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प्रभावशाली शिक्षण में शिक्षकों की भूमिका | Role of Teachers in Teaching learning in Hindi

प्रभावशाली शिक्षण में शिक्षकों की भूमिका

शिक्षण की प्रकृति को समझने से पूर्व यह समझना आवश्यक है कि शिक्षण क्या है? शिक्षण की अवधारणा में वे सभी क्रियाकलाप सम्मिलित होते हैं जो दूसरों को शिक्षा देने के लिये अपनाये जाते हैं। अध्यापक अपने विद्यार्थियों को उत्तम ज्ञान देने के लिए विभिन्न विधियों का प्रयोग करता है। वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता है कि विद्यार्थी प्रकरण को समझ सकें। अध्यापक का कर्तव्य है कि वह विद्यार्थियों को सीखने के लिए प्रोत्साहित करें। शिक्षण का अर्थ है-अध्यापक और विद्यार्थी के मध्य चलने वाली अन्तर्किया।

शिक्षण प्रक्रिया में अध्यापक और विद्यार्थी दोनों का पारस्परिक लाभ सन्निहित होता है। दोनों के अपने-अपने उद्देश्य होते हैं और शिक्षण के माध्यम से दोनों अपने-अपने उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं।

Table of Contents

शिक्षण अधिगम में शिक्षकों की भूमिका ( Role of Teachers in Teaching learning)

विद्यालयों में शिक्षण शिक्षक केन्द्रित है जहाँ शिक्षक ज्ञान का प्रसार करने वाले तथा छात्र उसे ग्रहण करने वाले होते हैं। छात्रों से यह अपेक्षा रहती है कि वे शिक्षकों अथवा पाठ्य पुस्तकों द्वारा दिये गये ज्ञान को स्मरण रखें तथा उसे परीक्षा में पुनः प्रस्तुत करें। शैक्षणिक सत्र की समाप्ति के बाद छात्रों की उपलब्धि को उनके द्वारा परीक्षा में प्राप्त ग्रेड/अंकों के माध्यम से प्रमाणित किया जाता है। बहुत से विद्यालयों में शिक्षण अधिगम का एक परिणाम यह भी देखने में आया है कि बच्चे प्रश्नों और उत्तरों को याद रखने के लिए, यहाँ तक कि प्राथमिक विद्यालयों में भी, गाइड पुस्तकों का सहारा लेते हैं। जानकारी का स्मरण अथवा याद करने से यह सिद्ध नहीं हो जाता कि छात्र ने उसे समझ लिया है तथा जीवन की विभिन्न स्थितियों में बह उसका प्रयोग कर सकेगा। सार्थक ज्ञान वही है, जब विद्यार्थी अपने ज्ञान का सूजन स्वयं करें।

विद्यार्थी अच्छा सीख पायेंगे जब-

  • वे अधिगम प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें।
  • अधिगम उनके जीवन के दैनिक अनुभवों से सम्बद्ध हो।
  • अधिगम की स्थितियाँ उनके परिवेश से प्राप्त हों ।
  • छात्र शिक्षक तथा छात्र-छात्र के बीच अन्त: सम्बन्धों को प्रोत्साहित किया जाये।
  • शिक्षक की भूमिका ज्ञान के प्रसारक के बजाय बच्चों को ज्ञान सृजन कराने वाले उत्प्रेरक के रूप में बदल गयी है।
  • विद्यार्थियों को अधिगम की विविध स्थितियाँ उपलब्ध कराये।
  • यह सुनिश्चित करें कि हर बच्चा अधिगम प्रक्रिया में संलिप्त है।
  • विद्यार्थियों को सहभागिता तथा एक दूसरे से सीखने, वाद-विवाद के लिए प्रोत्साहित करें।
  • जब विद्यार्थी चाहे तभी सहायता करें।
  • इस प्रकार सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में अध्यापकों को एक चिन्तनशील व्यवहारकर्ता बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए।

शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाय-

  • छात्रों के सन्दर्भ और आवश्यकताओं के अनुरूप अध्ययन परिवेश विकसित करना, अभिकारल्पित करना तथा चयन करना।
  • अधिगम तथा मूल्यांकन के सम्बन्ध में प्रबन्धकीय निर्णय लेना।
  • सहयोगी अधिगम की व्यवस्था करना।
  • छात्रों के अध्ययन कार्यों का आकलन।

शिक्षकों की भूमिका को बजाय ज्ञान के प्रसारक के सूचना तथा ज्ञान सृजन को सुगम बनाने वाले के रूप में स्थापित किये जाने की जरूरत है। शिक्षक उस तरह के शिक्षण अधिगम का सृजन करे जो सीखने के प्रजातान्त्रिक माहौल में आलोचनात्मक चिन्तन के विकास को सुगम बनाये, जहाँ जाति, धर्म, क्षेत्र, समुदाय तथा वर्ग के भेदभाव किये बिना सभी बच्चे भाग ले सकें। अध्यापक छात्रों को ऐसे तैयार करें जिससे वे ज्ञान के विभिन्न स्रोतों को समन्वित कर सकें, जैसे- बच्चों के जीवन के अनुभव, पाठ्य पुस्तकों से अलग हटकर स्थानीय जानकारी आदि।

शिक्षकों के लिए आवश्यक है कि-

  • वे बच्चों का ख्याल कर सकें तथा उनके साथ रहना पसन्द करें।
  • बच्चों को उनके सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक सन्दर्भों में समझ सकें।
  • ग्रहणशील तथा निरन्तर सीखने वाले हों।
  • शिक्षा को अपने व्यक्तिगत अनुभवों की सार्थकता की खोज के रूप में देखें तथा ज्ञान निर्माण में मननशील अधिगम की लगातार उभरती प्रक्रिया के रूप में स्वीकार करें।
  • ज्ञान को पाठ्य पुस्तकों में निहित बाह्य वास्तविकता के रूप में न देखकर उसके निर्माण को शिक्षण अधिगम के साझा सन्दर्भी और व्यक्तिगत अनुभवों के रूप में देखें।
  • समाज के प्रति अपना दायित्व समझें और एक बेहतर विश्व के निर्माण के लिए कार्य करें।

शिक्षक शिक्षा के उभरते केन्द्र बिन्दु

राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा 2005 की अनुशंसा में शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों में निम्न बदलाव सुझाये गये-

  • शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं की समझ को प्राथमिकता देने की जरूरत है। शिक्षार्थी को शिक्षण प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी के रूप में देखना चाहिए न कि निष्क्रिय ग्रहणकर्ता के रूप में तथा ज्ञान को मूर्त निर्धारित न मानकर प्रत्यक्ष स्व-अनुभवों से निर्मित माना जाना चाहिए।
  • शिक्षण अधिगम प्रक्रिया इस प्रकार व्यवस्थित की जाये कि विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष अवलोकन के अवसर मिलें, शिक्षार्थियों के प्रश्नों को समझने तथा प्राकृतिक एवं सामाजिक घटनाओं के अवलोकन में मदद करने वाले कार्य मिल सकें, बच्चों में चिन्तन सम्बन्धी अन्तर्दिष्ट विकसित हो और बच्चों की बातें ध्यान से हास्य और सहानुभूति के साथ सुनने के अवसर मिलें।
  • अधिगम को सहभागिता की उस प्रक्रिया के रूप में देखा जाना चाहिए जो सहपाठियों और वृहत् सामाजिक समुदाय या पूरे राष्ट्र के साझे सामाजिक सन्दर्भों के बीच होती है। अधिगम एक स्व-अनुभव आधारित प्रक्रिया है जिसमें शिक्षार्थी अपने ज्ञान का निर्माण अपने तरीके से आत्मसात कर, अन्तः क्रिया, अवलोकन तथा मनन-चिन्तन द्वारा करते हैं।
  • शिक्षक की भूमिका ज्ञान के स्रोत के बदले एक सहायक की होनी चाहिए जो विविध उपायों से सूचना को ज्ञान/बोध में बदलने की प्रक्रिया में मदद करें।
  • ज्ञान को एक सतत् प्रक्रिया माना जाना चाहिए जो वास्तविक अनुभवों के अवलोकन, पुष्टिकरण आदि से उत्पन्न होता है।
  • शिक्षक प्रशिक्षण में अवधारणात्मक निवेश को इस प्रकार प्रस्तुत करना चाहिए कि वे शैक्षिक घटनाओं, जैसे-अवधारणा, प्रयोग, क्रिया, अधिगम प्रक्रिया और घटनाओं का वर्णन विश्लेषण करें।
  • शिक्षण प्रशिक्षण में सैद्धान्तिक समझ और उसके व्यवहारिक प्रयोगों को समन्वित रूप से देखने के लिए पर्याप्त मौके दिये जाने की जरूरत है न कि उनको दो अलग-अलग पहलुओं के रूप में देखने की। अध्यापक को कक्षा में क्षेत्र आधारित पद्धतियों के प्रति आलोचनात्मक संवेदना विकसित करने की जरूरत है।
  • विविध प्रकार के सन्दर्भ अधिगम में विभेद पैदा करते हैं स्कूल की शिक्षा स्कूल के बाहर के व्यापक सामाजिक सन्दर्भीं से प्रभावित होती है और विकसित होती है।
  • शिक्षक प्रशिक्षक/रिसोर्स व्यक्ति शिक्षकों के सहयोग, सहकार, अन्वेषण तथा एकीकरण, की क्षमताओं को परखते हैं तथा इसके साथ ही दृष्टिकोण, प्रस्तुति आदि में मौलिकता आदि की क्षमताओं का मूल्यांकन करते हैं।

  महत्वपूर्ण लिंक

  • संस्कृति और शिक्षा में सम्बन्ध(Relation Between Culture and Education in Hindi)
  • शिक्षा और सामाजिक गतिशीलता(Education and Social Mobility in hindi)
  • शिक्षण की योजना विधि का वर्णन | शिक्षण की योजना पद्धति के आधारभूत सिद्धान्तो एवं गुण-दोषों का वर्णन
  • समाज और शिक्षा में क्या सम्बन्ध(Relation between Society and Education in Hindi)
  • वर्तमान पाठ्यक्रम के दोष | वर्तमान शिक्षा प्रणाली के दोष (Demerits of Present Curriculum)
  • पाठ्य-पुस्तकों के प्रकार | पाठ्य-पुस्तक का अर्थ | अच्छी पाठ्य-पुस्तक की विशेषताएँ (Meaning of Text-Book in Hindi | Types of Text-Books in Hindi | Main Characteristics Of A Good Text-Book in Hindi)
  • अच्छे शिक्षण की विशेषतायें | Characteristics of good teaching in Hindi
  • शिक्षण के प्रमुख कार्य क्या क्या है | Major teaching tasks (works) in Hindi

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Kumud Singh

M.A., B.Ed.

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जीवन में शिक्षक का महत्व निबंध

जीवन में शिक्षक का महत्व निबंध hindi essay on importance of teacher in life.

शिक्षक एक व्यक्ति को कुशल नागरिक बनाता है। शिक्षक वह प्रकाश है जो सभी के ज़िन्दगी में रोशनी भर देता है। शिक्षक एक मोमबत्ती रूपी ज्ञान का उजाला है जो लोगों को अँधेरे से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाती है। शिक्षक की भूमिका किसी से छिपी नहीं है। शिक्षक अपने शिक्षा के ज़रिये व्यक्ति ,समाज और राष्ट्र का निर्माण करता है।  उनकी शिक्षा की वजह से व्यक्ति में आत्मविश्वास का संचार होता है जिसकी वजह से वह अपने ज़िन्दगी में कुछ कर गुजरने की चाहत रखता है। शिक्षक  एक खूबसूरत आईने की तरह  है जिससे व्यक्ति अपने वजूद की पहचान कर पाता है। शिक्षा वह मज़बूत ताकत है जिससे हम समाज को सकारात्मक बदलाव की ओर ले जा सकते है।

शिक्षक एक सभ्य समाज का निर्माण करता है। एक बच्चे के जीवन में उसके माता -पिता उसके प्रथम शिक्षक होते है। शिक्षा की एहमित सबसे पूर्व माता -पिता ही कराते है। उसके पश्चात बच्चा विद्यालय में शिक्षक से रुबरुं होते है जो हर विषय संबंधित ज्ञान बच्चों को प्रदान करता है। अगर छात्र मार्ग भटक जाए तो शिक्षक अपने ज्ञान से उसे सही मार्ग पर ले जाता है।

शिक्षक विद्यार्थिओं का मार्ग दर्शक है। ज़िन्दगी के कठिन मोड़ पर जब हम रास्ता भटक जाते है तो कोई न कोई इंसान शिक्षक के रूप में अपनी भूमिका निभाता है। कम उम्र में बच्चे का जीवन गीली मिटटी की तरह होता है।  तब शिक्षक एक कुम्हार की तरह उसे शिक्षा रूप हाथों से एक मज़बूत आकार प्रदान करता है।

शिक्षक विद्यार्थिओं को आने वाले बेहतर भविष्य के लिए तैयार करते है। विद्यार्थी के मन में विषय संबंधित और जीवन संबंधित कोई भी दुविधा आये तो शिक्षक उस दुविधा को हल करने में हर मुमकिन कोशिश करता है। शिक्षक की मेहनत की वजह से कोई डॉक्टर ,कोई इंजीनियर ,कोई वकील ,पायलट ,सैनिक इत्यादि बन जाते है। अगर शिक्षक नहीं होंगे तो यह पद पर कोई  व्यक्ति कार्यरत नहीं हो पाएंगे । शिक्षक इंसान को अच्छे और बुरे के बीच फर्क करना सिखाते है।  वह अधर्म ,घृणा ,ईर्ष्या ,हिंसा इन बुरी आदतों से विद्यार्थिओं को दूर रहना सिखाते है। शिक्षक शिष्टता ,सहनशीलता ,धैर्य से जीवन के संघर्षों से पार करना सिखाते है।

शिक्षक हमे जीवन में अनुशासन का पाठ पढ़ाते है। समय को ठीक तरीके से जो इंसान व्यवसस्थित कर पाए वह ज़िन्दगी में  सफलता को छूता है। समय का ज्ञान करना हमे शिक्षक सिखाते है।

इसलिए विद्यार्थी जीवन में टाइम टेबल की बड़ी एहमियत होती है।  भविष्य में भी मनुष्य इस सीख को कभी नहीं भूलता है।  इससे वह कार्य को समन्वय कर सकता है।शिक्षक एक व्यक्ति में राज्य या कोई भी क्षेत्र का नेतृत्व करने के गुण सिखाती है। शिक्षक द्वारा दी गयी शिक्षा  सम्पूर्ण  राष्ट्र का निर्माण में सहायक होता है। अध्यापक को हमेशा अपने कर्त्तव्य का पालन करना पड़ता है।  उनकी शिक्षा की वजह से एक शिक्षित वर्ग और समाज तैयार होता है।  विद्यार्थी बड़े होकर अपने शिक्षक को कभी  नहीं भूलते है। शिक्षक और विद्यार्थी का बंधन अटूट होता है।  यह बन्धन सम्मान और विश्वास का होता है। विद्यार्थी शिक्षक के पैर छूकर उनका सम्मान करना कदापि नहीं भूलते है।

आजकल के शिक्षण प्रणाली में काफी  बदलाव आया है।  पहले के समय में अध्यापक श्यामपट का उपयोग करते थे। तब बच्चे शिक्षक से सवाल करने में हिचकिचाते थे लेकिन आज के दौर में परिवर्तन आया है। आज बच्चे जिज्ञासु और उत्सुक है। वह शिक्षकों से सवाल पूछते है जो की एक सकारात्मक बदलाव है। आज अध्यापक पढ़ाने के लिए स्मार्ट बोर्ड का उपयोग करते है।  स्मार्ट बोर्ड से पढ़ाई आसान हो गयी है। शिक्षक पढ़ाई संबंधित विषयों को पढ़ाने और समझाने के लिए उन्हें वास्तविक जीवन के उदाहरण के साथ जोड़कर  समझाते है ताकि बच्चों को सारे तथ्य अच्छे से समझ आ जाये।

जैसे हमारा सांस लेना आवश्यक है। इसके बैगर हम जी नहीं सकते है।  वैसे ही अध्यापक के बिना विद्यार्थी अधूरे है।  शिक्षक नहीं होंगे तो वह विद्या प्राप्त करने में असमर्थ हो जाएंगे।  पूरे भारत वर्ष में ५ सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। विभिन्न प्रकार के सांस्कृकित कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।

 सभी बच्चे शिक्षक के सम्मान में कार्ड और फूल देकर अपनी भावनाये प्रकट करते है। जब विद्यार्थी ज़िन्दगी में सफल नागरिक बन जाते है तो सबसे अधिक ख़ुशी शिक्षक को होती है। शिक्षक की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता जब वर्षो पश्चात भी विद्यार्थी उनके सिखाये हुए चीज़ों को नहीं भूलता है। वर्षो पश्चात भी विद्यार्थी शिक्षक के पैर छूकर उनका सम्मान करना नहीं भूलते है।

शिक्षक ज्ञान का महासागर है। बच्चो के भविष्य को सवारने में शिक्षक का योगदान अतुलनीय है। शिक्षक नहीं तो देश की प्रगति भी नहीं। शिक्षक अपना सारा जीवन में बच्चो के विकास में समर्पित कर देते है। उनका सम्मान विद्यार्थी  तह उम्र करेंगे। शिक्षक वह ज्ञान का प्रकाश है जो अन्धकार की राह को चीरकर ज्ञान की रोशनी भर देती है।

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Importance of Teachers in Hindi

आधुनिक युग में शिक्षक की भूमिका पर निबंध: Importance of Teachers Essay in Hindi

यह बात आपने कई बड़े-बुजुर्गों द्वारा सुना होगा कि गुरु बिना ज्ञान नहीं। हमारे जीवन में एक शिक्षक का महत्व इस स्तर तक का है कि आपके माँ-बाप तो आपको संस्कार सिखाते हैं, लेकिन पूरी दुनिया की शिक्षा एक शिक्षक के माध्यम से ही मिलती है। आधुनिक युग में शिक्षक की भूमिका पर निबंध के माध्यम से आज हम शिक्षकों की महत्ता के बारे में जानेंगे।

शिक्षक की भूमिका पर निबंध

प्राचीन समय में गुरु को अलग-अलग तरह की भूमिकाएँ निभानी होती थी, कभी माता-पिता की, कभी अध्यापक, कभी एक मित्र और कभी पथ-प्रदर्शक की। जिन विद्यार्थियों को जिन चीजों की आवश्यकताएँ रहती थीं, उसी प्रकार गुरु भी उनको शिक्षित करने की कोशिश करते थे। पर जैसे-जैसे हम गुरु-शिष्य परम्परा से आधुनिक शिक्षा प्रणाली में आते गए, भूमिकाएँ भी बदल गई।

आधुनिक युग में शिक्षक की भूमिका कुछ अलग है। आज के समय में शिक्षकों के पास एक-से-बढ़कर एक तकनीक है, जिससे वे और प्रभावशाली तरीक़े से बच्चों को पढ़ा सकते हैं। अब शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच पहले के जैसा लगाव नहीं रह गया है, सभी बस अपना पाठ्यक्रम को पूरा करने की होड़ में रहते हैं। और इस क्रम में हम जीवन की शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।

एक ओर तो शिक्षा में गुणवत्ता लाने का प्रयास किया जा रहा है और शिक्षकों को अपने नये परिवर्तनीय रोल समझने को कहा जा रहा है। वहीं दूसरी ओर निजीकरण और किसी भी तरह से अधिकाधिक पैसे कमाने की प्रवृत्ति गम्भीर रूप से बढ़ी है। शिक्षकों को कम वेतन देकर उनका शोषण निजी शिक्षा संस्थाएँ जो हजारों की संख्या में हैं, कर रही हैं। इससे लाखों शिक्षकों का शोषण हो रहा है और उनका मनोबल, कार्यकुशलता और performance गिर रही है।

प्राचीन काल में शिक्षा दान की वस्तु समझी जाती थी और उसे निःशुल्क देना उचित माना जाता था, परन्तु अब शिक्षा एक बिकने वाली वस्तु बन चुकी है। सामान बेचने वाले आम भ्रष्ट व्यापारियों व दुकानदारों की ही भाँति सभी प्रकार की निजी शिक्षा संस्थाएँ कई तरह की बेईमानी और जाल-फरेबों से विद्यार्थियों से निर्ममतापूर्वक धन लूटने में लगी हैं।

