essay in hindi discipline

अनुशासन पर निबंध Essay on Discipline in Hindi

Essay on Discipline in Hindi

Hindi Essay and Paragraph Writing – Discipline (अनुशासन ) for all classes from Class 1 to Class 12

अनुशासन पर निबंध –  इस लेख में हम अनुशासन का अर्थ, जीवन में अनुशासन का महत्त्व, दैनिक जीवन में अनुशासन, अनुशासन के लाभ के बारे में जानेंगे|  | अनु का अर्थ है पालन और शासन का मतलब नियम। हमारे जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है यह हमें नियमों का पालन करना सिखाता है। हमें हर समय इसका पालन करना है चाहे वो स्कूल, घर, कार्यालय, संस्थान, फैक्टरी, खेल का मैदान, युद्ध का मैदान या दूसरी जगह हों।अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में अनुशासन पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में अनुशासन  पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 और 350 शब्दों में संक्षिप्त निबंध/अनुच्छेद दिए गए हैं।

  • अनुशासन पर 10 लाइन  10 lines

अनुशासन पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

  • अनुशासन पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
  • अनुशासन पर अनुच्छेद 6, 7 और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

अनुशासन पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

अनुशासन  पर 10 लाइन  10 lines on discipline in hindi.

  • अनुशासन एक क्रिया है जो हमारे शरीर, दिमाग और आत्मा को नियंत्रित करके नियमों का पालन करना सिखाता है।
  • समय का पाबंद, बड़ों का सम्मान, नियमित दिनचर्या व बुरी आदतों से दूर रहना अनुशासन कहलाता है।
  • अनुशासन के पालन से व्यक्ति का जीवन सफल और सार्थक बनता है। 
  • अनुशासन हमारे बेहतर चरित्र का निर्माण करता है।
  • अनुशासन का न होना हमें गैर जिम्मेदार और आलसी बना देता है।
  • अनुशासन का दृढ़तापूर्वक पालन हमें समय का पाबंद बनाता है
  • अनुशासन हमें अच्छाई और बुराई में फर्क दिखता है।
  • एक अनुशासित व्यक्ति अपने से बड़ों के आदेशों का पालन पूरी निष्ठा भाव और ईमानदारी से करता है।
  • अनुशासन हमारे जीवन में आत्मविश्वास और आत्म-नियंत्रण विकसित करने में सहायता करता है।
  • अनुशासन के नीति नियम को प्रत्येक व्यक्ति को अपने लिए निर्धारित करना चाहिए।

Short Essay on Discipline in Hindi अनुशासन पर अनुच्छेद कक्षा 1 to 12 के छात्रों के लिए 100, 150, 200, 250 से 300 शब्दों में

अनुशासन पर निबंध/अनुच्छेद  – जीवन का पहला और सबसे महत्वपूर्ण सबक अनुशासित होना है। यदि अनुशासन का पाठ बचपन से ही शुरू हो जाए तो यह कठिन नहीं है, लेकिन अगर यह देर से शुरू होता है तो यह जीवन में सीखने का सबसे कठिन पाठ हो सकता है। पूर्ण आत्म-नियंत्रण प्राप्त करने के लिए कठिन अनुशासन और समर्पण की आवश्यकता होती है। अच्छा अनुशासन अपना सर्वश्रेष्ठ ला सकता है और हम समाज की सर्वोत्तम सेवा कर सकते हैं और अपने आसपास के लोगों की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे। 

अनुशासन सफलता की सीढ़ी है। अनुशासन में रहने से ही व्यक्ति को हर जगह सम्मान मिलता है। इसलिए हमें हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए और अपने जीवन में सफल होने के लिए अपने शिक्षक और माता-पिता के आदेशों का पालन करना चाहिये। हमें सुबह जल्दी उठना चाहिए और सभी काम सही समय पर करना चाहिए।

एक अनुशासित व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर बनाने में सफल होता है और अपनी सफलता का छाप दूसरों पर छोड़ते है। देश की सुरक्षा भी एक अनुशासित सेना द्वारा की जाती है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने छात्र जीवन में अनुशासन का विकास करना चाहिए। जीवन में अनुशासन नहीं होने कारण लोग सफलता प्राप्त नहीं कर पाते हैं।

अनुशासन पर अनुच्छेद 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

अनुशासन हमारे जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके बिना हमारा जीवन सुचारु रुप से नहीं चल सकता है। इसलिए हमें अपने जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए उन सभी नियमों का पालन करना चाहिए जिससे हमारा जीवन बेहतर बन सके, जैसे हमें अपने शिक्षक और बड़ों के आज्ञा का पालन करना चाहिए, बुरी आदतों से दूरी बनाना चाहिए और अपने दैनिक कामों को सही समय पर और पूरी लगन से करना चाहिए।

जीवन में अनुशासन को अपनाने से कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। अनुशासित रहने वाले व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में मान-सम्मान और सफलता प्राप्त करते हैं। अनुशासन अगर देखना है तो सेना को देखना चाहिए। जहां प्रत्येक सैनिक अपने नेता की आज्ञा का पालन बड़ी तत्परता से करते हैं। तभी तो उन्हें विजय प्राप्त होती है। आज की प्रमुख समस्या अनुशासनहीनता ही है। नियम या नियंत्रण में रहना कोई पसंद नहीं करता। आज ऐसी उथल-पुथल मची है कि व्यक्ति खुद भी गिर रहा है और देश को भी पतन की ओर ले जा रहा है।

अनुशासन पर अनुच्छेद 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

अनुशासन सभी के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। अनुशासन एक व्यक्ति को इतना आदर्श बना देता है कि वह व्यक्ति दूसरों की अपेक्षा कुछ विशेष दिखाई पड़ता है। उसका सब ओर सम्मान होता है तथा सफलता उसके चरण चूमती दिखाई देती है। वही अनुशासनहीन व्यक्ति अपने जीवन में लेशमात्र भी सफल नहीं होता, बल्कि वह अपने पतन के साथ ही साथ समाज का भी विनाश करता है। अनुशासित जीवन ही वास्तविक जीवन है। इसलिए अपने जीवन को अनुशासित बनाए रखने के लिए हमें हर संभव प्रयास करना चाहिए। क्योंकि अनुशासन ही सफल जीवन की पहली सीढ़ी मानी जाती है। हमें अपने जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का पालन करना चाहिए जैसे –

  • एक संतुलित और नियमित दिनचर्या का पालन करना चाहिए।
  • कार्यों को समय पर पूरा करने की हर संभव कोशिश करना चाहिए।
  • व्यर्थ के कार्यों से दूर रहना चाहिए।
  • बुरी आदतों और कार्यों से दूरी बनाना चाहिए।
  • अपने कार्यों के प्रति पूरी लगन रखना चाहिए।

अनुशासन केवल बड़े लोगों के लिए नहीं है बल्कि छोटे बच्चों के लिए भी उतना ही महत्व रखता है जितना बड़ों के लिए। विशेषतौर से विद्यार्थियों के लिए अनुशासन का महत्व बहुत अधिक होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसी आयु में उन्हें सब कुछ सीखने को मिलता है। विद्यार्थियों को अपने भावी जीवन के निर्माण की तैयारी करनी होती है। जो बड़ी कठोर साधना है। इसके लिए विद्यार्थी को अनुशासित जीवन व्यतीत करना होगा। अनुशासन विद्यार्थी-जीवन की आधारशिला है। अनुशासन में रहने वाला बालक ही देश का सभ्य नागरिक बनता है और देश को उन्नत बनाने में सहयोग देता है।

आज के युग में छात्र वर्ग और समाज के जीवन को लेकर चलने वाला सर्वाधिक चर्चित विषय है – अनुशासन । व्यक्ति समाज व राष्ट्र की उन्नति का मूलाधार अनुशासन ही है। अनुशासन ही देश को महान बनाता है।

अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘अनु और शासन’। अनु का अर्थ है पालन और शासन का अर्थ है नियम । इसका सरल अर्थ है – किसी नियम समूह का पालन करना या गुरुजनों और पथ-प्रदर्शकों के नियंत्रण में जीवन बिताना । इसी प्रकार अपने मन की समस्त वृत्तियों को काबू में रखना भी अनुशासन ही है। अनुशासन के दो रूप है – ‘आंतरिक अनुशासन’ व ‘बाह्य अनुशासन’। अपनी श्रेणी में किसी सभा में शांत रहना, समूह में चलते हुए पंक्तिबद्ध होकर चलना, समूह में कार्य करते समय उचित-अनुचित का ध्यान रखना, राज्य के नियमों का पालन करना आदि अनुशासन के बाहरी रूप है। अपनी इन्द्रियों व मन को काबू में रखना आंतरिक अनुशासन होता है।

आज समाज व राष्ट्र को अनुशासन की सर्वाधिक आवश्यकता है। अनुशासित व्यक्ति ही अपने व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन में व्यवस्थित रीति से चलता है। अनुशासित व्यक्ति के प्रत्येक कार्य नियमबद्ध होते है। वस्तुत: जो व्यक्ति समाज या घर में, बाजार में, कार्यालय में तथा सभा आदि में वहां के नियमों के नियंत्रण में चलता है, वही सुखी रहता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने शैक्षणिक वर्षों के दौरान अनुशासन विकसित करना चाहिए। अनुशासन बनाए रखने वाला व्यक्ति न केवल अपना जीवन बेहतर बनाता है, बल्कि अपनी उपलब्धियों को प्रदर्शित करते हुए दूसरों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है और वही देश का सभ्य नागरिक बनता है और देश को उन्नत बनाने में सहयोग करता है। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो, प्रकृति भी नियमपूर्वक चलती है। सूरज और चाँद का सही समय पर उगना और अस्त होना, सुबह और शाम का होना, पेड़-पौधों पर फल-फूल लगना, नदियों का हमेशा बहते रहना आदि। सृष्टि का समस्त कार्य एक निश्चित नियंत्रण या अनुशासन के अधीन चलता है।

आज की प्रमुख समस्या अनुशासनहीनता ही है। नियम या नियंत्रण में रहना कोई पसंद नहीं करता। आज ऐसी उथल-पुथल मची है कि व्यक्ति हर नियमों को तोड़ रहा है। लोगों द्वारा जरा सी बात को लेकर लड़ाई-झगड़ा करना या बेकाबू हो जाना, गुस्सा करना, किसी का कहना न मानना, आदर्शों की खिल्ली उड़ाना आदि । इससे व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की आर्थिक और नैतिक दोनों प्रकार की होती है।

यदि हम अपने देश की उन्नति चाहते हैं तो हमें अनुशासनहीनता को त्यागकर अनुशासन को अपनाना होगा, क्योंकि अनुशासन ही देश की उन्नति की पहली सीढ़ी है। राष्ट्र का प्रत्येक व्यक्ति जब अनुशासन में रहेगा, तभी राष्ट्र विश्व उन्नत राष्ट्रों की  की श्रेणी में गिना जायेगा । छात्र भी जब अनुशासन का पालन करेंगे, तभी अपने भावी जीवन में सफलता की आशा कर सकेंगे। क्योंकि अनुशासन ही हमारी सफलता की सीढ़ी है।

Discipline essay in Hindi for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12th – अनुशासन पर निबंध हिंदी में

Discipline Essay in Hindi – सभी को ज्ञात है कि अनुशासन ही सफलता की कुंजी है। इस लेख में हम अनुशासन से सम्बंधित कुछ अहम् जानकारियाँ उपलब्ध करवा रहे हैं। आशा करते हैं कि हमारा यह लेख आपको परीक्षाओं में निबंध लिखने में तो सहायता करेगा ही, साथ-ही-साथ आपको अनुशासित रहने के लिए भी प्रेरणा प्रदान करेगा।

सामग्री (Content)

अनुशासन का अर्थ

जीवन में अनुशासन का महत्त्व

दैनिक जीवन में अनुशासन

अनुशासित रहने के तरीके, प्रकृति में अनुशासन के उदाहरण, अनुशासन कैसे सीखें.

  • अनुशासन की आवश्यकता क्यों

अनुशासन के लाभ

हर किसी के जीवन में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण है। अनुशासन के बिना कोई सुखी जीवन नहीं जी सकता। अनुशासन वह सब कुछ है जो हम सही समय में सही तरीके से करते हैं। यह हमें सही रास्ते पर ले जाता है। जीवन के सभी कार्यों में अनुशासन अत्यधिक मूल्यवान है। हमें हर समय इसका पालन करना है चाहे वो स्कूल, घर, कार्यालय, संस्थान, फैक्टरी, खेल का मैदान, युद्ध का मैदान या दूसरी जगह हों। ये खुशहाल और शांतिपूर्णं जीवन जीने की सबसे बड़ी जरुरत है। आज के आधुनिक समय में अनुशासन बहुत ही आवश्यक है क्योंकि इस व्यस्तता भरे समय में यदि हम अनुशासन भरे दिनचर्या का पालन ना करें तो हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो जायेगा।

अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है – अनु और शासन। अनु का अर्थ है पालन और शासन का मतलब नियम। हमारे जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है यह हमें नियमों का पालन करना सिखाता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो कि समाज में रहता है और उसमें रहने के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है।अनुशासन हमारी सफलता की सीढ़ी है,

जिसके सहारे हम कोई भी मंजिल हासिल कर सकते है। अनुशासन दो प्रकार का होता है – एक वो जो हमें बाहरी समाज से मिलता है और दूसरा वो जो हमारे अंदर खुद से उत्पन्न होता है। हालाँकि कई बार, हमें किसी प्रभावशाली व्यक्ति से अपने स्व-अनुशासन की आदतों में सुधार करने के लिये प्रेरणा की जरुरत होती है।

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अनुशासन के बिना जीवन निष्क्रिय और बेकार हो जाता है क्योंकि योजना के अनुसार कुछ भी नहीं होता है। अगर हमें किसी भी कार्य को पूरा करने के बारे में सही तरीके से अपनी रणनीति को लागू करना है, तो हमें पहले अनुशासन में रहने की आवश्यकता है। अनुशासन चीजों को आसान बनाता है और हमारे जीवन में सफलता लाता है।

अनुशासन हमें बहुत सारे शानदार अवसर देता है, आगे बढ़ने का सही तरीका, जीवन में नई चीजें सीखने, कम समय के भीतर अधिक अनुभव करने, आदि। जबकि, अनुशासन की कमी से बहुत भ्रम और विकार पैदा होते हैं। अनुशासनहीनता के कारण जीवन में कोई शांति और प्रगति नहीं होती है, इसके बजाय बहुत सारी समस्याएँ पैदा हो जाती है।

हमें नियमों का पालन करने, आदेशों का पालन करने और व्यवस्थित तरीके से व्यवहार करने की आवश्यकता है। हमें अपने दैनिक जीवन में अनुशासन को महत्व देना चाहिए। वे लोग जो अपने जीवन में अनुशासित नहीं हैं, उन्हें बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और उन्हें जीवन में निराशा ही मिलती है।

अनुशासन का महत्त्व समझने के बाद हमें चाहिए कि हम हमेशा अनुशासन में रहें और अपने जीवन में सफल होने के लिए अपने माता-पिता और शिक्षकों के आदेश का पालन करें। हमें सुबह-सुबह बिस्तर से उठना चाहिए और एक गिलास पानी पीना चाहिए और खुद को तरोताजा रखना चाहिए।

दांतों को रोजाना ब्रश करना चाहिए, स्नान करना चाहिए और फिर स्वस्थ नाश्ता करना चाहिए। बिना भोजन ग्रहण किए हमें कभी भी न तो स्कूल जाना चाहिए और न ही किसी अन्य काम में। हमें अपने प्रत्येक कार्य को सही समय पर साफ और स्वच्छ तरीके से करना चाहिए।

हमें अपने माता-पिता को कभी भी अस्वीकार नहीं करना चाहिए, कभी भी उनका अपमान नहीं करना चाहिए या उन्हें ना-खुश नहीं करना चाहिए और हमेशा उनके आदेश का पालन करना चाहिए। हमें अपना सभी काम सही समय पर करना चाहिए। सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और सही तरीके से सब कुछ सीखना चाहिए।

अपने जीवन को अनुशासित बनाए रखने के लिए हमें हर सम्भव प्रयास करना चाहिए। क्योंकि अनुशासन ही सफल जीवन की पहली सीड़ी मानी जाती है। हम अपने जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए निम्नलिखित तरीकों का पालन कर सकते हैं – 1 – एक संतुलित और नियमित दिनचर्या का पालन करना। 2 – कार्यों को समय पर पूरा करने का हरसंभव प्रयास करना। 3 – व्यर्थ के कार्यों से दूर रहना। 4 – बुरी आदतों और कार्यों से दूरी बनाना। 5 – अपने कार्यों के प्रति पूरी लगन रखना।

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सूर्य हर दिन सही समय पर उदय होता है और सही समय पर अस्त होता है, चाँद सही समय पर उदय होता है, सुबह और शाम बिना देर किए उदय होता है और सही समय पर अस्त होता है, नदी हमेशा बहती है, माता-पिता हमेशा प्यार करते हैं, शिक्षक हमेशा हमें सिखाते हैं और बहुत कुछ।

तो क्यों हमें अपने जीवन में अनुशासन को पीछे छोड़ना चाहिए, हमें समस्याओं से पीड़ित हुए बिना आगे बढ़ने के लिए अपने जीवन में आवश्यक सभी अनुशासन का पालन करना चाहिए।

प्रकृति कभी अनुशासन का उलंघन नहीं करती और हम भी तो प्रकृति के ही अभिन्न अंग हैं, तो हमें भी अनुशासन का सदैव पालन करना चाहिए।

हमें माता-पिता, शिक्षकों और अपने बुजुर्गों की आज्ञा का पालन करना चाहिए। हमें उनके अनुभवों के बारे में जानने और उनकी जीत और असफलताओं से सीखने के लिए उन्हें सुनना चाहिए। जब भी हम किसी चीज को गहराई से देखना शुरू करते हैं, तो यह हमें जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक देती है।

प्रकृति से हम अनुशासन का सही से पालन करना सीख सकते हैं। मौसम सही कर्म में आते हैं और चलते हैं, बारिश होती है और जाती है और सब कुछ सही समय पर होता है ताकि हमारे जीवन को संतुलित बनाया जा सके। इसलिए, हमें भी इस धरती पर जीवन चक्र को बनाए रखने के लिए अनुशासन में रहने की आवश्यकता है।

हमारे जीवन, माता-पिता, शिक्षक, परिवार, पर्यावरण, वातावरण आदि के प्रति हमारी बहुत सारी जिम्मेदारियाँ हैं। उन जिम्मेदारियों को समझते हुए हमें अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। एक इंसान के रूप में, हमारे पास सोचने, सही या गलत के बारे में निर्णय लेने और इसे कार्य में बदलने के लिए अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए बहुत दिमाग है।

इसलिए, हम अपने जीवन में इस अनुशासन की आवश्यकता और महत्व को जानने के लिए अत्यधिक जिम्मेदार हैं। अतः अपने जीवन को सफल बनाने के लिए अनुशासन का पालन करना अति आवश्यक है।

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हमें अनुशासन की आवश्यकता क्यों

हमें अपने जीवन के हर एक क्षण अनुशासन की आवश्यकता होती है, इसलिए बचपन से अनुशासन का अभ्यास करना अच्छा है। स्व-अनुशासन का अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग होता है जैसे कि छात्रों के लिए, इसका मतलब है कि स्वयं को अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करना और सही समय पर काम पूरा करना। हालांकि, कामकाजी व्यक्ति के लिए, इसका मतलब है कि सुबह समय पर बिस्तर से उठना, व्यायाम करना, समय पर कार्यालय जाना और नौकरी के कार्यों को ठीक से करना।

पेशेवर जीवन में, एक अनुशासित व्यक्ति वह होता है, जिसे सबसे पहले अच्छे अवसर दिए जाते हैं क्योंकि यह माना जाता है कि वह अनुशासनहीन व्यक्ति की तुलना में अधिक जिम्मेदार और अनुशासित तरीके से कार्यों को अंजाम दे सकता है। अनुशासन किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व में एक अपवाद आयाम जोड़ने में मदद करता है और उसे एक अद्वितीय व्यक्ति के रूप में उजागर करता है। जहाँ भी वह लोगों के दिमाग में सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है।

जीवन में अनुशासन को अपनाने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। अनुशासित रहने वाले व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में मान-सम्मान और सफलता प्राप्त करते हैं। सेना और रक्षा तथा अनुसंधान संगठनों में तो जीवन तथा कार्यों में अनुशासन को सर्वोपरिमाना गया है,

क्योंकि इन क्षेत्रों में एक सेकेंड या मिनट भर की देरी या फिर एक छोटी सी चूक के कारण काफी बड़े नकरात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। यही कारण है कि इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुशासन को इतना महत्व दिया जाता है और अधिकतम कार्यों में इसका पूर्ण रुप से पालन किया जाता है।

इसके साथ ही विद्यार्थियों के लिये तो अनुशासन सफलता का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, यदि कोई छात्र अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हुए अपना अध्ययन करता है, तो उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती है। यही कारण है कि छात्र जीवन में अनुशासन को सफलता का आधार माना गया है। ना सिर्फ विद्यार्थी जीवन में बल्कि कैरियर और घरेलू जीवन में भी अनुशासन का काफी महत्व है,

जो लोग अपने जीवन में अनुशासन को अपना लेते हैं, वह कई तरह की परेशानियों से बच जाते हैं। इसके साथ ही जो व्यक्ति अनुशासन के साथ जीवन जीते हैं, उन्हें अनुशासनहीन व्यक्तियों कि अपेक्षा जीवन में कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। एक ओर जहाँ छात्रों के लिये यह उनके भविष्य को सुनहरा बनाने का कार्य करता है, वही दूसरी ओर नौकरी-पेशा लोगों के लिये यह तरक्की के मार्ग भी खोलता है।

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संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि अनुशासन वह सीढ़ी है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में सफलता की ऊँचाई की ओर चढ़ सकता है। यह उसे अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और उसे अपने लक्ष्य से भटकने नहीं देता है।

अनुशासन व्यक्ति को अपने मन में उन सभी सकारात्मक नियमों और विनियमों का प्रशिक्षण देकर पूर्णता लाता है जो उसे समाज में एक सम्मानित व्यक्ति के रूप में स्थापित करते हैं। यही कारण है कि आज के इस आधुनिक युग में भी अनुशासन को इतना महत्व दिया जाता है।

माता-पिता एक बच्चे में अनुशासन विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि उन्हें अपने बच्चे का पहला शिक्षक माना जाता है। छात्र जीवन में अनुशासन भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समाज की बुराइयों से मुक्त हुए बिना बच्चे को अपने लक्ष्य की ओर जाने में मदद करता है।

कहा जाता है कि छोटा बच्चा कच्ची मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा आकार दिया जाए वह वैसा ही बन जाता है। अतः आवश्यक है कि बचपन से ही बच्चों को अनुशासन का महत्त्व बताया जाए और उसका पालन करने के लिए प्रेरित किया जाए।

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अनुशासन पर निबंध 10 lines 100, 150, 200, 250, 300, 500 शब्दों मे (Discipline Essay in Hindi)

essay in hindi discipline

Discipline Essay in Hindi – जीवन का पहला और सबसे महत्वपूर्ण सबक अनुशासित होना है। यदि अनुशासन का पाठ बचपन से ही शुरू हो जाए तो यह कठिन नहीं है, लेकिन अगर यह देर से शुरू होता है तो यह जीवन में सीखने का सबसे कठिन पाठ हो सकता है। Discipline Essay in Hindi पूर्ण आत्म-नियंत्रण प्राप्त करने के लिए कठिन अनुशासन और समर्पण की आवश्यकता होती है। अच्छा अनुशासन अपना सर्वश्रेष्ठ ला सकता है और हम समाज की सर्वोत्तम सेवा कर सकते हैं और अपने आसपास के लोगों की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे। 

जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए शुरू से ही अनुशासित रहने की जरूरत है। अनुशासन से ही हम जीवन में अपने लक्ष्य पर केंद्रित रह सकते हैं। अनुशासन में समय के मूल्य को समझना, मानवता के प्रति सम्मान दिखाना और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता दिखाना शामिल है। सफलता की ओर पहला कदम अनुशासन है।

Discipline Essay in Hindi अनुशासित होना जीवन में सीखने के लिए महत्वपूर्ण और कठिन पाठों में से एक है। आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करने और अपने आप को इस तरह से संचालित करने के लिए अत्यधिक समर्पण और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है जो समाज की सर्वोत्तम सेवा करता है और हमारे आसपास रहता है। अनुशासित होने पर ही व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। अनुशासन हमें एकाग्र रखने में अहम भूमिका निभाता है। 

अनुशासन का अभ्यास करने के अलग-अलग तरीके हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लगातार और समय को महत्व दें। किसी कार्य का निरंतर अभ्यास करके, मानवता और प्रकृति का सम्मान करके और समय को महत्व देकर जीवन में सही दिशा में चलना सीख सकते हैं। यही मूल कारण है कि दुनिया भर में सफल लोग अनुशासन की आवश्यकता का प्रचार करते हैं।

अनुशासन निबंध 10 पंक्तियाँ (Discipline Essay 10 lines in Hindi)

  • 1) अनुशासन का अर्थ है उचित नियमों और विनियमों के साथ जीवन जीना।
  • 2) इसमें नियम, विनियम, शिष्टाचार और शिष्टाचार शामिल हैं जो हमारे जीवन को आकार देते हैं।
  • 3) जीवन में अनुशासन हमें अपनी आदतों और व्यक्तित्व को बेहतर बनाने में मदद करता है।
  • 4) अनुशासन हमें सही सिद्धांतों को अपनाने और अपने जीवन में सफल होने के लिए निर्देशित करता है।
  • 5) यह भी माना जाता है कि देश का एक अच्छा नागरिक होने के लिए एक अनुशासित जीवन आवश्यक है।
  • 6) यह हमारे जीवन में आत्म-विश्वास और आत्म-नियंत्रण उत्पन्न करने में मदद करता है।
  • 7) जल्दी उठना, व्यायाम करना, स्वस्थ आहार लेना और बुरी आदतों से दूर रहना भी अनुशासित जीवन का हिस्सा है।
  • 8) हमारे खाने की आदतों में अनुशासन हमें फिट और स्वस्थ रहने में भी मदद करता है।
  • 9) दूसरों का सम्मान करना और आज्ञाकारी रहना अनुशासन का सिद्धांत है।
  • 10) भाषा में अनुशासन हमें लोगों के साथ सभ्य और सम्मानजनक तरीके से बात करने में मदद करता है।

अनुशासन निबंध 20 लाइनें (Discipline Essay 20 lines in Hindi)

  • 1) छात्र के जीवन में अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उसे अपने करियर के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है।
  • 2) अनुशासन में रहने का अर्थ है कुछ नियमों, विनियमों के एक सेट का पालन करना और उचित व्यवहार का प्रदर्शन करना।
  • 3) एक अनुशासित जीवन शैली हमेशा सफलता की ओर ले जाती है, चाहे वह शैक्षणिक, स्वास्थ्य, व्यवसाय या पेशा हो।
  • 4) एक छात्र के रूप में, अनुशासन एक ड्राइविंग सिद्धांत के रूप में कार्य करता है जो हमें गलत रास्ते पर जाने से बचाता है।
  • 5) अनुशासन एक नहर के रूप में कार्य करता है जो व्यक्ति के चरित्र को सही दिशा में ले जाता है।
  • 6) अनुशासन हमारे जीवन को एक उचित दिनचर्या में बनाता है और एक पूर्वनिर्धारित आचार संहिता का पालन करने में मदद करता है।
  • 7) हमारे खान-पान में अनुशासन हमें विभिन्न बीमारियों से बचाता है, जिससे हमें लंबा और स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलती है।
  • 8) यदि भारत के लोग अनुशासन की सख्त व्यवस्था का पालन करते हैं तो हमें विश्व की महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता।
  • 9) माता-पिता और परिवार बच्चे में अनुशासन की भावना विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो उसके समग्र व्यक्तित्व को आकार देने में मदद करता है।
  • 10) अनुशासन आपको हमेशा सफलता की ओर ले जाएगा जबकि अनुशासन हमेशा आपके जीवन में नई समस्याओं और मुद्दों का एक समूह खड़ा करेगा।
  • 11) अनुशासन हमेशा सभी के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • 12) अनुशासन राष्ट्र निर्माण में भी मदद करता है और ऐसे कई देश हैं जो अपने देश में सख्त कानूनों के कारण विकसित हुए हैं।
  • 13) कॉर्पोरेट जगत में, दिए गए कार्य को समय पर पूरा करना, काम के प्रति समर्पण और अच्छा समय प्रबंधन काम पर सख्त पेशेवर अनुशासन को दर्शाता है।
  • 14) अधिक मात्रा में संगीत नहीं बजाना, सार्वजनिक स्थानों पर कतार बनाए रखना, केवल कूड़ेदान में कचरा फेंकना सामाजिक अनुशासन के कुछ उदाहरण हैं।
  • 15) सख्त आहार व्यवस्था का पालन करना, समय पर व्यायाम करना और नशीली दवाओं के सेवन से दूर रहना एक खिलाड़ी के अनुशासित जीवन को दर्शाता है।
  • 16) आत्म-अनुशासन के लिए हमेशा दृढ़ इच्छा शक्ति और मन पर मजबूत नियंत्रण की आवश्यकता होती है और यदि इसे प्राप्त कर लिया जाए तो यह निश्चित रूप से आपको सफलता की ओर ले जाएगा।
  • 17) सख्त अनुशासन का पालन करने के लिए, आपको हमेशा एक लक्ष्य और उसके प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है और अंततः यह आपको सख्त अनुशासन का पालन करने के लिए प्रेरित करेगा।
  • 18) यदि आपका कोई लक्ष्य है, तो आप स्वतः ही भौतिकवादी इच्छाओं से दूर रहेंगे और अपने व्यवहार में एक सख्त दिनचर्या और आचार संहिता का पालन करेंगे।
  • 19) अनुशासन आपको अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आने और आत्म सुधार के द्वारा अपनी कमजोरियों पर काबू पाने में मदद करता है।
  • 20) अनुशासन हमें अधिक केंद्रित और समर्पित बनाकर हमारी दक्षता और उत्पादकता बढ़ाने में मदद करता है।

