मेरा शौक चित्रकला पर निबंध My hobby drawing essay in hindi

My hobby drawing essay in hindi.

दोस्तों नमस्कार कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं मेरा शौक ड्राइंग पर हमारे द्वारा लिखा यह आर्टिकल आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस आर्टिकल को

My hobby drawing essay in hindi

हर किसी का अपने जीवन में अलग-अलग शौक होता है मेरा भी मेरा जीवन में शोक है चित्रकला। चित्रकला मेरे जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

मेरा सबसे प्रिय शौक चित्रकला

वैसे तो मेरे जीवन में कई शौक है लेकिन मेरा सबसे प्रिय शौक है चित्रकला। यह शौक मुझे बचपन से ही है। बचपन में जब मैं काफी छोटा था तभी से चित्रकला किया करता था दरअसल मेरे पिताजी भी एक चित्रकार हैं जो चित्रकला में काफी अच्छें हैं वह अक्सर कई चित्र बनाया करते थे जो मुझे काफी प्रभावित किया करते थे।

यहां तक कि वह हमारे घर की दीवार पर भी कई ऐसे चित्र बनाते थे जिसे देखकर हर कोई उनकी प्रशंसा करता था मैं अक्सर बचपन से ही उन्हें देखता था। वो कहते हैं की बचपन में बच्चा बहुत ही जल्दी सीख पाता है यदि बचपन से बच्चा जो कुछ देखता है वह उसके जीवन पर काफी प्रभाव डालता है शायद यही मेरे साथ हुआ।

मैं बचपन से ही मेरे पिता को चित्रकला करते हुए देखा था और धीरे-धीरे में भी चित्रकला में माहिर हो गया और आज चित्रकला करना मेरा कोई प्रोफेशन नहीं बल्कि चित्रकला मेरे जीवन का शौक बन गया है।

स्कूल में जब चित्रकला की प्रतियोगिता आई थी तो मैं उसमें सर्वश्रेष्ठ आता था, मेरे टीचर्स हमेशा मेरी प्रशंसा किया करते थे और कहां करते थे कि यह भी बड़ा होकर अपने पिता की तरह एक चित्रकार बनेगा वास्तव में चित्रकला मेरा एक बहुत ही महत्वपूर्ण शौक था।

मैं अक्सर पढ़ाई के वक्त भी चित्र बनाया करता था जिससे कभी-कभी मेरे माता-पिता मुझसे क्रोधित भी हो जाया करते थे लेकिन सच बताऊं तो मुझे अच्छा सिर्फ चित्र बनाने में ही लगता था क्योंकि बचपन से ही मेरा शौक था चित्रकला करना।

जब मैं बड़ा हुआ तो चित्रकला को मैंने मेरा पैशन बना लिया और आज चित्रकला ही मेरा प्रोफेशन है। बहुत सारे लोग मुझसे चित्र बनबाते हैं और इसके लिए वह काफी कीमत भी चुकाते हैं लेकिन चित्रकला मेरे लिए केवल पैसा कमाने का जरिया नहीं है बल्कि चित्रकला मेरा शौक है, मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण है।

  • चित्रकला पर निबंध essay on chitrakala in hindi

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भारतीय कला पर निबंध | Essay on Indian Art | Hindi

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भारतीय कला पर निबंध | Essay on Indian Art in Hindi language!

Essay # 1. भारतीय कला का परिचय (Introduction to Indian Art):

मानव जीवन मैं कला का महत्वपूर्ण स्थान है । ‘कला’ शब्द संस्कृत की कल धातु में कच तथा टाप (कल + कच + टाप) लगाने से बनता है । संस्कृत कोश में यह शब्द विभिन्न अर्थों में प्रयुक्त हुआ है जैसे-किसी वस्तु का खोल, खण्ड, चन्द्रमा की एक रेखा, शोभा, अलंकरण, कुशलता अथवा मेधाविता आदि । किन्तु इतिहास तथा संस्कृति में ‘कला’ से तात्पर्य सौन्दर्य, सुन्दरता अथवा आनन्द से है । अपने मनोगत भावों को सौन्दर्य के साथ दृश्य रूप में व्यक्त करना ही कला है ।

आचार्य क्षेमराज के अनुसार ‘अपने (स्व) किसी न किसी वस्तु के माध्यम से व्यक्त करना ही कला है और यह अभिव्यक्ति चित्र, नृत्य, मूर्ति, वाद्य आदि के माध्यम से होती है ।’ इस प्रकार कला मनुष्य की सौन्दर्य भावना को मूर्तरूप प्रदान करती है । वस्तुत: कला का उद्‌गम सौन्दर्य की मूलभूत प्रेरणा का ही परिणाम है ।

प्रत्येक कलात्मक प्रक्रिया का उद्देश्य सौन्दर्य तथा आनन्द की अभिव्यक्ति होता है । मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा इस रूप में उसे अपनी भावनाओं तथा विचारों का प्रत्यक्षीकरण करना पड़ता है । यह प्रत्यक्षीकरण अथवा प्रकटीकरण कला के माध्यम से ही संभव है ।

प्राचीन भारत में कला को साहित्य और संगीत के समकक्ष मानते हुए मनुष्य के लिये उसे आवश्यक बताया गया है । भर्तृहरि ने अपने नीतिशतक में स्पष्टत: लिखा है कि साहित्य, संगीत तथा कला से हीन मनुष्य पूँछ और सींग से रहित साक्षात् पशु के समान है-

साहित्यसंगीतकला विहीन:

साक्षात्पशु पुच्छविषाणहीन: ।

भारतीय परम्परा में कला को लोकरंजन का समानार्थी निरूपित किया गया है । चूँकि इसका एक अर्थ कुशलता अथवा मेधाविता भी है, अंत: किसी कार्य को सम्यक् रूप से सम्पन करने की प्रक्रिया को भी कला कहा जा सकता है । जिस कौशल द्वारा किसी वस्तु में उपयोगिता और सुन्दरता का संचार हो जाये, वही कला है । भारतीय कला का इतिहास अत्यन्त प्राचीन तथा गौरवशाली है । वस्तुत: यह कला यहाँ के निवासियों के विचारों को समझने का एक सबल माध्यम है ।

Essay # 2. भारतीय कला के स्रोत ( Sources of Indian Art):

कला के अध्ययन के लिये प्रायः उन्हीं स्रोतों का उपयोग किया जाता है जो इतिहास के अध्ययन के लिये उपयोगी है ।

ADVERTISEMENTS:

इन्हें इस प्रकार रखा जा सकता है:

i. साहित्य:

वास्तु या स्थापत्य की विविध तकनीकों तथा भवनों के नाना रूपों पर प्रचुर विवरण वैदिक साहित्य से लेकर संस्कृत-प्राकृत साहित्य में प्राप्त होता है। हमारे प्राचीनतम साहित्य ऋग्वेद में धार्मिक तथा लौकिक दोनों प्रकार की वास्तु का उल्लेख हुआ है । संहिताओं के अध्ययन से कुछ ऐसे शिल्पों के विषय में पता चलता है जो भौतिक सामग्री के माध्यम से बनाये जाते थे ।

चूँकि इस काल में भवनों का निर्माण मिट्टी, घास-फूस, कच्ची ईटों, काष्ठ आदि से होता था, अत: वे शीघ्र विनष्ट हो गये और सम्प्रति उनके नमूने नहीं मिलते । किन्तु साहित्य के अनुशीलन से पता चलता है कि काष्ठ शिल्प अत्यन्त विकसित अवस्था में था ।

बड़े वृक्षों को काट-छाँट कर भारी-भारी महल भी बनाये जाते थे जिन्हें ‘सहस्त्र-स्थूण-प्रासाद’ कहा गया है । भवन स्तम्भों पर टिके होते थे जिन्हें ‘स्कम्भ’ कहा गया है । वैदिक देवता इन्द्र को ‘स्क्म्भी-यान’ (सर्वोत्तम खम्भे का स्वामी) कहा जाता था ।

एक स्थान पर मजबूत आधार पर गाड़े गये तीन खम्भों का उल्लेख मिलता है । सौ खम्भों वाले (शतभुजी) भवनों का भी उल्लेख मिलता है । त्रिभूमिक प्रासाद अर्थात् तीन खण्डों में बने हुआ महलों का भी वर्णन मिलता है । उल्लेखनीय है कि बड़े घरों का निर्माण भी काष्ठ से ही किया जाता था ।

नगर सन्निवेश का विवरण भी वैदिक साहित्य से प्राप्त होता है । इस प्रकार कुछ पाश्चात्य विद्वानों की यह धारणा सही नहीं है कि वैदिक साहित्य में वास्तु विषयक सामग्री नहीं मिलती । पर्सी ब्राउन ने उचित ही सुझाया है कि साँची एवं भरहुत की वेदिकायें वैदिक वेदिका का अनुकरण मात्र है ।

अथर्ववेद में गृह-निर्माण सम्बन्धी दो शालासूक्त प्राप्त होते है । इनसे सूचित होता है कि विभिन्न बांसों को रस्सियों से बांधकर छाजन बनाये जाते थे । छप्पर या बांस पट्टियों को रस्सी में बांधने की कला उन्हें ज्ञात थी । शतपथ ब्राह्मण में घर के दो अंग बताये गये है ।

प्रथम पुरुष आवास होते थे जिसमें कई कमरे होते थे । द्वितीय स्त्रियों का निवास स्थान था । इसमें पीछे की ओर अनेक कमरे होते थे । पालि ग्रन्थों तथा गृह्मसूत्रों के विवरण से पता चलता है कि बुद्धकाल तक वास्तुकला काफी विकसित हो गयी थी । दीर्घ निकाय में इसे ‘वत्थुवज्जा’ अर्थात् वास्तु विद्या कहा गया है तथा इसकी गणना विशिष्ट शिल्प के रूप में की गयी है ।

जातक अन्यों में गंगातट पर नगर एवं प्रासाद निर्मित किये जाने का विधान दिया गया है । ‘महावर्धकी’ का उल्लेख है जो वास्तु विद्या का ज्ञात था । गुप्तकाल तथा उसके बाद कला के विविध अंगों का सम्यक् उत्कर्ष हुआ तथा तत्सम्बन्धी ग्रन्थ भी लिखे गये । इस समय के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य वाराहमिहिर वास्तु विद्या के भी महान् आचार्य थे ।

उनकी रचना बृहत्संहिता में वास्तुशास्त्र, प्रतिमाशास्त्र तथा चित्रशास्त्र की भी अच्छी जानकारी प्राप्त होती है । इससे सूचित होता है कि वास्तुशास्त्र ब्रह्मा से उत्पन्न कलाकारों से विकसित किया गया । पुराण ग्रन्थ भी वास्तुशास्त्र का विवरण प्रस्तुत करते हैं ।  साथ ही साथ वास्तु शास्त्र के कतिपय प्राचीन आचार्यों के नाम भी दिये गये है ।

ये इस प्रकार है- भृगु, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वकर्मा, मय, नारद, नग्नजित, विशालाक्ष, पुरन्दर, ब्रह्माकुमार नन्दीश, शौनक, गर्ग, वासुदेव, अनिरुद्ध, शुक्र, वृहस्पति आदि । कुछ अन्य पुराण जैसे वायु भविष्य, अग्नि आदि भी स्थापत्य, मूर्ति, चित्र आदि का छिट-पुट रूप से विवरण प्रस्तुत करते हैं ।

वास्तुशास्त्र के प्रवर्त्तकों में विश्वकर्मा तथा मय के नाम सर्वाधिक प्रसिद्ध थे । प्रथम को देवताओं तथा द्वितीय को असुरों का वास्तुकार माना गया है । इन दोनों के नाम पर अलग-अलग सम्प्रदाय चल पड़े तथा शिल्प ग्रन्थों की रचना की गयी । विश्वकर्मा से सम्बद्ध सम्प्रदाय बाह्म सम्प्रदाय कहलाया ।

विष्णुधर्मोत्तर पुराण इसकी सबसे पहली रचना है । ‘समरांगणसूत्रधार’ इस सम्प्रदाय की सर्वप्रमुख रचना है । इसके रचयिता भोज मालवा के परमारवंशी शासक (1011-46 ई॰) थे । इसके अध्ययन से वास्तुकला की विभिन्न विधियों एवं विधानों का सम्यक् ज्ञान प्राप्त होता है ।

इसमें कहा गया है कि जिस प्रकार विश्व रूप में विष्णु का अध्यात्म रूप होता है जिसके ध्यान से आत्मशुद्धि होती है, उसी प्रकार कला के अन्तर्भाव से उत्प्रेरित दर्शक का हृदय या मन पापरहित हो जाता है । मय सम्प्रदाय के ग्रन्थों में मयमत, मयमत-शिल्पशास्त्र, मयवास्तुशास्त्र, मयशिल्पशतिका आदि उल्लेखनीय हैं । मयमत ने विभिन्न श्रणियों के राजाओं तथा सामन्तों के उपयुक्त आवासों का वर्णन किया है ।

तदनुसार सम्राट का निवास स्थान ग्यारह मंजिलों, सामान्य राजा (नृप) का सात मंजिलों, ग्राहण का नौ मंजिलों, वैश्य तथा सामान्य सेनानायक का चार मंजिलों, शूद्र का एक से चार मंजिलों तथा सामन्त प्रमुख का पाँच मंजिलों का होना चाहिए । इन दोनों सम्प्रदायों से स्थापत्य सम्बन्धी कुछ भिन्न धारणायें भी स्थापित हो गयीं । ये दोनों साथ-साथ विकसित होती रहीं तथा क्रमश: दोनों के तत्व परस्पर घुलमिल गये ।

वास्तुकला क्षेत्र में उपर्युक्त ग्रन्थों के अतिरिक्त अन्य अनेक गुणों का प्रणयन किया गया । इनमें से कुछ आज भी उपलब्ध है । स्वतंत्र ग्रंथ सामरांगणसूत्रधार, शिल्परत्नम, ईशानशिव-गुरुदेव-पद्धति, मानसार सर्वाधिक प्रसिद्ध है । बारहवीं शती में भुवनदेव ने गुजरात में अपराजितपृच्छा की रचना की जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ वास्तु की विविध विधाओं का भी उल्लेख मिलता है ।

पी. के. आचार्य ने मानसार को समस्त वास्तुग्रन्थों का आधार बताया है । वे इसे गुप्तकालीन रचना मानते है । उनके अनुसार इसकी रचना उस समय की गयी जब ब्राह्मण, बौद्ध एवं जैन धर्म साथ-साथ विकसित हो रहे थे । चूंकि यह स्थिति गुप्तकाल में रही, अतः मानसार, गुप्तयुगीन कृति होनी चाहिए । किन्तु टी. पी. भट्टाचार्य इस मत से सहमत नहीं है तथा वे इसे पूर्व मध्यकाल का ग्रन्थ बताते है ।

उल्लेखनीय है कि मानसार अधिकांशतः चोल, होयसल तथा यादवकाल की वास्तुशैली का प्रतिनिधित्व करता है, अतः इसे ग्यारहवीं शती के बाद ही रखा जा सकता है । वास्तुशास्त्र के ग्रन्थों में पता चलता है कि स्थपति अथवा भवन निर्माता का व्यवसाय समाज में सम्मानित माना जाता था ।

समर में स्थपति के विषय में बताया गया है कि उसे शास्त्रज्ञ, कर्म में कुशल, प्रज्ञावान्, शीलवान् तथा लक्षणों सहित वास्तु विद्या का ज्ञाता होना चाहिए । इसमें भवन निर्माण के किया पक्ष पर बल देते हुए कहा गया है कि वह स्थपति जो शास्त्रों का जानकार है किन्तु उसे किया रूप में परिणत नहीं कर सकता, वह कार्य के समय उसी प्रकार असफल रहता है जिस प्रकार कायर व्यक्ति युद्ध उपस्थित होने पर बिल्कुल घबड़ा जाता है ।

इसी प्रकार केवल किया-पक्ष के ज्ञाता शिल्पी को भी अपूर्ण कहा गया है । युक्तिकल्पतरु में विविध प्रकार के जहाजों के निर्माण का विवरण प्राप्त होता है । दो प्रकार के जहाजों-नदी मार्ग में होकर जाने वाले तथा समुद्री मार्ग से होकर जाने वाले, का उल्लेख मिलता है ।

