ओणम पर निबंध
Essay on Onam in Hindi : हम यहां पर ओणम पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में ओणम के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।
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ओणम पर निबंध | Essay on Onam in Hindi
ओणम पर निबंध (250 शब्द).
यह केरल के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। लोग अपने धर्म, उम्र या समुदाय के बावजूद ओणम को बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं। इस रंग-बिरंगे त्योहार का जश्न काफी लंबे समय से चल रहा है, और यह इस आधुनिक युग में भी जारी है। ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम से हुई है।
यह शब्द सत्ताईस नक्षत्रों में से एक का तात्पर्य है। इस त्योहार के लिए कुछ अन्य शब्द भी हैं जैसे थिरु-ओणम या थिरुवोनम। थिरु भगवान विष्णु से संबंधित कुछ को संदर्भित करता है, और थिरुवोनम भगवान विष्णु के नक्षत्र को संदर्भित करता है। ओणम आमतौर पर अगस्त के अंत और सितंबर की शुरुआत में मनाया जाता है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार इस महीने को चिंगम के नाम से जाना जाता है। यह वार्षिक फसल उत्सव दस दिनों तक चलता है।
ओणम के दस दिन एक कार्निवल के समान होते हैं। इन उत्साही समारोहों को देखने के लिए पर्यटक केरल में आते हैं। समारोहों की कुछ बेहतरीन विशेषताओं का उल्लेख नीचे किया गया है। इस त्यौहार की सभी प्रमुख विशेषताओं में से लोक नृत्य सबसे अलग है। महिलाओं द्वारा प्रस्तुत, ये नृत्य रूप निश्चित रूप से त्योहार का प्रमुख आकर्षण हैं। कुछ पारंपरिक नृत्यों में कथकली, पुलिकली, कैकोटी काली और थुंबी थुल्लल शामिल हैं। यह एक भव्य दावत है जो त्योहार के दसवें दिन तैयार की जाती है। इस भव्य भोजन में विभिन्न प्रकार के शाकाहारी व्यंजन शामिल हैं। इसे ज्यादातर केले के पत्ते पर परोसा जाता है। ओणम साध्य के लिए परिवार कम से कम नौ से ग्यारह व्यंजन तैयार करते हैं। मंदिरों और रेस्तरां में इसके लिए तीस से अधिक व्यंजन हो सकते हैं।
ओणम पर निबंध (800 शब्द)
भारत अनेकता में एकता वाला देश हैं। भारत में कई प्रकार की जातियों के लोग रहते हैं। भारत देश में कई प्रकार के त्यौहार मनाया जाते हैं। इस देश की संस्कृति अपने आप में अलौकिक हैं। भारत एक ऐसा देश है जहां हर महीने और हर दिन कोई न कोई त्योहार मनाया जाता हैं। ओणम भी इन त्योहारों में से एक हैं और यह प्राचीन समय से मनाया जाता हैं। ओणम के साथ साथ चिंगम महीने में केरल में चावल की फसल का त्यौहार फूलों का त्यौहार भी मनाया जाता हैं। मलयाली तथा केरल के लोग और उनको बहुत ही ज्यादा धूमधाम से मनाते हैं।
पुराणों में ओणम
ओणम का त्योहार राजा महाबली की याद तथा सम्मान में मनाया जाता हैं। लोगों का मानना है इस दिन भगवान विष्णु अपने पांचवें अवतार वामन के रूप में चिंगम मास के दिन धरती पर आकर राजा महाबली को पाताल भेजा था। ओणम सदियों से मनाया जा रहा है यह त्यौहार राजा महाबली की उदारता और समृद्धि की याद में मनाया जाता हैं।
इतिहास में ओणम
कुछ लोगों का माना है कि ओणम का प्रारंभ संगम काल में हुआ था और उनसे संबंधित उल्लेख कुलसेकरा पेरूमल में मिलता हैं। ओणम पूरे महीने चलता हैं। ओणम खासतौर पर केरल में मनाया जाता हैं। ओणम त्योहार फसलों की कटाई से संबंधित हैं परंतु यह शहरों में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं।
यह त्योहार को मलयालम कैलेंडर के पहले महीने चिंगम के शुरूआत में मनाया जाता हैं। ओणम चार से दस दिन तक चलता हैं।
ओणम का महत्व
ओणम फसल की कटाई के समय मनाया जाता हैं। ओणम आमतौर पर अगस्त या फिर सितंबर महीने में आता हैं। ओणम पर कई तरह के नृत्य किए जाते हैं। इस दिन केरल के लोक नृत्य कथकली का बहुत ही बड़े पैमाने पर आयोजन किया जाता हैं। इस दिन औरतें सफेद साड़ी पहनती हैं और बालों में फूलों की वेणिया लगाती हैं और नृत्य प्रस्तुत करती हैं। बहुत ही ज्यादा हैं अलग अलग तरीके के व्यंजन बनाए जाते हैं। इस त्यौहार को बहुत ही ज्यादा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। ओणम अपने साथ सुख, समृद्धि, आपसी सौहार्द की भावना को लेकर आता हैं।
कैसे मनाया जाता हैं ओणम
ओणम को राजा महाबली की याद मे मनाया जाता हैं। केरल पर राज करने वाले राजा महाबली बहुत ही उदार थे। राजा महाबली उदार ,धर्म परायण, सत्यवादी थे। उनके राज्य मैं धन और समृद्धि अपार मात्रा मे थी। उनकी लोकप्रियता बहुत बढ़ती जा रही थी। क्योंकि वह प्रजा के लिए राजा नहीं बल्कि भगवान बन चुके थे। लोग उन्हें भगवान की तरह पुजते थे। देवताओ से यह बात सही नहीं गई। इंद्र ने षड्यंत्र बनाकर विष्णु जी से सहायता मांगी। विष्णु जी ने वामन का रूप धारण करके महाबली से वचन लिया और उनको तीन पग जमीन देने के लिए कहा। महाबली की याद में ओणम मनाया जाता हैं।
उन क्षेत्रों का मालिक होना चाहता था। महाबली उनकी इच्छा मान गए। अचानक वामन विशाल हो गया। केवल दो कदमों के साथ, उसने पृथ्वी और स्वर्ग दोनों का दावा किया। उसके लिए और कोई जमीन नहीं बची थी, महाबली ने अपने वादे की रक्षा के लिए कुछ बलिदान किया। महान राजा ने भूमि के टुकड़े के लिए अपना सिर अर्पित कर दिया। हालांकि उनकी एक शर्त थी। वह अपने घर लौटने की कामना करता था और हर साल एक बार अपने लोगों द्वारा उसका स्वागत किया जाता था।
ऐसा माना जाता है कि महाबली अंडरवर्ल्ड (पाताल) पर राज करते हैं। हर साल, वह अपनी प्रजा के पास जाते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। दस दिनों के उत्सव का अर्थ है कि दोनों लोकों के बीच आगे-पीछे यात्रा करने में लगने वाला समय। इसलिए, बहुत सम्मानित राजा का स्वागत करने के लिए ओणम को बहुत सारे उत्सवों के साथ मनाया जाता है।
ओणम का त्योहार मनाने का तरीका
सभी लोग अपने घर को दुल्हन की तरह से सजाते हैं और अपने राजा का इंतजार करते हैं और चारों तरफ दीप जलाए जाते हैं। ओणम का त्योहार 10 दिन तक मनाया जाता हैं।
- 1.पहले दिन महाबली की पाताल से केरल आने की तैयारी की जाती हैं घरो को बहुत ज्यादा सुंदर तरीके से सजाया जाता हैं।
- 2.दूसरे दिन चिथिरा होता है इसी फूलों का कालीन जिसे पुकलम कहते हैं इससे ओणम से पहले बनाने की तैयारी शुरू कर दी जाती है। ओणम के दिन इसे बनाने की प्रतियोगिता होती हैं।
- 3.तीसरा दिन चोधी होता हैं। इस दिन 4-5 तरह के फुलो से पुकलम की अगली परत बनाई जाती हैं।
- 4.चौथा दिन विशाकम होता है दिन कई प्रकार के प्रतियोगिता होने चालू हो जाती हैं।
- 5.पांचवा दिन अनिजहम होता हैं इस दिन नौका दौड कराई जाती हैं।
- 6.छठा दिन थिकेत होता हैं इस दिन से छुट्टी प्रारंभ हो जाती हैं।
- 7.सातवाँ दिन मूलम होता इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा होती हैं।
- 8.आठवां दिन पूरादम होता है इस दिन महाबली और वामन की मूर्ति घर में स्थापित की जाती हैं।
- 9.नौवां दिन उठोदम होता हैं इस दिन महाबली केरल के प्रवेश करते हैं।
- 10.दसवां दिन थिरूवोनम होता हैं इस दिन ओणम मनाया जाता हैं।
ओणम के दिन पुरे केरल तथा वहा के सभी घरो को दुलहन की तरह सजाया जाता हैं। हर घर के सामने रंगोली बनाई जाती हैं। ओणम पर केरल की समृद्धि को व्यापक रूप में देखा जा सकता हैं। ओणम त्योहार के दिन लोक नृत्य ,दौड़, खेल -कूद होती हैं और स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। राजा महाबली बहुत ही ज्यादा दानी व्यक्ति थे। वह लोगों के आदर्श थे। ओणम के दिन अमीर लोग गरीब लोगों को दिल से दान करते हैं। ओणम का त्योहार केरल में बहुत ही ज्यादा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं।
दोस्तों आज हमने इसलिए अपने आप को ओणम पर निबंध( Essay on Onam in Hindi ) के बारे में बताया है। आशा करते हैं, आपको यह लेख पसंद आया होगा। अगर आपको इससे संबंधित कोई भी जानकारी चाहिए तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।
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ओणम पर निबंध Essay on Onam in Hindi (1000+Word)
इस लेख में हमने ओणम पर निबंध (Essay on Onam in Hindi) लिखा है। दिए गए निबंध में ओणम पर्व क्या है तथा यह कब और कैसे मनाया जाता है। साथ ही ओणम त्योहार के महत्व तथा दिए गए ओणम पर दस पंक्तियाँ इस निबंध को आकर्षक बनाते हैं।
Table of Contents
प्रस्तावना (ओणम पर निबंध Essay on Onam in Hindi)
भारतवर्ष में अनेकों पंथ तथा संप्रदाय के लोग रहते हैं। इसलिए इसे एक धर्मनिरपेक्ष देश भी कहा जाता है। किसी भी देश की बौद्धिक उन्नति वहां के पर्वों के माध्यम से लगाया जा सकता है।
हर धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व होता है। त्योहार यह मानव संस्कृति के दर्पण होते है। सनातन संस्कृति के त्योहार सिर्फ धर्म विशेष के लोगों के लिए नहीं वरन समूचे मानव समाज को दिशा दिखाने के लिए आते हैं।
ओणम त्योहार भी सनातन संस्कृति के उन्हीं चिन्हों में से एक हैं जो लोगों को सामाजिक उत्साह के साथ बौद्धिक तथा आध्यात्मिक ज्ञान देने आता है।
ओणम त्योहार विश्व पालनहार भगवान विष्णु की महानता का ज्ञान तथा उनके सद्गुणों का गान कराने वाला एक अनोखा पर्व है।
ओणम क्या है? What is Onam in Hindi?
