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प्लास्टिक का उपयोग बंद करें पर निबंध Essay on Say No to Plastic in Hindi

इस लेख में हमने प्लास्टिक का उपयोग बंद करें पर निबंध (Essay on Say No to Plastic in Hindi) लिखा है। आज के समय मे प्लास्टिक के बिना अपने जीवन की कल्पना करना काफी ज्यादा मुश्किल है।

चाहे वह खाने के बर्तन हों या, गाड़ी की हेडलाइट, चाहे वो सामान ले जाने के पॉलिथीन बैग हों, या फिर कोई भी अन्य वस्तु। आप आसपास गौर करें तो यह पाएंगे कि प्लास्टिक की वस्तुओं ने लगभग हमारे जीवन में कब्जा कर लिया है। 

प्लास्टिक से ही हमारा दिन शुरू होता है और दिन खत्म भी प्लास्टिक पर ही होता है। प्लास्टिक के शुरुआती दौर में यह काफी ज्यादा सहायक अविष्कार साबित हुआ था लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया, प्लास्टिक के नुकसान सामने आने लगे। प्लास्टिक का सबसे बड़ा नुकसान तो यह है कि उसे गलाया नहीं जा सकता है। 

पढ़ें : प्लास्टिक प्रदुषण के विषय में पूरी जानकारी

Table of Content

प्लास्टिक का उपयोग क्यों बंद करना चाहिए? Why Say No to Plastic in Hindi?

प्लास्टिक के हमारे पर्यावरण पर पड़ने वाले कई नुकसान है। प्लास्टिक ने हमारे पर्यावरण को लगभग खोखला कर दिया है और यह काफी ज्यादा मात्रा में उत्पादित की जाने लगी है इस कारण यह काफी ज्यादा बुरा प्रभाव भी छोड़ रही है। प्लास्टिक द्वारा किए जाने वाले नुकसान निम्नलिखित हैं :- 

1. प्लास्टिक के उपयोग से मृदा प्रदूषण को बढ़ावा

पढ़ें : स्थल या मृदा प्रदुषण की पूरी जानकारी

मृदा प्रदूषण, प्लास्टिक द्वारा किए गए नुकसान में प्रमुख है। प्लास्टिक के उत्पादन के पश्चात सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि प्लास्टिक का केवल एक बार ही प्रयोग किया जा सकता है।

उसके बाद उपयोग किया जा चुका प्लास्टिक एक कूड़े के रूप में परिवर्तित हो जाता है, जो कि काफी ज्यादा नुकसानदेह होता है। उस कूड़े को ठिकाने लगाना और भी बड़ी समस्या होती है।

प्लास्टिक उत्पादन के शुरुआती दौर में जब प्लास्टिक का उत्पादन इस स्तर तक नहीं किया जा रहा था, तब प्लास्टिक को जमीन में ही संग्रहित कर लिया जाता था, लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते गए यह बढ़ता चला गया और धीरे धीरे प्लास्टिक ने थल में एक बड़ी जगह को घेर लिया। अब के समय में यह एक समस्या है क्यूंकि घेरी गई जगह के कारण बहुत सा प्रदूषण होता है।

2. प्लास्टिक के उपयोग से जल प्रदूषण को बढ़ावा

पढ़ें : जल प्रदुषण की पूरी जानकारी

प्लास्टिक के कारण जल प्रदूषण भी काफी तेजी से फैल रहा है। गौरतलब है कि जल प्रदूषण होने के कारण जल में मौजूद जीव जंतुओं पर भी खासा प्रभाव देखने को मिल रहा है।

प्लास्टिक के उत्पाद काफी हल्के होते हैं जिस कारण कई बार वे हवा के संपर्क में आकर उड़कर वहां तक चले जाते हैं, वहीं कई बार ऐसा होता है कि प्लास्टिक के द्वारा उत्पन्न हुए कूड़े के निबटारे के लिए उसे जल में प्रवाहित कर दिया जाता है।

दोनों ही तरीकों से जल में पहुंचे प्लास्टिक का जल पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है और वह जल को दूषित कर देता है। जल में मौजूद जीव जंतु जब उस प्लास्टिक को खाते हैं तो वे भी मृत हो जाते हैं। गौरतलब है कि पिछले एक दशक में समुन्द्र में पाए जाने वाली अनेकों व्हेल मछलियों के पेट में से कई किलोग्राम प्लास्टिक निकाला गया है। यह प्लास्टिक उन्हे मरने पर मजबूर कर देता है।

3. पेड़-पौधों के विकास पर बुरा प्रभाव

पढ़ें : वृक्षारोपण पर निबंध और इसके लाभ

प्लास्टिक से उत्पन्न कचरे के निवारण के लिए प्लास्टिक को अक्सर जमीन में संग्रहित कर दिया जाता है, जिस कारण थल प्रदूषण तो होता ही है, साथ ही साथ पौधों के विकास पर भी प्रभाव पड़ता है।