शिक्षकों को शोषित करके वे अपने धन की निरन्तर बचत करने में लगे हुए हैं। निजीकरण के इस युग में भारतीय शिक्षकों के सामने अनेक तनावपूर्ण चुनौतियाँ सामने आ गई हैं। सरकारी पाठशालाओं में शिक्षकों के पदों को नहीं भरा जा रहा है और अधिक सरकारी शालाएँ नहीं खोली जा रही हैं।

इससे निजी शिक्षा संस्थाओं की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है और शिक्षा के नाम पर धोखाधड़ी बढ़ रही है। एक ओर तो शिक्षा में गुणात्मक सुधार और मूल्यों की शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया जा रहा है, तो दूसरी वास्तविक समाजशास्त्रीय स्थिति बहुत ही खराब है।

आधुनिक युग में शिक्षक का महत्व

शिक्षा और शिक्षकों की स्थिति को सुधारे और उनका सशक्तीकरण किये बिना भारत के उज्ज्वल भविष्य की आशा करना केवल खुद को धोखा देने जैसा है।

  • आज के समय में शिक्षक को गुणवान होना बहुत आवश्यक है।
  • यदि शिक्षक योग्य है वह बच्चों के ऊपर दो प्रकार से सुन्दर प्रभाव डाल सकता है।
  • एक तो वह अपने चरित्र एवं व्यक्तित्व के प्रभाव से बच्चों में उचित गुणों का प्रादुर्भाव कर सकता है।
  • दूसरा, वह अपने उच्च ज्ञान द्वारा बच्चों में विद्या के प्रति अनुराग उत्पन्न कर सकता है।

यहाँ ज्ञान से हमारा मतलब है बच्चों का प्रकृति सम्बन्धी ज्ञान, विषय सम्बन्धी ज्ञान, वातावरण सम्बन्धी ज्ञान तथा उसमें सुधार लाने के सम्बन्ध में ज्ञान। इस प्रकार हम गुणी और योग्य अध्यापक उसे ही कहेंगे जो अच्छे व्यक्तित्व एवं चरित्र वाला तथा ज्ञानी है।

सभी शिक्षकों को यह समझना आवश्यक है कि उत्तम शिक्षण न केवल कला का शिक्षण है, न विज्ञान का, परन्तु कला के साथ विज्ञान का समावेश अध्यापन है। उत्तम शिक्षण संस्कृति से जुड़ा होता है। इस प्रकार अध्यापक को शिक्षा, दर्शन , शिक्षा-विधि एवं शिक्षा मनोविज्ञान का उत्तम ज्ञान होना आवश्यक है। उसे बच्चों को बच्चा समझकर ही शिक्षा देनी होगी, न कि व्यक्ति मानकर।

एक कुशल शिक्षक वह है जो बच्चों के अन्तर तक झाँक सकता है और उसको अपने आप एक ऐसे आदर्श की अनुभूति करा सकता है जो उसके अन्दर से विकसित हुआ हो तथा जिससे जीवन में प्रेरणा ग्रहण करके वह एक उत्तम मानव बन सके।

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Nibandh

शिक्षक और विद्यार्थी पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - शिक्षक का स्थान ईश्वर के ऊपर - प्राचीन काल से शिक्षक का महत्व - विद्यार्थियों पर शिक्षक का प्रभाव - शिक्षक और विद्यार्थी का दायित्व - उपसंहार।

शिक्षक का विद्यार्थी जीवन में अधिक महत्व है। शिक्षक विद्यार्थी के जीवन में वह व्यक्ति होता है, जो उन्हें अच्छी शिक्षा के साथ बहुत सी अन्य महत्वपूर्ण चीजों को सिखाता है। एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों के लिए बहुत अधिक मायने रखता है। वह उनके जीवन में विकास की प्रारम्भिक अवस्था से हमारे परिपक्व होने तक बहुत अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वह उन्हें और उनके भविष्य को देश के जिम्मेदार नागरिक बनाने की ओर मोड़ देते हैं।

  • शिक्षक गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूँ पांय।
  • बलिहारी शिक्षक आपने, जिन ग्रोविदद दियो मिलाय ॥

निष्ठावान शिक्षक ही विद्यार्थी के जीवन में सुधार सकता है और शिक्षक के द्वारा ही विद्यार्थी जीवन में शिखर को छू पाने में सफल हो सकता है । शिक्षक और विद्यार्थी दोनों के मन में भावना का होना अति आवश्यक है। एक ओर तो बेचारा शिक्षक पूरे मनोवेग से विद्यार्थियों को पढ़ाने का प्रयास करे और दूसरी ओर विद्यार्थियों का ध्यान अन्य बातों में लगा रहे तो न शिक्षक को हो पढ़ाने में आनंद आयेगा और न विद्यार्थियों का ही भला हो पायेगा।

विद्यार्थी को भी ज्ञान अर्जन के लिए सम्पूर्ण समर्पण भाव से ध्यान देने की ही आवश्यकता होती है, तभी जीवन में उन्नति प्राप्त हो सकती है। प्राचीनकाल में विद्यार्थियों का समर्पण एक उदाहरण बनकर आज भी हमारे सम्मुख है। शिक्षक द्रोणाचार्य पांडवों को भनुर्विद्या में निपुण कर रहे थे और भोल का बालक एकलव्य गुर द्रोणाचार्य द्वारा पाण्डवों को सिखायी जा रही धनुष विद्या को दूर खड़ा देखा करता था। एक ही मन से द्रोणाचार्य को अपना शिक्षक स्वीकार लिया और वह भी धनुप का स्वत: ही अभ्यास करने लगा । पारंगत होने पर एकलव्य ने जब अपनी विद्या का प्रदर्शन किया तो द्रोणाचार्य ने एकलव्य से उसके शिक्षक का नाम जानना चाहा। तब एकलव्य ने बताया कि मैंने मन से आपको शिक्षक स्वीकार कर यह धनुप विद्या स्वयं हो सीखी है | इस पर शिक्षक दक्षिण में एकलब्य ने अपने सीधे हाथ का अँगूठा काटकर द्रोणाचार्य को शिक्षक दक्षिणा में भेंट कर दिया। यही नहीं मुनि वशिप्ठ और विश्वामित्र ने राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न को शिक्षित किया और संदीपन शिक्षक ने श्रीकृष्ण को ज्ञान के साथ- साथ सहज और सरल जीवन जीने का पाठ भी पढ़ाया । शिक्षक, शिक्षक या शिक्षक कुम्हार की भाँति कहे गये हैं, जिस प्रकार कुम्हार अपनों गीली मिट्टी को जो चाहे आकार देने में सक्षम होता है उसी प्रकार शिक्षक शिक्षक का शिक्षक अपने शिल्प को आकार दे सकता है। अरस्तू ने अपने विद्यार्थी सिकन्दर को विश्व जीतने के लिए उकसाया तो चन्द्रगुप्त को चाणक्य ने शिक्षित करके देश का इतिहास ही बदल दिया।

छोटे बच्चे के मन पर शिक्षक का जैसा गहरा प्रभाव पड़ता है, वैसा किसी अन्य का नहीं पड़ता । इसलिए शिक्षक का आदर्शवान होना परम आवश्यक है। शिक्षक ही ऐसा एक केद्ध-बिन्दु है जहाँ से बौद्धिक परम्पराएँ तथा वैज्ञानिक और तकनीकी कुशलता एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को संचारित करती हैं । यह शिक्षक या शिक्षक ही होता है जो सभ्यता के दीपक को प्रज्ज्वलित करने में अपना योगदान करता है। शिक्षक, शिक्षक या शिक्षक व्यक्ति का मार्ग दर्शन ही नहीं करता, अपितु समूचे राष्ट्र का भाग्य निर्माता भी होता है।

शिक्षक यदि योग्य होगा तो विद्यार्थी भी योग्य ही बनेंगे। शिक्षक के व्यक्तित्व का प्रभाव विद्यार्थी पर निश्चित रूप से पड़ता है। चरित्रवान और नीतिवान शिक्षक के विद्यार्थी भी चरित्र और नीति में प्रवीण होंगे। शिक्षण, निरीक्षण, मार्गदर्शन, मूल्यांकन और सुधारात्मक कार्यों के साथ-साथ योग्य शिक्षक ही विद्यार्थियों, अभिभावकों और समुदाय से सदैव अनुकूल सम्बन्ध स्थापित करने के दायित्व को भी निभाता है। शिक्षक द्वारा शिक्षित विद्यार्थी जब परीक्षा में सफल होते हैं तो सबसे अधिक गर्व शिक्षक को ही होता है।

विद्यार्थी का कर्त्तव्य है कि वह शिक्षक के चरणों की धूल अपने मस्तक पर धारण करे, लेकिन आज के सन्दर्भ में यदि हम देखें तो इसका यह भी अर्थ है कि विद्यार्थी अपने शिक्षक का सम्मान करे। शिक्षक या शिक्षक का कार्य तो केवल शिक्षा देना है, मगर विद्यार्थी का कार्य शिक्षक से भी बढ़ कर होता है, विद्यार्थी या विद्यार्थी का यह दायित्व हो जाता है कि सम्मानपूर्वक वह शिक्षा को भी ग्रहण करे साथ ही शिक्षक का भी पूरा सम्मान करे । यह कटु सत्य है कि ताली बजाने के लिए दोनों हाथों की आवश्यकता पड़ती है । एक हाथ से कभी भी ताली नहीं बजायी जा सकती।

विद्यार्थी यदि विनप्र होगा तो वह अपने शिक्षक से अच्छी शिक्षा प्राप्त कर पाने में सक्षम रहेगा, लेकिन यदि विद्यार्थी उदण्ड है तो वह सदैव विरस्कृत ही होता रहेगा, इसमें हानि विद्यार्थी की होती है। शिक्षक ने जो भी शिक्षा देनी है वह सामूहिक रूप से सभी विद्यार्थियों को कक्षा में देगा और यह विद्यार्थियों पर निर्भर करता है कि वह उस, शिक्षक की शिक्षा को कितना ग्रहण कर पाते हैं । पूरी कक्षा में शिक्षक किसी भी विद्यार्थी से शिक्षा देते समय अर्थात पढ़ाते समय कोई भो भेदभाव नहीं रखते, फिर भी परीक्षा परिणाम में कुछ विद्यार्थी असफल हो जाते हैं, इसमें दोष उन विद्यार्थियों का है जिन्होंने मन लगाकर न तो शिक्षक की बात ही सुनी और न ही मन लगा अध्ययन, चिन्तन और मन ही किया। लेकिन किसी भी विद्यार्थी के असफल होने का दु:ख विद्यार्थी से अधिक शिक्षक को होता है, क्योंकि शिक्षक को मन-ही-मन यह लगता है कि शायद मुझसे विद्यार्थियों को ठीक प्रकार से बताने या समझाने में कोई कमी रह गयी है।

शिक्षक और विद्यार्थी का सम्बन्ध तो दूध और पानी की भाँति होता है, जैसे दूध में मिला पानी भी दूध ही कहलाता है उसी प्रकार एक अच्छे चरित्रवान शिक्षक का विद्यार्थी भी अच्छा चरित्रवान हो कहलाने का अधिकारी होता है। जहाँ शिक्षक का दायित्व विद्यार्थी को शिक्षा देना हैं, वही विद्यार्थी का भी कर्त्तव्य है शिक्षक द्वारा दी गयी उस महत्त्वपूर्ण शिक्षा को ग्रहण कर जीवन में उन्नति पाता हुआ सदैव शिखर पर पहुँच कर अपने शिक्षक, अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के नाम को ऊँचा करने का गौरव प्राप्त करे।

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Home » Essay Hindi » शिक्षक पर निबंध हिंदी में | Essay On Teacher In Hindi

शिक्षक पर निबंध हिंदी में | Essay On Teacher In Hindi

इस लेख Essay On Teacher In Hindi Language में शिक्षक पर निबंध हिंदी लेखन के जरिये शिक्षक या गुरु के महत्व (Importance Of Teacher In Hindi) पर प्रकाश डाला गया है। विद्यार्थी जीवन के सर्वांगीण विकास में मुख्य भूमिका शिक्षक की होती है। एक अच्छा शिक्षक बच्चों को बेहतर भविष्य देता है। विद्यालय प्रांगण में शिक्षा का प्रसार शिक्षक करता है।

भारत देश में शिक्षक को गुरु की उपाधि दी गई है। शिक्षक का महत्व पर निबंध (Essay On Importance Of Teacher In Hindi For Class 6, 7, 8, 9, 10) में शिक्षक की राष्ट्र निर्माण में भूमिका, महत्व और एक अच्छे शिक्षक की विशेषता पर प्रकाश डालेंगे।

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, का के लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाये। – कबीर

शिक्षक पर निबंध – Essay On Teacher In Hindi

Essay On Teacher In Hindi – शिक्षक वर्तमान पर कार्य करके भविष्य का निर्माण करता है। बच्चे देश का भविष्य होते है और शिक्षक इन्हें ही तैयार करता है। प्रत्येक मनुष्य का जीवन बिना शिक्षक के अधूरा है। बच्चे की पहली शिक्षक उसकी माँ होती है। यही से उसे अच्छे और बुरे की पहचान होती है।

विद्यालय में प्रवेश के बाद शिक्षक ही बच्चे के भविष्य के लिए जिम्मेदार होता है। बच्चे का मानसिक और बौद्धिक विकास शिक्षक ही करता है। शिक्षक के उचित मार्गदर्शन में बच्चे का सर्वांगीण विकास होता है। हिन्दू शास्त्रों में शिक्षक को भगवान का दर्जा दिया गया है।

“ज्ञानार्थ प्रवेश और सेवार्थ प्रस्थान” का मूल मंत्र किसी भी विद्यालय का अनिवार्य योग है। बच्चे का दूसरा घर विद्यालय होता है जहां पर शिक्षक उसके पेरेंट्स की भांति ध्यान रखते है। बच्चों में अच्छे संस्कार के लिए केवल माता पिता ही जिम्मेदार नही होते है। शिक्षक भी उतने ही संस्कारों के लिए जिम्मेदार है। गुरु की तुलना एक कुम्हार से की गई है जो गीली मिट्टी रूपी विद्यार्थी को घड़े रूपी ज्ञान का आकार देता है।

गुरु के पास ज्ञान का भंडार होता है। विद्यार्थी जीवन को सफल बनाने के लिए शिक्षक अपना सम्पूर्ण ज्ञान लगा देता है। ज्ञान बांटने से बढ़ता है और टीचर यही करता है। विद्यालय में हर एक विषय का अध्यापक होता है जो विशेष विषय का अध्यापन करता है। गणित, अंग्रेजी, हिंदी, विज्ञान जैसे कई विषयों के अध्यापक विद्यालय में होते है। इनमें से किसी भी विषय का अध्यापक उस विषय का विद्वान होता है।

शिक्षक का महत्व – Importance Of Teacher In Hindi

शिक्षक पर निबंध Essay On Teacher In Hindi – विद्यार्थी को पढ़ाई कराना शिक्षक का कर्तव्य होता है। टीचर अपने इस कर्तव्य का निर्वाह ईमानदारी से करता है। शिक्षक को राष्ट्र निर्माता भी कहा जाता है। श्रेस्ठ व्यवहार और नैतिकता का पाठ विद्यार्थी अपने शिक्षक से ही सीखता है। विद्यार्थी के गुणों की पहचान टीचर को ही होती है।

उत्तम शिक्षक से उत्तम गुण प्राप्त होते है। आगे चलकर भविष्य में डॉक्टर, इंजीनियर इत्यादि शिक्षक ही तैयार करता है। एक गुरु, शिक्षक या अध्यापक आगे की एक पूरी पीढ़ी तैयार करते है। शिक्षक का एकमात्र लक्ष्य बच्चे के मन रूपी मंदिर में ज्ञान का दीपक जलाना होता है।

यह जरूरी नही है कि शिक्षक केवल बौद्धिक विकास ही करता है। शिक्षक मनुष्य का शारीरिक विकास भी करता है। सचिन तेंदुलकर, पीटी उषा, साइना नेहवाल जैसे खेलों के बड़े नाम की सफलता के पीछे शिक्षक ही है। बिना शिक्षक के सफलता नही मिलती है।

भारत ने वर्ष 2011 क्रिकेट का वर्ल्डकप जीता था। इस जीत में सारे खिलाड़ियों का योगदान था लेकिन उस वक्त के क्रिकेट कोच गैरी कर्स्टन का योगदान भी कम नही है। कार्य का कोई भी क्षेत्र हो खेल, राजनीति, फिल्म्स, बिज़नेस, इंजीनियरिंग, डॉक्टर्स या अध्यापन। इन सारे क्षेत्रों में सफलता के लिए गुरु का होना जरूरी है। बिना किसी गुरु के सफलता प्राप्त करना मुश्किल होता है।

गुरु अनन्त तक जानिए, गुरु की और न छोर। गुरु प्रकाश का पूंज है, निशा बाद का भोर।

अच्छा शिक्षक की विशेषता (Teacher Essay In Hindi)

एक अच्छा शिक्षक कौन है? यह प्रश्न आपके मन में आता होगा। इसका जवाब बिल्कुल आसान है कि अच्छा शिक्षक शिक्षण के प्रति ईमानदार होता है। पूर्ण रूप से समर्पित होकर पढ़ाता है। वो अपने विद्यार्थियों में भेद नही करता है। उसके लिए सारे स्टूडेंट्स एक समान है।

गुरु की नजर में पढ़ाई में अच्छे या बुरे सभी प्रकार के विद्यार्थी समान है। वो उन पर एकसमान ध्यान देता है और सभी विद्यार्थी शिक्षक को प्रिय होते है। एक अच्छे गुरु को धैर्यवान होना जरूरी है। शिक्षक को विद्यार्थी के मित्र की भांति होना चाहिए। एक महान गुरु ही महापुरुष का निर्माण करता है।

भारत में हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक दिवस हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म के दिन मनाया जाता है। एक अच्छे शिक्षक को डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के समान होना चाहिए। बुरा शिक्षक बुराई को जन्म देता है और अच्छा शिक्षक अच्छाई को जन्म देता है।

आदर्श शिक्षक पर निबंध – Guru Or Shikshak Par Nibandh

हमें गुरु का सम्मान करना चाहिए क्योंकि वो इसके हकदार है। वर्तमान में विद्यार्थी के मन में शिक्षक के लिए सम्मान कम हुआ है और इसका सबसे बड़ा कारण खुद शिक्षक है। आजकल के ज्यादातर शिक्षक विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान देते है और उन्हें व्यवहारशील नही बनाते। अच्छा शिक्षक किताबी ज्ञान के साथ सामाजिक व्यवहारशीलता की शिक्षा भी देता है।

वैसे मित्रो दुनिया में आज भी ऐसे शिक्षक मौजूद है जो शिक्षण कार्य को ईश्वर की भक्ति मानते है। शिक्षक हमें सम्मान और सजा दोनों देते है। विद्यार्थी जीवन में अक्सर गलती होती रहती है। गुरु का काम बच्चे की गलती पहचानकर उसे गलती का अहसास कराना होता है। बेहतर समाज, बेहतर देश बनाने में शिक्षक की भूमिका अहम है। शिक्षक अज्ञानता रूपी अंधकार को दूर करके ज्ञान रूपी प्रकाश को विद्यार्थी जीवन में उतारता है।

इस पोस्ट Essay On Teacher In Hindi में शिक्षक पर निबंध लेखन (Shikshak Par Nibandh) और शिक्षक का महत्व (Importance Of Teacher In Hindi) पर जानकारी आपको कैसी लगी? “Guru Par Nibandh” आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा, ऐसी हम आशा करते है। यह पोस्ट “Teacher Par Nibandh Hindi Mein” पसंद आयी हो तो इसे फेसबुक और ट्विटर पर शेयर जरूर करे।

यह भी पढ़े – 

  • विद्यालय पर निबंध
  • शिक्षा पर निबंध
  • पुस्तकों पर निबंध

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शिक्षक दिवस पर निबंध (Teachers Day Essay in Hindi) - टीचर्स डे पर 200, 500 शब्दों में हिंदी में निबंध देखें

Updated On: May 13, 2024 02:06 pm IST

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शिक्षक दिवस पर निबंध (Teachers Day Essay in Hindi)

शिक्षक दिवस पर निबंध 200 शब्दों में (Teachers Day Essay in Hindi in 200 words)

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  • भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
  • यह डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाया जाता है।
  • वह एक दार्शनिक, शिक्षक और भारत के पहले उपराष्ट्रपति थे।
  • एक छात्र के जीवन में शिक्षक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • शिक्षक समाज की रीढ़ हैं।
  • शिक्षक दिवस पर हम अपने शिक्षकों को पुरस्कृत करके या उनके बारे में दो शब्द कहकर उन्हें सम्मान देते हैं।
  • स्कूल और कॉलेजों में शिक्षक दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
  • इस दिन छात्र विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
  • छात्र शिक्षकों के प्रति अपना प्यार व्यक्त करने के लिए शुभकामनाएं और उपहार देते हैं।
  • शिक्षक दिवस शिक्षक और छात्र के बीच विशेष बंधन का उत्सव है।

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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन (5 सितंबर, 1888) को पूरे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

देश में पहली बार 1962 को शिक्षक दिवस मनाया गया था और तभी से पुरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। इसी साल मई में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने देश के दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर पदभार संभाला था। 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन और शिक्षकों के समाज के प्रति योगदान को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है

हर साल, भारत डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को उनके योगदान और उपलब्धियों के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाता है। 5 सितंबर, 1888 को जन्मे डॉ. राधाकृष्णन ने न केवल भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया, बल्कि एक विद्वान, दार्शनिक और भारत रत्न से सम्मानित भी थे।

शिक्षक दिवस पर निबंध लिखने की सरल प्रक्रिया इस लेख में बताई गई है, छात्र यहां दिए गए सैंपल का उपयोग करके शिक्षक दिवस पर हिंदी में निबंध लिखना सिख सकते हैं। 

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शिक्षक दिवस पर निबंध (Teacher’s Day Essay in Hindi)

शिक्षक दिवस

जीवन में शिक्षक का किरदार बहुत खास होता है, वे किसी के जीवन में उस बैकग्राउंड म्यूज़िक कि तरह होते हैं, जिसकी उपस्थिति मंच पर तो नहीं दिखती, परंतु उसके होने से नाटक में जान आजाती है। ठीक इसी प्रकार हमारे जीवन मे एक शिक्षक की भी भूमिका होती है। चाहें आप जीवन के किसी भी पड़ाव पर हों, शिक्षक की आवश्यकता सबको पड़ती है। भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन है। वे भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे जो इन पदों पर आसीन होने से पहले एक शिक्षक थे।

शिक्षक दिवस पर 10 वाक्य | शिक्षक दिवस पर भाषण

शिक्षक दिवस पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Teacher’s Day in Hindi, Shikshak Diwas par Nibandh Hindi mein)

शिक्षक दिवस पर निबंध (250 – 300 शब्द).