जहाजों के निर्माण का विवरण देते हुए इसमें बताया गया है कि तख्तों को लोहे की कीलों के बजाय रस्सी से जोड़ना चाहिए क्योंकि कील लगी होने से जहाज को चुम्बकीय चट्टानें अपनी ओर खींच सकती है । मानसार तथा मयमत के अध्ययन से भी पता चलता है कि स्थपति विद्वान् होता था और उसकी सामाजिक मान्यता उच्चकोटि की थी ।

मानसार में उसे विश्वकर्मा का पुत्र बताया गया है । मयमत में उसे निर्माण कार्य में प्रवीण तथा वास्तु विद्या का पण्डित कहा गया है । अपराजितपृच्छा से ज्ञात होता है कि स्थपति वास्तु विद्या में मर्मज्ञ, नग, योजना तैयार करने में कुशल तथा बुद्धिमान होना चाहिए । रामायण, महाभारत, मानसार, मयमत, समरांगणसूत्रधार आदि ग्रन्थों के अध्ययन से नगर या पुर निर्माण के सम्बन्ध में समुचित जानकारी मिल जाती है ।

इन ग्रन्थों में नगर सन्निवेश के निम्नलिखित अंग बताये गये हैं:

a. भूमिपरीक्षण

b. भूमिसंग्रह (चयन)

c. दिशा-निर्धारण (दिक्परिच्छेद)

d. भूमिका खण्डों में वर्गीकरण (पद विन्यास)

e. बलिकर्म (पूजन-अर्जन)

f. ग्राम या नगर विन्यास

g. भूमि विधान (विभिन्न मंजिलों वाले भवन)

h. द्वारा निर्माण (गोपुरम)

i. मण्डप निर्माण

j. राज प्रासाद निर्माण (राजवेश्म विधान) ।

युक्तिकल्पतरु, मानसार आदि ग्रन्थों में दुर्ग निर्माण सम्बन्धी जानकारी दी गयी है । निर्माण स्थान के देवता को ‘वास्तोस्थति’ कहा गया है । मन्दिर निर्माण के लिये आवश्यक सामग्री तथा निर्माता कारीगरों का वर्णन भी शिल्परत्न, मानसार, काश्यप-शिल्प आदि गुणों में प्राप्त होता है । वृहत्संहिता से ज्ञात होता है कि मन्दिर के प्रवेशद्वार के बाजुओं को द्वारपाल, उड़ते हुए हंसी के जोड़े, श्रीवृक्ष, स्वस्तिक, घट, मिथुन, पत्रवल्ली आदि से सुसज्जित किया जाता था ।

कालिदासकृत मेघदूत (उत्तरभाग) से पता चलता है कि चौखट पर शंख तथा पद्‌म की आकृतिया उत्कीर्ण की जाती थीं । इस प्रकार वास्तुशास्त्र पर लिखा गया प्राचीन-साहित्य बहुसंख्यक है । इसे देखने से पता चलता है कि प्राचीन भारत में स्थापत्य तकनीक अत्यन्त विकसित थी ।

चित्रकला के सम्बन्ध में भी विविध अन्यों से सूचना प्राप्त होती है । विष्णुधर्मोत्तर पुराण में कहा गया है कि सभी कलाओं में चित्रकला श्रेष्ठ है तथा यह धर्म, काम, अर्थ एवं मोक्ष को देने वाली है । इसमें चित्रकला के तकनीकी पक्ष का भी विवरण मिलता है ।

समरांगणसूत्रधार में भी इसी बात को पुष्टि करते हुए बताया गया है कि चित्र सभी शिल्पों का मुख एवं संसार का प्रिय है । वात्स्यायन के कामसूत्र में चित्रकला की गणना 64 कलाओं में की गयी है जिसका ज्ञान सुसंस्कृत व्यक्ति के लिये आवश्यक था ।

इसके भाष्यकार यशोधर पण्डित ने चित्र के छ: अंगों का उल्लेख किया है:

रूपभेद, प्रमाण (उचित अनुपात), भाव, लावण्य योजना (सौन्दर्य विरूपण) सादृश्य (जैसा हो वैसा ही चित्रांकन) एवं वर्णिका भंग (उचित रंगों का भरना) । कालिदास के ग्रन्थों- रघुवंश, मेघदूत, मालविकाग्निमित्र, अभिज्ञानशाकुन्तलम् आदि से भी चित्रकला के विषय में कुछ जानकारी मिलती है ।

सोमेश्वर की रचना मानसोल्लास में चित्र, चित्रांकन, चित्र सामग्री आदि का विस्तृत विवरण दिया गया है । इसके अतिरिक्त चित्रकला के स्रोत हर्षचरित, कादम्बरी, उत्तर-रामचरित आदि ग्रन्थ भी हैं । बौद्ध साहित्य के अध्ययन से भी चित्र-कला विषयक कुछ बातें ज्ञात होती है । विनयपिटक, थेरगाथा एवं थेरिगाथा में चित्रों का उल्लेख मिलता है ।

महाउम्मग जातक में चित्रशाला तथा चित्रों की रचना के विषय में विवरण मिलता है । हमारे प्राचीन साहित्य में कला के विविध रूपों के सम्बन्ध में जो सामग्री दी गयी है, उसके आधार पर पी॰ के॰ आचार्य, आनन्दकुमार स्वामी, वासुदेवशरण अग्रवाल, नीहाररंजन राय, कृष्णदेव, के॰ आर॰ श्रीनिवासन, के॰ वी॰ सौन्दरराजन आदि विद्वानों ने जो ग्रन्थ प्रस्तुत किये हैं, उनके अध्ययन से कला का सांगोपांग ज्ञान हमें प्राप्त हो जाता है । इन विद्वानों की रचनायें भी कला की महत्वपूर्ण स्रोत है ।

ii. विदेशी विवरण:

साहित्य के साथ-साथ कुछ विदेशी यात्रियों के विवरण भी वास्तुकला के साधन है । मेगस्थनीज के विवरण से पाटलिपुत्र के नगर विन्यास के विषय में कुछ जानकारी होती है । तदनुसार यह 80 स्टेडिया (16 किलोमीटर) लम्बा तथा 15 स्टेडिया (तीन किलोमीटर) चौड़ा था । इसके चारों ओर 185 मीटर चौड़ी तथा तीस हाथ गहरी खाई थी ।

नगर चारों ओर से ऊँची दीवार से घिरा था जिसमें 64 तोरण (द्वार) तथा 570 बुर्ज थे । भव्यता और शान-शौकत में सूसा एवं एकबतना के राजमहल भी इसकी बराबरी नहीं कर सकते थे । इस प्रकार चीनी यात्री फाह्यान के विवरण से भी मौर्य राजप्रासाद की भव्यता की सूचना मिलती है । वह लिखता है कि राजमहल तथा नगर के बीच बने सभा भवन आज भी यथावत है ।

इन सभी को देवदूतों ने बनाया था जिन्होंने पत्थर के ढेर एकत्र किये, दीवारें एवं द्वार बनाये । पत्थरों पर इतनी आश्चर्यजनक खुदाई और पच्चीकारी किया कि ऐसी रचना कोई मनुष्य कर ही नहीं सकता था । इसके अतिरिक्त उसने अशोक द्वारा बनवाये गये छ: स्तम्भों का भी उल्लेख किया है।

ह्वेनसांग तथा इत्सिंग जैसे यात्रियों के विवरण से मौर्यकालीन स्तम्भ एवं स्तूपों की जानकारी मिलती है । टेनसांग अशोक द्वारा स्थापित पन्द्रह स्तम्भों का उल्लेख करता है जो साकाश्य, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, लुम्बिनी, कुशीनगर, सारनाथ, वैशाली, पाटलिपुत्र, राजगृह में विद्यमान थे ।

वह यह भी सूचित करता है कि तक्षशिला, श्रीनगर, थानेश्वर, मथुरा, कन्नोज, प्रयाग, कौशाम्बी, श्रावस्ती, वाराणसी, सारनाथ, वैशाली, गया, कपिलवस्तु आदि में अशोक द्वारा स्तूपों का निर्माण करवाया गया था । ह्वेनसांग के कुछ समय बाद आने वाले चीनी यात्री इत्सिंग ने भी स्तूप निर्माण की परम्परा का उल्लेख किया है ।

उसके अनुसार पूजार्थक का निर्माण भिक्षु तथा उपासक दोनों ही करते थे क्योंकि लोगों में ऐसा विश्वास था कि यह कार्य अनन्त पुण्यदायक है । पूर्वमध्यकाल के मुस्लिम लेखकों के विवरण से भी कुछ प्राचीन नगरों के विन्यास के विषय में जानकारी मिलती है । अल्वरूनी तथा उत्बी के विवरण से पता चलता है कि कन्नोज नगर अत्यन्त विस्तृत एवं भव्य था ।

महमूद गजनवी जैसे मूर्तिभजक के अनुसार ‘कन्नोज तथा मथुरा के मन्दिरों जैसा कोई अन्य वास्तु यदि कोई निर्मित करना चाहता तो उसे काम पर सर्वाधिक अनुभवी कारागरों को लगाने पर भी एक लाख सोने की दीनारें खर्च करनी पड़ती तथा दो सौ वर्ष का समय लगाना होता । इस प्रकार पूर्वमध्यकालीन वास्तु अथवा स्थापत्य के ज्ञान में मुस्लिम विवरण भी न्यूनाधिक रूप में सहायक है ।

iii. पुरातत्व:

पुरातत्व भी कला का महत्वपूर्ण स्रोत माना जा सकता है । विभिन्न स्थलों से जो खुदाइयां हुई है उनसे भवनों, मन्दिरों, मूर्तियों आदि के अवशेष प्राप्त होते हैं जिनसे कला के विविध पक्षों का यथार्थ ज्ञान प्राप्त होता है ।

सैन्धव सभ्यता की वास्तु एवं मूर्ति कला का ज्ञान हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो के उत्खनन में प्राप्त सामग्रियों से होता है । ये दोनों ही नगर वास्तु विन्यास का सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत करते हैं । भवन तथा मन्दिर निर्माण सम्बन्धी जो विविध उल्लेख प्राचीन साहित्य में मिलता है, पुरातात्विक अवशेषों में उनके मूर्त रूप प्राप्त होते हैं ।

आहत सिक्कों तथा औदुम्बरों, पंचालों आदि की मुद्राओं में अंकित मन्दिरों की आकृतियों से पता चलता है कि प्रारम्भिक मन्दिर अथवा देवस्थान सीधे-साधे रूप में बनाये जाते थे । भूमि के कुछ ऊँचे स्थान पर प्रतिमा स्थापित की जाती थी तथा उसके चतुर्दिक् वेदिका बनाई जाती थी ।

इसी प्रकार गुप्तकाल के जो बहुसंख्यक मन्दिर, मूर्तिया एवं चित्रकारिया मिलती है, उनसे उस काल के कलात्मक उत्कर्ष का ज्ञान प्राप्त होता है । बी॰ एस॰ अग्रवाल के शब्दों में ‘गुप्तकाल का गौरव इसकी दृश्य कलात्मक रचनाओं द्वारा स्थायी बना दिया गया हैं’ ।

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले तथा मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित भीमबेटका के शिलाश्रयों एवं गुफाओं से जो चित्रकारियां मिली है उनसे प्रागैतिहासिक काल की चित्रकला का ज्ञान होता है । इतिहास के प्रत्येक युग से सम्बन्धित पुरातात्विक अवशेष मिले है जिनके आधार पर वास्तु, तक्षण एवं चित्रकला के स्वरूप एवं उद्देश्य को समझने में मदद मिलती है ।

इस प्रकार साहित्य तथा पुरातत्व प्राचीन भारतीय कला एवं स्थापत्य के ज्ञान का प्रमुख स्रोत है । जहाँ साहित्य कला के सैद्धान्तिक स्वरूप को द्योतित करता है वही पुरातत्व उसके यथार्थिक रूप को उद्‌घाटित करता है ।

Essay # 3. कला के अंग ( Parts of Art ):

यद्यपि ‘कला’ शब्द से सभी प्रकार की कलाओं का बोध हो जाता है, फिर भी सुविधा की दृष्टि से इसका विभाजन वास्तु अथवा स्थापत्य, लक्षण या मूर्ति, चित्रकला, रिलीफ स्थापत्य, मृद्‌भाण्ड कला आदि प्रकारों में किया गया है ।

इनका विवरण इस प्रकार है:

i. वास्तु या स्थापत्य:

‘वास्तु’ शब्द ‘वस’ धातु से बना है जिसका अर्थ है- किसी एक स्थान पर निवास करना । तुमुन् प्रत्यय लगाकर ‘वास्तु’ शब्द बनता है जिसका अर्थ होता है ‘वह भवन जिसमें मनुष्य या देवता का वास हो’ । भारतीय साहित्य में वास्तु के अन्तर्गत नगर-विन्यास, भवन, स्तूप, गुहा, मन्दिर आदि का वर्णन किया गया है ।

ऋगवेद में भवन निर्माण के समय वास्तोस्पति देवता के आह्वान करने का विधान मिलता है । सायण के अनुसार वास्तु का अर्थ गृह है तथा उसका रक्षक देवता वास्तोस्पति है । अर्थशास्त्र में गृह, सेतु, क्षेत्र आदि रचनाओं के अर्थ में इस शब्द का प्रयोग मिलता है ।

इसी प्रकार स्थापत्य शब्द पनि में बना है जिसका अर्थ है कारीगर या बढ़ई । अत: वास्तु और स्थापत्य दोनों ही शब्द भवन निर्माण को सूचित करते हैं । कला में दोनों का प्रयोग प्राय: समान अर्थ में ही किया गया है । किन्तु तकनीकी दृष्टि से दोनों में कुछ अन्तर भी है । सभी वास्तु रचनाओं को स्थापत्य नहीं कहा जा सकता । केवल वही वास्तु स्थापत्य कहे जाने योग्य है जिसमें कारीगरी अथवा नक्काशी हो । इस दृष्टि से विचार करने पर सैन्धव वास्तु को हम स्थापत्य नहीं कह सकते हैं ।

ii. मूर्तिकला:

इसे तक्षण भी कहते हैं । इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की पाषाण अथवा धातु निर्मित मूर्तियां आती हैं ।

iii. चित्रकला:

इसके अन्तर्गत विविध प्रकार की चित्रकारियों का उल्लेख किया जाता है जो भवनों की दीवारों, छतों, स्तम्भों, पर्वत गुफाओं आदि पर अंकित मिलती है ।

iv. रिलीफ स्थापत्य:

पत्थर, चट्टान, धातु आदि के फलक पर जो चित्र या मूर्ति उकेर कर बनाई जाती है उन्हें रिलीफ स्थापत्य या चित्र कहा जाता है । इसे उत्कीर्ण अथवा भास्कर कला भी कहते हैं । इसके अतिरिक्त मिट्टी के बर्तन बनाने की कला को कला, सिक्के या मुहरों की कला को मुद्राकाल, हाथी दांत से वस्तुयें बनाने की कला को दन्त-कला कहा जाता है ।

जिन कलाओं से आनंद की प्राप्ति एवं सौन्दर्य का भाव जागृत होता है उन्हें ललित कला कहा जाता है । इसमें काव्य, संगीत, चित्र, वास्तु, मूर्ति आदि की गणना की गयी है । वात्स्यायन ने चौसठ कलाओं का उल्लेख किया है । भारतीय परम्परा में ललित कलाओं को परमानन्द की प्राप्ति का साधन स्वीकार किया गया है, इन्द्रिय सुख का साधन नहीं । वस्तुतः रूप या सौन्दर्य का ध्येय चित्तवृत्तियों को उन्नत करना था, न कि पापवृत्तियों को जागृत करना ।

Essay # 4. भारतीय कला की आधारभूत विशेषतायें (Features of Indian Art):

भारतीय कला की कुछ ऐसी विशेषतायें है जो इसे अन्य देशों की कलाओं से पृथक् करती हैं । इसकी सर्वप्रथम विशेषता के रूप में निरन्तरता अथवा अविच्छिन्नता को रखा जा सकता है । लगभग पाँच सहस्त्र वर्ष पुरानी सैन्धव सभ्यता की कलाकृतियों से लेकर बारहवीं शती तक की कलाकृतियों में एक अविच्छिन्न कलात्मक परम्परा प्रवाहित होती हुई दिखाई पड़ती है ।

भारतीय कला के विभिन्न तत्वों, जैसे नगर विन्यास, स्तम्भ युक्त भवन निर्माण, मूर्ति निर्माण आदि का जो रूप हमें भारत की इस प्राचीनतम सभ्यता में दिखाई देता है उसी के आधार पर कालान्तर में वास्तु तथा तक्षण का सम्यक् विकास हुआ ।

