राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध | Essay on Father of the Nation : Mahatma Gandhi in Hindi

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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध | Essay on Father of the Nation : Mahatma Gandhi in Hindi!

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी हमारे देश के ही नहीं अपितु संपूर्ण मानव जाति के नेता थे । वह एक युगपुरुष थे जिन्होंने समस्त मानव जाति को ‘ सत्य और अहिंसा ‘ का मार्ग अपनाने का संदेश दिया ।

ADVERTISEMENTS:

महात्मा गाँधी का वास्तविक नाम श्री मोहनदास करमचंद गाँधी था । आपका जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 ई॰ में काठियावाड़ जिले के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ । पिता करमचंद पोरबंदर के दीवान थे तथा माता पुतलीबाई एक साध्वी महिला थीं जो नित्य पूजा-पाठ व व्रत-उपवास आदि में पूर्ण आस्था रखती थीं । गाँधी जी के जीवन पर माता के उत्तम संस्कारों की अमिट छाप पड़ी ।

गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में हुई । आप विद्‌यार्थी जीवन में अधिक मेधावी छात्र न थे । एक साधारण छात्र होते हुए भी सत्य और अहिंसा के असाधारण गुण आपको बाल्याकाल से ही प्राप्त हुए । 1887 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत आप कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए ।

इंग्लैंड में उन्होंने अपनी माता को दिए गए वचनों का पूरी तरह निर्वाह किया । वहाँ से कानून की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् वापस लौट आए तथा मुंबई व राजकोट में अपनी वकालत प्रारंभ की । गाँधी जी का विवाह 13 वर्ष की अल्पायु में एक अत्यंत साध्वी युवती कस्तुरबा के साथ इंग्लैंड यात्रा के पूर्व ही हो गया था ।

1893 ई॰ में अपने एक मुकदमे के कारण गाँधी जी को दक्षिण अफ्रीका की यात्रा करनी पड़ी । उस समय दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद बहुत अधिक था । अप्रवासी भारतीयों की तत्कालीन समय में अत्यंत दयनीय दशा थी । स्वयं गाँधी जी को एक बार रेलयात्रा करते हुए फर्स्ट क्लास का टिकट लेने के बावजूद डिब्बे से अपमानित करके इसलिए उतार दिया गया क्योंकि वे एक भारतीय थे । उन्होंने तभी मन में इस भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने का संकल्प किया था ।

दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर रंगभेद के चलते होने वाले अत्याचारों को देखकर उनका मन उद्‌वेलित हो उठा । दक्षिण अफ्रीका में रहकर उन्होंने वहाँ के समस्त भारतीयों को संगठित किया । उनके नेतृत्व में असहयोग आंदोलन हुए । अपने कठिन प्रयासों से उन्हें अपने कार्यों में आशातीत सफलता प्राप्त हुई ।

अफ्रीका से लौटने के उपरांत देश में अंग्रेज शासकों के अत्याचार को वे सहन न कर सके । दक्षिण अफ्रीका की सफलता ने गाँधी जी को पहले ही अत्यंत लोकप्रिय बना दिया था । उनका व्यक्तित्व इतना अधिक प्रभावशाली था कि करोड़ों भारतीयों ने सहर्ष उनको अपना नेता स्वीकार किया । वे जिस ओर चले करोड़ों लोग उनके पीछे चल पड़े।

प्रथम विश्व युद्‌ध में ब्रिटेन भी पूरी तरह शामिल था । भारतीयों का इस युद्‌ध में पूर्ण सहयोग प्राप्त करने हेतु उन्होंने गाँधी जी से आग्रह किया तथा बदले में युद्‌ध के उपरांत अनेक अधिकार सौंपने की बात कही । युद्‌ध के समाप्त होने पर गाँधी जी व देशवासियों को पूर्ण निराशा हाथ लगी ।

‘रौलट एक्ट’ व ‘जलियाँवाला बाग’ हत्याकांड ने यह सिद्‌ध कर दिया कि अंग्रेज कभी भी स्वेच्छा से भारतीयों को अधिकार नहीं सौंपेंगे । गाँधी जी के निर्देश से देश भर में असहयोग आंदोलन छेड़ा गया । अपनी प्रसिद्‌ध ‘डांडी यात्रा’ के क्रम में समुद्र तट पर जाकर उन्होंने ‘नमक कानून’ तोड़ा । अंग्रेजों व अंग्रेजी वस्तुओं का पूर्णतया बहिष्कार किया गया ।

परिणामत: असंख्य लोग जेल में ठूँस दिए गए । अनगिनत देशभक्त गोलियों के शिकार हुए । मुश्किलों व अनेक कठिनाइयों के बावजूद गाँधी जी अटल रहे । 1942 ई॰ में ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ आंदोलन छेड़ा गया । अंतत: उनके भगीरथ प्रयास से भारत सैकड़ों वर्षों की गुलामी के पश्चात् 15 अगस्त 1947 ई॰ को आजाद हुआ ।

आजादी से पूर्व गाँधी जी को गहरा आघात सहना पड़ा जब मुस्लिमों की पृथक देश की माँग पर उन्हें अपनी स्वीकृति देनी पड़ी । भारत का हिंदुस्तान व पाकिस्तान दो खंडों में विभाजन हुआ । पूरे देश में सांप्रदायिक दंगों का तांडव आरंभ हो गया । पाकिस्तान से हिंदुओं और सिखों का भारी मात्रा में पलायन होने लगा । दूसरी ओर भारत के कुछ मुस्लिम पाकिस्तान में अपनी किस्मत आजमाने के लिए विवश हुए ।

इन घटनाओं से गाँधी जी अत्यंत आहत हुए । दिल्ली में 30 जनवरी 1948 ई॰ को प्रात:काल जब वे प्रार्थना सभा की ओर जा रहे थे तब ‘गोडसे’ नामक व्यक्ति ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी । संपूर्ण राष्ट्र शोकाकुल हो उठा । उनकी हत्या पर पूरी मानवता कराह उठी । वह महान पुरुष जिसने देश को अपने भगीरथ प्रयासों से सैकड़ों वर्ष की गुलामी से मुक्ति दिलाई उसकी देश के ही एक धर्माध नागरिक ने हत्या कर दी ।

गाँधी जी सच्चे अर्थों में युगपुरुष थे । सत्य और अहिंसा का जो पाठ उन्होंने सिखाया वह पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय है । उनके महान कृत्यों के कारण आज भी पूरा विश्व उन्हें श्रद्‌धा सुमन अर्पित करता है । गाँधी जी एक निष्काम कर्मयोगी थे । उन्होंने सदैव लोगों को सद्मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित किया । उनका मत था- ‘ बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो तथा बुरा मत देखो ‘ । गाँधी जी समाज में फैले छुआछूत के कट्‌टर विरोधी थे । उन्होंने पिछड़ी जाति के लोगों को जो अछूत समझे जाते थे उन्हें ‘हरिजन’ कह कर संबोधित किया ।

गाँधी जी का संपूर्ण जीव, उनका आत्मसंयम, अनुशासन व महान चरित्र अनुकरणीय है । राष्ट्र उन्हें ‘ राष्ट्रपिता ‘ के रूप में श्रद्‌धा सुमन अर्पित करता है । उनके जन्म दिवस 2 अक्टूबर को हम हर वर्ष राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं ।

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Nibandh

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - गाँधी जी का जन्म - उनका प्रारंभिक शिक्षा - उनका राजनीति में प्रवेश - स्वतंत्रता प्राप्ति - उपसंहार।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत के ही नहीं बल्कि संसार के महान पुरुष थे। वे आज के इस युग की महान विभूति थे। महात्मा गांधी जी सत्य और अहिंसा के अनन्य पुजारी थे और अहिंसा के प्रयोग से उन्होंने सालों से गुलाम भारतवर्ष को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करवाया था। विश्व में यह एकमात्र उदाहरण है कि गांधी जी के सत्याग्रह के समक्ष अंग्रेजों को भी झुकना पड़ा।

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था। गांधी जी के पिता का नाम करमचन्द गांधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई गांधी था। मोहनदास जी अपने पिता जी की चौथी पत्नी की आखिरी संतान थे।

गांधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई थी। गांधी जी जब 13 साल की उम्र के थे और स्कूल में पढ़ते थे तब उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा देवी जी से हुआ था। अपनी कक्षा में वे एक साधारण विद्यार्थी थे। गाँधी जी अपने सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे लेकिन अपने शिक्षकों का पूरा आदर करते थे। गाँधी जी ने मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी। गाँधी जी औसत विद्यार्थी थे हालाँकि उन्होंने कभी-कभी पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती हैं लेकिन गाँधी जी पढाई और खेल में तेज नहीं थे।

गाँधी जी शुरू से ही सत्यवादी और मेहनती थे। गाँधी जी कभी कोई बात नहीं छिपाते थे। गाँधी जी की माता उन्हें बचपन से ही धर्म-कर्म की शिक्षा देती थीं जिससे वे विद्यालय में भी एक विनम्र विद्यार्थी थे। गाँधी जी झगड़ा, शरारत और उछल-कूद आदि से दूर रहते थे। एक बालक का इतना विनम्र रहना उचित नहीं था लेकिन गाँधी जी में ये सभी संस्कार जन्मजात थे।

जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे तो उस समय भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन चल रहा था। सन् 1915 में गाँधी जी भारत लौटे थे। उन दिनों में गोपाल कृष्ण गोखले जी कांग्रेस के गणमान्य सदस्य थे। गोपाल कृष्ण गोखले जी की अपील पर गाँधी जी कांग्रेस में शामिल हुए थे और पूरे भारत का भ्रमण किया था। गाँधी जी ने जब देश की बागडोर को अपने हाथों में लिया था तो देश में एक नए इतिहास का सूत्रपात हुआ था। गाँधी जी ने सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन की शुरुआत की थी। जब सन् 1928 में साइमन कमिशन भारत में आया था तो गाँधी जी ने उसका बहुत डटकर सामना किया था।

इसकी वजह से देशभक्तों को बहुत प्रोत्साहन मिला था। गाँधी जी द्वारा सन् 1930 में चलाये गये नमक आन्दोलन और दांडी यात्रा ने अंग्रेजों को पूरी तरह से हिला दिया था। गाँधी जी कांग्रेस के सक्रिय सदस्य होने की वजह से स्वतंत्रता आन्दोलन में कूद पड़े थे। उन दिनों में आन्दोलन की बागडोर तिलक जी के हाथ में थी। उनके साथ मिलकर ही गाँधी जी ने आन्दोलन को आगे बढ़ाया था।

गांधी जी को भारतीय इतिहास के युग पुरुष के रूप में हमेशा याद रखा जायेगा। आज सारा विश्व उन्हें श्रद्धा से नमन करता है। गांधी जी के जीवन पर अनेक भाषाओँ में फ़िल्में बनाई गईं जिससे आज का मानव उनसे प्रेरणा ले सके। गांधी जी के जन्मदिन को सारा संसार श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाता है। अमेरिका जैसे बड़े राष्ट्र ने भी अपने देश में 2 अक्टूबर को गांधी दिवस के रूप में मनाने की मान्यता दे दी है। युग-युग तक गांधी जी को बहुत याद किया जायेगा।

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महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi  : दोस्तो आज हमने महात्मा गांधी पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

इस लेख के माध्यम से हमने एक Mahatma Gandhi जी के जीवन का और उनके आंदोलनों वर्णन किया है इस निबंध की सहायता से हम भारत के सभी लोगों को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और उनके विचारों के बारे में बताएंगे।

Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता माने जाते हैं उन्हें बच्चा-बच्चा बापू के नाम से भी जानता है। Mahatma Gandh i ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों से इन अहिंसा पूर्वक की लड़ाई लड़ी थी।

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनचंद करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

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महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के ही एक स्कूल में हुई थी और उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई करी थी। वहां पर उन्होंने देखा कि अंग्रेज लोग काले गोरे का भेद भाव करते हैं

और भारतीय लोगों से बर्बरता पूर्वक व्यवहार करते है। यह बात में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी इसके खिलाफ उन्होंने भारत आकर आंदोलन करने की ठानी।

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भारत आते ही Mahatma Gandhi ने गरीबों के लिए कई हिंसक आंदोलन किए और अंत में उन्होंने “भारत छोड़ो आंदोलन” प्रारंभ किया जिसके कारण हमारे देश को आजादी मिली थी।

भारत की आजादी के 1 साल बाद महात्मा गांधी जी की 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 400 Words

महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

Mahatma Gandhi का जन्म गुजरात राज्य के एक छोटे से शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो की अंग्रेजी हुकूमत में एक दीवान के रूप में कार्य करते थे।

उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि गृहणी थी वे हमेशा पूजा पाठ में लगी रखी थी इसका असर हमें गांधी जी का सीन देखने को मिला है वह भी ईश्वर में बहुत आस्था रखते है।

महात्मा गांधी के जीवन पर राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व का बहुत अधिक प्रभाव था इसी कारण उनका झुकाव सत्य के प्रति बढ़ता गया।

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Mahatma Gandhi का व्यक्तित्व है बहुत ही साधारण और सरल था इसका असर हमें उनके अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में देखने को मिलता है उन्होंने कभी भी हिंसात्मक आंदोलन नहीं किए हुए हमेशा अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार के रूप में काम में लेते थे।

उन्होंने अपना पूरा जीवन हमारे भारत देश के लिए समर्पित कर दिया था उन्हीं के अथक प्रयासों से हम आज एक आजाद देश में सुकून की सांस ले पा रहे है। महात्मा गांधी जी ने भारत में अपने जीवन का पहला आंदोलन चंपारण से प्रारंभ किया गया था

जिसका नाम बाद में चंपारण सत्याग्रह ही रख दिया गया था इस आंदोलन में उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था।

इसी प्रकार उन्होंने खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह (दांडी यात्रा) जैसे और भी आंदोलन किए थे जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे।

उन्होंने अपने जीवन का अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन किया था जो कि अंग्रेजों को मुझसे भारत को आजादी दिलाने के लिए हुआ था इसी आंदोलन के कारण हमें वर्ष 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी।

लेकिन गांधीजी भारत की इस आजादी को ज्यादा दिन देख नहीं पाए क्योंकि आजादी के 1 साल बाद ही नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत ही दुखद था इस दिन हमने एक महान व्यक्ति को खो दिया था।

नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या तो कर दी लेकिन उनके विचारों को नहीं दबा पाया आज भी उनके विचारों को अमल में लाया जाता है।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 1800 words

प्रस्तावना –

महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इसीलिए भारत में उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से पुकारा जाता है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित है। उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए भारत के लिए आंदोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत के लोगों को समर्पित कर दिया था इसी समर्पण की भावना के कारण उन्होंने भारत के लोगों के हितों के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन आंदोलन किए थे जिनमें वे पूरी तरह से सफल रहे थे। उनका अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुई।

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उनके सम्मान में पूरे विश्व भर में 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है और भारत में महात्मा गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

प्रारंभिक जीवन –

महात्मा गांधी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था उनके पिताजी करमचंद गांधी अंग्रेजी हुकूमत के दीवान के रूप में काम करते थे उनकी माताजी पुतलीबाई गृहणी थी वह भक्ति भाव वाली महिला थी जिन का पूरा दिन लोगों की भलाई करने में बीतता था।

जिसका असर हमें गांधी जी के जीवन पर भी देखने को मिलता है। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य की पोरबंदर शहर में हुआ था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । महात्मा गांधी की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही हुई थी।

Mahatma Gandhi बचपन में अन्य बच्चों की तरह ही शरारती थे लेकिन धीरे-धीरे उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती गई जिनके कारण उनके जीवन में बदलाव आना प्रारंभ हो गया था। उनका विवाह 13 साल की छोटी सी उम्र में ही कर दिया गया था उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था जिन्हें प्यार से लोग “बा” के नाम से पुकारते थे। उस समय बाल विवाह प्रचलन में था इसलिए गांधी जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था।

उनके बड़े भाई ने उनको पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेज दिया था। 18 वर्ष की छोटी सी आयु में 4 सितंबर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 में महात्मा गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास करके सुदेश आए और मुंबई में वकालत प्रारंभ कर दी।

अहिंसावादी जीवन का प्रारंभ –

महात्मा गांधी के जीवन में एक अनोखी घटना घटने के कारण उन्होंने अहिंसा वादी जीवन जीने का प्रण ले लिया था। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने 1899 के एंगलो बोअर युद्ध के समय स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर मदद की थी लेकिन इस युद्ध की विभीषिका को देख कर अहिंसा के रास्ते पर चलने का कदम उठाया था इसी के बल पर उन्होंने कई आंदोलन अनशन के बल पर किये थे जो कि अंत में सफल हुए थे।

उन्होंने ऐसे ही दक्षिण अफ्रीका के जोल विद्रोह के समय एक सैनिक की मदद की थी जिसे लेकर वे 33 किलोमीटर तक पैदल चले थे और उस सैनिक की जान बचाई थी। जिसे प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी के जीवन के प्रारंभ से ही रग-रग में मानवता और करुणा की भावना भरी हुई थी।

राजनीतिक जीवन का प्रारंभ –

दक्षिण अफ्रीका में जब गांधी जी वकालत की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उन्हें काले गोरे का भेदभाव झेलना पड़ा। वहां पर हमेशा भारतीय एवं काले लोगों को नीचा दिखाया जाता था। एक दिन की बात है उनके पास ट्रेन की फर्स्ट एसी की टिकट थी लेकिन उन्हें ट्रेन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया और उन्हें मजबूरी में तृतीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी।

यहां तक कि उनके लिए अफ्रीका के कई होटलों में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। यह सब बातें गांधीजी के दिल को कचोट गई थी इसलिए उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया ताकि वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटा सके।

भारत में महात्मा गांधी का प्रथम आंदोलन –

महात्मा गांधी जी का भारत में प्रथम आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ का क्योंकि अंग्रेजों ने किसानों से खाद्य फसल की पैदावार कम करने और नील की खेती बढ़ाने को जोर दे रहे थे और एक तय कीमत पर अंग्रेजी किसानों से नील की फसल खरीदना चाहते थे।

इसके विरोध में Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1917 में चंपारण नाम के गांव में आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी गांधीजी मानने को तैयार नहीं थे अंत में अंग्रेजों को गांधी जी की सभी बातें माननी पड़ी। बाद में इस आंदोलन को चंपारण आंदोलन के नाम से जाना गया।

इस आंदोलन की सफलता से गांधीजी में और विश्वास पैदा हुआ और उन्होंने जान लिया था कि अहिंसा से ही वे अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ सकते है।

खेड़ा सत्याग्रह –

खेड़ा आंदोलन में Mahatma Gandhi ने किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ही किया था। वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नाम के गांव में भयंकर बाढ़ आई थी जिसके कारण किसानों की सारी फसलें बर्बाद हो गई थी और वहां पर भयंकर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

इतना सब कुछ होने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के अफसर करो (Tax) में छुट नहीं करना चाहते थे। वह किसानों से फसल बर्बाद होने के बाद भी कर वसूलना चाहते थे। लेकिन किसानों के पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था तो किसानों ने यह बात गांधी जी को बताई।

गांधीजी अंग्रेजी हुकूमत के इस बर्बरता पूर्वक निर्णय से काफी दुखी हुए फिर उन्होंने खेड़ा गांव से ही अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा पूर्वक आंदोलन छेड़ दिया। महात्मा गांधी के साथ आंदोलन में सभी किसानों ने हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने खेड़ा के किसानों का कर (Tax) माफ कर दिया। इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना गया।

असहयोग आंदोलन –

अंग्रेजी हुकूमत के भारतीयों पर बर्बरता पूर्ण जुल्म करने और जलियांवाला हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी जी को समझ में आ गया था कि अगर जल्द ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ नहीं किया गया तो यह लोग भारतीय लोगों को अपनी क्रूर नीतियों से हमेशा खून चूसते रहेंगे।

महात्मा गांधी जी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था जिसके बाद वर्ष 1920 में Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दी । इस आंदोलन के अंतर्गत गांधी जी ने सभी देशवासियों से निवेदन किया कि वे विदेशी वस्तुओं का उपयोग बंद कर दें और स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं।

इस बात का लोगों पर इतना असर हुआ कि जो लोग ब्रिटिश हुकूमत के अंदर काम करते थे उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा देना चालू कर दिया था। सभी लोगों ने अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी सूती वस्त्र पहने लगे थे।

इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे। लेकिन आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था और चोरा चोरी जैसे बड़े कांड होने लगे थे जगह-जगह लूटपाट हो रही थी। गांधी जी का अहिंसा पूर्ण आंदोलन हिंसा का रुख अपना रहा था। इसलिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें 6 वर्ष की जेल की सजा भी हुई थी।

नमक सत्याग्रह –

ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता दिन प्रतिदिन भारतीयों पर बढ़ती ही जा रही थी। ब्रिटिश हुकूमत ने नया कानून पास करके नमक पर अधिक कर लगा दिया था। जिसके कारण आम लोगों को बहुत अधिक परेशानी हो रही थी।

नमक पर अत्यधिक कर लगाए जाने के कारण महात्मा गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नमक पर भारी कर लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा प्रारंभ की जो कि 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के दांडी नामक गांव में समाप्त हुई।

इस यात्रा में गांधी जी के साथ हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। दांडी गांव पहुंचकर गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के कानून की अवहेलना करते हुए खुद नमक का उत्पादन किया और लोगों को भी स्वयं नमक के उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस आंदोलन की खबर देश विदेश में आग की तरह फैल गई थी जिसके कारण विदेशी देशों का भी ध्यान इस आंदोलन की तरफ आ गया था यह आंदोलन गांधी जी की तरफ से अहिंसा पूर्वक लड़ा गया था जो कि पूर्णत: सफल रहा। इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है।

नमक आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत विचलित हो गई थी और उन्होंने इस आंदोलन में सम्मिलित होने वाले लोगों में से लगभग 80000 लोगों को जेल भेज दिया था।

भारत छोड़ो आंदोलन –

महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत को भारत से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया । इस आंदोलन की नींव उसी दिन पक्की हो गई थी जिस दिन गांधी जी ने नमक आंदोलन सफलतापूर्वक किया था।

उन्हें विश्वास हो गया था कि अंग्रेजों को अगर भारत से बाहर क देना है तो उसके लिए अहिंसा का रास्ता ही सबसे उत्तम रास्ता है। महात्मा गांधी ने यह आंदोलन कब छेड़ा जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और ब्रिटिश हुकूमत अन्य देशों के साथ युद्ध लड़ने में लगी हुई थी।

द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण अंग्रेजों की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही थी उन्होंने भारतीय लोगों को लिखते विश्वयुद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया। लेकिन भारतीय लोगों ने उन्हें नित्य विश्वयुद्ध से अलग रखने पर जोर दिया।

बाद में ब्रिटिश हुकूमत के वादा करने पर भारतीय लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया। ब्रिटिश हुकूमत ने वादा किया था कि वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को स्वतंत्र कर देंगे। यह सब कुछ भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव के कारण ही हो पाया और वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई।

महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन पूर्ण रूप से सफल रहा। इसकी सफलता का श्रेय सभी देशवासियों को भी जाता है क्योंकि उन्हीं की एकजुटता के कारण इस आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई और अंत में सफलता प्राप्त हुई।

उपसंहार –

Mahatma Gandhi बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे वे हमेशा सत्य और अहिंसा में विश्वास रखते थे। उन्होंने हमेशा गरीब लोगों का साथ दिया था। जब देश में जाति, धर्म और अमीर गरीब के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा था तब गांधी जी ने ही गरीबों को साथ लेते हुए उन्हें “हरिजन” का नाम लिया और इसका मतलब भगवान के लोग होता है।

उनके जीवन पर भगवान बुद्ध के विचारों का बहुत प्रभाव था इसी कारण उन्होंने अहिंसा का रास्ता बनाया था। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी। उन्होंने भारत देश के लिए जो किया है उसके लिए धन्यवाद सब बहुत कम है।

हमें उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए आज लोग एक दूसरे से छोटी छोटी बात पर झगड़ा करने लगते हैं और हर एक छोटी सी बात पर लाठी और बंदूके चलाने लगते है। गांधी जी ने कहा था कि जो लोग हिंसा करते हैं वे हमेशा नफरत और गुस्सा दिलाने की कोशिश करते है। गांधीजी के अनुसार अगर शत्रु पर विजय प्राप्त करनी है तो हम अहिंसा का मार्ग भी अपना सकते है। जिसको अपनाकर गांधी जी ने हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाई थी।

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10 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi”

Rohit ji app ne sahi bola

apke essay ka koi app hai महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रवीण विश्नोई जी, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे

Bhut Accha laga ye padh ke or hame ghadhi Ji ke bare me kafi jankari basil hui or isko Yaar Karna bhi easy hoga kyoki ye saral shbdo me tha or aasha karte he ese hi hame Jo chaye wo ese hi mile

Nishat khan ji, hum aap ko aise hi saral bhasha me content dete rahnge. Parsnsha ke liye aap ka bhut bhut Dhanyawad.