ऐसा इसलिए क्यूंकि जमीन में संग्रहित प्लास्टिक के कारण ह्यूमस जो कि पृथ्वी की ऊपरी परत है, उसकी गुणवत्ता काफी हद तक खत्म हो जाती है जो कि पौधों के विकास के लिए काफी ज्यादा जरूरी है। पौधों की जड़ें ह्यूमस द्वारा ही पोषण प्राप्त करती हैं। जब ह्यूमस की गुणवत्ता कम हो जाती है तो पौधों पर भी खासा प्रभाव पड़ता है, और वे कुपोषित रह जाते हैं।

4. जानवरों में बीमारी

प्लास्टिक के कारण जानवरों में बीमारी फैलना, प्लास्टिक के प्रमुख नुकसान में से एक है। जहां यह पाया गया है कि जल प्रदूषण के कारण जलीय जीव प्लास्टिक का शिकार होकर मारे जा रहे हैं, वहीं यह भी देखने को मिला है कि जमीन पर मौजूद जानवरों की मौत भी प्लास्टिक के कारण हो रही है।

गौरतलब है आजकल घरों में मौजूद खाद्य कचरे का बाहर फेंकने के लिए प्लास्टिक के बैग का उपयोग किया जाता है, और बाहर पड़े खाद्य कचरे को खाते हुए जानवर प्लास्टिक के बैग को भी खा जाते हैं। प्लास्टिक के बैग खाने के कारण जानवरों की मौत हो जाती है। यह समस्या शहरों में प्रमुख है।

5. ग्रीन हाउस प्रभाव

पढ़ें : ग्रीन हाउस प्रभाव पर पूरी जानकारी

प्लास्टिक के कारण ग्रीन हाउस प्रभाव भी बढ़ा है। गौरतलब है कि प्लास्टिक का निर्माण पॉलीप्रोपलीन द्वारा किया जाता है जो कि प्रमुख तौर पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैसों द्वारा बनाया गया है।

प्लास्टिक के अत्यधिक उत्पादन के कारण ये गैसें दिन पर दिन कम होती जा रही हैं और ये गैसें अनविकरणीय हैं इस कारण इनके कम होने के बाद ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा अधिक हो रही है। यह दर्शाता है कि अगर प्लास्टिक को न नहीं कहा गया तो प्लास्टिक पर्यावरण को बहुत ज्यादा क्षत विक्षत कर देगी।

प्लास्टिक का उपयोग कैसे बंद करें? How to say using plastic?

प्लास्टिक काफी ज्यादा नुकसानदेह है और यह हमारे पर्यावरण को काफी ज्यादा क्षति पहुंचा रही है। लेकिन यदि इसी समय प्लास्टिक को न नहीं कहा गया, तो यह आने वाले समय में समय में शायद पर्यावरण के आस्तित्व को ही खत्म कर दे। 

प्लास्टिक को रोका जाना आज के समय की सबसे बड़ी मांग है। प्लास्टिक को रोकने के लिए निम्न कदम उठाए जा सकते हैं :- 

1. सरकार को ध्यान देना चाहिए – प्लास्टिक का उपयोग बंद करवाने के लिए कड़े नियम होने चाहिए

प्लास्टिक बैग के उपयोग पर सबसे पहले सरकार को प्रतिबंध लगाना चाहिए। गौरतलब है कि प्लास्टिक बैग का उत्पादन विभिन्न कंपनियों में किया जाता है। वे सभी कंपनिया सरकार की इजाजत के बाद ही संवैधानिक तौर पर प्लास्टिक का उत्पादन करती हैं।

यदि ऐसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो ये कम्पनियां प्लास्टिक का निर्माण बंद कर देंगी जिसके बाद प्लास्टिक की समस्या लगभग खत्म हो सकती है। प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार का इन कंपनियों को बंद करने के साथ साथ जरूरी कानून बना भी अनिवार्य है ताकि काला बाजारी के चलते भी प्लास्टिक का उपयोग न किया जा सके।

इस तरह का कानून किसी भी तरह की सजा या जुर्माने के रूप में बनाया जा सकता है, जो कि सीधे तौर पर लोगों को प्लास्टिक के प्रयोग पर और कंपनियों को प्लास्टिक के निर्माण पर रोक देगा।

