़ी, थैला, पेट, छोरा, छोरी, नून, गड़बड़, अंगौछा, लुंगी, चिंघाड़ना, परात, पंगडी, बटुआ, लोटा, आदि।
अपभ्रंश भाषा
अपभ्रंश हिंदी भाषा की पूर्ववर्ती भाषा है जिसका उद्भव 1000 ई. में हुआ है। अपभ्रंश का अर्थ है – हिंदी के खिजडे हुए रूप या भ्रष्ट रूप। अपभ्रंश की दो शैलियाँ हैं –
डिंगल या डीगल
- डिंगल का अर्थ है – डींग हांकना, इसलिए डीगल को गवारूपन शैली भी कहते हैं।
- डिंगल का संधि विच्छेद है – डिम् + गल, जिसका तात्पर्य है गले से डमरू जैसा ओजपूर्ण आवाज निकालना।
- डिंगल पर राजस्थान के चारण काल के कविओं की छाप या प्रभाव है।
- डिंगल के भाव हैं – ओजपूर्ण ।
- डिंगल की भाषा अपभ्रंश के साथ राजस्थान की विभिन्न बोलिओं का समन्वय है।
- पींगल छंदशास्त्र के रचनाकार हैं।
- इसके भाव माधुर्य हैं।
- इनकी भाषा – अपभ्रंश युक्त हिंदी के साथ ब्रजभाषा का समन्वय है।
नोट:- डिंगल एवं पींगल दोनों शैलियों में लिंग के आधार पर दोनों भाव बराबर पाए जाते हैं जो परिस्थितिओं के अनुकूल पैदा होती है।
विदेशी या विदेशज शब्द
विदेशी जातियों के संपर्क से उनकी भाषा के बहुत से शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होने लगे हैं। ऐसे शब्द विदेशी अथवा विदेशज कहलाते हैं। जैसे – स्कूल, अनार, आम, कैंची, अचार, पुलिस, टेलीफोन, रिक्शा आदि।
ऐसे कुछ विदेशी शब्दों की सूची:-
- अंग्रेजी – कॉलेज, पैंसिल, रेडियो, टेलीविजन, डॉक्टर, लैटरबक्स, पैन, टिकट, मशीन, सिगरेट, साइकिल, बोतल आदि।
- फारसी – अनार, चश्मा, जमींदार, दुकान, दरबार, नमक, नमूना, बीमार, बरफ, रूमाल, आदमी, चुगलखोर, गंदगी, चापलूसी आदि।
- अरबी – औलाद, अमीर, कत्ल, कलम, कानून, खत, फकीर, रिश्वत औरत, कैदी, मालिक, गरीब आदि।
- तुर्की – कैंची, चाकू, तोप, बारूद, लाश, दारोगा, बहादुर आदि। पुर्तगाली- अचार, आलपीन, कारतूस, गमला, चाबी, तिजोरी, तौलिया, फीता, साबुन, तंबाकू, कॉफी, कमीज आदि।
- फ्रांसीसी – पुलिस, कार्टून, इंजीनियर, कर्फ्यू, बिगुल आदि।
- चीनी – तूफान, लीची, चाय, पटाखा आदि।
- यूनानी – टेलीफोन, टेलीग्राफ, ऐटम, डेल्टा आदि।
- जापानी – रिक्शा आदि।
- डच -बम आदि।
जो शब्द संस्कृत भाषा से हिन्दी में बिना किसी परिवर्तन के ले लिए गए हैं वे तत्सम कहलाते हैं। जैसे-अग्नि, क्षेत्र, वायु, रात्रि, सूर्य आदि।
जो शब्द रूप बदलने के बाद संस्कृत से हिन्दी में आए हैं वे तद्भव कहलाते हैं। जैसे-आग (अग्नि), खेत (क्षेत्र), रात (रात्रि), सूरज (सूर्य) आदि।
प्रयोग के आधार पर शब्द के निम्नलिखित आठ भेद है-
- क्रिया-विशेषण
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक
इन उपर्युक्त आठ प्रकार के शब्दों को भी विकार की दृष्टि से दो भागों में बाँटा जा सकता है- विकारी (व्यय शब्द) और अविकारी (अव्यय शब्द) ।
विकारी शब्द (व्यय शब्द)
जिन शब्दों का रूप-परिवर्तन होता रहता है वे विकारी शब्द कहलाते हैं। अर्थात जो शब्द लिंग, वचन, कारक, एवं काल के आधार पर बदल जाते हैं। जैसे-कुत्ता, कुत्ते, कुत्तों, मैं मुझे, हमें अच्छा, अच्छे खाता है, खाती है, खाते हैं। इनमें संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण और क्रिया विकारी शब्द हैं।
अविकारी शब्द (अव्यय शब्द)
जिन शब्दों के रूप में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता है वे अविकारी शब्द कहलाते हैं। अर्थात जो शब्द लिंग, वचन, कारक, एवं काल के आधार पर नहीं बदलते हैं। जैसे-यहाँ, किन्तु, नित्य और, हे अरे आदि। इनमें क्रिया-विशेषण , संबंधबोधक , समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक आदि हैं।
अर्थ की दृष्टि से शब्द के दो भेद हैं- सार्थक और निरर्थक ।
सार्थक शब्द
जिन शब्दों का कुछ-न-कुछ अर्थ हो वे शब्द सार्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे-रोटी, पानी, ममता, डंडा आदि।
निरर्थक शब्द
जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता है वे शब्द निरर्थक कहलाते हैं। जैसे- रोटी-वोटी, पानी-वानी, डंडा-वंडा इनमें वोटी, वानी, वंडा आदि निरर्थक शब्द हैं। निरर्थक शब्दों पर व्याकरण में कोई विचार नहीं किया जाता है।
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शब्द की परिभाषा
शब्द : शब्द विचार हिंदी व्याकरण का दूसरा खंड है जिसके अंतर्गत शब्द की परिभाषा, भेद-उपभेद, संधि, विच्छेद, रूपांतरण, निर्माण आदि से संबंधित नियमों पर विचार किया जाता है। एक या अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि शब्द कहलाती है।
जैसे – एक वर्ण से निर्मित शब्द- न (नहीं) व (और) अनेक वर्णों से निर्मित शब्द-कुत्ता, शेर, कमल, नयन, प्रासाद, सर्वव्यापी, परमात्मा आदि भारतीय संस्कृति में शब्द को ब्रह्म कहा गया है।
शब्द के भेद (Shabd Ke Bhed)
व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद, उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद, प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद, अर्थ की दृष्टि से शब्द-भेद.
