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मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य

  • Causes and Symptoms
  • Mental Health Disorders
  • Tips for good mental health

Mental Health in Hindi (मेंटल हेल्‍थ), Mansik Swasthya in Hindi (मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य): किसी भी व्यक्ति के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही बहुत जरूरी हैं। अगर कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ है लेकिन उसका मानसिक स्वास्थ्य खराब है तो उसे अपने जीवन में कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। मानसिक स्वास्थ्य से एक व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता चलता है, उसके भीतर आत्मविश्वास आता कि वे जीवन में तनाव से सामना कर सकता है और अपने काम या कार्यों से अपने समुदाय के विकास में योगदान दे सकता है। मानसिक विकार व्यक्ति के स्वास्थ्य-संबंधी व्यवहार, फैसले, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, सुरक्षित यौन व्यवहार आदि को प्रभावित करता है और शारीरिक रोगों के खतरे को बढ़ाता है। मानसिक अस्वस्थता के कारण ही व्यक्ति को बेरोजगार, बिखरे हुए परिवार, गरीबी, नशीले पदार्थों का सेवन और संबंधित अपराध का सहभागी बनना पड़ता है। अगर किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य सही रहेगा तो उसका जीवन भी सही रहेगा। इसलिए हम आपको अपने इस खंड में मानसिक विकारों से जुड़ें हर पहलू के बारे में विस्तार से बताएंगे, जो आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेगा। पर आइए सबसे पहले जान लेते हैं, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।

मानसिक बीमारियों का कारण - Causes of Mental Illness

मानसिक स्वास्थ्य में हमारे भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण (emotional, psychological, and social well-being) शामिल हैं। यह प्रभावित करता है कि हम कैसे सोचते हैं, महसूस करते हैं और कार्य करते हैं। आपका मानसिक स्वास्थ्य उम्र बढ़ने के साथ बदलता चला जाता है।  अपने जीवन के दौरान, अगर आप मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव करते हैं तो इसके बारें में जानना, डॉक्टर की मदद लेना और इलाज करवाना बेहद जरूरी है क्योंकि ये आपकी सोच, मनोदशा और व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे कई अन्य कारण भी हैं, जो कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • -जैविक कारक (Biological factors), जैसे कि जीन या मस्तिष्क रसायन 
  • -मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का पारिवारिक इतिहास (Family history of mental health problems)
  • -जीवन के अनुभव, जैसे आघात या तकलीफ (Life experiences, such as trauma or abuse)
  • -जीवन में अवसाद रूपी वातावरण के कारण (Depressive Environment)
  • -बचपन का आघात लगने के कारण (Childhood trauma)
  • -तनावपूर्ण घटनाएं जैसे किसी प्रियजन को खोने के कारण (Stressful events of life)
  • -नकारात्मक विचारों के बढ़ने के कारण (Negative thoughts)
  • - अनहेल्दी आदतों जैसे कि पर्याप्त नींद न लेना या खराब खान-पान की वजह से (unhealthy lifestyle)
  • - ड्रग्स और अल्कोहल का दुरुपयोग से( Abusing drugs and alcohol)
  • -एक लंबी बीमारी के उपचार के बाद (treatment with a chronic disease)

मानसिक बीमारी के लक्षण -  Symptoms of Mental Illness

प्रत्येक मानसिक बीमारी के अपने-अपने लक्षण होते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य चेतावनी संकेत या लक्षण हैं जो आपको सचेत कर सकते हैं कि आपको किसी को पेशेवर मदद की आवश्यकता है। जैसे कि 

  • -ज्यादा सोचना (Over thinking)
  • -एंग्जायटी और घबराहट (Anxiety)
  • - व्यक्तित्व परिवर्तन (marked personality change)
  • --खाने या सोने के पैटर्न में बदलाव (changes in eating or sleeping patterns)
  • -समस्याओं और दैनिक गतिविधियों को करने में असमर्थता (inability to cope with problems and daily activities)
  • -ज्यादा चिंता करना (excessive anxieties)
  • -लंबे समय तक अवसाद और उदासीनता (prolonged depression and apathy)
  • - ज्यादा गुस्सा करना या हिंसक व्यवहार करना (excessive anger or violent behavior)
  • -आत्महत्या के बारे में सोचना या खुद को नुकसान पहुंचाना (thinking or talking about suicide)
  • -बहुत ज्यादा मूड स्विंग्स होना (extreme mood swings)
  • -शराब या ड्रग्स का दुरुपयोग (abuse of alcohol or drugs)

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियां -Mental Health Disorders

1. एंग्जायटी डिसऑर्डर (anxiety disorders).

एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorders) मानसिक बीमारी का सबसे आम प्रकार है। इन स्थितियों वाले लोगों में गंभीर भय या चिंता होती है, जो कुछ वस्तुओं या स्थितियों से संबंधित होती है।  एंग्जायटी डिसऑर्डर के प्रकार (Types of Anxiety Disorders) भी हैं, जैसे कि 

a. सामान्यीकृत चिंता विकार (Generalized anxiety disorder)

सामान्यीकृत चिंता विकार में लगातार और अत्यधिक चिंता शामिल होती है जो दैनिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करती है। यह चल रही चिंता और तनाव शारीरिक लक्षणों के साथ हो सकता है, जैसे कि बेचैनी, किनारे पर महसूस करना या आसानी से थकावट, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, मांसपेशियों में तनाव या नींद की समस्या। 

b. घबराहट की समस्या (Panic Disorder)

पैनिक डिसऑर्डर का मुख्य लक्षण बार-बार होने वाले पैनिक अटैक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक संकट का एक जबरदस्त संयोजन है। इसके कई लक्षण हैं जैसे कि 

  • -तेज दिल की धड़कन
  • -थरथर कांपना या हिलाना
  • -सांस की तकलीफ महसूस करना 
  • -छाती में दर्द
  • -चक्कर आना, हल्का-फुल्का या बेहोश होना
  • -घुटन का अहसास
  • -स्तब्ध हो जाना या झुनझुनी
  • -ठंड लगना 
  • -मतली या पेट में दर्द
  • -मरने का डर

c. फोबिया (Phobias)

फोबिया एक विशिष्ट वस्तु, स्थिति या गतिविधि का अत्यधिक और लगातार भय है जो आमतौर पर हानिकारक नहीं होता है। मरीजों को पता है कि उनका डर अत्यधिक है, लेकिन वे इसे दूर नहीं कर सकते। 

d. भीड़ से डर लगना (Agoraphobia)

एगोराफोबिया उन स्थितियों में होने का डर है जहां से बचना मुश्किल या शर्मनाक हो सकता है। ये डर वास्तविक स्थिति बहुत परेशान करता है और कामकाज में समस्याएं पैदा करता है। एग्रोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति इस डर का अनुभव कई स्थितियों में करता है। जैसे कि

  • -सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना
  • -खुले स्थानों में होने पर
  • - भीड़ वाले स्थानों में होना
  • -लाइन में खड़ा होने पर
  • -घर के बाहर अकेले रहने पर

e. सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर (Social Anxiety Disorder)

सामाजिक चिंता विकार वाले व्यक्ति को शर्मिंदगी, अपमानित, अस्वीकार किए जाने या सामाजिक संबंधों में कमी देखने के बारे में ज्यादा चिंता और असुविधा होती है। इस विकार वाले लोग स्थिति से बचने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर जानें,  बोलने, नए लोगों से मिलने और सार्वजनिक रूप से खाने पीने से अत्यधिक डरते हैं। 

f. अलगाव की चिंता (Separation Anxiety Disorder)

अलगाव चिंता विकार वाले लोगों को अपने लोगों से बिछड़ने का डर रहता है। ऐसे लोग घर से बाहर जाने या उस व्यक्ति के बिना बाहर जाने से इनकार कर सकते है, या अलगाव के बारे में बुरे सपने का अनुभव कर सकते हैं। ये परेशानी बचपन में विकसित होते हैं, लेकिन लक्षण वयस्क होने के बाद भी रह सकते हैं।

2. मूड डिसऑर्डर  (Mood disorders)

मूड डिसऑर्डर को भी भावात्मक विकारों या अवसादग्रस्तता विकारों के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। इन स्थितियों वाले लोगों के मनोदशा में बहुत जल्दी बदलाव आता रहता है। इसके भी कई प्रकार होते हैं, जैसे कि 

a. मेजर डिप्रेशन (Major depression)

इस अवसाद के साथ एक व्यक्ति लगातार लो फिल करता है और उसका मूड हमेशा खराब रहता है और उन गतिविधियों और घटनाओं में रुचि खो देता है जो पहले से आनंद लेते थे। वे लंबे समय तक निराश या अत्यधिक उदास महसूस करता है।

b. बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar disorder)

बाइपोलर डिसऑर्डर या द्विध्रुवी विकार वाला व्यक्ति अपने मनोदशा, ऊर्जा के स्तर, गतिविधि के स्तर और दैनिक जीवन को जारी रखने की क्षमता में असामान्य परिवर्तन का अनुभव करता है। अच्छा महसूस करने पर वो बहुत ज्यादा एनर्जेटिक हो जाते हैं, जबकि लो मूड होने पर अवसाद में चले जाते हैं। 

c. मौसमी भावात्मक विकार (Seasonal affective disorder )

सर्दियों और शुरुआती वसंत महीनों के दौरान जब दिन का छोटा होता है या ज्यादा अंधेरा होता है, तो ये कुछ लोगों को डिप्रेशन में डाल सकता है। ऐसे लोगों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है एक बेहतर लाइटिंग या सूर्य की रोशनी वाले कमर में रहना। 

3. सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia disorders)

सिजोफ्रेनिया एक या कई मानसिक बीमारियों का एक समूह है जिसे समझना काफी मुश्किल है।  सिजोफ्रेनिया के लक्षण आमतौर पर 16 से 30 साल की उम्र के बीच विकसित होते हैं। ऐसे व्यक्ति के विचार कई बार टूटे हुए और खोए हुए से होते हैं। ये लोग उन चीजों को भी अपने आस पास महसूस करते हैं, जो कि सच में दुनिया में है ही नहीं।  सिजोफ्रेनिया के नकारात्मक और सकारात्मक लक्षण हैं। सकारात्मक लक्षणों में भ्रम, विचार विकार और मतिभ्रम शामिल हैं। नकारात्मक लक्षणों में प्रेरणा की कमी और खराब मनोदशा शामिल हैं।

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उपाय- Tips for good mental health

  • -दूसरों से जुड़े रहें और अपने आप को अलग न समझें।
  • -पॉजिटिव सोचें
  • -शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
  • -दूसरों की मदद करते रहें।
  • -पर्याप्त नींद लें और समय पर सोएं और समय से जागें
  • -हेल्दी डाइट लें खास कर मूड को बेहतर बनाने वाली चीजों को खाएं।
  • -शराब, धूम्रपान और ड्रग्स से बचें। 
  • -खूब धूप लें। 
  • -तनाव ज्यादा न लें।
  • -बहुत ज्यादा सोचना बंद करें।
  • -एक्सरसाइज और योग करें।
  • -ऐसा कुछ करें जिससे आपका मन लगा रहे और आप खुश रहें। 
  • - मिलनसार बनें।

इस तरह आप मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सभी परेशानियों,  बीमारियों, उनके लक्षण, उपचार और बचाव के लिए एक्सपर्ट टिप्स और जानकारियां यहां पा सकते हैं। तो पढ़ते रहें ऑनली माय हेल्थ का ये खंड 'मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य -Mental health in hindi' और अपने मानसिक स्वास्थ्य का रखें खास ख्याल। 

Source: American Psychiatric Association

WHO and CDC 

https://www.ncbi.nlm.nih.go

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मानसिक रोग हेल्थ सेंटर

essay on mental health in hindi

मानसिक रोग - Mental Illness in Hindi

Dr. ayush pandey mbbs,pg diploma january 27, 2018, december 19, 2023.

मानसिक रोग

मानसिक रोग क्या है ?

मानसिक रोग, कई मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों को संदर्भित करता है - ऐसे विकार जो आपकी मनोदशा, सोच और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। मानसिक रोग के उदाहरण हैं - डिप्रेशन (अवसाद), चिंता, स्किज़ोफ़्रेनिया और खाने के विकार।

कई लोगों को समय-समय पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं लेकिन यह मानसिक बीमारी बन जाती हैं जब इसके लक्षण अक्सर तनाव पैदा करते हैं और कार्य करने की आपकी क्षमता को प्रभावित करते हैं।

एक मानसिक बीमारी आपको बहुत दुखी कर सकती है और अपने दैनिक जीवन में समस्याएं पैदा कर सकती है, जैसे कि स्कूल या काम या रिश्तों में समस्याएं। ज्यादातर मामलों में, लक्षण दवाओं और टॉक थेरेपी (मनोचिकित्सा) के संयोजन के साथ प्रबंधित किये जा सकते हैं।

मानसिक रोग कितने प्रकार के होते हैं - Types of Mental Illness in Hindi

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मानसिक बीमारियां कौन कौन सी हैं?

मानसिक रोग कई प्रकार के होते हैं। इसके कुछ प्रकार निम्नलिखित हैं -

  • बाइपोलर डिसआर्डर
  • अल्जाइमर रोग
  • डिमेंशिया (मनोभ्रंश)
  • पार्किंसन रोग
  • डिस्लेक्सिया
  • डिप्रेशन (अवसाद)
  • लत्त सम्बन्धी विकार (और पढ़ें -  शराब की लत  और  नशे की लत )
  • ओसीडी  (मनोग्रसित बाध्यता विकार)
  • पीटीएसडी  (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रैस डिसऑर्डर)
  • याददाश्त खोना
  • कमजोर याददाश्त
  • भूलने की बीमारी
  • डर (फोबिया)
  • भ्रम (Delusion)
  • मतिभ्रम (Hallucination)
  • स्किज़ोफ़्रेनिया

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मानसिक रोग के लक्षण क्या होते हैं ?

मानसिक रोग के लक्षण, उसके प्रकार, परिस्थितियों और अन्य कारकों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। मानसिक बीमारी के लक्षण भावनाओं, विचारों और व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं। इसके निम्नलिखित लक्षण होते हैं -

  • उदास महसूस करना।
  • व्याकुल होना या ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी।
  • अत्यधिक भय या चिंताएं या अपराध की भावनाएं महसूस करना।
  • मनोदशा में अत्यधिक परिवर्तन।
  • दोस्तों और अन्य गतिविधियों से अलग होना।
  • थकान , कम ऊर्जा या सोने में समस्याएं।
  • वास्तविकता से अलग हटना (भ्रम), पागलपन या मतिभ्रम।
  • दैनिक समस्याओं या तनाव से निपटने में असमर्थता।
  • समस्याओं व लोगों और लोगों के बारे में समझने में समस्या।
  • शराब या नशीली दवाओं का सेवन।
  • खाने की आदतों में बड़े बदलाव।
  • कामेच्छा सम्बन्धी बदलाव।
  • अत्यधिक क्रोध या हिंसक व्यवहार। (और पढ़ें - गुस्सा कम करने के उपाय )
  • आत्मघाती सोच।

कभी-कभी मानसिक स्वास्थ्य विकार के लक्षण जिस्मानी समस्याओं जैसे पेट दर्द , पीठ दर्द , सिरदर्द या अन्य अस्पष्टीकृत दर्द के रूप में दिखाई देते हैं।

(और पढ़ें - तनाव कम करने के तरीके )

मानसिक रोग क्यों होते हैं ?

मानसिक रोगों के, सामान्य रूप से, विभिन्न आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों के कारण होने का अनुमान लगाया जाता है। यह कारक निम्नलिखित हैं -

  • अनुवांशिकता मानसिक रोग उन लोगों में अधिक आम है जिनके रिश्तेदारों को भी मानसिक बीमारी होती है। कुछ अनुवांशिक कारक आपके मानसिक रोग के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं और आपकी जिंदगी की स्थिति इसे प्रारंभ कर सकती है।  
  • जन्म से पहले कुछ पर्यावरण कारकों का संपर्क गर्भ में पर्यावरणीय तनाव, उत्तेजनात्मक स्थितियां, विषाक्त पदार्थ, शराब या ड्रग्स के संपर्क में आने से कभी-कभी मानसिक रोग हो सकते हैं।  
  • मस्तिष्क का कार्य न्यूरोट्रांसमीटर स्वाभाविक रूप से मस्तिष्क के रसायनों को आपके मस्तिष्क और शरीर के अन्य हिस्सों में ले जाते हैं। जब इन रसायनों से जुड़े तंत्रिका तंत्र ठीक से काम नहीं करते, तो तंत्रिका रिसेप्टर्स और तंत्रिका तंत्र में परिवर्तन आते हैं जिससे डिप्रेशन (अवसाद) होता है।

मानसिक रोग होने के जोखिम कारक क्या हैं ?

कुछ कारक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के विकास के आपके जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिनमें निम्नलिखित करक शामिल हैं -

माता-पिता या भाई-बहन या किसी अन्य खून के रिश्ते वाले व्यक्ति को मानसिक रोग होना। किसी तनावपूर्ण जीवन स्थिति, जैसे वित्तीय समस्याएं, किसी की मृत्यु या तलाक का अनुभव करना।

  • कोई पुरानी चिकित्सा समस्या जैसे कि शुगर की बीमारी  (डायबिटीज)। डायबिटीज की समस्या से लम्बे समय से परेशाान है?तो आज ही अपनाये myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट और अपने जीवन को स्वस्थ बनाये।
  • गंभीर चोट (दर्दनाक मस्तिष्क की चोट) के परिणामस्वरूप मस्तिष्क की क्षति।
  • दर्दनाक अनुभव, जैसे युद्ध या हमला।
  • शराब या ड्रग्स का प्रयोग।
  • बचपन में दुर्व्यवहार अनुभव करना।
  • केवल कुछ ही दोस्त या स्वस्थ रिश्ते होना।
  • कोई पहले की मानसिक बीमारी।

मानसिक रोग बहुत आम हैं। 5 वयस्कों में से 1 व्यक्ति को कभी न कभी कोई मानसिक बीमारी होती है। मानसिक रोग किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है लेकिन अधिकांश यह जीवन के शुरू के वर्षों में शुरू हो जाते हैं।

मानसिक रोग के प्रभाव अस्थायी या स्थायी हो सकते हैं। आपको एक समय में एक से अधिक मानसिक रोग भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, आपको डिप्रेशन (अवसाद) और लत्त सम्बन्धी विकार एक ही समय पर हो सकते हैं।

(और पढ़ें - अवसाद दूर करने के उपाय )

मानसिक रोग का बचाव कैसे होता है ?

मानसिक बीमारी को रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है। हालांकि, यदि आपको मानसिक बीमारी है, तो तनाव को नियंत्रित करना और आत्मसम्मान को बढ़ाना मदद कर सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें -

  • चेतावनी के संकेतों पर ध्यान दें - अपने चिकित्सक से इस बारे में बात करें कि कोनसी स्थितियां आपके लक्षणों को शुरू कर सकती हैं। एक योजना बनाएं ताकि आपको यह पता चल सके कि लक्षणों को अनुभव करने पर आपको क्या करना है। अगर आपको कोई बदलाव महसूस होते हैं तो अपने चिकित्सक से संपर्क करें। चेतावनी के संकेत देखने के लिए परिवार के सदस्यों या दोस्तों को भी सूचित करें।  
  • नियमित चिकित्सा प्राप्त करें - स्वास्थ्य चिकित्सक के पास जाना न छोड़ें, खासकर यदि आप ठीक महसूस नहीं कर रहे हैं। आपको एक नई स्वास्थ्य समस्या हो सकती है जिसे इलाज की आवश्यकता है या आप दवा के दुष्प्रभावों का अनुभव कर सकते हैं।  
  • सहायता प्राप्त करें - मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का इलाज करना कठिन हो सकता है यदि आप लक्षणों के खराब होने तक प्रतीक्षा करते हैं। दीर्घकालिक उपचार से लक्षणों को रोकने में मदद मिल सकती है।  
  • अपना ध्यान रखें - पर्याप्त नींद, पौष्टिक आहार  और नियमित व्यायाम महत्वपूर्ण हैं। एक नियम बनाए रखने की कोशिश करें। अपने चिकित्सक से बात करें अगर आपको परेशानी हो रही है या यदि आपको आहार और व्यायाम सम्बन्धी कोई प्रश्न हैं।

मानसिक रोग का निदान कैसे होता है ?

