HindiKiDuniyacom

भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)

भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट आचरण। ऐसा कार्य जो अपने स्वार्थ सिद्धि की कामना के लिए समाज के नैतिक मूल्यों को ताक पर रख कर किया जाता है, भ्रष्टाचार कहलाता है। भ्रष्टाचार भारत समेत अन्य विकासशील देश में तेजी से फैलता जा रहा है। भ्रष्टाचार के लिए ज्यादातर हम देश के राजनेताओं को ज़िम्मेदार मानते हैं पर सच यह है कि देश का आम नागरिक भी भ्रष्टाचार के विभिन्न स्वरूप में भागीदार हैं। वर्तमान में कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है।

भ्रष्टाचार पर निबंध (100 – 200 शब्द) – Bhrashtachar par Nibandh

“भ्रष्टाचार” एक ऐसी समस्या है जो हमारे समाज को गंभीर रूप में प्रभावित कर रही है। यह एक ऐसी बीमारी है जो हमारे देश की स्थायित्व और विकास को खतरे में डाल रही है। भ्रष्टाचार का मतलब है नीतियों और नियमों का अनुचित पालन, धन का अनुचित इस्तेमाल और अधिकारों के दुरुपयोग।

भ्रष्टाचार हमारे समाज की एक बड़ी बीमारी की तरह है। यह न केवल धन की बर्बादी करता है, बल्कि इससे सामाजिक और आर्थिक संरक्षण भी प्रभावित होता है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। हमें अपने अधिकारों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और दुसरों को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने में सहायता करनी चाहिए।

छोटे उम्र में ही हमें इस बुराई के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए। हमें सच्चाई और ईमानदारी के माध्यम से अपने काम करने चाहिए। इससे हम अपने समाज को एक सच्चे और ईमानदार दिशा में ले जा सकते हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना हमारी जिम्मेदारी है। हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और समाज को एक बेहतर और स्वस्थ भविष्य की दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।

भ्रष्टाचार पर निबंध (300 शब्द) – Essay on Corruption in Hindi

अवैध तरीकों से धन अर्जित करना भ्रष्टाचार है, भ्रष्टाचार में व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए देश की संपत्ति का शोषण करता है। यह देश की उन्नति के पथ पर सबसे बड़ा बाधक तत्व है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में दोष निहित होने पर देश में भ्रष्टाचार की मात्रा बढ़ जाती है।

भ्रष्टाचार क्या है ?

भ्रष्टाचार एक ऐसा अनैतिक आचरण है, जिसमें व्यक्ति खुद की छोटी इच्छाओं की पूर्ति हेतु देश को संकट में डालने में तनिक भी देर नहीं करता है। देश के भ्रष्ट नेताओं द्वारा किया गया घोटाला ही भ्रष्टाचार नहीं है अपितु एक ग्वाले द्वारा दूध में पानी मिलाना भी भ्रष्टाचार का स्वरूप है।

भ्रष्टाचार के कारण

  • देश का लचीला कानून – भ्रष्टाचार विकासशील देश की समस्या है, यहां भ्रष्टाचार होने का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर ज्यादातर भ्रष्टाचारी बाइज्जत बरी हो जाते हैं, अपराधी को दण्ड का भय नहीं होता है।
  • व्यक्ति का लोभी स्वभाव – लालच और असंतुष्टि एक ऐसा विकार है जो व्यक्ति को बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता है। व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने धन को बढ़ाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है।
  • आदत – आदत व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। एक मिलिट्री रिटायर्ड ऑफिसर रिटायरमेंट के बाद भी अपने ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त किए अनुशासन को जीवन भर वहन करता है। उसी प्रकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ गई है।
  • मनसा – व्यक्ति के दृढ़ निश्चय कर लेने पर कोई भी कार्य कर पाना असंभव नहीं होता वैसे ही भ्रष्टाचार होने का एक प्रमुख कारण व्यक्ति की मनसा (इच्छा) भी है।

भ्रष्टाचार देश में लगा वह दीमक है जो अंदर ही अंदर देश को खोखला कर रहा है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है जो यह दिखाता है व्यक्ति लोभ, असंतुष्टि, आदत और मनसा जैसे विकारों के वजह से कैसे मौके का फायदा उठा सकता है।

निबंध 2 (400 शब्द) – भ्रष्टाचार के प्रकार, परिणाम व उपाय

अपना कार्य ईमानदारी से न करना भ्रष्टाचार है अतः ऐसा व्यक्ति भ्रष्टाचारी है। समाज में आये दिन इसके विभिन्न स्वरूप देखने को मिलते हैं। भ्रष्टाचार के संदर्भ में यह कहना मुझे अनुचित नहीं लगता, वही व्यक्ति भ्रष्ट नहीं हैं जिन्हें भ्रष्टाचार करने का अवसर नहीं मिला।

भ्रष्टाचार के विभिन्न प्रकार

  • रिश्वत की लेन-देन – सरकारी काम करने के लिए कार्यालय में चपरासी (प्यून) से लेकर उच्च अधिकारी तक आपसे पैसे लेते हैं। इस काम के लिए उन्हें सरकार से वेतन प्राप्त होता है वह वहां हमारी मदद के लिए हैं। इसके साथ ही देश के नागरिक भी अपना काम जल्दी कराने के लिए उन्हे पैसे देते हैं अतः यह भ्रष्टाचार है।
  • चुनाव में धांधली – देश के राजनेताओं द्वारा चुनाव में सरेआम लोगों को पैसे, ज़मीन, अनेक उपहार तथा मादक पदार्थ बांटे जाते हैं। यह चुनावी धान्धली असल में भ्रष्टाचार है।
  • भाई-भतीजावाद – अपने पद और शक्ति का गलत उपयोग कर लोग भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देते हैं। वह अपने किसी प्रिय जन को उस पद का कार्यभार दे देते हैं जिसके वह लायक नहीं हैं। ऐसे में योग्य व्यक्ति का हक उससे छिन जाता है।
  • नागरिकों द्वारा टैक्स चोरी – नागरिकों द्वारा टैक्स भुगतान करने हेतु प्रत्येक देश में एक निर्धारित पैमाना तय किया गया है। पर कुछ व्यक्ति सरकार को अपने आय का सही विवरण नहीं देते और टैक्स की चोरी करते हैं। यह भ्रष्टाचार की श्रेणी में अंकित है।
  • शिक्षा तथा खेल में घूसखोरी – शिक्षा तथा खेल के क्षेत्र में घूस लेकर लोग मेधावी व योग्य उम्मीदवार को सीटें नहीं देते बल्कि जो उन्हें घूस दे, उन्हें दे देते हैं।

इसी प्रकार समाज के अन्य छोटे से बड़े क्षेत्र में भ्रष्टाचार देखा जा सकता है। जैसे राशन में मिलावट, अवैध मकान निर्माण, अस्पताल तथा स्कूल में अत्यधिक फीस आदि। यहां तक की भाषा में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। अजय नावरिया के शब्दों में “मुंशी प्रेमचंद्र की एक प्रसिद्ध कहानी सतगति में लेखक द्वारा कहानी के एक पात्र को दुखी चमार कहा गया है, यह आपत्तिजनक शब्द के साथ भाषा के भ्रष्ट आचरण का प्रमाण है। वहीं दूसरे पात्र को पंडित जी नाम से संबोधित किया जाता है। कहानी के पहले पात्र को “दुखी दलित” भी कहा जा सकता था।“

भ्रष्टाचार के परिणाम

समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की उन्नति में सबसे बड़ा बाधक तत्व है। इसके वजह से गरीब और गरीब होता जा रहा है। देश में बेरोजगारी, घूसखोरी, अपराध की मात्रा में दिन-प्रतिदन वृद्धि होती जा रही है यह भ्रष्टाचार के फलस्वरूप है। किसी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारणवश परिणाम यह है की विश्व स्तर पर देश के कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जाते हैं।

भ्रष्टाचार के उपाय

  • भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कानून – हमारे संविधान के लचीलेपन के वजह से अपराधी में दण्ड का बहुत अधिक भय नहीं रह गया है। अतः भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है।
  • कानून की प्रक्रिया में समय का सदुपयोग – कानूनी प्रक्रिया में बहुत अधिक समय नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। इससे भ्रष्टाचारी को बल मिलता है।
  • लोकपाल कानून की आवश्यकता – लोकपाल भ्रष्टाचार से जुड़े शिकायतों को सुनने का कार्य करता है। अतः देश में फैले भ्रष्टाचार को दूर करने हेतु लोकपाल कानून बनाना आवश्यक है।

इसके अतिरिक्त लोगों में जागरूकता फैला कर, प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बना और लोगों का सरकार तथा न्याय व्यवस्था के प्रति मानसिकता में परिवर्तन कर व सही उम्मीदवार को चुनाव जिता कर भ्रष्टाचार रोका जा सकता है।

हर प्रकार के भ्रष्टाचार से समाज को बहुत अधिक क्षति पहुंचती है। हम सभी को समाज का ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते यह प्रण लेना चाहिए, न भ्रष्टाचार करें, न करनें दें।

भ्रष्टाचार पर निबंध (Essay on Corruption in Hindi) (500 – 600 शब्द)

भ्रष्टाचार एक ऐसा अभिशाप है जो हमारे समाज को भीतर से खोखला कर रहा है। यह केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं बल्कि समाज के नैतिक ताने-बाने को भी छिन्न-भिन्न करता है। आज भ्रष्टाचार हर क्षेत्र में अपनी जड़ें फैला चुका है, चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य सेवा हो, व्यापार हो या सरकारी कार्यालय। भ्रष्टाचार का दुष्प्रभाव सबसे अधिक गरीब और कमजोर वर्ग पर पड़ता है, जो अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं।

भ्रष्टाचार के प्रकार

  • आर्थिक भ्रष्टाचार: इसमें रिश्वत, घोटाला, कर चोरी, आदि शामिल हैं। यह सीधे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।
  • राजनीतिक भ्रष्टाचार: इसमें चुनाव में धोखाधड़ी, घूसखोरी, सत्ता का दुरुपयोग आदि शामिल है।
  • प्रशासनिक भ्रष्टाचार: इसमें सरकारी अधिकारियों द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध लाभ कमाना है।
  • सामाजिक भ्रष्टाचार: इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों में फैली असमानता और अन्याय शामिल है।

भ्रष्टाचार के मुख्य कारण लोगों में नैतिक मूल्यों की कमी, कानूनी व्यवस्था का कमजोर होना, कानून का सही ढंग से पालन न होना, सजा का डर न होना, शिक्षा और जागरूकता की कमी, आर्थिक असमानता, गरीबी और बेरोजगारी इत्यादि लोगों को भ्रष्टाचार की ओर धकेलती है।

भ्रष्टाचार के प्रभाव

  • आर्थिक प्रभाव: भ्रष्टाचार के कारण देश की आर्थिक प्रगति रुक जाती है। विश्व बैंक के अनुसार, भारत में भ्रष्टाचार के कारण हर साल लगभग 20% GDP का नुकसान होता है।
  • सामाजिक प्रभाव: भ्रष्टाचार के कारण समाज में असमानता बढ़ती है और गरीब और गरीब हो जाते हैं।
  • राजनीतिक प्रभाव: भ्रष्टाचार के कारण जनता का विश्वास सरकार और न्यायपालिका से उठ जाता है।
  • मानवाधिकारों का हनन: भ्रष्टाचार के कारण लोग अपने अधिकारों से वंचित रह जाते हैं, जिससे मानवाधिकारों का हनन होता है।

2024 में भारत में हुए भ्रष्टाचार के उदाहरण

  • चुनावी बांड विवाद: राजनीतिक दलों को फंडिंग करने में चुनावी बांड के उपयोग को लेकर एक बड़ा विवाद हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार कुछ कंपनियों ने इन बांडों का उपयोग करके राजनीतिक दलों को पर्याप्त योगदान दिया है, जिससे पोलिटिकल फाइनेंसिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर चिंताएं पैदा हुई हैं।
  • नकली दवाइयों का रैकेट: दिल्ली में नकली कैंसर और मधुमेह की दवाइयों के वितरण से जुड़े एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ। जिसमें गिरफ्तार हुए चार व्यक्तियों में से एक सीरियाई नागरिक भी शामिल था, जो तुर्की और मिस्र से भारत में नकली दवाइयों की आपूर्ति करते थे​।
  • महाराष्ट्र के आरोप: महाराष्ट्र राज्य में पुनर्विकास परियोजनाओं से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इन आरोपों में गांधी और शिवाजी जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों की मूर्तियों को अनुचित तरीके से हटाना और फिर से स्थापित करना शामिल है, जो कथित तौर पर इन पुनर्विकास प्रयासों का हिस्सा हैं​।

भ्रष्टाचार से निपटने के उपाय

  • भ्रष्टाचार रोकने के लिए कठोर और प्रभावी कानूनों की आवश्यकता है।
  • लोगों में शिक्षा और जागरूकता फैलाकर भ्रष्टाचार के दुष्परिणामों के बारे में बताया जाना चाहिए।
  • सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देकर बच्चों में सही और गलत का भेद सिखाया जाना चाहिए।
  • जनता को जागरूक और संगठित करके उन्हें भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय करना चाहिए।

भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है जो हमारे समाज और देश के विकास में बाधा डाल रही है। इससे निपटने के लिए हमें एकजुट होकर प्रयास करना होगा। केवल सरकार या कानून के बल पर इस समस्या का समाधान संभव नहीं है, बल्कि हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा और ईमानदारी का दामन थामना होगा। यदि हम सभी मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन खड़ा करें, तो निश्चित ही हम इस अभिशाप से मुक्त हो सकते हैं और एक समृद्ध और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण कर सकते हैं।

Corruption Essay

FAQs: Frequently Asked Questions on Corruption (भ्रष्टाचार पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- सोमालिया (2024 के सर्वे के अनुसार)

उत्तर- ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार भारत भ्रष्टाचार के मामले में 93 वें स्थान पर है।

उत्तर- राजस्थान

उत्तर- केरल

संबंधित पोस्ट

मेरी रुचि

मेरी रुचि पर निबंध (My Hobby Essay in Hindi)

धन

धन पर निबंध (Money Essay in Hindi)

समाचार पत्र

समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)

मेरा स्कूल

मेरा स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)

शिक्षा का महत्व

शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

बाघ

बाघ पर निबंध (Tiger Essay in Hindi)

hcwriting.com

Bhrashtachar Mukt Bharat Viksit Bharat Essay| 600 words

If you are looking for Bhrashtachar Mukt Bharat Viksit Bharat Essay ( भ्रष्टाचार मुक्त भारत विकसित भारत निबंध ). Corruption Free India for a Developed Nation Essay in Hindi . Today, we are sharing a simple ideas on Bhrashtachar Mukt Bharat Viksit Bharat Nibandh . This article can help the students who are looking for E ssay on Corruption Free India for a Developed Nation in hindi . This Bhrashtachar Mukt Bharat Viksit Bharat hindi nibandh is easy to write. The level of this  is medium so any students can make these on CBSE CVC Essay Competition 2022. These Corruption Free India for a Developed Nation essay is generally useful for class 1,2,3, 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, and class 10, 11 and class 12th.

Table of Contents

Bhrashtachar Mukt Bharat Viksit Bharat Essay –

Corruption Free India Developed Nation Essay- भ्रष्टाचार मुक्त भारत विकसित भारत निबंध

This Bhrashtachar Mukt Bharat Viksit Bharat essay in hindi 600 words ( Corruption Free India Developed Nation Essay in hindi ) is beneficial for School Students of classes 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11,12th Vigilance Awareness week 2022, CBSE Essay Competition 2022 . 

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

After reading this article abou t Bhrashtachar Mukt Bharat Viksit Bharat Essay ,  Corruption Free India Developed Nation Essay 500 words , you will be able to answer all important questions related to it. HC WRITING provides complete information about Bhrashtachar Mukt Bharat Viksit Bharat nibandh, Bhrashtachar Mukt Bharat nibandh, Bhrashtachar Mukt Bharat Viksit Bharat Par nibandh. 

Bhrashtachar Mukt Bharat Viksit Bharat Par Nibandh 

भ्रष्टाचार मुक्त भारत विकसित भारत पर निबंध ( 600 words )

भ्रष्टाचार मुक्त भारत विकसित भारत भूमिका :

हमारे देश का विकास रुका है वो बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण रुका है। देश का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां भ्रष्टाचार नहीं है। सरकार भ्रष्टाचार रोकने के लिए कोई काम नहीं कर रही है।  भ्रष्टाचार पर रोकथाम लगे इसके लिए जनता ने बार-बार आंदोलन किया। 16 अगस्त में देश के आजादी के बाद पहली बार करोड़ों लोग रास्ते पर उतर आए और  भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जनलोकपाल कानून की मांग करते हैं।

भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह चाट रहा है। घोटालों और रिश्वतखोरी ने देश को काफी पीछे खींच दिया है। ऐसे में जरूरत है सही समय पर जागरूक होने की जरूरत है समय रहते संभल जाने की क्योंकि हालात ऐसे ही बने रहे तो देश को गर्त में जाने से कोई नहीं बचा सकता है

Also Read:-

  • Speech on Corruption Free India For a Developed Nation- Click Here
  • भ्रष्टाचार मुक्त भारत विकसित भारत हिंदी निबंध – Click Here
  • भ्रष्टाचार मुक्त भारत विकसित भारत पर भाषण स्पीच – Click Here
  • Corruption Free India for Developed Nation Essay PDF – Click Here
  • Corruption Free India Developed Nation Essay 500 Words- Click Here
  • Corruption Free India for Developed Nation Essay in Hindi PDF – Click Here
  • Corruption Free India for Developed Nation Essay 600 words PDF – Click Here
  • Corruption Free India for Developed Nation Slogan – Click Here
  • Corruption free india developed nation Drawing – Click Here

भ्रष्टाचार का अर्थ

भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है- भ्रष्ट आचरण, जो कि दो शब्दों से मिलकर बना हैं. भ्रष्ट आचरण इसका अर्थ है कि ऐसा आचरण जो किसी भी दृष्टि में अनैतिक और अनुचित हो. जब कोई व्यक्ति न्याय व्यवस्था के मान्य नियमों के विरुद्ध जाकर अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए गलत आचरण करने लगता हैं. तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता हैं.

भ्रष्टाचार मुक्त भारत विकसित भारत का निर्माण:-

भ्रष्टाचार के कारणों को सभी जानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एक बार समस्या का कारण पहचानने के बाद आधा कार्य हो जाता है। अब समस्या पर बार-बार चर्चा करने के बजाय समाधान तलाशने का समय है।

  • Bhrastachar Mukt Bharat Viksit Bharat Essay in 600 words – Click Here
  • Bhrastachar Mukt Bharat Viksit Bharat Essay Essay in English – Click Here
  • भ्रष्टाचार मुक्त भारत हिंदी निबंध – Click Here

सरकार को इसे भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए एक जिम्मेदारी के रूप में लेना चाहिए क्योंकि हमारा देश प्रगति नहीं कर सकता यदि यह समस्या बनी रहती है। भ्रष्टाचार की ओर ले जाने वाली प्रत्येक समस्या को अपनी जड़ों से हटाना होगा। उदाहरण के लिए, अच्छे रोजगार के अवसरों की कमी, जो भ्रष्टाचार की ओर ले जाती है, जनसंख्या की बढ़ती दर के कारण होता है। देश की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए। इसी तरह, भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण के लिए हर पहलू पर काम करना होगा।

भारत में भ्रष्टाचार के कारण:

हमारे देश में भ्रष्टाचार का स्तर अधिक होने के कई कारण हैं। इन कारणों पर एक संक्षिप्त नज़र है:

  • नौकरी के अवसरों की कमी

योग्य युवाओं की संख्या की तुलना में बाजार में नौकरियां कम हैं। जबकि कई युवा इन दिनों बिना किसी नौकरी के घूमते हैं, अन्य लोग ऐसे काम करते हैं जो उनकी योग्यता के अनुरूप नहीं हैं। इन व्यक्तियों में असंतोष और अधिक कमाई के लिए उनकी खोज उन्हें भ्रष्ट साधन लेने के लिए प्रेरित करती है।

  • सख्त सजा का अभाव

हमारे देश में लोग भ्रष्ट आचरण जैसे रिश्वत देना और लेना, आयकर का भुगतान न करना, व्यापार चलाने के लिए भ्रष्ट साधनों का पालन करना आदि से दूर हो जाते हैं। लोगों की गतिविधियों की निगरानी के लिए कोई सख्त कानून नहीं है। यहां तक ​​कि अगर लोग पकड़े जाते हैं, तो उन्हें इसके लिए कड़ी सजा नहीं दी जाती है। यही कारण है कि देश में भ्रष्टाचार अधिक है।

  • शिक्षा की कमी

शिक्षित लोगों से भरे समाज में कम भ्रष्टाचार का सामना करने की संभावना है। जब लोग शिक्षित नहीं होते हैं, तो वे अपनी आजीविका कमाने के लिए अनुचित और भ्रष्ट साधनों का उपयोग करते हैं। हमारे देश में निम्न वर्ग शिक्षा के महत्व को कम करते हैं और इससे भ्रष्टाचार बढ़ता है।

  • लालच और बढ़ती प्रतियोगिता

बाजार में लालच और बढ़ती प्रतिस्पर्धा भी बढ़ते भ्रष्टाचार का कारण है। इन दिनों लोग बेहद लालची हो गए हैं। वे अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से अधिक कमाई करना चाहते हैं और इस पागल भीड़ में वे अपने सपनों को साकार करने के लिए भ्रष्ट साधनों को नियोजित करने में संकोच नहीं करते हैं।

हर कोई चाहता है कि देश भ्रष्टाचार मुक्त हो और इस दिशा में कुछ न करने के लिए सरकार की आलोचना करे। लेकिन क्या हम अपने स्तर पर इस मुद्दे पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रहे हैं? नहीं हम नहीं। जाने या अनजाने में हम सभी भ्रष्टाचार को जन्म दे रहे हैं। कोई भी पहल करने और देश से इस बुराई को दूर करने के लिए एक टीम के रूप में काम करने के लिए तैयार नहीं है।

भ्रष्टाचार मुक्त भारत विकसित भारत निष्कर्ष :

इस समस्या का एकमात्र समाधान किया जाना चाहिए कि हमारे सभी नेता तथा उच्च पदाधिकारी अपने पदो का सदुपयोग जनता के कल्याण मे करे। अन्यथा व दिन दूर नही जब हमारी एकता, अखंडता, राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी। हमे इसका खुलकर विरोध करना चाहिए ताकि हमारा देश उन्नतिशील और विकसित बन सके।

  • Corruption Free India for Developed Nation Drawing PDF – Click Here

For more article ideas on Bhrastachar Muky Bharat viksit Bharat essay, Bhrastachar Mukt Bharat viksit Bharat essay in hindi, Essay on corruption Free India for a developed nation, corruption Free India for a developed nation essay 600 words, corruption Free India for a developed nation slogan, corruption Free India for a developed nation speech etc. Subscribe to bell icon .Thanks for visiting and stay connected.

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध

Bhrashtachar Mukt Bharat Par Nibandh: देश में भ्रष्टाचार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। देश में भ्रष्टाचार बहुत ख़राब है। भ्रष्टाचार हमारे नैतिक जीवन मूल्यों पर सबसे बड़ा प्रहार है। हम यहां पर भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में भ्रष्टाचार मुक्त भारत के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

Bhrashtachar-Mukt-Bharat-Par-Nibandh

Read Also:  हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध | Bhrashtachar Mukt Bharat Par Nibandh

भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबन्ध (250 word).

