Tornado: टॉरनेडो (बवंडर) क्या है? और कैसे उत्पन्न होता है? जाने विशेषताए
टॉरनेडो (Tornado) एक तेज़ हवा का चक्कर होता है जिसे बवंडर भी कहा जाता है यह वायुमंडलीय दबाव और ऊचाई की तेज़ वृष्टि के कारण उत्पन्न होता है। इसका निर्माण बसंत व ग्रीष्मकाल में दोनो मे हो सकता है। जो एक प्रकार की प्राकृतिक आपदा है आपको बता दू जहाँ टॉरनेडो उत्पन्न होते है वहाँ चारों ओर के क्षेत्र बड़े प्रभावित होते है।
टॉरनेडो (बवंडर) क्या है? (Tornado kya hai)
Tornado: टॉरनेडो अत्यंत प्रचंड, विस्फोटक एवं विध्वंसकारी स्थानीय तूफान होते हैं जो कि अल्प समयावधि के लिये सीमित क्षेत्र में आते हैं। इनका ऊपरी भाग छतरीनुमा तथा निचला भाग पाइप के आकार का होता है जिसका धरातल से स्पर्श बना रहता है। ये सभी वायुमंडलीय तूफानों में छोटे आकार के किंतु सर्वाधिक विनाशकारी प्रभाव वाले होते हैं तथा इनका ऊपरी भाग कपासी वर्षा मेघों से आच्छादित रहता है।
टॉरनेडो उत्पत्ति की दशाएँ : टॉरनेडो की उत्पत्ति एवं विकास हेतु निम्नलिखित आदर्श दशाएँ होनी चाहिए
- धरातलीय सतह से ऊपर वायु का अपसरण
- धरातलीय सतह के निकट वायु का तीव्र अभिसरण
- वायु का लंबवत् संचलन
- ऊँचाई के साथ तापमान में तेजी से परिवर्तन
- सतह पर चक्रवात जनन की दशा आदि।
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टॉरनेडो कैसे बनता है? (Tornado Kaise Banata hai)
बवंडर कैसे बनता है? : सामान्यतः टॉरनेडो का निर्माण बसंत व ग्रीष्मकाल में होता है। जब ग्रीष्मकाल में धरातलीय सतह पर संवहनीय क्रिया के फलस्वरूप अत्यंत न्यून वायुदाब का केंद्र बन जाता है तब चारों तरफ के उच्च वायुदाब वाले क्षेत्रों से वायु निम्न दाब केंद्र की ओर अग्रसर होती है। चूंकि केंद्र तथा बाहय भाग के मध्य दाब प्रवणता अत्यधिक होती है जिस कारण इन हवाओं का वेग भी बहुत अधिक होता है। ये तीव्र वेगमयी हवाएँ तूफान भंवर (Vortex of storm) में फंसकर घूर्णन करते हुए तेजी से ऊपर उठती है जिससे कीप सदृश आकार वाले टॉरनेडो का निर्माण हो जाता है।
इसी प्रकार जब ये घूर्णित वेगमयी हवाएँ और अधिक ऊपर पहुँचती हैं तो रुध्दोष्म (Adiabatic) ताप पतन दर से ठंडी होने लगती हैं और कपासी बादल एवं तड़ित झंझा का निर्माण व विकास करती हैं। ये उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त व दक्षिण गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त होते हैं। ऐसा कोरिओलिस बल के कारण होता है।
टॉरनेडो की विशेषताएँ (Characteristics of Tornado in Hindi)
- टॉरनेडो (Tornado) प्रचंड वेगयुक्त घूर्णित वायु के तंत्र होते हैं, जिनमें ऊपरी वायु धरातलीय सतह की वायु को तीव्र गति से अपनी ओर खींचती है, जिससे इस ऊर्ध्व संचरित वायु के प्रभावस्वरूप संवहनीय अस्थिरता उत्पन्न हो जाती है।
- सामान्यतः इनके केंद्र में अत्यंत न्यून वायुदाब होता है जबकि बाहरी भाग में सापेक्षिक रूप से अधिक (लगभग 100 mb का अंतर)।
- टॉरनेडो के केंद्र व परिधीय भाग के मध्य अत्यधिक दाव प्रवणता के परिणामतः तीव्र वेगमयी वायु परिधि से केंद्रीय भाग की ओर संचरित होती है, जिसका वेग 400 से 800 किमी./घंटा तक प्राप्त होता है।
- टॉरनेडो का संबंध सदैव तड़ित झंझा से होता है क्योंकि इनमें केंद्र की ओर प्रवाहित तीव्र वेगयुक्त हवाएँ तूफान के भँवर (Vertex of Storm) में फँसने के कारण वायु तेजी से ऊपर की ओर ढकेल दी जाती हैं जो शुष्क एडियाबेटिक दर से ठंडी होकर तड़ित झंझा (Thunderstorm) का निर्माण करती हैं।
- टॉरनेडो के गमन करने की दिशा, मार्ग एवं गति निश्चित नहीं होती हैं। ये कभी 40-100 कि.मी./घंटा की दर से संकीर्ण मार्ग पर आगे बढ़ते हैं। टॉरनेडो कई बार शून्य गति के कारण स्थान विशेष पर स्थायी हो जाते हैं।
- इनके विशाल व लंबे समय वाले तूफान को सुपरसेल कहते हैं।
- इनका जीवनकाल अल्पावधिक (सामान्यतः 15-20 मिनट) होता है।
- टॉरनेडो के साथ धूल, रेत, राख, मलबा आदि की प्रचुरता होने के कारण इनका रंग अत्यंत भूरा व काला होता है।
- इनके आगमन से पूर्व आकाश में गहन मेघाच्छादन हो जाता है जिससे दृश्यता घट जाती है।
टॉरनेडो का विश्व-वितरण (World Distribution of Tarnado)
- टॉरनेडो (Tornado) का विकास ध्रुवीय क्षेत्रों को छोड़कर विश्व के किसी भी भाग में हो सकता है। सामान्य तौर पर ये मध्य अक्षांशों में उत्पन्न होते हैं।
- ये 20°N/S-60°N/S के बीच महाद्वीपों पर सामान्यतः ज्यादा देखे जाते हैं।
- टॉरनेडो का सर्वप्रमुख जनन क्षेत्र संयुक्त राज्य अमेरिका है जहाँ रॉकी पर्वत के पूर्व में एवं महान झील प्रदेश में अप्रैल से सितंबर तक इनके निर्माण की सर्वाधिक उपयुक्त दशाएँ पाई जाती हैं।
- यू.एस.ए. के अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया, यू.के. जर्मनी, फ्राँस, भारत आदि में भी टॉरनेडो आते हैं। भारत में इन्हें ‘बवंडर’ कहा जाता है। जब टॉरनेडो समूह में चलते हैं तो उसे यू.एस.ए. में ‘टॉरनेडो परिवार’ कहते हैं।
- नोटः इसके फुजिता स्केल (एफ. स्केल) से मापा जाता है। इनके बारे में जानकारी के लिये उपग्रह सेंसर, डाप्लर सिद्धांत व रडार तकनीकी, मौसमी गुब्बारा और कंप्यूटर मॉडलिंग का प्रयोग किया जाता है।
वर्ष 2023 में टॉरनेडो से प्रभावित क्षेत्र
- अमेरिका के लिटिल रॉक अरकंसास और पड़ोसी शहरों में 31 मार्च, 2023 को एक भयंकर टॉरनेडो आया जिसमें कई लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए, वहीं बंवडर से कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं।
- हाल ही में 15 जून, 2023 को अमेरिका (USA) में आए टॉरनेडो चक्रवात ने कोहराम मचा दिया। टॉरनेडो के कारण वहाँ बहुत-से घर-मकान तहस-नहस हो गए, बिजली के खंभे व वृक्ष टूटकर गिर गए, गाड़ियाँ उड़कर अन्यत्र पहुँच गईं। टॉरनेडो ने ओकलाहोमा और टेक्सास राज्यों में बड़ी क्षति पहुँचाई। इसमें 3 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए।
- अमेरिका के दक्षिण-पूर्वी राज्य मिसीसिपी में 24 मार्च, 2023 को आए विनाशकारी टॉरनेडो ने जमकर तबाही मचाई, जिससे जान-माल दोनों की क्षति हुई। इसके दौरान लगभग 23 लोगों की मौत हो गई, कई दर्जन लोग घायल हो गए, 4 से अधिक लोग लापता हो गए और कई इमारतें ढह गईं। इसके अलावा भयंकर तूफान के चलते 1 लाख से अधिक घरों में बत्ती गुल हो गई थी।
- मिसीसिपी आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी के मुताबिक टॉरनेडो की रफ्तार 160 किमी. प्रति घंटे से अधिक थी। मिसीसिपी के अलावा इसका प्रभाव अलबामा और टेनेसी राज्यों में भी देखा गया।
टॉरनेडो के कुछ सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलते है जैसे बीज फैलाव- ये बीज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक फैलाते हैं जिससे पौधों में विविधीकरण को बढ़ावा मिलता है। टॉरनेडो के कुछ सकारात्मक प्रभाव Tweet
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प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi
इस अनुच्छेद में हमने प्राकृतिक आपदा पर निबंध (Essay on Natural Disasters in Hindi) हिन्दी में लिखा है। इसमें हमने आपदा के कारण, प्रकार, प्रभाव और प्रबंधन के विषय में पूरी जानकारी दी है। इस निबंध में हमने सभी प्रकार के आपदाओं के विषय में 3000 शब्दों में पूरी जानकारी दी है।
सबसे पहले हम आपको बताते हैं प्राकृतिक आपदा क्या है? तो चलिए शुरू करते हैं – प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi
Table of Content
प्राकृतिक आपदा क्या है? What is Natural Disaster in Hindi?
ऐसी कोई भी प्राकृतिक घटना जिससे मनुष्य के जीवन या सामग्री को हानि पहुंचे प्राकृतिक आपदा कहलाता है। सदियों से प्राकृतिक आपदायें मनुष्य के अस्तित्व के लिए चुनौती रही है।
जंगलो में आग, बाढ़, हिमस्खलन, भूस्खलन, भूकम्प, ज्वालामुखी, सुनामी, चक्रवाती तूफ़ान, बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदायें बार-बार मनुष्य को चेतावनी देती है। वर्तमान में हम प्राकृतिक संसाधनो का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है।
ये मनुष्य के मनमानी का ही नतीजा है। इन आपदाओं को ‘ईश्वर का प्रकोप या गुस्सा ‘ भी कहा जाता है। आज मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए वनों, जंगलो, मैदानों, पहाड़ो, खनिज पदार्थो का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। उसी के परिणाम स्वरुप प्राकृतिक आपदायें दिन ब दिन बढ़ने लगी है।
हमे सावधानीपूर्वक प्राकृतिक संसाधनो का इस्तेमाल करना चाहिये। ऐसी आपदाओं के कारण भारी मात्रा में जान-माल की हानि होती है।
अगर हम भारत और आस पास के कुछ बड़े प्राकृतिक आपदाओं की बात ही करें तो –
- 1999 में ओड़िसा में महाचक्रवात आया जिसमे 10 हजार से अधिक लोग मारे गये।
- 2001 का गुजरात भूकंप कोई नही भूल सकता है। इसमें 20 हजार से अधिक लोग मारे गये। यह भूकंप 26 जनवरी 2001 में आया था। इसमें अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, गांधीनगर, कच्छ, जामनगर जैसे जिले पूरी तरह नष्ट हो गये।
- 2004 में हिन्द महासागर में सुनामी आ गयी। इसमें अंडमान निकोबार द्वीप समूह, श्रीलंका, इंडोनेशिया, दक्षिण भारत प्रभावित हुए। इसमें 2 लाख से अधिक लोगो की जान चली गयी।
- 2014 में जम्मू कश्मीर में भीषण बाढ़ आई जिसमे 500 से अधिक लोग मारे गये।
प्राकृतिक आपदाओं के कई प्रकार हैं –
- जंगलो में आग
- बाढ़ और मूसलाधार बारिश
- बिजली गिरना,
- सूखा (अकाल)
- हिमस्खलन, भूखलन
- चक्रवाती तूफ़ान
- बादल फटना (क्लाउड बर्स्ट)
इस तरह की आपदायें कुछ समय के लिए आती है पर बड़ी मात्रा में नुकसान करती है। सभी मकानों, परिसरों, शहरो को नष्ट कर देती है और बड़ी मात्रा में जान-माल का नुकसान होता है। हर कोई इनके सामने बौना साबित होता है। निचे हमने इन सभी प्राकृतिक आपदाओं के विषय में विस्तार में बताया है।
प्राकृतिक आपदाओं का पर्यावरण पर प्रभाव Effect of Natural Disaster on Environment in Hindi
प्राकृतिक आपदा अपने साथ बहुत सारा विनाश लेकर आती है। इससे धन-जन का भारी नुकसान होता है। मकान, घर, इमारते, पुल, सड़के टूट जाती है। करोड़ो रुपये का नुकसान हो जाता है।
रेल, सड़क, हवाईमार्ग बाधित हो जाता है। वन्य जीव नष्ट हो जाते है, वातावरण प्रदूषित हो जाता है। वन नष्ट हो जाते है, परिस्तिथिकी तंत्र को नुकसान पहुचता है। जिस शहर, देश में भूकंप, बाढ़, सुनामी, तूफ़ान, भूस्खलन जैसी आपदा आती है वहां पर सब कुछ नष्ट हो जाता है।
लाखो लोग बेघर हो जाते हैं। फोन सम्पर्क टूट जाता है। जलवायु परिवर्तित हो जाती है। लाखो लोग अचानक से काल के गाल में समा जाते हैं। प्राकृतिक आपदा हमेशा अपने पीछे भयंकर विनाश छोड़ जाती है। शहर को दोबारा बनाने में फिर से संघर्ष करना पड़ता है।
करोड़ो रुपये फिर से खर्च करने पड़ते है। बाढ़, मूसलाधार बारिश, ओलावृष्टि जैसी आपदा सभी फसलों को नष्ट कर देती है जिससे देश में अनाज की कमी हो जाती है। लोग भुखमरी का शिकार हो जाते हैं। सूखा, महामारी जैसी प्राकृतिक आपदा आने से पूरे प्रदेश में बीमारी फ़ैल जाती है जिससे हजारो लोग मौत का शिकार बन जाते हैं।
1992-93 में इथोपिया में भयंकर सूखा पड़ा जिसमे 30 लाख से अधिक लोगो की मृत्यु हो गयी। आज भी हर साल हमारे देश में राजस्थान, गुजरात, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, मध्यप्रदेश में सूखा पड़ता रहता है।
प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार और उनका आपदा प्रबंधन Types of Natural Disasters in Hindi with Management
अब आईये आपको हम एक-एक करके विस्तार में सभी प्राकृतिक आपदा के प्रकार और प्रबंधन के विषय में बताते हैं-
1. भूकंप किसे कहते हैं? What is Earthquake in Hindi? (पढ़ें: भूकंप की पूरी जानकारी )
पृथ्वी की सतह के अचानक हिलने को भूकंप या भूचाल कहते है। इसमें धरती में दरारें पड़ जाती है और तेज झटके लगते है। भूकंप आने से घर, मकान, इमारतें, पुल, सड़के सब टूट जाते है। इमारतों में दबने से हजारो लाखो लोगो की मौत हो जाती है।
पृथ्वी के अंदर की प्लेटो में हलचल और टकराने की वजह से भूकंप आते है। 26 जनवरी 2001 में गुजरात में विनाशकारी भूकंप आया था। इसमें 20000 से अधिक लोगो की जान चली गयी थी। अप्रैल 2015 में नेपाल में विनाशकारी भूकंप आया था जिसमे 8000 से अधिक लोग मारे गये। 2000 से अधिक लोग घायल हुए।
भूकंप प्रबंधन Earthquake management in Hindi
- भूकंप आने पर इमारत, बिल्डिंग, मकान, ऑफिस से फ़ौरन बाहर खुले में आ जायें।
- किसी भी इमारत के पास न खड़े हों।
- किसी मेज के नीचे छिप जायें।
- भूकंप के समय लिफ्ट का प्रयोग न करें। सीढ़ियों से नीचे उतरें।
- जब तक भूकंप के झटके लगते रहे बाहर खुले स्थान में बैठे रहे।
- अगर कार मे है तो किसी खुली जगह पर कार पार्क कर दें। कार से बाहर निकल आयें।
2. बिजली गिरना क्या है? What is Lightening in Hindi?
