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भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)

भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट आचरण। ऐसा कार्य जो अपने स्वार्थ सिद्धि की कामना के लिए समाज के नैतिक मूल्यों को ताक पर रख कर किया जाता है, भ्रष्टाचार कहलाता है। भ्रष्टाचार भारत समेत अन्य विकासशील देश में तेजी से फैलता जा रहा है। भ्रष्टाचार के लिए ज्यादातर हम देश के राजनेताओं को ज़िम्मेदार मानते हैं पर सच यह है कि देश का आम नागरिक भी भ्रष्टाचार के विभिन्न स्वरूप में भागीदार हैं। वर्तमान में कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है।

भ्रष्टाचार पर निबंध (100 – 200 शब्द) – Bhrashtachar par Nibandh

“भ्रष्टाचार” एक ऐसी समस्या है जो हमारे समाज को गंभीर रूप में प्रभावित कर रही है। यह एक ऐसी बीमारी है जो हमारे देश की स्थायित्व और विकास को खतरे में डाल रही है। भ्रष्टाचार का मतलब है नीतियों और नियमों का अनुचित पालन, धन का अनुचित इस्तेमाल और अधिकारों के दुरुपयोग।

भ्रष्टाचार हमारे समाज की एक बड़ी बीमारी की तरह है। यह न केवल धन की बर्बादी करता है, बल्कि इससे सामाजिक और आर्थिक संरक्षण भी प्रभावित होता है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। हमें अपने अधिकारों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और दुसरों को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने में सहायता करनी चाहिए।

छोटे उम्र में ही हमें इस बुराई के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए। हमें सच्चाई और ईमानदारी के माध्यम से अपने काम करने चाहिए। इससे हम अपने समाज को एक सच्चे और ईमानदार दिशा में ले जा सकते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना हमारी जिम्मेदारी है। हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और समाज को एक बेहतर और स्वस्थ भविष्य की दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।

भ्रष्टाचार पर निबंध (300 शब्द) – Essay on Corruption in Hindi

अवैध तरीकों से धन अर्जित करना भ्रष्टाचार है, भ्रष्टाचार में व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए देश की संपत्ति का शोषण करता है। यह देश की उन्नति के पथ पर सबसे बड़ा बाधक तत्व है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में दोष निहित होने पर देश में भ्रष्टाचार की मात्रा बढ़ जाती है।

भ्रष्टाचार क्या है ?

भ्रष्टाचार एक ऐसा अनैतिक आचरण है, जिसमें व्यक्ति खुद की छोटी इच्छाओं की पूर्ति हेतु देश को संकट में डालने में तनिक भी देर नहीं करता है। देश के भ्रष्ट नेताओं द्वारा किया गया घोटाला ही भ्रष्टाचार नहीं है अपितु एक ग्वाले द्वारा दूध में पानी मिलाना भी भ्रष्टाचार का स्वरूप है।

भ्रष्टाचार के कारण

  • देश का लचीला कानून – भ्रष्टाचार विकासशील देश की समस्या है, यहां भ्रष्टाचार होने का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर ज्यादातर भ्रष्टाचारी बाइज्जत बरी हो जाते हैं, अपराधी को दण्ड का भय नहीं होता है।
  • व्यक्ति का लोभी स्वभाव – लालच और असंतुष्टि एक ऐसा विकार है जो व्यक्ति को बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता है। व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने धन को बढ़ाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है।
  • आदत – आदत व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। एक मिलिट्री रिटायर्ड ऑफिसर रिटायरमेंट के बाद भी अपने ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त किए अनुशासन को जीवन भर वहन करता है। उसी प्रकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ गई है।
  • मनसा – व्यक्ति के दृढ़ निश्चय कर लेने पर कोई भी कार्य कर पाना असंभव नहीं होता वैसे ही भ्रष्टाचार होने का एक प्रमुख कारण व्यक्ति की मनसा (इच्छा) भी है।

भ्रष्टाचार देश में लगा वह दीमक है जो अंदर ही अंदर देश को खोखला कर रहा है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है जो यह दिखाता है व्यक्ति लोभ, असंतुष्टि, आदत और मनसा जैसे विकारों के वजह से कैसे मौके का फायदा उठा सकता है।

निबंध 2 (400 शब्द) – भ्रष्टाचार के प्रकार, परिणाम व उपाय

अपना कार्य ईमानदारी से न करना भ्रष्टाचार है अतः ऐसा व्यक्ति भ्रष्टाचारी है। समाज में आये दिन इसके विभिन्न स्वरूप देखने को मिलते हैं। भ्रष्टाचार के संदर्भ में यह कहना मुझे अनुचित नहीं लगता, वही व्यक्ति भ्रष्ट नहीं हैं जिन्हें भ्रष्टाचार करने का अवसर नहीं मिला।

भ्रष्टाचार के विभिन्न प्रकार

  • रिश्वत की लेन-देन – सरकारी काम करने के लिए कार्यालय में चपरासी (प्यून) से लेकर उच्च अधिकारी तक आपसे पैसे लेते हैं। इस काम के लिए उन्हें सरकार से वेतन प्राप्त होता है वह वहां हमारी मदद के लिए हैं। इसके साथ ही देश के नागरिक भी अपना काम जल्दी कराने के लिए उन्हे पैसे देते हैं अतः यह भ्रष्टाचार है।
  • चुनाव में धांधली – देश के राजनेताओं द्वारा चुनाव में सरेआम लोगों को पैसे, ज़मीन, अनेक उपहार तथा मादक पदार्थ बांटे जाते हैं। यह चुनावी धान्धली असल में भ्रष्टाचार है।
  • भाई-भतीजावाद – अपने पद और शक्ति का गलत उपयोग कर लोग भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देते हैं। वह अपने किसी प्रिय जन को उस पद का कार्यभार दे देते हैं जिसके वह लायक नहीं हैं। ऐसे में योग्य व्यक्ति का हक उससे छिन जाता है।
  • नागरिकों द्वारा टैक्स चोरी – नागरिकों द्वारा टैक्स भुगतान करने हेतु प्रत्येक देश में एक निर्धारित पैमाना तय किया गया है। पर कुछ व्यक्ति सरकार को अपने आय का सही विवरण नहीं देते और टैक्स की चोरी करते हैं। यह भ्रष्टाचार की श्रेणी में अंकित है।
  • शिक्षा तथा खेल में घूसखोरी – शिक्षा तथा खेल के क्षेत्र में घूस लेकर लोग मेधावी व योग्य उम्मीदवार को सीटें नहीं देते बल्कि जो उन्हें घूस दे, उन्हें दे देते हैं।

इसी प्रकार समाज के अन्य छोटे से बड़े क्षेत्र में भ्रष्टाचार देखा जा सकता है। जैसे राशन में मिलावट, अवैध मकान निर्माण, अस्पताल तथा स्कूल में अत्यधिक फीस आदि। यहां तक की भाषा में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। अजय नावरिया के शब्दों में “मुंशी प्रेमचंद्र की एक प्रसिद्ध कहानी सतगति में लेखक द्वारा कहानी के एक पात्र को दुखी चमार कहा गया है, यह आपत्तिजनक शब्द के साथ भाषा के भ्रष्ट आचरण का प्रमाण है। वहीं दूसरे पात्र को पंडित जी नाम से संबोधित किया जाता है। कहानी के पहले पात्र को “दुखी दलित” भी कहा जा सकता था।“

भ्रष्टाचार के परिणाम

समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की उन्नति में सबसे बड़ा बाधक तत्व है। इसके वजह से गरीब और गरीब होता जा रहा है। देश में बेरोजगारी, घूसखोरी, अपराध की मात्रा में दिन-प्रतिदन वृद्धि होती जा रही है यह भ्रष्टाचार के फलस्वरूप है। किसी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारणवश परिणाम यह है की विश्व स्तर पर देश के कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जाते हैं।

भ्रष्टाचार के उपाय

  • भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कानून – हमारे संविधान के लचीलेपन के वजह से अपराधी में दण्ड का बहुत अधिक भय नहीं रह गया है। अतः भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है।
  • कानून की प्रक्रिया में समय का सदुपयोग – कानूनी प्रक्रिया में बहुत अधिक समय नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। इससे भ्रष्टाचारी को बल मिलता है।
  • लोकपाल कानून की आवश्यकता – लोकपाल भ्रष्टाचार से जुड़े शिकायतों को सुनने का कार्य करता है। अतः देश में फैले भ्रष्टाचार को दूर करने हेतु लोकपाल कानून बनाना आवश्यक है।

इसके अतिरिक्त लोगों में जागरूकता फैला कर, प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बना और लोगों का सरकार तथा न्याय व्यवस्था के प्रति मानसिकता में परिवर्तन कर व सही उम्मीदवार को चुनाव जिता कर भ्रष्टाचार रोका जा सकता है।

हर प्रकार के भ्रष्टाचार से समाज को बहुत अधिक क्षति पहुंचती है। हम सभी को समाज का ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते यह प्रण लेना चाहिए, न भ्रष्टाचार करें, न करनें दें।

भ्रष्टाचार पर निबंध (Essay on Corruption in Hindi) (500 – 600 शब्द)

भ्रष्टाचार एक ऐसा अभिशाप है जो हमारे समाज को भीतर से खोखला कर रहा है। यह केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं बल्कि समाज के नैतिक ताने-बाने को भी छिन्न-भिन्न करता है। आज भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में अपनी जड़ें फैला चुका है, चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य सेवा हो, व्यापार हो या सरकारी कार्यालय। भ्रष्टाचार का दुष्प्रभाव सबसे अधिक गरीब और कमजोर वर्ग पर पड़ता है, जो अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं।

भ्रष्टाचार के प्रकार

  • आर्थिक भ्रष्टाचार: इसमें रिश्वत, घोटाला, कर चोरी, आदि शामिल हैं। यह सीधे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।
  • राजनीतिक भ्रष्टाचार: इसमें चुनाव में धोखाधड़ी, घूसखोरी, सत्ता का दुरुपयोग आदि शामिल है।
  • प्रशासनिक भ्रष्टाचार: इसमें सरकारी अधिकारियों द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध लाभ कमाना है।
  • सामाजिक भ्रष्टाचार: इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों में फैली असमानता और अन्याय शामिल है।

भ्रष्टाचार के मुख्य कारण लोगों में नैतिक मूल्यों की कमी, कानूनी व्यवस्था का कमजोर होना, कानून का सही ढंग से पालन न होना, सजा का डर न होना, शिक्षा और जागरूकता की कमी, आर्थिक असमानता, गरीबी और बेरोजगारी इत्यादि लोगों को भ्रष्टाचार की ओर धकेलती है।

भ्रष्टाचार के प्रभाव

  • आर्थिक प्रभाव: भ्रष्टाचार के कारण देश की आर्थिक प्रगति रुक जाती है। विश्व बैंक के अनुसार, भारत में भ्रष्टाचार के कारण हर साल लगभग 20% GDP का नुकसान होता है।
  • सामाजिक प्रभाव: भ्रष्टाचार के कारण समाज में असमानता बढ़ती है और गरीब और गरीब हो जाते हैं।
  • राजनीतिक प्रभाव: भ्रष्टाचार के कारण जनता का विश्वास सरकार और न्यायपालिका से उठ जाता है।
  • मानवाधिकारों का हनन: भ्रष्टाचार के कारण लोग अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं, जिससे मानवाधिकारों का हनन होता है।

2024 में भारत में हुए भ्रष्टाचार के उदाहरण

  • चुनावी बांड विवाद: राजनीतिक दलों को फंडिंग करने में चुनावी बांड के उपयोग को लेकर एक बड़ा विवाद हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार कुछ कंपनियों ने इन बांडों का उपयोग करके राजनीतिक दलों को पर्याप्त योगदान दिया है, जिससे पोलिटिकल फाइनेंसिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर चिंताएं पैदा हुई हैं।
  • नकली दवाइयों का रैकेट: दिल्ली में नकली कैंसर और मधुमेह की दवाइयों के वितरण से जुड़े एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ। जिसमें गिरफ्तार हुए चार व्यक्तियों में से एक सीरियाई नागरिक भी शामिल था, जो तुर्की और मिस्र से भारत में नकली दवाइयों की आपूर्ति करते थे​।
  • महाराष्ट्र के आरोप: महाराष्ट्र राज्य में पुनर्विकास परियोजनाओं से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इन आरोपों में गांधी और शिवाजी जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों की मूर्तियों को अनुचित तरीके से हटाना और फिर से स्थापित करना शामिल है, जो कथित तौर पर इन पुनर्विकास प्रयासों का हिस्सा हैं​।

भ्रष्टाचार से निपटने के उपाय

  • भ्रष्टाचार रोकने के लिए कठोर और प्रभावी कानूनों की आवश्यकता है।
  • लोगों में शिक्षा और जागरूकता फैलाकर भ्रष्टाचार के दुष्परिणामों के बारे में बताया जाना चाहिए।
  • सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देकर बच्चों में सही और गलत का भेद सिखाया जाना चाहिए।
  • जनता को जागरूक और संगठित करके उन्हें भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय करना चाहिए।

भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है जो हमारे समाज और देश के विकास में बाधा डाल रही है। इससे निपटने के लिए हमें एकजुट होकर प्रयास करना होगा। केवल सरकार या कानून के बल पर इस समस्या का समाधान संभव नहीं है, बल्कि हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा और ईमानदारी का दामन थामना होगा। यदि हम सभी मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन खड़ा करें, तो निश्चित ही हम इस अभिशाप से मुक्त हो सकते हैं और एक समृद्ध और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण कर सकते हैं।

Corruption Essay

FAQs: Frequently Asked Questions on Corruption (भ्रष्टाचार पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- सोमालिया (2024 के सर्वे के अनुसार)

उत्तर- ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार भारत भ्रष्टाचार के मामले में 93 वें स्थान पर है।

उत्तर- राजस्थान

उत्तर- केरल

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भारत में भ्रष्टाचार

  • 11 Oct 2023
  • 28 min read
  • सामान्य अध्ययन-IV
  • शासन व्यवस्था में ईमानदारी
  • सामान्य अध्ययन-II
  • पारदर्शिता और जवाबदेहिता

शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही, भारत में भ्रष्टाचार के सामान्य कारण और इसकी रोकथाम

प्रसंग :  

भारत के प्रधानमंत्री ने 76वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद की दोहरी चुनौतियों के खिलाफ तीखा हमला किया और कहा कि यदि समय पर इसका समाधान नहीं किया गया तो यह  बड़ी चुनौती बन सकती है। साथ ही ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ द्वारा ‘ भ्रष्टाचार बोध सूचकांक ’ 2023 (CPI) जारी किया गया।

  • समग्र तौर पर यह सूचकांक दर्शाता है कि पिछले एक दशक में अधिकांश देशों में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण की स्थिति या तो काफी हद तक स्थिर या खराब रही है। भारत ने भ्रष्टाचार बोध सूचकांक 2023 में 40 अंक प्राप्त किये।

भ्रष्टाचार:

भ्रष्टाचार सत्ता के पदों पर बैठे लोगों द्वारा किया गया असन्निष्ठ व्यवहार है। इसकी शुरुआत किसी निजी लाभ के लिये सार्वजनिक पद का उपयोग करने की प्रवृत्ति से होती है।

  • इसके अलावा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भ्रष्टाचार कई लोगों के लिये आदत का विषय बन गया है। यह इतनी गहराई तक व्याप्त है कि भ्रष्टाचार को अब एक सामाजिक मानदंड माना जाता है। इसलिये भ्रष्टाचार का तात्पर्य नैतिकता की विफलता से है।

भारत में भ्रष्टाचार के पीछे के कारण:

  • पारदर्शिता की कमी: सरकारी प्रक्रियाओं, निर्णय लेने और सार्वजनिक प्रशासन में पारदर्शिता की कमी भ्रष्ट आचरण के लिये अधिक अवसर प्रदान करती है। जब कार्यों तथा निर्णयों को सार्वजनिक जाँच से बचाया जाता है, तो अधिकारी जोखिम के कम डर के साथ भ्रष्ट गतिविधियों में संलग्न हो सकते हैं।
  • भ्रष्ट व्यक्तियों को अपर्याप्त सज़ा के कारण दंड से मुक्ति की धारणा भ्रष्टाचार को और अधिक बढ़ावा दे सकती है। भ्रष्ट आचरण वाले व्यक्तियों को जब यह विश्वास हो जाता है कि वे दंड से बच सकते हैं, तो उनके इसमें शामिल होने की संभावना अधिक हो जाती है।
  • कम वेतन और प्रोत्साहन: सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों, विशेषकर निचले स्तर के पदों पर बैठे लोगों का कम वेतन उन्हें रिश्वतखोरी और भ्रष्ट आचरण के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है, क्योंकि वे भ्रष्टाचार को अपनी आय के पूरक के साधन के रूप में देखते हैं।
  • भारत का जटिल आर्थिक वातावरण, जिसमें विभिन्न लाइसेंस, परमिट और अनुमोदन शामिल हैं, भ्रष्टाचार के अवसर पैदा कर सकते हैं। व्यवसाय इस माहौल से निपटने के लिये रिश्वतखोरी का सहारा ले सकते हैं।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप: प्रशासनिक मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते सरकारी संस्थानों को अपनी  स्वायत्तता से समझौता करने को मजबूर होना पड़ सकता है। राजनेता व्यक्तिगत या पार्टी लाभ के लिये अधिकारियों पर भ्रष्ट गतिविधियों में शामिल होने का दबाव डाल सकते हैं।
  • सांस्कृतिक कारक: कुछ संदर्भों में भ्रष्ट आचरण की सांस्कृतिक स्वीकृति हो सकती है, जो भ्रष्टाचार को कायम रखती है। यह धारणा कि "हर कोई ऐसा करता है" व्यक्तियों को नैतिक रूप से समझौता किये बिना भ्रष्टाचार में शामिल होने के लिये प्रेरित कर सकता है।
  • व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा का अभाव: व्हिसलब्लोअर की अपर्याप्त सुरक्षा व्यक्तियों को भ्रष्टाचार की रिपोर्ट करने से रोक सकती है। संभावित प्रतिशोध का डर मुखबिरों को चुप रहने को मजबूर करने के साथ ही भ्रष्टाचार को पनपने में सहायक हो सकता है।
  • सामाजिक असमानता: सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकती हैं, क्योंकि धन और शक्ति वाले व्यक्ति अपने प्रभाव का उपयोग अधिमान्य उपचार प्राप्त करने तथा बिना किसी परिणाम (Without Repercussions) के भ्रष्ट आचरण में संलग्न होने के लिये कर सकते हैं।

सिविल सेवाओं में भ्रष्टाचार की व्यापकता के कारण:

  • सिविल सेवा का राजनीतिकरण: जब सिविल सेवा के पदों का उपयोग राजनीतिक समर्थन के लिये पुरस्कार के रूप में किया जाता है या रिश्वत हेतु स्थानांतरण किया जाता है, तो उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार के अवसर काफी बढ़ जाते हैं।
  • निजी क्षेत्र की तुलना में कम वेतन: निजी क्षेत्र की तुलना में सिविल सेवकों का वेतन कम हो सकता है,  वेतन में अंतर की भरपाई के लिये कुछ कर्मचारी रिश्वत का सहारा लेते हैं।
  • प्रशासनिक देरी: फाइलों की मंज़ूरी में देरी भ्रष्टाचार का मूल कारण है क्योंकि आम नागरिकों को फाइलों की शीघ्र मंज़ूरी के लिये दोषी अधिकारियों और प्राधिकारियों को रिश्वत देने को मजबूर होना पड़ता है।
  • चुनौती रहित सत्ता की औपनिवेशिक विरासत: सत्ता के उपासक वाले समाज में सरकारी अधिकारियों के लिये नैतिक आचरण से विचलित होना आसान होता है।
  • कानून का कमज़ोर प्रवर्तन: भ्रष्टाचार की बुराई को रोकने के लिये कई कानून बनाए गए हैं लेकिन उनके कमज़ोर प्रवर्तन ने भ्रष्टाचार को रोकने में बाधा के रूप में काम किया है।

भ्रष्टाचार का प्रभाव:

  • गुणवत्ता की मांग करने हेतु किसी को इसके लिये भुगतान करना पड़ सकता है। यह कई क्षेत्रों जैसे- नगर पालिका, बिजली, राहत कोष के वितरण आदि में देखा जा सकता है।
  • सबूतों की कमी या यहाँ तक कि मिटाए गए सबूतों के कारण किसी अपराध में संदेह का लाभ उठाया जा सकता है।
  • इन निम्न-गुणवत्ता वाली सेवाओं का कारण इसमें शामिल ठेकेदारों और अधिकारियों द्वारा अनुचित तरीके से धन अर्जित करना है।
  • ये लोग अनुसंधान के लिये उन जाँचकर्त्ताओं को धनराशि स्वीकृत करते हैं जो उन्हें रिश्वत देने लिये तैयार हैं।
  • अधिकारियों की अवहेलना: भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी के बारे में नकारात्मक बातें कर लोग उसकी अवहेलना करने लगते हैं। अवहेलना के कारण अधिकारी के प्रति अविश्वास पैदा होता है और परिणामस्वरूप निम्न श्रेणी के अधिकारी भी उच्च श्रेणी के अधिकारियों का अनादर करेगा, इसी क्रम में वह भी उसके आदेशों का पालन नहीं करता है।
  • प्रशासकों के प्रति सम्मान की कमी: राष्ट्र के प्रशासक जैसे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के प्रति जनता के सम्मान में कमी आती है। सामाजिक जीवन में सम्मान मुख्य मानदंड है।
  • सरकारों के प्रति विश्वास की कमी: जनता अपने जीवन स्तर में सुधार और नेता के सम्मान की इच्छा के साथ चुनाव के दौरान मतदान के लिये जाते हैं। यदि राजनेता भ्रष्टाचार में लिप्त है, तो वह लोगों का विश्वास खो देगा और वे ऐसे नेताओं का निर्वाचित नहीं करेंगे।
  • भ्रष्टाचार से जुड़े पदों में शामिल होने से परहेज: ईमानदार और मेहनती लोग भ्रष्ट समझे जाने वाले विशेष पदों के प्रति घृणा करने लगते हैं।
  • विदेशी निवेश में कमी: सरकारी निकायों में भ्रष्टाचार के कारण कई विदेशी निवेशक विकासशील देशों में निवेश करने से कतराते हैं।
  • इससे निवेश, उद्योगों की शुरुआत और विकास की गति धीमी हो जाती है।
  • यदि उचित सड़क, पानी और बिजली की व्यवस्था नहीं है, तो ऐसे क्षेत्र में कंपनियांँ नए उद्योग स्थापित नहीं करना चाहती हैं, जो उस क्षेत्र की आर्थिक प्रगति में बाधा डालती है।

भारत में भ्रष्टाचार से लड़ने को कानूनी और नियामक ढाँचे:

  • वर्ष 2018 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके अंतर्गत रिश्वत लेने और रिश्वत देने को अपराध की श्रेणी के तहत रखा गया।
  • धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act), 2002 का उद्देश्य भारत में धन शोधन (Money Laundering) के मामलों को रोकना और आपराधिक आय के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है।
  • कंपनी अधिनियम (The Companies Act), 2013 कॉर्पोरेट क्षेत्र को स्वनियमन का अवसर देकर इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की रोकथाम करता है। 'धोखाधड़ी' शब्द की एक व्यापक परिभाषा है, इसे कंपनी अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय (Criminal) अपराध माना गया है।
  • भारतीय दंड संहिता (The Indian Penal Code- IPC), 1860 के अंतर्गत रिश्वत, धोखाधड़ी,  विश्वासघात जैसे अपराध से संबंधित मामलों को कवर किया गया है।
  • बेनामी लेन-देन (निषेध) अधिनियम, 1988 उस व्यक्ति के दावे प्रतिबंधित करता है जिसने किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर संपत्ति अर्जित की है।
  • ये "लोकपाल तथा लोकायुक्त" कुछ निश्चित श्रेणी के सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच करते हैं।
  • केंद्रीय सतर्कता आयोग: इसका कार्य प्रशासन की निगरानी करना और भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों में कार्यपालिका को सलाह देना एवं मार्गदर्शन करना है।
  • 1964 में संशोधन: IPC के तहत 'लोक सेवक' तथा 'आपराधिक कदाचार' की परिभाषा का विस्तार किया गया और एक लोक सेवक के लिये आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने को अपराध बना दिया गया।

भ्रष्टाचार को रोकने में नैतिकता का महत्त्व:

  • नैतिक सीमाएँ स्थापित करना: नैतिक सिद्धांत सही और गलत को परिभाषित करने के लिये एक रूपरेखा प्रदान करते हैं। भ्रष्टाचार के संदर्भ में नैतिकता स्पष्ट सीमाएँ निर्धारित करती है, जो स्वीकार्य व्यवहार को अनैतिक या भ्रष्ट आचरण से अलग करती है।
  • जवाबदेही को बढ़ावा देना: नैतिकता की मांग है कि व्यक्ति अपने कार्यों और निर्णयों की ज़िम्मेदारी लें। जब लोगों को नैतिक सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया जाता है, तो उनके कार्यों के पारदर्शी और जवाबदेह होने की अधिक संभावना होती है, जिससे भ्रष्टाचार, जो कि दूसरों को नुकसान पहुँचा सकता है, की संभावना कम हो जाती है ।
  • पारदर्शिता को बढ़ावा देना: पारदर्शिता एक प्रमुख नैतिक सिद्धांत है। नैतिक संगठनों और व्यक्तियों के पारदर्शी पर और ईमानदारी से काम करने की अधिक संभावना होती है तथा ऐसे माहौल में भ्रष्टाचार का पनपना मुश्किल हो जाता है जहाँ कार्य और निर्णय जाँच के अधीन होते हैं।
  • विश्वास कायम करना: विश्वास नैतिक व्यवहार की आधारशिला है। जब व्यक्तियों और संस्थानों को भरोसेमंद माना जाता है, तो उनके भ्रष्टाचार में शामिल होने या उसे बर्दाश्त करने की संभावना कम होती है। समाज में उच्च स्तर का विश्वास भ्रष्टाचार के प्रति प्रलोभन को कम करता है।
  • नागरिकों के सद्गुणों को प्रोत्साहित करना: नैतिक मूल्य नागरिक सद्गुणों को बढ़ावा देते हैं, जो व्यक्तियों को दूसरों की कीमत पर व्यक्तिगत लाभ हासिल करने के बजाय समाज के सर्वोत्तम हित में कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। नागरिक सद्गुण भ्रष्टाचार का एक प्रभावशाली निवारक है।
  • कानून के शासन का समर्थन: नैतिक व्यवहार कानून के शासन और कानूनी तथा नियामक ढाँचे के प्रति सम्मान को कायम रखता है। भ्रष्ट आचरण में अक्सर कानून को दरकिनार करना या उसका उल्लंघन करना शामिल होता है एवं नैतिकता का पालन कानूनी मानदंडों के प्रति सम्मान को मज़बूत करता है।
  • व्हिसलब्लोअर संरक्षण: नैतिक संगठन और सरकारें भ्रष्टाचार की रिपोर्ट करने वाले व्हिसिलब्लोअर की सुरक्षा को प्राथमिकता देती हैं। नैतिक मूल्य अनैतिक व्यवहार की रिपोर्टिंग के लिये प्रोत्साहित करते हैं, जो भ्रष्टाचार को उजागर करने एवं संबोधित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • वैश्विक प्रतिष्ठा: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी राष्ट्र की प्रतिष्ठा के लिये नैतिक व्यवहार आवश्यक है। नैतिक शासन और निम्न भ्रष्टाचार स्तर वाले देश में विदेशी निवेश और सहयोग की संभावना अधिक होती है।
  • दीर्घकालिक स्थिरता: भ्रष्ट आचरण अक्सर अल्पकालिक लाभ प्रदान करता है लेकिन दीर्घकाल में नुकसान पहुँचा सकता है। समाज के सतत् विकास और समृद्धि के लिये नैतिक व्यवहार आवश्यक है।

सार्वजनिक जीवन के मानक और भ्रष्टाचार की रोकथाम पर नोलन समिति की सिफारिशें:

1995 में यूनाइटेड किंगडम में नोलन समिति ने भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये सार्वजनिक पदाधिकारियों, अधिकारियों, सिविल सेवकों, नौकरशाहों, नागरिक समाज और नागरिकों द्वारा शामिल किये जाने वाले सात नैतिक मूल्यों की रूपरेखा तैयार की:

  • निःस्वार्थता: सार्वजनिक अधिकारियों/नौकरशाहों को लोकहित के संदर्भ में निर्णय लेना चाहिये।  
  • सत्यनिष्ठा: नौकरशाहों को ऐसे किसी वित्तीय या अन्य दायित्व के अधीन बाहरी व्यक्तियों या संगठनों के तहत नहीं होना चाहिये जिससे उनके आधिकारिक कर्त्तव्य प्रभावित हों।
  • वस्तुनिष्ठता: सार्वजनिक कामकाज़, नियुक्तियाँ करने, अनुबंध या पुरस्कार और लाभ के लिये लोगों की सिफारिश करने में नौकरशाहों को योग्यता को आधार बनाना चाहिये।
  • जवाबदेहिता: नौकरशाह अपने निर्णयों और कार्यों के लिये जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं तथा उन्हें अपने पद को भी जाँच/समीक्षा के अधीन रखना चाहिये।
  • खुलापन: नौकरशाहों के सभी निर्णयों और कार्यों में खुलापन होना चाहिये। उन्हें अपने निर्णयों का स्पष्ट कारण देना चाहिये तथा सूचना तभी प्रतिबंधित करनी चाहिये जब व्यापक जन-हित के लिये आवश्यक  हो।
  • ईमानदारी: नौकरशाह का यह दायित्व है कि वह सार्वजनिक कर्त्तव्यों से संबंधित अपने निजी हितों की घोषणा करे और ऐसे किसी विरोध के समाधान के लिये आवश्यक कदम उठाए जो सार्वजनिक हितों की रक्षा करने में बाधक हो।
  • नेतृत्व: नौकरशाहों को अपने नेतृत्व द्वारा उदाहरण पेश करते हुए इन सिद्धांतों को विकसित करने के साथ इनका समर्थन करना चाहिये।

भ्रष्टाचार से निपटने हेतु दूसरे ARC की सिफारिशें:

भारत में एक सलाहकार निकाय, द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (द्वितीय ARC) ने भ्रष्टाचार के मुद्दे को संबोधित करने और सार्वजनिक प्रशासन की अखंडता तथा दक्षता में सुधार के लिये कई व्यापक सिफारिशें कीं। इन सिफारिशों का उद्देश्य भ्रष्टाचार को रोकना एवं सरकारी कार्यों में पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ाना है। द्वितीय ARC द्वारा की गई कुछ प्रमुख सिफारिशें निम्नलिखित हैं:

  • व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014 : दूसरे ARC ने व्हिसलब्लोअर्स के लिये सुरक्षा और प्रोत्साहन बढ़ाने हेतु व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम में संशोधन की सिफारिश की। इसमें उन्हें उत्पीड़न से बचाना तथा वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना शामिल है।
  • केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC): दूसरे ARC ने CVC को अधिक स्वतंत्रता, संसाधन और अधिकार देकर भ्रष्टाचार को रोकने तथा मुकाबला करने में उसकी भूमिका को मज़बूत करने की सिफारिश की।
  • केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI): आयोग ने भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने में CBI की स्वायत्तता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिये उपाय सुझाए।
  • मानक संचालन प्रक्रियाएँ (SOP): द्वितीय ARC ने अधिकारियों की विवेकाधिकार शक्तियों को कम करने के लिये सरकारी प्रक्रियाओं और सेवाओं हेतु स्पष्ट SOP के विकास की सिफारिश की। इससे भ्रष्टाचार एवं मनमाने निर्णय लेने की गुंजाइश कम हो जाती है।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: प्रौद्योगिकी और ई-गवर्नेंस का लाभ उठाकर सरकारी लेन-देन में मानवीय हस्तक्षेप और विवेकाधिकार को कम किया जा सकता है। आयोग ने भ्रष्टाचार के अवसरों को कम करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक तरीकों को अपनाने को प्रोत्साहित किया।
  • पुलिस की जवाबदेही: आयोग ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों की अखंडता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिये व्यापक पुलिस सुधारों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। इसमें पुलिस बल में पारदर्शिता, जवाबदेही तथा व्यावसायिकता बढ़ाने के उपाय शामिल हैं।
  • सामुदायिक पुलिसिंग: सामुदायिक पुलिसिंग को बढ़ावा देने से पुलिस और जनता के बीच विश्वास पैदा हो सकता है, जिससे भ्रष्टाचार तथा सत्ता के दुरुपयोग के मामलों में कमी आएगी।
  • आचार संहिता: आयोग ने नैतिक व्यवहार को बढ़ावा देने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिये एक आचार संहिता के विकास की सिफारिश की।
  • सिटीज़न चार्टर: सरकारी विभागों को सिटीज़न चार्टर अपनाने के लिये प्रोत्साहित करने से जवाबदेही बढ़ सकती है और सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार हो सकता है।
  • मीडिया और शिक्षा: आयोग ने भ्रष्टाचार के हानिकारक प्रभावों तथा नैतिक आचरण के महत्त्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिये मीडिया और शैक्षणिक संस्थानों का उपयोग करने का सुझाव दिया।
  • संसदीय समितियाँ: सरकारी संचालन और व्यय की जाँच में संसदीय समितियों की भूमिका को मज़बूत करने से भ्रष्टाचार का पता लगाने तथा उसे रोकने में मदद मिल सकती है।
  • डिजिटल परिवर्तन: द्वितीय ARC ने मानवीय हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार के अवसरों को कम करने के लिये सरकारी प्रक्रियाओं के व्यापक डिजिटल परिवर्तन की सिफारिश की।

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corruption free india essay in hindi 600 words

भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

corruption free india essay in hindi 600 words

Corruption Essay in Hindi – भ्रष्टाचार किसी भी प्रकार के रिश्वत के बदले व्यक्तियों या समूह द्वारा किए गए किसी भी कार्य को संदर्भित करता है। भ्रष्टाचार को एक बेईमान और आपराधिक कृत्य माना जाता है। साबित होने पर, भ्रष्टाचार कानूनी दंड का कारण बन सकता है। अक्सर भ्रष्टाचार के कार्य में कुछ के अधिकार और विशेषाधिकार शामिल होते हैं। भ्रष्टाचार की सभी विशेषताओं और पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ऐसी परिभाषा खोजना बहुत कठिन है। हालांकि, राष्ट्र के जिम्मेदार नागरिक के रूप में, हम सभी को भ्रष्टाचार के सही अर्थ और उसके हर रूप में प्रकट होने के बारे में जागरूक होना चाहिए ताकि जब भी हम इसका सामना करें तो हम इसके खिलाफ आवाज उठा सकें और न्याय के लिए लड़ सकें। 

भ्रष्टाचार पर 10 लाइन निबंध

  • 1) भ्रष्टाचार लाभ कमाने का एक अनैतिक और अनुचित साधन है।
  • 2) भ्रष्टाचार देश के समान विकास के मार्ग की सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।
  • 3) एक सर्वे के अनुसार 92% भारतीयों ने अपने जीवन में कभी न कभी किसी सरकारी अधिकारी को नौकरी में तेजी लाने या उसे पूरा करने के लिए रिश्वत दी है।
  • 4) भारत में भ्रष्टाचार व्यवस्था के हर स्तर पर है, चाहे वह सार्वजनिक क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र।
  • 5) फोर्ब्स की 2017 में एशिया के 5 सबसे भ्रष्ट देशों की सूची में 69% रिश्वत दर के साथ भारत शीर्ष पर है।
  • 6) भ्रष्टाचार सरकार की योजनाओं और लाभों के एक बड़े हिस्से को अवशोषित करता है और लाभार्थी तक बहुत कम पहुंचता है।
  • 7) विश्व बैंक के अनुसार गरीब लोगों के लिए नियत अनाज का 40% ही उन तक पहुँचता है।
  • 8) कई निर्वाचित सांसदों या विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं; फिर भी वे चुनाव लड़ सकते हैं।
  • 9) सूचना का अधिकार अधिनियम हर स्तर पर भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए एक महान उपकरण है।
  • 10) जब तक हम सख्त कदम नहीं उठाएंगे, तब तक हम भारत से भ्रष्टाचार को दूर नहीं कर सकते।

भ्रष्टाचार पर 20 लाइन निबंध

  • 1) भ्रष्टाचार पैसा कमाने का एक बुरा तरीका है।
  • 2) यह समाज के लाभ के लिए दी गई शक्ति का दुरुपयोग है।
  • 3) लोगों का लालच भ्रष्टाचार का मुख्य कारण है।
  • 4) लोग अपने काम में तेजी लाने के लिए अधिकारियों को रिश्वत देते हैं।
  • 5) रिश्वत पैसे या उपहार के रूप में हो सकती है।
  • 6) सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
  • 7) रिश्वत लेने या देने वाले को सजा मिलनी चाहिए।
  • 8) भ्रष्टाचार देश के विकास को सीधे प्रभावित करता है।
  • 9) भ्रष्टाचार एक अपराध है, और सभी को इसके खिलाफ लड़ना चाहिए।
  • 10) आइए हम सब मिलकर शपथ लें कि हम रिश्वत नहीं देंगे और न ही लेंगे और देश के विकास में मदद करेंगे।
  • 11) भ्रष्टाचार दूसरों से अवैध लाभ प्राप्त करने का एक अनैतिक, अनैतिक और आपराधिक कृत्य है।
  • 12) उच्च पद पर आसीन व्यक्ति आमतौर पर अधिक पैसा कमाने के लिए इस कदाचार में लिप्त होता है।
  • 13) भ्रष्टाचार में, लाभ या तो मौद्रिक या किसी अन्य वस्तु जैसे संपत्ति, आभूषण, या कुछ और में होता है।
  • 14) यह कुछ लोगों द्वारा बड़े लोगों के लिए छोटे एहसान प्राप्त करने या मांगने से शुरू होता है जो किसी राष्ट्र के सामान्य कानून और व्यवस्था को प्रभावित करता है।
  • 15) यह अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर सेंध लगाता है।
  • 16) “क्षुद्र भ्रष्टाचार” एक छोटे प्रकार का भ्रष्टाचार है।
  • 17) “भव्य भ्रष्टाचार” भ्रष्टाचार का एक उच्च स्तर है जिसमें सरकारी अधिकारी अवैध रूप से भारी धन हस्तांतरित करते हैं।
  • 18) लगभग हर सरकारी क्षेत्र में अपने काम को पूरा करने के लिए भ्रष्टाचार का समर्थन करना होगा।
  • 19) निजी कंपनियों में गबन के रूप में भी भ्रष्टाचार होता है।
  • 20) भाई-भतीजावाद भी एक प्रकार का भ्रष्टाचार है जो किसी रिश्तेदार या मित्र को उच्च पद पर बढ़ावा देना या नियुक्त करना है।

इनके बारे मे भी जाने

  • Children’s Day Essay
  • Winter Season Essay
  • Save Water Essay
  • My Village Essay

भ्रष्टाचार पर लघु निबंध 100 शब्द

भ्रष्टाचार का अर्थ उन प्रथाओं या निर्णयों से है जो कम पक्षों के लिए प्रतिकूल समाधान में परिणत होते हैं। जब नैतिक पतन होता है, और कोई भी ईमानदार मूल्यांकन आपको यह एहसास नहीं करा सकता है कि आप गलत रास्ते पर चले गए हैं, तो यह भ्रष्टाचार की ओर ले जाता है। सत्ता और धन की लालसा अक्सर भ्रष्टाचार के सामान्य कारण होते हैं। भ्रष्टाचार एक व्यक्ति को उसके चरित्र से दूर कर देता है, और इससे कर्तव्यों की क्षमता बिगड़ जाती है। विभिन्न देशों के कई राजनीतिक नेता इसमें शामिल होते हैं और यह तेजी से निचले स्तर तक भी फैलता है। महाशक्तिशाली देश भी इससे अछूते नहीं हैं।

भ्रष्टाचार पर निबंध 150 शब्द

आज कोई भी देश भ्रष्टाचार की बीमारी से अछूता नहीं है। सभी देश और हर देश इसमें अनैच्छिक रूप से भाग लेता है क्योंकि यही अविश्वसनीय सफलता और शक्ति की कुंजी है। और शक्ति धन की राशि से आती है, इसलिए लोग नैतिक रूप से खुद को नीचा दिखाते हैं और नकदी के लिए गलत दिशा में भागते हैं। सभी देशों में भ्रष्टाचार की मात्रा में अंतर हो सकता है, लेकिन यह सभी समान है।

सार्वजनिक जीवन, व्यक्तिगत जीवन, राजनीति, प्रशासन, शिक्षा और यहाँ तक कि अनुसंधान और सुरक्षा भी भ्रष्टाचार से अछूती नहीं है। शायद ही कोई अपवाद हो। अन्य देशों में भ्रष्टाचार को उचित दंड दिया जाता है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है, क्योंकि किसी भी भ्रष्टाचार के लिए कोई विशिष्ट सजा नहीं है। भ्रष्टाचार एक ऐसा अपराध है जो जीवन को बर्बाद नहीं करता बल्कि परिवारों को भी बर्बाद करता है क्योंकि एक बार जब व्यक्ति को इसकी आदत हो जाती है तो उसे खुद के अलावा कोई नहीं रोक सकता है।

भ्रष्टाचार पर निबंध 200 शब्द

कई घोटाले ऐसे हैं जो लोगों की नजरों में तो नहीं आते लेकिन बहुत प्रभावित हुए हैं। उन्हें भ्रष्टाचार के नाम से जाना जाता है। भ्रष्टाचार विश्वासघात का एक ऐसा कार्य है जो शायद ही किसी ने या किसी स्थान को छोड़ा हो। अस्पतालों से लेकर निगमों और सरकारों तक, कुछ भी और कोई भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है। भ्रष्टाचार उच्च स्तरों से शुरू होता है और तेजी से निचले स्तरों तक चला जाता है, जिससे कम मेहनत और धोखा देने वाले परिणामों का माहौल बनता है।

इस बात के भी प्रमाण हैं कि राजनेताओं को ड्रग लॉर्ड्स और तस्करों द्वारा संसाधन उपलब्ध कराए गए थे, और जब उन्हें या उनके अस्तित्व को खतरा होता है, तो उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप ज्यादातर मौत हो जाती है। यहां तक ​​कि सबसे प्रभावशाली देश भी भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं हैं क्योंकि सत्ता और सफलता किसे पसंद नहीं होगी? और ऐसा करने का सबसे आसान तरीका है अत्यधिक धन अर्जित करना। भ्रष्टाचार उन्हें अपमानजनक प्रभाव से रोकता है। हालाँकि, भ्रष्टाचार उनकी नैतिकता या मूल्यों के पतन को नहीं रोक सकता है और यह उसी को बढ़ाता है। हममें से कोई भी कल्पना भी नहीं कर सकता है कि व्यक्तिगत संचय के लिए उनके खाते में कितना पैसा जाता है। भ्रष्टाचार अब एक ऐसा कीड़ा है जो सरकार के हर विभाग और कार्यक्षेत्र के अंदर कपटी है। भ्रष्टाचार ने अब हमारी अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया है, और इसके कारण हमारे कार्य अस्त-व्यस्त हो गए हैं।

भ्रष्टाचार पर निबंध 250 शब्द 300 शब्द

एक उद्धरण कहता है कि “भ्रष्टाचार से लड़कर कोई नहीं लड़ सकता” और यह पूरी तरह से सही है। भ्रष्टाचार का अर्थ है वह कार्य जो धन की लालसा या लालच से उत्पन्न होता है और अवैध कार्यों को करने के लिए किसी भी हद तक जाने की आवश्यकता होती है। भ्रष्टाचार दुनिया के हर हिस्से और देश में सक्रिय है। भ्रष्टाचार को किसी भी तरह से रोका या क्रियान्वित नहीं किया जा सकता है। इसे तभी समाप्त किया जा सकता है जब मनुष्य के हृदय में इसे रोकने की बात हो। भ्रष्टाचार के कई तरीके हैं, और सबसे आम रिश्वतखोरी है।

रिश्वत का अर्थ उस युक्ति से है जिसका उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए उपकार या उपहारों का उपयोग करने के लिए किया जाता है। इसमें तरह-तरह के उपकार शामिल हैं। दूसरा गबन है जिसका अर्थ है संपत्ति को रोकना जिसका उपयोग आगे चोरी के लिए किया जा सकता है। आमतौर पर, इसमें एक या एक से अधिक व्यक्ति शामिल होते हैं जिन्हें इन संपत्तियों को सौंपा जाता है, और इसे वित्तीय धोखाधड़ी भी कहा जा सकता है। तीसरा ‘भ्रष्टाचार’ है जिसका अर्थ है व्यक्तिगत लाभ के लिए किसी राजनेता की शक्ति का अवैध उपयोग। यह ड्रग लॉर्ड्स या नारकोटिक बैरन्स द्वारा सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।

जबरन वसूली का अर्थ है किसी संपत्ति, भूमि या संपत्ति पर अवैध रूप से दावा करना। पक्षपात या भाई-भतीजावाद भी इन दिनों पूर्ण प्रवाह में है जब केवल सत्ता में बैठे लोगों के पसंदीदा व्यक्ति या प्रत्यक्ष रिश्तेदार ही अपनी क्षमता में वृद्धि करते हैं। भ्रष्टाचार को रोकने के कई तरीके नहीं हैं, लेकिन वे मौजूद हैं।

सरकार अपने कर्मचारियों को बेहतर वेतन दे सकती है जो उनके काम के बराबर है। काम का बोझ कम करना और कर्मचारियों को बढ़ाना भी इस प्रभावशाली और अवैध प्रथा को रोकने का एक शानदार तरीका हो सकता है। इसे रोकने के लिए सख्त कानून की जरूरत है और मुकाबला करने का सबसे अच्छा तरीका; यह दोषी अपराधियों को उनके अंत तक पहुँचाने का तरीका है। सरकार देश में महंगाई के स्तर को कम रखने के लिए काम कर सकती है ताकि वे उसके अनुसार काम कर सकें। भ्रष्टाचार से लड़ा नहीं जा सकता और इसे केवल रोका जा सकता है।

भ्रष्टाचार पर निबंध 500 शब्द

भ्रष्टाचार एक व्यक्ति या एक समूह द्वारा एक बेईमान कार्य को संदर्भित करता है, जो दूसरों के उचित विशेषाधिकारों से समझौता करता है। भ्रष्टाचार किसी देश के आर्थिक और बुनियादी ढांचे के विकास को कम करता है और इसके लोगों की भलाई के लिए अब तक की सबसे संभावित बाधा है।

भ्रष्टाचार के तरीके

भ्रष्टाचार के दो बहुत सामान्य तरीके हैं – रिश्वतखोरी, गबन और भ्रष्टाचार।

  • किसी अनुचित पक्ष के बदले में दिए गए धन, उपहार और अन्य लाभों को रिश्वत कहा जाता है और इस कार्य को समग्र रूप से ‘रिश्वत’ कहा जाता है।
  • रिश्वत के रूप में कई तरह की सुविधाएं दी जा सकती हैं। उदाहरण के लिए, पैसा, जमीन, कर्ज, कंपनी के शेयर, रोजगार, घर, कार, गहने आदि।
  • दूसरी ओर, गबन धन या संपत्ति का दुरुपयोग करने का एक कार्य है जिसे देखने वाले को सौंपा गया है। यह एक प्रकार की वित्तीय धोखाधड़ी है जो व्यक्तियों या लोगों के समूहों द्वारा की जाती है जिन्हें धन/संपत्ति सौंपी गई है।

भ्रष्टाचार एक प्रकार का राजनीतिक भ्रष्टाचार है। व्यक्तिगत लाभ के लिए जनता के लिए किए गए फंड के दुरुपयोग को संदर्भित करने के लिए अमेरिका में इस शब्द का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

भ्रष्टाचार के प्रकार / उदाहरण

नीचे हमारे दैनिक जीवन से संबंधित विभिन्न विभागों/क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के कुछ उदाहरण दिए गए हैं।

  • सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार

इसमें सरकार द्वारा लोक कल्याण और अन्य विकास योजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार एजेंसियों के भीतर भ्रष्टाचार शामिल है। यह अब तक का सबसे प्रचलित प्रकार का भ्रष्टाचार है जो बड़ी संख्या में सामान्य आबादी के हितों को प्रभावित करता है।

  • न्यायिक भ्रष्टाचार

न्यायिक भ्रष्टाचार न्यायाधीशों द्वारा कदाचार के एक कार्य को संदर्भित करता है, जिसमें वे व्यक्तिगत लाभ की पेशकश के बदले तथ्यों और सबूतों की अनदेखी करते हुए पक्षपातपूर्ण निर्णय देते हैं।

  • शिक्षा में भ्रष्टाचार

पिछले कुछ दशकों से, भारत के कुछ राज्यों में शिक्षा विभाग को सबसे भ्रष्ट विभाग माना जाता था। इस दावे को पुष्ट करने के कई कारण थे – शिक्षकों और कर्मचारियों की अनुचित और अवैध नियुक्तियाँ, परिणामों/ग्रेडों में हेरफेर, छात्रों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन का गबन, आदि। निरक्षरता और स्कूल छोड़ने वालों की दर में वृद्धि के लिए शिक्षा में भ्रष्टाचार भी जिम्मेदार है। मुख्य रूप से देश के दूरस्थ ग्रामीण स्थानों में।

  • पुलिसिंग में भ्रष्टाचार

पुलिस की कानून और व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि प्रत्येक व्यक्ति को संविधान में निहित न्याय का समान अधिकार मिले। पुलिस जाति, पंथ, धर्म, आयु, लिंग या अन्य विभाजनों के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव नहीं करने के लिए कर्तव्यबद्ध और नैतिक रूप से बाध्य है। पुलिस काफी हद तक इस तरह से कार्य करती है कि उसे करना चाहिए; हालांकि, कभी-कभी इसके अधिकारियों के खिलाफ पक्षपात के गंभीर आरोप लगाए जाते हैं। पुलिस व्यवस्था को प्रभावी ढंग से और निष्पक्ष तरीके से काम करने के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप से स्वतंत्र बनाना बहुत आवश्यक है।

  • स्वास्थ्य सेवा में भ्रष्टाचार

स्वास्थ्य सेवा प्रणाली एक आवश्यक क्षेत्र है जो लाखों आम नागरिकों के जीवन को प्रभावित करता है। एक भ्रष्टाचार मुक्त स्वास्थ्य सेवा प्रणाली केवल यह सुनिश्चित करती है कि स्वास्थ्य सेवा का लाभ गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंचे और किसी भी आकस्मिक स्थिति में कोई भी चिकित्सा सहायता के बिना न रहे। दुर्भाग्य से, यह उतना अच्छा नहीं है जितना लगता है। यह क्षेत्र धन के गबन का शिकार रहा है, जिसमें रोगियों के लिए बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के लिए आवंटित धन को भ्रष्ट अधिकारियों, डॉक्टरों और अन्य पदाधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत लाभ के लिए गबन किया जाता है। साथ ही जमीनी स्तर पर लाभार्थी तक सभी मुफ्त दवा व अन्य सुविधाएं नहीं पहुंच पाती हैं।

भ्रष्टाचार एक राष्ट्र के विकास और इसके लोगों के कल्याण में सबसे संभावित बाधा है। यह केवल एक विशिष्ट क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है और इसमें कार्यालयों, विभागों, क्षेत्रों आदि की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। लोगों को इसके प्रभावों के बारे में जागरूक करके और सख्त भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को लागू करके ही प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है।

भ्रष्टाचार पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. भ्रष्टाचार का क्या अर्थ है.

उत्तर. भ्रष्टाचार का मतलब शक्तिशाली पदों पर बैठे लोगों द्वारा बेईमानी करना है।

Q.2 क्या भ्रष्टाचार एक अपराध है?

उत्तर. हाँ, यह एक अपराध है और यह समाज और राष्ट्र के विकास को धीमा करता है।

Q.3 किस देश को दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश कहा जाता है?

उत्तर. दक्षिण सूडान को दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश कहा जाता है।

Q.4 दुनिया के किस देश में सबसे कम भ्रष्टाचार है?

उत्तर. डेनमार्क दुनिया का ऐसा देश है जहां सबसे कम भ्रष्टाचार है।

Q.5 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम क्या है?

उत्तर. यह सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के व्यवसायों में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए 1988 में भारत सरकार द्वारा पारित एक अधिनियम है।

भ्रष्टाचार पर निबंध Essay on Corruption in Hindi (1000W)

भ्रष्टाचार पर निबंध Essay on Corruption in Hindi (1000W)

इस लेख में भ्रष्टाचार पर निबंध (Essay  on Corruption in Hindi) लिखा गाय है जिसमें हमने प्रस्तावना, भ्रष्टाचार के विविध रूप, कारण, निवारण, भ्रष्टाचार पर 10 लाइन के बारे में बताया है।

Table of Contents

प्रस्तावना (भ्रष्टाचार पर निबंध Essay on Corruption in Hindi)

भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना है भ्रष्ट और आचार । भ्रष्ट का अर्थ है बिगड़ा हुआ या खराब तथा आचार का अर्थ है अच्छा आचरण या व्यवहार है। 

इस प्रकार किसी व्यक्ति के द्वारा अपनी गरिमा से गिरकर किया हुआ कार्य भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार पूरे विश्व में बहुत ही तेजी से फैल रहा है। भारत के साथ-साथ अब यह अन्य देशों को भी दीमक की तरह खाते जा रहा है।

भ्रष्टाचार के विविध रूप Types of Corruption in Hindi

वर्तमान में भ्रष्टाचार के जड़ व्यापक रूप से बहुत ही तेजी से फैले हुए हैं इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

रिश्वत लेना – किसी भी कार्य को शीघ्र से, बिना जांच पड़ताल, नियम विरुद्ध, पैसे ले कर करने के काम को रिश्वत लेना कहलाता है। भ्रष्टाचार का रूप पूरी दुनिया मे फैल चुका है।

भाई-भतीजावाद – अपने पद और सत्ता का गलत उपयोग करके लोग भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देते हैं। इसमें वह अपने सगे संबंधी जो उसके लायक नहीं होते है उसे वह पद दे देते हैं, जिससे योग्य व्यक्ति का हक छीन जाता है। यह भ्रष्टाचार का एक बड़ा रूप है।

कमीशन- आज हर क्षेत्र में कमीशन देना पड़ता है जैसे स्कूलों में दाखिला के लिए कमीशन, सड़क बनने के लिए कमीशन, कहीं पर कोई बिल्डिंग बनाना है तो कमीशन। यानी की सुविधा प्रदाता द्वारा आपके लाभ में से कुछ प्रतिशत ले लेता है उसे ही कमीशन कहते हैं। वर्तमान में सरकारी, अर्द्ध सरकारी, ठेके के कार्य में कमीशन बाजी बहुत ही अधिक हो रही है। इसके कारण समाज में कोई भी काम से नहीं हो पा रहा है।

शोषण- शोषण भ्रष्टाचार का नवीन रूप है। कोई शक्तिशाली व्यक्ति किसी व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के जरिए उसके मजबूरी का फायदा उठाकर उसका शोषण करता है शोषण कहलाता है।

भ्रष्टाचार के कारण Reasons of Corruption in Hindi

भ्रष्टाचार के कारण निम्नलिखित है –

  • महंगी शिक्षा – महंगी शिक्षा भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण है। सरकारी स्कूलों के शिक्षक अच्छी तनखा पाने के बाद भी अच्छे से नहीं पढ़ा रहे हैं और दूसरी ओर प्राइवेट स्कूलों की फीस इतनी महंगी हो गई है की देश के गरीब की बात तो दूर मध्यम धर्मिय परिवार के लिए भी पढ़ाना मुश्किल हो गया है। ऐसे में निरक्षरता देश में तेजी से पैर पसार रहा है।
  • लाचार न्याय व्यवस्था – लाचार न्याय व्यवस्था भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। ऐसे कई लोग हैं जो अरबों रुपए का घोटाले कर देते हैं और अपने धनबल के सहारे वह हर कानून व्यवस्था को खरीद लेते हैं। इससे कई मासूम और लोगों का जीवन बर्बाद हो जाता है।
  • जागरूकता का अभाव – लोगों में जागरूकता की कमी के कारण भ्रष्टाचार हो रहा है। सरकारी अधिकारी से लेकर व्यापारी तक छोटे मासूम लोगों को ठग कर उनसे उनका काम करवाने के लिए पैसे ले लेते हैं।
  • चारित्रिक पतन व जीवन मूल्यों का ह्रास – जैसे पहले का व्यक्ति अपने धर्म को मानता था। धर्म की राह पर ही चल कर वह सारे काम करता था। वह घुस भी लेता था तो कुछ हद तक लेता था, लेकिन आज हमारे जीवन मूल्यों में कमी आई है।

भ्रष्टाचार का निवारण Prevention of Corruption in Hindi

  • जन आंदोलन – भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सबसे पहले हमें जन आंदोलन करना होगा जिससे हम लोगों को जागरूक कर सके और उनके अधिकार के लिए उन्हें लड़ना सिखा सकें तभी हम भ्रष्टाचार को रोक सकते हैं।
  • कठोर कानून बनाया जाए – इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर से कठोर कानून बनाने जाएं। हर व्यक्ति को पता होना चाहिए कि जो व्यक्ति भ्रष्टाचार करेगा वह सजा का हक़दार होगा, तभी वह अनुचित कार्य करने से पहले एक बार जरूर सोचेगा। भ्रष्टाचार करने वाले व्यक्ति को कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहिए, इसीलिए कानून के हाथ भी लंबे और कठोर करने चाहिए।
  • निशुल्क उच्च शिक्षा – व्यक्ति को निशुल्क शिक्षा प्राप्त हो और वह उच्च पद पर बिना कोई घुस दिए आसीन हो जिससे भ्रष्टाचार को रोका जा सके।
  • पारदर्शिता – भारत के प्रत्येक कार्यालय में पारदर्शिता होनी चाहिए तभी भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है। गोपनीयता के नाम पर ही भ्रष्टाचार होता है। हर चीज को गोपनीय रखना है भ्रष्टाचार है।
  • कार्य स्थल पर व्यक्ति की सुरक्षा व संरक्षण – कार्य स्थल पर व्यक्ति को अपने कार्य को पूरी ईमानदारी से पूरा करने के लिए उसे सुरक्षा मिले तभी वहां निडर होकर अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी के साथ कर सकेंगे। यदि कोई उसे डराता है धमकाता है गलत काम करने के लिए, तो उसे यह लगे कि उसके पास सुरक्षा हो जिससे वह निडर होकर अपना काम कर सके।
  • नैतिक मूल्यों की स्थापना – जब तक नैतिक मूल्यों की स्थापना नहीं होगी तब तक भ्रष्टाचार को रोकना बहुत ही कठिन होगा। यह नैतिकता समाज और परिवार से ही उत्पन्न होती है। इसके लिए समाज सुधारकों और प्रचारकों के साथ-साथ शिक्षक वर्ग को भी आगे आना है।
  • दफ्तरों में लोगों की कमी ना हो – अक्सर देखा जाता है कि जिस दफ्तरों में लोगों की आवश्यकता होती है वहां कम लोगों को नियुक्त किया जाता है जिसके कारण काम करने में उन्हें परेशानी होती है। वह अपना काम नहीं कर पाते हैं। जिससे अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है पहले आम आदमी का काम आसानी से पूर्ण हो जाता है पर दूसरे आदमी का काम को कराने के लिए लोग भ्रष्टाचार का रास्ता अपनाते हैं।
  • सभी कार्यालयों और दफ्तरों में कैमरे लगाए जाएं – सभी कार्यालय और दफ्तरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए जिससे वहां पर काम करने वाले कर्मचारियों पर निगरानी रख सके। जिससे वहां घुस लेने को डरे तथा अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी के साथ करें।

भ्रष्टाचार पर 10 लाइन 10 Line on Corruption in Hindi

  • भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना है भ्रष्ट और आचार। भ्रष्ट का अर्थ है बिगड़ा हुआ या खराब तथा आचार का अर्थ है आचरण।
  • किसी भी व्यक्ति के द्वारा अपनी गरिमा से गिरकर किया हुआ कार्य भ्रष्टाचार कहलाता है।
  • भ्रष्टाचार वर्तमान में बहुत ही व्यापक रूप से फैल गया है।
  • भ्रष्टाचार भी आतंकवाद और देशद्रोह के समान है।
  • यह एक बहुत ही बड़ा अपराध है जिसके कारण देश के आर्थिक स्थिति पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • भ्रष्टाचार में कमी ना दिखने का कारण यह है कि भ्रष्टाचार आप सभी की आदत सी बन चुकी है।
  • भ्रष्टाचार के कारण ही सरकार द्वारा किए गए कई कार्य आज भी पूर्ण नहीं हो पा रहा है।
  • अपने पद और सत्ता का गलत उपयोग करके लोग भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
  • भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार को कड़ी से कड़ी नियम बनाना होगा सभी भ्रष्टाचार को रोक सकते हैं।
  • भ्रष्टाचार पूरे विश्व को दीमक की भांति खाते जा रहा है।

निष्कर्ष Conclusion

भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत ही मजबूत है इसे दूर करने के लिए जन आंदोलन चलाया जाए, अच्छे कानून बनाए जाएं तभी हम भ्रष्टाचार को दूर कर सकते हैं। इससे पूरे देश को अंदर ही अंदर खोखला करते जा रहा है।

हमें ना ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना चाहिए और ना ही भ्रष्टाचार में भागीदारी देना चाहिए। यदि आपको हमारा यह लेख भ्रष्टाचार पर निबंध (Essay  on Corruption in Hindi) अच्छा लगा हो तो हमें कमेंट करें धन्यवाद।

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Chhoti Badi Baatein

  • हिंदी निबंध संग्रह - Hindi Essay Collection

भ्रष्टाचार पर निबंध – Essay on corruption in Hindi

Bhrashtachar Par Nibandh – आज देश और दुनिया में हर जगह, हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार फैला हुआ है। भ्रष्टाचार देश के विकास में मुख्य बाधाओं में से एक है।

इस लेख में हम विभिन्न शब्द सीमाओं में भ्रष्टाचार पर निबंध (Bhrashtachar par nibandh) साझा कर रहे हैं जो की सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए मददगार साबित होंगे।

भ्रष्टाचार पर छोटे-बड़े निबंध – भाषण (Short and Long Essay on Corruption in Hindi, Bhrashtachar par Nibandh Hindi mein)

Table of Contents

भ्रष्टाचार पर निबंध / Bhrashtachar Par Nibandh – 1 (250 शब्दों में)

भ्रष्टाचार समाज और देश के लिए एक बड़ी समस्या है, जो न केवल लोगों के विश्वास और प्रगति को प्रभावित करता है, बल्कि संवैधानिक और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भी नुकसान पहुंचाता है।

आज देश और दुनिया के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। हमारे देश में भी भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें गहरी जमा रखी हैं, आप जहां भी देखें, अधिकारी और नेता भ्रष्टाचार से पटे पड़े हैं।

देश में भ्रष्टाचार हर विभाग में और हर जगह भरा पड़ा है। दुराचारी अर्थात भ्रष्ट और बिगड़ैल व्यक्तित्व भष्ट की श्रेणी में आता है।

यदि कोई व्यक्ति अपने अधिकारों का दुरुपयोग करता है और अपने व्यक्तिगत लाभ, आत्म-पूर्ति के लिए गलत तरीके से काम करता है, तो उसे भ्रष्ट कहा जाता है।

  • भारत भ्रष्टाचार के मामले में आज दुनिया में 85वें स्थान पर है।

भ्रष्टाचार के कई रूप हैं जैसे घूसखोरी, कालाबाज़ारी, जानबूझकर कीमत बढ़ाना, पैसे लेकर काम करना, सस्ता सामान लाना और महंगा बेचना आदि।

हालांकि ये सब बातें कही जाती हैं कि भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है, लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं है कि देश में भ्रष्टाचार कब कम होगा, लेकिन इसकी शुरुआत हम खुद से कर सकते हैं।

  • अगर हम देश को बचाना चाहते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ियों को उज्ज्वल भविष्य देना चाहते हैं तो समय रहते भ्रष्टाचार को रोकना जरूरी है।

भ्रष्टाचार पर निबंध / Bhrashtachar Par Nibandh – 2 (750 शब्दों में)

प्रस्तावना:

भ्रष्टाचार का सामान्य अर्थ भ्रष्ट आचरण या भ्रष्ट व्यवहार वाला व्यक्तित्व है। ऐसा व्यक्ति जो कानून और न्याय को अपने पैरों तले रौंदता है और अपने स्वार्थ के लिए कुछ काम करता है, वह भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।

हम आए दिन अखबारों और टीवी पर भ्रष्टाचार से जुड़ा कोई न कोई मुद्दा देखते हैं। किसी नेता ने घोटाला किया, किसी अधिकारी ने घूस लिया, कभी किसी कर्मचारी को घूस लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया, आदि समाचार कानों पर आते रहते हैं।

भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह है। आज भारत देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है और इसकी जड़ें तेजी से फैल रही हैं।

ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और देश में इस तरह की समस्या का समाधान भी जल्द खोजा जाना चाहिए। अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया तो यह पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेगा।

भ्रष्टाचार क्या होता है? 