ज्ञान, जानकारी और समृद्धि के वास्तविक धारक शिक्षक ही होते है जिसका इस्तेमाल कर वह हमारे उज्जवल जीवन के लिये हमें विकसित और तैयार करते हैं। हमारी सफलता के पीछे हमारे शिक्षक का हाथ होता है। हमारे माता-पिता की तरह ही हमारे शिक्षक के पास भी ढ़ेर सारी व्यक्तिगत समस्याएँ होती हैं लेकिन फिर भी वह इन सब को दरकिनार कर रोज स्कूल और कॉलेज आते हैं तथा अपनी जिम्मेदारी का अच्छे से निर्वाह करते हैं। कोई भी उनके बेसकीमती कार्य के लिये उन्हें धन्यवाद नहीं देता इसलिये एक विद्यार्थी के रुप में शिक्षकों के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि कम से कम साल में एक बार उन्हें जरुर धन्यवाद दें।

शिक्षक दिवस

हर वर्ष 5 सितंबर को हमारे निस्स्वार्थ शिक्षकों को उनके बहुमूल्य कार्य को सम्मान देने के लिये शिक्षक दिवस मनाया जाता है। 5 सितंबर हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधकृष्णन का जन्मदिन है जिन्होंने पूरे भारत में शिक्षकों को सम्मान देने के लिये शिक्षक दिवस के रुप में उनके जन्मदिन को मनाने का आग्रह किया था। उन्हें अध्यापन पेशे से बहुत प्यार था।

हमें शिक्षक दिवस क्यों मनाना चाहिए

हमारे शिक्षक हमें शैक्षणिक दृष्टी से तो बेहतर बनाते ही हैं साथ ही हमारे ज्ञान व विश्वास स्तर को बढ़ाकर नैतिक रुप से भी हमें अच्छा बनाते है। जीवन में अच्छा करने के लिये वह हमें हर असंभव कार्य को संभव करने की प्रेरणा देते हैं। विद्यार्थियों के द्वारा इस दिन को बहुत उत्साह और खुशी के साथ मनाना चाहिए। विद्यार्थियों को अपने शिक्षकों को उपहार व ग्रीटिंग कार्ड देकर बधाई देना चाहिए।

ये सर्वविदित है कि हमारे जीवन को सँवारने में शिक्षक एक बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। सफलता प्राप्ति के लिये वो हमें कई प्रकार से मदद करते है जैसे हमारे ज्ञान, कौशल के स्तर, विश्वास आदि को बढ़ाते है तथा हमारे जीवन को सही आकार में ढ़ालते है। अत: अपने निष्ठावान शिक्षक के लिये हमारी भी कुछ जिम्मेदारी बनती है।

हम सभी को एक आज्ञाकारी विद्यार्थी के रुप में अपने शिक्षक का दिल से अभिनंदन करने की जरुरत है और जीवनभर अध्यापन के अपने निस्स्वार्थ सेवा के लिये साथ ही अपने अनगिनत विद्यार्थीयों के जीवन को सही आकार देने के लिये उन्हें धन्यवाद देना चाहिये। शिक्षक दिवस हम सभी के लिये उन्हें धन्यवाद देने और अपना एक दिन उनके साथ बिताने के लिये ये एक महान अवसर है।

शिक्षक दिवस पर निबंध – 2 (400 शब्द)

सभी के लिये शिक्षक दिवस बहुत ही खास अवसर होता है खासतौर से एक शिक्षक और विद्यार्थी के लिये। अपने शिक्षकों को सम्मान देने के लिये विद्यार्थियों द्वारा ये हर वर्ष 5 सितंबर को मनाया जाता है। 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रुप में घोषित किया गया है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था इसलिये अध्यापन पेशे के प्रति उनके प्यार और लगाव के कारण उनके जन्मदिन पर पूरे भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उनका शिक्षा में बहुत भरोसा था साथ ही वह अध्येता, राजनयिक, शिक्षक और भारत के राष्ट्रपति के रुप में भी प्रसिद्ध थे।

शिक्षक और विद्यार्थी के बीच के रिश्तों की खुशी को मनाने के लिये शिक्षक दिवस एक बड़ा अवसर है। आज के दिनों में इसे स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षक और विद्यार्थियों के द्वारा बहुत ही खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। अपने विद्यार्थियों से शिक्षकों को ढ़ेर सारी बधाईयाँ मिलती है। आधुनिक समय में शिक्षक दिवस को अलग तरीके से मनाया जाता है। इस दिन विद्यार्थी बहुत खुश होते हैं और अपने तरीके से अपने पसंदीदा शिक्षक को बधाई देते है। कुछ विद्यार्थी पेन, डॉयरी, कार्ड आदि देकर बधाई देते हैं तो कुछ सोशल नेटवर्किंग साईट जैसे फेसबुक, ट्वीटर, या विडीयो ऑडियो संदेश, ई-मेल, लिखित संदेश या ऑनलाइन बातचीत के द्वारा अपने शिक्षक को बधाई देते हैं।

हमारे जीवन में अपने शिक्षकों की अहमियत और जरुरत को हमें महसूस करना चाहिये और उनके कार्यों को सम्मान देने के लिये हमें हर वर्ष शिक्षक दिवस मनाना चाहिये। हमारे जीवन में माता-पिता से ज्यादा शिक्षक की भूमिका होती है क्योंकि वो हमें सफलता की ओर मोढ़ते हैं। शिक्षक अपने जीवन में खुशी और सफल तभी होते हैं जब उनका विद्यार्थी अपने कार्यों से पूरे विश्वभर में नाम कमाता है। हमें अपने जीवन में शिक्षक के द्वारा पढ़ाये गये सभी पाठ का अनुसरण करना चाहिये।

देश में रहने वाले नागरिकों के भविष्य निर्माण के द्वारा शिक्षक राष्ट्र-निर्माण का कार्य करते है। लेकिन समाज में कोई भी शिक्षकों और उनके योगदान के बारे में नहीं सोचता था। लेकिन ये सारा श्रेय भारत के एक महान नेता डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को जाता है जिन्होंने अपने जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रुप में मनाने की सलाह दी। 1962 से हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है। शिक्षक हमें सिर्फ पढ़ाते ही नहीं है बल्कि वो हमारे व्यक्तित्व, विश्वास और कौशल स्तर को भी सुधारते हैं। वो हमें इस काबिल बनाते हैं कि हम किसी भी कठिनाई और परेशानियों का सामना कर सकें।

Shikshak Diwas par Nibandh – निबंध 3 (500 शब्द)

हमारे जीवन, समाज और देश में शिक्षकों के योगदान को सम्मान देने के लिये हर वर्ष 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। 5 सितंबर के दिन शिक्षक दिवस मनाने के पीछे एक बड़ा कारण है। 5 सितंबर को ही भारत के एक महान व्यक्ति, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन था। वो शिक्षा के प्रति अत्यधिक समर्पित थे और एक अध्येता, राजनयिक, भारत के राष्ट्रपति और खासतौर से एक शिक्षक के रुप में जाने जाते थे। एक बार, 1962 में वह भारत के राष्ट्रपति बने तो कुछ विद्यार्थियों ने 5 सितंबर को उनका जन्मदिन मनाने का निवेदन किया। उन्होंने कहा कि 5 सितंबर को मेरा जन्म दिन मनाने के बजाय क्यों नहीं इस दिन को अध्यापन के प्रति मेरे समर्पण के लिये शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाये। उनके इस कथन के बाद पूरे भारत भर में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाने लगा।

ये कहा जाता है कि किसी भी पेशे की तुलना अध्यापन से नहीं की जा सकती। ये दुनिया का सबसे नेक कार्य है। पूरे भारत में शिक्षक दिवस के रुप में इस दिन को मनाने के द्वारा 5 सितंबर को अध्यापन पेशे को समर्पित किया गया है। शिक्षकों को सम्मान देने और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को याद करने के लिये हर साल इसे मनाया जाता है। देश के विकास और समाज में हमारे शिक्षकों के योगदान के साथ ही अध्यापन पेशे की महानता को उल्लेखित करने के लिये हमारे पूर्व राष्ट्रपति के जन्मदिवस को समर्पित किया गया है।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान शिक्षक थे जिन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष अध्यापन पेशे को दिया है। वो विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षकों के योगदान और भूमिका के लिये प्रसिद्ध थे। इसलिये वो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने शिक्षकों के बारे में सोचा और हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रुप में मनाने का अनुरोध किया। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था और 1909 में चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज में अध्यापन पेशे में प्रवेश करने के द्वारा दर्शनशास्त्र शिक्षक के रुप में अपने करियर की शुरुआत की।

उन्होंने देश में बनारस, चेन्नई, कोलकाता, मैसूर जैसे कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों तथा विदेशों में लंदन के ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालयों में दर्शनशास्त्र पढ़ाया है। अध्यापन पेशे के प्रति अपने समर्पण की वजह से उन्हें अपने बहुमूल्य सेवा की पहचान के लिये 1949 में विश्वविद्यालय छात्रवृत्ति कमीशन के अध्यक्ष के रुप में नियुक्त किया गया। 1962 से शिक्षक दिवस के रुप में 5 सितंबर को मनाने की शुरुआत हुई। अपने महान कार्यों से देश की लंबे समय तक सेवा करने के बाद 17 अप्रैल 1975 को इनका निधन हो गया।

शिक्षक विद्यार्थियो के जीवन के वास्तविक कुम्हार होते हैं जो न सिर्फ हमारे जीवन को आकार देते हैं बल्कि हमें इस काबिल बनाते हैं कि हम पूरी दुनिया में अंधकार होने के बाद भी प्रकाश की तरह जलते रहें। इस वजह से हमारा राष्ट्र ढ़ेर सारे प्रकाश के साथ प्रबुद्ध हो सकता है। इसलिये, देश में सभी शिक्षकों को सम्मान दिया जाता है। अपने शिक्षकों के महान कार्यों के बराबर हम उन्हें कुछ भी नहीं लौटा सकते हालाँकि, हम उन्हें सम्मान और धन्यावाद दे सकते हैं। हमें पूरे दिल से ये प्रतिज्ञा करनी चाहिये कि हम अपने शिक्षक का सम्मान करेंगे क्योंकि बिना शिक्षक के इस दुनिया में हम सभी अधूरे हैं।

Shikshak Diwas par Nibandh -निबंध – 4 (600 शब्द)

शिक्षक दिवस भारत में प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को मनाया जाता है। पूरे देशभर में इस दिन विद्यालयो को सजाया जाता है और विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। विद्यार्थियों के साथ-साथ ही शिक्षक भी इन कार्यक्रमों में पूरे उमंग के साथ भाग लेते है। यह वह दिन होता है जब हमें अपने स्कूली गतिविधियों से छुट्टी मिलती है, ताकि हम अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा ले सके।

शिक्षक दिवस 5 सितंबर को क्यो मानाया जाता है ?

5 सितंबर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णनन की जयंती है, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णनन स्वतंत्र भारत के पहले उप-राष्ट्रपति थे, उन्होंने सन् 1952 ले लेकर 1962 तक उप-राष्ट्रपति के रुप में देश की सेवा की इसके अलावा 1962 से 1967 तक उन्होंने देश के दूसरे राष्ट्रपति के रुप में भी कार्य किया।

डॉ राधाकृष्णनन शिक्षको का काफी सम्मान करते थे। राजनीती में आने से पहले उन्होंने खुद कलकत्ता विश्वविद्यालय, मैसूर विश्वविद्यालय और आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे कई सारे संस्थानो में पढ़ाया था। उन्हे उनके काम के लिए काफी सराहा जाता था और उन्हे उनके छात्रों द्वारा भी काफी पसंद किया जाता था। उनका मानना था कि शिक्षक वह व्यक्ति होता है, जो युवाओ को देश के भविष्य के रुप में तैयार करता है। यही कारण था कि उन्होंने प्रोफेसर का यह दायित्व इतने लगन से निभाया और अपने छात्रों को सदैव अच्छे संस्कार देने का प्रयास किया।

जब वह हमारे देश के राष्ट्रपति बने तब उनके छात्रों नें हर वर्ष उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा जताई। इसके जवाब में डॉ राधाकृष्णनन ने कहा कि उन्हे इस बात की अधिक प्रसन्नता होगी यदि उनके छात्र 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रुप में मनाये, तब से लेकर आज तक उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है।

शिक्षक दिवस का महत्व

शिक्षक दिवस एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है, यह वह दिन है जिसे हम अपने शिक्षको के प्रयासो और कार्यो के सम्मान के रुप में मनाते हैं। शिक्षण का कार्य विश्व के सबसे कठिन कार्यो में से एक है क्योंकि उनके उपर नौजवानो को शिक्षा देने की जिम्मेदारी होती है। उनके कार्यभार में एक पूरी कक्षा के बच्चे होते है और क्योंकि हर विद्यार्थी दूसरे से अलग होता है और उसकी अपनी क्षमता होती है इसलिए यह कार्य और भी कठिन हो जाता है, कुछ विद्यार्थी खेल-कूद में अच्छे होते है तो कुछ गणित में तो वही कुछ का अंग्रेजी में दिलचस्पी होती है। एक अच्छा शिक्षक हमेशा अपने विद्यार्थियों के रुचि को ध्यान में रखता है और उनकी क्षमताओं को पहचानता है। उन्हे उनके विषय या कार्यो के कौशल को निखारने की शिक्षा देता है ओर इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखता है कि उनकी दूसरी गतिविधियां या विषय ना प्रभावित हो।

यही कारण है कि यह दिन शिक्षको को सम्मान और आभार प्रकट करने के लिए समर्पित किया गया है।

विद्यालयों में शिक्षक दिवस का उत्सव

पूरे भारत भर के स्कूलो में शिक्षक दिवस का कार्यक्रम काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन विद्यार्थियों द्वारा अपने पसंदीदा शिक्षको की वेषभूषा धारण करके अपने से निचले कक्षाओं में जाया जाता हैं। इस दिन उन्हे अलग-अलग कक्षाएं दी जाती है जहा वह जाकर पढ़ा सकते है। यह छोटे तथा बड़े सभी तरह के विद्यार्थियों के लिए काफी मजेदार दिन होता है। वह पढ़ाने के साथ ही कई सारी दूसरी गतिविधियों में हिस्सा लेते है। इस दौरान सीनियर छात्र इस बात का ध्यान रखते है कि विद्यालय का अनुशासन बना रहे और इसके लिए जूनियर छात्र उनका सहयोग करते हैं।

कई सारे विद्यालयों में जूनियर छात्रों द्वारा भी शिक्षको का वेष धारण करके उनकी भूमिका निभायी जाती है। इस दौरान बेस्ट ड्रेस और रोल प्ले जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, इसके अलावा अन्य कई तरह के कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं (नृत्य, नाटको का मंचन, फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता और भाषण) का आयोजन किया जाता है। सामान्यतः इन कार्यक्रमों का आयोजन दिन के दूसरे पहर में किया जाता है, वही पहले पहर यानी लंच के पहले तक सीनियर छात्रों द्वारा कक्षाए ली जाती है और शिक्षक कक्षाओ में आराम करते है तथा इन सभी गतिविधियों का आनंद लेते है।

इस विशेष दिन छात्र-छात्राएं अपने शिक्षको के लिए ग्रीटिंग कार्ड, फूल और तमाम तरह के कई उपहार लाते है, अपने विद्यार्थीयो से इस तरह के तमाम उपहार पाकर शिक्षक भी काफी प्रसन्नता महसूस करते है।

भारत में शिक्षक दिवस शिक्षको के सम्मान में मनाया जाता है, क्योंकि वह पूरे वर्ष मेहनत करते है और चाहते है कि उनके छात्र विद्यालय और अन्य गतिविधियों में अच्छा प्रदर्शन करें। इस दिन पूरे देश भर विद्यालयों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों और शिक्षको के रीश्तों को मजबूत बनाते है। वाकई में यह छात्रों और शिक्षको दोनो के लिए ही एक विशेष दिन होता है।

Essay on Teacher's Day in Hindi

मेरे शिक्षक पर निबंध

शिक्षक पर निबंध

FAQs: Frequently Asked Questions

उत्तर – पहला शिक्षक दिवस भारत में 1962 में मनाया गया था।

उत्तर – नेशनल अवॉर्ड फॉर टीचर्स (National Teachers Award) मेधावी शिक्षकों को दिया जाने वाला राष्ट्रीय पुरस्कार है।

उत्तर – भारत के राष्ट्रपति हर साल 5 सितंबर को शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार वितरित करते हैं।

उत्तर – विश्व शिक्षक दिवस हर साल 5 अक्टूबर को मनाया जाता है।

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मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध (My Favourite Teacher Essay in Hindi)

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मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध (My Favourite Teacher Essay in Hindi) : शिक्षक हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बचपन से ही वे हमारे चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सबके जीवन मे कोई न कोई प्रिय शिक्षक (My Favourite Teacher Essay in Hindi) होता है। यहाँ "मेरे प्रिय शिक्षक"(My Favourite Teacher Essay in Hindi) पर कुछ निबंध दिए गए हैं।

मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध (My Favourite Teacher Essay in Hindi)

इस लेख में आपको मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध (My Favourite Teacher Essay in Hindi) संक्षिप्त यानी 100 शब्दों में मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध (100 Word Essay On My Favourite Teacher in hindi) के साथ-साथ विस्तृत रूप में भी यानी 200 व 500 शब्दों में मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध (My Favourite Teacher Essay in Hindi) मिल जाएगा।

मेरे प्रिय शिक्षक पर 100 शब्दों का निबंध (100 Word Essay On My Favourite Teacher)

सरिता कौर मेरी प्रिय शिक्षक(My Favourite Teacher Essay in Hindi) हैं। वह छठी कक्षा को सामाजिक विज्ञान पढ़ाती हैं। वह बहुत ही पेशेवर और योग्य शिक्षिका हैं। वह हमेशा मेरी सभी शंकाओं के समाधान में मेरी मदद करती हैं, और यदि मैं कभी उनसे एक से अधिक बार कोई शंका पूछूं, तो भी वह कभी गुस्सा नहीं होती। वह बहुत स्नेहशील और मिलनसार हैं, और इसलिए मेरे कई सहपाठी भी उन्हें अपनी पसंदीदा शिक्षिका मानते हैं।

