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Essay on India in Hindi : छात्र ऐसे लिख सकते हैं हमारे देश भारत पर निबंध

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  • Updated on  
  • अगस्त 30, 2024

Essay on India in Hindi

Essay on India in Hindi : भारत एक विविधतापूर्ण देश है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास के लिए जाना जाता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसकी आबादी एक अरब से ज़्यादा है। भारत हिमालय पर्वतों से लेकर उष्णकटिबंधीय समुद्र तटों तक फैला हुआ है, जो इसकी भौगोलिक विविधता को दर्शाते हैं। यह देश विभिन्न धर्मों, भाषाओं और परंपराओं का घर है, जो विविधता में एकता का एक अनूठा मिश्रण है। आर्थिक रूप से, भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष खोज और उद्योग में विश्व में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरा है। गरीबी और सामाजिक असमानता जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, भारत अपने सांस्कृतिक सार और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए हुए प्रगति और विकास की दिशा में प्रयास कर रहा है।

भारत देश के बारे में जानकारी इसके प्रत्येक छात्र को होनी चाहिए। छात्रों को कई बार निबंध प्रतियोगिता और कक्षाओं में Essay on India in Hindi दिया जाता है और आपकी मदद के लिए कुछ सैंपल इस ब्लॉग में दिए गए हैं। 

This Blog Includes:

भारत पर 100 शब्दों में निबंध, भारत पर 200 शब्दों में निबंध, प्रस्तावना , भारत का इतिहास, भारत का भूगोल और संस्कृति, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और अन्य प्रतीक, भारत की नदियां  , भारत का भोजन, भारत की भाषाएं, भारत के त्यौहार, भारत की अनेकता में एकता, उपसंहार , भारत पर 10 लाइन – 10 lines essay on india in hindi.

भारत के लोग अपनी ईमानदारी और विश्वसनीयता के लिए जाने जाते हैं। विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के लोग एक साथ शांतिपूर्वक रहते हैं। हिंदी भारत की एक प्रमुख भाषा है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों के लोग कई अन्य भाषाएँ भी बोलते हैं। भारत एक खूबसूरत देश है जहाँ कई महान व्यक्तियों ने जन्म लिया और उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की। भारतीयों के द्वारा अतिथियों को ‘अतिथि देवों भव:’ की उपाधि दी जाती है। दूसरे देशों से आने वाले आगंतुकों का गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है। भारत में सनातन धर्म (जीवन का एक प्राचीन दर्शन) का पालन किया जाता है, जो विविधता में एकता बनाए रखने में मदद करता है।

 भारत कई प्राचीन स्थलों, स्मारकों और ऐतिहासिक धरोहरों का घर है जो दुनिया भर से आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। यह अपनी आध्यात्मिक प्रथाओं, योग और मार्शल आर्ट के लिए प्रसिद्ध है। विभिन्न देशों के कई तीर्थयात्री और भक्त भारत के प्रमुख मंदिरों, स्थलों और ऐतिहासिक विरासतों की सुंदरता का अनुभव करने के लिए आते हैं।

भारत का एक समृद्ध और गौरवशाली इतिहास है और इसे प्राचीन सभ्यता का जन्मस्थान माना जाता है। यह तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय के कारण शिक्षा का एक केंद्र रह चुका है, इसने इतिहास में दुनिया भर के छात्रों को अपने विश्वविद्यालयों में आकर्षित किया है। अपनी अनूठी और विविध संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाने वाला भारत विभिन्न धर्मों के लोगों से प्रभावित है। भारत के धन वैभव को चुराने के लिए इस पर कई आक्रमण हुए। कई साम्राज्यों ने इसे गुलाम बनाने के लिए भी प्रयोग किया। कई स्वतंत्रता सैनानियों के प्रयासों और बलिदानों की बदौलत भारत को 1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। 

हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं, जिस दिन हमारी मातृभूमि आजाद हुई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। अपने समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद, भारत में कई लोग गरीब हैं। रवींद्रनाथ टैगोर, सर जगदीश चंद्र बोस, सर सी.वी. रमन और डॉ. होमी जे. भाभा जैसी असाधारण हस्तियों की बदौलत देश लगातार प्रौद्योगिकी, विज्ञान और साहित्य में आगे बढ़ है। भारत एक शांतिपूर्ण देश है जहाँ लोग अपने त्यौहारों को खुलकर मनाते हैं और अपनी सांस्कृतिक परंपराओं का पालन करते हैं। कश्मीर को अक्सर धरती पर स्वर्ग के रूप में वर्णित किया जाता है। भारत प्रसिद्ध मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, नदियों, घाटियों, उपजाऊ कृषि भूमि और सबसे ऊँचे पहाड़ों का घर है।

भारत पर 500 शब्दों में निबंध

भारत पर 500 शब्दों में निबंध (500 Words Essay on India in Hindi) नीचे दिया गया है –

भारत एक अद्भुत देश है जहाँ लोग कई अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं। यहाँ विभिन्न जातियाँ, पंथ, धर्म और संस्कृतियाँ निवास करती हैं, फिर भी सभी लोग एक साथ सद्भाव से रहते हैं। यही कारण है कि भारत “विविधता में एकता” कहावत के लिए प्रसिद्ध है। भारत दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा देश भी है।

भारत का इतिहास और संस्कृति समृद्ध है और मानव सभ्यता के उदय के बाद से ही विकसित हुई है। विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता भारत में थी। इसकी शुरुआत प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता और दक्षिण भारत में शुरुआती कृषि समुदायों से हुई। समय के साथ, भारत ने विभिन्न संस्कृतियों के लोगों का निरंतर एकीकरण देखा। साक्ष्य बताते हैं कि शुरुआती दौर में, लोहे और तांबे जैसी धातुओं का उपयोग व्यापक था, जो महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। चौथी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के अंत तक, भारत एक अत्यधिक उन्नत सभ्यता के रूप में विकसित हो चुका था।

भारत दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। इसे हिंदुस्तान और आर्यावर्त के नाम से भी जाना जाता है। यह तीन तरफ से महासागरों से घिरा हुआ है: पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण में हिंद महासागर। भारत का राष्ट्रीय पशु ‘ बाघ’ है, राष्ट्रीय पक्षी ‘ मोर’ है और राष्ट्रीय फल ‘ आम’ है। भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है, और राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है। भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म और यहूदी धर्म सहित विभिन्न धर्मों के लोग सदियों से भारत में एक साथ रहते आए हैं। भारत अपनी समृद्ध विरासत के लिए भी जाना जाता है, जिसमें स्मारक, मकबरे, चर्च, ऐतिहासिक इमारतें, मंदिर, संग्रहालय, प्राकृतिक सुंदरता, वन्यजीव अभयारण्य और प्रभावशाली वास्तुकला शामिल हैं।

भारतीय ध्वज तिरंगे में तीन रंग हैं: केसरिया, सफ़ेद और हरा। सबसे ऊपर का रंग केसरिया पवित्रता का प्रतीक है। बीच का रंग सफ़ेद शांति का प्रतीक है। सबसे नीचे का रंग हरा उर्वरता का प्रतीक है। सफ़ेद पट्टी के बीच में एक नीला अशोक चक्र है, जो 24 तीलियों वाला पहिया है जो कानून और न्याय के चक्र का प्रतीक है। बंगाल टाइगर राष्ट्रीय पशु है, जो शक्ति और शालीनता का प्रतिनिधित्व करता है। मोर यहां का राष्ट्रीय पक्षी है, जो शालीनता, सुंदरता और शान का प्रतीक है। ऐतिहासिक रूप से फील्ड हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है, जो खेल में देश की उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करता है।

भारत में कई प्रमुख नदियाँ हैं, जिनमें से प्रत्येक का सांस्कृतिक, आर्थिक और पारिस्थितिक महत्व है। गंगा हिमालय से निकलती है और उत्तरी भारत से होकर बांग्लादेश में बहती है। यह हिंदू धर्म में सबसे पवित्र नदी मानी जाती है और लाखों लोगों के लिए पीने, कृषि और धार्मिक प्रथाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यमुना हिमालय में यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा की एक प्रमुख सहायक नदी है। यह दिल्ली और आगरा से होकर बहती है और अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए महत्वपूर्ण है। 

ब्रह्मपुत्र तिब्बत में निकलती है और बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले असम और भारत के अन्य पूर्वोत्तर राज्यों से होकर बहती है। यह नदी अपने विशाल बेसिन और कृषि क्षेत्र के लिए जानी जाती है। सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत में है और भारत से होते हुए यह पाकिस्तान में भी बहती है। कृष्णा नदी पश्चिमी घाट में उत्पन्न होती है और पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। दक्षिणी भारत में सिंचाई और जलविद्युत परियोजनाओं के लिए महत्वपूर्ण है। कावेरी नदी पश्चिमी घाट में उत्पन्न होती है और दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी में बहती है। कर्नाटक और तमिलनाडु के दक्षिणी राज्यों में कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। महानदी छत्तीसगढ़ राज्य में उत्पन्न होकर पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती है। क्षेत्र में सिंचाई और प्रमुख बांधों के लिए महत्वपूर्ण है। नर्मदा नदी सतपुड़ा रेंज से पश्चिम की ओर अरब सागर में बहती है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और नर्मदा घाटी परियोजना के लिए जानी जाती है। ताप्ती नदी सतपुड़ा रेंज से पश्चिम की ओर अरब सागर में बहती है। यह क्षेत्र की कृषि और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।

भारतीय भोजन अपनी समृद्ध विविधता और जीवंत स्वादों के लिए प्रसिद्ध है। यह देश की विशाल सांस्कृतिक और क्षेत्रीय विविधताओं को दर्शाता है। भारत के भोजन में मसालों, जड़ी-बूटियों और सामग्रियों की एक विस्तृत श्रृंखला है जो जटिल और सुगंधित व्यंजन बनाती है। उत्तर की मसालेदार करी से लेकर दक्षिण के तीखे और नारियल आधारित व्यंजनों तक, भारतीय व्यंजन सभी के लिए कुछ न कुछ प्रदान करते हैं। लोकप्रिय व्यंजनों में बिरयानी, डोसा, समोसे और विभिन्न प्रकार की ब्रेड जैसे नान और रोटी शामिल हैं। भारतीय भोजन में गुलाब जामुन और जलेबी सहित कई तरह की मिठाइयाँ भी शामिल हैं। भोजन का आनंद अक्सर अचार, रायता और चटनी जैसी कई तरह की चीजों के साथ लिया जाता है। यह पाक विविधता भारतीय भोजन को देश की सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत और अभिन्न अंग बनाती है।

भारत एक भाषाई रूप से विविधतापूर्ण देश है, जिसके विशाल विस्तार में बोली जाने वाली भाषाओं की समृद्ध विविधता है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएँ हैं। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू है। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी अलग भाषा या बोली होती है, जो उसकी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जबकि सरकारी और कानूनी उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी एक सहयोगी आधिकारिक भाषा के रूप में कार्य करती है। कन्नड़, पंजाबी और गुजराती जैसी क्षेत्रीय भाषाएँ भी अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बहुभाषावाद भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और भाषा और क्षेत्रीय पहचान के बीच के संबंधों को भी।उजागर करता है। भाषा भारत के सामाजिक ताने-बाने का एक महत्त्वपूर्ण पहलू बन जाती है।

भारत अपने जीवंत और विविध त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्रमुख त्योहारों में दिवाली है यह रोशनी का त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली वसंत के अपने रंगीन और हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव के लिए जानी जाती है। ईद दावतों और प्रार्थनाओं के साथ रमजान माह के अंत को चिह्नित करती है। नवरात्रि देवी दुर्गा का सम्मान करने वाला नौ रातों का त्योहार है। अन्य महत्वपूर्ण त्योहारों में क्रिसमस, पोंगल और दुर्गा पूजा शामिल हैं। ये त्यौहार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाते हैं, जो लोगों को हर्षोल्लासपूर्ण उत्सव, दावत और विभिन्न पारंपरिक अनुष्ठानों में एक साथ लाते हैं।

विविधता में एकता भारत की एक परिभाषित विशेषता है, जहाँ अनेक संस्कृतियाँ, भाषाएँ, धर्म और परंपराएँ सौहार्दपूर्वक सह-अस्तित्व में हैं। अपने लोगों के बीच भारी मतभेदों के बावजूद, भारत विभिन्न जातीयताओं और मान्यताओं के जीवंत ताने-बाने के रूप में खड़ा है। यह देश एक साझा राष्ट्रीय पहचान से एकजुट है। यह सिद्धांत देश के विविध त्योहारों के उत्सव, विभिन्न सांस्कृतिक प्रथाओं के प्रति सम्मान और विभिन्न क्षेत्रीय परंपराओं में दिखाई भी देता है। भारत की ताकत अपनेपन और साझा उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देती है। विविधता में यह एकता भारत के सामाजिक सामंजस्य को बढ़ाती है और इसकी समृद्ध विरासत में योगदान देती है।

भारत एक ऐसा अद्भुत देश है जिसमें संस्कृतियों, जातियों, पंथों और धर्मों का एक समृद्ध मिश्रण है,ह अपनी विरासत, मसालों और इसे अपना घर कहने वाले लोगों के लिए प्रसिद्ध है। विविधता और एकता का यह मिश्रण ही है जिसकी वजह से भारत को अक्सर एक ऐसे स्थान के रूप में वर्णित किया जाता है जहाँ विविधता में एकता पनपती है। भारत आध्यात्मिकता, दर्शन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध है।

भारत पर 10 लाइन (10 Lines Essay on India in Hindi) यहां दी गई हैं –

  • भारत या एशिया में एक प्रायद्वीपीय देश है। भारत देश तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है।
  • अन्य देशों की तुपना में कुल क्षेत्रफल के मामले में भारत दुनिया का 7वां सबसे बड़ा देश है।
  • भारत की जनसंख्या लगघग 1.4286 बिलियन है। यह चीन की 1.4257 बिलियन की तुलना में दुनिया में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है।
  • झारत कर पश्चिमी भाग में अरब सागर, दक्षिणी भाग में हिंद महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी है।
  • भारत देश का उत्तरी भाग पहाड़ों से ढका हुआ है। हिमालय दुनिया की की प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है।
  • भारत में कई छोटी-बड़ी नदियाँ बहती हैं। नदियों में गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी आदि प्रमुख हैं। 
  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा है। तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग है। इसके बीच में अशोक चक्र बना हुआ है जिसमें 24 तीलियां हैं।
  • भारत का राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ में अशोक का सिंह स्तंभ है। इसके नीचे लिखा सत्यमेव जयते है जिसका अर्थ है सत्य की ही जीत होती है।
  • भारत का राष्ट्रगान जन गण मन है। राष्ट्रगान की रचना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकेंड लगते हैं। 
  • भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है जिसकी रचना बंकिम चंद्र चटर्जी के द्वारा की गई थी।

संसदीय प्रणाली वाली प्रभुता संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य जिसमें 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश।

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन (लगभग 1757-1947) के दौरान, ब्रिटिश भारतीय उपमहाद्वीप को “इंडिया” कहते थे। यह शब्द सिंधु नदी से लिया गया था, जो ब्रिटिश भारत की पश्चिमी सीमा को चिह्नित करती थी। ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने आधिकारिक नाम के रूप में “इंडिया” का इस्तेमाल किया।

दुनिया भर में भारत विविधता में एकता का प्रतिनिधि है। भारत विभिन्न संस्कृतियों, जातियों, पंथों, धर्मों की भूमि है; अनेक मतभेदों के बावजूद हम सौहार्दपूर्वक रहते हैं। भारतीय शांतिप्रिय हैं और संकट के समय लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं। हम “अतिथि देवो भव” के आदर्श वाक्य में विश्वास करते हैं, जिसका अर्थ है कि हमारे मेहमान हमारे भगवान हैं और हमारे देश में आने वाले पर्यटकों के प्रति विशेष रूप से सहायक और दयालु हैं। हमारा देश एक जीवंत देश है जो मेहनती लोगों, समृद्ध वनस्पतियों और जीवों और एक अद्भुत विरासत का घर है। मेहनती नागरिकों का प्रमाण, भारत धीरे-धीरे और लगातार दुनिया की महाशक्तियों में से एक बन रहा है।

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आशा हैं कि आपको इस ब्लाॅग में Essay on India in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य निबंध लेखन पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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CBSE Syllabus for Class 10

The CBSE has released the updated CBSE syllabus for class 10 on its official website for session 2024-25. Here, we will provide a detailed insight to the students about the CBSE board 10 syllabus. It will help them in their school exams and various Olympiad exams preparation of different levels. Students may go through or download their 10 standard CBSE syllabus for all subjects, which covers the entire curriculum.

  • 1.0 Class 10 Subject Selection Scheme

The class 10 curriculum has been designed as learner-oriented, which will develop a range of skills, not only in key subject areas but also in essential life skills of building self-confidence and developing teamwork & problem-solving skills.It promotes physical fitness, health and arts-integrated learning. To foster these essential skills, the curriculum includes the following different subjects:

Compulsory

1

Language I (Hindi – Course A or Course B or English Language and Literature or English Communicative

Group-L

2

Language II (Anyone from the Group of Languages)

Group-L

3

Mathematics – Basic or Mathematics Standard

Group-A1

4

Science

Group-A1

5

Social Science

Group-A1

Optional

6

Skill Subject/Another Subject from A2

Group-S/A2

7

Language III/ Any Subject from A2

Group-L/A2

Internal Assessment (Compulsory)

8

Art Education

 

9

Health & Physical Education and Work Experience

 

  • 2.0 CBSE Class 10 All Subject Syllabus 2024-25

Here, a detailed breakdown of the CBSE Class 10 latest syllabus for the academic year 2024-25 has been provided.

CBSE 10th Mathematics Syllabus

The main topics of the Mathematics syllabus would comprise number sense, geometry, problem-solving, and the development of the ability to think mathematically and apply knowledge in life situations. The course incorporates the teaching of reasoning, recognition, and problem-solving, with Mathematics at both Basic and Standard levels to cater to all types of students.

Real Number

06

Polynomials, Pair of Linear Equations in Two Variables, Quadratic Equations, Arithmetic Progressions

20

06

Triangles, Circles

15

12

10

11

CBSE Board Class 10 Science Syllabus

The science curriculum focuses on explaining natural phenomena through scientific methods and applying knowledge to improve life experiences. It develops students' ability to engage with science-related issues, design investigations, and interpret data scientifically. 

Chemical reactions, Acids, bases and salts, Metals and nonmetals, Carbon compounds

25

Life processes, Control and co-ordination in animals and plants, Reproduction, Heredity and Evolution

25

Natural Phenomena 

12

Effects of Current: Magnetic effects of current

13

Natural Resources: Our environment

05

CBSE Class 10 Social Science Syllabus

Social Science is a subject that makes students understand human behaviour and interactions in a cultural, geographical, and historical context. The subject includes history and culture, geography, politics, economy, and civic responsibilities while fostering respect for other people's viewpoints and proper understanding of their Fundamental Rights and Duties.

The Rise of Nationalism in Europe

18 + 2 map pointing

Nationalism in India

The making of a Global World, Interdisciplinary project as part of multiple assessments

The Age of Industrialization

Print Culture and the Modern World

Resources and Development 

17 + 3 map pointing

Forest and Wildlife Resources

Water resources

Agriculture

Minerals and Energy Resources

Manufacturing Industries

Lifelines of the National Economy

Interdisciplinary project as part of multiple assessments

Power-sharing

20

Federalism

Gender, Religion and Caste

Political Parties 

Development

20

Sectors of the Indian Economy

Money and Credit

Globalization and the Indian Economy

Interdisciplinary project as part of multiple assessment

Consumer Rights (Project Work)

10th Class CBSE Board Syllabus for Hindi

The 10th class CBSE Hindi syllabus covers Literature through plays, poems, and prose, Grammar with a focus on verb tenses and sentence structure, and Writing Skills that include storytelling, persuasive arguments, and vivid descriptions.

CBSE Class 10 English Syllabus

The 10th CBSE English syllabus comprises Literature, which includes different plays, poems, and prose; grammar, which deals with the formation of sentences and various forms of verbs; and Writing Skills, which involve only narratives, persuasive arguments, and descriptive purposes.

  • 3.0 How to Download the Syllabus of Class 10 CBSE 2024-25?

Here's how to get the official study guide in just a few clicks:

Step 1: Go to the CBSE official website.

Step 2: Look for the Curriculum for the Academic Year 2024-25.

Step 3: Click on the tab that says " Secondary Curriculum (IX-X) ".

Step 4: Click on the DESIRED subject syllabus pdf.

  • 4.0 Benefits of Knowing the Class 10 CBSE Board Syllabus

Below is why it will be useful to be aware of the syllabus of CBSE Class 10:

  • It gives students an overview of what they will be studying in a particular academic session.
  • It properly guides students with their Class 10 Board exam preparation.
  • The syllabus of Class 10 CBSE has been structured to effectively provide information on topics ranging from basic to complex.
  • Helps students to confidently prepare for their Class 10 Board exams.

Table of Contents

  • 2.1 CBSE 10th Mathematics Syllabus
  • 2.2 CBSE Board Class 10 Science Syllabus
  • 2.3 CBSE Class 10 Social Science Syllabus
  • 2.4 10th Class CBSE Board Syllabus for Hindi
  • 2.5 CBSE Class 10 English Syllabus

Students can get a detailed overview of the Class 10 syllabus for the year 2024-25 from the CBSE official website.

The CBSE Class 10 Syllabus in all subjects is available in both online and offline form, which students can utilize to score better academic marks.

Yes, the CBSE 10th Class Syllabus 2024-25 applies to all schools affiliated with the Central Board of Secondary Education.

Hindi Essays for Class 10: Top 20 Class Ten Hindi Essays

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List of Popular Essays for Class 10 students written in Hindi Language !

Hindi Essay Content:

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2. डा. मनमोहन सिंह पर निबन्ध | Essay on Dr. Manmohan Singh in Hindi

3. सी.एन.जी. पर निबन्ध | Essay on Compressed Natural Gas (C.N.G.) in Hindi

4. दिल्ली मेट्रो रेल पर निबन्ध | Essay on Delhi Metro Rail in Hindi

5. कम्प्यूटर: आधुनिक युग की माँग पर निबन्ध | Essay on Computer : Demand of the Modern Age in Hindi

6. इन्टरनेट: एक प्रभावशाली सूचवा माध्यम पर निबन्ध | Essay on Internet : An Influential Method of Communication in Hindi

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11. भारत रत्न श्रीमती इन्दिरा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Bharat Ratna : Srimati Indira Gandhi in Hindi

12. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस पर निबन्ध | Essay on Netaji Subash Chandra Bose in Hindi

13. भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद पर निबन्ध | Essay on Dr. Rajendra Prasad : India’s First President in Hindi

14. शहीद भगतसिंह पर निबन्ध | Essay on Bhagat Singh the Martyr in Hindi

15. डा. भीमराव अम्बेडकर पर निबन्ध | Essay on Dr. Bhimrao Ambedkar in Hindi

16. कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबन्ध | Essay on Great Poet Rabindranath Tagore in Hindi

17. स्वामी विवेकानन्द पर निबन्ध | Essay on Swami Vivekananda in Hindi

18. गुरू नानक देव पर निबन्ध | Essay on Guru Nanak Dev in Hindi

19. महावीर स्वामी पर निबन्ध | Essay on Mahavir Swami in Hindi

20. नोबेल पुरस्कार विजेता: अमतर्य सेन पर निबन्ध |Essay on Amartya Sen : The Nobel Laureate in Hindi

Hindi Nibandh (Essay) # 1

डा. प्रतिक्षा पाटिल पर निबन्ध | Essay on Dr. Prativa Patil in Hindi

प्रस्तावना:

भारतवर्ष की भूमि महापुरुषों की भूमि है, परन्तु यहाँ की स्त्रियाँ भी किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है । भारत की पहली महिला प्रधानमन्त्री का गौरव यदि श्रीमती इन्दिरा गाँधी को प्राप्त हुआ, तो पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल को प्राप्त हुआ है ।

जन्म-परिचय एवं शिक्षा:

श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल का जन्म 19 दिसम्बर,1934 को महाराष्ट्र के ‘नन्दगाँव’ नामक स्थान पर हुआ था । आपके पिता का नाम श्री नारायण राव था । आपकी प्रारम्भिक शिक्षा जलगाँव (महाराष्ट्र) के आर.आर. स्कूल में हुई ।

मूलजी सेठ (छ:) कालेज जलगाँव से स्नातकोत्तर की उपाधि लेने के पश्चात् आपने गवर्नमेन्ट ली कालेज, मुम्बई से कानून की उपाधि प्राप्त की । श्रीमती प्रतिभा देवी की प्रारम्भ से ही खेलकूद में रुचि थी और आपने अपने समय में कालेज प्रतियोगिताओं में कई पदक तथा सम्मान प्राप्त किए ।

शिक्षा प्राप्ति के पश्चात् आपने जलगाँव कोर्ट में बतौर अधिवक्ता व्यवसायिक जीवन व्यतीत करना प्रारम्भ किया तथा साथ-साथ जनकल्याणकारी कार्यों में भी रुचि लेने लगी । सामाजिक कार्यों में भी आपका ध्यान विशेष रूप से महिलाओं की बहुमुखी समस्याओं तथा उनके समाधानों के प्रति रहा ।

वैवाहिक जीवन:

श्रीमती पाटिल का परिणय डी. देवीसिंह, रामसिंह शेखावत से साथ हुआ था । उन्होंने मुम्बई हॉफकीन इंस्टीट्‌यूट से रसायन विज्ञान से पी.एच.डी. की । शेखावत जी अमरावती निगम के ‘मेयर’ रहे हैं तथा उसी क्षेत्र के विधायक भी रहे हैं । श्रीमती पाटिल के दो सन्ताने हैं- पुत्री ज्योति राठौर एवं पुत्र रामेन्द्र सिंह ।

राजनीतिक जीवन:

श्रीमती पाटिल का राजनीतिक जीवन सत्ताईस वर्ष की आयु में ही प्रारम्भ हो गया था । सर्वप्रथम आप जलगाँव विधानसभा क्षेत्र से चुनी गयी । तत्पश्चात इलाहाबाद (मुकताई नगर) का बतौर बिधायक चार बार प्रतिनिधित्व किया । 1985 से 1990 तक आप राज्यसभा से सांसद रही ।

1991 में दसवीं लोकसभा के लिए अमरावती संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन आप पराजित हो गई । श्रीमती पाटिल ने अपना अधिकांश जीवन महाराष्ट्र के लिए ही समर्पित किया । आप लोकस्वास्थ्य विभाग, मधनिषेध मन्त्री, पर्यटन मन्त्री, संसदीय एवं आवास मन्त्री भी रह चुकी हैं । आपका यह कार्यकाल 1967-1972 तक रहा ।

श्रीमती पाटिल ने अनेक विभागों में केबिनेट मन्त्री का पद भी सम्भाला जैसे- 1972 में महाराष्ट्र सरकार में समाज कल्याण विभाग, 1974-1975 तक समाज कल्याण तथा लोकस्वास्थ्य विभाग, 1975-76 तक मधनिषेध, पुर्नवास, सांस्कृतिक कार्य विभाग, 1977 में शिक्षा मन्त्री, 1982-85 में असैनिक आपूर्ति एवं समाज कल्याण विभाग ।

1979 से फरवरी 1980 तक आप प्रदेश सरकार में विपक्ष की नेता भी रहीं । आप डी. वेंकटरमन के कार्यकाल में राज्यसभा की अध्यक्ष रह चुरकी हैं एवं 1988 में राज्यसभा के दौरान व्यवसायिक सलाहकार समिति की सदस्य बनी ।

सामाजिक कार्यक्षेत्र:

श्रीमती पाटिल लोक कल्याण के कार्यों से सदैव जुड़ी रही तथा अनेक संस्थानों के उत्थान हेतु कार्य किए । आप महाराष्ट्र प्रांत में जलप्राधिकरण की अध्यक्ष रहीं । 1982-85 तक महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं, अर्बन सहकारी बैंक एवं क्रेडिट सोसायटी, संघीय समिति के निदेशक पद पर कार्यरत रही । आप सदा ही सामाजिक कल्याण के कार्यों में भी रुचि लेती रही हैं ।

इस सम्बन्ध में आपकी धारणा विश्व-बन्धुत्व पर आधारित है इसीलिए आपने देश विदेश में आयोजित होने वाले सामाजिक कल्याण के सम्मेलनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है । 1985 में बुल्गारिया में आयोजित सभा को बतौर प्रतिनिधि सम्बोधित किया । 1985 में लन्दन की कमेटी ऑफ आफिसर्स कांफ्रेंस में भारत का प्रतिनिधित्व किया ।

सितम्बर 1995 में चीन में ‘वर्ल्ड वोमेन्स कोऑपरेटिव’ नामक सेमिनार की प्रतिनिधि रही । आपने पिछड़ी जाति के बच्चों के विकास के लिए विशेष योगदान दिया । ग्रामीण युवाओं के लिए जलगाँव में इंजिनियरिंग कॉलेज खुलवाया, रोजगार दिलाने के लिए जिलेवार पुणे संस्थान खुलवाए ।

अमरावती और महाराष्ट्र में अनुवांशिक संस्था , संगीत कॉलेज , फैशन डिजाइनिंग , ब्यूटिशियन कोर्स तथा व्यवसायिक कोर्स से सम्बन्धित संस्थाओं की स्थापना करवाई । 1962 में आपने महाराष्ट्र के महिला कोषांग की स्थापना करवाई ।

राष्ट्रपति के रूप में :

राजनीतिक गलियारों में जब राष्ट्रपति ए.पी.जे. कलाम के उत्तराधिकारी की चर्चा हो रही थी तथा राजनीतिक दलों के बीच विवाद गहरा रहा था तभी नए राष्ट्रपति के रूप में श्रीमति पाटिल के नाम का प्रस्ताव सभी विवादों को शान्त कर गया । United progressive Alliance के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी की ओर से श्रीमती प्रतिभा पाटिल के नाम की उद्‌घोषणा की गई ।

आपने अपने प्रतिद्वन्द्वी श्री भैरोसिंह शेखावत जी को 3,06,810 मतों से पराजित कर राष्ट्रपति पद का गौरव अपने नाम कर लिया । 25 जुलाई, 2007 को श्रीमती पाटिल को राष्ट्रपति पद की गरिमा एवं गोपनीयता की शपथ सर्वोच्च न्यायाधीश आर.जी. बालकृष्ण द्वारा दिलाई गई ।

श्रीमती पाटिल के शपथ ग्रहण करते ही केन्द्रीय कक्ष तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा । इस अवसर पर उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई । इस समारोह में प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह, यू.पी.ए. की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी कई देशों के राजदूत, विपक्ष सहित तमाम दलों के वरिष्ठ नेता, कई राज्यों के गवर्नर तथा मुख्यमन्त्रियों सहित तीनों सेनाओं के सेनापति व कई गढ़मान्य व्यक्ति शामिल थे ।

राष्ट्रपति पद सम्भालने के बाद अपने प्रथम भाषण में श्रीमती पाटिल ने बच्चों तथा स्त्रियों के अधिकारों के प्रति प्रतिबद्वता व्यक्त करते हुए आधुनिक शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापक बनाने की आवश्यकता जताई ।

आपने सामाजिक कुरीतियों, कुपोषण, बाल मृत्यु एवं कन्या भूण हत्या के अपराधों को जड से समाप्त करने की अपील की । पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम अपने कार्यकाल में भारतीय सविधान के ‘रबर स्टाम्प’ को पच्छिक प्रापर्टी के रूप में बहुत लोकप्रिय बना चुके हैं ।

उनकी उसी छवि को ऊँचाईयों तक पहुँचाना निःसन्देह बख्य मुस्किल कार्य है । परन्तु श्रीमती पाटिल भी गम्भीर, धैर्यवान, सुशिक्षित तथा समझदार महिला के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं । श्रीमती पाटिल ने कृषि तथा किसानों की समस्याओं पर भी विशेष जोर दिया है । उनका बस एक ही सपना है कि भारत बहुमुखी विकास करें तथा पूरे विश्व में प्रथम स्थान पा सके ।

इसके लिए महामहिम राष्ट्रपति अपनी कानूनी जिम्मेदारियों की सीमा में रहते हुए भारत सरकार को प्रोत्साहित करती रहती हैं । वे चाहती हैं कि हमारा देश सशक्त राष्ट्र बने, आर्थिक दृष्टि से मजबूत हो तथा सांस्कृतिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक दृष्टि से पूर्णतया आत्मनिर्भर हो ।

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि श्रीमती पाटिल ने सदा ही अपने पद की गरिमा को बनाए रखा है । वे अपनी सभी जिम्मेदारियाँ बहुत सूझ-बूझ से निभा रही हैं और बहुत कम समय में भारतीय जनता के दिलो में घर बना चुकी है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 2

डा. मनमोहन सिंह पर निबन्ध | Essay on Dr. Manmohan Singh in Hindi

विशाल गणराज्य भारत देश बहुत महान तथा विशाल है । जहाँ एक ओर ऋषियों, मुनियों तथा तपस्वियों ने अनेक साधनाएँ की हैं वही दूसरी ओर अनेक वैज्ञानिकों ने भारत को उन्नति के शिखर पर पहुँचाया । हमारे देश में प्रजातन्त्रीय प्रणाली के अनुसार संसद का चुनाव होता है तथा चुनाव के उपरान्त देश को प्रधानमन्त्री की भी आवश्यकता होती है ।

स्वतन्त्र भारत में अब तक संसद को प्रधानमन्त्री के रूप में पं. जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इन्दिरा गाँधी, मोरारजी देसाई, चौ. चरण सिंह, राजीव गाँधी, वी.पी. सिंह, चन्द्र शेखर, पी.वी. नरसिम्हाराव, एच.डी. देवगौड़ा, इन्द्र कुमार गुजराल और अटल बिहारी वाजपेयी मिले ।

इसी बीच संसद में दो बार तेरह-तेरह दिन के लिए गुलजारी लाल नन्दा को कार्यकारी प्रधानमन्त्री नियुक्त किया जा चुका है । चौदहवीं लोकसभा में डा.मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री बने हैं पंद्रहवीं लोकसभा में पुन: डा. मनमोहन सिंह को ही प्रधानमंत्री बनने का सुअवसर प्राप्त हुआ हैं आपने 22 मई, 2009 को सायं 5.30 बजे माननीय राष्ट्रपति तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की ।

जन्म परिचय एवं शिक्षा:

डा. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितम्बर, 1932 को पंजाब (पाकिस्तान) में ‘गाह’ नामक स्थान पर हुआ था । आपके पिता का नाम सरदार गुरुमुख सिंह तथा माता को नाम अमरूत कौर था । आपकी केवल तीन बहने हैं । मनमोहन सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा एक स्थानिय तथा निकटवर्ति क्षेत्रीय स्कूल में हुई थी ।

सन् 1952 में आपने पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की । 1954 में आपने पंजाब विश्वविद्यालय से ही अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की । सेंट जोंस कॉलेज कैम्बिज ने 1957 में पढ़ाई में अच्छे प्रदर्शन के लिए आपको पुरस्कृत किया ।

तत्पश्चात् आपने 1957 में पी.एच.डी. का शोध कार्य ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से किया ।  डा. मनमोहन सिंह को अनेक यूनिवर्सिटीयों ने डी.लिट् की उपाधियाँ प्रदान की । पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़; गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर; दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली; चौधरी चरणसिंह, हरियाणा; एग्रीकल्वर यूनिवर्सिटी, हिसार; श्री वैंकटेश्वर यूनिवर्सिटी, तिरुपति, यूनिवर्सिटी ऑफ बोहोगा, इटली आदि इनमें प्रमुख हैं ।

डा. मनमोहन सिंह ने लेक्चरर तथा रीडर के रूप में 1957 से 1965 तक पंजाब विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य किया । 1969 में डी. सिंह दिल्ली स्कूल ऑफ इकनोमिक्स में नियुक्त हो गए । आपने सन् 1971 तक वहाँ सेवा कीं । आपने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी अपनी अवैतनिक सेवाएँ दी । डा. मनमोहन सिंह का विवाह 14 दिसम्बर, 1958 को गुरुशरन कौर से हुआ था; जिनसे इनकी तीन पुत्रियाँ हुई ।

व्यक्तित्व की बिशेषताएँ:

डा. मनमोहन सिंह उच्च कोटि के शिक्षित व्यक्ति हैं । उन्होंने अर्थशास्त्र में अनेक पुस्तकें लिखी हैं, जो देशवासियों का मार्गदर्शन करती हैं । आपने वित्तीय सलाहकार, प्रमुख अर्थशास्त्र सलाहकार, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर तथा अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विदेश नीति सलाहकार के रूप में राष्ट्र की सेवाएँ की हैं ।

आपने भारतीय आणविक ऊर्जा आयोग, योजना आयोग, अन्तरिक्ष आयोग, ऐशियन बैंक विकास क्षेत्रों में भी कार्य किया है । आपने वित्त (कैबिनेट) मन्त्री के रूप में भी देश की अनूठी सेवा की है । आप राज्य सभा के लिए भी निर्वाचित हो चुके हैं ।

हमारे सुयोग्य प्रधानमन्त्री अत्यन्त साधारण, सहयोगी तथा सुशिक्षित है । इन सभी गुणों के उपरान्त भी आपमें लेशमात्र भी घमंड या अहंकार नहीं है । डा. मनमोहन सिंह को अनेक डिग्रियाँ तथा पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं ।

आपकी गम्भीरता तथा कठोर परिश्रमी स्वभाव को देखते हुए आपके पिता गुरमुख सिंह जी ने एक बार अपने आशीर्वाद के रूप में कहा था, ”मोहन, तू एक दिन भारत का प्रधानमन्त्री अवश्य बनेगा ।”  इस आशीर्वाद को फलीभूत होने में भले ही तीस वर्ष का समय लग गया, परन्तु उनका यह आशीर्वाद उस समय पूर्ण हुआ जब 21 मई, 2004 को टी.टी.जी.पी. की अध्यक्षा सोनिया गाँधी जी ने प्रधानमन्त्री पद को अस्वीकार करते हुए डा. मनमोहन सिंह के नाम की सिफारिश की ।

डा. मनमोहन सिंह ने शनिवार 22 मई, 2004 को भारत के प्रधानमन्त्री के रूप में शपथ ग्रहण की । आपके साथ मन्त्रीमंडल में 67 मन्त्रियों को भी शपथ दिलाई गई ।

डा. मनमोहन सिंह को उनकी अनगिनत सेवाओं के लिए भारत सरकार की ओर से सन् 1987 में देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘पदम बिक्या’ प्रदान किया गया । 1993 में आपको यूरोमनी अवार्ड फाइनेंस ‘मिनिस्टर ऑफ द ईयर’ से सम्मानित किया गया ।

निःसन्देह डा. मनमोहन सिंह एक नेक, विनीत तथा ईमानदार व्यक्ति हैं । राष्ट्र ने उनसे जो भी आशाएँ रखी थी, उन कसौटियों पर वे खरे उतरे हैं । अभी जनवरी 2009 में डा. मनमोहन सिंह को दिल की सर्जरी करानी पड़ी, जिसके कारण वे ‘अखिल भारतीय अनुसंधान आयोग’ में दाखिल रहे । ऐसे कठिन समय में सभी देशवासियों ने उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थनाएँ की । हमारी तो ईश्वर से बस यही कामना है कि वह उन्हें लम्बी आयु दें ।

Hindi Nibandh (Essay) # 3

सी.एन.जी. पर निबन्ध | essay on compressed natural gas (c.n.g.) in hindi, प्रस्ताबना:.