व्युत्पत्ति (बनावट) के आधार पर शब्द के निम्नलिखित तीन भेद हैं- रूढ़, यौगिक तथा योगरूढ़।
- रूढ़ शब्द : जो शब्द किन्हीं अन्य शब्दों के योग से न बने हों और किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हों तथा जिनके टुकड़ों का कोई अर्थ नहीं होता, वे रूढ़ कहलाते हैं। जैसे-कल, पर। इनमें क, ल, प, र का टुकड़े करने पर कुछ अर्थ नहीं हैं। अतः ये निरर्थक हैं।
- यौगिक शब्द : शब्द कई सार्थक शब्दों के मेल से बने हों, वे यौगिक कहलाते हैं। जैसे-देवालय=देव+आलय, राजपुरुष=राज+पुरुष, हिमालय=हिम+आलय, देवदूत=देव+दूत आदि। ये सभी शब्द दो सार्थक शब्दों के मेल से बने हैं।
- योगरूढ़ शब्द : वे शब्द, जो यौगिक तो हैं, किन्तु सामान्य अर्थ को न प्रकट कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, योगरूढ़ कहलाते हैं। जैसे-पंकज, दशानन आदि। पंकज=पंक+ज (कीचड़ में उत्पन्न होने वाला) सामान्य अर्थ में प्रचलित न होकर कमल के अर्थ में रूढ़ हो गया है। अतः पंकज शब्द योगरूढ़ है। इसी प्रकार दश (दस) आनन (मुख) वाला रावण के अर्थ में प्रसिद्ध है।
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के निम्नलिखित चार भेद हैं-
- तत्सम शब्द : जो शब्द संस्कृत भाषा से हिन्दी में बिना किसी परिवर्तन के ले लिए गए हैं वे तत्सम कहलाते हैं। जैसे-अग्नि, क्षेत्र, वायु, रात्रि, सूर्य आदि।
- तद्भव शब्द : जो शब्द रूप बदलने के बाद संस्कृत से हिन्दी में आए हैं वे तद्भव कहलाते हैं। जैसे-आग (अग्नि), खेत (क्षेत्र), रात (रात्रि), सूरज (सूर्य) आदि।
- देशज शब्द : जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण परिस्थिति व आवश्यकतानुसार बनकर प्रचलित हो गए हैं वे देशज कहलाते हैं। जैसे-पगड़ी, गाड़ी, थैला, पेट, खटखटाना आदि।
- विदेशी या विदेशज शब्द : विदेशी जातियों के संपर्क से उनकी भाषा के बहुत से शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होने लगे हैं। ऐसे शब्द विदेशी अथवा विदेशज कहलाते हैं। जैसे-स्कूल, अनार, आम, कैंची, अचार, पुलिस, टेलीफोन, रिक्शा आदि।
ऐसे कुछ विदेशी शब्दों की सूची नीचे दी जा रही है।
- अंग्रेजी – कॉलेज, पैंसिल, रेडियो, टेलीविजन, डॉक्टर, लैटरबक्स, पैन, टिकट, मशीन, सिगरेट, साइकिल, बोतल आदि।
- फारसी – अनार, चश्मा, जमींदार, दुकान, दरबार, नमक, नमूना, बीमार, बरफ, रूमाल, आदमी, चुगलखोर, गंदगी, चापलूसी आदि।
- अरबी – औलाद, अमीर, कत्ल, कलम, कानून, खत, फकीर, रिश्वत औरत, कैदी, मालिक, गरीब आदि।
- तुर्की – कैंची, चाकू, तोप, बारूद, लाश, दारोगा, बहादुर आदि। पुर्तगाली- अचार, आलपीन, कारतूस, गमला, चाबी, तिजोरी, तौलिया, फीता, साबुन, तंबाकू, कॉफी, कमीज आदि।
- फ्रांसीसी – पुलिस, कार्टून, इंजीनियर, कर्फ्यू, बिगुल आदि।
- चीनी – तूफान, लीची, चाय, पटाखा आदि।
- यूनानी – टेलीफोन, टेलीग्राफ, ऐटम, डेल्टा आदि।
- जापानी – रिक्शा आदि।
- डच -बम आदि।
प्रयोग के आधार पर शब्द के निम्नलिखित आठ भेद है-
- क्रिया-विशेषण
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक
इन उपर्युक्त आठ प्रकार के शब्दों को भी विकार की दृष्टि से दो भागों में बाँटा जा सकता है- विकारी और अविकारी । विकारी शब्द: जिन शब्दों का रूप-परिवर्तन होता रहता है वे विकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे-कुत्ता, कुत्ते, कुत्तों, मैं मुझे, हमें अच्छा, अच्छे खाता है, खाती है, खाते हैं। इनमें संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया विकारी शब्द हैं। अविकारी शब्द: जिन शब्दों के रूप में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता है वे अविकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे-यहाँ, किन्तु, नित्य और, हे अरे आदि। इनमें क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक आदि हैं।
अर्थ की दृष्टि से शब्द के दो भेद हैं- सार्थक और निरर्थक ।
- सार्थक शब्द: जिन शब्दों का कुछ-न-कुछ अर्थ हो वे शब्द सार्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे-रोटी, पानी, ममता, डंडा आदि।
- निरर्थक शब्द: जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता है वे शब्द निरर्थक कहलाते हैं। जैसे-रोटी-वोटी, पानी-वानी, डंडा-वंडा इनमें वोटी, वानी, वंडा आदि निरर्थक शब्द हैं। निरर्थक शब्दों पर व्याकरण में कोई विचार नहीं किया जाता है।
