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महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi): गांधी जयंती पर निबंध 10 लाइनें, 100, 200, 500 शब्दों में निबंध लिखना सीखें
Updated On: October 08, 2024 04:30 PM
प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिवस को गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) लिखने में छात्रों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। नीचे दिये गये आर्टिकल से आप निबंध लिखना सीख सकते है।
- महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Mahatma …
- 300 शब्दो में गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi …
- गांधी जयंती पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Gandhi …
- महात्मा गांधी पर 10 लाइनों में निबंध (Essay on Mahatma …
गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): छात्रों को स्कूल-कॉलेज में गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर के मौके पर महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi) लिखने या महात्मा गांधी के जीवन पर प्रकाश (Life of Mahatma Gandhi) डालते हुए 100, 200, 500, 750 शब्दों में लेख लिखने को कहा जाता है। महात्मा गांधी की जीवनी पर निबंध (Essay on biography of Mahatma Gandhi) में हम सबसे पहले भारत के स्वतंत्रता संग्राम में की भूमिका महात्मा गांधी (Role of Mahatma Gandhi in India's freedom struggle) के बारे में उल्लेख करते हैं। महात्मा गांधी, जिन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे। गांधीजी ने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर चलते हुए देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने के लिए कई आंदोलन किए, जिनमें सबसे प्रमुख था 'असहयोग आंदोलन' और 'दांडी मार्च'। यहां इस लेख में हम महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi) लिखने के बारे में बता रहे हैं। नीचे महात्मा गांधी पर लेख (Essay on Mahatma Gandhi) के कुछ सैंपल भी दिए गए हैं, जिसकी मदद से छात्र गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti) कैसे लिखा जाता है, इसके बारे में समझ सकता है। ये भी पढ़ें- दुर्गा पूजा पर निबंध “अहिंसा के पुजारी” और “राष्ट्रपिता” कहलाने वाले महात्मा गांधी जी को बापू नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। महात्मा गांधी जी का जन्म शुक्रवार 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और उनकी माता का नाम पुतली बाई था। इनकी माता एक धार्मिक महिला थी नियमित तौर पर उपवास रखती थी। गांधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत में विश्वास रखने वाले परिवार में हुआ था। जैन धर्म का महात्मा गांधी जी पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा जिस वजह से अहिंसा, सत्य जैसे व्यवहार स्वाभाविक रूप से गांधी जी में बचपन से ही दिखने लगे थे। वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे, उनके 2 भाई और 1 बहन थी। गांधी जी के पिता हिन्दू तथा मोढ़ बनिया जाति के थे। लोग गांधीजी को प्यार से बापू कहते थे। साधारण जीवन उच्च विचार वाले बापू जी ने अंग्रेजी हुकूमत से अंतिम सांस तक अहिंसा की राह में चलते हुए संघर्ष किया। भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन में हर तबके के लोगों को अपने साथ जोड़कर भारत को आज़ादी दिलाने में गांधी जी ने अहम योगदान दिया है। ये भी पढ़ें: - शिक्षक दिवस पर भाषण
महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi 200 words)
गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) : गांधी जयंती महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाने वाला एक अवसर है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था। स्मारक सेवाएं इसे चिह्नित करती हैं, और पूरे भारत में श्रद्धांजलि दी जाती है, जिसमें उन प्रसिद्ध स्थानों को शामिल किया गया है जहां उनका दौरा किया गया था और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। गांधी जी हमारे देश के राष्ट्रपिता और बापू के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। वो एक सच्चे देशभक्त नेता थे और अहिंसा के पथ पर चलते हुए पूरे देश का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेतृत्व किया। गांधी जी के अनुसार ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने के लिये अहिंसा, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता ही एकमात्र हथियार था। गांधी जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा था हालांकि देश को आजादी मिलने तक उन्होंने अपने अहिंसा आंदोलन को जारी रखा था। उनका विश्वास हमेशा सामाजिक समानता में था और वह अस्पृश्यता के भी खिलाफ थे। देश की राजधानी नई दिल्ली में गांधीजी की समाधि या राजघाट पर बहुत सी तैयारियों के साथ गांधी जयंती मनायी जाती है। राजघाट के समाधि स्थल को फूलों की माला से सजाया जाता है और गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। समाधि पर सुबह के समय धार्मिक प्रार्थना भी रखी जाती है। इसे पूरे देशभर में स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थियों के द्वारा राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित नाट्य ड्रामा, कविता व्याख्यान, गायन, भाषण, निबंध लेखन आदि प्रतियोगिताएं भी होती हैं। महात्मा गांधी की याद में लोग गांधी जी का सबसे प्रिय गीत “रघुपति राघव राजा राम” भी गाते हैं। ये भी पढ़ें- हिंदी दिवस पर निबंध
300 शब्दो में गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in 300 words)
गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है, जो महात्मा गांधी की जयंती के रूप में देशभर में बड़े आदर और सम्मान के साथ मनाई जाती है। महात्मा गांधी, जिन्हें 'बापू' के नाम से भी जाना जाता है, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। गांधीजी ने अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी और ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया। गांधीजी का जीवन सादगी, आत्मबलिदान, और सामाजिक न्याय के मूल्यों से प्रेरित था। उन्होंने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाया और इन्हीं के माध्यम से लोगों को एकजुट कर ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती दी। उनके नेतृत्व में भारत ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की। गांधी जयंती न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाई जाती है। इस दिन लोग गांधीजी के विचारों और उनके द्वारा स्थापित सिद्धांतों को याद करते हैं और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जिसमें गांधीजी के जीवन और उनके योगदान पर चर्चा की जाती है। गांधी जयंती हमें उनके सच्चाई, अहिंसा, और समानता के विचारों का पालन करने की प्रेरणा देती है। गांधीजी का जीवन हमें सिखाता है कि किसी भी समस्या का समाधान अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर ही किया जा सकता है। उनकी विचारधारा आज भी प्रासंगिक है और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए हमें प्रेरित करती है।
गांधी जयंती पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi in 500+ words)
मोहनदास करमचंद गांधी.
गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti): मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म भारत के पोरबंदर, कंथियावाड़ में पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी और उनकी चौथी पत्नी पुतलीबाई के घर हुआ था। 1882 में उन्होंने कस्तूरबाई माकनजी से शादी की, जिनसे उनके पांच बच्चे हुए। गांधीजी ने 1887 में सामलदास कॉलेज, भाऊनगर में दाखिला लिया, लेकिन एक सत्र के बाद छोड़ दिया। हालाँकि, उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए लंदन जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और वह 4 सितंबर 1888 को लंदन के लिए रवाना हो गए।
गांधी जयंती
भारत में प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन वर्ष 1869 को गांधीजी का जन्म हुआ था। हमारे देश की आजादी में राष्ट्रपिता का योगदान सबसे अहम था, इसीलिए हर साल उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय उत्सव और अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन सरकारी छुट्टी होती है। इस अवसर पर स्कूलों और सरकारी संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में तो खासतौर से निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। सभी सरकारी जगहों पर गांधीजी को श्रद्धांजलि दी जाती है। गांधी जयंती पर लोग गांधी जी के आदर्शों के महत्त्व को समझते हुए अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं।
देश की आजादी में गांधीजी का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर ही ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद करवाया। गांधी जी ने न सिर्फ देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई बल्कि वह भारत के साथ कई अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए। गांधी जी ने 4 महादेशों और 14 देशों में लोगों को नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरित करने का काम भी किया, तो वहीं भारत में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों की शुरुआत की। देश की आजादी के लिए गांधी जी हमेशा आगे रहे और हर भारतीय की आवाज़ बने। गांधी जी का सपना न केवल देश की आजादी था बल्कि वह देश को भी एकता के सूत्र में बंधा हुआ देखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की। ये भी पढ़ें - दशहरा पर निबंध
गांधीजी के अनुसार मन, वचन और शरीर से किसी को भी दु:ख न पहुँचाना ही अहिंसा है। गांधीजी के विचारों का मूल लक्ष्य सत्य एवं अहिंसा के माध्यम से विरोधियों का हृदय परिवर्तन करना है। अहिंसा का अर्थ ही होता है प्रेम और उदारता की पराकाष्ठा। गांधी जी व्यक्तिगत जीवन से लेकर वैश्विक स्तर पर ‘मनसा वाचा कर्मणा’ अहिंसा के सिद्धांत का पालन करने पर बल देते थे। आज के संघर्षरत विश्व में अहिंसा जैसा आदर्श अति आवश्यक है। गांधी जी बुद्ध के सिद्धांतों का अनुगमन कर इच्छाओं की न्यूनता पर भी बल देते थे।
महात्मा गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे। सत्य की राह में चलते हुए अहिंसात्मक रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य पद्धतियों को उन्होंने सत्याग्रह नाम दिया था।उनके द्वारा सत्याग्रह का अर्थ अन्याय, शोषण, भेदभाव, अत्याचार के खिलाफ शांत तरीकों से बिना किसी हिंसा के अपने हक़ के लिए लड़ना था। गांधी जी द्वारा चम्पारण और बारदोली सत्याग्रह किये गए जिसका उद्देश्य अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार और अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ लड़ना थाकई बार इन सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी जी को जेल जाना पड़ा था। अपने सत्याग्रह में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन का समय-समय पर प्रयोग किया।
स्वदेशी आन्दोलन
