परिश्रम का महत्व पर निबंध Importance of Hard Work Essay in Hindi

इस लेख में हमने परिश्रम का महत्व पर निबंध Importance of Hard Work Essay in Hindi हिन्दी में लिखा है। इसमे हमने जीवन में परिश्रम का मोल, भाग्य से इसका जुड़ाव, उदाहरण, लाभ और हानी के विषय में पूरी जानकारी दी है।

Table of Content

हमेशा से ही कठिन परिश्रम का विशेष महत्व रहा है। कोई भी काम बिना परिश्रम के संभव नहीं होता है। इसके बल पर दुनिया में कुछ भी पाया जा सकता है? इतिहास गवाह है कि लोग अपने परिश्रम के बल पर ही भगवान को भी प्राप्त कर लेते थे।

वो दिन रात मेह नत करके अपनी कृषि की भूमि को ऐसा बना देता है की वो भूमि उसको सोने जैसे भाव देने लगती है। इसलिए कहा जाता है की हमको मेहनत जरूर करनी चाहिए। यही सफलता की कुंजी है।

कठिन परिश्रम का महत्व Importance of Hard Work

आखिर ऐसा क्या है जिसके कारण परिश्रम हमारे जीवन में आवश्यक है? परिश्रम का मानवीय जीवन में अत्यधिक महत्व है, अपने सम्पूर्ण जीवन में कोई भी मनुष्य बिना कार्य करे नही रह सकताl इस संसार में उपस्थित सभी जीव जंतु प्राणी नियमित रूप से अपना जीवन यापन के लिए कार्य करते हैl

कड़ी मेहनत से ही सफलता, उन्नति और विकास का मार्ग प्रशस्त होता है l सम्पूर्ण प्रकृति भी अपना काम बिना रुके पूरे परिश्रम से कार्य करती है l नदियाँ दिन रात बहती है, कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं, सूर्य चन्द्रमा अपने समय पर बिना रुके अपन काम करते है।

संसार का कोई भी कार्य बिना परिश्रम के संपन्न नही हो सकता l परिश्रम ही सफलता की कुंजी है जिस तरह सूर्य के प्रकाश से अन्धकार दूर होता है ठीक उसी प्रकार परिश्रम से मनुष्य के जीवन से अज्ञान रूपी अंधकार दूर होकर परिश्रमी व्यक्ति का भविष्य उज्जवल होता हैl

संसार के सभी सफल व्यक्तियो ने परिश्रम से जीवन में हर चुनौतियों का सामना किया और आज उन्हें उनके परिश्रम के कारण ही जाना जाता है l मनुष्य का परिश्रम ही है की आज संसार में ऐसी सुविधाए हो गयी है जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की गयी थी।

परिश्रम और भाग्य Hard Work and Luck

क्या भाग्य ही सब कुछ है? क्या भाग्य के आगे परिश्रम का कोई महत्व नही है? कई लोगो द्वारा भाग्य को ही सब कुछ मान लिया जाता है और उसे ही अत्याधिक महत्व देते हैl

परिश्रम के उदाहरण Examples of Hard Work and Success

इन सभी लोगो ने अपने परिश्रम के बल पर सफलता प्राप्त की l परिश्रम करने से सफलता आज नही तो कल अवश्य मिलती है l लेकिन जब परिश्रम ही नही करेंगे तो सफलता मिलना मुश्किल है l इसलिए भाग्य के भरोसे नहीं बैठना चाहिए काम करते रहो फल तो देने वाला देगा ही आज नहीं तो कल सफलता जरूर मिलेगी।

परिश्रम के लाभ Benefits of Hard Work

परिश्रम से मनुष्य के जीवन में अनेक लाभ होते हैं। मनुष्य द्वारा किये गये परिश्रम से सभी कार्य संपन्न होते है l परिश्रमी व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है साथ ही उनका शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है एवं परिश्रम करने से मनुष्य का शरीर रोगों से मुक्त रहता है। परिश्रम से ही जीवन में विजय और धन दोनों ही पाए जा सकते है।

भाग्य के भरोसे रहने वाले लोग जीवन में बस भाग्य तक ही सीमित रह जाते है और जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते। भाग्य के भरोसे रहने के कारण इन लोगो में आलस्य पैदा हो ज्यादा है जो उनको कभी भी आगे नहीं बढ़ने देता है।

ईश्वर ने ये जीवन परिश्रम करने के लिए बनाया है। यही एक ऐसी पूंजी है जो किसी की भी दुनिया बदल सकती है। ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो सकें।

परिश्रम करने से किसी भी ब्यक्ति की उन्नति और विकास पूरी तरह से होता है। परिश्रम से ही विकास की रचना होती है। जिन व्यक्तियों के जीवन में आलस भरा होता है वे कभी भी जीवन में उन्नति नहीं कर सकते हैं। परिश्रमी व्यक्ति ही अपने राष्ट्र और देश को ऊँचा उठाने के लिए काम करते रहते है।

आलस्य से हानियाँ Disadvantages of Lazyness

जीवन में आलस्य से जीवन अभिशाप बन जाता है। आलसी व्यक्ति दुसरो पर निर्भर हो जाता है और खुद से प्रयास नही करता l

इस प्रकार परिश्रम का हमारे जीवन में एक विशेष महत्व है इसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है l मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है, कवि और लेखकों ने परिश्रम के बल पर अपनी रचनाओं से देश को मंत्रमुग्ध किया है।

जो लोग परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार , और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो हमें भाग्य पर निर्भर होना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। यही हमारे जीवन के लिए सबसे अच्छा है। जीवन में ऐसा कोई भी कार्य नही है जिसे परिश्रम के द्वारा न किया जा सकेl

निष्कर्ष Conclusion

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परिश्रम का महत्व पर निबंध-Importance Of Hard Work Essay In Hindi (100, 200, 300, 400, 500, 700, 1000 Words)

परिश्रम का महत्व-importance of hard work in hindi.

essay on hard work in hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध 1 (100 शब्द)

जीवन के उत्थान में परिश्रम का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जीवन में आगे बढ़ने के लिए, लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए श्रम ही आधार है। परिश्रम से कठिन से कठिन कार्य संपन्न किए जा सकते हैं, जो परिश्रम करता है उसका भाग्य भी उसका साथ देता है जो सोता रहता है उसका भाग्य सोता रहता है। श्रम के बल अगम्य पर्वत चोटियों पर अपनी विजय का पताका पहरा दिया।

श्रम हर मनुष्य अपनी मंजिल पर पहुंच जाता है। अथक परिश्रम ही जीवन का सौंदर्य है। श्रम के द्वारा ही मनुष्य अपने आपको महान बना सकता है। परिश्रम ही मनुष्य के जीवन को महान बनाने वाला है। परिश्रम ही वास्तव में ईश्वर की उपासना है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 2 (200 शब्द)

परिश्रम अथवा कार्य ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना है । इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी-समृद्‌ध होना अत्यंत कठिन है । वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है अर्थात् कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी व दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

परिश्रमी व्यक्ति अपने कर्म के द्‌वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं । उन्हें जिस वस्तु की आकांक्षा होती है उसे पाने के लिए रास्ता चुनते हैं । ऐसे व्यक्ति मुश्किलों व संकटों के आने से भयभीत नहीं होते अपितु उस संकट के निदान का हल ढूँढ़ते हैं। अपनी कमियों के लिए वे दूसरों पर लांछन या दोषारोपण नहीं करते ।

दूसरी ओर कर्महीन अथवा आलसी व्यक्ति सदैव भाग्य पर निर्भर होते हैं । अपनी कमियों व दोषों के निदान के लिए प्रयास न कर वह भाग्य का दोष मानते हैं । उसके अनुसार जीवन में उन्हें जो कुछ भी मिल रहा है या फिर जो भी उनकी उपलब्धि से परे है उन सब में ईश्वर की इच्छा है । वह भाग्य के सहारे रहते हुए जीवन पर्यंत कर्म क्षेत्र से भागता रहता है । वह अपनी कल्पनाओं में ही सुख खोजता रहता है परंतु सुख किसी मृगतृष्णा की भाँति सदैव उससे दूर बना रहता है । किसी विद्‌वान ने सच ही कहा है कि परिश्रम सफलता की कुंजी है ।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 3 (300 शब्द)

भूमिका : मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति के कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है| सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।

परिश्रम का महत्व :   देखा जाए तो परीक्षण को कुछ ही शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है क्योंकि किसी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम है अर्थात वह परिश्रम करने से नहीं डरता तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं है। वह हर असंभव काम को संभव बना सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि दुनिया में कोई भी काम असंभव नहीं है। जरूरी है तो हमारा परिश्रम करना।

इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि जो इंसान अधिक परिश्रम करता है। वह जिंदगी में सब कुछ पा सकता है उसके लिए कोई भी सीमा बाधित नहीं है।

उपसंहार : जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, परिश्रमी, और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

आज के देश में जो बेरोजगारी इतनी तेजी से फैल रही है उसका एक कारण आलस्य भी है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए परिश्रम एक बहुत ही अच्छा साधन है। मनुष्य परिश्रम करने की आदत बचपन या विद्यार्थी जीवन से ही डाल लेनी चाहिए। परिश्रम से ही किसान जमीन से सोना निकालता है। परिश्रम ही किसी भी देश की उन्नति का रहस्य होता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 4 (400 शब्द)

भूमिका : परिश्रम का मनुष्य के लिए वही महत्व है जो उसके लिए खाने और सोने का है । बिना परिश्रम का जीवन व्यर्थ होता है क्योंकि प्रकृति द्‌वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग वही कर सकता है जो परिश्रम पर विश्वास करता है। परिश्रम अथवा कर्म का महत्व श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को गीता के उपदेश द्‌वारा समझाया था । उनके अनुसार: ”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: ।”

परिश्रम और भाग्य :  क्या भाग्य ही सब कुछ है? क्या भाग्य के आगे परिश्रम का कोई महत्व नही है? कई लोगो द्वारा भाग्य को ही सब कुछ मान लिया जाता है और उसे ही अत्याधिक महत्व देते हैl ऐसे लोग भाग्य पर निर्भर होने के कारण जीवन में बड़ा हासिल नही कर पाते और भाग्य के सहारे ही जीवन जीते है और आलस का दामन थाम लेते है जबकि परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

परिश्रम के लाभ : परिश्रम करने से आत्मिक शान्ति प्राप्त होती है, हृदय पवित्र होता है, सच्चे ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा मनुष्य उन्नति की पराकाष्ठा पर पहुँचता है। हमारा इतिहास उद्यमी लोगों की सफलता के गुणगानों से भरा पड़ा है। अमेरिका तथा जापान जैसे देशो की सफलता का रहस्य उनके द्वारा किया जाने वाला अनवरत परिश्रम ही है।

परिश्रम करने से मनुष्य के अन्तः करण की शुद्धि होती है तथा सांसारिक दुर्बलताएँ तथा वासनाएँ उसे नहीं सताती। परिश्रमी व्यक्ति को यश तथा धन दोनों मिलते हैं। यदि शारीरिक श्रम करने वाला व्यक्ति शारीरिक तौर पर चुस्त-तन्दुरुस्त रहता है तो मानसिक श्रम करने वाला व्यक्ति भी पीछे नहीं रहता। बीमारी ऐसे व्यक्तियों के पास भी नहीं भटकती।

उपसंहार : परिश्रम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है, परिश्रम दो प्रकार के होते हैं एक मानसिक परिश्रम और दूसरा शारीरिक परिश्रम कई कामों में दोनों तरह के परिश्रम ओं का इस्तेमाल किया जाता है परिश्रम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और किसी भी प्रकार की बीमारियां नहीं होती है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 5 (500 शब्द)

भूमिका : सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है। वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं। कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं।

ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो सकें। जो पुरुष दृढ प्रतिज्ञ होते हैं उनके लिए विश्व का कोई भी कार्य कठिन नहीं होता है। वास्तव में बिना श्रम के मानव जीवन की गाड़ी चल नहीं सकती है। श्रम से ही उन्नति और विकास का मार्ग खुल सकता है। परिश्रम और प्रयास की बहुत महिमा होती है। अगर मनुष्य परिश्रम नहीं करता तो आज संसार में कुछ भी नहीं होता। आज संसार ने जो इतनी उन्नति की है वह सब परिश्रम का ही परिणाम है।

परिश्रम की विजय :  किसी भी तरह से परिश्रम की ही विजय होती है। संस्कृत में एक उक्ति है – सत्यमेव जयते। इसका अर्थ ही होता है परिश्रम की विजय होती है। मनुष्य मानव प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते है। मनुष्य खुद ही भगवान का स्वरूप माना जाता है।

जब मनुष्य परिश्रम करते हैं तो उनका जीवन उन्नति और विकास की तरफ अग्रसर होता है लेकिन उन्नति और विकास के लिए मनुष्य को उद्यम की जरूरत पडती है। उद्यम से ही मनुष्य अपने कार्य को सिद्ध करता है वह केवल इच्छा से अपने कार्य को सिद्ध नहीं कर सकते है।

महापुरुषों के उदाहरण :  हमारे सामने अनेक ऐसे महापुरुषों के उदाहरण हैं जिन्होंने अपने परिश्रम के बल पर अनेक असंभव से संभव काम किये थे। उन्होंने अपने राष्ट्र और देश का ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का नाम रोशन किया था। अब्राहिम लिकंन जी एक गरीब मजदूर परिवार में हुए थे बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया था लेकिन फिर भी वे अपने परिश्रम के बल पर एक झोंपड़ी से निकलकर अमेरिका के राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गये थे।

उपसंहार :  जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार, परिश्रमी, और स्वावलम्बी होते हैं। अगर हम अपने जीवन की, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति चाहते हैं तो आपको भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। जो व्यक्ति परिश्रम करता है उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 6 (700 शब्द)

भूमिका : मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। हर प्राणी के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति का कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है|

सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं।

परिश्रम का महत्व :  परिश्रम का मनुष्य जीवन में बहुत महत्व है वैसे तो यह जीवन मनुष्य का भगवान के द्वारा दिया गया एक उपहार है, परंतु इस जीवन को सार्थकता प्रदान करना ही हमारा धर्म है। परिश्रम से मनुष्य कुछ भी कर सकता है परिश्रम ही राजा को रंक और दुर्बल को सबल बनाती है। परिश्रम का हमारे जीवन पर ही नहीं बल्कि हमारे देश पर भी असर होता है।

जिस देश के नागरिक पढ़े लिखे एवं परिश्रमी वह देश बड़ी ही तेजी से विकास एवं उन्नति करता है। वैसे तो सभी व्यक्ति के अपने-अपने विचार होते हैं एवं सभी लोगों का अपना एक सपना होता है लोग अपने जीवन में तरह-तरह की कल्पनाएं करते हैं परंतु केवल कल्पना मात्र करने से हमें सफलता नहीं मिलेगी उसके लिए केवल एक ही उपाय करना होगा वह है – परिश्रम।

आलस्य से हानियाँ :  आलस ही असफलता का कारण होता है, जो व्यक्ति आलसी हो जाता है उसका विकास रुक जाता है और सफलता पाना उसके लिए नमुमकिन हो जाता हैl जबकि परिश्रमी व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता हैl विद्यार्थी को परिश्रम करना चाहिए जिससे वह परीक्षा में सफल होकर जीवन में भी सफल हो सके।

इस प्रकार परिश्रम का हमारे जीवन में एक विशेष महत्व है इसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है l मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है, कवि और लेखकों ने परिश्रम के बल पर अपनी रचनाओं से देश को मंत्रमुग्ध किया है।

परिश्रम की आवश्यकता : जीवन में सफलता की कुंजी परिश्रम ही है, इसलिए हर क्षण हमें परिश्रम की आवश्यकता होती है। खाना भी मुँह में स्वयं नहीं चला जाता, चबाना पड़ता है। लेकिन जो व्यक्ति कोई भी कार्य करना ही नहीं चाहता, ऐसा आलसी, अनुद्योगी तथा अकर्मण्य व्यक्ति कहीं भी सफलता नहीं पा सकता। उसी मानव का जीवन सार्थक माना जा सकता है, जिसने अपने तथा अपने राष्ट्र के उत्थान हेतु परिश्रम किया हो। अनेक संघर्षों तथा उद्यमों के पश्चात् ही सफलता मनुष्य के कदम चूमती है।

परिश्रम का वास्तविक स्वरूप : किसी को अपने जीवन में कब परिश्रम करना चाहिए? इसका सही समय क्या होना चाहिए? इत्यादि उलझनों में हम घेरे रहते हैं। परिश्रम का वास्तविक स्वरूप यह है कि हमें बिना फल के कर्म करते रहना चाहिए।

भगवान कृष्ण ने भी गीता में यही कहा था कि कर्म करते रहो फल की इच्छा ना करो। अगर आपको कुछ भी चाहिए तो आप उसके लिए परिश्रम करते रहिए। कभी ना कभी वह आपको जरूर हासिल होगा।

उपसंहार : अत: उन्नति विकास एवं समृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि सभी मनुष्य परिश्रमी बनें । परिश्रम वह कुंजी है जो साधारण से साधारण मनुब्ध को भी विशिष्ट बना देती है । परिश्रमी लोग सदैव प्रशसा व सम्मान पाते हैं । वास्तविक रूप में उन्नति व विकास के मार्ग पर वही व्यक्ति अग्रसर रहते हैं जो परिश्रम से नहीं भागते ।

भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं जो कर्महीन हैं । अत: हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु अपने देश और समाज के नाम को ऊँचाई पर ले जाना चाहिए ।

परिश्रम का महत्व पर निबंध 7 (1000+ शब्द)

वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं। कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं।

परिश्रम और भाग्य :  कुछ लोग परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। ऐसे लोग केवल भाग्य पर ही निर्भर होते हैं। वे भाग्य के सहारे जीवन जीते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य जीवन मनुष्य के लिए एक अभिशाप की तरह होता है। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। वे परिश्रम करना व्यर्थ समझते हैं।

भाग्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है लेकिन आलसी बनकर बैठे हुए असफलता के लिए भगवान को कोसना ठीक बात नहीं है। आलसी व्यक्ति हमेशा दूसरों के भरोसे पर जीवन यापन करता है। वह अपने हर काम को भाग्य पर छोड़ देता है। हमारे इसी भाव की वजह से भारत देश ने कई वर्षों तक गुलामी की थी। परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

जो व्यक्ति आलसी होते हैं वे केवल भगवान के लिखे हुए पर आश्रित होते हैं। हम सभी के मन में हीनता की भावना पैदा हो गई है लेकिन जैसे-जैसे हमने परिश्रम के महत्व को समझा तो हमने पराधीनता की बेड़ियों को तोडकर स्वतंत्रता की ज्योति जलाई थी। कायर व्यक्ति हमेशा कहते रहते हैं कि हमें भगवान देगा। अगर परिश्रम करने के बाद भी हमें सफलता नहीं मिलती है तो हमे इस पर विचार करना चाहिए कि हमारे परिश्रम में क्या कमी थी।

परिश्रम का महत्व : परिश्रम का बहुत अधिक महत्व होता है। जब मनुष्य के जीवन में परिश्रम खत्म हो जाता है तो उसके जीवन की गाड़ी रुक जाती है। अगर हम परिश्रम न करें तो हमारा खुद का खाना-पीना, उठना-बैठना भी संभव भी नहीं हो पायेगा। अगर मनुष्य परिश्रम न करे तो उन्नति और विकास की कभी कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। आज के समय में जितने भी देश उन्नति और विकास के स्तर पर इतने ऊपर पहुंच गये हैं वे भी परिश्रम के बल पर ही ऊँचे स्तर पर पहुँचे हैं।