शब्दार्थ ग्रहण
बच्चा समाज में सामाजिक व्यवहार में आ रहे शब्दों के अर्थ कैसे ग्रहण करता है, इसका अध्ययन भारतीय भाषा चिन्तन में गहराई से हुआ है और अर्थग्रहण की प्रक्रिया को शक्ति के नाम से कहा गया है। शक्तिग्रहं व्याकरणोपमानकोशाप्तवाक्याद् व्यवहारतश्च।
वाक्यस्य शेषाद् विवृत्तेर्वदन्ति सान्निध्यतः सिद्धपदस्य वृद्धाः।। ——————-(न्यायसिद्धांत मुक्तावली-शब्दखंड) (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
इस कारिका में अर्थग्रहण के आठ साधन माने गए हैं:
- वृद्ध व्यवहार/लोक व्यवहार
- सिद्ध पद सान्निध्य
प्रत्येक शब्द से जो अर्थ निकलता है, वह अर्थ-बोध कराने वाली शब्द की शक्ति है। शब्द की तीन शक्तियाँ हैं –
ये शब्द भी तीन प्रकार के होते हैं-
इनके अर्थ भी तीन प्रकार के होते हैं-
- व्यंग्यार्थ
वाचक शब्द: वाचक शब्दसाक्षात संकेतित अर्थ का बोधक होता है। वाचक शब्दों के चार भेद होते हैं-
- जातिवाचक शब्द
- गुणवाचक शब्द (विशेषण)
- क्रियावाचक शब्द
- द्रव्यवाचक शब्द
अभिधा शक्ति
मुख्य अर्थ की बोधिका शब्द की प्रथमा शक्ति का नाम अभिधा है। अभिधा शक्ति से पद-पदार्थ का पारस्परिक सम्बन्ध ज्ञात होता है। अभिधा शक्ति से जिन वाचक शब्दों का अर्थ बोध होता है, उन्हें क्रमश: रूढ़ (पेड़, पौधा), यौगिक (पाठशाला, मिठार्इवाला) तथा योगरूढ़ (चारपार्इ) कहा जाता है।
लक्षणा शक्ति
मुख्यार्थ से भिन्न लक्षणा शक्ति द्वारा अन्य अर्थ लक्षित होता है, उसके अर्थ को लक्ष्यार्थ कहते हैं। शब्द में यह आरोपित है और अर्थ में इसका स्वाभाविक निवास है। जैसे- ‘वह बड़ा शेर है’ में ‘शेर’ बहादुर का लक्ष्यार्थ है।
मुख्यार्थ की बाधा होने पर रूढि़-प्रयोजन को लेकर जिस शक्ति के द्वारा मुख्यार्थ से सम्बन्ध रखने वाला अन्य अर्थ लक्षित हो, उसे लक्षणा शक्ति कहते हैं। लक्षणा के लक्षण में तीन बातें मुख्य हैं- मुख्यार्थ की बाधा, मुख्यार्थ का योग, रूढि़ या प्रयोजन।
व्यंजना शक्ति –
व्यंजना के दो भेद हैं- शाब्दी व्यंजना और आर्थी व्यंजना। शाब्दी व्यंजना के दो भेद होते हैं-
- लक्षणामूला।
अन्य लेख पढ़ें ( हिन्दी व्याकरण ):- भाषा ➭ वर्ण ➭ शब्द ➭ पद ➭ वाक्य ➭ संज्ञा ➭ सर्वनाम ➭ विशेषण ➭ क्रिया ➭ क्रिया विशेषण ➭ समुच्चय बोधक ➭ विस्मयादि बोधक ➭ वचन ➭ लिंग ➭ कारक ➭ पुरुष ➭ उपसर्ग ➭ प्रत्यय ➭ संधि ➭ छन्द ➭ समास ➭ अलंकार ➭ रस ➭ श्रंगार रस ➭ विलोम शब्द ➭ पर्यायवाची शब्द ➭ अनेक शब्दों के लिए एक शब्द आदि। & For Subject Wise Study ➭ Click Here
- हिन्दी व्याकरण
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हिन्दी शब्द भण्डार | प्रकार
शब्द भण्डार .
- शब्द- ऐसा स्वतंत्र वर्ण-समूह जिसका एक निश्चित अर्थ हो, शब्द कहलाता है। जैसे-सुन्दर कमल, मनुष्य आदि।
- शब्द-भंण्डार- किसी भाषा में प्रयुक्त होने वाले शब्दों के समूह को उस भाषा का शब्द-भंडार कहते हैं। प्रत्येक भाषा का शब्द भंडार समय के साथ घटता-बढ़ता रहता है। समय के साथ नए शब्दों का समावेश होता रहता है हिन्दी भाषा में लगभग 85% शब्द भारतीय भाषाओं के हैं, तथा शेष 15% शब्द विभिन्न विदेशी भाषाओं के हैं।
शब्दों का वर्गीकरण
1. उत्पत्ति के आधार पर.
किसी भी भाषा का शब्द-भंडार लम्बी परंपरा से निर्मित होता है अध्ययन के आधार पर शब्दों को पाँच स्रोतों से लाया माना जाता है।
- तत्सम शब्द -जो शब्द संस्कृत भाषा से ज्यों के त्यो हिन्दी में ले लिए गए है वे शब्द तत्सम शब्द कहलाते हैं।उदाहरणतया पुष्प, मुख, आम्र, अग्नि, रात्रि आदि।
- तद्भव शब्द -ऐसे शब्द जो संस्कृत पाली प्राकृत, अपभ्रंश के दौर से गुजर कर समय के साथ परिवर्तित होकर हिन्दी में प्रचलित है, वह तद्भव कहलाते हैं। उदाहारणतया-सात, साँप, घी, शक्कर, अंधेरा, आदि।
- देशी या देशज शब्द -ऐसे शब्द जो भारत के ग्राम्य क्षेत्रों से या उनकी बोलियों से लिए गए हैं या जिनकी उत्पत्ति का पता न हो उदाहरणतया-झाडू, चीनी, टाँग, खाट, चपत, लोटा, डिब्बा, आदि।