स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत बंगाल विभाजन के विरोध में हुई थी और इस आन्दोलन की औपचारिक शुरुआत कलकत्ता के टाउन हॉल में 7 अगस्त ,1905 को एक बैठक में की गयी थी। इसका विचार सर्वप्रथम कृष्ण कुमार मित्र के पत्र संजीवनी में 1905 ई. में प्रस्तुत किया गया था। इस आन्दोलन में स्वदेशी नेताओं ने भारतियों से अपील की कि वे सरकारी सेवाओं,स्कूलों,न्यायालयों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें और स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहित करें व राष्ट्रीय कोलेजों व स्कूलों की स्थापना के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहित करें। अतः ये केवल राजनीतिक आन्दोलन ही नहीं था बल्कि आर्थिक आन्दोलन भी था।
स्वदेशी आन्दोलन को अपार सफलता प्राप्त हुई थी। बंगाल में जमींदारों तक ने इस आन्दोलन में भाग लिया था। महिलाओं व छात्रों ने पिकेटिंग में भाग लिया। छात्रों ने विदेशी कागज से बनी पुस्तकों का बहिष्कार किया। बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय, बिपिन चन्द्र पाल और अरविन्द घोष जैसे अनेक नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया। अनेक भारतीयों ने अपनी नौकरी खो दी और जिन छात्रों ने आन्दोलन में भाग लिया था उन्हें स्कूलों व कालेजों में प्रवेश करने रोक दिया गया। आन्दोलन के दौरान वन्दे मातरम को गाने का मतलब देशद्रोह था। यह प्रथम अवसर था जब देश में निर्मित वस्तुओं के प्रयोग को ध्यान में रखा गया।
खिलाफत आन्दोलन
प्रथम विश्व युद्ध के बाद खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई। असहयोग भारत (नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट) और खिलाफत आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात भारत में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ अनेक आंदोलन किये थे, जिसमें 1919 से 1922 तक दो महत्वपूर्ण आंदोलन खिलाफत आंदोलन एवं असहयोग आंदोलन चलाये गये थे। खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य तुर्की के खलीफा पद को पुनः स्थापित करना था। खिलाफत आंदोलन 1919 से 1924 तक चला था। हालाँकि इस आंदोलन का सीधा सम्बन्ध भारत से नहीं था। इस का प्रारम्भ 1919 में अखिल भारतीय कमिटी का गठन करके किया गया था। अखिल भारतीय कमिटी का गठन अली बंधुओं द्वारा किया गया था।
अंत्योदय एक ऐसा मिशन था जो गांधीजी के दिल के करीब था। अंत्योदय शब्द का अर्थ है " अंतिम व्यक्ति का उत्थान " या सबसे निराश, सबसे गरीब वर्ग के लोगों के उत्थान की दिशा में काम करना, जो कि बापू के अनुसार, केवल सर्वोदय द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है, अंत्योदय द्वारा सभी का विकास।
सात्विक आहार
महात्मा गांधी सात्विक खाने में विश्वास रखते थे। गुस्सा दिलाने वाले खाने से वह परहेज करते थे इसलिए हरी सब्जियों की मात्रा खाने में रखते थे। उबली हुई सब्जियों को बिना नमक के साथ खाना उनकी आदतों में रहा है। चुकंदर बैंगन भी उबालकर गांधी जी अपनी डाइट में लेते थे। सादा खाना उनकी पसंद हमेशा से रहा था, इसी क्रम में उन्होंने दाल और चावल को अपनी डाइट का हिस्सा बनाया था। दाल और चावल भी सात्विक खाने का प्रतीक होता है। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अच्छी होती है।
महात्मा गांधी के साथ चरखे का नाम भी विशेषतौर पर जोड़ा जाता है। भारत में चरखे का इतिहास बहुत प्राचीन होते हुए भी इसमें उल्लेखनीय सुधार का काम महात्मा गांधी के जीवनकाल का ही मानना चाहिए। सबसे पहले सन 1908 में गांधी जी को चरखे की बात सूझी थी, जब वे इंग्लैंड में थे। उसके बाद वे बराबर इस दिशा में सोचते रहे। वे चाहते थे कि चरखा कहीं न कहीं से लाना चाहिए। गांधी जी ने चरखे की तलाश की थी। एक गंगा बहन थीं, उनसे उन्होंने चरखा बड़ौदा के किसी गांव से मंगवाया था। इससे पहले गांधी जी ने चरखा कभी देखा भी नहीं था, सिर्फ उसके बारे में सुना था। बाद में उस चरखे में उन्होंने काफ़ी सुधार भी किए। दरअसल गांधी जी के चरखे और खादी के पीछे सेवा का भाव था। उनका चरखा एक वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था का प्रतीक भी था। महिलाओं की आर्थिक स्थिति के लिए भी, उनकी आजादी के लिए भी। आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भी और उस किसान के लिए भी, जो 6 महीने ख़ाली रहता था।