ओणम केरल का एक बहुत ही प्रमुख तथा प्राचीन त्योहार है जो बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार चिंगम महीने में मनाया जाता है। चिंगम माह मलयालम कैलेंडर का पहला महीना होता है जो अगस्त-सितंबर के महीने में ही आता है।
ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम शब्द से हुई है, “श्रवणं” संस्कृत में 27 नक्षत्रों या नक्षत्रों में से एक की ओर इंगित करता है। दक्षिण भारत में थिरु शब्द का उपयोग भगवान विष्णु से जुड़ी हर चीज के लिए किया जाता है।
थिरुवोनम को भगवान विष्णु का नक्षत्र माना जाता है प्रभु विष्णु ने महान राजा महाबली को अपने पैर से पाताल में दबाया था।
इस त्योहार को अभिमान नाशक के रूप में मनाया जाता है तथा जन समूह इस त्योहार प्रेरित तथा प्रफुल्लित होता है।
ओणम कब है? Onam Celebration Date
दूसरे सोलर कैलेंडर में इसे सिम्हा महीना भी कहते हैं। तमिल कैलेंडर के अनुसार इसे अवनी महीना भी कहते हैं।
इस वर्ष ओणम 12-23 अगस्त को मनाया जाएगा। यह दिन हर प्रकार के सद्कार्य के लिए शुभ समय माना जाता है।
ओणम क्यों मनाई जाती है? Why is Onam Celebrated in Hindi?
भगवान विष्णु के परम भक्त कहे जाने वाले श्री प्रहलाद जी असुर कुल में जन्म लेने के बावजूद भी अपने कर्म से हरि भक्त ही कहलाए। प्रहलाद के पोते बलि भी उनके ही गुणों के साथ पैदा हुए।
राजा बलि की ख्याति स्वर्ग तक फैली हुई थी। वे उस वक्त दानवीर कह जाते थे क्योंकि उनके द्वार पर कोई भी इंसान दुख ही वापस नहीं जाता था।
अपनी प्रजा के लिए राजा बलि एक भगवान समान थे। प्रजा उनसे बेहद खुश थी तथा उनकी पूजा करती थी तथा वे भी अपनी प्रजा से बेहद प्रेम करते थे। उनके राज्य में अन्याय का नामोनिशान नहीं था।
लेकिन उनके अंदर अहम भाव की कुछ मात्रा पनप चुकी थी। देवताओं ने सोचा की कहीं राजा बलि का अहम भाव स्वर्ग को छीनने की इच्छा ना प्रकट करने लगे। इसलिए वे सभी भगवान विष्णु के पास अपनी गुहार को ले गए।
भगवान अपने भक्तों को किसी भी बुराई से दूर रखते हैं। इसलिए भगवान विष्णु वामन अवतार धारण कर राजा बलि के अहंकार को नष्ट करने निकल पड़े।
भगवान विष्णु ने वामन अवतार धरकर राजा बलि के दरबार में पहुंचे और कुछ दान करने के लिए कहा। लेकिन अभिमान वश राजा बलि ने कहा कि आप इस संसार की कोई भी चीज मांग सकते है।
पहले तो भगवान विष्णु ने उन्हें रोका लेकिन उनके अभिमान को देखकर उन्होंने कहा कि मैं जो मांग लूंगा शायद आप वो ना दे सके। ऐसे में राजा बलि का अभिमान सातवें आसमान को छू गया और उन्होंने वामन देवता को खुलकर कुछ भी मांगने का आदेश दिया।
वामन देवता के रूप में भगवान विष्णु ने उनसे सिर्फ तीन पग की जमीन मांगी। पहले तो राजा बलि ने उनका उपहास उड़ाया और कुछ बड़ा मांगने को कहा। लेकिन वामन देवता के आग्रह पर वे मान गए और तीन कदम नापने का आदेश दिया।
वामन देवता ने अपने पहले कदम के रूप में पूरी धरती नाप दी। यह देखते ही राजा बलि को अपनी भूल का एहसास हुआ। दूसरी कदम के रूप में वामन देवता ने अंतरिक्ष को नाप दिया। जैसे ही वे तीसरे कदम को उठाने चले तभी राजा बलि ने उनके चरणों को पकड़कर विलाप करना शुरू कर दिया।
उन्होंने अपने अभिमान के लिए उनसे माफी मांगी। अपने कथन अनुसार उन्होंने अपनी राजगद्दी त्याग दी और पाताल लोक में जाकर राज करने लगे।
उनके वचन पालन से खुश होकर भगवान विष्णु ने उन्हें एक वरदान मांगने को कहा तो उन्होंने वर्ष में एक दिन धरती पर आकर अपनी प्रजा को देखने की अनुमति मांगी। उनके इस वरदान को भगवान ने मान लिया।
ऐसा माना जाता है कि हर वर्ष ओणम के दिन ही राजा बलि धरती पर आकर अपनी प्रजा तथा राज्य को देखते हैं। केरल की प्रजा अपने राजा की याद में हर वर्ष इस त्योहार को मनाती है।
ओणम का महत्व Importance of Onam Festival in Hindi
ओणम त्योहार का सनातन संस्कृति में बहुत ही अधिक महत्व है। क्योंकि यह ऐसे उपलक्ष को इंगित करता है जिसमें जगत के पालनहार भगवान विष्णु इंसान रूप में धरती पर अवतरित हुए थे।
भगवान विष्णु जी धरती पर भगवान राम तथा भगवान कृष्ण के रूप में जन्म लिए थे। वामन अवतार भी प्रभु हरि के दस अवतारों में से एक हैं इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
ओणम त्योहार का महत्व तीन अलग पहलुओं के माध्यम से हमारे सामने आता है। सामाजिक रूप से ओणम त्योहार का महत्व किसी भी त्योहार से अधिक है। इस त्योहार के दिन पूजा पद्धति तथा जनसमूह की मानसिकता में एकरूपता देखने को मिलती है।
इस दिन लोग दक्षिण भारत में रहने वाले हिंदू बिना किसी भेदभाव के संगठित होते हैं और भगवान विष्णु को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं जहां एक तरफ हिंदू एकता में वृद्धि होती है वहीं दूसरी तरफ वैचारिक समरसता भी बढ़ती है।
ओणम पर्व के सांस्कृतिक महत्व के रूप में हमारे युवा तथा आने वाली पीढ़ियों को सनातन संस्कृति की विशालता तथा प्राचीनता का अनुभव विरासत में देना है। इन त्योहारों के माध्यम से ही हमें हिंदू धर्म के ज्ञान तथा विशालता का स्त्रोत प्राप्त हो सकता है।
ओणम कैसे मनाया जाता है? How is Onam Celebrated in Hindi
ओणम पर्व यह दस दिनों तक चलने वाला पर्व है लेकिन इसके आने के कई दिन पहले ही घरों व दुकानों में साफ-सफाई तथा खरीदी शुरू हो जाती है। ओणम त्योहार के दिन सभी के घरों में काफी चहल-पहल तथा उल्लास का माहौल रहता है।
पहले दिन के रूप में राजा बलि के पाताल जाने की तैयारी होती है। दुसरे तथा तीसरे दिन दिन फूलों का कालीन बनाया जाता है जिसे चिथिरा कहते हैं। चौथे दिन विशेष प्रतियोगिताएँ होती हैं जिसे विशाकम तथा पाचवे दिन नाव दौड़ की प्रतियोगिता को अनिजहम कहते हैं।
छठे दिन को थ्रिकेता कहते हैं इस दिन छुट्टियों का ऐलान होता है। सातवें दिन विशेष पूजा होती है जिसे मलुम कहते हैं। आठवें दिन भगवान विष्णु और राजा बलि की मूर्ति स्थापित की जाती है जिसे पुरादम कहते हैं। नौवें दिन राजा बलि केरल में प्रवेश करते हैं जिसे उठ्रादम कहते हैं। दसवे दिन होने वाली रस्मों थिरुवोनम कहते हैं।
ओणम के दिन महिलाऐं सफ़ेद साड़ी पहनती हैं तथा बालों में सफ़ेद फूलों के गजरे लगाती है। छोटी बच्चियाँ सफ़ेद फ़्रोक या अन्य सफ़ेद वस्त्र धारण करती हैं।
पुरुष पारंपरिक धोती कुर्ते को पहनते हैं तथा माथे पर सफ़ेद चन्दन लगाते हैं। इस दिन भगवान् विष्णु की प्रतिमा को विशेष रूप से सजाया जाता है तथा मंदिरों में भगवान् का विशेष श्रृंगार किया जाता है।
इस दिन नृत्य तथा संगीत का भी रिवाज है नृत्य में केरल के प्रसिद्ध नृत्य “कथकली” को किया जाता है। घर के चौखट पर विशेष रंगोली बनाई जाती है।
कई जगहों पर इस दिन मेला लगाया जाता है तथा हाथियों को सजाकर विशेष जुलूस भी निकाला जाता है। पुरे भारत में जहाँ कही भी केरल के निवासी होते हैं वे सभी इस त्योहार को जरूर मनाते हैं।