सड़कों पर वाहनों की बढ़ती हुई संख्या के परिणामस्वरूप ध्वनि प्रदूषण तथा वायुप्रदूषण उत्पन्न होते हैं । वाहनों के धुएँ को हम सभी प्रत्यक्ष रूप से अन्तःश्वसन करते हैं, जिससे अनेक घातक बीमारियाँ पैदा होती है ।

दिल्ली को अत्यन्त प्रदूषणकारी महानगर मानते हुए उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश दिया था कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बसों में 31 मार्च, 2001 तक ईंधन के रूप में डीजल तथा पेट्रोल के स्थान पर कम प्रदूषणकारी कँम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सी.एन.जी.) का प्रयोग किया जाना चाहिए ।

सी.एन.जी. तथा यू.एल.एस.डी:

टाटा ऊर्जा अनुसन्धान संस्थान ने अच्छा लो सल्फर डीजल (यू.एल.एस.डी.) को भी सी.एन.जी. के ही समान कम प्रदूषणकारी बताकर उसे सी.एन.जी. के विकल्प की घोषणा की । कई विशेषज्ञ सी.एन.जी. को डीजल की अपेक्षा प्रत्येक दृष्टि से उत्तम मानते हैं ।

हालाँकि दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में दो-तिहाई ईंधन के रूप में डीजल का ही उपयोग होता है परन्तु विश्वभर के ईंधनों का सर्वेक्षण करने पर डीजल को ही सबसे खतरनाक माना गया है । दिल्ली में 65 प्रतिशत ख्स कण केवल डीजल से ही उत्सर्जित होते हैं, जिनसे कैंसर होता है । डीजल की सर्वोत्तम तकनीक भी सी.एन.जी, से दस गुनी खतरनाक होती है । अल्ट्रा लो सहर डीजल में भी सामान्य डीजल से केवल 15 प्रतिशत कम प्रदूषण होता है जब कि सी.एन.जी. में 90 प्रतिशत तक प्रदूषण कम हो जाता है ।

सी.एन.जी. की रचना:

सी.एन.जी. पृथ्वी की धरातल के भीतर पाये जाने वाले हाइड्रोजन कार्बन का मिश्रण है और इसमें 80 से 90 प्रतिशत मात्रा मेलथेक गैस की होती है तथा यह गैस पेट्रोल एवं डीजल की अपेक्षा कार्बन मोनो ऑक्साइड 70 प्रतिशत, नाइट्रोजन ऑक्साइड 87 प्रतिशत तथा जैविक गैस लगभग 89 प्रतिशत कम उत्सर्जित करती है ।

सी.एन.जी. गैस रंगहीन, गन्धहीन, हवा से हल्की तथा पर्यावरण की दृष्टि से सबसे कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाली है । इसको जलाने के लिए एल.पी.जी. की अपेक्षा ऊँचे तापमान की आवश्यकता पड़ती है इसलिए आग पकड़ने का खतरा भी कम होता है । इन सब विशेषताओं के कारण ही वर्तमान समय में भारत में प्रतिदिन लगभग 650 करोड़ घनमीटर सी.एन.जी. का उत्पादन हो रहा है जबकि इसकी माँग 1100 करोड़ घनमीटर है ।

आज सी.एन.जी. का प्रयोग बिजली:

धरो, उर्वरक कारखानों, इस्पात कारखानों, घरेलू ईंधन तथा वाहनों में ईंधन के रूप में हो रहा है ।

सी.एन.जी. :

एक सर्वोत्तम ईंधन-आरम्भ में सी.एन.जी. बसों में पैसा अधिक अवश्य लगता है परन्तु उनका परिचालक व्यय कम होता है । इसके विपरीत सामान्य डीजल को अस्ट्रा लो सल्कर डीजल में परिवर्तित करने पर रिफाइनडरियो के व्यय बहुत अधिक हो जाएँगे । डीजल की तुलना में सी.एन.जी. में कार्बन-डाई-ऑक्साइड में उत्सर्जन की मात्रा कम है इसलिए यह डीजल से कम जहरीली है । विशेषज्ञों ने भी इसे सबसे साफ सुथरा ईंधन माना है जो शीघ्रता से प्रदूषण को समाप्त करता है ।

विस्वभर में सी.एन.जी. का प्रयोग:

इस समय विश्वभर में लगभग 20 लाख वाहन सीएनजी चालित हैं । जापान की राजधानी टोक्यो में पिछले य वर्षों से सभी टैक्सियाँ सी.एन.जी. चालित हैं । दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में यह प्रयोग पिछले 25 वर्षों से जारी है ।

इसके अतिरिक्त नेपाल, बैंकॉक, ताइवान तथा आस्ट्रेलिया में भी अधिकतर वाहन सी.एन.जी, चालित है । वाहनों में प्राकृतिक गैस का प्रयोग 1930 से प्रारम्भ हुआ था । तभी से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, इटली, थाईलैंड, न्यूजीलैंड तथा ईरान जैसे देशों में सी.एन.जी. का प्रयोग होने लगा है ।

सी.एन.जी. की हानियाँ:

सी.एन.जी. बसे जल्दी गर्म हो जाती है या रूक जाती हैं । डेनमार्क तथा अमरीकी विशेषज्ञों ने अपने निजी अनुभव के आधार पर यह घोषणा की है कि परिवर्तित वाहन पूर्णरूपेण सफल नहीं है क्योंकि वे सुरक्षा को खतरा पहुँचा सकते हैं ।

इसके अतिरिक्त इसमें ठोस परिवर्तन तकनीक की आवश्यकता है जो भारत में प्रारम्भिक चरण में है । सी.एन.जी. पैट्रोल तथा डीजल की तुलना में गतिक ऊर्जा है, इसी कारण ऊँचे पहाड़ी क्षेत्रों में यह विफल है । आज सी.एन.जी. किट बड़ी मात्रा मैं उपलब्ध नहीं है और उनकी रिफलिंग में भी समय लगता है । हमारे देश में पर्याप्त भरोसेमन्द सिलेंडर भी नहीं हैं और जो है भी उनकी कोई गुणवता नहीं है ।

विश्व के किसी भी बड़े शहूर में सार्वजनिक यातायात पूरी तरह से सीएनजी चालित नहीं है, वरन् उनके साथ सक्कर डीजल तथा अन्य तरह के ईधन पर आधारित वाहन भी चल रहे हैं । परन्तु सी.एन.जी. के आने से ध्वनि प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण की समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है ।

डीजल प्रयोग के कारण ही आज हम अस्थमा, मधुमेह, हृदयरोग, श्वाँसरोग, बहरापन आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं । ऐसी आशा की जाती है कि भविष्य में सीएनजी किट आसानी से उपलब्ध हो सकेगे तथा हम प्रदूषण की समस्या से मुक्ति पा सकेंगे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 4

दिल्ली मेट्रो रेल पर निबन्ध | Essay on Delhi Metro Rail in Hindi

‘मेट्रो’ शब्द का प्रयोग दुनिया भर में भूमिगत रेलवे के लिए किया जाता है । छोटी एवं लम्बी दूरी तय करने का यह एकदम प्रदूषण रहित माध्यम है ।

विश्व में अब तक जापान, कोरिया, सिंगापुर, हांगकांग, जर्मनी तथा फ्रांस में मेट्रो रेल परिचालित हैं ।  मेट्रो रेलवे की सेवाओं को प्रयोग करने वाले भारतीय शहरों में कोलकाता शिखर पर है तथा राजधानी दिल्ली में मेट्रो रेल सेवा आरम्भ हो चुकी है ।

दिल्ली मेट्रो के आगमन का कारण:

दिल्ली भारत के सर्वाधिक आबादी वाले नगरों में से एक है । वर्तमान समय में राजधानी की सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों की संख्या चालीस लाख के करीब है ।

वाहनों की यह संख्या देश के तीन महानगरों:

कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई के कुल वाहनों से कही अधिक है । इनमें से नब्बे प्रतिशत निजी वाहन है । राजधानी में सड़कों की कुल लम्बाई बारह सौ चालीस किलोमीटर हैं । इस प्रकार दिल्ली महानगर के लगभग बीस प्रतिशत हिस्से पर सड़के फैली हैं ।

इसके बावजूद भी राजधानी की मुख्य सड़कों पर वाहनों की औसत गति पन्द्रह किलोमीटर प्रति घण्टा है । इस रफ्तार को बढ़ाने तथा यातायात की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली में ‘मेट्रो रेलवे परियोजना’ लागू की गई है ।

दिल्ली मेट्रो का शुभारंभ एवं विकास कार्य:

दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन ने राजधानी से विभिन्न चरणों के आधार पर मेट्रो रेल शुरू करने की योजना बनाई है । इसके पहले चरण में शाहदरा तीस हजारी खण्ड सेवा शुरू की गई । इसका उद्‌घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने 24 दिसम्बर, 2002 को किया । मेट्रो रेल के दूसरे चरण के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय से केन्द्रीय सचिवालय तक सेवा शुरू की गई ।

तीसरे चरण में राजीव चौक से द्वारिका तक तथा चौथे चरण में दिल्ली विश्वविद्यालय से न्यू आजादपुर, संजय गाँधी ट्रांसपोर्ट नगर (8.6 कि.मी.) वाराखम्बा रोड से इन्द्रप्रस्थ नोएडा (1.5 कि.मी.), कीर्ति नगर से द्वारिका (16 कि.मी.) तक का कार्य पूरा हो चुका है ।

शीध्र ही मेट्रो रेल अक्षरधाम मंदिर, लक्ष्मी नगर, आनंदविहार (बस अड्‌डा) तथा गाजियाबाद तक भी पहुँच जाएगी । आज कई स्थानों पर भूमिगत मेट्रो भी चल रही है । ऐसा माना जा रहा है कि 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों के समय तक पूरी दिल्ली की सड़कों पर मेट्रो रेल चलने लगेगी ।

दिल्ली मेट्रो रेल की विशेषताएँ:

मेट्रो रेल अत्याधुनिक संचार व नियन्त्रण प्रणाली से सुसज्जित है । कोच एकदम आधुनिक तकनीक पर आधारित तथा वातानुकूलित हैं । यहीं पर टिकट वितरण प्रणाली भी स्वचालित है । यहाँ पर रेल की क्षमता के आधार पर ही टिकट वितरित किए जाते हैं । यदि रेल में जगह नहीं होती तो मशीन टिकट देना स्वयं बन्द कर देती है । स्टेशन में प्रवेश एवं निकासी की सुविधा भी अत्याधुनिक है ।

यात्रियों की सुविधा के लिए मेट्रो स्टेशन परिसर पर एस्केलेटर स्थापित किए गए हैं । इसमें विकलांगों के लिए विशेष सुविधा हैं । मेट्रो यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मेट्रो स्टेशनों को बस रूट से जोड़ा गया है, जिसके लिए मेट्रो स्टेशन से मुख्य सड़क या बस स्टैण्ड तक फीडर बसे भी चलाई जा रही हैं ताकि अधिक-से-अधिक लोग इस सेवा का लाभ उठा सके ।

इसके लिए किराया दर भी अन्य परिवहन साधनों की अपेक्षा कम रखा गया है । मेट्रो रेल में यात्रा करने से समय तथा पैसे दोनों की ही बचत होती है । भीड़-भाड़ भरी सड़कों, धुएँ व धूल मिट्टी से बचकर वातानुकूलित रेल में यात्रा करने का आनन्द ही कुछ और है ।

मेट्रो रेल के दरवाजे भी स्वचालित हैं । इसमें आगमन प्रस्थान तथा आगे वाले स्टेशनों के विषय में पूरी जानकारी रेल में सवार यात्रियों को सूचना प्रदर्शन पटल तथा सम्बोधन प्रणाली के आधार पर उपलब्ध करायी जाती है । इसमें यात्री चाहे तो मासिक पास भी बनवा सकते है । मेट्रो रेल में कोई भी यात्री अधिकतम पन्द्रह किलोग्राम वजन ले जा सकता है ।

मेट्रो रेल के तकनीकी कर्मचारी तकनीकी रूप से सक्षम होने के साथ-साथ विदेशी प्रशिक्षण प्राप्त है । दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा एक प्रशिक्षण स्कूल भी स्थापित क्रिया गया है, जिससे ड्राइवरों तथा परिचालकों को समय-समय पर आवश्यक जानकारी दी जाती है ।

मेट्रो रेल को प्रारम्भ करने का सबसे अधिक श्रेय हमारी दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित को जाता है । उनके द्वारा उठाया गया यह कदम बहुत सराहनीय है क्योंकि मेट्रो रेल के चलने से यात्रियों को तो लाभ हुआ ही है, साथ ही प्रदूषण की मात्रा में भी काफी गिरावट आई है । अब यह हमारा नैतिक कर्त्तव्य है कि हम इस रेल की सफाई की ओर पूरा ध्यान दे तथा मेट्रो रेल का पूरा लाभ उठाएँ ।

Hindi Nibandh (Essay) # 5

कम्प्यूटर: आधुनिक युग की माँग पर निबन्ध | essay on computer : demand of the modern age in hindi.

आज का युग विज्ञान का युग है । जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान के आविष्कारों ने क्रान्ति ला दी है । यह बात हम सभी जानते हैं । विज्ञान की ही महान देन ‘कम्प्यूटर’ आधुनिक युग की एक, महत्वपूर्ण आवश्यकता है । इसने हमारे जीवन को सरल व सुखद बना दिया है । यद्यपि कम्प्यूटर मानव-मस्तिष्क की ही उपज है, किन्तु कार्यक्षेत्र में यह मानव की सोच से भी परे है ।

कम्प्यूटर का अस्तित्व:

कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है, जिसमें अनेक ऐसे मस्तिष्कों का रुपात्मक एवं समन्वयात्मक योग तथा गुणात्मक घनत्व होता है, जो अति तीव्र गति से बहुत कम समय में एकदम सही गणना करता है ।

वैज्ञानिकों ने गणितीय गणनाओं के लिए अनेक यन्त्रों जैसे ‘अवेकस’ तथा ‘कैलकुलेटर’ आदि का आविष्कार किया है, किन्तु कम्प्यूटर की बराबरी कोई भी मशीन नहीं कर सकती ।

कम्प्यूटर मुख्यतया जोड़, घटा, गुणा तथा भाग जैसी गणितीय क्रियाएँ बड़ी सरलता तथा शीघ्रता के साथ कर सकता है । कम्प्यूटर निर्देशों का क्रमबद्ध संकलन भी करता है, इसके लिए यह सर्वप्रथम निर्देशों को पढ़कर अपनी स्मृति में बिठा लेता है तथा पुन: निर्देशों के अनुरूप कार्य करता है ।

कम्प्यूटर की सफलता का यही रहस्य है कि यह साधारण निर्देशों को एक उचित क्रम देने पर बड़ी से बड़ी जटिल गणना को भी बड़ी सरलता से त्रुटिहीन रूप से सम्पन्न करता है ।

कम्प्यूटर का आविष्कार:

आज से लगभग 25 हजार वर्ष पूर्व मनुष्य ने अंकों का अन्वेषण किया था । धीरे-धीरे ये अंक विकसित होते गए तथा विभिन्न लिपियों में प्रयुक्त होने लगे । मनुष्य के विकास के साथ-साथ लिपियाँ भी विकसित होती गयी । प्रारम्भ में मनुष्य कंकडों, उँगलियों की लाइनों या दीवार आदि पर लाइन खींचकर गिनने का कार्य करता था ।

फिर मशीनी युग के साथ ही अंकों तथा लिपि को टंकण के माध्यम से प्रेस तथा टाइप मशीनों में अंकित किया गया । सन् 1642 ई. में फ्रांस के कुशल वैज्ञानिक ब्लेज पास्कल ने विश्व का पहला कम्प्यूटर बनाया, जिसकी विधि बहुत सरल थी ।

तब से तरह-तरह की तकनीके खोजी जाने लगी तथा नए-नए कम्प्यूटर बनाए गए । सन् 1833 ई. में इंग्लैंड के ‘चार्ल्स बाबेज’ ने एक मशीन का आविष्कार किया तथा वह उस मशीन को कम्प्यूटर का रूप देने का प्रयास करता रहा, परन्तु असफल रहा ।

सही अर्थों में आधुनिक कम्प्यूटर बनाने का श्रेय वियुत अभियन्ता पी. इकरैट, भौतिक शास्त्री जोहन, डक्यू मैकली तथा गणितज्ञ जी.वी. न्यूमैन को जाता है । इन सभी के पारस्परिक सहयोग के बल पर सन् 1944 ई. में एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया गया, जिसको ‘इलैक्ट्रानिक एण्ड कम्प्यूटर’ नाम दिया गया । कम्प्यूटर का सुधरा हुआ रूप सन् 1952 ई. में बाजार में आया ।

भारतवर्ष में सबसे पहला कम्प्यूटर सन् 1961 ई. में आया था । तब से आज तक भारत अनेक उन्नत देशों जैसे अमेरिका, रुस, जर्मनी आदि से कम्प्यूटर आयात कर चुका है । इन देशों से प्राप्त जानकारी हमारे लिए काफी लाभकारी सिद्ध हो रही है ।

अमेरिका, स्वीडन, फ्रांस, हालैण्ड, ब्रिटेन, जर्मनी आदि देशों में तो इसे ‘मानव मस्तिष्क’ की संज्ञा दे दी गई है । आज भारत में भी कम्प्यूटर विज्ञान का तीव्रगामी विकास हो रहा है । कम्प्यूटर की स्मरण-शक्ति असीमित तथा अद्वितीय है । जो काम बहुत कुशाग्र बुद्धि का मानव भी नहीं कर पाता, कम्प्यूटर वह कार्य बड़ी सरलता से कर दिखाता है । आधुनिक युग में मनुष्य के पास इतना समय नहीं है कि वह पेपर पैन लेकर सारे हिसाब-किताब रख सके, क्योंकि आज का मानव बहुत व्यस्त जीवन जी रहा है ।

ऐसे में कम्प्यूटर उसका सच्चा साथी बनकर सभी कार्य तीव्र गति से बड़ी कुशलतापूर्वक कर देता है । नाम, तिथि, स्थल आदि बड़ी सरलतापूर्वक याद किए जा सकते हैं । आज सरकारी तथा गैर-सरकारी प्रत्येक क्षेत्र में बड़े व्यापक स्तर पर कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है ।

वेतन बिल, बिजली, पानी, टेलीफोन के बिल बनाने, टिकट वितरण करने, बैंक, एल. आई.सी. के दफ्तरों आदि सभी में सारा कार्य कच्छसे की मदद से ही हो रहा है । इनके अतिरिक्त सभी शिक्षण संस्थाओं, बड़े-बड़े स्टोरों आदि में भी ये सहायक सिद्ध हो रहे हैं ।

डाक छाँटने, रेल मार्ग का संचालन करने, परिवहन व्यवस्था, मौसम की जानकारी, चिकित्सा, व्यापार, आदि अनगिनत क्षेत्रों में आज कम्प्यूटर का ही बोलबाला है । परीक्षा बोर्डों में बैठने वाले अनेक विद्यार्थियों की अंकतालिका जाँचने, रोल नम्बर तैयार करने के कार्य भी कम्प्यूटर द्वारा आसानी से हो रहा है ।

इसके अतिरिक्त प्रकाशन के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर मील का पत्थर साबित हुआ है । किक कार्यों के करने की गति तथा इलेक्ट्रानिक्स की प्रगति में कम्प्यूटर प्रणाली का सर्वाधिक योगदान है । निःसन्देह जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं रह गया है जहाँ कम्प्यूटर ने अपनी उपयोगिता साबित न की हो । आज के बच्चे भी कम्प्यूटर का प्रयोग करने से ही बहुत तेज दिमाग वाले हो रहे हैं ।

कम्प्यूटर के जितने भी लाभ गिनाए जाए वे सभी कम हैं । आज कम्प्यूटर ने मनुष्य के जीवन में रोटी, कपड़ा तथा मकान जैसा महत्त्वपूर्ण स्थान ले लिया है । इसीलिए आज के युग में कम्प्यूटर के महत्त्व को समझते हुए प्रत्येक विद्यालय में विद्यार्थियों को कम्प्यूटर शिक्षा दी जा रही है ।

कभी-कभी हमारी लापरवाही से ही कम्प्यूटर बड़ी-बड़ी गलतियाँ भी कर देता है तथा बच्चे भी इसका अधिक प्रयोग करने के कारण अनेक बीमारियों से जूझ रहे हैं, परन्तु ये सभी दुष्प्रभाव हमारे पैदा किए हुए हैं । हमें कम्प्यूटर के साथ-साथ अपने मस्तिष्क का भी प्रयोग करना चाहिए वरना हम पंगु ही बन जाएँगे ।

निष्कर्ष रूप में यदि हम यह कहें कि कम्प्यूटर के लाभों के साथ उसकी हानियाँ नगण्य हैं तो कोई अतिशयोक्ति न होगी । कम्प्यूटर आज के युग की माँग है और हम आशा करते हैं कि भविष्य में इसकी लोकप्रियता और अधिक बढ़ेगी क्योंकि आज कम्प्यूटर हमारा शगुल नहीं बल्कि आवश्यकता बन चुका है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 6

इन्टरनेट: एक प्रभावशाली सूचवा माध्यम पर निबन्ध | Essay on Internet : An Influential Method of Communication in Hindi

आज मनुष्य प्रगति के पथ पर निरन्तर अग्रसर है । जीवन के हर क्षेत्र में हमें जीवन की सभी सुविधाएँ तथा आराम प्राप्त हो रहे हैं । विज्ञान का एक आधुनिकतम एवं क्रान्तिकारी आविष्कार इन्टरनेट है, जो एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण, बलशाली एवं गतिशील सूचना माध्यम है ।

इन्टरनेट प्रणाली का अर्थ:

इन्टरनेट एक अत्यन्त महत्वपूर्ण, गतिशील तथा बलशाली सूचना का माध्यम है । यह अनेक कम्प्यूटरों का एक जाल होता है जो उपग्रहों, केवल तन्तु प्रणालियों, लैन एवं वैन प्रणालियों एवं दूरभाषों द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं ।

आज सूचना प्रसारण के इस तेज गति के दौर में इन्टरनेट की उपयोगिता चरम सीमा पर है । आज का कोई भी व्यक्ति, देश अथवा वर्ग ‘इन्टरनेट’ प्रणाली से अकह नहीं है । सभी इसके महत्त्व के कायल हो चुके हैं ।

इन्टरनेट की बर्तमान स्थिति:

इन्टरनेट का शुभारम्भ सन् 1969 में ‘एडवान्स्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्रस एजेंसिस’ द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटरों की नेटवर्किग करके की गई थी । इसका विकास मुख्यतया शिक्षा, प्राप्त संस्थाओं के लिए किया गया था । इसके पश्चात् कुछ पुस्तकालय तथा कुछ निजी संस्थान भी इससे जुड़े गए ।

इन्टरनेट का जाल फैलाने में सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान ‘बैल लैब्स’ (Bell labs) का है और उसमें इससे सम्बन्धी अनुसन्धान अभी तक जारी है । वर्तमान समय में भारत में लगभग 1,50,000 इन्टरनेट कनैक्शन है तथा लगभग 21.59 मिलियन टेलीफोन लाइने कार्यरत हैं ।

एक टेलीफोन को लगभग 10 व्यक्ति प्रयुक्त करते हैं । 2.159 मिलियन लोगों को इन्टरनेट कनैक्शन लगवाने की उम्मीद है ।

इन्टरनैट के प्रमुख भाग:

इन्टरनेट के कुछ प्रमुख भाग इस प्रकार है – मुख्य सूचना कम्प्यूटंर (server), मोडम (modem), टेलीफोन, क्षेत्रीय नैटवर्क (LAN) अथवा वृहत नैटवर्क (WAN) उपग्रह संचार एवं केवल नैटवर्क । आज ज्यादातर मुख्य सूचना कम्प्यूटर (server) अमरीका में स्थापित है तथा पूरे संसार के उपग्रहों के माध्यम से जुड़े हैं ।

इन्टरनेट को देखने अथवा सूचना इकट्‌ठा करने के कार्य को ‘सर्फिग’ कहते हैं । इन्टरनेट पर ‘सर्फिग’ कार्य कोई मुश्किल काम नहीं है किन्तु सूचनाएं इन्टरनेट पर डालने के लिए सॉफ्टवेयर बनाने का कार्य बेहद जटिल है ।

इन्टरनेट के लाभ:

इन्टरनेट द्वारा वैब संरचना (Web Designing), इलेक्ट्रानिक मेल (E-mail) तथा इलेक्ट्रोनिक कॉमर्स (E-com) जैसे कार्य किए जाते हैं । आज इन्टरनेटों के कार्यक्रमों की बेहद माँग है तथा अनेक भारतीय युवा विदेशों में इन्टरनेट की कम्पनियों के लिए सॉफ्टवेयर एवं अन्य उपयोगी कार्यक्रम बनाने में संलग्न हैं ।

आज इन्टरनेट द्वारा बिजली, पानी, राशन, LIC सभी के बिल जमा किए जा रहे हैं । इन्टरनेट से विज्ञान, शिक्षा एवं व्यवसाय के क्षेत्र में सभी कार्य होने लगे हैं जिससे काफी हद तक युवाओं के बीच बेकारी की समस्या का समाधान हो रहा है ।

आज इन्टरनेट की मदद से ही कई लोग घर बैठे अच्छा पैसा कमा रहे हैं । आज यूरोप तथा अमेरिका में SOHO (Small office home office) की तकनीक प्रयोग की जा रही है तथा राशन तक का सामन खरीदने के लिए भी इन्टरनेट प्रयोग किया जा रहा है । भारत में भी यह तकनीक जल्द ही पूर्णतया विकसित हो जाएगी ।

इन्टरनेट सेवाओं का मूल्यांकन:

इन्टरनेट व्यवस्था प्रदान करने वाली व्यवस्था को ‘इन्टरनेट सर्विसेज प्रोवाईडर’ (ISP) कहते हैं । भारतवर्ष में बी.एस.एन.एन. नामक आई.एस.पी. को अप्रैल 1986 में प्रारम्भ किया गया था । आज सत्यम्, आई.एस.पी., मुन्ना ऑन लाइन आदि भी ग्राहकों को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं ।

महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) भी सस्ते दामों पर इन्टरनेट सेवाएँ प्रदान कर रहा है । इसके अतिरिक्त देश के दूसरे जिलों व प्रान्तों में भी इन्टरनेट गेटवे खुल रहे हैं । इन्टरनेट के दुष्परिणाम-हर वस्तु की भाँति इन्टरनेट के लाभों के साथ हानियाँ भी जुड़ी हैं ।

सर्वप्रथम अधिक देर तक नैट पर सर्फिंग करने से आँखों की रोशनी धीमी पड़सकती है । इन्टरनेट में 1 जनवरी 2000 से जीवाणु (Virus) क्रियाशील हो चुके हैं जो अधिक ‘नैट’ प्रयोग में लाने से कम्प्यूटर सिस्टम को भी खराब कर सकते हैं ।

दूसरी तरफ आज का युवा वर्ग बैटर पर ज्ञानवर्धक जानकारियाँ हासिल करने के स्थान पर अश्तील बातें ज्यादा देख रहा है, जिससे उनका नैतिक पतन हो रहा है । इन्टरनेट द्वारा व्यवसाय करना अभी जोखिम भरा कार्य है क्योंकि जरा सी रू होने पर काफी नुकसान हो सकता है ।

निःसन्देह आज का युग विज्ञान के नवीन चमत्कारों का युग हे । आज अनेक समाचार-यत्र व. पत्रिकाएँ भी ‘इन्टरनेट’ पर आ चुके हैं । अब तो सरकारें भी इस क्षेत्र में आगे आ रही है तथा भारत सरकार के अतिरिक्त कई राज्य सरकारें एवं विदेशी सरकारों की चेबसाइट इन्टरनेट पर प्राप्त की जा सकती है ।

आज नैट ‘कार्यकुशलता, सूचना एवं व्यवसाय का पर्याय बन चुका है । यदि इन्टरनेट का प्रयोग सीमित तथा संयमित रूप में किया जाए तो इसके लाभ ही लाभ हैं हानियाँ तो हमारी स्वयं की पैदा की हुई है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 7

कल्पना चावला पर निबन्ध | essay on kalpana chawla in hindi.

“मैं किसी भी देश या क्षेत्र विशेष से बाधित नहीं हूँ । इन सबसे हटकर मैं तो मानव जाति का गौरव बनना चाहती हूँ ।” यह कथन भारतीय मूल की प्रथम महिला अन्तरिक्ष यात्री कल्पना चावला का था । उनकी लगन, प्रतिभा तथा उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा ।

इस महान विभूति का जन्म हरियाणा राज्य के करनाल जिले में 8 जुलाई, 1961 को एक व्यापारी परिवार में हुआ था । उन्होंने टेगोर बाल विद्यालय से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण की । अपने शैशवकाल से ही वह एक होनहार छात्रा थी ।

उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में वैमानिकी (ऐअरोनॉटिक्स) में प्रवेश लिया । उस समय इस क्षेत्र में कोई दूसरी छात्रा नहीं थी । विज्ञान में कल्पना की तीन रूचि थी, जिसकी प्रशंसा उनके अध्यापक भी करते थे । उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वह विदेश भी गई । आपने 1984 में अमेरिका में स्थित Texas विश्वविद्यालय से वायु-आकाश (Aero-Space) इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की । तत्पश्चात् कल्पना ने कोलोराडो से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की ।

तत्पश्चात् कल्पना ने अमेरिका के एक्स में फ्यूड डायानामिक का कार्य सीनियर प्रारम्भ किया । वहाँ पर सफलता प्राप्त करने के पश्चात् कल्पना ने 1993 में केलिफोर्निया के ओवरसैट मैथडस इन कारपोरेशन में उपाध्यक्ष तथा रिसर्च वैज्ञानिक के रूप में कार्य प्रारम्भ किया ।

1994 में नासा ने कल्पना को अंतरिक्ष मिशन के लिए चयनित कर लिया । लगभग एक बर्ष के प्रशिक्षण के पश्चात् कल्पना कों रोबोटिक्स अंतरिक्ष में विचरण से जुड़े तकनीकी विषयों पर काम करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गयी । एस.टी.एस. 87 अमेरिकी की मास्कोग्रेबिवई पेलोड पाइलट थी, जिसका उद्देश्य भारहीनता का अध्ययन करना था । अन्तरिक्ष में जाना कल्पना की इच्छा भी थी । चन्द्रमा पर पर्दापण करने की उनकी तीव्र डच्छा थी ।

लगभग पांच वर्षो के अन्तराल के पश्चात् 16 जनवरी, 2003 को कल्पना चावला को अन्तरिक्ष में जाने का पुन: अवसर प्राप्त ह्मा । यह शोध मानव अंगों, शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकास एवं बिभिन्न कीटाणुओं की स्थिति के अध्ययन व्हे किए गए थे ।

उस यान में कल्पना के साथ उनके सात साथी थे । कल्पना ने अन्तरिक्ष का कार्यबीरता से पूर्ण किया और वह पृथ्वी पर लौट रही थी । दुर्भाग्यवश, 2 लाख फुट की ऊँचाई पर कोलम्बिया नामक उनका अन्तरिक्ष शटल बिस्फोट हो गया ।

देखते ही देखते कल्पना अतीत बन गई । उनकी मृत्यु के ददय विदारक संदेश से उनके अध्यापक, स्कूली साथी, परिवारजन, विशेषकर उनके नासा के स्टॉफ मेंबर स्तब्ध रह गए । पूरा विश्व जेसे शोक के गहरे सागर में ख गया । कल्पना उन अनगिनत महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत थी, जो अन्तरिक्ष में जाना चाहती हैं ।

Hindi Nibandh (Essay) # 8

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi : Father of the Nation in Hindi

समय-समय पर भारत माता की गोद में अनेक महान विभूतियों ने आकर अपने अद्‌भुत प्रभाव से सशूर्ण विश्व को आलोकित किया है । राम , कृष्णन, महावीर, नानक, दयानन्द, विवेकानन्द आदि ऐसी ही महान बिभूतियीं हैं जिनमे से महात्मा गाँधी का नाम सर्वोपरि आता है ।

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के कर्णधार तथा सच्चे अर्थों में स्वतन्त्रता सेनानी थे । युद्ध एवं क्रान्ति के इस युग में भारतवर्ष ने दुनिया के रास्ते से अलग रहकर गाँधी जी के नेतृत्व में सत्य एवं अहिंसा रुपी अस्त्रों के साथ स्वतन्त्रता की लड़ाई लड़ी तथा ब्रिटिश शासन को भारत से समूलोच्छेद कर दिया ।

इन चारित्रिक विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक भारतवासी उन्हें प्यार से ‘बापू’ कहता है । विश्व-विख्यात वैज्ञानिक आइस्टीन के शब्दों में ”आने वाली पीढियों को आश्चर्य होगा कि ऐसा विलक्षण व्यक्ति देह रूप में कभी इस पृथ्वी पर रंल्ला था ।” राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी ने उन्हें ‘युगस्रष्टा’ तथा ‘युग्धष्टा’ कहा है ।

जन्म परिचय व शिक्षा-दीक्षा:

महात्मा गाँधी का पूरा नाम ‘मोहनदास करमचन्द गाँधी’ था । गाँधी जी का जन्म 2 अक्तुबर, सन् 1869 ई. को गुजरात राज्य के ‘पोरबन्दर’ नामक स्थान पर हुआ था । आपके पिता श्री करमचन्द गाँधी किसी समय पोरबन्दर के दीवान थे फिर वे राजकोट के दीवान भी बने । आपकी माता श्रीमति पुतलीबाई धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी । गाँधी जी के चरित्र निर्माण में उनकी धर्म परायण माता का विशेष योगदान है ।

गाँधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई थी । विद्यालय में गाँधी जी एक साधारण छात्र थे तथा लजीले स्वभाव वाले थे । हाई न्क्र में अध्ययन करते समय ही लगभग तेरह वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से हो गया ।

सन् 1885 में उनके पिता का देहान्त हो गया । सन् 1887 में हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के पश्चात् आप उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए ‘भावनगर’ गए । वहाँ से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् कानूनी शिक्षा प्राप्त करने गाँधी जी इंग्लैण्ड गए ।

सन् 1891 में आप बैरिस्ट्री पास करके भारत लौट आए । उनकी अनुपस्थिति में उनकी माता जी का भी देहावसान हो गया ।

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी के कार्य:

स्वदेश लौटकर गाँधी जी ने मुम्बई में वकालत शुरू कर दी । पोरबन्दर की एक व्यापारिक संस्था ‘अब्दुल्ला एण्ड कम्पनी’ के मुकदमे की पैरवी करने गाँधी जी को दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा । वहाँ उन्होंने देखा कि गोरे अंग्रेज भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार करते थे और उनको अपना गुलाम मानते थे ।

यह सब देखकर गाँधी जी का मन क्षुब्ध हो उठा । वहाँ पर गाँधी जी को भी अनेक अपमान सहने पड़े । एक बार उन्हें रेलगाड़ी के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से नीचे उतार दिया गया, जबकि उनके पास प्रथम श्रेणी का टिकट था । अदालत में जब वे केस की पैरवी करने गए तो जज ने उनसे पगड़ी उतारने के लिए कहा किन्तु गाँधी जी जैसा आत्मसम्मानी व्यक्ति बिना पगड़ी उतारे बाहर चले गए ।

गाँधी जी का राजनीति में प्रवेश:

दक्षिण अफ्रीका से लौटकर गाँधी जई ने राजनीति में भाग लेना आरम्भ कर दिया । सन् 1914 के प्रथम युद्ध में गाँधी जी ने अंग्रेजों का साथ इसलिए दिया क्योंकि अंग्रेजों ने गाँधी से वादा किया था कि यदि वे युद्ध जीत गए तो भारत को आजाद कर देंगे, मरन्तु अंग्रेज अपनी जुबान से मुकर गए ।

युद्ध में बिजयी होने पर अंग्रेजों ने स्वतन्त्रता के स्थान पर भारतीयों को ‘रोलट एक्ट’ तथा ‘जलियांवाला बाग काण्ड’ जैसी विध्वंसकारी घटनाएँ पुरस्कारस्वरूप प्रदान की । सन् 1919 तथा 1920 में गाँधी जी ने आन्दोलन आरम्भ किया ।

सन् 1930 में गाँधी जी ने ‘नमक कानून का विरोध किया । उन्होंने 24 दिन पैदल यात्रा करके दाण्डी पहुँचकर स्वयं अपने हाथों से नमक बनाया । गाँधी जी के स्वतन्त्रता संग्राम में देश के प्रत्येक कोने से देशभक्तों ने जन्म भूमि भारत की गुलामी की बेडियो को तोड़ने के लिए कमर कस ली ।

बालगंगाधर तिलक , गोखले, लाला लाजपतराय, सुभाषचन्द्र बोस आदि ने गाँधी जी का पूरा साथ दिया । सन् 1931 ई. में वायरसराय ने लंदन में आपको गोलमेज कांफ्रेन्स में आमन्त्रित किया । वहाँ आपने बड़ी विद्धता से भारतीय पक्ष का समर्थन किया ।

गाँधी जी ने पूर्ण स्वतन्त्रता के लिए सत्याग्रह की बात प्रारम्भ की । सन् 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन शुरू हुआ तथा गाँधी जी सहित सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया । सन् 1944 में इन्हें जेल से रिहा कर दिया गया । समस्त वातावरण केवल आजादी की ध्वनि से गूँजने लगा । अंग्रेज सरकार के पाँव उखड़ने लगे । अंग्रेज सरकार ने जब अपने शासन को समाप्त होते देखा तो अंतत: 15 अगस्त, 1947 ई. को भारत को पूर्ण स्वतन्त्रता सौंप दी ।

गाँधीवादी सिद्धान्त:

गाँधी जी सत्य तथा अहिंसा जैसे सिद्धान्तों के पुजारी थे । ये गुण उनमें बचपन से ही विद्यमान थे । गाँधी जी ने स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर भी जोर दिया था । बे चरखा कातकर स्वयं अपने लिए वस्त्र तैयार करते थे । गाँधी जी ने मानव को मानव से प्रेम करना सिखाया ! उन्होंने इसीलिए विदेशी वस्तुओं की होली जलाई थी ।

इसके अतिरिक्त दलित तथा निम्न वर्गीय लोगों के लिए भी गाँधी जी के मन में विशेष प्रेम था । उन्होंने छूआछुत का कड़ा विरोध किया था तथा अनूसूचित जातियों के लिए मन्दिरों तथा दूसरे पवित्र स्थानों में प्रवेश पर रोक को समाप्त करने पर विशेष बल दिया था । इस प्रकार गाँधी जी सच्चे अर्थों में एक परोपकारी व्यक्ति थे ।

उनके सम्बन्ध में किसी कवि की पंक्तियों द्रष्टव्य हैं:

”चल पड़े जिधर दो पग डग में, चल पड़े कोटि पग उसी ओर पड गई जिधर भी एक दृष्टि, पड़ गए कोटिदृग उसी ओर ।”

मृत्यु-30 जनवरी, 1948 ई. को संध्या के समय प्रार्थना-सभा में नाधूराम गोडसे ने उन पर गोलियाँ चला दी । तीन बार ‘राम, राम, राम’ कहने के बाद गाँधी जी ने इस नश्वर शरीर का परित्याग कर दिया । इस दुखःद अवसर पर नेहरू जी ने कहा था, ”हमारे जीवन से प्रकाश का अन्त हो चुका है । हमारा प्यास बापू, हमारा राष्ट्रपिता अब हमारे बीच नहीं है ।

