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संयुक्त परिवार पर निबंध (Essay on Joint Family in Hindi)

संयुक्त परिवार सामान्यतः एक बृहत् परिवार है। यह दो या दो से अधिक प्राथमिक परिवारों से बना एक समूह है। इस प्रकार एकल परिवारों का ऐसा समूह जिसके सदस्यों

Essay on Joint Family in Hindi : इस लेख में हमें  संयुक्त परिवार पर निबंध लिखा है जिसको पढ़कर आप संयुक्त परिवार किसे कहते हैं ?, संयुक्त परिवार के लाभ और विशेषताएं और संयुक्त परिवार पर निबंध लिख सकेंगे। 

संयुक्त परिवार पर निबंध (Essay on Joint Family in Hindi)

प्रस्तावना : संयुक्त परिवार सामान्यतः एक बृहत् परिवार है। यह दो या दो से अधिक प्राथमिक परिवारों से बना एक समूह है। इस प्रकार एकल परिवारों का ऐसा समूह जिसके सदस्यों की रसोई,पूजा पाठ एवं संपत्ति सामूहिक होती है उसे ही सयुंक्त परिवार कहते है। संयुक्त परिवार के अंतर्गत दादा, दादी, माता- पिता, चाचा- चाची और उनके बच्चे एक साथ रहते हैं।

आज भी संयुक्त परिवार को ही सम्पूर्ण परिवार माना जाता है। वर्तमान समय में भी एकल परिवार को एक मजबूरी के रूप में ही देखा जाता है। हमारे देश में आज भी एकल परिवार को मान्यता प्राप्त नहीं है औद्योगिक विकास के चलते संयुक्त परिवारों का बिखरना जारी है। परन्तु आज भी संयुक्त परिवार का महत्त्व कम नहीं हुआ है। 

संयुक्त परिवार का बिखराव

संयुक्त परिवार टूटने के आर्थिक कारण :  संयुक्त परिवारों के बिखरने का मुख्य कारण है रोजगार पाने की आकांक्षा। बढती जनसँख्या तथा घटते रोजगार के कारण परिवार के सदस्यों को अपनी जीविका चलाने के लिए गाँव से शहर की ओर या छोटे शहर से बड़े शहरों को जाना पड़ता है और इसी कड़ी में विदेश जाने की आवश्यकता पड़ती है। परंपरागत कारोबार या खेती बाड़ी की अपनी सीमायें होती हैं जो परिवार के बढ़ते सदस्यों के लिए सभी आवश्यकतायें जुटा पाने में समर्थ नहीं होता। अतः परिवार को नए आर्थिक स्रोतों की तलाश करनी पड़ती है। जब अपने गाँव या शहर में नयी सम्भावनाये कम होने लगती हैं तो परिवार की नयी पीढ़ी को राजगार की तलाश में अन्यत्र जाना पड़ता है। अब उन्हें जहाँ रोजगार उपलब्ध होता है वहीँ अपना परिवार बसाना होता है। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं होता की वह नित्य रूप से अपने परिवार के मूल स्थान पर जा पाए, कभी कभी तो सैंकड़ो किलोमीटर दूर जाकर रोजगार करना पड़ता है।

संयुक्त परिवार टूटने के सामाजिक कारण :  संयुक्त परिवार टूटने का सबसे बड़ा कारण है आपसी सामंजस्य की कमी। मनुष्य की वृति अब ऐसी हो गयी है कि वह सिर्फ अपना भला सोचने लगा है आज कोई भी आपस में समंजन करके नही चलना चाहता है जब त्याग करने की बात आती है तो सब पीछे हटने लगते है। आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो की बचपन में पढ़े नैतिक शिक्षा के पाठो को भूले नही है और उनका पालन करते है इसीलिए आज भी संयुक्त परिवार अस्तित्व में हैं। बचपन में हमे कृतज्ञता, ईमानदारी, लालच का फल, सहायता करना ये सब सिखाया जाता है जिससे की हम व्यावहारिक रूप से भी संपन्न रह सके पर ये सब व्यर्थ हो जाता है जब हम स्वार्थी हो जाते है और केवल अपने बारे में सोचने लगते है उसी दिन से संयुक्त परिवारों का पतन शुरू हो जाता है। परंतु कई बार परिस्थितियां ही ऐसी बन जाती है कि परिवार को बंटना पद जाता है जिसमे दुखी वे भी होते है जो परिवार से न चाहते हुए भी अलग हो जाते है । संयुक्त परिवार को संयुक्त रखने में आपसी प्रेम का भाव होना बहुत जरूरी है इसके लिए जरूरी है कि छोटी छोटी बातों को भूल कर आगे बढ़ा जाये क्योंकि ये छोटी छोटी बाते दिल में घर कर जाती है फिर प्रेम को द्वेष में बदलने का काम करने लगती है फिर टूटता है संयुक्त परिवार। परिवार की जो कड़िया स्वार्थी होती है वे इन छोटी छोटी बातों को सींच कर बड़े बड़े वृक्षो में बदल देती है फिर इन्ही वृक्षो की लकड़ीया दिवार बनाकर परिवार को अलग कर देती है।