ओणम त्योहार के पकवान Festival Recipe in Hindi
ओणम पर 26 पकवानों वाले सद्या को एक पत्ते पर परोसा जाता है. पुराने लोग ‘सद्या’ के हर पकवान को पत्ते पर खास तरीके व क्रम में परोसते हैं. इन व्यंजनों में कई तरह के अचार, कई तरह की सब्जियां, केले के चिप्स, कच्चे केले की मिठाई व अन्य तरह के पकवान शामिल होते हैं
ओणम पर 10 लाइन 10 Lines on Onam in Hindi
- ओणम केरल का एक बहुत ही प्रमुख तथा प्राचीन त्योहार है जो बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
- ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम शब्द से हुई है।
- इस त्योहार को अभिमान नाशक के रूप में मनाया जाता है।
- ओणम के दिन ही राजा बलि धरती पर आकर अपनी प्रजा तथा राज्य को देखते हैं।
- ओणम पर्व यह दस दिनों तक चलने वाला पर्व है।
- ओणम के दिन महिलाऐं सफ़ेद साड़ी पहनती हैं तथा बालों में सफ़ेद फूलों के गजरे लगाती है।
- इस दिन भगवान् विष्णु की प्रतिमा को विशेष रूप से सजाया जाता है।
- इन त्योहारों के माध्यम से ही हमें हिंदू धर्म के ज्ञान तथा विशालता का स्त्रोत प्राप्त हो सकता है।
- इस दिन रल के प्रसिद्ध नृत्य “कथकली” को किया जाता है।
- इस दिन मेला लगाया जाता है तथा हाथियों को सजाकर विशेष जुलूस भी निकाला जाता है।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने ओणम पर निबंध (Essay on Onam in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको पसंद आया हो। अगर लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरुर करें।
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ओणम त्योहार पर निबंध Onam Festival Essay in Hindi
इस लेख में आप ओणम त्योहार पर निबंध (Onam Festival Essay in Hindi) हिंदी में पढ़ेंगे। ओणम त्योहार के बारे में अधिकतर परीक्षाओं में पूछा जाता है इसलिए इस निबंध में ओणम क्या है, कब है और इसे कैसे मनाते हैं तथा ओणम का महत्व व पौराणिक कथा को शामिल किया गया है।
Table of Content
भारतीय सनातन संस्कृति में पंथ और संप्रदायों की विविधता देखने को मिलती है। ओणम ऐसे ही विविधता को दर्शाने वाला त्योहार है। त्योहारों को मानव समाज का दर्पण भी कहा जाता है, क्योंकि इससे उनके रहन-सहन व शिक्षा तथा धार्मिक उन्मुखता का प्रदर्शन होता है।
भारतीय संस्कृति की गहराई को इसके त्योहारों के माध्यम से देखा जा सकता है। यह त्यौहार किसी पंथ या संप्रदाय विशेष के लिए नहीं बल्कि समूचे मानव समाज को एक नवीन दिशा प्रदर्शित करने के लिए आते हैं।
जीवन के पालनकर्ता कहे जाने वाले भगवान विष्णु अपने सभी अवतारों में जनजीवन को पुण्य तथा मानवता का संदेश देते हैं। ओणम त्यौहार में भी उनके एक प्रमुख अवतार के माध्यम से अनौचित्य क्रियाकलापों को रोककर सत्य तथा धर्म की स्थापना की पहल की गई थी।
ओणम पर्व दक्षिण भारत का एक ऐसा ही प्रसिद्ध त्योहार है जो अपनी पौराणिक कथा के माध्यम से सामान्य जनजीवन में सकारात्मकता और नवीनता का संचार करता है।
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ओणम क्या है? What is Onam in Hindi?
भारत के ज्यादातर त्योहारों के नाम संस्कृत शब्द से लिए गए हैं। ओणम शब्द भी संस्कृत शब्द श्रवणम से लिया गया है। श्रवणम 27 नक्षत्रों में से एक को दर्शाता है। मलयालम में थिरु शब्द को भगवान श्री हरि के लिए उपयोग किया जाता है और थिरुवानेम भगवान विष्णु के नक्षत्र को प्रदर्शित करता है।
भगवान विष्णु ने महान और पराक्रमी राजा बलि के अहंकार को नष्ट कर उसे पाताल में भेजा था। बलि बेहद ही बलशाली और विद्वान और न्यायप्रिय राजा था, भगवान विष्णु की लीलाओं और राजा बलि की न्यायप्रियता के कारण ही ओणम पर्व मनाया जाने लगा।
हालांकि कई ग्रंथ इस घटना को अलग अलग तरीके से बताते हैं लेकिन सभी में भगवान विष्णु द्वारा महान राजा बलि के अहंकार को नष्ट कर समाज में मानवता का भाव बढ़ाने की लीला करते हुए बताया गया है।
ओणम केरल का एक मुख्य त्यौहार है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार यह नव वर्ष की शुरुआत का पहला दिन है। नव वर्ष के पहले महीने को मलयालम में चिंगम कहा जाता है। पौराणिक घटनाओं से मिलती सीख को समाज में बनाए रखने के लिए ओणम त्यौहार मनाया जाता है।
ओणम कब है? When is Onam in Hindi?
ओणम को मलयाली अवधी कैलेंडर कोल्लवारम के अनुसार वर्ष का पहला दिन माना जाता है। यह हर वर्ष अगस्त या सितंबर महीने में आता है।
सन 2022 में यह 8 सितंबर को पड़ने वाला है। यह दस दिनों तक चलने वाला एक जीवंत और मनोरंजक त्यौहार हैं। इसके 10 दिनों को बेहद अनोखे तरीके से मनाया जाता है इसलिए हर वर्ष लोगों को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है।
ओणम का महत्व Importance of Onam in Hindi
सनातन संस्कृति के अंतर्गत आने वाले हर त्यौहार का अपना अलग महत्व है। दक्षिण भारत के ज्यादातर ग्रंथों ने सनातन संस्कृति की व्याख्या को लंबे समय तक संभाल कर रखा है। उन्हीं ग्रंथों में से एक से ओणम पर्व की व्याख्या मिलती है।
ओणम त्योहार जग के पालनकर्ता श्री भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है। भगवान विष्णु ने कुल 10 अवतार धारण कर पृथ्वी को भय मुक्त किया है। ओणम के महत्व को दर्शाते अनेक पहलू हैं जैसे अति अहंकार से मानवता के हानि और स्वयं का विनाश ही होता है।
भगवान श्री हरि ने अपने 10 अवतारों में से एक श्री राम और श्री कृष्ण अवतार में राक्षसों का संहार कर धरती को पाप से मुक्त किया था। उन्हीं के अवतारों में से एक श्री वामन देवता इस त्यौहार के महत्व को और बढ़ा देते हैं।
ओणम त्यौहार के महत्व को तीन पहलुओं के माध्यम से जाना जा सकता है। इसके धार्मिक पहलुओं के अनुसार यह जन समूह में ईश्वर तथा उनकी अच्छाइयों के प्रति आस्था को बढ़ाकर समाज में समरसता तथा पुण्य प्रसार करने में सहायक होता है।
सांस्कृतिक पहलुओं के अनुसार यह सनातन संस्कृति के जरूरी और प्रेरणादायक घटनाओं को संकलित कर जन समूह में अपने धर्म के प्रति सजगता और दृढ़ता का संचार करता है।
आज के समय जहां पाश्चात्य ने ज्यादातर मनुष्य के दिमाग को कब्जा कर रखा है वहीं पर यह त्योहार उनकी मानसिकता पर कुठाराघात कर उन्हें सनातन के ज्ञान से अवगत करवाता है।
ओणम त्योहार के सामाजिक महत्व को बेहद आसानी से समझा जा सकता है। आज के समय हिन्दू अपनी जाति और लिंग के भेदभाव के कारण आपस में बटा हुआ है, ऐसे में यह त्यौहार ही एक माध्यम है जिसके कारण हिंदू एकत्रित होकर अपने धार्मिक त्योहारों और रहन-सहन पर गर्व अनुभव करते हैं।
इस डिजिटल युग में वर्तमान तथा आने वाली पीढ़ी हमारे सांस्कृतिक मूल्यों से अछूते न रह जाएं इसलिए इस त्यौहार का महत्व और भी बढ़ जाता है।
ओणम कैसे मनाते हैं? How Onam is celebrated in Hindi?