Mahatma Gandhi the legend me hamare liye kya kuch nhi kiya par tabh bhi kuch log unhe abhi bhi Bura Bolte h

Arti Nanda ji aap ne sahi bola aap chahe kitne bhi sahi hi log kuch na kuch to kahe ge, log to bhagvaan ko bhi dosh dete hai gandhi ji to bhi insaan the.

Mahatma gandhi bhale hee kyu na rahe lakin us kee yad aabhi bhee ham sab ke dilo dimag mai hai

Rohit ji app ne sahi bola, Mahatma gandhi ji ke vichar aaj bhi hamare saath hai.

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महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi)

महात्मा गांधी

उद्देश्यपूर्ण विचारधारा से ओतप्रोत महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व आदर्शवाद की दृष्टि से श्रेष्ठ था। इस युग के युग पुरुष की उपाधि से सम्मानित महात्मा गाँधी को समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है पर महात्मा गाँधी के अनुसार समाजिक उत्थान हेतु समाज में शिक्षा का योगदान आवश्यक है। 2 अक्टुबर 1869 को महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ। यह जन्म से सामान्य थे पर अपने कर्मों से महान बने। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा इन्हें एक पत्र में “महात्मा” गाँधी कह कर संबोधित किया गया। तब से संसार इन्हें मिस्टर गाँधी के स्थान पर महात्मा गाँधी कहने लगा।

महात्मा गांधी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi par Nibandh Hindi mein)

महात्मा गांधी पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ ही साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।

महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा दीक्षा

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। आस्था में लीन माता और जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से हुई, हाईस्कूल की परीक्षा इन्होंने राजकोट से दिया, और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से किया।

महात्मा गाँधी का शिक्षा और स्वतंत्रता में योगदान

महात्मा गाँधी का यह मानना था की भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधीन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था। उनका कहना था की 7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो। साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता। शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।

बचपन में गाँधी जी को मंदबुद्धि समझा जाता था। पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। हम महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में सम्बोधित करते है और भारत की स्वतंत्रता में उनके योगदान के लिए सदा उनके आभारी रहेंगे।

इसे यूट्यूब पर देखें : Mahatma Gandhi par Nibandh

Mahatma Gandhi par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता हैं।

बापू को ‘फ ा दर ऑफ नेशन ’ (राष्ट्रपिता) की उपाधि किसने दिया ?

महात्मा गाँधी को पहली बार फादर ऑफ नेशन कहकर किसने संबोधित किया, इसके संबंध में कोई स्पष्ठ जानकारी प्राप्त नहीं है पर 1999 में गुजरात की हाईकोर्ट में दाखिल एक मुकदमे के वजह से जस्टिस बेविस पारदीवाला ने सभी टेस्टबुक में, रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार गाँधी जी को फादर ऑफ नेशन कहा, यह जानकारी देने का आदेश जारी किया।

महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन

निम्नलिखित बापू द्वारा देश की आजादी के लिए लड़े गए प्रमुख आंदोलन-

  • असहयोग आंदोलन

जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था की ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।

  • नमक सत्याग्रह

12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किये गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।

  • दलित आंदोलन

गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।

  • भारत छोड़ो आंदोलन

ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के मुम्बई अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।

  • चंपारण सत्याग्रह

ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानो से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।

महात्मा गाँधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिस साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)

“कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते, क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है” – महात्मा गाँधी

गाँधी जी के वचनों का समाज पर गहरा प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। वह मानवीय शरीर में जन्में पुन्य आत्मा थे। जिन्होंने अपने सूज-बूझ से भारत को एकता के डोर में बांधा और समाज में व्याप्त जातिवाद जैसे कुरीति का नाश किया।

गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी को भारतीय पर हो रहे प्रताड़ना को सहना पड़ा। फर्स्ट क्लास की ट्रेन की टिकट होने के बावजूद उन्हें थर्ड क्लास में जाने के लिए कहा गया। और उनके विरोध करने पर उन्हें अपमानित कर चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया गया। इतना ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में कई होटल में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया।

बापू की अफ्रीका से भारत वापसी

वर्ष 1914 में उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के बुलावे पर गाँधी भारत वापस आए। इस समय तक बापू भारत में राष्ट्रवाद नेता और संयोजक के रूप में प्रसिद्ध हो गए थे। उन्होंने देश की मौजूदा हालात समझने के लिए सर्वप्रथम भारत भ्रमण किया।

गाँधी, कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बेहतरीन लेखक

गाँधी एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने जीवन के उतार चढ़ाव को कलम की सहायता से बखूबी पन्ने पर उतारा है। महात्मा गाँधी ने, हरिजन, इंडियन ओपिनियन, यंग इंडिया में संपादक के तौर पर काम किया। तथा इनके द्वारा लिखी प्रमुख पुस्तक हिंद स्वराज (1909), दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह (इसमें उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने संघर्ष का वर्णन किया है), मेरे सपनों का भारत तथा ग्राम स्वराज हैं। यह गाँधीवाद धारा से ओतप्रोत पुस्तक आज भी समाज में नागरिक का मार्ग दर्शन करती हैं।

गाँधीवाद विचार धारा का महत्व

दलाई लामा के शब्दों में, “आज विश्व शांति और विश्व युद्ध, अध्यात्म और भौतिकवाद, लोकतंत्र व अधिनायकवाद के मध्य एक बड़ा युद्ध चल रहा है” इस अदृश्य युद्ध को जड़ से खत्म करने के लिए गाँधीवाद विचारधार को अपनाया जाना आवश्यक है। विश्व प्रसिद्ध समाज सुधारकों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग, दक्षिण अमेरिका के नेल्सन मंडेला और म्यांमार के आंग सान सू के जैसे ही लोक नेतृत्व के क्षेत्र में गाँधीवाद विचारधारा सफलता पूर्वक लागू किया गया है।

गाँधी जी एक नेतृत्व कर्ता के रूप में

भारत वापस लौटने के बाद गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का नेतृत्व किया। उन्होंने कई अहिंसक सविनय अवज्ञा अभियान आयोजित किए, अनेक बार जेल गए। महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर लोगों का एक बड़ा समूह, ब्रिटिश सरकार का काम करने से इनकार करना, अदालतों का बहिष्कार करना जैसा कार्य करने लगा। यह प्रत्येक विरोध ब्रिटिश सरकार के शक्ति के समक्ष छोटा लग सकता है लेकिन जब अधिकांश लोगों द्वारा यह विरोध किया जाता है तो समाज पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है।

प्रिय बापू का निधन

30 जनवरी 1948 की शाम दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में मोहनदास करमचंद गाँधी की नाथूराम गोडसे द्वारा बैरटा पिस्तौल से गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में नाथूराम सहित 7 लोगों को दोषी पाया गया। गाँधी जी की शव यात्रा 8 किलो मीटर तक निकाली गई। यह देश के लिए दुःख का क्षण था।

आश्चर्य की बात है, शांति के “नोबल पुरस्कार” के लिए पांच बार नॉमिनेट होने के बाद भी आज तक गाँधी जी को यह नहीं मिला। सब को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले प्रिय बापू अब हमारे बीच नहीं हैं पर उनके सिद्धान्त सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे।

Mahatma Gandhi Essay

FAQs: महात्मा गांधी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर. अल्फ्रेड हाई स्कूल को अब मोहनदास हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।

उत्तर. 30 जनवरी1948 को शाम 5.17 बजे गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

उत्तर. नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने उन्हें बापू के नाम से सम्बोधित किया।

उत्तर. बेरेटा 1934. 38 कैलिबर पिस्तौल का इस्तेमाल नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी को मारने के लिए किया था।

उत्तर. ऐसा माना जाता है कि भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार महात्मा गांधी से बड़ा नहीं है।

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भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध और जीवन गाथा | Essay On Father of Nation Mahatma Gandhi and Life History In Hindi

बीसवीं शताब्दी में जिस महान व्यक्तित्व ने विश्व का सर्वाधिक प्रभावित किया उन्हें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है. भारतवासी उन्हें बापू के नाम से पुकारते हैं. सत्य, अहिंसा और प्रेम के सिद्धांतों पर आधारित उनका जीवन संदेश आज भी भारत की सीमाओं से निकलकर सारे संसार का जीवन दर्शन बन गया है. उन्होंने राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक पर्याप्तता की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया.

महात्मा गांधी जन्म और प्रारंभिक शिक्षा (Mahatma Gandhi Birth and Eduction)

अहिंसा के पुजारी और करुणा के अवतार महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था. उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था. इनके पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था. इनके पिता राजकोट के दीवान थे. गांधी जी की माता धर्मनिष्ठ पूजा पाठ में विश्वास रखने वाली तथा साधु स्वभाव की महिला थी. माता की आस्तिकता और सत्य परायणता की गहरी छाप गांधी जी पर व्यापक रूप से पड़ी. गांधी जी का विवाह 13 वर्ष की उम्र में कस्तूरबा के साथ हो गया था. कस्तूरबा अधिक शिक्षित नहीं थी फिर भी उन्होंने गांधी जी को हर कदम पर आजीवन सहयोग दिया.

गांधी जी की शिक्षा राजकोट में हुई. अपने बचपन में उन्होंने सत्यवादी हरिश्चंद्र और श्रवण कुमार का नाटक पड़ा था. इन दोनों नाटकों के आदर्शों का उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा. 13 वर्ष की अवस्था में ही उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा कानून की शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैंड चले गाय. वर्ष 18 संख्याओं में जब गांधी जी बैरिस्टर होकर भारत लौटे तब तक उनकी माता का देहांत हो चुका था. सर्वप्रथम गांधी जी ने मुंबई में वकालत करना आरंभ किया था. उनकी वकालत अपने ढंग की अनोखी थी. वे झूठ से काम लेना पाप समझते थे. अतः इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली. वह गरीबों के मुकदमे की पैरवी निशुल्क किया करते थे.

गांधी जी का दक्षिण अफ्रीका गमन (Mahatma Gandhi South Africa Journey)

वर्ष 1893 के इन्हें एक गुजराती व्यापारी के मुकदमे की पैरवी करने के लिए दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा. जहां उन्होंने भारतीयों की दयनीय दशा देखी. वहां भारतीयों के साथ पशुओं जैसा व्यवहार किया जाता था. गोरों तथा कालों के भेद ने गांधीजी में विद्रोह की ज्वाला उत्पन्न कर दी. वहां पर उन्हें अनेक बार अपमानित होना पड़ा था. यह सब देखकर उनका मन विद्रोह से भर गया. उन्होंने वैधानिक ढंग से युद्ध छेड़ दिया. इसके लिए उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा को अपना शस्त्र बनाया. उनके आंदोलन का अनुकूल तथा सकारात्मक प्रभाव यह हुआ कि दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को संपूर्ण जीवन जीने का अधिकार मिला. इस प्रकार सफलता प्राप्त करके गांधीजी प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंच गए. समस्त विश्व सत्य की लड़ाई के आविष्कार से चकित रह गया. बीस वर्ष अफ्रीका में रहकर गांधी जी जब वापस भारत लौटे तो उनका भव्य स्वागत किया गया.

गांधीजी का भारत आगमन (Mahatma Gandhi India Arrival)

गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में जनप्रिय हो चुके थे. भारतीय राजनीति उनके स्वागत में पलकें बिछाए बैठी थी. लोकमान्य तिलक और गोपाल कृष्ण गोखले राजनीति के मैदान में उन्होंने गांधी जी का स्वागत किया और गांधीजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बन गए. गोपाल कृष्ण गोखले को गांधीजी का राजनितिक गुरु भी माना जाता हैं. उन्होंने अहमदाबाद के पास साबरमती के तट पर आश्रम की व्यवस्था की और भारत की कोटि-कोटि जनता का मार्गदर्शन करने लगे. गांधी जी ने अंग्रेजों से टक्कर लेने के लिए अहिंसा और असहयोग को शस्त्र बनाया. उन्होंने भारतीयों के संगठन का काम किया. देश भ्रमण करके सुप्त मानव चेतना को जगाने का काम गांधीजी ने किया. इससे भारतीयों में एक नई स्फूर्ति आ गई और लोग सत्याग्रह में भाग लेने लगे. उनके एक भारतवासी अपने प्राण न्यौछावर करने के लिए स्वतंत्र स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े.

चल पड़े जिधर दो डग मग में, बढ़ गए कोटि पग उसी ओर. पड़ गई जिधर भी एक दृष्टि, गढ़ गए कोटि दृग उसी ओर.

स्वतंत्रता आंदोलन और जेल यात्रा (Mahatma Gandhi Revolutions)

गांधीजी ने भारत की आजादी के लिए देशव्यापी आंदोलन छेड़ दिया था. उन्होंने चरखे को स्वतंत्रता का प्रतीक और अहिंसा को इस आंदोलन का अस्त्र बनाया. स्वतंत्रता आंदोलन के इस कर्मठ सिपाही को अनेक बार जेल यात्रा भी करनी पड़ी. गांधी जी को कांग्रेस का सभापति बनाया गया था. उन्होंने 1930 में दांडी में नमक सत्याग्रह करके नमक कानून को तोड़ा. इस आंदोलन के दौरान गांधी जी के साथ सहस्त्र लोगों को बंदी बनाया गया. लाचार होकर ब्रिटिश सरकार ने सभी को मुक्त करते हुए नमक कानून वापस ले लिया. वर्ष 1942 में उन्होंने मुंबई अधिवेशन में एक नारा दिया था “अंग्रेजों भारत छोड़ो” तथा भारतीयों से “करो या मरो” का आहान किया. इस दौरान गांधी जी को आगा खां महल में नजरबंद रखा गया था. यही कस्तूरबा की भी मृत्यु हो गई थी. अब अंग्रेजों ने मन ही मन समझ लिया था कि उन्हें भारत से जाना ही होगा अंत में गांधी जी की नीति की विजय हुई और 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र होगा गांधी जी भारत की अखंडता के पक्षपाती थे किंतु समाज और देश के विभाजन को स्वीकार कर लिया.

गाँधीजी द्वारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन (List of Revolution by Mahatma Gandhi)

सन 1920 में -: असहयोग आंदोलन [Non Co-operation Movement] सन 1930 में -: अवज्ञा आंदोलन /नमक सत्याग्रह आंदोलन / दांडी यात्रा [Civil Disobedience Movement/Salt Satyagrah Movement/Dandi March] सन 1942 में -: भारत छोड़ो आंदोलन [Quit India Movement] सन 1918 में -: चंपारन और खेड़ा सत्याग्रह सन 1919 में -: खिलाफत आंदोलन [Khilafat Movement]

समाज सुधार के कार्य (Mahatma Gandhi Social Cause)

एक समाज सुधारक के रूप में गांधीजी का योगदान अतुलनीय हैं. जातिवाद, छुआछूत, पर्दाप्रथा, बहु विवाह, नशाखोरी और सांप्रदायिक भेद भाव जैसी बुराइयों के लिए उन्होंने निरंतर संघर्ष किया. जातिवाद और छुआछूत को मिटाने के लिए उन्होंने सबसे अधिक प्रयास किया. अछूतों को हरिजन कहकर सामाजिक सम्मान दिलाया.

गांधी जी एक महान आदर्श (Mahatma Gandhi as a Ideal)

गांधी जी केवल राजनेता नहीं बल्कि समाज सुधारक एवं ग्राम सुधारक भी थे. उन्होंने हरिजनों की दयनीय दशा को देखकर हरिजनों का उत्थान किया. हरिजन पत्रिका का संपादन किया. नारी को समाज में सम्मानसंपूर्ण स्थान स्थान दिलाया. गांधी जी का मानना था भारत की अधिकतम जनसंख्या गाँव में निवास करती है इसलियें ग्रामोद्योग और शिक्षा से सही समाज का उत्थान संभव है. गांधी जी ने सर्वोदय समाज एवं अन्य सुधार आंदोलन का भी नेतृत्व किया. गांधी जी का व्यक्तित्व महान और आकर्षक था. उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था. सादा जीवन उच्च विचार गांधी जी के जीवन का मूल मंत्र था. सत्य और अहिंसा उनके दिव्य अस्त्र थे. प्रेम और शांति उनका संदेश था. राम राज्य उनका सपना था. सत्याग्रह उनका संबल था. उनका मानना था पाप से घृणा करो पापी से नहीं. धन, संपत्ति और वैभव उनके लिए व्यर्थ थे.

गांधी जी की मृत्यु (Mahatma Gandhi Death)

देश की स्वतंत्रता को एक वर्ष भी नही बीता था कि गांधीजी की मानवता नीति को मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति समझकर एक भ्रांति युवक नाथूराम गोडसे ने प्रार्थना किए जाते समय प्रार्थना के लिए जाते समय 30 जनवरी 1948 को उन्हें अपने रिवाल्वर की गोलियों से निशाना बना दिया. राम-राम का उच्चारण करता हुआ मानवता का एकमात्र आश्रय संसार से विदा हो गया. पंडित नेहरू ने गांधी जी की मृत्यु पर संवेदना प्रकट की. “सूर्य अस्त हो गया है हम अंधकार में काँप रहे हैं. विश्व प्रेम के पुजारी गांधी जी का समाधि स्थल राजघाट विश्व मानव का तीर्थ बन गया.

पंडित जवाहरलाल नेहरु ने अपने शब्दों में कहा प्रकाश बुझा नहीं है क्योंकि वह तो हजारों लाखों व्यक्तियों के ह्रदय को प्रकाशित कर चुका है. गांधी जी इस युग के सबसे महान पुरुष थे. उन्होंने शताब्दी से सोए हुए भारतवर्ष को जागृत किया और देश के आत्म सम्मान की लड़ाई थी. उनका चरित्र भारतवासियों के लिए नहीं अपितु संपूर्ण विश्व के लिए आज भी अनुकरणीय हैं. गांधीजी एक श्रेष्ठ संत, राजनीतिक विचारक, परम धर्मात्मा समाज सुधारक और मानवता के पोषक थे. महादेवी वर्मा गांधीजी के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हुई कहती है

“हे धराके अमृत सुत तुमको अशेष प्रणाम”

इसे भी पढ़े :

  • महात्मा गांधी का जीवनी परिचय
  • सूरदास का जीवन परिचय
  • डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय

1 thought on “महात्मा गांधी पर निबंध | Essay on Mahatma Gandhi in Hindi”

Aapne Bahut Achha Post Likha Hai. Keep it up…

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Essay of Mahatma Gandhi for Student | महात्मा गांधी पर निबंध

essay on father of nation mahatma gandhi in hindi

महात्मा गांधी निबंध हिंदी में | Mahatma Gandhi Essay in Hindi  – जब कोई देश या राष्ट्र संकट में हो, उस समय देश में योग से उत्पन्न महापुरुषों का जन्म हुआ। ऐसा ही एक संकट के समय में, भारत पर अंग्रेजों का शासन था और इसे एक संप्रभु राज्य माना जाता था।  Mohon Das Karam Chand Gandhi  उन कई देशभक्तों में से एक थे, जिन्होंने भारत को उस बंधन से मुक्त कराने की ठानी।

उनके अटूट दृढ़ संकल्प, अटूट प्रयासों और अहिंसक मंत्रों से भारत  15 August  को ब्रिटिश शासन से मुक्त हो गया था। सच्चे अहिंसा के पुजारी, गरीबों के मित्र और स्वतंत्र भारत के निर्माता  Mahatma Gandhi ko Father of Nation  से जानते हैं। देश उन्हें हमेशा याद करता है।

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Table of Contents

Mahatma Gandhi Life ( महात्मा गांधी जीवन )

युगमनाब  महामगंधी का जन्म 1869, October 2   को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उनके जन्म के समय  उनका नाम Mohon Das Karamchand Gandhi  था।  Mahatma Gandhi  का जन्म गुजरात में एक विश्वस्तरीय परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम  Karam Chand Gandhi  था। उन्हें  Kaba Gandhi  नाम से भी जाना जाता है। उनके माता का नाम  Putli Bai  ।

उस समय पोरबंदर पर एक देशी राजा का शासन था। Kaba Gandhi उस राजा के पास एक पदवी थे। वह बहुत ही ईमानदार और सिद्धांतवादी व्यक्ति हैं। इसी प्रकार उनकी माता पुतलीबाई एक धर्मपरायण महिला थीं। अपने माता-पिता पर  Mahatma Gandhi  का प्रभाव था। एक बच्चे के रूप में,  Gandhi   इन सभी गुणों से प्रभावित थे और उन्हें अपना जीवन बनाने का अवसर मिला।

एक बच्चे के रूप में  Gandhi  अंधेरी रात से बहुत डरते थे। जब वह अकेला था तब भी वह डरा हुआ था। भगवान राम जप करते-करते ये सभी दुर्बलताएँ धीरे-धीरे उनके मस्तिष्क से गायब हो गईं। समय-समय पर  Mahatma Gandhi  के पिता Kaba Gandhi का पोरबंदर के राजा से झगड़ा होने की बाजे से आपकी पदबी से इस्तीफा दे दिए। उस समय  Mahatma Gandhi  केवल सात वर्ष के थे।

Mahatma Gandhi  ने अपनी शिक्षा राजकोट के एक गाँव की चटशाली में शुरू की और बारह साल की उम्र में एक हाई स्कूल में दाखिला लिया। एक बच्चे के रूप में उनकी ईमानदारी अद्वितीय थी। एक बच्चे के रूप में, उन्हें अपने बीमार पिता की सेवा करने का सौभाग्य मिला। श्रवण कुमार की पितृसत्ता और हरिश्चंद्र की ईमानदारी ने  Mahatma Gandhi  के चरित्र को प्रभावित किया था।

Marriage and worldly life ( विवाह और सांसारिक जीवन )

समकालीन समाज में बाल विवाह की प्रथा प्रचलित था।  Mahatha Gandhi  13 वर्ष के थे जब उनके माता-पिता कस्तूरीबाई के साथ सादी कारा दी थी। वो बक्त महात्मा गांधी गलत दोस्त के साथ मिल के गलत काम करते थे। उसके बाद वो आपकी पिता से भूल मांग के गलत दोस्तो के साथ मिलना चूड़ किया था। उनका सांसारिक जीवन मैं बहत ख़ुश थे ।  Mahatma Gandhi  को 16 वर्ष की आयु में उनके पिता देहंत हो गया था। मोहनदास के बड़े भाई ने बड़ी मुश्किल से घर का प्रबंधन किया।

Educational Qualification ( उच्च शिक्षा लाभ )

मोहनदास मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 1888 में उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए बिलाट की यात्रा की। वह 3 साल बाद भारत लौटे। उस समय  Mahatma Gandhi  दास 21 वर्ष के थे।

Working life of Mahatma Gandhi ( महात्मा गांधी का कामकाजी जीवन )

Mahatma Gandhi   पहले भारत में कानूनी व्यवसाय में असफल रहे होई निराश था। मोहनदास ने बाद में अपने भाई से अपना परिचय दिया और  1933  में उन्हें दक्षिण अफ्रीका में एक कानूनी फर्म शुरू करने के लिए मनाने के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की। उस समय, मतभेद बहुत तीव्र हैं। यहां तक ​​कि वहां के भारतीय भी गोरों द्वारा उत्पीड़ित थे। वहां  Mahatma Gandhi  ने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई और ब्रिटिश शासकों के अन्याय का विरोध किया। अहिंसा द्वारा उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई लड़ी। अंत में, गांधी ने पद जीता और उन्हें वहां के भारतीयों द्वारा “ Mahatha ” की उपाधि दी गई।