परिश्रम से अभिप्राय होता है वो परिश्रम जिससे विकास और रचना हो। इसी परिश्रम के बल पर बहुत से देशों ने अपने देश को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा दिया है। जो परिश्रम व्यर्थ में किया जाता है उसका कोई अर्थ नहीं होता है। जिन व्यक्तियों के जीवन में आलस भरा होता है वे कभी भी जीवन में उन्नति नहीं कर सकते हैं। आज मनुष्य ने परिश्रम से अपने जीवन को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा लिया है। परिश्रम के बिना किसी भी प्राणी का जीवन व्यर्थ होता है।

परिश्रम की विजय :  किसी भी तरह से परिश्रम की ही विजय होती है। संस्कृत में एक उक्ति है – सत्यमेव जयते। इसका अर्थ ही होता है परिश्रम की विजय होती है। मनुष्य मानव प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते है। मनुष्य खुद ही भगवान का स्वरूप माना जाता है। जब मनुष्य परिश्रम करते हैं तो उनका जीवन उन्नति और विकास की तरफ अग्रसर होता है लेकिन उन्नति और विकास के लिए मनुष्य को उद्यम की जरूरत पडती है। उद्यम से ही मनुष्य अपने कार्य को सिद्ध करता है वह केवल इच्छा से अपने कार्य को सिद्ध नहीं कर सकते है।

जिस तरह से बिल्ली के मुंह में चूहे खुद ही आकर नहीं बैठते है उसी तरह से मनुष्य के पास बिना परिश्रम के उन्नति और विकास खुद ही नहीं हो जाते हैं। परिश्रम के बिना कभी भी मनुष्य का काम सफल नहीं हो सकता है। जब मनुष्य किसी काम को करने के लिए परिश्रम करता है तभी मनुष्य को सफलता मिलती है। मनुष्य कर्म करके अपना भाग्य खुद बनाता है। जो व्यक्ति कर्मशील और परिश्रमी होता है केवल वही अपने जीवन में आने वाली बाधाओं और कठिनाईयों पर परिश्रम से विजय प्राप्त कर सकता है।

परिश्रम के लाभ :   परिश्रम से मनुष्य के जीवन में अनेक लाभ होते हैं। जब मनुष्य जीवन में परिश्रम करता है तो उसका जीवन गंगा के जल की तरह पवित्र हो जाता है। जो मनुष्य परिश्रम करता है उसके मन से वासनाएं और अन्य प्रकार की दूषित भावनाएँ खत्म हो जाती हैं। जो व्यक्ति परिश्रम करते हैं उनके पास किसी भी तरह की बेकार की बातों के लिए समय नहीं होता है। जिस व्यक्ति में परिश्रम करने की आदत होती है उनका शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है। परिश्रम करने से मनुष्य का शरीर रोगों से मुक्त रहता है।

परिश्रम करने से जीवन में विजय और धन दोनों ही मिलते हैं। अक्सर ऐसे लोगों को देखा गया है जो भाग्य पर निर्भर नहीं रहते हैं और थोड़े से धन से काम करना शुरू करते हैं और कहाँ-से-कहाँ पर पहुंच जाते है। जिन लोगों के पास थोडा धन हुआ करता था वे अपने परिश्रम से धनवान बन जाते हैं। जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं उन्हें जीवित रहते हुए भी यश मिलता है और मरने के बाद भी। परिश्रमी व्यक्ति ही अपने राष्ट्र और देश को ऊँचा उठा सकता है। जिस देश के लोग परिश्रमी होते है वही देश उन्नति कर सकता है। जिस देश के नागरिक आलसी और भाग्य पर निर्भर होते हैं वह देश किसी भी शक्तिशाली देश का आसानी से गुलाम बन जाता है।

बहुत से ऐसे महापुरुष थे जो परिश्रम के महत्व को अच्छी तरह से समझते हैं। लाल बहादुर शास्त्री, महात्मा गाँधी और सुभाष चन्द्र जैसे महापुरुषों ने अपने परिश्रम के बल पर भारत को स्वतंत्र कराया था। डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्ण जी अपने परिश्रम के बल पर ही राष्ट्रपति बने थे। ये सभी अपने परिश्रम से ही महान व्यक्ति बने थे।

आलस्य से हानियाँ :  आलस्य से हमारा जीवन एक अभिशाप बन जाता है। आलसी व्यक्ति ही परावलम्बी होता है। आलसी व्यक्ति कभी-भी पराधीनता से मुक्त नहीं हो पाता है। हमारा देश बहुत सालों तक पराधीन रह चुका है। इसका मूल कारण हमारे देश के व्यक्तियों में आलस और हीन भावना का होना था। जैसे-जैसे लोग परिश्रम के महत्व को समझने लगे वैसे-वैसे उन्होंने अपने अंदर से हीन भावना को खत्म कर दिया और आत्मविश्वास को पैदा किया। ऐसा करने से भारत देश एक दिन पराधीन से मुक्त होकर स्वतंत्र हो गया और लोग एक-दूसरे के प्रति प्रेम भाव रखने लगे।

परिश्रम से ही कोई व्यक्ति छोटे से बड़ा बन सकता है। अगर विद्यार्थी परिश्रम ही नहीं करेगा तो वह परीक्षा में कभी-भी सफल नहीं हो सकता है। मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है वह संसार के लिए सडकों, भवनों, मशीनों और डैमों का निर्माण करता है। बहुत से कवि और लेखकों ने परिश्रम के बल पर ही अपनी रचनाओं से देश को वशीभूत किया है। अगर आज देश के लोग आलस करते है तो आज हमे जो विशेष उपलब्धियां प्राप्त हैं वे कभी प्राप्त नहीं होते।

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essay on hard work in hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध | Essay on Hard Work in Hindi

by Meenu Saini | Jul 5, 2022 | Hindi | 0 comments

परिश्रम का महत्व पर निबंध

Hindi Essay Writing – परिश्रम का महत्व (Hard Work)

    परिश्रम का महत्व पर निबंध – परिश्रम के आवश्यक तत्व, परिश्रम और भाग्य में अंतर, परिश्रम और स्मार्ट वर्क में अंतर, परिश्रमी व्यक्ति के गुण इस के बारे में जानेगे |   परिश्रम ही सफलता की कुंजी है , शायद यह दुनिया का सबसे प्रसिद्ध उद्धरण है, लेकिन कई बार परिश्रम भाग्य की छाया में अपनी महत्ता खो देती है, विशेषकर दक्षिण एशियाई देशों में। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दक्षिण एशियाई देशों में आज भी भाग्यवादी विचारधारा है, विशेषकर उन देशों में जहां पर आस्था और श्रद्धा से युक्त जनसंख्या बसती है। अब उदाहरण अपने ही देश भारत का ले लें, यहां व्यावहारिक रूप से तो लोग भाग्यवादी हैं लेकिन हमारे पौराणिक ग्रंथों विशेषकर गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देते हुए बोलते हैं कि, “ कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि”  अर्थात् हे अर्जुन आप कर्म करो क्योंकि आपका अधिकार कर्म पर है, फल पर नहीं है, अतः आप केवल कर्म करो फल की चिंता न करो।  इस श्लोक से साफ पता चलता है कि हमारे पौराणिक ग्रंथ हमको कर्म करने की शिक्षा देते हैं, भाग्य या फलवादी बनने की शिक्षा नहीं देते हैं। 

इस लेख में हम परिश्रम की उपयोगिता, परिश्रम और भाग्य में अंतर, परिश्रम और स्मार्ट वर्क में अंतर और परिश्रमी व्यक्ति के गुण के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। 

संकेत सूची (Contents)

परिश्रम और भाग्य में अंतर, परिश्रम और स्मार्ट वर्क में अंतर, परिश्रमी व्यक्ति के गुण.

मेहनत का कोई विकल्प और शॉर्टकट नहीं है।  जब सफलता प्राप्त करने की बात आती है, तो कठिन परिश्रम करने के अलावा दिमाग में और कोई विचार नहीं आता है।  कड़ी मेहनत न केवल सफल होने का एक महत्वपूर्ण साधन है, बल्कि यह बेहतर जीवन के लिए महत्वपूर्ण भी है। हम अपने जीवन के विभिन्न चरणों में चुनौतियों का सामना करते हैं। 

छात्र जीवन से लेकर पेशेवर जीवन तक, हर पहलू में हमें बाधाओं का सामना करना पड़ता है। सभी बाधाओं को दूर करने के लिए हमें संभावनाओं पर ध्यान देने की जरूरत है, फिर योजना को कड़ी मेहनत के साथ क्रियान्वित किया जाना चाहिए। 

छात्र सेमेस्टर में सभी परीक्षाओं को पास किए बिना अपनी डिग्री नहीं पा सकते हैं या जो कर्मचारी किसी कंपनी में काम कर रहा है, उसे बिना मेहनत के प्रमोशन नहीं मिलेगा। सभी सफल खेल हस्तियों, कलाकारों और लेखकों ने प्रसिद्धि या वांछित फल प्राप्त किया है क्योंकि उन्होंने इसके बारे में सपना देखने के अलावा पहले दिन से ही कड़ी मेहनत करना शुरू कर दिया था। दुनिया आजकल बहुत प्रतिस्पर्धी है। कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है, लेकिन हमें कुछ अन्य साधनों को भी याद रखना चाहिए जिन्हें कड़ी मेहनत के साथ जोड़ा जाना है। किसी भी कार्य की शुरुआत उचित योजना और उसका निष्पादन कठिनतम कार्य के साथ करना बहुत महत्वपूर्ण है। 

आज की दुनिया में स्मार्ट वर्क भी उतना ही जरूरी है। यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में जो कुछ भी करता है उसमें सफल होना चाहता है उसको अपने जीवन में आत्म-अनुशासन, समर्पण, प्रतिबद्धता और निरंतरता जैसे गुणों की जरूरत है। यह आपको उपलब्धि की भावना देता है। यह जानने से ज्यादा संतोषजनक और कुछ नहीं है कि आपने किसी चीज के लिए कड़ी मेहनत की है और उसे हासिल किया है। जब आप अपने लक्ष्यों तक पहुँचते हैं तो जो गर्व और उपलब्धि की भावना होती है वह बहुत अमूल्य होती है। 

परिश्रम के आवश्यक तत्व

कड़ी मेहनत ही एकमात्र तरीका है जिससे आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। 

हममें से जो लोग असाधारण रूप से अमीर, स्मार्ट या भाग्यशाली नहीं हैं, उनके लिए परिश्रम ही सुखी जीवन का एकमात्र तरीका है।  

परिश्रम निम्नलिखित तत्वों के बिना अधूरी है;

कोई भी व्यक्ति जब कोई परिश्रम करने जाता है तो कुछ समय बाद वह विचलित और हतोत्साहित हो जाता है, इस समय उसके परिश्रम की गाड़ी को प्रेरणा नामक पेट्रोल आगे खींचता है। 

प्रेरणा वह है जो कड़ी मेहनत को गति प्रदान करती है।  प्रेरणा वह है जो हमें भीषण संघर्ष और कठिन बलिदानों के बावजूद खुद पर विश्वास बनाए रखने में मदद करती है। 

एक समयबद्ध योजना

जब आप अपने बड़े लक्ष्यों के बारे में सोचते हैं, तो आप जीवन भर उनके बारे में सोचते हैं। लेकिन जब आप कड़ी मेहनत करते हैं, तो आपको दिन प्रति दिन के लिए एक अलग समयबद्ध योजना चाहिए होती हैं। 

यह कड़ी मेहनत की जड़ है, और एक चीज जो कड़ी मेहनत को वास्तव में कठिन बनाती है। 

किसी भी महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण व्यक्तिगत बलिदान की आवश्यकता होती है। अपने रिश्तों, वित्त और आराम के स्तर में कम या खत्म करना ही असली परीक्षा है।    Top  

सफलता हमेशा लंबी अवधि में कड़ी मेहनत का परिणाम है।  सफलता धीरे-धीरे होती है, और केवल सही निर्णयों और छोटी जीत की एक श्रृंखला के बाद ही है। इसके विपरीत, भाग्य को आम तौर पर एक बार की घटना या संयोग माना जाता है। bबहुत से भाग्यशाली लोग अपने भाग्य का सही तरीके से उपयोग नहीं करते हैं और उनका जीवन दुखी हो जाता है क्योंकि वे लगातार अपने वास्तविक काम की उपेक्षा करते हैं। 

अपने जीवन में एक सफल व्यक्ति बनने के लिए और अपने प्रियजनों के साथ अपने जीवन का आनंद लेने के लिए आपको अपना काम रुचि के साथ करना चाहिए जो आपको अधिक से अधिक प्रेरित करता है। कभी-कभी हमें कुछ काम करने के लिए मजबूर किया जाता है जो हमें पसंद नहीं है लेकिन इसे एक कार्य के रूप में आज़माएं और धीरे-धीरे इसके लिए अपने जुनून को विकसित करें तो आपकी मेहनत और भाग्य निश्चित रूप से आपको उड़ने वाले रंग प्राप्त करने में मदद करेगे। आप भगवान के सामने प्रार्थना करते हैं, आप परीक्षा देने से पहले अपने माता-पिता या भगवान को याद करते हैं या आप किसी से मिलने जाते हैं और सकारात्मक उत्तर चाहते हैं तो आप कड़ी मेहनत के साथ-साथ अपनी किस्मत में भी विश्वास करते हैं।

यदि आप अपने बिस्तर से उठकर अपना काम करते हैं जो आपको और अधिक उत्साह से भर देता है तो आप सही दिशा में हैं क्योंकि आपकी किस्मत आपकी कड़ी मेहनत के लिए निर्माण खंड बन जाएगी।

आप कह सकते हैं कि किस्मत एक पंच है और इसके पीछे कड़ी मेहनत है। इसलिए, मुझे लगता है कि कड़ी मेहनत महत्वपूर्ण है यदि आप अपनी भलाई के बारे में जानते हैं और आप वास्तव में जानते हैं कि आप क्या कर रहे हैं। 

किस्मत और परिश्रम में से किसी एक पर कभी भी विश्वास न करें, अपनी किस्मत पर विश्वास करके काम करने की कोशिश करें और अपनी मेहनत से उसका सामना करें।    Top  

हमने कई जगहों पर लोगों को बहस करते देखा होगा – “क्या स्मार्ट वर्क से सफलता मिलती है या कड़ी मेहनत से सफलता मिलती है?”  यह एक सही विषय है जिसके लिए एक अंतर्दृष्टि की आवश्यकता है क्योंकि लोग कार्य करने के अपने दृष्टिकोण पर भ्रमित हो जाते हैं । स्मार्ट वर्क एक व्यक्ति को किसी कार्य को कुशलतापूर्वक पूरा करने में मदद करता है।  हम स्मार्ट वर्क कम संसाधनों और कम प्रयासों के साथ कम घंटों में अधिक कार्य करने को कह सकते हैं। 

कड़ी मेहनत भी एक व्यक्ति को किसी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने में मदद करती है – लेकिन समय की खपत अधिक होगी और इस बात का कोई आश्वासन नहीं है कि कार्य कम संसाधनों के साथ पूरा किया जा सकता है या नहीं।  

मेहनत करने वाले व्यक्ति को किसी कार्य को पूरा करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। 

संक्षेप में, कड़ी मेहनत से हम किसी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं;  लेकिन लोगों के बीच प्रसिद्धि पाने और पहचान पाने के लिए स्मार्ट वर्क बहुत मायने रखता है।  स्मार्ट वर्कर अपने कार्यों को प्राथमिकता देते हैं, सबसे महत्वपूर्ण कार्यों को पहले पूरा करते हैं और बाकी को बाद में पूरा करते हैं। 

इससे उनका काम आसान हो जाता है क्योंकि वे प्राथमिकता के आधार पर समाधान की दिशा में कार्य कर सकते हैं। 

स्मार्ट वर्क आपको कार्य करने से पहले ही समय की खपत को समझने देता है।  क्या किया जाना चाहिए, इस पर एक योजना के साथ, स्मार्ट वर्कर्स जल्द ही सफलता के शिखर पर पहुंच जाते हैं।  एक मायने में, स्मार्ट तरीके से कड़ी मेहनत करने से हमें सौंपे गए किसी भी कार्य में सफलता मिलेगी। 

तो स्मार्ट वर्क और परिश्रम दोनों पर चर्चा करने के बाद, आपको क्या लगता है कि क्या पसंद किया जाना चाहिए?  यह ठीक है कि कुछ लोगों का मानना है कि केवल कड़ी मेहनत से उन्हें आवंटित समय सीमा में वांछित परिणाम नहीं मिलते हैं जबकि स्मार्ट कार्यकर्ता उचित समय प्रबंधन के माध्यम से अपने लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त करते हैं। 

इसके विपरीत, कुछ लोगों की यह भी धारणा है कि यह कड़ी मेहनत का एक शॉर्टकट है और कड़ी मेहनत की तुलना में समान दक्षता और निरंतरता के साथ लक्ष्यों को प्राप्त करने में कभी भी आपकी मदद नहीं कर सकता है।  खैर, हम जानते हैं कि आप दोनों के बीच पूरी तरह से भ्रमित हैं।  लेकिन चलिए इसका जवाब हम आपको देते हैं। 

यदि आप इनमें से किसी एक का व्यक्तिगत रूप से उपयोग करते हैं तो यह आपके लिए एक समस्या पैदा कर सकता है लेकिन स्मार्ट और कड़ी मेहनत दोनों का सही मिश्रण आपको जरूर सफलता दिलाएगा।    Top  

एक मेहनती व्यक्ति होने का मतलब है कि आप अपने काम के लिए प्रतिबद्ध हैं और कभी भी कुछ भी अपने रास्ते में नहीं आने देंगे। 

चाहे वह किसी प्रोजेक्ट पर काम करना हो, होमवर्क खत्म करना हो या परिवार के कामों में समय से आगे निकलना हो, हर कोई ऐसा व्यक्ति चाहता है जो अच्छा काम कर सके और आसानी से हार न माने। 

आप सोच सकते हैं कि यह करना एक आसान काम है, लेकिन ऊर्जा और प्रेरणा के समान स्तर को बनाए रखना हमेशा आसान नहीं होता है।

एक परिश्रमी व्यक्ति में निम्न गुण होने चाहिए-

दृढ़ निश्चय

मेहनती व्यक्ति वह होता है जो तब तक नहीं रुकता जब तक कि काम पूरा नहीं हो जाता।  

यदि परिश्रमी व्यक्ति को एक रात देर से काम करना है, तो वह पूरी ऊर्जा और दृढ़ निश्चय के साथ देर रात तक काम करेगा।

एक समर्पित कार्यकर्ता अपने कार्य को पूरा करने के लिए कुछ भी करेगा और सबसे महत्वपूर्ण बात, वह जो कुछ भी करेगा समय पर करेगा। 

 मेहनती व्यक्ति इस प्रकार के लोग होते हैं जिनके पास अपने पूरे दिन, सप्ताह या महीनों के लिए एक विस्तृत योजना होती है और वह यह सुनिश्चित करते हैं कि वे अपने सभी कार्यों को अपनी निर्धारित योजना के अनुसार पूरा कर लें। 

खुद पर अनुशासन

परिश्रमी व्यक्ति में बहुत अधिक आत्म-अनुशासन होता है। वे उन चीजों पर ध्यान नहीं देते हैं जो उनको अपने लक्ष्यों से भटका सकती है। 

वे अपने लिए निर्धारित पथ पर चलते रहते हैं जो अंततः उन्हें सफलता की ओर ले जाती है।

सकारात्मक मनोदशा

मेहनती व्यक्ति का नजरिया सकारात्मक होता है।  वे विपरीत परिस्थितियों में भी उत्साहित और खुश रहने में सक्षम होते हैं। 