भ्रष्टाचार एक ऐसी गतिविधि है जिसमें किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया जाता है।

इसमें विभिन्न प्रकार के अपराध शामिल हैं जैसे किसी भ्रष्ट व्यक्ति द्वारा सेवा के लिए धन की मांग करना, घोटाला करना, समर्थन धन की मांग करना, व्यक्तिगत लाभ के लिए अधिकार का दुरुपयोग करना, कनिष्ठ कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करना और अन्य अपराध।

भ्रष्टाचार क्यों पनपता है?

भ्रष्टाचार एक ऐसे व्यवहार को संदर्भित करता है जो अनैतिक है और किसी के निजी स्वार्थ के लिए किया जाता है। आज हमारा देश भ्रष्ट देशों की श्रेणी में विश्व में 85वें नंबर पर आता है।

हमारे देश में भ्रष्टाचार इतना अधिक क्यों बढ़ रहा है, इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं:-

  • देश का लचीला कानून – भ्रष्टाचार हर विकासशील देश की आम समस्या है, यहां भ्रष्टाचार का मुख्य कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर अधिकांश भ्रष्टाचारी कानूनी प्रक्रिया से सम्मान के साथ बरी हो जाते हैं, जिससे अपराधी को सजा का डर नहीं रहता। देश में भ्रष्टाचारियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में कानून तो हैं लेकिन भ्रष्टाचारियों पर प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं।
  • व्यक्ति का लालच – लोभ और असन्तोष ऐसे विकार हैं जो शिक्षित और बुद्धिमान व्यक्ति को भी बहुत ही तुच्छ कार्य करने के लिए विवश कर देते हैं। आमतौर पर हर व्यक्ति के मन में अपने धन को बढ़ाने की तीव्र इच्छा उत्पन्न होती है। नेता और वे सरकारी कर्मी भी इसी श्रेणी में आते हैं जिन्हें अच्छा पद और वेतन तो मिलता है लेकिन वे बिना पैसे लिए काम नहीं करते।
  • स्वार्थ और असमानता – कई बार आर्थिक, सामाजिक या सम्मान, पद-प्रतिष्ठा की असमानता के कारण व्यक्ति स्वयं को भ्रष्ट बना लेता है। हीनता और ईर्ष्या की भावना से ग्रसित व्यक्ति स्वयं को भ्रष्टाचार अपनाने के लिए बाध्य करता है। साथ ही रिश्वतखोरी, भाई-भतीजावाद आदि जैसे स्वार्थ हेतु भी भ्रष्टाचार को जन्म देते हैं।

हम भ्रष्टाचार से कैसे बचें?

अगर हमें और हमारी आने वाली पीढ़ियों को देश में फैले इस नासूर से बचना है तो सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा। यदि हम रिश्वत नहीं देते हैं तो जो लोग अवैध कार्य करते हैं या रिश्वत लेते हैं उनकी अनुचित मांग पर अंकुश लगाया जा सकता है।

लेकिन इसके लिए पहले हमें खुद को सुधारना होगा, उसके बाद हम लोगों को कह सकते हैं कि रिश्वत मत दो। कई बार हम भी इसके चंगुल में फंस जाते हैं और फिर सोचते हैं कि यह देश कभी नहीं सुधरेगा।

भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय

भ्रष्टाचार छूत की बीमारी की तरह है। आज भ्रष्टाचार का आलम यह है कि रिश्वतखोरी के मामले में जो व्यक्ति पकड़ा जाता है वह रिश्वत देने के बाद छूट भी जाता है। समाज के विभिन्न स्तरों पर फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त दंड-व्यवस्था की जानी चाहिए। 

भ्रष्टाचार को रोकने के निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं:

  • सख्त कानूनों और नियमों का उपयोग – सरकारों को सख्त कानूनों और नियमों को लागू करना चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार करने वालों को जल्द से जल्द और कड़ी से कड़ी सजा मिल सके।
  • जन जागरूकता – जनता को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। जब लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाते हैं, तो वे अपने अधिकारों की रक्षा करने में सक्षम हो जाते हैं।
  • निरपेक्षता – सरकारों और अधिकारियों को निरपेक्ष रहना चाहिए और सभी लोगों को समान रूप से न्याय दिलाने के लिए उन्हें अपने काम में सच्चाई और ईमानदारी का उपयोग करना चाहिए।
  • तकनीक में सुधार – भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तकनीक में निरंतर सुधार भी जरूरी है। सरकारों को ई-गवर्नेंस और ई-टेंडरिंग जैसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार के मामलों पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।

भ्रष्टाचार हमारे नैतिक मूल्यों पर सबसे बड़ा प्रहार है। भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अपने स्वार्थ में अंधे होकर देश का नाम बदनाम कर रहे हैं।

भ्रष्टाचार पर निबंध / Bhrashtachar Par Nibandh – 3 (950 शब्दों में)

हममें से अधिकांश लोग भ्रष्टाचार के लिए उच्च पदों पर बैठे राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि देश के आम नागरिक भी भ्रष्टाचार के विभिन्न रूपों में भागीदार हैं।

भ्रष्टाचार अवैध तरीकों से पैसा कमाना है, भ्रष्टाचार में व्यक्ति अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए सार्वजनिक धन, टैक्स और देश की संपत्ति का शोषण करता है।

यह देश की प्रगति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है। व्यक्ति भ्रष्ट तब होता है जब उसके आचार में दोष होता है, उसी प्रकार देश में भ्रष्टाचार की मात्रा बढ़ती है।

एक आकलन के अनुसार ब्रिटिश सत्ता के शासन काल में भारत में भ्रष्टाचार का स्तर बढ़ा और तब से इसने अपनी जड़ें और मजबूत कर ली हैं। सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत आज कई क्षेत्रों में पिछड़ा हुआ है और इसका मुख्य कारण उस क्षेत्र में फैला भ्रष्टाचार है।

स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए जिनमें लोकपाल अधिनियम और लोकायुक्त अधिनियम आदि जैसी नीतियां शामिल हैं।

भ्रष्टाचार का स्वरूप:

भ्रष्टाचार एक व्यापक शब्द है जो अनैतिक, गलत और अनुचित कार्यों का वर्णन करता है जो किसी भी संगठन या समाज में नैतिक मूल्यों और कानूनों के खिलाफ होते हैं।

भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में पाई जाती है। भ्रष्टाचार कई रूप ले सकता है, जैसे नकद लेनदेन, जालसाजी, अनैतिक व्यवहार और किसी नेता या अधिकारी का अपराध-घोटाला, व्यक्तिगत लाभ के लिए जनता को धोखा देना, और अनुचित नियंत्रण और प्रबंधन।

भ्रष्टाचार एक ऐसी अनैतिक प्रथा है, जिसमें व्यक्ति अपनी छोटी-छोटी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अपने देश और देशवासियों को घोर संकट में डालने से भी नहीं हिचकिचाता।

भ्रष्टाचारी संविधान के सभी नियमों की अवहेलना करके अपने निजी फायदे के लिए गलत तरीके से धन अर्जित करते हैं। यह एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक समस्या है जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उत्पीड़न का कारण बनती है।

भ्रष्टाचार के विभिन्न प्रकार:

  • रिश्वत का लेन-देन – दफ्तर में चपरासी से लेकर उच्चाधिकारी तक सरकारी काम कराने के लिए आपसे पैसे लेते हैं। दरअसल उन्हें आपके काम के लिए सरकार से वेतन मिलता है और हमारी मदद के लिए ही उन्हें नियुक्त किया जाता है। इसके साथ ही देश के नागरिक इन्हें अपना काम जल्दी करवाने के लिए पैसे भी देते हैं इसलिए यह आदत भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।
  • चुनावों में धांधली – अक्सर देखा जाता है कि देश में चुनाव के दौरान नेता खुलेआम लोगों को पैसे, तौफे, मादक पदार्थ और कई तरह के प्रलोभन देते हैं। यह आकर्षक चुनावी धांधली वास्तव में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।
  • भाई-भतीजावाद – बड़े पदों पर बैठे लोग अपने पद और ताकत का गलत इस्तेमाल कर भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देते हैं। ये अक्सर अपने किसी रिश्तेदार या मर्जी के व्यक्ति को उस पद की जिम्मेदारी दे देते हैं, जिसके वे हकदार भी नहीं होते। ऐसे में पात्र व्यक्ति उस अधिकार से वंचित हो जाता है।
  • नागरिकों द्वारा टैक्स चोरी – नागरिकों को कर चुकाने के लिए प्रत्येक देश में एक निश्चित पैमाना और समय सीमा निर्धारित की गई है। लेकिन कुछ लोग अपनी आय का सही ब्योरा सरकार को नहीं देते और टैक्स चोरी करते हैं। यह अनुचित कार्य भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में अंकित है।
  • शिक्षा और खेल के क्षेत्र में घूसखोरी – कई बार शिक्षा और खेल के क्षेत्र में चयनकर्ता रिश्वत लेकर मेधावी और योग्य उम्मीदवारों का चयन नहीं करते हैं, बल्कि उन्हें रिश्वत देने वालों का चयन किया जाता है।

भ्रष्टाचार के परिणाम क्या हैं?

भ्रष्टाचार के परिणाम बहुत हानिकारक होते हैं। इससे समाज, देश और जनता को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। इसकी अधिकता से गरीब और गरीब होता जा रहा है। देश में बेरोजगारी, धोखाधड़ी और आपराधिक मामलों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

किसी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार का परिणाम यह होता है कि विश्व स्तर पर देश की कानून व्यवस्था पर प्रश्न खड़े होते हैं, जिससे विश्व स्तर पर देश की छवि मलिन होती है।

भ्रष्टाचार देश के आर्थिक नुकसान का मुख्य कारण है। भ्रष्ट राजनेताओं और अधिकारियों द्वारा घोटालों, रिश्वतखोरी और अन्य प्रकार के भ्रष्टाचार के कारण देश अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने में असमर्थ हो जाता है।

भ्रष्टाचार सामाजिक मतभेदों का भी कारण बनता है। भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं द्वारा जनता के हितों की अनदेखी करने से उनमें आर्थिक और सामाजिक भेदभाव निर्माण होता है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • डिज़िटाइज़ेशन – सरकार द्वारा सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है, इससे घूसखोरी की मात्रा कम हुई है और सरकारी योजनाओं की सब्सिडी सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जाती है।
  • लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम – सरकार ने लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के माध्यम से लोकपाल और लोकायुक्तों के जनादेश का विस्तार किया है। इसमें भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए एक लोकपाल पद बनाया गया है।
  • जन लोकपाल अधिनियम – जन लोकपाल अधिनियम, 2011 के माध्यम से एक जन लोकपाल का पद स्थापित किया गया है, जो लोकतंत्र की सुरक्षा से संबंधित मामलों का आकलन करेगा।
  • राजस्व और कर सेवा आयोग – सरकार ने कर प्रणाली में सुधारों की सिफारिश करने के लिए राजस्व और कर सेवा आयोग का गठन किया है।
  • समर्थन प्रणाली को लोकप्रिय बनाया – सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ समर्थन पद्धति की शुरुआत की है। इस पद्धति के तहत लावारिस धन, चोरी या रिश्वतखोरी के तहत जुर्माना माफ करने के लिए लोग राशि जमा कर सकते हैं।

भ्रष्टाचार देश के विकास में लगा वह दीमक है जो देश को अंदर से खोखला कर रहा है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है जो दर्शाता है कि लोभ, असंतोष, आदत और महत्वकांशा जैसे विकारों के कारण व्यक्ति किस प्रकार अवसर का गलत लाभ उठा सकता है।

हर प्रकार का भ्रष्टाचार समाज और देश को बहुत नुकसान पहुंचाता है। समाज के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम सभी को यह प्रण लेना चाहिए कि भ्रष्टाचार न करें और न होने दें।

भ्रष्टाचार पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on corruption in Hindi)

  • भ्रष्टाचार का सामान्य अर्थ भ्रष्ट आचरण या भ्रष्ट व्यवहार वाला व्यक्तित्व है।
  • भ्रष्टाचार देश के विकास में मुख्य बाधाओं में से एक है।
  • दुराचारी अर्थात भ्रष्ट और बिगड़ैल व्यक्तित्व भष्ट की श्रेणी में आता है।
  • आज भारत देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है और इसकी जड़ें तेजी से फैल रही हैं।
  • भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अपने स्वार्थ में अंधे होकर देश का नाम बदनाम कर रहे हैं।
  • यदि हम रिश्वत नहीं देते हैं तो जो लोग अवैध कार्य करते हैं या रिश्वत लेते हैं उनकी अनुचित मांग पर अंकुश लगाया जा सकता है।
  • लेकिन इसके लिए पहले हमें खुद को सुधारना होगा, उसके बाद हम लोगों को कह सकते हैं कि रिश्वत मत दो।
  • समाज के विभिन्न स्तरों पर फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त दंड-व्यवस्था की जानी चाहिए।

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“भ्रष्टाचार पर हिंदी में निबंध” ब्लॉग पोस्ट उन व्यक्तियों के लिए एक उपयोगी है जो हिंदी में भ्रष्टाचार के विषय को समझने की इच्छा रखते हैं। यह इस मुद्दे के बारे में उपयोगी अंतर्दृष्टि और जानकारी प्रदान करता है, जिससे इस विषय में रुचि रखने वालों के लिए यह एक मूल्यवान पोस्ट बन जाता है।

आपके समर्थन के लिए धन्यवाद निहालजी!

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Corruption essay in Hindi – भ्रष्टाचार पर निबंध

Corruption Essay in Hindi: भ्रष्टाचार एक सामाजिक समस्या है जो भारतीय समाज के विकास और प्रगति में बाधक है। यह समस्या समाज के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे राजनीति, शिक्षा, न्यायपालिका, व्यवसाय और सार्वजनिक सेवाओं में पाई जाती है। भ्रष्टाचार देश की संपत्ति, सामाजिक न्याय और लोगों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध – Corruption essay in Hindi

किसी अधिकारी द्वारा किसी व्यक्ति का काम घुस लेकर गैर-कानूनी ढंग से करना भ्रष्टाचार कहलाता है. इसमें अधिकारी अपने कर्त्तव्य से विमुख होकर दूसरे का काम करता है और इसके लिए मुआवजा लेता है. व्यापक अर्थों में कर्त्तव्यों की अवहेलना भ्रष्टाचार के अन्तर्गत आती है.

भ्रष्टाचार की सर्वव्यापकता

भ्रष्टाचार न भारत के लिए नया है और न ही इसे आधुनिक युग की देन कहा जा सकता है. केवल मात्रा में अंतर के आधार पर ही हम इसकी बात कर सकते हैं. प्राचीन काल में राजा-महाराजाओं की कृपा से ही काम होते थे. उस समय चापलूसी के रूप में भ्रष्टाचार विद्यमान था. चाणक्य ने अपने ग्रन्थ ‘अर्थशास्त्र’ में दो हजार वर्ष से पूर्व भारत में भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी सजा की व्यवस्था की थी. राजा ने एक बार चाणक्य से पूछा कि क्या उसे पूरा यकीन है कि उसके अधिकारी और कर्मचारी जनता से जितना धन कर के रूप में वसूलते हैं, वह समूचा सरकारी खजाने में जमा हो जाता है? चाणक्य ने बड़े गंभीर स्वर में उत्तर दिया, “राजन! रानी मक्खी के आदेश पर श्रमिक मक्खियाँ फूलों से मधु एकत्र करके उसके छत्ते में जमा करती हैं. ऐसा करते समय रास्ते में वे कितना मधु स्वयं खा लेती हैं, कौन बता सकता है? इसका स्पष्ट अर्थ है कि उस प्राचीन काल में भी कुछ-न-कुछ भ्रष्टाचार अवश्य था, तभी कड़ी सजा की व्यवस्था और इस प्रकार के शक की गुंजाइश थी. जब किसी व्यक्ति के पास दूसरों की आवश्यकता को पूरा करने की शक्ति होती है, तो लाभ पहुँचाने के बदले वह कुछ-न-कुछ धन प्राप्त करता ही है. जब तक इसे समाज और देश के कानूनों से मान्यता प्राप्त रहती है, यह उचित है. इसके बाहर यह भ्रष्टाचार कहलाता है. महान राष्ट्र और बड़ी-बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियाँ और एजेन्सियाँ तक अपने लाभ के लिए भ्र्ष्टाचार का सहारा लेती हैं. 

corruption essay in hindi

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भारत में स्थिति  

भारत में आजकल भ्रष्टाचार का सर्वत्र बोलबाला दिखाई देता है. राष्ट्रीय गतिविधियों का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा छूटा हो, जहाँ भ्रष्टाचार न हो. बिना घूंस दिए हम शायद ही कोई काम किसी दफ्तर से करा सकें. न्यायोचित कामों को भी शीघ्र कराने के लिए हमें मुट्ठी गर्म करनी पड़ती है. किसी बड़े अधिकारी से चपरासी के हाथ में कुछ थमाये बिना हम शायद ही भेंट कर सकें. ऐसा लगता है कि घुस के बिना कुछ भी करा पाना संभब नहीं है. और ये कड़वा सच है.

कोई ईमानदार व्यक्ति आज भारत में खुली हवा में सांस तक नहीं ले सकता. चाहे रेलों में यात्रा का प्रश्न हो, स्कूलों में दाखिले की आवश्यकता हो अथवा कचहरी में कोई काम हो, घुस के बिना काम नहीं चलता. यह तो संभब है कि आप स्वयं घूंस न लें, लेकिन बिना घूंस दिए सरकारी कार्यालयों में प्रार्थनापत्र आदि एक मेज से दूसरी मेज तक नहीं पहुँचते. घूंस का पहिया लगाकर जितनी जल्दी चाहो, काम पूरा हो सकता है.

भ्रष्टाचार के कारण

आज के युग में व्याप्त भ्रष्टाचार के अनेक कारण है. सबसे पहला कारण सदियों की गुलामी से देश का नैतिक पतन है. दूसरा प्रमुख कारण यह है कि हमारे नेताओं ने आजादी के बाद हमारे सामने ईमानदारी की कोई अच्छी छवि नहीं रखी. आये दिन संसदों और विधानमण्डलों में उनके भ्रष्टाचार में लीन होते जा रहे हैं. देश के कानूनों में जटिलता, लाल फीताशाही, कोटा, परमिट, कंट्रोल और लाइसेंसों की प्रथा ने भी भ्रष्टाचार को व्यापक रूप से फैलाने में बड़ी मदद की है. 

समस्या का समाधान

भ्रष्टाचार पर कारगर नियंत्रण के बिना देश की उन्नति नहीं हो सकती. भ्रष्टाचार के कारण देश की योजनाओं का लाभ गरीब जनता तक नहीं पहुँच पाता. अतः इसे देश से समूल नाश करने की बड़ी आवश्यकता है. इसका समाधान आसान नहीं है. इसके लिए हमें जनता का नैतिक बल बढ़ाकर उनका चरित्र-निर्माण करना पड़ेगा. राष्ट्रीय नेताओं को अपनी ईमानदार और उज्जवल छवि प्रस्तुत करनी पड़ेगी, तभी वे कड़ाई से इसके खिलाफ व्यापक अभियान चला पायेंगे. सभी लोगों को मिलकर देश में एक ऐसे स्वस्थ वातावरण का निर्माण करना चाहिए जिसमें ईमानदार व्यक्ति सम्मानित हो सकें और बेईमान तथा भ्रष्टाचार लोगों का पर्दाफाश करके उन्हें समाज से बहिष्कृत किया जाये. लोगों को प्रण लेना चाहिए कि वे अपनी तनिक सुविधा के लिए किसी प्रकार की घुस नहीं देंगे.

भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के बाद हमारा देश अपना खोया हुआ गौरव आसानी से पा सकेगा और हम संसार के समक्ष अपना सिर गर्व से पुनः ऊँचा उठा सकेंगे.

भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है जिसका समाज में गहरा प्रभाव होता है। इसके निवारण के लिए सभी समाज के सदस्यों को मिलकर काम करना आवश्यक है। न्याय, ईमानदारी, और सशक्त संविदानिक प्रणाली के माध्यम से हम भ्रष्टाचार को परास्त कर सकते हैं और समृद्धि की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।

तो ये था हमारा लेख भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption essay in हिंदी) कैसे लिखें। उम्मीद है ये लेख पढ़ने के बाद आप भ्रष्टाचार पर अच्छे से निबंध लिख पाएंगे।

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By: Amit Singh

भूमिकाः भ्रष्टाचार समाज पर एक अभिशाप से कम नहीं है। भ्रष्टाचार के अंतर्गत व्यक्ति अनुचित लाभ के लिए लोगों की मजबूरी, संसाधनों का गलत फायदा उठाता है। आज भ्रष्टाचार की वजह से भी कहीं न कही समाज में समुदायों के बीच की खाई चौङी हो चुकी है। भ्रष्टाचार की वजह से देश के विकास में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रभाव पङता है।

भ्रष्टाचार का क्या अर्थ है

भ्रष्टाचार दो शब्दों ‘भ्रष्ट+आचार’ के मेल से बना है जिसमें ‘भ्रष्ट’ का अर्थ है बुरा और ‘आचार’ से अभिप्राय आचरण से है। इस तरह भ्रष्टाचार का अर्थ हुआ ऐसा आचरण जो बुरा हो। वहीं भ्रष्टाचार करने वाले व्यक्ति को भ्रष्टाचारी कहा जाता है। भ्रष्टाचारी एक ऐसा व्यक्ति होता है जो अपने स्वार्थों की पुर्ति के लिए गलत आचरण रखता है। वह न्याय व्यवस्था के विरुद्ध जाते हुए अपने हितों को साधता है।

भ्रष्टाचार कईं अलग-अलग तरीके से किया जाता है। कोई काला-बाजारी, चोरी, रिश्वत तो, चीजों के ज्यादा दाम लेना, गरीबों का पैसा हङपना जैसे हथकंडो के जरिए भ्रष्टाचार को अंजाम देता है।

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भ्रष्टाचार के तरीकें

भ्रष्टाचार को कई तरीको के जरिए अंजाम दिया जाता है। आइए जानते हैं इसके विभिन्न प्रकारो के बारें में-

  • चुनावी धांधली- आजकल देश में होने वाले चुनावों में कई तरह की धांधलियां की जाती है। जैसे कि लोगों से शराब और पैसों के बदले वोट खरीदना।
  • रिश्वत लेना- रिश्वत के लेन-देन की प्रक्रिया तो आजकल हर जगह विध्यमान है। लेकिन अकसर सरकारी कार्यालयों में रिश्वत लेने के मामले सामने आते हैं।
  • कई बार गैर-सरकारी संगठनों में रिश्वत लेने के मामले भी सामने आएं है। नौकरी के लिए भी कई असक्षम लोग घूस देकर उच्च पदों पर काबिज हो जाते है। जबकि काबिल लोग नौकरी की तलाश में दर-दर भटकते हैं।
  • टैक्स न देना- लेकिन जरूरी नहीं की भ्रष्टाचार सिर्फ उच्च पदों पर बैठे लोगों द्वारा ही किया जाता है। ब्लकि जो नागरिक टैक्स का भुगतान नहीं करते वे भी एक तरह से भ्रष्टाचार ही कर रहें हैं।

Essay on Corruption in Hindi

भ्रष्टाचार के क्या कारण होते हैं ?

यूं तो प्रत्येक व्यक्ति भ्रष्टाचार के प्रमुख कारणों से वाकिफ है। लेकिन इनके अलावा भी भ्रष्टाचार के पीछे कई कारण विद्यमान है तो चलिए इन कारणों को भी जान लेते हैः-

  • देश का कमजोर कानून- भ्रष्टाचार को लेकर ओर भी ज्यादा कङे कानून बनाने जरूरी है।
  • लालच या स्वार्थ- अधिकतर भ्रष्टाचारी लोभ और स्वार्थ में आकर भ्रष्टाचार करते हैं। इस तरह के लोग अपने लालच में अंधे होकर गरीब, लाचार और बेसहारा लोगों का हक छिनने से नहीं कतरातें।
  • सामाजिक और आर्थिक प्रतिष्ठा- लोगों में सामाजिक प्रतिष्ठा और आर्थिक सम्पन्नता हासिल करने की होङ-सी लगी हुई है। कोई भी व्यक्ति इन दोनों मामलों में किसी से पीछे नहीं होना चाहता। यही वजह है कि वे इस प्रतिष्ठा को हासिल करने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं।
  • पद और प्रतिष्ठा- राजनीति में पद व औहदे के हिसाब से लोगों को तौला जाता है। और उच्चतम पद को हासिल करने के लिए व्यक्ति खुद को भ्रष्ट बना लेता है।
  • ईर्ष्या- दुसरों की प्रगति से जलना प्रत्येक इंसान की फितरत होती है। ईर्ष्या की भावना का शिकार हुआ व्यक्ति अक्सर भ्रष्टाचार की राह में चल देता है।
  • असंतोष- कई बार ऐसा भी होता है जब व्यक्ति किसी असंतोष या अभाव के चलते भ्रष्टाचार को अपना लेता है।

भ्रष्टाचार के परिणाम

भ्रष्टाचार ने हमेशा हमारे समाज तथा देश में नकारात्मक प्रभाव डाला है। आइए जानते हैं इसके कुछ दुष्परिणामों के बारे में-

  • सक्षम और योग्य लोगों को उचित अवसर न मिलना।
  • लोगों में असमानता की खाई का चौङा होना। भ्रष्टाचार की वजह से गरीबों और अमीरों के बीच असमानता और भी बङी होती है।
  • लोगों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पङता है।
  • इससे देश की अर्थव्यवस्था पर बूरा प्रभाव पङता है। देश में काले धन में बढोतरी होती है।
  • भ्रष्टाचार की वजह से अधिक से अधिक लोग बेरोजगार होते हैं।
  • भ्रष्टाचार देश के विकास को भी रोकता है। क्योंकि इसकी वजह से लोगों में कामचोरी , निकम्मापन जैसी प्रवृति पनपने लगती है।

भ्रष्टाचार को कैसे रोकें ?

