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मानवाधिकार दिवस पर भाषण कैसे दें?, निबंध हिंदी में – कक्षा 3 से 10 के लिये | Speech on Human Rights Day Essay in Hindi

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मानवाधिकार दिवस पर भाषण कैसे दें? मानवाधिकार दिवस पर निबंध हिंदी में, मानवाधिकार दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? (Speech on Human Right Day in hindi, Essay on Human Right Day)

मानवाधिकार दिवस पर निबंध हिंदी में – 10 दिसंबर को विश्व भर में मानवाधिकार दिवस (Human Rights Day) मनाया जाता है जो मानवता के मूल अधिकारों का प्रतीक है।

मानवाधिकार का तात्पर्य व्यक्ति के उन अधिकारों से है जो उनकी अवसर की समानता , अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और व्यक्ति की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ हो। व्यक्ति के इन्हीं मूल अधिकारों को मानवाधिकार कहते हैं।

मानव के इन्हीं अधिकारों की रक्षा करने के लिए और संसार के प्रत्येक व्यक्तियों को मानवता के मौलिक अधिकारों से परिचित कराने के लिए हर साल 10 दिसंबर का दिन मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है।

मानवाधिकार दिवस के दिन देश विदेश में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिनके जरिए लोगों को मानवता के मौलिक अधिकार यानी कि मानवाधिकार से भली-भांति परिचित कराया जाता है और उन्हें बढ़ावा भी दिया जाता है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में और ऐसे कार्यक्रमों में मानवाधिकार पर निबंध लेखन (Essay On Human Rights Day In Hindi) और निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।

इसलिए आज हम आपके लिए मानवाधिकार दिवस पर एक ऐसा आर्टिकल लेकर आए हैं जिसके जरिए न केवल हम आपको हिंदी में मानवाधिकार दिवस पर निबंध (Hindi Essay On Human Rights Day) उपलब्ध कराएंगे बल्कि यह भी बताएंगे कि मानवाधिकार दिवस क्यों मनाया जाता है, मानवाधिकार दिवस का उद्देश्य और महत्व क्या है? तो चलिए शुरू करते हैं।

  • संविधान दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

विषय–सूची

मानवाधिकार दिवस पर निबंध (Human Rights Day Essay in Hindi)

मानवाधिकार मानव और अधिकार दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है जिसका तात्पर्य व्यक्ति के उन सभी मौलिक अधिकारों से है जो मानवता के लिए बेहद जरूरी हैं और मानव की परस्पर समानता , अभिव्यक्ति और जीवन जीने की स्वतंत्रता तथा प्रतिष्ठा को दर्शाते हैं।

मानवाधिकार दिवस 10 दिसंबर के दिन विश्व भर में मनाया जाता है जिसका प्रमुख उद्देश्य मानवाधिकारों का संरक्षण और संवर्धन है।

सन 1950 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ में विभिन्न देशों को 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाने के लिए आमंत्रित किया और आधिकारिक रूप से मानवाधिकार दिवस मनाने की घोषणा की ताकि मानवता के मौलिक अधिकारों का संरक्षण और संवर्धन किया जा सके।

मानवाधिकार दिवस पर निबंध | Speech-Essay-on-Human-Right-Day-in-hindi

मानवाधिकार दिवस का संक्षिप्त विवरण (Essay on Human Right Day in hindi)

मानवाधिकार दिवस क्यों मनाया जाता है?

10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा हुई थी जिसके अंतर्गत मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणापत्र को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा अपनाया और घोषित किया गया था।

वास्तविकता में मानवाधिकार दिवस मानव के मौलिक अधिकारों को सुरक्षा , संरक्षण और संवर्धन प्रदान करने का एक वैश्विक मापदंड है। मानवता के मौलिक अधिकारों से जुड़े होने के कारण 10 दिसंबर के इस विशेष दिन को विश्व मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाते हैं।

सन 1950 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने आधिकारिक रूप से हर साल 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाने की घोषणा की थी। साल 1950 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के संकल्प संख्या 423(वी) में प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस मनाने का संकल्प लिया गया था। तब से मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए और उन्हें बढ़ावा देने के लिए विश्वभर में 10 दिसंबर का दिन मानवाधिकार दिवस के रुप में मनाया जाता है।

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मानवाधिकार दिवस का मुख्य उद्देश्य–

मानवाधिकार का मतलब मानव के अधिकारों से है जो मानवता के मौलिक मापदंड हैं। संसार के प्रत्येक इंसान को यह मानव अधिकार प्राप्त हैं। एक मानव होने के नाते हमारा भी यह कर्तव्य है कि हम दूसरों के मानवाधिकारों की रक्षा करें और साथ ही अपने मानवाधिकारों का हनन भी ना होने दें।

मानवाधिकार दिवस का मुख्य उद्देश्य मानव के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करना है, जिसे मानवाधिकार कहते हैं। अर्थात् मानवाधिकार दिवस मुख्य रूप से मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।

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मानवाधिकार दिवस का महत्व–

मानव होने के नाते हर व्यक्ति के कुछ न कुछ कर्तव्य और अधिकार होते हैं। इन अधिकारों और कर्तव्यों का पालन करने के बाद ही संसार में मानवता की भावना विकसित होती है। जैसे संसार के हर जीव को जीवन जीने का अधिकार होता है ठीक वैसे ही मानव जाति के लिए जीवन जीने के अलावा भी बहुत से अधिकार और कर्तव्य होते हैं।

लेकिन संसार का हर व्यक्ति मानवाधिकार को नहीं समझ पाता और ना ही इसका पालन करता है यही कारण है कि मानवाधिकारों से अनभिज्ञ होने के कारण लोगों को भेदभाव, उत्पीड़न और अपमान का सामना करना पड़ता है।

अधिकार एक ऐसी चीज होती है जो विरासत या दान में नहीं मिलती बल्कि से लड़ कर लेना पड़ता है। मानवाधिकारों के बारे में भी यही राय है। लेकिन जब तक आप को मानवाधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होगी तब तक आप अपने इन अधिकारों का लाभ नहीं उठा पाएंगे और सदैव भेदभाव ओर उत्पीड़न शिकार बनते रहेंगे।

इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व भर के विभिन्न देशों ने मिलकर 10 दिसंबर के विशेष दिन को विश्व मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है ताकि लोगों को उनके मानवाधिकारों से भली-भांति परिचित कराया जा सके और उनके मानवाधिकारों की रक्षा की जा सके।

हर मानव का मौलिक अधिकार होने के कारण मानवाधिकार के बारे में सभी को जानना चाहिए और अपने मानवाधिकारों का हनन नहीं होने देना चाहिए बल्कि दूसरों के मानवाधिकार की रक्षा भी करनी चाहिए। हमें एकजुट होकर संगठन अथवा व्यक्तिगत रूप से लोगों को मानवाधिकार के बारे में जानकारी प्रदान करनी चाहिए।

मानवाधिकारों के हनन को रोकने की पहल हमें खुद से करनी चाहिए जिस दिन हम दूसरों के मानवाधिकारों को समझकर उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्रदान करेंगे उस दिन हमारे लिए भी इन मानवाधिकारों के सभी द्वार खुल जाएंगे।

तो चलिए आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कुछ प्रमुख मानव अधिकारों के बारे में बताते हैं जो संयुक्त राष्ट्र संघ और विभिन्न देशों की संविधानों द्वारा सुनिश्चित किए गए हैं।

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मानवाधिकार दिवस पर भाषण (Speech on Human Rights Day in Hindi)

जैसा कि हम सब जानते हैं हर साल 10 दिसंबर को विश्व भर में मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। मानवाधिकार का मतलब होता है, ‘मानव का अधिकार’ मानवाधिकार ऐसे महत्त्वपूर्ण अधिकार होते हैं जो हमें अभिव्यक्ति की आजादी और अवसर की समानता प्रदान करते हैं।

आम लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए ही मानवाधिकार दिवस की शुरुआत हुई थी। दरअसल 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में सार्वभौमिक रूप से मानवाधिकारों की घोषणा की गई थी और इसे महासभा द्वारा अपनाया गया था।

इसी दिन विश्व भर में आम लोगों के मूल अधिकारों की सुरक्षा के लिए ही संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने सार्वभौमिक रूप से मानवाधिकारों का वैश्विक मापदंड तैयार किया था। इसीलिए 10 दिसंबर के इस विशेष दिन को यादगार बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने साल 1950 में संकल्प संख्या 423(V) के माध्यम से प्रतिवर्ष मानवाधिकारों के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए मानवाधिकार दिवस मनाने का संकल्प लिया।

और आज भी पूरी दुनिया के विभिन्न देश इस संकल्प को निभाते आ रहे हैं और अपने अपने देश की आम जनता को मानवाधिकारों के प्रति जागरूक कर रहे हैं ताकि उनके मानवाधिकारों की रक्षा और उनका संवर्धन हो सके।

जीवन का अधिकार भले ही ईश्वर प्रदान करता हो लेकिन इस जीवन को जीने के संपूर्ण अधिकार मानवाधिकारों की देन है। यही अधिकार हमें सामाजिक स्वतंत्रता आर्थिक उपलब्धि और राजनैतिक कार्यकारिणी के अवसर प्रदान करते हैं। अगर व्यक्ति से उसके इन्हीं अधिकारों को छीन लिया जाए तो आदमी जानवर के समान हो जाता है और दूसरों का बंधक बना रहता है।

मानवाधिकार हमें जीवन जीने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। मानवाधिकारों के चलते ही हर आम इंसान को आगे बढ़ने के लिए समान सुविधाएं और समान अवसर दिए जाते हैं ताकि किसी भी वर्ग का इंसान दूसरे वर्ग के इंसान से पिछड़ा न रहे। मानवाधिकार हमें अभिव्यक्ति की आजादी भी देते हैं ताकि हम किसी भी मंच पर किसी भी मुद्दे पर अपने विचारों अपनी भावनाओं को अपने तर्क के साथ रख सकें।

इसीलिए हम सब को एक साथ मिलकर लोगों को उनके मानवाधिकारों के प्रति जागरूक करना चाहिए और उन्हें बताना चाहिए की उनके अधिकार क्या क्या है। अधिकार एक ऐसी चीज है जो दान में नहीं मिलती इसे अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके लेना पड़ता है और जो ऐसा नहीं कर पाता उसे गुलामी की बेड़ियां जकड़ लेती हैं।

हमें सदैव दूसरों के मानवाधिकारों की रक्षा करनी चाहिए कभी भी किसी से लिंग जाति अथवा किसी अन्य आधार पर कोई भेद भाव नहीं करना चाहिए। दूसरों के मानवाधिकारों की रक्षा के साथ-साथ हमें अपने मानवाधिकारों की भी रक्षा करनी चाहिए और उनका हनन नहीं होने देना चाहिए।

कुछ प्रमुख मानवाधिकारों की सूची –

अवसर की समानता का अधिकार.

अवसर की समानता से तात्पर्य है कि संसार के प्रत्येक व्यक्ति को एक समान अवसर प्राप्त होने चाहिए। यानी कि किसी भी अवसर को प्राप्त करने के लिए सभी को एक समान मौका मिलना चाहिए।

जैसे कि आज भी भारतीय ग्रामीण समाज में कई जगहों पर महिलाओं को पुरुषों के समान तरक्की के अवसर उपलब्ध नहीं कराए जाते जिसके कारण वहां की महिलाएं पुरुषों की अपेक्षाकृत पिछड़ जाती हैं।

अवसर की समानता का मतलब यही होता है कि पुरुष हो या फिर महिला सभी के लिए एक समान अवसर होना चाहिए। किसी भी अवसर की उपलब्धि के लिए रंग जाति अथवा लिंग भेद नहीं होना चाहिए।

अभिव्यक्ति और विचार की स्वतंत्रता–

अभिव्यक्ति और विचार की स्वतंत्रता का तात्पर्य है कि संसार के प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी मुद्दे पर अपनी विचारधारा की अभिव्यक्ति करने का अधिकार है।

हम सब जानते हैं कि व्यक्तियों के विचारों और भावनाओं में काफी मतभेद होता है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि विरोधी विचारधाराओं द्वारा उनके उन विचारों और भावनाओं का दमन कर दिया जाए।

ऐसी स्थिति में अभिव्यक्ति और विचार की स्वतंत्रता व्यक्ति को हर मुद्दे पर अपनी विचारधारा की अभिव्यक्ति का अधिकार देती है।

दासता से मुक्ति अथवा स्वाधीनता का अधिकार –

स्वाधीनता का अर्थ होता है अपने अधीन होना। यानी कि स्वयं को अपने अनुसार नियंत्रित करना और स्वयं पर स्वयं का अधिकार होना।

समाज और संसार के हर व्यक्ति को दासता अथवा पराधीनता से मुक्ति और स्वाधीनता का अधिकार है। यानी कि हर व्यक्ति अपने विवेक से अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। अपना निर्णय लेने के लिए उसे किसी पराधीन नियंत्रण अथवा विचार धारा की आवश्यकता नहीं है।

  • इसके मानवाधिकारों की सूची में अलावा प्रत्येक व्यक्ति के कुछ आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक अधिकार भी शामिल हैं। जैसे कि
  • सामाजिक सुरक्षा का अधिकार।
  • एक निश्चित कार्य के लिए समान वेतन का अधिकार।
  • संगठन तथा नेतृत्व का अधिकार।

मानवाधिकार आयोग द्वारा राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसे ही कई महत्वपूर्ण मानवाधिकार सुनिश्चित किए गए हैं जिनका  पालन करना अनिवार्य और हनन करना दंडनीय अपराध है। हमें भी अपने इन मानवाधिकारों पर अमल करना चाहिए और इनका सदुपयोग करना चाहिए।

तो दोस्तों आज इस आर्टिकल के जरिए हमने आपको विश्व मानवाधिकार दिवस पर निबंध (Essay On World Human Rights Day In Hindi) और विश्व मानवाधिकार दिवस से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण विषयों जैसे कि मानवाधिकार दिवस क्यों मनाया जाता है? और इसका उद्देश्य तथा महत्व क्या है? आदि पर चर्चा की।

इसके अलावा हमने मानवाधिकार आयोग द्वारा उल्लिखित कुछ महत्वपूर्ण मानवाधिकारों के बारे में भी विस्तार से बताया। उम्मीद करते हैं आपको यह आर्टिकल बेहद पसंद आया होगा।

मानवाधिकार दिवस कब मनाया जाता है?

10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।

आम लोगों को उनके मानवाधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।

10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस क्यों मनाया जाता है?

क्योंकि 10 दिसंबर को ही संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा कर इसे अपनाया था। इसीलिए 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।

हमारे मानवाधिकार कौन-कौन से हैं?

हमारे कुछ प्रमुख मानवाधिकार अवसर की समानता, विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा स्वाधीनता का अधिकार है।

मानवाधिकार का उद्देश्य क्या है?

मानवाधिकारों का मुख्य उद्देश्य आम लोगों और नागरिकों सुरक्षा को सुनिश्चित करना तथा उन्हें एक समान अवसर प्रदान करना है।

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मानवाधिकार दिवस पर भाषण

Speech on Human Rights Day in Hindi : हर साल 10 दिसंबर के दिन मानवाधिकार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। पृथ्वी के सभी मनुष्य के लिए यह एक गौरव का दिन होता है। यह दिन हमें समानता और स्वतंत्रता का अधिकार देता है।

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हम इस आर्टिकल में आपको  मानवाधिकार दिवस पर भाषण ( Speech on Human Rights Day in Hindi )  के बारे में बेहद सरल भाषा में माहिति प्रदान करेंगे। आप इन भाषण का प्रयोग विभिन्न जगहों पर आयोजित कार्यक्रमों में कर सकते हैं। यह भाषण हर कक्षा के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा।

मानवाधिकार दिवस पर भाषण | Speech on Human Rights Day in Hindi

मानवाधिकार दिवस पर भाषण (500 शब्द).