मेहनती व्यक्ति रचनात्मक होता है। वे लगातार चीजों को करने या समस्याओं को हल करने के नए तरीकों के बारे में सोचते हैं और वे जोखिम लेने से डरते नहीं हैं जो उन्हें अपने क्षेत्र में सबसे आगे रखता है।

मेहनती व्यक्ति बहुत जिम्मेदार होता है। वे उस प्रकार के लोग होते हैं जो अपने दायित्वों को गंभीरता से लेंते हैं और जो कहते हैं वह जरूर करते हैं।

जिम्मेदारी एक मेहनती व्यक्ति का एक महत्वपूर्ण गुण है क्योंकि यह आपको आत्मविश्वास के साथ निर्णय लेने की क्षमता देता है। यदि आप जिम्मेदार हैं, तो लोग आप पर भरोसा करने लगेगे। 

दृढ़ संकल्पित

मेहनती व्यक्ति दृढ़ निश्चयी होता है।  जब तक वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक स्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, वे हार नहीं मानते हैं।

दृढ़ संकल्प में उद्देश्य की भावना भी शामिल होती है जो बदले में उन्हें सफलता की यात्रा के रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा को दूर करने की प्रेरणा देती है। 

प्रतिबद्धता

एक मेहनती व्यक्ति अपने काम और योजनाओं के लिए प्रतिबद्ध होता है।  वे कुछ अधूरा नहीं छोड़ते हैं।

प्रतिबद्धता दृढ़ संकल्प का गुण पैदा करती है क्योंकि इसका मतलब है कि आपको अपने रास्ते पर बने रहना है चाहे आपको सफल होने के लिए कुछ भी करने की आवश्यकता क्यों न पड़े।

एक मेहनती व्यक्ति वह होता है जो अपने विचारों को नहीं छोड़ता क्योंकि परिश्रमी व्यक्ति अपने उस विचार या दृढ़ संकल्प की सफलता के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। 

एक मेहनती व्यक्ति अपने जीवन में व्यवस्था बनाए रखता है।  वे दिन के लिए एक टू-डू सूची बनाकर खुद को व्यवस्थित रखते हैं और कुशल तरीके से कार्यों को पूरा करते हैं जो उन्हें अन्य योजनाओं या विचारों से विचलित होने से रोकता है। 

संगठन भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपको अधिक उत्पादक बनने में मदद करता है। जिस दिन आप अधिक संगठित होगे, उस कार्य को शुरू करना और उस कार्य को पूरा करना आसान होगा क्योंकि किसी अन्य विचार या योजना से बाधित होने का जोखिम कम होता है। 

मेहनती व्यक्ति बहुत धैर्यवान होता है। वे मुश्किल परिस्थितियों और योजनाओं से निपटने में सक्षम हैं लेकिन वे तब तक परिश्रम करते रहते हैं जब तक कि कार्य पूरा नहीं हो जाता।

धैर्य महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपको इस प्रक्रिया में निराश या खोए बिना अपने काम को सकारात्मक तरीके से करने में मदद करता है।    Top  

अगर हम दृढ़ संकल्प और ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हम सभी बेहतर भविष्य के लिए कड़ी मेहनत कर सकते हैं। ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि हमारा काम समय पर और बेहतर तरीके से खत्म हो रहा है। इसलिए कड़ी मेहनत करके हम अपनी एकाग्रता शक्ति को बढ़ा सकते हैं और नए अवसरों के द्वार खोल सकते हैं। 

अपने आप पर विश्वास करें और अन्य लोगों की उपेक्षाओं और आलोचनाओं पर ध्यान न दें। धैर्य और स्मार्ट वर्क के साथ परिश्रम करें आप एक दिन जरूर अपने जीवन में सफल होगें लेकिन यह भी ध्यान रखें कि जिंदगी को केवल किस्मत के सहारे न छोड़ें। 

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Hard Work Success Essay In Hindi | परिश्रम ही सफलता पर निबंध

Hard Work Success Essay In Hindi परिश्रम ही सफलता पर निबंध

  • परिश्रम का महत्व
  • भाग्य और परिश्रम
  • परिश्रम से ही सफलता

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

परिश्रम ही सफलता पर निबन्ध | Essay on Hard Work Success In Hindi

वेद के एक मंत्र में कहा गया है-‘कृतं में दक्षिणे हस्ते, जयो में सव्य अहिते’-मेरे दाएँ हाथ में कर्मठता हो तो बाएँ हाथ में विजय होगी। इस मंत्र ने एक सच्चाई को प्रस्तुत किया है। जो व्यक्ति परिश्रम और साहस से कार्य करते हैं, उन्हें सदा सफलता प्राप्त होती व्याकरण संधान है। श्रम के महत्व को सभी ने स्वीकार किया है। यह वह शक्ति है जिस पर विश्वास और भरोसा किया जा सकता है। एक प्राचीन कहावत के अनुसार यह पृथ्वी परिश्रमी और पुरुषार्थी व्यक्तियों द्वारा ही भोगी जा सकती है-‘वीरभोग्या वसुंधरा’ परिश्रमी व्यक्ति ही इस संसार के ऐश्वर्य को भोग सकते हैं। किसी महान कार्य को पूरा करने के लिए परिश्रम ही एक मात्र साधन है।

जो मनुष्य परिश्रम न करके आलस्यपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं, सफलता उनसे दूर रहती है। पछतावा करने के सिवाय उन्हें कुछ हाथ नहीं लगता ‘अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत।’ ऐसे मनुष्य भाग्य को बड़ा मानते हैं। भाग्य को विधाता मानकर वे परिश्रम से बचते हैं। उनके अनुसार ‘मनुष्य भाग्य के हाथों का खिलौना’ होता है। भाग्यवादी प्रायः सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र और भगवान श्री राम के जीवन का उदाहरण देते हैं। उनका कहना है कि भाग्य बड़ा बलवान होता है, उसी के कारण राजा हरिश्चंद्र को राज-त्याग कर श्मशान में दासता करनी पड़ी तथा भगवान राम को चौदह वर्ष तक वन में रहकर कष्ट भोगने पड़े।

जीवन का यथार्थ कुछ और ही कहानी कहता है। भाग्य पर भरोसा न करके परिश्रम की पतवार के सहारे ही जीवन नौका में बैठकर संसार-सागर के उस पार पहुंचा जा सकता है। जो लोग आलसी और निष्क्रय होते हैं वही ‘भाग्यं फलति सर्वत्र’ का नारा लगाते हैं। वे मनुष्य को नितांत शक्तिहीन और असमर्थ मानते हैं। ऐसे व्यक्ति हीन भावना से ग्रस्त होते हैं, उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है तथा वे स्वयं को असहाय समझते हैं। वे हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। परिश्रम को तिलांजलि देकर वे निराशापूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। इसके विपरीत भाग्य या संयोग को कल्पना की वस्तु मानने वाले परिश्रमशील व्यक्ति दूसरों को दोष नहीं देते। वे कठोर श्रम और दृढ़ संकल्प शक्ति को ही सफलता की कुंजी मानते हैं। नेपोलियन की मान्यता थी, “भाग्य उन्हीं का साथ देता है जो सबसे अधिक कुशल, सबसे अधिक साहसी और दृढ़ निश्चयी होते हैं।” ऐसे वीर पुरुषों के सामने ऊँचे पर्वत भी सिर झुका देते हैं। नियति को तुच्छ मानने वाले ऐसे महापुरुष जीवन की विषम परिस्थितियों तथा बड़ी-से-बड़ी बाधाओं की चुनौती को स्वीकार करते हैं। महाराजा रणजीतसिंह की तरह उनके चरणों में भी नदी की भयंकर ऊँची लहरें नतमस्तक हो जाती हैं। कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ने ऐसे ही पुरुषों के लिए कहा है-

देखकर बाधा विविध बहु विज घबराते नहीं, रह भरोसे भाग्य के दुख भाग पछताते नहीं।

उद्यम से ही सब कार्य सिद्ध होते हैं, केवल मन में विचार करने से कार्य-सिद्धि नहीं होती। भगवान भी उन्हीं की मदद करता है जो अपनी मदद आप करते हैं। इसलिए मनुष्य को परिश्रम के महत्व को पहचानना चाहिए। कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है कि परिश्रम करने के बाद भी कार्य सिद्ध नहीं होता, ऐसी स्थिति में निराशा का दामन थामने से काम नहीं चलता। यत्न करने पर भी यदि कार्य में सफलता नहीं मिलती तो उसके लिए परिश्रमी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। महाराज भर्तृहरि ने उचित ही कहा है-

उद्योगिन पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मी, दैवेन देयमिति कापुरुषा वदंति। दैव निहत्य कुरु पौरुषमात्मशक्त्या, यत्ने कृते यदि न सिध्यति कोऽत्र दोषः।

सिद्धि या सफलता का मूल मंत्र निःसंदेह उद्यम या उद्योग है। असफल होने पर परिश्रमी व्यक्ति को यह देखना चाहिए कि उसकी कार्य-विधि में कहाँ त्रुटि रह गई। उस दोष का निवारण कर उसे तत्परतापूर्वक पुनः कार्य में जुट जाना चाहिए। निश्चय ही सफलता उसके चरण चूमेगी।

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परिश्रम के महत्व पर निबंध

परिश्रम के महत्व पर निबंध

परिश्रम के महत्व पर निबंध, परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने और एक सफल व्यक्ति बनने के लिए जीवन में परिश्रम सबसे महत्वपूर्ण और मुख्य घटक है। काम पूजा है और यह हमारे जीवन का एक हिस्सा है, इसलिए इस दुनिया में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कम उम्र से लेकर शेष जीवन तक काम करना पड़ता है और इसलिए हर कोई ऐसा भी करता है, लेकिन सिर्फ काम करने के बीच एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण अंतर है किसी चीज़ या किसी चीज़ पर परिश्रम करना जैसे कुछ भी हो सकता है खेल, पढ़ाई, नौकरी, व्यवसाय या कुछ अन्य सामान, आदि। बस दृढ़ निश्चय और जुनून के साथ कुछ करने में लगे रहने से आप अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाएंगे, आपको परिश्रम करनी होगी पूर्ण समर्पण के साथ तभी आप सफलता का स्वाद महसूस कर सकते हैं। ज्यादातर छात्र उत्तीर्ण होते हैं लेकिन उनमें से सभी योग्यता में स्कोर नहीं कर रहे हैं, जो अपनी पढ़ाई के प्रति वफादार है और पूरी मेहनत और समर्पण के साथ प्रदर्शन कर रहा है, वह निश्चित रूप से एक विद्वान होगा। इस प्रकार, यदि आप सबसे अच्छा होना चाहते हैं, तो आपको समर्पित, केंद्रित, भावुक और कड़ी मेहनत करने वाला होना चाहिए और यह किसी भी क्षेत्र या व्यवसायों में सफलता प्राप्त करने का एकमात्र मास्टर फॉर्मूला है।

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परिश्रम के प्रति गलतफहमी – परिश्रम के महत्व पर निबंध

किसी को भी टिप्पणी करना या जज करना बहुत आसान है कि वह किसी को सफल होने पर देखने में भाग्यशाली और भाग्यशाली है लेकिन किसी को भी इसके पीछे की गई मेहनत का एहसास नहीं है या वे वास्तव में महसूस नहीं करना चाहते हैं, उनके पास हमेशा एक बहाना होता है। कड़ी मेहनत से बड़ा कुछ भी नहीं है, अक्सर बड़ी संख्या में लोगों को विभिन्न प्रतिभाओं का आशीर्वाद मिलता है, लेकिन वे सभी जीवन में सफल नहीं होते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी प्रतिभा को संवारने के लिए कड़ी मेहनत नहीं की और जिन्होंने अपनी प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की है यह जीवन भर कैरियर के रूप में निश्चित रूप से जीवन में चमत्कार करेगा। और यद्यपि किसी भी प्रकार की प्रतिभा का आशीर्वाद किसी भी समस्या में नहीं है, बस आपके पास दृढ़ इच्छा शक्ति, साहस, दृढ़ संकल्प, समर्पण, जुनून, और कड़ी मेहनत और अपने आशाजनक लक्ष्य के लिए कुछ धैर्य होना चाहिए और आप निश्चित रूप से अपने गंतव्य तक पहुंचेंगे क्योंकि कड़ी मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती है यह हमेशा आपको वापस भुगतान करता है, थोड़ी देर बाद हो सकता है लेकिन यह इसलिए होगा क्योंकि भगवान भी केवल उन लोगों की मदद करता है, जो खुद की मदद करने के लिए तैयार हैं, और यदि आप कड़ी मेहनत नहीं करेंगे तो कोई भी आपकी मदद नहीं कर सकता है भगवान भी नहीं । हर सफलता के पीछे अभ्यास, प्रयास और असफलता, सीखने, त्याग, समर्पण, दृढ़ संकल्प, जुनून, अपने इच्छित लक्ष्य को प्राप्त करने का पागलपन, और कड़ी मेहनत के बाद काम आते हैं।

परिश्रम का परिणाम – परिश्रम के महत्व पर निबंध

अगर हम सचमुच अपने मन और आंखों को अपने आस-पास खोलते हैं और अपने चारों ओर देखते हैं तो हमें पता चलेगा कि हम कड़ी मेहनत के कई उदाहरणों से घिरे हुए हैं क्योंकि अतीत से लेकर वर्तमान समय तक के विकास को आम तौर पर देखते हैं और इतिहास के बारे में सोचते हैं। आविष्कार केवल कुछ ही सुविधाओं के बारे में करते हैं जो उनकी सुविधा के लिए उपलब्ध हैं जैसे ट्रेंडिंग में से एक आपका मोबाइल फोन है जिसे हर महीने अपग्रेड किया जा रहा है, एक नया और उन्नत स्मार्टफोन है। लेकिन किसी को भी उस स्मार्टफोन के प्रोडक्शन, प्लानिंग, एक्जीक्यूशन, ट्रायल्स और फेल्योर पर की गई मेहनत का अंदाजा नहीं है। इसी तरह, एक हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर, फाइटर जेट, मोटर कार, मोटर बाइक, कंप्यूटर, लैपटॉप, एलसीडी, मिसाइल के रूप में बहुत सारे उदाहरण हैं, और भी बहुत कुछ है, इन वस्तुओं के निर्माण पर बहुत अधिक मेहनत है।

यदि हम 500 सफल हस्तियों की गवाही या जीवनी से गुजरते हैं, तो हम उनके द्वारा उस स्तर पर किए जाने वाले कठिन परिश्रम की मात्रा और संघर्ष को समझ सकते हैं। अगर सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट के भगवान के रूप में जाना जाता है, तो यह केवल उनके त्याग, अभ्यास, निरंतरता, निष्ठा, जुनून, समर्पण के कारण है। वह प्रतिभाशाली थे और उन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर बहुत मेहनत की है ताकि वह पूरी दुनिया में क्रिकेट के बादशाह के रूप में जाने जाएं।

इसके सैकड़ों उदाहरण हैं – अल्बर्ट आइंस्टीन, आइजैक न्यूटन, स्टीव जॉब्स, एलोन मस्क, अमिताभ बच्चन, बराक ओबामा, पीएम नरेंद्र मोदी जी, ये सभी प्रेरक और परिश्रमी व्यक्तित्व हैं, इसीलिए वे एक सितारे की तरह चमक रहे हैं। इतिहास हमें कई उदाहरणों के साथ बताता है कि यह कड़ी मेहनत है जो सफलता लाती है, यदि आप असफल हैं या आप इस पर निर्भर हैं तो आप अपनी किस्मत को दोष नहीं दे सकते। आप देख सकते हैं कि विज्ञान ने आज चमत्कार किया है, चिकित्सा, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी में विकास और इंटरनेट की वर्तमान अवधि भी इसके पीछे वर्षों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। अगर कोई संघर्षशील और कठोर कार्यकर्ता नहीं होता तो हम आज अपने जीवन का आनंद नहीं ले रहे होते। वर्तमान समय में जीवन इतना आसान नहीं रहा होगा।

एक मेहनती व्यक्ति का व्यक्तित्व

एक परिश्रमी मानव कभी भी बहाने नहीं देता है या अपने कार्यों को अनिश्चित कारण देने में देरी करता है, वह हमेशा हर चीज के लिए तैयार रहता है। वह हमेशा सक्रिय रहेगा, उनके पास एक दयालु दिल है, दूसरों की मदद करने में विश्वास है, वे आलसी और सुस्त नहीं हैं, उनके पास हमेशा कुछ करने के लिए होता है या वे समस्याओं को हल करने और चीजों को आसान बनाने के लिए कुछ अनोखा और फायदेमंद पाते हैं। मेहनती लोग बहुत अनुशासित, समर्पित और देखभाल करने वाले होते हैं। प्रत्येक छात्र को शुरू से ही कड़ी मेहनत करने की एक चिंगारी और सीख होनी चाहिए ताकि वे अपने जीवन में पुरस्कार, सम्मान और सम्मान अर्जित कर सकें।

Hard Work Essay in English

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1 thought on “परिश्रम के महत्व पर निबंध”

Pingback: Hard Work Essay  for the Students Success | Importance and value of Hard

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परिश्रम पर निबन्ध : जीवन में परिश्रम का महत्व (Importance of Hard Work in Hindi)

परिश्रम (मेहनत) के महत्व पर निबंध – importance of hard work in hindi.

Importance of Hard Work in Hindi

Essay on Importance of Hard Work in Hindi

“भूरे बालों की-सी कतरन , छिपा नहीं जिसका छोटापन।

वह समस्त पृथ्वी पर निर्भय , विचरण करती श्रम में तन्मय।

वह जीवन की चिनगी अक्षय ,   दिन भर में यह मीलों चलती।

अथक कार्य से नहीं कभी डरती।।”

– सुमित्रानंदन पन्त

परिश्रम का महत्व ( Importance of Hard Work in Hindi ) 

Hard Work मतलब कठोर परिश्रम जो की पन्त जी ने चींटी का उदाहरण देकर मानव को लज्जावनत होने के लिए बाध्य कर दिया। चींटी का लघुतम जीवन परिश्रम से भरा हुआ जीवन है। वह बड़े से बड़े पर्वत को सरलता से लाँघ जाती है। शायद ही किसी ने चींटी को सोते हुए या आराम से बैठे हुए देखा हो। वह अनवरत श्रम करती है, इसलिए उसे अपना छोटापन अखरता नहीं। वह जीवन की समस्याओं को अपने श्रम से बड़ी सरलता से सुलझा लेती है। तो क्या मनुष्य संसार की कठिन-से-कठिन समस्याओं को, विभीषिकाओं को अपने श्रम से सरल नहीं बना सकता। यदि वह चाहे तो पर्वतों को काटकर सड़क निकाल सकता है, उन्मादिनी नदियों को बाँध कर पुल बना सकता है, कंटकाकीर्ण मार्गों को सुगम बना सकता है। ऐसा कौन सा कार्य है, जो परिश्रम साध्य नहीं हो।

नेपोलियन की डायरी में असम्भव जैसा कोई शब्द नहीं था। कर्मवीर, दृढ़-प्रतिज्ञा, महापुरुषों के लिए संसार का कोई भी प्राप्तव्य कठिन नहीं होता। परिश्रमी व्यक्ति अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर अग्रसर होता है, प्राकृतिक कारण भी विघ्न बनकर उसके मार्ग में खड़े नहीं हो सकते। सफलता उसी मनुष्य का वरण करती है, जिसने उसकी प्राप्ति के लिए श्रम किया हो। प्रथम श्रेणी उन्हीं विद्यार्थियों को अपने गले लगाती है, जो उसकी प्राप्ति के लिए पूरे वर्ष परिश्रम करते हैं।  साधारण से साधारण व्यक्ति भी अपने परिश्रम से एक महान उद्योगपति बन जाता है। सामने रखे हुए थाल में रोटी भी बिना श्रम के मुँह में नहीं जाता और जाने के बाद भी बिना मुख-चवर्ण का व्यायाम किये पेट में नहीं जा सकता। भर्तृहरि जी ने लिखा है कि –

“उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मी: दैवेन देयमिति कापुरुषा: वदन्ति।

दैवम् निहत्य कुरुपौरुषमात्मशक्त्या, यत्ने कृते यदि न सिद्धय्ती कोत्र दोष:।।”

अर्थात उद्योग परुष को ही लक्ष्मी प्राप्त होती है, ‘ईश्वर देगा’ ऐसा कायर (coward) आदमी कहा करते हैं। देव को छोड़कर मनुष्य को यथाशक्ति पुरुषार्थ करना चाहिये।  यदि प्रयत्न करने पर भी कार्य सिद्ध न हो तो यह विचार करना चाहिए कि इसमें हमारी क्या कमी रह गई ?