मानसिक रोग के निदान और संबंधित जटिलताओं की जांच करने के लिए, निम्नलिखित जाँच की जा सकती हैं -

  • शारीरिक परीक्षण शारीरिक परीक्षण में आपके डॉक्टर उन शारीरिक समस्याओं को दूर करने की कोशिश करेंगे जो आपके लक्षणों का कारण बन सकते हैं।  
  • लैब टेस्ट लैब परीक्षण में आपके थायराइड की जांच या शराब और ड्रग्स की जांच की जा सकती है।  
  • मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन में आपके डॉक्टर आपके लक्षणों, विचारों, भावनाओं और व्यवहार के बारे में आपसे पूछते हैं। आपको एक प्रश्नावली भरने के लिए भी कहा जा सकता है।

मानसिक रोग का इलाज क्या है?

मानसिक रोग के उपचार निम्नलिखत हैं -

1. अस्पतालमें भर्ती होने की ज़रुरत  अस्पताल में भर्ती होने पर मानसिक रोग के उपचार में आमतौर पर स्थिरीकरण, निगरानी, दवा, तरल पदार्थ और पोषण की देखभाल और अन्य जरूरी आपातकालीन देखभाल होती हैं।

एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है जब -

  • उन्हें गंभीर मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण हों।
  • मतिभ्रम या भ्रम हों।
  • आत्मघाती विचारधारा हो।
  • बहुत दिन के लिए सोए नहीं या खाना नहीं खाया।
  • मानसिक स्वास्थ्य के लक्षणों के कारण स्वयं की देखभाल करने की क्षमता नहीं रही।

2. मनोचिकित्सा मानसिक रोग के लिए कई विभिन्न प्रकार की मनोचिकित्सा उपलब्ध हैं, जैसे -

  • व्यक्तिगत चिकित्सा - व्यक्तिगत चिकित्सा एक ऐसी मनोचिकित्सा है जहां एक व्यक्ति अपने चिकित्सक के साथ कई तरह की विभिन्न रणनीतियों और तरीकों का इस्तेमाल करते हुए भावनाओं, दुखों और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाते हैं।
  • ग्रुप थेरेपी - ग्रुप थेरेपी में आमतौर पर एक चिकित्सक नेतृत्व करते हैं और इसमें कई लोग शामिल होते हैं।
  • पारिवारिक चिकित्सा - पारिवारिक मनोचिकित्सा में परिवार के सदस्य मुद्दों को हल करने के लिए एक चिकित्सक से मिलते हैं।
  • संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (Cognitive Behavioral Therapy) - संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी सबसे आम मनोचिकित्सा है। इसका इस्तेमाल व्यक्तिगत, ग्रुप या परिवार के स्तर पर किया जा सकता है। इस चिकित्सा में, चिकित्सक मरीज़ के असामान्य विचारों और व्यवहारों को सकारात्मक विचारों से बदलने की कोशिश करते हैं।
  • डायलेक्टिकल वर्चुअल थेरेपी (Dialectical behavior therapy) - इस मनोचिकित्सा में अस्वास्थ्यकर विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को स्वीकार और मान्य करने पर जोर दिया जाता है और स्वीकार्यता व परिवर्तन के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की जाती है।
  • पारस्परिक उपचार - पारस्परिक उपचार में लोगों के संबंधों में समस्याओं का समाधान होता है और संबंधों की गुणवत्ता में सुधार के लिए नए पारस्परिक और संचार कौशल सिखाता जाता है।

3. दवाएं मानसिक रोग के लक्षणों के इलाज के लिए दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। दवाओं का प्रयोग अक्सर मनोचिकित्सा के साथ संयोजन में किया जाता है।

मानसिक रोग के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाएं निम्नलिखित हैं -

  • एंटीडिप्रेसन्ट दवाएं।
  • चिंता विरोधी दवाएं।
  • मूड स्टेबलाइजर्स।
  • मनोविकार नाशक दवाएं।

4. वैकल्पिक उपचार मानसिक रोग के लिए कुछ वैकल्पिक उपचार निम्नलिखित हैं -

  • पौष्टिक आहार

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मानसिक रोग से क्या जटिलताएं पैदा हो सकती हैं?

मानसिक रोग विकलांगता का एक प्रमुख कारण है। अनुपचारित मानसिक बीमारी से गंभीर भावनात्मक, व्यवहारिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। मानसिक रोग से कानूनी और वित्तीय समस्याएं भी हो सकती हैं। इसकी निम्नलिखित जटिलताएं होती हैं -

  • दुख और जीवन के आनंद में कमी।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, जिससे आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने में समय लगता है।
  • पारिवारिक समस्याएं।
  • रिश्तों में समस्याएं।
  • सामाजिक अलगाव।
  • तंबाकू, शराब और अन्य नशीले पदार्थ से जुडी समस्याएं।
  • गरीबी और बेघरपन।
  • आत्महत्या या दूसरों को नुक्सान पहुंचाना।
  • दुर्घटनाओं का बढ़ता जोखिम।
  • हृदय रोग और अन्य चिकित्सा समस्याएं।

2010 के फॉलो-अप शोध में, शोधकर्ताओं ने लगभग 8,000 फिन्स के समान नमूने की जांच की. ये जांच DSM-IV (SCID-1) के स्ट्रकचर्ड क्लीनीकल इंटरव्यू का इस्तेमाल करके की गई. इस जांच से पता लगाया जाना है कि उनमें से किसी को स्किज़ोफ्रेनिया, स्किज़ोफेक्टिव डिसऑर्डर या बाइपोलर डिसऑर्डर था या नहीं. इनमें से एक विकार पाए जाने वालों में जीवन की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए HRQoL 15D का इस्तेमाल किया गया था. इन तीन विकारों में से एक स्किज़ोफेक्टिव डिसऑर्डर वालों में जीवन की सबसे खराब गुणवत्ता पाई गई, इसके बाद सिज़ोफ्रेनिया वाले और फिर बाइपोलर विकार वाले लोगों में पाए गए.

मानसिक बीमारियों की किताब डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैन्युअल में लगभग 300 मानसिक बीमारियों के बारे में बताया गया है. इस किताब में मानसिक बीमारी की पहचान और उसके निदान के बारे में काफी जानकारी दी गई है, 

कुछ मानसिक बीमारियां इस तरह है-

  • मूड डिसऑर्डर्स (जैसे डिप्रेशन या बाइपोलर डिसऑर्डर)
  • एंग्जायटी डिसऑर्डर
  • पर्सनालिटी डिसऑर्डर्स
  • सायकोटिक डिसऑर्डर्स (जैसे सिजोफ्रेनिया)
  • ईटिंग डिसऑर्डर्स 
  • ट्रामा रिलेटेड डिसऑर्डर्स (जैसे पीटीएसडी)
  • सब्सटांस एब्यूज डिसऑर्डर्स (मादक द्रव्यों के सेवन विकार)

मानसिक बीमारी क्या है और क्या नहीं, इस बारे में मेडिकल कम्युनिटी में आम राय नही है. मानसिक बीमारी की परिभाषा किसी भी समाज और संस्कृति के लिए अलग अलग हो सकती है. लेकिन चूँकि ज्यादातर मानसिक बीमारियां सभी देशों और संस्कृतियों में होती हैं. इससे पता चलता है कि इनका बायोलॉजिकल और साइकोलॉजिकल आधार भी होता है. 

  • MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Mental Disorders
  • American Psychological Association [internet] St. NE, Washington, DC. Anxiety .
  • National Institute of Mental Health [Internet] Bethesda, MD; Anxiety Disorders . National Institutes of Health; Bethesda, Maryland, United States
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  • National Institute of Mental Health [Internet] Bethesda, MD; Depression . National Institutes of Health; Bethesda, Maryland, United States
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मानसिक रोग के डॉक्टर

Dr. Kirti Anurag

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मानसिक रोग की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Mental Illness in Hindi

मानसिक रोग के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

मानसिक रोग की खबरें

मेडिकल बीमा कवरेज में मानसिक बीमारी के इलाज को शामिल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और आईआरडीएआई को नोटिस जारी किए

मानसिक रोग पर आम सवालों के जवाब

सवाल 4 साल से अधिक पहले, मुझे अस्थिर मानसिक रोग है। मैं किसी भी चीज को लेकर बहुत उतावला हो जाता हूं और मुझे ईगो (अहंकार) प्रॉब्लम भी है। मुझे क्या करना चाहिए.

essay on mental health in hindi

Dr Anjum Mujawar MBBS, MBBS , आकस्मिक चिकित्सा

आपको इसे मानसिक रोग नहीं  समझना चाहिए । सबसे पहले आप साइकोलोजिस्ट से मिलकर अपना चेकअप करवाएं और उनसे काउंसलिंग के लिए भी मिलें।  

मेरी दोस्त को मानसिक रोग है, वह बहुत निराश रहती है। कभी-कभी वह घबरा जाती है और दूसरों को गाली भी देती है। इस स्थित में हमें उसके लिए क्या करना चाहिए?

essay on mental health in hindi

Dr. Kumawat Vijay Kumar MBBS , सामान्य चिकित्सा

आप उन्हें साइकेट्रिस्ट के पास काउंसलिंग के लिए ले जाएं।

ऐसा लगता है कि मुझे मानसकि रोग है। मैं इसके बारे में ज्यादा नहीं जानती हूं। मुझे इसके काफी लक्षण दिखाई देते हैं, इससे बाहर निकलने के लिए क्या करूं?

essay on mental health in hindi

Dr. Abhijit MBBS , सामान्य चिकित्सा

मानसिक रोग आपको निराश और परेशान कर देता है। मानसिक रोग होने पर आपको किसी भी चीज से डरने या खुद को दूसरे से अलग रखने की आवश्यकता नहीं है। आप इसके बारे में पढ़ें, कभी-कभी इसके बारे में बात करना अधिक भ्रम पैदा करने और खुद के लिए एक डरावनी तस्वीर को मस्तिष्क में बना देता है, जो मनोवैज्ञानिक बीमारी की समस्या को और गंभीर कर सकता है। यह बहुत ही अच्छी बात है कि आप खुद अपनी समस्या के बारे में बात कर रहे हैं।

साइकेट्रिस्ट, साइकोलॉजिस्ट और कॉउंसलर मानसिक रोग को बहुत अच्छी तरह से समझने और इससे ग्रस्त लोगों को बेहतर और सरल तरीके से समझाने में मदद करते हैं। आपकी समस्या जितनी गंभीर होती है, उसके हिसाब से ही इसके इलाज के लिए व्यवस्था की जाती है। किसी भी बीमारी का इलाज जल्द से जल्द करवा लेना चाहिए, इससे पहले कि वह तनाव और शिथिलता का कारण बने।

मुझे मानसिक रोग है। इसी के साथ मुझे चिंता, नींद कम आना और जीवन में रुचि भी कम महसूस होती है। घर में लड़ाई झगड़ों की वजह से मैं परिवार से भी दूर रहता हूं? मुझे कुछ समझ नहीं आता है, बताएं कि मैं क्या करूं?

essay on mental health in hindi

Dr. K. M. Bhatt MBBS, PG Dip , कार्डियोलॉजी, पीडियाट्रिक, सामान्य शल्यचिकित्सा, सामान्य चिकित्सा, आकस्मिक चिकित्सा, भौतिक चिकित्सक

आपको साइकेट्रिस्ट से मिलकर अपनी काउंसलिंग करवा लेनी चाहिए। 

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मानसिक स्वास्थ्य क्या है, लक्षण और उपाय – Mental Health in Hindi

सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ से पत्रकारिता में बीए किया है। सरल को इलेक्ट्रानिक व प्रिंट म... more

मानसिक स्वास्थ्य का व्यक्ति की दिनचर्या पर काफी असर पड़ता है। जब व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ होता है, तो उसका हर काम काफी अच्छे से होता है। लेकिन, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने पर व्यक्ति दिनभर चिड़चिड़ा महसूस कर सकता है। ऐसे में मानसिक समस्याओं से बचाव करना जरूरी है और इसके लिए सबसे पहले यह समझना होगा कि मानसिक स्वास्थ्य क्या है। इसी उद्देश्य के साथ स्टाइलक्रेज इस लेख में मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने के लक्षण की जानकारी लेकर आया है।

चलिए, सबसे पहले विस्तार से समझते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य क्या है।

मानसिक स्वास्थ्य क्या होता है?

किसी भी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य का संबंध उसकी भावनात्मक (इमोशनल), मनोवैज्ञानिक (साइकोलॉजिकल) और सामाजिक (सोशल) स्थिति से जुड़ा होता है। मानसिक स्वास्थ्य से व्यक्ति के सोचने, समझने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। इसका असर व्यक्ति के तनाव को संभालने और जीवन से जुड़े जरूरी विकल्प के चयन पर भी पड़ सकता है। मानसिक स्वास्थ्य जीवन के प्रत्येक चरण अर्थात बचपन, किशोरावस्था, वयस्कता और बुढ़ापे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ( 1 )।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का एहसास होता है। इस स्थिति में व्यक्ति दूसरों के साथ सकारात्मक तरीके से बातचीत कर सकता है। साथ ही तनाव की समस्या से निपटने की क्षमता भी रखता है ( 2 )।

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अब हम आगे बताएंगे कि मानसिक स्वास्थ्य कितना महत्वपूर्ण है।

मानसिक स्वास्थ्य क्यों महत्वपूर्ण है?

मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि इसके बिना जीवन के सभी कार्य प्रभावित होते हैं । मानसिक स्वास्थ्य का उद्देश्य यानी मेंटल हेल्थ किन कामों में सहायक भूमिका निभाता है, यह आगे जानिए ( 1 ):

  • तनाव से जूझने
  • शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने
  • लोगों से अच्छे संबंध बनाए रखने
  • सामाजिक कार्य में योगदान देने
  • प्रोडक्टीव काम करने के लिए
  • अपनी क्षमता को जानने में
  • स्ट्रोक, टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग के जोखिम से बचने के लिए

अब हम कुछ सामान्य मानसिक स्वास्थ्य विकार के बारे में बता रहे हैं।

सामान्य मानसिक स्वास्थ्य विकार – Common Mental health disorders in Hindi

वैसे तो मानसिक स्वास्थ्य विकार कई प्रकार के होते हैं। इनमें से कुछ सामान्य मानसिक स्वास्थ्य के प्रकार में ये शामिल हैं ( 3 ) ( 4 ):

  • चिंता (एंग्जायटी) – मानसिक स्वास्थ्य संबंधी एक विकार चिंता भी है। चिंता के कारण वास्तविक या काल्पनिक स्थितियों में अत्यधिक चिंता या भय उत्पन्न हो सकता है।
  • अवसाद (डिप्रेशन) – यह मानसिक समस्या सामान्य उदासी या दुख से अलग होती है। इसमें व्यक्ति को काफी दुख, क्रोध, निराश या फ्रस्टेशन हो सकती है।
  • बाइपोलर डिसऑर्डर – बाइपोलर विकार को पहले मैनिक डिप्रेशन कहा जाता था। इस समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को बारी-बारी से मेनिया (असामान्य रूप से भावनाओं को प्रकट करना) और अवसाद होता है।
  • ईटिंग डिसऑर्डर – यह विकार भोजन और शरीर की छवि से संबंधित जुनूनी व्यवहार होता है। इस समस्या में व्यक्ति बहुत कम खाता है या फिर जरूरत से ज्यादा खाने लगता है।
  • पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर – मानसिक स्वास्थ्य संबंधी यह विकार ऐसी घटनाओं के बाद उत्पन्न होता है, जिसकी कभी आशा न की गई हो। इसमें किसी तरह की लड़ाई , किसी अपने की मृत्यु या गंभीर दुर्घटना शामिल है। इस समस्या की चपेट में आने वाला व्यक्ति तनाव और डर महसूस करता है।
  • सिजोफ्रेनिया और सायकोटिक विकार – यह एक गंभीर मानसिक रोग है। इसमें लोग ऐसी चीजों को देखने, सुनने और विश्वास करने लगते हैं, जो वास्तविक में हैं ही नहीं।
  • अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) – यह बच्चों में पाए जाने वाले सबसे आम मानसिक विकारों में से एक है। इस समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को अपने व्यवहार को नियंत्रित रखने में परेशानी होती है।
  • एडिक्टिव डिसऑर्डर – इस मानसिक समस्या के अंतर्गत व्यक्ति को शराब या ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थों की लत लग सकती है। इस लत के कारण व्यक्ति की जान को भी जोखिम हो जाता है।
  • पर्सनालिटी डिसऑर्डर – इस स्थिति में व्यक्ति की पर्सनालिटी यानी बिहेवियर में पूरी तरह बदलाव हो जाता है। इससे व्यक्ति के सोचने-समझने, खाने-पीने और सोने के समय में भी बदलाव होता है, जिसका असर व्यक्ति के रिश्तों पर भी पड़ सकता है। इससे व्यक्ति को तनाव होना भी काफी आम हो जाता है ( 5 )।

नीचे जरूरी जानकारी है

इसके बाद आगे पढ़िए बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण क्या-क्या हैं।

बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण- Mental health symptoms in Hindi

यदि किसी को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या होती है, तो उनमें इसके लक्षण पहले ही दिखाई देना शुरू हो जाते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण कुछ इस तरह के हो सकते हैं ( 1 ):

  • खाने या सोने की आदतों में बदलाव
  • पसंदीद लोगों और गतिविधियों से दूरी बनाना
  • ऊर्जा हीन या लो एनर्जी का एहसास होना
  • सुन्न महसूस करना जैसे कि कुछ भी मायने नहीं रखता है
  • अजीब सा दर्द महसूस होना
  • असहाय या निराश महसूस करना
  • धूम्रपान, शराब पीना और ड्रग्स का अधिक उपयोग करना
  • कन्फ्यूज्ड होना, चीजों को भूलना और गुस्सा आना
  • परेशान, चिंतित या डरा हुआ महसूस करना
  • मूड स्विंग्स के कारण रिश्तों में दरार पड़ना
  • दिमाग में बार-बार उन यादों का आना, जिन्हें भूलना चाह रहे हैं
  • ऐसी आवाजें सुनना और बातों पर विश्वास करना जो सच नहीं हैं
  • खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाने की सोच
  • दैनिक कार्य को ठीक से न कर पाना

पढ़ना जारी रखें

चलिए, अब पढ़ते हैं मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के कारण क्या-क्या हैं।

मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के कारण और जोखिम कारक- Causes and Risk factors of mental health conditions in Hindi

वैसे तो मानसिक बीमारी के कारण स्पष्ट नहीं हैं। हां, कुछ कारक मानसिक बीमारी के जोखिम उत्पन्न कर सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक में ये शामिल हैं ( 3 ):

  • परिवार में पहले किसी को मानसिक समस्या होना
  • तनाव और बचपन में हुए दुर्व्यवहार के कारण
  • मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन (केमिकल इम्बेलेंस)
  • मस्तिष्क की चोट (ब्रेन इंजरी)
  • गर्भावस्था के दौरान वायरस और जहरीले रसायनों के संपर्क में आना
  • शराब और ड्रग्स का उपयोग
  • कैंसर जैसी गंभीर समस्या होना।
  • अकेलापन महसूस होना

लेख के अगले हिस्से में मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के तरीके जानिए।

मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बनाए रखें – Home Remedies to cope up with Mental Health in Hindi

मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कई तरीकों को आजमाया जा सकता है। उन तरीकों के बारे में हम नीचे विस्तार से बता रहे हैं।

1. व्यायाम (एक्सरसाइज)

मानसिक स्वास्थ्य के उपाय के तौर पर व्यायाम कर सकते हैं। दरअसल, व्यायाम के दौरान होने वाली शारीरिक गतिविधि से तनाव और अवसाद कम होता है । साथ ही यह मूड में सुधार करने का भी काम कर सकता है। इसलिए, शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम करना जरूरी है ( 6 )।

2. मेडिटेशन

यह मन और शरीर का अभ्यास होता है, जिसे ध्यान केंद्रित करने के लिए किया जाता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। मेडिटेशन के कई तरीके होते हैं, जिसे दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है। इनमें माइंडफुलनेस मेडिटेशन और ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन भी शामिल हैं। ये दोनों ध्यान करने की तकनीक हैं, जिनके माध्यम से मन को शांत रखा जा सकता है ( 6 )।