Mahatma Gandhi  अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए और अपनी मातृभूमि और विदेशी शासन की रक्षा के लिए खुद को देशभक्ति सेवा के लिए समर्पित करने के लिए  1918  में स्थायी रूप से भारत लौट आए। उन्होंने  1915  में साबरमती में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की। बाद में, अहमदाबाद में मजदूर आंदोलन और गुजरात के खेड़ा क्षेत्र में किसान आंदोलन गांधीजी के नेतृत्व में सफल रहे।

महात्मा गांधी ने एक स्वतंत्र देश बनने का सपना देखा था। अपने अहिंसक प्रचार के माध्यम से उन्होंने पूरे भारत के लोगों को संगठित किया और आंदोलन में शामिल हुए। गांधी को  1922  में गिरफ्तार किया गया, कैद किया गया और  1929  में रिहा किया गया, और भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हो गए।  1925  में, बलूचिस्तान हिंदुओं और मुसलमानों के बीच संघर्ष को सुलझाने के लिए तीन सप्ताह की भूख हड़ताल पर चला गया।

1927  से  1930  तक, वह विभिन्न कांग्रेस निर्वाचन क्षेत्रों में सफल रहे।  1930  के दशक में, गांधी ने गांधीजी की यात्रा करके जन जागरूकता बढ़ाने के लिए “ नमक सत्याग्रह ” आंदोलन शुरू किया। परिणामस्वरूप,  1931  में बदलात और गांधीजी के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। समुद्र के पास के भारतीयों को अपने उपयोग में नमक का अधिकार था।

समय-समय पर गांधी ने  1936  में कांग्रेस की राजनीति से विचलित होकर जमीनी आंदोलन, क्षितिज आंदोलन पर ध्यान केंद्रित किया।

1942  में महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान किया। परिणामस्वरूप, भारत को  1947 15 अगस्त  को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने भारत को भंग कर दिया और पाकिस्तान का गठन किया, जिसके परिणामस्वरूप गांधी को आश्चर्य हुआ। गांधीजी की 18 जनवरी को एक हिंदू  युवक नाथूराम गोडसे  ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। तो इसमें कोई शक नहीं कि गांधी जी के अमरम्बा ने हमेशा भारतीयों को प्रबुद्ध किया है।

Most important aspect of Mahatma Gandhi ( महात्मा गांधी का सबसे महत्वपूर्ण पहलू)

  • Character structure:  Mahatma Gandhi  निश्कल के चरित्र के व्यक्ति थे। उन्होंने चरित्र निर्माण पर जोर दिया। इसलिए उन्होंने हमेशा छात्रों को चरित्र निर्माण पर ध्यान देने की सलाह दी। उन्होंने हमेशा कहा कि चरित्र निर्माण शिक्षा का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।
  • Timeliness: Mahatma Gandhi  कालातीतता के एकमात्र प्रतीक थे। वह हमेशा घड़ी की तरफ देखता था और सही समय पर सही काम करता था। नतीजतन, वह कई लोगों से मिल सका और समय पर कई महत्वपूर्ण काम कर पाया।
  • Prevention of untouchability: Mahatma Gandhi  ने समाज से छुआछूत को रोकने के लिए कड़ी मेहनत की। वह हमेशा जनता को “अछूत” मानसिकता से बचने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे थे। वह हमेशा क्षितिज के समाज में जगह पाने की कोशिश कर रहा था।
  • Worshipers of the mantra of non-violence: Mahatma Gandhi  अहिंसा मंत्रों के महान साधक थे। उनकी मदद से, वह अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने में सक्षम था। कांत कवि लक्ष्मीकांत की भाषा में अहिंसा Mahatma Gandhi का आदर्श वाक्य था। इससे वह गलत काम कर सकता है।

Mahatma Gandhi Essay Conclusion

यह सच है कि  Mahatma Gandhi  आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनका दर्शन आज सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया जाता है। क्योंकि वह बिना युद्ध और बिना रक्तपात के भारत को आजादी दिलाने में सक्षम थे। यदि उनका जन्म भारत के अलावा किसी अन्य देश में हुआ होता, तो वे नोबेल शांति पुरस्कार के लिए पात्र होते। इसलिए देश के भावी छात्रों को उनके आदर्शों से प्रेरणा लेनी चाहिए। मुझे आशा है कि आपको  महात्मा गांधी निबंध हिंदी में  पसंद आया होगा।

References Links:

  • https://en.wikipedia.org/wiki/Mahatma_Gandhi
  • https://www.britannica.com/biography/Mahatma-Gandhi
  • https://artsandculture.google.com/entity/mahatma-gandhi/m04xfb?hl=en

FAQ about Mahatma Gandhi

Q1 – Mahatma Gandhi का पूरा नाम क्या है?

Ans . Mohandas Karamchand Gandhi – मोहनदास करमचन्द गांधी

Q2 – सरल शब्दों में Mahatma Gandhi कौन हैं?

Ans . महात्मा गांधी हमारे राष्ट्रपिता हैं।

Q3 – Mahatma Gandhi एक महान नेता क्यों हैं?

Ans . उन्होंने सभी भारतीयों को अहिंसक सविनय अवज्ञा के माध्यम से प्रतिरोध को समझने और सीखने के लिए प्रेरित किया। Mahatma Gandhi एक दूरदर्शी नेता थे। महात्मा गांधी एक सशक्त नेता हैं

Q4 – Mahatma Gandhi ने हमें क्या सिखाया?

Ans . महात्मा गांधी हमें अहिंसा प्रतिज्ञा और विचार सिखाते हैं। वह लाखों भारतीयों को लामबंद करने में सक्षम था, लेकिन उन्हें हिंसक बनने के लिए कभी नहीं उकसाया। सच्चा नेता हमेशा हिंसा से दूर रहेगा, और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अहिंसक तरीके अपनाएगा।

Q5 – Mahatma Gandhi का क्या महत्व है?

Ans . Gandhi ने अहिंसक असहयोग के दर्शन के माध्यम से भारत को स्वतंत्रता तक पहुंचने में मदद की, उनके अहिंसक प्रतिरोध ने भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने में मदद की और दुनिया भर में आधुनिक सविनय अवज्ञा आंदोलनों को प्रभावित किया।

Q6 – Gandhi को Bapu (बापू) नाम किसने दिया?

Ans . Subhas Chandra Bose ने 6 जुलाई 1944 को सिंगापुर रेडियो पर अपने संबोधन के दौरान उन्हें Mahatma Gandhi को राष्ट्रपिता या “Bapu” भी कहा।

Q7 – Gandhi जी को किसने और क्यों गोली मारी?

Ans . Nathuram Godse ने कहा कि वह मुस्लिम समुदाय के लिए गांधी के समर्थन से नाखुश थे और उन्होंने भारत के विभाजन और पाकिस्तान के गठन के लिए उन्हें दोषी ठहराया।

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Mahatma gandhi essay in hindi महात्मा गाँधी पर निबंध हिंदी में.

Hello, guys today we are going to discuss Mahatma Gandhi essay in Hindi. Who was Mahatma Gandhi? We have written an essay on Mahatma Gandhi in Hindi. Now you can take an example to write Mahatma Gandhi essay in Hindi in a better way. Mahatma Gandhi Essay in Hindi is asked in most exams nowadays starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Father of nation essay in Hindi or mahatma Gandhi Essay in Hindi. महात्मा गाँधी पर निबंध।

Hindiinhindi Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 300 Words

महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन को भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में बिताया था। महात्मा गांधी जी को भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और उनका जन्म 2 October 1869 में पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। 2 अक्टूबर का दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिये प्रेरित किया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए लोगो को प्रेरित किया। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यों के लिये याद करते है। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे और ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद (स्वतंत्र) कराना चाहते थे।

उन्होंने भारत में अपनी पढ़ाई पूरी की और कानून के अध्ययन के लिए इंग्लैंड चले गए। वहां से गाँधी जी एक वकील के रूप में भारत लौट आए और भारत में कानून का अभ्यास करना शुरू कर दिया। गाँधी जी भारत के लोगों को मदद करना करना चाहते थे, जो ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और दुखी थे। भारत में ही गाँधी जी एक सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।

महात्मा गाँधी जी भारत स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेता थे जो भारत की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष करते थे। उन्होंने 1930 में नमक सत्याग्रह या दंडी मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने और भी कई आन्दोलन किये। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए बहुत से भारतीयों को प्रेरित किया था।

एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में, उन्हें कई बार जेल भेज दिया गया था लेकिन कई भारतीयों के साथ उनके बहत सारे संघर्षों के बाद उन्होंने भारतीयों के न्यायसंगतता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखी, और अंत में महात्मा गाँधी और सभी स्वत्रंता सेनानियों की मदद से भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद (स्वतंत्र) हो गया। लेकिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। महात्मा गांधी की हत्या नथुराम गोडसे ने की थी। महात्मा गाँधी जी एक महान स्वत्रंता सेनानी थे। जिन्हें उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जायेगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 500 Words

2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने भारत को आज़ाद कराने के साथ-साथ भारतीयों को अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाया। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी भी थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए नोछावर कर दिया। महात्मा गांधी जी को भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। 2 अक्टूबर का दिन भारत में गाँधी जयंती के रूप में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

गांधीजी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की, 13 वर्ष की अल्पआयु में ही इनका विवाह हो गया था। इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था। मेट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद में वकालत की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए। वे तीन वर्ष तक इंग्लैंड में रहे। वकालत पास करने के बाद वे भारत वापस आ गए।

वहां से गाँधी जी एक वकील के रूप में भारत लौटे और भारत में कानून का अभ्यास करना शुरू कर दिया। गाँधी जी भारत के लोगों की मदद करना करना चाहते थे, जो ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और दुखी थी। भारत में ही गाँधी जी एक सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।

वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिये और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए लोगो को प्रेरित किया। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतल्य कार्यों के लिये याद करते है। वे भारतीय संस्कति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे और ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराना चाहते थे।

महात्मा गाँधी जी भारत स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेता थे जो भारत की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष करते थे। 1921 में गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन चलाया। गांधीजी ने अछूतों के उद्धार लिए कार्य किया, स्त्री शिक्षा और राष्ट्र भाषा हिंदी का प्रचार किया, हरिजनों के उत्थान के लिए काम किया। गांधी जी धीरे-धीरे सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध हो गये।

अंग्रेजी सरकार ने आन्दोलन को दबाने का प्रयास किया। भारतवासियों पर तरह-तरह के अत्याचार किये। गांधी जी ने 1930 में भारत छोड़ों आन्दोलन चलाया। भारत के सभी नर नारी उनकी एक आवाज पर उनके साथ बलिदान देने के लिए तैयार थे। उन्होंने और भी कई आन्दोलन किये। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए बहुत से आरतीयों को प्रेरित किया था।

गांधीजी को अंग्रेजों ने बहुत बार जेल में बंद किया था। लेकिन कई भारतीयों के साथ उनके बहुत सारे संघर्षों के बाद उन्होंने भारतीयों के न्यायसंगतता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखी, और अंत में महात्मा गाँधी और सभी स्वत्रंता सेनानियों की मदद से भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया। लेकिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। महात्मा गांधी की हत्या नथुराम गोडसे ने की थी। इससे सारा विश्व भावुक हो उठा।

महात्मा गाँधी जी एक महान स्वत्रंता सेनानी थे। जिन्हें उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 700 Words

जन्म और परिवार

गाँधी जी का पूरा नाम मोहन दास कर्म चन्द गाँधी था। इनका जन्म गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर 2 अक्तूबर 1869 ई. को हुआ। आपके पिता कर्मचन्द राजकोट राज्य के दीवान थे। माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव वाली महिला थी। इनका विवाह कस्तूरबा गाँधी जी के साथ हुआ।

प्रारम्भिक शिक्षा और नकल का विरोध

इनकी शिक्षा पोरबन्दर में हुई। मैट्रिक तक की शिक्षा उन्होंने स्थानीय स्कूलों में ही प्राप्त की। वह पढ़ने-लिखने में भी औसत दर्जे के थे। वे सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे।

जब मोहनदास नौवीं कक्षा में पढ़ते थे तब एक दिन शिक्षा विभाग के निरीक्षक स्कूल का निरीक्षण करने आए। उन्होंने कक्षा में छात्रों को अंग्रेजी के पाँच शब्द लिखवाए। मोहनदास ने ‘केटल’ (Kettle) शब्द की वर्तनी ग़लत लिखी। अध्यापक ने बूट की नोक मारकर इशारे से मोहनदास को अगले छात्र की नकल करने को कहा, लेकिन मोहनदास को यह बात अच्छी नहीं लगी। नकल करना और चोरी करना उनका नज़र में बुरी बात थी। इसलिए उन्होंने नकल नहीं की।

उन्हीं दिनों बालक मोहनदास ने सत्यवादी हरिश्चन्द्र नाटक देखा। नाटक का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा और जीवनभर सच्चाई के रस्ते पर ढृढ़ता से चले | बचपन में गाँधी जी के मन में एक ग़लत धारणा बैठ गई थी कि पढ़ाई में सुलेख की जरुरत नहीं है। युवावस्था में जब वे दुसरो की सुन्दर लिखाई देखते तो हैरान रह जाते। बार-बार प्रयत्न करने पर भी लिखाई सुन्दर न हो सकी। तब उन्हें यह बात समझ आई। ‘सन्दर लिखाई न होना अधूरी शिक्षा की निशानी है।’

मैट्रिक परीक्षा पास करने के पश्चात जब वे कानून की पढ़ाई करने इंग्लैंड गए तब इनकी माता ने इनसे तीन वचन लिए –

1. माँस न खाना 2. शराब न पीना 3. पराई स्त्री को बुरी नज़र से न देखना

तीनों वचनों को गाँधी जी ने पूरा जीवन निभाया। गाँधी जी वहाँ से एक अच्छे बैरिस्टर बनकर भारत लौटे। स्वदेश लौटने पर गाँधी जी ने मुम्बई और राजकोट में वकालत की।

सन् 1893 में वे एक मुकद्दमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए। वहाँ के गोरे शासकों द्वारा प्रवासी भारतीयों से कुलियों जैसा व्यवहार देखकर उनमें राष्ट्रीय भावना जागी।

1915 ई. में रौलेट एक्ट

आप भारत वापस लौटे तो काले कानून लागू थे। 1915 में रौलेट एक्ट का विरोध किया। सन् 1919 के जलियाँवाला काण्ड ने मानवता को झकझोर दिया। स्वदेश लौटने पर गाँधी जी ने अपने आपको देश सेवा के लिए सौंप दिया।

1920 ई. में असहयोग आन्दोलन

1920 ई. में असहयोग आन्दोलन का सूत्रपात करके भारत की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा। कुछ ही दिनों में उनकी महानता की कीर्ति सारे देश में फैल गई। वे आज़ादी की आशा के केन्द्र बन गए।

1928 ई. में साइमन कमीशन वापिस जाओ

1928 ई. में साइमन कमीशन भारत आया तो गाँधी जी ने उसका पूर्ण रूप से बहिष्कार किया।

नमक सत्याग्रह आन्दोलन तथा डाँडी यात्रा

11 मार्च सन् 1930 में आपने नमक सत्याग्रह आन्दोलन तथा डाँडी यात्रा शुरू की। इन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए सत्य और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाया। सन् 1942 में आपने “अंग्रेज़ो भारत छोड़ो आन्दोलन” चला कर एक सूत्र में पिरो दिया। इन्होंने कई बार जेल यात्राएँ की। उन्होंने अपने, देशवासियों और देश के सम्मान की रक्षा के लिए अत्याचारी को खुल कर चुनौती दी। उन्होंने देश को असहयोग का नया रास्ता दिखाया। आठ वर्ष तक रंग-भेद के विरोध में सत्याग्रह करते रहे। भारत की सोई हुई आत्मा को जगाया। इसलिए इन्हें ‘राष्ट्रपिता’ या ‘बापू’ कहा जाता है।

गाँधी जी की तीन शिक्षाएं

बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो एवं बुरा मत बोलो काफ़ी प्रचलित हैं। जिन्हें बापू के तीन बन्दर के नाम से भी जाना जाता है।

संसार से विदाई : अहिंसा के पुजारी बापू गाँधी को 30 जनवरी, 1948 को प्रातः की सभा में जाते हुए एक उन्मादी नौजवान नत्थूराम विनायक गोडसे ने गोली मारकर शहीद कर दिया। इनकी समाधि राजघाट दिल्ली में स्थित है।

प्रेरणा स्रोत

आपके व्यक्तित्व में मुसीबतों को सहना प्रायश्चित करना, अहिंसा के मार्ग पर चलना, आचरण का ध्यान रखना आदि गुणों का समावेश था। संसार के अनेक नेताओं ने इन्हीं से प्रेरणा ली। इन्हीं गुणों के कारण ही वे महान बने और आज भी अमर हैं।

हमें भी गाँधी जी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए, उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। भारत हमेशा उनके द्वारा स्वतन्त्रता-संग्राम में किये योगदान के लिए सदैव उनका ऋणी रहेगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 800 Words

महात्मा गाँधी को ”बापू” के नाम से भी जाना जाता है। बापू का अर्थ है “पिता”। वे सच्चे अर्थों में राष्ट्र के पिता थे। उनको ‘‘महात्मा” कहकर सर्वप्रथम गरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पुकारा था। उन्होंने ही गाँधी जी को यह उपाधि उनके महान् गुणों और आदर्शों को ध्यान में रख कर प्रदान की थी। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर गाँधी जी का नाम सदैव अंकित रहेगा।‘बापू जी’ के नाम से विख्यात गाँधी जी एक युगपुरुष थे। वे हमारे देश के ही नहीं अपित विश्व के महान पुरूषों में से एक थे। राष्ट्र उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से संबोधित करता है।

महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। उनका जन्म 2 अक्तूबर 1869 ई० को पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गाँधी राजकोट के प्रसिद्ध दीवान थे। पढ़ाई में औसत रहने वाले गाँधी जी ने कानून की पढ़ाई ब्रिटेन में पूरी की। प्रारम्भ में मुम्बई में उन्होंने कानून की प्रैक्टिस की परन्तु वे इसमें सफल नहीं हो सके। कानून से ही सम्बन्धित एक कार्य के सिलसिले में उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ पर उनका अनुभव बहुत कटु था क्योंकि वहां भारतीयों तथा अन्य स्थानीय निवासियों के साथ अंग्रेज बहुत दुर्व्यवहार करते थे। भारतीयों की दुर्दशा को वे सहन नहीं कर सके। दक्षिण अफ्रीका के वर्णभेद और अन्याय के प्रति उन्होंने संघर्ष प्रारम्भ किया। इस संघर्ष के दौरान 1914 ई० में उन्हें जेल भेज दिया गया। वे अपने प्रयासों में काफी हद तक सफल रहे। जेल से छूटने के पश्चात् उन्होंने निश्चय किया कि वे अन्याय के प्रति अपना संघर्ष जारी रखेंगे।

देश वापस लौटने के पश्चात् गाँधी जी स्वतन्त्रता की लड़ाई में कूद पड़े। उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के पश्चात् अपनी लड़ाई तेज कर दी। गाँधी जी ने अंग्रेजी सरकार का बहिष्कार करने के लिए देश की जनता को प्रेरित किया परन्तु उन्होंने इसके लिए सत्य और अहिंसा का रास्ता अपनाने के लिए कहा। ऐतिहासिक डांडी यात्रा उन्हीं के द्वारा आयोजित की गई जिसमें उन्होंने अंग्रेजी सरकार के नमक कानून को तोड़ा। उन्होंने लोगों को अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए ‘असहयोग आंदोलन’ में भाग लेने हेतु प्रेरित किया जिसमें सभी विदेशी वस्तुओं एवं विदेशी शासन का बहिष्कार किया गया। 1942 ई. में उन्होंने ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ चलाया तथा अंग्रेजी सरकार को देश छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया। उनके अथक प्रयासों व कुशल नेतृत्व के चलते अंग्रेजी सरकार को अंततः भारत छोड़ना पड़ा और हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी दासता से मुक्त हो गया।

स्वतन्त्रता के प्रयासों के अतिरिक्त गाँधी जी ने सामाजिक उत्थान के लिए भी बहुत प्रयास किए। अस्पृष्यता तथा वर्ण-भेद का उन्होंने सदैव विरोध किया। समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष को देखकर उनका मन बहुत दु:खी हुआ। अतः उन्होंने हिन्दुस्तान के विभाजन की स्वीकृति दे दी जिससे पाकिस्तान का उदय हुआ। 30 जनवरी 1948 ई. को नत्थू राम गौडसे नामक व्यक्ति द्वारा उनकी हत्या कर दी गई। इस प्रकार यह युगपुरुष चिरकाल के लिए मातृभूमि की गोद में सो गया।

गाँधी की अचानक मृत्यु व हत्या ने सारे देश के झकझोर दिया। सब जगह जैसे अंधकार व हाहाकार मच गया। यद्यपि गाँधी जी आज पार्थिव रूप में हमारे साथ नहीं है। परन्तु उनके महान् आदर्श हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे। वे सचमुच एक तपस्वी और निष्काम कर्मयोगी थे। आज भी भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व उनके शांति प्रयासों के लिए उन्हें सदैव याद करता है। प्रतिवर्ष 2 अक्तूबर के दिन हम गाँधी जयंती के रूप में पर्व मनाकर उनका स्मरण करते हैं तथा उनकी समाधि ‘राजघाट’ पर जाकर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।

हमें गर्व है कि महात्मा गाँधी एक भारतीय थे। उनका जीवन व आदर्श हमेशा हमें प्रेरणा देते रहेंगे। उनके बताये मार्ग पर चलकर ही भारत सच्चे अर्थों में महान् बन सकता है। उनका मृत्यु-दिवस 30 जनवरी प्रति वर्ष बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सारे देश में प्रार्थना सभाएं की जाती हैं और उनको बड़ी श्रद्धा से याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है।

गाँधीजी एक युग पुरूष थे। ऐसे व्यक्ति कई सदियों में जन्म लेते हैं और मानवता को सही दिशा प्रदान करते हैं। उनकी याद में अनेक शहरों, सड़कों, राजमार्गों, विद्यालयों, संस्थानों आदि का नामकरण उनके नाम पर किया गया है। गाँधी जयंती भी सारे देश में बड़े समारोह पूर्वक मनाई जाती है। उस दिन सारे देश में सार्वजनिक अवकाश रहता है। दिल्ली में यमुना के तट पर गाँधीजी की समाधि है। जहां प्रतिदिन हजारों लोग दर्शन करने आते हैं और गाँधीजी के जीवन से प्रेरणा और शिक्षा प्राप्त करते हैं। गाँधीजी की समाधि सचमुच एक राष्ट्रीय स्मारक है।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 1300 Words

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल ।। साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल ॥

भूमिका –

किसी राष्ट्र की संस्कृति और इतिहास का गौरव वे महान् व्यक्तित्व होते हैं जो अखिल विश्व को अपने सिद्धान्त और विचारधारा से सुख और शान्ति, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाते हैं। ऐसे व्यक्तित्व केवल अपने जीवन के लिए ही नहीं जीते हैं; | अपितु वे अखिल मानवता के लिए जीते हैं। उनके जीवन का आदर्श होता हैं –

वृक्ष कबहुँ फल नाहिं भर्ख, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर॥

भारतीय ऐसे महामानव को अवतार कहने लगते हैं। पश्चिमी देशों में पैदा हुए ईसा, सुकरात, अब्राहम लिंकन ऐसे ही युगानुरूप महापुरुष थे। भारत में इस तरह के महान् पुरुषों ने अधिक जन्म लिया। राम, कृष्ण, गुरु नानक, स्वामी दयानन्द आदि महापुरुषों की गणना ऐसे ही महामानवों में की जा सकती है। ईसा धार्मिक थे पर राजनीतिक नहीं। अब्राहिम लिंकन राजनीतिक थे पर धार्मिक नहीं, पर महात्मा गांधी ऐसे महात्मा थे जो धार्मिक भी थे और राजनीतिक भी। शरीर से दुर्बल पर मन से सबल, कमर पर लंगोटी और ऊपर एक चादर ओढ़े हुए इस महामानव के चरणों की धूल को माथे पर लगाने में धनिक तथा राजा और महाराजा भी अपना सौभाग्य समझते थे। मुट्ठी भर हड्डियों के इस ढांचे में विशाल बुद्धि का सागर समाया हुआ था। तभी तो प्रसिद्ध विद्वान् आईंस्टीन ने कहा था, “आने वाली पीढ़ियों को विश्वास नहीं होगा कि एक हाड़-मांस के पुतले ने बिना एक बूंद खून गिराए अहिंसा और सत्य का सहारा लेकर ब्रिटिश साम्राज्य की जड़े हिला दीं और उन्हें भारत से जाने के लिए विवश कर दिया।”