मैं वास्तव में उनकी कक्षा का आनंद लेता हूं, और वह हमारी कक्षा के प्रत्येक छात्र पर ध्यान देती है। वह बहुत ही संवादात्मक और रचनात्मक तरीके से पढ़ाती हैं। उसकी कक्षाएं बहुत दिलचस्प हैं, और वह उन्हें कभी उबाऊ नहीं बनाती, और इसलिए वह मेरी प्रिय शिक्षिका(My Favourite Teacher Essay) है।

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मेरे प्रिय शिक्षक पर 200 शब्दों का निबंध (200 Word Essay On My Favourite Teacher)

स्कूल हो या कॉलेज लाइफ में हर किसी का कोई न कोई प्रिय शिक्षक (My Favourite Teacher Essay) होता है। एक शिक्षक जिसकी कक्षाओं में भाग लेने के लिए छात्र उत्सुक रहते हैं। वे बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं और उस एक विशेष शिक्षक की कक्षा कभी नहीं छोड़ते। अनीता शर्मा मेरे लिए वह शिक्षिका हैं। वह मेरी प्रिय शिक्षिका (My Favourite Teacher) हैं। वह हमें इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र तथा नागरिक शास्त्र पढ़ाती हैं।

अन्य सेक्शन के मेरे अधिकांश सहपाठियों ने शिकायत की कि ये विषय कितने उबाऊ विषय थे। लेकिन वह अपने शिक्षण के अनूठे तरीके का उपयोग करके इन विषयों को आकर्षक बनाती हैं। वह थ्योरी पढ़ाने के लिए कहानियों और चित्रों का उपयोग करती है। उनकी कक्षाएं आनंददायक और आकर्षक होती हैं। वह अपनी कक्षा में पहली बेंच से लेकर आखिरी बेंच तक सब पर नज़र रखती है।

वह उन शिक्षकों में से एक हैं जो जब भी हम संदेह में फंसते हैं तो हमारा मार्गदर्शन करती हैं। उन्होंनें एक सोशल मीडिया ग्रुप भी बनाया है ताकि हम उनसे संपर्क कर सकें खासकर जब हमें कोई संदेह हो। जब भी मुझे सामाजिक विज्ञान में कुछ भी समझ में नहीं आता है, तो मैं उनसे ग्रुप में पूछता हूं, और वह तुरंत जवाब देती है, मेरी शंकाओं को मिनटों में हल करती है। वह उन छात्रों के साथ हमेशा सौम्य और शांत रहती हैं जो मूलभूत सिद्धांतों को नहीं समझते हैं। वह विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके उसे समझाने की कोशिश करती है, लेकिन उनकी भाषा में कभी भी थोड़ी सी भी हताशा या गुस्सा नहीं होता है। वह शायद ही कभी किसी छात्र को डाँटती है, और उन्होंने कभी किसी को नहीं मारा। इन सब वजहों ने वह मेरी शिक्षक बन गई।

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मेरे प्रिय शिक्षक पर 500 शब्दों का निबंध(500 Word Essay On My Favourite Teacher)

मैं अपनी कक्षा में कभी भी पढ़ाई मे अच्छा छात्र नहीं था, मैं अन्य विषयों से प्यार करता था, लेकिन गणित हमेशा मेरा कमजोर विषय रहा। लेकिन यह सब नौवीं कक्षा में बदल गया जब अनिरुद्ध कुमार सर हमारे गणित के शिक्षक बन गए। अपनी पहली कक्षा में ही, उन्होंने धीरे और बहुत ही शांत तरीके से अपना परिचय दिया और प्रत्येक छात्र के पास जाकर उनकी हॉबी और पसंदीदा विषयों के बारे में पूछा। जब उन्होंने मुझसे पूछा, तो मैंने अचानक कहा, "मुझे गणित पसंद नहीं है और इतिहास मेरा पसंदीदा विषय है।"

इस बात से मेरी कक्षा पूरी तरह से स्तब्ध हो गई। मुझे डर था कि वह मेरे उत्तर पर गलत प्रतिक्रिया देंगे, लेकिन वह मुस्कुरायें और कहा, "हम इस साल के अंत तक इसे बदल देंगे।"

अब मैं 12वीं कक्षा में हूँ, और उन्होंनें वास्तव में मेरा पसंदीदा विषय बदल दिया। उनके ही कारण मुझे गणित पसंद है। वह मेरे प्रिय शिक्षक हैं और हमेशा रहेंगे। उन्होंने अपने छात्रों को इस तरह से पढ़ाया है, जैसा किसी अन्य शिक्षक ने नहीं किया है। इतना ही नहीं, बल्कि उन्होंने कभी भी किसी भी गलत काम को करने के लिए किसी को डांटा नहीं। इसके अलावा, वह हमेशा बहुत धैर्यवान और स्नेहशील रहे। मेरे सहित कक्षा के सबसे कमजोर छात्र भी धीरे-धीरे उसकी वजह से परीक्षा में सुधार कर रहे थे।

पढ़ाने का तरीका : उन्होंने हमें कठिन गणित के फॉर्मूले सीखने के लिए मज़ेदार और आकर्षक राइमिंग ट्रिक्स का इस्तेमाल किया। उनकी उपस्थिति में हमें कभी कोई परेशानी या भय महसूस नहीं हुआ; उन्होंने अकेले ही क्लास को एक खुशमिजाज और मजेदार जगह में बदल दिया। मेरे जीवन में ऐसे दिन आ गए थे जब मैं रविवार को सोमवार की प्रतीक्षा करता था, ताकि गणित की कक्षा ले सकूँ। जब भी मैं भ्रमित होता या किसी समस्या से परेशान होता - चाहे वे गणित का प्रश्न हो या अपने करियर को चुनने की समस्या, मैं हमेशा उनके पास जाता, और उन्होंने मेरी सभी समस्याओं को तुरंत हल कर दिया। यहां तक कि मेरे सहपाठी भी उनकी मदद लेते थे और प्यार से उन्हें काउंसलर सर कहते थे।

शिक्षक दिवस पर, उन्होंने सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का पुरस्कार भी जीता। उन्हें वोट के माध्यम से चुना गया था। मुझे उस दिन एहसास हुआ कि अनिरुद्ध सर बहुत छात्रो के प्रिय शिक्षक(My Favourite Teacher) हैं। मुझे उनके लिए बहुत गर्व और खुशी महसूस हुई।

छात्रों के लिए प्रेरणा : वे कई सामाजिक गतिविधियों में भी शामिल रहते है। वह शाम को गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते थे। वह कई एनजीओ से जुड़े हुए थे और सप्ताहांत में झुग्गी-झोपड़ियों में वंचित बच्चों को पढ़ाने जाते थे। मुझे याद है एक बार वह हमारी पूरी क्लास को स्लम एरिया में ले गए थे। मैं विस्मय से भर गया जब मैंने उन्हे वहाँ बच्चों को उसी जोश के साथ पढ़ाते हुए देखा जैसे वह हमें स्कूल में पढ़ाते थे। यही वह क्षण था जब वह मेरे प्रिय शिक्षक बन गए।

मेरे जीवन पर प्रभाव : मैंने अपनी कक्षा 9 में गणित में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए। उन्होंने मुझमें गणित पढ़ने के लिए रुचि उत्पन्न की। उन्होंने नीरस और उबाऊ विषय को ऐसी चीज में बदल दिया जो मुझे सिर्फ मनोरंजन के लिए करना पसंद है। मैंने अपनी कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा में भी पूर्ण अंक प्राप्त किए। मैंने उनसे फोन पर बात की और उन्हें धन्यवाद दिया। इतने जुनून के साथ पढ़ाने के लिए मेरे भीतर का छात्र हमेशा उनका आभारी रहेगा। मैं आज जो कुछ भी हूं, उसे बनाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है।

कॉलेज के दिनों में विभाग की विभागाध्यक्ष दविंदर कौर उप्पल मैम मेरी प्रिय शिक्षक रहीं। मैम से मेरी पहली बातचीत विश्वविद्यालय में एडमिशन से पहले इंटरव्यू के दौरान हुई। उस इंटरव्यू में लगभग 20 मिनट तक पैनल के लोगों के साथ उन्होंने मुझसे बात की थी। सबसे पहले सहज किया था कि यह कोई इंटरव्यू नहीं है यह एक बातचीत है। एक बार मुझे फीस जमा करने में देरी हो गई। उन्होंने बुला कर मुझसे वजह पूछा और वजह जानने के बाद फीस में छूट दिलाई और बाद में स्कॉलरशिप का फॉर्म भरवा कर छात्रवृत्ति भी दिलवाया। ग्रामीण पृष्ठभूमि के स्टूडेंट्स का हमेशा समर्थन किया। छात्राओं को हमेशा आगे बढ़ाने की कोशिश करती। खुद क्लास में आने से पहले पूरे नोट्स बनाकर आती थी और पॉइंट वाइज पढ़ाती थी। और स्टूडेंट्स अच्छे से समझ पाते थे। वह एक अनुशासन प्रिय महिला थी और सख्त प्रशासक भी।

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शिक्षक पर निबंध – Essay on Teacher in Hindi

Teacher Essay in Hindi: दोस्तो आज हमने  शिक्षक पर निबंध  कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

शिक्षक पर निबंध – Essay on Teacher in Hindi

शिक्षक भगवान से हमें एक विशेष आशीर्वाद हैं। वे ही हैं जो एक अच्छे राष्ट्र का निर्माण करते हैं और दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाते हैं। एक शिक्षक हमें एक तलवार के ऊपर एक कलम का महत्व सिखाता है। वे समाज में बहुत सम्मानित हैं क्योंकि वे लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा करते हैं। वे समाज के निर्माण खंडों की तरह हैं जो लोगों को शिक्षित करते हैं और उन्हें बेहतर इंसान बनाते हैं।

My Favorite Teacher Essay in Hindi

इसके अलावा, शिक्षकों का समाज और उनके छात्र के जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। वे माता-पिता के जीवन में भी बहुत महत्व रखते हैं क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों के लिए शिक्षकों से बहुत उम्मीद करते हैं। हालांकि, हर पेशे की तरह, अच्छे और बुरे दोनों शिक्षक हैं। जबकि कई बुरे शिक्षक नहीं हैं, फिर भी संख्या महत्वपूर्ण है। एक अच्छे शिक्षक में वे गुण होते हैं जो एक बुरे शिक्षक के पास नहीं होते हैं। एक अच्छे शिक्षक के गुणों की पहचान करने के बाद हम शिक्षण परिदृश्य को बेहतर बनाने के लिए काम कर सकते हैं।

एक अच्छा शिक्षक

एक अच्छा शिक्षक ढूंढना इतना कठिन नहीं है, लेकिन आपको पता होना चाहिए कि कहाँ देखना है। अच्छे शिक्षक अपने शिक्षा के लक्ष्यों के लिए पहले से तैयार रहते हैं। वे अधिकतम उत्पादकता सुनिश्चित करने के लिए हर दिन अपनी कार्य योजना तैयार करते हैं। शिक्षकों को हर चीज के बारे में बहुत ज्ञान होता है, विशेष रूप से जिस विषय में वे माहिर होते हैं। एक अच्छा शिक्षक अपने ज्ञान का विस्तार करता है अपने छात्रों को अच्छे उत्तर प्रदान करता रहता है।

इसी तरह, एक अच्छा शिक्षक एक दोस्त की तरह होता है जो हमारी सभी परेशानियों में हमारी मदद करता है। एक अच्छा शिक्षक अपनी व्यक्तिगत सीखने की प्रक्रिया बनाता है जो अद्वितीय है और मुख्यधारा नहीं है। इससे छात्रों को बेहतर तरीके से विषय सीखने को मिलता है। दूसरे शब्दों में, एक अच्छा शिक्षक यह सुनिश्चित करता है कि उनके छात्र कुशलतापूर्वक सीख रहे हैं और अच्छे अंक प्राप्त कर रहे हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक अच्छा शिक्षक वह है जो केवल हमारे अकादमिक प्रदर्शन पर नहीं बल्कि हमारे समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करता है। तभी एक छात्र वास्तव में विकसित हो सकता है। इस प्रकार, अच्छे शिक्षक अपने छात्र की समस्याओं को समझेंगे और उनसे सही तरीके से निपटने की कोशिश करेंगे। वे छात्र को ऐसा महसूस कराते हैं कि उनके पास हमेशा यह बात करने के लिए कोई होता है कि क्या वे घर पर या अपने दोस्तों के साथ ऐसा नहीं कर सकते।

एक छात्र के जीवन पर शिक्षकों का प्रभाव

बड़े होकर, हमारे माता-पिता और शिक्षक हमारे जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने वाले पहले व्यक्ति हैं। वास्तव में, छोटे वर्षों में, छात्रों को अपने शिक्षकों पर पूरा भरोसा होता है और वे अपने माता-पिता से अधिक अपने शिक्षकों की सुनते हैं। यह एक शिक्षक के महत्व और प्रभाव को दर्शाता है ।

जब हम बड़े हो जाते हैं और कॉलेज में प्रवेश करते हैं, तो शिक्षक हमारे मित्र बन जाते हैं। कुछ तो हमारे आदर्श बन जाते हैं। वे हमें जीवन में महान काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। हम सीखते हैं कि शिक्षकों द्वारा कैसे निस्वार्थ होना चाहिए। शिक्षक अनजाने में भी एक छात्र को बहुत महत्वपूर्ण सबक सिखाते हैं।

500+ Essays in Hindi – सभी विषय पर 500 से अधिक निबंध

उदाहरण के लिए, जब स्कूल में किसी छात्र को चोट लगती है, तो शिक्षक उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए शिशु को ले जाता है। इससे एक छात्र सुरक्षित महसूस करता है और वह जानता है कि एक शिक्षक स्कूल में एक अभिभावक की भूमिका निभाता है।

दूसरे शब्दों में, एक शिक्षक केवल एक शिक्षक की भूमिका से नहीं चिपकता है। आवश्यकता पड़ने पर वे विभिन्न भूमिकाओं में ढल जाते हैं। वे हमारे दोस्त बन जाते हैं जब हम दुखी होते हैं, वे हमारे माता-पिता की तरह हमारी देखभाल करते हैं जब हम आहत होते हैं। इस प्रकार, हम देखते हैं कि शिक्षक किसी छात्र के जीवन को कितना प्रभावित करता है और उसे आकार देता है।

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आपका आर्टिकल पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगा. में अक्सर आपके ब्लॉग के न्यू आर्टिकल्स पढ़ती हूं जिससे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला. आपके सभी आर्टिकल से टॉपिक को पूरी तरह से समझने की पूर्ण क्षमता होती है. आप इसी तरह से हमें अपना ज्ञान देते रहे इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

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Essays - निबंध

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शिक्षक पर निबंध

Essay On Teacher In Hindi : आज के आर्टिकल में हम यहां पर शिक्षक पर निबंध शेयर कर रहे है। शिक्षक का दर्जा जीवन में सबसे उच्चा होता है। आज के आर्टिकल में आपको Essay On Teacher In Hindi के बारे में जानकारी दी जाएगी।

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शिक्षक पर निबंध | Essay On Teacher In Hindi

शिक्षक पर निबंध (250 word).

विद्यार्थी जीवन में शिक्षक का अहम किरदार होता है। अध्यापक एक दीपक के समान होता है, जो खुद जल जाता है लेकिन विद्यार्थियों के भविष्य को पूरी तरह से उज्जवल कर देता है। अध्यापक के बिना हर इंसान की जिंदगी अधूरी है क्योंकि अध्यापक के माध्यम से जो सीखने को मिलता है वह कहीं पर नहीं मिल सकता। शुरुआत के दिनों में हमारी मां अध्यापक के समान होती है, जो हमें छोटी-छोटी बातें सिखाती है और उसके पश्चात हम स्कूल में अध्यापकों से मुलाकात करते हैं।

अध्यापक के रूप में मां का किरदार भी बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। मां को प्राथमिक शिक्षक भी कहा जाता है क्योंकि बच्चे को सबसे पहले शिक्षा मां के जरिए ही मिलना शुरू होती है। मेरे शिक्षक की बात करूं तो मेरी पहली शिक्षक मेरी मां है और उसके पश्चात जब से मैंने स्कूल जॉइन किया तब से हर शिक्षक के साथ मेरा अटूट संबंध रहा है।

आज भी जब मैं उनसे मिलता हूं, तो मुझे बहुत खुशी होती है। मेरे शिक्षक ने मुझे जिंदगी के बारे में बहुत महत्वपूर्ण बातें सिखाई है, जिसके लिए में आज भी उनका ऋणी हूं। शिक्षक के द्वारा हमें जो ज्ञान दिया गया है, जिसको हम किसी भी कीमत पर नहीं चुका सकते हैं। शिक्षकों को ज्ञान का भंडार भी कहा जाता है।

शिक्षक पर निबंध (600 Word)

शिष्य के मन में सीखने की इच्छा जागृत करने वाला और शिक्षा देने वाला शिक्षक कहलाता है। शिक्षक बालक के भविष्य का निर्माता होता है। शिक्षक वह पथ प्रदर्शक है, जो किताबी ज्ञान ही नहीं बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाता है। शिक्षकों का कार्य बहुत ही कठिन और महत्वपूर्ण होता है। एक अच्छे शिक्षक का मिलना दुर्लभ है। गुरु ही नई पीढ़ी को सही मार्गदर्शन देकर समाज और देश के लिए एक आदर्श नागरिक तैयार करता है।

शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। यह संस्कारों की जड़ों में खाद देता हैं और अपने श्रम से सींच कर उन्हें शक्ति में परिवर्तित करते हैं। राष्ट्र के वास्तविक निर्माता उस देश के शिक्षक होते हैं। किसी राष्ट्र का मूर्त रूप वहां के नागरिक होते हैं। शिक्षक का कार्य अच्छी शिक्षा देकर राष्ट्र को अच्छे नागरिक प्रदान करना होता है।

शिक्षक का महत्व

अनादि काल से ही गुरु के द्वारा दिये गये ज्ञान के कारण गुरु का गुणगान किया गया है। ऐसे ही ज्ञानी गुरुओं के कारण भारत को जगतगुरु कहलाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक महत्वपूर्ण घटक होते हैं। शिक्षा को लेकर समाज ने जो उद्देश्य इच्छाएं रखी होती है। उन सब की पूर्ति मैं शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षक का दायित्व भगवान जैसा होता है। वह समाज और राष्ट्र के उद्देश्यों की पूर्ति करता है। शिक्षा प्रणाली कोई भी और कैसी भी हो, उसकी सफलता शिक्षक पर निर्भर करती है। बालक के मानसिक विकास में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। निपुण शिक्षक अपनी शिक्षण शैली से नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना जागृत करता है।

शिक्षा वह प्रणाली है, जो बालक के आंतरिक गुण व शक्तियों को प्रदर्शित करती है । एक कुशल शिक्षक वही होता है, जो बालक के आंतरिक गुणों व शक्तियों को पहचान कर उसे विकसित कर सकता है और यह अच्छे शिक्षक बिना संभव नहीं। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे समाज के अनुकूल बनाने का दायित्व शिक्षक का होता है। शिक्षक ही व्यक्ति को उसके सामाजिक मूल्यों व आदर्श से अवगत करवाता है। उसे अपने आदर्शों मूल्यों कर्तव्यों का निर्वहन किस प्रकार करना है, यह शिक्षक ही बताता है।

शिक्षक के कार्य

शिक्षक का महत्व पूर्ण कार्य व्यक्ति के आंतरिक गुणों का विकास करना, अच्छे नागरिक का निर्माण करना, मूल प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करना ,अच्छे भविष्य का निर्माण करना, चरित्र निर्माण करना,आदर्श नागरिक के गुणों को विकसित करना, राष्ट्रीय भावनाओं का संचार करना, स्वयं की राष्ट्रीय संस्कृति व गौरव से परिचित करवाना,उद्देश्य पूर्ण शिक्षा से सुंदर भविष्य और समाज का निर्माण करना।

मार्गदर्शक, गुरु होने के साथ-साथ शिक्षक हमारे जीवन में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जो हमारे जीवन में बहुत ही मददगार साबित होती है। वे लोग सौभाग्यशाली होते है, जिनको अच्छा शिक्षक मिलता है। एक शिक्षक का मुख्य कार्य शिक्षा देना होता हैं। वह अपने छात्रों को अच्छे तरीके से सिखाने की कोशिश करता है। शैक्षणिक ज्ञान देने के साथ-साथ वह व्यक्ति को नैतिक ज्ञान भी देता है। एक बेहतर व्यक्ति अच्छा नागरिक बनने की प्रेरणा शिक्षक से ही प्राप्त होती है।