बिजली बारिश के मौसम में आसमान से जमीन पर गिरती है। हर साल विश्व में 24000 लोग आसमानी बिजली गिरने से मौत के शिकार हो जाते है। आसमान में विपरीत दिशा में जाते हुए बादल जब आपस में टकराते है तो घर्षण पैदा होता है।
इससे ही बिजली पैदा होती है जो जमीन पर गिरती है। चूँकि आसमान में किसी तरह का कोई कंडक्टर नही होता है इसलिए बिजली कंडक्टर की तलाश करते करते जमीन पर पहुच जाती है। बारिश के मौसम में बिजली के खम्भों के पास नही खड़े होना चाहिये। मूसलाधार बारिश होने पर बिजली गिरना आम बात है। हर साल सैकड़ो लोग बिजली गिरने से मर जाते है।
बिजली गिरने पर प्रबंधन Lightening Management in Hindi
- जब भी मौसम खराब हो, आसमान में बिजली चमक रही हो कभी भी किसी पेड़ के नीचे न खड़े हो और कम से कम 5-6 मीटर दूर रहें। बिजली के खम्बो से दूर रहे।
- धातु की वस्तुओं से दुरी बनाये रहे। बिजली के उपकरणों से दूर रहे। मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें।
- पहाड़ी की चोटी पर खड़े न हो।
- पानी में न नहाये। ऐसा करके आप बिजली से बच सकते हैं।
- बिजली गिरते समय अगर आपके आस पास कोई छुपने की जगह ना हो तो किसी गड्ढे जैसी जगह पर घुस कर चुप जाएँ या सर को नीचे करके, घुटनों को मोड़कर पंजों के सहारे नीचे बैठ जाएँ, और अपने दोनों पैर के एडियों को जोड़ें और कानों को उन्ग्लिओं से बंद कर दें।
3. सुनामी किसे कहते हैं? What is Tsunami in Hindi? (पढ़ें: सुनामी की पूरी जानकारी )
सुनामी की परिभाषा है “बन्दरगाह की तरंगे” समुद्र तल में हलचल, भूकंप, दरार, विस्थापन, प्लेट्स हिलने के कारण सुनामी की बेहद खतरनाक तरंगे उत्पन्न होती है। इस लहरों की गति 400 किमी/ घंटा तक हो सकती है। लहरों की उंचाई 15 मीटर से भी अधिक हो सकती है। सुनामी के कारण भारी धन-जन हानि होती है।
आसपास के क्षेत्रो, समुद्रतट, बंदरगाह, मानव बस्तियों को ये नष्ट कर देती है। 26 दिसम्बर 2004 को हिन्द महासागर में सुनामी आने से 11 देशो में 2.8 लाख लोग मारे गये। 10 लाख से अधिक लोग बेघर हो गये। करोड़ो रुपये का नुकसान हुआ। इस सुनामी में भारत का दक्षिणी छोर “इंदिरा पॉइंट” नष्ट हो गया।
सुनामी पर प्रबंधन Tsunami Disaster Management in Hindi
- सुनामी से बचाव के लिए एक जीवन रक्षा किट बना लें। इसमें खाना, पानी, फोन, दवाइयां, प्राथमिक उपचार किट रखे।
- सुनामी आने से पहले अपने स्थान से बाहर निकलने की ड्रिल एक दो बार कर लें। आपके पास एक अच्छा रास्ता होना चाहिये जिससे आप फ़ौरन उस स्थान से सुरक्षित स्थान पर जा सकें।
- आपके पास शहर का एक नक्शा होना चाहिये क्यूंकि सुनामी आने पर हजारो की संख्या में लोग शहर से बाहर जाने लगते है।
- सरकारी चेतावनी, मौसम विभाग की चेतावनी को आप ध्यानपूर्वक सुनते रहे। जादातर सुनामी भूकंप के बाद आती है।
- यदि पशु अजीब व्यवहार करे, पक्षी स्थान छोड़कर जाने लगे तो ये सुनामी का संकेत हो सकता है।
- सुनामी आने से पहले समुद्र का पानी कई मीटर पीछे चला जाता है, इस बात पर भी ध्यान देना बहुत आवश्यक है।
- सुनामी से बचने के लिए समुद्र तट से दूर किसी स्थान पर चले जाएँ।
4. बाढ़ किसे कहते है? What is Flood in Hindi? (पढ़ें: बाढ़ की पूरी जानकारी )
किसी स्थान पर जब अचानक से ढेर सारी बारिश हो जाती है तो पानी जगह जगह भर जाता है। ऐसी स्तिथि में सड़के, रास्ते, खेत, नदी, नाले सभी भर जाते है। जीवन अवरुद्ध हो जाता है। इसी स्तिथि को बाढ़ कहते है। बारिश का यह पानी बहता रहता है।
बाढ़ आने पर निचले भागो में रहने वाले लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हो जाते है। फसलों को बहुत नुकसान होता है। अधिक बाढ़ आ जाने से पशु-पक्षी पानी में डूबकर मर जाते है। लोगो का जीना मुश्किल हो जाता है। 2005 में मुंबई में भयानक बाढ़ आ गयी जिसमे 5000 लोग मारे गये। इसमें मुंबई शहर को पूरी तरह से रोक दिया था।
बाढ़ आपदा प्रबंधन Flood Disaster Management in Hindi
- बाढ़ से बचने के लिए किसी ऊँची सुरक्षित जगह पर चले जाना चाहिये जहाँ पानी न हो।
- अपने साथ में खाने-पीने का जरूरी सामान, दवाइयां, टोर्च, पीने का पानी, रस्सी, चाक़ू, फोन जैसा जरूरी सामान ले लें।
- बाढ़ में घर का बिजली का मेंन स्विच बंद कर दें।
- घर की कीमती वस्तुएं, कीमती कागजात को उपर वाली मंजिल में रख दें।
- बहते बाढ़ के पानी में न चले। इससे आप बह सकते हैं।
- गिरे हुए बिजली के तार से दूर रहे। आपको करेंट लग सकता है।
5. चक्रवाती तूफान क्या है? What is Cyclone in Hindi? (पढ़ें: चक्रवात )
हमारे देश में चक्रवात प्रायः बंगाल की खाड़ी में आते हैं। ये समुद्र की सतह पर निम्न वायु दाब के कारण उत्पन्न होते है। तेज हवायें बारिश के साथ गोलाकार रूप में दौड़ती है जो समुद्रतट पर जाकर भयंकर विनाश करती है।
यह रफ्तार के अनुसार श्रेणी 1 से लेकर श्रेणी 5 तक होते है। इनकी गति 280 किमी/ घंटा से अधिक हो सकती है। देश में 1839 में कोरिंगा चक्रवात आया था जिसमे 20000 से अधिक लोगो की मौत हो गयी। 1999 में ओड़िसा में 05B नाम का चक्रवात आया था जिसमे 15000 से अधिक लोग मारे गये थे।
चक्रवाती तूफान प्रबंधन Cyclone Disaster Management in Hindi
- आंधी, तूफ़ान, चक्रवातीय तूफ़ान आने पर घर में ही रहना चाहिये। घर से बाहर नही निकलना चाहिये।
- सभी खिड़की दरवाजे बंद कर लेना चाहिये। पक्के मकान में ही रहना चाहिये।
- आंधी-तूफ़ान आने पर बिजली चली जाती है। इसलिए अपने पास बैटरी, टोर्च, ईधन, फोन, लालटेन, माचिस, खाना, पीने का पानी पहले से रखे।
- प्राथमिक उपचार किट भी अपने पास रखे। स्थानीय रेडियो का प्रसारण सुनते रहे।
6. अकाल या सूखा पड़ना क्या है? What is Drought in Hindi?
सूखा में किसी स्थान पर कई महीनो, सालों तक कोई वर्षा नही होती है, जिसके कारण भूजल का स्तर गिर जाता है। इससे कृषि बुरी तरह प्रभावित होती है। पालतु पशुओ, पक्षियों, मनुष्यों के लिए पेयजल का संकट हो जाता है जिसके कारण पशु, जानवर, मनुष्य मर जाते है। सूखा के कारण कुपोषण, भुखमरी, महामारी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती है।
सूखा के कारण उस स्थान पर किसी फसल की खेती नही हो पाती है। यह 3 प्रकार का होता है- मौसमीय सूखा, जलीय सूखा, कृषि सम्बन्धी सूखा। कई महीनों तक वर्षा नही होने से, भूजल का अत्यधिक दोहन, वनों की कटाई, जल चक्र का नष्ट होना, पहाड़ियों पर अत्यधिक खनन पेड़ो की अत्यधिक कटान ये सब कारण सूखा पड़ने के लिए उत्तरदाई है।
सूखे से निपटने के उपाय Drought solutions in Hindi
- सूखे की समस्या से निपटने के लिए वर्षा के जल का संरक्षण टैंको और प्राकृतिक जलाशयों में करना चाहिये।
- सागर जल अलवणीकरण किया जाना चाहिए जिससे समुद्र के जल को सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा सके।
- अशुद्ध जल को पुनः शुद्ध करना चाहिये। अपशिष्ट जल का प्रयोग घर की सफाई, सब्जियाँ धोने, बगीचे को पानी देने, कार, वाहन सफाई में कर सकते है।
- बादलो की सीडिंग करके अधिक वर्षा प्राप्त की जा सकती है।
- सूखा की समस्या से बचने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिये।
- जिन क्षेत्रो में सूखा की समस्या रहती है वहां लोगो को सीमित मात्रा में पानी इस्तेमाल करना चाहिये।
- ऐसे क्षेत्रो में अधिक पानी का दोहन करने वाली फैक्ट्री, उद्योगों को बंद करना चाहिये।
7. जंगल में आग लगना What is Wildfire in Hindi?
गर्मियों के मौसम में अक्सर जंगलो में आग लग जाती है। इसके पीछे मानवीय और प्राकृतिक कारण जिम्मेदार होते हैं। कई बार मजदूर घास, पत्तियों में आग लगाकर छोड़ देते है जिससे आग पूरे जंगल में फ़ैल जाती है।
कई बार सूरज की गर्म किरणों से सूखी पत्तियों में आग लग जाती है। उतराखंड राज्य में चीड़ के जंगलो में अक्सर आग लगती रहती है।
जंगल में आग लगने पर प्रबंधन Management in Wildfire in Hindi
- जंगल में आग लगने पर वन विभाग के कर्मचारियों को तुरंत सूचित करना चाहिये।
- जंगल की आग बुझाना अत्यंत कठिन काम है। इसे अधिक स्टाफ और आधुनिक उपकरणों की सहायता से बुझाया जा सकता है।
- हेलीकाप्टर के जरिये पानी का छिड़काव करके जंगल की आग बुझाई जा सकती है।
- जंगल में आग लगने पर फौरन पुलिस को फोन करना चाहिये।
- हानिकारक धुवें से बचने के लिए अपने मुंह पर कपड़ा बाँध लेना चाहिये।
- किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाना चाहिये।
- जंगल के किनारे स्तिथ घर को खाली कर देना चाहिये। फायर फाइटर को फोन करना चाहिये।
8. हिमस्खलन किसे कहते हैं? What is Avalanche in Hindi?
पहाड़ो पर हिम (बर्फ), मलवा, चट्टान, पेड़ पौधे आदि के अचानक खिसकने की घटना को हिमस्खलन कहते हैं। बर्फ से ढके पहाड़ो पर इस तरह की प्राकृतिक आपदा जादा होती है। यह बहुत विनाशकारी होता है। अपने मार्ग में आने पर घर, मकानों, पेड़ पौधों को तोड़ देता है।
इसमें दबकर हर साल हजारो लोगो की जान चली जाती है। यह सड़को, पुलों, राजमार्गो को तबाह कर देता है। पहाड़ो को काटकर सड़के बनाना, मानवीय कार्य, लगातार बारिश, भूकंप, जमीन में कम्पन, अधिक बर्फबारी, डेल्टा में अधिक अवसाद का जमा होना- ये सभी कारणों की वजह से हिमस्खलन होता है।
हिमस्कलन पर आपदा प्रबंधन Disaster Management in Avalanche in Hindi
- हिमस्खलन में गिरने वाले बर्फ को रोकने के लिए लोहे के तारो का जाल बनाकर पहाड़ो पर सड़कों की सुरक्षा की जा सकती है।
- सोफ्टवेयर द्वारा पहाड़ी जगहों में ऐसे स्थानों का पता लगा सकते हैं जहाँ हिमस्खलन आ सकता है।
- पहाड़ो पर अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, ढलानों को काटकर चबूतरा बनाकर, मजबूर दीवार बनाकर हिमस्खलन को रोका जा सकता है।
9. भूस्खलन किसे कहते हैं? What is Landslide in Hindi?
यह प्राकृतिक आपदा भूवैज्ञानिक घटना है। भूस्खलन के अंतर्गत पहाड़ी, पत्थर, चट्टान, जमीन खिसकना, ढहना, गिरना, मिटटी बहना जैसी घटनाये होती है। यह छोटी से बड़ी मात्रा में हो सकता है। छोटे भूस्खलन में छोटे-छोटे पत्थर नीचे की तरफ गिरते है।
बड़े भूस्खलन में पूरी की पूरी पहाड़ी ही नीचे गिर जाती है। इससे जान-मान, धन-जन की हानि होती है। यह भारी बारिश, भूकंप, धरातलीय हलचल, मानवीय कार्यों जैसे पहाड़ो पर पेड़ो की कटाई, चट्टानों को काटकर सड़क, घर बनाने, पानी के पाइपों में रिसाव से होता है।
भूस्खलन होने पर प्रबंधन Disaster Management for Landslide in Hindi
- भूस्खलन होने पर फ़ौरन उस स्थान से निकल जाना चाहिये।
- अपने साथ में एक सेफ्टी किट रखनी चाहिये जिसमे जरूरी सामान, फर्स्ट ऐड बोक्स, पीने का पानी हो।
- रेडिओ, टीवी पर मौसम की जानकारी लेते रहे।
- अगर आपका घर भूस्खलन के क्षेत्र में है तो जादा से जादा पेड़ चारो तरफ लगाइये। पेड़ पहाड़ो को बांधे रखते है।
- अपने घर के आस पास की जगह की नियमित जांच करते रहिये।
- जिस स्थान पर उपर से चट्टान गिरने का खतरा हो वहां से दूर रहे।
- हेलिकॉप्टर या बचाव दल का फोन नम्बर हमेशा अपने पास रखे।
10. ज्वालामुखी फटना क्या है? What is Volcano eruption in Hindi?