यहाँ उपस्थित सभी श्रोतागणों को मेरा नमस्कार।

आज मानवाधिकार दिन है और इस महान दिवस पर आप लोगों ने मुझे इस मंच पर बोलने का मौका दिया उसके लिए मैं आप सबका शुक्रगुजार हूँ। इस दिन की मेरी तरफ से आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ। आज हम सभी यहाँ पर मानव अधिकार के बारे में बात करने के लिए इकट्ठा हुए है। मानव अधिकार हम सबके लिए अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अधिकार हमें मानव होने का एहसास दिलाता है। मानवाधिकार समानता और निष्पक्षता से संबंधित सिद्धांतों का एक समूह है।

हमारे समाज में भाषा, रंग और जाति के भेदभाव होने के बावजूद भी यह अधिकार एक ऐसा अधिकार है, जो सभी मानव को समान बनाता है। मानवाधिकार शब्द बोलने में जितना सरल है लेकिन समझने में इतना ही मुश्किल है। मानवाधिकार दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर साल 1948 में की गई थी।

इसके बाद 28 सितंबर 1993 के दिन भारत में मानव अधिकार आयोग की घोषणा की गयी थी। पूरी दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों-सितम को रोकने और उसके खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए इन दिन को मनाया जाता है।

कुछ मानव अधिकार ऐसे है जो हमसे कभी नहीं छीने जा सकते। मानवाधिकार मनुष्य की गरिमा है। ये मानवाधिकार हर जगह सभी लोगों के लिए समान हैं – पुरुष और महिलाएं, युवा और बूढ़े, अमीर और गरीब। हर मानव के पास वर्तमान में 30 से अधिक मानव अधिकार है, जिनमें समानता और स्वतंत्रता का अधिकार,सामाजिक सुरक्षा का अधिकार, जीवन और आजाद रहने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, भोजन का अधिकार, काम करने का अधिकार, रक्षा का अधिकार मुख्य है। मानव के सम्मानित, सभ्य जीवन और बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए के लिए मानव अधिकार आवश्यक हैं।

जन्म लेते ही हमें कुछ मुलभुल अधिकार मिल जाते है। भारत का संविधान भी इन मुलभुल अधिकारों को सुरक्षित रखने की गेरंटी देता है। अफ़सोस यह है की आज भी मानवाधिकार के बारे में काफी लोग वंचित है जिसका मुख्य कारण गरीबी और निरक्षता है। यह हमारी जिम्मेदारी है की हम लोगों को इस अधिकार के बारे में जागृत करे ताकि समाज में जो भी दूषणों अभी फ़ैल रहे है, उसे हम नाबूद कर सके।

मेरा मानना यह है की अगर हम मानवाधिकार के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना चाहते है, तो हमें लोगों को शिक्षित बनाना होगा क्योंकि शिक्षित लोगों के पास अपना और अपने आसपास के लोगों के जीवन को बदलने की ताकत होती है। सभी अधिकारों में शिक्षा का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ उपस्थित सभी श्रोतागणों को मेरा निवेदन है की हमें अपने आसपास के लोगों को अपने मौलिक अधिकार के बारे में जागृत करना चहिए ताकि किसी का भी शोषण न हो सके।

ज्यादा समय ना लेते हुए मैं अपनी बात को यही समाप्त कर रहा हूँ। आशा करता हूँ की मेरे यह विचार सबको पसंद आये होंगे और साथ में सबको यही विनती करता हूँ की हमें मिले मानवाधिकार का कभी गलत उपयोग नहीं करना चाहिए बल्कि एक बेहतर समाज के निर्माण के लिए इसका सही उपयोग करना जरुरी है।

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Speech on Human Rights Day in Hindi (500 शब्द)

आदरणीय अतिथि और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

सबको मेरा सुप्रभात।

आज 10 दिसम्बर है और आज पूरी दुनिया में मानवाधिकार दिन मनाया जा रहा है। सबके के मन में यह प्रश्न होगा की आखिर मानवाधिकार है क्या? तो मैं यहाँ बता दूँ की इतिहास में मानव अधिकार और जिम्मेदारियों के बारे में सभी समाजों द्वारा कई बार सोचा गया है लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से दुनिया के राष्ट्रों द्वारा यह तय करने के लिए एक संयुक्त प्रयास किया गया है कि सभी लोगों के अधिकार क्या हैं और उन्हें सर्वोत्तम तरीके से कैसे बढ़ावा और संरक्षित किया जा सकता है।

10 दिसंबर साल 1948 के दिन लोगों के अधिकारों की सुरक्षा और रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र को आधिकारिक मान्यता दी गई। मानवाधिकार हमें अधिकारों और जिम्मेदारियों के माध्यम से एक दूसरे से जोड़ते हैं। एक व्यक्ति की अपने मानवाधिकारों का आनंद लेने की क्षमता उन अधिकारों का सम्मान करने वाले अन्य लोगों पर निर्भर करती है। इसका अर्थ है कि मानव अधिकारों में अन्य लोगों और समुदाय के प्रति जिम्मेदारी और कर्तव्य शामिल हैं।

यह सुनिश्चित करना व्यक्तियों की जिम्मेदारी है कि वे दूसरों के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए अपने अधिकारों का प्रयोग करें। उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उपयोग करता है, तो उसे किसी और के निजता के अधिकार में हस्तक्षेप किए बिना ऐसा करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना सरकारों की विशेष जिम्मेदारी है कि लोग अपने अधिकारों का आनंद लेने में सक्षम हों।

उन्हें ऐसे कानूनों और सेवाओं को स्थापित करने और बनाए रखने की आवश्यकता होती है, जिसमें उनके अधिकारों का सम्मान और संरक्षण किया जाता है। उदाहरण के लिए, शिक्षा का अधिकार कहता है कि सभी को अच्छी शिक्षा का अधिकार है। इसका मतलब है कि सरकारों का दायित्व है कि वे अपने लोगों को अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा सुविधाएं और सेवाएं प्रदान करें।

मानवाधिकार के द्वारा सहिष्णुता, समानता और सम्मान का समान हक मिलता है, जो समाज के भीतर घर्षण को कम करने में मदद कर सकते हैं। मानवाधिकार के विचारों को व्यवहार में लाने से हमें उस तरह के समाज का निर्माण करने में मदद मिल सकती है, जिसमें हम रहना चाहते हैं।

हाल के दशकों में, मानवाधिकार विचारों के बारे में हमारे सोचने और उन्हें लागू करने में जबरदस्त वृद्धि हुई है। इसके कई सकारात्मक परिणाम हुए हैं। मानवाधिकारों के बारे में ज्ञान व्यक्तियों को सशक्त बना सकता है और विशिष्ट समस्याओं के समाधान की पेशकश कर सकता है।

टेलीविजन और अखबारों में हम हर दिन हत्या, हिंसा, जातिवाद, भूख, बेरोजगारी, गरीबी, दुर्व्यवहार, बेघर और भेदभाव की दुखद कहानियां सुनते हैं, जो यह साबित करता है की आज भी विश्व पर कई लोग ऐसे है जो उनके मौलिक अधिकारों से वंचित है। आज के दिन को मनाने के पीछे हमें यही संकल्प करना है की मानवाधिकार के लिए हमें जल्द से जल्द समाज में जागरूकता फैलानी होगी ताकि एक स्वस्थ समाज की रचना हो सके। मेरे विचार सुनने के लिए आपका बहुत बहुत आभार।

नमस्कार मेरे प्रिय दोस्तों,

सबको मेरा प्रणाम।

आज पृथ्वी के प्रत्येक मनुष्य के लिए एक गौरव का दिन है और आज के दिन आप सब लोग अपना कीमती समय निकालकर यहाँ उपस्थित हुए हैं इसलिए मैं आप सबका धन्यवाद करना चाहता हूँ और साथ साथ में मानवाधिकार दिन की शुभेच्छा भी देता हूँ।

मानवधिकार हमें इसलिये मिले है की हम मानव है। पृथ्वी पर जन्म लेते ही हमें कुछ मूलभूत अधिकार प्राप्त हुए है और हमारे मृत्यु तक हमारे साथ रहते है जैसे की समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, भोजन का अधिकार, धर्म चुनने का अधिकार, काम करने का अधिकार आदि। ये अधिकार को हम से कोई छीन नहीं सकता। भारत के संविधान में भी इस अधिकार का रक्षण करना और तोड़ने वाले को सजा मिलने के बारे में उल्लेख किया गया है।

मानवाधिकार हमें एहसास दिलाता है कि पृथ्वी पर बसे सभी मानव एकसमान है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई भारी जानमाल की हानि के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1948 में 10 दिसंबर को मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा पर हस्ताक्षर किए। इन अधिकारों के गठन का कारण किसी की रक्षा करना है। ये मानवाधिकार लोगों को जीने की आजादी देते हैं और खुद को व्यक्त करने की आजादी भी देते हैं।

बहुत से लोग अपने मूल अधिकारों के बारे में पूरी तरह से जागरूक नहीं हैं। सभी देशों की इतनी प्रगति के बाद आज भी लगभग 40 मिलियन बच्चे ऐसे हैं जो दुर्व्यवहार से पीड़ित हैं जिन्हें मानवाधिकारों से आच्छादित किया जाना चाहिए। दुनिया भर में आज भी लगभग 18 वर्ष से कम आयु के 3,00,000 से अधिक बच्चों का भी शोषण किया जा रहा है, यह मानवाधिकारों का आह्वान करता है। दुनिया भर में करीब 246 मिलियन बाल मजदूर हैं, जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है। कई समाज में आज भी महिलाओं को अपने अधिकारों का प्रयोग करने से प्रतिबंधित किया गया है।

एक शिक्षित नागरिक होने के नाते हमारी यह जिम्मेदारी है की हम अपने समाज के लोगों में मानवाधिकार के बारे में जागरुकता फैलाएं क्योंकि आज भी समाज में अज्ञानता और गरीबी के कारण कई दूषणों फ़ैल रहे है। मानवता के खिलाफ कोई भी अपराध मानव अधिकारों का उल्लंघन है। हर मानव अधिकार का उपयोग और उसका अनुपालन होना चाहिए। मानवाधिकारों को लागू करना पूरी तरह से सरकार का खुद का कर्तव्य है।

अगर सरकार इन अधिकारों का रक्षण करने में निष्फल रहती है,तो प्रजा का यह अधिकार है की वो उनसे इस बारे में जवाब मांग सकती है। यह एक वैश्विक दिन है जिसे पूरी दुनिया में हर कोई मनाता है और अपने अधिकारों का आनंद लेता है। मानवाधिकार दिवस लोगों और हमारी नई और आने वाली पीढ़ी को उन अधिकारों के बारे में जागरूक करता है मैं आज के दिन आप सबको यही अनुरोध करता हूँ की आज के दिन की महत्वता को आप समझे और हमारे मानव अधिकारों के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के लिए अपना कर्तव्य समझकर हमेशा आगे रहे।

इसके साथ ही मैं अपने विचारों को यहाँ पर समाप्त करता हूँ। आपका आभार।

नमस्कार साथियों,

मेरा सादर प्रणाम!

मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में यहां उपस्थित सभी लोगों का मैं हार्दिक स्वागत करता हूँ। हर साल 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है, जिसका इतिहास 10 दिसंबर 1948 से पहले का है जब संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा को अपनाया था। यह दिन इतिहास का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है क्योंकि इसने हम सभी को समान अधिकार दिए हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम दुनिया के किस हिस्से से हैं। जाति, पंथ, रंग, धर्म, लिंग, स्थिति या भाषा की परवाह किए बिना सभी लोगों के लिए अधिकार समान है। इस अधिकार ने हम सभी को समान सम्मान दिया है।

हमारे दैनिक जीवन में इसके महत्व को समझना जरूरी है। सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कल्याण में सुधार के लिए मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। जॉन एफ कैनेडी ने सुंदर पंक्तियों को इस प्रकार उद्धृत किया, “जब एक व्यक्ति के अधिकारों को खतरा होता है तो हर आदमी के अधिकार कम हो जाते हैं।

मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रताओं की एक विस्तृत श्रृंखला निर्धारित करती है जिसके हम सभी हकदार हैं। यह किसी व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा से संबंधित लोगों को समान अधिकार प्रदान करने की दिशा में काम करता है।

यह अधिकार दुनिया भर में स्वतंत्रता, न्याय और शांति के समान अधिकार प्रदान करते हैं। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 226 और 32 के तहत मानवाधिकारों के लिए विशेष विचार हैं। भारत में मानवाधिकारों की रक्षा और सुरक्षा के लिए 1993 में भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गई थी। यह किसी व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा से संबंधित लोगों को समान अधिकार प्रदान करने की दिशा में काम करता है।

यह दिन कई कार्यक्रमों के साथ सरकारी, गैर-सरकारी और शैक्षणिक संस्थानों में भी मनाया जाता है यह दिन मुख्य रूप से सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सम्मेलनों, प्रदर्शनियों और बैठकों के साथ मनाया जाता है जो मानव अधिकारों के ज्ञान का प्रसार करते हैं। हर पांच साल में नोबेल पुरस्कार उन महान योगदानकर्ताओं को भी दिया जाता है जो मानवाधिकारों के लिए काम करते हैं। स्कूल और शैक्षणिक संस्थान उन्हें मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता देने के लिए निबंध, नाटक और कला प्रतियोगिताओं का भी आयोजन करते हैं।

मानवाधिकार दिवस समारोह के हिस्से के रूप में, सरकार और स्थानीय प्राधिकरण मानव अधिकारों को बढ़ावा देने वाली योजनाओं को तय करते हैं। मानवाधिकारों की रक्षा करने वाले लोगों को वार्षिक पुरस्कार भी दिए जाते हैं। यह लोगों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करता है।

हम सभी को गर्व होना चाहिए कि हम उस समाज का हिस्सा हैं, जहां हर इंसान को समान माना जाता है और समान अधिकार हैं। तो आइए हम मानवाधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करें और किसी भी उल्लंघन को बढ़ावा देने वाली सभी गतिविधियों की रक्षा करें। साथ साथ देश और समाज के एक आदर्श नागरिक बने और मानवाधिकार के बारे में जागरुकता फाइने में सर्कार की मदद करें फ़ैलाने में सरकार की मदद करें।

इस गौरव दिन पर आप सबने मेरे विचारों को शांतिपूर्वक सुना इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ। धन्यवाद।

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मानव अधिकार दिवस पर भाषण

speech on human rights day in hindi

By विकास सिंह

human rights day speech in hindi

मानवाधिकार दिवस हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाता है, ताकि आम लोगों के अधिकारों की रक्षा और सुरक्षा हो सके। अधिक से अधिक देशों, राज्यों और स्थानीय प्रांतों में कई प्रथाओं के कारण इस दिन को मनाया जाता है जो दुनिया भर में प्रचलित हैं। ऐसे समय हो सकते हैं, जब आपको एक ऐसे समूह में शामिल होने की आवश्यकता हो सकती है जो मानवाधिकारों के लिए लड़ता है और इसके परिणामस्वरूप आपको भाषण देने की आवश्यकता हो सकती है।

विषय-सूचि

मानव अधिकार दिवस पर भाषण, human rights day speech in hindi 1

नमस्कार दोस्तों!