2. लोगों को जागरूक होना चाहिए – ताकि वे प्लास्टिक का उपयोग बंद करें

पढ़ें : शिक्षा के महत्व पर निबंध

किसी भी वस्तु का चलन तभी होता है जब उसके उपयोगकर्ता मौजूद हों। यदि प्लास्टिक के उपयोगकर्ताओं या आम जनता को प्लास्टिक के नुकसान के प्रति जागरूक किया जाए तो शायद प्लास्टिक के उपयोग पर एक तरह से रोक लगाई जा सकती है।

इसके लिए लोगों के बीच तरह तरह के अभियान चलाए जा सकते हैं एवं उन्हे साफ सीधे तौर पर दर्शाया जा सकता है कि वे प्लास्टिक का उपयोग करके मानवीय आस्तित्व के ताबूत में कील ठोक रहे हैं।

3. प्लास्टिक को महंगा कर दिया जाए या पूर्ण रूप से बंद

प्लास्टिक को न कहने का सबसे आसान तरीका है कि उसके उत्पादन पर रोक लिया जाए और उसके बाद तरीका यह है कि लोगों को जागरूक करके उपयोग करने से रोक दिया जाए, लेकिन क्या हो यदि निर्माण एवं उपयोग दोनों पर ही न रोक लगाई जा सके।

ऐसे में यदि प्लास्टिक को महँगा कर दिया जाए तो यह कई लोगों को इसके प्रयोग से सीधे तौर पर रोकेगा। यदि प्लास्टिक को इतना महंगा कर दिया जाए कि यह आम लोगों के हाथों से निकल जाए तो ऐसे में प्लास्टिक का प्रयोग काफी ज्यादा कम हो जाएगा जो कि एक प्रकार से प्लास्टिक के प्रतिबंध की तरह ही कार्य करेगा।

अब भारत में कई जगहों पर प्लास्टिक को बैंड कर दिया गया है। परन्तु हर प्लास्टिक की वास्तु को बंद करना उतना आसान नहीं। इसलिए हमें ही जागरूक हो कर जितना हो सके उतना कम प्लास्टिक का उपयोग करना चाहिए।

4. प्लास्टिक बैग के विकल्प लाए जाएं

यदि प्लास्टिक के बैग का विकल्प खोज लिया जाए तो यह प्लास्टिक के प्रयोग से लोगों को रोकेगा और इससे प्लास्टिक से खतरा हट जाएगा। प्लास्टिक का विकल्प खोजते समय यह ध्यान देना काफी ज्यादा जरूरी है कि आने वाला विकल्प प्लास्टिक से सस्ता हो और प्लास्टिक से ज्यादा आसानी से उपलब्ध हो।

निष्कर्ष Conclusion

प्लास्टिक हमारे पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है। न तो यह पदार्थ गलता है और न ही इसके द्वारा उत्पन्न हुए कचरे का पुनरुपयोग किया जा सकता है। ऐसे में आने वाली त्रासदी का जिम्मेदार प्लास्टिक और उसे प्रयोग करने वाले लोग होंगे।

लेकिन प्लास्टिक का प्रयोग करना अब लोगों की मजबूरी बन चुकी है क्यूंकि प्लास्टिक ने उनके जीवन में इस तरह से पैठ बनाई है कि उसके बिना जीवन सुचारू ढंग से नहीं चल सकता। 

अगर प्लास्टिक के स्थान पर अन्य किसी पदार्थो का इस्तेमाल किया जाए तो प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। लेकिन इसे जल्दी से जल्दी करना पड़ेगा क्यूंकि दिन ब दिन प्लास्टिक हमारे पर्यावरण को खोखला कर रही है और एक दिन यह मानव आस्तित्व पर बहुत बड़ा खतरा बन जाएगी। 

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नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

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सिंगल यूज़ प्लास्टिक निबंध हिंदी में : Essay on single use plastic in Hindi

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जलवायु परिवर्तन के परिणाम स्वरूप बिगड़ता पर्यावरण सम्पूर्ण विश्व के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। ऐसे में प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकना एक बहुत बड़ी चुनौती है. प्रत्येक साल कई लाख टन Single use plastic का उत्पादन (produce) हो रहा है, जो कि मिट्टी में नहीं घुलता-मिलता (Biodegradable) है।  इसलिए विश्व भर के देश सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए कठोर रणनीति बना रहे हैं। जिससे Single use plastic से उत्पन्न होने वाली बीमारियों एवं प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सके। 

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सिंगल प्लास्टिक यूज पर निबंध

दहेज प्रथा पर निबंध

पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक, सिंगल प्लास्टिक का उपयोग धरती के प्रत्येक जीवंत प्राणी के लिए हानिकारक है। सरकार द्वारा इसके प्रयोग को रोकने के लिए विभिन्न अभियान शुरू किए गए हैं। आज हम आपके लिए सिंगल प्लास्टिक यूज विषय पर निबंध लेकर प्रस्तुत हुए हैं। सिंगल प्लास्टिक यूज पर सारगर्भित निबंध निम्नलिखित है…….