भारतीय संस्कृति का प्रधान तत्व धार्मिकता अथवा अध्यात्मिकता की प्रबल भावना है जिसने उसके सभी पक्षों को प्रभावित किया है । कला भी इसका अपवाद नहीं है । इसके सभी पक्षों-वास्तु या स्थापत्य, तक्षण, चित्रकला आदि के ऊपर धर्म का व्यापक प्रभाव देखा जा सकता है ।

हिन्दू जैन, बौद्ध आदि धर्मों से सम्बन्धित मन्दिरों, मूर्तियों तथा चित्रों का निर्माण कलाकारों द्वारा किया गया। किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि इसमें लौकिक विषयों की उपेक्षा की गयी । धार्मिक रचनाओं के साथ ही साथ भारतीय कलाकारों ने लौकिक जीवन से सम्बन्धित मूर्तियों अथवा चित्रों का निर्माण भी बहुतायत में किया है ।

इस प्रकार धार्मिकता तथा लौकिकता का सुन्दर समन्वय हमें भारतीय कला में देखने को मिलता है। भारतीय कला में अभिव्यक्ति की प्रधानता दिखाई देती है । कलाकारों ने अपनी कुशलता का प्रदर्शन शरीर का यथार्थ चित्रण करने अथवा सौन्दर्य को उभारने में नहीं किया है ।

इसके स्थान पर आन्तरिक भावों को उधारने का प्रयास ही अधिक हुआ है । इसका सबसे सुन्दर उदाहरण हमें विशुद्ध भारतीय शैली में बनी बुद्ध मूर्तियों में देखने को मिलता है । जहाँ गन्धार शैली की मूर्तियों में बौद्धिकता एवं शारीरिक सौन्दर्य की प्रधानता है, वहाँ गुप्तकालीन मूर्तियों में आध्यात्मिकता एवं भावुकता है ।

भारतीय कलाकार ने बुद्ध मूर्तियाँ बनाते समय उनके मुखमण्डल पर शान्ति, गम्भीरता एवं अलौकिक आनन्द को उधारने की ओर ही विशेष ध्यान दिया है तथा इसमें उसे अद्‌भुत सफलता प्राप्त हुई है । भारतीय कलाकार का आदर्श अत्यन्त ऊँचा था ।

उसने कला को इन्द्रिय सुख की प्राप्ति का साधन न मानकर परमानन्द की प्राप्ति का साधन स्वीकार किया था । उसकी दृष्टि में रूप या सौन्दर्य पापवृत्तियों को उकसाने का साधन नहीं था अपितु इसका उद्देश्य चितवृत्तियों को ऊंचा उठाना था ।

भारतीय कला का एक विशिष्ट तत्व प्रतीकात्मकता है । इसमें कुछ प्रतीकों के माध्यम से अत्यन्त गूढ़ दार्शनिक एवं आध्यात्मिक विचारों को व्यक्त कर दिया गया है । कुषाण युग के पूर्व महात्मा बुद्ध का अंकन प्रतीकों के माध्यम से ही किया गया है । पद्‌म, चक्र, हंस, मिथुन, स्वस्तिक आदि प्रतीकों के माध्यम से विभिन्न भावनाओं को व्यक्त किया गया है ।

पद्‌म प्राण या जीवन का, चक्र काल या गति का तथा स्वस्तिक सूर्य सहित चारों दिशाओं का प्रतीक माना गया है । अशोक के सारनाथ सिंहशीर्ष स्तम्भ की फलक पर उत्कीर्ण चार पशुओं-गज, अश्व, बैल तथा सिंह-के माध्यम से क्रमश: महात्मा बुद्ध के विचार, जन्म, गहत्याग तथा सार्वभौम सत्ता के भावों को व्यक्त किया गया है । भारतीय कला में कई अनेक शुभ अथवा मंगलसूचक प्रतीक भी है ।

भारतीय कलाकार भौतिक यश तथा वैभव के प्रति उदासीन थे । लगता है इसी कारण उन्होंने अपनी कृतियों में कहीं भी अपने नाम का उल्लेख नहीं किया है । भारतीय संस्कृति में अभिव्यक्त समन्वय की प्रवृत्ति भी कलात्मक कृतियों के माध्यम से मूर्तवान हो उठी है ।

सुकुमारता का गम्भीरता के साथ, रमणीयता का संयम के साथ, अध्यात्म का सौन्दर्य के साथ तथा यथार्थ का आदर्श के साथ अत्यन्त सुन्दर समन्वय हमें इस कला में दिखाई देता है । सुप्रसिद्ध कलाविद् हेवेल ने आदर्शवादिता, रहस्यवादिता, प्रतीकात्मकता तथा पारलौकिकता को भारतीय कला का सारतत्व निरूपित किया है ।

भारत की कला राष्ट्रीय एकता को स्थूल रूप प्रकट करने का एक प्रत्यक्ष प्रमाण है । समूचे देश की कलात्मक विशेषतायें प्रायः एक जैसी हैं । मूर्तियों में समान लक्षण तथा मुद्रायें देखने को मिलती है । विभिन्न देवी-देवातओं की मूर्तियों को देखने के बाद रेखा जान पड़ता है कि वे किसी देशव्यापी संस्था द्वारा तैयार करवाई गयी है ।

पर्वतों को काटकर बनवाये गये मंदिरों अथवा पाषाण निर्मित मन्दिरों में यद्यपि कुछ स्थानीय विभिन्नतायें हैं, तथापि उनकी सामान्य शैली एक ही प्रकार की है । इनके माध्यम से भारतीय एकता की भावना साकार ही उठती है । इस प्रकार भारतीय कला राष्ट्रीय एकता की संदेशवाहिका है ।

भारतीय कला की एक अन्य विशेषता यह है कि इसमें अलकरण की प्रधानता-दिखाई देती है । अति प्राचीन काल से ही कलाकारों ने अपनी कृतियों को विविध प्रकार से अलंकृत करने का प्रयास किया है । अलंकरणों का उद्देश्य सौन्दर्य को बढ़ाना है ।

भारतीय कला में सर्वागीणता दिखाई देती है । शब्दों में इसमें राजा तथा सामान्य जन दोनों का चित्रण मुक्त रूप से किया गया है । यदि मौर्यकाल की कला दरबारी तो शुंग काल की कला लोक जीवन से सम्बन्धित है । विभिन्न कालों की कला-कृतियों में सामान्य जन-जीवन की मनोरम झांकी सुरक्षित है ।

यदि भारतीय कलाकार ने कुलीन वर्ग की रुचि के लिये विशाल एवं सुन्दर कृतियों का निर्माण किया है तो सामान्य जनता के लिये रुचिकर रचनायें भी गढ़ी हैं । इस प्रकार वी० एस० अग्रवाल के शब्दों में ‘भारतीय कला देश के विचार, धर्म, तत्वज्ञान तथा संस्कृति का दर्पण है । भारतीय जन-जीवन की पुष्कल व्याख्या कला के माध्यम से हुई है ।

भारतीय कला की एक विशेषता के रूप में सार्वभौमिकता अथवा अन्तर्राष्ट्रीयता का उल्लेख किया जा सकता है । इसके तत्व देश की सीमाओं का अतिक्रमण कर दक्षिणी-पूर्वी एशिया से लेकर मध्य एशिया तक के विभिन्न स्थानों में अत्यन्त प्राचीन काल में ही फैल गये ।

प्रसिद्ध कलाविद् आनन्द कुमारस्वामी ने तो दक्षिणी-पूर्वी एशिया की कला को भारतीय कला का ही एक अंग स्वीकार किया है । इसी प्रकार मध्य एशिया की मूर्तियों तथा स्तूपों पर भी गान्धार कला का प्रभाव देखा जा सकता है ।

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My Favourite Subject Drawing Essay 2023

Shivam Kasyap

My Favorite Subject: Drawing

Introduction.

Drawing is not just a subject; it is a form of self-expression and a gateway to creativity. It has always been my favorite subject, as it allows me to explore my imagination, create something unique, and communicate my thoughts visually. In this essay, I will delve into why drawing holds a special place in my heart and the impact it has had on my life. (My Favourite Subject Drawing Essay )

Table of Contents

The joy of creativity, self-expression and communication, building observation skills, developing patience and perseverance, unlocking imagination, enhancing focus and concentration, boosting confidence and self-esteem, appreciation for art and beauty, transcending language barriers.

Drawing provides me with a sense of joy and freedom to express my innermost thoughts and emotions. It allows me to explore different styles, techniques, and colors, creating something that is uniquely mine. The process of putting pencil to paper and witnessing a creation come to life fills me with immense satisfaction and a deep sense of fulfillment.

Drawing is a powerful form of self-expression. When words fall short, I turn to my sketchbook to convey my thoughts and feelings. Through drawing, I can communicate ideas, tell stories, and express my perspective on the world. It serves as a visual language that transcends verbal limitations, allowing me to connect with others on a deeper level.

Drawing has sharpened my observation skills and attention to detail. As I study and recreate the world around me, I notice intricate patterns, textures, and nuances that often go unnoticed. It has trained me to observe and appreciate the beauty in everyday life, fostering a greater understanding and connection with my surroundings.

Creating a drawing requires patience and perseverance. It is a process that involves multiple stages, from sketching to shading and refining. Through hours of practice and dedication, I have learned to embrace the journey, embracing mistakes and setbacks as opportunities for growth. Drawing has taught me the value of persistence and the rewards it brings.

Drawing unlocks the door to boundless imagination. It allows me to visualize concepts, explore imaginary worlds, and bring to life ideas that exist only in my mind. It nurtures a sense of wonder and curiosity, encouraging me to push the boundaries of what is possible and embrace limitless creativity.

Drawing requires focus and concentration. When I sit down with my sketchbook and pencil, the world around me fades into the background, and I enter a state of flow. Time seems to stand still as I immerse myself in the process, paying meticulous attention to the details and intricacies of my creation. Drawing helps me cultivate mindfulness and hone my ability to concentrate.

The act of creating art has boosted my confidence and self-esteem. Each completed drawing represents a personal achievement and a testament to my growth as an artist. Through positive feedback and recognition, I have gained confidence in my artistic abilities, empowering me to take on new challenges and explore different artistic avenues.

Drawing has deepened my appreciation for art and beauty in all its forms. It has exposed me to the works of great artists throughout history, allowing me to learn from their techniques and styles. Whether it is visiting art exhibitions, studying famous masterpieces, or creating my own art, drawing has cultivated a lifelong love for the arts.

Drawing transcends language barriers. Workmanship has the ability to associate individuals from various societies and foundations. Through visual expression, I can communicate with individuals who may not speak the same language but can appreciate and understand the emotions and messages conveyed through art.

In conclusion, drawing is more than just a subject to me; it is a passion, a form of self-expression, and a means of exploring the depths of my imagination. It has enriched my life in numerous ways, from fostering creativity and enhancing observation skills to boosting confidence and transcending language barriers. Drawing has taught me to appreciate the beauty in the world and embrace the joy of artistic creation.

THE END – My Favourite Subject Drawing Essay 

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मेरा शौक पर निबंध 150, 200, 250, 300, शब्दों मे (My Hobby Essay in Hindi) 10 lines

essay about drawing in hindi

मेरा शौक पर निबंध (My Hobby Essay in Hindi) : हर व्यक्ति अपने मन और आत्मा को आराम देने के लिए अपने मुक्त के समय में कुछ न कुछ करना पसंद करता है। जीवन में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो आप करते हैं जिससे आपको अपार खुशी और संतुष्टि मिलती है। किसी की खुशी का अभिन्न अंग ऐसी चीज है जिसे हम शौक कहते हैं।

My Hobby Essay in Hindi – यह किताबें पढ़ने से लेकर यात्रा करने तक कुछ भी हो सकता है; इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति शौक से सुरक्षित नहीं है। चूंकि शौक इतना सामान्य विषय है, इसलिए हम छात्रों के लिए कुछ लंबे निबंधों के साथ लघु निबंध लेकर आए हैं ताकि उन्हें बताया जा सके कि शौक कैसा लगता है। निबंध एक सरल लेकिन कुरकुरी भाषा में लिखे गए हैं और छात्रों के लिए फायदेमंद साबित होंगे।

मेरा शौक निबंध 10 पंक्तियाँ (my hobby essay 10 lines in Hindi)

  • मेरा शौक मूवी कारों से कार के खिलौने इकट्ठा करना है।
  • मेरी पसंदीदा कार लाइटनिंग मैक्वीन है। यह एक रेसिंग कार है।
  • मेरे पास लाइटनिंग मैक्क्वीन के कई खिलौने हैं।
  • कारों के लिए माउंट पसंदीदा रंग लाल है क्योंकि मैक्वीन भी लाल है।
  • मैं अपनी सभी कारों को अपनी छाती की दराज के ऊपर रखता हूं, इसलिए किसी को भी इसे छूने की अनुमति नहीं है।
  • अगर मुझे कुछ खाली समय मिलता है, तो मैं अपनी खिलौनों की कारों को निकालकर उन्हें साफ करता हूं।
  • मैं अपने पास मौजूद सभी कारों के नाम भी सीखता हूं।
  • जब मैं दुकान पर जाता हूं, तो मैं अपने संग्रह के लिए एक नई कार की तलाश करता हूं।
  • मुझे अपने पिता से कारों के बारे में और जानना अच्छा लगता है।
  • एक दिन मैं लाइटनिंग मैक्वीन जैसी तेज रेसिंग कार चलाना चाहता हूं।

मेरा शौक निबंध 150 शब्द (My hobby Essay 150 words in Hindi)

हर किसी का शौक होता है और मैं भी। मेरा शौक खाना बनाना है। मुझे खाना बनाना पसंद है। पहले मैं अपनी माँ को खाना बनाने में मदद करता था। लेकिन बाद में मैंने पाया कि मुझे खाना बनाना बहुत पसंद है। मैंने अपनी माँ से मुझे यह सिखाने के लिए कहा, और वह इस बात से वाकई बहुत खुश थीं। 

फिर वह मुझे सिखाती है और मैंने खाना पकाने के बारे में बहुत कुछ सीखा।

मुझे खाना बनाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता है लेकिन मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता हूं। हर कोई कहता है कि मेरा पका हुआ खाना वाकई बहुत स्वादिष्ट होता है और मुझे भी ऐसा ही लगता है। मैं भविष्य में एक लोकप्रिय कुकिंग टीचर बनना चाहता हूं। लोगों को खाना पकाने की इतनी सारी तकनीक सीखनी चाहिए जो मैं अब जानता हूँ। 

मैं नियमित रूप से YouTube वीडियो देखता हूं जिससे मुझे विभिन्न प्रकार के खाना पकाने पर इतना ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिलती है। एक बार मैंने अपने चचेरे भाई के लिए खाना बनाया जो अमेरिका से आया था और वह खाना खाकर चकित रह गया। वह दिन वास्तव में मेरे लिए प्रेरणादायक था, सभी ने मेरी डिश की तारीफ की और फिर मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और कभी हार नहीं मानी।  

मेरा शौक निबंध 200 शब्द (My hobby Essay 200 words in Hindi)

My Hobby Essay in Hindi – एक छात्र के लिए, एक शौक का अर्थ होगा कक्षाओं से कुछ समय निकालना और उसका उपयोग किसी ऐसी चीज़ के लिए करना जो उसे करना पसंद है। एक शौक आपके पास स्वाभाविक रूप से आना चाहिए। इसे किसी के द्वारा लागू नहीं किया जाना चाहिए। यदि इसे आप पर लागू किया जाना है, तो आप जल्द ही इसमें रुचि खो देंगे। एक शौक का मुख्य उद्देश्य खो जाएगा।

कुछ लोग शौक के तौर पर किताबें पढ़ना पसंद करते हैं। यह किसी की शब्दावली में सुधार करने का एक शानदार तरीका है। इससे उन्हें बहुत सी ऐसी चीजों के बारे में पता चलता है जो शायद स्कूल उन्हें नहीं सिखाते। जीवन छोटा है, और दुनिया विशाल है। वहाँ ज्ञान की एक आकाशगंगा है, जो उस पर ठोकर खाने की प्रतीक्षा कर रही है। यही शौक का मुख्य उद्देश्य है। हमें उन चीजों से अवगत कराने के लिए जो हमारी कक्षा की दीवारों की सीमा से परे हैं।