हालाँकि स्वराज शब्द का अर्थ स्वशासन है, लेकिन गांधीजी ने इसे एक ऐसी अभिन्न क्रांति की संज्ञा दी जो कि जीवन के सभी क्षेत्रों को समाहित करती हैगांधी जी के लिये स्वराज का अर्थ व्यक्तियों के स्वराज (स्वशासन) से था और इसलिये उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिये स्वराज का मतलब अपने देशवासियों हेतु स्वतंत्रता है और अपने संपूर्ण अर्थों में स्वराज स्वतंत्रता से कहीं अधिक है। आत्मनिर्भर व स्वायत्त्त ग्राम पंचायतों की स्थापना के माध्यम से ग्रामीण समाज के अंतिम छोर पर मौजूद व्यक्ति तक शासन की पहुँच सुनिश्चित करना ही गांधी जी का ग्राम स्वराज सिद्धांत था। आर्थिक मामलों में भी गांधीजी विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था के माध्यम से लघु, सूक्ष्म व कुटीर उद्योगों की स्थापना पर बल देते थे। गांधी जी का मत था कि भारी उद्योगों की स्थापना के पश्चात् इनसे निकलने वाली जहरीली गैसें व धुंआ पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, साथ ही बहुत बड़े उद्योगों का अस्तित्व श्रमिक वर्ग के शोषण का भी मार्ग तैयार करता है। ये भी पढ़ें- दिवाली पर निबंध
महात्मा गांधी पर 10 लाइनों में निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi in 10 Lines)
- महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
- गांधी जी का जन्म स्थान गुजरात का पोरबंदर शहर है।
- गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी और माता जी का नाम पुतली बाई था।
- महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
- गांधी जी का विवाह 15 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गांधी जी से हुआ था।
- गांधी जी राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
- गांधी जी ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी।
- महात्मा गांधी जी गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना राजनितिक गुरु मानते थे।
- गांधी जी को बापू, महात्मा, राष्ट्रपिता आदि नामो से भी जाना जाता है।
- 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के गांधी जी को गोली मार उनकी हत्या कर दी थी ।
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गांधी जयंती पर निबंध
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रूपरेखा : प्रस्तावना - गांधी जयंती राष्ट्रीय पर्व के रूप में - गांधी जी में अद्भुत नेतृत्व शक्ति - हरिजन सेवा संघ की स्थापना - हिंदू-मुस्लिम एकता - सत्य-अहिंसा का मार्ग - गांधी जी में विचारों व क्रियाओं का विरोध और सांमजस्य - उपसंहार।
गांधी जयंती एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है जो राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के लिये हर वर्ष मनाया जाता है। पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में भी इसे मनाया जाता है। 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में गांधी जयंती को घोषित किया गया है। मोहनदास करमचन्द गांधी (2 अक्टूबर 1869 में जन्म) के जन्म दिवस को याद करने के लिये पूरे देश में गांधी जयंती को राष्ट्रीय अवकाश के रुप में मनाया जाता है। उनके भारतीय स्वतंत्रता के लिये किये गये अहिंसा आंदोलन से आज भी देश के राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ देशी तथा विदेशी युवा नेता भी प्रभावित होते है।
2 अक्टूबर, 1869 को गांधी जी भारत-भू पर प्रगटे थे। इसलिए कृतज्ञ राष्ट्र उनके जन्म-दिवस को, राष्ट्रीय-पर्व के रूप में मनाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। अर्चना के अगणित स्वर मिलकर इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष और महामानव की वंदना करता है। राष्ट्र को उनकी देन, उपकार तथा वरदान के लिए 'गांधी मेलों' द्वारा उनका पुनीत स्मरण करता है।