शिक्षक और शिष्य का रिश्ता

एक शिक्षक और शिष्य का रिश्ता सुंदर व महत्वपूर्ण होता है। वेदों में भी गुरु की महिमा का गुणगान गाया गया है। गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम:। इस श्लोक का शाब्दिक अर्थ होता है, गुरु ही ब्रह्मा, गुरु ही विष्णु है, गुरु ही शंकर है, गुरूही परमब्रह्म है और सद्गुरु को प्रणाम। भारत में शिक्षकों का सम्मान करने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

इस दिन भारत के दूसरे राष्ट्रपति व आदर्श शिक्षक डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिवस होता है। इस दिन संपूर्ण भारत में श्रेष्ठ शिक्षकों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है। हर काम आसान हो जाता है, जब श्रेष्ठ शिक्षक का सानिध्य मिलता है। फिर कितने भी आए जीवन में उतार-चढ़ाव, शिक्षक के चरणों में ही ठहराव मिलता है।

किसी ने कहा है कि, “सब धरती कागज करूं लिखनी सब बनराय सात समंदर की मसि करूं गुरु गुण लिखा न जाय” बच्चे अपने माता-पिता के पश्चात सबसे अधिक विश्वास अपने गुरु पर करते हैं। गुरु द्वारा कहे गए शब्द उनके मन में घर कर लेते हैं। इसीलिए अध्यापकों को अपना ज्ञान सदैव बांटते रहना चाहिए। शिक्षक के पास ही वह कला है, जो मिट्टी को सोने में बदल सकती है।

शिक्षक का मेरे जीवन में महत्व

अंत में शिक्षक को समर्पित कुछ शब्द कहना चाह्ता हूँ कि, “आपने बनाया है इस योग्य कि, प्राप्त करूं अपना लक्ष्य दिया है आपने हर समय सहारा, जब जब मुझे लगा कि अब मैं हारा”। जिस प्रकार औरत बालक को जन्म व शिक्षा देकर उसे अच्छा इंसान बनाती हैं, उसी प्रकार गुरु से अच्छी शिक्षा लेकर अच्छा नागरिक बनता है। जिस प्रकार मां बालक को जन्म देती है, उसी प्रकार शिक्षक उसे उचित शिक्षा व मार्गदर्शन देकर उसके सुंदर व उज्जवल भविष्य का निर्माण करता है। परिवार बालक की प्रथम पाठशाला होती है। माता उसकी प्रथम शिक्षिका होती है और उसके पश्चात शिक्षक ही उसके मार्गदर्शक होते हैं।

शिक्षक के रूप में किरदार निभाने वाला आदमी भगवान होता है और वह प्रसाद रूपी ज्ञान बांटता है। हमें इस ज्ञान का अपने जीवन में उपयोग करना चाहिए। भगवान के प्रसाद को कभी मना नहीं कर सकते और उसी प्रकार से शिक्षक द्वारा दिया गया ज्ञान यदि हम नहीं लेते हैं, तो हम आगे नहीं बढ़ सकते। शिक्षक एक ऐसा महात्मा है, जिसके पास ज्ञान का समुंदर भरा होता है।

हमने यहां पर “  शिक्षक पर निबंध (Essay On Teacher In Hindi) ” शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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शिक्षक पर निबंध | Essay on Teacher in Hindi

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शिक्षक पर निबंध | Essay on Teacher in Hindi!

शिक्षक बच्चों को ज्ञानवान और सुसंस्कृत बनाते हैं । बच्चा घर से निकल कर विद्‌यालय में प्रवेश लेता है तो शिक्षक की शरण में जाता है । विद्‌यालय में शिक्षक ही बच्चों के अभिभावक होते हैं । वे बच्चों को जीवन जीने की शिक्षा देते हैं । बच्चा शिक्षक का अनुगृहीत होता है एवं उन्हें अपना नमन अर्पित करता है ।

शिक्षक बच्चों के अंदर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं एवं उनके अंदर के अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर देते हैं । बच्चे शिक्षक के समीप श्रद्धाभाव से जाते हैं ताकि वे ज्ञान के समुद्र में गोते लगा सकें । कहा भी गया है कि ‘ श्रद्‌धावान् लभते ज्ञानम्। ‘ अर्थात् श्रद्‌धावान् को ज्ञान प्राप्त होता है । यदि विद्‌यार्थी के अंदर श्रद्‌धा होती है तो शिक्षक उसे अपना समस्त ज्ञान देते हैं ।

शिक्षक का दायित्व बहुत बड़ा है । वह मानव-समाज को सही दिशा दे सकता है । आज के बच्चे कल का भविष्य होते हैं । यदि बच्चे पढ़े-लिखे होंगे तो वे देश का नाम रौशन करेंगे । यदि वे सुसंस्कृत होंगे तो देश सभ्य बनेगा । यदि शिक्षक बच्चों में अच्छे संस्कार डालेंगे तो उससे देश को लाभ होगा । शिक्षा चारों तरफ फैले, कोई भी बच्चा अशिक्षित न रहे इसका भार शिक्षकों पर है । शिक्षक चाहें तो ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जिसमें ऊँच-नीच, जातिगत भेदभाव, ईर्ष्या, वैमनस्य आदि दुर्गुणों का कोई स्थान न हो । कबीरदास जी कहते हैं –

गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काई खोट ।

अंतर हाथ सहारि दे, बाहर मारे चोट ।।

ADVERTISEMENTS:

अर्थात् गुरु कुम्हार और शिष्य घड़ा है । जिस प्रकार कुम्हार यत्न से घड़े को सुघड़ बनाता है उसी तरह गुरु भी विद्‌यार्थियों के दोषों का परिमार्जन करता है । गुरु की कठोरता बाहरी होती है, अंदर से वह दयावान ‘और विद्‌यार्थी का शुभचिंतक होता है । इसलिए गुरु की डाँट-फटकार पर ध्यान नहीं देना चाहिए । गुरु विद्‌यार्थी का हमेशा भला चाहता है ।

आज प्राचीन गुरु-शिष्य परंपरा भले ही समाप्त दिखाई दे रही हो, शिक्षक का कर्त्तव्य अपनी जगह कायम है । शिक्षा प्राप्त करने के लिए आज भी लगन, परिश्रम, त्याग, नियमबद्धता, विनम्रता जैसे गुणों को धारण करने की आवश्यकता होती है । शिक्षक विद्‌यार्थियों को ऐसे गुणों से युक्त बनाते हैं । वे उनका मार्गदर्शन करते हैं । वे विद्‌यार्थियों की उलझन मिटाते हैं । उनमें साहस, धैर्य, सहिष्णुता, ईमानदारी जैसे गुणों का संचार करते हैं ।

आज शिक्षा का फलक बड़ा हो गया है । इसमें नैतिक शिक्षा के साथ-साथ विषय ज्ञान और तकनीकी शिक्षा का समावेश हो गया है । अत : आवश्यक है शिक्षक विषय-ज्ञान और तकनीकी-ज्ञान में निपुण हों । इसके लिए शिक्षकों को उचित ट्रेनिंग दी जानी चाहिए । ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए जो योग्य हों । अज्ञानी शिक्षक विद्‌यार्थियों का भला नहीं कर सकते । जिन्हें स्वयं सही-गलत का पता नहीं, वे विद्‌यार्थियों को क्या शिक्षा दे सकते हैं ।

योग्य शिक्षक विद्‌यार्थियों का उचित मार्गदर्शन करते हैं । वे नियमित समय पर विद्‌यालय आते हैं । वे अपनी ऊर्जा केवल शिक्षा देने में व्यय करते हैं । वे कमजोर विद्‌यार्थियों का विशेष ध्यान रखते हैं । वे सादा जीवन और उच्च विचार के सिद्‌धांत का अनुसरण करते हैं । वे विषय-वस्तु को इतने सरल एवं प्रभावी ढंग से समझाते हैं कि बच्चे उनकी बातों को हृदय में धारण कर सकें । अध्ययनशीलता शिक्षकों का एक आवश्यक गुण है । वे निरंतर अध्ययन करते रहते हैं ताकि नई बातें सीखकर विद्‌यार्थियों को बता सकें । ऐसे योग्य शिक्षकों को समाज में उचित सम्मान मिलता है ।

योग्य शिक्षकों को सरकार सम्मानित करती है । शिक्षकों के सम्मान में प्रतिवर्ष 5 सितंबर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है । इस दिन विद्‌यालयों में विशेष समारोह होते हैं जिनमें बच्चों की भागीदारी होती है । राष्ट्रपति योग्य शिक्षकों को पदक और पुरस्कार देते हैं । राष्ट्र उन शिक्षकों को नमन करता है जो अज्ञानांधकार को दूर करने में सहायक होते हैं ।

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Role Of Teacher In Nation Building Essay In Hindi

राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – Role Of Teacher In Nation Building Essay In Hindi

राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – essay on role of teacher in nation building in hindi.

“शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से | सींचकर उन्हें शक्ति में परिवर्तित करते हैं। राष्ट्र के वास्तविक निर्माता उस देश के शिक्षक होते हैं।”

–महर्षि अरविन्द

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – Raashtr Nirmaan Mein Shikshak Kee Bhoomika Par Nibandh

  • शिक्षक की भूमिका और दायित्व,
  • (क) बालक की अन्तःशक्तियों का विकास करना,
  • (ख) व्यक्तित्व का विकास करना,
  • (ग) सामाजिकता की भावना जाग्रत करना,
  • (घ) मूलप्रवृत्तियों का नियन्त्रण,
  • (ङ) भावी–जीवन के लिए तैयार करना,
  • (च) चरित्र–निर्माण तथा नैतिक विकास करना,
  • (छ) आदर्श नागरिक के गुणों को विकसित करना,
  • (ज) राष्ट्रीय भावना का संचार करना,
  • (झ) भारतीय संस्कृति और राष्ट्र–गौरव से परिचित कराना,
  • (ब) उचित दिशा–निर्देश देना,
  • उद्देश्यपूर्ण शिक्षा द्वारा सुन्दर–सभ्य समाज का निर्माण,

शिक्षक की भूमिका और दायित्व– शिक्षा का प्रमुख आधार शिक्षक ही होता है। शिक्षक न केवल विद्यार्थी के व्यक्तित्व का निर्माता, बल्कि राष्ट्र का निर्माता भी होता है। किसी राष्ट्र का मूर्तरूप उसके नागरिकों में ही निहित होता है। किसी राष्ट्र के विकास में उसके भावी नागरिकों को गढ़नेवाले शिक्षकों की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है। अनादिकाल से शिक्षक की महत्ता का गुणगान उसके द्वारा प्रदत्त ज्ञान के कारण ही होता आया है।

ऐसे ज्ञानी गुरुओं के बल पर ही हमारे राष्ट्र को जगद्गुरु बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज भी शिक्षक उसी निष्ठा से विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण करके देश के भविष्य को सँवार सकते हैं। शिक्षक की भूमिका केवल छात्रों को पढ़ाने तक ही सीमित नहीं है। छात्रों को पढ़ाई के अलावा उन्हें सामाजिक जीवन से सम्बन्धित दायित्वों का बोध कराना तथा उन्हें समाज के निर्माण के योग्य बनाना भी शिक्षक का ही दायित्व है।

भविष्य में ऐसे ही छात्र समाज के विकास का आधार बनते हैं। शिक्षक की भूमिका के विषय में ग० वि० अकोलकर का कथन है– “शिक्षा व्यवस्था में सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण घटक ‘शिक्षक’ है। शिक्षा से समाज ने जिन इच्छा, आकांक्षा और उद्देश्यों की पूर्ति की कामना की है, वह शिक्षक पर निर्भर करती है।” शिक्षकों का दायित्व यही है कि वे समाज और राष्ट्र की इच्छाओं–आकांक्षाओं की पूर्ति करें।

डॉ० ईश्वरदयाल गुप्त के अनुसार–“शिक्षा–प्रणाली कोई भी या कैसी भी हो, उसकी प्रभावशीलता और सफलता उस प्रणाली के शिक्षकों के कार्य पर निर्भर करती है। क्योंकि भावी पीढ़ी को शिक्षित करना समाज की आकांक्षाओं का प्रतिफलन करना है।”

राष्ट्र–निर्माण में शिक्षक की भूमिका–विद्यार्थियों के मानसिक विकास में शिक्षक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। एक निपुण शिक्षक अपनी शिक्षण–शैली से विद्यार्थियों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास कर सकता है। राष्ट्रीयता का भाव जहाँ एक ओर विद्यार्थियों को राष्ट्रभक्त और आदर्श नागरिक बनाता है, वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों में राष्ट्रीय एकता का विकास भी करता है। कोठारी आयोग के अनुसारः–

“भारत के भविष्य का निर्माण कक्षाओं में हो रहा है।” यह तथ्य परोक्षरूप से शिक्षक की भूमिका को भी निश्चित कर रहा है। राष्ट्र के विकास और निर्माण में शिक्षक की भूमिका को इन प्रमुख बिन्दुओं के रूप में समझा जा सकता है

(क) बालक की अन्तःशक्तियों का विकास करना–प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री फ्रॉबेल के अनुसार “शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है, जो बालक के आन्तरिक गुणों और शक्तियों को प्रकाशित करती है।” एक कुशल शिक्षक ही बालक के आन्तरिक गुणों को पहचानकर उनको विकसित कर सकता है। बिना शिक्षक के यह कार्य सम्भव नहीं है।

(ख) व्यक्तित्व का विकास करना–वुडवर्थ के अनुसार–“व्यक्तित्व व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यवहार की व्यापक विशेषता का नाम है।” आधुनिक युग में बालकों की केवल अन्तःशक्तियों का विकास होना ही पर्याप्त नहीं है, उनके बाह्य व्यक्तित्व का विकास भी बहुत आवश्यक है। शिक्षक बालकों के अन्तः–बाह्य व्यक्तित्व के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है।

(ग) सामाजिकता की भावना जाग्रत करना–मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसे समाज के अनुकूल बनाने का दायित्व शिक्षक का है। शिक्षक ही व्यक्ति को समाज के आदर्शों, मूल्यों और मानवताओं से परिचित कराता है। समाज के प्रति व्यक्ति के क्या कर्त्तव्य और अधिकार हैं और इनका सदुपयोग कैसे किया जाए, इन सभी बातों की जानकारी शिक्षक द्वारा ही प्राप्त होती है।

(घ) मूल–प्रवृत्तियों का नियन्त्रण–बालकों में कुछ मूल प्रवृत्तियाँ जन्मगत होती हैं। एक शिक्षक उन मूल प्रवृत्तियों को शुद्ध करता है, उनका मार्ग निर्देशन करता है, तथा उन्हें नियन्त्रित करने का कार्य भी करता है। इससे बालक के व्यक्तित्व का विकास होता है। शिक्षक का कार्य है कि वह बालक की मूल प्रवृत्तियों में सुधार करके उसे समाज तथा राष्ट्र की सेवा के लिए प्रेरित करे।

(ङ) भावी जीवन के लिए तैयार करना–शिक्षक छात्रों को भिन्न–भिन्न विषयों और व्यवसायों की शिक्षा प्रदान करता है। वह अपने विद्यार्थी को इस योग्य बनाता है, जो शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् परिवार, समाज तथा देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन भली–भाँति कर सके। देश का युवा आत्मनिर्भर होगा तो राष्ट्र की उन्नति और प्रगति में सदैव सहायक होगा।

(च) चरित्र–निर्माण तथा नैतिक विकास करना–शिक्षक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है बालकों का चरित्र–निर्माण और उनका नैतिक विकास करना। अच्छी शिक्षा द्वारा ही बालक सत्यं, शिवं, सुन्दरं को साक्षात्कार करता है और उसे अपने आचरण में लाने का प्रयास करता है। गांधी जी का भी कथन है– “यदि शिक्षा को अपने नाम को सार्थक बनाना है, तो उसका प्रमुख कार्य नैतिक शिक्षा प्रदान करना होना चाहिए।”

(छ) आदर्श नागरिक के गुणों को विकसित करना–शिक्षक का परम कर्त्तव्य है कि वह अपनी शिक्षा के द्वारा छात्रों में आदर्श नागरिक के गुणों को विकसित करे, जिससे छात्र अपने कर्तव्यों और अधिकारों को भली प्रकार समझ सके और जीवन में उनका समुचित उपयोग कर सके। आदर्श नागरिक ही आदर्श राष्ट्र के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाते हैं।

(ज) राष्ट्रीय भावना का संचार करना–एक आदर्श शिक्षक ही अपनी शिक्षा द्वारा छात्रों में राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति का संचार करता है। किसी राष्ट्र का स्वतन्त्र अस्तित्व उसके आदर्श नागरिकों पर ही निर्भर करता है। उनके सहयोग से ही राष्ट्र उन्नत और सशक्त बनता है। प्रत्येक अच्छा नागरिक राष्ट्र–निर्माण में सहायक होता है और एक शिक्षक अपने पुरुषार्थ से अबोध बालकों को अच्छा नागरिक बनाकर अपने राष्ट्र–निर्माण के दायित्वों का निर्वाह करना है।

(झ) भारतीय संस्कृति और राष्ट्र–गौरव से परिचित कराना–एक अच्छा शिक्षक छात्रों को अपनी संस्कृति और राष्ट्र–गौरव से परिचित कराता है। शिक्षक अपने मन, वचन और व्यवहार से एक आदर्श प्रस्तुत करके समस्त छात्रों में राष्ट्र भक्ति उत्पन्न करता है। ऐसे शिक्षकों से बालकों को नवीन दिशा मिलती है और वे राष्ट्र–निर्माण में सहयोग प्रदान करते हैं।

(ज) उचित दिशा–निर्देश देना–जीवन में प्रगति मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए उचित दिशा–निर्देश की आवश्यकता पड़ती है। यह निर्देशन कई प्रकार का होता है; जैसे–व्यक्तिगत निर्देशन, शैक्षिक निर्देशन तथा व्यावसायिक निर्देशन। व्यक्तिगत निर्देशन द्वारा व्यक्ति की व्यक्तिगत समस्याओं को सुलझाने का प्रयत्न किया जाता व्यावसायिक निर्देशन द्वारा व्यक्ति की रुचि, योग्यता और क्षमता की जाँचकर उसी के अनुरूप उसे व्यवसाय चुनने का परामर्श दिया जाता है। एक शिक्षक अपने छात्रों को इन सभी विषयों में उचित दिशा–निर्देश देकर देश का सफल नागरिक बनने में उनकी सहायता करता है।

उद्देश्यपूर्ण शिक्षा द्वारा सुन्दर– सभ्य समाज का निर्माण–एक कुशल शिक्षक ही प्रत्येक छात्र को सभी विषयों की सर्वोत्तम शिक्षा देकर उन्हें एक अच्छा डॉक्टर, इंजीनियर, न्यायिक एवं प्रशासनिक अधिकारी बनाने के साथ–साथ उसे एक अच्छा इन्सान भी बनाता है। सामाजिक ज्ञान के अभाव में जहाँ एक ओर छात्र समाज को सही दिशा देने में असमर्थ रहता है, वहीं दूसरी ओर आध्यात्मिक ज्ञान के अभाव में वह गलत निर्णय लेकर अपने साथ ही अपने परिवार, समाज, देश तथा विश्व को भी विनाश की ओर ले जाने का कारण बन सकता है।

इसलिए शिक्षक का कर्तव्य है कि वह आरम्भ से ही विद्यार्थियों की नींव मजबूत करके सुन्दर–सभ्य समाज का निर्माण करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करे।

उपसंहार– इस प्रकार शिक्षक एक सुसभ्य एवं शान्तिपूर्ण राष्ट्र और विश्व का निर्माता है। एक शिक्षक को अपने सभी छात्रों को एक सुन्दर एवं सुरक्षित भविष्य देने के लिए तथा सारे विश्व में शान्ति एवं एकता की स्थापना के लिए उनके कोमल मन–मस्तिष्क में भारतीय संस्कृति और सभ्यता के रूप में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के विचाररूपी बीज बोने चाहिए।

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My Favourite Teacher Essay in Hindi : स्टूडेंट्स के लिए 100, 300 और 500 शब्दों में मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध

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  • Updated on  
  • अगस्त 28, 2023

My Favourite Teacher Essay in Hindi

शिक्षक जो हम सभी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बचपन से ही हमारे चरित्र और व्यक्तित्व की राह बनाने में सबसे बड़ी भूमिका होती है। हम सब स्कूल में पढ़ें हैं और हम सभी का कोई न कोई एक फेवरेट टीचर जरूर होता है। यहां आज हमने उसी को लेकर My Favourite Teacher Essay in Hindi , मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध का ये ब्लॉग बनाया है।

My Favourite Teacher Essay in Hindi (100 शब्दों में)

मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध 100 शब्दों में कुछ इस प्रकार है –