पूरे भारत भर में केरल के लोग इस पर्व को बेहद धूमधाम से मनाते हैं। यह त्यौहार उनके लिए एक भावनात्मक जुड़ाव लेकर आता है जिसका वह पूरे वर्ष बेसब्री से इंतजार करते रहते हैं।
यह त्यौहार लगभग 10 दिनों तक मनाया जाता है। इसलिए लोगों में इसके आने के कई दिनों पहले से उत्साह भरा रहता है। छोटे बच्चे अपने विद्यालय की छुट्टी के लिए इस त्यौहार का इंतजार करते रहते हैं।
ओणम त्योहार के कई दिनों पहले से ही लोग घरों की साफ-सफाई तथा खरीदारी करने लगते हैं। कई दिनों पहले से ही इस त्यौहार की रूपरेखा तैयार की जाने लगती है।
लोगों के उल्लास को दुगनी रफ़्तार देने के लिए सरकार के द्वारा इस त्यौहार के दिन विशेष सुरक्षा तथा तैयारी की जाती है। छोटे व्यवसाय हो या बड़े सभी बेहद खुश होते हैं क्योंकि इस त्यौहार के आने से बाजार में रौनक आ जाती है।
10 दिनों के इस त्यौहार में पहले दिन राजा बलि के पाताल लोक जाने की तैयारी की जाती है। दूसरे दिन को चिथिरा कहा जाता है। इस दिन फूलों का कालीन बनाने का रिवाज है, जिसे पुक्कलम कहते हैं। इस दिन कई जगहों पर प्रतियोगिताएं भी रखी जाती हैं।
तीसरे दिन को चोधी कहा जाता है, इस दिन पुक्कलम के अगली परत को बनाने का कार्य किया जाता है। चौथे दिन को विशाकम कहा जाता है इसमें खासकर मनोरंजक प्रतियोगिताएं रखी जाती हैं जिनमें लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
पांचवें दिन को अनिज्म कहा जाता है। इसमें खासकर नौका दौड़ की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। छठवें दिन को थ्रिकेता कहते हैं इस दिन से ओणम की छुट्टियां शुरू हो जाती हैं। सातवें दिन को मूलम कहा जाता है इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
आठवें दिन को पूरादम कहते हैं, इस दिन महाबली और वामन की मूर्तियों की स्थापना की जाती है तथा तरह तरह के फूलों से सजाया जाता है। नौवें दिन को ऊथ्रादोम कहते हैं इस दिन महाबली राज्य में प्रवेश करते हैं दसवे दिन को थिरोवोनम कहा जाता है इस दिन मुख्य ओणम का त्यौहार मनाया जाता है।
इस त्यौहार के दिन जनता अपने घरों को आकर्षक रूप से सजाती है। चारों ओर खुशी का वातावरण छाया हुआ होता है लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं तथा आकर्षक रंगोली बनाते हैं। घरों में भगवान विष्णु तथा राजा बलि की मूर्ति को भी रंग बिरंगे फूलों से सजाया जाता है।
दोनों की भव्य तरीके से पूजा की जाती है। पूजा अर्चना के बाद लोग नए कपड़े पहनते हैं इसमें महिलाएं मुख्यतः सफेद कपड़ा और बालों में सफेद गजरा धारण करती है। पुरुष पारंपरिक धोती कुर्ता पहनते हैं।
पूरे दिन भर मंदिरों में भीड़ रहती है कई जगहों पर मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें तरह-तरह के नृत्य, नौका दौड़ और हाथियों का जुलूस निकाला जाता है।
इस दिन केरल का लोक नृत्य कथकली प्रदर्शित किया जाता है। कार्यक्रम के बाद केले के पत्ते पर भोजन किया जाता है जिसमें मुख्यतः ओनसद्या होता है तथा चार से पांच प्रकार की सब्जियां भी होती हैं और कुल 30 से भी अधिक व्यंजन होते हैं।
ओणम त्यौहार के दिन ओनकलिकालः का आयोजन होता है जिसमें पुरुषों के लिए तरह-तरह के खेलों का आयोजन किया जाता है। जिसमें तीरंदाजी भी शामिल होती है इस तरह लोग पूरे दिन भर मौज मस्ती के साथ भगवान विष्णु और राजा बलि के प्रति अपनी आस्था का प्रदर्शन करते हैं।
ओणम का इतिहास और पौराणिक कथा History of Onam in Hindi
श्रीमद भगवत गीता में कहा गया है कि जब-जब धरती पर अन्याय और अत्याचार बढ़ेगा, तब-तब वे किसी न किसी अवतार में आकर धरती से अन्याय का नामोनिशान मिटा देंगे। कुछ इसी प्रकार की घटना पौराणिक कथाओं में देखने को मिलती है।
भगवान विष्णु के परम भक्त कहे जाने वाले प्रहलाद एक दैत्य वंश के होने के बावजूद भी भगवान के प्रति आस्था तथा भक्ति के कारण पूरे जग में प्रसिद्ध हो गए। प्रहलाद के पोते बलि भी उनके ही गुणों के साथ पैदा हुए थे।
राजा महाबली बेहद ख्यातिवान और दानवीर राजा थे। कहा जाता है कि उनके राज्य में कोई भी अन्याय तथा दुख से पीड़ित नहीं रहता था। उनके द्वार से कोई भी खाली हाथ वापस नहीं जाता था।
ठीक प्रहलाद की तरह ही राजा बली भगवान विष्णु के भक्त थे। उनकी प्रजा उन्हें भगवान की तरह पूजती थी और वह भी अपनी प्रजा से उतना ही प्रेम करते थे। वे अपने राज्य के सभी व्यक्तियों की खुशियों का ख्याल रखते थे।
अपनी प्रजा का इतना ख्याल रखते रखते उनके मन में अहमभाव ने जगह बना लिया और वह खुद को बड़ा दानवीर समझने लगे। उनके इस अहम के भाव को देखकर देवता भयभीत होने लगे क्योंकि देवताओं को डर था कि राजा बलि अहम के कारण स्वर्ग पर अधिकार प्राप्त ना कर ले।
सभी देवता भगवान विष्णु के पास जाकर अपने संशय को प्रदर्शित करने लगे और भगवान विष्णु से उनकी रक्षा करने के लिए विनती करने लगे। क्योंकि भगवान विष्णु बेहद ही दयावान है वह अपने भक्तों को बुराई से दूर रखते हैं।
भगवान विष्णु ने सभी देवताओं को आश्वासन दिया और अवतार लेकर राजा बलि का अहंकार नष्ट करने की बात कही। अपने कहे अनुसार भगवान विष्णु ने वामन अवतार में धरती पर जन्म लिया।
एक बार राजा बलि अपने राज्य में सब को दान दे रहे थे तभी वामन देवता वहां आ गए और उन्होंने बली को कुछ देने का आग्रह किया। इस बात पर राजा बलि ने कहा आपको जो चाहिए आप मांग सकते हैं।
वामन देवता ने कहा मुझे जो चाहिए आप नहीं दे सकते। इस बात पर राजा बलि ने वामन देवता का उपहास उड़ाते हुए खुद को कुछ भी देने में सक्षम बताया और खुलकर मांगने के लिए कहा।
राजा बलि की बात सुनकर वामन देवता ने सिर्फ तीन पग जमीन मांगी। इस बात से राजा बलि ने उनका और भी उपहास उड़ाया और कहा कि आप बेझिझक दुनिया की कोई भी चीज मांग सकते हैं मैं देने में सक्षम हूं।
वामन देवता ने अपनी बात दोहरा दी और तीन पग जमीन ही मांगी। राजा बलि ने उनसे अपनी मनचाही जमीन नापने की बात कही, तो उन्होंने पहले कदम में पूरी पृथ्वी को नाप लिया। दूसरे कदम में उन्होंने पूरे अंतरिक्ष को नाप लिया।
इतना देखते ही राजा बलि को अपनी भूल का एहसास हुआ और तीसरे कदम उठाने से पहले ही उन्होंने वामन देवता के चरण पकड़ लिए और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। उन्हें बिलखते देखकर वामन देवता ने उन्हें माफ कर दिया लेकिन उन्हें राजगद्दी का त्याग कर पाताल जाकर राज करने के लिए कहा।
उनकी भक्ति से खुश होकर वामन देवता ने उन्हें एक वरदान मांगने को भी कहा। वरदान के रूप में राजा बलि ने वर्ष में एक बार अपनी प्रजा को देखने का वरदान मांगा और वामन देवता ने इसे मान लिया।
यही कारण है कि ओणम के दिन राजा बलि अपनी प्रजा को देखने के लिए आते थे। यह कार्यक्रम एक रिवाज बन गया और आज भी लोग इसी आस में ओणम त्योहार को मनाते हैं कि राजा बलि उनके राज्य में सभी को हंसी खुशी से परिपूर्ण देखें।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने ओणम त्योहार पर निबंध (Onam Festival Essay in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ शेयर जरूर करें।
नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।
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One Comment
Very nice information खूप छान माहिती
ओणम पर निबंध
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रूपरेखा : प्रस्तावना - ओणम फेस्टिवल क्या है - ओणम का इतिहास - ओणम 2021 में कब मनाया जायेगा - ओणम क्यों मनाया जाता है - ओणम कहाँ मनाया जाता है - ओणम कैसे मनाते है - ओणम का महत्व - ओणम त्योहार के प्रमुख आकर्षण या कार्यक्रम क्या हैं - उपसंहार।
ओणम केरल का सबसे लोकप्रिय त्योहार है। लोग इसे बहुत ही धूमधाम और शौक के साथ मनाते है। इसे केरल का राष्ट्रीय त्योहार भी माना जाता है। ओणम प्रत्येक वर्ष अगस्त-सितंबर के महीने में मनाया जाता है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार यह वर्ष का पहला महीना है जिसे चिंगम कहा जाता है तथा हिंदी पंचांग के अनुसार श्रावण शुक्ल की त्रयोदशी को में आता है, जोकि ग्रागेरियन कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितम्बर माह में पड़ता है।
ओणम का उत्सव दस दिनों तक चलता है जिसमें सभी वर्ग लोग उत्साह के साथ भाग लेते हैं। यह पर्व राजा महाबली के याद में मनाया जाता है और इस दिन को लेकर ऐसी कथा प्रचलित है कि ओणम के दिन राजा बलि की आत्मा केरल आती है। इस पर्व पर पूरे केरल राज्य में सार्वजनिक अवकाश होता है और कई प्रकार के सांस्कृतिक तथा मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।
ओणम केरल में मलयालियों द्वारा या दुनिया के किसी अन्य भाग में मनाया जाने वाला एक त्योहार है, जो महान राजा महाबली की घर वापसी का प्रतीक है। यह केरल के लिए फसल के मौसम को चिह्नित करने के लिए भी कहा जाता है। यह त्योहार दस दिनों तक चलता है और इसे एक शानदार भव्यता के साथ मनाया जाता है।
ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम से हुई है, जो संस्कृत में 27 नक्षत्रों या नक्षत्रों में से एक को संदर्भित करता है। ओणम का अर्थ श्रावण (सावन) होता हैं। सावन माह में इस त्यौहार को केरल राज्य में फसलों के तैयार होने की खुशी के रूप में मनाया जाता है। इस त्यौहार पर सावन के देवता के साथ फूलों की देवी की पूजा की जाती है। हिंदू कैलेण्डर के अनुसार यह त्यौहार अगस्त या सितंबर के महीने में मनाया जाता है।