भ्रष्टाचार को कई उपायों को अपनाकर रोका जा सकता है। आइए जानते हैं उनके बारे में।

कठोर दंड व्यवस्था – भ्रष्टाचार रोकने के लिए कठोर दंड व्यवस्था का प्रावधान किया जाना चाहिए। क्योंकि जब लोगों में कानून का डर होगा तभी वे इस तरह के गैरकानूनी कृत्य करने से डरेंगे।

डिजिटलीकरण को बढावा देकर – अगर हम डिजिटलीकरण को बढावा देतें हैं तो इसके जरिए भ्रष्टाचार में कमी लाई जा सकती है। क्योंकि जब पैसों के लेन-देन में तीसरे व्यक्ति की आवश्यक्ता ही नहीं होगी तो रिश्वत और घूसखोरी की नोबत ही नहीं आएगी।

गैरकानूनी कारखानों पर ताला – गैरकानूनी कारखानों पर किसी भी तरह की कार्यवाही से बेहतर है कि उन्हें बंद कर दिया जाए। जिससे अन्य लोग भी इसे उदाहरण के तौर पर कुछ सीख सकें।  

पारदर्शिता – सरकारी कामकाज में गोपनीयता रखने के बजाय जनता के समक्ष प्रत्येक कार्य का लेखा-जोखा रखना चाहिए।

जागरुकता – भ्रष्टाचार को लेकर जितने ज्यादा से ज्यादा लोग जागरुक होंगे उतना ही प्रभावी तरीके से हम इसकी रोकथाम कर सकेंगे।

ऐसा नहीं है कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कोई कदम अभी तक नहीं उठाएं गए है। दरअसल, भ्रष्टाचार को लेकर कई कानून बनाएं गए है जिनमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 , धन शोधन निवारण अधिनियम, कंपनी अधिनियम, विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम 2010 आदि प्रमुख हैं।

भारत में भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार देश-दुनिया के कोने-कोने में विध्यमान है। भारत जैसे विकासशील देश में तो भ्रष्टाचार विकराल रुप धारण कर चुका है। आकङों की माने तो आज भारत भ्रष्टाचार के मामले में 94वें स्थान पर पहुंच चुका है।

अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस

भ्रष्टाचार सिर्फ भारत में ही नहीं ब्लकि पूरे विश्वभर में विद्धमान है। इसलिए दुनियाभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 9 दिसंबर को भ्रष्टाचार विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, इस दिन को मनाने का क्षेय संयुक्त राष्ट्र को जाता है जिसने 31 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार दिवस मनाएं जाने की घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र संघ का कहना है कि भ्रष्टाचार एक जघन्य अपराध है और यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार यह दिन, यह देखने के लिए भी मनाया जाता है कि विभिन्न देशों की सरकारें भ्रष्टाचार को लेकर क्या कदम उठा रहीं हैं। इसके साथ ही विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार की स्थिति को जानने के लिए प्रत्येक वर्ष करप्शन परसेप्शन इंडेक्स नाम से एक रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है। इस रिपोर्ट से यह पता चलता है कि विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए क्या कदम उठाया गया है और इन देशों में भ्रष्टाचार की क्या स्थिति है।

इस साल आए इस रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के मामले में 194 देशों में से भारत 82वें स्थान पर है। जो कि काफी चिंताजनक है। पिछले वर्ष की रिपोर्ट में भारत भ्रष्टाचार के मामले में 77वें स्थान पर था। लेकिन इस बार वह 5 पायदान नीचे खिसक गया है।

उपसंहार – भ्रष्टाचार एक संक्रामक रोग की तरह पूरे विश्वभर में फैल रहा है। भ्रष्टाचार की जङे भारत में भी काफी ज्यादा मजबूत हो चूंकि है। भ्रष्टाचार की स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो गई है कि आज रिश्वत लेने के मामले में पकङा गया व्यक्ति फिर रिश्वत देकर छूट जाता है।

अगर भ्रष्टाचार को लेकर कङे कानून नहीं बनाएं जाते तो यह धीरे-धीरे पूरे देश को खोखला कर देगा। कङे कानून के साथ इसे लेकर जागरूकता भी फैलानी चाहिए।

Essay on Corruption in Hindi | भ्रष्टाचार पर निबंध व भाषण | Speech on Corruption / Bhrashtachar – video

सामाजिक मुद्दों पर निबंध | Samajik nyay

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भ्रष्टाचार पर निबंध | Essay on Corruption in Hindi Language

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Here is a compilation of Essays on ‘Corruption’ for Class 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Corruption’ especially written for School and College Students in Hindi Language.

List of Essays on Corruption

Essay Contents:

  • प्रशासन में भ्रष्टाचार: एक गंभीर चुनौती ।  Essay on Corruption: A Serious Challenge for College Students in Hindi Language

1. भ्रष्टाचार । Essay on Corruption in Hindi Language

1. प्रस्तावना ।

2. भ्रष्टाचार का अर्थ तथा स्वरूप ।

3. भ्रष्टाचार के कारण ।

4. भ्रष्टाचार रोकने के उपाय ।

5. भ्रष्टाचार का प्रभाव ।

6. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

ADVERTISEMENTS:

प्रत्येक देश अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता तथा चरित्र के कारण पहचाना जाता है । भारत जैसा देश अपनी सत्यता, ईमानदारी, अहिंसा, धार्मिकता, नैतिक मूल्यों तथा मानवतावादी गुणों के कारण विश्व में अपना अलग ही स्थान रखता था, किन्तु वर्तमान स्थिति में तो भारत अपनी संस्कृति को छोड़कर जहां पाश्चात्य सभ्यता को अपना रहा है, वहीं भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में वह विश्व का पहला राष्ट्र बन गया है । हमारा राष्ट्रीय चरित्र भ्रष्टाचार का पर्याय बनता जा रहा है ।

2. भ्रष्टाचार का अर्थ तथा स्वरूप:

भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिलकर बना है-भ्रष्ट और आच२ण, जिसका शाब्दिक अर्थ है: आचरण से भ्रष्ट और पतित । ऐसा व्यक्ति, जिसका आचार पूरी तरह से बिगडू गया है, जो न्याय, नीति, सत्य, धर्म तथा सामाजिक, मानवीय, राष्ट्रीय मूल्यों के विरुद्ध कार्य करता है ।

भारत में भ्रष्टाचार मूर्त और अमूर्त दोनों ही रूपों में नजर आता है । यहां भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी अधिक गहरी हैं कि शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र बचा हो, जो इससे अछूता रहा है । राजनीति तो भ्रष्टाचार का पर्याय बन गयी है ।

घोटालों पर घोटाले, दलबदल, सांसदों की खरीद-फरोख्त, विदेशों में नेताओं के खाते, अपराधीकरण-ये सभी भ्रष्ट राजनीति के सशक्त उदाहरण हैं । चुनाव जीतने से लेकर मन्त्री पद हथियाने तक घोर राजनीतिक भ्रष्टाचार दिखाई पड़ता है । ठेकेदार, इंजीनियर निर्माण कार्यो में लाखों-करोड़ों का हेरफेर कर रकम डकार जाते हैं ।

शिक्षा विभाग भी भ्रष्टाचार का केन्द्र बनता जा रहा है । एडमिशन से लेकर समस्त प्रकार की शिक्षा प्रक्रिया तथा नौकरी पाने तक, ट्रांसफर से लेकर प्रमोशन तक परले दरजे का भ्रष्टाचार मिलता है । पुलिस विभाग भ्रष्टाचार कर अपराधियों को संरक्षण देकर अपनी जेबें गरम कर रहा है ।

चिकित्सा विभाग में भी भ्रष्टाचार कुछ कम नहीं है । बैंकों से लोन लेना हो, पटवारी से जमीन की नाप-जोख करवानी हो, किसी भी प्रकार का प्रमाण-पत्र इत्यादि बनवाना हो, तो रिश्वत दिये बिना तो काम नहीं

होता । खेलों में भी खिलाड़ी के चयन से लेकर पुरस्कार देने तक भ्रष्टाचार देखने को मिलता है । इस तरह सभी प्रकार के पुरस्कार, एवार्ड आदि में भी किसी-न-किसी हद तक भ्रष्टाचार होता ही रहता है ।

मजाल है कि हमारे देश में कोई भी काम बिना किसी लेन-देन के हो जाये । सरकारी योजनाएं तो बनती ही हैं लोगों की भलाई के लिए, किन्तु उन योजनाओं में लगने वाला पैसा जनता तक पहुंचते-पहुंचते कौड़ी का रह जाता है । स्वयं राजीव गांधी ने एक बार कहा था: ”दिल्ली से जनता के विकास कें लिए निकला हुआ सौ रुपये का सरकारी पैसा उसके वास्तविक हकदार तक पहुंचते-पहुंचते दस पैसे का हो जाता है ।”

3. भ्रष्टाचार के कारण:

भ्रष्टाचार के कारण हैं: 1. नैतिक मूल्यों में आयी भारी गिरावट ।

2. भौतिक विलासिता में जीने तथा ऐशो-आराम की आदत ।

3. झूठे दिखावे व प्रदर्शन के लिए ।

4. झूठी सामाजिक प्रतिष्ठा पाने के लिए ।

5. धन को ही सर्वस्व समझने के कारण ।

6. अधर्म तथा पाप से बिना डरे बेशर्म चरित्र के साथ जीने की मानसिकता का होना ।

7. अधिक परिश्रम किये बिना धनार्जन की चाहत ।

8. राष्ट्रभक्ति का अभाव ।

9. मानवीय संवेदनाओं की कमी ।

10. गरीबी, भूखमरी तथा बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, जनसंख्या वृद्धि तथा व्यक्तिगत स्वार्थ की वजह से ।

11. लचीली कानून व्यवस्था ।

4. भ्रष्टाचार को दूर करने के उपाय:

भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए उल्लेखित सभी कारणों पर गम्भीरतापूर्वक विचार करके उसे अपने आचरण से निकालने का प्रयत्न करना होगा तथा जिन कारणों से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है, उनको दूर करना होगा ।

अपने राष्ट्र के हित को सर्वोपरि मानना होगा । व्यक्तिगत स्वार्थ को छोड़कर भौतिक विलासिता से भी दूर रहना होगा । ईमानदार लोगों की अधिकाधिक नियुक्ति कर उन्हें पुरस्कृत करना होगा । भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कठोर कानून बनाकर उन्हें उचित दण्ड देना होगा तथा राजनीतिक हस्तक्षेप को पूरी तरह से समाप्त करना होगा ।

5. भ्रष्टाचार का प्रभाव:

भ्रष्टाचार के कारण जहां देश के राष्ट्रीय चरित्र का हनन होता है, वहीं देश के विकास की समस्त योजनाओं का उचित पालन न होने के कारण जनता को उसका लाभ नहीं मिल पाता । जो ईमानदार लोग होते हैं, उन्हें भयंकर मानसिक, शारीरिक, नैतिक, आर्थिक, सामाजिक यन्त्रणाओं का सामना करना पड़ता है ।

अधिकांश धन कुछ लोगों के पास होने पर गरीब-अमीर की खाई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है । समस्त प्रकार के करों की चोरी के कारण देश को भयंकर आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है । देश की वास्तविक प्रतिभाओं को धुन लग रहा है । भ्रष्टाचार के कारण कई लोग आत्महत्याएं भी कर रहे हैं ।

6. उपसंहार:

भ्रष्टाचार का कैंसर हमारे देश के स्वास्थ्य को नष्ट कर रहा है । यह आतंकवाद से भी बड़ा खतरा बना हुआ है । भ्रष्टाचार के इस दलदल में गिने-चुने लोगों को छोड्‌कर सारा देश आकण्ठ डूबा हुआ-सा लगता

है । कहा भी जा रहा है: ‘सौ में 99 बेईमान, फिर भी मेरा देश महान ।’ हमें भ्रष्टाचार रूपी दानव से अपने देश को बचाना होगा ।

2. भ्रष्टाचार का बढ़ता मर्ज । Essay on Corruption for School Students in Hindi Language

भ्रष्टाचार (Corruption) रूपी बुराई ने कैंसर की बीमारी का रूप अख्तियार कर लिया है । ‘मर्ज बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों दवा की’ वाली कहावत इस बुराई पर भी लागू हो रही है । संसद ने, सरकार ने और प्रबुद्ध लोगों व संगठनों ने इस बुराई को खत्म करने के लिए अब तक के जो प्रयास किए हैं, वे अपर्याप्त सिद्ध हुए हैं ।

इस क्रम में सबसे बड़ी विडंबना यह है कि समाज के नीति-निर्धारक राजनेता भी इसकी चपेट में बुरी तरह आ गए हैं । असल में भ्रष्टाचार का मूल कारण नैतिक मूल्यों (Moral Values) का पतन, भौतिकता (धन व पदार्थों के अधिकाधिक संग्रह और पैसे को ही परमात्मा समझा लेने की प्रवृत्ति) और आधुनिक सभ्यता से उपजी भोगवादी प्रवृत्ति है ।

भ्रष्टाचार अनेक प्रकार का होता है तथा इसके करने वाले भी अलग-अलग तरीके से भ्रष्टाचार करते हैं । जैसे आप किसी किराने वाले को लीजिए जो पिसा धनिया या हल्दी बेचता है । वह धनिया में घोड़े की लीद तथा हल्दी में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर अपना मुनाफा बढ़ाता है और लोगों को जहर खिलाता है ।

यह मिलावट का काम भ्रष्टाचार है । दूध में आजकल यूरिया और डिटर्जेन्ट पाउडर मिलाने की बात सामने आने लगी है, यह भी भ्रष्टाचार है । बिहार में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं । यूरिया आयात घोटाला भी एक भ्रष्टाचार के रूप में सामने आया है । केन्द्र के कुछ मंत्रियों के काले-कारनामे चर्चा का विषय बने हुए हैं ।

सत्ता के मोह ने बेशर्मी ओढ़ रखी है । लोगों ने राजनीति पकड़ कर ऐसे पद हथिया लिए हैं जिन पर कभी इस देश के महान नेता सरदार बल्लभभाई पटेल, श्री रफी अहमद किदवई, पं॰ गोविन्द बल्लभ पंत जैसे लोग सुशोभित हुए थे ।

आज त्याग, जनसेवा, परोपकार, लोकहित तथा देशभक्ति के नाम पर नहीं, वरन् लोग आत्महित, जातिहित, स्ववर्गहित और सबसे ज्यादा समाज विरोधी तत्वों का हित करके नेतागण अपनी कुर्सी के पाए मजबूत कर रहे हैं ।

भ्रष्टाचार करने की नौबत तब आती है जब मनुष्य अपनी लालसाएं इतनी ज्यादा बढ़ा लेता है कि उनको पूरा करने की कोशिशों में उसे भ्रष्टाचार की शरण लेनी पड़ती है । बूढ़े-खूसट राजनीतिज्ञ भी यह नहीं सोचते कि उन्होंने तो भरपूर जीवन जी लिया है, कुछ ऐसा काम किया जाए जिससे सारी दुनिया में उनका नाम उनके मरने के बाद भी अमर रहे ।

रफी साहब की खाद्य नीति को आज भी लोग याद करते हैं । उत्तर प्रदेश के राजस्व मंत्री के रूप में उनका किया गया कार्य इतना लंबा समय बीतने के बाद भी किसान गौरव के साथ याद करते हैं । आज भ्रष्टाचार के मोतियाबिन्द से हमें अच्छाई नजर नहीं आ रही । इसीलिए सोचना जरूरी है कि भ्रष्टाचार को कैसे मिटाया जाए ।

इसके लिए निम्नलिखित उपाय काफी सहायक सिद्ध हो सकते हैं:

1. लोकपालों को प्रत्येक राज्य, केन्द्रशासित प्रदेश तथा केन्द्र में अविलम्ब नियुक्त किया जाए जो सीधे राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी हों । उसके कार्य-क्षेत्र में प्रधानमंत्री तक को शामिल किया जाए ।

2. निर्वाचन व्यवस्था को और भी आसान तथा कम खर्चीला बनाया जाए ताकि समाज-सेवा तथा लोककल्याण से जुड़े लोग भी चुनावों में भाग ले सकें ।

3. भ्रष्टाचार का अपराधी चाहे कोई भी व्यक्ति हो, उसे कठोर से कठोर दण्ड दिया जाए ।

4. भ्रष्टाचार के लिए कठोर दण्ड देने का कानून बनाया जाए तथा ऐसे मामलों की सुनवाई ऐसी जगह की जाए जहां भ्रष्टाचारियों के कुत्सित कार्यों की आम जनता को भी जानकारी मिल सके और वह उससे सबक भी ले सके ।

5. हाल ही में बनाए गए सूचना के अधिकार कानून का सफलतापूर्वक प्रयोग किया जाए तथा सभी संबंधित लोगों द्वारा जवाबदेही सुनिश्चित की जाए ।

सामाजिक बहिष्कार कानून भी ज्यादा प्रभावकारी होता है । ऐसे लोगों के खिलाफ जगह-जगह प्रदर्शन तथा आन्दोलन किए जाने चाहिए ताकि भ्रष्टाचारियों को पता चले कि उनके काले कारनामे दुनिया जान चुकी है और जनता उनसे नफरत करती है ।

3. भ्रष्टाचार की समस्या । Essay on the Problem of Corruption for College Students in Hindi Language

मनुष्य एक सामाजिक, सभ्य और बुद्धिमान प्राणी है । उसे अपने समाज में कई प्रकार के लिखित-अलिखित नियमों अनुशासनों और समझौतों का उचित पालन और निर्वाह करना होता है । उससे अपेक्षा होती है कि वह अपने आचरण-व्यवहार को नियंत्रित और संतुलित रखे जिससे किसी अन्य व्यक्ति को उसके व्यवहार अथवा कार्य से दुख न पहुँचे किसी की भावनाओं को ठेस न लगे ।

इसके विपरीत कुछ भी करने से मनुष्य भ्रष्ट होने लगता है और उसके आचरण और व्यवहार को सामान्य अर्थों में भ्रष्टाचार कहा जाता है । जब व्यक्ति के भ्रष्ट आचरण और व्यवहार पर समाज अथवा सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहता तब यह एक भयानक रोग की भांति समाज और देश को खोखला बना डालता है ।

हमारा समाज भी इस बुराई के शिकंजे में बुरी तरह जकड़ा हुआ है और लोगों का नैतिक मूल्यों से मानो कोई संबंध ही नहीं रह गया है । हमारे समाज में हर स्तर पर फैल रहे भ्रष्टाचार की व्यापकता में निरंतर वृद्धि हो रही है । भ्रष्टाचार के विभिन्न रूप-रंग हैं और इसी प्रकार नाम भी अनेक हैं ।

उदाहरणस्वरूप रिश्वत लेना, मिलावट करना, वस्तुएँ ऊँचे दामों पर बेचना, अधिक लाभ के लिए जमाखोरी करना अथवा कालाबाजारी करना और स्मग्लिंग करना आदि विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचारों के अंतर्गत आता

है । आज विभिन्न सरकारी कार्यालयों नगर-निगम या अन्य प्रकार के सरकारी निगमों आदि में किसी को कोई छोटा-सा एक फाइल को दूसरी मेज तक पहुँचाने जैसा काम भी पड़ जाए तो बिना रिश्वत दिए यह संभव नहीं हो पाता ।

किसी पीड़ित को थाने में अपनी रिपोर्ट दर्ज करानी हो कहीं से कोई फॉर्म लेना या जमा कराना हो लाइसेंस प्राप्त करना हो अथवा कोई नक्शा आदि पास करवाना हो तो बिना रिश्वत दिए अपना काम कराना संभव नहीं हो पाता । किसी भी रूप में रिश्वत लेना या देना भ्रष्टाचार के अंतर्गत ही आता है ।

आज तो नौबत यह है कि भ्रष्टाचार और रिश्वत के अपराध में पकड़ा गया व्यक्ति रिश्वत ही देकर साफ बच निकलता है । इस प्रकार का भ्रष्टाचार रात-दिन फल-फूल रहा है । भ्रष्टाचार में वृद्धि होने से आज हमारी समाज व्यवस्था के सम्मुख गंभीर चुनौती उत्पन्न हो गई है ।

भ्रष्टाचार के बढ़ने की एक बहुत बड़ी वजह हमारी शासन व्यवस्था की संकल्पविहीनता तो रही है, ही परंतु यदि हम इस समस्या का ध्यान से विश्लेषण करें तो इसका मूल कारण कुछ और ही प्रतीत होता है ।

वास्तव में मनुष्य के मन में भौतिक सुख-साधनों को पाने की लालसा निरंतर बढ़ती ही जा रही है ।

इस लालसा में विस्तार होने के कारण मनुष्य में लोक-लाज तथा परलोक का भय कम हुआ है और वह स्वार्थी अनैतिक और भौतिकवादी हो गया है । आज वह विभिन्न प्रकार के भौतिक और उपभोक्ता पदार्थों को एकत्रित करने की अंधी दौड़ में शामिल हो चुका है । इसका फल यह हुआ है कि उसका उदार मानवीय आचरण-व्यवहार एकदम पीछे छूट गया है ।

अब मनुष्य लालचपूर्ण विचारों से ग्रस्त है और वह रात-दिन भ्रष्टाचार के नित-नए तरीके खोज रहा है । खुद को पाक-साफ मानने वाले हम सभी आम जन भी प्राय: भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में सहायक बन जाते हैं । हम स्वयं भी जब किसी काम के लिए किसी सरकारी कार्यालय में जाते हैं तो धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करना हमें कठिन-सा लगने लगता है ।

किसी कार्य में हो रही अनावश्यक देरी का कारण जानने और उसका विरोध करने का साहस हम नहीं जुटा पाते । इसके बजाय कुछ ले-देकर बल्कि किसी बात की परवाह किए बिना हम सिर्फ अपना काम निकालना चाहते हैं ।

आम लोगों का ऐसा आचरण भ्रष्टाचार को प्रश्रय और बढ़ावा ही देता है और ऐसे में यदि हम ही भ्रष्टाचार के विरुद्ध कुछ कहें अथवा उसे समाप्त करने की बातें करें तो यह किसी विडंबना से कम नहीं है । भ्रष्टाचार के निवारण के लिए सहज मानवीय चेतनाओं को जगाने नैतिकता और मानवीय मूल्यों की रक्षा करने आत्मसंयम अपनाकर अपनी भौतिक आवश्यकताओं को रखने तथा अपने साथ-साथ दूसरों का भी ध्यान रखने की भावना का विकास करने की आवश्यकता है ।

सहनशीलता धैर्य को अपनाना तथा भौतिक और उपभोक्ता वस्तुओं के प्रति उपेक्षा का भाव विकसित करना भी भ्रष्टाचार को रोकने में सहायक सिद्ध हो सकता है । अन्य उपायों के अंतर्गत सक्षम व दृढनिश्चयी शासन-प्रशासन का होना अति आवश्यक है ।

शासन-प्रशासन की व्यवस्था से जुड़े सभी व्यक्तियों का अपना दामन अनिवार्य रूप से पाक-साफ रखना चाहिए । आज के संदर्भों में अगली बार सत्ता मिले या न मिले नौकरी रहे या जाए लेकिन प्रशासन और शासन व्यवस्था को पूरी तरह स्वच्छ व पारदर्शी बनाना ही है, इस प्रकार का संकल्प लेना अति आवश्यक हो गया है ।

इन उपायों से डतर प्रप्टाचार पर नियंत्रण या उसके उन्यूलन का कोई और संभव उपाय फिलहाल नजर नहीं आता । भ्रष्टाचार से व्यक्ति और समाज दोनों की आत्मा मर जाती है । इससे शासन और प्रशासन की नींव कमजोर पड़ जाती है जिससे व्यक्ति । समाज और देश की प्रगति की सभी आशाएँ व संभावनाएँ धूमिल पड़ने लगती है ।

अत: यदि हम वास्तव में अपने देश समाज और संपूर्ण मानवता की प्रगति और विकास चाहते हैं तो इसके लिए हमें हर संभव उपाय करके सर्वप्रथम भ्रष्टाचार का उन्यूलन करना चाहिए केवल तब ही हम चहुमुखी विकास और प्रगति के अपने स्वप्न को साकार कर सकेंगे ।

4. भ्रष्टाचार : राष्ट्र के विकास में बाधक | Corruption : Hurdle in the Path of National Development in Hindi Language

अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए अपने पद का दुरुपयोग करना और अनुचित ढंग से धन कमाना ही भ्रष्टाचार है । हमारे देश में विशेषतया सरकारी विभागों में अधिकांश कर्मचारी और अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं । चपरासी हो या उच्च अधिकारी, सभी अपने पद का दुरुपयोग करके धन-सम्पत्ति बनाने में लगे हुए हैं ।

सरकारी विभागों में रिश्वत के बिना कोई भी कार्य कराना आम आदमी के लिए सम्भव नहीं रहा है । कानून बनाने वाले और कानून के रक्षक होने का दावा करने वाले भी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं । आम जनता के विश्वास पर उसके प्रतिनिधि के रूप में राज-काज सम्भालने वाले आज के राज-नेता भी बड़े-बड़े घोटालों में लिप्त पाए गए हैं । 

भ्रष्टाचार के मकड़-जाल में हमारे देश का प्रत्येक विभाग जकड़ा हुआ है और देश के विकास में बाधक बन रहा है । किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए उसके नागरिकों का, राजकीय कर्मचारियों और अधिकारियों का निष्ठावान होना, अपने कर्तव्य का पालन करना आवश्यक है ।

परन्तु हमारे देश में लोग अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए अपने कर्तव्यों को भूलते जा रहे हैं । आज किसी भी विभाग में नौकरी के लिए एक उम्मीदवार को हजारों रुपये रिश्वत के रूप में देने पड़ते हैं । रिश्वत देकर प्राप्त किए गए पद का स्पष्टतया दुरुपयोग ही किया जाता है ।

वास्तव में हमारे देश में भ्रष्टाचार एक लाइलाज रोग के रूप में फैला हुआ है और समस्त सरकारी विभागों में यह आम हो गया है । रिश्वत को आज सुविधा-शुल्क का नाम दे दिया गया है और आम आदमी भी इस भ्रष्टाचार-संस्कृति का हिस्सा बनता जा रहा है ।

यद्यपि रिश्वत लेना और देना कानून की दृष्टि में अपराध है, परन्तु सरकारी कर्मचारी, अधिकारी निर्भय होकर रिश्वत माँग रहे हैं और आम आदमी सुविधा-शुल्क को अपने लिए सुविधा मानने लगा है । कोई ईमानदार व्यक्ति भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने का प्रयास करे भी तो उसकी सुनवाई कैसे हो सकती है, जबकि सुनने वाले स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त हैं ।

हमारे देश में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि उन्हें उखाड़कर फेंकना सरल नहीं रहा है । भ्रष्टाचार का दुष्प्रभाव अवश्य पूरे देश में दिखाई दे रहा है । छोटे-बड़े-कार्य अथवा नौकरी के लिए रिश्वत देना-लेना ना आम बात हो गयी है ।

आम जनता की सुविधा के लिए घोषित की गयी विभिन्न परियोजनाओं का लाभ भी भ्रष्टाचार के कारण आम आदमी को नहीं मिल पा रहा है । सरकारी खजाने से परियोजनाओं के लिए जो धन भेजा जाता है उसका आधे से अधिक हिस्सा सम्बंधित अधिकारियों की जेबों में जाता है । प्राय: परियोजनाओं का आशिक लाभ ही आम जनता को मिल पाता है ।

भ्रष्टाचार के कारण अनेक परियोजनाएँ तो अधूरी रह जाती हैं और सरकारी खजाने का करोड़ों रुपया व्यर्थ चला जाता है ।

वास्तव में भ्रष्टाचार का सर्वाधिक दुष्प्रभाव आम जनता पर पड़ रहा है । सरकारी खजाने की वास्तविक अधिकारी आम जनता सदैव उससे वंचित रहती है । विभिन्न परियोजनाओं में खर्च किया जाने वाला जनता का धन बड़े-बड़े अधिकारियों और मंत्रियों को सुख-सुविधाएँ प्रदान करता है ।

विभिन्न विभागों के बड़े बड़े अधिकारी और राज नेता करोड़ों के घोटाले में सम्मिलित रहे हैं । जनता के रक्षक बनने का दावा करने वाले बड़े-बड़े पुलिस अधिकारी और कानून के रखवाले न्यायाधीश भी आज भ्रष्टाचार से अछूते नहीं हैं । कभी कभार किसी घोटाले अथवा रिश्वत कांड का भंडाफोड़ होता है तो उसके लिए जाँच समिति का गठन कर दिया जाता है ।

जाँच की रिपोर्ट आने में वर्षो लग जाते हैं । आम जनता न्याय की प्रतीक्षा करती रहती है और भ्रष्ट अधिकारी अंथवा मंत्री पूर्वत सुख-सुविधाएँ भोगते रहते हैं । भ्रष्टाचार के रहते आज जाँच रिपोर्ट को भी संदेह की दृष्टि से देखा जाता है ।

वास्तव में हमारे देश की जो प्रगति होनी चाहिए थी, आम जनता को जो सुविधाएँ मिलनी चाहिए थीं, भ्रष्टाचार के कारण न तो वह प्रगति हो सकी है, न ही जनता को उसका हक मिल पा रहा है । भ्रष्टाचार के रोग को समाप्त करने के लिए हमा: देश को योग्य और ईमानदार नेता की आवश्यकता है ।

5. भ्रष्टाचार: समस्या और समाधान | Essay on Corruption: Problem and its Solution for School Students in Hindi Language

भ्रष्टाचार शब्द के योग में दो शब्द हैं, भ्रष्ट और आचार । भ्रष्ट का अर्थ है बुरा या बिगड़ा हुआ और आचार का अर्थ है आचरण । भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ हुआ-वह आचरण जो किसी प्रकार से अनैतिक और अनुचित है ।

हमारे देश में भ्रष्टाचार दिनों दिन बढ़ता जा रहा है । यह हमारे समाज और राष्ट्र के सभी अंगों को बहुत ही गंभीरतापूर्वक प्रभावित किए जा रहा है । राजनीति, समाज, धर्म, संस्कृति, साहित्य, दर्शन, व्यापार, उद्योग, कला, प्रशासन आदि में भ्रष्टाचार की पैठ आज इतनी अधिक हो चुकी है कि इससे मुक्ति मिलना बहुत कठिन लग रहा है ।

चारों ओर दुराचार, व्यभिचार, बलात्कार, अनाचार आदि सभी कुछ भ्रष्टाचार के ही प्रतीक हैं । इन्हें हम अलग-अलग नामों से तो जानते हैं लेकिन वास्तव में ये सब भ्रष्टाचार की जड़ें ही हैं । इसलिए भ्रष्टाचार के कई नाम-रूप तो हो गए हैं, लेकिन उनके कार्य और प्रभाव लगभग समान हैं या एक-दूसरे से बहुत ही मिलते-जुलते हैं ।

भ्रष्टाचार के कारण क्या हो सकते हैं । यह सर्वविदित है । भ्रष्टाचार के मुख्य कारणों में व्यापक असंतोष पहला कारण है । जब किसी को कुछ अभाव होता है और उसे वह अधिक कष्ट देता है, तो वह भ्रष्ट आचरण करने के लिए विवश हो जाता है । भ्रष्टाचार का दूसरा कारण स्वार्थ सहित परस्पर असमानता है । यह असमानता चाहे आर्थिक हो, सामाजिक हो या सम्मान पद-प्रतिष्ठ आदि में जो भी हो । जब एक व्यक्ति के मन में दूसरे के प्रति हीनता और ईर्ष्या की भावना उत्पन्न होती है, तो इससे शिकार हुआ व्यक्ति भ्रष्टाचार को अपनाने के लिए बाध्य हो जाता है ।

अन्याय और निष्पक्षता के अभाव में भी भ्रष्टाचार का जन्म होता है । जब प्रशासन या समाज किसी व्यक्ति या वर्ग के प्रति अन्याय करता है, उसके प्रति निष्पक्ष नहीं हो पाता है, तब इससे प्रभावित हुआ व्यक्ति या वर्ग अपनी दुर्भावना को भ्रष्टाचार को उत्पन्न करने में लगा देता है । इसी तरह से जातीयता, साम्प्रदायिकता, क्षेत्रीयता, भाषावाद, भाई-भतीजावाद आदि के फलस्वरूप भ्रष्टाचार का जन्म होता है । इससे चोर बाजारी, सीनाजोरी दलबदल, रिश्वतखोरी आदि अव्यवस्थाएँ प्रकट होती हैं ।