ज्वालामुखी में पृथ्वी के भीतर से गर्म लावा, राख, गैस का तीव्र विस्फोट होता है। यह प्रकिया धीरे भी हो सकती है और तीव्र भी। यह प्राकृतिक आपदा 3 प्रकार का होता है- सक्रीय ज्वालामुखी, प्रसुप्त ज्वालामुखी, मृत ज्वालामुखी।
इसी वर्ष 2018 में ग्वाटेमाला में ज्वालामुखी विस्फोट होने से 33 लोगो की मौत हो गयी, 20 लोग घायल हुए और 17 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए। ज्वालामुखी का धुआं बहुत ही हानिकारक होता है। विस्फोट होने पर यह 100 किमी से अधिक के दायरे में आकाश में फ़ैल जाता है जिसके कारण हवाई जहाजो की उड़ाने रद्द करनी पड़ती है।
ज्वालामुखी फटने पर आपदा प्रबंधन Disaster management in Volcano eruption in Hindi
- ज्वालामुखी फटने पर फ़ौरन घर का कीमती सामान अपने साथ लेकर सुरक्षित स्थान पर चले जायें।
- अपने पालतु पशुओं को भी साथ ले जायें।
- मौसम विभाग, स्थानीय रेडियो प्रसारण को सुनते रहे जिससे आपको नई जानकारी मिलती रहे।
- स्थानीय मार्गो का एक नक्शा अपने पास रखे।
- साथ में एक जीवन रक्षा किट भी साथ रखे जिसमे दवाइयाँ, टोर्च, पीने का पानी, अन्य सामान हो। अपने मित्रो और परिवार के साथ में रहे (अकेले न रहे)।
- बचाव दल का नम्बर अपने पास रखे।
- ज्वालामुखी राख से अपनी कारो, मशीनों को बचाने के लिए प्लास्टिक के कवर से ढंक दें।
11. महामारी किसे कहते है? What is Epidemic in Hindi?
किसी क्षेत्र विशेष में जब कोई बीमारी बड़े पैमाने पर फ़ैल जाती है तो उसे महामारी कहते हैं। यह संक्रमण के कारण हवा, छूने, पानी के माध्यम से फैलती है। कई बार यह पूरे देश में फ़ैल जाती है। 2009 में पूरे विश्व में एच1एन1 इंफ्लूएंजा (स्वाइन फ्लू) की बिमारी फ़ैल गयी। जल्द ही यह भारत में भी फ़ैल गयी थी। भारत में 2700 लोग स्वाइन फ्लू से मारे गये और 50 हजार से अधिक लोग बीमार हो गये।
वर्ष 2019 में चीन से शुरू हुए नोवेल कोरोना वायरस (nCOVID) की वज़ह से दुनिया भर में लाखों लोग इससे इन्फेक्टेड हो गए। जिसके कारण हजारों लोगों की जान इसमें चहली गयी।
महामारी फैलने पर आपदा प्रबंधन Epidemic Management tips in Hindi
- महामारी (संक्रामक रोग) बरसात और ठंडे के मौसम में अधिक होते है। रोगाणु- विषाणु पानी के माध्यम से सबसे जल्दी फैलते है इसलिए साफ़ पानी पीना चाहिये। दस्त, पेचिस, हैजा, मियादी बुखार, पीलिया, पोलियो जैसे रोग अशुद्ध पानी के सेवन से फैलते हैं।
- इनसे बचने के लिए ताज़ी कटी सब्जियों, फलों का सेवन करना चाहिये। भोजन करने से पहले हाथो को अच्छी तरह से धोइये। नियमित रूप से नाख़ून कांटे, दाढ़ी और बाल कटवाएं।
- रोज साबुन और मलकर नहायें और खाना खाने के बाद-पहले अच्छे से हांथ धोएं।
- किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा आने पर शांत रहे। अफवाहों पर ध्यान न दें। सरकारी आदेशो का पालन करें, अकेले न रहे। अपने परिवार के साथ ही रहे।
- अपने पास पुलिस, अस्पताल, अग्निशमन सेवा, एम्बुलेंस, बचाव दल का फोन नम्बर जरुर रखे।
- अपने पास एक आपातकालीन किट जरुर रखे। इसमें माचिस,टोर्च, रस्सी, चाक़ू, पानी, टेप, बैटरी से चलने वाला रेडियो रखे।
- अपने परिचयपत्र, कागजात, जरूरी कागज अपने पास रखे।
12. ओलावृष्टि क्या है? What is Hail in Hindi?
आसमान में जब बादलो में मौजूद पानी की बुँदे अत्यधिक ठंडी होकर बर्फ के रूप में जमकर जमीन पर गिरती है तो उसे ओलावृष्टि या वर्षण प्राकृतिक आपदा कहते है। इसे आम भाषा में ओला गिरना भी कहा जाता है। यह अक्सर गर्मियों के मौसम में दोपहर के बाद गिरते है। ओलावृष्टि अक्सर तब होती है जब बादलो में गडगडाहट और बिजली बहुत अधिक चमकती है।
ओलावृष्टि से सबसे अधिक नुकसान किसानो को होता है। अधिक ओलावृष्टि होने से फसलें बर्फ के गोलों से ढँक जाती है और नष्ट हो जाती है। यदि बर्फ के गोले बड़े हो तो मकान, खिड़की, कारो के शीशे तोड़ देते हैं। कुछ महीनो पहले हिमाचल प्रदेश में ओलावृष्टि होने से 2.5 करोड़ का नुकसान हुआ। सेब, नाशपाती की फसलें बर्बाद हो गयी थी।
13. बादल फटना किसे कहते हैं? What is Cloud Burst in Hindi?
इस प्राकृतिक आपदा मेघविस्फोट भी कहते है। जब बादल अधिक मात्रा में पानी लेकर चलते है और उनके मार्ग में कोई बाधा अचानक से आ जाती है तो बादल अचानक से फट जाते हैं। ऐसा होने से उस स्थान पर करोड़ो लीटर पानी अचानक से गिर जाता है। पानी की विशाल मात्रा मजबूत पक्के मकानों, सडकों, पुलों, इमारतों को ताश के पत्ते की तरह तोड़ देती है।
उतराखंड, केदारनाथ, बद्रीनाथ, जम्मू-कश्मीर, जैसे राज्यों में बादलो के मार्ग में हिमालय पर्वत,पहाड़ियाँ, गर्म हवा आ जाने के कारण बादल फटने की घटनाये होती रहती हैं। 2013 में उतराखंड में बादल फटने से 150 से अधिक लोग मारे गये। धन-जन की भारी बर्बादी हुई।
निष्कर्ष Conclusion
आज के लेख में हमने आपको विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जानकारी दी है। इससे बचने के उपाय अपनाकर आप भी इस आपदाओं से बच सकते हैं। आशा करते हैं आपको यह लेख प्राकृतिक आपदा पर निबंध Essay on Natural Disasters in Hindi अच्छा लगा होगा।
पढ़ें: पर्यावरण संरक्षण पर जबरदस्त नारे
नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।
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27 Comments
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Cyclone और Tornado में क्या होता है अंतर, जानें
समय-समय पर विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं। इसी में शामिल हैं cyclone और tornado, जो कि दोनों ही बड़े मात्रा में जान-माल का अधिक नुकसान करती हैं। दोनों का ही अपना स्वरूप है। हालांकि, कई लोग इनमें अंतर को लेकर दुविधा में पड़ जाते हैं। इस लेख के माध्यम से हम इन दोनों की परिभाषाएं जानने के साथ इनके बीच अंतर को समझेंगे। .
Cyclone(चक्रवात) और Tornado(बवंडर) दोनों ही प्राकृतिक आपदाएं हैं। हाल ही में बंगाल की खाड़ी में बन रहा Cyclone मोका चर्चाओं में है। हर साल अलग-अलग समय पर हमें विभिन्न प्रकार के साइक्लोन सुनने और पढ़ने को मिलते हैं, जो कि एक प्राकृतिक आपदा है। वहीं, इसी के साथ एक और प्राकृतिक आपदा है, जिसके बारे में हम अक्सर सुनते हैं, वह है Tornado. यह दोनों ही खतरनाक प्राकृतिक आपदाएं हैं, जिससे जान-माल का अधिक नुकसान होता है। ऐसे में मौसम विज्ञान एजेंसियां पूर्वानुमान बताकर इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं को लेकर हमें अलर्ट करती रहती हैं। हालांकि, कई लोग Cyclone और Tornado के बीच अंतर को लेकर दुविधा में पड़ जाते हैं। इस लेख के माध्यम से हम इन दोनों के बीच अंतर को लेकर जानेंगे।
क्या होता है Cyclone
साइक्लोन एक पानी की सतह पर उठने वाला तूफान है। हवाएं जब तूफानी रूप से घेरा बनाकर चलती हैं, तब साइक्लोन आता है। भारत के संदर्भ में यह तटीय प्रदेशों से उठता है, जो कि पानी की सतह के ऊपर उठता है। उदाहरण के तौर पर बंगाल की खाड़ी में बनने वाला तूफान मोका है। वहीं, इसी का रूप है हरिकेन और टायफून। आपको बता दें कि फ्लोरिडा के तट से उठने वाला तूफान हरिकेन के रूप में जाना जाता है, जबकि फिलिपिंस के तट पर आकर यह तायफून कहलाता है। यह भी पानी की सतह पर उठने वाला तूफान है। हरिकेन अक्सर अटलांटिक महासागर में उठता है, तो टायफून प्रशांत महासागर में उठता है।
क्या होता है Tornado
Tornado जमीन की सतह पर उठने वाला तूफान है। इसमें भी हवाएं तूफानी रूप से घेरा बनाकर चलती हैं, जो अपने रास्ते में आने वाली सभी चीजों को उखाड़ फेंकती हैं। अमेरिका में इस तरह के तूफान को ट्वीस्टर भी कहा जाता है। भारत में हम इसे बवंडर के रूप में जानते हैं। कई बार बवंडर की रफ्तार 325 किलोमीटर प्रतिघंटा से भी अधिक हो सकती है। इनके आकार की बात करें, तो यह फनल की तरह दिखता है, जिसमें तेज हवाओं का घेरा होता है। इस तरह के तूफान अधिकांश रूप से उत्तरी और दक्षिण अमेरिका में देखने को मिलते हैं।
Cyclone और Tornado में प्रमुख अंतर
-Cyclone हमेशा पानी की सतह पर बनते हैं, जहां पर गर्म हवा की तरंगे मौजूद होती हैं, जबकि Tornado जमीन के ऊपर बनते हैं, जो कि जमीन से आसमान तक जुड़े होते हैं।
-Cyclone की अवधि लंबी होती है। कुछ मामलों में यह 31 दिनों तक होते हैं, जबकि Tornado के मामले में ऐसा नहीं है। यह कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटों तक हो सकते हैं।
-Cyclone में हवाओं की रफ्तार 300 किलोमीटर प्रतिघंटा से कम होती है, जबकि Tornado में हवाओं की रफ्तार अधिक होती है।
-Cyclone का पूर्वानुमान कुछ दिनों पहले लगाया जा सकता है, जबकि Tornado का पता लगाने के लिए कम समय होता है।
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प्राकृतिक आपदा पर निबंध | Praakrtik Aapada Par Nibandh | Essay on Natural Disaster in Hindi
प्राकृतिक आपदा पर निबंध | Praakrtik Aapada Par Nibandh | Read this excellent Essay on Natural Disaster in Hindi for school and college students.