जीवन की सफलता के लिए परिश्रम की नितान्त आवश्यकता है। आलसी अनुद्योगी और अकर्मण्य व्यक्ति जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं होता।  आलसी लोगो का कोई वर्तमान और भविष्य नहीं होता।

शूकर, कूकर के समान जैसे वह आता है वैसे ही चला जाता है। मनुष्य वही है, उसी मनुष्य का जीवन सार्थक है, जिसने अपना, अपनी जाति का, अपने देश का, अपने परिश्रम से उत्थान और अभ्युदय किया हो | बिना परिश्रम के जीवन व्यर्थ होता है –

“स: जात: येन जातेन याति वंश: समुन्नतिम।”

परिश्रम का ही दूसरा नाम जीवन है। जिस मनुष्य के जीवन में परिश्रम नहीं है, वह आगे नहीं बढ़ सकता, जहाँ पैदा हुआ है किसी दिन उसी स्थान पर सूख कर पृथ्वी पर गिर पड़ेगा।  वह उस तालाब के समान है, जिसमें पानी न कही से आता है और न निकलता ही है। वर्षा हुई तो थोड़ा भर गया और उसमें सड़ता रहा।  पथिक भी उसकी दुर्गंध से दूर भागते हैं, कोई पास आना भी पसंद नहीं करता।

मानव जीवन संघर्षों के लिए है, संघर्षों के पश्चात् उसे सफलता मिलती है। संघर्षों में घोर श्रम करना पड़ता है।  जो व्यक्ति संघर्षों से, श्रम से डर गया, वह मानव नहीं पशु है, पशु भी नहीं, वह जड़ वृक्ष है, जहाँ पैदा हुआ है वही उसे मुरझा जाना है। परिश्रम अथवा कर्म का महत्व श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता में उपदेश देते हुए कहा –

“माम् अनुस्मर युद्धय च”

अर्थात मेरा स्मरण करो और संसार में संघर्ष करो,  युद्ध करो, सफलता अवश्य मिलेगी। गजराज, मृगेंद्र यदि अपनी माद में पड़ा – पड़ा सोता रहे,  तो संभवत: कोई भी वन्य पशु उसके भोजन के लिए वहाँ उपस्थित न हो। उसे अपने जीवन के लिये दहाड़ना पड़ता है,  उछल-कूद करनी पड़ती है,  तब कहीं वन के राजा का पेट भर पाता है।  यदि वह अकर्मण्य होकर अपने ही स्थान पर पड़ा रहे तो शायद वह भूखा मर जाये।  कहा भी है –

“उद्यमेन ही सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथै: ।

नहीं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा: ।।”

उद्योग और कठिन परिश्रम से ही मनुष्य की कार्य सिद्धि होती है, केवल इच्छामात्र से नहीं, जैसे कि सोते हुए सिंह के मुख में मृग स्वयं नहीं घुसते | जो मनुष्य अपने जीवन में जितना परिश्रमी रहा, जितना अधिक से अधिक संघर्ष और कठिनाइयां उसने उठा ली, अंत में उसने उतनी ही अधिक उन्नति की –

“जितने कष्ट संकटों में है जिनका जीवन – सुमन खिला ।

गौरव – गंध उन्हें उतना ही यंत्र तत्र सर्वत्र मिला ।”

केवल ईश्वर की इच्छा और भाग्य के सहारे पर चलना कायरता है और अकर्मण्यता है | मनुष्य अपने भाग्य का विधाता स्वयं है | वह दूध में जितना गुड़ डालेगा, दूध उतना ही मीठा होगा | जिसने जीवन के अभ्युत्थान के लिए जितना श्रम किया होगा, उसको उतनी सफलता मिली होगी | वैसे भी ईश्वर उन्हीं की सहायता करता है, जो अपनी सहायता स्वयं करने में समर्थ होते है , कायरों से निरीह और निकम्मों से ईश्वर भी घबड़ाता है | एक अंग्रेज़ी कहावत है –

“ God help those who help themselves.”

परिश्रम व्यक्ति की वास्तविक पूजा है | परिश्रम करने से मनुष्य का सबसे बड़ा लाभ है, उसे आत्मिक शांति प्राप्त होती है, उसका हृदय पवित्र होता है, उसके संकल्पों में दिव्यता आती है, उसे सच्चे ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, उसे व्यक्तिगत जीवन में उन्नति प्राप्त होती है | जीवन की उन्नति के लिये मनुष्य क्या काम नहीं करता, यहाँ तक कि बुरे से बुरे काम करने के लिए उद्धत हो जाता है | परन्तु यदि वह सफलता रूपी ताले की कुंजी परिश्रम को अपने हाथ में ले तो फिर सफलता उस मनस्वी के चरणों को चूमने लगती है | वह उत्तरोत्तर उन्नति और समृद्धि के शिखर पर चढ़ता हुआ चला जाता है |

भारतवर्ष की दासता और पतन का मुख्य कारण भी यही था कि यहाँ के निवासी अकर्मण्य हो गये थे, परिश्रम करना उन्होंने भूला दिया था। यदि आज भी अकर्मण्य और आलसी बने रहे, तो परिणामस्वरूप प्राप्त की हुई स्वतंत्रता फिर खो देंगे। आज देश को कठोर परिश्रमी नवयुवकों की बेहद आवश्यकता है, जिससे देश की विदेशी आक्रमण से रक्षा हो सके।

जीवन का वास्तविक सुख और शान्ति मनुष्य को, अपने काम से प्राप्त होती है। परिश्रम का फल जब उसके समक्ष होता है; तो उसका ह्रदय हर्ष से उछलने लगता है, वह आत्मगौरव का अनुभव करता है। परिश्रमी को कभी किसी वस्तु का अभाव नहीं होता, वह किसी के सामने हाथ फैलाकर गिडगिडाता नहीं, उसे अपने श्रम पर विश्वास रहता है, वह जानता है कि मैं जो चाहूँगा, प्राप्त कर सकता हूँ, वह सदैव आत्मनिर्भर रहता है।

परिश्रम करने से मनुष्य का अन्त:करण जान्ह्वी के जल की भाँती पवित्र हो जाता है। संसार की समस्त दुर्वासनायें, कुलषित भावनायें, उन्हीं को सताती हैं, जिनके पास इन पर सोचने के लिए न समय है और न उनकी पूर्ति के लिये साधन हैं। परिश्रमी के पास इन सब बातों का सोचने के लिये समय कहाँ।  वह तो परिश्रम रूपी यज्ञ में दुर्वासनाओं की आहुति दे चुका है।

खाली मस्तिष्क ही शैतान का घर होता है, जैसा कि अंग्रेजी कहावत से सिद्ध है – “An empty mind is a devil’s work-shop.” जहाँ व्यस्तता है, कार्य का आधिक्य है, वहाँ इन सब बातों के लिये जगह कहाँ ? जिस प्रकार परमेश्वर की उपासना करने से मनुष्य की अंतरात्मा पवित्र हो जाती है, उसी प्रकार परिश्रम से भी मनुष्य का अन्त:करण पवित्र रहता है, संसार को वह बिलकुल भूल जाता है और उसका मन संसार से खिंचकर एक निश्चित लक्ष्य की ओर लग जाता है |

परिश्रम से, मनुष्य को यश और धन दोनों ही प्राप्त होते है। परिश्रम से मनुष्य धनोपार्जन भी करता है। ऐसे लोग देखे गये हैं, जिन्होंने अपना व्यापार दस रुपये से प्रारंभ किया और अपने अथक परिश्रम और शौर्य के बल पर कुछ ही वर्षों में लक्षाधीश बन गये। जहाँ तक यश का सम्बन्ध है, वह परिश्रमी मनुष्य को जीवित रहते हुए भी मिलता है और मृत्यु से अनन्तर भी।  जीवित रहते हुए समाज के व्यक्ति उसका मान करते हैं, उसकी कीर्ति उसकी जाति और नगर में गाई जाती है।  मृत्यु के पश्चात् वह एक आदर्श छोड़ जाता है, जिसपर चलकर भावी सन्नति अपना पथ प्रशस्त करती है।  लोग उसकी यशोगाथा से अपना और अपने बच्चों का मार्ग निर्माण करते हैं। 

महामना मालवीय, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, महाकवि कालिदास, छत्रपति शिवाजी आदि महापुरुषों का गुण-गान करके हम भी अपना मार्ग निश्चित करते हैं।  इतिहास साक्षी है कि इन लोगों ने अपने जीवन में कितना श्रम किया और कितने संघर्ष किये, जिसके फलस्वरूप वे उन्नति के शिखर पर पहुँचे।  आज भी उनका यश है और सदैव रहेगा।

“एक तंदुरुस्ती हजार नियामत” वाली कहावत आज भी घर – घर में कही जाती है। एक बार गया हुआ स्वास्थ्य फिर लौटकर नहीं आता, परन्तु यह स्वास्थ्य आता कहाँ से है, यह विचारणीय है। स्वास्थ्य आता आता है परिश्रम से। जो लोग दिन-रात मेहतन करते हैं, वे स्वस्थ देखे जाते हैं, वे कभी बीमार नहीं पड़ते, उन्हें कभी कोई रोग नहीं सताता।  इसके विपरीत, जो लोग सिर्फ खाते है और गद्दे और तकियों के सहारे पड़े रहते हैं, उनकी शक्ल पीली देखी जाती है और आये दिन डॉक्टरों और वैद्यों के घर का खर्च चलाया करते हैं।

जो लोग अपना काम स्वयं नहीं कर सकते, अपने हाथ – पैरों से कोई मेहनत नहीं करते, उनके शरीर की कर्मेन्द्रियाँ शक्तिहीन हो जाती हैं। ऐसे व्यक्तियों का जीवित रहना या मर जाना दोनों एक समान हैं। परिश्रम करने से मनुष्य में नई शक्ति, नई स्फूर्ति और नवीन चेतना का उदय होता है।  वह सदैव प्रसन्नवदन एवं चिंतामुक्त रहता है।  अकर्मण्य और आलसी व्यक्ति चिडचिडे और क्रोधी स्वभाव के होते हैं।

महापुरुषों ने जीवन में परिश्रम के महत्व का मूल्यांकन किया था।  वे जानते थे कि परिश्रम से मनुष्य की न केवल भौतिक उन्नति होती है, अपितु अध्यात्मिक उन्नति भी होती है। श्रीकृष्ण को क्या आवश्यकता थी मूक पशुओं को लाठी लेकर हाँकने की तथा उन्हें वन – वन लेकर घूमने की। कबीर कपड़ा बुनते थे और रैदास जूते सिलते थे। खलीफा उमर अपने रंगमहलों में बैठे – बैठे  चटाई बुना करते थे, जॉन ऑफ़ ऑर्क को भेड़े चराने में आनन्द आता था।

रैमेज मैकडोनाल्ड केवल एक निर्धन श्रमिक था, परन्तु अपने अथक परिश्रम के बल पर ही एक दिन इंग्लैण्ड का प्रधानमंत्री बना। छत्रपति शिवाजी ने थोड़े से सैनिकों की सहायता से ही समस्त हिन्दू जाति और हिन्दू धर्म की यवन आततायियों के हाथ से रक्षा की, महामना मालवीय जी एक साधारण परिवार के बालक थे, परन्तु अपने अदम्य साहस और अथक परिश्रम के बल पर ही काशी हिन्दू विश्वविद्यालय जैसी अभूतपूर्व संस्था का निर्माण कर सके। ठीक ही कहा है – “श्रमेण बिना न किमपि साध्यं |”

यदि हम चाहते हैं कि अपने देश की, अपनी जाति की, और अपनी उन्नति करें तो यह आवश्यक हैं कि अपने देश की, हमें परिश्रमी बनना होगा।  आज भारतवर्ष में परिश्रम प्रायः समाप्त होता जा रहा है। सभी लोग पकी-पकाई खाने को तैयार हैं, पकाना कोई नहीं चाहता।  यदि हम इसी स्थिति में रहे, तो जो कुछ हमारे पास अब तक रह गया है, वह भी एक दिन खो बैठेंगे। हमारा कल्याण तभी हो सकता है, जब हम अपना काम, अपना व्यवसाय, अपना उद्योग, अपनी कृषि आदि सभी कार्य आलस्य को छोड़कर स्वयं अपने हाथो से करेंगे। जीवन में एक बात गाँठ बाध ले “परिश्रम जीवन है, आलस्य मरण है।“

( परीक्षा उपयोगी और महत्वपूर्ण निबंध पढ़ने के लिए यहाँ click करे )

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We are thankful to Alpana ji for sending such useful essay on Hard Work. Alpana ji is an experienced consultant with a demonstrated history of working in the higher education industry.

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4 thoughts on “ परिश्रम पर निबन्ध : जीवन में परिश्रम का महत्व (Importance of Hard Work in Hindi) ”

very nice article keep it up

Aapka yah post kafi achha laga aapne bahut hi badhiya nibandh ko aapne share kiya hain dhnyabad.

Bahut hi sunder. Par aaj ke time me hard work nahi smart work ka jamaana hai. par ha parishram karne ka fal to jarur hi milta hai chaahe wo deri se hi kyo na mile. Bahut hi acha topic chuna h aapne kahaani likhne ke liye.

सुंदर व् सटीक निबंध

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  • Education /

Importance of Hard work in Hindi : सफलता की एक मात्र कुंजी है परिश्रम

essay on hard work in hindi

  • Updated on  
  • दिसम्बर 20, 2023

Importance of Hard Work in Hindi

हम अपने बड़ों, शिक्षकों यहां तक परिवार में भी सुनते आए हैं कि मेहन सफलता की एक मात्र कुंजी है। यह वाक्य इस बात का प्रमाण है कि अगर आप अपनी मंजिल के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं, राह में आने वाले नए चैलेंज के सामना कर रहे हैं और अपने लक्ष्य पर फोकस हैं तो आपको सफलता जरूर मिलेगी। कई बार कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिलती इसका सिर्फ इतना ही मतलब होता है कि वह लक्ष्य और ज्यादा मेहनत मांग रहा है परंतु आपने उतनी मेहनत नहीं की है। अगर आप भी मेहनत का महत्व जानना चाहते हैं तो इस ब्लॉग में Importance of Hardwork in Hindi के बारे में विस्तार से जान सकते हैं।

This Blog Includes:

स्मार्ट वर्क या हार्ड वर्क, importance of hardwork in hindi: अपने लक्ष्य को दृष्टि में रखें , एडवांस में अपने कार्यों की योजना बनाएं, consistency, सुस्त व्यवहार के लिए नहीं कहो , एक अनुशासित दिनचर्या बनाएँ, आशावादी बने रहें, परिश्रम का महत्व, रंजीत रामचंद्रन की कड़ी मेहनत, कुछ hindi hard work quotes in hindi में, importance of hardwork in hindi पर निबंध 250 शब्द में.

एक केंद्रित और परिश्रमी रवैये के साथ अपने लक्ष्यों की दिशा में काम करना अभिन्न है, लेकिन उन्हें साकार करने के लिए कुशल तरीकों की खोज करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यह वह जगह है जहाँ स्मार्ट वर्क काम आता है। जबकि यह सच है कि Importance of Hard work in Hindi सफलता की कुंजी है, स्मार्ट वर्क का लक्ष्य अपने गोल को पूरा करने के लिए नवीन तरीके और तकनीके तलाशना है। हार्ड वर्क या स्मार्ट वर्क के बीच के अंतर को समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए कि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे हैं, आप हर दिन तैयारी के लिए लगभग 8-10 घंटे समर्पित कर रहे हैं। लेकिन अगर आप अलग-अलग अवधारणाओं को तोड़-मरोड़ रहे हैं और कुशलता से उन्हें याद नहीं कर रहे हैं और अलग-अलग तरकीबों का इस्तेमाल करके उन्हें लंबे समय तक याद रख रहे हैं, तो आपके द्वारा समर्पित किए गए कीमती घंटे बर्बाद हो सकते हैं। इस प्रकार, समय बचाने के प्रभावी तरीकों का पता लगाना और इसे उन जगहों पर रखना जहाँ आप अतिरिक्त प्रयासों को समर्पित कर सकते हैं, आपको कम समय में अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं और स्मार्ट वर्क से हार्ड वर्क कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें : अच्छे विद्यार्थी के 10 गुण

Importance of Hardwork in Hindi या Parishram in Hindi

जबकि सभी को अच्छी तरह से ज्ञात मंत्र पता है कि Importance of Hardwork in Hindi सफलता की कुंजी है, ऐसे कुछ कारक हैं जिन्हें आपको अपने प्रयासों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए ध्यान में रखना चाहिए। सफल होने के लिए हार्ड वर्क कैसे करें? नीचे हमने इनमें से कुछ कारकों को सूचीबद्ध किया है, जो आपके प्रयासों में मदद कर सकते हैं।

सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात जो आपको ध्यान में रखने की ज़रूरत है, वह है लक्ष्य जिसे आपने अपने लिए निर्धारित किया है। हालांकि, ऐसे विक्षेप हो सकते हैं जो जीवन की अनिश्चितता के साथ आ सकते हैं। आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आप अपने लक्ष्य का लगातार पीछा कर रहे हैं, भले ही वे केवल छोटे कदम हों। 

अपने लम्बे समय और साथ ही कम समय वाले लक्ष्यों को सूचीबद्ध करने के साथ शुरू करें। फिर, अपने द्वारा निर्धारित प्रत्येक लक्ष्य के लिए अपनी योजना का ड्राफ्ट तैयार करना शुरू करें। आपके अल्पकालिक लक्ष्य आपको तुरंत संतुष्टि प्रदान करेंगे, वे आपको अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए सही आत्मविश्वास और मार्गदर्शन भी प्रदान करेंगे। इसके अलावा, अपने हर लक्ष्य के लिए Importance of Hard Work मंत्र को लागू करते हुए, समय के आधार पर अपनी प्रगति की समीक्षा (परीक्षण) करना न भूलें, जो आपके आकलन का लक्ष्य पूरा करने की दिशा में आपके द्वारा किए जा रहे प्रयासों की गणना करने में मदद करेगा।

Consistency का मतलब है कि आप लगातार कुछ न कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं चाहे कितनी बार आपको निराशाओं और असफलताओं का सामना करना पड़ा हो। इसलिए, सफलता पाने के लिए अपने रास्ते पर, आपको लगातार और दृढ़ रहने की आवश्यकता है, भले ही इसका मतलब है कि आप अपने रास्ते पर बड़ी संख्या में आ रहे हैं। Importance of Hard Work in Hindi के आदर्श वाक्य में विश्वास करते हैं और याद रखें कि चमकने के लिए, आपको यह महसूस करने की आवश्यकता है कि हर असफलता यह परीक्षण करेगी कि आप कितने मजबूत हैं और आप एक बुरे दौर से कितना पीछे हट सकते हैं और यह अंततः आपको एक दृढ़ और अथक व्यक्ति में बदल देगा। 

यह भी पढ़ें : Importance of Value Education (मूल्य शिक्षा का महत्व)

सफलता का पहला नियम यह है कि एक मिनट की नींद छोड़ दें जो कि हम अक्सर स्नूज़ पर अलार्म लगाने के बाद करते हैं। आपको यह समझने की आवश्यकता है कि आलसी होने से आपको कहीं भी कुछ नहीं मिलेगा। आप जितने चाहें उतने बहाने बना सकते हैं लेकिन दिन के अंत में, आप हमेशा उस समय का सदुपयोग कर सकते हैं जो आपने बेकार काम पर बर्बाद कर दिया है। और अगर इसे संगठनात्मक स्तर पर देखने की बात आती है, तो विशेष रूप से सुस्त व्यवहार से बदतर कुछ भी नहीं है। यह संभावित रूप से अक्षमता को जन्म दे सकता है। इसलिए, केवल वे जो अपने उद्देश्यों का सक्रिय रूप से पीछा कर रहे हैं, उन्हें Importance of Hardwork in Hindi की पुरानी कहावत की वास्तविक अनिवार्यता का एहसास होगा। 

अपनी कड़ी मेहनत को सफलता में बदलने का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है कि आप जो भी लक्ष्य पूरा करना चाहते हैं उसके प्रति अनुशासन प्रकट करें। अपने लक्ष्यों की योजना बनाकर, आप उन्हें सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए एक अनुशासित दृष्टिकोण बना सकते हैं। अनुशासन आपको विशिष्ट समय अवधि के भीतर अपने लक्ष्य को महसूस करने में भी मदद करेगा और इस प्रकार बेहतर लक्ष्यों की दिशा में आगे काम करेगा और जीवन में और अधिक प्राप्त करेगा!

