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  • होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): इतिहास, महत्व, 200 से 500 शब्दों में होली पर हिंदी में निबंध लिखना सीखें

Updated On: September 02, 2024 06:24 pm IST

  • होली पर निबंध 200 शब्दो में (Essay on Holi in …
  • होली पर निबंद 500 शब्दो में (Essay on Holi in …
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होली पर निबंध 10 लाइन (Holi Par Nibandh 10 Lines)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिसे हिन्दू धर्म के लोग पूरे उत्साह और सौहार्द के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हिन्दू धर्म के लोगो के बीच भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। होली रंगो और खुशियों का त्योहार है। होली का त्यौहार विश्व भर में प्रसिद्ध है। होली का त्यौहार (Holi Festival) हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। होली का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है। इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग मनाते हैं। वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाने लगे हैं। इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार (Festival of Holi) हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। ये भी पढ़ें - अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से 200 से 500 शब्दों तक हिंदी में होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) लिखना सीख सकते हैं।

होली पर निबंध 200 शब्दो में (Essay on Holi in 200 words)

होली पर निबंध (holi par nibandh) - होली का महत्व.

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली कब और क्यों मनाई जाती है?

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली के पर्व को हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अधिकतर फरवरी और मार्च के महीने में पड़ता है। इस त्योहार को बसंतोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है। हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कहानी या किस्सा प्रचलित होता है। ‘होली’ मनाए जाने के पीछे भी कहानी है। वैसे तो होली पर कई कहानियां सुनाई व बताई जाती है लेकिन कुछ कहानियां हैं जो गहराई से हमारी संस्कृति एंव भाव से जुड़ी है। तो आईये जानते है होली मनाने के पीछे का कारण और संस्कृति एंव भाव।

इसी तरह भगवान कृष्ण पर आधारित कहानी होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोप व गोपियों के साथ रास रचाई तब से होली का प्रचलन हुआ। वृंदावन में श्री कृष्ण ने राधा और गोप गोपियों के साथ रंगभरी होली खेली थी इसी कारण वृंदावन की होली सबसे अच्छी और विश्व की सबसे प्रसिद्ध होली मानी जाती है। इस मान्यता के अनुसार जब श्री कृष्ण दुष्टों का संहार करके वृंदावन लौटे थे तब से होली का प्रचलन हुआ और तब से हर्षोल्लास के साथ होली मनाई जाती है।

होली पर निबंद 500 शब्दो में (Essay on Holi in 500 words)

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi): होली भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है। यह पर्व फागुन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है और भारत वर्ष में खुशी, आनंद, प्रेम और एकता का प्रतीक है। होली एक सांस्कृतिक महोत्सव है जिसमें लोग अपनी पूर्वाग्रहों और विभिन्न सामाजिक प्रतिष्ठानों को छोड़कर आपसी भाईचारा और प्रेम का आनंद लेते हैं। यह पर्व विभिन्न आदतों, परंपराओं और धार्मिक आराधनाओं के साथ मनाया जाता है और भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण और आनंदमय अवसर है।

होली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

विश्व के अलग-अलग कोने में अलग-अलग तरह से होली खेली जाती है कहीं फूल भरी होली खेली जाती है तो कहीं लठमार होली तो कहीं होली का नाम ही अलग होता है। होली खेलने का तरीका भले ही सबका अलग अलग हो लेकिन होली हर जगह रंगों के साथ ज़रूर खेली जाती है। होलिका दहन के लिए बड़कुल्ले बनाना, होली की पूजा करना, पकवान बनाना, होलिका का दहन करना इत्यादि किया जाता है।

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) - होली की तैयारी कैसे करें?

पकवान बनाने के बाद घर के सभी लोग उसे एक थाली में सजाकर होलिका दहन वाली जगह जाते हैं। इसके अलावा वे अपने साथ बड़कुल्ले और पूजा का अन्य सामान भी लेकर जाते हैं जिसमें कच्चा कुकड़ा (सूती धागा), लौटे में जल, चंदन इत्यादि सम्मिलित हैं। फिर उस जगह पहुंचकर होली की पूजा की जाती हैं, पकवान का भोग लगाया जाता हैं और बड़कुल्लों को उस ढेर में रख दिया जाता हैं। उसके बाद सभी लोग कच्चे कुकड़े को उस गोल घेरे के चारों और बांधते हैं और भगवान से प्रह्लाद की रक्षा की प्रार्थना करते हैं। पूजा करने के पश्चात सभी अपने घर आ जाते हैं।

रात में सूर्यास्त होने के बाद पंडित जी वहां की पूजा करते हैं। सभी लोग उस स्थल पर एकत्रित हो जाते हैं। उसके बाद उन लकड़ियों में अग्नि लगा दी जाती हैं। अग्नि लगाते ही, उस ढेर के बीच में रखे मोटे बांस (प्रह्लाद) को बाहर निकाल लिया जाता हैं। होलिका दहन को देखने के लिए लोग अपने घर से पानी का लौटा, कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ व कनक के बाल लेकर जाते हैं। पानी से होली को अर्घ्य दिया जाता है। दूर से उस अग्नि को कच्चा कुकड़ा, हल्दी की गांठ और कनक के बाल दिखाए जाते हैं। कुछ लोग होलिका दहन के पश्चात उसकी राख को घर पर ले जाते हैं।

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh in Hindi) - होली कैसे खेलते है?

इन सब के बाद शुरू होता हैं असली रंगों का त्यौहार। सभी लोग अपने मित्रों, रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों के साथ होली का त्यौहार खेलते हैं। पहले के समय में केवल प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलने का विधान था लेकिन आजकल कई प्रकार के रंगों से होली खेली जाती हैं।

इसी के साथ लोग फूलों, पानी, गुब्बारों से भी होली खेलते हैं। कई जगह लट्ठमार होली खेली जाती हैं तो कहीं पुष्प वर्षा की जाती हैं। कई जगह कपड़ा-फाड़ होली खेलते हैं तो कई लड्डुओं की होली भी खेलते है। यह राज्य व लोगों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। बस रंग हर जगह उड़ाए जाते हैं।

यह उत्सव लगभग दोपहर तक चलता हैं और उसके बाद सभी अपने घर आ जाते हैं। इसके बाद होली का रंग उतार लिया जाता हैं, घर की सफाई कर ली जाती हैं और नए कपड़े पहनकर तैयार हुआ जाता हैं। भाषण पर हिंदी में लेख पढ़ें-

होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) -  होली के हानिकारक प्रभाव

होली का इन्तजार लोगो को पुरे साल भर रहता है। लेकिन कई बार होली पर बहुत सी दुर्घटनाएं भी हो जाती है जिसका ध्यान रखना चाहिए। लोगों द्वारा होली के दिन गुलाल का प्रयोग न कर के केमिकल और कांच मिले रंगों का प्रयोग किया जाता है। जिससे चेहरा खराब हो जाता है कई लोग मादक पदार्थों का सेवन व भाग मिला कर नशा करते हैं जिससे कई लोग दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे ही होली के दिन बच्चे गुब्बारों में पानी भर कर गाड़ियों के ऊपर फेंकते हैं या पिचकारी और रंगो को आँखों में फेंक के मरते हैं होली में ऐसे रंगों व हरकतों को न करें जिससे किसी व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ें इसलिए होली के दिन सावधानीपूर्वक रंगो को खेलिये जिससे किसी के लिए हानिकारक न हो।

सुरक्षित तरीके से होली खेलने के सुझाव

होली का त्योहार (Holi Festival) ऐसा त्योहार है, जिसमें सभी लोग इसके रंग में डूबे नजर आते हैं, लेकिन इसकी मौज-मस्ती आपको इन बातों का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए ताकि इस प्यार भरे उत्सव का मजा किरकिरा न हो।

  • होली खेलने से पहले अपने पूरे शरीर और बालों पर अच्छी तरह तेल और मॉइश्चराइजर लगा लें। ताकि रंग आसानी से छूट जाएं।
  • होली खेलने के लिए नैचुरल और ऑर्गेनिक रंगों का इस्तेमाल करें, कैमिकल भरे रंगों के इस्तेमाल से बचें। क्योंकि कैमिकल वाले रंगों की वजह से कई बार स्किन एलर्जी तक हो जाती है।
  • होली में ज्यादा पानी को बर्बाद न करें।
  • होली पर फुल कपड़े पहनने की कोशिश करें, ताकि कलर ज्यादा स्किन पर न आए।
  • होली में किसी पर जबरदस्ती कलर नहीं डालें और ध्यान रखें कि मौज-मस्ती में किसी को चोट न आए।
  • होली की मौज-मस्ती में बच्चों का विशेष ख्याल रखें, कई बार ज्यादा समय तक पानी में गीले रहने से बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं

होली रंग का त्योहार है, जिसे मस्ती और आनंद के साथ मनाया जाता है। होली में पानी और रंग में भीगने के लिए तैयार रहें, लेकिन खुद को और दूसरों को नुकसान न पहुंचाने के लिए भी सावधान रहें। अपने दिमाग को खोलें, अपने अवरोधों को बहाएं, नए दोस्त बनाएं, दुखी लोगों को शांत करें और टूटे हुए रिश्तों को जोड़ें। चंचल बनें लेकिन दूसरों के प्रति भी संवेदनशील रहें। किसी को भी अनावश्यक रूप से परेशान न करें और हमेशा अपने आचरण की देखरेख करें। इस होली में केवल प्राकृतिक रंगों से खेलने का संकल्प लें।

होली पर निबंध (Essay on Holi in Hindi) - होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ असामाजिक तत्व अपने गलत आचरण से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। कुछ असामाजिक तत्व मादक पदार्थों का सेवन कर आपे से बाहर हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं। कुछ लोग होलिका में टायर जलाते हैं, उनको इस बात का अंदाजा नहीं होता कि इससे वातावरण को बहुत अधिक नुकसान पहुँचता है। कुछ लोग रंग और गुलाल की जगह पर पेंट और ग्रीस लगाने का गंदा काम करते हैं जिससे लोगों को शारीरिक क्षति होने की आशंका रहती है। अगर में होली से इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो होली का पर्व वास्तव में हैप्पी होली बन जाएगा। इसलिए होली में कुरीतियों से बचें और खुशुयों से होली मनाये यह लोगो के बीच एकता और प्यार लाता है।

होली पर निबंद 750 शब्दो में (Essay on Holi in 750 words in Hindi)

रंगों का त्योहार: होली होली भारत का एक प्रमुख और रंगारंग त्योहार है जिसे हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार रंगों, मिठाइयों और खुशियों का प्रतीक है। होली का प्रारंभिक उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की विजय और प्रेम एवं भाईचारे का संदेश देना है। यह त्योहार हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन यह अब पूरे भारत और दुनिया भर में विभिन्न समुदायों द्वारा मनाया जाता है। होली का धार्मिक और पौराणिक महत्व: होली का पर्व पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। इस त्योहार का संबंध प्रह्लाद, हिरण्यकश्यप और होलिका की कथा से है। कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक अत्याचारी राजा था जिसने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति करने से रोकने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका, जिसे अग्नि से अजेयता का वरदान प्राप्त था, की मदद ली। होलिका ने प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहा और होलिका जल गई। इस प्रकार, होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है। होली के त्योहार की तैयारी: होली के त्योहार की तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाती है। लोग घरों की साफ-सफाई करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और विशेष पकवान जैसे गुजिया, पापड़ी, ठंडाई आदि बनाते हैं। होली के दिन से एक दिन पहले होलिका दहन होता है, जिसमें लकड़ियों का ढेर बनाकर होलिका की प्रतिमा का दहन किया जाता है। इस दहन के माध्यम से बुराई का नाश और अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होली का दिन: होली के दिन सभी लोग सुबह से ही रंग खेलने की तैयारी में लग जाते हैं। लोग रंग, गुलाल और पानी के रंगों से एक-दूसरे को रंगते हैं। बच्चे पिचकारियों और पानी के गुब्बारों से खेलते हैं। लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के घर जाते हैं और रंग-गुलाल से उनका स्वागत करते हैं। इस दिन सभी भेदभाव मिट जाते हैं और हर कोई एक दूसरे के गले लगकर बधाई देता है। होली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व: होली का त्योहार सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार समाज में एकता, प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देता है। इस दिन सभी लोग अपने आपसी मतभेद भूलकर एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं। होली का पर्व न केवल भारत में बल्कि नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा, यह त्योहार भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उदाहरण है जो पूरी दुनिया में प्रचलित है। होली के गीत और नृत्य: होली के मौके पर लोग फागुन के गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। होली के गीतों में राधा-कृष्ण की लीलाओं का वर्णन होता है। विशेषकर ब्रज क्षेत्र में होली का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यहां के लोग फागुन के महीने में रंगों से खेलते हैं और राधा-कृष्ण की होली की झांकी प्रस्तुत करते हैं। इसके अलावा, बॉलीवुड में भी होली पर आधारित कई प्रसिद्ध गीत हैं जो इस त्योहार की खुशी को और बढ़ा देते हैं। होली के रंगों का महत्व: होली के रंगों का विशेष महत्व होता है। यह रंग जीवन में खुशियां, समृद्धि और ऊर्जा का प्रतीक हैं। हर रंग का अपना एक विशेष अर्थ होता है। लाल रंग प्रेम और शक्ति का प्रतीक है, हरा रंग समृद्धि और नई शुरुआत का प्रतीक है, पीला रंग ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है और नीला रंग शांति और विश्वास का प्रतीक है। होली के रंग न केवल हमारे जीवन को रंगीन बनाते हैं, बल्कि यह हमें जीवन की विभिन्न रंगीन पहलुओं को भी सिखाते हैं। निष्कर्ष: होली का त्योहार हमारे जीवन में रंगों, खुशियों और प्रेम की महत्ता को दर्शाता है। यह त्योहार हमें बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है और हमें एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव रखने की प्रेरणा देता है। होली का पर्व सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है जो हमारे समाज को और भी मजबूत और खुशहाल बनाता है। इसलिए, हमें इस त्योहार को पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाना चाहिए और इसके संदेश को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। होली पर निबंध (Holi Par Nibandh) कुछ लाइनों में लिखने के इच्छुक छात्र इस लेख के माध्यम से होली पर निबंध 10 लाइनों (Holi Par Nibandh 10 Lines) में लिखना सीखें।

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होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

होली

अपडेट किया गया: 20 फरवरी 2023

होली भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है, जो विश्वभर मेंबड़े धूमधाम सेमनायाजाता है। यहमुख्य रूप से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है।नेपाल की तराई होलीविश्वप्रसिद्ध है। मंजीरा, ढोलकवमृदंग की ध्वनि से गूंजताऔर रंगों से भरा होली का त्योहार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। मार्च का महीना जैसे होली कीउत्साह कोऔरभी बढ़ा देता है। इस त्यौहार में सभी की ऊर्जा देखतेही बनती है। होली के अवसर पर बच्चोंमें अलग ही उमंग देखने को मिलता है,वे रंग-बिरंगी पिचकारी को अपने सीने से लगाए, सब पर रंग डालते हैं और जोर-जोर से “होली है..” कहते हुए पूरे मोहल्ले में भागते फिरते हैं।

होली पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Holi in Hindi, Holi par Nibandh Hindi mein)

अक्सर, बच्चों को विद्यालयमें होलीपर निबंध लिखने को दिया जाता है। यहाँ हमने आपकी आसानी के लिए होली पर कई निबंध दिए है, उम्मीद करते है की ये सभी निबंध आपको पसंद आयेंगे-

होली पर निबंध – 1 (100 -150 शब्द )

होली भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है।यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है।होली का त्यौहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।इस त्यौहार के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंग और गुलाल की होली खेलकर मनाया जाताहै।

होली पर हमें अप्राकृतिक रंगो से त्यौहार को नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्राकृतिक फूलों के रंग से और अबीर से होली खेलनी चाहिए। होली पर सभी अपने पुराने बैर भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है और साथ बैठकर गुझिया, पापड़, और अन्य पकवान खाते है।

होली पर निबंध 2: (250 – 300 शब्द)

होली का उत्सव अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और आसमान में बिखरे गुलाल की तरह ऊर्जा को चारों ओर बिखेर देता है। इस पर्व की ख़ास तैयारी में लोगों के अंदर बहुत अधिक उत्साह को देखा जा सकता है।

होली की तैयारी

होली की विशेष तैयारी में एक दिन से ज्यादा का समय लगता है। इस पर्व पर सबके घरों में अनेक पकवान बनाएं जाते हैं जिसमें गुजिया, दही भल्ले, गुलाब जामुनआदि प्रमुख हैं। लोग महीनो पहले से अपने घर के छतों पर विभिन्न तरह के पापड़ और चिप्स आदि को सुखाने में लग जाते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार भी इस त्यौहार पर अपने बच्चों के लिए कपड़े अवश्य खरीदता है।

होली कैसे मनाई जाती है

होली पर सभी बहुत अधिक उत्साहित होते हैं। बड़े भी बच्चे बन जाते हैं,हम, लोगों का चेहरा रंगों से ऐसे रंगते हैं की पहचानना मुश्किल हो जाता है वहीं बड़ों को गुलाल लगाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। अमीर-गरीब, ऊँच- नीच का भेद भुलकर सभी आनंद के साथ होली में झूमते नज़र आते हैं। झूमने का एक अन्य कारण भांग और ठंडाई भी है यह होली पर विशेषतौर पर पीया जाता है। घर की महिलाएं सारे पकवान बना कर जहां दोपहर से होली खेलना प्रारंभ करती है वहीं बच्चे सुबह उठने के साथ ही उत्साह के साथ मैदान में आ जाते हैं।

होली के एक दिन पहले होलिका दहन

होली के एक दिन पहले गांवों  व शहरों के खुले क्षेत्र में होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है। यह भगवान की असीम शक्ति का प्रमाण तथा बुराई पर अच्छाई की जीत का बोध कराती है।

होली आनंद से भरा रंगों का त्यौहार है, यह भारत भूमि पर प्राचीन समय से मनाया जाता है। त्योहारों की ख़ास बात यह है, की इसकी मस्ती में लोग आपसी बैर तक भूल जाते हैं एवं होली त्योहारों में विशेष स्थान रखता है।

यूट्यूब पर देखें: Holi par nibandh

होली पर निबंध– 3  (300 शब्द)

होली रंगो का त्यौहार है, जो भारतवर्ष में ही नहीं अपितु पुरे विश्व में बड़े धूम धाम से मनाई जाती है।यह त्यौहार शरद ऋतू के अंत और वसंत ऋतू के आरम्भ का प्रतिक भीमाना जाता है।होली का त्यौहार भारत में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्तम और भावपूर्ण उदाहरण हमारे समक्ष प्रस्तुत करता है।

होली का त्यौहार क्यों और कैसे मनाया जाता है ?