भ्रष्टाचार के कुपरिणामस्वरूप समाज और राष्ट्र में व्यापक रूप से असमानता और अव्यवस्था का उदय होता है । इससे ठीक प्रकार से कोई कार्य पद्धति चल नहीं पाती है और सबके अन्दर भय, आक्रोश और चिंता की लहरें उठने लगती हैं । असमानता का मुख्य प्रभाव यह भी होता है कि यदि एक व्यक्ति या वर्ग बहुत प्रसन्न है, तो दूसरा व्यक्ति या वर्ग बहुत ही निराश और दुःखी है । भ्रष्टाचार के वातावरण में ईमानदारी और सत्यता तो छूमन्तर की तरह गायब हो जाते हैं । इनके स्थान पर केवल बेईमानी और कपट का प्रचार और प्रसार हो जाता है ।

इसलिए हम कह सकते हैं कि भ्रष्टाचार का केवल दुष्प्रभाव ही होता है इसे दूर करना एक बड़ी चुनौती होती है । भ्रष्टाचार के द्वारा केवल दुष्प्रवृत्तियों और दुश्चरित्रता को ही बढ़ावा मिलता है । इससे सच्चरित्रता और सद्प्रवृत्ति की जडें समाप्त होने लगती हैं । यही कारण है कि भ्रष्टाचार की राजनैतिक, आर्थिक, व्यापारिक, प्रशासनिक और धार्मिक जड़ें इतनी गहरी और मजबूत हो गई हैं कि इन्हें उखाड़ना और इनके स्थान पर साफ-सुथरा वातावरण का निर्माण करना आज प्रत्येक राष्ट्र के लिए लोहे के चने चबाने के समान कठिन हो रहा है ।

नकली माल बेचना, खरीदना, वस्तुओं में मिलावट करते जाना, धर्म का नाम ले-लेकर अधर्म का आश्रय ग्रहण करना, कुर्सीवाद का समर्थन करते हुए इस दल से उस दल में आना-जाना, दोषी और अपराधी तत्त्वों को घूस लेकर छोड़ देना और रिश्वत लेने के लिए निरपराधी तत्त्वों को गिरफ्तार करना, किसी पद के लिए एक निश्चित सीमा का निर्धारण करके रिश्वत लेना, पैसे के मोह और आकर्षण के कारण हाय-हत्या, प्रदर्शन, लूट-पाट-चोरी कालाबाजारी, तस्करी आदि सब कुछ भ्रष्टाचार के मुख्य कारण हैं ।

भ्रष्टाचार की जड़ों को उखाड़ने के लिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि हम इसके दोषी तत्त्वों को ऐसी कडी-से-कड़ी सजा दें कि दूसरा भ्रष्टाचारी फिर सिर न उठा सके । इसके लिए सबसे सार्थक और सही कदम होगा । प्रशासन को सख्त और चुस्त बनना होगा ।

न केवल सरकार अपितु सभी सामाजिक और धार्मिक संस्थाएँ, समाज और राष्ट्र के ईमानदार, कर्त्तव्यनिष्ठ सच्चे सेवकों, मानवता एवं नैतिकता के पुजारियों को प्रोत्साहन और पारितोषिक दे-देकर भ्रष्टाचारियों के हीन मनोबल को तोड़ना चाहिए । इससे सच्चाई, कर्त्तव्यपरायणता और कर्मठता की वह दिव्य ज्योति जल सकेगी । जो भ्रष्टाचार के अंधकार को समाप्त करके सुन्दर प्रकाश करने में समर्थ सिद्ध होगी ।

6. प्रशासन में भ्रष्टाचार: एक गंभीर चुनौती । Essay on Corruption: A Serious Challenge for College Students in Hindi Language

जब चरित्र में नैतिकता एवं सच्चाई का अभाव होता है तो उसे भ्रष्ट चरित्र की संज्ञा दी जाती है । नैतिकता एवं सच्चरित्रता किसी भी राज्य का परमावश्यक धर्म है । प्रशासन में जब सच्चरित्रता का अभाव होता है तो उसे भ्रष्ट प्रशासन कहा जाता है । प्रशासनिक भ्रष्टाचार का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत है ।

प्रशासन में भ्रष्टाचार के विभिन्न रूपों में घूस या आर्थिक लाभ लेना, भाई-भतीजावाद रक्षा एवं प्रभाव का दुरुपयोग बेईमानी गबन तथा कालाबाजारी आदि प्रमुख हैं । अंग्रेजों के भारत में आने से एक श्रेष्ठ प्रशासकीय तंत्र की स्थापना हुई जिनमें प्रशासनिक विभागों को स्वविवेकी शक्तियाँ प्रदान की गई थीं । वहीं से प्रशासनिक भ्रष्टाचार का रूप व्यापक होता चला गया ।

द्वितीय विश्व युद्ध से पूर्व भ्रष्टाचार प्राय प्रशासन के निम्न स्तर तक ही सीमित था लेकिन बाद में भ्रष्टाचार व्यापक स्तर पर व्याप्त हो गया । प्रशासन में भ्रष्टाचार का मामला बहुत ही गंभीर और जटिल है । यह सामान्यतया सभी प्रशासनिक व्यवस्थाओं में व्याप्त है ।

जहाँ तक भारत का प्रश्न है तो यहाँ की प्रशासनिक व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए अनेक कारण जिम्मेदार हैं । एक तरफ भ्रष्टाचार भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था को ब्रिटिश शासन से विरासत में मिला तो दूसरी तरफ स्वतंत्रता के बाद देश की समस्याएँ एवं वातावरण ने भी भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित किया ।

खासकर विकासशील देशों में तो भ्रष्टाचार का आलम यह है कि बिना रिश्वत के कोई भी प्रशासनिक काम आगे बढ़ ही नहीं सकता । भारत में शासकीय कार्यालयों के काम करने की प्रक्रिया बहुत ही जटिल एवं विलंबकारी है । प्रशासन में यांत्रिकता का अभाव है, इसके चलते बिना रिश्वत दिए काम आगे नहीं बढ़ पाता । भ्रष्टाचार के कई रूप होते हैं ।

ये केवल धन के रूप में ही नहीं होता । केंद्रीय सतर्कता आयोग ने भ्रष्टाचार के 27 प्रकारों का उल्लेख किया है जिसके अंतर्गत सार्वजनिक धन तथा भंडार के 27 प्रकारों का उल्लेख किया है । जिसके अंतर्गत सार्वजनिक धन तथा भण्डार का दुरूपयोग करना ऐसे ठेकेदारों या फर्मो को रियायतें देना बिना पूर्व अनुमति के अचल संपत्ति अर्जित करना शासकीय कर्मचारियों का व्यक्तिगत कार्यो में प्रयोग करना अनैतिक आचरण उपहार ग्रहण करना आदि मुख्य रूप से शामिल है ।

यहाँ प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार के विभिन्न रूपों का उल्लेख करना आवश्यक है । साधारणतया मंत्रियों अधिकारियों उनके संबंधी या मित्रों को उनके व्यक्तिगत लाभ के लिए धन तो दिया ही जाता है कभी-कभी उन्हें राजनीतिक दलों के लिए भी धन एकत्र करना पड़ता है ।

भारत में प्रशासनिक भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भारत सरकार ने 1947  में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम बनाया । विभिन्न नियमावलियाँ भी बनाई गयीं । इनमें अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम 1954 और केंद्रीय नागरिक सेवा नियम 1956 उल्लेखनीय है ।

इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण घटना केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की स्थापना है । आज भारत में भ्रष्टाचार मामलों के लिए यह मुख्य पुलिस ऐजेंसी है । इसके अलावा भारत सरकार ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तथा ईमानदारी को प्रोत्साहित करने के लिए 1964 में केंद्रीय सतर्कता आयोग की स्थापना की गयी । यह एक स्वतंत्र एवं स्वायत्त संस्थान है ।

स्वतंत्रता के बाद से ही भ्रष्टाचार पर नजर रखने के बावजूद प्रशासन में भ्रष्टाचार बढ़ता ही जा रहा है जैसे 5000 करोड़ रुपए का प्रतिभूति घोटाला दूरसंचार घोटाला हवाला कांड चारा घोटाला तथा यूरिया घोटाला आदि । भ्रष्टाचार में पकड़े जाने पर प्रशासन राजनीति का सहारा लेकर बच जाता है ।

देश में भ्रष्टाचार व्यापक पैमाने पर व्याप्त है जो कि देश को दीमक की तरह खाए जा रहा है । आज तो यह भी कहा जा रहा है कि भारत में भ्रष्टाचार व्यवस्था का अनिवार्य अंग बन चुका है तथा इसका उम्पूलन सभंव नहीं । पर ऐसी कोई बात नहीं है ।

अगर इरादा बुलंद हो तो समाज को देश को किसी भी बुराई से बचाया जा सकता है । उसके लिए सबसे जरूरी है जन अभियान चलाना । भ्रष्टाचार के विरोध में जबरदस्त लोकमत उत्पन्न किया जाना चाहिए ताकि भ्रष्टाचारियों की छवि लोगों के सामने स्पष्ट हो सके ।

चुनाव में बेहिसाब धन खर्च किए जाने पर रोक लगाई जानी चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार पर रोक लग सके । इसके लिए चुनाव सुधार समय की आवश्यकता है । भ्रष्टाचार में मामलों की जाँच निष्पक्ष न्यायाधीशों से कराई जानी चाहिए । कार्यपालिका के प्रभाव से जाँच को मुका रखा जाना चाहिए तथा अपराधियों को कड़ा से कड़ा दंड दिया जाना चाहिए ।

अधिकांश स्थितियों में जाँच आयोग की निष्पक्षता पर शक किया जाता है । कार्यपालिका द्वारा जाँच आयोग को प्रभावित करने के मामले भी सामने आए हैं तथा जाँच आयोग द्वारा अपराधी घोषित होने के बावजूद अपराधी को कोई सजा नहीं मिल पाती है ।

यह परंपरा बदलनी होगी । इसके अलावा मंत्रियों एवं प्रशासकों के लिए एक निश्चित आचार-संहिता का निर्माण किया जाना चाहिए तथा उसे कड़ाई से लागू किया जाना चाहिए तथा उन संस्थाओं के कार्यकर्त्ताओं को पूरी सुरक्षा दी जानी चाहिए ।

अगर उपर्युका बातों पर ध्यान दिया गया तो आने वाले दिनों में भारत विश्व के मानचित्र पर महाशक्ति बनकर उभरेगा अन्यथा रेत के घर की तरह ढह जायेगा । भ्रष्टाचार कभी किसी घर को बर्बाद करता है तो कभी किसी समाज को लेकिन जब यह बहुत ही व्यापक स्तर पर फैल जाता है तो यह देश को भी बर्बाद कर देता है ।

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  • भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध for UPSC Students

by Meenu Saini | Jul 13, 2022 | Hindi | 0 comments

भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध  for UPSC Students

भारत में भ्रष्टाचार (Corruption in India) Essay in Hindi for UPSC Students 

इस लेख में हम यूपीएससी (UPSC) छात्र के लिए भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध लिखखेगे | भ्रष्टाचार होता क्या है, भ्रष्टाचार के कारण, भ्रष्टाचार दूर करने के उपाय, भारत सरकार की भ्रष्टाचार दूर करने के लिए बनाई गई नीतियां के बारे में जानेगे |

भ्रष्टाचार एक व्यापक संक्रामक परजीवी है जो प्रणालियों, विभागों, संस्थानों, व्यक्तियों या समूहों के जीवन को चूस रहा है और जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रवेश कर चुका है, चाहे वह सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक या नैतिक हो। यह वास्तव में शर्म की बात है कि भारत दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में से एक है। हमारे देश में जीवन का शायद ही कोई क्षेत्र होगा जहां हमें भ्रष्टाचार सामना न करना पड़े। 

इस लेख में हम भ्रष्टाचार के कारण, प्रभाव, भ्रष्टाचार को कम करने के लिए भारतीय सरकार द्वारा उठाए गए कदम के बारे में बात करेंगे। 

संकेत सूची (Contents)

  • भ्रष्टाचार की परिभाषा 

भ्रष्टाचार के कारण

  • भ्रष्टाचार के प्रभाव 

भ्रष्टाचार को कम करने के लिए भारतीय सरकार द्वारा उठाए गए कदम 

भारतीय समाज कैसे भ्रष्टाचार मुक्त बन सकता है.

भ्रष्टाचार एक बहुत पुरानी सामाजिक बुराई है। 

यह मानव समाज में हमेशा किसी न किसी रूप में मौजूद रहा है। गौरतलब है कि ‘अथर्ववेद’ लोगों को भ्रष्टाचार से दूर रहने की चेतावनी देता है।  कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में भ्रष्ट लोगों द्वारा सरकारी धन के दुरुपयोग के लिए अपनाए गए चालीस तरीकों का उल्लेख है। दिल्ली के सुल्तान, अलाउद्दीन खिलजी को अपने भू-राजस्व कर्मचारियों को भ्रष्टाचार में लिप्त होने से बचाने के लिए उनके वेतन में काफी वृद्धि करनी पड़ी।  

” अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के अनुसार, “भ्रष्टाचार से लड़ना केवल सुशासन नहीं है।  यह आत्मरक्षा है।  यह देशभक्ति है।”

भ्रष्टाचार क्या है

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (टीआई) भ्रष्टाचार को “निजी लाभ के लिए सौंपी गई शक्ति का दुरुपयोग” के रूप में परिभाषित करता है। भ्रष्टाचार का अर्थ है सत्ता के दुरुपयोग और दुरुपयोग का कार्य, विशेष रूप से सरकार में उनके द्वारा व्यक्तिगत लाभ के लिए या तो धन या एक पक्ष के लिए।  भारत में 50% से अधिक लोगों ने सार्वजनिक सेवाओं तक पहुँचने के दौरान रिश्वत देना स्वीकार किया है।

भ्रष्टाचार और भारत: एक नजर

  • भारत दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में बना हुआ है। 
  • दुनिया भर में भ्रष्टाचार का मापन करप्शन परसेप्शन इंडेक्स अर्थात् सीपीआई के अनुसार होता है। 
  • विशेषज्ञों और व्यवसायियों के अनुसार यह सूचकांक 180 देशों और क्षेत्रों को सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के कथित स्तरों के आधार पर रैंक करता है।
  • करप्शन परसेप्शन इंडेक्स 2021 के अनुसार, 2021 में भारत की रैंक एक स्थान सुधरकर 85 हो गई, जो 2020 में 86वें स्थान पर थी। 

भ्रष्टाचार के कारणों की जांच एक सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक-प्रशासनिक परिदृश्य की एक विस्तृत तस्वीर प्रस्तुत करती है जो दैनिक आधार पर भ्रष्टाचार को जन्म देती है। 

भारत में भ्रष्टाचार के निम्नलिखित कारण हैं। 

  • चुनावों में काले धन का उपयोग: विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार केवल 70 लाखरुपये की कानूनी सीमा के खिलाफ कम से कम 30 करोड़ खर्च करते हैं। 

पिछले 10 वर्षों में लोकसभा चुनावों के लिए घोषित खर्च में 400% से अधिक की वृद्धि हुई है। जबकि उनकी आय का 69% अज्ञात स्रोतों से आया है। 

  • राजनीति का अपराधीकरण: देश के 30% से अधिक विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। जब कानून तोड़ने वाले कानून निर्माता बन जाते हैं, तो कानून का शासन में भ्रष्टाचार सबसे पहले होता है।
  • अनौपचारिक क्षेत्र का उच्च हिस्सा : भारत में 80% से अधिक कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में हैं और इसलिए कर या श्रम कानूनों के दायरे में नहीं आते हैं। 

ऐसे उद्यम आमतौर पर अधिकारियों को उन कानूनों के दायरे से बाहर रखने के लिए रिश्वत देते हैं। 

  • व्यवसाय करने में आसानी : बिना किसी पारदर्शिता और समय सीमा जैसे मामलों से संबंधित कानूनी जवाबदेही के बिना व्यवसाय शुरू करने और चलाने के लिए आवश्यक अनुमोदनों की अधिकता उद्यमियों को रिश्वत के माध्यम से अपना व्यवसाय आसान बनाने के लिए मजबूर करती है। 
  • उच्च असमानताएँ: भारत में 1% अमीरों के पास कुल संपत्ति का लगभग 60% हिस्सा है। इस तरह की समानताएं पूजीवाद की ओर ले जाती है, कम आय के स्तर पर यह लोगों को अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए मजबूर करता है।  

राजनीति का अपराधीकरण और नौकरशाही का राजनीतिकरण राज्य सत्ता के दुरुपयोग के लिए एकदम सही मंच प्रस्तुत करता है। 

सीबीआई, ईडी, आईटी-विभाग, एसीबी जैसे प्रवर्तन अधिकारियों का दुरुपयोग और स्वायत्तता की कमी भी कानून के प्रतिरोध मूल्य को कमजोर करती है। 

  • औपनिवेशिक नौकरशाही : नौकरशाही अनिवार्य रूप से 19वीं सदी के कानूनों की विशेषता वाली प्रकृति में औपनिवेशिक बनी हुई है। 
  • विफल सुधारात्मक कदम : राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और नौकरशाही के भीतर से प्रतिरोध के कारण नागरिक चार्टर, आरटीआई और ई-गवर्नेंस जैसे प्रमुख सुधारात्मक कदम विफल हो गए हैं।
  • कम मजदूरी : सार्वजनिक क्षेत्र में मजदूरी निजी क्षेत्र से कम है, साथ ही निचले स्तर पर काम करने वालों के लिए खराब कैरियर के विकास के अवसर और कठोर काम करने की स्थिति भी भ्रष्टाचार का कारण बनती है। 
  • न्यायिक विफलता : न्यायपालिका राजनेताओं सहित भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करने में विफल रही है। 

सिविल सेवकों को संविधान के अनुच्छेद 309 और 310 के तहत प्रदान की गई अतिरिक्त सुरक्षा और सिविल सेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले सरकार की अनुमति लेने की आवश्यकता समस्या को और बढ़ा देती है।

सामाजिक और नैतिक

  • जीवनशैली में बदलाव : व्यक्तिवाद और भौतिकवाद की ओर बढ़ते हुए बदलाव ने विलासितापूर्ण जीवन शैली के प्रति आकर्षण बढ़ा दिया है।  अधिक पैसा कमाने के लिए लोग दूसरों की परवाह किए बिना अनैतिक तरीके भी अपनाने को तैयार हैं।
  • सामाजिक भेदभाव : जागरूकता की कमी और राज्य पर उच्च निर्भरता के कारण गरीब लोग भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा शोषण का आसान लक्ष्य बन जाते हैं।
  • शिक्षा प्रणाली की विफलता : युवा पीढ़ी में सहानुभूति, करुणा, अखंडता, समानता आदि के नैतिक मूल्य को विकसित में भारत की शिक्षा प्रणाली बुरी तरह विफल रही है। 

वैश्वीकरण से प्रेरित जीवनशैली में बदलाव ने समाज में नैतिकता और मानवता को और गिरा दिया है। 

भ्रष्टाचार के प्रभाव

भ्रष्टाचार के भारतीय समाज में निम्न प्रभाव हुए हैं। 

  • यह समाज के सामाजिक और नैतिक ताने-बाने को नीचा करता है, सरकार की विश्वसनीयता को कम करता है और राज्य द्वारा गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के मौलिक अधिकारों का शोषण और उल्लंघन करता है।  उदाहरण के लिए, पीडीएस राशन में असमानता गरीबों को उनके भोजन के अधिकार से वंचित करता है। 
  • यह व्यापार करने में आसानी में बाधा डालता है। जैसा कि हाल ही में जारी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक ने इंगित किया है कि “निजी क्षेत्र अभी भी भारत में व्यापार करने के लिए भ्रष्टाचार को सबसे अधिक समस्याग्रस्त कारक मानता है”।  यह निजी निवेश को बाधित करता है जो रोजगार पैदा करता है और नवाचार को बाधित करता है। 
  • आईसीडीएस, एनआरएचएम (यूपी जैसे कई राज्यों में घोटाले सामने आए हैं), नरेगा आदि जैसी कल्याणकारी योजनाओं के खराब परिणामों के कारण बढ़ती असमानता लाभार्थियों को संसाधनों के रिसाव और असमानता का एक और परिणाम है।  विशेष रूप से पिछड़े क्षेत्र में खराब शिक्षा और स्वास्थ्य असमानताओं को बनाए रखने में मदद करता है।
  • कर प्रशासन में भ्रष्टाचार उच्च कर चोरी की ओर ले जाता है जिससे काला धन पैदा होता है। विभिन्न अनुमानों के अनुसार भारत में समानांतर अर्थव्यवस्था का आकार सकल घरेलू उत्पाद का 50% जितना है। 
  • जैसा कि 2जी और कोयला खदानों जैसे बड़े घोटालों का खुलासा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली सीएजी की कई रिपोर्टों में बताया गया है कि भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार के कारण राज्य को भारी नुकसान होता है।
  • भ्रष्टाचार उत्पादन की लागत को बढ़ाता है जिसे अंततः उपभोक्ता को वहन करना पड़ता है। सड़कों और पुलों जैसे परियोजना निष्पादन में यह खराब गुणवत्ता वाली सामग्री को अपनाने की ओर ले जाता है जो ढहने के कारण कई लोगों के जीवन के लिए खतरनाक साबित होती है।
  • विभिन्न शोधों ने भ्रष्टाचार, सार्वजनिक सेवाओं की खराब गुणवत्ता और राजनीति के अपराधीकरण के बीच सीधा संबंध बताया है।
  • अतीत में रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार के कारण पड़ोस में बढ़ती दुश्मनी के दौर में सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण में देरी हुई है।  जो राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से यह शुभ संकेत नहीं है। 
  • अतीत में भ्रष्टाचार ने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों जैसे शहरी क्षेत्रों में वेटलैंड्स का अतिक्रमण और सड़कों में बड़े बड़े गड्ढे शहरी क्षेत्रों में बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं की प्रमुख वजहों में से एक है। 
  • पुलिस जैसी कानून प्रवर्तन एजेंसियों में भ्रष्टाचार कानून के शासन को कमजोर करता है और राज्य और अपराधियों के बीच एक अपवित्र गठजोड़ को बढ़ावा देता है। भ्रष्ट प्रशासन स्वेच्छा से अपने सार्वजनिक सेवा के कर्तव्य का उल्लंघन करते हुए सत्ताधारी दल के अन्यायपूर्ण व्यवहार के सामने आत्मसमर्पण करता है। 
  • पुलिस में भ्रष्टाचार के कारण अपराध की कम रिपोर्टिंग से अपराधियों को प्रोत्साहन मिलता है और न्यायिक भ्रष्टाचार लोगों को न्याय पाने के लिए अतिरिक्त कानूनी तरीकों को अपनाने के लिए मजबूर करता है।

भारत सरकार ने भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए समय समय पर कानून लाती रही है और पुराने कानूनों में संशोधन करती रही है। 

भारत सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए निम्न प्रकार की नीतियां व कानून बनाए गए। 

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988

भ्रष्टाचार के लिए एक परिभाषा प्रदान करता है और उन कृत्यों को सूचीबद्ध करता है जो भ्रष्टाचार के रूप में होंगे जैसे कि रिश्वत, एहसान के लिए उपहार आदि।

यह अधिनियम भ्रष्ट लोगों को बेनकाब करने और ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करने की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है। 

एक अधिकारी के अभियोजन के लिए सरकार से मंजूरी की आवश्यकता होती है। इसमें केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मचारी, सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी, राष्ट्रीयकृत बैंक आदि शामिल हैं।

इस अधिनियम के तहत परीक्षण के लिए विशेष न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है जो उपयुक्त मामलों में संक्षिप्त सुनवाई का आदेश दे सकते हैं। 

बेनामी संपत्ति अधिनियम 1988

हाल के संशोधनों ने बेनामी संपत्ति की परिभाषा को विस्तृत किया है और सरकार को अदालत की मंजूरी के बिना किसी परेशानी के ऐसी संपत्तियों को जब्त करने की अनुमति दी है। 

मनी लांड्रिंग का रोकथाम अधिनियम 2002

इसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग की घटनाओं को रोकना और भारत में ‘अपराध की आय’ के उपयोग को प्रतिबंधित करना है।

मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में सख्त सजा का प्रावधान है, जिसमें 10 साल तक की कैद और आरोपी व्यक्तियों की संपत्ति की कुर्की (जांच के प्रारंभिक चरण में भी और जरूरी नहीं कि सजा के बाद भी) शामिल है।

केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम 2003

सीवीसी को वैधानिक दर्जा देता है। 

केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा में पीएम, एमएचए और एलओपी की एक समिति की सिफारिश पर की जाएगी।

जांच करते समय आयोग के पास सिविल कोर्ट की सभी शक्तियां होती हैं। 

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005

यह अधिनियम पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए सूचना के प्रकटीकरण को जनता का कानूनी अधिकार बनाता है।

इसके अंतर्गत धारा 4 सूचना के सक्रिय प्रकटीकरण और अभिलेखों के डिजिटलीकरण को अनिवार्य करती है। 

कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इसका इस्तेमाल सार्वजनिक प्राधिकरणों के कामकाज में अनियमितताओं को सामने लाने के लिए किया है।

जैसे; मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला।  

कंपनी अधिनियम, 2013

कॉर्पोरेट प्रशासन और कॉर्पोरेट क्षेत्र में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए प्रदान करता है। 

‘धोखाधड़ी’ शब्द की व्यापक परिभाषा दी गई है और यह कंपनी अधिनियम के तहत एक आपराधिक अपराध है। 

विशेष रूप से धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) की स्थापना की गई है, जो कंपनियों में सफेदपोश अपराधों और अपराधों से निपटने के लिए जिम्मेदार है।

एसएफआईओ कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के तहत जांच करता है। 

भारतीय दंड संहिता, 1860 उन प्रावधानों को निर्धारित करता है जिनकी व्याख्या रिश्वत और धोखाधड़ी के मामलों को कवर करने के लिए की जा सकती है, जिसमें आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी से संबंधित अपराध शामिल हैं। 

लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013

लोक सेवकों द्वारा गलत काम करने की शिकायतों की जांच के लिए केंद्र में एक स्वतंत्र प्राधिकरण लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति करता है

लोकपाल की नियुक्ति पीएम, एलओपी, सीजेआई, स्पीकर और एक प्रख्यात न्यायविद की समिति द्वारा की जाएगी। 

एसएआरसी और संथानम समिति जैसे विभिन्न आयोगों ने महत्वपूर्ण और व्यवहार्य सिफारिश की है कि एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। 

नागरिकों को सशक्त बनाने और भारतीय समाज को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने की आवश्यकता है: 

नौकरशाही में सुधार

  • प्रशासन पर अत्यधिक राजनीतिक नियंत्रण को रोकने के लिए सिविल सेवा बोर्ड की स्थापना होना चाहिए। 
  • सरकारों में पदानुक्रम के स्तर को कम करना। 
  • अनुशासनात्मक कार्यवाही को सरल बनाना और विभागों के भीतर निवारक सतर्कता को मजबूत करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भ्रष्ट सिविल सेवक संवेदनशील पद पर काबिज न हों। 
  • सरकार में नियमित प्रक्रियाओं को स्वचालित करने के लिए एआई और बिग डेटा जैसी नई तकनीकों का उपयोग करना। 

चुनावी सुधार

  • आरपीए में संशोधन कर अपराधियों को विधानसभाओं में प्रवेश करने से रोकना। 
  • राजनीतिक दल को नकद चंदे पर रोक लगाना और राजनीतिक दलों के कुल खर्च पर सीमा लगाना। 
  • इंद्रजीत गुप्ता समिति द्वारा अनुशंसित राज्य वित्त पोषण के विचार को अपनाना।  

शासन में परिवर्तन

  • नियमों के बारे में पारदर्शिता और जागरूकता बढ़ाने के लिए आर्थिक सर्वेक्षण द्वारा अनुशंसित नियम अधिनियम (टीओआरए) में पारदर्शिता लाना। 
  • नागरिक चार्टर और सामाजिक लेखा परीक्षा को एक कानूनी बल देना। 
  • स्थानीय निकाय को सशक्त बनाना ताकि उन्हें प्रत्यक्ष लोकतंत्र के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बनाया जा सके। 
  • न्यायिक सुधार भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे में तेजी लाने के लिए ताकि ये कानून एक मजबूत निवारक बने रहें
  • कानून का शासन स्थापित करने और भ्रष्टाचार के मामलों में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए प्रकाश सिंह मामले में एससी द्वारा सुझाए गए 7 सूत्री पुलिस सुधार को अपनाना।
  • संविधान के तहत परिकल्पित कार्यपालिका पर विधायी नियंत्रण को मजबूत करने के लिए दल-बदल विरोधी कानून में संशोधन करना।
  • मंत्रियों के लिए आचार संहिता और आचार संहिता लाना। 
  • सार्क द्वारा अनुशंसित सभी कार्यालयों जैसे कि सार्वजनिक उपक्रमों के बोर्डों को अपने दायरे में लाना। 

भ्रष्टाचार का मुकाबला करने के लिए, भारत सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1998 को अधिनियमित किया है और मुख्य सतर्कता आयोग की स्थापना की है, जो भ्रष्टाचार से सख्ती से निपटने के लिए कानूनी अधिकार प्रदान करता है।  हालांकि न्यायिक प्रक्रिया के लंबे गलियारों के लिए ये पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन न्यायपालिका में गवाहों की कमी और भ्रष्टाचार से शायद ही कोई फर्क पड़ सकता है।

कुशल समाधानों में जन जागरूकता, भ्रष्ट सौदों का बार-बार संपर्क, और सबसे बढ़कर व्हिसलब्लोअर की भूमिका शामिल है।  व्हिसलब्लोअर की अवधारणा पश्चिमी है, लेकिन अगर बड़ी संख्या में लोग भ्रष्ट अधिकारियों पर नजर रखते हैं, उनकी जासूसी करते हैं और संबंधित विभागों से परामर्श करते हैं, तो चीजें बेहतर हो सकती हैं।

सरकार ने अब जवाबदेही पर जोर दिया है और भारत भविष्य के लिए सकारात्मक हो सकता है क्योंकि डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों के साथ सब कुछ डिजिटाइज़ करने से भ्रष्टाचार उच्च स्तर तक कम हो जाएगा क्योंकि सिस्टम में बिचौलियों के लिए कोई जगह नहीं होगी, और सरकार हर चीज की निगरानी करेगी। 

हां, भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है लेकिन इसे व्यवस्थित और सही प्रयासों से खत्म किया जा सकता है।

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Essay on corruption in hindi भ्रष्टाचार पर निबंध.

Read an essay on Corruption in Hindi language. भ्रष्टाचार पर निबंध। Bhrastachar Mukt Bharat essay in Hindi ( bhrashtachar essay in hindi ). Check out Corruption essay in Hindi or Corruption in India essay in Hindi. What is Corruption? Will there be one day when we can write Corruption free India essay in Hindi. Today we are going to explain how to write an essay on corruption in Hindi. Now you can take useful examples to write an essay on corruption in Hindi in a better way. Essay on Corruption in Hindi is asked in most exams nowadays starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. You will find how to stop corruption essay in Hindi.