भारत एक उच्च मूल्यों,नैतिक और परंपराओं वाला देश है, लेकिन इसके समक्ष एक सबसे बड़ी समस्या भ्रष्टाचार है। जो विभिन्न स्तरों पर देखने को मिल रही है। यह एक ऐसी समस्या है जो देश को आंतरिक रुप से नुकसान पहुंचा रही है। जिसका नकारात्मक प्रभाव हमारे देश की प्रगति पर पड़ रहा है और यह किसी एक क्षेत्र में नहीं बल्कि समस्त क्षेत्रों में देखने को मिल रही है। चाहे वह राजनीति हो, चाहे प्रशासन हो, या कोई विभाग। यह हर जगह व्याप्त है।

भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए भारत सरकार द्वारा विभिन्न कार्य भी किए जा रहे हैं लेकिन यदि बात की जाए कि भ्रष्टाचार का मुख्य कारण अशिक्षा है। एक अशिक्षित व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भ्रष्ट और अवैध तरीकों का उपयोग करता है। सिर्फ सरकार के प्रयासों से हम भ्रष्टाचार से नहीं निपट सकते। इसके लिए आज के युवाओं को, राजनेताओं को और उन सभी व्यक्तियों को आगे आना चाहिए, जो इस से पीड़ित हैं।

भारत एक लोकतांत्रिक देश है। हम देखते हैं जब भी हमारे यहां चुनाव होते हैं, तो इन में राजनीतिक दल एवं नेताओं के लिए कोई भी शैक्षणिक योग्यता या मापदंड निर्धारित नहीं किए गए हैं। भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए हमें योग्य नेता का चुनाव करना बेहद जरुरी है, जो शिक्षित हो। लोगों को जागरूक किया जाए कि भ्रष्टाचार क्या होता है और उससे कैसे निपटा जाए। आज भारत भ्रष्टाचार जैसी एक विकट समस्या से निपट रहा है। जहां लोगों को इससे निपटने के लिए एक साथ आगे आना होगा और भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए अपना योगदान देना होगा। जिसके लिए हमें स्वयं को एवं अपने आसपास के लोगों को शिक्षित करना होगा।

भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध (800 Word)

भ्रष्टाचार  का अर्थ है, भ्रष्ट+आचार। भ्रष्ट यानी बुरा या  बिगड़ा  हुआ तथा आचार का मतलब आचरण होता है। अर्थात भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है, वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो। सरकार को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए। ताकि हमारा भारत देश आगे जाकर प्रगति कर सकें। अगर यही समस्या बनी रही तो  हमारा भारत देश कभी भ्रष्टाचार से मुक्ति नहीं हो पाएगा। भ्रष्टाचार से हमें भारत को मुक्ति दिलाने हैं, तो जो हमारे देश मे भ्रष्टाचार हो रहे है, उसके खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए। भ्रष्टाचार भारत के हर कोने में मौजूद है। यह हमारे देश को बर्बाद कर सकता है। हमारे देश में भ्रष्टाचार के नकारात्मक प्रभावों को सब कोई झेल रहा है।

भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार पूरे भारत देश में बीमारी की तरह फ़ैल रहा है, भारत में भ्रष्टाचार की गति बहुत तेजी से बढ़ रही है। यदि समय रहते भ्रष्टाचार को नहीं रोका जाएगा। तो  यह पूरे भारत को अपनी चपेट में ले लेगा। बात करे यदि तो हमारे भारत देश मे लोग अशिक्षित हैं, जो पढ़े लिखे नहीं हैं वह लोग भी भ्रष्टाचार में साथ देते है और कई व्यक्ति नौकरी  के अच्छी पोस्ट पाने के लिये रिश्वत देने में नहीं चूकते है।

वर्तमान समय में देश भर में सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रष्टाचार बहुत ही बढ़ता जा रहा है। आए दिन देश के नागरिक इस सोशल मीडिया पर बढ़ रहे भ्रष्टाचार के शिकार हो रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को नौकरी देने का झांसा दिला कर लोग उनसे पैसे लूट लेते हैं। देश भर में आए दिन इस प्रकार के केस रोजाना देखने को मिलते हैं। देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार बहुत सारा प्रयास कर रही है।

देश में जितने भी सरकारी कार्य होते हैं, उनमें कहीं न कहीं पर भ्रष्टाचार देखने को मिलता है। सरकारी दफ्तरों में लोग अक्सर रिश्वत लेते पकड़े जाते हैं। रिश्वत लेकर सरकारी योजनाओं का फायदा देने वाले लोग देश में भ्रष्टाचार को बढ़ा रहे हैं। सरकार द्वारा रिश्वत देने वाले लोगों को और रिश्वत लेने वाले लोगों को सजा दी जा रही है। लेकिन फिर भी लोग इस भ्रष्टाचार को निरंतर बढ़ाते जा रहे हैं। इसके अलावा पुलिस स्टेशन में मुख्य तौर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। पुलिस कर्मचारी द्वारा पैसे लेकर कार्रवाई करने की मांग की जाती है। सरकार द्वारा इसके खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।

भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय

हमें रिश्वत लेने वाले और रिश्वत देने वाले दोनों व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। समाज में विभिन्न स्तरों पर फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हमें एक साथ जुट होकर सामना करना चाहिए। जो लोग रिश्वत लेते समय पकड़े जाते हैं, वही व्यक्ति रिश्वत देकर छूट भी जाते हैं। यह भ्रष्टाचार बीमारी की तरह  हमारे पूरे भारत में दीमक की तरह फैलती जा रही है। इसको दूर करने के लिए रिश्वत देने वालों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, ताकि वह दोबारा भारत का नाम बदनाम करने की कोशिश भी ना करे।

भ्रष्टाचार विरोधी दिवस

दुनिया भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए  ही 9 दिसंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार दिवस ‘के रूप मे मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 31 अक्टूबर 2002 को एक प्रस्ताव पारित कर ‘ अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार दिवस ‘ मनाने के लिए घोषणा की थी।

भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए हमारे भारत देश का नाम बदनाम कर रहे है। अत : बेहद ही जरूरी है, कि  हम भ्राष्टाचार के  इस जहरीले सांप को कुचल डाले और साथ ही सरकार को हमारे साथ मिलकर इस भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे। तभी हम भारत देश को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाकर भारत के सपनों को पूरे कर सकेंगे। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए केंद्र सरकार मुख्य रूप से जोड़ दे रही है। इसके अलावा हमें भी भ्रष्टाचार को रोकने में सरकार की सहायता करनी चाहिए। देश में जहां पर भी भ्रष्टाचार हो रहा है, उसके खिलाफ सरकार द्वारा जारी किए गए सहायता नंबर पर संपर्क करके भ्रष्टाचार फैलाने वाले लोगों के खिलाफ कंप्लेंट करनी चाहिए।

इस आर्टिकल में आपको भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध ( Bhrashtachar Mukt Bharat Par Nibandh)के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। उम्मीद है, कि हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको अच्छी लगी है। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से संबंधित कोई सुझाव है। तो वह हमें कमेंट के माध्यम से बता सकता है।

  • डिजिटल इंडिया पर निबंध
  • स्वच्छता पर निबंध
  • बेरोजगारी की समस्या पर निबंध

Ripal

Related Posts

Leave a comment जवाब रद्द करें.

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

45,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today

Here’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more.

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

Verification Code

An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

Thanks for your comment !

Our team will review it before it's shown to our readers.

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

  • Essays in Hindi /

Bhrashtachar par Nibandh : छात्रों के लिए भ्रष्टाचार पर हिंदी में निबंध

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

  • Updated on  
  • जुलाई 1, 2021

Bhrashtachar par Nibandh

भ्रष्टाचार एक प्रकार की आपराधिक गतिविधि या बेईमानी है जिसे कोई व्यक्ति या समूह अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए करता है। यह अधिनियम दूसरों के अधिकारों और विशेषाधिकारों से समझौता करता है। मुख्य रूप से इसमें रिश्वतखोरी या गबन जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं। निश्चित रूप से यह लालची और स्वार्थी व्यवहार को दर्शाता है। आईये इस ब्लॉग में हम विस्तार से Bhrashtachar के बारे में जानते हैं। Bhrashtachar par Nibandh के माध्यम से आप इस विषय को सम्पूर्ण तरीके से समझ पाएंगे।

This Blog Includes:

Corruption in hindi : भ्रष्टाचार के तरीके, देश का लचीला कानून, व्यक्ति का लोभी स्वभाव, भ्रष्टाचार के परिणाम, ये हैं भारत के सबसे बड़े भ्रष्टाचार घोटाले, भ्रष्टाचार के उपाय पर निबंध, bhrashtachar par nibandh: भ्रष्टाचार रोकने के तरीके पर निबंध.

सबसे पहले, रिश्वत भ्रष्टाचार का सबसे आम तरीका है। रिश्वत में व्यक्तिगत लाभ के बदले एहसान और उपहारों का अनुचित उपयोग शामिल है। इसके अलावा, एहसान के प्रकार विविध हैं। इन सबसे ऊपर, एहसानों में पैसा, उपहार, कंपनी के शेयर, यौन एहसान, रोजगार, मनोरंजन और राजनीतिक लाभ शामिल हैं। इसके अलावा, व्यक्तिगत लाभ हो सकता है – अधिमान्य उपचार और अपराध को नजरअंदाज करना।

गबन चोरी के उद्देश्य के लिए संपत्ति को वापस लेने के अधिनियम को संदर्भित करता है। इसके अलावा, यह एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा होता है जिन्हें इन परिसंपत्तियों को सौंपा गया था। इन सबसे ऊपर, गबन वित्तीय धोखाधड़ी का एक प्रकार है। भ्रष्टाचार का एक वैश्विक रूप है। सबसे उल्लेखनीय, यह व्यक्तिगत लाभ के लिए एक राजनेता के अधिकार के अवैध उपयोग को संदर्भित करता है। इसके अलावा, भ्रष्टाचार का एक लोकप्रिय तरीका राजनेताओं के लाभ के लिए सार्वजनिक धन को गलत तरीके से सीमित करना है।

यह भी पढ़ें : समय का महत्व कितना जरूरी है?

जबरन वसूली भ्रष्टाचार का एक और प्रमुख तरीका है। इसका मतलब अवैध रूप से संपत्ति, धन या सेवाएं प्राप्त करना है। इन सबसे ऊपर, यह उपलब्धि व्यक्तियों या संगठनों के साथ मिलकर होती है। इसलिए, एक्सटॉर्शन ब्लैकमेल के समान है। अनुकूलता और भाई-भतीजावाद भ्रष्टाचार का एक पुराना रूप है जो अभी भी उपयोग में है। यह एक व्यक्ति के अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को नौकरियों के पक्ष में बताता है। यह निश्चित रूप से एक बहुत ही अनुचित प्रथा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई योग्य उम्मीदवार नौकरी पाने में असफल होते हैं। विवेक का दुरुपयोग भ्रष्टाचार का एक और तरीका है। यहाँ, एक व्यक्ति एक शक्ति और अधिकार का दुरुपयोग करता है। एक उदाहरण किसी न्यायाधीश द्वारा किसी आपराधिक मामले को अनजाने में खारिज करने का हो सकता है। अंत में, पेडलिंग को प्रभावित करना यहां अंतिम विधि है। यह अवैध रूप से सरकार या अन्य अधिकृत व्यक्तियों के साथ एक के प्रभाव का उपयोग करने के लिए संदर्भित करता है। इसके अलावा, यह अधिमान्य उपचार या पक्ष प्राप्त करने के लिए जगह लेता है।

भ्रष्टाचार के कारण

भ्रष्टाचार विकासशील देश की समस्या है, यहां भ्रष्टाचार होने का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर ज्यादातर भ्रष्टाचारी बाइज्जत बरी हो जाते हैं, अपराधी को दण्ड का भय नहीं होता है।

लालच और असंतुष्टि एक ऐसा विकार है जो व्यक्ति को बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता है। व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने धन को बढ़ाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है।

आदत व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। एक मिलिट्री रिटायर्ड ऑफिसर रिटायरमेंट के बाद भी अपने ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त किए अनुशासन को जीवन भर वहन करता है। उसी प्रकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ गई है।

व्यक्ति के दृढ़ निश्चय कर लेने पर कोई भी कार्य कर पाना असंभव नहीं होता वैसे ही भ्रष्टाचार होने का एक प्रमुख कारण व्यक्ति की मनसा (इच्छा) भी है।

समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की उन्नति में सबसे बड़ा बाधक तत्व है। इसके वजह से गरीब और गरीब होता जा रहा है। देश में बेरोजगारी, घूसखोरी, अपराध की मात्रा में दिन-प्रतिदन वृद्धि होती जा रही है यह भ्रष्टाचार के फलस्वरूप है। किसी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारणवश परिणाम यह है की विश्व स्तर पर देश के कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जाते हैं।

  • बोफोर्स घोटाला – 64 करोड़ रुपये
  • यूरिया घोटाला – 133 करोड़ रुपये
  • चारा घोटाला – 950 करोड़ रुपये
  • शेयर बाजार घोटाला – 4000 करोड़ रुपये
  • सत्यम घोटाला – 7000 करोड़ रुपये
  • स्टैंप पेपर घोटाला – 43 हजार करोड़ रुपये
  • कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला – 70 हजार करोड़ रुपये
  • 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला – 1 लाख 67 हजार करोड़ रुपये
  • अनाज घोटाला – 2 लाख करोड़ रुपए (अनुमानित)
  • कोयला खदान आवंटन घोटाला – 12 लाख करोड़ रुपये

हमारे संविधान के लचीलेपन के वजह से अपराधी में दण्ड का बहुत अधिक भय नहीं रह गया है। अतः भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है। कानूनी प्रक्रिया में बहुत अधिक समय नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। इससे भ्रष्टाचारी को बल मिलता है।

लोकपाल भ्रष्टाचार से जुड़े शिकायतों को सुनने का कार्य करता है। अतः देश में फैले भ्रष्टाचार को दूर करने हेतु लोकपाल कानून बनाना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त लोगों में जागरूकता फैला कर, प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बना और लोगों का सरकार तथा न्याय व्यवस्था के प्रति मानसिकता में परिवर्तन कर व सही उम्मीदवार को चुनाव जिता कर भ्रष्टाचार रोका जा सकता है।

भ्रष्टाचार रोकने का एक महत्वपूर्ण तरीका सरकारी नौकरी में बेहतर वेतन देना है। कई सरकारी कर्मचारियों को बहुत कम वेतन मिलता है। इसलिए, वे अपने खर्चों को पूरा करने के लिए रिश्वतखोरी का सहारा लेते हैं। तो, सरकारी कर्मचारियों को उच्च वेतन मिलना चाहिए। नतीजतन, उच्च वेतन उनकी प्रेरणा को कम कर देगा और रिश्वतखोरी में संलग्न होने का संकल्प करेगा।

श्रमिकों की संख्या में वृद्धि भ्रष्टाचार को रोकने का एक और उपयुक्त तरीका हो सकता है। कई सरकारी कार्यालयों में, कार्यभार बहुत अधिक है। यह सरकारी कर्मचारियों द्वारा काम को धीमा करने का अवसर प्रदान करता है। नतीजतन, ये कर्मचारी काम के तेजी से वितरण के बदले में रिश्वत लेते हैं। इसलिए, सरकारी कार्यालयों में अधिक कर्मचारियों को लाकर रिश्वत देने के इस अवसर को हटाया जा सकता है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठिन कानून बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन सबसे ऊपर, दोषी व्यक्तियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इसके अलावा, सख्त कानूनों का एक कुशल और त्वरित कार्यान्वयन होना चाहिए।

कार्यस्थलों में कैमरे लगाना भ्रष्टाचार को रोकने का एक शानदार तरीका है। इन सबसे ऊपर, कई व्यक्ति पकड़े जाने के डर से भ्रष्टाचार में लिप्त होने से बचेंगे। इसके अलावा, ये व्यक्ति अन्यथा भ्रष्टाचार में लिप्त रहे होंगे। सरकार को मुद्रास्फीति को कम रखना सुनिश्चित करना चाहिए। कीमतों में वृद्धि के कारण, कई लोगों को लगता है कि उनकी आय बहुत कम है। नतीजतन, यह जनता के बीच भ्रष्टाचार को बढ़ाता है।

व्यवसायी अपने माल के स्टॉक को उच्च कीमतों पर बेचने के लिए कीमतें बढ़ाते हैं। इसके अलावा, राजनेता उन्हें मिलने वाले लाभों के कारण उनका समर्थन करते हैं। इसे योग करने के लिए, भ्रष्टाचार समाज की एक बड़ी बुराई है। इस बुराई को समाज से जल्दी खत्म किया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार वह जहर है जिसने इन दिनों कई व्यक्तियों के दिमाग में प्रवेश कर लिया है। उम्मीद है कि लगातार राजनीतिक और सामाजिक प्रयासों से हम भ्रष्टाचार से छुटकारा पा सकते हैं।

आशा है कि आपको हमारा यह ब्लॅाग, Bhrashtachar par Nibandh पसंद आया होगा। ऐसे ही निबंध से संबंधित अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें। 

' src=

Team Leverage Edu

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।

Contact no. *

Mujhe bhrashtachar rokane ke tarike per nibandh likhna tha yah Ek school competition hai thank you

आपका शुक्रिया। ऐसे ही हमारी https://leverageedu.com/ पर बने रहिये।

browse success stories

Leaving already?

8 Universities with higher ROI than IITs and IIMs

Grab this one-time opportunity to download this ebook

Connect With Us

45,000+ students realised their study abroad dream with us. take the first step today..

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

Resend OTP in

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

Need help with?

Study abroad.

UK, Canada, US & More

IELTS, GRE, GMAT & More

Scholarship, Loans & Forex

Country Preference

New Zealand

Which English test are you planning to take?

Which academic test are you planning to take.

Not Sure yet

When are you planning to take the exam?

Already booked my exam slot

Within 2 Months

Want to learn about the test

Which Degree do you wish to pursue?

When do you want to start studying abroad.

January 2025

September 2025

What is your budget to study abroad?

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

How would you describe this article ?

Please rate this article

We would like to hear more.

दा इंडियन वायर

भ्रष्टाचार पर अनुच्छेद, लेख

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

By विकास सिंह

paragraph on corruption in hindi

जब अधिकार प्राप्त एक व्यक्ति व्यक्तिगत लाभ के लिए अपनी गतिविधियों को करता है तो इसे भ्रष्टाचार कहा जाता है। इसमें रिश्वत लेना, कार्यों को पूरा करने के लिए अनुचित साधनों का उपयोग करना, सरकारी सेवाओं और सामानों का शोषण करना और बहुत कुछ शामिल हो सकता है।

विषय-सूचि

भ्रष्टाचार पर अनुच्छेद, paragraph on corruption in hindi (100 शब्द)

भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जो हमारे देश में सदियों से प्रचलित है। विभिन्न स्तरों पर सत्ता और रिश्वतखोरी लोगों को बेईमानी भ्रष्टाचार की ओर ले जाती है। लोगों को इस बात का अहसास नहीं है कि छोटे व्यक्तिगत लाभ के उनके प्रयास देश के आर्थिक और सामाजिक विकास को काफी हद तक प्रभावित कर रहे हैं।

यह समझना चाहिए कि किसी की स्थिति के लिए निर्धारित नैतिक मानदंडों का पालन करने से एक मजबूत प्रणाली का निर्माण करने में मदद मिल सकती है जो बदले में समग्र रूप से राष्ट्र के विकास और विकास में मदद करेगी। जब हमारा राष्ट्र बढ़ेगा, तो हम भी बढ़ेंगे और इससे लाभान्वित होंगे। यह प्रत्येक नागरिक के लिए एक बड़ा लाभ होगा।

भ्रष्टाचार पर अनुच्छेद, paragraph on corruption in hindi (150 शब्द)

corruption

व्यक्तिगत संतोष हासिल करने के लिए स्वार्थी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए भ्रष्टाचार सार्वजनिक संपत्ति, स्थिति, शक्ति और अधिकार का दुरुपयोग है। भ्रष्टाचार एक व्यक्ति या समूह के व्यक्तिगत लाभ के लिए अधिकार का दुरुपयोग है। यह सरकार द्वारा बनाए गए कुछ नियमों और कानूनों को तोड़कर कुछ निजी फायदे के लिए सार्वजनिक शक्ति का अनुचित उपयोग है।

अब एक दिन, यह समाज में गहराई से फैल गया है और इसकी बहुत सारी जड़ों के कारण बहुत मजबूत हो गया है। यह एक कैंसर की तरह है जो एक बार उत्पन्न होने पर दवा के बिना समाप्त नहीं हो सकता है और लगातार अपनी जड़ें फैलाता रहता है। हमारे देश में भ्रष्टाचार का एक सामान्य रूप नकद धन प्राप्त करना है, ऑनलाइन हस्तांतरण के माध्यम से या महंगा उपहार आदि के रूप में।

कुछ लोग गलत तरीके से किसी और के पैसे का उपयोग अपने लिए करते हैं। सरकारी या गैर-सरकारी कार्यालयों में भर्ती कुछ लोग भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं और अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

भ्रष्टाचार पर अनुच्छेद, paragraph on corruption in hindi (200 शब्द)

corruption

हम सभी भ्रष्टाचार से अच्छी तरह परिचित हैं और क्योंकि यह हमारे देश में कोई नई घटना नहीं है। इसने अपनी जड़ें लोगों के दिमाग में इतनी गहराई तक पहुंचा दी हैं। यह प्राचीन काल से समाज में एक बहुत ही सामान्य जहर है। यह मुगल और सल्तनत काल के इतिहास के समय से उपलब्ध है।

यह अपनी नई ऊंचाई पर पहुंच रहा है। इसने लोगों के दिमाग को काफी हद तक प्रभावित किया है और यह इतना सामान्य हो गया है कि गलत लोग सार्वजनिक जीवन के साथ खेल सकते हैं। यह एक प्रकार का लालच है जो मानव मन को भ्रष्ट करता है और एक की मानवता और स्वाभाविकता को नष्ट करता है।

भ्रष्टाचार विभिन्न प्रकारों का है, जो शिक्षा, खेल, खेल, राजनीति, आदि जैसे हर दायर में फैला हुआ है। भ्रष्टाचार के कारण, व्यक्ति कार्यस्थल पर अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझता है। भ्रष्टाचार चोरी, बेईमानी, सार्वजनिक संपत्ति का अपव्यय, अनावश्यक रूप से समय की बर्बादी, शोषण, घोटालों, घोटालों, जिम्मेदारियों के कदाचार आदि विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचार हैं।

इसने विकासशील और सुविकसित दोनों देशों में अपनी जड़ें जमा ली हैं। हमें गुलामी से वास्तविक आजादी पाने के लिए अपने समाज और देश से भ्रष्टाचार को दूर करने की जरूरत है। हम सभी को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति निष्ठावान और किसी भी प्रकार के लालच के लिए सख्त होने की आवश्यकता है।

भ्रष्टाचार पर अनुच्छेद, paragraph on corruption in hindi (250 शब्द)

corruption

आजकल, एक संक्रामक बीमारी की तरह समाज में हर जगह भ्रष्टाचार देखा जाता है। भारत के महान नेता जिन्होंने अपना पूरा जीवन भ्रष्टाचार और अन्य सामाजिक मुद्दों को समाज से पूरी तरह से हटाने के लिए लड़ा है। यह हमारे लिए बहुत ही शर्मनाक स्थिति है कि विभिन्न महान जीवन खोने के बाद भी हम अपनी वास्तविक जिम्मेदारियों को नहीं समझ पा रहे हैं।

आम जनता के जीवन, राजनीति, केंद्र सरकारों, राज्य सरकारों, व्यवसायों, उद्योगों इत्यादि में भ्रष्टाचार फैला हुआ है, इसने कोई क्षेत्र नहीं छोड़ा है। धन, शक्ति, पद और विलासिता के लिए लोगों की भूख में लगातार वृद्धि के कारण भ्रष्टाचार कम या स्थिर होने के बजाय दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

हम सिर्फ पैसे के कारण इंसान होने की असली ज़िम्मेदारी को भूल गए हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि पैसा सब कुछ नहीं है और यह एक स्थिर चीज नहीं है। हम इसे हमेशा के लिए नहीं रख सकते, यह हमें केवल लालच और भ्रष्टाचार दे सकता है।

हमें नैतिकता आधारित जीवन को महत्व देना चाहिए न कि धन आधारित जीवन को। यह सच है कि आम जीवन जीने के लिए हमें बहुत धन की आवश्यकता होती है लेकिन यह सच नहीं है कि सिर्फ अपने स्वार्थ और लालच के लिए; हमें कुछ अनुचित तरीकों से किसी का जीवन या पैसा खेलना चाहिए।

भ्रष्टाचार पर लेख, paragraph on corruption in hindi (300 शब्द)

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भ्रष्टाचार बहुत बुरी चीज है। यह व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ समाज और देश की वृद्धि और विकास को बाधित करता है। यह सामाजिक बुराई है जो मानव शरीर और मन को सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक रूप से निभा रही है।

यह धन, शक्ति और स्थिति के प्रति बढ़ते मानवीय लालच के कारण लगातार अपनी जड़ों को इतना गहरा बना रहा है। किसी व्यक्ति द्वारा अपने व्यक्तिगत संतुष्टि प्राप्त करने के लिए भ्रष्टाचार, सार्वजनिक स्थिति, प्राकृतिक या सार्वजनिक संसाधनों, शक्ति आदि का दुरुपयोग है। सूत्रों के अनुसार, यह पता चला है कि भारत अत्यधिक भ्रष्ट देशों में तीन पायदान पर है।

सिविल सेवा, राजनीति, व्यवसाय और अन्य अवैध क्षेत्रों के क्षेत्र में भ्रष्टाचार अत्यधिक फैला हुआ है। भारत अपने लोकतंत्र के लिए एक प्रसिद्ध देश है लेकिन यह भ्रष्टाचार है जो इसकी लोकतांत्रिक प्रणाली को परेशान करता है। देश में सभी प्रकार के भ्रष्टाचार के लिए राजनेता अत्यधिक जिम्मेदार हैं।

हमने अपने नेताओं का चयन करके उनसे अपेक्षा की थी कि वे हमारे देश का सही दिशा में नेतृत्व करें। शुरुआत में वे हमसे बहुत सारे वादे करते हैं, लेकिन मतदान के बाद वे सब भूल जाते हैं और भ्रष्टाचार में शामिल होते हैं। हमें यकीन है कि हमारा भारत एक दिन भ्रष्टाचार मुक्त होगा जब हमारे राजनीतिक नेता लालच से मुक्त होंगे और देश का नेतृत्व करने के लिए अपनी शक्ति, धन, स्थिति और स्थिति का सही दिशा में उपयोग करेंगे, न कि अपनी खुद की लक्जरी और व्यक्तिगत इच्छाओं को पूरा करने में इसका प्रयोग करेंगे।