संयुक्त परिवार के फायदे

1. बच्चों का समुचित पालन - पोषण संयुक्त परिवार बच्चों के पालन पोषण के लिए उत्तम स्थान है। ऐसे परिवार में वृद्ध सदस्य जैसे- दादा, दादी, नाना, नानी भी होते हैं जो कठोर परिश्रम तो नहीं कर पाते परंतु सुगमता से बालकों की देखभाल कर लेते हैं। उनके सामाजिकरण एवं शिक्षण में भी योगदान देते हैं। सहयोग और सामंजस्य बच्चा परिवार से ही सीखता है। वर्तमान में एकांकी परिवारों में पति और पत्नी दोनों के कामकाजी होने के कारण बच्चों के समुचित देखरेख में बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न हो रही है। इस परिस्थिति में संयुक्त पारिवारिक व्यवस्था लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

2. चरित्र निर्माण में सहयोग - संयुक्त परिवार में सभी सदस्य एक दूसरे के आचार व्यव्हार पर निरंतर निगरानी बनाय रखते हैं ,किसी की अवांछनीय गतिविधि पर अंकुश लगा रहता है .अर्थात प्रत्येक सदस्य चरित्रवान बना रहता है .किसी समस्या के समय सभी परिजन उसका साथ देते हैं और सामूहिक दबाव भी पड़ता है कोई भी सदस्य असामाजिक कार्य नहीं कर पता ,बुजुर्गों के भय के कारण शराब जुआ या अन्य कोई नशा जैसी बुराइयों से बचा रहता है और आपको यह भी बतादूँ की कुछ भी हो हर बड़े ओर छोटे का पूरा प्यार और दुलार मिलता हैं।

3. धन का उचित उपयोग - संयुक्त परिवार में एक सामान्य कोष होता है जिसमें से सदस्यों की आवश्यकतानुसार चाहे वह कमाता हो या नहीं, धन खर्च किया जाता है। कर्ता के नियंत्रण के द्वारा अनावश्यक खर्चों से बचा जाता है। परिवार में आय और संपत्ति पर किसी भी सदस्य का विशेषाधिकार नहीं होता है इसलिए सभी सदस्य समान रूप से लाभ के भागीदार होते हैं। लोग अपनी क्षमता अनुसार आय प्रदान करते हैं और आवश्कतानुसार खर्च करते हैं।

4. संपत्ति के विभाजन से बचाव - संयुक्त परिवार में सदस्य सम्मिलित रूप से रहते हैं जिससे संपत्ति के विभाजन का प्रश्न ही नहीं उठता है। इस प्रकार संयुक्त संपत्ति का उपयोग व्यापार अथवा किसी धंधे में करके संपत्ति में और अधिक बढ़ोतरी की जा सकती है। संयुक्त परिवार कृषि के लिए और भी अधिक उपयोगी प्रमाणित हुए हैं क्योंकि इन्होंने भूमि के विभाजन पर रोक लगाकर उत्पादकता को बढ़ाने में सहयोग दिया है। संयुक्त संपत्ति होने के कारण अनावश्यक खर्चों पर भी रोक लगी है और कोई भी उस संपत्ति का मनमाना प्रयोग नहीं कर सकता। अतः हम देखते हैं कि संयुक्त परिवार में संपत्ति की सुरक्षा भी होती हैं।

5. श्रम विभाजन - इरावती कर्वे के अनुसार संयुक्त परिवार में श्रम विभाजन के बहुत लाभ प्राप्त हो जाते हैं। सब सदस्यों को उनकी योग्यता को ध्यान में रखकर ही कार्य दिया जाता है। वृद्ध, कमजोर, शारीरिक दृष्टि से अयोग्य व्यक्तियों को बिना उन पर अनावश्यक भार डालें, उनकी सामर्थ्य के अनुसार ही कार्य दिए जाते हैं। इस प्रकार संयुक्त परिवार में पुरुष धन उपार्जन का कार्य करते हैं और स्त्रियां बालकों के पालन पोषण का कार्य तथा घर की देखभाल करती है। आर्थिक क्रियाओं में भी योग देती हैं। 