अपने हाथ से कते सूत की लंगोटी पहनने वाले, चरखे को अहिंसा के प्रतीक के रूप में स्वीकार करके भारत के प्राचीन ग्राम्योद्यम एवं ग्राम्य-जीवन की महत्ता को मशीनों के वर्तमान युग में भी उज्ज्वल करने वाले, सहिष्णुता, त्याग, संयम और सादगी की मूर्ति बापू के जीवन की छाप आज हमारे खान-पान, रहन-सहन, भाव-विचार, भाषा और शैली, परिच्छद और परिधान, काव्य और चित्रकारी, दर्शन और सामाजिक व्यवहार धर्म-कर्म, राष्ट्रीयता और अन्तरराष्ट्रीयता, उनमें से प्रत्येक पर कहीं न कहीं देखी जा सकती है।
गांधी जी में अदभुत नेतृत्व-शक्ति थी। उन्होंने भारत को स्वतन्त्र करवाने के लिए कांग्रेस पार्टी के माध्यम से स्वतंत्र आंदोलन का नेतृत्व किया। सविनय अवज्ञा भंग, असहयोग, विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार, रॉलेट- एक्ट, नमक कानून, हरिजन एवार्ड आदि का विरोध राष्ट्रीय आन्दोलन के 'माइल-स्टोन' थे। जनता ने उनके नेतृत्व में जेलें भरी, लाठिया-गोलियाँ खाईं, जीवन बलिदान कर दिए। अहिंसात्मक आन्दोलन को अपनाकर आस्था रूप में खिली जवानी के पुष्प समर्पित किए। 1942 का आन्दोलन 'करो या मरो' स्वतंत्र समर का निर्णायक आन्दोलन था, जो गांधी जी के नेतृत्व-सफलता का सर्वोत्कृष्ट प्रमाण है।
गांधी जो ने शराब को शरीर और आत्मा का शत्रु बताकर उसका विरोध किया। हजारों महिलाएँ और पुरुष शराब की दुकानों पर धरना देने लगे । लाखों शराबियों और शराब का आस्वादन करने वालों ने जीवन में मद्य-निषेध का व्रत लिया।
गांधी जो ने 'हरिजन-सेवा-संघ' की स्थापना की । हरिजनों के आत्मबल को ऊँचा उठाने के लिए' अद्ठ्तोद्धार ' कार्यक्रम शुरू किए। स्वयं हरिजन बस्ती में रहने लगे। अछूतों के प्रति की जाने वाली घृणा को प्रेम में बदला। कुएँ का पानी और मंदिर के पट उनके लिए खुले । 'निषेध' प्रवेश में परिवर्तित हुआ । हरिजनबन्धु न केवल हिन्दू धर्म के अविभाज्य अंग बने रहे, अपितु गाँधो जी के व्यवहार, कृत्य और कार्यक्रमों से वे सामाजिक और सांस्कृतिक सम्मान के पात्र भी बने।
गांधी जी ने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं से प्रेम करना सिखाया | विदेशी-वस्त्रों की होली जलवाई। विदेशी-वस्तुओं का बहिष्कार करने की प्रवृत्ति बनाई । परिणामत: घर-घर में चरखा चला। खद्दर का प्रयोग बढ़ा। खद्दर हमारे शरीर की आन, बान और शान बना। खादी-आश्रम खुले। करधे चले, लाखों लोगों को रोटी-रोजी का साधन मिला। राष्ट्रीयता की एक पहचान बनी।
गांधी जी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता का श्रीगणेश किया। मुसलमानों को राष्ट्रीयता के प्रवाह में प्रवाहित होने क्रे लिए प्रेरित किया। हिन्दू-मुस्लिम ऐक्य के लिए अनेक बार उपवास किए। 'हिन्दू-मुस्लिम भाई भाई' उनका आदर्श वाक्य बना। हिन्दुओं ने हठधर्मिता छोड़ी। मुस्लिम-सुविधा के लिए अपने धार्मिक-सामाजिक, सिद्धान्तों की बलि चढ़ाई। मुस्लिम आत्मा को चोट पहुँचाने वाले कृत्यों से सावधान-सचेत रहे । परिणामत: राष्ट्र भक्त अनेक मुसलमान कांग्रेस के कंठहार बने। जैसे--मौलाना अबुल कलाम आजाद, खान अब्दुलगफ्फार खाँ, शौकतअली बंधु।
सत्य, अहिंसा और सादगी गांधी जी के जीवन की त्रिवेणी थी, जिनका संगम थी उनकी काया। जीवन-भर एक लंँगोटी में जीवन बिताया। रेल की तीसरी श्रेणी के डिब्बे में यात्रा की। खान-पान, वचन और कर्म में सात्विकता बरती। गांधी जी सत्य मैं परमेश्वर के दर्शन करते थे, वे उसे मुक्ति-मार्ग समझते थे। सत्य को प्राण और आत्मा कांविशिष्ट गुण मानते थे। जीवन में सत्य के प्रयोग करके वे मानव से महामानव बन गए। अहिंसा उनके आचरण का मंत्र था जीवन शैली का मार्ग था।
गांधी जी में विचारों व क्रियाओं का विरोध और सांमजस्य गांधी जी हिन्दी को राष्ट्र की आत्मा मानते थे। उन्होंने दक्षिण मैं हिन्दी प्रचार और प्रसार के लिए राष्ट्र-भाषा प्रचार समिति तथा दक्षिण हिन्दी-प्रचार सभा जैसी संस्थानों की नीव डालीं। उनके प्रोत्साहन से लाखों लोगों ने हिन्दी सीखी, हिन्दी को आजीविका का साधन माना।