हमें अपने पहले भारतीय नेताओं जैसे लाल बहादुर शास्त्री, सरदार वल्लभ भाई पटेल, आदि जैसे हमारे भारत का नेतृत्व करने के लिए बहुत ईमानदार और भरोसेमंद नेताओं का चयन करना चाहिए, केवल ऐसे राजनीतिक नेता ही कम कर सकते हैं और अंततः भारत से भ्रष्टाचार को समाप्त कर सकते हैं।

देश के युवाओं को भी भ्रष्टाचार के सभी कारणों से अवगत होना चाहिए और समूह में इसे हल करने के लिए एकजुट होना चाहिए। भ्रष्टाचार के बढ़ते स्तर पर नियंत्रण पाने के लिए कुछ भारी कदम उठाने की जरूरत है।

भ्रष्टाचार पर लेख, paragraph on corruption in hindi (350 शब्द)

भ्रष्टाचार कई देशों के विकास में सबसे बड़ी अड़चनों में से एक है। यह भारत में विशेष रूप से एक बड़ी समस्या है। यह हमारे देश में लगभग हर स्तर पर गिराता है। शायद ही कोई उद्योग या क्षेत्र ऐसा हो जो भ्रष्टाचार से रहित हो। जब भी मौका मिलता है लोग अपने निजी लाभ के लिए दूसरे लोगों और स्थितियों का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं।

भ्रष्टाचार के विभिन्न स्तर:

भ्रष्टाचार विभिन्न स्तरों और विभिन्न पैमानों पर होता है। इसे सुंदर भ्रष्टाचार, ग्रैंड भ्रष्टाचार और व्यवस्थित भ्रष्टाचार के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यहाँ बताया गया है कि इस प्रकार के भ्रष्टाचार एक दूसरे से कैसे भिन्न होते हैं:

सुंदर भ्रष्टाचार: इस प्रकार का भ्रष्टाचार छोटे स्तर पर होता है। यह ज्यादातर तब होता है जब आम जनता को सरकारी अधिकारियों से अनुमोदित छोटे कार्यों की आवश्यकता होती है। यद्यपि छोटे, ये कार्य आम जनता के लिए महत्वपूर्ण हैं ताकि वे उनके बिना ऐसा न कर सकें।

इनमें घर पर पानी का मीटर लगाना, गैस कनेक्शन के लिए आवेदन करना, पासपोर्ट के लिए आवेदन करना आदि शामिल हो सकते हैं, कई सरकारी अधिकारी इस स्थिति का फायदा उठाते हैं ताकि जल्दी रुपये मिल सकें। इस तरह से रिश्वत छोटे स्तर पर शुरू होती है।

भव्य भ्रष्टाचार: इस तरह का भ्रष्टाचार सरकार के उच्चतम स्तर पर होता है। इसमें ज्यादातर कानूनी और राजनीतिक प्रणाली का प्रमुख पुनरुत्थान शामिल है, ताकि उन लोगों को लाभान्वित किया जा सके। इस प्रकार का भ्रष्टाचार किसी देश की राजनीतिक और आर्थिक प्रणाली के मूल को कमजोर करता है। यह मुख्य रूप से तानाशाह या सत्तावादी प्रकार की सरकार में होता है और देश के लिए अत्यधिक हानिकारक है।

प्रणालीगत भ्रष्टाचार: इस प्रकार का भ्रष्टाचार काफी आम है। यह तब होता है जब किसी संगठन या प्रक्रिया के पूरे सिस्टम में खामियां और कमजोरियां होती हैं। लोग ऐसे परिदृश्य में अपने निजी हितों को आगे बढ़ाने के लिए लाभ उठाते हैं और संगठनों को और कमजोर करते हैं। इस तरह के भ्रष्टाचार के कुछ कारणों में वेतन पैकेज और प्रोत्साहन में पारदर्शिता की कमी और एकरूपता का अभाव है।

निष्कर्ष:

विभिन्न स्तरों पर विभिन्न कारणों से भ्रष्टाचार होता है। सरकार और संगठनों को समस्या के मूल कारणों की पहचान करना और इसे रोकने के लिए सख्त मानदंडों को लागू करना महत्वपूर्ण है। भ्रष्ट तरीकों से लिप्त होने वाले लोग आमतौर पर भ्रष्टाचार से बच जाते हैं क्योंकि शीर्ष स्तर तक भ्रष्टाचार प्रचलित है और कई बड़े नाम इसमें शामिल हैं।

भ्रष्टाचार पर अनुच्छेद, paragraph on corruption in hindi (400 शब्द)

भ्रष्टाचार अत्यधिक संक्रामक सामाजिक बीमारी है जिसने अपनी जड़ें बुरे लोगों के दिमाग में फैला दी हैं। समाज में इस प्रकार की बुरी गतिविधियों को करने के लिए किसी ने जन्म नहीं लिया, लेकिन उनके जीवन की कुछ बुरी स्थितियों ने उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया।

धीरे-धीरे वे इन सभी बुरी गतिविधियों के लिए अभ्यस्त हो जाते हैं। हालाँकि, किसी भी समस्या, बीमारी आदि से पीड़ित लोगों को धैर्य और खुद पर भरोसा रखना चाहिए और जीवन में कभी भी कुछ बुरा नहीं करना चाहिए। जैसा कि, किसी का एक नकारात्मक कदम कई लोगों के जीवन को नुकसान पहुंचा सकता है।

हम इस धरती पर एक ही इकाई नहीं हैं, हमारे जैसे कई हैं, इसलिए हमें दूसरों के बारे में थोड़ा सोचना चाहिए और सकारात्मक विचारों के साथ जीवन को सुख और शांति से जीना चाहिए। अब-एक दिन, भारत सरकार द्वारा गरीब लोगों को विभिन्न नियमों और विनियमों के आधार पर आम लोगों के साथ-साथ समाज में समानता लाने के लिए सामाजिक जागरूकता लाने के लिए बहुत सारे लाभ दिए जाते हैं।

हालांकि, गरीब लोगों को सरकार द्वारा दिए गए उन फायदों का लाभ नहीं मिल रहा है, क्योंकि कई अधिकारी गरीब लोगों तक पहुंचने से पहले चैनल के बीच गुप्त रूप से भ्रष्टाचार कर रहे हैं। वे सिर्फ पैसे से अपनी जेब भरने के लिए कानून के खिलाफ भ्रष्टाचार कर रहे हैं।

समाज में भ्रष्टाचार के कई कारण हैं। अब-के-दिनों के राजनीतिक नेता राष्ट्र उन्मुख कार्यक्रमों और नीतियों के बजाय रुचि उन्मुख कार्यक्रम और नीतियां बना रहे हैं। वे सिर्फ नागरिकों के हितों और आवश्यकता के बजाय अपने स्वयं के हितों को पूरा करने के लिए प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ बनना चाहते हैं। मानव मन में मूल्य प्रणाली में परिवर्तन का स्तर बढ़ रहा है और साथ ही साथ मानव के नैतिक गुणों में कमी हो रही है। विश्वास, विश्वास और ईमानदारी का स्तर घट रहा है जो भ्रष्टाचार को जन्म देता है।

भ्रष्टाचार के प्रति सहन शक्ति बढ़ने के साथ आम लोगों की संख्या बढ़ रही है। भ्रष्टाचार का विरोध करने के लिए समाज में मजबूत सार्वजनिक मंच की कमी है, ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक अशिक्षा, खराब आर्थिक बुनियादी ढांचे, आदि सार्वजनिक जीवन में स्थानिक भ्रष्टाचार का कारण हैं।

सरकारी कर्मचारियों के कम वेतन मानदंड उन्हें भ्रष्टाचार के चैनल की ओर ले जाते हैं। सरकार के जटिल कानून और प्रक्रियाएं आम लोगों को सरकार से किसी भी प्रकार की सहायता प्राप्त करने के लिए विचलित करती हैं। चुनाव के समय, भ्रष्टाचार अपने उच्चतम शिखर पर हो जाता है। राजनेता हमेशा अपने शासन के दौरान भविष्य में बड़े सपने दिखाकर गरीब और अनपढ़ लोगों का समर्थन करते हैं लेकिन जीत के बाद कुछ भी नहीं होता है।

[ratemypost]

इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

Related Post

Bhagavad gita summary in hindi| भगवद्गीता का सारांश क्या है, paper leak: लाचार व्यवस्था, हताश युवा… पर्चा लीक का ‘अमृत काल’, केंद्र ने पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टोरल फ़ेलोशिप के लिए वन-स्टॉप पोर्टल किया लॉन्च, 4 thoughts on “भ्रष्टाचार पर अनुच्छेद, लेख”.

bahut acche anucched

It was very interesting

bhot hard anuched maja aa gaya bhai

amazing i really really recomendthis

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

प्रतिदिन योगाभ्यास से मधुमेह, थायरॉयड, पीसीओएस जैसी बीमारियों पर नियंत्रण पाएं

Netflix पर हिंदी में ये 5 अमेरिकी फिल्में जरूर देखें, हिंदी में शीर्ष 10 कोरियाई शो जिन्हें आपको disney+ hotstar पर देखना न भूलें.

Chhoti Badi Baatein

  • हिंदी निबंध संग्रह - Hindi Essay Collection

भ्रष्टाचार पर निबंध – Essay on corruption in Hindi

Bhrashtachar Par Nibandh – आज देश और दुनिया में हर जगह, हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार फैला हुआ है। भ्रष्टाचार देश के विकास में मुख्य बाधाओं में से एक है।

इस लेख में हम विभिन्न शब्द सीमाओं में भ्रष्टाचार पर निबंध (Bhrashtachar par nibandh) साझा कर रहे हैं जो की सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए मददगार साबित होंगे।

भ्रष्टाचार पर छोटे-बड़े निबंध – भाषण (Short and Long Essay on Corruption in Hindi, Bhrashtachar par Nibandh Hindi mein)

Table of Contents

भ्रष्टाचार पर निबंध / Bhrashtachar Par Nibandh – 1 (250 शब्दों में)

भ्रष्टाचार समाज और देश के लिए एक बड़ी समस्या है, जो न केवल लोगों के विश्वास और प्रगति को प्रभावित करता है, बल्कि संवैधानिक और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भी नुकसान पहुंचाता है।

आज देश और दुनिया के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। हमारे देश में भी भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें गहरी जमा रखी हैं, आप जहां भी देखें, अधिकारी और नेता भ्रष्टाचार से पटे पड़े हैं।

देश में भ्रष्टाचार हर विभाग में और हर जगह भरा पड़ा है। दुराचारी अर्थात भ्रष्ट और बिगड़ैल व्यक्तित्व भष्ट की श्रेणी में आता है।

यदि कोई व्यक्ति अपने अधिकारों का दुरुपयोग करता है और अपने व्यक्तिगत लाभ, आत्म-पूर्ति के लिए गलत तरीके से काम करता है, तो उसे भ्रष्ट कहा जाता है।

  • भारत भ्रष्टाचार के मामले में आज दुनिया में 85वें स्थान पर है।

भ्रष्टाचार के कई रूप हैं जैसे घूसखोरी, कालाबाज़ारी, जानबूझकर कीमत बढ़ाना, पैसे लेकर काम करना, सस्ता सामान लाना और महंगा बेचना आदि।

हालांकि ये सब बातें कही जाती हैं कि भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है, लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं है कि देश में भ्रष्टाचार कब कम होगा, लेकिन इसकी शुरुआत हम खुद से कर सकते हैं।

  • अगर हम देश को बचाना चाहते हैं और अपनी आने वाली पीढ़ियों को उज्ज्वल भविष्य देना चाहते हैं तो समय रहते भ्रष्टाचार को रोकना जरूरी है।

भ्रष्टाचार पर निबंध / Bhrashtachar Par Nibandh – 2 (750 शब्दों में)

प्रस्तावना:

भ्रष्टाचार का सामान्य अर्थ भ्रष्ट आचरण या भ्रष्ट व्यवहार वाला व्यक्तित्व है। ऐसा व्यक्ति जो कानून और न्याय को अपने पैरों तले रौंदता है और अपने स्वार्थ के लिए कुछ काम करता है, वह भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।

हम आए दिन अखबारों और टीवी पर भ्रष्टाचार से जुड़ा कोई न कोई मुद्दा देखते हैं। किसी नेता ने घोटाला किया, किसी अधिकारी ने घूस लिया, कभी किसी कर्मचारी को घूस लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया, आदि समाचार कानों पर आते रहते हैं।

भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह है। आज भारत देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है और इसकी जड़ें तेजी से फैल रही हैं।

ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और देश में इस तरह की समस्या का समाधान भी जल्द खोजा जाना चाहिए। अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया तो यह पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेगा।

भ्रष्टाचार क्या होता है? 

भ्रष्टाचार एक ऐसी गतिविधि है जिसमें किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया जाता है।

इसमें विभिन्न प्रकार के अपराध शामिल हैं जैसे किसी भ्रष्ट व्यक्ति द्वारा सेवा के लिए धन की मांग करना, घोटाला करना, समर्थन धन की मांग करना, व्यक्तिगत लाभ के लिए अधिकार का दुरुपयोग करना, कनिष्ठ कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करना और अन्य अपराध।

भ्रष्टाचार क्यों पनपता है?

भ्रष्टाचार एक ऐसे व्यवहार को संदर्भित करता है जो अनैतिक है और किसी के निजी स्वार्थ के लिए किया जाता है। आज हमारा देश भ्रष्ट देशों की श्रेणी में विश्व में 85वें नंबर पर आता है।

हमारे देश में भ्रष्टाचार इतना अधिक क्यों बढ़ रहा है, इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं:-

  • देश का लचीला कानून – भ्रष्टाचार हर विकासशील देश की आम समस्या है, यहां भ्रष्टाचार का मुख्य कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर अधिकांश भ्रष्टाचारी कानूनी प्रक्रिया से सम्मान के साथ बरी हो जाते हैं, जिससे अपराधी को सजा का डर नहीं रहता। देश में भ्रष्टाचारियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में कानून तो हैं लेकिन भ्रष्टाचारियों पर प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं।
  • व्यक्ति का लालच – लोभ और असन्तोष ऐसे विकार हैं जो शिक्षित और बुद्धिमान व्यक्ति को भी बहुत ही तुच्छ कार्य करने के लिए विवश कर देते हैं। आमतौर पर हर व्यक्ति के मन में अपने धन को बढ़ाने की तीव्र इच्छा उत्पन्न होती है। नेता और वे सरकारी कर्मी भी इसी श्रेणी में आते हैं जिन्हें अच्छा पद और वेतन तो मिलता है लेकिन वे बिना पैसे लिए काम नहीं करते।
  • स्वार्थ और असमानता – कई बार आर्थिक, सामाजिक या सम्मान, पद-प्रतिष्ठा की असमानता के कारण व्यक्ति स्वयं को भ्रष्ट बना लेता है। हीनता और ईर्ष्या की भावना से ग्रसित व्यक्ति स्वयं को भ्रष्टाचार अपनाने के लिए बाध्य करता है। साथ ही रिश्वतखोरी, भाई-भतीजावाद आदि जैसे स्वार्थ हेतु भी भ्रष्टाचार को जन्म देते हैं।

हम भ्रष्टाचार से कैसे बचें?

अगर हमें और हमारी आने वाली पीढ़ियों को देश में फैले इस नासूर से बचना है तो सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा। यदि हम रिश्वत नहीं देते हैं तो जो लोग अवैध कार्य करते हैं या रिश्वत लेते हैं उनकी अनुचित मांग पर अंकुश लगाया जा सकता है।

लेकिन इसके लिए पहले हमें खुद को सुधारना होगा, उसके बाद हम लोगों को कह सकते हैं कि रिश्वत मत दो। कई बार हम भी इसके चंगुल में फंस जाते हैं और फिर सोचते हैं कि यह देश कभी नहीं सुधरेगा।

भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय

भ्रष्टाचार छूत की बीमारी की तरह है। आज भ्रष्टाचार का आलम यह है कि रिश्वतखोरी के मामले में जो व्यक्ति पकड़ा जाता है वह रिश्वत देने के बाद छूट भी जाता है। समाज के विभिन्न स्तरों पर फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त दंड-व्यवस्था की जानी चाहिए। 

भ्रष्टाचार को रोकने के निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं:

  • सख्त कानूनों और नियमों का उपयोग – सरकारों को सख्त कानूनों और नियमों को लागू करना चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार करने वालों को जल्द से जल्द और कड़ी से कड़ी सजा मिल सके।
  • जन जागरूकता – जनता को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। जब लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो जाते हैं, तो वे अपने अधिकारों की रक्षा करने में सक्षम हो जाते हैं।
  • निरपेक्षता – सरकारों और अधिकारियों को निरपेक्ष रहना चाहिए और सभी लोगों को समान रूप से न्याय दिलाने के लिए उन्हें अपने काम में सच्चाई और ईमानदारी का उपयोग करना चाहिए।
  • तकनीक में सुधार – भ्रष्टाचार को रोकने के लिए तकनीक में निरंतर सुधार भी जरूरी है। सरकारों को ई-गवर्नेंस और ई-टेंडरिंग जैसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार के मामलों पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।

भ्रष्टाचार हमारे नैतिक मूल्यों पर सबसे बड़ा प्रहार है। भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अपने स्वार्थ में अंधे होकर देश का नाम बदनाम कर रहे हैं।

भ्रष्टाचार पर निबंध / Bhrashtachar Par Nibandh – 3 (950 शब्दों में)

हममें से अधिकांश लोग भ्रष्टाचार के लिए उच्च पदों पर बैठे राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि देश के आम नागरिक भी भ्रष्टाचार के विभिन्न रूपों में भागीदार हैं।

भ्रष्टाचार अवैध तरीकों से पैसा कमाना है, भ्रष्टाचार में व्यक्ति अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए सार्वजनिक धन, टैक्स और देश की संपत्ति का शोषण करता है।

यह देश की प्रगति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है। व्यक्ति भ्रष्ट तब होता है जब उसके आचार में दोष होता है, उसी प्रकार देश में भ्रष्टाचार की मात्रा बढ़ती है।

एक आकलन के अनुसार ब्रिटिश सत्ता के शासन काल में भारत में भ्रष्टाचार का स्तर बढ़ा और तब से इसने अपनी जड़ें और मजबूत कर ली हैं। सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत आज कई क्षेत्रों में पिछड़ा हुआ है और इसका मुख्य कारण उस क्षेत्र में फैला भ्रष्टाचार है।

स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए जिनमें लोकपाल अधिनियम और लोकायुक्त अधिनियम आदि जैसी नीतियां शामिल हैं।

भ्रष्टाचार का स्वरूप:

भ्रष्टाचार एक व्यापक शब्द है जो अनैतिक, गलत और अनुचित कार्यों का वर्णन करता है जो किसी भी संगठन या समाज में नैतिक मूल्यों और कानूनों के खिलाफ होते हैं।

भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में पाई जाती है। भ्रष्टाचार कई रूप ले सकता है, जैसे नकद लेनदेन, जालसाजी, अनैतिक व्यवहार और किसी नेता या अधिकारी का अपराध-घोटाला, व्यक्तिगत लाभ के लिए जनता को धोखा देना, और अनुचित नियंत्रण और प्रबंधन।

भ्रष्टाचार एक ऐसी अनैतिक प्रथा है, जिसमें व्यक्ति अपनी छोटी-छोटी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अपने देश और देशवासियों को घोर संकट में डालने से भी नहीं हिचकिचाता।

भ्रष्टाचारी संविधान के सभी नियमों की अवहेलना करके अपने निजी फायदे के लिए गलत तरीके से धन अर्जित करते हैं। यह एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक समस्या है जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उत्पीड़न का कारण बनती है।

भ्रष्टाचार के विभिन्न प्रकार:

  • रिश्वत का लेन-देन – दफ्तर में चपरासी से लेकर उच्चाधिकारी तक सरकारी काम कराने के लिए आपसे पैसे लेते हैं। दरअसल उन्हें आपके काम के लिए सरकार से वेतन मिलता है और हमारी मदद के लिए ही उन्हें नियुक्त किया जाता है। इसके साथ ही देश के नागरिक इन्हें अपना काम जल्दी करवाने के लिए पैसे भी देते हैं इसलिए यह आदत भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।
  • चुनावों में धांधली – अक्सर देखा जाता है कि देश में चुनाव के दौरान नेता खुलेआम लोगों को पैसे, तौफे, मादक पदार्थ और कई तरह के प्रलोभन देते हैं। यह आकर्षक चुनावी धांधली वास्तव में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है।
  • भाई-भतीजावाद – बड़े पदों पर बैठे लोग अपने पद और ताकत का गलत इस्तेमाल कर भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देते हैं। ये अक्सर अपने किसी रिश्तेदार या मर्जी के व्यक्ति को उस पद की जिम्मेदारी दे देते हैं, जिसके वे हकदार भी नहीं होते। ऐसे में पात्र व्यक्ति उस अधिकार से वंचित हो जाता है।
  • नागरिकों द्वारा टैक्स चोरी – नागरिकों को कर चुकाने के लिए प्रत्येक देश में एक निश्चित पैमाना और समय सीमा निर्धारित की गई है। लेकिन कुछ लोग अपनी आय का सही ब्योरा सरकार को नहीं देते और टैक्स चोरी करते हैं। यह अनुचित कार्य भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में अंकित है।
  • शिक्षा और खेल के क्षेत्र में घूसखोरी – कई बार शिक्षा और खेल के क्षेत्र में चयनकर्ता रिश्वत लेकर मेधावी और योग्य उम्मीदवारों का चयन नहीं करते हैं, बल्कि उन्हें रिश्वत देने वालों का चयन किया जाता है।

भ्रष्टाचार के परिणाम क्या हैं?

भ्रष्टाचार के परिणाम बहुत हानिकारक होते हैं। इससे समाज, देश और जनता को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। इसकी अधिकता से गरीब और गरीब होता जा रहा है। देश में बेरोजगारी, धोखाधड़ी और आपराधिक मामलों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

किसी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार का परिणाम यह होता है कि विश्व स्तर पर देश की कानून व्यवस्था पर प्रश्न खड़े होते हैं, जिससे विश्व स्तर पर देश की छवि मलिन होती है।

भ्रष्टाचार देश के आर्थिक नुकसान का मुख्य कारण है। भ्रष्ट राजनेताओं और अधिकारियों द्वारा घोटालों, रिश्वतखोरी और अन्य प्रकार के भ्रष्टाचार के कारण देश अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने में असमर्थ हो जाता है।

भ्रष्टाचार सामाजिक मतभेदों का भी कारण बनता है। भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं द्वारा जनता के हितों की अनदेखी करने से उनमें आर्थिक और सामाजिक भेदभाव निर्माण होता है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • डिज़िटाइज़ेशन – सरकार द्वारा सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है, इससे घूसखोरी की मात्रा कम हुई है और सरकारी योजनाओं की सब्सिडी सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जाती है।
  • लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम – सरकार ने लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के माध्यम से लोकपाल और लोकायुक्तों के जनादेश का विस्तार किया है। इसमें भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए एक लोकपाल पद बनाया गया है।
  • जन लोकपाल अधिनियम – जन लोकपाल अधिनियम, 2011 के माध्यम से एक जन लोकपाल का पद स्थापित किया गया है, जो लोकतंत्र की सुरक्षा से संबंधित मामलों का आकलन करेगा।
  • राजस्व और कर सेवा आयोग – सरकार ने कर प्रणाली में सुधारों की सिफारिश करने के लिए राजस्व और कर सेवा आयोग का गठन किया है।
  • समर्थन प्रणाली को लोकप्रिय बनाया – सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ समर्थन पद्धति की शुरुआत की है। इस पद्धति के तहत लावारिस धन, चोरी या रिश्वतखोरी के तहत जुर्माना माफ करने के लिए लोग राशि जमा कर सकते हैं।

भ्रष्टाचार देश के विकास में लगा वह दीमक है जो देश को अंदर से खोखला कर रहा है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है जो दर्शाता है कि लोभ, असंतोष, आदत और महत्वकांशा जैसे विकारों के कारण व्यक्ति किस प्रकार अवसर का गलत लाभ उठा सकता है।

हर प्रकार का भ्रष्टाचार समाज और देश को बहुत नुकसान पहुंचाता है। समाज के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम सभी को यह प्रण लेना चाहिए कि भ्रष्टाचार न करें और न होने दें।

भ्रष्टाचार पर 10 पंक्तियां हिंदी में (10 Lines on corruption in Hindi)

  • भ्रष्टाचार का सामान्य अर्थ भ्रष्ट आचरण या भ्रष्ट व्यवहार वाला व्यक्तित्व है।
  • भ्रष्टाचार देश के विकास में मुख्य बाधाओं में से एक है।
  • दुराचारी अर्थात भ्रष्ट और बिगड़ैल व्यक्तित्व भष्ट की श्रेणी में आता है।
  • आज भारत देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है और इसकी जड़ें तेजी से फैल रही हैं।
  • भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अपने स्वार्थ में अंधे होकर देश का नाम बदनाम कर रहे हैं।
  • यदि हम रिश्वत नहीं देते हैं तो जो लोग अवैध कार्य करते हैं या रिश्वत लेते हैं उनकी अनुचित मांग पर अंकुश लगाया जा सकता है।
  • लेकिन इसके लिए पहले हमें खुद को सुधारना होगा, उसके बाद हम लोगों को कह सकते हैं कि रिश्वत मत दो।
  • समाज के विभिन्न स्तरों पर फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त दंड-व्यवस्था की जानी चाहिए।

——————————————–//

अन्य लेख पढ़ें:

  • रेल यात्रा पर निबंध – Essay on Train Journey in Hindi
  • पुस्तक पर निबंध – Pustak Par Nibandh In Hindi
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध – Digital India Essay in Hindi
  • कंप्यूटर पर निबंध – Computer Essay In Hindi
  • बसंत पंचमी पर निबंध – Essay on Basant Panchami
  • पोंगल पर निबंध – Essay on Pongal in Hindi
  • गुरु गोबिंद सिंह: जीवनी, इतिहास, जयंती और निबंध / भाषण
  • शिक्षा पर निबंध – Essay On Education In Hindi
  • 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) पर निबंध – Republic Day Essay In Hindi
  • मकर संक्रांति पर निबंध – Makar Sankranti Essay In Hindi

Enjoy this blog, Please share this

  • Share on Tumblr

“भ्रष्टाचार पर हिंदी में निबंध” ब्लॉग पोस्ट उन व्यक्तियों के लिए एक उपयोगी है जो हिंदी में भ्रष्टाचार के विषय को समझने की इच्छा रखते हैं। यह इस मुद्दे के बारे में उपयोगी अंतर्दृष्टि और जानकारी प्रदान करता है, जिससे इस विषय में रुचि रखने वालों के लिए यह एक मूल्यवान पोस्ट बन जाता है।

आपके समर्थन के लिए धन्यवाद निहालजी!