होली के इस पावन त्यौहार को मनाने के पीछे कई कथाये प्रचलित है, परन्तु सबसे मान्य कथा भक्त प्रह्लाद की है। प्रह्लाद का पिता हिरण्यकश्यप था, जो की क्रूर और आततायी था।  उसने स्वयं को ही भगवान मान लिया था और चाहता था की उसकी प्रजा भगवन की जगह उसकी पूजा करे , परन्तु उसका पुत्र प्रह्लाद जो की विष्णु का अनन्य भक्त था उसने अपने पिता को पूजने से इंकार कर दिया। इससे क्रुद्ध होकर हिरण्यकश्यप ने उसे तरह तरह की नीति अपनाकर वश में करने का प्रयत्न किया, परन्तु प्रह्लाद अडिग रहा ।

  अतः उसने अपनी बहन होलिका का सहारा लेकर एक षड़यंत्र रचा, परन्तु आग की होली में होलिका के प्रह्लाद को गोंद में लेकर बैठने पर भगवन के चमत्कार से होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया । तब से ही होली का पर्व मनाया जाता है, होली के एक दिन पूर्व होलिका दहन किया जाता है। फिर दूसरे दिन रंग और गुलाल से बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी मनाई जाती है।

होली का हमारे जीवन में महत्व

होली के त्यौहार का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। होली का त्यौहार हमें हर वर्ष एक प्रतिक के रूप में यह सन्देश देता है की हमें सदा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। फिर चाहे हमारे पथ में हिरण्यकश्यप या होलिका जैसी विपत्तियां क्यों न आये ,जीत सदा सत्य की ही होती है। यह कथा और त्यौहार हमारे जीवन का मार्गदर्शन करती है।

अतः हमें यह त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लाष के साथ मनाना चाहिए और अपने से छोटो को इस त्यौहार के महत्व को बताना चाहिए, जिससे की होली के त्यौहार की तरह उनके जीवन में भी खुशियों के विभिन्न रंग और गुलाल भर जाये।

यूट्यूब पर देखें : Holi par nibandh

होली पर निबंध 4: 400 शब्द

प्राचीन समय में होली के अवसर पर जहां मंदिरों में कृष्ण और राम के भजन गूंजते थे, वहीं नगरों में लोगों द्वारा ढोलकव मंजिरों के ताल पर लोकगीत गाए जाते थे। पर बदलते समय के साथ इस त्योहार का स्वरूप भी बदलता नज़र आ रहा है।

कार्यस्थलों तथा विभिन्न संस्थानोंमें होली

होली पर सभी संस्थान, संस्था व कार्यस्थल में छुट्टी दी जाती है मगर छुट्टी से पहले स्कूलों में बच्चे तथा कार्यस्थल पर सभी कार्मचारी एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं।

होली की संध्या में मित्रों से मेल-मिलाप

दिन भर रंगों से खेलने व नाच गाने के पश्चात सभी संध्या में नये वस्त्र पहनते हैं और अपने पड़ोसी व मित्रों के घरों में उनसे मिलने और होली की शुभकामना देने जाते हैं।

होली की हलचल का सभी टीवी चैनलों पर प्रसारण

होली पर सभी टीवी चैनलों में होली के गीत, विशेष कार्यक्रम तथा न्यूज चैनलों के माध्यम से विभिन्न स्थानों की होली प्रसारित की जाती है।

बाजारों की रौनक में, होली की परंपरागत रीति कहीं खो न जाए

होली पर सभी छोटे-बड़े दुकानदार अपने दुकानों के आगे स्टैंड आदि लगा कर विभिन्न प्रकार के चटकीले रंग, गुलाल, पिचकारी व होली के अन्य आकर्षक सामग्री जैसे रंग बिरंगे विग से अपने स्टॉल को भर देते हैं। राशन तथा कपड़ों की दुकानों पर खरीदारी के लिए विशेष भीड़ देखने को मिलती है। पर समय बितने के साथ ज्यादातर लोग अब स्वयं से कोई पकवान नहीं बनाते वे हर प्रकार की मिठाइयां बाजार से ही खरीद लेते हैं। इससे त्योहार की धूम का बाजारीकरण में खो जाने का भय है।

समय के साथ होली का बदलता स्वरूप

परंपरागत विधि से आज इस त्यौहार का स्वरूप बहुत अधिक बदल गया है। पहले लोग होली की मस्ती में अपनी मर्यादा को नहीं भूलते थे। लेकिन आज के समय में त्योहार के नाम पर लोग अनैतिक कार्य कर रहें हैं। जैसे एक-दूसरे के कपड़े-फाड़ देना, जबरदस्ती किसी पर रंग डालना आदि।

होली पर हुड़दंग

होली पर वह भी रंगों से भीग जाते हैं जो अपने घरों से नहीं निकलना चाहते और जैसे की भिगोने वालों का तकिया कलाम बन चुका होता है “बुरा ना मानो होली है”। कुछ लोग त्यौहार का गलत फायदा उठा कर बहुत अधिक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और सड़क पर चल रहीं महिलाओं को परेशान करते हैं। यह सरासर गलत व्यवहार है।

होली पर सभी मस्ती में डूबे नज़र आते हैं। जहां सामान्य व्यक्ति अनेकों प्रकार के स्वादिष्ट भोजन तथा ठंडाई का सेवन करते हैं। वहीं मनचलों को नशे में धुत्त होकर अपनी मनमानी करने का एक अवसर प्राप्त हो जाता है। होली रंगों का त्योहार है इसे प्रेम पूर्वक खेलना चाहिए।

Holi Essay

होली पर निबंध 5: 500 शब्द

अपना घर चलाने के लिए जो पेशेवर घरों से दूर रहते हैं, वह भी होली के समय पर अपने परिवार के पास लौट आते हैं। यह त्योहार हमें हमारे संस्कृति से जोड़ने का कार्य करता है, अतः इस दृष्टी से यह हमारे लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण है।

होली का इतिहास व मनाए जाने का कारण

पुराणों के अनुसार, विष्णु भक्त प्रह्लाद से क्रोधित होकर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने, पुत्र प्रह्लाद को ब्रह्मा द्वारा वरदान में प्राप्त वस्त्र धारण किए बहन होलिका के गोद में आग से जला देने की मंशा से बैठा दिया। किन्तु प्रभु की महिमा से वह वस्त्र प्रह्लाद को ढ़क लेता है और होलिका जल कर भस्म हो जाती है। इस खुशी में नगरवासियों द्वारा दूसरे दिन होली मनाया गया। तब से होलिका दहन और होली मनाया जाने लगा।

होली के पर्व से जुड़े होलिका दहन के दिन, परिवार के सभी सदस्य को उबटन (हल्दी, सरसों व दही का लेप) लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है की उस दिन उबटन लगाने से व्यक्ति के सभी रोग दूर हो जाते हैं व गांव के सभी घरों से एक-एक लकड़ी होलिका में जलाने के लिए दी जाती है। आग में लकड़ी जलने के साथ लोगों के सभी विकार भी जल कर नष्ट हो जाते हैं। होली के कोलाहल (शोर) में, शत्रु के भी गले से लग जाने पर सभी अपना बड़ा दिल कर के आपसी रंजिश भूल जाते हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों की होली

ब्रजभूमि की लठमार होली

“सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात सारे जग से अनूठी ब्रज की होली है। ब्रज के गांव बरसाना में होली प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस होली में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव से थे और राधा बरसाना से। जहां पुरुषों का ध्यान भरी पिचकारी से महिलाओं को भिगोने में रहता है वहीं महिलाएं खुद का बचाव और उनके रंगों का उत्तर उन्हें लाठियों से मार कर देती है। सच में यह अद्भुत दृश्य होता है।

मथुरा और वृंदावन की होली

मथुरा और वृंदावन में होली की अलग छटा नज़र आती है। यहां होली की धूम 16 दिन तक छाई रहती है। लोग “फाग खेलन आए नंद किशोर” और “उड़त गुलाल लाल भए बदरा” आदि अन्य लोक गीत का गायन कर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।

महाराष्ट्र और गुजरात की मटकी फोड़ होली

महाराष्ट्र और गुजरात में होली पर श्री कृष्ण की बाल लीला का स्मरण करते हुए होली का पर्व मनाया जाता है। महिलाएं मक्खन से भरी मटकी को ऊँचाई पर टांगती हैं इन्हें पुरुष फोड़ने का प्रयास करते हैं और नांच गाने के साथ होली खेलते हैं।

पंजाब का “ होला मोहल्ला”

पंजाब में होली का यह पर्व पुरुषों की शक्ति के रूप में देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान “आनंदपुर साहेब” में छः दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष भाग लेते हैं तथाघुड़सवारी,तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।

बंगाल की “ डोल पूर्णिमा” होली

बंगाल और उड़ीसा में डोल पूर्णिमा के नाम से होली प्रचलित है। इस दिन पर राधा कृष्ण की प्रतिमा को डोल में बैठा कर पूरे गांव में भजन कीर्तन करते हुए यात्रा निकाली जाती है और रंगों से होली खेली जाती है।

मणिपुर की होली

होली पर मणिपुर में “थबल चैंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह पर्व पूरे छः दिवस तक नाच-गाने व अनेक तरह के प्रतियोगिता के साथ चलता रहता है।

फाल्गुन की पूर्णिमा से उड़ते गुलाल व ढोलक की ताल से शुरू हुई होली भारत के कोने- कोने में विभिन्न प्रकार से हर्षोंल्लास के साथ मनाई जाती है। इस पर्व के आनंद में सभी आपसी मन-मुटाव को भूल कर एक-दूसरे के गले लग जाते हैं।

उम्मीद करते हैं कि ये सभी होली के निबंध आपको पढ़कर अच्छा लगा होगा, आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इनमे से कोई भी निबंध इस्तेमाल कर सकते हैं। धन्यवाद!

Frequently asked questions (FAQS) होली से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर- प्रह्लाद की बुआ होलिका के नाम पर इस त्यौहार का नाम होली पड़ा।

उत्तर- लठमार होली श्री कृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतिक होने के कारण विशेष है।

उत्तर- प्रह्लाद विष्णु भगवान ( नरसिंह अवतार ) का उपासक था।

उत्तर- होली त्यौहार के प्रमुख व्यंजन गुजिया , गुलाब जामुन , ठंडाई आदि हैं।

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Holi Essay in Hindi : दोस्तों आज हमने होली पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है इस Holi Par Nibandh की सहायता से हमने होली त्योहार को कैसे मनाया जाता है,

इसका इतिहास क्या है और वर्तमान में Holi को किस तरह से भारत और अन्य देशों में मनाया जाता है इस पर हमने विस्तारपूर्वक निबंध लिखा है। यह निबंध हमने विद्यार्थियों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए अलग- अलग शब्द सीमा में लिखा है।

Holi Essay in Hindi

Get Some Essays on Holi in Hindi for students under 150, 300, 500 and 1500 words।

Short Holi Essay in Hindi 150 Words

होली का त्यौहार हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है इस त्यौहार को रंगो के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। Holi का त्यौहार भारत के साथ-साथ नेपाल बांग्लादेश अमेरिका ऑस्ट्रेलिया कनाडा जैसे कई देशों में भी प्रसिद्ध है।

यह त्यौहार प्रमुख रूप से दो दिनों का होता है जिसने पहले दिन होली दहन किया जाता है जिसमें लकड़ियां और गोबर के कंडे डालकर होलिका दहन किया जाता है।

Holi के दूसरे दिन को धुलण्डी कहा जाता है जिसमें सभी लोग एक दूसरे को रंग-बिरंगे रंग लगाते है इस दिन भारत में लोग कोई भी जात-पात नहीं देखते सभी एक दूसरे से गले मिलकर खूब धूमधाम से होली को मनाते है।

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इस त्यौहार को प्रेम का त्यौहार भी कहा जाता है क्योंकि जिस दिन सभी लोग अपने गिले-शिकवे भुलाकर दोस्ती कर लेते हैं और पूरे हर्षोल्लास से इस त्योहार को मनाते है। भारत में नंदगांव, वृंदावन और बरसाने की होली बहुत अधिक प्रसिद्ध है इसे देखने के लिए विदेशों से भी पर्यटक आते है।

Essay on Holi in Hindi 300 Words

हिंदू धर्म का होली का त्योहार विश्व प्रसिद्ध है यह त्यौहार मार्च के महीने में मनाया जाता है हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास में इस त्यौहार को मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाया जाने के पीछे एक पौराणिक कथा है

जिसके अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था जिसने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसे कोई भी नहीं मार सकता है इसलिए फिर वह वरदान पा कर इतना कुरुर हो गया कि वह अपने आप को ही भगवान मानने लगा वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा दुश्मन था।

हिरण्यकश्यप का एक बेटा था जो कि भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था काफी समझाने के बाद भी वह भगवान विष्णु की पूजा करना नहीं छोड़ रहा था तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद से उसे मारने की कोशिश की,

होलिका को आग में नहीं जलने का वरदान था इसलिए वह प्रहलाद को लेकर जलती आग की चिता पर बैठ गई थी लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ और होलीका जलकर भस्म हो गई।

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इसे बुराई पर अच्छाई की जीत माना गया और होली त्यौहार का उदय हुआ। इसीलिए वर्तमान में लोग अब जगह जगह होली के दिन होलिका का दहन करते है। होलिका का दहन करने के लिए घास फूस और सूखी लकड़ियां साथ में गोबर की बहुत सारे कंडे इस्तेमाल में लिए जाते है।

होलिका दहन से पहले महिलाएं होली की पूजा करती है और इसके बाद होलिका दहन कर दिया जाता है। होली का दूसरा दिन मौज मस्ती का होता है इस दिन सभी लोग एक दूसरे को गुलाल रंग लगाते है और एक दूसरे को रंग बिरंगे रंगों से रंग देते है।

वृंदावन में फूलों की होली भी खेली जाती है यह त्योहार सच में सौहार्द का त्यौहार है क्योंकि इस दिन सभी लोग अपने देश में भूलाकर दोस्ती कर लेते है।

Holi Par Nibandh 500 Words

प्रस्तावना –

हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए होली का त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण है हिंदू धर्म को मानने वालों के अनुसार होली का त्यौहार हिंदुओं का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है।

इस त्यौहार को सभी वर्गों के लोग बनाते हैं वर्तमान में तो अन्य धर्मों को मानने वाले लोग भी इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है।

यह खुशियां बांटने वाला त्यौहार है इस दिन सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर खुशी खुशी इस त्योहार को मनाते है इस त्यौहार में ऐसी शक्ति है कि वर्षों पुरानी दुश्मनी भी इस दिन दोस्ती में बदल जाती है। इसीलिए होली को सौहार्द का त्यौहार भी कहा गया है।

होली मनाने का कारण –

हिंदू धर्म में Holi मनाने का एक प्रमुख कारण है इसके पीछे एक पुरानी कथा जुड़ी हुई है इस कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस था जो कि अपनी भक्ति और शक्ति के लिए बहुत प्रसिद्ध था।

उसे देवताओं से एक वरदान मिला हुआ था जिसके अनुसार उसकी मृत्यु कभी नहीं हो सकती है।

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यह वरदान मिलने के बाद उसमें अहंकार आ गया और वह अपने आप को ही भगवान मानने लगा और अपनी प्रजा से स्वयं की पूजा करने को कहने लगा। प्रजा उसके क्रोध के कारण उसकी पूजा भी करने लगी लेकिन कुछ समय पश्चात ही हिरण्यकश्यप के एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम प्रह्लाद रखा गया।