भ्रष्टाचार पर निबंध Essay on Corruption in Hindi

hindiinhindi Essay on Corruption in Hindi

भ्रष्टाचार पर निबंध Essay on Corruption in Hindi 200 Words

विचार-बिंदु – • अर्थ • भारत में भ्रष्टाचार की स्थिति • भ्रष्टाचार के कारण • हल।

भ्रष्टाचार का अर्थ है – भ्रष्ट आचरण अर्थात् पतित व्यवहार। रिश्वत, कामचोरी, मिलावट, कालाबाजारी, मुनाफाखोरी, भाई-भतीजावाद, जमाखोरी, अनुचित कमीशन लेना, चोरों-अपराधियों को सहयोग देना आदि सब भ्रष्टाचार के रूप हैं। दुर्भाग्य से आज भारत में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। चपरासी से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक भ्रष्टाचार के दलदल में लथपथ हैं। लज्जा की बात यह है कि स्वयं सरकारी मंत्रियों ने करोड़ों-अरबों के घोटाले किए हैं। भ्रष्टाचार फैलने का सबसे बड़ा कारण है-प्रबल भोगवाद। हर कोई संसार-भर की संपत्ति को अपने पेट, मुँह और घर में भर लेना चाहता है। दूसरा बड़ा कारण है – नैतिक, धार्मिक या आध्यात्मिक शिक्षा का अभाव। तीसरा कारण है – पैसे को सलाम।

अन्य कुछ कारण हैं – भूख, गरीबी, बेरोजगारी आदि। भ्रष्टाचार को मिटाना सरल नहीं है। जब तक कोई ईमानदार शासक प्रबल इच्छा शक्ति से भ्रष्टाचार के गढ़ को नहीं तोड़ता, तब तक इसे सहना होगा। इसके लिए भी शिक्षकों, कलाकारों और साहित्यकारों को अलख जगानी होगी।

भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध (Corruption Free India Essay in Hindi) – Essay on Corruption in Hindi 300 Words 

भ्रष्टाचार का अर्थ है “भ्रष्ट + आचार”, जहा भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। भ्रष्टाचार किसी भी व्यक्ति के साथ-साथ देश के लिए बहुत बुरी समस्या है, जो दोनों के विकास और प्रगति में रुकावट डालता है। जब कोई व्यक्ति अपने स्वार्थके लिए न्याय व्यवस्था के नियमो से विरुद्ध जाकर गलत आचरण करने लगता है तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है।

भ्रष्टाचार एक सामाजिक बुराई है, जो इंसान की सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक क्षमता के साथ खेल रहा है। लालच की वजह से भ्रष्टाचार की जड़ें और मजबूत होती जा रही है। भ्रष्टाचार दरअसल सत्ता, पद, शक्ति और सार्वजनिक संस्थान का दुरुपयोग है। अब तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत इस वक्त विश्व में भ्रष्टाचार के मामले में 84 वे स्थान पर है। सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार सिविल सेवा, राजनीति, व्यापार और गैरकानूनी क्षेत्रों में फैला है, जहा भ्रष्टाचार के कई रंग-रूप है जैसे रिश्वत, काला-बाजारी, जान-बूझकर दाम बढ़ाना, पैसा लेकर काम करना।

विश्व में भारत अपने लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध है लेकिन भ्रष्टाचार की वजह से इस को बहुत क्षति पहुंच रही है। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार यहां के राजनीतिज्ञ है, जिनसे हम ढेर सारी उम्मीदें रखते हैं, चुनावो के दौरान यह बड़े-बड़े सपने दिखाते हैं, जिनको हम वोट देते हैं और चुनाव जीतने के बाद यह सभी चुनावी वायदे भूल कर अपने असली रंग में आ जाते हैं। मुझे पूरा यकीन है की अगर राजनीतिज्ञ अपने लालच को त्याग देंगे, तो हमारे देश से भ्रष्टाचार की बीमारी दूर हो जाएगी। देश को आगे बढ़ाने के लिए हमें सरदार पटेल और शास्त्री जैसे ईमानदार नेता को चुनना चाहिए क्योंकि केवल ऐसे नेता ही देश को सही दिशा दे सकते है और भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ सकते हैं। केवल राजनीतिज्ञ को ही नहीं बल्कि देश के नागरिकों को भी भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं का सामना करने के लिए एकजुट होना होगा। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हमारे देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 के बड़े नोटों को बंद करके बहुत ही इतिहासिक कदम उठाया, जिसकी सभी तारीफ कर रहे है।

भ्रष्टाचार मुक्त समाज पर निबंध – Essay on Corruption in Hindi 400 Words

वर्तमान समय में भ्रष्टाचार के दानव से संपूर्ण समाज त्रस्त है। अधिकांश व्यक्ति अनुचित व्यवहार द्वारा अधिक धन अर्जित करने के प्रयास में लगे रहते हैं। असंख्य व्यक्ति रिश्वत लेते हैं। अधिकांश नेता चुनाव जीतने के लिए अनैतिक साधनों का प्रयोग करते हैं। व्यापारी लोग भी खाद्य पदार्थों में मिलावट करते हैं। किसान भी सब्जियों तथा फलों में इंजैक्शन लगाकर अथवा कैमिकल का प्रयोग कर उन्हें दूषित करते हैं तथा महंगे दामों पर बेचते हैं। दूध, घी, मिठाइयों आदि में मिलावट तो सामान्य बात है। न्यायालयों में अनेक न्यायाधीश रिश्वत लेते हैं। यह सब कुछ भ्रष्टाचार के अन्तर्गत ही आता है। वस्तुतः वर्तमान समाज में भ्रष्टाचार मुक्त समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हमारे प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार मिटाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं।

आज के संदर्भ में दूरदर्शन भ्रष्टाचार फैलाने का सबसे बड़ा माध्यम बन चुका है। विभिन्न चैनलों पर इतने अश्लील कार्यक्रम दिखाए जाते हैं कि टी०वी० के प्रोग्राम भी परिवार के साथ बैठकर नहीं देख सकते। किशोरवर्ग तथा युवावर्ग के लिए चरित्रहीनता सम्मान की वस्तु बन गई है। अवैध संबंधों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दिया जा रहा है। फिल्मों में हिंसा और नग्नता का खुलेआम प्रदर्शन भी समाज की व्यवस्था को अपाहिज बनाने में पूरा योगदान दे रहा है। फैशन के नाम पर नारी शरीर को ‘उत्पाद’ की तरह प्रस्तुत किया जाता है। प्रतिदिन हो रहे फैशन शो हमारी भ्रष्ट होती सामाजिक व्यवस्था का प्रमाण हैं। आजकल पारिवारिक संबंधों में भी भ्रष्टाचार ने विषबीज बो दिए हैं। तथाकथित ‘कज़िन’ (Cousin) तथा ‘अंकल’ किस प्रकार परिवार के बच्चों को शारीरिक शोषण करते हैं, इसका प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है। अनेक परिवारों में निकट के रिश्तेदार किशोरियों को अपनी कामपिपासा की पूर्ति का साधन बनाते हुए ज़रा भी हिचकिचाते नहीं।

वर्तमान समाज में लाखों लड़कियाँ ‘कालगर्ल’ का काम करती हैं। लाखों स्त्रियाँ वेश्याएँ हैं। धन कमाने के लिए ये स्त्रियाँ समाज की व्यवस्था को विकृत करने का प्रयास कर रही हैं। समाज में मदिरा का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। मदिरा पीकर लोग अनेक प्रकार के अनैतिक कार्य करते हैं। इस प्रकार सामाजिक जीवन अपनी विषबल फैलाता जा रहा है। इसे रोकने के लिए ‘संचार माध्यम’ (मीडिया) बहुत सहायक तथा कठोर कानून भी इस पर रोक लगाने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।

भ्रष्टाचार पर निबंध Long Essay on Corruption in Hindi 500 Words

मनुष्य के चरित्र और आचरण में गिरावट, उसका पतित हो जाना, कर्तव्य पथ से विमुख हो जाना और समाज विरोधी बन जाना भ्रष्टाचार कहलाता है। आचरण और चरित्र सम्बन्धी हमारी कुछ स्थापित मर्यादाएं हैं। इन्हीं पर हमारा जीवन और समाज टिका हुआ है। इन्हीं के आधार पर हमारी संस्कृति और सभ्यता का विकास हुआ है। भ्रष्ट व्यक्ति समाज के लिए और स्वयं अपने लिये भी हानिकारक होता है। आज के स्वार्थपूर्ण और भौतिकवादी युग में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। सारा समाज पतित राजनेताओं, मौका-परस्त सरकारी अधिकारियों, पदलोलुप और रिश्वतखोर अफसरों आदि से भरा पड़ा है। जमाखोरों, चोर बाजारियों और मुनाफाखोरों की एक श्रेणी देखी जा सकती है।

भ्रष्टाचार के अनेक रूप, प्रकार और अवस्थाएं हैं। उनको पूरी तरह गिनना या उनका वर्णन करना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है। भ्रष्टाचार कैंसर या एड्स की तरह है, जो हमारे सम्पूर्ण राजनीतिक, सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था को उजाड़ रहा है। जीवन के हर क्षेत्र में यह आज व्याप्त है। धर्म राजनीति, शिक्षा, व्यापार, सरकारी सेवा, लेन-देन आदि सभी जीवन के कार्य इससे ग्रस्त हैं। धार्मिक नेता और तथाकथित गुरु, मुल्ला-मौलवी आदि अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं। अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए वे साम्प्रदायिक हिंसा, वैमनस्य और घृणा फैलाने से भी नहीं चूकते। धर्म और भगवान के नाम पर लोगों से पैसा एंठकर वे अपनी जेबें भरने में व्यस्त हैं।

लोगों के अंधविश्वासों का वे पूरा लाभ उठा रहे हैं। धर्म जहां जोडने, नैतिकता का विस्तार करने और पारस्परिक सद्भाव का माध्यम होना चाहिये, वहीं आज अशांति, कलह, संघर्ष और पतन का कारण बना हुआ है। व्यापारी मिलावट और जमाखोरी के काले धंधों में पूरी तरह लिप्त हैं। कर की चोरी तो उनके लिए एक सामान्य बात है। राजनीतिक नेताओं तथा दलों को वे चंदा आदि देकर अपनी मनचाही कर रहे हैं। कहीं किसी का डर या भय नहीं है।

कुर्सी के लोभ और राजनीतिक स्वार्थों में अंधे हमारे राजनेताओं और प्रशासकों ने तो सभी सीमाएं तोड़ दी हैं। जो रक्षक होने चाहिये थे, वहीं अब भक्षक बन गये हैं। दल बदलुओं की आज चांदी है। राजनेताओं के संरक्षण में अपराधी फलफूल रहे हैं। धन के बल पर चुनाव जीतकर वे संसद तथा विधान सभाओं में पहुंच रहे हैं। अनेक अपराधी छवि के लोग आज मंत्री बने हुए हैं या कोई अन्य लाभ के महत्त्वपूर्ण पद पर आसीन हैं। सत्ता और संकीर्ण स्वार्थों में आज जो कुछ हो रहा है, वह सब जानते हैं। इस बेशर्मी और भ्रष्टाचार से लोग परेशान हैं परन्तु कहीं कोई उपचार नज़र नहीं आता। भ्रष्टाचार से शिक्षक और डॉक्टर भी अछूते नहीं हैं।

पैसे के लालच में परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक कर दिये जाते हैं। झूठे प्रमाणपत्र और डिग्रीयां बाँटी जाती हैं और महत्त्वपूर्ण पदों पर लोगों को नियुक्त किया जा रहा है। अध्यापक कक्षा में पढ़ाने के बजाए टयूशन्स में लगा हुआ है। डॉक्टर झूठे प्रमाण पत्र देकर लोगों को अनुचित लाभ प्राप्त करने में सहायता कर रहे हैं। अस्पतालों से दवाइयां तथा दूसरे महत्त्वपूर्ण उपकरण काले बाजार में धड़ल्ले से बिक रहे हैं।

नैतिकता, आदर्श, परोपकार, जीवन मूल्य आदि शब्द मात्र रह गये हैं जिनका अस्तित्व, पुस्तकों या शब्दकोषों तक ही सीमित रह गया है। आज सब स्वार्थ की बात करते हैं, सिद्धान्तों या नैतिकता की नहीं । शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, जल आपूर्ति, राशन-वितरण, बिजली, कृषि, किसी भी विभाग में चले जाएं भ्रष्टाचार के उदाहरण आपको मिल जायेंगे। असीमित आशा-आकांक्षाएं, भौतिक अंधी दौड़ और पश्चिमी सभ्यता की विवेकहीन नकल ने हमें पागल कर दिया है। हम तुरन्त धन और यश का पहाड़ खड़ा करना चाहते हैं और परिश्रम नहीं करना चाहते। अतः हम भ्रष्ट उपाय अपनाते हैं और दूसरों को भी भ्रष्ट बनने को तैयार कर लेते हैं।

आज हमें लोकनायक जयप्रकाश नारायण, महात्मा गाँधी, रफी अहमद किदवई, लाल बहादुर शास्त्री, दीनदयाल उपाध्याय जैसे नेताओं की बड़ी आवश्यकता है। उन जैसा त्यागी, तपस्वी, निस्वार्थ समाजसेवी और आदर्शों पर चलने वाला कोई भी नेता आज दिखाई नहीं देता। भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक सामाजिक क्रांति और आंदोलन की आज बड़ी आवश्यकता है। सबसे पहली आवश्यकता है कि चुनावों को निष्पक्ष और स्वच्छ बनाया जाए। अपराधियों और भ्रष्ट लोगों को चुनाव लड़ने, मंत्री बनने तथा लाभ का कोई पद न प्राप्त करने दिया जाए। चुनाव आयोग और न्यायालयों को इस कार्य में और अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी।

युवा वर्ग इस मामले में बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। युवकों को आगे आकर भ्रष्ट लोगों का पर्दाफाश करना चाहिये। उन्हें प्रतिज्ञा करनी चाहिये कि वे कभी भी किसी भी अवस्था में न तो रिश्वत देंगे न लेंगे। दहेज लेना और देना भी एक भ्रष्टाचार है। नवयुवक और नवयुवतियां दहेज के बिना विवाह द्वारा एक बहुत अच्छा उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं। युवा वर्ग को भ्रष्ट लोगों के बहिष्कार का आंदोलन प्रारम्भ करना चाहिये।

भ्रष्टाचार को मिटाना असंभव तो नहीं है, परन्तु कठिन अवश्य है। इस पुण्य कार्य के लिए समाज के सभी वर्गों और लोगों को कमर कसनी चाहिये। भ्रष्ट देशों की सूची में भारत का ऊंचा स्थान है। यह हमारे लिए बड़ी शर्म की बात है। नेताओं का यह कर्तव्य है कि वे अपने आचरण, व्यवहार तथा चरित्र से आदर्श प्रस्तुत करें जिससे कि जनता उनका अनुसरण कर सके। हमारी सभ्यता और संस्कृति हमसे यह मांग करती है कि हम जीवन के हर क्षेत्र में नैतिकता और कर्तव्य परायणता को सर्वोच्च स्थान दें।

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corruption free india essay in hindi 600 words

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Corruption Essay in Hindi

भ्रष्टाचार पर निबंध – Corruption Essay in Hindi

भ्रष्टाचार पर छोटे-बड़े निबंध (essay on corruption in hindi), भ्रष्टाचार : कारण और निवारण अथवा भारत का राष्ट्रीय चरित्र और भ्रष्टाचार – (corruption: causes and prevention or national character and corruption of india).

  • प्रस्तावना,
  • भ्रष्टाचार क्या है?
  • भ्रष्टाचार के विविध रूप,
  • भ्रष्टाचार की व्यापकता,
  • भ्रष्ट राजनीतिज्ञ,
  • सरकार की जन-विरोधी नीतियाँ,
  • निवारण के उपाय,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना- ‘आचारः परमोधर्मः’ भारतीय संस्कृति का सर्वमान्य सन्देश रहा है। सदाचरण को व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन का आधार मानने के कारण ही भारतभूमि ने विश्व में प्रतिष्ठा पाई थी। आज देश के सामने उपस्थित समस्याएँ और संकट, भ्रष्ट आचरण के ही परिणाम हैं।

Corruption Essay

भ्रष्टाचार क्या है? What is the Corruption

सत्य, प्रेम, अहिंसा, धैर्य, क्षमा, अक्रोध, विनय, दया, अस्तेय (चोरी न करना), शूरता आदि ऐसे गुण हैं जो प्रत्येक समाज में सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं। इन गुणों की उपेक्षा करना या इनके विरोधी दुर्गुणों को अपनाना ही आचरण से भ्रष्ट होना या भ्रष्टाचार है, किन्तु आज भ्रष्टाचार से हमारा तात्पर्य अनैतिक आचरण द्वारा जनता के धन की लूट से है।

Corruption Essay in Hindi

भ्रष्टाचार के विविध रूप- आज भ्रष्टाचार देश के हर वर्ग और क्षेत्र में छाया हुआ है। चाहे शिक्षा हो, चाहे धर्म, चाहे व्यवसाय हो, चाहे राजनीति, यहाँ तक कि कला और विज्ञान भी इस घृणित व्याधि से मुक्त नहीं हैं। सरकारी कार्यालयों में जाइए तो बिना सुविधा शुल्क के आपका काम. नहीं होगा।

भ्रष्टाचार की व्यापकता- भारत में भ्रष्टाचार का कारण वह औपनिवेशिक जनविरोधी केन्द्रीयकृत प्रशासनिक ढाँचा है, जो देश को अंग्रेजी साम्राज्य से विरासत में मिला है। नेतृत्व की कमजोरी के कारण इसको जनोपयोगी बनाने का प्रयास ही नहीं हो सका है।

भ्रष्टाचार निरन्तर फैलता गया है। जब से भारत में वैश्वीकरण, निजीकरण, उदारीकरण, बाजारीकरण की नीतियाँ बनी हैं, तब से घोटालों की बाढ़ आ गयी है। राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला, एंट्रेक्स-इसरो घोटाला, अवैध खनन घोटाला, आईपीएल घोटाला, नोट के बदले वोट घोटाला, पिछली केन्द्रीय सरकार के खनन तथा ‘टूजी’ घोटाले भ्रष्टाचार की अटूट परंपरा का स्मरण कराते हैं।

भ्रष्ट राजनीतिज्ञ-यथा राजा तथा प्रजा की कहावत के अनुसार भ्रष्टाचार शासकों से जनता की ओर फैल रहा है। अकेले टू जी घोटाले में सरकारी धन की जो लूट हुई है, उससे सभी भारतीय परिवारों को भोजन दिया जा सकता है शिक्षा के कानूनी अधिकार को हकीकत में बदला जा सकता है।

सरकार की जनविरोधी नीतियाँ- पिछली सरकारों की आर्थिक नीतियाँ, जिनको उदारवाद या आर्थिक सुधार का ‘शुगर कोटेड’ रूप देकर पेश किया गया, जन विरोधी थीं। इनके द्वारा जनता के धन को कानूनी वैध रूप देकर लूटा गया है।

जैसे सट्टा गैर-कानूनी है पर शेयर बाजार तथा वायदा बाजार का सट्टा पूरी तरह कानूनी है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी निजीकरण ने भी भ्रष्टाचार में वृद्धि की है।

जल, जंगल, जमीन, खनिज, प्राकृतिक संसाधन आदि को कानून बदलकर कम्पनियों तथा पूँजीपतियों को लुटाया जाना। किसानों, मजदूरों, गरीबों, आदिवासियों के शोषण का दुष्परिणाम नक्सलवाद के रूप में सामने आ चुका है। टू जी घोटाले में टाटा, रिलायन्स आदि के नाम भी हैं। इन कम्पनियों ने सरकार से सस्ते आवंटन प्राप्त कर विदेशी कम्पनियों को बेचकर करोड़ों रुपयों का लाभ कमाया है।

निवारण के उपाय- भ्रष्टाचार की इस बाढ़ से जनजीवन की रक्षा केवल चारित्रिक दृढ़ता ही कर सकती है। समाज और देश के व्यापक हित में जब व्यक्ति अपने नैतिक उत्तरदायित्व का अनुभव करे और उसका पालन करे तभी भ्रष्टाचार का विनाश हो सकता है।

भ्रष्टाचार का अन्त करने के लिए वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था को बदलना भी जरूरी है। इसके लिए आई.ए.एस. अधिकारियों को प्राप्त शक्तियों में कमी करना आवश्यक है। निर्वाचित जन प्रतिनिधियों की योग्यता, आयु तथा कर्त्तव्य परायणता तय होनी चाहिए। अयोग्य जन प्रतिनिधि को वापस बुलाने का अधिकार जनता को होना चाहिए।

चुनाव में खड़े होने वाले व्यक्ति की सम्पत्ति तथा आचरण की जाँच होनी चाहिए। राजनीति में अपराधियों का प्रवेश रुकना चाहिए। पूँजीवादी आर्थिक नीतियाँ जो विदेशी पूँजी पर आधारित हैं, बदलकर जनवादी स्वदेशी अर्थनीति को अपनाया जाना चाहिए। प्रशासन में शुचिता और पारदर्शिता होनी चाहिए।

उपसंहार- भारत में भ्रष्टाचार की दशा अत्यन्त भयावह है। बड़े-बड़े पूँजीपति, राजनेता तथा प्रशासनिक अधिकारियों का गठजोड़ इसके लिए जिम्मेदार है। इससे मुक्ति के लिए निरन्तर सजग रहकर प्रयास करना जरूरी है।

सौभाग्य से जनता को सजग रहकर उनका समर्थन और सहयोग करना चाहिए। वर्तमान केन्द्रीय सरकार ने एक सीमा तक उच्चस्तर पर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का प्रयास किया है। पारदर्शिता पर भी जोर दिया गया है।

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Corruption Free India Essay | Essay on Corruption Free India for Students and Children in English

February 14, 2024 by Prasanna

Corruption Free India Essay:  A long lost dream for many Indians, a corruption-free India is something that every Indian always dreams of. But how do we achieve a corruption-free India? Is it just India or the rest world also has problems with corruption. Is there are a country that has zero corruption? Most importantly, what is corruption exactly? How long has corruption been part of our lives? Are politicians solely responsible for corruption in India? How do we prevent corruption in India?

These are some burning questions that one always ponders upon when the issue of corruption in India comes up. Through this particular essay on corruption free India , we hope some of the questions will be answered.

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Long and Short Essays on Corruption Free India for Students and Kids in English

Find below a long essay on corruption free India with a word limit of 600. Also, we have provided a similar essay on corruption free India with a word limit of 200. Both of these essays can be used by schoolchildren and college students for various purposes like essay writing, assignments, tests and project work.

Long Essay On Corruption Free India 600 Words in English

Find below a 600-word long essay on corruption free India is helpful for students of classes 7,8,9 and 10.

India, mostly in recent years, has become popular around the world because of the various scandals and corruption issues that have broken out in the power corridors of the country. Corruption has been a part of India ever since its birth. Corruption is not just something that is associated with politicians and businessmen, corruption is a problem in India that exists in all the levels, right from ministers to watchmen. Basically let us answer a few questions,

What is corruption?

Corruption is an act of dishonesty and a criminal offense conducted by a person or a group of people or an organisation by abusing and taking advantage of their power and position of authority. This means that anything unethical done, for the greed of money, which is beyond the boundaries of the legality of the land, will be termed as corruption. Corruption can be on various levels. A minister taking bribes to provide a license for a businessman, a pion taking kickbacks and bribes to let you inside a government office, a doctor taking a bribe from you to provide you with a fake medical certificate are all the different levels of corruption. One thing we should remember is, giving bribe is as bad and unethical as taking a bribe. Whether the bribe is Rs. 10 or Rs. 10,000 crore does not matter, a bribe is a bribe.

While it is easy to say that we shouldn’t pay bribes, the ground relates to it are far from easy. Imagine your loved one has severe health issues and you don’t have enough money to go to a private hospital. So you have taken them to a government hospital, where you are required to pay a bribe for the authorities to get your loved admitted into the hospital. The question of ethical dilemma becomes faded here and saving the life of our loved one takes precedence. One can’t expect to follow rules and integrity in a time of crisis like this. So how do we tackle corruption in India?

The tacking of corruption should come from higher authorities and the strongest laws and regulations should be in place. There are many laws in places such as the Prevention of corruption act and Jan Lokpal to name a few. While laws are robust in nature, its implementation is somehow weakened. This essay on corruption free India is mostly confined to corruption in the public sector. There is massive corruption in private sectors as well who circumvent the law of the land to make quick money.

To prevent corruption, we have to understand why corruption takes place in the first place.

Why does corruption take place in India?

  • Low salaries for government employees
  • An additional side income
  • Lack of fear of authorities and the law of the land
  • The mentality of “everyone takes a bribe, so why not me?”
  • In times of urgency, bribing might be the only way out. But,

Whose responsibility is to prevent corruption

We simply can’t expect everything to be done by the government when in some cases, the government leaders are themselves involved in massive corruption scandals. The responsibility lies equally with everyone, right from top-level ministers to mid-level government employees and low-level watchmen and workers. The responsibility also lies with the customer and common citizen of the country. He or she should be vigilant and record the acts of corruption and expose such people in accordance with the law.

How to prevent corruption?

While there is no one good answer to that question, here are some steps that should be taken to prevent corruption.

  • Accountability- A sense of accountability of income should be given by all the worker at all levels to prevent taking bribes
  • Vigilance- The anti-corruption officers should be vigilant
  • A sense of responsibility by the bribe givers should be inculcated by conducting anti-corruption awareness campaigns
  • String and robust laws in place
  • Constant monitoring and surveillance of office premises
  • Monitoring and following the irregular financial levels of the employees in question.

Essay on Corruption Free India

Short Essay On Corruption Free India 200 Words in English

Find below a 200-word short essay on corruption free India in English is helpful for students of classes 1,2,3,4,5 and 6.

A corruption-free India is a dream that every politician promises his voters during elections but forgets it during the regime. While corruption is usually associated with public sector employees and politicians, we cannot deny the fact that massive corruption and criminal offences exist even in the private sector of India.

Preventing corruption is not an easy task, especially in a democratic country like India. India is a free-market country with strong laws on privacy and human rights. But this is not the case in authoritarian regimes like North Korea or China. When a state is a complete police state, it becomes easier to tackle corruption since there would be no resistance. But in India, even the anti-corruption officers need to follow the course of the law to prevent corruption.

It is a tricky situation since the criminals circumvent the law while the people catching them has to follow the law. Red tape bureaucracy, lack of accountability and inefficient leadership are some of the reasons for the rising corruption rates in Inda. For India to become truly corruption free, strong laws, the autonomy of power to government officers and good awareness campaigns for the general public should be done.

10 Lines on Corruption Free India Essay

  • The dream of corruption-free India is a long road ahead
  • Corruption in India exists on all levels, from ministers to watchmen
  • Corruption has cost the taxpayers thousands of crores in revenue for the country
  • A thorough unbiased investigation should be conducted when a corruption scandal breaks out
  • Corruption in India exists both in the private sector and public sector
  • Anti-corruption Bureau (ACB) is a governmental autonomous body that is responsible for the prevention of corruption and catching the culprits
  • Lack of transparency, greed for money and ignorance of the people are some of the reasons for corruption in India
  • Bribe giver is as much accountable to corruption as a bribe-taker
  • Lack of accountability and efficient system in place is the reason for high corruption rate in India
  • The lack of development in India is directly related to the amount of corruption that takes place in the country at every level.

Essay About Corruption Free India

FAQ’s on Corruption Free India Essay

Question 1. Which is the most corrupt country in the world

Answer: South Sudan is considered as the most corrupt country in the world

Question 2. Which is the biggest corruption scandal in India?

Answer: The Common Wealth Games, popularly known as CWG scam is the biggest scam in India

Question 3. What are the types of corruption?

Answer: Bribery, extortion, embezzlement, graft and peddling are few types of corruption

Question 4. What is the effect of corruption?