Essay on Natural Disaster
Essay Contents:
- भूस्खलन (Landslide)
1. ज्वालामुखी उद्गार ( Volcanism):
ज्वालामुखी उद्गार एक ऐसी प्राकृतिक घटना है जो अनेक स्थलों को तबाह कर देती है तथा पर्यावरण पर भी प्रभाव डालती है । जब ज्वालामुखी का उद्गार होता है तो गर्म गैस का गुबार वायुमण्डल में फैल जाता है तथा इससे निकलने वाला गर्म पिघला हुआ लावा सर्वत्र तबाही का कारण बन जाता है ।
ज्वालामुखी गैसों में अनेक जहरीले तत्त्व मिले होते हैं तथा विस्फोट के समय भयंकर आवाज इसके सम्पर्क में आने वाली वनस्पति, मानव, जीव-जन्तु आदि जल कर राख हो जाते हैं तथा गैस का बादल आकाश को ढक लेता है । यह विस्फोट अत्यधिक आकस्मिक होता है तथा कभी यह निरन्तर होता रहता है तो कभी कुछ महीनों, दिनों में समाप्त हो जाता है ।
ज्वालामुखी उद्गार विश्व में सभी स्थानों पर नहीं होते अपितु इसके विशेष क्षेत्र हैं, जिन्हें ज्वालामुखी प्रभावित क्षेत्र कहा जाता है । इस प्रकार के क्षेत्र प्रशान्त महासागरीय तटीय पट्टी, जिसका विस्तार दक्षिणी अमेरिका के एण्डीज से उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट से जापान, दक्षिणी-पूर्वी एशिया से प्रशान्त तटीय क्षेत्र (इण्डोनेशिया, फिलीपीन्स आदि) से न्यूजीलैण्ड तक है इसके अतिरिक्त भूमध्य सागरीय पेटी जिसमें इटली के ज्वालामुखी प्रमुख हैं ।
इसके अतिरिक्त अल्पाइन-हिमालय पेटी, अफ्रीकन रिफ्टवेली, मध्य एटलान्टिक रिज, हिन्द महासागर के द्वीप आदि हैं । विश्व में लगभग 500 ज्वालामुखी चिन्हित हैं जिनमें जाग्रत ज्वालामुखी लगभग 300 हैं, इनमें स्ट्राम्बोली सबसे परिचित है ।
ज्वालामुखी उद्गार पर्यावरण के लिए खतत होता है । औसतन एक ज्वालामुखी उद्गार से 150 क्यूबिक किलोमीटर पदार्थ बाहर निकलता है । यह पदार्थ तीन प्रकार का होता ऐठोस पदार्थ जिसमें चट्टानों के छोटे एवं बड़े टुकड़े, राख, चट्टानों के गोले होते हैं जो आकाश में दूर तक जाते हैं ।
ADVERTISEMENTS:
पिघले पदार्थ में ‘मेगमा’ बाहर की ओर प्रवाहित होता है जिसे ‘लावा’ कहते हैं उद्गार के समय जो गैस निकलती है उसमें कार्बन-डाई-ऑक्साइड और सल्फर की प्रधानता होती है जो अत्यधिक विषैली होती है, इसके अतिरिक्त अन्य गैसें जैसे क्लोरीन, फ्लोरीन आदि भी विशाल मात्रा में निःसृत होती हैं । ये गैसें वाष्प के साथ मिलकर जल वर्षा करती हैं तो सम्पूर्ण वातावरण प्रदूषित हो जाता है ।
ज्वालामुखी उद्गार और लावा-प्रवाह वनस्पति एवं मानव तथा अन्य जीव-जन्तुओं को समाप्त कर देता है । 1902 में जब माउंट पेले में उद्गार हुआ तो इसके ज्वलन पदार्थों से सेन्ट प्रिरी कस्बे के 30,000 लोगों में से मात्र 2 लोग बचे थे । इटली के एटना और विसुवियस ज्वालामुखी द्वारा अनेक शहरों में तबाही हो चुकी है ।
1943 में मैक्सिको से 320 कि.मी. पश्चिम में पसकुटिन ज्वालामुखी उद्गार से लगभग 167 मीटर ऊंची पहाड़ी बन गई । 1991 में जापान और फिलीपीन्स के ज्वालामुखी विस्फोयें से पर्याप्त जन-धन की हानि हो चुकी है वास्तव में ज्वालामुखी विस्फोट एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जो प्रभावित क्षेत्रों में न केवल नुकसान करती है अपितु पर्यावरण को भी प्रदूषित करती है और पारिस्थितिक तन्त्र में बाधा उत्पन्न करती है । सामान्यतया ज्वालामुखी उद्गार इनसे सम्बन्धित संवेदनशील प्रदेशों में होते हैं अत: उन क्षेत्रों को चिन्हित कर वहाँ मानवीय बसाव नहीं किया जाए तो मानवीय हानि को रोका जा सकता है ।
2. भूकम्प ( Earthquakes):
भूकम्प एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जो अत्यधिक विनाशकारी है । विश्व के अनेक क्षेत्रों में भूकम्पों से अपार जन-धन की हानि होती है तथा पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है । भूकम्प के अन्तर्गत भूपटल में हलचल उत्पन्न होने लगती है और धरती हिलने लगती है । पृथ्वी के आन्तरिक भागों में रेडियो सक्रियता, तापीय दशाओं में परिवर्तन, टेक्टोनिक प्लेटों में टकराहट तथा अन्य अनेक आन्तरिक कारणों से भूकम्प की उत्पत्ति का एक केन्द्र होता है ।
वहाँ से उत्पन्न भूकम्प तरंगें या लहरें जहाँ-जहाँ तक विस्तृत होती हैं वह क्षेत्र भूकम्प से प्रभावित होता है । भूकम्प की तीव्रता को रिक्टर पैमाने पर मापा जाता है जो इससे मुक्त होने वाली ऊर्जा को प्रकट करता है, जैसे रिक्टर स्केल पर 5 से तात्पर्य 199 टन मुक्त ऊर्जा है । इसी तीव्रता पर भूकम्प द्वारा किए गए विनाश की मात्रा और विस्तार निर्भर करता है ।
विश्व में भूकम्प की पेटियों का विस्तार निर्धारित क्षेत्रों में है , वे हैं:
(i) प्रशान्त अर्द्धचन्द्राकर पेटी:
जो चिली, पेरु, मध्य अमेरिका से केरीबियन द्वीप, मैक्सिको, केलिफोर्निया, कनाडा तट, कमचटका, जापान, फिलीपीन्स, इण्डोनेशिया से न्यूजीलैण्ड तक विस्तृत है । यह क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित है ।
(ii) आल्प्स-भूमध्य सागर एशिया पेटी:
इसमें उत्तरी अफ्रीका, स्पेन, इटली, ग्रीस, टर्की, इसन, उत्तरी भारत, म्यांमार सम्मिलित हैं ।
(iii) अन्य में अटलगिन्टक एवं हिन्द महासागर, पूर्वी अफ्रीका, मध्य साइबेरिया, मध्य कनाडा, ब्राजील, स्केंडेनेविया, दक्षिणी भारत, चीन, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया आदि सम्मिलित हैं । भारत में (a) हिमालय क्षेत्र (b) उत्तर का मैदान और (c) प्रायद्वीपीय भारत, भूकम्प संवेदनशील माना जाता है ।
भूकम्पों से अपार मानवीय एवं सम्पत्तियों की हानि होती है । भूकम्प से हजारों लाखों लोग मृत्यु का शिकार हो जाते हैं, इमारतें ढह कर मलबे में बदल जाती है, जमीन में दरारें पड़ जाती हैं, बाँध छ जाते हैं, परिवहन के तथा संचार के साधन अस्त-व्यस्त हो जाते हैं, तथा उस क्षेत्र के पशु-पक्षियों का विनाश हो जाता है और सम्पूर्ण पारिस्थितिक तन्त्र असन्तुलित हो जाता है । 11 मई, 2008 को चीन में आए भूकम्प में 55,000 से भी अधिक लोग मारे गए थे ।
अनेकों भूकम्प किसी न किसी भाग में तबाही मचा चुके हैं । प्राकृतिक आपदाओं में भूकम्प सर्वाधिक विनाशकारी माने जाते हैं । भूकम्प से सवाधिक प्रभावित देश जापान में भूकम्पों से होने वाली हानियों से बचाव के लिए भूकम्परोधी इमारतों का निर्माण किया जाता है साथ ही जन साधारण को भी इनसे बचाव के लिए उचित जानकारी दी जाती है ।
यद्यपि भूकम्प का पूर्वानुमान आज भी सम्भव नहीं है । किन्तु भूगर्भिक हलचलों के वैज्ञानिक विश्लेषण से भूकम्प संवेदन क्षेत्रों का निर्धारण और उस क्षेत्र में आपदा प्रबन्धन के उचित उपायों द्वारा इससे होने वाली हानि को कम किया जा सकता है ।
3. बाढ़ (Flood):
बाढ़ एक ऐसी आपदा है जो अतिवृष्टि द्वार उत्पन्न होती है, जिसमें विस्तृत भूभाग जलमग्न हो जाता है । इसका प्रमुख कारण अतिवृष्टि है तो दूसरा काण मानवीय है जिसमें प्राकृतिक प्रवाह में अवरोध निर्मित करना, नदियों के जल में गाद का जमाव, बाँधों एवं तटबन्धों के टूटने, बाँधों द्वारा अचानक अधिक मात्रा में जल के छोड़ने, तटीय क्षेत्रों में वनीम्बूलन आदि से सामान्य जल स्तर में वृद्धि हो जाने से विस्तृत क्षेत्र जलमग्न हो जाता है और जन-धन की व्यापक हानि होती है एवं पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव होता है ।
बाढ़ एक जलीय प्रक्रम है जो नदियों के बेसिन अथवा मैदानी भाग को प्रभावित करता है । इसकी समयावधि एवं सघनता वर्षा की मात्रा और नदी के पृष्ठ प्रदेश की संरचना पर निर्भर करती है । कभी इनमें कम तो कभी अत्यधिक हानि होती है ।
बाढ़ के प्रमुख कारण हैं:
(i) अतिवृष्टि
(ii) पर्यावरण विनाश, विशेषकर वनोन्मूलन
(iii) भूस्खलन
(iv) प्राकृतिक जल प्रवाह में अवरोध
(v) बाँध, तटबन्ध तथा बैराज का टूटना
(vi) अल्प समय में मूसलाधार वर्षा
(vii) अतिरिक्त जल का तीव्र प्रवाह
बाढ़ के द्वारा अनेक गाँव तथा तटीय बस्तियाँ जलमग्न हो जाती हैं । खेतों में पानी भर जाने से कृषि बर्बाद हो जाती है । पशुधन की अत्यधिक हानि होती है । मिट्टी का कटाव अधिक हो जाता है तथा सम्पूर्ण क्षेत्र कुछ समय के लिए दलदली हो जाता है । बाढ़ के पश्चात् अनेक प्रकार की बीमारियों का प्रकोप होता है । विश्व के अनेक देशों में बाढ़ की समस्या है । भारत में यह समस्या अनेक क्षेत्रों में गम्भीर है ।
भारत के निम्न क्षेत्र बाढ़ से अधिक ग्रसित हैं:
(a) हिमालय की नदियों के ऊपरी जल क्षेत्र तथा पीडमान्ट क्षेत्र
(b) गंगा के ऊपरी, मध्य और निचले डेल्सई प्रदेश
(c) बह्मपुत्र एवं इसकी नदियों की घाटियाँ
(d) महानदी, गोदावरी, कावेरी तथा कृष्णा नदियों के डेल्सई प्रदेश
(e) नर्मदा और ताप्ति बेसिन
अनेक राज्य जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, लगभग प्रतिवर्ष ही बाढ़ की चपेट में होते हैं । कभी-कभी आकस्मिक घटनाएँ जैसे बादल फटना भी बाढ़ का कारण हो जाता है जैसा कि 2007 में सजस्थान के मरुस्थली क्षेत्रों में हुआ । बाढ़ से प्रभावित देशों में भारत का पड़ोसी बांग्लादेश प्रतिवर्ष बाढ़ की चपेट में आ जाता है । बाढ़ की समस्या के नियन्त्रण हेतु निम्न सुझाव उपयोगी हो सकते हैं ।
(i) सहायक नदियों पर छोटे बाँधों का निर्माण ।
(ii) नदियों के ऊपरी क्षेत्र में छोटे-छोटे जल संग्रहण क्षेत्र बनाए जा सकते हैं ।
(iii) नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में सघन वृक्षारोपण ।
(iv) तटबन्धों को टूटने से बचाना ।
(v) तटीय क्षेत्रों में बाढ़ चेतावनी प्रणाली विकसित करना आवश्यक है जिससे समय पर चेतावनी देकर जन-धन को हानि से बचाया जा सके ।
(vi) नदियों के किनारे अतिक्रमण कर बस्तियों के बसाव पर रोक ।
(vii) नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में वन-विनाश पर रोक ।
(viii) नदियों में गाद जमा न हो इसके विशेष प्रबन्ध करना आवश्यक है ।
(ix) बाढ़ के जल निस्तारण हेतु ऐसी प्रवाहिका (चैनल) बनाई जाएँ जिससे अतिरिक्त जल उनमें प्रवाहित हो जाए ।
(x) उचित जल प्रबन्धन एवं बाढ़ नियन्त्रण हेतु प्रत्येक क्षेत्र के लिए योजना तैयार करना आवश्यक है ।
4. सूखा एवं अकाल (Drought and Famines):
सूखा भी एक प्राकृतिक आपदा है जिसका प्रभाव प्राकृतिक पारिस्थितिक तन्त्र पर पड़ता है जो जन-धन की हानि का कारण होता है । सूखे का प्रकोप ऐसे क्षेत्रों में होता है जहां वर्षा कम होती है । मरुस्थली एवं अर्द्ध मरुस्थली क्षेत्र सूखे की चपेट में अधिक आते हैं । कभी-कभी मध्यम वर्षा के क्षेत्रों में लगातार दो-तीन वर्षों तक कम वर्षा होने से वे क्षेत्र सूखे की चपेट में आ जाते हैं ।
सूखे के प्रमुख कारण हैं :
(i) वर्षा का कम होना या कई वर्षों तक वर्षा न होना ।
(ii) वनों का विनाश ।
(iii) भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन ।
(iv) कृत्रिम बाँध तथा नदी के मार्ग परिवर्तन के कारण ।
(v) जल चक्र का नष्ट होना ।
(vi) मिट्टी के जैविक संगठनों में कमी होना ।
(vii) खनन कार्यों से जल स्रोतों का नष्ट होना ।
जब सूखा अधिक तीव्र या सघन होता है तो अकाल की स्थिति आ जाती है । भारत में 1899 में सबसे भयंकर सूखा पड़ा था जिसे ‘छप्पन का अकाल’ के नाम से जाना जाता है, इसमें लाखों लोगों की जान गई थी तथा पशुधन बर्बाद हो गया था ।
1977 में भी भारत में सूखा पड़ा जिसमें भी पर्याप्त जन-धन की हानि हुई । 1992-93 में इथोपिया में इतना भयंकर सूखा और अकाल हुआ कि वहाँ लगभग 30 लाख लोग मृत्यु का शिकार हुए । भारत के अनेक राज्य सूखा और अकाल प्रभावित हैं जिसमें राजस्थान सर्वाधिक प्रभावित सज्य है जो अकसर सूखे की चपेट में रहता है और अकाल पड़ना यहाँ सामान्य है । अन्य राज्यों में गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा, मध्य प्रदेश प्रमुख हैं ।
सूखा आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए संकट की समस्या के स्थाई हल के लिए निम्न सुझाव उपयोगी हैं:
(i) वर्षा के जल का अधिकतम संरक्षण हो ।
(ii) भूमिगत जल भण्डारों की निकासी दर रिचार्ज से ज्यादा न हो ।
(iii) जल के किफायती उपयोग की जीवन शैली हो ।
(iv) जल संग्रहण व्यवस्था को सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर लोकप्रिय किया जाए ।
(v) परम्परागत जल संग्रहण विधियों को स्थानीय स्तर पर पुन: जीवित किया जाए ।
(vi) जिन क्षेत्रों में पर्यावरण का विनाश हो चुका है वहाँ इको टोप थैरेपी द्वारा पुन: जल चक्र स्थापित किया जाए ।
(vii) सूखा पड़ने की स्थित में आन्तरिक और बाह्य सहायता से उसका निराकरण किया जाए ।
(viii) सूखा एवं अकाल प्रबन्धन की व्यापक योजना पहले से तैयार करना आवश्यक है, विशेषकर उन क्षेत्रों के लिए जहाँ यह समस्या नियमित रूप से होती है ।
(ix) उपलब्ध जल संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग तथा दीर्घकालीन जल प्रबन्धन अति आवश्यक है ।
(x) दूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग) तकनीक से नवीन जल स्रोतों का पता लगाना इस दिशा में उचित कदम होगा ।
5. तूफान , टारनेडो एवं उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात (Thunder Storms, Tornadoes and Tropical Cyclones):
वायुमण्डलीय दशाओं में अचानक परिवर्तन के फलस्वरूप श्री-तूफान, बिजली गिरना, हिम तूफान, यरनेडी तथा चक्रवातीय तूफान आते हैं जो पर्यावरण आपदा के कारण हैं । अंधी-तूफान एवं गर्जना स्थानीय वायु दाब की दशाओं में अचानक बदलाव एवं संवाहिक प्रक्रिया से होते हैं, जिसमें तेज हवाओं का चलना, गर्जन, बिजली चमकना और तेज वर्षा होती है । तेज हवाओं के कारण पेड़-पौधों के साथ इमारतों, संचार साधनों, रेल पटरियों आदि का नुकसान होता है ।
इससे मानव जीवन के साथ-साथ पक्षियों एवं अन्य जीवों की भी हानि होती है । इसमें चलने वाली हवाओं की कभी-कभी 150 से 200 कि.मी. प्रति घण्टे की गति होती है । इसी प्रकार बिजली गिरने से मनुष्यों एवं जानवरों की मृत्यु हो जाती है और इससे वन क्षेत्रों में कभी आग भी लग जाती है ।
हिम तूफान और भी अधिक विनाशकारी होता है क्योंकि इसमें तीव्र हवाओं के साथ बर्फ के टुकड़े होते हैं जिनका व्यास 0.5 से 5 सेमी, तक होता है । इनसे तबाही अधिक होती है । अमेरिका, यूरोप, रूस के अनेक भागों में इस प्रकार के हिम तूफान अधिक आते हैं ।
यरनेडो एक छोटा, किन्तु सघन चक्रवात होता है । इसमें वायु घुमावदार रूप में अति तीव्र गति से चलती है । मध्य अक्षांशों में वायु सीमान्त के टकराने से दरनेडो अति विनाशक रूप ले लेता है । संयुक्त राज्य अमेरिका में टारनेडो की आवृत्ति सर्वाधिक है, इसके अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया और मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में यह आते रहते हैं । इनमें वायु की गति 400 किमी. प्रति घण्टा तक पहुँच जाती है तथा आकृति कीपनुमा होती है । इस कीप का अंतिम छोर धरातल पर होता है जो तबाही मचा देता है ।
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात अत्यधिक शाक्तिशाली और विनाशक होते हैं जिन्हें हरिकेन या टाइफून कहते हैं । ये 80 से 150 उत्तर एवं दक्षिण अक्षांशों में आते हैं, यद्यपि भूमध्यरेखा के निकट नहीं आते । इन चक्रवातों का उद्भव निम्न दाब की सघनता से होता है तथा ये चक्राकार रूप से तीव्र गति से आगे चलते हैं, इसी के साथ तेज वर्षा होती है ।
इनसे जीवन, वनस्पति, सम्पत्ति को तो हानि पहुँचती ही है ये पारिस्थितिक तन्त्र पर भी विपरीत प्रभाव डालते हैं । अनेक द्वीपों और समुद्रतटीय क्षेत्र इनसे तबाह हो जाते हैं । बाँग्लादेश में इस प्रकार के तूफानों का प्रकोप अक्सर देखा जाता है ।
यहाँ 1822 में 40,000, 1876 और 1897 में एक लाख एवं 1.75 लाख तथा 1970 में 3 लाख और 1991 में 5 लाख लोगों की मृत्यु इसी प्रकार के तूफानों से हुई । ये तूफान विश्व के अनेक भागों में तबाही मचाते हैं, तटीय भाग, द्वीप इनसे अधिक प्रभावित होते हैं, मछुआरों के लिए ये मौत का कारण बनते हैं । इन चक्रवातीय तूफानों का एक सीमा तक पूर्वानुमान आधुनिक तकनीकों द्वार सम्भव है अत: पूर्वानुमान तन्त्र को प्रभावी बनाकर तथा समय पर सूचना देकर जन-धन की हानि को कम किया जा सकता है ।
6. सुनामी (Tsunami) :
सुनामी समुद्री लहरों की शृंखलाओं को कहा जाता है । सुनामी जापानी भाषा का शब्द है जो दो शब्दों अर्थात् ‘TSU’ जिसका अर्थ है बन्दरगाह और का अर्थ है लहरें । तात्पर्य है कि बन्दरगाह क्षेत्र में आने वाली लहरों को सुनामी कहा जाता हैं ।