हर राज्य में अपने-अपने पारंपरिक त्योहार मनाये जाते है, उसी प्रकार से केरल में ओणम का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को केरल के राजा महाबलि के स्मृति में मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर जो कथा सबसे अधिक प्रचलित है, वह इस प्रकार है कि-
प्राचीन काल में राजा महाबलि वर्तमान के केरल राज्य के एक बहुत ही प्रतापी राजा थे और वह अपनी प्रजा से बहुत प्रेम करते थे। वह दानी होने के साथ ही बहुत ही पराक्रमी भी थे। अपने बाहुबल से उन्होंने तीनो लोको पर विजय प्राप्त कर ली थी, तब उनके गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें सलाह दी कि वे सौ अश्वमेध यज्ञ करके इंद्र का पद प्राप्त कर लें और सदा के लिए त्रिलोक के स्वामी बन जाये। उनके आज्ञा अनुसार राजा बलि ने सौ अश्वमेध यज्ञ करना आरंभ किया उनके 99 यज्ञ तो सकुशल संपन्न हो गये।
लेकिन 100वें यज्ञ के संपन्न होने से पहले वहां भगवान विष्णु वामन रुप धारण करके प्रकट हो गये और राजा बलि से तीन पग धरती मांगी, परन्तु राजा बलि इस बात से अनिभिज्ञ थे कि वामन अवतार में उनके सामने स्वयं भगवान विष्णु खड़े है। जब राजा बलि ने उनकी मांग स्वीकार कर ली तो वामन रुपी भगवान विष्णु ने विराट रुप धारण करके दो पग में सारे लोक नाप लिये और जब तीसरे पग के लिए स्थान पूछा तो राजा बलि ने कहा कि हे प्रभु तीसरे पग को आप में मस्तक पर रख दे।
भगवान वामन ने जब तीसरा पग रखा तो राजा बलि पाताल लोक चले गये। राजा बलि के इस दान और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनसे वर मांगने को कहा। तब राजा बलि ने कहा कि ‘हे प्रभु मैं वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने का समय चाहता हुं।’ तब से ऐसा माना जाता है कि वह ओणम का ही पर्व है, जिसपर राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने आते हैं। यहीं कारण है कि केरल में ओणम के इस पर्व को इतने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
ओणम का महान त्योहार आमतौर पर अगस्त-सितंबर के महीने में मनाया जाता है। ओणम मुख्यतः दो कारणों से वर्ष के इस समय में मनाया जाता है। एक यह है कि यह एक बार केरल के एक महान राजा- राजा महाबली की यात्रा का समय है। एक आम धारणा के अनुसार, राजा अपने राज्य पाताल से पृथ्वी पर जाता है और अपने प्रजा को आशीर्वाद देता है जो अपने पूज्य राजा का स्वागत करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। जब वह पृथ्वी पर पहुँचता है और अपनी दुनिया में वापस जाता है, तो पाताल के राजा महाबली के आंदोलन के साथ दस दिनों का उत्सव जुड़ा होता है। यह भी केरल में फसल का मौसम है। इस प्रकार, यह त्यौहार केरल के फसल त्यौहार के रूप में भी मनाया जाता है, जहाँ लोग नई फसलों के आगमन को इकट्ठा करते हैं और मनाते हैं। वर्ष 2021 में ओणम का पर्व 12 अगस्त, गुरुवार से लेकर 23 अगस्त, सोमवार तक मनाया जायेगा।
ओणम मलयाली लोगो के प्रमुख पर्वों में से एक है और इस पर्व को देश-विदेश में रहने वाले लगभग सभी मलयाली लोगो द्वारा बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। वैसे तो ओणम का सबसे भव्य आयोजन केरल में होता है, लेकिन इस पर्व को कई अन्य राज्यों में भी काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। यदि सामान्य रुप से देखा जाये तो ओणम का पर्व खेतों में नई फसल की उपज के उत्सव के रुप में मनाया जाता है। इसके साथ यह भी मान्यता है कि जिस राजा महाबली से भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर तीन पग में तीनों लोको को माप लिया था। वह असुरराज राजा महाबलि केरल के ही राजा था और ओणम का यह पर्व उन्हीं को समर्पित है।
ओणम भारत और दुनिया भर में मलयाली लोगों द्वारा मनाया जाता है लेकिन यह मुख्य रूप से भारत में केरल में मनाया जाता है जहां यह पर्व एक राष्ट्रीय त्योहार के बराबर है। ओणम केरल का राष्ट्रीय त्योहार भी माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि इन त्योंहार में तीन दिनों के लिए राजा महाबलि पाताल लोक से पृथ्वी पर आते है और अपनी प्रजा के नई फसल के साथ उमंग तथा खुशियां लाते है। यहीं कारण है इस त्योहार पर लोग अपने घरों के आंगन में राजा बलि की मिट्टी की मूर्ति भी बनाते है। मलायाली लोगो द्वारा ओणम के पर्व को काफी धूम-धाम तथा उत्साह के साथ मनाया जाता है। केरल में लोग इस पर्व की तैयारी दस दिन पूर्व से शुरु कर देते हैं। इस दौरान लोगो द्वारा अपने घरों को साफ-सुधरा किया जाता है। ओणम का पर्व मनाने वाले लोग इस दिन अपने घरों के आँगन मे फूलों की पंखड़ुयों से सुंदर रंगोलिया बनाते हैं, स्थानीय भाषा में इन रंगोलियों को ‘पूकलम’ कहा जाता है।
इसके साथ ही इस दौरान लोग अपने घरों में राजा महाबलि की मूर्ति भी स्थापित करते है क्योंकि लोगो का मानना है कि ओणम के त्योहार दौरान राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने पाताल लोक से पृथ्वी पर वापस आते है। राजा बलि की यह मूर्ति पूलकम के बीच में भगवान विष्णु के वामन अवतार की मूर्ति के साथ स्थापित की जाती है। आठ दिनों तक फूलों की सजावट का कार्य चलता है और नौवें दिन हर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति बनाकर पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं विष्णु पूजा करते हुए इसके चारो तरफ नाचते-गाते हुए तालियां बजाती है। रात को गणेशजी और श्रावण देवता की मूर्ति बनाई जाती है। इसके पश्चात बच्चे वामन अवतार को समर्पित गीत गाते है। मूर्तियों के सामने दीप जलाये जाते है, पूजा-पाठ के पश्चात दसवें दिन मूर्तियों को विसर्जित कर दिया जाता है।
पूजा पाठ के साथ ही ओणम का पर्व अपने व्यंजनों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इस पर्व के दौरान घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते है। यही कारण है कि इस बच्चे इस पर्व को लेकर सबसे अधिक उत्साहित रहते है। सामान्यतः इस दिन पचड़ी-पचड़ी काल्लम, दाव, घी, ओल्लम, सांभर आदि जैसे व्यंजन बनाये जाते हैं, जिन्हें केलों के पत्तों पर परोसा जाता है। ओणम पर बनने वाले पाक व्यंजन निम्बूदरी ब्राम्हणों के खाने के विविधता को दर्शाते हैं, जोकि उनके संस्कृति को प्रदर्शित करने का कार्य करता है। कई सारे जगहों पर इस दिन दुग्ध से बने अठारह तरह के पकवान परोसे जाते है। इस दिन उत्सव मनाने के साथ ही लोगों के मनोरंजन के लिए कथककली नृत्य, कुम्मत्तीकली (मुखौटा नृत्य), पुलीकली नृत्य (शेर की पोशाक में किया जाने वाला नृत्य) आदि जैसे नृत्यों का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन नौका दौड़ तथा विभिन्न प्रकार के खेलों का भी आयोजन किया जाता है।
ओणम का त्यौहार राजा महाबली को समर्पित है, जो जन्म के समय एक असुर (उनके दिमाग में और अधिक नकारात्मक विचारों वाला) था, लेकिन एक सूर्य (उनके दिमाग में अधिक सकारात्मक विचारों वाला) था। वह अब तक का सबसे न्यायप्रिय राजा था। कोई भी जरूरतमंद कभी भी उसके दरवाजे से खाली हाथ नहीं लौटा। राजा महाबली के मिथक का कहना है कि राजा ने अपने वचनों पर खरा उतरने के लिए खुद के साथ-साथ हर चीज का त्याग किया।
इस प्रकार उनके बलिदान के लिए एक इनाम के रूप में उन्हें केरल के लोगों और उनके सभी अनुयायियों द्वारा ओणम त्योहार के रूप में अनंत काल के लिए याद किया गया। यदि आप भारतीय त्योहार का आनंद लेने के लिए केरल की यात्रा करना चाहते हैं, तो सबसे अच्छा विकल्प ओणम का समय होगा। त्योहार से जुड़े रोचक अनुष्ठान ओणम के उत्सव को एक आकर्षक बनाने में योगदान करते हैं। ओणम वह पर्व होता है जब केरल में नई फसल तैयार होती है और क्योंकि प्राचीनकाल से ही भारत एक कृषि-प्रधान देश रहा है, यही कारण है कि इस दिन को इतने धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।
दस दिन का ओणम त्योहार कई आयोजनों का एक अवसर है। सबसे लोकप्रिय और दिलचस्प घटनाओं में से कुछ पोक्कलम, ओनासद्या, ओनाकालिकल, वल्लमकली बोट रेस और हाथी जुलूस हैं।
ओणम-सद्या के रूप में विख्यात भोजन की पाक कला ओणम त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। केले के पत्तों पर परोसे जाने वाले इन भोजनों में पारंपरिक अचार और पापड़म और मिठाई के साथ-साथ 4 प्रकार के व्यंजन के साथ चावल शामिल होते हैं जिन्हें ‘पेसम’ कहा जाता है। ओणम पूरे केरल में बहुत ही उल्लास और मस्ती के साथ मनाया जाता है। कुछ जगहें हैं जहां त्यौहार मनाने के लिए जनसमूह इकट्ठा होता है, त्रिपुनिथुरा में, कोच्चि में एर्नाकुलम के पास, जहाँ पर आचममय उत्सव मनाया जाता है। लोग बाघ और शेर के रूप में तैयार होते हैं और त्रिशूर में स्वराज राउंड में नृत्य करते हैं। अरनमुला में नौका दौड़ त्योहार का एक अन्य प्रमुख आकर्षण है। ओणम को थिरु-ओणम या थिरुवोनम (पवित्र ओणम दिवस) कहा जाता है। त्योहार का दूसरा नाम ‘श्रवणमहोत्सव’ है।
Nibandh Category
Bijli Vibhag
Onam Festival Essay | ओणम त्योहार पर निबंध (300, 500,1000 शब्द)
हम यहाँ ओणम त्योहार Onam Festival Essay पर 3 प्रकार के निबंध साझा कर रहे हैं, जो छात्रों के लिए उपयोगी और जानकारीपूर्ण होंगे। ओणम केरल का प्रमुख त्योहार है, जिसे बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसमें महाबली राजा की पौराणिक कथा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और पारंपरिक भोजन की समृद्ध परंपरा शामिल है। ये निबंध 300, 500 और 1000 शब्दों में प्रस्तुत किए गए हैं, ताकि हर छात्र अपनी आवश्यकता के अनुसार इसे उपयोग कर सके।