मैं मानवाधिकार दिवस के छठे वार्षिक उत्सव में सभी का स्वागत करना चाहता हूं। हमारे एनजीओ की स्थापना सात साल पहले आम लोगों के अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ गरीबों और निर्जन लोगों के समर्थन के उद्देश्य से की गई थी। उन सभी के लिए जो हमारे एनजीओ के लिए नए हैं, मैं मानवाधिकार दिवस की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दूंगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1948 में अपनाया गया, यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाता है।

इस दिन को आमतौर पर उच्च-स्तरीय राजनीतिक सम्मेलनों और बैठकों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रदर्शनियों द्वारा चिह्नित किया जाता है जो मानव अधिकारों के मुद्दों से निपटते हैं। हमारा एनजीओ इस जिले में अपनी तरह का एक है, इस प्रकार हम मानव अधिकारों की रक्षा और वकालत करने से जुड़े सभी प्रकार के मुद्दों से निपटते हैं। हर वर्ष की तरह, इस वर्ष भी हम एक विषय पर काम करेंगे और इस वर्ष का विषय ‘शिक्षा का अधिकार’ है।

यह अधिकार सभी के लिए मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के अधिकार के साथ-साथ सभी के लिए उपलब्ध माध्यमिक शिक्षा को विकसित करने के लिए एक प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी को मान्यता देता है, विशेष रूप से माध्यमिक शिक्षा को मुफ्त में देने और उच्च शिक्षा के लिए न्यायसंगत और निष्पक्ष पहुंच का विस्तार करने के लिए एक दायित्व सौंपता है।

शिक्षा सभी का अधिकार है और यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए शिक्षा के मूल्य को समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमारे देश के अधिकांश दूरदराज के क्षेत्रों में, माता-पिता को अभी भी लगता है कि बालिकाओं को अध्ययन करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उन्हें अंततः घर का प्रबंधन करना पड़ता है। यह बिल्कुल अनुचित अपेक्षा है क्योंकि शिक्षा लड़कियों को मजबूत बनाती है और उन्हें बेहतर तरीके से घर संभालने के साथ-साथ फैसले लेने में मदद करती है। यह हमारे समाज में प्रचलित कुरीतियों जैसे दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा और महिलाओं के खिलाफ अन्य अपराधों के खिलाफ लड़ने के लिए उन्हें मानसिक और साथ ही बौद्धिक शक्ति प्रदान करता है।

मुझे यह साझा करने में गर्व है कि हमारे एनजीओ ने लगभग 100 ऐसे गांवों को अधिक जागृत स्थानों में बदल दिया है। प्राप्त दान की मदद से, हमने अब तक लगभग 89 गांवों में प्राथमिक, माध्यमिक और साथ ही उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खोले हैं और शेष 11 विद्यालयों में स्कूल फिलहाल बन रहे हैं।

हमें अपने मिशन में कई लोगों विशेषकर युवाओं से भारी समर्थन और सराहना मिल रही है। कई युवा हैं, जो इन स्कूलों में अनैच्छिक रूप से मुफ्त शिक्षा प्रदान करते हैं और यह एक शानदार शुरुआत है, मैं कहूंगा। हमें अधिक से अधिक गांवों और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए राज्य सरकार का समर्थन भी मिला है। सरकार ने हमें अधिक से अधिक गांवों में स्कूल खोलने के लिए वित्तीय सहायता का भी वादा किया है।

मैं सरकार का शुक्रगुजार हूं कि वह अपने कर्तव्य को पूरा कर रही है और नेक कामों का समर्थन कर रही है। लोगों को शिक्षित करना एक महान कार्य है और मुझे बहुत संतुष्टि मिलती है जब मैं लड़कियों को स्कूलों में जाते हुए देखता हूं, उनके भविष्य के बारे में सकारात्मक बातें करता हूं, समाचार पढ़ता हूं, आदि मैं अपने माता-पिता के चेहरे पर मुस्कराहट देखकर सभी अधिक खुश महसूस करता हूं क्योंकि वे स्वीकार करते हैं।

तथ्य यह है कि एक लड़की और एक लड़के के बीच कोई अंतर नहीं है और शिक्षा हर किसी का अधिकार है। आने वाले वर्ष में, हम 100 और गाँवों को लक्षित करेंगे और मुझे ऐसे स्वयंसेवक चाहिए जो मिशन में शामिल होना चाहते हैं। आप काउंटर पर अपना विवरण दे सकते हैं और मेरे मेल की प्रतीक्षा कर सकते हैं जो आपको इस विषय पर अधिक जानकारी देगा। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो कृपया मुझसे फ़ोन पर संपर्क करें।

धन्यवाद!

मानव अधिकार दिवस पर भाषण, world human rights day speech in hindi – 2

मानव अधिकार दिवस पर भाषण, world human rights day speech in hindi – 3.

शुभ संध्या मेरे प्यारे दोस्तों, मैं आप सभी का मानवाधिकार दिवस पर आयोजित इस विशेष संगोष्ठी में स्वागत करता हूँ!

हम सभी कितनी बार कहते हैं कि महिलाओं को पुरुषों से अलग माना जाता है, समाज में महिलाएं कितनी असुरक्षित हैं, बहुसंख्यक आबादी अशिक्षित है, गोरे लोगों और अश्वेत लोगों में कोई अंतर नहीं होना चाहिए, आदि आदि। इसका क्या मतलब है?

इसका मतलब है कि हम सभी मनुष्य चाहते हैं कि पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से व्यवहार किया जाए, हम महिलाओं और अन्य सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा चाहते हैं, हम चाहते हैं कि हर कोई शिक्षित हो और हम भेदभाव करना चाहते हैं। हम सभी ऐसा करना चाहते हैं। जैसे पहले उल्लेख किया गया है और कई और अधिकार हैं जो हम चाहते हैं।

इन मानव अधिकारों को मानव की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए कई प्रयासों और चर्चाओं के बाद निर्धारित किया गया है। मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो मानव के साथ-साथ मानव अस्तित्व और मानव व्यक्तित्व के समुचित विकास के लिए आवश्यक हैं। मानव अधिकारों को समाज में मानव व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक है, जहां वह रहता है।

यहां मौजूद पूरे दर्शकों में से, मुझे पूरा यकीन है कि उनमें से कुछ को पूरी तरह से 30 मानव अधिकारों के बारे में पूरी तरह से जानकारी नहीं हो सकती है जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1948 में सार्वभौमिक रूप से घोषित किए गए थे। मनुष्यों और उनकी भलाई की रक्षा के लिए, 30 विशिष्ट मानव अधिकारों की घोषणा की गई। 10 दिसंबर को आधिकारिक रूप से मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है।

प्रत्येक मानव अधिकार का उपयोग किया जाना चाहिए और उसका पालन किया जाना चाहिए। हम सभी लोगों के बीच इन अधिकारों के संदेश को फैलाने की जिम्मेदारी है।

सभी अधिकारों में, मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा का अधिकार है। मेरे लिए शिक्षा प्राप्त करना सभी का जन्मसिद्ध अधिकार है। शिक्षा प्राप्त करने के कई लाभ हैं। जो शिक्षित होता है, वह अपने जीवन और दूसरों के जीवन को भी बदलने की शक्ति रखता है। शिक्षा का अधिकार वह है जिसका सबसे महत्वपूर्ण महत्व है। हम सभी को इन अधिकारों के बारे में अच्छी तरह से पता होना चाहिए, इन अधिकारों को सूचीबद्ध करने और प्रस्तावित करने के लिए कई प्रयास दशकों पहले किए गए थे। वर्तमान में इन मानव अधिकारों के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण चरण मौजूद है।

हम सभी को यह समझना चाहिए कि मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो मनुष्य के जीवन और सामान्य मानव अस्तित्व के लिए मौलिक हैं। हर देश की सरकार और नागरिकों के लिए मानव अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। यह उनका मौलिक कर्तव्य है। हम सभी को अपने अधिकारों का लाभ उठाना चाहिए और इन अधिकारों के बारे में आबादी के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए समर्पित रूप से काम करना चाहिए।

समाज में हमारे कल्याण और अस्तित्व के लिए 30 सूचीबद्ध मानव अधिकारों में से प्रत्येक आवश्यक हैं। मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि कृपया इन अधिकारों के अस्तित्व को फैलाने के लिए अपने निकट और प्रियजनों के साथ संदेश साझा करें।

मानव अधिकार दिवस पर भाषण, speech on human rights day in hindi – 4

सुप्रभात मित्रों!

आज की बैठक में समय निकालने और मुझसे जुड़ने के लिए धन्यवाद। मैं एक महत्वपूर्ण निमंत्रण साझा करना चाहता था जो स्थानीय सरकार से हमारे संगठन के लिए आया है। हमें सरकार का समर्थन करने और ‘स्वच्छ भारत अभियान’ या ‘स्वच्छ भारत मिशन’ में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। अभियान पूरे शहर में चलाया जाता है और 10 दिसंबर को लॉन्च किया जाएगा जो मानवाधिकार दिवस भी है।

यह अभियान पिछले एक साल से चलाया जा रहा है, जिसमें शहर में बहुत कम या कोई प्रगति नहीं है। इस प्रकार, हमें बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए शामिल होने और मिशन को पूरा करने में मदद करने के लिए आमंत्रित किया गया है।

मानवाधिकार दिवस इसके लॉन्च के लिए सबसे अच्छा दिन है क्योंकि यह दिन मूल रूप से लोगों के अधिकारों के सम्मान के लिए मनाया जाता है। यह हर किसी को स्वयं और अन्य अधिकारों के लिए खड़े होने का आह्वान करता है। इसी तरह, स्वच्छ वातावरण और आसपास रहना सभी का अधिकार है और यह स्वस्थ रहने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

बुनियादी मानवाधिकारों के प्रति अनादर और अपमान हमारे देश के लगभग हर हिस्से में मौजूद है। लोग बिना किसी मूल्य के और दूसरों की परवाह करते हैं। मैंने स्वयं अधिकांश शिक्षित लोगों को देखा है, खासकर पार्क और बगीचों में कूड़ेदानों की उपलब्धता के बावजूद लापरवाही से।

मुझे दृढ़ता से लगता है कि हमें अपनी सामान्य मानवता को आराम देना चाहिए; नोबल डीड को हमेशा वित्तीय या भौतिक सहायता की आवश्यकता नहीं होती है। वास्तव में, हम जहां भी हैं, हम एक अंतर बना सकते हैं। सड़क पर, हमारे पड़ोस में, पार्कों, स्कूलों, काम, सार्वजनिक परिवहन, आदि में।

हम में से प्रत्येक के लिए यह समय है कि हम अपने और दूसरे के अधिकारों के लिए एक साथ खड़े हों और साथ में हम निश्चित रूप से फर्क कर सकें। एक छोटा कदम बड़ा बदलाव ला सकता है। हम स्वच्छता पर विचार साझा करने के लिए हर स्कूल और कॉलेज में जाएंगे। हम लोगों को आसपास के स्वच्छ रखने के लाभों के बारे में जागरूक करने के लिए सड़कों, पार्कों इत्यादि में भी होर्डिंग्स और बैनर मुद्रित और लटकाए जाएंगे।

जरूरी नहीं कि हमारा इशारा भव्य होना चाहिए; गीला और सूखा कूड़े के बीच अंतर को समझने और सही डस्टबिन में उन लोगों को फेंकने के रूप में एक सरल कदम से कई लोगों की जान बच जाएगी। लोगों को यह समझना महत्वपूर्ण है कि लाइटर न केवल पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, बल्कि यह डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी कई बीमारियों को भी फैलाते हैं।

यह एक भव्य मिशन है और मैंने इससे जुड़ने के बारे में सरकार को पहले ही अपनी पुष्टि दे दी है; मुझे ऐसे स्वयंसेवकों की तलाश है, जो मुझे पूरा समर्थन दे सकें। मैं आपको अवगत कराना चाहता हूं कि यह एक धर्मार्थ कार्य होने जा रहा है, इस प्रकार आपको ऑफ-कोर्स प्रशंसा और मान्यता के अलावा कोई भुगतान नहीं मिलेगा। साथ ही, मुझे कार्यालय बंद होने पर शनिवार और रविवार को आपकी उपस्थिति की आवश्यकता होगी।

यह 3 महीने तक चलने वाला है, इसलिए आपका सहयोग अत्यधिक आग्रहपूर्ण है। आप लोगों पर बिल्कुल भी कोई दबाव नहीं है, हालांकि यह पूरी तरह से एक स्वैच्छिक कार्य है। हमारे पास अगले सप्ताह यह काम शुरू करने की योजना है; रुचि रखने वाले लोग मुझे सीधे मेल भेज सकते हैं। एजेंडा जल्द ही तैयार और साझा किया जाएगा। यदि आप इस संबंध में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो आप मुझे भी लिख सकते हैं।

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इस लेख से सम्बंधित अपने सवाल और सुझाव आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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मानवाधिकार पर निबंध | Essay On Human Rights in Hindi language

नमस्कार आज हम मानवाधिकार पर निबंध Essay On Human Rights in Hindi language पढ़ेगे. मानव के बेसिक राइट्स को ह्यूमन राईट कहा जाता है जो गौरवपूर्ण जीवन बिताने के लिए आवश्यक माने जाते हैं.

आज के निबंध में हम मानवाधिकार और मानवाधिकार आयोग के बारे में विस्तार से पढ़ेगे. उम्मीद करते है ह्यूमन राईट का यह निबंध आपको पसंद आएगा.

मानवाधिकार पर निबंध Essay On Human Rights in Hindi

मानवाधिकार पर निबंध | Essay On Human Rights in Hindi language

विश्व मानवाधिकार दिवस पर निबंध Essay on World Human Rights Day In Hindi

मानव अधिकार (Human Rights) वे मूलभूत अधिकार हैं, जिनका उपभोग करने के लिए प्रत्येक नागरिक अधिकृत हैं.

जीवन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार,  जीविकापार्जन का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का अधिकार जैसे मूलभूत अधिकार मानव अधिकारों के अंतर्गत ही आते हैं.

विश्व के अधिकांश देशों में ये अधिकार संविधान द्वारा प्रदान किए गये हैं. भारत में भी संविधान के भाग तीन के अनुच्छेद 14 से लेकर 35 के द्वारा ये नागरिकों को विभिन्न प्रकार के अधिकार प्रदान किए गये हैं.

एमनेस्टी इंटरनेशनल मानव अधिकारों की रक्षा के लिए विश्व भर में सुनिश्चित करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था (manav adhikar aayog) हैं, जिसका मुख्यालय लंदन में स्थित हैं.

मानव अधिकार क्या है (what are human rights)

वैसे तो मानव अधिकार अवधारणा का इतिहास काफी पुराना हैं, पर इसकी वर्तमान अवधारण दूसरे विश्वयुद्ध के विध्वस के बाद विकसित हुई.

वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को स्वीकृत किया. मानव अधिकारों का उल्लेख प्राचीन भारतीय ग्रंथों जैसे मनु स्मृति, हितोपदेश , पंचतंत्र तथा यूनानी दर्शन में भी मिलता हैं.

वर्ष 1215 में इंग्लैंड में जारी मैग्नाकार्टा में नागरिकों के अधिकार का उल्लेख था, उन सभी अधिकारों को मानव अधिकार की संज्ञा नही दी जा सकती थी.

वर्ष 1525 में जर्मनी के किसानों द्वारा प्रशासन से मांगे गये अधिकारों की बारह धाराओं को यूरोप में मानव अधिकारों का प्रथम दस्तावेज कहा जा सकता हैं.

मानव अधिकार के प्रकार व इतिहास (Human rights type and history)

1789 में फ़्रांस क्रांति से फ़्रांस की राष्ट्रीय सभा ने नागरिकों के अधिकारों की घोषणा की. जिसके कारण विश्व में समानता, बन्धुत्व व स्वतंत्रता के विचारों को बल मिला.

19 वी शताब्दी में ब्रिटेन और अमेरिका में दास प्रथा की समाप्ति के लिए कई कानून बने और 20 वीं शताब्दी आते आते मानव अधिकारों को लेकर विश्व में कई सामाजिक परिवर्तन हुए.

जिसमें बाल श्रम का विरोध प्रारम्भ हुआ एवं विभिन्न देशों में महिलाओं को चुनाव में मतदान का अधिकार मिलस. वर्ष 1864 में हुए जेनेवा समझौता से अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी सिद्धांतों को बल मिला तथा संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के समय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानव अधिकारों की मान्यता की बात हो गईं.

मानव अधिकार दिवस (human rights Day)

10 दिसम्बर 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने मानव अधिकार की सार्वभौमिक घोषणा को स्वीकार कर लिया. इसकी प्रस्तावना में कहा गया हैं,

चूंकि मानव अधिकार के प्रति उपेक्षा और घ्रणा के कारण हुए बर्बर कार्यों के कारण मनुष्य की आत्मा पर अत्याचार हुए हैं. अतः कानून नियम बनाकर मानव अधिकारों की रक्षा करना आवश्यक हैं.

इसके प्रथम अनुच्छेद में स्पष्ट उल्लेख हैं, कि सभी मानवों को गौरव और अधिकार के मामले में जन्मजात और स्वतन्त्रता और समानता प्राप्त हैं. उन्हें बुद्धि और अंतरात्मा की देन प्राप्त हैं और उन्हें परस्पर भाईचारे के साथ बर्ताव करना चाहिए.

इसके बाद के अनुच्छेद दो में कहा गया हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को घोषणा में सन्निहित सभी अधिकारों और आजादियों को प्राप्त करने का हक़ हैं.

इस मामले में जाति, वर्ण, लिंग, भाषा धर्म या राजनीति या अन्य विचार प्रणाली, किसी देश या समाज विशेष में जन्म सम्पति या किसी प्रकार की अन्य मर्यादा आदि के कारण किसी तरह का भेदभाव नही किया जाएगा.

मानवाधिकार के तहत किसी भी व्यक्ति को न तो शारीरिक यातना दी जाएगी न उनके प्रति निर्दयी, अमानुषिक या अपमानजनक व्यवहार अपनाया जाएगा. ऐसे ही कई महत्वपूर्ण व आवश्यक मानव अधिकार की सार्वभौमिक घोषणा कुल 30 अनुच्छेदों में की गई.