3. रिलैक्सेशन तकनीक

रिलैक्सेशन एक्सरसाइज के माध्यम से पूरे शरीर को आराम दिया जा सकता है। इस तकनीक के मदद से रक्तचाप और मांसपेशियों में तनाव व मानसिक तनाव को कम करने में सहायता मिल सकती है। इससे मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर हो सकता है ( 6 )।

4. लिखना (राइटिंग)

कई सारी चीजों को दिमाग में रखने से टेंशन हो सकती है। इससे मानसिक स्वास्थ्य धीरे-धीरे बिगड़ते जाता है। ऐसे में लेखन की मदद से चीजों को दिमाग से निकालने से मन को हल्का महसूस हो सकता है । इससे मूड बेहतर करने में भी सहायता मिल सकती है ( 7 )।

5. टाइम मैनेजमेंट स्ट्रेटेजीज

एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित वैज्ञानिक परीक्षण में मानसिक स्वास्थ्य के लिए टाइम मैनेजमेंट ट्रेनिंग को प्रभावी बताया गया है। टाइम मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी चिंता, अवसाद, नींद की गुणवत्ता में सुधार करने के साथ ही नकारात्मक भावनाओं से बचाने का काम कर सकता है। इस ट्रेनिंग के दौरान यह खास ध्यान दिया जाता है कि व्यक्ति का ध्यान परेशान करने वाली बातों में न जाए और उसका दिमाग किसी-न-किसी कार्य में व्यस्त रहे ( 8 )।

6. अरोमाथेरेपी (लैवेंडर तेल)

अरोमाथेरेपी की मदद से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। इस बात की पुष्टि के लिए हुए वैज्ञानिक रिसर्च में दिया है कि लैवेंडर का तेल कई न्यूरोलॉजिकल (मस्तिष्क से संबंधित) विकारों के उपचार में प्रभावी औषधि का काम करता है। इससे चिंता, तनाव और अवसाद सभी को कम किया जा सकता है ( 9 )।

7. कैनाबिडियोल ऑयल

एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित रिसर्च पेपर से मिली जानकारी के अनुसार, कैनाबिडियोल ऑयल के इस्तेमाल से चिंता की समस्या कम हो सकती है। साथ ही इस तेल के उपयोग से नींद की गुणवत्ता में भी सुधार हो सकता है। इसी वजह से माना जाता है कि मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में यह तेल अच्छी भूमिका निभाता है ( 10 )।

8. हर्बल टी (कैमोमाइल टी)

मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए कैमोमाइल को लेकर कई शोध किए गए है। उन परीक्षणों से पता चलता है कि कैमोमाइल टी में एंटी-डिप्रेसेंट और एंटी एंग्जायटी प्रभाव होते हैं। इन दोनों गतिविधियों के कारण अवसाद और चिंता की समस्या दूर रहती है और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है ( 11 )।

9. ओमेगा -3 फैटी एसिड

ओमेगा -3 फैटी एसिड मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है । इस बात को प्रमाणित करने के लिए किए गए अध्ययन में दिया हुआ है कि ओमेगा -3 फैटी एसिड अवसाद और सिजोफ्रेनिया की समस्या को कम करने का काम कर सकता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य को लाभ मिलता है ( 12 )।

10. माका रूट

माका रूट का उपयोग भी मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए किया जा सकता है। वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, माका रूट में एंटी-डिप्रेसेंट गतिविधि होती है। इसके कारण अवसाद से राहत मिल सकती है। साथ ही मूड को बेहतर और चिंता को कम करने में भी यह प्रभावी हो सकता है ( 13 )।

11. वेलेरियन

वेलेरियन एक तरह का औषधीय पौधा है, जिसे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, नींद ठीक तरह से पूरी न होने से मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। ऐसे में वेलेरियन नींद का समय और गुणवत्ता में सुधार करने का काम कर सकता है ( 14 )। इसी वजह से वेलेरियन को मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है।

12. दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताना

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में दोस्तों और परिवार के सदस्यों की भी अहम भूमिका होती है। सोशल सपोर्ट और लोगों से मजबूत रिश्ता होने पर इंसान अपने मन की सारी बातें खुलकर एक दूसरे से एक कर सकता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रह सकता है। साथ ही तनाव, चिंता जैसे मानसिक विकार दूर रहते हैं ( 6 )।

13. पेट्स के साथ समय बिताना

मानसिक स्वास्थ्य के लिए पेट्स थेरेपी को भी आजमाया जा सकता है । एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, पेट्स मूड को अच्छा करने का काम कर सकते हैं। इससे व्यक्ति को सकारात्मक तरीके से सोचने में भी मदद मिल सकती है ( 15 )।

लेख में बने रहें

आगे जानिए मानसिक स्वास्थ्य का इलाज किस तरह से किया जाता है।

अन्य मानसिक स्वास्थ्य इलाज – Other Mental Health Treatments

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए कुछ इलाज का भी सहारा लिया जा सकता है, जिसमें ये शामिल हैं:

1. मनोचिकित्सा (Psychotherapy)

मानसिक स्वास्थ्य के इलाज के लिए मनोचिकित्सक की मदद लेना एक अच्छा उपाय है। मनोचिकित्सक के द्वारा दी जाने वाली थरेपी से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। इस बात की जानकारी एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित मेडिकल रिसर्च में भी दी हुई है। व्यक्ति की स्थिति के हिसाब से मनोचिकित्सक इन थेरेपी को अपना सकते हैं ( 16 ) ( 17 ):

  • कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी – इस थेरेपी में व्यक्ति के बर्ताव और भावनाओं को समझा जाता है और उसी के अनुसार समस्या का समाधान किया जाता है।
  • सिस्टमिक थेरेपी – इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर एक सिस्टम तैयार करता है, जिसमें रोगी के परिवार के लोगों को शामिल किया जाता है। उसके बाद किसी स्थिति या फिर धारणाओं के बारे में उन्हें चर्चा करने के लिए कहा जाता है। इस थेरेपी से यह समझा जाता है कि सब लोग आपस में किस तरह से संवाद करते हैं। साथ ही परिवार संबंधी विवाद को भी सुलझाया जाता है।
  • पर्सन सेंटर्ड थेरेपी – इस थेरेपी में व्यक्ति के पर्सनल अप्रोच के आधार पर इलाज की प्रक्रिया को निर्धारित किया जाता है।
  • चिंता (एंग्जायटी) – इस इलाज की प्रक्रिया के दौरान ब्रेन केमिस्ट्री में बदलाव किया जाता, जिससे कि अवसाद और सायकोटिक लक्षण में सुधार होता है। यह प्रक्रिया गंभीर अवसाद से गुजर रहे लोगों को ही कराने की सलाह दी जाती है।
  • ट्रांसक्रेनियल मेग्नेटिक स्टिम्युलेशन – इस थेरेपी के माध्यम से मस्तिष्क के नर्व सेल्स को उत्तेजित किया जाता है, जिससे अवसाद के लक्षण कम हो सकते हैं।

2. मेडिकेशन (दवाइयां)

मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए कई दवाइयों का भी उपयोग किया जा सकता है। डॉक्टर व्यक्ति की परेशानी को समझकर उसे दवा बताते हैं ( 18 )।

आगे और जानकारी है

अब आप मानसिक स्वास्थ्य के निदान के संबंध में जानेंगे।

मानसिक स्वास्थ्य का निदान – Mental health diagnosis in Hindi

मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए डॉक्टर कई तरह के टेस्ट कर सकते हैं। इन परीक्षणों में ये शामिल हैं ( 3 ):

  • व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री – मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए डॉक्टर पहले मरीज की मेडिकल हिस्ट्री यानी पुरानी बीमारियों और उसके द्वारा ली जा रही दवाओं की जानकारी लेते हैं।
  • शारीरिक परीक्षण और लैब टेस्ट – मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानने के बाद अगर विशेषज्ञ को लगेगा कि किसी बीमारी के कारण मानसिक समस्या हो रही है, तो डॉक्टर शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। उसके बाद जरूरी लैब टेस्ट का सुझाव देते हैं।
  • मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन (साइकोलॉजिकल इवेलुएशन) – इस निदान के दौरान विशेषज्ञ व्यक्ति से उसकी सोच, भावनाओं और व्यवहार से जुड़े सवाल करते हैं। फिर उन सवालों के जवाब के आधार पर इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि व्यक्ति मानसिक समस्या से जूझ रहा है या नहीं।

अंत तक पढ़ें

यहां हम बता रहे हैं कि मेंटल हेल्थ से जूझ रहे व्यक्ति को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए आहार – Diet while dealing with Mental Health in Hindi

मानसिक स्वास्थ्य पर खानपान का काफी असर पड़ता है। यही वजह है कि मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने और इससे जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए सही आहार खाना और गलत खानपान से परहेज करना जरूरी है। इन आहार के बारे में हम नीचे दो भाग में जानकारी दे रहे हैं ( 19 )।

क्या खाना चाहिए

  • ओमेगा -3 फैटी एसिड से समृद्ध खाद्य पदार्थ, जैसे – मछली और मांस ।
  • अमीनो एसिड, मिनरल्स और बी विटामिन्स से भरपूर खाद्य पदार्थ को आहार में शामिल करें। जैसे कि साबुत अनाज, अंडा, दही, बीन्स, हरी पत्ते वाली
  • सब्जियां और मकई।
  • सभी तरह के फल।
  • फोलिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन कर सकते हैं ( 16 )। इसके लिए केल (Kale), बीन्स और फलियां जैसे सब्जियां आदि का सेवन कर सकते हैं ( 20 )।
  • मस्तिष्क स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए फलियां, पत्तेदार सब्जी, जैतून का तेल (मोनोअनसैचुरेटेड फैट), दही, नट्स का सेवन करना भी अच्छा माना जाता है ( 20 )।

क्या नहीं खाना चाहिए

  • फास्ट फूड के सेवन से बचना चाहिए।
  • अधिक तले हुए और मसालेदार खाद्य पदार्थ का सेवन न करें।
  • शराब और सिगरेट न पिएं ।
  • मिठाई, कुकीज, स्नैक्स से परहेज करें।

मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहे, तो ही व्यक्ति अपने सभी कार्य अच्छे तरीके से कर पाता है। इसी वजह से शारीरिक स्वास्थ्य की तरह ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी गौर करना जरूरी है। इसमें ऊपर बताए गए टिप्स मदद कर सकते हैं। साथ ही मेंटल हेल्थ बेहतर बनाने के लिए सही आहार को डाइट में जगह दें, जिनका जिक्र लेख में किया गया है। इन सबके अलावा, योग और व्यायाम को भी अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। इससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या से बचे रहने में मदद मिल सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

मानसिक बीमारी के 4 प्रकार कौन-कौन से हैं?

मानसिक स्वास्थ्य के प्रकार चार से ज्यादा हैं, जिसमें चिंता, डिप्रेशन, फोबिया और तनाव को शामिल किया जा सकता है ( 3 )।

बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य के पहले लक्षण क्या हैं?

बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य के पहला लक्षण बेवजह खाने और सोने की आदतों में परिवर्तन होना हो सकता है ( 1 )।

मानसिक स्वास्थ्य के 7 घटक (कॉम्पोनेन्ट) क्या हैं?

मानसिक स्वास्थ्य के 7 घटक में शारीरिक, बौद्धिक, व्यावसायिक, सामाजिक, भावनात्मक, पर्यावरणीय और आध्यात्मिक स्वास्थ्य शामिल हैं।

मैं अपने मानसिक स्वास्थ्य को कैसे सुधार सकता हूं?

आप मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए व्यायाम, योग और स्वस्थ खाद्य पदार्थ को दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।

मैं अपने मानसिक स्वास्थ्य का परीक्षण कैसे कर सकता हूं?

मानसिक स्वास्थ्य का परीक्षण करने के लिए मनोचिकित्सक से संपर्क करना होगा। उनकी सलाह पर लैब टेस्ट और व्यवहार परीक्षण होता है, जिससे मानसिक संबंधी समस्या का पता लगता है।

पागलपन किस तरह की बीमारी है?

पागलपन एक तरह की मानसिक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति के सोचने और समझने की क्षमता कमजोर हो जाती है।

क्या ओवररिएक्टिंग मानसिक बीमारी है?

ओवररिएक्टिंग मानसिक बीमारी न होकर किसी बीमारी का लक्षण हो सकता है।

क्या मुझे कोई मानसिक बीमारी है या मैं सिर्फ आलसी हूं?

इसमें कोई दो राय नहीं कि मानसिक बीमारी के कारण आलसीपन होता है ( 21 )। लेकिन, आप सिर्फ आलसी हैं या किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं, इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।

मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक बीमारी के बीच क्या अंतर है?

मानसिक स्वास्थ्य दैनिक जीवन में होने वाले तनाव से निपटने की क्षमता है। वहीं, मानसिक बीमारी की वजह से मानसिक स्वास्थ्य नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है।

मानसिक स्वास्थ्य का उद्देश्य क्या है।

मानसिक स्वास्थ्य का उद्देश्य मस्तिष्क को स्वस्थ रखना और इससे जुड़ी समस्याओं को दूर करना है।

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  • Mental Health , https://medlineplus.gov/mentalhealth.html
  • Mental Health Disorders: The Deserted Illnesses, https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5390222/
  • Mental Disorders , https://medlineplus.gov/mentaldisorders.html
  • Mental Health Screening, https://medlineplus.gov/lab-tests/mental-health-screening/
  • Personality Disorders , https://medlineplus.gov/personalitydisorders.html
  • How to Improve Mental Health , https://medlineplus.gov/howtoimprovementalhealth.html
  • Therapeutic writing, https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK355724/
  • Effect of Time Management Training on Anxiety, Depression, and Sleep Quality, https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/30788296/
  • Lavender and the Nervous System, https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3612440/
  • Medicinal cannabis for psychiatric disorders: a clinically-focused systematic review, https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6966847/
  • Chamomile (Matricaria recutita) May Have Antidepressant Activity in Anxious Depressed Humans – An Exploratory Study , https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3600408/
  • Effects of Omega-3 Fatty Acids on Mental Health: Summary, https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK11853/
  • A Double-Blind Placebo-Controlled Trial of Maca Root as Treatment for Antidepressant-Induced Sexual Dysfunction in Women, https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4411442/
  • Effects of Valerian on Sleep in Healthy Older Adults, https://clinicaltrials.gov/ct2/show/NCT00097604
  • Paws for Thought: A Controlled Study Investigating the Benefits of Interacting with a House-Trained Dog on University Students Mood and Anxiety , https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6826684/
  • Urgent Need for Improved Mental Health Care and a More Collaborative Model of Care , https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5593510/
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  • Improving the Quality of Health Care for Mental and Substance-Use Conditions: Quality Chasm Series, https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK19817/
  • Food and Mental Health: Relationship between Food and Perceived Stress and Depressive Symptoms among University Students in the United Kingdom, https://www.researchgate.net/publication/265791820_Food_and_Mental_Health_Relationship_between_Food_and_Perceived_Stress_and_Depressive_Symptoms_among_University_Students_in_the_United_Kingdom
  • Food, Mood, and Brain Health: Implications for the Modern Clinician, https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6170050/
  • Public Stigma of Mental Illness in the United States: A Systematic Literature Review, https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3835659/

Saral Jain हेल्थ एंड वेलनेस राइटर

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मानसिक स्वास्थ्य

  • सजगता का अभ्यास करें

सजगता वह स्थिति है जिसमें हम अपने मस्तिष्क में और हमारे आस-पास चल रही चीजों के बारे में जागरुक रहते हैं लेकिन इसको ले कर कोई प्रतिक्रिया नहीं करते। हर पल को हम पूर्णता के साथ और उसका पूरा उपयोग करते हुए जीते हैं। इसका अभ्यास करने के लिए अपने पूरे ध्यान को ‘इस समय’ या ‘वर्तमान’ पर लगाएं। आपके जेहन से गुजर रहे सभी विचारों को ले कर जागरुक रहें और इन पर कोई फैसला कायम नहीं करें। साक्ष्य बताते हैं कि अगर हम अपने दैनंदिन जीवन में इस सजगता का अभ्यास करें तो भावनात्मक उथल-पुथल लानी वाली घटनाओं से निपट पाने में, अपनी भावनात्मक स्थिति पर नियंत्रण रखने में और चिंता व तनाव संबंधी लक्षणों को कम करने में काफी अधिक सक्षम हो पाते हैं।

  • प्रणायाम या सांस संबंधी आसन सीखें

जब कभी तनाव में हों, लंबी और गहरी सांस लें! “सजग श्वसन प्रक्रिया” को आसानी से सीखा जा सकता है। सामान्य गति से सांस लें और अपनी हर आती-जाती सांस के साथ शरीर में होने वाली संवेदना को महसूस करें। प्रणायाम या सजग श्वसन प्रक्रिया पर शोध कर हम अपनी भावनाओं और तनाव पर काबू रख सकते हैं। सजग श्वसन का एक अहम तरीका विकेंद्रीकरण भी है। इसमें हम अपने मस्तिष्क में चल रहे नकारात्मक विचारों को महसूस करना सीखते हैं और उस दौरान हम उसको ले कर कोई निष्कर्ष नहीं निकालते। इस तरह हम नकारात्मक भावों से खुद अपने आप को अलग रख पाने में कामयाब हो पाते हैं।

  • ध्यान लगाएं

ध्यान बहुत आसान प्रक्रिया है और इसके लिए सिर्फ कुछ मिनट ही चाहिए होते हैं!  इससे शांति मिलती है, नकारात्मक भावनाएं कम होती हैं, तनाव से निपटने की शक्ति मिलती है और सहनशक्ति बढ़ती है। सजग ध्यान में आप अपने शरीर, सांस और विचारों को ले कर सजग रहते हैं, लेकिन कोई नकारात्मक भाव आए तो बिना उससे किसी निष्कर्ष पर पहुंचे ही आगे बढ़ जाते हैं और उसका प्रभाव स्वयं पर नहीं होने देते। ध्यान में आपकी सहायता के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन असंख्य सामग्री उपलब्ध हैं। इस खंड के अंत में भी ऐसे कई स्रोत उपलब्ध करवाए गए हैं।

  • समाचार के लिए सिर्फ भरोसेमंद स्रोतों का ही उपयोग करें

कोविड​​-19 के बारे में सटीक और समय पर जानकारी प्राप्त करना बहुत जरूरी है। लेकिन इसके लिए सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और स्वास्थ्य मंत्रालय जैसे विश्वस्त सूत्रों की ओर से जारी सलाह पर ही भरोसा करना चाहिए। इस वायरस के बारे में बहुत अधिक खबरें देखने से भय और चिंता की भावनाएं बढ़ सकती हैं। खास तौर पर नवीनतम वैज्ञानिक शोध आदि के बारे में आ रही जानकारी आपके दिन-प्रतिदिन के प्रयोग के लिए प्रासंगिक नहीं होती हैं। समाचार पढ़ने और देखने या सोशल मीडिया पर समय व्यतीत करने की बजाय पढ़ने, संगीत सुनने, दूसरों से बात करने या किसी सकारात्मक गतिविधि में समय लगाएं।

  • सोशल मीडिया का सजग उपयोग

हम में से बहुत से लोग सोशल मीडिया पर सूचना साझा करने को ले कर चिंतित रहते हैं, लेकिन झूठी और भ्रामक सूचना हमारे जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करते समय दो बार सोचें। खुद से पूछें- क्या वह सामग्री सच्ची, लोगों की मदद करने वाली, प्रेरणा देने वाली, आवश्यक या सहृदयतापूर्ण है? कोविड-19 के दौरान सोशल मीडिया के अधिक सजग उपयोग के संबंध में और जानकारी के लिए यहां क्लिक करें ।