जीवन परिचय –

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर सन् 1969 ई. में काठियावाड़ की राजकोट रियासत में पोरबन्दर में हुआ। पिता कर्मचन्द राजकोट रियासत के दीवान थे तथा माता पुतलीबाई धार्मिक प्रवृत्ति की सती-साध्वी घरेलु महिला थी जिनकी शिक्षाओं का प्रभाव बापू पर आजीवन रहा। आरम्भिक शिक्षा राजकोट में हुई। गांधी साधारण मेधा के बालक थे। विद्यार्थी जीवन की कुछ घटनाएँ प्रसिद्ध हैं—जिनमें अध्यापक के कहने पर भी नकल न करना, पिता की सेवा के प्रति मन में गहरी भावना का जन्म लेना, हरिश्चन्द्र आर श्रवण नाटकों की गहरी छाप, बरे मित्र की संगति में आने पर पिता के सामने अपने दोषो को स्वीकार करना। वास्तव में ये घटनाएँ बापू के भव्य जीवन की गहरी आधार शिलाएँ थी।

तेरह वर्ष की छोटी आयु में ही इनका विवाह कस्तूबरा के साथ हो गया था। मीट्रिक की शिक्षा के पश्चात् बैरिस्टरी पास करने के लिए विलायत गए। विलायत-प्रस्थान से पूर्व माँ ने अपने पुत्र से प्रतिज्ञा करवाई थी कि शराब, माँस तथा पर स्त्री से अपने को सदैव दूर रखेंगे और माँ के आज्ञाकारी पुत्र ने इन्हीं बुराइयों की अन्धी और गन्दी गलियों से अपने आप को बचा कर रखा।

सन् 1891 में बैरिस्टरी पास करके ये भारत लौटे तथा बम्बई में वकालत आरम्भ कर दी। लेकिन वकालत के भी अपने मूल्य थे – झूठे मुकद्दमें न लेना तथा गरीबों के लिए मुफ्त लड़ना। सन् 1893 में एक मुकद्दमें की पैरवी के लिए गांधी दक्षिणी अफ्रीका गए। मुकद्दमा तो आपने जीत लिया पर दक्षिणी अफ्रीका में गोरे-काले के भेदभाव को देखकर और भारतीयों पर होने वाले अत्याचारों से आपका मन बहुत खिन्न हुआ। आपने वहां सत्याग्रह चलाया और नटाल कांग्रेस पार्टी की स्थापना की। दक्षिणी अफ्रीका में गोरों ने उन्हें यातनाएं दीं। गांधी जी को मारा, उन पर पत्थर फेंके, उनकी पगड़ी उछाली, पर गांधी अपने इरादे से टस से मस न हुए। आखिर जब भारत लौटे तो गोरे-काले का भेद-भाव मिटा कर विजय वैजयन्ती फहराते हुए।

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में –

भारत में स्वतन्त्रता आन्दोलन की भूमिका बन रही थी। लोकमान्य तिलक का यह उद्घोष जन-मन के मन में बस गया था कि “स्वतन्त्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।” महात्मा गांधी ने भी इसी भूमिका में काम करना आरम्भ कर दिया। यह बात अलग है कि उनके दृष्टिकोण और तिलक के दृष्टिकोण में अन्तर था, पर लक्ष्य एक था। दोनों एक पथ के पथिक थे। फलत: सत्य और अहिंसा के बल पर महात्मा गांधी ने संवैधानिक रूप से अंग्रेज़ों से स्वतन्त्रता की मांग की। इधर विश्वव्यापी प्रथम युद्ध छिड़ा। अंग्रेज़ों ने स्वतन्त्रता देने की प्रतिज्ञा की और कहा कि युद्ध के पश्चात् हम स्वतन्त्रता दे देंगे। श्री तिलक आदि पुरुषों की इच्छा न रहते हुए भी महात्मा गांधी ने उस युद्ध में अंग्रेज़ों की सहायता की। युद्ध समाप्त हो गया, अंग्रेज़ वचन भूल गए। जब उन्हें याद दिलाया गया तब वे इन्कार कर गए। आन्दोलन चला, आज़ादी के बदले भारतीयों को मिला ‘रोलट एक्ट’ और ‘जलियांवाल बाग का गोली कांड’। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन आरम्भ हुआ।

विद्यार्थी और अध्यापक उस आन्दोलन में डटे, पर चौरा-चौरी के कांड़ से गांधी जी ने आन्दोलन वापस ले लिया। फिर नमक सत्याग्रह चला। ऐसे ही गांधी जी के जीवन में अनेक सत्याग्रह और उपवास चलते रहे। 1939 ई. में फिर युद्ध छिड़ा। भारत के न चाहते हुए इंग्लैंड ने भारत का नाम युद्ध में दिया। महात्मा गांधी बहुत छटपटाए। 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया। सभी प्रमुख राजनीतिक नेता जेलों में बन्द कर दिए गए। युद्ध की समाप्ति पर शिमला कान्फ्रेंस हुई पर यह कान्फ्रेंस बहुत सफल न हुई। फिर 1946 ई. में अन्तरिम सरकार बनी पर वह भी सफल न हुई।

असाम्प्रदायिक –

असल में महात्मा गांधी शुद्ध हृदय में असाम्प्रदायिक थे। उनके कार्य में रोड़ा अटकाने वाला था कट्टर साम्प्रदायिक मुस्लिम लीग का नेता कायदे आज़म जिननाह। गाँधी जी ने उसे अपने साथ मिलाने का भरसक प्रयत्न किया पर वही ढाक के तीन पात। अंग्रेज़ो के उकसाने के कारण जिन्ना टस से मस नहीं हुए। इधर भारत में साम्प्रदायिकता की होली खेली जाने लगी। हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। पंजाब और बंगाल में अमानुषिकता चरम सीमा तक पहुंच गई। इधर अंग्रेज़ भारत छोड़ने को तैयार नेहरू, पटेल आदि के आग्रह से, न चाहते हुए भी गांधी जी ने भारत विभाजन स्वीकार कर लिया और 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ों ने भारत छोड़ा अखण्ड नहीं, खण्डित करके। उसके दो टुकड़े कर दिए – भारत और पाकिस्तान। साम्प्रदायिकता की ज्वाला तब भी न बुझी। खून की होली तब भी बन्द न हुई। महात्मा गाँधी सब प्रान्तों में घूमे। इस साम्प्रदायिक ज्वाला को शान्त करते हुए देहली पहुँचे।

30 जनवरी, 1948 को जब गांधी जी बिरला मन्दिर से प्रार्थना सभा की ओर बढ़ रहे थे तो एक पागल नवयुवक ने उन्हें तीन गोलियों से छलनी कर दिया, बापू ‘राम-राम’ कहते हुए स्वर्ग सिधार गिए। अहिंसा का पुजारी आखिर हिंसा की बलि चढ़ा। सुधारक ऐसे ही मरा करते हैं। ईसा, सुकरात, अब्राहिम लिंकन ने भी ऐसे ही मृत्यु को गले लगाया था। नेहरू के शब्दों में बापू मरे नहीं, वह जो प्रकाश मानव के हृदय में रख गए, वह सदा जलता रहेगा, इसलिए वह सदा अमर हैं।

महात्मा गांधी का दर्शन और जीवन व्यावहारिक था। उन्होंने सत्ता और अहिंसा का मार्ग अश्व के सामने रखा वह उनके अनुभव और प्रयोग पर आधारित था। उनका चिंतन अखिल मानवता के मंगल और कल्याण पर आधारित था। वे एक ऐसे समाज की स्थापना करना शहते थे जो भेद-रहित समाज हो तथा जिसमें गुण और कर्म के आधार पर ही व्यक्ति को श्रेष्ठ माना जाए। भौतिक प्रगति के साथ-साथ बापू आध्यात्मिक पवित्रता पर भी बल देते रहे। यही कारण था कि वे ईश्वर के नाम के स्मरण को कभी नहीं भुलाते। उनका प्रिय भजन था –

“रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम” और “वैष्णव जन तो तेने रे कहिए। जिन पीर पराई जाणे रे॥”

आज समस्त विश्व में उनके चिंतन और दर्शन पर शोध-कार्य किया जाता है तथा उनके आदर्श और सिद्धान्त को विश्व-कल्याण के लिए अनिवार्य समझा जाता है। महात्मा गांधी विचारक तथा समाज सुधारक थे। उपदेश देने की अपेक्षा वे स्वयं उस मार्ग पर चलने पर विश्वास रखते थे। ईश्वर के प्रति उनकी अटूट आस्था थी और बिना प्रार्थना किए वे रात्रि सोते नहीं थे। उनका जीवन और दर्शन आज भी विश्व का मार्ग-दर्शन करता है।

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essay on father of nation mahatma gandhi in hindi

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महात्मा गांधी पर निबंध 2024 | Essay On Mahatma Gandhi In Hindi English Language

महात्मा गांधी पर निबंध 2024 | Essay On Mahatma Gandhi In Hindi English Language आप सभी दोस्तों का हार्दिक स्वागत हैं.

यदि आप इंटरनेट पर बापू महात्मा गांधी जी पर निबंध सर्च कर रहे है तो आप सही जगह पर हैं. यहाँ हम सरल भाषा में महात्मा गाँधी निबंध आपके लिए लेकर आए हैं.

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 और 10 वीं क्लास तक के स्कूल स्टूडेंट्स के लिए 100 शब्द, 150 शब्द, 200 शब्द, 250 शब्द, 300 शब्द, 400 शब्द, 500 और 1000 वर्ड्स में महात्मा गांधी पर निबंध 2021 बता रहे हैं.

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi & English | महात्मा गांधी पर निबंध

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi And English Language: M.K. Gandhi is an Indian freedom fighter and a great man in Indian history. Mahatma Gandhi is ideal for the crore of people all around the world & India.

here we are providing Mahatma Gandhi In Hindi and Mahatma Gandhi In the English Language for students and kids. they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10.

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the father of the nation or Mahatma Gandhi essay

mahatma Gandhi was a great man of India. he was a servant of mankind. he was the father of the nation. countrymen called him ‘Bapu’. his full name was Mohan Das Karam Chand Gandhi.

he was born on October 2, 1869, at Porbandar. his father was a diwan of Rajkot. he received his education in India and England.

he becomes a barrister in 1891. he started his practice at Bombay. an Indian firm called him to South Africa for legal advice.

there he fought for the right of the Indians. in 1914 Gandhiji came back to India. he fought against the rule of the British. he was sent to jail many times. at last, he succeeded India become free on 15th August 1947.

Gandhiji believed in peace and non-violence. he led a simple life. he was against the caste system. he worked for the uplift of the Harijans and the Hindu Muslim unity.

on January 30, 1948, he was shot dead by nathu ram godse. Gandhiji’s name will always shine like a star. his grateful countrymen will never forget him.

महात्मा गांधी पर निबंध- (Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi)

महात्मा गांधी भारतीय इतिहास के महान व्यक्ति थे. वे मानवता के सच्चें पुजारी थे. देश व दुनियां इस महापुरुष को बापू के नाम से जानती है. इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था.

गांधीजी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में हुआ था. इनकें पिताजी राजकोट में दीवान थे. महात्मा गांधी की पढाई भारत तथा इंग्लैंड में हुई.

1891 में गांधीजी ने वकालत की डिग्री इंग्लैंड से प्राप्त की, तथा मुंबई आकर अभ्यास करने लगे. एक भारतीय फर्म के दक्षिण अफ्रीका में चल रहे केस की कानूनी सलाह के लिए महात्मा गाँधी पहली बार दक्षिण अफ्रीका गये.

वहां जाकर इन्होने भारतीयों के साथ रंगभेद के आधार पर किये जाने वाले गोरे लोगों के भेदभाव खिलाफ लड़ाई लड़ी. वर्ष 1914 महात्मा गांधी भारत लौटे और अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ लड़ाई लड़ना आरम्भ किया.

इस दौरान गांधीजी ने कई आन्दोलन किये, कई बार इन्हें जेल भी जाना पड़ा. अतः 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी दिलाने में कामयाब रहे.

गांधीजी शांति एवं अहिंसा के सिद्धांतों पर चलने वाले इंसान थे. इनका जीवन बेहद साधारण था. वो जाति व्यवस्था के सख्त खिलाफ थे. इन्होने अपने जीवन में हरिजन उत्थान और हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए लम्बा संघर्ष किया.

30 जनवरी, 1948 के दिन जब महात्मा गांधी प्रार्थना सभा से लौट रहे थे, नाथूराम गोडसे नामक युवक ने गोली मारकर इनकी हत्या कर दी. समूचा संसार इस महान व्यक्तित्व का आभारी है,

तथा भारतीय गांधीजी के एहसान,कार्यों व योगदान को कभी नही भुलेगे. महात्मा गांधी का नाम भारतीय इतिहास में धुर्व तारे की तरह हमेशा जगमगाता रहेगा.

महात्मा गांधी निबंध 1

भारत की भूमि पर अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया. जिनमे  हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम प्रमुख है.  आज भी  महात्मा गांधी  की राह पर चलने वाले करोड़ो लोग  है. जिन्होंने अपनी सत्य और अहिंसा की निति से भारत में 200 वर्षो से स्थापित अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेका था

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था.एक समर्द्ध परिवार में जन्मे गांधी के पिता का नाम करमचन्द गांधी था जो पोरबन्दर में दीवान थे.

उनकी माँ का नाम पुतलीबाई था जो धार्मिक विचारों वाली महिला थी. घर के धार्मिक माहौल का बड़ा असर पड़ा. राजनीति में आने के उपरान्त भी वे धर्म से जुड़े रहे.

इनकी आरम्भिक शिक्षा पोरबंदर के ही एक विद्यालय से हुई. इसके बाद आगे की पढाई के लिए भावनगर के श्यामलदास कॉलेज भेजा गया था. किन्तु यहाँ पर महात्मा गांधी का मन नही लगने के कारण उनके बड़े भाई लक्ष्मीदास जी ने गांधी को बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया.

अपनी पहली विदेश यात्रा से ठीक पहले मात्र 13 साल ही आयु में ही महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा गांधी के साथ हो गया था. कुछ वर्षो तक इंग्लैंड में रहने के बाद 1891 में गांधी स्वदेश लौट आए. और बम्बई (वर्तमान में मुंबई) की एक अदालत में वकालत करने लगे.

1893 में इनके सामजिक और राजनितिक जीवन की शुरुआत हुई. इसी दौरान उन्हें एक मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा था. जब ये दक्षिण अफ्रीका गये तो वहां भारतीयों के साथ बुरे बर्ताव को देखकर महात्मा गांधी बहुत दुखी हुए.

यही पर उन्हें पहली बार किसी अंग्रेज के सामने बेइज्जत होना पड़ा था. एक बार रेल में यात्रा करते समय उपयुक्त टिकट होने के बावजूद अंग्रेजो के डिब्बे में चढ़ जाने के कारण उन्हें चलती रेलगाड़ी से बाहिर फेक दिया था.

अंग्रेजो से अपमानित गांधी ने उनके विरुद्ध मौर्चा खोल दिया और अपने विरोध के लिए सत्य और अहिंसा को माध्यम बनाया.जब तक वे साउथ अफ्रीका में रहे हमेशा श्वेत लोगों की रंगभेद की निति का विरोध करते रहे.

यहाँ पर महात्मा गांधी ने एक अध्यापक की भूमिका निभाते हुए लोगों को अपने अधिकारों के प्रति शिक्षित करने के साथ ही चिकित्सक के रूप में बीमार लोगों के इलाज, एक वकील के रूप में मानवाधिकार व पत्रकार के रूप में वर्तमान परिस्थिति से लोगों को अवगत कराने का कार्य करते रहे.

महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल के दौरान कई पुस्तकों की रचना की, जिनमे उनकी आत्मकथा ” माय एक्सपेरीमेंटस विथ ट्रुथ दुनिया की प्रसिद्ध पुस्तकों में गिनी जाती है. दक्षिण अफ्रीका में गांधी के प्रयत्नों के समाचार भारतीयों तक पहुच चुके थे. इस कारण बहुत से लोग उनको जानने लगे थे.

वर्ष 1915 में महात्मा गांधी भारत लौटे तो गोपालकृष्ण गोखले और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जैसे महान नेताओं के उनका भव्य स्वागत किया. भारत आकर उन्होंने बिहार में नील की खेती करने वाले किसानों के प्रति हो रहे शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई,

अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए गांधीजी ने गुजरात के अहमदाबाद में एक आश्रम की स्थापना की. इसके बाद अंग्रेज सरकार के विरुद्ध इनका संघर्ष प्रारम्भ हुआ और भारतीय राजनीती की बागडोर एक तरह से उनके हाथ में आ गई.

वे जानते थे कि सामरिक रूप से ब्रिटिश सरकार से भारत को आजादी शस्त्र के बल पर कतई नही मिल सकती है. इसी बात को समझते हुए महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा को अपना मुख्य हथियार बनाया.

भारत की आजादी के इस संघर्ष में गांधीजी को कई बार जेल भी जाना पड़ा. अंग्रेजी हुकूमत का प्रखर विरोध करने की शुरुआत 1920 के असहयोग आंदोलन के साथ शुरू हुई.

जब ब्रिटिश सरकार ने नमक पर भी करारोपण किया तो गांधीजी ने 13 मार्च 1930 के दिन दांडी यात्रा की. 24 दिनों तक अपने अनुयायियों के साथ पैदल चलने के पश्चात् दांडी नामक स्थान पर पहुचकर अपने हाथो से नमक बनाकर अंग्रेज सरकार के नमक कानून का उल्लघंन किया.

इसके पश्चात महात्मा गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया. इसी वर्ष गांधी और इरविन के बिच समझोता भी हुआ. अंग्रेज सरकार द्वारा अपनी शर्तो से मुखर जाने के कारण यह समझौता विफल हो गया था.

इसके बाद इन्होने फिर से असहयोग आन्दोलन शुरू किया, जो 1934 तक चलता रहा. इस आंदोलन में भी अपने लक्ष्यों में प्राप्त होते न देख महात्मा गांधी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ा.

महात्मा गांधी निबंध 2

इस आंदोलन के दौरान ही बापू ने भारतीय जनता को करो या मरो का नारा दिया था. इस तरह गांधीजी के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप 15 अगस्त 1947 को अन्तः भारत को स्वतंत्रता मिल ही गई.

इस तरह 1915 से 1947 तक के समय में इस महापुरुष के अद्वितीय योगदान को देखते हुए इसे गांधी युग की संज्ञा दी गई.

महात्मा गांधी आजीवन हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए प्रयत्न करते रहे. मगर दुर्भाग्य की बात यह रही कि आजादी के बाद तक यह एकता और सद्भाव नही बन पाया. अंग्रेजो की चाल के अनुसार कट्टर मुस्लिम अलग राष्ट्र की मांग करने लगे थे.

यहाँ पर हिन्दू एवं मुस्लिम दोनों धर्मो के लोगों ने गांधी को समझने में गलती की. उनके न चाहते हुए भी परिस्तिथिया कुछ इस तरह तैयार हो गई कि भारत के विभाजन के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नही था.

उधर पाकिस्तान निर्माण के बाद महात्मा गांधी ने उन्हें आर्थिक मदद देने के लिए भारत सरकार पर दवाब बनाया. इस घटना के बाद अधिकतर लोग उनके खिलाफ खड़े हो गये तथा 30 जनवरी 1948 के दिन जब महात्मा गांधी प्रार्थना सभा में जा रहे थे,

नाथूराम गोडसे नामक नवयुवक ने उन्हें गोली मार दी थी. इस तरह एक सदी के महानायक सत्य और अहिंसा के पुजारी के जीवन का अंत हो गया.

भले ही गांधीजी आज हमारे मध्य नही हो, मगर गांधीवाद के रूप में उनके विचारों और शिक्षाओं पर आधार विचारधारा आज भी हमारा मार्गदर्शन कर रही है.

आज उनकी याद में 2 अक्टूबर यानि गांधी जयंती को विश्वभर में विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारत के राष्ट्रिय त्योहारों में भी गांधी जयंती को को भी शामिल किया गया है.

महात्मा गांधी ने सत्य, अहिंसा और राजनीति में इन तत्वों का सफल प्रयोग कर आज की युवा पीढ़ी के सामने एक उदहारण प्रस्तुत किया है.

उन्होंने एक राजनेता, समाज सुधारक, देशभक्त के रूप में अत्याचारी शासन के विरुद्ध विरोध करने के साथ ही समाज में व्याप्त बुराइयाँ जातिवाद, भेदभाव, अस्वच्छता, नशाखोरी, बाल विवाह, बहुविवाह और साम्प्रदायिकता जैसी बड़ी समस्याओं के खिलाफ अपनी अंतिम सांस तक जंग जारी रखी.

महात्मा गांधी निबंध 3

जीवन परिचय और शिक्षा

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था. इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था. इनके पिताजी कर्मचन्द गांधी राजकोट रियासत के दीवान थे.

इनकी माता का नाम श्रीमती पुतलीबाई था. राजकोट जिले से हाईस्कुल की उतीर्ण कर ये बैरिस्ट्री पढ़ने के लिए इंग्लैंड चले गये.

गांधी ने 1889 में बैरिस्ट्री पास कर भारत लौटे और वकालत का कार्य आरम्भ किया. इनका विवाह 13 वर्ष की आयु में कस्तूरबा के साथ हुआ था.

जीवन की घटनाएँ

वकालत पास करने के बाद गांधीजी पोरबंदर की एक फर्म के मुकदमें में 1893 में दक्षिण अफ्रीका चले गये थे. वहां भारतीयों के साथ गोरे लोग बेहद बुरा व्यवहार किया करते थे. ऐसा देखकर गांधीजी को बहुत बुरा लगा.

ऐसे अमानवीय व्यवहारों से पीड़ित होकर गांधीजी ने सत्याग्रह किया और सत्याग्रह में विजयी होकर स्वदेश लौट आए.

विजय की भावना से प्रेरित होकर देश को स्वतंत्र करवाने की अभिलाषा जागृत हो उठी. सन 1921 में असहयोग आंदोलन प्रारम्भ कर मद्द्य निषेध, खादी प्रचार, अस्पर्श्यता निवारण, सरकारी वस्तुओ का बहिष्कार एवं विदेशी वस्त्रों की होली जलाना जैसे कार्य सम्पन्न हुए.

गांधीजी ने वर्ष 1930 में नमक कानून के विरोध में सत्याग्रह किया. वर्ष 1942 में महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन प्रारम्भ किया. इस दौरान गांधीजी को अनेक बार जेल जाना पड़ा और अनेक कष्ट उठाने पड़े.

इनके प्रयत्नों के फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 को हमारा देश पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो गया. स्वतंत्र भारत के निर्माता होने से हम बापू और राष्ट्रपिता के संबोधन से आदर देते है.

देश में भारत-पाकिस्तान विभाजन के फलस्वरूप साम्प्रदायिक दंगे हुए. गांधीजी ने इन दंगो को शांत करने के लिए पूर्ण प्रयत्न किया.

परन्तु 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में संध्या के समय नाथूराम विनायक गोडसे नामक एक मराठा युवक ने प्रार्थना सभा में पिस्तौल से गांधीजी को गोली मार दी. इस तरह अंहिसा के उपासक महात्मा गाँधी का जीवनांत हो गया.

महात्मा गांधी निबंध 4

हमारे देश में समय समय पर राम कृष्ण बुद्ध जैसे महापुरुषों का जन्म होता रहा हैं. इन्ही महापुरुषों ने संकट के समय जनता को दिशा दिखाई,

इसी श्रंखला में भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्ति दिलाने वाले महापुरुषों में महात्मा गांधी का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता हैं.

जन्म एवं शिक्षा

गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था. उन्हें सारा राष्ट्र महात्मा के नाम से जानता हैं. भारतीय उन्हें श्रद्धा के साथ बापू और राष्ट्रपिता कहते हैं. उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था.