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Notify me of follow-up comments by email.

Notify me of new posts by email.

  • Choose your language
  • मुख्य ख़बरें
  • अंतरराष्ट्रीय
  • उत्तर प्रदेश
  • मोबाइल मेनिया

श्राद्ध पर्व

  • श्री कृष्णा
  • व्रत-त्योहार
  • श्रीरामचरितमानस
  • बॉलीवुड न्यूज़
  • मूवी रिव्यू
  • खुल जा सिम सिम
  • आने वाली फिल्म
  • बॉलीवुड फोकस

लाइफ स्‍टाइल

  • वीमेन कॉर्नर
  • नन्ही दुनिया
  • दैनिक राशिफल
  • आज का जन्मदिन
  • आज का मुहूर्त
  • वास्तु-फेंगशुई
  • टैरो भविष्यवाणी
  • पत्रिका मिलान
  • रत्न विज्ञान
  • धर्म संग्रह
  • Corruption In India Essay
  • 104 शेयरà¥�स

सम्बंधित जानकारी

  • Essay on Happy New Year : न्यू ईयर पर हिन्दी में निबंध
  • Atal Bihari Vajpayee Essay: अटल बिहारी वाजपेयी पर हिन्दी निबंध
  • essay on christmas : बड़ा दिन/ क्रिसमस पर हिन्दी निबंध
  • Hindi Essay : सरदार वल्लभ भाई पटेल पर हिन्दी निबंध
  • Essay on Indira Gandhi : इंदिरा गांधी पर हिन्दी में निबंध

Essay on Corruption: भ्रष्टाचार पर हिन्दी में निबंध

Essay on Corruption: भ्रष्टाचार पर हिन्दी में निबंध - Corruption In India Essay

  • वेबदुनिया पर पढ़ें :
  • महाभारत के किस्से
  • रामायण की कहानियां
  • रोचक और रोमांचक

क्या वजाइनल हेल्थ के लिए नुकसानदायक है मसालेदार खाना?

क्या वजाइनल हेल्थ के लिए नुकसानदायक है मसालेदार खाना?

DJ की तेज आवाज से सेहत को हो सकते हैं ये 5 गंभीर नुकसान, जानिए कैसे करें बचाव

DJ की तेज आवाज से सेहत को हो सकते हैं ये 5 गंभीर नुकसान, जानिए कैसे करें बचाव

शरीर में इसलिए मारता है लकवा! कहीं आप तो नहीं कर रहे ये गलतियां? जानें बचाव

शरीर में इसलिए मारता है लकवा! कहीं आप तो नहीं कर रहे ये गलतियां? जानें बचाव

स्टील, एल्युमीनियम और मिट्टी, कौन सा बर्तन है सबसे अच्छा? जानिए फायदे और नुकसान

स्टील, एल्युमीनियम और मिट्टी, कौन सा बर्तन है सबसे अच्छा? जानिए फायदे और नुकसान

मंडे ब्लूज़ से हैं अगर आप भी परेशान, तो ये खाएं ये सुपरफूड्स

मंडे ब्लूज़ से हैं अगर आप भी परेशान, तो ये खाएं ये सुपरफूड्स

और भी वीडियो देखें

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

टीचर और स्टूडेंट का फनी जोक : अकबर का शासन काल

टीचर और स्टूडेंट का फनी जोक : अकबर का शासन काल

हंसी के ठहाके : आपको लोटपोट कर देगा टीचर और चम्पू का यह लेटेस्ट चुटकुला

हंसी के ठहाके : आपको लोटपोट कर देगा टीचर और चम्पू का यह लेटेस्ट चुटकुला

रिलेशन में ये संकेत देखकर हो जाएं सतर्क, ऐसे पता चलता है कि आपका रिश्ता हो रहा है कमजोर

रिलेशन में ये संकेत देखकर हो जाएं सतर्क, ऐसे पता चलता है कि आपका रिश्ता हो रहा है कमजोर

Navratri fasting recipe : कैसे बनाएं सिंघाड़े का हलवा, नोट करें रेसिपी

Navratri fasting recipe : कैसे बनाएं सिंघाड़े का हलवा, नोट करें रेसिपी

  • हमारे बारे में
  • विज्ञापन दें
  • हमसे संपर्क करें
  • प्राइवेसी पालिसी

Copyright 2024, Webdunia.com

भ्रष्टाचार पर अनुच्छेद | Paragraph on Corruption in Hindi

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

भ्रष्टाचार पर अनुच्छेद | Paragraph on Corruption in Hindi!

आज के आधुनिक युग में व्यक्ति का जीवन अपने स्वार्थ तक सीमित होकर रह गया है । प्रत्येक कार्य के पीछे स्वार्थ प्रमुख हो गया है । समाज मे अनैतिकता, अराजकता और स्वार्थ से युत) भावनाओं का बोलबाला हो गया है । परिणाम स्वरूप भारतीय संस्कृति और उसका पवित्र तथा नैतिक स्वरूप कुंभला-सा हो गया है ।

इसका एक कारण समाज में फैल रहा भ्रष्टाचार भी है । भ्रष्टाचार के इस विकराल रुप को धारण करने का सबसे बड़ा कारण यही है कि इस अर्थप्रधान युग में प्रत्येक ब्यूक्ति धन प्राप्त करने में लगा हुआ है । कमरतोड महंगाई भी इसका एक प्रमुख कारण है ।

मनुष्य की आवश्यकताएँ बढ जाने के कारण वह उन्हें पूरा करने के लिए मनचाहे तरीकों को अपना रहा है । भारत के अंदर तो भ्रष्टाचार का फैलाव दिन-भर-दिन बढ़ रहा है । किसी भी क्षेत्र में चले जाएं भ्रष्टाचार का फैलाव दिखाई देता है । भारत के सरकारी व गैर-सरकारी विभाग इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण हैं ।

ADVERTISEMENTS:

आप यहाँ से अपना कोई भी काम करवाना चाहते हैं, बिना रिश्वत खिलाए काम करवाना संभव नहीं है । मंत्री से लेकर संतरी तक को आपको अपनी फाइल बढ़ताने के लिए पैसे का उपहार चढाना ही पड़ेगा । स्कूल व कॉलेज भी इस भ्रष्टाचार से अछूते नहीं है । बस इनके तरीके दूसरे हैं ।

गरीब परीवारों के बच्चों के लिए तो शिक्षा कॉलेजों तक सीमित होकर रह गई है । नामी स्कूलों में दाखिला कराना हो तो डोनेशन के नाम पर मोटी रकम मांगी जाती है। बैंक जो की हर देश की अर्थव्यवस्था का आधार स्तंभ है वे भी भ्रष्टाचार के इस रोग से पीडित हैं ।

आप किसी प्रकार के लोन के लिए आवेदन करें पर बिना किसी परेशानी के फाइल निकल जाए यह तो संभव नहीं हो सकता । देश की आंतरिक सुरक्षा का भार हमारे पुलिस विभाग पर होता परन्तु आए दिन यह समाचार आते-रहते हैं की आमुक पूलिस अफसर ने रिश्वत लेकर एक गुनाहगार को छोड़ दिया । भारत को यह भ्रष्टाचार खोखला बना रहा है ।

हमें हमारे समाज में फन फैला रहे इस विकराल नाग को मारना होगा । सबसे पहले आवश्यक है प्रत्येक व्यक्ति के मनोबल को ऊँचा उठाना । प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए अपने को इस भ्रष्टाचार से बाहर निकालना होगा । यही नहीं शिक्षा में कुछ ऐसा अनिवार्य अंश जोड़ा जाए ।

जिससे हमारी नई पीढ़ी प्राचीन संस्कृति तथा नैतिक प्रतिमानों को संस्कार स्वरूप लेकर विकसित हो । न्यायिक व्यवस्था को कठोर करना होगा तथा सामान्य ज्ञान को आवश्यक सुविधाएँ भी सुलभ करनी होगी । इसी आधार पर आगे बढ़ना होगा तभी इस स्थिति में कुछ सुधार की अपेक्षा की जा सकती है ।

Related Articles:

  • भ्रष्टाचार पर निबंध | Essay on Corruption
  • भारत में भ्रष्टाचार की समस्या पर अनुच्छेद | Problem of Corruption in India in Hindi
  • भ्रष्टाचार पर निबंध | Corruption in Hindi
  • भ्रष्टाचार पर निबन्ध | Essay For Kids on Corruption in Hindi

HiHindi.Com

HiHindi Evolution of media

भ्रष्टाचार पर निबंध | Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi

Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi  प्रिय विद्यार्थियों आज हम आपके साथ  भ्रष्टाचार पर निबंध  साझा कर रहे हैं. छोटे बच्चों के लिए  Essay On Corruption In Hindi  भ्रष्टाचार की समस्या पर छोटा बड़ा निबन्ध लेकर आए हैं.

विभिन्न कक्षा के विद्यार्थियों के लिए Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में निबन्ध दिया गया हैं.

भ्रष्टाचार पर निबंध | Essay On Corruption In Hindi

भ्रष्टाचार पर निबंध

Hello Friends Today We Share Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi Language With You For School Students & Kids.

भ्रष्टाचार की समस्या पर 400 शब्दों में निबंध

यदि किसी हरे पेड़ में दीमक लग जाए तो जल्द ही वह अंदर से खोखला हो जाएगा. बस यही हमारे भारत के साथ भी यही हो रहा हैं. भ्रष्टाचार जैसी विकराल समस्या ने भारत की जड़ो तक को खोखला कर दिया गया हैं.

भारत नश नश में आज भ्रष्टाचार बसा हुआ हैं. सरकारी पदों पर बैठे बाबू से लेकर उच्च पदों पर विराजमान अधिकारी भी बिना पैसे लिए कोई काम नहीं करता हैं.

भ्रष्टाचार एक सामाजिक बुराई हैं. जिनसे प्रत्यक्ष रूप से हम सब जिम्मेदार हैं. दूसरी तरफ ७० वर्षों से चली आ रही व्यवस्था में भ्रष्टाचार को हमारी व्यवस्था में मौन स्वीकार्यता दे दी है.

इसे रोकने के लिए कुछ विधान भी बनाए गये जिसके तहत रिश्वत देने और लेने वाले को समान रूप से आरोपी माना गया हैं. मगर यदि इसे धरातल पर लाकर देखा जाए तो यह बहुत नाकाफी हैं.

यदि आपकों किसी दस्तावेज पर सरकारी कर्मचारी के दस्तखत करवाने है अथवा किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता है या कोई प्रशासन की स्वीकृति चाहिए तो आपकों अपने आवेदन पत्र के साथ साथ हजार दो हजार का नोट भी देना पड़ता हैं.

यह बात भले ही हजम होने लायक नहीं हैं मगर यह आज की सच्चाई हैं. आम आदमी को इस सरकारी तन्त्र से कुछ भी काम करवाना है तो रिश्वत देनी अनिवार्य हैं, अन्यथा उन्हें हफ्तों तक एक से दूसरे दफ्तर तक चक्कर काटते रहना हैं.

भ्रष्टाचार समाप्त किये जाने की बाते तो आज दिन कोई नेता के मुहं से अवश्य सुनने को मिल ही जाती हैं मगर उनमें सच्चाई कही दूर दूर तक नहीं नजर आती. भारत में भ्रष्टाचार हर विभाग और भर्ती में सिर चढकर बोल रहा हैं.

नौकरी के लिए रिश्वत जरुरी सी हो गयी हैं. इंटरव्यू फिक्स कर दिए जाते हैं ५-१० लाख रूपये खर्च कर सरकारी पद पाने वाले बाबू या जिला कलक्टर से यह आशा करना कि वह जनता की सेवा करेगा, यह तो छोटे मुहं से बड़ी बात ही होगी.

जो लोग घूस लेकर व्यवस्था में आते है उनकी प्राथमिकता अपने नुकसान की पूर्ति ही करेगे. देश के अधिकतर चैनल भी किसी ग्रुप के अधीन जा चुके हैं. अपने प्रयोजकों की विचारधारा को लेकर ही उनके खबरे होती हैं.

मीडिया हाउस अपनी लाइन से हट कर कभी खबर नहीं दिखाएगे. राजनीति में विधायक और सांसदों के लिए टिकटों की बिक्री जारी हैं.

यदि भ्रष्टाचार को पूर्ण रूप से उखाड़ फेकना हैं तो सबसे पहले हमारी केंद्र एवं राज्य सरकार में ऐसे लोगों को लाना होगा जो अपने परिवार और पार्टी की बजाय देश का हित सोचे.

सौभाग्य से भारत को अब एक ऐसा प्रधान मिला हैं. मगर एक व्यक्ति के प्रयास से विदेशों में भारत की लूट का भरा धन वापिस लाना, सिस्टम को पाक साफ़ करना, भ्रष्ट लोगों को व्यवस्था से बाहर करना संभव नहीं हैं इसके लिए देश के प्रत्येक नागरिक को आगे आना होगा.

भ्रष्टाचार पर 500 शब्दों में निबंध

भ्रष्टाचार से आशय

अच्छे गुणों को आचरण में उतारना सदाचार कहलाता हैं. सदाचार के विपरीत चलना ही भ्रष्टाचार हैं. भ्रष्ट अर्थात गिरा हुआ आचार अर्थात आचरण. कानून और नैतिक मूल्यों की उपेक्षा करके स्वार्थ सिद्धि में लगा हुआ मनुष्य भ्रष्टाचारी हैं. दुर्भाग्यवश आज हमारे समाज में भ्रष्टाचार का बोलबाला हैं. चरित्रवान लोग नाममात्र को ही रह गये हैं.

विभिन्न क्षेत्रों  भ्रष्टाचार कि स्थिति

आज देश में जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र ऐसा नहीं बचा हैं. जहाँ भ्रष्टाचार का प्रवेश न हो. शिक्षा व्यापार बन गयी हैं. धन के बल पर मनचाहे परीक्षाफल प्राप्त हो सकते हैं. व्यापार में मुनाफाखोरी, मिलावट और कर चोरी व्याप्त हैं. धर्म के नाम पर पाखंड और दिखावे का जोर हैं.

जेहाद और फतवों के नाम पर निर्दोष लोगों के प्राण लिए जा रहे हैं. सेना में कमिशन खोरी के काण्ड उजागर होते रहे हैं. भ्रष्टाचार का सबसे निकृष्टतम रूप राजनीति में देखा जा सकता हैं.

हमारे राजनेता वोट बैंक बढाने के लिए जनहित को दांव पर लगा रहे हैं. सांसद और विधायक प्रश्न पूछने तक के लिए रिश्वत ले रहे हैं. न्याय के मन्दिर कहे जाने वाले न्यायालय भी भ्रष्टाचार कि पंक में सने दिखाई देते हैं.

भ्रष्टाचार के कारण तथा समाज पर प्रभाव

देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के अनेक कारण है सबसे प्रमुख कारण है हमारे चरित्र का पतन होना थोड़े से लोभ और लाभ के लिए मनुष्य अपना चरित्र डिगा रहा है. शानदार भवन, कीमती वस्त्र, चमचमाती कार, एसी, टेलीविजन, वाशिंग मशीन आदि पाने के लिए लोग पागल हैं.

वे उचित अनुचित कोई भी उपाय करने को तैयार हैं. वोट पाने के लिए हमारे राजनेता निकृष्टतम हथकंडे अपना रहे हैं. हमारे धर्माचार्य भक्ति, ज्ञान, त्याग आदि का प्रवचन देते है और स्वयं लाखों की फीस लेकर घर भरने लगते हैं.

इनके अतिरिक्त बेरोजगारी महंगाई और जनसंख्या में दिनों दिन होती वृद्धि भी हमारे लोगों को भ्रष्ट बना रही हैं.

भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए सुझाव

हम चरित्र की महत्ता भूल चुके हैं. धन के पुजारी बन गये हैं. चरित्र को संवारे बिना भ्रष्टाचार से मुक्त होना असम्भव हैं. इसके साथ ही लोगों को जागरूक करना भी आवश्यक हैं. जनता को भी चाहिए कि वह चरित्रवान लोगों को ही मत देकर सत्ता में पहुचाएं.

मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध युद्ध छेड़ रखा हैं. विमुद्रीकरण को भ्रष्टाचार उन्मूलन का प्रथम चरण बताया गया हैं. इसके अतिरिक्त नई तकनीकों के प्रयोग और उन्हें प्रोत्साहन देकर भ्रष्टाचार समाप्ति के प्रयास हो रहे हैं.

डिजिटल इंडिया ऐसा ही प्रयास हैं. जब लेन देन नकद न होकर ऑनलाइन होंगे तो सारी प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी. और भ्रष्टाचार में निश्चय ही उल्लेख नीय कमी आएगी. सरकारी काम भी पारदर्शी बनेगा. अतः ऑनलाइन क्रिया कलापों में जनता को पूरी रूचि लेनी चाहिए.

एक सच बड़ा कठोर और अप्रिय हैं. लोग कहते है कि जनता स्वयं ही भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं करना चाहती हैं. इसका नमूना नोटबंदी के समय नंगा हो चूका हैं.

हम यानी जनता अपना सही या गलत काम शीघ्र और सुगमता से कराने के लिए रिश्वत देने में संकोच नहीं करते. अतः भ्रष्टाचार मिटाने के लिए शासन और जनता दोनों को मिलकर सच्चे मन से प्रयास करने होंगे.

भ्रष्टाचार प्रच्छन्न देशद्रोह हैं. भ्रष्टाचारियों के लिए कठोरतम दंड कि व्यवस्था हो और जनता को भ्रष्टशासकों को वापस बुलाने का अधिकार प्राप्त हो.

भ्रष्टाचार पर निबंध 600 शब्द

भ्रष्टाचार दो शब्दों भ्रष्ट और आचार के मेल से बना शब्द है. भ्रष्ट शब्द का अर्थ – मार्ग से विचलित या बुरे आचरण वाला तथा आचरण का अर्थ चरित्र, व्यवहार या चाल चलन. इस तरह भ्रष्टाचार का अर्थ हुआ – अनुचित व्यवहार एवं चाल चलन. विस्तृत अर्थो में इसका तात्पर्य व्यक्ति द्वारा किये जाने वाले ऐसे अनुचित कार्य से है.

जिसे वह अपने पद या हैसियत का लाभ उठाते हुए आर्थिक व अन्य लाभों को प्राप्त करने के लिए स्वार्थपूर्ण ढंग से कार्य करता है. इसमे व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्तिगत लाभ के लिए निर्धारित कर्तव्य की जानबूझकर अवहेलना करता है.

रिश्वत लेना-देना, खाद्य पदार्थो में मिलावट, मुनाफाखोरी, कालाबाजारी, अनैतिक ढंग से धन संग्रह करना, कानूनों की अवहेलना करके अपना उल्लू सीधा करना आदि भ्रष्टाचार के ऐसे रूप है, जो भारत ही नही दुनिया भर में व्याप्त है.

भारत में भ्रष्टाचार कोई नई बात नही है. ऐतिहासिक ग्रंथो में भी इसके परिणाम मिलते है. चाणक्य ने अपनी पुस्तक अर्थशास्त्र में भी विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचारों का उल्लेख किया है. हर्षवर्धन काल एवं राजपूत काल में सामन्ती प्रथा ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम किया.

भ्रष्टाचार के मामलों में मुगलकाल में बढ़ोतरी हुई और ब्रिटिश काल के दौरान इसने भारत में अपनी जड़े पूरी तरह जमा ली. अब यह जड़े इस कदर फ़ैल चुकी है. कि इससे निपटने के सभी उपाय विफल हो रहे है.

भारत में भ्रष्टाचार

विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार का आकलन करने वाली स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संस्था “ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल” द्वारा वर्ष 2014 में जारी रिपोर्ट्स के अनुसार 175 देशों की सूची में भारत का 85 वाँ स्थान है. यह रिपोर्ट करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (CPI) के आधार पर बनाई गई है. इसके अनुसार जिस देश के सी पी आई का मान जितना अधिक होता है, वह देश उतना ही भ्रष्ट माना जाता है.

डेनमार्क 92 अंको के साथ सबसे कम भ्रष्ट राष्ट्र के रूप में 175 देशों की सूची में उपर तथा सोमालिया 8 अंको के साथ सर्वाधिक भ्रष्ट राष्ट्र के रूप में सबसे नीचे है. न्यूजीलैंड 91 अंको के साथ दूसरे तथा फ़िनलैंड 89 अंको के साथ तीसरे स्थान पर है. भारत को 38 अंक मिले है.

भ्रष्टाचार के मामले में विकसित देश भी पीछे नही है. इस सूची में ऑस्ट्रेलिया 80 अंक के साथ 11 वें स्थान पर, इंग्लैंड 78 अंक के साथ 14 वें स्थान पर और अमेरिका 74 अंक के साथ 17 वें स्थान पर है.

भ्रष्टाचार के कारण (Causes Of Corruption)

आज धर्म, शिक्षा, राजनीती, प्रशासन, कला, मनोरंजन, खेलकूद इत्यादि सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार ने अपने पाँव फैला दिए है. मौटे तौर पर देखा जाए, तो भारत में भ्रष्टाचार के निम्न कारण है.

  • धन की लिप्सा ने कालाबजारी, मुनाफाखोरी, रिश्वतखोरी आदि को बढ़ावा दिया है धन की तृष्णा में जलता हुआ व्यक्ति भारी साज सज्जा व भोग विलास के लिए पैसा कमाना चाहता है और इसके लिए वह भ्रष्टाचार को सबसे आसान साधन समझता है. व्यक्ति इतना स्वार्थी हो गया है कि वह भ्रष्टाचार फैलाकर दुनियाभर की सम्पति अपने नाम कर लेना चाहता है.
  • समाज का बहुत बड़ा तबका भूख और गरीबी से त्रस्त है. स्थिति यह है कि देश की आधी सम्पति केवल 50 लोगों के पास है. अमीर लगातार और अमीर होते जा रहे है जबकि गरीब को जीवन जीने के संघर्ष करना पड़ रहा है. हर व्यक्ति की कुछ मूलभूत आवश्यकताएं होती है. परन्तु गरीबी के चलते जब सदाचार के रास्ते से यह आवश्यकताएं पूरी नही होती है. तो व्यक्ति का नैतिकता से विशवास खोने लगता है. और आवश्यकता पूर्ति के लिए अनैतिक होने के लिए बाध्य हो जाता है. जिसकी परिणति भ्रष्टाचार के रूप होती है.
  • नौकरी-पेशा व्यक्ति अपनी सेवाकाल में इतना धन अर्जित कर लेना चाहता है कि जिससे सेवानिवृति के बाद उसका जीवन सुख पूर्वक व्यतीत हो सके.
  • व्यापारी वर्ग सोचता है कि न जाने कब घाटे की स्थिति आ जाए, इसलिए उचित अनुचित तरीके से अधिक से अधिक धन कमा लिया जाए.
  • औद्योगीकरण ने अनेक विलासिता की वस्तुओं का निर्माण किया है. इनको सिमित आय में प्राप्त करना सबके लिए संभव नही होता है. इनकी प्राप्ति के लिए भी ज्यादातर लोग भ्रष्टाचार की तरफ उन्मुक्त होते है.
  • कभी-कभी विरिष्ठ अधिकारियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण भी कनिष्ठ अधिकारी या तो अपनी भलाई के लिए इसका विरोध नही करते है या न चाहते हुए भी अनुचित कार्यो में लिप्त होने को विवश हो जाते है.

इन सबके अतिरिक्त बेरोजगारी, सरकारी कार्यो का विस्तृत क्षेत्र, महंगाई, नौकरशाही का विस्तार, लालफीताशाही, अल्प वेतन, प्रशासनिक उदासीनता, भ्रष्टाचारियों को सजा में देरी, अशिक्षा, अत्यधिक प्रतिस्पर्धा, महत्वकांक्षा इत्यादि कारणों से भी भारत में भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है.