प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त बन गया अपने पिता हिरण्यकश्यप के लाख समझाने के बावजूद भी है भगवान विष्णु की ही पूजा करता था इसलिए हिरण्यकश्यप ने क्रोध में आकर अपनी बहन होलिका को अपने ही बेटे को मारने का फरमान सुना दिया। होलिका को वरदान था कि वह किसी भी प्रकार की अग्नि उसे जला नहीं सकती।

होलीका प्रहलाद को लेकर जलती चिता पर बैठ गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ और होलिका जलकर राख हो गई।

जिसके बाद यह माना गया कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो हमेशा अच्छाई की जीत होती है। इसके बाद से ही होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

होली की मनाने की प्रक्रिया –

होली त्योहार की तैयारियां लोग कई दिनों पहले से ही करने लग जाते हैं बाजारों में रंग बिरंगे गुलाल नए कपड़े और मिठाइयां बिकने को आ जाती है। बाजारों में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है।

होली का त्यौहार 2 दिनों तक चलता है होली के पहले दिन संध्या के समय होलिका दहन किया जाता है। सभी लोग होलिका दहन के बाद एक दूसरे को गले मिलकर होली की शुभकामनाएं देते हैं और पूरे मोहल्ले भर में मिठाइयां बांटते है।

होली का दूसरा दिन धुलण्डी के रूप में जाना जाता है इस दिन सभी लोग एक दूसरे को रंग-बिरंगे रंग से रंगते है। और पूरे दिन भर रंगो से खेलते है। इस दिन लोग खूब मौज मस्ती करते हैं और नई मिठाईयां खाते है।

उपसंहार –

होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है इस त्यौहार से सीख लेते हुए हमें भी अपनी बुराइयों को छोड़ते हुए अच्छाई को अपनाना चाहिए। इस त्यौहार से में एक और सीखने को मिलती है कि कभी भी हमें अहंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि अहंकार हमारे सोचने समझने की शक्ति को बंद कर देता है।

हमें होली का त्यौहार अपने परिवार और दोस्तों के साथ खूब धूमधाम से मनाना चाहिए।

Long Essay on Holi in Hindi 1500 Words

रूपरेखा –

भारत त्योहारों का देश है इसीलिए आप प्रत्येक दिन एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है भारत में हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की जनसंख्या अधिक है इसलिए यहां पर बहुत त्योहार मनाए जाते है। होली का त्यौहार भी एनी त्योहारों में से एक है लेकिन यह त्यौहार अपनी एक अलग पहचान रखता है।

ऐसा माना जाता है कि होली का त्योहार हजारों वर्षों से मनाया जाता है जा रहा है होली के त्यौहार की कृष्ण की रासलीला में भी जिक्र किया गया है भगवान कृष्ण को भी होली का त्योहार बहुत अधिक प्रिय था। होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है साथ ही यह मौज मस्ती का भी प्रतीक है।

होली कब मनाई जाती है –

होली का त्योहार प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में मनाया जाता है हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस जोहार को फाल्गुन मास में मनाने की प्रथा है। इस वर्ष 2019 में होली का त्यौहार 20 मार्च 2019 को मनाया जाएगा ।

होली का इतिहास –

होली के त्यौहार का जिक्र है पुराने ग्रंथों में इसे भी देखने को मिलता है जो कि यह बतलाता है कि होली का त्यौहार बहुत बड़ा है। इस त्योहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही अच्छी और प्रसिद्ध कथा है।

पुरानी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था जिसने वर्षों की तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया जिसके बाद ब्रह्मा जी ने हिरण्यकश्यप को वरदान मांगने के लिए कहा तो विनय कश्यप ने वरदान में मांगा कि उसे ना दिन में ना रात में, ना देवता ना मनुष्य, ना ही कोई जानवर और ना ही किसी प्रकार के हथियार से उसकी हत्या नहीं की जा सकती है।

हिरण्यकश्यप को यह वरदान मिलने के बाद उसमें अहंकार आ गया और वह सोचने लगा कि वही इस सृष्टि का दाता है और वही सबसे बड़ा भगवान है। वह अपनी प्रजा से क्रूरता पूर्ण व्यवहार करने लगा।

वह भगवान विष्णु को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था इसलिए अपनी प्रजा से कहता था कि वह उसकी पूजा करें भगवान विष्णु की पूजा ना करें। प्रजा के कुछ लोगों ने भय वश उसकी पूजा भी करने लगे।

समय बीतने के साथ ही हिरण्यकश्यप के एक बेटा पैदा हुआ जिसका नाम पहलाद रखा गया। प्रहलाद बचपन से ही भगवान विष्णु का भक्त था वह सुबह शाम की पूजा करता था। जैसे ही हिरण्यकश्यप को पता चला कि उसका बेटा भगवान विष्णु का भक्त है तो उसने अपने बेटे को समझाने की कोशिश की लेकिन प्रहलाद में अपने पिता की एक बात ने सुनी।

हिरण्यकश्यप को इस बात को लेकर बहुत क्रोध आया और उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया और अपने ही बेटे को मारने को कहा। होलिका को वरदान था कि उसे किसी भी प्रकार की आग जला नहीं सकती है इसलिए उसने अपने भाई का साथ देते हुए प्रहलाद को लेकर जलती हुई आपकी चिता में बैठ गई।

प्रहलाद यह देखकर घबरा गया और भगवान विष्णु की पूजा करने लगा भगवान विष्णु की ऐसी कृपा हुई थी प्रहलाद को एक खरोच तक नहीं आई और होलिका जलकर भस्म हो गई। इसी के बाद से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

होली कैसे मनाई जाती है –

होली का पर्व भारत के साथ साथ नेपाल अमेरिका ऑस्ट्रेलिया भूटान कनाडा मॉरिशस जैसे देशों में भी खूब धूमधाम से मनाया जाता है होली के त्यौहार की तैयारियां कई दिनों पहले से ही होनी प्रारंभ हो जाती है। महीनों पहले ही बाजारों में रौनक आ जाती है और बाजार रंग बिरंगी रंगों से सजे जाते है।

Holi मनाने के लिए लोग नए कपड़े खरीदते हैं और खूब सारी मिठाइयां खरीदते है। होली के दिन एक जगह चिन्हित कर ली जाती है जहां पर होली जलाई जानी होती है वहां पर पूरे दिन भर लोग लकड़ियां और गोबर के कंडे इकट्ठे करते है शाम तक यह एक बड़े ढेर में बदल जाता है। इस ढेर के बीचो-बीच पहलाद के प्रतीक के रूप में एक लकड़ी लगाई जाती है।

संध्या के समय महिलाओं द्वारा होली की पूजा की जाती है लोटे से जल अर्पण किया जाता है। इसके बाद शुभ मुहूर्त देखकर होलिका दहन कर दिया जाता है जैसे ही आग की लपटें बढ़ने लग जाती हैं पहलाद के प्रतीक वाली लकड़ी को निकाल दिया जाता है और दर्शाया जाता है की बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत ही होती है।

होलिका दहन होते समय कुछ लोग इसमें मीठे व्यंजन भी डालते हैं सब लोग अपनी प्रथा के अनुसार होलिका दहन में वस्तुएं डालते है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होली का धुआं जिस दिशा की ओर जाता है उस दिशा में उस साल बहुत अच्छी फसल होती है। होलिका दहन के पश्चात सभी लोग एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देते है और खूब सारी मिठाइयां बांटते है।

धुलण्डी –

होली का दूसरा दिन जिसे धुलण्डी का नाम दिया गया है यह दिल मौज मस्ती का दिन होता है इस दिन बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी मौज मस्ती करते हैं और एक दूसरे को रंग बिरंगी रंग लगाते है। सभी लोग एक दूसरे को ऐसे रंग देते हैं कि शाम होते-होते यह समझ ही नहीं आता है कि कौन सा व्यक्ति कौन है।

कुछ लोग इस दिन पक्के रंगों का भी इस्तेमाल करते हैं जिससे लोगों की सेहत खराब हो जाती है तो हमें पक्के रंगों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए हमेशा गुलाल से ही धुलण्डी खेलनी चाहिए। बच्चे जिन पार्टियों में पानी भर लेते हैं और पिचकारी उसे एक दूसरे के ऊपर रंग उड़ाते है।

सभी लोग अपनी-अपनी टोलियां बनाकर पूरे मोहल्ले भर में सभी को रंग लगाते फिरते हैं और एक बार आग लगाने के बाद उसे अपनी टोली में शामिल कर लेते हैं और ढोल नगाड़े बजाते हुए निकलते है। इस दिन लोग इतनी मौज मस्ती करते हैं कि सड़कों पर ही नाचने गाने लग जाते है।

भारत की प्रसिद्ध होली –

हमारे भारत देश में कुछ ऐसी जगह है जहां पर Holi का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है यहां की होली जो भी एक बार वे दूसरी बार यहां पर जरूर आना चाहता है इनमें से कुछ जगह इस प्रकार हैं

वृंदावन की होली – यहां के लोग रंगों की वजह फूलों से होली खेलते हैं सभी लोग एक दूसरे पर रंग बिरंगे फूल उड़ाते है। भगवान श्री कृष्ण भी यहां पर होली खेला करते थे और वृंदावन भी उन्हीं की नगरी है इसीलिए लोगों में उत्साह है और बढ़ जाता है।

यहां की होली देखने कई विदेशों से पर्यटक आते हैं जो कि यहां पर आकर बहुत ही धूमधाम से होली खेलते है।

बरसाने की होली – यह माता राधा का जन्म स्थान है यहां पर भगवान श्री कृष्ण अपने दोस्तों के साथ नंद गांव से बरसाने में होली खेलने आते थे। उसी तरह आज भी लोग नंद गांव से बरसाने में होली खेले जाते हैं यहां की होली इसलिए प्रमुख है क्योंकि यहां पर महिलाएं पुरुषों पर रंगो की वजह लकड़ी की लाठियों से उन्हें पीटती है।

यह देखने में बहुत ही सुंदर लगता है इसीलिए यहां की होली को लठमार होली भी कहा जाता है। कुछ इसी तरह की होली हरियाणा राज्य में भी खेली जाती है जहां भाभी देवर पर लाठियां बरसाती है। इसमें किसी को चोट नहीं आती क्योंकि पुरुषों के पास बचाव के लिए ढाल होती है।

राजस्थान की होली – राजस्थान की होली हमारे देश के साथ साथ विदेशों में भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पर होली का त्यौहार आने से महीनों पहले ही ढप और चंग की ताल पर पौराणिक होली के प्रसिद्ध गीत गाए जाते है। यहां पर लोग मोहल्लों में इकट्ठा हो जाते हैं और पूरी रात रात भर गीत गाते हैं और नाचते है।

राजस्थान की होली जो भी एक बार देख लेता है उसका मन यहां पर आने काम दूसरी बात भी करता है।

होली के त्यौहार का महत्व –

होली का ऐतिहासिक महत्व – होली के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी इसलिए लोगों को इस त्यौहार से शिक्षा मिलती है कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो हमेशा अच्छाई की जीत होती है इसलिए वह हमेशा अच्छे रास्ते को अपनाते है।

सामाजिक महत्व – होली एक सौहार्दपूर्ण त्यौहार है जिसमें लोग वर्षों पुरानी दुश्मनी लड़ाई झगड़ा भुलाकर एक दूसरे से गले मिल जाते है इसीलिए इस त्यौहार को दोस्ती का भी प्रतीक कहा गया है। इस दिन समाज में कोई ऊंच-नीच नहीं देखता सभी लोग एक दूसरे को गले लगा कर होली का त्यौहार मनाते है।

इसे समाज में ऊंच-नीच की खाई कम होती है इसलिए यह त्योहार सामाजिक महत्व भी रखता है।

वर्तमान में होली का रूप –

वर्तमान में होली का रूप बदलता जा रहा है क्योंकि युवा लोग इसके महत्व को नहीं समझ रहे हैं और इसी सौहार्दपूर्ण त्योहार की जगह है नशे के त्यौहार के रूप में देख रहे हैं

आजकल की युवा होली के दिन तरह-तरह का नशा करके बैठे रहते है कुछ लोगों को तो इसे गंभीर नुकसान भी हो जाते हैं लेकिन वह इसकी परवाह नहीं करते है।

इस दिन अब युवाओं में लड़ाई झगड़ा तो आम बात हो गई है। लोग होली के त्यौहार पर दुश्मनी भुलाने की जगह अब दुश्मनी बढ़ाने लगे है। आजकल युवा लोग रंग की जगह गोबर नाली का पानी और पक्के रंगों का इस्तेमाल करते हैं जो कि होली की शोभा को धूमिल करते है

यह सब चीजें Holi के त्यौहार की छवि को खराब कर रहे है। हमें लोगों को जागरूक करना होगा।

निष्कर्ष –

होली का त्योहार भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है यह दोस्ती का त्योहार है इसलिए इसे दोस्ती का त्यौहार ही बने रहना देना चाहिए इसे कोई और रूप देने का हमें कोई हक नहीं होता है।

वर्तमान में भटके हुए युवाओं को हमें इस त्यौहार के महत्व और विशेषता के बारे में बताना चाहिए ताकि उनके विचार विचार के प्रति बदले और हमारे इस सौहार्दपूर्ण त्यौहार की छवि बनी रहे।

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Holi Essay in Hindi  पर लिखा गया निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

20 thoughts on “होली पर निबंध – Holi Essay in Hindi”

Very nice essay on holi

Thank you Rubi devi

needs imporvement but overall its ok

thank you Kenisha

ভালো খুব ভালো । Good very good essay. अच्छा है काफी अच्छा है निबन्ध।

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदित्य दास, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे

Very good essay

thank you Mayank for appreciation.

Hey the full stop in hindi is | not this’.’

We have corrected all the mistakes, thank you Sparsh.

Write the fifty line essay on Holi in Hindi and English

We will soon write fifty lines essay on Holi

Very good essay. Super!

Thank you Charchit for appreciation.

bahut hi achha nibandh tha

Dhanyawad Aman ji aise hi website par aakar hamara manobal badhate rahe

bahut hi acha tyohar hai holi ka

Holi ka lekh aap ko pasand aaya hame bhut khushi hui, aise hi website par aate rahe, Dhanyawad.

बहुत ही अच्छा लेख है, एक लेख ऐसा ही मैंने लिखा है अगर आपको पसन्द आये तो ज़रूर बताइये ये रहा

प्रखर जी आप को हमारे द्वारा लिखा गया होली पर निबंध पसंद आया हमे बहुत खुशी हुई, प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

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होली पर निबंध

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भारत त्योहारों का अनोखा देश है। यहाँ अनेक धर्मों के लोग रहते हैं। उन सभी लोगों के अपने-अपने त्योहार हैं। होली हिंदुओं के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह फाल्गुन महीने में भारत के अनेक राज्यों में बड़े आनंद के साथ मनाई जाती है।

होली के दिन लोग रंगों से खेलते हैं। वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं। बच्चे एक-दूसरे पर रंगीन गुब्बारे फेंकते हैं। वे पिचकारियों से खेलते हैं। लोग इस पानी को एक-दूसरे पर फेंकते हैं और आनंद लेते हैं। संध्या-काल में लोग एक-दूसरे के चेहरों पर गुलाल लगाते हैं। बच्चे अपने से बड़ों के पैरों पर गुलाल रखकर उनसे आशीर्वाद लेते हैं। अनेक स्वादिष्ट व्यंजन, जैसे - गुलाब जामुन, गुजिया, दहीबड़ा, सवैयाँ एवं मालपुआ बनाए जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति उन्हें खाता है और त्योहार का आनंद लेता है।

होली भाईचारे और खुशियों का त्योहार है। हम सभी को इस दिन सभी से हुए बैर और ईर्ष्या को भूल जाना चाहिए। इस दिन हमें सकारात्मक भाव से लोगों से मिलना चाहिए। इस दिन हम सभी को अपने परिवार के संग होली का इस महा पर्व का आनंद लेना चाहिए।

भारत त्योहारों का अनोखा देश है। यहाँ अनेक धर्मों के लोग रहते हैं। होली हिंदुओं के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। होली के दिन लोग रंगों से खेलते हैं। वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं। बच्चे एक-दूसरे पर रंगीन गुब्बारे फेंकते हैं। वे पिचकारियों से खेलते हैं। होली भाईचारे और खुशियों का त्योहार है। हम सभी को इस दिन सभी से हुए बैर और ईर्ष्या को भूल जाना चाहिए। इस तरह होली का यह महा पर्व खुशियाँ के साथ मनाई जाती है।

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होली पर निबंध 10 lines (Holi Essay in Hindi) 100,150, 200, 250, 300 शब्दों मे Long and Short Essay in Hindi

essay on holi for class 4 in hindi

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – होली रंगों का त्योहार है जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह एकता का त्योहार भी है क्योंकि यह लोगों को जाति, जातीयता या धर्म की परवाह किए बिना त्योहार मनाने के लिए एक साथ लाता है। मार्च में पूर्णिमा के दिन भारत में होली दो दिनों तक मनाई जाती है। लोग पहले दिन “ होलिका दहन ” (Holika Dahan) मनाते हैं और चारों ओर इकट्ठा होते हैं और लकड़ी और गाय के गोबर के ढेर जलाते हैं, और होली से संबंधित भजन गाते हैं।