एक नियमित स्कूल का दिन आपको केवल वही विषय पढ़ाएगा जो आपके पाठ्यक्रम में उल्लिखित हैं। हालाँकि, एक शौक आपको इससे कहीं अधिक सिखाएगा। यह आपको नए विषयों से परिचित कराएगा। यह आपको एक जानकार व्यक्ति बनने में मदद करेगा

मेरा शौक निबंध 250 शब्द (My hobby essay 250 words in Hindi)

यह ठीक ही कहा गया है कि नियमित अध्ययन ज्ञान की विशाल आकाशगंगा में सूचना के एक छोटे से कण की तरह है। वहां सीखने के लिए बहुत सी चीजें हैं। इसके लिए बस हमें सही मानसिकता की जरूरत है। एक शौक हमारे दैनिक जीवन में सीखने के एक विशाल विषय को शामिल करने का एक शानदार तरीका है। शौक के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि वे लचीले होते हैं। उनके पास पालन करने के लिए कोई सख्त दिशानिर्देश नहीं हैं। वे हमसे हर दिन ऐसा करने की मांग नहीं करते हैं।

किताबें पढ़ने जैसे नियमित शौक को कभी भी और कहीं भी उठाया जा सकता है। हालांकि, कोडिंग जैसे अत्यधिक कुशल शौक के लिए बहुत अधिक समय और कौशल की आवश्यकता होती है। आप पेशेवर मदद ले सकते हैं यदि आपको लगता है कि आपके पास पर्याप्त संसाधनों तक पहुंच नहीं है जो आपके सीखने के स्तर को आगे बढ़ा सके। स्नातक होने के बाद जब लोग नौकरी की तलाश में बाहर जाते हैं तो उनके शौक उन्हें नौकरी दिलाने में मदद करते हैं। अधिकांश शीर्ष भर्तीकर्ता हमारे शौक के बारे में जानने की मांग कर रहे हैं। ताकि उन्हें हमारे व्यक्तित्व के बारे में बेहतर जानकारी मिल सके।

हमारे शौक हमारे व्यक्तित्व को दर्शाते हैं। हम जिन चीजों को करना चुनते हैं, वे इस बारे में बहुत कुछ बताती हैं कि हम किस तरह के लोग हैं। आप शिक्षा में उत्कृष्ट हो सकते हैं, लेकिन यदि आपके पास कोई उचित शौक नहीं है जिसे आप छोटी उम्र से पालन कर रहे हैं। तब आप किसी ठोस व्यक्तित्व का प्रदर्शन नहीं करेंगे। इसलिए, एक स्वस्थ व्यक्ति के रूप में विकसित होने के लिए रुचि के क्षेत्र को चुनना और उसमें कुछ समय देना अनिवार्य है।

मेरा पसंदीदा शौक निबंध 300 शब्द (My Favourite hobby essay 300 words in Hindi)

My Hobby Essay in Hindi – शौक एक ऐसी चीज है जिसे लोग तब करना पसंद करते हैं जब वह स्वतंत्र होता है और यह उन्हें आराम और मनोरंजन देता है। इस बोरिंग वर्किंग दुनिया में हर किसी को कोई न कोई ऐसा शौक होना चाहिए जो उसे खुश करे। दरअसल शौक अपने आप दिमाग में आ जाता है। कई लोगों के कई तरह के शौक होते हैं।

सबसे आम शौक बागवानी, टिकट संग्रह, किताबें पढ़ना, ड्राइंग, टीवी देखना आदि हैं, लेकिन मेरा शौक दूसरों की तुलना में काफी अलग है। मुझे वीडियो गेम खेलना पसंद है। और मुझे लगता है कि यह मेरा शौक है। जब मैं छठी कक्षा में था, मेरे पिता ने मेरे लिए एक कंप्यूटर खरीदा और वह वीडियो गेम में मेरी शुरुआत थी।

मेरी पसंदीदा खेल शैली कार रेसिंग, पहेली और शतरंज है। मुझे लगता है कि कंप्यूटर के साथ शतरंज खेलना मुझे वास्तव में शांत करता है और सभी को यह खेल खेलना चाहिए। मैं शूटिंग खेलों से बचता हूं, ये वास्तव में नशे की लत हैं और शूटिंग के खेल स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं हैं।

मैं अपने ख़ाली समय में खेल खेलता हूँ, मैं खेल खेलने में समय बर्बाद नहीं करता। जीवन में मेरा लक्ष्य एक कंप्यूटर इंजीनियर बनना और फिर अपना खुद का गेम बनाना है। मैं इस पर रोजाना काम कर रहा हूं। मैं कंप्यूटर को गहराई से सीख रहा हूं। मेरा जुनून हमेशा कंप्यूटर के साथ काम करने का है।

वीडियो गेम के अच्छे और बुरे दोनों पहलू हैं। बहुत अधिक वीडियो गेम खेलने से आपकी ध्यान शक्ति नष्ट हो सकती है; आप अपने अध्ययन में ध्यान नहीं दे पाएंगे। इसलिए मैं कहता हूं कि सभी एक लिमिट में खेलें। निजी तौर पर, मैं एक रूटीन बनाए रखता हूं और कभी भी आउट ऑफ रूटीन नहीं खेलता।

मैं आमतौर पर हर महीने नए गेम खरीदता हूं। मेरा बड़ा भाई मेरे लिए एक गेम सीडी लाता है। मुझे वीडियो गेम पसंद है और यह मेरा पसंदीदा शौक है। अन्य शौक में, मुझे लगता है कि यह मेरे लिए सबसे अच्छा है।

  • My Best Friend Essay
  • My School Essay
  • pollution Essay
  • Essay on Diwali
  • Global Warming Essay
  • Women Empowerment Essay
  • Independence Day Essay

माई हॉबी पर पैराग्राफ पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

विभिन्न प्रकार के शौक क्या हैं.

शौक में रुचि के किसी भी क्षेत्र को शामिल किया जा सकता है, चाहे वह पेंटिंग, गायन, नृत्य, पढ़ना, या यहां तक ​​​​कि खेल भी हो।

क्या मुझे शौक पूरा करने के लिए पेशेवर मदद की ज़रूरत है?

शौक के लिए पेशेवर मदद लेना अनिवार्य नहीं है, लेकिन अगर आपको लगता है कि आपको करना चाहिए, तो आगे बढ़ें।

शौक क्यों महत्वपूर्ण हैं?

शौक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमारे दिमाग और शरीर को विकसित करते हैं और हमें भविष्य में उत्पन्न होने वाली विभिन्न नौकरी आवश्यकताओं का सामना करने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित करते हैं।

क्या हर किसी को शौक होना चाहिए?

यह आप सभी को और अधिक आकर्षक बनाता है। जिन व्यक्तियों की रुचि होती है, उनके मुठभेड़ और कहानियां होती हैं जो वे अन्य लोगों को प्रदान कर सकते हैं। उनके पास यह भी विशेष जानकारी है कि वे किसी भी ऐसे व्यक्ति को शिक्षित कर सकते हैं, जो उनसे अलग-अलग विषयों के लिए उत्साह रखता है।

किस तरह के शौक उत्पादक हैं?

शौक जो आपके जीवन को बेहतर बनाएंगे

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पेंसिल पर निबंध- Essay on Pencil in Hindi Language

In this article, we are providing History or information about Pencil in Hindi- Short Essay on Pencil in Hindi Language. पेंसिल पर निबंध Pencil par nibandh in hindi for students.

पेंसिल पर निबंध- Essay on Pencil in Hindi Language

पेंसिल लिखने या कला के लिए प्रयोग किया जाने वाला औजार है जिसकी लिखाई समय के साथ साथ धुँधली पड़ती जाती है। प्राचीन काल में पेंसिल का प्रयोग केवल चित्र बनाने के लिए ही किया जाता था। पेंसिल का आविष्कार इंग्लैंड में ग्रेफाईट की खोज के बाद से ही किया जा रहा है। पेंसिल के अंदर काला सिक्का ग्रेफाईट और चिकनी मिट्टी का ही बना होता है और इसे लकड़ी के बीच में रखकर लकड़ी को गोंद से चिपका दिया जाता है।

आधुनिक समय में बाजार में विभिन्न प्रकार की पेंसिल पाई जाती है। ग्रेफाईट की ग्रेड के अनुसार भी 2H से लेकर 10H और 2B से लेकर 10 B तक की पेंसिले होती है जिसमें H का अर्थ हार्ड और B का अभिप्राय ब्लैक से है। बाजार में विभिन्न रंगों की लिखाई की पेंसिल भी मौजूद है। इंजीनियरों के लिए विशेष प्रकार की पेंसिल मौजूद है जिसकी लिखाई सालों तक मिटती नहीं है। शल्य चिकित्सकों के द्वारा भी रोगी के शरीर पर ऑपरेशन के लिए एक विशेष प्रकार की पेंसिल द्वारा निशान लगाया जाता है। 18 सेमी की पेंसिल से लगभग 50000 शब्द लिखे जा सकते हैं। पेंसिल कलाकार की जान होती है और इनसे बनी कलाकृतियाँ बहुत ही मनमोहक होती है। आजकल शीशे, पत्थर, फर्श आदि पर लिखने के लिए भी अलग तरह की पेंसिल मौजूद है।

बच्चों को बचपन में सबसे पहले पेंसिल से ही लिखना सिखाया जाता है और इससे जिस भी चीज पर लिखा जाता है यह उसपर अपनी छाप छोड़ जाती है। पेंसिल सभी के लिए बहुत ही उपयोगी है।

# Short Paragraph on Pencil in Hindi

कलम पर निबंध- Essay on pen in Hindi Language

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Where Kamala Harris Stands on the Issues: Abortion, Immigration and More

She wants to protect the right to abortion nationally. Here’s what else to know about her positions.

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essay about drawing in hindi

By Maggie Astor

  • Published July 21, 2024 Updated Sept. 11, 2024

Follow along with live updates and debate analysis on the Trump and Harris campaigns .

With Vice President Kamala Harris having replaced President Biden on the Democratic ticket, her stances on key issues will be scrutinized by both parties and the nation’s voters.

She has a long record in politics: as district attorney of San Francisco, as attorney general of California, as a senator, as a presidential candidate and as vice president.

Here is an overview of where she stands.

Ms. Harris supports legislation that would protect the right to abortion nationally, as Roe v. Wade did before it was overturned in 2022, in Dobbs v. Jackson Women’s Health Organization.

After the Dobbs ruling, she became central to the Biden campaign’s efforts to keep the spotlight on abortion, given that Mr. Biden — with his personal discomfort with abortion and his support for restrictions earlier in his career — was a flawed messenger. In March, she made what was believed to be the first official visit to an abortion clinic by a president or vice president.

She consistently supported abortion rights during her time in the Senate, including cosponsoring legislation that would have banned common state-level restrictions, like requiring doctors to perform specific tests or have hospital admitting privileges in order to provide abortions.

As a presidential candidate in 2019, she argued that states with a history of restricting abortion rights in violation of Roe should be subject to what is known as pre-clearance for new abortion laws — those laws would have to be federally approved before they could take effect. That proposal is not viable now that the Supreme Court has overturned Roe.

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मेरा प्रिय विषय पर निबंध (My Favourite Subject Essay in Hindi)

हमारे पाठ्यक्रम में कई विषय होते हैं, जिसमें से कुछ विषय हमें उबाऊ लगते है, तो कुछ को हम बिना रूके बिना थके घंटो तक पढ़ सकते है, ऐसे ही विषय को प्रिय विषय की संज्ञा दी गयी है। जहां कइयों को गणित बहुत रूलाती है, तो वहीं कुछ को गणित से खेलने में बड़ा मजा आता है। ये हमेशा एक-सा नहीं रहता, समय और रूचि के अनुसार उम्रभर बदलता रहता है, जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारी आवश्यकताएं बदलती जाती है, उसी के अनुरूप हमारे शौक और पसंद भी बदल जाते है। यहां हम ‘मेरा प्रिय विषय’ पर छोटे तथा बड़े दोनों प्रकार के शब्द सीमाओं में बंधे निबंध उपलब्ध करा रहे हैं, आप अपनी आवश्यकतानुसार चुन सकते हैं।

मेरा प्रिय विषय पर छोटे-बड़े निबंध (Long and Short Essay on My Favourite Subject in Hindi, Mera Priya Vishay par Nibandh Hindi mein)

मेरा प्रिय विषय: चित्रकारी – निबंध 1 (300 शब्द).

जब नर्सरी में मेरा दाखिला हुआ, मुझे स्कूल जाना बिल्कुल पसंद नहीं था। लेकिन जैसे-जैसे मेरी दोस्ती रंगो से हुई, मैने स्कूल को ही अपना घर और रंगो को अपना दोस्त बना लिया, बस फिर क्या था, मै दिनभर कक्षा में चित्रकारी ही किया करती थी, और सिर्फ स्कूल में ही नहीं, घर में भी। मुझे अलग-अलग रंगो से खेलना बहुत भाता था, और इस तरह मै हर समय व्यस्त भी रहती थी, और मेरे माता-पिता को मुझे सम्भालने के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती थी। वो मुझे अलग-अलग प्रकार के रंग दिया करते थे।

चित्रकारी से मेरा लगाव

इसका पूरा श्रेय मेरी कक्षा-अध्यापिका को जाता है। ये उन्ही की देन थी जिस कारण मेरा रूझान इस ओर हुआ। उनका चीजों को समझाने का तरीका इतना शानदार होता था, कि ना चाहते हुए भी आपका मन उस विषय में रम जाए। वो हर चीज को बड़े ही रचनात्मक तरीके से कहानी के माध्यम से बड़े ही रोचक तरीके से वर्णन करती थी, जिससे मन में हर वस्तु की छवि उभर जाती थी। मुझे हर वस्तु को रंगो में पिरोना अच्छा लगता था, धीरे-धीरे यह मेरा पसंदीदा विषय बन गया।

जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ी, मुझे चित्रकारी की अलग-2 विधाओं से प्रेम होने लगा। मेरी अध्यापिका ने मुझे अलग-अलग चित्रण शैली से अवगत कराया, जिसमें मुख्यतः रेखीय चित्रण, कांच-चित्रण, एवम् तैलीय चित्रण है। मै ग्रीष्म-कालीन विविध प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती थी और ईनाम भी जीतती थी।

पर्यावरणीय अध्ययन – अन्य प्रिय विषय

बड़ी कक्षाओं में पहुंचकर हमें कुछ नये विषयों के बारे में भी पता चला, जिससे ध्यानाकर्षण नये-नये विषयों में हुआ। मुझे इन सबमें पर्यावरणीय अध्ययन ने सबसे ज्यादा आकर्षित किया। ड्राइंग के बाद ये दूसरा ऐसा विषय था जिसने मुझे सबसे अधिक आकृष्ट किया, क्योकि ये भी हमे प्रकृति से जोड़ कर रखने और उसके बारे मे जानने का अवसर प्रदान किया। इससे हमे पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, जल, वायु आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

पर्यावरणीय अध्ययन में पर्यावरण का अध्ययन होता है, और साथ ही चित्रकारी करने को भी मिलती है, इसलिए ये दोनो विषय मुझे सर्वाधिक प्रिय है।

मेरा प्रिय विषय: इतिहास – निबंध 2 (400 शब्द)

मै बहुत से मामलों में बहुत चूजी रही हूं, जिन्दगी जीने का तरीका हमेशा औरो से जुदा रहा है। मुझे भीड़ में खोना पसंद नहीं। आप अलग तभी दिखोगे जब अलग करोगे, इसी सोच के साथ मै बड़ी हुई। हमेशा लोगो से अलग करमे की चाह, मेरी रूचि और व्यक्तित्व को भी औरो से अलग रखा। जो विषय दूसरे छात्रो को उबाऊ प्रतीत होते थे, मुझे मजेदार लगते थे। इसका जीवंत उदाहरण इतिहास विषय रहा, जो किसी को नहा भाता था, मेरा सर्वाधिक प्रिय विषय रहा।

इतिहास – मेरा प्रिय विषय

जहां आजकल सभी अभिभावक अपने बच्चो को केवल विज्ञान और गणित पढ़ाने के इच्छुक रहते है, मेरे मां-बाप भी इसके अपवाद नहीं थे, मेरा रूझान कला और कला-वर्ग के विषयों के तरफ देखकर उनके आश्चर्य का ठिकाना न था। फिर भी उन्होने ने सेरे पसंद का मान रखा, और अपने पसंदीदा विषय को पढ़ने की पूरी आजादी दी।