- विदेशी या आगत शब्द -अंग्रेजी, अरबी, फारसी, तुर्की, पुर्तगाली आदि विदेशी भाषाओं के शब्द जो हिन्दी में | प्रचलित हो गए हैं, वे शब्द विदेशी शब्द कहलाते है। | जैसे-अरबी-फारसी शब्द-कागज, कानून, लालटेन (लैन्टर्न से) खत, जिला, दरोगा आदि। अग्रेजी शब्द -कमीशन, डायरी, पार्टी, क्रिकेट, फुटबाल, मोटर, आदि, पुर्तगाली शब्द -कनस्तर, नीलाम, गमला, चाबी, फीता आदि।, तुर्की शब्द -तोप, लाश, बेगम, सुराग, कालीन आदि।
- संकर शब्द -दो भिन्न भाषाओं के शब्दों को मिलाकर जो नया शब्द बनता है, उसे संकर शब्द कहते हैं। उदाहरणतया-हिन्दी और अरबी/फारसी-थानेदार, घड़ीसाज हिन्दी और संस्कृत-वर्षगाँठ, पूँजीपति अग्रेजी और अरबी/फारसी-अफसरशाही, बीमा पॉलिसी आदि।
2. रचना के आधार पर
रचना के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं। (1) मूल शब्द (2)व्युत्पन्न शब्द (यौगिक)
(i) मूल (रूढ़) शब्द -ऐसे शब्द जो किसी अन्य शब्द के योग से न बने हो, रूढ़ के खण्ड नहीं हो सकते है। उदाहरणतया-मकान, मजदूर, कलम आदि।
(ii) व्युत्पन्न शब्द -दो शब्दों या शब्दांशों के योग से बने शब्दों को व्युत्पन्न शब्द कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं (a) यौगिक (b) योगरूढ़
- (a) यौगिक शब्द -जो शब्द किसी उपसर्ग प्रत्यय या अन्य किसी शब्द के मेल से बने हैं उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं। | जैसे-प्रधानमंत्री अन्याय, नम्रता, पाठशाला।
- (b) योगरूढ़ शब्द -जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बने हैं लेकिन वह अपना अर्थ छोड़कर कोई विशेष अर्थ देने लगते हैं योगरूढ़ता शब्द कहलाते हैं। जैसे-चिड़ियाघर, चारपाई, लम्बोदर, गिरिधर, आदि।
प्रयोग के आधार पर
प्रयोग की दृष्टि से शब्द तीन प्रकार के हैं 1. सामान्य शब्दावली 12. तकनीकी शब्दावली 3. अर्धतकनीकी शब्दावली
- सामान्य शब्दावली -आम नागरिकों द्वारा प्रयोग की जाने वाली सामान्य शब्दावली। उदाहरणतया-मकान, नमक, साइकिल, घर आदि।
- तकनीकी शब्दावली -किसी विशेष विधा, व्यवसाय अथवा ज्ञान या शास्त्र आदि से सम्बंधित शब्दाबली, तकनीकी शब्दवली तकनीकी कहलाती है। उदाहरणतया-पर्यावरण, भूगोल, पदोन्नति, कनिष्ठ आदि।
- अर्धतकनीकी शब्दावली -ऐसे शब्द जो तकनीकी होते हुए भी सामान्य लोगों द्वारा प्रयुक्त किए जाते हैं। | उदाहरणतया-कविता, चुनाव, राज्य, साम्यवाद आदि।
रूपान्तरण या व्याकरणिक आधार पर
रूपान्तरण के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं 1. विकारी 2. अविकारी
- विकारी -जिन शब्दों में लिंग, वचन या कारक के कारण परिवर्तन होता रहता है, वे शब्द विकारी कहलाते हैं। उदाहरणतया-नारी, अच्छा, बालक, मैं आदि।
- अविकारी -ऐसे शब्द जिनमें लिंग, वचन, विभक्ति कारक आदि के अनुसार कोई परिवर्तन नहीं होता वे अपने मूल रूप में ही रहते हैं, अविकारी या अवव्यय शब्द कहलाते हैं। उदाहरणतया-आज, कल, किन्तु, अरे, परन्तु आदि।
अर्थ के आधार पर वर्गीकरण
1. एकार्थी शब्द 2. अनेकार्थी शब्द 3. समरूप भिन्नार्थक शब्द
- एका शब्द -ये वह शब्द होते हैं, जिनका वाच्यार्थ एक उदाहरणतया-सम्राट, उत्तम, अहकार, छात्र आदि।
- अनेकार्थी शब्द -ऐसे शब्द जिनके एक से अधिक अर्थ उदाहरणतया-अवधि-सीमा, निर्धारित समय। अक्षर-ईश्वर, वर्ण, नष्ट न होने वाला, कला-गुण, युक्ति तरीका।
- समरूप भिन्नार्थक शब्द -वह शब्द जो उच्चारण की दृष्टि से इतने मिलते-जुलते हैं कि वह एक जैसे ही लगते हैं, किन्तु उनका अर्थ पूर्णत भिन्न होता है। उदहरणतया-अणु – कण, अकथ – जो कहा न जा सके अनु – पीछे, अथक- बिना थके।
- पर्यायवाची शब्द -एक अर्थ को प्रकट करने वाले अनेक शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं। उदाहरणतया-जल-नीर, वारि, पानी, आँख-दृग, लोचन, नेत्र
- विलोम शब्द -ऐसे शब्द युग्म जो परस्पर विरोधी होते हैं, विपरीतार्थक कहलाते हैं। उदाहरणतया-उन्नति-अवनति, प्राचीन-नवीन जीत-हार, भद्र-अभद्र
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Class 6 Hindi Grammar Chapter 17 अविकारी शब्द
Class 6 Hindi Grammar Chapter 17 अविकारी शब्द (Avikari Shabd). Here we will learn about अविकारी शब्द and the kinds of Avikari Shabd. All the contents are updated for session 2024-25. All the terms related to अविकारी शब्द are given here, so that students can prepare for exams.