यह ज्वारीय लहरों के समान ही होती हैं किन्तु यह वृहत् आकारीय और तीव्र होती हैं । अत: विनाश का कारण बनती हैं इनका उद्भव महासागरों के तल में हुई हलचलों जैसे- भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट अथवा आन्तरिक प्लेयें के खिसकने से होता है ।
समुद्र की सतह हिलने के कारण तल के ऊपर भरा पूरा पानी ऊपर नीचे होने लगता है जिससे ये विशालकाय लहरें उत्पन्न होती हैं । इनका एक कारण समुद्र के तल की भू-संरचना में होने वाले परिवर्तन, पानी के नीचे फाल के खिसकने अथवा टूटने से एक हिस्सा गहरी संरचनाओं में घुस जाता है । इस स्थान पर चारों ओर से समुद्र का जल तीव्र गति से आने लगता है । जिसके कारण जल समुद्री लहरों का रूप ले लेता है, ये लहरें ही सुनामी कहलाती हैं ।
सुनामी लहरों की गति अत्यधिक तेज होती है, कभी-कभी यह गति 500 से 800 किमी प्रति घण्टा तक हो जाती है । ये लहरें जो 300 कि.मी. से अधिक लम्बाई वाली होती हैं जब समुद्रतटीय क्षेत्रों पर पहुंचती हैं तो तबाही मचा देती हैं । गहरे सागरीय क्षेत्रों में इन लहद्यें की कलाई दो-तीन फुट होती है किन्तु तटीय क्षेत्रों में पहुँचते-पहुँचते ये 30 से 100 फीट (30 मीटर) तक ऊँची हो जाती है ।
इन लहर, से तटीय क्षेत्रों में तबाही मच जाती है । ये लहरें एक स्थान से प्रारम्भ होकर हजाद्यें किलोमीटर दूर तक पहुँचती हैं और जहाँ-जहाँ जाती हैं जन-धन की अपार हानि करती हैं । भारत में 26 दिसम्बर, 2004 को सुनामी लहरों का प्रचण्ड रूप देखने को मिला । ये सुनामी इण्डोनेशिया, थाईलैण्ड, मलेशिया, श्रीलंका, मालद्वीप सहित भारत के अण्डमान निकोबार, उड़ीसा, आन्ध प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और पाण्डीचेरी आदि सज्यों के तटीय क्षेत्रों में आई ।
इन लहर, से भयंकर तबाही हुई, लाखों लोगों की जानें गई तथा करोड़ों की सम्पत्ति का विनाश हुआ । यह पर्यावरण के लिए भयंकर आपदा का कारण बना तथा पारिस्थितिक तन्त्र में इसके द्वार अत्यधिक बदलाव आया । इस प्रकार की त्रासदि से पूर्वानुमान द्वार हानि को कम किया जा सकता है यदि वहाँ चेतावनी दे दी जाए, लोग सुरक्षित निकल सकते हैं ।
सुनामी लहरें के प्रमुख प्रभाव निम्न होते हैं:
(i) जल स्तर में वृद्धि,
(ii) स्थलाकृति में बदलाव,
(iii) ज्वालामुखी का सक्रिय होना,
(iv) पारिस्थितिकी असन्तुलन,
(v) दुर्लभ प्रजातियों पर संकट,
(vi) पीने के पानी के स्रोतों का समाप्त होना,
(vii) भवनों को क्षति,
(viii) जीव-जन्तुओं की क्षति,
(ix) भारी जन-धन की हानि,
(x) बन्दरगाहों की क्षति,
(xi) सुनामी के पश्चात् अनेक बीमारियों का प्रकोप, आदि ।
7. भूस्खलन (Landslide):
भूस्सलन से भी सामान्य पारिस्थितिक तंत्र में व्यवधान आ जाता है । भूस्खलन एक प्राकृतिक आपदा है जिसमें भूभाग का एक बृहत् भाग, जिसमें मिट्टी एवं प्रस्तर खण्ड सम्मिलित होते हैं एकाएक खिसक कर नीचे आ जाता है । यह चट्टानों के तीव्र गति से खिसकाव के रूप में ही होता है ।
गुरुत्वबल के कारण भूमिगत हलचल से, खनन आदि के विस्फोट तथा वनों के कयव से भी भूस्सलन की स्थिति बनती है । ऊपरी भाग में अधिक भार होने तथा तथा नीचे के कटाव के फलस्वरूप भी भूस्सलन होता है । इन चट्टानों के खिसकने से इनके नीचे बसे लोग दब जाते हैं, सड़कें, रेलमार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं ।
स्वीट्जरलैण्ड, नार्वे, कनाडा के रॉकी क्षेत्र में ढालों पर बसी अनेक बस्तियाँ इनके द्वार उजड़ चुकी हैं । भारत में जम्मू-कश्मीर, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तरी-पूर्वी सव्यों में भूस्सलन प्राय: होता रहता है । इनसे होने वाली जन-धन की हानि उस क्षेत्र की बसावट तथा भूस्सलन की प्रकृति, अर्थात् कितना अधिक और कितना तीव्र गति से हुआ है, इस पर निर्भर करती है ।
सामान्यतया भूस्सलन के प्रदेश चिन्हित होते हैं अत: इन क्षेत्रों में सुरक्षात्सक उपाय अपना कर इनसे होने वाली हानि को कम किया जा सकता है । भूस्सलन के समान ही हिममंडित पर्वतीय क्षेत्रों में हिमखण्डों के गिरने से भी हानि होती है ।
हिमखण्डों के गिरने को कहते हैं, ये हिमानी युक्त पर्वतीय ढालों पर हिमखण्डों के खिसकने से होते हैं । वनों की आगदावानल पर्यावरणीय आपदाओं में वनों में लगने वाली आग अत्यधिक विनाशकारी होती है, विशेषकर वनस्पति, वन्य जीवों, पक्षियों के लिए तथा इससे जैव विविधता भी समाप्त हो जाती है । वनों की आग अधिक विस्तृत होने पर सम्पूर्ण क्षेत्र की वनस्पति राख में बदल जाती है और वन सम्पदा की अत्यधिक क्षति होती है ।
वनों की आग यदि सीमित होती है तो इससे कम नुकसान होता है किन्तु यदि इसका विस्तार अधिक होता है तो यह विनाशकारी स्वरूप धारण कर लेता है । सामान्यतया वनों में एक स्थल में लगी आग फैलती जाती है क्योंकि लकड़ी और अन्य ज्वलनशील पदार्थ इसमें उत्तरोत्तर वृद्धि करते जाते हैं ।
यह आग कभी प्राकृतिक कारणों से जैसे वृक्षों की आपसी रगड़ से, खासकर बाँस के पेड़ों की रगड़ से भी लग जाती है । आकाशीय बिजली गिरने से भी आग लगती है । अत्यधिक गर्मी से भी आग लगती है । इसके अतिरिक्त मानवीय भूल से, वन क्षेत्र के निकट विस्फोट से भी आग का आरम्भ होता है जो वृहत् रूप धारण कर लेती है । वनों की आग के चार स्वरूप-सतही आग, धरातलीय आग, शीर्ष आग और आग का बवण्डर हैं ।
इस प्रकार की आग से होने वाली हानियाँ हैं:
(i) इमारती लकड़ी का नष्ट होना ।
(ii) वनों का समाप्त होना ।
(iii) वन्य जीवों की मृत्यु ।
(iv) जैव विविधता की हानि ।
(v) पर्यावरण का प्रदूषित होना ।
(vi) वन क्षेत्रों के आदिवासियों की बस्तियों का नष्ट होना ।
(vii) जलवायु परिवर्तन ।
(viii) मिट्टी के कटाव में वृद्धि ।
(viii) पारिस्थितिक तन्त्र में व्यतिक्रम आना ।
वनों की आग पर नियन्त्रण हेतु उचित प्रबन्धन आवश्यक है जो:
(a) तेकथाम,
(b) निगरनी,
(c) शमन द्वारा सम्भव है ।
इसके लिए अग्नितेधक पट्टी बनाना तथा सूखी लकड़ियों और पत्तों आदि को हठना आवश्यक है । वनों की निरन्तर निगरनी होनी चाहिए जिससे यदि कहीं आग लगती है तो उसे तुरन्त बुझाया जा सके । इसी प्रकार अग्निशमन का पर्याप्त प्रबन्ध आवश्यक है, इसमें स्थलीय के साथ हवाई छिड़काव भी आवश्यक है । पानी के साथ अग्निशमन हेतु रसायनों का प्रयोग भी आवश्यकता पड़ने पर किया जा सकता है ।
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How to Write About Tornado
- Categories: Tornado
About this sample
Words: 716 |
Published: Jun 13, 2024
Words: 716 | Pages: 2 | 4 min read
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Essay on Cyclone
500 words essay on cyclone.
The cyclones are irregular wind movements that are characterized by closed air circulation around a centre of low pressure. Furthermore, this essay on cyclone will throw more light on the unique phenomenon of cyclones. The main cause of cyclone closed air circulations are the atmospheric disturbances and the Earth’s rotation which imparts a whirling motion to these disturbances.
Essay on Cyclone
Understanding Cyclones
The major types of cyclones are tropical cyclones, extratropical cyclones and tornadoes. A tropical cyclone is a rotating low-pressure weather system that lacks fronts but has organized thunderstorms. Moreover, the formation of tropical cyclone takes place over warm ocean waters.
Extratropical cyclones are low-pressure systems whose formation takes place outside of the tropics in response to a westerly winds chronic instability. Since this instability is dependent on large horizontal temperature contrasts, fronts characterize extratropical cyclones. Moreover, fronts refer to concentrated regions of temperature change.
These storms populate the middle and high latitudes in the northern hemisphere. Consequently, experts call them mid-latitude cyclones. The storm is called a “bomb cyclone” in case the barometric pressure of a mid-latitude cyclone falls by at least 1 millibar per hour for a period of 24 hours.
A tornado refers to a rapidly rotating column of air whose characterization is by a downward extension from a thunderstorm to the ground. Furthermore, the most violent tornadoes can cause tremendous destruction with massive wind speeds that can go as high as 300 mph.
The formation of tornadoes takes place in regions of the atmosphere that are characterized by abundant moist and warm air near the surface with drier air above. Moreover, a change takes place in wind direction and speed with height above the ground.
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Significance of Cyclone
The cyclones level down inequalities of wind movement and pressure over the globe. Furthermore, they play a crucial role in the complex heat exchange process that takes place between various latitudinal zones. Moreover, cyclones have an effect on the phenomenon of precipitation as they facilitate the lifting up of the moist air from oceans and taking it into the surrounding landmasses.
The cyclonic wind movements happen to be anti-clockwise in the northern hemisphere while in the southern hemisphere they are clockwise. Furthermore, the characterization of the cyclones takes place by the existence of an anticyclone between two cyclones. Moreover, the cyclones can be either tropical or temperate/extra-tropical depending on their area of origin and principal tracks followed.
Conclusion of the Essay on Cyclone
Cyclone is a weather phenomenon that always has had a tremendous impact on humanity since time immemorial. Furthermore, the cyclone can certainly be dangerous for humanity as they can bring widespread destruction to humanity. Most noteworthy, it is a weather system that we would just have to live with and cope with.
FAQs For Essay on Cyclone
Question 1: What are some of the effects of cyclones?
Answer 1: Cyclones can bring high winds and heavy rain. In extreme condition, the speed of winds may go over 240 km per hour. These strong winds may cause a devastating phenomenon known as the storm surge, along with destructive torrential rain.
Question 2: What are the various types of cyclones?
Answer 2: The various types of cyclones are tropical cyclones, hurricanes, typhoons, tornadoes, mesocyclones, and mid-latitude or extratropical cyclones.
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Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics
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- गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
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- महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
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- जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।
हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?
प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।
हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।
तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।
हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची
हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।
विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।
हिंदी निबंधों की संरचना
उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।
इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।
हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु
अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:
- अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
- अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
- पहला भाग: परिचय
- दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
- तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
- एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
- जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
- अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
- विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
- यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
- महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।
हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।
2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।
3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।
4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।
5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:
- एक पंच-लाइन की शुरुआत।
- बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
- रचनात्मक सोचें।
- कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
- आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
- सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
- निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।
निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।
यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।
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115 Tornado Essay Topic Ideas & Examples
Inside This Article
Tornadoes are one of the most powerful and destructive natural disasters on Earth. These rotating columns of air can cause immense damage to homes, buildings, and landscapes, leaving a trail of destruction in their wake. Understanding tornadoes and their impact on society is essential for preparedness and response efforts.
If you're tasked with writing an essay on tornadoes, it can be challenging to come up with a unique and engaging topic. To help you get started, here are 115 tornado essay topic ideas and examples to inspire your writing:
- The science behind tornado formation
- The deadliest tornadoes in history
- How tornadoes are classified
- Tornado safety tips for families
- The role of technology in tornado detection
- The impact of climate change on tornado frequency
- Tornado preparedness in schools
- Tornado alley: why do tornadoes occur more frequently in certain regions?
- The psychological effects of experiencing a tornado
- Tornado myths and misconceptions
- The economic impact of tornado damage
- Tornadoes in popular culture: movies, books, and TV shows
- Tornado chasing: a dangerous hobby
- Tornadoes and their impact on wildlife
- Tornadoes and their effects on agriculture
- Tornadoes and their connection to thunderstorms
- Tornadoes and their impact on air travel
- Tornadoes and their effects on infrastructure
- The role of social media in tornado awareness and response
- Tornado forecasting: how do meteorologists predict tornadoes?
- The history of tornado research and study
- Tornadoes and their impact on vulnerable populations
- Tornadoes and their effects on water sources
- Tornadoes and their connection to climate patterns
- The importance of tornado drills in schools and workplaces
- The impact of tornadoes on mental health
- Tornado shelters: are they effective in saving lives?
- Tornadoes and their impact on power grids
- Tornadoes and their connection to hurricanes
- Tornadoes and their effects on transportation systems
- The role of emergency responders in tornado response efforts
- Tornado sirens: do they effectively warn residents of approaching storms?