बहुत ही गौरवशाली इतिहास रहा है हमारा। मै बहुत ही आश्चर्यचकित होती हूं, कैसे किसी को अपनी सभ्यता-संस्कृति के बारे में पढ़ना अच्छा नहीं लगता। मुझे इतिहास पढ़ना बहुत पसंद है, तत्कालीन राजा-रानी कैसे शासन किया करते थे, कौन-कौन शासक अपनी प्रजा के प्रति दयालु था, कौन क्रूर, इनका पता केवल इतिहास से ही संभव है।

प्राचीन-काल मे भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, जिस कारण तमाम विदेशी आक्रमणकारियों की बूरी नज़र हमेशा देश पर बनी रही, जिसका खामियाजा हमारे देश को अपनी आजादी खो कर चुकाना पड़ा। अरबी, फ्रांसीसी, डच, पुर्तगाली, आदि आए और लूटकर चले गए, किन्तु अंग्रेजो ने लूटा ही नहीं वरन् हमारे देश की आत्मा को अंदर तक छलनी कर दिया।

किसी भी देश की आजादी उसके अपने देश के लोगो के हाथ में होती है, हमारा देश परतंत्र हुआ, इसका कहीं न कहीं उत्तरदायी तत्कालीन लोग और उनकी सोच भी है। हम ऐसा इसलिए कह पा रहे हैं, क्योंकि अगर भारतीय शासक अपने स्वार्थ के वशीभूत बाबर को न्यौता नहीं दिया होता, तो कभी भारत पर मुगलों का साम्राज्य न होता, इसी प्रकार जहांगीर के दरबार में आए अंग्रेज आगंतुक हॉकिंस को उसी वक्त़ लौटा दिया होता तो अंग्रेज हम पर 350 साल राज नहीं करते। ये सब चीजें हमें इतिहास से ही मालूम पड़ती है।

इतिहास हो या कोई भी विषय, मैं हर विषय को समान वरीयता देती हूँ। कला वर्ग के सभी सब्जेक्ट अपने आप में खास होते है। इतिहास से जहाँ हमारे गौरवशाली अतीत के बारे में पता चलता है, वहीं दूसरी ओर अपनी कमियाँ भी दिखाई देती है, जिनसे सबक लेकर हम खुद में और समाज में सुधार कर सकते है।

Essay on My Favourite Subject

मेरा प्रिय विषय – अंग्रेजी – निबंध 3 (500 शब्द)

व्यक्ति की रूचि उसके व्यक्तित्व का आइना होता है। हर आदमी अपनी पसंद के हिसाब से ही चीजों को चुनता है, बात चाहे प्रिय खाने की हो, कपड़ो की हो या प्रिय विषय की ही क्यों न हों। मेरा शुरू से प्रिय विषय अंग्रेजी रहा है, चूंकि शुरू से हमारे समाज में यह बीजारोपण किया जाता है, अगर अंग्रेजी नहीं सीखा तो किसी स्कूल में दाखिला नहीं मिलेगा, अच्छी शिक्षा नहीं होगा। अच्छी शिक्षा नहीं होगी तो अच्छा करियर नहीं बन पायेगा, अच्छे करियर के बिना आप अच्छे भविष्य की संकल्पना नहीं कर सकते। इन कारणों से भी यह मेरा प्रिय विषय बना।

प्रिय विषय – अंग्रेजी

कहते है न, आप जैसा बीज रोपेगें, फल भी आपको उसी का मिलेगा। यह बात हर जगह लागू होती है। अंग्रेजी पढ़ना मेरे लिए शौक बन गया है, मैं कभी भी इसे पढ़-लिख सकती हूं। चूंकि आजकल इस भाषा में ही सारे विषय होते है, इसी बहाने सब विषय पढ़ लेती थी, मुझे पढ़ना अच्छा भी लगता था और सब विषय तैयार भी हो जाते थे।

  • मां – मेरी प्रेरणा

इसका एक और कारण मेरी मां का मुझे बचपन में कहानियां सुनाना भी है। वो मुझे अलग-अलग राजाओं-महाराजाओं और परियों की कहानियां सुनाया करती थी, जिसे सुनने में मुझे बड़ा मजा आता था। धीरे-धीरे अपनी मां को देखकर मुझे भी पढ़ने का शौक चढ़ गया। वो खुद भी पढ़ती थी और मुझे भी प्रेरित करती थी, किताबें पढ़ना आपके ज्ञान को विस्तार देता है साथ ही आपकी सोचने की शक्ति को भी बढ़ाता है।

पढ़ने के साथ-साथ लिखना भी मेरे शौक का भाग बन गया। यह अचानक नहीं हुआ,शुरूवाती चरणों का नतीजा था। अब मैनें निबंध,आर्टिकल,छोटे-बड़े लेख लिखना शुरू कर दिया है। इन्हीं सब कारणों से यह मेरा सर्वाधिक प्रिय विषय बन गया।

  • विद्यालय का पूर्ण सहयोग

मैं अपनी कक्षा में औसत दर्जे की छात्रा रही, पर जब बात अंग्रेजी विषय की आती है मेरा प्रदर्शन सबसे अच्छा हो जाता है। इसका कुछ श्रेय मेरी विषय-अध्यापिका को भी जाता है। उनका मुझे कदम-कदम पर उत्साहित और प्रेरित करना मेरे प्रदर्शन को कई गुना बढ़ा देता है। यहां तक की कई बच्चे अपनी समस्या लेकर मेरे पास आते है, और मै उनका समाधान कर देती हूं। मुझे अपार खुशी मिलती है। इतना ही नहीं, जब टीचर मेरी पीठ थपथपाती है, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। यह मुझे और अच्छा करने का प्रेरणा देता है। इस कारण मैं हर समय खुद को अपडेट रखती हूं, अपने कौशल को निखारती रहती हूं।

आपका का किसी भी विषय में अच्छा होना, पूरा का पूरा आपके पसंद पर निर्भर करता है। जब हमें कोई चीज अच्छी लगती है तो उसे हम बार-बार करते हैं, लगातार प्रयास से किसी भी क्षेत्र में कमांड किया जा सकता है। प्रसिध्द कहावत है, “करत-करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान। रसरी आवत-जात है, सिल पर पड़े निसान”।

आपकी सफलता में बड़े-बूढ़ो का बहुत बड़ा हाथ होता है, खासकर माता-पिता और गुरू जनों का। केवल एक शिक्षक ही ऐसा आदमी होता है जो अपने बच्चो की तरक्की चाहता है वरना दूसरा कोई पेशा लोगों की सलामती की कामना नहीं करता। इंग्लिश में मेरा रूझान और समय की मांग को देखकर मेरे पिता ने मुझे इसी क्षेत्र में आगे बढ़ने की इजाजत भी दी और मेरा हौसला भी बढ़ाया।

मेरा प्रिय विषय: गणित – निबंध 4 (600 शब्द)

हमारी पसंद समय के साथ बदलती रहती है। फेवरेट कलर, खाना, आदमी, या फिर खेल। हर जगह यह नियम काम करता है। बचपन में हमें कुछ और पसंद होता है, जैसे-जैसे बड़े होते हैं, हमारे पसंद भी शिफ्ट होते जाते है। बहुत बच्चों को प्राइमरी स्कूलों में कुछ खास सब्जेक्टस् ही पसंद होते है, धीरे-धीरे जब वे बड़े होते हैं, तो अपनी मानसिक क्षमता और रूचि के अनुसार सब्जेक्ट शिफ्ट कर देते हैं, मैं भी इसका अपवाद नहीं।

गणित – प्रिय विषय

प्री-प्राइमरी में औसतन सभी बच्चों को ड्राइंग पसंद होता है, मुझे भी पसंद था। प्राइमरी तक आते-आते मेरा मन ड्राइंग से उचट गया। प्राइमरी में खेल-खेल में गिनती- पहाड़ा सीखते-सीखते गणित से लगाव हो गया। जब क्लास में 10 तक की गिनती सिखाई जाती थी, मेरी मां ने मुझे 50 तक गिनती सिखा दिया था। मेरी मां मुझे घर का काम करते-करते काउंटिंग कराती थी। बचपन में फ्रूट गिनना, बर्तन गिनना बड़ा अच्छा लगता था। इसी तरीके से मेरी मां ने मुझे जोड़-घटाना बड़ी आसानी से सीखा दिया था। जहां दूसरे बच्चों को जोड़-घटाने में परेशानी होती थी, वहीं मैं बड़ी आसानी से फटाफट कर लेती थी।

गणित में मेरी रूचि को देखकर मेरी मां ने मेरा दाखिला अबेकस क्लास में करवा दिया। मुझे अबेकस की मदद से सवाल लगाने में बहुत मजा आता था, अबेकस ने मुझे मैथ समझने में बहुत मदद की, साथ ही साथ मेरे ज्ञान को बढ़ाने में भी।

गणित में मेरा रूझान मेरे भाई के कारण भी है। वो दिनभर मैथ लगाते रहते, जिस कारण मैं भी उनका नकल करने बैठ जाती और देखते ही देखते मैंने कठिन सवाल लगाना सीख लिया, अब इसमें मुझे मजा आने लगा। धीरे-धीरे क्लास में मेरा प्रदर्शन अच्छा होता चला गया, अक्सर मुझे मैथ में पूरे नंबर मिलते। जिस कारण मै पूरे जोश में रहती और मेहनत करती, जिससे सबकी तारिफें मिले।

अब मुझे कठिन-कठिन सवालों को क्रैक करना अच्छा लगता था, मैथ ओलंपियाड में मैने हिस्सा भी लिया और अच्छा स्कोर भी किया। यहां अच्छा स्कोर करने के कारण अब मुझे स्कूल की तरफ से इंटर-स्कूल मैथ ओलंपियाड में भी भेजा जाने लगा। मेरे बहुत से क्लासमेट्स मुझसे मैथ के सवाल पूछने आते। कई तो मेरे पास कठिन टॉपिक सीखने आते, मै उन सभी का भरपूर मदद करती, जहां भी उन्हे जरूरत हो।

फ्रेंच से लगाव

चूंकि में मैथ में अच्छी हूं, मेरे नाम की सिफारिश विभिन्न गणितीय प्रतियोगिताओं में किया जाता है, फिर भी मेरा मन एक नई भाषा सीखने को आतिर हो उठा जब मेरे स्कूल में विदेशी भाषा का भी विभाग खुला। नई चीजो को सीखने का एक अलग ही रोमांच होता है, मेरे अंदर भी था। जब हम 9वीं स्टैंडर्ड में थे, तो हमें संस्कृत और फ्रेंच में से कोई एक विषय चुनना था, मेरे मां-पापा ने मुझे संस्कृत चुनने की सलाह दी, ये कह कर कि यह हमारी भाषा है, देववाणी है, फिरंगी भाषी सीखने का क्या लाभ। लेकिन मैंने किसी की एक नहीं सुनी, अपनी मन की आवाज को सुनते हुए एक बिल्कुल नई भाषा फ्रेंच को तीसरी भाषा के रूप में चुन लिया।

मैने अपने इस फैसले को सही साबित करने के लिए खूब मेहनत की। इसमें मेरी फ्रेंच टीचर ने बहुत मदद की और हर कदम पर मेरा मार्गदर्शन किया। वो हमे बड़ी ही सरल भाषा में सिखाती थी, वो बड़े ही आकर्षक तरीके से सब कुछ नरेट करती थी, जो बड़ा ही रोचक लगता था।

मेरे मां-पापा को डर था कि कहीं नई भाषा के कारण मेरी रैंकिग न खराब हो जाए, उनका डर वाजिब भी था, क्योंकि उस साल मेरे साथ फ्रेंच लेने वाले तमाम बच्चे फेल हो गए थे। पर मेरी अच्छी रैकिंग देखकर उनका यह डर भी चला गया। बाद में मेरे इस भाषा को चुनने के फैसले को सराहा।

निःसंदेह मेरा पसंदीदा विषय मैथ है, पर मुझे फ्रेंच भी उतना ही पसंद है। मैने सोच लिया है आगे की पढ़ाई भी इसी में करूंगी और इसी में अपना करियर बनाउंगी।

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Pustakalaya Essay : स्टूडेंट्स के लिए पुस्तकालय पर निबंध 

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  • Updated on  
  • जुलाई 4, 2024

Pustakalaya Essay in Hindi

पुस्तकालय एक ऐसी जगह है जहां किताबें और सूचना के स्रोत होते हैं। पुस्तकालय में किताबें, पत्रिकाएं, समाचार पत्र और बहुत कुछ शामिल हैं। पुस्तकालय के कई प्रकार होते हैं और यह स्टूडेंट्स के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अपने ज्ञान को बढ़ाने और अपने शोध आदि कार्यों को पूरा करने के लिए वे इन पुस्तकालयों में जा सकते हैं। पुस्तकालय से आप अपनी जरूरत के समय किताबें ले सकते हैं। हर स्कूल और कॉलेज में पुस्तकालय होता है जिसका महत्व समझना जरूरी है, इसलिए इस ब्लाॅग (Pustakalaya Essay in Hindi) में हम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए पुस्तकालय पर निबंध दे रहे हैं।  

This Blog Includes:

पुस्तकालय पर 100 शब्दों में निबंध, पुस्तकालय पर 200 शब्दों में निबंध, पुस्तकालय का महत्व, पुस्तकालय और शिक्षा के बीच संबंध, पुस्तकालय पर 10 लाइन्स.

100 शब्दों में Pustakalaya Essay in Hindi नीचे दिया गया है:

पुस्तकालय ज्ञान के अमूल्य भंडार होते हैं। पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार की पुस्तक पत्रिकाएं और डिजिटल संसाधन होते हैं जिनसे आप ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। पुस्तकालय छात्रों, विद्वानों और आम जनता की जरूरतों को पूरा करते हैं। किताबों से परे, पुस्तकालय अध्ययन, अनुसंधान और चिंतन के लिए शांत स्थान प्रदान करते हैं। ये बौद्धिक विकास और रचनात्मकता को बढ़ावा देते हैं। पुस्तकालय सामुदायिक केंद्र के रूप में भी काम करते हैं, वहां कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और शैक्षिक कार्यक्रमों की मेजबानी की जा सकती है। पुस्तकालय कंप्यूटर, इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल संसाधनों तक पहुंच प्रदान करके डिजिटल विभाजन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पुस्तकालय ज्ञान और संपर्क का केंद्र बिंदु होते हैं।

200 शब्दों में Pustakalaya Essay in Hindi निबंध नीचे दिया गया है:

पुस्तकालय वह स्थान है जहां लोग सीखने और ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक साथ आते हैं। पुस्तकों को बड़ी बुकशेल्फ़ पर व्यवस्थित किया जाता है। कुछ पुस्तकालयों में पुस्तकालय से जारी और प्राप्त पुस्तकों का ट्रैक रखने के लिए डिजिटल सॉफ़्टवेयर होते हैं। तकनीकी प्रगति के कारण, आजकल पुस्तकें ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध हैं। पाठक किंडल जैसे ऐप पर पुस्तक पढ़ सकते हैं लेकिन फिर भी पुस्तकालय की अपनी भूमिका है।

हर स्कूल छात्रों को पुस्तकालय में आने और किताबें पढ़ने के लिए विशिष्ट घंटे आवंटित करता है ताकि वे बचपन से ही पढ़ने की आदत डाल सकें। छात्र अपने असाइनमेंट या गर्मी की छुट्टियों के होमवर्क को पूरा करने के लिए पुस्तकालय से किताबें भी पढ़ते हैं।

पुस्तकालय के नियम और विनियम निर्धारित हैं। आम तौर पर, हमें बात करने की अनुमति नहीं होती है ताकि पाठक विचलित न हों और पढ़ने की उनकी गति न खो जाए। इसके अलावा, अगर पुस्तकालय से जारी की गई कोई किताब खो जाती है, क्षतिग्रस्त हो जाती है या उधारकर्ता से खो जाती है, तो उसे लाइब्रेरियन को जुर्माना देना पड़ता है। इस प्रकार, पुस्तकालय उन पुस्तकों के लिए एक उत्कृष्ट संसाधन है जो मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान और जानकारी भी फैलाती हैं।

पुस्तकालय ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के लिए अहम स्थान होते हैं। वे सूचना और ज्ञान के चाहने वालों के लिए एक समृद्ध स्थान होते हैं। पुस्तकालय में पुस्तकों, पत्रिकाओं और डिजिटल संसाधनों की एक विशाल श्रृंखला होती है।

Pustakalaya Essay in Hindi

पुस्तकालय पर 500 शब्दों में निबंध

500 शब्दों में Pustakalaya Essay in Hindi इस प्रकार है:

पुस्तकालय को ज्ञान का स्तंभ कहा जाता है। ये वर्षों से मानवता के लिए ज्ञान के स्त्रोत बने हुए हैं। कहा जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय का पुस्तकालय अपने समय का दुनिया में सबसे विशाल पुस्तकालय था। शिक्षा के स्थान युगों से आगे निकल गए हैं, जो ज्ञान के चाहने वालों को अमूल्य संसाधन प्रदान करते हैं। प्राचीन स्क्रॉल से लेकर डिजिटल अभिलेखागार तक पुस्तकालय प्रगति की गति के साथ विकसित हुए हैं। पुस्तकालय की वजह से छात्रों को उन पुस्तकों तक पहुंच भी आसानी से मिल जाती है जिन्हें वह सामान्य बाजार में नहीं खरीद सकते। 

पुस्तकालय का महत्व शिक्षा, संस्कृति और समुदाय की आधारशिला के रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं। पुस्तकालय भविष्य की पीढ़ियों के लिए पुस्तकों, पांडुलिपियों और अन्य दस्तावेजों को संरक्षित करके मानवता के सामूहिक ज्ञान की रक्षा करते हैं। वे सांस्कृतिक विरासत के भंडार के रूप में कार्य करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि बहुमूल्य जानकारी और अंतर्दृष्टि समय के साथ नष्ट न हो जाएं।

पुस्तकालय विविध रुचियों और जरूरतों को पूरा करते हुए ढेर सारी जानकारी तक पहुंच प्रदान करते हैं। शैक्षणिक अनुसंधान से लेकर मनोरंजक पढ़ने तक, पुस्तकालय पुस्तकों, पत्रिकाओं, मल्टीमीडिया सामग्री और डिजिटल डेटाबेस सहित संसाधनों की एक विशाल श्रृंखला प्रदान करते हैं। पुस्तकालय साक्षरता को बढ़ावा देने और पढ़ने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कहानी सत्र, साक्षरता कार्यशालाएं और पुस्तक क्लब जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से, पुस्तकालय सभी उम्र के लोगों को साहित्य से जुड़ने और आवश्यक साक्षरता कौशल विकसित करने के लिए प्रेरित करते हैं। छात्र अपनी शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए पाठ्यपुस्तकों, सामग्रियों और अध्ययन संसाधनों तक पहुंच सकते हैं। पुस्तकालय सामुदायिक केंद्र के रूप में काम करते हैं, लोगों को विभिन्न गतिविधियों और आयोजनों के लिए एक साथ लाते हैं।

लेखक वार्ता और व्याख्यान से लेकर कला प्रदर्शनियों और कार्यशालाओं तक, पुस्तकालय कई सारे सीखने के अवसर प्रदान करते हैं। डिजिटल युग में, पुस्तकालय कंप्यूटर, इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल संसाधनों तक पहुंच प्रदान करके डिजिटल अंतर को भी कम करते हैं। वे व्यक्तियों को आवश्यक डिजिटल साक्षरता कौशल से सशक्त बनाते हैं और सूचना और प्रौद्योगिकी तक समान पहुंच सुनिश्चित करते हैं।

पुस्तकालयों और शिक्षा के बीच संबंध बहुत गहरा है। यह संबंध एक दूसरे को समर्थन देने और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पुस्तकालय छात्रों और शिक्षकों को पाठ्यपुस्तकों, अध्ययन सामग्री, विद्वान पत्रिकाओं और मल्टीमीडिया संसाधनों सहित संसाधनों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच प्रदान करते हैं। ये संसाधन अतिरिक्त जानकारी और सीखने के अवसर प्रदान करते हैं। पुस्तकालय अनुसंधान के लिए अमूल्य केंद्र के रूप में काम करते हैं, जो अकादमिक डेटाबेस विशेष संग्रह तक पहुंच प्रदान करते हैं।

छात्र और शिक्षक अपने शैक्षणिक प्रयासों के लिए अनुसंधान कर सकते हैं, डेटा एकत्र कर सकते हैं और विद्वान साहित्य तक पहुंच सकते हैं। पुस्तकालय साक्षरता को बढ़ावा देने और छात्रों के बीच पढ़ने के प्रति प्रेम को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साक्षरता कार्यक्रमों, कहानी कहने के सत्रों और पुस्तक क्लबों के माध्यम से, पुस्तकालय सीखने के लिए जुनून पैदा करते हैं और छात्रों को पढ़ने और समझने के कौशल विकसित करने में मदद करते हैं।

पुस्तकालय छात्रों को जानकारी को प्रभावी ढंग से नेविगेट करने, गंभीर मूल्यांकन करने और गलत सूचना से विश्वसनीय जानकारी को समझना सिखाते हैं। आज के डिजिटल युग में पुस्तकालय छात्रों को कंप्यूटर, इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल संसाधनों तक पहुंच प्रदान करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि सभी छात्रों को उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, आधुनिक शिक्षा के लिए डिजिटल शिक्षण उपकरणों तक पहुंच प्राप्त हो। छात्र और शिक्षक समान रूप से व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए जीवन भर पुस्तकालयों से जुड़ सकते हैं।

पुस्तकालय पर 10 लाइन्स इस प्रकार है:

  • पुस्तकालय ज्ञान के भंडार होते हैं, जिनमें पुस्तकों, पत्रिकाओं और डिजिटल संसाधनों की एक विशाल श्रृंखला होती है।
  • वे भावी पीढ़ियों के लिए मानवता के सामूहिक ज्ञान को संरक्षित करते हुए, सांस्कृतिक भंडार के रूप में कार्य करते हैं।
  • पुस्तकालय शैक्षिक कार्यक्रमों और संसाधनों के माध्यम से साक्षरता और आजीवन सीखने को बढ़ावा देते हैं।
  • वे जानकारी तक पहुंच प्रदान करते हैं और विभिन्न विषयों में अनुसंधान प्रयासों का समर्थन करते हैं।
  • पुस्तकालय अध्ययन, चिंतन और शैक्षणिक गतिविधियों के लिए शांत स्थान प्रदान करते हैं।
  • वे कहानी सुनाने के सत्रों और पुस्तक क्लबों के माध्यम से पढ़ने और साहित्य के प्रति प्रेम को बढ़ावा देते हैं।
  • पुस्तकालय कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्टिविटी तक पहुंच प्रदान करके डिजिटल विभाजन कम करते हैं।
  • वे ऐसे सामुदायिक केंद्र के रूप में कार्य करते हैं, जहां कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और प्रदर्शनिया आयोजित की जा सकती हैं।
  • डिजिटल युग में आगे बढ़ने के लिए पुस्तकालय व्यक्तियों को आवश्यक सूचना साक्षरता कौशल प्रदान करते हैं।
  • पुस्तकालय अमूल्य संस्थान होते हैं जो जीवन को समृद्ध बनाते हैं, समुदायों को सशक्त बनाते हैं और मानवता की बौद्धिक विरासत को संरक्षित करते हैं।

पुस्तकालय शिक्षा प्रणाली का हृदय और आत्मा है। पुस्तकालय ज्ञान का प्रसार करता है और इसके कई उपयोग हैं। पुस्तकालय के उपयोग के आधार पर इसकी कई श्रेणियां हैं। कुछ पुस्तकालय निजी हैं, कुछ सार्वजनिक हैं जबकि कुछ सरकारी हैं। विद्यालय और पुस्तकालय ज्ञान के मंदिर हैं।

संबंधित ब्लाॅग्स 

पुस्तकालय पुस्तकों, पत्रिकाओं,  समाचार पत्रों, डिजिटल डेटाबेस, मल्टीमीडिया सामग्री और शैक्षिक उपकरणों सहित संसाधनों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं।

कई पुस्तकालय अपनी वेबसाइटों या लाइब्रेरी ऐप्स के माध्यम से ई-पुस्तकें, ऑडियोबुक, ऑनलाइन डेटाबेस और स्ट्रीमिंग सेवाओं जैसे डिजिटल संसाधनों तक पहुंच प्रदान करते हैं।  इन संसाधनों तक पहुंचने के लिए उपयोगकर्ताओं को अक्सर लाइब्रेरी कार्ड की आवश्यकता होती है।

हाँ, पुस्तकालय में अक्सर सभी उम्र के लोगों के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम किए जाते हैं, जिनमें लेखक वार्ता, पुस्तक क्लब, कहानी कहने के सत्र, कार्यशालाएँ, व्याख्यान, कला प्रदर्शनियाँ और शैक्षिक कार्यक्रम शामिल हैं।

उम्मीद है कि आपको Pustakalaya Essay in Hindi के संदर्भ में हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। निबंध लेखन के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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Hindi Diwas Essay: हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें? 100, 250, 500 शब्दों में निबंध प्रारूप

Hindi Diwas 2024 Essay in Hindi: इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हिंदी भाषा भारतीयों की पहचान का हिस्सा है। भारत में यूं तो कई भाषाएं और बोलियां बोली जाती है लेकिन जो दर्जा हिंदी को मिला है वो अहम है। भाषाई विविधता के जश्न के रूप में प्रति वर्ष हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हमारे देश की मातृभाषा हिंदी के महत्व को समझाने और उसे सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।

हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें?

हिंदी हमारी पहचान है और करोड़ों भारतीयों को इस पर गर्व है। हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर 1949 को मिला था। इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी बोली जाती है। हमारे विद्यालयों में भी हिंदी दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जैसे निबंध लेखन, कविता पाठ, भाषण और अन्य प्रतियोगिताओं का विशेष रूप में आयोजन किया जाता है।

बच्चों को हिंदी भाषा के महत्व और उसकी सुंदरता को समझाने के लिए यह दिन विशेष होता है। इस अवसर पर स्कूलों में विभिन्न प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। यदि आप भी स्कूल में हिंदी दिवस पर निबंध लेखन प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हैं तो इस लेख से संदर्भ ले सकते हैं।

इस लेख में स्कूली बच्चों की सहायता के लिए 100, 250 और 500 शब्दों में हिंदी दिवस पर निबंध लेखन के कुछ प्रारूप प्रस्तुत किए हैं। इस लेख में तीन अलग-अलग हिंदी दिवस निबंध प्रारूप प्रस्तुत किए जा रहे हैं जो स्कूली छात्रों को हिंदी दिवस के महत्व को समझाने में मदद करेंगे। स्कूली छात्रों के लिए हिंदी दिवस पर निबंध (Hindi Diwas Essay) नीचे दिये गये हैं। ये निबंध हिंदी दिवस के महत्व को सरल और स्पष्ट तरीके से समझाने में मदद करते हैं।

हिंदी दिवस 2024 पर 100, 250, 500 शब्दों में आसान निबंध प्रारूप नीचे दिये गये हैं-

निबंध 1 (100 शब्दों में ): हिंदी दिवस कब मनाया जाता है और क्यों?

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा के महत्व के प्रचार एवं प्रसार के लिए मनाया जाता है। हिंदी हमारी मातृभाषा है और इसे हमें सम्मान देना चाहिये। भारत के करोड़ों लोग अपनी बोल चाल की भाषा में हिंदी भाषा का उपयोग करते हैं। भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला हुआ है। इसका अर्थ है कि भारत सरकार ने कामकाज की भाषा के रूप में हिंदी को विशेष स्थान दिया है। हमें गर्व होना चाहिये कि हमारी एक समृद्ध और प्राचीन भाषा है, जिसे हम हिंदी कहते हैं। यह हमारे देश की पहचान है।

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निबंध 2 (250 शब्दों में): हिंदी भाषा भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग

प्रति वर्ष 14 सितंबर को हम हिंदी दिवस मनाते हैं। हिंदी दिवस, हिंदी के महत्व को समझाने और उसे प्रचारित करने के लिए समर्पित है। हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला। हिंदी देश की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है और यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न अंग है। हिंदी न केवल भारत में बल्कि नेपाल, मॉरीशस, फिजी और अन्य देशों में भी बोली जाती है।

हिंदी दिवस पर स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन होता है। स्कूलों, कॉलेजों एवं अन्य शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्र-छात्राओं में हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता को बढ़ाने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी न केवल एक भाषा है, बल्कि यह हमारे देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। हमें हिंदी भाषा को गर्व से बोलना चाहिये और इसे और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए बढ़ावा देना चाहिये। हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए हमें सभी क्षेत्रों में इसे अपनाना चाहिये और इसके महत्व को समझना चाहिये।

निबंध 3 (500 शब्दों में): हिंदी दिवस और हिंदी भाषा का महत्व

हिंदी दिवस भारत में हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारत की राजभाषा हिंदी के सम्मान और उसके महत्व को दर्शाने के लिए मनाया जाता है। हिंदी भाषा का इतिहास बहुत पुराना है और इसका भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है। हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के अधिकांश हिस्सों में बोली और समझी जाती है।

हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया था। इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य हिंदी को न केवल सरकारी कार्यों में बल्कि आम जीवन में भी अधिक से अधिक प्रयोग में लाना है। हिंदी दिवस पर कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को हिंदी भाषा के प्रति जागरूक करना और उसकी उपयोगिता को बढ़ावा देना है।

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आज के समय में अंग्रेजी भाषा का बढ़ता हुआ प्रभाव देखा जा सकता है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि हिंदी हमारी पहचान है। हमें गर्व होना चाहिये कि हम एक ऐसी समृद्ध भाषा बोलते हैं, जो हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करती है। हिंदी दिवस के उत्सव से हम यह समझने में सहायता मिलती है कि भाषा केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और पहचान का प्रतीक है।

इसलिए, हमें हिंदी भाषा के महत्व को समझना चाहिये और इसे गर्व से बोलना चाहिये। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हम अपने स्तर पर भी प्रयास कर सकते हैं। हम इसे अपने दैनिक जीवन में अधिक से अधिक उपयोग कर सकते हैं। हिंदी दिवस हमें यह प्रण लेना चाहिये कि हम अपनी हिंदी भाषा का सम्मान करेंगे और इसे आगे बढ़ाने में अपना भरपूर योगदान देंगे।

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RRB NTPC Mock Test 2024: Practice Online Test Series in English, Hindi and Other Languages

RRB NTPC Mock Test 2024: It is high to revise all the concepts and practice mock papers and test series. These tests will help candidates to check their preparation level and improve their accuracy and score. Check the mock test link below.

Mohd Salman

RRB NTPC Mock Test 2024

The RRB NTPC examination is conducted to recruit eligible candidates for non technical posts in Indian Railways. The selection procedure for the RRB NTPC exam is conducted in four stages, such as CBT-1, CBT-2, typing skill test/CBAT, document verification/medical Exam.

RRB NTPC Previous Year Practice Papers

What are the features of the RRB NTPC Mock Test?

  • The RRB NTPC Mock Test has a number of benefits, including comprehensive solutions and ease of use. The features are given below, to mention a few.
  • Simple to get to at any time or place.
  • Time-bound tests
  • For any question, there are thorough answers available.
  • Mock exams for the RRB NTPC are available for both PCs and laptops.
  • The Mock test are designed based on latest exam pattern

Also Check,

Why to Attemopt RRB NTPC Mock Test?

There are a number of reasons to take the online RRB NTPC practice test prior to the exam. Some of them are listed below:

Time Management: Test takers who regularly solve RRB NTPC practice exams have better time management abilities and are more likely to successfully complete the exam within the allotted time.

Self-Evaluation: Mock tests provide very helpful opportunities to assess oneself, pinpointing areas of strength and weakness for focused study. Candidates understand where they should concentrate more.

Boost Confidence: Regularly taking RRB NTPC mock examinations helps applicants become more confident by lowering exam anxiety and acclimating pupils with potential questions.

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Essay on Drawing

500 words essay on drawing.

Drawing is a simplistic art whose concern is with making marks. Furthermore, drawing is a way of communicating or expressing a particular feeling of an artist. Let us focus on this unique form of art with this essay on drawing.

 Essay On Drawing

                                                                                                              Essay On Drawing

Significance of Drawing                                    

Drawing by itself is an art that gives peace and pleasure. Furthermore, learning the art of drawing can lead to efficiency in other mediums.  Also, having an accurate drawing is the basis of a realistic painting.

Drawing has the power to make people more expressive. It is well known that the expression of some people can’t always take place by the use of words and actions only. Therefore, drawing can serve as an important form of communication for people.

It is possible to gain insight into the thoughts and feelings of people through their drawings. Moreover, this can happen by examining the colour pattern, design, style, and theme of the drawing. One good advantage of being able to express through drawing is the boosting of one’s emotional intelligence .