- कक्षा 6 व्याकरण – अविकारी शब्द
जिन शब्दों में लिंग, वचन, कारक, काल, वाच्य आदि के कारण कोई विकार नहीं होता, उन्हें अविकारी अथवा अव्यय कहते हैं। अव्यय के भेद- अव्यय के निम्नलिखित भेद हैं:
क्रिया विशेषण
- समुच्चयबोधक
विस्मयादिबोधक
जो शब्द क्रिया की विशेषता प्रगट करें, उन्हें क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे- क. रोहित इधर आ रहा है। ख. विकास अधिक बोलता है। ग. घोड़ा तेज भागता है। घ. कछुआ धीरे-धीरे चलता है। उपर्युक्त वाक्यों में “इधर”, “अधिक”, “तेज” व “धीरे-धीरे” शब्द क्रिया की विशेषता बता रहे हैं। इसलिए ये शब्द क्रिया-विशेषण हैं। क्रियाविशेषण के भेद क्रियाविशेषण के निम्नलिखित चार भेद हैं:
रीतिवाचक क्रियाविशेषण
- कालवाचक क्रियाविशेषण
- स्थानवाचक क्रियाविशेषण,
- परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
जो शब्द क्रिया की रीति या विधि का बोध कराएँ उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे: क. रीना जल्दी-जल्दी पढ़ती है। ख. शेर जोर-जोर से दहाड़ रहा था। ग. वह तेज भागता है। इन वाक्यों में “जल्दी-जल्दी”, “जोर-जोर”, “तेज” और “धीरे-धीरे” शब्द क्रियाओं की रीति के बारे में बता रहे हैं, अतः ये रीतिवाचक क्रियाविशेषण हैं। कालवाचक क्रियाविशेषण जो शब्द क्रिया के होने के समय को सूचित करें, उन्हें कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे: क. वह कल आया था। ख. तुम अब जा सकते हो। ग. वह अभी आ रहा है। इन वाक्यों में “कल”, “अब”, “अभी”, और “लगातार” शब्दों से कार्य के होने के समय का बोध होता है। इसलिए ये कालवाचक क्रियाविशेषण हैं।
स्थानवाचक क्रियाविशेषण
जो शब्द क्रिया के स्थान पर दिशा के बारे में बोध कराए, उसे स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं। जैसे: क. तुम बाहर बैठो। ख. वह ऊपर बैठा है। ग. तुम वहाँ क्या खा रहे थे? परिमाणवाचक क्रियाविशेषण जो शब्द क्रिया के परिमाण (मात्रा) को प्रकट करें, उन्हें परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे: क कम बोलो। ख. अधिक पीओ। इन वाक्यों में “कम”, “अधिक”, शब्द क्रिया के परिमाण के बारे में बता रहे हैं, ये शब्द परिमाणवाचक क्रियाविशेषण हैं।
संबंधबोधक अव्यय
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के बाद प्रयुक्त होकर उनका वाक्य के दूसरे शब्दों (संज्ञा, सर्वनाम) से संबंध बताते हैं, उन्हें संबंधबोधक अव्यय कहा जाता है। निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान से पढ़िए- क. धन के बिना कोई नहीं पूछता। ख. राजा के पीछे चलना चाहिए। ग. उसने शेर के बच्चे की ओर देखा। उपर्युक्त वाक्यों में “के बिना”,” के पीछे”, “की ओर” शब्दों का संबंध वाक्यों के दूसरे शब्दों के साथ है, इसलिए ये शब्द संबंधबोधक अव्यय हैं। संबंधबोधक अव्यय के भेद अर्थ के अनुसार संबंधबोधक अव्यय के भेद निम्नलिखित हैं:
समुच्चयबोधक अविकारी शब्द
जो अविकारी शब्द दो या दो से अधिक शब्दों, वाक्यांशों अथवा वाक्यों को जोड़ें वे समुच्चयबोधक कहलाते हैं। जैसे: क. उसने खूब परिश्रम किया इसलिए वह प्रथम आया। ख. रवि और सोहन छठी कक्षा में पढ़ते हैं। ग. गौरव परिश्रमी तो है परंतु वह बुद्धिमान नहीं है। “क” वाक्य में “इसलिए” शब्द “उसने खूब परिश्रम किया” और “वह प्रथम आया” इन दो वाक्यों को जोड़ रहा है। “ख” वाक्य में “और” शब्द “रवि” और “सोहन” इन दो शब्दों को जोड़ रहा है। “ग” वाक्य में “परंतु” शब्द “गौरव धनी तो है” और “वह बुद्धिमान नहीं है” इन दो वाक्यों को जोड़ रहा है।
समानाधिकरण समुच्चयबोधक
1. सुषमा और सुधा स्वेटर बुन रही हैं। 2. दुर्योधन वीर था परंतु अहंकारी तथा क्रोधी भी था। इन वाक्यों में “और”, “तथा” शब्द समुच्चयबोधक हैं। ये दोनों वाक्य के सामने पदों तथा उपवाक्यों को जोड़ रहे हैं। “सुषमा” और “सुधा” समान पद हैं। तथा दूसरे वाक्य में “दुर्योधन वीर था”, “अहंकारी तथा क्रोधी भी था” दो समान उपवाक्य हैं। भाव यह है कि इनमें से कोई किसी पर आश्रित नहीं है। ये सभी समानाधिकरण समुच्चयबोधक के उदाहरण हैं। जो समुच्चयबोधक समान स्थिति वाले अर्थात् स्वतंत्र शब्दों (पदों), वाक्यांशों या उपवाक्यों को समानता के आधार पर एक-दूसरे से जोड़ते हैं, उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहा जाता है। समानाधिकरण समुच्चयबोधक के भेद के आधार पर समानाधिकरण समुच्चयबोधक के चार भेद हैं।
जिन शब्दों से हर्ष, शोक, घृणा, आश्चर्य आदि भाव प्रकट होते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक कहा जाता है। जैसे: क. वाह! तुमने तो कमाल कर दिया। ख. अरे ! तुम कहाँ चले गए थे? उपर्युक्त वाक्यों में वाह, अरे, क्रमशः आश्चर्य, हर्ष, के भावों को प्रकट कर रहे हैं। ये सभी विस्मयादिबोधक अव्यय हैं। विस्मयादिबोधक के भेद भिन्न-भिन्न मनोभावों को व्यक्त करने के लिए विस्मयादिबोधक के भेद निम्नलिखित हैं:
- हर्षसूचक- अहा! वाह! वाह-वाह! शाबाश! धन्य! उदाहरण- अहा ! कैसा मधुर संगीत है।
- शोकसूचक- हाय! ओह! हाय-हाय ! उफ! त्राहि-त्राहि! उदाहरण- ओह! कितना कमजोर है।
- विस्मयसूचक- अरे! हैं ! ऐं! ओ हो! अरे वाह! उदाहरण- अरे! यह वही लड़का है।
- घृणासूचक- छि:! छि:! हट! धत् ! धिक्! उदाहरण- छिः! कितनी गंदी बात।
- स्वीकारसूचक- उदाहरण- हाँ! जी! जी हाँ! अच्छा ! ठीक है! ठीक है! मैं कल दिल्ली चला जाऊँगा।
- भयसूचक- उदाहरण- ओह! आह! बाप-रे-बाप! हाय ! बाप रे! कितना भयानक शेर।
- अनुमोदन सूचक- हाँ! ठीक! अच्छा ! ठीक है! उदाहरण – हाँ-हाँ! मैं कल अवश्य आऊँगा।
- चेतावनीसूचक- उदाहरण- खबरदार! होशियार ! सावधान! खबरदार! जो बिजली की तार को हाथ लगाया।
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शब्दार्थ (शब्दों का अर्थ-बोध)
शब्दार्थ की परिभाषा : Shabdarth in Hindi :- आज के इस लेख में हमनें ‘हिंदी शब्दार्थ की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है। यदि आप हिंदी शब्दार्थ से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
शब्दार्थ की परिभाषा : Shabdarth in Hindi
शब्दार्थ शब्द का मतलब ‘शब्द का अर्थ’ होता है। यहाँ शब्दार्थ का सीधा संबंध ‘शब्द के भाव’ से होता है। किसी शब्द का समानार्थक शब्द, जो शब्द भाव को दर्शाता है, उसे ‘शब्दार्थ’ कहते है।
100+ शब्दों के अर्थ और उनके वाक्य में प्रयोग
विभिन्न शब्दों के अर्थ और उनके वाक्य में प्रयोग निम्न प्रकार है:-
शब्द से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
शब्दार्थ की परिभाषा क्या है.