भ्रष्टाचार पर निबंध 700 शब्दों में

जब एक नागरिक अथवा राजकीय पद पर स्थापित व्यक्ति निजी लाभ के लिए अनुचित गतिविधियों से धन घूस अथवा रिश्वत के रूप में अर्जित करता हैं  उसे  करप्शन  अथवा  भ्रष्टाचार कहा जाता हैं.

वह इस कार्य में अपने दायित्वों तथा कर्तव्यो को ताक पर रखकर अनुचित सेवा अथवा सामान को अनुमति अथवा मूक स्वीकृति प्रदान कर देता हैं.

भ्रष्टाचार एक गहरी समस्या हैं जिसकी जड़े भारत की आजादी के साथ ही शुरू हो गई थी. निचले स्तर से उच्च स्तर तक घूस का साम्राज्य रसा बसा हैं. अपने आंशिक लाभों के लिए जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग अपना ईमान बेच डालते हैं.

प्रत्येक नागरिक को यह समझना आवश्यक हैं कि किसी अच्छे भविष्य के लिए सरकार द्वारा नियत मानदंडों पर चलकर ही एक सशक्त व्यवस्था तैयार की जा सकती हैं. जिससे वक्त के साथ राष्ट्र की प्रगति में भी गति मिलेगी तथा जब हमारा देश तरक्की की ओर बढ़ेगा तो निश्चय ही राष्ट्र के नागरिकों का जीवन भी सुखमय हो सकेगा.

आज के दौर में किसी भयानक बिमारी की भांति समाज के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार अपनी जड़े जमा चूका हैं. भारत के स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने जिस भारत का सपना देखकर अपना जीवन कुर्बान कर दिया था.

क्या हम वो भारत बना पाए हैं. हम अपने थोड़े से फायदे के लिए राष्ट्र के साथ द्रोह जैसे करप्शन का सहारा लेने से नहीं चूकते. हमें उन लोगों से सबक लेना चाहिए जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र सेवा में लगा दिया था, तभी हम महसूस कर पाएगे कि हमारी जिम्मेदारियां क्या थी और हम क्या कर रहे हैं.

आम जनता के जीवन, राजनीति, केंद्र सरकारों, राज्य सरकारों, व्यवसायों, उद्योगों, सरकारी भर्तियों जहाँ तक नजर जाएं भ्रष्टाचार अपनी जड़े जमा चूका हैं. आम आदमी के जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बसा जहाँ करप्शन, अवैध धन, सत्ता, शक्ति का प्रयोग न होता हो.

एक तरफ हम करप्शन फ्री इंडिया की बात करते हैं, दूसरी तरफ हमारे देश में करप्शन खत्म होने की बजाय नित्य नयें घोटालों के नाम सामने आ रहे हैं. नेता से लेकर पुलिस ऑफीसर तथा रंगे हाथ पकड़े जा रहे हैं.

विलासिता की भूख किस स्तर तक लोगों को गिरा सकती हैं इसे समझने के लिए आज का वातावरण उदाहरण योग्य हैं.

ऐसा प्रतीत होता है लोग अपने मूल्य, आदर्श तथा संस्कार सब कुछ भूलकर विलासिता तथा पैसे के पीछे भाग रहे हैं, जो जितने बड़े पद पर बैठा हैं वह उतने ही बड़े घोटाले कर रहा हैं.

इस देश की सेना के हथियारों की खरीद तक में सरकारे घोटाला करती हैं तो स्पष्ट समझा जा सकता हैं सफेद पोशाक के ये राजनेता राष्ट्र हित के लिए अपने परिवार के हित के लिए पोलिटिक्स करते हैं.

अब वक्त आ चूका हैं हमें अपने नैतिक मूल्यों का स्मरण करना चाहिए. धन की तृष्णा की इस संस्कृति के कुचक्र को पूरी तरह कुचलने के बाद ही भारत से करप्शन की समस्या का समाधान किया जा सकता हैं.

जब तक व्यक्ति समाज तथा देश से अधिक महत्व पैसे को देगा, तब तक भ्रष्टाचार की जड़ों की काटा जाना सम्भव नहीं होगा.

भ्रष्टाचार पर निबंध 800 शब्दों में

भ्रष्टाचार की वजह से जहाँ लोगों का नैतिक एवं चारित्रिक पतन हुआ है, वही दूसरी और देश को आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ रही है. आज भ्रष्टाचार के फलस्वरूप अधिकारी एवं व्यापारी वर्ग के पास कालाधन अत्यधिक मात्रा में एकत्रित हो गया है.

इस काले धन के कारण अनैतिक व्यवहार, मद्यपान, वैश्यावृति, तस्करी एवं अन्य अपराध में वृद्धि हुई है. भ्रष्टाचार के कारण लोगों में अपने उतरदायित्व से भागने की प्रवृति बढ़ी है.

देश में सामुदायिक हितों के स्थान पर व्यक्तिगत और स्थानीय हितों को महत्व दिया जा रहा है. आज सम्पूर्ण समाज भ्रष्टाचार की जकड़ में है, सरकारी विभाग तो भ्रष्टाचार के अड्डे बन चुके है.

राजनितिक स्थिरता एवं एकता आज खतरे में है. नियमहीनता एवं कानूनों की अवहेलना में वृद्धि हो रही है. भ्रष्टाचार के कारण आज देश की सुरक्षा के खतरे में पड़ने से इनकार नही किया जा सकता है.अतः जरुरी है कि इस पर जल्द से जल्द लगाम लगाईं जाए.

भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय (ways to reduce corruption)

भ्रष्टाचारियों के लिए भारतीय दंड संहिता में दंड का प्रावधान है तथा समय समय पर भ्रष्टाचार के निवारण के लिए समितिया भी गठित हुई है. और इस समस्या के निवारण के लिए भ्रष्टाचार निरोधक कानून भी पारित किया जा चूका है, फिर भी इसको अब तक समाप्त या नियंत्रित नही किया जा सका है. इस समस्या से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते है.

  • सबसे पहले इसके कारणों मसलन गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन आदि को दूर किया जाना चाहिए. इसके लिए प्रभावी योजनाएं बनाई जानी चाहिए, देश की शिक्षा निति, अर्थ निति, कृषि निति और न्याय व्यवस्था में माकूल परिवर्तन कर इन्हें प्रभावी बनाया जाना चाहिए.
  • भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कड़े कानून के साथ साथ प्रभावी न्याय व्यवस्था की भी आवश्यकता है. भ्रष्टाचार से संबंधित मामले में भी कार्यवाही करने वाली अनुसन्धान एजेंसियों व पुलिस अधिकारियों को अनुसन्धान करने का गहन परीक्षण दिया जाना चाहिए. जिससे कोई तकनीकी त्रुटी नही रहे.न्यायालय में अभियोजन को सजग रहकर प्रभावी पैरवी करनी चाहिए. पूरी साक्ष्य न्यायालय के सामने लाना चाहिए और यह प्रयास करना चाहिए कि छोटे मोटे तकनिकी आधारों पर कोई अभियुक्त बच ना पाए. कुल मिलाकर समाज में यह संदेश जाना चाहिए कि ऐसी व्यवस्था कायम कर दी है कि जहाँ रिश्वत लेने वाले व्यक्ति को दंड मिलना निश्चित है.
  • भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा रिश्वत के मामलों को पकड़ने के लिए ट्रैप की कार्यवाही की जाती है परन्तु अपराधी तकनिकी आधारों पर बच निकलते है. ख़ुफ़िया कैमरों की मदद से पूरी ट्रैप कार्यवाही की विडियो रिकोर्डिंग की जानी चाहिए, जिससे अपराधी को बच निकलने का मौका नही मिले.
  • रिश्वत मांगने के मामले की सूचना देने वाले के लिए टोल फ्री नंबर की व्यवस्था होनी चाहिए. जैसे ही कोई रिश्वत मांगे टोल फ्री नंबर पर सुचना देते ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों की टीम तुरंत वहां पहुचे और रिश्वत मांगने वाले की तुरंत धरपकड़ की जावे.
  • सूचना के अधिकार का प्रयोग कर विभिन्न योजनाओं पर जनता की निगरानी भ्रष्टाचार को मिटाने में कारगर साबित होगी, इसके कई उदाहरण हमे हाल ही में मिल चुके है.
  • भ्रष्ट अधिकारियों को सजा दिलाने के लिए दंड प्रक्रिया एवं दंड संहिता में संशोधन कर कानून को और कठोर बनाए जाने की आवश्यकता है.
  • भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से अभियान चलाए जाने की जरुरत है. इसके लिए सामाजिक आर्थिक कानूनी एवं प्रशासनिक उपाय अपनाये जाने चाहिए.
  • जीवन मूल्यों की पहचान कराकर लोगों को नैतिक गुणों चरित्र एवं व्यवहारिक आदर्शो की शिक्षा द्वारा भी भ्रष्टाचार को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
  • उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों के बारे में पूरी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए जिससे सम्पति के विवरण के अलावा सम्पूर्ण सेवाकाल की भी जानकारी होनी चाहिए. दागदार एवं भ्रष्ट लोगों को इस तरीके से उच्च पदों पर आसीन होने से रोका जा सकता है.

भ्रष्टाचार हमारे देश के लिए कलंक है इसको मिटाए बिना देश की वास्तविक प्रगति संभव नही है. भ्रष्टाचार से निपटने के लिए किये जा रहे विभिन्न आंदोलनों को जनसामान्य द्वारा यथाशक्ति समर्थन प्रदान करना चाहिए.

कठोर से कठोर कदम उठाकर इस कलंक से मुक्ति पाना नितांत आवश्यक है, अन्यथा मानव जीवन बद से बद्दतर हो जाएगा.

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

भ्रष्टाचार पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Corruption Essay in Hindi

आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं भ्रष्टाचार पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। भ्रष्टाचार पर निबंध की आवश्यकता स्कूल और कॉलेज के छात्रों को पड़ती है। इसके अलावा बहुत से छात्र जो किसी कंपटीशन की तैयारी कर रहे होते हैं उन्हें भी भ्रष्टाचार पर निबंध लिखना पड़ सकता है। तो ऐसे में अगर आप भ्रष्टाचार पर निबंध ढूंढ रहे हैं तो हमारे आज के इस पोस्ट को पूरा पढ़ें और जानें भ्रष्टाचार पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में कैसे लिखें। 

भ्रष्टाचार पर निबंध 100 शब्दों में

आज भ्रष्टाचार हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में तेजी के साथ फैलता जा रहा है। यह एक प्रकार की आपराधिक गतिविधि है जो किसी एक व्यक्ति या फिर किसी समूह के द्वारा की जाती है। आज भ्रष्टाचार लगभग हर क्षेत्र में फ़ैल चुका है लेकिन इसकी सबसे अधिक संभावनाएं सत्ता या तंत्र के अंदर काम करने वाले भ्रष्टाचारियों के द्वारा होती है। भ्रष्टाचार से देश और समाज का बहुत नुकसान होता है। जो लोग भ्रष्टाचार करते हैं वे बहुत ही स्वार्थी और लालची प्रवृत्ति के होते हैं। सरकार को ऐसे लोगों के लिए कड़े से कड़े कानून बनाने चाहिए। इसके अलावा आम जनता को भी जागरूक होना चाहिए और भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए क्योंकि तभी इसको कम किया जा सकता है।

भ्रष्टाचार पर निबंध 150 शब्दों में

भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जो हमारे देश को दीमक की तरह खाए जा रही है। हमारे देश की अर्थव्यवस्था को और सामाजिक व्यवस्था को भी यह अंदर से खोखला कर रहा है। इसीलिए आज भ्रष्टाचार हमारे देश की एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है। 

कोई भी देश तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक उस देश में भ्रष्टाचार हो। इसीलिए जिस देश में चारों तरफ भ्रष्टाचार फैला हो वहां पर कभी भी प्रगति नहीं हो सकती। यदि हम अपने देश को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे जरूरी है कि भ्रष्टाचार को फैलने से रोका जाए। 

जब कोई व्यक्ति अपने काम के लिए पूरी तरह से वफादार नहीं होता और गलत तरीके से लाभ कमाने के लिए अनैतिक कार्यों को करने लगता है तो उसकी वजह से भ्रष्टाचार जन्म लेता है। भ्रष्टाचार किसी भी जगह पर हो सकता है और इसे रोकने के लिए जरूरी है कि हर कार्य में पारदर्शिता लाई जाए। हम सबको यह प्रण करना चाहिए कि ना तो हम खुद भ्रष्टाचार करेंगे और ना ही किसी और को भ्रष्टाचार करने देंगे। 

भ्रष्टाचार पर निबंध 250 शब्दों में

किसी भी देश की प्रगति के लिए सबसे जरूरी है कि उस देश के ऊंचे पदों पर बैठे हुए लोग ईमानदार हो। जब कोई शीर्ष पद पर बैठा हुआ व्यक्ति अपने काम के प्रति सच्चा होता है तो वह देश को प्रगति की ओर ले जाता है। वह देश किसी भी सूरत में अपना विकास नहीं कर सकता जहां पर भ्रष्टाचार ने पैर जमा लिए हों। हमारे देश के लिए आज भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी परेशानी बन चुकी है और यह एक ऐसी समस्या है जो पूरी दुनिया में अपनी शाखाएं फैला रही है। 

जब कोई व्यक्ति अपने काम के प्रति ईमानदार नहीं होता और अपने कार्य में गलत आचरण को शामिल कर लेता है तो तब वह भ्रष्टाचारी बन जाता है। भ्रष्टाचार एक ऐसी चीज है जो किसी भी जगह पर देखा जा सकता है। जैसे किसी सरकारी विभाग में काम करने के बदले रिश्वत लेना। कई बार बहुत से बदमाश और अपराधी पुलिस को पैसे देकर सजा से बच जाते हैं। जब भ्रष्ट लोग राजनीति में होते हैं वे करोड़ों-अरबो रुपयों का भ्रष्टाचार बहुत आसानी से कर लेते हैं। ऐसी स्थिति होने पर देश बर्बादी की तरफ चला जाता है। 

रिश्वतखोरी एक ऐसा भ्रष्टाचार है जो की आमतौर पर कई जगहों पर देखा जाता है। इस काम में सिर्फ रिश्वतखोर ही नही बल्कि वे लोग भी उतने ही जिम्मेदार होते हैं जो ऐसे लोगों को पैसे देकर अपना काम कराते हैं। इसलिए जो रिश्वत लेने वाला होता है और जो रिश्वत देने वाला होता है वे दोनों ही समान दोषी होते हैं। 

अगर हम भ्रष्टाचार को मिटाना चाहें तो यह इतना आसान नहीं है क्योंकि इसका जहर सब जगह फैला हुआ है। लेकिन अगर सरकार और जनता पूरी सच्चाई से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए काम करे तो निश्चित तौर पर बदलाव लाया जा सकता है। 

भ्रष्टाचार पर निबंध 500 शब्दों में 

जब किसी ऊंचे पद पर बैठा हुआ कोई व्यक्ति लालच या दुर्भावना की वजह से अपने पद और अधिकारों का गलत उपयोग करता है तो उसे भ्रष्टाचार कहा जाता है। आज हमारे देश में ही नही बल्कि पूरी दुनिया के सामने भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है क्योंकि इसकी जड़े छोटी नहीं हैं। किसी भी देश का विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक वहां पर ईमानदारी और सच्चाई ना हो। लेकिन अफसोस की बात यह है कि भ्रष्टाचार देश में बहुत तेजी से के साथ बढ़ता जा रहा है और हमारे देश को यह अंदर ही अंदर खोखला कर रहा है।  

भ्रष्टाचार के प्रकार 

भ्रष्टाचार के कई प्रकार है जोकि निम्नलिखित हैं – 

प्रशासनिक भ्रष्टाचार 

कई बार सरकारी कार्यालयों में काम करने के लिए लोगों से रिश्वत लिए जाते हैं। अगर हमें अपना कोई काम करवाना है तो पहले हमें पैसा देना पड़ता है। अब तो आम जनता को भी यही लगता है कि बिना पैसों के वह किसी भी सरकारी विभाग से अपना काम नहीं करा सकते। इसलिए वे अपना कोई भी सरकारी काम रिश्वत देकर करवा लेते हैं। पर अगर कोई ईमानदार व्यक्ति रिश्वत नहीं देता है तो ऐसे में उसका काम नहीं किया जाता बल्कि उसे बहुत परेशान किया जाता है। अफसोस की बात है कि पूरा प्रशासन ही भ्रष्टाचार से लिप्त हो चुका है। इसके चलते सरकार ने जो गरीबों के लिए बहुत सी योजनाएं चलाई हैं उनका पैसा भी सरकारी कार्यालयों के भ्रष्ट लोग हड़प जाते हैं। 

राजनीतिक भ्रष्टाचार

उस देश को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता जहां पर शासन करने वाले लोग ही भ्रष्टाचारी होते हैं। आज सत्ता में बैठे हुए और राजनीति से जुड़े हुए लोगों के भ्रष्टाचारों के बारे में नई नई खबरें सुनने को मिलती हैं। जो लोग तंत्र में ऊँचे पदों पर हैं वे करोड़ों रुपयों का घोटाला बहुत आसानी के साथ कर जाते हैं जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है। जब चुनाव होता है तो तब लोगों को पैसों का लालच देकर उनसे वोट मांगे जाते हैं। लेकिन कोई भी नागरिक यह नहीं सोचता कि जो लोग वोटों को खरीद कर सत्ता संभालते हैं वे देश का बिल्कुल भी विकास नहीं कर सकते। 

व्यावसायिक भ्रष्टाचार 

आज के दौर में वस्तुओं में मिलावट होना एक बहुत ही आम सी बात हो चुकी है। हर कोई चाहता है कि वो ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए। इसीलिए ऐसे लोग वस्तुओं में अनेकों प्रकार की मिलावट करते हैं। बाजार में नकली चीजों की भरमार है और आम नागरिकों को नकली चीजें बेचकर व्यवसायिक लोग खूब ठग रहे हैं। 

भ्रष्टाचार के नुकसान 

भ्रष्टाचार से होने वाले नुकसान बहुत सारे हैं जो कि निम्नलिखित इस प्रकार से हैं – 

  • भ्रष्टाचार की वजह से देश आर्थिक रूप से कंगाल हो सकता है और ऐसा देश फिर बर्बादी की कगार पर पहुंच जाता है।
  • जो लोग गरीब हैं वह भ्रष्टाचार की वजह से और भी ज्यादा गरीब हो गए हैं। जो लोग अमीर हैं वे बेईमानी करके और भी ज्यादा अमीर बन चुके हैं। 
  • भ्रष्टाचार के कारण लोगों को अपना कोई भी काम करवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है क्योंकि बिना रिश्वत के उनका काम नहीं होता। 
  • सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा फैल चुका है और इस वजह से लोगों का प्रशासन पर से भरोसा उठ गया है। 
  • रिश्वत देकर लोग नौकरी हासिल कर लेते हैं और कई बार इस वजह से काबिल और होनहार लोग नौकरी प्राप्त नहीं कर सकते। 

भ्रष्टाचार को कैसे रोका जाए 

आज तक ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिसका कोई समाधान ना हो। इसमें कोई शंका नहीं कि भ्रष्टाचार आज दीमक की तरह चारों तरफ फैल गया है लेकिन यदि हम ठान ले कि हमें इसे पूरी तरह से खत्म करना है तो हम ऐसा कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि ऐसे लोगों का राजनीतिक भविष्य पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए जो भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। इसके अलावा अपना वोट हमें केवल ऐसे व्यक्ति को देना चाहिए जो सही हों। किसी भी सरकारी काम के लिए हमें रिश्वत नहीं देनी चाहिए और यदि हमसे कोई रिश्वत की डिमांड करता है तो हमें उसकी शिकायत करनी चाहिए। इसके साथ साथ जो लोग मिलावट करते हैं हमें उनकी चीजों का बहिष्कार करना चाहिए। सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कानून और नियम बनाने चाहिए इसके अलावा पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाना चाहिए ताकि भ्रष्टाचार करने में कठिनाई हो।  

  • अनुशासन पर निबंध
  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
  • नशा मुक्ति पर निबंध

दोस्तों यह कि हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने आपको भ्रष्टाचार पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में बताया। हमें पूरी उम्मीद है कि हमारा यह आर्टिकल आपके लिए जरूर हेल्पफुल रहा होगा। यदि आपको जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे सोशल मीडिया पर उन लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें जो corruption essay in Hindi ढूंढ रहे हैं। 

Related Posts

paryavaran-pradooshan-nibandh

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100, 200, 300, 500 और 1000 शब्दों में | Essay on Pollution in Hindi

भारतीय किसान पर निबंध

भारतीय किसान पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Indian Farmer Essay in Hindi

10-Lines-on-Winter-Season-in-Hindi

शीत ऋतु पर 10 वाक्य | 5 – 10 सर्दी के मौसम पर वाक्य

Leave a reply cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

भ्र्ष्टाचार मुक्त समाज पर निबंध

भ्र्ष्टाचार मुक्त समाज पर निबंध- bhrashtachar mukt samaj par nibandh.

भारत के उन्नति में बाधक कई समस्याओ में एक भ्र्ष्टाचार है। भ्र्ष्टाचार हमारे देश को अंदर से खोखला कर रहा है। वक़्त आ गया है कि हम समाज और हमारे देश की सरकार प्रणाली में मौजूद भ्र्ष्टाचार को खत्म करे और इस पर सदा के लिए पूर्णविराम लगाए। देश की राजनीति और भ्र्ष्टाचार में कई ताल मेल देखे गए है। भ्र्ष्टाचार सिर्फ राजनीति में ही नहीं बल्कि देश के कई सिस्टम में मौजूद है। समाज को इस भ्र्ष्टाचार भरे जहर से मुक्त कराने का वक़्त आ गया है। सिर्फ राजनीतिज्ञ ही भ्र्ष्ट नहीं है, बल्कि कई क्षेत्रों में इसके नकारात्मक प्रभाव देखने को मिले है।

आजकल के इस युग में सबको सफल बनना है। सफलता के साथ उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा पैसे कमाने की जल्दी लगी रहती है। अपने आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए लोग भ्र्ष्ट तरीको को अपनाते है। आजकल लोगो की मान्यता बन गयी है कि ईमानदारी और सच्चाई से कुछ भी हासिल करना बेहद मुश्किल है। उनका सोचना है कि अगर वह ईमानदारी के मार्ग को अपनाएंगे तो उनके सपनो को पूरा करने में सालो का वक़्त लग जाएगा।

अगर दफ्तर में प्रमोशन नहीं होगा, तो पैसे और बोनस नहीं मिलेंगे। इसलिए लोग शॉर्टकट की पद्धति अपनाते है और रिश्वत देकर अपने इरादों को पूरा करवाते है। ऐसी पदोन्नति सरासर गलत है। कार्यो को पूरा करवाने के लिए लोग अनुचित मार्ग अपना रहे है और भ्र्ष्टाचार की ओर अग्रसर हो रहे है।

ऐसे अनुचित साधनो का उपयोग करके लोगो में अमीर बनने की होड़ लगी है। आजकल की यह विडंबना है, ज़्यादातर व्यक्ति सफलता को पैसो से तोलकर देखते  है। पैसे कमाने की चाहत में कम उम्र से लोग भ्र्ष्टाचार जैसे अनुचित कार्यो में लिप्त हो जाते है।

यह असलियत में इंसान को अंदरूनी खुशी और संतुष्टि नहीं दे सकता है। गैर कानूनी ढंग से किये गए कार्य में इंसान को सुख चैन ज़्यादा दिनों तक नसीब नहीं होता है और उन्हें पकड़े जाने का डर भी सताता है। गलत तरीको और भ्र्ष्टाचार का सहारा लेकर महत्वाकांक्षी लोग  धन और साथ में नकली इज़्ज़त भी कमा लेंगे। लेकिन इंसान को यह कुछ ही समय तक खुश रख पायेगा क्यों कि लम्बे वक़्त तक वे असंतुष्टि में जीयेंगे।

भ्र्ष्टाचार के कई प्रमुख कारण है, अशिक्षा, अच्छी नौकरियों की कमी, सख्त और कड़ी सजा का अभाव, दिन प्रतिदिन लोगो की बढ़ती महत्वकांक्षाएं और हर क्षेत्र में बढ़ती हुयी प्रतियोगिता।

हमे  भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे क्यों कि इसकी जड़े बेहद मज़बूत है। भ्र्ष्टाचार का तात्पर्य है बुरा आचरण। ऐसा कार्य और आचरण जो गलत और अनैतिक हो। न्याय व्यवस्था के खिलाफ, जो व्यक्ति अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए गलत राह का चयन कर, उसपर चलता है वह भ्र्ष्टाचारी कहलाता है।

भ्र्ष्टाचार के कई प्रकार है जैसे रिश्वत देना, काला बाज़ारी, जान बूझकर कीमतें बढ़ाना, सस्ते सामग्री को ज़्यादा दाम में बिक्री करना, ब्लैकमेल करना, झूठा केस करना, परीक्षा में नक़ल, पैसे लेकर रिपोर्ट बनाना, पैसे लेकर जबरन वोट दिलाना इत्यादि गैरकनूनी कार्य है। एक बार व्यक्ति भ्र्ष्टाचार के दल दल में फंसता है, तो उसके लिए इससे निकल पाना मुश्किल हो जाता है।