मानव अधिकार का महत्व व आवश्यकता (Importance and need of human rights)

इन मानव अधिकारों से सम्बन्धित यह घोषणा कोई कानून नही हैं और इसके कुछ अनुच्छेद वर्तमान तथा सामान्य रूप से मानी जाने वाली अवधारणाओं के प्रतिकूल हैं.

फिर भी इसके कुछ अनुच्छेद या तो कानून के सामान्य नियम हैं या मानवता की सामान्य धारणाएं हैं. इस घोषणा का अप्रत्यक्ष रूप से कानूनी प्रभाव हैं तथा संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा एवं कुछ कानून ज्ञाताओं के मतानुसार यह संयुक्त राष्ट्र का कानून हैं.

भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन 23 दिसम्बर 1993 में किया गया. इस समय न्यायमूर्ति पूर्व चीफ जस्टिस एचएल दत्तू  इसके अध्यक्ष हैं.

यह आयोग किसी पीड़ित व्यक्ति या उसके ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा मानव अधिकारों के अतिक्रमण या किसी लोक सेवक द्वारा इसके उल्लघन की अनदेखी करने के संबंध में याचिका प्रस्तुत कर सकता हैं.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और इसके कार्य

यह न्यायालय में मानव अधिकार से सम्बन्धित मामलों में दखल, कैदियों की दशा का अध्ययन तथा प्रकाशन, संचार माध्यमों, सेमीनार तथा अन्य माध्यमों के द्वारा समाज के सभी वर्गों में मानव अधिकार की शिक्षा का प्रचार करता हैं.

यह आयोग अभियोग या जांच के लिए आवश्यक सूचनाएं व दस्तावेज प्राप्त करने के लिए किसी भी संस्थान का दौरा कर सकता हैं.

या किसी संस्थान में प्रवेश कर सकता हैं. किसी शिकायत की जांच पूरी होने के बाद आयोग उचित कार्यवाही या अन्य उचित कार्यवाही की संस्तुति कर सकता हैं.

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अतिरिक्त भारत के 29 में से 23 राज्यों में मानव अधिकारों के मामलों की सुनवाई के लिए राज्य मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया हैं.

जनतंत्र की अवधारणा मानव मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने की बढ़ती हुई आवश्यकताओं से जुडी हुई हैं. इसके बिना एक व्यक्ति के लिए न तो व्यक्तित्व का विकास संभव हैं और न ही सुखी जीवन व्यतीत कर पाना. मानव अधिकार के अभाव में लोकतंत्र की कल्पना बेकार हैं.

अंतर्राष्ट्रीय संगठन ह्यूमन राइट्स वाच की 175 देशों में मानवाधिकार की स्थति का जायजा लेने वाली रिपोर्ट में भारत में मानव अधिकारों की स्थति के बारे में कहा गया हैं यहाँ महिलाओं बच्चों तथा आदिवासियों के मानव अधिकारों से जुडी समस्या अधिक हैं.

मानव अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना हैं, कि इसका मूल कारण सभी राज्यों में राज्य मानव अधिकार आयोग का न होना हैं. भारत में मानवाधिकार की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसके सभी राज्यों में मानव अधिकार आयोग का गठन अनिवार्य हैं.

मानव परिवारों में सभी सदस्यों को जन्मजात गौरव तथा सम्मान प्राप्त करने का अधिकार हैं जो ही विश्व शान्ति तथा न्याय व स्वतंत्रता की बुनियाद हैं. अतः सम्पूर्ण मानवता की रक्षा के लिए विश्व समुदाय को खुलकर मानव अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाना चाहिए.

मानव अधिकार आयोग पर निबंध | Essay On Human Rights Commission In Hindi

प्रिय साथियो आपका स्वागत है Essay On Human Rights Commission In Hindi में  हम आपके साथ मानव अधिकार आयोग पर निबंध  साझा कर रहे हैं.

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 तक के बच्चों को मानवाधिकार आयोग भारत के कार्य पर निबंध टिप्पणी  पर सरल भाषा में  हिन्दी नि बंध (ह्यूमन राइट्स कमिशन एस्से)   को परीक्षा के लिहाज से याद कर लिख सकते हैं.

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 कहता है कि प्रत्येक व्यक्ति का विचार और उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार हैं. इसके अंतर्गत बिना हस्तक्षेप के कोई राय रखना और किसी भी माध्यम के जरिये से तथा सीमाओं की परवाह न करके किसी की सूचना और धारणा का अन्वेषण, ग्रहण तथा प्रदान सम्मिलित हैं.

मानव अधिकार क्या है 

ये वे प्राकृतिक अधिकार हैं जिनका प्रत्येक नागरिक उपभोग कर सकता हैं. मानव अधिकारों के अंतर्गत जीवन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, जीविकापार्जन का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का अधिकार आते हैं.

संसार का प्रत्येक लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को ये अधिकार प्रदान करता हैं. भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 से 35 तक इन अधिकारों का प्रावधान किया गया हैं. विश्वस्तर पर मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए एमनेस्टी इंटरनेशनल हैं जिनका मुख्यालय लन्दन में हैं.

मानव अधिकार आयोग की आवश्यकता

भारत में मूल अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका के अलावा कुछ और सरंचनाओं का भी निर्माण किया गया हैं. इनमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति एवं जाति आयोग तथा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग प्रमुख हैं.

ये संस्थाएं क्रमशः अल्पसंख्यकों, महिलाओं, दलितों के अधिकारों तथा मानवाधिकारों की रक्षा करती हैं.

भारत का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व कार्य

मौलिक अधिकारों और अन्य अधिकारों की रक्षा के लिए वर्ष 2000 में भारत सरकार ने कानून द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया हैं.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में सर्वोच्च न्यायालय का एक पूर्व न्यायधीश, किसी उच्च न्यायालय का एक पूर्व न्यायधीश तथा मानवाधिकारों के सम्बन्ध में ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले दो और सदस्य होते हैं.

कार्यक्षेत्र

मानवाधिकारों के उल्लंघन की शिकायते मिलने पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग स्वयं अपनी पहल या किसी पीड़ित व्यक्ति की याचिका पर जांच कर सकता हैं.

जेलों में बंदियों की स्थिति का अध्ययन कर सकता हैं. मानवाधिकार के क्षेत्र में शोध कर सकता हैं. या शोध को प्रोत्साहन कर सकता हैं.

प्राप्त शिकायतों का स्वरूप

आयोग को प्रतिवर्ष हजारों शिकायतें मिलती हैं. इनमें से अधिकतर हिरासत में मृत्यु, हिरासत के दौरान बलात्कार, लोगों के गायब होने, पुलिस की ज्यादतियों, कार्यवाही न किये जाने पर, महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार आदि से सम्बन्धित होती हैं.

आयोग को स्वयं मुकदमा सुनने का अधिकार नहीं हैं. यह सरकार या न्यायालय को अपनी जांच के आधार पर मुकदमें चलाने की सिफारिश कर सकता हैं.

आयोग का दुरूपयोग

प्रत्येक व्यक्ति के मूल अधिकारों की रक्षा का पक्ष हर कोई लेता हैं. शक्तिशाली लोग, सत्ता या समूह किसी के अधिकारों का हनन न करे. यदि ऐसा हो तो वह आयोग की शरण में जा सकता हैं.

यह व्यवस्था निसंदेह मानवता की भलाई के लिए बनाई गई, मगर कई बार व्यक्ति विशेष या दल विशेष के प्रभावों के चलते मानव अधिकार आयोग ने निष्पक्षता से काम नहीं लिया हैं.

देश के समुदाय विशेष के किसी व्यक्ति की झूठी अपवाह या कश्मीर में सेना पर पत्थरबाजी करने वाले के अधिकारों की रक्षा के लिए ह्यूमन राईट कमिशन का कारवां बचाव में खड़ा हो जाता हैं.

मगर यही आयोग कैराना, सिख दंगे, कश्मीर विस्थापित लोगों के पुनर्वास अथवा उनके अधिकारों की बात नहीं करेगा. इसी दोगलेपन के चलते भारत में मानवाधिकार आयोग का प्रभाव शून्य ही नजर आता हैं.

  • बाल अधिकार पर निबंध
  • भारतीय संविधान पर निबंध
  • सूचना का अधिकार अधिनियम निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों मानवाधिकार पर निबंध Essay On Human Rights in Hindi language का यह निबंध आपको पसंद आया होगा.

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सोचदुनिया

मानवाधिकार दिवस पर भाषण

Speech on Human Rights in Hindi

मानवाधिकार दिवस पर भाषण : Speech on Human Rights in Hindi :- आज के इस लेख में हमनें ‘मानवाधिकार दिवस पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप मानवाधिकार दिवस पर भाषण से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

मानवाधिकार दिवस पर भाषण : Speech on Human Rights in Hindi

नमस्कार, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, सभी शिक्षकगण, और मेरे सभी साथियों को मेरा प्यारभरा नमस्कार। मेरा नाम —- है। मैं इस विद्यालय में 10वीं कक्षा का छात्र हूँ।

आज मानवाधिकार दिवस के अवसर पर हमारें विद्यालय द्वारा एक समारोह का आयोजन किया गया है। जिससे सभी लोगों में मानवाधिकार के प्रति जागरूकता बनी रहे।

आज मैं आप सभी को धन्यवाद कहना चाहता हूँ कि आप सभी ने आज मुझे इस अवसर पर दो शब्द कहने का अवसर प्रदान किया। मैं इस विषय पर अपने विचार रखने जा रहा हूँ।

आज 10 दिसंबर है और आज के दिन ही प्रतिवर्ष मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। सबसे पहले आप सभी को यह पता होना चाहिए कि मानवाधिकार क्या होता है?

किसी भी व्यक्ति को जीवनयापन करने के लिए उसके पास आजादी, बराबरी व सम्मान का अधिकार होना ही मानवाधिकार कहलाता है। मानवाधिकार किसी भी व्यक्ति की जाति, धर्म व रंग-रूप के आधार पर नहीं होता है। यह अधिकार सभी को प्राप्त होते है।

पहले के समय में ये सभी अधिकार सभी लोगों को प्राप्त नहीं होते थे। जिस वजह से कमजोर वर्ग का लगातार शोषण होता था। उन्हें आजादी नहीं दी जाती थी। उनके साथ गलत व्यवहार किया जाता था। उन्हें किसी भी प्रकार के अधिकार प्राप्त नहीं थे।

कमजोर व गरीब वर्ग लगातार और अधिक कमजोर होता जा रहा था। इन सभी को देखते हुए पूरे विश्व का ध्यान इस तरफ गया। इसीलिए इस पर कईं कानून बनाए गए। कई आंदोलन हुए।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसंबर 1948 के दिन को मानवाधिकार दिवस के रूप में चुना। ताकि पूरे विश्व का ध्यान इस तरफ खींचा जा सके। तब से ही प्रतिवर्ष इस दिन को मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारत का संविधान भारत के हर नागरिक को मौलिक अधिकार प्रदान करता है। जिसमें धर्म की स्वतंत्रता, बोलने की आजादी, कार्यपालिका और न्यायपालिका का सहयोग, देश के अन्दर एवं बाहर आने-जाने की भी स्वतंत्रता व इसके साथ-साथ शिक्षा का अधिकार जैसे अधिकार प्रदान किए गए है।

जिससे हर नागरिक को जीवनयापन करने में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े। भारत देश में मौलिक अधिकारों को लेकर थोड़ी परेशानी तो है। आज भी भारत में महिला शिक्षा काफी पीछे है। इसके साथ-साथ जातिवाद व धर्म की समस्या भी है।

लेकिन इसे सुधारने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे है। जिससे इसमें काफी हद तक सुधार देखने को मिल रहा है। भारत में सभी को चुनाव में मतदान करने का अधिकार भी है। जिससे वें भी भारत के प्रतिनिधि को चुनने में अहम भूमिका निभा सके।

इन सभी नियमो का पालन करने के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन सन 1993 में किया गया। भारत में 28 सितम्बर 1993 से मानव अधिकार कानून को लागू किया गया।

इसका मुख्य उद्देश्य सभी नागरिको के अधिकारों की रक्षा करना था। इसके साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के भी अधिकार को छिनने की कोशिश करता है, तो उसके लिए कईं कानून बनाए गए है।

जिससे उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जा सके। मानवाधिकार दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि मानवता पर होने वाले जुल्मों को रोका जा सके और इसके लिए कानून बनाए जा सके।

प्रतिवर्ष इस दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा एक बैठक की जाती है व इसमें पूरे विश्व में रहने वाले लोगों के अधिकारों की बात की जाती है व इनकी रक्षा के लिए क्या क्या कदम उठाने चाहिए इस पर विचार किया जाता है।

किसी भी मनुष्य के लिए ये अधिकार बहुत आवश्यक है। सभी को इस दुनिया में जीवनयापन करने का अधिकार है। अतः हमें इनकी रक्षा करनी चाहिए। अंत में मैं अपने भाषण को समाप्त करने जा रहा हूँ। मेरा पूरा भाषण सुनने के लिए आप सभी का धन्यवाद।

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ  फेसबुक  पर साझा अवश्य करें और हमारे  वेबसाइट  को सबस्क्राइब कर ले।

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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।

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मानवाधिकार पर भाषण Speech on Human Rights in Hindi

मानवाधिकार पर भाषण Speech on Human Rights in Hindi

आज के इस लेख में हमने मानव अधिकार पर भाषण Speech on Human Rights in Hindi प्रस्तुत किया है।

पढ़ें: विश्व मानवाधिकार दिवस पर भाषण Speech on World Human Rights Day in Hindi

माननीय प्रधानाचार्य, सभी अध्यापक और सभी छात्रगण आप सभी को मेरा नमस्कार,

आज के इस आर्टिकल में हमने मानवाधिकार पर भाषण( Speech on Human Rights ) प्रस्तुत किया है। आज के इस समय में दिन-प्रतिदिन मनुष्यों का शोषण बढ़ता जा रहा है, और इसे देखते हुए मानव अधिकार (Human Rights) का सिद्धांत हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। 

सबसे पहले ये समझना ज़रुरी है कि मानव अधिकार (Human Rights) क्या है ? – कुछ विचारक और टिप्पणी कारों का मानना है कि मानव अधिकार 18वीं शताब्दी के फ़्रांसीसी क्रांति का एक उत्पाद है इसलिए इसका श्रेय फ्रांसीसी क्रांति को दिया जाता है।

अगर मैं मानवाधिकार (Human Rights) को विस्तार में बताऊँ तो मानवाधिकार ऐसे अधिकार है जिनका प्रत्येक व्यक्ति अपने जन्म और राष्ट्रीयता के आधार का हक़दार होता है। किसी भी मानव को उसकी राष्ट्रीयता, जाति, धर्म, भाषा आदि के बावजूद भी ये अधिकार अनिवार्य माने जाते है।

कई सारे ऐसे देश भी है जिनके पास विधायी रूप से समर्थित मानवाधिकारों का एक अपना संग्रह भी है। और वो उन देश के नागरिकों में अधिकार है। लेकिन विषय वही है की प्रत्येक नागरिक को सामान अधिकार प्राप्त है और किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नही होगा। 

पुरानी सभ्यताओं के कानून में भी अधिकारों के बारे में बताने की कोशिश की गई है लेकिन उस समय के समाज में अलग अलग लोगो के अधिकार उनकी जाति और धर्म के अनुसार होता था। हम्मुराबी सबसे पहला व्यक्ति था जिसे व्यक्तियों के अधिकारों के लिए कानून में दर्ज किया गया था।

इसकी बुनियादी अवधारणा यही थी कि सभी नागरिकों बराबर हो, लेकिन इसकी परिभाषा बिलकुल अलग थी। कुछ लोग ऐसे भी है जो नागरिकता की सारी शर्तों को पूरा नही करते है उन्हें मानवाधिकरों के वैधानिक समर्थन प्राप्त नही है।

विभिन्न समाजिक सुधारको और कार्यकर्ताओं ने अलग अलग समय पर लोगो को नागरिकों को मानवाधिकारों के प्रति जागरूक करते थे और लोगो को इस अवधारणा में शामिल करने के लिए कई सारे प्रयास भी किये गये।  

एक सभ्य समाज में अधिकार मानव के समग्र विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम अपने अधिकारों को व्यक्तिगत रूप से उन स्थितियों में संदर्भित करते है, जिसके तहत व्यक्ति अपने लक्ष्यों को अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर सके। 

19वीं शताब्दी के समय जब अंतर्राष्ट्रीय कानून और सिद्धांत बनने शुरू हुए और उसे परिभाषित करने की कोशिश की गई, जिसमे अधिकार धर्म, जाति और संस्कृति को नजर अंदाज़ करके दिया जाता है।