प्रस्तावना: हर साल लाखों टन में पॉलीथिन का उत्पादन किया जाता है। जिसके बाद पॉलीथिन तथा पॉलीथिन की वस्तुओं को कचरे में रीसाइकल के लिए फेंक दिया जाता है। लेकिन रीसाइकल ना हो पाने के कारण यह पॉलीथिन पर्यावरण के लिए अभिशाप बन जाती है। पर्यावरण का मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। पॉलीथिन के उपयोग से होना वाला पर्यावरण का नुक़सान मानव अथवा प्राणी जीवन के लिए बेहद घातक है।

सिंगल यूज प्लास्टिक क्या है?

सिंगल यूज प्लास्टिक से अभिप्राय है, एक ऐसी प्लास्टिक जिसका उपयोग केवल एक बार ही किया जा सकता है। सामान्य भाषा में इस प्रकार की प्लास्टिक को डिस्पोजेबल प्लास्टिक कहा जाता है। सिंगल यूज प्लास्टिक के अन्तर्गत प्लास्टिक की थैलियां, प्लास्टिक के गिलास व चम्मच, पानी की बोतलें, खाद्य पद में प्रयोग होने वाली पैकिंग प्लास्टिक शामिल हैं। इस प्रकार की प्लास्टिक का उपयोग रिसाइकिल में भी नहीं किया जाता। प्रयोग के बाद इस प्लास्टिक को कचरे में डाल दिया जाता है। जोकि पर्यावरण के लिए नुकसानदायक साबित होता है।

सिंगल प्लास्टिक के यूज से पर्यावरण को नुक़सान: सामान्यतः सिंगल प्लास्टिक का यूज करके आमतौर पर लोग इसे फेंक देते हैं। जिसके बाद मिट्टी वाली सतह पर यह पॉलीथिन दब जाती है। इसके अतिरिक्त जब यह पॉलीथिन नाली-नालों में फेंकी जाती है। इनके माध्यम से पॉलीथिन समुद्र तक पहुंच जाती हैं। पॉलीथिन मिट्टी तथा पानी में पहुंचते ही छोटे कणों में विघटित हो जाती है। इसके अतिरिक्त पॉलीथिन सौ से अधिक वर्षों तक पानी तथा मिट्टी में व्याप्त रहती है। धीरे धीरे करके अधिक मात्रा में पॉलीथिन के विषाक्त रसायन बाहर निकलते रहते हैं। जो कि धरती के सुन्दर पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। इस प्रकार पॉलीथिन जल, मृदा तथा प्राणियों को आंतरिक रूप से नुकसान पहुंचाती है।

सिंगल प्लास्टिक यूज पर बैन लगाने का कारण: पॉलीथिन के उपयोग के कारण पर्यावरण में पैदा होने वाला प्रदूषण नियंत्रण करना बेहद मुश्किल है। यह समस्या संपूर्ण विश्व के लिए चिंता का विषय है। पॉलीथिन को दोबारा प्रयोग करना मुश्किल है। पॉलीथिन के कचरे में डलने तथा जलने से जो धुआं निकलता है वह हवा में विषैली गैस के रूप में फैलता है। इस प्रकार की परिस्थितयों पर गौर करते हुए, सरकार द्वारा सिंगल प्लास्टिक यूज पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया जाता रहा है।

निष्कर्ष: सिंगल प्लास्टिक यूज एक ऐसा पदार्थ है, जो कि रसायनों से बना हुआ है। इसका प्रयोग प्रकृति की लिए हानिकारक है। मनुष्य के साथ साथ यह जानवरों की जान के लिए भी घातक है। अतः सरकार द्वारा इसके प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास सफल होना आवश्यक है।

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प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध (Plastic Pollution Essay in Hindi)

प्लास्टिक प्रदूषण हमारे पर्यावरण को काफी तेजी से नुकसान पहुंचा रहा है। प्लास्टिक पदार्थो से उत्पन्न कचरे का निस्तारण काफी कठिन होता है और पृथ्वी पर प्रदूषण में भी इसका काफी अहम योगदान है, जिससे यह एक वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। प्लास्टिक बैगों, बर्तनो और फर्नीचर के बढ़ते इस्तेमाल के वजह से प्लास्टिक के कचरे में काफी वृद्धि हुई है, जिससे प्लास्टिक प्रदूषण जैसी भीषण समस्या उत्पन्न हो गयी है। यह वह समय है जब हमे इस समस्या पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए, इसके समाधान के लिये प्रयास शुरु करने होंगे।

प्लास्टिक प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Plastic Pollution in Hindi, Plastic Pradushan par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (300 शब्द).