एक कड़ी मेहनत करने वाले व्यक्ति के रूप में, आपको अपने लिए निर्धारित लक्ष्य बनाने के लिए सकारात्मक और आशावादी होना चाहिए। सफलता की कोई राह आसान नहीं है और आप कई बाधाओं का सामना करेंगे जो आपको अपनी योजनाओं से दूर करने की कोशिश कर सकती हैं लेकिन एक आशावादी दृष्टिकोण रखते हुए, आप उन बाधाओं को अवसरों में बदल पाएंगे। इस प्रकार बेहतर और अधिक दृढ़ बनें। आशावादी बने रहने के लिए, आप अपने जीवन में ध्यान को लागू कर सकते हैं, योग का अभ्यास कर सकते हैं या अपनी नीरस दिनचर्या में जितना हो सके सकारात्मकता लाने के अपने तरीके खोज सकते हैं!

परिश्रमी व्यक्ति किसी भी देश की अनमोल धरोहर होती है। वह किसी भी कार्य को पूरी लगन और मेहनत से करता है। मनुष्य के जीवन में परिश्रम बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा करता है। परिश्रम के बिना मनुष्य की गाड़ी रुक जाएगी वह कुछ भी नहीं कर पाएगा। मनुष्य अगर परिश्रम करना छोड़ दे तो वह अपना खाना-पीना, उठना- बैठना भी संभव नहीं हो पाएगा। अगर मनुष्य परिश्रम न करे तो उन्नति और विकास की कभी कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। आज के समय में जितने भी देश उन्नति और विकास के स्तर पर इतने ऊपर पहुंच गये हैं वे भी परिश्रम के कारण ही इस ऊंचाई पर पहुंचे हैं।

परिश्रम का दूसरा अर्थ है विकास और नई रचना। परिश्रम के बल पर आज बहुत से देश आज विकास के शिखर पर पहुंच रहे हैं। परंतु परिश्रम के लिए सही दिशा भी बेहद जरूरी होता है। बिना दिशा के किए गए परिश्रम का कोई मोल नहीं होता न ही उसका कोई रिजल्ट निकलता है। आज मनुष्य ने परिश्रम से अपने जीवन को विकास के शिखर पर पहुंचा लिया है। परिश्रम के बिना किसी भी इंसान का जीवन एक प्रकार से विनाश है।

कड़ी मेहनत की सही परिभाषा को जानने के लिए आप सभी को एक बार रंजीत रामचद्रंन की कहानी जरूर पढ़नी चाहिए तो चलिए इस Importance of Hardwork in Hindi के इस ब्लॉग में आपको एक ऐसी कहानी सुनाते है जो आपको कड़ी मेहनत के लिए मजबूर कर देगी।

28 वर्षीय रंजीत रामचंद्रन ने फेसबुक पर अपनी पोस्ट से जैसे खलबली मचा दी। इस पोस्ट में थी रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी। उनके पोस्ट के बाद लोगों का ध्यान खींचा जिसमें लिखा था कि  ” एक आईआईएम प्रोफेसर का जन्म यहां हुआ था ।”  पोस्ट में उसकी झोपड़ी की तस्वीर थी जो टपकती हुई बारिश के पानी को रोकने के लिए तिरपाल शीट से ढकी हुई थी। पोस्ट में यह भी विवरण था कि कैसे उसने अपने सपने को हासिल करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। आज भी हम में से कई लोग हैं जो गरीब परिवार से होने के बाद भी ऊंचाइयों तक पहुंचने का सपना देखते हैं और संघर्ष की मिसाल कायम करते हैं। इसी प्रकार रंजीत रामचंद्रन ने भी अपने संघर्ष को दुनिया के सामने जाहिर किया तथा बतायी रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी।आईआईएम प्रोफेसर रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी और जानने के लिए पढ़ना जारी रखें- झोपड़ी से आईआईएम प्रोफेसर बनने तक रंजीत रामचंद्रन की संघर्ष की कहानी

 एक सपना किसी चमत्कार से सच नहीं बनता है; यह पसीना, दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत लेता है। कॉलिन पॉवेल
 ज्यादातर लोग अवसर गँवा देते हैं क्योंकि ये चौग़ा पहने हुए होता है और काम जैसा दिखता है | Thomas A. Edison
मैं  बहानो में विश्वास नहीं  करता मैं  जीवन  की  समस्याओं  को  सुलझाने  के  लिए  कठिन परिश्रम  को  प्रमुख  कारक  मानता हूँ । जेम्स कैश पेनी
मेरा  विचार  है  कि  मुझे  जो भी सफलता मिली  है उसके पीछे जो मेरी सबसे बड़ी विशेषता  रही  है  वो  है  कठिन  परिश्रम .सचमुच , कठिन  परिश्रम का  कोई विकल्प नहीं  है।- मरिया बर्टीरोमोअगर कड़ी मेहनत इतनी अद्भुत चीज होती तो निश्चित रूप से अमीर उसे अपने पास ही रखते।  जोसेफ  किर्कलैंड
ये  सच  है  कि  कड़ी  मेहनत  ने  कभी  किसी  की  जान नहीं ली  , पर  मुझे  लगता  है  कि  खतरा  क्यों  उठाया  जाए ।
किसी  को  कोई  भी  मिलने  योग्य चीज  बिना  कड़ी  मेहनत के नहीं  मिलती।
आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत, असफलता नामक बिमारी को मारने के लिए सबसे बढ़िया दवाई है। ये आपको एक सफल व्यक्ति बनाती है।
कड़ी मेहनत के बिना जीवन हम मनुष्यों को कुछ भी नहीं देता।

Importance of Hardwork in Hindi पर 250 शब्दों में निबंध।

किसी व्यक्ति की सफलता में परिश्रम का बहुत बड़ा योगदान होता है। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। इतिहास उठाकर देखें तो पता चलता है कि सफलता पाने के लिए सही दिशा में किया जाने वाला परिश्रम कितना जरूरी है।

परिश्रम की परिभाषा

परिश्रम को यदि आसान शब्दों में कहा जाए तो यह कहा जा सकता है कि किसी काम को करने में हमारे द्वारा किया जाने वाला श्रम ही परिश्रम कहलाता है। हर व्यक्ति कुछ न कुछ परिश्रम जरूर करता है लेकिन मायने है कि कौन कम परिश्रम करता है और कौन ज्यादा। परिश्रम की मात्रा यह तय करती है कि हम कितना जल्दी सफल हो पायेंगे। हम जितना अधिक परिश्रम करेंगे, सफलता मिलने में उतना ही कम वक्त लगेगा।

परिश्रम के प्रकार

परिश्रम दो प्रकार के होते हैं। जिसके बारे में आपको जान लेना चाहिए। 

  • वह परिश्रम जिसमें हम अपनी शारीरिक अंगों का उपयोग करते हैं शारीरिक परिश्रम कहलाता है। शारीरिक परिश्रम आमतौर पर मजदूर वर्ग के लोग सबसे अधिक करते हैं।
  • दूसरा होता है मानसिक परिश्रम, जिसमें हम अपनी मानसिक एवं बौद्धिक क्षमताओं का उपयोग करते हैं। मानसिक परिश्रम, शारीरिक परिश्रम की तुलना में ज्यादा कीमती होता है।

किसी भी नई चीज के निर्माण में शारीरिक और मानसिक परिश्रम दोनों करना पड़ता है। पहले मानसिक परिश्रम किया जाता है उसके बाद उसे वास्तविक रूप देने के लिए शारीरिक परिश्रम किया जाता है।

परिश्रम नहीं करेंगे तो जीवन पशु के समान हो जाएगा। एक पशु भी अपने भोजन के लिए परिश्रम करता है। यदि हम भी सिर्फ इतने के लिए ही परिश्रम करेंगे तो फिर हममें और जानवर में क्या अंतर रह जाएगा।

उत्तर: परिश्रम का महत्व: परिश्रम का बहुत अधिक महत्व होता है। जब मनुष्य के जीवन में परिश्रम खत्म हो जाता है तो उसके जीवन की गाड़ी रुक जाती है। अगर हम परिश्रम न करें तो हमारा खुद का खाना-पीना, उठना-बैठना भी संभव भी नहीं हो पायेगा।

उत्तर: मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है| सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है। वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सड़क बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है।

उत्तर: वह कार्य जिसमें शारीरिक या मानसिक ऊर्जा खर्च को उसे परिश्रम करते हैं।

उत्तर: परिश्रम कामधेनु है जिससे मनुष्य की सब इच्छाएँ पूरी हो सकती हैं। मनुष्य को मरते दम तक परिश्रम का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। जो परिश्रम के वक्त इन्कार करता है, वह जीवन में पिछड़ जाता है।

उत्तर: परिश्रम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता मिलती है। परिश्रम करने वाला मनुष्य सदा सुखी रहता है। उसे मन-ही-मन प्रसन्नता रहती है कि उसने जो भी भोगा, उसके बदले उसने कुछ कर्म भी किया।

इस प्रकार, जितना यह सच है कि Importance of Hardwork in Hindi सफलता की कुंजी है, अपने सपनों को साकार करने के लिए पेशेवर मार्गदर्शन प्राप्त करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इसी तरह के अन्य  निबंध से सम्बंधित ब्लॉग्स  पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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परिश्रम ही सफलता की कुंजी है निबंध। Essay on Importance of Hard Work

परिश्रम सफलता की कुंजी है निबंध। Essay on Importance of Hard Work : परिश्रम उस प्रयत्न को कहा जाता है जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। परिश्रम ही मानव की उन्नति का एकमात्र साधन है। परिश्रम के द्वारा हम वे सभी वस्तुएं प्राप्त कर सकते हैं जिनकी हमें आवश्यकता है। इसके द्वारा कठिन से कठिन कार्य को भी संभव बनाया जा सकता है। एक प्राचीन कहावत है की जो मनुष्य अपने पुरुषार्थ पर यकीन रखकर अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मन, वचन और कर्म से कठिन परिश्रम करता है, सफलता उसके कदम चूमती है। परिश्रम के द्वारा मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।

परिश्रम सफलता की कुंजी है निबंध। Essay on Importance of Hard Work

परिश्रम सफलता की कुंजी है निबंध

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Sunday, November 17, 2019

निबंध : परिश्रम का महत्व - essay on importance of hard work in hindi, essay on importance of hard work  निबंध : परिश्रम का महत्व मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। परिश्रम मानव जीवन का वह हथियार है जिसके बल पर वह भारी से भारी संकटों पर भी जीत हासिल कर सकता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है। विश्व में कोई भी कार्य बिना परिश्रम के सफल या संपन्न नहीं हो सकता। इसलिए ऐसा कहा गया है कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है वह सदैव दु:खी और दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है। जीवन की दौड़ में परिश्रम करनेवाला हमेशा विजयी होता है लेकिन आलसी लोगों को हमेशा हर जगह पर हार का मुँह देखना पड़ता है। ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो। इसलिए हमें परिश्रमशील और कर्मठ बनना चाहिए। परिश्रम करके हम अपने भाग्य को भी बदल सकते हैं। श्रम से ही उन्नति और विकास का मार्ग खुल सकता है।  जीवन में कुछ लोग केवल अपने भाग्य पर निर्भर होते हैं। ऐसे लोग परिश्रम की जगह भाग्य को बहूत अधिक महत्व देते हैं। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य के भरोसे रहना जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य मनुष्य के जीवन लिए एक अभिशाप है, जो उन्हें परिश्रम करने से हमेशा रोकता रहता है। इसलिए हमें भाग्य के भरोसे न रहकर कठिन परिश्रम करके जीवन में सफलता रास्ता चुनना चाहिए। परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को बदल सकता है। जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे चरित्रवान, ईमानदार और स्वावलम्बी होते हैं। मजदूर भी परिश्रम से ही संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करता है। वह संसार के लिए सड़क, भवन, मशीन और बाँध (डैम) इत्यादि का निर्माण करता है। अगर हम अपने जीवन, अपने देश और राष्ट्र की उन्नति देखना चाहते हैं तो हम सभी को भाग्य पर निर्भर रहना छोडकर परिश्रमी बनना होगा। सच्ची लगन और निरंतर परिश्रम से सफलता हमें अवश्य मिलती है। निरंतर परिश्रम करने वाला व्यक्ति कोई भी क्षेत्र में आसानी से सफलता पा सकता है। जीवन में सफलता पाने के लिए लगन और कठिन परिश्रम अति आवश्यक है। you can visit our youtube channel :   www.youtube.com/silentcourse you can visit our facebook page    :   www.facebook.com/silentcourse, no comments:, post a comment, 28 फरवरी ➤ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस - national science day.

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Importance Of Hard Work In Hindi

जीवन में मेहनत करना क्यों जरुरी है | Importance Of Hard Work In Hindi

एक सपना तब तक जादू से हकीकत नहीं बन सकता, जब तक इसमें पसीना, दृढ संकल्प और कड़ी मेहनत ना लगी हो। — Anonymous

दोस्तों यह ब्लॉग ( Importance Of Hard Work In Hindi ) आपके शैक्षिक उद्देश्य को तो पूरा करेगा ही इसके अलावा यह ब्लॉग आपको जीवन में और ज्यादा मेहनत करने के लिए भी प्रेरित करेगा। इसलिए आपसे मेरी एक प्रार्थना है की इस ब्लॉग को आप सिर्फ शैक्षिक उद्देश्य के लिए ही न पढ़ें, बल्कि इससे कुछ सीख भी लें। इसकी सीख आपको पूरी उम्र काम आने वाली है।

Table of Contents

परिश्रम करना क्यों जरुरी है ? ( Importance Of Hard Work In Hindi )

कर्म ही जीवन है और बिना कर्म जीवन पशु के समान है। कर्म यानी काम। दैनिक जीवन में होने वाली गतिविधियों और जीवन यापन के लिए कर्म करना अत्यंत आवश्यक है। कर्म के अभाव में जीवन की कल्पना करना भी असंभव है। हर कर्म का आधार है परिश्रम यानी मेहनत। हर छोटे काम को करने के लिए कुछ ना कुछ मेहनत तो करनी ही पड़ती है। यहां तक कि आपको अपने आगे रखे भोजन को खाने के लिए भी मेहनत करनी पड़ती है। 

प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि-मुनियों ने परिश्रम के महत्व पर जोर दिया है और हमारे प्राचीन ग्रंथों में परिश्रम के महत्व पर विस्तार से लिखा गया है। केवल हमारे प्राचीन ग्रंथों में ही नहीं, बल्कि विश्व साहित्य की किसी भी किताब को उठाकर देखेंगे तो हमें परिश्रम के महत्व की झलक मिल ही जाएगी।

दुनिया की किसी व्यक्ति को अगर सफलता प्राप्त करनी है तो उसके लिए परिश्रम करना अनिवार्य है। परिश्रम वह एकमात्र हथियार है जो हर चीज के पार जाता है। किसी महान व्यक्ति ने कहा भी है कि ‘ परिश्रम ही सफलता की कुंजी है ‘ जो लोग मेहनत करते हैं वे एक न एक दिन सफल हो ही जाते हैं। सफलता प्राप्ति के लिए आपको खुद को मेहनत की आग में तपाना पड़ता है। परिश्रम की आग में तप कर व्यक्ति सोने की तरह चमकदार हो जाता है।

मेहनती व्यक्ति हमेशा अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहता है। अपने लक्ष्य प्राप्ति के रास्ते पर चलते हुए परिश्रमी व्यक्ति मार्ग में आने वाली सभी मुसीबतों का सामना धैर्य से करता है और सभी बाधाओं को पार करके अपनी मंजिल तक पहुंच जाता है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि ‘ उद्यमेन ही सिध्यंति कार्याणि ना मनोरथे ‘ अर्थात किसी भी कार्य की सिद्धि इच्छा करने से नहीं बल्कि परिश्रम करने से होती है।

परिश्रम के कितने प्रकार हैं ? ( Types Of Hard Work For Students )

श्रम यानी परिश्रम दो तरह का होता है शारीरिक श्रम और मानसिक श्रम। शारीरिक श्रम से अभिप्राय उस श्रम से है जिसमें हम अपने शरीर से कोई काम करते हैं जैसे वजन उठाना, भागना, दौड़ना आदि। जबकि मानसिक श्रम का अभिप्राय उस श्रम से है जिसमें हम अपने दिमाग से कोई काम करते हैं जैसे कैलकुलेशन करना, निर्णय लेना, पढ़ना आदि। दोनों ही श्रम का अपना-अपना महत्व है। एक तरफ जहां फैक्ट्रियों और कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को शारीरिक श्रम करना पड़ता है। वहीं डॉक्टरों, शिक्षकों, वकीलों व वैज्ञानिकों को मानसिक श्रम करना पड़ता है।

शारीरिक श्रम का क्या महत्व है ? ( Importance Of Physical Hard Work  )

हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए परिश्रम करना बहुत आवश्यक है। बिना शारीरिक परिश्रम किए हमारा शरीर आलसी और कमजोर हो जाता है, बिना परिश्रम के हमारा शरीर अकर्मण्य हो जाता है और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है। जिसकी वजह से हमें बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। 

जबकि शारीरिक श्रम करने से हमारा शरीर मजबूत बनता है। हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता जितनी मजबूत होगी बीमारियों से लड़ने की हमारी क्षमता उतनी ही मजबूत होगी और बीमारियां होने का खतरा उतना ही कम होगा। शारीरिक परिश्रम करने के बाद हमारा शरीर थक जाता है जिसकी वजह से हमें भूख लगती है और नींद भी अच्छी आती है। नींद के दौरान हमारा शरीर नई कोशिकाओं का निर्माण करता है, जिससे हमारा शरीर तेजी से विकास करता है।

मानसिक श्रम का क्या महत्व है ? | Importance of mental hard work

मानसिक श्रम का भी उतना ही महत्व है जितना कि शारीरिक श्रम का। लोग परिश्रम का अर्थ केवल शारीरिक श्रम को ही समझते हैं, जबकि यह सच नहीं है। शरीर जितना शारीरिक श्रम से थकता है उतना ही मानसिक श्रम से भी थक जाता है। एक तरफ जहां शारीरिक श्रम करने से आपका शरीर मजबूत होता है वहीं दूसरी तरफ मानसिक श्रम करने से आपका दिमाग मजबूत होता है। जब हमारा दिमाग मजबूत होता है तो हम ऐसे निर्णय जिनमें ज्यादा दिमाग लगाने की आवश्यकता है जल्दी और सही से ले पाते हैं, हमें चीजें जल्दी याद हो जाती है, कठिन से कठिन गणना भी हम चुटकियों में कर लेते हैं।