  • दूसरों के लिए दयालु और उदार रहें

मौजूदा परिस्थिति में अक्सर ऐसा होगा कि लोग अपने और अपने परिवार के लिए ही सोचें। हम खाने-पीने के समान और दवाओं की कमी की आशंका में इन्हें बड़े पैमाने पर जमा करने लगते हैं जिसकी वजह से इनकी कमी हो जाती है। ऐसे मौकों पर खाद्य और आवश्यक सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करना जरूरी है, लेकिन ऐसे में दूसरे लोगों का भी ध्यान रखें और यह नहीं भूलें कि उन्हें भी इनकी जरूरत हो सकती है। ऐसी उदारता और दया का भाव हमारे अंदर सामुदायिक भाव को जागृत कर सकता है और इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि सभी को इन चीजों की समान उपलब्धता हो।

  • किसी को कलंकित ना करें और सभी के लिए सहानुभूति रखें

वायरस किसी से भेद-भाव नहीं करता तो फिर हम ऐसा क्यों करें! कोविड-19 के प्रसार के साथ लोगों में जो भय और चिंता का माहौल बना है, उससे कुछ लोगों, स्थानों या समुदायों के बारे में दुर्भावना पैदा हो सकती है। इससे प्रभावित व्यक्तियों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर कुपरिणाम हो सकते हैं, अविश्वास का माहौल पैदा हो सकता है और साथ ही इससे संबंधित लोगों को ऐसे किसी मामले के बारे में बताने या जांच करवाने में भय हो सकता है। कलंक के इस भाव से हम निपट सकते हैं, इसके लिए हमें यह समझना होगा कि वायरस सामाजिक वर्ग, नस्ल, समुदाय या राष्ट्रीयता को नहीं देखता। ऐसे मामलों में हमें दूसरे व्यक्ति या समुदाय की जगह खुद को रख कर देखना चाहिए और उन लोगों या समुदायों के प्रति उदारता दिखानी चाहिए। इनके बारे में किसी तरह के भेद-भाव या कट्टरता पैदा करने वाली सूचना को प्रसारित करने से रोकना चाहिए।

कुछ उपयोगी स्रोत

  • Center for Disease Control: Mental Health and Coping During COVID-19
  • World Health Organization:  Mental health and psychosocial considerations during the COVID-19 outbreak
  • Minding our minds during COVID 19
  • Mental health of children
  • Mental health of elderly
  • Psychosocial issues among migrants  
  • Harvard T.H. Chan School of Public Health: Tips for Coping with Stress
  • Harvard University Health Services: Managing Fear and Anxiety Around Corona Virus
  • Center for Health & Happiness: Harvard T. H. Chan School of Public Health
  • Thrive Global: 5 Ways to Manage Your Coronavirus Stress

Target Notes

मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ एवं परिभाषा | Meaning and Definition of Mental Health in Hindi

मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ एवं परिभाषा | Meaning and Definition of Mental Health in Hindi

मानसिक स्वास्थ्य से आपका क्या अभिप्राय है? बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने में परिवार, विद्यालय एवं समाज की भूमिका का विस्तृत वर्णन कीजिए।

मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Mental Health)

शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास है। यह एक प्रसिद्ध कहावत है कि “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का आवास होता है।” मानव शरीर में मस्तिष्क का महत्त्वपूर्ण स्थान है। व्यक्ति के द्वारा जो भी कार्य किये जाते हैं वे मस्तिष्क के संकेत पर अथवा मन के अनुसार किये जाते हैं। जब मन स्वस्थ नहीं होता तो हम किसी कार्य को ठीक से नहीं कर पाते। स्वस्थ मन वाले लोग ही जीवन की विभिन्न परिस्थितियों का सामना सफलतापूर्वक कर पाते हैं। जिनका मन स्वस्थ नहीं होता वे विभिन्न प्रकार की उलझनों में फँसे रहते हैं। आज व्यक्ति का जीवन अधिकाधिक जटिल होता जा रहा है। मानव जीवन में पग-पग पर अनेक प्रकार की कठिनाइयों और निराशाओं का सामना करना पड़ता है। मानसिक उलझनों के फलस्वरूप मनुष्य समाज में समायोजित करने में कठिनाई अनुभव करता है। इन परिस्थितियों में मनुष्य का मानसिक रूप से स्वस्थ होना अत्यन्त आवश्यक है। संसार में वही व्यक्ति भौतिक एवं सामाजिक परिस्थितियों में अपने को समायोजित कर पाते हैं जिनका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है। फलस्वरूप, मनुष्य को अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य की ओर भी ध्यान देना चाहिए। शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत व्यक्तित्व के विभिन्न रूपों पर विचार किया जाता है। व्यक्तित्व का विकास उसी स्थिति में सम्भव है जब बालक का शरीर एवं मन पूरी तरह से स्वस्थ हो, क्योंकि शरीर और मन का अत्यन्त घनिष्ठ सम्बन्ध है। शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य एक-दूसरे को प्रभावित करते रहते हैं। मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि शिक्षण प्रक्रिया का सम्बन्ध मानसिक विकास, मानसिक शक्तियों और योग्यताओं से ही है। शिक्षण प्रक्रिया को सफल बनाने हेतु शिक्षक और शिक्षार्थी दोनों का मानसिक स्वास्थ्य ठीक होना आवश्यक है, अतएव मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के स्वरूप पर विचार करने के पश्चात् बालक के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के उपायों पर प्रकाश डालना आवश्यक है।

विभिन्न विद्वानों ने मानसिक स्वास्थ्य की परिभाषाएँ विभिन्न प्रकार से दी हैं। यहाँ हम इनमें से प्रमुख परिभाषाएँ दे रहे हैं-

1. हेडफील्ड- “साधारण शब्दों में हम कह सकते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य सम्पूर्ण व्यक्तित्व का पूर्ण सामंजस्य के साथ कार्य करना है।”

2. लैण्डेल- “मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है- वास्तविकता के धरातल पर वातावरण से पर्याप्त सामंजस्य स्थापित करने की योग्यता ।”

3. कुप्पूस्वामी- “मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है दैनिक जीवन में भावनाओं, इच्छाओं, महत्त्वाकांक्षाओं और आदर्शों में सन्तुलन रखने की योग्यता । इसका अर्थ है जीवन की वास्तविकताओं का सामना करने और उसको स्वीकार करने की योग्यता ।”

बालक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रखने के उपाय (Measures to Keep Good Mental Health of the Child)

बालक के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही उसके मानसिक स्वास्थ्य का विशेष महत्त्व है। बालक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रखने में परिवार, विद्यालय और समाज का विशेष योगदान होता है। यहाँ बालक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रखने और उन्नत करने में परिवार, विद्यालय और समाज की भूमिका की विवेचना की जा रही है-

(अ) परिवार के कार्य

बालक के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करने में परिवार की महती भूमिका होती है। परिवार बालक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रखने में निम्न प्रकार से सहायक हो सकता है-

(1) विकास के लिये आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध करना – विभिन्न मनोवैज्ञानिकों का विचार है कि मानसिक रूप से स्वस्थ बालक में 6 वर्ष की आयु में स्वतन्त्रता, आत्मविश्वास एवं उत्तरदायित्व की भावनाओं का विकास हो जाता है। परिवार को बालक की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति, उसकी रुचि एवं आकांक्षाओं के हेतु आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए जिससे उसे मानसिक योग्यता के विकास का पूर्ण अवसर प्राप्त हो सके।

(2) परिवार का स्वस्थ वातावरण- बालक के मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने हेतु परिवार का वातावरण स्वच्छ और शान्तिपूर्ण होना चाहिए। परिवार के सभी सदस्यों में प्रेम और सद्भावना होनी चाहिए। बालक को उसकी रुचि के अनुसार कार्य करने हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यदि परिवार में स्वस्थ और शान्तिपूर्ण वातावरण नहीं होगा तो बालक का मानसिक विकास अवरुद्ध हो जायेगा।

(3) माता-पिता का उचित व्यवहार- माता-पिता का उचित व्यवहार बालकों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा और विकास में सहायक होता है। इस सम्बन्ध में प्रसिद्ध विद्वान कुप्पूस्वामी ने लिखा है- “जो माँ अपने बच्चों को प्रेम और सुरक्षा प्रदान करती है, वह उनके मानसिक स्वास्थ्य में सहयोग देती है। जो पिता अपने बच्चों के साथ अपना जीवन और समय व्यतीत करता है, वह उनके स्वस्थ मानसिक दृष्टिकोण का विकास करने में सहायता करता है।”

(ब) विद्यालय के कार्य

विद्यालय में मानसिक स्वास्थ्य की उन्नति के लिए निम्न बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए-

(1) स्वच्छ वातावरण- विद्यालय का वातावरण इस प्रकार का होना चाहिए कि बालक का समुचित रूप से शारीरिक और मानसिक विकास हो। यदि बालक का शारीरिक स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो उसका मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। शारीरिक स्वास्थ्य के लिए सन्तुलित आहार, समुचित विश्राम, ठीक समय पर रोग का उपचार आदि आवश्यक है। शारीरिक स्वास्थ्य का प्रभाव बालक के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। अतः विद्यालयों का यह कर्त्तव्य है कि वे उन साधनों को अपनायें जिनके द्वारा बालकों का शारीरिक स्वास्थ्य ठीक रहे। विद्यालय में नियमित शारीरिक शिक्षा, भोजन, विश्राम, खेल-कूद, व्यायाम, स्वच्छता तथा रोगों के उपचार आदि की व्यवस्था होनी चाहिए।

(2) शिक्ष का स्नेहपूर्ण व्यवहार- यदि विद्यार्थियों के प्रति शिक्षक का व्यवहार • सहानुभूतिपूर्ण एवं प्रेमपूर्ण है तो इससे अध्यापक के प्रति आदरभाव उत्पन्न होता है। वे स्वतन्त्रता और प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। ऐसे वातावरण में वे अपने शिक्षकों का आदर करते हैं और उसके निर्देशों का पालन करने का प्रयास करते हैं। उनका अच्छा मानसिक विकास होता है जो उनके मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखने में सहायक होता है। इसके विपरीत यदि शिक्षक का व्यवहार अपने विद्यार्थियों के प्रति भेदभावपूर्ण या रूखा है तो शिक्षक को उनसे आदर नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में विद्यार्थी शिक्षक का कहना नहीं मानते और ऐसे कार्य करते हैं जिनसे उसे खीझ आती है। ऐसे कार्य का विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

(3) सन्तुलित एवं उचित पाठ्यक्रम- असन्तुलित पाठ्यक्रम के बोझ से विद्यार्थियों को मानसिक थकान होती है। वे अध्ययन में कम रुचि लेते हैं और पढ़ाई को एक बोझ समझने लगते हैं। अतः यह आवश्यक है कि पाठ्यक्रम सन्तुलित हो, जिससे कि उनके ज्ञान में अपेक्षित वृद्धि हो सके और उनके मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव न पड़े। यह भी आवश्यक है कि पाठ्यक्रमेत्तर क्रियाओं के द्वारा अध्ययन के प्रति विद्यार्थियों में रुचि का विकास किया जाय। रुचिजन्य अध्ययन में वेद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य का समुचित विकास होता है।

(4) सन्तुलित गृह-कार्य- विद्यार्थियों को उतना ही गृह कार्य दिया जाना चाहिए जितना कि प्रतिदिन उसे पूरा करना सम्भव हो। गृह कार्य को बोझ-सा नहीं होना चाहिए। शिक्षक के लिए यह आवश्यक है कि वह प्रत्येक विद्यार्थी की मानसिक क्षमता एवं उसके शारीरिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर गृह-कार्य दे। यदि गृह-कार्य सन्तुलित है तो विद्यार्थी उसे सहर्ष पूरा करने का प्रयास करेगा। इससे उसके ज्ञान में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी और उसका मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा होगा।

(5) खेल और मनोरंजन की समुचित व्यवस्था- मानसिक स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए खेल और मनोरंजन का बहुत अधिक महत्त्व है। जब मस्तिष्क अध्ययन कार्य के फलस्वरूप थक जाता है तो खेल और मनोरंजन द्वारा मानसिक स्फूर्ति एवं ताजगी पुनः प्राप्त हो जाती है और व्यक्ति अपने कार्य पूर्ण रुचि और उत्साह के साथ करने लगता है। खेल-कूद और मनोरंजन के द्वारा मस्तिष्क में दमित भावनाओं को मार्ग मिलता है और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। अध्ययन के बोझ से राहत देने के लिए आवश्यक है कि शिक्षक अपने नेतृत्व में विद्यार्थियों के लिए स्वस्थ खेल और मनोरंजन की व्यवस्था करें। खेल और मनोरंजन रोचक कार्य करते हैं। विद्यालय में स्काउटिंग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि का भी आयोजन किया जाना चाहिए।

(6) बाल केन्द्रित शिक्षण विधियाँ- प्रायः ऐसा होता है कि बालक चालू शिक्षा विधि की नीरसता के कारण पढ़ाई में ध्यान नहीं देते और उनकी रुचि कम हो जाती है। इसके लिए आवश्यक है कि विद्यालय में बाल केन्द्रित शिक्षण विधियाँ अपनाई जायें, जैसे खेल विधि, प्रोजेक्ट विधि तथा मॉण्टेसरी विधि आदि। इन नवीन शिक्षण विधियों के प्रयोग से, जो क्रिया व्यवहार, अभ्यास, स्नायुभाव और स्वतन्त्रता के सिद्धान्त पर आधारित हैं, बालक का स्वस्थ मानसिक विकास होता है।

(7) शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन- बालकों के अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है कि विद्यालय में उन्हें समुचित शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन प्राप्त हो । यदि ऐसा होगा तो बालक विभिन्न विषयों के अध्ययन में रुचि लेगा और उसका अच्छा बौद्धिक विकास होगा। यदि अच्छा विकास होगा तो उसका मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।

(8) संवेगात्मक सुरक्षा की व्यवस्था- मानसिक स्वास्थ्य के लिए समुचित संवेगात्मक विकास अत्यन्त आवश्यक है। यदि संवेगों में सन्तुलन नहीं है तो बालकों के मन में मानसिक द्वन्द्व उत्पन्न होगा और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। बालक के संवेगात्मक सन्तुलन के लिए आवश्यक है कि उन्हें सहानुभूति और प्यार से शिक्षा दी जाये। उन्हें यह नहीं अनुभव होने देना चाहिए कि उनके ऊपर बहुत कड़ा नियन्त्रण है और वे विद्यालय में असुरक्षित हैं। अतः विद्यालयों में बालकों की संवेगात्मक सुरक्षा को ध्यान में रखना चाहिए।

(9) संकल्प-शक्ति का सिद्धान्त- अच्छे चारित्रिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए दृढ़ संकल्प का बहुत अधिक महत्त्व है। वास्तव में संकल्प-शक्ति जितनी ही दृढ़ होगी उतना ही मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होगा। दृढ़ संकल्प वाला व्यक्ति भावना-ग्रन्थियों तथा मानसिक द्वन्द्वों से सफलतापूर्वक लड़ सकता है। अतः विद्यालय में इस बात की व्यवस्था होनी चाहिए कि बालकों को ऐसा अवसर प्राप्त हो जिसमें उनकी संकल्प शक्ति सुदृढ़ हो।

(10) छात्रों के कार्यों को समुचित मान्यता – मनोवैज्ञानिकों का मत है कि मानसिक द्वन्द्वों तथा कुसमायोजन से बालकों का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। प्रत्येक छात्र अपने कार्यों की मान्यता चाहता है। जब उसे यह मान्यता नहीं मिलती तो उसके संवेग को ठेस पहुँचती है और वह असामाजिक बातों की ओर आकर्षित हो जाता है तथा अपराध करने लगता है। अतः इस बात की आवश्यकता है कि विद्यालय में छात्रों के कार्यों को समुचित मान्यता प्राप्त हो और उनमें मानसिक द्वन्द्व तथा कुसमायोजन न उत्पन्न होने पाये।

(11) साहसपूर्ण कार्यों को प्रोत्साहन- छात्रों में साहसपूर्ण कार्य करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। वे मोटर के पीछे भागते हैं, दीवाल पर चढ़ते हैं, तालाब में छलांग लगाते हैं और ऐसे ही अन्य साहसपूर्ण कार्य करते रहते हैं। उनमें क्रियाशीलता अधिक होती है। अतः यह आवश्यक है कि छात्रों की इस क्रियाशीलता को साहसपूर्ण सृजनात्मक कार्य में लगाया जाय। इसके लिए विद्यालय में स्काउटिंग एवं पाठ्यक्रमेत्तर क्रियाओं की व्यवस्था होनी चाहिए।

(12) अच्छी मित्रमण्डली की व्यवस्था- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अकेला नहीं रहना चाहता। सामाजिक जीवन के लिए संगी-साथियों एवं मित्रों की आवश्यकता होती है। बालक अभिव्यक्ति के लिए संगी-साथी तथा मित्रों के साथ रहना चाहता है। मनोवैज्ञानिकों का विचार है कि बालकों में कुसमायोजन का एक कारण मित्रों का अभाव है। विद्यालय में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि बालकों के परस्पर सम्पर्क में वृद्धि हो और उन्हें अच्छे मित्र मिलें। इससे बालक में सहयोग की भावना उत्पन्न होती है, जो मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाने में सहायक होती है।

(13) अच्छी आदतों का निर्माण- मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए छात्रों में अच्छी आदतों का निर्माण किया जाना चाहिए। शिक्षकों को बालकों में नियमित जीवन, सन्तुलित खान-पान और “सादा जीवन उच्च विचार” की आदतें डालने का प्रयास करना चाहिए।

(14) धार्मिक एवं नैतिक शिक्षा की व्यवस्था- बालक को नैतिक चारित्रिक विकास से सम्बन्धित बातें बताई जानी चाहिए। इससे उनका नैतिक एवं चारित्रिक विकास होता है तथा मानसिक विकास में भी योगदान मिलता है।

(15) शिक्षक-अभिभावक परिषद की व्यवस्था – बालक की शिक्षा में परिवार में अभिभावक का विशेष योगदान होता है, इसलिए बालक के स्वस्थ मानसिक विकास के लिए शिक्षकों और अभिभावकों को मिलकर समय-समय पर विचार-विमर्श करना चाहिए। इस कार्य के लिए शिक्षक अभिभावक परिषद की स्थापना की जानी चाहिए।

(16) मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से परामर्श- विद्यालय में बालकों के मानसिक स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्याओं का अध्ययन करने तथा उनका निदान करने हेतु मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से परामर्श लिया जाना चाहिए। समस्यात्मक बालकों का अध्ययन करने के लिये विशेषज्ञों का परामर्श लिया जाना चाहिए और उनके उपचार की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए।

(17) प्रगति एवं आचरण व्यवहार का लेखा रखना- बालकों के मानसिक स्वास्थ्य के विकास के लिए विद्यालय में बालकों की आवश्यकता एवं आचार-व्यवहार का लेखा रखना अत्यन्त आवश्यक है। इसे देखकर शिक्षक और अभिभावक बालकों के मानसिक स्वास्थ्य की उन्नति हेतु प्रयास कर सकते हैं।

(18) अच्छी नागरिकता की शिक्षा प्रदान करना- विद्यालय में आरम्भ से बालकों को अच्छा नागरिक बनने की शिक्षा दी जानी चाहिए। समाज का सदस्य होने के नाते सामाजिक गुणों के विकास के लिये विभिन्न विषयों के माध्यम से और विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा आदर्श नागरिकता और सामाजिकता की शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।

(स) समाज-सम्बन्धी कार्य

बालक के मानसिक स्वास्थ्य में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाला तीसरा अभिकरण समाज है। विद्यालय बालक को समाज की प्रत्याशाओं के अनुरूप ढालने में प्रयासरत रहते हैं, किन्तु निम्नलिखित कार्यों की पूर्ति समाज द्वारा ही सम्भव है-

  • बालक की मौलिक आवश्यकताओं; यथा- प्रेम, स्नेह, वात्सल्य और प्रसन्नता की पूर्ति ।
  • बालक को सुख और सुरक्षा प्रदान करना।
  • बालक के संवेगात्मक-सामाजिक विकास के लिये पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराना।
  • बालक के सर्वांगीण विकास के लिए उत्तम शिक्षा संस्थाओं की स्थापना करना ।
  • बालक में लोकतान्त्रिक नागरिकता के गुणों को प्रोत्साहित करना ।
  • बालक में सामुदायिक तथा राष्ट्रीय भावनाओं का विकास करना।
  • जातीय विद्वेष, सामाजिक विद्वेष, राजनीतिक प्रपंच तथा धार्मिक उन्माद आदि की समाप्ति करके बालक के सम्मुख स्वस्थ सामाजिक परिवेश का विकास करना।
  • भावात्मक एकता के लिये प्रयास करना।