मनुष्य कई कारणों से भ्र्ष्टाचार के मार्ग को चुन लेते है। आर्थिक और समाजिक परेशानी, अपने स्टेटस को बचाने के लिए भ्र्ष्टाचार जैसे गलत आचरण की तरफ अपने आपको धकेल लेते है। कभी कभी अपने सहकर्मी या प्रतिद्वंदी से ईर्ष्या होने की वजह से भी भ्र्ष्टाचार के मार्ग को इंसान चुन लेता है।

भारतीय राजनीति अपने भ्र्ष्टाचार तरीको के लिए आये दिन विवादों के कठघरे में खड़ा हो जाता है। हर राजनीतिज्ञ दल गलत साधनो और तरीको का उपयोग करके चुनाव जीतने की कोशिश करते है। उन्हें देश के लोगो को सच्चाई और ईमानदारी के पथ पर प्रेरित करते रहना चाहिए। आज़ादी के बाद ऐसा कभी भी नहीं हुआ। साम दाम दंड भेद जैसे नीतियों के उपयोग किये बिना वह चुनाव जीत ही नहीं सकते है। अगर आज समाज में भ्र्ष्टाचार नहीं होता, तो भारत उन्नति की शिखर पर होता।

राजनीतिज्ञ दल और उम्मीदवार का चयन सही रूप से करने की ज़रूरत है। उम्मीदवारो की पात्रता मानदंड में योग्यता निर्धारित करना ज़रूरी है। ऐसे बहुत से मंत्री है जो शिक्षित ही नहीं है। अगर वे शिक्षित नहीं होंगे तो देश और राज्य के महत्वपूर्ण फैसले कैसे ले पाएंगे।  ज़्यादातर नेता शिक्षित नहीं होते है, जिसके कारण वह भ्र्ष्टाचार जैसे गैर कानूनी चीज़ो को बढ़ावा दे रहे है। एक व्यक्ति निश्चित तौर पर देश चलाने में तभी सक्षम होंगे जब वे प्रशिक्षित और शिक्षित होंगे, अन्यथा गलत साधनो का उपयोग करेंगे और भ्र्ष्टाचार में प्रगति होगी। भ्र्ष्टाचार मुक्त समाज का गठन तभी होगा, जब इन मंत्रियों पर दैनिक निगरानी रखने के लिए उचित अधिकारी नियुक्त किये जाएंगे।

भारत एक लोकतान्त्रिक देश होने के कारण, यहाँ की मीडिया बड़ी मज़बूत है। मीडिया ऐसे गलत भ्र्ष्टाचार से भरे आचरणों का स्टिंग ऑपरेशन करती है और उसे जनता के समक्ष रखती है। मीडिया ऐसे भ्र्ष्ट लोगो और राजनेताओ को बेनकाब करती है।

भ्र्ष्टाचार के कारण जो लोग योग्य होते है उन्हें काम नहीं मिलता है और जो लोग अनैतिक तरीको से कार्य कर रहे है उन्हें अच्छे अवसर प्राप्त हो रहे है। यह नाइंसाफी है। राजनीति हो या ग्लैमर वर्ल्ड, भाई भतीजावाद जैसे भ्र्ष्टाचार फैले हुए है। भ्र्ष्टाचार एक रोग की तरह है, जो समाज में भयानक रूप से फैल रही है। अगर वक़्त रहते समाज में भ्र्ष्टाचार जैसे बीमारी को फैलने से ना रोका गया, तो यह अपराध दीमक की तरह समाज को खा जायेगा। 

जीवन के हर क्षेत्र में भ्र्ष्टाचार का प्रकोप है। उदाहरण स्वरुप आईपीएल जैसे खेल में मैच फिक्सिंग जैसे आरोप सामने आये, जिसके चलते कुछ खिलाड़ी को निलंबित किया गया था और मैच खेलने पर प्रतिबन्ध लगाया गया था। नौकरियों में आपको अच्छा पोस्ट चाहिए, तो लोग रिश्वतखोरी का सहारा लेते है। आज भ्र्ष्टाचार सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि समस्त दुनिया की समस्या है।

भ्र्ष्टाचार को रोकने के लिए सरकार और न्याय व्यवस्था को कठोर नियम लागू करने होंगे। समाज की विडंबना यही है कि अगर व्यक्ति रिश्वत देने के जुर्म में पकड़ा जाता है, तो रिश्वत देकर छूट जाता है। इसी अनैतिक प्रशासन को ठीक करने की आवश्यकता है। भ्र्ष्टाचार के खिलाफ लोगो में जागरूकता फैलाने के लिए, 9 दिसंबर को अंतराष्ट्रीय भ्र्ष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है। हम भ्र्ष्टाचार को अंत करने के इस जंग में साथ खड़े है। यह जंग मुश्किल है मगर नामुमकिन बिलकुल नहीं है।

#सम्बंधित: Hindi Essay, Hindi Paragraph, हिंदी निबंध।

  • भ्रष्टाचार पर निबंध
  • जीवन में शिक्षक का महत्व निबंध
  • जीवन में शिक्षा का महत्व पर निबंध
  • बेरोजगारी की समस्या और समाधान पर निबंध
  • शिक्षित बेरोजगारी पर निबंध
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध
  • स्कूली शिक्षा का महत्व निबंध
  • लोकतंत्र और चुनाव पर निबंध
  • महानगरीय जीवन पर निबंध
  • आज की युवा पीढ़ी पर निबंध
  • देश की उन्नति-प्रगति पर निबंध
  • कानून व्यवस्था पर निबंध
  • मेरा भारत महान हिंदी निबंध
  • अहिंसावाद पर निबंध
  • प्राकृतिक का प्रकोप पर निबंध
  • आदर्श विद्यार्थी पर निबंध
  • महान व्यक्तियों पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • प्राकृतिक आपदाओं पर निबंध
  • सामाजिक मुद्दे पर निबंध
  • स्वास्थ्य पर निबंध
  • महिलाओं पर निबंध

Related Posts

दहेज प्रथा पर निबंध

शिक्षा में चुनौतियों पर निबंध

हर घर तिरंगा पर निबंध -Har Ghar Tiranga par nibandh

आलस्य मनुष्य का शत्रु निबंध, अनुछेद, लेख

मेरा देश भारत पर निबंध | Mera Desh par nibandh

Leave a Comment Cancel reply

Hindi Essay on “Bhrashtachar – Karan aur Nivaran”, “भ्रष्टाचार- कारण और निवारण”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

भ्रष्टाचार- कारण और निवारण

Bhrashtachar – Karan aur Nivaran

भूमिका- आज के भौतिकवादी युग में धन को प्रधान माना जाता है। आज चारों ओर धनवान का बोलवाला है। सम्मान केवल धनवान को मिलता है। मनुष्य धन के लालच में आकर धर्म व कर्म का ध्यान नहीं रखता। समाज की ऐसी स्थिति को देख कर धर्म और कर्म से उसका विश्वास उठ जाता है। उसका ध्येय केवल धन इकट्ठा करना होता है। धन चाहे किसी भी ढंग से इकट्ठा किया उस का उससे कोई सरोकार नहीं। धन एकत्रित करने के लिए वह चोरी, जमाखोरी, कर चोरी, काला बाजारी, तस्करी आदि बुरे से बुरे काम करने से भी नहीं हिचकिचाता। भारत वर्ष में इस भयंकर समस्या ने चारों तरफ अपने चरण फैला रखे हैं। समय रहते इस समस्या का हल ढूंढना चाहिए नहीं तो इसके भयंकर परिणाम सामने आएंगे।

भ्रष्टाचार का अर्थ- भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है- आचार से भ्रष्ट या अलग होना। अत: कहा जा सकता है कि मन से, वाणी से, शरीरिक कर्म, संकल्प और इच्छा से, इस तरह से भ्रष्ट हो जाना अर्थात् इस प्रकार के कर्म करना जो गिरे हुए हैं और मानव समाज के लिए हानिप्रद हैं। भ्रष्टाचार वह निन्दनीय आचरण है, जिसके वशीभूत होकर मानव अपने कर्त्तव्य को भूल कर अनुचित रूप से लाभ प्राप्त करने का प्रयास करता है। मानव एक सामाजिक जीव है और वह समाज में रह कर ही प्रगति कर सकता है। इस व्यवस्था के लिए उसे कुछ नियम तथा बन्धनों के अनुसार रहना पड़ता है। प्रत्येक कर्म करने के लिए नैतिक आचरण का ध्यान रखना पड़ता है। वह इससे स्वयं भी सु:खी रहता है और समाज को भी सुःखी रख सकता है। लेकिन यदि कोई इस भौतिकवादी युग में केवल अपना ही स्वार्थ देखता है तो वह कोई दूसरों को दु:ख देता है। जब कोई मनुष्य अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए सामाजिक नियमों का ध्यान नहीं रखता, अपने कर्त्तव्य की पालना नहीं करता तब ही भ्रष्टाचार जन्म लेता है। भ्रष्टाचार अंग्रेजों की देन है। अंग्रेज़ अधिकारियों ने धनवान बनने के लिए भारत से लूट-खसूट की ओर यह भयानक बीमारी भी हमें दी। इतिहास साक्षी है कि क्लाईव जब भारत आया तो निर्धन था परन्तु भारत से जब इंग्लैंड लौटा तो काफी धन का स्वामी था।

भ्रष्टाचार पैदा होने के कारण- हर भयंकर समस्या के पीछे कोई-न-कोई कारण अवश्य रहता है। इसी प्रकार भ्रष्टाचार के विकास के पीछे भी विभिन्न कारण हैं। सु:खी और शान्तमय जीवन बिताने के लिए धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इनका सन्तुलन होना चाहिए। आज मानव ने काम और अर्थ को प्राथमिकता दी है। इसने मानव की धन प्राप्ति की प्रवृत्ति बढ़ा दी है। अपनी असीम इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए धन की आवश्यकता है। धन की लालसा ने भ्रष्टाचार को जन्म दिया है। जब हमारी इच्चाएं उचित साधनों से पूरी नहीं होती तो हम अनुचित साधनों से अपनी इच्छाएं पूर्ण करने का प्रयत्न करते हैं। आज मनुष्य अपनी चादर देखकर पैर नहीं पसारता। वह अपनी सीमा में रह कर धन व्यय नहीं करता। वह सुख और ऐश्वर्य की सामग्री, विलास की वस्तुएं और फैशन की चीजें शृंगार और आभूषणों के लिए अपव्यय करता है। आज का मानव चाहता है कि संसार की हर चीज मेरे पास हो। सुःख सविधाओं को प्राप्त करने के लिए मानव उचित या अनुचित साधनों से धन इकट्ठा करने लगा। बढ़ती हुई महंगाई के कारण भी भ्रष्टाचार फैला है। हमारे समाज में फैली हुई अनेक कुरीतियां भी भ्रष्टाचार को फैलने से सहायक होती हैं। आज ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां भ्रष्टाचार ने अपनी जड़े न फैला रखी हों। ऐसा लगता है कि संसारका कोई भी काम इसके बिना पूरा नहीं होता। व्यापारियों ने भ्रष्टाचार की सभी सीमाओं को ही लांघ दिया है। राजनीति ने हमारे देश में भ्रष्टाचार को जो कीर्तिमान बनाए हैं उसकी तुलना किसी देश से नहीं की जा सकती। आज विधायक हो या सांसद बाजार में रखी वस्तुओं की तरह बिक रहे हैं। आज एम० एल० ए०, एम० पी० आदि का टिकट प्राप्तकरने को लेकर चुनाव तक, मन्त्री बनने तक केवल भ्रष्टाचार को अपनाया जाता है। भ्रष्टाचार के बल पर सरकार बनाई जाती है या गिराई जाती है। मंदिर का पुजारी भी आज भक्त की आर्थिक स्थिति देख कर पुष्प डालता है है। आज करोड़ों की रिश्वत लेने वाले सीना तान कर चलते हैं। सरकारी दफतर में चपड़ासी से लेकर कलर्क और अधिकारी सब अपने-अपने तरीकों से कमाई करते हैं। यह भयंकर बिमारी कैंसर और एड्स की तरह पनप रही है। शिक्षा को किसी समय पवित्र कार्य माना जाता था, आज स्कूलों के, कॉलेजों के अध्यापक और अध्यापिकाएं भी इससे अलग नहीं हैं। पढ़ाई की स्थिति दयनीय हो गई है। घर में प्राईवेट ट्यूशन के माध्यम से अधिक धन अर्जित किया जाता है। योग्य छात्र-छात्राएं उच्च कक्षाओं में प्रवेश नहीं पा सकते। किन्तु अयोग्य छात्र-छात्राएं भ्रष्टाचार का सहारा लेकर कहीं-से-कहीं जा पहुंचते हैं और योग्य विद्यार्थी हाथ मलता रह जाता है।

भ्रष्टाचार के रोकने के उपाय- भ्रष्टाचार को रोकना अति कठिन कार्य है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जो भी कदम उठाए जाते हैं वे थोड़े समय पश्चात् प्रभावहीन हो जाते हैं। भ्रष्टाचार की बिमारी और इसके कीटाणु हमारे खून में मिल गए हैं। भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए सर्व प्रथम देश में चेतना और जागृति लाना आवश्यक है। जब तक हमारे जीवन में नैतिकता का समावेश नहीं होगा तब तक हमारा भौतिकवादी दृष्टिकोण नहीं बदल सकता। समाज में फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ईमानदारी से काम करने वाले लोगों को प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि उन्हें देख कर दूसरे भी उनका अनुकरण करने लगें। समाज में फैली करीतियों को मिटाने के लिए भी स्वयं सेवी संस्थाओं तथा अन्य को आगे आना होगा। सरकारी मशीनरी यदि भ्रष्टाचार से मुक्त हो जाए तो शासक वर्ग और अधिकारी प्रजा में पल रहे और बढ़ रहे भ्रष्टाचार को रोकने में समर्थ हो सकते हैं। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर दण्ड व्यवस्था की जानी चाहिए। हमारे देश में न्याय प्रणाली भी पंग हो गई है। न्यायपालिका की गरिमा को बचाना अति आवश्यक है। वास्तव में भ्रष्टाचार का जन्म प्रशासन एवं न्याय पद्धति में देरी के कारण होता है। किसान हो या मजदूर, उद्योगपति हो या श्रमिक, दुकानदार हो या नौकर सरकारी अधिकारियों के सम्पर्क में अवश्य आता है। आज दण्ड व्यवस्था इतनी कमजोर है कि रिश्वत लेता हआ यदि कोई पकड़ा जाए तो रिश्वत देकर बच निकलता है।

उपसंहार- भ्रष्टाचार को समाप्त करने की जिम्मेदारी केवल सरकार की ही नहीं है। यह हर व्यक्ति, समाज और संस्था की भी जिम्मेदारी बनती है। हम सब भारतवासियों को मिल कर भ्रष्टाचार को समाप्त करने का प्रयास करना होगा। हमारा सौभाग्य है कि आज की भारत सरकार तस्करी एवं भ्रष्टाचार जैसी सामाजिक बुराईयों को दूर करने के लिए सजग है। भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए मन्त्रियों तथा विधानसभा एवं लोकसभा के सदस्यों से ही इनका श्री गणेश कर रही है। सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करने वाले कर्मचारियों को परस्कृत करना आवश्यक है। इससे अन्य लोगों को प्रेरणा एवं उत्साह मिलता है।

Related Posts

Hindi-Essays

Absolute-Study

Hindi Essay, English Essay, Punjabi Essay, Biography, General Knowledge, Ielts Essay, Social Issues Essay, Letter Writing in Hindi, English and Punjabi, Moral Stories in Hindi, English and Punjabi.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

भ्रष्टाचार एक कलंक पर निबंध (Corruption Essay In Hindi)

Related posts, इंद्रधनुष पर निबंध (rainbow essay in hindi), ओणम त्यौहार पर निबंध (onam festival essay in hindi), ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (noise pollution essay in hindi).

My Coaching - Learning Become Easier Now !

भ्रष्टाचार : कारण एवं निवारण – भारत में भ्रष्टाचार, निबंध

  • भ्रष्टाचार की समस्या
  • भ्रष्टाचार और काला धन
  • भ्रष्टाचार : एक अभिशाप
  • रिश्वतखोरी : सर्वव्यापी रोग
  • भारत में भ्रष्टाचार

Bhrashtachar Ke Karan aur Nivaran - Bharat Me Bhrashtachar

निबंध की रूपरेखा

भ्रष्टाचार हमारा राष्ट्रीय चरित्र, भ्रष्टाचार की व्यापकता, आयकर की चोरी, राजनीति में भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार : एक सामाजिक अभिशाप, भ्रष्टाचार के कारण, भ्रष्टाचार को समाप्त करने के उपाय, भ्रष्टाचार का कारण एवं निवारण.

भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट-आचरण, किन्तु आज यह शब्द ‘रिश्वतखोरी’ के अर्थ में प्रयुक्त होता है। भ्रष्टाचार की यह समस्या इतनी व्यापक हो गई है कि हम यहाँ तक कहने लगे हैं कि आज के युग में ‘भ्रष्टाचार’ से वही बच पाता है जिसे भ्रष्ट होने का अवसर नहीं मिल पाता। नग्न सत्य तो यह है भ्रष्टाचार हमारी पहचान है, हमारा राष्ट्रीय चरित्र है। आज के इस युग में राजनीतिज्ञ, अधिकारी, न्यायाधीश, वकील, शिक्षक, डॉक्टर, राजकर्मचारी, इन्जीनियर सबके सब भ्रष्ट हैं।

भारत में भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हैं तथा यह इतना सर्वव्यापी है कि हम भ्रष्टाचार को ही अपना चरित्र कह सकते हैं। यद्यपि भारत एक आध्यात्मिक देश है और इतिहास साक्षी है कि हम लोग सन्तोषी जीव रहे हैं तथापि धन लिप्सा ने हमें अपनी नैतिकता, मानवतावादी मूल्यों से जैसा वर्तमान समय में विचलित कर दिया है, वैसा पहले कभी नहीं था। धर्म, अध्यात्म, नैतिकता भले ही हमें सदाचार की शिक्षा देते हों, किन्तु हमारा आचरण दिनों दिन भ्रष्ट होता जा रहा है। यहाँ एक बात स्पष्ट कर देनी आवश्यक है और वह यह है कि भ्रष्टाचार का तात्पर्य केवल ‘रिश्वत’ ही नहीं, अपितु अनुचित मुनाफाखोरी, करों की चोरी, मिलावट, कर्तव्य के प्रति उदासीनता, सरकारी साधनों का अनुचित प्रयोग भी भ्रष्टाचार की परिधि में आते हैं। “ आइए हम अपने-अपने गिरेबान में झाँककर देखें और फिर इस कथन की परीक्षा को क्या भ्रष्टाचार हमारा राष्ट्रीय चरित्र नहीं है? “

स्वतन्त्रता प्राप्ति के अवसर पर देश की जनता ने यह परिकल्पना की थी कि अब हमारी अपनी सरकार होगी और हमें भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलेगी, किन्तु यह परिकल्पना सच नहीं हुई और अब तो हालात इतने बदतर हो गए हैं कि इस भ्रष्टाचार रूपी दानव ने समाज को पूरी तरह अपने मजबूत जबड़ों में फंसा लिया है। आज भ्रष्टाचार का जो स्वरूप हमारे देश में विद्यमान है उससे सभी परिचित हैं।

सरकारी कार्यालयों में बिना भेंट पूजा दिए हुए कोई काम करवा लेना असम्भव है। क्लर्क के रूप में जो व्यक्ति सीट पर बैठा हुआ है वही आपका असली भाग्य विधाता है। अफसर को यह ऐसे-ऐसे चरके देता है कि बेचारे को नानी याद आ जाती है। यदि क्लर्क न चाहे, तो आप एड़ियाँ रगड़ते रहिए आपकी फाइल पर ‘फारवर्डिंग’ नोट नहीं लगेगा और भला किस अफसर की मजाल है जो क्लर्क की टिप्पणी के बगैर अपना निर्णय लिख दे। कहावत है कि प्रान्त में बस दो ही शक्तिशाली व्यक्ति हैं लेखपाल या राज्यपाल। लेखपाल ने जो लिख दिया, उसे काटने वाला तो जिलाधीश भी नहीं।

भ्रष्टाचार के चलते हुए आज लाखों रुपए महीने कमाने वाले डॉक्टर, वकील, वास्तुविद विभिन्न उपायों से आयकर की चोरी करते हैं। ‘प्रोफेशनल’ कार्य करने वाले कितने लोग ऐसे हैं जो सही आयकर देते हैं ? व्यापारियों और उद्योगपतियों ने तो बाकायदा चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट रखे हुए हैं जो उन्हें कर बचाने तथा कर चोरी करने के उपाय सुझाते हैं। यदि सभी लोग सही ढंग से आयकर अदा करने लगें तो हमारे देश की निर्धनता समाप्त हो जाए।

शिक्षक कॉलेजों में पढ़ाने में उतनी रुचि नहीं लेते जितनी ट्यूशन की दुकानों को चलाने में लेते हैं। विद्यार्थियों को ट्यूशन पढ़ने के लिए बाध्य करने हेतु तरह-तरह के हथकण्डे अपनाए जाते हैं। स्कूल-कॉलेज में कक्षाएं नहीं लगतीं, किन्तु कोचिंग स्कूलों में सदैव भीड रहती है। ट्यूशन की मोटी कमाई कर वे कोई आयकर नहीं देते।

सरकारी अधिकारी, जिन्हें जनता का सेवक माना जाता है, दोनों हाथों से जनता को लूट रहे हैं। पुलिस का मामूली दरोगा चार-पांच वर्ष की नौकरी में ही मोटर साइकिल, मकान, टी. वी., फ्रिज जैसी सुविधाएं जुटा लेता है। क्या सरकार उससे कभी पूछती है कि भाई अपने वेतन में इतनी बचत कैसे कर लेते हो जो लाखों रुपए की सम्पत्ति खरीद ली। ये सब भ्रष्ट आचरण से काला धन अर्जित कर रहे है।

राजनीति में भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है। सच तो यह कि भारतीय चुनाव पद्धति लोकतन्त्र की खिलवाड़ है। कौन नहीं जानता कि सरकार द्वारा प्रत्याशियों के लिए निर्धारित व्यय सीमा में चुनाव लड़ पाना असम्भव है। नेतागण चुनाव जीतने के लिए सभी मर्यादाओं को त्याग देते हैं और जब वे भ्रष्ट आचरण से चुनाव जीतते हैं तो फिर नाक तक भ्रष्टाचार में डूबकर पैसा बनाते हैं। यदि ऐसा नहीं करेंगे, तो अगले चुनाव में अपनी नैया कैसे पार लगेगी।

राजनीतिक पार्टियाँ चुनाव खर्च के लिए बड़े-बड़े उद्योगपतियों से चन्दा लेती हैं और फिर उन्हें लाभ पहुँचाने के लिए ऐसे नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं जिससे उद्योगतियों की चाँदी कटती है और गरीब जनता पर उसका बोझ पड़ता है। देश के लिए किए गए बड़े-बड़े सौदों में कमीशन, दलाली के नाम पर लम्बी रकमें ऐंठ ली जाती हैं। बोफोर्स सौदे में कमीशन लिया गया, यह तो सिद्ध हो गया पर किसने यह रकम डकार ली, यह रहस्य उजागर नहीं हो सका। ‘तहलका’ के जांबाज रिपोर्टरों ने छुपे कैमरे के माध्यम से जो सच टी.वी. पर उजागर किया उसने इन राजनीतिज्ञों को नंगा कर दिया। पर वे तो बेशर्म हैं, जानते हैं कि जनता कुछ दिनों में इसे भूल ही जायेगी।

भ्रष्टाचार एक सामाजिक अभिशाप है। भ्रष्टाचार को सही ठहराने के लिए लोग तरह-तरह के तर्क गढ़ते हैं। यथा- ‘साहब, इसी बढ़ती हुई महँगाई में वेतन से खर्च नहीं चल सकता’, अतः मजबर होकर हमें रिश्वत लेनी पड़ती है, या फिर, क्या करें पुत्री के विवाह में बीस लाख का दहेज देना है। अब इतना पैसा वेतन से तो बचाया नहीं जा सकता। ऐसे कितने ही तर्क बेमानी हैं। सच तो यह कि वे अपने अपराध बोध से ग्रस्त रहते हैं और उसे कम करने के लिए इस प्रकार के तर्क गढ़ लेते हैं, जिनमें कोई वजन नहीं है।

भ्रष्टाचार का मूल कारण है अधिक-से-अधिक धन कमाने की प्रवृत्ति। आज हमारी दृष्टि बदल गई है। हम भौतिकवादी हो गए हैं और वस्तुओं के प्रति गहरा मोह बढ़ गया है। सुविधाभोगी जीवन-पद्धति के हम आदी बन गए हैं। जैसे भी सम्भव हो भोग-विलास के उपकरण एकत्र किए जाएँ। पारस्परिक प्रतिस्पर्धा ने विचार को बढ़ावा दिया है। अब यदि पड़ोसी के घर में रंगीन टी. वी. और स्मार्ट टी० वी० है तो भला मेरे यहाँ क्यों न हो? बस एक अन्धी दौड़ प्रारम्भ हो जाती है जिसका समापन भ्रष्टाचार के कुएं में होता है।

सबसे चिन्ताजनक बात तो यह है कि आज भ्रष्टाचार को लोगों ने सामाजिक मान्यता प्रदान कर दी है। भ्रष्टाचार के बलबूते पर धन अर्जित करके लोग सम्मान प्राप्त कर रहे हैं और समाज यह जानते हुए भी कि धन बेईमानी से अर्जित किया गया है उसका तिरस्कार नहीं करता। परिणामतः भ्रष्टाचार पनपने में सहायता मिलती है। आज ईमानदारी, नैतिकता, सत्य को धता बताई जा रही है। कहा जाता है कि आज ईमानदार वही जिसे बेईमानी का मौका नहीं मिल पाता। ईमानदार आदमी को लोग मूर्ख, पागल, गाँधी का अवतार कहकर खिल्ली उड़ाते हैं और बेईमान को इज्जत देते हैं। ऐसे समाज में कौन मूर्ख ईमानदार बनना चाहेगा।

भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए सरकार ने कानून बनाए हैं, किन्तु वे अधिक प्रभावी नहीं हैं। कहा जाता है कि भ्रष्टाचार की जड़े ऊपर होती हैं। यदि किसी विभाग का मन्त्री या सचिव रिश्वत लेता है तो उसका चपरासी भी भ्रष्ट होगा। अतः भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए ऊपर के पदों पर योग्य एवं ईमानदार लोगों को आसीन किया जाए। कर्तव्यनिष्ठ एवं ईमानदार लोगों को सरकार एवं समाज की ओर से सम्मानित किया जाए तथा नैतिक व आध्यात्मिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया जाए। शिक्षकों एवं समाज के अन्य जिम्मेदार नागरिकों को विद्यार्थियों के समक्ष आदर्श उपस्थित करना चाहिए। समाज भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों का सामाजिक तिरस्कार एवं बहिष्कार करे और ऐसे लोगों को महिमामण्डित न करे जो भ्रष्टाचार से धन अर्जित करते हैं।

दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराई को दूर करने पर भी भ्रष्टाचार में कमी आएगी। आयकर के अधिक-से-अधिक छापे मारे जाएँ और प्रत्येक व्यक्ति से उसके आय-व्यय का हिसाब-किताब पूछा जाए। सरकारी कर्मचारियों पर विशेष निगाह रखी जाए जिससे वे अनुचित साधनों से धन अर्जित न कर सकें। सम्भव हो तो उनकी सम्पत्ति की खुफिया जाँच करवाई जाए, उनके रहन-सहन के स्तर को भी देखा-परखा जाए।

यदि इन उपायों को ईमानदारी से लागू कर दिया जाए तो कोई कारण नहीं कि हम भ्रष्टाचार की इस समस्या से छुटकारा न पा सकें।

निबंध लेखन के अन्य महत्वपूर्ण टॉपिक देखें

हिन्दी के निबंध लेखन की महत्वपूर्ण जानकारी जैसे कि एक अच्छा निबंध कैसे लिखे? निबंध की क्या विशेषताएँ होती हैं? आदि सभी जानकारी तथा हिन्दी के महत्वपूर्ण निबंधो की सूची देखनें के लिए ‘ Nibandh Lekhan ‘ पर जाएँ। जहां पर सभी महत्वपूर्ण निबंध एवं निबंध की विशेषताएँ, प्रकार आदि सभी दिये हुए हैं।

You may like these posts

प्रौढ़ शिक्षा – प्रौढ़ शिक्षा की आवश्यकता, उपयोगिता और महत्व.