फिर अगले दिन, सभी उम्र के लोग “गुलाल” नामक रंगों और “दुलाहांडी” नामक रंगीन पानी के साथ खेलने के लिए इकट्ठा होते हैं। लोग एक साथ दावत करते हैं और “गुजिया” नामक दिन के लिए बनाई गई विशेष मिठाई खाते हैं और “ठंडाई” या कोल्ड ड्रिंक और “भांग” परोसते हैं। लेकिन होली सावधानी से खेली जानी चाहिए। उपयोग किए गए गुलाल को व्यवस्थित रूप से तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि रासायनिक गुलाल त्वचा में जलन पैदा कर सकता है और जहां भी यह संपर्क में आता है। लोगों को होली खेलते समय अपने परिवेश के प्रति जागरूक रहना चाहिए और सावधान रहना चाहिए कि किसी को नुकसान न पहुंचे।

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – भारत में कुछ जगहों पर होली को पांच दिनों तक भी मनाया जाता है। होली एक राष्ट्रीय अवकाश है और इस दिन सभी शिक्षण संस्थान और कार्यालय बंद रहते हैं।

होली पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Holi 10 lines in Hindi)

  • होली भारत में मुख्य रूप से हर साल हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है।
  • मार्च वह महीना है जब देश में ज्यादातर होली मनाई जाती है, कभी-कभी यह त्योहार दो दिनों से अधिक समय तक मनाया जाता है,
  • भारत के विभिन्न राज्य अलग-अलग तरीकों से होली मनाते हैं और प्रत्येक उत्सव अद्वितीय और सुंदर होता है।
  • होली से एक दिन पहले, एक अनुष्ठान किया जाता है जिसे ‘होलिका दानन’ कहा जाता है, यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसे हर कोई खेलता है।
  • लोग एक विशाल अलाव बनाते हैं और विभिन्न समारोह करते हैं, और इस तरह ‘होलिका दानन’ दिखाया जाता है।
  • होली एक खुशी और खुशी का त्योहार है जो सभी को खुश करता है।
  • धार्मिक ग्रंथों के अनुसार होली के उत्सव की शुरुआत राधा और कृष्ण ने की थी।
  • होली के दिन लोग अपने परिवार से मिलते हैं और दोस्त एक दूसरे को उत्सव के रूप में रंग लगाते हैं।
  • उत्तर भारत में होली मनाने के तरीके के रूप में गीत गाने की परंपरा है।
  • होली के लिए कई अनोखी मिठाइयाँ बनाई जाती हैं, और सबसे आम में से एक है ‘गुजिया’।

होली पर निबंध 100 शब्दों में (short Essay on Holi in 100 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – होली भारत में सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह रंगों, खुशी और दोस्ती का त्योहार है। यह मार्च के महीने में मनाया जाता है। यह आमतौर पर बुराई पर अच्छाई की जीत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। लोग एक दूसरे को रंग लगाकर त्योहार मनाते हैं। होली को और रंगीन बनाने के लिए लोग वाटर गन, पिचकारी और पानी के गुब्बारों से खेलते हैं।

लोग अपनी दुश्मनी भूलकर रंगों का त्योहार मनाते हैं। लोग सफेद कपड़े पहनकर एक दूसरे के घर जाते हैं। होली के दिन मिठाई और स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। लोग अपनों को उपहार बांटते हैं। होली एकता, सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक है।

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होली पर निबंध 150 शब्दों में (Essay on Holi in 150 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) -होली हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह रंगों का त्योहार है। होली का त्योहार वसंत ऋतु में दो दिनों तक मनाया जाता है। उत्सव की शुरुआत त्योहार से एक रात पहले होलिका दहन से होती है और अगले दिन को होली कहा जाता है।

होली के मौके पर लोगों में काफी खुशी है। वे अपनी चिंताओं और चिंताओं को भूल जाते हैं। वे स्वादिष्ट खाना बनाते हैं। उन्होंने नए कपड़े पहने। वे एक दूसरे पर रंगीन पानी छिड़कते हैं। वे दूसरों के चेहरों पर रंगीन पाउडर बिखेरते हैं। वे गाते हैं, नाचते हैं और उछल-कूद करते हैं। वे ढोल बजाते हैं और होली के गीत गाते हैं। वे लगभग खुशी से पागल हैं। वे भूल जाते हैं कि वे क्या हैं। शाम को वे अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों से मिलने जाते हैं। वे एक दूसरे को गले लगाते हैं। वे दूसरों के चेहरे पर अबीर का धब्बा लगाते हैं।

होली एक खुशी का अवसर है जब हम सभी के साथ खुलकर घुलमिल जाते हैं। हम अमीर और गरीब के बीच के सामाजिक भेद को भूल जाते हैं। त्योहार का यह रंग लोगों को एक करता है और जीवन से हर तरह की नकारात्मकता को दूर करता है।

होली निबंध 200 शब्दों में (Holi Essay in 200 words in Hindi)

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – हमारे देश में कई त्योहार मनाए जाते हैं। होली का त्योहार उनमें से एक है। होली रंगों का त्योहार है। यह हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह वसंत की शुरुआत में आयोजित किया जाता है। प्रकृति अपनी गहरी नींद से जागती हुई प्रतीत होती है। पेड़ नए पत्ते लाते हैं। फूल खिलने लगते हैं।

इस दिन लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर और हाथ में सूखा पाउडर लेकर सड़कों पर घूमने लगते हैं। उन्होंने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के चेहरे पर गुलाल और रंग मलकर उनके सुखी और समृद्ध जीवन की कामना की। बच्चे रंगीन पानी से भरे झरनों को लेकर जाते हैं जिसे वे राहगीरों के कपड़ों पर छिड़कते हैं। वे कूदते हैं, नाचते हैं और आनंदित होते हैं। हर दिल में खुशी का वास है। जो लोग परेशान नहीं होना चाहते वे घर के अंदर ही रहें। लेकिन बहुत बार उन्हें बख्शा नहीं जाता है और उनकी इच्छा के विरुद्ध रंगीन पानी में धोए जाते हैं।

लेकिन कुछ लोग होली को बहुत ही अश्लील तरीके से मनाते हैं। वे शराब पीते हैं और हंगामा करते हैं। वे झगड़ा करते हैं और दूसरों का अपमान करते हैं। वे दूसरों पर कीचड़ और गंदगी फेंकते हैं। ऐसी बुराइयों को रोकना चाहिए। लोगों के लिए समस्याएँ पैदा करने के बजाय खुशी और उल्लास लाने के लिए त्योहार मनाए जाने चाहिए।

होली निबंध 250 शब्दों में (Holi Essay in 250 words in Hindi)

Essay on Holi – कई संस्कृतियों, जातियों और धर्मों के देश के रूप में, भारत पूरे वर्ष अपने कैलेंडर में अनगिनत त्योहार मनाता है। सबसे व्यापक रूप से ज्ञात त्योहारों में, हम होली को सरल शब्दों में रंगों का उत्सव पाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे हम थोड़ा गहरा गोता लगाते हैं, होली अपने साथ कई अर्थ और ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व लेकर आती है।

होली, कुछ लोगों के लिए, राधा और कृष्ण द्वारा साझा किए गए प्रेम का त्योहार है – प्रेम का एक रूप जिसे किसी विशिष्ट नाम, रूप या आकार की आवश्यकता नहीं होती है। दूसरों के लिए, यह एक कहानी है कि कैसे हम में अच्छाई हमेशा बुराई पर विजयी होकर उभरती है। जबकि कई अन्य लोगों के लिए, होली मस्ती, मस्ती, क्षमा और करुणा का अवसर है। तीन दिनों में फैली, होली की रस्में पहले दिन अलाव के प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होती हैं और दूसरे दो दिनों में रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य और आशीर्वाद के साथ उत्सव मनाया जाता है। उपयोग किए जाने वाले प्राथमिक रंग विभिन्न भावनाओं और तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं जैसे भगवान कृष्ण के लिए नीला, प्रजनन क्षमता और प्रेम के लिए लाल और नई शुरुआत के लिए हरा।

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होली निबंध 300 शब्दों में (long Essay on Holi in 300 words in Hindi)

Essay on Holi – होली का त्योहार हर साल मार्च (फागुन) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसे एकता, प्रेम, खुशी, खुशी और जीत के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। हम एक दूसरे के साथ प्यार और खुशी का इजहार करने के लिए इस त्योहार को चमकीले और आकर्षक रंगों में खेलते हैं। इसका अपना महत्व है साथ ही इसे मनाने के कई कारण, कहानियां और मान्यताएं भी हैं।

होली पर निबंध  ( Holi Essay in Hindi ) – बहुत समय पहले, एक राजा हिरण्यकश्यप, उसकी बहन होलिका और उसका पुत्र प्रह्लाद था। प्रह्लाद एक पवित्र आत्मा थे जो भगवान विष्णु के भक्त थे, जबकि उनके पिता चाहते थे कि प्रह्लाद सहित सभी उनकी पूजा करें। लेकिन भक्त प्रह्लाद को यह ज्ञान नहीं था और वे हमेशा भगवान विष्णु की पूजा करते थे। इससे नाराज होकर उसके पिता ने उसे जलाने की योजना बनाई। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गया क्योंकि होलिका को भगवान से वरदान मिला था कि आग उसे नहीं जला सकती, अपने भाई की बात मानकर होलिका आग में बैठ गई लेकिन प्रह्लाद को इस आग से कोई नुकसान नहीं हुआ हुआ यूं कि इस आग में होलिका जल गई। इसी कथा से होली पर्व की उत्पत्ति हुई।

इस त्योहार के मौके पर सभी अपने अपनों से मिलते हैं, रंग और अबीर से होली खेलते हैं, साथ ही कई ऐसी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं जो एक दूसरे के लिए खुशी दर्शाती हैं। ऐसे में लोग रंगों के इस त्योहार में अपनों के साथ जश्न मनाते हैं.

होली निबंध से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न हिंदी में (FAQs)

होली किस महीने में मनाई जाती है.

जिस महीने मार्च में होली मनाई जाती है वह देश में गर्मी का चरम होता है।

होली का त्यौहार कितने दिनों तक मनाया जाता है?

होली का त्योहार ज्यादातर पांच दिनों तक मनाया जाता है। हालांकि, कुछ जगहों पर इसे पांच दिनों से अधिक समय तक मनाया जाता है।

क्या होली सिर्फ भारत में ही मनाई जाती है?

होली भारत में मनाई जाती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, सभी धर्मों के लोगों ने भी अपने देश में इस त्योहार के आयोजन में हिस्सा लिया है।

प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने की सिफारिश क्यों की जाती है?

देश ने कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ विभिन्न तीव्रता के त्वचा रोगों में वृद्धि देखी है।

होली मनाने के लिए भारत में सबसे अच्छी जगह कौन सी हैं?

भारत का हर हिस्सा अपने तरीके से मनाता है लेकिन मथुरा, दिल्ली, जयपुर और आगरा में होली का भव्य उत्सव मनाया जा सकता है।

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Essay On Holi in Hindi

Essay On My Favourite Festival Holi : होली पर निबंध 1000 शब्दों में

Essay On My Favourite Festival Holi: होली रंगों का त्यौहार है जो भारत में मनाया जाता है। यह मार्च में मनाया जाता है। रंग-बिरंगा त्योहार वसंत ऋतु में मनाया जाता है। होली के दिन हम आमतौर पर सफेद कपड़े पहनते हैं। हम चमकीले रंगों जैसे नीला, हरा, गुलाबी, पीला आदि से खेलते हैं। मेरी माँ स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाती हैं और हम उन्हें अपने आस-पड़ोस में बाँटते हैं।  होली के दिन पानी के गुब्बारों और पिचकारियों का उपयोग करके विभिन्न रंगों से खेलते हैं।होली की शुरुआत राक्षसी होलिका को जलाने से होती है।हम लकड़ियाँ इकट्ठा करके जलाते हैं और उसके चारों ओर नाच-गाकर जश्न मनाते हैं। होली हमें बुराई पर अच्छाई की जीत सिखाती है।  होली के दिन घर में विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट पकवान बनते हैं। जिसका आनंद परिवार के सभी लोग मिलकर उठाते हैं इसके अलावा होली की शाम हम सभी लोग अपने मित्र या सके संबंधित के घर जाकर अबीर देते हैं  यदि आप एक छात्र हैं और होली के ऊपर एक बेहतरीन निबंध लिखना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही आर्टिकल पर आ गए हैं आज के लेख में essay on my favourite festival Holi से जुड़ी जानकारी जैसे- essay on Holi 100 words) essay on Holi 300 words)  essay on Holi 500 words essay on Holi in hindi)Holi par nibandh 10 line) Holi essay in hindi for class 5) Holi festival paragraph के बारे में आपको जानकारी प्रदान करेंगे आर्टिकल को ध्यान से पढ़ेंगे आए जानते हैं-

Holi Essay in Hindi – Overview

आर्टिकल का प्रकारमहत्वपूर्ण त्यौहार
आर्टिकल का नामहोली पर निबंध
साल कौन सा है2024
भाषा कौन सी हैहिंदी
कब मनाई जाएगी25 मार्च 2024 को
कहां मनाई जाएगीपूरे भारतवर्ष में
कौन से धर्म के लोग मानते हैंहिंदू धर्म

होली पर निबंध 100 शब्दों में (Essay On Holi 100 Words)

होली एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो हर साल वसंत ऋतु में मनाया जाता है। यह रंगों का त्यौहार है जिसके दौरान लोगों, सड़कों और घरों को विभिन्न रंगों में रंगा हुआ देखा जा सकता है। इसे प्यार का त्योहार भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन लोग अपनी पुरानी दुश्मनी को भुलाकर रंगों से खेलते हैं और रिश्तों को फिर से ताजा करते हैं।होली दो दिवसीय त्योहार है, जो मुख्य त्योहार से एक रात पहले छोटी होली के साथ शुरू होता है, जब होलिका दहन (राक्षसी होलिका को जलाना) के प्रतीक के रूप में सड़कों पर बड़ी चिताएं जलाई जाती हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। अगले दिन लोग रंगों से खेलते हैं और शाम को एक-दूसरे के घर जाकर बधाइयां और मिठाइयां बांटते हैं। दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने का रिवाज एक सप्ताह से अधिक समय तक जारी रहता है।

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होली पर निबंध 300 शब्दों में ( Essay On Holi 300 Words) 

होली का परिचय.

होली सभी का सबसे पसंदीदा त्योहार है क्योंकि यह बहुत सारी खुशियाँ और खुशियाँ लाता है। इसे हर साल विशेष रूप से हिंदू धर्म के लोगों द्वारा एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह आमतौर पर मार्च (या फाल्गुन) के महीने में वसंत ऋतु की शुरुआत में पड़ता है। हर कोई इस त्यौहार का बहुत ही उत्साह के साथ और इसे मनाने की खास तैयारियों के साथ इंतजार करता है।

हम होली क्यों मनाते हैं?

होली मनाने के पीछे प्रह्लाद की एक महान कहानी है। एक बार प्रह्लाद (जो भगवान का बहुत बड़ा भक्त था) को उसके ही पिता ने मारने की कोशिश की क्योंकि उसने भगवान के स्थान पर अपने पिता की पूजा करने से इनकार कर दिया था। प्रह्लाद के पिता के आदेश पर उसकी चाची होलिका उसे अपनी गोद में रखकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान ने उसे बचा लिया क्योंकि वह एक सच्चा भक्त था और होलिका को आग में जला दिया गया, जबकि उसे कभी कोई नुकसान न होने का वरदान मिला हुआ था। आग। उस दिन से, हिंदू धर्म को मानने वाले लोग बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करने के लिए हर साल होली का त्योहार मनाने लगे।

होलिका दहनरंगीन होली के त्योहार से एक दिन पहले, लोग उस दिन को याद करने के लिए रात में होलिका दहन के समान लकड़ियों और गोबर के उपलों का ढेर जलाते हैं। कुछ लोग यह मानकर होलिका में परिवार के प्रत्येक सदस्य के सरसों के उबटन के अवशेषों को जलाने की विशेष परंपरा का पालन करते हैं कि इससे घर और शरीर से सभी बुराइयां दूर हो जाएंगी और घर में खुशियां और सकारात्मकता आएगी।

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होली पर निबंध 500 शब्दों में ( Essay on Holi 500 Words)  

होली रंगों का एक बहुत प्रसिद्ध त्योहार है जो हर साल ‘फाल्गुन’ या मार्च के महीने में भारत के लोगों द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह विशेष रूप से बच्चों के लिए बहुत सारी मौज-मस्ती और उल्लासपूर्ण गतिविधियों का त्योहार है, जो त्योहार से एक सप्ताह पहले उत्सव शुरू करते हैं और एक सप्ताह बाद भी जारी रखते हैं। देशभर में विशेषकर उत्तर भारत में मार्च के महीने में हिंदू धर्म के लोगों द्वारा होली मनाई जाती है।

महोत्सव के पीछे की किंवदंती और कहानी

भारत में वर्षों से होली मनाने के पीछे कई कहानियाँ और किंवदंतियाँ हैं। यह अत्यंत महत्व एवं महत्ता वाला पर्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि होली मनाने की शुरुआत बहुत पहले हुई थी जब होलिका अपने ही भतीजे को आग में मारने की कोशिश करते समय आग में जल गई थी।ऐसा माना जाता है कि हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस राजा था, जो छोटे प्रह्लाद का पिता था, जिसने अपने ही बेटे को आग में जलाकर मारने की कोशिश की थी जब प्रह्लाद ने उसकी पूजा करने से इनकार कर दिया था क्योंकि प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। जब हिरण्यकश्यप प्रह्लाद को मारने की अपनी कई रणनीतियों में विफल रहा, तो उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ जाए क्योंकि उसे आग से कभी नुकसान न होने का वरदान प्राप्त था।

हालाँकि, यह रणनीति भी विफल रही क्योंकि छोटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और उसे उसके भगवान ने बचा लिया था। होलिका आग में जल गयी और प्रह्लाद बच गया। उस दिन से हिंदू धर्म के लोग हर साल होली मनाने लगे।

होलिका और उसके रीति-रिवाज

होली से एक दिन पहले लोग चौराहों पर लकड़ियों का ढेर बनाकर उसे होलिका का प्रतीक बनाकर जलाते हैं और ‘होलिका दहन’ समारोह मनाते हैं। लोग जलती हुई होलिका की कई परिक्रमा करते हैं और अग्नि में सभी पापों और बीमारियों को जलाकर समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद पाने के लिए इसकी पूजा करते हैं। उत्तर भारत में एक प्रथा यह भी है कि लोग सरसों के पेस्ट से शरीर की मालिश करते हैं और फिर शरीर की सभी बीमारियों और बुराइयों से छुटकारा पाने की उम्मीद में इसे होलिका में जला देते हैं।

हम होली कैसे मनाते हैं?