तेरह वर्ष की अल्पायु में ही उनके पिता करमचन्द ने उनका विवाह कस्तूरबा के साथ कर दिया. वे उन्नीस वर्ष की अवस्था में बेरिस्ट्री की शिक्षा के लिए विलायत गये. सन 1891 में वे बेरिस्ट्री की परीक्षा पास कर भारत लौट आए.

सत्याग्रह का आरम्भ

विदेश से वापिस आकर गांधीजी मुंबई में वकालत करने लगे, वही पोरबन्दर की एक फर्म के एक मुकदमें की पैरवी हेतु वें 1893 में दक्षिण अफ्रीका गये.

वहां गोरे शासकों द्वारा कालों लोगों पर किये जा रहे अत्याचार को देखकर उनका मन दुखी हो गया.उन्होंने काले गोरों का भेदभाव मिटाने का कार्य करने का संकल्प ले लिया. अंग्रेजों ने उन पर अत्याचार किये उनका अपमान किया.

परन्तु गांधीजी ने सत्याग्रह जारी रखा. अंत में गांधीजी के सत्याग्रह के सामने गोरी सरकार को झुकना पड़ा और गांधीजी की जीत हुई. अफ्रीका से लौटने के बाद गांधीजी को कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिना जाने लगा.

स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व

भारत आते ही स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर गांधीजी के हाथ में आ गई, उन्होंने भारतीयों को अंग्रेजों के विरुद्ध संगठित किया, उन्होंने सत्य और अहिंसा का सहारा लिया.

वे अनेक बार जेल गये, उन्होंने 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में नमक सत्याग्रह तथा 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के माध्यम से संघर्ष जारी रखा.15 अगस्त 1947 को देश आजाद हो गया.

जीवन का अंत

देश स्वतंत्र हो जाने पर गांधीजी ने कोई पद स्वीकार नही किया. गांधीजी पक्के वैष्णव थे. नियमित रूप से प्रार्थना सभा में जाते थे.

30 जनवरी 1948 के दिन प्रार्थना सभा में एक हत्यारे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. पूरा देश दुःख और ग्लानी से भर उठा. उनकी मृत्यु का दुःख पूरे राष्ट्र ने महसूस किया.

महात्मा गांधी को भारतवर्ष ही नही पूरा विश्व आदर के साथ याद करता हैं, वे मानवता, सत्य एवं अहिंसा के पुजारी थे.

गांधीजी जैसे व्यक्ति हजारों वर्षों में अवतरित होते हैं. सत्य और अहिंसा का पालन करते हुए राष्ट्रसेवा में लग जाना ही गांधीजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

महात्मा गांधी निबंध 5

भारत के स्वतन्त्रता प्राप्ति के महायज्ञ में योगदान करने वाले सैनानियों में महात्मा गांधी का नाम प्रमुखता से लिया जाता हैं. इन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भारत की आजादी के लिए समर्पित कर दिया था.

सत्य एवं शान्ति की राह दिखाने वाले गौतम बौद्ध एवं महावीर स्वामी के बाद महात्मा गांधी का नाम लिया जाता हैं. राष्ट्र इन्हें बापू कहकर याद करता हैं.

2 अक्टूबर 1869 को इनका जन्म गुजरात के पोरबन्दर में हुआ था. बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी हैं. उनके जन्म दिवस को सम्पूर्ण भारत गांधी जयंती के रूप में मनाता है.

इनके पिताश्री करमचन्द गांधी राजकोट में दीवान हुआ करते थे जबकि इनकी माँ पुतली बाई धार्मिक विचार रखने वाली एक गृहणी थी. महात्मा गांधी ने अफ्रीका के बाद भारत आकर चार बड़े आन्दोलन किये.

उनके सभी आंदोलनों का मूल मन्त्र सत्य एवं अहिंसा था जिसके चलते उन्हें भरपूर समर्थन तथा सफलता भी हासिल हुई. इन्होने इंग्लैंड से वकालत की पढाई की तथा कुछ समय तक बम्बई कोर्ट में प्रैक्टिस भी की.

गांधी जयंती 2024 पर निबंध 6

विद्यार्थियों के बोलने के लिए  गांधी जयंती निबंध आसान हिंदी भाषा में उपलब्ध करवा रहे है. 2 अक्टूबर के दिन देश के दो महान राजनेताओ का जन्म हुआ था. जिनमे पहले महात्मा गांधी और दुसरे लाल बहादुर शास्त्री जी थे.

इसलिए इसे गांधी जयंती और शास्त्री जयंती के रूप में देशभर में मनाया जाता है. देश के सभी सरकारी विद्यालयों और संस्थानों में राजकीय अवकाश होने के साथ इन दोनों आत्माओं के कर्मो को याद करते हुए उनकी बताई राह पर चलने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम आयोजित होते है. जिनमे  Gandhi Jayanti Essay / भाषण कविता आदि का पाठ किया जाता है.

मानवता के रक्षक और सत्य व् अहिंसा जैसे पावन आदर्शो की राह पर चलने वाले महात्मा गांधी की गिनती विश्व के महान महापुरुषों में गिनती होती है.

जिन्होंने विश्व में एकता भाईचारे और शांति के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया. उनमे महात्मा गांधी का नाम सबसे पहले आता है. इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में हुआ था.

इस महान महापुरुष के कार्यो तथा राष्ट्र सेवा में दिए गये योगदान को याद करने के लिए हम प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाते है.

इस दिन का महत्व इससे कही अधिक है. क्या आपकों पता है. सयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य राष्ट्र इस महान नेता के जन्म दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाते है.

किसी भी पवित्र भूमि पर ऐसे सदी नायको का जन्म कई हजार वर्षो में एक ही बार होता है. भारत भूमि शास्त्री, कबीर, बुद्ध, महावीर स्वामी जैसे वीरों की जन्मस्थली रही है.

बीसवी सदी के महानायक महात्मा गांधी ने भारत की आजादी और विश्व शान्ति की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किये.

देश इस महान नेता के कृत्यों का हमेशा ऋणी रहेगा. इन्हे सम्मान देने के उद्देश्य से हम राष्ट्रपिता, बापू और महात्मा जैसे उपनामों से इन्हें बुलाते है.

ऐसे देशभक्त और शांतिप्रिय महान नेता महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को एक मराठा युवक नाथूराम गोडसे द्वारा दिल्ली में प्रार्थना सभा के दौरान कर दी गई थी.

गांधीजी की समाधि स्थाल राजघाट है, यहाँ पर गांधी जयंती के अवसर पर देश के सभी दलों के नेता बापू को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें याद करते है.

राष्ट्रपिता के सम्मान में भारत सरकार व अन्य राज्य सरकारों द्वारा अनेक कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की शुरुआत की गई है.

जिनमे गांधी जयंती के दिन को स्वच्छता दिवस के रूप में मनाने की प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी की यह मुहीम सभी देशवासियों की तरफ से वाकई में बापू को सच्ची श्रध्दाजली है.

स्वस्थ भारत समर्द्ध भारत गांधीजी का एक सपना था. वे अपने निजी जीवन में सबसे अधिक वरीयता किसी चीज को देते थे तो वह स्वच्छता ही थी. स्वच्छता ही ईश्वर का रूप है यह उक्ति गांधीजी की ही है.

इस कार्यक्रम की ऐतिहासिक शुरुवात महात्मा गांधी जयंती पर मोदीजी ने दिल्ली के राजपथ की सडको पर स्वय झाड़ू निकाल कर शुरू की थी. इसके पश्चात स्वच्छता सप्ताह के रूप में देशभर में लोगों में स्वच्छता के प्रति सकारात्मक भावना ने जन्म लिया.

महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर कविता या भाषण पाठ, नाट्य मंचन करना, निबंध लेखन, नारा लेखन, समूह चर्चा आदि प्रकार के कार्यक्रमों से इसके मनाने के उद्देश्यों की पूर्ति नही होगी. हमे हर दिन को गांधी जयंती के रूप में मनाने की आवश्यकता है.

हम अपने आस पास स्वच्छता रखे तथा लोगों को भी इस दिशा में अधिक से अधिक जागरूक करे. तभी हमारा देश प्रगति की राह पर चल सकता है.

यदि देशवासी जेहन में यह ठान ले कि हमे बापू के स्वस्थ भारत समर्द्ध भारत के सपने को साकार करना है तो यकीन करिए बस अपनी दिनचर्या का छोटा सा बदलाव देश में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है जिसके आप और हम सब प्रतिभागी बन सकते है.

क्या हम जानते है कि गांधीजी को स्वदेशी से इतना लगाव क्यों था. महात्मा गांधी को विश्वास था खुद में, आप में, मुझमे, भारत में.

विश्वास था उन्हें दुनिया के बेहतरीन मापदंड पर, खरा उतरने की हमारी कौशल और योग्यता में. भारतीयता के इसी जज्बे को हमारा सलाम. इसी जज्बे से प्रेरित होकर हमने अपने उत्पादों में , सर्वश्रेष्ट गुणवता स्तर अपनाया.

आज भारत में कई स्वदेशी भरोसेमंद उत्पाद है, जिनका उपयोग आज पूरी दुनिया कर रही है. और हमे यह कहने में गर्व होना चाहिए कि हां हम भारतीय किसी से कम नही है. हम ही है सारे जहाँ से अच्छा.

महात्मा गांधी निबंध 7

गांधी जयंती पर प्रेरक प्रसंग शोर्ट स्टोरी प्रस्तुत कर रहे हैं. ऐसे महान प्रेरणादायक महापुरुषों के प्रसंग हमें जीवन जीने का एक नया तरीका बतलाते हैं. उन्के जीवन की झलक इन प्रेरक प्रसंगों में मिलती हैं.

एक बार महात्मा गांधी राजकोट में सौराष्ट्र-काठियावाड़ राज्य प्रजा परिषद् के सम्मेलन में भाग ले रहे थे. वे गणमान्य व्यक्तियों के साथ मंच पर थे.

उनकी दृष्टि सभा में बैठे एक वृद्ध सज्जन पर पड़ी. अचानक वे उस स्थान से उठे और लोगों के देखते देखते उन वृद्ध महोदय के पास जा पहुचे.

सभी लोग चकित थे कि गांधीजी आखिर क्या कर रहे हैं. गांधीजी ने उन वृद्ध सज्जन के चरण स्पर्श किए और उन्ही के पास बैठ गये.

आयोजकों ने जब उनसे मंच पर चलने की प्रार्थना की तब वे बोले- यह मेरे गुरुदेव हैं. मैं अपने गुरुदेव के चरणों में बैठकर ही सम्मेलन की कार्यवाही का अवलोकन करुगा.

वे नीचे बैठे और मैं ऊपर मंच पर यह कैसे हो सकता हैं. सम्मेलन की समाप्ति पर उन गुरु ने गांधीजी को आशीर्वाद देते हुए कहा; तुम जैसे निरभिमानी व्यक्ति एक दिन संसार के महान पुरुषों में स्थान बनाएगा.

पूरी सभा गांधीजी का अपने गुरुदेव के प्रति ऐसा आदर भव देखकर हर्ष से अभिभूत हो उठी. गुरु का आदर ज्ञान का आदर हैं और ज्ञान का आदर अपने मनुष्य जीवन का आदर हैं. यही व्यक्ति को महान बनाता हैं.

अगर ऐसे दुर्लभ मनुष्य जीवन में जन्म मृत्यु जैसे महादुख का विनाश करने वाले कोई परम गुरु, ब्रह्माज्ञानी सद्गुरु मिल जाए तो कहना ही क्या ! उनका जितना आदर करे कम ही हैं.

जलती आग बुझा ना पाये वह नीर ही क्या ? अपने लक्ष्य को भेद न पाये वह तीर ही क्या ?\ संग्राम में लाखों विजय पानेवाले अगर मन को जीत न पाये तो वीर ही क्या ?

महात्मा गांधी निबंध 8

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन 1889 को पोरबंदर में हुआ था. पोरबंदर से ही मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद ये उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गये थे. वहां से लौटकर उन्होंने मुंबई में वकालत की शुरुआत की.

गांधीजी के राजनितिक जीवन की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका से हुई. जब वे साउथ अफ्रीका गये तो वहां उन्होंने भारत के साथ अंग्रेज सरकार के बुरे बर्ताव को देखा तो महात्मा गांधी ने प्रवासी भारतीयों की मदद की.

इन्होने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया इस दौरान उन्होंने कई कष्ट सहे और कई बार इन्हें अपमानित भी होना पड़ा. मगर अंत में जाकर विजय महात्मा गांधी की ही हुई.

जब बापू अफ्रीका से स्वदेश लौटे तो यहाँ उन्होंने लोगों में आजादी के महत्व और इसकी प्राप्ति की भावना का संचार कर स्वतंत्रता आंदोलन की नीव रखी.

वर्ष 1915 से 1947 तक के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इन्हें कई बार जेल की यातना सहनी पड़ी, मगर भारतीय जनता का अटल विशवास हमेशा से उनके साथ था,

बापू और राष्ट्रपिता जैसे नामों की उपाधि इसी बात के संकेत थे.  महात्मा गांधी के अथक प्रयासों का ही परिणाम था कि 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिल गई है.

गांधीजी हमेशा सादा जीवन और उच्च विचार रखते थे. इन्होने हमे सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया. वो एक महान स्वतंत्रता सेनानी के साथ साथ महान समाज सुधारक भी थे.

उन्होंने भेदभाव और छुआछूत जैसी सामाजिक समस्याओं को समाप्त करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. ऐसे महान महापुरुष की हत्या नाथूराम गोडसे नामक कट्टरपंथी मराठा युवक द्वारा गोली मारकर इनके जीवन का अंत कर दिया गया.

महात्मा गांधी भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे. जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत की आजादी तथा भारत के स्वर्णिम स्वप्न को साकार करने व्यतीत किया. हम इस महापुरुष को बापू और राष्ट्रपिता के उपनाम से जानते है.

इनका पूरा नाम मोहनदास कर्मचन्द गांधी था. इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में हुआ था.

गांधीजी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को हम गांधी जयंती के रूप में हर वर्ष मनाते है. ये एक ऐसे महान पुरुष थे जो सत्य अहिंसा और सामजिक एकता को सबसे अधिक महत्व देते थे.

इन्होने आम जनता में स्वदेशी वस्तुओं को अधिक से अधिक उपयोग तथा विदेशी वस्तुओ के बहिष्कार करने के लिए लोगों को प्रेरित किया. भारत आज भी उनके महान कार्यो और राष्ट्र निर्माण में महात्मा गांधी के योगदान का ऋणी है.

समाज में व्याप्त अछूत और भेदभाव की रुढ़िवादी सोच को वे जड़ से समाप्त करना चाहते थे. और अंग्रेजी हुकूमत से भारत को स्वाधीनता दिलाना चाहते थे.

उन्होंने आरम्भिक शिक्षा अपने गृह जिले पोरबंदर से ही की तथा कानून में विशेषज्ञता की पढाई के लिए अपने बड़े भाई के सहयोग से इंग्लैंड चले गये. इंग्लैंड से 1893 में वकालत की शिक्षा पूरी कर भारत लौटे तथा अभ्यास करने लगे.

गांधी अंग्रेजो की अत्याचार से भारतीय लोगों की मदद करना चाहते थे. वे गोरी सरकार के अत्याचारों से वाकिफ होने के बाद ब्रिटिश सरकार के विरोधी बन चुके थे. अपने राजनितिक संघर्ष के दौरान ये कांग्रेस पार्टी से जुड़े.

गांधीजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे. जो हमेशा भारत की आजादी के लिए प्रयत्नरत थे. उन्होंने अंग्रेज सरकार के नमक कानून को तोड़ने के लिए 13 मार्च 1930 को दांडी यात्रा कर नमक सत्याग्रह किया.

इसके अतिरिक्त सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा भारत छोड़ो आंदोलन में नेतृत्व किया तथा अनेकों भारतीयों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ने का कार्य किया.

ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी को कई बार जेल भी जाना पड़ा. मगर तमाम परेशानियों के बावजूद भारतीय जनता के समर्थन से न्याय की मांग को लेकर हमेशा लड़ते रहे.

इसी का परिणाम था कि 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई. मगर 30 जनवरी 1948 के दिन नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी. मगर ऐसे महान स्वतंत्रता सैनानी के कार्यो को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा.

महात्मा गांधी निबंध 9

महात्मा गांधी का परिचय देना, सूर्य को अपनी रौशनी का प्रमाण देने की तरह है. ये भारत के उन महापुरुषों में से एक है, जिनके राष्ट्रिय जीवन ने अपना एक नया इतिहास तैयार किया है. भारत की आजादी गांधी जैसे नेताओं की अथक मेहनत का ही फल है.

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था. उनके पिताजी कर्मचन्द गांधी राजकोट रियासत के दीवान थे.

इनकी माता पुतलीबाई ने इनका लालन पोषण अच्छे ढंग से किया, महात्मा गांधी जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था, इनके जीवन पर माता के धार्मिक विचारों का व्यापक प्रभाव पड़ा. जो आगे चलकर दुनिया गांधीजी व बापू नाम से विख्यात हुए.

उनकी आरम्भिक शिक्षा पोरबंदर के एक सरकारी विद्यालय से हुई. 1887 में महात्मा गांधी ने दसवीं की परीक्षा पास की. गांधी ने अपनी आत्मकथा में यह स्वीकार किया कि वे बचपन में पढ़ने में बहुत कमजोर, खराब लिखावट, किसी के साथ दोस्ती न रखना, बीड़ी पीना, जेब से पैसे चुराना, मांस खाना जैसी बुरी आदतों के आदि हो गये थे.

जैसे जैसे उनमे समझ बढती गई उन्होंने इन बुरी आदतों को छोड़ दिया. 1891 में महात्मा गांधी इंग्लैंड से बैरिस्टर की पढ़ाई कर भारत लौटे और कुछ समय तक वकालत का अभ्यास किया,

मगर उनकी वकालत अधिक नही चली. एक निजी फर्म के मुकदमे के सिलसिले में वे दक्षिण अफ्रीका गये, वहां पर इन्होने कई मुश्किलों का सामना किया.

भारतीयों के साथ हो रहे अन्यायपूर्ण व्यवहार को देखकर उन्हें बहुत ठेस पहुची और उन्होंने गोरी सरकार के विरुद्ध सत्याग्रह की शुरुआत की, जिनमे गांधीजी को सफलता भी मिली.

अफ्रीका से जब गांधीजी भारत लौटे तो उन्होंने भारत के लोगों की गरीबी देखि और गुलामी देखी. अंग्रेजो के अत्याचार देखे उनका मनमाना शासन भी देखा . ये सब देखते ही उनकी आँखे खुली और राष्ट्रसेवा का व्रत लिया.

इन्होने भारत को अंग्रेजो के शासन से मुक्ति दिलाने की प्रतिज्ञा की और इस पावन महायज्ञ में अपनी पूरी ताकत के साथ जुट गये.

पहली बार 1917 में इन्होने बिहार के चम्पारण जिले के नील किसानों के समर्थन में चम्पारण सत्याग्रह किया. आमजन ने गांधीजी के प्रत्येक कदम की सराहना कर उनका प्रत्यक्ष समर्थन किया.

अंग्रेजो की उदासीनता और अवसर पर आक्रामक निति को देखते हुए महात्मा गांधी ने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत कर करो या मरो का नारा दिया. इस तरह के बोल से पूरा देश एक स्वर में अंग्रेजो के खिलाफ खड़ा हो गया .

अंग्रेज सरकार ने स्थति को नियत्रण से बाहर होते देख गांधीजी और अन्य बड़े नेताओं को जेल में बंद कर दिया. मगर जनता के तीव्र दवाब के चलते उन्हें भारत को छोड़कर जाना पड़ा. इस तरह महात्मा गांधी के भारत की पूर्ण स्वतंत्रता का संकल्प पूर्ण हुआ.

देश को आजादी दिलाने वाले बापू महात्मा गांधी को इसी देश के एक नाथूराम गोडसे नामक युवक ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस तरह 30 जनवरी 1948 को बापू की कहानी युग कहानी बनकर रह गई.

गांधीजी का पूरा नाम क्या था?

मोहनदास करमचन्द गांधी

महात्मा गांधी की याद में कौनसे दिवस मनाएं जाते हैं?

गांधी जयंती और विश्व अहिंसा दिवस

महात्मा गांधी को सम्मान में किन नामों से पुकारा जाता हैं?

राष्ट्रपिता, बापू

  • महात्मा गांधी के अनमोल विचार
  • महात्मा गांधी पर कविता
  • महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्य
  • महात्मा गांधी का जीवन परिचय

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essay on father of nation mahatma gandhi in hindi

Mahatma Gandhi: The Father of the Nation Who Shaped India’s Destiny

Introduction:

Mohan Das Karam Chand Gandhi, born on October 2, 1869, in Porbandar, Gujarat, played an unparalleled role in India’s struggle for independence. Known as the Father of the Nation, Gandhi’s journey from a young law student to a global icon of non-violence is a tale of conviction, resilience, and unwavering commitment to truth.

essay on father of nation mahatma gandhi in hindi

1) Early Life and Education:

Gandhi’s journey began in Porbandar, where he was born to Karam Chand Gandhi, the Diwan of Rajkot. At the age of seven, he started his education, later traveling to England to study law after completing his matriculation and college studies. Despite facing challenges, including an unsuccessful law practice, Gandhi’s commitment to truth and justice remained steadfast.

2) Transformation in South Africa:

Gandhi’s life took a transformative turn when he went to South Africa for a legal case. Witnessing the discrimination faced by Indians, he decided to champion their cause. This led to the establishment of Tolstoy Farm and the birth of his philosophy of non-violence, Satyagraha. The Indian Relief Act of 1914, a result of his efforts, marked a significant improvement in the lives of Indians in South Africa.

3) Return to India and Independence Movement:

Returning to India in 1915, Gandhi joined the Congress Party and initiated the Satyagraha Movement. His philosophy of non-violence and civil disobedience proved to be a formidable force against the British Empire. The historic Dandi March and the Quit India Movement of 1942 demonstrated the power of peaceful resistance, ultimately leading to India’s independence in 1947.

4) Post-Independence Challenges and Martyrdom:

Despite India gaining independence, Gandhi faced deep disappointment. He vehemently opposed the partition based on religion and envisioned a Congress-free political landscape. His dreams remained unfulfilled as India witnessed communal violence during partition. Disillusioned, Gandhi withdrew into seclusion and prayers. On January 30, 1948, he was assassinated, and India observes this day as Martyr’s Day.

5) Legacy and Global Impact:

Gandhi’s influence extended far beyond India’s borders. His philosophy of non-violence inspired movements for civil rights and freedom around the world. A Hollywood film depicting his life garnered international acclaim. Despite changing times, Gandhi remains relevant, with people across the globe continuing to draw inspiration from his principles.

6) Gandhian Principles in Modern Context:

In the present era, Gandhi’s principles of non-violence, simplicity, and truth continue to resonate. His emphasis on sustainable living, community empowerment, and social justice finds relevance in addressing contemporary global challenges. From environmental conservation to social equality, Gandhian ideals provide a timeless guide for individuals and movements seeking positive change.

Conclusion:

Mahatma Gandhi’s life was a testament to the transformative power of non-violence and unwavering commitment to truth. While India celebrates him as the Father of the Nation, the global impact of his philosophy cements his place as one of the most influential figures in history. Gandhi’s legacy lives on, reminding us of the enduring power of principles such as non-violence and truth in shaping the destiny of nations. His teachings continue to offer a guiding light for navigating the complexities of the modern world.

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Essays on Gandhi Prize-winning Essays of the classical contest organised by CITYJAN News weekly, Navi Mumbai on the occasion of Gandhi Jayanti on 2 nd October, 2002.