हमारे ‘बापू’ मानवता की सच्ची मूर्ति थे ऐसे विरले इंसान सदियों में एक बार पैदा होते हैं । गाँधी जी ने तो मानवता की सेवा की थी । वे नरम दल के नेता थे । हरिजनों के उद्धार के लिए उन्होंने ‘हरिजन संद्य की स्थापना की थी ।

मद्य-निषेध, हिन्दी-प्रसार, शिक्षा-सुधार के अतिरिक्त अनगिनत रचनात्मक कार्य किए थे । महात्मा गाँधी, नश्वर शरीर से नहीं, अपितु यशस्वी शरीर से अपने अहिंसावादी सिद्धान्तों, मानवतावादी दृष्टिकोणों तथा समतावादी विचारों से आज भी हमारा सही मार्गदर्शन कर रहे हैं ।

गाँधी जी के अद्‌भुत व्यक्तित्व का चित्रांकन कविवर सुमित्रानन्दन पन्त ने इस प्रकार किया है:

”तुम मांसहीन, तुम रक्तहीन, हे अस्थिशेष । तुम अस्थिहीन, तुम शुद्ध बुद्ध आत्मा केबल हे चिर पुराण । तुम चिर नबीन ।”

Hindi Nibandh (Essay) # 9

पं. जवाहारलाल नेहरू पर निबन्ध | Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

शान्ति के अग्रदूत, अहिंसा के संवाहक, आधुनिक भारतवर्ष निर्माता एवंस्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू आधुनिक युग की एक महान विभूति है ।

वे सच्चे कर्मयोगी एवं मानवता के प्रबल समर्थक थे । राजसी परिवार में जन्म लेकर एवं सभी सुख-सुविधाओं पूर्ण वातावरण में बड़े होकर भी आपने राष्ट्रीय स्वतन्त्रता एवं देश की आन-बान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया ।

जन्म परिचय एवं शिक्षा-विश्व-बत्सुत्व की भावना के प्रबल समर्थक पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर सन् 1889 ई. को प्रयाग (इलाहाबाद) के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था । आपके पिताश्री पं. मोतीलाल नेहरू भारतवर्ष के एक सम्मानित बैरिस्टर थे । आपकी माता जी श्रीमती स्वरूप रानी एक धार्मिक प्रवृत्ति वाली महिला थीं । अपने माता-पिता का इकलौता लाडला पुत्र होने के कारण आपका लालन-पालन बड़े लाड़-प्यार में हुआ था ।

आपकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर हुई थी । 15 वर्ष की आयु में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आप इंग्लैण्ड चले गए । आपने ‘हैरी विश्वविद्यालय’ तथा ‘कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय’ से उच्च शिक्षा प्राप्त की । अपने पिता की इच्छानुसार आप सन् 1912 में इंग्लैण्ड से बैरिस्टर बनकर भारत लौटे ।

भारत आकर आप अपने पिता के साथ ही प्रयाग में वकालत करने लगे । आप ‘मेरेडिथ’ के राजनीति चिन्तन से बहुत प्रभावित थे 1 सन् 1915 ई. में ‘रोलट एक्ट’ के विरुद्ध होने वाली मुम्बई कांफ्रेन्स में नेहरू जी ने भी हिस्सा लिया और यहीं से आपके राजनीतिक जीवन की प्रारम्भिक अवस्था आरम्भ हुई थी ।

पारिवारिक जीवन:

जवाहर लाल नेहरू का शुभ विवाह सन् 1916 ई. में श्रीमती कमला नेहरू के साथ हुआ । सन् 1917 में 9 नवम्बर को आपके यहाँ इन्दिरा ‘प्रियदर्शिनी’ नामक सुन्दर सी पुत्री ने जन्म लिया । सरोजिनी नायडू इन्दिरा को ‘क्रान्ति की सन्तान’ कहती थी । आगे चलकर इन्दिरा गाँधी ने भारतवर्ष की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री बनने का गौरव प्राप्त किया ।

सन् 1931 ई. में नेहरूजी के पिता जी श्री माती लाल नेहरू और सन् 1936 ई. में उनकी धर्म पली कमला नेहरू का भी स्वर्गवास हो गया । राजनीतिक जीवन-महात्मा गाँधी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर नेहरू जी ने उनके राजनैतिक आदर्शों को अपनाने का निश्चय किया । नेहरू जी ने राजसी वेशभूषा को छोड़कर खादी का कुर्ता धारण कर लिया एवं एक सच्चे सत्याग्रही की भाँति प्रकट हुए ।

सन् 1919 के किसान आन्दोलन एवं 1921 ई. के असहयोग आन्दोलन में हिस्सा लेने के कारण पं. नेहरू को जेल जाना पड़ा । आपकी अनवरत सेवाओं के लिए सन् 1923 में ‘आल इंडिया कांग्रेस’ ने आपको जनरल सेक्रेटरी चुन लिया तथा इसके बाद आप इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे ।

उन्हीं की अध्यक्षता में 1929 में कांग्रेस ने पूर्ण स्वतन्त्रता के लक्ष्य सम्बन्धी प्रस्ताव को पारित किया । इसके पश्चात् भी आप अनेक आन्दोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे । कई बार आप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए ।

सन् 1930 ई. में शान्तिमय शासनावज्ञा के कारण आपको कारावास जाना पड़ा । सन् 1927 ई. में रूस सरकार के निमन्त्रण पर आप रूस गए और वहाँ की साम्यवादी विचारधारा का आप पर विशेष प्रभाव पड़ा । देश को स्वतन्त्र कराने के लिए आपने अथक प्रयास किए ।

31 दिसम्बर सन् 1930 ई. में पं. नेहरू ने अपने कांग्रेस अध्यक्षीय भाषण में पंजाब की रावी नदी के तट पर यह घोषणा की थी कि हम पूर्ण रूप से स्वाधीन होकर ही रहेंगे । इस घोषणा से स्वाधीनता संग्राम का संघर्ष तीब्रतर हो गया । तत्पश्चात् ‘नमक-सत्याग्रह’ में भी आपने अपना अपार योगदान दिया ।

सन् 1942 ई. के गाँधी जी के ‘भारत छीड़ा आन्दोलन’ में भी आपने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई । अनेक महापुरुषों के अथक प्रयासों से आखिरकार 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश स्वतन्त्र हो गया । प्रथम प्रधानमन्त्री के रूप में-स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् सर्वसम्मति से आप स्वाधीन भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री निर्वाचित हुए तथा मृत्युपर्यन्त इसी पद पर आसीन रहे ।

इस काल में आपने अनेक प्रशंसनीय कार्य किए । स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् देश का विभाजन होने पर हमारे समक्ष अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई थी । शरणार्थियों के पुनर्वास की समस्या, साम्प्रदायिक दंगों की समस्या, काश्मीर पर पाकिस्तान का आक्रमण तथा राज्यों के पुनर्गठन आदि समस्याओं का नेहरू जी ने अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ के आधार पर उचित हल निकाला ।

आपके नेतृत्व में सगर्व देश के लिए अनेक बहुमुखी योजनाएँ बनाई गई । जल ब विधुत शक्ति के लिए बाँध बनाए गए, देश में बड़े-बड़े उद्योग स्थापित किए गए तथा कृषि के क्षेत्र में भी देश ने अद्‌भुत प्रगति की । ट्राम्बे (मुम्बई) में अगुचालित रीऐक्टर संस्थान आपके सुनियोजित प्रयासों का ही परिणाम है ।

नेहरू जी की सैद्धान्तिक विशेषताएँ:

नेहरू जी ने विश्व को शान्तिपूर्ण सह अस्तित्व एवं गुट निरपेक्षता के महत्त्वपूर्ण विचार दिए । उन्होंने उपनिवेशवाद, नवउपनिबेशवाद साम्राज्यवाद, रंगभेद एवं किसी भी प्रकार के अन्याय के विरुद्ध अपनी आवाज बुलन्द की और एशिया, अफ्रीका एवं लेटिन अमेरिका के लगभग य देशों को औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराया ।

एक महान चिन्तक के रूप में नेहरू जी का मानब में अटूट बिश्वास था और उनकी प्रतिभा, प्रकृति तथा चरित्र का सबसे मस्लपूर्ण पक्ष उनका वैज्ञानिक मानवतावाद था । उन्होंने आत्मा, परमात्मा एवं रहस्यवाद को महत्त्व न देते हुए मानवता व सामाजिक सेवा को ही अपना धर्म बनाया ।

सभा महान विभूतियां की भाँति नेहरू जी भी सत्य के खोजी थे । किन्तु वे सत्य के प्रति विशुद्ध सैद्धान्तिक पहुँच में विश्वास नहीं रखते थे । महात्मा गाँधीजी की भांति उन्होंने सत्य को ईश्वर का पर्याय न समझकर सत्य की खोज विज्ञान, ज्ञान एवं अनुभव द्वारा अनुप्राश्रित की ।

जहाँ तक साध्य एवं साधन के मध्य सम्बन्ध का प्रश्न है; नेहरू जी गाँधी जी के विचारों वाले थे । जैसा साधन होगा, साध्य भी वैसा ही होगा । साधन की तुलना बीज से एवं साध्य की तुलना वृक्ष से की जा सकती है ।

नेहरू जी लोकतन्त्र के कट्टर समर्थक थे । उनके लिए लोकतन्त्र स्थिर बस्तु न खेकर एक गतिशील एबै विकासशील वस्तु थी । उनके अनुसार सच्चा लोकतन्त्र बंही है जहाँ लोगों के कल्याण एवं सुख का ध्यान रखा जाए । वे लोकतन्त्र को जनता की स्वतन्त्रता, जनता की समानता, जनता का भ्रातृत्व एवं जनता की सर्वोच्चता मानते थे ।

अन्तिम समय:

अपने जीवन के अन्तिम क्षणों में भी नेहरू जी ने देश-सेवा के अपने व्रत को नहीं त्यागा और कठिन परिश्रम करते रहें । एक ओर कश्मीर समस्या थी तो दूसरी ओर चीन का खतरा । परन्तु सभी समस्याओं का आपने साहसपूर्वक सामना किया ।

27 मई, 1964 ई. को आप काल का ग्रास बन गए तथा सम्पूर्ण विश्व शान्ति के इस अग्रदूत की अन्तिम विदाई पर बिलख उठा । आधुनिक भारत का प्रत्येक नागरिक सदा आपका ऋणी रहेगा । शायद आपकी कमी को कोई भी पूर्ण न कर सके । मृत्यु के पश्चात् आपकी वसीयत के अनुसार आपकी भस्म भारत के खेतों में बिखेर दी गई क्योंकि आपको भारत की मिट्टी से अटूट प्यार था ।

नेहरू जी ने अपने जीवनकाल में जाति भेद को दूर करने, स्त्री जाति की उन्नति करने तथा शिक्षा प्रसार करने जैसे अनेक सराहनीय कार्य किए । युद्ध की कगार पर खड़े विश्व को आपने शान्ति का मार्ग दिखाया । नेहरूजी उच्चकोटि के चिन्तक, विचारक एवं लेखक थें ।

उनकी लिखित मेसई क्खनी’, ‘भारत की कहानी’, ‘विश्व इतिहास की झलक’, ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ आदि जन-प्रसिद्ध हैं । बच्चे उन्हें प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहकर पुकारते हैं क्योंकि नेहरूजी को ‘बच्चों’ से एवं गुलाक से बहुत प्यार था । हर वर्ष 14 नबम्बर को उनका जनमदिन ‘बाल दिबस’ के रूप में मनाया जाता है ।

मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण यह अनूठा व्यक्तित्व भारत के लोगों का ही नहीं, अपितु पूरी दुनिया के लोगों का प्यार एवं सम्मान पा सका । भारत सरकार ने उन्हें राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से विभूषित किया था । निःसन्देह उनका नाम चिरकाल तक इतिहास में अमर रहेगा ।

Hindi Nibandh (Essay) # 10

युगपुरुष-लाल बहादुर शास्त्री पर निबन्ध | Essay on Lal Bahadur Sastri : An Icon of the Age in Hindi

कभीकभी साधारण परिवार व साधारण परिस्थितियों में पला बड़ा इन्सान भी अपने असाधारण कृत्यों से सभी को आस्वर्यचफ्रइत कर देने की क्षमता रखता है । ऐसे ही चमत्कारिक व्यक्ति थे । युग पुरुष श्री लाल बहादुर शास्त्री ।

29 मई, 1964 को पं. जवाहरलाल नेहरू जी के आकस्मिक निधन के उपरान्त 2 जून, 1964 को कांग्रेस के संसदीय दल द्वारा सर्वसम्मति से लाल बहार शास्त्री को देश का प्रधानमन्त्री चुना गया । 9 जून, 1964 ई. को आपने प्रधानमन्त्री पद की शपथ ग्रहण की तथा केवल 18 माह तक प्रधानमन्त्री के रूप में कार्य कर सबका हृदय जीत लिया ।

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अकबर, 1904 ई. में वाराणसी के भुगलसराय नामक ग्राम में हुआ था । आपके पिता श्री शारदा प्रसाद एक शिक्षक थे । जब लालबहादुर मात्र डेढ़, वर्ष के थे, तभी उनके पिता का देहावसाज हो गया ।

आपकी माता श्रीमति रामदुलारी देवी जी ने आपका लालन पालन किया । आपकी प्रारम्भिक शिक्षा वाराणसी के ही एक क्ख में हुई । लाल बहष्र का बचपन बहुत निर्धनता तथा तंगी में व्यतीत हुआ तभी तो उन्हें विद्यालय जाने के लिए गंगा नदी को पार करना पड़ता था । नाव वाले को देने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे ।

यद्यपि लाल बहादुर जी के पिता जी उन्हें अपनी स्नेह-छाया में पाल-पोसकर बड़ा नहीं कर पाए थे तथापि वे उन्हें ऐसी दिव्य प्रेरणाओं की विभूति प्रदान कर गए जिसके सहारे शास्त्री जी एक सेनानी की भाँति जीवन के समस्त कष्टों को अपने चरित्रम्बल से पदन्दलित करते चलते गए ।

एक बार सन् 1921 में महात्मा गाँधी अपने ‘असहयोग आन्दोलग के सिलसिले में वाराणसी आए हुए थे तो एक सभा को सम्बोधित करते हुए गाँधी जी ने कहा था,

”भारत माता दासता लई कड़ी बेडियों में जकड़ी हुई है । आज हमें जरूरत है उन नौजवानों की जो इन बेडियों को काट देने के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर देने को तैयार ह्मे । ”

तभी एक सोलह-सत्रह वर्ष का नौजवान भीड़ में से आगे आया, जिसके माथे पर तेज तथा हृदय में देशप्रेम था । यह लड़का लाल बहादुर ही था । स्कूली शिक्षा छोड़कर लाल बहादुर स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े । साम्राज्यवादी सरकार ने उन्हें जेल में डलवा दिया तथा शास्त्री जी को ढाई वर्षों तक कारावास में रहना पड़ा ।

जेल की सजा काटने के बाद शास्त्री जी ने काशी विद्यापीठ में प्रवेश ले लिया तथा पढ़ाई आरम्म कर दी । सौभाग्य से लाल बहादुर को काशी विद्यापीठ में महान ब योग्य शिक्षकों, जैसे-डी. भगवानदास, आचार्य जे.बी. कृपलानी, सक्तर्घनन्द तथा श्री प्रकाश आदि से शिक्षा ग्रहण करने का अवसर प्राप्त हुआ ।

यहीं से उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि प्राप्त हुई एवं तभी से वे ‘लाल बहादुर शास्त्री’ कहलाने लगे । यहाँ पर चार वर्ष तक लगातार शास्त्री जी ने फैख्व तथा ‘दर्शन’ का अध्ययन किया । शिक्षा समाप्ति के पश्चात् शास्त्री जी का विवाह क्षलिता देवी के साथ हुआ, जो शास्त्री जी के ही समान सरल व सीधे स्वभाव की जागरुक नारी थी ।

देश-सेवा के कार्य व राजनीति में प्रवेश:

शास्त्री जी का समुर्ण जीवन कड़े-संघषों की लम्बी कहानी है । शास्त्री जी के हृदय में निर्धनों, दलितों तथा हरिजनों के लिए बहुत दया ब करुणा भाव थे तथा वे इन पिछड़े तथा उपेक्षित वर्ग को सदा ऊपर उठाना चाहते थे । हरिजनोद्वार में शास्त्री जी का अभूतपूर्व योगदान रहा हे । उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए शास्त्री जी को लोक सेवा संघ का सदस्य बनाया गया और उन्होंने इलाहाबाद को अपनी कार्यवाहियों का केन्द्र बनाया ।

शास्त्री जी सात सालों तक इलाहाबाद म्यूनिसिपल बोर्ड के सदस्य रहे तथा चार वर्ष तक इलाहाबाद इखूबमेंट ट्रस्ट के महासचिव तथा सन् 1930 से 1936 तक अध्यक्ष रहे । सन् 1937 ई. में शास्त्री जी उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य निवाचित किए गए ।

शास्त्री जी ने सन् 1942 में भारतछफ्रौ आन्दोलन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा कारावास का दण्ड भोगा । सन् 1937 में सात प्रान्तों में कांग्रेस की अन्तरिम सरकार बनी । इस समय उत्तर प्रदेश में पंडित गोविन्द बल्लभपंत ने इन्हें अपना सभा सचिव नियुक्त किया तथा अगले ही वर्ष शास्त्री जी को उत्तर प्रदेश का गृहमन्त्री नियुक्त किया गया ।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् सन् 1952 ई. में जब आम चुनाब हुए तो पं. जवाहर लाल नेहरू ने इन्हें चुनाव तैयारियों के लिए दिल्ली बुलवा लिया तथा चुनाव के पश्चात् इन्हें स्वतन्त्र भारत का प्रथम रेलमन्त्री नियुक्त किया, किन्तु दुर्भाग्यवश इनके कार्यकाल में एक रेल दुर्घटना हो गई जिसका नैतिक दायित्व वहन करते हुए इन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया ।

तत्पश्चात् सन् 1956-57 में वे देश के संचार व परिवहन मन्त्री बने तथा इसके बाद वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्री भी बने । सन् 1961 के अप्रैल मास में उन्हें स्वराष्ट्र मन्त्रालय का कार्यभार सौंपा गया । शास्त्री जी ने सभी पदों का कार्य भार बड़ी कुशलता तथा निष्ठा से सम्माला ।

धनी व्यक्तित्व के स्वामी-लाल बहादुर शास्त्री जी एकदम सरल एवं सादे स्वभाव के व्यक्ति थे । इसी कारण जब उन्होंने प्रधानमन्त्री का पदभार ग्रहण किया तो लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था कि शास्त्री जी प्रधानमन्त्री पद की जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभा सकेंगे ।

किन्तु केवल 18 माह के कार्यकाल ने शास्त्री जी को भारतीय इतिहास की महान विभूतियों में से एक के रूप में पहचान दिलवाई । शास्त्री जी का स्वभाव शान्त, गम्भीर, मृदु व संकोच किस्म का था, इसी कारण वे जनता के दिलों में राज्य कर सके थे । उनकी अद्वितीय योग्यता तथा महान नेतृत्व का परिचय हमें 1965 के भारत-पाक युद्ध के समय देखने को मिला ।

पाकिस्तानी आक्रमण के समय सभी भारतीय अत्यन्त चिन्तित थे, किन्तु शास्त्री जी ने बड़ी बहादुरी से इस परिस्थिति का आकलन किया तथा देश का नेतृत्व किया । उन्होंने इस युद्ध में भारत को जीत दिलाई तथा पाकिस्तानियों को मुँह की खानी पड़ी ।

उन्होंने अपने ओजस्वी भाषणों से वीर सैनिकों तथा देश की आम जनता का मनोबल बढ़ाया । एक बार जब भारत में आने वाले अनाज के जहाजों को रोक दिया गया, तब इन्होंने देश के सामने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया ।

उन्होंने सप्ताह में एक दिन का अन्न छोड़ दिया तथा देश की जनता को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया । इसके अतिरिक्त शास्त्री जी ने असम भाषा समस्या, नेपाल के साथ सम्बन्ध सुधार व स्वरत बल से चोरी की समस्या आदि समस्याओं का कुशलतापूर्वक समाधान किया ।

भारत-पाक युद्ध के बाद सोवियत संघ के ताशकन्द में 11 जनवरी, सन् 1966 ई. में समझौते के दौरान शास्त्री जी का निधन हो गया । श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की संगठनात्मक शक्ति और लगन ने भारत को सर्वोच्च गौरव प्रदान किया ।

आज शास्त्री जी तन से हमारे साथ न होते हुए भी हमारे मन व हृदय में निवास करते हें । निःसन्देह वे एक ऐसे युग पुरुष थे जिन्होंने साधारण परिवार में जन्म लेकर असाधारण कार्य किए तथा प्रत्येक क्षेत्र में अपने चातुर्थ तथा कुशलता के प्रमाण प्रस्तुत किए ।

Hindi Nibandh (Essay) # 11

भारत रत्न श्रीमती इन्दिरा गाँधी पर निबन्ध | essay on bharat ratna : srimati indira gandhi in hindi.

हमारी भारत भूमि पर सदा ही श्रेष्ठ महापुरुषों एवं महान स्त्रियों ने जन्म लिया है जिन्होंने अपने गौरवपूर्ण व महान् कार्यों से न केवल भारतवर्ष को, अपितु पूरे विश्व को अचंभित किया है ।

ऐसी ही एक वीरांगना, महान तथा श्रेष्ठ नारी थी श्रीमति इन्दिरा गाँधी । इन्दिरा गाँधी का वास्तविक नाम ‘इन्दिरा प्रियदर्शिनी’ थी । वह अपार दूरदर्शिनी तथा साहसी नारी थी । वे भारत की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री थी, जिन्होंने हर विपरीत परिस्थिति का डटकर सामना किया तथा देश के विकास के लिए नई दिशाओं को खोज निकाला ।

जीवन-परिचय एवं शिक्षा:

भारतवर्ष की तृतीय प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी जी का जन्म 19 नवम्बर, 1917 को इलाहाबाद के ‘आनन्द भबन’ में हुआ था । पिता पं. जवाहरलाल नेहरू तथा माता कमला नेहरू के अतिरिक्त दादा मोतीलाल नेहरू तथा दादी स्वरूप रानी भी ‘इन्दिरा’ के जन्म पर बहुत प्रसन्न हुए ।

सभी प्यार से उन्हें ‘इन्दु’ पुकारते थे । इन्दिरा जी के व्यक्तित्व में अपने दादाजी जैसी दृढ़ता, पिताजी जैसा धैर्य तथा माता जी जैसी संवेदनशीलता थी । इन्दिरा जी की प्रारम्भिक शिक्षा स्विट्‌जरलैण्ड में हुई । इसके पश्चात् वे अपने अध्ययन के लिए भारत लौट आई तथा ‘शान्ति निकेतन’ में ही पढ़ने लगी । इसके पश्चात् वह ऑक्सफोर्ड के समशवइले कॉलेज गई तथा वही पर शिक्षा प्राप्त की ।

पं. नेहरू अपनी बेटी की सुख सुविधाओं का पूरा ध्यान रखते थे वही विस्तृत ज्ञानवर्धन भी उनको परम अभीष्ट था । पं नेहरू जी ने कारावास से ही अपनी प्यारी इनु’ को अनेक पत्र लिखे । बाद में ये पत्र ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ से प्रकाशित भी हुए ।

दस वर्ष की आयु में ही इन्दिरा जी ने ‘बानर सेना’ का गठन किया था जो कांग्रेस के असहयोग आन्दोलन में सहायता पहुँचाया करती थी । सन् 1937 में आपकी माता जी का देहावसान हो गया ।

इन्दिरा जी का सामाजिक जीवन:

ऑक्सफोर्ड के समरविले कॉलेज में अध्ययन करते समय ही आपने ब्रिटिश मजदूर दल के आन्दोलन में भाग लिया । सन् 1938 ई. में आप भारतीय कांग्रेस में सम्मिलित हो गई । सन् 1942 ई. में इन्दिरा जी का विवाह एक सुयोग्य पत्रकार एवं विद्वान लेखक फिरोज गाँधी से हुआ। पति-पत्नी दोनों ही स्वतन्त्रता-संक्रम में सक्रियता से हिस्सा लेने लगे । सन् 1942 में ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ में भाग लेने के कारण दोनों को करीब 15 मास कारावास में गुजारने पड़े । इन्दिरा जी ने दो पुत्रों राजीव व संजय को जन्म दिया ।

जब 15 अगस्त सन् 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ तो पं. जवाहरलाल नेहरू को स्वतन्त्र भारत का प्रथम प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया । तभी से इन्दिरा जी का अधिकतर समय अपने पिता के साथ बीतता था ।

उनके साथ रहते-रहते इन्दिरा जी को राजनीति की वास्तविक जानकारी प्राप्त हुई । उन्होंने पिता के साथ देश-विदेश का भ्रमण किया तथा विश्व राजनीति के बारे में भी जानकारी हासिल की ।

इन्दिरा जी सन् 1955 ई. में कांग्रेस की कार्य समिति की सदस्या बनी तथा सन् 1959 में अखिल भारतीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गई । कांग्रेस अध्यक्ष बनकर आपने सारे देश का दौरा किया तथा कुछ ऐसे सराहनीय कार्य किए, जिन्हें देखकर वामपन्धी कांग्रेसी कृष्णा मेनन आदि भी अचम्भित रह गए । सन् 1960 में इन्दिरा गाँधी के पति फिरोज गाँधी का देहान्त हो गया तो इन्दिरा जैसे टूट सी गई ।

प्रधानमन्त्री के रूप में कार्य:

27 मई, सन् 1964 ई. को पं. जवाहरलाल नेहरू के निधन पर तो जैसे इन्दिरा जी एकदम टूट कर ढेर सी हो गई थी । ऐसे समय में लाल बहादुर शास्त्री को देश का प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया तो उन्होंने इन्दिरा जी को अपने मन्त्रिमण्डल में सूचना एवं प्रसारण मन्त्री के रूप में चयनित कर लिया, जिसे उन्होंने बड़ी कुशलता से निभाया ।

सन् 1966 में लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु हुई तब इन्दिरा जी देश की तीसरी तथा प्रथम महिलारप्रधानमन्त्री बनी । मारग्रेट थैचर (इंग्लैण्ड की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री) के बाद इन्दिरा जी ऐसी महिला हैं जो किसी लोकतान्त्रिक देश की प्रधानमन्त्री बनी हैं ।

तत्कालीन राष्ट्रपति डी. शंकरदयाल शर्मा ने जब इन्दिरा जी को प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलाई तो भारत की प्रत्येक नारी का सिर गर्व से ऊँचा हो गया । इसके बाद पूरे देश में सन् 1967 को आम चुनाव हुए तथा अपने असाधारण व्यक्तित्व, लगन तथा निष्ठा के बल पर आप दूसरी बार सर्वसम्मति से देश की प्रधानमन्त्री नियुक्त की गई ।

अपने प्रधानमन्त्री काल में आपने अनेक प्रकार के सुधार तथा विकास कार्य किए हैं । जिस समय इन्दिरा जी प्रधानमन्त्री बनी थी, उस समय देश में गरीबी एक प्रमुख समस्या थी क्योंकि औद्योगिकरण एवं वैज्ञानिक प्रगति अपने आरम्भिक दौर में थी ।

इन्दिरा जी ने गरीबी को दूर करने के लिए सन् 1969 में एक सशक्त नीति की घोषणा की, जिसमें निजी आय, निजी आमदनी तथा लाभों पर सीमा से ऊपर आय होने पर सरकार सम्पत्ति एवं आय का अधिग्रहण कर लेती थी । आपने कई सरकारी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया तथा गाँवों में कई बेंकों की शाखाएँ भी खोली ।

इसके अतिरिक्त बांग्लादेश के पुन: निर्माण के लिए आपने अपने देश से विशेष सहायता प्रदान की । 25 जून, 1975 की आधी रात को आपने देशभर में आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर दी । ‘आसुका’ (आन्तरिक सुरक्षा कानून) तथा डी.आई.आर. कानूनों के अन्तर्गत देश के बड़े-बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया ।

इसके कारण ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस आदि देशों ने इन्दिरा सरकार की घोर निन्दा की । सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध में आपने ऐसे साहस व धैर्य का परिचय दिया कि विरोधियों ने आपको दुर्गा माँ का अवतार कहना प्रारम्भ कर दिया । 24 मार्च सन् 1977 ई. तक आप प्रधानमन्त्री बनी रही ।

सन् 1977 के आम चुनावों में आपको भारी पराजय का सामना करना पड़ा जनता सरकार ने सत्ता में आने पर आपको जेल में भेजा । सन् 1980 में पुन: लोकसभा चुनाव हुए तथा आपने फिर विजयश्री प्राप्त की तथा आपके नेतृत्व में कांग्रेस पुन: सत्ता में आ गई ।

वे पुन: प्रधानमन्त्री बन बैठी । विश्व-इतिहास में यह पहली घटना थी कि चुनाव हारने के ढाई वर्ष पश्चात् ही कोई राजनीतिज्ञ पुन: भारी बहुमत से देश की बागडोर सम्भाल पाया था ।

इन्दिरा जी विलक्षण प्रतिभा की धनी महिला थी, जिनमें अदम्य साहस तथा दूरदृष्टिता छूट-कूट कर भरे थे । 23 जून, 1980 में अपने प्रिय पुत्र संजय गाँधी की आकस्मिक मृत्यु ने आपको बुरी तरह से तोड़ दिया, फिर भी आपने हिम्मत नहीं हारी । आप अपने जीवन की आखिरी सांस तक निर्धनता, रंग-भेद तथा जाति-भेद के विरुद्ध संघर्षशील रही ।

जिस समय आप भारत राष्ट्र को उन्नति की पराकाष्ठा पर ले जानी जाने वाली थी, उसी समय 31 अक्तूबर सन् 1984 को प्रात: 9 बजे आपके दो अंगरक्षकों सतवंत सिंह तथा बेअंत सिंह ने आपको गोलियों से भून डाला । पूरा विश्व जैसे ठगा सा रह गया ।

भारत राष्ट्र अनाथ हो गया तथा दुनिया के राजनीतिक मंच का एक मुखर स्वर शान्त हो गया । आज आप अपनी समाधि ‘शक्ति स्थल’ में आराम से विश्राम कर रही हैं और पूरा विश्व आपके सराहनीय कार्यों को याद कर आपको श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 12

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस पर निबन्ध | Essay on Netaji Subash Chandra Bose in Hindi

शैशवकाल से ही जिसके कोमल मून में विद्रोह की ज्वाला प्रज्वलित हो उठी थी, किशोरावस्था में ही जिसका उर्वर मस्तिष्क विप्लव के झंझावात से दुखी समुद्र की भांति अशान्त हो उठा था, युवावस्था में ही जिसने समस्त भोग-विलासों एवं नश्वर ऐश्वर्य को त्याग दिया था, ऐसे विद्रोही, विप्लवी एवं त्यागी सुभाषचंद्र बोस का सम्पूर्ण जीवन विद्रोह तथा वैराग्य का आग्नेयगिरि बना रहा, तो इसमें आश्चर्य की कौन सी बात हो सकती है ।

‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा’ – ऐसी गर्जना करने वाले भारत माता के वीर सपूत सुभाष चन्द्र बोस भारतीय राजनीति के क्षितिज पर ध्रुव तारे ही भाँति निश्चल, काल की भांति निर्भीक एवं हिमालय की भांति अटल रहे । भारत माता के इस महान सपूत ने सहस्रों भारतीयों को स्वाधीनता की दीपशिखा पर परवानों की भांति जलना सिखाया ।

सुभाषचन्द्रबोस का जन्म उड़ीसा राज्य के ‘कटक’ शहर में 23 जनवरी सन् 1897 ई. को हुआ था । आपके पिताजी श्री रायबहादुर जानकी नाथ बोस कटक खुनिसिपैलिटी तथा जिला बोर्ड के प्रधान थे तथा नगर के एक सुप्रसिद्ध वकील थे ।

आपके भाई श्री शरतचन्द्र बोस एक महान देशभक्त तथा स्वतन्त्रता-संग्राम सेनानी थे । सुभाष चन्द्रकी आरम्भिक शिक्षा एकयूरोपियन स्कूल से हुई थी । सन् 1913 में आपने मैट्रिक की परीक्षा में कलकत्ता विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान प्राप्त किया था ।

इसके पश्चात् उच्च शिक्षा के लिए आपने ‘प्रेजीडेंसी कॉलेज कलकत्ता में प्रवेश ले लिया । वहाँ ‘ओटेन’ नाम का अंग्रेज प्रोफेसर सदैव भारतीयों की निन्दा करता था, जो सुभाषचन्द्र से जरा भी सहन नहीं होता था इसीलिए उन्होंने उस अध्यापक की पिटाई कर दी ।

उस दिन से उसने भारतीयों का अपमान करना तो बन्द कर दिया, परन्तु सुभाष को भी कॉलेज से निलम्बित कर दिया गया । फिर आपने ‘स्कॉटिश चर्च’ कॉलेज में दाखिला लिया तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीए, आनर्स किया ।

सन् 1919 में इंग्लैण्ड से आईसीएस. की परीक्षा पास करके भारत लौट आए । परन्तु आई.सी.एस. की परीक्षा पास करके भी उन्होंने उसे त्याग दिया क्योंकि वे अंग्रेजों के अधीन रहकर सेवा करना अपने देश का अपमान समझते थे । देशबत्र चितरंजनदास का प्रभाव-सुभाष चन्द्र बोस के जीबन पर देशबमृ चितरंजन दास का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा ।

वे उनके द्वारा स्थापित की गई ‘स्वराज पार्टी’ में काम करने लगे तथा उनके द्वारा निकाले गए ‘अग्रगामी पत्र’ का सम्पादन भार ले लिया । प्रिन्स ऑफ बेल्ट के आगमन पर उन्होंने बंगाल में उनके बहिष्कार आन्दोलन का नेतृत्व किया, जिसके कारण अंग्रेज सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर वर्मा के मांडले जेल भेज दिया, किन्तु स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हें 17 मार्च, 1927 को रिहा कर दिया गया ।

राजनीतिक जीबन:

सुभाष चन्द्र बोस भारतीय नेताओं के औपनिवेशिक साम्राज्य की माँग से पूर्णतया सहमत नहीं थे वे तो पूर्ण स्वतन्त्रता के अभिलाषी थे । अग्रिम वर्ष के कांग्रेस अधिवेशन में यही प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया । कांग्रेस में गरम ब नरम दो दल थे । सुभाष चन्द्र बोस गरम दल के नेता थे तथा महात्मा गाँधी नरम दल के ।

बे गाँधी जी के विचारों से सहमत नहीं थे । उनका मानना था कि केबल सत्य तथा अहिंसा के रास्ते पर चलकर स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं की जा सकती है वरन् हमें अंग्रेजों से अपने अधिकार पाने के लिए लड़ना पड़ेगा और यदि इसके लिए खून की नदियाँ भी बहानी पड़े, तो कोई गलत कार्य नहीं होगा ।

परन्तु बिचारों में मतभेद होते हुए भी वे गाँधी जी का पूर्ण सम्मान करते थे तथा उनके साथ मिलकर काम करते थे । सन् 1929 ई. के ‘नमक कानून तोड़ो आन्दोलन’ का नेतृत्व सुभाष जी ने ही किया था । सन् 1938 तथा 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी चुने गए ।

बाद में नेताजी ने विचार न मिलने के कारण कांग्रेस दल से इस्तीफा दे दिया तथा ‘फॉरबर्ड ल्लॉक’ की स्थापना की, जिसका लक्ष्य ‘पूर्ण स्वराज्य’ तथा हिनू-मुस्तिम एक्ता था । आजाद हिन्द फौज का गठन तथा मृत्यु-सन् 1940 में ब्रिटिश सरकार ने नेताजी को भारत रक्षा कानून के अन्तर्गत गिरफ्तार कर लिया, किन्तु जेल में नेता जी ने आमरण अनशन की घोषणा कर दी ।

तब सरकार ने उन्हें जेल से मुक्त कर घर में ही नजरबन्द कर दिया । एक रात सबकी आँखों में धूल झोंककर एक मौलवी के वेष में आप घर से बाहर निकल आए । वहाँ से वे पहले कलकत्ता तथा फिर पेशावर पहुँच कर । पेशावर में सुभाषचन्द्र, उत्तमचन्द्र नामक व्यक्ति की मदद से एक गूँगे मुसलमान का वेष धारण कर काबुल पहुँच गए और फिर वहाँ से जर्मनी गए ।

जर्मनी में ही आपने ‘आजाद हिन्द फौज’ की नींव रखी । नेता जी का विचार था कि अहिंसक आन्दोलनों से ब्रिटिश सरकार भारत नहीं छोड़ेगी, अपितु हमें तो उन्हें मारकर भगाना होगा । इसी उद्‌देश्य से उन्होंने ‘आजाद हिन्द फौज’ बनाई थी ।

उन्होंने नवयुवकों को देश भक्तिके लिए लड़ना सिखाया । परिणामस्वरूप सैकड़ों नवयुवक ने अपने खून से हस्ताक्षर कर एक पत्र नेताजी को दिया । विश्व के 19 राष्ट्रो ने ‘आजाद हिन्द फौज’ को स्वीकार कर लिया । ‘जय हिन्द’ तथा ‘दिल्ली चलो’ नारी से ‘इम्फाल’ तथा ‘अरामान’ की पहाड़ियों गूँज उठी ।

आजाद हिन्द फौज ने जापान की मदद से मलाया तथा वर्मा के अंग्रेजों को मार गिराया तथा पूर्वोत्तर में भारतभूमि पर तिसौ लहरा दिया, किन्तु द्वितीय विश्बयुद्ध में जापान की हार के कारण आपकी सारी योजनाओं पर पानी फिर गया ।

23 अगस्त, 1945 को टोक्यो रेडियो से यह शोक समाचार प्रकाशित हुआ कि नेता जी एक विमान दुर्धटना में मारे गए । किसी को भी नेता जी का शव नहीं प्राप्त हुआ इसलिए किसी ने भी इस बात पर विश्वास नहीं किया । परिणामत: नेता जी की मृउ आज भी एक रहस्य बनी हुई है ।

सम्पूर्ण विश्व में एकमात्र विश्वास तथा सम्मान के साथ ‘नेताजी’ की उपाधि प्राप्त करने बाले सुभाष चन्द्र बोस की देशभक्ति आज भी हम भारतीयों के लिए प्रेरणा-स्रोत है । आज भी उनके गाए गीत ‘कदम-कदम बढ़ाए जा’ हमारे कानो में गूँज रहे हैं । बे तो अद्‌भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे तभी तो सभी उनकी वाणी के आकर्षण में फँस जाते थे तथा उन्हें अपना आदर्श मानते थे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 13

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद पर निबन्ध | Essay on Dr. Rajendra Prasad : India’s First President in Hindi

स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति का गौरव प्राप्त करने वाले डी. राजेन्द्र प्रसाद सादगी, सत्यनिष्ठा, पवित्रता, योग्यता तथा विद्वता की पूर्ति थे । आपने ही भारतीय ऋषि परम्परा को पुनर्जीवित किया तथा सादगी तथा सरलता के कारण किसान जैसा व्यक्तित्व पाकर भी पहले राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त किया ।

राजेन्द्र बाबू जैसे महान व्यक्ति का जन्म 3 दिसम्बर सन् 1884 ई. को बिहार राज्य के सरना जिले के एक सुप्रतिष्ठित एवं संभ्रान्त कायस्थ परिवार में हुआ था । आपके पूर्वज तत्कालीन हधुआ राज्य के दीवान रह चुके थे ।