मानव अधिकारों को बनाने का मुख्य कारण दास्तां को खत्म करने, महिलाओं को बराबर का अधिकार जैसे कई सारे मुद्दे थे जिसके आधार पर मौलिक अधिकार बनाया गया और किसी के साथ भेदभाव न हो और ये सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को मानव के रूप में पैदा होने के आधार पर मानवाधिकारों का हक़दार माना गया है। 

मानव अधिकार से संबंधित मुद्दे अलग-अलग समाज से अनुसार भिन्न-भिन्न होते है। लेकिन लोगो के सामाजिक, आर्थिक और नागरिकों के राजनीतिक अधिकार एक देश से दूसरे देश के अधिकारों को नियंत्रित करने वाले कानून भिन्न भिन्न होते है।

जैसे – सयुंक्त राष्ट्र ने महिलाओं के अधिकारों विपरीत होने वाले भेदभाव पर बहुत काम किया है क्योंकि उनको इसमें ज्यादा रूचि है। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका में बहुत से अश्वेत लोग रहते है। इनके प्रति श्वेत लोगो द्वारा भेदभाव एक चिंता का कारण है।

सभी देश के सरकारों द्वारा श्वेत और अश्वेत लोगो के बीच भेदभाव ख़त्म करने के लिए लोगो को फ़िल्मो के द्वारा इसके साथ और भी कई तरीके से लोगो मे जागरूकता फैलाई जा रही है। ताकि कोई भी अश्वेत लोगो (काले लोगो) के साथ भेदभाव ना करे । इस भेदभाव को खत्म रोकने के लिए सयुंक्त राष्ट्र ने नस्लवाद का अभ्यास समाप्त कर दिया और इसके सम्बन्ध में एक प्रस्ताव भी पारित किया है। 

ऐसे ही कई सारे मुद्दों को देखते हुए ऐसे कानून को बनाने और ऐसी स्थितियों को खत्म करना हर देश का सर्वोच्च कर्तव्य है, जहाँ लोगो को मानवाधिकारों से संरक्षित किया जा सके। हमारा महान देश भारत जोकि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था वाला देश है, जहाँ लोगो को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अलावा भी कई सारे बुनियादी अधिकार है जो भारत के नागरिकों के लिए बहुत ही लाभदायक है। इन सभी अधिकारों को मौलिक अधिकार(Fundamental Rights) के नाम से जाना जाता है। 

हमारे भारतीय संविधान में पहले सात मौलिक अधिकारों को रखा गया था लेकिन कुछ समय बाद सम्पत्ति के अधिकार को क़ानूनी अधिकार बना दिया गया।

वर्तमान समय में केवल छह मौलिक अधिकारों को संविधान में रखा गया है। जो इस प्रकार है – 

• स्वतंत्रता का अधिकार

• समानता का अधिकार

• धर्म चुनने का अधिकार

• शोषण के खिलाफ अधिकार

• संवैधानिक उपायों का अधिकार

• सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार

इसके अलावा भी कुछ सामाजिक और आर्थिक अधिकार है जो हमारे लिए महत्वपूर्ण है- 

• शिक्षा का अधिकार

• काम करने का अधिकार

• अच्छे जीवन स्तर का अधिकार

• समान काम समान वेतन का अधिकार

• अवकाश और आराम का अधिकार 

इन सभी अधिकारों में नैतिक आधार है जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही स्तर पर कानून में जगह मिली है। इन मौलिक अधिकारों के सरकार ने प्राथमिक रूप से पालन और प्रवर्तन के लिए संबोधित किया जाता है। मानवाधिकार दर्शन में प्रकृति, सामग्री, अस्तित्व, सार्वभौमिकता जैसे प्रश्नों को मानवाधिकारों के सत्यापन के रूप में शामिल करते है। 

इन मानव अधिकारों के संग्रह के बावजूद भी पूरे दुनिया में विभिन्न स्थानों पर मानवाधिकारों का लगातार उलंघन किया जा रहा है। मेरा मानना है कि इस स्थिति में किसी भी देश के समृद्धि सतत स्थिति प्रबल नही हो सकती है, जहाँ उस देश के मूल निवासियों को उनके अधिकारों का आनंद नही ले सकते है जो उनके अस्तित्व के लिए अभिन्न है।

दोस्तों आज के इस समय में जहाँ लोगो के मानवाधिकारों का उलंघन करके उनका शोषण किया जा रहा है, ये देखते हुए हमें मानवाधिकार के महत्व को समझने की जरुरत है। इसको समझने की पहली वजह स्वयं हमारे लिए है क्योंकि इस राष्ट्र के नागरिक होने के नाते ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपने अधिकारों के बारे में जाने। हम अपने अधिकारों के प्रयोग करके शोषण के खिलाफ लड़ सके। 

मैं अपने अन्य साथी, छात्रों से और मंच पर उपस्थित सभी लोगो से अनुरोध करता हूँ कि आप सभी लोग अपने आस पास जो लोग अपने मौलिक अधिकारों के बारे में नही जानते है। आप सभी लोग उन्हें जागरूक करे ताकि किसी का भी शोषण न हो सके। 

मैं अपना भाषण इसके के साथ समाप्त करने की अनुमति चाहता हूँ। धन्यवाद!

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speech on human rights day in hindi

Hindi Jaankaari

वर्ल्ड ह्यूमन राइट्स डे स्पीच 2022 -23 World Human Rights Day Speech in Hindi & English Pdf Download

World human rights day 2022:  मानवाधिकार मूल रूप से उन अधिकारों के अधिकार हैं जो प्रत्येक व्यक्ति के पास इंसान होने के कारण होते हैं। ये नगरपालिका से अंतरराष्ट्रीय कानून तक के कानूनी अधिकारों के रूप में संरक्षित हैं। मानवाधिकार सार्वभौमिक हैं। यह कहा जाता है कि ये हर जगह और हर समय लागू होते हैं।

मानवाधिकार मानदंडों का एक सेट माना जाता है जो मानव व्यवहार के कुछ मानकों को चित्रित करते हैं। नगर पालिका के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय कानून में कानूनी अधिकारों के रूप में संरक्षित, इन अधिकारों को मौलिक अधिकारों के रूप में जाना जाता है कि एक व्यक्ति सिर्फ इसलिए है क्योंकि वह इंसान है।

इस दिन quotes अपने व्हाट्सप्प स्टेटस पर लगा सकते है| या व्हाट्सप्प पर wishes सेंड कर सकते है|

विश्व मानवाधिकार दिवस पर भाषण

इस दिन पर बहुत से स्कूल एवं विश्विद्यालय में essay और speech compatition होता है|

विश्व में सदियों तक मानवाधिकारों के बारे में कभी मोचा ही नहीं गया । भारतीय मनीषियों ने धार्मिक चर्चाएँ कीं, आंध्यात्म के बारे में चिंतन किया, दर्शन पर टीकाएँ कीं मगर इन सबके बीच मानव के मूलभूत अधिकारों तथा अन्य अधिकारों की बातें पूरी तरह छूट गईं । मनुष्यों के दु:खों का कारण व परिणाम चूँकि पूर्व जन्म से जोड़ा जाता रहा, अत: मानवाधिकारों की बात ही बेमानी थी । अन्य प्राचीन सभ्यताएँ मानवाधिकारों से कोसों दूर थीं, यूरोप में भी पुनर्जागरण के काल तक इसके बारे में कोई चिंता न थी । गनीमत इतनी ही थी कि लोग अपने धर्मभीरुपन के कारण कई बार ऐसे कार्यों से बचते थे जिनसे मानवाधिकारों को चोट पहुँच सकती थी । जीवों पर दया, करुणा, परोपकार, धर्म-कर्म, पाप-पुण्य, कर्मफल आदि भावनाओं का प्राबल्य था जससे समाज के सदस्य कुछ हद तक मानवाधिकारों के हनन से बचे रहते थे । स्वतंत्रता आंदोलन के दौर में लोकमान्य तिलक का यह उद्‌घोष कि ”स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्‌ध अधिकार है” प्रत्यक्षतया नवीन यूरोपीय विचारों की प्रतिध्वनि कही जा सकती है । विश्व में परस्पर अनेक युद्‌ध हुए, इतिहास युद्‌ध की घटनाओं का बड़ा भारी पुलिंदा बन गया, साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद आदि सिद्‌धांत दम तोड़ने लगे, दो विश्व-युद्‌धों के दौरान जो कुछ घटा, इन सभी बातों ने मिलकर मानवाधिकारों को एक बड़ा मुद्‌दा बना दिया । पिछले दो-तीन सौ वर्षों में दुनिया में बड़ी संख्या में बुद्‌धिजीवियों, चिंतकों, समाजसुधारकों तथा नास्तिक विचारधारा के लोगों ने जन्म लिया । शिक्षा का दायरा बढ़ा और इसकी परिधि में आम लोग बड़ी संख्या में आने लगे जिसने सामाजिक जाति फैलाने का काम किया । पौराणिक बातों को बुद्‌धि के पलड़े पर तोला गया तब कहीं जाकर मानवाधिकारों के प्रति संकल्प की भावना से काम हुआ । समानता पर आधारित सामाजिक व्यवस्था लाने तथा शोषितों को उनका वाजिब हक दिलाने की कम्यूनिस्ट अवधारणा ने भी मानवाधिकारों के प्रति सम्मान करने का मार्ग प्रशस्त किया । विश्व के अनेक देशों में लोकतांत्रिक सरकारों के गठन से इस मार्ग के अवरोध दूर होने लगे क्योंकि सबों को न्याय मिल सके, लोगों को उन्नति के समान अवसर झप्त हों, यह लोकतंत्र का मूलमंत्र है । इस तरह जब दुनिया में शांति, स्थिरता, आत्मसम्मान आदि भावनाएँ प्रबल हुईं तो मानव के जायज अधिकारों के बारे में गंभीर चिंतन आरंभ हुआ । संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के तात्कालिक एवं दीर्घकालिक उद्‌देश्यों को गंभीरता से देखें तो मानवाधिकारों को तय करना, उसकी रक्षा करना जैसी बातें उसी में से निकल कर आती हैं । संयुक्त राष्ट्र संघ का एक अंग मानवाधिकारों के प्रति समर्पित होकर काम कर रहा है, विभिन्न देशों की सरकारों ने अपने यहाँ मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाएँ गठित की हैं । पूरी दुनिया के लोग मानवाधिकारों के बारे में जागरूक हो सकें, लोग अपने व दूसरों के अधिकारों को जानें आदि उद्‌देश्यों की पूर्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देश हर वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाते हैं । दुनिया में विभिन्न देशों की सामाजिक, सांस्कृतिक एवं मौद्रिक दशाएँ अलग- अलग हैं । लोग भौतिकता की दृष्टि से जितने आधुनिक हुए हैं उतने विचारों की दृष्टि से नहीं । यह विचार-संकीर्णता हमें लोगों के अधिकारों का सम्मान करने से रोकती है । स्त्रियों के प्रति सामूहिक भेद-भाव विभिन्न समाजों एवं राष्ट्रों में आज भी हो रहा है । तानाशाही कानूनों का प्रचलन समाप्त नहीं किया जा सका है, वर्ग संघर्ष और अनावश्यक रक्तपात का दौर जारी है । ऐसे में जहाँ लोगों के जीने का अधिकार भी खतरे में पड़ जाता है तो वहाँ अन्य मानवाधिकारों, जैसे- समानता, विचार अभिव्यक्ति, धार्मिक स्वतंत्रता आदि के बारे में बातें करना भी व्यर्थ है । बाल मजदूरी, महिलाओं का यौन शोषण, धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न, जातिगत भेद-भाव, लूट-पाट, बलात्कार आदि सभी बातें मानवाधिकारों के खिलाफ जाती हैं । दंगे-फसाद, आतंक व दहशत पर आधारित सामाजिक व्यवस्था में हमारे मूलभूत अधिकारों का हनन सर्वाधिक होता है । सबल सरकारी तंत्र अपने निहत्थे नागरिकों का उत्पीड़न करता है, तो मानवाधिकारवादी फिर किससे गुहार करें । जब निर्धन और असहाय व्यक्ति को मामूली अपराध में वर्षों जेल में सड़ना पड़ता है तब मानवाधिकारों की बात बेमानी हो जाती है । युद्‌धबंदियों को जब अमानवीय यातनाएँ दी जाती हैं तो मानवधिकारों पर कुठारघात होता है । कानूनी दाँवपेचों में फँसकर रह जाने वाला हमारा न्यायतंत्र उचित समय पर न्याय नहीं कर पाता है तो इसका कुफल भी आम नागरिकों को ही भुगतना पड़ता है। समस्या का एक और पहलू यह है कि लोग मानवाधिकारों की व्याख्या अपने-अपने ढंग से करते हैं । कई देशों में इसे लोगों के धार्मिक अधिकारों से जोड़कर अधिक देखा जाता है । कहीं-कहीं व्यक्तियों के अधिकार धार्मिक कानूनों की आड़ में कुचल दिए जाते हैं । जनसंख्या बहुल देशों में पुलिस तंत्र समाज के दबे-कुचलों पर अधिक कहर बरसाता है । बच्चों के अधिकार, अभिभवाकों द्‌वारा कम कर दिए जाते हैं । आधुनिक समाज से नैतिक भावनाओं का शनै: – शनै: लोप होना भी मानवाधिकारों के हनन के लिए जिम्मेदार तत्व बन गया है । धार्मिक कट्‌टरता, आतंकवाद जैसे कारक भी इसके लिए जिम्मेदार हैं । विश्व मानवाधिकार दिवस हमें इन बातों पर चिंतन करने का एक अवसर प्रदान करता है । मानवाधिकारों के प्रति सम्मान केवल संयुक्त राष्ट्र संघ की चिंता का विषय नहीं है, विभिन्न सरकारों एवं वहाँ की आम जनता को भी इस संबंध में अपनी सक्रियता दिखानी होगी । एमनेस्टी इंटरनेशनल नामक संस्था मानवाधिकारों के मामले में प्रतिवर्ष अपनी रिपोर्ट प्रकाशित करती है । इसकी आलोचनाओं का कुछ तो असर होता ही है । लेकिन जब हमारी आलोचना हो, तभी हम मानवाधिकारों के प्रति सजग हों, यह धारणा उचित नहीं है । विभिन्न राष्ट्रों को स्वयं अपने यहाँ की मानवाधिकारों की स्थिति की निरंतर समीक्षा करनी चाहिए तथा सुधारों के लिए तत्परता दिखानी चाहिए । हमें व्यक्तिगत स्तर पर अपनी जवाबदेही स्वीकार करनी ही होगी ।

The world human rights day speech

World Human Rights Day Speech in Hindi

Human Rights Day is observed every year on 10 December – the day the United Nations General Assembly adopted, in 1948, the Universal Declaration of Human Rights. This year, Human Rights Day marks the 70th anniversary of the Universal Declaration of Human Rights, a milestone document that proclaimed the inalienable rights which everyone is inherently entitled to as a human being — regardless of race, colour, religion, sex, language, political or other opinion, national or social origin, property, birth or other status. It is the most translated document in the world, available in more than 500 languages. Drafted by representatives of diverse legal and cultural backgrounds from all regions of the world, the Declaration sets out universal values and a common standard of achievement for all peoples and all nations. It establishes the equal dignity and worth of every person. Thanks to the Declaration, and States’ commitments to its principles, the dignity of millions has been uplifted and the foundation for a more just world has been laid. While its promise is yet to be fully realized, the very fact that it has stood the test of time is testament to the enduring universality of its perennial values of equality, justice and human dignity. The Universal Declaration of Human Rights empowers us all. The principles enshrined in the Declaration are as relevant today as they were in 1948. We need to stand up for our own rights and those of others. We can take action in our own daily lives, to uphold the rights that protect us all and thereby promote the kinship of all human beings. #StandUp4HumanRights The Universal Declaration of Human Rights empowers us all. Human rights are relevant to all of us, every day. Our shared humanity is rooted in these universal values. Equality, justice and freedom prevent violence and sustain peace. Whenever and wherever humanity’s values are abandoned, we all are at greater risk. We need to stand up for our rights and those of others.