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अनुशासन पर लघु निबंध (Short Essay on Discipline in Hindi)

Discipline Essay in Hindi – अनुशासन हमारे जीवन को खुश और सुनियोजित बनाने के लिए एक बहुत ही आवश्यक हिस्सा है। अनुशासन के बिना जीवन समस्याओं और अराजकता से भरा होता है। अनुशासन व्यक्ति को बेहतर बनाने में मदद करता है। अनुशासन व्यक्ति को अधिक ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। इस व्यस्त दुनिया में लोग भ्रमित और विचलित हो जाते हैं। अनुशासन व्यक्ति के जीवन में ईमानदारी लाता है। किसी व्यक्ति के जीवन में अनुशासन को लागू करना कठिन होता है।

 एक अनुशासित व्यक्ति की हमेशा प्रशंसा की जाती है और उसे महत्व दिया जाता है। छात्रों के लिए अनुशासन भी बहुत जरूरी है। बच्चों को बचपन से ही अनुशासन की शिक्षा देनी चाहिए। एक अनुशासित व्यक्ति के पास हर चीज के लिए एक निश्चित समय होता है। इसलिए यह उनके सभी कार्यों को समय पर प्रबंधित किया जाता है। एक अनुशासित छात्र समय पर उठेगा और अपनी सभी गतिविधियों को समय पर पूरा करेगा। समय प्रबंधन अनुशासन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। एक व्यक्ति जो अपने समय को अच्छी तरह से प्रबंधित कर सकता है वह अच्छी तरह से अनुशासित हो सकता है। अनुशासन निश्चित रूप से किसी व्यक्ति को सफलता की ओर ले जाने की सीढ़ी है।

अनुशासन निबंध 100 शब्द (Discipline Essay 100 words in Hindi)

अनुशासन सफलता की सीढ़ी है। स्वतंत्रता और स्वतंत्रता का जीवन किसे पसंद नहीं है? लेकिन इस स्वतंत्रता की कुछ सीमाओं का प्रयोग सनक और कल्पनाओं को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। जीवन में व्यवस्था लाने के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है। अनुशासन के सख्त रखरखाव के बिना, लोग सफलता प्राप्त करने में ध्यान खो देते हैं।

एक अनुशासित छात्र एक उचित करियर बनाने में सफल होता है, एक अनुशासित टीम दूसरों पर अपनी छाप छोड़ती है। देश की सुरक्षा भी एक अनुशासित सेना द्वारा सुनिश्चित की जाती है। नियम सख्त प्रतीत होते हैं लेकिन जब लोग इन सख्ती का पालन करते हैं, तो वे लंबे समय में सफल हो जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने छात्र जीवन से अनुशासन का विकास करना चाहिए।

अनुशासन निबंध 150 शब्द (Discipline Essay 150 words in Hindi)

अनुशासन हमारे दैनिक जीवन का एक मूलभूत हिस्सा है। निबंध लिखने से लेकर उत्तम स्कूल यूनिफॉर्म पहनने से लेकर शतरंज या बैडमिंटन जीतने तक- हमारे स्कूली जीवन से जुड़ी हर चीज अनुशासन पर आधारित है। वयस्क भी अपनी सफलता का अधिकांश श्रेय अनुशासन को देते हैं। काम पर अच्छा प्रदर्शन बनाए रखना या उम्र के साथ अपने स्वास्थ्य की देखभाल करना – सभी को एक निश्चित मात्रा में अनुशासन की आवश्यकता होती है।

आदेश और नियमों के एक समूह के अनुसार कार्य करने से समय की पाबंदी और योजना में सुधार होता है। अनुशासन नियमों, प्रबंधन और व्यवस्था का एक संयोजन है जो जीवन के प्राकृतिक प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा अनुशासन संतुलन भी जोड़ता है। यह हमें अपने कार्यों को अलग करने और प्रबंधित करने में मदद करता है। यह न केवल स्कूल जाने वाले छात्रों के जीवन में बल्कि सेना में या एक खिलाड़ी के जीवन में भी आवश्यक है जो एक शांतिपूर्ण और सफल जीवन बनाना चाहता है और दूसरों को यह प्रेरणादायक लगता है।

अनुशासन निबंध 200 शब्द (Discipline Essay 200 words in Hindi)

अनुशासन एक विशेषता है जिसमें नियमों, मापदंडों और व्यवहार पैटर्न का एक निश्चित सेट शामिल होता है। जब संयुक्त और एक साथ लागू किया जाता है, तो ये जीवन में घटनाओं के सामाजिक और व्यक्तिगत क्रम को बनाए रखने में मदद करते हैं।

अनुशासन बहुत कम उम्र से ही घर पर ही विकसित होना शुरू हो सकता है। यह बदले में फैलता है और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करने के लिए विकसित होता है। एक उचित नींद कार्यक्रम बनाए रखना, एक स्वस्थ आहार, व्यायाम, जुनून या शौक का पीछा करना, नियमित रूप से एक खेल का अभ्यास करना सभी व्यक्तिगत अनुशासन के अंतर्गत आते हैं। सामाजिक अनुशासन में सभाओं, बैठकों या आयोजनों में एक विशेष तरीके से व्यवहार करना शामिल है। जबकि पेशेवर अनुशासन में ज्यादातर समय प्रबंधन, समय सीमा को पूरा करना, वरिष्ठों का उचित अभिवादन करना, स्वस्थ संबंध बनाए रखना आदि शामिल हैं।

अनुशासन समाज का एक अंतर्निहित हिस्सा है और इसकी भूमिका की शुरुआत हमारे शिक्षण संस्थानों में होती है। लेकिन आजकल लोग अक्सर समय से चूक जाते हैं और अनुशासित जीवन शैली को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास करने पड़ते हैं। स्कूल, कार्यस्थलों या घरों में भी अनुशासन बनाए रखने के कुछ तरीकों में शामिल हैं:

  • किसी संस्थान के दिशा-निर्देशों और नियमों से अवगत होना
  • सहकर्मियों के साथ विचारशील और समझदार होना
  • सख्ती बनाए रखना लेकिन निष्पक्ष रहना
  • स्पष्ट परिणाम और दंड निर्धारित करना
  • परिवार या व्यक्तिगत नियम बनाना
  • एक नियोजित कार्यक्रम के साथ रहना

उपरोक्त उपाय हंगामे और पछतावे से रहित अनुशासित जीवन जीने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हो सकते हैं। हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि अनुशासन की सही गुणवत्ता के साथ हमारे सभी उपक्रमों का सफल होना निश्चित है!

अनुशासन निबंध 250 शब्द (Discipline Essay 250 words in Hindi)

मनुष्य एक सामाजिक ढांचे के बड़े हिस्से हैं और किसी भी ढांचे के कार्य करने के लिए, नियम और कानून एक परम आवश्यकता हैं। जब ये नियम मानव व्यवहार का मार्गदर्शन करते हैं और संगठन की भावना विकसित करते हैं, तो एक प्रणाली या व्यक्ति को अनुशासित कहा जाता है। अनुशासन मानव के हर पहलू के साथ-साथ जीवन के अन्य रूपों में अपना महत्व पाता है। यह जिम्मेदारी, विश्वसनीयता की भावना पैदा करता है और एक व्यक्ति को अपने कार्यों के लिए अधिक जवाबदेह होने का पोषण करता है।

एक खिलाड़ी की दिनचर्या से लेकर व्यवसायी के नियमित कार्यक्रम से लेकर पहले कदम या बच्चों की उपलब्धियों तक, अनुशासन सभी जगहों पर मौजूद है। लेकिन यह समझना भी उतना ही जरूरी है कि नियमों की एक ही किताब हर व्यक्ति के काम नहीं आती। स्कूल में एक बच्चे के लिए सजा शानदार ढंग से काम कर सकती है लेकिन दूसरे बच्चे को अपने बारे में दुखी महसूस कराती है। इसलिए अनुशासन कहीं भी संगत और विचारशील होना चाहिए। “नियम और शर्तों” के विपरीत, जो उनकी अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप हैं, अनुशासन को हमेशा पहले व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया जाना चाहिए।

हमारे तेज-तर्रार जीवन में, हमें भीड़ का हिस्सा बनने के लिए अक्सर इतनी तेजी से दौड़ना पड़ता है कि हम अपने नियोजित कार्यक्रम को भूल जाते हैं। इससे रातों की नींद हराम, चिंता, विकार और चरम मामलों में अराजकता और हंगामा होता है। हमें वास्तव में प्रतिस्पर्धा के साथ घुलने-मिलने के लिए खुद को आगे बढ़ाते रहने की जरूरत है, लेकिन खुद को पहले रखना अनिवार्य है।

जबकि अनुशासन की कई व्याख्याएँ और धारणाएँ होती हैं, इसका अंतिम उद्देश्य हमें जीवन का एक स्पष्ट विचार देना है। महान व्यक्तियों का इतिहास उपलब्धियों को चलाने में अनुशासन की शक्ति का साक्षी है। अनुशासन हमेशा हमारे जीवन के हर मिनट को निर्धारित करने वाला कुछ नहीं होता है, यह छोटे कदमों के रूप में हो सकता है, जो एक अच्छा दिन घर में खुद का एक बड़ा, बेहतर संस्करण लाता है।

अनुशासन निबंध 300 शब्द (Discipline Essay 300 words in Hindi)

इसलिए यदि आप एक ऐसा जीवन जीना चाहते हैं जो विनियमित और व्यवस्थित हो तो आपको अनुशासन में रहने की आवश्यकता है। नियमों के एक निश्चित सेट का पालन करने की क्षमता को अनुशासन के रूप में जाना जाता है। यह हर किसी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह व्यक्ति को अपने जीवन में मर्यादा बनाए रखता है। इसलिए यदि आप किसी भी प्रकार की अराजकता से बचना चाहते हैं तो आपको उस समाज के कानूनों का पालन करना चाहिए जिसमें आप रहते हैं।

प्रकृति स्वयं अपने तंत्र में अनुशासन का प्रदर्शन करती है। आप हर दिन देख सकते हैं कि सूर्य पूर्व में उगता है और पश्चिम में अस्त होता है और यह प्रकृति की एक ही प्रक्रिया है। कई अन्य प्रक्रियाएं हैं जो प्रतिदिन अनुशासन प्रदर्शित करती हैं।

जिस दिन से हम पैदा हुए हैं और आज तक हम अनुशासन के महत्व को सीखते हुए बड़े हुए हैं। बचपन में ही हमें सुबह जल्दी उठकर, अपने दाँत ब्रश करके और नहाने के लिए और फिर स्कूल के लिए तैयार होकर अनुशासन में रहना सिखाया जाता था। यह दिन की शुरुआत में अनुशासन का पहला कदम है। पूरा दिन अनुशासन की मांग करता है ताकि हमारा जीवन पटरी पर रहे और व्यवस्था न बिगड़े।

स्कूल में, हमारे शिक्षक हमेशा हमारे दिमाग में अनुशासन और समय की पाबंदी लगाने की कोशिश करते हैं। इस तरह वे हमें सिखाते हैं कि स्कूल में शिष्टाचार कैसे बनाए रखें, चाहे वह सुबह की सभा हो, या समय पर गृहकार्य करना हो। इसलिए उन्हें बेहतर बनाने के लिए हमारे दैनिक जीवन में अनुशासन के महत्व को जानना महत्वपूर्ण है।

न केवल स्कूल बल्कि अनुशासन कार्यस्थलों पर भी उतना ही महत्वपूर्ण है जहां सैकड़ों कर्मचारी एक साथ काम करते हैं। कार्यालय में काम करने वाले लोगों को अपने कार्यस्थल पर अनुशासन बनाए रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। इससे ऑफिस का माहौल स्वस्थ और शांतिपूर्ण रहता है। इसलिए किसी व्यक्ति के लिए अनुशासन के महत्व को सीखना बहुत महत्वपूर्ण है, इससे निश्चित रूप से उन्हें एक सफल और सुखी जीवन जीने में मदद मिलेगी।

अनुशासित रहने के कई फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह आपको अपने जीवन के लक्ष्यों पर केंद्रित रहने में मदद करता है। अनुशासन में रहने वाले लोग आमतौर पर बुरी आदतों से दूर रहते हैं और बाहरी दुनिया से ज्यादा अपने काम पर फोकस कर पाते हैं। हर कोई अनुशासित व्यक्ति का सम्मान करता है और उन्हें अपना आदर्श मानता है।

संक्षेप में, किसी व्यक्ति के जीवन में सबसे आवश्यक चीज अनुशासन है। अनुशासन में रहकर ही कोई सार्थक जीवन व्यतीत कर सकता है। यह हमें सही काम नहीं करने देता है और चारों ओर सकारात्मकता से भरा एक खुशहाल जीवन व्यतीत करता है।

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अनुशासन निबंध 500 शब्द (Discipline Essay 500 words in Hindi)

अनुशासन पर निबंध- अनुशासन एक ऐसी चीज है जो प्रत्येक व्यक्ति को नियंत्रण में रखती है। यह व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। हर कोई अपने जीवन में अलग-अलग रूप में अनुशासन का पालन करता है। इसके अलावा, हर किसी के पास अनुशासन की अपनी संभावना होती है। कुछ लोग इसे अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं और कुछ नहीं। यह वह मार्गदर्शक है जो उपलब्धता व्यक्ति को सही रास्ते पर ले जाती है।

महत्व और अनुशासन के प्रकार

अनुशासन के बिना व्यक्ति का जीवन नीरस और निष्क्रिय हो जाएगा। साथ ही, एक अनुशासित व्यक्ति उन लोगों की तुलना में परिष्कृत तरीके से जीने की स्थिति को नियंत्रित और संभाल सकता है जो नहीं करते हैं।

इसके अलावा, यदि आपके पास कोई योजना है और आप उसे अपने जीवन में लागू करना चाहते हैं तो आपको अनुशासन की आवश्यकता है। यह आपके लिए चीजों को संभालना आसान बनाता है और अंततः आपके जीवन में सफलता लाता है।

यदि अनुशासन के प्रकारों की बात करें तो वे सामान्यत: दो प्रकार के होते हैं। पहला है प्रेरित अनुशासन और दूसरा है आत्म-अनुशासन।

प्रेरित अनुशासन एक ऐसी चीज है जो दूसरे हमें सिखाते हैं या हम दूसरों को देखकर सीखते हैं। जबकि आत्म-अनुशासन भीतर से आता है और हम इसे अपने आप सीखते हैं। आत्म-अनुशासन के लिए दूसरों से बहुत प्रेरणा और समर्थन की आवश्यकता होती है।

इन सबसे ऊपर, बिना किसी गलती के अपने दैनिक कार्यक्रम का पालन करना भी अनुशासित होने का हिस्सा है।

अनुशासन की आवश्यकता

हमें जीवन में लगभग हर जगह अनुशासन की आवश्यकता होती है। इसलिए, हमारे जीवन के शुरुआती चरणों से अनुशासन का अभ्यास करना सबसे अच्छा है। आत्म-अनुशासन का अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग चीजें हैं। छात्रों के लिए इसका अर्थ एक कर्मचारी के लिए अलग है इसका अर्थ अलग है, और बच्चों के लिए इसका अर्थ अलग है।

इसके अलावा, अनुशासन का अर्थ जीवन के चरणों और प्राथमिकता के साथ बदलता है। हर किसी को अनुशासित नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसके लिए बहुत मेहनत और समर्पण की आवश्यकता होती है। साथ ही इसके लिए सकारात्मक दिमाग और स्वस्थ शरीर की जरूरत होती है। अनुशासन के प्रति सख्त होना होगा ताकि वह सफलता की राह को सफलतापूर्वक पूरा कर सके।

अनुशासन के लाभ

शिष्य एक सीढ़ी है जिसके द्वारा व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है। यह एक व्यक्ति को जीवन में अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। साथ ही, यह उसे लक्ष्य से विचलित नहीं होने देता।

इसके अलावा, यह व्यक्ति के मन और शरीर को नियमों और विनियमों का जवाब देने के लिए प्रशिक्षण और शिक्षित करके व्यक्ति के जीवन में पूर्णता लाता है, जो उसे समाज का एक आदर्श नागरिक बनने में मदद करेगा।

अगर हम पेशेवर जीवन की बात करें तो अनुशासित व्यक्ति की तुलना में अनुशासित व्यक्ति को अधिक अवसर मिलते हैं। साथ ही, यह व्यक्ति के व्यक्तित्व में एक असाधारण आयाम जोड़ता है। इसके अलावा, व्यक्ति जहां भी जाता है, लोगों के दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है।

अंत में, हम कह सकते हैं कि अनुशासन किसी के भी जीवन के प्रमुख तत्वों में से एक है। एक व्यक्ति तभी सफल हो सकता है जब वह एक स्वस्थ और अनुशासित जीवन व्यतीत करे। इसके अलावा, अनुशासन हमें कई तरह से मदद करता है और हमारे आस-पास के व्यक्ति को अनुशासित होने के लिए प्रेरित करता है। इन सबसे ऊपर, अनुशासन एक व्यक्ति को वह सफलता प्राप्त करने में मदद करता है जो वह जीवन में चाहता/चाहती है

अनुशासन निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

जीवन में अनुशासन क्यों जरूरी है.

अनुशासन सभी नियमों का पालन करने के बारे में है। बिना किसी नियम या कानून का पालन किए आप जीवन में सफल नहीं हो सकते।

हम अनुशासन कैसे बनाए रख सकते हैं?

किसी विशेष दिनचर्या का पालन करके और उस पर टिके रहकर अनुशासन बनाए रखा जा सकता है।

क्या सफल होने के लिए अनुशासन जरूरी है?

हां, हमें अनुशासन विकसित करना चाहिए और सफल होने के लिए उसी के अनुसार काम करना चाहिए।

सैन्य प्रशिक्षण को इतने गहन अनुशासन की आवश्यकता क्यों है?

सेना में लोगों को युद्ध और संकट की बहुत ही विकट परिस्थितियों में पनपना पड़ता है। आदेश और आदेश के संदर्भ में इसके लिए वर्षों के अभ्यास की आवश्यकता होगी।

अनुशासन का महत्व पर निबंध- Essay on Discipline in Hindi

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Essay on Discipline in Hindi

अनुशासन का महत्व पर निबंध- Essay on Discipline in Hindi

अनुशासन पर निबंध | Discipline Essay in Hindi in 150 words

अनुशासन का अर्थ है-नियमों के अनुसार जीवन-यापन। अनुशासन मानव की प्रगति का मूलमंत्र है। अनुशासन से मनुष्य की सारी शक्तियाँ केंद्रित हो जाती हैं। उससे समय बचता है। बिना अनुशासन के बहुत सारा समय इधर-उधर के सोच-विचार में नष्ट हो जाता है। यदि सूर्य और चंद्रमा को भी अनुशासन ने न बाँध रखा होता, तो शायद ये भी किसी दिन अँगड़ाई लेने ठहर जाते। तब इस सृष्टि का न जाने क्या होता! मनुष्य को प्रकृति ने छूट दी है। वह चाहे तो अनुशासन अपना कर अपना जीवन सफल कर ले; अन्यथा पश्चात्ताप कर ले । संसार के सभी सफल व्यक्ति अनुशासन की राह से गुजरे हैं। गाँधी जी समय और दिनचर्या के अनुशासन का कठोरता से पालन करते थे। अंग्रेजों की थोड़ी-सी सेना पूरे भारत पर इसलिए शासन कर सकी, क्योंकि उसमें अद्भुत अनुशासन था। इसके विपरीत भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम केवल इसीलिए विफल हो गया, क्योंकि उनमें आपसी तालमेल और अनुशासन नहीं था।

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अनुशासन का अर्थ- अनुशासन दो शब्दों के मिश्रण से बना है अनु+शासन.अनुशासन का अर्थ है नियमो का पालन करना। अनुशासन को अगर दूसरे सब्दो में कहे तो अपने विकास के लिए कुछ नियम निर्धारित करना और उस नियम का रोजाना पालन करना चाहे वो नियम आपको पसंद हो या ना हो इसी को अनुशासन कहते है। अगर आप अपने जीवन को नियम के साथ नही जीते तो आपका जीवन व्यर्थ है। जिस प्रकार खाना बिना नमक इसी प्रकार अनुशासन बिना जीवन व्यर्थ हो जाता है इसलिए हमें अपने जीवन को नियम के साथ जीना चाहिए।

अनुशासन को सीखने का सबसे बड़ा उदाहरण प्रकृति है जिस प्रकार से सूरज अपने नियमित समय पर उगता है और अपने नियमति समय पर ढल जाता है,नदियाँ हमेशा बहती है,गर्मी और ठंड के मौसम अपने नियमित समय पर आते जाते रहते है। ये सारे काम अपने नियमित रूप से चालू रहते है अगर प्रकृति ये सारे काम को नियमित रूप से ना करे तो मानव जाति का पतन हो जाएगा ठीक इसी तरह हम भी अपने काम को नियमित रूप से ना करे और अपने आप को अनुशासन में ना रखे तो हमारे जीवन का भी पतन हो जाएगा इसलिए हमें अपने आपको को अनुशासित करना चाहिए।

इस पृथ्वी पर जितने भी माह पुरुष हुए है उन सब में एक बात समान है की वह जानते है कि उन्हें कौन सा काम सबसे पहले करना है और वह अपने प्रति बहुत ईमानदार है ऐशे ही हमको भी पता रहना चाहिए कि कौन सा काम हमे सबसे पहले करना है। अगर हम अपना जीवन नियम के साथ जिये तो हमारा जीवन सुख और शांति से भर जायगा।

अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi in 500 words

अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है अनु और शासन। अनु का अर्थ है पालन और शासन का मतलब नियम। हमारे जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है यह हमें नियमों का पालन करना सिखाता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जो कि समाज में रहता है और उसमें रहने के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है।अनुशासन हमारी सफलता की सीढ़ी होती है जिसके सहारे हम कोई भी मंजिल हासिल कर सकते है। जिस व्यक्ति के जीवन में अनुशासन नहीं उस व्यक्ति का जीवन कभी खुशहाल नहीं होता। प्रकृति भी सभी कार्य अनुशासन में ही करती है सूर्य समय पर उदय होता है और समय पर ही अस्त होता है। अगर इन सब में से कुछ भी इधर उधर हुआ तो पूरा जीवन ही अस्त वयस्त हो जाएगा।

अनुशासन का विद्यार्थि जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्तव है क्योंकि यह जीवन का वह पड़ाव होता है जहाँ हम जो कुछ सीखते है वह हमारे साथ हमेशा रहता है। अनुशासन के अंदर बड़ो का आदर, छोटों से प्यार, समय का पक्का, नियमों का पालन और अध्यापकों का अनुसरण आदि आता है। अनुशासन प्रिय लोग सभी को बहुत पसंद आते है। अनुशासन व्यक्ति को चरित्रवान और कौशल बनने में मदद करता है। सैनिक जीवन में अनुशासन देखने को मिलता है जिसकी वजह से वो कठिन परिस्थितियों में जी पाते है। खेलों में अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अनुशासन प्रिय खिलाड़ी ही खेल को जीत सकता है। अनुशासन एक व्यक्ति से लेकर समाज तक सभी के लिए आवश्यक विद्यार्थियों में हर काम समय पर करने की आदत होती है वह अपना आज का काम कल पर नहीं टालते। वह दी हुई समय गति में ही कार्य पूरा करने की कोशिश करते है जो कि किसी भी नौकरी पेशे के लिए चुने जाते है।

अनुशासन कई लोगों में जन्म से ही मौजुद होते है और कुछों को उत्पन्न करना पड़ता है। अनुशासन दो प्रकार का होता है- पहला जो किसी में जोर जबरदस्ती से लाया जाता है और लोगों पर धक्के से थोपा जाता है इसे बाहरी अनुशासन कहते है। दूसरा वह होता है जो लोगो में पहले से ही विद्यमान होता है और इसे आंतरिक अनुशासन कहते है।

जब कोई व्यक्ति हर काम समय से करेगा, व्यवस्थित तरीके से करेगा तो सफलता अवश्य ही उसके कदम चुमेगी और वह अपना लक्षय को प्राप्त कर लेगा। इंसानों के साथ साथ पशु भी अनुशासन में रहना पसंद करते है। हर क्षेत्र में अनुशासित लोंगो को ही प्राथमिकता दी जाती है। जिस व्यक्ति को समय की कदर नही दुनिया भी उसकी कदर नहीं करती। अनुशासन हीन व्यक्ति हमेशा जीवन में पिछड़ा हुआ रह जाता है वह कभी लक्षय को प्राप्त नहीं कर पाता। आजकल विद्यार्थि बहुत ही अनुशासन हीन होते जा रहे है वह समय का महत्व को भूलते जा रहे है और बड़ो का आदर करना भी।अनुशासन हीनता को उच्च शिक्षा से नियंत्रित किया जा सकता है। अनुशासन हमें लक्षय प्राप्ति और राष्ट्र के विकास में सहायक होता है। हम सब को अपने जीवन में अनुशासन को अपनाना चाहिए।

#Discipline Essay in Hindi

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इस लेख के माध्यम से हमने Anushasan Par Nibandh |  Hindi Essay on Discipline  का वर्णन किया है और आप यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

अनुशासन पर निबंध हिंदी में anushasan par lekh anushasan nibandh anushasan ka mahatva essay in hindi

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18 thoughts on “अनुशासन का महत्व पर निबंध- Essay on Discipline in Hindi”

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Hindi Yatra

अनुशासन पर निबंध – Anushasan Essay in Hindi

Anushasan Essay in Hindi आज हम अनुशासन पर निबंध हिंदी में लिखने वाले हैं. Discipline पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध को हमने अलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है जिससे अनुच्छेद और निबंध लिखने वाले विद्यार्थियों को कोई भी परेशानी नहीं हो और वह Essay on Discipline in hindi  के बारे में अपनी परीक्षा में लिख सकेंगे.

Anushasan Essay in Hindi 150 words

जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व होता है इसके बिना सफल जीवन जीने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. जो भी अपने जीवन में अनुशासन नहीं रखता है वह कभी भी सफल नहीं हो सकता चाहे वह मनुष्य हो या फिर कोई वन्य प्राणी.

अगर हमें जीवन में सफल होना है तो समय पर उठना होगा समय पर सोना होगा और बिना समय को खराब करें अनुशासन की पालना करनी होगी. Anushasan किसी के सिखाने से नहीं आता यह स्वंय को सीखना होता है.

Anushasan Essay in Hindi

जैसे गुरु आपको शिक्षा दे सकते हैं सही मार्ग पर चलना सिखा सकते है लेकिन उस शिक्षा का आप किस प्रकार अनुसरण करते है यह आप पर निर्भर करता है. अगर आप एक सफल व्यक्ति बनना चाहते है और अपने माता-पिता का नाम रोशन करना चाहते हैं तो अपने जीवन में अनुशासन की आज और अभी से पालना करनी शुरू कर दे और हमेशा अपने से बड़ों को सम्मान दें.

Anushasan Essay in Hindi 250 words

हमारे जीवन का हर एक क्षण मूल्यवान है अगर हम जीवन को बिना अनुशासन के जीते हैं तो हमेशा ही दुख और असफलता का मुंह देखना पड़ता है. Discipline का मतलब होता है कि अपने जीवन में कुछ नियम बनाकर चलें और साथ ही समय का सदुपयोग करते हुए अपना जीवन जिए.

अनुशासन की गई कारण आप सोचते हैं कि हम नियमों में अगर बंध जाएंगे तो अपना जीवन खुशहाली पूर्वक कैसे जी पाएंगे ?

अनुशासन का मतलब यह नहीं होता है कि आप अपनी इच्छा अनुसार अपना जीवन नहीं जी पाएंगे इसका मतलब यह होता है कि आपको हर कार्य समय पर और व्यवस्थित ढंग से करना होता है

जैसे सुबह उठने से लेकर स्कूल जाने तक, ऑफिस जाने तक, किसी जरूरी कार्य पर जाने तक अगर आप इन कार्यों को समय पर नहीं करते है तो आप जीवन में कभी भी सफल नहीं हो पाते है. और साथ ही कई लोग आपका साथ भी छोड़ देते है जिससे आप जीवन में अकेले पड़ जाते है.

अगर आप जीवन को अनुशासन से जिएंगे तो आप जीवन में सफल नहीं होंगे बल्कि लोग आपका आदर और सम्मान भी करेंगे. अनुशासन का मतलब यह भी होता है कि वह बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें और सभी लोगों से आदर और प्रेम पूर्वक बात करें. कभी भी ऐसा काम ना करें जिससे किसी भी व्यक्ति को चोट या ठेस पहुंचे.

अपने जीवन में एक बात गांठ बांधकर चलें कि हमें हमेशा समय का सदुपयोग करना है और जीवन को Anushasan से जीना है तभी हमारे जीवन जीना सफल हो पाएगा.

Essay on Discipline in Hindi 350 Words

अनुशासन किसी व्यक्ति या संस्था के सफल भविष्य निर्माण कर सकता है अगर अनुशासन नहीं होगा तो भविष्य का निर्माण कभी भी नहीं हो सकता है. अनुशासन सफलता की कुंजी है जिससे कठिन से कठिन परीक्षा में भी सफल हो या जा सकता है.