प्लास्टिक प्रदूषण प्लास्टिक के कचरे से उत्पन्न होता है, आज के समय में यह विकराल रुप धारण कर चुका है और दिन-प्रतिदिन यह बढ़ता ही जा रहा है। यह हमारे इस खुबसूरत ग्रह पे भी कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे यह जनजीवन के लिये एक गंभीर संकट बन गया है, यही कारण है कि आज प्लास्टिक प्रदूषण एक वैश्विक चिंता का विषय बना हुआ है।

प्लास्टिक प्रदूषण को कैसे रोके

इन दो उपायो का अपने दैनिक जीवन में अपनाकर हम प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में महात्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।

  • उपयोग ना करके/ अन्य विकल्पो को अपनाकर

प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिये सबसे महात्वपूर्ण कदम यह है कि हमें प्लास्टिक के उपयोग से बचना चाहिये।

क्योंकि अब हम इनके उपयोग के आदि हो चुके है तथा यह काफी सस्ते भी है, इसलिये हम इनके उपयोग को पूरी तरह से बंद नही कर सकते है। हालांकि हम उन प्लास्टिक उत्पादो के उपयोग को आसानी से बंद कर सकते है, जिनके इको-फ्रैंडली विकल्प उपलब्ध है। जैसे कि उदहारण के लिये , बाजार से सामान खरीदते समय हम प्लास्टिक बैग के जगह हम जूट, कपड़े या पेपर से बने बैगों का इस्तेमाल कर सकते है। ठीक इसी तरह पार्टियो और उत्सवो के दौरान हम प्लास्टिक के बर्तन और अन्य सामानो का उपयोग के जगह हम स्टील, कागज, थर्माकोल या अन्य उत्पादो से वस्तुओ का उपयोग कर सकते है, जिनका आसानी से पुनरुपयोग और निस्तारण किया जा सके।

यदि आप प्लास्टिक बैगों और प्लास्टिक से बने अन्य वस्तुओ का उपयोग नही बंद कर सकते तो कम से कम उन्हे फेंकने से पहले जितनी बार भी हो सके उनका पुनरुपयोग करे। प्लास्टिक बैगों और सामानो का उपयोग करके उन्हे फेंक देना लगभग हमारी आदत सा बन चुका है, जबकि यदि हम चाहे तो फेंकने से पहले हम इनका पुनरुपयोग कर सकते है, इस लिये यह काफी आवश्यक है कि हम फेंकने से पहले इनका पुनरुपयोग करे। इस प्रकार से हम प्लास्टिक कचरे को कम करने में और प्लास्टिक प्रदूषण के रोकथाम में अपनी महात्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।

निष्कर्ष यह वह समय है जब हमें एक साथ मिलकर प्लास्टिक प्रदूषण जैसे इस भयावह दानव का सामना करने की आवश्यकता है। अगर हम सभी इन बताये गये उपयो को अपना ले तो हम प्लास्टिक प्रदूषण के स्तर को कम करके आसानी से इसपर काबू पा सकते है।

निबंध – 2 (400 शब्द)

आज के समय में प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण के लिये एक गंभीर संकट बन गया है और आने वाले समय में यह और भी ज्यादे भयावह होने वाला है। इस प्रदूषण के कई कारण है तथा इसके नकरात्मक प्रभावो की संख्या उससे भी ज्यादे है।

प्लास्टिक प्रदूषण के कारण

1.किफायती और उपयोग में आसान प्लास्टिक सबसे ज्यादे इस्तेमाल किये जाने वाले पदार्थो में से एक है इससे डब्बे, बैग, फर्नीचर और अन्य कई उत्पाद बनाये जाते है क्योंकि किफायती होने के साथ इन्हे किसी भी आकार में ढाला जा सकता है। प्लास्टिक के वस्तुओं के बढ़ते उपयोग के कारण ही प्लास्टिक प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है।

2.नान-बायोग्रेडबल

प्लास्टिक से उत्पन्न कचरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, क्योंकि प्लास्टिक एक नान- बायोडिग्रेडबल पदार्थ है इसलिये यह जल और भूमि में विघटित नही होता है। यह वातावरण में सैकेड़ो वर्षो तक बना रहता है, जिससे यह भूमि, जल और वायु प्रदूषण का कारण बनता है

3.प्लास्टिक क्षय होता है परंतु विघटित नही होता है

प्लास्टिक बैग और प्लास्टिक से बने अन्य उत्पाद छोटे-छोटे टुकड़ो में टूट जाते है तथा मिट्टी और पानी के स्त्रोतो में मिल जाते है, जिससे प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है।

प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव              

इन बताये गये तरीको से प्लास्टिक प्रदूषण हमारे पर्यावरण और पृथ्वी के जनजीवन पर प्रभाव डालता है।