‘होलिका दहन’ के बाद अगली सुबह, लोग एक स्थान पर एकत्रित होकर और एक-दूसरे पर खेल-खेल में रंग फेंककर होली का रंगीन त्योहार मनाते हैं। मुख्य त्योहार से एक सप्ताह पहले ही होली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग, विशेषकर बच्चे अत्यधिक उत्साही होते हैं जो एक सप्ताह पहले से ही अलग-अलग रंगों की खरीदारी शुरू कर देते हैं।

यहां तक ​​कि वे अपने दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ पिचकारी और छोटे गुब्बारों से रंग खेलना शुरू कर देते हैं। उत्सव की शुरुआत सुबह से होती है जब बहुत सारे रंगों के साथ लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और उन्हें रंग लगाते हैं। होली के व्यंजनों में ‘गुझिया’, मिठाइयाँ, ‘पानी पुरी’, ‘दही बड़े’, चिप्स आदि शामिल होते हैं जिनका मेहमानों के साथ-साथ मेजबानों द्वारा भी आनंद लिया जाता है।

होली पर निबंध 1000 शब्दों में ( Nibandh On Holi 1000 Words)

होली – रंग, खुशी और प्यार का त्योहार.

होली अन्य हिंदू त्योहारों से इस मायने में अलग है कि इसमें किसी भी देवता की पूजा की आवश्यकता नहीं होती है, जैसा कि अन्य त्योहारों के साथ अनिवार्य है। यह त्यौहार बिना किसी धार्मिक बाध्यता के शुद्ध आनंद की मांग करता है।

रंगों के बिना होली उत्सव की कल्पना करना असंभव है। दरअसल इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। लोग रंगीन पाउडर से खेलते हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में गुलाल कहा जाता है। वे दोस्तों और परिवार के सदस्यों पर गुलाल छिड़कते हैं, एक-दूसरे को “हैप्पी होली” कहते हैं और गले मिलते हैं। बच्चों को विभिन्न प्रकार की पिचकारी के साथ समूह में खेलते देखा जा सकता है।सभी घर और सड़कें सुंदर और चमकीले लाल, पीले, नीले, नारंगी और बैंगनी रंग के संयोजन से रंग जाते हैं। सर्दियों की ठंडी हवाएँ चले जाने के बाद, लोग ढीले-ढाले कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे पर रंग और रंगीन पानी छिड़कते हैं। सिर से पैर तक हर कोई अलग-अलग रंगों में रंगा हुआ है; इतना कि किसी को अपने सबसे करीबी दोस्त को पहचानने में भी एक या दो पल लग जाते हैं।

होलिका दहन की पौराणिक कथा

होली दो दिवसीय त्योहार है, जो हिंदू महीने फाल्गुन की पूर्णिमा की शाम को शुरू होता है। दूसरे दिन सुबह रंग की होली खेली जाती है.होली के पहले दिन को छोटी होली कहा जाता है और शाम को होलिका दहन की रस्म निभाई जाती है। सड़क के चौराहों या बाजार, सड़कों, गलियों, कॉलोनियों आदि में अन्य उपयुक्त स्थानों पर अलाव जलाए जाते हैं। लोग आग में अपना पुराना सामान जलाते हैं, जो ईर्ष्या, घृणा और दुश्मनी की भावनाओं को जलाने का प्रतीक है। यह अनुष्ठान बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है।होलिका दहन की आम तौर पर  मशहूर किंवदंतियों में से एक राक्षस राजा हिरण्यकश्यप और उसके पुत्र प्रह्लाद से जुड़ी है। प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था; इससे हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया, जो अमरता के वरदान के कारण खुद को भगवान मानता था। हालाँकि, उनका पुत्र प्रह्लाद विष्णु की पूजा करने के अपने संकल्प पर अड़ा रहा और उसने अपने पिता हिरण्यकश्यप की पूजा करने से इनकार कर दिया।अपने ही पुत्र से निराश हिरण्यकश्यप क्रोधित हो गया और उसने प्रह्लाद को यातना देना शुरू कर दिया, ताकि वह शांत हो जाए। जब प्रह्लाद ने नियमित रूप से मना कर दिया, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ प्रह्लाद को उसके साथ जलती हुई चिता पर बैठने के लिए धोखा देने की साजिश रची। माना जाता है कि होलिका को आग में जलने से सुरक्षा का वरदान प्राप्त था। दुष्ट योजना प्रह्लाद को चिता में जलाने की थी, जबकि होलिका वरदान से सुरक्षित रहेगी।होलिका प्रह्लाद को अपने साथ चिता में बैठने के लिए सहमत करने में सफल रही। प्रह्लाद सहमत हो गया क्योंकि उसे अपने देवता विष्णु पर अत्यधिक विश्वास था। होलिका बालक प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता में बैठ गयी। जैसे ही चिता जली, भगवान विष्णु ने प्रह्लाद को बचाने के लिए हस्तक्षेप किया और वरदान के बावजूद होलिका जलकर राख हो गई। होलिका को दिया गया वरदान काम नहीं आया, क्योंकि; उसे अमरता तभी प्रदान की गई जब वह अकेले अग्नि में प्रवेश कर गई।इस प्रकार, लोग छोटी होली पर बुराई होलिका के दहन के प्रतीक के रूप में चिता जलाते हैं और अगले दिन रंगीन उत्सवों का स्वागत भी करते हैं।

 लठ मार होली बरसाना

मथुरा के निकट एक छोटे से कस्बे बरसाना में राधा रानी मंदिर के परिसर में लठ मार होली की प्रथा सदियों से मनाई जा रही है। पास के नंदगांव के पुरुष बरसाना आते हैं जहां महिलाएं उन्हें लाठियों से मारती हैं, जिन्हें पारंपरिक रूप से हिंदी में लाठियां कहा जाता है। दूसरी ओर, पुरुष ढालों से अपनी रक्षा करते थे और जो लोग पकड़े जाते थे उन्हें महिलाओं की पोशाक पहनाकर नृत्य कराया जाता था।

बरसाना की लठ मार होली इतनी लोकप्रिय हो गई है कि लाखों देशी भारतीयों के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी इस उत्सव को देखने के लिए बरसाना आते हैं।

होली त्यौहार का जश्न

विभिन्न राज्यों और देशों के लोग अलग-अलग रीति-रिवाजों और तरीकों से होली मनाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति प्रथम दिन पूर्णिमा के दिन होली को होली पूर्णिमा के नाम से मनाता है।

सबसे पहले इस दिन लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के कारण होली मनाते हैं। साथ ही फाल्गुन महीने का स्वागत करने के लिए लोग होली मनाते हैं, इसलिए इसका दूसरा नाम फगवा है।उन्होंने “होली” शब्द को ‘होला’ शब्द से लिया, जिसका अर्थ है अच्छी फसल के लिए भगवान की पूजा। होली का त्यौहार दीपावली या दीवाली के पारंपरिक त्यौहार की तरह है। इस त्यौहार को लोग हर साल भी मनाते हैं।

आप प्राचीन मंदिरों की दीवारों पर भी होली उत्सव का उल्लेख पा सकते हैं। ओडिशा और पश्चिम बंगाल में पूर्णिमा के अगले दिन को डोल पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है । इसलिए इस दिन को डोल जात्रा के नाम से भी जाना जाता है।

मथुरा और वृन्दावन: होली समारोह

होली का त्यौहार मथुरा और वृन्दावन में प्रसिद्ध है। इस दिन को उत्साह से मनाने के लिए भारत के अन्य शहरों और विभिन्न देशों से लोग मथुरा और वृन्दावन आते हैं।मथुरा और वृन्दावन वे पवित्र स्थान हैं जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। पारंपरिक भारतीय इतिहास के अनुसार, लोग राधा कृष्ण के समय से ही होली का त्योहार मनाते आ रहे हैं।होली के अवसर पर मथुरा और वृन्दावन के लोग विभिन्न मांगलिक कार्यक्रमों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। सबसे पहले बांकेबिहारी मंदिर में महा होली का उत्सव होता है और उसके बाद मथुरा के ब्रज में गुलाल कुंड में लोग होली मनाते हैं। सदस्य यहां कृष्ण लीला नाटक का भी आयोजन करते हैं।

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होली पर निबंध हिंदी में ( Essay On Holi in Hindi ) 

होली, रंगों का त्योहार, भारत में मनाए जाने वाले सबसे रंगीन और खुशियों भरे त्योहारों में से एक है। यह आमतौर पर मार्च महीने में आता है और बसंत के आगमन का संकेत देता है। यह त्योहार सिर्फ रंगों के साथ खेलने के बारे में ही नहीं है, बल्कि यह अच्छाई की जीत और एकता की भावना के बारे में भी है।होली की कथा हिन्दू पौराणिक कथाओं में निहित है, खासकर होलिका और प्रहलाद की कहानी में। होलिका, दानवी राक्षस, ने प्रहलाद को भगवान विष्णु के भक्त को आग में जलाने की कोशिश की। हालांकि, भगवान विष्णु ने प्रहलाद की रक्षा की, और होलिका को आग  में नष्ट कर दिया। इस घटना का संकेत अच्छाई की जीत की ओर है, और होली की रात को “होलिका दहन” के नाम से जाने वाले एक बोनफायर को इस जीत का प्रतीक बनाने के लिए जलाया जाता है। स्वादिष्ट मिठाई और नमकीन होली के उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। इस त्योहार के दौरान गुजियाएं, आटे से बनी जिनमें मिठाई भराई होती है, एक प्रसिद्ध मिठाई होती हैं। ठंडाई, दूध, द्रव्यों, और मसालों से बनी एक पारंपरिक पेय, कई लोगों द्वारा आनंदिति से ली जाती है। लोग इन मिठाईओं को अपने दोस्तों और पड़ोसियों  के साथ साझा करते हैं ताकि खुशी का आनंद दुगना उठाया जा सके होली सिर्फ रंगों के साथ खेलने के बारे में ही नहीं है, यह प्यार और खुशियों को फैलाने के बारे में भी है। दोस्त और परिवार सभी एक साथ आकर्षित होते हैं, और क्षमा त्योहार का महत्वपूर्ण तत्व है। लोग आपसी गलतियों के लिए एक-दूसरे से क्षमा मांगते हैं और प्यार और मित्रता के नए बंधनों के साथ फिर से आरंभ करते हैं।मनोरंजन और उत्सवों के अलावा, होली का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी होता है। यह वक्त होता है जब लोग मंदिरों की यात्रा करते हैं और अपने जीवन के एक समृद्ध और समान्य जीवन के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। कुछ भारत के क्षेत्रों में, होली को पारंपरिक लोक नृत्य और संगीत के साथ मनाया जाता है, जो इस त्योहार की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देता है।हाल के वर्षों में, होली भारत की सीमाओं के पार भी पॉपुलैर हो गई है और इसे विभिन्न राष्ट्रीयताओं और संस्कृतियों के लोग दुनिया भर में मनाते हैं। यह भारत की संगीती सांस्कृतिक धरोहर और विविधता में एकता की भावना का प्रतीक बन गया है।होली एक त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाकर अच्छाई की जीत और बसंत के आगमन को रंगों, मिठाईयों, और संगीत के साथ मनाने के लिए बुलाता है।

होली निबंध 10 लाइन (Holi Per Nibandh 10 Line)

  • होली भारत में उत्साहपूर्वक मनाया जाने वाला त्यौहार है।
  • होली का त्यौहार हर साल फरवरी या मार्च में मनाया जाता है।
  • होली रंग और खुशियों का त्योहार हैं।
  • होली का त्यौहार दुनिया भर में मुख्य रूप से हिंदू लोगों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन अब इसे सभी धर्मों के लोग मनाते हैं।
  • भारत में लोग राधा और भगवान कृष्ण के समय से ही होली खेलते आ रहे हैं।
  • होली जीवन में रंगों और खुशियों से भरी होती है।
  • होली खूब रंग (गुलाल) और पानी से मनाई जाती है।
  • होली के जश्न के लिए लोग नई-नई पोशाकें खरीदते हैं।
  • अधिकांश हिंदू परिवार होली उत्सव के लिए विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ और जूस बनाते हैं।
  • इलाके के लोग अपने बीच के सारे गुस्से और झगड़ों को भूलकर खुशी-खुशी एक-दूसरे के साथ होली  खेलते हैं।

होली पर निबंध Class 5 (Holi Essay in Hindi for Class 5) 

होली भारत में मनाया जाने वाला एक.आनंदमय त्योहार है, जो वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह रंग-बिरंगा त्योहार विशेष रूप से बच्चों को बहुत पसंद आता है, जो चंचल और उत्साही माहौल में शामिल होने के लिए इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। आप जैसे कक्षा 5 के छात्र के लिए, होली सिर्फ रंगों के बारे में नहीं है; यह मौज-मस्ती, दोस्ती और सांस्कृतिक महत्व के बारे में है।यह त्योहार आमतौर पर मार्च में पड़ता है और इसकी तैयारियां काफी पहले से शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों को साफ करते हैं, नए कपड़े खरीदते हैं और दोस्तों और परिवार के साथ साझा करने के लिए स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाते हैं। जैसे-जैसे दिन नजदीक आता है उत्साह बढ़ता जाता है और होली के दिन हवा हँसी-मजाक और उत्सव के खाद्य पदार्थों की खुशबू से भर जाती है।बच्चों के लिए होली का सबसे रोमांचक हिस्सा रंगों से खेलना है। सभी रंगों के चमकीले पाउडर और पानी के गुब्बारे आसपास के वातावरण को रंगों के बहुरूपदर्शक में बदल देते हैं। दोस्त और परिवार एक-दूसरे का पीछा करते हैं, एक-दूसरे के चेहरे पर रंग लगाते हैं और हार्दिक हंसी साझा करते हैं। यह एक ऐसा दिन है जब हर कोई समान है, रंगों से सराबोर है जो मतभेद मिटाता है और एकता की भावना को बढ़ावा देता है।होली के पारंपरिक पहलुओं में से एक रात पहले अलाव जलाना है, जिसे होलिका दहन के रूप में जाना जाता है। यह अनुष्ठान हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रह्लाद और होलिका की कहानी की याद दिलाते हुए, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। परिवार अलाव के चारों ओर इकट्ठा होते हैं, गीत गाते हैं और अपने प्रियजनों की भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं।रंगों से खेलने की खुशी के अलावा, होली लोगों को एक साथ भी लाती है। यह मतभेदों को भूलने, पिछली शिकायतों को माफ करने और रिश्तों को नवीनीकृत करने का समय है। कहावत “बुरा ना मानो होली है” (बुरा मत मानो, यह होली है) त्योहार के सार को दर्शाती है, क्षमा और सौहार्द की भावना को प्रोत्साहित करती है।हालांकि, तमाम मौज-मस्ती के बीच जिम्मेदारी से होली खेलना भी जरूरी है। सुरक्षित, पर्यावरण-अनुकूल रंगों का उपयोग यह सुनिश्चित करता है कि उत्सव में पर्यावरण या किसी के स्वास्थ्य को नुकसान न पहुंचे। व्यक्तिगत स्थान और दूसरों की सहमति का सम्मान करना भी महत्वपूर्ण है, यह सुनिश्चित करते हुए कि उत्सव सभी के लिए आनंददायक बना रहे।

Holi Festival Paragraph

रंगों का त्योहार होली भारत में एक जीवंत उत्सव है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत और वसंत के आगमन का प्रतीक है। दो दिनों तक चलने वाली, इसकी शुरुआत होलिका दहन, अलाव की रात से होती है, और रंगवाली होली, रंग-बिरंगे उल्लास के दिन के साथ समाप्त होती है। यह त्यौहार सामाजिक बाधाओं को तोड़ता है, एकता को बढ़ावा देता है क्योंकि लोग रंगीन पाउडर और पानी से खेलते हैं। होली क्षमा और नवीकरण को बढ़ावा देती है, जो जीवन के रंगों का प्रतिनिधित्व करने वाले विविध रंगों का प्रतीक है। भारत के अलावा, होली की लोकप्रियता विश्व स्तर पर  फैल गई है 2024 में होली 25 मार्च को पूरे भारतवर्ष में मनाया जाएगा।

Conclusion:

उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल आपको पसंद आएगा आर्टिकल संबंधित कोई  सुझाव या प्रश्न है तो आप हमारे कमेंट सेक्शन में जाकर पूछ सकते हैं उसका उत्तर हम आपको जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में..!! 