Discipline हमें हमेशा अपनी सीमा में रहना सिखाता है लेकिन अनुशासन ही हमें सीमाओं को तोड़ना भी सिखाता है. जिस प्रकार जीवन जीने के लिए जल की जरूरत होती है उसी प्रकार जीवन में सफलता पाने के लिए अनुशासन का भी उतना ही महत्व होता है.

हम अपने आसपास के माहौल से बहुत सी चीजें सीखते है जिनमें कुछ चीजें अच्छी होती है तो कुछ बुरी भी होती हैं अनुशासन हमें सही और गलत में फर्क करना सिखाता है. अनुशासन हमें समय के साथ चलना और परिवर्तन करना भी भली-भांति सिखाता है.

हम अनुशासन की प्रेरणा प्रकृति से रह सकते है जैसे सूरज हर रोज सुबह अपने समय पर निकलता है और शाम को ढल जाता है उसी के साथ पृथ्वी की अपनी धुरी पर घूमती है और हमें दिन से रात और रात से दिन देखने को मिलता है.

यह भी पढ़ें –   विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – Vidyarthi aur Anushasan Essay in Hindi

इस बात से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमेशा समय के साथ चलें और संसार में होने वाले परिवर्तनों को भी अपनाते रहे, तभी हम सफलता की सीढ़ी चढ़ सकेंगे. जीवन में प्रतिदिन समस्याएं आती रहेंगी लेकिन अगर हम अनुशासन में रहते है तो उनका हल हम निकाल ही लेते है.

अनुशासन में सिर्फ समय की पालना करना और समय के साथ चलना है ही नहीं आता है Discipline किसे कहते हैं जिसमें व्यक्ति सभी लोगों से प्रेम भाव से बात करता हो, अपने से बड़े लोगों को आदर और सम्मान देता हो, कभी किसी को नीचा दिखाने की कोशिश ना करता हो यह सब अनुशासन ही हमें सिखाता है.

कुछ अनुशासन का भाग हमें शिक्षको और अपने माता-पिता द्वारा सीखने को मिलता है. वे हमेशा हमें अच्छी बातें सीखने को कहते है और अगर हम कभी कुछ गलत करते हैं तो हमें हमारी गलती का भी एहसास कराते है वे हमें सही मायनों में अनुशासन में रहना सिखाते है.

इसलिए अगर आपको अपना जीवन खुशहाली और सफलता पूर्वक बिताना है तो हमेशा अनुशासन की पालना करें.

Anushasan Essay in Hindi 1000 words

अनुशासन शब्द से ही हमें सीखने को मिलता है कि अपने आप अपनी गलतियों का अनुसरण करना और सही मार्ग अपनाना ही अनुशासन कहलाता है. अनुशासन का एक और मतलब है कि आप अपने ऊपर स्वयं कंट्रोल रख सकें.

क्योंकि इस दुनिया में ज्यादातर लोग आपको गलत राह पर ले जाने की कोशिश करते है और अगर आपका अपने आप पर ही कंट्रोल नहीं होगा तो आप गलत राह पर जा सकते है इसलिए जीवन में अनुशासन का अहम स्थान है इसके बिना सफल जीवन की कामना करना वैसा ही है जैसे बिना बीज बोए फसल की कामना करना.

Anushasan हम में पहले से ही होता है लेकिन उस को अमल में लाने की जरूरत होती है जिसके लिए हमें बचपन से ही विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा जाता है जिससे वहां के शिक्षक हमें पढ़ाई के साथ-साथ अनुशासन भी सिखाते है.

जब हम छोटे बच्चे होते हैं तब हम एक खाली किताब की तरह होते है जिसमें उस समय जो भी लिख दिया जाता है वह जिंदगी भर हमारे साथ रहता है. इसलिए हमें बचपन से ही बड़ों का आदर करना और समय को बर्बाद नहीं करना सिखाया जाता है.

Discipline हम किसी को सिखा नहीं सकते हैं यह तो हम सिर्फ उनको बता सकते है लेकिन इस को अमल में लाना उन पर निर्भर करता है. हमारे माता पिता हमें सही और गलत में फर्क करना सिखा सकते हैं लेकिन अब यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम गलत का साथ देते हैं या फिर सही का यहां पर हमारा अनुशासन ही काम आता है जो कि हमें सही राह पर चलना सिखाता है.

अनुशासन सफलता की पहली सीढी है जिसके बिना सफलता की कामना नहीं की जा सकती है. अनुशासन सभी जगह पर काम आता है चाहे वह किसी कार्यालय में जाना हो या स्कूल में जाना हो खेलने जाना है पढ़ने जाना हो या फिर किसी से मिलने जाना हो.

अगर हम Anushasan में रहेंगे तो यह कार्य हम बहुत ही सरल ढंग से कर लेंगे लेकिन अगर हमारा जीवन में अनुशासन नहीं होगा तो हम कभी भी समय पर कार्यालय नहीं पहुंच सकते और समय पर किसी से मिलने नहीं जा सकते.

जिसके कारण लोग हम पर विश्वास करना कम कर देंगे और जीवन में अगर एक बार किसी से विश्वास उठ जाता है तो दोबारा विश्वास कायम करने में बहुत समय लग जाता है इसलिए हमेशा हमें अनुशासन में रहना चाहिए.

हमारे देश में बहुत से महापुरुष हुए हैं जो कि हमेशा अनुशासन का पालन करते थे जिसके कारण उन्हें महापुरुष का जाता है उनमें से एक हमारे पूज्य महात्मा गांधी जी है. जिनके अनुशासन के कारण आज हमारा देश आजाद हो पाए है.

वह जब देश को आजाद कराने चले थे तब अकेले ही चले थे लेकिन उनके अनुशासन के कारण लोगों का उन पर विश्वास बढ़ता गया और लोग उनके साथ जुड़ते गए और परिणाम स्वरुप हमारा देश आजाद हो गया. इस से आप समझ सकते हैं कि अनुशासन का जीवन में कितना बड़ा महत्व होता है.

अनुशासन में रहना हम एक छोटी सी चींटी से भी सीख सकते हैं अगर आपने कभी चीटियों को देखा होगा तो वह हमेशा एक कतार में चलती है और लगातार अपने कार्य में लगी रहती हैं हम अगर उनके रास्ते में कोई बाधा भी उत्पन्न करते हैं तब भी वह कोई ना कोई रास्ता निकाल कर अपनी मंजिल तक पहुंच ही जाती है.

और हम मनुष्य हैं कि जब भी हमें कतार में लगने को कहा जाए तो हमें ऐसा लगता है कि हमें नियमों में बांधा जा रहा है लेकिन हम यह नहीं समझते कि हमारे कतारबद्ध रहने से सभी का काम जल्दी होगा.

यह छोटी-छोटी अनुशासन में रहने की बातें हम हमारे पर्यावरण से सीख सकते हैं लेकिन हम हमेशा इन बातों को नजरअंदाज कर देते हैं जिसके कारण हमें जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

हम अनुशासन में रहना एक बहती हुई नदी से सीख सकते हैं जो कि हमेशा अपने पथ पर बहती है और अगर उसके पथ के बीच में कोई चट्टान भी आ जाए तो वह उसे काट कर आगे चली जाती है. वह उस पहाड़ को इसलिए ही काट पाती है क्योंकि वह चट्टान को देखकर अपना रास्ता नहीं बदलती है.

अगर हम भी जीवन में Discipline में रहें और अपने लक्ष्य ऊपर ही ध्यान रखे तो जीवन में कितनी भी बड़ी कठिनाई क्यों ना आए हम उसे आसानी से पार कर सकते है. आपने देखा होगा कि अनुशासन के पालन करने से ही आज हमारे देश में कई सफल व्यक्ति है.

जैसे धीरूभाई अंबानी,रतन टाटा, अजीज प्रेम जी और हमारे देश के प्रधानमंत्री ऐसे कई सफल व्यक्ति हैं जिन्होंने अनुशासन की सहायता से अपने सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं जिनके आज देश में ही नहीं विदेशों में भी उनकी सफलता के लिए जाना जाता है.

आप इन सभी व्यक्तियों को या तो देखा होगा तो यह सभी हमेशा अनुशासन का पालन करते हैं हमेशा अपना कार्य समय पर करते है इन सभी व्यक्तियों की निर्णय लेने की क्षमता अच्छी होती है इसका कारण यही होता है कि यह हमेशा अपने जीवन में अनुशासन बनाए रखते है.

अनुशासन हमारे जीवन का अनिवार्य और अभिन्न अंग है जिसके बिना सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती है. अनुशासन की प्रेरणा हम किसान से ले सकते हैं क्योंकि किसान जब खेत में बीज बोता है तो उसे वो कर भूल नहीं जाता है वह प्रतिदिन उसे खाद और पानी देता है तभी जाकर फसल की पैदावार होती है.

किसान के लिए यही अनुशासन है अगर वह नियमित रूप से फसल को पानी और खाद नहीं देगा तो फसल की पैदावार नहीं होगी इसी प्रकार अगर हम नियमित रूप से सफलता के लिए मेहनत नहीं करेंगे तो हमारा असफल होना तय है.

Anushasan के मायने सभी व्यक्तियों के लिए अलग अलग हो सकते हैं जैसे कार्यालय में जाने वाले व्यक्ति हमेशा समय से कार्यालय पर पहुंचे और अपना कार्य सही ढंग से करें.

विद्यार्थियों के लिए अनुशासन का रूप है कि वह सदा अपने गुरुजनों का आदर करें और प्रतिदिन विद्यालय में जाए और एकाग्रता पूर्वक पढ़ाई करें.

खिलाड़ी के लिए आवश्यक है कि वह प्रतिदिन अपने खेल के प्रति समर्पित रहे उसको और अच्छा करने के लिए प्रतिदिन प्रयास करता रहे.

सेना में सैनिक के लिए अनुशासन का रूप है कि वह हमेशा देश की सेवा करता रहे और देश की सेवा में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं करें.

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मेरा बचपन पर निबंध – Mera Bachpan Essay in Hindi

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Anushasan Essay in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

28 thoughts on “अनुशासन पर निबंध – Anushasan Essay in Hindi”

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Ananya, Yah nibandh choti class ke liye likha gya, hum jald hi isse vistrit trike se likhe ge.

Thanks but isme bhumika nahi hai and essay ki starting is too light not for a level of class 9

Akshita ji apna sujhav dene ke liye Dhanyawad, hum jald hi bhumika wala nibandh bhi update kare ge.

Thankyou sir ye nibandh bohut accha hein mere exam mein ye topic aya to mein yahi likhungi

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केंद्र एव राज्य की सरकारी योजनाओं की जानकारी in Hindi

अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi (कक्षा 5 से 9 के लिए निबंध)

Essay on Discipline in Hindi

अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi : व्यक्तिगत स्तर पर अनुशासन आत्म-नियंत्रण विकसित करने में बेहद मदद करता है, जिससे व्यक्ति वर्तमान संतुष्टि का विरोध कर सकता है और भविष्य में कुछ बेहतर हासिल कर सकता है। बड़े समाज में अच्छे व्यवहार को बनाए रखने और समुदायों को नियमों का पालन करने और सामान्य लक्ष्यों को प्राप्त करने की अनुमति देने के लिए सदस्यों के बीच अनुशासन महत्वपूर्ण है। अनुशासित रहने से हमें अधिक केंद्रित रहने और निर्दिष्ट समय सीमा और समय सीमा के भीतर अपने कार्यों को पूरा करने की क्षमता मिलती है। हम पहले सोचते हैं और फिर कोई काम करते हैं, न कि उसमें कूद पड़ते हैं। अनुशासित रहने से आपको दूसरों का सम्मान हासिल करने में भी मदद मिलती है। यदि आप एक छात्र हैं तो अपना होमवर्क समय पर जमा करना और अपनी परीक्षाओं के लिए अच्छी तैयारी करना आपको अपने शिक्षकों के सामने एक अनुशासित छात्र बना देगा। 

यदि आप एक कर्मचारी हैं, तो आप हमेशा अपने कार्यों को समय सीमा के भीतर पूरा करेंगे और समय पर अपने कार्यस्थल पर आएंगे। इससे आपके बॉस के साथ-साथ सहकर्मियों का भी सम्मान बढ़ेगा। हमारा यह लेख अनुशासन के विषय पर ही आधारित है जिसमें हम आपके लिए अनुशासन पर निबंध लेकर आएं है, जो आप स्कूल के किसी प्रोजेक्ट या फिर किसी निबंध प्रतियोगिता में उपयोग में ले सकते हैं। इस लेख में आपको अनुशासन पर निबंध 150 words,अनुशासन पर निबंध 100 words,अनुशासन पर निबंध पर निबंध 300 शब्द,अनुशासन पर निबंध पर निबंध 500 शब्द,अनुशासन पर निबंध पर निबंध 200 शब्द यह सभी मिल जाएगा जो आप कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,910 से लेकर बड़ी निबंध प्रतियोगिता में यूज कर सकते हैं। इसके साथ ही आपको अनुशासन पर निबंध ( Essay on Discipline in Hindi ) class 7 और अनुशासन पर निबंध class 6 के लिए भी लेखन सामग्री इस लेख के जरिए मिल जाएगी।

अनुशासन पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Anushasan ka Mahatva Nibandh)

हम इस लेख के जरिए हम आपके लिए अनुशासन पर छोटे तथा बड़े निबंध लेकर आएं है। आप अपनी जरुरत के हिसाब से हमारे निचे दिए गए निबंध का उपयोग कर सकते हैं।जीवन में हर चीज़ के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है। यह नियमों का पालन करने और उचित, पूर्व-निर्धारित आचार संहिता का पालन करने का कार्य है। एक अनुशासित व्यक्ति वह है जिसका अपने कार्यों, मन, शरीर और आत्मा पर पूर्ण नियंत्रण होता है। यह एक आवश्यक आजीवन मूल्य है जिसे शुरुआत से ही अपने अंदर विकसित करना चाहिए। अनुशासन अक्सर भावी जीवन की सफलता में एक महत्वपूर्ण कारक साबित होता है। यह अक्सर किसी के जीवन का एक तरीका बन जाता है जहां समय की पाबंदी और व्यवस्थित दृष्टिकोण प्रमुख स्थान लेते हैं। अनुशासित होने का एक और फायदा यह है कि यह हमें स्वस्थ और सक्रिय रखने में मदद करता है। एक अनुशासित व्यक्ति हमेशा अपना दिन निर्धारित करता है और जानता है कि किस समय कौन सी गतिविधियाँ करनी हैं। उसके सोने, व्यायाम करने, नहाने और खाने के लिए एक निश्चित समय होगा। अनुशासित लोगों में आत्म-नियंत्रण भी अधिक होता है। वे अपनी जीभ पर नियंत्रण रख सकते हैं और कभी भी बिना सोचे-समझे नहीं बोलते। वे स्वस्थ और निरंतर संबंध बनाने में भी अच्छे होते हैं। वे जानते हैं कि उनके लिए क्या हानिकारक है और इसलिए वे खुद को इसमें शामिल होने से रोकते हैं, चाहे यह कितना भी आकर्षक क्यों न लगे।

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अनुशासन पर निबंध हिंदी में 300 शब्द | Jivan Mein Anushasan Ka Mahatva Nibandh

अनुशासन एक ऐसी चीज़ है जो प्रत्येक व्यक्ति को नियंत्रण में रखता है। यह व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। हर कोई अलग-अलग रूप में अपने जीवन में अनुशासन का पालन करता है। इसके अलावा, हर किसी की अनुशासन की अपनी संभावना होती है। कुछ लोग इसे अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं और कुछ नहीं। यह मार्गदर्शक है कि उपलब्धता व्यक्ति को सही रास्ते पर ले जाती है। अनुशासन के बिना व्यक्ति का जीवन नीरस और निष्क्रिय हो जाएगा। इसके अलावा, एक अनुशासित व्यक्ति उन लोगों की तुलना में परिष्कृत तरीके से जीवन की स्थिति को नियंत्रित और संभाल सकता है जो ऐसा नहीं करते हैं।

वहीं अगर आपके पास कोई ऐसी योजना है और आप आने वाले भविष्य में  उस योजना को अपने जीवन में लागू करना चाहते हैं तो आपका अनुशासित होना बहुत जरुरी हैं। अनुशासन से आप कई  चीजों को आसानी से संभाल सकते हैं और अंततः आपके जीवन में सफलता लाता है। यदि अनुशासन के प्रकारों की बात करें तो ये सामान्यतः दो प्रकार के होते हैं। पहला है प्रेरित अनुशासन और दूसरा है आत्म-अनुशासन।प्रेरित अनुशासन एक ऐसी चीज़ है जो दूसरों ने हमें सिखाया है या हम दूसरों को देखकर सीखते हैं। जबकि आत्म-अनुशासन भीतर से आता है और हम इसे स्वयं सीखते हैं। आत्म-अनुशासन के लिए दूसरों से बहुत अधिक प्रेरणा और समर्थन की आवश्यकता होती है।

सबसे बढ़कर, बिना किसी गलती के अपने दैनिक कार्यक्रम का पालन करना भी अनुशासित होने का हिस्सा है। हमें जीवन में लगभग हर जगह अनुशासन की आवश्यकता होती है। इसलिए, हमारे जीवन के शुरुआती चरणों से ही अनुशासन का अभ्यास करना सबसे अच्छा है। आत्म-अनुशासन का अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग मतलब होता है। छात्रों के लिए इसका अर्थ अलग है, कर्मचारी के लिए इसका अर्थ अलग है, और बच्चों के लिए इसका अर्थ अलग है। इसके अलावा, अनुशासन का अर्थ जीवन के चरणों और प्राथमिकता के साथ बदलता है। हर किसी को अनुशासित नहीं किया जा सकता क्योंकि इसके लिए बहुत अधिक मेहनत और समर्पण की आवश्यकता होती है। साथ ही, इसके लिए सकारात्मक दिमाग और स्वस्थ शरीर की भी आवश्यकता होती है। व्यक्ति को अनुशासन के प्रति सख्त होना होगा ताकि वह सफलता की राह को सफलतापूर्वक पूरा कर सके। शिष्य एक सीढ़ी है जिसके माध्यम से व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है। यह व्यक्ति को जीवन में अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। साथ ही, यह उसे लक्ष्य से भटकने नहीं देता।

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Anushasan ka Mahatva Esaay in Hindi | अनुशासन का महत्त्व पर निबंध (600 शब्द)

अनुशासन का अर्थ है मन को प्रशिक्षित करना ताकि वह नियमों या आदेशों के नियंत्रण को स्वेच्छा से स्वीकार कर सके। संक्षेप में, यह श्रेष्ठ प्राधिकारी के प्रति सहज आज्ञाकारिता है, यह सीखने के लिए एक मूल्यवान सबक है। दुनिया के महान देशों ने खुद को सबसे कठोर अनुशासन के अधीन रखकर महानता हासिल की।प्राचीन हिंदुओं के साथ-साथ प्राचीन स्पार्टन्स ने संयम का जीवन जीने की आवश्यकता पर जोर दिया, यहां तक कि आत्म-त्याग का भी। वे जानते थे कि सख्त नियंत्रण के बिना, मनुष्य की ऊर्जा अक्सर बेकार प्रयासों में बर्बाद हो जाती है। किसी के नैतिक जीवन के लिए सबसे पहले अनुशासन आवश्यक है। आत्मभोग सभी मनुष्यों के लिए एक स्वाभाविक प्रलोभन है। हमारी इंद्रियाँ सहज संतुष्टि चाहती हैं। लेकिन अगर हम इस लालसा को रास्ता देते हैं, तो समय के साथ हम इसके अलावा कुछ नहीं सोचेंगे। यह आसान रास्ता है, गुलाबों की सेज की तरह सुखों का जीवन जीना; लेकिन अंततः यह दुख की ओर ले जाता है।

अनुशासन के प्रकार

अनुशासन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। पहला है प्रेरित अनुशासन और दूसरा है आत्म-अनुशासन। प्रेरित अनुशासन का सीधा-सा अर्थ है जब कोई अन्य व्यक्ति आपके जीवन और निर्णयों पर नियंत्रण कर लेता है। और आत्म-अनुशासन का अर्थ है जब कोई व्यक्ति स्वयं अपने जीवन पर नियंत्रण कर लेता है। आप क्या सोचते हैं? इनमें से कोनसा बेहतर है।आत्म-अनुशासन बेहतर है. जब कोई दूसरा आपको नियंत्रित करता है, तो यह चिड़चिड़ा हो जाता है और आप हमेशा इससे छुटकारा पाने की कोशिश करते हैं। लेकिन जब आप अपने जीवन को नियंत्रित करते हैं, तो आप शायद इसका आनंद लेते हैं। अपने जीवन को नियंत्रित करने का मतलब यह नहीं है कि आप जो करना चाहते हैं उस तक पहुंच हो, यह उन नियमों का पालन करने के बारे में है जो आपने अपने लिए बनाए हैं।

विद्यार्थी जीवन में इसका महत्व

अनुशासन के बिना व्यक्ति का जीवन उलझनों से भरा होता है। साथ ही, एक अनुशासित व्यक्ति उन लोगों की तुलना में जटिल समस्याओं को आसानी से नियंत्रित और संभाल सकता है जो अनुशासित नहीं हैं। नियोजन अनुशासन का एक भाग है। योजना के बिना, कोई वांछित परिणाम नहीं मिलता है और किसी भी चीज़ के लिए योजना बनाने से आपको समय की पाबंदी विकसित करने में मदद मिलती है जो किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है।अनुशासन व्यक्ति को अधिक ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा, अनुशासन का व्यक्ति अपने काम, कार्यों या लक्ष्यों पर बेहतर ध्यान केंद्रित कर पाता है। अनुशासन व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की विकर्षणों से दूर रखता है। अनुशासन से ईमानदारी एवं गंभीरता की भावना बढ़ती है। नतीजतन, उच्च गुणवत्ता वाला फोकस अनुशासन का परिणाम है।

अनुशासन की आवश्यकता 

हमें जीवन के लगभग हर क्षेत्र में अनुशासन की आवश्यकता है। स्वस्थ शरीर पाने के लिए हमें अपने खान-पान में अनुशासित होने की आवश्यकता है। इससे इस बात का अवलोकन करने की भावना विकसित होगी कि क्या खाना अच्छा है और क्या नहीं। हमें अपने कार्यों और लक्ष्यों के प्रति समय का पाबंद और नियमित रहने की आवश्यकता है।अनुशासन समाज में हमारी स्पष्ट छवि स्थापित करता है क्योंकि एक अनुशासित व्यक्ति होना कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। इसके लिए दृढ़ समर्पण और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। साथ ही इसके लिए ठोस दिमाग और स्वस्थ शरीर की भी जरूरत होती है। किसी को सख्ती से अनुशासित होना होगा ताकि वह सफलता की राह को सफलतापूर्वक पूरा कर सके।

सफलता की कुंजी

अनुशासन एक सीढ़ी है जिस पर चढ़कर व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है। यह व्यक्ति को अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। साथ ही यह उसे लक्ष्य से भटकने भी नहीं देता। इसके अतिरिक्त, यह व्यक्ति के मन और शरीर को नियमों और विनियमों का पालन करने के लिए शिक्षित और प्रशिक्षित करके उसके जीवन में पूर्णता का कारण बनता है जो उसे एक बेहतर नागरिक बनने में मदद करता है।

अगर हम पेशेवर जीवन की बात करें तो अनुशासित व्यक्ति को अनुशासित नहीं रहने वाले व्यक्ति की तुलना में अधिक अवसर मिलते हैं। साथ ही, यह व्यक्ति के व्यक्तित्व में एक असाधारण आयाम का मिश्रण करता है। इसके अलावा व्यक्ति जहां भी जाता है लोगों के मन पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है।

अनुशासन गुलामी नहीं है. शुरुआत में यह गंभीर रूप से दर्दनाक लग सकता है लेकिन जल्द ही व्यक्ति को इसकी आदत पड़ जाएगी। लेकिन दुर्लभ अवसरों पर आज्ञाकारिता को तर्कसंगत बनाना पड़ सकता है और किसी के विवेक की अनदेखी करके ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। यह देखने में एक उच्चतर वस्तु है। दास स्वामी की इच्छा के प्रति अंध समर्पण दर्शाता है। सच्चा अनुशासन किसी उच्च उद्देश्य की प्राप्ति के लिए स्वयं की जागरूक और सहज अधीनता में निहित है।इसलिए, अनुशासन यांत्रिक नहीं होना चाहिए; क्योंकि मनुष्य कोई मशीन नहीं है. इसका मतलब स्वतंत्र निर्णय को नकारना नहीं हो सकता। अनुशासन स्वीकार करना किसी भी तरह से बहुत सुखद नहीं है। इसका मतलब है उस व्यक्तित्व का समर्पण जो परेशान करने वाला है। यदि हम अपने सामने केवल स्वयं से बढ़कर कुछ रखते हैं, तो अनुशासन केवल स्वेच्छा से लेकिन प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया जाएगा। इसका चरित्र पर उत्थानकारी प्रभाव पड़ता है।

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जीवन में अनुशासन का महत्व | Essay on Discipline in Hindi Download PDF

इस पॉइन्ट में हम आपको जीवन में अनुशासन का महत्व पर निबंध Download PDF उपलब्ध करा रहे है जो आप डाउनलोड कर सकते है और कभी भी खुद भी पढ़ सकते है और अपने बच्चों या परिजनों को पढ़ा सकते हैं।

अनुशासन पर भाषण 10 लाइन | Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Nibandh

Speech on Discipline in Hindi

  • व्यक्ति का जीवन अनुशासन पर आधारित होना चाहिए।
  • अनुशासन नियमों का पालन करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह लोगों को आत्म-नियंत्रण और आत्म-आश्वासन विकसित करने में मदद करता है।
  • अनुशासन हमें घर, स्कूल और रोजगार के स्थान पर सिखाया जाता है।
  • सब कुछ अनुशासन से संबंधित है, हम कैसे कपड़े पहनते हैं से लेकर हम खुद को कैसे व्यवस्थित करते हैं, समय की पाबंदी से लेकर नैतिक व्यवहार की भावना तक।
  • जब हम देर से पहुंचते हैं या उचित पोशाक नहीं पहनते हैं तो हमें स्कूल में सज़ा मिलती है क्योंकि ये व्यवहार स्थापित अनुशासनात्मक प्रक्रियाओं के विरुद्ध होते हैं।
  • हमें सुबह की असेंबली के लिए तैयार होने और समय सीमा से पहले अपना स्कूल का काम पूरा करने के लिए भी कहा जाता है।
  • स्कूल उचित शिक्षण और दंड के माध्यम से हममें अनुशासन पैदा करते हैं।
  • न केवल छात्रों को सख्त आचार संहिता का पालन करना पड़ता है, बल्कि पेशेवरों, सैनिकों, एथलीटों आदि को भी सख्त आचार संहिता का पालन करना पड़ता है।
  • यद्यपि कठिन है, किसी के जीवन में अनुशासन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इसी वजह से हमें छोटी उम्र से ही यह सिखाया जाता है।
  • अनुशासन की सहायता से हम शांत और व्यवस्थित जीवन जी सकते हैं

हम आशा करते है कि हमारे द्वारा लिखा गए छोटे और बड़े निबंध आपको पसंद आएं होंगे। जैसे कि हमने आपको निबंध के शुरुआत में बताया था कि इस निबंध में आपको अनुशासन पर निबंध 150 words,अनुशासन पर निबंध 100 words,अनुशासन पर निबंध पर निबंध 300 शब्द,अनुशासन पर निबंध पर निबंध 500 शब्द,अनुशासन पर निबंध पर निबंध 200 शब्द,अनुशासन पर निबंध पर निबंध class 7,अनुशासन पर निबंध पर निबंध class 6 मिल जाएंगे। आगे भी हम ऐसे कई विषय पर आपके लिए निबंध लेकर आते रहेंगे।

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अनुशासन का महत्व पर निबंध

essay in hindi discipline

By विकास सिंह

importance of discipline essay in hindi

अनुशासन का मतलब समय की पाबंदी, नियमों का पालन करना और हमारे जीवन के हर पहलू में संगठित होना है। इससे हमारे विभिन्न कार्यों और गतिविधियों को कुशलतापूर्वक पूरा करना और आसानी से सफलता प्राप्त करना आसान हो जाता है।

विषय-सूचि

अनुशासन का महत्व पर निबंध, essay on importance of discipline in hindi (100 शब्द)

अनुशासन एक मूल्यवान गुण है। यदि आप अनुशासित हैं तो आप अपने स्कूल के असाइनमेंट को पूरा कर सकते हैं और उन्हें समय पर जमा कर सकते हैं। समय के प्रति सचेत रहने से आपको अपने लक्ष्यों को उत्कृष्टता के साथ हासिल करने में मदद मिलती है।

आप अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुंच सकते हैं। यदि आप बेकार और अप्रासंगिक गतिविधियों पर अपना समय बर्बाद नहीं करते हैं, तो आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जो महत्वपूर्ण है उसे पूरा करने के लिए अपने समय का उपयोग कर सकते हैं।

समय की पाबंदी के अलावा, अपनी गतिविधियों और असाइनमेंट को व्यवस्थित रूप से करने से आपको अनुशासन के साथ काम करने में मदद मिलती है। बेतरतीब ढंग से काम करने से समय और ऊर्जा बर्बाद होती है। अनुशासन विकसित करने के लिए निम्नलिखित नियम भी आवश्यक हैं।

अनुशासन का महत्व पर निबंध, essay on importance of discipline in hindi (150 शब्द)

अनुशासन आपके काम को आसान और कुशलतापूर्वक पूरा करने में मदद करता है। अनुशासन के साथ काम करना आपको गतिविधि को घंटे के अनुकूल बनाता है। एक छात्र के रूप में आपको अध्ययन करने की आवश्यकता है। सुबह के शुरुआती घंटों में अध्ययन करना सबसे अच्छा है जब पूरी रात की नींद के बाद मन ताजा होता है।

यदि आप देर से उठते हैं तो आप दिन के सबसे अधिक उत्पादक समय को खो देते हैं। इसी तरह, यदि आप बेकार की गतिविधियों में लिप्त हैं, तो आप अपने इच्छित लक्ष्यों तक नहीं पहुँच पाते है। इसलिए, एक व्यावहारिक समय-सारणी तैयार करना और उसके अनुसार काम करना बेहतर है।

एक क्रमबद्ध तरीके से काम करने से अनुशासन विकसित करने में मदद मिलती है। यदि आप एक व्यवस्थित तरीके से काम करते हैं, तो आप अपने काम को अधिक आसानी से पूरा कर सकते हैं। आप तनावग्रस्त होने से भी बच सकते हैं। आपको नियमों का पालन करके अनुशासित किया जा सकता है। इससे आपका काम सरल हो जाएगा।

अनुशासन का महत्व पर लेख, article on importance of discipline in hindi (200 शब्द)

अनुशासन अच्छी तरह से व्यवहार में चीजों को करने का सही तरीका है। इसे मन और शरीर पर नियंत्रण की आवश्यकता है। किसी के पास आत्म-अनुशासन की प्राकृतिक संपत्ति है, लेकिन किसी को उनके अंदर इसे विकसित करना है। अनुशासन भावना को नियंत्रित करने और सही समय पर सही काम करने की क्षमता है और साथ ही कमजोरियों को दूर करता है।

अनुशासन के बिना जीवन अधूरा और असफल है। हमें अपने बुजुर्गों और वरिष्ठों का सम्मान करते हुए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। यह घर, कार्यालय, खेल के मैदान या अन्य जगह पर जीवन के हर क्षेत्र में हर किसी के लिए बहुत आवश्यक उपकरण है। यदि हम अनुशासन का पालन नहीं करेंगे तो हमारा दैनिक जीवन असंगठित हो जाएगा। इस दुनिया में हर चीज में अनुशासन होता है और अनुशासन से संगठित होता है।

हवा, पानी और जमीन हमें जीवन जीने का रास्ता देते हैं। पूरी दुनिया, देश, समाज, समुदाय, आदि अनुशासन के बिना अव्यवस्थित हो जाएंगे क्योंकि सब कुछ अनुशासन की आवश्यकता है। अनुशासन वह प्रकृति है जो प्रकृति द्वारा बनाई गई हर चीज में मौजूद है।

अनुशासन का महत्व पर अनुच्छेद: paragraph on importance of discipline in hindi (250 शब्द)

प्रस्तावना:.