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ फेसबुक पर साझा अवश्य करें और हमारे वेबसाइट को सबस्क्राइब कर ले।
नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।
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Ri ki Matra Wale Shabd: इस आर्टिकल में ऋ की मात्रा वाले शब्द के बारे में जानने वाले हैं। यदि आप ri ki matra wale shabd की तलाश कर रहे है तो आप बिलकुल सही साइट में आए है, क्योंकि आप यहाँ पर दो अक्षर,… Read More » ऋ की मात्रा वाले शब्द और वाक्य | Ri ki Matra Wale Shabd
हिंदी के कठिन शब्द: 300 कठिन शब्द और उनके अर्थ (Hindi ke Kathin Shabd)
- 06/11/2023 06/11/2023
क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ शब्द इतने कठिन क्यों होते हैं? इस लेख में, हम बात करेंगे “100 कठिन शब्द हिंदी में” के बारे में। कठिन शब्द किसे कहते हैं? शब्द हमारे भाषा का मूल हैं। कठिन शब्द… Read More » हिंदी के कठिन शब्द: 300 कठिन शब्द और उनके अर्थ (Hindi ke Kathin Shabd)
हिंदी शब्दार्थ (Hindi Shabdarth) – शब्दों का अर्थ-बोध | 300+ शब्दों के अर्थ और उनके वाक्य में प्रयोग
- 26/10/2023 26/10/2023
Hindi Shabdarth: दोस्तों, इस पोस्ट में हम आपको 300+ शब्दार्थ इन हिन्दी के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिससे आपको शब्द अर्थ के बारे में अधिक से अधिक जानकारी मिल सकेगी। साथ ही हम आपको (100 Shabdarth in Hindi)… Read More » हिंदी शब्दार्थ (Hindi Shabdarth) – शब्दों का अर्थ-बोध | 300+ शब्दों के अर्थ और उनके वाक्य में प्रयोग
देशज शब्द और विदेशज शब्द किसे कहते हैं? | Deshaj Shabd के 100 उदाहरण
- 05/10/2023 05/10/2023
शब्दों की सीरीज में आज हम सीखेंगे हिंदी भाषा में देशज शब्द और विदेशज शब्द किसे कहते हैं? साथ ही Deshaj Shabd के 100+ उदाहरण भी साझा किया गया है। देशज शब्द किसे कहते हैं? (Deshaj shabd kise kahate hain)… Read More » देशज शब्द और विदेशज शब्द किसे कहते हैं? | Deshaj Shabd के 100 उदाहरण
तुकांत शब्द किसे कहते है – 100+ तुकांत शब्द की लिस्ट | Tukant Shabd in Hindi
- 05/10/2023 12/05/2024
100 तुकांत शब्द (Tukant Shabd) – दाना- खाना,राजा- बाजा, सितार – गिटार, फूल- धूल, चंदन – वंदन, कच्चा – बच्चा, जाल – थाल, झोली – बोली… तुकांत शब्द किसे कहते हैं? (Tukant Shabd kise kahate hai) तुकांत शब्द ऐसे दो… Read More » तुकांत शब्द किसे कहते है – 100+ तुकांत शब्द की लिस्ट | Tukant Shabd in Hindi
विलोम शब्द किसे कहते हैं: Viruddharthi Shabd | Vilom shabd in Hindi
- 29/09/2023 12/05/2024
नर्सरी से लेक कर स्कूल कॉलेज और यहाँ तक की प्रतियोगी परीक्षाओं में भी विलोम शब्द (Vilom shabd) या Viruddharthi शब्द पूछा जाता है। इसलिए हिंदी भाषा को सीखने या बोलने के लिए इन विलोम शब्दों के बारे में जानना… Read More » विलोम शब्द किसे कहते हैं: Viruddharthi Shabd | Vilom shabd in Hindi
300+ दो अक्षर वाले शब्द चित्र सहित | Do Akshar Wale Shabd in Hindi
- 04/08/2023 11/05/2024
सीखिए और समझिए हिंदी के दो अक्षर वाले शब्द का विश्लेषण। Do Akshar Wale Shabd in Hindi का अनोखा शब्द संग्रह। यहाँ पर आपको ढेर सारे दो अक्षर के शब्दों कि लिस्ट मिल जाएगी जिससे हिंदी भाषा को सीखने में… Read More » 300+ दो अक्षर वाले शब्द चित्र सहित | Do Akshar Wale Shabd in Hindi
500+ पर्यायवाची शब्द हिंदी में | Paryayvachi Shabd in Hindi (2024)
- 29/06/2023 06/04/2024
Paryayvachi Shabd (पर्यायवाची शब्द) हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हिंदी व्याकरण में हम संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, अलंकार, अवयव, निबंध लेखन, शब्द परिचय, मुहावरे पर्यायवाची आदि के बारे में पढ़ते हैं, जो सभी हिंदी व्याकरण की नींव हैं। इस… Read More » 500+ पर्यायवाची शब्द हिंदी में | Paryayvachi Shabd in Hindi (2024)
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Arinjay Academy » Hindi Vyakaran Class 5 » Avikari shabd Worksheet for Class 5
- Avikari shabd Worksheet for Class 5
Avikari shabd Worksheet for Class 5 contains 42 MCQ questions. Answers to Avikari shabd Worksheet for Class 5 are available after clicking on the answer. Hindi Worksheets for Class 5 help to check the concept you have learnt from detailed classroom sessions and application of your knowledge.