IMPORTANT LINK

  • हिन्दी भाषा का शिक्षण सिद्धान्त एवं शिक्षण सूत्र
  • त्रि-भाषा सूत्र किसे कहते हैं? What is called the three-language formula?
  • माध्यमिक विद्यालय के पाठ्यक्रम में हिन्दी का क्या स्थान होना चाहिए ?
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मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कैसे करे

Mental Health in Hindi: आपका मानसिक स्वास्थ्य आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण पहलू है। वास्तव में, यह आपके शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्वपूर्ण है। आपका मानसिक स्वास्थ्य डिप्रेशन जैसी चिकित्सीय स्थितियों से प्रभावित हो सकता है। आपका भावनात्मक स्वास्थ्य आपके सामाजिक जीवन, आपके रोमांटिक जीवन और आपकी अपनी मानसिकता से संबंधित हो सकता है। आपकी स्थिति कैसी भी हो, आप अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को और बेहतर बना सकते हैं। सबसे पहले अपनी मानसिक स्वास्थ्य (Mental health in Hindi) को प्राथमिकता दें। आप अपने परिवार और दोस्तों से भी बेहतर मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में आपकी मदद करने के लिए कह सकते हैं।

Table of Contents

  • 1.1 1. खुद को महत्व दें
  • 1.2 2. अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता बनाए 
  • 1.3 3. अपने सामने एक लक्ष्य रखो
  • 1.4 4. अपनी भावनाओं को संसाधित करें
  • 1.5 5. स्वस्थ गतिविधियों का चयन
  • 1.6 6. स्वस्थ आहार लें
  • 1.7 7. पर्याप्त नींद ले 
  • 1.8 8. दोस्तों और परिवार से बात करें
  • 1.9 9. अपनी नियमित दिनचर्या बदलें
  • 1.10 10. अपने वर्तमान समय में रहे 

मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के उपाय – Ways to Improve Mental Health in Hindi

मानसिक स्वास्थ्य होने का मतलब है कि दैनिक जीवन के दौरान कार्य करने में सक्षम होना और मौका मिलने पर चुनौतियों से निपटने के लिए आत्मविश्वास महसूस करना। जो लोग भावनात्मक रूप से स्वस्थ होते हैं वे अक्सर अपनी भावनाओं, व्यवहार, यहां तक कि शारीरिक स्वास्थ्य के नियंत्रण में होते हैं।

निचे दिए गए तरीकों से आप अपने मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं –

1. खुद को महत्व दें

अच्छे मानसिक स्वास्थ्य (Mental health in Hindi) के अच्छी तरह कार्य करने के लिए  स्वयं के मूल्य को स्वीकार करना आवश्यक है। यह आपको अपनी ताकत और कमजोरियों का आकलन करने में मदद करेगा, और आपको उन्हें प्रभावी ढंग से संतुलित करने की क्षमता प्रदान करेगा। अपने आप को सम्मान और दया के साथ व्यवहार करें, और आत्म-आलोचना से बचें।

2. अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता बनाए 

अपनी प्राथमिकताओं को सूची तैयार करें। क्या आपके जीवन के ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ आप जानते हैं कि आप सुधार कर सकते हैं? अपना कुछ समय यह पता लगाने में भी लगाएं कि इनमें से कौन सा क्षेत्र या कार्य आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए , आपकी प्राथमिकताओं में से एक आपके किसी के साथ अधिक सकारात्मक संबंध विकसित करना भी हो सकता है।

एक प्राथमिकता यह भी हो सकती  है कि कैसे एक कार्य जीवन में संतुलन बनाए, एक अच्छा स्वास्थ्य, रिश्तों में संतुलन और कैसे एक संतोषजनक आध्यात्मिक जीवन बनाए रखा जाए।

3. अपने सामने एक लक्ष्य रखो

अपना कुछ लक्ष्य रखो जीवन में जिसे आप पूरा करना चाहते हो । ये लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म दोनों तरह के लक्ष्य हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, जैसे कि आप प्रतिदिन 10 मिनट ध्यान करने का लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं। यह एक शॉर्ट टर्म लक्ष्य है। अपने लक्ष्यों को लिखें। इससे आपको उन्हें मजबूत करने में मदद मिलेगी और आपको प्रतिबद्ध होने की अधिक संभावना होगी।

4. अपनी भावनाओं को संसाधित करें

अपनी भावनात्मक भलाई में सुधार करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अपनी भावनाओं को स्वीकार करना सीख रहा है। कभी-कभी असहज भावना को दूर करना आसान लग सकता है। हालांकि, अपनी भावनाओं को संसाधित करना महत्वपूर्ण है। अपनी भावनाओं को संसाधित करना एक बहु-चरणीय प्रक्रिया है।

इसमें शामिल है –

  • संवेदना:  यह तब होती है जब आप कुछ महसूस कर रहे होते हैं उसे नोटिस करते हैं। इस भावना से जुड़ी कोई शारीरिक अनुभूति हो सकती है। उदाहरण के लिए, आप उदास महसूस कर सकते हैं और अपने सीने में भारीपन या जकड़न महसूस कर सकते हैं।

अपने ट्रिगर्स को पहचानने और उनसे निपटने का तरीका जानें। हर किसी के अलग-अलग ट्रिगर होते हैं। इन ट्रिगर्स में कुछ निश्चित लोग, परिस्थितियाँ या स्थान  भी हो सकते हैं। अपने ट्रिगर्स से निपटने के लिए, यह पता लगाने के लिए कुछ समय लें कि वे क्या हैं और उनसे निपटने के लिए योजनाएँ बनाये।

  • जानकारी इकट्ठा करें: इस चीज से बचें कि मानसिक स्वास्थ्य (Mental health in Hindi) के मुद्दे किसी भी तरह “वास्तविक” समस्याएं नहीं हैं। आपका मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि आपका शारीरिक स्वास्थ्य। अपने मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जानने के लिए कुछ समय निकालें।

अपनी भावनात्मक भलाई को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न तरीकों पर शोध करें। उदाहरण के लिए, आप किसी योग क्लास में जाकर उनसे योग का अभ्यास करने के मानसिक लाभों के बारे में पूछ सकते हैं।

5. स्वस्थ गतिविधियों का चयन

  • रचनात्मक (क्रिएटिव) बनो: अपने अंदर के कलाकार को पहचानिये। कलात्मक पक्ष से संपर्क करने का प्रयास करें। रचनात्मक गतिविधियाँ मानसिक स्वास्थ के लिए बहुत लाभदायक होती हैं, और मूड बूस्टर के रूप में भी काम कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, स्केचिंग। संगीत सुनें या एक वाद्य बजाना सीखें। आप एक समूह कक्षा ढूंढ सकते हैं या एक व्यक्तिगत शिक्षक को नियुक्त कर सकते हैं।
  • दूसरों की मदद करे: दूसरों की मदद करना  खुद को अच्छा महसूस कराने का एक शानदार तरीका है। यह आपके मूड को बढ़ावा दे सकता है और आपके भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। 
  • बाहर समय बिताएं: प्रकृति हमारी प्राकृतिक मनोदशा को बढ़ावा देती है। बाहर समय बिताने से आप अच्छा महसूस करेंगे, जो आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। प्रकृति  के साथ समय बिताए।
  • काम से ब्रेक लें: समय समय पर काम से ब्रेक ले कर बाहर घूमने जाये। यह आपके मूड को अच्छा करता है साथ ही साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी बूस्ट करने में भी मदद होती है।
  • ध्यान करना सीखें: ध्यान चिंता और तनाव को कम करने का एक अचूक तरीका है। ध्यान को प्रतिदिन अपनी दिनचर्या में शामिल करने का संकल्प लें। यदि आप इसे रोजाना करने में असमर्थ है , तो सप्ताह में दो से तीन दिन के लिए जरूर करें। आप कम समय से भी शुरुवात कर सकते हैं – 5 से 10 मिनट का ध्यान भी सहायक होता है। इसमें आप “ओम” मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।

         ध्यान करने के लिए सुबह और रात दोनों ही समय आप चुन सकते हैं। बस एक शांत जगह चुनना और आरामदायक कपड़े पहनना सुनिश्चित करें। अपनी सांस पर ध्यान दें। अपनी नाक से और अपने मुंह से धीरे-धीरे और जानबूझकर सांस लें। यह अक्सर तनाव के कारण होने वाली हृदय गति को धीमा करने में मदद करेगा।

पढ़े:    ध्यान के फायदे 

  • व्यायाम :  शारीरिक गतिविधि एंडोर्फिन पैदा करती है, जो आपके मूड को बूस्ट करती है। नियमित व्यायाम आपके  तनाव को प्रबंधित करने, अधिक आत्मविश्वास महसूस करने और आपके स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है। सप्ताह के अधिकांश दिनों में कम से कम 30 मिनट का व्यायाम करने का प्रयास करें। शारीरिक गतिविधियां मस्तिष्क को ऑक्सीजन प्रदान करती हैं, जिससे यह डिप्रेशन और तनाव को कम करने में मदद करता है।

एक ऐसी गतिविधि चुने जिसमे आपकी रूचि हो। उदारण के लिए, अगर आपको डांस पसंद है तो आप  ज़ुम्बा क्लास ट्राई करें।

6. स्वस्थ आहार लें

भोजन निश्चित रूप से आपके मूड और आपके संपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य (Mental health in Hindi) को प्रभावित करता है। इसलिए अपने आहार का चयन सही से करे। हर दिन खूब सारे फल और सब्जियां खाएं। कुछ खाद्य पदार्थ मूड बूस्टर हैं। अपने आहार में सैल्मन, अखरोट और एवोकाडो को शामिल करने का प्रयास करें।

  • आपको ब्लूबेरी और पत्तेदार सब्जियों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • ऐसे खाद्य पदार्थों से बचें जो आपके मूड को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। मीठे स्नैक्स और तले हुए भोजन से दूर रहने की कोशिश करें।
  • शराब का सेवन करने से बचे।
  • ज्यादा से ज्यादा पानी पिए।
  • कम से कम 10 मिनट सुबह – सुबह धुप में बैठे। 

7. पर्याप्त नींद ले 

यदि आपको पर्याप्त आराम नहीं मिलता है तो आप अच्छा महसूस नहीं करेंगे। रात की अच्छी नींद को प्राथमिकता दें। अधिकांश वयस्कों को रोजाना सात से नौ घंटे के बीच की नींद की आवश्यकता होती है। हर दिन एक ही समय पर सोने और उठने की कोशिश करें। यह आपके शरीर को नियमित नींद के समय में समायोजित करने में मदद करेगा।

सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक्स सीमित करें। सोने से लगभग एक घंटे पहले लैपटॉप और टेलीविजन को बंद कर दें। देर रात तक ई-मेल या सोशल मीडिया चेक करने से बचें। नींद की कमी आपको चिड़चिड़ी, चिंतित और ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ बनाती है।

8. दोस्तों और परिवार से बात करें

अपने जीवन में उन लोगों से जुड़े जो आपके लिए महत्वपूर्ण हैं। जब आप किसी क्षेत्र में फेल होते हैं तो आपके प्रियजन आपका समर्थन कर सकते हैं, और कुछ अच्छा होने पर आप के साथ जश्न मना सकते हैं। किसी ऐसे व्यक्ति से संपर्क करें जिसे आपने कुछ समय से नहीं देखा है। जरूरत पड़ने पर प्रियजनों के सामने झुक जाएं। खुल कर उनसे बातें करे।

9. अपनी नियमित दिनचर्या बदलें

यदि आप गतिरोध से जूझ रहे हैं, तो दैनिक दिनचर्या में कुछ छोटे-छोटे बदलाव करें, जैसे नाश्ते के लिए कुछ नया, कार्यस्थल के लिए एक नया रास्ता बदलना, टीवी देखने के बजाय एक नई किताब पढ़ना आदि। वहां छोटी चीजें आपके वर्तमान जीवन में बहुत अधिक उत्तेजना और आवश्यक विविधता जोड़ सकती हैं, कौन जानता है, वे कुछ बड़े बदलाव भी ला सकते हैं।

10. अपने वर्तमान समय में रहे 

बहुत से लोग वर्तमान का अनुभव करने के बजाय या तो अतीत के बारे में सोचते है या भविष्य की योजना बनाने में खोये रहते है। भावनाओं और विचारों, शरीर और आसपास की दुनिया से युक्त वर्तमान समय के बारे में अधिक ध्यान दें। कुछ लोग इस जागरूकता को “माइंडफुलनेस” नाम देते हैं।

डॉक्टर की सलाह ले: कभी-कभी आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि आप जो कोशिश कर रहे हैं वह काम नहीं कर रहा है। अगर आपको लगता है कि आपको मानसिक स्वास्थ्य (Mental health in Hindi) की स्थिति ठीक नहीं है , तो एक चिकित्सकीय पेशेवर से परामर्श लेने पर विचार करें। उदाहरण के लिए,

यदि आप चिंता या डिप्रेशन से झूज रहे हैं तो थेरेपी वास्तव में मददगार हो सकती है। 

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Mental Health : जानें क्या होती है मानसिक बीमारी? इससे बचने के लिए करें ये उपाय

मेंटल हेल्थ से जुड़ी हुई समस्याओं से बचे रहने के लिए जरूरी है कि हमें इस बारे में पूरी जानकारी हो। कई बार इस हालात से गुजर रहे इंसान को भी ये नहीं पता है कि वह किसी प्रकार की मानसिक समस्या से जूझ रहा है।.

what is mental health and how can we boost your mental health with foods and tips for good mental health in hindi

जानें क्या होती है मानसिक बीमारी?

जानें क्या होती है मानसिक बीमारी?

मानसिक बीमारी एक ऐसी बीमारी होती है जो किसी भी व्यक्ति की सोच, फीलिंग, मूड, व्यवहार आदि में बदलाव ला देता है। डिप्रेशन, तनाव, बिपोलर डिसऑर्डर भी इसी मानसिक बीमारी का एक हिस्सा है। ऐसी स्थिति अगर लगातार कुछ समय तक बनी रहती है तो वह किसी इंसान की दिनचर्या को नकारात्मक रूप से बदलने लगती है।

इसका मेंटल हेल्थ से कैसा जुड़ाव है ?

इसका मेंटल हेल्थ से कैसा जुड़ाव है ?

मानसिक बीमारी हमारे मानसिक स्वास्थ्य से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है। मेंटल हेल्थ की बात करें तो इसमें इमोशनल, साइक्लोजिकल और सोशल वेल बीइंग जैसे बिंदु शामिल हैं। हमारा मानसिक स्वास्थ्य इस बात पर प्रभाव डालता है कि हम कैसे सोचते हैं? हम क्या महसूस करते है और कैसे हम भी याद करते हैं? इतना ही नहीं, यह हमें स्ट्रेस मैनेजमेंट के साथ-साथ हमारी पसंद और नापसंद पर भी सक्रिय रहता है। मेंटल हेल्थ हमारी जिंदगी में बचपन से शुरू होकर युवावस्था और बुढ़ापे तक के सफर को प्रभावित करता है।

मेंटल हेल्थ हमारी सेहत को कैसे प्रभावित करती है ?

मेंटल हेल्थ हमारी सेहत को कैसे प्रभावित करती है ?

मेंटल हेल्थ हमारे पूरे स्वास्थ्य पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों परिणाम दिखाती है। बशर्ते यह बात इस पर निर्भर करती है कि हमारी मेंटल हेल्थ कितना ठीक तरह से काम करती है और कितनी ठीक तरह से नहीं। उदाहरण के लिए देखा जाए तो मेंटल हेल्थ से जुड़ी कुछ समस्याएं जैसे डिप्रेशन के कारण हमें कई प्रकार की फिजिकल हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती है। इसके अलावा अगर यह लंबे समय तक बना रहे तो स्ट्रोक, टाइप टू डायबिटीज और हृदय रोग का खतरा भी बढ़ जाता है।

मेंटल हेल्थ पर क्यों पड़ता है नकारात्मक प्रभाव

मेंटल हेल्थ पर क्यों पड़ता है नकारात्मक प्रभाव

मेंटल हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव कई कारणों से पड़ सकता है जो बचपन से शुरू होकर किसी भी स्टेज में आप इसकी चपेट में आ सकते हैं। ट्रॉमा, चाइल्ड अब्यूज, सेक्सुअल असॉल्ट विटनेसिंग वॉयलेंस के कारण मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्या हो सकती है। इसके अलावा कुछ बीमारियां जैसे कैंसर, डायबिटीज और दिमाग में होने वाले केमिकल इंबैलेंस भी मेंटल हेल्थ को बुरी तरह से प्रभावित करता है।

​बचने के लिए क्या कर सकते हैं उपाय

​बचने के लिए क्या कर सकते हैं उपाय

मेंटल हेल्थ से जुड़ी हुई किसी भी प्रकार की समस्या से बचे रहने के लिए सबसे पहले आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि आप किसी भी प्रकार की बीमारी से सुरक्षित रहें। किसी भी बीमारी से ग्रसित होने के कारण लगातार आप उस बारे में भी सोचते रह सकते हैं और आप के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव ही हावी रहेगा जिसका सर मेंटल हेल्थ पर बुरा साबित होगा।

​किसी भी चीज के बारे में न सोचें ज्यादा

​किसी भी चीज के बारे में न सोचें ज्यादा

किसी भी ऑफिशियल काम या फिर घर की किसी भी बात के बारे में इतना ज्यादा ना सोचें कि वह बात आपके दिमाग पर हावी रहे और आप उसके कारण लगातार परेशान रहें। आप अपने काम को गंभीरतापूर्वक करें और कोशिश करें कि आप किसी भी प्रकार की टेंशन को दिमाग में ना रखें। इस कारण आपकी मेंटल हेल्थ स्वस्थ बनी रहेगी।

​किस प्रकार की डायट रहेगी सबसे बढ़िया

​किस प्रकार की डायट रहेगी सबसे बढ़िया

मेंटल हेल्थ से जुड़ी हुई किसी भी प्रकार की समस्या से बचे रहने के लिए आपको ब्रेन बूस्टर फूड्स का सेवन करना चाहिए। इन फूड्स में नट्स, डार्क चॉकलेट, पंपकिन सीड्स, ब्रोकली, हल्दी, ब्लूबेरी, फैटी फिश जैसे खाद्य पदार्थ शामिल हैं। इनका आप नियमित रूप से सेवन कर सकते हैं जो आपकी मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने में काफी मदद प्रदान करेंगे।

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Mental Health Essay

Mental Health Essay

Introduction

Mental health, often overshadowed by its physical counterpart, is an intricate and essential aspect of human existence. It envelops our emotions, psychological state, and social well-being, shaping our thoughts, behaviors, and interactions. With the complexities of modern life—constant connectivity, societal pressures, personal expectations, and the frenzied pace of technological advancements—mental well-being has become increasingly paramount. Historically, conversations around this topic have been hushed, shrouded in stigma and misunderstanding. However, as the curtains of misconception slowly lift, we find ourselves in an era where discussions about mental health are not only welcomed but are also seen as vital. Recognizing and addressing the nuances of our mental state is not merely about managing disorders; it's about understanding the essence of who we are, how we process the world around us, and how we navigate the myriad challenges thrown our way. This essay aims to delve deep into the realm of mental health, shedding light on its importance, the potential consequences of neglect, and the spectrum of mental disorders that many face in silence.

Importance of Mental Health

Mental health plays a pivotal role in determining how individuals think, feel, and act. It influences our decision-making processes, stress management techniques, interpersonal relationships, and even our physical health. A well-tuned mental state boosts productivity, creativity, and the intrinsic sense of self-worth, laying the groundwork for a fulfilling life.

Negative Impact of Mental Health

Neglecting mental health, on the other hand, can lead to severe consequences. Reduced productivity, strained relationships, substance abuse, physical health issues like heart diseases, and even reduced life expectancy are just some of the repercussions of poor mental health. It not only affects the individual in question but also has a ripple effect on their community, workplace, and family.

Mental Disorders: Types and Prevalence

Mental disorders are varied and can range from anxiety and mood disorders like depression and bipolar disorder to more severe conditions such as schizophrenia.