Speech on world human right day in hindi

World human rights day 2020 theme: इस बार 2020 की वर्ल्ड ह्यूमन राइट डे की थीम “Inclusion and the right to participate in public life” and “Universal Declaration of Human Rights” है| आइये अब हम आपको विश्व मानवाधिकार दिवस भाषण हिंदी में, vishwa manav adhikar diwas, विश्व मानवाधिकार दिवस कब मनाया जाता है, world human rights day essay, world human rights day is celebrated on आदि की जानकारी किसी भी भाषा जैसे Hindi, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language Font , 100 words, 150 words, 200 words, 400 words में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं|

मानवाधिकार दिवस 2020 में सोमवार 10 दिसम्बर को मनाया जायेगा।
मानवाधिकार दिवस कैसे मनाया जाता है? ये दिन मानव अधिकारों के सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए राजनीतिक सम्मेलनों, बैठकों, प्रदर्शनियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, वाद-विवाद और कई और कार्यक्रमों का आयोजन करके मनाया जाता है। कई सरकारी सिविल और गैर सरकारी संगठन सक्रिय रूप से मानव अधिकार कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। मानवाधिकार दिवस पर कार्यक्रम को अधिक प्रभावशाली और सफल करने के लिये एक विशेष विषय का निर्धारण करके इसे मनाया जाता है। किसी भी देश में मानव गरीबी सबसे बड़ी मानव अधिकार चुनौती है। मानव अधिकार दिवस मनाने का मुख्य लक्ष्य या उद्देश्य मानव जीवन से गरीबी का उन्मूलन और जीवन को अच्छी तरह से जीने में मदद करना है। विभिन्न कार्यक्रम जैसे: संगीत, नाटक, नृत्य, कला सहित आदि कार्यक्रम लोगों को अपने अधिकारों को जानने में मदद करने और ध्यान केन्द्रित करने के लिये आयोजित किये जाते हैं। बहुत से कार्यक्रम लोगों, बच्चों के साथ ही साथ युवाओं को अपने मानवाधिकारों के बारे में सीख देने के उद्देश्य से आयोजित किये जाते हैं। कुछ विरोधी गतिविधियों का आयोजन उन क्षेत्रों के लोगों को अवगत कराने के लिये किया जाता है जहाँ मानवाधिकार गैर मान्यता प्राप्त और अपमानित है। मानवाधिकार दिवस को मनाने के कारण और उद्देश्य मानव अधिकार दिवस मनुष्य के लिए वास्तविक अधिकार प्राप्त करने के लिए दुनिया भर में लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में लोगों के शारीरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भलें और कल्याण में सुधार करने के लिए मनाया जाता है। इसे मनाने के कुछ महत्वपूर्ण उद्देश्य और कारण निम्न है: दुनिया भर के लोगों के बीच में मानव अधिकारों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना। समग्र मानव अधिकारों की स्थिति में प्रगति के लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रयासों पर जोर देना। एक साथ मानव अधिकारों के विशिष्ट मुद्दों को उजागर करने के लिए सहयोग और चर्चा करना। इस कार्यक्रम में अल्पसंख्यक समूहों जैसे: महिलाओं, नाबालिगों, युवाओं, गरीबों, विकलांग व्यक्तियों और आदि अन्य को राजनीतिक निर्णय लेने में भाग लेने और मनाने के लिये प्रोत्साहित करना। मानव अधिकार दिवस के उद्धरण “नागरिकों को राज्य की संपत्ति बनाने के लिए संघर्ष करना हमारे लिए वास्तविक संघर्ष है।” “हम में से बहुत से मानवाधिकारों और कलात्मक स्वतंत्रता की परवाह में रंगने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।” “लोगों को उनके मानव अधिकारों से वंचित करना उनके द्वारा मानवता को बहुत बड़ी चुनौती है।” “एक व्यक्ति के अधिकार वहाँ समाप्त हो जाते हैं जब वो किसी अन्य व्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करते हैं।” “युद्ध के समय में नियम शान्त होते हैं।” “ज्ञान एक आदमी को एक गुलाम होने के लिए अयोग्य बनाता है।” “जब भी पुरुषों और महिलाओं को उनकी जाति, धर्म, या राजनीतिक विचारों की वजह से सताया जाता है, वो जगह – उस पल में – ब्रह्मांड का केंद्र बन जाना चाहिये।” “सबसे बड़ी त्रासदी बुरे व्यक्तियों का अत्याचार और दमन नहीं बल्कि इस पर अच्छे लोगों का मौन रहना है।” “हम सिर्फ दो लोग हैं। ऐसा नहीं है कि हमें बहुत ज्यादा अलग करती है। जैसा मैनें सोचा था उससे ज्यादा, लगभग नहीं के बराबर।” “कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितना करुणाजनक या दयनीय है, हर मानव को अपने जीवन में एक पल नसीब होता है जिसमें वो अपने भाग्य को बदल सकते हैं।” “दूसरों को बढ़ावा देने के लिए अपनी स्वतंत्रता का उपयोग करें।” “आप मानवाधिकारों को अधिकृत नहीं कर सकते हैं।” “आज मानव अधिकारों का उल्लंघन कल के संघर्षों का कारण हो सकते हैं।” “हम विश्वास करते हैं कि मानव अधिकार सीमाओं के पार और राज्य की संप्रभुता से अधिक प्रबल होने चाहिए।” “किसी एक के खिलाफ अन्याय प्रतिबद्ध हर किसी के लिए एक खतरा है।” “हम एक साथ होकर नरसंहार को फिर से होने से रोक सकते हैं। एक साथ हम अपने बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य बना सकते हैं।” “आप एक इंसान हैं। वास्तविकता में आपको जन्मजात अधिकार प्राप्त है। आप कानून से पहले मौजूद गरिमा और श्रेय के लिए हैं।” “याद रखें जो परिवर्तन आप दुनिया में और अपने स्कूल में देखना चाहते हैं, , वो आप से शुरू हो।” “यदि कैदी पीटा जाता है, ये एक भय की अभिमानी अभिव्यक्ति है।” “स्वास्थ्य एक मानवीय आवश्यकता है; स्वास्थ्य एक मानव अधिकार है।”  

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Human Rights in Hindi: जानिए क्या हैं मानवाधिकार और यह क्यों इतने आवश्यक हैं?

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  • Updated on  
  • दिसम्बर 9, 2023

Human Rights in Hindi

मानवाधिकार इंसान के लिए बहुत महत्व रखते हैं। प्रत्येक मानव के पास अपने अधिकार हैं। मानवाधिकार अगर न हों तो इंसान की हालत ऐसी हो जाएगी जैसे जल बिन मछली। जैसे इंसान को सांस लेना बेहद ज़रूरी है वैसे ही मानवाधिकार का होना उतना ही ज़रूरी है। मानवाधिकार से मानव को अपनी शक्ति का परिचय होता है, वह हर अत्याचार पर अपने अधिकारों का उपयोग कर सकता है. भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को भारत में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए मनाया जाता है। यह आपके लिए जानना अत्यंत ज़रूरी है कि मानवाधिकार क्यों इतने ज़रूरी हैं, तो चलिए, आपको देंगे हम संपूर्ण जानकारी  – Human Rights in Hindi के बारे में।

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मानवाधिकार क्या होते हैं, क्यों ज़रूरी हैं मानव अधिकार, मानवाधिकार के उद्देश्य क्या होते हैं, मानव अधिकार के प्रकार कितने होते हैं, मानव अधिकार इन चीज़ों की करते हैं सुरक्षा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (nhrc), nhrc की संरचना, मानव अधिकार में nhrc के कार्य और शक्तियाँ जानिए, nhrc की सीमाएं क्या होती हैं, मानव अधिकार के समर्थन में करियर बनाने के लिए भारत की टॉप यूनिवर्सिटीज, मानव अधिकार में जॉब प्रोफाइल्स, भारत में मानव अधिकार में जॉब प्रोफाइल्स.

मानवाधिकार (Human Rights in Hindi) एक वह ताकत है जो आपको अपने अधिकार के बारे में बताते हैं। आपको इन्हें जानना बेहद ज़रूरी है। यह आपके लिए एक अनमोल उपहार ही तरह हैं। चलिए, जानते हैं-

  • संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार, यह अधिकार जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किए बिना सभी को प्राप्त हैं।
  • मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और काम एवं शिक्षा का अधिकार, आदि शामिल हैं।
  • कोई भी व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के इन अधिकारों को प्राप्त करने का हक़दार होता है।
  • मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत 12 अक्टूबर, 1993 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission-NHRC) की स्थापना की गई।

क्यों ज़रूरी हैं व्यक्ति के जीवन में मानव अधिकार, जानिए Human Rights in Hindi की लिस्ट में, जो इस प्रकार हैं:

  • शारीरिक स्वतंत्रता के लिए
  • गिरफ्तारी व अन्य बेवजह रोककर रखने के प्रविर्ती में मुक्ति के लिए
  • मनुष्य के आत्म सम्मान को बचाकर रखने के लिए 
  • मनुष्य के मौलिक अधिकारों को बचके रखने के लिए 
  • जीवन स्तर को उच्च बनाने के लिए 
  • अधिकारों के कब्ज़े को रोकने के लिए 
  • राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय गौरव एवं शांति बनाने के लिए 
  • मानव के सर्वागीण विकाश के लिए
  • न्याय के रक्षा के लिए

नौकरशाही पर रोक लगाना, मानव अधिकारों के हनन को रोकना तथा लोक सेवक द्वारा उनका शोषण करने में अंकुश लगाना। मानवाधिकार की सुरक्षा के बिना सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आज़ादी खोखली है, मानवाधिकार की लड़ाई हम सभी की लड़ाई है। विश्वभर में नस्ल, धर्म, जाति के नाम मानव द्वारा मानव का शोषण हो रहा है। अत्याचार को रोकना एक बेहद ज़रूरी कार्य है। हमारे देश में स्वतंत्रता के बाद धर्म और जाति के नाम पर भारतवासियों को विभाजित करने का प्रयास किया जा रहा है। आदमी का रंग कैसा भी हो, हिन्दू हो या मुस्लमान, सिख हो या ईसाई, हिंदी बोले या कोई अन्य भाषा, सभी केवल इंसान हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित मानवाधिकारों को प्राप्त करने का अधिकार हैं।

मानव अधिकार के प्रकार नीचे दिए गए हैं-

  • गुलामी से मुक्ति
  • कठोर, असभ्य माहौल अथवा सजा से मुक्ति
  • लॉ के सामने बराबरी
  • प्रभावशाली न्यायिक उपचार का अधिकार
  • आवागमन तथा निवास स्थान चुनने की स्वतंत्रता
  • शादी के बाद घर बसाने
  • विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
  • निष्पक्ष मुकदमें का अधिकार

Human Rights in Hindi में आपको निम्नलिखित चीज़ों की लिस्ट दी जा रही है जिसके लिए Human Rights दुनिया भर में आवाज़ उठाने के लिए जाने जाते हैं।

  • सभी गरीब बच्चों, महिला, बुजुर्ग व विक्लांग व्यक्तियों के लिऐ समान शिक्षा, मुफ्त  स्वास्थ्य जांच कैम्प लगाना और दवाईयां तथा उपकरण उपलब्ध कराना।
  • सामाजिक बुराई के खिलाफ पहल करना और बुलंद आवाज उठाना तथा पीड़ितों को बुराई से छुटकारा दिलाना।
  • बाल व बंधुआ मजदूरी के अत्याचार से मुक्ति दिलाना।
  • बच्चों, महिलाओं तथा बुजुर्गो की रक्षा के लिए काम करना।
  • समाज के लिए योगदान करने वाली हस्तियों को समय-समय पर पुरूस्कृत करके  उनका सम्मान करना।
  • समाज व हर वर्ग के लोगो के साथ मिलकर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना।
  • जनता तथा पुलिस के बीच में सहयोग का पुल बनाना तथा पीड़ितों को न्याय दिलाना।
  • नए शिक्षा संस्थान, अस्पताल व अनाथ आश्रम खोलना और अन्य आश्रमों की देख-रेख करना।
  • भ्रूण हत्या पर हर सम्भव रोक लगाना व उनके खिलाफ आवाज उठाना।
  • हर वर्ग के कमज़ोर व्यक्ति को समाज में न्याय दिलाना।

भारत ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन और राज्य मानवाधिकार आयोगों के गठन की व्यवस्था करके मानवाधिकारों के उल्लंघनों से निपटने हेतु एक मंच प्रदान किया है। Human Rights in Hindi

  • भारत में मानवाधिकारों की रक्षा के संदर्भ में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग देश की सर्वोच्च संस्था के साथ-साथ मानवाधिकारों का लोकपाल भी है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश इसके अध्यक्ष होते हैं। यह राष्ट्रीय मानवाधिकारों के वैश्विक गठबंधन का हिस्सा है। साथ ही यह राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के एशिया पेसिफ़िक फोरम का संस्थापक सदस्य भी है। NHRC को मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्द्धन का अधिकार प्राप्त है।
  • मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम,1993 की धारा 12(ज) में NHRC समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मानवाधिकार साक्षरता का प्रसार करेगा और प्रकाशनों, मीडिया, सेमिनारों तथा अन्य उपलब्ध साधनों के ज़रिये इन अधिकारों का संरक्षण करने के लिये उपलब्ध सुरक्षोपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाएगा।
  • इस आयोग ने देश में आम नागरिकों, बच्चों, महिलाओं, वृद्धजनों के मानवाधिकारों, LGBT समुदाय के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिये समय-समय पर अपनी सिफ़ारिशें सरकार तक पहुँचाई हैं और सरकार ने कई सिफारिशों पर अमल करते हुए संविधान में उपयुक्त संशोधन भी किए हैं।
  • NHRC एक बहु-सदस्यीय संस्था है जिसमें एक अध्यक्ष सहित 7 सदस्य होते हैं।
  • यह ज़रूरी है कि 7 सदस्यों में कम-से-कम 3 पदेन (Ex-officio) सदस्य हों।
  • अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय कमेटी की सिफारिशों के आधार पर की जाती है।
  • अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्षों या 70 वर्ष की उम्र, जो भी पहले हो, तक होता है।
  • इन्हें केवल तभी हटाया जा सकता है जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की जाँच में उन पर दुराचार या असमर्थता के आरोप सिद्ध हो जाएं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पास कुछ ऐसी शक्तियां हैं जिन्हें कोई भी रोकने की हिम्मत नहीं कर सकता। यह कार्य और शक्तियां आम लोगों के लिए ही हैं। आइए, बताते हैं –  

  • मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित कोई मामला यदि NHRC के संज्ञान में आता है, तो NHRC को उसकी जाँच करने का अधिकार है।
  • इसके पास मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित सभी न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार है।
  • आयोग किसी भी जेल का दौरा कर सकता है और जेल में बंद कैदियों की स्थिति का निरीक्षण एवं उसमे सुधार के लिये सुझाव दे सकता है।
  • NHRC संविधान या किसी अन्य कानून द्वारा मानवाधिकारों को बचाने के लिये प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों की समीक्षा कर सकता है और उनमें बदलावों की सिफारिश भी कर सकता है।
  • NHRC मानवाधिकार के क्षेत्र में अनुसंधान का कार्य भी करता है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (Human Rights in Hindi) की अपनी भी कुछ सीमाएं हैं, जिनके आगे वह ज्यादा कुछ नहीं कर सकते । बताते हैं उनकी सीमाओं के बारे में –

  • NHRC के पास जाँच करने के लिये कोई भी विशेष तंत्र नहीं है। अधिकतर मामलों में यह संबंधित सरकार को मामले की जाँच करने का आदेश देता है।
  • पीड़ित पक्ष को व्यावहारिक न्याय देने में असमर्थ होने के कारण भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने इसे ‘India’s teasing illusion’ की संज्ञा दी है।
  • NHRC के पास किसी भी मामले के संबंध में मात्र सिफारिश करने का ही अधिकार है, वह किसी को निर्णय लागू करने के लिये बाध्य नहीं कर सकता।
  • कई बार धन की अपर्याप्ता भी NHRC के कार्य में बाधा डालती है।

Human Rights India में करियर के लिए यूनिवर्सिटीज की लिस्ट दी जा रही है, जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए। Human Rights in Hindi में इस प्रकार है यह लिस्ट।

डिग्री कोर्स

डिप्लोमा कोर्स

सर्टिफिकेट कोर्स

निम्नलिखित List में आपको विदेश में Human Rights में Career के बारे में बताया जा रहा है, जिसमें आप अपना Career बना सकते हैं। Human Rights in Hindi में नज़र डालते हैं इस लिस्ट पर-