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Mahatma Gandhi - Father of The Nation

  • The Relevance of Gandhi For All Times
  • Gandhian Religion - A Way of Life

By Ritu Johari (The Post Graduate Category)

The period from 1920 to 1947 had been described as the Gandhian Era in Indian Politics. During the period, Gandhi spoke the final word on behalf of the Indian National Congress in negotiating with the British Government for constitutional reforms, and for chalking out a programme for the national movement. Mahatma Gandhi led the national freedom struggle against the British rule. The most unique thing about this struggle was that it was completely nonviolent. Mohan Das Karamchand Gandhi was born on 2nd October, 1869 at Porbandar in Gujarat. After finishing his early education in India, he sailed to England in 1891 and qualified as Barrister. In 1894, Gandhi went to South Africa in connection with a law suit. The political career of Gandhi started in South Africa where he launched a Civil Disobedience Movement against the maltreatment meted out to Asian settlers. In 1916, he returned to India and took up the leadership of National Freedom Struggle. After the death of freedom fighter and congress leader Bal Gangadhar Tilak on August, 1920, Gandhi became virtually the sole navigator of the ship of the congress. Gandhi had whole heartedly supported the British during the 1st World War (1914-1919). The end of war, however, did not bring the promised freedom for India. So Gandhiji launched many movements to force the British to concede India its Independence. The well known being: Non Co-operation Movement (1920), Civil Disobedience Movement (1930) and Quit India Movement (1942). The British passed the Rowlett Act in 1919 to deal with the revolutionaries. Gandhi made the Rowlett Act an issue and appealed to the people to observe peaceful demonstration on April 6, 1919. Gandhi's call for peaceful demonstration met with tremendous response. It led to mass demonstrations in Punjab and Delhi. The Jallianwala Massacre (1919) was a sequel of this agitation. The Indian people were shocked by the way the British conducted themselves. Gandhi them launched a non-co-operation in 1920 against the British rule. On 12th March 1930, Gandhi started his Civil Disobedience with his famous 'Dandi March' to break the salt laws. Many leaders and persons courted arrest. Then followed the Gandhi-Irwin Pact for the participation of the congress in the Second Round Table Conference in 1931. On March 1942, Sir Stafford Cripps came to India with his proposals which were rejected by all political parties. The failure of the Cripps Mission led to unprecedented disturbances. Disillusioned and disappointed, the congress passed at Bombay the Quit India Resolution (August 8, 1942). The British were asked to leave India forthwith. The moving spirit behind the resolution was Gandhiji. The Quit India Movement was the greatest challenge to the British empire. Gandhi was a great leader, a saint and a great social reformer. He was pious, truthful and religious. He believed in simple living and high thinking. Every body who came in contact with him were so deeply influenced by his personality. He was a Champion of democracy and was deadly opposed to dictatorial rule. Gandhi showed India and the World the path of truth and non-violence. He believed that it was truth alone that prevailed in the end. Gandhi believed that real India lived in more than five lakhs villages uplift. According to him India's real emancipation depended on Swadeshi i.e. boycott of foreign goods, use of khadi encouragement to village and cottage industries. Gandhi began to work day and night for the freedom of his country. He and his brave followers went to jail again and again, and suffered terrible hardships. Thousands of them were starved, beaten, ill treated and killed, but they remained true to their master. At last his noble efforts bore fruit and on August 15,1947, India became free and independent. Gandhi defeated the mighty British empire not with swords or guns , but by means of strange and utterly new weapons of truth and Ahimsa. He worked all through his life for Hindu- Muslim Unity and the abolition of untouchability. Gandhi worked hard for the upliftment of the Harijans, the name given by him to the untouchables. Gandhi declared untouchability a sin against God and Man. Gandhi wrote his famous autobiography under the title 'My Experiments with Truth'. Gandhi always stood for communal harmony, but he himself was shot dead by a religious fanatic Nathuram Godse on 30th January, 1948. The whole World mourned his death. Concluding Remarks: Some one had quipped: "If they had not thrown Gandhi out of the train in South Africa, the English would not have too much trouble from him." Gandhi, the young Attorney, vowed to oppose such unfair treatment- through non-co-operation and other nonviolent means. Gandhi's ultimate search was for righteous conduct. The means are more important than the end, he maintained; with the right means, desired ends will follow. In time, he was proven right- almost always. His struggles and actions were but external manifestations of his struggle to evolve his own value system. Mahatma Gandhi better known as the father of Nation because it was he who got freedom for us. He was the maker of Modern India.

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महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।

2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

इन कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी जी के महत्व को बताने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं।

इसलिए आज हम आपको देश के राष्ट्रपितामह एवं बापू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं-

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “ राष्ट्रपिता और बापू ” के नाम से जाने जाते है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे।

भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था।

राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की। अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।

उन्होंने काफी अभियानों की शुरुवात की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आंदोलन और उनके द्वारा किये गये ये सभी आन्दोलन भारत को आज़ादी दिलाने में कारगार साबित हुए। अंततः उनके द्वारा किये गये संघर्षो की बदौलत भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिल ही गयी।

महात्मा गांधी का जीवन काफी साधारण ही था वे रंगभेद और जातिभेद को नही मानते थे। उन्होंने भारतीय समाज से अछूत की परंपरा को नष्ट करने के लिये भी काफी प्रयास किये और इसके चलते उन्होंने अछूतों को “हरिजन” का नाम भी दिया था जिसका अर्थ “भगवान के लोग” था।

महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आज़ादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये।

गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।

महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी और राजघाट, दिल्ली में लाखोँ समर्थकों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

“भविष्य में क्या होगा, यह मै कभी नहीं सोचना चाहता, मुझे बस वर्तमान की चिंता है, भगवान् ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।”

महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई के महानायक थे, जिन्हें उनके महान कामों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

आज उनके अथक प्रयासों, त्याग, बलिदान और समर्पण की बल पर ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।

वे सत्य और अहिंसा के ऐसे पुजारी थे, जिन्होंने शांति के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। महात्मा गांधी जी के महान विचारों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित है।

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन, परिवार एवं शिक्षा – Mahatma Gandhi Information

स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार माने जाने वाले महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में  2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में जन्में थे। गांधी का जी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

उनके पिता जी करम चन्द गांधी ब्रिटिश शासनकाल के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, जिनके विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

वहीं जब वे 13 साल के थे, तब बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई थी, जिन्हें लोग प्यार से ”बा” कहकर पुकारते थे।

गांधी जी बचपन से ही बेहद अनुशासित एवं आज्ञाकारी बालक थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात में रहकर ही पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां से लौटकर उन्होंने भारत में वकाकलत का काम शुरु किया, हालांकि, वकालत में वे ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।

महात्मा गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Mahatma Gandhi Political Career

अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव का शिकार होना पड़ा था। गांधी जी के साथ घटित एक घटना के मुताबिक एक बार जब वे ट्रेन की प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए थे, तब उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया था।

इसके साथ ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया था। जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।

वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से राजनीति में घुसे और फिर अपने सूझबूझ और उचित राजनैतिक कौशल से देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया एवं स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सैद्धान्तवादी एवं आदर्शवादी महानायक के रुप में महात्मा गांधी:

महात्मा गांधी जी बेहद सैद्धांन्तवादी एवं आदर्शवादी नेता थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व थे, उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग ”महात्मा” कहकर बुलाते थे।

उनके महान विचारों और आदर्श व्यत्तित्व का अनुसरण अल्बर्ट आइंसटाइन, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों ने भी किया है।

ये लोग गांधी जी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी था।

सत्य और अहिंसा उनके दो सशक्त हथियार थे, और इन्ही हथियारों के बल पर उन्होंने अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।

वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ समाजसेवक भी थे, जिन्होंने भारत में फैले जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव आदि को दूर करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किए थे।

अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र की सेवा में लगे रहे गांधी जी की देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्धारा हत्या कर दी गई थी।

वे एक महान शख्सियत और युग पुरुष थे, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ अडिग होकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन से हर किसी को सीख लेने की जरूरत है।

महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi par Nibandh

प्रस्तावना-

2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

वे एक एक महापुरुष थे, जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है।

महात्मा गांधी जी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव के खिलाफ तमाम संघर्षों के बाद जब वे अपने स्वदेश भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत बेकसूर भारतीयों पर अपने अमानवीय अत्याचार कर रही थी और  देश की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी।

जिसके बाद उन्होंने क्रूर ब्रिटिशों को भारत से बाहर निकाल फेंकने का संकल्प लिया और फिर वे आजादी पाने के अपने दृढ़निश्चयी एवं अडिग लक्ष्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन:

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए। उनके शांतिपूर्ण ढंग से चलाए गए आंदोलनों ने न सिर्फ भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर कर दी थीं, बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया था।  उनके द्धारा चलाए गए कुछ मुख्य आंदोलन इस प्रकार हैं-

चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Kheda Movement

साल 1917 में जब अंग्रेज अपनी दमनकारी नीतियों के तहत चंपारण के किसानों का शोषण कर रहे थे, उस दौरान कुछ किसान ज्यादा कर देने में समर्थ नहीं थे।

जिसके चलते गरीबी और भुखमरी जैसे भयावह हालात पैदा हो गए थे, जिसे देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से चंपारण आंदोलन किया, इस आंदोलन के परिणामस्वरुप वे किसानों को करीब 25 फीसदी धनराशि वापस दिलवाने में सफल रहे।

साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में भीषण बाढ़ आने से वहां के लोगों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे में किसान अंग्रेजों को भारी कर देने में असमर्थ थे।

जिसे देख गांधी जी ने अंग्रेजों से किसानों की लगान माफ करने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को उनकी मांगे माननी पड़ी और वहां के किसानों को कर में छूट देनी पड़ी।

महात्मा गांधी जी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।

महात्मा गांधी जी का असहयोग आंदोलन – Asahyog Movement

अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं जलियावाला बाग हत्याकांड में मारे गए बेकसूर लोगों को देखकर गांधी जी को गहरा दुख पहुंचा था और उनके ह्रद्य में अंग्रेजों के अत्याचारों से देश को मुक्त करवाने की ज्वाला और अधिक तेज हो गई थी।

जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर असहयोग आंदोलन करने का फैसला लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीय जनता से अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन नहीं देने की अपील की।

गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े स्तर पर भारतीयों ने समर्थन दिया और ब्रिटिश सरकार के अधीन पदों जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया साथ ही सरकारी स्कूल, कॉलजों एवं सरकारी संस्थानों का जमकर बहिष्कार किया।

इस दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी वस्त्रों एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक सत्याग्रह(1930) – Savinay Avagya Andolan

महात्मा गांधी ने यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ चलाया था। उन्होंने ब्रटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए इसके तहत पैदल यात्रा की थी।

गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने कुछ अनुयायियों के साथ सावरमती आश्रम से पैदल यात्रा शुरु की थी। इसके बाद करीब 6 अप्रैल को गांधी जी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून की अवहेलना की थी।

नमक सत्याग्रह के तहत भारतीय लोगों ने ब्रिटिश सरकार के आदेशों के खिलाफ जाकर खुद नमक बनाना एवमं बेचना शुरु कर दिया।

गांधी जी के इस अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार के हौसले कमजोर पड़ गए थे और गुलाम भारत को अंग्रेजों क चंगुल से आजाद करवाने का रास्ता साफ और मजबूत हो गया था।

महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन(1942)

अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य  से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साल 1942 में ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के कुछ साल बाद ही भारत ब्रिटिश शासकों की गुलामी से आजाद हो गया था।

आपको बता दें जब गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, उस समय दूसरे विश्वयुद्ध का समय था और ब्रिटेन पहले से जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था, ऐसी स्थिति का बापू जी ने फायदा उठाया। गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने एकत्र होकर अपना समर्थन दिया।

इस आंदोलन का इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। इस तरह से यह आंदोलन, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।

इस तरह महात्मा गांधी जी द्धारा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने  गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।

वहीं उनके आंदोलनों की खास बात यह रही कि उन्होंने बेहद  शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाए और आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने पर उनके आंदोलन बीच में ही रद्द कर दिए गए।

  • Mahatma Gandhi Slogan

महात्मा गांधी जी ने जिस तरह राष्ट्र के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, उनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं आज जिस तरह हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में गांधी जी के महान विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी देश-दुनिया में हिंसा कम हो सकेगी और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।

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60 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi”

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Gandhi ji is my favorite

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अपने अलग अलग तरह से गाँधी जी के कार्यो को बताया है बहुत अच्छा

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essay on father of nation mahatma gandhi in hindi

बहुत बढ़िया

sir esay ka jo realy tarika hai vo kya hai likhne ka

nice essay thanks for share

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गांधी जी पर निबंध | महात्मा गांधी निबंध 1000 शब्दों में | mahatma gandhi essay on 1000 words | 10 lines on why Gandhiji is called as the father of nation Essay

मोहन दास करमचंद गाँधी | गाँधी जी का परिवार पत्नी , पिता एवं माता |महात्मा गाँधी पर निबंध व जीवन परिचय | गाँधी जी पर निबंध 300 ,600,1000 शब्दों में | गाँधी जी पर निबंध कक्षा 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 और  प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ ही निबंध व भाषण प्रतियोगिता के लिए महत्वपूर्ण | गाँधी जी पर निबंध 10 लाइन में , (mahatma gandhi essay for class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10 in hindi, mahatma gandhi biography , mother,wife, father  mahatma gandhi essay in hindi, gandhi essay in hindi, short essay on gandhi ji, mahatma gandhi essay in 10 lines hindi), gandhi ji essay (300 words) in hindi | गाँधी जी पर निबंध 300 शब्दों में , प्रस्तावना -.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत की आजादी के विशेष सूत्रधार है इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है एवं इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था गांधी जी के पिता पोरबंदर के दीवान थे और इनकी माता पुतलीबाई एक ग्रहणी थी पुतलीबाई स्वभाव से काफी आस्था वादी भी थी एवं गांधी जी की पत्नी का नाम कस्तूरबा बाई था।

बचपन में गांधी जी को बहुत ही मंदबुद्धि समझा जाता था इनका पढ़ाई में भी मन नहीं लगता था। इनकी शुरुआती शिक्षा पोरबंदर नहीं हुई इसके बाद उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई राजकोट और अहमदाबाद से पूरी की, इसके बाद वे वकालत सीखने लंदन गए।

वापस आ कर गांधी जी ने भारतीयों पर अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने का मन बनाया उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई महत्वपूर्ण आंदोलन भी छड़े जिनमें उन्हें अदभुत सफलता प्राप्त हुई। भारत की जनता भी गांधी जी के मंतव्य को समझ चुकी थी और इसी कारण उन्हें भारतीयों का पूरा साथ प्राप्त था।

गांधीजी गांधी जी शिक्षा के महत्व को समझते थे और शिक्षा पर भारी जोर देते थे उनका मानना था कि 7 से 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्राप्त होनी चाहिए और शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना चाहिए।

गांधी जी अहिंसा वादी थे और समय समय पर आत्म शुद्धि के लिए उपवास भी किया करते थे

इनकी मृत्यु 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में  नाथू राम गोडसे नामक व्यक्ति द्वारा गोली मारे जाने से हुई।

महात्मा गांधी पर निबंध 600 शब्दों में  (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 600 Words)-

मोहन दास करम चंद गांधी (महात्मा गांधी ) एक ऐसा नाम है जिन्हे आज बच्चा  बच्चा जनता है आज भारत के इतिहास में इनकी एक अहम भूमिका नजर आती है। जहा इन्होंने अपना जीवन भारत देश व भारत की जनता के नाम कर दिया था

गांधी जी के व्यक्तिगत जीवन और परिवार पर रोशनी डालें तो इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर पोरबंदर में हुआ था। इनके पिता करमचंद गाँधी  व माता का नाम पुतलीबाई था गांधी जी की माता स्वभाव से काफी आस्था वादी महिला थी एवम् इनके पिता पेशे से पोरबंदर के दीवान थे। गांधी जी पर भी अपनी माता और क्षेत्र में प्रचलित जैन परंपराओं का गहरा असर हुआ। गांधी जी ने कुछ खास परंपराओं को अपने जीवन में खास महत्व दिया जैसे उपवास कर आत्मा की शुद्धि करना।मात्र 13 वर्ष की छोटी आयु में इनका विवाह कस्तूरबा से कर दिया गया था।

अगर महात्मा गांधी जी की शिक्षा की बात करे तो किसी भी इंसान की प्रारंभिक शिक्षा उसके आस पास के माहौल व घर वालों से ही शुरू हो जाती है। गांधी जी ने भी अपने बालपन से ही सही और ग़लत में फर्क करना सीख लिया था इन्होंने अपनी प्रारम्भिक पढ़ाई स्थानीय पोरबंदर से पूरी की और बाद में हाईस्कूल की शिक्षा इन्होंने राजकोट से पूरी की। और मैट्रीक के लिए वे अहमदाबाद गए। बाद में वकालत की पढ़ाई इन्होंने लंदन से पूरी की।

गांधी जी भारतीय शिक्षा पद्धति में निम्न बातों को स्तंभ के रूप में स्थापित करना चाहते थे।

  • शिक्षा का माध्यम हमेशा छात्र की मात्र भाषा होनी चाहिए।
  • साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता।
  • शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है।
  • 7 - 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए।

महात्मा गांधी ने भी भारत को आजादी की तरफ ले जाने का महत्व पूर्ण काम किया इस दौरान उन्होंने कई मुश्किलों का सामना भी किया  भारत को अपना सम्मान दिलाने के रास्ते में उन्हें कई बार जेल यात्रा भी करना पड़ा कई अनशन व आंदोलन भी करने पड़े।

गांधी जी द्वारा किए गए कुछ महत्वपूर्ण आंदोलन -

असहयोग आंदोलन -.

 सितंबर1920- फरवरी1922 कांग्रेस के नेतृत्व में यह आंदोलन बहुत सफल रहा  भारतीय जन समूह ने भी भरपूर योगदान दिया था।

नमक सत्याग्रह -

12 मार्च 1930 साबरमती आश्रम से दांडी ग्राम तक कुल 24 दिन यह काफी महत्वपूर्ण सत्याग्रह माना जाता है।

दलित आंदोलन -

 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना हुई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।

भारत छोड़ो आंदोलन -

(द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान) 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया। जिसका उद्देश्य भारत को आज़ाद करवाना था।

चंपारण सत्याग्रह - 

1917 में बिहार के चंपारण से यह आंदोलन शुरू हुआ इस आंदोलन का कारण यह था कि अंग्रेज शासन द्वारा किसानों से जबरदस्ती काम दाम में नील की खेती करवाई जाती थी जिसके कारण किसान दो वक्त का खाना भी नहीं जुटा पाते थे। इस आंदोलन की जीत गांधी जी के लिए राजनैतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थी

गांधी जी द्वारा किए गए कुछ ऐसे ही प्रयासों से वे मोहन दास करम चंद गांधी से महात्मा गांधी कहे जाने लगे। गांधी जी को राष्ट्र पिता भी कहा जाता है लेकिन राष्ट्रपिता की उपाधि किसने प्रदान किया इसका कोई सटीक उल्लेख ना होने के कारण 1999 में गुजरात हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया कि अब से यही लिखा जाय की - रविन्द्र नाथ टैगोर ने पहली बार गाँधी जी को फादर ऑफ नेशन कहा।

और अंत में 30 जनवरी 1948 की शाम बिड़ला भवन दिल्ली में गांधी जी की नाथू राम गोडसे द्वारा गोली मर कर हत्या कर दी गई।

निष्कर्ष -

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में (mahatma gandhi essay in hindi 1000 words)-.

मोहनदास करमचंद गांधी या यूं कहे कि महात्मा गांधी गुजरात के एक छोटे से तटीय गांव में जन्मे और आज भी हम सभी भारत वासी इनके जन्म दिवस 2 अक्टूबर के दिन गांधी जयंती मनाते है। इन्होंने अपने अथक प्रयासों द्वारा भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाने में अग्रणी भूमिका निभाई। गांधीजी सनातन धर्म के गुजराती पारसी परिवार से संबंधित है बचपन से ही अपने आसपास के जैन समुदाय व रितिरीवाज में ढल कर गांधीजी का विश्वास पूरी तरह अहिंसा में था वे एक अच्छे राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ आध्यात्म वादी भी थे जो उपवास, आत्म शुद्धि, शाकाहारी जीवन जीने जैसे विचारो पर विश्वास रखते थे।

गांधीजी व्यावहारिक रूप से काफी शांत और निर्मल स्वभाव के थे अपनी उम्र के बाकी बच्चों की तुलना में भी गांधी जी काफी शांत स्वभाव के थे खुद अपनी गलतियों से सीख ले कर प्रण करते की आगे से इस तरह की गलती नहीं दोहराना है इन्होंने हरिश्चंद्र जैसे किरदारों को जीवन का आदर्श माना और उनसे सीख ली।

गांधीजी अपने प्रयासों के कारण अंग्रेजों के सामने एक चुनौती बने हुए थे जो बिना हिंसा के ही अपनी बात मनवाना जानते थे। गांधी जी की यही अहिंसा रूपी क्रांति भारत की आजादी के लिए मील का पत्थर साबित हुई आज पूरी दुनिया मोहनदास करमचंद गांधी को एक सफल  नेता एवं सत्य और अहिंसा के पुजारी के रूप में जानते हैं।

गांधी जी का जन्म स्थान और परिवार -

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी का एवं उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था वे अपने पिता की आखिरी संतान हुए एवं उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जोकि करमचंद गांधी की चौथी पत्नी थी उनके पहले करमचंद गांधी की तीन पत्नियों का प प्रसव के दौरान आकस्मिक निधन हो गया था। 

महात्मा गांधी अभी स्कूल में पढ़ ही रहते थे कि 13 वर्ष की आयु में इनका विवाह कस्तूरबा से करवा दिया गया जोकि उनसे उम्र में 6 माह की बड़ी थी कस्तूरबा और गांधी जी के पिता आपस में काफी पुराने अच्छे मित्र थे यही वजह थी कि उन दोनों ने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने का निश्चय किया।

गांधी जी की शिक्षा -

इन्होंने अपने शुरुआती शिक्षा पोरबंदर में की आगे की और स्कूलिंग करने राजकोट चले गए  महात्मा गांधी पढ़ाई में कोई खास प्रगतिशील नहीं थे और ना ही किसी खेलकूद में में ज्यादा रुचि थी वे केवल एक आम से छात्र की तरह ही थे शायद उस वक्त तो उन्होंने खुद भी अपने बारे में यह नहीं सोचा होगा कि आगे जा कर उन्हें दुनिया इतना सम्मान देगी।

स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद गांधी जी को वकालत की शिक्षा लेने हेतु इंग्लैंड भेज दिया गया जहां पर उन्होंने अपना बैरिस्टर बनने का सफर पूरा किया और उसके साथ ही इंग्लैंड की संस्कृति आदि को बारीकी से समझा बैरिस्टर बन कर उन्होंने किसी केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाने का फैसला किया और इंग्लैंड से अफ्रीका तक के सफर में गांधी जी को सिर्फ उनके रंग के कारण काफी अभद्र व्यवहारों का सामना करना पड़ा यहां तक की उन्हें टिकट होने के बावजूद भी ट्रेन के उस खास हिस्से में सफर नहीं करने दिया गया और इसके बाद गांधी जी ने इस अत्याचार के खिलाफ शांतिपूर्वक विचार का मन बना लिया और एक लंबे समय तक चली लड़ाई के बाद आखिरकार गांधीजी अफ्रीका के अल्पसंख्यक भारतीयों को उनका हक दिलाने में सफल रहे लेकिन जब वे भारत आए तो उन्हें भारत में भी वैसा ही कुछ हाल देखने को मिला जहां अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर ज़ुल्म हो रहे थे भारतीयों को उनकी ही मिट्टी में गुलाम बन कर रहना पड रहा था। तब तक गांधी जी सत्य और अहिंसा की कीमत समझ चुके थे और उन्होंने निश्चय लिया की दे भारत को इस गुलामी से आजाद करा कर ही रहेंगे और गांधी जी ने कुछ समय तक भारतीयों को समझाया वह तैयार किया अहिंसा का मतलब समझाया और फिर धीरे-धीरे अंग्रेजों की नींव हिलाने प्रयास करने लगे।

महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन -

महात्मा गांधी ने अपने अहिंसा रूपी दिव्य अस्त्र से अंग्रेजों को हिला कर रख दिया था उनके द्वारा समय-समय पर कई आंदोलन चलाए गए जिसके फलस्वरूप अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा था।

दक्षिण अफ्रीका में मिली सफलता के बाद गांधीजी सन 1915 मैं भारत वापस लौट आए भारत लौटने पर उनका स्वागत किया गया और तब ही से इन्हें महात्मा कहकर पुकारा जाने लगा। भारत आने के बाद उन्होंने आगे तीन-चार साल भारत की स्तिथि का अध्यन किया और किसान एवं श्रमिकों पर लगाए गए भारी लगान व अन्य करो विरोध में लोगों को जागरूक कर एकत्र करना शुरू किया एवं अपने अहिंसा अहिंसा रूपी आंदोलन की शुरुआत की।