ओणम त्योहार पर निबंध (300 शब्द) | Onam Festival Essay
ओणम Onam Festival Essay दक्षिण भारत के केरल राज्य का एक प्रमुख और रंगीन त्योहार है, जिसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार फसल कटाई के समय मनाया जाता है और मुख्य रूप से अगस्त और सितंबर के महीने में आता है। इस त्योहार का संबंध महाबली नामक असुर राजा की पौराणिक कथा से है, जो अपनी न्यायप्रियता और प्रजा के प्रति प्रेम के लिए प्रसिद्ध थे।
कहा जाता है कि महाबली ने केरल पर राज किया था और उनके शासनकाल को स्वर्ण युग माना जाता है। उनकी प्रजा उन्हें बहुत सम्मान करती थी, लेकिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर उन्हें पाताल लोक भेज दिया। राजा महाबली को साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने की अनुमति दी गई, और इसी दिन को ओणम के रूप में मनाया जाता है।
ओणम के दौरान लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और रंग-बिरंगे फूलों से घर सजाते हैं, जिसे ‘पुक्कलम’ कहा जाता है। इस दिन विशेष पारंपरिक भोजन, जिसे ‘ओणम साद्या’ कहते हैं, बनता है। इसमें चावल, दाल, पापड़, अचार, और विभिन्न प्रकार की सब्जियों से बना भोजन शामिल होता है। इसके अलावा, नौका दौड़ (वल्लम कली), काठीकलि नृत्य, और तुग-ऑफ-वार जैसे विभिन्न खेलों का भी आयोजन होता है।
ओणम केरल की समृद्ध संस्कृति और धरोहर का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सामाजिक एकता, भाईचारे और प्रेम का भी प्रतीक है, जो केरलवासियों को एक साथ लाता है। ओणम के माध्यम से हम समाज में आपसी सद्भाव और प्रेम का संदेश पाते हैं।
ओणम त्योहार पर निबंध (500 शब्द) | Onam Festival Essay in Hindi
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परिचय ओणम त्योहार दक्षिण भारत के केरल राज्य का सबसे महत्वपूर्ण और रंगीन पर्व है। यह त्योहार हर साल अगस्त-सितंबर के महीने में फसल कटाई के समय धूमधाम से मनाया जाता है। ओणम का संबंध एक प्राचीन पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है, जिसमें महाबली नामक असुर राजा की कथा का वर्णन है।
महाबली की पौराणिक कथा
महाबली केरल के एक प्रजाप्रिय राजा थे, जिनके शासनकाल को स्वर्ण युग माना जाता है। उनकी प्रसिद्धि और शक्ति ने इंद्रदेव को चिंतित कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और महाबली से तीन पग भूमि मांगी।
- महाबली का राज्य: महाबली के शासनकाल में उनकी प्रजा सुखी और संतुष्ट थी।
- वामन अवतार: भगवान विष्णु ने वामन रूप में आकर महाबली से तीन पग भूमि की मांग की।
- महाबली का बलिदान: महाबली ने तीसरे पग में अपना सिर भगवान विष्णु को समर्पित किया, जिसके बाद उन्हें पाताल लोक भेजा गया।
- ओणम का महत्व: महाबली को साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने का अवसर मिलता है, और इसी दिन ओणम त्योहार मनाया जाता है।
ओणम के दस दिन
ओणम का त्योहार दस दिनों तक चलता है और इसकी शुरुआत ‘अथम’ नामक दिन से होती है। हर दिन का विशेष महत्व होता है और इसके अंतर्गत कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
प्रमुख दिन:
- अथम: ओणम की शुरुआत इसी दिन से होती है।
- उथ्रादम: इस दिन विशेष खरीदारी की जाती है।
- थिरुवोनम: यह ओणम का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है।
ओणम साद्या: पारंपरिक भोजन
ओणम साद्या एक विशेष शाकाहारी भोजन है, जो केले के पत्ते पर परोसा जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के व्यंजन शामिल होते हैं।
ओणम साद्या के मुख्य व्यंजन:
- चावल और सांभर
- अवियल (मिश्रित सब्जियों की डिश)
- पायसम (मीठा व्यंजन)
- पापड़ और अचार
ओणम के सांस्कृतिक कार्यक्रम
ओणम के दौरान केरल में कई सांस्कृतिक और पारंपरिक गतिविधियाँ होती हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- वल्लम कली (नौका दौड़): इस प्रतियोगिता में सजाई गई लंबी नावों का उपयोग होता है।
- काठीकलि नृत्य: रंगीन वेशभूषा और नाटकीय अभिनय के माध्यम से धार्मिक कथाओं का मंचन किया जाता है।
- अन्य खेल: तुग-ऑफ-वार, कुंभ मेला, और अन्य पारंपरिक खेल भी इस समय आयोजित किए जाते हैं।
ओणम त्योहार केरल की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह पर्व केवल धार्मिक रूप से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। ओणम हमें समाज में एकता, भाईचारे और प्रेम का संदेश देता है।
ओणम त्योहार पर निबंध (1000 शब्द) | Hindi Essay on Onam
परिचय: ओणम – केरल का प्रमुख त्योहार ओणम त्योहार Onam Festival Essay केरल राज्य का सबसे प्रमुख और भव्य पर्व है, जिसे पूरे राज्य में बड़े हर्षोल्लास और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हर साल अगस्त और सितंबर के महीने में फसल कटाई के समय आता है और यह दस दिनों तक चलता है। ओणम का मूल संबंध महाबली नामक असुर राजा की पौराणिक कथा से है, जिनकी कहानी केरलवासियों के दिलों में विशेष स्थान रखती है।
महाबली की कथा: ओणम का पौराणिक महत्व
महाबली केरल के एक महान और न्यायप्रिय राजा थे। उनके शासनकाल को स्वर्ण युग कहा जाता है क्योंकि उस समय प्रजा सुखी और संतुष्ट थी। महाबली की कथा इस प्रकार है:
- प्रजा का प्रेम: महाबली अपनी प्रजा से बहुत प्रेम करते थे और उनके शासनकाल में कोई दुखी नहीं था।
- इंद्रदेव की चिंता: महाबली की बढ़ती शक्ति और प्रसिद्धि से इंद्रदेव चिंतित हो गए।
- वामन अवतार: भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर महाबली से तीन पग भूमि दान में मांगी।
- महाबली का बलिदान: महाबली ने वचन निभाते हुए अपना सिर भगवान विष्णु को सौंप दिया, जिसके बाद उन्हें पाताल लोक भेजा गया।
- प्रजा से मिलने का अवसर: महाबली को साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने की अनुमति मिली, जिसे ओणम के रूप में मनाया जाता है।
ओणम के दस दिन: हर दिन का विशेष महत्व
ओणम का त्योहार दस दिनों तक चलता है, और हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है। यह अथम से शुरू होकर थिरुवोनम पर समाप्त होता है।
- थिरुवोनम: ओणम का सबसे मुख्य दिन, जब महाबली अपनी प्रजा से मिलने आते हैं।
पुक्कलम: फूलों की रंगोली
ओणम के दौरान घरों के बाहर रंग-बिरंगे फूलों से ‘पुक्कलम’ नामक रंगोली बनाई जाती है। यह रंगोली ओणम की प्रमुख विशेषताओं में से एक है।
पुक्कलम के बारे में:
- हर दिन इसमें नए फूल जोड़े जाते हैं।
- इसे बनाने में पूरे परिवार का सहयोग होता है।
- प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें सबसे सुंदर पुक्कलम को पुरस्कार मिलता है।
ओणम के दौरान ‘साद्या’ नामक पारंपरिक भोजन का विशेष महत्व है। इस भोज में विभिन्न प्रकार के व्यंजन केले के पत्ते पर परोसे जाते हैं।
ओणम न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध पर्व है। इस दौरान केरल के विभिन्न हिस्सों में कई सांस्कृतिक और पारंपरिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
प्रमुख कार्यक्रम:
- वल्लम कली (नौका दौड़): यह ओणम का मुख्य आकर्षण है। सजाई गई लंबी नावों में लोग एक साथ प्रतियोगिता में भाग लेते हैं।
- काठीकलि नृत्य: रंगीन वेशभूषा और नाटकीय अभिनय के माध्यम से रामायण और महाभारत की कथाओं का मंचन होता है।
- अन्य खेल: तुग-ऑफ-वार और कुंभ मेला जैसे खेल भी आयोजित किए जाते हैं।
ओणम का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
ओणम का महत्व केवल धार्मिक कथा तक सीमित नहीं है। यह पर्व केरल की सांस्कृतिक धरोहर और समृद्ध परंपराओं का प्रतीक है।
सामाजिक एकता और भाईचारा:
- विभिन्न समुदायों के लोग एक साथ आते हैं।
- पूरे केरल में यह पर्व खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
- ओणम समाज में एकता, भाईचारे, और सद्भावना का संदेश देता है।
आधुनिक युग में ओणम
आज के आधुनिक युग में भी ओणम की लोकप्रियता कम नहीं हुई है। चाहे लोग बड़े शहरों में रह रहे हों, लेकिन ओणम के समय सभी अपने घरों को लौटते हैं और अपने परिवार के साथ इस पर्व को मनाते हैं।
ओणम की आधुनिक रूपरेखा:
- शहरों में भी पारंपरिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
- तकनीकी युग में भी लोग अपने रीति-रिवाजों को नहीं भूले हैं।
- ओणम का पर्व परिवार और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण समय है, जब लोग एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं।
ओणम से सीख: जीवन में एकता और प्रेम
ओणम का त्योहार हमें जीवन में एकता, प्रेम, और भाईचारे का महत्व सिखाता है। यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि चाहे हम जीवन में कितनी भी उन्नति करें, हमें अपनी जड़ों और परंपराओं को नहीं भूलना चाहिए।
ओणम से प्राप्त शिक्षा:
- समाज में भाईचारा और एकता को बनाए रखना जरूरी है।
- प्रेम और सद्भाव से भरा जीवन ही सच्चा जीवन है।
- त्यौहार हमें आपसी प्रेम और एकजुटता को मजबूत करने का अवसर प्रदान करते हैं।
निष्कर्ष :-Onam Festival Essay in Hindi
अंत में, ओणम केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह केरल की सांस्कृतिक समृद्धि और धरोहर का प्रतीक भी है। यह त्योहार हमें एकजुट होकर, प्रेम और सद्भावना से जीवन जीने की प्रेरणा देता है। ओणम हमें सिखाता है कि चाहे जीवन में कितनी भी चुनौतियाँ आएं, हमें हमेशा अपने मूल्यों और परंपराओं का सम्मान करना चाहिए।
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Essay on Onam
500+ words essay on onam.