आज दुनिया में हम जो कुछ भी देख रहे हैं वह किसी न किसी व्यक्ति की मेहनत का ही नतीजा है। अगर थॉमस अल्वा एडिसन ने मेहनत ना की होती तो आज बल्ब का आविष्कार ना हुआ होता। अगर राइट बंधुओं ने मेहनत ना की होती तो हवाई जहाज का आविष्कार नहीं होता और ऐसे ही लाखों अन्य आविष्कार है जो मेहनत के परिणाम स्वरुप ही संभव हो पाए हैं। 

यह इंजीनियरों की मेहनत का ही परिणाम है कि उन्होंने समुंदर के बीच में भी पुल बना दिए हैं, लंबी-लंबी सड़के बनाई हैं और बड़े-बड़े समुद्री पोत बनाए हैं। यह डॉक्टरों की मेहनत का ही परिणाम है कि आज हर बीमारी का इलाज संभव है। आज यह संभव है कि एक व्यक्ति के दिल को दूसरे व्यक्ति के शरीर में लगाया जा सकता है। यहां तक कि मेडिकल क्षेत्र में इतनी तरक्की हो चुकी है कि आज डॉक्टर शारीरिक संरचना के साथ-साथ हमारी दिमागी संरचना को भी समझने में सक्षम हो गए हैं। 

यह हमारे शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की मेहनत का ही परिणाम है कि हमारी दूसरे ग्रहों तक भी पहुंच संभव हो पाई है, हम तारों की गणना कर सकते हैं, मौसम का अनुमान लगा सकते हैं और एक जगह बैठे ही पूरी दुनिया की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह सब इंसान की कठोर मेहनत का ही परिणाम है।

आज इंसान सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और औद्योगिक रूप से इतनी तरक्की कर पाया है तो यह सब कुछ उसकी कठोर मेहनत के परिणाम स्वरुप ही संभव हो पाया है। अक्सर जीवन में वही लोग सफल होते हैं जो लगातार मेहनत करते रहते हैं।

विद्यार्थी जीवन में परिश्रम का क्या महत्व है ? ( Importance Of Hard Work In Student Life )

वैसे तो जीवन के प्रत्येक स्तर पर परिश्रम की आवश्यकता होती है। लेकिन विद्यार्थी जीवन में परिश्रम का महत्व और भी बढ़ जाता है। विद्यार्थी जीवन, जीवन का वह दौर होता है जब एक बच्चा उत्साह और उमंग से भरा होता है। जीवन के इस दौर में व्यक्ति का दिमाग नई नई चीजों को सीखने के लिए ज्यादा तत्पर रहता है। अगर एक विद्यार्थी के रूप में व्यक्ति इस समय परिश्रम नहीं करता और अपना यह अनमोल समय मौज मस्ती है और आलस्य में निकाल देता है तो वह जीवन में कभी सफल नहीं हो पाता। 

जबकि दूसरी तरफ यदि वह विद्यार्थी जीवन में मेहनत और परिश्रम से अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर रहता है तो वह एक ना एक दिन सफलता को हासिल कर लेता है। कड़ी मेहनत सफलता की कुंजी है और जीवन के प्रत्येक स्तर पर परिश्रम की आवश्यकता होती है। जब विद्यार्थी जीवन में ही परिश्रम करने की आदत बन जाती है तो यह आदत पूरी उम्र उसका साथ देती है और वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ता जाता है।

क्या परिश्रम जीवन का आधार है ? ( Hard Work Is The Basis Of Life )

essay on hard work in hindi

एक व्यक्ति को सुखी और समृद्ध जीवन जीने के लिए परिश्रम करने की आवश्यकता होती है। बिना परिश्रम किए सफलता को हासिल करना लगभग नामुमकिन है। वर्तमान में हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा इतनी तेजी से बढ़ रही है कि आप बिना परिश्रम किए कहीं भी टिक नहीं पाओगे। परिश्रम ही सुखी जीवन का आधार है। बिना परिश्रम के एक दिन निकालना भी मुश्किल हो जाता है। आपको खाना खाने के लिए भी मेहनत करनी पड़ती है। अगर हम दैनिक जीवन के इन छोटे छोटे कार्यों को देखेंगें तो हम पाएंगे कि हर छोटे से छोटे कार्य के पीछे भी मेहनत छिपी होती है।

Hard Work Pays Off Meaning In Hindi

“ Hard Work Pays Off Meaning In Hindi ” का अर्थ है की “कठिन परिश्रम का फल मिलता है”।

इस कहावत का अर्थ है कि यदि आप कड़ी मेहनत और बहुत प्रयास करते हैं, तो अंततः आपको इसका फल मिलेगा। यह एक अनुस्मारक है कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है, और सफलता दृढ़ता और समर्पण के माध्यम से प्राप्त की जाती है। कहावत “ Hard Work Pays Off ” एक सार्वभौमिक सत्य है जो जीवन के सभी पहलुओं पर लागू होता है। यह एक अनुस्मारक है कि यदि हम काम करने के इच्छुक हैं, तो हम वह सब कुछ हासिल कर सकते हैं जिसके लिए हम ठान लें।

परिश्रम करने के क्या फायदे हैं ? ( Benefits of Working Hard )

  • कड़े परिश्रम के दम पर दुनिया की किसी भी चीज को हासिल किया जा सकता है। चाहे वह धन दौलत हो, पैसा हो, शोहरत हो या फिर खुशी।
  • परिश्रम करने से शरीर चुस्त रहता है, दिमाग तरोताजा हो जाता है। जबकि दूसरी तरफ जो लोग मेहनत नहीं करते और पूरा दिन आलस्य में ही निकाल देते हैं तो बहुत सी बीमारियां उन्हें घेर लेती हैं।
  • शारीरिक परिश्रम से हमारा शरीर मजबूत होता है। जबकि मानसिक परिश्रम करने से हमारा दिमाग मजबूत होता है। इसलिए शारीरिक स्फूर्ति और मजबूती के लिए परिश्रम करने की सलाह दी जाती है।
  • परिश्रमी व्यक्ति जीवन में कभी असंतुष्ट नहीं होता क्योंकि जो उसे चाहिए होता है वह उसे अपनी मेहनत से हासिल कर लेता है।
  • परिश्रमी व्यक्ति के पास सुख सुविधा की सभी चीजें मौजूद रहती है इसलिए वह हमेशा खुश रहता है।

परिश्रम ना करने के क्या नुकसान हैं ? ( Disadvantages Of Not Working Hard )

  • आलसी व्यक्ति या जो परिश्रम करने से बचते हैं वह जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते। वे जीवन में छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहते हैं।
  • शारीरिक परिश्रम ना करने वाले या आलसी व्यक्ति हमेशा बीमारियों से घिरे रहते हैं। शारीरिक परिश्रम ना करने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है जिसकी वजह से उनका शरीर बीमारियों का घर बन जाता है।
  • आलसी व्यक्ति हमेशा परिश्रम करने वाले व्यक्तियों से पिछड़ जाते हैं। जिसकी वजह से वे परिश्रम करने वालों से चिड़ते हैं और हमेशा उनको ताने मारते रहते हैं।
  • आलसी व्यक्ति हमेशा भाग्य के भरोसे रहता है और हमेशा यही सोचता रहता है कि अगर यह मेरे भाग्य में होगा तो मुझे मिल ही जाएगा। इसी गलत अवधारणा के कारण वह हमेशा साधारण और गरीबी में जीवन यापन करता रहता है।
  • आलसी व्यक्ति हमेशा आज का काम कल पर टाल देता है। जिसके कारण लोग उस पर भरोसा नहीं करते। लोगों की उसके प्रति यह अवधारणा बन जाती है कि यह व्यक्ति कभी अपना काम समय पर नहीं करता।

हार्ड वर्क पर हिंदी कहानी ( Hard Work Is The Key To Success Story )

एक बार की बात है, एक छोटे से शहर में जैक नाम का एक युवा लड़का रहता था। वह अपने दृढ़ संकल्प और अटूट विश्वास के लिए जाना जाता था। उसका विश्वास था कि कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है। जेक का परिवार अमीर नहीं था, लेकिन उन्होंने छोटी उम्र से ही उसमें दृढ़ता और परिश्रम के संस्कार डाले।

जैसे-जैसे जेक बड़ा होता गया, उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अपनी परिवार की ग़रीब हालातों को देखते हुए बचपन से ही जैक का सपना था की वह जीवन में कुछ बड़ा करेगा। हालाँकि उनका स्कूल का काम अक्सर कठिन होता था और उन्हें अपने सहपाठियों के साथ तालमेल बिठाने मे भी कठिनाई होती थी। लेकिन जैक ने ख़ुद को निराश होने से इनकार कर दिया और उसने दिन रात मेहनत करना शुरू कर दिया। जैक ने दिन के कई कई घंटे पढ़ाई में बिताए, उसने शिक्षकों से मदद मांगी और जीवन में कुछ बड़ा करने के अपने सपने को कभी नहीं छोड़ा।

जब वह हाई स्कूल पहुंचा, तो जेक का समर्पण रंग लाया। वह अपनी कक्षा में शीर्ष छात्रों में से एक बन गया। उनके शिक्षक और सहकर्मी उनके परिवर्तन से आश्चर्यचकित थे, और वे अक्सर उनसे उनकी सफलता के रहस्य के बारे में पूछते थे। जेक का उत्तर हमेशा एक ही होता था: “ कड़ी मेहनत और कभी हार न मानना ।”

जैसे-जैसे ग्रेजुएशन नजदीक आया, जेक ने एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में दाखिला लेने की सोची। हालाँकि, वित्तीय बोझ असहनीय लग रहा था। निडर होकर, उन्होंने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया, अंशकालिक नौकरियां कीं और यहां तक कि गुजारा करने के लिए एक छोटा ट्यूशन व्यवसाय भी शुरू किया। उसे अपने छोटे छोटे ख़र्चों के लिए भी बहुत मेहनत करनी पड़ती थी, लेकिन वह कभी भी अपने लक्ष्य से नहीं भटकता था।

आख़िरकार, वह दिन आ गया जब जेक को अपने सपनों के विश्वविद्यालय से एक स्वीकृति पत्र मिला। यह विजय का क्षण था, उनके अटूट विश्वास का प्रमाण कि कड़ी मेहनत किसी भी बाधा को पार कर सकती है।

विश्वविद्यालय जीवन कठिन था, लेकिन जेक सफल हुआ। उन्होंने न केवल अपनी पढ़ाई में, बल्कि विभिन्न पाठ्येतर गतिविधियों में भी अथक परिश्रम करना जारी रखा। उन्होंने अपने समुदाय में स्वेच्छा से काम किया, अन्य छात्रों को सलाह दी और यहां तक कि नेतृत्व की भूमिका भी निभाई। उनके प्रयासों पर ध्यान दिया गया और वह जल्द ही परिसर में एक सम्मानित व्यक्ति बन गए।

स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद जेक को एक प्रतिष्ठित कंपनी में एक अच्छे पद पर नौकरी की पेशकश की गई। सीमित साधनों वाले एक छोटे शहर से एक सफल पेशेवर तक की उनकी यात्रा कड़ी मेहनत की शक्ति में उनके विश्वास का प्रमाण थी।

अपने पूरे करियर में, जेक को चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने उसी दृढ़ संकल्प के साथ उनका सामना किया जो उन्होंने अपने पूरे जीवन में दिखाया था। वह कभी भी अतिरिक्त प्रयास करने से नहीं कतराते थे और हमेशा सीखने और बढ़ने का प्रयास करते थे।

जैसे-जैसे साल बीतते गए, जेक कई युवा व्यक्तियों का गुरु बन गया। उन्होंने कड़ी मेहनत, दृढ़ता और अपने सपनों को कभी न छोड़ने के महत्व पर जोर देते हुए अपनी कहानी साझा की।

और इसलिए, कड़ी मेहनत की शक्ति में विश्वास करने वाले लड़के जेक की किंवदंती जीवित रही। उनकी कहानी अनगिनत अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बनी, उन्हें याद दिलाया कि समर्पण के साथ कुछ भी संभव है। जेक के लिए, सफलता केवल किसी के लक्ष्यों को प्राप्त करने के बारे में नहीं थी, बल्कि यात्रा और रास्ते में सीखे गए सबक के बारे में थी।

परिश्रम के महत्व पर हिंदी दोहे ( Hindi Quote On The Importance Of Hard Work )

श्रम ही ते सब होत है, जो मन सखी धीर। श्रम से खोदत कूप ज्यों। थल में प्रगटे नीर। अभिप्राय -: कबीर के इस दोहे के अनुसार परिश्रम करने से सब कुछ संभव हो जाता है। संत कबीर कहते हैं कि यदि मन में धीर यानी धीरज रख कर जमीन में कुआं खोदा जाए तो वहां पानी अवश्य निकलेगा।
जिन खोजा तिन पाइयां गहरे पानी पैठ। मैं बापुराव वुडन डरा रहा किनारे बैठ। अभिप्राय -: कबीर के इस दोहे के अनुसार जो व्यक्ति जीवन में परिश्रम करता है वह इस जीवन रूपी समुंदर से सफलता के मोती हासिल कर लेता है। लेकिन जो मेहनत करने से डरता है और जीवन रूपी समुंदर में उतरने से मना कर देता है वह इसे किनारे बैठा हमेशा पछताता रहता है।
उधम कभी न छोड़िए, पर आशा के मोद।  गागरी कैसे फोरिए, उन्हों देखी प्रयोद। अभिप्राय -: संत कविवर वृंद के इस दोहे के अनुसार व्यक्ति को भाग्य के भरोसे न बैठकर हमेशा मेहनत करते रहना चाहिए। अगर आकाश में घने बादलों को देखकर हम इस अनुमान में की बहुत सारा पानी बरसने वाला है, अपने घर में रखे पानी के घड़े को तोड़ देते हैं तो यह हमारी मूर्खता है। इस बात की आशा न करें कि भविष्य में अच्छा समय आएगा और इस अच्छे समय की अभिलाषा में हम अपने वर्तमान समय को भी व्यर्थ जाने दे।
करत करत अभ्यास के,  जड़मति होत सुजान। रसरी आवत जात है,  सिल पर पड़े निशान। अभिप्राय -: कविवर वृंद के इस दोहे के अनुसार लगातार परिश्रम करते रहने से एक मूर्ख व्यक्ति भी विद्वान बन जाता है। इसलिए मेहनत करने से ना घबराए। क्योंकि कुए में पड़ी रस्सी भी जब बार-बार आती जाती है तो पत्थर पर भी निशान बना देती है।
श्रम से ही सब कुछ होत है,  बिना श्रम मिले कुछ नाही।  सीधे उंगली घी जमो,  कबसू निकले नाही। अभिप्राय -: संत कबीर के इस दोहे के अनुसार इस संसार में परिश्रम के दम पर ही सब कुछ हासिल किया जा सकता है। बिना परिश्रम के कुछ भी हासिल करना लगभग असंभव है। जिस तरह जमे हुए घी को सीधी उंगली से नहीं निकाला जा सकता। उसी तरह परिश्रम के बिना भी जीवन में कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता।

Conclusion: Importance Of Hard Work In Hindi 

इस निबंध को पढ़कर शायद आप परिश्रम के महत्व को समझ गए होंगे। परिश्रम ही सच्चा धन है। परिश्रम के बल पर जीवन में कुछ भी हासिल किया जा सकता है। कड़ी मेहनत सफलता की कुंजी है। बिना मेहनत के आप सफलता हासिल करने के बारे में सोच भी नहीं सकते। परिश्रम जीवन का आधार है। बिना परिश्रम के जीवन की कल्पना करना लगभग असंभव है।

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कर्मजीत सिंह SuccessMatters4me के संस्थापक हैं। कर्मजीत पिछले 10 वर्षों से स्व-विकास ( Self Development ), व्यक्तिगत वित्त ( Personal Finance ) और निवेश ( Investment ) का अध्ययन कर रहे हैं और SuccessMatters4me चला रहे हैं। कर्मजीत का मिशन सरल है, दूसरों को अपने सपनों को जीने के लिए प्रेरित करना और वह व्यक्ति बनना जिसे देखकर दूसरे कह सके की “तुम्हारी वजह से, मैंने कभी हार नहीं मानी।”

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जीवन में परिश्रम का महत्व पर निबंध

जीवन में परिश्रम का महत्व importance of hard work essay in hindi.

प्रस्तावना : परिश्रम का जीवन में अत्यंत महत्व है। इसे जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता बतलाते हुए भर्तृहरि ने तो इसे जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता बतलाते हुए कहां है-

“उद्यमे नहि सिध्यंति कार्याणि ना मनोरथि :। न हीं सुप्तस्य सिहंसय, प्रविशन्ति मुखे मर्गा।।

अर्थात कोई भी कार्य केवल मनोरथ से ही पूरे नहीं हो जाते हैं। अपितु उनको पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी बहुत आवश्यक होती है सिंह के मुंह में पशु स्वम् प्रवेश नहीं कर लेते हैं इसके लिए तो सिंह को विशेष प्रयास करना ही पड़ता है।

श्रम का महत्व: श्रम का महत्व निश्चय ही असीमित है। परिश्रमी व्यक्ति संभव से संभव से असंभव से संभव कर सकते हैं। सर्वथा समर्थ होता हैं। इतिहास के आदिकाल से परिश्रम के महत्व को सभी स्वीकारते रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि श्रम से ना केवल लाभ प्राप्त होता है बल्कि सुयश भी। इससे सुख वैभव ओर आनंद प्राप्त होता ही है, साथ ही परिश्रमी व्यक्ति समाज और राष्ट्र की प्रगति का बहुत बड़ा आधार बन जाता है। उससे समाज राष्ट्र को अपेक्षित दिशा निर्देश और सहयोग प्रेरणा प्राप्त होती है। इस प्रकार हम आए दिन यह देखते हैं कि श्रम- साधक अपनी कठिन तप साधना के द्वारा मनवांछित यश और वैभव को प्राप्त करके अपने आसपास के समाज को प्रेरित करता है। जिस तरह एक निर्धन छात्र अपने घोर परिश्रम से न केवल परीक्षा में अव्वल अंकों को हासिल करता है, अपितु उच्चपद पर पहुँच करके अपने परिवार-समाज के मस्तक को भी ऊँचा करके सबका आदर्श बनता है।

सच्चा परिश्रमी व्यक्ति यदि असफल हो जाए तो उसे पश्चाताप नहीं होता उसके मन में इतना संतोष अवश्य रहता है कि उसमें जितनी अधिक शक्ति थी उसने उतना प्रयत्न किया उसका फल देना या ना देना तो ईश्वर के ऊपर था। मनुष्य का कर्तव्य तो केवल कार्य करना है परिश्रमी व्यक्ति के विपरीत आलसी व्यक्ति होता है। वह अपनी असफलता का दोष ईश्वर को देता है लेकिन वह नहीं समझ पाता है कि भाग्य भी परिश्रमी व्यक्ति का साथ देता है। ऐसा इसलिए कि भाग्य बिना परिश्रम के साथ नहीं देता इसलिए भाग्य तो पुरुषार्थ परिश्रम के अनुसार बनता है इस संदर्भ में कविवर श्रीरामधारी सिंह दिनकर ने स्पष्ट रूप में लिखा है।

” प्रकृति नहीं डरकर झुकती है, कभी भाग्य के बल से, सदा हारती वह मनुष्य के उधम से ,श्रम जल् से”।।

परिश्रम के विविध उदाहरण : इतिहास में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं जो इस बात के गवाह है कि परिश्रम से ही सफल होते है बाबार, शेर शाह नेपोलियन, सिकंदर आदि सभी आरंभ में सामान्य व्यक्ति ही थे। लेकिन अपने परिश्रम से उन्होंने बड़े -बड़े साम्राज्य खड़े कर दिए थे। इस प्रकार इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया। कोलंबस ने अपने कठोर और घोर परिश्रम की बदौलत ही अमेरिका की खोज की थी। शिवाजी की सफलता का रहस्य उनकी घोर परिश्रम शीलता ही थी। इसके विपरित उनका पुत्र संभाजी आलस के कारण ही असफल रहा। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सफलता का सेहरा परिश्रम शीलता ही थी। संपूर्ण आजादी की संदर्भ के फल स्वरुप हम भारतीयों ने सेकड़ो वर्षो की गुलामी की बेड़ी को खंड- खंड कर डाला।

तप तथा परिश्रम के कारण नछुष इंद्रासन का अधिकारी बना था। घोर परिश्रम अथवा तप के प्रभाव से रावण लंका का अधिपति, कालिदास विश्वकवि, मैडम क्यूरी तथा एडिशन महान वैज्ञानिक हुए और अब्राहम लिंकन अमेरिका का राष्ट्रपति बना विश्व के महान लेखकों , कवियों, वैज्ञानिको, आदि की सफलता का रहस्य भी उनकी घोर परिश्रम शीलता ही है। विशव के सात महान आशचर्य मनुष्य के अटूट परिश्रम के ही परिणाम है। अमेरिका, जापान, रूस, जर्मनी, आदि देशों की उन्नति की नींव अटूट परिश्रम ही है। मनुष्य की चंद्रमा सहित अन्य ग्रहों की यात्रा के मूल में उनके निरंतर परिश्रम ही है। इस तरह कठिन और बारंबार परिश्रम का ही यह फल है। इस तरह कठिन और बारंबार परिश्रम का ही यह फल है।

उपसंहार: जहां प्रगति है वहां परिश्रम है। दूसरे शब्दों में परिश्रम विकास का जनक है। परिश्रम से जी चुराने वाला कभी सुख को प्राप्त नहीं कर सकता है। वह तो भाग्य के सहारे रहते हुए और कुछ करना जानता ही नहीं है। वास्तव में श्रम ही सुखमय जीवन का आधार है। यही सर्जन की कुंजी है। जीवन की सच्चाई केवल परिश्रम है।

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परिश्रम का महत्व पर निबंध |Essay on the Importance of Hard Work in Hindi

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परिश्रम का महत्व पर निबंध |Essay on Importance of Hard Work in Hindi!