आरम्भिक शिक्षा ‘उर्दू’ भाषा में प्राप्त करने के पश्चात् उच्च शिक्षा के लिए आप कोलकाता आ गए । प्रारम्म से अन्त तक आपने प्रत्येक परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । इसके बाद आप वकालत करने लगे तथा कुछ ही दिनों में आपकी गणना उच्च श्रेणी के उच्चतम वकीलों में की जाने लगी ।

देश प्रेम की भावना-रोलट एक्त से आहत होकर आपका स्वाभिमानी मन देश की स्वतन्त्रता के लिए बेचैन हो उठा तथा गाँधी जी द्वारा चलाए गए ‘असहयोग आन्दोलन’ में भाग लेकर आप देश सेवा में जुट गए । प्रारम्भ में आप राष्ट्रीय नेता गोपाल कृष्ण गोखले से बहुत प्रभावित थे तथा उसके बाद महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व की सादगी ने तो जैसे आपको पूर्णरूपेण अपने वश में कर लिया था ।

आपको महान बनाने में इन दोनों महापुरुषों का विशेष योगदान रहा है । सन् 1905 ई. पूना में स्थापित सर्वेण्ट्स ऑफ इण्डिया सोसायटी की ओर आकर्षित होते हुए भी राजेन्द्र बाबू अपनी अन्तः प्रेरणा से गाँधी जी द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के प्रति समर्पित हो गए तथा आजीवन गाँधी जी द्वारा बताए पथ पर ही चलते रहे ।

राजेन्द्र प्रसाद न केबल बिनम्र तथा विद्वान ही थे, वरन् अपूर्व सूझ-बूझ एवं संगठन शक्ति से सम्पन्न व्यक्ति थे । अपनी लगन एवं दृढ़ इच्छाशक्ति से शीघ्र ही आप गाँधीजी के प्रिय पात्रों के साथ-साथ शीर्षस्थ राजनेताओं में भी महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर चुके थे ।

प्रारम्भ में आपका कार्यक्षेत्र बिहार राज्य रहा । आपने सदैव बिहार के किसानों को उनके उचित अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया । सन् 1934 में बिहार राज्य में आने वाले भूकम्प के कारण उत्पन्न विनाशलीला के मौके पर आपने पूरी लगन तथा कुशलता से पीड़ित जनता को राहत पहुँचाई जिससे पूरा बिहार राज्य आपका अनुयायी बन गया ।

डी. राजेन्द्र प्रसाद अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन के साथ आजीवन जुड़े रहें । उन्होंने सदा ही गाँधी जी का समर्थन किया । एक निष्ठावान कार्यकर्ता एवं उच्चकोटि के राजनेता होने के कारण आप दो बार अखिल भारतीय कांग्रेस दल के सर्वोच्च पद अध्यक्ष पक पर भी निर्वाचित किए गए ।

कांग्रेस के समर्थकों का मत है कि जैसा सौहार्दपूर्ण वातावरण कांग्रेस दल में राजेन्द्र बाबू के समय में था, उससे पहले या बाद में आज तक कभी भी नहीं रहा । आप छोटे बड़े सभी कार्यकर्त्ताओं की समस्या ध्यानपूर्वक सुनते थे तथा उसका समाधान भी निकाल लेते थे ।

राष्ट्रपति पद पर सुशोभित:

लगातार अनगिनत संघर्षों के परिणामस्वरूप सन् 1947 ई. को जब भारतवर्ष स्वतन्त्र हुआ, तब देश का संविधान तैयार करने वाले दल का अध्यक्ष डी. राजेन्द्र प्रसाद को ही चुना गया । भारत का सविधान बन जाने के पश्चात् 26 जनवरी, सन् 1950 को जब उसे लागू और घोषित किया गया, तब उसकी माँग के अनुसार स्वतन्त्र गणतन्त्र का प्रथम राष्ट्रपति बनने का गौरव डी. राजेन्द्र प्रसाद को भी प्राप्त हुआ ।

निःसन्देह आप ही इस पद के लिए सर्वाधिक सक्षम एवं उचित अधिकारी थे । सन् 1957 में पुन: आपने राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया ।

राष्ट्रपति भवन के वैभवपूर्ण वातावरण में रहकर भी आपने अपनी सादगी तथा पवित्रता को कभी भी नहीं छोड़ा । यद्यपि हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित करने जैसे कुछ विषयों पर आपका तत्कालीन प्रधानमन्त्री से कुछ मतभेद भी अवश्य हुआ परन्तु आपने अपने पद की गरिमा को सदैव बनाए रखा ।

दूसरी बार का राष्ट्रपति काल समाप्त कर आप बिहार के ‘सदाकत’ आश्रम में जाकर रहने लगे । सन् 1962 में उत्तर-पूर्वी सीमांचल पर चीनी आक्रमण का सामना करने का उद्‌घोष करने के पश्चात् आप अस्वस्थ रहने लगे तथा आपका देहावसान हो गया । मरणोपरान्त आपको ‘भारत रल’ से विभूषित किया गया । हम भारतीय सदा आपके समक्ष नतमस्तक रहेंगे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 14

शहीद भगतसिंह पर निबन्ध | Essay on Bhagat Singh the Martyr in Hindi

भारत माता के स्वतन्त्रता के इतिहास को जिन शहीदों ने अपने रक्त से लिखा है, जिन शूरवीरों के बलिदानों ने भारतीय जनमानस को सर्वाधिक उद्धिग्न किया है, जिन्होंने अपनी रणनीति से साम्राज्यवादियों को लोहे के चने चबवा दिए, जिन्होंने परतन्त्रता की बेड़ियों को चकनाचूर कर स्वतन्त्रता का मार्ग प्रशस्त किया है तथा जिन देश भक्तों पर मातृभूमि को गर्व है, उनमें भगतसिंह का नाम सर्वोपरि है ।

भगतसिंह का जन्म 27 सितम्बर, 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गाँव (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था । आपके पिता सरदार किशनसिंह एवं उनके दो चाचा स्वर्णसिंह तथा अजीत सिंह अंग्रेजों के विरोधी होने के कारण जेल में बन्द थे ।

संयोगवश, जिस दिन भगतसिंह पैदा हुए थे, उसी दिन उनके चाचा जेल से रिहा हो गए थे । इस शुभ घड़ी के मौके पर भगतसिंह के घर में दोहरी खुशी मनाई गई । उसी समय उनकी दादी ने उनका नाम भगत (अच्छे भाग्यवाला) रख दिया था । बाद में अऊाप ‘भगतसिंह’ कहलाने लगे ।

स्कूल के तंग कमरों में बैठना आपको अच्छा नहीं लगता था । आप कक्षा छोड्‌कर खुले मैदानों में घूमने निकल पड़ते थे तथा आजादी चाहते थे । प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त करने के पश्चात् भगतसिंह को 1916 में लाहौर के डी.ए.वी. स्कूल में भरती करा दिया गया । वहाँ आप लाला लाजपतराय तथा सूफी अम्बा प्रसाद जैसे देशभक्तों के सम्पर्क में आए ।

देशभक्ति की भावना:

एक देशभक्त परिवार में जन्म लेने के कारण भगतसिंह को देशभक्ति तथा स्वतन्त्रता का पाठ विरासत में मिला था । 3 अप्रैल 1919 में ‘रोलट एक्ट’ के विरोध में सम्पूर्ण भारत में प्रदर्शन हो रहे थे तथा इन्हीं दिनों जलियाँबाला बाग काण्ड भी हुआ ।

इनका समाचार सुन भगतसिंह लाहौर से अमृतसर पहुंचे । वहाँ उन्होंने शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की तथा रक्त से भीगी मिट्टी को एक बोतल में रख लिया जिससे सदा यह बात स्मरण रहे कि उन्हें अपने देश तथा देशवासियों के अपमान का बदला लेना है ।

1920 के ‘असहयोग आन्दोलन’ से प्रभावित होकर 1921 में आपने ष्फ छोड़ दिया । उसी समय लाला लाजपतराय ने लाहौर में ‘नेशनल कॉलेज’ की स्थापना की थी । भगतसिंह ने भी इसी कॉलेज में प्रवेश ले लिया । वहाँ आप यशपाल, सुखदेव, तीर्थराम आदि क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में आए ।

सन् 1928 को ‘साईमन कमीशन’ का विरोध करने के लिए लाला लाजपतराय के नेतृत्व में एक जुलूस कमीशन का विरोध शान्तिपूर्वक कर रहा था । किन्तु यह विरोध अंग्रेजों से सहन नहीं हुआ और उन्होंने लाठी चार्ज करवा दिया ।

इस लाठी चार्ज में लालपतराय घायल हो गए तथा 17 नवम्बर, 1928 को लालाजी चल बसे । यह सब देखकर भगतसिंह के मन में विद्रोह की ज्वाला और भी तीब्र हो गई । लालाजी की हत्या का बदला लेने के लिए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपत्विकन एसोसिएशन ने भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, जय गोपाल तथा आजाद को यह कार्य सौंपा । इन क्रान्तिकारियों ने साठडर्स को मारकर लालाजी की मौत का बदला लिया तथा इस घटना से भगतसिंह और भी अधिक लोकप्रिय हो गए ।

हिन्दुस्तान समाजवादी गणतन्त्र संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी की सभा में पन्तिक ‘सेफ्टी बिल’ तथा ‘डिज्ब बिल’ पर चर्चा हुई । इसका विरोध करने के लिए भगतसिंह ने केन्द्रीय असेम्बली में बम फेंकने का प्रस्ताव रखा । इस कार्य को करने के लिए भगतसिंह अड गए कि यह कार्य वह स्वयं करेंगे, हालांकि आजाद इसके विरुद्ध थे ।

इस कार्य में ‘बटुकेश्वर दत्त’ ने भगतसिंह का साथ दिया । 12 जून, 1929 को सेशन जज ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 307 के अन्तर्गत उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई । इन दोनों देशभक्तों ने सेशन जज के निर्णय के विरुद्ध लाहौर हाईकोर्ट में भी अपील की । यहाँ भगतसिंह ने भाषण दिया, परन्तु हाईकोर्ट के सेशन जज ने भी उनकी सजा को मान्यता दी ।

आजाद ने भगतसिंह को छाने की पूरी कोशिश की । तीन महीनों तक अदालत की कार्यवाही चलती रही । अदालत ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 129 के अन्तर्गत उन्हें अपराधी घोषित करते हुए 7 अक्तूबर सन् 1930 को 68 पृष्ठीय निर्णय दिया, जिसमें भगतसिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को फाँसी की सजा सुनाई गई ।

इस निर्णय के विरुद्ध नवम्बर 1930 में प्रिवी परिषद् में अपील भी की गई, परन्तु यह अपील 10 जनवरी, 1931 को रह कर दी गई । फाँसी की सजा-फाँसी का समय प्रातः काल 24 मार्च, 1931 को निश्चित हुआ था पर सरकार ने प्रातःकाल के स्थान पर संध्या समय तीनों देशभक्त क्रान्तिकारियों को एक साथ फाँसी देने का निर्णय लिया ।

फाँसी लगाने से पूर्व जेल अधीक्षक ने भगत सिंह से कहा, ”सरदार जी । फाँसी का समय हो गया है , आप तैयार हो जाइए ।” उस समय भगतसिंह लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे । वे बोले, “ठहरो । एच्छ क्रान्तिकारी दूसरे क्रान्तिकारी से मिल रहा है” और वे जेल अधीक्षक के साथ चल पड़े ।

जब सुखदेव तथा राजगुरु को भी फाँसी स्थल पर लाया गया तो तीनों ने अपनी आएँ एक दूसरे के साथ बाँध दी । तीनों एक साथ गुनगुनाए-

”दिल से निकलेगी, नमस्कार भी वतनकी उलफत, मेरी मिट्टी से भी खुशबू-एवतन आएगी ।”

Hindi Nibandh (Essay) # 15

डा. भीमराव अम्बेडकर पर निबन्ध | Essay on Dr. Bhimrao Ambedkar in Hindi

समाज के नियम कानून सभी कुछ परिवर्तनशील होता है । इन परिवर्तनों में कुछ परिवर्तन ऐसे भी होते हैं, जो इतिहास के पन्नों पर स्वर्णाक्षरों में अंकित हो जाते हैं । समाज में ये परिवर्तन हमारे महापुरुष ही ला पाते हैं । इस प्रकार की महान विभूतियों में डी. भीमराव अम्बेडकर का नाम सर्वोपरि है ।

तभी तो उन्हें अपनी योग्यता तथा सक्रिय कार्यशक्ति के आधार पर उनकी जन्म शताब्दी पर सन् 1990 में ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया गया था । डी. भीमराव अम्बेडकर आधुनिक भारतवर्ष के प्रमुख विधिवेता राष्ट्रीय नेता तथा महान समाज-सुधारक थे । वे मानब-जाति की सेवा करना ही अपना परम लक्ष्य मानते थे क्योंकि दलितों, शोषितों तथा पीडितों की दर्दनाक आवाज उन्हें बेचैन कर देती थी ।

डी. भीमराव अम्बेडकर का जन्म महाराष्ट्र के महूं छावनी में 14 अप्रैल सन् 1891 ई. को अनुसूचित जाति के एक निर्धन परिवार में हुआ था । आपका बचपन का नाम ‘भीम सकपाल’ था तथा आप अपने माता-पिता की चौदहवीं सन्तान थे । आपके पिता श्री राम जी मौलाजी सैनिक स्कूल में प्रधानाध्यपक थे ।

उन्हें गणित, अंग्रेजी तथा मराठी आदि का अच्छा ज्ञान प्राप्त था । आपके घर का वातावरण धार्मिक था । आपकी माताजी का नाम श्रीमती भीमाबाई था । बचपन में भीमराव बहुत ही तार्किक तथा शरारती स्वभाव वाले बालक थे, किन्तु पढ़ाई में भी आप बहुत मेधावी थे ।

आपने 1907 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और उसी वर्ष आपका विवाह ‘रामबाई’ के साथ हो गया । सन् 1912 ई. में आपने स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की उसके पश्चात् जब आपको बड़ौदा नरेश से आर्थिक सहायता मिलने लगी तो सन् 1913 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने न्यूयार्क चले गए ।

इसके पश्चात् लन्दन, अमेरिका, जर्मनी आदि में रहकर भी आपने अध्ययन किया । सन् 1923 ई. तक आप एमए, पी.एच.डी. तथा बैरिस्टर बार एट ली बन चुके थे । इसके अतिरिक्त आपने अर्थशास्त्र, कानून तथा राजनीति शास्त्र का गहन अध्ययन किया था ।

सामाजिक कार्य :

डी भीमराव अम्बेडकर ने बचपन से ही जातिगत असमानता तथा ख्याछूत को अपनी आँखों से देखा था, इसलिए उनके मन में एक विद्रोह भावना ने जन्म ले लिया था । 1923 से 1931 तक का समय डी. भीमराव के लिए संघर्ष एवं सामाजिक अभुदय का समय था । वे तो दलित वर्गका उद्धार करने वाले प्रथम नेता थे । दलितों में अपना विश्वास पैदा करने के लिए आपने ‘मूक’ नामक पत्रिका का प्रकाशन किया, जिससे दलितों का बिश्वास डी. अम्बेडकर के प्रति जागने लगा ।

आपने ‘गोलमेज’ सम्मेलन लन्दन में भाग लेकर पिछड़ी जातियों के लिए अलग चुनाव पद्धति तथा कुछ विशेष माँगे अंग्रेजी शासकों से स्वीकार करवायी । आप तो सदा ही दलितों से यह अनुरोध करते थे- ”शिक्षित बनकर संघर्ष करो तथा संगठित होकर कार्य कसे ।”

यह सब वे इसलिए कहते थे क्योंकि वे सदा सोचते थे कि जब उन जैसे पड़े लिखे लोगों को भी दलित जाति के नाम पर इतना अपमान सहना पड़ता है तो फिर अनपढ़ लोगों को क्या-क्या नहीं सहना पड़ेगा । 27 मई, 1935 ई. में आपकी धर्मपली रामबाई का स्वर्गवास हो गया, जिसने आपको अन्दर तक झकझोर दिया ।

बिधिवेता तथा संविधान निर्माता-स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू की मुलाकात डी. भीमराव अम्बेडकर से हुई । उन्होंने 3 अगस्त, 1947 को उन्हें स्वतन्त्र भारत के प्रथम मन्त्रिमंडल में विधिमन्त्री के रूप में नियुक्त कर लिया तथा 21 अगस्त, 1947 को भारत की संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष चयनित किया गया ।

डी. अम्बेडकर की अध्यक्षता में ही भारत के लोकतान्त्रिक, धर्म निरपेक्ष एवं समाजवादी संविधान की रचना हुई थी, जिसमें प्रत्येक मनुष्य के मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों की सुरक्षा की गई 126 जनवरी, 1950 को भारत का वह संविधान राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया ।

बौद्ध धर्म एवं डा. अम्बेडकर:

3 अकतुबर, सन् 1935 को डी. भीमराव ने अपने धर्मान्तरण की घोषणा की तथा बौद्ध धर्म अपना लिया । उन्होंने दलितों तथा श्रमिकों में नवीन चेतना जाग्रत करने तथा उन्हें सुसंगठित करने के लिए अगस्त, 1936 में स्वतन्त्र मजदूर दल की स्थापना की थी ।

वे प्रत्येक दलित को शिक्षित एवं जागरुक बनाना चाहते थे क्योंकि वे जानते थे कि शिक्षित किए बिना उनमें जाति लाना असम्भव है । 20 जून, 1946 को आपने सिद्धार्थ महाविद्यालय की स्थापना की । दिसम्बर, 1954 में डी अम्बेडकर विश्व बौद्ध परिषद में हिस्सा लेने ‘रंगून’ गए तथा बौद्ध धर्म के नेता के रूप में ‘नेपाल भी गए । 14 अक्तुबर, सन् 1956 को डी. अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ले ली । आपने भगवान बुद्ध तथा उनका धर्थ नामक ग्रन्ध की भी रचना की जिसका समापन दिसम्बर, 1956 में हुआ ।

तत्कालीन समाज:

डा. अम्बेडकर का जन्म उस वर्ग में हुआ था जिसे अइन्धविस्वार्सी के कारण हिन्दू समाज में निम्न वर्गीय माना जाता था । इसके लिए हरिजनों को पग-पग पर अपमानित किया जाता था । दलित वर्ग का व्यक्ति चाहे शिक्षित हो या अनपढ़, उसे अछूत ही समझा जाता था ।

उसे कोई छू ले तो वह तुरन्त स्नान करता था । धार्मिक स्थानों पर उनका आना-जाना वर्जित था । परन्तु डा. अम्बेडकर जैसा जागरुक व्यक्ति इस सामाजिक भेदभाव, विषमता तथा निन्दा से भी झुका नहीं । उन्होंने तो स्वयं को इतना शिक्षित बनाया कि वे किसी भी व्यक्ति का सामना निडर होकर कर सके ।

डा. भीमराव अम्बेडकर जैसा दलितों का मसीहा 6 दिसम्बर, 1956 को इस संसार से चला गया । सन् 1990 में देश के प्रत्येक कोने में उनकी जन्म शताब्दी पर अनेक समारोह किए गए तथा उन्हें मरणोपरांत ‘भारत-रत्न’ से विभूषित किया गया ।

युग को परिवर्तित कर देने वाले ऐसे महापुरुष यदा-कदा ही जन्म लेते हैं जो मरकर भी लोगों के हृदयों में जीवित रहते हैं । हम सब भारतीयों का यह कर्त्तव्य है कि हम डी. भीमराव अम्बेडकर के बताए पथ पर चले तथा छुआछूत, जाति-प्रथा आदि के भेदभाव को भूलकर मैत्रीभाव अपनाएँ ।

Hindi Nibandh (Essay) # 16

कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबन्ध | Essay on Great Poet Rabindranath Tagore in Hindi

कवीन्द्र रवीन्द्रनाथ टैगोर भारत माता की गोद में जन्म लेने वाले उन महान व्यक्तियों में गिने जाते हैं, जिन्हें अपनी साहित्यिक सेवाओं के लिए विश्व का सर्वाधिक चर्चित ‘नोबेल पुरस्कार’ प्राप्त हुआ था ।

रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म भारत में अवश्य हुआ था, परन्तु उन्होंने स्वयं को किसी एक देश की सीमा में नहीं बँधने दिया । वे तो विश्वैव सुश्वकर के सिद्धान्त के अनुयायी थे । वे प्रत्येक जीक में उसी परमात्मा के अंश को विद्यमान देखते थे, जो उनमें है ।

उनके लिए न कोई मित्र था, न शत्रु, न कोई अपना था, न पराया । वे तो अच्छाई से प्यार करते थे और सभी को समान दृष्टि से देखते थे । तभी तो लोग उन्हें श्रद्धावश ‘गुरुदेव’ कहकर पुकारते थे । जन्मन्दरिचय एवं शिक्षा-इस महान आत्मा का प्रादुर्भाव 7 मई, 1861 को कलकत्ता में देवेन्द्रनाथ ठाकुर के यहाँ हुआ था ।

इनके पिताश्री बेहद धार्मिक एवं समाजसेवी प्रवृत्ति के व्यक्ति थे । इनके दादा जी द्वारिकानाथ राजा के उपाधिकारी थे । जब आप मात्र 14 वर्ष के थे, तभी आपकी माता जी का निधन हो गया था । रवीन्द्रनाथ बँधी-बँधाई शिक्षा पद्धति के विरुद्धे थे ।

यही कारण था कि जब बाल्यावस्था में उन्हें स्कूल भेजा गया तो हर बार श्व में मन न लगने के कारण स्कूल छोड़कर आ गए । घरवाले यह सोचकर निराश रहने लगे कि शायद यह बालक अनपढ़ ही रह जाएगा । परन्तु नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था कि जो बालक स्कूली शिक्षा में मन न लगा सका, वह उच्चकोटि का अध्ययनशील हो ।

वे ज्ञानप्राप्ति के लिए खूब स्वाध्याय करते थे । उन्हें अखाड़े में पहलवानी करना तथा बंग्ला, संस्कृत, इतिहास, भूगोल, विज्ञान की पुस्तकों का स्वयं अध्ययन करना तथा संगीत एवं चित्रकला में विशेष रुचि थी । उन्होंने अंग्रेजी का विशेष अध्ययन किया । स्वाध्याय के लिए वे 11 बार विदेश गए ।

पहली बार 17 वर्ष की आयु में इंग्लैण्ड गए तथा वहाँ रहकर उन्होंने कुछ समय तक यूनीवर्सिटी कॉलेज लन्दन में ‘हेनरी मार्ले’ से अंग्रेजी साहित्य का ज्ञान अर्जित किया । उन्होंने अपने अनुभव के सम्बन्ध में जो पत्र लिखे, उन्हें उन्होंने यूरोप प्रवासेर पत्र के नाम से प्रकाशित किया ।

एक बार वे अपने पिता के साथ हिमालय की यात्रा पर भी गए जहाँ उन्होंने अपने पिता जी से संस्कृत, ज्योतिष, अंग्रेजी तथा गणित का ज्ञान प्राप्त किया । संगीत की शिक्षा उन्होंने अपने भाई ज्योतिन्द्रनाथ’ से प्राप्त की थी ।

वैवाहिक जीवन-सन् 1883 ई. में जब रवीन्द्रनाथ जी 22 वर्ष के थे, तो उनका विवाह एक शिक्षित महिला मृणालिनी के साथ हुआ । मृणालिनी सदैव उनके कार्यों में सहयोग देती थी । उनके पाँच बच्चे-हुए, परन्तु दुर्भागयवश 1902 में उनकी पत्नी का देहान्त हो गया ।

1903 और 1907 के मध्य उनकी बेटी शम्मी तथा पिता भी उन्हें छोड्‌कर चल बसे । इस दुख ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर को अन्दर तक झकझोर दिया । उनका सबसे छोटा स्मैं समीन्द्रनाथ की भी अल्पायु में मृत्यु हो गई थी । सन् 1910 में अमेरिका से लौटने पर वे स्वयं को एकदम अकेला महसूस कर रहे थे, तभी उन्होंने प्रतिमा देवी नामक एक प्रौढ़ महिला से विवाह कर लिया ।

पूरे परिवार में पहली बार किसी ने सामाजिक परम्पराओं को तोड़कर एक विधवा नारी से विवाह करने का साहस्र किया था । तभी से रवीन्द्रनाथ सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के कार्यों में जुट गए ।

महत्त्वपूर्ण रचनाएँ:

ठाकुर साहब का साहित्य सृजन तो बाल्यकाल से ही आरम्भ हो गया था । उनकी सर्वप्रथम कविता सन् 1874 में तत्त्वभूमि पत्रिका में प्रकाशित हुई थी । वे नाटकों में अभिनय भी किया करते थे । उनकी प्रमुख रचनाएँ ये हैं:

1 . कहानी संग्रह:

‘गल्प समूह’ (सात भागों मे), ‘गल्प गुच्छ’ (तीन भागों में) । इसके अतिरिक्त काबुलीवाला, दृष्टिदान, पोस्ट मास्टर, अन्धेरी कहाँ, छात्र परीक्षा, अनोखी चाह, डाक्टरी, पत्नी का पत्र आदि भी कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ हैं ।

2. नाटक साहित्य:

‘चित्रांगदा, वाल्मीकि प्रतिभा, विसर्जन मायेरखेला, श्यामा, पूजा, रक्तखी, अचलायतन, फाल्गुनी, राजाओं रानी, शारदोत्सव, राजा आदि कुछ प्रसिद्ध नाटक हैं ।

3. काव्य संग्रह:

कडिओ कोमल प्रभात संगीत, संध्या संगीत, मानसी, चित्रा नैवेध, बनफूल कविकाहिनी, छवि ओगान, गीतांजलि इत्यादि ।

4. उपन्यास साहित्य:

नौका डूबी, करुणा (चार अध्याय), गोरा, चोखेर वाली (आँख की किरकिरी) ।

‘ सर’ की उपाधि से उलंकृत :

रवीन्द्रनाथ टैगोर की साहित्यिक प्रतिभा से कोई भी अनजान नहीं । उनकी इसी प्रतिभा को ध्यान में रखकर ‘बंगीय साहित्य परिषद’ ने उनका अभिनन्दन किया था । इसी बीच टैगोर ने अपनी प्रमुख कृति गतिघ्रलि का भी अंग्रेजी में अनुवाद कर दिया ताकि यह महान रचना अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान पा सके ।

‘गीतांजलि’ के अंग्रेजी में अनुवाद होने पर अंग्रेजी साहित्य मण्डल में एक सनसनी फैल गई । स्वीडिश अकादमी ने सर 1913 में ‘गीतांजली’ को ‘नोबल पुरस्कार’ के लिए चयनित किया । रवीन्द्रनाथ टैगोर की ख्याति ब्रिटिश सम्राट पंचम जार्ज तक पहुँच चुकी थी इसीलिए सम्राट ने टैगोर साहब को सर की उपाधि से सम्मानित किया ।

इसके कुछ समय पश्चात् अंग्रेजों की कूरता का प्रमाण जलियाबाला बाग हत्याकांड के रूप में सामने आया । रवीन्द्रनाथ जैसा संवेदनशील तथा साहित्यिक व्यक्तित्व वाला व्यक्ति भला इस दुखद घटना से अछूता कैसे रह पाता इसलिए बहुत दुखी मन से रवीन्द्रनाथ ने अंग्रेजों की दी हुई ‘सर’ की उपाधि उन्हें वापिस कर दी ।

दुर्भाग्यवश 7 अगस्त 1941 को यह साहित्यिक आत्मा हमें सदा के लिए छोड़कर चली गई । हर भारतीय को बहुत क्षति हुई । निःसन्देह रवीन्द्रनाथ टैगोर अपने समय के साहित्य के जनक थे । वे सदैव भारतवासियों को अपनी उच्चकोटि की रचनाओं द्वारा प्रेरित करते रहेंगे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 17

स्वामी विवेकानन्द पर निबन्ध | Essay on Swami Vivekananda in Hindi

भारतभूमि योगियों, ऋषियों, मुनियों तथा त्यागियों की भूमि है, तभी तो हमारे देश की धरती का गौरव सर्वत्र हैं । महापुरुषों का उदय अपने देश को ही गौरान्वित नहीं करता, अपितु पूरे विश्व को अपने प्रकाश से प्रकाशवान कर देता है । देश को प्रतिष्ठा के शिखर पर पहुँचाने वाले महापुरुषों में स्वामी विवेकानन्द का नाम बड़े आदर से लिया जाता है ।

स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 फरवरी सन् 1863 ई. को कलकत्ता में हुआ था । आपके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था । आपके पिता श्री विश्वनाथ दत्त, पाश्चात्य सभ्यता तथा संस्कृति के पुजारी थे । आपकी माता श्रीमती भुवनेश्वरी देवी संस्कारवान महिला थी, जिनका प्रभाव किशोर नरेन्द्रनाथ दत्त पर पड़ा था ।

स्वामी विवेकानन्द बचपन से ही प्रतिभाशाली तथा विबेकी थे । आपको पाँच वर्ष की आयु में अध्ययनार्थ मेट्रोपोलिटन इप्सीट्‌यूट विद्यालय भेजा गया, लेकिन पढ़ाई में अधिक रुचि न होने के कारण बालक नरेन्द्रनाथ का अधिकतर समय खेलने-कूदने में ही बीतता था ।

सन् 1879 में आपने ‘जनरल असेम्बली कॉलेज’ में प्रवेश लिया । व्यक्तित्व की विशेषताएँ-स्वामी जी पर अपने पिता के पश्चिमी संस्काद्यें का प्रभाव न पड़कर अपनी माता के धार्मिक आचार-विचारों का प्रभाव पड़ा था । यही कारण था कि स्वामी जी अपने आरम्भिक जीवन से ही धार्मिक प्रवृत्ति में ढलते गए तथा धर्म के प्रति आश्वस्त होते रहे । उनका जिज्ञासु मन सदैव ही ईश्वरीय ज्ञान की खोज में लगा रहता था ।

जब उनकी जिज्ञासा का प्रवाह अति तीव्र हो गया, तो वे अपने अशांत मन की शान्ति के लिए तत्कालीन सन्त रामकृष्ण परमहंस की छत्रछाया में चले गये । परमहंस जी पहली दृष्टि में ही विवेकानन्द की योग्यता और कार्यक्षमता को पहचान गए तथा उनसे बोले , ”तू कोई साधारण मानव नहीं है । ईश्वर ने तुझे समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए ही इस धरती पर भेजा है । ”

नरेन्द्रनाथ भी स्वामी परमहंस जी के उत्साहवर्द्धक भाषण से बहुत प्रभावित हुए तथा उनकी आज्ञा का पालन करना अपना परम कर्त्तव्य समझने लगे ।

पिताजी की मृत्यु के पश्चात् विवेकानन्द घर:

गृहस्थी को छोड़कर संन्यास लेना चाहते थे, किन्तु स्वामी परमहंस ने उन्हें समझाते हुए कहा, ”नरेन्द्र तू भी स्वार्थी मनुष्यों की भांति केवल अपनी मुक्ति की कामना करते हुए संन्यास चाहता है । संसार तो दुखी इन्सानों से भरा पड़ा है ।

उनका दुख दूर करने यदि तेरे जैसा व्यक्ति नहीं जाएगा, तो और कौन जाएगा । इसलिए निराशा से बाहर निकलकर मानव-जाति के कल्याण के बारे में सोचना तेरा कर्त्तव्य है ।” इन उपदेशों का नरेन्द्र के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा तथा उन्होंने मानव-जाति को यह उपदेश दिया- ”संन्यास का वास्तविक अर्थ मुक्त होकर लोक सेवा करना है । अपने ही मोक्ष की चिन्ता करने वाला संन्यासी स्वार्थी होता हे । साधारण संन्यासियों की भांति एकान्त में केवल चिन्तन करते रहना जीवन नष्ट करना है । ईस्वर के साक्षात दर्शन तो मानव सेवा द्वारा ही हो सकते हैं । ”

नरेन्द्रनाथ ने स्वामी परमहंस जी की मृत्यु के उपरान्त शास्त्रों का विधिवत् गहन अध्ययन किया तथा ज्ञानोपदेश तथा ज्ञान प्रचारार्थ अमेरिका, ब्रिटेन आदि अनेक देशों का भ्रमण भी किया । सन् 1881 में नरेन्द्रनाथ संन्यास ग्रहण करके स्वामी विवेकानन्द बन गए ।

31 मई सन् 1883 में अमेरिका के शिकागो शहर में हुए सर्वधर्म सम्मेलन में आपने भी भाग लिया तथा अपनी अद्‌भुत विवेक क्षमता से सबको चकित कर दिया । 11 सितम्बर सन् 1883 को आरम्भ हुए इस सम्मेलन में जब आपने सभी धर्माचार्यो को भाइयों तथा बहनों कह कर सम्बोधित किया तो वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से आपका जोरदार स्वागत किया ।

वहाँ पर स्वामी जी ने कहा- “पूरे विश्व का एक ही धर्म है-मानव धर्म । इसके प्रतिनिधि विश्व में समय-समय पर परमहंस, रहीम, राम, क्राइस्ट आदि नामों से जाने जाते रहे हैं । जब ये ईश्वरीय ह मानव धर्म के संदेशवाहक बनकर धरती पर अवतरित है ? तो आज पूरा संसार अलग-अलग धर्मो में विभक्त कयों है ? धर्म का उद्‌गम तो प्राणी मात्र की शान्ति के लिए हुआ है, परशु आज चारों ओर अशान्ति के बादल मँडरा रहे हैं । अत: आज विश्व शान्ति के लिए सभी को मिलकर मानव-धर्म स्थापना कर उसे सुदृढ़ करने का प्रयत्न करना चाहिए ।”

स्वामी जी के इन व्याख्यानों से पूरा पश्चिमी विश्व अचम्भित भी हुआ तथा प्रभावित भी हुआ । इसके पश्चात् अमेरिकी धर्म संस्थानों ने स्वामी जी को कई बार अपने यहाँ आमन्त्रित किया । परिणामस्वरूप वहाँ अनेक स्थानों पर वेदान्त प्रचारार्थ संस्थान भी खुलते गए ।

आज इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, जापान आदि अनेक शहरों में वेदान्त प्रचारार्थ संस्थान निर्मित हैं । स्वामी विवेकानन्द ने अनेक आध्यात्मिक तथा धार्मिक ग्रन्धों की रचना की है, जो आठ भागों में संकलित है । जीवन के अन्तिम क्षणों में आप ‘बेलूर मठ’ में रहने लगे थे । आपका देहावसान 5 जुलाई, 1908 को रात 9 बजे हुआ था ।

आज भी स्वामी जी के दिए उपदेश हर किसी को याद हैं- ”भारत का जीवन उनकी आध्यात्मिकता में अन्तर्निहित है । बाकी समस्त प्रश्न इसी के साथ जुड़े हैं । भारत की मुक्ति सेवा तथा त्याग द्वारा ही सम्भव है । दरीदों की उपेक्षा करना राष्ट्रीय पाप है तथा यही पतन का कारण है । ईश्वर तो इन दलितों में ही बसता है इसलिए ईश्वर के बदले इन्हीं की सेवा करना हमास राष्ट्रीय धर्म है ।”

स्वामी विवेकानन्द इस देश की वह ज्योति है जो अनन्तकाल तक भारतीयों को प्रकाशवान करती रहेगी । स्वामी जी कहे ये शब्द- ‘उठो, जागो और अपने लस्थ प्राप्ति से पहले मत रुको ‘, आज भी अकर्मण्य मानव को पुरुषार्थी बनाने में सक्षम है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 18

गुरू नानक देव पर निबन्ध | Essay on Guru Nanak Dev in Hindi

संसार भर में समय-समय पर अनेक साहसी, वीर तथा मानवता की उखड़ती हुई जड़ों को पुर्नस्थापित करने वाले महापुरुषों ने जन्म लिया है । ऐसे विरले महापुरुषों में गुरु नानक देव का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है । गुरु नानक जी का मत था कि न मैं हिन्दू हूँ और न ही मुसलमान । मैं तो पाँच तत्त्वों के मेल से बना मनुष्य मात्र हूँ और मेरा नाम नानक है ।

जन्म तथा वंश परिचय:

चमत्कारी महापुरुषों एवं महान् धर्म प्रवर्त्तकों में अपना प्रमुख स्थान रखने वाले सिख धर्म के प्रवर्त्तक गुरुनानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिया संवत् 1526 को लाहौर जिले के ‘तलवंडी’ नामक ग्राम में हुआ था, जो आजकल ‘ननकाना साहब’ के नाम से जाना जाता है ।

यह स्थान पाकिस्तान में लाहौर से लगभग ख मील दूर स्थित है । आपके पिता श्री कालूचन्द वेदी तलबंदी के पटवारी थे । आपकी माता श्रीमती तृप्ता एक बेहद साध्वी, दयातु, शान्त तथा कर्त्तव्यपराण प्रकृति की महिला थी । माता-पिता ने उन्हें शिक्षा-दीक्षा के लिए गोपाल पण्डित की पाठशाला में भेजा ।

बचपन से ही आप अत्यन्त कुशाग्र बुद्धि बालक थे । आप एकान्त प्रिय तथा मननशील बालक थे । यही कारण था कि आपका मन शिक्षा या खेलकूद से कही अधिक आध्यात्मिक विषयों की ओर लगता था । तभी तो वे पण्डित गोपाल जी से मिलने पर पूछ बैठे, ”आप मुझे क्या पढ़ायेगें?” पण्डित जी ने कहा, ”गणित या हिन्दी” । इस पर गुरुनानक ने कहा, ”गुरु जी, मुझे तो करतार का नाम पढ़ाइने , इनमें मेरी रुख नहीं है ।” इस प्रकार ये बड़े ही तेजस्वी तथा असांसारिक व्यक्ति के रूप में सामने आए लेकिन उनकी इस वैराग्य भावना से उनके माता-पिता चिन्तित रहते थे ।

सच्चा सौदा-एक बार उनके पिता जी ने धन लेकर कार्य व्यापार करने के लिए उन्हें शहर भेजा, परन्तु गुरु नानक ने वह सारा धन साधुओं की एक टोली के भोजन-पानी पर खर्च कर दिया और पिताजी के पूछने पर घर आकर कह दिया कि वह ‘सच्चा सौदा’ कर आए हैं । उनके पिता ने इस बात पर बहुत क्रोध किया परन्तु गुरुनानक की दृष्टि में तो दूसरों की सेवा ही सच्चा व्यापार था ।

इसके पश्चात् उनके पिता ने उन्हें बहन नानक के पास नौकरी करने भेज दिया । वहीं पर उनके जीजा ने नानक को नवाव दौलत खाँ के गोदाम में नौकरी दिलवा दी । वहाँ पर भी नानक ने गोदाम में रखा सारा अनाज दीन-दुखियों तथा साधुओं में वितरित करवा दिया ।

गृहस्थ जीवन एवं धर्म-प्रचार:

जब नानक के माता-पिता उनकी आदतों से परेशान रहने लगे तो उन्होंने नानक को घर गृहस्थी के जाल में बाँधने के लिए उनका विवाह करवा दिया । उनके दो पुत्र श्री चन्द्र तथा लक्ष्मी चन्द्र हुए परन्तु पली तथा पुत्रों का मोह भी उन्हें अपने जाल में नहीं फँसा पाया ।

एक दिन आप घर छोड़कर जंगल की ओर चले गए तथा लापता हो गए । वहाँ पर लौटने पर लोगों ने देखा कि नानक के मुँह के चारों ओर प्रकाश चमक रहा है । ऐसा मत है की इसी दिन गुरुनानक का ईश्वर से साक्षात्कार हुआ था । आगे जाकर उन्होंने ‘बाला’ व ‘मरदाना’ नामक शिष्यों के साथ सारे भारत का भ्रमण किया ।