1.जल को प्रदूषित करता है

प्लास्टिक से उत्पन्न कचरा पानी के स्त्रोतो जैसे कि, नदियो, समुद्रो तथा महासागरो में मिल जाता है और इन्हे बुरे तरीके से प्रभावित करता है। यही पानी हमारे उपयोग के लिये हम तक पहुंचाया जाता है, इससे कोई भी फर्क नही पड़ता कि हम इन्हे कितना भी छाने यह उपने वास्तविक अवस्था में कभी वापस नही आ सकता और इस पानी के उपयोग से हमारे स्वास्थ्य पर भी नकरात्मक प्रभाव पड़ता है।

2.भूमि को प्रदूषित करता है

भारी मात्रा में प्लास्टिक से उत्पन्न होने वाले कचरे का लैंडफिलो में निस्तारण किया जाता है। इसके अलावा हवा द्वारा उड़ा लिये जाने पर प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े एक स्थान से उड़कर दूसरे स्थान पर पहुंचा दिये जाते है और प्लास्टिक के यह टुकड़े हानिकारक रसायन उत्पन्न करते है जोकि मिट्टी के गुण तथा  उर्वरकता को नष्ट कर देता है। यह पेड़-पौधो के वृद्धि को भी प्रभावित करता है, इसके अलावा बेकार पड़े हुए प्लास्टिक से मच्छर और अन्य तरह के कीड़े उत्पन्न होते है जो कई तरह की बिमारिया फैलाते है।

3. समुद्री जीवन के लिये खतरा

प्लास्टिक बैग और अन्य प्लास्टिक कचरे जोकि नदियो और समुद्रो में पहुंच जाते है। उसे समुद्री जीवो द्वारा भ्रमवश अपना भोजन समझकर खा लिया जाता है, जिससे वह बिमार पड़ जाते है।

4.पशुओ के लिये हानिकारक

ज्यादेतर छुट्टा पशुओं द्वारा कचरे में फेका गया खाना खाया जाता है। वह प्लास्टिक बैगों को अपने खाने के साथ खा लेते है, जो उनके आंतो में फंस जाता है, जिससे अंत में या तो उनकी मृत्यु हो जाती है या फिर उनके अंदर कई गंभीर बिमारीयां उत्पन्न कर देता है।

प्लास्टिक प्रदूषण विश्व भर के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। हमारे द्वारा की जाने वाली लापरवाहियो के कारण यह और भी बढ़ता जा रहा है। यह वह समय है जब हमे इसके समाधान के लिये कठोर फैसले लेने की आवश्यकता है।

Essay on Plastic Pollution in Hindi

निबंध – 3 (500 शब्द)

प्लास्टिक प्रदूषण पूरे विश्व के लिए एक चिंताजनक विषय बन गया है। कई सारे देशो के सरकारो द्वारा इस मुद्दे को लेकर प्लास्टिक बैगों पर प्रतिबंध जैसे कड़े फैसले लिये जा रहे है। इसके बाद भी इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब हम सभी इस समस्या को लेकर जागरुक हो और इसे रोकने में अपना योगदान दे।

सरकार द्वारा कड़े फैसले लेने की आवश्यकता

यह वह समय है जब सरकार द्वारा इस समस्या से लड़ने के लिये कड़े फैसले लेने की आवश्यकता है। यह कुछ जरुरी कदम है जिनका आवश्यक रुप से पालन किया जाना चाहिए।

  • प्लास्टिक उत्पादन पर नियंत्रण करके

प्लास्टिक वस्तुओं के बढ़ते मांग के कारण, विश्व भर में प्लास्टिक का उत्पादन बढ़ता जा रहा है। सरकार को अब किसी नयी संस्था को प्लास्टिक उत्पादन की मंजूरी नही देनी चाहिये, जिससे प्लास्टिक के उत्पादन को नियंत्रित किया जा सके।

  • प्लास्टिक के वस्तुओ पर प्रतिबंध

कई देशो के सरकारो द्वारा प्लास्टिक बैग के उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है क्योंकि इनके द्वारा ही सबसे ज्यादे मात्रा में प्लास्टिक प्रदूषण फैलाया जाता है। हालांकि भारत जैसे कुछ देशो में इन प्रतिबंधो को सही ढंग से लागू नही किया गया है। इसके लिये सरकार को प्लास्टिक बैग के उपयोग को रोकने के लिये कड़े फैसले लेने की आवश्यकता है।

  • जागरुकता फैलाकर

इसके साथ ही लोगो में प्लास्टिक कचरे के पर्यावरण पर नकरात्मक प्रभाव को लेकर लोगो में जागरुकता फैलाने की भी आवश्यकता है। यह कार्य टेलीविजन और रेडियो विज्ञापनो, होर्डिगों तथा सोशल मीडीया के माध्यमों से आसानी से किया जा सकता है।