Onam is the festival that brings together all communities in Kerela. On this day, religion , caste or creed is not of importance. One of the most popular festivals of India, people celebrate it with great zeal. Similarly, activities of this festival are famous all over India for their grand scale and delicious food. We will take a look at the various festivities and celebrations like Onam Pookalam and more.
The Story Behind Onam
The harvest festival of Onam generally begins between August end and the start of September. In other words, during the Malayalam month of Chingam. We celebrate the festival to welcome the mythical King Mahabali.
It is believed that his spirit visits the state in the duration of Onam. The festival originates from the ancient times of Lord Vishnu. One day, he transformed himself into a dwarf Brahmin, Vamana.
In this avatar, he went to attend the Yaagam which King Mahabali was hosting. Thus, Vamana made a request for three feet of land. King Mahabali obliged for the same. However, then the dwarf started to grow bigger in size claiming the Earth and heaven.
As the dwarf covered the whole land, sparing nothing, King Mahabali made an offer of his own head to keep his word. However, he kept a condition that he would be allowed to visit people’s homes every year once. Thus, we celebrate it as King Mahabali’s homecoming.
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Festivities of Onam
People all over Kerala celebrate this festival for ten days. Each day of this festival carries unique importance. Thus, people celebrate each of them uniquely. The celebrations reflect the rich culture and history of Kerala. In other words, this festival is no less than a carnival of 10 days in the state.
The Onam dance is quite popular throughout the country. Some of the traditional ones that people perform are Kathakali, Pulikali/Kaduvakali, Kummatti Kali, Kaikotti Kali and more.
Similarly, the traditional snake boat race is also a major attraction during the festival. We refer to it as Vallamkali. There are 100 men on each boat who do the rowing. The race occurs at the River Pampa. Other popular races include Nehru Trophy Boat Race and the Uthrattathi Boat Race.
Another important aspect of this festival is the Onam Sadhya. It is basically a feast containing all types of vegetarian dishes. It is quite lavish and is served on the last day of the festival. A huge variety of dishes are prepared and people serve them on banana leaves.
Further, there is Onam Pookalam that is basically flower carpets. People make the flower decorations in front of their houses for welcoming King Mahabali.
All in all, Onam is a festival that unites all the people of Kerala. It is a festival that erases all the boundaries we have created. People celebrate it with joy and zeal and enjoy the days to the fullest each year.
FAQ of Essay on Onam
Question 1: Why do we celebrate Onam?
Answer 1: The harvest festival generally begins between August end and the start of September. In other words, during the Malayalam month of Chingam. We celebrate the festival to welcome the mythical King Mahabali.
Question 2: How do educational institutions celebrate Onam?
Answer 2: The educational institutions plan a lot of activities for this festival. Their aim is to make students familiar with the festival and culture. They conduct speeches, essays, flower decoration competitions making during the festival.
Question 3: What is Onam Pookalam ?
Answer 3: Pookalam is basically flower carpets. People make the flower decorations in front of their houses for welcoming King Mahabali.
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Essay on Onam in Hindi | ओणम पर निबंध | ओणम पर्व क्यों मनाया जाता है | Why is Onam Celebrated?
By: savita mittal
ओणम कब मनाया जाता है – When is Onam Celebrated?
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भारत को विभिन्ता में एकता का देश कहा जाता है । क्योंकि यह विभिन्न वेषभूषा, विभिन्न बोली-भाषा, विभिन्न संस्कृति और विभिन्न तीज-त्यौहार को अपने में समाया हुआ है । भारत में यदि उत्सवों, पर्वो, त्योहारों की बात की जाए तो ऐसे बहुत से पर्व, उत्सव हैं जिसे पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु कुछ ऐसे पर्व भी हैं जिसे किसी क्षेत्र विशेष या राज्य विशेष में मनाया जाता है । जैसे पंजाब में बैसाखी, तमिलनाडु में पोंगल । इसी प्रकार केरल के मलयालीय संस्कृति का एक विशेष पर्व है ओणम।
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ओणम दक्षिण, भारत विशेष कर केरल का एक प्रमुख त्यौहार और उत्सव है। जिस प्रकार पूरे भारत या यूं कहें उत्तर भारत में दीपावली का उत्सव होता है कुछ उसी प्रकार का उत्सव केरल में ओणम का होता है । केरल में इसे फ़सलों का पर्व या खुशियों का पर्व के रूप में मनाया जाता हैं । यह बहुत ही रंग-बिरंगा त्यौहार होता है क्योंकि इस पर्व पर नाना प्रकार के फूलों से रंगोली सजा कर धरती को सजाया जाता है । इस पर्व को भारत सरकार एवं रंग-बिरंगी राज्य सरकार दोनों का विशेष सहयोग प्राप्त भी होता है केंद्र सरकार इसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रहा है ।
यह मलयालम महीने के चिंगम माह में मनाया जाता है जो मलयालम कैलेंडर का पहला महीना होता है । यह पर्व हिंदी महीने के सावन-भादो मास में पड़ता है जबकि अंग्रेजी महीने के अनुसार यह अगस्त-सितंबर में होता है।
यह पर्व चिंगम महीने के थिरुओणम नक्षत्र मैं मनाया जाता है जो हिंदी महीने के श्रावण-भादो महीने के श्रवण नक्षत्र में पड़ता है । श्रवण नक्षत्र को मलयालम में ओणम कहते हैं इसलिए इस पर्व का नाम ओणम पड़ गया ।
यह पर्व हस्ता नक्षत्र से श्रवण नक्षत्र तक 10 दिनों तक मनाया जाता है ।
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श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के 24 अवतार हुए इन अवतारों में से एक अवतार वामन अवतार का था । वामन अवतार कथा के अनुसार- -‘’भक्त प्रहलाद का नाती राजा बलि एक बलशाली और दान वीर राजा था । वह दैत्य वंश के होने के कारण कुछ उग्र स्वभाव का था और देवताओं के प्रति वैमनस्य रखने वाला था । यही कारण है की देवताओं पर शासन करने के उद्देश्य से एक बार उन्होंने 100 यज्ञ का संकल्प किया जब 99 यज्ञ पूरा हो गया और 100वां यज्ञ चल रहा था तब देवताओं ने भगवान विष्णु के शरण में जाकर बहुत ही अनुनय-विनय किया इस प्रार्थना के कारण भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेना स्वीकार किया ।
वामन रूप में वह राजा बलि के यज्ञशाला में पहुंचा । चूँकि राजा बलि एक दान वीर था उस छोटे कद के ब्राह्मण बालक वामन को देख कर वह दान लेने का अनुग्रह किया इस पर वामन ने राजा बलि से केवल तीन पग भूमि की मांग रखी।
राजा बलि सहर्ष तैयार हो गया और तीन पग भूमि देने का संकल्प पूरा किया । जैसे ही बामन ने संकल्प लिया वह अपना रूप बढ़ाते गये, और अपने शरीर को विशाल कर लिया इस विशाल शरीर से उन्होंने एक पग में ही सारी धरती को माप लिया तथा दूसरे पग में पूरे आकाश को माप लिया । अब तीसरे पग रखने के लिए कोई स्थान शेष नहीं बचा इस पर उन्होंने राजा बलि से पूछा कि तीसरा पग कहां रखे ?