जगह-जगह पर साधु सन्तों से ज्ञान की बातें की तथा जन साधारण को अमृतवाणी का सन्देश दिया । भ्रमण करते समय आपने जगह-जगह धर्मशालाएं बनवाई । आज भी प्रयाग, बनारस, रामेश्वरम् आदि में निर्मित धर्मशालाएँ इस बात का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं । गुरुनानक देव के अमृत उपदेश ‘गुरु ग्रन्य साहब’ में संकलित हैं ।

उपदेश एवं यात्राएँ:

सर्वप्रथम गुरुनानक ने पंजाब का भ्रमण किया । वे उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम चारों दिशाओं में घूमते रहे । वे इन यात्राओं के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे तथा लोगों को सुधारना भी चाहते थे । एक बार वे हरिद्वार की यात्रा पर गए जहाँ के अन्धविश्वासों का उन्होंने बलपूर्वक खण्डन किया ।

उत्तर भारत के सभी नगरों का भ्रमण कर वे रामेश्वरम् तथा सिंहल द्वीप तक पहुँचे, जिसे आज लंका कहते हैं । दक्षिण भारत से लौटकर आपने हिमालय प्रदेश का भी भ्रमण किया । टेहरी, गढ़वाल, हेमकूट, सिक्किम, भूटान तथा तिब्बत तक की यात्राएं भी आपने धर्म प्रचार के लिए की । यात्राएँ करते-करते एक बार वे मुसलमानों के तीर्थ स्थान ‘मक्का-मदीना’ तक पहुंच गए । इस बीच उनकी ख्याति सब ओर फैलने लगी तथा उनके शिष्यों की संख्या भी बढ़ने लगी ।

जीवन भर भ्रमण करते हुए तथा विभिन्न धर्मावलम्बियों के संसर्ग में रहते हुए आपने यह जान लिया था कि बाहर से चाहें सभी धर्मों का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो, अलग-अलग नामों वाले देवी-देवता हो, परन्तु सभी धर्मों का सार एक ही है । सभी धर्म सेवा, त्याग, सच्चरित्रता तथा ईश्वर की अपार भक्ति की शिक्षा देते हैं ।

कोई भी धर्म हमें मिथ्याचार, आडम्बर या संकीर्णता नहीं सिखाता । ये तो मानव मात्र की पैदा की गई कुरीतियाँ हैं, जिन्हें हम अपने-अपने धर्म के साथ जोड़कर दूसरे धर्म के लोगों को नुकसान पहुँचाते हैं । गुरुनानक का कहना था कि पाखण्ड को छोड़कर, आडम्बर से दूर भाग कर तथा भगवान से सच्ची लगन लगाकर ही शान्ति प्राप्त हो सकती है ।

भारतवासी उन्हें ‘हिन्द का पीर’ कहते थे । भ्रमण करते हुए जब नानक बगदाद से अपने देश पहुँचे तो उन्होंने पंजाब में ‘करतारपुर’ गाँव बसाया । सन् 1538 ई. में 70 वर्ष की आयु में गुरुनानक देव की मृत्यु हो गई । यूँ तो गुरु नानक देव की शिक्षा विविध प्रकार की है, फिर भी उनकी मुख्य शिक्षा यह थी हमें प्रत्येक परिस्थिति में ईश्वर का स्मरण करते रहना चाहिए ।

अहंकार को पालने से ही सांसारिकता पैदा होती है तथा मानव मोह-माया के जाल में फँसता है । परिश्रम करके रोटी कमाना तथा दूसरों की सच्ची निस्वार्थ सेवा करना ही असली तप है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 19

महावीर स्वामी पर निबन्ध | Essay on Mahavir Swami in Hindi

धर्म प्रधान वसुधा भारत पर अनेकानेक धर्म-प्रवर्तकों तथा महापुरुषों ने जन्म लिया है । योगी राज श्रीकृष्ण, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, धर्मपरायण युधिष्ठिर, महात्मा गौतम बुद्ध, गुरु नानक देव आदि ने भारत माता को ही सुशोभित किया है ।

ऐसे ही महान अवतारों में क्षमामूर्ति, अहिंसा के पुजारी भगवान महावीर स्वामी का नाम सर्वोपरि हैं । जन्म-परिचय तथा बंश-जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म आज से लगभग 2500 वर्ष पूर्व बिहार राज्य के वैशाली नगर के कुण्ड ग्राम में लिच्छवी वंश में हुआ था ।

आपकी माता का नाम त्रिशलादेवी तथा पिता का नाम श्री सिद्धार्थ था । महावीर स्वामी का जन्म उस समय हुआ था जब यज्ञों का महत्त्व बढ़ने के कारण केवल ब्राह्मणों की ही समाज में प्रतिष्ठा होती थी । पशुओं की बलि देने से यज्ञ विधान महँगे हो रहे थे इससे हर तरफ ब्राह्मणों का ही वर्चस्व बढ़ रहा था तथा वे अन्य जातियों को हीन तथा मलिन समझने लगे थे ।

इसी समय वृक्षोंने कृपा से महावीर स्वामी धर्म के सच्चे स्वरूप को समझाने के लिए तथा परस्पर भेदभाव की खाई को भरने के लिए सत्यस्वरूप में इस पावन धरती पर अवतरित हुए थे । शैशवकाल में आपका नाम वर्धमान रखा गया । युवावस्था में एक भयंकर नाग तथा एक मस्त हाथी को वश में कर लेने के कारण सभी आपको ‘महावीर’ कहने लगे ।

युवावस्था में आपका विवाह यशोधरा नामक एक सुन्दर व सुशील कन्या से हुआ । फिर भी आप अपनी पली के प्रेमाकर्षण में नहीं बँध सके, अपितु आपका मन सांसारिक सुख-सुविधाओं से और अधिक दूर होता चला गया । आपका मन संसार से और भी अधिक तब उचट गया, जब आपके पिताजी का निधन हो गया ।

मायावी संसार को त्यागने के विचार आपने अपने ज्येष्ठ भ्राता नन्दिवर्धन के समक्ष रखे । सभी प्रकार का सुख-वैभव होने पर भी आपका मन संसार में नहीं लग रहा था । आप घंटों एकान्त में बैठकर सांसारिक पदार्थों की नश्वरता के विषय में सोचते रहते थे ।

आप तो संसार से संन्यास लेने ही बाले थे, परन्तु अपने बड़े भाई के आग्रह पर दो वर्ष ग्रहस्थ जीवन के और काट दिए । इन दो वर्षों के अन्दर आपने दिल खोलकर दान-पुण्य किया तथा अपने द्वार से किसी को भी खाली हाथ नहीं लौटने दिया ।

वैराग्य एवं साधना:

30 वर्ष की आयु में महावीर स्वामी सभी राज-पाट, सुख-वैभव तथा पली तथा सन्तान का मोह छोड़कर घर से निकल पड़े तथा वनों में जाकर तपस्या करने लगे । अपने इस पथ के लिए आपने गुरुवर पार्श्वनाथ का अनुयायी बनकर लगभग बारह वर्षों तक अनवरत कठोर तप-साधना की थी ।

इस विकट तपस्या के फलस्वरूप आपको सच्चा ज्ञान प्राप्त हुआ । अब आप जंगलों की साधना को छोड़कर शहर में अपने साधनारत कर्मों का विस्तार करने लगे । लगभग 40 वर्ष तक आपने बिहार प्रान्त के उत्तर तथा दक्षिण भागों में अपने मत का प्रचार-प्रसार किया । आपका सबसे पहला प्रवचन राजगृह नगरी के समीप विपुलांचल पर्वत पर हुआ था ।

धीरे-धीरे आपके अनुयायियों की संख्या बढ़ती गई तथा दूर-दूर से लोग आपके प्रवचन सुनने आने लगे । आपने लोगों को अच्छा आचरण खान-पान में पवित्रता तथा प्राणीमात्र पर दया करने की शिक्षा दी । आपने अपने प्रवचनों में सत्य, अहिंसा तथा प्रेम पर विशेष बल दिया ।

जैन धर्म के सिद्धान्त:

महावीर स्वामी जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर के रूप में आज भी सश्रद्धा तथा ससम्मान पूज्य एवं आराध्य हैं । जैन धर्म को मानने वाले ‘जैनी’ कहलाते हैं । जैन धर्म की दो शाखाएँ हैं-दिगम्बर तथा श्वेताम्बर । जो लोग निर्वस्त्र रहने लगे तथा जिन्होंने सब कुछ त्याग दिया, वे ‘दिगम्बर जैन’ कहलाए तथा जिन्होंने वस्त्र नहीं त्यागे वे ‘श्वेताम्बर जैन’ कहलाने लगे । जैन धर्म का मुख्य सार इन पाँच सिद्धान्तों में निहित हैं- सत्य , अहिंसा चोरी न करना, आवश्यता से अधिक कुछ भी संग्हित न करना तथा शुद्धाचरण ।

आज जैन धर्म के मानने वालों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही हैं । आज हर जगह जैन धर्म के मन्दिर, धर्मशालाएं, पुस्तकालय, औषधालय विद्यालय आदि निशुल्क मानव सेवा कर रहे हैं ।

महाबीर स्वामी की शिक्षाएँ:

महावीर स्वामी ने लोगों से सत्य, अहिंसा तथा प्रेम से रहने को कहा । इसके अतिरिक्त सम्यकज्ञान, समयकदमन तथा सम्यक चरित्र ये तीनों मुक्ति के मार्ग बताए हैं । इन मार्गो पर चलकर ही मानव सांसारिक बन्धनों से मुक्ति पा सकता है ।

कभी भी अपनी आवशकता से अधिक धन संचय मत करो । ऐसा करना पाप है क्योंकि एक के पास अधिक धन दूसरे को निर्धन बनाता है । इस प्रकार समाज में असन्तुलन बढ़ता है । महावीर स्वामी ने जाति प्रथा को भी समाप्त करने पर बल दिया ।

उनका मत था कि ऊँची जाति में जन्म लेकर ही कोई व्यक्ति महान नहीं बन जाता, वरन् कर्म करने से ही मनुष्य समाज में उच्च स्थान तथा सम्मान पाता है । सबसे महत्त्वपूर्ण बात जिओ और जीने दो, अर्थात् इस दुनिया में सभी को जीवित रहने का अधिकार है । इसलिए मानव को एक छोटे से पतंगे का भी वध नहीं करना चाहिए ।

ईश्वर ही जन्मदाता तथा गुत्युदाता है, इसलिए इन्सान को किसी को भी मारने का अधिकार नहीं है । जो व्यवहार तुम अपने लिए चाहते हो, वैसा ही व्यवहार तुम्हें दूसरों के साथ भी करना चाहिए । यही जीवन का सार है तथा यही मोक्ष का रास्ता है ।

निर्वाण प्राप्ति:

कार्तिक मास की अमावस्या को बिहार प्रान्त के पावापुरी में भगवान महावीर स्वामी ने 72 वर्ष की आयु में अपने नाशवान शरीर को छोड्‌कर निर्वाण प्राप्त कर लिया तथा जन्म, जरा, आधि तथा व्याधि के बन्धनों से मुक्त होकर अमर हो गए ।

क्षमा, त्याग, प्रेम, दया, करुणा की मूर्ति भगवान महावीर की अभूतपूर्व शिक्षाएँ आज भी मानव-जाति का पथ-प्रदर्शन कर रही हैं । सच्चे अर्थों में मानव तथा फिर भगवान स्वरूप में आकर महावीर भगवान ने पूरी जन-जाति का उद्धार किया है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 20

नोबेल पुरस्कार विजेता: अमतर्य सेन पर निबन्ध |Essay on Amartya Sen : The Nobel Laureate in Hindi

दुनिया भर में योग्यताओंको प्रोत्साहितकरनेकेलिए अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग पुरस्कार दिए जाते हैं । ‘नोबेल पुरस्कार’ विश्व का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है । यह विश्व की सर्वोत्तम रचना अथवा सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को दिया जाता है ।

यह पुरस्कार हर वर्ष दिया जाता है । इस दृष्टि से हमारा देश बहुत महत्त्वपूर्ण है । हमारे देश की महान विभूतियोंनुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर, हरगोबिन्द खुराना, सीबीरमन, सुबस्रणयम् चन्द्रशेखर, मदर टेरेसा आदि को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है ।

वर्ष 1998 का नोबेल पुरस्कार अर्थशास्त्र के क्षेत्र में प्रो. अमर्त्य सेन को प्रदान किया गया है । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रो.अमर्त्य सेन प्रथम भारतीय ही नहीं, अपितु पूरे एशिया के प्रथम व्यक्ति हैं ।

जीबन परिचय एवं शिक्षा:

प्रो. अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवम्बर, 1933 को शान्ति निकेतन (पश्चिमी बंगाल) में हुआ था । ‘शान्ति निकेतन’ नामक संस्था की स्थापना रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी । अमर्त्य सेन ने स्नातक की परीक्षा कोलकत्ता के ‘प्रेसिडेन्सी कॉलेज’ से सन् 1953 ई. में पास की थी ।

इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए आप यूरोप चले गए । वहाँ ‘कैम्ब्रिज विश्बबिद्यालय’ से उच्च शिक्षा प्राप्त की । वहाँ से लौटकर सन् 1956-58 ई. में जटिवपुर विश्वविद्यालय में अध्ययन शुरू कर दिया । यहीं पर आपको डी-लिट की उपाधि से विभूषित किया गया ।

कुछ समय के पश्चात् आपने सन् 1963-1968 तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकनोमिक्स विभाग में अध्यापन कार्य किया । इसके पश्चात् ऑक्सफोर्ड , हारवर्ड तथा कैम्ब्रिज आदि विश्वविद्यालयों में कई उच्च पदों पर आसीन रहे ।

प्रो. अमर्त्य सेन बहुत बड़े लेखक हैं । उन्होंने लगभग डेढ़ दर्जन पुस्तकें लिखी हैं । उन्होंने 200 से भी अधिक अध्ययन-पत्र लिखे हैं । प्रो. अमर्त्य सेन के कार्य अत्यंत महान एवं सराहनीय हैं । उन्हें स्टॉकहोम के एक समारोह में 10 दिसम्बर, 1998 को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।

इसके लिए उन्हें एक पदक तथा 76 लाख स्वीडिश क्रोनर (लगभग 4 करोड़) रुपए प्रदान किए गए । यह पुरस्कार उनके द्वारा कल्याणकारी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अनूठे योगदान के लिए दिया गया है । वास्तव में प्रो. सेन ने सामाजिक सिद्धान्त के चयन कल्याण तथा गरीबी की परिभाषा तथा अकाल के अध्ययन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है ।

प्रो. अमर्त्य सेन को जब यह नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया तब उनसे किसी पत्रकार ने पूछा:

”नोबेल पुरस्कार प्राप्त करके आप कैसा महसूस कर रहे हैं । निःसन्देह यह आपके लिए अति हर्ष का क्षण है ।”

इसके जवाब में प्रो. सेन ने कहा, ”मैं वास्तव में बेहद खुश हूँ, क्योंकि जिस विषय पर मैं और बिश्व के अनेक अर्थशास्त्री कार्य कर रहे थे तथा अभी भी कर रहे है उस बिषय को आज मान्यता मिली है । यह बिषय केवल उन लोगों के लिए ही प्रासंगिक नहीं , जो सुखी तथा सम्पन्न जीवन जीना चाहते हैं, बल्कि उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिन्हें न तो भर पेट भोजन उपलब्ध है और न खई तन ढकने का कपड़ा तथा जीबन की न्यूनतम सुविधाएँ जैसे पीने का खन्स पानी , सिर के ऊपर छत व चिकित्सा सम्बन्धी सुविधाएं भी उपलब्ध नही हैं ।”

प्रो. अमर्त्य सेन की उपलब्धियाँ:

वे सही अर्थों में गरीबों के मसीहा है । उन्होंने निर्धनता को दूर करने तथा निर्धनता के कारणों जैसे अकाल के बारे में बहुत गहन अध्ययन किया है । उन्होंने उन सिद्धान्तों का खंडन किया है जो अन्न की कमी को ही ‘अकाल’ का कारण बताते हैं ।

इसके विरोध में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है, ”अकाल ऐसे समय में हुए, जब अन्न की आपूर्ति पिछले अकाल रहित वर्षो से ज्यादा कम नहीं थी । यह सब प्रशासनिक व्यवस्था की असफलता के कारण ही हुआ था । उन्होंने आगे इसे इस प्रकार स्पष्ट है कि सन् 1944 ई. के बंगाल अकाल में 30 लाख से अधिक लोग अन्न के अभाव में नहीं मरे थे , अपितु सरकारी तन्त्र की अयोग्यता के कारण काल का ग्रास बने थे । ”

वास्तव में प्रो. अमर्त्य सेन हमारे देश की महान विभूति हैं । उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर हम सभी भारतीयों का सिर गर्व से ऊँचा हो गया है ।

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

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  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
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  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
  • देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

Hindi Essay | हिंदी में निबंध for Class 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12

Hindi essay for classes 3 to 12 students, benefits of essay writing:, essay writing in hindi:, conclusion:, faqs:      .

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Class 10 Hindi Essay Notes PDF (Handwritten Short & Revision)

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The class 10 Hindi Essay notes are the important part throughout the academic session. As in the class 10 notes of Hindi Essay briefs about the chapters are given. Students can utilise the notes while preparing for class 10 Hindi Essay board exam and after completing chapters. Through the notes of class 10 Hindi Essay, students can recall all the important topics of the chapter during the board exam. 

Content in the class 10 Hindi Essay notes are clear, concise and to the point. Through the notes of Hindi Essay, students can have conceptual understanding of all chapters. By having conceptual understanding, students can get mind blowing marks in class 10 Hindi Essay board exam. According to the marks in class 10 Hindi Essay board, students can be promoted to the next grade. 

Hindi Essay Notes Class 10 PDF

Being a class 10 student, it is very important to work upon the Hindi Essay topics and concepts so that they can understand well. All the topics and concepts are briefly explained in the Hindi Essay notes class 10 PDF which is available in the Selfstudys website. The class 10 notes of Hindi Essay can improve the curiosity to learn new topics every day. 

Where Can I Find Resources for Class 10 Hindi Essay Notes?

Students can easily find the resources for class 10 Hindi Essay notes through the Selfstudys website, steps to download are explained below:

  • Visit the Selfstudys website. 
  • Click the CBSE from the navigation bar, then select New Revision notes from the list.

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Why Should Students Utilise Class 10 Hindi Essay Notes?

Students should utilise the class 10 Hindi Essay notes so that they can finish their Class 10 Hindi Essay syllabus from their comfort zone. This is one of the characteristics of class 10 notes Hindi Essay, other features are: 

  • Key Points are Given: Key points simply means summary of the main points of the chapter; same goes for Hindi Essay chapters as it is provided in the class 10 Hindi Essay notes PDF.  
  • Understandable Language: Understandable language is considered to be clear and easy without unnecessary complicated language; class 10 Hindi Essay notes PDF are explained in an understandable language so that students can understand the whole chapters without facing any trouble. 
  • Vibrant Diagrams are Given: Vibrant diagrams are considered to be bright which can be exciting and interesting; inside the CBSE class 10 Hindi Essay notes, vibrant diagrams are provided. Through the class 10 notes of Hindi Essay, students can increase their productivity and concentration level. 
  • Examples are Explained: In the class 10 Hindi Essay notes, some examples are explained in a brief way so that students can solve all kinds of questions. 
  • For CBSE Board: These Hindi Essay notes class 10 PDF are basically for those students who study in CBSE because the notes are prepared referring to the same syllabus that is prescribed by the CBSE board. 
  • All Chapters are Covered: In the CBSE class 10 Hindi Essay notes, all chapters are covered as everything would be available under one roof. 

What Are the Benefits of Utilising the Class 10 Hindi Essay Notes?

Students can benefit a lot by utilising class 10 Hindi Essay notes as it provides the best result to them. It is one of the important benefits, other benefits are: 

  • Acts as a Revision Tool: The Hindi Essay notes class 10 PDF acts as revision tool for students so that they can memorise important points of all chapters. 
  • Provided in a Well Organised Structure: A well organised structure of the class 10 Hindi Essay notes PDF can convert the preparation into well organised and systematic one. Through the well organised preparation, students can score well in the class 10 Hindi Essay board exam. 
  • Encourages Active Learning: Active learning is considered to be that approach which includes full involvement, it is important for students to be active while learning the topics and concepts of class 10 Hindi Essay. So, CBSE class 10 Hindi Essay notes help students to be active while preparing. 
  • Provides Accurate Content: In the class 10 Hindi Essay notes, content provided is accurate and to the point. Through this, students can also prepare well for the class 10 Hindi Essay accurately. 
  • Emphasises Information: The class 10 notes of Hindi Essay provides emphasised information that attracts many students to complete topics and concepts. This encourages innovative skills for students to attempt class 10 Hindi Essay questions. 
  • Improves Memory: Memorisation is the ability to store a lot of information at one go; students can improve their memorisation skills with the help of Hindi Essay notes class 10 PDF. 
  • Improves Confidence: Confidence is the ability of having surety about anything; students can improve their confidence with the help of class 10 Hindi Essay notes. Self confidence can help students to remove their exam stress and anxiety while attempting class 10 Hindi Essay board exam. 

When Is the Best Time to Take Class 10 Hindi Essay Notes?

The best time to take class 10 Hindi Essay notes is after completing all the chapters from the NCERT book. In the NCERT book, each topic is elaborated in a proper way so that students don’t get stuck in any of the topics. Through the class 10 notes of Hindi Essay, students can remember important points without any complexity or difficulty. 

How to Prepare for Class 10 Hindi Essay Board Exam With The Help of Notes?

Students are advised to make a strategy plan to prepare for class 10 Hindi Essay board exam, they can make their own strategy with the help of class 10 Hindi Essay notes, those tips are: 

  • Find Good Place to Study: Students should find their own place to prepare well for class 10 Hindi Essay exam. A good place is created so that there are no distractions or loud music, etc while preparing for class 10 Hindi Essay exam. 
  • Try to Reward Yourself: It is important for students to reward themselves: candy, chocolates, chips, etc as it motivates them to attain daily goals to complete Class 10 Syllabus . 
  • Try to Study With Groups: Students can complete the class 10 Hindi Essay syllabus in groups as friends can help each other to cope up with difficult topics. By completing difficult topics, students can improvise their score in class 10 Hindi Essay board exam. 
  • Complete the Notes: Students need to complete the Hindi Essay notes class 10 PDF which is available in the Selfstudys website. 
  • Solve Doubts: Students need to solve their doubts regarding the class 10 Hindi Essay notes PDF with the help of teacher’s guidance so that they can get involved in group discussions. 
  • Take a Break: Students need to take breaks: short walk, meditate, listen to song, etc while preparing for topics and concepts included in class 10 Hindi Essay. 
  • Practise Questions: After completing all chapters from the class 10 Hindi Essay syllabus, students need to practise different kinds of questions. Through this, students can improve their conceptual understanding for the class 10 Hindi Essay. 
  • Adapt Daily Goals: Try to adapt daily goals to complete class 10 Hindi Essay syllabus so that students can lay a strong foundation for the subject. 

Why Is It Important For Students To Refer To CBSE Class 10 Hindi Essay Notes?

It is very important for students to refer to CBSE class 10 Hindi Essay notes so that they can rely on the relevant content. It is necessary for students to prepare for class 10 Hindi Essay syllabus through relevant content as it removes confusions of different resources. By relying on the relevant content, students can improve their self- confidence during the class 10 Hindi Essay board exam. 

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निबंध (Hindi Essay)

आजकल के समय में निबंध लिखना एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है, खासतौर से छात्रों के लिए। ऐसे कई अवसर आते हैं, जब आपको विभिन्न विषयों पर निबंधों की आवश्यकता होती है। निबंधों के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए हमने इन निबंधों को तैयार किया है। हमारे द्वारा तैयार किये गये निबंध बहुत ही क्रमबद्ध तथा सरल हैं और हमारे वेबसाइट पर छोटे तथा बड़े दोनो प्रकार की शब्द सीमाओं के निबंध उपलब्ध हैं।

निबंध क्या है?

कई बार लोगो द्वारा यह प्रश्न पूछा जाता है कि आखिर निबंध क्या है? और निबंध की परिभाषा क्या है? वास्तव में निबंध एक प्रकार की गद्य रचना होती है। जिसे क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया हो। एक अच्छा निबंध लिखने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान देना चाहिए जैसे कि – हमारे द्वारा लिखित निबंध की भाषा सरल हो, इसमें विचारों की पुनरावृत्ति न हो, निबंध के विभिन्न हिस्सों को शीर्षकों में बांटा गया हो आदि।

यदि आप इन बातों का ध्यान रखगें तो एक अच्छा निबंध(Hindi Nibandh) अवश्य लिख पायेंगे। अपने निबंधों के लेखन के पश्चात उसे एक बार अवश्य पढ़े क्योंकि ऐसा करने पर आप अपनी त्रुटियों को ठीक करके अपने निबंधों को और भी अच्छा बना पायेंगे।

हम अपने वेबसाइट पर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रकार के निबंध(Essay in Hindi) उपलब्ध करा रहे हैं| इस प्रकार के निबंध आपके बच्चों और विद्यार्थियों की अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों जैसे: निबंध लेखन, वाद-विवाद प्रतियोगिता और विचार-विमर्श में बहुत सहायक हो साबित होंगे।

ये सारे ‎हिन्दी निबंध (Hindi Essay) बहुत आसान शब्दों का प्रयोग करके बहुत ही सरल और आसान भाषा में लिखे गए हैं। इन निबंधों को कोई भी व्यक्ति बहुत ही आसानी से समझ सकता है। हमारे वेबसाइट पर स्कूलों में दिये जाने वाले निबंधों के साथ ही अन्य कई प्रकार के निबंध उपलब्ध है। जो आपके परीक्षाओं तथा अन्य कार्यों के लिए काफी सहायक सिद्ध होंगे, इन दिये गये निबंधों का आप अपनी आवश्यकता अनुसार उपयोग कर सकते हैं। ऐसे ही अन्य सामग्रियों के लिए भी आप हमारी वेबसाइट का प्रयोग कर सकते हैं।

Essay in Hindi

 
 
 
 
 
 
 
 
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

[Updated] CBSE Class 10 Hindi Sample Papers 2024-25 Session in PDF

Class 10 Hindi Sample Paper

This article delves into the Class 10 Hindi Sample Paper, an invaluable resource for your exam preparation. Sample papers are beneficial, particularly for school exams. It’s crucial for students in grades 6 through 12 to thoroughly practice all concepts, and one of the most effective methods for achieving this is through sample papers. This article provides access to the CBSE Class 10 Hindi Sample Paper in PDF format, available for free download.

Before delving into the Class 10 Sample Papers, let’s review the CBSE Class 10 Summary, which is comprehensively detailed here. It is recommended that students thoroughly examine the entire summary for a better understanding.

10th
Hindi
CBSE
Sample Papers

CBSE Class 10 Hindi Sample Paper

Class 10 Hindi Sample Papers for the board exam 2024-25 have been released by the Central Board of Secondary Education (CBSE). Also, the marking scheme and answer key for each paper is available. Students must Download the complete Class 10 Hindi Sample Papers in pdf for the final examination’s excellent score.

Example of Sample Paper

CBSE Class 10 Hindi Sample Paper

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Class 10 Hindi Syllabus 2024-25

Check out the latest CBSE NCERT Class 10 Hindi Syllabus. The syllabus is for the academic year 2024-25 sessions. First, check the CBSE Class 10 Hindi Syllabus in PDF format with the exam pattern. Students are advised to check out the complete syllabus.

Class 10 Hindi A Exam Pattern

Here in this Section, we have mentioned the Class 10 Hindi Exam Pattern (परीक्षा भर विभाजन).  Students can check the Class 10 Hindi A Exam Pattern for the academic year 2024-25.

1.अपठित गद्यांश14
2.व्याकरण के लिए निर्धारित विषय-वस्तु का बोध भाषिक बिंदु / सरचना आदि पर प्रश्न16
3.पाठ्यपुस्तक  क्षितिज हिंदी भाग -2 व पूरक पाठ्यपुस्तक कृतिका भाग – 230
4.लेखन20

Class 10 Hindi B Exam Pattern

1.अपठित गद्यांश14
2.व्याकरण के लिए निर्धारित विषय- वस्तु का बोध भाषिक बिंदु / सरचना आदि पर प्रश्न16
3.पाठ्यपुस्तक  क्षितिज हिंदी भाग -2 व पूरक पाठ्यपुस्तक संरचना भाग – 228
4.लेखन22

NOTE:-  For more information on the Class 11 Hindi syllabus

Class 10 Hindi Marking Scheme 

Check out the latest Class 10 Hindi A and B Marking Scheme. CBSE marking scheme contains answer hints and a scheme of mark distribution that gives an idea about appropriate answers in CBSE board exams. Students can check this Hindi marking scheme, and you can also download this Class 10 Hindi Marking Scheme.

Class 10 Hindi Marking Scheme 

1. A Marking Scheme (2023-24)
2. B Marking Scheme (2023-24)
3. A Marking Scheme (2020-21)
4. A Marking Scheme (2020-21)
5. A Marking Scheme (2019-20)
6. B Marking Scheme(2019-20)
7. A Marking Scheme (2018-19)
8. B Marking Scheme (2018-19)

Class 10 Hindi Useful Resources

We have tried to bring CBSE Class 10 Hindi NCERT Study Materials like Syllabus, Worksheet, Sample Paper, NCERT Solutions, Important Books, Holiday Homework, Previous Year Question Papers, etc. You can visit all these important topics by clicking the links given.​

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Hindi Essay on Various Topics, Current Topics for Class 10, Class 12 and Other Examination

Hindi Essays 

हिंदी निबंध 

Hindi-Essays

53 नए निबंध क्रमांक 740 से 793 तक कुल 974 निबंध

1. जीवन युद्ध है आराम नहीं

2. सांस्कृतिक कार्यक्रम कितने असांस्कृतिक

3. मेले में दो घंटे

4. प्रदर्शनी का एक दृश्य

5. नदी किनारे शाम का एक दृश्य

6. परीक्षा शुरू होने से पहले दृश्य

7. मैंने चौराहे पर देखा एक मदारी का खेल

8. छुट्टी का दिन

9. वर्षा ऋतु की पहली वर्षा

10. रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य

11. बस अड्डे का दृश्य

12. सूर्योदय का दृश्य

13. अपना घर

14. मतदान केन्द्र का दृश्य

15. रेल यात्रा का अनुभव

16. बस यात्रा का अनुभव

17. स्वदेश-प्रेम

18. मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

19. मातृभूमि

21. आदर्श अध्यापक

22. मेरा प्रिय लेखक : प्रेमचंद

23. भारतीय किसान

24. अहिंसा परमो धर्म

25. ऐसी वाणी बोलिए

26. नर हो, न निराश करो मन को

27. करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान

28. सत्संगति

29. हमारे पड़ोसी

30. जब सारा दिन बिजली न आई

31. परीक्षा भवन का दृश्य

32. स्वप्न में गोस्वामी तुलसीदास जी से भेंट

33. स्वप्न में गाँधी जी से भेंट

34. जब मेरी साइकिल चोरी हो गयी

35. जब मेरी जेब कट गयी

36. मेरे जीवन की अविस्मरणीय घटना

37. भयंकर गर्मी में पत्थर तोड़ती मजदूरिन

38. आँखों देखी दुर्घटना का दृश्य

39. पर्वतीय स्थान की यात्रा

40. ऐतिहासिक स्थान की यात्रा

41. मेरी प्यारी माँ

42. शिक्षा और नारी जागरण

43. जीवन में शिक्षा का महत्त्व

44. भाषण नहीं राशन चाहिए

45. शक्ति अधिकार की जननी है

46. युद्ध का हल युद्ध नहीं

47. विद्याथी और फैशन

48. चरित्र की हानि से बढ़ कर कोई हानि नहीं

49. कथनी से करनी भली

50. कायर मन कहँ एक अधारा

51. जैसी संगति बैठिये तैसोई फल होई

52. स्वास्थ्य ही धन है

53. समरथ को नहिं दोष गोसाईं

54. अक्ल बड़ी कि भैंस

55. जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान

56. अपना हाथ जगन्नाथ

57. अन्त भला सो भला

58. पराधीन सपनेहु सुख नाहीं

59.  कैसे मनायी हम ने पिकनिक

60. ग्लोबल वार्मिंग

61. प्रदूषण की समस्या

62. लड़का-लड़की एक समान

63. आतंकवाद

64. बाल-शोषण

65. विद्यार्थी पर फैशन का प्रभाव

66. दिल्ली की बदलती तस्वीर

67. मोबाइल फ़ोन के लाभ तथा हानियाँ

68. विज्ञान – वरदान या अभिशाप

69. इंटरनेट का उपयोग

70. दिल्ली मेट्रो

71. भारत के गाँव

72. संयुक्त परिवार

73. बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए

74. समाचार-पत्र

75. मेरा प्रिय खेल

76. पढ़ने का आनंद

77. स्वतंत्रता का महत्त्व

78. प्रकृति और मानव

79. साँच बराबर तप नहीं

80. दिनों दिन बढ़ती महँगाई

81. कामकाजी नारी के समक्ष चुनौती

82. स्वास्थ्य और व्यायाम

83. सभा भवन का शिष्टाचार

84. अधिकार और कर्तव्य

85. लोकतंत्र और चुनाव

86. जहाँ चाह वहाँ राह

87. प्लास्टिक की दुनिया

88. सपने में चाँद की यात्रा

89. ग्लोबल वार्मिंग के खतरे

90. मेरा मनपसंद रियलटी शो

91. जब हम दो गोलों से पिछड़ रहे थे

92. हिमालय: भारत का मुकुट

93. पुस्तक मेले में अधूरी खरीददारी

94. शिक्षक-दिवस पर मेरी भूमिका

95. पुस्तकालय के शिष्टाचार

96. जब कंप्यूटर से टिकट खरीदा

97. पतंग उड़ाने का आनंद

98. भारत के राष्ट्रीय पर्व

99. मित्रता और इसका महत्व

100. भारत में कंप्यूटर- इसके उपयोग और लाभ

101. सड़क दुर्घटना

102. परोपकार

103. हमारा राष्ट्रध्वज

105. भारत-शांतिप्रिय देश

106. मेरा प्रिय मित्र

107. छत्रपति वीर शिवाजी

108. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस

109. महारानी लक्ष्मीबाई

110. हमारे देश के त्योहारों का महत्त्व

111. गणतन्त्र दिवस – 26 जनवरी

112. 15 अगस्त राष्ट्रीय त्योहार

113. गाँधी जयंती – 2 अक्तूबर

114. बाल-दिवस – 14 नवम्बर

115. होली : रंगों का त्योहार

116. रक्षा-बंधन – राखी

117. श्री कृषण जन्माष्टमी

118. दुर्गापूजा, दशहरा, विजया दशमी

119. दीवाली – दीपावली

120. क्रिसमस – 25 दिसम्बर

121. ईद का त्यौहार

122. विज्ञान वरदान है या अभिशाप

123. विज्ञान के चमत्कार

124. अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते कदम

125. चन्द्रशेखर वेंकट रमन

126. मनोरंजन के आधुनिक साधन

127. दूरदर्शन के लाभ और हानियाँ

128. सिनेमा या चलचित्र

129. भारत में इलैक्ट्रोनिक्स का विकास

130. विश्व-शान्ति के उपाय

131. टेलीफोन

132. प्लास्टिक की दुनिया

133. ध्वनि-प्रदूषण

134. कम्प्यूटर – आज की आवश्यकता

135. हमारे समाज में नारी का स्थान

136. प्रौढ़-शिक्षा

137. युवा पीढ़ी में असन्तोष

138. साहित्य और समाज

139. छोटा परिवार – सुखी परिवार

140. आज का समाज और नैतिक मूल्य

141. समाचार-पत्र और उनकी उपयोगिता

142. विद्यार्थी और अनुशासन

143. दहेज-प्रथा एक सामाजिक बुराई

144. नारी-शिक्षा का महत्त्व

145. विद्यालय का वार्षिकोत्सव

146. पुस्तकालय

147. महँगाई की समस्या – मूल्यवृद्धि

148. जीवन में अनुशासन का महत्त्व

149. नैतिक पतन : देश का पतन

150. विद्यार्थी जीवन

151. जीवन में खेलों का महत्त्व

152. भूकम्प : एक प्राकृतिक आपदा

153. शिक्षा में खेलों का महत्व

154. सह-शिक्षा

155. वर्षा ऋतु

156. ग्रीष्म ऋतु

157. वसंत ऋतु

158. भारत की नयी शिक्षा नीति

159. राष्ट्र-निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान

160. पंचायती राज

161. राष्ट्रीय एकता

162. दिल्ली – भारत की राजधानी

163. हमारी भारतीय संस्कृति

164. निरक्षरता : एक सामाजिक अभिशाप

165. भारत की सामाजिक समस्याएँ

166. भारतीय गाँव

167. इक्कीसवीं सदी का भारत

168. भारतीय किसान

169. भारतीय कला

170. लोकतन्त्र और चुनाव

171. रोजगार योजना

172. भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थल

173. भारत की प्रमुख समस्याएँ

174. भ्रष्टाचार : समस्या और समाधान

175. विकलांग भी देश का अंग हैं

176. बाल श्रमिक और उनकी समस्या

177. नशाबन्दी – समस्या व समाधान

178. प्रदूषण की समस्या और समाधान

179. बढ़ती सभ्यता : सिकुड़ते वन

180. जनसंख्या की समस्या और समाधान

181. आतंकवाद की समस्या

182. व्यायाम के लाभ

183. परिश्रम का महत्त्व

184. देशाटन के लाभ

185. स्वदेश-प्रेम

186. समय का सदुपयोग

187. वृक्षारोपण का महत्व

188. महात्मा कबीरदास

189. कवि सूरदास

190. कवि शिरोमणि तुलसीदास

191. मीराबाई

192. कविवर बिहारी

193. कविवर जयशंकर प्रसाद

194. मेरा प्रिय कवि-रामधारी सिंह ‘दिनकर‘

195. हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग ‘भक्तिकाल

196. छायावादी काव्य

197. प्रयोगवाद

198. जननी जन्मभूमिश्च

199. नारी जीवन हाय ! तुम्हारी यही कहानी

200. साँच बराबर तप नहीं

201. सब दिन जात न एक समाना

202. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं -पराधीनता

203. परोपकार – परहित सरिस धर्म नहिं ‘भाई

204. सत्संगति – शठ सुधरहिं सत्संगति पाई

205. मन के हारे हार है, मन के जीते जीत

206. मज़हब नहीं सिखाता, आपसे मैं बैर रखना

207. जब आवे सन्तोष धन, सब धन धरि समान

208. दादा बड़ा न भैया, सबसे बड़ी रुपया

209. चाँदनी रात में नौका-विहार

210. मेरा पड़ोसी

211. रेलवे स्टेशन का दृश्य

212. रेल-दुर्घटना का दृश्य

213. बाढ़ का दृश्य

214. आँखों देखा किसी मैच का वर्णन-क्रिकेट मैच

215. किसी पर्वतीय प्रदेश की यात्रा

216. मेले का वर्णन

217. मेरा प्रिय खेल कबड़ी

218. जीवन में खेलों का महत्त्व

219. मेरे जीवन का लक्ष्य

220. राशन की दुकान पर मेरा अनुभव 

221. विद्यालय में मेरा पहला दिन

222. यदि मैं प्रधानमंत्री होता

223. स्वप्न में नेहरू जी से भेंट

224. परीक्षा के दिन

225. शहरी जीवन – वरदान और अभिशाप

226. भारत का परमाणु परीक्षण

227. विद्यार्थी जीवन

228. आदर्श विद्यार्थी

229. विद्यार्थी जीवन में डायरी का महत्त्व

230. विद्यार्थी का दायित्व

231. विद्यार्थी और राष्ट्र-निर्माण

232. विद्यार्थी और अनुशासन

233. विद्यार्थी और सामाजिक चेतना

234. विद्यार्थी और सिनेमा

235. विद्यार्थी और राष्ट्र-प्रेम

236. कर्म ही पूजा है

237. काल करे सो आज कर

238. बीता समय वापस आता नहीं

239. जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है

240. जब आवे सन्तोष धन, सब धन धूरि समान

241. जहाँ सुमति तहाँ सम्पति नाना

242. जीओ और जीने दो

243. जो तोको काँटा बुवै ताहि बोइ तू फूल

244. बिन पानी सब सून

245. बिन साहस के फीका जीवन

246. बिनु सत्संग विवेक न होई

248. धर्म और विज्ञान

249. धर्म और राजनीति

250. हिन्दू-धर्म

251. संस्कृति और सभ्यता

252. संस्कृति और सभ्यता

253. भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ

254. हमारी सामाजिक समस्याएँ

255. दहेज-प्रथा की समस्या

256. दहेज प्रथा एक अभिशाप

257. दहेज प्रथा सामाजिक कलंक

258. दहेज एक गंभीर समस्या

259. सती प्रथा

260. बाल विवाह एक कुप्रथा

261. भिक्षा वृत्ति

262. लेखक और समाज

263. मेरे सपनों का भारत

264. भारत की सांस्कृतिक एकता

265. भारत में राष्ट्रीय एकता का स्वरूप

266. भारत में धर्म-निरपेक्षता

267. भारत में बेरोजगारी की समस्या

268. भारत में नशाबन्दी

269. मिलावट

270. भारत में भ्रष्टाचार

271. बढ़ती जनसंख्या और सिकुड़ते साधन

272. राजनीति का अपराधीकरण

273. वर्षा ऋतु

274. शरद ऋतु

275. वसन्त ऋतु

276. ग्रीष्म ऋतु

277. त्योहारों का जीवन में महत्त्व

278. मकर-संक्रान्ति

279. नववर्ष

280. वसन्त पंचमी

281. होली – रंगों का त्योहार

282. बैसाखी

283. गणतन्त्र दिवस

284. स्वतन्त्रता दिवस

285. शिक्षक-दिवस

286. गाँधी जयन्ती

287. बाल-दिवस

288. महर्षि दयानन्द सरस्वती

289. रामतीर्थ का मेला

290. पिंडोरी महन्ता में वैशाखी का मेला

291. हुसैनीवाला में शहीदी मेला

292. हरि वल्लभ संगीत मेला– जालंधर

293. गुरुपर्व

294. महर्षि वाल्मीकि जयन्ती

295. श्रीगुरु रविदास जी – जन्म दिवस

296. लोहड़ी

298. दीपावली

299. नानक जयन्ती

300. क्रिसमस

301. मकर संक्रांति

304. गुड फ्राइडे

305. बुद्ध पूर्णिमा

306. रक्षा-बंधन

307. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

308. महाशिवरात्रि

309. रामनवमी

310. महावीर जयन्ती

311. गंगा सागर का मेला – पश्चिम बंगाल

312. रथ यात्रा का मेला – ओडिशा

313. दशहरा का मेला – कर्नाटक

314. बैकुंठ कांवरि का मेला – बिहार

315. काश्मीर के मेले – काश्मीर

316. हेमिस गुंपा का मेला – लद्दाख

317. कुरूक्षेत्र का मेला – हरियाणा

318. छप्पार का मेला-पंजाब

319. कुल्लू के दशहरा का मेला – हिमाचल

320. पुष्कर का मेला – राजस्थान

321. कोटेश्वर का मेला – कच्छ

322. बस्तर का दशहरे का मेला – मध्य प्रदेश

323. कुंभ का मेला – प्रयागराज

324. फूलवालों की सैर का मेला – दिल्ली

325. बैसाखी का मेला – पंजाब

326. वन-महोत्सव – वृक्षों के त्योहार

328. होली – जवानी का त्योहार

329. मेरी किताब

331. मेरी माँ

332. मेरा घर

333. मेरी कक्षा अध्यापिका

334. सिपाही

335. श्याम-पट ( ब्लैक-बोर्ड )