- Tornadoes and their connection to El Ni''o and La Ni''a events
- Tornadoes and their impact on wildlife habitats
- Tornadoes and their effects on air quality
- Tornadoes and their connection to lightning
- Tornadoes and their effects on coastal communities
- Tornadoes and their impact on urban areas
- Tornadoes and their connection to hailstorms
- The impact of tornadoes on insurance rates
- Tornadoes and their effects on mental health in survivors
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- Tornadoes and their connection to wildfires
- The impact of tornadoes on local economies
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- Tornadoes and their effects on international relations
- Tornadoes and their connection to volcanic eruptions
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- Tornadoes and their impact on marine ecosystems
- Tornadoes and their effects on renewable energy sources
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- Tornadoes and their effects on space shuttle missions
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- Tornadoes and their connection to space debris remediation techniques
- The impact of tornadoes on space debris removal technologies
- Tornadoes and their effects on space debris monitoring systems
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Essay On Hindi Language : स्टूडेंट्स ऐसे लिखें ‘हिंदी भाषा’ पर निबंध
- Updated on
- सितम्बर 13, 2024
हिंदी एक इंडो-आर्यन भाषा है। यह हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार की एक प्रमुख शाखा है। हिंदी भाषा की उत्पत्ति संस्कृत भाषा में पाई जाती हैं। हिंदी की विकास यात्रा संस्कृत से प्राकृत और फिर अपभ्रंश भाषाओं के माध्यम से हुई, जिसके बाद आधुनिक हिंदी का निर्माण हुआ। हिंदी भाषा का प्रयोग व्यापक रूप से किया जाता है। भारत में 22 आधिकारिक भाषाएं हैं लेकिन इनमें से सबसे उपयोग की जाने वाली भाषा हिंदी है। भारत के लिए हिंदी महत्वपूर्ण भाषा है। कई बार छात्रों को Essay On Hindi Language in Hindi लिखने के लिए दिया जाता है, इसलिए हिंदी भाषा पर निबंध लिखने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।
This Blog Includes:
हिंदी भाषा पर 100 शब्दों में निबंध, हिंदी भाषा पर 200 शब्दों में निबंध, हिंदी भाषा की उत्पत्ति, हिंदी भाषा के विकास के मुख्य चरण, आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल, हिंदी भाषा के साहित्य का विकास, आदिकाल, भक्तिकाल, रितिकल और आधुनिक काल, हिंदी भाषा पर 10 लाइन्स.
100 शब्दों में Essay On Hindi Language in Hindi इस प्रकार है:
हिंदी भाषा भारत की राष्ट्रीय भाषा है। यह हमारे देश की विविधता का भी प्रतीक है। हिंदी भाषा भारत की सांस्कृतिक धरोहर भी है। हिंदी दिवस का महत्व भारत में भाषा, साहित्य, और संस्कृति के प्रति गहरी भावना और समर्पण का प्रतीक है। हिंदी भाषा भारत की विविधता को एक साथ लाने में मदद करती है और भारतीय संगठन को एक बनाने का काम करती है। हिंदी भाषा भारतीय समाज में एकता और देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोगों को एक साथ लाती है। हिंदी हमारे संविधान का अधिकार है और यह हमें अपने राष्ट्रीय एकता की ओर बढ़ाता है। हिंदी को सीखना और उसे सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है, ताकि हमारे समृद्ध भाषा धरोहर को बचाया और बढ़ावा दिया जा सके।
200 शब्दों में Essay On Hindi Language in Hindi इस प्रकार हैः
हिंदी भाषा एक इंडो-आर्यन भाषा है। समय के साथ भारतीय आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल में हिंदी भाषा और इसके साहित्य का विकास हुआ है। कई कवियों और साहित्यकारों ने इस भाषा को अपने ज्ञान और वैराग्य समृद्ध किया है। अपने समृद्ध इतिहास के साथ हिंदी भाषा ने कई आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
हिंदी भाषा को भारत की एकता और विविधता का प्रतीक भी माना जाता है। भारतीय इतिहास में हिंदी भाषा देशभक्ति, संस्कृति, और समृद्धि के प्रतीक के रूप में उभरी है। हिंदी भाषा को हमारे संविधान में राष्ट्रीय भाषा के रूप में दर्जा दिया गया है। हम सभी हिंदी भाषी भारतीयों को अपनी मातृभाषा के प्रति समर्पित रहना चाहिए। हमें हिंदी भाषा का उपयोग करके उसे बढ़ावा देना चाहिए। हमें हिंदी भाषा को सीखकर, उसका सदुपयोग करना और उसका संरक्षण करना चाहिए।
हिंदी भाषा भारत के साथ साथ दुनिया के अन्य कई देशों के उपयोग की जाती है। हमें इस भाषा की उपयोगिता को समझना चाहिए। हम सभी को मिलकर देश की एकता को और मजबूत बनाने के लिए हिंदी के महत्व को प्रमोट करना चाहिए। हमें हिंदी भाषा के इस महत्व को समझकर इसे संरक्षित रखना चाहिए और बढ़ावा देना चाहिए। हमें यह याद दिलाता है कि हमारी मातृभाषा हमारी गर्व और पहचान का प्रतीक है।
यह भी पढ़ें- Hindi Diwas Vishesh 2024 : ‘हिंदी सिर्फ भाषा नहीं, शान है हमारी…मातृभाषा के लिए समर्पित ‘हिंदी दिवस’ की ऐसी है कहानी
हिंदी भाषा पर 500 शब्दों में निबंध
500 शब्दों में Essay On Hindi Language in Hindi इस प्रकार है:
हिंदी भाषा भारतीयों के लिए महत्त्वपूर्ण है। हिंदी भाषा को समझने के लिए हमें इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की ओर देखना चाहिए। हिंदी का उद्भव संस्कृत से हुआ है और यह एक इंदो-आर्य भाषा है। हिंदी का महत्व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय भी बढ़ा। गांधीजी और अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने हिंदी का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया और इसका समर्थन किया।
हिंदी भाषा की उत्पत्ति का इतिहास भारत के सांस्कृतिक और भाषाई विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हिंदी भाषा भारतीय आर्य भाषाओं के अंतर्गत आती है और इसका विकास कई चरणों में हुआ है। हिंदी भाषा की जड़ें संस्कृत में मिलती हैं, जो भारत की सबसे प्राचीन और पवित्र भाषा मानी जाती है। संस्कृत, विशेष रूप से वैदिक संस्कृत, वैदिक काल (1500 ई.पू. – 500 ई.पू.) से साहित्यिक और धार्मिक ग्रंथों की भाषा रही है।
भारतीय भाषाओं के विकास का आधार संस्कृत भाषा ही है और हिंदी भी इससे प्रभावित रही है। संस्कृत से कई प्राचीन भारतीय भाषाएं विकसित हुईं, जिन्हें प्राकृत कहते हैं। प्राकृत से अपभ्रंश भाषाओं का विकास हुआ, जो प्राचीन और मध्यकालीन भारतीय भाषाओं के बीच की कड़ी मानी जाती हैं। 7वीं से 10वीं शताब्दी के बीच अपभ्रंश का प्रचलन था। अपभ्रंश भाषाएँ वे रूप थीं, जो धीरे-धीरे स्थानीय बोलियों में बदल गईं और आधुनिक भारतीय भाषाओं का आधार बनीं। खड़ी बोली, ब्रजभाषा और अवधी जैसी हिंदी की कई बोलियाँ अपभ्रंश से निकलीं।
1000 ई. से 1500 ई. तक के समय को आदिकाल कहा जाता है। उस समय साहित्य भी विकसित नहीं हुआ था। अपने विकास की शुरुआत में 1000 से 1100 ई तक हिंदी अपने अपभ्रंश के निकट ही थी। समय के साथ परिवर्तन हुआ और 1500 ई. आते-आते हिंदी भाषा अपने स्वतंत्र रूप में खड़ी हो चुकी थी। 1500 ई. के समय दोहा, चौपाई, छप्पय, दोहा, गाथा आदि छंदों की रचनाएं होना शुरू हो गई थी। मध्यकाल की अवधि 1500 से 1800 ई. तक थी। इस समय हिंदी भाषा में बहुत परिवर्तन अधिक परिवर्तन हुए थे।
फारसी के लगभग 3500 शब्द, अरबी के लगभग 2500 शब्द, पश्तों भाषा के लगभग, 50 शब्द और तुर्की भाषा के 125 शब्द हिंदी की शब्दावली में जुड़ गए थे। उसे समय यूरोप के देशों के साथ व्यापार संपर्क भी बढ़ रहा था। इस वजह से पुर्तगाली, स्पेनी, फ्रांसीसी और अंग्रेजी शब्दों के कई शब्द हिंदी भाषा में शामिल हुए। 1800 ई से लेकर वर्तमान तक का समय आधुनिक काल के रूप में जाना जाता है। हिंदी भाषा के आधुनिक काल में देश में अधिक परिवर्तन हुए हैं। उसे समय अंग्रेजी भाषा का प्रभाव देश की भाषा और संस्कृति पर पढ़ने लगा था। अंग्रेजी शब्दों को हिंदी भाषा के शब्दों के साथ प्रयोग किया जाने लगा था। आधुनिक काल के चार प्रमुख उपकाल हैं तथा इन उपकालों में कई कवियों और साहित्यकारों ने हिंदी भाषा को समृद्ध किया।
हिंदी भाषा का साहित्य चार प्रमुख कालों में बंटा हुआ है। ये काल क्रमश: आदिकाल, भक्तिकाल, रितिकल और आधुनिक काल हैं। आदिकाल को वीरगाथा काल भी कहा जाता है। आदिकाल समय का साहित्य वीरता और शौर्य की कहानियों पर आधारित था। भक्ति काल को हिंदी साहित्य का स्वर्णिम युग कहा जाता है। भक्ति काल में भक्ति आंदोलन को शुरू किया गया था और धार्मिक साहित्यों की रचना इस काल में की गई थी। इस काल के प्रमुख कवि कबीर दास और गुरु नानक जी माने जाते हैं। रीतिकाल के समय में श्रृंगार रस और नायिका भेद को अत्यधिक प्रधानता थी। रीतिकाल के कवियों ने नायिका भेद प्रेम सौंदर्य जैसे विषयों पर अपनी रचनाएं की थी।
आधुनिक काल के चार प्रमुख उपकाल भारतेंदु युग, द्विवेदी युग, छायावाद और प्रगतिवाद है। भारतेंदु युग प्रमुख कवि और नाटककार भारतेंदु हरिश्चंद्र की वजह से जाना जाता है। भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हिंदी में राष्ट्र प्रेम और समाज सुधार के विचारों को प्रस्तुत किया था इसी युग में हिंदी गद्य साहित्य का भी विकास हुआ था। द्विवेदी युग के प्रमुख लेखक महावीर प्रसाद द्विवेदी थे। महावीर प्रसाद द्विवेदी ने साहित्य में नैतिकता और सुधारवादी दृष्टिकोण के बारे में लिखा था। छायावाद युग में प्रकृति, प्रेम और रहस्यवाद अपने चरम पर था। छायावाद के प्रमुख कवियों की बात करें तो इनमें जयशंकर प्रसाद , सुमित्रानंदन पंत , सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और महादेवी वर्मा को गिना जाता है। प्रगतिवाद का साहित्य समाजवादी विचारधारा से बहुत अधिक प्रभावित था। प्रतिवाद में मुख्य रूप से सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ , नागार्जुन , मुक्तिबोध , और त्रिलोचन मशहूर हुए।
हम सभी को हिंदी भाषा के महत्व को समझने और समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हिंदी भारत के साथ दुनिया के अन्य कई देशों में भी बोली जाती है। हमें इसके साहित्य, संगीत, कला, और विभिन्न धार्मिक तथा सांस्कृतिक अधिकार को समझने और प्रसारित करने का प्रयास करना चाहिए। भारतीयों को हिंदी भाषा को प्रमोट करके हमारे देश की एकता को मजबूती देने का काम करना चाहिए, ताकि हम सभी भारतीय एक होकर आगे बढ़ सकें।
हिंदी भाषा पर 10 लाइन्स इस प्रकार हैं:
- हिंदी भाषा भारत समेत नेपाल, मॉरिशस, त्रिनिदाद, फिजी, टोबैगो, गुयाना, सूरीनाम और सिंगापुर में भी बोली जाती है।
- हिंदी भाषा ने स्वतंत्रता आंदोलन के महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- हिंदी भारत की राजभाषा है और वर्तमान में हिंदी भारत के उत्तरी, मध्य और पश्चिमी हिस्सों में व्यापक रूप से बोली जाती है।
- हिंदी साहित्य में प्रेमचंद , महादेवी वर्मा , सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जैसे महान साहित्यकारों ने समाज के विभिन्न पहलुओं को चित्रित किया है।
- भारतेन्दु हरिश्चंद्र को हिंदी भाषा का जनक कहा जाता है। वे हिंदी के महान लेखक थे और उन्होंने आधुनिक हिंदी गद्य लेखन की शुरुआत की।
- वर्तमान में हिंदी भाषा विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।
- 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हिंदी को देवनागरी लिपि में औपचारिक रूप से स्थापित किया गया और यह उत्तरी भारत की प्रमुख भाषा बन गई।
- हिंदी भाषा की जड़ें संस्कृत में मिलती हैं, संस्कृत, विशेष रूप से वैदिक संस्कृत, वैदिक काल (1500 ई.पू. – 500 ई.पू.) से साहित्यिक और धार्मिक ग्रंथों की भाषा रही है।
- हिंदी भाषा का विकास आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल में हुआ है।
- 14 सितंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में मान्यता दी। यह निर्णय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत लिया गया था।
हिंदी भाषा भारत की एकता और विविधता का प्रतीक है। यह भाषा देशभक्ति, संस्कृति, और समृद्धि का प्रतीक है। हिंदी हमारे संविधान की अधिकारिक भाषा है और हमारी राष्ट्रीय भाषा के रूप में महत्वपूर्ण है। हिंदी दिवस के अवसर पर, हमें अपनी मातृभाषा के प्रति समर्पित रहना चाहिए।
हिंदी भाषा में जो लिखा जाता है वही (उसी रूप में) पढ़ा भी जाता है। इसमें गूँगे अक्षर (Silent letters) नहीं होते। अतः इसके लेखन और उच्चारण में स्पष्टता है। हिंदी भाषा की एक विशेषता यह भी है कि इसमें निर्जीव वस्तुओं (संज्ञाओं) के लिए भी लिंग का निर्धारण होता है।
हिन्दी भाषा हर भारतीय के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक सेतु भी है। दुनिया भर के 170 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी एक भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। हिंदी भाषा भारत के बाहर 20 से अधिक देशों में बोली जाती है।
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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - दीपावली पर निबंध हिंदी में
- Eligibility
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दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi) - दिवाली... ये शब्द सामने आते ही रोशनी से जगमग घर, शहर की तस्वीर दिमाग में आ जाती है। दिवाली हर भारतीय के लिए अपनों से जुड़े होने और अच्छाई करने की प्रेरणा देने वाला महापर्व है। दिवाली हमारे देश भारत के सबसे लोकप्रिय व महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दिवाली को दीपावली भी कहते हैं। दीपावली को प्रकाश का पर्व कहा जाता है। दीपावली अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है जो हमारे देश की संस्कृति, सामाजिकता और सौहार्द्र को वैश्विक स्तर पर दर्शाता है। देश ही नहीं विश्वभर में मौजूद भारतीय मूल के लोग इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। दुर्गा पूजा पर निबंध (Durga Puja Essay in hindi) | पीएम इंटर्नशिप योजना
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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - प्रस्तावना (Introduction)
दीपावली पर निबंध (dipawali per nibandh) - दीपावली पूजा शुभ मुहूर्त (deepawli puja shubh muhurt), दीपावली पर निबंध (deepavali par nibandh) : दीपावली शुभकामना संदेश, दिवाली पर निबंध (essay on diwali in hindi), दिवाली पर निबंध (essay on diwali in hindi) - उपसंहार (conclusion), दिवाली पर निबंध (essay on diwali in hindi) - दिवाली पर निबंध 10 लाइन (essay on diwali 10 lines), दिवाली 2024 कब है : तारीख और समय, धनतेरस कब है 2024 में, दीपावली कब है 2024 शुभ मुहूर्त, दीपावली पर निबंध 150 शब्दों में कैसे लिखा जाता है, 250 शब्दों में दीपावली क्यों मनाई जाती है निबंध, हम दीपावली क्यों मनाते हैं 300 शब्दों का निबंध कैसे लिखते हैं, दिवाली 2024 कब है 31 अक्टूबर या 1 नवंबर (when is diwali 2024 october 31st or november 1st), दिवाली 2024 की छुट्टी (diwali 2024 holiday), दिवाली पर घरौंदे, कंदील और रंगोली प्रतियोगिता में बच्चे दिखाते हैं रचनात्मकता.