  • ह्यूमन राइट्स लॉयर
  • ह्यूमन राइट्स कंपैनर
  • ह्यूमन राइट्स एडुकेटर
  • ह्यूमन राइट्स रिसर्चर
  • ह्यूमन राइट्स एडवोकेसी ऑफिसर
  • ह्यूमन राइट्स एक्टिविज़्म कोर्डिनेटर
  • ह्यूमन राइट्स वेब कंटेंट मैनेजर
  • ह्यूमन राइट्स असिस्टेंट
  • ह्यूमन राइट्स प्रोग्राम ऑफिसर
  • ह्यूमन राइट्स ग्रांट राइटर
  • ह्यूमन राइट्स कम्युनिकेशन्स ऑफिसर
  • ह्यूमन राइट्स फंडरेजिंग स्पेशलिस्ट
  • ह्यूमन राइट्स पॉलिसी एनालिस्ट
  • ह्यूमन राइट्स M&E ऑफिसर
  • ह्यूमन राइट्स स्टेटिस्टीशियन
  • ह्यूमन राइट्स एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर
  • ह्यूमन राइट्स डिजिटल कंटेंट ऑफिसर
  • ह्यूमन राइट्स रिसर्च असिस्टेंट
  • ह्यूमन राइट्स इंटरप्रेटर/ट्रांसलेटर
  • ह्यूमन राइट्स पॉलिसी स्पेशलिस्ट
  • ह्यूमन राइट्स लीगल ऑफिसर
  • ह्यूमन राइट्स कंसलटेंट
  • नॉन प्रॉफिट अकाउंटेंट
  • इनफार्मेशन सिस्टम्स ऑफिसर
  • पोलिटिकल अफेयर्स ऑफिसर
  • आउटरीच & इंगेजमेंट ऑफिसर
  • फील्ड सिक्योरिटी ऑफिसर
  • फाइनेंस ऑफिसर
  • कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी स्पेशलिस्ट
  • GIS स्पेशलिस्ट

निम्नलिखित आपको भारत में मानव अधिकार में करियर के बारे में बताया जा रहा है, जिसमें आप अपना करियर बना सकते हैं। Human Rights in Hindi में नज़र डालते हैं इस लिस्ट पर-

  • ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट
  • ह्यूमन राइट्स डिफेंडर
  • ह्यूमन राइट्स एनालिस्ट
  • ह्यूमन राइट्स प्रोफेशनल
  • ह्यूमन राइट्स प्रोग्रामर
  • ह्यूमन राइट्स अधिवक्ता
  • ह्यूमन राइट्स वर्कर
  • ह्यूमन राइट्स टीचर
  • ह्यूमन राइट्स फंडरेजर
  • ह्यूमन राइट्स मैनेजर

मानवाधिकार एक वह ताकत है जो आपको अपने अधिकार के बारे में बताते हैं।

भारत में मानव अधिकार 12 अक्टूबर 1993 को लागू हुए थे।

मानव अधिकार में कुल 36 अनुच्छेद हैं।

हमें आशा है कि Human Rights in Hindi से जुड़ा यह ब्लॉग आपको ज़रूर मानवाधिकारों के बारे में जानकारी देगा है। ऐसे और अन्य तरह के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए बने रहिए Leverage Edu के साथ।

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देवांग मैत्रे

स्टडी अब्रॉड फील्ड के हिंदी एडिटर देवांग मैत्रे को कंटेंट और एडिटिंग में आधिकारिक तौर पर 6 वर्षों से ऊपर का अनुभव है। वह पूर्व में पोलिटिकल एडिटर-रणनीतिकार, एसोसिएट प्रोड्यूसर और कंटेंट राइटर रह चुके हैं। पत्रकारिता से अलग इन्हें अन्य क्षेत्रों में भी काम करने का अनुभव है। देवांग को काम से अलग आप नियो-नोयर फिल्म्स, सीरीज व ट्विटर पर गंभीर चिंतन करते हुए ढूंढ सकते हैं।

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  • Speech on Human Rights Day

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Speech on Human Rights Day for Students

Every human being is deserving of the right to live in a safe place and earn a living. Even then in today’s global climate, many people are threatened to be robbed of their homes and basic rights. And in this pursuit, to inflict pain through various means one never feels safe. And for the very reason of injustices like this Human Rights Day is observed to allow these people the power to seek opportunities they are deserving of without feeling threatened. Human Rights Day speech can be given in different ways. This article entails a Long Speech on Human Rights Day and a Short Human Rights Day Speech.

Long Human Rights Day Speech

This format of a long 5-minute speech can be useful for students in grades 8-12 as they can discuss in detail the importance of this day and convey the message.

Good Morning, everyone, I am here to speak on a very crucial topic that is gaining even more attention today than ever before Human Rights and Human Rights Day. 73 years ago in 1948 on December 10th UN (United Nations), General Assembly adopted the UDHR (Universal Declaration of Human Rights). The proper implementation was not until they passed the official invitation to all the States and interested organisations after the approval of the Assembly in 1950. Since then, this day is annually commemorated for the celebration of Human Rights.

Today the world that we live in is divided by so many opinions and discriminations against gender, race, caste, and religion. The ones who are at the brunt of the receiving end of this harshness are the innocent children. Every child and human being deserves equal treatment in any room they enter regardless of their ethnicity and colour or gender.

Since we don’t live in an ideal world, the human rights of these discriminated people are under threat and they are only struggling and in doing so many have lost their lives as well. So to safeguard their interests and review the complaints of Human Rights Violation, the NHRC (National Human Rights Commission) is a body in India. It functions with similar objectives and aims to accomplish these missions like institutions for Human Rights in the world. It is a recommendatory body of constitution formed with the conformity of Principles of Paris. It acts according to the guidelines passed by the Government for the PHRA (Protection of Human Rights Act).

The main objective is to end human rights violations where some people are deprived of basic requirements like food, shelter, education, hygiene, and a safe place to grow and create opportunities for growth. This is a step in the direction to maintain peace and sanity in this ever-growing greedy and violent world. And it takes part in the Global Event wherein people celebrate the goodness in differences of the human beings and people who make an effort and an extra step to fight for this right also get awarded. It is a 5-yearly tradition that they award the United Nations Peace Prize in the Field of Human Rights and the Nobel Peace Prize. One such brave recipient of this award is Malala Yousafzai, a young girl who stood up against the Taliban who were depriving young children, especially girls of education. And during her fight, she managed to survive a gunshot and is still taking over the world and raising funds for educating girls.

Her efforts and achievements are truly noteworthy and deserving of all the praises and awards. Whenever we encounter any such violation of human rights in our lives, let’s be inspired enough to take a step to end this and celebrate the rights to be in peace and harmony.

Short Speech on Human Rights Day

This form of a Short Human Rights Day Speech is helpful for students in grades 4-7 to convey the importance of this day in brief.

Good morning everyone, I Abc (mention your name) feel honoured to be here today and talk about Human Rights Day. We are very fortunate to have a home, a roof over our heads, food, and are able to come to school safely. These are basic human rights and every being is deserving of this. But in so many places around the world people are robbed of their right to shelter, food, and even education, the most concerning being the safety of girls.

The United Nations is a body that has taken the responsibility to safeguard the rights of the victims of this violation on 10th December 1948, 73 years ago the UN General Assembly approved Article 423 (V) and declared the celebration of Human Rights Day. It was in 1950 that the invitation was officially extended to other States and organisations whose values and aims matched the objectives of UDHR (Universal Declaration of Human Rights).

Bringing harmony and peace into the world by observing and trying to eliminate the problems and complaints received from people who are facing the brutalities of violation of Human Rights. This day is celebrated worldwide to commemorate the proclamation made by the UN in 1948 on December 10.

The Indian Government confers the Protection of Human Rights Act (PHRA) and under the conformity of Principles of Paris, NHRC (National Human Rights Commission) is formed.

It’s important to be aware of the state in our country and take a step to fight against what’s wrong so human rights are intact and served right for the purpose.

10 Line Speech on Human Rights Day

This is a 2-minute Speech on Human Rights helpful to convey the idea and meaning to students in grades 1-3.

Human Rights Day is observed and celebrated on 10th December every year worldwide.

It is on this day in the year 1948, the United Nations acknowledged and proclaimed in their General Assembly to observe the celebration of human rights.

Other states and interested organisations who also work for safeguarding human rights and ending the violations were extended the invitations.

And the work actively started in the year 1950.

The Indian body that works extensively in this regard with the United Nations is  NHRC (National Human Rights Commission).

It was formed following the Principles of Paris.

NHRC also abides by the ideologies of the Protection of Human Rights Act (PHRA) stated by the Government of India.

The primary objective is to keep safe from discrimination with regards to any type of differences like race, religion, caste, and creed.

The rights are basic and universal like the right to life, free from discrimination, torture, slavery, and degrading treatment.

Any type of violation is a harm and threat to humankind and each step taken in the direction to protect these rights is in the interest of peace which is the need of the hour.

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FAQs on Speech on Human Rights Day

1. What is the “Universal Declaration of Human Rights”?

The “Universal Declaration of Human Rights” is an international document adopted by the UN assembly on the date of December 10, 1948, as Resolution 217 during its third session. The document entails the basic rights and freedoms of all human beings. At that time, from the 58 members present at the United Nations at the time, 48 voted in favour, none voted against it, eight abstained, and two did not vote. The declaration consists of a complete 30 articles explaining in detail the "basic rights and fundamental freedoms" of human beings.

2. What are the basic human rights provided by the Universal Declaration of Human Rights? 

There are a total of 30 articles of the Universal Declaration of Human Rights, which included the "basic rights and fundamental freedoms" of a human being. A simplified version of these rights, which are included in these 30 articles are given below: 

All human beings are born Free and Equal, everyone has the right to be treated in the same way.

Don’t discriminate against any human beings, whatever our differences.

Everybody has the right to live in freedom and safety.

Having or making slaves is not accepted.

Nobody has the right to hurt or torture anybody.

All the rights written in the declaration should be respected everywhere.

Everybody should be treated equally before the law.

Nobody can put a person in jail or detain him/her without any good reason. Neither one can send the person away from his/her country.

You should be able to ask the law and law agencies to help if any of your human rights are threatened.

The person under trial has the right to have a free and fair public trial. The judges of the trial should not tell anyone what to do or not.

Everyone should respect this statement “Proven till guilty”. A person under trial is not a criminal until he/she is proven to be guilty of a wrong deed.

Everyone has their right to privacy, one can’t interfere with the other person’s privacy, nobody can bother you or your family without good reason.

A person can live wherever he/she wants to in their country and travel to wherever they want to.

If a person’s country can’t provide a safe place to live, then the person can seek asylum in other countries.

We also have the right to belong to a country and have a Nationality.

3. When is Human Rights Day celebrated?

Human Rights Day is celebrated on the occasion of the adoption of the “Universal Declaration of Human Rights” by the UN assembly as Resolution 217 during its third session on the date of December 10, 1948. This “Universal Declaration of Human Rights” entails the fundamental rights of human beings who live on the planet. This document “Universal Declaration of Human Rights” is translated into more than 500 languages, hence holding the Guinness World Record for the most translated document throughout the world.

4. Why is 10th December celebrated as Human Rights Day?

Human Rights Day is celebrated on 10 December annually across the world to celebrate the adoption of the “Universal Declaration of Human Rights” by the UN assembly as Resolution 217. 48 out of 58 countries that were present at the United Nations, voted in favour of this document named “Universal Declaration of Human Rights”.

It is celebrated in order to acknowledge this “Universal Declaration of Human Rights” as to acknowledge the rights that are provided to every human being living on mother earth. To discuss the issues which harm these basic rights of human beings in any or sense anywhere around the globe.

5. What is the theme for Human Rights Day 2021 and 2020?

The theme of Human Rights Day 2021 was “equality”. As in today's world, the rich are getting richer and the poor are getting poorer. The Human Rights Day of 2021, is to discuss how to deal with inequality.

In the year 2020, the theme of Human Rights Day was "Recover Better - Stand Up for Human Rights". The year 2020 was the year of COVID-19 and hence, the Human Rights Day theme was how to recover from the pandemic.

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मानव अधिकार पर निबंध (Human Rights Essay in Hindi)

मानव अधिकार मूल रूप से वे अधिकार हैं जो प्रत्येक व्यक्ति को इंसान होने के कारण मिलते हैं। ये नगरपालिका से लेकर अंतरराष्ट्रीय कानून तक कानूनी अधिकार के रूप में संरक्षित हैं। मानवाधिकार सार्वभौमिक हैं इसलिए ये हर जगह और हर समय लागू होते हैं। मानवाधिकार मानदंडों का एक समूह है जो मानव व्यवहार के कुछ मानकों को चित्रित करता है। नगर निगम के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय कानून में कानूनी अधिकारों के रूप में संरक्षित, इन अधिकारों को अनौपचारिक मौलिक अधिकारों के रूप में जाना जाता है जिसका एक व्यक्ति सिर्फ इसलिए हकदार है क्योंकि वह एक इंसान है।

मानव अधिकार पर बड़े तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on Human Rights, Manav Adhikar par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – मूलभूत मानव अधिकार.

मानव अधिकार वे मानदंड हैं जो मानव व्यवहार के मानकों को स्पष्ट करते हैं। एक इंसान होने के नाते ये वो मौलिक अधिकार हैं जिनका प्रत्येक व्यक्ति स्वाभाविक रूप से हकदार है। ये अधिकार कानून द्वारा संरक्षित हैं।

मूलभूत मानव अधिकार

हमारे यहां कुछ बुनियादी मानवाधिकारों को विशेष रुप से सुरक्षित किया गया है। जिनकी प्राप्ति देश के हर व्यक्ति होनी चाहिए, ऐसे ही कुछ मूलभूत मानव अधिकारों के विषय में नीचे चर्चा की गयी है।

  • जीवन का अधिकार

प्रत्येक व्यक्ति के पास अपना स्वतन्त्र जीवन जीने का जन्मसिद्ध अधिकार है। हर इंसान को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा नहीं मारे जाने का भी अधिकार है।

  • उचित परीक्षण का अधिकार

प्रत्येक व्यक्ति को निष्पक्ष न्यायालय द्वारा निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार है। इसमें उचित समय के भीतर सुनवाई, जन सुनवाई और वकील के प्रबंध आदि के अधिकार शामिल हैं।

  • सोच, विवेक और धर्म की स्वतंत्रता

प्रत्येक व्यक्ति को विचार और विवेक की स्वतंत्रता है उसे अपने धर्म को चुनने की भी स्वतंत्रता है और अगर वह इसे किसी भी समय बदलना चाहे तो उसके लिए भी स्वतंत्र है।

  • दासता से स्वतंत्रता

गुलामी और दास प्रथा पर क़ानूनी रोक है। हालांकि यह अभी भी दुनिया के कुछ हिस्सों में इसका अवैध रूप से पालन किया जा रहा है।

  • अत्याचार से स्वतंत्रता

अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत यातना देने पर प्रतिबंध है। हर व्यक्ति यातना न सहने से स्वतंत्र है।

अन्य सार्वभौमिक मानव अधिकारों में स्वतंत्रता और व्यक्तिगत सुरक्षा, भाषण की स्वतंत्रता, सक्षम न्यायाधिकरण, भेदभाव से स्वतंत्रता, राष्ट्रीयता का अधिकार और इसे बदलने के लिए स्वतंत्रता, विवाह और परिवार के अधिकार, आंदोलन की स्वतंत्रता, संपत्ति का अधिकार, शिक्षा के अधिकार, शांतिपूर्ण विधानसभा और संघ के अधिकार, गोपनीयता, परिवार, घर और पत्राचार से हस्तक्षेप की स्वतंत्रता, सरकार में और स्वतंत्र रूप से चुनाव में भाग लेने का अधिकार, राय और सूचना के अधिकार, पर्याप्त जीवन स्तर के अधिकार, सामाजिक सुरक्षा का अधिकार और सामाजिक आदेश का अधिकार जो इस दस्तावेज़ को अभिव्यक्त करता हो आदि शामिल हैं।

हालांकि कानून द्वारा संरक्षित इन अधिकारों में से कई का लोगों द्वारा, यहां तक ​​कि सरकारों के द्वारा भी, उल्लंघन किया जाता है। हालांकि मानवाधिकारों के उल्लंघन पर नजर रखने के लिए कई संगठन बनाए गए हैं। ये संगठन इन अधिकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाते हैं।

कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि जिन लोगों के ऊपर मानव अधिकारों की रक्षा की जिम्मेदारी होती है वही अपने शक्ति का दुरुपयोग कर लोगो के मानव अधिकारों का हनन करने लगते है। इसलिए इस बात को सुनिश्चित किया जाना चाहिए की देश के सभी व्यक्तियों को उनके मानव अधिकारों की प्राप्ति हो।