338. मेरा विद्यालय में पहला दिन

339. मेरे विद्यालय का चपरासी

340. घरेलु बिल्ली

341. ऊँट – रेगिस्तान का जहाज़

342. भारतीय किसान

343. सुबह की सैर

344. विद्यालय का पुस्तकालय

345. अख़बार

346. गर्मियों का मौसम

347. सर्दियों की सुबह

348. बसन्त ऋतु

349. मेरी दिनचर्या

350. डॉक्टर (चिकित्सक)

351. भारत के मौसम

352. बरसात का दिन

353. बिजली के उपयोग

354. दशहरा का त्यौहार

355. रक्षा-बन्धन का त्यौहार

356. होली का त्यौहार

357. स्वतन्त्रता दिवस –15 अगस्त

358. गणतन्त्र दिवस

359. मेरा प्रिय दोस्त

360. मेरी पहली रेल यात्रा

361. चिड़िया घर सैर

362. सर्कस – मनोरंजक स्थल

363. लाल-किला

364. दीवाली का त्यौहार

365. ईद का त्यौहार

366. क्रिसमस का त्यौहार

367. खेदकूद के लाभ

368. यातायात के साधन

369. वृक्षों के लाभ – वृक्षारोपण

370. परिश्रम का महत्त्व

371. प्रदर्शनी का दृश्य

372. कम्प्यूटर के लाभ

373. चलचित्र

374. दूरदर्शन

375. हॉकी का खेल

376. क्रिकेट का खेल

377. फुटबॉल का खेल

378. मेरी हवाई जहाज की यात्रा

379. कर्तव्य पालन

380. मदर टेरेसा

381. मेरी बस यात्रा

382. स्वदेश प्रेम

383. बस दुर्घटना का दृश्य

384. गुरुनानक देव जी

385. सरदार वल्लभ भाई पटेल

386. राष्ट्रपिता – महात्मा गाँधी

387. अनुशासन

388. हमारी अच्छी आदतें

389. जियो और जीने दो

390. एक अच्छा पड़ोसी

391. मेरी कक्षा का शरारती विद्यार्थी

392. अंजू बॉबी जॉर्ज

393. के. एम. बीनामोल

394. गुरबचन सिंह रंधावा

395. ज्योतिर्मयी सिकदर

396. टी. सी. योहानन

397. नीलम जसवन्त सिंह

398. पी. टी. उषा

399. एम. डी. वालसम्मा

400. मिल्खा सिंह

401. शाइनी अब्राहम विल्सन

402. सुनीता रानी

403. कशाबा जाधव

404. सुशील कुमार सोलंकी

405. गामा पहलवान

406. मास्टर चंदगीराम

407. अजित वाडेकर

408. अनिल कुंबले

409. इरापल्ली प्रसन्ना

410. कपिल देव

411. झूलन गोस्वामी

412. डायना इदुलजी

413. पोली उमरीगर

414. बिशन सिंह बेदी

415. भागवत चन्द्रशेखर

416. मिताली राज

417. मंसूर अली ख़ां पटौदी

418. महेन्द्र सिंह धोनी

419. राहुल द्रविड़

420. रणजीत सिंह जी

421. लाला अमरनाथ

422. विजय मर्चेन्ट

423. विजय हजारे

424. वीनू मांकड

425. वीरेन्द्र सहवाग

426. सचिन तेंदुलकर

427. सी. के. नायडू

428. सुनील गावस्कर

429. सौरव गांगुली

430. अर्जुन अटवाल

431. आदर्श विद्यार्थी

432. सदाचार का महत्व

433. वृक्षारोपण

434. भारत में बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ: वरदान या अभिशाप

435. मानवता के साथ विकास

436. बाल-श्रम और समाधान

437. युवकों की समस्याएँ

438. नारी और उसका सम्मान

439. कॉलेजों में फैशन का बढ़ता प्रभाव

440. विश्व शांति और संयुक्त राष्ट्र संघ

441. विज्ञापन और हमारा जीवन

442. प्रतिभा पलायन की समस्या

443. अध्यापक – राष्ट्र का निर्माता

444. मित्रता

445. मेरे जीवन का मुख्य उद्देश्य

446. जीवन और साहित्य

447. लोकतंत्र में प्रेस की भूमिका

448. दहेजप्रथा – एक सामाजिक कलंक

449. भारत में गरीबी की समस्या

450. उदारीकरण का जनता पर प्रभाव

451. भारत में ग्रामीण विकास

452. स्वतंत्रता दिवस : 15 अगस्त

453. पंजाब – मेरा प्रिय प्रदेश

454. चण्डीगढ़ एक आदर्श नगर

455. हरियाणा मेरा प्रिय प्रान्त

456. श्री कृष्ण जन्माष्टमी

457. गुरु तेग बहादुर

458. गुरू गोबिन्द सिंह जी

459. शहीद भक्त सिंह

460. विज्ञान के लाभ-हानियाँ

461. सिनेमा के लाभ हानियां

462. समाचार पत्रों का महत्त्व

463. लोहड़ी का त्यौहार

464. बैसाखी का त्यौहार

465. काला धन

466. शहीद उधम सिंह

467. लाला लाजपत राय

468. बेकारी की समस्या

469. आदर्श शिक्षा प्रणाली

470. शिक्षित नारी की समस्याएँ

471. आज का विद्यार्थी

472. विद्यार्थी और राजनीति

473. मेरी रुचियां

474. नशाखोरी

475. आधुनिक शिक्षा प्रणाली

476. हॉकी मैच का आँखों देखा मैच

477. क्रिकेट का आँखों देखा मैच

478. डॉ. मनमोहन सिंह

479. श्री मति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल

480. बढ़ती हुई जनसंख्या

481. मिसाइल मैन- डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम

482. डॉ० भीम राव अम्बेदकर

484. नैतिक शिक्षा का महत्त्व

485. आइलिटस

486. भ्रूण हत्या

487. आधुनिक समाज में महिला का अस्तित्व

488. आधुनिक समाज में महिला का अस्तित्व

489. नारी और पाश्चात्य सभ्यता

490. पं० जवाहर लाल नेहरु

491. श्री लाल बहादुर शास्त्री

492. देश भक्ति

493. प्रिय दर्शिनी इन्दिरा गांधी

494. राजीव गांधी

495. भगवान महावीर स्वामी

496. महर्षि स्वामी दयानन्द

497. भारतीय संस्कृति के प्रतीक – स्वामी विवेकानन्द

498. ईद का त्यौहार

499. अनिवार्य सैनिक शिक्षा

500. नारी शिक्षा

501. परीक्षा प्रणाली और नकल की समस्या

502. मेरा प्रिय शहर – अमृतसर

503. मेरा प्रिय ग्रन्थ : रामचरित मानस

504. ग्रीष्म ऋतु

505. ग्रामीण जीवन

506. मेरा प्रिय कवि : तुलसीदास

507. विद्यार्थी और फैशन

508. यदि मैं शिक्षा मन्त्री होता

509. आरक्षण

510. भ्रष्टाचार- कारण और निवारण

511. वर्तमान शिक्षा पद्धति के दोष

512. बुद्धिमान खरगोश

513. सहज पके सो मीठा होय

514. दूरदर्शन

515. एक अविस्मरणीय घटना

516. स्कूल में वार्षिक खेल

517. मेले का दृश्य

518. गंगा नदी

519. जीवन में संघर्ष

520. गुरुपर्व

521. चुनाव का दृश्य

522. अस्पताल का दृश्य

523. आदर्श मित्र

524. पुस्तकालय

525. प्रातःकाल का दृश्य

526. निर्धनता एक अभिशाप है

527. वर्षा ऋतु की पहली वर्षा

528. अनुशासन

529. शिक्षक दिवस – 5 सितंबर

530. महात्मा गाँधी

531. इंदिरा गाँधी

532. महात्मा बुद्ध

533. होमी जहाँगीर भाभा

534. महाराणा प्रताप

535. सरोजिनी नायडू

536. ताजमहल

537. फतेहपुर सीकरी

538. दिल्ली का लालकिला

539. कुतुबमीनार

540. लोटस टेंपल

541. हवामहल

542. पहाड़ो की रानी शिमला

543. हरिद्वार

544. नैनीताल की सैर

545. जम्मू-कश्मीर

546. अजंता-ऐलोरा की गुफाएँ

547. मथुरा-वृंदावन

548. चारमीनार

549. गुलाबी नगरी – जयपुर

550. क्रिकेट का खेल

551. फुटबॉल का खेल

552. हॉकी का खेल

553. शतरंज का खेल

554. टेनिस का खेल

555. कुश्ती का खेल

556. बॉक्सिंग का खेल

557. बैडमिंटन का खेल

558. निशानेबाजी का खेल

559. तैराकी का खेल

560. टेलीविज़न

561. रेडियो

563. विधुत बल्ब

564. रेलगाड़ी

565. हवाई जहाज़

566. मिसाइल

567. परमाणु बम

568. मेरा प्यारा गाँव

569. मेरा शहर दिल्ली

570. शहरी जीवन

571. शहर और गाँव

572. गाँव की सैर

573. दिल्ली की सैर

574. आगरा की सैर

575. मुंबई की सैर

576. मेले की सैर

577. मेरा प्रिय शिक्षक

578. किसान की आत्माकथा

579. पोस्टमैन

580. फेरीवाला

581. भिखारी की आत्मकथा

583. शिकारी

584. मेरा परिवार

585. मेरा बचपन

586. मेरा प्रिय स्कूल

587. मेरा प्यारा घर

588. मेरे अच्छे अध्यापक

589. मेरे जीवन का सबसे यादगार दिन

590. काश! मैं धनवान होता

591. काश! मैं प्रधानाध्यापक होता

592. वनों का महत्व

593. यात्रा का वर्णन

594. बेरोज़गारी की समस्या और समाधान

595. पुस्तक मेला – दिल्ली

596. बिजली का महत्व

597. भविष्य योजना

598. निरक्षरता को कैसे मिटाएँ

599. युद्ध के दुष्परिणाम

600. स्वावलंबन

601. मेरे अध्यापक का वो थप्पड़

602. जब मेरा मोबाइल फोन गुम हो गया

603. वो सड़क हादसा

604. रेलवे प्लेटफॉर्म की भीड़ और मैं

605. जब बस में मेरी जेब कटी

606. जब शिक्षक ने मुझे शाबाशी दी

607. इंटरनेट पर संदेश

608. मेरे मित्र की सीख

609. मेरी आदतें

610. मेरा सपना

611. ‘रामचरितमानस’ महाकाव्य

612. संस्कृति और धर्म

613. सच्चा मित्र

614. मेरे प्रिय अध्यापक

615. मेरे आदरणीय माता-पिता

616. मैं (एक लड़की)

617. मैं (एक लड़का)

618. मेरी पालतू बिल्ली

619. मेरा प्रिय विषय

620. मेरे पड़ोसी

621. मेरे विद्यालय का खेल दिवस

622. मेरे विद्यालय का पुस्तकालय

623. मेरा प्रिय फल

624. सर्कस देखना

625. आग में लिपटा एक घर

626. वर्षा का एक दिन

627. गाय एक पालतू जानवर

628. घोड़ा एक पालतू जानवर

630. ऊँट रेगिस्तान का जहाज़

631. कुत्ता एक पालतू जानवर

632. मोर राष्ट्रिय पक्षी

634. डाकिया

635. हमारे विद्यालय का चपरासी

636. डॉक्टर

637. पुस्तक की आत्मकथा

638. पुलिसमैन

639. फैरी वाला

640. सिपाही की आत्मकथा

641. रेडियो का महत्व

642. शिष्टाचार

643. दाँतों की देखभाल

644. क्रिकेट का एक मैच

645. फुटबॉल का एक मैच

646. भिखारी की आत्मकथा

647. दूध का महत्व

648. साइकिल चलने का अनुभव

649. हवाई जहाज

650. टेलीफोन का महत्व

651. सफलता का महत्व

652. अच्छा स्वास्थ्य

653. मानव शरीर

654. एक नर्स की आत्मकथा

655. एक कार की आत्मकथा

656. जेब खर्च – पॉकेट मनी

657. जीव मिल्खा सिंह

658. ज्योति रंधावा

659. शिव कपूर

660. मेजर दीप अहलावत

661. महेश भूपति

662. रामानाथन कृष्णन

663. रमेश कृष्णन

664. लिएंडर पेस

565. विजय अमृतराज

666. सानिया मिर्जा

667. अचंत शरत कमल

668. जयन्त तालुकदार

669. डोला बनर्जी

670. लिम्बाराम

671. खज़ान सिंह

672. बुला चौधरी

673. मिहिर सेन

674. अभिनव बिन्द्रा

675. अंजलि भागवत

676. जसपाल राणा

677. महाराजा कर्णी सिंह

678. मानवजीत सिंह संधू

679. राज्यवर्धन सिंह राठौड़

680. राष्ट्रीय एकता

681. अनुशासन

682. वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे

683. बाल दिवस समारोह

684. वार्षिकोत्सव समारोह

685. अन्तर्विद्यालयी वाद-विवाद प्रतियोगिता

686. एक बस दुर्घटना

687. तुलसी जयंती

688. ईमानदार लकड़हारा

689. मनुष्य को सोच-समझकर ही कार्य करना चाहिए

690. उपकार का फल

691. अपना काम स्वयं करो

692. संगठन में शक्ति

693. परिश्रम ही सफलता की कुंजी है

694. डॉ. मनमोहन सिंह

695. मोहनदास कर्मचंद गांधी

696. लाल बहादुर शास्त्री

697. पंडित जवाहरलाल नेहरू

698. गुरु नानकदेव जी

699. स्वामी दयानंद

700. शहीद भगतसिंह

701. वर्षा ऋतु

702. वसंत ऋतु

703. दशहरा पर्व

704. दीपावली पर्व

705. रक्षा बंधन का त्योहार

706. होली का पर्व

707. गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय पर्व

708. स्वतंत्रता दिवस राष्ट्रीय पर्व

709. ईद का त्योहार

710. जन्माष्टमी का पर्व

711. क्रिसमस – बड़ा दिन

712. दूरदर्शन – वरदान या आभिशाप

713. समाचार-पत्र

714. विज्ञान-वरदान अथवा अभिशाप

715. सिनेमा (चलचित्र)

716. खेलों का महत्त्व

717. मेरा प्रिय खेल-‘कबड्डी‘

718. क्रिकेट

719. आँखों देखे हॉकी मैच का वर्णन

720. पुस्तकालय

721. मेरा प्रिय मित्र

722. मेरी प्रिय पुस्तक-रामचरितमानस

723. मेरा विद्यालय

724. हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव

725. मेरे जीवन का लक्ष्य

726. मेरी रेलयात्रा

727. भारत में दहेज प्रथा की समस्या

728. व्यायाम के लाभ

729. प्रातः काल का भ्रमण

730. आदर्श विद्यार्थी

731. समय का सदुपयोग

732. भारत में नारी शिक्षा

734. महँगाई की समस्या

735. बाल-दिवस

736. दिल्ली की सैर

737. पिकनिक का एक दिन

738. मेरा पड़ोसी (आदर्श पड़ोसी)

739. मेरा देश-भारतवर्ष

740. कंप्यूटर की उपयोगिता

741. संतुलित-भोजन

742. जब मैं घर पर अकेला था

743. हम और हमारे त्योहार

744. वृक्ष : हमारे जीवन के आधार

745. विनाशकारी अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण

746. आजाद भारत की पहली चुनौती

747. राष्ट्रीय एकता

748. अवसरों के सदुपयोग

749. बीता समय वापस नहीं आता

750. भारत में जातिवाद

751. जीवन में धर्म का महत्व

752. मातृभाषा का महत्त्व

753. जीवन में अभ्यास का महत्व

754. पहिए की खोज

755. कर्मनिष्ठा की महिमा

756. श्रमहीनता के दुष्परिणाम

757. विज्ञान की देन-प्रदूषण

758. सुखी वैवाहिक जीवन का आधार

759. युवावस्था और मित्रता

760. संतोष का महत्त्व

761. वृक्षों का महत्त्व

762. समय की महत्ता

763. आकाशगंगा

764. अकबर का शासन

765. साहस की जिन्दगी

766. सिद्धान्तवादी कट्टरता

767. समाचार-पत्रों की भूमिका

768. हँसी-एक वरदान

769. आजादी के लिए संघर्ष

770. राजेन्द्र बाबू – सादगी की प्रतिमूर्ति

771. सर्वशिक्षा अभियान

772. हम और समाचार

773. अच्छा पड़ोसी

774. मधुर वाणी का महत्व

775. सूर्य कान्त त्रिपाठी निराला

776. अहिंसा-हमारी संस्कृति का मूलाधार

777. स्वार्थ की नींव पर संबंध

778. भाग्य और पुरुषार्थ

779. धैर्य का महत्त्व

780. श्वेत क्रांति

781. आध्यात्मिक विकास

782. भारत में मीडिया का विकास

783. अखंड भारत और राजनीति

784. वृक्षों का महत्त्व

785. सिकुड़ते वन

786. जीवन में संघर्ष का महत्व

787. रंगभेद नीति

788. चील पक्षी

789. वन-संरक्षण की जरूरत

790. नारद मुनि और सच्चा भक्त

791. सत्य और अहिंसा

792. मानव और समाज

793. आध्यात्मिक विकास

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CBSE Class 10 Hindi Exam 2024: Check Paragraph Writing (Anuched Lekhan) Format with Important Examples

Cbse class 10 hindi anuched lekhan format: check correct format and important examples of paragraph writing for the cbse class 10 hindi board exam 2024. know important points to consider while writing a paragraph to score full marks in tomorrow's hindi exam.

Gurmeet Kaur

Definition of Paragraph Writing (Anuched Lekhan)

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Points to consider while writing a paragraph in CBSE Class 10 Hindi Exam 2024:

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CBSE Class 10 Hindi A Sample Paper for Board Exam 2024

Salient Features of Paragraph Writing

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CBSE Class 10 Hindi Paragraph Writing - Word Limit & Marking Scheme

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Important Examples of Paragraph Writing for CBSE Class 10 Hindi Exam 2023

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CBSE Class 10 Letter Writing Format with Examples for Board Exam 2024

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निबंध लेखन, हिंदी में निबंध| Hindi Essay Writing Topics

निबंध लेखन, Hindi Essay Topics

निबंध लेखन हिंदी में – Essay writing in Hindi Topics for class 10, 9

Essay writing definition, tips, examples, निबंध लेखन की परिभाषा, निबंध लेखन के उदाहरण.

  निबंध लेखन Essay Writing in Hindi – इस लेख में हम निबंध लेखन के बारे में जानेंगे। निबंध होता क्या है? निबंध के मुख्य अंग कौन-कौन से हैं? पाठ्यक्रम में निबन्ध-लेखन को क्यों जोड़ा गया है? निबंध कितनी प्रकार के होते हैं और उन्हें लिखते समय किन विभागों में बाँटना चाहिए जिससे उन्हें लिखने में आसानी हो? निबंध को लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? इन सभी प्रश्नों को जब आप अच्छे से समझ जाएँगे, तो आपको कभी भी किसी भी निबंध को लिखने में कोई भी परेशानी नहीं होगी।

निबंध (Essay)

निबंध की परिभाषा (definition of essay), निबंध के विषय (essay topics in hindi), निबंध के अंग (parts of an essay), निबंध के प्रकार (types of essays).

कई बार लोगों द्वारा यह प्रश्न पूछा जाता है कि आखिर निबंध क्या है? और निबंध की परिभाषा क्या है? वास्तव में निबंध एक प्रकार की गद्य रचना होती है। जिसे क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया हो।

निबंध किसी भी विषय के मुख्य विचार और नज़रिए का एक सुव्यवस्थित रूप है । निबंध किसी एक विशेष विषय पर आधारित होता है। निबंध जानकारी, विचार या भावनाओं के संचार का एक प्रबल माध्यम है । निबंध के द्वारा व्यक्ति अपने विचारों का संचार करने में समर्थ हो सकता है। निबंध लेखन आपको एक ऐसा सुअवसर प्रदान करता है, जिससे आप अपने ज्ञान को दूसरों के सम्मुख प्रकट करते हैं।    Top   Related – Essays in Hindi  

अपने मानसिक भावों या विचारों को संक्षिप्त रूप से तथा नियन्त्रित ढंग से लिखना ‘निबन्ध’ कहलाता है। दूसरे शब्दों में – किसी विषय पर अपने भावों को पूर्ण रूप से क्रमानुसार लिपिबद्ध करना ही ‘निबंध’ कहलाता है।

‘निबंध’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- नि + बंध। इसका अर्थ है भली प्रकार से बंधी हुई रचना। अर्थात वह रचना जो विचारपूर्वक, क्रमबद्ध रूप से लिखी गई हो। इसके आधार पर हम सरल शब्दों में कह सकते हैं – ‘निबंध वह गद्य रचना है, जो किसी विषय पर क्रमबद्ध रूप से लिखी गई हो।’    Top   Related – Soil Pollution Essay in Hindi  

साधारण रूप से निबंध के विषय परिचित विषय होते हैं, यानी जिनके बारे में हम सुनते, देखते व पढ़ते रहते हैं; जैसे – धार्मिक त्योहार, राष्ट्रीय त्योहार, विभिन्न प्रकार की समस्याएँ, मौसम आदि। जीवन के सभी क्षेत्रों में सफल विचार-विमर्श के लिए हमें श्रेष्ठ निबंध लेखन की आवश्वयकता होती है। निबंध‍ किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है। आज सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और वैज्ञानिक विषयों पर निबंध लिखे जा रहे हैं। संसार का हर विषय, हर वस्तु, व्यक्ति एक निबंध का केंद्र हो सकता है। हिंदी के प्रमुख साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने निबन्ध को परिभाषित करते हुए कहा है- “निबन्ध लेखन में लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है।”

उपरोक्त परिभाषा का अर्थ है कि निबन्ध लेखक के मन की प्रवृत्ति के अनुरूप ही होना चाहिए और निबन्ध का लेखन स्वच्छन्द गति पर आधारित हो अर्थात निबंध ऐसा लिखना चाहिए कि लेखक का चिंतन, वैचारिक स्तर, विषय पर उसकी स्वयं की विचारधारा स्पष्ट हो जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त लेखक को नदी की धारा के समान बहना चाहिए, किसी अन्य के मत से प्रभावित हुए बिना। यह अत्यन्त आवश्यक है कि लेखक का व्यक्तिगत परिचय या स्वार्थ विषय-वस्तु को प्रभावित न करे। ज़रूरी नहीं कि आप जो भी लिखें वो सभी को स्वीकार्य हो, ज़रूरी ये है कि आप निष्पक्ष हो कर लिखें क्योंकि निष्पक्षता ही किसी निबंध की प्रथम और अंतिम कसौटी है।    Top   Related – Essay on Women Empowerment in Hindi  

निबंध के चार अंग निश्चित किए गए-

Essay format in Hindi - Parts

(1) शीर्षक – शीर्षक आकर्षक होना चाहिए, ताकि लोगों में निबंध पढ़ने की उत्सुकता पैदा हो जाए। परन्तु यदि आप परीक्षा में बैठे हैं, तो आपको शीर्षक पहले से ही दिया गया होगा।

(2) प्रस्तावना – निबंध की श्रेष्ठता की यह नींव होती है। इसे भूमिका भी कहा जाता है। यह अत्यंत रोचक और आकर्षक होनी चाहिए परन्तु यह बहुत लम्बी नहीं होनी चाहिए। भूमिका इस प्रकार की हो जो विषयवस्तु की झलक प्रस्तुत कर सकें। जो कि पाठक को निबंध पढ़ने के लिए प्रेरित कर सके। निबंध की शुरुआत किसी सूक्ति, श्लोक या किसी उदाहरण से करनी चाहिए। अच्छी प्रभावोत्पादक पंक्तियों का प्रयोग परीक्षक पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा जिससे विद्यार्थी को अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद मिलेगी। आकर्षक प्रारम्भ पाठक या परीक्षक के मन में निबंध को आगे पढ़ने के लिए उत्सुकता जगाता है। निबंध में विषय का संक्षिप्त परिचय और वर्तमान स्वरूप भी विद्यार्थी को भूमिका खंड में देना चाहिए।  भूमिका लिखते समय यह बात ध्यान रखनी बहुत आवश्यक है कि भूमिका का विषय से सीधा जुड़ाव होना चाहिए।

(3) विषय-विस्तार – इसमें तीन से चार अनुच्छेदों में विषय के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार प्रकट किए जाते हैं। प्रत्येक अनुच्छेद में एक-एक पहलू पर विचार लिखा जाते है। यह निबंध का सर्वप्रमुख अंश है। इनका संतुलित होना अत्यंत आवश्यक है। यहीं निबंधकार अपना दृष्टिकोण प्रगट करता है। जब कोई निबंध लिखना हो तो रफ लिख लेना चाहिए कि, पहले क्या बताना है, फिर प्वाइंट बना लो, इसके बाद उन्हें पैराग्राफ में लिखो।

(4) उपसंहार – यह निबंध के अंत में लिखा जाता है। इस अंग में निबंध में लिखी गई बातों को सार के रूप में एक अनुच्छेद में लिखा जाता है। इसमें संदेश भी लिखा जा सकता है। उपदेश, दूसरे के विचारों को उद्घृत कर (लिख कर) या कविता की पंक्ति के माध्यम से निबंध समाप्त किया जा सकता है।    Top  

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निबंध के प्रकार और उन्हें किन विभागों में बाँटा जा सकता है जिससे निबंध लेखन सरल हो सके –

विषय के अनुसार प्रायः सभी निबंध तीन प्रकार के होते हैं –

Hindi essay types

(1) वर्णनात्मक – किसी सजीव या निर्जीव पदार्थ का वर्णन वर्णनात्मक निबंध कहलाता है। ये निबंध स्थान, दृश्य, परिस्थिति, व्यक्ति, वस्तु आदि को आधार बनाकर लिखे जाते हैं। वर्णनात्मक निबंध के लिए अपने विषय को निम्नलिखित विभागों में बाँटना चाहिए-

1. यदि विषय कोई ‘प्राणी’ हो – (i) श्रेणी  (ii) प्राप्तिस्थान (iii) आकार-प्रकार (iv) स्वभाव (v) विचित्रता (vi) उपसंहार

2. यदि विषय कोई ‘मनुष्य’ हो – (i) परिचय (ii) प्राचीन इतिहास (iii) वंश-परंपरा (iv) भाषा और धर्म (v) सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन

3. यदि विषय कोई ‘स्थान’ हो (i) अवस्थिति (ii) नामकरण (iii) इतिहास (iv) जलवायु (v) शिल्प (vi) व्यापार (vii) जाति-धर्म (viii) दर्शनीय स्थान (ix ) उपसंहार

4. यदि विषय कोई ‘वस्तु’ हो (i) उत्पत्ति (ii) प्राकृतिक या कृत्रिम (iii) प्राप्तिस्थान (iv) किस अवस्था में पाई जाती है (v) कृत्रिमता का इतिहास (vi) उपसंहार

5. यदि विषय ‘पहाड़’ हो (i) परिचय (ii) पौधे, जीव, वन आदि (iii) गुफाएँ, नदियाँ, झीलें आदि (iv) देश, नगर, तीर्थ आदि (v) उपकरण एवं शोभा (vi) वहाँ बसनेवाले मानव और उनका जीवन

(2) विवरणात्मक – किसी ऐतिहासिक, पौराणिक या आकस्मिक घटना का वर्णन विवरणात्मक निबंध कहलाता है। यात्रा, घटना, मैच, मेला, ऋतु, संस्मरण आदि का विवरण लिखा जाता है।

विवरणात्मक निबंध लिखने के लिए दिए गए विषय को निम्नलिखित विभागों में बाँटना चाहिए-

1. यदि विषय ‘ऐतिहासिक’ हो – (i) घटना का समय एवं स्थान (ii) ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (iii) कारण, वर्णन एवं फलाफल (iv) इष्ट-अनिष्ट की समालोचना एवं आपका मंतव्य

2. यदि विषय ‘जीवन-चरित्र’ हो – (i) परिचय, जन्म, वंश, माता-पिता, बचपन (ii) विद्या, कार्यकाल, यश, पेशा आदि (iii) देश के लिए योगदान (iv) गुण-दोष (v) मृत्यु, उपसंहार (vi) भावी पीढ़ी के लिए उनका आदर्श

3. यदि विषय ‘भ्रमण-वृत्तांत’ हो – (i) परिचय, उद्देश्य, समय, आरंभ (ii) यात्रा का विवरण (iii) हानि-लाभ (iv) सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, व्यापारिक एवं कला-संस्कृति का विवरण (v) समालोचना एवं उपसंहार

4. यदि विषय ‘आकस्मिक घटना’ हो – (i) परिचय (ii) तारीख स्थान एवं कारण (iii) विवरण एवं अन्त (iv) फलाफल (v) समालोचना (व्यक्ति एवं समाज आदि पर कैसा प्रभाव ?)

(3) विचारात्मक – किसी गुण, दोष, धर्म या फलाफल का वर्णन विचारात्मक निबंध कहलाता है।

इस निबंध में किसी देखी या सुनी हुई बात का वर्णन नहीं होता; इसमें केवल कल्पना और चिंतनशक्ति से काम लिया जाता है। विचारात्मक निबंध उक्त दोनों प्रकारों से अधिक श्रमसाध्य होता है। अतएव, इसके लिए विशेष रूप से अभ्यास की आवश्यकता होती है।

विचारात्मक निबंध लिखने के लिए दिए गए विषय को निम्नलखित विभागों में बाँटना चाहिए-

(i) अर्थ, परिभाषा, भूमिका और परिचय (ii) सार्वजनिक या सामाजिक, स्वाभाविक या अभ्यासलभ्य कारण (iii) संचय, तुलना, गुण एवं दोष (iv) हानि-लाभ (v) दृष्टांत, प्रमाण आदि (vi) उपसंहार

पाठ्यक्रम में निबन्ध-लेखन को क्यों समाहित किया गया – 1. विद्यार्थी अपने विचारों को एकत्र करना सीख पाए। 2. विचारों को संतुलित तरीके से व्यक्त कर पाएं। 3. भाषा को उपयुक्त रूप से प्रयोग करना सीख पाएं। 4. किसी भी विषय पर छात्रों के स्वयं के विचार हों। 5. उनका वैचारिक स्तर निश्चित हो सके। 6. संवेदनात्मक व वैचारिक स्तर पर परिपक्व हो सके। 7. वे अपने विचारों को सकारात्मक दिशा दे पाए। 8. अपने विचारों को दृढ़ता से रखना सीख सके। 9. आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित हो सके। 10. रटन्तू तोता न बन विचारशील प्राणी बन सके।    Top  

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निबन्ध लिखते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए- (1) निबन्ध लिखने से पूर्व सम्बन्धित विषय का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए। (2) क्रमबद्ध रूप से विचारों को लिखा जाये। (3) निबन्ध की भाषा रोचक एवं सरल होनी चाहिए। (4) निबन्ध के वाक्य छोटे-छोटे तथा प्रभावशाली होने चाहिए। (5) निबन्ध संक्षिप्त होना चाहिए। अनावश्यक बातें नहीं लिखनी चाहिए। (6) व्याकरण के नियमों और विरामादि चिह्नों का उचित प्रयोग होना चाहिए। (7) विषय के अनुसार निबन्ध में मुहावरों का भी प्रयोग करना चाहिए। मुहावरों के प्रयोग से निबन्ध सशक्त बनता है। (8) निबंध के विषय पर अतिरिक्त जानकारी प्राप्त करें। (9) आरंभ, मध्य अथवा अंत में किसी उक्ति अथवा विषय से संबंधित कविता की पंक्तियों का उल्लेख करें। (10) निबंध की शब्द-सीमा का ध्यान रखें और व्यर्थ की बातें न लिखें अर्थात विषय से न हटें। (11) विषय से संबंधित सभी पहलुओं पर अपने विचार प्रकट करें। (12) सभी अनुच्छेद एक दूसरे से जुड़े हों। (13) वर्तनी व भाषा की शुद्धता, लेख की स्वच्छ्ता एवं विराम-चिह्नों पर ध्यान दें।

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  • नई शिक्षा नीति के प्रमुख लाभ पर निबंध
  • भारतीय संस्कृति के प्रमुख आधार पर निबंध
  • समय के महत्व पर निबंध
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध
  • सामाजिक न्याय के महत्व पर निबंध
  • छात्र जीवन पर निबंध
  • स्वयंसेवी कार्यों पर निबंध
  • जल संरक्षण पर निबंध
  • आधुनिक विज्ञान और मानव जीवन पर निबंध
  • भारत में “नए युग की नारी” की परिपूर्णता एक मिथक है
  • दूरस्थ शिक्षा पर निबंध
  • प्रधानमंत्री पर निबंध
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता
  • हमारे राष्ट्रीय चिन्ह पर निबंध
  • नक्सलवाद पर निबंध
  • आतंकवाद पर निबंध
  • भारत के पड़ोसी देश पर निबंध
  • पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी पर निबंध
  • किसान आंदोलन पर निबंध
  • ऑनलाइन शिक्षा पर निबंध
  • डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम पर निबंध
  • मदर टेरेसा पर निबंध
  • दुर्गा पूजा पर निबंध
  • बसंत ऋतु पर निबंध
  • भारत में साइबर सुरक्षा पर निबंध
  • भारत में चुनावी प्रक्रिया पर निबंध
  • योग पर निबंध
  • स्टार्टअप इंडिया पर निबंध
  • फिट इंडिया पर निबंध
  • द्रौपदी मुर्मू पर निबंध
  • क्रिप्टो करेंसी पर निबंध
  • सौर ऊर्जा पर निबंध
  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
  • भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध
  • शहरों में बढ़ते अपराध पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • भारतीय संविधान पर निबंध
  • भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध
  • टेलीविजन पर निबंध
  • परिश्रम का महत्व पर निबंध
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध
  • विज्ञान वरदान है या अभिशाप पर निबंध

Hindi Writing Skills

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कुल निबंध : 1333

  • 45 नये निबंध  क्रमांक 1106  से  1151 तक 

hindi essay for class 10

नये निबंध-:

1. समय अनमोल है या समय का सदुपयोग समय

2. देशाटन या देश-विदेश की सैर

3. टेलीविज़न के लाभ तथा हानियाँ या केबल टी. वी या मूल्यांकन दूरदर्शन का

4. आतंकवाद या आतंकवाद की समस्या

5. भ्रष्टाचार या भारत में भ्रष्टाचार

6. यदि मैं वैज्ञानिक होता

7. यदि मैं शिक्षामंत्री होता

8. यदि मैं प्रधानमंत्री होता

9. करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान

10. आत्मनिर्भर या स्वावलंबी

11. सत्य की शक्ति या सत्यमेव जयते

12. जो हुआ अच्छा हुआ

13. स्वंय पर विश्वास

14. त्यौहारों का जीवन में महत्व

15. मेरे प्रिय नेता या नेताजी सुभाष चंद्रबोस

16. मेर प्रिय कवि या तुलसीदास

17. विज्ञान के लाभ तथा हानियाँ या विज्ञान के चमत्कार

18. कंप्यूटर के लाभ तथा हानियाँ अथवा जीवन में कंप्यूटर का महत्व

19. मेरा भारत महान

20. हिमालय या पर्वतों का राजा : हिमालय

21. देश प्रेम या स्वदेश प्रेम

22. पुस्तकालय का महत्व

23. प्रदूषण का प्रकोप

24. स्वस्थ भारत

25. अनेकता में एकता

26. रेगिस्तान की यात्रा

27. आतंकवाद और समाज

28. विवाह एक सामाजिक संस्था

29. कल का भारत या 21वीं सदी का भारत

30. समाज और कुप्रथांए

32. स्वरोजगार या युवा स्वरोजगार योजना

33. स्वरोजगार या युवा स्वरोजगार योजना

34. स्वच्छ भारत अभियान

36. पुस्तकालय के लाभ

37. राष्ट्रीय शिक्षा-नीति

38. भारत में शिक्षा का प्रसार

39. मेरी जीवनाकांक्षा या मेरी इच्छा

40. यदि मैं शिक्षक होता

41. मन के हारे हार है

42. अच्छा स्वास्थ्य महावरदान या अच्छे स्वास्थ्य के लाभ

43. विज्ञान और मानव-कल्याण या विज्ञान एक वरदान

44. साहित्य का उद्देश्य

45. साहित्य और समाज

46. साहित्यकार का दायित्व

47. मेरा प्रिय कवि

48. मेरा प्रिय लेखक

49. भारतीय संस्कृति की विशेषतांए

50. हिंदी-साहित्य को नारियों की देन

51. छायावाद : प्रवृतियां और विशेषतांए

52. साहित्य में प्रकृति-चित्रण

53. प्रगतिवाद

54. साहित्य का अध्ययन क्यों

55. विद्यार्थी जीवन : कर्तव्य और अधिकार

56. विद्यार्थी और राजनीति

57. विद्यार्थी और अनुशासन

58. सैनिक-शिक्षा और विद्यार्थी

59. विद्यालय का वार्षिक मोहोत्सव

60. वर्तमान शिक्षा प्रणाली

61. शिक्षा और परीक्षा

62. शिक्षा का माध्यम

63. गांवों में शिक्षा

64. प्रौढ़ शिक्षा

65. पुस्तकालय और महत्व

66. अध्ययन के लाभ

67. आदर्श विद्यार्थी

68. साक्षरता क्यों आवश्यक है?