अनुशासन का पालन किया जा रहा है और उचित अधिकार के आदेशों का पालन करने के लिए आत्म-नियंत्रित व्यवहार है। अनुशासन का पूरे जीवन में बहुत महत्व है और जीवन के हर क्षेत्र में इसकी आवश्यकता है। यह उन सभी के लिए आवश्यक है जिन्हें किसी भी कार्य को गंभीरता से करने की आवश्यकता है। यह हम वरिष्ठों के आदेशों का पालन और पालन नहीं करते हैं; निश्चित रूप से हम समस्याओं का सामना करेंगे या असफल हो सकते हैं।

दैनिक जीवन में अनुशासन:

हमें हमेशा अनुशासन में रहना चाहिए और अपने जीवन में सफल होने के लिए अपने माता-पिता और शिक्षकों के आदेश का पालन करना चाहिए। हमें सुबह-सुबह बिस्तर से उठना चाहिए और एक गिलास पानी पीना चाहिए और खुद को तरोताजा रखना चाहिए। हमारे दांतों को ब्रश करें, स्नान करें और फिर हमारा स्वस्थ नाश्ता करें। बिना भोजन ग्रहण किए हमें कभी स्कूल नहीं जाना चाहिए। हमें अपने होमवर्क को सही समय पर साफ और स्वच्छ तरीके से करना चाहिए।

हमें अपने माता-पिता को कभी भी अस्वीकार नहीं करना चाहिए, उनका अपमान करना चाहिए या उन्हें नाखुश करना चाहिए और हमेशा उनके आदेश का पालन करना चाहिए। हमें सही समय पर और उचित यूनिफॉर्म में स्कूल जाना चाहिए। कक्षा में, हमें स्कूल के मानदंडों के अनुसार प्रार्थना करनी चाहिए। हमें शिक्षक के आदेशों का पालन करना चाहिए, कक्षा में सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और सही तरीके से सब कुछ सीखना चाहिए।

निष्कर्ष:

हमें शिक्षकों, प्रिंसिपल, नौकरानी, ​​गेट कीपर्स या छात्रों के साथ दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए। हमें घर, स्कूल, कार्यालय या अन्य स्थानों पर सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। बिना अनुशासन के कोई भी अपने जीवन में कुछ भी बड़ा हासिल नहीं कर सकता है। इस प्रकार, हम सभी को अपने माता-पिता और शिक्षकों का पालन करना चाहिए और जीवन में एक सफल व्यक्ति बनना चाहिए।

अनुशासन का महत्व पर निबंध, importance of discipline essay in hindi (300 शब्द)

अनुशासन हमारे शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रण में रखने और परिवार के माता-पिता, शिक्षकों और बड़ों के आदेशों का पालन करके सभी कार्यों को सही तरीके से करने का कार्य है। अनुशासन में रहने के लिए नियमों और विनियमों को स्वीकार करने के लिए हमारे दिमाग को प्रशिक्षित करने का कार्य है। हम अपने दैनिक जीवन में प्रकृति में अनुशासन के उदाहरण भी देख सकते हैं

प्रकृति में अनुशासन के उदाहरण:

सूर्य हर दिन सही समय पर उठता है और सही समय पर अस्त होता है, चाँद सही समय पर उठता है, सुबह और शाम बिना देर किए उठता है, नदी हमेशा बहती है, माता-पिता हमेशा प्यार करते हैं, शिक्षक हमेशा हमें सिखाते हैं और बहुत कुछ। तो क्यों हमें अपने जीवन में पीछे छोड़ दिया जाना चाहिए, हमें समस्याओं से पीड़ित हुए बिना आगे बढ़ने के लिए अपने जीवन में आवश्यक सभी अनुशासन का पालन करना चाहिए।

अनुशासन कैसे सीखें?

हमें माता-पिता, शिक्षकों और अपने बुजुर्गों का पालन करना चाहिए। हमें उनके अनुभवों के बारे में जानने और उनकी जीत और असफलताओं से सीखने के लिए उन्हें सुनना चाहिए। जब भी हम किसी चीज को गहराई से देखना शुरू करते हैं, तो यह हमें जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक देती है।

मौसम सही पैटर्न में आते हैं और चलते हैं, बारिश होती है और जाती है और सब कुछ सही समय पर होता है ताकि हमारे जीवन को संतुलित बनाया जा सके। इसलिए, हमें भी इस धरती पर जीवन चक्र को बनाए रखने के लिए अनुशासन में रहने की आवश्यकता है।

हमारे जीवन, माता-पिता, शिक्षक, परिवार, पर्यावरण, वातावरण आदि के प्रति हमारी बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं। एक इंसान के रूप में, हमारे पास सोचने, सही या गलत के बारे में निर्णय लेने और इसे कार्य में बदलने के लिए अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए बहुत दिमाग है। इसलिए, हम अपने जीवन में इस अनुशासन की आवश्यकता और महत्व को जानने के लिए अत्यधिक जिम्मेदार हैं।

अनुशासनहीनता जीवन में बहुत भ्रम पैदा करती है और एक व्यक्ति को गैर जिम्मेदार और आलसी बनाती है। यह आत्मविश्वास के स्तर को कम करता है और मन को एक साधारण काम करने के बारे में अनिश्चित बनाता है। हालाँकि, अनुशासन में रहना हमें जीवन की उच्चतम सीढ़ी की ओर अग्रसर करता है और हमें सफलता पाने में मदद करता है।

अनुशासन का महत्व पर निबंध, essay on importance of discipline in hindi (350 शब्द)

अनुशासन हमें अपने कार्यों और गतिविधियों को एक कुशल तरीके से पूरा करने में मदद करता है। हमें अपने जीवन के हर चरण और गतिविधि में अनुशासित होना चाहिए। अनुशासित होने से सफलता मिलने में मदद मिलती है।

नियमों का पालन करने से हम अनुशासन विकसित करते हैं:

अनुशासन के लिए आवश्यक है कि हम उन नियमों का पालन करें जो हम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, सड़क नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है। अगर हमें एक सड़क पार करनी है तो हमें पैदल यात्री क्रॉसिंग पर ऐसा करने की आवश्यकता है। अगर हम नियम की अवज्ञा करते हैं, तो यह खतरनाक होगा।

इसी तरह, हमें उन नियमों का पालन करना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए जिन्हें हम संगठन का हिस्सा मानते हैं। यदि हम किसी स्कूल या शिक्षण संस्थान में पढ़ते हैं, तो हमें उपस्थिति और अध्ययन के सभी नियमों का पालन करना चाहिए।

अगर हम छुट्टी लेते हैं तो हमें छुट्टी का आवेदन जमा करना होगा। इसी तरह, अगर हम स्कूल में प्रयोगशाला, कंप्यूटर कक्ष और खेल के मैदान जैसी सुविधाओं का उपयोग करना चाहते हैं, तो हमें उनके उपयोग के लिए निर्धारित नियमों का पालन करना होगा।

यदि हम किसी सामाजिक, व्यावसायिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक या सांस्कृतिक संगठन का हिस्सा हैं, तो हमें इसके सुचारू और सामंजस्यपूर्ण कामकाज के नियमों का पालन करने की आवश्यकता है। हमें उस देश के नियमों और कानूनों का भी पालन करना होगा जो हम हैं। यदि किसी देश के सभी नागरिक गैर-कानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं तो पूरे देश में अराजकता होगी।

नियमों का पालन करने से न केवल हम किसी सुविधा या सेवा से लाभ प्राप्त करते हैं बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि इसका उपयोग करने वाले या अन्य लोगों को कोई गड़बड़ी या विनाश न हो। इसलिए, सभी के अनुशासित होने पर अधिक सामंजस्य और व्यवस्था होती है।

अनुशासन समय के विवेकपूर्ण उपयोग की अनुमति देता है:

सही समय पर सही गतिविधि करके हम अधिक अनुशासित भी हो सकते हैं। इस प्रकार हम अपने पास उपलब्ध समय का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करते हैं। अप्रासंगिक गतिविधियों में समय बर्बाद करने के बजाय, हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपने प्रयासों और ऊर्जाओं को लागू करते हैं।

एक छात्र के रूप में हमें समय के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है ताकि हम समय पर स्कूल पहुँच सकें। हमें अपने कार्य और परियोजनाएँ समय पर पूरी करनी चाहिए। इसी तरह, अगर हमारी किसी विशेष समय पर नियुक्ति होती है, तो हमें समय पर पहुंचने के लिए समयनिष्ठ होना चाहिए। समय की पाबंदी में कमी अनुशासनहीनता को दर्शाता है।

अनुशासन का महत्व पर लेख: article on importance of discipline in hindi (400 शब्द)

अनुशासन एक ऐसी चीज है, जो सभी को अच्छे नियंत्रण में रखती है। यह व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। हम में से हर एक ने अपनी आवश्यकता और जीवन के प्रति समझ के अनुसार विभिन्न रूपों में अनुशासन का अनुभव किया है। सभी के जीवन में इसकी उपलब्धता सही रास्ते पर जाने के लिए बहुत आवश्यक है।

अनुशासन: इसका महत्व और प्रकार (importance of discipline)

अनुशासन के बिना जीवन निष्क्रिय और बेकार हो जाता है क्योंकि योजना के अनुसार कुछ भी नहीं होता है। अगर हमें किसी भी कार्य को पूरा करने के बारे में सही तरीके से अपनी रणनीति को लागू करने की आवश्यकता है, तो हमें पहले अनुशासन में रहने की आवश्यकता है। अनुशासन चीजों को आसान बनाता है और हमारे जीवन में सफलता लाता है।

अनुशासन आम तौर पर दो प्रकार के होते हैं। एक प्रेरित अनुशासन है जिसमें हम दूसरों के द्वारा अनुशासन में रहना सीखते हैं और दूसरा एक आत्म-अनुशासन है जो अनुशासन में रहने के लिए हमारे स्वयं के मन से आता है। हालाँकि, हमें अपनी आत्म-अनुशासन की आदत को सुधारने के लिए कुछ प्रभावी व्यक्तित्व से प्रेरणा की आवश्यकता हो सकती है।

हमें अनुशासन की आवश्यकता क्यों है?

हमें अपने जीवन के कई चरणों में अनुशासन की आवश्यकता है, इसलिए बचपन से अनुशासन का अभ्यास करना अच्छा है। स्व-अनुशासन का अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग होता है जैसे कि छात्रों के लिए, इसका मतलब है कि स्वयं को अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करना और सही समय पर काम पूरा करना।

हालांकि, कामकाजी व्यक्ति के लिए, इसका मतलब है कि सुबह समय पर बिस्तर से उठना, व्यायाम करना, समय पर कार्यालय जाना और नौकरी के कार्यों को ठीक से करना।

जीवन में सेल्फ डिसिप्लिन

स्व-अनुशासन की सभी के लिए बहुत आवश्यकता होती है, क्योंकि आधुनिक समय में किसी के पास दूसरों को अनुशासन में रहने के लिए प्रेरित करने का समय नहीं है। अनुशासन के बिना कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में असफल हो सकता है और अपने कैरियर में शैक्षणिक या अन्य सफलता का आनंद नहीं ले सकता है।

हर क्षेत्र में आत्म-अनुशासन की आवश्यकता होती है, जैसे कि डाइटिंग में, किसी को वसायुक्त और जंक फूड पर नियंत्रण करने और नियमित व्यायाम आदि करने की आवश्यकता होती है। कोई भी भोजन पर नियंत्रण के बिना मोटापे जैसे स्वास्थ्य मुद्दों को विकसित कर सकता है, इसलिए इसे सख्त अनुशासन की आवश्यकता है।

माता-पिता को आत्म-अनुशासन की आदतों को विकसित करने की आवश्यकता होती है क्योंकि उन्हें अपने बच्चों को एक अच्छा अनुशासन सिखाने की आवश्यकता होती है। उन्हें हर समय अच्छा व्यवहार करने और सही समय पर सबकुछ करने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है। कुछ शरारती बच्चे अपने माता-पिता की सलाह का पालन नहीं करते हैं, ऐसे में माता-पिता को उन्हें अनुशासन सिखाने के लिए धैर्य रखने की आवश्यकता होती है।

प्रकृति के अनुसार अनुशासन का अर्थ सीखने के लिए हर किसी के पास अलग-अलग समय और क्षमता है। इसलिए, कभी भी हार न मानें और हमेशा अनुशासन में रहने की कोशिश करें, क्योंकि आज उठाया गया एक छोटा कदम कल के लिए एक बड़ा बदलाव ला सकता है। अनुशासन हमेशा आपको एक बेहतर इंसान बनाएगा और आपको सफलता के करीब लाएगा।

[ratemypost]

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Nice very helpful

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अनुशासन पर निबंध – Discipline Essay in Hindi

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Reported by Saloni Uniyal

Published on 15 August 2024

संसार में प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अनुशासन का होना बहुत जरूरी है, चाहे वह विद्यार्थी हो या अन्य कोई व्यक्ति उसके लिए अनुशासन ही सम्पूर्ण जीवन का आधार है। इसके तहत हम अपने जीवन को संतुलित करके रखते हैं। बिना Discipline के किसी व्यक्ति का विकास हो पाना संभव नहीं है। यह एक ऐसा गुण है जो कि हमें सफलता के मार्ग में जाने के लिए प्रेरित करता है जिससे हम अपने जीवन में ऊंचाई हासिल कर सके। स्कूल में टीचर बच्चों को अनुशासन विषय पर निबंध लिखने के लिए देते है और बच्चे इस विषय को लेकर चिंता में पड़ जाते हैं लेकिन आपकी इस समस्या का हल हमने कर लिया है। इस लेख में हमने अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay in Hindi) उपलब्ध कराया है। स्कूल के छात्र इस आर्टिकल की मदद से अनुशासन विषय पर निबंध लिख सकते हैं।

अनुशासन क्या है?

कोई भी काम करने के लिए अनुशासन का होना अतिआवश्यक है। अनुशासन दो शब्दों अनु एवं शासन से मिलकर बना हुआ होता है। अनु का अर्थ ‘पालन’ एवं शासन का अर्थ ‘नियम’ होता है अर्थात अनुशासन का अर्थ नियमों का पालन करना होता है। समाज में संतुलित जीवन जीने के लिए अनुशासन का होना बहुत आवश्यक है। इस शब्द को अंग्रेजी में Discipline कहा जाता है जो कि लैटिन भाषा के Disciplina शब्द से लिया गया है इसका मतलब आज्ञापालन या फिर सीखना भी बताया गया है। मनुष्य को अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए Discipline आगे बढ़ाता है।

अनुशासन पर निबंध – Discipline Essay in Hindi

अनुशासन का महत्व

यदि हमारे जीवन में अनुशासन नहीं है तो हम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकते है क्योंकि इस गुण के बिना लक्ष्य प्राप्ति कर पाना असम्भव है। दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति को अनुशासन के नियमों का पालन करना होता है। अनुशासन के नियम का पालन व्यक्ति ही नहीं बल्कि प्रकृति में पाई जाने वाले प्रत्येक जीव -जंतु एवं वनस्पति करते हैं। यदि हमें किसी काम को करना है या फिर उसका हल निकालना है तो हमें अनुशासित करके यह काम करना होता है अर्थात जो अनुशासित व्यक्ति होता है वह कठिन से कठिन समस्या का आसानी से अन्य लोगों के मुकाबले हल कर देता है। कोई भी मनुष्य कहीं भी हो या घर से बाहर, खेल रहा हो, स्कूल में पढ़ाई कर रहा हो तो उसे डिसिप्लिन के नियम से रहना होता है। इसके अतिरिक्त जीवन में हम जो भी छोटा काम या बड़ा काम करते हैं उसके लिए इस गुण का होना बहुत आवश्यक होता है। यदि हम अनुशासन से पढ़ाई नहीं करेंगे तो हम अपनी कक्षा में पास नहीं होंगे या फिर अच्छे नंबर प्राप्त नहीं कर पाएंगें। इसलिए हमें अपने जीवन में किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए डिसिप्लिन रहना होगा।

अनुशासन के लाभ

अनुशासन मनुष्य को समाज में उच्चता प्रदान करता है। सरल भाषा में कहे तो अनुशासन व्यक्ति को जीवन में सफलता की ऊंचाई प्राप्त करने के लिए बढ़ावा प्रदान करता है। यदि व्यक्ति अपने सम्पूर्ण जीवन में अनुशासन से कार्य करता है तो वह जल्द ही अपना मुकाम हासिल कर लेता है। इसे गुण को सफलता का आधार बताया गया है। यदि हमें अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना है तो हमें इस गुण के नियमों का पालन करना होगा। जो छात्र अनुशासन से स्कूल जाएगा एवं अनुशासित होकर अपनी पढ़ाई को पूरा करेगा वहीं अपने जीवन में सफल हो सकता है। इसके अतिरिक्त हम इस बात को मानकर अपने जीवन की कई परेशानियों एवं कष्टों को दूर कर सकते हैं। साथ ही जो व्यक्ति अनुशासन से अपना जीवन नहीं जीते हैं बाद में उन्हें कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है और अनुशासनहीन व्यक्ति कभी भी अपने जीवन में कामयाब नहीं होता है।

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बिना अनुशासन के हानि

अनुशासनहीन व्यक्ति अपने देश एवं समाज के लिए प्राण नाशक होता है। देश की अर्थव्यवस्था का कमजोर पड़ना इसका ही कारण है इसके अतिरिक्त राजनीति में भ्रष्टाचार एवं अराजकता भी इस वजह से ही फैलती है। देश में विकास एवं तरक्की नहीं होती है। अनुशासनहीन व्यक्ति अपने जीवन में कभी भी सफल नहीं हो पाता है चाहे वह कुछ कर ले। हर कदम पर उसे हार का ही सामना करना पड़ता है।

विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का महत्व

विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का होना बहुत जरूरी है। यदि विद्यार्थी बचपन से ही इस गुण को अपने जीवन में शामिल करता है तो उसे हर कदम पर कामयाबी हासिल होती है। इससे वह अपने नाम के साथ अपने परिवार, अपने स्कूल एवं समाज का नाम भी रोशन करता है। विद्यार्थी का डिसिप्लिन पढ़ाई में तो होता ही है साथ ही खेल -कूद व एक दूसरे से बात करने में भी शामिल होता है। विद्यार्थी को केवल स्कूल में ही डिसिप्लिन से नहीं रहना होता बल्कि अपने घर में एवं बाहर दूसरे लोगों से भी ऐसी ही रहना चाहिए।

अनुशासन कितने प्रकार का होता है?

मुख्य रूप से अनुशासन दो प्रकार के होते हैं- पहला बाह्य अनुशासन एवं दूसरा आंतरिक अनुशासन। बाह्य अनुशासन का अर्थ उस अनुशासन को बताया गया है जो कि किसी व्यक्ति के कहने पर अपने जीवन में अपनाया जाता है जो कि कुछ समय के लिए अपनाया जाता है। इसके अतिरिक्त आंतरिक अनुशासन ही जीवन का आवश्यक हिस्सा है क्योंकि हम इसे अपने आंतरिक रूप से अपने जीवन में शामिल करते हैं।

अनुशासित व्यक्ति के गुण

  • ऐसे व्यक्ति अपनी दिनचर्या में इस गुण का हमेशा से पालन करते हैं।
  • जीवन में अपने कार्य को लेकर सजग रहें।
  • हमें अपने जीवन का बराबर संतुलन बनाए रखना चाहिए।
  • हमें हमेशा अपने से बड़ों एवं छोटे बच्चों का सम्मान करना चाहिए।
  • अपने जीवन में हमेशा पॉसिटिव बात एवं विचार सोचने चाहिए।
  • वह व्यक्ति अपना काम समय पर करता है तथा अपना समय किसी अन्य फालतू काम में व्यर्थ नहीं जाने देता।
  • बुरे कार्य करने से बचना है।
  • किसी से कार्य की बात करें फालतू बाते करने से दूर रहें।
  • अपने कार्यों को पूरी निष्ठा के साथ करना चाहिए।
  • अपने कार्य को किसी अन्य व्यक्ति पर ना थोपे।

Discipline पर 10 लाइन

  • जीवन में सफल होने के लिए अनुशासन होना बहुत जरूरी है।
  • अपने जीवन को संतुलित करने के लिए अनुशासित रहना बहुत आवश्यक है।
  • सर्वप्रथम हमारे माता-पिता द्वारा ही हमें अनुशासन का ज्ञान प्रदान किया जाता है।
  • स्कूल में बच्चों को Discipline से रहना चाहिए।
  • Discipline से हमें अपनी सफलता का रास्ता पता चलता है।
  • अनुशासन के तहत हम अपने से बड़ों एवं छोटों का सम्मान करते हैं।
  • Discipline रहने से हम बुराई को छोड़कर अच्छाई की ओर जाते हैं।
  • अच्छे एवं बुरे काम में फर्क हमें Discipline के माध्यम से पता चलता है।
  • स्कूल में अध्यापक हमें अनुशासन से रहना सिखाते हैं।
  • अनुशासन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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अनुशासन पर निबंध से जुड़े सवाल/जवाब

मनुष्य के जीवन में अनुशासन का क्या महत्व है.

मनुष्य के जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व है। बिना अनुशासन के मनुष्य अपने जीवन में सफलता हासिल नहीं कर सकता है।

क्या नौकरी करने के लिए Discipline का होना जरुरी है?

जी हाँ, कोई भी नौकरी करने के लिए पहले व्यक्ति का Discipline होना अनिवार्य है तब जाकर वह अपने काम को कर सकता है।

अनुशासन शब्द किससे मिलकर बना है?

अनुशासन दो शब्दों से मिलकर बना है अनु (पालन) एवं शासन (नियम) इसका अर्थ होता है नियमों का पालन करना।

अनुशासन से हम क्या सीखते हैं?

अनुशासन से व्यक्ति एक जिम्मेदार नागरिक बनता है जो कि समाज से सबका आदर व प्यार से व्यवहार करता है।

क्या स्कूल में विद्यार्थियों को अनुशासन का पालन करना चाहिए ?

जी हाँ, स्कूल के प्रत्येक विद्यार्थी को अनुशासन में रहना अनिवार्य होता है स्कूल के अलग -अलग नियम होते है जिसके तहत बच्चे को अनुशासित रहना होता है।

Discipline Essay in Hindi से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी को हमने इस लेख में आपको साझा कर दिया है यदि आपको लेख से जुड़ी अन्य जानकारी या कोई प्रश्न पूछना है तो इसके लिए आप नीचे दिए हुए कमेंट सेक्शन में अपना प्रश्न पूछ सकते हैं हमारी टीम द्वारा जल्द ही आपके प्रश्नों का उत्तर दिया जाएगा। इसी तरह के अन्य लेख, शिक्षा से सम्बंधित जानकारी या सरकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमारी साइट hindi.nvshq.org से ऐसे ही जुड़े रह सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे इस लेख से जानकारी प्राप्त करने में सहायता हुई हो और यह लेख पसंद आया हो धन्यवाद।

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  • Discipline Essay in Hindi | अनुशासन पर निबंध

आज के इस लेख में हम और आप अनुशासन के महत्व पर निबंध हिंदी में {Anushasan Ke Mahatva Par Nibandh in Hindi} पढ़ेंगे। आपने हमारे Blog पर पिछले Hindi Essay के लेख में भारतीय किसान पर हिंदी में निबंध पढ़े थे।

आप आज का यह आर्टिकल – Discipline Essay in Hindi, पढ़ने के बाद comment box के माध्यम से हमें जरूर से जरूर बताये की आपको यह लेख कैसा लगा। अब आप नीचे scroll करके इसे पढ़ना सुरु कीजिए।

Table Of Contents

  • 1.1 Essay on Discipline in Hindi
  • 1.2 अंतिम विचार –

Anushasan Ke Mahatva Par Nibandh in Hindi

Discipline Essay in Hindi | अनुशासन पर निबंध

Essay on Discipline in Hindi

Discipline ‘अनुशासन’ का अर्थ है – शासन में रहना, नियम, कानून कायदे को मानना। यह शासन अपने विवेक का हो या अपनी सरकार अथवा समाज का, इस शासन का नियंत्रण नहीं रहने से स्वतंत्रता, स्वछंदता बन जाती है।

जो व्यक्ति और समाज दोनों को ले रूकती है। पृथ्वी, सूर्य, चंद्र आदि प्रकृति के सारे उपादान (Discipline) – अनुशासन-बद्ध है। संपूर्ण सृष्टि अनुशासन से संचालित है।

अतः जीवन में अनुशासन का अत्यधिक महत्व है। अनुशासन (Discipline) ही सेना की शक्ति है। एक सेना-नायक के नियंत्रण में अनुशासनबद्ध होकर ही हुए एक सशक्त सेना का निर्माण करते हैं।

इसीलिए सेना की शक्ति उसकी संख्या नहीं होती है अपितु उसका अनुशासन होती है। जिस परिवार में (Discipline), अनुशासन की कड़ी जितनी ही मजबूत होती है, वह परिवार उतना ही सशक्त सुखी एवं संपन्न होता है।

शासन ही किसी कार्यालय की श्रेष्ठा का आधार है। यदि कर्मचारी कार्यालय के नियमों का अनुसरण ना करें, वे अपने अधिकारों के आदर्शों का पालन ना करें तो वहां कोई काम सुचारू रूप से संपादित न हो सकेगा।

अनुशासन–(Discipline) ही जीवन की गति है। यह निर्विवाद सच है कि सुखी सामाजिक जीवन अनुशासनबद्धता पर ही निर्भर है। इस अनुशासनबद्धता की शिक्षा मिलती है अपने बड़े-बूढ़ों के आचरण से।

अतः यदि हम चाहते हैं कि बच्चे अनुशासित होकर प्रतिष्ठित नागरिक बने, तो हमें अपने आप को अनुशासित बनाना होगा। उनके सामने कोई ऐसी बात कोई ऐसा काम ना करना होगा जिससे उनमें उच्छखलता का भाव आए।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व –

अनुशासन – (Discipline) की आवश्यकता छात्र जीवन के लिए सबसे अधिक है। वह विवेक संगत श्रृंखला में बने रहने की आदत डालें। उनकी सामर्थ्य बिखर कर बर्बाद ना होने पाए।

उनकी साधना के बादल चट्टान और बंजर पर न बरसे। उनकी लालसा कलंक से काले पड़े भौरे की लालसा मात्र न बन जाए। इसके लिए छात्रों को व्यवहारिक जीवन में अनुशासन के नियमों का पालन करना परम आवश्यक है।

जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन की आवश्यकता पड़ती है। केवल विद्यालय ही नहीं वरन परिवार एवं समाज में भी अनुशासन, (Discipline) के नियमों का पालन करना चाहिए।

(Discipline), अनुशासन की पहली सीढ़ी है नम्रतापूर्वक व्यवहार करना, बोलने-चालने, उठने-बैठने, खाने-पीने आदि में अनुशासित व्यवहार छात्रों में उच्च गुणों का समावेश करते हैं।

छात्रों को समझना चाहिए कि अनुशासन में बंधा हुआ जीवन, पिंजरे में कैद किसी पक्षी का रुद्ध-क्षुब्ध जीवन नहीं होता है वरण अनुशासन – (Discipline) तो सदभावो का प्रेरक, विनय और शील का सृस्टा, साधना का शाखा और निरंकुश स्वेच्छाचार का दुश्मन होता है। अतः छात्र जीवन में इसका अत्यंत महत्व है क्योंकि “अनुशासन ही सफलता का मूल मंत्र होता है।”

अंतिम विचार –

आज के इस लेख में हमने अनुशासन पर निबंध हिंदी {Anushasan Essay in Hindi} में पढ़ा। आपको यह लेख कैसा लगा नीचे दिए गए comment box में हमे जरूर बताये।

अगर आपको आज का यह लेख Anushasan Par Nibandh अच्छा लगा हो तो आप इसे अपने दोस्तों एवं छात्रों के साथ social media पर भी share जरूर करे।

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अनुशासन हर व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासन कायम कर लेता है, वो व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त कर लेता है। अनुशासन का अर्थ (anushasan ka arth) की बात करें, तो ये दो शब्दों से अनु और शासन से मिलकर बना हुआ है जिसका अर्थ है नियंत्रण में रहना अथवा किसी भी काम के प्रति नियमों में रहना। विद्यार्थी और अनुशासन (vidyarthi aur anushasan) का नाता बहुत ही पुराना है। अगर विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व सिख लेते हैं, तो वे हर पड़ाव आसानी से पार कर लेते हैं। अनुशासन क्या है, अब तक आप समझ चुके होंगे। जीवन में अनुशासन का महत्व, अनुशासन के प्रकार और अनुशासन के लाभ बारे में जानने के लिए हमारा आर्टिकल पढ़ें।

अनुशासन दो शब्दों अनु और शासन से मिलकर बना हुआ है जिसका अर्थ है नियंत्रण में रहना अथवा किसी भी काम के प्रति नियमों में रहना। एक सुखीपूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए अनुशासन बहुत जरूरी है और उससे भी ज्यादा जरूरी है अनुशासन को निभाना उसे पूर्ण रूप से जीवन में बनाए रखना। यह जीवन के एक अभिन्न अंग की तरह काम करता है। अनुशासन सफलता पाने की कुंजी है।

अनुशासन का महत्त्व

अनुशासन का किसी एक कार्य में नहीं बल्कि जीवन के प्रत्येक हिस्से में महत्त्व है। अनुशासन हमारे भटकते जीवन को एक नई दिशा दिखाने का काम करता है। अनुशासन सफल जीवन की पहली राह है क्योंकि प्रगति की ओर बढ़ने में अनुशासन मुख्य रूप से सहयोगी होता है। समय किसी की नहीं सुनता, समय पर हर काम पूरा करना बेहद जरूरी होता है। यह अनुशासन के बिना असम्भव है।

समय को अपने हाथों में संजो कर रखना अनुशासन के साथ ही हो सकता है। अगर हम अनुशासन को बचपन से या विद्यार्थी समय से ही जीवन में उतार लेते हैं, तो हमारा जीवन किसी स्वर्ग से कम नहीं कहलाता है। हमारी पृथ्वी सजग रूप से चल रही है, किस वजह से? इसमें अनुशासन की ही अहम भूमिका है; समय पर सूर्य का उगना और ढलना, मौसम में परिवर्तन, फसलों को समय पर उगाना और काटना। यदि हमें राष्ट्र का भी विकास सजग रूप से होते हुए देखना है, तो उसमें भी अनुशासन का पालन करते हुए सभी परिवर्तन समय से होना जरूरी है।

अनुशासन का लाभ और आवश्यकता

अनुशासन के लाभ:- यदि हम अपने जीवन में अनुशासन को अपना लेते हैं, तो उससे ना हमारे जीवन में बदलाव आएगा बल्कि हमारी बढ़ती हुई बढ़ोतरी की वजह से हमें हर जगह मान–सम्मान प्राप्त होगा। प्रत्येक व्यक्ति के द्वारा आदर किया जाएगा। यदि कोई भी ऐसा काम हो कि ये हमें आज ही करना जरूरी है जिसकी पल भर देरी सभी खराब कर सकती है वहां सबसे ज्यादा हमें अनुशासन ही लाभ देगा। अनुशासन की विद्यालय, सेना, सरकार से जुड़े काम, जीवन की हर प्रक्रिया में जरूरत होती है।

अनुशासन का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है?