इस महापर्व को मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं। सबसे प्रमुख मान्यता भगवान राम द्वारा 14 वर्ष वनवास से अध्योध्या आगमन की है। इस वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम द्वारा माता सीता को हर कर ले जाने वाले अहंकारी रावण पर विजय प्राप्त करने की खुशी भी शामिल है। दिवाली का त्योहार यह संदेश भी देता है कि बुराई चाहे रावण जैसी बलवान और बुद्धिवान क्यों न हो, उसका एक दिन अंत होकर ही रहता है। बुराई का साथ देने वाले भले इंद्रजीत, कुंभकर्ण जैसे महाबली क्यों न हों उनका भी विनाश होना तय है। अपने पूज्य राम के रावण के विजय और वनवास समाप्त कर अयोध्या वापसी की खुशी में अयोध्यावासियों ने धूमधाम और हर्ष-उल्लास के साथ सजावट और तैयारियांं कर इस दिन को उत्सव की तरह मनाया तब से हर साल इस दिन यानी कार्तिक अमावस्या को दीपावली का उत्सव मनाया जाता है।
दिवाली त्योहार तथा इसकी खूबियों से छात्रों को परिचित कराने के लिए छोटी कक्षाओं में दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi) का प्रश्न हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पूछा जाता है। इस हिंदी दिवाली निबंध (Diwali Essay in Hindi) से उन युवा शिक्षार्थियों को फायदा मिलेगा जो दीपावाली त्योहार पर हिंदी में निबंध (Diwali Essay in Hindi) लिखना चाहते हैं। साथ ही उन्हे Diwali 2024 kab hai के बारे में जानकारी भी प्राप्त होगी। हमने नीचे दिए गए निबंध में शुभ दिवाली त्योहार (Happy Diwali Festival in Hindi) के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने का एक छोटा-सा प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर हिंदी के इस निबंध (Diwali Essay in Hindi) से सीखकर लाभ उठा सकते हैं तथा वाक्य कैसे बनाए एवं किन बातों को दीपावली निबंध में जगह दी जाए, जैसी बातों को समझने के साथ ही अपने हिंदी लेखन कौशल को भी बेहतर बना सकते हैं।
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ये भी पढ़ें: राष्ट्रीय खेल दिवस | गुरु नानक जयंती पर निबंध
दिवाली हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय व महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे बड़े ही उत्साहपूर्वक और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बच्चों को दिवाली पर निबंध (diwali par nibandh) लिखकर त्योहार के बारे में अपने आनंदमय अनुभव साझा करने का अवसर मिलता है। युवा आम तौर पर इस त्योहार को बहुत पसंद करते हैं क्योंकि यह सभी के लिए ढेर सारी खुशियाँ और उल्लास के पल लेकर आता है। अपने घर-परिवार से दूर अन्य प्रदेश, विदेश में रहकर रोजगार करने लोग भी इस समय अपने घर-परिवार के साथ दिवाली मनाने के लिए लंबी यात्रा कर अपनों के बीच आते हैं और अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं तथा अपने प्रियजनों के साथ शुभकामनाएं और उपहार साझा करते हैं।
दिवाली पर निबंध (diwali par nibandh in hindi)
अधिकतर लोग इस दौरान ऑनलाइन साल 2024 में दिवाली कब है, ढूंढते रहते हैं (What is the real date of Diwali in 2024?)। ऐसे में आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2024 में दिवाली पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हालांकि कुछ प्रदेशों में एक नवंबर को भी दीवाली मनाई जाएगी। वर्ष 2025 में दिवाली 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष रूप से धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। छात्र इस लेख में नीचे दिए गए दिवाली त्योहार पर निबंध (Essay of Diwali Festival) की जांच कर सकते हैं और दिवाली त्योहार के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभव व्यक्त करने या साझा करने के लिए इस विषय पर कुछ पंक्तियां लिखने का प्रयास कर सकते हैं। बच्चों को कक्षा मे दीपावली पर निबंध (dipawali per nibandh) लिखने को कहा जाता है। दिवाली पर निबंध (diwali par nibandh) लिखने के लिए आपको इस लेख से मदद मिलेगी।
दिवाली के पावन अवसर पर धन की देवी माँ लक्ष्मी, विघ्नहर्ता गणेश जी व कुबेर जी की विधि-विधान से पूजा करने का विशेष महत्व माना गया है। लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करने को सर्वाधिक फलदायक माना जाता है। इसके अलावा प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन विशेष फलदायक होता है। ऐसी मान्यता है कि स्थिर लग्न में की गई अपनी पूजा-आराधना से प्रसन्न होकर माता लक्ष्मी आराधक के घर में निवास करने लगती हैं। इस समय अधिकतर लोग ये जानना चाहते हैं कि Diwali 2024 kab hai। वर्ष 2024 में दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हालांकि कुछ प्रदेशों में एक नवंबर को भी दीवाली मनाई जाएगी। साल 2023 में दिवाली के अवसर पर 12 नवंबर को लक्ष्मी पूजन मुहूर्त गृहस्थजनों के लिए सायं 05:41 मिनट से रात 07:37 मिनट तक है। लक्ष्मी पूजन मुहूर्त की कुल अवधि लगभग 01 घंटे 55 मिनट रहेगी। वहीं साल 2022 में, 24 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार देश भर में मनाया गया था।
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दीपावली एक महत्वपूर्ण पर्व है जिस पर सभी एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियां साझा करते हैं और दूसरों के सुखमय जीवन की कामनाएं करते हैं। दीपावली के शुभ अवसर पर परिजनों, ईष्टमित्रों से किन शब्दों में अपनी शुभकामना व्यक्त करें, यह उलझन होती है। नीचे कुछ दिवाली शुभकामना संदेश दिए गए हैं जिनकी मदद से आपको अपनी भावना व्यक्त करने में सहूलियत होगी-
- प्रकाश व खुशियों के महापर्व दीपावाली आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...
- देवी महालक्ष्मी की कृपा से आपके घर में हमेशा उमंग और आनंद की रौनक हो। इस पावन मौके पर आप सबको दीपावाली की हार्दिक शुभकामनाएं। शुभ दीपावली!
- प्रकाश के महापर्व दीपावली पर मेरी कामना है कि आपको समृद्धि, खुशी और अपार सफलता मिले। शुभ दीपावली!
- लक्ष्मी जी विराजें आपके द्वार, सोने चांदी से भर जाए आपका घर-बार, आपके जीवन में आए खुशियां अपार, यही कामना है आपके लिए उपहार। दीपावली की बधाई...
- शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा । शत्रुबुद्धि-विनाशाय दीपज्योती नमोऽस्तुते ।। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।।
- प्रकाश का महापर्व दीपावली आपके घर में लाए खुशहाली, आप और आपके परिवार को हैप्पी दिवाली।
- गणपति और मां लक्ष्मी आपके दुखों का नाश करें। रोशनी के दीप आपके घर में खुशहाली लाएं। दिवाली की ढेर सारी बधाई...
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यहां बच्चों के लिए दिवाली पर हिंदी में निबंध (diwali par nibandh in hindi) दिया गया है, जिसकी मदद दीपावली पर निबंध (deepavali par nibandh) लिखते समय ली जा सकती है:
दीपावली का अर्थ: दिवाली जिसे "दीपावली" के नाम से भी जाना जाता है, भारत और दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। ‘दीपावली' संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप + आवली। ‘दीप’ का अर्थ होता है ‘दीपक’ तथा ‘आवली’ का अर्थ होता है ‘शृंखला’, जिसका मतलब हुआ दीपों की शृंखला या दीपों की पंक्ति। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार दुनिया भर के लोगों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि इसे हिंदू त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग भी पटाखे और आतिशबाजी के जरिए इस उज्ज्वल त्योहार को मनाते हैं।
दीपावली त्योहार की तैयारी: दीपावली त्योहार की तैयारियां दिवाली से कई दिनों पहले ही आरंभ हो जाती है। दीपावली के कई दिनों पहले से ही लोग अपने घरों की साफ-सफाई व रंगाई-पुताई करने में जुट जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो घर साफ-सुथरे होते हैं, उन घरों में दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी विराजमान होती हैं तथा अपना आशिर्वाद प्रदान करके वहां सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी करती हैं। दिवाली के नजदीक आते ही लोग अपने घरों को दीपक और तरह-तरह के लाइट्स से सजाना शुरू कर देते हैं।
दिवाली में पटाखों का महत्व: दीपावली को "रोशनी का त्योहार - प्रकाश पर्व" कहा जाता है। इस दिन लोग मिट्टी के बने दीपक जलाते हैं और अपने घरों को विभिन्न रंगों और प्रकारों की रोशनी से सजाते हैं, जिसे देखकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो सकता है। इस पर्व में बच्चों को पटाखे जलाना और विभिन्न तरह के आतिशबाजी जैसे फुलझड़ियां, रॉकेट, फव्वारे, चक्री आदि बहुत पसंद होते हैं।
महत्वपूर्ण लेख:
- बिहार बोर्ड 10वीं टाइमटेबल देखें
- छत्तीसगढ़ बोर्ड 10वीं टाइम टेबल
- एमपी बोर्ड 12वीं टाईमटेबल देखें
- एमपी बोर्ड 10वीं टाईमटेबल देखें
दिवाली का इतिहास : हिंदू मान्यताओं के अनुसार, दिवाली के दिन ही भगवान श्री राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और उनके उत्साही भक्त हनुमान के साथ अयोध्या लौटे थे, अमावस्या की रात होने के कारण दिवाली के दिन काफी अंधेरा होता है, जिस वजह से उस दिन पूरे अयोध्या को दीपों और फूलों से भगवान श्री राम चंद्र के लिए सजाया गया था, ताकि भगवान राम के आगमन में कोई परेशानी न हो, तब से लेकर आज तक इसे दीपों का त्योहार और अंधेरे पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है।
इस शुभ अवसर पर, बाजारों में भगवान गणेश जी, लक्ष्मी जी, राम जी आदि की मूर्तियों की खरीदारी की जाती है। इस दौरान बाजारों में खूब चहल-पहल होती है। लोग इस अवसर पर नए कपड़े, बर्तन, मिठाइयां आदि खरीदते है। हिंदुओं द्वारा देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, क्योंकि व्यापारी दिवाली के पर्व पर नए बहीखाते की शुरुआत करते हैं। साथ ही, लोगों का मानना है कि यह खूबसूरत त्योहार सभी के लिए धन, समृद्धि और सफलता लाता है। लोग दिवाली के त्योहार के अवसर पर अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करने के लिए तत्पर रहते हैं।
दीपवाली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां
दीपावाली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व के पावन अवसर पर भी कुछ असामाजिक तत्व अपने बुरी आदत जैसे शराब का सेवन, जुआ खेलना, टोना-टोटका करना और पटाखों के गलत इस्तेमाल से इसे ख़राब करने में जुटे रहते हैं। अगर समाज में दीपावाली के दिन इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो दिवाली का पर्व वास्तव में शुभ दीपावली हो जाएगा।
अन्य महत्वपूर्ण लेख :
- 10वीं के बाद किए जाने वाले लोकप्रिय कोर्स
- 12वीं के बाद किए जा सकने वाले लोकप्रिय कोर्स और कॅरियर विकल्प जानें।
दिवाली स्वयं के अंदर के अंधकार को मिटा कर समूचे संसार को प्रकाशमय बनाने का त्योहार है। बच्चे इस दिन अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियाँ तथा अन्य पटाखे खरीदते हैं और आतिशबाजी का आनंद उठाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि दीपावली के त्योहार का अर्थ दीप, प्रेम तथा सुख-समृद्धि से है। ऐसे में पटाखों का इस्तेमाल सावधानी पूर्वक और अपने बड़ों के सामने रहकर करना चाहिए। दिवाली का त्योहार हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। दीपावली का त्योहार सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। इस त्योहार के कारण लोगों में आज भी सामाजिक एकता बनी हुई है। हिंदी साहित्यकार गोपालदास नीरज ने भी कहा है, "जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना, अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।" इसलिए दीपावली पर प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देने के प्रयत्न करने चाहिए।
इन्हें भी देखें
- सीबीएसई क्लास 10वीं सैंपल पेपर
- यूके बोर्ड 10वीं डेट शीट
- यूपी बोर्ड 10वीं एडमिट कार्ड
- आरबीएसई 10वीं का सिलेबस
दीपावली के साथ मनाए जाने वाले उत्सव (Celebrations celebrated with Deepawali)
- दीपावली का त्योहार लगभग 5 दिनों का होता है। जिस के पहले दिन धनतेरस होता है। धनतेरस के दिन लोग धातु की वस्तुएं जैसे सोने और चांदी के आभूषण को खरीद कर अपने घर जरूर लेकर जाते हैं।
- दीपावली का दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। कुछ लोग इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाते हैं।
- तीसरा दिन दीपावली त्योहार का मुख्य दिन होता है। इस दिन देवी महालक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है।
- दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से हुई मूसलाधार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था।
- दिवाली के त्योहार के आखिरी दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।
ये भी देखें :
- हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें
- दशहरा पर निबंध
1) दीपावली को दीपों का त्योहार या दीपोत्सव भी कहा जाता है।
2) दिवाली भारत के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है।
3) यह त्यौहार भगवान राम की याद में मनाया जाता है जो चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।
4) इस अवसर पर हिंदू अनुयायी मिट्टी के दीपक जलाते हैं और अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं।
5) बच्चे इस त्योहार पर पटाखे जलाकर बहुत खुश होते हैं।
6) हिंदुओं में इस अवसर पर धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
7) बच्चे, बूढ़े और जवान, सभी इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा करते हैं।
8) इस दिन सभी लोग अपने दोस्तों और पड़ोसियों को मिठाइयाँ और उपहार देते हैं।
9) भारत में इस दिन सार्वजनिक अवकाश रहता है और लोग इस त्योहार को बड़े धूम-धाम के साथ मनाते हैं।
10) यह हिंदुओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है, जिसे अन्य धर्म और संप्रदाय के लोग भी आपस में मिलजुल कर मनाते हैं।
- हिंदी दिवस पर कविता | हिंदी दिवस पर निबंध | हिंदी दिवस पर भाषण
दिवाली हिंदू चंद्र-सौर महीनों अश्विन और कार्तिक में मनाई जाती है, जो आम तौर पर मध्य अक्टूबर और मध्य नवंबर के बीच आती है। प्राचीन हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दिवाली प्रतिवर्ष कार्तिक माह के पंद्रहवें दिन अमावस्या को मनाई जाती है।