कक्षा – 5 अध्याय – अविकारी शब्द
Exercise 1 – निम्नलिखित वाक्यों में से संबंधबोधक शब्द छाँटने के लिए उचित विकल्प चुनिए –
1. लड़का माँ के पीछे चल रहा है | (क) लड़का (ख) माँ (ग) के पीछे (घ) चल रहा है |
Answer: (ग) के पीछे
2. दीदी ने कपड़े अलमारी के अंदर रखे हैं | (क) दीदी (ख) कपड़े (ग) अलमारी (घ) के अंदर
Answer: (घ) के अंदर
3. पेड़ के नीचे गाय बैठी है | (क) पेड़ (ख) के नीचे (ग) गाय (घ) बैठी है |
Answer: (ख) के नीचे
4. सीता घर के अंदर है | (क) सीता (ख) घर (ग) के अंदर (घ) है |
Answer: (ग) के अंदर
5. राधा रेखा से धीरे चलती है | (क) राधा (ख) रेखा (ग) से धीरे (घ) चलती है |
Answer: (ग) से धीरे
6. मेज के ऊपर किताब रखी है | (क) मेज (ख) के ऊपर (ग) किताब (घ) रखी है |
Answer: (ख) के ऊपर
7. उसका घर विद्यालय के पास है | (क) उसका (ख) घर (ग) के पास (घ) विद्यालय
Answer: (ग) के पास
8. राम डर के मारे काँप रहा था | (क) राम (ख) डर (ग) के मारे (घ) काँप रहा था |
Answer: (ग) के मारे
9. मैं भाई के साथ बाजार जाती हूँ | (क) मैं (ख) भाई (ग) के साथ (घ) बाजार
Answer: (ग) के साथ
10. हमारे विद्यालय के चारों ओर वृक्ष हैं | (क) हमारे (ख) विद्यालय (ग) के चारों ओर (घ) वृक्ष
Answer: (ग) के चारों ओर
11. घर के बाहर कूड़ा मत फेंको | (क) घर (ख) के बाहर (ग) कूड़ा (घ) मत फेंको |
Answer: (ख) के बाहर
12. मोहन घर के अंदर सो रहा है | (क) मोहन (ख) घर (ग) के अंदर (घ) सो रहा है |
Exercise 2 – निम्नलिखित वाक्यों में उचित विस्मयादिबोधक शब्द भरने के लिए उचित विकल्प चुनिए –
1. …………… कितना सुन्दर दृश्य है | (क) वाह ! (ख) हाय ! (ग) काश !
Answer: (क) वाह !
2. …………….. मोहन वापिस आ गया (क) छि: ! (ख) अरे ! (ग) काश !
Answer: (ख) अरे !
3. ……………… कितना स्वादिष्ट खाना बना है | (क) काश ! (ख) वाह ! (ग) हे राम !
Answer: (ख) वाह !
4. ………………… कितनी गंदगी है | (क) अरे ! (ख) छि: ! (ग) वाह !
Answer: (ख) छि: !
5. ……………… कमर में बहुत दर्द हो रहा है | (क) वाह ! (ख) ओह ! (ग) शाबाश !
Answer: (ख) ओह !
6. ……………… आज टीम ने अच्छा खेला | (क) ओह ! (ख) शाबाश ! (ग) वाह !
Answer: (ख) शाबाश !
7. ……………… तुम सफल हो गए होते | (क) वाह ! (ख) काश ! (ग) अरे !
Answer: (ख) काश
8. ……………… कितना बड़ा जानवर है | (क) अहा ! (ख) बाप रे बाप ! (ग) वाह !
Answer: (ख) बाप रे बाप !
Exercise 3 – निम्नलिखित विकल्पों में से निर्देशानुसार उचित क्रियाविशेषण चुनकर वाक्य पूरा कीजिए –
1. दीदी …………………. जयपुर जाएँगी | (कालवाचक) (क) सुबह (ख) धीरे – धीरे (ग) दूर – दूर
Answer: (क) सुबह
2. नंदा देवी ट्रेन ……………… चलती है | (रीतिवाचक) (क) शाम को (ख) सुबह (ग) बहुत तेज
Answer: (ग) बहुत तेज
3. बगीचे में पेड़ …………….. लगे हैं | (स्थानवाचक) (क) अभी (ख) परसों (ग) दूर – दूर
Answer: (ग) दूर – दूर
4. नाना जी चलते – चलते ……………. थक गए | (परिणामवाचक) (क) बहुत तेज (ख) सहसा (ग) काफी
Answer: (ग) काफी
5. कल मोहन ने ……………… खाया | (परिणामवाचक) (क) धीरे – धीरे (ख) चुपके – से (ग) बहुत
Answer: (ग) बहुत
6. मोहन…………….. ही खेला था कि पिताजी आ गए | (परिणामवाचक) (क) सहसा (ख) अचानक (ग) थोड़ा
Answer: (ग) थोड़ा
7. मोहन …………….. पढ़ता है | (रीतिवाचक) (क) दिनभर (ख) रात को (ग) ध्यानपूर्वक
Answer: (ग) ध्यानपूर्वक
8. गरीब व्यक्ति ……………… मेहनत करता है | (कालवाचक) (क) ध्यानपूर्वक (ख) दिनभर (ग) धीरे – धीरे
Answer: (ख) दिनभर
Exercise 4 – नीचे दिए गए रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए उचित समुच्चयबोधक शब्द चुनिए –
1. रेखा ……………. सीमा नृत्य कर रही हैं | (क) इसलिए (ख) और (ग) क्यों
Answer: (ख) और
2. पौधों को खाद – पानी समय पर दो …………… हरियाली बनी रहे | (क) इसलिए (ख) ताकि (ग) क्योंकि
Answer: (ख) ताकि
3. आज चाचा जी ………… चाची दोंनो आने वाले हैं | (क) मगर (ख) और (ग) बल्कि
4. वह बीमार है ……………… विद्यालय नहीं गया | (क) क्योंकि (ख) अन्यथा (ग) इसलिए
Answer: (ग) इसलिए
5. बेटा तुम्हे शरबत चाहिए ………………. दूध ? (क) और (ख) या (ग) क्योंकि
Answer: (ख) या
6. रामू मोहन के साथ क्रिकेट खेला ………………….. जीत न सका | (क) तथा (ख) लेकिन (ग) अन्यथा
Answer: (ख) लेकिन
7. हम समय पर निकले थे ……………. अंधेरा होने के कारण देर हो गई | (क) अन्यथा (ख) मगर (ग) क्योंकि
Answer: (ख) मगर
Exercise 5 – नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर देने के लिए उचित विकल्प चुनिए –
1. ‘मेरे नाना जी तेज चलते है |’ उक्त वाक्य में क्रियाविशेषण शब्द है – (क) नाना जी (ख) तेज (ग) चलते है |
Answer: (ख) तेज
2. विस्मयसूचक चिह्.न है – (क) ? (ख) | (ग) !