  • Depression: Characterized by persistent sadness, lack of interest in activities, and fatigue.
  • Anxiety Disorders: Encompass conditions like generalized anxiety disorder, panic attacks, and specific phobias.
  • Schizophrenia: A complex disorder affecting a person's ability to think, feel, and behave clearly.

The prevalence of these disorders has been on the rise, underscoring the need for comprehensive mental health initiatives and awareness campaigns.

Understanding Mental Health and Its Importance

Mental health is not merely the absence of disorders but encompasses emotional, psychological, and social well-being. Recognizing the signs of deteriorating mental health, like prolonged sadness, extreme mood fluctuations, or social withdrawal, is crucial. Understanding stems from awareness and education. Societal stigmas surrounding mental health have often deterred individuals from seeking help. Breaking these barriers, fostering open conversations, and ensuring access to mental health care are imperative steps.

Conclusion: Mental Health

Mental health, undeniably, is as significant as physical health, if not more. In an era where the stressors are myriad, from societal pressures to personal challenges, mental resilience and well-being are essential. Investing time and resources into mental health initiatives, and more importantly, nurturing a society that understands, respects, and prioritizes mental health is the need of the hour.

  • World Leaders: Several influential personalities, from celebrities to sports stars, have openly discussed their mental health challenges, shedding light on the universality of these issues and the importance of addressing them.
  • Workplaces: Progressive organizations are now incorporating mental health programs, recognizing the tangible benefits of a mentally healthy workforce, from increased productivity to enhanced creativity.
  • Educational Institutions: Schools and colleges, witnessing the effects of stress and other mental health issues on students, are increasingly integrating counseling services and mental health education in their curriculum.

In weaving through the intricate tapestry of mental health, it becomes evident that it's an area that requires collective attention, understanding, and action.

  Short Essay about Mental Health

Mental health, an integral facet of human well-being, shapes our emotions, decisions, and daily interactions. Just as one would care for a sprained ankle or a fever, our minds too require attention and nurture. In today's bustling world, mental well-being is often put on the back burner, overshadowed by the immediate demands of life. Yet, its impact is pervasive, influencing our productivity, relationships, and overall quality of life.

Sadly, mental health issues have long been stigmatized, seen as a sign of weakness or dismissed as mere mood swings. However, they are as real and significant as any physical ailment. From anxiety to depression, these disorders have touched countless lives, often in silence due to societal taboos.

But change is on the horizon. As awareness grows, conversations are shifting from hushed whispers to open discussions, fostering understanding and support. Institutions, workplaces, and communities are increasingly acknowledging the importance of mental health, implementing programs, and offering resources.

In conclusion, mental health is not a peripheral concern but a central one, crucial to our holistic well-being. It's high time we prioritize it, eliminating stigma and fostering an environment where everyone feels supported in their mental health journey.

Frequently Asked Questions

  • What is the primary focus of a mental health essay?

Answer: The primary focus of a mental health essay is to delve into the intricacies of mental well-being, its significance in our daily lives, the various challenges people face, and the broader societal implications. It aims to shed light on both the psychological and emotional aspects of mental health, often emphasizing the importance of understanding, empathy, and proactive care.

  • How can writing an essay on mental health help raise awareness about its importance?

Answer: Writing an essay on mental health can effectively articulate the nuances and complexities of the topic, making it more accessible to a wider audience. By presenting facts, personal anecdotes, and research, the essay can demystify misconceptions, highlight the prevalence of mental health issues, and underscore the need for destigmatizing discussions around it. An impactful essay can ignite conversations, inspire action, and contribute to a more informed and empathetic society.

  • What are some common topics covered in a mental health essay?

Answer: Common topics in a mental health essay might include the definition and importance of mental health, the connection between mental and physical well-being, various mental disorders and their symptoms, societal stigmas and misconceptions, the impact of modern life on mental health, and the significance of therapy and counseling. It may also delve into personal experiences, case studies, and the broader societal implications of neglecting mental health.

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स्वास्थ्य पर निबंध (Health Essay in Hindi)

स्वास्थ्य एक व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक बेहतरी को संदर्भित करता है। एक व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेते हुए तब कहा जाता है जब वह किसी भी शारीरिक बीमारियों, मानसिक तनाव से रहित होता है और अच्छे पारस्परिक संबंधों का मज़ा उठाता है। पिछले कई दशकों में स्वास्थ्य की परिभाषा काफी विकसित हुई है। हालांकि इससे पहले इसे केवल एक व्यक्ति की भौतिक भलाई से जोड़ा जाता था पर अब यह उस स्थिति को संदर्भित करता है जब कोई व्यक्ति अच्छे मानसिक स्वास्थ्य का आनंद ले रहा है, आध्यात्मिक रूप से जागृत है और एक अच्छा सामाजिक जीवन जी रहा है।

स्वास्थ्य पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Health in Hindi, Swasthya par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

शास्त्रों में कहा गया है की स्वास्थ्य धन ही सर्वप्रमुख धन है। “आप क्या खा रहे हैं स्वास्थ्य का संबंध केवल इससे नहीं है बल्कि आप क्या सोच रहे हैं और क्या कह रहे हैं स्वास्थ्य का संबंध इससे भी है।”स्वास्थ्य का सम्बन्ध केवल शरीर से ही नहीं बल्कि मन की दृढ़ता से  भी है।

अच्छे स्वास्थ्य की परिभाषा

1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने किसी व्यक्ति की संपूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्थिति को स्वास्थ्य में शामिल किया है न कि केवल बीमारी का अभाव। इसे लंबे समय के लिए अव्यवहारिक मानकर खारिज कर दिया गया था।

1980 में स्वास्थ्य की एक नई अवधारणा लाई गई। इसके तहत स्वास्थ्य को एक संसाधन के रूप में माना गया है।आज एक व्यक्ति को तब स्वस्थ माना जाता है जब वह अच्छा शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और संज्ञानात्मक स्वास्थ्य का आनंद ले रहा है।

स्वास्थ्य को बनाए रखने का महत्व

पारिवारिक जीवन में: कोई व्यक्ति जो शारीरिक रूप से अयोग्य है वह अपने परिवार की देखभाल नहीं कर सकता है। इसी तरह कोई व्यक्ति मानसिक तनाव का सामना कर रहा है और अपनी भावनाओं को संभालने में अक्षम है तो वह परिवार के साथ अच्छे रिश्तों का निर्माण और उनको बढ़ावा नहीं दे सकता है।

अध्ययन में: ख़राब शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अध्ययन में एक बाधा है। अच्छी तरह से अध्ययन करने के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के अलावा अच्छा संज्ञानात्मक स्वास्थ्य बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है।

अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना अति आवश्यक है। जब आप स्वस्थ होंगे तो आप अपने जीवन के अन्य पहलुओं की भी देखभाल करने में सक्षम होंगे।मनुष्य को धन और वैभव की ओर अंधी दौड़ को छोड़कर स्वास्थ्य के महत्व को समझने की नितांत आवश्यकता है।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Health in Hindi

निबंध – 2 (400 शब्द)

स्वास्थ्य उस स्थिति का नाम है जब एक व्यक्ति अच्छी तरह से शारीरिक और मानसिक रूप से फिट हो, सबसे अच्छे पारस्परिक संबंध हो और आध्यात्मिक रूप से जागृत हो। सेहतमंद जीवन का आनंद लेने के लिए अपने स्वास्थ्य के हर पहलू का अत्यधिक ध्यान रखना चाहिए।

स्वास्थ्य को सुधारने की तकनीक

स्वास्थ्य का सुधार करने में सहायता करने के लिए यहां कुछ सरल तकनीकें दी गई हैं:

  • स्वस्थ आहार योजना का पालन करें

अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने की ओर पहला कदम विभिन्न सूक्ष्म पोषक तत्वों से समृद्ध आहार होना है। आपके आहार में विशेष रूप से ताजे फल और हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल होनी चाहिए। इसके अलावा दालें, अंडे और डेयरी उत्पाद भी हैं जो आपके समग्र विकास और अनाज में मदद करती हैं जो पूरे दिन चलने के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं।

  • उचित विश्राम करें

अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करने और काम करने के लिए ऊर्जा बनाए रखना आवश्यक है। इसके लिए 8 घंटों के लिए सोना ज़रूरी है। किसी भी मामले में आपको अपनी नींद पर समझौता नहीं करना चाहिए। नींद की कमी आपको सुस्त बना देती है और आपको शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान करती है।

आपको अपने पसंद के किसी भी शारीरिक व्यायाम में शामिल होने के लिए अपने दैनिक कार्यक्रम से कम से कम आधे घंटे का समय निकालना चाहिए। आप तेज़ चलना, जॉगिंग, तैराकी, साइकिल चलाना, योग या अपनी पसंद कोई भी अन्य व्यायाम का प्रयास कर सकते हैं। यह आपको शारीरिक रूप से फिट रखता है और अपने दिमाग को आराम देने का एक शानदार तरीका भी है।

  • दिमागी खेल खेलें

जैसा कि आप के लिए शारीरिक व्यायाम में शामिल होना महत्वपूर्ण है आपके लिए दिमागी खेल खेलना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ये आपके संज्ञानात्मक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।

  • ध्यान लगाना

ध्यान आपके मन को शांत करने और आत्मनिरीक्षण करने का एक शानदार तरीका है। यह आपको एक उच्च स्थिति में ले जाता है और आपके विचारों को और अधिक स्पष्टता देता है।

  • सकारात्मक लोगों के साथ रहें

सकारात्मक लोगों के साथ रहना आवश्यक है। उन लोगों के साथ रहें जिनके साथ आप स्वस्थ और सार्थक चर्चाओं में शामिल हो सकते हैं तथा जो आपको निराश करने की बजाए आपको बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। यह आपके भावनात्मक और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।

  • रूटीन चेक-अप कराते रहें

वार्षिक स्वास्थ्य जांच कराना एक अच्छा विचार है। सावधानी हमेशा इलाज से बेहतर है। इसलिए यदि आप अपनी वार्षिक रिपोर्ट में किसी भी तरह की कमी या किसी भी तरह के मुद्दे को देखते हैं तो आपको तुरंत मेडिकल सहायता प्राप्त करनी चाहिए और इससे पहले कि यह बढ़े इसे ठीक कर लेना चाहिए।

आज के समय में लोग इतने व्यस्त है कि वे अपने स्वास्थ्य की देखभाल करना भूल जाते हैं। यह समझना आवश्यक है कि स्वास्थ्य सबसे पहले है। स्वास्थ्य को अनुकूलित करने और सेहतमंद रहने के लिए उपर्युक्त बिंदुओं का पालन करना चाहिए।

Essay on Health in Hindi

निबंध – 3 (500 शब्द)

स्वास्थ्य शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है। स्वास्थ्य का महत्व सबसे पहले है और बाकी सब कुछ इसके बाद में आता है। अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखना कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे हम कैसी हवा में सांस लेते हैं, कैसा पानी पीते हैं, कैसा भोजन खाते हैं, किस तरह के लोगों से हम मिलते हैं और हम कैसा व्यायाम हम करते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य की तरह महत्वपूर्ण है

जहाँ किसी व्यक्ति के प्रारंभिक वर्षों से ही उसको शारीरिक रूप से फिट होने पर बहुत महत्व दिया जाता है वहीँ कई लोग भावनात्मक और मानसिक रूप से मजबूत रहने की ज़रूरत और महत्व की अनदेखी करते हैं। यह सही समय है जब लोगों को यह समझना चाहिए कि मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखना और उस दिशा में काम करना कितना महत्वपूर्ण है।

माता-पिता को अक्सर अपने बच्चों के द्वारा खाए जाने वाले भोजन को और उनके शारीरिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए स्वच्छता के स्तर को बनाए रखने को महत्व देते देखा जा सकता है। कई माताएं अपने बच्चों की खाने की आदतों पर चिंता करती देखी जा सकती है। वे अपने बच्चों को शारीरिक रूप से फिट और ऊर्जावान रखने के लिए अलग-अलग तरीकों का उपयोग करते हुए भोजन करने के लिए मजबूर करते हैं लेकिन हमने शायद ही कभी यह जानने की कोशिश की है बच्चे के मन में क्या चल रहा है। हमें यह समझना चाहिए कि माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को काम करने के लिए निर्देश देते हैं लेकिन इस चीज़ का विश्लेषण करने का प्रयास नहीं करते कि उनका बच्चा क्यों काम करने से बच रहा है या इनकार कर रहा है। बच्चों के साथ समय बिताना और उनकी भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने की ही तरह उन्हें खिलाना भी महत्वपूर्ण है।

यह न केवल बच्चों के लिए बल्कि हर उम्र के लोगों के लिए अच्छा है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को उतना महत्व देना चाहिए जितना वह अपने शारीरिक स्वास्थ्य को देता है। इस बात की कमी की वजह से अवसाद, उच्च रक्तचाप और तनाव जैसी समस्याएँ जन्म ले रही हैं।

भारत में हेल्थकेयर

भारत के नागरिकों के लिए कोई राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा प्रणाली नहीं है। यही कारण है कि निजी क्षेत्र हमारे देश में मुख्य स्वास्थ्य प्रदाता है। देश में जहाँ-जहाँ पर सरकारी अस्पताल हैं वहां इलाज मुफ़्त किया जाता है और लोगों को मुफ्त दवाइयाँ प्रदान की जाती है पर बहुत से लोग स्वच्छता की कमी के कारण इन अस्पतालों से दूर रहते हैं। इसके अलावा चूंकि ये सेवाएं मुफ्त मुहैया कराई जाती हैं इसलिए यहां लंबी-लंबी लाइन लगती हैं।

सरकार को इन सुविधाओं को बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए और इन्हीं सुविधाओं की तरह और अधिक अस्पताल स्थापित करने चाहिए ताकि प्रत्येक नागरिक की जरूरतों को पूरा किया जा सके। भारत में आम आदमी को स्वास्थ्य देखभाल के लिए भारी मात्रा में पैसे की आवश्यकता होती है। उनके द्वारा की गई अधिकांश बचत अपने परिवार के स्वास्थ्य की देखभाल करने में खर्च होती है। जो लोग हेल्थकेयर बीमा खरीदते हैं उन्हें भी विभिन्न उपचारों के दौरान पैसे की ज़रूरत होती है क्योंकि इन पॉलिसियों में बहुत कमियां हैं।

जीवन में हर कदम पर प्रतिस्पर्धा होती है। प्रत्येक व्यक्ति दूसरे की बराबरी करना चाहता है चाहे वह स्कूल या कॉलेज स्तर पर हो या जीवन में स्वास्थ्य शैली को बनाए रखनी की हो। लोगों को इस तथ्य को पहचानना चाहिए कि स्वास्थ्य पहले है। हम यह सब तभी कर सकते हैं जब हम स्वस्थ होते हैं और जीवन के अन्य पहलुओं पर बेहतर काम करते हैं। सरकार को देश की भलाई के लिए अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ भी प्रदान करनी चाहिए।

निबंध – 4 (600 शब्द)

स्वास्थ्य को शुरू में एक ऐसी स्थिति के रूप में जाना जाता था जिसमें एक व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से फिट था। ख़राब स्वास्थ्य की समस्या तब होती थी जब कोई व्यक्ति बीमार हो जाता या अन्य शारीरिक बीमारियों से पीड़ित हो जाता है। हालांकि समय गुजरने के साथ स्वास्थ्य की परिभाषा में परिवर्तन आया है और अब इसमें एक व्यापक परिप्रेक्ष्य शामिल किया गया है।

स्वास्थ्य के विभिन्न घटक

मूल रूप से स्वास्थ्य के पांच घटक हैं। एक व्यक्ति को स्वस्थ तब माना जाता है जब ये सभी घटक सही होते हैं। यहां इन घटकों पर एक नजर है:

1. शारीरिक स्वास्थ्य

शारीरिक स्वास्थ्य शारीरिक रूप से फिट होना और सभी बीमारियों से रहित होने से संबंधित है। अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य लंबे जीवन काल को बढ़ावा देता है।

कैसे शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखें?

  • उचित आहार योजना का पालन करें जिसमें सभी आवश्यक माइक्रोन्यूट्रेंट्स शामिल हो
  • तेल, मीठा और जंक फूड की खपत कम करें
  • धूम्रपान, शराब पीने और ड्रग्स लेने से बचें
  • रोजाना पर्याप्त नींद लें
  • नियमित रूप से व्यायाम करें
  • नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए जाएं

2. मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य

इसमें एक व्यक्ति का मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कल्याण भी शामिल है। हमारा मानसिक स्वास्थ्य मूल रूप से, जिस तरह से हम महसूस करते हैं, अलग-अलग परिस्थितियों में सोचते हैं और स्थिति को नियंत्रित करते हैं, आदि को प्रभावित करता है। मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए शारीरिक स्वास्थ्य को बरकरार रखना महत्वपूर्ण है।

मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य कैसे बनाए रखे?

  • अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना
  • मूल्य और अपने आप को सम्मान
  • अच्छे और सकारात्मक लोगों के साथ रहें
  • ध्यान लगायें
  • व्यायाम करें
  • तनाव से निपटने के तरीके जानें

3. सामाजिक स्वास्थ्य

सामाजिक स्वास्थ्य समाज में अपने दोस्तों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों और अन्य लोगों के साथ पारस्परिक संबंधों को संवारने और बनाए रखने की क्षमता रखता है। यह उचित रूप से कार्य करने और विभिन्न सामाजिक परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिए किसी व्यक्ति की क्षमता को दर्शाता है।

सामाजिक स्वास्थ्य कैसे बनाए रखे?

  • अपनी छवि को विकसित करें
  • प्रभावी रूप से संवाद करने के लिए संचार कौशल सीखना
  • मैत्रीपूर्ण और सकारात्मक बनें
  • क्रोध प्रबंधन की कला जानें
  • सामाजिक समारोहों में भाग लें
  • एक अच्छा श्रोता बने

4. संज्ञानात्मक स्वास्थ्य

जब एक व्यक्ति का मस्तिष्क सभी मानसिक प्रक्रियाओं को कुशलता से निष्पादित करता है तो उसे अच्छे संज्ञानात्मक स्वास्थ्य का आनंद लेना कहा जाता है। प्रक्रियाओं और क्रियाकलापों में नई बातें, अच्छे निर्णय, अपनी बात और मजबूत अंतर्ज्ञान संवाद करने के लिए भाषा का कुशल उपयोग करना शामिल है।

संज्ञानात्मक स्वास्थ्य कैसे बनाए रखे?

  • स्वस्थ खाएं
  • प्रत्येक दिन 8 घंटे सोएं
  • दिमागी शक्ति को बढ़ावा देने के लिए जड़ी-बूटियां जैसे ब्रह्मी, अश्वगंधा और कैलामस लें
  • शतरंज, सुडोकू, शब्द पहेलियाँ आदि जैसे दिमागी खेल खेलें
  • अर्थपूर्ण चर्चाओं में शामिल हों
  • एक साथ ज्यादा काम ना करें

5. आध्यात्मिक स्वास्थ्य

यह मूल रूप से जीवन के अर्थ को समझने के लिए किसी व्यक्ति को स्वयं के साथ संबंधों की भावना स्थापित करना है। आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बरकरार रखने से एक व्यक्ति अधिक सकारात्मक, जुझारू और सुलझा हुआ बनता है।

आध्यात्मिक स्वास्थ्य कैसे बनाए रखे?

  • प्रत्येक दिन कुछ समय आत्म-आत्मनिरीक्षण के लिए निकालें।
  • अगर आप सोचते समय ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते तो अपने विचारों को एक डायरी में लिख लें
  • गहरी साँस लेने का अभ्यास करें
  • योग का अभ्यास करें
  • प्रार्थना करें

सांस्कृतिक स्वास्थ्य क्या है ?