“प्रौढ़ शिक्षा” नामक निबंध के निबंध लेखन (Nibandh Lekhan) से अन्य सम्बन्धित शीर्षक, अर्थात “प्रौढ़ शिक्षा” से मिलता जुलता हुआ कोई शीर्षक आपकी परीक्षा में पूछा जाता है तो इसी... Read more!

भारत में अन्तरिक्ष अनुसन्धान – निबंध

“भारत में अन्तरिक्ष अनुसन्धान ” नामक निबंध के निबंध लेखन (Nibandh Lekhan) से अन्य सम्बन्धित शीर्षक, अर्थात “भारत में अन्तरिक्ष अनुसन्धान ” से मिलता जुलता हुआ कोई शीर्षक आपकी परीक्षा... Read more!

कम्प्यूटर : महत्व एवं उपयोगिता – निबंध

“कम्प्यूटर : महत्व एवं उपयोगिता” नामक निबंध के निबंध लेखन (Nibandh Lekhan) से अन्य सम्बन्धित शीर्षक, अर्थात “कम्प्यूटर : महत्व एवं उपयोगिता” से मिलता जुलता हुआ कोई शीर्षक आपकी परीक्षा... Read more!

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

माई कोचिंग डॉट इन ने आपके ब्राउज़र में जावास्क्रिप्ट अवरोधक का पता लगाया है। कृपया साइट की सामग्री देखने के लिए जावास्क्रिप्ट सक्षम करें।

We have detected the javascript blocker in your browser. Please enable javacript to visit content of site.

धन्यवाद

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

  • भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध for UPSC Students

by Meenu Saini | Jul 13, 2022 | Hindi | 0 comments

भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध  for UPSC Students

भारत में भ्रष्टाचार (Corruption in India) Essay in Hindi for UPSC Students 

इस लेख में हम यूपीएससी (UPSC) छात्र के लिए भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध लिखखेगे | भ्रष्टाचार होता क्या है, भ्रष्टाचार के कारण, भ्रष्टाचार दूर करने के उपाय, भारत सरकार की भ्रष्टाचार दूर करने के लिए बनाई गई नीतियां के बारे में जानेगे |

भ्रष्टाचार एक व्यापक संक्रामक परजीवी है जो प्रणालियों, विभागों, संस्थानों, व्यक्तियों या समूहों के जीवन को चूस रहा है और जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रवेश कर चुका है, चाहे वह सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक या नैतिक हो। यह वास्तव में शर्म की बात है कि भारत दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में से एक है। हमारे देश में जीवन का शायद ही कोई क्षेत्र होगा जहां हमें भ्रष्टाचार सामना न करना पड़े। 

इस लेख में हम भ्रष्टाचार के कारण, प्रभाव, भ्रष्टाचार को कम करने के लिए भारतीय सरकार द्वारा उठाए गए कदम के बारे में बात करेंगे। 

संकेत सूची (Contents)

  • भ्रष्टाचार की परिभाषा 

भ्रष्टाचार के कारण

  • भ्रष्टाचार के प्रभाव 

भ्रष्टाचार को कम करने के लिए भारतीय सरकार द्वारा उठाए गए कदम 

भारतीय समाज कैसे भ्रष्टाचार मुक्त बन सकता है.

भ्रष्टाचार एक बहुत पुरानी सामाजिक बुराई है। 

यह मानव समाज में हमेशा किसी न किसी रूप में मौजूद रहा है। गौरतलब है कि ‘अथर्ववेद’ लोगों को भ्रष्टाचार से दूर रहने की चेतावनी देता है।  कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में भ्रष्ट लोगों द्वारा सरकारी धन के दुरुपयोग के लिए अपनाए गए चालीस तरीकों का उल्लेख है। दिल्ली के सुल्तान, अलाउद्दीन खिलजी को अपने भू-राजस्व कर्मचारियों को भ्रष्टाचार में लिप्त होने से बचाने के लिए उनके वेतन में काफी वृद्धि करनी पड़ी।  

” अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के अनुसार, “भ्रष्टाचार से लड़ना केवल सुशासन नहीं है।  यह आत्मरक्षा है।  यह देशभक्ति है।”

भ्रष्टाचार क्या है

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (टीआई) भ्रष्टाचार को “निजी लाभ के लिए सौंपी गई शक्ति का दुरुपयोग” के रूप में परिभाषित करता है। भ्रष्टाचार का अर्थ है सत्ता के दुरुपयोग और दुरुपयोग का कार्य, विशेष रूप से सरकार में उनके द्वारा व्यक्तिगत लाभ के लिए या तो धन या एक पक्ष के लिए।  भारत में 50% से अधिक लोगों ने सार्वजनिक सेवाओं तक पहुँचने के दौरान रिश्वत देना स्वीकार किया है।

भ्रष्टाचार और भारत: एक नजर

  • भारत दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में बना हुआ है। 
  • दुनिया भर में भ्रष्टाचार का मापन करप्शन परसेप्शन इंडेक्स अर्थात् सीपीआई के अनुसार होता है। 
  • विशेषज्ञों और व्यवसायियों के अनुसार यह सूचकांक 180 देशों और क्षेत्रों को सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार के कथित स्तरों के आधार पर रैंक करता है।
  • करप्शन परसेप्शन इंडेक्स 2021 के अनुसार, 2021 में भारत की रैंक एक स्थान सुधरकर 85 हो गई, जो 2020 में 86वें स्थान पर थी। 

भ्रष्टाचार के कारणों की जांच एक सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक-प्रशासनिक परिदृश्य की एक विस्तृत तस्वीर प्रस्तुत करती है जो दैनिक आधार पर भ्रष्टाचार को जन्म देती है। 

भारत में भ्रष्टाचार के निम्नलिखित कारण हैं। 

  • चुनावों में काले धन का उपयोग: विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, लोकसभा चुनाव के उम्मीदवार केवल 70 लाखरुपये की कानूनी सीमा के खिलाफ कम से कम 30 करोड़ खर्च करते हैं। 

पिछले 10 वर्षों में लोकसभा चुनावों के लिए घोषित खर्च में 400% से अधिक की वृद्धि हुई है। जबकि उनकी आय का 69% अज्ञात स्रोतों से आया है। 

  • राजनीति का अपराधीकरण: देश के 30% से अधिक विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। जब कानून तोड़ने वाले कानून निर्माता बन जाते हैं, तो कानून का शासन में भ्रष्टाचार सबसे पहले होता है।
  • अनौपचारिक क्षेत्र का उच्च हिस्सा : भारत में 80% से अधिक कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में हैं और इसलिए कर या श्रम कानूनों के दायरे में नहीं आते हैं। 

ऐसे उद्यम आमतौर पर अधिकारियों को उन कानूनों के दायरे से बाहर रखने के लिए रिश्वत देते हैं। 

  • व्यवसाय करने में आसानी : बिना किसी पारदर्शिता और समय सीमा जैसे मामलों से संबंधित कानूनी जवाबदेही के बिना व्यवसाय शुरू करने और चलाने के लिए आवश्यक अनुमोदनों की अधिकता उद्यमियों को रिश्वत के माध्यम से अपना व्यवसाय आसान बनाने के लिए मजबूर करती है। 
  • उच्च असमानताएँ: भारत में 1% अमीरों के पास कुल संपत्ति का लगभग 60% हिस्सा है। इस तरह की समानताएं पूजीवाद की ओर ले जाती है, कम आय के स्तर पर यह लोगों को अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए मजबूर करता है।  

राजनीति का अपराधीकरण और नौकरशाही का राजनीतिकरण राज्य सत्ता के दुरुपयोग के लिए एकदम सही मंच प्रस्तुत करता है। 

सीबीआई, ईडी, आईटी-विभाग, एसीबी जैसे प्रवर्तन अधिकारियों का दुरुपयोग और स्वायत्तता की कमी भी कानून के प्रतिरोध मूल्य को कमजोर करती है। 

  • औपनिवेशिक नौकरशाही : नौकरशाही अनिवार्य रूप से 19वीं सदी के कानूनों की विशेषता वाली प्रकृति में औपनिवेशिक बनी हुई है। 
  • विफल सुधारात्मक कदम : राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और नौकरशाही के भीतर से प्रतिरोध के कारण नागरिक चार्टर, आरटीआई और ई-गवर्नेंस जैसे प्रमुख सुधारात्मक कदम विफल हो गए हैं।
  • कम मजदूरी : सार्वजनिक क्षेत्र में मजदूरी निजी क्षेत्र से कम है, साथ ही निचले स्तर पर काम करने वालों के लिए खराब कैरियर के विकास के अवसर और कठोर काम करने की स्थिति भी भ्रष्टाचार का कारण बनती है। 
  • न्यायिक विफलता : न्यायपालिका राजनेताओं सहित भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करने में विफल रही है। 

सिविल सेवकों को संविधान के अनुच्छेद 309 और 310 के तहत प्रदान की गई अतिरिक्त सुरक्षा और सिविल सेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले सरकार की अनुमति लेने की आवश्यकता समस्या को और बढ़ा देती है।

सामाजिक और नैतिक

  • जीवनशैली में बदलाव : व्यक्तिवाद और भौतिकवाद की ओर बढ़ते हुए बदलाव ने विलासितापूर्ण जीवन शैली के प्रति आकर्षण बढ़ा दिया है।  अधिक पैसा कमाने के लिए लोग दूसरों की परवाह किए बिना अनैतिक तरीके भी अपनाने को तैयार हैं।
  • सामाजिक भेदभाव : जागरूकता की कमी और राज्य पर उच्च निर्भरता के कारण गरीब लोग भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा शोषण का आसान लक्ष्य बन जाते हैं।
  • शिक्षा प्रणाली की विफलता : युवा पीढ़ी में सहानुभूति, करुणा, अखंडता, समानता आदि के नैतिक मूल्य को विकसित में भारत की शिक्षा प्रणाली बुरी तरह विफल रही है। 

वैश्वीकरण से प्रेरित जीवनशैली में बदलाव ने समाज में नैतिकता और मानवता को और गिरा दिया है। 

भ्रष्टाचार के प्रभाव

भ्रष्टाचार के भारतीय समाज में निम्न प्रभाव हुए हैं। 

  • यह समाज के सामाजिक और नैतिक ताने-बाने को नीचा करता है, सरकार की विश्वसनीयता को कम करता है और राज्य द्वारा गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के मौलिक अधिकारों का शोषण और उल्लंघन करता है।  उदाहरण के लिए, पीडीएस राशन में असमानता गरीबों को उनके भोजन के अधिकार से वंचित करता है। 
  • यह व्यापार करने में आसानी में बाधा डालता है। जैसा कि हाल ही में जारी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक ने इंगित किया है कि “निजी क्षेत्र अभी भी भारत में व्यापार करने के लिए भ्रष्टाचार को सबसे अधिक समस्याग्रस्त कारक मानता है”।  यह निजी निवेश को बाधित करता है जो रोजगार पैदा करता है और नवाचार को बाधित करता है। 
  • आईसीडीएस, एनआरएचएम (यूपी जैसे कई राज्यों में घोटाले सामने आए हैं), नरेगा आदि जैसी कल्याणकारी योजनाओं के खराब परिणामों के कारण बढ़ती असमानता लाभार्थियों को संसाधनों के रिसाव और असमानता का एक और परिणाम है।  विशेष रूप से पिछड़े क्षेत्र में खराब शिक्षा और स्वास्थ्य असमानताओं को बनाए रखने में मदद करता है।
  • कर प्रशासन में भ्रष्टाचार उच्च कर चोरी की ओर ले जाता है जिससे काला धन पैदा होता है। विभिन्न अनुमानों के अनुसार भारत में समानांतर अर्थव्यवस्था का आकार सकल घरेलू उत्पाद का 50% जितना है। 
  • जैसा कि 2जी और कोयला खदानों जैसे बड़े घोटालों का खुलासा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली सीएजी की कई रिपोर्टों में बताया गया है कि भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार के कारण राज्य को भारी नुकसान होता है।
  • भ्रष्टाचार उत्पादन की लागत को बढ़ाता है जिसे अंततः उपभोक्ता को वहन करना पड़ता है। सड़कों और पुलों जैसे परियोजना निष्पादन में यह खराब गुणवत्ता वाली सामग्री को अपनाने की ओर ले जाता है जो ढहने के कारण कई लोगों के जीवन के लिए खतरनाक साबित होती है।
  • विभिन्न शोधों ने भ्रष्टाचार, सार्वजनिक सेवाओं की खराब गुणवत्ता और राजनीति के अपराधीकरण के बीच सीधा संबंध बताया है।
  • अतीत में रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार के कारण पड़ोस में बढ़ती दुश्मनी के दौर में सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण में देरी हुई है।  जो राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से यह शुभ संकेत नहीं है। 
  • अतीत में भ्रष्टाचार ने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों जैसे शहरी क्षेत्रों में वेटलैंड्स का अतिक्रमण और सड़कों में बड़े बड़े गड्ढे शहरी क्षेत्रों में बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं की प्रमुख वजहों में से एक है। 
  • पुलिस जैसी कानून प्रवर्तन एजेंसियों में भ्रष्टाचार कानून के शासन को कमजोर करता है और राज्य और अपराधियों के बीच एक अपवित्र गठजोड़ को बढ़ावा देता है। भ्रष्ट प्रशासन स्वेच्छा से अपने सार्वजनिक सेवा के कर्तव्य का उल्लंघन करते हुए सत्ताधारी दल के अन्यायपूर्ण व्यवहार के सामने आत्मसमर्पण करता है। 
  • पुलिस में भ्रष्टाचार के कारण अपराध की कम रिपोर्टिंग से अपराधियों को प्रोत्साहन मिलता है और न्यायिक भ्रष्टाचार लोगों को न्याय पाने के लिए अतिरिक्त कानूनी तरीकों को अपनाने के लिए मजबूर करता है।

भारत सरकार ने भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए समय समय पर कानून लाती रही है और पुराने कानूनों में संशोधन करती रही है। 

भारत सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए निम्न प्रकार की नीतियां व कानून बनाए गए। 

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988

भ्रष्टाचार के लिए एक परिभाषा प्रदान करता है और उन कृत्यों को सूचीबद्ध करता है जो भ्रष्टाचार के रूप में होंगे जैसे कि रिश्वत, एहसान के लिए उपहार आदि।

यह अधिनियम भ्रष्ट लोगों को बेनकाब करने और ईमानदार अधिकारियों की रक्षा करने की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है। 

एक अधिकारी के अभियोजन के लिए सरकार से मंजूरी की आवश्यकता होती है। इसमें केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मचारी, सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी, राष्ट्रीयकृत बैंक आदि शामिल हैं।

इस अधिनियम के तहत परीक्षण के लिए विशेष न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है जो उपयुक्त मामलों में संक्षिप्त सुनवाई का आदेश दे सकते हैं। 

बेनामी संपत्ति अधिनियम 1988

हाल के संशोधनों ने बेनामी संपत्ति की परिभाषा को विस्तृत किया है और सरकार को अदालत की मंजूरी के बिना किसी परेशानी के ऐसी संपत्तियों को जब्त करने की अनुमति दी है। 

मनी लांड्रिंग का रोकथाम अधिनियम 2002

इसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग की घटनाओं को रोकना और भारत में ‘अपराध की आय’ के उपयोग को प्रतिबंधित करना है।

मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में सख्त सजा का प्रावधान है, जिसमें 10 साल तक की कैद और आरोपी व्यक्तियों की संपत्ति की कुर्की (जांच के प्रारंभिक चरण में भी और जरूरी नहीं कि सजा के बाद भी) शामिल है।

केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम 2003

सीवीसी को वैधानिक दर्जा देता है। 

केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा में पीएम, एमएचए और एलओपी की एक समिति की सिफारिश पर की जाएगी।

जांच करते समय आयोग के पास सिविल कोर्ट की सभी शक्तियां होती हैं। 

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005

यह अधिनियम पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए सूचना के प्रकटीकरण को जनता का कानूनी अधिकार बनाता है।

इसके अंतर्गत धारा 4 सूचना के सक्रिय प्रकटीकरण और अभिलेखों के डिजिटलीकरण को अनिवार्य करती है। 

कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इसका इस्तेमाल सार्वजनिक प्राधिकरणों के कामकाज में अनियमितताओं को सामने लाने के लिए किया है।

जैसे; मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला।  

कंपनी अधिनियम, 2013

कॉर्पोरेट प्रशासन और कॉर्पोरेट क्षेत्र में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए प्रदान करता है। 

‘धोखाधड़ी’ शब्द की व्यापक परिभाषा दी गई है और यह कंपनी अधिनियम के तहत एक आपराधिक अपराध है। 

विशेष रूप से धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) की स्थापना की गई है, जो कंपनियों में सफेदपोश अपराधों और अपराधों से निपटने के लिए जिम्मेदार है।

एसएफआईओ कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के तहत जांच करता है। 

भारतीय दंड संहिता, 1860 उन प्रावधानों को निर्धारित करता है जिनकी व्याख्या रिश्वत और धोखाधड़ी के मामलों को कवर करने के लिए की जा सकती है, जिसमें आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी से संबंधित अपराध शामिल हैं। 

लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013

लोक सेवकों द्वारा गलत काम करने की शिकायतों की जांच के लिए केंद्र में एक स्वतंत्र प्राधिकरण लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति करता है

लोकपाल की नियुक्ति पीएम, एलओपी, सीजेआई, स्पीकर और एक प्रख्यात न्यायविद की समिति द्वारा की जाएगी। 

एसएआरसी और संथानम समिति जैसे विभिन्न आयोगों ने महत्वपूर्ण और व्यवहार्य सिफारिश की है कि एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। 

नागरिकों को सशक्त बनाने और भारतीय समाज को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने की आवश्यकता है: 

नौकरशाही में सुधार

  • प्रशासन पर अत्यधिक राजनीतिक नियंत्रण को रोकने के लिए सिविल सेवा बोर्ड की स्थापना होना चाहिए। 
  • सरकारों में पदानुक्रम के स्तर को कम करना। 
  • अनुशासनात्मक कार्यवाही को सरल बनाना और विभागों के भीतर निवारक सतर्कता को मजबूत करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भ्रष्ट सिविल सेवक संवेदनशील पद पर काबिज न हों। 
  • सरकार में नियमित प्रक्रियाओं को स्वचालित करने के लिए एआई और बिग डेटा जैसी नई तकनीकों का उपयोग करना। 

चुनावी सुधार

  • आरपीए में संशोधन कर अपराधियों को विधानसभाओं में प्रवेश करने से रोकना। 
  • राजनीतिक दल को नकद चंदे पर रोक लगाना और राजनीतिक दलों के कुल खर्च पर सीमा लगाना। 
  • इंद्रजीत गुप्ता समिति द्वारा अनुशंसित राज्य वित्त पोषण के विचार को अपनाना।  

शासन में परिवर्तन

  • नियमों के बारे में पारदर्शिता और जागरूकता बढ़ाने के लिए आर्थिक सर्वेक्षण द्वारा अनुशंसित नियम अधिनियम (टीओआरए) में पारदर्शिता लाना। 
  • नागरिक चार्टर और सामाजिक लेखा परीक्षा को एक कानूनी बल देना। 
  • स्थानीय निकाय को सशक्त बनाना ताकि उन्हें प्रत्यक्ष लोकतंत्र के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बनाया जा सके। 
  • न्यायिक सुधार भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे में तेजी लाने के लिए ताकि ये कानून एक मजबूत निवारक बने रहें
  • कानून का शासन स्थापित करने और भ्रष्टाचार के मामलों में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए प्रकाश सिंह मामले में एससी द्वारा सुझाए गए 7 सूत्री पुलिस सुधार को अपनाना।
  • संविधान के तहत परिकल्पित कार्यपालिका पर विधायी नियंत्रण को मजबूत करने के लिए दल-बदल विरोधी कानून में संशोधन करना।
  • मंत्रियों के लिए आचार संहिता और आचार संहिता लाना। 
  • सार्क द्वारा अनुशंसित सभी कार्यालयों जैसे कि सार्वजनिक उपक्रमों के बोर्डों को अपने दायरे में लाना। 

भ्रष्टाचार का मुकाबला करने के लिए, भारत सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1998 को अधिनियमित किया है और मुख्य सतर्कता आयोग की स्थापना की है, जो भ्रष्टाचार से सख्ती से निपटने के लिए कानूनी अधिकार प्रदान करता है।  हालांकि न्यायिक प्रक्रिया के लंबे गलियारों के लिए ये पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन न्यायपालिका में गवाहों की कमी और भ्रष्टाचार से शायद ही कोई फर्क पड़ सकता है।

कुशल समाधानों में जन जागरूकता, भ्रष्ट सौदों का बार-बार संपर्क, और सबसे बढ़कर व्हिसलब्लोअर की भूमिका शामिल है।  व्हिसलब्लोअर की अवधारणा पश्चिमी है, लेकिन अगर बड़ी संख्या में लोग भ्रष्ट अधिकारियों पर नजर रखते हैं, उनकी जासूसी करते हैं और संबंधित विभागों से परामर्श करते हैं, तो चीजें बेहतर हो सकती हैं।

सरकार ने अब जवाबदेही पर जोर दिया है और भारत भविष्य के लिए सकारात्मक हो सकता है क्योंकि डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों के साथ सब कुछ डिजिटाइज़ करने से भ्रष्टाचार उच्च स्तर तक कम हो जाएगा क्योंकि सिस्टम में बिचौलियों के लिए कोई जगह नहीं होगी, और सरकार हर चीज की निगरानी करेगी। 

हां, भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है लेकिन इसे व्यवस्थित और सही प्रयासों से खत्म किया जा सकता है।

Recommended Read –

  • दुर्गा पूजा पर निबंध
  • बसंत ऋतु पर निबंध
  • भारत में साइबर सुरक्षा पर निबंध
  • भारत में चुनावी प्रक्रिया पर निबंध
  • योग पर निबंध
  • स्टार्टअप इंडिया पर निबंध
  • फिट इंडिया पर निबंध
  • द्रौपदी मुर्मू पर निबंध
  • क्रिकेट पर निबंध
  • क्रिप्टो करेंसी पर निबंध
  • सौर ऊर्जा पर निबंध
  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
  • शहरों में बढ़ते अपराध पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • भारतीय संविधान पर निबंध
  • भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध
  • टेलीविजन पर निबंध
  • परिश्रम का महत्व पर निबंध 
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध 
  • विज्ञान वरदान है या अभिशाप पर निबंध
  • टीचर्स डे पर निबंध
  • वैश्वीकरण पर निबंध
  • जलवायु परिवर्तन पर निबंध
  • मंकी पॉक्स वायरस पर निबंध
  • मेक इन इंडिया पर निबंध
  • भारत में सांप्रदायिकता पर निबंध
  • वेस्ट नील वायरस पर निबंध
  • पीएसयू का निजीकरण पर निबंध
  • भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों का प्रभाव पर निबंध
  • नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध
  • आधुनिक संचार क्रांति पर निबंध
  • सोशल मीडिया की लत पर निबंध
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निबंध
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध
  • प्रदूषण पर निबंध
  • मृदा प्रदूषण पर निबंध
  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • गाय पर हिंदी में निबंध
  • वन/वन संरक्षण पर निबंध
  • हिंदी में ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध
  • चंद्रयान पर निबंध
  • हिंदी में इंटरनेट पर निबंध
  • बाल श्रम या बाल मज़दूरी पर निबंध
  • ताजमहल पर निबंध
  • हिंदी में अनुशासन पर निबंध
  • भ्रष्टाचार पर निबंध
  • मेरा विद्यालय पर निबंध हिंदी में
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध
  • गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में
  • स्वतंत्रता दिवस पर निबंध
  • हिंदी में दिवाली पर निबंध
  • होली पर निबंध
  • नोट-बंदी या विमुद्रीकरण पर निबंध
  • निबंध लेखन, हिंदी में निबंध

Submit a Comment Cancel reply

You must be logged in to post a comment.