अनुशासन हमारे जीवन से जुड़े प्रत्येक कार्य में जरूरी होता है। अनुशासन अपनाए बिना जीवन जीने का कोई मूल्य नहीं। यदि हम कोई भी काम करते हैं, तो जब तक हम उसमें कोई समय निश्चित नहीं करेंगे, उससे जुड़े नियमों के प्रति अनुशासन में नहीं रहेंगे, तो वह काम कभी समय पर पूरा होगा ही नहीं, वह आज करने या कल करने पर ही चलता रहेगा।

इससे जीवन की अर्थव्यवस्था हिल–डुल जाती है। प्रत्येक कार्यों में परिपक्वता बनाए रखने के लिए जीवन में अनुशासन बहुत जरूरी है। अनुशासन के बिना हमारा जीवन असफल है। अनुशासन को अपनाना शुरू में हमारे लिए बहुत ही मुश्किल होता है, क्योंकि एक ही बार में हम किसी भी कार्य के प्रति सजग नहीं होते है लेकिन अगर हम इसे पूर्ण रूप से अपना लेते हैं, तो उसका परिणाम हमारे लिए सबसे अधिक लाभप्रद होगा।

विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का क्या महत्त्व है?

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन कई प्रकार से विद्यार्थी का सहयोगी होता है। यदि विद्यार्थी शुरू से ही अनुशासन को अपने जीवन में उतार लेता है, तो उसे हर पग पर सफलता पाने से कोई रोक नहीं सकता। इससे वह केवल स्वयं का नहीं बल्कि अपने परिवार, अपने राष्ट्र का भी उद्धार करेगा। एक विद्यार्थी के लिए अनुशासन उसकी पढ़ाई, खेल–कूद, करियर हर चीज़ में काम आता है।

विद्यार्थी को अपने पूरी दिनचर्या में अनुशासन को बनाए रखना जरूरी होता है चाहे वह काम विद्यालय से जुड़ा हो या फिर घर से। उसे समय पर उठना, प्रतिदिन स्नान करना, समय से खाना खाना, अनुशासन में विद्यालय में जाना, सभी नियमों का पालन करना, विद्यालय द्वारा दिया गया कार्य समय से करना बहुत जरूरी माना जाता है। इस तरह की जीवनशैली ही जीवन को एक नई दिशा दे सकती है।

हम ऐसे कई विद्यार्थी भी देख सकते हैं जो बिना पढ़े ही पास होना चाहते हैं, किसी भी तरह के प्रयत्न में उनका कोई ध्यान नहीं होता। वे अपने जीवन की दुर्दशा कर लेते है। सबसे पहले तो ऐसे विद्यार्थियो के लिए अनुशासन बहुत जरूरी होता है।

अनुशासन का पालन कैसे करना चाहिए?

हमें समय से उठकर, नियमित नहाकर, संतुलित आहार खाना चाहिए। हम जो भी काम करते हैं हमें ध्यान रखना चहिए कि वह काम समय से पूरा हो जाए। हमें इधर-उधर घूमकर व्यर्थ की बातों में समय नहीं गवाना चाहिए। ना ही ऐसी कोई आदत अपनानी चाहिए जो हमारे जीवन और अनुशासन पर गलत प्रभाव डाले।

अनुशासन कितने प्रकार के होते हैं?

अनुशासन के प्रकार मुख्य रूप से दो होते हैं:- 1. बाह्य अनुशासन और 2. आंतरिक अनुशासन। बाह्य रूप से अनुशासन का अर्थ है किसी के द्वारा थोपने पर अनुशासन को जीवन में उतारना जिसका कोई मोल नहीं; यह भी कुछ ही समय के लिए जीवन में चलता है। जबकि आंतरिक अनुशासन का ही जीवन में मोल होता है। क्योंकि जब तक हम किसी भी चीज़ को आंतरिक रूप से नहीं अपनाएंगे, वह बात और लक्ष्य कभी पूरा नहीं होगा।

अनुशासन का उद्देश्य क्या है?

अनुशासन का उद्देश्य है समाज में शांति बनाए रखना, सामाजिक या आर्थिक अर्थव्यवथा को नियंत्रण में रखना, शासन बनाए रखना, जीवन को सही दिशा में रखना, मनुष्य को जीवन के कर्म के प्रति प्रेरित करना। अनुशासन का दूसरा नाम क्या है:- अनुशासन के दूसरे नाम को हम विद्यार्थी जीवन से संबोधित कर सकते हैं। यह धारना त्रिभुवनेश भारद्वाज द्वारा मानी गई है।

अनुशासन कैसे बनाया जाता है?

हमें अपने जीवन में अनुशासन को बनाए रखने के लिए हर एक चीज़ का ध्यान रखना होगा कि कब हमें उठना है, किस समय खाना खाना है ऐसी दिनचर्या के साथ हमें सबसे पहले समय के महत्त्व को समझना है। हमें नियमों का सटीकता से पालन करना है। किसी भी काम को पूरा करने के लिए आत्मविश्वास बनाए रखना है। इसके साथ हमें सकारात्मक सोच भी रखनी है ताकि किसी भी काम में अगर हमें कोई हानि प्राप्त होती है, तो भी हम अनुशासन बनाते हुए आगे बढ़ सकें।

हम इसका यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि यदि हम अपने जीवन में अनुशासन को नियमित रूप से मानने लगते हैं, तो यह हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है। एक अनुशासित व्यक्ति को कोई पकड़ नहीं सकता, हर कोई उसके जैसा बनने की इच्छा रखेगा। अनुशासन के बिना जीवन जीने का कोई मतलब नहीं होता है। अनुशासन हमारे लिए जिंदगी सवारने जैसा होता है।

अनुशासन पर निबंध 100 शब्द

अनुशासन जीवन का एक मूल अंग है। इसके बिना कोई भी इंसान सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है। हमें एक अच्छा इंसान बनना है तो हमें अपने जीवन में अनुशासन लाना बहुत ही जरूरी है। हर एक इंसान की सफलता के पीछे अनुशासन होता है। यदि आप छात्र हैं और आप एक अनुशासन के साथ अपनी पढ़ाई करते हैं, तो आपको परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता है। अगर आप एक निजी कंपनी में काम करते हो। उस काम को आप पूरे अनुशासन के साथ करते हो, तो आपको एक सफल इंसान बनाने से कोई नहीं रोक सकता है।

अनुशासन पर निबंध 300 शब्द

मेरे परीक्षा में अच्छे अंक नहीं आए। क्या अपने अपनी पढ़ाई अनुशासन के साथ की थी?, सवाल इसलिए है क्योंकि अगर आप परीक्षा से पहले पूरे अनुशासन के साथ पढ़ाई करते तो आपके जरूर अच्छे अंक आते। जो विद्वान आज सफलता की सीढ़ी चढ़ रहें हैं, उसके पीछे केवल अनुशासन ही है।

उन्होंने अपने सभी काम एक अनुशासन के साथ किये हैं। ऐसे दुनिया में अनेक लोग हैं जो अपना सभी काम अनुशासन के साथ करते हैं। अनुशासन के बिना हमारा जीवन असफल है। अनुशासन को अपनाना शुरू में हमारे लिए बहुत ही मुश्किल होता है, क्योंकि एक ही बार में हम किसी भी कार्य के प्रति सजग नहीं होते हैं लेकिन अगर हम इसे पूर्ण रूप से अपना लेते हैं, तो उसका परिणाम हमारे लिए सबसे अधिक लाभप्रद होगा।

हमें अपने जीवन में अनुशासन लाने के लिए हर प्रयास करने चाहिए। जैसे कि हमें सुबह कब उठना है, हमें किस समय पढ़ाई करनी है, किस समय लंच-डिनर करना है, हमें दिनचर्या को पूरे अनुशासन के साथ करना है। इसके साथ-साथ हमें एक सकारात्मक सोच भी रखनी है। यदि हम सकारात्मक सोच रखेंगे, तो हमारा पूरा काम आसान हो जायेगा।

अनुशासन हमारे लिए एक बहुत अच्छा अवसर पैदा करता है। जीवन में आगे बढ़ने का एक सही तरीका भी सिखाता है। अनुशासन के साथ हम कम समय में अपने जीवन को बहुत अच्छा बना सकते हैं। एक अनुशासित व्यक्ति जब समाज के लिए काम करता है, तो उसके सभी गुण एक मिसाल बन जाते हैं। अनुशासित व्यक्ति के साथ लोग अच्छे से पेश आते हैं। लेकिन अनुशासनहीन व्यक्ति के साथ न ही समाज और न ही लोग अच्छे से पेश आते हैं। इसलिए जीवन में हर व्यक्ति को अनुशासन का पालन कर एक अच्छा इंसान बनना चाहिए।

अनुशासन पर 10 लाइनें

  • अनुशासन हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
  • हमें आज से ही अपने जीवन में अनुशासन का पालन करना होगा।
  • अनुशासन के बिना हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
  • अगर हमने अनुशासन का पालन नहीं किया, तो हमारा जीवन असफलता की तरफ जा सकता है।
  • अनुशासन हमें एक अच्छा इंसान बनाता है।
  • अनुशासन का पालन करना विद्वान का सबसे बड़ा गुण है।
  • जीवन में अनुशासन का न होना, हमें आलसी, बेपरवाह और लापरवाह बनाता है।
  • अनुशासन हमें जीवन में सम्मान दिलाता है।
  • जीवन में अनुशासन हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
  • अनुशासन के परिणाम हमारे लिए सबसे अधिक लाभदायक होंगे।

अनुशासन पर आधारित FAQ s

अनुशासन से क्या समझते हैं?

अनुशासन हर इंसान के लिए बहुत जरूरी है जैसे इंसान के लिए खाना, पीना, रहना, सोना घूमना-फिरना आदि। अनुशासन का मतबल साफ है यदि अनुशासन नहीं तो जीवन में सफलता नहीं।

जीवन में अनुशासन का क्या महत्व है?

जैसे जीवन को जीने के लिए पानी बहुत जरूरी है वैसे ही जीवन में अनुशासन भी बहुत जरूरी है। अनुशासन का किसी एक कार्य में नहीं बल्कि जीवन के प्रत्येक हिस्से में महत्त्व है।

विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का क्या महत्व है?

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन कई प्रकार से विद्यार्थी का सहयोगी होता है। यदि विद्यार्थी शुरू से ही अनुशासन को अपने जीवन में उतार लेता है, तो उसे हर पग पर सफलता पाने से कोई रोक नहीं सकता। इसलिए विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का बहुत ही महत्व है।

अनुशासन के प्रकार मुख्य रूप से दो होते हैं:- बाह्य और आंतरिक अनुशासन। पूरी जानकारी ऊपर आर्टिकल से पढ़ें।

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi

इस लेख में आप विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध (Essay on Student and Discipline in Hindi) पढेंगे। जिसमें हमने विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ, प्रकार, भूमिका, महत्व और दस वाक्यों को बेहद आकर्षक और सरल रूप से लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay on Student and Discipline in Hindi)

विद्यार्थी जीवन में कठिन परिश्रम और अनुशासन की आवश्यकता सबसे अधिक होती है। जिस विद्यार्थी में इन गुणों की कमी होती है उसका बौद्धिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता।

विद्या अध्ययन को बेहद कठिन और एकाग्रतासाध्य काम माना जाता है। जिसमें उच्चकोटि का ध्यान और समर्पण की आवश्यकता होती है।

बाल्यावस्था किसी भी विषय को सीखने के लिए सबसे अच्छा समय होता है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी मनुष्य का अधिकतम मानसिक विकास पंद्रह वर्ष की उम्र तक हो जाता है।

जो विद्यार्थी मेहनत और अनुशासन को अपने जीवन का प्रमुख लक्ष्य बनाते हैं वे एक सफल विद्यार्थी बनने के साथ-साथ एक आदर्श नागरिक भी बनते हैं।

दुनिया में किसी भी कार्य की उपलब्धि के लिए सतत संघर्ष और अनुशासन का होना अत्यंत आवश्यक है। जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इसके अलावा अन्य कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

विद्यार्थी जीवन पूरे जीवन काल में सबसे महत्वपूर्ण समय होता है  जहां अनुशासन की आवश्यकता और उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। आसान शब्दों में विद्यार्थी जीवन को पूरे जीवन काल की आधारशिला कहा जा सकता है क्योंकि इस समय में वह जो कुछ भी सीखता है उसका प्रभाव पूरे जीवन  जीवन भर दिखाई देता है।

विद्यार्थी और अनुशासन का अर्थ Definition of Student and Discipline in Hindi

अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है अनु+शासन। इसका अर्थ होता है कि किसी भी नियम के अधीन रहकर कार्य करना अथवा नियमों के शासन में रहना।

सरल शब्दों में कहा जाए तो अनुशासन के अंतर्गत सभी मनुष्य को अपनी स्वतंत्र भावनाओं तथा शक्तियों को किसी निर्धारित नियम के द्वारा नियंत्रित करना होता है।

दुनिया के महान तथा सफल लोगों ने इसका महत्व बताया है कि किस प्रकार अनुशासन ही उद्देश्य तथा उपलब्धि के बीच का सेतु होता है।

सामान्य जीवन में ऐसे लक्ष्यों अथवा कार्यों को प्राथमिकता देना जो आने वाले भविष्य पर प्रत्यक्ष रुप से प्रभाव डालते हैं उनका अनुसरण करना ही अनुशासन कहलाता है।

सच कहा जाए तो अनुशासन ही मानव सभ्यता के विकास का प्रथम चरण है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसका होना अत्यंत आवश्यक है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के प्रकार Types of Disciplines of Student life in Hindi

आमतौर पर जीवन के हर विषय में अनुशासन के विभिन्न प्रकार होते हैं। प्रत्येक कार्य को पूरा करने के लिए धैर्य  तथा अनुशासन की आवश्यकता होती है।

किंतु सामान्य रूप से देखा जाए तो अनुशासन के दो प्रकार होते हैं- बाहरी अनुशासन तथा आंतरिक अनुशासन।

बाहरी अनुशासन का तात्पर्य इस बात से है, यदि किसी व्यक्ति की इच्छा के बिना उस पर जबरजस्ती किसी नियम कानून को थौंपा जाए तो वह बाहरी अनुशासन कहलाता  है।

आज के समय में विद्यार्थियों को किसी भी शैक्षणिक स्थान में कड़ी नियम कानूनों द्वारा बांध दिया जाता है लेकिन उन्हें अनुशासन के वास्तविक महत्व के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं दी जाती।

दूसरा अनुशासन वही होता है जो स्वयं अपनी इच्छा से किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने जीवन को पूरी तरह से अपने कार्य के प्रति समर्पित कर देना अथवा कड़े नियमों का पालन  करना ही आंतरिक अनुशासन कहलाता है।

विद्यार्थी और अनुशासन की भूमिका Role of Student and Discipline in Hindi

जीवन में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां अनुशासन की आवश्यकता न होती हो। विद्यालयों में बच्चों के लिए कड़े नियम कानून बनाए जाते हैं, जिससे वे सही-गलत का फर्क कर सके और अच्छे अंक प्राप्त कर सके।

प्रत्येक मनुष्य अपने प्रारंभिक जीवन में एक विद्यार्थी होता है। विद्यार्थी जीवन इसीलिए इतना महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस समय में  बच्चे जो कुछ भी सीख पाते हैं उसका प्रभाव उनके चरित्र  तथा भविष्य पर प्रत्यक्ष रूप से दिखता है।

विद्यार्थी जीवन में किसी भी प्रकार के कला को बहुत सरलता से सीखा जा सकता है। इसीलिए मानव जीवन के इस स्वर्णिम समय में अनुशासन का होना बहुत आवश्यक है।

अध्यापक अपने विद्यार्थियों को नियमित रूप से अनुशासन का पालन करना सिखाते हैं। शिक्षक बच्चों को अपने से बड़ों का आदर सम्मान करना, रोजाना समय पर कक्षा में हाजिर रहना अपने मित्रों के साथ झगड़ा ना करना और झूठ न बोलना आदि जैसे अच्छी बातें भी सिखाते हैं।

अनुशासन का पालन करने से विद्यार्थियों में संयम तथा सद्गुण जैसे कई गुण विकसित होते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी अनुशासन का महत्व भली-भांति समझता है इसीलिए अपने से बड़ों की बात कभी भी नजरअंदाज नहीं करता।

एक अच्छा विद्यार्थी हमेशा अपने समय को नई चीजों को सीखने में लगाता है तथा निर्धारित समय पर अपना अभ्यास कार्य करता है। वहीं दूसरी ओर एक सामान्य विद्यार्थी पढ़ने के लिए हमेशा टालमटोल करता है तथा अनुशासन का कभी भी पालन नहीं करता।

इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि कोई भी व्यक्ति अनुशासन के महत्व को समझे बगैर सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। केवल कड़े अनुशासन का पालन करके ही बड़ी से बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की जा सकतीं हैं।

विद्यार्थी और अनुशासन का महत्व Importance of Students and Discipline in Hindi

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व उतना ही आवश्यक है, जिस प्रकार जीवित रहने के लिए भोजन आवश्यक होता है।

भारत में प्राचीन काल में बाल्यावस्था से ही बच्चों को शिक्षा के लिए गुरुकुल भेज दिया जाता था जहां उन्हें कड़े  नियम कानून के अंतर्गत शिक्षा दिया जाता था। गुरुकुल में सभी विद्यार्थी पूरे अनुशासन के साथ अपनी शिक्षा  पूरी करते थे।

अपने जीवन में सफल होने का केवल एक ही रास्ता होता है वह अनुशासन के साथ अपने लक्ष्य के लिए निरंतर प्रयास करना है।

किसी भी राष्ट्र की वास्तविक संपदा वहां के विद्यार्थी होते हैं। यही बच्चे पढ़ लिख कर आगे चलकर बड़े-बड़े डॉक्टर, इंजीनियर, पॉलीटिशियंस, कलाकार, पायलट इत्यादि बनते हैं।

यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि एक अनुशासित विद्यार्थी ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करके अपने देश  के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

अनुशासन ही सफलता का मूल मंत्र होता है। इसीलिए इसके जरिए जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों को पार कर सफल जीवन की कामना की जा सकती है। 

एक विद्यार्थी की उन्नति का मुख्य द्वार अनुशासन ही होता है तथा इसी से एक सभ्य समाज के साथ-साथ एक विकसित राष्ट्र का निर्माण भी होता है।

इसका प्रयोग करके विद्यार्थी न केवल परीक्षा में अच्छे अंक ही प्राप्त कर सकते हैं बल्कि आगे चलकर समाज में एक अच्छे नागरिक भी बनते हैं।

यही कारण है कि विद्यालयों में बच्चों की अनुशासनहीनता पर उन्हें अध्यापक द्वारा दंडित किया जाता है जिससे वे गलती को दोबारा नहीं दोहराते हैं। विद्यार्थी जीवन में धैर्य और समझदारी का निर्माण इसी के कारण होता है। 

विद्यार्थी और अनुशासन पर 10 लाइन Best 10 lines on Students and Discipline in Hindi

  • अनुशासन ही सफलता की वास्तविक कुंजी होती है।
  • आज तक जितने भी लोग महान तथा सफल हुए हैं वे लगातार संघर्ष और अनुशासन  के पालन से ही हुए हैं।
  • विद्यालय में विद्यार्थियों को अनुशासन के पालन करने पर मुख्य रुप से ध्यान दिया जाता है।
  • अनुशासन के अंतर्गत सभी मनुष्य को अपनी स्वतंत्र भावनाओं तथा शक्तियों को किसी निर्धारित नियम के द्वारा नियंत्रित करना होता है।
  • दुनिया में अधिकतर सफल लोग अपनी सफलता का कारण अनुशासन को ही ही बताते हैं।
  • अनुशासन के बिना एक सफल जीवन की कामना करना मूर्खता पूर्ण होता है।
  • वेदों में अनुशासन को इंसान के लिए सबसे जरुरी तपस्या बताया गया है।
  • महात्मा गांधी अपने आश्रम में अनुशासन को कड़ाई से पालन करवाते थे।
  • बाह्य अनुशासन के मुकाबले अंतः अनुशासन मुख्य होता है।
  • विद्यार्थी और अनुशासन ये दोनों एक दुसरे के पूरक होते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने विद्यार्थी और अनुशासन पर हिंदी में निबंध (Essay on Student and Discipline in Hindi) पढ़ा। आशा यह लेख आपको सरल तथा आकर्षक लगा हो। अगर यह निबंध आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें। 

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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध

Essay on Importance of Discipline in Students life in Hindi: हम यहां पर विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में छात्र जीवन में अनुशासन का महत्व (Chatra Jeevan Mein Anushasan ka Mahatva) के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध | Essay on Importance of Discipline in Students life in Hindi

विद्यार्थी जीवन और अनुशासन 150 शब्दों में निबंध (vidyarthi jeevan mein anushasan ka mahatva).