यह मूल रूप से एक शिक्षा अनुशासन है जो उचित सांस्कृतिक सूचनाओं के बारे में शिक्षित करता है। यह अंतर-सांस्कृतिक क्षमता को संदर्भित करता है जो प्रभावी सांस्कृतिक संचार स्थापित करने के लिए आवश्यक है।

यह चार श्रेणियों में विभाजित है:

  • राष्ट्रीय: यह देश के मूल्यों, सिद्धांतों और हितों के बारे में सांस्कृतिक साक्षरता पर केंद्रित है जो एक व्यक्ति से संबंधित है।
  • चिकित्सा: यह चिकित्सा प्रतिनिधियों और संगठनों की सांस्कृतिक क्षमता पर केंद्रित है।
  • जातीय: यह सांस्कृतिक साक्षरता पर ध्यान केंद्रित करता है जो एक ऐसे व्यक्ति के मूल्यों, सिद्धांतों और हितों के बारे में है जो उस व्यक्ति से संबंधित है।
  • शिक्षा: यह छात्रों और पेशेवरों की सांस्कृतिक साक्षरता पर केंद्रित है। कई स्कूलों ने अपने पाठ्यक्रम में इसे शामिल करना शुरू कर दिया है।

स्वास्थ्य का मतलब केवल आपकी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य नहीं है बल्कि इसके बारे में ऊपर बताए गए विभिन्न तत्व भी इसमें शामिल हैं। जहाँ अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य एक स्वस्थ जीवन के लिए आधार है वहीँ आपको एक स्वस्थ्य जीवन का आनंद लेने के लिए अन्य सभी स्वास्थ्य घटकों को बनाए रखना आवश्यक है।

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  • Sahitya (साहित्य) /

Mental Health Quotes in Hindi: पढ़िए मानसिक स्वास्थ्य पर आधारित अनमोल विचार, जो करेंगे आपको प्रेरित

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  • Updated on  
  • अक्टूबर 5, 2023

Mental Health Quotes in Hindi

कोरोना महामारी के बाद से ही मानव ने जीवन का सही मूल्य जाना है, लेकिन आज भी विश्व भर में कई लोग मानसिक तौर पर स्वस्थ नहीं होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य को जानने वाला इंसान ही सकारात्मक ढंग से लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता है। इस पोस्ट के माध्यम से आप मानसिक स्वास्थ्य पर आधारित अनमोल विचारों के बारे में जान पाएंगे। Mental Health Quotes in Hindi के माध्यम से खुद को मानसिक स्वास्थ्य के लिए खुद को प्रेरित कर सकते हैं, जिसके लिए आपको यह ब्लॉग अंत तक पढ़ना पड़ेगा।

This Blog Includes:

टॉप 10 mental health quotes in hindi, विद्यार्थियों के लिए health is wealth quotes in hindi, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने वाले विचार, समाज में मानसिक स्वास्थ्य की पैरवी करने वाले विचार, mental health quotes in english .

टॉप 10 Mental Health Quotes in Hindi निम्नवत हैं, जिनके माध्यम से आप अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए खुद को प्रेरित कर सकते हैं;

जिन्दगी चाहे जितनी कठिन लगे, हमेशा कुछ न कुछ होता है जो आप कर सकते हैं और जिसमे सफल हो सकते हैं।

Mental Health Quotes in Hindi

सबसे जरूरी चीज है अपने जीवन का आनंद लेना – खुश रहना – बस यही मायने रखता है।

आपका दिमाग अधिकतर प्रश्नों के उत्तर दे देगा यदि आप विश्राम करना और उत्तर की प्रतीक्षा करना सीख लें।

यदि आप जीवन की चिंताओं से जीतना चाहते हैं तो, इस क्षण में जिएं, इस सांस में जिए।

स्वास्थ्य मानसिकता का भी होता है।

मानसिक स्वास्थ्य को महत्व देना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य को देना।

Mental Health Quotes in Hindi

अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखो, क्योंकि यह ही आपके जीवन की अच्छाई और खुशियों का कुंजी है।

मानसिक रूप से मजबूत रहना व्यक्तिगत विकास का मार्ग है।

मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज न करें, बल्कि उसका सही देखभाल करें।

आपका मानसिक स्वास्थ्य आपकी शक्तियों की जद है, इसे बिना किसी शरणागति के बदलें।

Mental Health Quotes in Hindi

विद्यार्थियों के लिए health is wealth quotes in hindi एक अच्छा तरीका होगा, जो उन्हें मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रेरित करेगा। विद्यार्थियों के लिए Mental Health Quotes in Hindi कुछ इस प्रकार हैं-

सब कुछ ठीक नहीं हो सकता, लेकिन अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के साथ हर समस्या का समाधान संभव है।

Mental Health Quotes in Hindi

मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना एक सबसे महत्वपूर्ण काम है, क्योंकि यह हमारे संपूर्ण जीवन को प्रभावित करता है।

अपने मानसिक स्वास्थ्य को पहचानो और सुरक्षित रखो, क्योंकि यह हमारी सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति है।

मानसिक स्वास्थ्य के बिना, हम कुछ भी नहीं कर सकते।

बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग और व्यायाम पर विशेष ध्यान दें।

Mental Health Quotes in Hindi

मानसिक स्वास्थ्य का समय निकालें, क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण होता है।

मानसिक बीमारी एक सबक हो सकती है, लेकिन यह कभी भी अंत नहीं होना चाहिए।

आपका मानसिक स्वास्थ्य आपके शारीरिक स्वास्थ्य का हिस्सा है, इसे प्राथमिकता दें।

खुश रहने के लिए हमें सीखना होगा कि कैसे अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें।

मानसिक स्वास्थ्य को अच्छी तरह से देखभाल करना, आत्म-समर्पण का एक सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।

Mental Health Quotes in Hindi

Mental Health Quotes in Hindi आपके लिए एक प्रेरणा का काम करेंगे, जिनके माध्यम से आप स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने वाले विचार पढ़ सकेंगे। ऐसे अनमोल विचार निम्नलिखित हैं;

मानसिक स्वास्थ्य हमारे शारीरिक स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

Mental Health Quotes in Hindi

अपने मन की देखभाल करना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल करना।

मानसिक स्वास्थ्य को समझना और देखभाल करना स्वास्थ्य और खुशी का मार्ग होता है।

अपने मन की सुनो, उसे समझो, और उसकी देखभाल करो।

खुद को प्यार करना मानसिक स्वास्थ्य का पहला कदम है।

मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना, सबसे बड़ी धन और सशक्ति का स्रोत हो सकता है।

Mental Health Quotes in Hindi

अपने दिमाग की सुनो, वो तुम्हें बहुत कुछ सिखा सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य के बिना, शारीरिक स्वास्थ्य की कोई महत्व नहीं होता।

जब तुम्हारा मन खुश होता है, तो तुम पूरी दुनिया को खुश देखते हो।

मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा अपने हाथ में होती है।

Mental Health Quotes in Hindi

Mental Health Quotes in Hindi के इस ब्लॉग में आपको समाज में मानसिक स्वास्थ्य की पैरवी करने वाले विचार पढ़ पाएंगे, जो कि निम्नलिखित हैं-

अपने मानसिक स्वास्थ्य की परवाह करना तंग नहीं करता, बल्कि आपको मजबूत बनाता है।

Mental Health Quotes in Hindi

अपने दिमाग की देखभाल करो, क्योंकि वह आपका सबसे महत्वपूर्ण निवेश है।

मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने का समय आपके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय हो सकता है।

जब आप मानसिक तौर पर मजबूत होते हैं, तो आप हर मुश्किल को पार कर सकते हैं।

खुद की देखभाल करना सही होता है, क्योंकि एक स्वस्थ मन खुदी तोड़ देता है।

मानसिक स्वास्थ्य का देखभाल करना उस अहम कदम की शुरुआत है जो आपके खुद के दिल की सुनवाई का हिस्सा हो सकता है।

सबसे पहले अपने दिल की सुनो, फिर अपने दिमाग की।

मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना एक सफल और सुखमय जीवन की शुरुआत है।

समय-समय पर अपने आप को भी देखभाल की आवश्यकता होती है, और यह सही है।

मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना आपकी ताकत बना सकता है, आपको सशक्त बना सकता है।

सबसे बड़ी खुशी यह है कि आप खुद के लिए देखभाल कर रहे हैं, अपने मानसिक स्वास्थ्य को महत्व देने के माध्यम से।

मानसिक स्वास्थ्य को देखभाल करना सबसे अच्छा निवेश है, क्योंकि यह आपके जीवन को सुखमय बना सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य को संरक्षित रखें, खुद को प्यार करें, और खुश रहें।

मानसिक स्वास्थ्य का सहारा लें, क्योंकि आपकी ताक़त आपके मन में है।

मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल स्वस्थ जीवन की कुंजी है।

Mental Health Quotes in Hindi

Mental Health Quotes in Hindi के इस ब्लॉग में आपको लाल बहादुर शास्त्री के कुछ इंग्लिश कोट्स भी पढ़ने को मिल जाएंगे, जो कि निम्नलिखित हैं-

Mental health is also a part of life, take care of it.

Taking care of mental health is a sign of self-love.

Recognize your mental health, enhance its capacity.

First, take care of your mental health, then do all other tasks.

Your mental health is your most valuable asset, always cherish it.

Taking care of mental health is a spiritual dialogue with oneself.

Understanding and accepting your mental health is a salute to your freedom.

Properly caring for mental health is the best way to improve oneself.

Taking care of mental health is the key to happiness in life.

Respect your mental health; it’s your strength.

Mental Health Quotes in Hindi

आशा है कि Mental Health Quotes in Hindi के माध्यम से आप मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्रेरित करने वाले विचारों को पढ़ पाए होंगे। इसी प्रकार के कोट्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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मयंक विश्नोई

जन्मभूमि: देवभूमि उत्तराखंड। पहचान: भारतीय लेखक । प्रकाश परिवर्तन का, संस्कार समर्पण का। -✍🏻मयंक विश्नोई

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स्वास्थ्य पर निबंध 10 lines (Health Essay in Hindi) 100, 200, 250, 300, 500, शब्दों में

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Health Essay in Hindi – जीवन उन अनमोल क्षणों के बारे में है जिन्हें हम संजोते हैं, वे यादें जो हमें मुस्कुराती हैं, वे लोग जिनके लिए हम आभारी महसूस करते हैं और वे चीजें जो हमारी आत्मा को प्रभावित करती हैं। जीवन में सबसे कीमती चीजें खरीदी या बेची नहीं जा सकतीं, और वे मूर्त नहीं हैं। स्वास्थ्य उनमें से एक है. यह हर किसी के जीवन की सबसे कीमती चीज़ है जिसे खरीदा नहीं जा सकता लेकिन इसका व्यक्ति के जीवन भर बहुत विविध प्रभाव पड़ता है। स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण घटक है जो किसी भी व्यक्ति की संपूर्ण जीवनशैली को तय करता है। अच्छे और बुरे स्वास्थ्य के प्रभावों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए आज हम इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

स्वास्थ्य पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Health Essay 10 Lines in Hindi) 100 – 150 Words

  • 1) अच्छा स्वास्थ्य पृथ्वी पर हर इंसान की इच्छा है।
  • 2) मनुष्य की जीवनशैली में स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • 3) अच्छी जीवनशैली के लिए अच्छा स्वास्थ्य बहुत जरूरी है।
  • 4) विटामिन और खनिजों से भरपूर पौष्टिक खाद्य पदार्थ खाना अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
  • 5) अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए नियमित शारीरिक गतिविधि एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • 6) स्वास्थ्य समस्याओं के शीघ्र निदान और उपचार के लिए नियमित जांच महत्वपूर्ण है।
  • 7) खराब स्वास्थ्य किसी व्यक्ति को कई शारीरिक, सामाजिक और मानसिक बीमारियों को आमंत्रित कर सकता है।
  • 8) अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखना दैनिक दिनचर्या की प्राथमिकता में होना चाहिए।
  • 9) धूम्रपान और शराब जैसी बुरी लतें हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं।
  • 10) स्वास्थ्य एक ऐसी चीज़ है जिसे हम पैसे से नहीं खरीद सकते; हमें इस पर लगातार काम करना होगा.

स्वास्थ्य पर निबंध 200 शब्द (Essay On Health  200 words in Hindi)

आम धारणा के विपरीत, स्वास्थ्य का मतलब केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ होना और किसी भी बीमारी से रहित होना नहीं है, बल्कि इसका मतलब किसी व्यक्ति का समग्र कल्याण भी है। इसमें मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत होना, स्वस्थ अंतर-व्यक्तिगत संबंध रखना, अच्छा संज्ञानात्मक कौशल रखना और आध्यात्मिक रूप से जागृत होना शामिल है।

स्वस्थ रहना कोई अवस्था नहीं है; यह जीवन का एक तरीका है। यह एक प्रक्रिया है. अपने शारीरिक स्वास्थ्य को नियंत्रण में रखने के लिए आपको प्रतिदिन उचित आहार लेने की आवश्यकता है। आप सप्ताह में दो दिन पौष्टिक आहार नहीं ले सकते और बाकी समय जंक फूड खाकर स्वस्थ बने रह सकते हैं। इसी तरह, आप एक ही दिन में 24 घंटे सो नहीं सकते और अगले तीन दिनों तक जाग नहीं सकते। अच्छे आकार में रहने और अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेने के लिए स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखना आवश्यक है। पोषक तत्वों से भरपूर भरपूर आहार लेने के अलावा स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नींद और दैनिक व्यायाम भी करना चाहिए।

अपने आप को ऐसे लोगों से घेरना भी आवश्यक है जो सकारात्मकता लाते हैं और आपको नीचे खींचने के बजाय आपमें सर्वश्रेष्ठ लाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। सामाजिक रूप से सक्रिय रहने और लोगों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के अलावा, अपने अंदर झांकना भी जरूरी है। अपनी आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से समझने और अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए प्रतिदिन कुछ समय अकेले बैठने के लिए निकालें। यह आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

स्वास्थ्य पर निबंध 250 शब्द (Essay On Health  250 words in Hindi)

स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है जो हमारे पास हो सकती है। यह निर्धारित करता है कि हम दुनिया के साथ कैसे बातचीत करते हैं और अपने जीवन का आनंद कैसे लेते हैं। संतुलित आहार लेना, पर्याप्त नींद लेना और नियमित व्यायाम करना, स्वस्थ जीवन शैली जीने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखने का प्रयास करें।

शारीरिक मौत

स्वस्थ जीवनशैली जीने में ताजे फल और सब्जियां, कम वसा वाले मांस या मछली, जटिल कार्बोहाइड्रेट और स्वस्थ वसा का संतुलित आहार खाना शामिल है। विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ खाने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि हमें वे सभी महत्वपूर्ण विटामिन और खनिज मिल रहे हैं जिनकी हमारे शरीर को आवश्यकता है। स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने के लिए व्यायाम भी आवश्यक है। बाहर निकलना और पैदल चलना, जॉगिंग, साइकिल चलाना, तैराकी या कोई खेल खेलना जैसी गतिविधियों का आनंद लेना हमारे शरीर को सक्रिय रखने और हमारे दिमाग को सक्रिय रखने का एक शानदार तरीका है।

मानसिक स्वास्थ्य

आजकल मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य से अधिक महत्वपूर्ण है। भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण की अच्छी समझ होना आवश्यक है। अपनी भावनाओं और आप अंदर से कैसा महसूस कर रहे हैं, इस पर ध्यान देने के लिए समय निकालना आपके मानसिक स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। योग और ध्यान जैसी गतिविधियों में भाग लेना जो आपको आराम देने में मदद करती हैं, हमारे मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त करने में मदद करने के बेहतरीन तरीके हैं।

स्वस्थ रहने के लिए जीवन के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। संतुलित आहार लेना, नियमित रूप से व्यायाम करना और सकारात्मक दृष्टिकोण रखना एक स्वस्थ और संपूर्ण जीवन शैली बनाने के लिए आवश्यक घटक हैं। हमारी शारीरिक, मानसिक और सामाजिक भलाई का ख्याल रखने से शांतिपूर्ण और पूर्ण जीवन सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।

स्वास्थ्य पर निबंध 300 शब्द (Essay On Health 300 words in Hindi)

“स्वास्थ्य सिर्फ इस बात पर निर्भर नहीं करता कि आप क्या खा रहे हैं। यह इस बारे में भी है कि आप क्या सोच रहे हैं और क्या कह रहे हैं।” आमतौर पर, एक व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य का आनंद तब कहा जाता है जब वह मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है। हालाँकि, स्वास्थ्य का इसमें और भी बहुत कुछ है। स्वास्थ्य की आधुनिक परिभाषा में कई अन्य पहलू भी शामिल हैं जिन्हें स्वस्थ जीवन का आनंद लेने के लिए बरकरार रखा जाना चाहिए।

स्वास्थ्य की परिभाषा कैसे विकसित हुई?

प्रारंभ में, स्वास्थ्य का अर्थ केवल शरीर की अच्छी तरह से कार्य करने की क्षमता से था। यह केवल शारीरिक बीमारी या बीमारी के कारण बाधित हुआ था। 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने स्वास्थ्य शब्द को किसी व्यक्ति के समग्र शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण से जोड़ा, न कि केवल बीमारी की अनुपस्थिति से। हालाँकि इस परिभाषा को कुछ लोगों ने स्वीकार किया, लेकिन बड़े पैमाने पर इसकी आलोचना की गई। ऐसा कहा गया था कि स्वास्थ्य की यह परिभाषा अत्यंत व्यापक थी और इसलिए अस्पष्ट लगती थी। काफी समय तक इसे अव्यावहारिक मानकर खारिज कर दिया गया था। 1980 का दशक स्वास्थ्य की एक नई अवधारणा लेकर आया। इसमें स्वास्थ्य को जीवन जीने के लिए एक संसाधन बताया गया, न कि केवल एक राज्य।

आज, एक व्यक्ति स्वस्थ माना जाता है यदि वह अच्छे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और संज्ञानात्मक स्वास्थ्य का आनंद ले रहा है।

स्वास्थ्य बनाए रखने का महत्व

अच्छा स्वास्थ्य जीवन में विभिन्न अन्य कार्यों को पूरा करने का आधार बनता है। यहां बताया गया है कि यह कैसे मदद करता है:

पारिवारिक जीवन: जो व्यक्ति शारीरिक रूप से अयोग्य है वह अपने परिवार की देखभाल नहीं कर सकता है। इसी तरह, मानसिक तनाव का अनुभव करने वाला और अपनी भावनाओं को संभालने में असमर्थ व्यक्ति अच्छे पारिवारिक संबंधों का निर्माण और प्रचार नहीं कर सकता है।

कार्य: यह कहने की जरूरत नहीं है कि शारीरिक रूप से अयोग्य व्यक्ति ठीक से काम नहीं कर सकता है। कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिए अच्छा मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही आवश्यक है। काम पर पहचान पाने के लिए व्यक्ति को अच्छे सामाजिक और संज्ञानात्मक स्वास्थ्य का भी आनंद लेना चाहिए।

पढ़ाई: खराब शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पढ़ाई में बाधक है। अच्छी पढ़ाई के लिए अच्छे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के अलावा अच्छा संज्ञानात्मक स्वास्थ्य बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है।

अपनी सेहत का बेहद ख्याल रखना जरूरी है। जब आप स्वस्थ होंगे तभी आप अपने जीवन के अन्य पहलुओं की अच्छी देखभाल कर पाएंगे।

स्वास्थ्य पर निबंध 500 शब्द (Essay On Health  500 words in Hindi)

पहले स्वास्थ्य को शरीर के अच्छे से कार्य करने की क्षमता कहा जाता था। हालाँकि, जैसे-जैसे समय विकसित हुआ, स्वास्थ्य की परिभाषा भी विकसित हुई। इस बात पर इतना ज़ोर नहीं दिया जा सकता कि स्वास्थ्य ही प्राथमिक चीज़ है जिसके बाद बाकी सब चीज़ें आती हैं। जब आप अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखते हैं, तो बाकी सब कुछ ठीक हो जाता है।

इसी तरह, अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखना कई कारकों पर निर्भर करता है। इसमें आपके द्वारा सांस ली जाने वाली हवा से लेकर उन लोगों के प्रकार तक शामिल हैं जिनके साथ आप अपना समय बिताना चाहते हैं। स्वास्थ्य में बहुत सारे घटक होते हैं जिनका समान महत्व होता है। यदि इनमें से एक की भी कमी हो तो व्यक्ति पूर्णतः स्वस्थ नहीं हो सकता।