69. महाविद्यालय का पहला दिन

70. मनोरंजन के साधन

71. समाचार-पत्र

72. विज्ञापन के उपयोग और महत्व

73. राष्ट्रभाषा की समस्या

74. राष्ट्रभाषा और प्रादेशिक भाषांए

75. आज के गांव

76. कुटीर उद्योग या लघु उद्योग

77. वृक्षारोपण या वन-महोत्सव

78. शिक्षा और रोजगार

79. परिवार नियोजन

80. शराब-बंदी

81. भारत का संविधान

82. संयुक्त राष्ट्रसंघ

83. लोकतंत्र में चुनाव का महत्व

84. लोकतंत्र और तानाशाही

85. राष्ट्र और राष्ट्रीयता

86. प्रांतीयता का अभिशाप

87. नागरिक के अधिकार और कर्तव्य

88. भावनात्मक एकता

89. गांधीवाद और भारत

90. एक राष्ट्रीयता और क्षेत्रीय दल

91. भारत-चीन संबंध

92. भारत-अमेरिका संबंध

93. गुट-निरपेक्ष आंदोलन और भारत

94. भारत-श्रीलंका संबंध

96. खुली अर्थनीति : प्रभाव और भविष्य

97. हमारे पड़ोसी देश

98. हमारे राष्ट्रीय पर्व

99. दीपावली

100. विजयदशमी या दशहरा

101. गणतंत्र-दिवस – 26 जनवरी

102. गर्मी का एक दिन

103. पहाड़ों की यात्रा

104. भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम

105. विज्ञान और धर्म

106. विज्ञान और शिक्षा

107. विज्ञान और मानवता का भविष्य

108. भारत की वैज्ञानिक प्रगति

109. विज्ञान और युद्ध

110. युद्ध के लाभ और हानियां

111. निरस्त्रीकरण

112. बिजली : आधुनिक जीवन की रीढ़

113. पराधी सपनेहुं सुख नाहीं

114. वही मनुष्य है कि जो..

115. अंत भला तो सब भला

116. मजहब नहीं सिखाता अपास में बैर रखना

117. भावना से कर्तव्य ऊंचा है

118. सादा जीवन उच्च विचार

119. कर्म-प्रधान विश्व रचि राखा

120. पंडित जवाहरलाल नेहरू

121. सूरदास

122. गोस्वामी तुलसीदास

123. मीराबाई

124. राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त

125. जयशंकर प्रसाद

126. सुमित्रानंदन पंत

127. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

128. श्रीमती महादेवी वर्मा

129. प्लेटफॉर्म का एक दृश्य

130. वह लोमहर्षक दिन

131. पयर्टन-उद्योग

132. हड़ताल

133. बंधुआ मजदूर

134. राष्ट्र-निर्माण और नारी

135. बाल मजदूरी की समस्या

136. भारतीय समाज में कुरीतिया

137. ऊर्जा के स्त्रोत और समस्या

138. यातायात की समस्या

139. बाढ़ का एक दृश्य

140. नारी और नौकरी

141. शहरीकरण के कुप्रभाव

142. फैशन-श्रंगार : आवश्यकता और उपयोग

143. जनसंख्या, समस्या और शिक्षा

144. वायु-प्रदूषण

145. जल प्रदूषण

146. ध्वनि-प्रदूषण

147. हमारा शारीरिक विकास

148. छात्रावास का जीवन

149. विद्यार्थी जीवन

150. किसी यात्रा का वर्णन

151. स्वास्थ्य का महत्व

152. स्वास्थ्य और व्यायाम

153. रेडियो का महत्व

154. गाय और उसकी उपयोगिता

155. हिमालय – भारत का गौरव

156. बाढ़ का दृश्य

157. परीक्षा के बाद मैं क्या करूंगा?

158. धन का सदुपयोग

159. विद्या-धन सबसे बड़ा धन है

160. हमारा राष्ट्रध्वज

161. भारत में किसानों की स्थिति

162. आज के युग में विज्ञान

163. विद्यालय का वार्षिकोत्सव

164. डाकिया अथवा पत्रवाहक

165. जीवन में परोपकार का महत्व

166. हमारा संविधान

167. हमारे मौलिक अधिकार और कर्तव्य

168. ताजमहल का सौंदर्य

169. वृक्षारोपण का महत्व

170. हमारे जीवन में व न स्पतियों का महत्व

171. वैज्ञानिक विकास

172. मत्स्य-पालन

173. दहेज एक अभिशाप

174. जीवन में स्वच्छता का महत्व

175. मलेरिया और उसकी रोकथाम

176. रक्षाबंधन या राखी

177. विजयादशमी

178. दिवाली का त्यौहार

179. होली रंगों का त्यौहार

180. ईद-उल-फितर

181. वैसाखी

182. जीवन में धर्म का महत्व

183. हिंदू धर्म

184. जैन धर्म

185. बौद्ध धर्म

186. पारसी धर्म

187. ईसाई धर्म

188. इसलाम धर्म

189. सिक्ख धर्म

190. ओलंपिक : खेल आयोजन

191. मेरा प्रिय खेल : क्रिकेट

192. मेरा प्रिय खेल : शतरंज

193. मेरा प्रिय खेल : कराटे

194. मेरा प्रिय खेल : फुटबाल

195. डॉ. राजेंद्र प्रसाद

196. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

197. डॉ. जाकिर हुसैन

198. श्रीनिवास रामानुजन

199. डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई

200. राजा राममोहन राय

201. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक

202. महामना मदनमोहन मालवीय

203. अरविंद घोष

204. लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल

205. पंडित गोविंद बल्लभ पंत

206. मौलाना अबुल कलाम आजाद

207. पुरुषोत्तमदास टंडन

208. आचार्य नरेंद्रदेव

209. चंद्रशेखर आजाद

210. भगत सिंह

211. रामप्रसाद ‘बिस्मिल’

212. अशफाक उल्लाह खां

213. खुदीराम बोस

214. लाल लाजपत राय

215. नेताजी सुभाषचंद्र बोस

216. रानी लक्ष्मीबाई

217. तात्या टोपे

218. मंगल पांडे

219. वीर कुंवर सिंह

220. विनायक दामोदर सावरकर

221. इक्कीसवीं सदी की चुनौतियां

222. भारत का अंतरिक्ष अभियान

223. भारत में पर्यटन व्यवसाय

224. जल ही जीवन है

225. संयुक्त राष्ट्र संघ और वर्तमान विश्व

226. भारत की वर्तमान शिक्षा नीति

227. शिक्षा का मौलिक अधिकार

228. शिक्षा और नैतिक मूल्य

229. सहशिक्षा

230. विद्यार्थी जीवन और अनुशासन

231. कुतुबमीनार

232. क्रिसमस डे (बड़ा दिन)

233. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

234. मेरा प्रिय मित्र

235. हमारा देश

236. सारे जहां से आच्छा हिन्दोस्तान हमारा

237. हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी

238. भारत : वर्तमान और भविष्य

239. आधुनिक सामाजिक समस्याएं

240. भारत की सामाजिक समस्याएँ

241. नशाबंदी

242. भारतीय नारी

244. भारतीय गाँव

245. भारतीय ग्रामीण जीवन

246. पंचायती राज विधेयक

247. महानगर का जीवन

248. यातायात के प्रमुख साधन

249. मेरी प्रथम रेल यात्रा

250. सम्राट अशोक

251. छत्रपति शिवाजी

252. पर्वतीय स्थल की यात्रा

253. सच की ताकत

254. जननी जन्मभूमि

255. प्रातःकाल की सैर

256. जीवन में लक्ष्य की भूमिका

257. प्रयागं

258. चाँदनी रात्री में नौका-विहार

259. भाग्य और पुरूषार्थ

260. छुट्टियों का सदुपयोग

261. सिनेमा या चलचित्र

262. भारत-अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला

263. ऊर्जा संरक्षण

264. युद्ध के कारण व समाधान

265. रेल दुर्घटना

266. हमारे महानगर

267. औद्योगीकरण के दुष्प्रभाव

268. बैंको का महत्व

269. कम्प्यूटर – एक वरदान

270. संचार क्रान्ति

271. भारतीय समाज में स्त्रियों की दशा

272. धर्मनिरपेक्ष – भारत में राजनीति का दुरूपयोग

273. भारत में पुलिस की भूमिका

274. प्रेस की आजादी कितनी सार्थक

275. परिश्रम सफलता की कुंजी है

276. पीढ़ी का अन्तर

277. प्रदुषण – समस्या और समाधान

278. बढ़ते अपराध

280. इन्टरनेट का बढता प्रसार

281. एक डॉक्टर

282. डाकिया (पोस्टमैन)

283. हरित क्रान्ति

284. लोकतन्त्र

285. बाढ़ की चुनौती

286. वन्य जीव संरक्षण

287. अनुशासन

288. वृक्षों का महत्व

289. शिक्षा में खेलकूद का स्थान

290. पुरस्कार वितरण समारोह

291. एक बंदी की आत्मकथा

292. लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका

293. एशियाई खेलों का महत्व

294. पेशे का चयन

295. पडो़सी

296. विज्ञापन के लाभ एवं हानि

298. प्लास्टिक – हानियाँ एवं समाधान

299. मेरे जन्मदिन की पार्टी

300. पिकनिक

301. चिड़ियाघर की सैर

302. दिल्ली की सैर

303. निर्वाचन आयोग का महत्व

304. साहित्य समाज का दर्पण है.

305. छुआछूत, जातिवाद – एक मानवीय अपराध

306. संयुक्त राष्ट्र संघ – विश्व शान्ति में भूमिका

307. प्रगतिशील भारत

308. राष्ट्र निर्माण में साहित्यकार की भूमिका

309. साहित्य समाज का दर्पण है

310. अनुशासित युवा शक्ति

311. भारतीय सँस्कृति

312. नशा मुक्ति

313. मेरा प्रिय कवि कबीरदास

314. सत्संगति

315. श्रम से ही राष्ट्र का कल्याण

316. भ्रष्टाचार

317. नई सरकार की नई चुनौतियाँ

318. जनसंख्या: समस्या एंव समाधान

319. भारतः एक उभरती शक्ति

320. हम खेलों में पिछडे़ क्यों हैं?

321. विकलांगों की समस्या तथा समाधान

322. मीडिया का सामाजिक दायित्व

323. भ्रष्टाचार का दानव

324. सर्वशिक्षा अभियान

325. अपने लिए जिए तो क्या जिए

326. विपति कसौटी जे कसे सोई साँचे मीत

327. समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता

328. थोथा चना बाजे घना

329. नर हो, न निराश करो मन को

330. इक्कीसवीं सदी का भारत

331. मोबाइल फोन के प्रभाव

332. T-20 क्रिकेट का रोमांच

333. परिश्रम ही सफलता की कुंजी है

334. इंटरनेट

335. विज्ञान वरदान है या अभिशाप

336. पर-उपदेश कुशल बहुतेरे

337. सामाजिक सद्भाव में युवकों का योगदान

338. अच्छा पड़ोस

339. कक्षा का एक अविस्मरणीय दिन

340. शहरों में महिलाओं की स्थिति

341. विज्ञापन के प्रभाव

342. सागर-तट की सैर

343. एक आतंकी घटना का अनुभव

344. मित्र हो तो ऐसा

345. सांप्रदायिकता

346. हिन्दी भाषा की वर्तमान दशा

347. आधुनिक नारी की भूमिका

348. भारत का भविष्य

349. समरथ को नहिं दोष गोसाँई

351. सादा जीवन उच्च विचार

352. प्रतिभा पलायन

354. धन-संग्रह के लाभ

355. दूरदर्शन के कार्यकर्मों का प्रभाव

356. वैवाहिक जीवन में बढ़ता तनाव

357. देश का निर्माण और युवा पीढ़ी

358. एक घर बने न्यारा

359. बदलते समाज में महिलाओं की स्थिति

360. गर्मी की एक दोपहर

361. भाग्य और पुरूषार्थ

362. आज के विद्यार्थी के सामने चुनौतियाँ

363. आदर्श विद्यार्थी

364. छात्र असंतोष- कारण और समाधान

365. बेरोजगारी की समस्या

366. देश-भक्ति

367. मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

368. बाढ़ और उसके प्रभाव

369. समाज की समस्याएँ

370. एक अकेली बुढ़िया

371. वनों का महत्व

372. सांप्रदायिकता

373. प्रगतिशील भारत की समस्याएँ

374. प्रगतिशील भारत की समस्याएँ

375. मेरे सपनों का भारत

376. कंप्यूटर के लाभ अथवा हानियाँ.

377. केबल टीवी के समाज पर प्रभाव

378. मेरा भारत महान

379. अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियां

380. सूचना प्रौद्योगिकी की उपलब्धियाँ

381. वरिष्ठ नागरिकों की समस्याएँ

382. नशाखोरी-एक अभिशाप

383. प्रगति के पथ पर भारत

384. कर्म ही पूजा है

385. भारत का अतीत और भविष्य

386. दहेज प्रथा: एक अभिशाप

387. आज की युवा पीढ़ी

388. महँगाई की समस्या

389. खेलों में पिछड़े होने का कारण

390. आतंकवाद की समस्या और समाधान

391. फैंशन के नित नए रूप

392. आज की नारी.

393. महानगरीय जीवन

394. समाचार -पत्र और उनकी उपयोगिता

395. लोकतंत्र का महत्त्व

396. देशाटन

397. विज्ञापन: लाभ या हानियाँ

398. व्यायाम के लाभ

399. त्योहारों का महत्व

400. बरसात की एक भयानक रात

401. एक कामकाजी औरत

402. मेरा प्रिय टाइम पास

403. सावन की पहली बरसात

404. आज का युवा और मानसिक तनाव

405. पुस्तक मेला

406. जातिवाद और सांप्रदायिकता का विष

407. बचपन के वहप्यारे दिन

408. लोकतंत्र का महत्त्व

409. नैतिक शिक्षा का मूल्य

410. लोकतंत्र में मीडिया का दायित्व

411. स्टिंग आपरेशन सही या गलत

412. बाल मजदूरी एक अभिशाप

413. टेलीविज़न के लाभ और हानियाँ

414. हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी

415. होली का त्योहार

416. जल प्रदुषण

417. महानगरों में पक्षी

418. फुटपाथ पर सोते लोग

419. बस्ते का बढ़ते बोझ

420. पलायन की समस्या

421. किसानो में आत्महत्या की समस्या

422. शहरों का वातावरण

423. बाल श्रमिक की समस्या

424. बंधुआ मजदूर की समस्या

425. जातिवाद का विष

426. मंहगी शिक्षा की समस्या

427. सचिन तेंदुलकर की उपलब्धियाँ

428. मेरे विद्यालय का पुस्तकालय

429. आज की नारी

430. विद्यार्थी और अनुशासन

431. अमेरिका का भारत पर प्रभाव

432. अंतर्जातीय विवाह

433. अन्तर्राष्ट्रीय बाल-वर्ष

434. बजट परिणाम.

435. भारत में आर्थिक उदारीकरण

436. आर्थिक क्षेत्र में भारतीय बैंकों का योगदान

437. नोबेल पुरस्कार

438. ओणम-दक्षिण भारत का प्रसिद्ध त्योहार

439. एशियन हाइवे

440. ई-मेल के लाभ

441. नक्षत्र युद्ध

442. दूरसंवेदन तकनीकी

443. धर्म-निरपेक्षताः मजहब नहीं सिखाता आपस में वैर रखना

444. पंचायती राज व्यवस्था

445. आसियान: ‘पूर्व की ओर देखोे’

446. सूखा: कारण एवं प्रबन्धन

447. प्राकृतिक आपदा सुनामी

448. स्वावलम्बन

450. चुनावी हिंसा

451. सानिया मिर्जा

452. जातिवाद की समस्या

453. सेतुसमुद्रम परियोजना

454. एकता का महत्व

455. सेंसर बोर्ड की भूमिका

456. G8 शिखर सम्मेलन

457. औधोगिकरण

458. एफ. एम. रेडियो के लाभ

459. एशियाई खेल प्रतियोगिता

460. क्या संसदीय लोकतंत्र असफल हो गया है ?

461. काला धन: समस्या एवं समाधान

462. ओलम्पिक खेल प्रतियोगिता

463. इन्टरनेट का बढ़ता प्रभाव

464. उत्पाद पेटेंट व्यवस्था

465. गंगा नदी – हमारी सांस्कृतिक गरिमा

466. गंगा-प्रदुषण की समस्या

467. गांधी चिंतन

468. चुनाव या निर्वाचन

469. दल-बदल की राजनीति

470. नास्टैल्जिया

471. निःशस्त्रीकरण

472. पोषाहार

473. प्यूरा योजना

474. बर्ड फ्लू

475. बल श्रमिक समस्या

476. बाढ़ – कारण और प्रबंधन

477. बाबासाहब डॉ. भीवराव अम्बेडकर

478. भ्रष्टाचार के कारण एवं निवारण

479. युवा पीढ़ी में अंसतोष के कारण और निवारण

480. राष्ट्रीयकरण

481. देश-भक्ति

482. सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी

483. सूचना का अधिकार विधेयक

484. स्वतंत्रता के बाद क्या खोया-क्या पाया

485. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

486. स्वामी विवेकानन्द

487. श्रीमति इन्द्रिरा गांधी

488. श्री राजीव गांधी

489. लालबहादुर शास्त्री

490. लोकमान्य बालगंगाधर तिलक

491. विनोबा भावे

492. मदर टेरेसा

493. लोकनायक जयप्रकाश नारायण

494. बाबू कुँवर सिंह

495. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई

496. स्वतन्त्रता दिवस- 15 अगस्त

497. गणतन्त्र दिवस- 26 जनवरी

498. गांधी जयन्ती – 2 अक्टूबर

499. बाल दिवस-14 नवम्बर

500. शिक्षक दिवस – 5 सितम्बर

501. ग्रीष्म ऋतु

502. वर्षा ऋतु

503. शरद् ऋतु

504. वसन्त ऋतु

505. चांदनी रात

506. दीपावली

507. दुर्गापूजा/विजयादशमी

508. रक्षा-बन्धन

509. प्रतिभा पाटिल

510. डॉ. मनमोहन सिंह

511. सोनिया गांधी

512. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

513. बराक ओबामा

514. डॉ. भीमराव अंबेडकर

515. सरदार वल्लभभाई पटेल

516. झांसी की रानी

517. शहीद भगतसिंह

518. मदर टेरेसा-समाज-सेविका

519. स्वामी विवेकानंद

520. महात्मा गौतम बुद्ध

521. शिक्षक दिवस

522. बाल दिवस

523. ग्लोबल वार्मिंग

524. मोबाइल फोन : फायदे व नुकसान

525. प्राकृतिक आपदा के रूप में सुनामी

526. कागजी युग और प्लास्टिक युग

527. मेट्रो रेल

528. आरक्षण

529. श्रम का महत्व

530. राजभाषा हिन्दी

531. निजीकरण : फायदे और नुकसान

532. नशा : समस्याएँ – समाधान

533. भारत में कंप्यूटर और इंटरनेट क्रांति

534. भारत में लोकतंत्र और मीडिया

535. मानव जीवन में विज्ञान

536. भ्रष्टाचार, काला धन और बाबा रामदेव

537. समाचार पत्र और आम आदमी

538. सूचना का अधिकार

539. आतंकवाद और भारत

540. भारत और दलित

541. मानव जीवन में मनोरंजन

542. पर्यटन या देशाटन का महत्व

543. बिहारी

544. मीराबाई

545. तुलसीदास

546. मुंशी प्रेमचंद

547. जयशंकर प्रसाद

548. सुमित्रानंदन पंत

549. दहेज – समाज का अभिशाप

550. महंगाई – समस्या और समाधान

551. काला धन – समस्या एवं समाधान

552. भ्रष्टाचार कारण और निवारण

553. बेरोजगारी समस्या और समाधान

554. जातिवाद : समस्या एवं समाधान

555. क्षेत्रवाद – समस्या एवं समाधान

556. पत्रकारिता

557. जनसंख्या : समस्या और समाधान

558. हड़ताल की समस्याएँ और समाधान

559. पुस्तकालय के लाभ

560. स्त्री सशक्तीकरण

561. शिक्षा में खेल कूद और व्यायाम

562. पर्यावरण और प्रदूषण

563. वृक्षारोपण

564. समय का महत्व

565. होली – रंगों का त्यौहार

566. दीपावली – पटाखों का त्यौहार

567. ईद – भाईचारे का त्यौहार

568. क्रिसमस – एकता का त्यौहार

569. गंगा की आत्मकथा

570. रोटी की आत्मकथा

571. सड़क की आत्मकथा

572. रुपये की आत्मकथा

573. फूल की आत्मकथा

574. भारतीय गाँव

575. भारतीय संस्कृति

576. जीवन में ऋतु का महत्व

577. ताजमहल – विश्व का आश्चर्य

578. मन के हारे, हार है

579. मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना

580. करत-करत अभ्यास के जड़पति होता सुजान

581. यदि मैं प्रधानमंत्री होता

582. यदि मैं शिक्षक होता

583. यदि में करोडपति होता

584. पर्यावरण

585. वृक्षारोपण का महत्त्व

586. सच्चा मित्र

587. पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों

588. विद्यार्थी और अनुशासन

589. विद्यार्थियों पर टीवी का प्रभाव

590. समय का सदुपयोग

591. माता-पिता की शिक्षा में भूमिका

592. नैतिक शिक्षा का महत्व

593. भाग्य और पुरुषार्थ

594. भाग्य और पुरुषार्थ

595. डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

595. डॉ. मनमोहन सिंह

596. सोनिया गाँधी

597. मदर टेरेसा

598. भारत में परमाणु परीक्षण

599. आधुनिक-संस्कृति

600. साम्प्रदायिकता का जहर

601. आधुनिक संचार क्रांति

602. ताजमहल

603. मेट्रो रेल : आधुनिक जन-परिवहन

606. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी

607. पंडित जवाहरलाल नेहरू

608. इन्दिरा गाँधी

609. महात्मा गौतम बुद्ध

610. भगवान महावीर स्वामी

611. स्वामी दयानन्द सरस्वती

612. स्वामी विवेकानन्द

613. गुरुनानक देव जी

614. दिल्ली मेट्रो

615. सोनिया गांधी

616. डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम

617. डॉ. मनमोहन सिंह

618. नोबेल पुरस्कार विजेता-प्रो.अमर्त्य सेन

619. सचिन तेंदुलकर

620. प्राकृतिक प्रकोप – सुनामी लहरें

621. इक्कीसवीं शताब्दी का भारत

622. जनसंख्या की समस्या

623. भ्रष्टाचार, मिलावट एवं जमाखोरी

624. बढ़ती महँगाई

625. बाढ़ एक प्राकृतिक प्रकोप

626. दुर्भिक्ष

627. प्रदूषण की समस्या

628. गंगा का प्रदूषण

629. बढ़ती सभ्यता : सिकुड़ते वन

630. पेड़-पौधे और पर्यावरण

631. वन-संरक्षण की आवश्यकता

632. भारत में हरित क्रान्ति

633. विनाशकारी भूकम्प

634. भारतीय संस्कृति और सभ्यता

635. नशीले पदार्थ

636. साम्प्रदायिकता के प्रभाव

637. आतंकवाद का आतंक

638. दहेज प्रथा एक अभिशाप

639. लाटरी वरदान या अभिशाप

640. परिवार नियोजन

641. राष्ट्रीय एकता

642. संयुक्त राष्ट्र संघ

643. सहकारिता

644. अहिंसा एवं विश्व शान्ति

645. आजादी के 50 साल बाद

646. अन्तर्राष्ट्रीय बाल वर्ष

647. अन्तर्राष्ट्रीय महिला वर्ष

648. गरीबी हटाओ

649. भारत की प्रमुख समस्याएँ

650. भारत में सिनेमा के प्रभाव

651. भारत का परमाणु विस्फोट

652. मानव की चंद्रयांत्रा

653. परमाणु बम की उपयोगिता

654. दूरदर्शन की उपयोगिता

655. विज्ञान और हमारा जीवन

656. टेलीफोन : सुविधा के साथ असुविधा

657. अन्तरिक्ष में मानव के बढ़ते चरण

658. विज्ञान और स्वास्थ्य

659. कम्प्यूटर के बढ़ते चरण

660. मनोरंजन के आधुनिक साधन

661. जीवन में खेलों का महत्त्व

662. फुटबॉल मैच

663. मेरा प्रिय खेल हॉकी

664. स्वतन्त्रता दिवस का महत्व

665. गणतन्त्र दिवस का महत्व

666. दशहरा एवं विजयदशमी

667. दीपों का त्योहार दीपावली

668. ऋतुराज बसंत

669. हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव

670. विद्यार्थी जीवन

671. विद्यार्थी और अनुशासन

672. विद्यार्थी और राजनीति

673. स्त्री शिक्षा का महत्त्व

674. छात्रावास का जीवन

675. जीवन में पुस्तकों का महत्त्व

676. विद्यार्थी और सैनिक-शिक्षा

677. शिक्षा और परीक्षा

678. पुस्तकालय से लाभ

679. अध्ययन का आनन्द

680. राष्ट्रभाषा

681. विद्यार्थी और फैशन

682. उपन्यास पढ़ने से लाभ और हानि

683. मेरा प्रिय लेखक प्रेमचन्द

684. मेरा प्रिय कवि

685. शठ सुधरहिं सत्संगति पाई

686. नर हो न निराश करो मन को

687. स्वावलम्बन की एक झलक पर न्योछावर कुबेर का कोष

688. अधिकार नहीं, सेवा शुभ है

689. सबै दिन जात न एक समान

690. मन के हारे हार है मन के जीते जीत

691. बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय

692. जो तोकू काँटा बुवै ताहि बोय तू फूल

693. बरू भल बास नरक करिताता

694. कामी, क्रोधी, लालची, इनसे भक्ति न होय

695. धीरज धर्म मित्र अरु नारी

696. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं

697. जीवन-मरण विधि हाथ

698. वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे

699. विरह प्रेम की जागृति गति है और सुषुप्ति मिलन है

700. बिनु भय होय न प्रीति

701. परहित सरिस धर्म नहिं भाई

702. महात्मा गाँधी बापू

703. राष्ट्रपति डॉ० के० आर० नारायणन

704. प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी

705. जवाहरलाल नेहरू

706. मदर टेरेसा

707. महाराणा प्रताप

708. रुपये की आत्म-कथा

709. भिखारी की आत्म-कथा

710. एक विद्यार्थी की आत्म-कथा

711. पुस्तक की आत्म-कथा

712. चाय की आत्म-कथा

713. सैनिक की आत्मकथा

714. यदि मैं पुलिस अधिकारी होता

715. यदि मैं सीमान्त सिपाही होता

716. यदि मैं शिक्षा मन्त्री होता

717. आनंदपुर साहिब का होला-मोहल्ला

718. शहीदी जोड़ मेला – फतहगढ़ साहिब

719. मुक्तसर की माघी

720. राष्ट्र भाषा हिन्दी

721. शिक्षा का माध्यम

722. सह शिक्षा के लाभ, हानिया

723. पाठशाला में सैनिक शिक्षा

724. शैक्षणिक यात्राएँ

725. विद्यार्थी और अनुशासन

726. विद्यार्थी और राजनीति

727. आदर्श विद्यार्थी

728. शिष्टाचार

729. सूर्योदय का दृश्य

730. वर्षा ऋतु

731. बाढ़ का दृश्य

732. भूकम्प का प्रकोप

733. समय का सदुपयोग

734. स्वदेश प्रेम

735. परोपकार

736. ऐतिहासिक स्थान की सैर – ताजमहल

737. नागार्जुन सागर योजना

738. भारत के राष्ट्रीय त्यौहार

739. बतकम्मा त्यौहार

740. वन महोत्सव

741. भाखरा नंगल बाँध

742. व्यायाम से लाभ

743. पुस्तकालय

744. ग्रामीण जीवन

745. कम्प्यूटर

746. साम्प्रदायिक एकता

747. भिखारी समस्या

748. मूल्य वृद्धि

749. भ्रष्टाचार की समस्या

750. बेरोजगारी

751. मादक द्रव्य

752. संयुक्त राष्ट्र संघ

753. ओलम्पिक खेल

754. विज्ञान के चमत्कार

755. प्रदूषण की समस्या

756. मेरे जीवन का उद्देश्य

757. यदि मैं डाक्टर होता

758. मेरा प्रिय नेता

759. मेरा प्रिय कवि

760. मेरा प्रिय लेखक

761. अध्यापक दिवस

762. साहित्य और जीव

763. साहित्य से अपेक्षाएँ

764. हिन्दी-साहित्य का स्वर्णिम युग

765. हम साहित्य क्यों पढ़ते हैं?

766. हिन्दी काव्य में प्रकृति-वर्णन

767. मेरा प्रिय उपन्यासकार

768. मेरा प्रिय कवि – रामधारी सिंह ‘दिनकर’

769. मेरा प्रिय ग्रन्थ – रामचरितमानस

770. उपन्यास पढ़ने से लाभ और हानि

771. साँच बराबर तप नहीं

772. पराधीन सपनेहु सुख नाहीं

773. परहित सरिस धर्म नहिं भाई

774. स्वावलम्बन

775. अविवेक

776. शठ सुधरहिं सत्संगति पाई

777. सूर-सूर तुलसी शशि

778. सब दिन जात न एक समाना

779. धीरज धर्म मित्र अरु नारी

780. मनुष्य वही है जो मनुष्य के लिए मरे

781. हानि-लाभ, जीवन-मरण विधि हाथ

782. जैसा कर्म करोगे वैसा फल मिलेगा

783. पानी केरा बुदबुदा अस मानुष की जात

784. अपनी करनी पार उतरनी

785. स्वास्थ्य ही सम्पत्ति है

786. सज्जनता मानव का आभूषण है

787. गया वक्त फिर हाथ आता नहीं

788. मनुष्य हो, मनुष्यता को प्यार दो

789. वर्तमान भारत में गान्धी की अप्रासंगिकता

790. भारत में हरित क्रान्ति

791. निःशस्त्रीकरण

792. भारत की वर्तमान प्रमुख समस्याएँ

793. शिक्षा और बेकारी

794. साक्षरता अभियान

795. निरक्षरता के दुष्परिणाम

796. आधुनिक भारतीय नारी के कर्त्तव्य और आदर्श

797. कामकाजी महिलाओं की समस्याएँ

798. नारी और फैशन

799. नारी और राजनीति

800. भारत की तटस्थ नीति

801. भारत और चीन सम्बन्ध

802. भारत और इस्राइल सम्बन्ध

803. महानगरीय परिवहन-व्यवस्था

804. ध्वनि-प्रदूषण

805. आतंकवाद की समस्या

806. विश्व-शान्ति और भारत

807. भारत-निर्माण में राजनेताओं का योगदान

808. भारत की साँस्कृतिक एकता

809. भारत में लोकतंत्र की सार्थकता

810. लोकतंत्र और चुनाव

811. पेड़-पौधे और पर्यावरण

812. वन-संरक्षण

813. छोटे परिवार सुखी परिवार

814. भारत-रूस सम्बन्ध

815. भारत-बाँग्लादेश सम्बन्ध

816. भारत-अरब सम्बन्ध.

817. भारत-दक्षिण अफ्रीका सम्बन्ध

818. भ्रष्टाचार के बढ़ते चरण

819. भरतीय सिनेमा

820. विज्ञान और चलचित्र

821. विश्व शान्ति में विज्ञान की भूमिका

822. अन्तरिक्ष प्रयोगशाला

823. समाचारपत्रों की उपयोगिता

824. आदर्श विद्यार्थी गुण और ज्ञान

825. परीक्षा की तैयारी

826. सत्यनिष्ठा

827. समयनिष्ठा

828. आत्म-सम्मान

829. मानवता

830. नारी शिक्षा

831. पुस्तक प्रदर्शनी

832. आज के लोकप्रिय खेल

833. राजधानी दिल्ली

834. एशियाई खेल

835. गणतन्त्र दिवस (26 जनवरी)

836. रेलवे-स्टेशन का दृश्य

837. यदि मैं गणितज्ञ होता

838. यदि मैं पक्षी होता

839. यदि हिमालय न होता

840. रुपये की आत्म-कथा

841. गन्ने की आत्म-कथा

842. फूल की आत्म-कथा

843. प्रश्नपत्र की आत्मकथा

844. दीपक की आत्म-कथा

845. कमीज़ की आत्मकथा

846. नौकर की आत्मकथा

847. पक्षी की आत्मकथा

848. पेन की आत्म-कथा

850. मधुमक्खी की आत्मकथा

851. डॉयरी की आत्मकथा

852. वृक्ष की आत्मकथा

853. संचार क्रान्ति

854. विश्व व्यापार संगठन

855. नेल्सन मंडेला

856. भारत में डिश टीवी का विस्तार

857. बिल क्लिंटन

858. प्रतिभूति घोटाला

859. आज के युवाओं की समस्याएं

860. बन्द और रैलियां

861. भारत में निर्वाचन प्रक्रिया

862. नई शिक्षा प्रणाली: 10 + 2 + 3

863. समाचार-पत्र और राष्ट्र-हित

864. अगर मेरी लाटरी खुल जाए

865. मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन

866. विज्ञान का मानव-विकास में योगदान

867. रेडियो – मनोरंजन और शिक्षा का साधन

868. ऐतिहासिक स्थल की यात्रा

869. मेरा शौक

870. भारत और पंचवर्षीय योजनाएं

871. बस द्वारा यात्रा

872. भारत में नारी का स्थान

873. मेले का दृश्य

874. प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी

875. मेरा परिवार

876. मेरे माता-पिता

877. मेरा बचपन

878. मेरा घर

879. मेरी अभिरुचि

880. मेरे पड़ोसी

881. मेरा स्कूल

882. हमारे स्कूल का पुस्तकालय

883. मेरे प्रिय अध्यापक

884. मेरा प्रिय खिलाड़ी

885. मेरी प्रिय फिल्म

886. कैसे बीता मेरा आखिरी रविवार

887. कैसे बिताईं मैंने अपनी गर्मी की छुट्टियां

889. मेरे जीवन का सबसे खुशी भरा दिन

890. मेरे जीवन का सबसे दुःख भरा दिन

891. यदि मैं एक पक्षी होता

892. यदि मैं स्कूल का प्रधानाचार्य होता

893. यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता

894. स्कूल में मेरा आखिरी दिन

895. खेलों का महत्त्व

896. अनुशासन का महत्त्व

897. समाचार-पत्र का महत्त्व

898. टेलीविजन का महत्त्व

899. खाली समय का महत्त्व

900. एक आदर्श अध्यापक

901. आदर्श विद्यार्थी

902. एक आदर्श नागरिक

903. रिक्शा चालक

904. एक बस कंडक्टर

905. भिखारी की आत्मकथा

906. एक कुली की आत्मकथा

907. एक किसान की आत्मकथा

908. एक भारतीय ज्योतिषी

909. एक पुलिसवाले की आत्मकथा

910. एक डाकिये की आत्मकथा

911. एक चपड़ासी की आत्मकथा

912. आग में जलता एक घर

913. एक गली का झगड़ा

914. सुबह की सैर

915. एक दुर्घटना

916. विदाई पार्टी

917. होली पर्व

918. बढ़ती कीमतों की समस्या

919. बेरोजगारी की समस्या

920. सार्वजनिक जीवन में भष्टाचार

921. वातावरण प्रदूषण

922. आतंकवाद का खतरा

923. स्कूल में सुबह की प्रार्थना सभा

924. स्कूल की आधी छुट्टी

925. स्कूल में पुरस्कार वितरण समारोह

926. परीक्षाओं के लाभ तथा हानियां

927. परीक्षा से पहले का एक दिन

928. सिनेमा तथा उसका असर

929. कंप्यूटर के सही और गलत इस्तेमाल

930. भारत में अंग्रेजी का भविष्य

931. वर्ष की सबसे अच्छी ऋतु

932. जानवरों के प्रति दया

933. गर्मी का एक गर्म दिन

934. ग्रीष्म ऋतु की अनिद्रा भरी रात

935. गर्मियों में वर्षा का दिन

936. बडे शहर में जीवन

937. बाढ़ में एक नदी

938. विज्ञापन

939. होस्टल का जीवन

940. भारत – मेरी मातृभूमि

941. पिकनिक

942. सादा जीवन उच्च विचार

943. पहले सोचो फिर करो

944. नया नौ दिन, पुराना सौ दिन

945. शांति सोने की तरह कीमती होती है

946. कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

947. पहले आत्मा, फिर परमात्मा

948. जीवन फूलों का बिस्तर नहीं है

949. स्वास्थ्य ही धन है

950. आधी छुट्टी

951. नावल पढ़ने की आदत

952. टेलीफोन के नुकसान

953. लाऊड स्पीकर की हानियां

954. अपना घर है सबसे प्यारा

955. जंगलों की महत्त्वता

956. देशभक्ति

957. समाजवाद

958. कड़ी मेहनत

959. अच्छी आदतें

960. दान-पुण्य

961. खिलाड़ी भावना

962. रोकथाम

963. सिनेमा हाल के सामने का दृश्य

964. चापलूसी

965. चुनाव का एक दृश्य

966. परीक्षा भवन का दृश्य

967. छेड़-छाड़

968. रेलवे स्टेशन का दृश्य

969. बस स्टैंड का दृश्य

970. रेल की यात्रा

971. बस की यात्रा

972. अस्पताल का दृश्य

973. पहाड़ी इलाके की सैर

974. एक प्रदर्शनी का दृश्य

975. सर्कस का भ्रमण

976. हाकी का मैच

977. भारत में लोकतंत्र का भविष्य

978. आधुनिकतावाद और परंपरा

979. नई वैश्विक व्यवस्था और भारत.