Drawing enhances the motor skills of people. In fact, when children get used to drawing, their motor skills can improve from a young age. Moreover, drawing improves the hand and eye coordination of people along with fine-tuning of the finger muscles.

Drawing is a great way for people to let their imaginations run wild. This is because when people draw, they tend to access their imagination from the depths of their mind and put it on paper. With continuous drawing, people’s imagination would become more active as they create things on paper that they find in their surroundings.

How to Improve Drawing Skills

One of the best ways to improve drawing skills is to draw something every day. Furthermore, one must not feel pressure to make this drawing a masterpiece. The main idea here is to draw whatever comes to mind.

For drawing on a regular basis, one can make use of repetitive patterns, interlocking circles , doodles or anything that keeps the pencil moving. Therefore, it is important that one must avoid something complex or challenging to start.

Printing of a picture one desires to draw, along with its tracing numerous times, is another good way of improving drawing skills. Moreover, this helps in the building of muscle memory for curves and angles on the subject one would like to draw. In this way, one would be able to quickly improve drawing skills.

One must focus on drawing shapes, instead of outlines, at the beginning of a drawing. For example, in the case of drawing a dog, one must first focus on the head by creating an oval. Afterwards, one can go on adding details and connecting shapes.

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Conclusion of the Essay on Drawing

Drawing is an art that has the power of bringing joy to the soul. Furthermore, drawing is a way of representing one’s imagination on a piece of paper. Also, it is a way of manipulating lines and colours to express one’s thoughts.

FAQs For Essay on Drawing

Question 1: Explain the importance of drawing?

Answer 1: Drawing plays a big role in our cognitive development. Furthermore, it facilitates people in improving hand-eye coordination, analytic skills, creative thinking, and conceptualising ideas. As such, drawing must be used as a tool for learning in schools.

Question 2: What are the attributes that drawing can develop in a person?

Answer 2: The attributes that drawing can develop in a person are collaboration, non-verbal communication, creativity, focus-orientation, perseverance, and confidence.

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  • हिंदी में निबंध (Essay in Hindi/ Hindi me Nibandh) - परिभाषा, प्रकार, टॉपिक्स और निबंध लिखने का तरीका जानें

Updated On: September 02, 2024 06:26 pm IST

निबंध किसे कहते हैं? (What is Essay?)

निबंध की परिभाषा (definition of essay in hindi).

  • निबंध के कितने अंग होते हैं 
  • निबंध कितने प्रकार का होता है (Types of Essay in …

हिंदी में निबंध (Essay in Hindi/ Hindi me Nibandh)

निबंध के कितने अंग होते हैं

निबंध कितने प्रकार का होता है (types of essay in hindi ), हिंदी में निबंध (essay in hindi) लिखते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए-.

  • निबंध लिखना शुरू करने से पहले संबंधित विषय के बारे में जानकारी इकठ्ठा कर लें।
  • कोशीश करें कि विचार क्रमबद्ध रूप से लिखे जाएं और उनमे सभी महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हों।
  • निबंध को सरल भाषा में लिखने का प्रयास करें और रोचक बनाएं।
  • निबंध में उपयोग किए गए शब्द छोटे और प्रभावशाली होने चाहिए।

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500+ विषयों पर हिंदी निबंध

विद्यार्थी जीवन में निबंध लेखन (Hindi Essay Writing) एक अहम हिस्सा है। विद्यार्थी के जीवन में हर बार ऐसे अवसर आते हैं, जहाँ पर निबन्ध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध लेखन का कार्य हर तरह की परीक्षा में भी विशेष रूप से पूछा जाता है।

Hindi Essay Writing

यहां पर हमने अलग-अलग विषयों पर क्रमबद्ध हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखे है। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होंगे।

यहां पर वर्तमान विषयों पर हिंदी में निबंध (current essay topics in hindi) उपलब्ध किये है।

हिंदी निबंध (Essay Writing in Hindi)

भारत देश से जुड़े निबन्ध

पर्यावरण और पर्यावरण मुद्दों से जुड़े निबंध

महान हस्तियों पर निबन्ध

सामाजिक मुद्दों पर निबन्ध

नैतिक मूल्य पर निबंध

तकनीकी से जुड़े निबंध

शिक्षा से जुड़े निबन्ध.

पशु पक्षियों पर निबंध

त्योहारों पर निबंध

विभिन्न उत्सवों पर निबंध

स्वास्थ्य से जुड़े निबंध

प्रकृति पर निबंध

खेल पर निबंध

महत्त्व वाले निबन्ध

शहरों और राज्यों पर निबन्ध

संरक्षण पर निबन्ध.

नारी शक्ति पर निबंध

रिश्तों पर निबंध

फल और सब्जियों पर निबंध

फूलों, पौधों और पेड़ों पर निबन्ध

प्रदूषण पर निबंध, लोकोक्ति पर निबन्ध.

धरोहर पर निबन्ध

निबंध क्या है.

निबंध एक प्रकार की गद्य रचना होती है, जिसमें किसी विशेष विषय के बारे में विस्तार से वर्णन किया जाता है। निबंध के जरिये निबंध लिखने वाला व्यक्ति या लेखक अपने भावों और विचारों को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करने की कोशिश करता है।

निबंध लिखने वाले व्यक्ति को उस विषय के बारे में पूर्ण रूप से जानकारी होने के साथ ही उसकी उस भाषा पर अच्छी पकड़ भी होना बहुत जरूरी है। सभी व्यक्तियों की अपनी अलग-अलग अभिव्यक्ति होती है। इस कारण ही हमें एक विषय पर बहुत से तरीकों में लिखे निबंध मिल जायेंगे।

निबंध की परिभाषा को आसान से शब्दों में बताये तो “किसी विशेष विषय पर भावों और विचारों को क्रमबद्ध तरीके से सुगठित, सुंदर और सुबोध भाषा में लिखी रचना को निबंध कहते हैं।”

निबन्ध लिखते समय इन बातों का रखे विशेष ध्यान

  • लिखा गया निबंध बहुत ही आसान शब्दों में लिखा हो, जिससे कि पढ़ने वाले को कोई मुश्किल नहीं हो।
  • निबंध में भाव और विचार की पुनरावृत्ति नहीं करें।
  • निबंध लिखते समय उसे विभिन भागों में बाँट देना चाहिए, जिससे पढ़ने आसानी हो जाये।
  • वर्तनी शुद्ध रखे और विराम चिन्हों को सही से प्रयोग करें।
  • जिस विषय पर निबंध लिखा जा रहा है, उस विषय के बारे में विस्तार से चर्चा लिखे।

इन बातों को ध्यान में रखकर आप एक बहुत ही सुंदर और अच्छा निबंध लिख सकते हैं। जब आप निबंध पूरी तरह से लिख ले तो उसके बाद आप पुनः एक बार पूरे निबंध को जरूर पढ़ लें और त्रुटी की जांच कर लें, जिससे निबंध और भी अच्छा हो जाएगा।

निबंध के अंग

निबन्ध को विशेष रूप से तीन भागों में विभाजित किया गया है:

भूमिका/प्रस्तावना

उपसंहार/निष्कर्ष.

यह निबंध का सबसे पहला भाग होता है। इससे ही निबंध की शुरुआत होती है। इसमें जिस विषय पर निबन्ध लिख रहे हैं उसके बारे में सामान्य और संक्षिप्त जानकारी दी जाती है।

इसे लिखते समय यह विशेष ध्यान रखें कि यह बहुत छोटा होने के साथ ही सारगर्भित भी हो, जिससे पाठक को पढ़ते समय आनंद की अनुभूति हो और उस निबंध को पूरा पढ़े।

यह निबंध का अगला भाग है जिसमें विषय के बारे में विस्तार से चर्चा की जाती है। इस भाग को लिखते समय आपके पास जितनी भी जानकारी उपलब्ध है, उसे क्रमबद्ध करके अलग-अलग अनुच्छेद में प्रस्तुत करना होता है।

इसमें आपका क्रम पूरी तरह से व्यवस्थित होना चाहिए। हर दूसरा अनुच्छेद पहले अनुच्छेद से सम्बंधित होना चाहिए।

यह निबंध का सबसे अंतिम भाग होता है। इस भाग तक पहुँचने से पहले पूरी चर्चा पहले के अनुच्छेदों में कर ली जाती है। यहां पर पूरी चर्चा का सारांश छोटे से रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

हमने यहां पर हिंदी निबंध संग्रह (essay writing in hindi) शेयर किया है। यहां पर सभी महत्वपूर्ण हिंदी के प्रसिद्ध निबंध उपलब्ध किये है। यहां पर हमने लगभग सभी hindi essay topics कवर करने की कोशिश की है।

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अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

500+ प्रेरणादायक लोगों की जीवनियाँ

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drawing का हिन्दी अर्थ

Drawing के हिन्दी अर्थ, संज्ञा , विशेषण , drawing शब्द रूप, drawing की परिभाषाएं और अर्थ अंग्रेजी में, drawing संज्ञा.

किसी भार को खींचने की क्रिया

  • draft , draught

किसी स्रोत से बिजली या तरल को प्राप्त करन... सदस्यता लें

  • drawing off

रेखाचित्र, ... सदस्यता लें

  • "the drawing of water from the well"
  • drafting , draftsmanship
  • "he learned drawing from his father"
  • "drawings of abstract forms"
  • "he did complicated pen-and-ink drawings like medieval miniatures"
  • "it is shown by the drawing in Fig. 7"

drawing के समानार्थक शब्द

essay about drawing in hindi

Drawing is a visual art that uses an instrument to mark paper or another two-dimensional surface. The instruments used to make a drawing are pencils, crayons, pens with inks, brushes with paints, or combinations of these, and in more modern times, computer styluses with graphics tablets or gamepads in VR drawing software.

रेखाचित्र या ' आरेखण' (ड्राइंग) एक दृश्य कला है जो द्वि-आयामी साधन को चिह्नित करने के लिए किसी भी तरह के रेखाचित्र उपकरणों का उपयोग करता है। आम उपकरणों में शामिल है ग्रेफाइट पेंसिल, कलम और स्याही, स्याहीदार ब्रश, मोम की रंगीन पेंसिल, क्रेयोन, चारकोल, खड़िया, पैस्टल, मार्कर, स्टाइलस, या विभिन्न धातु सिल्वरपॉइंट। एक रेखाचित्र पर काम करने वाले कलाकार को नक्शानवीस या प्रारूपकार के रूप में उद्धृत किया जा सकता है।

drawing के लिए अन्य शब्द?

drawing के उदाहरण और वाक्य

drawing के राइमिंग शब्द

अंग्रेजी हिन्दी अनुवादक

Words starting with

Drawing का हिन्दी मतलब.

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"drawing" के बारे में

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Hear the words in multiple accents and then enter the spelling. The games gets challenging as you succeed and gets easier if you find the words not so easy.

The game will show the clue or a hint to describe the word which you have to guess. It’s our way of making the classic hangman game!

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Guide to Writing a Hindi Essay

Guide to Writing a Hindi Essay

Do you need help understanding the basics of writing a great essay in Hindi? It can be difficult to know where to begin, but this guide is here to help! In it, we’ll discuss all the steps necessary for creating an effective essay in Hindi. From researching your topic and developing an outline to crafting compelling sentences with accurate grammar and vocabulary – we’ve got you covered. So read on – let’s get started on that winning essay!

1. Introduction to Hindi Essay Writing

Essay Writing in Hindi Hindi is one of the most widely spoken languages on Earth and it has been used for centuries to communicate. It is also a popular language amongst essay writers, as they can express their ideas fluently with its distinctive dialects. Writing essays in Hindi may seem daunting but by following some simple steps you can become an expert at constructing effective essays.

The first step to writing a great essay in Hindi is understanding how to essay writing in Hindi correctly. This involves having an awareness of sentence structure, grammar rules, punctuation usage and appropriate vocabulary. You should pay close attention to the words you use so that your sentences are clear and concise without any errors or omissions. Additionally, when selecting topics for your essay consider relevant current events taking place around India which will be interesting for readers from all walks of life.

To ensure your final piece reads well incorporate various approaches into each component of the article such as description, narration and argumentation; this will help engage readers more actively with the content presented within it . Furthermore , how to write clearly using persuasive techniques needs practice ; take advantage of opportunities like testing out exercises online or joining clubs where members help each other during workshops dedicated towards learning about proper formatting rules . Lastly , try reading successful papers written by professionals who know how to effectively compose pieces focused on topics connected with different areas relating  to hindi literature – these resources provide insightful knowledge on how best utilize words creatively throughout entire articles while keeping syntax organized logically together so that audiences can understand points being conveyed accurately concerning issues discussed .

2. Research – Methods and Tools for Gathering Information

Primary Research Gathering of primary research is the foundation for all successful projects. Primary research can be conducted through direct observation and interviews, both on-site and online. Properly formulated interview questions should be used to elicit engaging responses from participants while efficiently obtaining the necessary information. Additionally, surveys are a great tool for collecting data that specifically answer certain defined parameters in an efficient manner.

Secondary Research Effective projects often include secondary sources such as books, academic articles, journal entries, websites, blogs etc., which provide valuable insight into context or background needed to support conclusions found via primary research methods. For example when researching how to essay writing in Hindi , one might use previous published works from past students who have tried their own attempts at it as guides towards completing its challenge more successfully with each iteration. Furthermore by reading up on existing work before beginning ones own project concerning this topic regardless of language concerned will give any researcher a better understanding regarding what has been done previously so they do not unintentionally repeat something already covered exhaustively.

Also critical analysis needs to be applied during the process of gathering data from these varied sources since much may have changed over time due to technological advancements alone; meaning new approaches besides old must also be taken into consideration when conducting valid research related t o how to essay writing in Hindi. .

3. Structuring Your Hindi Essay

Writing an essay in Hindi is a rewarding experience, but it can be challenging for students who are not familiar with the language. To tackle this challenge, there are certain steps that must be taken when structuring your essay.

  • Decide on your topic: Before you start writing, decide on the main idea or theme of your essay and make sure it ties into what you already know about Hindi.
  • Organize Your Ideas: After deciding the focus of your essay, come up with several points that relate to each other. Make sure they flow logically from one point to another so readers understand how each point relates back to the main concept.

Once these basic components have been established, you’re ready to get down to business! Find resources such as books and online articles related to “how-to” topics like grammar rules and sentence structure tips specific for writing an excellent Hindu Essay. When putting together all required elements (introduction body conclusion etc..) think about how these fit within expected conventions used in essays written by native speakers of hindi as outlined through various sources discussing “How To Write An Excellent Hindu Essay”. Additionally if needed consult reference material like dictionaries or grammar guides specifically designed for use while constructing complete sentences meaningfully expressing intended thoughts both audibly and visually.

4. Captivating the Reader with Engaging Content

Making Content Engaging Creating content that sparks interest and engages readers is essential for any writer. In order to captivate the reader, a few tips should be considered:

  • Write with purpose – ensure each sentence has a clear objective and moves your message forward.
  • Keep it concise – get to the point quickly without using unnecessary words or clauses.

Once these two elements are established, there are many techniques writers can use to keep their readers interested in reading further. In particular, Hindi essay writing provides several useful methods which writers of all backgrounds can apply – such as providing context before introducing one’s main topic or argument. Additionally, incorporating helpful visuals such as graphs and tables into posts can help convey complex ideas more easily while keeping readers engaged.

5. Crafting a Convincing Argument

A convincing argument should be based on facts, rationale, and logic. To craft a convincing argument it is important to consider the audience you are writing for as this can influence what points you should make and how strong they need to be. In addition, one must ensure that all statements made are accurate and supported by evidence.

  • Understand Your Audience:

It is important to understand who your audience will likely be when crafting an argument in order to tailor your message accordingly. Consider their background knowledge level of the subject at hand; if they have little understanding then further explanation may need to occur while those knowledgeable about the topic won’t require much elaboration. Additionally, take into account any potential bias or preconceived notions which could negatively affect reception of presented information.

  • Gather Supporting Evidence:

6. Review, Edit & Submit: Polishing Your Work of Art

Before submitting your work, it is essential to review, edit and proof read your essay. A great way of polishing your writing work of art is by following these steps:

  • Reread Your Work. Read out loud what you have written to pick up on any errors or clumsy phrasing that stands out when heard.
  • Check for Grammar & Spelling Errors. Utilize online resources like spell checkers and grammar tools if needed. For an extra set of eyes, get someone else to go over the paper with a fine-toothed comb.