अच्छे स्वास्थ्य के घटक

सबसे पहले, हमारा शारीरिक स्वास्थ्य है। इसका मतलब है शारीरिक रूप से फिट रहना और किसी भी प्रकार की बीमारी या बीमारी का न होना। जब आपका शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा होगा, तो आपकी आयु लंबी होगी। संतुलित आहार लेकर कोई भी व्यक्ति अपने शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रख सकता है। आवश्यक पोषक तत्वों को न चूकें; उनमें से प्रत्येक को उचित मात्रा में लें।

दूसरा, आपको रोजाना व्यायाम करना चाहिए। यह केवल दस मिनट के लिए हो सकता है लेकिन इसे कभी न चूकें। यह आपके शरीर को शारीरिक फिटनेस बनाए रखने में मदद करेगा। इसके अलावा हर वक्त जंक फूड का सेवन न करें। धूम्रपान या शराब न पियें क्योंकि इसके गंभीर हानिकारक परिणाम होते हैं। अंत में, अपने फोन का उपयोग करने के बजाय नियमित रूप से पर्याप्त नींद लेने का प्रयास करें।

आगे, हम अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करते हैं। मानसिक स्वास्थ्य का तात्पर्य किसी व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कल्याण से है। किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य उनकी भावनाओं और परिस्थितियों से निपटने के तरीके को प्रभावित करता है। हमें सकारात्मक रहकर और ध्यान लगाकर अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना चाहिए।

इसके बाद, किसी व्यक्ति के समग्र कल्याण के लिए सामाजिक स्वास्थ्य और संज्ञानात्मक स्वास्थ्य समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। एक व्यक्ति अपने सामाजिक स्वास्थ्य को तब बनाए रख सकता है जब वह दूसरों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करता है। इसके अलावा, जब कोई व्यक्ति हमसे मिलनसार होता है और सामाजिक समारोहों में भाग लेता है, तो उसका सामाजिक स्वास्थ्य निश्चित रूप से अच्छा होगा। इसी प्रकार, हमारा संज्ञानात्मक स्वास्थ्य मानसिक प्रक्रियाओं को प्रभावी ढंग से निष्पादित करने से संबंधित है। इसे अच्छी तरह से करने के लिए, व्यक्ति को हमेशा स्वस्थ भोजन करना चाहिए और दिमाग को तेज करने के लिए शतरंज, पहेलियाँ और अन्य दिमागी खेल खेलना चाहिए।

केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही सब कुछ नहीं है

यह कलंक है जो मानसिक स्वास्थ्य को घेरे हुए है। लोग मानसिक बीमारियों को गंभीरता से नहीं लेते। पूरी तरह से फिट रहने के लिए व्यक्ति को मानसिक रूप से भी फिट रहना चाहिए। जब लोग मानसिक बीमारियों को पूरी तरह से नकार देते हैं तो इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

उदाहरण के लिए, आप कभी भी कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को इससे उबरने के लिए नहीं कहते हैं और अवसाद से जूझ रहे किसी व्यक्ति की तुलना में यह सब उनके दिमाग में होता है। इसी प्रकार, हमें मानसिक स्वास्थ्य को भी शारीरिक स्वास्थ्य के समान ही मानना ​​चाहिए।

माता-पिता हमेशा अपने बच्चों की शारीरिक जरूरतों का ख्याल रखते हैं। वे उन्हें पौष्टिक भोजन खिलाते हैं और हमेशा उनके घावों पर तुरंत पट्टी बाँधते हैं। हालाँकि, वे अपने बच्चे के बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने में विफल रहते हैं। ज़्यादातर इसलिए, क्योंकि वे इसे उतना महत्व नहीं देते। इसका कारण लोगों में जागरूकता की कमी है। यहां तक ​​कि वयस्कों के बीच भी, आप कभी नहीं जान पाते कि कोई व्यक्ति मानसिक रूप से किस दौर से गुजर रहा है।

इस प्रकार, हमें मानसिक बीमारियों के लक्षणों को पहचानने में सक्षम होने की आवश्यकता है। एक हंसता हुआ व्यक्ति एक खुश व्यक्ति के बराबर नहीं होता। हमें मानसिक बीमारियों को वर्जित नहीं मानना ​​चाहिए और लोगों के जीवन को बचाने के लिए इस पर ध्यान देना चाहिए।

स्वास्थ्य पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 स्वस्थ आहार के क्या लाभ हैं.

उत्तर. एक स्वस्थ आहार आपके समग्र शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, स्वस्थ वजन बनाए रखने, पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करने, शरीर और दिमाग को दीर्घकालिक लाभ सहित आवश्यक विटामिन और खनिज प्रदान करने में मदद कर सकता है।

Q.2 क्या सक्रिय जीवनशैली बनाए रखना महत्वपूर्ण है?

उत्तर. आपके संपूर्ण स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए सक्रिय जीवनशैली बनाए रखना महत्वपूर्ण है। नियमित शारीरिक गतिविधि कई बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है।

Q.3 मैं अपने बीमार होने के जोखिम को कैसे कम कर सकता हूँ?

उत्तर. बीमार होने के जोखिम को कम करने का सबसे अच्छा तरीका अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करना है, जिसमें अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोना शामिल है; बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क से बचें; और अच्छा महसूस न होने पर घर पर ही रहें।

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  • Mental Health Essay

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Essay on Mental Health

According to WHO, there is no single 'official' definition of mental health. Mental health refers to a person's psychological, emotional, and social well-being; it influences what they feel and how they think, and behave. The state of cognitive and behavioural well-being is referred to as mental health. The term 'mental health' is also used to refer to the absence of mental disease. 

Mental health means keeping our minds healthy. Mankind generally is more focused on keeping their physical body healthy. People tend to ignore the state of their minds. Human superiority over other animals lies in his superior mind. Man has been able to control life due to his highly developed brain. So, it becomes very important for a man to keep both his body and mind fit and healthy. Both physical and mental health are equally important for better performance and results.

Importance of Mental Health 

An emotionally fit and stable person always feels vibrant and truly alive and can easily manage emotionally difficult situations. To be emotionally strong, one has to be physically fit too. Although mental health is a personal issue, what affects one person may or may not affect another; yet, several key elements lead to mental health issues.

Many emotional factors have a significant effect on our fitness level like depression, aggression, negative thinking, frustration, and fear, etc. A physically fit person is always in a good mood and can easily cope up with situations of distress and depression resulting in regular training contributing to a good physical fitness standard. 

Mental fitness implies a state of psychological well-being. It denotes having a positive sense of how we feel, think, and act, which improves one’s ability to enjoy life. It contributes to one’s inner ability to be self-determined. It is a proactive, positive term and forsakes negative thoughts that may come to mind. The term mental fitness is increasingly being used by psychologists, mental health practitioners, schools, organisations, and the general population to denote logical thinking, clear comprehension, and reasoning ability.

 Negative Impact of Mental Health

The way we physically fall sick, we can also fall sick mentally. Mental illness is the instability of one’s health, which includes changes in emotion, thinking, and behaviour. Mental illness can be caused due to stress or reaction to a certain incident. It could also arise due to genetic factors, biochemical imbalances, child abuse or trauma, social disadvantage, poor physical health condition, etc. Mental illness is curable. One can seek help from the experts in this particular area or can overcome this illness by positive thinking and changing their lifestyle.

Regular fitness exercises like morning walks, yoga, and meditation have proved to be great medicine for curing mental health. Besides this, it is imperative to have a good diet and enough sleep. A person needs 7 to 9 hours of sleep every night on average. When someone is tired yet still can't sleep, it's a symptom that their mental health is unstable. Overworking oneself can sometimes result in not just physical tiredness but also significant mental exhaustion. As a result, people get insomnia (the inability to fall asleep). Anxiety is another indicator. 

There are many symptoms of mental health issues that differ from person to person and among the different kinds of issues as well. For instance, panic attacks and racing thoughts are common side effects. As a result of this mental strain, a person may experience chest aches and breathing difficulties. Another sign of poor mental health is a lack of focus. It occurs when you have too much going on in your life at once, and you begin to make thoughtless mistakes, resulting in a loss of capacity to focus effectively. Another element is being on edge all of the time.

It's noticeable when you're quickly irritated by minor events or statements, become offended, and argue with your family, friends, or co-workers. It occurs as a result of a build-up of internal irritation. A sense of alienation from your loved ones might have a negative influence on your mental health. It makes you feel lonely and might even put you in a state of despair. You can prevent mental illness by taking care of yourself like calming your mind by listening to soft music, being more social, setting realistic goals for yourself, and taking care of your body. 

Surround yourself with individuals who understand your circumstances and respect you as the unique individual that you are. This practice will assist you in dealing with the sickness successfully.  Improve your mental health knowledge to receive the help you need to deal with the problem. To gain emotional support, connect with other people, family, and friends.  Always remember to be grateful in life.  Pursue a hobby or any other creative activity that you enjoy.

What does Experts say

Many health experts have stated that mental, social, and emotional health is an important part of overall fitness. Physical fitness is a combination of physical, emotional, and mental fitness. Emotional fitness has been recognized as the state in which the mind is capable of staying away from negative thoughts and can focus on creative and constructive tasks. 

He should not overreact to situations. He should not get upset or disturbed by setbacks, which are parts of life. Those who do so are not emotionally fit though they may be physically strong and healthy. There are no gyms to set this right but yoga, meditation, and reading books, which tell us how to be emotionally strong, help to acquire emotional fitness. 

Stress and depression can lead to a variety of serious health problems, including suicide in extreme situations. Being mentally healthy extends your life by allowing you to experience more joy and happiness. Mental health also improves our ability to think clearly and boosts our self-esteem. We may also connect spiritually with ourselves and serve as role models for others. We'd also be able to serve people without being a mental drain on them. 

Mental sickness is becoming a growing issue in the 21st century. Not everyone receives the help that they need. Even though mental illness is common these days and can affect anyone, there is still a stigma attached to it. People are still reluctant to accept the illness of mind because of this stigma. They feel shame to acknowledge it and seek help from the doctors. It's important to remember that "mental health" and "mental sickness" are not interchangeable.

Mental health and mental illness are inextricably linked. Individuals with good mental health can develop mental illness, while those with no mental disease can have poor mental health. Mental illness does not imply that someone is insane, and it is not anything to be embarrassed by. Our society's perception of mental disease or disorder must shift. Mental health cannot be separated from physical health. They both are equally important for a person. 

Our society needs to change its perception of mental illness or disorder. People have to remove the stigma attached to this illness and educate themselves about it. Only about 20% of adolescents and children with diagnosable mental health issues receive the therapy they need. 

According to research conducted on adults, mental illness affects 19% of the adult population. Nearly one in every five children and adolescents on the globe has a mental illness. Depression, which affects 246 million people worldwide, is one of the leading causes of disability. If  mental illness is not treated at the correct time then the consequences can be grave.

One of the essential roles of school and education is to protect boys’ and girls' mental health as teenagers are at a high risk of mental health issues. It can also impair the proper growth and development of various emotional and social skills in teenagers. Many factors can cause such problems in children. Feelings of inferiority and insecurity are the two key factors that have the greatest impact. As a result, they lose their independence and confidence, which can be avoided by encouraging the children to believe in themselves at all times. 

To make people more aware of mental health, 10th October is observed as World Mental Health. The object of this day is to spread awareness about mental health issues around the world and make all efforts in the support of mental health.

The mind is one of the most powerful organs in the body, regulating the functioning of all other organs. When our minds are unstable, they affect the whole functioning of our bodies. Being both physically and emotionally fit is the key to success in all aspects of life. People should be aware of the consequences of mental illness and must give utmost importance to keeping the mind healthy like the way the physical body is kept healthy. Mental and physical health cannot be separated from each other. And only when both are balanced can we call a person perfectly healthy and well. So, it is crucial for everyone to work towards achieving a balance between mental and physical wellbeing and get the necessary help when either of them falters.

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Macroeconomics of Mental Health

We develop an economic theory of mental health. The theory is grounded in classic and modern psychiatric literature, is disciplined with micro data, and is formalized in a life-cycle heterogeneous agent framework. In our model, individuals experiencing mental illness have pessimistic expectations and lose time due to rumination. As a result, they work less, consume less, invest less in risky assets, and forego treatment which in turn reinforces mental illness. We quantify the societal burden of mental illness and evaluate the efficacy of prominent policy proposals. We show that expanding the availability of treatment services and improving treatment of mental illness in late adolescence substantially improve mental health and welfare.

We thank Adam Blandin, Quentin Huys, Ellen McGrattan, Kim Peijnenburg, and Martin Schneider for useful discussions. The views expressed herein are those of the authors and do not necessarily reflect the views of the National Bureau of Economic Research.

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‘The Age of Magical Overthinking’ tries to pinpoint our mental health crisis

Amanda montell casts a wide net in her new essay collection. maybe too wide..

essay on mental health in hindi

Every generation has its own crisis, the linguist and podcaster Amanda Montell writes. In the 1960s and ’70s, young Americans organized against “physical tyrannies” such as voter suppression and workplace discrimination. But times have changed.

The 21st century brought a shift in our attention from external threats to internal ones, Montell says. Rates of anxiety and depression among U.S. teens and adults have spiked. Loneliness is a public health threat . We’re glued to our phones, alienated from loved ones and surrounded by misinformation.

People everywhere, Montell writes, are facing a crisis of the mind.

From this grim landscape emerges “ The Age of Magical Overthinking: Notes on Modern Irrationality ,” Montell’s third book and a sweeping look at mental health, behavioral science, misinformation and online culture in the 2020s. In it, she argues that the ills of the internet era are best explained by looking back on humanity’s history, when our minds developed shortcuts to improve our odds of survival. Those shortcuts are called cognitive biases, and they may lead us to do strange things like fall for a conspiracy theory or accept mental health advice from an untrained influencer .

Montell leads us through an engaging roundup of “21st century derangement,” from celebrity worship to tradwife discourse , examining how cognitive biases may contribute. But by positioning her work as a response to America’s broad struggle with mental health, Montell promises more than she delivers. Rather than focusing on a tour of our shared cognitive glitches, she juggles meta-commentary on such vast topics as the modern mind and the internet, dropping balls along the way.

The book opens with an account of Montell’s struggles with anxiety and overwhelm, as well as the steps she took to feel better. “My most cinematic attempt at mental rehab involved picking herbs on a farm in Sicily under a light-pollution-free sky,” she writes.

Eventually, she had an aha moment: The same cognitive biases she encountered while researching toxic social groups for her second book, “ Cultish ,” could explain why the internet age felt like a “mass head trip.” Glutted with more information in a day than we can ever hope to process, we fall back on mental habits developed when humans were simpler creatures, Montell writes. For example, social media celebrity worship could be fueled by the “halo effect,” where we assume a person with one good quality (writing hit pop songs) has other good qualities (a perfectly tuned moral compass). Or perhaps we spend hours comparing ourselves with other people on Instagram because the “zero-sum bias” has convinced us that life is a game of winners and losers.

Montell backs up her connections in many instances with nods to evolutionary biology. For early humans, it made sense to attach ourselves to the strongest and most powerful, so now we glom onto Taylor Swift or Charli XCX. Resources like mates and status were limited in ancient human communities, Montell notes, so it’s natural that we view hot people on Instagram as immediate threats to our survival.

Montell finds examples of cognitive bias in internet culture flash points, such as the millennial obsession with New Age therapy-speak. Faced with big problems, such as anxiety or depression, our minds seek big explanations, such as childhood trauma or a scarcity mind-set, rather than examining all the smaller problems at play.

In other spots, she shares stories from her own life. In her late 20s, she struggled to end an abusive relationship, terrified that giving up meant she’d wasted years of her life — a classic “sunk cost fallacy.” Humans are social creatures, Montell notes, afraid of inviting scrutiny by admitting mistakes.

“My hope is for these chapters to make some sense of the senseless,” Montell says early on. “To crack open a window in our minds, and let a warm breeze in.” And indeed, in some moments, her sharp descriptions of behavioral foibles and her talent for cutting through doublespeak clear room for hope: Maybe noticing our warped thinking will make its effects less painful. Maybe our generational “crisis” is a story of not-enough-neurons encountering too-many-terabytes.

When confidence in Montell’s analysis wavers, it’s because the targets are too broad, the claims imprecise. For instance, we’re never quite sure of the shape of the national mental health crisis she repeatedly references. Early on, she draws a distinction between Americans’ current mental health struggles and 20th-century battles against bodily oppression. This neat separation doesn’t reflect reality — “The Age of Magical Overthinking” was published after Dobbs v. Jackson Women’s Health Organization and during ongoing fights for voter access, health care and the right to protest. It also doesn’t reflect what science has shown about illnesses like depression, which are often tied up with a person’s physical and political well-being. Ultimately, we’re left with the sense that Montell’s crisis of the mind begins and ends with the vague feelings of anxiety and dread many people feel after scrolling on social media apps.

Montell implies that the breakdown of Americans’ mental health began after 2000, brought on by internet access and introspection. Conflating “the internet” with social media, she draws loose connections between online scrolling and mental turmoil, making no reference to the complicated science around how social media use affects our brains. Some studies have found bumps in anxiety and depression associated with social media use, but more recent meta-analyses call their methods and findings into question . To date, researchers have found no consistent causal link between spending time on social apps and experiencing symptoms of depression and anxiety.

Of course, future research may uncover new ways to measure how social media use or other online activities affect the mental health of different populations. Perhaps we should rely on a different measure altogether, like qualitative research into young people and their families. Rather than critique the existing science or offer an alternative lens, Montell picks two studies that support her thesis and hand-waves at the dire state of things.

Finally, although Montell says cognitive biases affect everyone, she aims her jabs at the safest of targets: “Disney adults,” “male girlbosses,” “Facebook-addicted Karens.” Readers hoping for fresh or counterintuitive takes on internet culture — and its heroes and villains — may walk away disappointed.

Montell says from the jump that her analysis of 2020s malaise is “not a system of thought,” likening her work instead to a Buddhist koan — meant to be pondered, not understood. That’s fine, and “The Age of Magical Overthinking” ultimately features interesting topics, fun research and vivid stories. But in Montell’s effort to critique the spirit of our times, she asks imprecise questions and offers unsatisfactory answers.

Tatum Hunter is a consumer technology reporter at The Washington Post based in San Francisco. Her work focuses on health, privacy and relationships in the internet era.

The Age of Magical Overthinking

Notes on Modern Irrationality

By Amanda Montell

Atria/One Signal. 272 pp. $28.

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    Mental health is also a part of life, take care of it. Taking care of mental health is a sign of self-love. Recognize your mental health, enhance its capacity. First, take care of your mental health, then do all other tasks. Your mental health is your most valuable asset, always cherish it. Taking care of mental health is a spiritual dialogue ...

  18. स्वास्थ्य पर निबंध 10 lines (Health Essay in Hindi) 100, 200, 250, 300

    स्वास्थ्य पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Health Essay 10 Lines in Hindi) 100 - 150 Words. 1) अच्छा स्वास्थ्य पृथ्वी पर हर इंसान की इच्छा है।. 2) मनुष्य की जीवनशैली में ...

  19. Mental Health Essay for Students in English

    The state of cognitive and behavioural well-being is referred to as mental health. The term 'mental health' is also used to refer to the absence of mental disease. Mental health means keeping our minds healthy. Mankind generally is more focused on keeping their physical body healthy. People tend to ignore the state of their minds.

  20. Point of View: A new era for technology use and mental health

    The effective diagnosis, treatment and prevention of mental illness is a burgeoning global health challenge ripe for the promising potential of AI. Like other medical fields, mental health care is plagued by subjectivity and human error, often due to reliance on self-reporting and interview-based approaches.

  21. Macroeconomics of Mental Health

    We develop an economic theory of mental health. The theory is grounded in classic and modern psychiatric literature, is disciplined with micro data, and is formalized in a life-cycle heterogeneous agent framework. In our model, individuals experiencing mental illness have pessimistic expectations and lose time due to rumination.

  22. Mental health crisis centers look to provide care that busy ERs ...

    Starting in the 1960s and 1970s, states began a decades-long process of "deinstitutionalization," releasing patients and shutting down state mental health hospitals with a goal to build ...

  23. 'The Age of Magical Overthinking' tries to pinpoint our mental health

    Amanda Montell casts a wide net in her new essay collection. Maybe too wide. Review by Tatum Hunter. April 24, 2024 at 9:00 a.m. EDT ... Montell implies that the breakdown of Americans' mental ...