परिश्रम का मनुष्य के लिए वही महत्व है जो उसके लिए खाने और सोने का है । बिना परिश्रम का जीवन व्यर्थ होता है क्योंकि प्रकृति द्‌वारा दिए गए संसाधनों का उपयोग वही कर सकता है जो परिश्रम पर विश्वास करता है ।

परिश्रम अथवा कर्म का महत्व श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को गीता के उपदेश द्‌वारा समझाया था । उनके अनुसार:

”कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन: ।”

ADVERTISEMENTS:

परिश्रम अथवा कार्य ही मनुष्य की वास्तविक पूजा-अर्चना है । इस पूजा के बिना मनुष्य का सुखी-समृद्‌ध होना अत्यंत कठिन है । वह व्यक्ति जो परिश्रम से दूर रहता है अर्थात् कर्महीन, आलसी व्यक्ति सदैव दु:खी व दूसरों पर निर्भर रहने वाला होता है।

परिश्रमी व्यक्ति अपने कर्म के द्‌वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं । उन्हें जिस वस्तु की आकांक्षा होती है उसे पाने के लिए रास्ता चुनते हैं । ऐसे व्यक्ति मुश्किलों व संकटों के आने से भयभीत नहीं होते अपितु उस संकट के निदान का हल ढूँढ़ते हैं। अपनी कमियों के लिए वे दूसरों पर लांछन या दोषारोपण नहीं करते ।

दूसरी ओर कर्महीन अथवा आलसी व्यक्ति सदैव भाग्य पर निर्भर होते हैं । अपनी कमियों व दोषों के निदान के लिए प्रयास न कर वह भाग्य का दोष मानते हैं । उसके अनुसार जीवन में उन्हें जो कुछ भी मिल रहा है या फिर जो भी उनकी उपलब्धि से परे है उन सब में ईश्वर की इच्छा है । वह भाग्य के सहारे रहते हुए जीवन पर्यंत कर्म क्षेत्र से भागता रहता है । वह अपनी कल्पनाओं में ही सुख खोजता रहता है परंतु सुख किसी मृगतृष्णा की भाँति सदैव उससे दूर बना रहता है ।

किसी विद्‌वान ने सच ही कहा है कि परिश्रम सफलता की कुंजी है । आज यदि हम देश-विदेश के महान अथवा सुविख्यात पुरुषों अथवा स्त्रियों की जीवन-शैली का आकलन करें तो हम यही पाएँगे कि जीवन में इस ऊँचाई या प्रसिद्‌धि के पीछे उनके द्‌वारा किए गए सतत अभ्यास व परिश्रम का महत्वपूर्ण योगदान है ।

अमेरिका, चीन, जापान आदि विकसित देश यदि उन्नत देशों में हैं तो इसलिए कि वहाँ के नागरिकों ने अथक परिश्रम किया है। द्‌वितीय विश्वयुद्‌ध में भारी नुकसान के बाद भी आज यदि जापान न विश्व जगत में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है तो उसका प्रमुख करग यही है कि वहाँ के लोगों में दृढ़ इच्छाशक्ति व अथक परिश्रम की भावना कूट-कूटकर भरी हुइ है ।

परिश्रमी व्यक्ति ही किसी समाज में अपना विशिष्ट स्थान बना पाते हैं । अपने परिश्रम के माध्यम से ही कोई व्यक्ति भीड़ से उठकर एक महान कलाकार, शिल्पी, इंजीनियर, डॉक्टर अथवा एक महान वैज्ञानिक बनता है ।

परिश्रम पर पूर्ण आस्था रखने वाले व्यक्ति ही प्रतिस्पर्धाओं में विजयश्री प्राप्त करते हैं । किसी देश में नागरिकों की कर्म साधना और कठिन परिश्रम ही उस देश व राष्ट्र को विश्व के मानचित्र पर प्रतिष्ठित करता है ।

“विश्वास करो,

यह सबसे बड़ा देवत्व है कि –

तुम पुरुषार्थ करते मनुष्य हो

और मैं स्वरूप पाती मृत्तिका ।”

अत: उन्नति विकास एवं समृद्धि के लिए यह आवश्यक है कि सभी मनुष्य परिश्रमी बनें । परिश्रम वह कुंजी है जो साधारण से साधारण मनुब्ध को भी विशिष्ट बना देती है । परिश्रमी लोग सदैव प्रशसा व सम्मान पाते हैं । वास्तविक रूप में उन्नति व विकास के मार्ग पर वही व्यक्ति अग्रसर रहते हैं जो परिश्रम से नहीं भागते ।

भाग्य का सहारा वही लोग लेते हैं जो कर्महीन हैं । अत: हम सभी को परिश्रम के महत्व को स्वीकारना एवं समझना चाहिए तथा परिश्रम का मार्ग अपनाते हुए स्वयं का ही नहीं अपितु अपने देश और समाज के नाम को ऊँचाई पर ले जाना चाहिए ।

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निबंध : परिश्रम का महत्व | Importance of hard work essay in Hindi

Importance of hard work essay in Hindi

परिश्रम का महत्व

( Importance of hard work : Hindi Essay )

परिश्रम ही सफलता की कुंजी होती है। बिना परिश्रम के सफलता हासिल नहीं की जा सकती। जिंदगी में तरक्की करने के लिए एक मुकाम हासिल करने के लिए हर इंसान को परिश्रम जरूर करना पड़ता है। भगवान ने परिश्रम करने का गुण केवल मनुष्य को दिया है।

पंछी सुबह उठकर खाना ढूढने के लिए निकल जाते हैं। बड़े होते ही उन्हें उड़ना सिखाया जाता है। दुनिया का लगभग हर जीव जंतु अपना पेट भरने के लिए प्रतिदिन खुद मेहनत करता है।

इसी तरह मनुष्यों को भी बचपन से ही परिश्रम करने की सलाह दी जाती है। चाहे वह पढ़ाई के क्षेत्र में हो या फिर पैसा कमाना हर चीज में मेहनत करनी ही पड़ती है।

मेहनत के दम पर ही लोगों ने दुनिया को एक से बढ़कर एक अद्भुत खोजें करके दी है। सफलता हासिल करने के लिए हम जो परिश्रम करते हैं उसे ही हमारा जीवन खुशियों से भरता है।

परिश्रम किसे कहते हैं ( What is hard work in Hindi ): –

शारीरिक और मानसिक रूप से किए गए किसी भी काम में परिश्रम की जरूरत होती है। हर इंसान अपनी इच्छा के अनुसार अपना काम चलता है और उस क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहता है।

पहले के समय में परिश्रम का मतलब सिर्फ शारीरिक परिश्रम से होता था जो मजदूर वर्ग द्वारा किया जाता था। लेकिन अब परिश्रम की परिभाषा बदल गई हैं। आज डॉक्टर, इंजीनियर, मजदूर, अभिनेता, टीचर सभी प्रतिदिन परिश्रम करते हैं।

परिश्रम की परिभाषा ( Definition of hard work in Hindi ) :-

एक कामयाब व्यक्ति के पीछे उसका परिश्रम ही होता है। जो व्यक्ति जितना अधिक परिश्रम करता है वह उतना अधिक सफलता हासिल करता है।

आइये एक मेहनती व्यक्ति अपने जीवन में किन बातों को अपना आता है, जिससे वह सफलता की बुलंदियों पर चढ़ता है

समय बर्बाद न करना :-

अक्सर देखा जाता है बहुत सारे लोग आलस करते हैं। परिश्रम करने के बजाय आराम करना, धीरे धीरे काम करना, आलस का ही एक रूप है।

परिश्रमी व्यक्ति समय बर्बादी नहीं करता। वह निरंतर काम करता है। वहीं आलसी लोग हमेशा अपना वक्त इधर-उधर बर्बाद करते रहते हैं।

परिश्रम न करने की वजह से मन मुताबिक सफलता नहीं मिल पाती है। माना कि कई बार परिश्रम करने के बाद भी कुछ लोग मन मुताबिक सफलता हासिल नहीं कर पाते या फिर उन्हें काफी देर से सफलता मिलती है। लेकिन हार मानना उचित नहीं है। परिश्रम के दम पर सफलता हासिल की जा सकती है।

पैसे के पीछे न भागे –

परिश्रम करने का यह मतलब नहीं है कि हर वक्त पैसे कमाने की धुन में सवार रहे। हमारी जिंदगी में पैसा बहुत महत्वपूर्ण होता है।

लेकिन यह हमारी जिंदगी नहीं है। इंसान परिश्रम के दम पर दुनिया का हर सुख हासिल कर लेता है। लेकिन कई बार वह मानसिक शांति हासिल नहीं कर पाता है।

परिश्रम का यह मतलब है कि जिंदगी नही जीनी चाहिए और पैसा ही कमाए। जिंदगी जीने के लिए अपनों का साथ बेहद जरूरी है। जिंदगी जीने के लिए हर वक्त खुश रहना और मौज मस्ती करते रहना चाहिए।

अपनी इच्छा का काम करें –

अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग बिना मन से काम करते हैं और अपना पूरा प्रयास नहीं करते हैं। वहीं कुछ लोग हैं यदि अपनी इच्छा के अनुसार काम चुनते हैं तो उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं।

इसलिए हमेशा उस काम को चुनना चाहिए जो आपको पसंद हो, जिससे आप बिना किसी दबाव के अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें।

हार न माने –

आज आप जितने भी सफल व्यक्ति को देखते है हर किसी ने पहली बार में सफलता हासिल नहीं की है। निरंतर प्रयास करते रहने की वजह से वह सफलता की बुलंदियों पर पहुंच सके हैं।

आज हमारे सामने कई सारे ऐसे उदाहरण हैं जो लगातार निरंतर प्रयास करते रहने से सफलता का मुकाम हासिल कर पाए हैं।

चाहे वह अब्राहम लिंकन हो, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो या फिर सुपरस्टार अभिनेता शाहरुख खान हो। ये महान हस्तियां हमें यह सिखाती हैं कि हमें हर सुबह एक उम्मीद के साथ दिन की शुरुआत करनी चाहिए और परिश्रम करना चाहिए। तभी हम दुनिया की हर चीज को हासिल कर सकते हैं।

लेखिका :  अर्चना  यादव

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[ 500 शब्द ] Essay on Importance of Hard Work in Hindi - परिश्रम का महत्व पर निबंध

Today, we are sharing Simple essay on Importance of Hard Work in Hindi . This article can help the students who are looking for Long essay on Importance of Hard Work in Hindi . This is the simple and short essay on Importance of Hard Work which is very easy to understand it line by line. The level of this article is mid-level so, it will be helpful for small and big student and they can easily write on this topic. This Long essay on Importance of Hard Work is generally useful for class 5, class 6, and class 7, class 8, 9, 10 .

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Importance of Hard Work par nibandh Hindi mein

भूमिका: जीवन में अगर हमें सफलता प्राप्त करनी है तो हमे दिन-रात परिश्रम करना होगा तभी जाकर हमे सफलता प्राप्त होगी। इसके अलावा जीवन के जितने भी काम है बिना परिश्रम के हमे प्राप्त नहीं होंगे। अगर हमें खाना खाना है तो खाना बनाना पड़ेगा, अगर हमें परीक्षा में अव्वल आना है तो हमें दिन-रात परिश्रम कर कर पढ़ाई करनी होगी तभी जाकर हमें नंबर एग्जाम में अच्छे आएंगे।

इसलिए परिश्रम का हमारे जीवन में विशेष महत्व है इसके बिना हमारा जीवन व्यर्थ है और बेकार है। इसलिए हमें हमेशा जीवन में परिश्रम करना चाहिए ताकि जो भी लक्ष्य हमने निर्धारित किए हैं उसे हम पूरा कर सके।

परिश्रम का महत्व: जो व्यक्ति परिश्रम से नहीं घबराता है उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं होता है। परिश्रम करने वाला व्यक्ति रेगिस्तान में भी पानी के स्रोत को खोज सकता है। इतिहास में हमें ऐसे कई व्यक्ति मिल जाएंगे जिन्होंने अपने परिश्रम के माध्यम से जीवन में सफलता प्राप्त की है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमारे देश के तेजषवी और लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी जी, जो एक गरीब परिवार में जन्म लिए लेकिन उन्होंने अपने परिश्रम और तपोबल से देश के प्रधानमंत्री बने हैं।

इसलिए हमें ऐसे लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए और हमें इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि हम गरीब है और हमारे तकदीर में गरीबी लिखी है। बल्कि हम अपनी तकदीर को परिश्रम के माध्यम से बदल सकते हैं। इसलिए व्यक्ति को परिश्रम करने से घबराना नहीं चाहिए बल्कि निरंतर परिश्रम करना चाहिए तभी जाकर हम अपने जीवन में सफल हो पाएंगे।

परिश्रम के लाभ: परिश्रम करने वाला व्यक्ति कभी भी बीमार नहीं पड़ता है और ना ही वह किसी गंभीर बीमारी का रोगी होता है। इसके अलावा उसका शरीर चुस्त और तंदुरुस्त रहता है। इसके अलावा हम मानसिक रूप से मजबूत भी बन पाएंगे। परिश्रम करने वाले व्यक्ति को धन और यश दोनों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा उसके मन में कभी भी वासना और अन्य व्यर्थ भावना कभी भी उत्पन्न नहीं होती है।

जिस देश के नागरिक परिश्रमी होते हैं उस देश का विकास तेजी के साथ होता है। अगर आपको अपने जीवन का लक्ष्य पूरा करना है तो केवल सपने देखने से नहीं होगा बल्कि आपको परिश्रम करना होगा। तभी आप अपने जीवन के सभी सपनों को पूरा कर पाएंगे।

उपसंहार: परिश्रम करने वाला व्यक्ति ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और विद्वान होता है। ऐसे व्यक्ति समाज में सम्मानित दृष्टि से देखे जाते हैं और उनका सम्मान सभी लोग करते हैं। ऐसे व्यक्ति कर्मवादी होते हैं वह हमेशा कर्म पर विश्वास रखते हैं। जीवन के हर क्षण पर उनको सफलता मिलती है। इसलिए अगर हमारे सपने भी बड़े हैं तो हमें आज से ही परिश्रम करना शुरू करना चाहिए तभी जाकर हम अपने सपनों को पूरा कर सकेंगे और जीवन में जो भी हमने सोचा है उस पथ पर हम अग्रसर हो पाएंगे।

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F.A.Q ( अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल )

  • परिश्रम किसे कहते है ?
  • परिश्रम के क्या लाभ है ?
  • परिश्रम को अंग्रेजी में क्या कहते है ?
  • जीवन में सफलता के लिए क्या आवश्यक है ?

Students in school, are often asked to write Long essay on Importance of Hard Work in Hindi . We help the students to do their homework in an effective way. If you liked this article, then please comment below and tell us how you liked it. We use your comments to further improve our service. We hope you have got some learning about Importance of Hard Work. You can also visit my YouTube channel which is https://www.youtube.com/synctechlearn. You can also follow us on Facebook at https://www.facebook.com/synctechlearn .

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परिश्रम का महत्व पर निबंध – Essay on Importance of Hard work in Hindi

परिश्रम का महत्व पर निबंध (Essay on importance of hard work in Hindi): मानव जीवन कर्ममय है. वह हमेशा जीविकोपार्जन के लिए विभिन्न गतिविधियों में शामिल रहता है. सूर्योदय से लेकर देर रात तक कई लोग अपने-अपने कार्यों में लगे रहते हैं. यह परिश्रम है. परिश्रम के बिना जीवन में प्रगति और समृद्धि संभव नहीं है.   

संसार में श्रम के बिना कोई कार्य संभव नहीं है. मनुष्य को कर्म व भोग दोनों प्राप्त हैं लेकिन कर्म के बिना कोई भी भोग नहीं कर सकता. प्रत्येक मानव कल्पना के जगत में बड़ी-बड़ी उड़ान भरता हैं; ख्याली पुलाव बनता है; हवा महल बनता है लेकिन मन के चाहने मात्र से वह सब प्राप्त नहीं होता है. संसार में किसी भी चीज की प्राप्ति परिश्रम से ही होती है. खाने के लिए भी प्रयत्न करना पड़ता है. खाना स्वतः पेट में नहीं चला जाता. एक बात आपको याद रखनी होगी – परिश्रम से हर कार्य सिद्ध होते हैं न कि मन की इच्छाओं से. जैसे सोये हुए शेर के मुंह में हिरन अपने आप प्रवेश नहीं करते हैं.