Answer: The effect of corruption is seen in the development and economic distress

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दा इंडियन वायर

भ्रष्टाचार पर निबंध

corruption free india essay in hindi 600 words

By विकास सिंह

essay on corruption in hindi

भ्रष्टाचार व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने के लिए स्थिति या अधिकार की शक्ति का उपयोग करने वाले लोगों के समूह द्वारा किया जाने वाला अनैतिक कार्य है। यह एक सामाजिक मुद्दा है जो राष्ट्र की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।भ्रष्टाचार दूसरों द्वारा कुछ लाभ प्राप्त करने के लिए अनैतिक तरीकों का उपयोग है। यह व्यक्ति और देश के विकास में बाधा डालने वाले बड़े कारकों में से एक बन गया है।

भ्रष्टाचार पर निबंध, short essay on corruption in hindi (100 शब्द)

भ्रष्टाचार एक जहर है जो समाज, समुदाय और देश के गलत लोगों के दिमाग में फैला हुआ है। यह छोटी इच्छाओं को पूरा करने के लिए कुछ अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक संसाधनों का दुर्व्यवहार है। यह सरकार या गैर-सरकारी संगठन में किसी के द्वारा शक्ति और स्थिति दोनों के अनावश्यक और गलत उपयोग से संबंधित है।

इसने व्यक्ति के विकास को प्रभावित किया है और हम राष्ट्र के रूप में अच्छी तरह से आय को कम करते हैं। यह समाज और समुदाय में असमानताओं का एक बड़ा कारण है। यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से सभी पहलुओं में राष्ट्र की वृद्धि और विकास को प्रभावित करता है ।

भ्रष्टाचार पर निबंध, essay on corruption in hindi (150 शब्द)

corruption

व्यक्तिगत संतोष हासिल करने के लिए स्वार्थी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए भ्रष्टाचार सार्वजनिक संपत्ति, स्थिति, शक्ति और अधिकार का दुरुपयोग है। भ्रष्टाचार एक व्यक्ति या समूह के व्यक्तिगत लाभ के लिए अधिकार का दुरुपयोग है। यह सरकार द्वारा बनाए गए कुछ नियमों और कानूनों को तोड़कर कुछ निजी फायदे के लिए सार्वजनिक शक्ति का अनुचित उपयोग है।

अब एक दिन, यह समाज में गहराई से फैल गया है और इसकी बहुत सारी जड़ों के कारण बहुत मजबूत हो गया है। यह एक कैंसर की तरह है जो एक बार उत्पन्न होने पर दवा के बिना समाप्त नहीं हो सकता है और लगातार अपनी जड़ें फैलाता रहता है। हमारे देश में भ्रष्टाचार का एक सामान्य रूप नकद धन प्राप्त करना है, ऑनलाइन हस्तांतरण के माध्यम से या महंगा उपहार आदि के रूप में।

कुछ लोग गलत तरीके से किसी और के पैसे का उपयोग अपने लिए करते हैं। सरकारी या गैर-सरकारी कार्यालयों में भर्ती कुछ लोग भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं और अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

भ्रष्टाचार पर निबंध, corruption essay in hindi (200 शब्द)

corruption

हम सभी भ्रष्टाचार से अच्छी तरह परिचित हैं और क्योंकि यह हमारे देश में कोई नई घटना नहीं है। इसने अपनी जड़ें लोगों के दिमाग में इतनी गहराई तक पहुंचा दी हैं। यह प्राचीन काल से समाज में एक बहुत ही सामान्य जहर है। यह मुगल और सल्तनत काल के इतिहास के समय से उपलब्ध है।

यह अपनी नई ऊंचाई पर पहुंच रहा है। इसने लोगों के दिमाग को काफी हद तक प्रभावित किया है और यह इतना सामान्य हो गया है कि गलत लोग सार्वजनिक जीवन के साथ खेल सकते हैं। यह एक प्रकार का लालच है जो मानव मन को भ्रष्ट करता है और एक की मानवता और स्वाभाविकता को नष्ट करता है।

भ्रष्टाचार विभिन्न प्रकारों का है, जो शिक्षा, खेल, खेल, राजनीति, आदि जैसे हर दायर में फैला हुआ है। भ्रष्टाचार के कारण, व्यक्ति कार्यस्थल पर अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझता है। भ्रष्टाचार चोरी, बेईमानी, सार्वजनिक संपत्ति का अपव्यय, अनावश्यक रूप से समय की बर्बादी, शोषण, घोटालों, घोटालों, जिम्मेदारियों के कदाचार आदि विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचार हैं।

इसने विकासशील और सुविकसित दोनों देशों में अपनी जड़ें जमा ली हैं। हमें गुलामी से वास्तविक आजादी पाने के लिए अपने समाज और देश से भ्रष्टाचार को दूर करने की जरूरत है। हम सभी को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति निष्ठावान और किसी भी प्रकार के लालच के लिए सख्त होने की आवश्यकता है।

भ्रष्टाचार पर निबंध, essay on corruption in hindi (250 शब्द)

आजकल, एक संक्रामक बीमारी की तरह समाज में हर जगह भ्रष्टाचार देखा जाता है। भारत के महान नेता जिन्होंने अपना पूरा जीवन भ्रष्टाचार और अन्य सामाजिक मुद्दों को समाज से पूरी तरह से हटाने के लिए लड़ा है। यह हमारे लिए बहुत ही शर्मनाक स्थिति है कि विभिन्न महान जीवन खोने के बाद भी हम अपनी वास्तविक जिम्मेदारियों को नहीं समझ पा रहे हैं।

आम जनता के जीवन, राजनीति, केंद्र सरकारों, राज्य सरकारों, व्यवसायों, उद्योगों इत्यादि में भ्रष्टाचार फैला हुआ है, इसने कोई क्षेत्र नहीं छोड़ा है। धन, शक्ति, पद और विलासिता के लिए लोगों की भूख में लगातार वृद्धि के कारण भ्रष्टाचार कम या स्थिर होने के बजाय दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

हम सिर्फ पैसे के कारण इंसान होने की असली ज़िम्मेदारी को भूल गए हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि पैसा सब कुछ नहीं है और यह एक स्थिर चीज नहीं है। हम इसे हमेशा के लिए नहीं रख सकते, यह हमें केवल लालच और भ्रष्टाचार दे सकता है।

हमें नैतिकता आधारित जीवन को महत्व देना चाहिए न कि धन आधारित जीवन को। यह सच है कि आम जीवन जीने के लिए हमें बहुत धन की आवश्यकता होती है लेकिन यह सच नहीं है कि सिर्फ अपने स्वार्थ और लालच के लिए; हमें कुछ अनुचित तरीकों से किसी का जीवन या पैसा खेलना चाहिए।

भ्रष्टाचार पर निबंध, essay on corruption in hindi (300 शब्द)

corruption free india essay in hindi 600 words

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भ्रष्टाचार बहुत बुरी चीज है। यह व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ समाज और देश की वृद्धि और विकास को बाधित करता है। यह सामाजिक बुराई है जो मानव शरीर और मन को सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक रूप से निभा रही है।

यह धन, शक्ति और स्थिति के प्रति बढ़ते मानवीय लालच के कारण लगातार अपनी जड़ों को इतना गहरा बना रहा है। किसी व्यक्ति द्वारा अपने व्यक्तिगत संतुष्टि प्राप्त करने के लिए भ्रष्टाचार, सार्वजनिक स्थिति, प्राकृतिक या सार्वजनिक संसाधनों, शक्ति आदि का दुरुपयोग है। सूत्रों के अनुसार, यह पता चला है कि भारत अत्यधिक भ्रष्ट देशों में तीन पायदान पर है।

सिविल सेवा, राजनीति, व्यवसाय और अन्य अवैध क्षेत्रों के क्षेत्र में भ्रष्टाचार अत्यधिक फैला हुआ है। भारत अपने लोकतंत्र के लिए एक प्रसिद्ध देश है लेकिन यह भ्रष्टाचार है जो इसकी लोकतांत्रिक प्रणाली को परेशान करता है। देश में सभी प्रकार के भ्रष्टाचार के लिए राजनेता अत्यधिक जिम्मेदार हैं।

हमने अपने नेताओं का चयन करके उनसे अपेक्षा की थी कि वे हमारे देश का सही दिशा में नेतृत्व करें। शुरुआत में वे हमसे बहुत सारे वादे करते हैं, लेकिन मतदान के बाद वे सब भूल जाते हैं और भ्रष्टाचार में शामिल होते हैं। हमें यकीन है कि हमारा भारत एक दिन भ्रष्टाचार मुक्त होगा जब हमारे राजनीतिक नेता लालच से मुक्त होंगे और देश का नेतृत्व करने के लिए अपनी शक्ति, धन, स्थिति और स्थिति का सही दिशा में उपयोग करेंगे, न कि अपनी खुद की लक्जरी और व्यक्तिगत इच्छाओं को पूरा करने में इसका प्रयोग करेंगे .

हमें अपने पहले भारतीय नेताओं जैसे लाल बहादुर शास्त्री, सरदार वल्लभ भाई पटेल, आदि जैसे हमारे भारत का नेतृत्व करने के लिए बहुत ईमानदार और भरोसेमंद नेताओं का चयन करना चाहिए, केवल ऐसे राजनीतिक नेता ही कम कर सकते हैं और अंततः भारत से भ्रष्टाचार को समाप्त कर सकते हैं।

देश के युवाओं को भी भ्रष्टाचार के सभी कारणों से अवगत होना चाहिए और समूह में इसे हल करने के लिए एकजुट होना चाहिए। भ्रष्टाचार के बढ़ते स्तर पर नियंत्रण पाने के लिए कुछ भारी कदम उठाने की जरूरत है।

भ्रष्टाचार पर निबंध, essay on corruption in hindi (400 शब्द)

भ्रष्टाचार अत्यधिक संक्रामक सामाजिक बीमारी है जिसने अपनी जड़ें बुरे लोगों के दिमाग में फैला दी हैं। समाज में इस प्रकार की बुरी गतिविधियों को करने के लिए किसी ने जन्म नहीं लिया, लेकिन उनके जीवन की कुछ बुरी स्थितियों ने उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया।

धीरे-धीरे वे इन सभी बुरी गतिविधियों के लिए अभ्यस्त हो जाते हैं। हालाँकि, किसी भी समस्या, बीमारी आदि से पीड़ित लोगों को धैर्य और खुद पर भरोसा रखना चाहिए और जीवन में कभी भी कुछ बुरा नहीं करना चाहिए। जैसा कि, किसी का एक नकारात्मक कदम कई लोगों के जीवन को नुकसान पहुंचा सकता है।

हम इस धरती पर एक ही इकाई नहीं हैं, हमारे जैसे कई हैं, इसलिए हमें दूसरों के बारे में थोड़ा सोचना चाहिए और सकारात्मक विचारों के साथ जीवन को सुख और शांति से जीना चाहिए। अब-एक दिन, भारत सरकार द्वारा गरीब लोगों को विभिन्न नियमों और विनियमों के आधार पर आम लोगों के साथ-साथ समाज में समानता लाने के लिए सामाजिक जागरूकता लाने के लिए बहुत सारे लाभ दिए जाते हैं।

हालांकि, गरीब लोगों को सरकार द्वारा दिए गए उन फायदों का लाभ नहीं मिल रहा है, क्योंकि कई अधिकारी गरीब लोगों तक पहुंचने से पहले चैनल के बीच गुप्त रूप से भ्रष्टाचार कर रहे हैं। वे सिर्फ पैसे से अपनी जेब भरने के लिए कानून के खिलाफ भ्रष्टाचार कर रहे हैं।

समाज में भ्रष्टाचार के कई कारण हैं। अब-के-दिनों के राजनीतिक नेता राष्ट्र उन्मुख कार्यक्रमों और नीतियों के बजाय रुचि उन्मुख कार्यक्रम और नीतियां बना रहे हैं। वे सिर्फ नागरिकों के हितों और आवश्यकता के बजाय अपने स्वयं के हितों को पूरा करने के लिए प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ बनना चाहते हैं। मानव मन में मूल्य प्रणाली में परिवर्तन का स्तर बढ़ रहा है और साथ ही साथ मानव के नैतिक गुणों में कमी हो रही है। विश्वास, विश्वास और ईमानदारी का स्तर घट रहा है जो भ्रष्टाचार को जन्म देता है।

भ्रष्टाचार के प्रति सहन शक्ति बढ़ने के साथ आम लोगों की संख्या बढ़ रही है। भ्रष्टाचार का विरोध करने के लिए समाज में मजबूत सार्वजनिक मंच की कमी है, ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक अशिक्षा, खराब आर्थिक बुनियादी ढांचे, आदि सार्वजनिक जीवन में स्थानिक भ्रष्टाचार का कारण हैं।

सरकारी कर्मचारियों के कम वेतन मानदंड उन्हें भ्रष्टाचार के चैनल की ओर ले जाते हैं। सरकार के जटिल कानून और प्रक्रियाएं आम लोगों को सरकार से किसी भी प्रकार की सहायता प्राप्त करने के लिए विचलित करती हैं। चुनाव के समय, भ्रष्टाचार अपने उच्चतम शिखर पर हो जाता है। राजनेता हमेशा अपने शासन के दौरान भविष्य में बड़े सपने दिखाकर गरीब और अनपढ़ लोगों का समर्थन करते हैं लेकिन जीत के बाद कुछ भी नहीं होता है।

भ्रष्टाचार पर निबंध, essay on corruption in hindi (500 शब्द)

भ्रष्टाचार पूरे भारत के साथ-साथ विदेशों में भी एक बीमारी की तरह फैल गया है। यह भारतीय समाज में सबसे तेजी से बढ़ते सामाजिक मुद्दों में से एक बन गया है। यह आम तौर पर अवसरवादी नेताओं द्वारा शुरू और बढ़ावा दिया जाता है। वे कभी भी राष्ट्र के लाभों के बारे में नहीं सोचते हैं और अपने छोटे से लाभ के लिए भी अपने भ्रष्टाचार के माध्यम से राष्ट्र को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। वे अपने देश की संपत्ति को गलत हाथों में बेचते हैं और दूसरे देशों में रहने वाले लोगों के दिमाग में भारत के बारे में गलत धारणाएं फैलाते हैं।

वे अपने निजी लाभों के लिए भारत की पुरानी परंपराओं और संस्कृतियों को खराब कर रहे हैं। आजकल के लोग जो आधुनिक समाज में मूर्खतापूर्ण माने जाने वाले सही सिद्धांतों का उपयोग करके सही दिशा में काम कर रहे हैं और जो लोग गलत काम कर रहे हैं और गलत वादे कर रहे हैं वे समाज के लिए अच्छे हैं। हालांकि, बदले में यह सच है कि भ्रष्ट लोग साधारण, साधारण और निर्दोष लोगों को धोखा देते हैं। वे निर्दोष लोगों के दिमाग पर राज कर रहे हैं।

भारत में दिन-प्रतिदिन भ्रष्टाचार बढ़ता है क्योंकि अधिकारियों, राजनेताओं और अपराधियों के बीच एक मजबूत संबंध है जो इस देश को कमजोर और इतना कमजोर बना रहे हैं। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली और यह धीरे-धीरे मजबूत और विकसित हो रहा था लेकिन बीच में ही भ्रष्टाचार की बीमारी शुरू हो गई और भारत को आगे बढ़ने से रोक दिया।

भारत में सरकारी कार्यालयों या निजी क्षेत्रों के कार्यालयों में अपना काम करवाने के लिए कुछ पैसे देने और लेने का चलन रहा है। और अब हालत खराब और बदतर होती जा रही है, पहले की तरह, पैसा गलत काम करने या केवल काम करने के लिए भुगतान किया गया था, लेकिन वर्तमान में पैसा सही तरीके से और सही समय पर काम पाने के लिए भुगतान किया जाता है।

मांग के अनुसार पूरा पैसा देने के बाद भी, समय पर और सही तरीके से काम करने का कोई पूरा भरोसा नहीं है। हर विभाग में भ्रष्टाचार है चाहे वह अस्पताल हो, शिक्षा हो, नौकरी हो, सरकारी दफ्तर हों, भ्रष्टाचार का कुछ नहीं बचा है। सब कुछ एक व्यवसाय बन गया है और गलत तरीके से पैसा कमाने का स्रोत है।

शैक्षणिक संस्थान भी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और वे केवल उन्हीं छात्रों को सीट देते हैं जिन्होंने भुगतान किया है, चाहे वे अच्छे अंकों के साथ अच्छे छात्र हों या नहीं। बहुत कमज़ोर छात्रों को शीर्ष कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में केवल गलत दाखिले के लिए दिए गए पैसे के आधार पर प्रवेश दिया जाता है और टॉपर छात्र को अच्छे अंक और पैसे की कमी के कारण जीवन में केवल कठिनाइयां ही मिलती है ।

सरकारी नौकरी की तुलना में अब निजी क्षेत्र की कंपनियां बहुत बेहतर हो गयी हैं। निजी कंपनियां उम्मीदवार के कौशल, क्षमता, तकनीकी ज्ञान, अंकों का अच्छा प्रतिशत और सभी शैक्षिक रिकॉर्ड के आधार पर नौकरी दे रही हैं। हालाँकि, सरकारी कार्यालयों में नौकरी पाना कठिन हो गया है क्योंकि उन्हें किसी भी प्रकार की नौकरी (उच्च स्तर या निम्न स्तर) जैसे शिक्षण, क्लर्क, बाबू, नर्स, डॉक्टर, स्वीपर इत्यादि देने के लिए बहुत रिश्वत की आवश्यकता होती है।

[ratemypost]

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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StoryRevealers

भ्रष्टाचार पर निबंध – Corruption Essay in Hindi

by StoriesRevealers | May 11, 2020 | Essay in Hindi | 0 comments

Corruption Essay in Hindi

Corruption Essay in Hindi : निजी लाभ के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने को भ्रष्टाचार कहा जाता है। हम मानते हैं कि खाद्यान्न की कीमत, पेयजल की उपलब्धता, रोजगार के अवसर, आश्रय की सुविधाएँ, प्रत्येक नागरिक की आवश्यकताएं हैं। लेकिन सरकार ने फ्लाई ओवर बनाने, हवाई अड्डों के नवीनीकरण और व्यवसायों को बढ़ावा देने जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं पर बहुत अधिक धन आवंटित किया है। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों है? हम गरीबी, अशिक्षा जैसी सामाजिक बुराइयों को क्यों नहीं मिटा पा रहे हैं?

ऐसा इसलिए है क्योंकि भ्रष्टाचार प्रतिमान बन गया है, और हमने इसके साथ रहना सीख लिया है। हम कम से कम अपने कार्यों का वह नतिजौं का दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसके बारे में भी सोचना चाहिए। नतीजतन, वित्तीय, बौद्धिक, नैतिक आधारों में अखंडता की कमी है। स्वतंत्रता के वर्षों के बाद भी, हम अपने समाज में आर्थिक मंदी, असमानता, सुरक्षा और पूर्वाग्रह से डरते हैं।

Corruption Essay in Hindi

Corruption Essay in Hindi

हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहाँ सरकारी अनुबंध, लाइसेंस, पेटेंट, आदि खरीदने के लिए रिश्वत दी जाती है, आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को प्रदान करने के लिए निम्न और मध्य स्तर के अधिकारियों द्वारा, सौंपी गई शक्तियों का दुरुपयोग व्यापक है। हम निर्धारित लागत के साथ रिश्वत के लिए जिम्मेदार हैं। लेकिन, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में उच्च-स्तरीय भ्रष्टाचार के परिणामस्वरूप उन नीतियों और नियमों का हेरफेर होता है जो जनता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं।

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भ्रष्टाचार का असर

भ्रष्टाचार समाज के हर क्षेत्र को प्रभावित करता है। यह असमानता और अस्थिरता का कारण बनता है। यह उस स्थिति का कारण है जहां कुछ लोग अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा नहीं कर सकते हैं, जबकि अन्य बहुत अमीर बन जाते हैं।

आइए हम विस्तार से देखें विभिन्न क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के हानिकारक प्रभाव।

आज लोग मानते हैं कि राजनीति भ्रष्टाचार पर आधारित है। कुछ राजनेताओं का पर्दाफाश हो गया है, और शेष लोगों के पास एक नामी क्लीन चिट है। एक पार्टी दूसरे की तुलना में कम भ्रष्ट हो सकती है, लेकिन सभी कुछ हद तक भ्रष्ट हैं। लोगों ने लोकतांत्रिक प्रणाली, सरकारी कार्यालयों और संस्थानों में अपना विश्वास खो दिया है।

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अर्थव्यवस्था नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स का भारी ढेर, विदेशी निवेश की कमी, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स का समय और लागत अधिक होना हमारी प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। किसी भी आर्थिक गतिविधि को शुरू करने से पहले बहुत से जरूरी दस्तावेज़ों पर वहाँ के आधिकारिक नेताऔ से अनुमति लेनी पड़ती है और हजारों नियमों का पालन करना पड़ता हैं। विदेशी कंपनियों के लिए यहां निवेश के लिए आना अविश्वसनीय और कठिन है। 

सामाजिक असमानता मुख्य रूप से भ्रष्टाचार का एक प्रमुख कारण है। सभी रिश्वत नहीं दे सकते गरीब वर्ग को इससे बहुत नुकाश होता है। इसके अलावा, हमारे समुदाय में, पाइपलाइनों, बांधों, रिफाइनरियों के लिए अधिक परियोजनाओं हैं, लेकिन फिर भी, प्राथमिक आवश्यकताएं जैसे कि स्कूल, अस्पताल और सड़कें सभी के लिए उपलब्ध नहीं हैं। एक विभाजित समाज देश की स्थिरता के लिए हानिकारक हो सकता है। यह अपराधियों को जन्म देता है, और वे कानून व्यवस्था को चुनौती देते हैं।

राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी और निजी कंपनियां अपने लाभों के लिए पर्यावरण को नीचा दिखाती हैं। प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और पारिस्थितिक संतुलन से संबंधित नियमों का पालन न करने से अप्रत्याशित परिणाम सामने आते हैं। अधिकारियों द्वारा स्वीकार किए गए रिश्वत के कारण अनियमित खनन, वनों की कटाई जैसी गतिविधियाँ होती हैं।

भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कदम

हमारी पूरी आबादी को संवेदनशील बनाना चाहिए और उन सभी लोगों को साथ लाना चाहिए जो भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं। हमें भ्रष्ट प्रथाओं के कारण खोए हुए कुल धन की गणना करनी चाहिए और सभी को इसके बारे में बताना चाहिए। यह अच्छा समय है कि हम राजनीतिक दलों द्वारा एकत्रित धन का ट्रैक रखें। राजनेताओं की आय और संपत्ति को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। जन लोक पाल बिल भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक अच्छा कदम था। लेकिन अन्य उपायों के साथ, यह भ्रष्ट लोगों के अनुरूप था।

आम जनता को उन कुप्रथाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो अन्याय और भ्रष्टाचरण का सहन करते हैं। व्यवसाय और दीर्घकालिक दृष्टिकोण वाले लोग नौकरशाही के साथ झगड़े करना पसंद नहीं करते हैं। इसके अलावा, भ्रष्टाचार के लिए सजा गंभीर नहीं है, और सजा की दर भी कम है।

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हमें पता होना चाहिए कि भ्रष्टाचार राष्ट्र-विरोधी, पारिस्थितिक-विरोधी और गरीब-विरोधी है। हम नागरिकों को भ्रष्टाचार मुक्त समाज के लिए प्रयास करना चाहिए। भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना एक मुश्किल काम हो सकता है, लेकिन सभी नागरिक एकजुट होकर लड़े तो इस पर जीत पाई जा सकती हैं।

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Essay on corruption in hindi-जाने क्या है.

February 22, 2021 Ankit Essay In Hindi 1

Essay on Corruption In Hindi

  • 1 Essay on Corruption In Hindi
  • 2.1 The biggest corruption scam in India (भारत में हुए सबसे बड़े भ्रष्टाचार के घोटाले)
  • 2.2 Essay on corruption (150 words) || भ्रष्टाचार पर निबंध (150 शब्द)
  • 2.3 Essay on corruption (300 words) || भ्रष्टाचार पर निबंध (300 शब्द)
  • 2.4 Essay on corruption (600 words) || भ्रष्टाचार पर निबंध (600 शब्द)
  • 2.5 Examples (उदाहरण)
  • 2.6 Can we not eliminate corruption? (क्या भ्रष्टाचार को हम नहीं मिटा सकते? طاولة الروليت )
  • 2.7 Essay on corruption (1000 words) || भ्रष्टाचार पर निबंध (1000 शब्द)
  • 2.8 Introduction (प्रस्तावना)
  • 2.9 Main types of corruption (भ्रष्टाचार के मुख्य प्रकार)
  • 2.10 Loss due to corruption (भ्रष्टाचार से होने वाले नुकसान)
  • 2.11 How to stop corruption (भ्रष्टाचार कैसे रोकें)
  • 2.12 Conclusion (उपसंहार)
  • Essay on Corruption In Hindi

Essay on Corruption In Hindi – हेल्लो दोस्तों कैसे हो , उम्मीद है आप ठीक होगे और पढाई तो चंगा होगा आज जो शेयर करने वाले वो Essay In Hindi में Corruption (भ्रष्टाचार)  के बारे में हैं तो यदि आप जानना चाहते हैं की ये   क्या हैं तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ सकते हैं , और अगर समझ आ जाये तो अपने दोस्तों से शेयर कर सकते हैं |

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भ्रष्टाचार ( Corruption ) आज देश के सामने खड़ी सबसे बड़ी समस्या है। इसके लिए हमें शिक्षित होने की जरूरत है। यहाँ हम कक्षा 1 से लेकर 12 तक के छात्रों के लिए निबंध लेकर आए हैं। 150 शब्दों से लेकर 1000 शब्दों तक के निबंध की तैयारी आप कर सकते हैं।

Essay on Corruption In Hindi

The biggest corruption scam in India (भारत में हुए सबसे बड़े भ्रष्टाचार के घोटाले)

Rs. 640 million

Rs 1.856 lakh crore

 Rs 200 billion

Rs 1.76 trillion.

Rs 14,162 crore

Rs. 70,000 crore.

Rs. 14,356.84 crore (US$ 2.1 billion)

94,031000

2 lakh crores (estimated)

12 lakh crores

Essay on corruption (150 words) || भ्रष्टाचार पर निबंध (150 शब्द)

जब हमारा अपने कार्य के प्रति आचरण भ्रष्ट हो जाता है तभी हमारे अंदर भ्रष्टाचार का जन्म होता है। हमारे देश में भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह फैला है जो धीरे-धीरे इस देश की अर्थ व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था को खोखला करता जा रहा है। आज सबसे बड़ी चुनौती हमारे सामने अगर कोई है तो वो है भ्रष्टाचार। किसी भी देश के लिए आगे बढ्ने में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा रोड़ा है, वो देश कभी भी प्रगति नहीं कर सकता जहां चारो तरफ भ्रष्टाचार फैला हो।

अगर हमें भी अपने देश को प्रगतिशील बनाना है तो सबसे पहले भ्रष्टाचार के जहर को फैलने से रोकना होगा। व्यक्ति जब अपने कार्य के प्रति वफादार नहीं होता है और उस कार्य में अनैतिक कामों को करता है तब जन्म होता है भ्रष्टाचार का। भ्रष्टाचार कहीं भी जन्म ले सकता है चाहे वो सरकारी ऑफिस हो या कोई राजनेता या कोई बड़ा महकमा। अगर इस हमें रोकना है तो सबसे पहले हर काम में पारदर्शिता लानी होगी। आइये हम सभी यह प्रण करें की ना भ्रष्टाचार करेंगे और ना किसी को करने देंगे।

Essay on corruption (300 words) || भ्रष्टाचार पर निबंध (300 शब्द)

किसी भी देश की प्रगति में सबसे बड़ा हाथ वहाँ की सिस्टम में होता है, अगर उस देश के शीर्ष पर बैठे लोग ईमानदार होंगे तभी वह देश आगे बढ़ सकता हैं। वो देश कभी विकास नहीं कर सकता जहां भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ों को मजबूत कर लिया हो। आज हमारे देश में भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या है, सिर्फ हमारा देश ही नहीं दुनिया मे ऐसे कई देश हैं जहां भ्रष्टाचार चरम पर है और खा रहा है देश की अर्थ व्यवस्था को।

अपने कार्य के प्रति ईमानदार ना होना और उसमें अपने गलत आचरण को शामिल करना ही भ्रष्टाचार को जन्म देता है। भ्रष्टाचार किसी भी जगह जन्म ले सकता है। आज हम देखते हैं की कोई भी सरकारी काम बिना रिश्वत दिये पूरा नहीं होता। पुलिस को पैसे देकर लोग बच जाते हैं, राजनीति मे शामिल लोग करोड़ो रुपयों का भ्रष्टाचार करते हैं। इसी तरह जब देश मे अरबों रुपया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता है तब देश बर्बादी की तरफ बढ़ता है।

भ्रष्टाचार फैलाने में सिर्फ वो लोग दोषी नहीं जो अपने काम में ईमानदारी नहीं दिखाते अपितु वो लोग भी उतने ही दोषी हैं जो ऐसे लोगों को पैसे देकर अपना काम गलत तरीके से करवाते हैं। रिश्वत लेनेवाला और देने वाला दोनों ही समान दोषित होते हैं।

भ्रष्टाचार को मिटाना इतना आसान नहीं क्यूंकी यह एक जहर की तरह हर जगह फैला है और हमारे बीच ही रहता है। अगर इसे हमें खतम करना है तो सबको एक कसम खानी होगी की कभी भी पैसे देकर अपना काम नहीं करवाएँगे, एक ईमानदार सरकार चुनेंगे, भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आवाज उठाएंगे। सरकार को भी चाहिए की अपने सभी दफ़तरों के कामों में पारदर्शिता लाये और ऐसे गठन की रचना करे जो भ्रष्टाचार के मामलों का निबटारा कर सके।

आइये हम सब एक होकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जंग की शुरुआत करते हैं और हमें तब तक नहीं रुकना है जब तक इसे हम जड़ से नहीं उखाड़ फेंकते।

Essay on corruption (600 words) || भ्रष्टाचार पर निबंध (600 शब्द)

किसी भी देश की तरक्की तभी हो सकती है जब उस देश की सरकार उस देश के लोग ईमानदारी से अपना काम करें। लेकिन जब हम अपनी ईमानदारी को भूलकर अपने काम में बेईमानी को जगह देते हैं तब पैदा होता है भ्रष्टाचार।

भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह काम करता है और देश, समाज को खोखला बना देता है। हमारे देश में आज बिना पैसों की लेन-देन के कोई काम नहीं होता। पहले पैसा दो और फिर अपना काम करवाओ। सिर्फ यही नहीं कुछ लोग अपने काम करवाने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल करते हैं और काम करने वाले को रिश्वत देते हैं। यही सब ही तो है भ्रष्टाचार।

भ्रष्टाचार को आप हर जगह देख सकते हैं, चाहे वो कोई सरकारी ऑफिस हो या कोई राजनीतिक पार्टी या फिर कोई जवाबदार पद पर बैठा व्यक्ति हर कोई इसमें लिप्त है। भ्रष्टाचार की वजह से सबसे बड़ा नुकसान आम आदमी को होता है, जो पैसा या सुविधाएं सरकार उसके लिए देती है वो बिचौलिये हड़प जाते हैं और जिनका अधिकार है वो उससे वंचित ही रहते हैं।

Essay on Corruption In Hindi

Examples (उदाहरण)

आज आपको रैशन कार्ड बनवाना हो या ड्राइविंग लायसंस वहाँ भी आप रिश्वत देंगे तो आपका काम पहले किया जाएगा। राजनीतिक पार्टियों की बात करें तो सबसे ज्यादा और सबसे बड़ा भ्रष्टाचार अगर कोई करता है तो वो हैं देश की सत्ताधारी राजनैतिक पार्टियां। करोड़ो, अरबों रुपयों का भ्रष्टाचार देश के सामने आना अब आम बात हो गयी है। यही राजनीतिक लोग चुनाव के समय भी पैसों या वस्तु की लालच देकर लोगों के वोट हासिल कर लेते हैं इसे भी हम भ्रष्टाचार की कहेंगे।

इसी प्रकार हर महकमे में भ्रष्टाचार की बीमारी फैली हुई है, लेकिन इस फैला कोन रहा है, क्या ये हमने कभी सोचा है?

भ्रष्टाचार को फैलाने में सिर्फ वो  दोषी नहीं जो पैसा या रिश्वत लेकर काम करता है बल्कि वो लोग भी दोषी हैं जो रिश्वत का लालच देते हैं। जब व्यक्ति के मन में अपने काम को लेकर असंतोष हो, उसे वो सब नहीं मिल रहा हो जो वो चाहता है, तो वो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने काम में अनैतिक चीजों को अपना लेता है और वो भ्रष्ट हो जाता है।

उसी प्रकार जब हमारा कोई काम आसान तरीके से नहीं होता तब हम पैसा देकर अपना काम कराते हैं तो फिर यहाँ हम भी एक भ्रष्टाचारी ही हुये। भ्रष्टाचार को फैलाने में हर कोई  दोषी है, शायद इसीलिए यह एक विकराल रूप ले रहा है और देश की अर्थ व्यवस्था को निगल रहा है।

Can we not eliminate corruption? (क्या भ्रष्टाचार को हम नहीं मिटा सकते?)

मिटा सकते हैं लेकिन उसके लिए हमें अपने आप से ये वादा करना होगा की आज से हम पैसा देकर अपना काम नहीं करवाएंगे और जो भी हम से रिश्वत मांगने की कोशिश करेगा उसका पर्दाफाश करेंगे। हमें राजनीति के उन लोगों का बहिष्कार करना होगा जो भ्रष्टाचार में लिप्त है और जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। आज हम देखते हैं भ्रष्टाचार के जिन पर आरोप होते हैं वो भी चुनाव लड़कर विजयी होते हैं और हमारे प्रतिनिधि बन जाते हैं। ऐसे भ्रष्ट लोगों का बहिष्कार करना होगा।

एक ईमानदार सरकार ही भ्रष्टाचार के खिलाफ काम कर सकती है इसलिए हमें देश को एक  ईमानदार सरकार चुनकर देना चाहिए। आम लोगों तक सरकारी पैसा और सुविधाएं पहुंचे और बिचौलिये उसका लाभ ना ले पाएँ इसके लिए पारदर्शी सिस्टम तैयार करने की जरूरत है।

भ्रष्टाचार को जड़ से खतम कर सकें इसके लिए सबसे जरूरी है की देश मे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कडा कानून बने ताकि जो लोग इसमें लिप्त हैं उनके मन में डर पैदा हो। जब तक हम एक ईमानदार और जवाबदार नागरिक नहीं बनेंगे तब तक भ्रष्टाचार को खतम नहीं कर सकते, हम सभी को अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी निभाने की जरूरत है।

Essay on corruption (1000 words) || भ्रष्टाचार पर निबंध (1000 शब्द)

Introduction (प्रस्तावना).