Answer: (ग) !
3. समुच्चयबोधक का उदाहरण है – (क) अन्यथा (ख) अधिक (ग) भीतर
Answer: (क) अन्यथा
4. निम्न में से अविकारी शब्द नहीं है – (क) क्रियाविशेषण (ख) संबंधबोधक (ग) विशेषण
Answer: (ग) विशेषण
5. निम्न में से रीतिवाचक क्रियाविशेषण का उदाहरण है – (क) दिनभर (ख) ध्यानपूर्वक (ग) इधर – उधर
Answer: ((ख) ध्यानपूर्वक
6. ‘तुम सब भीतर जाओ |’ उक्त वाक्य में स्थानवाचक क्रियाविशेषण है- (क) तुम सब (ख) भीतर (ग) जाओ
Answer: (ख) भीतर
7. जिन शब्दों पर लिंग, वचन, काल का प्रभाव नहीं पड़ता उन्हें …………. कहते है | (क) विकारी शब्द (ख) अविकारी शब्द (ग) उक्त में से कोई नहीं |
Answer: (ख) अविकारी शब्द
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Cbse notes for class 5, 1 thought on “avikari shabd worksheet for class 5”.
Superb! Very helpful to clear the concept of the students.
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- Tatsam Tadbhav Shabd /
Aansu ka Tatsam Shabd – आँसू का तत्सम शब्द क्या होता है?
- Updated on
- मई 16, 2024
तत्सम शब्द वे शब्द होते हैं जो संस्कृत से सीधे उत्पन्न हुए हैं और ये हिंदी भाषा का महत्वपूर्ण अंग हैं। यदि आप छोटी कक्षा में है या सरकारी टीचर बनने की तैयारी कर रहे हैं तो यह आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय है। आपको बता दें कि विज्ञान, साहित्य, धर्म आदि क्षेत्रों में इनका प्रयोग भाषा को बेहतर बनाने के लिए भी किया जाता है। तत्सम शब्दों की इसी सूची में से एक तत्सम शब्द है – Aansu ka Tatsam Shabd जिसके बारे में यहां दिया गया है।
Aansu ka Tatsam Shabd – भाई का तत्सम शब्द
आँसू का तत्सम शब्द अश्रु है।
तत्सम शब्द किसे कहते हैं?
तत्सम शब्द हिंदी भाषा में प्रयोग किए जाने वाले शब्द होते हैं जो संस्कृत से सीधे उत्पन्न शब्द हैं। इन शब्दों की मूल भाषा संस्कृत होती है। ये वे शब्द हैं जिन्हे संस्कृत भाषा से हिंदी में अपनाया गया है। उदाहरण के लिए बाल का तत्सम शब्द है केश और किताब का तत्सम शब्द पुस्तक है।
यह भी पढ़ें : Tatsam Tadbhav Shabd क्या होते हैं, जानिए परिभाषा, प्रकार और उदाहरण के साथ
तत्सम शब्द के अन्य उदाहरण
तत्सम शब्द के कुछ अन्य उदाहरण नीचे दिए गए हैं:
- अकाल
- केन्द्र
- ग्राम
तत्सम शब्द की पहचान कैसे करें?
तत्सम शब्द की पहचान करने के लिए कुछ साधारण बिंदु नीचे दिए गए हैं –
- तत्सम शब्द साधारणतः संज्ञा या क्रिया होते हैं। इसलिए, जब आप किसी शब्द को देखते हैं, तो देखें कि यह किस तरह के शब्द के रूप में प्रयोग हो रहा है।
- यह ध्यान दें कि तत्सम शब्दों का उच्चारण संस्कृत के अनुसार होता है।
- तत्सम शब्दों का अर्थ परिवर्तित नहीं होता है अर्थात् तत्सम शब्द का अर्थ जो संस्कृत में होगा वही हिंदी में भी होगा। इसलिए, अगर आप किसी शब्द का अर्थ जानते हैं और वह संस्कृत से लिया गया है, तो वह तत्सम हो सकता है।
- तत्सम शब्दों का प्रयोग विशेषतः विदेशी शब्दों या विज्ञान, प्रौद्योगिकी, संगीत, कला आदि के क्षेत्रों में होता है। यदि आप किसी शब्द को उन क्षेत्रों में उपयोग में देखते हैं, तो वह तत्सम हो सकता है।
तत्सम शब्द और तद्भव शब्द में अंतर
तत्सम और तद्भव शब्दों में मुख्य अंतर यह है कि तत्सम शब्द सीधे संस्कृत से हिंदी में आए होते हैं, जबकि तद्भव शब्द संस्कृत से आए होते हैं, लेकिन उनमें विभिन्न परिवर्तन होता है। कुछ अन्य अंतर नीचे दिए गए हैं:
- तत्सम शब्द संस्कृत से बिना किसी परिवर्तन के सीधे हिंदी में आए हैं।
- इन शब्दों का उच्चारण और अर्थ संस्कृत के अनुसार ही होता है।
- उदाहरण: धन्यवाद, स्वागत, ज्ञान, स्वर्ग, मन्दिर, दिव्य, ग्राम, प्रदेश।
तद्भव शब्द
- तद्भव शब्द हिंदी में संस्कृत के शब्दों से आए होते हैं, लेकिन उनमें कुछ परिवर्तन हो जाता है।
- इन शब्दों का उच्चारण और अर्थ भारतीय भाषाओं के आधार पर होता है।
- उदाहरण: कमरा (संस्कृत: कक्ष), आग (संस्कृत: अग्नि), सूर्य (संस्कृत: सूर्य), चाँद (संस्कृत: चंद्र), शक्ति (संस्कृत: शक्ति)।
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- सूरज का तत्सम शब्द
- कान का तत्सम शब्द
- मोर का तत्सम शब्द
- आज का तत्सम शब्द
- भाई का तत्सम शब्द
उम्मीद है, Aansu ka Tatsam Shabd आपको पता चल गया है। अन्य तत्सम-तद्भव शब्दों के बारे में जानने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।
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