अनुशासन हर व्यक्ति के लिए जरूरी होता है। विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन एक अलग ही महत्व रखता है। अनुशासन के जरिए ही विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता हासिल करता है। अनुशासन विद्यार्थी को सही रास्ता दिखाने में मदद करता है। ऐसे तो अनुशासन हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। लेकिन विद्यार्थियों के लिए यह अत्यधिक जरूरी इसलिए है क्योंकि विद्यार्थी के जीवन की शुरुआत स्कूल से होती है और स्कूल से ही विद्यार्थी यदि अनुशासन की पालना करता है।

तब विद्यार्थी ना सिर्फ सफलता हासिल करता है बल्कि विद्यार्थी आगे जाकर एक अच्छा और आदर्श नागरिक भी बन सकता है। विद्यार्थी यदि अनुशासन की पालना करता है तो विद्यार्थी के संस्कार की जड़े मजबूत हो जाती है जो भविष्य में और पूरे जीवन व्यक्ति को आदर्श इंसान बनाती है।

अनुशासन व्यक्ति को जीवन जीने का तरीका, बड़ों का सम्मान करना, माता-पिता का आदर करना, अध्यापकों का सम्मान करना, धैर्य रखना और परिश्रम करना सिखाता है। अनुशासन दो प्रकार के होते हैं। एक वह जो हम अपने आपसे सीखते हैं। उसे आत्म अनुशासन कहते हैं और दूसरा जो किसी अन्य को देखकर सीखते हैं उसे प्रेरित अनुशासन कहते हैं।

vidyarthi jeevan mein anushasan nibandh

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध 250 शब्दों में (Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Nibandh)

अनुशासन हमारे जीवन में काफी अहमियत रखता है। यह जीवन में क्रमबद्धता को संदर्भित करता है, जो किसी के भी जीवन में सफलता के लिए आवश्यक है। हर कोई अपने जीवन में अलग-अलग रूप में अनुशासन का पालन करता है। अनुशासन हमें ईमानदार, मेहनती, धैर्यवान, महत्वाकांक्षी, स्वतंत्र और समयनिष्ठ बनाता है। अनुशासन के बिना जीवन रडार के जहाज के समान है।

हम सब जानते है की विद्यार्थी राष्ट्र के भविष्य की संपत्ति हैं। विद्यार्थी जीवन पुरे जीवन की नींव का निर्माण करते हैं इसलिए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का काफी गहरा महत्व है। एक अनुशासित विद्यार्थी का जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण होता है। अनुशासन हमेशा विद्यार्थी के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक मार्गदर्शक का काम करता है। एक अनुशासित छात्र अपने लक्ष्य से कभी विचलित नहीं होता और इससे विद्यार्थी अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं।

अनुशासन के दो प्रकार है। पहला है प्रेरित अनुशासन और दूसरा है आत्म-अनुशासन। प्रेरित अनुशासन एक ऐसी चीज है जो दूसरे हमें सिखाते हैं या हम दूसरों को देखकर सीखते हैं। जबकि आत्म-अनुशासन भीतर से आता है और हम इसे अपने आप सीखते हैं। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के कई अनगिनत लाभ है। विद्यार्थी के सकारात्मक दिमाग और स्वस्थ शरीर के लिए अनुशासन जरुरी है। अनुशासन विद्यार्थी को तनाव मुक्त वातावरण प्रदान करना है।

अनुशासन विद्यार्थी को पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के अन्य क्षेत्रों के प्रति एकाग्र और प्रेरित होना सिखाता है। एक अनुशासित विद्यार्थी अपनी शैक्षणिक संस्थान का गौरव होता है। समाज द्वारा हमेशा उनका सम्मान किया जाता है। अनुशासन के बिना हम एक सफल छात्र की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

vidyarthi jeevan me anushasan ka mahatva essay in hindi

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध 500 शब्दों में (Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan ka Mahatva Nibandh)

हिंदी में एक कहावत है कि अनुशासन ही सफलता की कुंजी है। अनुशासन जीवन में आवश्यक व्यवहारों में से एक है। लेकिन दुनिया में कुछ ही लोग अनुशासन से जीवन जीना पसंद करते है। वैसे तो अनुशासन हर उम्र की व्यक्ति के लिए जरुरी होता है लेकिन विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व अधिक होता है। क्योंकि विद्यार्थी जीवन हमारे पूरे जीवन की नींव होती है, जिस पर हमारी जिंदगी की इमारत बनती है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की कमी से बहुत भ्रम और विकार पैदा करते है, जो उनके आने वाले भविष्य को तहसनहस कर देते है। बिना अनुशासन के पढ़ाई करना और सफलता पाना बेहद मुश्किल है। अनुशासन जीवन को क्रमबद्धता प्रदान करता है।

अगर हम विद्यार्थी जीवन में ही अनुशासन का महत्व समझ जाते है तो हमें किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता। विद्यार्थी जीवन बाहरी अनुशासन के साथ साथ आत्म अनुशासन बहुत भी महत्वपूर्ण है, जो उनके सिर की इच्छाओं और जुनून को रोकने में मददगार साबित होता है।

वर्तमान समय में माता-पिता अपने व्यस्त करियर के कारण अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं, जिसके कारण बच्चे अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए टीवी, मोबाइल, इंटरनेट का सहारा लेते हैं और वो अनुशासन से जीना छोड़ देते है। देर रात तक जागना, सुबह देर से उठना, अपने मित्रों के साथ पार्टी करना आजकल फैशन बन गया है, जो आने वाले समय के लिए खतरे की घंटी है। विद्यार्थी जीवन में अगर अनुशासन का अभाव हो तो उदासी, चिड़चिड़ापन, कुसंगति जैसे लक्षण का हमारी जिंदगी में प्रवेश हो जाता है।

विद्यार्थी के लिए अनुशासन का रूप यह है कि वह नियमित रूप से अपने स्कूल जाता है, हमेशा अपने शिक्षकों का सम्मान करता है और जो उसने कहा है उस पर अमल करता है, स्कूल के सभी छात्रों के साथ अच्छा व्यवहार करता है, उनका सामाजिककरण करके उनके साथ मित्रवत व्यवहार करता है।

हमेशा अपने से बड़े लोगों का सम्मान करें, पढ़ाई के दौरान अपना ध्यान कहीं और न लगाएं, हमेशा एकाग्रता से पढ़ाई करें, अपने माता-पिता का सम्मान करें और उनके कहे अनुसार काम करें। अनुशासन की अवहेलना करने वालों की तुलना में अनुशासित बच्चा अपने करियर को अधिक आसानी से और स्वतंत्र रूप से चुन सकता है।

अनुशासन के द्वारा ही बच्चों में धैर्य, संयम, नियमितता जैसे गुण आते है, जो उनके जीवन में सफलता पाने के लिए बेहद जरुरी है। अनुशासन बच्चों के दिमाग पर बहुत प्रभाव डालता है। किसी भी व्यक्ति के बहेतर चरित्र का निर्माण केवल अनुशासन से ही हो सकता है। इसलिए विद्यार्थी को अनुशासन का महत्व समझना बेहद जरुरी है।

अनुशासन एक राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और समाज में शारीरिक और नैतिक कानूनों के प्रति सम्मान प्रदर्शित केवल अनुशासन के द्वारा ही हो सकता है। हम सभी जानते हैं कि विद्यार्थी राष्ट्र की भविष्य की संपत्ति हैं। राष्ट्र के एक सुनहरे भविष्य के लिए अगर हम विद्यार्थी जीवन में ही अनुशासन की नींव डाल देते है तो बच्चे आगे जाकर देश के विकास में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देते है और देश को प्रगति के पथ पर ले जाते है।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध (800 शब्द)

जीवन जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। विद्यार्थी जीवन ही व्यक्ति के संपूर्ण जीवन का आधार होता है। किसी व्यक्ति का भविष्य जीवन की इस अवधि पर निर्भर करता है। यदि यह आधारशिला कमजोर हो तो भविष्य कठिनाइयों से भरा होगा और असफलता का सामना भी करना पड़ सकता है। इन सबके लिए अनुशासन एक बहुत जरूरी चीज है।

अनुशासन ही विद्यार्थी जीवन की सफलता की कुंजी है। सिर्फ अनुशासन ही विद्यार्थी को जीवन में एकाग्र, स्वतंत्र, समयनिष्ठ और महत्वाकांक्षी बनाता है। दूसरों का सम्मान करना और आज्ञाकारी रहना अनुशासन का सिद्धांत है। अनुशासन विद्यार्थी को तनाव मुक्त जीवन देता है और साथ साथ आत्मविश्वास को बढ़ाता है। 

अनुशासन का महत्व

अनुशासन वह प्रकृति है जो प्रकृति द्वारा बनाई गई हर चीज में मौजूद है। हमारा ब्रह्मांड भी अनुशासन को अनुसरण करता है। तारे, ग्रह, चंद्रमा और सूर्य  अपनी निश्चित धरी और गति पर ही घूमते है। यदि ब्रह्मांड की वस्तुएं कुछ नियमों के अनुसार काम करना बंद कर देती हैं तो चारों ओर अराजकता और अव्यवस्था फैल जाएगी।

अनुशासन हमारे जीवन को नियंत्रित करता है। यह हमारे जीवन को जीने लायक बनाता है। विद्यार्थियों को बचपन से ही अनुशासन में रहना सिखाया जाना चाहिए ताकि उनमें अच्छे गुणों का विकास हो सके और भविष्य में किसी भी प्रकार की कठिनाई में वे स्वयं को सफल व्यक्ति के रूप में पहचान सकें। सिर्फ अनुशासन लक्ष्य और सफलता के बीच एक पुल की तरह काम करता है।

अनुशासन के प्रकार

वैसे तो पुरे जीवन में अनुशासन के कई रूप होते है लेकिन  विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के दो प्रकार है। पहला है प्रेरित अनुशासन, जिस में विद्यार्थी दूसरों को देखकर सीखते हैं या किसी महान विभूति के जीवन से प्रेरणा लेकर सीखते है। दूसरा है आत्म-अनुशासन, जो हमारे भीतर से आता है और हम इसे अपने आप सीखते हैं। आत्म-अनुशासन सही और गलत के बीच अंतर करने में मदद करता है। व्यक्ति सही निर्णय लेता है और सकारात्मकता फैलाता है।

अनुशासन के लाभ

अनुशासन ही विद्यार्थी को श्रेष्ठता प्रदान करता है। उसे संस्थान और समाज में उत्तम स्थान दिलाने में सहायता करता है। अनुशासन विद्यार्थी को धैर्यवान और संयमित बनाता है। यह विद्यार्थी को शांत रहने में मदद करता है। अनुशासन की वजह से विद्यार्थी अपने निश्चित लक्ष्य को आसानी से हांसिल कर पाते है। अपने दैनिक जीवन में क्रमबद्धता सिर्फ अनुशासन से ही आती है ।

विद्यार्थी को अनुशासन से सकारात्मक दृष्टिकोण प्राप्त होता है। इन में समझदारी का विकास होता है। समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। अनुशासन जीवन में ईमानदारी और नैतिकता जैसे गुणों का विकास करता है। अनुशासन के कारन विद्यार्थी कभी बुरी संगत में नहीं पड़ता। अनुशासन से विद्यार्थी में नेतृत्व के गुण विकसित कर सकते हैं। अनुशासन आपको जिम्मेदार होना सिखाता है।

विद्यार्थी के लिए किताबी शिक्षा के साथ साथ  शारीरिक शिक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। शारीरिक शिक्षा केवल अनुशासन से ही मिलती है। अनुशासन आत्म-नियंत्रण और समर्पण जैसी भावना का विकास होता है। जो खुद को नियंत्रित नहीं कर सकता वह दूसरों को नियंत्रित कभी नहीं कर सकता। यह आपके सहनशीलता के स्तर को भी बढ़ाता है।

अनुशासनहीनता के नुकसान

अनुशासन के अभाव में विद्यार्थी एकाग्रता का अध्ययन नहीं कर पाता है। अनुशासन की कमी के कारण विद्यार्थी चिड़चिड़े हो जाते हैं। विद्यार्थी को छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आने लगता है। अनुशासन के बिना विद्यार्थी में धैर्य और आत्म-संयम की कमी हो जाती है और वह हर कार्य को शीघ्रता से करना चाहता है।

वह अपने से बड़े लोगों का सम्मान नहीं करता है। विद्यार्थी बड़े सपने देखता है लेकिन अनुशासन की कमी के कारण उनमें सफल नहीं हो पाता। वह उस कार्य को कभी पूरा नहीं कर पाता। अनुशासन की कमी के कारण विद्यार्थी काम की चोरी करना शुरू कर देता है। वह उसे दिया गया काम कभी नहीं करता है और बहाने बनाने लगता है।

अनुशासन की कमी के कारण उनकी शिक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अनुशासन की कमी के कारण विद्यार्थी परीक्षा में सफल नहीं हो पाता और निराश हो जाता है, जिसका परिणाम बहुत ही खराब होता है। उसका भविष्य खतरे में पड़ जाता है।

विद्यार्थी एक कोरे कागज की तरह होता है, जिसमें कुछ भी लिखा जा सकता है। यदि छात्र को उचित समय पर सही शिक्षा नहीं मिलती है तो वह अपने लक्ष्य से भटक सकता है और गलत रास्ते पर जा सकता है, इसलिए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व ओर भी बढ़ जाता है। अनुशासन के बिना विद्यार्थी जीवन की कल्पना करना मूर्खतापूर्ण है।

विद्यार्थी हमारे देश की भावी पीढ़ी हैं, जो आगे बढ़कर हमारे देश का निर्माण करेंगे। अगर विद्यार्थी अनुशासन में रहना नहीं जानते हैं तो वे देश को तबाही की दिशा में ले जायेंगे। विद्यार्थी को अपने विद्यार्थी जीवन में काफी अनुशासित रहना चाहिए। जो अनुशासित होता है वह जीवन में ऊँचा उठता है। महापुरुषों का जीवन अनुशासन का उदाहरण है।

हमने यहां पर  “विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्त्व पर निबंध (Essay on Importance of Discipline in Students life in Hindi)” शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध
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  • अनुशासन का महत्त्व पर निबंध
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

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Comments (5).

Sir Very Nice Essay

Inspirative essay 👍👍

Good nibandh sir

Best website for kids

Very nice nibandh

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स्व-अनुशासन और उसका महत्त्व पर निबंध (Self-Discipline and its Importance Essay in Hindi)

जिस प्रकार जीवन में अनुशासन आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार, स्व अनुशासन भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हर व्यक्ति को इसे जरुर अपनाना चाहिए और अपना एवं अपने समाज के विकास में अपना योगदान जरुर देना चाहिए। क्योंकि एक-एक व्यक्ति को मिला कर ही एक समाज बनता है।

स्व-अनुशासन और उसके महत्त्व पर छोटे-बडे निबंध (Short and Long Essay on Self-Discipline and its Importance in Hindi, Swa-anushasan aur uska Mahatva par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (300 शब्द).

स्वअनुशासन एक ऐसा विषय है जिसके बारे में जितना भी कहा जाये शायद कम ही होगा क्यों की यह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा होता है। जिस प्रकार अनुशासन का महत्त्व हमारे जीवन में होता है उसी प्रकार स्वयं अनुशासित रहना भी आवश्यक होता है। स्वअनुशासन का अर्थ खुद के जीवन में अपनाये जाने वाले नियम होते हैं। हर व्यक्ति के जीवन के कुछ लक्ष्य होते हैं और उन्हें पाने और अपने समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिये यह आवश्यक होता है।

क्या है स्व-अनुशासन

यह एक ऐसी आदत है जो मनुष्य को सदैव जीवन में आगे बढ़ने में मददगार साबित होती है। इतिहास गवाह है की जिन-जिन महापुरुषों नें अपने जीवन में स्वअनुशासन को महत्त्व दिया उन्हें आज सब जानते हैं और उनके नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज भी हैं।

इसका सबसे जीता जगता उदहारण है गांधी जी, जिनके जीवन में स्वअनुशासन बहुत ही अहम था। वे सदैव अपने नियमों का पालन किया करते थे, और अपना कमरा भी स्वयं साफ़ किया करते थे। जब व्यक्ति खुद में अनुशासित होता है तो उसे किसी भी प्रकार के अनुशासन का पालन में न तो कोई दिक्कत होती है न तो वो उन्हें भारी लगता है।

हम यह कह सकते हैं की स्व अनुशासित रहना अपने आप में बहुत बड़ा गुण है, जो हर व्यक्ति के भीतर होना चाहिए। इससे हमे किसी भी प्रकार ही हानि नहीं होती अपितु जीवन को सही ढंग से जीना आजाता है। खुद भी अनुशासित रहें एवं अपने आस पास के लोगों को भी इसका महत्त्व जरुर समझाएं। सत्य बोलना, स्व अनुशासन का ही भाग है और हमारे देश के बापू, गांधीजी ने भी हमे सत्य, अहिंसा और स्व अनुशासन का पाठ पढाया था।

निबंध – 2 (400 शब्द)

स्व अनुशासन उन अच्छी आदतों में से एक है जो हर किसी के अन्दर होनी चाहिये और नहीं है, तो सीखनी चाहिये। जिस प्रकार आपके घर के कुछ नियम होते हैं, उसी प्रकार एक व्यक्ति के भी अपने कुछ सिद्धांत होते हैं जिन्हें हम स्व अनुशासन कह सकते हैं। हर व्यक्ति को अपने जीवन में अनुशासन का पालन तो करना ही चाहिए परंतु साथ ही साथ उसके अंदर भी ये गुण होना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को हम उसके गुणों के कारण जानते हैं, और स्व अनुशासन एक ऐसा गुण है की इससे लोगों के व्यक्तित्व में निखार आजाता है।

जीवन में स्व -अनुशासन का महत्त्व

जिस प्रकार लोगों को अपने जीवन में अनुशासन का पालन करना चाहिए ठीक उसी प्रकार स्व अनुशासन भी हमारे जीवन में बहुत ही अहम भूमिका निभाता है। जब हम अंदर से शांत और सुसज्जित होंगे, तो हमारा सांसारिक जीवन भी उतना ही सुलझा हुआ होगा। जब हम अपने स्वयं के जीवन में अनुशासन का पालन करेंगे तो हमें बाहरी जीवन में भी इसका पालन करने में दिक्कत नहीं होती।

किसी व्यक्ति के जीवन में बहुत से ऐसे मुद्दे होते हैं जिन्हें लेके वे परेशान रहते हैं, और यदि वे स्व अनुशासन को अपनाते हैं तो उनके जीवन को एक सही मार्गदर्शन मिल जाता है। स्व अनुशासन आपकी समस्याओं को सुलझा तो नहीं सकता परंतु आपको सही गलत का निर्णय लेने में मददगार साबित होता है।

स्व -अनुशासन के लाभ

स्व अनुशासन में रहना अपने आप में बहुत बड़ा गुण है और इसके कई लाभ हैं जैसे की –

  • हम प्रतिदिन अपनी एक दिनचर्या बना लेते हैं और जब हमारे अंदर स्व अनुशासन होता है तो हम हमेशा इन नियमों का पालन करते हैं।
  • स्व अनुशासन के होने से हमारे मन में गलत ख्याल नहीं आते क्यों की हम अपने कार्य में व्यस्त रहते हैं।
  • यह एक बहुत अच्छा गुण है जिसके कारण हमारी समाज में एक अलग पहचान बन जाती है।
  • स्व अनुशासन से आपके जीवन को एक सही दिशा एवं सुगमता मिलती है।

आप ही नहीं अपने बच्चों को भी स्व अनुशासन का महत्त्व समझाएं और उसका पालन करना सिखाएं। उन्हें बताएं की किस प्रकार स्कूल समय से जाना आवश्यक होता है, अपना गृह कार्य करना आवश्यक होता है इसी प्रकार जीवन को सही तरीके से जीने के लिये स्व अनुशासन का होना अत्यंत आवश्यक होता है। आप खुद भी इसे अपनाये और दूसरों को भी इसका पालन करने को कहें और एक अच्छे राष्ट्र का निर्माण करें।

निबंध – 3 (500 शब्द)

प्रकृति के अपने कुछ नियम होते हैं जिसके तहत अलग-अलग मौसम, दिन और रात होते है और प्रकृति इस नियम का अनुशासित रूप से पालन करती है। ठीक इसी प्रकार जब एक व्यक्ति अपने आस पास के जीवन के नियमों का सही रूप से पालन करता है, तो उसे हम अनुशासन कहते हैं। और जब यह नियम हमारे अपने हो, जिनसे हमारे विचार-व्यवहार प्रभावीत होते हैं, तो उन्हें हम स्व अनुशासन कहते हैं। लोग अपने व्यवहार के कारण जाने जाते हैं और जो लोग अपने आप में अनुशासित होते हैं उनकी स्वतः एक अलग पहचान बन जाती है क्यों की वे काफी सुलझे हुए होते हैं।

Essay on Self-Discipline and its Importance in Hindi

कैसे लाये जीवन में स्व -अनुशासन

यह कोई बहुत बड़ी उपलब्धि या आदत नहीं है परंतु इसका प्रभाव बहुत अधिक होता है, जो आपको कोई बड़ी उपलब्धि जरुर दिला सकता है। स्व अनुशासन आपके सोचने और समझने की शक्ति को बढ़ता है। यह एक ऐसी आदत है जिसका सृजन बचपन से किया जाना चाहिए।

हमे बच्चों को सिखाना चाहिए की वे स्वयं से कुछ वादे करें और उनको अपने जीवन का मूल आधार बना लें जैसे की सत्य बोलना। जब एक बच्चा शुरू से ही इसका दृढ संकल्प ले लेता है तो, उसे आजीवन इसका पालन करने में न तो कोई दिक्कत होती है न ही किसी का डर उसे सताता है।

दूसरों की मदद करना, समय से उठना, अपने काम खुद करना, बहुत आवश्यक होने पर ही दूसरों की मदद लेना कुछ स्व अनुशासन की आदतों में से प्रमुख हैं।

स्व अनुशासन आपको अपने काम हो समय पर करने और समाप्त करना भी सिखाता है, जिसकी आजकल लोगों को बहुत आवश्यकता है।

स्व -अनुशासन की आवश्यकता

ऐसा क्या है की हमे जीवन में इसे अपनाना चाहिए? शायद यह सवाल कई लोगों के मन में भी उठता होगा की जीवन में अनुशासन काफी नहीं की हम स्व अनुशासित भी बने। तो उत्तर यह है की हम अनुशासन का पालन कब कब और कहाँ करते हैं, या तो वह आपका कार्य क्षेत्र होता है या अध्ययन। जहाँ ऐसा न किये जाने पर कई बार आप दंड के भोगी भी बन जाते हैं। कई बार वह हमारी मज़बूरी मात्र बन जाती है।

तो वही स्व अनुशासन आपके स्वयं के लिये होता है, की किस प्रकार आप अपने विचार एवं व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। आपका अपने आप पर नियंत्रण, अपने विचारों पर ही स्व अनुशासन का मूल कार्य है। जब हमारे विचार हमारे अंदर सुसज्जित होंगे तभी वव बहार भी अच्छे प्रदर्शित होंगे। इसी लिये जीवन में इसकी आवश्यकता बहुत अधिक होती है।

जीवन में हर आदत की अपनी उपयोगिता होती है ठीक इसी प्रकार स्व अनुशासन भी है। हर व्यक्ति को इसे अपने जीवन में जरुर शामिल करना चाहिए। हमे बचपन से ही बच्चों को सिखाना चाहिए ताकि वे आगे चल कर एक अच्छे इन्सान बने और देश का नाम रौशन करें। एक अच्छी आदत आपके व्यक्तित्व में बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकता है, इसे जरुर आजमाएं। और दूसरों को भी बताये ताकि वे भी इसका लाभ उठा सकें और एक अच्छे समाज के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दे सकें।

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Nibandh

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - अनुशासन का महत्व - विद्या-अध्ययन का काल - विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता के कारण - कर्तव्यों की तिलांजलि देकर अधिकारों की माँग - उचित मार्गदर्शन का अभाव और अनुशासनहीनता - दूषित वातावरण का प्रभाव - उपसंहार।

माता-पिता तथा गुरुजनों की आज्ञाएँ ज्यों की त्यों स्वीकार करना ही अनुशासन कहा जाता है। अनुशासन का शाब्दिक अर्थ शासन के पीछे चलना है, अर्थात् गुरुजनों और अपने पथ-प्रदर्शकों के नियन्त्रण में रहकर नियमबद्ध जीवनयापन करना तथा उनकी आज्ञाओं का पालन करना ही अनुशासन कहा जा सकता है। अनुशासन विद्यार्थी जीवन का प्राण है। अनुशासनहीन विद्यार्थी न तो देश का सध्य नागरिक बन सकता है और न अपने व्यक्तिगत जीवन में ही सफल हो सकता है। वैसे तो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुशासन परमावश्यक है, परन्तु विद्याथी-जीवन के लिये यह सफलता की एकमात्र कुंजी है।

विद्यार्थी-जीवन में अनुशासन का बड़ा महत्त्व होता है। छात्र को हर सुबह जल्दी जग जाना चाहिए। उसे अपने बड़ों का सम्मान करना चाहिए। उसे अपना अधिकांश समय अपने अध्ययन में देना चाहिए। उसे झूठ नहीं बोलना चाहिए। उसे कभी भी धोखा नहीं देना चाहिए। उसे कभी किसी के प्रति अशिष्ट नहीं होना चाहिए। उसे अच्छी संगति रखनी चाहिए। छात्र देश के भविष्य होते हैं। इसलिए उन्हें उचित रूप से अनुशासित होना चाहिए। संसार के प्रत्येक महान् व्यक्ति का जीवन अनुशासित रहा है। अनुशासन के बिना कोई व्यक्ति सफल नहीं हो सकता। अनुशासन हमें हमेशा शानदार अवसर देता है जैसे, आगे बढ़ने का सही तरीका, जीवन में नई चीजें सीखने, कम समय के भीतर अधिक अनुभव करने, आदि। जबकि, अनुशासन की कमी से बहुत भ्रम और विकार पैदा होते हैं। अनुशासनहीनता के कारण जीवन में कोई शांति और प्रगति नहीं होती है, जिस कारण मनुष्य अपने जीवन में कभी सफल नहीं हो पाता और अपने जीवन से निराश होकर गलत कदम उठाने पर विवश हो जाता हैं।

'विद्यार्थी' का अर्थ है 'विद्याया: अर्थी' अर्थात्‌ विद्या की अभिलाबा रखने वाला। अनुशासन का अर्थ है शासन या नियंत्रण को मानना। अपनी उच्छ्खंल चेंष्टाओं को काबू में रखना। चार वर्ष से पच्चीस वर्ष तक की आयु विद्या-अध्ययन का काल मानी जाती है। इसमें इस अवस्था में विद्यार्थी पर न घर-बार का बोझ होता है, न सामाजिक दायित्व का और न आर्थिक चिन्ता का। वह स्वतन्त्र रूप से अपना शारीरिक, बौद्धिक व मानसिक विकास करता है। यह कार्य तभी सम्भव है, जन वह अनुशासन में रहे। यह शासन चाहे गुरुजनों का हो, चाहे माता-पिता का। इससे उसमें शील, संयम, ज्ञान-पिपासा तथा नग्रता की वृत्ति जागृत होगी।

विद्यार्थी में अनुशासन के विरोध की दुष्प्रवृत्ति कुछ कारणों से जन्म लेती है । एक डेढ़ वर्ष का शिशु दूरदर्शन देखने लगता है। देखने-देखते वह जैसे-जैसे बड़ा होता है, उसे दूरदर्शन को भाषा समझ में आने लगती है । पाँच वर्ष का होते-होते वह भाषा ही नहीं भावों को भी सही या गलत समझने लगता है। प्रेम और वासना के पश्चात दूसरी शिक्षा जो दूरदर्शन देता है, वह है विद्रोह और विध्वंस की । शिशु जब किशोरावस्था तक पहुँचता है तो विद्रोह के अंकुर परिवार में फूटने लगते हैं। उसे पारिवारिक अनुशासन से चिढ़ हो जाती है। रोकर घर की चीजें फेंककर, उलटकर अपना विद्रोह प्रकट करता है। टी.वी. की भाषा में माता-पिता या अग्रजों को गाली देता है। अनुशासनहीनता की प्रवृत्ति लेकर वह विद्यार्थी बनता है। दूसरी ओर, दुर्भाग्य से हमारे राजनीतिक नेताओं ने इस निश्चिन्त विद्यार्थी-वर्ग को अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए राजनीति में घसीटकर अनुशासनहीनता का मार्ग दिखा दिया है। लगता है यह अनुशासनहीनता न केवल अध्ययन-संस्थाओं को ही, अपितु सम्पूर्ण भारत को निगल जाएगी।

आज के विद्यार्थी और अनुशासन में ३ और ६ का सम्बन्ध है। वह कर्तव्यों को तिलांजलि (त्याग) देकर केवल अधिकारों की माँग करता है और येन-केन-प्रकारेण अपनी आकांक्षाओं की तृप्ति तथा अधिकारों की प्राप्ति के लिए संघर्ष पर उतर आया है। जलसे करना, जुलूस निकालना, धुआँधार भाषण देना, चौराहों या सार्वजनिक स्थान पर नेताओं की प्रतिमाएँ तोड़ना, अकारण (बिना किसी कारण) किसी की पिटाई करना, हत्या करना, मकान व दुकान लूटना, सरकारी सम्पत्ति को क्षति पहुँचाना, बसों को जलाना, ऐसे अशोभनीय कार्य हैं जो विद्यार्थी-वर्ग के मुख्य कार्यक्रम बन गए हैं।

वस्तुत: आज का विद्यार्थी विद्या का अर्थी अर्थात्‌ अभिलाषी नहीं, अपितु विद्या की अरथी निकालने पर तुला है। उसमें रोष, उच्छुंखलता, स्वार्थ और अनास्था घर कर गई है। पढ़ने में एकाग्रचित्तता के सथार पर विध्वंसात्मक उसके मस्तिष्क को खोखला कर रही है। रही-सही कसर फैशन-परस्ती और नशाखोरी ने पूरी कर दी।

अनुशासनहीनता के कारण विवेकहीन विद्यार्थी भस्मासुर की भाँति अपना ही सर्वस्व स्वाहा कर रहा है। मन की विनाशकारी प्रवृत्ति उसके अध्ययन में बाधक है। परिणामत: प्रश्न-पत्र ठीक तरह हल नहीं होंगे तो अंक अच्छे नहीं आएंगे। अगली कक्षाओं में प्रवेश में और जीवन की प्रगति में बाधाएँ आएँगी।

दूसरी ओर, माता-पिता के उचित संरक्षण एवं मार्ग-दर्शन के अभाव में बच्चे उत्तम संस्कार ग्रहण नहीं कर पाते । विद्यालय या महाविद्यालयों में प्रवेश करके ये मर्यादाहीन और उच्छृंखल बन जाते हैं। उनकी प्रतिभा का विकास अवरुद्ध हो जाता है, मन-मस्तिष्क पर विक्षोभ छा जाता है।

तीसरे, राजनीतिज्ञों की रट है कि 'वर्तमान शिक्षा दोषपूर्ण' है। नए-नए प्रयोगों ने विद्यार्थियों में वर्तमान शिक्षा-प्रणाली के प्रति अरुचि उत्पन कर दी है। अंगूठाटेक राजनीतिज्ञ जब विश्वविद्यालयों में भाषण करता है या अल्पज्ञ और अर्द्धशिक्षित नेता शिक्षा के बारे में परामर्श देता है तो माँ सरस्वती का सिर लज्जा से झुक जाता है।

चौथे, आज शिक्षक आस्थाहीन हैं शिक्षा-अधिकारी अहंकारी तथा स्वार्थी। परिणामस्वरूप शिक्षक और शिक्षा अधिकारी विद्यार्थी से व्यावसायिक रूप में व्यवहार करते हैं। विद्यार्थी के हृदय में इसकी जो प्रतिध्वनि निकलती है, वह 'आचार्यदेवो भव' कदापि नहीं होती।

नि:सन्देह यह बात माननी पड़ेगी कि आज के स्वार्थपूर्ण अस्वस्थ वातावरण में विद्यार्थी शान्त नहीं रह सकता। अस्वस्थ प्रवृत्ति के विरुद्ध विद्रोह उसकी जागरूकता का परिचायक है। उसका गर्म खून उसको अन्याय के विरुद्ध ललकारता है। जिस प्रकार अग्नि, जल और अणुशवक्ति का रचनात्मक तथा विध्वंसात्मक, दोनों रूपों में प्रयोग सम्भव है, उसी प्रकार विद्यार्थी के गर्म खून को रचनात्मक दिशा देने को आवश्यकता है। यह तभी सम्भव है जब प्राचीनकाल के गुरुकुलों का-सा शान्त वातावरण हो, चाणक्य जैसे स्वाभिमानी, स्वामी रामकृष्ण परमहंस तथा स्वामी विरजानन्द सदृश तपस्वी गुरु हों।

देश के विद्यार्थियों में अनुशासन स्थापित किये बिना देश का कल्याण नहीं हो सकता। आज का विद्यार्थी कल का सभ्य नागरिक नहीं हो सकता, इसके लिए हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन करने होंगे। देश के नागरिकों का निर्माण अध्यापकों के हाथों में है। उन्हें भी अपने कर्तव्य का पालन करना होगा। स्वतंत्रता के पहले बहुत-सी समस्याएँ नहीं थीं। लेकिन अब, हमारा देश भ्रष्टाचार, घूसखोरी, घोटाला, धोखेबाजी, आतंकवाद आदि-जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। कुछ युवा भ्रमित हो चुके हैं। सिर्फ शिक्षित और अनुशासित विद्यार्थी ही हमारे देश को उज्ज्वल भविष्य दे सकते हैं। अंत: यह कहना गलत नहीं होगा कि अनुशासन वह सीढ़ी है जिसके माध्यम से विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता की ऊँचाई की ओर चढ़ सकता है। यह उसे अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और उसे अपने लक्ष्य से भटकने नहीं देता हैं। अनुशासन ही इन समस्याओं का एकमात्र समाधान है।

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay On Discipline In Student Life In Hindi

प्रिय विद्यार्थियों आज हम विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay On Discipline In Student Life In Hindi आपकों यहाँ बता रहे हैं.