सन् 1919 में गांधी जी ने अंग्रेजों द्वारा बनाए  रॉलेट एक्ट कानून पूर्ण विरोध किया जिसके तहत किसी को भी केवल शक के आधार पर बिना कोर्ट के फैसले की जेल में डाल दिया जाता था और इसके आगे भी गांधी जी ने दांडी यात्रा, 1920 सविनय अवज्ञा आंदोलन,1930 असहयोग आंदोलन एवं 1942 भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अहिंसा एवं शांतिपूर्ण आंदोलनों को जारी रखा जिसके फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 में भारत को आजादी मिली।

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गांधी जी को दी गई उपाधियां -

1915 में गांधी जी के भारत वापस लौटने के बाद उन्हें उनके अच्छे कामों के कारण कई उपाधियों से नवाजा गया था जिसमें सबसे पहले रविंद्र नाथ टैगोर ने गांधी जी को महात्मा कहकर संबोधित किया था विद्वानों के अनुसार एक मत यह भी है कि गांधी जी को सबसे पहले महात्मा स्वामी श्रद्धानंद जी ने कहा था।

इसी प्रकार महात्मा गांधी साबरमती में जिन लोगों के साथ रहते थे वे उन्हें बापू कहकर संबोधित करते थे इसके अलावा उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि से सम्मानित सर्वप्रथम सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से 6 जुलाई 1944 को किया था।

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महात्मा गांधी का अंतिम समय -

15 August 1947 का दिन यही समय था जिसके लिए गांधीजी के साथ अनेकों क्रांतिकारी, गांधी जी के पदचिन्ह के पीछे चल रहे थे और अपने मार्गो में सफलता प्राप्त कर रहे थे परंतु आजादी के उपरांत 30 जनवरी 1948 के दिन बिरला भवन में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दिया था।

उपसंहार (conclusion) -

महात्मा गांधी या यूं कहें कि हमारे राष्ट्रपिता का जीवन काफी परेशानियों से भरा रहा है उन्होंने भारत की जनता के लिए काफी अच्छे कार्य किए हैं एवं भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए अनेकों आंदोलन किए जिसमें संपूर्ण भारत ने गांधी जी का साथ दिया अपने ऐसे ही कार्यों के कारण गांधीजी अंग्रेजों के गले की फांस बन गए थे जिसकी वजह से उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा है और उन्होंने कई वर्ष जेल में भी बिताए मगर वे अपने निर्णय में हमेशा अडिग रहे और अंग्रजों को भारत छोड़ने पर मजबुर किया। 

15 अगस्त पर निबंध 1000 शब्दों में

महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता पर 10 वाक्य  -

(10 lines on why Gandhiji is called as the father of nation Essay) -

1. 2 अक्टूबर 1869 के दिन संपूर्ण भारत में सरकारी अवकाश घोषित है इस दिन को सभी गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं।

2. गांधीजी सदैव ही सत्य और अहिंसा के पुजारी रहे हैं

3. महात्मा ने अपने जीवन काल और आजादी के संघर्ष के समय 35000 से ज्यादा पत्र पत्रिकाएं लिखें।

4 गांधी जी को अनेकों उपनाम से भी पुकारा जाता था।

5. भारत लौटने के बाद इन्होंने अंग्रेजों से संघर्ष स्वरूप कई तरह के आंदोलन की शुरुआत की।

6. गांधीजी ने संपूर्ण भारत वासियों से विदेशी सामानों का बहिष्कार करने का आवाहन किया था।

7. महात्मा स्वयं चरखा चलाकर अपने लिए खादी वस्त्र बनाते थे।

8. UNO द्वारा वर्ष 2007 से उनके जन्मदिवस को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

9. इन्होंने अपनी बैरिस्टर की पढ़ाई इंग्लैंड से पूरी किया था।

10. गांधी जी ने संपूर्ण विश्व को एक अनोखा शांति संदेश दीया और अहिंसा का पाठ पढ़ाया।

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Mahatma Gandhi: The Father of the Nation

Last updated on October 2, 2022 by ClearIAS Team

mahatma gandhi

Mohandas Karamchand Gandhi is popularly known as Mahatma Gandhi.

Gandhi was a lawyer, nationalist, and anti-colonial activist. He led a non-violent mass movement against the British rule of India which ultimately resulted in Indian independence .

Mahatma Gandhi is revered in India as the Father of the Nation.

Table of Contents

The early life of Mahatma Gandhi: Birth and Family

Mohandas Karamchand Gandhi was born on 2 nd October 1869, in Porbandar in the princely state of Kathiawar in Gujarat.

His father was Karamchand Uttamchand Gandhi who served as a dewan of Porbandar state. His mother was Putlibai who came from Junagadh. Mohandas was the youngest of four children. He had two brothers and a sister.

At age of 13, Mohandas was married to 14-year-old Kastubai Makhanji Kapadia as was the custom at that time.

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His father passed away in 1885, and the same year he and his wife lost their first child. The Gandhi couple later had four sons over the years.

Education of Mahatma Gandhi

Gandhi Ji received his primary education in Rajkot where his father had relocated as dewan to the ruler Thakur Sahib. He went to Alfred high school in Rajkot at the age of 11.

In 1887, at the age of 18, Gandhi Ji graduated from a high school in Ahmedabad. He later enrolled at a college in Bhavnagar but dropped out later. He had also joined and eventually dropped out of a college in Bombay.

He then went to London in 1888 to pursue law at the university college. After completing his studies, he was invited to be enrolled at Inner temple to become a barrister.

He returned to India in 1891 at the age of 22 after his mother passed away.

He failed to establish a successful law career both in Rajkot and Bombay.

In 1893, he moved to Durban, South Africa, on a one-year contract to sort out the legal problems of Abdullah, a Gujarati merchant.

South Africa during the 1800s

The British had colonized and settled in the Natal and Cape provinces of South Africa during the 1840s and 50s. Transvaal and Orange Free State were independent Boer (British and Dutch settlers) ruled states. Boer means farmer settler in Dutch and Afrikaans. The governance of colonial regions (Natal and Cape) was controlled by the minority white population which enforced segregation between government-defined races in all spheres.

This created three societies- whites (British and Dutch or Boer ancestry), Blacks and Coloureds (mixed race) which included ethnic Asians (Indians, Malayans, Filipinos, and Chinese).

Indian immigration to South Africa began in the 1860s, when whites recruited indentured Indian labour (Girmityas), especially from south India, to work on sugar plantations. Later many Indian merchants, mostly meman Muslims also migrated. By the 1890s, the children of the ex-indentured labourers had settled down in South Africa making up the third group.

Mahatma Gandhi in South Africa

1893 : Mohandas Gandhi witnessed extreme apartheid or racial discrimination against Asians in South Africa. His journey from Durban to Pretoria witnessed the famous incident when he was thrown out of a first-class compartment by a white man at Pietermaritzburg station. Upon arriving at Johanessburg, he was refused rooms in the hotels.

These experiences motivated him to stay in South Africa for a longer period to organize the Indian workers to enable them to fight for their rights. He started teaching English to the Asian population there and tried to organize them to protest against the oppression.

1894: After the culmination of his Abdullah case in 1894, he stayed on there and planned to assist Indians in opposing a bill to deny them the right to vote. He founded the Natal Indian Congress and moulded the Indian community into a unified political force.

1899-1902: The Boer War

The Boer War extended Britain’s control from Natal and Cape Province to include Transvaal and Orange Free State.

During this time, Gandhi volunteered to form a group of stretcher-bearers as the Natal Indian ambulance corps. It consisted of indentured labourers and was funded by the Indian community and helped treatment and evacuation of wounded British soldiers.

Gandhi Ji thought that helping the British war efforts would win over the British imperial government and earn sympathy for the plight of Indians there. He was also awarded the Queen’s South Africa Medal for serving the British empire.

Till 1906, it was the moderate phase of the struggle for the Indians in South Africa. During this time, Gandhi concentrated on petitioning and sending memorials to the legislatures, the colonial secretary in London, and the British parliament.

1906: The Civil Disobedience in South Africa

The failure of moderate methods led to the second phase of the struggle, civil disobedience or the Satyagraha.

He started two settlements- the Phoenix settlement in Durban and the Tolstoy farm in Johanessburg for helping the needy and initiate a communal living tradition.

His first notable resistance was against the law passed by the government, making it compulsory for Indians to take out certifications of registrations that held their fingerprints and was compulsory to carry it on the person at all times. Gandhi formed a Passive Resistance Association against this.

Gandhi and his followers were jailed. Later the government agreed to withdraw the law if Indians voluntarily registered. They were tricked into the registrations and they protested again by publicly burning their certificates.

1908: The existing campaign expanded to protest against the new law to restrict migrations of Indians between provinces. Gandhi and others were jailed and sentenced to hard physical labour.

1910: Gandhi Ji set up the Tolstoy farm in Johannesburg to ready the satyagrahis to the harsh conditions of the prison hence helping to keep the resistance moving forward.

1911: Gopal Krishna Gokhale visited South Africa as a state guest on the occasion of the coronation of King George V. Gokhale and Gandhi met at Durban and established a good relationship.

1913: The satyagraha continued against varied oppressive laws brought by the government. The movement against the law invalidating marriages not conducted according to Christian rites brought out many Indian women onto the movement.

Gandhi launched a final mass movement of over 2000 men, women, and children. They were jailed and forced into miserable conditions and hard labour. This caused the whole Indian community in South Africa to rise on strike.

In India, Gokhale worked to make the public aware of the situation in South Africa which led the then Viceroy Hardinge to call for an inquiry into the atrocities.

A series of negotiations took place between Gandhiji, Viceroy Hardinge, CR Andrews (Christian missionary and Indian Independence activist), and General Smuts of South Africa. This led to the government conceding to most of the Indians’ demands.

Gandhiji’s return to India: 1915

1915: On the request of Gokhale, conveyed by CF Andrews (Deenbandhu), Gandhi Ji returned to India to help with the Indian struggle for independence .

The last phase of the Indian National movement is known as the Gandhian era.

Mahatma Gandhi became the undisputed leader of the National Movement. His principles of nonviolence and Satyagraha were employed against the British government. Gandhi made the nationalist movement a mass movement.

On returning to India in 1915, Gandhi toured the country for one year on Gokhale’s insistence. He then established an ashram in Ahmedabad to settle his phoenix family.

He first took up the cause of indentured labour in India thus continuing his fight in South Africa to abolish it.

Gandhiji joined the Indian National Congress and was introduced to Indian issues and politics and Gokhale became his political Guru.

1917: At this point, World war I was going on, and Britain and France were in a difficult position. Germany had inflicted a crushing defeat on both the British and French troops in France.

Russia’s war effort had broken down and the revolution was threatening its government.

America had entered the war but no American troops had yet reached the war front.

The British army required reinforcements urgently and they looked to India for participation. Viceroy Chelmsford had invited various Indian leaders to attend a war conference. Gandhi was also invited and he went to Delhi to attend the conference.

After attending the viceroy’s war conference Gandhiji agreed to support the recruitment of Indians in the British war effort. He undertook a recruitment campaign in Kaira district, Gujarat.

He again believed that support from Indians will make the British government look at their plight sympathetically after the war.

Early movements by Gandhiji

Champaran Satyagraha, Kheda Satyagraha, and Ahmedabad Mill Strike were the early movements of Gandhi before he was elevated into the role of a national mass leader.

1917: Champaran Satyagraha

Champaran Satyagraha of 1917 was the first civil disobedience movement organized by Gandhiji. Rajkumar Shukla asked Gandhi to look into the problems of the Indigo planters.

The European planters had been forcing passengers to grow Indigo on a 3/20 of the total land called the tinkatiya system.

Gandhi organized passive resistance or civil disobedience against the tinkatiya system. Finally, the authorities relented and permitted Gandhi to make inquiries among the peasants. The government appointed a committee to look into the matter and nominated Gandhi as a member.

Rajendra Prasad, Anugrah Narayan Sinha, and other eminent lawyers became inspired by Gandhi and volunteered to fight for the Indigo farmers in court for free.

Gandhi was able to convince the authorities to abolish the system and the peasants were compensated for the illegal dues extracted from them.

1918: Kheda satyagraha

The Kheda Satyagraha was the first noncooperation movement organized by Gandhi.

Because of the drought in 1918 crops failed in the Kheda district of Gujarat. According to the revenue code if the yield was less than one-fourth of the normal produced the farmers for entitled to remission. Gujarat sabha sent a petition requesting revenue assessment for the year 1919 but the authorities refused to grant permission.

Gandhi supported the peasants’ cause and asked them to withhold revenue. During the Satyagraha, many young nationalists such as Sardar Vallabhbhai Patel and Indulal Yagnik became Gandhi’s followers.

Sardar Patel led a group of eminent people who went around villages and gave them political advisors and instructions.

The government finally agreed to form an agreement with the farmers and hence the taxes were suspended for the years 1919 and 1920 and all confiscated properties were returned.

1918: Ahmedabad mill strike

This was Gandhi’s first hunger strike. He intervened in a dispute between Mill owners of Ahmedabad and the workers over the issue of discontinuation of the plague bonus.

The workers were demanding a rise of 50% in their wages while the employees were willing to concede only a 20% bonus.

The striking workers turned to Anusuiya Sarabai in quest of justice and she contacted Gandhi for help. He asked the workers to go on a strike and to remain non-violent and undertook a fast unto death to strengthen the workers’ resolve.

The mill owners finally agreed to submit the issue to a tribunal and the strike was withdrawn in the end the workers receive a 35% increase in their wages.

Gandhiji’s active involvement in the Indian National Movement

Gandhi’s active involvement in the Indian Freedom Struggle was marked by many mass movements like the Khilafat Movement, Non-Cooperation Movement, Civil Disobedience Movement, and Quit India Movement.

1919: Khilafat movement

During World War I Gandhi sought cooperation from the Muslims in his fight against the British by supporting the Ottoman Empire that had been defeated in the world war.

The British passed the Rowlatt act to block the movement. Gandhi called for a nationwide Satyagraha against the act.

It was Rowlatt Satyagraha that elevated Gandhi into a national leader. Rowlatt Satyagraha was against the unjust Rowlatt Act passed by the British.

On April 13th, 1919 the Jallianwala Bagh incident took place. Seeing the violence spread Mahatma Gandhi called off the civil disobedience movement on the 18th of April.

1920: Non-Cooperation Movement

Gandhi convinced the congress leaders to start a Non-Cooperation Movement in support of Khilafat as well as Swaraj. At the congress session of Nagpur in 1920, the non-cooperation program was adopted.

1922 : Chauri chaura incident took place, which caused Gandhi to withdraw from the non-cooperation movement.

After the non-cooperation movement ended, Gandhi withdrew from the political platform and focused on his social reform work.

1930:  The Salt March and The Civil Disobedience Movement

Gandhi declared that he would lead a march to break the salt law as the law gave the state the Monopoly on the manufacturer and the sale of salt.

Gandhi along with his followers marched from his ashram in Sabarmati to the coastal town of Dandi in Gujarat where they broke the government law by gathering natural salt and boiling seawater to produce salt.

This also marked the beginning of the civil disobedience movement.

1931 : The Gandhi Irwin pact

Gandhi accepted the truce offered by Irwin and called off the civil disobedience movement and agreed to attend the second round table conference in London as the representative of the Indian National Congress.

But when he returned from London he relaunched the civil disobedience movement but by 1934 it had lost its momentum.

1932 : Poona pact

This was a pact reached between B.R Ambedkar and Gandhi concerning the communal awards but in the end, strived to achieve a common goal for the upliftment of the marginalized communities of the Indian society.

1934 : Gandhi resigned from the Congress party membership as he did not agree with the party’s position on varied issues.

Gandhi returned to active politics in 1936 with the Lucknow session of Congress where Jawaharlal Nehru was the president.

1938 : Gandhi and Subhash Chandra Bose’s principles clashed during the Tripuri session which led to the Tripuri crisis in the Indian National Congress.

1942: Quit India movement

The outbreak of World war II and the last and crucial phase of national struggle in India came together.

The failure of the Cripps mission in 1942 gave rise to the Quit India movement.

Gandhi was arrested and held at Aga Khan Palace in Pune. During this time his wife Kasturba died after 18 months of imprisonment and in 1944 Gandhi suffered a severe malaria attack.

He was released before the end of the war on 6th May 1944. World war II was nearing an end and the British gave clear indications that power would be transferred to Indians hence Gandhi called off the struggle and all the political prisoners were released including the leaders of Congress.

Partition and independence

Gandhiji opposed the partition of India along religious lines.

While he and Congress demanded the British quit India the Muslim league demanded to divide and quit India.

All of Gandhi’s efforts to help Congress and the Muslim league reach an agreement to corporate and attain independence failed.

Gandhiji did not celebrate the independence and end of British rule but appealed for peace among his countrymen. He was never in agreement for the country to be partitioned.

His demeanour played a key role in pacifying the people and avoiding a Hindu-Muslim riot during the partition of the rest of India.

Death of Mahatma Gandhi

30th January 1948

Gandhiji was on his way to address a prayer meeting in the Birla House in New Delhi when Nathuram Godse fired three bullets into his chest from close range killing him instantly.

Mahatma Gandhi’s legacy

Throughout his life, in his principles practices, and beliefs, he always held on to non-violence and simple living. He influenced many great leaders and the nation respectfully addresses him as the father of the nation or Bapu.

He worked for the upliftment of untouchables and called them Harijan meaning the children of God.

Rabindranath Tagore is said to have accorded the title of Mahatma to Gandhi.

It was Netaji Subhash Chandra Bose who first addressed him as the Father of the Nation.

Gandhian Philosophy inspired millions of people across the world.

Many great world leaders like Nelson Mandela followed Gandhiji’s teachings and way of life. Hence, his impact on the global stage is still very profound.

Literary works of Mahatma Gandhi

Gandhiji was a prolific writer and he has written many articles throughout his life. He edited several newspapers including Harijan in Gujarati, Indian opinion in South Africa, and Young India in English.

He also wrote several books including his autobiography “The Story Of My Experiments with Truth”.

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Reader Interactions

essay on father of nation mahatma gandhi in hindi

January 31, 2022 at 6:36 pm

Gandhi the greatest freedom fighter? It is an irony that Gandhi was a British stooge, he partitioned India and was responsible for death of millions of Hindus and Sikhs during partition. How he and Nehru got Bose eliminated is another story. He slept with many women by his own confession. He never went to kala Pani and enjoyed luxury of British even in jails in India.

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January 31, 2022 at 7:14 pm

How is he ‘Father of nation’ ?? He is not even close to be a father of post-1947 India(It would be Bose anyday).And he is the one who did all kinds of absurd fantasies(mentioned in his own autobiography).His role in independence was MINIMAL ! His non-violence theory was hypocritic and foolish(teaching oppressed instead of oppressor!) And as AMBEDKAR rightly said ‘sometimes good cometh out of evil'(on jan 30th 1948)

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March 26, 2024 at 11:47 am

So true …

Bro I literally agree with all of this…

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May 20, 2022 at 1:37 pm

It is Bose who first gave the title of “Father of the Nation” to Gandhi.

Please try to look at things with an open mind.

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May 26, 2022 at 11:15 am

Ck is wrong I think Mahatma Gandhi Is a TRUE LEADER.

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November 26, 2023 at 8:36 pm

Gandhi the greatest freedom fighter

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essay on father of nation mahatma gandhi in hindi

Essay on Mahatma Gandhi: The Father of the Nation

essay on father of nation mahatma gandhi in hindi

Learn about Mahatma Gandhi, India’s nonviolent freedom fighter, and write an inspiring essay on his life and legacy.

Mahatma Gandhi, also known as the Father of the Nation, was a prominent leader and a freedom fighter of India. He dedicated his life to fighting for India’s independence from the British, using non-violent civil disobedience as a weapon. His philosophy of truth and non-violence, as well as his advocacy for the underprivileged and marginalized sections of society, continue to inspire people around the world to this day. In this essay, we will delve into the life, teachings, and legacy of this great leader.

Essay on Mahatma Gandhi

Mahatma Gandhi, also known as Mohandas Karamchand Gandhi, was a great leader and a freedom fighter of India. He was born on October 2, 1869, in Porbandar, Gujarat. He is also known as the Father of the Nation, as he played a crucial role in India’s struggle for independence from the British.

Gandhi was a lawyer by profession but gave up his law practice to fight for the rights of Indians. He used non-violent civil disobedience as a weapon to fight against the British rule in India. He led many movements such as the Salt March, the Quit India Movement, and the Non-Cooperation Movement to fight for India’s freedom.

Gandhi was a great inspiration to millions of people, not only in India but across the world. He believed in the power of truth, non-violence, and the welfare of the people. He fought for the rights of the underprivileged and the marginalized sections of society, including women and Dalits.

Gandhi’s philosophy of non-violence, also known as Ahimsa, was his greatest weapon in the fight for India’s freedom. He believed that violence only begets violence, and that it is better to fight for one’s rights through peaceful means. He also believed in the power of Satyagraha, which is the force of truth and soul force.

Apart from being a great leader and a freedom fighter, Gandhi was also a prolific writer and a thinker. He wrote extensively on various topics such as politics, religion, and social issues. His most famous works include ‘Hind Swaraj’ and ‘My Experiments with Truth’.

Gandhi’s life and teachings have inspired many people across the world, including great leaders such as Nelson Mandela and Martin Luther King Jr. His ideas of non-violence, truth, and social justice are still relevant today and continue to inspire people to fight for their rights and for the welfare of others.

In conclusion, Mahatma Gandhi was a great leader, a freedom fighter, a prolific writer, and a thinker. His philosophy of non-violence and Satyagraha played a crucial role in India’s struggle for independence. His teachings and ideas continue to inspire people across the world to fight for their rights and for the welfare of others. He will always be remembered as one of the greatest leaders in the world.

Q: When was Mahatma Gandhi born?

A: Mahatma Gandhi was born on October 2, 1869.

Q: Where was Mahatma Gandhi born?

A: Mahatma Gandhi was born in Porbandar, a coastal town in present-day Gujarat, India.

Q: How did Mahatma Gandhi die?

A: Mahatma Gandhi was assassinated on January 30, 1948, by Nathuram Godse, a Hindu nationalist who opposed Gandhi’s philosophy of nonviolence.

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Mahatma Gandhi Essay 10 Lines in English, महात्मा गांधी निबंध 15 लाइन in Hindi_0.1

Mahatma Gandhi Essay 10 Lines in English, महात्मा गांधी निबंध 15 लाइन in Hindi

Take a look at Mahatma Gandhi Essay in 10 lines, 100, 150, and 300 words in English. Also get Mahatma Gandhi's essay in Hindi. Learn his essential teachings of Satya and ahimsa

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Table of Contents

Mahatma Gandhi Essay: Mahatma Gandhi Essay 10 Lines is a popular topic to write for primary school students during the celebration of Gandhi Jayanti. “The Father of the Nation” and the man who struggled to attain freedom for India was Mahatma Gandhi. He protested with the motto of non-violence and due to his extreme courage, the British had to leave India. After reading these Mahatma Gandhi Essay 10 Lines or Mahatma Gandhi essay in English, you will understand Mahatma Gandhi’s life and goals, his teachings, what part he played in India’s independence movement, and why he is the most revered leader in the world and how his birthday is commemorated in our country and so on. Let’s explore all the amazing महात्मा गांधी निबंध in the next part of this article.

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Mahatma Gandhi Essay 10 Lines

The Mahatma Gandhi Essay 10 Lines in English or महात्मा गांधी निबंध 15 लाइन in Hindi are prepared with basic yet powerful vocabulary so that you may rapidly absorb the information and use the information as required in your essay. Mahatma Gandhi is a person who followed the way of non-violence and truth to make the country free from the British Empire, was born on October 2nd, 1869 in Gujarat. He belonged to a very well-to-do family. Throughout his school and college days, he remained a shy boy but was a good and brilliant student. After completing school he went to England to study law and became a barrister. Then he returned to India and began to practice at the Bombay High Court. However, he was not interested in legal services due to the country’s situation. So, he joined the struggle for India’s Freedom.

Know more about National Flag of India.

Mahatma Gandhi Essay 10 Lines in English

The information used in the महात्मा गांधी निबंध 15 लाइन will also be useful for students in giving a speech, writing an essay, or competing in a speech-speaking contest on Gandhi Jayanti. See a sample Mahatma Gandhi essay 10 Lines in English below.