स्कूल हो या कॉलेज टीचर हमें हमेशा ही सीखते हैं और आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। उनके ही इस मार्गदर्शन से आज हम अपने जीवन में बहुत आगे बढ़ते हैं-

मेरी एक पसंदीदा टीचर हैं। वह कक्षा 10 में हमें कला विषय के साथ अन्य विषय भी पढ़ाती थी। वह हमेशा मेरी हर परेशानी को दूर करने में मेरी मदद करती थी और अगर मुझे कोई भी चीज समझ नहीं आता तो वो मुझे बार बार बताने में कभी क्रोधित नहीं होती। वह बहुत मिलनसार शिक्षिका हैं, और मेरे लिए वो एक आदर्श भी हैं।

उनका पढ़ने का तरीका और टीचर से बेहद अलग है, और वह क्लास में सभी पर पूरा दिन देती हैं। वह बहुत ही इंटरैक्टिव और रचनात्मक तरीके से पढ़ाती हैं। वह पढ़ाई को इतना आसान बना देती हैं, की उनकी क्लास में हम सभी को पढ़ना बहुत अच्छा लगता है, इसलिए वह मेरी पसंदीदा शिक्षिका है।

My Favourite Teacher Essay in Hindi (300 शब्दों में)

मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध 300 शब्दों में कुछ इस प्रकार है –

हम सभी के जीवन में एक पसंदीदा शिक्षक रहा होगा और आज भी हम उनके सम्पर्क में या उनकी सिखाई बातों पर अम्ल जरूर करते हैं-

स्कूल हो या कॉलेज जीवन में हर किसी व्यक्ति का एक पसंदीदा टीचर जरूर होता है। एक टीचर जिसकी क्लास में स्टूडेंट्स  उत्सुक से पढ़ते हैं। वे उनकी क्लास का बहुत उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं और उस पसंदीदा टीचर की क्लास को पढ़ने से कभी नहीं छोड़ते हैं। हर शिक्षक एक जैसा नहीं होता. हम स्कूल में जो सीखते हैं वही वास्तव में जीवन भर हमारी मदद करता है।

मेरी फेवरेट टीचर

मेरी पसंदीदा शिक्षिका राज किशोरी बहुत समझदारी के साथ स्टूडेंट्स को पढ़ती थी, इसके अतिरिक्त वे सीखने की गतिविधियों को भी बढ़ावा देती हैं। उनके प्रैक्टिकली पढ़ने का तरीका कई छात्रों का उनका पसंदीदा बनाता हैं। वह न सिर्फ मेरी टीचर हैं बल्कि मैं उन्हें अपनी आदर्श भी मानती हूँ. वे एक न केवल एक टीचर हैं बल्कि एक ऐसे महिला भी हैं जिससे आप अपनी इच्छानुसार किसी भी विषय या परेशानी पर बात कर सकते हैं। वे बहुत विनम्र और नम्रता के साथ अपने काम को करती हैं। इसी लिए वे मेरी फेवरेट टीचर हैं।

वे सदैव अपने सभी स्टूडेंट्स को कड़ी मेहनत करने और अच्छे मार्क्स लाने के लिए प्रेरित करती है। जब मुझे किसी भी विषय को लेकर कोई संदेह होता है तो वह उस सब्जेक्ट को अच्छी तरह समझने में मेरी मदद करती है। वह मैथ के सब्जेक्ट को प्रैक्टिकल करके अधिक रोचक और आकर्षक बनाती है। वे हमेशा मुझे सही रास्ते पर चलने के लिए मार्गदर्शन करती हैं। वह हमें सच बोलना, सभी का सम्मान करना और जीवन में एक अच्छे मुकाम को हासिल करने के लिए प्रेरित करती हैं। इस My Favourite Teacher Essay in Hindi के अनुसार हम सबको यह सीखना चाहिए कि हमारे टीचर हम सबके लिए कितने योगदान करते हैं। 

My Favourite Teacher Essay in Hindi (500 शब्दों में)

मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध 500 शब्दों में कुछ इस प्रकार है –

जब हम सबको कोरोना महामारी के दौरान किसी चीज की परेशानी होती थी, तो वे हमेशा हम सब की मदद करती थी। उन्होंने उस समय एक सोशल मीडिया ग्रुप को हम सभी स्टूडेंट्स की सहायता के लिए बनाया है, ताकि हमें जब कभी भी कोई संदेह हो तो हम उनसे सम्पर्क कर सकें। उन्होंने हमारी पढ़ाई में किसी तरह की दिक्कत नहीं आने दी, वे सुबह से ही ऑनलाइन क्लास शुरू करने से पहले हम सभी स्टूडेंट्स का हाल पूछती थी। उन्होंने इतनी परेशानी के समय भी स्टूडेंट्स की पढ़ाई से कोई समझौता नहीं किया। जब हमें कोई परेशानी हुई तो उन्होंने परीक्षा से पहले हमें अच्छे से गाइड किया ताकि हम अच्छे अंकों के साथ पास हो कर आगे बढ़ सकें। 

परीक्षा से पहले देती थी एक्स्ट्रा क्लास

हमारे एग्जाम से पहले हमेशा वे हम सभी स्टूडेंट्स को एक्स्ट्रा क्लास देती थी, किसी स्टूडेंट्स को अगर किसी भी सब्जेक्ट में कोई परेशानी होती थी, तो वे उसको उस एक्स्ट्रा क्लास में सॉल्व करती थी। उनका प्रॉब्लम सॉल्व करने का तरीका इतना अच्छा होता था, की हम सब को लगता था की जिस चीज में हम इतना परेशान थे, वो इतनी छोटी सी चीज थी। वे प्रैक्टिकली चीजों को बताती थी।  

स्टूडेंट को करती थी मोटिवेट 

मेरी टीचर की एक बहुत अच्छी बात थी की जब कोई स्टूडेंट्स निराश होता था या वो डर के कारण उनसे कोई बात को नहीं पूछ पता था। तो वे उसके आत्मविश्वास को बढ़ती थी और उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देती थी। वे हमेशा कहती थी की किसी चीज से दर कर मत भागों हर चीज का सामना करो कोई चीज आपके आत्मविश्वास से बड़ी नहीं हो सकती है। अगर अपने किसी चीज को करने का लक्ष्य तय किया है तो उस लक्ष्य को मेहनत कर के प्राप्त करो। अगर सफलता एक बार नहीं मिली तो ऐसा नहीं है की कभी नहीं मिलेगी। 

आपका फोकस होना चाहिए पूरी तरह से की आपको ये चीजे हासिल करनी है, चाहे मुझे दिन -रात एक करनी पड़ें। पूरी लगन से मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है। उनके इन्हीं विचारों से हम सब स्टूडेंट्स का मनोबल बढ़ता है और हम और मेहनत करते हैं। शिक्षक हमेशा आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला होना चाहिए, बहुत से टीचर जरा सी गलती पर स्टूडेंट्स को बहुत ज्यादा डिमोटिवेट कर देते हैं। जिससे स्टूडेंट्स को आ गये पढ़ने या स्कूल जाने का मन नहीं करता है और वे स्कूल जाने से कतराते है।  

पढाई के साथ स्टूडेंट्स के मनोरंजन का भी रखती थी ध्यान 

जैसे ही हमारे एग्जाम खत्म होते थे वे हम सभी को बहार घूमने ले जाती थी, स्कूल टूर पर ये सभी स्टूडेंट्स को बहुत प्यार से और बहुत सारे गेम खिलवती थी. उनका कहना था की पढ़ाई के साथ शारीरिक एक्टिविटी का होना भी जरुरी है। वे स्कूल के समय भी एक क्लास में हम सभी स्टूडेंट्स को कुछ न कुछ एक्टिविटी सिखाती थी। वे खुद को भी मोटिवेट करती थी और स्टूडेंट को भी हर चीज के लिए प्रेरित करती रहती थी। इसलिए वह मेरे पसंदीदा टीचर थी। 

हमें हमेशा अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और आज हम जो कुछ भी हैं उसके लिए उन्हें धन्यवाद भी देना चाहिए। उनकी सिखाई हुई हर चीज को बहुत ही गंभीरता से लेकर आगे जीवन में बढ़ना चाहिए। 

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हमारे जीवन में शिक्षक का महत्व- Teacher Importance in Hindi 2020

प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में गुरु का महत्व रहा है. भारतीय संस्कृति में गुरु को ‘ गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु ही शंकर है, गुरु ही साक्षात परब्रह्मा है” माना गया है। इसी तरह से हमारे संस्कृति में गुरु को शिक्षा का महत्वपूर्ण अंग माना गया है।

विना गुरुभ्यो गुणनीरधिभ्यो जानाति तत्त्वं न विचक्षणोऽपि । आकर्णदीर्घायित लोचनोऽपि दीपं विना पश्यति नान्धकारे ॥

संस्कृत में श्लोक का अर्थ होता है, जैसे कान तक की लंबाई आंखों वाला भी अंधकार में, बिना दिया के देख नहीं सकता, ठीक उसी तरह वीक्षण इंसान भी, गुन सागर ऐसे गुरु बिना, तत्व को जा नहीं सकता।

केरियर और बिजनेस में सफल होने के लिए शिक्षक हमारे जीवन में बहुत ही अहम भूमिका निभाते हैं। एक अच्छा शिक्षक समाज में अच्छे इंसान बनने और देश के अच्छे नागरिक बनने में हमारी मदद करते हैं, क्योंकि अध्यापक जानते हैं कि विद्यार्थी किसी भी देश का भविष्य है। तो चलिए आज के हमारे इस लेख में जानते हैं कि हमारे जीवन में शिक्षक का क्या महत्व है? The Importance of Teacher in Student Life.

हमारे देश में शिक्षक को प्राचीन काल से ही एक गुरु के रूप में देखा जाता है, किसी भी देश के भविष्य का विकास शिक्षकों के हाथ में होता है। हम जीवन में क्या बनते हैं यह भी शिक्षक पर निर्भर करता है। शिक्षक विश्लेषण के लिए छात्रों के दिमाग में डाटा और जानकारी भरते हैं। हमारे जीवन में शिक्षक का महत्व बहुत ज्यादा होता है।

Table of Contents

हमारे जीवन में शिक्षक का महत्व – Importance of Teacher in Life

किसी भी व्यक्ति के जीवन में शिक्षक उसके भविष्य का निर्माता होता है। वह अपने परिश्रम के माध्यम से किसी भी व्यक्ति के जीवन को सवार सत्ता है। शिक्षक एक माली की भांति होता है और हम पुष्प की भांति होते हैं, वहीं विद्यालय एक बगीचे के समान होता है। झांसी क्षक अपने परिश्रम के द्वारा उस छात्र रूपी फूल को अपने सानिध्य में बड़ा करता है और हमारे जीवन के प्रत्येक मोड़ पर कोई ना कोई शिक्षक की भूमिका निभाता है। वह चाहे माता-पिता हो या फिर हमें कठिन समय में मार्गदर्शन करने वाला कोई भी व्यक्ति हो सकता है।

हमारे जीवन में शिक्षक का स्थान

हमारे जीवन का शिक्षक का बहुत ही बड़ा स्थान है। एक शिक्षक के लिए एक विद्यार्थी कोरे कागज की तरह होता है। जिसमें को किसी भी प्रकार से ढाल सकता है। एक शिक्षक के परिश्रम के द्वारा ही हममें से कई लोग वकील, डॉक्टर, अधिकारी या सैनिक या कोई वैज्ञानिक बनता है। शिक्षक हमेशा अपने अंदर की क्रोध और घृणा को किनारे कर सहनशीलता और अच्छे व्यवहार के माध्यम से हमारे जीवन में मार्गदर्शन करते हैं। शिक्षक को एक ईश्वर की भांति ही माना गया है। उसका पद हमेशा आदरणीय होता है। इसलिए हम इतना जरूर कर सकते हैं कि हम उनका सम्मान करें।

वास्तव में देखा जाए तो गुरु को ईश्वर के समान ही दर्जा प्राप्त रहता है। उनका स्थान सदैव आदरणीय ही रहेगा। प्राचीन काल में विद्यार्थी गुरुकुल से शिक्षा प्राप्त करके सभी प्रकार से सफल और परिपक्व होने के पश्चात गुरु दक्षिणा देकर गुरुकुल से लौटे थे। यह वही समय था जब इन विद्यार्थियों को वेद, शास्त्र पुराण, मानवीय मूल्य, सामाजिक जीवन का ज्ञान सिखाया जाता था। लेकिन समय के बदलने के साथ-साथ स्थिति में भी बदलाव आते गए। आज स्थिति बिल्कुल अलग है आज विद्यार्थी को केवल कुछ पाठ्यक्रम पर आधारित ज्ञान देकर परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात परिपक्व मान लिया जाता है। बाकी के कुछ नैतिक जीवन से संबंधित मूल्यों व अपने परिवार से भी सीखते हैं इस प्रकार माता-पिता भी उनके लिए एक शिक्षक के समान ही होते हैं।

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आज सब लोग शिक्षक दिवस पर केवल भाषण देते हैं लेकिन शिक्षकों के देय शिक्षा को भूल जाते हैं। सोशल मीडिया पर शिक्षकों के बारे में कुछ पोस्ट डालते हैं और भूल जाते हैं। लोग शिक्षकों से सीखने के बजे उन्हें भूलते जाते हैं।

स्कूल में छात्र शिक्षक दिवस के अवसर पर खूब जश्न मनाते हैं और शिक्षकों का सम्मान करते हैं, बहुत अच्छी बात है पर इसमें भी शिक्षक के पाठों का पालन नहीं करते। किसी भी शिक्षक को खुशी तभी मिलती है जब एक छात्र अच्छा इंसान बन जाता है और अपने कैरियर और बिजनेस में सफल हो जाता है। वैसे सभी शिक्षक शिक्षा में समान नहीं है और सभी छात्र भी आधुनिक युग में शिष्य और गुरु की तरह नहीं है। जोकि की कुछ शिक्षक महान होते हैं जो हमेशा अपने छात्रों के दिलों में कई सालों तक रहते हैं।

शिक्षक की भूमिका विद्यार्थी जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। इसी बात को समझते हुए अध्यापक की कुछ उत्तर दायित्व है जिन्हें निभाना उनकी एक आवश्यक जिम्मेवारी है।

जैसे – बच्चों का हृदय बहुत कोमल और नाजुक होता है। बिना केबल शिक्षक बल्कि अपने आसपास के वातावरण से भी काफी कुछ सीखते हैं।

वे इस बात का ध्यान देते हैं कि शिक्षक के हाव भाव किस प्रकार के होते हैं। उनके बोलने का लिहाज भी उन्हें प्रभावित करता है। उनका भाषा प्रयोग अपने बच्चों पर अमित प्रभाव छोड़ता है। उनकी मृदु बानी उन्हें सदैव आकर्षित करती है। अंतः अध्यापक को अपने क्रोध, अहंकार और लोग को बच्चों के समक्ष कभी प्रदर्शित नहीं करना चाहिए क्योंकि यह मानव के सबसे बड़े शत्रु कहलाते हैं।

आदर्श अध्यापक के गुण – Qualities of ideal t eacher

आज हमारे समाज ऐसे अनेक उदाहरण है जो अध्यापक की परिभाषा को पूर्ण करने में भूमिका अदा करते हैं। हिना द पार्क में अच्छे और श्रेष्ठ गुणों का भंडार होता है। या समय का सदुपयोग करते हैं इनके लिए समय अमूल्य होता है और इसलिए समय का पालन करते हुए अपना प्रत्येक कार्य योजना अनुसार करते हैं। यह समय का पालन करते हुए अपने प्रत्येक कार्य को अपने योजना अनुसार ही करते हैं। यह समय की उपयोगिता को ध्यान में रख कर के अपना ज्ञान प्रदान करते हैं। इनमें नम्रता और श्रद्धा के भाव भरे होते हैं। क्रोध और घृणा इनके लिए उचित नहीं होता, एक अच्छा शिक्षक में सहनशीलता, सही व्यवहार को अपनाकर के बच्चों को सही शिक्षा प्रदान कर उनका मार्गदर्शन करना होता है। यह उनके भविष्य को उज्जवल बनाते हैं उन्हें बेहतर इंसान बनाते हैं यह अनुशासन प्रयोग बनते हुए बच्चों को अनुशासन का महत्व सिखाते हैं।

वर्तमान समय में शिक्षक

वैसे तो शिक्षक हमेशा से ही सर्वोपरि रहे हैं। आज भी वह सभी लोगों के लिए आदर्श और माननीय है। उनका महत्व इसी बात से पता चलता है कि वह बच्चों के लिए ऐसे पथ प्रदर्शक होते हैं जो अपने परिश्रम और तप से बच्चों के चरित्र का निर्माण करते हैं। वह बच्चों के प्रेरक है जो उन्हें कुछ कर दिखाने की प्रेरणा देते हैं। उनमें श्रद्धा और विवेक की अखंड ज्योति होती है जो चारों और अपने प्रकाश से उजियारा फैलाती है। यही बच्चों को राम, लक्ष्मण और महान पुरुषों से अवगत करा करके उनके गुणों से अवगत कराते हैं और उनमें ज्ञान का संचार करते हैं। यह अपने छात्रों को अपमानित ना करके बल्कि उचित अनुचित का निर्णय करना सिखाते हैं।

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शिक्षक की लोकप्रियता का कारण

एक शिक्षक हमें बिना किसी स्वार्थ के सफलता का रास्ता दिखाता है। शिक्षक एक अच्छे व्यवहार और नैतिक के व्यक्ति के लिए बहुत ही अच्छी तरह से विद्यार्थी को शिक्षित करता है। शिक्षक विद्यार्थी को अकादमी रूप से बेहतरीन बनाते हैं और जीवन में हमेशा अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

एक शिक्षक कभी भी अपने अच्छे और बुरे विद्यार्थी में भेदभाव नहीं करता उसके लिए सभी विद्यार्थी एक समान होते हैं। एक शिक्षक अपने प्रयासों से कमजोर बच्चों को भी समझदार बना देता है और उसे प्रगति के मार्ग पर ले आता है। एक महान शिक्षक अपने विद्यार्थी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देता है।

जो छात्र दूसरे छात्र से अलग होते हैं वह उन्हें अलग प्रकार से समझते हैं जिससे वह भी शिक्षा ग्रहण कर सके, एक शिक्षक निस्वार्थ भाव से अपने प्रत्येक छात्र को शिक्षा देता है और उसे अपने जीवन में प्रगति करने के योग्य बनाता है। अनेक समर्थ कार्य की तुलना किसी अन्य कार्य से नहीं की जा सकती है।

एक अच्छा शिक्षक ही अपने सभी विद्यार्थियों का ध्यान रखता है। एक अच्छा शिक्षक अपने विद्यार्थी के खाने की आदत, स्वच्छता का स्तर, दूसरों से व्यवहार और पढ़ाई लिखाई की ओर एकाग्रता के बारे में जानता है। शिक्षक कभी भी अपने धैर्य नहीं होता और हर विद्यार्थी को उसके अनुसार पढ़ाता है। एक शिक्षक हमेशा अपने विद्यार्थी को अच्छी और ज्ञान पूर्ण बातें ही बताता है।

जीवन में विजय और सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा एक बड़ी क्षति होती है इसीलिए देश के भविष्य को और युवाओं के जीवन की जिम्मेवारी शिक्षक को दी जाती है। एक शिक्षक ही बच्चों को बचपन से सामाजिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से का बिल बनाता है।

कक्षा में आने से पहले ही शिक्षक अपने शिक्षा के विषय को सुनिश्चित कर लेते हैं। शिक्षकों को पढ़ाने की खासियत अलग होती है वह विषय के अनुसार अपने ज्ञान, कौशल और व्यवहार को बदल लेते हैं। वे अपने जीवन का सबसे बेहतरीन प्रयास करते हैं और हमें हमारे लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद करते हैं।

शिक्षक बनने के लिए परिश्रम

एक अच्छा शिक्षक बनने के लिए बहुत परिश्रम करनी पड़ती है। हमेशा अपने से बड़ों का आदर करो और उनकी हर बात मानो। माता-पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए और उनकी किसी भी बात को काटना नहीं चाहिए। माता-पिता और बड़ों का हमेशा सम्मान करना चाहिए। समाज के और अपनी शिक्षा के प्रति एकाग्रता को बढ़ाना चाहिए।

अपने शिक्षकों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा को ग्रहण करना चाहिए और परीक्षा के परिणाम अच्छे और मेहनत से करने चाहिए। एक अच्छा शिक्षक बनने के लिए हृदय में एकता का भाव होना चाहिए। किसी भी व्यक्ति से भेदभाव नहीं करना चाहिए। हर किसी को एक नजर से देखना चाहिए और अपने से छोटों को हमेशा अच्छी बातें बताना चाहिए और सहपाठियों से हमेशा एकता बनाकर रखना चाहिए, अपने शिक्षकों से हमेशा प्रेरणा लेना चाहिए।