श्रम के उचित विभाजन के परिणाम स्वरुप सबकी कार्यकुशलता बनी रहती हैं और परिवार को श्रम विभाजन का पूर्ण लाभ मिल पाता है। 

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संयुक्त परिवार पर निबंध

Essay On Joint Family in Hindi : मनुष्य का जीवन परिवार के बिना अधूरा है। परिवार के बिना जीवन में कोई रस नहीं है क्योंकि परिवार ही तो है जिसके कारण जीवन को मनोरंजन के साथ जिया जा सकता है। परिवार दो तरह की होती है संयुक्त परिवार और एकल परिवार।

Essay On Joint Family in Hindi

हम यहां पर संयुक्त परिवार निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में संयुक्त परिवार से सभी जानकारी का वर्णन किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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संयुक्त परिवार पर निबंध | Essay On Joint Family in Hindi

संयुक्त परिवार पर निबंध (250 शब्द).

भारत में प्राचीन काल से लोग संयुक्त परिवार में रहते आ रहे हैं। संयुक्त परिवार का अर्थ होता है जिस परिवार में एक से अधिक पीढ़ी के लोग मिल जुल कर रहते हो उदाहरण के रूप में संयुक्त परिवार में माता-पिता के अतिरिक्त दादा -दादी, चाचा-चाची और उनके बच्चे सभी लोग रहते हैं।

संयुक्त परिवार 8 से 10 लोगों का सदस्य हो सकता है जबकि एकल परिवार में मात्र माता-पिता और बच्चे शामिल होते हैं। संयुक्त परिवार प्रणाली न केवल गृहकार्य के बोझ को कम करती है, यह वित्तीय कठिनाइयों, दुर्घटनाओं या आपदाओं के समय मिल जुल कर रहना सिखाती है।

कठिनाइयों के समय में, परिवार मजबूत भावनात्मक समर्थन प्रदान करता है क्योंकि यह हमेशा सभी सदस्यों की समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुनने के लिए होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि ये समस्याएं महत्वपूर्ण हैं या नहीं, महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि सभी समस्याओं को सुना जाता है।

समय के साथ संयुक्त परिवार का प्रचलन धीरे-धीरे खत्म हो रहा है क्योंकि आज के समय में ज्यादातर महिलाएं भी नौकरी पेशा वाली होती हैं और परिवार का हर सदस्य काम की तलाश में अलग-अलग शहरों में रहता है, जिसके कारण एक साथ संयुक्त परिवार के रूप में रह पाना संभव नहीं होता।

हालांकि ऐसे लोग छुट्टियों में या फिर त्योहारों में वे अपने पैतृक घर आते हैं, जहां पर सभी परिवार एक साथ मिलते हैं। संयुक्त परिवार प्रणाली परिवार के सदस्यों को प्यार और स्नेह में बांधती है और दूसरों के साथ साझा करने और देखभाल करने के दृष्टिकोण को विकसित करके उन्हें अन्य लोगों की गलतियों के प्रति सहिष्णु होना सिखाती है।

संयुक्त परिवार पर निबंध (850 शब्द)

भारत में प्राचीन काल से ही संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलित है। संयुक्त परिवार एक छत के नीचे एक साथ रहने वाला एक बड़ा परिवार है। ऐसे परिवारों में, सबसे बड़े पुरुष सदस्य को परिवार के मुखिया के रूप में जाना जाता है और उसकी पत्नी, उनके बेटे, बहू, पोते, सभी एक साथ रहते हैं। ये बड़े परिवार हैं जो एक साथ रहते हैं और ज्यादातर मामलों में उनका एक ही पेशा या सामान्य व्यवसाय होता है। लोग आमतौर पर बहुत महत्वाकांक्षी नहीं होते हैं और अपने परिवार की सदियों पुरानी संस्कृति और रीति-रिवाजों का पालन करते हैं।

संयुक्त परिवार का लाभ

संयुक्त परिवार का सबसे बड़ा फायदा यह है कि संयुक्त परिवार में रहते हुए एक सुरक्षात्मक भावना विकसित होती है। किसी भी प्रकार के खतरे का डर नहीं होता। संयुक्त परिवार में रहने पर किसी भी समस्या में हमें अपने परिवार के हर सदस्य का समर्थन मिलता है वह हमारी हिम्मत बढ़ाते हैं।

जिस प्रकार एकल परिवार में परिवार की पूरी जिम्मेदारी एक व्यक्ति पर होती है लेकिन संयुक्त परिवार में जिम्मेदारी बट जाती है किसी एक व्यक्ति के ऊपर घर का बोझ नहीं होता। इस तरीके से संयुक्त परिवार में रहते हुए परिवार का हर एक सदस्य घर के खर्चे में अपनी भागीदारी देता है।