  • प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के कुछ अन्य आसान उपाय

यहा प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के कुछ अन्य उपाय आसान बताये गये, जिनको अपनाकर प्लास्टिक प्रदूषण को कम करके वातावरण को स्वच्छ रखा जा सकता है।

  • प्लास्टिक बैगों का उपयोग ना करके

पलास्टिक बैग टूटकर छोटे-छोटे टुकड़ो में विभक्त होकर पानी के स्रोतों में मिल जाता है जिससे यह मिट्टी में मिलकर पेड़-पौधो की वृद्धि पर भी नकरात्मक प्रभाव डालता है। इसके साथ ही यह जलीय जीवन पर भी हानिकारक प्रभाव डालता है। ज्यादेतर यह बैग किराने का सामान लाने के लिए उपयोग किये जाते है यदि हम चाहे तो आसानी से इनका उपयोग बंद करके पुनरुपयोग होने वाले कपड़े के बैगों को अपना सकते है।

  • बोतलबंद पानी का उपयोग बंद करके

बोतलबंद पानी प्लास्टिक के बोतलो और ग्लासो में आता है। यह खराब पानी के बोतल और ग्लास, प्लास्टिक प्रदूषण में अहम भूमिका निभाते है। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि हम बोतलबंद पानी को खरीदना बंद कर दे और इसके बजाय अपने खुद के पानी के बोतलो का इस्तेमाल करे।

  • बाहर का खाना मंगाना बंद करके

ज्यादेतर बाहर का खाना प्लास्टिक के डिब्बो में पैक करके दिया जाता है, जोकि प्लास्टिक से उत्पन्न होने वाले कचरे का कारण बनता है। इसलिये रेस्तरां से खाना मंगाने के जगह हमें घर का बना हुआ भोजन करना चाहिये, जोकि हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनो के लिये ही अच्छा है।

बहुत सारी रिसायकलिंग कंपनियां इस्तेमाल किये हुए प्लास्टिक के डिब्बे, बोतल, और अन्य चीजे लेती है, तो इन्हे फेंकने के बजाय हमें इन चीजो को इन रीसायकलिंग कंपनियो को दे देना चाहिये।

  • किराने का सामान थोक में खरीदकर

किराने के छोटे-छोटे कई पैकेटो को खरीदने से अच्छा है कि हम एक बड़ा पैकेट खरीद ले क्योकि ज्यादेतर यह चीजे प्लास्टिक के छोटे-छोटे पन्नीयो या डिब्बो में पैक होते है, इस तरीके को अपनाकर भी हम प्लास्टिक के कचरे में कमी ला सकते है।

प्लास्टिक से उत्पन्न होने वाले कचरे का निस्तारण और इसकी बढ़ती मात्रा एक चुनौती बनते जा रही है, जिससे प्लास्टिक प्रदूषण जैसी समस्या ने इतना भयावह रुप धारण कर लिया है। इन दिये गये कुछ आसाना और दिर्घकालिक उपायो से हम प्लास्टिक प्रदूषण के स्तर को कम करने में अपनी सराहनीय भूमिका निभा सकते है।

निबंध 4 (600 शब्द)

प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रही है। शोधों से पता चला है कि पिछले दो दशको में प्लास्टिक का उपयोग काफी तेजी से बढ़ा है। प्लास्टिक इस्तेमाल करने में काफी आसान और किफायती भी होता है यही वजह है कि लोगो के बीच प्लास्टिक से बने उत्पाद इतने लोकप्रिय है। लोगो की बढ़ती मांगो को देखते हुए प्लास्टिक के उत्पाद बनाने वाली कंपनियों के संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। जितना ज्यादे प्लास्टिक इस्तेमाल होता है, इससे उतना ज्यादे कचरा भी इकठ्ठा होता है, जिससे प्लास्टिक प्रदूषण जैसी खतरनाक समस्या उत्पन्न हो जाती है। यह जनजीवन पर संकट बढ़ाने के साथ ही कई तरह के बीमारीयो को भी जन्म देता है।

प्लास्टिक उत्पादनः उपयोगी संसाधनो का दोहन

प्लास्टिक के निस्तारण के साथ-साथ ही इसका उत्पादन भी उतनी ही गंभीर समस्या है। प्लास्टिक के निर्माण में कई तरह के जीवाश्म ईंधनो जैसे की तेल और पेट्रोलियम आदि का उपयोग किया जाता है। यह जीवाश्म ईंधन गैर-नवकरणीय संसाधन होते है और इन्हे प्राप्त करना भी काफी कठिन होता है, इन जीवाश्म ईंधनो को निकालने में काफी निवेश और संसाधनो की आवश्यकता होती है और यदि हम इसी तरह प्लास्टिक उत्पादन में इनका उपयोग करते रहेगे तो वह दिन दूर नही है जब ये समाप्त हो जायेगे, जिससे हमारे बाकी के जरुरी काम भी ठप पड़ जायेंगे।