.For those learning how to write essays in Hindi language specifically, utilize similar techniques such as reading aloud three times (पाठ की बारी तीन बा Results will vary greatly depending on the type of project being completed but reviewing each aspect carefully can save time later down the road%.

When edits are done, reread entire piece again thoroughly before submission – this final check ensures nothing has been missed or overlooked previously during editing process% Reviewing content also helps build confidence in author’s own ability/work which could help lead them closer towards success%. After completing all review steps mentioned above ensure that no further changes need be made then submit finished product knowing that special care was taken throughout entire process accordingly!

7 Lasting Impression: Making an Impact Through Your Writing

Writing is an essential tool for making a lasting impression. Whether it be in the form of creative writing, business communication or academic essays, effective and quality writing is key to having your work remembered. When undertaking this task it is important to keep these seven focus points in mind;

  • Audience: Clearly identify who you are writing for – tailoring language and information specific to their needs.
  • Structure: Plan out the content accordingly – use headings/subheadings along with bullet points where necessary as they help the reader understand your message quickly and easily.
  • Clarity & flow: Ensure that there are no grammar and spelling errors present. Make sure each sentence reads well flows from one idea to another without any abrupt changes in topic or style.

Building on those steps, here’s how you can make a lasting impact through your own writing;

Begin by researching extensively so that your facts are accurate enough to write confidently about them. Keep the audience in mind as every piece of written work should have purpose beyond just passing time — ask yourself whether what you’re saying dovetails into some larger goal? Break down complex ideas into smaller chunks so that readers don’t get lost while reading — adding visual elements such as graphs, charts etc can go a long way too! Finally end strong on whatever note serves best for its purpose but also ensure clarity with regards to call-to-action (if applicable). By following these simple practices you will be able create something which has potential timelessness associated with it ! We hope this guide has been of help to you as you start your journey into writing Hindi essays. After all, it is through our own language and expression that we get to express ourselves the best! So pick up a pen and paper, let those ideas flow in Hindi and watch them turn into something beautiful. Happy Writing!

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
  • महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
  • देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
  • बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

हिंदी निबंध का संग्रह (List Of Hindi Essays)

हिंदी निबंध (Hindi Essays), List Of 300+ Essays Topics In Hindi

हिंदी निबंध (Hindi Essays) | List Of 300+ Essays Topics In Hindi

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निबंध लेखन, हिंदी में निबंध| Hindi Essay Writing Topics

निबंध लेखन, Hindi Essay Topics

निबंध लेखन हिंदी में – Essay writing in Hindi Topics for class 10, 9

Essay writing definition, tips, examples, निबंध लेखन की परिभाषा, निबंध लेखन के उदाहरण.

  निबंध लेखन Essay Writing in Hindi – इस लेख में हम निबंध लेखन के बारे में जानेंगे। निबंध होता क्या है? निबंध के मुख्य अंग कौन-कौन से हैं? पाठ्यक्रम में निबन्ध-लेखन को क्यों जोड़ा गया है? निबंध कितनी प्रकार के होते हैं और उन्हें लिखते समय किन विभागों में बाँटना चाहिए जिससे उन्हें लिखने में आसानी हो? निबंध को लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? इन सभी प्रश्नों को जब आप अच्छे से समझ जाएँगे, तो आपको कभी भी किसी भी निबंध को लिखने में कोई भी परेशानी नहीं होगी।

निबंध (Essay)

निबंध की परिभाषा (definition of essay), निबंध के विषय (essay topics in hindi), निबंध के अंग (parts of an essay), निबंध के प्रकार (types of essays).

कई बार लोगों द्वारा यह प्रश्न पूछा जाता है कि आखिर निबंध क्या है? और निबंध की परिभाषा क्या है? वास्तव में निबंध एक प्रकार की गद्य रचना होती है। जिसे क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया हो।

निबंध किसी भी विषय के मुख्य विचार और नज़रिए का एक सुव्यवस्थित रूप है । निबंध किसी एक विशेष विषय पर आधारित होता है। निबंध जानकारी, विचार या भावनाओं के संचार का एक प्रबल माध्यम है । निबंध के द्वारा व्यक्ति अपने विचारों का संचार करने में समर्थ हो सकता है। निबंध लेखन आपको एक ऐसा सुअवसर प्रदान करता है, जिससे आप अपने ज्ञान को दूसरों के सम्मुख प्रकट करते हैं।    Top   Related – Essays in Hindi  

अपने मानसिक भावों या विचारों को संक्षिप्त रूप से तथा नियन्त्रित ढंग से लिखना ‘निबन्ध’ कहलाता है। दूसरे शब्दों में – किसी विषय पर अपने भावों को पूर्ण रूप से क्रमानुसार लिपिबद्ध करना ही ‘निबंध’ कहलाता है।

‘निबंध’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- नि + बंध। इसका अर्थ है भली प्रकार से बंधी हुई रचना। अर्थात वह रचना जो विचारपूर्वक, क्रमबद्ध रूप से लिखी गई हो। इसके आधार पर हम सरल शब्दों में कह सकते हैं – ‘निबंध वह गद्य रचना है, जो किसी विषय पर क्रमबद्ध रूप से लिखी गई हो।’    Top   Related – Soil Pollution Essay in Hindi  

साधारण रूप से निबंध के विषय परिचित विषय होते हैं, यानी जिनके बारे में हम सुनते, देखते व पढ़ते रहते हैं; जैसे – धार्मिक त्योहार, राष्ट्रीय त्योहार, विभिन्न प्रकार की समस्याएँ, मौसम आदि। जीवन के सभी क्षेत्रों में सफल विचार-विमर्श के लिए हमें श्रेष्ठ निबंध लेखन की आवश्वयकता होती है। निबंध‍ किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है। आज सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और वैज्ञानिक विषयों पर निबंध लिखे जा रहे हैं। संसार का हर विषय, हर वस्तु, व्यक्ति एक निबंध का केंद्र हो सकता है। हिंदी के प्रमुख साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने निबन्ध को परिभाषित करते हुए कहा है- “निबन्ध लेखन में लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है।”

उपरोक्त परिभाषा का अर्थ है कि निबन्ध लेखक के मन की प्रवृत्ति के अनुरूप ही होना चाहिए और निबन्ध का लेखन स्वच्छन्द गति पर आधारित हो अर्थात निबंध ऐसा लिखना चाहिए कि लेखक का चिंतन, वैचारिक स्तर, विषय पर उसकी स्वयं की विचारधारा स्पष्ट हो जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त लेखक को नदी की धारा के समान बहना चाहिए, किसी अन्य के मत से प्रभावित हुए बिना। यह अत्यन्त आवश्यक है कि लेखक का व्यक्तिगत परिचय या स्वार्थ विषय-वस्तु को प्रभावित न करे। ज़रूरी नहीं कि आप जो भी लिखें वो सभी को स्वीकार्य हो, ज़रूरी ये है कि आप निष्पक्ष हो कर लिखें क्योंकि निष्पक्षता ही किसी निबंध की प्रथम और अंतिम कसौटी है।    Top   Related – Essay on Women Empowerment in Hindi  

निबंध के चार अंग निश्चित किए गए-

Essay format in Hindi - Parts

(1) शीर्षक – शीर्षक आकर्षक होना चाहिए, ताकि लोगों में निबंध पढ़ने की उत्सुकता पैदा हो जाए। परन्तु यदि आप परीक्षा में बैठे हैं, तो आपको शीर्षक पहले से ही दिया गया होगा।

(2) प्रस्तावना – निबंध की श्रेष्ठता की यह नींव होती है। इसे भूमिका भी कहा जाता है। यह अत्यंत रोचक और आकर्षक होनी चाहिए परन्तु यह बहुत लम्बी नहीं होनी चाहिए। भूमिका इस प्रकार की हो जो विषयवस्तु की झलक प्रस्तुत कर सकें। जो कि पाठक को निबंध पढ़ने के लिए प्रेरित कर सके। निबंध की शुरुआत किसी सूक्ति, श्लोक या किसी उदाहरण से करनी चाहिए। अच्छी प्रभावोत्पादक पंक्तियों का प्रयोग परीक्षक पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा जिससे विद्यार्थी को अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद मिलेगी। आकर्षक प्रारम्भ पाठक या परीक्षक के मन में निबंध को आगे पढ़ने के लिए उत्सुकता जगाता है। निबंध में विषय का संक्षिप्त परिचय और वर्तमान स्वरूप भी विद्यार्थी को भूमिका खंड में देना चाहिए।  भूमिका लिखते समय यह बात ध्यान रखनी बहुत आवश्यक है कि भूमिका का विषय से सीधा जुड़ाव होना चाहिए।

(3) विषय-विस्तार – इसमें तीन से चार अनुच्छेदों में विषय के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार प्रकट किए जाते हैं। प्रत्येक अनुच्छेद में एक-एक पहलू पर विचार लिखा जाते है। यह निबंध का सर्वप्रमुख अंश है। इनका संतुलित होना अत्यंत आवश्यक है। यहीं निबंधकार अपना दृष्टिकोण प्रगट करता है। जब कोई निबंध लिखना हो तो रफ लिख लेना चाहिए कि, पहले क्या बताना है, फिर प्वाइंट बना लो, इसके बाद उन्हें पैराग्राफ में लिखो।

(4) उपसंहार – यह निबंध के अंत में लिखा जाता है। इस अंग में निबंध में लिखी गई बातों को सार के रूप में एक अनुच्छेद में लिखा जाता है। इसमें संदेश भी लिखा जा सकता है। उपदेश, दूसरे के विचारों को उद्घृत कर (लिख कर) या कविता की पंक्ति के माध्यम से निबंध समाप्त किया जा सकता है।    Top  

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निबंध के प्रकार और उन्हें किन विभागों में बाँटा जा सकता है जिससे निबंध लेखन सरल हो सके –

विषय के अनुसार प्रायः सभी निबंध तीन प्रकार के होते हैं –

Hindi essay types

(1) वर्णनात्मक – किसी सजीव या निर्जीव पदार्थ का वर्णन वर्णनात्मक निबंध कहलाता है। ये निबंध स्थान, दृश्य, परिस्थिति, व्यक्ति, वस्तु आदि को आधार बनाकर लिखे जाते हैं। वर्णनात्मक निबंध के लिए अपने विषय को निम्नलिखित विभागों में बाँटना चाहिए-

1. यदि विषय कोई ‘प्राणी’ हो – (i) श्रेणी  (ii) प्राप्तिस्थान (iii) आकार-प्रकार (iv) स्वभाव (v) विचित्रता (vi) उपसंहार

2. यदि विषय कोई ‘मनुष्य’ हो – (i) परिचय (ii) प्राचीन इतिहास (iii) वंश-परंपरा (iv) भाषा और धर्म (v) सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन

3. यदि विषय कोई ‘स्थान’ हो (i) अवस्थिति (ii) नामकरण (iii) इतिहास (iv) जलवायु (v) शिल्प (vi) व्यापार (vii) जाति-धर्म (viii) दर्शनीय स्थान (ix ) उपसंहार

4. यदि विषय कोई ‘वस्तु’ हो (i) उत्पत्ति (ii) प्राकृतिक या कृत्रिम (iii) प्राप्तिस्थान (iv) किस अवस्था में पाई जाती है (v) कृत्रिमता का इतिहास (vi) उपसंहार

5. यदि विषय ‘पहाड़’ हो (i) परिचय (ii) पौधे, जीव, वन आदि (iii) गुफाएँ, नदियाँ, झीलें आदि (iv) देश, नगर, तीर्थ आदि (v) उपकरण एवं शोभा (vi) वहाँ बसनेवाले मानव और उनका जीवन

(2) विवरणात्मक – किसी ऐतिहासिक, पौराणिक या आकस्मिक घटना का वर्णन विवरणात्मक निबंध कहलाता है। यात्रा, घटना, मैच, मेला, ऋतु, संस्मरण आदि का विवरण लिखा जाता है।

विवरणात्मक निबंध लिखने के लिए दिए गए विषय को निम्नलिखित विभागों में बाँटना चाहिए-

1. यदि विषय ‘ऐतिहासिक’ हो – (i) घटना का समय एवं स्थान (ii) ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (iii) कारण, वर्णन एवं फलाफल (iv) इष्ट-अनिष्ट की समालोचना एवं आपका मंतव्य

2. यदि विषय ‘जीवन-चरित्र’ हो – (i) परिचय, जन्म, वंश, माता-पिता, बचपन (ii) विद्या, कार्यकाल, यश, पेशा आदि (iii) देश के लिए योगदान (iv) गुण-दोष (v) मृत्यु, उपसंहार (vi) भावी पीढ़ी के लिए उनका आदर्श

3. यदि विषय ‘भ्रमण-वृत्तांत’ हो – (i) परिचय, उद्देश्य, समय, आरंभ (ii) यात्रा का विवरण (iii) हानि-लाभ (iv) सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, व्यापारिक एवं कला-संस्कृति का विवरण (v) समालोचना एवं उपसंहार

4. यदि विषय ‘आकस्मिक घटना’ हो – (i) परिचय (ii) तारीख स्थान एवं कारण (iii) विवरण एवं अन्त (iv) फलाफल (v) समालोचना (व्यक्ति एवं समाज आदि पर कैसा प्रभाव ?)

(3) विचारात्मक – किसी गुण, दोष, धर्म या फलाफल का वर्णन विचारात्मक निबंध कहलाता है।

इस निबंध में किसी देखी या सुनी हुई बात का वर्णन नहीं होता; इसमें केवल कल्पना और चिंतनशक्ति से काम लिया जाता है। विचारात्मक निबंध उक्त दोनों प्रकारों से अधिक श्रमसाध्य होता है। अतएव, इसके लिए विशेष रूप से अभ्यास की आवश्यकता होती है।

विचारात्मक निबंध लिखने के लिए दिए गए विषय को निम्नलखित विभागों में बाँटना चाहिए-

(i) अर्थ, परिभाषा, भूमिका और परिचय (ii) सार्वजनिक या सामाजिक, स्वाभाविक या अभ्यासलभ्य कारण (iii) संचय, तुलना, गुण एवं दोष (iv) हानि-लाभ (v) दृष्टांत, प्रमाण आदि (vi) उपसंहार

पाठ्यक्रम में निबन्ध-लेखन को क्यों समाहित किया गया – 1. विद्यार्थी अपने विचारों को एकत्र करना सीख पाए। 2. विचारों को संतुलित तरीके से व्यक्त कर पाएं। 3. भाषा को उपयुक्त रूप से प्रयोग करना सीख पाएं। 4. किसी भी विषय पर छात्रों के स्वयं के विचार हों। 5. उनका वैचारिक स्तर निश्चित हो सके। 6. संवेदनात्मक व वैचारिक स्तर पर परिपक्व हो सके। 7. वे अपने विचारों को सकारात्मक दिशा दे पाए। 8. अपने विचारों को दृढ़ता से रखना सीख सके। 9. आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित हो सके। 10. रटन्तू तोता न बन विचारशील प्राणी बन सके।    Top  

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निबन्ध लिखते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए- (1) निबन्ध लिखने से पूर्व सम्बन्धित विषय का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए। (2) क्रमबद्ध रूप से विचारों को लिखा जाये। (3) निबन्ध की भाषा रोचक एवं सरल होनी चाहिए। (4) निबन्ध के वाक्य छोटे-छोटे तथा प्रभावशाली होने चाहिए। (5) निबन्ध संक्षिप्त होना चाहिए। अनावश्यक बातें नहीं लिखनी चाहिए। (6) व्याकरण के नियमों और विरामादि चिह्नों का उचित प्रयोग होना चाहिए। (7) विषय के अनुसार निबन्ध में मुहावरों का भी प्रयोग करना चाहिए। मुहावरों के प्रयोग से निबन्ध सशक्त बनता है। (8) निबंध के विषय पर अतिरिक्त जानकारी प्राप्त करें। (9) आरंभ, मध्य अथवा अंत में किसी उक्ति अथवा विषय से संबंधित कविता की पंक्तियों का उल्लेख करें। (10) निबंध की शब्द-सीमा का ध्यान रखें और व्यर्थ की बातें न लिखें अर्थात विषय से न हटें। (11) विषय से संबंधित सभी पहलुओं पर अपने विचार प्रकट करें। (12) सभी अनुच्छेद एक दूसरे से जुड़े हों। (13) वर्तनी व भाषा की शुद्धता, लेख की स्वच्छ्ता एवं विराम-चिह्नों पर ध्यान दें।

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