परिश्रम का रूप

किसी भी प्रकार का यत्न श्रम है. मनुष्य निरंतर क्रियाशील व प्रयत्न करता है. लेकिन निरुद्देश्य श्रम की संज्ञा नहीं दी जाती है. अर्थ शास्त्र में धन कमाने के उद्देश्य से किये गये कर्म ही शर्म कहलाते हैं. व्यावहारिक जीवन में भी मनुष्य कोई व्यर्थ के कामों में अपने अमूल्य समय को गंवाता रहता है लेकिन उस स्थिति में उसको परिश्रमी उद्यमी नहीं कहते हैं. परिश्रम वह है जो सार्थक कार्य के लिए किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है. प्रत्येक व्यक्ति के पास अपने व्यावहारिक जीवन में कोई उद्देश्य होता है. एक विद्यार्थी का उद्देश्य विद्यार्जन करना व परीक्षा पास करना है. इस उद्देश्य की दृष्टि से किया गया श्रम ही परिश्रम कहलाता है और वह विद्यार्थी परिश्रमी कहलाता है. एक विद्यार्थी यदि विद्यार्जन के अतिरिक्त व्यर्थ के कार्यों के लिए कठोर शर्म करता है तो उसको परिश्रमी कोई नहीं कहता है. इसलिए एक विद्यार्थी का श्रम सार्थक तभी माना जायेगा, जब वह विद्या प्राप्ति के उद्देश्य से श्रम करता है और अच्छी श्रेणी में पास हो जाता है.

parishram ka mahatva par nibandh

परिश्रम से स्वास्थ्य लाभ  

परिश्रम से मनुष्य केवल अपने लक्ष्य की प्राप्ति ही नहीं करता है, अपितु उसको शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य लाभ भी होता है. घर में बैठे रहने या अधिक समय सोने से शरीर पंगु हो जाता है. खाली व्यर्थ की बातों में समय गंवाने से दिल चंचल हो जाता है. लेकिन जो व्यक्ति अपने सार्थक कार्यों में दिन रात लगा रहता है, उसका शरीर स्वस्थ सुडौल, तथा बौद्धिक रूप से चुस्त रहता है. अपने कार्यों में सफलता मिलने से दिल में हर्ष होता है. 

उन्नतशील जातियां व परिश्रम

संसार में जिस देश के लोग परिश्रमी व लग्नशील रहें उनका देश हर दृष्टी से संपन्न होता है. आज संसार में प्राकृतिक दृष्टी से पिछड़े होने पर भी कई देश अपने परिश्रम के बल से उन्नति के शिखर पर हैं. जबकि प्राकृतिक दृष्टी से संपन्न देश भी परिश्रम के अभाव में निर्धन हो गये हैं. इसी प्रकार जो विद्यार्थी अत्यंत परिश्रमी होते हैं, वह निर्धन होने पर भी उन्नति के शिखर पर पहुँच जाते हैं और अन्य जीवन भर धक्के खाते रहते हैं.

परिश्रम और विश्राम          

अत्यधिक काम का बोझ तन और मन दोनों के लिए तनावपूर्ण हो सकता है. इसलिए कड़ी मेहनत के साथ नियमित अंतराल पर आराम की जरूरत है. इससे स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है. मेहनत करने के लिए शारीरिक और मानसिक ताकत की जरूरत होती है. मनुष्य सही भोजन, स्वस्थ वातावरण और अनुकूल वातावरण में अधिक मेहनत कर सकता है

परिश्रम ही पूजा है

एक अंग्रेज विद्वान ने कहा है – ‘Work is worship’ वास्तव में ईश्वर की प्राप्ति के लिए भी भक्त कठोर परिश्रम करता है. कर्म क्षेत्र में कर्म ही पूजा है. फल ही ईश्वर है. कठोर परिश्रमी व्यक्ति ही भक्त है. अध्यापक पूर्ण सिंह ने परिश्रम करने वाले मजदुर को सच्चा महात्मा कहा है. 

प्रत्येक विद्यार्थी के सामने बहुत बड़ा कार्यक्षेत्र पड़ा है. उसमें जो व्यक्ति परिश्रम करता है, सफलता उसके चरण चूमने लगती है. इसके विपरीत परिश्रम न करने वाला व्यक्ति जीवन भर कष्ट उठाता रहता है.

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ये था परिश्रम का महत्व पर निबंध (Essay on importance of hard work in Hindi) . उम्मीद है ये निबंध पढ़कर आपको पसंद आया होगा. अगर पसंद आया है, तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें. धन्यवाद.

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Parishram ka Mahatva

परिश्रम का महत्त्व पर निबंध (जहाँ चाह, वहाँ राह) मन के हारे हार है, मन के जीते जीत!

कोई भी मनुष्य हारता तभी है, जब उसका मन हार जाता है, जब उसका आत्मविश्वास डगमगा जाता है। हार या पराजय का मनोविज्ञान यही है। निराशा और भय, हार जाने का डर, मार्ग के विघ्न और बाधाओं का खौफ ही मनुष्य को पराजित करता है। ‘ परिश्रम का महत्व पर निबंध ‘ के माध्यम से आज हम मन की शक्ति और Importance of Hard Work in Hindi के बारे में बात करेंगे।

श्रम संसार में सफलता प्राप्त करने का महत्त्वपूर्ण साधन है। परिश्रम करके हम जीवन की ऊँची-से-ऊँची आकांक्षा पूरी करने का प्रयास करते हैं। संसार कर्म क्षेत्र है, अतः कर्म करना ही हम सबका धर्म है । किसी भी कार्य में हमें सफलता तब मिलती है, जब हम परिश्रम करते हैं।

Table of Contents

परिश्रम का महत्व पर निबंध

श्रम ही जीवन को गति प्रदान करता है। यदि हम श्रम की उपेक्षा करते हैं, तो हमारे जीवन की गति रुक जाती है। अकर्मण्यता की स्थिरता हमें ऐसी मजबूती से घेर लेती है कि उसके घेरे से बाहर निकलना कठिन हो जाता है। परिश्रमी व्यक्ति सभी प्रकार की कठिनाइयों से जूझ कर स्वतंत्र वातावरण में साँस ले सकता है।

परिश्रमी व्यक्ति ही जीवन में लक्ष्मी का कृपा पात्र बनता है। वह भाग्य का सहारा छोड़ कर यथाशक्ति पुरुषार्थ करता है। प्रयत्न करने पर भी परिश्रमी व्यक्ति को यदि सफलता नहीं मिलती है तो वह निराश नहीं होता। वह यह जानने के लिए सचेष्ट रहता है कि कार्य में सफलता क्यों नहीं मिली, क्योंकि वह जानता है कि बिना परिश्रम के केवल इच्छा मात्र से सफलता नहीं मिलती।

मोती ढूँढने वाला गोताखोर सागर की गहराइयों और लहरों से डर जाय, तो वह कभी मोती नहीं पा सकता। मोती – चाहत की मंजिल, उद्देश्य का साफल्य – तो गहरे अतल में छिपा होता है – उसे खोजने, ढूँढने में प्राणों को संकट में डालना ही पड़ता है। साहस और आत्मविश्वास – यही दो चीजें है – जो मनुष्य को अपनी मंजिल पर पहुंचाते हैं। आत्मविश्वास के साथ परिश्रम ही जीवन को सफल बनाती है।

जहाँ चाह, वहाँ राह

असफलता की कोख से ही सफलता का जन्म होता है। मनुष्य प्रयास करता है, असफल होता है। जो व्यक्ति, असफलता को अपनी नियति नहीं मानते, वे हार कर पुनः दोगुने-चौगुने आत्मविश्वास एवं उत्साह से कर्म में प्रवृत्त होते हैं और अन्त में अपना लक्ष्य पाकर ही दम लेते हैं।

इस कहावत में बहुत दम है – “Where there is will, there is a way” अर्थात् जहाँ चाह, वहाँ राह। जहाँ दृढ़ इच्छा-शक्ति होती है सच्चा संकल्प होता है, घना आत्मविश्वास होता है, वहाँ सफलता की राह खुद-ब-खुद बन जाती है।

मनुष्य को जीवन में कभी निराश नहीं होना चाहिए। यह पंक्ति से आपने सुनी ही होगी – ‘ नर हो, न निराश करो मन को। ‘ इस संसार में मनुष्य को आघात लगता ही रहता है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि वह हाथ पर हाथ धरकर बैठ जाय। जीवन में निराशावादी दृष्टिकोण का परित्याग और आशावादी दृष्टिकोण का स्वीकार ही मनुष्य को यही आत्मविश्वास उसे सफलता और यश के उच्च शिखर पर आसीन करता है।

Importance of Hard Work in Hindi

संसार में हमें प्रत्येक पथ पर संघर्ष करके अपना मार्ग स्वयं बनाना पड़ता है। यदि हम परिश्रम करते हैं, तब जीवन के संघर्ष में हमें विजय मिल पाती है। हम जितने भी शक्तिशाली और साधन-संपन्न हों पर यदि श्रम करने से जी चुराते हैं, तो हमारी शक्ति और साधन सम्पन्नता अकेले हमें लक्ष्य की ओर नहीं ले जा सकती।

श्रम का असली रूप तो सारी प्रकृति में देखने को मिलता है । पशु-पक्षी, जीव-जंतु सभी निरंतर श्रम में लगे रहते हैं। रंगीन तितलियाँ धूप में उड़ती फिरती हैं और सुगंधित सुमनों के सौरभ का पान करके सुखी होती हैं। मधुमक्खियों को फूलों के कोष से मधु निकाल कर संचित करने में कम श्रम नहीं करना पड़ता।

यदि चींटी की भाँति हम भी अपने जीवन में श्रम के महत्त्व को समझें तो कर्म में हमारी आस्था दृढ़ होती है। कर्म से तो मनुष्य को कभी छुटकारा मिलने वाला नहीं। फिर जब कर्म करना ही है, तो फिर श्रम से उस पर पूर्ण अधिकार क्यों न किया जाए। एक महापुरुष का कहना है कि मोची होना बुरा नहीं, मोची होकर खराब जूता सीना बुरा है।

इसे भी पढ़ें: ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है!

जीवन में श्रम का महत्व पर निबंध

हमारे समाज में बहुत से लोग भाग्यवादी होते हैं। ऐसे व्यक्ति समाज की प्रगति में बाधक होते हैं। आज तक किसी भाग्यवादी ने संसार में कोई महान कार्य नहीं किया। बड़ी-बड़ी खोजें, बड़े-बड़े आविष्कार और बड़े-बड़े निर्माण श्रम के द्वारा ही संपन्न हो सके हैं।

हमारे साधन और हमारी प्रतिभा हमें केवल उत्प्रेरित करते हैं और हमारा पथ प्रदर्शन करते हैं, पर लक्ष्य तक हम श्रम से ही पहुँचते हैं। श्रम करके ही प्रतिभासंपन्न कलाकारों ने अपने छेनी हथोड़े के द्वारा अजंता-एलोरा की बनाई भव्य गुफाओं को मूर्तिमान किया।

सामान्य व्यक्तियों ने अपने श्रम से बड़े-बड़े साम्राज्य खड़े कर दिए हैं। बाबर, शेरशाह, नेपोलियन सभी आरंभ में सामान्य व्यक्ति थे पर अपने श्रम से उन्होंने इतिहास में अपने नाम को अमर बना दिया । अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए, परिश्रम से नौकाओं का संचालन करके कोलंबस ने अमरीका को खोज निकाला।

श्रम-साधना करने वालों को यश भी प्राप्त होता है और वैभव भी। एक गरीब परिवार का बालक श्रम से अध्ययन करता है। उच्चशिक्षा प्राप्त करके वह किसी उच्च पद पर आसीन होता है और अपने परिवार की स्थिति ही बदल देता है। हमारे अनेक साहित्यकार ऐसे हैं, जिन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा नहीं मिली । श्रम से उन्होंने अध्ययन किया। अपनी शक्तियों को विकसित किया और सफलता से उच्च कोटि के साहित्य का सृजन किया । अनेक व्यापारी थोड़ी-सी संपत्ति से अपना व्यापार आरंभ करते हैं और दो-चार वर्षों में वे धनवान बन जाते हैं।

जब हम अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए श्रम करते हैं तो हमारे मन को अलौकिक आनंद मिलता है। अंतःकरण का सारा कलुष घुल जाता है और पूर्ण संतोष का अनुभव होता है।

हम उस किसान के जीवन को देखें जो दिन भर परिश्रम से अपना खेत जोतता है और सायंकाल अपनी झोपड़ी में आकर आनंद मग्न कोई ग्राम-गीत अलापता है उस समय उसके स्वरों में उस स्वर्गीय संगीत की सृष्टि होती है। जब कोई विद्यार्थी दिनभर परिश्रम से अध्ययन करता है तब वह सायंकाल खेलने में आनंद का अनुभव करता है।

परिश्रम करने के फ़ायदे 

  • शारीरिक श्रम से मनुष्य को संतोष तो मिलता ही है उसका शरीर भी स्वस्थ रहता है।
  • श्रम से उसकी मांसपेशियाँ सुदृढ़ हो जाती हैं ।
  • जो लोग श्रम नहीं करते आलसी बने पड़े रहते हैं, उनका तो भोजन भी नहीं पचता और उनके शरीर को अनेकों व्याधियाँ घेरे रहती हैं।
  • शारीरिक श्रम हर एक व्यक्ति के लिए आवश्यक है।
  • शारीरिक श्रम करने वाले लोग दीर्घजीवी होते हैं।
  • श्रम के साथ-साथ ही मानसिक श्रम करने वाले का ही बौद्धिक विकास होता है। वह गंभीर-से-गंभीर तथ्य सहज ही ग्रहण कर लेता है।
  • विषम परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाने पर भी घबराता नहीं बल्कि साहस से उनका सामना कर लेता है। वह हर एक समस्या का आसानी से समाधान खोज लेता है।
  • मानसिक श्रम के महत्व को समझ कर हमारे ऋषि-मुनि चिंतन में लीन रहते थे और चिन्तन के लिए लोगों को उत्साहित करते थे। हमारा उपनिषद् साहित्य हमारे मानसिक श्रम का ही परिणाम है।

इसे भी पढ़ें: जीवन में समय का महत्त्व

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सृष्टि के विकास का मूलमन्त्र परिश्रम है। श्रम के बल पर सृष्टि के समस्त कार्य संचालित होते हैं। पृथ्वी, नक्षत्र, ग्रह, सूर्य और चन्द्र सभी अपने कर्म में निरत हैं। संसार के सभी प्राणी कर्म के अधीन हैं। पक्षी प्रातःकाल दाना जुटाने के लिए अपने घोंसले से निकल पड़ते हैं।चींटी अपना भोजन एकत्र करने के लिए सतत चलती रहती है। सभी पशु, सभी मानव प्रातः से सायं तक अपने कर्म में अनवरत निरत दृष्टिगत होते हैं। मानव ने आदिम युग से आज तक का सभ्य जीवन परिश्रम से ही प्राप्त किया। उसने पशुओं का शिकार किया, खेती करना सीखा, पराका निर्माण किया, माम और नगर बसाये। गगनचुम्बी भवनों, विशाल बाँधों, कारखानों, यन्वी, माटर, रेलों का निर्माण किया। चारों ओर मानव का श्रम एव जयते' का उच्च उद्घोष सुनाई पड़ता छ। यह सब मनुष्य की साधना एवं अनवरत श्रम का परिणाम है। 

श्रम  के प्रकार

जीवन में परिश्रम का महत्व

श्रम का महत्व

जीवन में परिश्रम का महत्वपूर्ण स्थान है। जीवन में सुख और समृद्धि श्रम पर आधारित है। अथक परिश्रम से असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाते हैं। श्रम जीवन की सफलता की कुंजी है। ईश्वर ने मनुष्य के लिए अनन्त पदार्थ बनाये है, परन्तु अकर्मण्य व्यक्ति उन्हें प्राप्त नहीं कर पाते हैं। उन्हें पाने के लिए कर्म तो करना ही होगा 

"सकल पदारथ यहीं जग माहीं, कर्महीन नर पावत नाहीं।" 

श्रम से मनुष्य मनुष्यत्व ही नहीं, देवत्व भी प्राप्त कर लेता है। श्रम वह सोपान है, जिस पर चढ़कर मनुष्य संसार-स्वर्ग के सभी सुखों को प्राप्त कर सकता है। मानवता का विकास और वैज्ञानिक उन्नति परिश्रम के ही मधुर फल हैं। गीता के "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन्" में श्रम की महत्ता ही प्रतिपादित की गयी है। कवि नलिन के शब्दों में 

"जीवन एक सुमन मानो तो सौरभ उसका श्रम है। 

ईश्वर की वरदान शक्ति भी इसके आगे कम है।। 

जिस प्रकार सौरभ के बिना सुमन व्यर्थ है, उसी प्रकार श्रम के बिना जीवन व्यर्थ है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में श्रम का महत्व दृष्टिगोचर होता है। अध्यापक परिश्रमी छात्र से प्रसन्न रहता है। मालिक मेहनती सेवक से सन्तष्ट रहता है। बढे परिश्रम से सेवा करने वाले बच्चों से प्रसन्न रहते हैं। प्रथम श्रेणी प्राप्त करने वाले परिश्रमी छात्र को छात्रवृत्ति प्राप्त होती हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में परिश्रम द्वारा उत्तीर्ण होने वालों को सरकारी उच्च पद प्राप्त होते हैं। परिवार के परिश्रमी सदस्य के हाथ में घरं की बागडोर रहती है। इस प्रकार परिश्रम की अनिवार्यता जीवन के सभी क्षेत्रों में देखी जा सकती है। 

भाग्य और पुरुषार्थ 

भाग्य और पुरुपार्थ जीवन-पथ के दो पहिये हैं। अकेले. भाग्यचक्र से ही जीवन रथ आगे नहीं बढ़ सकता है। जो लोग श्रम को त्यागकर भाग्य या आलस्य का आश्रय लेते हैं, वे अपने जीवन में असफल रहते हैं। ईश्वर पर केवल आलसी व्यक्ति ही आश्रित रहते है."देव-देय आलसी पुकारा।" कायरों और अकर्मण्यों की ईश्वर भी सहायता नहीं करता है 

"God helps those, who help themselves" 

आलसी और अकर्मण्य पृथ्वी पर भार-स्वरूप हैं। आलस्य मनुष्य का प्रबल शह है। भाग्यवादी बनकर हाथ पर हाथ रखकर बैठना मौत की निशानी है। मनुष्य अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है। परिश्रम के बल पर ही वह अपने बिगड़े भाग्य को बदल सकता है। 

सफलता का रहस्य श्रम

महापुरुष बनने का प्रथम सोपान परिश्रमशीलता है। संसार में जितने महापुरुष हुए सभी कष्ट-सहिष्णुता और अम के कारण श्रद्धा, गौरव और यश के पात्र बने। वाल्मीकि, कालिदास, तुलसीदास आदि जन्म से महाकवि नहीं थे। उन्हें ठोकरें लगी, ज्ञान-नेत्र खुले और अनवरत परिश्रम से महाकवि बने। जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमन्त्री बनने का रहस्य उनकी -परिश्रमशीलता ही है। गाँधीजी का सम्मान उनके परिश्रम एवं कष्ट-सहिष्णुता के कारण ही है। इसे सबने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण अमरत रहकर बिताया। उसी का परिणाम है कि वे सफलता के उच्च शिखर तक पहुँच सके। महान् राजनेताओं, वैज्ञानिकों, कवियों, साहित्यकारों और ऋषि-मुनियों की सफलता का रहस्य एकमात्र परिश्रम ही है। जितने भी लक्ष्मी के वरद पुत्र हैं, यदि वे निठल्ले पड़े रहते तो उनकी सम्पत्ति बढ़ने के बजाय घट जाती। अनुद्यमी मनुष्य लक्ष्मी का कृपापात्र नहीं हो. सकता है। 

परिश्रमी व्यक्ति राष्ट्र की बहुमूल्य पूँजी है। श्रम वह महान् गुण हैं, जिससे व्यक्ति का विकास और राष्ट्र की उन्नति होती है। संसार में महान् बनने और अमर होने के लिए परिश्रमशीलता अनिवार्य है। श्रम से अपार आनन्द मिलता है। श्रम के सामने प्रकृति भी नत हो जाती है 

"प्रकृति नहीं डर कर झकती है, कभी भाग्य के बल से । 

सदा हारती वह मनुष्य के उद्यम से, श्रम-जल से।" 

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