Hindi Writing Skills

  • Formal Letter Hindi
  • Informal Letter Hindi
  • ई-मेल लेखन | Email Lekhan in Hindi Format
  • Vigyapan Lekhan in Hindi
  • Suchna lekhan
  • Anuched Lekhan
  • Anuchchhed lekhan
  • Samvad Lekhan
  • Chitra Varnan
  • Laghu Katha Lekhan
  • Sandesh Lekhan

HINDI GRAMMAR

  • 312 हिंदी मुहावरे अर्थ और उदाहरण वाक्य
  • Verbs Hindi
  • One Word Substitution Hindi
  • Paryayvaachi Shabd Class 10 Hindi
  • Anekarthi Shabd Hindi
  • Homophones Class 10 Hindi
  • Anusvaar (अनुस्वार) Definition, Use, Rules, 
  • Anunasik, अनुनासिक Examples
  • Arth vichaar in Hindi (अर्थ विचार), 
  • Adverb in Hindi – क्रिया विशेषण हिंदी में, 
  • Adjectives in Hindi विशेषण, Visheshan Examples, Types, Definition
  • Bhasha, Lipiaur Vyakaran – भाषा, लिपिऔरव्याकरण
  • Compound words in Hindi, Samaas Examples, Types and Definition
  • Clauses in Hindi, Upvakya Examples, Types 
  • Case in Hindi, Kaarak Examples, Types and Definition
  • Deshaj, Videshaj and Sankar Shabd Examples, Types and Definition
  • Gender in Hindi, Ling Examples, Types and Definition
  • Homophones in Hindi युग्म–शब्द Definition, Meaning, Examples
  • Indeclinable words in Hindi, Avyay Examples, Types and Definition
  • Idioms in Hindi, Muhavare Examples, Types and Definition
  • Joining / combining sentences in Hindi, Vaakya Sansleshan Examples, Types and Definition
  • संधि परिभाषा, संधि के भेद और उदाहरण, Sandhi Kise Kehte Hain?
  • Noun in Hindi (संज्ञा की परिभाषा), Definition, Meaning, Types, Examples
  • Vilom shabd in Hindi, Opposite Words Examples, Types and Definition
  • Punctuation marks in Hindi, Viraam Chinh Examples, Types and Definition
  • Proverbs in Hindi, Definition, Format, मुहावरे और लोकोक्तियाँ
  • Pronoun in Hindi सर्वनाम, Sarvnaam Examples, Types, Definition
  • Prefixes in Hindi, Upsarg Examples, types and Definition
  • Pad Parichay Examples, Definition
  • Rachna ke aadhar par Vakya Roopantar (रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण) – Types , Example
  • Suffixes in Hindi, Pratyay Examples, Types and Definition
  • Singular and Plural in Hindi (वचन) – List, Definition, Types, Example
  • Shabdo ki Ashudhiya (शब्दों की अशुद्धियाँ) Definition, Types and Examples
  • Shabdaur Pad, शब्द और पद Examples, Definition, difference in Shabd and Pad
  • Shabd Vichar, शब्द विचार की परिभाषा, भेद और उदाहरण | Hindi Vyakaran Shabad Vichar for Class 9 and 10
  • Tenses in Hindi (काल), Hindi Grammar Tense, Definition, Types, Examples
  • Types of sentences in Hindi, VakyaVishleshan Examples, Types and Definition
  • Voice in Hindi, Vachya Examples, Types and Definition
  • Verbs in Hindi, Kirya Examples, types and Definition
  • Varn Vichhed, वर्ण विच्छेद Examples, Definition
  • Varn Vichar, वर्ण विचार परिभाषा, भेद और उदाहरण
  • Vaakya Ashudhhi Shodhan, वाक्य अशुद्धिशोधन Examples, Definition, Types
  • List of Idioms in Hindi, Meaning, Definition, Types, Example

Latest Posts

  • Dussehra Wishes in Hindi | दशहरा की शुभकामनाएँ
  • Subject-Verb Agreements Rules Exercise (True or False), Subject-Verb Agreement Exercises
  • Navratri Wishes in Hindi | नवरात्रि की शुभकामनाएँ
  • Exercises on Tenses Rules (True or False), Tenses Exercises
  • The Merchant of Venice Question Answers JKBOSE Class 10 English Tulip Book
  • The Merchant of Venice Summary, Explanation, Difficult Words | JKBOSE Class 10 English Lesson 7
  • Pappachi’s Moth Question Answers JKBOSE Class 10 English Tulip Book
  • Class 10 English Previous Year Question Paper (2019) with Solutions
  • Dussehra wishes in Hindi
  • Navratri Wishes in Hindi
  • Hindi Diwas Quotes in Hindi 
  • Congratulations Message in Hindi
  • Teacher’s Day Wishes in Hindi
  • Ganesh Chaturthi Wishes in Hindi
  • Janmashtami Messages in Hindi
  • Raksha Bandhan Wishes in Hindi
  • Birthday Wishes in Hindi
  • Anniversary Wishes in Hindi
  • Father’s Day Quotes and Messages
  • Father’s Day quotes in Hindi
  • International Yoga Day Slogans, Quotes and Sayings
  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस Slogans, Quotes and Sayings
  • Good Morning Messages in Hindi
  • Good Night Messages in Hindi | शुभ रात्रि संदेश
  • Wedding Wishes in Hindi

Important Days

  • National Space Day Quiz| National Space Day MCQs
  • World Soil Day – Date, History, Significance
  • International Yoga Day Slogans, Quotes and Sayings by Famous people 2024
  • Calendar MCQ Quiz for Various Competitive Exams
  • CUET 2024 MCQ Quiz on Important Dates

Home

  • Website Inauguration Function.
  • Vocational Placement Cell Inauguration
  • Media Coverage.
  • Certificate & Recommendations
  • Privacy Policy
  • Science Project Metric
  • Social Studies 8 Class
  • Computer Fundamentals
  • Introduction to C++
  • Programming Methodology
  • Programming in C++
  • Data structures
  • Boolean Algebra
  • Object Oriented Concepts
  • Database Management Systems
  • Open Source Software
  • Operating System
  • PHP Tutorials
  • Earth Science
  • Physical Science
  • Sets & Functions
  • Coordinate Geometry
  • Mathematical Reasoning
  • Statics and Probability
  • Accountancy
  • Business Studies
  • Political Science
  • English (Sr. Secondary)

Hindi (Sr. Secondary)

  • Punjab (Sr. Secondary)
  • Accountancy and Auditing
  • Air Conditioning and Refrigeration Technology
  • Automobile Technology
  • Electrical Technology
  • Electronics Technology
  • Hotel Management and Catering Technology
  • IT Application
  • Marketing and Salesmanship
  • Office Secretaryship
  • Stenography
  • Hindi Essays
  • English Essays

Letter Writing

  • Shorthand Dictation

Hindi Essay on “Barat me Bhrashtachar” , “Bhrashtachar”, ”भारत में भ्रष्टाचार”, “भ्रष्टाचार” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

भ्रष्टाचार या भारत में भ्रष्टाचार

आधुनिक युग को यदि भ्रष्टाचार का युग कहा जाए, तो अत्युक्ति न होगी। आज भ्रष्टाचार जीवन के प्रतेयेक क्षेत्र में फैल चूका है। इसकी जड़े इतनी गहरी छा चुकी हैं कि समाज का कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं रह पाया है। भ्रष्टाचार ने समाज से नैतिक मूल्यों को ध्वस्त कर दिया है स्वार्थ इर्ष्या, द्वेष तथा लोभ जैसे दुर्गुणों को बढ़ावा दिया है।

‘भ्रष्टाचार’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है – ‘भ्रष्ट + आचार’ अर्थात ऐसा व्यवहार जो भ्रष्ट हो, जो समाज के लिए हानिप्रद हो। भ्रष्टाचार के मूल में मानव की स्वार्थ तथा लोभ वृति है। आज प्रत्येक व्यक्ति अधिकाधिक न कमाकर सभी प्रकार के भोतिक सुखों का आनंद भावना चाहता है। धन की लालसा से भ्रष्ट आचरण करने पर मजबूर कर देती है तथा वह उचितानुचित को समझते हुए भी अनुचित की और प्रवृत हो जाता है। मन की अनेक लालसाएँ उसके विवेक को कुंठित कर देती हैं। कबीर ने ठीक कहा है –

“मन सागर मनसा लहरि बूड़े बहे अनेक कहे कबीर ने बाचि है, जिनके हृदय विवेक।”

मानव का मन अत्यंत चंचल होता है जब वह उसे लोभ और लालच की जंजीरों में जकड़ लेता है तो मनुष्य का विवेक नष्ट हो जाता है तथा उसे प्रत्येक बुरा कार्य भी अच्छा लगने लगता है। वह सामाजिक नियमों के तोड़कर, कानून का उल्लंघन करके केवल अपने स्वार्थ के लिए अनैतिक कर्मों की और प्रवृत्त हो जाता है। मानव-निर्माता नीतियों नियमों का उल्लंघन करना ही भ्रष्टाचार है।

मनुष्य और पशु में आहार, निद्रा, भय, मैथुन ये चार बातें सामान रूप से विद्द्यामन हैं। मनुष्य पशु से अगर किसी बात से श्रेष्ठ है तो वह उसका विवेक। विवेक शून्य मनुष्य और पशु में कोई अंतर नहीं रह जाता। आज प्रत्येक मानुष ‘स्व’ की परिधि में जी रहा है उसे ‘पर’ की कोई चिंता नहीं जहाँ भी जिसका दांव लगता है, हाथ मार लेता है।

भ्रष्टाचार के मूल में शासन तंत्र बहुत हद तक उत्तरदायी है। ऊपर से निचे तक जब सभी भ्रष्टाचारी हों, तो भला कोई ईमानदार कैसे हो सकता है। जिसका दायित्व भ्रष्टाचार के विरुद्ध शिकायत सुनना है या जिनकी नियुक्ति उन्मूलन के लिए की गई है, अगर वही भ्रष्टाचारी बन जाएँ, तो फिर भ्रष्टाचार कैसे मिट पायेगा।

आज भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हैं कि कोई भी अपराधी रिश्वत देकर छूट जाता तथा निर्दोष को सजा भी हो सकती है। लोगों में न तो कानून का भय है और न ही सामाजिक दायित्व की भावना। भ्रष्टाचार की प्रवाह ऊपर से निचे की और बहता है। जब देश के बड़े – बड़े नेता ही धोटालों में लिप्त हों, तो निचे क्या होगा। आश्चर्य की बात तो यह है कि आज तक किसी भ्रष्ट नेता या मंत्री को सजा नहीं मिली। विश्व के दुसरे देशों में ऐसी स्थिति नहीं है। वहाँ के लोग भ्रष्टाचारी नेता को सहन नहीं कर पाते। अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन को एक घोटाले के कारण ही हार का सामना करना पड़ा था। भारत की इस स्थिति को देखकर हमें एक शायर का शेर याद आता है।

“बरबाद चमन को करने को बस एक ही उल्लू काफी था हर शाख पे उल्लू बेठा था अंजामें गुलिस्तां क्या होगा?”

जिस देश में हर क्षेत्र में भ्रष्टाचारी विद्दमान हों, उसका क्या अंजाम होगा, सोच पाना भी कठिन है। व्यापारी लोग मिलावटी सामान बेचते हैं, सिंथेटिक दूध बाजार में बेचा जा रहा है, नकली दवाओं की भरमार है, फलों और सब्जियों को भी रासायनिक पदार्थों द्वारा आकर्षित बनाकर बेचा जाता हैं, चाहे इससे लोगों की जान ही क्यों न चली जाए। कर – चोरी आम बात हो गई है, तस्करी का समान खुलेआम बिकता दिखाई देता है। कोई भी अपराध हो जाए, भ्रष्टाचारी रिश्वत देकर छूट जाता है। अनेकों बार तो उच्च अधिकारियों के सरंक्षण में ही भ्रष्टाचार पनपता है। अधिकारियों की जेबें भरने के बाद किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होती। पिछले दिनों तहलका कांड में कई नेताओं की रिश्वत लेते दिखाया, पर क्या हुआ देश में इतने घोटाले हुए किसी को भी सजा नहीं मिली देश में ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ तथा ‘बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपया’ वाली कहावतें चरितार्थ हो रही हैं।

भ्रष्टाचार को किस प्रकार दूर किया जाए यह गंभीर प्रशन है। इसके लिए स्वच्छ प्रशासन तथा नियमों का कड़ाई से पालन आवयश्क है। यदि पचास – सौ भ्रष्टाचारियों को कड़ी सजा मिल जाए, तो इससे भयभीत होकर अन्य लोग भी भ्रष्ट आचरण करते समय भयभीत रहेंगे। भ्रष्टाचार की समाप्ति के लिए युवा पीढ़ी को आगे आना होगा और एक भ्रष्टाचारमुक्त समाज का निर्माण करने के लिए कृतसंकल्प होना पड़ेगा।

About evirtualguru_ajaygour

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

commentscomments

' src=

Thanks…

' src=

Very good language. Helpfully for students… Thankyou…

' src=

Thanks sir very good and simple language

' src=

Nice one… Thanks

' src=

Very good essay sir. Thanks

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Links

bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

Popular Tags

Visitors question & answer.

  • Simple on English Essay on “The Blessings of Science” complete Paragraph and Speech for School, College Students, essay for Class 8, 9, 10, 12 and Graduation Classes.
  • Jayprakash on Hindi Essay on “Aitihasik Sthal ki Yatra” , ”ऐतिहासिक स्थल की यात्रा” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
  • Diksha on Official Letter Example “Write a letter to Superintendent of Police for theft of your bicycle. ” Complete Official Letter for all classes.
  • Anchal Sharma on Write a letter to the Postmaster complaining against the Postman of your locality.
  • rrrr on Hindi Essay on “Pratahkal ki Sair” , ”प्रातःकाल की सैर ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

Download Our Educational Android Apps

Get it on Google Play

Latest Desk

  • Write a letter of reply to the following advertisement in a newspaper. Indicate to which post, you are applying. Include your bio-data.
  • Write a letter to the editor of a newspaper complaining of frequent failure of power supply in your locality.
  • Write a letter to the Commissioner of Police complaining about the increasing thefts in your locality and seeking adequate relief.
  • Write a letter in not more than 200 words to a national daily about the neglect of priceless historical monuments in and around your city
  • Wither Indian Democracy?-English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11 and 12 Students.
  • Do Not Put Off till Tomorrow What You Can Do Today, Complete English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11, 12, Graduation and Competitive Examination.
  • Shabd Shakti Ki Paribhasha aur Udahran | शब्द शक्ति की परिभाषा और उदाहरण
  • Shabd Gun Ki Paribhasha aur Udahran | शब्द गुण की परिभाषा और उदाहरण
  • Write a letter to be sent to an important regular guest of your hotel trying to regain his confidence.

Vocational Edu.

  • English Shorthand Dictation “East and Dwellings” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines.
  • English Shorthand Dictation “Haryana General Sales Tax Act” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • English Shorthand Dictation “Deal with Export of Goods” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • English Shorthand Dictation “Interpreting a State Law” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.

IMAGES

  1. Bhrashtachar mukt bharat vikas nibandh |Corruption free India for a Developed Nation Essay in Hindi

    bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

  2. भ्रष्टाचार निबंध 600 शब्दों तक Bhrashtachar Essay In Hindi

    bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

  3. hindi essay on Bhrashtachar mukt bharat Archives » हिंदी निबंध, Nibandh

    bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

  4. Bhrashtachar Mukt Bharat Viksit Bharat Speech| शायरी के साथ नया भाषण

    bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

  5. भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध

    bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

  6. भ्रष्टाचार मुक्त भारत निबंध| essay on bhrashtachar mukt bharat

    bhrashtachar mukt bharat essay in hindi 600 words

VIDEO

  1. pledge taken on Bhrashtachar Mukt Bharat/ JnKUT #Bharat #hsskandhote

  2. bharat durdasha kavita by bhartendu harishchandra। भारत दुर्दशा hindi m.i.l part-1। ba part-1 M.I.L

  3. मराठी भाषा संवर्धन निबंध

  4. Bharastachar mukt bharat par nibandh

  5. Rahul Gandhi ka Desh ka intezar hai bhrashtachar mukt Desh Rahul 2024 #sortvideo trending video

  6. लाखो की संख्या में श्रद्धालुओं ने भौरेसुर स्थित कल्याणगिरी बाबा के किये दर्शन

COMMENTS

  1. भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध (Corruption Free India Essay in Hindi)

    भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध (300 - 400 शब्द) - Essay on Corruption Free India in Hindi. प्रस्तावना. हमारा देश, भारत, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक ...

  2. भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)

    भ्रष्टाचार पर निबंध (100 - 200 शब्द) - Bhrashtachar par Nibandh. "भ्रष्टाचार" एक ऐसी समस्या है जो हमारे समाज को गंभीर रूप में प्रभावित कर रही है। यह एक ऐसी ...

  3. भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध

    भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए कुछ सुझाव: सरकार को मजबूत कानून और संस्थानों का निर्माण करना चाहिए जो भ्रष्टाचार को रोकने और दंडित करने में सक्षम ...

  4. Essay on corruption free india in hindi, article, paragraph: भ्रष्टाचार

    भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध, essay on corruption free india in hindi (200 शब्द) मैं भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देखता हूं। एक ऐसी जगह जहां हर कोई कड़ी ...

  5. Bhrashtachar Mukt Bharat Viksit Bharat Essay| 600 words

    This Bhrashtachar Mukt Bharat Viksit Bharat hindi nibandh is easy to write. The level of this is medium so any students can make these on CBSE CVC Essay Competition 2022. These Corruption Free India for a Developed Nation essay is generally useful for class 1,2,3, 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, and class 10, 11 and class 12th.

  6. Bhrashtachar Mukt Bharat Par Nibandh

    भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध. Bhrashtachar Mukt Bharat Par Nibandh: देश में भ्रष्टाचार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। देश में भ्रष्टाचार बहुत ख़राब है ...

  7. भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)

    भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi) - भ्रष्टाचार हमारे देश की सबसे प्रमुख समस्या है। भारत में भ्रष्टाचार विषय पर लिखे इस निबंध से समस्या को जानने और समझने ...

  8. Bhrashtachar par Nibandh : छात्रों के लिए भ्रष्टाचार पर हिंदी में निबंध

    Bhrashtachar par Nibandh: भ्रष्टाचार रोकने के तरीके पर निबंध. भ्रष्टाचार रोकने का एक महत्वपूर्ण तरीका सरकारी नौकरी में बेहतर वेतन देना है। कई ...

  9. भ्रष्टाचार पर निबंध

    भ्रष्टाचार पर निबंध | Bhrashtachar Essay in Hindi भ्रष्टाचार आज देश के सामने खड़ी सबसे बड़ी समस्या है। इसके लिए हमें शिक्षित होने की जरूरत है। यहाँ हम कक्षा 1 से लेकर 12 तक ...

  10. भ्रष्टाचार पर अनुच्छेद, लेख: paragraph on corruption in hindi, 100

    भ्रष्टाचार पर अनुच्छेद, paragraph on corruption in hindi (100 शब्द) भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जो हमारे देश में सदियों से प्रचलित है। विभिन्न स्तरों पर सत्ता और रिश्वतखोरी ...

  11. भ्रष्टाचार पर निबंध

    भ्रष्टाचार पर निबंध / Bhrashtachar Par Nibandh - 1 (250 शब्दों में) भ्रष्टाचार समाज और देश के लिए एक बड़ी समस्या है, जो न केवल लोगों के विश्वास और प्रगति को प्रभावित करता है ...

  12. Essay on Corruption: भ्रष्टाचार पर हिन्दी में निबंध

    Essay on Corruption: भ्रष्टाचार पर हिन्दी में निबंध. Bhrashtachar Essay. प्रस्तावना : भ्रष्टाचार अर्थात भ्रष्ट+आचार। भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार ...

  13. भ्रष्टाचार पर अनुच्छेद

    भ्रष्टाचार पर अनुच्छेद | Paragraph on Corruption in Hindi! आज के आधुनिक युग में व्यक्ति का जीवन अपने स्वार्थ तक सीमित होकर रह गया है । प्रत्येक कार्य के पीछे स्वार्थ प्रमुख ...

  14. Hindi Essay on "Bhrashtachar

    भ्रष्टाचार : समस्या और समाधान . Bhrashtachar - Samasya aur Samadhan. भ्रष्टाचार शब्द के योग में दो शब्द हैं, भ्रष्ट और आचार । भ्रष्ट का अर्थ है बुरा या बिगड़ा हुआ और आचार का ...

  15. भ्रष्टाचार पर निबंध

    Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi प्रिय विद्यार्थियों आज हम आपके साथ भ्रष्टाचार पर ...

  16. भ्रष्टाचार पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में

    आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं भ्रष्टाचार पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। भ्रष्टाचार पर निबंध की आवश्यकता स्कूल और कॉलेज के छात्रों को

  17. भ्र्ष्टाचार मुक्त समाज पर निबंध » हिंदी निबंध, Nibandh

    भ्र्ष्टाचार मुक्त समाज पर निबंध- Bhrashtachar mukt samaj par nibandh भारत के उन्नति ...

  18. Hindi Essay on "Bhrashtachar

    भ्रष्टाचार- कारण और निवारण . Bhrashtachar - Karan aur Nivaran. भूमिका- आज के भौतिकवादी युग में धन को प्रधान माना जाता है। आज चारों ओर धनवान का बोलवाला है। सम्मान केवल धनवान ...

  19. भ्रष्टाचार पर निबंध (Bhrashtachar / Corruption Essay In Hindi)

    भ्रष्टाचार एक कलंक विषय पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Bhrashtachar In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और ...

  20. भ्रष्टाचार : कारण एवं निवारण

    Updated on July 23, 2022. by Editorial Team. "भ्रष्टाचार का कारण एवं निवारण" नामक निबंध के निबंध लेखन (Nibandh Lekhan) से अन्य सम्बन्धित शीर्षक, अर्थात "भ्रष्टाचार का ...

  21. भ्रष्टाचार पर हिंदी में निबंध

    भ्रष्टाचार पर निबंध - Corruption Essay In Hindi 500 Words. भ्रष्टाचार का मतलब ( Bhrashtachar Ka Matlab ) बेईमानी या किसी प्रकार की आपराधिक गतिविधि होता है। यह एक व्यक्ति ...

  22. भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध for UPSC Students

    भारत में भ्रष्टाचार (Corruption in India) Essay in Hindi for UPSC Students. इस लेख में हम यूपीएससी (UPSC) छात्र के लिए भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध लिखखेगे| भ्रष्टाचार ...

  23. Hindi Essay on "Barat me Bhrashtachar" , "Bhrashtachar", "भारत में

    Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Hindi Essay on "Barat me Bhrashtachar" , "Bhrashtachar", "भारत में भ्रष्टाचार", "भ्रष्टाचार" Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.