1. Mahatma Gandhi was born on October 2 in Porbandar, 2. He was born in Gujarat, to a Hindi family. 3. In Gujrat, his father served as the Diwan of Porbandar. 4. Kasturba Makhangi Kapadia, a woman, and he were married in May. 5. On September 4, 1888, he departed for London to pursue further education. 6. He campaigned against racial prejudice and started out as a civil rights activist in South Africa in 1893. 7. In 1915, he served as the Indian Nation Congress organization’s founder. 8. The title “Mahatma” was given to him in South Africa in 1914. 9. In India, Mahatma Gandhi was affectionately called ‘Bapu’ and ‘Gandhiji’. 10. He started his first movement against British rule in 1917.

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Mahatma Gandhi Essay in English

The real name of Mahatma Gandhi is “Mohandas Karamchand Gandhi”. He was born on 2nd October 1869. The birth location was Porbandar. His parents were “Karamchand Gandhi” and his mother, “Putlibai Gandhi”. He was the youngest among 3 other siblings. At the tender age of 13 years, he was married off to Kasturba Gandhi. After he completed his schooling at Porbandar, he left for South Africa to pursue law studies in 1890. For your information and education, below are some short and long Mahatma Gandhi Essay in English.

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Essay on Mahatma Gandhi in 100 Words

An iconic figure in both Indian and global history, Mahatma Gandhi continues to stand for moral leadership and peaceful opposition. He was born in Porbandar, India, on October 2, 1869, and devoted his life to the pursuit of justice, the truth, and independence from British colonial control.

Gandhi’s nonviolent resistance, or satyagraha, doctrine served as the cornerstone of the Indian independence movement. His leadership of multiple campaigns and demonstrations, such as the Salt March and Quit India Movement, encouraged millions of people to take up the cause of freedom.

Gandhi promoted social reforms like equality, religious tolerance, and economic independence in addition to his political activity. He will remain forever as the towering symbol of peace and unity.

Mahatma Gandhi Essay 150 Words

Among the most important individuals of the 20th century was Mahatma Gandhi. Known as the Father of India, he spearheaded the country’s independence campaign. Gandhi was a fervent supporter of civil disobedience and nonviolence, and his strategies have served as an inspiration to social change organisations all across the world.

In 1869, Gandhi was born in Porbandar, India. After graduating from law school in England in 1891, he went back to India to practice. But he quickly got engaged in political and social activities. Gandhi visited South Africa in 1893 and saw firsthand the prejudice that Indians suffered there. He was motivated to fight for justice and equality for the rest of his life by this encounter.

Those who work for justice, peace, and human rights continue to find inspiration in his life and beliefs. An enduring and renowned personality in history, Gandhi is known for his unflinching adherence to his ideas and his dedication to the development of humanity.

Mahatma Gandhi Essay- Mahatma Gandhi in South Africa

Mahatma Gandhi Essay 10 Lines – In South Africa, during his studies, Mahatma Gandhi found that the Africans and Indians were discriminated against. They were not allowed to mix with the locals and had separate localities to reside in. They were even not allowed to drink the same water or food which the locals had.

Mahatma Gandhi was himself discriminated against and not allowed to board a first-class train as he did not belong to the white community. 21 years he stayed in South Africa. He felt the need for a change and protested against the policy which did not allow Indians to vote. He protested and others joined him in the move.

His protests slowly brought his hard work to notice and the British started respecting the Indians and Africans. They were now given more liberty and freedom as compared to earlier times. With this successful movement of “Satyagraha”, Mahatma Gandhi came to be known as a great politician in South Africa.

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Mahatma Gandhi Essay in English 300 Words

After 21 years of stay in South Africa, Mahatma Gandhi returned to India in 1914. He founded Satyagraha Ashram in 1915 intending to help Indians attain freedom. This was located at Sabarmati.

Staying in the ashram, he used to preach non-violence and started thinking of ways to fight against the British using non-violence. With the Rowlatt Act being passed, Mahatma Gandhi denied the civil liberty of the Indians. This was the start of his entry into Indian politics.

Eventually, he became the person who couldn’t be defeated under any circumstances and was made the leader of the Indian Freedom Movement. Three mass movements launched by him made the people of India believe in unity. The three movements were Non-Cooperation Movement in 1920, the Civil Disobedience movement in 1939, and the Quit India Movement in 1942.

The Quit India Movement was the greatest success with all the Indians protesting united under the guidance of Mohandas Karamchand Gandhi. This was the last movement against the British and they were forced to leave India. Thus, India achieved Independence.

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Mahatma Gandhi Essay- Death and Birthday

Mahatma Gandhi died an unnatural death. He died as Nathuram Godse shot him while he was on his way to evening prayers on January 30, 1948. Mahatma Gandhi’s birthday is celebrated on 2nd October by the nation in the form of a National holiday.

महात्मा गांधी पर लेख इंग्लिश में

Mahatma Gandhi, jinhone Bharat ke svatantrata sangram mein mahatvapurn bhumika nibhai aur ahinsa aur satyagraha ke prashankon ko prachin dharmik tatvon se jodkar ek naya andolan prastut kiya, unka janm 2nd October 1869 ko Porbandar, Gujarat mein hua tha. Unka janm naam Mohandas Karamchand Gandhi tha, lekin log unhe aamtaur par Bapu ke naam se jante hain.

Mahatma Gandhi Jivan Parichay in English

Shiksha aur Videsh Yatra: Gandhi ji ki shiksha Sabarmati Ashram, Ahmedabad aur Rajkot ke Alfred High School mein hui. Unhone videsh mein bhi padhai ki aur vahan ke samajik samasyaon se prabhavit hue. Videsh yatra ke baad, unhone vakalat ki padhai ki aur South Africa chale gaye.

Satyagraha in South Africa: Gandhi ji South Africa mein ek vakeel ke roop mein kaam karte hue vahan ke apartheid vyavastha ke khilaf awaz uthai. Vahan unhone ‘Satyagraha’ ka pratham prayog kiya, jise bad mein Bharat mein bhi prasiddhi mili.

Bharat Aana: Gandhi ji 1915 mein Bharat laut aaye aur unhone aadhunik Bharatiya svatantrata andolan ko ek naya marg dikhaya. Unhone Champaran, Kheda, aur Ahmedabad mein kisanon aur kamgaron ke liye satyagraha kiya.

Non-Cooperation Movement: Gandhi ji ne 1920 mein Bharat mein ‘Asahayog Andolan’ shuru kiya, jisme Bharatiya janata ko Angrezi samrajya ke virudh apni sahmati se asahayog karne ki ajadi di.

Salt March (Namak Satyagraha): Gandhi ji ke pramukh andolanon mein se ek tha Namak Satyagraha. Unhone 1930 mein Dandi March ke roop mein Namak Adhikar Andolan ko prarambh kiya.

Quit India Movement: 1942 mein, Gandhi ji ne ‘Bharat Chodo Andolan’ ko pramukh andolan banaya, jisme unhone Bharatiya samrajya ke virudh bharat ko azadi dene ki mang ki.

Bharat Ki Azadi: Gandhi ji ke pramukh neta banne ke baad, Bharat ko 1947 mein svatantrata mili aur vah desh ka pratham Rashtrapati bane.

Ahinsa aur Samrasta: Gandhi ji ne hamesha ahinsa, samrasta, aur samajik nyay ki or agrasar rahe. Unka pramukh sandesh tha ki “An eye for an eye makes the whole world blind.”

Assassination: Gandhi ji ki hatya 30th January 1948 ko Delhi mein Nathuram Godse dwara ki gayi. Unka nidhan bharat aur poore vishw ke logon ke liye ek bhari dukhad ghatna thi.

Gandhi ji ke pramukh siddhanton mein ahinsa, satyagraha, swadeshi, samrasta, aur sarvodaya shamil hain. Unka jivan ek prerna srot raha hai aur aaj bhi unki yaad dil mein hai. Gandhi ji ko Mahatma (Mahaan Atma) ke roop mein jana jata hai, aur unka yogdan bharat ki svatantrata aur antarrashtriya shanti ke kshetron mein mahatvapurn hai.

गांधीजी के बारे में 10 लाइन

1. महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर को पोरबंदर में हुआ था,

2. उनका जन्म गुजरात में एक हिंदी परिवार में हुआ था। 3. गुजरात में, उनके पिता ने पोरबंदर के दीवान के रूप में सेवा की। 4. कस्तूरबा माखंगी कपाड़िया, एक महिला और उनकी शादी मई में हुई थी।

5. 4 सितंबर, 1888 को वे आगे की शिक्षा हासिल करने के लिए लंदन चले गए।

6. उन्होंने नस्लीय पूर्वाग्रह के खिलाफ अभियान चलाया और 1893 में दक्षिण अफ्रीका में एक नागरिक अधिकार कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की।

7. 1915 में, उन्होंने भारतीय राष्ट्र कांग्रेस संगठन के संस्थापक के रूप में कार्य किया।

8. 1914 में दक्षिण अफ्रीका में उन्हें “महात्मा” की उपाधि दी गई थी।

9. भारत में महात्मा गांधी को प्यार से ‘बापू’ और ‘गांधीजी’ कहा जाता था।

10. उन्होंने 1917 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना पहला आंदोलन शुरू किया।

महात्मा गांधी निबंध 15 लाइन

महात्मा गांधी निबंध:

  • महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे।
  • उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था।
  • उन्होंने नॉन-कोऑपरेशन मूवमेंट और सॉल्ट सत्याग्रह जैसे आंदोलनों का नेतृत्व किया।
  • महात्मा गांधी को “बापू” के रूप में भारतीय लोगों द्वारा पुकारा जाता था।
  • उन्होंने अहिंसा का पालन किया और सत्य के प्रति अपना पूरा आस्थान रखा।
  • वे चरक्का और खड़ी चादर जैसे साम्बोलिक प्रतीक का उपयोग करते थे।
  • गांधीजी ने भारतीयों को विशेष रूप से चरक्का सत्याग्रह के माध्यम से जोड़ा।
  • उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को सफलता दिलाने में महत्वपूर्ण था।
  • उन्होंने विश्वास किया कि आत्मा की शक्ति से ही बदलाव संभव है।
  • उन्होंने असहमति के बावजूद शांति और साहमति की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • महात्मा गांधी का उद्धारण “आँख दिखाने में कीमत है” है।
  • उन्होंने स्वच्छता अभियान की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उनका आकर्षक व्यक्तित्व और सद्गुणों से भारतीयों का मनमोहन किया।
  • महात्मा गांधी का निधन 30 जनवरी 1948 को हुआ, लेकिन उनकी यादें हमें सदैव याद रहेंगी।
  • गांधीजी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रति अपना अद्वितीय समर्पण और समर्पण दिखाया और उन्हें एक महान आदर्श माना जाता है।

Mahatma Gandhi Essay 10 Lines in English, महात्मा गांधी निबंध 15 लाइन in Hindi_4.1

महात्मा गांधी पर निबंध 20 लाइन

महात्मा गांधी एक महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे।

  • महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था।
  • उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में सम्मानित किया गया है।
  • उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों का पालन किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नेतृत्व किया।
  • गांधी जी ने दंड मुक्ति आंदोलन, दांडी मार्च, चम्पारण आंदोलन, खिलाफत आंदोलन आदि महत्वपूर्ण आंदोलनों का आयोजन किया।
  • उन्होंने अपार भारतीय जनता का साथ पाकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया।
  • महात्मा गांधी ने स्वच्छता और स्वदेशी आंदोलन के माध्यम से जनमानस को सजग किया और राष्ट्रीय आन्दोलनों को एक महान आदर्श प्रदान किया।
  • उन्होंने अपनी जीवन में सरलता और निर्भरता के सिद्धांतों का पालन किया और जीवन को एक उदाहरण सेतु बनाया।
  • गांधी जी का सपना था कि भारत स्वतंत्र हो और समृद्धि की ओर अग्रसर हो।
  • उन्होंने जन जीवन में सादगी का पूरा उल्लंघन किया और खुद को स्वावलंबी बनाया।
  • गांधी जी का निधन 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में हुआ, जिसने भारतीय जनता को गहरी शोक में डाल दिया।
  • उनके मृत्यु के बाद, उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपने महान योगदान के लिए हमें एक आदर्श और प्रेरणा स्रोत के रूप में रहा।
  • उनके द्वारा प्रयाग में आयोजित ‘हरि-कथा’ और ‘भागवत कथा’ की आयोजना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आग में और बढ़ा दी।
  • गांधी जी का आदर्श आज भी हमें सच्चाई, न्याय, और सामाजिक न्याय के प्रति समर्पित रहने की प्रेरणा देता है।
  • उन्होंने खुद को स्वयं को अपने कार्यों के माध्यम से सबके लिए समर्पित किया और सर्वोदय की भावना को प्रोत्साहित किया।
  • उन्होंने विविधता की प्राप्ति की बजाय एकता और अखंडता की प्राथमिकता दी।
  • उनकी आत्मकथा ‘मेरे आत्मकथा’ भारतीय लोगों के बीच उनके जीवन और विचारों के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करती है।
  • महात्मा गांधी का आदर्श आज भी हमारे समाज को एकता, शांति, और समृद्धि की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
  • उन्होंने अपने शिक्षार्थियों को शिक्षा के माध्यम से जागरूक और सशक्त बनाने का प्रयास किया।
  • गांधी जी के आदर्शों का पालन करके हम भारत को एक बेहतर और समृद्धि योग्य देश बना सकते हैं।
  • गांधी जी की स्मृति को श्रद्धांजलि देते हैं और उनके योगदान को कभी नहीं भूलते हैं।

Mahatma Gandhi ka Nibandh

महात्मा गांधी निबंध: “राष्ट्रपिता” और भारत के लिए स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए संघर्ष करने वाले व्यक्ति महात्मा गांधी थे। उन्होंने अहिंसा के आदर्श वाक्य का विरोध किया और उनके अत्यधिक साहस के कारण, अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा।

महात्मा गांधी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने देश को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्त करने के लिए अहिंसा और सत्य का मार्ग अपनाया, उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात में हुआ था। वह एक बहुत ही संपन्न परिवार से ताल्लुक रखता था। अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में, वह एक शर्मीला लड़का बना रहा, लेकिन एक अच्छा और मेधावी छात्र था। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए और बैरिस्टर बन गए। फिर वे भारत लौट आए और बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। लेकिन देश की स्थिति के कारण उन्हें कानूनी सेवाओं में कोई दिलचस्पी नहीं थी। इसलिए, वह भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में शामिल हो गए।

महात्मा गांधी का असली नाम “मोहनदास करमचंद गांधी” है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। जन्म स्थान पोरबंदर था। उनके माता-पिता “करमचंद गांधी” और माता, “पुतलीबाई गांधी” थे।

वह 3 अन्य भाई-बहनों में सबसे छोटा था। 13 वर्ष की अल्पायु में ही उनका विवाह कस्तूरबा गांधी से कर दिया गया। पोरबंदर में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, वे 1890 में कानून की पढ़ाई करने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए।

दक्षिण अफ्रीका में, अपने अध्ययन के दौरान, महात्मा गांधी ने पाया कि अफ्रीकियों और भारतीयों के साथ भेदभाव किया जाता था। उन्हें स्थानीय लोगों के साथ घुलने-मिलने की अनुमति नहीं थी और रहने के लिए अलग-अलग इलाके थे। उन्हें वही पानी या भोजन पीने की भी अनुमति नहीं थी जो स्थानीय लोगों के पास था।

महात्मा गांधी के साथ स्वयं भेदभाव किया गया था और उन्हें प्रथम श्रेणी की ट्रेन में चढ़ने की अनुमति नहीं दी गई थी क्योंकि वे श्वेत समुदाय से संबंधित नहीं थे। 21 साल वह दक्षिण अफ्रीका में रहे। उन्होंने बदलाव की आवश्यकता महसूस की और उस नीति का विरोध किया जिसने भारतीयों को वोट देने की अनुमति नहीं दी। उन्होंने इसका विरोध किया और अन्य लोग उनके साथ इस कदम में शामिल हो गए।

उनके विरोध ने धीरे-धीरे उनकी कड़ी मेहनत को नोटिस में लाया और अंग्रेजों ने भारतीयों और अफ्रीकियों का सम्मान करना शुरू कर दिया। उन्हें अब पहले के समय की तुलना में अधिक स्वतंत्रता और स्वतंत्रता दी गई थी। “सत्याग्रह” के इस सफल आंदोलन के साथ, महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका में एक महान राजनेता के रूप में जाना जाने लगा।

दक्षिण अफ्रीका में 21 साल रहने के बाद, महात्मा गांधी 1914 में भारत लौट आए। उन्होंने 1915 में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारतीयों को स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद करना था। यह साबरमती में स्थित था।

आश्रम में रहकर वे अहिंसा का उपदेश देते थे और अहिंसा का प्रयोग करते हुए अंग्रेजों से लड़ने के उपाय सोचने लगे। रॉलेट एक्ट पारित होने के साथ, महात्मा गांधी ने भारतीयों की नागरिक स्वतंत्रता से इनकार कर दिया। यह भारतीय राजनीति में उनके प्रवेश की शुरुआत थी।

आखिरकार, वे ऐसे व्यक्ति बन गए जिन्हें किसी भी परिस्थिति में पराजित नहीं किया जा सकता था और उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेता बनाया गया था। उनके द्वारा चलाए गए तीन जन आंदोलनों ने भारत के लोगों को एकता में विश्वास दिलाया। 1920 में असहयोग आंदोलन, 1939 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन तीन आंदोलन थे।

मोहनदास करमचंद गांधी के मार्गदर्शन में एकजुट होकर विरोध करने वाले सभी भारतीयों के साथ भारत छोड़ो आंदोलन सबसे बड़ी सफलता थी। यह अंग्रेजों के खिलाफ अंतिम आंदोलन था और उन्हें भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। इस प्रकार भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की।

महात्मा गांधी की अप्राकृतिक मृत्यु हुई। 30 जनवरी, 1948 को शाम की प्रार्थना के लिए जाते समय नाथूराम गोडसे ने उन्हें गोली मार दी, क्योंकि उनकी मृत्यु हो गई। महात्मा गांधी का जन्मदिन 2 अक्टूबर को राष्ट्र द्वारा राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है।

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Essay on Mahatma Gandhi – The Father Of The Indian Nation

mahatma gandhi

Mahatma Gandhi was the father of Indian Nation. He led the country in the struggle for freedom. His sacrifices and sacred life impressed the people of this country and the world. He believed in simple living and high thinking. He used to live in\simple Khadi and take Goat’s milk. He was a pure vegetarian. He had faith in God. He read out the Bhagwat Gita and followed the lines (as) laid down in that great volume written by the ancient and learned seers. He studied the Ramayana as well and thus was attracted towards the principles of lofty spiritualism. He knew that the performance of duty was quite necessary.

Mahatma Gandhi Essay in English in 1000 Words pdf

It is indeed very sad that our country saw the martyrdom of this great patriot at the hands of an Indian. But he lived and died for his own principles of life. He wanted the people of all the religions to live peacefully with one another. He treated all the human beings as the children of God. He, therefore preached the gospel of brotherhood of mankind. Shri Mohan Das Karam Chand Gandhi was born on 2nd October, 1869 at Porbandur in Gujarat. Gandhiji received higher education in England and there also he remained as a pure vegetarian.

When he completed his studies, he returned to his country and worked as a lawyer. He went back to South Africa where he took part in the non- co-operation movement of the Indians and other people of Asiatic Origin. He was arrested along with his wife.

Thus, after helping the Indians in South Africa and taking part in many movements Gandhiji returned to India in 1914 after 20 years’ stay in South Africa. Mahatma Gandhi started the Satyagrah Ashram in India and took the vow of truth. He believed in non-violence. He started helping the textile workers of Ahmadabad in 1918. Gandhiji started taking part in the non-co-operation movement against the British. He had started the famous Dandi March. Gandhiji was arrested many times and stayed in jail.

About Mahatma Gandhi Thousand Words in English

In 1942, he led the famous Quit India Movement. The slogan ‘Britishers leave India’ echoed from every nook and corner of the country. He was thrown behind the bars. Gandhiji was the moving spirit behind the Congress organization and the freedom movement. It was under his guidance that the country became free. In 1947, India became free, after centuries of slavery. The people heaved a sigh of relief but the country was divided into two Dominions — Indian Union and Pakistan. Besides this, the country got another setback.

On January 30, 1948, he was assassinated when offering prayers at Birla Hall. The words ‘Hey Rain’, escaped his lips thrice before he breathed his last. One of the reasons for resentment against him was that he had asked the Indian Government to give Rs. 55crore to Pakistan as their due on certain accounts. The whole nation mourned his death. People all over the world were moved over the ironic tragedy.

Mahatma Gandhi was a great leader. He had his own principles of life. He believed in selfless service. He upheld moral principles. He followed the path of truth and non-violence throughout life.

Mahatma Gandhi Essay in English Download

He wanted to create an ideal society by removing untouchability. He wanted to establish a society based on the Panchayati Raj. He favoured the establishment of cottage industries. He did not believe in the caste-system. Mahatma Gandhi died, but he has become immortal. He is respected all the world over. His principles are known as Gandhism.

His Samnadhi is at Raj Ghat in New Delhi. The people from different countries visit his Samadhi in a large number every day and pay him their homage.

He is the guiding spirit of the Indian Government. He was a philosopher and politician. He was a saint and a non-violent fighter. The whole world respects him as a great man, who served the whole of the humanity.

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essay on father of nation mahatma gandhi in hindi

'Withdraw his candidature': Congress on Abhijit Gangopadhyay's Godse remark

Congress has demanded the withdrawal of bjp candidate abhijit gangopadhyay's lok sabha candidature over his remark of being unable to choose between gandhi and godse, sparking controversy amidst the upcoming elections in west bengal..

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Jairam Ramesh/Abhijit Gangopadhyay

  • Congress criticises ex-judge Abhijit Gangopadhyay's remark on Gandhi and Godse
  • Gangopadhyay says he can't choose between Gandhi and Godse
  • Congress demands withdrawal of Gangopadhyay's candidature

The Congress has slammed former Calcutta High Court judge Abhijit Gangopadhyay over his reported remark that he "cannot choose between Gandhi and Godse " and demanded that his candidature for the Lok Sabha polls from the BJP be withdrawn.

Gangopadhyay, while speaking to a Bengali channel, was quoted as saying that he "cannot choose between (Mahatma) Gandhi and (Naturam) Godse" and said he felt compelled to delve into the reasoning behind Godse's actions.

"As someone from the legal profession, I must try and understand the other side of the story. I must read his (Nathuram Godse) writings and understand what triggered him to kill Mahatma Gandhi."

"Until then, I cannot choose between Gandhi and Godse," he was quoted as saying.

On Gangopadhyay's remarks, Congress general secretary Jairam Ramesh on Monday wrote on X, "It is worse than pathetic that a judge of the Calcutta High Court, who resigned to contest the Lok Sabha polls as a BJP candidate blessed by none other than the prime minister, now says that he cannot choose between Gandhi and Godse."

"This is totally unacceptable and his candidature should be withdrawn forthwith by those who spare no effort to appropriate the Mahatma's legacy," Ramesh asserted.

"What will the Father of the Do-nation do to protect the Father of the Nation?" he said.

Gangopadhyay, who joined the BJP recently, was among the 19 candidates whose names were announced by the BJP on Sunday for the upcoming Lok Sabha polls in West Bengal.

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    On October 2, 1869, Mohandas Karamchand Gandhi, known as Mahatma Gandhi, was born in Gujarat. Based on the principles of ahimsa, he is known as the father of the nation. On October 2, we mark Gandhi Jayanti to honour him, as the entire country is indebted to his efforts.

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    Mahatma Gandhi was born on October 2 in Porbandar, 2. He was born in Gujarat, to a Hindi family. 3. In Gujrat, his father served as the Diwan of Porbandar. 4. Kasturba Makhangi Kapadia, a woman, and he were married in May. 5. On September 4, 1888, he departed for London to pursue further education.

  22. Essay on Mahatma Gandhi

    Mahatma Gandhi was the father of Indian Nation. He led the country in the struggle for freedom. His sacrifices and sacred life impressed the people of this country and the world. He believed in simple living and high thinking. He used to live in\simple Khadi and take Goat's milk. He was a pure vegetarian. He had faith in God.

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