समुद्री जीवनः प्लास्टिक प्रदूषण से सबसे बुरी तरह से प्रभावित

प्लास्टिक बैग और अन्य प्लास्टिक के कण हवा तथा पानी द्वारा समुद्रो, महासागरो और अन्य पानी के स्रोतों में मिला दिये जाते है। वह लोग जो पिकनिक और कैपिंग के लिये जाते है, उनके द्वारा भी प्लास्टिक बोतलो और पैकटो के द्वारा प्लास्टिक प्रदूषण फैलाया जाता है।

यह सब नदीयों और समुद्रों में पहुंच जाता है, जिससे समुद्री जीवो के लिये एक गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है, क्योकि निरीह जीवो द्वारा इन प्लास्टिको को अपना भोजन समझकर खा लिया जाता है। जिससे मछलियों, कछुओं और अन्य समुद्री जीवो के स्वास्थ्य पर गंभीर संकट उत्पन्न हो जाता है। प्रतिवर्ष कई समुद्री जीव प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या इस से अपनी जान गवा बैठते है और शोधकर्ताओं का दावा है कि आने वाले समय में इस संख्या में और इजाफा होने वाला है।

प्लास्टिक प्रदूषणः मानव और पशुओं के लिये एक खतरा

समुद्री जीवो की तरह ही, छुट्टा पशुओ द्वारा भी कूड़े में इधर-उधर बिखरे प्लास्टिक को भोजन समझकर खा लिया जाता है। कई बार इन पशुओं द्वारा काफी ज्यादे मात्रा में प्लास्टिक में खा लिया जाता है जोकि उनके आंतो में फंस जाता है, जिससे की उनकी मृत्यु हो जाती है। प्लास्टिक का कचरा समय बितने के साथ ही और भी ज्यादे खराब होता जाता है, जिससे यह मच्छर, मख्खियों, और दुसरे किड़ो के पनपने लिये एक अच्छा निवास स्थान बन जाता है, जोकि विभिन्न प्रकार के बिमारियों का कारण बनती है।

प्लास्टिक से उत्पन्न हुआ कचरा हमारे नदियों तथा पानी पीने के अन्य स्रोतों को भी दूषित कर रहा है। प्लास्टिक प्रदूषण के कारण हमारे पीने के पानी की गुणवत्ता दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है, जिसेस इस पानी को पीने के कारण कई सारी बिमारीयां उत्पन्न हो रही है।

प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिये सामूहिक प्रयास

प्लास्टिक पदार्थो का निस्तारण करना काफी चुनौतिपूर्ण कार्य है। जब प्लास्टिक का कचरा लैंडफिलो या पानी के स्रोतों में पहुंच जाता है तब यह एक गंभीर संकट बन जाता है। लकड़ी और कागज की तरह हम इसका दहन करके भी इसे समाप्त नही कर सकते। क्योंकि प्लास्टिक के दहन से इससे कई सारी हानिकारक गैसे उत्पन्न होती है, जोकि पृथ्वी के वातावरण और जनजीवन के लिये काफी हानिकारक हैं। इस वजह से प्लास्टिक वायु, जल तथा भूमि तीनो तरह के प्रदूषण फैलाता है।

हम चाहे जितना भी प्रयास कर ले परन्तु प्लास्टिक उत्पादो के उपयोग को पूर्ण रुप से बंद नही कर सकते पर हम चाहे तो निश्चित रुप से इसके उपयोग को कम जरुर कर सकते है। प्लास्टिक से बने कई उत्पाद जैसे कि प्लास्टिक बैग, डिब्बे, ग्लास, बोतल, आदि की जगह हम आसनी से पर्यावरण के अनुकूल अन्य उत्पादो जैसे कि कपड़े, पेपर बैग, स्टील से बने बर्तनो और अन्य चीजो का उपयोग कर सकते है।

प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करना मात्र सरकार की जिम्मेदारी नही है और वास्तव में अकेले सरकार इस विषय में कुछ कर भी नही सकती है। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में हम भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे।

पिछले कुछ दशको में प्लास्टिक प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ा है, जोकि एक गंभीर चिंता का विषय है। हमारे द्वारा प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग को रोककर ही इस भयावह समस्या पर काबू पाया जा सकता है। हममे से हर एक व्यक्ति को इस समस्या के निवारण के लिये आगे आना होगा। और इसे रोकने में अपना बहूमुल्य योगदान देना होगा।

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