किसी भी पद पर बैठा व्यक्ति जब लालच या स्वार्थ के कारण अपने पद का दुरुपयोग करता है और गलत प्रवर्ती में लिप्त हो जाता है तो उसे हम भ्रष्टाचार कहते हैं, मतलब व्यक्ति का आचरण भ्रष्ट हो जाना ही भ्रष्टाचार है।

आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्या भ्रष्टाचार की है, और इसकी जड़ें बहुत गहराई में हैं। कोई भी देश तब तक विकास नहीं कर सकता जब तक ईमानदारी के साथ उस देश का नागरिक अपना काम ना करे। अगर सब भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तब तो हम कह सकते हैं की  उस देश का पतन निश्चित होता है।

हमारे भारत देश में भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। हर जगह यह पनप रहा है और देश को खोखला कर रहा है। आज कोई भी काम बिना पैसों के नहीं होता, वोटों को पैसों से खरीद लिया जाता है, चीज-वस्तुओं में मिलावट होना आम बात है, करोड़ो रुपयों के घोटाले अब आम हैं।

Main types of corruption (भ्रष्टाचार के मुख्य प्रकार)

कोई अनैतिक तरीके से किया गया काम भ्रष्टाचार कहलाता है इसको हम कुछ प्रकारों में बाँट सकते हैं:

1.Political ( राजनीतिक)

देश पर शासन करने वाले ही जब भ्रष्टाचार में लिप्त रहने लगेंगे तो सोचिए उस देश का कैसा भविष्य होगा, क्या वो देश कभी आगे बढ़ सकता है, नहीं बिलकुल नहीं। आए दिन हम राजनीति से जुड़े लोगों के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को सुनते हैं। करोड़ो रुपयों का घोटाला किए हुये ऐसे राजनीतिक लोग इस देश के लिए दीमक के समान हैं।

चुनाव के समय लोगों को पैसों की लालच देना, चीज वस्तु की लालच देना और वोटों को हासिल करने का खेल हम देखते हैं। ये भी एक भ्रष्टाचार ही है। जरा सोचिए वोटों को खरीद कर चुने हुये प्रतिनिधि इस देश का क्या विकास करेंगे।

ऊंची सत्ता हासिल करने के बाद ऐसे राजनीतिक लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप तो लगते हैं लेकिन उन्हें किसी भी तरह की सजा नहीं मिलती।

2. Administrative (प्रशासनिक)

आज किसी भी सरकारी ऑफिस का कचेरी में आप चले जाइए, बिना पैसों की लेन देन के कोई आपका काम नहीं करेगा। पहले पैसा दो, फिर अपना काम कराओ। अब तो लोगों को भी ये समझ में आ गया है की बिना पैसों के काम नहीं होने वाला इसलिए वो पहले से ही पैसा देकर अपना काम करा लेते हैं। कोई भी सरकारी काम हो आपसे रिश्वत मांगी जाती है, अगर कोई ईमानदार रिश्वत नहीं देता है तो उसका काम नहीं होता, उसे परेशान किया जाता है।

ऐसा ही हाल अन्य सरकारी विभागों का है जहां पहले रिश्वत ली जाती है और फिर काम किया जाता है। पूरा प्रशासन इसमें लिप्त है। सरकार द्वारा चलायी जा रहीं कई योजानाओं का पैसा गरीबों तक नहीं पहुँच पाता क्योंकि सरकारी कार्यालयों में बैठे भ्रष्ट लोग उन्हें हड़प कर जाते हैं।

3. Professional (व्यावसायिक)

आज चीज-वस्तुओं में मिलावट होना आम बात हो गयी है। अधिक पैसा कमाने की होड में लोग चीज-वस्तुओं में तरह-तरह की मिलावट करते हैं। नकली चीजों की तो भरमार है और लोगों को नकली चीजें बेचकर खूब ठगा जाता है, यही होता है व्यावसायिक भ्रष्टाचार।

Loss due to corruption (भ्रष्टाचार से होने वाले नुकसान)

कोई भी देश तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक भ्रष्टाचार जड़ से खतम नहीं होता। आज जो देश विकास कर रहे हैं वहाँ काम करने में पारदर्शिता है, लोगों में विश्वास की भावना है। भ्रष्टाचार देश को आर्थिक रूप से कंगाल कर देता है। आज कई देश ऐसे हैं जहां भ्रष्टाचार चरम पर है और वो देश बरबादी की कगार पर हैं।

राजनीति में घुसे हुये लोग जो इस देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जब वही भ्रष्टाचारी होंगे तो क्या उम्मीद हम कर सकते हैं।

भ्रष्टाचार की वजह से गरीब और ज्यादा गरीब हो गया है और अमीर व्यक्ति और ज्यादा अमीर। समाज में अमीरी-गरीबी की एक खाई बन गयी है। लोगों को अपना काम कराने के लिए पैसा देना पड़ता है और पैसा ना दो तो उनका काम नहीं होता।

सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार होने की वजह से लोगों का भरोसा टूटा है जिसकी वजह से प्रजा और प्रशासन के बीच एक अविश्ववास की भावना पैदा हुई है।

जो लायक है उनको कोई काम नहीं मिलता जबकि जो किसी लायक नहीं वो रिश्वत देकर ऊचे पदों पर बैठ जाते हैं। चुनावों में खूब भ्रष्टाचार होता है जिसकी वजह से ऐसे लोग चुनकर आते हैं जो ना देश के लिए कुछ कर सकते हैं और ना देश के लोगों के लिए। ऐसे लोग सत्ता में आने के बाद आम लोगों के पैसों को बर्बाद करते हैं।

How to stop corruption (भ्रष्टाचार कैसे रोकें)

ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका हल ना हो। बेशक भ्रष्टाचार आज हमारे देश मे दीमक की तरह फैला हो लेकिन अगर हम ठान लें की इसे हमें जड़ से खतम करना है तो हम जरूर ऐसा कर सकते हैं, समय जरूर लगेगा लेकिन बदलाव आने से कोई नहीं रोक सकता।

सबसे पहले तो हमें ऐसे लोगों का राजनीतिक भविष्य समाप्त करना होगा जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। ऐसे लोगों को हमें वोट नहीं करना है। हमें किसी भी प्रकार की लालच में ना आकार सिर्फ ईमानदार प्रतिनिधि को ही चुनकर इस देश की सेवा में लाना होगा। यह हर नागरिक का कर्तव्य है की वो हमेशा सही लोगों को अपना कीमती वोट दे।

दूसरी चीज हमें आज से यह शपथ लेनी है की किसी भी सरकारी कार्य के लिए हमें किसी को रिश्वत नहीं देना है, अगर हम से कोई रिश्वत मांगता है तो उसका हमें पर्दाफाश करना चाहिए।

तीसरा काम हमें करना है मिलावट करने वालों के खिलाफ। जो भी व्यक्ति चीज-वस्तु में मिलावट करता है उसका बहिष्कार करना चाहिए।

सरकार को चाहिए की वो ऐसे कड़े कानून और नियम बनाए की व्यक्ति भ्रष्टाचार करने से पहले हज़ार बार सोचे।

Conclusion (उपसंहार)

भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी चुनौती है और जब तक आम आदमी एक साथ मिलकर इसके खिलाफ खड़ा नहीं होगा तब तक हम इस से नहीं लड़ सकते। हम सभी को एक नागरिक होने का फर्ज निभाना चाहिए क्यूंकी ये देश हमारा है और अगर हम चाहते हैं की हमारा देश विकास करे, आगे बढ़े तो आइये मिलकर एक साथ हम भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद करें और कहें – भ्रष्टाचार हटाओ, देश बचाओ।

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Corruption Free India Essay

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Table of Contents

A “Corruption Free India” means a country where dishonest and illegal activities like bribery and embezzlement are not tolerated. It’s a place where people, businesses, and the government work together with integrity, fairness, and transparency to build a better and more just society for everyone.

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Achieving a corruption-free India requires strong laws, strict enforcement, and a commitment from all citizens to resist and report corrupt practices. When corruption is reduced or eliminated, it paves the way for economic growth, trust in public institutions, and a brighter future for all Indians.

Corruption is a big problem in India that affects everyone, whether they’re rich or poor. It comes in different forms like bribery, stealing money, favoring family, and misusing public things. The main reasons behind corruption in India are the absence of honesty, responsibility, and a system of laws that isn’t strong enough.

India faces the problem of corruption at various levels. This problem is eating our country internally. It is time for each of us to realize the negative impact of corruption on our country and contribute our bit to make it corruption-free. Corruption lies in every sector, and it is ruining our country.

Short Essay on Corruption in India

Corruption is a big problem that affects everyone, whether they’re rich or poor. In India, corruption shows up in many ways like bribes, stealing money, giving favors to family, and misusing public things. The main reasons for corruption are that things aren’t clear, people aren’t responsible, and the rules aren’t strong enough.

Below we have provided short and long essays on corruption-free India of varying lengths for your knowledge and information and to help students with the topic in exams. The essays have been written in simple English to make them easily memorable and presentable on need.

After going through the essays, you will know about the status of corruption in India, its impact on society and the nation’s growth, laws against corruption, and what could be done to eliminate it.

You can use these corruption-free India essays in your school/college events of essay writing , debates, or speech giving.

Essay on Corruption 200 Words

I dream of a corruption-free India. A place where everyone works hard and gets what he deserves. Place that gives equal opportunity to everyone based on their knowledge and skills, irrespective of their caste, color, creed, or religion. A place where people don’t use other people around to get accomplishes their selfish motives.

It is a common notion that those who work with honesty cannot reach anywhere. They hardly get any promotions and continue to earn meagre salaries.

It must be understood that although using corrupt ways is an easy way to make money in most cases, it does not make you happy. You may do well monetarily using such ill practices, but will you ever get peace of mind? No! You may find temporary happiness, but you will stay dissatisfied and unhappy in the long run.

Suppose each one of us must take a pledge to leave corrupt practices. This way, our life will improve, and our country will improve. Must See: Slogan On Corruption Free India

Take free test

Corruption Free India Essay 300 words

India, a country with a rich tapestry of cultures, languages, and customs, has been facing the challenge of corruption for many years. This problem runs deep and has held back the nation’s progress and advancement. A corruption-free India is not just the right thing to do morally but also a necessary step towards becoming a developed nation

The government of India should Set an Example

India’s government and political parties are known for their corrupt ways. Instead of indulging in corrupt practices, they should rather work on overcoming the problem of corruption. They must set an example for the citizens and inspire them to work with honesty and dedication to reach their goals rather than using corrupt means.

Selection of Political Parties and Ministers

In India, anyone can stand for the elections and form a political party. The eligibility criterion does not include a person’s educational qualification. Some ministers haven’t even attended school and have completely zero knowledge about the political system. Some have a past criminal record. When such people govern the country, corruption is bound to happen.

A minimum educational qualification criterion must be set. Only those candidates who meet the educational criteria and have a clean record must be allowed to contest the elections. The candidates who win the elections must then be trained to handle their duties and responsibilities. An educated and well-trained person can certainly run the country better.

There must be a set protocol for everything, and the ministers’ activities must be monitored by a higher authority to see if it is being followed.

Corruption Free India Essay 400 words

Many countries around the world face the problem of corruption. India is one such country that is severely impacted by this problem. Corruption is the root cause of various other serious problems in our country.

Ways to Make India Corruption Free

We can fight corruption if we stand united and are determined to drive this evil away. Here are a few ways to rid the country of corruption:

  • Spread Education

Lack of education is one of the main reasons for the growing corruption. Many people belonging to the uneducated class use illegal and corrupt means to earn their livelihood. Spreading education can help in curbing this problem to a large extent. The government must make policies to ensure that every child in the country goes to school and secures education.

  • Give Strict Punishment

Strict laws must be made for people who indulge in corrupt practices such as taking and giving bribery, using illegal ways to expand their businesses, accumulating black money, etc. These people must be punished severely.

  • Conduct Sting Operations

The media and government should join hands to conduct sting operations to uncover corrupt people in different sectors. Such sting operations will uncover corrupt people and discourage others from indulging in such practices.

  • Follow the Right Course

We must take it as a responsibility to follow the right course of getting things done rather than giving bribes to get them done speedily or to escape fines.

  • Install Cameras and Recorders

Technology can also help in bringing down corruption. CCTV cameras must be installed in government offices, at red lights, and in other places where the cases of taking and giving bribes are high. Recorders can be installed at places where it is difficult to install cameras. People can also take the initiative to record any corrupt practice on their mobile and share it at their nearby police station.

  • Build Confidence

People in India are scared of going to the police, even for lodging a complaint against someone. They avoid going to the police station because they fear getting caught up in the nitty-gritty of the police inquiry, which may bring a bad name to them. The procedures at the police station must be such that those who wish to help the police must not face any inconvenience.

Therefore there are many ways to free India from corruption. Only the willingness to implement these ways is required.

Essay on Corruption in India 500 Words

The rate of corruption in India is quite high. Among other things, corruption impacts the growth and development of the country negatively. Most developing countries are facing this problem. The government and individuals in these countries don’t understand that corrupt practices may benefit them to some extent, but it hampers the growth of the country and is ultimately bad for them.

Causes of Corruption in India

There are several reasons why the corruption level is high in our country. Here is a brief look at these reasons:

Lack of Job Opportunities

The jobs in the market are less compared to the number of qualified youths. While many youths these days roam around without any jobs, others take up jobs that are not on par with their qualification. The dissatisfaction amongst these individuals and their quest for earning more leads them to take up corrupt means.

Lack of Strict Punishment

People in our country get away with corrupt practices such as giving and taking bribes, not paying income tax, following corrupt means to run businesses, etc. There is no strict law to monitor the activities of people. Even if people get caught, they are not punished severely for it. This is the reason why corruption is high in the country.

Lack of Education

A society filled with educated people is likely to face less corruption. When people are not educated, they use unfair and corrupt means to earn their livelihood. Our country’s lower classes undermine education’s importance, leading to increased corruption.

Greed and Growing Competition

Greed and growing competition in the market are also reasons for growing corruption. People these days have become extremely greedy. They want to earn more than their relatives and friends, and in this mad rush, they do not hesitate to employ corrupt means to realize their dreams.

Lack of Initiative

Everyone wants the country to be free of corruption and criticizes the government for not doing anything in this direction. But are we trying to curb the issue at our levels? No, we are not. Knowingly or unknowingly, we all are giving rise to corruption. Nobody is ready to take the initiative and work as a team to drive this evil away from the country.

Building a Corruption-Free India

The causes of corruption are known to all. It said that once the cause of a problem is identified, half the task is done. It is now time to look for solutions rather than discuss the problem repeatedly.

The government must take it as a responsibility to free India of corruption, as our country cannot progress if this problem prevails. Each of the issues leading to corruption must be removed from its roots. For instance, the lack of good employment opportunities leads to corruption caused due to the growing rate of population. The government must take strict measures to control the population of the country. Likewise, it must work on every aspect to build a corruption-free India.

Take free test

Corruption Free India Essay 600 words

Corruption prevails in every sector and at every level in the country. Corrupt means and unfair ways are used to accomplish several big and small tasks by people belonging to the government and the private sector. This is because people want to make big bucks without much hard work. But where are we heading by employing such ill practices? Certainly towards destruction! Each one of us must say no to any corrupt practice. This would be the first step toward building a corruption-free India.

Government’s Role in Establishing Corruption-Free India

Indian government must make strict laws to get rid of this problem. People indulging in corrupt practices must be punished severely.

The government officials in the country are known for their laid-back attitude towards work. They take bribes without any hesitation to provide various government services to people. Therefore there is no check on these malpractices. Taking bribes and favours for people in power is a common trend in government offices. This is not to say that every government official is corrupt. Some of them do their duties honestly.

But the irony is that those who use fair means earn meagrely, and those who use corrupt ways earn good and make a better living. Looking at the monetary benefits involved, even those reluctant to follow the corrupt means are drawn toward this path. The main reason is that no one can check or punish people indulging in these practices. If the government monitors the actions of these employees closely and punishes them, then only these practices can end.

Giving bribes is as bad as taking bribes. We cannot deny that we have indulged in bribes or seen our parents or relatives giving the same at one point. Offering money to the traffic police for crossing the red light or giving money to get some form submitted after the due date is a common practice.

However, we would not indulge in it if we knew that doing so could land us in trouble. If we know that we may be fined or our license may be seized or put behind bars for indulging in any such thing, we will not dare to indulge in it.

So, the government plays a huge role in it. It must take it as a responsibility to free the country from corruption.

Media’s Role in Establishing Corruption-Free India

The media in our country is quite strong. It has the right to speak and express opinions. It should make full use of this right to expose corrupt officials.

Media plays a crucial role in creating a corruption-free India. It exposes corruption scandals, educates people about their rights, and holds leaders accountable. By promoting transparency and encouraging public awareness, the media helps build a more honest and accountable society, paving the way for a corruption-free India.

It is the joint effort of the individuals, media as well as government that can help in building a corruption-free India. They must take it as a responsibility to work hand in hand to make the country a better place to live.

Corruption Free India Essay FAQs

Short note on corruption in india:.

Corruption in India refers to dishonest or unlawful behavior by people in power, misusing their position for personal gain, which harms the country's development and fairness.

Essay on Corruption in India:

Corruption in India is a complex issue where individuals in authority abuse their power for personal benefit, leading to a hindrance in the nation's progress and fairness in society.

What is corruption-free in India essay?

A corruption-free India essay discusses the importance of eliminating dishonest practices and promoting integrity in the country.

How can we free corruption in India?

To free corruption in India, we must strengthen anti-corruption measures, promote transparency, and encourage ethical behavior in both individuals and institutions.

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भारत पर निबंध (Essay On India In Hindi)

Essay on India in hindi

In this Article

भारत पर 10 लाइन (10 Lines On India In Hindi)

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दुनिया भर में कुल 195 देश हैं, लेकिन भारत की बात बाकी सबसे अलग है। यह अपनी विविधताओं के लिए पूरे विश्व में मशहूर है। भारत को प्राचीन समय में सोने की चिड़िया भी कहा जाता था लेकिन बाहरी देशों के कई हमलों और लूट-पाट की वजह से हिंदुस्तान ने अपनी मूल्यवान वस्तुएं और धरोहर खो दीं। इतना कुछ सहन करने के बाद भी विश्व भर में भारत अपनी संस्कृति, भाषाओं, प्राकृतिक सुंदरता, त्योहारों आदि से सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करता है। इस देश की आजादी के लिए कई महान क्रांतिकारियों और सैनिकों ने अपनी जान दी है और आज भी सच्चे देश भक्त यह करने के लिए हमेशा तैयार रहते है। भारत को ज्ञान का सागर भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर कई आश्चर्यजनक विषयों के बारे में जानकारी मिलती है। भारत, दुनिया के पटल पर अपना एक अलग ही स्थान रखता है। यहाँ हर धर्म, जाति, संस्कृति को अहमियत दी जाती है। यहां के वासियों के बीच हमें एकता देखने को मिलती है। भारत दुनिया के सबसे बड़े महाद्वीप एशिया का हिस्सा है और क्षेत्रफल में सातवां सबसे बड़ा देश है। यहाँ कई भाषाओं का उपयोग होता है लेकिन हिंदी यहाँ की राजभाषा है। अगर आपको अपने बच्चे के लिए भारत पर निबंध की तलाश है तो इस लेख को जरूर पढ़ें।

भारत जिसे हिन्दुस्तान भी कहा जाता रहा है, दुनिया के सबसे पुराने देशों में से एक है और यहाँ का इतिहास और विविधता से भरी संस्कृति और परंपराएं लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यदि आपको भी इसके बारे में जानना है तो नीचे दी है 10 लाइनों को पढ़ें और इसकी महत्ता को समझें।

  • भारत क्षेत्रफल में दुनिया का 7वां सबसे बड़ा देश है।
  • भारत जनसंख्या के अनुसार विश्व का सबसे बड़ा है।
  • भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहाँ हर धर्म, संस्कृति, जाति और भाषा का सम्मान होता है।
  • यह अपनी विविध संस्कृति और इतिहास के लिए जाना जाता है।
  • भारत की कुल आबादी लगभग 140 करोड़ के आस-पास है।
  • इस देश में कई महान क्रांतिकारियों, नेताओं और कलाकारों ने जन्म लिया है।
  • भारत अपने कई प्रकार के व्यंजनों, त्योहारों, नृत्यों आदि के लिए दुनिया भर में मशहूर है।
  • 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों के राज से हमेशा के लिए आजादी हासिल हुई थी।
  • यहाँ कुल 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं।
  • भारत का राष्ट्रीय झंडा ‘तिरंगा’ केसरिया, सफेद और हरे रंगों से बना है जिसमें बीच में ‘अशोक चक्र’ है।

भारत एक विशाल देश है जिसमें आपको कई संस्कृतियों और परंपराओं का मिश्रण मिलेगा। यहाँ के लोगों की पहचान उनके कपड़ों से नहीं बल्कि संस्कारों से की जाती है। यदि भारत को और बेहतर तरीके से समझना चाहते हैं तो यह कम शब्दों का निबंध जरूर पढ़ें और अपने बच्चे को भी पढ़ाएं ताकि उसे भारत के इतिहास, भूगोल आदि का ज्ञान हो।

भारत दुनिया का एक महत्वपूर्ण देश है, जो कि क्षेत्रफल के अनुसार बड़े देशों में सातवें स्थान पर आता है। वहीं जनसंख्या के अनुसार विश्व में भारत का स्थान पहला है। भारत का इतिहास, भूगोल, संस्कृति इतनी पुरानी और विशिष्ट हैं कि इस वजह से पूरे विश्व में इसकी चर्चा बनी रहती है। सबसे पहले यह एक लोकतांत्रिक देश है, मतलब यहाँ की सरकार जनता द्वारा, जनता के लिए बनाई जाती है। बिना जनता के सरकार का निर्माण नामुमकिन है। देश की जनता अपना नेता खुद अपनी मर्जी से वोट देकर चुनती है। बात अगर इसकी संस्कृति और परंपराओं कि की जाए तो यहाँ कई प्रकार की चीजें आपको देखने को मिलेंगी। यह विभिन्न प्रकार के धर्म, परंपरा, संस्कृति और भाषाओं का देश है। यहाँ हर धर्म, समुदाय और जाति के लोग साथ मिलकर रहते हैं। आप जिस भी धर्म के हों, जो भाषा बोलते हों या फिर जो कपड़े पहनते हों, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। यहाँ तक कि लोग एक दूसरे के त्योहारों में शामिल होते हैं। यहाँ एक ही समाज में सभी लोग मिलजुल कर रहते हैं। इसकी आबादी लगभग 140 करोड़ तक पहुंच गई है। भारत जब अंग्रेजों के शासन में था, तो उसने कई तरह के संघर्ष देखे। लेकिन हमारे देश के बहादुर क्रांतिकारियों की मेहनत रंग लाई और उसे 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली। आजादी के बाद भारत को अपना झंडा तिरंगा मिला जो कि केसरिया, सफेद और हरे रंग में रंगा है और उसके बीच में नीले रंग का अशोक चक्र है, जिसमें 24 तीलियां होती हैं। धीरे-धीरे देश का विकास होता गया है और लोग आधुनिक बन गए।

Bharat par nibandh

भारत अपनी विविधताओं के लिए जाना जाता है, जैसे कि अलग-अलग भाषाएं, संस्कृति, खाना, धर्म, जाति आदि। इसके बारे में जानने के लिए आपको इसकी गहराई तक जाना पड़ेगा क्योंकि अभी से नहीं बल्कि प्राचीन समय से भारत अपनी संस्कृति और मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। नीचे भारत के बारे में एक लॉन्ग एस्से लिखा गया है, जिसकी मदद से आप इसके बारे में काफी अधिक जानकारी हासिल कर सकेंगे। यदि आपके बच्चे को अपने देश भारत पर एक निबंध लिखना है, तो ये काफी फायदेमंद साबित होगा।

भारत की कहानी

भारत प्राचीन समय में सोने की चिड़िया कहा जाता था। इसकी संपन्नता की कहानियां सुनकर कई विदेशी आक्रमणकारी इसे लूटने के उद्देश्य से यहां आए। शक, कुषाण, हूण, अरब, फारसी, यूनानी और अंग्रेज ऐसे ही लोग थे। इनमें से कइयों ने अलग-अलग समय पर देश के विभिन्न हिस्सों पर राज भी किया। भारत 200 सालों तक अंग्रेजी शासन का गुलाम रहा। 15 अगस्त 1947 को भारत को इस गुलामी से आजादी मिली थी। लेकिन यह स्वतंत्रता पाना इतना आसान नहीं था जितना इसे लिखना आसान है। इस आजादी की लड़ाई में कई संघर्ष और युद्ध शामिल हैं। अपनी भारत माँ को अंग्रेजों की कैद से आजाद करने के लिए कई महान क्रांतिकारियों ने बहुत मेहनत की है और कई सच्चे देश भक्त आजादी की इस लड़ाई में अपनी जान गवां बैठे हैं। जिस आजादी की खुशी आज देशवासी मनाते हैं, उसकी लड़ाई 100 सालों तक चली थी। इस लड़ाई में शामिल हर शख्स का बलिदान लोग आज भी याद करते हैं और उन शहीदों के सम्मान के लिए कई कहानियों, शायरी, कविताओं में उनका वर्णन करते हैं। कई महान और प्रसिद्ध लोगों जिनमें महात्मा गाँधी, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद, लोकमान्य तिलक, उधम सिंह जैसे न जाने कितने ही क्रांतिकारी शामिल थे, जिनकी मिसालें आज भी दी जाती हैं।

भारत एक लोकतांत्रिक देश

हिंदुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, यहाँ की सरकार देश की जनता द्वारा चुनी जाती है। यहाँ पर पूरी तरह से जनता का राज चलता है। क्योंकि इसका स्लोगन है, ‘सरकार लोगों की, लोगों द्वारा, लोगों के लिए। इसका मतलब बिना जनता के देश का चलना नामुमकिन है। दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव भारत में होता है और अन्य देशों में इसकी काफी प्रशंसा भी होती है। भारत में कुल 28 राज्य और 8 केंद्र-शासित प्रदेश है। हिंदुस्तान की सेना दुनिया दूसरी सबसे बड़ी सेना है। भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान, नेपाल, चीन, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, म्यांमार व अफगानिस्तान शामिल हैं।

भारतीय संस्कृति और परंपरा

दुनिया भर में भारत अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए बेहद प्रसिद्ध है। यहां हर धर्म, जाति, कपड़ों, त्योहारों, भाषा, खाना आदि का अपना अलग मूल्य है। यह प्रथा आज से नहीं सालों से चली आ रही है। भारत एक शांति भरा देश है जहां अलग-अलग धर्म और जाति के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। चाहे आप किसी भी धर्म से हों लेकिन लोगों के बीच एकता साफ झलकती है। हिन्दू धर्म में दिवाली, होली का जितना महत्व होता है उतना ही इस्लाम में ईद, बकरीद, ईसाई धर्म में क्रिसमस, सिख में लोहड़ी आदि का महत्व रहता है, इसी तरह हर धर्म के भगवान का अपना अलग महत्व है। यदि यहाँ एक समाज में विभिन्न धर्म के लोग रहते हैं तो वे एक-दूसरे के साथ मिलकर एक दूसरे के त्योहारों को मनाते है। यहाँ के लोगों को मिलजुल कर रहना पसंद होता है। सिर्फ धर्म ही नहीं बल्कि हर जाति के लोग भी साथ में रहते हैं। यहाँ विभिन्न प्रकार की भाषा, खाने के व्यंजन, कपड़े आदि के साथ लोग दिखाई देंगे लेकिन सब एक ही समाज में बिना किसी मनमुटाव के खुशी-खुशी रहना पसंद करते हैं।

भारत की विशेषता

हिंदुस्तान की संस्कृति को विश्व में सबसे विविधता भरी और समृद्ध संस्कृति कहा जाता है। हम चाहे जिस भी धर्म, जाति के हों, अलग भाषा बोलते हों या अलग खाना खाते, अलग कपड़े पहनते हों, ये सभी चीजें हमारे बीच कभी भी मतभेद पैदा नहीं करती हैं। दुनिया में भारतीय पाक शैली और मसाले, साडी, घाघरा, धोती और पगड़ी जैसे पहनावे, योग, आयुर्वेद और शास्त्रीय संगीत व नृत्य परंपराएं कहीं और देखने को नहीं मिलतीं। इसके अलावा भारत प्राकृतिक रूप से भी एक खूबसूरत देश है। बर्फ से लदा हिमालय, लंबे समुद्र तट, घने जंगल, थार का रेगिस्तान और कच्छ का रण भारत को बाकी सबसे अलग बनाते हैं। इसके साथ ही यहाँ सैकड़ों सालों से अपना अस्तित्व दिखते विशाल किले, मंदिर और अन्य इमारतें विश्व भर में मशहूर हैं। इन सभी चीजों को देखने दुनिया भर से सैकड़ों पर्यटक आते हैं और भारत की विविधता में सुंदरता का दीदार करते हैं।

  • भारत विश्व के 4 प्रमुख धर्मों की जन्मस्थली है – हिन्दू, बौद्ध, जैन और सिख।
  • विश्व की ज्यादातर भाषाओं की जननी संस्कृत भारत में 5000 सालों से बोली जाती रही है।
  • शतरंज, बैडमिंटन, कबड्डी, खो-खो, मार्शल आर्ट, पोलो, लूडो और सांप-सीढ़ी जैसे खेलों की शुरुआत भारत में ही हुई।
  • हीरे की खोज करने वाला भारत पहला देश था।
  • भारत में आधिकारिक रूप से कुल 22 भाषाओं को मान्यता मिली है।
  • भारत में अधिकतर लोग चम्मच के बजाय हाथ से खाना खाना पसंद करते हैं।

इस निबंध के माध्यम से हमने भारत की संस्कृति और विशेषताओं की चर्चा की है और यदि ये जानकारियां आपको पसंद आई या आपके बच्चे के लिए अच्छी हैं तो उसे यह निबंध एक बार जरूर पढ़ाएं।  इससे बच्चे को भारत के बारे में कई मूल्य जानकारियां हासिल होंगी।आप इस लेख को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी साझा कर सकते हैं।

1. भारत में क्षेत्रफल के अनुसार सबसे बड़ा राज्य कौन सा है?

भारत में क्षेत्रफल के अनुसार सबसे बड़ा राज्य राजस्थान है।

2. विश्व में सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय कौन से माने जाते हैं?

नालंदा और तक्षशिला विश्व में सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माने जाते हैं।

3. भारत में सबसे अधिक शिक्षित लोगों का राज्य कौन सा है?

केरल, भारत में सबसे अधिक शिक्षित लोगों का राज्य है। यहाँ के लगभग 91.58% लोग पढ़े-लिखे हैं।

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