इस छोटे बड़े निबंध की मदद से आप आसानी से स्टूडेंट्स लाइफ में अनुशासन के महत्व पर छोटा बड़ा निबंध लिख सकते हैं. तो चलिए आरम्भ करते हैं.

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध Essay On Discipline In Student Life In Hindi

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay On Discipline In Student Life In Hindi

Essay On Discipline In Student Life  In Hindi  अनुशासन शब्द अनु और शासन दो शब्दों से मिलकर बना हैं, जिसका अर्थ होता हैं नियमों रहना.

आज का यह हिंदी निबंध अनुशासन पर दिया गया हैं, जिन्हें कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स 100, 200, 250, 300, 400, 500, 1000 शब्दों में डिसिप्लिन एस्से यहाँ दिया गया हैं.

(300 शब्द) विद्यार्थी और अनुशासन निबंध- student and discipline essay in hindi

भूमिका – जिस जीवन में कोई नियम या व्यवस्था नहीं जिसकी कोई आस्था और आदर्श नहीं, वह मानव जीवन नहीं पशु जीवन ही हो सकता हैं. ऊपर से स्थापित नियंत्रण या शासन सभी को अखरता हैं.

इसीलिए अपने शासन में रहना सबसे सुखदायी होता हैं. बिना किसी भय या लोभ के नियमो का पालन करना ही अनुशासन हैं. विद्यालयों में तो अनुशासन में रहना और  आवश्यक हो जाता हैं.

विद्यार्थी जीवन और अनुशासन – वैसे तो जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक हैं, किन्तु जहाँ राष्ट्र की भावी पीढियां ढलती है उस विद्यार्थी में अनुशासन का होना अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.

किन्तु आज के विद्यालयों में अनुशासन की स्थिति अत्यंत शोचनीय हैं. अनुशासन में रहना आज के विद्यार्थियों को शायद अपनी शान के खिलाफ लगता हैं. अध्य्यन के बजाय अन्य बातों में छात्रों की रूचि अधिक देखने में आती हैं.

अनुशासनहीनता के कारण – विद्यालयों मे बढ़ती अनुशासनहीनता के पीछे मात्र छात्रों की उद्दंडता ही कारण नहीं हैं. सामाजिक परिस्थतियाँ और बदलती जीवन शैली भी इसके जिम्मेदार हैं.

टीवी ने छात्र को समय से पहले ही युवा बनाना प्रारम्भ कर दिया हैं. उसे फैशन और आडम्बरों में उलझाकर उसका मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा हैं, बेरोजगारी उचित मार्गदर्शन न मिलना तथा अभिभावकों का जिम्मेदारी से आँख चुराना भी अनुशासनहीनता के कारण हैं.

दुष्परिणाम – छात्रों में बढ़ती अनुशासनहीनता न केवल इनके भविष्य को अन्धकारमय बना रही हैं बल्कि देश कि भावी तस्वीर को भी बिगाड़ रही हैं. आज चुनौती और प्रतियोगिता का जमाना हैं.

हर संस्था और कम्पनी श्रेष्ट युवकों की तलाश में हैं. इस स्थिति में नकल से उतीर्ण और अनुशासनहीन छात्र कहाँ ठहर पाएगे. आदमी की शान अनुशासन तोड़ने में नहीं उसका स्वाभिमान के साथ पालन करने में हैं. अनुशासनहीनता ही अपराधियों और गुंडों को जन्म दे रही हैं.

निवारण के उपाय – इस स्थिति से केवल अध्यापक या प्रधानाचार्य नहीं निपट सकते. इसकी जिम्मेदारी पूरे समाज को उठानी चाहिए. विद्यालयों में ऐसा वातावरण हो जिसमें शिक्षक एवं विद्यार्थी अनुशासित रहकर शिक्षा का आदान प्रदान कर सके. अनुशासनहीन राजनीतिज्ञों को भी अनुशासित होकर भावी पीढ़ी को प्रेरणा देनी होगी.

उपसंहार – आज का विद्यार्थी आँख बंद करके आदेशों का पालन करने वाला नहीं हैं. उसकी आँखे और कान दोनों खुले हैं. समाज में जो कुछ घटित होगा वह छात्र के जीवन में भी प्रतिबिम्बित होगा.

समाज अपने आपको सम्भाले तो छात्र स्वयं सम्भल जाएगा. अनुशासन की खुराक केवल छात्रों को ही नहीं बल्कि समाज के हर वर्ग को पिलानी होगी. जब देश में चारों ओर अनुशासनहीनता छायी हुई है तो विद्यालयों में इसकी आशा करना व्यर्थ हैं.

(400 शब्द) विद्यार्थी व अनुशासन Essay On Discipline In Student Life In Hindi

अनुशासन का जीवन में गहरा महत्व है| अनुशासन ही वह कुंजी है जिससे हम जीवन का विकास कर पाते है तथा सफलता के अनेक चरण छूते है| यदि हम देखे तो समूची प्रकृति भी एक अनुशासन में बंधी हुई है|

सूर्य का नित्यप्रति एक ही दिशा में उगना तथा उसी तरह अस्त होना अनुशासन के ही प्रमाण है| चन्द्रमा, तारे, बादल, बिजली, सबका अपना अनुशासन है|

इनमे भी जब किसी का अनुशासन भंग होता है तब कुछ अप्रतिक्षित तथा विध्वंसकारी घटनाए घटती होती है| एक क्रम से ही वस्तुओं का आना -जाना होता है| समुद्र में ज्वार -भाटा आने पर भी समुद्र मर्यादित रहता है|

एक निश्चित गति से पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाना या अनेक उपग्रहों का अपनी गति से गतिमान रहना उनके अनुशासन का ही परिचायक है| ठीक इसी प्रकार विद्यार्थी के जीवन में भी अनुशासन का अत्यधिक महत्व है|

कहा गया है कि -काक चेष्टा बको ध्यानम श्वान निद्रा तथैव च| अल्पाहारी ब्रर्हचारी विद्यार्थी पंच लक्षणम| विद्यार्थी के ये पाचों गुण उसके अनुशासन की ही विभिन्न सीढिया है| विद्यार्थी जीवन व्यक्ति के सघन साधना का काल है| जिसमे वह स्वयं का शारीरिक, मानसिक तथा रचनात्मक निर्माण करता है|

एक निश्चित गति से पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाना या अनेक उपग्रहों का अपनी गति से गतिमान रहना उनके अनुशासन का ही परिचायक है|

ठीक इसी प्रकार विद्यार्थी के जीवन में भी अनुशासन का अत्यधिक महत्व है| कहा गया है कि -काक चेष्टा बको ध्यानम श्वान निद्रा तथैव च| अल्पाहारी ब्रर्हचारी विघार्थी पंच लक्षणम|

विद्यार्थी के ये पाचों गुण उसके अनुशासन की ही विभिन्न सीढिया है| विद्यार्थी जीवन व्यक्ति के सघन साधना का काल है| जिसमे वह स्वयं का शारीरिक, मानसिक तथा रचनात्मक निर्माण करता है|

अत; आत्मानुशार की प्रेरणा विद्यार्थी के जीवन निर्माण की पहली सीढी है|’दूसरी ओर बार्हानुशार स्वयं के अलावा किसी दुसरे व्यक्ति के दबाव होने तथा उसके अधिकारों के कारण माना जाने वाला अनुशासन है|

अनुशासन का शाब्दिक अर्थ ही अनु +शासन है| अनु का अर्थ है अनुरूप या अनुसार तथा शासन का अर्थ है शासित होना या परिचालित होना| इसका आशय यह हुआ की विद्यार्थी बहुत से कार्यो में स्वयं के द्धारा परिचालित होता है तथा बहुत से दुसरे कार्यो में शिक्षक, माता -पिता अथवा विघालय द्धारा परिचालित होता है|

चुकि विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने की अवस्था में बालक का निर्माण सीखने की प्रिक्रिया में होता है| इसलिए इस अवस्था में जो वह सीखता है वे उसके जीवन के स्थाई मूल्य बन जाते है |संसार में अनेक महापुरुषों ने अनुशासित रहकर ही समूचे विश्व का मार्गदर्शन किया है |

(450 शब्द) विद्यार्थी जीवन में अनुशासन Discipline In School Student Life In Hindi

जिस जीवन में कोई नियम व्यवस्था नही है, जिसकी कोई आस्था आदर्श नही है, वह मानव नहीं पशु जीवन ही हो सकता है. ऊपर से स्थापित नियत्रण या शासन सभी को अखरता है.

इसलिए अपने शासन में रहना सबसे सुखदायी होता है. बिना किसी भय या लोभ के नियमों का पालन ही अनुशासन कहलाता है. विद्यालयों में तो अनुशासन में रहना और भी आवश्यक हो जाता है.

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन

वैसे तो जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक है, किन्तु जहाँ राष्ट्र की भावी पीढियां ढ़लती है उस विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है.

किन्तु आज विद्यालयों में अनुशासन की स्थति अत्यंत शोचनीय है. अनुशासन में रहना आज के विद्यार्थियों को शायद अपनी शान के खिलाफ लगता है. अध्ययन की बजाय अन्य बातों में छात्रों की रूचि अधिक देखने को मिलती है.

अनुशासनहीनता के कारण

विद्यालयों में बढ़ती हुई अनुशासनहीनता के पीछे छात्रों की उद्दण्ता ही कारण नही है. सामाजिक परिस्थतियाँ और बदलती हुई जीवन शैली भी इसके लिए जिम्मेदार है. टीवी ने छात्र को समय से पूर्व ही युवा बनाना प्रारम्भ कर दिया है.

उसे फैशन और आडम्बरों में उलझाकर उसका मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है. बेरोजगारी, उचित मार्गदर्शन न मिलना और अभिभावकों की जिम्मेदारी से आँख चुराना भी अनुशासनहीनता के ही कारण है.

छात्रों में बढ़ती अनुशासनहीनता न केवल इनके भविष्य को अंधकारमय बना रही है बल्कि देश की भावी तस्वीर को भी बिगाड़ रहा है. आज चुनौती और प्रतियोगिता का जमाना है. हर संस्था और कंपनी श्रेष्ट युवकों की तलाश में है.

इस स्थति में नकल से उतीर्ण और अनुशासनहीनता छात्र कहाँ ठहर पाएगे? आदमी की शान अनुशासन तोड़ने में नही उसका स्वाभिमान के साथ पालन करने में है. अनुशासनहीनता ही अपराधियों और गुंडों को जन्म दे रही है.

निवारण के उपाय

इस स्थति से केवल अध्यापक या प्रधानाचार्य नही निपट सकते है. इसकी जिम्मेदारी पुरे समाज को उठानी चाहिए, विद्यालयों में ऐसा वातावरण हो जिसमे शिक्षक एवं विद्यार्थी अनुशासित रहकर शिक्षा का आदान प्रदान कर सके.

अनुशासनहीनता राजनीतिज्ञों को भी अनुशासित होकर भावी पीढ़ी को प्रेरणा देनी होगी.

आज का विद्यार्थी आँख बंद करके आदेशों का पालन करने वाला नही है. उसकी आँखे और कान दोनों खुले है. समाज में जो कुछ घटित होगा, वह छात्र के जीवन में भी प्रतिबिम्बित होगा. समाज अपने आप को संभाले तो छात्र स्वयं संभल जाएगा.

अनुशासन की खुराक केवल छात्रों को ही नही बल्कि समाज के हर वर्ग को पिलानी चाहिए. जब देश में चारो ओर अनुशासन हीनता छाई हुई है, तो विद्यालयों में इसकी आशा करना व्यर्थ है.

(500 शब्द) छात्र जीवन में अनुशासन Essay On Discipline In Student Life In Hindi

प्रस्तावना- जिस जीवन में कोई नियम या व्यवस्था नही, वह मानव जीवन नही, वह पशु जीवन ही हो सकता हैं. बिना किसी भय या लोभ के नियमों का पालन करना ही अनुशासन हैं.

अनुशासन का महत्व – चाहे कोई संस्था हो या व्यवसायिक प्रतिष्ठान, चाहे परिवार हो या प्रशासन, अनुशासन के बिना किसी का भी कार्य नही चल सकता. सेना और पुलिस विभाग में तो अनुशासन सर्वोपरि माना जाता हैं. विद्यालय देश की भावी पीढ़ी को तैयार करते हैं, विद्यालय जीवन ही व्यक्ति की भावी तस्वीर प्रस्तुत करता हैं. आज हर क्षेत्र में देश को अनुशासित युवकों की आवश्यकता हैं.

विद्यालय जीवन और अनुशासन – वैसे तो जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक हैं. किन्तु जीवन का जो भाग सारे जीवन का आधार हैं उस विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का होना अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. किन्तु वर्तमान समय में विद्यार्थी अनुशासनहीन होते जा रहे हैं.

अनुशासनहीनता के कारण – विद्यालयों में बढ़ती अनुशासनहीनता के पीछे मात्र छात्रों की उद्दंडता ही कारण नही हैं, सामाजिक परिस्थतियाँ और बदलती जीवन शैली भी इसके लिए कम जिम्मेदार नही हैं.

दूरदर्शनी संस्कृति ने छात्रों को समय से पूर्व ही युवा बनाना प्रारम्भ कर दिया हैं. भविष्य के लिए उपयोगी ज्ञान वर्तमान में ही परोसना शुरू कर दिया हैं. सारी सांस्कृतिक शालीनता उनसे छिनी जा रही हैं.

आरक्षण ने भी छात्रों को निराश और लक्ष्यविहीन बना डाला हैं. अभिभावकों की उदासीनता ने भी इस विष बेल को बढ़ावा दिया हैं. अधिकांश अभिभावक विद्यालयों में बच्चों के प्रवेश के बाद उनकी सुध नही लेते.

निवारण के उपाय- इस स्थिति से केवल अध्यापकों या प्रधानाचार्य नही निपट सकते. शिक्षा एक सामूहिक दायित्व हैं जिसकी जिम्मेदारी पूरे समाज को उठानी चाहिए.

यह भी सच है कि अनुशासन किसी पर बलपूर्वक थोपा नही जा सकता, इसलिए दूसरों को अनुशासित रखने के लिए स्वयं भी अनुशासित रहकर आदर्श प्रस्तुत करना होगा.

उपसंहार- अनुशासन का दैनिक जीवन में बहुत महत्व हैं. अनुशासन का क्षेत्र भी अत्यंत व्यापक हैं. अनुशासन के बिना मनुष्य जीवन में सफलता नही प्राप्त कर सकता. अनुशासन के अभाव में शिक्षा का कोई महत्व नही हैं.

(550 शब्द) अनुशासन निबंध Essay On Discipline In Hindi

अनुशासन का अर्थ और महत्व- जिस जीवन में कोई नियम या व्यवस्था नहीं, जिसकी कोई आस्था और आदर्श नहीं, वह मानव जीवन नहीं पशु जीवन ही हो सकता हैं.

ऊपर से स्थापित नियंत्रण या शासन सभी को अखरता हैं. इसलिए अपने शासन में रहना सबसे सुखदायी होता हैं. बिना किसी भय या लोभ के नियमों का पालन करना ही अनुशासन हैं. विद्यालयों में तो अनुशासन में रहना और भी आवश्यक हो जाता हैं.

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की आवश्यकता- वैसे तो जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक हैं. किन्तु जहाँ राष्ट्र की भावी पीढ़ी ढलती हैं. उस विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का होना अत्यंत आवश्यक हैं.

किन्तु आज विद्यालयों में अनुशासन की स्थिति अत्यंत शोचनीय हैं. अनुशासन में रहना आज के विद्यार्थियों को शायद अपनी शान के खिलाफ लगता हैं. अध्ययन के बजाय अन्य बातों में छात्रों की रूचि अधिक देखने को मिलती हैं.

विद्यालयों में अनुशासन की स्थिति- विद्यालयों में बढ़ती अनुशासनहीनता के पीछे मात्र छात्रों की उद्दंडता ही कारण नहीं हैं. सामाजिक परिस्थतियाँ और बदलती जीवन शैली भी इसके लिए जिम्मेदार हैं.

टीवी ने छात्रों को समय समय से पूर्व ही युवा बनाना आरम्भ कर दिया हैं. उसे फैशन या आडम्बरों में उलझाकर उसका मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा हैं. बेरोजगारी उचित मार्गदर्शन न मिलना तथा अभिभावकों का जिम्मेदारी से आँख चुराना भी अनुशासनहीनता के कारण हैं.

विद्यार्थियों के जीवन निर्माण में अनुशासन का प्रभाव- छात्रों में बढ़ती अनुशासनहीनता न केवल इनके भविष्य को अंधकारमय बना रही हैं. बल्कि देश की भावी तस्वीर को भी बिगाड़ रही हैं. आज चुनौती और प्रतियोगिता का जमाना हैं.

हर संस्था और कम्पनी श्रेष्ट युवकों की तलाश में हैं. इस स्थिति में नकल से उतीर्ण और अनुशासनहीन छात्र कहाँ ठहर पाएगे. आदमी की शान अनुशासन तोड़ने में नहीं उसका स्वाभिमान के साथ पालन करने में हैं.

विद्यार्थियों के जीवन निर्माण में अनुशासन का प्रभाव स्पष्ट हैं. अनुशासित विद्यार्थी ही भविष्य में उत्तम नागरिक बन सकता हैं.

उपसंहार- आज का विद्यार्थी आँख बंद करके आदेशों का पालन करने वाला नहीं हैं. उनकी आँखे और कान, दोनों खुले हैं. समाज में जो कुछ घटित होगा. वह छात्र के जीवन में प्रतिबिम्बित होगा.

यदि समाज अपने आपकों सम्भाले तो छात्र स्वयं सभल जाएगा. समाज के हर वर्ग को अनुशासन का पालन करना होगा तभी छात्रों से अनुशासित होने की अपेक्षा की जा सकती हैं.

(600 शब्द) डिसिप्लिन निबंध discipline in student essay in hindi

अनुशासन का अर्थ व महत्व – वर्तमान काल की निरुद्देश्य शिक्षा प्रणाली व गिरते हुए परीक्षा परिणामों का जब हम चिन्तन करते हैं तो हमारे मस्तिष्क में एक शब्द कुलबुलाता है अनुशासन.

और स्वचालित मशीन की भांति हमारा मस्तिष्क इन पांच अक्षरों के समूह के इर्द गिर्द चक्कर लगाता हैं. वस्तुतः विद्यार्थियों का अनुशासनहीन होना उनके अध्ययन व उनकी उन्नति में तथा उनके चारित्रिक विकास में बाधक हैं. अतः विद्यार्थी समुदाय को अनुशासन का महत्व समझ लेना चाहिए.

अनुशासन को हम दूसरे शब्दों में संयम की संज्ञा दे सकते हैं. अनुशासन शब्द अनु व शासन इन दोनों शब्दों के मेल से बना हैं. अनु का अर्थ पीछे या अनुकरण तथा शासन का अर्थ है व्यवस्था, नियंत्रण अथवा संयम. इस प्रकार अनुशासन का शाब्दिक अर्थ हुआ नियंत्रण या संयमपूर्वक रहना.

जीवन में अनुशासन – केवल विद्यार्थियों के लिए ही नहीं अपितु सारे सामाजिक एवं राष्ट्रीय जीवन के लिए अनुशासन का विशेष महत्व हैं. जिस राष्ट्र के नागरिक जीवन में अनुशासन अपनाते है और समय का सदुपयोग करने में सतर्क रहते हैं.

वह राष्ट्र प्रगति के उच्च शिखर पर आरूढ़ हो जाता हैं. परन्तु अनुशासनहीन समाज अपनी अवनति का कारण स्वयं बनाता हैं. हमारे देशवासी वर्तमान में अनुशासनहीनता से ग्रस्त हैं. यही कारण है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत की जो प्रगति होनी चाहिए, वह नहीं हो पाई हैं.

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व -चूँकि विद्यार्थी जीवन, जीवन की वह अवधि है जिनमें नयें संस्कार और आचरण एक नींव की भांति विद्यार्थी के मन को प्रभावित करते हैं. इस अवस्था में विद्यार्थी जिस प्रकार का आचरण एवं व्यवहार सीख लेता हैं.

वही आचरण व व्यवहार उसके भावी जीवन का अंग बन जाता हैं. विद्यार्थी के सुकोमल मस्तिष्क पर अनुशासनहीनता या अनुशासनप्रियता का अधिक प्रभाव पड़ता हैं. इसलिए अनुशासन विद्यार्थी जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. विद्यार्थी के चरित्र निर्माण तथा शारीरिक एवं बौद्धिक विकास के लिए अनुशासन का होना एक अनिवार्य शर्त हैं.

अनुशासनहीनता के दुष्परिणाम – वर्तमान में हमारे देश में अनुशासनहीनता के दुष्परिणाम स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं. विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त के प्रति उदासीन हो रहे हैं. वे गुरुजनों का आदर नहीं करते हैं. तथा तोड़ फोड़ आंदोलन आदि का सहारा लेकर शिक्षा जगत को दूषित कर रहे हैं.

राजनीतिक दलों के सदस्य भी स्वयं अनुशासित नहीं रहते हैं. और वे विद्यार्थियों को गलत रास्ते पर भटकाने का कार्य करते हैं. सरकारी कर्मचारी भी अनुशासनहीन हो रहे हैं.

इस तरह आज हमारा समाज, विशेषकर विद्यार्थी वर्ग अपने दायित्वों को नहीं समझ रहा हैं. इससे अनेक दुष्परिणाम समस्या रूप में उभर रहे हैं.

अनुशासनप्रियता के सुपरिणाम – जीवन में सफलता का रहस्य अनुशासन की भावना रखना हैं. जिस राष्ट्र के लोगों को अनुशासन का महत्व स्वीकार्य है, जो उत्तरदायित्व को समझते है, वे अपना तथा अपने राष्ट्र का गौरव बढाते हैं.

विद्यार्थी जीवन में तो अनुशासन का विशेष महत्व हैं. क्योंकि आज का विद्यार्थी राष्ट्र का भावी सुनागरिक हैं. अनुशासनप्रिय छात्र ही परिश्रमी, कर्तव्यपरायण और विनयशील हो सकता हैं और जीवन में प्रगति पथ पर स्वतः अग्रसर हो सकता हैं.

उपसंहार – अनुशासन एक ऐसी प्रवृत्ति या संस्कार है, जिसे अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति अपना जीवन सफल बना सकता है. इससे अनेक श्रेष्ठ गुणों का विकास होता हैं.

अनुशासित रहकर छात्र अपनी और राष्ट्र की प्रगति कर सकता है व मानव जीवन धारण करने का सुफल पा सकता हैं. अतः अनुशासनपूर्ण जीवन ही वास्तविक जीवन हैं.

(650 शब्द) निबंध विद्यार्थी जीवन में अनुशासन Importance Of Discipline In Student Life In Hindi

वर्तमानकाल की निरुद्देश्य शिक्षा प्रणाली व गिरते हुए परीक्षा परिणाम का जब हम चिन्तन करते है. तो हमारे मस्तिष्क में एक ही शब्द कुलबुलाता है, अनुशासन.

और स्वचालित मशीन की भाति हमारा मस्तिष्क इन पांच शब्दों के इर्द गिर्द चक्कर लगाता है. वस्तुतः विद्यार्थियों का अनुशासनहीन होना उनके अध्ययन व उनकी उन्नति तथा उनके शारीरिक विकास में बाधक है.

“विद्यार्थी जीवन में अनुशासन”  अतः विद्यार्थी समुदाय को अनुशासन का महत्व समझ लेना चाहिए.

अनुशासन को हम दूसरें शब्दों में संयम की संज्ञा दी जा सकती है. अनुशासन शब्द अनु तथा शासन इन दो शब्दों के मेल से बना है. अनु का अर्थ है पीछे या अनुकरण.

शासन का अर्थ है व्यवस्था, नियन्त्रण या संयम. इस प्रकार अनुशासन का शाब्दिक अर्थ हुआ नियन्त्रणपूर्वक या संयमपूर्वक रहना.

केवल विद्यार्थियों के लिए ही नही अपितु सामाजिक और राष्ट्रिय जीवन के लिए अनुशासन का विशेष महत्व है. जिस देश के नागरिक जीवन में अनुशासन अपनाते है.

और समय का उपयोग करने में सतर्क रहते है. वह राष्ट्र प्रगति के उच्च शिखर पर आरूढ़ हो जाता है. परन्तु अनुशासनहीन समाज अपनी अवनति का गर्त स्वयं बनाता है.

हमारे देशवासी वर्तमान में अनुशासनहीनता से ग्रस्त है. यही कारण है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत की जो प्रगति होनी चाहिए, वह नही हो पाई है. इस तथ्य से जीवन में अनुशासन का महत्व सिद्ध हो जाता है.

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व (student and discipline in hindi)

चूँकि विद्यार्थी जीवन, जीवन की वह अवधि है जिसमे नए संस्कार और आचरण एक नीव की भांति विद्यार्थी के मन को प्रभावित करते है. इस अवस्था में विद्यार्थी जिस प्रकार का आचरण और व्यवहार सीख लेता है.

वही व्यवहार और आचरण उनके भावी जीवन का अंग बन जाता है. विद्यार्थी का मस्तिष्क चूँकि पूर्ण परिपक्व नही नही होता है, यही कारण है कि उसके सुकोमल मस्तिष्क पर अनुशासनहीनता और अनुशासनप्रियता का अधिक प्रभाव पड़ता है.

इसलिए अनुशासन विद्यार्थी जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग होता है. विद्यार्थी के जीवन निर्माण तथा शारीरिक तथा बौद्धिक विकास के लिए अनुशासन का होना एक अनिवार्य शर्त है.

विद्यार्थी और अनुशासन हीनता (importance of discipline in school)

वर्तमान में हमारे देश में अनुशासनहीनता के दुष्परिणाम स्पष्ट दिखाई दे रहे है. विद्यार्थी ज्ञान प्राप्ति के प्रति उदासीन हो रहे है. वे गुरुजनों का आदर नही करते है. तथा तोड़ फोड़ आंदोलन आदि का सहारा लेकर शिक्षा जगत को दूषित कर रहे है. राजनितिक दलों के सदस्य भी स्वयं अनुशासित नही रहते है.

और वे विद्यार्थियों लप गलत रास्ते पर भटकाने का कार्य करते है. सरकारी कर्मचारी भी अनुशासनहीन हो रहे है. इन सब बातों से स्पष्ट हो जाता है कि आज हमारा समाज विशेष कर विद्यार्थी वर्ग अपने दायित्वों को नही समझ पा रहा है. इससे अनेक दुष्परिणाम समस्या के रूप में उभर रहे है.

अनुशासन के लाभ (benefits of discipline in hindi)

जीवन में सफलता का रहस्य अनुशासन की भावना रखना है. जिस राष्ट्र के लोगों को अनुशासन का महत्व स्वीकार्य है. जो अपने उतरदायित्व को समझते है.

वे अपना तथा अपने राष्ट्र का गौरव बढ़ाते है. विद्यार्थी जीवन में तो अनुशासन का विशेष महत्व है. क्युकि आज का विद्यार्थी राष्ट्र का भावी सुनागरिक है.

अनुशासनप्रिय छात्र ही परिश्रमी, कर्तव्यपरायण और विनयशील हो सकता है और जीवन में प्रगति पथ पर स्वयं अग्रसर हो सकता है. अनुशासन एक ऐसी प्रवृति और संस्कार है. जिसे अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति अपना जीवन सफल बना सकता है, इससे अनेक श्रेष्ट गुणों का विकास होता है.

अनुशासित रहकर विद्यार्थी अपनी और अपने राष्ट्र की प्रगति कर सकता है तथा मानव जीवन धारण करने का सुफल प्राप्त कर सकता है. अतः अनुशासनपूर्ण जीवन ही वास्तविक जीवन है.

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Thanks! Well detailed paragraphs…….

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हिंदी दिवस 2024 पर बड़े और छोटे निबंध स्कूली छात्रों और बच्चों के लिए

हिंदी दिवस पर निबंध: हिंदी, भारत की मातृभाषा है। यह सबसे अधिक बोली जाने वाली और सम्मानित भाषाओं में से एक है। छात्रों को नीचे दिए गए निबंधों को पढ़कर इसके बारे में अधिक जानना चाहिए।   हिंदी दिवस 2024 पर 150 - 200 शब्दों का निबंध हिंदी में पाने के लिए इस लेख को पढ़ें।.

Atul Rawal

Hindi Diwas Par Nibandh: भारत में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक हिंदी भाषा को बढ़ावा देने और उसका जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन राष्ट्रीय एकता और विविध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देता है।   इस अवसर पर, स्कूल, छात्रों को हिंदी और इसके महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए स्कूल प्राधिकारी और शिक्षक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। स्कूल छात्रों को अधिक जानकार और खुद को अभिव्यक्त करने में आत्मविश्वासी बनाने के लिए निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं।

यहां आपको हिंदी दिवस पर निबंधों के कुछ उदाहरण मिलेंगे। ये हिंदी दिवस निबंध हिंदी में हैं, जिसका उद्देश्य हिंदी दिवस 2024 के लिए आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में छात्रों को बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करना है। हिंदी दिवस निबंध 150-200 शब्दों के हैं। छात्रों के लिए हिंदी दिवस पर निबंध देखें।

  • Hindi Diwas Essay in English
  • Hindi Diwas Speech For Students
  • Hindi Diwas Slogans

हिंदी दिवस पर 10 पंक्तियां (10 Lines on Hindi Diwas)

  • हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है।
  • यह भारत की राष्ट्रीय भाषा हिंदी को बढ़ावा देने और मनाने के लिए है।
  • हिंदी भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • हिंदी भाषा का प्रयोग भारत में व्यापक रूप से किया जाता है।
  • हिंदी दिवस पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • इन कार्यक्रमों में कविता पाठ, नाटक, गायन आदि शामिल होते हैं।
  • हिंदी दिवस का उद्देश्य लोगों को हिंदी भाषा के महत्व के बारे में जागरूक करना है।
  • यह दिन हमें हिंदी भाषा का सम्मान करने और इसका उपयोग बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।
  • हिंदी दिवस पर स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • हिंदी भाषा का प्रयोग भारत के विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (Essay on Hindi Diwas in Hindi)

हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (150 शब्द).