FAQ’s: Holi Nibandh in Hindi

Q. होली क्या है .

Ans. होली भारत में मनाया जाने वाला एक रंगीन और आनंदमय त्योहार है, जो वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

Q. होली कब मनाई जाती है? 

Ans. होली आमतौर पर मार्च में हिंदू महीने फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन पड़ती है। 

Q. होली कैसे मनाई जाती है? 

Ans. लोग रंगीन पाउडर, पानी के गुब्बारों से खेलते हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। होली की पूर्व संध्या पर अलाव जलाए जाते हैं जिन्हें “होलिका दहन” कहा जाता है।

Q. होली का पारंपरिक भोजन क्या है? 

पारंपरिक होली मिठाइयों में गुझिया (मीठी पेस्ट्री) और ठंडाई (एक मसालेदार दूध पेय) शामिल हैं।

Q. ब्रह्मा जी ने होलिका को क्या वरदान दिया था?

भगवान ब्रह्मा ने होलिका को वरदान देते हुए कहा था, ‘आग उसे नहीं जला पाएगी।’

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Holi 2024 : होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

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  • Updated on  
  • मार्च 21, 2024

Holi Essay in Hindi

Holi Essay in Hindi : भारत में सभी त्योहारों की अलग प्रसिद्धि है और ये अलग-अलग राज्यों में अलग रूप में दिखाई देते हैं। भारतीय संस्कृति हमेशा से विविधता में एकता का पर्याय रही है। इनमें रंगों का त्योहार होली भी शामिल है। होली का त्योहार विविधता में एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगा कर प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं। होली के बारे में या होली पर निबंध अक्सर परीक्षाओं में पूछा जाता है और इसलिए यहां हम 100, 250, 500 शब्दों में होली पर निबंध लिखना सीखेंगे।

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रंगों का त्यौहार  होली , खुशी और उमंग का प्रतीक है। भारत के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय त्यौहारों में से एक होली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में 50 से अधिक देशों में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। होली, भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वालों या मानवता के पक्षधरों द्वारा मनाये जाने वाला ऐसा पर्व है, जिसका उद्देश्य केवल बेरंग उदासी या मायूसी को खुशियों और सकारात्मक रंग से भरना होता है।

मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्यौहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम, रंगों और ठंडाई के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं। 

  • होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है।
  • हर साल होली फागुन (मार्च) के महीने में मनाई जाती है।
  • हर साल होली के पहले दिन पूर्णिमा की रात को होलिका दहन की जाती है।
  • होली के दिन सभी लोग अपने घरो में पकवान बनाते है और रिश्तेदारों के घर जाकर एक दूसरे को रंग लगाते है।
  • होली सामाजिक मतभेद को मिटाकर उत्साह बिखेरने का पर्व माना जाता है।
  • होली के दिन सभी बिना किसी हीनभावना के एक-दूसरे को रंग लगाकर इस पर्व को मनाते है।
  • पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप एक घमंडी राजा था जिसने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र प्रह्लाद कि हत्या करवाने के लिए प्रह्लाद सहित आग में बैठजाने को कहा था जिसके परिणाम हेतु होलिका वरदान होने के बाद भी जल गयी। इसलिए हर साल होलिका जलाई जाती है।
  • होली पर गुलाल रंग घमंड पर भक्ति की, अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है। इसलिए इस पर्व पर सभी रंगो से खेल कर खुशियां होली मनाते है।
  • इस पर्व पर हमें अपने भीतर कि सभी बुराई को ख़त्म कर प्रेम भाव से सभी का आदर सत्कार करने का प्रण लेना चाहिए।
  • भक्त प्रहलाद ने भी भगवान विष्णु जी को रंग लगाकर अपनी भक्ति को पहले से ज्यादा मज़बूत किया और सभी में प्रेम का सन्देश दिया।

Holi Essay in Hindi

150 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

होली बुराई पर अच्छाई की जीत को उत्साह से मनाने का त्योहार है लेकिन हर त्यौहार कि तरह अब माइने बदल गए है। जहां अब भी कुछ जगहों पर होली को तरीके से खुशियां मनाने और बांटने के लिए होली के त्यौहार का स्वागत किया जाता है। होली का त्यौहार दो दिन तक मनाए जाने वाला त्यौहार है। जिसमें एक दिन होलिका जलाई जाती है और दूसरे दिन रंगो कि होली खेली जाती है। होलिका जो हरिण्यकश्यप कि बहन थी उसे वरदान था कि अग्नि उसका बाल भी बाक़ा नहीं कर सकती। जिसका फायदा उठाते हुए राजा ने प्रह्लाद को मारने कि साज़िश रची जिसमे उसने होलिका कि गोद में प्रह्लाद को बिठाकर उसे अग्नि में बैठ जाने को कहा। उसे लगा कि होलिका नहीं जलेगी और प्रह्लाद कि मृत्यु हो जाएगी लेकिन प्रह्लाद का बाल भी बांका न हुआ और होलिका कि मृत्यु होगी। इसी ख़ुशी में होली खेलकर मानाने से एक रात पहले महूरत अनुसार होलिका जलाई जाती है। फिर अगले दिन खेली जाती है।

200 शब्दों में Holi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

होली को रंगो के त्यौहार के रूप में जाना जाता है। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति में आने वाले महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक माना जाता है। प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में इस त्यौहार का आगमन होता है। इस त्यौहार को पसंद करने वाले लोग हर साल होली के आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। होली एक प्रेम से भरा त्यौहार है जो पूरा परिवार व सभी दोस्त मिलकर मनाते है।

होली के इतिहास कि बात करें तो माना जाता है कि हरिण्यकश्यप नाम का एक शैतान राजा था। जिसे अपनी ताकत का बेहद घमंड था। उनका एक बेटा था जिसका नाम प्रह्लाद था और एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। प्रह्लाद विष्णु भगवान का भक्त था। शैतान राजा को ब्रह्मा का आशीर्वाद था कि कोई भी आदमी , जानवर या हथियार उसे मार नहीं सकता था। लेकिन ये आशीर्वाद उसके लिए अभिशाप बन गया। घमंड के कारण हरिण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को ये आदेश दिया कि राज्य में भगवान कि नहीं राजा कि पूजा कि जाए और इसी आदेश के चलते राजा ने अपने पुत्र को मार डालने का भी प्रयास किया क्योकि वे विष्णु भगवान कि पूजा में विश्वास रखता था। लेकिन उसकी ये चाल कामयाब न हो पाई।

होली पर निबंध 300 शब्दों में

होली: रंगों का त्योहार





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होली का त्यौहार रंगों का त्योहार है, जो बसंत ऋतु में मनाया जाता है । प्रकृति में रंग-बिरंगे फूल बसंत के आगमन का  मानो हृदय से स्वागत करते हैं। बसंत के रंगों का प्रतीक बनकर यह त्योहार हर साल फागुन मास की पूर्णिमा के दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसीलिए फागुन का महीना मौज-मस्ती का महीना कहा जाता है। 

भारतीय संस्कृति में हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई कहानी या किस्सा प्रच्वलित होता है। होली मनाए जाने के पीछे भी एक कहानी है। कहते हैं कि हिरण्यकश्यप नामक राजा बड़ा ही अत्याचारी था, जो ख़ुदको भगवान समझता था। उसने सारी प्रजा को आदेश दिया था कि सब लोग ईश्वर की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, पर उसका बेटा प्रहलाद ईश्वर का अनन्य भक्त था। उसने अपने पिता की बात ना मानी। उसने ईश्वर की भक्ति में ही अपने को लगाए रहा। पिता की क्रोध की सीमा न रही हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए लेकिन ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल ना हो सका।  हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम था होलिका। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोदी में बिठा कर आग लगा दी गई पर ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है। प्रह्लाद तो बच गया पर होलिका जल गई।इसी घटना की याद में हर साल रात को होली जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

होली का त्यौहार होली की रात्रि से एक दिन पूर्व आरंभ हो जाता है। लोग अपने अपने गांव,मोहल्ले में उपलो,लकड़ियों का ढेर इकट्ठा करते हैं । फिर शुभ घड़ी में इस ढेर यानी होलिका में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इसी अग्नि में लोग नए अनाज की बाली भूनकर अपने आराध्य को अर्पित करते हैं।

होलिका दहन अगला दिन रंग-भरी होली का होता है। इसे धुलैंडी भी कहते हैं। इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े बच्चे-बूढ़े, स्त्री-पुरुष एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं और रंग डालते हैं।सड़कों पर मस्त युवकों की टोली गाती बजाती निकलती है। एक-दूसरे को मिठाईयां खिलाते हैं और अपने मधुर संबंधों को और भी प्रगाढ़ बनाते हैं।

इसी प्रकार होली एक ऐसा पवित्र त्यौहार है। जिसमें छोटे-बड़े ,अमीर-गरीब आदि सभी प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते हैं।प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे को गले लगा लेता है। लोग पुरानी से पुरानी शत्रुता भी होली के दिन भुला देते हैं। 

Holi Essay in Hindi

होली पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों में होली पर निबंध इस प्रकार हैः

मुख्य रूप से होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

राग-रंग का पर्व होली हिंदुओं का लोकप्रिय पर्व है। होली आनंद उत्साह का, मौज, मस्ती और रंगों से सराबोर महोत्सव है। वास्तव में होलिका दहन और होलिकोत्सव, नास्तिकता पर आस्तिकता का, बुराई पर भलाई का, पाप पर पुण्य का तथा दानवता पर देवत्व की विजय का मांगलिक पर्व है ।

होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है यह पर्व बसंत के आगमन का संदेशवाहक है। यह त्यौहार पूर्णिमा से पूर्व बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। होली का पर्व किस खुशी में मनाया जाता है, इसके विषय में अनेक कथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने दुष्टों का वध कर गोपियों के साथ रास रचाया तब से होली का प्रचलन हुआ, परंतु होली के विषय में सबसे प्रसिद्ध कथा इस प्रकार है

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नामक अत्यंत बलशाली राजा था। अपनी शक्ति के घमंड में चूर होकर वह स्वयं को भगवान मानने लगा। वो चाहता था कि उसकी प्रजा भगवान के स्थान पर उसकी पूजा करे, परंतु उसका अपना पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था । हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद का वध करने के अनेक उपाय किए, परंतु वह सफल ना हो सका। फिर उसने प्रहलाद को आग में जलाकर मार डालना चाहा। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था।होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं  जल सकती। हिरण्यकश्यप के आदेश पर होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर लकड़ियों के ढेर में बैठ गई। उस ढेर में आग लगा दी गई परंतु भगवान की लीला तो अद्भुत है ।जिस होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था, वह तो जल गई और प्रहलाद का बाल बांका भी नहीं हुआ।

फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन स्त्रियां व्रत रखती है और होली पूजने जाती है। किसी चौक में अथवा खुले स्थान पर लकड़ियों के ढेर या उपलो से होली बनाई जाती है। रात्रि के समय निश्चित समय पर होलिका जलाई जाती है और होली की आग में गेहूं तथा चने की बालियां डाली जाने की परंपरा है।  इसे होलिका दहन कहते हैं।

होली से अगला दिन अर्थात चैत्र की प्रतिपदा को लोग रंग खेलते हैं। इसे धुलैंडी कहते हैं । लोग एक दूसरे से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं जहां गुलाल और रंग से उनका स्वागत किया जाता है इस दिन लोग अपनी शत्रुता भूलकर शत्रु को भी गले लगाते हैं। होली के रंग में रंगकर धनी-निर्धन, काले-गोरे, ऊंच-नीच, बालक-वृद्ध के बीच  की सीमा टूट जाती है, और सभी खुले भाव से एक दूसरे का सत्कार ,आदर करते हुए इस पर्व का आनंद लेते है।

वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध है। सूरदास, नंददास आदि कृष्ण भक्त कवियों ने श्री कृष्ण और राधा के होली खेलने का बड़ा ही मनोहर वर्णन अनेक पदों में किया है। आज भी वृंदावन की कुंज गलियों में जब सुनहरी पिचकारियों  से  रंग बिरंगे  फव्वारे छूटते है  तथा गुलाल बिखरता है तो स्वयं देवता भी भारत भूमि में जन्म लेना चाहने लगते हैं। देश विदेश से अनेक लोग वृंदावन की होली देखने आते हैं।

 बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आजकल होली का रूप बिगड़ गया है। लोग रासायनिक रंगों का प्रयोग करने लगे हैं, बच्चे गुब्बारे मारते हैं। कुछ लोग कीचड़ आदि भी डालते हैं। अनेक व्यक्ति शराब,गांजा,भांग,चरस आदि का सेवन करते हैं, गंदे गाने गाते हैं तथा गाली-गलौज करते हैं। हमें शीघ्र-अतिशीघ्र इस त्यौहार से इन बुराइयों को दूर करना चाहिए तभी हम होली जैसे पवित्र त्यौहार कि पवित्रता को संजो के रख सकते है।

 होली प्रेम व भाईचारे का त्यौहार है, रंगों का त्यौहार है, हर्षोल्लास का त्यौहार है। होली का गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। होली मनुष्यों को आपस में जोड़ने का त्यौहार है कवि मैथिलीशरण गुप्त होली का सजीव चित्रण इन पंक्तियों में प्रकट करते हैं:

काली- काली कोयल बोली, होली, होली, होली । फूटा यौवन फाड़ प्रकृति की पीली, पीली, चोली। । 

होली का त्योहार भारत ही बल्कि कई देशों में काफी महत्व रखता है। भारत में मथुरा की होली को विश्व प्रसिद्ध होली माना जाता है। होली के त्योहार पर हम सब एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं और एक-दूसरे को बधाई देकर बुराई पर अच्छाई की विजयी याद करते हैं।

Holi Essay in Hindi for Class 2 इस प्रकार हैः

होली भारत और नेपाल में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला कार्यक्रम है । रंगों का त्योहार, जो मार्च में होता है, रंगों के त्योहार के रूप में जाना जाता है। होली तीन दिनों तक मनाई जाती है, जिसमें होली पूर्णिमा (पूर्णिमा का दिन) सबसे पहले होती है। पुनो का दूसरा दिन, या छोटी होली। पर्व, या होली दिवस, त्योहार का तीसरा दिन है। लोग इस दिन सफेद कपड़े पहनते थे और जमीन पर इकट्ठा होते थे। इस त्योहार के लिए वे प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करते हैं और पेंटिंग गन से खेलते हैं। वे मीठी लस्सी पीते हैं और तरह-तरह के खोया, मावा और पिस्ता से बनी मिठाइयां खाते हैं।

Essay on Holi in Hindi Class 4 यहां बताया जा रहा हैः

भारत, कई अलग-अलग भाषाओं, जातियों, परंपराओं, विचारधाराओं, संस्कृतियों, विश्वासों, धर्मों आदि के साथ एक राष्ट्र के रूप में साल भर त्योहारों की अधिकता रखता है। यह वास्तव में भूमि और विविधता की एक इकाई है। होली भारत में सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जो न केवल यहां बल्कि अन्य देशों में भी मनाया जाता है और वास्तव में भारत की संस्कृति और मान्यताओं से प्रेरित और प्रभावित है। मूल रूप से यह रंगों, उल्लास और खुशियों का त्योहार है। इतना ही नहीं, त्योहार हमारे चारों ओर बसंत के मौसम की शुरुआत की टिप्पणी करता है और इसीलिए लोग रंगों या गुलाल से होली खेलते हैं, चंदन लगाते हैं, पारंपरिक और स्वादिष्ट व्यंजन खाते हैं जो केवल होली के अवसर पर बनाए जाते हैं और निश्चित रूप से, भूलने के लिए नहीं ठंडाई का प्रसिद्ध पेय। लेकिन जैसा कि हम इस होली निबंध में गहराई से उतरते हैं, ऐसा लगता है कि इसमें असंख्य अर्थ और ऐतिहासिक हैं।

भारत के हर राज्य में होली खेलने या मनाने का अपना अलग तरीका है। साथ ही रंगों और खुशियों के इस त्योहार को मनाने के पीछे हर किसी या हर समुदाय के लिए मायने बदल जाते हैं. आइए अब इस होली निबंध में होली मनाने के कुछ कारणों के बारे में जानें। कुछ लोगों और समुदायों के लिए, होली और कुछ नहीं बल्कि राधा और कृष्ण द्वारा मनाया जाने वाला प्रेम और रंगों का एक शुद्ध त्योहार है – एक ऐसा प्रेम जिसका कोई नाम, आकार या रूप नहीं है। अन्य इसे एक कहानी के रूप में देखते हैं कि कैसे हम में अच्छाई अभी भी बुराई पर विजय प्राप्त करती है। दूसरों के लिए, होली फुरसत, खिलवाड़, क्षमा और करुणा का भी समय है। होली के अनुष्ठान तीन दिनों तक चलते हैं, पहले दिन अलाव द्वारा प्रतीक बुराई के विनाश के साथ शुरू होता है और दूसरे और तीसरे दिन रंग, प्रार्थना, संगीत, नृत्य, भोजन और आशीर्वाद के त्योहार के साथ समाप्त होता है। 