वर्ष 2024 में शुक्रवार, 1 नवंबर, 2024 रोशनी का त्योहार मनाया जाएगा। द्रिकपंचांग के अनुसार सबसे शुभ समय शाम 5:36 बजे और 6:16 इनके बीच है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, Dhanteras 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2024 Date and Auspicious Time) कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और 30 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष काल इस दिन संध्याकाल 5 बजकर 36 मिनट से लेकर 8 बजकर 11 मिनट तक है।
Diwali 2024 Date : कब है दिवाली? पूजा करने का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर की शाम में 6:27 मिनट से लेकर रात में 8:32 मिनट तक है। दीपावली पूजा का निशिता मुहूर्त रात में 11:39 मिनट से देर रात 12 बजकर 31 मिनट तक है।
दीपावली पर निबंध (deepavali par nibandh) : वर्ष 2024 में, 29 अक्टूबर, 2024 को धनतेरस और 31 अक्टूबर, 2024 को छोटी दिवाली के बीच एक दिन का अंतराल होगा। यह क्रम हिंदू चंद्र कैलेंडर के आधार पर होगा।
प्रदोष काल : शाम 05:36 बजे से रात 08:11 बजे तक
वृषभ काल: सायं 06:20 बजे से रात्रि 08:15 बजे तक
अमावस्या तिथि आरंभ: 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:52 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 बजे।
दीपावली पर निबंध (dipawali per nibandh) 150 शब्द (कक्षा 4 और 5 के छात्रों के लिए)
दिवाली पर निबंध (diwali nibandh in hindi) कक्षा 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में उपयुक्त हैं।
दिवाली पर निबंध हर साल परीक्षाओं में आने वाले सबसे महत्वपूर्ण निबंधों में से एक है। दिवाली, रोशनी का त्योहार है। यह हिंदू धर्म का एक बहुत पुराना उत्सव है। मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने रावण का वध किया और लंका विजय के बाद माता सीता को लेकर अध्योध्या वापस लौटे। भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास की समाप्ति और रावण पर विजय के साथ माता सीता को मुक्त कराकर अयोध्या लौटने की खुशी में अयोध्यावासियों ने घर-घर दीपक जलाए। खुशियां मनाईं। यह परंपरा आज भी जारी है। दुनियाभर में हिंदू धर्मावलंबी बहुत उत्साह के साथ दीपावली मनाते हैं।
इस त्योहार को लेकर बच्चों में खासा उत्साह रहता है। घर, दुकान में दीपावली से पहले सफाई की जाती है। सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं। बच्चे पटाखे छोड़ते हैं। लोग अपने घरों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाते हैं। दीपक जलाते हैं। दुकानों-प्रतिष्ठानो में मां लक्ष्मी की पूजा होती है। मिठाईयां बांटी जाती है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह अंधकार को दूर कर प्रकाश का भी प्रतीक है।
दिवाली पर निबंध (diwali nibandh in hindi) 250 शब्द (कक्षा 6,7 और 8 के छात्रों के लिए)
250 शब्दों की शब्द सीमा वाले दिवाली निबंध कक्षा 6,7 और 8 के छात्रों की परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। दिवाली उल्लास और उत्सव का समय है। यह वह दिन है जब राजा रामचंद्र ने असुर सम्राट रावण को हराया और 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे। अयोध्या वापसी पर अयोध्यावासियों ने अपने राजा राम का स्वागत दीप जलाकर किया। मान्यता है कि रामचंद्र की वापसी की खुशी में दीपावली मनाई जाती है।
लोग रंग-बिरंगी रोशनी से घरों को सजाते हैं। दीप-मोमबत्ती जलाते हैं। पकवान बनते हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं। मां लक्ष्मी की पूजा होती है। बच्चे और बड़े पटाखे-आतिशबाजी करते हैं।
आतिशबाजी दिवाली का एक लोकप्रिय हिस्सा बन गई है, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि त्योहार की असली भावना अपने प्रियजनों के साथ खुशियाँ फैलाना है। दिवाली जैसे त्यौहार परिवारों और दोस्तों के बीच के आपके बंधन को मजबूत करता है। यह एक ऐसा समय है जब हर कोई अपने परिवारों के साथ जश्न मनाने के लिए अपने गृहनगर वापस जाता है।
दिवाली के अवसर पर राष्ट्रीय अवकाश रहता है। इसलिए हर कोई त्योहार का आनंद उठाता है। रात होते ही उत्साह बढ़ता है। हर तरफ रोशनी दिखती है। माहौल में उल्लास का अनुभव होता है। दिवाली हमें धैर्य और जीवन में अच्छी चीजों की प्रतीक्षा करने का मूल्य सिखाती है। बच्चे उत्सुकता से उन स्वादिष्ट मिठाइयों और पकवानों का इंतज़ार करते हैं। यह एक ऐसा समय भी है जब घरों और आसपास की जगहों की अच्छी तरह सफाई होती है। दिवाली इस बात की शिक्षा देती है कि "अच्छे लोग हमेशा बुरे लोगों पर विजय प्राप्त करते हैं।"
दिवाली पर 300 शब्दों में निबंध (कक्षा 9,10 और 11 के छात्रों के लिए)
300 शब्दों में दिवाली पर निबंध कक्षा 9,10 और 11 के छात्रों के लिए उनकी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह निबंध अक्सर हिंदी लेख में पूछा जाता है।
भारतीय संस्कृति में त्यौहार मानव जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। वे हमारे मूल्यों की एक विशेष याद दिलाते हैं। त्योहार हमारी एकता, उल्लास और मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं, इसे चरितार्थ करते हैं। दीपावली एक ऐसा ही एक त्यौहार है जिसे बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है। दिवाली एक हिंदू त्यौहार है जो लंका के राजा रावण के साथ एक बड़ी लड़ाई के बाद श्रीरामचंद्र की अयोध्या वापसी का प्रतीक है। यह अंधकार पर प्रकाश का द्योतक है। त्यौहार में लोग मिलजुलकर खुशियां बांटते हैं।
दिवाली हमें सभी के प्रति दयालु होने और धैर्य रखने की याद दिलाती है। हमारी मान्यताओं का हमारे सोचने के तरीके पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है, इसलिए हमें दिवाली जैसे त्यौहारों में अपने विश्वास को बनाए रखना चाहिए। हालांकि दिवाली की रात को लोग पटाखे और आतिशबाजी करते हैं। यह कई बार लोगों की असुविधा का भी कारण बनता है। आतिशबाज़ी हवा में हानिकारक गैसें छोड़ती हैं, जिससे प्रदूषण होता है। इससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पटाखे की तेज आवाज आस-पास रहने वाले जानवरों को भी डराते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, दूसरों को खतरे में डाले बिना, ज़िम्मेदारी से जश्न मनाना ज़रूरी है। दिवाली के दौरान, हमारे घर ताज़े पके हुए खाने की स्वादिष्ट खुशबू से भर जाते हैं। हम त्योहार के दौरान बहुत सारे स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं और उनका आनंद लेते हैं। लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि त्योहार हमें करीब लाने और हमारे बंधन को मजबूत करने के लिए होते हैं, न कि उत्सव के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए। तो, आइए दिवाली को खुशी, दया और सभी जीवित प्राणियों और हमारे आस-पास की दुनिया के लिए विचार के साथ मनाएं।
लोगों में इस वर्ष जिज्ञासा हो रही है कि दिवाली 2024 कब है? (Diwali 2024 kab hai) 31 अक्टूबर या 1 नवंबर? तो हम आपको diwali kab hai 2024 सवाल का जवाब बता देते हैं। यदि आप भी सोच रहे हैं कि 2024 में दीपावली कब मनाई जाएगी तो जान लिजिए कि कुछ ज्योतिषियों के अनुसार 1 नवंबर को दिवाली (diwali 2024) मनाना शास्त्रसम्मत है। 1 नवंबर को दिवाली मनाए जाने की वजह से इस बार दीप पर्व 5 की जगह 6 दिनों का हो जाएगा। 29 अक्टूबर को धनतेरस से पर्व की शुरुआत होगी और 3 नवंबर को भाईदूज के साथ इसका समापन होगा। ज्योतिषियों के अनुसार प्रदोषकाल में प्रदोष व्यापिनी तिथि अमावस्या होने पर दिवाली मनाई जाती है। हालांकि इस बार 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों ही दिन अमावस्या तिथि है। शास्त्र के अनुसार जब दोनों दिन सांयकाल में अमावस्या तिथि हो तो दूसरे दिन अमावस्या युक्त प्रतिपदा को लिया जाना चाहिए। इसलिए 1 नवंबर को दिवाली मनाना शास्त्रसम्मत है।
हालांकि कुछ पंडितों के अनुसार 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाया जाना चाहिए। उनके अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को शाम 3 बजकर 52 मिनट पर आरंभ हो रही है और इसका समापन 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार कार्तिक अमावस्या 1 नवंबर को है। दिवाली की पूजा अमावस्या तिथि में प्रदोष व्यापिनी मुहूर्त में शास्त्रसम्मत है। प्रदोषकाल सूर्यास्त के बाद प्राप्त होता है। हालांकि कुछ ज्योतिषियों का कहना है कि 1 नवंबर काे अमावस्या तिथि सूर्यास्त के बाद जल्द खत्म हो जाएगी। ऐसे में प्रदोषकाल कम समय प्राप्त होगा। अमावस्या को निशिता मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा का महत्व माना जाता है। 1 नवंबर को निशिता मुहूर्त प्राप्त नहीं होगा इसलिए कुछ लोग इस वजह से 31 अक्टूबर को दिवाली मनाए जाने को ठीक बता रहे हैं। (2024 mein diwali kab hai)
दिवाली 2024 के अवसर पर हरियाणा और दिल्ली सरकार ने 31 अक्टूबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। हरियाणा सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि दीपावली के अवसर पर 31 अक्टूबर को अवकाश रहेगा। वहीं दिल्ली सरकार ने भी दीपावली की छुट्टी 31 अक्टूबर को घोषित की है। शिक्षा निदेशालय हरियाणा द्वारा जारी नए आदेश के बाद छुट्टी की तिथि बदली है। दरअसल, पहले हरियाणा में दिवाली की छुट्टी 2024 गुरुवार, 31 अक्टूबर और शुक्रवार 1 नवंबर को होने वाली थी। लेकिन अब ये तारीखें बदलकर 30 और 31 अक्टूबर कर दी गई हैं।
दिवाली का त्योहार आने के 10-12 दिन पहले से ही बच्चों में इस त्योहार का उमंग दिखने लगता है। कोई अपने घरों में घरौंदा बनाने में जुट जाता है तो कोई कंदील तैयार करने में लग जाता है। स्कूलों में भी दिवाली के अवसर पर बच्चों के बीच रंगोली प्रतियोगिता, कंदील प्रतियोगिता जैसे इवेंट का आयोजन होता है जिसमें बच्चे अपनी रचनात्मक क्षमता दिखाते हैं। इस दौरान बच्चों का उत्साह देखते ही बनता है। इसके अलावा कई संस्थाओं द्वारा भी दिवाली पर कार्यक्रमों का आयोजन कर सामाजिक सद्भाव का संदेश देते हुए मिठाई और ग्रीन पटाखे बांटे जाते हैं।
दीपावली के दिन घर में मिट्टी का घरौंदा रखने का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। हालांकि बीते समय के साथ लोग इसको भूलने लगे हैं, लेकिन आज भी मान्यताओं को मानने वाले लोग मिट्टी, लकड़ी आदि से घरौंदा बनाकर घरों में रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दीपावली के दिन घर में घरौंदा बनाने से घर में माता लक्ष्मी का वास होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। कंदील सजाकर रखने से सकारात्मकता का भाव घर में बना रहता है।
Frequently Asked Questions (FAQs)
दिवाली 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी और साथ ही अंधकार पर रोशनी का प्रतीक है। अपने घरों की सफाई और उन्हें तरह तरह के लाइट से सजाने के बाद लक्ष्मी गणेश की पूजा के साथ दीपावली का त्योहार धूम धाम से मनाया जाता है, तथा रात के समय बच्चे आतिशबाजी का भी लुफ्त उठाते हैं।
इस त्योहार के दौरान, लोग अपने घरों को रंगोली और तेल के दीयों से सजाते हैं, जिन्हें दीपक कहा जाता है। सभी एक दूसरे को बधाई देते हैं, अच्छे अच्छे पकवान बनाते हैं, पटाखों से आतिशबाजी करते हैं और मिल-जुल कर सौहार्द के साथ दिवाली के पर्व को मनाते हैं।
दीपावली' संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप + आवली। ‘दीप’ अर्थात ‘दीपक’ और ‘आवली’ अर्थात ‘श्रृंखला’, जिसका मतलब हुआ दीपकों की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति।
आप इस लेख की सहायता से दिवाली पर हिंदी में निबंध लिख सकते है, पूरे लेख को ध्यान से पढ़ें और समझें की आप किस तरह से दिपावली पर हिंदी निबंध लिख सकते हैं।
दिवाली का त्योहार मिट्टी के दीप या फिर तरह -तरह के लाइट और रंगोली से अपने घर को सजा कर, खुशियां बाँट कर, लक्ष्मी गणेश की पूजा करके, अच्छे अच्छे पकवान बना कर हर्ष और उल्लास के साथ दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।
साल 2024 में दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। हालांकि कुछ प्रदेशों में 1 नवंबर को भी दीपावली मनाई जाएगी।
लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करना सर्वाधिक फलदायक माना जाता है। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन का और विशेष महत्व है। साल 2023 में दिवाली के अवसर पर 12 नवंबर को लक्ष्मी पूजन मुहूर्त गृहस्थजनों के लिए सायं 05:41 मिनट से रात 07:37 मिनट तक है। लक्ष्मी पूजन मुहूर्त की कुल अवधि लगभग 01 घंटे 55 मिनट रहेगी।
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Essay on "Tornado" for Kids and Students, English Paragraph, Speech for Class 8, 9, 10, 12, College and Competitive Exams. Absolute-Study July 15, 2020 English Essays , Paragraph Writing , Short Speech No Comments
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खुशी पर निबंध - Essay on Happiness in Hindi. जवाहरलाल नेहरू पर निबंध - Jawaharlal Nehru Essay in Hindi. किसान पर निबंध - Essay on Farmer in Hindi. विज्ञान पर निबंध - Essay on Science in Hindi. जल का महत्व ...
बाल मजदूरी पर निबंध - (Child Labour Essay); भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi); महिला सशक्तिकरण पर निबंध - (Women Empowerment Essay); बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
115 Tornado Essay Topic Ideas & Examples. Tornadoes are one of the most powerful and destructive natural disasters on Earth. These rotating columns of air can cause immense damage to homes, buildings, and landscapes, leaving a trail of destruction in their wake. Understanding tornadoes and their impact on society is essential for preparedness ...
Tornado meaning in Hindi : Get meaning and translation of Tornado in Hindi language with grammar,antonyms,synonyms and sentence usages by ShabdKhoj. Know answer of question : what is meaning of Tornado in Hindi? Tornado ka matalab hindi me kya hai (Tornado का हिंदी में मतलब ). Tornado meaning in Hindi (हिन्दी मे मीनिंग ) is बवंडर.
200 शब्दों में Essay On Hindi Language in Hindi इस प्रकार हैः. हिंदी भाषा एक इंडो-आर्यन भाषा है। समय के साथ भारतीय आदिकाल, मध्यकाल और आधुनिक काल में हिंदी ...
Here you can find the translation for "Tornado" and a mnemonic illustration to help you remember it. / / / ...
दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - दिवाली पर हिंदी में निबंध लिखने की प्रक्रिया की जानकारी आप इस लेख में दिए गए दिवाली पर नमूने निबंध के माध्यम से प्राप्त कर ...