निबंध 2 (400 शब्द) – सार्वभौमिक मानव अधिकार व मानवाधिकारों का उल्लंघन

मानवाधिकार वे अधिकार हैं जोकि इस पृथ्वी पर हर व्यक्ति केवल एक इंसान होने के कारण ही प्राप्त हुए हैं। ये अधिकार विश्व्यापी हैं और वैश्विक कानूनों द्वारा संरक्षित हैं। सदियों से मानवाधिकार और स्वतंत्रता का विचार अस्तित्व में है। हालांकि समय के बदलने के साथ-साथ इनमें भी परिवर्तन हुआ है।

सार्वभौमिक मानव अधिकार

मानव अधिकारों में वे मूल अधिकार शामिल हैं जो हर जाति, पंथ, धर्म, लिंग या राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना हर इंसान को दिए जाते हैं। सार्वभौमिक मानवाधिकारों का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है:

  • जिंदगी जीने, आज़ादी और निजी सुरक्षा का अधिकार
  • समानता का अधिकार
  • सक्षम न्यायाधिकरण द्वारा बचाव का अधिकार
  • कानून के सामने व्यक्ति के रूप में मान्यता के अधिकार
  • भेदभाव से स्वतंत्रता
  • मनमानी गिरफ्तारी और निर्वासन से स्वतंत्रता
  • अपराध सिद्ध न होने तक निर्दोष माने जाने का अधिकार
  • उचित सार्वजनिक सुनवाई का अधिकार
  • आंदोलन की स्वतंत्रता
  • गोपनीयता, परिवार, गृह और पत्राचार में हस्तक्षेप से स्वतंत्रता
  • अन्य देशों में शरण का अधिकार
  • राष्ट्रीयता को बदलने की स्वतंत्रता का अधिकार
  • विवाह और परिवार के अधिकार
  • शिक्षा का अधिकार
  • खुद की संपत्ति रखने का अधिकार
  • शांतिपूर्ण सभा और एसोसिएशन बनाने का अधिकार
  • सरकार में और नि: शुल्क चुनावों में भाग लेने का अधिकार
  • विश्वास और धर्म की स्वतंत्रता
  • सही तरीके से रहने/जीने का अधिकार
  • समुदाय के सांस्कृतिक जीवन में भाग लेने का अधिकार
  • सामाजिक सुरक्षा का अधिकार
  • वांछनीय कार्य और ट्रेड यूनियनों में शामिल होने का अधिकार
  • अवकाश और विश्राम का अधिकार
  • ऊपर दिए अधिकारों में राज्य या व्यक्तिगत हस्तक्षेप से स्वतंत्रता

मानवाधिकारों का उल्लंघन

यद्यपि मानव अधिकार विभिन्न कानूनों द्वारा संरक्षित हैं पर अभी भी लोगों, समूहों और कभी-कभी सरकार द्वारा इसका उल्लंघन किया जाता है। उदाहरण के लिए पूछताछ के दौरान पुलिस द्वारा यातना की आज़ादी का अक्सर उल्लंघन किया जाता है। इसी प्रकार गुलामी से स्वतंत्रता को मूल मानव अधिकार कहा जाता है लेकिन गुलामी और गुलाम प्रथा अभी भी अवैध रूप से चल रही है। मानव अधिकारों के दुरुपयोग की निगरानी के लिए कई संस्थान बनाए गए हैं। सरकारें और कुछ गैर-सरकारी संगठन भी इनकी जांच करते हैं।

हर व्यक्ति को मूल मानवाधिकारों का आनंद लेने का हक है। कभी-कभी इन अधिकारों में से कुछ का सरकार द्वारा दुरूपयोग किया जाता है। सरकार कुछ गैर-सरकारी संगठनों की सहायता से मानवाधिकारों के दुरुपयोगों पर नजर रखने के लिए उपाय कर रही है।

निबंध 3 (500 शब्द) – मानवाधिकार के प्रकार

मानवाधिकारों को सार्वभौमिक अधिकार कहा जाता है जिसका प्रत्येक व्यक्ति अपना लिंग, जाति, पंथ, धर्म, संस्कृति, सामाजिक/आर्थिक स्थिति या स्थान की परवाह किए बिना हकदार है। ये वो मानदंड हैं जो मानव व्यवहार के कुछ मानकों का वर्णन करते हैं और कानून द्वारा संरक्षित हैं।

मानवाधिकार के प्रकार

मानव अधिकारों को दो व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया गया है। ये नागरिक और राजनीतिक अधिकार हैं। इनमें सामाजिक अधिकार भी हैं जिनमें आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकार शामिल हैं। यहां हर व्यक्ति को दिए गए बुनियादी मानवाधिकारों पर विस्तृत जानकारी दी गई है:

पृथ्वी पर रहने वाले हर इंसान को जीवित रहने का अधिकार है। प्रत्येक व्यक्ति को किसी के द्वारा नहीं मारे जाने का अधिकार है और यह अधिकार कानून द्वारा संरक्षित है। हालांकि इसमें मौत की सजा, आत्मरक्षा, गर्भपात, इच्छामृत्यु और युद्ध जैसे मुद्दे शामिल नहीं हैं।

  • बोलने की स्वतंत्रता

हर इंसान को स्वतंत्र रूप से बोलने का और जनता में अपनी राय की आवाज उठाने का अधिकार है हालांकि इस अधिकार में कुछ सीमा भी है जैसे अश्लीलता, गड़बड़ी और दंगा भड़काना।

हर देश अपने नागरिकों को स्वतंत्र रूप से सोचने और ईमानदार विश्वासों का निर्माण करने का अधिकार देता है। हर व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी भी धर्म का पालन करने का अधिकार है और समय-समय पर किसी भी समय अपनी स्वतंत्र इच्छा के अनुसार इसे बदलने के लिए स्वतंत्र है।

इस अधिकार के तहत हर व्यक्ति को निष्पक्ष अदालत द्वारा निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार, उचित समय के भीतर सुनना, वकील के अधिकार, जन सुनवाई के अधिकार और व्याख्या के अधिकार हैं।

अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अत्याचार से स्वतंत्रता का अधिकार है। 20वीं शताब्दी के मध्य से इस पर प्रतिबंध लगाया गया है।

इसका मतलब यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश के किसी भी हिस्से में यात्रा करने, रहने, काम या अध्ययन करने का अधिकार है।

इस अधिकार के अनुसार गुलामी और गुलामी के व्यापारियों को हर रूप में प्रतिबंधित किया गया है। हालांकि दुर्भाग्य से ये दुर्व्यवहार अब भी अवैध तरीके से चलते हैं।

मानवाधिकार का उल्लंघन

जहाँ हर इंसान मानव अधिकार का हकदार है वहीँ इन अधिकारों का अब भी अक्सर उल्लंघन किया जाता है। इन अधिकारों का उल्लंघन तब होता है जब राज्य द्वारा की गई कार्रवाईयों में इन अधिकारों की उपेक्षा, अस्वीकार या दुरुपयोग होता है।

मानव अधिकारों के दुरुपयोग की जांच करने के लिए संयुक्त राष्ट्र समिति की स्थापना की गई है। कई राष्ट्रीय संस्थान, गैर-सरकारी संगठन और सरकार भी यह सुनिश्चित करने के लिए इन पर नजर रखती हैं कि कहीं किसी व्यक्ति के मूल अधिकारों का हनन तो नहीं हो रहा हैं।

ये संगठन मानव अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने की दिशा में काम करते हैं ताकि लोगों को उनके अधिकारों के बारे में अच्छी जानकारी मिल सके। उन्होंने अमानवीय प्रथाओं के खिलाफ भी विरोध किया है। इन विरोधों के कारण कई बार कार्रवाई देखने को मिली है जिससे स्थिति में सुधार हुआ है।

मानव अधिकार हर व्यक्ति को दिए गए मूल अधिकार हैं। सार्वभौमिक होने के लिए इन अधिकारों को कानून द्वारा संरक्षित किया जाता है हालांकि, दुर्भाग्य से कई बार राज्यों, व्यक्तियों या समूहों द्वारा उल्लंघन किया जाता है। इन मूल अधिकारों से एक व्यक्ति को वंचित करना अमानवीय है। यही कारण है कि इन अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई संगठन स्थापित किए गए हैं।

Essay on Human Rights in Hindi

निबंध 4 (600 शब्द) – मानव अधिकार व इस का महत्व

मानवाधिकार निर्विवाद अधिकार है क्योंकि पृथ्वी पर मौजूद हर व्यक्ति इंसान होने के नाते इसका हकदार है। ये अधिकार प्रत्येक इंसान को अपने लिंग, संस्कृति, धर्म, राष्ट्र, स्थान, जाति, पंथ या आर्थिक स्थिति के बंधनों से आज़ाद हैं। मानवाधिकारों का विचार मानव इतिहास से ही हो रहा है हालांकि इस अवधारणा में पहले के समय में काफ़ी भिन्नता थी। यहाँ इस अवधारणा पर एक विस्तृत नज़र डाली गई है:

मानव अधिकारों का वर्गीकरण

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों को व्यापक रूप से वर्गीकृत किया गया है: नागरिक और राजनीतिक अधिकार तथा सामाजिक अधिकार जिसमें आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकार शामिल हैं। हर व्यक्ति के सरल तथा सामान्य जीवन के लिए यह काफी आवश्यक है कि हर हालात में उसे आवश्यक मानव अधिकारों की प्राप्ति अवश्य हो। इन्हीं के आधार पर विभिन्न तरह के मानव अधिकारों का वर्गीकरण किया गया है।

नागरिक और राजनीतिक अधिकार

यह अधिकार व्यक्ति की स्वायत्तता को प्रभावित करने वाले कार्यों के संबंध में सरकार की शक्ति को सीमित करता है। यह लोगों को सरकार की भागीदारी और कानूनों के निर्धारण में योगदान करने का मौका देता है।

सामाजिक अधिकार

ये अधिकार सरकार को एक सकारात्मक और हस्तक्षेपवादी तरीके से कार्य करने के लिए निर्देश देते है ताकि मानव जीवन और विकास के लिए आवश्यक जरूरतें पूरी हो सकें। प्रत्येक देश की सरकार अपने सभी नागरिकों की भलाई सुनिश्चित करने की उम्मीद करती है। प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक सुरक्षा का अधिकार है।

मानव अधिकार का महत्व

आज के समय में मानव अधिकार एक ऐसी सुविधा है, जिसके बिना हमारा जीवन काफी भयावह और दयनीय हो जायेगा क्योंकि बिना मानव अधिकारों के हम पर तमाम तरह के अत्यार किये जा सकते है और बिना किसी भय के हमारा शोषण किया जा सकता है। वास्तव में मानव अधिकार सिर्फ आज के समय में ही नही पूरे मानव सभ्यता के इतिहास में भी काफी आवश्यक रहे है। भारत में भी प्रचीनकाल में कई सारे गणतांत्रिक राज्यों के नागरिकों को कई विशेष मानव अधिकार प्राप्त थे। आज के समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कैदियों से लेकर युद्धबंदियों तक के मानव अधिकार को तय किया गया है। इन अधिकारों की देखरेख और नियमन कई प्रमुख अंतराष्ट्रीय संस्थाओं और संगठनों द्वारा किया जाता है।

यदि मानव अधिकार ना हो तो हमारा जीवन पशुओं से भी बदतर हो जायेगा, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमें आज के समय में कई तानाशाही और धार्मिक रुप से संचालित होने वाले देशों में देखने को मिलता है। जहां सिर्फ अपने विचार व्यक्त कर देने पर या फिर कोई छोटी सी गलती कर देने पर किसी व्यक्ति को मृत्युदंड जैसी कठोर सजा सुना दी जाती है क्योंकि ना तो कोई वहा मानव अधिकार नियम है ना तो किसी तरह का कानून, इसके साथ ही ऐसे देशों में सजा मिलने पर भी बंदियों के साथ पशुओं से भी बुरा सलूक किया जाता है।

वही दूसरी तरफ लोकतांत्रिक देशों में मानव अधिकारों को काफी महत्व दिया जाता है और हरके व्यक्ति चाहे फिर वह अपराधी या युद्धबंदी ही क्यों ना हो उसे अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया जाता है, इसके साथ ही सजा मिलने पर भी उन्हें मूलभूत सुविधाएं अवश्य दी जाती है। इस बात से हम अंदाजा लगा सकते है कि मानव अधिकार हमारे जीवन में कितना महत्व रखते है।

मानवाधिकार, व्यक्तियों को दिए गए मूल अधिकार हैं, जो लगभग हर जगह समान हैं। प्रत्येक देश किसी व्यक्ति की जाति, पंथ, रंग, लिंग, संस्कृति और आर्थिक या सामाजिक स्थिति को नज़रंदाज़ कर इन अधिकारों को प्रदान करता है। हालांकि कभी-कभी इनका व्यक्तियों, समूहों या स्वयं राज्य द्वारा उल्लंघन किया जाता है। इसलिए लोगों को मानवाधिकारों के किसी भी उल्लंघन के खिलाफ खुद आवाज़ उठाने की जरूरत है।

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FAQs: Frequently Asked Questions on Human Rights (मानव अधिकार पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को।

उत्तर- 12 अक्टूबर 1993 को।

उत्तर- नई दिल्ली में।

उत्तर- रंगनाथ मिश्र

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Children walk past a destroyed house in Kherson, Ukraine (file).

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The UN Humanitarian Coordinator for Ukraine condemned air strikes in Kherson city on Thursday, which injured dozens of civilians, including two children, and damaged homes and an education facility.  

“The safety of civilians, homes, schools and hospitals must be ensured. They are not a target,” Denise Brown said in a statement , underscoring that international humanitarian law must be respected. 

Ms. Brown said these latest attacks came a day after she returned from the Kharkiv region in northeastern Ukraine, which has come under relentless shelling in recent days. 

OCHA_Ukraine

“I saw the appalling consequences of the intensified attacks by the Russian Federation's Armed Forces on thousands of people who had to flee for their lives, leaving everything they own behind,” she said.  

“Many are older people who fear they will never be able to go back.” 

She also commended the humanitarians who are “working tirelessly to support people amid this human tragedy”. 

Nigeria urged to free musician facing execution for blasphemy 

Independent UN human rights experts on Thursday called on Nigeria to immediately release a singer who was convicted of blasphemy in 2020. 

Sufi Muslim musician Yahaya Sharif-Aminu was sentenced to death by hanging for writing a song and sharing it on the social messaging service WhatsApp. 

“Although his death sentence was quashed by a court of appeal, we remain deeply concerned that Mr. Sharif-Aminu’s case will be re-prosecuted based on the same legal framework, the Kano State Sharia Penal Code Law, with serious risks that the death sentence will be confirmed,” the experts said . 

Abolish the death penalty 

Although the Nigerian Supreme Court has taken up the matter, the experts said they remain deeply concerned that Mr. Sharif-Aminu has been in prison for too long for exercising his human rights.  

All people have the right to freedom of expression, and to religion or belief, they said, as well as to take part in cultural life and the development of their society through artistic expression, without fear of imprisonment, reprisals or execution. 

They urged the Supreme Court to consider Mr. Sharif-Aminu’s case as a priority, and recommended that Nigeria establish a moratorium on the death penalty, with a view to completely abolishing it. 

The three Special Rapporteurs who issued the statement were appointed by the UN Human Rights Council , the Organization’s highest body on human rights. They operate in their individual capacity, are not UN staff, and do not draw a salary for their work. 

The rainbow flag waves in the wind at San Francisco's Castro District. Credit: Benson Kua

Respect human rights on International Day against Homophobia, Biphobia and Transphobia 

The UN Secretary-General called for commitment to building a world of respect, dignity and human rights for all in his message to mark the International Day Against Homophobia, Biphobia and Transphobia, observed on Friday.  

António Guterres applauded the brave work of lesbian, gay, bisexual, transsexual, intersex and queer (LGBTIQ+) activists fighting to outlaw discrimination and secure equality before the law. 

“Yet there is a worrying surge in the opposite direction,” he warned.  “New laws are codifying old bigotries, exploiting fears and stoking hate.” 

He said the theme of this year’s observation of the International Day – “No one left behind: equality, freedom and justice for all” – is a reminder of the obligation to respect the human rights and dignity of every person. 

“We need action around the world to make those rights a reality,” the UN chief said, calling for an end to criminalization of same-sex relationships and discrimination and harmful practices against LGBTIQ+ communities.  

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