Essay on Holi in Hindi Class 5

Essay on Holi in Hindi Class 5 यहां दिया जा रहा हैः

होली का त्योहार रंगों का त्योहार होता है। हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाला होली का त्योहार जो सबसे प्राचीन त्योहारों में से भी एक है जिसे दो दिन बड़ी धूम-धाम और रंगों के साथ मनाया जाता है। इसमें पहले दिन होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली के नाम से जाता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होता है, जिसे धुलेंडी कहा जाता है। इस दौरान लोग मिल जुलकर रंग खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

होली की कहानी और किंवदंती दानव राजा हिरण्यकश्यप के समय की है। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में जाने के लिए कहा ताकि उसका पुत्र भगवान विष्णु के बजाय उसकी पूजा करे। होलिका लपटों और आग के लिए प्रतिरोधी हो सकती है। होलिका तब राख में बदल गई जब वह प्रह्लाद के साथ जलती हुई आग में आगे बढ़ी, लेकिन भगवान विष्णु ने प्रह्लाद को बचा लिया क्योंकि होलिका का श्राप तभी काम करता जब वह अकेले यानी अकेले आग में शामिल होती। तब से, इस दिन को भारत में होली के रूप में जाना जाता है, और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान, लोगों ने होलिका की मृत्यु के उपलक्ष्य में अलाव जलाया।

दिन भर के उत्साह के बाद लोग शाम को दोस्तों और परिवार के साथ खान-पान और शुभकामनाएं साझा करते हुए बिताते हैं। कहा जाता है कि होली सभी के मन में भाईचारे की भावना पैदा करती है। त्योहार के दिन की शुरुआत तरह-तरह के व्यंजनों की तैयारी के साथ होती है। लोग एक-दूसरे को गुलाल, पानी के रंग और गुब्बारों से रंगते हैं। इस दिन की सबसे अच्छी बात यह है कि हर कोई अपनी शर्म को छोड़कर मस्ती में शामिल होने का फैसला करता है। वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं और एक-दूसरे को ‘हैप्पी होली’ की शुभकामनाएं देते हैं। कई हाउसिंग सोसाइटी अपने लॉन में होली का आयोजन करती हैं। पूरे लॉन को ढकने के लिए पीले, हरे, लाल, गुलाबी, ग्रे और बैंगनी जैसे चमकीले और सुंदर रंगों का उपयोग किया जाता है। यह बताना मुश्किल है कि कौन कौन है क्योंकि हर कोई अलग-अलग रंगों के कपड़े पहने हुए है।

होली फाल्गुन के महीने में मनाया जाने वाला प्यार और खुशी का एक हिंदू त्योहार है जो गेंहू की फसल से भी मेल खाता है और धन और खुशी का प्रतिनिधित्व करता है। वसंत का मौसम सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है; नतीजतन, वसंत जलवायु विशेष रूप से सुखद होती है, खासकर जब फूल प्रचुर मात्रा में होते हैं। नतीजतन, होली को प्रकृति की वसंत सुंदरता और समृद्ध फसल का सम्मान करने के लिए रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।

होली रंगों का त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। होली को न केवल हिंदू बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस त्योहार से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं जो इसे और भी रोचक और महत्वपूर्ण बनाती हैं। सबसे लोकप्रिय किंवदंती कहती है कि राजा हिरण्यकशिपु का अपने पुत्र प्रह्लाद के साथ विवाद हो गया था क्योंकि प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की पूजा करने पर जोर दिया था। इससे राजा नाराज हो गया और उसने अपने बेटे को मारने का फैसला किया।

हिरण्यकश्यप ने अपने भतीजों को प्रह्लाद को आग में फेंकने के लिए कहा क्योंकि वह उसके राज्य के लिए खतरा था। उनके भतीजे उनके प्रति वफादार थे, इसलिए उन्होंने प्रह्लाद को लकड़ी के एक टुकड़े से बांधकर आग में फेंक दिया। हालांकि, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने उसके साथ जलती चिता पर बैठकर उसे बचा लिया।

होली पर निबंध

 होली पर आधारित अन्य ब्लॉग्स

हरिण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था की वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हरिण्यकश्यप ने आदेश दिया की होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई , पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।

जो कीटाणुओं को प्रसार करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। ऐसे में रंगों का प्रयोग रोग फैलाने वाले कीटाणुओं के प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। दूसरी ओर रंग लगने पर शरीर की सफाई अच्छे से हो पाती है जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।

भूमिका : होली बसंत का एक उल्लासमय पर्व है। … हमारे पूर्वजों में भी होली त्यौहार को आपसी प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसमें सभी छोटे-बड़े लोग मिलकर पुराने भेदभावों को भुला देते हैं। होली रंग का त्यौहार होता है और रंग आनन्द पर्याय होते हैं।

होली का उत्सव होलिका दहन अनुष्ठान के साथ शुरू होता है जो कि होलिका, दुष्ट दानव, और उस अग्नि से भगवान विष्णु द्वारा प्रह्लाद की रक्षा के सम्मान में मनाया जाता है। लोग लकड़ी इकट्ठा करके अलाव जलाते हैं और उसके चारों ओर गीत गाकर खुशियां मनाते हैं। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली से एक दिन पहले, लोग ‘होलिका दहन’ नामक एक अनुष्ठान करते हैं। होली के दूसरे दिन को छोटी होली या नंदी होली के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है “रंगों से खेलना”। लोग समूहों में इकट्ठा होते हैं और एक दूसरे पर रंगों से खेलते हैं। परंपरागत रूप से, महिलाएं पुरुषों पर सुगंधित रंग डालती हैं और बच्चे एक-दूसरे पर रंगीन पाउडर फेंकते हैं। होली के तीसरे दिन लोग सुबह जल्दी स्नान करते हैं और फिर दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं। वे प्यार के प्रतीक के रूप में मिठाइयों और नमकीन का आदान-प्रदान करते हैं। यह दिन होली समारोह के अंत का प्रतीक है। होली पूरे भारत और दुनिया भर में अलग-अलग तरह से मनाई जाती है। त्योहार में आम तौर पर गायन, नृत्य, रंगों और पिचकारी (पानी की बंदूकें) के साथ खेलना और गुजिया और लड्डू जैसे व्यंजनों का आनंद लेना शामिल होता है।

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) – होली क्यों मनाई जाती है?

Holi par nibandh in Hindi (Essay on Holi in Hindi) – साल भर मनाए जाने वाले विभिन्न त्योहार भारतीय जीवन शैली का एक अभिन्न हिस्सा हैं। हमारे संस्कृति प्रधान देश में कई रंग-बिरंगे और विविध त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इनमें से होली का त्योहार भी विशेष महत्व रखता है, जिसे आपसी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने का पर्व कहा जाता है।

होली भारत की विविध संस्कृति के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो जीवन में उमंग, उल्लास और उत्साह को बनाए रखने की भूमिका निभाता है।

इस लेख में हम होली पर निबंध हिंदी में (Holi Essay in Hindi) होली के त्योहार के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी साझा करने जा रहे हैं। हम आशा करते हैं कि विभिन्न शब्द संख्याओं में उपलब्ध यह Holi ka nibandh (होली पर निबंध) सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

(होली की जानकारी और छोटे-बड़े निबंध – Short and Long Essay on Holi in Hindi, Holi par Nibandh Hindi mein)

Table of Contents

होली पर निबंध – 1  (250 शब्दों में) (Holi Essay in Hindi)

प्रस्तावना:

होली भारत में मनाया जाने वाला रंगों का एक बहुत लोकप्रिय त्योहार है। होली का मुख्य दिन फाल्गुन पूर्णिमा है, जो मार्च या अप्रैल के बीच में पड़ता है।

होली त्योहार क्या है?

होली एक हिंदू त्योहार (Hindu festival) है जो भारत में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। इसे “फागू पर्व (Fagu festival)” भी कहा जाता है क्योंकि इस त्योहार में लोग एक दूसरे पर अगरके फेंकते हैं और यह रंगों से भरा होता है। 

यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जो फरवरी या मार्च के महीने में आता है। 

लोग एक दूसरे को गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंगों से रंगते हैं। बच्चे अपनी इच्छा के अनुसार रंग और गुलाल और पिचकारी खरीदते हैं और लोगों को रंगों से सराबोर करने का आनंद लेते हैं।

इसके अलावा होली पर लोग एक दूसरे के साथ मिठाइयां खाने का भी लुत्फ उठाते हैं। 

भारत के अलग-अलग हिस्सों में होली अलग-अलग रूपों में मनाई जाती है, जैसे उत्तर भारत में लोग लोहड़ी जलाते हैं और मथुरा और वृंदावन में ब्रज भूमि के रंगोत्सव का आयोजन किया जाता है।

हालांकि इसे हिंदू त्योहार माना जाता है, लेकिन इस त्योहार में विभिन्न समुदायों के लोग उत्साह और उमंग के साथ एक साथ आते हैं, जो वयस्कों को भी बचकाना बना देता है।

होली का उत्सव और वसंत ऋतु का आगमन अपने साथ सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है और ऊर्जा को चारों ओर फैला देता है जैसे आकाश में गुलाल बिखर जाता है।

निष्कर्ष: 

होली एक सामाजिक और धार्मिक त्योहार है, जो लोगों को एक साथ आने और पुरे उत्साह के साथ आनंद का अनुभव करने का मौका देता है।

होली पर निबंध – 2  (600 शब्दों में) (Essay on Holi in Hindi)

भारत देश में विविध संस्कृति के साथ कई त्यौहार मनाए जाते हैं। होली, फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है और इस दिन लोग एक दूसरे पर अगरके फेंकते हैं, रंग लगाते हैं और एक दूसरे को मिठाइयां भी बांटते हैं। होली के दिन लोग रंगों से खेलते हैं, गीत गाते हैं, नाचते हैं और मिठाई खाते हैं। 

होली का आगमन और उत्सव

होली का त्योहार आने के कुछ दिन पहले से ही बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी अपने-अपने तरीके से होली के त्योहार की तैयारी में लग जाते हैं। इस समय फागुन मास की शुरुआत ठंड को विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम सुहावना होने लगता है।

इस पर्व पर फाग गीतों की भी परंपरा रही है; फाग लोकगीतों के बिना यह पर्व कुछ अधूरा सा लगता है। पहले फाग सुनने से ही लोगों को पता चल जाता था कि होली आने वाली है।

खासकर बच्चों में होली के त्योहार को लेकर खासा उत्साह होता है। वे काफी पहले से ही होलिका दहन के लिए सुखी लकड़ियां इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। 

वैसे तो गांवों में लकड़ियां आसानी से मिल जाती है, लेकिन शहर के बच्चे घरों के खराब फर्नीचर, लकड़ी के बेकार सामान आदि से ही होलिका दहन की व्यवस्था करते हैं। इसके साथ ही होलिका तैयार करने में सभी वर्ग के लोग लकड़ी का योगदान करते हैं।

लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ तरह-तरह के रंग और गुलाल की खरीदारी करने लगते हैं। महिलाएं होली के त्योहार पर घर आने वाले लोगों के लिए मिठाई, नमकीन और गुजिया बनाने में जुट जाती हैं।

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के साथ त्योहार की शुरुआत होती है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है।

लोग समूह में एक-दूसरे के घर जाते हैं और रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। साथ ही, “बुरा ना मानो, होली है” का जुमला यह बताता है कि लोग इस दिन रंग और गुलाल लगाने के लिए स्वतंत्र हैं और इससे किसी को नाराज नहीं होना चाहिए।

होली में रंगों का क्या महत्व है?

होली रंगों का रंगीन त्योहार है और इसकी पहचान, रौनक और उत्साह भी इन्हीं रंगों पर आधारित है। तरह-तरह के रंगों में सराबोर चेहरे, कपड़े सबके चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं। इस त्योहार के रंगों में बुजुर्गों को भी बच्चों में बदलने की ताकत है।

होली को और किन नामों से जाना जाता है?

होली को आमतौर पर सभी राज्यों में होली के नाम से जाना जाता है, लेकिन कुछ जगहों पर होली को आका, डोल भी कहा जाता है। इसके अलावा भारत और नेपाल में होली को अलग-अलग नामों से जाना जाता है:

  • होली: भारत में होली नाम से जाना जाता है और यह फाल्गुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
  • फागु पूर्णिमा: उत्तर प्रदेश और बिहार में यह फागु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
  • दोल यात्रा: बंगाल में होली को दोल यात्रा के नाम से जाना जाता है।
  • बसंतोत्सव: होली को भारत के कुछ हिस्सों में बसंतोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
  • फाल्गुन महोत्सव: नेपाल में होली को फाल्गुन महोत्सव के नाम से जाना जाता है।

शहरी संस्कृति ने “होली मिलन” कार्यक्रमों को जन्म दिया है जिसमें राजनीतिक दल, संगठन बड़े पैमाने पर होली मिलन कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिसमें सैकड़ों लोग भाग लेते हैं।

  • भारत के अलावा कनाडा, अमेरिका, बांग्लादेश आदि कई देशों में भी होली का त्योहार मनाया जाता है।

होली खुशी और एकता के साथ मनाया जाने वाला एक पारंपरिक त्योहार है। इस त्योहार के दौरान लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ रंगों से खेलते हैं, मस्ती करते हैं और सभी गिले-शिकवे भूलकर एक नई शुरुआत करते हैं।

होली पर निबंध – 3  (1300 शब्दों में) (Holi par nibandh in Hindi)

होली एक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो फरवरी और मार्च के बीच आता है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करता है।

होली का इतिहास

पुराणों के अनुसार होली की शुरुआत से जुड़ी एक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। विष्णु पुराण की एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने स्वयं को देवता मानकर अपने राज्य में विष्णु पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन उसका अपना पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और दिन-रात हरि भक्ति में लगा रहता था।

राजा हिरण्यकश्यप को प्रह्लाद का यह व्यवहार बिल्कुल पसंद नहीं आया और उसने प्रह्लाद का मन बदलने की हर संभव कोशिश की। ऐसे में जब प्रह्लाद को किसी भी तरह से भगवान की पूजा करने से रोकने में सफलता नहीं मिली तो उसने प्रह्लाद को मारने का आदेश दे दिया।

जब हाथी के पैरों तले कुचलकर पहाड़ से फेंके जाने पर भी प्रह्लाद को नहीं मारा जा सका तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रह्लाद को जलाकर मारने की योजना बनाई।

दरअसल होलिका को भगवान ब्रह्मा से यह वरदान मिला था कि वह आग में नहीं जलेगी। इसलिए वह प्रह्लाद को गोद में लेकर लकड़ी के ढेर पर बैठ गई और उसमें आग लगा दी गई।

होलिका की गोद में बैठा बालक प्रह्लाद भगवान का नाम जपता रहा और उसे किसी प्रकार की हानि नहीं हुई, जबकि वरदान प्राप्त होलिका अपनी दुष्ट कामनाओं के कारण जलकर राख हो गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में होली का त्योहार मनाया जाने लगा।

होली मनाने के इतिहास के बारे में कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह पर्व प्राचीन आर्यों के समय से मनाया जाता रहा है। जबकि कुछ अन्य लोगों का मानना है कि होली फाल्गुन के महीने में भारत में प्रचलित लोक नृत्यों और गीतों से जुड़ी है।

होली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

होली एक सामाजिक त्योहार है जो बहुत सारी रंगीन और मनोरंजक गतिविधियों के साथ मनाया जाता है। हालांकि, कुछ सामाजिक कुरीतियां भी होती हैं जो होली के दौरान देखी जाती हैं। 

कुछ असामाजिक लोग होली जैसे धार्मिक महत्व के त्योहार को भी बदनाम करने से नहीं चूकते। कुछ नशेड़ी और दुराचारी लोग नशीले पदार्थ का सेवन कर बेकाबू हो जाते हैं और हंगामा करते नजर आते हैं।

कुछ लोग होलिका में हानिकारक पदार्थ जैसे टायर, प्लास्टिक आदि जलाते हैं, उन्हें इस बात का अहसास नहीं होता कि इससे पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है। 

कुछ अति मौज-मस्ती करने वाले लोग होली के दौरान नाभिक रंग, केमिकल रंग या अन्य अनुचित रंगों का उपयोग दूसरों को लगाने का गंदा काम करते हैं, जिससे लोगों को शारीरिक हानि होने की संभावना रहती है।

यदि इन बुराइयों को होली से दूर रखा जाए तो होली का त्योहार वास्तव में मनुष्य और पर्यावरण के लिए हैप्पी होली बन जाएगा।

भारत के विभिन्न राज्यों की होली परंपराएं

ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृन्दावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली सारे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। होली की विभिन्न परंपराएं भारत के विभिन्न राज्यों और शहरों में भी पाई जाती हैं।

ब्रजभूमि की लट्ठमार होली (Lathmar Holi of Braj Bhoomi):- “सब जग होरी या ब्रज होरा” अर्थात ब्रज की होली सारे विश्व से निराली है। ब्रज के बरसाना गांव में होली को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। 