अधिकांश भारतीयों के लिए हिंदी एक भाषा नहीं बल्कि एक भावना है। 14 सितंबर इसी भावना को मनाने के लिए समर्पित दिन है। भारतीय इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, क्योंकि यह देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में हिंदी को अपनाने की याद दिलाता है। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि यह ब्योहर राजेंद्र सिम्हा की जन्मतिथि है। वह एक प्रमुख हिंदी विद्वान थे और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते थे।

हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसकी लिपि देवनागरी है। यह भाषा विविध भाषाई और सांस्कृतिक परिदृश्य को एक साथ जोड़ने में एकीकृत भूमिका निभाती है। एक भाषा के रूप में हिंदी संचार के माध्यम के रूप में कार्य करती है जो लोगों और क्षेत्रों को जोड़ती है, राष्ट्रीय पहचान की भावना को बढ़ावा देती है।

हिंदी दिवस 2024 के अवसर पर हमें अपनी भाषा का सम्मान करने और इसके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने की शपथ लेनी चाहिए। हिंदी दिवस का उत्सव भाषाई और सांस्कृतिक बहुलवाद के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (200 शब्द)

हिंदी दिवस पर, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि भारत कई क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों के साथ भाषाई विविधता का देश है। हिंदी दिवस राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में हिंदी को कायम रखते हुए इस विविधता को संरक्षित और सम्मान करने की आवश्यकता की याद दिलाता है। हिंदी दिवस सिर्फ एक भाषा का उत्सव नहीं बल्कि भारत की विविधता में एकता का भी उत्सव है।

14 सितंबर इसी भावना को मनाने के लिए समर्पित दिन है। भारतीय इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, क्योंकि यह देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में हिंदी को अपनाने की याद दिलाता है। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि यह ब्योहर राजेंद्र सिम्हा की जन्मतिथि है। वह एक प्रमुख हिंदी विद्वान थे और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते थे।

हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (250 शब्द)

14 सितंबर इसी भावना को मनाने के लिए समर्पित दिन है। भारतीय इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं, क्योंकि यह देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में हिंदी को अपनाने की याद दिलाता है। 26 जनवरी, 1950 को हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था, उसी दिन जब भारतीय संविधान लागू हुआ था। इस निर्णय को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया, जिसने अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी को भारत सरकार की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी, जिसका उपयोग एक संक्रमणकालीन अवधि के लिए किया जाना था।

14 सितंबर वह दिन है जब भारतीय हर साल हिंदी दिवस मनाते हैं। इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि यह ब्योहर राजेंद्र सिम्हा की जन्मतिथि है। वह एक प्रमुख हिंदी विद्वान थे और हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते थे।

हिंदी दिवस मनाने के और भी कई कारण हैं; आइए उन पर चर्चा करें। समय के साथ, आधुनिकीकरण के इस दौर में विकसित होने के साथ-साथ हमारा हिंदी का ज्ञान भी कम होता जा रहा है। इस प्रकार, हिंदी दिवस का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण हिंदी को एक भाषा के रूप में बढ़ावा देना है। दूसरा कारण राष्ट्र में भाषाई इकाइयों को बढ़ावा देना है। हिंदी दिवस का उद्देश्य सांस्कृतिक विरासत और बहुभाषावाद को बढ़ावा देना भी है। इससे हम अपनी राष्ट्रीय पहचान, शिक्षा और साक्षरता की रक्षा कर सकते हैं। दार्शनिकों और महान शिक्षाविदों ने कहा है कि जो राष्ट्र अपनी भाषा का सम्मान और पालन नहीं करता, उसका विनाश आसान होता है। इस प्रकार, हमें अपनी विरासत को जीवित रखना चाहिए और अपनी भावी पीढ़ियों और उनकी जड़ों के ज्ञान को मजबूत करने के लिए इसका पालन करना चाहिए। आइए मिलकर इस हिंदी दिवस को मनाएं। 

हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (500 शब्द)

हिंदी दिवस, भारत की राष्ट्रीय भाषा हिंदी को बढ़ावा देने और मनाने के लिए मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जो हिंदी भाषा के महत्व और योगदान को उजागर करता है।

हिंदी दिवस का पहली बार मनाया जाना 1949 में हुआ था। उस समय, भारत की संविधान सभा ने हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया था। हिंदी दिवस को मनाने का निर्णय इस महत्वपूर्ण अवसर को चिह्नित करने के लिए लिया गया था।

हिंदी भाषा भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह देश की विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों को जोड़ने में मदद करती है। हिंदी भाषा का व्यापक रूप से भारत में और दुनिया भर में उपयोग किया जाता है। यह शिक्षा, व्यापार, और सरकारी कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

हिंदी दिवस के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में कविता पाठ, नाटक, गायन, और भाषण शामिल होते हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य हिंदी भाषा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को हिंदी भाषा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

हिंदी दिवस का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। हिंदी भाषा का उपयोग बढ़ने से देश की एकता और राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने में मदद मिली है। हिंदी भाषा का व्यापक उपयोग भारत के विकास और प्रगति में भी योगदान देता है।

यदि आपको 500 शब्दों का हिंदी दिवस निबंध दिया गया है, तो शब्द संख्या बढ़ाने के लिए उपरोक्त हिंदी दिवस निबंध में अधिक जानकारी जोड़ें। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिए गए हिंदी दिवस भाषण को देख सकते हैं। अपने निबंध में हिंदी दिवस के नारे जोड़ने से यह और अधिक आकर्षक हो जाएगा।

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Hindi Diwas Essay: हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें? 100, 250, 500 शब्दों में निबंध प्रारूप

Hindi Diwas 2024 Essay in Hindi: इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हिंदी भाषा भारतीयों की पहचान का हिस्सा है। भारत में यूं तो कई भाषाएं और बोलियां बोली जाती है लेकिन जो दर्जा हिंदी को मिला है वो अहम है। भाषाई विविधता के जश्न के रूप में प्रति वर्ष हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हमारे देश की मातृभाषा हिंदी के महत्व को समझाने और उसे सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।

हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें?

हिंदी हमारी पहचान है और करोड़ों भारतीयों को इस पर गर्व है। हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर 1949 को मिला था। इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी बोली जाती है। हमारे विद्यालयों में भी हिंदी दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जैसे निबंध लेखन, कविता पाठ, भाषण और अन्य प्रतियोगिताओं का विशेष रूप में आयोजन किया जाता है।

बच्चों को हिंदी भाषा के महत्व और उसकी सुंदरता को समझाने के लिए यह दिन विशेष होता है। इस अवसर पर स्कूलों में विभिन्न प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। यदि आप भी स्कूल में हिंदी दिवस पर निबंध लेखन प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं तो इस लेख से संदर्भ ले सकते हैं।

इस लेख में स्कूली बच्चों की सहायता के लिए 100, 250 और 500 शब्दों में हिंदी दिवस पर निबंध लेखन के कुछ प्रारूप प्रस्तुत किए हैं। इस लेख में तीन अलग-अलग हिंदी दिवस निबंध प्रारूप प्रस्तुत किए जा रहे हैं जो स्कूली छात्रों को हिंदी दिवस के महत्व को समझाने में मदद करेंगे। स्कूली छात्रों के लिए हिंदी दिवस पर निबंध (Hindi Diwas Essay) नीचे दिये गये हैं। ये निबंध हिंदी दिवस के महत्व को सरल और स्पष्ट तरीके से समझाने में मदद करते हैं।

हिंदी दिवस 2024 पर 100, 250, 500 शब्दों में आसान निबंध प्रारूप नीचे दिये गये हैं-

निबंध 1 (100 शब्दों में ): हिंदी दिवस कब मनाया जाता है और क्यों?

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा के महत्व के प्रचार एवं प्रसार के लिए मनाया जाता है। हिंदी हमारी मातृभाषा है और इसे हमें सम्मान देना चाहिये। भारत के करोड़ों लोग अपनी बोल चाल की भाषा में हिंदी भाषा का उपयोग करते हैं। भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला हुआ है। इसका अर्थ है कि भारत सरकार ने कामकाज की भाषा के रूप में हिंदी को विशेष स्थान दिया है। हमें गर्व होना चाहिये कि हमारी एक समृद्ध और प्राचीन भाषा है, जिसे हम हिंदी कहते हैं। यह हमारे देश की पहचान है।

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निबंध 2 (250 शब्दों में): हिंदी भाषा भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग

प्रति वर्ष 14 सितंबर को हम हिंदी दिवस मनाते हैं। हिंदी दिवस, हिंदी के महत्व को समझाने और उसे प्रचारित करने के लिए समर्पित है। हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला। हिंदी देश की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है और यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न अंग है। हिंदी न केवल भारत में बल्कि नेपाल, मॉरीशस, फिजी और अन्य देशों में भी बोली जाती है।

हिंदी दिवस पर स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन होता है। स्कूलों, कॉलेजों एवं अन्य शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्र-छात्राओं में हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी न केवल एक भाषा है, बल्कि यह हमारे देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। हमें हिंदी भाषा को गर्व से बोलना चाहिये और इसे और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए बढ़ावा देना चाहिये। हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए हमें सभी क्षेत्रों में इसे अपनाना चाहिये और इसके महत्व को समझना चाहिये।

निबंध 3 (500 शब्दों में): हिंदी दिवस और हिंदी भाषा का महत्व

हिंदी दिवस भारत में हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत की राजभाषा हिंदी के सम्मान और उसके महत्व को दर्शाने के लिए मनाया जाता है। हिंदी भाषा का इतिहास बहुत पुराना है और इसका भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है। हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के अधिकांश हिस्सों में बोली और समझी जाती है।

हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया था। इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य हिंदी को न केवल सरकारी कार्यों में बल्कि आम जीवन में भी अधिक से अधिक प्रयोग में लाना है। हिंदी दिवस पर कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को हिंदी भाषा के प्रति जागरूक करना और उसकी उपयोगिता को बढ़ावा देना है।

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आज के समय में अंग्रेजी भाषा का बढ़ता हुआ प्रभाव देखा जा सकता है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि हिंदी हमारी पहचान है। हमें गर्व होना चाहिये कि हम एक ऐसी समृद्ध भाषा बोलते हैं, जो हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करती है। हिंदी दिवस के उत्सव से हम यह समझने में सहायता मिलती है कि भाषा केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और पहचान का प्रतीक है।

इसलिए, हमें हिंदी भाषा के महत्व को समझना चाहिये और इसे गर्व से बोलना चाहिये। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हम अपने स्तर पर भी प्रयास कर सकते हैं। हम इसे अपने दैनिक जीवन में अधिक से अधिक उपयोग कर सकते हैं। हिंदी दिवस हमें यह प्रण लेना चाहिये कि हम अपनी हिंदी भाषा का सम्मान करेंगे और इसे आगे बढ़ाने में अपना भरपूर योगदान देंगे।

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay on Student and Discipline in Hindi

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विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध | Essay on Student and Discipline in Hindi!

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । किसी समाज के निर्माण में अनुशासन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । अनुशासन ही मनुष्य को श्रेष्ठता प्रदान करता है तथा उसे समाज में उत्तम स्थान दिलाने में सहायता करता है ।

विद्‌यार्थी जीवन में तो इसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है क्योंकि यह वह समय होता है जब उसके व्यक्तित्व का निर्माण प्रांरभ होता है । दूसरे शब्दों में, विद्‌यार्थी जीवन को किसी भी मनुष्य के जीवनकाल की आधारशिला कह सकते हैं क्योंकि इस समय वह जो भी गुण अथवा अवगुण आत्मसात् करता है उसी के अनुसार उसके चरित्र का निर्माण होता है ।

कोई भी विद्‌यार्थी अनुशासन के महत्व को समझे बिना सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है । अनुशासन प्रिय विद्‌यार्थी नियमित विद्‌यालय जाता है तथा कक्षा में अध्यापक द्‌वारा कही गई बातों का अनुसरण करता है । वह अपने सभी कार्यों को उचित समय पर करता है । वह जब किसी कार्य को प्रारंभ करता है तो उसे समाप्त करने की चेष्टा करता है ।

अनुशासन में रहने वाले विद्‌यार्थी सदैव परिश्रमी होते हैं । उनमें टालमटोल की प्रवृत्ति नहीं होती तथा वे आज का कार्य कल पर नहीं छोड़ते हैं । उनके यही गुण धीरे-धीरे उन्हें सामान्य विद्‌यार्थियों से एक अलग पहचान दिलाते हैं ।

अनुशासन केवल विद्‌यार्थियों के लिए ही आवश्यक नहीं है, जीवन के हर क्षेत्र में इसका उपयोग है लेकिन इसका अभ्यास कम उम्र में अधिक सरलता से हो सकता है । अत: कहा जा सकता है कि यदि विद्‌यार्थी जीवन से ही नियमानुसार चलने की आदत पड़ जाए तो शेष जीवन की राहें सुगम हो जाती हैं ।

ये विद्‌यार्थी ही आगे चलकर देश की राहें सँभालेंगे, कल इनके कंधों पर ही देश के निर्माण की जिम्मेदारी आएगी अत: आवश्यक है कि ये कल के सुयोग्य नागरिक बनें और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन धैर्य और साहस के साथ करें ।

वर्तमान में अनुशासन का स्तर काफी गिर गया है । अनुशासनहीनता के अनेक कारण हैं । बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के दौर में आज लोग बहुत ही व्यस्त जीवन व्यतीत कर रहे हैं जिससे माता-पिता अपनी संतान को वांछित समय नहीं दे पाते हैं । इसी कारण बच्चों में असंतोष बढ़ता है जिससे अनुशासनहीनता उनमें जल्दी घर कर जाती है ।

इसी प्रकार विद्‌यालय के कुछ छात्र जब परीक्षा या किसी प्रतिस्पर्धा में असफल हो जाते हैं तो वे कुंठा से ग्रसित हो जाते हैं । उनका असंतोष दूसरे विद्‌यार्थियों के अनुशासन पर भी प्रभाव डालता है । देश में बढ़ती हुई जनसंख्या भी अनुशासनहीनता के लिए उत्तरदायी है ।

देश के कुछ विद्‌यालयों की स्थिति ऐसी हो गई है कि 35-40 की क्षमता वाली कक्षाओं में 150 विद्‌यार्थी पढ़ रहे हैं । कोई भी व्यक्ति स्वत: अनुमान लगा सकता है कि एक अध्यापक किस प्रकार सीमित समय में इतने बच्चों को ठीक ढंग से शिक्षा प्रदान कर सकता है ।

यह प्रामाणिक तथ्य है कि अनुशासन के बिना मनुष्य अपने उद्‌देश्य की प्राप्ति नहीं कर सकता है । विद्‌यार्थी जीवन में इसकी आवश्यकता इसलिए सबसे अधिक है क्योंकि इस समय विकसित गुण-अवगुण ही आगे चलकर उसके भविष्य का निर्माण करते हैं । अनुशासन के महत्व को समझने वाले विद्‌यार्थी ही आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर व ऊँचे पदों पर आसीन होते हैं ।

परंतु वे अनुशासनहीनता के पथ पर चलते हैं तो वे शीघ्र ही कुसंगति के कुचक्र में फँस जाते हैं और सच्चाई तथा न्याय के मार्ग से विचलित हो जाते हैं । फलस्वरूप जीवन में वे ईर्ष्या, लालच, घृणा, क्रोध आदि बुराइयों के अधीन होकर अपना भविष्य अंधकारमय बना लेते हैं ।

अनुशासनहीनता को अच्छी शिक्षा व उचित वातावरण देकर नियंत्रित किया जा सकता है । इसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है ताकि विद्‌यार्थी उज्जल भविष्य की ओर अग्रसित हो सकें । अनुशासन में रहने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि राष्ट्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है ।

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Hindi diwas par nibandh hindi me: 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर स्कूल, कॉलेजों में कई कार्यक्रम होते हैं, जिनमें से निबंध प्रतियोगिता भी एक है। अगर आपको भी हिंदी दिवस पर निबंध लिखना है, तो ये लेख आपकी मदद करेगा। बताई गई बातें आपको हिंदी दिवस पर भाषण देने में भी सहयोग करेंगी।.

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हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?

हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन 1949 में, भारतीय संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। हिंदी दिवस का उद्देश्य हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करना और उसके प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। यह दिन हमें हिंदी के महत्व और इसके प्रति हमारी जिम्मेदारी की याद दिलाता है। हिंदी हमारी अखंडता को बनाए रखने का एक माध्यम भी है। (फोटो- Freepik)

हिंदी भाषा का महत्व

हिंदी भाषा का महत्व

हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है। यह हमें हमारे समृद्ध इतिहास, साहित्य और परंपराओं से जोड़ती है। हिंदी दुनिया भर में करोड़ों लोगों द्वारा बोली जाती है, जो इसे दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक बनाता है। हिंदी हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाती है और हमें विश्व में एक अलग पहचान दिलाती है।

हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को देवनागरी लिपि में राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी ने देश को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी। (फोटो- Freepik)

हमारे साहित्य में हिंदी का योगदान

हमारे साहित्य में हिंदी का योगदान

हिंदी ने भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हिंदी के कवियों में प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, भारतेंदु हरिश्चंद्र, तुलसीदास, सूरदास और मीराबाई जैसे प्रसिद्ध लेखक और कवि शामिल हैं। उनके कार्यों ने भारतीय समाज और संस्कृति की हमारी समझ को आकार दिया है। हिंदी साहित्य हमें जीवन के मूल्यों और आदर्शों की शिक्षा देता है। हिंदी देश के विभिन्न राज्यों, संस्कृतियों और धर्मों को जोड़ने वाली भाषा है। हिंदी साहित्य, कला, संगीत और सिनेमा का महत्वपूर्ण स्तंभ है। (फोटो- Freepik)

आधुनिक युग में हिंदी का प्रयोग

आधुनिक युग में हिंदी का प्रयोग

आज के डिजिटल युग में भी हिंदी फल-फूल रही है। हिंदी भाषा को विभिन्न देशों द्वारा भी अपनाया गया है, जिनमें नेपाल, भूटान और मॉरीशस शामिल हैं। हिंदी हमें विश्व में एक अलग पहचान दिलाती है और हमारी संस्कृति को पूरे विश्व में फैलाती है। हिंदी का इंटरनेट, सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपयोग बढ़ता जा रहा है। हिंदी फिल्मों और गीतों के माध्यम से इसको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता मिल रही है। (फोटो- Freepik)

मिलकर मनाएं हिंदी दिवस

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हिंदी दिवस मनाते हुए हमें अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। आइए, हम हिंदी को भविष्य की पीढ़ियों के लिए बढ़ावा देने का प्रयास करें। हिंदी दिवस हमें हमारी भाषा और संस्कृति की विरासत की याद दिलाता है। हमें हिंदी के प्रचार-प्रसार में योगदान देना चाहिए। हिंदी में अधिक से अधिक लेखन, पठन-पाठन और संवाद करें। अपनी मातृभाषा को गर्व से अपनाएं और नई पीढ़ी को इससे जोड़ें। हमें हिंदी का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए और इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। (फोटो- Freepik)

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Rajiv thind traces his personal linguistic journey and explains how it is intertwined with politics and culture..

Personal essay: A writer on the dilemmas of loving the Hindi language in a Sikh Punjab

As a Punjabi, my nostalgia and love for Hindi may contrast sharply with the usual fears and resentment found in non-Hindi-speaking regions of India regarding the imposition of the Hindi language. In this essay, I focus on Hindi as a language of creativity and dissent rather than government bureaucracy . I will trace my personal linguistic journey and how it is intertwined with the surrounding politics and culture.

Saul Bellow once remarked that “a language is a spiritual mansion from which no one can evict us,” asserting his right to be an autonomous English-language novelist. As we shall see below, such literary freedom isn’t available in India when regional politics, caste exclusion and cultural hegemony dictate which linguistic mansion, or cubbyhole, Indians can inhabit.

The languages of modern Punjab

I was born and raised in Punjab during the 1980s and ’90s, mostly in Jalandhar, with a few years spent in Bhatinda and a brief period in Ambala, Haryana. I got to experience Punjab and Punjabiyat by residing in different urban centres. While 40 per cent of the Sikh-majority Punjab’s population is Hindu, Jalandhar is a predominantly Hindu city and a hub of Hindi-language print media.

Although Punjabi was my mother tongue, like most urban Punjabis I also grew up speaking Hindi as my native language. Bollywood films and songs, Hindi comics, newspapers, magazines and books (published in Delhi) enriched my childhood. Before the advent of cable TV, most programs on the public broadcaster Doordarshan were in Hindi, including adaptations of the Hindu epics, the Ramayana and Mahabharata, never mind how insufferably hacky they appear now. We also watched dramas and shows on Pakistan TV from across the border. Urdu sounded the same as Hindi, with Persian and Arabic words instead of Sanskrit.

At school, in Jalandhar, we followed a three-language model, learning Punjabi, Hindi, and English. Interestingly, children in Pakistan's Punjab province, home to most of the world's Punjabi speakers, weren’t taught Punjabi in schools until 2024. It was challenging for me to master three different scripts, but I pulled through. Also, I developed a deep fascination for Hindi literature and the culture of Hindi-speaking regions of India. My flair for Hindi expressions delighted my teachers and my literary-minded father, who was proficient in Punjabi, Urdu, Hindi, English and some Sanskrit.

During my early years, in the late 1980s, I developed a passion for listening to radio stations from faraway places. I eagerly tuned in each night to All India Radio's broadcasts from distant cities in the Hindi belt, such as Shimla, Delhi, Jaipur, and Bhopal. Later, I began to enjoy Hindi shortwave radio broadcasts from the BBC, Voice of America, Deutsche Welle, and Radio Moscow, eventually switching to English services.

Hindi became for me what English later would: the language of my intellect, a gateway to the wider world. Hindi allowed me to communicate with working-class immigrants and their children from Uttar Pradesh, Bihar, and Nepal who flocked to Punjab during its now-lost economic boom. As a teenager, I fondly remember writing a letter in Hindi to a pen pal in Bihar and receiving his reply on a yellow postcard.

Hindi-Punjabi conflict at school

The gorgeous couplets of Kabir, which often challenged social evils, and snatches of modern Hindi prose inhabited my memory as verses from Shakespeare would do later. Here’s a random textbook commentary on Harivansh Rai Bachchan’s poem that I can recall and recite like a mantra some thirty years later:

बच्चन जी की पहली पत्नी की मृत्यु ने उनकी कविता को निराशा का नीड़, करुणा की रागिनी और अभाव का आकाश बना दिया था। इस लिए यह कविता उन अवसाद भरे क्षणों की देन है।

A literal English translation loses the music and emotion of the original.

“The death of Bachchan ji’s first wife turned his poetry into a nest of despair, a melody of compassion, and a sky of emptiness. Therefore, this poem is the legacy of those sorrowful moments.”

In the early 20th century, prominent Punjabis were touched by the aesthetic beauty and larger scope of Hindi. The pioneering Punjabi novelist Nanak Singh (1897–1971) writes in his autobiography Meri Duniya ( My World ) how, as a young man, he read Premchand’s novels with deep admiration and discovered his purpose in life: to become a social realist novelist. Punjab’s young anti-colonial revolutionary Bhagat Singh (1907–1931) wrote of the relationship between Punjabi and Hindi without promoting a narrow religious agenda. These early days of modern Punjab do not reflect a Hindi-Punjabi divide—rather, they suggest that the two languages were part of the same cultural continuum.

By my mid-teens, I had begun to nurture a fantasy of becoming a Hindi fiction writer. I didn’t know then that it would be a literary way to starve and be mocked by India’s English-speaking cosmopolitan elite. Arundhati Roy’s Booker Prize win in 1997 compelled all wannabe Indian writers to write in English, which accelerated the demise of Hindi as India’s major language of books, literature, good journalism and intellectual discourse. How ironic that the recent interest in Hindi literature was revived when Geetanjali Shree’s novel was translated into English as Tomb of Sand and won the International Booker Prize in 2022.

Now most Indians writing in regional languages remain acutely aware of the English translatability of their works and the possibility of access to Western literary and academic markets. When seen from the perspective of the dominance of English in India, both Hindi and Punjabi are native derelicts.

I don’t wish to paint English as a coloniser’s culturally destructive language. Authors like James Joyce, DH Lawrence, Ralph Ellison, James Baldwin, Toni Morrison, Philip Roth, and many others have shown me the revolutionary power of literature in dismantling hegemonic narratives of class, race, caste, and religion. For now, as I have noted elsewhere , Indian-English novels rarely offer radical or subversive possibilities within their upper-caste echo chamber.

Beyond these issues of cultural and social engineering, every aspirational Indian should have the intellectual and creative autonomy to express themselves in any regional or global language.

From the 1960s, for Punjab’s Hindus, the Punjabi language written in the Gurmukhi script (used for Sikh holy scriptures) came to be associated with religious orthodoxy and provincialism. With demands from the Shiromani Akali Dal for a Punjabi-speaking (effectively dominant-caste Sikh) state, Punjab was divided in 1966, chopping off the Hindi-speaking regions that now make up Haryana and parts of Himachal Pradesh. Amandeep Sandhu writes in his thought-provoking, albeit strongly pro-Punjabi, book Panjab that in the 1961 census, many Punjabi-speaking Hindus had claimed Hindi as their mother tongue to stay out of the smaller neo-Punjab.

As Pravin J Patel notes, the Akali-led Punjab movement of 1981 intensified the focus on ethno-Sikh identity, leading to demands for a Sikh theocracy (Khalistan) that spiralled into tragic violence and loss of life. As an alarming example of language policing of the time, the wildly popular Dalit Punjabi singer Chamkila received death threats for some of his racy lyrics that supposedly polluted the Punjabi language and culture. In 1988, Chamkila was shot dead at the age of 28 by unknown assailants. While certain people wanted to maintain Punjabi as a dominant and pious language, others began to see it as an imposition.

In 1991, when I was eleven and blissfully ignorant of the dangerous political currents, students at my private school in Jalandhar could be slapped or caned if teachers overheard us speaking Punjabi. Only Hindi and English were encouraged. Many Sikh parents backed this rule, believing that a greater emphasis on Hindi would make their children sophisticated. However, the restriction frustrated me because talking and swearing in Punjabi was so much fun and came naturally when communicating with others who shared the same mother tongue. We (the boys) reserved Hindi for polite conversations with teachers and girls we liked.

My best friend in school, Palwinder Singh (a Sikh with a top knot), fumed at the Hindu and Hindi imperialism. He told me Punjab would soon become a Sikh state called Khalistan. I didn’t quite understand what that meant. I assured him that I, too, resented language policing. Although Palwinder made it clear that there would be no place in Khalistan for Hindus like me, he was happy to get my support on the language issue.

Driven by our youthful rebellion, Palwinder and I swore at our teachers behind their backs, using Punjabi words that are not fit for print.

As I grew older, loving or choosing a language became extremely political and intellectually stunting.

Language and intellectual autonomy

Wendy Doniger has observed that ancient Sanskrit texts have a long tradition of dissent against socio-religious dogma. Modern Hindi has inherited many of these subversive qualities. Given the wide geographical spread of the Hindi language and the diverse belief systems covered under the umbrella term of Hinduism, it is impossible to police them.

The picture isn’t all rosy. Despite the massive popularity of Hindi through Bollywood, TV channels, YouTube and social media, the current state of Hindi literature and intellectual life is gloomy. There are hardly any good literary magazines left; the golden age of Hans , which also introduced many Dalit writers, is over. Even so, the highly politicised, ethno-Sikh Punjabi language fares much worse and offers less freedom.

In the mid-1990s, I was suddenly cut off from my beloved Hindi after completing my class ten exams. Thanks to the Punjab state’s educational policy, Hindi was absent from the curriculum throughout my five years of college, where only Punjabi and English were mandatory language subjects. Taking Hindi literature as an elective wasn’t feasible with my course load.

At the college level, choosing a language should be a matter of individual intellectual aspiration and aesthetic pleasure, not ethno-religious dominance. In 2023, Panjab University in Chandigarh faced political pressure to retain Punjabi as a compulsory subject, which effectively excludes Hindi and the diversity that comes with it.

After migrating to the West, I noticed that Hindi – spoken with various accents – rather than English often serves as the common language among Indians from the Hindi belt, as well as those from Gujarat, West Bengal, Andhra Pradesh, Karnataka, Maharashtra, and even Fiji.

In Australia and New Zealand, I fully embraced the intellectual, creative and subversive possibilities of English. But I also had the freedom and pleasure of reading Hindi works by Premchand, Nirmal Verma and eye-opening Dalit writers like Omprakash Valmiki, Dr Tulsiram and Ajay Navaria. In my experience, instead of dividing India, Hindi has the potential to animate and unite it, bringing us into a larger communion and revelation.

Rajiv Thind is a literary scholar and a fiction writer based in New Zealand.

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