980. भारत और वैश्वीकरण

981. आपदा प्रबंधन प्रणाली

982. सच्चा धर्म और मानवता

983. भारत की एकता और अखंडता

984. घरेलू हिंसा

985. मानवाधिकार

986. मेरी रुचियां

987. पाठशाला में मनाया गया उत्सव – गणतंत्र दिवस

988. अतिथि देवो भव:

989. विदेश में भारतीयों की समस्याएं

990. सत्य की शिक्षा

991. महिला सशक्तिकरण

992. भारत में भाषा संबंधी समस्या

993. भारत में बाल श्रम की समस्या

994. धार्मिक पर्व – विजयादशमी

995. पाठशाला में खेला गया मैच

996. मेले का वर्णन

997. धार्मिक पर्व – होली

998. धार्मिक पर्व – दीपावली

999. महापुरुष की जीवनी – महात्मा गाँधी

1000. मेरा प्रिय नेता – पंडित जवाहरलाल नेहरू

1001. प्रदूषित होते जल स्रोत

1002. होली है

1003. अधिकार ही कर्त्तव्य है

1004. हमारा देश भारत

1005. सड़क दुर्घटना

1006. जनसंख्या और पर्यावरण

1007. बढ़ती हुई आबादी

1008. पर्यावरण संरक्षण

1009. एक रोमांचक यात्रा

1010. अपने हाथ पर विश्वास

1011. स्वयं पर विश्वास

1012. दीपावली दीपों का त्यौहार

1013. स्वास्थ्य ही जीवन है

1014. दहेजः एक दानव

1015. रोजगार का अधिकार

1016. रेगिस्तान की यात्रा

1017. समाज और कुप्रथाएँ .

1018. यातायात के नियम

1019. हमारा राष्ट्रीय पक्षी मोर

1020. कुतुबमीनार

1021. एड्स का ज्ञान बचाए जान

1022. रवींद्रनाथ टैगोर

1023. एक पार्क का दृश्य

1024. दिल्ली का लाल किला

1025. पुष्प की आत्मकथा

1026. मेरे पिता जी

1027. मेरा प्रिय शौक

1028. बरसात का एक दिन

1029. कल्पना चावला

1030. मेरा घर

1031. ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है

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1034. विदयालय में मेरा पहला दिन

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1036. मेरा प्रिय पशु – कुत्ता

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1049. मेरे विदयालय का चपरासी

1050. रंगों का त्योहार : होली

1051. दुर्गापूजा/दशहरा/विजयदशमी

1052. क्रिसमस का त्योहार

1053. वसंत ऋतु

1054. विद्यालय में गणतंत्र दिवस समारोह

1055. शरद् ऋतु

1056. हवाई जहाज

1057. डाकिया

1058. कम उम्र में पढ़ाई का बोझ

1059. जब मैंने पहली बार दिल्ली देखी

1060. मुड़ो प्रकृति की ओर

1061. हमारा राष्ट्रीय झंडा

1062. हमारे त्योहार

1063. पुस्तक मेला

1064. बेरोजगारी और आज का युवा वर्ग

1065. विदयालय की फुलवारी

1066. आलस किया, सफलता गई

1067. कंप्यूटर का बढ़ता उपयोग

1068. भारत के राष्ट्रीय पर्व

1069. जल है तो कल है

1070. मॉल संस्कृति

1071. कमर तोड़ महँगाई

1072. महानगरों में असुरक्षित महिलाएँ

1073. नारी–शिक्षा का महत्त्व

1074. अप्रभावी बाल मजदूरी कानून

1075. पर्यावरणीय प्रदूषण

1076. भूमंडलीकरण

1077. हिमपात का दृश्य

1078. बीता समय हाथ नहीं आता

1079. आपदा प्रबंधन

1080. भारत के गाँव

1081. दैव–दैव आलसी पुकारा

1082. जनसंचार माध्यम

1083. खेलों की दुनिया

1084. दिल्ली मेट्रो: मेरी मेट्रो

1085. विज्ञापन की दुनिया

1086. मित्र की आवश्यकता

1087. विज्ञान और हम

1088. हमारे राष्ट्रीय प्रतीक

1089. आतंकवाद: एक चुनौती

1090. साम्प्रदायिकता – लोकतन्त्र के लिए खतरा

1091. भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियाँ

1092. भारतीय संस्कृति: हमारी धरोहर

1093. हमारी परीक्षा प्रणाली में नकल की समस्या

1094. भारतीय समाज में नारी का स्थान

1095. बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताए

1096. प्रदूषण की समस्या

1097. बदलता भारत

1098. चलो पढ़ाएँ कुछ करके दिखाएँ

1099. बढ़ता हुआ प्रदूषण–एक समस्या

1100. भारत में बेकारी की समस्या

1101. युवावर्ग और बेकारी

1102. कन्या भ्रूण हत्या

1103. एड्स–बचाव ही इलाज

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1122. आतंकवाद: एक चुनौती

1123. अप्रभावी बाल मजदूरी कानून

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1125. भूमंडलीकरण

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1127. बीता समय हाथ नहीं आता

1128. आपदा प्रबंधन

1129. भारत के गाँव

1130. दैव–दैव आलसी पुकारा

1131. आलस किया, सफलता गई

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1133. भारत के राष्ट्रीय पर्व

1134. जल है तो कल है

1135. मॉल संस्कृति

1136. कमर तोड़ महँगाई

1137. महानगरों में असुरक्षित महिलाएँ

1138. नारी–शिक्षा का महत्त्व

1139. कम उम्र में पढ़ाई का बोझ

1140. जब मैंने पहली बार दिल्ली देखी

1141. मुड़ो प्रकृति की ओर

1142. हमारा राष्ट्रीय झंडा

1143. हमारे त्योहार

1144. पुस्तक मेला

1145. बेरोजगारी और आज का युवा वर्ग

1146. विदयालय की फुलवारी

1147. रंगों का त्योहार : होली

1148. दुर्गापूजा/दशहरा/विजयदशमी

1149. क्रिसमस का त्योहार

1150. वसंत ऋतु

1151. विद्यालय में गणतंत्र दिवस समारोह

1. दक्षिण सूडान

2. विश्व कप क्रिकेट -2011

3. 15 वी जनगणना – 2011

4. जन लोकपाल विधेयक

5. P.S.L.V C -17 का सफल प्रक्षेपण

8. जन्माष्टमी

9. रक्षा- बन्धन

10. महा शिवरात्री

12. गणतन्त्र –दिवस (26 जनवरी)

13. स्वतंत्रता – दिवस (15 अगस्त )

14. शिक्षक-दिवस

15. बाल –दिवस

16. बसन्त –ऋतु

17. वर्षा ऋतु

18. वर्षा की एक भयानक रात

19. वीरांगना लक्ष्मीबाई (झाँसी की रानी )

20. महात्मा गांधी

21. पंडित जवाहर लाल नेहरु

22. डा. भीमराव अम्बेडकर

23. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

24. लाल बहादुर शास्त्री

25. श्रीमती इन्दिरा गांधी

26. लता मंगेशकर

27. मेरा प्रिय कवि सूरदास

28. मेरी प्रिय पुस्तक

29. मेरा प्रिय खेल – हाकी

30. आदर्श विद्दार्थी

31. आदर्श अध्यापक

32. बिजली के लाभ

33. यदि मै प्रधानमंत्री

34. यदि मै करोडपति

35. यदि मै विद्दालय का प्रधानाचार्य होता

36. यदि मै डाक्टर होता

37. सैनिक की आत्मकथा

38. चाय की आत्मकथा

39. पुस्तक की आत्मकथा

40. युद्ध और शान्ति

41. विश्वशान्ति और भारत

42. रेडियो आकाशवाणी

43. टेलीफोन – लाभ व हानियाँ

44. चलचित्र (सिनेमा) के लाभ व हानियाँ

45. दूरदर्शन

46. मनोरंजन के आधुनिक साधन

47. भारत में बेरोजगारी

48. रुपए को मिला नया प्रतीक चिह्न

49. कश्मीर समस्या

51. मिलावट – एक महारोग

52. शराब बंदी

53. भारत में साम्प्रदायिकता

54. निरक्षरता – एक अभिशाप

56. महानगर की समस्याएँ

57. भ्रष्टाचार

58. निर्धनता – एक अभिशाप

59. भिक्षावृत्ति

61. सूचना प्रौद्दोगिकी

63. बाढ़ का दृश्य

65. भारतीय किसान

66. विद्दार्थी और अनुशासन

67. विद्दार्थी और फैशन

68. देशाटन के लाभ

69. व्यायाम के लाभ

70. परिश्रम का महत्त्व

71. सत्संग के लाभ

72. समय का महत्त्व (सदुपयोग)

73. नारी शिक्षा

74. ब्रह्मचर्य

75. एकता में शक्ति

76. परोपकार

77. जीवन में खेलो का महत्त्व

78. आत्मनिर्भरता

80. कर्त्तव्य- पालन

81. पर्वतारोहण

82. राष्ट्रीय एकता

83. स्वदेश प्रेम

84. सहशिक्षा

85. प्रौढ़शिक्षा

86. मेरी दिनचर्या

1. केसा शासन , बिना अनुशासन

2. काश ! मैं सेनिक होता

3. भारत-पाक संबंध

4. यदि मैं प्रधानमंत्री होता !

5. देश-प्रेम

6. मेरा प्यारा भारत देश

7. सैनिक की आत्मकथा

8. राष्ट्रीय एकता

9. गणतंत्र दिवस

10. भारत की राजधानी

11. भारतीय मज़दूर

12. भारतीय किसान

13. भारतीय गाँव और महानगर

14. आदर्श नागरिक

15. आदर्श विद्यार्थी

16. मेरा आदर्श अध्यायक

17. छात्र-अनुशासन

18. पुस्तकालय और उसका सदूपयोग

19. पुस्तकों का महत्व

20. मेरी प्रिय पुस्तक

21. मेरे जीवन का लक्ष्य या उदेश्य

22. छात्र और शिक्षक

23. दहेज-प्रथा : एक गंभीर समस्या

24. प्रदूषण : एक समस्या

25. शहरी जीवन में बढ़ता प्रदूषण

26. सांप्रदायिकता : एक अभिशाप

27. बेरोज़गारी : समस्या और समाधान

28. सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार

30. आतंकवाद

31. बढ़ती जनसंख्या : एक भयानक समस्या

32. लड़का-लड़की एक समान

33. भारतीय खेलों का वर्तमान और भविष्य

34. अलोंपिक खेलों में भारत

35. बीजिंग अलोंपिक में भारत

36. जीवन में खेलों का महत्व

37. किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन

38. स्वास्थ्य और व्ययाम

39. विज्ञान : वरदान या अभिशाप

40. दैनिक जीवन में विज्ञान

41. जीवन में कंप्यूटर का महत्व

42. टी.वी. वरदान या अभिशाप

43. कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव

44. मोबाइल फोन के लाभ और हानि

45. पर्यटन का महत्व

46. समाचार-पत्र

47. विज्ञापन और हमारा जीवन

48. वन और हमरा पर्यावरण

49. चरित्र-बल

50. श्रम का महत्व

51. समय का सदुपयोग

52. परोपकार

53. मित्रता

54. पराधीनता

55. जीवन में संतोष

56. संतोष का महत्व

57. दया धर्म का मूल है

58. जहाँ चाह वहाँ राह

59. दैव-दैव आलसी पुकारा

60. काल्ह करै सो आज कर

61. किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम का वर्णन

62. किसी फिल्म की समीक्षा

1. समाचार पत्र

2. बालिका शिक्षा

3. रेल-यात्रा

4. भारत की परम्पराओं पर हावी होती पाश्चात्य संस्कृति

5. समय का सदुपयोग

6. विज्ञान से लाभ या हानि

7. जीवन में ”विज्ञान की उपयोगिता

8. दूरदर्शन (चैनल)

9. छात्र और अनुशासन

10. समाचार-पत्र या अखबार

11. दहेज प्रथा

12. वर्षा ऋतु

13. सरस्वती पूजा

14. प्रदूषण की समस्या

15. महंगार्इ: एक समस्या

16. दशहरा (दुर्गा पुजा)

18. स्वतंत्रता दिवस

19. मेरा प्यारा भारतवर्ष

20. खेल-कूद का महत्व

21. पुस्तकालय

22. मेरे सपनों का भारत

23. ग्लोबल वार्मिंग के खतरे

24. दिन-प्रतिदिन बढ़ता प्रदुषण

25. बाल श्रम

26. काश मैं वृक्ष होता

27. लाल बहादुर शास्त्री

28. भ्रष्टाचार एक समस्या

29. कम्प्यूटर

30. दीपावली

31. श्री सुभाष चन्द्र बोस ‘‘एक करिश्माई व्यक्तित्व’’

32. स्वाधीनता का अधिकार

33. महंगाईः एक समस्या

34. यदि मैं मुख्यमंत्री होता/होती

35. विज्ञान की क्रांतिकारी उपलब्धियां

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स्वातंत्र्य दिन

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Ismein Baba badajan Singh ka nibandh Nahin Hai

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कानूनी जागरकता के माध्यम से नागरीको का सशक्तीकरण यी बी नहीं हा

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hindi essay for class 10

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CBSE Sample Paper for Class 10 Hindi 2023-24 with Answer PDF

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi are very helpful in scoring good marks. Most students don’t take the Hindi subject seriously and don’t give much time to study. But Hindi can affect the overall weightage of your percentage. So, they must take the language seriously to score good marks in the board exam. CBSE Class 10 Sample Paper for Hindi 2023-24 has also been released along with the marking scheme and Answer PDF. Students can download the CBSE Class 10 Sample Papers from the link below and practise sufficiently to understand the expected board exam Hindi paper.

  • CBSE Class 10 Hindi A Sample Paper 2023-24 PDF
  • CBSE Class 10 Hindi B Sample Paper 2023-24 PDF

The sample papers of Hindi A and B for the year 2022-23 can be downloaded from the link below.

  • CBSE Class 10 Hindi A Sample Paper 2022-23 PDF
  • CBSE Class 10 Hindi B Sample Paper 2022-23 PDF

The Term 2 sample papers and marking scheme PDF are provided here for a good hold on the exam pattern.

  • CBSE Class 10 Hindi A Sample Paper Term 2 2022
  • CBSE Class 10 Hindi A Marking Scheme and Answers Term 2 2022
  • CBSE Class 10 Hindi B Sample Paper Term 2 2022
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CBSE Sample Paper for Class 10 Hindi will help students to get an idea about the CBSE exam pattern, important topics and mark distribution. They can ease their exam preparation by practising these CBSE Class 10 Sample Papers. It will also boost the confidence of the students. So, solving the CBSE sample paper before the exam is an unavoidable task.

Download CBSE Sample Paper for Class 10 Hindi

CBSE releases the Hindi Sample papers for Class 10 students every year to get acquainted with the exam pattern and marking scheme. The answer sheet with the marking scheme and the CBSE Sample Paper PDF are also released. This answer pdf provides the step-by-step marking scheme and answers to all the questions. This will help students to understand the answer writing skills. Also, they know how much they have to write the solution for a particular question based on the marks allocated to it. Students can download the CBSE Hindi A Class 10 sample paper from the table below:

Marking Scheme and Answers

Also, we have provided the CBSE Class 10 Hindi B Sample Paper. Download them from the link below and practice them to score high marks.

Why Solve CBSE Sample Paper for Class 10 Hindi

  • It helps the students know where they stand in preparation and can evaluate their weak points.
  • It is the best source of revision before the exam so that students don’t make any mistakes in their final exam.
  • It also helps in time management so the students can complete the paper on time.
  • Solving the CBSE sample paper for Class 10 Hindi gives an idea of which topic to concentrate on more.

We hope students must have found this page on “CBSE Board Sample Papers for Class 10 Hindi” helpful in exam preparation. Stay tuned for further updates on CBSE and other competitive exams. To get interactive Maths and Science videos, subscribe to BYJU’S YouTube channel.

Frequently Asked Questions on CBSE Class 10 Sample Papers

What does hindi a and hindi b mean.

Hindi A refers to the Prose, Poetry and Literature section, whereas Hindi B refers to the Hindi Language section.

What does the Marking scheme contain?

The marking scheme contains step by step answer scheme for each question which help the students to answer aptly during the Board exams.

How does solving Sample QPs help in increasing the score?

Sample QPs have different questions that rank in all difficulty levels; solving them will expose students and help them score high marks.

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CBSE Previous Year Class 10 Hindi Question Paper PDF Free Solutions (2007-2024)

  • Previous Year Question Paper

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An Overview of CBSE Hindi Previous Year Question Paper Class 10 with Solutions

Vedantu offers Class 10 Hindi question paper from the previous years with solutions PDF (2007-2024) for free download. The subject matter experts for Hindi at Vedantu have prepared the solutions for the Class 10 Hindi question paper from the last 14 years, complying with the latest guidelines of CBSE. Students can download and refer to these CBSE-solved question papers fo r Class 10 Hindi for their self-study purposes. These Class 10 Hindi previous year question papers with solutions PDFs are also available on the mobile app of Vedantu, for the convenience of students. 

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Class 10 examinations play a pivotal role in a student’s academic journey. Solving class 10 Hindi previous year question papers will help you improve your performance in the board exam. The advantage of preparation is often underestimated for language subjects such as Hindi. Students often spend so much time and energy on subjects like Math and Science that they compromise their scores for language subjects. However, students should understand that their marks in Hindi can improve their overall grades. For that, you need to practice the subject well and have the right preparation strategy.

Vedantu is a platform that provides free NCERT Solutions and other study materials for students. Math Students who are looking for better solutions. They can download Class 10 Math NCERT Solutions to help you revise the complete syllabus and score more marks in your examinations. Science students who are looking for NCERT Solutions for Class 10 Science will also find the solutions curated by our Master Teachers really helpful.

CBSE Previous Year Class 10 Hindi Question Paper

Also, check CBSE Class 10 Previous Year Question Paper Hindi:

CBSE Hindi Previous Year Question Paper Class 10 with Solutions

There are several other study resources available for CBSE Class 10 Hindi syllabus, on Vedantu. Students can download and refer to the revision notes, chapter-wise NCERT Solutions for Class 10 Hindi, solved sample papers, for their exam preparation for free. They can also access these study resources on the Vedantu mobile app and download them for offline practice purposes.  

We provide Hindi question paper class 10 from previous years, which are solved in free PDF format. These test papers will help you practice the subject better and score well in Hindi. The Hindi question paper class 10 go quite well in-depth on multiple aspects of the language. Knowing that students need to know how best to answer them, we provide CBSE previous year question papers class 10 Hindi with solutions for their benefit. Both courses of the papers require questions to be answered differently, and viewing the solutions helps you understand how to do that better. At Vedantu, you can find Hindi last year question paper class 10 with a free PDF download and set yourself up for a mock examination of your own. In language-based subjects, practice is of utmost importance since that encourages free-flowing thought. By setting yourself with the time-limits of an actual examination, you can sharpen your skill-set of structuring those thoughts quickly within a stipulated time frame and write them down speedily. Making use of last years board CBSE class 10 Hindi question paper solved by expert teachers in all detail, parents can set up mock tests of their own and explain to students what makes a well-written essay and how to answer concisely and quickly without wasting time.

CBSE Hindi question paper class 10 previous year make it very clear that students are expected to know the grammatical nuances of Hindi board exam paper class 10 in various contexts, as well as express their own thoughts on certain themes using good lingual prowess. The paper comes in two courses, A and B. The paper for Course A consists of a combination of multiple-choice questions, based on a supporting piece of prose or poetry. Later questions are focused on essay writing and creative expression of thought. The paper for Course B, on the other hand, is focused on descriptive questions, again based on pieces of prose. It also features questions that ask you to answer in a specified structural format, while expanding on the relevance of popular Hindi literature.

Practising previous years’ test papers can effectively improve your Class 10 CBSE Hindi marks. It is crucial to work on Hindi question papers class 10 to understand the board exam pattern and have a better grip over the subjects. These test papers for Hindi provide an analysis of the type of questions asked in exams. Class 10 Hindi question paper CBSE might look easy to crack. However, to pass the Hindi question paper class 10 exam with flying colors, students need to work on their writing speed and writing Hindi without any spelling or grammatical mistakes. This can only be achieved with practice. CBSE Class 10 Hindi previous year question papers will give you an idea of what kind of questions are frequently asked in the exam. Like any other subject, practising Hindi question paper class 10 is equally important to score high in exams.

CBSE 10th Class Marks System for Hindi Course A

Question Type

Number of Questions

Marks for Each

अति लघुतरात्मक

22

1

लघुतरात्मक

19

2

निबंधात्मक – 1

2

5

निबंधात्मक – 2

1

10

CBSE 10th Class Marks System for Hindi Course B 

Preparation tips for cbse class 10 hindi exam.

The subject experts and highly experienced teachers for Hindi board exam paper class 10 have prescribed the below-mentioned tips for students so they can prepare for the exam efficiently.

Make a practical study plan to revise all chapters covered in the syllabus.

Download and keep the syllabus for Class 10 Hindi, right at your study desk. So, you can refer to it every time you sit for studying the Hindi chapters.

Mark three/ four chapters for revision every week.

Solve and practice the questions given in the NCERT textbooks for Hindi exam board paper class 10.

Identify the topics in which you have a strong grip as well as those topics in which you need to focus more.

Refer to the chapter-wise NCERT Solutions for Hindi board exam paper class 10 on Vedantu and prepare the chapters thoroughly.

Solve and practise the CBSE Class 10 Hindi previous years’ question papers (2007-2020) on Vedantu.

Importance of Solving the CBSE Class 10 Hindi Previous Year Question Papers (2007-2024)

Go through the below-mentioned points to understand the importance of solving the CBSE previous years’ question papers for Class 10 Hindi.

Solving and practising the CBSE last 14 or 10 years’ question papers for Class 10 Hindi is a revision of the entire syllabus in itself. Students get to answer questions from all topics in the CBSE Hindi board exam paper class 10 syllabus.

Students can analyze their writing skills for the Hindi language section when they practice the Hindi previous year question papers for CBSE Class 10.

They get a proper understanding of the sections and types of questions asked in the Hindi board exam paper class 10.

With a thorough practice of the previous years’ question papers, students will also get a good understanding of their time management skills. Thus, they can improve their speed in the Hindi board exam paper class 10.

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Unlock the power of Hindi Last Year Question Paper with these game-changing benefits. From decoding paper patterns to mastering important topics and even becoming an exam ninja, these Past Year Papers are the key to acing your exams with confidence.

Know the Test Style: You can figure out how exams were set in the past. It's like having a guide on what to expect.

Focus on Key Stuff: The old exam papers are like treasure maps. They show you where the important stuff is hidden. So, you won't miss out on crucial topics and question types.

Get Faster at Exams: The more old papers you tackle, the faster you get at answering questions. It's like becoming a ninja in exam time. Plus, you can spot and fix the mistakes you usually make.

The Vedantu Edge

Since its inception, Vedantu has been striving to bring a revolution in the Indian education industry. The online mentoring company is working tirelessly to improve the way we study and prepare for exams. It houses some of the sharpest brains who are passionate to teach to build its strong team of subject matter experts. We provide well-researched study materials updated as per the latest NCERT syllabus. Take guidance from our expert teachers and gain confidence in solving Hindi Class 10 papers as you will understand the latest exam pattern, important questions and marking scheme. 

We, at Vedantu, understand the stress that students undergo when appearing for examinations. By making use of previous year question papers, you can arm yourself with a large amount of experience and practice, so that the real examination doesn’t feel any different. With the presence of solutions and answer keys, you can further fine-tune your improvement areas, work on expressing your thoughts and developing your vocabulary, and quickly access them mentally in the pressure-driven mode of an exam.

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CBSE Class 10 Other Subject Previous Year Question Papers

CBSE Class 10 Previous Year Question Papers

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FAQs on CBSE Previous Year Class 10 Hindi Question Paper PDF Free Solutions (2007-2024)

1. What is a class 10 Hindi question paper?

A class 10 Hindi question paper is an examination paper designed for students in their 10th grade, focusing specifically on the Hindi language. It assesses their understanding of the Hindi syllabus and language skills.

2. How can I access a Hindi question paper for class 10?

You can access a Hindi question paper for class 10 through various educational platforms, including Vedantu. These papers are designed to help students practice and prepare for their Hindi board exams.

3. What does a Hindi board exam paper for class 10 include?

A Hindi board exam paper for class 10 typically includes a variety of questions that test your comprehension, writing skills, and knowledge of Hindi literature. It's an essential component of the 10th-grade examination.

4. Where can I find a class 10 Hindi previous year question paper?

You can find a class 10 Hindi previous year question paper on educational websites like Vedantu. These papers from previous years come with solutions, aiding students in their preparation.

5. Is there a Hindi previous year question paper for class 10 with solutions available for download?

Yes, platforms like Vedantu provide Hindi previous year question papers for class 10 with solutions in a downloadable PDF format. These solutions can assist you in understanding the correct approach to solving various questions.

6. What is covered in a previous year question paper class 10 Hindi course B?

A previous year question paper class 10 Hindi course B covers a range of topics related to the Hindi language, literature, and grammar. It is designed to test students' proficiency in Hindi course B.

7. How can solving a previous year question paper for class 10 Hindi benefit me?

Solving a previous year question paper for class 10 Hindi can significantly benefit you by providing insight into the exam pattern, enhancing your understanding of the subject, and improving your time management skills.

8. Is there a specific format for the last year Hindi question paper for class 10?

Yes, the last year Hindi question paper for class 10 follows a specific format, including different types of questions such as multiple-choice, essay writing, and creative expression of thought. Understanding this format is crucial for effective preparation.

9. What is Hindi PYQ class 10, and how can it help me in my exams?

Hindi PYQ class 10 stands for "Previous Year Questions" for class 10 Hindi. These questions, when practiced, can aid in familiarizing yourself with the exam pattern, types of questions, and help in improving your performance in the actual examination.

10. Where can I find the last year Hindi question paper for class 10 for practice?

Platforms like Vedantu offer the last year Hindi question paper for class 10 in a downloadable PDF format. You can use these papers for self-assessment and preparation for your board exams.

11. What is the significance of a Hindi previous year question paper class 10 with solutions?

A Hindi previous year question paper class 10 with solutions holds great significance as it provides students with an opportunity to review and understand the correct answers to questions from past years. This aids in effective preparation by offering insights into the exam pattern and ensuring a thorough grasp of the subject.

Previous Year Question Paper for Class 10

NCERT Solutions for Class 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

CBSE Previous Year Question Papers Class 10 PDF

December 18, 2023 by Veerendra

CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi and Sanskrit With Solutions : The first step towards the preparation of board exam is to solve CBSE Previous Year Papers for Class Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi and Sanskrit. Solving CBSE Previous Year Question Papers for Class Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi and Sanskrit will help candidates to analyze the paper pattern and marking scheme of the examination. Also based on the previous year trends it is analyzed that the present question paper will consist of 1 to 25% questions which are asked in the previous year exam. So candidates who are clear with the CBSE Previous Year Papers for Class Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi and Sanskrit can easily score good marks in the exam.

We at Learn CBSE have provided CBSE Previous Year Papers for Class Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi and Sanskrit with solutions to help students in their board exam preparation. Once you complete your CBSE Class Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi and Sanskrit Syllabus, start solving CBSE Previous Year Papers to analyze your preparation level. CBSE Class 10 Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi and Sanskrit previous year question papers will be helpful in understanding the probabilities and the difficulty level of the questions covered under the syllabus. So why wait? start solving CBSE Previous Year papers for Class Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi and Sanskrit Now.

CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi, and Sanskrit With Solutions PDF Download (Last 10 Years)

Solving CBSE Previous Papers for Class Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi and Sanskrit will help candidates to memorize the concepts properly which will further help to enhance the problem-solving speed. So it is always advised candidates to solve the CBSE Previous Year Question Papers before taking the actual examination. Just click on the links given below to start practising the CBSE Previous Year Papers for Class Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi and Sanskrit.

CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths With Solutions

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  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi With Solutions
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Sanskrit With Solutions

CBSE Class 10 Board Paper 2020 Solutions for All Subjects

1. Mathematics Basic
2. Mathematics Standard
3. Science
4. Social Science
5. English Language
6. Hindi-A
7. Hindi-B
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths 2019 Outside Delhi
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths 2019 Delhi
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths 2018
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths 2017 Outside Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths 2017 Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths 2016 Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths 2015 Delhi Term 2
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  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths 2012 Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths 2011 Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths 2016 Outside Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths 2015 Outside Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths 2014 Outside Delhi Term 2
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  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths 2011 Outside Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Science 2019 Outside Delhi
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  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Social Science 2019 Outside Delhi
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Social Science 2019 Delhi
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Social Science 2018
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  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Social Science 2016 Outside Delhi Term 2
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  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Social Science 2014 Outside Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Social Science 2013 Outside Delhi Term 2
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  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 English 2019 Outside Delhi
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 English 2019 Delhi
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 English 2018
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  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 English 2017 Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 English 2016 Term 1
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  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 English 2016 Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 English 2015 Term 1
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 English 2015 Outside Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 English 2015 Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 English 2014 Term 1

CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi A With Solutions

  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi A 2019 Outside Delhi
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi A 2019 Delhi
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi A 2018
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi A 2017 Outside Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi A 2017 Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi A 2016 Term 1

CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B With Solutions

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  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2019 Delhi
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  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2017 Outside Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2017 Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2016 Term 1
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2016 Outside Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2016 Delhi Term 2
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi B 2015 Term 1

CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Sanskrit With Solutions

  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Sanskrit 2019 Outside Delhi
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Sanskrit 2019 Delhi
  • CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Sanskrit 2018

CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Science PDF

  • CBSE Class 10 Science Paper 2018
  • CBSE Class 10 Science Paper 2017
  • CBSE Class 10 Science Paper 2016
  • CBSE Class 10 Science Paper 2015
  • CBSE Class 10 Science Paper 2013
  • CBSE Class 10 Science Paper 2012
  • CBSE Class 10 Science Paper 2011
  • CBSE Class 10 Science Paper 2010
  • CBSE Class 10 Science Paper 2009
  • CBSE Class 10 Science Paper 2008

CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Social Science PDF

  • CBSE Class 10 Social Question Paper 2018
  • CBSE Class 10 Social Question Paper 2017
  • CBSE Class 10 Social Question Paper 2016
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  • CBSE Class 10 Social Question Paper 2011
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  • CBSE Class 10 Social Question Paper 2007

CBSE Previous Year Question Papers Class 10 English PDF

  • CBSE Class 10  English Question Paper 2018
  • CBSE Class 10  English Question Paper 2017
  • CBSE Class 10  English Question Paper 2013
  • CBSE Class 10  English Question Paper 2012
  • CBSE Class 10  English Question Paper 2011
  • CBSE Class 10  English Question Paper 2010

CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi PDF

  • Hindi A Previous Year Question Paper 2018
  • Hindi A Previous Year Question Paper 2017
  • Hindi B Previous Year Question Paper 2017

CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths with Solutions 2018

     CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Maths 2018
Maths Question Paper  2018 (Main Exam)
Maths Question Paper  2018 (Compartment)
 

CBSE Sample Papers Class 10 2019

CBSE Previous Year Question Papers Class 10 science 2018

     CBSE Previous Year Question Paper Class 10 Social Science 2018
Science 2018 (Main Exam) Marking Scheme

Marking Scheme

Marking Scheme

Science 2018 (Compartment)
 

The above provided CBSE Previous Papers for Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi and Sanskrit is in PDF format which can downloaded for free.

Advantages of Solving CBSE Previous Papers for Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi and Sanskrit

  • Helps to understand the paper pattern and marking scheme of the examination.
  • Helps to understand the section-wise distribution of marks.
  • When you’re continuously solving CBSE Previous Papers Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi and Sanskrit, you will be able to identify the places
  • where you are dedicating more time to solve the question. This in turn, helps you work on your time management skills and further helps to improve the same.
  • By solving CBSE previous year question papers one can build the solving strategy that is while practising one will come to know more time-consuming section and less time-consuming section. So understanding the question paper structure will help candidates to build a proper strategy to solve the question paper on time.
  • Helps to understand the exam trends carefully.

We hope this detailed article on CBSE Previous Year Papers for Class 10 Maths, Science, Social, English, Hindi and Sanskrit is helpful. If you have any queries, just leave your comments below and we will get back to you as soon as possible.

How To study CBSE Previous Year Question Paper for Class 10?

  • Step 1 – Download PDF of the CBSE Class 10 previous year paper that you want to take.
  • Step 2 – Attempt Previous year Papers seriously just like you would take the real exam.
  • Step 3 – Evaluate your paper and Know your mistakes – mark the questions you couldn’t answer or get incorrect.
  • Step 4 – Revise the related concepts and topics.

Free Resources

NCERT Solutions

Quick Resources

Nibandh

इंटरनेट पर निबंध

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रुपरेखा : परिचय - इंटरनेट का उपयोग - इंटरनेट के लाभ - इंटरनेट से हानियाँ - इंटरनेट का महत्व - निष्कर्ष।

इंटरनेट आज देश-दुनिया में अपनी एक पहचान बना ली है। इंटरनेट शब्द को आज सभी लोग जानते हैं और सभी लोगों को इंटरनेट चाहिए। इंटरनेट वह माध्यम है जिसके द्वारा कंप्यूटर एक-दूसरे से जुड़ सद हैं। इस तकनीक ने सारे कम्प्यूटरों को विश्वव्यापी जोड़ दिया इसने हमारे संचार के तरीकों को बदल दिया है। इसने व्यापार करने के तरीकों को पूर्णतया बदल दिया है। इसने मनोरंजन की एक नई दुनिया भी स्थापित की है।

आजकल इंटरनेट हमारे जीवन का एक बहुत महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। इसने हमारे व्यक्तिगत जीवन को भी प्रभावित किया है। विविध सोशल नेटवर्किंग साइटों ने हमें अपने मित्रों और संबंधियों से जोड़ दिया है। हमलोग तसवीरों और संवादों की अविलंब साझेदारी कर सकते हैं। हमलोग विश्व के किसी भाग से उनसे बातें कर सकते हैं।

इंटरनेट ने व्यापार को भी उन्नत किया है। उत्पादों का विज्ञापन बहुत आसान हो गया है। ऑनलाइन खरीदारी, ऑनलाइन भुगतान, टिकटों की बुकिंग, ऑनलाइन बैंकिंग आदि सूचना-प्रौद्योगिकी के ही परिणाम हैं। विश्व के किसी भी भाग में ई-मेल भेजना सेकेंडों की बात रह गई है। वेब कन्फ्रेंसिंग, विडियो चैटिंग, ऑनलाइन सेमिनार आदि ने व्यापार को नई ऊँचाइयाँ दी हैं।

किसी सूचना तक पहुँचना अपेक्षाकृत आसान हो गया है। इंटरनेट से छात्र बहुत लाभ उठाते हैं। वे अपने अध्ययन की सामग्रियाँ ऑनलाइन प्राप्त करते हैं। वे अपने अध्ययन-कक्ष में ही विश्व-प्रसिद्ध पुस्तकालयों की पुस्तकें पढ़ सकते हैं।

इंटरनेट के कई लाभ होते है। इंटरनेट की सहायता से हम किसी भी प्रकार की जानकारी और किसी भी सवाल का हल एक पल में प्राप्त कर सकते हैं। इंटरनेट एक वर्ल्ड वाइड वेब है जिसकी सहायता से हम दुनिया के किसी भी कोने में अपनी मेल या जरूरी दस्तावेजों को पलक झपकते ही भेज सकते हैं और प्राप्त कर सकते हैं। इंटरनेट मनोरंजन का एक बहुत अच्छा माध्यम है। इंटरनेट के माध्यम से संगीत, गेम्स, फिल्म आदि को बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के डाऊनलोड कर सकते हैं और आनंद उठा सकते हैं।

इंटरनेट की सहायता से बिजली, पानी और टेलीफोन के बिल का भुगतान घर बैठे कर सकते है। इंटरनेट से हमें घर बैठे रेलवे टिकेट बुकिंग, होटल रिसर्वेशन, ऑनलाइन शौपिंग, ऑनलाइन पढाई, ऑनलाइन बैंकिंग, नौकरी, खोज आदि सुविधाएँ मिल जाती हैं। इंटरनेट के माध्यम से आप यू-ट्यूब पर लाइव देखकर कुछ भी सीख सकते हैं। इंटरनेट सेवा के माध्यम से अब ई कॉमर्स और ई बाजार कर बढ़ते चलन ने सेवा प्रदाताओं और उपभोक्ताओं के बीच की दूरी को मिटा दिया है।

जहाँ लाभ होता है वहां हानियां भी देखने को मिलता है। इंटरनेट पर अधिक सुविधा की वजह से व्यक्तिगत जानकारी की चोरी बढ़ गई है जैसे- क्रेडिट कार्ड नंबर, बैंक कार्ड नंबर आदि। आज के समय में इंटरनेट का प्रयोग जासूसों के द्वारा देश की सुरक्षा व्यवस्था को भेदने के लिए किया जाने लगा है जो कि सुरक्षा दृष्टि से खतरनाक है।

इंटरनेट से रेलवे टिकेट बुकिंग, होटल रिसर्वेशन, ऑनलाइन शॉपिंग, ऑनलाइन बैंकिंग, नौकरी की खोज आदि सुविधाएँ घर बैठे ही मिल जाती हैं लेकिन इससे पर्सनल जानकारी जैसे आपका नाम, पता और फोन नंबर का गलत उपयोग होने का खतरा भी बना रहता है। आज के समय में गोपनीय दस्तावेजों की चोरी भी होने लगी है।

इंटरनेट पर बहुत ज्यादा निर्भरता हमारे मस्तिष्क को सुस्त बना देता है। हमलोग आलसी हो जाते हैं। इंटरनेट और कंप्यूटरों पर बहुत ज्यादा समय व्यतीत करना विविध स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ावा दे सकता है। ऑनलाइन व्यापार ने पारंपरिक व्यापार को नकारात्मक तरीके से प्रभावित किया है। इन सभी मुद्दों पर विचार किए जाने की जरूरत है।

इंटरनेट मनुष्य को विज्ञान द्वारा दिया गया एक सर्वश्रेष्ठ उपहार है। इंटरनेट अनंत संभावनाओं का साधन है। इंटरनेट के माध्यम से हम कोई भी सूचना, चित्र, वीडियो आदि दुनिया के किसी भी कोने से किसी भी कोने तक पल भर में भेज सकते हैं। इंटरनेट के माध्यम से हम ई-मेल आसानी से भेज सकते हैं और प्राप्त भी कर सकते हैं। इंटरनेट के माध्यम से हम अपने विचारों और वस्तुओं का पूरी दुनिया में प्रचार कर सकते हैं। यह विज्ञापन का सबसे सरल और प्रभावी माध्यम है।

इसके बावजूद,हमलोग इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि इंटरनेट ने हमलोगों के जीवन को काफी बदल दिया है। यदि हम इंटरनेट की शक्ति का सकारात्मक तरीके से उपयोग करें तो हम सभी क्षेत्रों में अद्भुत परिणाम पा सकते हैं। इंटरनेट हम सभी के जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है। इससे हमें फायदे और नुकसान दोनों ही प्राप्त होते हैं। हमें सदैव इसका लाभ उठाना चाहिए जिससे हमें इससे फायदा हो सके। इसके कुछ नुकसान भी होते हैं इसलिए हमें इसके नुकसानों से दूर भी रहना चाहिए। जन इंटरनेट हमारी सहायता करता है तो हमें भी इसका नुकसान नहीं करना चाहिए। आज मानव की सफलता के पीछे इंटरनेट का बहुत बड़ा योगदान है।

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