विश्व कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर गांधी जीवन में विचारों और क्रियाओं का विरोध एवं सामंजस्य प्रदर्शित करते हुए लिखते हैं, 'वे स्वयं निर्धन और दरिद्र हैं, किन्तु सबको सुखी एवं सम्पन्न बनाने को दिशा में वे सबसे अधिक क्रियाशील हैं । वे घोर रूप से क्रान्तिकारी है, किन्तु क्रान्ति के पक्ष में वे जिन शक्तियों को जाग्रत करते हैं, उन्हें अपने नियन्त्रण में भी रखते हैं। वे एक साथ प्रतिमापूजक और प्रतिमा-भंजक भी हैं । मूर्तियों को यथास्थान रखते हुए वे आराधकों को उच्च स्तर पर ले जाकर प्रतिमाओं के दर्शन करने की शिक्षा देते हैं । वे वर्णाश्रम के विश्वासी हैं, किन्तु जाति-प्रथा को चूर्ण किये जा रहे हैं। भाव-भावना को वे भी मनुष्य की नैतिक प्रगति का बाधक मानते हैं, किन्तु टालस्टॉय की भान्ति वे सौन्दर्य और नारी को संदेह की दृष्टि से नहीं देखते। गांधी जी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जो सुधार वे दूसरों को सिखाते हैं, उन सुधारों की कीमत पहले वे आप चुका देते हैं।
गांधी जयंती गांधी जी को स्मरण करने का पुण्य दिन है। इस दिन स्थान-स्थान पर गांधी-मेले लगते हैं । इनमें गांधी जो के जीवन को झाँकियाँ दिखाई जाती हैं, उनके जीवन की विशिष्ट घटनाओं के चित्र लगाए जाते हैं। गांधी जी पर प्रवचन और भाषण होते हैं। मुख्य समारोह दिल्ली के राजघाट पर होता है। राष्ट्र के कर्णधार, मुख्यतः राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री और नेतागण तथा श्रद्धालु-जन गांधी जी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। प्रार्थना-सभा में राम धुन तथा गांधी जी के प्रिय-भजनों का गान होता है। विभिन्न धर्मों के पुजारी प्रार्थना करते हैं, अपने-अपने धर्म-ग्रन्थों से पाठ करते हैं। श्रद्धा-सुमन चढ़ाने और भजन-गान का कार्यक्रम 'बिड़ला हाउस' में भी होता है, जहाँ गांधी जी शहीद हुए थे।
गांधी जी आज भी राजनीतिज्ञों के लिए विध्ननाशक, मंगलदाता गणेश जी हैं। भोली- भाली जनता को ढगने, सम्पन्नता और सत्ता का भोग भोगने का गुरु-मंत्र हैं।
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गांधी जयंती पर निबंध Essay on Gandhi Jayanti in Hindi
इस लेख में हमने महात्मा गांधी जयंती पर निबंध हिंदी में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) लिखा है। अगर आप गांधी जयंती पर बेहतरीन निबंध की तलाश कर रहे हैं तो इस लेख में आपकी सारी तलाश पूरी होने वाली है।
दिए गए लेख में गांधी जयंती क्यों मनाया जाता है तथा इसके महत्व को सरल रूप से समझाया गया है। लेख के अंत में गांधी जयंती पर बेहतरीन 10 लाइनें इस लेख को और भी आकर्षक बनाती हैं।
Table of Contents
प्रस्तावना (गांधी जयंती पर निबंध Essay on Gandhi Jayanti in Hindi)
भारत की आजादी के लिए लाखों देशभक्त शहीद हो चुके हैं। उन्ही शहीदों में से एक मोहनदास करमचंद गांधी है। महात्मा गांधी के आदर्शों को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में एक समान तवज्जो दी जाती है।
प्रतिवर्ष गांधी जयंती 2 अक्टूबर को एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सभी स्कूल, कॉलेज तथा सरकारी दफ्तर सार्वजनिक रूप से बंद रहते हैं।
महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है। वे सत्य और अहिंसा के बहुत बड़े पुजारी थे। उनकी दया, करुणा तथा देशभक्ति को पूरे विश्व में आदर्श के रूप में माना जाता है।
गांधी जयंती के दिन मूलतः गांधी जी के सिद्धांतों और उनके जीवन प्रसंगों से जुड़ी जरूरी ज्ञान की बातों को जन समूह में फैलाने का कार्य किया जाता है।
भारत के साथ-साथ विश्व के अनेक देशों में 2 अक्टूबर के दिन गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है तथा वहां भी सार्वजनिक रूप से अवकाश रहता है।
गांधी जयंती क्यों मनाया जाता है? Why is Gandhi Jayanti Celebrated?
अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 को हुआ था। उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए हर साल 2 अक्टूबर के दिन गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
महात्मा गांधी का जन्म उस समय हुआ था जब भारत अंग्रेजों के साथ संघर्ष कर रहा था। अंग्रेज भारतवासियों के हकों को दबाकर उनका शोषण कर रहे थे तथा भारत के अमूल्य खजाना लूटकर अपने देश ले जा रहे थे।
- महात्मा गांधी एक संपन्न परिवार में जन्मे थे तथा वे प्रारंभिक शिक्षा भारत में पूरी कर शेष पढ़ाई साउथ अफ्रीका तथा इंग्लैंड जाकर पूरी की थी।
साउथ अफ्रीका में महात्मा गांधी अश्वेत वर्गों के हकों के लिए वहां की सरकार से संघर्ष किया था तथा उन्हें उनका हक दिलाया था। साउथ अफ्रीका से आने के बाद महात्मा गांधी भारत आकर तथा भारत की आजादी के लिए कार्य करना शुरू किया था।
भारत भ्रमण करते समय महात्मा गांधी ने भारत का गरीब और शोषित पहलू देखा जिसके बाद उनकी आंखें अश्रुपूर्ण हो उठी। जिसके बाद उन्होंने आजीवन खादी धोती धारण करने का प्रण लिया।
उनकी सात्विकता और उच्च आदर्श के कारण करोड़ों लोग उनके एक आवाहन पर घरों से बाहर निकलकर अंग्रेजी हुकूमत के सामने अपनी जान देने के लिए आगे आ आए।
उनके इन्हीं सद्गुणों के कारण विश्व के करोड़ों लोग उन्हें आदर्श मानते हैं तथा उनके बताए मार्ग पर चलते हैं। उनके लिए श्रद्धा व्यक्त करने के लिए हर वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती का पर्व मनाया जाता है।
महात्मा गांधी जी के विषय में जानकारी Information about Gandhi Jayanti in Hindi
गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता मोहनदास दीवान थे तथा माता पुतलीबाई एक ग्रहणी और धार्मिक किस्म की महिला थी।
बाल्यावस्था में महात्मा गांधी की संगति कुछ बुरे लड़कों के साथ हो गई थी जिसके कारण वे चोरी करना तथा अन्य दुर्गुणों के चंगुल में फंस गए थे।
उस वक्त सिनेमा जगत इतना विकसित नहीं हुआ था। सिनेमा के नाम पर उस वक्त नाटक ही चलित थे। एक बार बालक मोहनदास राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर बने नाटक को देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने भी सत्य पर चलने का प्रण उसी वक्त ले लिया।
घर आकर उन्हें बहुत पश्चाताप हुआ तथा उन्होंने अपने पिताजी से अपने कुसंगति तथा दुर्गुणों को एक पन्ने पर लिखकर माफी मांगी और भविष्य में ऐसी गलती फिर ना दोहराने की कसम खाई।
आगे चलकर उन्होंने अपनी पढ़ाई विदेश जाकर पूरी की और भारत वापस आकर बाकी के स्वतंत्रता सेनानियों के साथ अनेकों आंदोलन किए जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत को यहां के लोगों का हक वापस देने पर मजबूर होना पड़ा।
समय-समय पर उन्हें जेल भी जाना पड़ा। लेकिन उनके समुदाय विशेष के प्रति अति-तुष्टीकरण के दुर्गुण से खफा होकर नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने उन्हें गोली मार दी।
गांधी जयंती का महत्व Importance of Gandhi Jayanti in Hindi
गांधी जयंती का संस्कृति तथा सामाजिक महत्व बेहद ही अधिक है। महात्मा गांधी हमारे देश के अतुलनीय व्यक्ति थे। जिनका ज्यादातर जीवन समाज तथा पिछड़े लोगों के लिए गुजरा।
महात्मा गांधी के पहले लाखों देशभक्तों ने आजादी के लिए अपनी कुर्बानी दे दी थी और गाँधी जी के साथ लाखों भारतवासियों ने शहादत दी थी। तब कहीं जाकर देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी मिली थी।
गांधी जयंती को पूरे विश्व में राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। 15 जून सन 2007 को यूनाइटेड नेशंस काउंसिल ने 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अहिंसा दिन मनाने के रूप में शुरुआत किया था।
इसका उद्देश्य दुनिया के सभी देशों को महात्मा गांधी के रास्ते पर चलने का ज्ञान देना था। महात्मा गांधी आजीवन सभी के प्रिय रहे, उनकी इज्जत दुनिया के दूसरे देश भी करते है।
गांधी जयंती के माध्यम से भारतीयों को भौतिक तथा मानसिक रूप से समरसता का पाठ पढ़ाया जाता है। इसलिए इस दिन को एकता बढ़ाने के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
महात्मा गांधी को स्वाभिमान तथा आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न दृष्टा माना जाता है। गांधीजी का सपना था कि भारत स्वच्छ और शिक्षित हो। महात्मा गांधी ने उस वक्त असहयोग आंदोलन के रूप में आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी थी।
किसी भी देश के लिए उसके महापुरुषों का योगदान अप्रतिम होता है। भारत के लिए महात्मा गांधी का योगदान अतुलनीय है। महात्मा गांधी के विचारों को जीवित रखने के लिए हर वर्ष गांधी जयंती को मनाया जाता है।
गांधी जयंती कैसे मनाया जाता है? How is Gandhi Jayanti Celebrated?