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शिक्षक के लिए संस्कृत श्लोक और दोहे

गुरु अमृत है जगत में, बाकी सब विषैला,

सतगुरु संत अनंत है, प्रभु से करदे मेल।

गुरु की महिमा आदिकाल से लेकर वर्तमान तक है और आगे भी यथावत ही रहेगी, गुरु समाज को शिक्षित कर किसी भी देश को बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान देता है। इस चलते गुरु को हमारे समाज में पूजनीय माना जाता है। हमारी संस्कृति में गुरु को पूजनीय और आदरणीय माना गया है इस चलते गुरु के ऊपर कई बड़े दोहे और संस्कृत में श्लोक भी हैं।

गुरु बिन ज्ञान ना होता है, गुरु बिन दिशा आज़ान,

गुरु बिन इंदिराना सांधे, ग्रुप बिन बड़ेन ना शान।

गुरु मन में बैठत सदा, गुरु है ब्रह्म का काल,

गुरु अवगुण को मेटत, मेट सभी भ्रम जाल।

वही जो सीख ले,

शिष्य वही जो सीख ले, गुरु का ज्ञान अगाध, भक्तिभाव मन में रखे, चलता चले अबाध। गुरु ग्रंथन का सार है, गुरु है प्रभु का नाम, गुरु अध्यात्म की ज्योति है, गुरु हैं चारों धाम।

अंधकार से खींचकर

अंधकार से खींचकर, मन में भरे प्रकाश, ज्यों मैली चुनरी धुले, सोहत तन के पास। गुरु की कृपा हो शिष्य पर, पूरन हों सब काम, गुरु की सेवा करत ही, मिले ब्रह्म का धाम। गुरु अनंत तक जानिए, गुरु की ओर न छोर, गुरु प्रकाश का पुंज है, निशा बाद का भोर।

हमारे जीवन में शिक्षक का महत्व और शिक्षक के जीवन को समझना आसान नहीं है लेकिन हम उन्हें एक अच्छा इंसान बनकर के उपहार देकर उनकी मदद कर सकते हैं।

आशा करता हूं कि आपको इस पोस्ट में शिक्षक का महत्व पता चला होगा, अगर आप एक विद्यार्थी है तो इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर जरूर साझा करें।

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दोस्तों में, facttechno.in का संस्थापक हूं। मैं अपनी इस ब्लॉग पर टेक्नोलॉजी और अन्य दूसरे विषयों पर लेख लिखता हूं। मुझे लिखने का बहुत शौक है और हमेशा से नई जानकारी इकट्ठा करना अच्छा लगता है। मैंने M.sc (Physics) से डिग्री हासिल की है। वर्तमान समय में मैं एक बैंकर हूं।

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राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध for Class 6, 7, 8, 9, 10

Essay on Role Of Teacher In Nation Building in Hindi for Class 6, 7, 8, 9, & 10 Class Board Students. This Essay on Role Of Teacher In Nation Building in Hindi also named as राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध. This essay will help You for exams.

Essay in Hindi – Role Of Teacher In Nation Building for Class 6 – 10 Class Students

राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका अहम और महत्वपूर्ण होती है। किसी भी देश का भविष्य उस देश के शिक्षकों द्वारा तैयार किया जाता है ,यह कहना गलत ना होगा। किसी भी देश का भविष्य उस देश में पढ़ रहे विद्यार्थी तथा युवकों पर निर्भर करता है। एक अच्छे शिक्षक युवाओं को जिम्मेदार नागरिक बनाते हैं। शिक्षक जो हमें सीख देते हैं उसी के कारण हम सही गलत की पहचान कर पाते हैं। हमारे शिक्षक हमारे अच्छे मार्गदर्शक होते हैं। शिक्षक के मार्गदर्शक से ही हमें सही गलत तथा अच्छे और बुरे की परख आती है। उनके मार्गदर्शन पर चलकर ही हम जीवन में कामयाबी और तरक्की पा सकते हैं।

यदि युवाओं को सही मार्गदर्शन ना मिले तो वह गलत रास्ते पर भटक जाएंगे। देश का भविष्य खतरे में आ जाएगा। देश विरोधी संगठन देश के युवाओं का गलत फायदा उठा सकते हैं। उन्हें मार्ग से भटका सकते हैं। इसीलिए युवाओं को शिक्षकों का सही मार्गदर्शन मिलना आवश्यक है। देश के नीव तैयार करने में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है। शिक्षक बच्चों का व्यक्तिमत्व विकास करते हैं। हमारे देश की महानता संस्कृति सभ्यता इस सब बातों से शिक्षक ही रूबरू करवाते हैं। व्यक्ति का चरित्र निर्माण करने में तथा विकास करने में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है। शिक्षा का उद्देश्य देश में अच्छे और जिम्मेदार नागरिक तैयार करना है यह कार्य शिक्षकों द्वारा किया जाता है। शिक्षक हमें एक अच्छे नागरिक बनाते हैं तथा समाज में रहते हुए अपने कर्तव्य को कैसे पालन करना यह भी बताते हैंl

शिक्षक अपने विद्यार्थी में राष्ट्रहित तथा राष्ट्रप्रेम राष्ट्रभक्ति की भावना निर्माण करते हैं। इससे युवाओं में देश के प्रति समर्पण बढ़ता है। देश सेवा की भावना से युवा प्रेरित होकर देश सेवा में खुद को समर्पित कर देते हैं। हमारे देश में शिक्षकों का इतना महत्व है कि शिक्षकों को भगवान की तरह पूजा जाता है। इसीलिए तो कहते हैं

गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः

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शिक्षक पर निबंध Essay on importance of teacher in hindi

Shikshak ka mahatva in hindi essay.

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल शिक्षक का महत्व आप सभी के लिए बहुत ही हेल्पफुल है हमारे आज के इस आर्टिकल का उपयोग करके विद्यार्थी अपने स्कूल,कॉलेज की परीक्षा में निबंध लिखने के लिए जानकारी ले सकते हैं साथ में हर कोई हमारे द्वारा लिखित निबंधों से अच्छी और शिक्षाप्रद जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.हमारा आज का आर्टिकल सबसे महत्वपूर्ण आर्टिकल में से है क्योंकि हमारे देश में शिक्षक का सबसे बड़ा योगदान है तो पढ़ते हैं हमारे आज के निबंध को

Essay on importance of teacher in hindi

प्रस्तावना-

शिक्षक जो हमें पढ़ाते है, हमें ज्ञान देते है और ज्ञानवान बनाते है जो हमारे समाज में फैली कुरीतियों के बारे में बताते है, उन्हें दूर करने के बारे में बताते है और वास्तव में हमें एक इंसान बनाते है.शिक्षक के द्वारा दी हुई शिक्षा हमारे जीवन के हर एक पहलू में हमारे काम आती है इसलिए शिक्षक हमारे समाज के सबसे महत्वपूर्ण महान इंसान होते हैं.शिक्षक एक ऐसी उपाधि है जो सबसे बढ़कर होती है क्योंकि हर एक महान इंसान को ज्ञान एक शिक्षक ही देता है.

शिक्षक का महत्व-

हमारे जीवन में जिस तरह से शिक्षा का महत्व है उसी तरह जीवन में शिक्षक का महत्व भी है क्योंकि शिक्षक ही हमें वह शिक्षा देते है कहते हैं की हम किताबों से ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं लेकिन शिक्षक की तरह एक विषय को समझाकर आपको ज्ञान सिर्फ एक शिक्षक ही दे सकता है.शिक्षक से ही इस समाज का, इस देश का नाम ऊंचा होता है जिस देश में महान शिक्षक होते हैं वह देश तेजी से तरक्की करता है शिक्षक के द्वारा पढ़ाए गए बच्चे ही डॉक्टर बनकर मरीजों की देखभाल करते हैं, उनका उचित उपचार करते हैं.

शिक्षक के द्वारा बनाए गए बच्चे इंजीनियर,कलेक्टर बनकर देश के लिए अनेकों कार्य करते हैं बहुत सी प्रॉब्लम में देश को सहयोग प्रदान करते हैं.शिक्षक के द्वारा ही पढ़ाए गए बच्चे वकील बनकर किसी को भी न्याय दिलाने में सहायता प्रदान करते हैं शिक्षक के द्वारा ही पढाए गए बच्चे जज बनकर देश दुनिया में नाम ऊंचा करते हैं और सही न्याय लोगों का करते हैं.

शिक्षक के द्वारा पढ़ाये गए बच्चे मिनिस्टर आदि बनते हैं जो किसी राज्य या देश को चलाते हैं और लोगों तक अपनी सेवाएं पहुंचाते हैं और जनता की सेवा करते हैं साथ में देश की सेवा करते हैं और देश को तरक्की की राह पर पहुंचाते हैं वास्तव में शिक्षक का बहुत ही महत्व है जब एक इंसान ज्ञानवान बनता है तो वह किसी भी बारे में सोचने समझने की अपनी क्षमता से कुछ भी अच्छा कर सकता है वह जीवन में तरक्की कर सकता है और अपने देश, दुनिया का नाम ऊंचा कर सकता है वास्तव में हमारे जीवन में शिक्षक का बहुत ज्यादा योगदान है शिक्षक के बिना मनुष्य पशु के समान है.

शिक्षक के बिना यह दुनिया-

वास्तव में शिक्षा हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं लेकिन अगर शिक्षक के बिना हम दुनिया की कल्पना करें तो मनुष्य पशु के समान होता है क्योंकि जिस मनुष्य में किसी भी तरह की शिक्षा नहीं उसको कोई भी जानकारी नहीं होगी वह जीवन में कुछ भी नहीं कर पाएगा और हमारा देश, हमारा समाज पिछड़ता चला जाएगा वास्तव में शिक्षक का होना जरूरी है.शिक्षक अगर हमें शिक्षा ना दे तो हमारे समाज में बहुत सारी कुरुतियां तेजी से फैलती चली जाएंगी और समाज का विनाश हो जाएगा और हमारा देश पिछड़ता जाएगा.

हम कह सकते हैं कि शिक्षक के बिना इस बेहतरीन दुनिया की कल्पना हम नहीं कर सकते क्योंकि जब ज्ञान देने वाला शिक्षक ही नहीं होगा तो डॉक्टर कहां से आएंगे कौन हमारा इलाज करेगा,कौन हमैं किसी भी प्रॉब्लम से निकालेगा वास्तव में शिक्षक के बगैर दुनिया की कल्पना करना ही बेकार है क्योंकि शिक्षक हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

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एक आदर्श शिक्षक-

वास्तव में अगर किसी देश में आदर्श शिक्षक बहुत हैं तो उस देश का विकास बहुत ही तेजी से होगा जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते क्योंकि एक आदर्श शिक्षक द्वारा प्रदान की गई शिक्षा से विद्यार्थी भी एक आदर्श नागरिक,एक आदर्श विद्यार्थी बनते हैं वह जीवन में पढ़ाई के क्षेत्र में निरंतर तरक्की करते जाते हैं और देश दुनिया में नाम कमाते हैं वह अपने परिवार का,अपने शिक्षकों का नाम ऊंचा करते हैं किसी भी देश की तरक्की के लिए वास्तव में आदर्श शिक्षक होना बेहद जरूरी है.

मान सम्मान देना-

जैसे कि हमने ऊपर जाना कि एक आदर्श शिक्षक देश दुनिया की तकदीर बदल देता है इसलिए हमें शिक्षकों का मान सम्मान करना चाहिए.प्राचीन काल से ही शिक्षक को माता-पिता से भी बढ़कर माना जाता है क्योंकि बिना शिक्षा के एक इंसान पशु के समान होता है इसलिए शिक्षक को भगवान से भी बढ़कर समझकर हमें उनका सम्मान करना चाहिए.

वास्तव में शिक्षक हमारे समाज का,हमारे देश का एक अभिन्न अंग है शिक्षक के बिना कोई भी व्यक्ति शिक्षित नहीं होगा तो हमारे देश और समाज का विकास नहीं होगा शिक्षक के बगैर हम हमारे अच्छे समाज की कल्पना नहीं कर सकते.हमें हमारे शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और जीवन में हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए.

  • शिक्षक दिवस पर कविता Poem on teachers day in hindi

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Essay on My Teacher (मेरे अध्यापक पर निबंध)

Essay on my teacher ( मेरे अध्यापक पर निबंध ).

Let’s start the Essay on My Teacher.. ..

Outlines of the Essay

  • Introduction ( परिचय )
  • My Favourite Teacher ( मेरे पसंदीदा शिक्षक )
  • Her values ( उनका महत्व )
  • My teacher’s best things (मेरे अध्यापक की सबसे अच्छी बातें)

Conclusion of the Essay ( निबंध का निष्कर्ष )

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Introduction   ( परिचय )

It’s said, there’s no knowledge, no wisdom without your guru . There are books all around the world, we can easily have access to them, but the way and things that a teacher brings closer to our prism of perspective are way too far to compare with anything.

कहा जाता है कि बिना गुरु के किसी ज्ञान, किसी बुद्धिमता का कोई अस्तित्व नहीं होता है। दुनिया भर में हर जगह किताबें उपलब्ध हैं, हम आसानी से उन्हें पा सकते हैं, लेकिन एक अध्यापक जिस तरह से विचारों को हमारे सोचने- समझने के तरीके के सामने रखते हैं, वह अतुलनीय होता है।

Teachers enlighten our minds, closely associated with us remind us of things we could do with our lives, books and potentials. We might read out a thing from the book and completely understand it but that doesn’t suffice the presence of a teacher. We all require someone to guide.

अध्यापक हमारे दिमाग को तेज करते हैं। वे हमारे साथ रहकर हमें उन लक्ष्यों की याद दिलाते हैं जिन्हें हम अपने जीवन, पुस्तकों और क्षमताओं के सहारे पा सकते हैं। हम पुस्तक से किसी चीज़ को तो पढ़ सकते हैं और इसे पूरी तरह से समझ सकते हैं लेकिन एक अध्यापक की मौजूदगी को पूरा नहीं कर सकते है। हम सभी को किसी न किसी के मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।

My Favourite Teacher ( मेरे पसंदीदा अध्यापक )

I have various teachers in school, different teachers for every subject. I like all of them, all of them have a different way of teaching, talking, checking our notebooks and dealing with the subject. There are times I’m scared of telling people that I don’t get a few concepts in Mathematics, but I’m glad that I can go up to my teacher of Maths. He’s a nice person and tells me Maths is a tricky subject, but if I get the trick It would become easier.

मेरे स्कूल में कई अध्यापक हैं, विभिन्न विषयों के लिए विभिन्न अध्यापक हैं। मुझे वे सभी पसंद हैं, उन सभी के पढ़ाने, बातचीत करने, हमारी नोटबुक को चेक करने और किसी विषय के बारे में समझाने का एक अलग तरीका है। कई बार मैं लोगों को यह बताने से डरता हूं कि मुझे गणित (मैथ्स) की कुछ अवधारणाएं (कॉन्सेप्ट्स) नहीं आते, लेकिन मुझे खुशी है कि मैं इसके बारे में जानने के लिए अपने मैथ्स के टीचर के पास जा सकता हूँ। वह एक अच्छे इंसान है और मुझे बताते हैं कि मैथ्स एक ट्रिकी विषय है, लेकिन अगर ट्रिक को समझ लिया जाए तो ये आसान लगने लगेगा।

Out of all the teachers, I like my English teacher the most. Her name is Divya. She is a new teacher in our school. She says, she has taught in many other schools of the city as well. She has come across various work cultures, new students, new people, new school buildings etc. She admits that she loves teaching and doesn’t regret to choose this profession, this is the only thing that doesn’t bore her.

सभी अध्यापकों में से, मुझे अपनी इंग्लिश की अध्यापक सबसे अधिक पसंद हैं। उनका नाम दिव्या है। वह हमारे स्कूल के लिए एक नई अध्यापक है, वह कहती हैं कि उन्होंने शहर के कई अन्य स्कूलों में भी पढ़ाया है, उनका विभिन्न प्रकार की संस्कृतियों, नए स्टूडेंस, नए लोग, नए स्कूल बिल्डिंग आदि से मिलना हुआ है।वह स्वीकार करती है कि उन्हें पढ़ाना बहुत पंसद है और इस पेशे को चुनने के लिए पछतावा नहीं करती है, यह एकमात्र ऐसी चीज है जो उन्हें बोर नहीं करती है।

She comes up with new poems even out of our texts and explains them to us in great detail. She has got a great sense of humour. She plays games with us in the free period, she is very friendly and doesn’t let the teacher-student relationship barrier hurt the students.

यहाँ तक कि वह हमारे पाठ्यक्रम के बाहर से भी नई कविताओं को लेकर आती हैं और उन्हें हमें विस्तार से समझाती हैं। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत अच्छा है। वह खाली समय में हमारे साथ गेम खेलती हैं, वह बहुत ही मिलनसार हैं और वह शिक्षक और विधार्थी के बीच की दूरी को बनाकर भी हमें सहज महसूस कराती हैं।

Her Nature ( उनका स्वभाव )

She’s very humble, friendly and interactive and that’s why everyone likes her. She accepts all of us with our imperfections as well, with our grammatical mistakes and spelling errors. She’s very open to new opinions and recommendations.

वह बहुत ही विनम्र, मिलनसार, विचार-विमर्श करने वाली (इंटरैक्टिव) हैं और इसी वजह से हर कोई उन्हें पंसद करता है। वह हमें हमारी सभी कमियों के बावजूद स्वीकार करती हैं, ग्रामर की गलतियाँ हों या फिर स्पेलिंग मिस्टेकस । वह नए विचारों और सुझावों का खुले दिल से स्वागत करती हैं।

She says, she has been an ardent reader since school and encourages us to do the same. She tells us that she wants to study more so that she can engage more in teaching and she could then come up with more diverse and better ideas. She says that Education is the most golden tool of growth and encourages us to learn as much as we can, from all the possible sources possible.

वह कहती हैं कि अपने स्कूल के समय से ही वह एक उत्साही पाठक (पढ़ने वाली) रही हैं और हमें भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। वह हमें बताती हैं कि वह और अधिक पढ़ाई करना चाहती है ताकि टीचिंग के क्षेत्र में और अधिक काम कर सके और फिर ज्यादा विविधता और बेहतर विचारों के साथ पढ़ा सके। वह कहती हैं कि ‘शिक्षा’ विकास के लिए सबसे सुनहरा साधन है और यह हमें सभी मुमकिन स्रोतों (सोर्सज) से जितना संभव हो सके उतना सीखने के लिए प्रोत्साहित करता है।

My Teacher’s best things ( मेरे अध्यापक की सबसे अच्छी बातें )

My Teacher’s best thing is her teaching style, her elegance, her interactivity, her openness to new ideas or thoughts. There are many other great things about her, I’m lucky having found her.

मेरे अध्यापक की सबसे अच्छी चीज है उनके पढ़ाने का तरीका, उनकी शिष्टता, उनके बातचीत करने का तरीका, नई सोच और विचारों के प्रति उनका खुलापन। उसके बारे में कई अन्य अच्छी चीजें हैं, मैं उनका साथ पाकर भाग्यशाली समझता हूँ।

A teacher has very influential energy to pass with his/her students. Students are generally imitative, they imitate what their teachers do, we similarly follow our teachers’ ideas and paths. They’re true path guiders, their role is very crucial to one’s development and becoming one individual.

एक अध्यापक के पास अपने स्टूडेंटस को देने के लिए बहुत प्रभावशाली ऊर्जा होती है। स्टूडेंट सामान्यतः अनुसरण करने वाले होते हैं, उनके अध्यापक जो भी करते हैं वे उसका अनुसरण करते हैं, हम भी बिल्कुल इसी तरह अपने शिक्षक के विचारों और रास्तों पर चलते हैं। वे सच्चे पथ प्रदर्शक होते हैं, उनकी भूमिका हमारे विकास में और हमारे व्यक्तित्व को बनाने में अति महत्वपूर्ण होती है।

I hope, you like this Essay on My Teacher.

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13 thoughts on “Essay on My Teacher (मेरे अध्यापक पर निबंध)”

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You are my favorite teacher in my life so far i have never seen a teacher like you in my hole life who is completely devoted to her childern even though i have no met you but i consider you my ideal i have got a lot to learn from your video sir i don’t have word to express thanks to you love you sir Amit Negi From Uttrakhand

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आपका आर्टिकल पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगा. में अक्सर आपके ब्लॉग के न्यू आर्टिकल्स पढ़ती हूं जिससे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला. आपके सभी आर्टिकल से टॉपिक को पूरी तरह से समझने की पूर्ण क्षमता होती है. आप इसी तरह से हमें अपना ज्ञान देते रहे इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद.