राजा बलि दान वीर थे और अपने वचन के पक्के भी थे उन्होंने बहुत ही विनम्रता से कहा कि प्रभु तीसरा पग मेरे सिर माथे पर रख दीजिए बामन ने ऐसा ही किया इससे राजा बलि धरती से पाताल लोक में चला गया और पाताल लोक में निवास करने लग गया । किंतु भगवान विष्णु राजा बलि के दानवीरता एवं विनम्रता से प्रसन्न हुये ।
चूँकि राजा बलि अपने प्रजा से बहुत ही स्नेह करते थे इसलिये भगवान बिष्णु ने राजाबली को आर्शीवाद दिया कि-‘आप वर्ष में एक बार अपने प्रजा से मिलने धरती जरूर आ सकते हो ।‘ ऐसा माना जाता है कि राजा बलि की राजधानी केरल में ही थी और चिंगम मास के श्रवण नक्षत्र को राजा बलि अपनी प्रजा अर्थात केरल वासियों से मिलने के लिए आते हैं इसलिए केरल के लोग राजा बलि के स्वागत में यह ओणम का पर्व मनाते हैं ।
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ओणम का पर्व पूरे केरल राज्य में हर्षोल्लास से मनाया जाता है । जिस प्रकार दीपावली 5 दिनों तक मनाया जाता है और पॉंचों दिन के त्यौहार का अलग-अलग नाम होता है, ठीक उसी प्रकार ओणम का त्योहार 10 दिनों तक मनाया जाता है और प्रतिदिन के पर्व का नाम अलग-अलग होता है ।
पहला दिन- अथम कहलाता है और ऐसा माना जाता है कि इसी दिन राजा बलि पाताल से केरल के लिए प्रस्थान करते हैं ।
दूसरा दिन- चिथिरा कहलाता है इस दिन फूलों की रंगोली बनाई जाती है जिसे पुकल्लम कहते हैं ।
तीसरा दिन – चौधी कहलाता है इस दिन पुक्कलम में और लेयर बनाई जाती है । अर्थात जो पुक्कलम पहले एक लेयर का फलों का वृत्ताकार रंगोली था उसमें 4-5 प्रकार के फूलों से अगली लेयर बनाई जाती हैं और यह लेयर हर एक दिन एक-एक करके बढ़ाई जाती है ।
चौथे दिन – को विशाकम कहते हैं, इस दिन से तरह-तरह की प्रतियोंगिताएं प्रारंभ होती है ।
पॉंचवे दिन – को अनिज्म कहते हैं इस दिन नौका प्रतियोगिता की तैयारी करते हैं ।
छठवां दिन – थ्रिकम कहलाता है इस दिन छुट्टीयां चालू हो जाती हैं ।
सातवाँ दिन – मूलम कहलाता है, इस दिन मंदिरों में स्पेशल पूजा पाठ आयोजित किया जाता है ।
आठवां दिन – पूरादम कहलाता है, इस दिन भगवान वामन एवं महाबली की मिट्टी की प्रतिमा घर में स्थापित की जाती है ।
नौवां दिन – उठ्रादुम कहलाता है मान्यता के अनुसार इसी दिन महाराजा बलि केरल में प्रवेश करते हैं ।
दसवां दिन – थिरूओणम कहलाता, इसी दिन मुख्य पर्व एवं उत्सव का समापन दिन होता है ।
यह पर्व केरल के एक मात्र वामन मंदिर जो त्रिक्काकरा में है, से प्रारंभ होता है । ओणम में प्रत्येक घर में पुक्कलम अर्थात फूलों की रंगोली डाली जाती है । पुक्कलम वृत्ताकार बनाया जाता है जिसमें हर एक दिन नया आवरण अर्थात लेयर बनाया जाता है ।
युवतियां, महिलायें सफेद साड़ी पहनकर, अपने वेणी में फूलों का गजरा लगाकर सज-धज कर इसी पुक्कलम के चारों ओर इक्कठ्ठे होकर तिरूवाथिरा कलि नृत्य करती हैं, यह नृत्य केरल का एक प्रसिद्ध नृत्य है । सारा दृश्य ऐसा लगता है मानों धरती को दुल्हन के रूप में सजाया गया हो और मंगल गान किया जा रहा हो । इस पुक्कलम के बीच में त्रिक्काकरप्पन (वामन अवतार में विष्णु), राजा महाबली तथा उसके अंग रक्षकों की प्रतिष्ठा होती है जो कच्ची मिट्टी से बनायीं जाती है। इसे प्रतिस्थापित कर पूजा की जाती है ।
राजा बलि अपनी प्रजा से बहुत ही स्नेह रखते थे और दानी भी थे इस कारण इस दिन धनवान लोग निर्धनों को दान करते हैं और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों, नौकरों को प्रसन्न करते हैं । मंदिरों में भी कई प्रकार से उत्सव किए जाते हैं ।
इस दिन नौकायन प्रतियोगिता विशेष तौर पर आयोजित की जाती है इसे सर्प नौका कहते हैं क्योंकि इस नौका की लंबाई की तुलना में चौड़ाई बहुत ही कम होती है और यह जब चलता है तो ऐसे लगता है कि मानो कोई सर्प चल रहा हो । सर्प नौकायन प्रतियोगिता का धूम होता है इसे राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित किया जाता है और जल सेना भी कभी-कभी नौकायन करते हैं । इस अवसर पर हाथियों का जुलूस भी निकाला जाता है ।
कुल मिलाकर यह पर्व बहुत आकर्षक, उत्साहवर्धक और आनंददायक होता है । इस उत्सव को देखने भारत के विभिन्न हिस्सों से लोग बड़ी संख्या में आते हैं साथ ही विदेशी पर्यटक भी इस अवसर पर इस उत्सव का आनंद उठाते हैं । इस पर्व पर पूरे 10 दिन तक गरीब-अमीर सभी साथ मिलकर हँसी-खुशी से उत्सव मनाते हैं लोगों की खुशीयॉं देखने लायक होती हैं ।
इस प्रकार इस पर्व का केवल पौराणिक महत्व ही नहीं अपितु इसका सांस्कृति महत्व भी है । ओणम एक प्राचीन परम्परा है । यह लंबे समय से केवल अपनी संस्कृति के बल पर चल रही है । यह पर्व लोगों में ख़ुशियाँ भरता है, नई उत्साह के साथ जीवन को जीने की प्रेरणा देता है । भारत के विविधता में एक नया रंग भरने के साथ भारतीय संस्कृति को सक्षम बनाता है ।
और त्योहारों के बारे में जानने के लिए हमारे फेस्टिवल पेज को विजिट करें Read about more Indian Festivals, please navigate to our Festivals page.
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References Onam Wikipedia ओणम Wikipedia
मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।
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ओणम पर निबंध
ओणम केरल राज्य के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यहां के लोग अपने धर्म, उम्र या फिट समुदाय के बावजूद ओणम को बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं। इस रंग-बिरंगे त्योहार का जश्न काफी लंबे समय से चल रहा है। बता दें, ओणम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द श्रवणम से हुई है। इस साल यह त्यौहार 8 सितंबर को पढ़ रहा है। आज हम ओणम त्यौहार पर निबंध लिखेंगे। चलिए शुरुआत करते हैं।
पुराणों में ओणम
ओणम त्योहार राजा महाबली की याद और उनके सम्मान में मनाया जाता हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपने पांचवें अवतार वामन के रूप में चिंगम मास के दिन धरती पर आकर राजा महाबली को पाताल भेजा था। ओणम त्यौहार कई सदियों से मनाया जा रहा है यह त्यौहार राजा महाबली की उदारता और समृद्धि की याद में मनाया जाता हैं।
ओणम त्यौहार का महत्व
ओणम को फसल की कटाई के समय मनाया जाता हैं। आमतौर देखा जाए, तो ओणम अगस्त या फिर सितंबर महीने में आता हैं। इस त्यौहार पर कई तरह के नृत्य किए जाते हैं। इस दिन केरल के लोक नृत्य कथकली का बहुत ही बड़े पैमाने पर आयोजन किया जाता हैं। इस दिन औरतें सफेद साड़ी पहनती हैं और बालों में फूलों की वेणिया लगाती हैं और नृत्य प्रस्तुत करती हैं। खाने के लिए कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। इस त्यौहार को बहुत ही ज्यादा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। ओणम अपने साथ सुख, समृद्धि, आपसी सौहार्द की भावना को लेकर आता हैं।
क्यों मनाते हैं ओणम त्यौहार
राजा महाबली की याद में यह त्यौहार मनाया जाता हैं। बता दें, केरल पर राज करने वाले राजा महाबली बहुत ही उदार थे। राजा महाबली उदार ,धर्म परायण, सत्यवादी थे। उनके राज्य में धन और समृद्धि अपार मात्रा मे थी। उनकी लोकप्रियता बहुत बढ़ती जा रही थी। क्योंकि वह प्रजा के लिए राजा नहीं बल्कि भगवान बन चुके थे। लोग उन्हें भगवान की तरह पुजते थे। यह बात देवताओं को अच्छी नहीं लगी। इंद्र देव ने षड्यंत्र बनाकर भगवान विष्णु जी से सहायता मांगी। विष्णु जी ने वामन का रूप धारण करके महाबली से वचन लिया और उनको तीन पग जमीन देने के लिए कहा। महाबली की याद में ओणम मनाया जाता हैं।
उन क्षेत्रों का मालिक होना चाहता था। महाबली उनकी इच्छा मान गए। अचानक वामन विशाल हो गया। केवल दो कदमों के साथ, उसने पृथ्वी और स्वर्ग दोनों का दावा किया। उसके लिए और कोई जमीन नहीं बची थी, महाबली ने अपने वादे की रक्षा के लिए कुछ बलिदान किया। महान राजा ने भूमि के टुकड़े के लिए अपना सिर अर्पित कर दिया। हालांकि उनकी एक शर्त थी। वह अपने घर लौटने की कामना करता था और हर साल एक बार अपने लोगों द्वारा उसका स्वागत किया जाता था।
ऐसा माना जाता है कि महाबली पाताल पर राज करते हैं। हर साल, वह अपनी प्रजा के पास जाते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। दस दिनों के उत्सव का अर्थ है कि दोनों लोकों के बीच आगे-पीछे यात्रा करने में लगने वाला समय। इसलिए, बहुत सम्मानित राजा का स्वागत करने के लिए ओणम को बहुत सारे उत्सवों के साथ मनाया जाता है।
ओणम के दिन केरल के सभी घरों को दुलहन की तरह सजाया जाता हैं। हर घर के सामने रंगोली बनाई जाती हैं। ओणम पर केरल की समृद्धि को व्यापक रूप में देखा जा सकता हैं। ओणम त्योहार के दिन लोक नृत्य ,दौड़, खेल-कूद होती हैं और स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास के श्रवण नक्षत्र में राजा बलि अपनी प्रजा को देखने के लिए खुद धरती पर आते हैं। देश के कोने कोने में अपने धर्म से जुड़े कई त्योहारों को काफी धूमधाम से मनाया जाता है।
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Essay on Onam in Hindi: हम यहां पर ओणम पर निबंध शेयर कर रहे है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।
What is Onam in Hindi? ओणम केरल का एक बहुत ही प्रमुख तथा प्राचीन त्योहार है जो बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार चिंगम महीने में मनाया जाता है। चिंगम माह मलयालम कैलेंडर का पहला महीना होता है जो अगस्त-सितंबर के महीने में ही आता है।.
इस लेख में आप ओणम त्योहार पर निबंध (Onam Festival Essay in Hindi) पढ़ेंगे। ओणम क्या है, कब है, इसे कैसे मनाते हैं, ओणम का महत्व व पौराणिक कथा.
ओणम का महान त्योहार आमतौर पर अगस्त-सितंबर के महीने में मनाया जाता है। ओणम मुख्यतः दो कारणों से वर्ष के इस समय में मनाया जाता है। एक यह है कि यह एक बार केरल के एक महान राजा- राजा महाबली की यात्रा का समय है। एक आम धारणा के अनुसार, राजा अपने राज्य पाताल से पृथ्वी पर जाता है और अपने प्रजा को आशीर्वाद देता है जो अपने पूज्य राजा का स्वागत करने में कोई...
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ओणम एक ऐसा त्यौहार है, जिसका विशेष महत्व माना जाता है। यह त्यौहार मुख्य रूप से सितंबर के महीने में आता है, जब फसलों की कटाई का समय होता है। इस समय को खुशियां मनाई जाती है और विशेष तरीके से तैयार हुआ जाता है।.
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