इस होली में बड़ी संख्या में नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भाग लेती हैं क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव के थे और राधा बरसाना की।

जहां पुरुषों का ध्यान महिलाओं को पिचकारी से सराबोर करने पर होता है, वहीं महिलाएं अपना बचाव करती हैं और उनके रंगों का जवाब लाठियों से मारकर देती हैं।

मथुरा और वृंदावन की होली (Holi of Mathura and Vrindavan):- पूरे भारतवर्ष से परे मथुरा और वृंदावन में होली का एक अलग ही रंग होता है। यहां होली की धूम 16 दिनों तक रहती है। लोग “फाग खेलन आयो नंद किशोर” और “उदत गुलाल लाल भाए बदरा” जैसे लोक गीत गाकर इस पावन पर्व में डूब जाते हैं।

बिहार की फगुनवा होली (Phagunwa Holi of Bihar):- बिहार में तीन दिनों तक होली का त्योहार मनाया जाता है। पहले दिन रात को होलिका दहन होता है, जिसे यहां संवत्सर दहन भी कहा जाता है और लोग इस अग्नि के चारों ओर नृत्य करते हैं। अगले दिन इसकी राख से होली खेली जाती है, जिसे धुलेटी कहा जाता है और तीसरा दिन रंगों से भरा होता है।

पुरुषों और महिलाओं के समूह घर-घर जाते हैं और डोल की ताल पर नृत्य करते हैं। फागुन का अर्थ लाल रंग होता है, इसलिए इसे फगुवा होली भी कहा जाता है।

मध्य प्रदेश की भगोरिया होली (Bhagoria Holi of Madhya Pradesh):- मध्य प्रदेश में रहने वाले भील आदिवासियों के लिए होली खास होती है। इस भील होली को भगोरिया कहा जाता है। इस दिन बड़े हो रहे लड़कों को अपना मनपसंद जीवन साथी चुनने की छूट होती है।

भीलों का होली मनाने का एक विशेष तरीका है। इस दिन वे आम के बाग, टेसू के फूल और गेहूं की बालियों की पूजा करते हैं और नए जीवन की शुरुआत के लिए प्रार्थना करते हैं।

महाराष्ट्र की रंगपंचमी (Rangpanchami of Maharashtra):- महाराष्ट्र में मछुआरों की बस्ती के लिए इस त्योहार का मतलब है नाचना, गाना और मस्ती करना होता है। क्योंकि इस त्योहार पर सभी मछुआरे एक-दूसरे के घर जाते हैं और मौज-मस्ती में काफी समय बीत जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन पूरन पोली नामक स्वादिष्ट मीठा पकवान बनाया जाता है।

गुजरात की मटकी फोड़ होली (Gujarat’s Matki Phod Holi):- गुजरात में होली के मौके पर जोशीले युवाओं की टोलियां सड़कों पर नाचती-गाती चलती है। गुजरात में होली का त्यौहार श्री कृष्ण की बाल लीला के उपलक्ष्य में होली के दिन मनाया जाता है। महिलाएं माखन से भरे मटकियों को गलियों में ऊंचाई पर टांगती हैं, पुरुष उन्हें तोड़ने की कोशिश करते हैं और गीत-नृत्य के साथ होली खेलते हैं। 

पंजाब का “होला मोहल्ला” (“Hola Mohalla” of Punjab):- पंजाब में होली के इस पर्व को मर्दों की ताकत के तौर पर देखा जाता है। होली के दूसरे दिन से सिखों के पवित्र तीर्थ “आनंदपुर साहिब” में छह दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में पुरुष पूरे उत्साह के साथ भाग लेते हैं और घुड़सवारी, तीरंदाजी जैसे करतब दिखाते हैं।

हरियाणा की धुलंडी होली (Dhulandi Holi of Haryana):- हरियाणा, भारत में, होली को धुलंडी और सूखी होली के रूप में मनाया जाता है – इसे गुलाल और अबीर के साथ खेला जाता है। इस दिन भाभियों को साल भर परेशान करने वाले अपने देवर को सजा देने की पूरी आजादी होती है।

भाभियां अपने देवरों को तरह-तरह से प्रताड़ित करती हैं और बेचारे देवर चुपचाप सब सह लेते हैं, क्योंकि यह दिन भाभियों का दिन होता है। शाम को देवर अपनी भाभी के लिए उपहार लाता है और भाभी उसे आशीर्वाद देती है।

राजस्थान में तमाशा होली (Tamasha Holi in Rajasthan):- राजस्थान में होली के अवसर पर तमाशे की परंपरा है। इसमें कलाकार नुक्कड़ नाटक की शैली में मंच को सजाकर आते हैं और नृत्य और अभिनय से भरपूर अपने पारंपरिक कौशल का प्रदर्शन करते हैं। तमाशा की विषयवस्तु पौराणिक कथाओं और पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है और इन पात्रों के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर व्यंग्य भी करती है।

बंगाल की “डोल पूर्णिमा” होली (“Dol Purnima” Holi of Bengal):- बंगाल और उड़ीसा में होली “डोल पूर्णिमा” के नाम से प्रचलित है। इस दिन भजन-कीर्तन गाते हुए पूरे गांव में राधा-कृष्ण की मूर्ति को जुलूस के लिए निकाला जाता है और रंगों से होली खेली जाती है।

मणिपुर की होली (Holi of Manipur):- होली पर मणिपुर में “थबल चोंगबा” नृत्य का आयोजन किया जाता है। यहां यह उत्सव पूरे छह दिनों तक चलता है जिसमें नृत्य-गीत और विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं होती हैं।

होली के दिन लोग अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं और दुश्मनी खत्म करते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल और अन्य रंगों से रंगते हैं जो खुशी, प्रेम और मेल-मिलाप की अभिव्यक्ति को दर्शाते हैं। 

इसके अलावा, होली का अधिक महत्व है क्योंकि यह मानवता के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक त्योहार है। यह ऐसा पर्व है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति की बंधनों की सीमाओं से परे जाकर लोगों को भाईचारे का संदेश देता है।

होली पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on Holi in Hindi)

  • होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है।
  • यह हिंदुओं के सबसे पसंदीदा और आनंददायक त्योहारों में से एक है।
  • यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करता है।
  • होली भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है।
  • यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
  • रंग, गुलाल, पिचकारी और रंग-बिरंगे पानी के गुब्बारों से बच्चे इस त्योहार को काफी उत्साह के साथ मनाते हैं।
  • होली रंगों का रंगीन त्योहार है और इसकी पहचान, रौनक और उत्साह भी इन्हीं रंगों पर आधारित है।
  • इस त्योहार के अवसर पर, सभी लोग जीवन में सभी बुराईयों पर अच्छाई की जीत के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।
  • इस मौके पर अपने पुराने गिले-शिकवे भुलाकर अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों पर रंग डालकर त्योहार मनाया जाता है।

Q – होली का नाम किसके नाम पर रखा गया है? A – होली का नाम हिरण्यकशिपु की बहन होलिका के नाम पर रखा गया है।

Q – साल 2023 में होली कब मनाई जाएगी? A – इस वर्ष होली 08 मार्च 2023 को मनाई जाएगी।

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Holi Essay in Hindi: होली पर आकर्षक निबंध

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Holi Essay in Hindi: त्योहार भारतीय जीवन-शैली का एक अटूट हिस्सा है, जहां विभिन्न प्रकार के रंगीन और विविध त्योहारों का आयोजन होता है। इनमें से होली, जो साथी प्रेम और सद्भावना की भावना को मजबूत करने का महत्वपूर्ण पर्व है, विशेष महत्व रखती है। होली, जो भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जीवन के उत्साह, खुशी, और उमंग को बढ़ावा देने में मदद करती है। होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi) में हमने होली के इस महत्वपूर्ण पर्व के सभी पहलुओं की जानकारी प्रदान की है। यह आशा है कि इस होली के निबंध का उपयोग वे छात्र भी करेंगे जो होली हिंदी होली पर निबंध तैयार करना चाहते हैं या होली पर निबंध के लिए सामग्री खोज रहे हैं।

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होली पर निबंध 100 शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली हिंदी होली भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है। यह त्यौहार मार्च महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली का त्योहार भक्त प्रह्लाद की ईश्वर के प्रति अनन्य भक्ति और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्यौहार के पहले दिन होलिका रूपी बुराई का सत्य रूपी अग्नि में दहन किया जाता है फिर अगले दिन जीत की ख़ुशी को रंग और गुलाल की होली खेलकर मनाया जाताहै।

होली पर हमें अप्राकृतिक रंगो से त्यौहार को नहीं मनाना चाहिए बल्कि प्राकृतिक फूलों के रंग से और अबीर से होली खेलनी चाहिए। होली पर सभी अपने पुराने बैर भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते है और साथ बैठकर गुझिया, पापड़, और अन्य पकवान खाते है।

होली पर निबंध 200- 300शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली सबसे रंगीन और प्रसिद्ध भारतीय त्योहारों में से एक है। यह दर्शाता है कि वसंत आ गया है और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है। लोग इस त्योहार पर एक दूसरे को रंगों और पानी से रंगते हैं, जिसे “रंगों का त्योहार” भी कहा जाता है। होली पर लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर एक दूसरे पर पानी और रंग फेंकते हैं। वे ढोल बजाकर गाते और नाचते हैं और मिठाइयाँ खाते हैं। यह त्योहार पिछले दुखों को भूलने और माफ करने और नए दोस्त बनाने और पुराने लोगों के साथ रिश्तों को मजबूत करने का भी समय है।

होली एक खुशनुमा और मस्ती भरा त्योहार है, लेकिन इसके कई धार्मिक और सांस्कृतिक मायने भी हैं। ऐसा माना जाता है कि यह हिंदू पौराणिक कथाओं से आया है, जहां भगवान विष्णु ने राक्षस राजा हिरण्यकश्यप को हराया था। भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी राधा के बीच प्रेम भी त्योहार से जुड़ा हुआ है। होली एक ऐसा त्यौहार है जो पूरे भारत में बहुत सारी ऊर्जा और खुशी के साथ मनाया जाता है। लोग त्योहार में एक साथ मिलते हैं, जो एकता, सद्भाव और खुशी को बढ़ावा देता है। यह समय अपनी सभी चिंताओं को दूर करने और जीवन का पूरा आनंद लेने का है।

होली का इतिहास होली के त्यौहार का जिक्र पुराने ग्रंथों में भी देखने को मिलता है। इससे हमें होली के त्यौहार का महत्त्व और प्राचीनता का आभास भी होता है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे एक बहुत ही प्रसिद्ध कथा है। पुरानी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक बहुत बड़ा राक्षस हुआ करता था। जिसने वर्षों की तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर दिया, जिसके बाद ब्रह्मा जी के वरदान स्वरूप हिरण्यकश्यप को ना दिन में ना रात में, ना देवता ना मनुष्य, ना ही कोई जानवर और ना ही किसी प्रकार के हथियार से मारा जा सकता था।

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होली पर निबंध 350 शब्दों में (Holi Essay in Hindi)

होली, भारतीय सांस्कृतिक कला और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार है जो भारत और भारतीयों के लिए विशेष महत्व रखता है। होली का त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, और इसे ‘रंगों का त्योहार’ के रूप में जाना जाता है।

इस अद्वितीय त्योहार की महत्वपूर्ण धारा रंग का खेल है, जिसमें लोग एक-दूसरे पर विभिन्न रंगों का पाउडर फेंकते हैं और खुशियों का इज़हार करते हैं। होली का महत्व न केवल एक त्योहार मात्र है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक भी है और यह दुनिया भर के लोगों के लिए एक रंगीन और आनंददायक त्योहार के रूप में पहचाना जाता है।

होली का महत्व

होली का महत्व भारतीय समाज के लिए गहरा है और यह एक ऐसा त्योहार है जिसे लोग साल भर बेताबी से इंतजार करते हैं। यह त्योहार विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के साथ मिलकर मनाया जाता है, और इसके तहत लोग अपने दोषों को धो देते हैं और नई शुरुआत करते हैं।

होली के त्योहार का महत्व हिन्दू पौराणिक कथाओं से भी जुड़ा हुआ है। इसका सबसे महत्वपूर्ण पारंपरिक कथा है, जिसमें होली को हिरण्यकशिपु के खिलवाड़े और प्रह्लाद के भक्ति की जीत के रूप में मनाने का प्रतीक माना जाता है। हिरण्यकशिपु, एक दुष्ट राक्षस राजा थे, जो भगवान विष्णु के खिलवाड़े से डरते थे। वे अपने पुत्र प्रह्लाद के भक्ति को बंद करने का प्रयास करते थे, लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु के प्रति अपनी अद्भुत श्रद्धा में अटल रहे। होली के दिन, हिरण्यकशिपु की बहन होलिका ने प्रह्लाद को उसके साथ बांधकर आग में डालने की कोशिश की, लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद बिना कोई कष्ट उठाए बच गए। होली के इस घड़ीघड़ी मोमें, होलिका जलकर मर गई, जबकि प्रह्लाद अस्तित्व में बने रहे। इसी प्रकार, होली का त्योहार भक्ति और सच्चे दर्शन की जीत का प्रतीक बन गया, और यही कारण है कि होली को विजय दिवस के रूप में भी मनाते हैं।

इसके अलावा, होली का महत्व भारतीय ऋतुओं के माध्यम से भी जुड़ा हुआ है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो भारत में बसंत ऋतु की आगमन का समय होता है। बसंत ऋतु के साथ आती हैं खुशियों की बहार और फूलों की महक, और होली इस ऋतु का आगाज़ और खुशियों का स्वागत करने का एक तरीका होता है। इसलिए, होली का महत्व भारतीय जीवन में बसंत के आगमन के साथ जुड़ा हुआ है और यह एक नई शुरुआत की ओर इशारा करता है।

होली का आयोजन

होली का आयोजन विभिन्न तरीकों से भारत के विभिन्न हिस्सों में किया जाता है, और हर स्थान पर इसे अपने तरीके से मनाया जाता है। होली के पहले दिन, जिसे होलिका दहन के रूप में जाना जाता है, लोग होलिका के मूर्ति को आग में जलाते हैं। इसके पीछे का सन्देश है कि बुराई का अंत हमेशा अच्छाई की जीत पर होता है।

होली के दूसरे दिन, लोग रंगों के साथ खेलने और एक-दूसरे को रंगने का आनंद लेते हैं। यह दिन गुलाल, अबीर, और अन्य रंगीन पाउडर के साथ खेलने का होता है। होली के इस रंगीन खेल में लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर आनंद और खुशी का आनंद लेते हैं। इसके साथ ही, लोग विभिन्न प्रकार के पकवान और मिठाइयों का स्वाद लेते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों का साथ मनाते हैं।

कुछ स्थानों में, होली के खेल में संगीत और नृत्य का आनंद लिया जाता है। लोग रंगीन वस्त्र पहनकर नृत्य करते हैं और गीतों का आनंद लेते हैं।

होली के खास पकवान

होली के खास पकवान और मिठाइयाँ इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। गुझिया, मालपुआ, दही-बड़े, और मिठाई जैसे विभिन्न पकवान खाए जाते हैं। इन पकवानों का आनंद लेना होली के त्योहार को और भी मजेदार बनाता है।

निषेध: खतरनाक रंगों का उपयोग

होली के खेल में खतरनाक या हानिकारक रंगों का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे रंगों का उपयोग करने से क्षति हो सकती है और त्वचा को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, हमें होली के खेल में सुरक्षित और प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करना चाहिए।

होली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह एक अद्वितीय त्योहार है जो खुशियों की खोज में लोगों को जोड़ता है। इस दिन लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ आनंद और खुशी का साथ मनाते हैं, और वे अपने दोषों को धो देते हैं और नई शुरुआत करते हैं। होली का महत्व भारतीय संस्कृति, परंपरा, और रंगीनता का प्रतीक है, और यह एक त्योहार के रूप में विश्वभर के लोगों के लिए बहुत खास है। इसलिए, होली का त्योहार भारतीय समाज में गहरा महत्व रखता है और यह एक खुशी और एकता भरा समाजिक त्योहार होता है।

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होली पर निबंध FAQs

होली के बारे में निबंध कैसे लिखें.

होली के बारे में निबंध लिखते समय, पहले होली का महत्व और इसका इतिहास पर बताएं, फिर इस त्योहार के विभिन्न पहलुओं और महत्व को विस्तार से व्यक्त करें।

होली क्यों मनाई जाती है 10 लाइन?

होली को मनाई जाती है क्योंकि यह वसंत ऋतु का स्वागत करने और रंग-बिरंगे जीवन की खुशियों का प्रतीक है, साथ ही हिन्दू धर्म में प्रेम, भाईचारा और सामाजिक मेलजोल को प्रमोट करने का मौका प्रदान करता है।

होली पर क्या लिखें?

होली पर रंगों का खेल और खुशियों का त्योहार मनाते हुए सभी को प्यार और खुशियाँ बांटने की शुभकामनाएं!

होली पर निबंध होली कैसे मनाई जाती है?

होली को भारत में फागुन माह के पूनम के दिन रंगों और खुशियों के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग रंग फेंककर आपसी खुशियों का जश्न मनाते हैं।

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