भारत के सभी राज्यों में गांधी जयंती को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इस अवसर पर भारत के स्कूलों कॉलेजों तथा सरकारी दफ्तरों पर विभिन्न थीम के माध्यम से बापू को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
2 अक्टूबर के दिन प्रधानमंत्री राजघाट, दिल्ली जाकर महात्मा गांधी की प्रतिमा को श्रद्धा सुमन के पुष्प अर्पित करते हैं। उनके सम्मान में उनका पसंदीदा गीत वैष्णव जन तो तेने कहिए”गीत गाया जाता है।
राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि स्थल मौजूद है जिस पर हर वर्ष 2 अक्टूबर को बड़े-बड़े राजनेता व अभिनेता फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि देते हैं।
अनेक जगहों पर महात्मा गांधी के जीवन का नाट्यात्मक अभिनय का कार्यक्रम होता है। जिसमें लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। साथ ही बहुत से जगह महात्मा गांधी जी के जीवन पर भाषण, नाटक, नारा और समूह चर्चा भी आयोजित कि जाती है।
लोग अपने घरों में महात्मा गांधी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। इस दिन रैलियां भी आयोजित की जाती हैं जिसमें महात्मा गांधी की झांकी तथा जीवन वर्णन मुख्य होता है।
गांधी जयंती के दिन विभिन्न सिनेमा चैनलों पर महात्मा गांधी तथा अन्य शहीदों से जुड़ी फिल्में दिखाई जाती हैं। लेकिन आज महात्मा गांधी के नाम पर बहुत सी राजनीतिक पार्टियां अपनी रोटी सेक रही हैं।
महात्मा गांधी के नाम पर वर्षों तक भारतीय राजनीति पर अपना सिक्का जमाया रखने वाली पार्टियां जब अपने करतूतों पर जवाब नहीं दे पाती तो वे महात्मा गांधी के नाम की दुहाई देना शुरू कर देती हैं।
महात्मा गांधी के सपनों को पूर्ण करने के लिए आज सभी भारतवासियों को उनके आदर्शों पर चलने की जरूरत है।
जिस प्रकार महात्मा गांधी ने स्वयं से पहले राष्ट्र को रखा उसी प्रकार आज सभी धर्म, जाति पंथ संप्रदायों को सोचना पड़ेगा तब जाकर भारत कहीं विश्व गुरु बन पाएगा।
गांधी जयंती पर 10 लाइन Best 10 Lines on Gandhi Jayanti in Hindi
- भारत की आजादी के लिए लाखों देशभक्त शहीद हो चुके हैं। उन्ही शहीदों में से एक मोहनदास करमचंद गांधी है।
- प्रतिवर्ष गांधी जयंती 2 अक्टूबर को एक पर्व के रूप में मनाया जाता है।
- महात्मा गांधी जी को राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है वे सत्य और अहिंसा के बहुत बड़े पुजारी थे।
- भारत के साथ-साथ विश्व के अनेक देशों में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
- महात्मा गांधी का जन्म उस समय हुआ था जब भारत अंग्रेजों के साथ संघर्ष कर रहा था।
- भारत भ्रमण करते समय महात्मा गांधी ने भारत का गरीब और शोषित पहलू देखा जिसके बाद उनकी आंखें अश्रुपूर्ण हो उठी।
- एक बार बालक मोहनदास, राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर बने नाटक को देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने भी सत्य पर चलने का प्रण उसी वक्त ले लिया।
- उनके समुदाय विशेष के प्रति अति-तुष्टीकरण के दुर्गुण से खफा होकर नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने उन्हें गोली मार दिया।
- 15 जून सन 2007 को यूनाइटेड नेशंस काउंसिल ने 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अहिंसा दिन मनाने के रूप में शुरुआत किया था।
निष्कर्ष conclusion
इस लेख में आपने महात्मा गांधी जयंती पर निबंध हिंदी में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) पढ़ा आशा है यह लेख आपको सरल तथा आकर्षक लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें।
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