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Dear Shivanee, Thank you so much for your kind words. As well, I personally checked your blogs (essays & history); you are doing a great job. Keep it up. All the best! – Aditya

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Thank you for your help ? I am So happy from Work ?……. Again Thank you So much ?

Thank you for your Help…… I am So happy from your Work….!!!!! Your Essay Reminds me of my English Teacher ………. Thank you So much ??

Anushka Chaudhary From Uttar Pradesh, India

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very nice essay .. thanks for sharing

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This is great for me I am class 8 student

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Bhot achcha

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राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – Role Of Teacher In Nation Building Essay In Hindi

Role Of Teacher In Nation Building Essay In Hindi: Hindi Essay प्रत्येक क्लास के छात्र को पढ़ने पड़ते है और यह एग्जाम में महत्वपूर्ण भी होते है इसी को ध्यान में रखते हुए hindilearning.in में आपको विस्तार से essay को बताया गया है |

Table of Contents

राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – Essay On Role Of Teacher In Nation Building In Hindi

“शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से | सींचकर उन्हें शक्ति में परिवर्तित करते हैं। राष्ट्र के वास्तविक निर्माता उस देश के शिक्षक होते हैं।”

–महर्षि अरविन्द

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – Raashtr Nirmaan Mein Shikshak Kee Bhoomika Par Nibandh

  • शिक्षक की भूमिका और दायित्व,
  • (क) बालक की अन्तःशक्तियों का विकास करना,
  • (ख) व्यक्तित्व का विकास करना,
  • (ग) सामाजिकता की भावना जाग्रत करना,
  • (घ) मूलप्रवृत्तियों का नियन्त्रण,
  • (ङ) भावी–जीवन के लिए तैयार करना,
  • (च) चरित्र–निर्माण तथा नैतिक विकास करना,
  • (छ) आदर्श नागरिक के गुणों को विकसित करना,
  • (ज) राष्ट्रीय भावना का संचार करना,
  • (झ) भारतीय संस्कृति और राष्ट्र–गौरव से परिचित कराना,
  • (ब) उचित दिशा–निर्देश देना,
  • उद्देश्यपूर्ण शिक्षा द्वारा सुन्दर–सभ्य समाज का निर्माण,

शिक्षक की भूमिका और दायित्व :

शिक्षा का प्रमुख आधार शिक्षक ही होता है। शिक्षक न केवल विद्यार्थी के व्यक्तित्व का निर्माता, बल्कि राष्ट्र का निर्माता भी होता है। किसी राष्ट्र का मूर्तरूप उसके नागरिकों में ही निहित होता है। किसी राष्ट्र के विकास में उसके भावी नागरिकों को गढ़नेवाले शिक्षकों की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है। अनादिकाल से शिक्षक की महत्ता का गुणगान उसके द्वारा प्रदत्त ज्ञान के कारण ही होता आया है।

ऐसे ज्ञानी गुरुओं के बल पर ही हमारे राष्ट्र को जगद्गुरु बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज भी शिक्षक उसी निष्ठा से विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण करके देश के भविष्य को सँवार सकते हैं। शिक्षक की भूमिका केवल छात्रों को पढ़ाने तक ही सीमित नहीं है। छात्रों को पढ़ाई के अलावा उन्हें सामाजिक जीवन से सम्बन्धित दायित्वों का बोध कराना तथा उन्हें समाज के निर्माण के योग्य बनाना भी शिक्षक का ही दायित्व है।

भविष्य में ऐसे ही छात्र समाज के विकास का आधार बनते हैं। शिक्षक की भूमिका के विषय में ग० वि० अकोलकर का कथन है– “शिक्षा व्यवस्था में सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण घटक ‘शिक्षक’ है। शिक्षा से समाज ने जिन इच्छा, आकांक्षा और उद्देश्यों की पूर्ति की कामना की है, वह शिक्षक पर निर्भर करती है।” शिक्षकों का दायित्व यही है कि वे समाज और राष्ट्र की इच्छाओं–आकांक्षाओं की पूर्ति करें।

डॉ० ईश्वरदयाल गुप्त के अनुसार–“शिक्षा–प्रणाली कोई भी या कैसी भी हो, उसकी प्रभावशीलता और सफलता उस प्रणाली के शिक्षकों के कार्य पर निर्भर करती है। क्योंकि भावी पीढ़ी को शिक्षित करना समाज की आकांक्षाओं का प्रतिफलन करना है।”

राष्ट्र–निर्माण में शिक्षक की भूमिका–विद्यार्थियों के मानसिक विकास में शिक्षक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। एक निपुण शिक्षक अपनी शिक्षण–शैली से विद्यार्थियों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास कर सकता है। राष्ट्रीयता का भाव जहाँ एक ओर विद्यार्थियों को राष्ट्रभक्त और आदर्श नागरिक बनाता है, वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों में राष्ट्रीय एकता का विकास भी करता है। कोठारी आयोग के अनुसारः–

“भारत के भविष्य का निर्माण कक्षाओं में हो रहा है।” यह तथ्य परोक्षरूप से शिक्षक की भूमिका को भी निश्चित कर रहा है। राष्ट्र के विकास और निर्माण में शिक्षक की भूमिका को इन प्रमुख बिन्दुओं के रूप में समझा जा सकता है

(क) बालक की अन्तःशक्तियों का विकास करना–प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री फ्रॉबेल के अनुसार “शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है, जो बालक के आन्तरिक गुणों और शक्तियों को प्रकाशित करती है।” एक कुशल शिक्षक ही बालक के आन्तरिक गुणों को पहचानकर उनको विकसित कर सकता है। बिना शिक्षक के यह कार्य सम्भव नहीं है।

(ख) व्यक्तित्व का विकास करना–वुडवर्थ के अनुसार–“व्यक्तित्व व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यवहार की व्यापक विशेषता का नाम है।” आधुनिक युग में बालकों की केवल अन्तःशक्तियों का विकास होना ही पर्याप्त नहीं है, उनके बाह्य व्यक्तित्व का विकास भी बहुत आवश्यक है। शिक्षक बालकों के अन्तः–बाह्य व्यक्तित्व के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है।

(ग) सामाजिकता की भावना जाग्रत करना–मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसे समाज के अनुकूल बनाने का दायित्व शिक्षक का है। शिक्षक ही व्यक्ति को समाज के आदर्शों, मूल्यों और मानवताओं से परिचित कराता है। समाज के प्रति व्यक्ति के क्या कर्त्तव्य और अधिकार हैं और इनका सदुपयोग कैसे किया जाए, इन सभी बातों की जानकारी शिक्षक द्वारा ही प्राप्त होती है।

(घ) मूल–प्रवृत्तियों का नियन्त्रण–बालकों में कुछ मूल प्रवृत्तियाँ जन्मगत होती हैं। एक शिक्षक उन मूल प्रवृत्तियों को शुद्ध करता है, उनका मार्ग निर्देशन करता है, तथा उन्हें नियन्त्रित करने का कार्य भी करता है। इससे बालक के व्यक्तित्व का विकास होता है। शिक्षक का कार्य है कि वह बालक की मूल प्रवृत्तियों में सुधार करके उसे समाज तथा राष्ट्र की सेवा के लिए प्रेरित करे।

(ङ) भावी जीवन के लिए तैयार करना–शिक्षक छात्रों को भिन्न–भिन्न विषयों और व्यवसायों की शिक्षा प्रदान करता है। वह अपने विद्यार्थी को इस योग्य बनाता है, जो शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् परिवार, समाज तथा देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन भली–भाँति कर सके। देश का युवा आत्मनिर्भर होगा तो राष्ट्र की उन्नति और प्रगति में सदैव सहायक होगा।

(च) चरित्र–निर्माण तथा नैतिक विकास करना–शिक्षक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है बालकों का चरित्र–निर्माण और उनका नैतिक विकास करना। अच्छी शिक्षा द्वारा ही बालक सत्यं, शिवं, सुन्दरं को साक्षात्कार करता है और उसे अपने आचरण में लाने का प्रयास करता है। गांधी जी का भी कथन है– “यदि शिक्षा को अपने नाम को सार्थक बनाना है, तो उसका प्रमुख कार्य नैतिक शिक्षा प्रदान करना होना चाहिए।”

(छ) आदर्श नागरिक के गुणों को विकसित करना–शिक्षक का परम कर्त्तव्य है कि वह अपनी शिक्षा के द्वारा छात्रों में आदर्श नागरिक के गुणों को विकसित करे, जिससे छात्र अपने कर्तव्यों और अधिकारों को भली प्रकार समझ सके और जीवन में उनका समुचित उपयोग कर सके। आदर्श नागरिक ही आदर्श राष्ट्र के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाते हैं।

(ज) राष्ट्रीय भावना का संचार करना–एक आदर्श शिक्षक ही अपनी शिक्षा द्वारा छात्रों में राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति का संचार करता है। किसी राष्ट्र का स्वतन्त्र अस्तित्व उसके आदर्श नागरिकों पर ही निर्भर करता है। उनके सहयोग से ही राष्ट्र उन्नत और सशक्त बनता है। प्रत्येक अच्छा नागरिक राष्ट्र–निर्माण में सहायक होता है और एक शिक्षक अपने पुरुषार्थ से अबोध बालकों को अच्छा नागरिक बनाकर अपने राष्ट्र–निर्माण के दायित्वों का निर्वाह करना है।

(झ) भारतीय संस्कृति और राष्ट्र–गौरव से परिचित कराना–एक अच्छा शिक्षक छात्रों को अपनी संस्कृति और राष्ट्र–गौरव से परिचित कराता है। शिक्षक अपने मन, वचन और व्यवहार से एक आदर्श प्रस्तुत करके समस्त छात्रों में राष्ट्र भक्ति उत्पन्न करता है। ऐसे शिक्षकों से बालकों को नवीन दिशा मिलती है और वे राष्ट्र–निर्माण में सहयोग प्रदान करते हैं।

(ज) उचित दिशा–निर्देश देना–जीवन में प्रगति मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए उचित दिशा–निर्देश की आवश्यकता पड़ती है। यह निर्देशन कई प्रकार का होता है; जैसे–व्यक्तिगत निर्देशन, शैक्षिक निर्देशन तथा व्यावसायिक निर्देशन। व्यक्तिगत निर्देशन द्वारा व्यक्ति की व्यक्तिगत समस्याओं को सुलझाने का प्रयत्न किया जाता व्यावसायिक निर्देशन द्वारा व्यक्ति की रुचि, योग्यता और क्षमता की जाँचकर उसी के अनुरूप उसे व्यवसाय चुनने का परामर्श दिया जाता है। एक शिक्षक अपने छात्रों को इन सभी विषयों में उचित दिशा–निर्देश देकर देश का सफल नागरिक बनने में उनकी सहायता करता है।

उद्देश्यपूर्ण शिक्षा द्वारा सुन्दर :

सभ्य समाज का निर्माण–एक कुशल शिक्षक ही प्रत्येक छात्र को सभी विषयों की सर्वोत्तम शिक्षा देकर उन्हें एक अच्छा डॉक्टर, इंजीनियर, न्यायिक एवं प्रशासनिक अधिकारी बनाने के साथ–साथ उसे एक अच्छा इन्सान भी बनाता है। सामाजिक ज्ञान के अभाव में जहाँ एक ओर छात्र समाज को सही दिशा देने में असमर्थ रहता है, वहीं दूसरी ओर आध्यात्मिक ज्ञान के अभाव में वह गलत निर्णय लेकर अपने साथ ही अपने परिवार, समाज, देश तथा विश्व को भी विनाश की ओर ले जाने का कारण बन सकता है।

इसलिए शिक्षक का कर्तव्य है कि वह आरम्भ से ही विद्यार्थियों की नींव मजबूत करके सुन्दर–सभ्य समाज का निर्माण करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करे।

इस प्रकार शिक्षक एक सुसभ्य एवं शान्तिपूर्ण राष्ट्र और विश्व का निर्माता है। एक शिक्षक को अपने सभी छात्रों को एक सुन्दर एवं सुरक्षित भविष्य देने के लिए तथा सारे विश्व में शान्ति एवं एकता की स्थापना के लिए उनके कोमल मन–मस्तिष्क में भारतीय संस्कृति और सभ्यता के रूप में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के विचाररूपी बीज बोने चाहिए।

दूसरे विषयों पर हिंदी निबंध लेखन: Click Here

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हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है।

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10 Lines on Teacher in Hindi | शिक्षक पर 10 वाक्य | लाइन निबंध

In this article, we are providing 10 Lines on Teacher in Hindi for students and kids for classes 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12. हिंदी में शिक्षक पर 10 वाक्य | पंक्तियाँ, Short 10 lines Essay on Teacher |  in Hindi. एक शिक्षक ( Teacher ) हमारे जीवन में एक मार्गदर्शक, गुरु, मित्र होने के साथ और कई भूमिकाएं निभाते है। इस आर्टिकल में आपको Shikshak par 10 Line Nibandh की पूरी जानकारी मिलेगी।

10 Lines on Teacher in Hindi Essay | शिक्षक पर 10 लाइन निबंध

( Set -1 ) 10 Lines About Teacher in Hindi | शिक्षक पर 10 पंक्तियाँ निबंध

1. शिक्षक को गुरू या अध्यापक भी कहा जाता है। माता पिता हमारे प्रथम शिक्षक होते हैं।

2. शिक्षक भविष्य निर्माता होते हैं जो हर बच्चे को उज्जवल भविष्य देने का प्रयास करते हैं।

3. शिक्षक वह होता है जो हमें अग्यानता से ग्यान की तरफ ले जाता है।

4. शिक्षक हमें ग्यान देकर समाज में रहने योग्य बनाता है।

5 . शिक्षक हर कदम पर हमारा मनोबल बढ़ाता है और हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

6 . शिक्षक ने अपने जीवन में जो कुछ भी सीखा होता है वह वहीं सबकुछ बच्चों को सिखाता है।

7 . शिक्षक समाज में सबसे ज्यादा आदर के पात्र है।

8 . शिक्षक में सहनशीलता और सकारात्मकता की भावना होनी चाहिए।

9 . शिक्षक हमें हमारे अच्छे और बूरे गुणों से परिचित करवाता है और उन्हें सुधारने में सहायता करता है।

10 . किसी भी देश को महान बनाने में शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

जरूर पढ़े-

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Essay on My Teacher in Hindi

( Set -2 ) 10 Lines on Teacher in Hindi Essay | शिक्षक पर 10 लाइन निबंध

1 . शिक्षक वो होते हैं जो अपने ज्ञान से हमारे अज्ञान को दूर करते हैं।

2 . एक शिक्षक हमें सही और गलत में अन्तर बताता है।

3. शिक्षक को सम्मान देने के लिए हर वर्ष 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

4. शिक्षक हमे हमेशा सही दिशा में आगे बड़ने को प्रेरित करते हैं।

5. इतिहास में अगर देखे तो किसी भी सफल व्यक्ति के पीछे एक शिक्षक का ही हाथ होता है।

6. शिक्षक हमारे जिवन का और साथ ही साथ वो हमारे चरित्र के भी निर्माता होते हैं।

7. शिक्षक हमे अपनी योग्यता का और साथ ही हमे अपने समय का सदुपयोग करना सीखते है।

8. एक अच्छा शिक्षक कभी भी अपना धैर्य नहीं खोता और वे हर विद्यार्थी को उनके अनुसार पढ़ाते है।

9. एक अच्छा शिक्षक हमे कुछ बनाए या ना बनाए लेकीन वो हमे अच्छा इन्सान जरूर बनाते हैं।

10. एक शिक्षक के बिना हमारा जीवन ठीक ऐसे ही है जैसे मां बाप के बीना एक बच्चे का जीवन।

Meri Pathshala Nibandh

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इस लेख के माध्यम से हमने 10 lines on Teacher in Hindi Essay का वर्णन किया है और आप यह article को नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

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    शिक्षक दिवस पर निबंध (Teacher's Day Essay in Hindi) जीवन में शिक्षक का किरदार बहुत खास होता है, वे किसी के जीवन में उस बैकग्राउंड म्यूज़िक कि तरह होते ...

  10. शिक्षक दिवस पर निबंध (Teachers Day essay in hindi): शिक्षक दिवस पर

    शिक्षक दिवस कोट्स (teachers day quotes in hindi) क्रम संख्या. शिक्षक दिवस कोट्स. किसने कहा. 1. मेरा सौभाग्य होगा यदि अलग से मेरा जन्मदिवस मनाने की बजाए 5 ...

  11. मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध (My Favourite Teacher Essay in Hindi)

    मेरे प्रिय शिक्षक पर 100 शब्दों का निबंध (100 Word Essay On My Favourite Teacher) सरिता कौर मेरी प्रिय शिक्षक(My Favourite Teacher Essay in Hindi) हैं। वह छठी कक्षा को सामाजिक विज्ञान पढ़ाती हैं। वह ...

  12. शिक्षक पर निबंध

    500+ Essays in Hindi - सभी विषय पर 500 से अधिक निबंध. उदाहरण के लिए, जब स्कूल में किसी छात्र को चोट लगती है, तो शिक्षक उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए ...

  13. शिक्षक पर निबंध

    अंतिम शब्द. हमने यहां पर " शिक्षक पर निबंध (Essay On Teacher In Hindi) " शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर ...

  14. शिक्षक पर निबंध

    शिक्षक पर निबंध | Essay on Teacher in Hindi! शिक्षक बच्चों को ज्ञानवान और सुसंस्कृत बनाते हैं । बच्चा घर से निकल कर विद्‌यालय में प्रवेश लेता है तो ...

  15. राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध

    राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध - Essay On Role Of Teacher In Nation Building In Hindi "शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों में खाद देते

  16. Essay on Teachers Day in Hindi

    इस ब्लॉग में जानिए सैंपल Essay on Teachers Day in Hindi, कैसे लिखें शिक्षक दिवस पर निबंध 100, 200 और 500 शब्दों में? शिक्षक दिवस कोट्स

  17. My Favourite Teacher Essay in Hindi

    100, 300 और 500 शब्दों में जानिए My Favourite Teacher Essay in Hindi, मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध सभी कक्षाओं के स्टूडेंट्स के लिए।

  18. हमारे जीवन में शिक्षक का महत्व- Teacher Importance in Hindi 2020

    हमारे जीवन में शिक्षक का महत्व - Importance of Teacher in Life. किसी भी व्यक्ति के जीवन में शिक्षक उसके भविष्य का निर्माता होता है। वह अपने परिश्रम के माध्यम से किसी भी ...

  19. राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध for Class 6, 7, 8, 9, 10

    Essay in Hindi - Role Of Teacher In Nation Building for Class 6 - 10 Class Students. राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका अहम और महत्वपूर्ण होती है। किसी भी देश का भविष्य उस देश के ...

  20. शिक्षक पर निबंध Essay on importance of teacher in hindi

    शिक्षक दिवस पर कविता Poem on teachers day in hindi. दोस्तों अगर आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल Essay on importance of teacher in hindiपसंद आए तो अपने दोस्तों में हमारे ...

  21. Importance Of Teacher In Hindi शिक्षक का महत्व » Hindikeguru

    शिक्षक का महत्व: ५. शिक्षक समाज में भ्रष्टाचार, छुआछूत, जातीय भेदभाव, ऊंच-नीच की भावना जैसे बुराइयों से बचने का उपाय बताता है।. ७ ...

  22. Essay on My Teacher (मेरे अध्यापक पर निबंध) in Hindi and English

    My Favourite Teacher (मेरे पसंदीदा अध्यापक) I have various teachers in school, different teachers for every subject. I like all of them, all of them have a different way of teaching, talking, checking our notebooks and dealing with the subject. There are times I'm scared of telling people that I don't get ...

  23. राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध

    Role Of Teacher In Nation Building Essay In Hindi: Hindi Essay प्रत्येक क्लास के छात्र को पढ़ने पड़ते है और यह एग्जाम में महत्वपूर्ण भी होते है इसी को ध्यान

  24. 10 Lines on Teacher in Hindi

    Essay on My Teacher in Hindi. ( Set -2 ) 10 Lines on Teacher in Hindi Essay | शिक्षक पर 10 लाइन निबंध. 1. शिक्षक वो होते हैं जो अपने ज्ञान से हमारे अज्ञान को दूर करते हैं।. 2. एक शिक्षक ...