संयुक्त परिवार में बच्चों के लिए एक अनुशासन से भरा माहौल विकसित होता है क्योंकि संयुक्त परिवार में घर का सबसे बड़ा व्यक्ति हमारे बुजुर्ग यानी कि हमारे दादा जी होते हैं, जो अपने अनुभव और ज्ञान से घर के बच्चों को मार्गदर्शन देते हैं‌ इसके अतिरिक्त परिवार का हर एक सदस्य बच्चों का अच्छे से देखभाल कर पाता है। इस तरीके से संयुक्त परिवार में रहते हुए बच्चों का लालन-पालन अच्छे से हो पाता है।

संयुक्त परिवार में रहते हुए बच्चो साथ ही बड़ों को भी कभी बोरियत महसूस नहीं होता है क्योंकि संयुक्त परिवार के साथ हंसी मजाक कर सकते हैं और जीवन को मनोरंजन से जी सकते हैं। संयुक्त परिवार में हर प्रकार के त्योहारों को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। वैसे भी बिना परिवार की किसी भी त्योहार का कोई मजा नहीं।

संयुक्त परिवार में रहते हुए हर एक त्यौहार में एक अलग उमंग और उत्साह देखने को मिलता है। संयुक्त परिवार में रहते हुए हमें हर एक समस्याओं का हल मिल जाता है। संयुक्त परिवार में रहते हुए हमें अकेला महसूस नहीं होता।

संयुक्त परिवार के नुकसान

संयुक्त परिवार में रहने के तो कई सारे लाभ है लेकिन कभी-कभी हानि भी होता है क्योंकि परिवार के हर सदस्य एक बहुत नाजुक रिश्ते के धागे से बंधे होते है और यदि धागे में जरा भी तनाव आया तो रिश्ते में तकरार आ सकती हैं और यह खास करके परिवार के दो बहुओं के बीच में ज्यादातर होता है। ऐसे में परिवार का पूरा माहौल खराब हो सकता हैं जिसके कारण बहुत सोच समझ कर चलना पड़ता है।

संयुक्त परिवार को बनाए रखने के लिए परिवार के हर सदस्य को एक दूसरे की खुशी को प्राथमिकता देनी पड़ती है। यहां तक कि परिवार में जो सदस्य छोटा है, उसे कई बार अपनी इच्छाओं को दबाना पड़ता है और अपने बड़ों के इच्छाओं के अनुसार काम करना पड़ता है।

संयुक्त परिवार में यदि हर एक सदस्य का विचार एक जैसे ना हो तो वह अन्य लोगों के बहकावे में बहुत जल्दी आ जाता है जिससे परिवार में विभाजन तक की नौबत आ जाती है।

संयुक्त परिवार में आय की भी समस्या होती है। यदि किसी सदस्य की आय अन्य सदस्य से ज्यादा हो तो दूसरे सदस्य को शर्म महसूस करना पड़ता है। यहां तक कि कई बार कम आय वाले सदस्यों को ज्यादा आय वाले सदस्य का ताना भी सुनना पड़ता है।

इसके अतिरिक्त संयुक्त परिवार में आय की बचत कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि संयुक्त परिवार बड़ा होता है ऐसे में सारी कमाई परिवार के खर्चे में निकल जाता है। संयुक्त परिवार में महिलाओं के बीच काम को लेकर भी काफी झगड़े होते हैं जो परिवार में अशांति फैलाता है।

जीवन की परिस्थितियों में परिवार ही तो हमारा सबसे बड़ा हिम्मत होता है जो हमें परेशानियों में हमारी हिम्मत बढ़ाता है, मुसीबतों में हमारा समर्थन करता है। इस तरीके से संयुक्त परिवार में रहना काफी लाभकारी होता है लेकिन कहते हैं ना जैसे एक बूंद नींबू पूरे दूध को खट्टा कर सकता है वैसे ही परिवार का कोई भी एक सदस्य की सोच खराब निकली तो वह संयुक्त परिवार के रिश्ते को तोड़ सकता है।

इसीलिए संयुक्त परिवार में रिश्ते को बनाए रखने के लिए सब के विचार एक जैसे होने चाहिए। सदस्य में एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए, बड़ों के प्रति सम्मान होना चाहिए और छोटों के प्रति मैत्रीपूर्ण व्यवहार होना चाहिए,सभी सदस्यों को घर में समान रूप से भागीदारी दिखाना चाहिए और किसी भी सदस्य के ऊपर हीन भावना नहीं होना चाहिए। तभी संयुक्त परिवार में खुशी से रहा जा सकता है।

हमने यहां पर  “संयुक्त परिवार पर निबंध ( Essay On Joint Family in Hindi)” शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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